भारत और अंग्रेजीशिक्षा
अंग्रेजी से ही हो सकता भारत का उत्थान,
पश्चिम की संस्कृति से ही है संभव जन-कल्याण ।
यह विचार है महामूढ़ता महा अन्ध-विश्वास,
यथाशीघ्र ही हमें चाहिए करना इसका नाश । १
अंग्रेजी ही अखिल विश्व में उन्नत भाषा एक,
यह नितान्त है भ्रान्त धारणा और महा अविवेक ।
रूस चीन जापान आदि हैं ऐसे देश महान,
जहाँ नहीं अंग्रेजी का है कोई भी सम्मान । २
हिन्दी संस्कृत और हमारी प्रादेशिक भाषायें-
यही देश की कर सकती हैं पूरी सब आशायें ।
इनकी ही उन्नति में हम सब सारी शक्ति लगावें,
अंग्रेजी से भी बढ़कर हम इन्हें समर्थ बनावें । ३
अंग्रेजों के कभी दास्य से मुक्त हो गया देश,
अंग्रेजी की किन्तु दासता अव भी है अवशेष ।
हिन्दी-संस्कृत की उन्नति में यही बड़ी है बाधक,
सब मिल दूर भगावें इसको भारत के हितसाधक । ४
-- रचयिता - श्री. वासुदेव द्विवेदी शास्त्री
Proofread by Mandar Mali