मूढ़ता की निशानी
अलग रहने में संस्कृत से नहीं कुछ बुद्धिमानी है,
हमारी मूढ़ता की यह बड़ी सबसे निशानी है ।
हमारे पूर्वजों की जो युगों की साधना भारी,
हमारे देश की जो है अलौकिक सम्पदा सारी,
जो अब भी राष्ट्र की है एकता का मुख्य अवलम्बन
हमारे धर्म-संस्कृति की सुरक्षा का जो है साधन,
उसी को छोड़ने में क्या हमारी बुद्धिमानी है,
हमारी मूढ़ता की यह बड़ी सबसे निशानी है ।
-- रचयिता - श्री. वासुदेव द्विवेदी शास्त्री
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