संस्कृत का लालित्य एवं माधुर्य
संस्कृत भाषा श्रवणमात्र से मुदित हृदय कर देती है,
अपनी मृदु मधुमय वाणी से सबका मन हर लेती है ।
इसके कोमल कान्त पदों की जंग में छटा निराली है,
इसके ध्वनि की मंजु मधुरिमा अद्भुत वैभवशाली है,
ज्योतिष आयुर्वेद शिल्प में भी वहती रसधार यहाँ,
योग और वेदान्त ग्रन्थ में भी लालित्य अपार यहाँ,
कविता के पीयूष-धार से तो मन ही भर देती है,
संस्कृत भाषा श्रवण मात्र से मुदित हृदय कर देती है ।
-- रचयिता - श्री. वासुदेव द्विवेदी शास्त्री
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