संस्कृत में ही भारत का वैभव अन्तर्हित
संस्कृत में ही है छिपा हुआ भारत का वह वैभव विशाल,
जिस हेतु आज भी जगती में भारत का ऊँचा भव्य भाल ।
इसमें ही वैदिक कर्मयोग, उपनिषदों का वह ब्रह्मवाद,
इसमें ही झंकृत नारदीय वीणा का वह सुमधुर निनाद,
मनु का वह मानव धर्मशास्त्र, रामायण का पावन प्रसंग,
श्री व्यासदेव के ज्ञान-महोदधि का उच्छल शत-शत तरंग,
इस माला में ही ग्रथित सकल भारत का मणि-मुक्ता-प्रवाल,
संस्कृत में ही है छिपा हुआ भारत का वह वैभव विशाल ।
-- रचयिता - श्री. वासुदेव द्विवेदी शास्त्री
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