संस्कृत पढ़नेलिखने की प्रतिज्ञा
संस्कृत भाषा अमर कीर्ति है यह भारत-वसुधा की,
यही मूल निर्मल-निर्झरिणी कोमल-काव्य-सुधा की,
ज्ञान, भक्ति-निष्काम कर्म का यही त्रिवेणी संगम,
गौरीशंकर शिखर हमारी प्रतिभा का यह जंगम,
इसके चिर-अर्चित चरणों में फिर हम शीश झुकावें,
आज प्रतिज्ञा लेकर हम सब संस्कृत पढें पढ़ावें ।
-- रचयिता - श्री. वासुदेव द्विवेदी शास्त्री
Proofread by Mandar Mali