संस्कृत से ही वाणीसंस्कार
संस्कृत-शिक्षा से ही होता वाणी का संस्कार
किया इसी ने शब्द-शास्त्र का अद्भुत आविष्कार
स्वर-व्यंजन-वर्णों का वैज्ञानिक यह ज्ञान कराती,
ध्वनियों का भी सूक्ष्म विवेचन यही हमें बतलाती,
यहीं हमें शब्दों के जीवन का इतिहास पढ़ाती,
उनके जन्म-मरण-परिवर्तन का भी भेद बताती,
इसकी कुञ्जी से ही खुलता भाषाओं का द्वार
किया इसी ने शब्द-शास्त्र का अदभुत आविष्कार । १
लैटिन ग्रीक जर्मनी रूसी अंग्रेजी ईरानी,
भाषायें यूरोप-एशिया की जो नई-पुरानी,
इनके भी जीवन विकास में संस्कृत का अवदान,
इसके बिना न सम्भव होना इनका उत्तम ज्ञान,
भाषा-कुल के मूल-ज्ञान का संस्कृत ही आधार
किया इसी ने शब्द-शास्त्र का अद्भुत आविष्कार । २
-- रचयिता - श्री. वासुदेव द्विवेदी शास्त्री
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