संस्कृतसेवा आवश्यक निवेदन नेताओं से
सभी देश के नेताओं से सविनय यही निवेदन,
मन्त्री, उपमन्त्री, एम।एल।ए।, एम।पी। से आवेदन ।
अब केवल पर्याप्त नहीं है संस्कृत का गुणगान,
इसकी रक्षा हेतु दीजिये अब कुछ सचमुच ध्यान । १
भारतीय संस्कृति की रक्षा संस्कृत बिना न होगी,
संस्कृतशिक्षा बिना न उन्नति नैतिकता की होगी ।
यह रहस्य है देशोन्नति का इसे कदापि न भूलें,
छोड़ मूल-अवलम्बन शाखा-पत्तों पर मत भूलें । २
पहले संस्कृत आप स्वयं भी संस्कृत से हो जावें,
फिर इसके रक्षा-आन्दोलन में कुछ हाथ बटावें ।
राज्यों से भरपूर दिलावें संस्कृत-हित अनुदान,
ऐसा काम करें जिससे हो संस्कृत का उत्थान । ३
-- रचयिता - श्री. वासुदेव द्विवेदी शास्त्री
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