संस्कृत विद्यार्थियों की प्रतिज्ञा
संस्कृत भाषा अमर, हमारी यह हमको प्राणों से प्यारी,
इसको नहीं भुलायेंगे हम, इसका मान बढ़ायेंगे हम
इसके पढ़ने-लिखने से ही भाषा का भी ज्ञान बढ़ेगा,
पढ़े-लिखे लोगों में इसके पढ़ने से सम्मान बढ़ेगा,
अब स्वतन्त्र भारत में ज्यादा अंग्रेजी का काम न होगा,
संस्कृतवाली हिन्दी में ही अब से सारा काम चलेगा,
संस्कृत पढ़ने-लिखने में अब अपना ध्यान लगायेंगे हम,
अब हिन्दी के साथ-साथ इसका भी ज्ञान बढ़ायेंगे हम ।
-- रचयिता - श्री. वासुदेव द्विवेदी शास्त्री
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