भूताधिपस्तोत्रम्
भूताधिपं भजे भूताधिपं - दिव्यभूताधिपं भजे भूताधिपम् ॥ १
देवारिमर्दनं भूताधिपं भू-तगणसुवन्दितं भूताधिपम् ॥ २
देवेन्द्रवन्दितं भूताधिपं - भक्त-वृन्दबहुस्तुतं भूताधिपम् ॥ ३
कारुण्य वीक्षणं भूताधिपं - श्री-गजमुखसोदरं भूताधिपम् ॥ ४
श्रीकुण्डलाञ्चितं भूताधिपं श्री-मणिकण्ठभासुरं भूताधिपम् ॥ ५
नाळीकलोचनं भूताधिपं श्री-कालाम्बुदश्याळं भूताधिपम् ॥ ६
नानार्थ दायकं भूताधिपं कलि-दोषदावानलं भूताधिपम् ॥ ७
दीनार्ति भञ्जनं भूताधिपं सु-भक्तजनतारकं भूताधिपम् ॥ ८
पाण्ड्येशसेवकं भूताधिपं पाण्ड्य-वंशसुरक्षितं भूताधिपम् ॥ ९
क्लेशपाशक्षतिं भूताधिपं क्लिष्ट-जनरक्षकं भूताधिपम् ॥ १०
संसारतारकं भूताधिपं शत्रु-कुलध्वंसकं भूताधिपम् ॥ ११
पुण्यलोकाश्रयं भूताधिपं पुण्य-जनपूजितं भूताधिपम् ॥ १२
आश्रितवत्सलं भूताधिपं विश्व-विशृतविग्रहं भूताधिपम् ॥ १३
कल्याणदायकं भूताधिपं सु-कीर्तन सक्त चित्तं भूताधिपम् ॥ १४
किरातवपुषं भूताधिपं मृग-यावनस्थितं भूताधिपम् ॥ १५
अज्ञाननाशनं भूताधिपं सु-विज्ञानदायकं भूताधिपम् ॥ १६
अद्भुतविग्रहं भूताधिपं अणि-मादिसिद्धिदं भूताधिपम् ॥ १७
समस्तैकनाथं भूताधिपं ताप-त्रयशान्तिदं भूताधिपम् ॥ १८
भूताधिप स्तोत्रं समाप्तम् ॥
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