भगवतीकवचम्
अथ भगवती कवचम् ।
ॐ नमो भगवति वज्रशृङ्खले हन हन
ॐ भक्ष भक्ष ॐ अरे रक्तं पिब कपालेन रक्ताक्षि रक्तपटे
भस्माङ्गि भस्मलिप्तशरीरे वज्रायुधे वज्रप्राकारनिचिते
ॐ पूर्वां दिशं बन्ध बन्ध ॐ दक्षिणां दिशं बन्ध बन्ध
ॐ पश्चिमां दिशं बन्ध बन्ध ॐ उत्तरां दिशं बन्ध बन्ध
ॐ नागान् बन्ध बन्ध नागपत्नीर्बन्ध बन्ध ॐ असुरान् बन्ध बन्ध
ॐ यक्षराक्षसपिशाचान् बन्ध बन्ध प्रेतभूतगन्धर्वादि ये
केचिदुपद्रवास्तेभ्यो रक्ष रक्ष ॐ ऊर्ध्वं रक्ष रक्ष अधो रक्ष रक्ष
क्षुरिकं बन्ध बन्ध ॐ ज्वलमहाबले घटि घटि ॐ मोटि मोटि
सटावलि वज्राङ्गि वज्रप्राकारे हुँ फट् ह्रीं ह्रूं श्रीं फट् ह्रीं ह्रः फ्रूं
फ्रें फ्रः सर्वग्रहेभ्यः सर्वव्याधिभ्यः सर्वदुष्टोपद्रवेभ्यः ह्रीं
आमीवेभ्यो रक्ष रक्ष ग्रहभूत ज्वरादिषु सर्वकर्मषु योजयेत् ॥
इत्याग्नेयं भगवतीकवचं सम्पूर्णम् ॥
Encoded and proofread by Nat Natarajan nat.natarajan at gmail.com