कामेश्वरीस्तुतिः

कामेश्वरीस्तुतिः

युधिष्ठिर उवाच - नमस्ते परमेशानि ब्रह्मरूपे सनातनि । सुरासुरजगद्वन्द्ये कामेश्वरि नमोऽस्तु ते ॥ १॥ न ते प्रभावं जानन्ति ब्रह्माद्यास्त्रिदशेश्वराः । प्रसीद जगतामाद्ये कामेश्वरि नमोऽस्तु ते ॥ २॥ अनादिपरमा विद्या देहिनां देहधारिणी । त्वमेवासि जगद्वन्द्ये कामेश्वरि नमोऽस्तु ते ॥ ३॥ त्वं बीजं सर्वभूतानां त्वं बुद्धिश्चेतना धृतिः । त्वं प्रबोधश्च निद्रा च कामेश्वरि नमोऽस्तु ते ॥ ४॥ त्वामाराध्य महेशोऽपि कृतकृत्यं हि मन्यते । आत्मानं परमात्माऽपि कामेश्वरि नमोऽस्तु ते ॥ ५॥ दुर्वृत्तवृत्तसंहर्त्रि पापपुण्यफलप्रदे । लोकानां तापसंहर्त्रि कामेश्वरि नमोऽस्तु ते ॥ ६॥ त्वमेका सर्वलोकानां सृष्टिस्थित्यन्तकारिणी । करालवदने कालि कामेश्वरि नमोऽस्तु ते ॥ ७॥ प्रपन्नार्तिहरे मातः सुप्रसन्नमुखाम्बुजे । प्रसीद परमे पूर्णे कामेश्वरि नमोऽस्तु ते ॥ ८॥ त्वामाश्रयन्ति ये भक्त्या यान्ति चाश्रयतां तु ते । जगतां त्रिजगद्धात्रि कामेश्वरि नमोऽस्तु ते ॥ ९॥ शुद्धज्ञानमये पूर्णे प्रकृतिः सृष्टिभाविनी । त्वमेव मातर्विश्वेशि कामेश्वरि नमोऽस्तु ते ॥ १०॥ इति श्रीमहाभागवते महापुराणे युधिष्ठिरकृता कामेश्वरीस्तुतिः सम्पूर्णा । हिन्दी भावार्थ - युधिष्ठिर बोले--ब्रह्मरूपा सनातनी परमेश्वरी! आपको नमस्कार है । देवताओं, असुरों और सम्पूर्ण विश्वद्वारा वन्दित कामेश्वरी ! आपको नमस्कार है । जगत् की आदिकारणभूता कामेश्वरी ! आपके प्रभावको ब्रह्मा आदि देवेश्वर भी नहीं जानते हैं; आप प्रसन्न हों, आपको नमस्कार है । जगद्वन्द्ये ! आप अनादि, परमा, विद्या और देहधारियों की देहको धारण करनेवाली हैं, कामेश्वरी ! आपको नमस्कार है । आप सभी प्राणियोंकी बीजस्वरूपा हैं, आप ही बुद्धि, चेतना और धृति हैं, आप ही जागृति और निद्रा हैं । कामेश्वरी! आपको नमस्कार है ॥ १-४॥ आपकी आराधना करके परमात्मा शिव भी अपने-आपको कृतकृत्य मानते हैं, कामेश्वरी आपको नमस्कार है । दुराचारियों के दुराचरण का संहार करनेवाली, पाप-पुण्य के फलको देनेवाली तथा सम्पूर्ण लोकों के तापका नाश करनेवाली कामेश्वरी ! आपको नमस्कार है । आप ही एकमात्र समस्त लोकोंकी सृष्टि, स्थिति और विनाश करनेवाली हैं । विकराल मुखवाली काली कामेश्वरी! आपको नमस्कार है ॥ ५ -७॥ शरणागतों की पीडाका नाश करनेवाली, कमलके समान सुन्दर और प्रसन्न मुखवाली माता ! आप मुझपर प्रसन्न होम् । परमे! पूर्णे! कामेश्वरी! आपको नमस्कार है । जो भक्तिपूर्वक आपके शरणागत हैं, वे संसारको शरण देने योग्य हो जाते हैं । तीनों लोकों का पालन करनेवाली देवी कामेश्वरी! आपको नमस्कार है । आप शुद्धज्ञानमयी, सृष्टिको उत्पन्न करनेवाली पूर्ण प्रकृति हैं । आप ही विश्व की माता हैं, कामेश्वरी ! आपको नमस्कार है ॥ ८ -१०॥ इस प्रकार श्रीमहाभागवतमहापुराणके अन्तर्गत युधिष्ठिरद्वारा की गयी कामेश्वरीस्तुति सम्पूर्ण हुई । Proofread by Aruna Narayanan narayanan.aruna at gmail.com
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% Latest update         : April 20, 2019
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