गणेशलीलास्तुतिः

गणेशलीलास्तुतिः

अद्रिराजज्येष्ठपुत्र हे गणेश विघ्नहन् पद्मयुग्मदन्तलड्डुपात्रमाल्यहस्तक । सिंहयुग्मवाहनस्थ भालनेत्रशोभित कल्पवृक्षदानदक्ष भक्तरक्ष रक्ष माम् ॥ १॥ एकदन्त वक्रतुण्ड नागयज्ञसूत्रक सोमसूर्यवह्निमेयमानमातृनेत्रक । रत्नजालचित्रमालभालचन्द्रशोभित कल्पवृक्षदानदक्ष भक्तरक्ष रक्ष माम् ॥ २॥ वह्निसूर्यसोमकोटिलक्षतेजसाधिक- द्योतमानविश्वहेतिवेचिवर्गभासक । विश्वकर्तृविश्वभर्तृविश्वहर्तृवन्दित कल्पवृक्षदानदक्ष भक्तरक्ष रक्ष माम् ॥ ३॥ स्वप्रभावभूतभव्यभाविभावभासक कालजालबद्धवृद्धबाललोकपालक । ऋद्धिसिद्धिबुद्धिवृद्धिभुक्तिमुक्तिदायक कल्पवृक्षदानदक्ष भक्तरक्ष रक्ष माम् ॥ ४॥ मूषकस्थ विघ्नभक्ष्य रक्तवर्णमाल्यधृन्- मोदकादिमोदितास्यदेववृन्दवन्दित । स्वर्णदीसुपुत्र रौद्ररूप दैत्यमर्दन कल्पवृक्षदानदक्ष भक्तरक्ष रक्ष माम् ॥ ५॥ ब्रह्मशम्भुविष्णुजिष्णुसूर्यसोमचारण- देवदैत्यनागयक्षलोकपालसंस्तुत । ध्यानदानकर्मधर्मयुक्त शर्मदायक कल्पवृक्षदानदक्ष भक्तरक्ष रक्ष माम् ॥ ६॥ आदिशक्तिपुत्र विघ्नराज भक्तशङ्कर दीनानाथ दीनलोकदैन्यदुःखनाशक । अष्टसिद्धिदानदक्ष भक्तवृद्धिदायक कल्पवृक्षदानदक्ष भक्तरक्ष रक्ष माम् ॥ ७॥ शैवशक्तिसाङ्ख्ययोगशुद्धवादिकीर्तित बौद्धजैनसौरकार्मपाञ्चरात्रतर्कित । वल्लभादिशक्तियुक्त देव भक्तवत्सल कल्पवृक्षदानदक्ष भक्तरक्ष रक्ष माम् ॥ ८॥ देवदेव विघ्ननाश देवदेवसंस्तुत देवशत्रुदैत्यनाश जिष्णुविघ्नकीर्तित । भक्तवर्गपापनाश बुद्धबुद्धिचिन्तित कल्पवृक्षदानदक्ष भक्तरक्ष रक्ष माम् ॥ ९॥ हे गणेश लोकपालपूजिताङ्घ्रियुग्मक धन्यलोकदैन्यनाश पाशराशिभेदक । रम्यरक्त धर्मसक्तभक्तचित्तपापहन् कल्पवृक्षदानदक्ष भक्तरक्ष रक्ष माम् ॥ १०॥ ये पठन्ति विघ्नराजभक्तिरक्तचेतसः स्तोत्रराजमेनसोपमुक्तशुद्धचेतसः । ईप्सितार्थमृद्धिसिद्धिमन्त्रसिद्धभाषिताः प्राप्नुवन्ति ते गणेशपादपद्मभाविताः ॥ ११॥ इति गणेशलीलास्तुतिः समाप्ता । Proofread by Aruna Narayanan narayanan.aruna at gmail.com
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% Latest update         : September 29, 2019
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