ऋभुप्रोक्ता स्वरक्षणार्थ शिवप्रार्थना
गन्धद्विपवरवृन्दत्वचिरुचिबन्धोद्यतपट गन्धप्रमुख
मदान्धव्रजदलि हरिमुखनखरोद्यत्स्कन्धोद्यन्मुख बन्धक्षुरनिभ
निर्यद्रसदसृभिन्दन्नगधर विन्ध्यप्रभशिव मेध्यप्रभुवर ।
मेध्योत्तमशिव भेद्याखिलजगदुद्यद्भवगत वेद्यागमशिव
गद्यस्तुतपद पद्यप्रकटहृदुद्यद्भवगद वैद्योत्तम पाहि शम्भो ॥ १॥
चण्डद्विपकर काण्डप्रभभुज दण्डोद्यतनग
खण्डत्रिपुर महाण्डस्फुटदुडुपशिखण्ड ।
द्युतिवर गण्डद्वय कोदण्डान्तक दण्डितपाद पाहि शम्भो ॥ २॥
किञ्चिज्जललव सिञ्चद्द्विजकुल मुञ्चद्वृजिन कुलुञ्चद्विजपति
चञ्चच्छविजट कुञ्चत्पदनख मुञ्चन्नतवर करुणा पाहि शम्भो ॥ ३॥
देव शङ्कर हरमहेश्वर पापतस्कर अमरमयस्कर ।
शिवदशङ्कर पुरमहेश्वर भवहरेश्वर पाहि शम्भो ॥ ४॥
अङ्गजभङ्ग तुरङ्गरथाङ्ग जलधिनिषङ्ग धृतभुजङ्गाङ्ग दृशि सुपतङ्ग
करसुकुरङ्ग जटधृतगङ्ग यमिहृदिसङ्ग भजशिवलिङ्ग भवभयभङ्ग ॥ ५॥
शम्बरकरशर दम्बरवरचर डम्बरघोषण दुम्बरफलजग
निकुरुम्बभरहर बिम्बितहृदिचिर लम्बितपदयुग
लम्बोदरजनकान्तकहर शिव बिन्दुवरासन बिन्दुगहन
शरदिन्दुवदनवर कुन्दधवल गणवृन्दविनत भवभयहर
परवर करुणाकर फणिवरभूषण स्मर हर गरधर परिपाहि ॥ ६॥
रासभवृषभेभ शरभाननगणगुणनन्दितत्रिगुणपथातिग
शरवणभवनुत तरणिस्थित वरुणालय कृतपारण मुनिशरणायित
पदपद्मारुण पिङ्गजटाधर कुरु करुणां शङ्कर शं कुरु मे ॥ ७॥
जम्भप्रहरण कुम्भोद्भवनुत कुम्भप्रमथ निशुम्भद्युतिहर
भिन्दद्रणगण डिम्भायितसुर तारकहरसुत कुम्भ्युद्यतपद
विन्ध्यस्थितदितिमान्द्यप्रहर मदान्धद्विपवर कृत्तिप्रवर
सुधान्धोनुतपद बुद्ध्यागमशिव मेध्यातिथिवरद
ममावन्ध्यं कुरु दिवसं तव पूजनतः परिपाहि शम्भो ॥ ८॥
कुन्दसदृश मकरन्दनिभसुरवृन्दविनुत कुरुविन्दमणिगण
वृन्दनिभाङ्घ्रिजमन्दर वसदिन्दुमकुट
शरदम्बुजकृश गरनिन्दनगल सुन्दरगिरितनयाकृति
देहवराङ्गबिन्दुकलित शिवलिङ्गगहन सुतसिन्दुरवरमुख
बन्धुरवरसिन्धुनदीतट लिङ्गनिवहवरदिग्वस पाहि शम्भो ॥ ९॥
पन्नगाभरण मारमारण विभूतिभूषण शैलजारमण ।
आपदुद्धरण यामिनीरमणशेखर सुखद पाहि शम्भो ॥ १०॥
दक्षाध्वरवरशिक्ष प्रभुवर त्र्यक्ष प्रबलमहोक्षस्थित
सितवक्षस्स्थलकुलचक्षुःश्रवस वराक्षस्रज हर ।
वीक्षानिहताधोक्षजात्मज वरकक्षाश्रय पुरपक्षविदारण
लीक्षायितसुर भिक्षाशन हर पद्माक्षार्चनतुष्ट भगाक्षिहराव्यय
शङ्कर मोक्षप्रद परिपाहि महेश्वर ॥ ११॥
अक्षयफलद शुभाक्ष हराक्षततक्षककर
गरभक्ष परिस्फुरदक्ष क्षितिरथ सुरपक्षाव्यय ।
पुरहर भव हर हरिशर शिव शिव
शङ्कर कुरु कुरु करुणां शशिमौले ॥ १२॥
भजाम्यगसुताधवं पशुपतिं महोक्षध्वजं
वलक्षभसितोज्ज्वलं प्रकटदक्षदाहाक्षिकम् ।
भगाक्षिहरणं शिवं प्रमथितोरुदक्षाध्वरं
प्रपक्षसुरतामुनिप्रमथशिक्षिताधोक्षजम् ॥ १३॥
श्रीनाथाक्षिसरोजराजितपदाम्भोजैकपूजोत्सवैर्नित्यं
मानसमेतदस्तु भगवन्सद्राजमौले हर ।
भूषाभूतभुजङ्गसङ्गत महाभस्माङ्गनेत्रोज्वलज्ज्वाला-
दग्धमनङ्गपतङ्गदृगुमाकान्ताव गङ्गाधर ॥ १४॥
स्वात्मानन्दपरायणाम्बुजभवस्तुत्याऽधुना पाहि मां (।)
. . . . ?? missing text ।
गिरिजामुखसख षण्मुख पञ्चमुखोद्यतदुर्मुखमुखहर
आखुवहोन्मुख लेखगणोन्मुख शङ्कर खगगमपरिपूज्य ॥ १५॥
कोटिजन्मविप्रकर्मशुद्धचित्तवर्त्मनां श्रौतसिद्धशुद्धभस्मदग्धसर्ववर्ष्मणाम् ।
रुद्रभुक्तमेध्यभुक्तिदग्धसर्वपाप्मनां रुद्रसूक्ति उक्तिभक्तिभुक्तिमुक्तिदायिकाम् ।
पुरहर इष्टतुष्टिमुक्तिलास्यवासना भक्तिभासकैलासमीश आशु लभ्यते ॥ १६॥
॥ इति शिवरहस्यान्तर्गते ऋभुप्रोक्ता स्वरक्षणार्थशिवप्रार्थना सम्पूर्णा ॥
- ॥ श्रीशिवरहस्यम् । शङ्कराख्यः षष्ठांशः । अध्यायः ३ । १-१९॥
- .. shrIshivarahasyam . shankarAkhyaH ShaShThAMshaH . adhyAyaH 3 . 1-19..
Notes :
Shiva Rahasyam Amsa-06 consists of the 50 Adhyaya-s that comprise the Ribhu Gita.
Selected verses from Ribhu Gita have been compiled here based on similarity of content.
Proofread by Ruma Dewan