स्कन्दकृतं शिवाष्टकम्

स्कन्दकृतं शिवाष्टकम्

जय जय मङ्गलतरसुन्दरतममङ्गलापते जय जय विश्वविधानसंस्थितिनिध(धा)नशिक्षणचण बन्धुतरसुन्दर(सिन्धुर)वरकृत्तिवसन मुनिवृन्दविनुत निन्दितमखसंहृते सुरनन्दितगणपुरमारक भवशोषणगरलाशन शमनभयकम्पितमुनिपोतकशरण अरुणाधिपकरुणाकर जनतारणतरणिस्थित सुरकारणमारशोषण त्रिगुणनिगमगणपोषणचरण शरणं भव शरणं भव शरणं भव दयया ॥ १॥ निगमागमवचनातिग यमिमानसगगनान्तर वयुनस्थितिसुरकारण मारशोषण भवनाशन वरहारक दहनामलनयन मननातिग वृषवाहनगमन भवनाशन वसिताशक सुरभूसुरनिकरावन पितृकाननविहृते दहराकृतिकुहरातिग वरभूधरशयन खरशीतजकरसंस्थित मुरभेदनशरधारण पुरनाशन निगमव्रजतुरगोत्तम उरगाधिपकृतशिञ्जनिवरकार्मुक मृगधृक् कुलिशायुधमुखदैवतभटरक्षणचतुर शरणं भव शरणं भव शरणं भव दयया ॥ २॥ दहनानिलतपनामरवरभूसुर जलनायक शमनाकृतविनतेकलिताखिलचरजङ्गम जगतामवन (जनतावन) जननादिक ललितोत्तमचरित भरितानतवरतात जनतापहृते विनतात्मजवाहनार्चन जनितातुलदयया विकचाम्बुजनिभलोचनरथसंवहनप्रद विधिमौलिजफलकामलशयभूषित भगवन् पवनानलवलमारणबलशोषण तृणचालनमपि कृते कृणुते न हि निखिलागमशिरसंस्तुतचरित शरणं भव शरणं भव शरणं भव दयया ॥ ३॥ व(क)रुणालयमथनोद्भवगरलोत्थितमहसा सुरकिन्नरहरवलानहरिसायकरभसा (सुरकिन्नरहरवग्लनहरिसायकरभसा, सुरकिन्नरपरिपालनहरिसायकरभसा) कवलीकृतगरसम्भवनलिनामलशुभकन्धर जलदोपम भगवन् मधुमारणनयनामलनलिनार्चित पदपङ्कजलुलिताम्बुधिचुलुकीकृतघटसम्भवनुतितोषित यतिमानसवरभूषण फणिकङ्कण भगवन् दुरितापह चलितामलललितेन्दुकलालवविमलीकृतजगते शरणं भव शरणं भव शरणं भव दयया ॥ ४॥ मखसन्मुखहवनाशन मुखतर्पितहविभक्षण विबुधव्रजनलिनोत्थित महिमातिग परिपूजनरहितातुलमन्युकृतेमननोत्थित गणगर्जनपरितर्जनसुरभर्जन विधिनन्दनकृतशिक्षण परिपूरितदुरिवान्तक गजमारणकरण अगजाधिप भुजगाधिपशयनार्पित विधिमौलिजकलितस्रज बलभिन्मतभगदैवतनयनाम्बुजनाशकृते शरणं भव शरणं भव शरणं भव दयया ॥ ५॥ जटिलालक मृगनायकमदपाटन जनिताम्बरकटिशोभित व(त)टसंस्थित निगमागमभटगोषक(घोषित) सुरनायकत्रुटिताखिल जगदुद्भवघटकर्पर हरिशर(हरिसायक) ((बल))कर्षण पुरदाहन भगवन् पटुताकृतिनिखिलस्थितिकटुकीभव(कृत)जलधे भवदागमजगदुद्गम(द्भव)जलदालयवहन त्रिपुरान्तक शमितान्तक शमितान्धक शमिताखिलदुःख विभो शरणं भव शरणं भव शरणं भव दयया ॥ ६॥ पवनाशनमणिकङ्कणगरलाशन मधुसूदनबलनाशन यमुनानुजभवनाशन सिकताशनतनयामल गणसत्तम गुणबन्धुर हृदयानन मुनिसत्तम विनुतगण(गुण)गर्जितवदनायित शशिधामककृतनेत्रक उडुनायकशिखरामर वरनायककुमुदाकर समुदायजततलोचन द्विरदाननसुतहर्षदतरुणेन्दुललाम मसृणारुणनखजोत्पल कलिकायितसुरजालकमकुटीतटघटिताम्बुजपाद शरणं भव शरणं भव शरणं भव दयया ॥ ७॥ अखिलाण्डजशुकतुण्डजघटनोत्थित मधुरायितसुखतन्द्रिजरससारस पदनामजमुनिगीतविनोद कनकाम्बुजजनिताखिलजग(जन)खण्डन यमदण्डन शशिखण्डन कलितामलशिरसे मृदुमण्डित उरगेश्वरकृतकुण्डलविधिखण्डन शिखण्डवरलोचन (शिखिडम्बरकृतलोचन) वडवानलकृतजिह्वक शिखिवाहनकृतबोधन श्रुतिमण्डलशिरसे पुरदण्डन नगकोदण्डजहरिशरकर्षणाखण्डलकरभञ्जन मुनिमण्डलकृतरक्षणखण्डपरशो तण्डुनन्दिगणभृङ्गिचण्डिकृततालमद्दलज घुङ्घुमध्वनि((ज))मड्डुघर्घरितरङ्गनाट्यपर जह्नुजाविततनीरतीरविलसच्छिवलिङ्ग शरणं भव शरणं भव शरणं भव दयया ॥ ८॥ ॥ इति शिवरहस्यान्तर्गते माहेश्वराख्ये स्कन्दकृतं शिवाष्टकम् ॥ - ॥ श्रीशिवरहस्यम् । माहेश्वराख्यः प्रथमांशः । अध्यायः १० । ३-१०॥ - .. shrIshivarahasyam . mAheshvarAkhyaH prathamAMshaH . adhyAyaH 10 . 3-10.. Notes: Skanda स्कन्द eulogizes Aṣṭākṛti Śiva अष्टाकृति शिव with Aṣṭakam अष्टकम् - an eight stanza composition. The shloka numbers have been renumbered for convenience of the reader. Encoded and proofread by Ruma Dewan
% Text title            : Skandakritam Shiva Ashtakam
% File name             : shivAShTakamskandakRRitaM.itx
% itxtitle              : shivAShTakam skandakRitaM (shivarahasyAntargatA)
% engtitle              : shivAShTakam skandakRitaM
% Category              : shiva, shivarahasya, aShTaka
% Location              : doc_shiva
% Sublocation           : shiva
% Language              : Sanskrit
% Subject               : philosophy/hinduism/religion
% Transliterated by     : Ruma Dewan
% Proofread by          : Ruma Dewan
% Description/comments  : shrIshivarahasyam | mAheshvarAkhyaH prathamAMshaH | adhyAyaH 10 | 3-10||
% Indexextra            : (Scans 1, 2)
% Latest update         : December 17, 2023
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% Site access           : https://sanskritdocuments.org

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