श्रीशिवस्तोत्रम् ११
अमरतटिनीतरङ्गमरीचिका-
चयक्रमपाटलीभवत्कचकलाप ।
समराङ्गणविवर्जितमरुद्द्विषत्कोप
कमलसम्भवमुख्यगणविनुतबहुरूप ॥ १॥
भूधरतनूजापयोधरतटीगन्ध-
माधुर्यमाधुर्यसाधुवचन ।
श्रीधराशिवकलानाथराजत्कलाश्रीधरा-
विनिभरा(ऽऽविर्जला)म्भोधरसमानगल (?) ॥ २॥
भक्तजनपालनव्यक्तकारुण्यरस-
चित्तविपुलकटाक्षश्रुतिनियुक्त ।
मुक्तामणीमहास्रक्ततोद्यद्देह-
दिक्ताण्डवोत्सव सक्तचतुराङ्ग (?) ॥ ३॥
पावनाकार पुलपर्तिगोपालसख
गोवाहन भुजङ्गकुलविभूष ।
भावभवहरण मां पालय कृपानिधे
कोविदस्तवपात्र गुम्पपुरिसोमेश ॥ ४॥
॥ इति श्रीशिवस्तोत्रं सम्पूर्णम् ॥
Proofread by Aruna Narayanan