पुत्री मम खलु निद्राति
पुत्री मम खलु निद्राति
पुत्री मम खलु निद्राति ।
सुन्दरशयने सुखमयवसने
पुत्री मम खलु निद्राति ॥ ध्रु.॥
रे रे वायस कर्कशकण्ठ!
मा रट मा रट कर्णकठोरम् ।
श्रान्ता क्लान्ता पुनरनुनीता
पुत्री मम खलु निद्राति ॥ १॥
म्याँव, म्याँव् मा कुरु घोरविरावं
चल चल रे खल चोरबिडाल !
स्निग्धा मुग्धा सेवितदुग्धा
पुत्री मम खलु निद्राति ॥ २॥
उच्चैर्मा भष शुनक वराक
भौ भौ मा कुरु कार्यविहीन !
विमला कुशला सुमनोमृदुला
पुत्री मम खलु निद्राति ॥ ३॥
रे रे मशक मा कुरु गानं
मा स्पृश मा दश रक्तपिपासो ।
सुदती सुमुखी शोभनगात्री
पुत्री मम खलु निद्राति ॥ ४॥