बालकावितावलिः १ सार्थः हिन्दी

बालकावितावलिः १ सार्थः हिन्दी

रचयिता-वासुदेव द्विवेदी शास्त्री संस्कृत-प्रचार पुस्तकमाला स० ४२ बालकावितावलिः (हँसते-खेलते संस्कृत) प्रथमो भागः सार्वभौम संस्कृत प्रचार संस्थानम्, वाराणसी रचयिता - वासुदेव द्विवेदी शास्त्री (संस्कृतप्रचार-पुस्तकमाला-सम्पादकः) प्रकाशकः - सार्वभौम संस्कृत-प्रचार संस्थानम् डी ० ३८-११० हौजकटोरा, वाराणसी

आवश्यक निवेदन

प्रस्तुत पुस्तक ``हँसते-खेलते संस्कृत पुस्तकमाला'' के अन्तर्गत प्रकाशित की जा रही हे जो अपने ढंग की बिलकुल नवीन और निराली पहली रचना है । इसमे इसके नामानुरूप। हि बालकौ को विना परिश्रम के, मनोरंजन के साथ, हँसते-खेलते संस्कृत सिखाने की दृष्टि से ऐसी कवितैं एवं तुकबन्दियाँ प्रकाशित की गयी हैं जिनमे पहले संस्कृत के वाक्य हैं और ।फिर उनका हिन्दी अनुवाद हे और दानो को मिलाकर बाँचने से एक छन्द बन जाता है । इस प्रकार यह पुस्तक जहाँ हिन्दी में संस्कृत और संस्कृत से हिन्दी अनुवाद सीखने-सिखाने में सहायक वै वहीं कविता पढ़ने का भी आनन्द देती है । इन कविताओं की एक विशेषता यह भी हे कि यदि इनमे से केवल संस्कृत पदों को अलग करके पढ़ा जाय तो वह संस्कृत कविता हो जाती है, यदि हिन्दी पदों को अलग करके पढ़ा जाय तो हिन्दी कविता हो जातो है और यदि मिलाकर पढ़ा जाय तो मिश्रित कविता हो जाती हौ इस प्रकार इस पुस्तक से संस्कृत हिन्दी और मिश्रित कविताउ के पढ़ने का एक साथ आनन्द प्राप्त हो सकता हे और बालकों में अनायास ही इस पुस्तक के माध्यम से संस्कृत पढ़ने की अभिरुचि उत्पन्न की जा सकती है । साथ ही इस पुस्तक के पढ़ने से बाल-विधार्थियों कों यह ही लाभ हो सकता हे कि वे संस्कृत के प्रत्येक पद को अलग अलग समझ कर अपनी शब्द सम्पत्ति भी बना सकते हैं और कहीं कहीं वाक्यो से उनका प्रयोग भी कर सकते हे । आशा है, इन सभी बातों पर ध्यान देते हुए समस्त अभिभावक, अध्यापकगण तथा संस्कृत-प्रचार के इच्छुक जन अपने बाल-बच्चों तथा विद्यायार्थियो के लिए इस पुस्तक का अध्ययन अनिवार्य करेंगे और इस प्रकार संस्कृत-प्रचार में सहायक बनकर हमे अनुगृहीत करेंगे । ३० नवम्बर २००० रचयिता विनीत वाराणसी

बाल-कवितावलिः

प्रार्थना

हे दयानिधे? (हे दयाधाम !) हे दयानिधे? (हे दयाधाम !) वीराः भवेम (हम वीर बनें) धीराः भवेम (हम धीर बनें) शिष्टाः भवेम (हम शिष्ट बनें) सभ्याः भवेम (हम सभ्य बनें ।) सततं पठेम (हम सदा पढ़ें) सततं लिखेम (हम सदा लिखें) सत्यं वदेम (हम सच बोलें) सुखिनो वसेम (हम सुखी रहें ।) तुभ्यं नमोऽस्तु (तुमको प्रणाम) हे दयानिधे (हे दयाधाम !)

अभिलाषः

वीर-बालकाः वयम् (वीर बाल हम सभी) वीर-बालकाः वयम् (वीर बाल हम सभी) सागरं समुत्तरेम (सागर को पार करें) गगनतले उत्पतेम (आसमान मे उड़ें) भूतले (जमीन पर) पर्वते (पहाह पर) उत्सवे (उमंग में) सङ्ग्रामे (जंग में) सर्वतो वयं जयेम सब (जगह विजय करें ।) निर्भया सदा भवेम (सर्वदा निडर रहेम् ।) नो कदापि वित्रसेम (त्रस्त हों नहीं कभी ।) वीर-बालकाः वयम् (वीर बाल हम सभी ।)

टप् टप्, गप्, गप्

निपतति जम्बूः टप् टप् (गिरती जामुन टप् टप्) बालः खादति गप् गप् (लड़का खाता गप् गप्) वायुः प्रवहति हर् हर् (हवा बह रही हर् हर्) पत्रं निपतति खर् खर् (पत्ता गिरता खर् खर् ।) विहगो ब्रूते चुन् चुन् (चिड़िया बोले चुन् चुन् ।) भ्रमरो गुंजति गुन् गुन् (भँवरा गूँजे गुन् गुन्) गन्त्री गच्छति धक् धक् (गाड़ी जाती धक् धक्) बालः पश्यति टक् टक् (लड़का देखे टक् टक्)

में में कुरुते

शिशुः स्वपिति (बच्चा है सोता) कॄषकः वपति (कॄषक है बोता) अजा चरति (बकरी है चरती) में में कुरुते (में में करती ।) सर्पः दशति (साँप डँसता है) मशकः दशति (मशक डँसता है) वायुः चलति (हवा चलती है) वायुः वहति (हवा वहती है ।) जलं वहति (पानी बहता है) कुम्भः स्रवति (घड़ा चूता है) अग्निः ज्वलति (आग जलती है) दालिः गलति (दाल गलती है ।) रामः पठति (राम पढ़ता है) श्यामः लिखति (श्याम लिखता है) शुकः पठति (सुग्गा पढ़ता है) शिशुः रटति (बच्चा रटता है ।) गीता गायति (गीता गाती है) कमला खादति (कमला खाती है) विमला रोदिति (विमला रोती है) सुषमा शेते (सुषमा सोती है ।) शीला खेलति (शीला खेल रही है) लीला धावति (लीला दौड़ रही है) माता पश्यति (माता देख रही है) पुत्री पृच्छति (बेटी पूछ रही है ।) बालकाः खेलन्ति (लड़के खेलते हैं) बालकाः धावन्ति (लड़के दौड़ते हैं) बालका पृच्छन्ति (लड़के पूछते हैं) बालका क्रीडन्ति (लड़के खेलते हैं ।) घोटकाः धावन्ति (घोड़े दौड़ते हैं) कुक्कुरा बुक्कन्ति (कुत्ते भूँकते हैं) कोकिलाः कूजन्ति (कोयल कूजते हैं) षट्पदाः गुजन्ति (भौरे गूँजते हैं ।) नर्तका नृत्यन्ति (नर्तक नाचते हैं) गायकाः गायन्ति (गायक गा रहे हैं) दर्शकाः पश्यन्ति (दर्शक देखते हैं) यात्रिणः गच्छन्ति (यात्री जा रहे हैं ।)

दिनचर्या

वयं बालकाः सदा पठामः (हम बालक हर दम पढ़ते हैं ।) वयं बालकाः सदा लिखामः (हम बालक हर दम लिखते हैं ।) वयं बालकाः सदा चलामः (हम बालक हर दम चलते हैं ।) वयं बालकाः सदा मिलामः (हम बालक हर दम मिलते हैं ।) वयं प्रभाते उत्तिष्ठामः (हम सब प्रातः उठ जाते हैं ।) ततो नित्यकर्तव्यं कुर्मः (तब हम नित्य क्रिया करते हैं ।) ततो वयं पठितुं गच्छामः (तब हम सब पढ़ने जाते हैं) सायं पुनः समागच्छामः (पुन शामको आ जाते हैं ।) भुक्त्वा पीत्वा मन्दं मन्दं (खाकर पीकर धीरे धीरे) पठितुं वयं ब्रजामः (पढ़ने हम जाते हैं ।) तत पठित्वा पाठं सायं (वहाँ पाठ पढ़कर संज्ञा को) गेहम् आगच्छामः (घर पर आ जाते हैं ।)

घटी (घड़ी)

घटी मदीया ब्रूते टन् टन् (घड़ी हमारी बोले टन् टन्) चलति तदीया सूची सततं (चलती उसकी सूई हर दम ।) नहि कदापि अवकाशं लभते (नहीं कभी भी छुट्टी पाती ।) सदा मदीयां सेवां कुरुते (सदा हमारी सेवा करती ।)

गन्त्री (गाड़ी)

गन्त्री गच्छति (गाड़ी जाती) अग्रे गच्छति (आगे जाती) पृष्ठे गच्छति (पीछे जाती) उच्चैः गच्छति (ऊँचे जाती) नीचैः गच्छति (नीचे जाती) गन्त्री गच्छति (गाड़ी जाती ।) मन्दं गच्छति (धीरे जाती) शीघ्रं गच्छति (जल्दी जाती) वक्रं गच्छति (टेढ़ी जाती) सरलं गच्छति (सीधी जाती) गन्त्री गच्छति (गाड़ी जाती ।) झक् झक् (झक् झक्) गानं गायति (गाना गाती) धक् धक् (धक् धक्) नादं कुरुते (शोर मचाती) गन्त्री गच्छति (गाड़ी जाती ।) अगारं खादन्ती (कोयला खाती) जलं पिबन्ती (पानी पीती) धूमं ददती (धूआँ देती) रजः किरन्ती (धूल उड़ाती) गन्त्री गच्छति (गाड़ी जाती ।) मध्ये मध्ये तिष्ठति (बीच बीच मे रुकती) यदा कदाचित् युद्ध्यति (कभी कभी लड़ जाती) यदा कदाचित् निपतति (कभी कभी गिर जाती) पुनः-उपरि उत्तिष्ठति (फिर ऊपर उठ जाती) गन्त्री गच्छति (गाड़ी जाती ।) शीते वा उष्णे वा (सर्दी या गर्मी में) सदा सेवते (हर दम सेवा करती) दिवसं वा रजनी वा (दिन हौ या रजनी हो) अवकाशं नो लभते (छुट्टी कभी न पाती) गन्त्री गच्छति (गाड़ी जाती ।)

चुन्नू मुन्नू

एतौ बालौ (ये दो लड़के) ``चुन्नू मुन्नू'' (चुन्नू मुन्नू) सदा खेलतः (सदा खेलते) इतो धावतः (इधर दौड़ते) ततो धावतः (उधर दौड़ते) बारं बारं पततः (बार बार गिर जाते) यद्यपि लभेते (जो कुछ पाते) सर्व वदने क्षिपतः (सब कुछ मुँह में रखते) सर्प सर्प चलतः (सरक सरक कर चलते) सततं हसतः । (हर दम हँसते ।) किन्तु बुभुक्षा यदा बाधते (किन्तु भूख जब लगती) तारं रुदतः (खूब जोर से रोते) मातुः सविधे ब्रजतः (माँ के पास पहुँचते) सम्यम् दुग्धं पीत्वा (खूब दूध पीते) मुदितौ भवतः (खुश हो जाते) पुनः खेलितुं ब्रजतः (पुनः खेलने जाते) सर्व मुदितं कुरुतः । (सबको खुश कर देते ।)

गोमाता

एषा मम गोमाता (यह मेरी गोमाता) कीदृक् अस्याः रूपम् (कैसी इसकी सूरत) कीदृक् सरल-स्वभावः (कैसा सरल स्वभाव) मधुरे अस्याः नयने (मीठी इसकी आँखे करुणाभरितो रावः (दर्द-भरी आवाज) अस्या आदरभावः (इसका आदर करना) सर्व-सुमङ्गल-दाता (सबका मंगल-दाता, एषा ० ।) नित्यं प्रातः गच्छति (रोज सबेरे जाती) सायं पुनरागच्छति (संज्ञा को फिर आती) दुग्धं सदा प्रयच्छति (दूध हमेशा देती) मनो मदीयं हरते (मेरा मन हर लेती) अस्याः सुन्दर-वत्सः (इसका सुन्दर बछड़ा) सर्वजनानां त्राता (सब लोगों का त्राता, एषा ० ।)

चटका (फरगुद्दी)

कियती चपला (कितनी चंचल) एषा चटका । (यह फरगुद्दी ।) चूँ चूँ कुरुते (चूँ चूँ करती) चीं चीं कुरुते (चीं चीं करती) मुहुर्मुहुः उड्डयते (बार बार उड़ जाती) पुनरागच्छति (फिर आ जाती) किंचिद् विरमति (छन भर रुकती) जातु कूर्दते (कभी कूदती) परितः पश्यति (चारों ओर निरखती) सदा शङ्किता (सदा चौंकती) सततं भीता (हरदम डरती) तृणं मुखे आनयते (तिनका मुख मैं लाती) सुन्दर-नीडं रचयति (सुन्दर नीड बनाती) सुखिता समयं गमयति (सुख से समय बिताती ।)

विडालः (बिलार)

अयं विडालः (यह बिलार) मूषक-वैरी । (चूहों का दुश्मन ।) मन्दं गच्छति (धीरे चलता) मौनं तिष्ठति (चुपके रहता) मध्ये मध्ये (बीच बीच में) नयनं मीलति । (आँख मूँदता ।) किन्तु मूषकम् (पर चूहों को) दृष्ट्वा धावति (देख दौड़ता) धृत्वाऽक्रामति (पकड़ दबाता) मुखे गृहीत्वा (मुँह मे लेकर) परितः पश्यन् (चारो ओर निरखता) शीघ्रं शीघ्रं (जल्दी जल्दी) निभृते गच्छति (शून्य जगह मे जाता) मुदितः खादति । (खुश हौ जाता ।)

मूषिका (चूहिया)

आगता आगता (आ गयी आ गयी) मूषिका आगता । (चूहिया आ गयी ।) वासरो वा निशा (दिवस हो रात हो) धावमाना इतः (इस तरफ दौड़ती) धावमाना ततः (उस तरफ दौड़ती) शङ्किता सर्वदा (चौंकती हर घड़ी) पादयोरुत्त्थिता (पैर पर हो खड़ी) ईक्षमाणाऽभितः (सब तरफ झाँकती) आददाना कणम् (एक दाना लिये) कूर्दमाना मुहुः (कूदती-फाँदती) क्वापि लीना पुनः (फिर कहीं छिप गयी) विद्रुता वा क्वचित् (या कहीं भग गयी ।) निद्रिता वा क्वचित् (या कहीं सौ गयी ।) आगता आगता (आ गयी आ गयी) मूषिका आगता (चूहिया आ गयी ।)

पिपीलिका (चींटी)

कियती तन्वी (कितनी पतली) कियती सरला (कितनी सीधी) कियती लघ्वी (कितनी हल्की) कियद्-दुर्बला (कितनी दुबली) कियती ह्रस्वा (कितनी छोटी) सा पिपीलिका । (वह चीटी है ।) किन्तु सर्वदा (लेकिन हरदम) श्रमं विधत्ते (मेहनत करती) दूरं दूरं गच्छति (दूर दूर तक जाती) चलति सर्वदा (हरदम चलती) सततं धावति (सदा दौड़ती) देश-देशतः (जगह जगह से) खाद्य-वस्तु आनयते (खाने का सामान ले आती) विले निधत्ते (बिल मे रखती) समये समये खादति (समय समय पर खाती ।) सुखिता जीवति । (सुख से जीती ।) कियत् उत्तमम् (कितना उत्तम) कियत् निर्मलम् (कितना निर्मल) कियत् सुन्दरम् (कितना सुन्दर) कियत् निर्भरम् (कितना निर्भर) इदं जीवनम् । (यह जीवन है) अस्मिन् क्षुद्र-शरीरे (इस छोटे से तन में) कियत् साहसम् (कितना साहस) कियत् पौरुषम् (कितना पौरुष) कियती शक्तिः (कितनी ताकत) कियान् आत्मविश्वास (कितना निजी भरोसा) आश्चर्यम्, आश्चर्यम् । (अचरज है, अचरज है ।) हे पिपीलिके (हे पिपीलिका) धन्यतमा असि (धन्य धन्य हौ) चिरंजीविनी (बहुत दिना तक जीऔ,) नीति-धर्मयोः (नीति-धर्म का) विश्वं पाठं शिक्षय (जग को पाठ सिखाओ) श्रम-पौरुषयोः (श्रम-पौरुष का) सर्व मार्ग दर्शय (सबको राह दिखाओ) नमो नमस्ते (नमस्कार हे, नमस्कार है तुमको ।)

गोचरकाः (चरवाहे)

प्रत्यूषे आवासात् (सूब सबेरे घर से) भुक्त्या पीत्वा (खाकर पीकर) मिलिताः सर्वे (सब मिल-जुल कर) लघवो लघवः (छोटे छोटे) तथो युवानः (और सयाने) गोपा बालाः (ग्वाल बाल सब) चारयन्ति गाः । (गाय चराते ।) हस्ते लकुटी (कर में लाठी) स्कन्धे एकं वस्त्रम्, (एक वस्त्र कन्धे पर) किचित् सक्तुम् (थोड़ा सत्तू) अल्पं गुडं गृहीत्वा (थोड़ा सा गुड़ लेकर) जातु भ्रमन्तः (कभी घूमते) जातु शयानाः (कभी लेटते) जलं पिबन्तः (पानी पीते) सङ्गीतं गायन्तः (गाना गाते) चारयन्ति गाः । (गाय चराते ।) यदा धेनवः (जब सब गायें) क्षेत्रं-क्षेत्रं गत्वा (खेत-खेत में जाकर) हरितं शस्यम् (हरे फ़सल को) चरितुं लग्ना (चरने लगतीं) नो मन्यन्ते (नहीं मानतीं) न निवर्तन्ते (नहीं लौटतीं) तदा चारकाः (तव चरवाहे) दण्डं धृत्वा (डंडा लेकर) धावं-धावं (दौड़-दौड़ कर) हे-हे कृत्वा (हे-हे करके) हो-हो कृत्वा (हो-हो करके) त्वरितं गत्वा (झट-पट जाकर) हत्वा-हत्वा (मार-मार कर) गालिं दत्वा (गाली देकर) निवर्तयन्ते धेनूः (गायों को लौटाते) चारयन्ति गाः । (गाय चराते ।)

सूर्योदय

सूर्यः उदयति (सूरज उगता) तिमिरं नश्यति (अन्धेरा मिट जाता ।) मनुजे मनुजे (मनुज-मनुज में) हृदये-हृदये (हृदये-हृदये में) जीवे जीवे (जीव-जीव में) कुसुमे कुसुमे (फूल-फूल में) नवं यौवनं (नई जवानी) नवा चेतना (नई चेतना) नवः प्रसादः (नव प्रसन्नता) नव-पराक्रमः (नया पराक्रम) परितो विलसति (चारो आर चमकता) सूर्यः उदयति (सूरज उगता ।)

वर्षा

मेघः गर्जति गड्-गड् (बादल गरजे गड्-गड्) करका निपतति पड्-पड् (ओला गिरता पड्-पड् ।) वर्षा वर्षति रिम-झिम (वर्षा बरसे रिम-झिम) विद्युत् विलसति चम-चम (बिजली चमके चम-चम ।) सदा दुर्दिनं घोरम् (सदा भयंकर दुर्दिन) सदा तामसं दिवसे (सदसा अँधेरा दिन भर ।) गमनाऽगमने कठिने (जाना-आना मुश्किल) सदा प्रस्खलन-भीतिः (सदा फिसलने का डर ।) सर्वत्र घटा अतिघोराः (सब ओर घटायें भीषण) सर्वत्र भयङ्कर-वर्षा (सब जगह भयंकर वर्षा ।) रुद्धः सकलो व्यापारः (सबका सब काम रुका है) भवने भवने जलचर्चा (घर घर मे जल की चर्चा ।) बहवः पन्थानो भग्नाः (बहुतेरे पथ टूटे) बहवोऽपि सेतवो मग्नाः (कितने ही पुल पी डूबे ।) निर्गहाः मानवाः जाताः (सब हुये आदमी बे-घर) दुर्लभं भोजनं पानं (खाना-पीना भी दूभर ।) भुवि पानीयं पानीयम् (भू पर पानी ही पानी) सर्वत्र कर्दमः पङ्कः (सब ओर पाँक ओ कीचड़ ।) सर्वत्र पिच्छिला भूमिः (सब ओर धरातल पिच्छिल) निपतन्ति अनेके धड-धड (कितने ही गिरते धड्-धड् ।)

वर्षा का अंत

वर्षा गता (वर्षा गई ।) जलदाः गताः (बादल गये) भेकाः गताः (मेढक गये) वात्या गता (आँधी गई) विद्युद् गता (बिजली गई) वर्षा गता (वर्षा गई ।) गड् गड् गतम् (गड् गड् गया) तड् तड् गतम् (तड् तड् गया) टर टर गतम् (टर टर गया) सुषमा नवा (शोभा नई) वर्षा गता (वर्षा गई ।) सलिलं गतम् (पानी गया) पङ्को गतः (कीचड़ गया) परितोऽधुना (सब ओर अब) विमला मही (निर्मल मही) वर्षा गता (वर्षा गई ।)

नीति-शिक्षा

सत्यं वद धर्मं चर (सच बोलो धर्म करो) पीडित-जन-दुःखं हर (दुखियों का दुःख हरो) क्षुधितानामुदरं भर (भूखों का पेट भरो ।) धीरो भव वीरो भव (धीर बनो वीर बनो) शिष्टो भव सभ्यो भव (शिष्ट बनो सभ्य बनो) हृष्टो भव पुष्टो भव (हृष्ट बनो पुष्ट बनो ।) शुद्धं पठ (शुद्ध पढ़ों) स्वच्छं लिख (साफ़ लिखो) सभ्यो भव (सभ्य बनो) शान्तो भव (शान्त रहो।)

सदाचार-शिक्षा

नित्यं प्रातः जागृहि (रोज सबेरे जागो) हस्त-मुखं प्रक्षालय (हाथ और मुँह धोओ) शान्तचेतसा उपविश (शान्त-चित्त हो बैठो) पठितं पाठं चिन्तय (पढ़े पाठ को सोचो ।) स्नानं कुरु ध्यानं कुरु (स्नान करो ध्यान करो) मधुरं जलपानं कुरु (मीठा जलपान करो) पठने अवधानं कुरु (पढ़ने में ध्यान धरो) हीन-जने मानं कुरु (हीनों का मानं करो) दीन-जने दानं कुरु (दीनों को दान करो) जन-जन-सम्मानं कुरु (सबका सम्मान करो ।)

सावधान

कुसुमानां कलिकाः मा त्रोटय (फलों की कलियाँ मत तोड़ो ।) पुस्तकस्य पत्रं मा मोटय (पुस्तक का पन्ना मत मोड़ो ।) वातायन-न शीशं मा स्फोटय (जँगले का । शीशा मत फोड़ो ।) दुष्टैः सम्बन्धं मा योजय (दुष्टों से नाता मत जोड़ो ।) गच्छति शकटे मा आरोहेः (चलती गाड़ी मे मत चढना ।) चलतः शकटात् मा अवरोहेः (चलती गाड़ी से न उतरना ।) दुष्टैः पुरुषैः सह मा गच्छेः (दुष्ट जनों के साथ न जाना ।) कृत्वा-कर्म झटिति आगच्छेः (करके काम तुरत आ जाना ।)

असंभव को संभव बनाओ

ऊषर-भुवि शस्यम् उत्पादय (ऊषर मे खेती उपजाओ ।) गिरि-शिखरे कुसुमानि विकासय (गिरि के ऊपर फूल खिलाओ ।) पाषाणे कोमलताम् आनय (पत्थर मे कोमलता लाओ ।) आपत्तौ आनन्दं मानय (आफत में आनन्द मनाओ ।) विना घनं पानीयं वर्षय (विना मेघ पानी बरसाओ ।) शत्रुं मित्रं सर्व हर्षय (शत्रु मित्र सबको हरसाओ ।) काम-क्रोध-वह्रीं निर्वापय (काम क्रोध की आग बुझाओ ।) भूमितलं स्वर्ग सम्पादय (भूतल को बैकुंठ बनाओ ।)

छोटा बालक, बडी बडी इच्छायें

अहं बालकः (मैं बालक हूँ) लघु-बालकः (लघु बालक हूँ) अल्पाऽवस्था (अल्प अवस्था) दुर्बलंः कृशः (दुबला पतला) हस्व-शरीरम् (छोटा सा तन) लघू मदीयौ पादौ (छोटे मेरे पाँव) स्वल्पा बुद्धिः (बुद्धि जरा सी ।) किन्तु मदीयं लक्ष्यम् (लक्ष्य हमारा लेकिन) महाविशालम् । (बहुत बड़ा है ।) दूरे दूरे गन्तुम् (दूर दूर तक जाना) आकाशे उड्डयितुम् (आसमान में उड़ना) जातु चन्द्रमानेतुम् (कभी चाँद को लाना) जातु यमेन च योद्धुम् (कभी काल से लड़ना) विश्व-विजेता भवितुम् (विश्वविजेता होना) जगतो नेता भवितुम् (जग का नेता होना) नूतन-ब्रह्मा भवितुम् (नृतन ब्रह्मा बनना) नूतन-सृष्टिं कर्तुम् (नव संसार सिरजना ।) जगतः पापं हर्तुम् (जग का पाप मिटाना) धर्मराज्यमानेतुमः (धर्मराज्य को लाना) सर्व सुखिनं कर्तुम् (सबको सुखी बनाना) भुवि स्वर्ग वासयितुम् (भू पर स्वर्ग बसाना ।) सदा मनः कामयते (सदा चाहता मन है) इदं मनः कामयते (यही चाहता मन है) इयं मदीया इच्छा (यही हमारी इच्छा) एषा मम प्रतिज्ञा (यही हमारा प्रण है ।)

मेरा मन

सुखं मनो मे लभते (मेरा मन सुख पाता ।) मनो मदीयं तृप्यति (मन मेरा भर जाता ।) विकसित-कुसुमम् (खिले सुमन को) नीलं गगनम् (नील गगन को) निर्मल-चित्तम् (निर्मल मन को) नवं यौवनम् (नव यौवन को) श्याम-नीरदं (काले घन को) सौम्यं वदनं (सौम्य वदन को) सुन्दर-देहं (सुन्दर तन को) दृष्ट्वा दृष्ट्वा (देख देख कर) मनो मदीयं हर्ष्यति (मेरा मन हरषाता ।) सुखं मनो मे लभते (मेरा मन सुख पाता ॥)

दुनीयाँ रंग-बिरंगी

जगत् विचित्रं वित्रम् (दुनीयाँ रंग-बिरंगी) जगत् विचित्रं चित्रम् (दुनीयाँ रंग-बिरंगी) कश्चित् जीवति (कोई जीता) कश्चित् म्रियते (कोई मरता) कश्चित् रोदिति (कोई रोता) कश्चित् विहसति । (कोई हँसता ।) एकः सौधे निवसति (एक महल मे रहता) एकः मार्गे शेते (एक सड़क पर सोता) एकः सेवां कुरुते (एक गुलामी करता) एको भवति विजेता । (एक विजेता होता ।) कश्चित् योगी (कोई योगी) कश्चित् भोगी (कोई भोगी) कश्चित् पुष्टः (कोई तगड़ा) कश्चित् रोगी (कोई रोगी ।) कश्चित् भूषित-देहः (कोई देह सजाये) कश्चित् नग्न-विनग्नः (कोई देह उघारे) कश्चित् मुण्डितमुण्डः (कोई मुंड मुँडाये) कश्चित् सज्जित-केशः (कोई केश सजाये ।)

देहात का चित्र

भारत-ग्राम-वासिनो लोकाः (भारत के देहाती लोग) अशनं स्वल्पम् (खाना थोड़ा) मलिनं वसनम् (गन्दा कपड़ा) शुष्कं वदनम् (सूखा मुखड़ा) कथयतिं दुःखम् (कहता दुखड़ा ।) ह्रस्व-कुटीरम् (छोटी कुटिया) भग्ना खट्वा (टूटी खटिया) वक्र-पट्टिका (टेढ़ी पटिया ।) रोदिति कन्या (रोती बिटिया ।) करे तमाखुः (सुर्ती कर में) कलहो गेहे (झगहा घर में) चिन्ता हृदये (चिन्ता मन में) कृशता देहे (कृशता तन में) सततं बाधा (सततं रोगः) हरदम बाधा (हरदम रोग) भारतग्रामवासिनो लोकाः (भारत के देहाती लोग ।)

प्रतिज्ञा

एष मदीय-प्रियतम-देशः भारत देशः (यह है मेरा प्यारा देश भारत देश) एष मदीयः प्रियतम-वेषः सरलो वेषः (यह है मेरा प्यारा वेष सादा वेष ।) इयं मदीया दिव्या भाषा संस्कृत भाषा (यह है मेरी अनुपम भाषा संस्कृत भाषा) देशधर्मयोः महती आशा महती आशा (देश-धर्म की महती आशा महती आशा ।) एतत्सेवा सदा करिष्ये सदा करिष्ये (इनकी सेवा सदा करूंगा सदा करूंगा) एतत्कष्टं सदा हरिष्ये सदा हरिष्ये (इसका संकट सदा हरूँगा सदा हरूँगा ।) Composed by Shri Vasudeva Dvivedi Shastri Proofread by Ganesh Kandu kanduganesh at gmail.com
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% Category              : major_works, bAlakavitA, sanskritgeet
% Location              : doc_z_misc_major_works
% Sublocation           : major_works
% Author                : Composed by Shri Vasudeva Dvivedi Shastri
% Language              : Sanskrit
% Subject               : philosophy/hinduism/religion
% Proofread by          : Ganesh Kandu kanduganesh at gmail.com
% Indexextra            : (Scan)
% Acknowledge-Permission: Sarvabhauma Sanskrit Prachar Sansthan, Varanasi
% Latest update         : June 9, 2018
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% Site access           : https://sanskritdocuments.org

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