भरताग्रजाष्टकम्

भरताग्रजाष्टकम्

श्रीभरताग्रजाष्टकम् हे जानकीश वरसायकचापधारिन् हे विश्वनाथ रघुनायक देव-देव । हे राजराज जनपालक धर्मपाल त्रयस्व नाथ भरताग्रज दीनबन्धो ॥ १॥ हे सर्ववित् सकलशक्तिनिधे दयाब्धे हे सर्वजित् परशुरामनुत प्रवीर । हे पूर्णचन्द्रविमलाननं वारिजाक्ष त्रयस्व नाथ भरताग्रज दीनबन्धो ॥ २॥ हे राम बद्धवरुणालय हे खरारे हे रावणान्तक विभीषणकल्पवृक्ष । हे पह्नजेन्द्र शिववन्दितपादपह्न त्रयस्व नाथ भरताग्रज दीनबन्धो ॥ ३॥ हे दोषशून्य सुगुणार्णवदिव्यदेहिन् हेसर्वकृत् सकलहृच्चिदचिद्विशिष्ट । हे सर्वलोकपरिपालक सर्वमूल त्रयस्व नाथ भरताग्रज दीनबन्धो ॥ ४॥ हे सर्वसेव्य सकलाश्रय शीलबन्धो हे मुक्तिद प्रपदनाद् भजनात्तथा च । हे पापहृत् पतितपावन राघवेन्द्र त्रयस्व नाथ भरताग्रज दीनबन्धो ॥ ५॥ हे भक्तवत्सल सुखप्रद शान्तमूर्ते हे सर्वकमफ़र्लदायक सर्वपूज्य । हे न्यून कर्मपरिपूरक वेदवेद्य त्रयस्व नाथ भरताग्रज दीनबन्धो ॥ ६॥ हे जानकी रमण हे सकलान्तरात्मन् हे योगिवृन्दरमणा स्पदपादपह्न । हे कुम्भजादिमुनिपूजित हे परेश त्रयस्व नाथ भरताग्रज दीनबन्धो ॥ ७॥ हेवायुपुत्रपरितोषित तापहारिन् हे भक्तिलभ्य वरदायक सत्यसन्ध । हे रामचन्द्र सनकादिमुनीन्द्रवन्द्य त्रयस्व नाथ भरताग्रज दीनबन्धो ॥ ८॥ श्रीमभरतदासेन मुनिराजेन निर्मितम् । अष्टकं भवतामेतत् पठतां श्रेयसे सताम् ॥ ॥ इति श्रीभरताग्रजाष्टकम् ॥
% Text title            : bharatagraja ashtakam
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% engtitle              : bharatAgraja aShTakam
% Category              : raama, aShTaka
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% Sublocation           : raama
% Language              : Sanskrit
% Subject               : philosophy/hinduism/religion
% Indexextra            : (booklet)
% Latest update         : September 22, 2017
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