श्रीवेङ्कटेश करावलम्बस्तोत्रम्

श्रीवेङ्कटेश करावलम्बस्तोत्रम्

श्रीशेषशैलसुनिकेतन दिव्यमूर्ते नारायणाच्युत हरे नलिनायताक्ष । लीलाकटाक्षपरिरक्षितसर्वलोक श्रीवेङ्कटेश मम देहि करावलम्बम् ॥ १॥ ब्रह्मादिवन्दितपदाम्बुज शङ्खपाणे श्रीमत्सुदर्शनसुशोभितदिव्यहस्त । कारुण्यसागर शरण्य सुपुण्यमूर्ते श्रीवेङ्कटेश मम देहि करावलम्बम् ॥ २॥ वेदान्त-वेद्य भवसागर-कर्णधार श्रीपद्मनाभ कमलार्चितपादपद्म । लोकैक-पावन परात्पर पापहारिन् श्रीवेङ्कटेश मम देहि करावलम्बम् ॥ ३॥ लक्ष्मीपते निगमलक्ष्य निजस्वरूप कामादिदोषपरिहारक बोधदायिन् । दैत्यादिमर्दन जनार्दन वासुदेव (दैत्यारिमर्दन) श्रीवेङ्कटेश मम देहि करावलम्बम् ॥ ४॥ तापत्रयं हर विभो रभसान्मुरारे संरक्ष मां करुणया सरसीरुहाक्ष । मच्छिष्यमित्यनुदिनं परिरक्ष विष्णो (मच्छिष्यमप्यनुदिनं) श्रीवेङ्कटेश मम देहि करावलम्बम् ॥ ५॥ श्रीजातरूपनवरत्नलसत्किरीट- कस्तूरिकातिलकशोभिललाटदेश । राकेन्दुबिम्बवदनाम्बुज वारिजाक्ष श्रीवेङ्कटेश मम देहि करावलम्बम् ॥ ६॥ वन्दारुलोक-वरदान-वचोविलास रत्नाढ्यहारपरिशोभित कम्बुकण्ठ । केयूररत्न सुविभासि-दिगन्तराल श्रीवेङ्कटेश मम देहि करावलम्बम् ॥ ७॥ दिव्याङ्गदाङ्कितभुजद्वय मङ्गलात्मन् केयूरभूषण सुशोभित दीर्घबाहो । नागेन्द्र-कङ्कणकरद्वयकामदायिन् श्रीवेङ्कटेश मम देहि करावलम्बम् ॥ ८॥ स्वामिन् जगद्धरण वारिधिमध्यमग्न मामुद्धारय कृपया करुणापयोधे । लक्ष्मींश्च देहि मम धर्म समृद्धिहेतुं (देहि विपुलामृणवारणाय) श्रीवेङ्कटेश मम देहि करावलम्बम् ॥ ९॥ दिव्याङ्गरागपरिचर्चितकोमलाङ्ग पीताम्बरावृततनो तरुणार्क भास सत्यांचनाभपरिधान सुपत्तु बन्ध श्रीवेङ्कटेश मम देहि करावलम्बम् ॥ १०॥ रत्नाढ्यदामसुनिबद्ध-कटि-प्रदेश माणिक्यदर्पणसुसन्निभजानुदेश । जङ्घाद्वयेन परिमोहितसर्वलोक श्रीवेङ्कटेश मम देहि करावलम्बम् ॥ ११॥ लोकैकपावन-सरित्परिशोभिताङ्घ्रे (पावन लसत्परिशोभिताङ्घ्रे) त्वत्पाददर्शन दिने च ममाघमीश । (दिनेशमहाप्रसादात्) हार्दं तमश्च सकलं लयमाप भूमन् श्रीवेङ्कटेश मम देहि करावलम्बम् ॥ १२॥ कामादि-वैरि-निवहोच्युत मे प्रयातः (निवहोऽप्रियतां) दारिद्र्यमप्यपगतं सकलं दयालो । दीनं च मां समवलोक्य दयार्द्रदृष्ट्या श्रीवेङ्कटेश मम देहि करावलम्बम् ॥ १३॥ श्रीवेङ्कटेशपदपङ्कजषट्पदेन श्रीमन्नृसिंहयतिना रचितं जगत्याम् । एतत्पठन्ति मनुजाः पुरुषोत्तमस्य ते प्राप्नुवन्ति परमां पदवीं मुरारेः ॥ १४॥ ॥ इति श्री श‍ृङ्गेरि जगद्गुरुणा श्रीनृसिंहभारति स्वामिना रचितं श्रीवेङ्कटेशकरावलम्ब स्तोत्रं सम्पूर्णम् ॥ Encoded by Sunder Hattangadi
% Text title            : Shri Venkatesha Karavalamba Stotra
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% itxtitle              : veNkaTesha karAvalambastotram
% engtitle              : Shri Venkatesha Karavalamba Stotra
% Category              : vishhnu, venkateshwara, stotra, nRisiMhabhAratIsvAmi, vishnu
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% Sublocation           : vishhnu
% SubDeity              : venkateshwara
% Texttype              : stotra
% Author                : Shri Nrisinha Bharati of Shringeri Math
% Language              : Sanskrit
% Subject               : hinduism/religion
% Transliterated by     : Sunder Hattangadi
% Proofread by          : Sunder Hattangadi, NA
% Description-comments  : Hymn to Shri Venkatesha
% Indexextra            : (Meaning, Text)
% Latest update         : May 1, 2001
% Send corrections to   : Sanskrit@cheerful.com
% Site access           : https://sanskritdocuments.org

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