उग्रदंष्ट्र
टिप्पणी : उग्रदंष्ट्र असुर के संदर्भ में ऋग्वेद १०.९४.६ की ऋचा विचारणीय है जहां यज्ञ में सोमलता से सोमरस निकालने वाले ग्रावों / पत्थरों को उग्र तथा अश्वों की भांति रथ के धुरे को वहन करने वाले कहा गया है । मुख में दन्तों की तुलना भी सोम कूटने वाले पत्थरों से की जाती है ।