नाग पञ्चमी
बारह महीने के व्रत और त्यौहार
लेखक
पं० गौरीशंकर शर्मा पुजारी' साहित्य सुधाकर
अध्यक्ष --श्री आद्यशक्ति ज्योतिर्विज्ञान भवन, बिसाऊ
सहायक लेखिका
श्रीमती गोदावरी देवी शर्मा
সকাহাক
गर्ग एण्ड कम्पनी, थोक पुस्तकालय
(लाल कटरे के ऊपर पहली मंजिल पर)
४८४ खारी बावली, दिल्ली-११०००६
१९७८
नाग पाँचे
श्रावण मास की बदी पंचमी को यह व्रत होता है। शास्त्र में सुदी में करना बताया है । लोकाचार में यह पैल सावणो पाँचे कही जाती है और चौथ के दिन रात को मोठ बाजरा भिगो दिया जाता है। पंचमी के दिन बासी रसोई जीमने का रिवाज है, इसलिए चौथ के दिन शाम को रसोई बनाकर रख दी जाती है । रसोई में खास कर गुलगुले बनाये जाते हैं । गुड़ के पानी में गेहूँ का चून घोलकर तेल में पकाये जाते हैं। बड़े, पकौड़ी, मीठी फीकी सुहाली, दाल की पूड़ी आदि भी बनाये जाते हैं । पाँचे के दिन जेबड़ी (मूंज की रस्सी) का टुकड़ा करीब एक हाथ का लेकर सात गाँठ लगाकर सर्प बनाया जाता है। कहीं पाटे पर कहीं जमीन पर रखकर पूजा की