पत्नी
श्री किरीट शाह के अनुसार लोक में देखा जाता है कि पूजा कार्य में पत्नी पति के बांयी ओर भी विराजमान होती है, दांयी ओर भी । शास्त्रों के आधार पर वास्तविकता क्या है ? कुछ पण्डितों द्वारा इसका उत्तर यह दिया जाता है कि पत्नी पति के बांयी ओर केवल एक बार ही बैठती है - विवाह में । फिर तो वह सदा दांयी ओर ही बैठती है । इस प्रश्न का उत्तर अग्निहोत्र, सोमयाग आदि यज्ञों में पत्नी के विराजमान होने का क्या विधान है, इस आधार पर खोजा जा सकता है । आपस्तम्ब श्रौत सूत्र ६.५.१ में पत्नी के आयतन का कथन है । यागों में पत्नी के विराजमान होने के कुछ मुख्य स्थान हैं, जैसा कि चित्र में दिखाया गया है । एक विकल्प यह