पुरुष अग्नि १९६.१( नक्षत्र पुरुष के अङ्गों में नक्षत्रों का न्यास ), २१४.३१( देह में हृदय में ब्रह्मा, कण्ठ में विष्णु, तालु मध्य में रुद्र तथा कण्ठ में महेश्वर की स्थिति का उल्लेख ), २४३.१( पुरुष के शुभाशुभ सामुद्रिक लक्षणों का कथन ), गरुड १.६३( पुरुष के शरीर के लक्षण ), १.६५( सामुद्रिक लक्षणों का कथन ), २.३०.४४/२.४०.४४( प्रेत कार्य हेतु पुरुष की पुत्तलिका ), देवीभागवत ५.८.६२( विभिन्न देवों के तेजों से देवी के अङ्गों के निर्माण का कथन ), ७.३३.२३( देवी के विराट् रूप में देवी के विभिन्न अङ्गों का ब्रह्माण्ड के पिण्डों से साम्य ), ११.८.१( भूतशुद्धि के संदर्भ में शरीर में नाडीचक्रों के चतुष्कोण आदि रूपों का कथन ), पद्म १.३.१०५( ब्रह्मा द्वारा शरीर के अङ्गों से विभिन्न प्रकार के जीवों की सृष्टि का वर्णन ), १.२१.२७( विशोक द्वादशी व्रत के अन्तर्गत विष्णु का देह में विभिन्न नामों से न्यास ), १.२३.१११( वेश्या व्रत के अन्तर्गत अनङ्ग रूप विष्णु का देह में न्यास ), ३.३६.१०( पक्षवर्द्धिनी एकादशी के संदर्भ में विष्णु का विभिन्न अङ्गों में विभिन्न नामों से न्यास ), ३.३५.५१( उन्मीलिनी एकादशी के संदर्भ में विष्णु का देह के अङ्गों में विभिन्न नामों से न्यास ), ३.५३.५५( ओङ्कार के संदर्भ में काल के प्रधान पुरुष होने का उल्लेख ), ३.६२.२( पुराणों की विष्णु के अङ्गों के रूप में कल्पना ), ६.४५.४८( आमलकी एकादशी के संदर्भ में परशुराम/जामदग्न्य का विभिन्न नामों से देह में न्यास ), ६.६६.४६( कृष्ण पक्ष एकादशियों में वैतरणी व्रत के संदर्भ में विष्णु का विभिन्न नामों से देह में न्यास ), ६.७८.१७( पाप नाश हेतु विष्णु का विभिन्न नामों से देह में न्यास ), ६.१८३.३६( चन्द्रशर्मा द्वारा कालपुरुष का दान, कालपुरुष से चाण्डाल व चाण्डाली का प्राकट्य, गीता के नवम अध्याय के जप से रक्षा ), ब्रह्म २.९१.६( अव्यक्त, अक्षर पर पुरुष से सावयय पुरुष, पुरुष से आप: आदि के उत्पन्न होने का वर्णन, पुरुष