सङ्क्षेपरामायणम्
(महर्षिवाल्मीकिप्रणीत-रामायण-बालकाण्ड-प्रथमसर्ग-रूपम्)
मूलश्लोकः-65
उत्स्मयित्वा महाबाहु: प्रेक्ष्य चास्थि महाबल:।
पादाङ्गुष्ठेन चिक्षेप सम्पूर्णं दशयोजनम्।।65।।
श्लोकान्वयः -
महाबाहु: महाबल: (राम:) अस्थि प्रेक्ष्य उत्स्मयित्वा च पादाङ्गुष्ठेन
सम्पूर्णं दशयोजनं चिक्षेप।।65।।
हिन्दी - अनुवाद -
महाबलशाली श्री राम ने दुन्दुभि के अस्थि समूह को देखा
और हँसकर उसे अपने पैर के अगूंठे से दशयोजन दूर तक फेंक दिया।।65।।
English Meaning
महाबल: one endowed with strength, महाबाहु: strongarmed (Rama), अस्थि skeleton, प्रेक्ष्य having looked, उत्स्मयित्वा smiling at a depth for a while, पादाङ्गुष्ठेन with the great toe of the foot, सम्पूर्णं completely, दशयोजनम् to a distance of ten yojanas (eighty miles), चिक्षेप kicked off.
The strongarmed Rama, who was endowed with great strength looked at the skeleton and smiled within himself for a while. He kicked off the skeleton with the great toe of his foot completely to a full distance of ten yojanas (eighty miles).
#SankshepaRamayanam
(महर्षिवाल्मीकिप्रणीत-रामायण-बालकाण्ड-प्रथमसर्ग-रूपम्)
मूलश्लोकः-65
उत्स्मयित्वा महाबाहु: प्रेक्ष्य चास्थि महाबल:।
पादाङ्गुष्ठेन चिक्षेप सम्पूर्णं दशयोजनम्।।65।।
श्लोकान्वयः -
महाबाहु: महाबल: (राम:) अस्थि प्रेक्ष्य उत्स्मयित्वा च पादाङ्गुष्ठेन
सम्पूर्णं दशयोजनं चिक्षेप।।65।।
हिन्दी - अनुवाद -
महाबलशाली श्री राम ने दुन्दुभि के अस्थि समूह को देखा
और हँसकर उसे अपने पैर के अगूंठे से दशयोजन दूर तक फेंक दिया।।65।।
English Meaning
महाबल: one endowed with strength, महाबाहु: strongarmed (Rama), अस्थि skeleton, प्रेक्ष्य having looked, उत्स्मयित्वा smiling at a depth for a while, पादाङ्गुष्ठेन with the great toe of the foot, सम्पूर्णं completely, दशयोजनम् to a distance of ten yojanas (eighty miles), चिक्षेप kicked off.
The strongarmed Rama, who was endowed with great strength looked at the skeleton and smiled within himself for a while. He kicked off the skeleton with the great toe of his foot completely to a full distance of ten yojanas (eighty miles).
#SankshepaRamayanam
December 31, 2021
https://youtu.be/LT1v--YgXEY
#SanskritCarnaticMusic
श्री वेणु गोपाल - रागं कुरञ्जि - ताळं झम्प
पल्लवि
श्री वेणु गोपाल श्री रुक्मिणी लोल
देव नायक श्रियं देहि देहि
मधु मुर हर
अनुपल्लवि
देवकी सु-कुमार दीन जन मन्दार
गोवर्धनोद्धार गोप युवती जार
चरणम्
गोकुलाम्बुधि सोम गोविन्द नत भौम
श्री-कु-रञ्जित काम श्रित सत्य भाम
कोक नद पद सोम गुरु गुह हित श्याम
श्री कर तप होम श्री जयन्ती नाम
(मध्यम काल साहित्यम्)
प्राकट्य रण भीम पालितार्जुन भीम
पाक रिपु नुत नाम भक्त योग क्षेम
Meaning
pallavi
SrI vENu gOpAla - O protector of cows, wielding the flute!
SrI rukmiNI lOla - O one eager for (the company of) Goddess Rukmini!
dEva nAyaka - O lord of all the gods!
SriyaM dEhi dEhi - Give, give (me) wealth and auspiciousness!
madhu mura hara - O destroyer of the demons Madhu and Mura!
anupallavi
dEvakI su-kumAra - O worthy son of Devaki!
dIna jana mandAra - O wish-fulfilling celestial tree to poor people!
gOvardhana-uddhAra - O upholder of the Govardhana mountain!
gOpa yuvatI jAra - O beloved of the young Gopi maidens!
caraNam
gOkula-ambudhi sOma - O moon to the ocean of Gokula!
gOvinda - O friend of the cows!
nata bhauma - O one saluted by Angaraka - son of Bhumi (Earth Goddess)!
SrI-ku-ranjita kAma - O one who delights Lakshmi (Sri) and Bhumi (Ku) with your love!
Srita satya bhAma - O one who has embraced Satyabhama!
kOka nada pada - O one with red- lotus-like feet!
sOma guru guha hita - O one congenial to Shiva (in the company of Uma) and Guruguha
SyAma - O dark one!
SrI kara tapa hOma SrI jayantI nAma - O one well-known for the Sri Jayanti (birthday festivities) wherein the penance and sacrifices cause welfare and prosperity!
prAkaTya raNa bhIma - O one whose manifestation in battle is terrible!
pAlita-arjuna bhIma - O protector of Arjuna and Bhima!
pAka ripu nuta nAma - O one whose name is glorified by Indra (the slayer of the demon Paka)!
bhakta yOga kshEma - O one who grants benefits and security to devotees!
Comments :
This kriti is in the eighth (Sambodhana Prathama) Vibhakti
The phrase “SrI-ku-ranjita kAma “ contains the Raga Mudra
#SanskritCarnaticMusic
श्री वेणु गोपाल - रागं कुरञ्जि - ताळं झम्प
पल्लवि
श्री वेणु गोपाल श्री रुक्मिणी लोल
देव नायक श्रियं देहि देहि
मधु मुर हर
अनुपल्लवि
देवकी सु-कुमार दीन जन मन्दार
गोवर्धनोद्धार गोप युवती जार
चरणम्
गोकुलाम्बुधि सोम गोविन्द नत भौम
श्री-कु-रञ्जित काम श्रित सत्य भाम
कोक नद पद सोम गुरु गुह हित श्याम
श्री कर तप होम श्री जयन्ती नाम
(मध्यम काल साहित्यम्)
प्राकट्य रण भीम पालितार्जुन भीम
पाक रिपु नुत नाम भक्त योग क्षेम
Meaning
pallavi
SrI vENu gOpAla - O protector of cows, wielding the flute!
SrI rukmiNI lOla - O one eager for (the company of) Goddess Rukmini!
dEva nAyaka - O lord of all the gods!
SriyaM dEhi dEhi - Give, give (me) wealth and auspiciousness!
madhu mura hara - O destroyer of the demons Madhu and Mura!
anupallavi
dEvakI su-kumAra - O worthy son of Devaki!
dIna jana mandAra - O wish-fulfilling celestial tree to poor people!
gOvardhana-uddhAra - O upholder of the Govardhana mountain!
gOpa yuvatI jAra - O beloved of the young Gopi maidens!
caraNam
gOkula-ambudhi sOma - O moon to the ocean of Gokula!
gOvinda - O friend of the cows!
nata bhauma - O one saluted by Angaraka - son of Bhumi (Earth Goddess)!
SrI-ku-ranjita kAma - O one who delights Lakshmi (Sri) and Bhumi (Ku) with your love!
Srita satya bhAma - O one who has embraced Satyabhama!
kOka nada pada - O one with red- lotus-like feet!
sOma guru guha hita - O one congenial to Shiva (in the company of Uma) and Guruguha
SyAma - O dark one!
SrI kara tapa hOma SrI jayantI nAma - O one well-known for the Sri Jayanti (birthday festivities) wherein the penance and sacrifices cause welfare and prosperity!
prAkaTya raNa bhIma - O one whose manifestation in battle is terrible!
pAlita-arjuna bhIma - O protector of Arjuna and Bhima!
pAka ripu nuta nAma - O one whose name is glorified by Indra (the slayer of the demon Paka)!
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This kriti is in the eighth (Sambodhana Prathama) Vibhakti
The phrase “SrI-ku-ranjita kAma “ contains the Raga Mudra
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Sri Venugopala| Muthuswami Dikshitar kritis| Classical songs on Krishna| Lord Krishna Carnatic songs
On the occasion of
Krishna Jayanti, Minna Minni is happy to present Sri Venugopala, one of
the many Muthuswami Dikshitar kritis and classical songs on Krishna.
This is one of the most beautiful Lord Krishna Carnatic songs by
Muthuswami Dikshitar, in Raga…
December 31, 2021
December 31, 2021
@samskrt_samvadah संलापशाला - A Samskrit Voicechat room.
Duration : 30 minutes only
Time : IST 11:00 AM 🕚
Topic : DD Sanskrit.
(संस्कृतदूरदर्शनम्)
Date :1st January 2022,
Saturday
Please Join the voicechat on time.
😇 Please come prepared to discuss in Sanskrit , If possible.
We are waiting for you.😇
Set a reminder.
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(संस्कृतदूरदर्शनम्)
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December 31, 2021
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🍃
♦️uddharedaatmanaa''tmaanaM naatmaanamavasaadayet|
aatmaiva hyaatmano bandhuraatmaiva ripuraatmanaH||6.5||
⚜6.5 One should raise oneself by one's Self alone; let not one lower oneself; for the Self alone is the friend of oneself, and the Self alone is the enemy of oneself.
⚜।।6.5।। मनुष्य को अपने द्वारा अपना उद्धार करना चाहिये और अपना अध पतन नहीं करना चाहिये क्योंकि आत्मा ही आत्मा का मित्र है और आत्मा (मनुष्य स्वयं) ही आत्मा का (अपना) शत्रु है।।
#geeta
उद्धरेदात्मनाऽऽत्मानं नात्मानमवसादयेत्।
आत्मैव ह्यात्मनो बन्धुरात्मैव रिपुरात्मनः
।।6.5।। ♦️uddharedaatmanaa''tmaanaM naatmaanamavasaadayet|
aatmaiva hyaatmano bandhuraatmaiva ripuraatmanaH||6.5||
⚜6.5 One should raise oneself by one's Self alone; let not one lower oneself; for the Self alone is the friend of oneself, and the Self alone is the enemy of oneself.
⚜।।6.5।। मनुष्य को अपने द्वारा अपना उद्धार करना चाहिये और अपना अध पतन नहीं करना चाहिये क्योंकि आत्मा ही आत्मा का मित्र है और आत्मा (मनुष्य स्वयं) ही आत्मा का (अपना) शत्रु है।।
#geeta
December 31, 2021
@samskrt_samvadah पाठशाला जिसमें आप प्रतिदिन आकर संस्कृत सीख सकते हैं।
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प्रकार : ट्रायल
समय : 7 PM 🕖 (भारतीय समय)
अवधि : 1 घंटा
शिक्षिका : डॉ मंजुश्री श्रीपाद नेव्हल
आपको संस्कृत में पूर्व ज्ञान की आवश्यकता नहीं है। कक्षा में आदरभाव रखें। कृपया प्रतिदिन 7 बजे शाम को समय पर कक्षा में उपस्थित हों।
अलार्म/रिमांइडर लगा लें।
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December 31, 2021
December 31, 2021
किं नव्यं नववत्सरे ?
(कुशाग्रसाहस्री)
समायातं मदिरालोललोचनम्।
यावनं वत्सरं नव्यं नास्माकं वद
निर्भयम्॥1
आधी रात को आने वाला, मदिरा से विह्वल नेत्रों वाला यह यवनों का नव वर्ष हमारा नहीं हैं - यह निर्भय होकर कहो!
वने न नूतनं पुष्पं
वृक्षे न पल्लवाः नवाः।
ऋतुर्नैव क्वचिन्नव्यः
किं नव्यं नववत्सरे॥ 2
न तो वन में नए फूल खिले हैं, न वृक्ष पर नए पत्ते आएँ हैं और न ही ऋतु में परिवर्तन हुआ है। तो इस नए वर्ष में नया क्या है ?
उद्याने न कुशो नव्यः
सरित्सु न नवं जलम्।
न व्योम्नि विहगाः नव्याः
किं नव्यं नववत्सरे॥ 3
न तो उद्यानमें नई घास उगी है, न नदियों में नया जल आया है, न आकाश में नए पक्षी उड़ रहे हैं। तो इस नए वर्ष में नया क्या है ?
न ग्रहाः नूतने क्षेत्रे
चरन्त्यद्य सतारकाः।
कुतस्तदा नवं वर्षं
पृच्छामि दैवदर्शिनम्॥ 4❓
आज नक्षत्रों के साथ ग्रह किसी नए क्षेत्र में विचरण नहीं करते, तो मैं ज्योतिषियोंसे पूछता हूँ कि आज नया नया वर्ष कैसे सिद्ध होता है ?
गतागतास्तु राजानो
नागरास्तु हताहताः।
अनव्ये लोकतन्त्रे
चेत्किं नव्यं नववत्सरे॥ 5
कितने राजा आए और चले गए। कितने नागरिक मारे गए और आहत हो गए। - जब इस लोकतंत्र में कुछ नया ही नहीं है ,तो इस नए वर्ष में नया क्या है ?
जय भारत : जय भारती
(कुशाग्रसाहस्री)
समायातं मदिरालोललोचनम्।
यावनं वत्सरं नव्यं नास्माकं वद
निर्भयम्॥1
आधी रात को आने वाला, मदिरा से विह्वल नेत्रों वाला यह यवनों का नव वर्ष हमारा नहीं हैं - यह निर्भय होकर कहो!
वने न नूतनं पुष्पं
वृक्षे न पल्लवाः नवाः।
ऋतुर्नैव क्वचिन्नव्यः
किं नव्यं नववत्सरे॥ 2
न तो वन में नए फूल खिले हैं, न वृक्ष पर नए पत्ते आएँ हैं और न ही ऋतु में परिवर्तन हुआ है। तो इस नए वर्ष में नया क्या है ?
उद्याने न कुशो नव्यः
सरित्सु न नवं जलम्।
न व्योम्नि विहगाः नव्याः
किं नव्यं नववत्सरे॥ 3
न तो उद्यानमें नई घास उगी है, न नदियों में नया जल आया है, न आकाश में नए पक्षी उड़ रहे हैं। तो इस नए वर्ष में नया क्या है ?
न ग्रहाः नूतने क्षेत्रे
चरन्त्यद्य सतारकाः।
कुतस्तदा नवं वर्षं
पृच्छामि दैवदर्शिनम्॥ 4❓
आज नक्षत्रों के साथ ग्रह किसी नए क्षेत्र में विचरण नहीं करते, तो मैं ज्योतिषियोंसे पूछता हूँ कि आज नया नया वर्ष कैसे सिद्ध होता है ?
गतागतास्तु राजानो
नागरास्तु हताहताः।
अनव्ये लोकतन्त्रे
चेत्किं नव्यं नववत्सरे॥ 5
कितने राजा आए और चले गए। कितने नागरिक मारे गए और आहत हो गए। - जब इस लोकतंत्र में कुछ नया ही नहीं है ,तो इस नए वर्ष में नया क्या है ?
जय भारत : जय भारती
December 31, 2021
December 31, 2021
🍃
♦️bandhuraatmaa''tmanastasya yenaatmaivaatmanaa jitaH|
anaatmanastu shatrutve vartetaatmaiva shatruvat||6.6||
⚜6.6 To him who has conquered his lower nature by Its help, the Self is a friend, but to him who has not done so, It is an enemy.
⚜।।6.6।। जिसने आत्मा (इंद्रियोंआदि) को आत्मा के द्वारा जीत लिया है उस पुरुष का आत्मा उसका मित्र होता है परन्तु अजितेन्द्रिय के लिए आत्मा शत्रु के समान स्थित होता है।।
#geeta
बन्धुरात्माऽऽत्मनस्तस्य येनात्मैवात्मना जितः।
अनात्मनस्तु शत्रुत्वे वर्तेतात्मैव शत्रुवत्
।।6.6।। ♦️bandhuraatmaa''tmanastasya yenaatmaivaatmanaa jitaH|
anaatmanastu shatrutve vartetaatmaiva shatruvat||6.6||
⚜6.6 To him who has conquered his lower nature by Its help, the Self is a friend, but to him who has not done so, It is an enemy.
⚜।।6.6।। जिसने आत्मा (इंद्रियोंआदि) को आत्मा के द्वारा जीत लिया है उस पुरुष का आत्मा उसका मित्र होता है परन्तु अजितेन्द्रिय के लिए आत्मा शत्रु के समान स्थित होता है।।
#geeta
December 31, 2021
https://youtu.be/v3_pFqx8vxc
#VedicChanting
About the Mantras:
These 13 Mantras are from Atharva Veda, Saunaka Sakha, 5th Kanda, 23rd Sukta. This is addressed by the Rishi Kanwa to God Indra. This is also called as Krimighna Suktam.
Occasions to listen/recite:
*Daily at any time
*Usually recited/ listened when bad Viruses and Germs attack our Body (along with doctor prescribed treatment plan)
Meaning / Commentary of this Mantra: (5.23)
1. Nature and humanity are interlinked: Sun and earth are interlinked. Divine Sarasvati, radiant rays, showers of rain, running streams and currents of wind, all are interlinked, Indra and Agni - electric energy and fire energy, are also interlinked for us. Let all these energies destroy the dangerous Viruses, Germs and Bacteria which cause disease.
2. Hey Indra (physician), lord of health and wealth of the world, destroy the disease causing Germs/Viruses of this child’s body. Let all the negative forces of his body be destroyed by the intense action of the Medicines, Prescribed (vachasaa) by me.
3. We destroy the Viruses/Germs which creep and affect the eyes, which affect the nostrils, and which creep into the middle of the teeth.
4. The two similar in species and two different species, two black ones, two red ones, the brown, those with brown tentacles, those that eat the cells, those that consume the cells, all are destroyed.
5. We destroy all those Viruses and Germs with white sides, those black ones with white arms, those of different forms and varieties.
6. The Sun rises in the east as the world watches, it destroys the visible as well as those negativities which are invisible to the naked eye. And it goes on killing and eliminating all Viruses and germs which are seen or unseen.
7. Those that grow and move very fast, those too painful, those that give the shivers, and those that are intensely penetrative, the seen as well as unseen, all of them should be killed and eliminated.
8. Destroyed are the fast ones, and destroyed are those that cause intolerable pain. All of them I have crushed as gram grain is crushed with stone.
9. I destroy the Viruses and Germs with three heads, those that are triangular, those that creep and are spotted, and those that are white and create swelling. I break their back and I break their head.
10. O Viruses and Germs, I destroy you like how Sages Atri, a destroyer, Kanva, intelligent planner, Jamadagni, lighted fire, Agastya, veteran scientist. who are masters of cleansing science, destroyed the harmful Viruses with their powerful Vedic Chants and formula.
11. The ruling cause and condition of the Viruses and Germs are killed. We destroyed their colony and the protective cover. We killed their breeder, killed their allies, male and female. All of them are destroyed.
12. We killed those that remained in their colony, and killed those around. And those that were too tiny, they are also destroyed and eliminated.
13. Of all the Viruses and Germs that are male and female, I break the head with a stone, beyond their resistance, and I burn their mouth with fire.
#VedicChanting
About the Mantras:
These 13 Mantras are from Atharva Veda, Saunaka Sakha, 5th Kanda, 23rd Sukta. This is addressed by the Rishi Kanwa to God Indra. This is also called as Krimighna Suktam.
Occasions to listen/recite:
*Daily at any time
*Usually recited/ listened when bad Viruses and Germs attack our Body (along with doctor prescribed treatment plan)
Meaning / Commentary of this Mantra: (5.23)
1. Nature and humanity are interlinked: Sun and earth are interlinked. Divine Sarasvati, radiant rays, showers of rain, running streams and currents of wind, all are interlinked, Indra and Agni - electric energy and fire energy, are also interlinked for us. Let all these energies destroy the dangerous Viruses, Germs and Bacteria which cause disease.
2. Hey Indra (physician), lord of health and wealth of the world, destroy the disease causing Germs/Viruses of this child’s body. Let all the negative forces of his body be destroyed by the intense action of the Medicines, Prescribed (vachasaa) by me.
3. We destroy the Viruses/Germs which creep and affect the eyes, which affect the nostrils, and which creep into the middle of the teeth.
4. The two similar in species and two different species, two black ones, two red ones, the brown, those with brown tentacles, those that eat the cells, those that consume the cells, all are destroyed.
5. We destroy all those Viruses and Germs with white sides, those black ones with white arms, those of different forms and varieties.
6. The Sun rises in the east as the world watches, it destroys the visible as well as those negativities which are invisible to the naked eye. And it goes on killing and eliminating all Viruses and germs which are seen or unseen.
7. Those that grow and move very fast, those too painful, those that give the shivers, and those that are intensely penetrative, the seen as well as unseen, all of them should be killed and eliminated.
8. Destroyed are the fast ones, and destroyed are those that cause intolerable pain. All of them I have crushed as gram grain is crushed with stone.
9. I destroy the Viruses and Germs with three heads, those that are triangular, those that creep and are spotted, and those that are white and create swelling. I break their back and I break their head.
10. O Viruses and Germs, I destroy you like how Sages Atri, a destroyer, Kanva, intelligent planner, Jamadagni, lighted fire, Agastya, veteran scientist. who are masters of cleansing science, destroyed the harmful Viruses with their powerful Vedic Chants and formula.
11. The ruling cause and condition of the Viruses and Germs are killed. We destroyed their colony and the protective cover. We killed their breeder, killed their allies, male and female. All of them are destroyed.
12. We killed those that remained in their colony, and killed those around. And those that were too tiny, they are also destroyed and eliminated.
13. Of all the Viruses and Germs that are male and female, I break the head with a stone, beyond their resistance, and I burn their mouth with fire.
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Krimi Nashana Suktam Part 3/3 | Krimighnam | Atharva Veda Chant | Stopping Bad Germs | Sri K Suresh
The Krimi Naashana
Suktam (Krimighnam) the 23rd Sukta from the 5th Kanda of Atharva Veda
(Sounaka Shaaka) is rendered with clarity and precision by Sri
Raghavendra Ghanapati, Sri Mahesh Ghanapati & Sri K Suresh.
Timestamps:
0:00 - Introduction
2:35 - 1st…
Timestamps:
0:00 - Introduction
2:35 - 1st…
December 31, 2021
🚩जय सत्य सनातन🚩
🚩आज की हिंदी तिथि
🌥️ 🚩युगाब्द-५१२३
🌥️ 🚩विक्रम संवत-२०७८
⛅ 🚩तिथि - त्रयोदशी सुबह ०७:१७ तक तत्पश्चात चतुर्दशी
⛅ दिनांक - ०१ जनवरी २०२२
⛅ दिन - शनिवार
⛅ शक संवत -१९४३
⛅ अयन - दक्षिणायन
⛅ ऋतु - शिशिर
⛅ मास - पौस
⛅ पक्ष - कृष्ण
⛅ नक्षत्र - जेष्ठा शाम ०७:१८ तक तत्पश्चात मूल
⛅ योग - गण्ड दोपहर ०१:५६ तक तत्पश्चात वृद्धि
⛅ राहुकाल - सुबह ०९:५९ से सुबह ११:२१ तक
⛅ सूर्योदय - ०७:१७
⛅ सूर्यास्त - १८:०७
⛅ दिशाशूल - पूर्व दिशा में
🚩आज की हिंदी तिथि
🌥️ 🚩युगाब्द-५१२३
🌥️ 🚩विक्रम संवत-२०७८
⛅ 🚩तिथि - त्रयोदशी सुबह ०७:१७ तक तत्पश्चात चतुर्दशी
⛅ दिनांक - ०१ जनवरी २०२२
⛅ दिन - शनिवार
⛅ शक संवत -१९४३
⛅ अयन - दक्षिणायन
⛅ ऋतु - शिशिर
⛅ मास - पौस
⛅ पक्ष - कृष्ण
⛅ नक्षत्र - जेष्ठा शाम ०७:१८ तक तत्पश्चात मूल
⛅ योग - गण्ड दोपहर ०१:५६ तक तत्पश्चात वृद्धि
⛅ राहुकाल - सुबह ०९:५९ से सुबह ११:२१ तक
⛅ सूर्योदय - ०७:१७
⛅ सूर्यास्त - १८:०७
⛅ दिशाशूल - पूर्व दिशा में
December 31, 2021
@samskrt_samvadah संलापशाला - A Samskrit Voicechat room.
Duration : 30 minutes only
Time : IST 11:00 AM 🕚
Topic : DD Sanskrit.
(संस्कृतदूरदर्शनम्)
Date :1st January 2022,
Saturday
Please Join the voicechat on time.
😇 Please come prepared to discuss in Sanskrit , If possible.
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(संस्कृतदूरदर्शनम्)
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December 31, 2021
Forwarded from रामदूतः — The Sanskrit News Platform
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title="YouTube video player" frameborder="0" allow="accelerometer;
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Switch to DD News daily at 7:15 AM (Morning) for 15 minutes Sanskrit news.
Switch to DD News daily at 7:15 AM (Morning) for 15 minutes Sanskrit news.
YouTube
वार्ता: संस्कृत में समाचार | पीएम मोदी किसानों को देंगे नववर्ष का तोहफ़ा
December 31, 2021
December 31, 2021
December 31, 2021
Forwarded from संस्कृत संवादः । Sanskrit Samvadah (मोहित डोकानिया)
@samskrt_samvadah पाठशाला जिसमें आप प्रतिदिन आकर संस्कृत सीख सकते हैं।
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प्रकार : ट्रायल
समय : 7 PM 🕖 (भारतीय समय)
अवधि : 1 घंटा
शिक्षिका : डॉ मंजुश्री श्रीपाद नेव्हल
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अलार्म/रिमांइडर लगा लें।
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समय : 7 PM 🕖 (भारतीय समय)
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शिक्षिका : डॉ मंजुश्री श्रीपाद नेव्हल
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December 31, 2021
January 1, 2022
भगवद्गीतायां कति अध्यायाः सन्ति।
Anonymous Quiz
1%
सप्तशत
10%
अष्टादशाः अध्यायः
23%
अष्टादशाः अध्यायाः
17%
अष्टादश अध्यायः
50%
अष्टादश अध्यायाः
January 1, 2022
हर हर कोरोणाकुलम्
*************
(२)
कोरोणा वायुवीजा जनहननमना दानवी क्रूरनेत्रा
दृष्ट्वा स्वक्षीणशक्तिं जनयति कुटिला कन्यकां दुष्टडेल्टाम्।
तस्या मृत्योर्व्यथात्मा पुनरपि तनयो घोररूपस्तदीय
ओमिक्रान् घोरदैत्यो भ्रमति दिशि दिशि क्ष्मानरान् पाहि रुद्र ! ।।
(२)
आफ्रीकादेशजन्मा सहपवनरथः श्वासमार्गे प्रविश्य
विश्वं हन्तुं दुरात्मा प्रचलति मनुजैः सर्वदेशान् प्रचण्डः।
नानारोगस्वरूपो दलति जनगणं हैमलीलाबलेन
तद्भावं वीक्ष्य लोकास्तव भजनरताः पाहि शीघ्रं महेश !।।
(३)
मायावी कुत्र किं वा विधरति कुटिलो लोकदेहे कुरूपं
कदा वान्तिं ज्वरं वा हृदयमलिनतां मुण्डरोगं तनोति।
तैः कार्यै मृत्युदेशं नयति जनगणं छद्मवेशी कुकर्मा
तस्मान्नित्यं सुरक्षानलनयनरुचा सर्वविश्वं महेश !।।
(व्रजकिशोरः)
*************
(२)
कोरोणा वायुवीजा जनहननमना दानवी क्रूरनेत्रा
दृष्ट्वा स्वक्षीणशक्तिं जनयति कुटिला कन्यकां दुष्टडेल्टाम्।
तस्या मृत्योर्व्यथात्मा पुनरपि तनयो घोररूपस्तदीय
ओमिक्रान् घोरदैत्यो भ्रमति दिशि दिशि क्ष्मानरान् पाहि रुद्र ! ।।
(२)
आफ्रीकादेशजन्मा सहपवनरथः श्वासमार्गे प्रविश्य
विश्वं हन्तुं दुरात्मा प्रचलति मनुजैः सर्वदेशान् प्रचण्डः।
नानारोगस्वरूपो दलति जनगणं हैमलीलाबलेन
तद्भावं वीक्ष्य लोकास्तव भजनरताः पाहि शीघ्रं महेश !।।
(३)
मायावी कुत्र किं वा विधरति कुटिलो लोकदेहे कुरूपं
कदा वान्तिं ज्वरं वा हृदयमलिनतां मुण्डरोगं तनोति।
तैः कार्यै मृत्युदेशं नयति जनगणं छद्मवेशी कुकर्मा
तस्मान्नित्यं सुरक्षानलनयनरुचा सर्वविश्वं महेश !।।
(व्रजकिशोरः)
January 1, 2022
~~~~ वाक्याभ्यासः ~~~~
१-)सीता कोस भर पैदल चलती है ।
=सीता क्रोशं पर्यन्तं पादाभ्यां चलति ।
२-)फिरभी वह नहीं थकती है ।
= तथापि सा न क्लाम्यति ।
३-)पृथ्वी के नीचे-नीचे जल है ।
=वसुधाम् अधोऽअधः नीरम् अस्ति ।
४-)जल नलकूप से ऊपर आता है ।
= वारि नलकूपेन उपरि आगच्छति ।
५-)विद्यालय के चारों ओर फूल हैं ।
= विद्यालयं परितः पुष्पाणि सन्ति ।
६-) छात्र सुगन्धित वातावरण पढ़ते हैं ।
= छात्राः सुगन्धितवातावरणे पठन्ति ।
७)नगर और गाँव के बीच में तालाब है ।
=नगरं ग्रामं चान्तरा तडागः अस्ति ।
८-)सभी लोग नाव से तालाब पार करते हैं।
=सर्वे जनाः नौकया तडागं तरन्ति ।
वाक्याभ्यासः
१-)मनोहर: दन्तधावनिकया दन्तान् मार्जयते ।
= मनोहर दांतून से दांतो को साफ करता है ।
२-)गोपालः जलेन मुखं प्रक्षालयति ।
= गोपाल पानी से मुंह धोता है ।
३-)सेवकः स्कन्धेन भारं वहति ।
= नौकर कन्धे पर भार ले जाता है ।
४-)तस्य स्कन्धः अति दृढः अस्ति ।
= उसका कंधा बहुत मजबूत है ।
५-)शशिना सह याति कौमुदी ।
= चाँदनी चाँद के साथ जाती है ।
६-)दिवा देहेन सह छाया चलति ।
= दिन में शरीर के साथ परछाईं चलती है ।
७-)कुम्भकारः दण्डेन चक्रं चालयति ।
= कुम्हार डंडे से चक्र चलाता है ।
८-)त्वरैः त्वरैः सः मृत्तिकायाः पात्राणि निर्माति ।
= जल्दी जल्दी से वह मिट्टी के बर्तन बनाता है ।
प्रश्नवाचकानि षष्ठीविभक्तेः
पञ्चवाक्यानि
🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺
कस्य अपत्यानि संस्कृतं पठन्ति?
= किसके बच्चे संस्कृत पढ़ते हैं?
कस्य कार्यम् उत्तमम् आसीत्?
= किसका काम अच्छा था?
कस्य मुखे दन्ताः न सन्ति?
= किसके मुंह में दांत नहीं हैं?
कस्य जीवनं सौम्यं वर्तते?
= किसका जीवन सुन्दर होता है?
कस्य नाम न वक्तव्यम्?
= किसका नाम नहीं बोलना चाहिए?
#vakyabhyas
१-)सीता कोस भर पैदल चलती है ।
=सीता क्रोशं पर्यन्तं पादाभ्यां चलति ।
२-)फिरभी वह नहीं थकती है ।
= तथापि सा न क्लाम्यति ।
३-)पृथ्वी के नीचे-नीचे जल है ।
=वसुधाम् अधोऽअधः नीरम् अस्ति ।
४-)जल नलकूप से ऊपर आता है ।
= वारि नलकूपेन उपरि आगच्छति ।
५-)विद्यालय के चारों ओर फूल हैं ।
= विद्यालयं परितः पुष्पाणि सन्ति ।
६-) छात्र सुगन्धित वातावरण पढ़ते हैं ।
= छात्राः सुगन्धितवातावरणे पठन्ति ।
७)नगर और गाँव के बीच में तालाब है ।
=नगरं ग्रामं चान्तरा तडागः अस्ति ।
८-)सभी लोग नाव से तालाब पार करते हैं।
=सर्वे जनाः नौकया तडागं तरन्ति ।
वाक्याभ्यासः
१-)मनोहर: दन्तधावनिकया दन्तान् मार्जयते ।
= मनोहर दांतून से दांतो को साफ करता है ।
२-)गोपालः जलेन मुखं प्रक्षालयति ।
= गोपाल पानी से मुंह धोता है ।
३-)सेवकः स्कन्धेन भारं वहति ।
= नौकर कन्धे पर भार ले जाता है ।
४-)तस्य स्कन्धः अति दृढः अस्ति ।
= उसका कंधा बहुत मजबूत है ।
५-)शशिना सह याति कौमुदी ।
= चाँदनी चाँद के साथ जाती है ।
६-)दिवा देहेन सह छाया चलति ।
= दिन में शरीर के साथ परछाईं चलती है ।
७-)कुम्भकारः दण्डेन चक्रं चालयति ।
= कुम्हार डंडे से चक्र चलाता है ।
८-)त्वरैः त्वरैः सः मृत्तिकायाः पात्राणि निर्माति ।
= जल्दी जल्दी से वह मिट्टी के बर्तन बनाता है ।
प्रश्नवाचकानि षष्ठीविभक्तेः
पञ्चवाक्यानि
🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺
कस्य अपत्यानि संस्कृतं पठन्ति?
= किसके बच्चे संस्कृत पढ़ते हैं?
कस्य कार्यम् उत्तमम् आसीत्?
= किसका काम अच्छा था?
कस्य मुखे दन्ताः न सन्ति?
= किसके मुंह में दांत नहीं हैं?
कस्य जीवनं सौम्यं वर्तते?
= किसका जीवन सुन्दर होता है?
कस्य नाम न वक्तव्यम्?
= किसका नाम नहीं बोलना चाहिए?
#vakyabhyas
January 1, 2022
January 1, 2022
January 1, 2022
सङ्क्षेपरामायणम्
(महर्षिवाल्मीकिप्रणीत-रामायण-बालकाण्ड-प्रथमसर्ग-रूपम्)
मूलश्लोकः-66
बिभेद च पुन: सालान् सप्तैकेन महेषुणा।
गिरिं रसातलं चैव जनयन् प्रत्ययं तदा।। 66।।
श्लोकान्वयः -
तदा प्रत्ययं जनयन् एकेन महेषुणा
सप्त सालान् गिरिं रसातलं च पुन: बिभेद।।66।।
हिन्दी-अनुवाद -
अपने बल के विषय मेैं सुग्रीव को सन्देहयुक्त जानकर उसके सन्देह को दूर करने के लिए अपने
एक ही विशाल बाण से सात सालवृक्षों को तथा वहाँ पर विद्यमान पर्वत तथा रसातल को विदीर्ण कर डाला।।66।।
English Meaning
तथा then, पुनश्च again, प्रत्ययम् confidence, जनयन् creating, एकेन with one, महेषुणा mighty shaft, सप्त सालान् seven palmyra trees, गिरिम् a mountain, रसातलं चैव Rasatala (one of the seven lower worlds under the earth), बिभेद penetrated.
Again inorder to create confidence (in Sugriva), he released a single mighty shaft which penetrated seven palmyra trees, a mountain and the Rasatala.
#SankshepaRamayanam
(महर्षिवाल्मीकिप्रणीत-रामायण-बालकाण्ड-प्रथमसर्ग-रूपम्)
मूलश्लोकः-66
बिभेद च पुन: सालान् सप्तैकेन महेषुणा।
गिरिं रसातलं चैव जनयन् प्रत्ययं तदा।। 66।।
श्लोकान्वयः -
तदा प्रत्ययं जनयन् एकेन महेषुणा
सप्त सालान् गिरिं रसातलं च पुन: बिभेद।।66।।
हिन्दी-अनुवाद -
अपने बल के विषय मेैं सुग्रीव को सन्देहयुक्त जानकर उसके सन्देह को दूर करने के लिए अपने
एक ही विशाल बाण से सात सालवृक्षों को तथा वहाँ पर विद्यमान पर्वत तथा रसातल को विदीर्ण कर डाला।।66।।
English Meaning
तथा then, पुनश्च again, प्रत्ययम् confidence, जनयन् creating, एकेन with one, महेषुणा mighty shaft, सप्त सालान् seven palmyra trees, गिरिम् a mountain, रसातलं चैव Rasatala (one of the seven lower worlds under the earth), बिभेद penetrated.
Again inorder to create confidence (in Sugriva), he released a single mighty shaft which penetrated seven palmyra trees, a mountain and the Rasatala.
#SankshepaRamayanam
January 1, 2022
January 1, 2022
January 1, 2022
@samskrt_samvadah संलापशाला - A Samskrit Voicechat room.
Duration : 30 minutes only
Time : IST 11:00 AM 🕚
Topic : Winter season.
(शैत्यकालः)
Date :2nd January 2022,
Sunday
Please Join the voicechat on time.
😇 Please come prepared to discuss in Sanskrit , If possible.
We are waiting for you.😇
Set a reminder.
👇🏼👇🏼👇🏼👇🏼👇🏼
https://t.me/samskrt_samvadah?voicechat
Duration : 30 minutes only
Time : IST 11:00 AM 🕚
Topic : Winter season.
(शैत्यकालः)
Date :2nd January 2022,
Sunday
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January 1, 2022
January 1, 2022
🍃
♦️jitaatmanaH prashaantasya paramaatmaa samaahitaH|
shiitoShNasukhaduHkheShu tathaa maanaapamaanayoH||6.7||
⚜6.7 The Supreme Self of him who is self-controlled and peaceful is balanced in cold and heat, pleasure and pain, as also in honour and dishonour.
⚜।।6.7।। शीतउष्ण सुखदुख तथा मानअपमान में जो प्रशान्त रहता है ऐसे जितात्मा पुरुष के लिये परमात्मा सम्यक् प्रकार से स्थित है अर्थात् आत्मरूप से विद्यमान है।।
#geeta
जितात्मनः प्रशान्तस्य परमात्मा समाहितः।
शीतोष्णसुखदुःखेषु तथा मानापमानयोः
।।6.7।।♦️jitaatmanaH prashaantasya paramaatmaa samaahitaH|
shiitoShNasukhaduHkheShu tathaa maanaapamaanayoH||6.7||
⚜6.7 The Supreme Self of him who is self-controlled and peaceful is balanced in cold and heat, pleasure and pain, as also in honour and dishonour.
⚜।।6.7।। शीतउष्ण सुखदुख तथा मानअपमान में जो प्रशान्त रहता है ऐसे जितात्मा पुरुष के लिये परमात्मा सम्यक् प्रकार से स्थित है अर्थात् आत्मरूप से विद्यमान है।।
#geeta
January 1, 2022
January 1, 2022
🍃
♦️j~naanavij~naanatRRiptaatmaa kuuTastho vijitendriyaH|
yukta ityuchyate yogii samaloShTaashmakaa~nchanaH||6.8||
⚜6.8 The Yogi who is satisfied with the knowledge and the wisdom (of the Self), who has conquered the senses, and to whom a clod of earth, a piece of stone and gold are the same, is said to be harmonied (i.e., is said to have attained Nirvikalpa Samadhi).
⚜।।6.8।। जो योगी ज्ञान और विज्ञान से तृप्त है जो विकार रहित (कूटस्थ) और जितेन्द्रिय है जिसको मिट्टी पाषाण और कंचन समान है वह (परमात्मा से) युक्त कहलाता है।।
#geeta
ज्ञानविज्ञानतृप्तात्मा कूटस्थो विजितेन्द्रियः।
युक्त इत्युच्यते योगी समलोष्टाश्मकाञ्चनः
।।6.8।।♦️j~naanavij~naanatRRiptaatmaa kuuTastho vijitendriyaH|
yukta ityuchyate yogii samaloShTaashmakaa~nchanaH||6.8||
⚜6.8 The Yogi who is satisfied with the knowledge and the wisdom (of the Self), who has conquered the senses, and to whom a clod of earth, a piece of stone and gold are the same, is said to be harmonied (i.e., is said to have attained Nirvikalpa Samadhi).
⚜।।6.8।। जो योगी ज्ञान और विज्ञान से तृप्त है जो विकार रहित (कूटस्थ) और जितेन्द्रिय है जिसको मिट्टी पाषाण और कंचन समान है वह (परमात्मा से) युक्त कहलाता है।।
#geeta
January 1, 2022
https://youtu.be/hQnzjIO7KJQ
#VedicChanting
The Karta/Yajamana recites this Mantra in all Pitru Ceremonies like Tarpana, Shraaddha etc, as Upastana (Prayer) Mantra to their Ancestors.
After invoking the Pitrus, Yajamana stands before the Pitrus, asking help and blessings from them, for happy family life and protection.
These 3 Mantras appear in Rig Veda also; Mandala-6, Sukta-75, Mantra-9,10,11.
It is believed that our deceased ancestors (Pitrus) possessing unbelievable powers to help us in most difficult situations, when they are prayed loudly.
You can hear the powerful Ghana Patha recitation of these Mantras with great energy, high pitch, speed, clarity, punch and voice synchronization.
Meaning of this Mantra:
*Power of Fathers*: The fathers (Pitara:) who are very powerful (Shakteevanta:) with profound (Gabheera:) mind, reside in pleasurable places (Svaadusham), bestowing strength (Vayodha:) to us at difficult situations. They are always unbeatable (Amrudhra:) by enemies because, they are with wide-range of hosts (Citrasena:) consists of real heroes (Sadoveera:) who conquered (Urava:) many hosts (Vraatasaaha:) in the past, supported by powerful arrows (Ishubala:).
*Blessings for protection*: Let the Brahmins, father and people deserving Soma (Divine drink) bless us, for our protection. Let the un-menaced (Anehasaa) heaven and earth (Dyaavaa Prutivee) be auspicious (Shive) to us. May Pooshan, the guardian of truth (Ruta Vrudha:) protect us from misfortune. You protect me. Let us be unbeatable by any foes.
Feather: A feather (Suparnam) is her garment (Vaste) and a deer (Mruga:) is her tooth (Danta:). She is tied (Sam naddha) with cow, but when shot, she flies (Patati) . Where (Yatra) men (Nara:) run together and apart, let the arrows grant us safety there. Here "she/her" refers to "arrows".
#VedicChanting
The Karta/Yajamana recites this Mantra in all Pitru Ceremonies like Tarpana, Shraaddha etc, as Upastana (Prayer) Mantra to their Ancestors.
After invoking the Pitrus, Yajamana stands before the Pitrus, asking help and blessings from them, for happy family life and protection.
These 3 Mantras appear in Rig Veda also; Mandala-6, Sukta-75, Mantra-9,10,11.
It is believed that our deceased ancestors (Pitrus) possessing unbelievable powers to help us in most difficult situations, when they are prayed loudly.
You can hear the powerful Ghana Patha recitation of these Mantras with great energy, high pitch, speed, clarity, punch and voice synchronization.
Meaning of this Mantra:
*Power of Fathers*: The fathers (Pitara:) who are very powerful (Shakteevanta:) with profound (Gabheera:) mind, reside in pleasurable places (Svaadusham), bestowing strength (Vayodha:) to us at difficult situations. They are always unbeatable (Amrudhra:) by enemies because, they are with wide-range of hosts (Citrasena:) consists of real heroes (Sadoveera:) who conquered (Urava:) many hosts (Vraatasaaha:) in the past, supported by powerful arrows (Ishubala:).
*Blessings for protection*: Let the Brahmins, father and people deserving Soma (Divine drink) bless us, for our protection. Let the un-menaced (Anehasaa) heaven and earth (Dyaavaa Prutivee) be auspicious (Shive) to us. May Pooshan, the guardian of truth (Ruta Vrudha:) protect us from misfortune. You protect me. Let us be unbeatable by any foes.
Feather: A feather (Suparnam) is her garment (Vaste) and a deer (Mruga:) is her tooth (Danta:). She is tied (Sam naddha) with cow, but when shot, she flies (Patati) . Where (Yatra) men (Nara:) run together and apart, let the arrows grant us safety there. Here "she/her" refers to "arrows".
YouTube
ENERGETIC Vedic Chant to Pitrus (पितृ) to get Blessings | Ghana Patha | Yajur Veda | Sri K. Suresh
The Vedic Chant -
Svaadushgum Sada: Pitara: - in Ghana Patha form is rendered by Sri
Govind Prakash Ghanapati & Sri K. Suresh.
These 3 Mantras appear in Kaanda-4, Prasna-6, Anuvaka-6 of Krishna Yajurveda Samhita.
---------------------------------------…
These 3 Mantras appear in Kaanda-4, Prasna-6, Anuvaka-6 of Krishna Yajurveda Samhita.
---------------------------------------…
January 1, 2022
🚩जय सत्य सनातन🚩
🚩आज की हिंदी तिथि
🌥️ 🚩युगाब्द-५१२३
🌥️ 🚩विक्रम संवत-२०७८
⛅ 🚩तिथि - अमावस्या रात्रि १२:०२ तक तत्पश्चात प्रतिपदा
⛅ दिनांक - ०२ जनवरी २०२२
⛅ दिन - रविवार
⛅ शक संवत -१९४३
⛅ अयन - दक्षिणायन
⛅ ऋतु - शिशिर
⛅ मास - पौस
⛅ पक्ष - कृष्ण
⛅ नक्षत्र - मूल शाम ०४:२३ तक तत्पश्चात पूर्वाषढा
⛅ योग - वृद्धि सुबह ०९:४३ तक तत्पश्चात ध्रुव
⛅ राहुकाल - शाम ०४:४७ से शाम ०६:०९ तक
⛅ सूर्योदय - ०७:१७
⛅ सूर्यास्त - १८:०७
⛅ दिशाशूल - पश्चिम दिशा में
🚩आज की हिंदी तिथि
🌥️ 🚩युगाब्द-५१२३
🌥️ 🚩विक्रम संवत-२०७८
⛅ 🚩तिथि - अमावस्या रात्रि १२:०२ तक तत्पश्चात प्रतिपदा
⛅ दिनांक - ०२ जनवरी २०२२
⛅ दिन - रविवार
⛅ शक संवत -१९४३
⛅ अयन - दक्षिणायन
⛅ ऋतु - शिशिर
⛅ मास - पौस
⛅ पक्ष - कृष्ण
⛅ नक्षत्र - मूल शाम ०४:२३ तक तत्पश्चात पूर्वाषढा
⛅ योग - वृद्धि सुबह ०९:४३ तक तत्पश्चात ध्रुव
⛅ राहुकाल - शाम ०४:४७ से शाम ०६:०९ तक
⛅ सूर्योदय - ०७:१७
⛅ सूर्यास्त - १८:०७
⛅ दिशाशूल - पश्चिम दिशा में
January 1, 2022
https://youtu.be/y2e2sP8MaLE
#VedicChanting
आञ्जनेय दण्डकम्
श्री आञ्जनेयं प्रसन्नाञ्जनेयं
प्रभादिव्यकायं प्रकीर्ति प्रदायं
भजे वायुपुत्रं भजे वालगात्रं भजेहं पवित्रं
भजे सूर्यमित्रं भजे रुद्ररूपं
भजे ब्रह्मतेजं बटञ्चुन् प्रभातम्बु
सायन्त्रमुन् नीनामसङ्कीर्तनल् जेसि
नी रूपु वर्णिञ्चि नीमीद ने दण्डकं बॊक्कटिन् जेय
नी मूर्तिगाविञ्चि नीसुन्दरं बॆञ्चि नी दासदासुण्डवै
रामभक्तुण्डनै निन्नु नेगॊल्चॆदन्
नी कटाक्षम्बुनन् जूचिते वेडुकल् चेसिते
ना मॊरालिञ्चिते नन्नु रक्षिञ्चिते
अञ्जनादेवि गर्भान्वया देव
निन्नॆञ्च नेनॆन्तवाडन्
दयाशालिवै जूचियुन् दातवै ब्रोचियुन्
दग्गरन् निल्चियुन् दॊल्लि सुग्रीवुकुन्-मन्त्रिवै
स्वामि कार्यार्थमै येगि
श्रीराम सौमित्रुलं जूचि वारिन्विचारिञ्चि
सर्वेशु बूजिञ्चि यब्भानुजुं बण्टु गाविञ्चि
वालिनिन् जम्पिञ्चि काकुत्थ्स तिलकुन् कृपादृष्टि वीक्षिञ्चि
किष्किन्धकेतॆञ्चि श्रीराम कार्यार्थमै लङ्क केतॆञ्चियुन्
लङ्किणिन् जम्पियुन् लङ्कनुन् गाल्चियुन्
यभ्भूमिजं जूचि यानन्दमुप्पॊङ्गि यायुङ्गरम्बिच्चि
यारत्नमुन् दॆच्चि श्रीरामुनकुन्निच्चि सन्तोषमुन् जेसि
सुग्रीवुनिन् यङ्गदुन् जाम्बवन्तु न्नलुन्नीलुलन् गूडि
यासेतुवुन् दाटि वानरुल् मूकलै पॆन्मूकलै
यादैत्युलन् द्रुञ्चगा रावणुण्डन्त कालाग्नि रुद्रुण्डुगा वच्चि
ब्रह्माण्डमैनट्टि या शक्तिनिन् वैचि यालक्षणुन् मूर्छनॊन्दिम्पगानप्पुडे नीवु
सञ्जीविनिन् दॆच्चि सौमित्रिकिन्निच्चि प्राणम्बु रक्षिम्पगा
कुम्भकर्णादुल न्वीरुलं बोर श्रीराम बाणाग्नि
वारन्दरिन् रावणुन् जम्पगा नन्त लोकम्बु लानन्दमै युण्ड
नव्वेलनु न्विभीषुणुन् वेडुकन् दोडुकन् वच्चि पट्टाभिषेकम्बु चेयिञ्चि,
सीतामहादेविनिन् दॆच्चि श्रीरामुकुन्निच्चि,
यन्तन्नयोध्यापुरिन् जॊच्चि पट्टाभिषेकम्बु संरम्भमैयुन्न
नीकन्न नाकॆव्वरुन् गूर्मि लेरञ्चु मन्निञ्चि श्रीरामभक्त प्रशस्तम्बुगा
निन्नु सेविञ्चि नी कीर्तनल् चेसिनन् पापमुल् ल्बायुने भयमुलुन्
दीरुने भाग्यमुल् गल्गुने साम्राज्यमुल् गल्गु सम्पत्तुलुन् कल्गुनो
वानराकार योभक्त मन्दार योपुण्य सञ्चार योधीर योवीर
नीवे समस्तम्बुगा नॊप्पि यातारक ब्रह्म मन्त्रम्बु पठियिञ्चुचुन् स्थिरम्मुगन्
वज्रदेहम्बुनुन् दाल्चि श्रीराम श्रीरामयञ्चुन् मनःपूतमैन ऎप्पुडुन् तप्पकन्
तलतुना जिह्वयन्दुण्डि नी दीर्घदेहम्मु त्रैलोक्य सञ्चारिवै राम
नामाङ्कितध्यानिवै ब्रह्मतेजम्बुनन् रौद्रनीज्वाल
कल्लोल हावीर हनुमन्त ओङ्कार शब्दम्बुलन् भूत प्रेतम्बुलन् बॆन्
पिशाचम्बुलन् शाकिनी ढाकिनीत्यादुलन् गालिदय्यम्बुलन्
नीदु वालम्बुनन् जुट्टि नेलम्बडं गॊट्टि नीमुष्टि घातम्बुलन्
बाहुदण्डम्बुलन् रोमखण्डम्बुलन् द्रुञ्चि कालाग्नि
रुद्रुण्डवै नीवु ब्रह्मप्रभाभासितम्बैन नीदिव्य तेजम्बुनुन् जूचि
रारोरि नामुद्दु नरसिंह यन् चुन् दयादृष्टि
वीक्षिञ्चि नन्नेलु नास्वामियो याञ्जनेया
नमस्ते सदा ब्रह्मचारी
नमस्ते नमोवायुपुत्रा नमस्ते नमः
#VedicChanting
आञ्जनेय दण्डकम्
श्री आञ्जनेयं प्रसन्नाञ्जनेयं
प्रभादिव्यकायं प्रकीर्ति प्रदायं
भजे वायुपुत्रं भजे वालगात्रं भजेहं पवित्रं
भजे सूर्यमित्रं भजे रुद्ररूपं
भजे ब्रह्मतेजं बटञ्चुन् प्रभातम्बु
सायन्त्रमुन् नीनामसङ्कीर्तनल् जेसि
नी रूपु वर्णिञ्चि नीमीद ने दण्डकं बॊक्कटिन् जेय
नी मूर्तिगाविञ्चि नीसुन्दरं बॆञ्चि नी दासदासुण्डवै
रामभक्तुण्डनै निन्नु नेगॊल्चॆदन्
नी कटाक्षम्बुनन् जूचिते वेडुकल् चेसिते
ना मॊरालिञ्चिते नन्नु रक्षिञ्चिते
अञ्जनादेवि गर्भान्वया देव
निन्नॆञ्च नेनॆन्तवाडन्
दयाशालिवै जूचियुन् दातवै ब्रोचियुन्
दग्गरन् निल्चियुन् दॊल्लि सुग्रीवुकुन्-मन्त्रिवै
स्वामि कार्यार्थमै येगि
श्रीराम सौमित्रुलं जूचि वारिन्विचारिञ्चि
सर्वेशु बूजिञ्चि यब्भानुजुं बण्टु गाविञ्चि
वालिनिन् जम्पिञ्चि काकुत्थ्स तिलकुन् कृपादृष्टि वीक्षिञ्चि
किष्किन्धकेतॆञ्चि श्रीराम कार्यार्थमै लङ्क केतॆञ्चियुन्
लङ्किणिन् जम्पियुन् लङ्कनुन् गाल्चियुन्
यभ्भूमिजं जूचि यानन्दमुप्पॊङ्गि यायुङ्गरम्बिच्चि
यारत्नमुन् दॆच्चि श्रीरामुनकुन्निच्चि सन्तोषमुन् जेसि
सुग्रीवुनिन् यङ्गदुन् जाम्बवन्तु न्नलुन्नीलुलन् गूडि
यासेतुवुन् दाटि वानरुल् मूकलै पॆन्मूकलै
यादैत्युलन् द्रुञ्चगा रावणुण्डन्त कालाग्नि रुद्रुण्डुगा वच्चि
ब्रह्माण्डमैनट्टि या शक्तिनिन् वैचि यालक्षणुन् मूर्छनॊन्दिम्पगानप्पुडे नीवु
सञ्जीविनिन् दॆच्चि सौमित्रिकिन्निच्चि प्राणम्बु रक्षिम्पगा
कुम्भकर्णादुल न्वीरुलं बोर श्रीराम बाणाग्नि
वारन्दरिन् रावणुन् जम्पगा नन्त लोकम्बु लानन्दमै युण्ड
नव्वेलनु न्विभीषुणुन् वेडुकन् दोडुकन् वच्चि पट्टाभिषेकम्बु चेयिञ्चि,
सीतामहादेविनिन् दॆच्चि श्रीरामुकुन्निच्चि,
यन्तन्नयोध्यापुरिन् जॊच्चि पट्टाभिषेकम्बु संरम्भमैयुन्न
नीकन्न नाकॆव्वरुन् गूर्मि लेरञ्चु मन्निञ्चि श्रीरामभक्त प्रशस्तम्बुगा
निन्नु सेविञ्चि नी कीर्तनल् चेसिनन् पापमुल् ल्बायुने भयमुलुन्
दीरुने भाग्यमुल् गल्गुने साम्राज्यमुल् गल्गु सम्पत्तुलुन् कल्गुनो
वानराकार योभक्त मन्दार योपुण्य सञ्चार योधीर योवीर
नीवे समस्तम्बुगा नॊप्पि यातारक ब्रह्म मन्त्रम्बु पठियिञ्चुचुन् स्थिरम्मुगन्
वज्रदेहम्बुनुन् दाल्चि श्रीराम श्रीरामयञ्चुन् मनःपूतमैन ऎप्पुडुन् तप्पकन्
तलतुना जिह्वयन्दुण्डि नी दीर्घदेहम्मु त्रैलोक्य सञ्चारिवै राम
नामाङ्कितध्यानिवै ब्रह्मतेजम्बुनन् रौद्रनीज्वाल
कल्लोल हावीर हनुमन्त ओङ्कार शब्दम्बुलन् भूत प्रेतम्बुलन् बॆन्
पिशाचम्बुलन् शाकिनी ढाकिनीत्यादुलन् गालिदय्यम्बुलन्
नीदु वालम्बुनन् जुट्टि नेलम्बडं गॊट्टि नीमुष्टि घातम्बुलन्
बाहुदण्डम्बुलन् रोमखण्डम्बुलन् द्रुञ्चि कालाग्नि
रुद्रुण्डवै नीवु ब्रह्मप्रभाभासितम्बैन नीदिव्य तेजम्बुनुन् जूचि
रारोरि नामुद्दु नरसिंह यन् चुन् दयादृष्टि
वीक्षिञ्चि नन्नेलु नास्वामियो याञ्जनेया
नमस्ते सदा ब्रह्मचारी
नमस्ते नमोवायुपुत्रा नमस्ते नमः
YouTube
Hanuman Dandakam (Telugu) Nemani Parthasarathy, J.SatyaDev,
Watch & Enjoy to Hanuman Dandakam (Telugu)
Sung By, Nemani Parthasarathy, Composed By J.Satya Dev,
Click Here to Share on Facebook:http://on.fb.me/1Fql20M
Singer: Nemani Parthasarathy
Music: J. Satyadev
Cameraman: Prashad
Arts: Kumar
Background: Vinoth…
Sung By, Nemani Parthasarathy, Composed By J.Satya Dev,
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Singer: Nemani Parthasarathy
Music: J. Satyadev
Cameraman: Prashad
Arts: Kumar
Background: Vinoth…
January 1, 2022
January 1, 2022
@samskrt_samvadah संलापशाला - A Samskrit Voicechat room.
Duration : 30 minutes only
Time : IST 11:00 AM 🕚
Topic : Winter season.
(शैत्यकालः)
Date :2nd January 2022,
Sunday
Please Join the voicechat on time.
😇 Please come prepared to discuss in Sanskrit , If possible.
We are waiting for you.😇
Set a reminder.
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https://t.me/samskrt_samvadah?voicechat
Duration : 30 minutes only
Time : IST 11:00 AM 🕚
Topic : Winter season.
(शैत्यकालः)
Date :2nd January 2022,
Sunday
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January 1, 2022
Forwarded from रामदूतः — The Sanskrit News Platform
Switch to DD News daily at 7:15 AM (Morning) for 15 minutes Sanskrit news.
https://youtu.be/f1W8INysgc4
https://youtu.be/f1W8INysgc4
YouTube
वार्ता: संस्कृत में समाचार | उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू का केरल का दौरा
January 1, 2022
Free online Sanskrit Course by MHRD, India
through Swayam.gov.in https://onlinecourses.swayam2.ac.in/cec22_hs04/preview
This post posted earlier on 19.12.2021 is posted again today as the course is to begin by 10th Jan 2022.
Introductory Sanskrit: Grammar To join click here
Course layout
सप्ताह 1 :
संस्कृतभाषा का महत्त्व ( Importance of Sanskrit Language )
सप्ताह 2 :
संस्कृत शास्त्रों का परिचय ( Introduction of Sanskrit Shastras )
सप्ताह 3 :
सन्धि, स्वादिसन्धि ( Combination, Swadi Combination )
सप्ताह 4 :
सन्धि अनुवर्तित ( Continioue Combination )
सप्ताह 5 :
स्त्री प्रत्यय ( Stri Suffixes)
सप्ताह 6 :
समास ( Compounds)
सप्ताह 7 :
तद्धित प्रत्यय ( Taddhit Suffixes)
सप्ताह 8 :
Assignments
सप्ताह 9 :
तिङन्त ( Tiganta )
सप्ताह 10 :
तिङन्त अनुवर्तित ( Tigant Anuvartit )
सप्ताह 11 :
सनाद्यन्तधातु ( Sanadhyant Dhatu)
सप्ताह 12 : ( Process of Atmanepada- Parasmaipada )
आत्मनेपद-परस्मैपदप्रक्रिया
सप्ताह 13 :
लकारार्थप्रक्रिया ( Process of Lakarartha )
सप्ताह 14 :
कृदन्त ( Kridanta )
सप्ताह 15 :
Assignments
1. यह सर्व विदित है कि जैसे लोकव्यवहार का प्रमुख साधन भाषा है वैसे यह भी स्थापित सत्य है कि विश्व की प्रायः सभी भाषाओं में संस्कृत प्राचीन एवं संरचना की दृष्टि से वैज्ञानिक भाषा है। जिसकी शब्द सम्पन्नता एवं अभिव्यञ्जन सामर्थ्य अद्भुत है।
2. व्याकरण संस्कार से युक्त होने का कारण यह संस्कृत के नाम से जानी जाती है।
3. भारतीय ऋषियों ने इसके ज्ञानपूर्वक प्रयोग में भी पुण्योत्पादकता स्वीकार की है।
4. भाषा का संस्कृतत्त्व तपःपूत महर्षियों के वैज्ञानिक व्याकरण की अनुशासन भित्ति पर आधारित है। प्रयोगार्ह पद दो प्रकार के होते है – सुबन्त एवं तिङन्त। सामान्यतः वाक्यों में सुबन्त अधिक एवं तिङन्त कम उपलब्ध होते है।
5. सुप्-प्रत्ययों की प्रकृति प्रातिपदिक भी दो प्रकार के होते है – कुछ आधुनिक नाम जैसे व्युत्पन्न और कुछ अव्युत्पन्न। व्युत्पन्नों में कुछ धातुप्रकृतिक कृदन्त होते हैं।
6. कृत्प्रत्ययों में कुछ ण्वुल्, तृच् आदि सार्वकालिक प्रत्यय; शतृ, शानच् जैसे वर्तमानकालिक प्रत्यय; क्त, क्तवतु जैसे भूतकालिक प्रत्यय तथा कुछ भविष्यत्कालिक प्रत्यय होते है।
7. ‘सर्वं वाक्यं क्रियया परिसमाप्यते’ यह उक्ति वाक्य में तिङन्त पद की महिमा स्पष्ट करती है।
8. इसके यथार्थ परिज्ञानार्थ गणों के अनुसार विभक्त विविध धातुओं के अर्थाधारित सकर्मकाकर्मक स्वरूप को जानना, उसके आत्मनेपदी परस्मैपदी तथा उभयपदी होने का निर्धारण करना अपेक्षित होता है।
9. भाषा दक्षता के वाच्यप्रबोधार्थ कर्ता कर्म एवं भाव में लकारों का प्रयोग प्रशिक्षण आवश्यक होता है।
10. इस प्रकार व्याकरण संस्कार से पुष्ट संस्कृत भाषा का परिचय कराने हेतु यह पाठ्यक्रम ‘परिचयात्मकसंस्कृतं व्याकरणं च’ को प्रस्तुत किया जा रहा है॥
Reference Books:
वैयाकरणसिद्धान्तकौमुदी - चौखम्बा प्रकाशन , वाराणसी .
वैयाकरणसिद्धान्तकौमुदी (हिन्दी व्याख्या - गोपाल दत्त पाण्डेय) चौखम्बा प्रकाशन , वाराणसी .
वैयाकरणसिद्धान्तकौमुदी ( तत्त्वबोधिनी ) चौखम्बा प्रकाशन , वाराणसी .
वैयाकरणसिद्धान्तकौमुदी (बालमनोरमा टीका - आचार्य वासुदेव दीक्षित ) चौखम्बा प्रकाशन , वाराणसी .
व्याकरणशास्त्र का इतिहास ( आचार्य बलदेव उपाध्याय ), उत्तर प्रदेश संस्कृत संस्थान , लखनऊ .
व्याकरणशास्त्रस्येतिहसः ( आचार्यलोकमणिदहालः ), चौखम्बा प्रकाशन , वाराणसी .
वेदाङ्गस्येतिहसः ( डॉ. नरेश झा) ,चौखम्बा प्रकाशन , वाराणसी .
Web links:
https://archive.org/details/VaiyakaranaSiddhantaKaumudiOfBhattojiDikshitaPt.GopalaShastriNene
https://archive.org/details/in.ernet.dli.2015.283755
https://ashtadhyayi.com/sutraani/
https://en.wikipedia.org/wiki/Vy%C4%81kara%E1%B9%87a
https://epustakalay.com/book/16700-vyakaran-shastra-ka-itihas-by-yudhishthir-mimansak/
Course certificate
“30 Marks will be allocated for Internal Assessment and 70 Marks will be allocated for external proctored examination”
Duration : 15 weeks
Start Date : 10 Jan 2022
End Date : 30 Apr 2022
Exam Date : 10 May 2022 IST
Enrollment Ends : 28 Feb 2022
Note:This post posted earlier on 19.12.2021 is posted again today as the course is to begin by 10th Jan 2022.
#SanskritEducation
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Course layout
सप्ताह 1 :
संस्कृतभाषा का महत्त्व ( Importance of Sanskrit Language )
सप्ताह 2 :
संस्कृत शास्त्रों का परिचय ( Introduction of Sanskrit Shastras )
सप्ताह 3 :
सन्धि, स्वादिसन्धि ( Combination, Swadi Combination )
सप्ताह 4 :
सन्धि अनुवर्तित ( Continioue Combination )
सप्ताह 5 :
स्त्री प्रत्यय ( Stri Suffixes)
सप्ताह 6 :
समास ( Compounds)
सप्ताह 7 :
तद्धित प्रत्यय ( Taddhit Suffixes)
सप्ताह 8 :
Assignments
सप्ताह 9 :
तिङन्त ( Tiganta )
सप्ताह 10 :
तिङन्त अनुवर्तित ( Tigant Anuvartit )
सप्ताह 11 :
सनाद्यन्तधातु ( Sanadhyant Dhatu)
सप्ताह 12 : ( Process of Atmanepada- Parasmaipada )
आत्मनेपद-परस्मैपदप्रक्रिया
सप्ताह 13 :
लकारार्थप्रक्रिया ( Process of Lakarartha )
सप्ताह 14 :
कृदन्त ( Kridanta )
सप्ताह 15 :
Assignments
1. यह सर्व विदित है कि जैसे लोकव्यवहार का प्रमुख साधन भाषा है वैसे यह भी स्थापित सत्य है कि विश्व की प्रायः सभी भाषाओं में संस्कृत प्राचीन एवं संरचना की दृष्टि से वैज्ञानिक भाषा है। जिसकी शब्द सम्पन्नता एवं अभिव्यञ्जन सामर्थ्य अद्भुत है।
2. व्याकरण संस्कार से युक्त होने का कारण यह संस्कृत के नाम से जानी जाती है।
3. भारतीय ऋषियों ने इसके ज्ञानपूर्वक प्रयोग में भी पुण्योत्पादकता स्वीकार की है।
4. भाषा का संस्कृतत्त्व तपःपूत महर्षियों के वैज्ञानिक व्याकरण की अनुशासन भित्ति पर आधारित है। प्रयोगार्ह पद दो प्रकार के होते है – सुबन्त एवं तिङन्त। सामान्यतः वाक्यों में सुबन्त अधिक एवं तिङन्त कम उपलब्ध होते है।
5. सुप्-प्रत्ययों की प्रकृति प्रातिपदिक भी दो प्रकार के होते है – कुछ आधुनिक नाम जैसे व्युत्पन्न और कुछ अव्युत्पन्न। व्युत्पन्नों में कुछ धातुप्रकृतिक कृदन्त होते हैं।
6. कृत्प्रत्ययों में कुछ ण्वुल्, तृच् आदि सार्वकालिक प्रत्यय; शतृ, शानच् जैसे वर्तमानकालिक प्रत्यय; क्त, क्तवतु जैसे भूतकालिक प्रत्यय तथा कुछ भविष्यत्कालिक प्रत्यय होते है।
7. ‘सर्वं वाक्यं क्रियया परिसमाप्यते’ यह उक्ति वाक्य में तिङन्त पद की महिमा स्पष्ट करती है।
8. इसके यथार्थ परिज्ञानार्थ गणों के अनुसार विभक्त विविध धातुओं के अर्थाधारित सकर्मकाकर्मक स्वरूप को जानना, उसके आत्मनेपदी परस्मैपदी तथा उभयपदी होने का निर्धारण करना अपेक्षित होता है।
9. भाषा दक्षता के वाच्यप्रबोधार्थ कर्ता कर्म एवं भाव में लकारों का प्रयोग प्रशिक्षण आवश्यक होता है।
10. इस प्रकार व्याकरण संस्कार से पुष्ट संस्कृत भाषा का परिचय कराने हेतु यह पाठ्यक्रम ‘परिचयात्मकसंस्कृतं व्याकरणं च’ को प्रस्तुत किया जा रहा है॥
Reference Books:
वैयाकरणसिद्धान्तकौमुदी - चौखम्बा प्रकाशन , वाराणसी .
वैयाकरणसिद्धान्तकौमुदी (हिन्दी व्याख्या - गोपाल दत्त पाण्डेय) चौखम्बा प्रकाशन , वाराणसी .
वैयाकरणसिद्धान्तकौमुदी ( तत्त्वबोधिनी ) चौखम्बा प्रकाशन , वाराणसी .
वैयाकरणसिद्धान्तकौमुदी (बालमनोरमा टीका - आचार्य वासुदेव दीक्षित ) चौखम्बा प्रकाशन , वाराणसी .
व्याकरणशास्त्र का इतिहास ( आचार्य बलदेव उपाध्याय ), उत्तर प्रदेश संस्कृत संस्थान , लखनऊ .
व्याकरणशास्त्रस्येतिहसः ( आचार्यलोकमणिदहालः ), चौखम्बा प्रकाशन , वाराणसी .
वेदाङ्गस्येतिहसः ( डॉ. नरेश झा) ,चौखम्बा प्रकाशन , वाराणसी .
Web links:
https://archive.org/details/VaiyakaranaSiddhantaKaumudiOfBhattojiDikshitaPt.GopalaShastriNene
https://archive.org/details/in.ernet.dli.2015.283755
https://ashtadhyayi.com/sutraani/
https://en.wikipedia.org/wiki/Vy%C4%81kara%E1%B9%87a
https://epustakalay.com/book/16700-vyakaran-shastra-ka-itihas-by-yudhishthir-mimansak/
Course certificate
“30 Marks will be allocated for Internal Assessment and 70 Marks will be allocated for external proctored examination”
Duration : 15 weeks
Start Date : 10 Jan 2022
End Date : 30 Apr 2022
Exam Date : 10 May 2022 IST
Enrollment Ends : 28 Feb 2022
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#SanskritEducation
Internet Archive
Vaiyakarana Siddhanta
Kaumudi Of Bhattoji Dikshita Pt. Gopala Shastri Nene : वैयाकरण खसूची :
Free Download, Borrow, and Streaming…
Sanskrit Vyakarana Books (व्याकरण ग्रंथाः)
January 1, 2022
January 1, 2022
January 1, 2022
मदान्धः पुरुषः ।
'मदान्धस्य' विग्रहं कुर्वन्तु।
'मदान्धस्य' विग्रहं कुर्वन्तु।
Anonymous Quiz
30%
मदात् अन्धः
16%
मदस्य अन्धः
6%
मदम् अन्धः
44%
मदेन अन्धः
3%
मदे अन्धः
January 2, 2022
[युध् धातुः (लड़ना) दिवादिगण]
युध्यते युध्येते युध्यन्ते
युध्यसे युध्येथे युध्वध्वे
युध्ये युध्यावहे युध्यामहे
🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷
१) सा युध्यते ।
(वह लड़ती है ।)
२) सिंहौ युध्येते ।
( दो शेर लड़ते हैं ।)
३) दुर्जनाः मिथः युध्यन्ते ।
( बुरे लोग आपस में लड़ते हैं ।)
🌴🌴
४) त्वं न युध्यसे ।
(तुम नहीं लड़ते हो ।)
५) युवां कथं युध्येथे ?
(तुम दोनों क्यों लड़ते हो ?)
६) यूयम् अकारणमेव युध्यध्वे ।
(तुम सब अकारण ही लड़ते हो।)
🌴🌴
७) अहम् अकारणं न युध्ये ।
( मैं बिना कारण के नहीं लड़ता हूँ ।)
८) आवां यदा-कदा युध्यावहे अपि ।
(हम दोनों कभी-कभी लड़ते भी हैं।)
९) वयं देशहिताय युध्यामहे ।
(हम सब देशहित के लिये लड़ते हैं ।)
प्रश्नवाचकानि सप्तमीविभक्तेः
पञ्चवाक्यानि
🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺
🌻कस्मिन् माता स्निह्यति?
=मां किस से स्नेह करती है?
🌻कस्मिन् श्रीरामः स्निह्यति?
=श्रीराम किससे स्नेह करते हैं ?
🌻कस्मिन् काले भवान् आगतः?
=किस समय आप आए?
🌻कस्मिन् स्यूते फलानि सन्ति?
= किस थैले में फल हैं ?
🌻कस्मिन् विद्यालये पठसि?
तुम किस विद्यालय में पढ़ते हो?
👇क्त प्रत्यय👇
★अधि+इ--अधीतः★
•रामेण पुस्तकम् अधीतम्।
(राम के द्वारा पुस्तक पढ़ी गयी)
•कृष्णेन ग्रन्थः अधीतः।
(कृष्ण के द्वारा ग्रन्थ पढ़ा गया)
•मया भगवद्गीता अधीता।
(मेरे द्वारा भगवद्गीता पढ़ी गयी)
★अर्च्--अर्चितः★
•मात्रा भगवान् अर्चितः।
(माँ के द्वारा भगवान् की अर्चना की गयी)
•श्रीरामेण भगवती दुर्गा अर्चिता।
(श्रीराम के द्वारा भगवती दुर्गाजी की अर्चना की गयी)
•तेन शिवलिङ्गम् अर्चितम्।
(उसके द्वारा शिवलिङ्ग की अर्चना की गयी)
#vakyabhyas
युध्यते युध्येते युध्यन्ते
युध्यसे युध्येथे युध्वध्वे
युध्ये युध्यावहे युध्यामहे
🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷
१) सा युध्यते ।
(वह लड़ती है ।)
२) सिंहौ युध्येते ।
( दो शेर लड़ते हैं ।)
३) दुर्जनाः मिथः युध्यन्ते ।
( बुरे लोग आपस में लड़ते हैं ।)
🌴🌴
४) त्वं न युध्यसे ।
(तुम नहीं लड़ते हो ।)
५) युवां कथं युध्येथे ?
(तुम दोनों क्यों लड़ते हो ?)
६) यूयम् अकारणमेव युध्यध्वे ।
(तुम सब अकारण ही लड़ते हो।)
🌴🌴
७) अहम् अकारणं न युध्ये ।
( मैं बिना कारण के नहीं लड़ता हूँ ।)
८) आवां यदा-कदा युध्यावहे अपि ।
(हम दोनों कभी-कभी लड़ते भी हैं।)
९) वयं देशहिताय युध्यामहे ।
(हम सब देशहित के लिये लड़ते हैं ।)
प्रश्नवाचकानि सप्तमीविभक्तेः
पञ्चवाक्यानि
🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺
🌻कस्मिन् माता स्निह्यति?
=मां किस से स्नेह करती है?
🌻कस्मिन् श्रीरामः स्निह्यति?
=श्रीराम किससे स्नेह करते हैं ?
🌻कस्मिन् काले भवान् आगतः?
=किस समय आप आए?
🌻कस्मिन् स्यूते फलानि सन्ति?
= किस थैले में फल हैं ?
🌻कस्मिन् विद्यालये पठसि?
तुम किस विद्यालय में पढ़ते हो?
👇क्त प्रत्यय👇
★अधि+इ--अधीतः★
•रामेण पुस्तकम् अधीतम्।
(राम के द्वारा पुस्तक पढ़ी गयी)
•कृष्णेन ग्रन्थः अधीतः।
(कृष्ण के द्वारा ग्रन्थ पढ़ा गया)
•मया भगवद्गीता अधीता।
(मेरे द्वारा भगवद्गीता पढ़ी गयी)
★अर्च्--अर्चितः★
•मात्रा भगवान् अर्चितः।
(माँ के द्वारा भगवान् की अर्चना की गयी)
•श्रीरामेण भगवती दुर्गा अर्चिता।
(श्रीराम के द्वारा भगवती दुर्गाजी की अर्चना की गयी)
•तेन शिवलिङ्गम् अर्चितम्।
(उसके द्वारा शिवलिङ्ग की अर्चना की गयी)
#vakyabhyas
January 2, 2022
January 2, 2022
January 2, 2022
सङ्क्षेपरामायणम्
(महर्षिवाल्मीकिप्रणीत-रामायण-बालकाण्ड-प्रथमसर्ग-रूपम्)
मूलश्लोकः-67
तत: प्रीतमनास्ते न विश्वस्त: स: महाकपि:।
किष्किन्धां रामसहितो जगाम च गुहां तदा।। 67।।
श्लोकान्वयः -
तत: स महाकपि: तेन प्रीतमना: विश्वस्त:
च तदा रामसहित: किष्किधां गुहां जगाम।।67।।
हिन्दी-अनुवाद -
तब राम के बल से प्रसन्न तथा विश्वस्त सुग्रीव राम के साथ
अपनी राजधानी किष्किन्धा गुफा पर गया।।67।।
English Meaning
तत: thereafter, तेन by that act, प्रीतमना: well pleased, स महाकपि: that mighty monkey Sugriva, विश्वस्त: च was convinced, रामसहित: together with Rama, तदा then, गुहाम् a cave, किष्किन्धाम् city of Kishkindha, जगाम approached.
Pleased with Rama's action and convinced of his prowess he left thereafter with Rama he left for Kishkindha which was like a cave.
#SankshepaRamayanam
(महर्षिवाल्मीकिप्रणीत-रामायण-बालकाण्ड-प्रथमसर्ग-रूपम्)
मूलश्लोकः-67
तत: प्रीतमनास्ते न विश्वस्त: स: महाकपि:।
किष्किन्धां रामसहितो जगाम च गुहां तदा।। 67।।
श्लोकान्वयः -
तत: स महाकपि: तेन प्रीतमना: विश्वस्त:
च तदा रामसहित: किष्किधां गुहां जगाम।।67।।
हिन्दी-अनुवाद -
तब राम के बल से प्रसन्न तथा विश्वस्त सुग्रीव राम के साथ
अपनी राजधानी किष्किन्धा गुफा पर गया।।67।।
English Meaning
तत: thereafter, तेन by that act, प्रीतमना: well pleased, स महाकपि: that mighty monkey Sugriva, विश्वस्त: च was convinced, रामसहित: together with Rama, तदा then, गुहाम् a cave, किष्किन्धाम् city of Kishkindha, जगाम approached.
Pleased with Rama's action and convinced of his prowess he left thereafter with Rama he left for Kishkindha which was like a cave.
#SankshepaRamayanam
January 2, 2022
@samskrt_samvadah संलापशाला - A Samskrit Voicechat room.
Duration : 30 minutes only
Time : IST 11:00 AM 🕚
Topic : Truth.
(सत्यम्)
Date :3rd January 2022,
Monday
Please Join the voicechat on time.
😇 Please come prepared to discuss(कदा सत्यं वक्तव्यं कदा न वक्तव्यं, स्वस्य अनुभवः ,सत्येन कः लाभः हानि वा) in Sanskrit , If possible.
We are waiting for you.😇
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Duration : 30 minutes only
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Topic : Truth.
(सत्यम्)
Date :3rd January 2022,
Monday
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😇 Please come prepared to discuss(कदा सत्यं वक्तव्यं कदा न वक्तव्यं, स्वस्य अनुभवः ,सत्येन कः लाभः हानि वा) in Sanskrit , If possible.
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January 2, 2022
January 2, 2022
🍃
♦️suhRRinmitraaryudaasiinamadhyasthadveShyabandhuShu|
saadhuShvapi cha paapeShu samabuddhirvishiShyate||6.9||
⚜6.9 He who is of the same mind to the good-hearted, friends, enemies, the indifferent, the neutral, the hateful, the relatives, the righteous and the unrighteous, excels.
⚜।।6.9।। जो पुरुष सुहृद् मित्र शत्रु उदासीन मध्यस्थ द्वेषी और बान्धवों में तथा धर्मात्माओं में और पापियों में भी समान भाव वाला है वह श्रेष्ठ है।।
#geeta
सुहृन्मित्रार्युदासीनमध्यस्थद्वेष्यबन्धुषु।साधुष्वपि
च पापेषु समबुद्धिर्विशिष्यते
।।6.9।।♦️suhRRinmitraaryudaasiinamadhyasthadveShyabandhuShu|
saadhuShvapi cha paapeShu samabuddhirvishiShyate||6.9||
⚜6.9 He who is of the same mind to the good-hearted, friends, enemies, the indifferent, the neutral, the hateful, the relatives, the righteous and the unrighteous, excels.
⚜।।6.9।। जो पुरुष सुहृद् मित्र शत्रु उदासीन मध्यस्थ द्वेषी और बान्धवों में तथा धर्मात्माओं में और पापियों में भी समान भाव वाला है वह श्रेष्ठ है।।
#geeta
January 2, 2022
January 2, 2022
🍃
♦️yogii yu~njiita satatamaatmaanaM rahasi sthitaH|
ekaakii yatachittaatmaa niraashiiraparigrahaH||6.10||
⚜6.10 Let the Yogi try constantly to keep the mind steady, remaining in solitude, alone, with the mind and the body controlled, and free from hope and covetousness.
⚜।।6.10।। शरीर और मन को संयमित किया हुआ योगी एकान्त स्थान पर अकेला रहता हुआ आशा और परिग्रह से मुक्त होकर निरन्तर मन को आत्मा में स्थिर करे।।
#geeta
योगी युञ्जीत सततमात्मानं रहसि स्थितः।
एकाकी यतचित्तात्मा निराशीरपरिग्रहः
।।6.10।।♦️yogii yu~njiita satatamaatmaanaM rahasi sthitaH|
ekaakii yatachittaatmaa niraashiiraparigrahaH||6.10||
⚜6.10 Let the Yogi try constantly to keep the mind steady, remaining in solitude, alone, with the mind and the body controlled, and free from hope and covetousness.
⚜।।6.10।। शरीर और मन को संयमित किया हुआ योगी एकान्त स्थान पर अकेला रहता हुआ आशा और परिग्रह से मुक्त होकर निरन्तर मन को आत्मा में स्थिर करे।।
#geeta
January 2, 2022
https://youtu.be/U3Oyk-RWrH4
#VedicChanting
About the mantra:
The Ghosha Shanti mantra is usually recited in Soma Yagna and meant for world peace. It appeals for peace among all living beings and remedy for our mistakes committed knowingly or unknowingly in our life.
It is also recited during all auspicious occasions before starting the main ceremony.
You can feel the synchronisation of 3 voices, clarity of letters (Aksharas) and intonations (Swaras) as per the script, which is very pleasing to the ears. We are sure that this will leave you with goosebumps.
A small correction in the text at 7:33. It should be श्श॒त ञ्जी
#VedicChanting
About the mantra:
The Ghosha Shanti mantra is usually recited in Soma Yagna and meant for world peace. It appeals for peace among all living beings and remedy for our mistakes committed knowingly or unknowingly in our life.
It is also recited during all auspicious occasions before starting the main ceremony.
You can feel the synchronisation of 3 voices, clarity of letters (Aksharas) and intonations (Swaras) as per the script, which is very pleasing to the ears. We are sure that this will leave you with goosebumps.
A small correction in the text at 7:33. It should be श्श॒त ञ्जी
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Vedic Chant for World Peace | Ghosha Shanti | Shanti Mantra | Yajur Veda | Sri K. Suresh
The Ghosha Shanti is a
popular Shanti mantra from Krishna Yajur Veda; Taittiriya Aranyaka
7.42.1 and it is rendered by Sri Govind Prakash Ghanapati, Sri
Satyanarayana Bhat & Sri K. Suresh.
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January 2, 2022
🚩जय सत्य सनातन🚩
🚩आज की हिंदी तिथि
🌥 🚩यगाब्द-५१२३
🌥 🚩विक्रम संवत-२०७८
⛅️ 🚩तिथि - प्रतिपदा रात्रि ०८:३१ तक तत्पश्चात द्वितीया
⛅️ दिनांक - ०३ जनवरी २०२२
⛅️ दिन - सोमवार
⛅️ शक संवत -१९४३
⛅️ अयन - दक्षिणायन
⛅️ ऋतु - शिशिर
⛅️ मास - पौस
⛅️ पक्ष - शुक्ल
⛅️ नक्षत्र - पूर्वाषढा दोपहर ०१:३३ तक तत्पश्चात उत्तराषाढा
⛅️ योग - व्याघात ०४ जनवरी रात्रि ०१:२५ तक तत्पश्चात हर्षण
⛅️ राहुकाल - सुबह ०८:३८ से सुबह १०:०० तक
⛅️ सर्योदय - ०७:१७
⛅️ सर्यास्त - १८:०८
⛅️ दिशाशूल - पूर्व दिशा में
🚩आज की हिंदी तिथि
🌥 🚩यगाब्द-५१२३
🌥 🚩विक्रम संवत-२०७८
⛅️ 🚩तिथि - प्रतिपदा रात्रि ०८:३१ तक तत्पश्चात द्वितीया
⛅️ दिनांक - ०३ जनवरी २०२२
⛅️ दिन - सोमवार
⛅️ शक संवत -१९४३
⛅️ अयन - दक्षिणायन
⛅️ ऋतु - शिशिर
⛅️ मास - पौस
⛅️ पक्ष - शुक्ल
⛅️ नक्षत्र - पूर्वाषढा दोपहर ०१:३३ तक तत्पश्चात उत्तराषाढा
⛅️ योग - व्याघात ०४ जनवरी रात्रि ०१:२५ तक तत्पश्चात हर्षण
⛅️ राहुकाल - सुबह ०८:३८ से सुबह १०:०० तक
⛅️ सर्योदय - ०७:१७
⛅️ सर्यास्त - १८:०८
⛅️ दिशाशूल - पूर्व दिशा में
January 2, 2022
@samskrt_samvadah संलापशाला - A Samskrit Voicechat room.
Duration : 30 minutes only
Time : IST 11:00 AM 🕚
Topic : Truth.
(सत्यम्)
Date :3rd January 2022,
Monday
Please Join the voicechat on time.
😇 Please come prepared to discuss(कदा सत्यं वक्तव्यं कदा न वक्तव्यं, स्वस्य अनुभवः ,सत्येन कः लाभः हानि वा) in Sanskrit , If possible.
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Topic : Truth.
(सत्यम्)
Date :3rd January 2022,
Monday
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January 2, 2022
Forwarded from रामदूतः — The Sanskrit News Platform
Switch to DD News daily at 7:15 AM (Morning) for 15 minutes Sanskrit news.
https://youtu.be/0TJ_YIF-9Gw
https://youtu.be/0TJ_YIF-9Gw
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वार्ता: 15-18 आयुवर्ग के लिए टीकाकरण आज से शुरु | संस्कृत में समाचार
DD News is India’s
24x7 news channel from the stable of the country’s Public Service
Broadcaster, Prasar Bharati. It has the distinction of being India’s
only terrestrial cum satellite News Channel. Launched in 2003, DD News
has made a name for itself to…
January 2, 2022
January 2, 2022
January 2, 2022
January 2, 2022
January 3, 2022
January 3, 2022
((जॄ ४प वृद्ध होना))
१ •वृषभः अधुना जीर्यति।
(बैल अब वृद्ध हो रहा है)
२ •भवान् शीघ्रं न जीर्यतु ।
(आप जल्दी वृद्ध न हों)
३ •एषः तु अजीर्यत् ।
(यह तो वृद्ध हो गया)
४ •सा नैव जीर्येत् ।
(उसे वृद्ध नहीं होना चाहिये)
५ •कः कदापि न जरिष्यति?
(कौन कभी वृद्ध नहीं होगा?)
■कर्मवाच्य■
❁विद्यया न जीर्यते।
(विद्या के द्वारा वृद्ध नहीं हुआ जाता है)
श्रीमद्भगवद्गीतायाः
विभक्ति-वाक्यप्रयोगाः
"""""""""""""""""""""""""""""
१-)श्रीमद्भगवद्गीता एकः उत्तमग्रन्थः अस्ति ।
श्रीमद्भगवद्गीता नितरां ज्ञानदायिनी अस्ति।
२-)श्रीमद्भगवद्गीतां वयं पठाम ।
श्रीमद्भगवद्गीतां क्रीत्वा सः मित्राय अददात्।
३-)श्रीमद्भगवद्गीतया जीवनस्य समस्याः निवारयितुं शक्नुमः ।
श्रीमद्भगवद्गीतया हि अर्जुनः युद्धाय प्रेरितः अभवत्।
४-)श्रीमद्भगवद्गीतायै नमो नमः ।
श्रीमद्भगवद्गीतायै सः आपणं गतवान्।
५-)श्रीमद्भगवद्गीतायाः वयं बहूपयोगि ज्ञानं शिक्षामहे ।
श्रीमद्भगवद्गीतायाः अधिकं ज्ञानदायकं शास्त्रं किमस्ति?
६-)श्रीमद्भगवद्गीतायाः पठनं श्रवणं च द्वयमेव हितकरं भवति ।
श्रीमद्भगवद्गीतायाः ज्ञानं सुखेन जीवितुं शिक्षयति।
७-)श्रीमद्भगवद्गीतायां प्रमुखतः श्रीकृष्णार्जनयोः सम्वादाः सन्ति।
श्रीमद्भगवद्गीतायाम् अस्माकं महती श्रद्धा अस्ति ।
८-)हे श्रीमद्भगवद्गीते ! अस्मभ्यं सद्ज्ञानं प्रददातु!
हे श्रीमद्भगवद्गीते ! वयं सुखिनः भवाम।
प्रश्नवाचकानि सप्तमीविभक्तेः
पञ्चवाक्यानि
🥕🥕🥕🥕🥕🥕🥕🥕🥕🥕
🌻कस्मिन् समये भवती जागर्ति?
= किस समय आप जागती हैं ?
🌻कस्मिन् काले भवान् खादति?
= किस समय आप खाते हैं?
🌻कस्मिन् कार्ये भवान् कुशलः?
= किस कार्य में आप कुशल है ?
🌻कस्मिन् शास्त्रे राहुलः पण्डितः?
= किस शास्त्र में राहुल विद्वान् है?
🌻कस्मिन् स्थाने जलकूपी अस्ति?
= किस स्थान पर पानी का बोतल है?
#vakyabhyas
१ •वृषभः अधुना जीर्यति।
(बैल अब वृद्ध हो रहा है)
२ •भवान् शीघ्रं न जीर्यतु ।
(आप जल्दी वृद्ध न हों)
३ •एषः तु अजीर्यत् ।
(यह तो वृद्ध हो गया)
४ •सा नैव जीर्येत् ।
(उसे वृद्ध नहीं होना चाहिये)
५ •कः कदापि न जरिष्यति?
(कौन कभी वृद्ध नहीं होगा?)
■कर्मवाच्य■
❁विद्यया न जीर्यते।
(विद्या के द्वारा वृद्ध नहीं हुआ जाता है)
श्रीमद्भगवद्गीतायाः
विभक्ति-वाक्यप्रयोगाः
"""""""""""""""""""""""""""""
१-)श्रीमद्भगवद्गीता एकः उत्तमग्रन्थः अस्ति ।
श्रीमद्भगवद्गीता नितरां ज्ञानदायिनी अस्ति।
२-)श्रीमद्भगवद्गीतां वयं पठाम ।
श्रीमद्भगवद्गीतां क्रीत्वा सः मित्राय अददात्।
३-)श्रीमद्भगवद्गीतया जीवनस्य समस्याः निवारयितुं शक्नुमः ।
श्रीमद्भगवद्गीतया हि अर्जुनः युद्धाय प्रेरितः अभवत्।
४-)श्रीमद्भगवद्गीतायै नमो नमः ।
श्रीमद्भगवद्गीतायै सः आपणं गतवान्।
५-)श्रीमद्भगवद्गीतायाः वयं बहूपयोगि ज्ञानं शिक्षामहे ।
श्रीमद्भगवद्गीतायाः अधिकं ज्ञानदायकं शास्त्रं किमस्ति?
६-)श्रीमद्भगवद्गीतायाः पठनं श्रवणं च द्वयमेव हितकरं भवति ।
श्रीमद्भगवद्गीतायाः ज्ञानं सुखेन जीवितुं शिक्षयति।
७-)श्रीमद्भगवद्गीतायां प्रमुखतः श्रीकृष्णार्जनयोः सम्वादाः सन्ति।
श्रीमद्भगवद्गीतायाम् अस्माकं महती श्रद्धा अस्ति ।
८-)हे श्रीमद्भगवद्गीते ! अस्मभ्यं सद्ज्ञानं प्रददातु!
हे श्रीमद्भगवद्गीते ! वयं सुखिनः भवाम।
प्रश्नवाचकानि सप्तमीविभक्तेः
पञ्चवाक्यानि
🥕🥕🥕🥕🥕🥕🥕🥕🥕🥕
🌻कस्मिन् समये भवती जागर्ति?
= किस समय आप जागती हैं ?
🌻कस्मिन् काले भवान् खादति?
= किस समय आप खाते हैं?
🌻कस्मिन् कार्ये भवान् कुशलः?
= किस कार्य में आप कुशल है ?
🌻कस्मिन् शास्त्रे राहुलः पण्डितः?
= किस शास्त्र में राहुल विद्वान् है?
🌻कस्मिन् स्थाने जलकूपी अस्ति?
= किस स्थान पर पानी का बोतल है?
#vakyabhyas
January 3, 2022
January 3, 2022
January 3, 2022
सङ्क्षेपरामायणम्
(महर्षिवाल्मीकिप्रणीत-रामायण-बालकाण्ड-प्रथमसर्ग-रूपम्)
मूलश्लोकः-68
ततोऽगर्जद्धरिवर: सुग्रीवो हेमपिङ्गल:।
तेन नादेन महता निर्जगाम हरीश्वर:।। 68।।
श्लोकान्वयः -
तत: हेमपिङ्गल: हरिवर: सुग्रीव: अगर्जत्
तेन महता नादेन हरीश्वर: (बाली) निर्जगाम।।68।।
हिन्दी-अनुवाद -
तब राम के बल से उत्साहित वह सुग्रीव गर्जना करने लगा।
उसकी महती गर्जना को सुनकर वालि गुफा से बाहर आ गया।।68।।
English Meaning
तत: then, हरिवर: best of monkeys, हेमपिङ्गल: yellowish hued like gold, सुग्रीव: Sugriva, अगर्जत् roared, तेन महता with great, नादेन voice, हरीश्वर: lord of monkeys (Vali), निर्जगाम came out.
On entering the city of Kishkindha, Sugriva the best of monkeys of reddish yellow hue roared with a great voice. There upon Vali, the lord of monkeys came out (of the cave).
#SankshepaRamayanam
(महर्षिवाल्मीकिप्रणीत-रामायण-बालकाण्ड-प्रथमसर्ग-रूपम्)
मूलश्लोकः-68
ततोऽगर्जद्धरिवर: सुग्रीवो हेमपिङ्गल:।
तेन नादेन महता निर्जगाम हरीश्वर:।। 68।।
श्लोकान्वयः -
तत: हेमपिङ्गल: हरिवर: सुग्रीव: अगर्जत्
तेन महता नादेन हरीश्वर: (बाली) निर्जगाम।।68।।
हिन्दी-अनुवाद -
तब राम के बल से उत्साहित वह सुग्रीव गर्जना करने लगा।
उसकी महती गर्जना को सुनकर वालि गुफा से बाहर आ गया।।68।।
English Meaning
तत: then, हरिवर: best of monkeys, हेमपिङ्गल: yellowish hued like gold, सुग्रीव: Sugriva, अगर्जत् roared, तेन महता with great, नादेन voice, हरीश्वर: lord of monkeys (Vali), निर्जगाम came out.
On entering the city of Kishkindha, Sugriva the best of monkeys of reddish yellow hue roared with a great voice. There upon Vali, the lord of monkeys came out (of the cave).
#SankshepaRamayanam
January 3, 2022
@samskrt_samvadah संलापशाला - A Samskrit Voicechat room.
Duration : 30 minutes only
Time : IST 11:00 AM 🕚
Topic : Journey.
(यात्रा)
Date : 4thJanuary 2022,
Tuesday
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😇 Please come prepared to discuss(यात्रा समये किं ध्यातव्यम् ,कथं यात्रा कर्तव्या, कुत्र यात्रा करणीया) in Sanskrit , If possible.
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Topic : Journey.
(यात्रा)
Date : 4thJanuary 2022,
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January 3, 2022
January 3, 2022
🍃
♦️shuchau deshe pratiShThaapya sthiramaasanamaatmanaH|
naatyuchChritaM naatiniichaM chailaajinakushottaram||6.11||
⚜6.11 In a clean spot, having established a firm seat of his own, neither too high nor too low, made of a cloth, a skin and Kusa-grass, one over the other.
⚜।।6.11।। शुद्ध (स्वच्छ) भूमि में कुश मृगशाला और उस पर वस्त्र रखा हो ऐसे अपने आसन को न अति ऊँचा और न अति नीचा स्थिर स्थापित करके৷৷.।।
#geeta
शुचौ देशे प्रतिष्ठाप्य स्थिरमासनमात्मनः।
नात्युच्छ्रितं नातिनीचं चैलाजिनकुशोत्तरम्
।।6.11।।♦️shuchau deshe pratiShThaapya sthiramaasanamaatmanaH|
naatyuchChritaM naatiniichaM chailaajinakushottaram||6.11||
⚜6.11 In a clean spot, having established a firm seat of his own, neither too high nor too low, made of a cloth, a skin and Kusa-grass, one over the other.
⚜।।6.11।। शुद्ध (स्वच्छ) भूमि में कुश मृगशाला और उस पर वस्त्र रखा हो ऐसे अपने आसन को न अति ऊँचा और न अति नीचा स्थिर स्थापित करके৷৷.।।
#geeta
January 3, 2022
January 3, 2022
🍃
♦️tatraikaagraM manaH kRRitvaa yatachittendriyakriyaH|
upavishyaasane yu~njyaadyogamaatmavishuddhaye||6.12||
⚜6.12 There, having made the mind one-pointed, with the actions of the mind and the senses controlled, let him, seated on the seat, practise Yoga for the purification of the self.
⚜।।6.12।। वहाँ (आसन में बैठकर) मन को एकाग्र करके चित्त और इन्द्रियों की क्रियाओं को वश में किये हुये आत्मशुद्धि के लिए योग का अभ्यास करे।।
#geeta
तत्रैकाग्रं मनः कृत्वा यतचित्तेन्द्रियक्रियः।
उपविश्यासने युञ्ज्याद्योगमात्मविशुद्धये
।।6.12।।♦️tatraikaagraM manaH kRRitvaa yatachittendriyakriyaH|
upavishyaasane yu~njyaadyogamaatmavishuddhaye||6.12||
⚜6.12 There, having made the mind one-pointed, with the actions of the mind and the senses controlled, let him, seated on the seat, practise Yoga for the purification of the self.
⚜।।6.12।। वहाँ (आसन में बैठकर) मन को एकाग्र करके चित्त और इन्द्रियों की क्रियाओं को वश में किये हुये आत्मशुद्धि के लिए योग का अभ्यास करे।।
#geeta
January 3, 2022
🚩जय सत्य सनातन🚩
🚩आज की हिंदी तिथि
🌥️ 🚩युगाब्द-५१२३
🌥️ 🚩विक्रम संवत-२०७८
⛅ 🚩तिथि - द्वितीया शाम ०५:१९ तक तत्पश्चात तृतीया
⛅ दिनांक - ०४ जनवरी २०२२
⛅ दिन - मंगलवार
⛅ शक संवत -१९४३
⛅ अयन - दक्षिणायन
⛅ ऋतु - शिशिर
⛅ मास - पौस
⛅ पक्ष - शुक्ल
⛅ नक्षत्र - उत्तराषाढा सुबह १०:५७ तक तत्पश्चात श्रवण
⛅ योग - हर्षण रात्रि ०९:३८ तक तत्पश्चात वज्र
⛅ राहुकाल - शाम ०३:२७ से शाम ०४:४९ तक
⛅ सूर्योदय - ०७:१८
⛅ सूर्यास्त - १८:०९
⛅ दिशाशूल - उत्तर दिशा में
🚩आज की हिंदी तिथि
🌥️ 🚩युगाब्द-५१२३
🌥️ 🚩विक्रम संवत-२०७८
⛅ 🚩तिथि - द्वितीया शाम ०५:१९ तक तत्पश्चात तृतीया
⛅ दिनांक - ०४ जनवरी २०२२
⛅ दिन - मंगलवार
⛅ शक संवत -१९४३
⛅ अयन - दक्षिणायन
⛅ ऋतु - शिशिर
⛅ मास - पौस
⛅ पक्ष - शुक्ल
⛅ नक्षत्र - उत्तराषाढा सुबह १०:५७ तक तत्पश्चात श्रवण
⛅ योग - हर्षण रात्रि ०९:३८ तक तत्पश्चात वज्र
⛅ राहुकाल - शाम ०३:२७ से शाम ०४:४९ तक
⛅ सूर्योदय - ०७:१८
⛅ सूर्यास्त - १८:०९
⛅ दिशाशूल - उत्तर दिशा में
January 3, 2022
@samskrt_samvadah संलापशाला - A Samskrit Voicechat room.
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(यात्रा)
Date : 4thJanuary 2022,
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(यात्रा)
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January 3, 2022
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https://youtu.be/pQOKyymYqos
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January 3, 2022
January 3, 2022
January 3, 2022
January 3, 2022
January 4, 2022
१-साशूकः = कम्बल]
🌷सा साशूकं परिवपति ।
(वह कम्बल ओढ़ती है।)
२-सिंहलम् = जस्ता]
🌷सिंहलस्य पात्रे भोजनं न पक्तव्यम् ।
(जस्ते के बर्तन में भोजन नहीं पकाना चाहिये।)
३-सिञ्जा = आभूषणों की झनकार]
🌷सा रात्रौ सिञ्जाम् अशृणोत् ।
(उसने रात में आभूषणों झनकार सुनी।)
४-सितम् = चाँदी , चन्दन , मूली]
🌷सः ललाटे सितस्य तिलकं लेपयति ।
(वह माथे पर चन्दन का तिलक लगाता है।)
५-सिध्मा = ददोरा , कोढ़,कोढ़ का दाग]
🌷मशकानां दशनेन देहे सिध्माः जाताः ।
(मच्छरों के काटने से शरीर पर ददोरे हो गये।)
प्रश्नवाचकानि सप्तमीविभक्तेः
पञ्चवाक्यानि
🥕🥕🥕🥕🥕🥕🥕🥕🥕🥕
🌻कस्मिन् तव स्नेहः आसीत्?
= किस पर तुम्हारा सेह था ?
🌻कस्मिन् विषये तस्य आसक्तिः?
= किस विषय से उसका लगाव है ?
🌻कस्मिन् फले अस्य अभिलाषः?
= इसे किस फल की इच्छा है ?
🌻कस्मिन् समये भूमौ सः सीदति?
= किस समय वह धरा पर बैठता है ?
🌻कस्मिन् नगरे तव वासः अस्ति?
= किस शहर में तुम्हारा वास है ?
((ब्रू कहना))
परस्मैपदी
ब्रवीति ब्रूतः ब्रुवन्ति
(आह आहतुः आहुः)
ब्रवीषि ब्रूथः ब्रूथ
(आत्थ आहथुः)
ब्रवीमि ब्रूवः ब्रूमः
↓↓आत्मनेपदी↓↓
ब्रूते ब्रुवाते ब्रुवते
ब्रूषे ब्रुवाथे ब्रूध्वे
ब्रुवे ब्रूवहे ब्रूमहे
🌞🌞 वाक्यप्रयोगाः 🌻🌻
★प्रथमपुरुषः--
१-)भवती मृषां ब्रूते(आह)।
२-)इमौ असत्यं ब्रुवाते ।
३-)ते बालकाः सत्यं ब्रुवन्ति ।
★मध्यमपुरुषः--
४-)त्वं किं ब्रवीषि ?
५-)युवां किञ्चित् ब्रुवाथे ।
६-)यूयं रामराम ब्रूध्वे ।
★उत्तमपुरुषः--
७-)अहं खादनार्थं ब्रुवे ।
८-)आवां तं वक्तुं ब्रूवहे ।
९-)वयं गाम् अम्बां ब्रूमः ।
#vakyabhyas
🌷सा साशूकं परिवपति ।
(वह कम्बल ओढ़ती है।)
२-सिंहलम् = जस्ता]
🌷सिंहलस्य पात्रे भोजनं न पक्तव्यम् ।
(जस्ते के बर्तन में भोजन नहीं पकाना चाहिये।)
३-सिञ्जा = आभूषणों की झनकार]
🌷सा रात्रौ सिञ्जाम् अशृणोत् ।
(उसने रात में आभूषणों झनकार सुनी।)
४-सितम् = चाँदी , चन्दन , मूली]
🌷सः ललाटे सितस्य तिलकं लेपयति ।
(वह माथे पर चन्दन का तिलक लगाता है।)
५-सिध्मा = ददोरा , कोढ़,कोढ़ का दाग]
🌷मशकानां दशनेन देहे सिध्माः जाताः ।
(मच्छरों के काटने से शरीर पर ददोरे हो गये।)
प्रश्नवाचकानि सप्तमीविभक्तेः
पञ्चवाक्यानि
🥕🥕🥕🥕🥕🥕🥕🥕🥕🥕
🌻कस्मिन् तव स्नेहः आसीत्?
= किस पर तुम्हारा सेह था ?
🌻कस्मिन् विषये तस्य आसक्तिः?
= किस विषय से उसका लगाव है ?
🌻कस्मिन् फले अस्य अभिलाषः?
= इसे किस फल की इच्छा है ?
🌻कस्मिन् समये भूमौ सः सीदति?
= किस समय वह धरा पर बैठता है ?
🌻कस्मिन् नगरे तव वासः अस्ति?
= किस शहर में तुम्हारा वास है ?
((ब्रू कहना))
परस्मैपदी
ब्रवीति ब्रूतः ब्रुवन्ति
(आह आहतुः आहुः)
ब्रवीषि ब्रूथः ब्रूथ
(आत्थ आहथुः)
ब्रवीमि ब्रूवः ब्रूमः
↓↓आत्मनेपदी↓↓
ब्रूते ब्रुवाते ब्रुवते
ब्रूषे ब्रुवाथे ब्रूध्वे
ब्रुवे ब्रूवहे ब्रूमहे
🌞🌞 वाक्यप्रयोगाः 🌻🌻
★प्रथमपुरुषः--
१-)भवती मृषां ब्रूते(आह)।
२-)इमौ असत्यं ब्रुवाते ।
३-)ते बालकाः सत्यं ब्रुवन्ति ।
★मध्यमपुरुषः--
४-)त्वं किं ब्रवीषि ?
५-)युवां किञ्चित् ब्रुवाथे ।
६-)यूयं रामराम ब्रूध्वे ।
★उत्तमपुरुषः--
७-)अहं खादनार्थं ब्रुवे ।
८-)आवां तं वक्तुं ब्रूवहे ।
९-)वयं गाम् अम्बां ब्रूमः ।
#vakyabhyas
January 4, 2022
January 4, 2022
January 4, 2022
सङ्क्षेपरामायणम्
(महर्षिवाल्मीकिप्रणीत-रामायण-बालकाण्ड-प्रथमसर्ग-रूपम्)
मूलश्लोकः-69
अनुमान्य तदा तारां सुग्रीवेण समागत:।
निजघान च तत्रैनं शरेणैकेन राघव:।। 69।।
श्लोकान्वयः -
तदा वाली ताराम् अनुमान्य सुग्रीवेण (योद्धुं) समागत:।
राघव: च एनं तत्र एकेन शरेण निजघान।।69।।
हिन्दी-अनुवाद -
सुग्रीव की गर्जना सुनकर अपनी पत्नी तारा को समझाकर वालि गुफा से बाहर आया।
राम ने अपने एक ही बाण से वालि का वध कर दिया।।69।।
English Meaning
तदा then, ताराम् Tara (Vali's wife), अनुमान्य having convinced, सुग्रीवेण Sugriva, समागत: joined (entered into a combat), राघव: Raghava, तत्र there, एनम् him, एकेन with one, शरेण च single shaft, निजघान killed.
After convincing his wife Tara, who was dissuading from this, Vali entered into a combat with Sugriva. There, Rama killed Vali with a single shaft.
#SankshepaRamayanam
(महर्षिवाल्मीकिप्रणीत-रामायण-बालकाण्ड-प्रथमसर्ग-रूपम्)
मूलश्लोकः-69
अनुमान्य तदा तारां सुग्रीवेण समागत:।
निजघान च तत्रैनं शरेणैकेन राघव:।। 69।।
श्लोकान्वयः -
तदा वाली ताराम् अनुमान्य सुग्रीवेण (योद्धुं) समागत:।
राघव: च एनं तत्र एकेन शरेण निजघान।।69।।
हिन्दी-अनुवाद -
सुग्रीव की गर्जना सुनकर अपनी पत्नी तारा को समझाकर वालि गुफा से बाहर आया।
राम ने अपने एक ही बाण से वालि का वध कर दिया।।69।।
English Meaning
तदा then, ताराम् Tara (Vali's wife), अनुमान्य having convinced, सुग्रीवेण Sugriva, समागत: joined (entered into a combat), राघव: Raghava, तत्र there, एनम् him, एकेन with one, शरेण च single shaft, निजघान killed.
After convincing his wife Tara, who was dissuading from this, Vali entered into a combat with Sugriva. There, Rama killed Vali with a single shaft.
#SankshepaRamayanam
January 4, 2022
@samskrt_samvadah संलापशाला - A Samskrit Voicechat room.
Duration : 30 minutes only
Time : IST 11:00 AM 🕚
Topic : Ayodhya Ram mandir.
(अयोध्या-राममन्दिरम्)
Date : 5thJanuary 2022,
Wednesday
Please Join the voicechat on time.
😇 Please come prepared to discuss(राममन्दिरेण सम्बद्धा घटना, मन्दिरस्य का आवश्यकता अस्ति, मन्दिरस्य भव्यता।) in Sanskrit , If possible.
We are waiting for you.😇
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Topic : Ayodhya Ram mandir.
(अयोध्या-राममन्दिरम्)
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January 4, 2022
January 4, 2022
🍃
♦️samaM kaayashirogriivaM dhaarayannachalaM sthiraH|
saMprekShya naasikaagraM svaM dishashchaanavalokayan||6.13||
⚜6.13 Let him firmly hold his body, head and neck erect and still, gazing at the tip of his nose, without looking around.
⚜।।6.13।। काया सिर और ग्रीवा को समान और अचल धारण किये हुए स्थिर होकर अपनी नासिका के अग्र भाग को देखकर अन्य दिशाओं को न देखता हुआ।।
#geeta
समं कायशिरोग्रीवं धारयन्नचलं स्थिरः।
संप्रेक्ष्य नासिकाग्रं स्वं दिशश्चानवलोकयन्
।।6.13।।♦️samaM kaayashirogriivaM dhaarayannachalaM sthiraH|
saMprekShya naasikaagraM svaM dishashchaanavalokayan||6.13||
⚜6.13 Let him firmly hold his body, head and neck erect and still, gazing at the tip of his nose, without looking around.
⚜।।6.13।। काया सिर और ग्रीवा को समान और अचल धारण किये हुए स्थिर होकर अपनी नासिका के अग्र भाग को देखकर अन्य दिशाओं को न देखता हुआ।।
#geeta
January 4, 2022
January 4, 2022
🍃
♦️prashaantaatmaa vigatabhiirbrahmachaarivrate sthitaH|
manaH saMyamya machchitto yukta aasiita matparaH||6.14||
⚜6.14 Serene-minded, fearless, firm in the vow of a Brahmachari, having controlled the mind, thinking of Me and balanced in mind, let him sit, having Me as his supreme goal.
⚜।।6.14।। (साधक को) प्रशान्त अन्तकरण निर्भय और ब्रह्मचर्य ब्रत में स्थित होकर मन को संयमित करके चित्त को मुझमें लगाकर मुझे ही परम लक्ष्य समझकर बैठना चाहिए।।
#geeta
प्रशान्तात्मा विगतभीर्ब्रह्मचारिव्रते स्थितः।
मनः संयम्य मच्चित्तो युक्त आसीत मत्परः
।।6.14।।♦️prashaantaatmaa vigatabhiirbrahmachaarivrate sthitaH|
manaH saMyamya machchitto yukta aasiita matparaH||6.14||
⚜6.14 Serene-minded, fearless, firm in the vow of a Brahmachari, having controlled the mind, thinking of Me and balanced in mind, let him sit, having Me as his supreme goal.
⚜।।6.14।। (साधक को) प्रशान्त अन्तकरण निर्भय और ब्रह्मचर्य ब्रत में स्थित होकर मन को संयमित करके चित्त को मुझमें लगाकर मुझे ही परम लक्ष्य समझकर बैठना चाहिए।।
#geeta
January 4, 2022
https://youtu.be/Kyn6EvhmpYw
#VedicChanting
Meaning/Commentary of this Mantra:
Strong Horses: The speedy horses show their strength (Teevran) with the Chariot (Rathebhi:) by neighing loudly and raising the dust from their strong hooves (Vrushapaanaya:). Without deviating from their path, (Anapavyayanta:) they will trample the enemy with their forefeet and kill them mercilessly.
#VedicChanting
Meaning/Commentary of this Mantra:
Strong Horses: The speedy horses show their strength (Teevran) with the Chariot (Rathebhi:) by neighing loudly and raising the dust from their strong hooves (Vrushapaanaya:). Without deviating from their path, (Anapavyayanta:) they will trample the enemy with their forefeet and kill them mercilessly.
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Vedic Chant to ACHIEVE your Targets | Theevraan Ghoshaan | Ghana Patha | Yajur Veda | K Suresh
The Vedic Chant - Theevraan Ghoshaan - in Ghana Patha form is rendered by Sri Govind Prakash Ghanapati & Sri K. Suresh.
This Mantra appear in 4th Kaanda, 6th Prasna and 6th Anuvaka of Krishna Yajur Veda - Taittireeya Samhita. This Mantra is also appearing…
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January 4, 2022
🚩जय सत्य सनातन🚩
🚩आज की हिंदी तिथि
🌥️ 🚩युगाब्द-५१२३
🌥️ 🚩विक्रम संवत-२०७८
⛅ 🚩तिथि - तृतीया दोपहर ०२:३४ तक तत्पश्चात चतुर्थी
⛅ दिनांक - ०५ जनवरी २०२२
⛅ दिन - बुधवार
⛅ शक संवत -१९४३
⛅ अयन - दक्षिणायन
⛅ ऋतु - शिशिर
⛅ मास - पौस
⛅ पक्ष - शुक्ल
⛅ नक्षत्र - श्रवण सुबह ०८:४६ तक तत्पश्चात धनिष्ठा
⛅ योग - वज्र शाम ०६:१५ तक तत्पश्चात सिध्दि
⛅ राहुकाल - दोपहर १२:४४ से दोपहर ०२:०६ तक
⛅ सूर्योदय - ०७:१८
⛅ सूर्यास्त - १८:०९
⛅ दिशाशूल - उत्तर दिशा में
🚩आज की हिंदी तिथि
🌥️ 🚩युगाब्द-५१२३
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⛅ अयन - दक्षिणायन
⛅ ऋतु - शिशिर
⛅ मास - पौस
⛅ पक्ष - शुक्ल
⛅ नक्षत्र - श्रवण सुबह ०८:४६ तक तत्पश्चात धनिष्ठा
⛅ योग - वज्र शाम ०६:१५ तक तत्पश्चात सिध्दि
⛅ राहुकाल - दोपहर १२:४४ से दोपहर ०२:०६ तक
⛅ सूर्योदय - ०७:१८
⛅ सूर्यास्त - १८:०९
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January 4, 2022
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Topic : Ayodhya Ram mandir.
(अयोध्या-राममन्दिरम्)
Date : 5thJanuary 2022,
Wednesday
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Topic : Ayodhya Ram mandir.
(अयोध्या-राममन्दिरम्)
Date : 5thJanuary 2022,
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January 4, 2022
January 4, 2022
Forwarded from रामदूतः — The Sanskrit News Platform
Switch to DD News daily at 7:15 AM (Morning) for 15 minutes Sanskrit news.
https://youtu.be/YigJW50h8Jw
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वार्ता: पीएम मोदी का पंजाब दौरा आज व संस्कृत में देखिए अन्य समाचार
DD News is India’s
24x7 news channel from the stable of the country’s Public Service
Broadcaster, Prasar Bharati. It has the distinction of being India’s
only terrestrial cum satellite News Channel. Launched in 2003, DD News
has made a name for itself to…
January 4, 2022
January 4, 2022
January 4, 2022
कासां निर्माणं भवति।
Anonymous Quiz
40%
कुण्डलिकासाम्
41%
कुण्डलिकानाम्
11%
कुण्डलिकेषाम्
7%
कुण्डलनाम्
January 5, 2022
January 5, 2022
January 5, 2022
संस्कृत संवादः । Sanskrit Samvadah
👉🏼पूर्व भाग👈🏼
संस्कृतं वद आधुनिको भव। वेदान् पठ वैज्ञानिको भव।। पाठ (२) प्रथमा
विभक्ति = गतिवैविध्यम् (विविध गतियां) कर्त्तृवाच्य में कर्त्ता (=क्रिया
को करनेवाला) कारक में प्रथमा विभक्ति होती है यथा- सर्पः सर्पति। •
सांप सरकता है। कीटः रिंगति। •…
संस्कृतं वद आधुनिको भव।
वेदान् पठ वैज्ञानिको भव।।
पाठ (३) प्रथमा विभक्ति = शब्दसौंदर्यम् (शब्दसौंदर्य)
कर्त्तृवाच्य में कर्त्ता (=क्रिया को करनेवाला) कारक में प्रथमा विभक्ति होती है यथा-
शब्दः शब्दयति।
• शब्द बोल रहा है।
श्वानः / शुनी श्वनति।
• कुत्ता / कुतिया भौंकता / भौंकती है।
भषी / भषः भषति।
• कुत्ता / कुतिया भौंकता / भौंकती है।
शुनकः / शुनकी बुक्कति।
• कुत्ता / कुतिया भौंकता / भौंकती है।
गर्दभः / गर्दभी गर्दति।
• गधा / गधी रेंकता / रेंकती है।
रासभः रासते।
• गधा रेंकता है।
गर्दभः ह्रेषते।
• गधा रेंकता है।
अश्वः ह्रेषते।
• घोड़ा हिनहिनाता है।
हेषी ह्रेषते।
• घोड़ी हिनहिनाती है।
रेभः / हस्ती रेभते।
• हाथी चिंघाड़ता है।
गजः गजति।
• हाथी चिंघाड़ता है।
गजवः गजन्ति।
• कंगन बज रहे हैं।
सिंहः गर्जति।
• शेर गरजता है।
मेघाः गर्जन्ति।
• मेघ (काले बादल) गरजते हैं।
मक्षिकाः गुञ्जन्ति।
• मक्खियां भिनभिना रही हैं।
भ्रमरः गुञ्जति।
• भौंरा गुजन कर रहा है।
शब्दः गुञ्जति।
• शब्द गूंज रहा है।
कपोतः गोजति / गुजति।
• कबूतर गुटरगूँ करता है।
नायकः गुञ्जति।
• अभिनेता सीटी बजा रहा है।
वाष्पस्थाली गुञ्जति।
• कूकर सीटी बजा रहा है।
दुष्टा म्रुञ्जति।
• दुष्ट महिला गाली बक रही है।
निन्दकः निन्दति / म्रुजति।
• निन्दक निन्दा करता है।
पठिता पठति।
• पाठक पढ़ता है।
छात्रः भणति।
• विद्यार्थी पढ़ता है।
रणवीरः रणति।
• योद्धा ललकार रहा है।
रोगी कणति।
• रोगी कष्ट से कराह रहा है।
माला केणति।
• माला चिढ़ाती है।
कुणपः कुणति / कोणति।
• दुष्ट / चांडाल झगड़ता है।
चणकः चणति।
• चना बज रहा है। (बंद डिब्बे में चने रख हिलाने पर होने वाली आवाज)
धणः धणति।
• गाय-भैस का समूह आवाज कर रहा है।
वणः / सम्मर्दः वणति।
• भीड़ / मानव समुदाय शोर मचा रहा है।
#vakyabhyas
वेदान् पठ वैज्ञानिको भव।।
पाठ (३) प्रथमा विभक्ति = शब्दसौंदर्यम् (शब्दसौंदर्य)
कर्त्तृवाच्य में कर्त्ता (=क्रिया को करनेवाला) कारक में प्रथमा विभक्ति होती है यथा-
शब्दः शब्दयति।
• शब्द बोल रहा है।
श्वानः / शुनी श्वनति।
• कुत्ता / कुतिया भौंकता / भौंकती है।
भषी / भषः भषति।
• कुत्ता / कुतिया भौंकता / भौंकती है।
शुनकः / शुनकी बुक्कति।
• कुत्ता / कुतिया भौंकता / भौंकती है।
गर्दभः / गर्दभी गर्दति।
• गधा / गधी रेंकता / रेंकती है।
रासभः रासते।
• गधा रेंकता है।
गर्दभः ह्रेषते।
• गधा रेंकता है।
अश्वः ह्रेषते।
• घोड़ा हिनहिनाता है।
हेषी ह्रेषते।
• घोड़ी हिनहिनाती है।
रेभः / हस्ती रेभते।
• हाथी चिंघाड़ता है।
गजः गजति।
• हाथी चिंघाड़ता है।
गजवः गजन्ति।
• कंगन बज रहे हैं।
सिंहः गर्जति।
• शेर गरजता है।
मेघाः गर्जन्ति।
• मेघ (काले बादल) गरजते हैं।
मक्षिकाः गुञ्जन्ति।
• मक्खियां भिनभिना रही हैं।
भ्रमरः गुञ्जति।
• भौंरा गुजन कर रहा है।
शब्दः गुञ्जति।
• शब्द गूंज रहा है।
कपोतः गोजति / गुजति।
• कबूतर गुटरगूँ करता है।
नायकः गुञ्जति।
• अभिनेता सीटी बजा रहा है।
वाष्पस्थाली गुञ्जति।
• कूकर सीटी बजा रहा है।
दुष्टा म्रुञ्जति।
• दुष्ट महिला गाली बक रही है।
निन्दकः निन्दति / म्रुजति।
• निन्दक निन्दा करता है।
पठिता पठति।
• पाठक पढ़ता है।
छात्रः भणति।
• विद्यार्थी पढ़ता है।
रणवीरः रणति।
• योद्धा ललकार रहा है।
रोगी कणति।
• रोगी कष्ट से कराह रहा है।
माला केणति।
• माला चिढ़ाती है।
कुणपः कुणति / कोणति।
• दुष्ट / चांडाल झगड़ता है।
चणकः चणति।
• चना बज रहा है। (बंद डिब्बे में चने रख हिलाने पर होने वाली आवाज)
धणः धणति।
• गाय-भैस का समूह आवाज कर रहा है।
वणः / सम्मर्दः वणति।
• भीड़ / मानव समुदाय शोर मचा रहा है।
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January 5, 2022
January 5, 2022
सङ्क्षेपरामायणम्
(महर्षिवाल्मीकिप्रणीत-रामायण-बालकाण्ड-प्रथमसर्ग-रूपम्)
मूलश्लोकः-70
तत: सुग्रीववचनाद्धत्वा वालिनमाहवे ।
सुग्रीवमेव तद्राज्ये राघव: प्रत्यपादयत्।।70।।
श्लोकान्वयः -
तत: राघव: सुग्रीववचनात् आहवे वालिनं हत्वा
तद्राज्ये सुग्रीवम् एव प्रत्यपादयत्।।70।।
हिन्दी-अनुवाद -
सुग्रीव के आग्रह वचनों को सुनकर राम ने युद्ध में वाली को मारकर
उसके छोटे भाई सुग्रीव को ही किष्किन्धा के सिंहासन पर बैठाया।।70।।
English Meaning
राघव: Rama, सुग्रीववचनात् in compliance with the words of Sugriva, वालिनम् Vali, आहवे in the battle, हत्वा having killed, तत: thereafter, तद्राज्ये in that kingdom of Vali, सुग्रीवमेव Sugriva itself, प्रत्यपादयत् proposed (installed).
After he killed Vali in the combat in compliance with the words of Sugriva, Rama installed Sugriva as king.
#SankshepaRamayanam
(महर्षिवाल्मीकिप्रणीत-रामायण-बालकाण्ड-प्रथमसर्ग-रूपम्)
मूलश्लोकः-70
तत: सुग्रीववचनाद्धत्वा वालिनमाहवे ।
सुग्रीवमेव तद्राज्ये राघव: प्रत्यपादयत्।।70।।
श्लोकान्वयः -
तत: राघव: सुग्रीववचनात् आहवे वालिनं हत्वा
तद्राज्ये सुग्रीवम् एव प्रत्यपादयत्।।70।।
हिन्दी-अनुवाद -
सुग्रीव के आग्रह वचनों को सुनकर राम ने युद्ध में वाली को मारकर
उसके छोटे भाई सुग्रीव को ही किष्किन्धा के सिंहासन पर बैठाया।।70।।
English Meaning
राघव: Rama, सुग्रीववचनात् in compliance with the words of Sugriva, वालिनम् Vali, आहवे in the battle, हत्वा having killed, तत: thereafter, तद्राज्ये in that kingdom of Vali, सुग्रीवमेव Sugriva itself, प्रत्यपादयत् proposed (installed).
After he killed Vali in the combat in compliance with the words of Sugriva, Rama installed Sugriva as king.
#SankshepaRamayanam
January 5, 2022
@samskrt_samvadah संलापशाला - A Samskrit Voicechat room.
Duration : 30 minutes only
Time : IST 11:00 AM 🕚
Topic : My student life.
(मम विद्यार्थीजीवनम्। )
Date : 6thJanuary 2022,
Thursday.
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Topic : My student life.
(मम विद्यार्थीजीवनम्। )
Date : 6thJanuary 2022,
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January 5, 2022
January 5, 2022
🍃
♦️yu~njannevaM sadaa''tmaanaM yogii niyatamaanasaH|
shaantiM nirvaaNaparamaaM matsaMsthaamadhigachChati||6.15||
⚜6.15 Thus always keeping the mind balanced, the Yogi, with the mind controlled, attains to the peace abiding in Me, which culminates in liberation.
⚜।।6.15।। इस प्रकार सदा मन को स्थिर करने का प्रयास करता हुआ संयमित मन का योगी मुझमें स्थित परम निर्वाण (मोक्ष) स्वरूप शांति को प्राप्त होता है।।
#geeta
युञ्जन्नेवं सदाऽऽत्मानं योगी नियतमानसः।
शान्तिं निर्वाणपरमां मत्संस्थामधिगच्छति
।।6.15।।♦️yu~njannevaM sadaa''tmaanaM yogii niyatamaanasaH|
shaantiM nirvaaNaparamaaM matsaMsthaamadhigachChati||6.15||
⚜6.15 Thus always keeping the mind balanced, the Yogi, with the mind controlled, attains to the peace abiding in Me, which culminates in liberation.
⚜।।6.15।। इस प्रकार सदा मन को स्थिर करने का प्रयास करता हुआ संयमित मन का योगी मुझमें स्थित परम निर्वाण (मोक्ष) स्वरूप शांति को प्राप्त होता है।।
#geeta
January 5, 2022
January 5, 2022
🍃
♦️naatyashnatastu yogo'sti na chaikaantamanashnataH|
na chaatisvapnashiilasya jaagrato naiva chaarjuna||6.16||
⚜6.16 Verily Yoga is not possible for him who eats too much, nor for him who does not eat at all, nor for him who sleeps too much, nor for him who is (always) awake, O Arjuna.
⚜।।6.16।। परन्तु हे अर्जुन यह योग उस पुरुष के लिए सम्भव नहीं होता जो अधिक खाने वाला है या बिल्कुल न खाने वाला है तथा जो अधिक सोने वाला है या सदा जागने वाला है।।
#geeta
नात्यश्नतस्तु योगोऽस्ति न चैकान्तमनश्नतः।
न चातिस्वप्नशीलस्य जाग्रतो नैव चार्जुन
।।6.16।। ♦️naatyashnatastu yogo'sti na chaikaantamanashnataH|
na chaatisvapnashiilasya jaagrato naiva chaarjuna||6.16||
⚜6.16 Verily Yoga is not possible for him who eats too much, nor for him who does not eat at all, nor for him who sleeps too much, nor for him who is (always) awake, O Arjuna.
⚜।।6.16।। परन्तु हे अर्जुन यह योग उस पुरुष के लिए सम्भव नहीं होता जो अधिक खाने वाला है या बिल्कुल न खाने वाला है तथा जो अधिक सोने वाला है या सदा जागने वाला है।।
#geeta
January 5, 2022
https://youtu.be/RElFLPyjorM
#VedicChanting
About this Mantra:
This Mantra appears in the 25th Adhyaaya of Sukla Yajur Veda (Kaanva Saakha). These Mantras will give the benefit of "Protection of Wealth, Prosperity and Happiness in Life" and is recited in all auspicious occasions.
PECULIARITY in reciting Ghana Patha of Sukla Yajur Veda:
You can observe, the Dheerga svarita is also indicated by single svarita mark unlike Taittiriya Sakha of Krishna Yajur Veda. Further "Gm k " symbol is pronounced as "Gs" in this Saakha. While reciting Ghana Patha, the reverse order of the words, will be changed to "Pada Paatha" form, which complicates the Ghana recitation further. We have given the text in Devanagari with svara markings as per Kaanva Saakha of Sukla Yajur Veda.
#VedicChanting
About this Mantra:
This Mantra appears in the 25th Adhyaaya of Sukla Yajur Veda (Kaanva Saakha). These Mantras will give the benefit of "Protection of Wealth, Prosperity and Happiness in Life" and is recited in all auspicious occasions.
PECULIARITY in reciting Ghana Patha of Sukla Yajur Veda:
You can observe, the Dheerga svarita is also indicated by single svarita mark unlike Taittiriya Sakha of Krishna Yajur Veda. Further "Gm k " symbol is pronounced as "Gs" in this Saakha. While reciting Ghana Patha, the reverse order of the words, will be changed to "Pada Paatha" form, which complicates the Ghana recitation further. We have given the text in Devanagari with svara markings as per Kaanva Saakha of Sukla Yajur Veda.
YouTube
POWERFUL Mantra for Wealth | Ganaanaan Tva | Kanva Shaka | Sukla Yajur Veda | Ghana Patha | K Suresh
The Ghana Patha of
the Vedic Chant - Ganaanaatva from Sukla Yajur Veda (Kanwa Shaka) is
rendered by Sri K. Suresh and Sri Sreenivasa Ghanapatigal.
--------------------------------------------------------
Order the book - A Brief History of Vedas (India):…
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Order the book - A Brief History of Vedas (India):…
January 5, 2022
[In reply to संस्कृत संवादः (Sanskrit Samvadah)]
@samskrt_samvadah is starting Narayaneeyam Classes.
विषय — नारायणीयं गायनं (How to recite Narayaneeyam)
शिक्षिका — ललिता विश्वनाथन्
Time — 9AM🕘 (Indian time)
Date —6th January, Thursday (Every Thursday)
Please come with hard copy or soft copy of Narayaneeyam on time.
Set a reminder.
https://t.me/samskrt_samvadah?voicechat
@samskrt_samvadah is starting Narayaneeyam Classes.
विषय — नारायणीयं गायनं (How to recite Narayaneeyam)
शिक्षिका — ललिता विश्वनाथन्
Time — 9AM🕘 (Indian time)
Date —6th January, Thursday (Every Thursday)
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January 5, 2022
Forwarded from संस्कृत संवादः । Sanskrit Samvadah (Bhavani Raman)
Narayaneeyam.pdf
338.6 KB
Narayaneeyam
January 5, 2022
January 5, 2022
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Topic : My student life.
(मम विद्यार्थीजीवनम्। )
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(मम विद्यार्थीजीवनम्। )
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January 5, 2022
January 5, 2022
January 5, 2022
January 5, 2022
*🚩जय सत्य सनातन🚩*
*🚩आज की हिंदी तिथि*
🌥️ *🚩युगाब्द-५१२३*
🌥️ *🚩विक्रम संवत-२०७८*
⛅ *🚩तिथि - चतुर्थी दोपहर १२:२९ तक तत्पश्चात पंचमी*
⛅ *दिनांक - ०६ जनवरी २०२२*
⛅ *दिन - गुरुवार*
⛅ *शक संवत -१९४३*
⛅ *अयन - दक्षिणायन*
⛅ *ऋतु - शिशिर*
⛅ *मास - पौस*
⛅ *पक्ष - शुक्ल*
⛅ *नक्षत्र - शतभिषा ०७ जनवरी सुबह ०६:२१ तक तत्पश्चात पूर्व भाद्रपद*
⛅ *योग - सिद्धि शाम ०३:२५ तक तत्पश्चात व्यतिपात*
⛅ *राहुकाल - दोपहर ०२:०६ से शाम ०३:२८ तक*
⛅ *सूर्योदय - ०७:१८*
⛅ *सूर्यास्त - १८:१०*
⛅ *दिशाशूल - दक्षिण दिशा में*
*🚩आज की हिंदी तिथि*
🌥️ *🚩युगाब्द-५१२३*
🌥️ *🚩विक्रम संवत-२०७८*
⛅ *🚩तिथि - चतुर्थी दोपहर १२:२९ तक तत्पश्चात पंचमी*
⛅ *दिनांक - ०६ जनवरी २०२२*
⛅ *दिन - गुरुवार*
⛅ *शक संवत -१९४३*
⛅ *अयन - दक्षिणायन*
⛅ *ऋतु - शिशिर*
⛅ *मास - पौस*
⛅ *पक्ष - शुक्ल*
⛅ *नक्षत्र - शतभिषा ०७ जनवरी सुबह ०६:२१ तक तत्पश्चात पूर्व भाद्रपद*
⛅ *योग - सिद्धि शाम ०३:२५ तक तत्पश्चात व्यतिपात*
⛅ *राहुकाल - दोपहर ०२:०६ से शाम ०३:२८ तक*
⛅ *सूर्योदय - ०७:१८*
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January 5, 2022
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वार्ता: संस्कृत में समाचार | देश में ओमीक्रॉन के कुल मामलों की संख्या 2,135 हुई
January 5, 2022
January 5, 2022
January 5, 2022
04:45 कः समयः?
Anonymous Quiz
4%
पादोनचतुर्वादनम्
3%
सपादचतुर्वादनम्
89%
पादोनपञ्चवादनम्
4%
सपादपञ्चवादनम्
January 6, 2022
संस्कृत संवादः । Sanskrit Samvadah
संस्कृतं
वद आधुनिको भव। वेदान् पठ वैज्ञानिको भव।। पाठ (३) प्रथमा विभक्ति =
शब्दसौंदर्यम् (शब्दसौंदर्य) कर्त्तृवाच्य में कर्त्ता (=क्रिया को
करनेवाला) कारक में प्रथमा विभक्ति होती है यथा- शब्दः शब्दयति। • शब्द
बोल रहा है। श्वानः / शुनी श्वनति। • कुत्ता…
फणी फणति।
• सांप फुत्कारता है।
वीणा क्वणति।
• वीणा बज रही है।
कोऽपि ध्वनति।
• कोई बोल रहा है।
शब्दः प्रतिध्वनति।
• शब्द प्रतिध्वनित (इको) हो रहा है।
मनुष्यः वदति।
• आदमी बोल रहा है।
वक्ता वक्ति।
• वक्ता बोलता है।
प्रवक्त्री प्रवक्ति।
• प्रवाचिका प्रवचन करती है।
उपदेशकः उपदिशति।
• उपदेशक उपदेश कर रहा है।
मोजी मोजति।
• मनमौजी मौज कर रहा है / गुनगुना रहा है।
परिहासी परिहसति।
• मजाकिया मजाक कर रहा है।
जल्पी जल्पति।
• गप्पी गपशप कर रहा है।
वावदूकः वावदीति।
• बातूनी खूब बातें बना रहा है।
वाचालः लपति / लालपीति।
• बकवादी बकवास कर रहा है।
भक्तः जपति।
• भक्त ईश्वरनाम का जप कर रहा है।
अन्तेवासिनी रटति।
• छात्रा रट रही है / कण्ठस्थ कर रही है।
हठिनी रटति।
• जिद्दी बालिका किसी बात पर जिद कर रही है।
गायिका गायति।
• गायिका गा रही है।
गाथिका गाथयति।
• कथावाचिका कथा सुना रही है।
कथाकारः कथयति।
• कथाकार कथा सुना रहा है।
छिन्नसंशयः कायति।
• जिसका संशय दूर हो गया है, वह व्यक्ति (संशय दूर करने वाले की) प्रशंसा करता है।
स्तोता स्तौति।
• स्तुति करने वाला स्तुति करता है।
प्रशंसकः प्रशंसते।
• प्रशंसा करने वाला प्रशंसा कर रहा है।
कविः कवते।
• कवि कविता करता है।
लेखकः लिखति।
• लेखक लिखता है।
सभाध्यक्षः उद्गिरति।
• सभाध्यक्ष अपने उद्गार व्यक्त करता है।
बहुभोजी / घस्मरः उद्गिरति।
• खाऊराम डकार दे रहा है।
तेकः तेकते।
• डकारने वाला डकार रहा है।
स्थूलः नासते।
• मोटा व्यक्ति खर्राटे भरता है।
बालः हिक्कति।
• बच्चा हिचकी ले रहा है।
नूपुरः निनदति।
• पायल बज रही है।
नदी नदति।
• नदी कल-कल आवाज करती बहती है।
घण्टिका घण्टयति।
• घण्टिका बज रही है।
माणवकः पटपटायते / पटपटायति।
• बालक किसी वस्तु से पटपट ऐसी ध्वनि करता है।
जलं टपटपायते / टपटपायति।
• पानी की टपटप ध्वनि सुनाई दे रही है।
घटी / घटिका टनटनायते / टनटनायति।
• घड़ी टनटन बज रही है।
आसन्दिका ठकठकायते / ठकठकायति।
• कुर्सी ठकठक बज रही है।
ज्वलत् काष्ठं चटचटायते / चटचटायति।
• जलती लकड़ी चटचट आवाज कर रही है।
मूषिका खटपटायते / खटपटायति।
• चुहिया खटपट कर रही है।
आगन्तुकः खटखटायते / खटखटायति।
• आगन्तुक दरवाजा खटखटा रहा है।
बकः / वरटः बकबकायते / बकबकायति।
• बगुला / बत्तख बकबक ऐसी आवाज करता है।
काकः काकायते / काकायति।
• कौआ कांव-कांव करता है।
घोटकः हिनहिनायति / हिनहिनायते।
• घोड़ा हिनहिनाता है।
मक्षिका भिनभिनायते / भिनभिनायति।
• मक्खी भिनभिना रही है।
मशकः गुनगुनायते / गुनगुनायति।
• मच्छर गुनगुना रहा है।
कुक्कटः कुक्कायते / कुक्कायति।
• मुर्गा बांग दे रहा है।
चटका चींचायते / चींचायति।
• चिड़िया चीं-चीं कर रही है।
मूषकः चूंचायते / चूंचायति।
• चूहा चूं-चूं कर रहा है।
कोकिलः कूजति।
• कोयल बोलती है।
वयांसि वाश्यन्ते।
• पक्षी कलरव कर रहे हैं।
खगाः कलन्ते।
• पक्षी कलरव कर रहे हैं।
वाशिः वाश्यन्ते।
• अग्नि धू-धू कर जल रही है।
#vakyabhyas
• सांप फुत्कारता है।
वीणा क्वणति।
• वीणा बज रही है।
कोऽपि ध्वनति।
• कोई बोल रहा है।
शब्दः प्रतिध्वनति।
• शब्द प्रतिध्वनित (इको) हो रहा है।
मनुष्यः वदति।
• आदमी बोल रहा है।
वक्ता वक्ति।
• वक्ता बोलता है।
प्रवक्त्री प्रवक्ति।
• प्रवाचिका प्रवचन करती है।
उपदेशकः उपदिशति।
• उपदेशक उपदेश कर रहा है।
मोजी मोजति।
• मनमौजी मौज कर रहा है / गुनगुना रहा है।
परिहासी परिहसति।
• मजाकिया मजाक कर रहा है।
जल्पी जल्पति।
• गप्पी गपशप कर रहा है।
वावदूकः वावदीति।
• बातूनी खूब बातें बना रहा है।
वाचालः लपति / लालपीति।
• बकवादी बकवास कर रहा है।
भक्तः जपति।
• भक्त ईश्वरनाम का जप कर रहा है।
अन्तेवासिनी रटति।
• छात्रा रट रही है / कण्ठस्थ कर रही है।
हठिनी रटति।
• जिद्दी बालिका किसी बात पर जिद कर रही है।
गायिका गायति।
• गायिका गा रही है।
गाथिका गाथयति।
• कथावाचिका कथा सुना रही है।
कथाकारः कथयति।
• कथाकार कथा सुना रहा है।
छिन्नसंशयः कायति।
• जिसका संशय दूर हो गया है, वह व्यक्ति (संशय दूर करने वाले की) प्रशंसा करता है।
स्तोता स्तौति।
• स्तुति करने वाला स्तुति करता है।
प्रशंसकः प्रशंसते।
• प्रशंसा करने वाला प्रशंसा कर रहा है।
कविः कवते।
• कवि कविता करता है।
लेखकः लिखति।
• लेखक लिखता है।
सभाध्यक्षः उद्गिरति।
• सभाध्यक्ष अपने उद्गार व्यक्त करता है।
बहुभोजी / घस्मरः उद्गिरति।
• खाऊराम डकार दे रहा है।
तेकः तेकते।
• डकारने वाला डकार रहा है।
स्थूलः नासते।
• मोटा व्यक्ति खर्राटे भरता है।
बालः हिक्कति।
• बच्चा हिचकी ले रहा है।
नूपुरः निनदति।
• पायल बज रही है।
नदी नदति।
• नदी कल-कल आवाज करती बहती है।
घण्टिका घण्टयति।
• घण्टिका बज रही है।
माणवकः पटपटायते / पटपटायति।
• बालक किसी वस्तु से पटपट ऐसी ध्वनि करता है।
जलं टपटपायते / टपटपायति।
• पानी की टपटप ध्वनि सुनाई दे रही है।
घटी / घटिका टनटनायते / टनटनायति।
• घड़ी टनटन बज रही है।
आसन्दिका ठकठकायते / ठकठकायति।
• कुर्सी ठकठक बज रही है।
ज्वलत् काष्ठं चटचटायते / चटचटायति।
• जलती लकड़ी चटचट आवाज कर रही है।
मूषिका खटपटायते / खटपटायति।
• चुहिया खटपट कर रही है।
आगन्तुकः खटखटायते / खटखटायति।
• आगन्तुक दरवाजा खटखटा रहा है।
बकः / वरटः बकबकायते / बकबकायति।
• बगुला / बत्तख बकबक ऐसी आवाज करता है।
काकः काकायते / काकायति।
• कौआ कांव-कांव करता है।
घोटकः हिनहिनायति / हिनहिनायते।
• घोड़ा हिनहिनाता है।
मक्षिका भिनभिनायते / भिनभिनायति।
• मक्खी भिनभिना रही है।
मशकः गुनगुनायते / गुनगुनायति।
• मच्छर गुनगुना रहा है।
कुक्कटः कुक्कायते / कुक्कायति।
• मुर्गा बांग दे रहा है।
चटका चींचायते / चींचायति।
• चिड़िया चीं-चीं कर रही है।
मूषकः चूंचायते / चूंचायति।
• चूहा चूं-चूं कर रहा है।
कोकिलः कूजति।
• कोयल बोलती है।
वयांसि वाश्यन्ते।
• पक्षी कलरव कर रहे हैं।
खगाः कलन्ते।
• पक्षी कलरव कर रहे हैं।
वाशिः वाश्यन्ते।
• अग्नि धू-धू कर जल रही है।
#vakyabhyas
January 6, 2022
January 6, 2022
"शिरस्त्राणस्य अनिवार्यता कारणेन घटिता घटना"
एकदा कश्चन गृहं प्रत्यागतवान् तस्य शिरस्त्राणस्य काचः रक्तवर्णीयः आसीत् युतकमपि रक्तवर्णीयमासीत् तदा तादृशं तं दृष्ट्वा गृहसदस्याः भीताः जाताः पृष्टवन्तः च - किमभवत् भोः अपघातः जातः अथवा पतितः कुत्रचित्।
सः - न , तथा किमपि नास्ति, तत्तु शिरस्त्राणं धारणस्य अभ्यासः नास्ति खलु तस्मात् ताम्बूलं ष्ठीवनसमये विस्मृतवान् यत् शिरस्त्राणं धृतवान् अस्मि। 😂😁
" सर्वदा शिरस्त्राणं धरन्तु धारयन्तु च"
#hasya
एकदा कश्चन गृहं प्रत्यागतवान् तस्य शिरस्त्राणस्य काचः रक्तवर्णीयः आसीत् युतकमपि रक्तवर्णीयमासीत् तदा तादृशं तं दृष्ट्वा गृहसदस्याः भीताः जाताः पृष्टवन्तः च - किमभवत् भोः अपघातः जातः अथवा पतितः कुत्रचित्।
सः - न , तथा किमपि नास्ति, तत्तु शिरस्त्राणं धारणस्य अभ्यासः नास्ति खलु तस्मात् ताम्बूलं ष्ठीवनसमये विस्मृतवान् यत् शिरस्त्राणं धृतवान् अस्मि। 😂😁
" सर्वदा शिरस्त्राणं धरन्तु धारयन्तु च"
#hasya
January 6, 2022
सङ्क्षेपरामायणम्
(महर्षिवाल्मीकिप्रणीत-रामायण-बालकाण्ड-प्रथमसर्ग-रूपम्)
मूलश्लोकः-71
स च सर्वान् समानीय वानरान् वानरर्षभ:।
दिश: प्रस्थापयामास दिदृक्षुर्जनकात्मजाम्।।71।
श्लोकान्वयः -
स: च वानरर्षभ: जनकात्मजां दिदृक्षु:
सर्वान् वानरान् समानीय दिश: प्रस्थापयामास।।71।।
हिन्दी-अनुवाद -
अपने राज्याभिषेक के अनन्तर कपिश्रेष्ठ सुग्रीव ने जानकी कहाँ है इसका पता लगाने के लिए
विभिन्न दिशाओं में स्थित बन्दरों को बुलाकर चारों तरफ भेज दिया।।71।।
English Meaning
स: वानरर्षभ: च the best of monkeys, Sugriva, जनकात्मजाम् Janaka's daughter, Sita, दिदृक्षु: desirous of seeing, सर्वान् all, वानरान् monkey forces, समानीय after summoning, दिश: in various directions, प्रस्थापयामास despatched.
The best of monkeys (Sugriva) gathered his monkey forces and despatched them in various directions in search of Janaka's daughter (Sita).
#SankshepaRamayanam
(महर्षिवाल्मीकिप्रणीत-रामायण-बालकाण्ड-प्रथमसर्ग-रूपम्)
मूलश्लोकः-71
स च सर्वान् समानीय वानरान् वानरर्षभ:।
दिश: प्रस्थापयामास दिदृक्षुर्जनकात्मजाम्।।71।
श्लोकान्वयः -
स: च वानरर्षभ: जनकात्मजां दिदृक्षु:
सर्वान् वानरान् समानीय दिश: प्रस्थापयामास।।71।।
हिन्दी-अनुवाद -
अपने राज्याभिषेक के अनन्तर कपिश्रेष्ठ सुग्रीव ने जानकी कहाँ है इसका पता लगाने के लिए
विभिन्न दिशाओं में स्थित बन्दरों को बुलाकर चारों तरफ भेज दिया।।71।।
English Meaning
स: वानरर्षभ: च the best of monkeys, Sugriva, जनकात्मजाम् Janaka's daughter, Sita, दिदृक्षु: desirous of seeing, सर्वान् all, वानरान् monkey forces, समानीय after summoning, दिश: in various directions, प्रस्थापयामास despatched.
The best of monkeys (Sugriva) gathered his monkey forces and despatched them in various directions in search of Janaka's daughter (Sita).
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January 6, 2022
January 6, 2022
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@samskrt_samvadah संलापशाला - A Samskrit Voicechat room.
Duration : 30 minutes only
Time : IST 11:00 AM 🕚
Topic : Favorite stotra.
(प्रियं स्तोत्रम्)
Date : 7thJanuary 2022,
Friday.
Please Join the voicechat on time.
😇 Please come prepared to discuss (प्रियं स्तोत्रं किम् अस्ति तथा किमर्थम् अस्ति, तस्य भावं वदन्तु। )in Sanskrit , If possible.
We are waiting for you.😇
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January 6, 2022
January 6, 2022
🍃
♦️yuktaahaaravihaarasya yuktacheShTasya karmasu|
yuktasvapnaavabodhasya yogo bhavati duHkhahaa||6.17||
⚜6.17 Yoga becomes the destroyer of pain for him who is moderate in eating and recreation (such as walking, etc.), who is moderate in exertion in actions, who is moderate in sleep and wakefulness.
⚜।।6.17।। उस पुरुष के लिए योग दुखनाशक होता है जो युक्त आहार और विहार करने वाला है यथायोग्य चेष्टा करने वाला है और परिमित शयन और जागरण करने वाला है।।
#geeta
युक्ताहारविहारस्य युक्तचेष्टस्य कर्मसु।
युक्तस्वप्नावबोधस्य योगो भवति दुःखहा
।।6.17।। ♦️yuktaahaaravihaarasya yuktacheShTasya karmasu|
yuktasvapnaavabodhasya yogo bhavati duHkhahaa||6.17||
⚜6.17 Yoga becomes the destroyer of pain for him who is moderate in eating and recreation (such as walking, etc.), who is moderate in exertion in actions, who is moderate in sleep and wakefulness.
⚜।।6.17।। उस पुरुष के लिए योग दुखनाशक होता है जो युक्त आहार और विहार करने वाला है यथायोग्य चेष्टा करने वाला है और परिमित शयन और जागरण करने वाला है।।
#geeta
January 6, 2022
🚩जय सत्य सनातन🚩
🚩आज की हिंदी तिथि
🌥️ 🚩युगाब्द-५१२३
🌥️ 🚩विक्रम संवत-२०७८
⛅ 🚩तिथि - पंचमी सुबह 11:10 तक तत्पश्चात षष्ठी
⛅ दिनांक - 07 जनवरी 2022
⛅ दिन - शुक्रवार
⛅ शक संवत -1943
⛅ अयन - दक्षिणायन
⛅ ऋतु - शिशिर
⛅ मास - पौस
⛅ पक्ष - शुक्ल
⛅ नक्षत्र - पूर्व्र भाद्रपद 08 जनवरी सुबह 06:20 तक तत्पश्चात उत्तर भाद्रपद
⛅ योग - व्यतिपात दोपहर 01:12 तक तत्पश्चात वरीयान
⛅ राहुकाल - सुबह 11:23 से दोपहर 12:45 तक
⛅ सूर्योदय - 07:18
⛅ सूर्यास्त - 18:11
⛅ दिशाशूल - पश्चिम दिशा में
🚩आज की हिंदी तिथि
🌥️ 🚩युगाब्द-५१२३
🌥️ 🚩विक्रम संवत-२०७८
⛅ 🚩तिथि - पंचमी सुबह 11:10 तक तत्पश्चात षष्ठी
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⛅ शक संवत -1943
⛅ अयन - दक्षिणायन
⛅ ऋतु - शिशिर
⛅ मास - पौस
⛅ पक्ष - शुक्ल
⛅ नक्षत्र - पूर्व्र भाद्रपद 08 जनवरी सुबह 06:20 तक तत्पश्चात उत्तर भाद्रपद
⛅ योग - व्यतिपात दोपहर 01:12 तक तत्पश्चात वरीयान
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January 6, 2022
January 6, 2022
🍃
♦️yadaa viniyataM chittamaatmanyevaavatiShThate|
niHspRRihaH sarvakaamebhyo yukta ityuchyate tadaa||6.18||
⚜6.18 When the perfectly controlled mind rests in the Self only, free from longing for all the objects of desires, then it is said, 'He is united'.
⚜।।6.18।। जब पूर्ण रूप से वश में किया हुआ चित्त आत्मा में ही स्थित होता है तब समस्त विषयों से स्पृहारहित हुआ पुरुष युक्त कहा जाता है।।
#geeta
यदा विनियतं चित्तमात्मन्येवावतिष्ठते।
निःस्पृहः सर्वकामेभ्यो युक्त इत्युच्यते तदा
।।6.18।। ♦️yadaa viniyataM chittamaatmanyevaavatiShThate|
niHspRRihaH sarvakaamebhyo yukta ityuchyate tadaa||6.18||
⚜6.18 When the perfectly controlled mind rests in the Self only, free from longing for all the objects of desires, then it is said, 'He is united'.
⚜।।6.18।। जब पूर्ण रूप से वश में किया हुआ चित्त आत्मा में ही स्थित होता है तब समस्त विषयों से स्पृहारहित हुआ पुरुष युक्त कहा जाता है।।
#geeta
January 6, 2022
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वार्ता: संस्कृत में समाचार | पीएम की सुरक्षा में हुई चूक पर जांच कमेटी तीन दिन में रिपोर्ट देगी
DD News is India’s
24x7 news channel from the stable of the country’s Public Service
Broadcaster, Prasar Bharati. It has the distinction of being India’s
only terrestrial cum satellite News Channel. Launched in 2003, DD News
has made a name for itself to…
January 6, 2022
January 6, 2022
January 6, 2022
January 6, 2022
January 7, 2022
संस्कृत संवादः । Sanskrit Samvadah
फणी
फणति। • सांप फुत्कारता है। वीणा क्वणति। • वीणा बज रही है।
कोऽपि ध्वनति। • कोई बोल रहा है। शब्दः प्रतिध्वनति। • शब्द
प्रतिध्वनित (इको) हो रहा है। मनुष्यः वदति। • आदमी बोल रहा है।
वक्ता वक्ति। • वक्ता बोलता है। प्रवक्त्री प्रवक्ति।…
संस्कृतं वद आधुनिको भव।
वेदान् पठ वैज्ञानिको भव।।
पाठ (४) द्वितीया विभक्तिः (१)
कर्त्तृवाच्य (एक्टिव वॉइस) में कर्म (=क्रिया की निष्पत्ति में कर्त्ता को अत्यन्त अभीष्ट वस्तु) कारक में द्वितीया विभक्ति होती है यथा-
इन्द्रः राज्यम् इन्दति।
• राजा राज्य पर शासन करता है।
वस्त्रस्त्रसेवकः वस्त्रस्त्रं सीव्यति।
• दर्जी कपड़े सिल रहा है।
पितृव्या कन्थां कन्थति।
• चाची गुदड़ी सिल रही है।
माता दधि मथ्नाति।
• मां दही मथ रही है।
चिन्तकः चित्तं मथ्नाति / मन्थति।
• विचारक खूब विचार-विमर्श (मन्थन) कर रहा है।
मथनी दधि मथ्नाति।
• मथनी दही बिलो रही है।
पिता मृतपुत्रं शोचति / शोकति।
• पिता मृतपुत्र का शोक कर रहा है।
सेविका तण्डुलान् शोधति।
• सेविका चावल साफ कर रही है।
शोधकः त्रुटीः संशोधयति।
• शोधक (प्रुफ रीडर) गलतियां छांट रहा है।
ईश्वरः अस्मान् शुन्धति।
• ईश्वर हमें पवित्र कर रहा है।
ज्ञानं मनः शुच्यति / शुच्यते।
• ज्ञान मन को शुद्ध करता है।
स्वसा भाण्डानि मार्जयति।
• बहन पात्रों को मांज रही है।
वसुधा वस्त्रास्त्राणि प्रक्षालयति।
• वसुधा कपड़े धो रही है।
पितृस्वसा प्राङ्गणं सम्मार्जयति।
• बुआ आंगन बुहार रही है।
मातृष्वसा गृहं / गेहं सम्मार्ष्टि।
• मौसी घर बुहार रही है।
पविता बुद्धिं पुनाति।
• पवित्र ईश्वर बुद्धि को निर्मल करता है।
पवनः वातावरणं पवते।
• वायु वातावरण को शुद्ध करती है।
अग्निहोत्रं गृहं पवित्रयति।
• हवन घर को पवित्र करता है।
सत्यं चित्तं पवित्रीकरोति।
• सत्य चित्त को पवित्र करता है।
भोजभूरित्वम् (भोज सम्बन्धित विविध क्रियाएं)
भवति किं चर्वति?
• आप क्या चबा रही हैं?
अहं भूचणकान् चबामि।
• मैं मूंगफली चबा रही/रहा हूँ।
इयं बालिका जंबीररसं पिबति।
• यह बच्ची नींबूपानी पी रही है।
ज्वरितः गुलिकां निगलति।
• रुग्ण गोली खा रहा है।
सा बाला आम्रं चूषति।
• वह लड़की आम चूस रही है।
इमे किशोर्यौ शष्कुलीः खादतः।
• ये दोनों किशोरियाँ पूड़ियाँ खा रही हैं।
इमाः कन्याः अवलेहम् अवलिहन्ति।
• ये कन्याएँ चटनी चाट रही हैं।
इमौ किशोरौ शाल्यपूपान् अत्तः।
• ये दोनों किशोर डोसे खा रहे हैं।
इमे कुमाराः वाष्पापूपान् अश्नन्ति।
• ये सब कुमार इडली खा रहे हैं।
पितामहः कृसरां / कृशरां भुङ्क्ते।
• दादाजी खिचड़ी खा रहे हैं।
पितामही गुलाबजामुनानि जमति।
• दादी गुलाबजामुन खा रही है।
मातामहः चायं आचमनति।
• नाना चाय की चुस्कियाँ ले रहे हैं।
मातामही रोटिकां ग्रसति।
• नानी एक-एक ग्रास रोटी खा रही है।
महिषी घासं घसति।
• भैंस घास खा रही है।
बलिवर्दः घासं चरति।
• बैल घास चर रहा है।
वत्सा तृणानि तृणति।
• बछड़ी तिनके खा रही है।
गौः चवितं रोमन्थायते।
• गाय खाए हुए की जुगाली कर रही है।
चटका अन्नकणान् उञ्छति।
• चिड़िया दाने (अन्नकण) चुग रही है।
माता तण्डुलान् उञ्छति।
• माँ चावल बीन रही है।
भक्षकः भक्ष्यं भक्षति।
• भोजनभट्ट भोजन चट कर रहा है।
अद्मरः लप्सिकां स्वदते।
• खाऊ लप्सी को स्वाद लेकर खा रहा है।
पाचिका सूपं आस्वादयति / आस्वदते।
• पाचिका दाल चख रही है।
शिशुः मोदकं आस्वादयति / आस्वदते।
• छोटा बच्चा लड्डू थोड़ा सा खा रहा है।
अतिथयः आम्ररसं रसयति।
• अतिथि आम्ररस खा रहे हैं।
भ्रमरः / द्विरेफः पुष्पं रसयति।
• भौंरा फूल का मकरंद पी रहा है।
तुण्डिलः / तुन्दिलः भोजनं तुण्डति।
• तोंदवाला (पेटू) भोजन चुराकर खाता है।
इति भोजभूरित्वम्
#vakyabhyas
वेदान् पठ वैज्ञानिको भव।।
पाठ (४) द्वितीया विभक्तिः (१)
कर्त्तृवाच्य (एक्टिव वॉइस) में कर्म (=क्रिया की निष्पत्ति में कर्त्ता को अत्यन्त अभीष्ट वस्तु) कारक में द्वितीया विभक्ति होती है यथा-
इन्द्रः राज्यम् इन्दति।
• राजा राज्य पर शासन करता है।
वस्त्रस्त्रसेवकः वस्त्रस्त्रं सीव्यति।
• दर्जी कपड़े सिल रहा है।
पितृव्या कन्थां कन्थति।
• चाची गुदड़ी सिल रही है।
माता दधि मथ्नाति।
• मां दही मथ रही है।
चिन्तकः चित्तं मथ्नाति / मन्थति।
• विचारक खूब विचार-विमर्श (मन्थन) कर रहा है।
मथनी दधि मथ्नाति।
• मथनी दही बिलो रही है।
पिता मृतपुत्रं शोचति / शोकति।
• पिता मृतपुत्र का शोक कर रहा है।
सेविका तण्डुलान् शोधति।
• सेविका चावल साफ कर रही है।
शोधकः त्रुटीः संशोधयति।
• शोधक (प्रुफ रीडर) गलतियां छांट रहा है।
ईश्वरः अस्मान् शुन्धति।
• ईश्वर हमें पवित्र कर रहा है।
ज्ञानं मनः शुच्यति / शुच्यते।
• ज्ञान मन को शुद्ध करता है।
स्वसा भाण्डानि मार्जयति।
• बहन पात्रों को मांज रही है।
वसुधा वस्त्रास्त्राणि प्रक्षालयति।
• वसुधा कपड़े धो रही है।
पितृस्वसा प्राङ्गणं सम्मार्जयति।
• बुआ आंगन बुहार रही है।
मातृष्वसा गृहं / गेहं सम्मार्ष्टि।
• मौसी घर बुहार रही है।
पविता बुद्धिं पुनाति।
• पवित्र ईश्वर बुद्धि को निर्मल करता है।
पवनः वातावरणं पवते।
• वायु वातावरण को शुद्ध करती है।
अग्निहोत्रं गृहं पवित्रयति।
• हवन घर को पवित्र करता है।
सत्यं चित्तं पवित्रीकरोति।
• सत्य चित्त को पवित्र करता है।
भोजभूरित्वम् (भोज सम्बन्धित विविध क्रियाएं)
भवति किं चर्वति?
• आप क्या चबा रही हैं?
अहं भूचणकान् चबामि।
• मैं मूंगफली चबा रही/रहा हूँ।
इयं बालिका जंबीररसं पिबति।
• यह बच्ची नींबूपानी पी रही है।
ज्वरितः गुलिकां निगलति।
• रुग्ण गोली खा रहा है।
सा बाला आम्रं चूषति।
• वह लड़की आम चूस रही है।
इमे किशोर्यौ शष्कुलीः खादतः।
• ये दोनों किशोरियाँ पूड़ियाँ खा रही हैं।
इमाः कन्याः अवलेहम् अवलिहन्ति।
• ये कन्याएँ चटनी चाट रही हैं।
इमौ किशोरौ शाल्यपूपान् अत्तः।
• ये दोनों किशोर डोसे खा रहे हैं।
इमे कुमाराः वाष्पापूपान् अश्नन्ति।
• ये सब कुमार इडली खा रहे हैं।
पितामहः कृसरां / कृशरां भुङ्क्ते।
• दादाजी खिचड़ी खा रहे हैं।
पितामही गुलाबजामुनानि जमति।
• दादी गुलाबजामुन खा रही है।
मातामहः चायं आचमनति।
• नाना चाय की चुस्कियाँ ले रहे हैं।
मातामही रोटिकां ग्रसति।
• नानी एक-एक ग्रास रोटी खा रही है।
महिषी घासं घसति।
• भैंस घास खा रही है।
बलिवर्दः घासं चरति।
• बैल घास चर रहा है।
वत्सा तृणानि तृणति।
• बछड़ी तिनके खा रही है।
गौः चवितं रोमन्थायते।
• गाय खाए हुए की जुगाली कर रही है।
चटका अन्नकणान् उञ्छति।
• चिड़िया दाने (अन्नकण) चुग रही है।
माता तण्डुलान् उञ्छति।
• माँ चावल बीन रही है।
भक्षकः भक्ष्यं भक्षति।
• भोजनभट्ट भोजन चट कर रहा है।
अद्मरः लप्सिकां स्वदते।
• खाऊ लप्सी को स्वाद लेकर खा रहा है।
पाचिका सूपं आस्वादयति / आस्वदते।
• पाचिका दाल चख रही है।
शिशुः मोदकं आस्वादयति / आस्वदते।
• छोटा बच्चा लड्डू थोड़ा सा खा रहा है।
अतिथयः आम्ररसं रसयति।
• अतिथि आम्ररस खा रहे हैं।
भ्रमरः / द्विरेफः पुष्पं रसयति।
• भौंरा फूल का मकरंद पी रहा है।
तुण्डिलः / तुन्दिलः भोजनं तुण्डति।
• तोंदवाला (पेटू) भोजन चुराकर खाता है।
इति भोजभूरित्वम्
#vakyabhyas
January 7, 2022
कश्चन अर्धबधिरः रुग्णस्य मित्रस्य स्वास्थ्यं प्रष्टुं गच्छति।
सः गच्छन् चिन्तयति .....
प्रथमं तस्य स्वास्थ्यविषये प्रक्ष्यामि तदा "सम्यक् अस्मि" इति सः वदिष्यति।
अनन्तरम् कस्य चिकित्सकस्य उपचारं स्वीकरोति इति प्रक्ष्यामि, सः कस्यचित् नाम वदिष्यति, 'सः उत्तमः चिकित्सकः अस्ति' इति वदिष्यामि।
ततः किं भोजनं स्वीकुर्वन् अस्ति इति प्रक्ष्यामि, यदा सः वदिष्यति तदा 'उत्तमः आहारः' इति वदिष्यामि।
एवमेव चिन्तयन् सः मित्रगृहं प्राप्तवान्।
अर्धबधिरः - भोः भवतः स्वास्थ्यं कथम् अस्ति।
मित्रम् - म्रियमाणः अस्मि।
(सः एवं प्रदर्शयति यत् सर्वं श्रुतवान् अस्ति)
सः - अस्तु, ईश्वरस्य कृपा अस्ति।
(पुनः पृच्छति)
कस्य चिकित्सकस्य उपचारं स्वीकरोति।
मित्रम् (खिन्नः भूत्वा) - यमराजस्य...
सः(तथैव अभिनयं कृत्वा) - बहूत्तमम्..... सः तु बहु उत्तमः चिकित्सकः अस्ति, भवान् शीघ्रं स्वस्थः भविष्यति।
(पुनः पृच्छति)
भोजने किं स्वीकरोति?
मित्रम्(क्रोधेन) - पाषाणखण्डाः ....
सः - शोभनम्... तत् तु सुपाच्यः आहारः अस्ति।
😁😄😂
#hasya
सः गच्छन् चिन्तयति .....
प्रथमं तस्य स्वास्थ्यविषये प्रक्ष्यामि तदा "सम्यक् अस्मि" इति सः वदिष्यति।
अनन्तरम् कस्य चिकित्सकस्य उपचारं स्वीकरोति इति प्रक्ष्यामि, सः कस्यचित् नाम वदिष्यति, 'सः उत्तमः चिकित्सकः अस्ति' इति वदिष्यामि।
ततः किं भोजनं स्वीकुर्वन् अस्ति इति प्रक्ष्यामि, यदा सः वदिष्यति तदा 'उत्तमः आहारः' इति वदिष्यामि।
एवमेव चिन्तयन् सः मित्रगृहं प्राप्तवान्।
अर्धबधिरः - भोः भवतः स्वास्थ्यं कथम् अस्ति।
मित्रम् - म्रियमाणः अस्मि।
(सः एवं प्रदर्शयति यत् सर्वं श्रुतवान् अस्ति)
सः - अस्तु, ईश्वरस्य कृपा अस्ति।
(पुनः पृच्छति)
कस्य चिकित्सकस्य उपचारं स्वीकरोति।
मित्रम् (खिन्नः भूत्वा) - यमराजस्य...
सः(तथैव अभिनयं कृत्वा) - बहूत्तमम्..... सः तु बहु उत्तमः चिकित्सकः अस्ति, भवान् शीघ्रं स्वस्थः भविष्यति।
(पुनः पृच्छति)
भोजने किं स्वीकरोति?
मित्रम्(क्रोधेन) - पाषाणखण्डाः ....
सः - शोभनम्... तत् तु सुपाच्यः आहारः अस्ति।
😁😄😂
#hasya
January 7, 2022
सङ्क्षेपरामायणम्
(महर्षिवाल्मीकिप्रणीत-रामायण-बालकाण्ड-प्रथमसर्ग-रूपम्)
मूलश्लोकः-72
ततो गृध्रस्य वचनात् सम्पातेर्हनुमान् बली।
शतयोजनविस्तीर्णं पुप्लुवे लवणार्णवम्।।72।।
श्लोकान्वयः -
तत: बली हनुमान् सम्पाते: गृध्रस्य वचनात्
शतयोजनविस्तीर्णं लवणार्णवं पुप्लवे।।72।।
हिन्दी-अनुवाद -
इस प्रकार सुग्रीव के आदेश के बाद परम बलशाली हुनमान् ने सम्पाति नामक गिद्ध के
वचनानुसार चार सौ कोस विस्तृत खारे सागर को पार कर दिया।।72।।
English Meaning
तत: thereafter, बली हनुमान् mighty Hanuman, सम्पाते: Sampathi's, गृध्रस्य vulture's, वचनात् in accordance with suggestion, शतयोजनविस्तीर्णम् extending over a hundred yojanas (about 800 miles), लवणार्णवम् saltsea, पुप्लुवे leapt over.
At the suggestion of the vulture, Sampathi mighty Hanuman leapt over the saltocean extending over a hundred yojanas.
#SankshepaRamayanam
(महर्षिवाल्मीकिप्रणीत-रामायण-बालकाण्ड-प्रथमसर्ग-रूपम्)
मूलश्लोकः-72
ततो गृध्रस्य वचनात् सम्पातेर्हनुमान् बली।
शतयोजनविस्तीर्णं पुप्लुवे लवणार्णवम्।।72।।
श्लोकान्वयः -
तत: बली हनुमान् सम्पाते: गृध्रस्य वचनात्
शतयोजनविस्तीर्णं लवणार्णवं पुप्लवे।।72।।
हिन्दी-अनुवाद -
इस प्रकार सुग्रीव के आदेश के बाद परम बलशाली हुनमान् ने सम्पाति नामक गिद्ध के
वचनानुसार चार सौ कोस विस्तृत खारे सागर को पार कर दिया।।72।।
English Meaning
तत: thereafter, बली हनुमान् mighty Hanuman, सम्पाते: Sampathi's, गृध्रस्य vulture's, वचनात् in accordance with suggestion, शतयोजनविस्तीर्णम् extending over a hundred yojanas (about 800 miles), लवणार्णवम् saltsea, पुप्लुवे leapt over.
At the suggestion of the vulture, Sampathi mighty Hanuman leapt over the saltocean extending over a hundred yojanas.
#SankshepaRamayanam
January 7, 2022
@samskrt_samvadah संलापशाला - A Samskrit Voicechat room.
Duration : 30 minutes only
Time : IST 11:00 AM 🕚
Topic : Need of the family.
(परिवारस्य आवश्यकता)
Date : 8thJanuary 2022,
Saturday.
Please Join the voicechat on time.
😇 Please come prepared to discuss ( अद्यत्वे परिवारस्य का आवश्यकता अस्ति। )in Sanskrit , If possible.
We are waiting for you.😇
Set a reminder.
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https://t.me/samskrt_samvadah?voicechat
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(परिवारस्य आवश्यकता)
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January 7, 2022
January 7, 2022
🍃
♦️yathaa diipo nivaatastho ne~Ngate sopamaa smRRitaa|
yogino yatachittasya yu~njato yogamaatmanaH||6.19||
⚜6.19 As a lamp placed in a windless spot does not flicker to such is compared the Yogi of controlled mind, practising Yoga in the Self (or absorbed in the Yoga of the Self).
⚜।।6.19।। जिस प्रकार वायुरहित स्थान में स्थित दीपक में कम्प नहीं होता वैसी ही उपमा आत्मा के ध्यान में लगे हुए उस योगी के समाहित चित्त की कही गयी है।।
#geeta
यथा दीपो निवातस्थो नेङ्गते सोपमा स्मृता।
योगिनो यतचित्तस्य युञ्जतो योगमात्मनः
।।6.19।। ♦️yathaa diipo nivaatastho ne~Ngate sopamaa smRRitaa|
yogino yatachittasya yu~njato yogamaatmanaH||6.19||
⚜6.19 As a lamp placed in a windless spot does not flicker to such is compared the Yogi of controlled mind, practising Yoga in the Self (or absorbed in the Yoga of the Self).
⚜।।6.19।। जिस प्रकार वायुरहित स्थान में स्थित दीपक में कम्प नहीं होता वैसी ही उपमा आत्मा के ध्यान में लगे हुए उस योगी के समाहित चित्त की कही गयी है।।
#geeta
January 7, 2022
January 7, 2022
🍃
♦️yatroparamate chittaM niruddhaM yogasevayaa|
yatra chaivaatmanaa''tmaanaM pashyannaatmani tuShyati||6.20||
⚜6.20 When the mind, restrained by the practice of Yoga attains to quietude and when seeing the Self by the self, he is satisfied in hiw own Self.
⚜।।6.20।। जब (जिस स्थिति में) योगाभ्यास से निरुद्ध हुआ चित्त उपराम हो जाता है और जब आत्मा को आत्मा (बुद्धि) के द्वारा देखऋ़र आत्मा में ही सन्तुष्ट होता है।।
#geeta
यत्रोपरमते चित्तं निरुद्धं योगसेवया।
यत्र चैवात्मनाऽऽत्मानं पश्यन्नात्मनि तुष्यति
।।6.20।।♦️yatroparamate chittaM niruddhaM yogasevayaa|
yatra chaivaatmanaa''tmaanaM pashyannaatmani tuShyati||6.20||
⚜6.20 When the mind, restrained by the practice of Yoga attains to quietude and when seeing the Self by the self, he is satisfied in hiw own Self.
⚜।।6.20।। जब (जिस स्थिति में) योगाभ्यास से निरुद्ध हुआ चित्त उपराम हो जाता है और जब आत्मा को आत्मा (बुद्धि) के द्वारा देखऋ़र आत्मा में ही सन्तुष्ट होता है।।
#geeta
January 7, 2022
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January 7, 2022
January 7, 2022
Forwarded from रामदूतः — The Sanskrit News Platform
Switch to DD News daily at 7:15 AM (Morning) for 15 minutes Sanskrit news.
https://youtu.be/QocOIE9cm-U
https://youtu.be/QocOIE9cm-U
YouTube
वार्ता : कई राज्यों लागू हुआ सप्ताहांत कर्फ्यू
वार्ता : कई राज्यों लागू हुआ सप्ताहांत कर्फ्यू
DD News is India’s 24x7 news channel from the stable of the country’s Public Service Broadcaster, Prasar Bharati. It has the distinction of being India’s only terrestrial cum satellite News Channel. Launched…
DD News is India’s 24x7 news channel from the stable of the country’s Public Service Broadcaster, Prasar Bharati. It has the distinction of being India’s only terrestrial cum satellite News Channel. Launched…
January 7, 2022
🌞 ~ *आज का हिन्दू पंचांग* ~ 🌞
⛅ *दिनांक - 08 जनवरी 2022*
⛅ *दिन - शनिवार*
⛅ *विक्रम संवत - 2078*
⛅ *शक संवत -1943*
⛅ *अयन - दक्षिणायन*
⛅ *ऋतु - शिशिर*
⛅ *मास - पौस*
⛅ *पक्ष - शुक्ल*
⛅ *तिथि - षष्ठी सुबह 10:42 तक तत्पश्चात सप्तमी*
⛅ *नक्षत्र - उत्तर भाद्रपद 09 जनवरी सुबह 07:10 तक तत्पश्चात रेवती*
⛅ *योग - वरीयान सुबह 11:41 तक तत्पश्चात परिघ*
⛅ *राहुकाल - सुबह 10:02 से सुबह 11:24 तक*
⛅ *सूर्योदय - 07:19*
⛅ *सूर्यास्त - 18:11*
⛅ *दिशाशूल - पूर्व दिशा में*
⛅ *दिनांक - 08 जनवरी 2022*
⛅ *दिन - शनिवार*
⛅ *विक्रम संवत - 2078*
⛅ *शक संवत -1943*
⛅ *अयन - दक्षिणायन*
⛅ *ऋतु - शिशिर*
⛅ *मास - पौस*
⛅ *पक्ष - शुक्ल*
⛅ *तिथि - षष्ठी सुबह 10:42 तक तत्पश्चात सप्तमी*
⛅ *नक्षत्र - उत्तर भाद्रपद 09 जनवरी सुबह 07:10 तक तत्पश्चात रेवती*
⛅ *योग - वरीयान सुबह 11:41 तक तत्पश्चात परिघ*
⛅ *राहुकाल - सुबह 10:02 से सुबह 11:24 तक*
⛅ *सूर्योदय - 07:19*
⛅ *सूर्यास्त - 18:11*
⛅ *दिशाशूल - पूर्व दिशा में*
January 7, 2022
January 7, 2022
January 7, 2022
January 8, 2022
January 8, 2022
संस्कृत संवादः । Sanskrit Samvadah
संस्कृतं
वद आधुनिको भव। वेदान् पठ वैज्ञानिको भव।। पाठ (४) द्वितीया विभक्तिः (१)
कर्त्तृवाच्य (एक्टिव वॉइस) में कर्म (=क्रिया की निष्पत्ति में कर्त्ता
को अत्यन्त अभीष्ट वस्तु) कारक में द्वितीया विभक्ति होती है यथा- इन्द्रः
राज्यम् इन्दति। • राजा राज्य…
खर्जूः मां खर्जति।
• खाज मुझे व्याकुल कर रही है।
व्यथा सर्वान् व्यथति।
• व्यथा सबको बेचैन करती है।
वटुकं बुभुक्षा बाधते।
• छोटे बच्चे को भूख सता रही है।
पीड़ा पीड़ितं पीड़यति।
• दर्द रोगी को दुःख दे रहा है।
रोगः रोगिणं / रोगिणः रुजति।
• रोग रोगी को कष्ट दे रहा है।
सन्तापः अस्मान् सन्तापयति।
• सन्ताप हमें दुःख दे रहा है।
ज्वरः ज्वरिणं ज्वरयति।
• बुखार रोगी को कष्ट दे रहा है।
कष्टानि युष्मान् कष्टयन्ति।
• कष्ट तुम्हें पीड़ित कर रहे हैं।
आमयः आमयाविनम् आमयति।
• रोग रोगी को कष्ट दे रहा है।
गदः प्राणिनं दुःखयति।
• रोग प्राणियों को दुःख देता है।
नूतनं वसनं गात्रं कण्डूयति।
• नया कपड़ा शरीर को काट रहा है।
नूतनं पादत्राणं पादं पीड़यति।
• नया जूता पैर में चुभ रहा है।
मूषिका मुद्गान् मुष्णाति।
• चुहिया मूंग चुरा रही है।
चौरः आभूषणानि चोरयति / चोरयते।
• चोर गहने चुराता है।
लुण्टाकः पदातीन् लुण्टति।
• लुटेरा पथिकों को लूटता है।
कटुवाक्याणि सर्वान् कण्टन्ति।
• कड़वे बोल सभी को कांटे की तरह चुभते हैं।
माता भोजनं वण्टति।
• मां भोजन परोसती है।
परिवेषकः पायसं परिवेषयति।
• परोसने वाला खीर परोस रहा है।
जठरः भुक्तं जठति।
• उदर खाए-पीए अन्नादि को धारण करता / रखता है।
शुण्ठिः श्लेष्म शुण्ठति।
• सौंठ कफ को सुखाती है।
उद्दण्डः चाकखण्डं खण्डति।
• शरारती बालक चॉक (श्यामफलक की चूने से बनी लेखनी) के टुकड़े कर रहा है।
काष्ठाहरः काष्ठानि आहरति खण्डति च।
• लकड़हारा लकड़ियां लाता है और उन्हें फाड़ता है।
चण्डी प्रतिवेशिनं चण्डति।
• गुस्सैल महिला पड़ोसी पर क्रोध कर रही है।
मुण्डकः मुण्डं मुण्डति।
• नाई सिर मूंड रहा है।
भवान् किं अन्वेषयति।
• आप क्या ढूंढ रहे हैं?
अहं संस्कृत-शब्दान् अन्वेषयामि।
• मैं संस्कृत भाषा के शब्दों को खोज रहा हूँ।
वैज्ञानिकः किं आविष्करोति?
• वैज्ञानिक क्या आविष्कार कर रहा है?
वैज्ञानिकः नवं विज्ञानं विवृणुते।
• वैज्ञानिक नई खोज को प्रस्तुत (उद्घाटित) कर रहा है।
गुप्तचरः रहस्यं उद्घाटयति।
• जासूस रहस्य खोल रहा है।
#vakyabhyas
• खाज मुझे व्याकुल कर रही है।
व्यथा सर्वान् व्यथति।
• व्यथा सबको बेचैन करती है।
वटुकं बुभुक्षा बाधते।
• छोटे बच्चे को भूख सता रही है।
पीड़ा पीड़ितं पीड़यति।
• दर्द रोगी को दुःख दे रहा है।
रोगः रोगिणं / रोगिणः रुजति।
• रोग रोगी को कष्ट दे रहा है।
सन्तापः अस्मान् सन्तापयति।
• सन्ताप हमें दुःख दे रहा है।
ज्वरः ज्वरिणं ज्वरयति।
• बुखार रोगी को कष्ट दे रहा है।
कष्टानि युष्मान् कष्टयन्ति।
• कष्ट तुम्हें पीड़ित कर रहे हैं।
आमयः आमयाविनम् आमयति।
• रोग रोगी को कष्ट दे रहा है।
गदः प्राणिनं दुःखयति।
• रोग प्राणियों को दुःख देता है।
नूतनं वसनं गात्रं कण्डूयति।
• नया कपड़ा शरीर को काट रहा है।
नूतनं पादत्राणं पादं पीड़यति।
• नया जूता पैर में चुभ रहा है।
मूषिका मुद्गान् मुष्णाति।
• चुहिया मूंग चुरा रही है।
चौरः आभूषणानि चोरयति / चोरयते।
• चोर गहने चुराता है।
लुण्टाकः पदातीन् लुण्टति।
• लुटेरा पथिकों को लूटता है।
कटुवाक्याणि सर्वान् कण्टन्ति।
• कड़वे बोल सभी को कांटे की तरह चुभते हैं।
माता भोजनं वण्टति।
• मां भोजन परोसती है।
परिवेषकः पायसं परिवेषयति।
• परोसने वाला खीर परोस रहा है।
जठरः भुक्तं जठति।
• उदर खाए-पीए अन्नादि को धारण करता / रखता है।
शुण्ठिः श्लेष्म शुण्ठति।
• सौंठ कफ को सुखाती है।
उद्दण्डः चाकखण्डं खण्डति।
• शरारती बालक चॉक (श्यामफलक की चूने से बनी लेखनी) के टुकड़े कर रहा है।
काष्ठाहरः काष्ठानि आहरति खण्डति च।
• लकड़हारा लकड़ियां लाता है और उन्हें फाड़ता है।
चण्डी प्रतिवेशिनं चण्डति।
• गुस्सैल महिला पड़ोसी पर क्रोध कर रही है।
मुण्डकः मुण्डं मुण्डति।
• नाई सिर मूंड रहा है।
भवान् किं अन्वेषयति।
• आप क्या ढूंढ रहे हैं?
अहं संस्कृत-शब्दान् अन्वेषयामि।
• मैं संस्कृत भाषा के शब्दों को खोज रहा हूँ।
वैज्ञानिकः किं आविष्करोति?
• वैज्ञानिक क्या आविष्कार कर रहा है?
वैज्ञानिकः नवं विज्ञानं विवृणुते।
• वैज्ञानिक नई खोज को प्रस्तुत (उद्घाटित) कर रहा है।
गुप्तचरः रहस्यं उद्घाटयति।
• जासूस रहस्य खोल रहा है।
#vakyabhyas
January 8, 2022
January 8, 2022
देववाणीविलासः
(संस्कृतभाषा शिक्षण- मध्यमस्तरीय कक्षा)
समय- हर शनिवार मध्याह्न 4:30 से 5:30 तक
माध्यम- जूम् माध्यम द्वारा
प्रवेश संकेत- https://indicacademy.zoom.us/j/98231927653
प्रवेश संख्या- 982 3192 7653
(संस्कृतभाषा शिक्षण- मध्यमस्तरीय कक्षा)
समय- हर शनिवार मध्याह्न 4:30 से 5:30 तक
माध्यम- जूम् माध्यम द्वारा
प्रवेश संकेत- https://indicacademy.zoom.us/j/98231927653
प्रवेश संख्या- 982 3192 7653
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January 8, 2022
January 8, 2022
January 8, 2022
🍃
♦️sukhamaatyantikaM yattadbuddhigraahyamatiindriyam|
vetti yatra na chaivaayaM sthitashchalati tattvataH||6.21||
⚜6.21 When he (the Yogi) feels that Infinite Bliss which can be grasped by the (pure) intellect and which transcends the senses, and established wherein he never moves from the Reality.
⚜।।6.21।। इन्द्रियातीत केवल (शुद्ध) बुद्धि के द्वारा ग्राह्य जो अनन्त आनन्द है उसे जिस अवस्था में अनुभव करता है और जिसमें स्थित हुआ है यह योगी तत्त्व से कभी दूर नहीं होता है।।
#geeta
सुखमात्यन्तिकं यत्तद्बुद्धिग्राह्यमतीन्द्रियम्।
वेत्ति यत्र न चैवायं स्थितश्चलति तत्त्वतः
।।6.21।। ♦️sukhamaatyantikaM yattadbuddhigraahyamatiindriyam|
vetti yatra na chaivaayaM sthitashchalati tattvataH||6.21||
⚜6.21 When he (the Yogi) feels that Infinite Bliss which can be grasped by the (pure) intellect and which transcends the senses, and established wherein he never moves from the Reality.
⚜।।6.21।। इन्द्रियातीत केवल (शुद्ध) बुद्धि के द्वारा ग्राह्य जो अनन्त आनन्द है उसे जिस अवस्था में अनुभव करता है और जिसमें स्थित हुआ है यह योगी तत्त्व से कभी दूर नहीं होता है।।
#geeta
January 8, 2022
सङ्क्षेपरामायणम्
(महर्षिवाल्मीकिप्रणीत-रामायण-बालकाण्ड-प्रथमसर्ग-रूपम्)
मूलश्लोकः-73
तत्र लङ्कां समासाद्य पुरीं रावणपालिताम् ।
ददर्श सीतां ध्यायन्तीमशोकवनिकां गताम्।।73।।
श्लोकान्वयः -
(हनुमान्) रावणपालितां लङ्कां पुर समासाद्य
तत्र अशोकवनिकां गतां (रामं) ध्यायन्तीं सीतां ददर्श।।73।।
हिन्दी-अनुवाद -
हनुमान् रावण द्वारा पालित लङ्का में जाकर
वहाँ अशोकवाटिका में राम का ध्यान करती हुई सीता को देखा।।73।।
English Meaning
रावणपालिताम् ruled by Ravana, लङ्काम् पुरीम् city of Lanka, समासाद्य having reached, तत्र there, अशोकवनिकाम् गताम् who had gone to Ashoka garden, ध्यायन्तीम् contemplating (on Rama), सीताम् Sita, ददर्श found.
Hanuman arrived at the city of Lanka ruled by Ravana and found Sita in the Ashoka garden meditating on Rama.
#SankshepaRamayanam
(महर्षिवाल्मीकिप्रणीत-रामायण-बालकाण्ड-प्रथमसर्ग-रूपम्)
मूलश्लोकः-73
तत्र लङ्कां समासाद्य पुरीं रावणपालिताम् ।
ददर्श सीतां ध्यायन्तीमशोकवनिकां गताम्।।73।।
श्लोकान्वयः -
(हनुमान्) रावणपालितां लङ्कां पुर समासाद्य
तत्र अशोकवनिकां गतां (रामं) ध्यायन्तीं सीतां ददर्श।।73।।
हिन्दी-अनुवाद -
हनुमान् रावण द्वारा पालित लङ्का में जाकर
वहाँ अशोकवाटिका में राम का ध्यान करती हुई सीता को देखा।।73।।
English Meaning
रावणपालिताम् ruled by Ravana, लङ्काम् पुरीम् city of Lanka, समासाद्य having reached, तत्र there, अशोकवनिकाम् गताम् who had gone to Ashoka garden, ध्यायन्तीम् contemplating (on Rama), सीताम् Sita, ददर्श found.
Hanuman arrived at the city of Lanka ruled by Ravana and found Sita in the Ashoka garden meditating on Rama.
#SankshepaRamayanam
January 8, 2022
January 8, 2022
🍃
♦️yaM labdhvaa chaaparaM laabhaM manyate naadhikaM tataH|
yasminsthito na duHkhena guruNaapi vichaalyate||6.22||
⚜6.22 Which, having obtained, he thinks there is no other gain superior to it; wherein estabished, he is not moved even by heavy sorrow.
⚜।।6.22।। और जिस लाभ को प्राप्त होकर उससे अधिक अन्य कुछ भी लाभ नहीं मानता है और जिसमें स्थित हुआ योगी बड़े भारी दुख से भी विचलित नहीं होता है।।
#geeta
यं लब्ध्वा चापरं लाभं मन्यते नाधिकं ततः।
यस्मिन्स्थितो न दुःखेन गुरुणापि विचाल्यते
।।6.22।। ♦️yaM labdhvaa chaaparaM laabhaM manyate naadhikaM tataH|
yasminsthito na duHkhena guruNaapi vichaalyate||6.22||
⚜6.22 Which, having obtained, he thinks there is no other gain superior to it; wherein estabished, he is not moved even by heavy sorrow.
⚜।।6.22।। और जिस लाभ को प्राप्त होकर उससे अधिक अन्य कुछ भी लाभ नहीं मानता है और जिसमें स्थित हुआ योगी बड़े भारी दुख से भी विचलित नहीं होता है।।
#geeta
January 8, 2022
January 8, 2022
Forwarded from रामदूतः — The Sanskrit News Platform
Switch to DD News daily at 7:15 AM (Morning) for 15 minutes Sanskrit news.
https://youtu.be/aQdTwz9RZVw
https://youtu.be/aQdTwz9RZVw
YouTube
वार्ता: संस्कृत में आज के मुख्य समाचार
वार्ता: संस्कृत में आज के मुख्य समाचार
DD News is India’s 24x7 news channel from the stable of the country’s Public Service Broadcaster, Prasar Bharati. It has the distinction of being India’s only terrestrial cum satellite News Channel. Launched in 2003…
DD News is India’s 24x7 news channel from the stable of the country’s Public Service Broadcaster, Prasar Bharati. It has the distinction of being India’s only terrestrial cum satellite News Channel. Launched in 2003…
January 8, 2022
🌞 ~ *आज का हिन्दू पंचांग* ~ 🌞
⛅ *दिनांक - 09 जनवरी 2022*
⛅ *दिन - रविवार*
⛅ *विक्रम संवत - 2078*
⛅ *शक संवत -1943*
⛅ *अयन - दक्षिणायन*
⛅ *ऋतु - शिशिर*
⛅ *मास - पौस*
⛅ *पक्ष - शुक्ल*
⛅ *तिथि - सप्तमी सुबह 11:10 तक तत्पश्चात अष्टमी*
⛅ *नक्षत्र - रेवती पूर्ण रात्रि तक*
⛅ *योग - परिघ सुबह 10:50 तक तत्पश्चात शिव*
⛅ *राहुकाल - शाम 04:52 से शाम 06:14 तक*
⛅ *सूर्योदय - 07:19*
⛅ *सूर्यास्त - 18:12*
⛅ *दिशाशूल - पश्चिम दिशा में*
⛅ *दिनांक - 09 जनवरी 2022*
⛅ *दिन - रविवार*
⛅ *विक्रम संवत - 2078*
⛅ *शक संवत -1943*
⛅ *अयन - दक्षिणायन*
⛅ *ऋतु - शिशिर*
⛅ *मास - पौस*
⛅ *पक्ष - शुक्ल*
⛅ *तिथि - सप्तमी सुबह 11:10 तक तत्पश्चात अष्टमी*
⛅ *नक्षत्र - रेवती पूर्ण रात्रि तक*
⛅ *योग - परिघ सुबह 10:50 तक तत्पश्चात शिव*
⛅ *राहुकाल - शाम 04:52 से शाम 06:14 तक*
⛅ *सूर्योदय - 07:19*
⛅ *सूर्यास्त - 18:12*
⛅ *दिशाशूल - पश्चिम दिशा में*
January 8, 2022
गुरुगोविंदसिंहः सिक्खानां ________ गुरुः आसीत्।
Anonymous Quiz
12%
दशः
65%
दशमः
7%
दशवः
11%
दशमम्
5%
दशमी
January 9, 2022
संस्कृत संवादः । Sanskrit Samvadah
खर्जूः
मां खर्जति। • खाज मुझे व्याकुल कर रही है। व्यथा सर्वान् व्यथति। •
व्यथा सबको बेचैन करती है। वटुकं बुभुक्षा बाधते। • छोटे बच्चे को भूख
सता रही है। पीड़ा पीड़ितं पीड़यति। • दर्द रोगी को दुःख दे रहा है। रोगः
रोगिणं / रोगिणः रुजति। • रोग रोगी…
संस्कृतं वद आधुनिको भव।
वेदान् पठ वैज्ञानिको भव।।
पाठ (५) द्वितीया विभक्तिः (२)
कर्त्तृवाच्य (एक्टिव वॉइस) में कर्म (=क्रिया की निष्पत्ति में कर्त्ता को अत्यन्त अभीष्ट वस्तु) कारक में द्वितीया विभक्ति होती है यथा-
तक्षकः काष्ठं तक्षति।
• बढ़ई लकड़ी छील रहा है।
पक्त्री अलाबूं त्वचयति।
• पाचिका लौकी छील रही है।
वानरः कदलीफलं त्वचयति।
• बंदर केले का छिलका उतार रहा है।
पक्ता वृन्ताकं कृन्तति।
• रसोइया बैंगन काट रहा है।
मूषकः कर्गलानि कृन्तति।
• चूहा कागज काट रहा है।
पचः शाकं कर्त्तयति।
• पाचक सब्जी काट रहा है।
पचा वटकान् तलति।
• पाचिका वड़े तल रही है।
पक् रोटिकां वेल्लति।
• पाचक / पाचिका रोटी बेल रही है।
भगिनी चूर्णं गुम्फति।
• बहन आटा गूंथ रही है।
पेष्टा गोधूमान् पिंशति।
• पीसनेवाला गेहूं पीस रहा है।
पेषणी कटिजान् पिनष्टि।
• चक्की मक्का पीस रही है।
क्षोत्ता माषान् क्षुणत्ति।
• कूटनेवाला उड़द कूट रहा है।
शिल्पी कुट्टिमं कुट्टयति।
• मिस्त्री फर्श को कूट रहा है।
कान्दविकः क्वथितालून् मृद्नाति।
• हलवाई उबले हुए आलुओं को मसल रहा है।
दुग्धविक्रेता दुग्धे जलं मेलयति।
• दूध बेचनेवाला दूध में पानी मिला रहा है।
घर्षकः गृञ्जनानि घर्षति।
• घिसनेवाला गाजर घिस रहा है।
मातुलानी मातुलुङ्गानि निष्पीडयति।
• मामी मुसम्बी निचोड़ रही है।
कुम्भकारः कुम्भं करोति।
• कुम्हार घड़ा बनाता है।
तन्तुवायः तन्तुं वयति।
• जुलाहा धागे बुन रहा है।
दिनकरः दिनं करोति।
• सूर्य दिन को करता है। (अर्थात् सूर्य के कारण दिन होता है।)
भास्करः भासं करोति।
• सूर्य प्रकाश को देता है।
दिवाकरः दिवां करोति।
• सूर्य दिन को करता है।
प्रभाकरः प्रभां करोति।
• सूर्य प्रकाश करता है।
अहस्करः अहः करोति।
• सूर्य दिन करता है।
विभाकरः विभां करोति।
• सूर्य प्रकाश करता है।
निशाकरः निशां करोति।
• चन्द्रमा रात्रि करता है।
लिपिकरः लिपिं / प्रतिलिपिं करोति।
• लिपिक प्रतिलिपी करता है।
कर्मकरः कर्म करोति।
• सेवक कार्य करता है।
क्षेत्रकरः क्षेत्रं करोति।
• किसान खेत का काम कर रहा है।
किङ्करः किमिति करोति।
• नौकर क्या करूं ऐसा पूछता है।
शंकरः शं करोति।
• शंकर (कल्याण करनेवाला) कल्याण करता है।
पूजार्हः पूजां अर्हति।
• भक्त पूजा के योग्य है।
आदरार्हः आदरं अर्हति।
• आदरणीय व्यक्ति आदर के योग्य है।
मालार्हः मालाम् अर्हति।
• पूज्य व्यक्ति माला द्वारा स्वागतयोग्य है।
#vakyabhyas
वेदान् पठ वैज्ञानिको भव।।
पाठ (५) द्वितीया विभक्तिः (२)
कर्त्तृवाच्य (एक्टिव वॉइस) में कर्म (=क्रिया की निष्पत्ति में कर्त्ता को अत्यन्त अभीष्ट वस्तु) कारक में द्वितीया विभक्ति होती है यथा-
तक्षकः काष्ठं तक्षति।
• बढ़ई लकड़ी छील रहा है।
पक्त्री अलाबूं त्वचयति।
• पाचिका लौकी छील रही है।
वानरः कदलीफलं त्वचयति।
• बंदर केले का छिलका उतार रहा है।
पक्ता वृन्ताकं कृन्तति।
• रसोइया बैंगन काट रहा है।
मूषकः कर्गलानि कृन्तति।
• चूहा कागज काट रहा है।
पचः शाकं कर्त्तयति।
• पाचक सब्जी काट रहा है।
पचा वटकान् तलति।
• पाचिका वड़े तल रही है।
पक् रोटिकां वेल्लति।
• पाचक / पाचिका रोटी बेल रही है।
भगिनी चूर्णं गुम्फति।
• बहन आटा गूंथ रही है।
पेष्टा गोधूमान् पिंशति।
• पीसनेवाला गेहूं पीस रहा है।
पेषणी कटिजान् पिनष्टि।
• चक्की मक्का पीस रही है।
क्षोत्ता माषान् क्षुणत्ति।
• कूटनेवाला उड़द कूट रहा है।
शिल्पी कुट्टिमं कुट्टयति।
• मिस्त्री फर्श को कूट रहा है।
कान्दविकः क्वथितालून् मृद्नाति।
• हलवाई उबले हुए आलुओं को मसल रहा है।
दुग्धविक्रेता दुग्धे जलं मेलयति।
• दूध बेचनेवाला दूध में पानी मिला रहा है।
घर्षकः गृञ्जनानि घर्षति।
• घिसनेवाला गाजर घिस रहा है।
मातुलानी मातुलुङ्गानि निष्पीडयति।
• मामी मुसम्बी निचोड़ रही है।
कुम्भकारः कुम्भं करोति।
• कुम्हार घड़ा बनाता है।
तन्तुवायः तन्तुं वयति।
• जुलाहा धागे बुन रहा है।
दिनकरः दिनं करोति।
• सूर्य दिन को करता है। (अर्थात् सूर्य के कारण दिन होता है।)
भास्करः भासं करोति।
• सूर्य प्रकाश को देता है।
दिवाकरः दिवां करोति।
• सूर्य दिन को करता है।
प्रभाकरः प्रभां करोति।
• सूर्य प्रकाश करता है।
अहस्करः अहः करोति।
• सूर्य दिन करता है।
विभाकरः विभां करोति।
• सूर्य प्रकाश करता है।
निशाकरः निशां करोति।
• चन्द्रमा रात्रि करता है।
लिपिकरः लिपिं / प्रतिलिपिं करोति।
• लिपिक प्रतिलिपी करता है।
कर्मकरः कर्म करोति।
• सेवक कार्य करता है।
क्षेत्रकरः क्षेत्रं करोति।
• किसान खेत का काम कर रहा है।
किङ्करः किमिति करोति।
• नौकर क्या करूं ऐसा पूछता है।
शंकरः शं करोति।
• शंकर (कल्याण करनेवाला) कल्याण करता है।
पूजार्हः पूजां अर्हति।
• भक्त पूजा के योग्य है।
आदरार्हः आदरं अर्हति।
• आदरणीय व्यक्ति आदर के योग्य है।
मालार्हः मालाम् अर्हति।
• पूज्य व्यक्ति माला द्वारा स्वागतयोग्य है।
#vakyabhyas
January 9, 2022
*महाभारतस्य प्रसङ्गः! दुर्योधनस्य दूतस्य उलुकस्य युधिष्ठिरेण सह संवादः।*
महाभारतस्य युद्धात् प्राक् दुर्योधनः शकुनिपुत्रम् उलुकं कौरवाणां दूतत्वेन पाण्डवानां सकाशम् अप्रेषयत्।
पाण्डवानां सभायां पाण्डवाः भगवान् श्रीकृष्णः, धृष्टद्युम्नः च आसन्।
उलुकः तत्र गत्वा धर्मराजं युधिष्ठिरं प्रणम्य अवदत् हे राजन्! अहं केवलं दूतोऽस्मि। अपिच मम विश्वासः अस्ति यद् भवान् दूतस्य रक्षणं कुर्यात्। दुर्योधनस्य सन्देशं श्रावयितुम् अहम् आगतवान्। सन्देशः तस्यैव अस्ति शब्दावलिः अपि तस्यैव अस्ति।
युधिष्ठिरः तस्मै आश्वासनं प्रदाय अवदत् हे उलुक! मम प्रियानुजः दुर्योधनः यदुक्तवान् तदेव निर्भयेण कथय! इति।
उलुकः अवदत् महाराज!
धृतराष्ट्रपुत्रः दुर्योधनः एवम् उक्तवान् - त्वं द्यूते पराजितः अभवः। तव पत्नीं यदा राजसभाम् आनीय तस्याः वस्त्रहरणं भवति स्म तदा यूयं सर्वे तूष्णीं स्थित्वा सर्वम् अपमानं सहध्वे स्म।
यूयं मम दासाः स्थ। मम आदेशानुसारं यूयं द्वादशवर्षाणि यावत् वनवासं समाप्य एकवर्षं यावद् अज्ञातवासत्वेन विराटराजस्य दासत्वं स्वीकृत्य कालयापनस्य अन्तिमे काले अहं युष्माकम् अज्ञातवासं भङ्गम् अकरवम्।
नियमानुसारं युष्माभिः पुनः वनं प्रति गन्तव्यम्। युद्धस्य विचारः युष्माभिः कदापि न करणीयः यतः ये स्वपत्न्याः रक्षां कर्तुं न शक्नुवन्ति ते नपुंसकाः भवन्ति।
अतः मम आदेशः यद् यूयं पुनः वनवासं गच्छत, ततः आगत्य माम् इन्द्रप्रस्थं याचत, सम्भवतः तदा अहं युष्मभ्यम् इन्द्रप्रस्थं दद्याम्।
यदि एवं कर्तुं न शक्नोषि तर्हि आत्मानं धर्मात्मा इति कथनं त्यज।
वासुदेवः कृष्णः युष्माकं कृते मां पञ्चग्रामान् अयाचत परन्तु अहं न अददाम्, यतोहि त्वम् अधर्मी असि। तव पत्न्याः स्वाभिमानस्य अपेक्षया तव राजमुकुटं प्रति मोहः अधिकः। यदि एवं न अभविष्यत् तर्हि त्वं दूतं न अप्रेषयिष्यः, प्रत्युत युद्धम् अकरिष्यः।
यः स्वपत्न्याः अपमानं सोढ्वा अपि तूष्णीमेव तिष्ठति सः क्षत्रियः तु न, मनुष्योऽपि न भवति। सः नपुंसकः भवति।
अतः पुनः कथयामि यद् युद्धस्य विचारं त्यक्त्वा यूयं विराटराजस्य दासत्वं स्वीकृत्य पुनः जीवनं कुरुत।
परन्तु यदि युद्धं भवेत् तर्हि निश्चयेन अहं युष्मान् सर्वान् हनिष्यामि। अतः यूयम् इदानीं यत्र स्थ तत्रैव तिष्टत।
अन्ते श्रीकृष्णः अवदत् हे धूर्तशकुनिपुत्र उलुक! त्वं तु दुर्योधनस्य सन्देशं श्रावयित्वा स्वकर्तव्यस्य पालनम् अकरोः। वयं च तच्छ्रुत्वा अस्माकं कर्तव्यस्य पालनं कुर्मः।
इदानीं त्वं गच्छ। गत्वा मूढदुर्योधनं कथय यद् हे दुर्योधन! त्वं तु क्षत्रियवद् जीवितुं तु न अशक्नोः, परन्तु क्षत्रियवद् वीरगतिं प्राप्तुं प्रयत्नं कुरु। यतः क्षत्रियः भूत्वा मृत्युवरणं सरलकार्यं न अपितु कठिनकार्यं भवति।
*-प्रदीपः!*
महाभारतस्य युद्धात् प्राक् दुर्योधनः शकुनिपुत्रम् उलुकं कौरवाणां दूतत्वेन पाण्डवानां सकाशम् अप्रेषयत्।
पाण्डवानां सभायां पाण्डवाः भगवान् श्रीकृष्णः, धृष्टद्युम्नः च आसन्।
उलुकः तत्र गत्वा धर्मराजं युधिष्ठिरं प्रणम्य अवदत् हे राजन्! अहं केवलं दूतोऽस्मि। अपिच मम विश्वासः अस्ति यद् भवान् दूतस्य रक्षणं कुर्यात्। दुर्योधनस्य सन्देशं श्रावयितुम् अहम् आगतवान्। सन्देशः तस्यैव अस्ति शब्दावलिः अपि तस्यैव अस्ति।
युधिष्ठिरः तस्मै आश्वासनं प्रदाय अवदत् हे उलुक! मम प्रियानुजः दुर्योधनः यदुक्तवान् तदेव निर्भयेण कथय! इति।
उलुकः अवदत् महाराज!
धृतराष्ट्रपुत्रः दुर्योधनः एवम् उक्तवान् - त्वं द्यूते पराजितः अभवः। तव पत्नीं यदा राजसभाम् आनीय तस्याः वस्त्रहरणं भवति स्म तदा यूयं सर्वे तूष्णीं स्थित्वा सर्वम् अपमानं सहध्वे स्म।
यूयं मम दासाः स्थ। मम आदेशानुसारं यूयं द्वादशवर्षाणि यावत् वनवासं समाप्य एकवर्षं यावद् अज्ञातवासत्वेन विराटराजस्य दासत्वं स्वीकृत्य कालयापनस्य अन्तिमे काले अहं युष्माकम् अज्ञातवासं भङ्गम् अकरवम्।
नियमानुसारं युष्माभिः पुनः वनं प्रति गन्तव्यम्। युद्धस्य विचारः युष्माभिः कदापि न करणीयः यतः ये स्वपत्न्याः रक्षां कर्तुं न शक्नुवन्ति ते नपुंसकाः भवन्ति।
अतः मम आदेशः यद् यूयं पुनः वनवासं गच्छत, ततः आगत्य माम् इन्द्रप्रस्थं याचत, सम्भवतः तदा अहं युष्मभ्यम् इन्द्रप्रस्थं दद्याम्।
यदि एवं कर्तुं न शक्नोषि तर्हि आत्मानं धर्मात्मा इति कथनं त्यज।
वासुदेवः कृष्णः युष्माकं कृते मां पञ्चग्रामान् अयाचत परन्तु अहं न अददाम्, यतोहि त्वम् अधर्मी असि। तव पत्न्याः स्वाभिमानस्य अपेक्षया तव राजमुकुटं प्रति मोहः अधिकः। यदि एवं न अभविष्यत् तर्हि त्वं दूतं न अप्रेषयिष्यः, प्रत्युत युद्धम् अकरिष्यः।
यः स्वपत्न्याः अपमानं सोढ्वा अपि तूष्णीमेव तिष्ठति सः क्षत्रियः तु न, मनुष्योऽपि न भवति। सः नपुंसकः भवति।
अतः पुनः कथयामि यद् युद्धस्य विचारं त्यक्त्वा यूयं विराटराजस्य दासत्वं स्वीकृत्य पुनः जीवनं कुरुत।
परन्तु यदि युद्धं भवेत् तर्हि निश्चयेन अहं युष्मान् सर्वान् हनिष्यामि। अतः यूयम् इदानीं यत्र स्थ तत्रैव तिष्टत।
अन्ते श्रीकृष्णः अवदत् हे धूर्तशकुनिपुत्र उलुक! त्वं तु दुर्योधनस्य सन्देशं श्रावयित्वा स्वकर्तव्यस्य पालनम् अकरोः। वयं च तच्छ्रुत्वा अस्माकं कर्तव्यस्य पालनं कुर्मः।
इदानीं त्वं गच्छ। गत्वा मूढदुर्योधनं कथय यद् हे दुर्योधन! त्वं तु क्षत्रियवद् जीवितुं तु न अशक्नोः, परन्तु क्षत्रियवद् वीरगतिं प्राप्तुं प्रयत्नं कुरु। यतः क्षत्रियः भूत्वा मृत्युवरणं सरलकार्यं न अपितु कठिनकार्यं भवति।
*-प्रदीपः!*
January 9, 2022
January 9, 2022
January 9, 2022
January 9, 2022
सङ्क्षेपरामायणम्
(महर्षिवाल्मीकिप्रणीत-रामायण-बालकाण्ड-प्रथमसर्ग-रूपम्)
मूलश्लोकः-74
निवेदयित्वाऽभिज्ञानं प्रवृत्तिं विनिवेद्य च।
समाश्वास्य च वैदेहीं मर्दयामास तोरणम्।।74।।
श्लोकान्वयः -
(ततश्च हनुमान्) अभिज्ञानं निवेदयित्वा* प्रवृत्तिं च
(रामस्य) विनिवेद्य वैदहीं समाश्वास्य च तोरणं मर्दयामास।74।।
हिन्दी-अनुवाद -
उसके बाद हनुमान् राम की परिचायक अंगूठी सीता को देकर सीताहरण के बाद राम सुग्रीव की मैत्री पर्यन्त का सारा वृत्तन्त सुनाया। फिर केवल सीता को ही जो पता हो ऐसे राम के अंग के चिह्न के बारे में बताया एवं ‘शीघ्र ही राम आने वाले हैं’ ऐसा कहकर सीता को आश्वस्त कर अशोक वाटिका एवं उसके प्रवेशद्वार को ध्वस्त कर दिया।।74।।
English Meaning
अभिज्ञानम् as token of recognition (Rama's ring), निवेदयित्वा having presented, प्रवृत्तिं च the entire account, निवेद्य च having related, वैदेहीम् daughter of the king of Videha with its capital at Mithila, Sita, समाश्वास्य having consoled, तोरणम् outer gate of the garden, मर्दयामास crushed.
Hanuman delivered Rama's ring to Sita as a token of recognition, related the whole story and consoled her. He then crushed the arch (of the outer gate of the garden) before leaving.
#SankshepaRamayanam
(महर्षिवाल्मीकिप्रणीत-रामायण-बालकाण्ड-प्रथमसर्ग-रूपम्)
मूलश्लोकः-74
निवेदयित्वाऽभिज्ञानं प्रवृत्तिं विनिवेद्य च।
समाश्वास्य च वैदेहीं मर्दयामास तोरणम्।।74।।
श्लोकान्वयः -
(ततश्च हनुमान्) अभिज्ञानं निवेदयित्वा* प्रवृत्तिं च
(रामस्य) विनिवेद्य वैदहीं समाश्वास्य च तोरणं मर्दयामास।74।।
हिन्दी-अनुवाद -
उसके बाद हनुमान् राम की परिचायक अंगूठी सीता को देकर सीताहरण के बाद राम सुग्रीव की मैत्री पर्यन्त का सारा वृत्तन्त सुनाया। फिर केवल सीता को ही जो पता हो ऐसे राम के अंग के चिह्न के बारे में बताया एवं ‘शीघ्र ही राम आने वाले हैं’ ऐसा कहकर सीता को आश्वस्त कर अशोक वाटिका एवं उसके प्रवेशद्वार को ध्वस्त कर दिया।।74।।
English Meaning
अभिज्ञानम् as token of recognition (Rama's ring), निवेदयित्वा having presented, प्रवृत्तिं च the entire account, निवेद्य च having related, वैदेहीम् daughter of the king of Videha with its capital at Mithila, Sita, समाश्वास्य having consoled, तोरणम् outer gate of the garden, मर्दयामास crushed.
Hanuman delivered Rama's ring to Sita as a token of recognition, related the whole story and consoled her. He then crushed the arch (of the outer gate of the garden) before leaving.
#SankshepaRamayanam
January 9, 2022
January 9, 2022
🍃
♦️taM vidyaad duHkhasaMyogaviyogaM yogasaMj~nitam|
sa nishchayena yoktavyo yogo'nirviNNachetasaa||6.23||
⚜6.23 Let that be known by the name of Yoga, the severance from union with pain. This Yoga should be practised with determination and with an undesponding mind.
⚜।।6.23।। दुख के संयोग से वियोग को ही योग कहते हैं जिसे जानना चाहिये उस योग का अभ्यास उकताहटरहित चित्त से निश्चयपूर्वक करना चाहिये।।
#geeta
तं विद्याद् दुःखसंयोगवियोगं योगसंज्ञितम्।
स निश्चयेन योक्तव्यो योगोऽनिर्विण्णचेतसा
।।6.23।। ♦️taM vidyaad duHkhasaMyogaviyogaM yogasaMj~nitam|
sa nishchayena yoktavyo yogo'nirviNNachetasaa||6.23||
⚜6.23 Let that be known by the name of Yoga, the severance from union with pain. This Yoga should be practised with determination and with an undesponding mind.
⚜।।6.23।। दुख के संयोग से वियोग को ही योग कहते हैं जिसे जानना चाहिये उस योग का अभ्यास उकताहटरहित चित्त से निश्चयपूर्वक करना चाहिये।।
#geeta
January 9, 2022
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Topic : Ideal Bhartiya.
(आदर्शः भारतीयः)
Date : 10thJanuary 2022,
Monday.
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😇 Please come prepared to discuss ( आदर्शः भारतीयः कीदृशः भवितव्यः। )in Sanskrit, If possible.
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January 9, 2022
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🍃
♦️sa~NkalpaprabhavaankaamaaMstyaktvaa sarvaanasheShataH|
manasaivendriyagraamaM viniyamya samantataH||6.24||
⚜6.24 Abandoning without reserve all desires born of Sankalpa (thought and imagination) and completely restraining the whole group of the senses by the mind from all sides.
⚜।।6.24।। संकल्प से उत्पन्न समस्त कामनाओं को निशेष रूप से परित्याग कर मन के द्वारा इन्द्रिय समुदाय को सब ओर से सम्यक् प्रकार वश में करके।।
#geeta
सङ्कल्पप्रभवान्कामांस्त्यक्त्वा सर्वानशेषतः।
मनसैवेन्द्रियग्रामं विनियम्य समन्ततः
।।6.24।। ♦️sa~NkalpaprabhavaankaamaaMstyaktvaa sarvaanasheShataH|
manasaivendriyagraamaM viniyamya samantataH||6.24||
⚜6.24 Abandoning without reserve all desires born of Sankalpa (thought and imagination) and completely restraining the whole group of the senses by the mind from all sides.
⚜।।6.24।। संकल्प से उत्पन्न समस्त कामनाओं को निशेष रूप से परित्याग कर मन के द्वारा इन्द्रिय समुदाय को सब ओर से सम्यक् प्रकार वश में करके।।
#geeta
January 9, 2022
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January 9, 2022
Switch to DD News daily at 7:15 AM (Morning) for 15 minutes Sanskrit news.
https://youtu.be/Eamo1sRdd5I
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January 9, 2022
🚩जय सत्य सनातन 🚩
🚩आज की हिंदी तिथि
🌥️ 🚩युगाब्द - ५१२३
🌥️ 🚩विक्रम संवत - २०७८
⛅ 🚩तिथि - अष्टमी दोपहर १२:२५ तक तत्पश्चात नवमी
⛅ दिनांक - १० जनवरी २०२२
⛅ दिन - सोमवार
⛅ शक संवत -१९४३
⛅ अयन - दक्षिणायन
⛅ ऋतु - शिशिर
⛅ मास - पौष
⛅ पक्ष - शुक्ल
⛅ नक्षत्र - रेवती सुबह ०८:५० तक तत्पश्चात अश्विनी
⛅ योग - शिव सुबह १०:३७ तक तत्पश्चात सिध्द
⛅ राहुकाल - सुबह ०८:४० से सुबह १०:०२ तक
⛅ सूर्योदय - ०७:१९
⛅ सूर्यास्त - १८:१३
⛅ दिशाशूल - पूर्व दिशा में
🚩आज की हिंदी तिथि
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⛅ योग - शिव सुबह १०:३७ तक तत्पश्चात सिध्द
⛅ राहुकाल - सुबह ०८:४० से सुबह १०:०२ तक
⛅ सूर्योदय - ०७:१९
⛅ सूर्यास्त - १८:१३
⛅ दिशाशूल - पूर्व दिशा में
January 9, 2022
January 9, 2022
January 9, 2022
__________किरणाः शीतलाः भवन्ति।
Anonymous Quiz
13%
चन्द्रमा
36%
चन्द्रमसः
20%
चन्द्रमस्य
32%
चन्द्रमायाः
January 10, 2022
संस्कृत संवादः । Sanskrit Samvadah
संस्कृतं
वद आधुनिको भव। वेदान् पठ वैज्ञानिको भव।। पाठ (५) द्वितीया विभक्तिः (२)
कर्त्तृवाच्य (एक्टिव वॉइस) में कर्म (=क्रिया की निष्पत्ति में कर्त्ता
को अत्यन्त अभीष्ट वस्तु) कारक में द्वितीया विभक्ति होती है यथा- तक्षकः
काष्ठं तक्षति। • बढ़ई लकड़ी छील…
गोदः गां ददाति।
• गाय दान करनेवाला गाय देता है।
पार्ष्णिंत्रं पार्ष्णिं त्रायते।
• मोजा एड़ी की रक्षा करता है।
अङ्गुलित्रम् अङ्गुलीः त्रायते।
• दस्ताना उँगलियों की रक्षा करता है।
मधुपः मधु पिबति।
• भौंरा शहद पीता है / शराबी शराब पीता है।
मधुकरः मधु करोति।
• भौंरा शहद बनाता है।
शास्त्रस्त्रज्ञः शास्त्रं जानाति।
• शास्त्रज्ञ शास्त्र जानता है।
शीधुपी शीधु पिबति।
• शराबी महिला मदिरापान करती है।
सुरापी सुरां पिबति।
• शराबी महिला मदिरापान करती है।
तुन्दपरिमृजः तुन्दं परिमार्ष्टि।
• आलसी तोंद थपथपा रहा है।
सामगी साम गायति।
• सामगान करनेवाली सामगान करती है।
न्यायकारी न्यायं करोति।
• न्यायकारी न्याय करता है।
दयाकरः दयां करोति।
• दयालु दया करता है।
सर्वाधारः सर्वान् आधरति।
• सर्वाधार सबको अच्छी तरह से धारण करता है।
सर्वेश्वरः सर्वान् ईष्टि।
• सर्वेश्वर सब पर शासन करता है।
सर्वज्ञः सर्वं जानाति।
• सर्वज्ञ सब कुछ जानता है।
अल्पज्ञः अल्पं जानाति।
• अल्पज्ञ थोड़ा जानता है।
सुखकरः सुखं करोति।
• सुखी सुख करता है।
सुखदः सुखं ददाति।
• सुखदाता सुख देता है।
दुःखकरः दुःखं करोति।
• दुःखी दुःख करता है।
दुःखदः दुःखं ददाति।
• दुःखदाता दुःख देता है।
कथाकारः कथां करोति।
• कथाकार कथा करता है।
श्लोककारः श्लोकं करोति।
• श्लोककार श्लोक बनाता है।
चाटुकारः चाटु करोति।
• चापलूस चापलूसी करता है।
सूत्रकारः सूत्रं करोति।
• सूत्रकार सूत्र बनाता है।
कलहकारः कलहं करोति।
• झगड़ालू झगड़ा करता है।
वैरकारः वैरं करोति।
• वैरी वैर करता है।
शकृत्करः शकृत् करोति।
• बछड़ा शौच करता है।
आत्मम्भरिः आत्मानं बिभर्त्ति।
• स्वार्थी अपना भरण-पोषण करता है।
धर्मधरः धर्मं धरति।
• धार्मिक धर्म को धारण करता है।
सत्यपालः सत्यं पालयति।
• सत्यपाल सत्य का पालन करता है।
गोपालः गां पालयति।
• गोपाल गाय / पृथ्वी / वाणी की रक्षा करता है।
गोपः गां पाति।
• गोपाल गाय / पृथ्वी / वाणी की रक्षा करता है।
गोरक्षः / गोरक्षकः गां रक्षति।
• गोपाल गाय / पृथ्वी / वाणी की रक्षा करता है।
धरणीधरः धरणीं धरति।
• पहाड़ / राजा पृथ्वी को धारण करता है।
अङ्गमेजयः अङ्गानि एजयति।
• कम्पवा अंगों को हिलाता है।
जनमेजयः जनान् एजयति।
• जनमेजय लोगों को हिलाता है।
मृत्युञ्जयः मृत्युं जयति।
• मृत्युंजय मृत्यु को जीतता है।
शत्रुञ्जयः शत्रून् जयति।
• शत्रुंजय शत्रु को जीतता है।
सञ्जयः सर्वं सञ्जयति।
• संजय सभी को अच्छी प्रकार जीतता है।
नासिकन्धमः नासिकां धमति।
• खर्राटे भरनेवाला खर्राटे भर रहा है।
मुष्टिन्धयः मुष्टिं धयति।
• मुट्ठी पीनेवाला / चूसनेवाला बच्चा मूट्ठी चूस रहा है।
अङ्गुष्ठन्धयः अङ्गुष्ठं धयति।
• अंगूठा चूसनेवाला अंगूठा चूसता है।
#vakyabhyas
• गाय दान करनेवाला गाय देता है।
पार्ष्णिंत्रं पार्ष्णिं त्रायते।
• मोजा एड़ी की रक्षा करता है।
अङ्गुलित्रम् अङ्गुलीः त्रायते।
• दस्ताना उँगलियों की रक्षा करता है।
मधुपः मधु पिबति।
• भौंरा शहद पीता है / शराबी शराब पीता है।
मधुकरः मधु करोति।
• भौंरा शहद बनाता है।
शास्त्रस्त्रज्ञः शास्त्रं जानाति।
• शास्त्रज्ञ शास्त्र जानता है।
शीधुपी शीधु पिबति।
• शराबी महिला मदिरापान करती है।
सुरापी सुरां पिबति।
• शराबी महिला मदिरापान करती है।
तुन्दपरिमृजः तुन्दं परिमार्ष्टि।
• आलसी तोंद थपथपा रहा है।
सामगी साम गायति।
• सामगान करनेवाली सामगान करती है।
न्यायकारी न्यायं करोति।
• न्यायकारी न्याय करता है।
दयाकरः दयां करोति।
• दयालु दया करता है।
सर्वाधारः सर्वान् आधरति।
• सर्वाधार सबको अच्छी तरह से धारण करता है।
सर्वेश्वरः सर्वान् ईष्टि।
• सर्वेश्वर सब पर शासन करता है।
सर्वज्ञः सर्वं जानाति।
• सर्वज्ञ सब कुछ जानता है।
अल्पज्ञः अल्पं जानाति।
• अल्पज्ञ थोड़ा जानता है।
सुखकरः सुखं करोति।
• सुखी सुख करता है।
सुखदः सुखं ददाति।
• सुखदाता सुख देता है।
दुःखकरः दुःखं करोति।
• दुःखी दुःख करता है।
दुःखदः दुःखं ददाति।
• दुःखदाता दुःख देता है।
कथाकारः कथां करोति।
• कथाकार कथा करता है।
श्लोककारः श्लोकं करोति।
• श्लोककार श्लोक बनाता है।
चाटुकारः चाटु करोति।
• चापलूस चापलूसी करता है।
सूत्रकारः सूत्रं करोति।
• सूत्रकार सूत्र बनाता है।
कलहकारः कलहं करोति।
• झगड़ालू झगड़ा करता है।
वैरकारः वैरं करोति।
• वैरी वैर करता है।
शकृत्करः शकृत् करोति।
• बछड़ा शौच करता है।
आत्मम्भरिः आत्मानं बिभर्त्ति।
• स्वार्थी अपना भरण-पोषण करता है।
धर्मधरः धर्मं धरति।
• धार्मिक धर्म को धारण करता है।
सत्यपालः सत्यं पालयति।
• सत्यपाल सत्य का पालन करता है।
गोपालः गां पालयति।
• गोपाल गाय / पृथ्वी / वाणी की रक्षा करता है।
गोपः गां पाति।
• गोपाल गाय / पृथ्वी / वाणी की रक्षा करता है।
गोरक्षः / गोरक्षकः गां रक्षति।
• गोपाल गाय / पृथ्वी / वाणी की रक्षा करता है।
धरणीधरः धरणीं धरति।
• पहाड़ / राजा पृथ्वी को धारण करता है।
अङ्गमेजयः अङ्गानि एजयति।
• कम्पवा अंगों को हिलाता है।
जनमेजयः जनान् एजयति।
• जनमेजय लोगों को हिलाता है।
मृत्युञ्जयः मृत्युं जयति।
• मृत्युंजय मृत्यु को जीतता है।
शत्रुञ्जयः शत्रून् जयति।
• शत्रुंजय शत्रु को जीतता है।
सञ्जयः सर्वं सञ्जयति।
• संजय सभी को अच्छी प्रकार जीतता है।
नासिकन्धमः नासिकां धमति।
• खर्राटे भरनेवाला खर्राटे भर रहा है।
मुष्टिन्धयः मुष्टिं धयति।
• मुट्ठी पीनेवाला / चूसनेवाला बच्चा मूट्ठी चूस रहा है।
अङ्गुष्ठन्धयः अङ्गुष्ठं धयति।
• अंगूठा चूसनेवाला अंगूठा चूसता है।
#vakyabhyas
January 10, 2022
January 10, 2022
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सङ्क्षेपरामायणम्
(महर्षिवाल्मीकिप्रणीत-रामायण-बालकाण्ड-प्रथमसर्ग-रूपम्)
मूलश्लोकः-75
पञ्च सेनाग्रगान् हत्वा सप्त मन्त्रिसुतानपि।
शूरमक्षं च निष्पिष्य ग्रहणं समुपागमत्।।75।।
श्लोकान्वयः -
(स: हनुमान्) पञ्च सेनाग्रगान् सप्त मन्त्रिसुतान् च हत्वा
शूरम् अक्षम् अपि निष्पिष्य ग्रहणं समुपागमत्।।75।।
हिन्दी-अनुवाद -
तत्पश्चात् हनुमान् पाँच सेनापतियों को एवं सात मन्त्रिपुत्रों को मारकर
रावण के वीर पुत्र अक्षय कुमार को चूर-चूर कर मेघनाद द्वारा चलाए गए ब्रह्मास्त्र में आबद्ध हो गए।।75।।
English Meaning
पञ्च सेनाग्रगान् five commanders, सप्त मन्त्रिसुतानपि seven sons of counsellors, हत्वा having killed, शूरम् valiant, अक्षं च Akshaya Kumara, son of Ravana, निष्पिष्य having stamped, ग्रहणम् समुपागमत् got caught, to be taken as captive.
After killing five commanders, seven sons of the counsellors, stamping out valiant Akshayakumara, the son of Ravana, Hanuman got himself captured (to be taken as captive).
#SankshepaRamayanam
(महर्षिवाल्मीकिप्रणीत-रामायण-बालकाण्ड-प्रथमसर्ग-रूपम्)
मूलश्लोकः-75
पञ्च सेनाग्रगान् हत्वा सप्त मन्त्रिसुतानपि।
शूरमक्षं च निष्पिष्य ग्रहणं समुपागमत्।।75।।
श्लोकान्वयः -
(स: हनुमान्) पञ्च सेनाग्रगान् सप्त मन्त्रिसुतान् च हत्वा
शूरम् अक्षम् अपि निष्पिष्य ग्रहणं समुपागमत्।।75।।
हिन्दी-अनुवाद -
तत्पश्चात् हनुमान् पाँच सेनापतियों को एवं सात मन्त्रिपुत्रों को मारकर
रावण के वीर पुत्र अक्षय कुमार को चूर-चूर कर मेघनाद द्वारा चलाए गए ब्रह्मास्त्र में आबद्ध हो गए।।75।।
English Meaning
पञ्च सेनाग्रगान् five commanders, सप्त मन्त्रिसुतानपि seven sons of counsellors, हत्वा having killed, शूरम् valiant, अक्षं च Akshaya Kumara, son of Ravana, निष्पिष्य having stamped, ग्रहणम् समुपागमत् got caught, to be taken as captive.
After killing five commanders, seven sons of the counsellors, stamping out valiant Akshayakumara, the son of Ravana, Hanuman got himself captured (to be taken as captive).
#SankshepaRamayanam
January 10, 2022
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Duration : 30 minutes only
Time : IST 11:00 AM 🕚
Topic : Swami Vivekanand.
(स्वामीविवेकानन्दः)
Date : 11thJanuary 2022,
Tuesday.
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😇 Please come prepared to discuss ( स्वामीविवेकानन्दस्य जीवनघटनां , जीवनपरिचयं वा वदन्तु। )in Sanskrit, If possible.
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Topic : Swami Vivekanand.
(स्वामीविवेकानन्दः)
Date : 11thJanuary 2022,
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January 10, 2022
January 10, 2022
🍃
♦️shanaiH shanairuparamed buddhyaa dhRRitigRRihiitayaa|
aatmasaMsthaM manaH kRRitvaa na ki~nchidapi chintayet||6.25||
⚜6.25 Little by little let him attain to quietude by the intellect held firmly; having made the mind establish itself in the Self, let him not think of anything.
⚜।।6.25।। शनै शनै धैर्ययुक्त बुद्धि के द्वारा (योगी) उपरामता (शांति) को प्राप्त होवे मन को आत्मा में स्थित करके फिर अन्य कुछ भी चिन्तन न करे।।
#geeta
शनैः शनैरुपरमेद् बुद्ध्या धृतिगृहीतया।
आत्मसंस्थं मनः कृत्वा न किञ्चिदपि चिन्तयेत्
।।6.25।। ♦️shanaiH shanairuparamed buddhyaa dhRRitigRRihiitayaa|
aatmasaMsthaM manaH kRRitvaa na ki~nchidapi chintayet||6.25||
⚜6.25 Little by little let him attain to quietude by the intellect held firmly; having made the mind establish itself in the Self, let him not think of anything.
⚜।।6.25।। शनै शनै धैर्ययुक्त बुद्धि के द्वारा (योगी) उपरामता (शांति) को प्राप्त होवे मन को आत्मा में स्थित करके फिर अन्य कुछ भी चिन्तन न करे।।
#geeta
January 10, 2022
January 10, 2022
🍃
♦️yato yato nishcharati manashcha~nchalamasthiram|
tatastato niyamyaitadaatmanyeva vashaM nayet||6.26||
⚜6.26 From whatever cause the restless and unsteady mind wanders away, from that let him restrain it and bring it under the control of the Self alone.
⚜।।6.26।। यह चंचल और अस्थिर मन जिन कारणों से (विषयों में) विचरण करता है उनसे संयमित करके उसे आत्मा के ही वश में लावे अर्थात् आत्मा में स्थिर करे।।
#geeta
यतो यतो निश्चरति मनश्चञ्चलमस्थिरम्।
ततस्ततो नियम्यैतदात्मन्येव वशं नयेत्
।।6.26।। ♦️yato yato nishcharati manashcha~nchalamasthiram|
tatastato niyamyaitadaatmanyeva vashaM nayet||6.26||
⚜6.26 From whatever cause the restless and unsteady mind wanders away, from that let him restrain it and bring it under the control of the Self alone.
⚜।।6.26।। यह चंचल और अस्थिर मन जिन कारणों से (विषयों में) विचरण करता है उनसे संयमित करके उसे आत्मा के ही वश में लावे अर्थात् आत्मा में स्थिर करे।।
#geeta
January 10, 2022
🌞 ~ *आज का हिन्दू पंचांग* ~ 🌞
⛅ *दिनांक - 11 जनवरी 2022*
⛅ *दिन - मंगलवार*
⛅ *विक्रम संवत - 2078*
⛅ *शक संवत -1943*
⛅ *अयन - दक्षिणायन*
⛅ *ऋतु - शिशिर*
⛅ *मास - पौस*
⛅ *पक्ष - शुक्ल*
⛅ *तिथि - नवमी दोपहर 02:21 तक तत्पश्चात दशमी*
⛅ *नक्षत्र - अश्विनी सुबह 11:10 तक तत्पश्चात भरणी*
⛅ *योग - सिध्द सुबह 10:56 तक तत्पश्चात साध्य*
⛅ *राहुकाल - शाम 03:31 से शाम 04:53 तक*
⛅ *सूर्योदय - 07:19*
⛅ *सूर्यास्त - 18:13*
⛅ *दिशाशूल - उत्तर दिशा में*
⛅ *दिनांक - 11 जनवरी 2022*
⛅ *दिन - मंगलवार*
⛅ *विक्रम संवत - 2078*
⛅ *शक संवत -1943*
⛅ *अयन - दक्षिणायन*
⛅ *ऋतु - शिशिर*
⛅ *मास - पौस*
⛅ *पक्ष - शुक्ल*
⛅ *तिथि - नवमी दोपहर 02:21 तक तत्पश्चात दशमी*
⛅ *नक्षत्र - अश्विनी सुबह 11:10 तक तत्पश्चात भरणी*
⛅ *योग - सिध्द सुबह 10:56 तक तत्पश्चात साध्य*
⛅ *राहुकाल - शाम 03:31 से शाम 04:53 तक*
⛅ *सूर्योदय - 07:19*
⛅ *सूर्यास्त - 18:13*
⛅ *दिशाशूल - उत्तर दिशा में*
January 10, 2022
Forwarded from ॐ पीयूषः
January 10, 2022
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Topic : Swami Vivekanand.
(स्वामीविवेकानन्दः)
Date : 11thJanuary 2022,
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(स्वामीविवेकानन्दः)
Date : 11thJanuary 2022,
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January 10, 2022
January 10, 2022
January 10, 2022
January 10, 2022
अर्चकः नद्याः जलं स्वीकरोति।
अस्मिन् वाक्ये नदीशब्दस्य का विभक्तिः अस्ति।
अस्मिन् वाक्ये नदीशब्दस्य का विभक्तिः अस्ति।
Anonymous Quiz
24%
पञ्चमी
37%
षष्ठी
35%
पञ्चमी षष्ठी च
4%
चतुर्थी षष्ठी च
January 11, 2022
संस्कृत संवादः । Sanskrit Samvadah
गोदः
गां ददाति। • गाय दान करनेवाला गाय देता है। पार्ष्णिंत्रं पार्ष्णिं
त्रायते। • मोजा एड़ी की रक्षा करता है। अङ्गुलित्रम् अङ्गुलीः त्रायते।
• दस्ताना उँगलियों की रक्षा करता है। मधुपः मधु पिबति। • भौंरा शहद
पीता है / शराबी शराब पीता है। मधुकरः…
संस्कृतं वद आधुनिको भव।
वेदान् पठ वैज्ञानिको भव।।
पाठ (६) द्वितीया विभक्तिः (३) (द्विकर्मक धातुएं)
१. दुह्
अजापालः अजां दुग्धं दोग्धि = गड़रिया बकरी का दूध दुहता है।
गां दुग्धं अधुक्षत् गोपः = गोपालक ने गाय का दूध दुहा।
वेत्ता शास्त्रं सारं दुह्यात् = विद्वान् शास्त्र से सार निकाले।
अग्निवाय्वादित्याङ्गिराः ईश्वरं वेदान् दुदुहुः = अग्नि, वायु, आदित्य, अंगिरा ने ईश्वर से वेदों को प्राप्त किया।
भ्रष्टाचारिणः शासकाः प्रजां धनं धोक्ष्यन्ति = भ्रष्टाचारी शासक प्रजा के धन का दोहन (शोषण) करेंगे।
ऐश्वर्यप्रियाः पृथिवीं रत्नानि दोग्धारः = ऐय्याश लोग धरती से रत्नों को निकालेंगे।
रुग्णां गां दुग्धं मा दोग्धु = बीमार गाय का दूध मत निकालो।
२. याच्
सः सर्वकारं भूमिं याचति = वह सरकार से भूमि मांगता है।
अहं मित्रं लक्षरुप्यकाणि अयाचिषम् = मैंने मित्र से एक लाख रुपए मांगे।
पीडिता प्रजा दयालुं दयां याचिष्यति = दुःखी प्रजा दयालु ईश्वर से दया मांगेगी।
दुःखिणः न्यायालयं न्यायं याचेयुः = दुःखी लोग न्यायालय से न्याय की मांग करें।
सर्वदं प्रभुं किं याचे ? = सबकुछ के दाता ईश्वर से मैं क्या मांगूं ?
ईश्वरं मेधां याचतु = ईश्वर से मेधाबुद्धि की याचना करो।
ययातिः पुत्रान् यौवनं ययाच = ययाति ने पुत्रों से यौवन मांगा।
३. भिक्ष
पुरा ब्रह्मचारिणः गृहस्थं भिक्षां याचते स्म = प्राचीनकाल में ब्रह्मचारी गृहस्थियों से भिक्षा मांगते थे।
वधूः श्वश्रूं दयां अभिक्षिष्ट = बहू ने सास से दया की भीख मांगी।
कौत्सः दिलीपं धनं बिभिक्षे = कौत्स ने दिलीप से धन मांगा।
भिक्षुकः यात्रिणं रुप्यकं बिक्षिष्यते = भिखारी यात्रियों से रुपए की भीख मांगेगा।
संन्यासी सम्पन्नान् भिक्षां भिक्षेत् = संन्यासी सम्पन्न लोगों से भिक्षा मांगे।
विदुषः परामर्शं भिक्षताम् = विद्वानों से सलाह मांगो।
४. पच्
त्वं गोधूमान् संयावं पचसि = तू गेहूं का हलुआ पका रहा / रही है।
युवां गृञ्जनानि संयावं पचतम् = तुम दोनों गाजर का हलुआ पकाओ।
यूयम् अलाबूं संयावम् अपाक्त = तुम सब ने लौकी का हलुआ पकाया।
अहं मुद्गान् संयावं पक्ष्यामि = मैं मूंग का हलुआ पकाऊंगा / पकाऊंगी।
आवां चणकचूर्णं संयावं पचेव = हम दोनों को बेसन का हलुआ पकाना चाहिए।
वयं कटिजान् पायसं पक्तास्मः = हम सब मक्के की खीर पकाएंगे।
सा पीयूषं पैयूषम् अपचत् = उस लड़की ने सद्यः ब्याही गाय के दूध से खीस पकाया।
ते दुग्धं किलाटं पचेते = वे दोनों लड़कियां दूध से खोया बना रहीं हैं।
ताः आमलकानि मिष्टपाकं पचन्ताम् = वे सब महिलाएं आंवले का मुरब्बा बनाएं।
एषा चणकचूर्णं चित्रापूपान् पक्ष्यते = यह बालिका बेसन के चीले पकाएगी।
एते गोधूमचूणम् अङ्गारकर्कटीः पचेयाताम् = ये दोनों बालिकाएं गेहूं के आटे की बाटियां पकाएं।
एताः तण्डुलचूर्णं पर्पटीः अपचन्त = इन सब बालिकाओं ने चावल के आटे के पापड़ बनाए।
५. दण्ड
मनुः चौरं हस्तच्छेदं दण्डयति = मनुराजा चोर के हाथ काटने का दण्ड देता है।
यत्र प्राकृतं जनं रुप्यकं दण्डयेत् राजानं तत्र सहस्रगुणं दण्डयेत् = जिस अपराध के लिए प्रजा को एक रुपए से दण्डित किया जाए उसी अपराध के लिए राजा को हजारगुणा दण्ड प्रावधान होवे।
व्यभिचारिणीं श्वखादनं दण्डयतु = व्यभिचारिणी महिला को कुत्तों से नुचवाओ।
व्यभिचारिणं तप्तायसशयनं दण्डयिष्यति = (राजा) व्यभिचारी पुरुष को गरम लोहे के पलंग पर सुलाके मारने का दण्ड देगा।
देशद्रोहिणं सर्ववेदसम् अदण्डयत् = (न्यायाधीश ने) देशद्रोही का सर्वस्व छीन लेने का दण्ड दिया।
गुरुद्रोहिणं मृत्युदण्डम् अदिदण्डत् = गुरुद्रोही को मृत्युदण्ड दिया।
#vakyabhyas
वेदान् पठ वैज्ञानिको भव।।
पाठ (६) द्वितीया विभक्तिः (३) (द्विकर्मक धातुएं)
१. दुह्
अजापालः अजां दुग्धं दोग्धि = गड़रिया बकरी का दूध दुहता है।
गां दुग्धं अधुक्षत् गोपः = गोपालक ने गाय का दूध दुहा।
वेत्ता शास्त्रं सारं दुह्यात् = विद्वान् शास्त्र से सार निकाले।
अग्निवाय्वादित्याङ्गिराः ईश्वरं वेदान् दुदुहुः = अग्नि, वायु, आदित्य, अंगिरा ने ईश्वर से वेदों को प्राप्त किया।
भ्रष्टाचारिणः शासकाः प्रजां धनं धोक्ष्यन्ति = भ्रष्टाचारी शासक प्रजा के धन का दोहन (शोषण) करेंगे।
ऐश्वर्यप्रियाः पृथिवीं रत्नानि दोग्धारः = ऐय्याश लोग धरती से रत्नों को निकालेंगे।
रुग्णां गां दुग्धं मा दोग्धु = बीमार गाय का दूध मत निकालो।
२. याच्
सः सर्वकारं भूमिं याचति = वह सरकार से भूमि मांगता है।
अहं मित्रं लक्षरुप्यकाणि अयाचिषम् = मैंने मित्र से एक लाख रुपए मांगे।
पीडिता प्रजा दयालुं दयां याचिष्यति = दुःखी प्रजा दयालु ईश्वर से दया मांगेगी।
दुःखिणः न्यायालयं न्यायं याचेयुः = दुःखी लोग न्यायालय से न्याय की मांग करें।
सर्वदं प्रभुं किं याचे ? = सबकुछ के दाता ईश्वर से मैं क्या मांगूं ?
ईश्वरं मेधां याचतु = ईश्वर से मेधाबुद्धि की याचना करो।
ययातिः पुत्रान् यौवनं ययाच = ययाति ने पुत्रों से यौवन मांगा।
३. भिक्ष
पुरा ब्रह्मचारिणः गृहस्थं भिक्षां याचते स्म = प्राचीनकाल में ब्रह्मचारी गृहस्थियों से भिक्षा मांगते थे।
वधूः श्वश्रूं दयां अभिक्षिष्ट = बहू ने सास से दया की भीख मांगी।
कौत्सः दिलीपं धनं बिभिक्षे = कौत्स ने दिलीप से धन मांगा।
भिक्षुकः यात्रिणं रुप्यकं बिक्षिष्यते = भिखारी यात्रियों से रुपए की भीख मांगेगा।
संन्यासी सम्पन्नान् भिक्षां भिक्षेत् = संन्यासी सम्पन्न लोगों से भिक्षा मांगे।
विदुषः परामर्शं भिक्षताम् = विद्वानों से सलाह मांगो।
४. पच्
त्वं गोधूमान् संयावं पचसि = तू गेहूं का हलुआ पका रहा / रही है।
युवां गृञ्जनानि संयावं पचतम् = तुम दोनों गाजर का हलुआ पकाओ।
यूयम् अलाबूं संयावम् अपाक्त = तुम सब ने लौकी का हलुआ पकाया।
अहं मुद्गान् संयावं पक्ष्यामि = मैं मूंग का हलुआ पकाऊंगा / पकाऊंगी।
आवां चणकचूर्णं संयावं पचेव = हम दोनों को बेसन का हलुआ पकाना चाहिए।
वयं कटिजान् पायसं पक्तास्मः = हम सब मक्के की खीर पकाएंगे।
सा पीयूषं पैयूषम् अपचत् = उस लड़की ने सद्यः ब्याही गाय के दूध से खीस पकाया।
ते दुग्धं किलाटं पचेते = वे दोनों लड़कियां दूध से खोया बना रहीं हैं।
ताः आमलकानि मिष्टपाकं पचन्ताम् = वे सब महिलाएं आंवले का मुरब्बा बनाएं।
एषा चणकचूर्णं चित्रापूपान् पक्ष्यते = यह बालिका बेसन के चीले पकाएगी।
एते गोधूमचूणम् अङ्गारकर्कटीः पचेयाताम् = ये दोनों बालिकाएं गेहूं के आटे की बाटियां पकाएं।
एताः तण्डुलचूर्णं पर्पटीः अपचन्त = इन सब बालिकाओं ने चावल के आटे के पापड़ बनाए।
५. दण्ड
मनुः चौरं हस्तच्छेदं दण्डयति = मनुराजा चोर के हाथ काटने का दण्ड देता है।
यत्र प्राकृतं जनं रुप्यकं दण्डयेत् राजानं तत्र सहस्रगुणं दण्डयेत् = जिस अपराध के लिए प्रजा को एक रुपए से दण्डित किया जाए उसी अपराध के लिए राजा को हजारगुणा दण्ड प्रावधान होवे।
व्यभिचारिणीं श्वखादनं दण्डयतु = व्यभिचारिणी महिला को कुत्तों से नुचवाओ।
व्यभिचारिणं तप्तायसशयनं दण्डयिष्यति = (राजा) व्यभिचारी पुरुष को गरम लोहे के पलंग पर सुलाके मारने का दण्ड देगा।
देशद्रोहिणं सर्ववेदसम् अदण्डयत् = (न्यायाधीश ने) देशद्रोही का सर्वस्व छीन लेने का दण्ड दिया।
गुरुद्रोहिणं मृत्युदण्डम् अदिदण्डत् = गुरुद्रोही को मृत्युदण्ड दिया।
#vakyabhyas
January 11, 2022
January 11, 2022
January 11, 2022
सङ्क्षेपरामायणम्
(महर्षिवाल्मीकिप्रणीत-रामायण-बालकाण्ड-प्रथमसर्ग-रूपम्)
मूलश्लोकः-76
अस्त्रेणोन्मुक्तमात्मानं ज्ञात्वा पैतामहाद्वरात्।
मर्षयन् राक्षसान् वीरो यन्त्रिणस्तान् यदृच्छया।।76।।
ततो दग्ध्वा पुरीं लङ्काम् ऋते सीतां च मैथिलीम्।
रामाय प्रियमाख्यातुं पुनरायान् महाकपि:।।77।।
श्लोकान्वयः -
(बन्धनानन्तरं हनुमान्) पैतामहात् वरात् अस्त्रेण आत्मानम् उन्मुक्तं ज्ञात्वा
यन्त्रिण: तान् राक्षसान् यदृच्छया मर्षयन् (रावणं प्राप्तवान्)।।76।।
तत: महाकपि: मैथिलीं सीताम् ऋते लङ्कां पुरीं दग्ध्वा
रामाय प्रियमाख्यातुं पुन: आयात्।।77।।
हिन्दी-अनुवाद -
मेघनाद द्वारा प्रयुक्त ब्रह्मास्त्र में बद्ध हनुमान् पितामह ब्रह्मा द्वारा प्राप्त वरदान के कारण
अपने आप को बन्धनमुक्त जानते हुए भी चुपचाप स्वेच्छा से उन राक्षसों को सहते हुए (अपने को बन्धन में ही समझते हुए)
रावण के पास पहुँचे।।76।।
रावणदर्शन के बाद वहाँ से निकलकर महाकपि हनुमान् मिथिलानरेश की पुत्री सीता को तथा उसके स्थान मात्र को छोड़कर बाकी लङ्का नगरी को जलाकर श्री राम को प्रिय लगने वाले सीतादर्शन तथा अन्य वृत्तन्त सुनाने के लिए लौट आए।।77।।
English Meaning
वीर: mighty warrior, महाकपि: great monkey, Hanuman, पैतामहात् by Brahma's, वरात् boon, आत्मानम् his own self, अस्त्रेण by the weapon (given by Brahma), उन्मुक्तम् released, ज्ञात्वा coming to know, यदृच्छया casually (in the expectation of his another objective of seeing Ravana), यन्त्रिण: restrained by ropes, तान् राक्षसान् those rakshasas, मर्षयन् while enduring, तत: after completion of that act, मैथिलीम् सीतां ऋते except Sita (Mythili), लङ्कां पुरीम् the city of Lanka, दग्ध्वा having burnt, रामाय for Rama, प्रियम् welcome tidings, आख्यातुम् to deliver, पुन: आयात् returned again.
The heroic Hanuman came to know that he could be released from the entanglements of the weapon granted to him through a boon by Brahma. He allowed himself to be restrained by the rakshasas with the ropes for the sake of achieving his other objective of seeing Ravana. Thereafter, he burnt the whole of Lanka except the place where Sita was and returned to deliver the good news to Rama.
#SankshepaRamayanam
(महर्षिवाल्मीकिप्रणीत-रामायण-बालकाण्ड-प्रथमसर्ग-रूपम्)
मूलश्लोकः-76
अस्त्रेणोन्मुक्तमात्मानं ज्ञात्वा पैतामहाद्वरात्।
मर्षयन् राक्षसान् वीरो यन्त्रिणस्तान् यदृच्छया।।76।।
ततो दग्ध्वा पुरीं लङ्काम् ऋते सीतां च मैथिलीम्।
रामाय प्रियमाख्यातुं पुनरायान् महाकपि:।।77।।
श्लोकान्वयः -
(बन्धनानन्तरं हनुमान्) पैतामहात् वरात् अस्त्रेण आत्मानम् उन्मुक्तं ज्ञात्वा
यन्त्रिण: तान् राक्षसान् यदृच्छया मर्षयन् (रावणं प्राप्तवान्)।।76।।
तत: महाकपि: मैथिलीं सीताम् ऋते लङ्कां पुरीं दग्ध्वा
रामाय प्रियमाख्यातुं पुन: आयात्।।77।।
हिन्दी-अनुवाद -
मेघनाद द्वारा प्रयुक्त ब्रह्मास्त्र में बद्ध हनुमान् पितामह ब्रह्मा द्वारा प्राप्त वरदान के कारण
अपने आप को बन्धनमुक्त जानते हुए भी चुपचाप स्वेच्छा से उन राक्षसों को सहते हुए (अपने को बन्धन में ही समझते हुए)
रावण के पास पहुँचे।।76।।
रावणदर्शन के बाद वहाँ से निकलकर महाकपि हनुमान् मिथिलानरेश की पुत्री सीता को तथा उसके स्थान मात्र को छोड़कर बाकी लङ्का नगरी को जलाकर श्री राम को प्रिय लगने वाले सीतादर्शन तथा अन्य वृत्तन्त सुनाने के लिए लौट आए।।77।।
English Meaning
वीर: mighty warrior, महाकपि: great monkey, Hanuman, पैतामहात् by Brahma's, वरात् boon, आत्मानम् his own self, अस्त्रेण by the weapon (given by Brahma), उन्मुक्तम् released, ज्ञात्वा coming to know, यदृच्छया casually (in the expectation of his another objective of seeing Ravana), यन्त्रिण: restrained by ropes, तान् राक्षसान् those rakshasas, मर्षयन् while enduring, तत: after completion of that act, मैथिलीम् सीतां ऋते except Sita (Mythili), लङ्कां पुरीम् the city of Lanka, दग्ध्वा having burnt, रामाय for Rama, प्रियम् welcome tidings, आख्यातुम् to deliver, पुन: आयात् returned again.
The heroic Hanuman came to know that he could be released from the entanglements of the weapon granted to him through a boon by Brahma. He allowed himself to be restrained by the rakshasas with the ropes for the sake of achieving his other objective of seeing Ravana. Thereafter, he burnt the whole of Lanka except the place where Sita was and returned to deliver the good news to Rama.
#SankshepaRamayanam
January 11, 2022
@samskrt_samvadah संलापशाला - A Samskrit Voicechat room.
Duration : 30 minutes only
Time : IST 11:00 AM 🕚
Topic : National youth day.
(राष्ट्रीययुवदिवसः )
Date : 12thJanuary 2022,
Wednesday.
Please Join the voicechat on time.
😇 Please come prepared to discuss ( युवकानां युवतीनाम् आचरणं चरित्रं वा कथं भवितव्यम्। )in Sanskrit , If possible.
We are waiting for you.😇
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January 11, 2022
January 11, 2022
🍃
♦️prashaantamanasaM hyenaM yoginaM sukhamuttamam|
upaiti shaantarajasaM brahmabhuutamakalmaSham||6.27||
⚜6.27 Supreme Bliss verily comes to this Yogi whose mind is quite peaceful, whose passion is quieted, who has become Brahman and who is free from sin.
⚜।।6.27।। जिसका मन प्रशान्त है जो पापरहित (अकल्मषम्) है और जिसका रजोगुण (विक्षेप) शांत हुआ है ऐसे ब्रह्मरूप हुए इस योगी को उत्तम सुख प्राप्त होता है।।
#geeta
प्रशान्तमनसं ह्येनं योगिनं सुखमुत्तमम्।
उपैति शान्तरजसं ब्रह्मभूतमकल्मषम्
।।6.27।। ♦️prashaantamanasaM hyenaM yoginaM sukhamuttamam|
upaiti shaantarajasaM brahmabhuutamakalmaSham||6.27||
⚜6.27 Supreme Bliss verily comes to this Yogi whose mind is quite peaceful, whose passion is quieted, who has become Brahman and who is free from sin.
⚜।।6.27।। जिसका मन प्रशान्त है जो पापरहित (अकल्मषम्) है और जिसका रजोगुण (विक्षेप) शांत हुआ है ऐसे ब्रह्मरूप हुए इस योगी को उत्तम सुख प्राप्त होता है।।
#geeta
January 11, 2022
January 11, 2022
🍃
♦️yu~njannevaM sadaa''tmaanaM yogii vigatakalmaShaH|
sukhena brahmasaMsparshamatyantaM sukhamashnute||6.28||
⚜6.28 The Yogi, always engaging the mind thus (in the practice of Yoga), freed from sins, easily enjoys the Infinite Bliss of contact with Brahman (the Eternal).
⚜।।6.28।। इस प्रकार मन को सदा आत्मा में स्थिर करने का योग करने वाला पापरहित योगी सुखपूर्वक ब्रह्मसंस्पर्श का परम सुख प्राप्त करता है।।
#geeta
युञ्जन्नेवं सदाऽऽत्मानं योगी विगतकल्मषः।
सुखेन ब्रह्मसंस्पर्शमत्यन्तं सुखमश्नुते
।।6.28।। ♦️yu~njannevaM sadaa''tmaanaM yogii vigatakalmaShaH|
sukhena brahmasaMsparshamatyantaM sukhamashnute||6.28||
⚜6.28 The Yogi, always engaging the mind thus (in the practice of Yoga), freed from sins, easily enjoys the Infinite Bliss of contact with Brahman (the Eternal).
⚜।।6.28।। इस प्रकार मन को सदा आत्मा में स्थिर करने का योग करने वाला पापरहित योगी सुखपूर्वक ब्रह्मसंस्पर्श का परम सुख प्राप्त करता है।।
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January 11, 2022
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January 11, 2022
🚩जय सत्य सनातन 🚩
🚩आज की हिंदी तिथि
🌥️ 🚩युगाब्द - ५१२३
🌥️ 🚩विक्रम संवत - २०७८
⛅ 🚩तिथि - दशमी शाम ०४:४९ तक तत्पश्चात एकादशी
⛅ दिनांक - १२ जनवरी २०२२
⛅ दिन - बुधवार
⛅ शक संवत -१९४३
⛅ अयन - दक्षिणायन
⛅ ऋतु - शिशिर
⛅ मास - पौष
⛅ पक्ष - शुक्ल
⛅ नक्षत्र - भरणी दोपहर ०२:०० तक तत्पश्चात कृत्तिका
⛅ योग - साध्य सुबह ११:३८ तक तत्पश्चात शुभ
⛅ राहुकाल - दोपहर १२:४७ से दोपहर ०२:०९ तक
⛅ सूर्योदय -०७:१९
⛅ सूर्यास्त - १८:१४
⛅ दिशाशूल - उत्तर दिशा में
🚩आज की हिंदी तिथि
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⛅ 🚩तिथि - दशमी शाम ०४:४९ तक तत्पश्चात एकादशी
⛅ दिनांक - १२ जनवरी २०२२
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⛅ शक संवत -१९४३
⛅ अयन - दक्षिणायन
⛅ ऋतु - शिशिर
⛅ मास - पौष
⛅ पक्ष - शुक्ल
⛅ नक्षत्र - भरणी दोपहर ०२:०० तक तत्पश्चात कृत्तिका
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⛅ राहुकाल - दोपहर १२:४७ से दोपहर ०२:०९ तक
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January 11, 2022
Forwarded from ॐ पीयूषः
January 11, 2022
January 11, 2022
January 11, 2022
January 11, 2022
"धर्मः भारतस्य आत्मा अस्ति" इति कस्य वचनम्।
Anonymous Quiz
7%
स्वामिनोः विवेकानन्दस्य
74%
स्वामिनः विवेकानन्दस्य
13%
स्वामिनः विवेकानन्दः
6%
स्वामिनेः विवेकानन्दस्य
January 12, 2022
January 12, 2022
रमणः - चिरकालात् गणे भवतः ध्वनि न श्रूयते । किञ्चित् भणतु
कार्तिकः -दाधर्तिदर्धर्तिदर्धर्षिबोभूतुतेतिक्तेऽलर्ष्यापनीफणत्संसनिष्यदत्करिक्रत्कनिक्रदद्भरिभ्रद्दविध्वतोदविद्युतत्तरित्रतःसरीसृपतंवरीवृजन्मर्मृज्यागनीगन्तीति
च
रमणः 😳 धन्यवादाः पुनर्मिलावः 🙏
#hasya
कार्तिकः -
रमणः 😳 धन्यवादाः पुनर्मिलावः 🙏
#hasya
January 12, 2022
सङ्क्षेपरामायणम्
(महर्षिवाल्मीकिप्रणीत-रामायण-बालकाण्ड-प्रथमसर्ग-रूपम्)
मूलश्लोकः-78
सोऽभिगम्य महात्मानं कृत्वा रामं प्रदक्षिणम्।
न्यवेदयदमेयात्मा दृष्टा सीतेति तत्त्वत:।।78।।
श्लोकान्वयः -
अमेयात्मा स: (महाकपि:) महात्मानम् रामम् अभिगम्य
प्रदक्षिणं (च) कृत्वा सीता तत्त्वत: दृष्टा इति न्यवेदयत्।।78।।
हिन्दी-अनुवाद -
अतुलनीय बल, बुद्धि एवं धैर्यसम्पन्न हनुमान् राम के पास गए।
हनुमान् ने महात्मा राम की प्रदक्षिणा करके बताया कि वस्तुत: उन्होंने सीता को देखा है।।78।।
English Meaning
अमेयात्मा possessing boundless intellect, स: he (Hanuman), महात्मानम् highly courageous, रामम् Rama, अधिगम्य having reached, प्रदक्षिणम् circumambulation, कृत्वा having made, दृष्टा seen, सीता Sita, इति in this manner, तत्त्वत: truthfully, न्यवेदयत् informed.
Reaching Rama the great Hanuman gifted with boundless intellect circumambulated him and infact informed him that he had seen Sita.
#SankshepaRamayanam
(महर्षिवाल्मीकिप्रणीत-रामायण-बालकाण्ड-प्रथमसर्ग-रूपम्)
मूलश्लोकः-78
सोऽभिगम्य महात्मानं कृत्वा रामं प्रदक्षिणम्।
न्यवेदयदमेयात्मा दृष्टा सीतेति तत्त्वत:।।78।।
श्लोकान्वयः -
अमेयात्मा स: (महाकपि:) महात्मानम् रामम् अभिगम्य
प्रदक्षिणं (च) कृत्वा सीता तत्त्वत: दृष्टा इति न्यवेदयत्।।78।।
हिन्दी-अनुवाद -
अतुलनीय बल, बुद्धि एवं धैर्यसम्पन्न हनुमान् राम के पास गए।
हनुमान् ने महात्मा राम की प्रदक्षिणा करके बताया कि वस्तुत: उन्होंने सीता को देखा है।।78।।
English Meaning
अमेयात्मा possessing boundless intellect, स: he (Hanuman), महात्मानम् highly courageous, रामम् Rama, अधिगम्य having reached, प्रदक्षिणम् circumambulation, कृत्वा having made, दृष्टा seen, सीता Sita, इति in this manner, तत्त्वत: truthfully, न्यवेदयत् informed.
Reaching Rama the great Hanuman gifted with boundless intellect circumambulated him and infact informed him that he had seen Sita.
#SankshepaRamayanam
January 12, 2022
*Samskrita Bharati Hadapsar invites to a special program on the occasion of Swami Vivekananda Jayanthi*
*Date - 12 Jan 2022*
*Time - 7 PM to 9 PM*
*Link To Join* - https://bit.ly/sbhViveka22
*Program Highlights*
Cultural Programmes about Swamiji by our Samskrita Bharati members
*Special Address* to the youth by
*Dr Shirish Limaye*, Associate Professor, Symbiosis College of Arts and Commerce
*Date - 12 Jan 2022*
*Time - 7 PM to 9 PM*
*Link To Join* - https://bit.ly/sbhViveka22
*Program Highlights*
Cultural Programmes about Swamiji by our Samskrita Bharati members
*Special Address* to the youth by
*Dr Shirish Limaye*, Associate Professor, Symbiosis College of Arts and Commerce
January 12, 2022
संस्कृत संवादः । Sanskrit Samvadah
संस्कृतं
वद आधुनिको भव। वेदान् पठ वैज्ञानिको भव।। पाठ (६) द्वितीया विभक्तिः (३)
(द्विकर्मक धातुएं) १. दुह् अजापालः अजां दुग्धं दोग्धि = गड़रिया बकरी
का दूध दुहता है। गां दुग्धं अधुक्षत् गोपः = गोपालक ने गाय का दूध दुहा।
वेत्ता शास्त्रं सारं दुह्यात् = विद्वान्…
६. रुध्
गोशालिकः गाः गोशालाम् अवरुणद्धि = गऊसेवक गायों को गोशाला में रोकता है।
अश्वशालिकः अश्वान् मदुराम् अवारुणत् = घुड़साल-सेवक घोड़ों को घुडसाल में रोकता है।
सैनिकाः शत्रून् सीमाम् अरुधन् = सैनिकों ने शत्रुओं को सीमा पर रोक दिया।
रक्षकभटाः अपहारकं विमानपत्तनं रुन्ध्युः = पुलिस अपहरणकर्ता को हवाईअड्डे पर रोक देवे।
वायुः वृष्टिं अन्तरिक्षम् अवरोत्स्यति = हवा का बहाव बारिश को आकाश में रोक देगा।
७. प्रच्छ्
पिता पुत्रं प्रश्नं पृच्छति = पिता पुत्र से प्रश्न करता है।
माला मोहनं क्षेमकुशलं अप्राक्षीत् = माला ने मोहन से कुशल-मंगल पूछा।
गुरुं धर्मं पृच्छेत् = गुरु से धर्म के विषय में पूछे।
विवाहकाङ्क्षिणी सुता मातरं गृहस्थधर्मं प्रक्ष्यति = विवाह की इच्छुक पुत्री माता से गृहस्थ के कर्त्तव्यों को पूछेगी।
पान्थं पन्थानं पृच्छतु = पथिक से रास्ता पूछो।
८. चि
पादपान् पुष्पाणि चिनोति = (माली) पौधों से फूलों को चुनता है।
होलिकापर्वी किंशुकं किंशुकानि अचैषीत् = होली मनानेवाले ने ढाक से टेसू को चुना था।
मञ्जुला मल्लिकां मञ्जुलानि कुसुमानि चेष्यति = मंजुला मल्लिका के सुन्दर फूलों को तोड़ेगी।
पाटलपादपं पाटलानि प्रसूनानि मा चिनोतु = गुलाब के पौधों से गुलाब मत तोड़ो।
९. ब्रू
धर्मभीरुः न्यायाधीशं सत्यं ब्रवीति = धार्मिक (धर्म से डरनेवाला) न्यायाधीश को सत्य कहता है।
दयानन्दः जनान् सत्यं अवोचत् = दयानन्द ने लोगों को सत्य बात बताई।
परस्परं सत्यं ब्रूयात् = एक दूजे के साथ सदा सत्य बोलना चाहिए।
मा ब्रवीतु अनृतं कञ्चन = किसी के साथ झूठ न बोले।
सत्यवादी सर्वान् सत्यमेव वक्ष्यति = सत्यवादी सभी से सत्य ही बोलेगा।
१०. शास्
पाणिनिः अन्तेवासिनः व्याकरणं अनुशास्ति = पाणिनि मुनि विद्यार्थियों को व्याकरण पढ़ाते हैं।
मनुः सर्वान् धर्मं अशिषत् = मनु जी ने सभी को धर्म का उपदेश किया।
ब्रह्मविदः ऋषीन् उपनिषदं शशास = ब्रह्मवेत्ताओं ने ऋषियों को उपनिषद-विद्या का उपदेश दिया।
याज्ञवल्क्यः मैत्रेयीम् अमृतत्त्वम् अशात् = याज्ञवल्क्य ने मैत्रेयी को अमरत्व का उपदेश किया।
अध्यापकाः शिष्यान् सदाचारं शिष्युः = अध्यापक शिष्यों को सदाचार का उपदेश करें।
पुरोहितः यजमानं संस्कारान् शास्तु = पुरोहित यजमान को संस्कारों का उपदेश करे।
११. जि
दुर्योधनः पाण्डवान् द्रौपदीं जिगाय = दुर्योधन ने पाण्डवों से द्रौपदी को जीता।
नृपः शत्रून् धनं जयति = राजा शत्रु से धन को जीतता है।
मित्रं सखायं समयं जेष्यति = मित्र अपने मित्र से शर्त जीत जाएगा।
#vakyabhyas
गोशालिकः गाः गोशालाम् अवरुणद्धि = गऊसेवक गायों को गोशाला में रोकता है।
अश्वशालिकः अश्वान् मदुराम् अवारुणत् = घुड़साल-सेवक घोड़ों को घुडसाल में रोकता है।
सैनिकाः शत्रून् सीमाम् अरुधन् = सैनिकों ने शत्रुओं को सीमा पर रोक दिया।
रक्षकभटाः अपहारकं विमानपत्तनं रुन्ध्युः = पुलिस अपहरणकर्ता को हवाईअड्डे पर रोक देवे।
वायुः वृष्टिं अन्तरिक्षम् अवरोत्स्यति = हवा का बहाव बारिश को आकाश में रोक देगा।
७. प्रच्छ्
पिता पुत्रं प्रश्नं पृच्छति = पिता पुत्र से प्रश्न करता है।
माला मोहनं क्षेमकुशलं अप्राक्षीत् = माला ने मोहन से कुशल-मंगल पूछा।
गुरुं धर्मं पृच्छेत् = गुरु से धर्म के विषय में पूछे।
विवाहकाङ्क्षिणी सुता मातरं गृहस्थधर्मं प्रक्ष्यति = विवाह की इच्छुक पुत्री माता से गृहस्थ के कर्त्तव्यों को पूछेगी।
पान्थं पन्थानं पृच्छतु = पथिक से रास्ता पूछो।
८. चि
पादपान् पुष्पाणि चिनोति = (माली) पौधों से फूलों को चुनता है।
होलिकापर्वी किंशुकं किंशुकानि अचैषीत् = होली मनानेवाले ने ढाक से टेसू को चुना था।
मञ्जुला मल्लिकां मञ्जुलानि कुसुमानि चेष्यति = मंजुला मल्लिका के सुन्दर फूलों को तोड़ेगी।
पाटलपादपं पाटलानि प्रसूनानि मा चिनोतु = गुलाब के पौधों से गुलाब मत तोड़ो।
९. ब्रू
धर्मभीरुः न्यायाधीशं सत्यं ब्रवीति = धार्मिक (धर्म से डरनेवाला) न्यायाधीश को सत्य कहता है।
दयानन्दः जनान् सत्यं अवोचत् = दयानन्द ने लोगों को सत्य बात बताई।
परस्परं सत्यं ब्रूयात् = एक दूजे के साथ सदा सत्य बोलना चाहिए।
मा ब्रवीतु अनृतं कञ्चन = किसी के साथ झूठ न बोले।
सत्यवादी सर्वान् सत्यमेव वक्ष्यति = सत्यवादी सभी से सत्य ही बोलेगा।
१०. शास्
पाणिनिः अन्तेवासिनः व्याकरणं अनुशास्ति = पाणिनि मुनि विद्यार्थियों को व्याकरण पढ़ाते हैं।
मनुः सर्वान् धर्मं अशिषत् = मनु जी ने सभी को धर्म का उपदेश किया।
ब्रह्मविदः ऋषीन् उपनिषदं शशास = ब्रह्मवेत्ताओं ने ऋषियों को उपनिषद-विद्या का उपदेश दिया।
याज्ञवल्क्यः मैत्रेयीम् अमृतत्त्वम् अशात् = याज्ञवल्क्य ने मैत्रेयी को अमरत्व का उपदेश किया।
अध्यापकाः शिष्यान् सदाचारं शिष्युः = अध्यापक शिष्यों को सदाचार का उपदेश करें।
पुरोहितः यजमानं संस्कारान् शास्तु = पुरोहित यजमान को संस्कारों का उपदेश करे।
११. जि
दुर्योधनः पाण्डवान् द्रौपदीं जिगाय = दुर्योधन ने पाण्डवों से द्रौपदी को जीता।
नृपः शत्रून् धनं जयति = राजा शत्रु से धन को जीतता है।
मित्रं सखायं समयं जेष्यति = मित्र अपने मित्र से शर्त जीत जाएगा।
#vakyabhyas
January 12, 2022
@samskrt_samvadah संलापशाला - A Samskrit Voicechat room.
Duration : 30 minutes only
Time : IST 11:00 AM 🕚
Topic : PM's security breach incident in punjab .
(प्रधानमन्त्रिणः सुरक्षायां त्रुटिः)
Date : 13thJanuary 2022,
Thrusday.
Please Join the voicechat on time.
😇 Please come prepared to discuss (पंजाबराज्ये प्रधानमन्त्रिणा सह घटिता घटना) in Sanskrit , If possible.
We are waiting for you.😇
Set a reminder.
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https://t.me/samskrt_samvadah?voicechat
Duration : 30 minutes only
Time : IST 11:00 AM 🕚
Topic : PM's security breach incident in punjab .
(प्रधानमन्त्रिणः सुरक्षायां त्रुटिः)
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January 12, 2022
January 12, 2022
🍃
♦️
sarvabhuutasthamaatmaanaM sarvabhuutaani chaatmani|
iikShate yogayuktaatmaa sarvatra samadarshanaH||6.29||
⚜6.29 With the mind harmonised by Yoga he sees the Self abiding in all beings and all beings in the Self; he sees the same everywhere.
⚜।।6.29।। योगयुक्त अन्तकरण वाला और सर्वत्र समदर्शी योगी आत्मा को सब भूतों में और भूतमात्र को आत्मा में देखता है।।
#geeta
सर्वभूतस्थमात्मानं सर्वभूतानि चात्मनि।
ईक्षते योगयुक्तात्मा सर्वत्र समदर्शनः
।।6.29।।♦️
sarvabhuutasthamaatmaanaM sarvabhuutaani chaatmani|
iikShate yogayuktaatmaa sarvatra samadarshanaH||6.29||
⚜6.29 With the mind harmonised by Yoga he sees the Self abiding in all beings and all beings in the Self; he sees the same everywhere.
⚜।।6.29।। योगयुक्त अन्तकरण वाला और सर्वत्र समदर्शी योगी आत्मा को सब भूतों में और भूतमात्र को आत्मा में देखता है।।
#geeta
January 12, 2022
January 12, 2022
🍃
♦️yo maaM pashyati sarvatra sarvaM cha mayi pashyati|
tasyaahaM na praNashyaami sa cha me na praNashyati||6.30||
⚜6.30 He who sees Me everywhere and sees everything in Me, he never becomes separated from Me, nor do I become separated from him.
⚜।।6.30।। जो पुरुष मुझे सर्वत्र देखता है और सबको मुझमें देखता है उसके लिए मैं नष्ट नहीं होता (अर्थात् उसके लिए मैं दूर नहीं होता) और वह मुझसे वियुक्त नहीं होता।।
#geeta
यो मां पश्यति सर्वत्र सर्वं च मयि पश्यति।
तस्याहं न प्रणश्यामि स च मे न प्रणश्यति
।।6.30।। ♦️yo maaM pashyati sarvatra sarvaM cha mayi pashyati|
tasyaahaM na praNashyaami sa cha me na praNashyati||6.30||
⚜6.30 He who sees Me everywhere and sees everything in Me, he never becomes separated from Me, nor do I become separated from him.
⚜।।6.30।। जो पुरुष मुझे सर्वत्र देखता है और सबको मुझमें देखता है उसके लिए मैं नष्ट नहीं होता (अर्थात् उसके लिए मैं दूर नहीं होता) और वह मुझसे वियुक्त नहीं होता।।
#geeta
January 12, 2022
@samskrt_samvadah संलापशाला - A Samskrit Voicechat room.
Duration : 30 minutes only
Time : IST 11:00 AM 🕚
Topic : PM's security breach incident in Punjab .
(प्रधानमन्त्रिणः सुरक्षायां त्रुटिः)
Date : 13thJanuary 2022,
Thrusday.
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We are waiting for you.😇
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Duration : 30 minutes only
Time : IST 11:00 AM 🕚
Topic : PM's security breach incident in Punjab .
(प्रधानमन्त्रिणः सुरक्षायां त्रुटिः)
Date : 13thJanuary 2022,
Thrusday.
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😇 Please come prepared to discuss (पंजाबराज्ये प्रधानमन्त्रिणा सह घटिता घटना) in Sanskrit , If possible.
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January 12, 2022
🚩जय सत्य सनातन 🚩
🚩आज की हिंदी तिथि
🌥️ 🚩युगाब्द - ५१२३
🌥️ 🚩विक्रम संवत - २०७८
⛅ 🚩तिथि - एकादशी शाम ०७:३२ तक तत्पश्चात द्वादशी
⛅ दिनांक - १३ जनवरी २०२२
⛅ दिन - गुरुवार
⛅ शक संवत - १९४३
⛅ अयन - दक्षिणायन
⛅ ऋतु - शिशिर
⛅ मास - पौष
⛅ पक्ष - शुक्ल
⛅ नक्षत्र - कृत्तिका शाम ०५:०७ तक तत्पश्चात रोहिणी
⛅ योग - शुभ दोपहर १२:३५ तक तत्पश्चात शुक्ल
⛅ राहुकाल - दोपहर ०२:१० से शाम ०३:३२ तक
⛅ सूर्योदय - ०७:१९
⛅ सूर्यास्त - १८:१५
🚩आज की हिंदी तिथि
🌥️ 🚩युगाब्द - ५१२३
🌥️ 🚩विक्रम संवत - २०७८
⛅ 🚩तिथि - एकादशी शाम ०७:३२ तक तत्पश्चात द्वादशी
⛅ दिनांक - १३ जनवरी २०२२
⛅ दिन - गुरुवार
⛅ शक संवत - १९४३
⛅ अयन - दक्षिणायन
⛅ ऋतु - शिशिर
⛅ मास - पौष
⛅ पक्ष - शुक्ल
⛅ नक्षत्र - कृत्तिका शाम ०५:०७ तक तत्पश्चात रोहिणी
⛅ योग - शुभ दोपहर १२:३५ तक तत्पश्चात शुक्ल
⛅ राहुकाल - दोपहर ०२:१० से शाम ०३:३२ तक
⛅ सूर्योदय - ०७:१९
⛅ सूर्यास्त - १८:१५
January 12, 2022
January 12, 2022
Forwarded from रामदूतः — The Sanskrit News Platform
Switch to DD News daily at 7:15 AM (Morning) for 15 minutes Sanskrit news.
https://youtu.be/ZI6COBJWRh8
https://youtu.be/ZI6COBJWRh8
YouTube
वार्ता : कोविड-19 की मौजूदा स्थिति पर बैठक
वार्ता : कोविड-19 की मौजूदा स्थिति पर बैठक
DD News is India’s 24x7 news channel from the stable of the country’s Public Service Broadcaster, Prasar Bharati. It has the distinction of being India’s only terrestrial cum satellite News Channel. Launched in…
DD News is India’s 24x7 news channel from the stable of the country’s Public Service Broadcaster, Prasar Bharati. It has the distinction of being India’s only terrestrial cum satellite News Channel. Launched in…
January 12, 2022
January 12, 2022
ओनलाईन निःशुल्क संस्कृत सीखने हेतु पंजीयन करें ।
एक घंटात्मिका यह कक्षा गूगल मीट से आपके द्वारा चुने समय पर होगी । कक्षारंभ - 20 जनवरी के बाद ।
पंजीयन की अन्तिम तिथि 15 जनवरी
प्रथमस्तरीय संस्कृत भाषा शिक्षण हेतु पंजीयन लिंक् -
https://sanskritsambhashan.com/
जो प्रथमस्तरीय कक्षा कर चुके हैं उनके लिए द्वितीयस्तरीय संस्कृत भाषा शिक्षण हेतु पंजीयन लिंक् -
https://sanskritsambhashan.com/second_level_reg.php
एक घंटात्मिका यह कक्षा गूगल मीट से आपके द्वारा चुने समय पर होगी । कक्षारंभ - 20 जनवरी के बाद ।
पंजीयन की अन्तिम तिथि 15 जनवरी
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https://sanskritsambhashan.com/
जो प्रथमस्तरीय कक्षा कर चुके हैं उनके लिए द्वितीयस्तरीय संस्कृत भाषा शिक्षण हेतु पंजीयन लिंक् -
https://sanskritsambhashan.com/second_level_reg.php
Sanskritsambhashan
संस्कृत सम्भाषण शिविर योजना -उत्तर प्रदेश संस्कृत संस्थान लखनऊ
उ.प्र.
संस्कृतसंस्थानम् लखनऊ इस लॉकडाउन के समय मे संस्कृत सम्भाषण सीखने का अवसर
प्रदान कर रहा है। यदि आप भी अध्ययन करना चाहते हैं तो पंजीकरण करें।
January 12, 2022
January 12, 2022
January 13, 2022
पुत्री कस्य अङ्गुलीं गृहीत्वा गच्छति।
Anonymous Quiz
15%
पितायाः
17%
पितस्य
4%
पितोः
63%
पितुः
1%
पितेः
January 13, 2022
संस्कृत संवादः । Sanskrit Samvadah
६.
रुध् गोशालिकः गाः गोशालाम् अवरुणद्धि = गऊसेवक गायों को गोशाला में
रोकता है। अश्वशालिकः अश्वान् मदुराम् अवारुणत् = घुड़साल-सेवक घोड़ों को
घुडसाल में रोकता है। सैनिकाः शत्रून् सीमाम् अरुधन् = सैनिकों ने शत्रुओं
को सीमा पर रोक दिया। रक्षकभटाः अपहारकं विमानपत्तनं…
१२. मथ्
भ्रातृव्या दधि नवनीतं मथ्नाति = भतीजी दही बिलोके मक्खन निकालती है।
ऋषयः वेदान् यज्ञं ममाथुः = ऋषियों ने वेद से यज्ञ को मथा।
क्रान्तदर्शिणः प्रकृतिं नवीनान् आविष्कारान् अमथिषुः = क्रान्तदर्र्शियों ने प्रकृति का मन्थन कर नयी-नयी खोजें कीं।
वैयाकरणा महान्तं शब्दोघं व्याकरणं अमथन् = वैयाकरणों ने विशाल शब्दराशि से व्याकरण को मथा।
१३. मुष्
चौरः प्रतिवेशिनं धनं मुष्णाति = चोर पडोसी के धन को चुराता है।
शाटिकाः स्त्रिसि्त्रयः बुद्धिं मोषिष्यति = साड़ियां महिलाओं की मति को चुरा ले जाएंगी।
प्रिया प्रियं मनः अमोषीत् = प्रिया ने प्रिय के मन को चुरा लिया।
स्नातकः ग्रन्थान् उद्धरणानि / सन्दर्भान् अमुष्णात् = स्नातक ने ग्रन्थों से सन्दर्भों को चुराया।
१४. नी
गुरुः छात्रं शास्त्रं स्त्रं नयति = गुरु छात्र को शास्त्र स्त्र में ले जाता है (शास्त्र स्त्र में कुशल करता है)।
गाः व्रजं नेष्यति = गायों को गोशाला में ले जाएगा।
वटुः जनकं हाटकं अनैषीत् = बच्चा पिता को दुकान पर ले गया।
रेलयानं यात्रिणः अभीष्टस्थानं नयेत् = रेलगाड़ी यात्रियों को इच्छित स्थान पर पहुंचाए।
१५. हृ
रावणः सीतां लङ्कां जहार = रावण सीता को लंका में ले गया।
पिष्टिका मां हस्तशकटं हरिष्यति = कचौरी मुझे ठेले पर ले जाएगी।
श्येनः शशकं आकाशं अहार्षीत् = बाज खरगोश को आकाश में ले गया।
त्रिकोणिकाः तरुणान् पान्थशालां हरन्ति = समोसे युवकों को होटल में ले जा रहे हैं।
१६. कृष्
कबड्डीस्पर्धकः प्रतिस्पर्धिणं सीमारेखां कर्षति = कबड्डी खिलाडी प्रतिस्पर्धी को सीमारेखा की ओर खींचता है।
पतिः पत्नीं गृहमकार्क्षीत् = पती पत्नी को घर खींच ले गया।
व्याधः हरिणं ग्रामं कर्क्ष्यति = शिकारी हिरण को गांव खींच ले जाएगा।
क्रेनयानं विकृतं शकटं नगरं कर्षतु = क्रेन बिगडी गाडी को नगर खेंच कर ले आवे।
१७. वह्
बलिवर्दः धान्यं पुरं वहति = बैल धान को शहर तक ढोता है।
जन्या जनीं पतिं वक्ष्यति = दूल्हे की सखी दूल्हन को पति तक ले जाएगी।
नदी नावं समुद्रं अवहत् = नदी नाव को समुद्र तक ले गई।
नालिः वृष्टिजलं समुद्रं वहेत् = नाली वर्षाजल को समुद्र तक ले जावे।
नौः यात्रिणं नदीपारं वहतु = नाव यात्रियों को नदीपार ले जावे।
#vakyabhyas
भ्रातृव्या दधि नवनीतं मथ्नाति = भतीजी दही बिलोके मक्खन निकालती है।
ऋषयः वेदान् यज्ञं ममाथुः = ऋषियों ने वेद से यज्ञ को मथा।
क्रान्तदर्शिणः प्रकृतिं नवीनान् आविष्कारान् अमथिषुः = क्रान्तदर्र्शियों ने प्रकृति का मन्थन कर नयी-नयी खोजें कीं।
वैयाकरणा महान्तं शब्दोघं व्याकरणं अमथन् = वैयाकरणों ने विशाल शब्दराशि से व्याकरण को मथा।
१३. मुष्
चौरः प्रतिवेशिनं धनं मुष्णाति = चोर पडोसी के धन को चुराता है।
शाटिकाः स्त्रिसि्त्रयः बुद्धिं मोषिष्यति = साड़ियां महिलाओं की मति को चुरा ले जाएंगी।
प्रिया प्रियं मनः अमोषीत् = प्रिया ने प्रिय के मन को चुरा लिया।
स्नातकः ग्रन्थान् उद्धरणानि / सन्दर्भान् अमुष्णात् = स्नातक ने ग्रन्थों से सन्दर्भों को चुराया।
१४. नी
गुरुः छात्रं शास्त्रं स्त्रं नयति = गुरु छात्र को शास्त्र स्त्र में ले जाता है (शास्त्र स्त्र में कुशल करता है)।
गाः व्रजं नेष्यति = गायों को गोशाला में ले जाएगा।
वटुः जनकं हाटकं अनैषीत् = बच्चा पिता को दुकान पर ले गया।
रेलयानं यात्रिणः अभीष्टस्थानं नयेत् = रेलगाड़ी यात्रियों को इच्छित स्थान पर पहुंचाए।
१५. हृ
रावणः सीतां लङ्कां जहार = रावण सीता को लंका में ले गया।
पिष्टिका मां हस्तशकटं हरिष्यति = कचौरी मुझे ठेले पर ले जाएगी।
श्येनः शशकं आकाशं अहार्षीत् = बाज खरगोश को आकाश में ले गया।
त्रिकोणिकाः तरुणान् पान्थशालां हरन्ति = समोसे युवकों को होटल में ले जा रहे हैं।
१६. कृष्
कबड्डीस्पर्धकः प्रतिस्पर्धिणं सीमारेखां कर्षति = कबड्डी खिलाडी प्रतिस्पर्धी को सीमारेखा की ओर खींचता है।
पतिः पत्नीं गृहमकार्क्षीत् = पती पत्नी को घर खींच ले गया।
व्याधः हरिणं ग्रामं कर्क्ष्यति = शिकारी हिरण को गांव खींच ले जाएगा।
क्रेनयानं विकृतं शकटं नगरं कर्षतु = क्रेन बिगडी गाडी को नगर खेंच कर ले आवे।
१७. वह्
बलिवर्दः धान्यं पुरं वहति = बैल धान को शहर तक ढोता है।
जन्या जनीं पतिं वक्ष्यति = दूल्हे की सखी दूल्हन को पति तक ले जाएगी।
नदी नावं समुद्रं अवहत् = नदी नाव को समुद्र तक ले गई।
नालिः वृष्टिजलं समुद्रं वहेत् = नाली वर्षाजल को समुद्र तक ले जावे।
नौः यात्रिणं नदीपारं वहतु = नाव यात्रियों को नदीपार ले जावे।
#vakyabhyas
January 13, 2022
January 13, 2022
** *संस्कृतं व्यावहारिकी भाषा भवेत्***
😃😀😃😀😃😟😃😟😀😃
प्रातःकाले एकः श्रेष्ठी *( सेठ )* एकम् जनं ताडयन् आसीत् ।
एतद् दृष्ट्वा बहवः जनाः एकत्रिताः, ताडयन्तं जनं च पृष्टवन्तः --- *(यह देखकर बहुत लोग इकट्ठे हो गये और पीटने वाले व्यक्ति से उन्होंने पूछा---)*
श्रेष्ठिन् ! भवान् किमर्थम् एनं वराकम् एवं निर्दयीभूय ताडयति ? *(सेठ जी ! इस बेचारे को निर्दयतापूर्वक ऐसे क्यों पीट रहे हो ?)*
श्रेष्ठी उक्तवान् --- अनेन दुष्टेन द्विवर्षपूर्वं मत्तः दशसहस्ररूप्यकाणि ऋणरूपेण गृहीतानि आसन् । *(दो वर्ष पहले इस दुष्ट ने मुझसे दस हजार रुपये उधार लिये थे )* मया एकवर्षपर्यन्तं पुनरपि पुनः एषः ऋणराशिं प्रतिदानार्थम् अभिहितः । *(मैंने एक वर्ष तक बार बार इसे कर्ज का पैसा लौटने के लिए कहता रहा । )*
परं प्रतिवारम् एषः कथयति स्म --- मम पत्नी चिकित्सालये अस्ति । *(परन्तु हर बार यह कहता रहा कि मेरी पत्नी हस्पताल में है।)*
अधुना ज्ञातम् अस्य पत्नी तु चिकित्सालये नर्स- *(nurse = उपचारिका )* -रूपेण कार्यरता अस्ति इति ।
अधुना भवन्तः एव ज्ञापयन्तु एतादृशेन जनेन सह कथं व्यावहर्तव्यम् इति *(अब आप ही बतायें ऐसे आदमी के साथ कैसा बर्ताव किया जाय ।)* ------KSG
😃😀😟😃😀😟😃😀😟😃
#hasya
😃😀😃😀😃😟😃😟😀😃
प्रातःकाले एकः श्रेष्ठी *( सेठ )* एकम् जनं ताडयन् आसीत् ।
एतद् दृष्ट्वा बहवः जनाः एकत्रिताः, ताडयन्तं जनं च पृष्टवन्तः --- *(यह देखकर बहुत लोग इकट्ठे हो गये और पीटने वाले व्यक्ति से उन्होंने पूछा---)*
श्रेष्ठिन् ! भवान् किमर्थम् एनं वराकम् एवं निर्दयीभूय ताडयति ? *(सेठ जी ! इस बेचारे को निर्दयतापूर्वक ऐसे क्यों पीट रहे हो ?)*
श्रेष्ठी उक्तवान् --- अनेन दुष्टेन द्विवर्षपूर्वं मत्तः दशसहस्ररूप्यकाणि ऋणरूपेण गृहीतानि आसन् । *(दो वर्ष पहले इस दुष्ट ने मुझसे दस हजार रुपये उधार लिये थे )* मया एकवर्षपर्यन्तं पुनरपि पुनः एषः ऋणराशिं प्रतिदानार्थम् अभिहितः । *(मैंने एक वर्ष तक बार बार इसे कर्ज का पैसा लौटने के लिए कहता रहा । )*
परं प्रतिवारम् एषः कथयति स्म --- मम पत्नी चिकित्सालये अस्ति । *(परन्तु हर बार यह कहता रहा कि मेरी पत्नी हस्पताल में है।)*
अधुना ज्ञातम् अस्य पत्नी तु चिकित्सालये नर्स- *(nurse = उपचारिका )* -रूपेण कार्यरता अस्ति इति ।
अधुना भवन्तः एव ज्ञापयन्तु एतादृशेन जनेन सह कथं व्यावहर्तव्यम् इति *(अब आप ही बतायें ऐसे आदमी के साथ कैसा बर्ताव किया जाय ।)* ------KSG
😃😀😟😃😀😟😃😀😟😃
#hasya
January 13, 2022
सङ्क्षेपरामायणम्
(महर्षिवाल्मीकिप्रणीत-रामायण-बालकाण्ड-प्रथमसर्ग-रूपम्)
मूलश्लोकः-79
तत: सुग्रीवसहितो गत्वा तीरं महोदधे:।
समुद्रं क्षोभयामास शरैरादित्यसन्निभै:।।79।।
श्लोकान्वयः -
तत: सुग्रीवसहित: (राम:) महोदधे: तीरं गत्वा
आदित्यसन्निभै: शरै: समुद्रं क्षोभयामास।।79।।
हिन्दी-अनुवाद -
हनुमान् की बातों को सुनने के बाद श्री राम सुग्रीव के साथ समुद्र के तट पर गए।
पर लङ्का जाने के लिए मार्ग देने में समुद्र तत्पर नहीं था।
इससे क्रुद्ध होकर श्रीराम ने सूर्यप्रकाश के समान तेजस्वी बाणों से
समुद्र को पाताल लोक तक व्याकुल कर दिया।।79।।
English Meaning
तत: thereafter, सुग्रीवसहित: together with Sugriva, महोदधे: तीरम् shore of mighty ocean, गत्वा having reached, आदित्यसन्निभै: resembling sharp and hot rays of sun, शरै: with shafts, समुद्रम् Samudra, lord of the waters, क्षोभयामास agitated.
Thereafter, Rama reached the shore of the ocean together with Sugriva and saw the ocean agitated with shafts burning like the Sun.
#SankshepaRamayanam
(महर्षिवाल्मीकिप्रणीत-रामायण-बालकाण्ड-प्रथमसर्ग-रूपम्)
मूलश्लोकः-79
तत: सुग्रीवसहितो गत्वा तीरं महोदधे:।
समुद्रं क्षोभयामास शरैरादित्यसन्निभै:।।79।।
श्लोकान्वयः -
तत: सुग्रीवसहित: (राम:) महोदधे: तीरं गत्वा
आदित्यसन्निभै: शरै: समुद्रं क्षोभयामास।।79।।
हिन्दी-अनुवाद -
हनुमान् की बातों को सुनने के बाद श्री राम सुग्रीव के साथ समुद्र के तट पर गए।
पर लङ्का जाने के लिए मार्ग देने में समुद्र तत्पर नहीं था।
इससे क्रुद्ध होकर श्रीराम ने सूर्यप्रकाश के समान तेजस्वी बाणों से
समुद्र को पाताल लोक तक व्याकुल कर दिया।।79।।
English Meaning
तत: thereafter, सुग्रीवसहित: together with Sugriva, महोदधे: तीरम् shore of mighty ocean, गत्वा having reached, आदित्यसन्निभै: resembling sharp and hot rays of sun, शरै: with shafts, समुद्रम् Samudra, lord of the waters, क्षोभयामास agitated.
Thereafter, Rama reached the shore of the ocean together with Sugriva and saw the ocean agitated with shafts burning like the Sun.
#SankshepaRamayanam
January 13, 2022
@samskrt_samvadah संलापशाला - A Samskrit Voicechat room.
Duration : 30 minutes only
Time : IST 11:00 AM 🕚
Topic : मकरसंक्रांतिः
Date : 14thJanuary 2022,
Friday.
Please Join the voicechat on time.
😇 Please come prepared to discuss (भवतां प्रदेशे मकरसंक्रांतिः पर्व कथम् आचर्यते। ) in Sanskrit , If possible.
We are waiting for you.😇
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Topic : मकरसंक्रांतिः
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January 13, 2022
January 13, 2022
🍃
♦️sarvabhuutasthitaM yo maaM bhajatyekatvamaasthitaH|
sarvathaa vartamaano'pi sa yogii mayi vartate||6.31||
⚜6.31 He who, being established in unity, worships Me; Who dwells in all beings, that Yogi abides in Me, whatever may be his mode of living.
⚜।।6.31।। जो पुरुष एकत्वभाव मंे स्थित हुआ सम्पूर्ण भूतों में स्थित मुझे भजता है वह योगी सब प्रकार से वर्तता हुआ (रहता हुआ) मुझमें स्थित रहता है।।
#geeta
सर्वभूतस्थितं यो मां भजत्येकत्वमास्थितः।
सर्वथा वर्तमानोऽपि स योगी मयि वर्तते
।।6.31।। ♦️sarvabhuutasthitaM yo maaM bhajatyekatvamaasthitaH|
sarvathaa vartamaano'pi sa yogii mayi vartate||6.31||
⚜6.31 He who, being established in unity, worships Me; Who dwells in all beings, that Yogi abides in Me, whatever may be his mode of living.
⚜।।6.31।। जो पुरुष एकत्वभाव मंे स्थित हुआ सम्पूर्ण भूतों में स्थित मुझे भजता है वह योगी सब प्रकार से वर्तता हुआ (रहता हुआ) मुझमें स्थित रहता है।।
#geeta
January 13, 2022
January 13, 2022
🍃
♦️aatmaupamyena sarvatra samaM pashyati yo'rjuna|
sukhaM vaa yadi vaa duHkhaM saH yogii paramo mataH6.32
⚜6.32 He who, through the likeness of the Self, O Arjuna, sees Reality everywhere, be it pleasure or pain, he is regarded as the highest Yogi.
⚜।।6.32।। हे अर्जुन जो पुरुष अपने समान सर्वत्र सम देखता है चाहे वह सुख हो या दुख वह परम योगी माना गया है।।
#geeta
आत्मौपम्येन सर्वत्र समं पश्यति योऽर्जुन।
सुखं वा यदि वा दुःखं सः योगी परमो मतः
।।6.32।। ♦️aatmaupamyena sarvatra samaM pashyati yo'rjuna|
sukhaM vaa yadi vaa duHkhaM saH yogii paramo mataH
⚜6.32 He who, through the likeness of the Self, O Arjuna, sees Reality everywhere, be it pleasure or pain, he is regarded as the highest Yogi.
⚜।।6.32।। हे अर्जुन जो पुरुष अपने समान सर्वत्र सम देखता है चाहे वह सुख हो या दुख वह परम योगी माना गया है।।
#geeta
January 13, 2022
January 13, 2022
🚩जय सत्य सनातन 🚩
🚩आज की हिंदी तिथि
🌥️ 🚩युगाब्द - ५१२३
🌥️ 🚩विक्रम संवत - २०७८
⛅ 🚩तिथि - द्वादशी रात्रि १०:२२ तक तत्पश्चात त्रयोदशी
⛅ दिनांक - १४ जनवरी २०२२
⛅ दिन - शुक्रवार
⛅ शक संवत -१९४३
⛅ अयन - उत्तरायण
⛅ ऋतु - शिशिर
⛅ मास - पौष
⛅ पक्ष - शुक्ल
⛅ नक्षत्र - रोहिणी रात्रि ०८:१८ तक तत्पश्चात मृगशिरा
⛅ योग - शुक्ल दोपहर ०१:३६ तक तत्पश्चात ब्रह्म
⛅ राहुकाल - सुबह ११:२६ से दोपहर १२:४८ तक
⛅ सूर्योदय - ०७:१९
⛅ सूर्यास्त - १८:१५
⛅ दिशाशूल - पश्चिम दिशा में
🚩आज की हिंदी तिथि
🌥️ 🚩युगाब्द - ५१२३
🌥️ 🚩विक्रम संवत - २०७८
⛅ 🚩तिथि - द्वादशी रात्रि १०:२२ तक तत्पश्चात त्रयोदशी
⛅ दिनांक - १४ जनवरी २०२२
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⛅ शक संवत -१९४३
⛅ अयन - उत्तरायण
⛅ ऋतु - शिशिर
⛅ मास - पौष
⛅ पक्ष - शुक्ल
⛅ नक्षत्र - रोहिणी रात्रि ०८:१८ तक तत्पश्चात मृगशिरा
⛅ योग - शुक्ल दोपहर ०१:३६ तक तत्पश्चात ब्रह्म
⛅ राहुकाल - सुबह ११:२६ से दोपहर १२:४८ तक
⛅ सूर्योदय - ०७:१९
⛅ सूर्यास्त - १८:१५
⛅ दिशाशूल - पश्चिम दिशा में
January 13, 2022
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Topic : मकरसंक्रांतिः
Date : 14thJanuary 2022,
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Topic : मकरसंक्रांतिः
Date : 14thJanuary 2022,
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January 13, 2022
January 13, 2022
Forwarded from रामदूतः — The Sanskrit News Platform
January 13, 2022
January 13, 2022
January 13, 2022
January 14, 2022
January 14, 2022
संस्कृत संवादः । Sanskrit Samvadah
१२.
मथ् भ्रातृव्या दधि नवनीतं मथ्नाति = भतीजी दही बिलोके मक्खन निकालती है।
ऋषयः वेदान् यज्ञं ममाथुः = ऋषियों ने वेद से यज्ञ को मथा। क्रान्तदर्शिणः
प्रकृतिं नवीनान् आविष्कारान् अमथिषुः = क्रान्तदर्र्शियों ने प्रकृति का
मन्थन कर नयी-नयी खोजें कीं। वैयाकरणा…
पाठ (७) द्वितीया विभक्तिः (४)
December 21, 2019
By Arun Aryaveer
संस्कृतं वद आधुनिको भव।
वेदान् पठ वैज्ञानिको भव।।
पाठ (७) द्वितीया विभक्तिः (४)
(अधि + शीङ्, अधि + स्था, अधि + आस्, अधि + वस्, आङ् + वस्, अनु + वस्, उप + वस्, अभि+नि+विश् इन धातुओं के आधार की कर्म संज्ञा होती है और कर्म संज्ञा होने से द्वितीया विभक्ति होती है।)
खट्वाम् अधिशेते = खाट पर सोता है।
शिशुः दोलाम् अध्यशयिष्ट = शिशु पालने में सो गया।
हिंदोलां शयिष्यते माणवः = बच्चा झूले में सोएगा।
हिंदोलां शयीत = झूले में सोवे।
अहं ग्रामं अधितिष्ठामि = मैं गांव में रहती / रहता हूं।
भवान् ह्यः कुत्र अध्यस्थात् = कल आप कहां ठहरे थे..?
श्वः आवां धर्मशालाम् अधिस्थास्यावः = कल हम दोनों धर्मशाला में रहेंगे।
त्वं पान्थशालाम् अधितिष्ठेः = तुम्हें होटल में ठहरना चाहिए।
वृद्धा मृदुपर्यङ्कं अध्यास्ते = बुढिया सोफे पर बैठी है।
ज्येष्ठतातः आसन्दिकाम् अध्यासिष्यते = ताऊजी कुर्सी पर बैठेंगे।
ज्येष्ठाम्बा चतुष्पादिकाम् अध्यासिष्ट = ताई चौकी पर बैठी थी।
अनुजः त्रिपादिकाम् अध्यास्ताम् = छोटा भाई तिपाई पर बैठे।
अनुजा संवेशम् अध्यासीत् = छोटी बहन स्टूल पर बैठे।
अग्रजः फलकम् अध्यास्त = बड़े भैया मेज पर बैठे।
प्रधानमन्त्री दिल्लीम् अधिवसति = प्रधानमन्त्री दिल्ली में रहते हैं।
ब्रह्मचारिण्यः गुरुकुलम् अध्यवात्सीत् = ब्रह्मचारिणियां गुरुकुल में रहीं।
दम्पति भाटकगृहं अधिवत्स्यति = पति-पत्नी किराए के घर में रहेंगे।
महिष्यः अन्तःपुरम् आवसति = रानियां रनिवास में रहती हैं।
महिष्यः प्राङ्गणं आवसन् = भैंस आंगन में रहती थी।
तापसः पर्णशालाम् आवसेत् = तपस्वी झोपड़ी में रहे / रहना चाहिए।
वानप्रस्थिनी कुटीम् आवसतु = वानप्रस्थ-दीक्षिता-महिला कुटिया में रहे।
ग्रामीणाः ग्रामम् अनुवसन्ति = ग्रामीण गांव में रहते हैं।
नागराः नगरं उपवसन्ति = नागरिक नगर में रहते हैं।
नागरकाः नगरम् एव उपवसन्ति = नगर में रहनवाले दुष्ट / प्रवीण लोग भी नगर ही में रहते हैं।
मृगाः वनमेव अनुवसेयुः = जंगली पशु जंगल में ही रहने चाहिएं।
आरण्याः अरण्यम् उपवसन्तु = जंगली पशु अरण्य में रहें।
सिंहः गुहाम् अभिनिविशते = शेर गुफा में प्रवेश कर रहा है।
व्यालः बिलम् अभिन्यविशत = सांप बिल में घुस गया।
काकः कुलायम् अभिनिवेक्ष्यते = कौआ घोसले में प्रवेश करेगा।
वायसः नीडम् अभिन्यविष्ट = कौआ घोसले में घुस गया।
#vakyabhyas
December 21, 2019
By Arun Aryaveer
संस्कृतं वद आधुनिको भव।
वेदान् पठ वैज्ञानिको भव।।
पाठ (७) द्वितीया विभक्तिः (४)
(अधि + शीङ्, अधि + स्था, अधि + आस्, अधि + वस्, आङ् + वस्, अनु + वस्, उप + वस्, अभि+नि+विश् इन धातुओं के आधार की कर्म संज्ञा होती है और कर्म संज्ञा होने से द्वितीया विभक्ति होती है।)
खट्वाम् अधिशेते = खाट पर सोता है।
शिशुः दोलाम् अध्यशयिष्ट = शिशु पालने में सो गया।
हिंदोलां शयिष्यते माणवः = बच्चा झूले में सोएगा।
हिंदोलां शयीत = झूले में सोवे।
अहं ग्रामं अधितिष्ठामि = मैं गांव में रहती / रहता हूं।
भवान् ह्यः कुत्र अध्यस्थात् = कल आप कहां ठहरे थे..?
श्वः आवां धर्मशालाम् अधिस्थास्यावः = कल हम दोनों धर्मशाला में रहेंगे।
त्वं पान्थशालाम् अधितिष्ठेः = तुम्हें होटल में ठहरना चाहिए।
वृद्धा मृदुपर्यङ्कं अध्यास्ते = बुढिया सोफे पर बैठी है।
ज्येष्ठतातः आसन्दिकाम् अध्यासिष्यते = ताऊजी कुर्सी पर बैठेंगे।
ज्येष्ठाम्बा चतुष्पादिकाम् अध्यासिष्ट = ताई चौकी पर बैठी थी।
अनुजः त्रिपादिकाम् अध्यास्ताम् = छोटा भाई तिपाई पर बैठे।
अनुजा संवेशम् अध्यासीत् = छोटी बहन स्टूल पर बैठे।
अग्रजः फलकम् अध्यास्त = बड़े भैया मेज पर बैठे।
प्रधानमन्त्री दिल्लीम् अधिवसति = प्रधानमन्त्री दिल्ली में रहते हैं।
ब्रह्मचारिण्यः गुरुकुलम् अध्यवात्सीत् = ब्रह्मचारिणियां गुरुकुल में रहीं।
दम्पति भाटकगृहं अधिवत्स्यति = पति-पत्नी किराए के घर में रहेंगे।
महिष्यः अन्तःपुरम् आवसति = रानियां रनिवास में रहती हैं।
महिष्यः प्राङ्गणं आवसन् = भैंस आंगन में रहती थी।
तापसः पर्णशालाम् आवसेत् = तपस्वी झोपड़ी में रहे / रहना चाहिए।
वानप्रस्थिनी कुटीम् आवसतु = वानप्रस्थ-दीक्षिता-महिला कुटिया में रहे।
ग्रामीणाः ग्रामम् अनुवसन्ति = ग्रामीण गांव में रहते हैं।
नागराः नगरं उपवसन्ति = नागरिक नगर में रहते हैं।
नागरकाः नगरम् एव उपवसन्ति = नगर में रहनवाले दुष्ट / प्रवीण लोग भी नगर ही में रहते हैं।
मृगाः वनमेव अनुवसेयुः = जंगली पशु जंगल में ही रहने चाहिएं।
आरण्याः अरण्यम् उपवसन्तु = जंगली पशु अरण्य में रहें।
सिंहः गुहाम् अभिनिविशते = शेर गुफा में प्रवेश कर रहा है।
व्यालः बिलम् अभिन्यविशत = सांप बिल में घुस गया।
काकः कुलायम् अभिनिवेक्ष्यते = कौआ घोसले में प्रवेश करेगा।
वायसः नीडम् अभिन्यविष्ट = कौआ घोसले में घुस गया।
#vakyabhyas
January 14, 2022
शिक्षकः - अहं वाक्यद्वयं वदामि तयोः मध्ये कः भेदः अस्ति इति वदतु।
छात्रः - अस्तु।
शिक्षकः -
प्रथमं वाक्यं " सः पात्राणि प्रक्षालितवान्"।
द्वितीयं वाक्यं "तेन पात्राणि प्रक्षालितव्यानि आसन्"।
छात्रः - प्रथमे वाक्ये कर्ता "अविवाहितः" अस्ति।
द्वितीये वाक्ये कर्ता "विवाहितः" अस्ति।
😂😁😜
#hasya
छात्रः - अस्तु।
शिक्षकः -
प्रथमं वाक्यं " सः पात्राणि प्रक्षालितवान्"।
द्वितीयं वाक्यं "तेन पात्राणि प्रक्षालितव्यानि आसन्"।
छात्रः - प्रथमे वाक्ये कर्ता "अविवाहितः" अस्ति।
द्वितीये वाक्ये कर्ता "विवाहितः" अस्ति।
😂😁😜
#hasya
January 14, 2022
सङ्क्षेपरामायणम्
(महर्षिवाल्मीकिप्रणीत-रामायण-बालकाण्ड-प्रथमसर्ग-रूपम्)
मूलश्लोकः-80
दर्शयामास चात्मानं समुद्र: सरितां पति:।
समुद्रवचनाच्चैव नलं सेतुमकारयत्।।80।।
श्लोकान्वयः -
सरितां पति: समुद्र: आत्मानं दर्शयामास (राम:)
समुद्रवचनात् एव च नलं सेतुम् अकारयत्।।80।।।
हिन्दी-अनुवाद -
नदियों के पति समुद्र ने लङ्का के लिए मार्ग न देने के अपराध को स्वीकार किया तथा
अपने स्वरूप को राम को दिखाया एवं अपने जल के ऊपर पुल बनवाने के लिए कहा।
समुद्र के वचन को सुनकर श्रीराम ने नल के द्वारा समुद्र पर पुल बनवाया।।80।।
English Meaning
सरितां पति: lord of rivers, समुद्र: Samudra, आत्मानम् in his own form, दर्शयामास appeared (to Rama), समुद्रवचनात् च एव on the advice of Samudra , नलम् through Nala, सेतुम् a bridge, अकारयत् got it built.
Samudra, lord of rivers, (afraid of Rama's anger) and having appeared in his own form, and on his advice got a bridge built with the help of Nala.
#SankshepaRamayanam
(महर्षिवाल्मीकिप्रणीत-रामायण-बालकाण्ड-प्रथमसर्ग-रूपम्)
मूलश्लोकः-80
दर्शयामास चात्मानं समुद्र: सरितां पति:।
समुद्रवचनाच्चैव नलं सेतुमकारयत्।।80।।
श्लोकान्वयः -
सरितां पति: समुद्र: आत्मानं दर्शयामास (राम:)
समुद्रवचनात् एव च नलं सेतुम् अकारयत्।।80।।।
हिन्दी-अनुवाद -
नदियों के पति समुद्र ने लङ्का के लिए मार्ग न देने के अपराध को स्वीकार किया तथा
अपने स्वरूप को राम को दिखाया एवं अपने जल के ऊपर पुल बनवाने के लिए कहा।
समुद्र के वचन को सुनकर श्रीराम ने नल के द्वारा समुद्र पर पुल बनवाया।।80।।
English Meaning
सरितां पति: lord of rivers, समुद्र: Samudra, आत्मानम् in his own form, दर्शयामास appeared (to Rama), समुद्रवचनात् च एव on the advice of Samudra , नलम् through Nala, सेतुम् a bridge, अकारयत् got it built.
Samudra, lord of rivers, (afraid of Rama's anger) and having appeared in his own form, and on his advice got a bridge built with the help of Nala.
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January 14, 2022
श्रीहरिहरात्मजाष्टकम्
हरिवरासनं विश्वमोहनम्
हरिदधीश्वरमाराध्यपादुकम् ।
अरिविमर्दनं नित्यनर्तनम्
हरिहरात्मजं देवमाश्रये ॥ १॥
चरणकीर्तनं भक्तमानसम्
भरणलोलुपं नर्तनालसम् ।
अरुणभासुरं भूतनायकम्
हरिहरात्मजं देवमाश्रये ॥ २॥
प्रणयसत्यकं प्राणनायकम्
प्रणतकल्पकं सुप्रभाञ्चितम् ।
प्रणवमन्दिरं कीर्तनप्रियम्
हरिहरात्मजं देवमाश्रये ॥ ३॥
तुरगवाहनं सुन्दराननम्
वरगदायुधं वेदवर्णितम् ।
गुरुकृपाकरं कीर्तनप्रियम्
हरिहरात्मजं देवमाश्रये ॥ ४॥
त्रिभुवनार्चितं देवतात्मकम्
त्रिनयनप्रभुं दिव्यदेशिकम् ।
त्रिदशपूजितं चिन्तितप्रदम्
हरिहरात्मजं देवमाश्रये ॥ ५॥
भवभयापहं भावुकावकम्
भुवनमोहनं भूतिभूषणम् ।
धवलवाहनं दिव्यवारणम्
हरिहरात्मजं देवमाश्रये ॥ ६॥
कलमृदुस्मितं सुन्दराननम्
कलभकोमलं गात्रमोहनम् ।
कलभकेसरीमाजिवाहनम्
हरिहरात्मजं देवमाश्रये ॥ ७॥
श्रितजनप्रियं चिन्तितप्रदम्
श्रुतिविभूषणं साधुजीवनम् ।
श्रुतिमनोहरं गीतलालसम्
हरिहरात्मजं देवमाश्रये ॥ ८॥
॥ इति श्री हरिहरात्मजाष्टकं सम्पूर्णम् ॥
शरणं अय्यप्पा स्वामी शरणं अय्यप्पा ।
https://youtu.be/EEtJiDWdJoo
#SanskritCarnaticMusic
हरिवरासनं विश्वमोहनम्
हरिदधीश्वरमाराध्यपादुकम् ।
अरिविमर्दनं नित्यनर्तनम्
हरिहरात्मजं देवमाश्रये ॥ १॥
चरणकीर्तनं भक्तमानसम्
भरणलोलुपं नर्तनालसम् ।
अरुणभासुरं भूतनायकम्
हरिहरात्मजं देवमाश्रये ॥ २॥
प्रणयसत्यकं प्राणनायकम्
प्रणतकल्पकं सुप्रभाञ्चितम् ।
प्रणवमन्दिरं कीर्तनप्रियम्
हरिहरात्मजं देवमाश्रये ॥ ३॥
तुरगवाहनं सुन्दराननम्
वरगदायुधं वेदवर्णितम् ।
गुरुकृपाकरं कीर्तनप्रियम्
हरिहरात्मजं देवमाश्रये ॥ ४॥
त्रिभुवनार्चितं देवतात्मकम्
त्रिनयनप्रभुं दिव्यदेशिकम् ।
त्रिदशपूजितं चिन्तितप्रदम्
हरिहरात्मजं देवमाश्रये ॥ ५॥
भवभयापहं भावुकावकम्
भुवनमोहनं भूतिभूषणम् ।
धवलवाहनं दिव्यवारणम्
हरिहरात्मजं देवमाश्रये ॥ ६॥
कलमृदुस्मितं सुन्दराननम्
कलभकोमलं गात्रमोहनम् ।
कलभकेसरीमाजिवाहनम्
हरिहरात्मजं देवमाश्रये ॥ ७॥
श्रितजनप्रियं चिन्तितप्रदम्
श्रुतिविभूषणं साधुजीवनम् ।
श्रुतिमनोहरं गीतलालसम्
हरिहरात्मजं देवमाश्रये ॥ ८॥
॥ इति श्री हरिहरात्मजाष्टकं सम्पूर्णम् ॥
शरणं अय्यप्पा स्वामी शरणं अय्यप्पा ।
https://youtu.be/EEtJiDWdJoo
#SanskritCarnaticMusic
YouTube
Harivarasanam I Rahul Vellal
Harivarasanam, the divine song to Lord Ayyappa, is presented by Rahul Vellal to music arranged by S Jaykumar.
#Harivarasanam #RahulVellal #StrummSpiritual
Video Location : Ibbani Heritage Homestay, Chikmagalur
Singer – Rahul Vellal
Music Arranged by S.…
#Harivarasanam #RahulVellal #StrummSpiritual
Video Location : Ibbani Heritage Homestay, Chikmagalur
Singer – Rahul Vellal
Music Arranged by S.…
January 14, 2022
Forwarded from ॐ पीयूषः
@samskrt_samvadah संलापशाला - A Samskrit Voicechat room.
Duration : 30 minutes only
Time : IST 11:00 AM 🕚
Topic :संस्कृतकथा,सुभाषितम्,
हास्यकणिका
Date : 15thJanuary 2022,
Saturday.
Please Join the voicechat on time.
😇 Please come prepared to discus (संस्कृतकथां, सुभाषितं, हास्यकणिकां ,स्वस्य कञ्चित् उत्तमम् अनुभवं ,प्रेरकप्रसङ्गं वा वदन्तु। ) in Sanskrit , If possible.
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Topic :संस्कृतकथा,सुभाषितम्,
हास्यकणिका
Date : 15thJanuary 2022,
Saturday.
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January 14, 2022
January 14, 2022
🍃
♦️arjuna uvaacha
yo'yaM yogastvayaa proktaH saamyena madhusuudana|
etasyaahaM na pashyaami cha~nchalatvaat sthitiM sthiraam6.33
⚜6.33 Arjuna said This Yoga of equanimity taught by Thee, O Krishna, I do not see its steady continuance, because of the restlessness (of the mind).
⚜।।6.33।। अर्जुन ने कहा हे मधुसूदन जो यह साम्य योग आपने कहा मैं मन के चंचल होने से इसकी चिरस्थायी स्थिति को नहीं देखता हूं।।
#geeta
अर्जुन उवाचयोऽयं योगस्त्वया प्रोक्तः साम्येन मधुसूदन।
एतस्याहं न पश्यामि चञ्चलत्वात् स्थितिं स्थिराम्
।।6.33।। ♦️arjuna uvaacha
yo'yaM yogastvayaa proktaH saamyena madhusuudana|
etasyaahaM na pashyaami cha~nchalatvaat sthitiM sthiraam
⚜6.33 Arjuna said This Yoga of equanimity taught by Thee, O Krishna, I do not see its steady continuance, because of the restlessness (of the mind).
⚜।।6.33।। अर्जुन ने कहा हे मधुसूदन जो यह साम्य योग आपने कहा मैं मन के चंचल होने से इसकी चिरस्थायी स्थिति को नहीं देखता हूं।।
#geeta
January 14, 2022
January 14, 2022
🍃
♦️cha~nchalaM hi manaH kRRiShNa pramaathi balavaddRRiDham|
tasyaahaM nigrahaM manye vaayoriva suduShkaram6.34
⚜6.34 The mind verily is restless, turbulent, strong and unyielding, O Krishna: I deem it as difficult to control it as to control the wind.
⚜।।6.34।। क्योंकि हे कृष्ण यह मन चंचल और प्रमथन स्वभाव का तथा बलवान् और दृढ़ है उसका निग्रह करना मैं वायु के समान अति दुष्कर मानता हूँ ।।
#geeta
चञ्चलं हि मनः कृष्ण प्रमाथि बलवद्दृढम्।
तस्याहं निग्रहं मन्ये वायोरिव सुदुष्करम्
।।6.34।। ♦️cha~nchalaM hi manaH kRRiShNa pramaathi balavaddRRiDham|
tasyaahaM nigrahaM manye vaayoriva suduShkaram
⚜6.34 The mind verily is restless, turbulent, strong and unyielding, O Krishna: I deem it as difficult to control it as to control the wind.
⚜।।6.34।। क्योंकि हे कृष्ण यह मन चंचल और प्रमथन स्वभाव का तथा बलवान् और दृढ़ है उसका निग्रह करना मैं वायु के समान अति दुष्कर मानता हूँ ।।
#geeta
January 14, 2022
🚩 जय सत्य सनातन 🚩
🚩आज की हिंदी तिथि
🌥️🚩युगाब्द - ५१२३
🌥️🚩विक्रम संवत - २०७८
⛅ 🚩तिथि - त्रयोदशी रात्रि १२:५७ तक तत्पश्चात चतुर्दशी
⛅ दिनांक - १५ जनवरी २०२२
⛅ दिन - शनिवार
⛅ शक संवत -१९४३
⛅ अयन - उत्तरायण
⛅ ऋतु - शिशिर
⛅ मास - पौष
⛅ पक्ष - शुक्ल
⛅ नक्षत्र - मृगशिरा रात्रि ११:२१ तक तत्पश्चात आर्द्रा
⛅ योग - ब्रह्म दोपहर ०२:३४ तक तत्पश्चात इन्द्र
⛅ राहुकाल - सुबह १०:०३ से सुबह ११:२६ तक
⛅ सूर्योदय - ०७:१९
⛅ सूर्यास्त - १८:३६
⛅ दिशाशूल - पूर्व दिशा में
🚩आज की हिंदी तिथि
🌥️🚩युगाब्द - ५१२३
🌥️🚩विक्रम संवत - २०७८
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⛅ दिनांक - १५ जनवरी २०२२
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⛅ मास - पौष
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⛅ नक्षत्र - मृगशिरा रात्रि ११:२१ तक तत्पश्चात आर्द्रा
⛅ योग - ब्रह्म दोपहर ०२:३४ तक तत्पश्चात इन्द्र
⛅ राहुकाल - सुबह १०:०३ से सुबह ११:२६ तक
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January 14, 2022
@samskrt_samvadah संलापशाला - A Samskrit Voicechat room.
Duration : 30 minutes only
Time : IST 11:00 AM 🕚
Topic :संस्कृतकथा,सुभाषितम्,
हास्यकणिका
Date : 15thJanuary 2022,
Saturday.
Please Join the voicechat on time.
😇 Please come prepared to discus (संस्कृतकथां, सुभाषितं, हास्यकणिकां ,स्वस्य कञ्चित् उत्तमम् अनुभवं ,प्रेरकप्रसङ्गं वा वदन्तु। ) in Sanskrit , If possible.
We are waiting for you.😇
Set a reminder.
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हास्यकणिका
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January 14, 2022
January 14, 2022
Namaste to all,
I am presenting a course on Srimad Bhagavatam with Sanskrit commentary.
A course on Srimad Bhagavatam, the greatest Puranic text, with Sanskrit commentary
The Srimad Bhagavatam is likened to the ripened fruit of the desire-yielding tree of the Veda. It is the sāra, quintessence, of Vedic knowledge. Its study elevates one’s consciousness to the realm of pure being and bliss.
It has twelve sections and deals with ten topics: sarga (fundamental creation), visarga (subsequent creation), sthiti (regulation), poṣaṇa (nourishment), uti-s (impetus for activity), manvantara (time periods of Manus), īsanukatha (activities of avataras of Bhagavan Vishnu), nirodha (annihilation), mukti (liberation), asraya (ultimate shelter). The tenth topic, asraya, is the main topic of the Bhāgavatam.
In this course, the students will gain an in-depth understanding of the following:
1) Philosophy of Srimad Bhāgavatam
2) Nature of the ultimate reality
3) Various avataras of Bhagavan Vishnu
4) The ultimate gain
5) The means to attain it
Method: Each verse will be explained by analysing the Sanskrit and referring to a Sanskrit commentary.
Philosophical and theological sections will be explained in great detail. The medium of teaching will be English.
Classes will be conducted online through Zoom, every Tuesday and Saturday 7-8 PM IST.
The initial aim of the course is to complete the first section (751 verses) out of the 12 sections of the Bhāgavatam in 84 classes.
Recorded video classes will be available to all registered participants.
Course begins: 5-Feb-2022, Saturday, 7-8 PM IST
Eligibility: Respect for Srimad Bhāgavatam
Teacher: Paras Mehta (Sastra-Vani Dasa)
PhD Research Scholar [Philosophy]
Research Associate, EFEO
M.A. Sanskrit [Indian Philosophy]
LinkedIn: https://www.linkedin.com/in/paras-mehta-a98200154/
Fees: Rs. 500/- per month
To register, contact the teacher at
Phone: +91 7045083765
Best regards,
Paras Mehta
PhD Research Scholar in Gaudiya Vedanta
M.A. Sanskrit
Phone: +91 7045083765
LinkedIn: https://www.linkedin.com/in/paras-mehta-a98200154/
I am presenting a course on Srimad Bhagavatam with Sanskrit commentary.
A course on Srimad Bhagavatam, the greatest Puranic text, with Sanskrit commentary
The Srimad Bhagavatam is likened to the ripened fruit of the desire-yielding tree of the Veda. It is the sāra, quintessence, of Vedic knowledge. Its study elevates one’s consciousness to the realm of pure being and bliss.
It has twelve sections and deals with ten topics: sarga (fundamental creation), visarga (subsequent creation), sthiti (regulation), poṣaṇa (nourishment), uti-s (impetus for activity), manvantara (time periods of Manus), īsanukatha (activities of avataras of Bhagavan Vishnu), nirodha (annihilation), mukti (liberation), asraya (ultimate shelter). The tenth topic, asraya, is the main topic of the Bhāgavatam.
In this course, the students will gain an in-depth understanding of the following:
1) Philosophy of Srimad Bhāgavatam
2) Nature of the ultimate reality
3) Various avataras of Bhagavan Vishnu
4) The ultimate gain
5) The means to attain it
Method: Each verse will be explained by analysing the Sanskrit and referring to a Sanskrit commentary.
Philosophical and theological sections will be explained in great detail. The medium of teaching will be English.
Classes will be conducted online through Zoom, every Tuesday and Saturday 7-8 PM IST.
The initial aim of the course is to complete the first section (751 verses) out of the 12 sections of the Bhāgavatam in 84 classes.
Recorded video classes will be available to all registered participants.
Course begins: 5-Feb-2022, Saturday, 7-8 PM IST
Eligibility: Respect for Srimad Bhāgavatam
Teacher: Paras Mehta (Sastra-Vani Dasa)
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Fees: Rs. 500/- per month
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January 14, 2022
Forwarded from रामदूतः — The Sanskrit News Platform
YouTube
Vaarta: News in Sanskrit | PM Modi to interact with startups today
DD News is India’s
24x7 news channel from the stable of the country’s Public Service
Broadcaster, Prasar Bharati. It has the distinction of being India’s
only terrestrial cum satellite News Channel. Launched in 2003, DD News
has made a name for itself to…
January 14, 2022
January 14, 2022
January 14, 2022
'रामहतः' एतस्य विग्रहवाक्यं किं भवेत्।
Anonymous Quiz
11%
रामात् हतः
15%
रामस्य हतः
11%
रामं हतः
58%
रामेण हतः
7%
रामेण हतेन
January 15, 2022
संस्कृत संवादः । Sanskrit Samvadah
पाठ
(७) द्वितीया विभक्तिः (४) December 21, 2019 By Arun Aryaveer संस्कृतं
वद आधुनिको भव। वेदान् पठ वैज्ञानिको भव।। पाठ (७) द्वितीया विभक्तिः (४)
(अधि + शीङ्, अधि + स्था, अधि + आस्, अधि + वस्, आङ् + वस्, अनु + वस्, उप
+ वस्, अभि+नि+विश् इन धातुओं के आधार…
(क्रुध्
व द्रुह् अर्थवाली सोपसर्ग धातुओं के प्रयोग में जिस पर क्रोध व द्रोह
किया जाता है उसकी कर्म संज्ञा होती है और उससे द्वितीया विभक्ति होती है।)
जाल्मोऽयं पितरौ अभिक्रुध्यति = जालीम यह मां-बाप पर गुस्सा करता है।
स्नुषा श्वश्रुम् अभिक्रुध्यत् = बहु ने सास पर गुस्सा किया।
चण्डा भर्त्तारम् अभिचण्डेत् = क्रोधी महिला अपने पति पर गुस्सा कर सकती है।
कान्ता कान्तं प्रतिकोपिष्यति = पत्नी पति पर गुस्सा करेगी।
भामिनी पतिम् अभ्यभामिष्ट = गुस्सैल पत्नी ने अपने पति पर गुस्सा किया।
दुष्टः भ्रातरम् अभिद्रुह्यति = दुष्ट व्यक्ति भाई से द्रोह करता है।
राष्ट्रद्रोहिणः राष्ट्रम् अभिद्रोहिष्यन्ति = राष्ट्रद्रोही लोग राष्ट्र के प्रति द्रोह करेंगे।
विधर्मी धर्मम् अभ्यद्रुहत् = विधर्मी (अधार्मिक) ने धर्म से द्रोह किया।
कौरवाः पाण्डवान् अभिदुद्रुहुः = कौरवों ने पाण्डवों से द्रोह किया।
ननान्दा भ्रातृजायाम् अभिद्रुह्येत् = ननन्द भाभी से द्रोह कर सकती है।
(गत्यर्थक, ज्ञानार्थक, भक्षणार्थक, शब्दकर्मार्थक एवं अकर्मक धातुओं के अण्यन्तावस्था में जो कर्त्ता है, वह धातुओं की ण्यन्तावस्था में कर्मसंज्ञक होता है, अतः उससे द्वितीया विभक्ति होती है।)
गत्यर्थक
पुत्रः पाठशालां गच्छति = पुत्र पाठशाला जाता है।
पिता पुत्रं पाठशालां गमयति = बाप बेटे को पाठशाला भेज रहा है।
दुहिता विश्वविद्यालयं गमिष्यति = पुत्री कॉलेज जाएगी।
माता दुहितरं विश्वविद्यालयं गमयिष्यति = मां बेटी को कॉलेज भेजेगी।
औरसः पुत्रः विदेशम् अगमत् = सगा बेटा विदेश गया।
जननी औरसं पुत्रं विदेशम् अजीगमत् = माता ने सगे बेटे को विदेश भेजा।
पौत्री महाविद्यालयं गच्छेत् = पोती को उच्च विद्यालय में जाना चाहिए।
पितामहः पौत्रीं महाविद्यालयं गमयेत् = दादा को पोती महाविद्यालय में भेजनी चाहिए।
सेवकः आपणं प्रेष्यति = सेवक दुकान पर जाता है।
स्वामी सेवकं आपणं प्रेषयति = स्वामी सेवक को दुकान पर भेजता है।
वत्सा व्रजं व्रजति = बछड़ी गोशाला में जा रही है।
वत्सां व्रजं व्राजयति = बछड़ी को गोशाला में भेज रहा है।
अजा अजिरम् अजति = बकरी बाड़े में जा रही है।
अजां अजिरम् आजयति = बकरी को बाड़े में भेज रहा है।
जामाता प्रकोष्ठं प्रविशति = दामाद कमरे में प्रवेश करता है।
जामातरं प्रकोष्ठं प्रवेशयति = दामाद को कमरे में प्रवेश करवाता है।
यतिः मठं याति = यति मठ में जा रहा है।
यतिं मठं यापयन्ति = यति को मठ की ओर भेज रहे हैं।
वानप्रस्थी वनम् आगच्छति = वानप्रस्थी वन में आ रहा है।
वानप्रस्थिनं वनम् आगमयति = वानप्रस्थी को वन में भेज रहा है।
#vakyabhyas
जाल्मोऽयं पितरौ अभिक्रुध्यति = जालीम यह मां-बाप पर गुस्सा करता है।
स्नुषा श्वश्रुम् अभिक्रुध्यत् = बहु ने सास पर गुस्सा किया।
चण्डा भर्त्तारम् अभिचण्डेत् = क्रोधी महिला अपने पति पर गुस्सा कर सकती है।
कान्ता कान्तं प्रतिकोपिष्यति = पत्नी पति पर गुस्सा करेगी।
भामिनी पतिम् अभ्यभामिष्ट = गुस्सैल पत्नी ने अपने पति पर गुस्सा किया।
दुष्टः भ्रातरम् अभिद्रुह्यति = दुष्ट व्यक्ति भाई से द्रोह करता है।
राष्ट्रद्रोहिणः राष्ट्रम् अभिद्रोहिष्यन्ति = राष्ट्रद्रोही लोग राष्ट्र के प्रति द्रोह करेंगे।
विधर्मी धर्मम् अभ्यद्रुहत् = विधर्मी (अधार्मिक) ने धर्म से द्रोह किया।
कौरवाः पाण्डवान् अभिदुद्रुहुः = कौरवों ने पाण्डवों से द्रोह किया।
ननान्दा भ्रातृजायाम् अभिद्रुह्येत् = ननन्द भाभी से द्रोह कर सकती है।
(गत्यर्थक, ज्ञानार्थक, भक्षणार्थक, शब्दकर्मार्थक एवं अकर्मक धातुओं के अण्यन्तावस्था में जो कर्त्ता है, वह धातुओं की ण्यन्तावस्था में कर्मसंज्ञक होता है, अतः उससे द्वितीया विभक्ति होती है।)
गत्यर्थक
पुत्रः पाठशालां गच्छति = पुत्र पाठशाला जाता है।
पिता पुत्रं पाठशालां गमयति = बाप बेटे को पाठशाला भेज रहा है।
दुहिता विश्वविद्यालयं गमिष्यति = पुत्री कॉलेज जाएगी।
माता दुहितरं विश्वविद्यालयं गमयिष्यति = मां बेटी को कॉलेज भेजेगी।
औरसः पुत्रः विदेशम् अगमत् = सगा बेटा विदेश गया।
जननी औरसं पुत्रं विदेशम् अजीगमत् = माता ने सगे बेटे को विदेश भेजा।
पौत्री महाविद्यालयं गच्छेत् = पोती को उच्च विद्यालय में जाना चाहिए।
पितामहः पौत्रीं महाविद्यालयं गमयेत् = दादा को पोती महाविद्यालय में भेजनी चाहिए।
सेवकः आपणं प्रेष्यति = सेवक दुकान पर जाता है।
स्वामी सेवकं आपणं प्रेषयति = स्वामी सेवक को दुकान पर भेजता है।
वत्सा व्रजं व्रजति = बछड़ी गोशाला में जा रही है।
वत्सां व्रजं व्राजयति = बछड़ी को गोशाला में भेज रहा है।
अजा अजिरम् अजति = बकरी बाड़े में जा रही है।
अजां अजिरम् आजयति = बकरी को बाड़े में भेज रहा है।
जामाता प्रकोष्ठं प्रविशति = दामाद कमरे में प्रवेश करता है।
जामातरं प्रकोष्ठं प्रवेशयति = दामाद को कमरे में प्रवेश करवाता है।
यतिः मठं याति = यति मठ में जा रहा है।
यतिं मठं यापयन्ति = यति को मठ की ओर भेज रहे हैं।
वानप्रस्थी वनम् आगच्छति = वानप्रस्थी वन में आ रहा है।
वानप्रस्थिनं वनम् आगमयति = वानप्रस्थी को वन में भेज रहा है।
#vakyabhyas
January 15, 2022
शीतकालः
****
हेमन्तस्य हिमेन तेन विपुलं कृत्वा स्वमत्या हिमं
शीतर्तुः सकलक्षितौ क्षिपति तच्छीतं ततो वर्धते।
लब्ध्वा ज्ञानकणं हि शिष्यपरमः शक्त्या यथा व्यापकं
तत् संपाद्य विकाशते निजधिया सर्वत्र भूमण्डलम्।।
(व्रजकिशोरः)
****
हेमन्तस्य हिमेन तेन विपुलं कृत्वा स्वमत्या हिमं
शीतर्तुः सकलक्षितौ क्षिपति तच्छीतं ततो वर्धते।
लब्ध्वा ज्ञानकणं हि शिष्यपरमः शक्त्या यथा व्यापकं
तत् संपाद्य विकाशते निजधिया सर्वत्र भूमण्डलम्।।
(व्रजकिशोरः)
January 15, 2022
कश्चित् उन्मत्तः आत्मानं दर्पणे दृष्ट्वा चिन्तयति।
एषः तु मया कुत्रचित् दृष्टः एव...
(सः तथैव बहुकालपर्यन्तं चिन्तितवान् अनन्तरं वदति)
अरे एषः तु सः एव अस्ति यः परह्यः मया सह केशान् कर्तयितुम् उपविष्टः आसीत्।
#hasya
एषः तु मया कुत्रचित् दृष्टः एव...
(सः तथैव बहुकालपर्यन्तं चिन्तितवान् अनन्तरं वदति)
अरे एषः तु सः एव अस्ति यः परह्यः मया सह केशान् कर्तयितुम् उपविष्टः आसीत्।
#hasya
January 15, 2022
सङ्क्षेपरामायणम्
(महर्षिवाल्मीकिप्रणीत-रामायण-बालकाण्ड-प्रथमसर्ग-रूपम्)
मूलश्लोकः-81
तेन गत्वा पुरीं लङ्कां हत्वा रावणमाहवे ।
राम: सीतामनुप्राप्य परां व्रीडामुपागमत्।।81।।
श्लोकान्वयः -
राम: तेन (सेतुना) लङ्कां पुरीं गत्वा आहवे
रावणं हत्वा सीताम् अनुप्राप्य परां व्रीडाम् उपागमत्।।81।।
हिन्दी-अनुवाद -
श्रीराम समुद्र सेतु से लङ्कापुरी जाकर युद्ध में रावण का वध करने के पश्चात्
सीता को भलीभाँति प्राप्त कर परम लज्जित हुए (क्याोंकि राक्षस निवास में बहुत दिनों तक रखी गई सीता को पुन: स्वीकार किया,
इस लोकापवाद की शङ्का हृदय में थी।।81।।
English Meaning
राम: Rama, तेन through that bridge, लङ्कापुरीं city of Lanka, गत्वा having reached, आहवे in the battle, रावणम् Ravana, हत्वा after slaying, सीताम् Sita, प्राप्य having recovered, अनु thereafter, पराम् great, व्रीडाम् embarassment, उपागमत् experienced (pursuant to her stay in others' house for a long time).
Rama entered the city of Lanka by means of that bridge, killed Ravana in the battle and recovered Sita. Thereafter he felt greatly embarassed (for accepting his wife who had stayed in an others.
#SankshepaRamayanam
(महर्षिवाल्मीकिप्रणीत-रामायण-बालकाण्ड-प्रथमसर्ग-रूपम्)
मूलश्लोकः-81
तेन गत्वा पुरीं लङ्कां हत्वा रावणमाहवे ।
राम: सीतामनुप्राप्य परां व्रीडामुपागमत्।।81।।
श्लोकान्वयः -
राम: तेन (सेतुना) लङ्कां पुरीं गत्वा आहवे
रावणं हत्वा सीताम् अनुप्राप्य परां व्रीडाम् उपागमत्।।81।।
हिन्दी-अनुवाद -
श्रीराम समुद्र सेतु से लङ्कापुरी जाकर युद्ध में रावण का वध करने के पश्चात्
सीता को भलीभाँति प्राप्त कर परम लज्जित हुए (क्याोंकि राक्षस निवास में बहुत दिनों तक रखी गई सीता को पुन: स्वीकार किया,
इस लोकापवाद की शङ्का हृदय में थी।।81।।
English Meaning
राम: Rama, तेन through that bridge, लङ्कापुरीं city of Lanka, गत्वा having reached, आहवे in the battle, रावणम् Ravana, हत्वा after slaying, सीताम् Sita, प्राप्य having recovered, अनु thereafter, पराम् great, व्रीडाम् embarassment, उपागमत् experienced (pursuant to her stay in others' house for a long time).
Rama entered the city of Lanka by means of that bridge, killed Ravana in the battle and recovered Sita. Thereafter he felt greatly embarassed (for accepting his wife who had stayed in an others.
#SankshepaRamayanam
January 15, 2022
@samskrt_samvadah संलापशाला - A Samskrit Voicechat room.
Duration : 30 minutes only
Time : IST 11:00 AM 🕚
Topic : Gossip.
जल्पनम्
Date : 16thJanuary 2022,
Sunday.
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जल्पनम्
Date : 16thJanuary 2022,
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January 15, 2022
January 15, 2022
🍃
♦️shrii bhagavaanuvaacha
asaMshayaM mahaabaaho mano durnigrahaM chalaM|
abhyaasena tu kaunteya vairaagyeNa cha gRRihyate6.35
⚜6.35 The Blessed Lord --said Undoubtedly, O mighty-armed Arjuna, the mind is difficult to control and restless; but by practice and by dispassion it may be restrained.
⚜।।6.35।। श्रीभगवान् कहते हैं --
हे महबाहो निसन्देह मन चंचल और कठिनता से वश में होने वाला है परन्तु हे कुन्तीपुत्र उसे अभ्यास और वैराग्य के द्वारा वश में किया जा सकता है।।
#geeta
श्री भगवानुवाचअसंशयं महाबाहो मनो दुर्निग्रहं चलं।
अभ्यासेन तु कौन्तेय वैराग्येण च गृह्यते
।।6.35।। ♦️shrii bhagavaanuvaacha
asaMshayaM mahaabaaho mano durnigrahaM chalaM|
abhyaasena tu kaunteya vairaagyeNa cha gRRihyate6.35
⚜6.35 The Blessed Lord --said Undoubtedly, O mighty-armed Arjuna, the mind is difficult to control and restless; but by practice and by dispassion it may be restrained.
⚜।।6.35।। श्रीभगवान् कहते हैं --
हे महबाहो निसन्देह मन चंचल और कठिनता से वश में होने वाला है परन्तु हे कुन्तीपुत्र उसे अभ्यास और वैराग्य के द्वारा वश में किया जा सकता है।।
#geeta
January 15, 2022
January 15, 2022
🍃
♦️asaMyataatmanaa yogo duShpraapa iti me matiH|
vashyaatmanaa tu yatataa shakyo'vaaptumupaayataH6.36
⚜6.36 I think Yoga is hard to be attained by one of uncontrolled self, but the self-controlled and striving one can attain to it by the (proper) means.
⚜।।6.36।। असंयत मन के पुरुष द्वारा योग प्राप्त होना कठिन है परन्तु स्वाधीन मन वाले प्रयत्नशील पुरुष द्वारा उपाय से योग प्राप्त होना संभव है यह मेरा मत है।।
#geeta
असंयतात्मना योगो दुष्प्राप इति मे मतिः।
वश्यात्मना तु यतता शक्योऽवाप्तुमुपायतः
।।6.36।। ♦️asaMyataatmanaa yogo duShpraapa iti me matiH|
vashyaatmanaa tu yatataa shakyo'vaaptumupaayataH
⚜6.36 I think Yoga is hard to be attained by one of uncontrolled self, but the self-controlled and striving one can attain to it by the (proper) means.
⚜।।6.36।। असंयत मन के पुरुष द्वारा योग प्राप्त होना कठिन है परन्तु स्वाधीन मन वाले प्रयत्नशील पुरुष द्वारा उपाय से योग प्राप्त होना संभव है यह मेरा मत है।।
#geeta
January 15, 2022
🚩जय सत्य सनातन 🚩
🚩आज की हिंदी तिथि
🌥️🚩युगाब्द - ५१२३
🌥️🚩विक्रम संवत - २०७८
⛅ 🚩तिथि - चतुर्दशी 17 जनवरी रात्रि 03:18 तक तत्पश्चात पूर्णिमा
⛅ दिनांक - 16 जनवरी 2022
⛅ दिन - रविवार
⛅ विक्रम संवत - 2078
⛅ शक संवत -1943
⛅ अयन - उत्तरायण
⛅ ऋतु - शिशिर
⛅ मास - पौष
⛅ पक्ष - शुक्ल नक्षत्र - आर्द्रा 17 जनवरी रात्रि 02:09 तक तत्पश्चात पुनर्वस
⛅ योग - इन्द्र शाम 03:21 तक तत्पश्चात वैधृति
⛅ राहुकाल - शाम 04:56 से शाम 06:18 तक
⛅ सूर्योदय - 07:19
⛅ सूर्यास्त - 18:17
⛅ दिशाशूल - पश्चिम दिशा में
🚩आज की हिंदी तिथि
🌥️🚩युगाब्द - ५१२३
🌥️🚩विक्रम संवत - २०७८
⛅ 🚩तिथि - चतुर्दशी 17 जनवरी रात्रि 03:18 तक तत्पश्चात पूर्णिमा
⛅ दिनांक - 16 जनवरी 2022
⛅ दिन - रविवार
⛅ विक्रम संवत - 2078
⛅ शक संवत -1943
⛅ अयन - उत्तरायण
⛅ ऋतु - शिशिर
⛅ मास - पौष
⛅ पक्ष - शुक्ल नक्षत्र - आर्द्रा 17 जनवरी रात्रि 02:09 तक तत्पश्चात पुनर्वस
⛅ योग - इन्द्र शाम 03:21 तक तत्पश्चात वैधृति
⛅ राहुकाल - शाम 04:56 से शाम 06:18 तक
⛅ सूर्योदय - 07:19
⛅ सूर्यास्त - 18:17
⛅ दिशाशूल - पश्चिम दिशा में
January 15, 2022
January 15, 2022
@samskrt_samvadah संलापशाला - A Samskrit Voicechat room.
Duration : 30 minutes only
Time : IST 11:00 AM 🕚
Topic : Gossip.
जल्पनम्
Date : 16thJanuary 2022,
Sunday.
Please Join the voicechat on time.
😇 Please come prepared to discuss in Sanskrit , If possible.
We are waiting for you.😇
Set a reminder.
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जल्पनम्
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January 15, 2022
Forwarded from रामदूतः — The Sanskrit News Platform
Switch to DD News daily at 7:15 AM (Morning) for 15 minutes Sanskrit news.
https://youtu.be/tNI358xYNI0
https://youtu.be/tNI358xYNI0
YouTube
वार्ता : संस्कृत समाचार
DD News is India’s
24x7 news channel from the stable of the country’s Public Service
Broadcaster, Prasar Bharati. It has the distinction of being India’s
only terrestrial cum satellite News Channel. Launched in 2003, DD News
has made a name for itself to…
January 15, 2022
January 15, 2022
. ॐ
अद्य भारतीय-सैन्य-दिवसः ।
तन्निमित्तम् अस्माकं शूर-सैनिकानां कृते कोटिशः वन्दनानि ।
ते तत्र शैत्ये उष्णतायां च अहोरात्रं तिष्ठन्ति अतः वयम् अत्र गृहे उपविश्य संस्कृतकार्यं कर्तुं शक्नुमः ।
युध्यन्ते तत्र धैर्येण ये
रिपुभिः सह रणाङ्गणे ।
अभिवाद्य आरत्या तान्
कृतज्ञतया वन्दामहे ।।
👆 👆 👆
कस्यचन प्रचलितस्य मराठी-गीतस्य ध्रुवपदस्य स्वैरः संस्कृतानुवादः एषः । तस्य गायनं कर्तुं मम अनार्हस्य एषः धृष्ट-प्रयत्नः ।
ये सङ्गीतं जानन्ति ते सुस्वर-नादेन कर्णमाधुर्ययुतं गानं कर्तुं शक्नुवन्ति ।
------ संस्कृतानन्दः ।
👇 👇 👇
अद्य भारतीय-सैन्य-दिवसः ।
तन्निमित्तम् अस्माकं शूर-सैनिकानां कृते कोटिशः वन्दनानि ।
ते तत्र शैत्ये उष्णतायां च अहोरात्रं तिष्ठन्ति अतः वयम् अत्र गृहे उपविश्य संस्कृतकार्यं कर्तुं शक्नुमः ।
युध्यन्ते तत्र धैर्येण ये
रिपुभिः सह रणाङ्गणे ।
अभिवाद्य आरत्या तान्
कृतज्ञतया वन्दामहे ।।
👆 👆 👆
कस्यचन प्रचलितस्य मराठी-गीतस्य ध्रुवपदस्य स्वैरः संस्कृतानुवादः एषः । तस्य गायनं कर्तुं मम अनार्हस्य एषः धृष्ट-प्रयत्नः ।
ये सङ्गीतं जानन्ति ते सुस्वर-नादेन कर्णमाधुर्ययुतं गानं कर्तुं शक्नुवन्ति ।
------ संस्कृतानन्दः ।
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January 15, 2022
January 15, 2022
January 16, 2022
January 16, 2022
संस्कृत संवादः । Sanskrit Samvadah
(क्रुध्
व द्रुह् अर्थवाली सोपसर्ग धातुओं के प्रयोग में जिस पर क्रोध व द्रोह
किया जाता है उसकी कर्म संज्ञा होती है और उससे द्वितीया विभक्ति होती है।)
जाल्मोऽयं पितरौ अभिक्रुध्यति = जालीम यह मां-बाप पर गुस्सा करता है।
स्नुषा श्वश्रुम् अभिक्रुध्यत् = बहु ने…
ज्ञानार्थक
समित्पाणिः शिष्यः शास्त्राणि जानाति = समर्पित शिष्य शास्त्रों को जानता है।
समित्पाणिं शिष्यं शास्त्राणि ज्ञापयति = समर्पित शिष्य को शास्त्र जना रहा है।
छात्रः धर्म बुध्यते = छात्र धर्म को जानता है।
छात्रवत्सलः गुरुः छात्रं धर्म बोधयति = छात्रवत्सल गुरु छात्र को धर्म का बोध कराता है।
छात्रा सदाचारं वेत्ति = छात्रा सदाचार को जानती है।
छात्रप्रिया आचार्या छात्रां सदाचारं वेदयति = छात्रप्रिया आचार्या छात्राओं को सदाचार का बोध करवा रही है।
प्राकृतः जनः न्यायं बोधति = आम इन्सान उचित व्यवहार को जानता है।
बुधः प्राकृतं जनं न्यायं बोधयति = विद्वान् आम इन्सान को उचित व्यवहार का बोध कराता है।
श्रोता व्याख्यानम् अवगच्छति = श्रोता व्याख्यान को समझ रहा है।
वक्ता श्रोतारं व्याख्यानम् अवगमयति = वक्ता श्रोता को व्याख्यान समझा रहा है।
दयानन्दः व्याकरणम् अज्ञासीत् = दयानन्द जी ने व्याकरण को जाना (समझा)।
विरजान्दः दयानन्दं व्याकरणम् अजिज्ञपत् = विरजानन्द जी ने दयानन्द जी को व्याकरण समझाया।
छात्राः आर्षग्रन्थान् ज्ञास्यन्ति = छात्राएं ऋषिकृत ग्रन्थों को जानेंगी।
आचार्या छात्राः आर्षग्रन्थान् ज्ञापयिष्यति = आचार्या छात्राओं को आर्षग्रन्थों को जनाएंगी।
सर्वे दर्शनानि जानीयुः = सभी को दर्शनविद्या जाननी चाहिए।
विद्वांसः सर्वान् दर्शनानि ज्ञापयेयुः = विद्वान् लोग सभी को दर्शनशास्त्र स्त्र जनाएं।
#vakyabhyas
समित्पाणिः शिष्यः शास्त्राणि जानाति = समर्पित शिष्य शास्त्रों को जानता है।
समित्पाणिं शिष्यं शास्त्राणि ज्ञापयति = समर्पित शिष्य को शास्त्र जना रहा है।
छात्रः धर्म बुध्यते = छात्र धर्म को जानता है।
छात्रवत्सलः गुरुः छात्रं धर्म बोधयति = छात्रवत्सल गुरु छात्र को धर्म का बोध कराता है।
छात्रा सदाचारं वेत्ति = छात्रा सदाचार को जानती है।
छात्रप्रिया आचार्या छात्रां सदाचारं वेदयति = छात्रप्रिया आचार्या छात्राओं को सदाचार का बोध करवा रही है।
प्राकृतः जनः न्यायं बोधति = आम इन्सान उचित व्यवहार को जानता है।
बुधः प्राकृतं जनं न्यायं बोधयति = विद्वान् आम इन्सान को उचित व्यवहार का बोध कराता है।
श्रोता व्याख्यानम् अवगच्छति = श्रोता व्याख्यान को समझ रहा है।
वक्ता श्रोतारं व्याख्यानम् अवगमयति = वक्ता श्रोता को व्याख्यान समझा रहा है।
दयानन्दः व्याकरणम् अज्ञासीत् = दयानन्द जी ने व्याकरण को जाना (समझा)।
विरजान्दः दयानन्दं व्याकरणम् अजिज्ञपत् = विरजानन्द जी ने दयानन्द जी को व्याकरण समझाया।
छात्राः आर्षग्रन्थान् ज्ञास्यन्ति = छात्राएं ऋषिकृत ग्रन्थों को जानेंगी।
आचार्या छात्राः आर्षग्रन्थान् ज्ञापयिष्यति = आचार्या छात्राओं को आर्षग्रन्थों को जनाएंगी।
सर्वे दर्शनानि जानीयुः = सभी को दर्शनविद्या जाननी चाहिए।
विद्वांसः सर्वान् दर्शनानि ज्ञापयेयुः = विद्वान् लोग सभी को दर्शनशास्त्र स्त्र जनाएं।
#vakyabhyas
January 16, 2022
January 16, 2022
कश्चन चोरः रात्रौ एकस्मिन् गृहे प्रविशति।
यदा सः गृहद्वारम् उद्घाटितवान् तदा अङ्गणे शयानायाः वृद्धायाः निद्रा भग्ना जाता।
सा चोरम् उद्दिश्य वदति - भवान् उत्तमपरिवारस्य अस्ति इति भाति कदाचित् विवशताकारणेन चौरकार्यं करोति, अस्तु... चिन्ता नास्ति☺️।
तत्र कपाटिकायां एका पेटिका अस्ति तत्र सर्वं धनम् अस्ति त्वं तत् नेतुं शक्नोषि।
(एतत् श्रुत्वा चोरः प्रसन्नः भवति😀)
परन्तु पूर्वं मम पार्श्वे आगत्य उपविशतु, अहम् इदानीमेव एकं स्वप्नं दृष्टवती कृपया तस्य अर्थम् बोधयतु मह्यम्।
(चोरः तस्य साधुतां दृष्ट्वा 😍 तां सकाशम् उपविशति वदति च)
आम् मातः! उच्यतां भवत्याः स्वप्नः।
वृद्धा - वत्स! अहं सम्प्रति एव दृष्टवती यत् अहं मरुस्थले अस्मि तथा तत्र मम पार्श्वे एकः श्येनः आगत्य उच्चैः वदति, पङ्कज.. पङ्कज.. पङ्कज.. इति (सा वृद्धा अपि तथैव उच्चैः वदति।) अनन्तरं मम स्वप्नः भग्नः जातः अधुना एतस्य स्वप्नस्य कः अर्थः 🤔 ......
यदा वृद्धा एतत् वृत्तान्तं वदन्ती आसीत् तदा एव पार्श्वस्थात् प्रकोष्ठात् वृदधायाः किशोरः पुत्रः पङ्कजः उच्चैः त्रिवारं स्वनाम श्रुत्वा उत्तिष्ठति तथा बहिः आगत्य चोरं गृह्णाति सम्यक् ताडयति च।
अनन्तरं वृद्धा स्वपुत्रं वदति अस्तु तिष्ठतु एषः दण्डं प्राप्तवान् अस्ति, तदा चोरः वदति न, न, मां इतोऽपि ताडयतु यतोऽहि मूर्खः अहं ताडनस्य एव अधिकारी अस्मि। 😅😁😂
#hasya
यदा सः गृहद्वारम् उद्घाटितवान् तदा अङ्गणे शयानायाः वृद्धायाः निद्रा भग्ना जाता।
सा चोरम् उद्दिश्य वदति - भवान् उत्तमपरिवारस्य अस्ति इति भाति कदाचित् विवशताकारणेन चौरकार्यं करोति, अस्तु... चिन्ता नास्ति☺️।
तत्र कपाटिकायां एका पेटिका अस्ति तत्र सर्वं धनम् अस्ति त्वं तत् नेतुं शक्नोषि।
(एतत् श्रुत्वा चोरः प्रसन्नः भवति😀)
परन्तु पूर्वं मम पार्श्वे आगत्य उपविशतु, अहम् इदानीमेव एकं स्वप्नं दृष्टवती कृपया तस्य अर्थम् बोधयतु मह्यम्।
(चोरः तस्य साधुतां दृष्ट्वा 😍 तां सकाशम् उपविशति वदति च)
आम् मातः! उच्यतां भवत्याः स्वप्नः।
वृद्धा - वत्स! अहं सम्प्रति एव दृष्टवती यत् अहं मरुस्थले अस्मि तथा तत्र मम पार्श्वे एकः श्येनः आगत्य उच्चैः वदति, पङ्कज.. पङ्कज.. पङ्कज.. इति (सा वृद्धा अपि तथैव उच्चैः वदति।) अनन्तरं मम स्वप्नः भग्नः जातः अधुना एतस्य स्वप्नस्य कः अर्थः 🤔 ......
यदा वृद्धा एतत् वृत्तान्तं वदन्ती आसीत् तदा एव पार्श्वस्थात् प्रकोष्ठात् वृदधायाः किशोरः पुत्रः पङ्कजः उच्चैः त्रिवारं स्वनाम श्रुत्वा उत्तिष्ठति तथा बहिः आगत्य चोरं गृह्णाति सम्यक् ताडयति च।
अनन्तरं वृद्धा स्वपुत्रं वदति अस्तु तिष्ठतु एषः दण्डं प्राप्तवान् अस्ति, तदा चोरः वदति न, न, मां इतोऽपि ताडयतु यतोऽहि मूर्खः अहं ताडनस्य एव अधिकारी अस्मि। 😅😁😂
#hasya
January 16, 2022
सङ्क्षेपरामायणम्
(महर्षिवाल्मीकिप्रणीत-रामायण-बालकाण्ड-प्रथमसर्ग-रूपम्)
मूलश्लोकः-82
तामुवाच ततो राम: परुषं जनसंसदि।
अमृृष्यमाणा सा सीता विवेश ज्वलनं सती।। 82।।
श्लोकान्वयः -
तत: राम: जनसंसदि तां परुषम् उवाच।
(तत्) अमृष्यमाणा सा सती सीता ज्वलनं विवेश।।82।।
हिन्दी-अनुवाद -
सीता प्राप्ति के पश्चात् राम वहाँ पर उपस्थित वानरादि के सम्मुख सीता के
प्रति अप्रिय वचन बोले उसको न सहन करती हुई साध्वी सीता ने अग्नि में प्रवेश किया।।82।।
English Meaning
तत: for that reason, राम: Rama, जनसंसदि in the assembly of men, ताम् about Sita, परुषम् harsh words, उवाच spoke, सती chaste, सा सीता Sita, अमृष्यमाणा incapable of enduring those words, ज्वलनं विवेश entered flaming fire.
Rama spoke harsh words about Sita in the assembly. Sita, incapable of enduring such words, entered fire.
#SankshepaRamayanam
(महर्षिवाल्मीकिप्रणीत-रामायण-बालकाण्ड-प्रथमसर्ग-रूपम्)
मूलश्लोकः-82
तामुवाच ततो राम: परुषं जनसंसदि।
अमृृष्यमाणा सा सीता विवेश ज्वलनं सती।। 82।।
श्लोकान्वयः -
तत: राम: जनसंसदि तां परुषम् उवाच।
(तत्) अमृष्यमाणा सा सती सीता ज्वलनं विवेश।।82।।
हिन्दी-अनुवाद -
सीता प्राप्ति के पश्चात् राम वहाँ पर उपस्थित वानरादि के सम्मुख सीता के
प्रति अप्रिय वचन बोले उसको न सहन करती हुई साध्वी सीता ने अग्नि में प्रवेश किया।।82।।
English Meaning
तत: for that reason, राम: Rama, जनसंसदि in the assembly of men, ताम् about Sita, परुषम् harsh words, उवाच spoke, सती chaste, सा सीता Sita, अमृष्यमाणा incapable of enduring those words, ज्वलनं विवेश entered flaming fire.
Rama spoke harsh words about Sita in the assembly. Sita, incapable of enduring such words, entered fire.
#SankshepaRamayanam
January 16, 2022
@samskrt_samvadah संलापशाला - A Samskrit Voicechat room.
Duration : 30 minutes only
Time : IST 11:00 AM 🕚
Topic :Tree's Description.
वृक्षविवरणम्।
Date : 17thJanuary 2022,
Monday.
Please Join the voicechat on time.
😇 Please come prepared to discuss (सस्यानां वृक्षाणां वा संस्कृतेन विवरणं कुर्वन्तु।)in Sanskrit , If possible.
We are waiting for you.😇
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Duration : 30 minutes only
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Topic :Tree's Description.
वृक्षविवरणम्।
Date : 17thJanuary 2022,
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January 16, 2022
नमस्काराः । अद्य स्वामिविवेकानन्दस्य जन्मदिनम् ।
एतत्शुभावसरं पुरस्कृत्य अस्मिन् रविवासरे (Sun Jan 16th at 9:30PM IST) भाषणं भविष्यति । कृपया सर्वे आगच्छन्तु इति प्रार्थना ।
http://youtube.com/samskritabharatiusa
एतत्शुभावसरं पुरस्कृत्य अस्मिन् रविवासरे (Sun Jan 16th at 9:30PM IST) भाषणं भविष्यति । कृपया सर्वे आगच्छन्तु इति प्रार्थना ।
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January 16, 2022
January 16, 2022
🍃
♦️arjuna uvaacha
ayatiH shraddhayopeto yogaachchalitamaanasaH|
apraapya yogasaMsiddhiM kaaM gatiM kRRiShNa gachChati6.37
⚜6.37 Arjuna said He who is unable to control himself though he has the faith, and whose mind wanders away from Yoga, what end does he, having failed to attain perfection in Yoga, meet, O Krishna?
⚜।।6.37।। अर्जुन ने कहा हे कृष्ण जिसका मन योग से चलायमान हो गया है ऐसा अपूर्ण प्रयत्न वाला (अयति) श्रद्धायुक्त पुरुष योग की सिद्धि को न प्राप्त होकर किस गति को प्राप्त होता है
#geeta
अर्जुन उवाच
अयतिः श्रद्धयोपेतो योगाच्चलितमानसः।
अप्राप्य योगसंसिद्धिं कां गतिं कृष्ण गच्छति
।।6.37।। ♦️arjuna uvaacha
ayatiH shraddhayopeto yogaachchalitamaanasaH|
apraapya yogasaMsiddhiM kaaM gatiM kRRiShNa gachChati
⚜6.37 Arjuna said He who is unable to control himself though he has the faith, and whose mind wanders away from Yoga, what end does he, having failed to attain perfection in Yoga, meet, O Krishna?
⚜।।6.37।। अर्जुन ने कहा हे कृष्ण जिसका मन योग से चलायमान हो गया है ऐसा अपूर्ण प्रयत्न वाला (अयति) श्रद्धायुक्त पुरुष योग की सिद्धि को न प्राप्त होकर किस गति को प्राप्त होता है
#geeta
January 16, 2022
January 16, 2022
🍃
♦️kachchinnobhayavibhraShTashChinnaabhramiva nashyati|
apratiShTho mahaabaaho vimuuDho brahmaNaH pathi6.38
⚜6.38 Fallen from both, does he not perish like a rent cloud, supportless, O mighty-armed (Krishna), deluded on the path of Brahman? ।।6.38।।
⚜।।6.38।।हे महबाहो क्या वह ब्रह्म के मार्ग में मोहित तथा आश्रयरहित पुरुष छिन्नभिन्न मेघ के समान दोनों ओर से भ्रष्ट हुआ नष्ट तो नहीं हो जाता है ।
#geeta
कच्चिन्नोभयविभ्रष्टश्छिन्नाभ्रमिव नश्यति।
अप्रतिष्ठो महाबाहो विमूढो ब्रह्मणः पथि
।।6.38।। ♦️kachchinnobhayavibhraShTashChinnaabhramiva nashyati|
apratiShTho mahaabaaho vimuuDho brahmaNaH pathi
⚜6.38 Fallen from both, does he not perish like a rent cloud, supportless, O mighty-armed (Krishna), deluded on the path of Brahman? ।।6.38।।
⚜।।6.38।।हे महबाहो क्या वह ब्रह्म के मार्ग में मोहित तथा आश्रयरहित पुरुष छिन्नभिन्न मेघ के समान दोनों ओर से भ्रष्ट हुआ नष्ट तो नहीं हो जाता है ।
#geeta
January 16, 2022
https://youtu.be/ITt0AKkDj_w
Switch to DD News daily at 7:15 AM (Morning) for 15 minutes Sanskrit news.
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वार्ता: संस्कृत में समाचार
DD News is India’s
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January 16, 2022
@samskrt_samvadah संलापशाला - A Samskrit Voicechat room.
Duration : 30 minutes only
Time : IST 11:00 AM 🕚
Topic :Tree's Description.
वृक्षविवरणम्।
Date : 17thJanuary 2022,
Monday.
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😇 Please come prepared to discuss (सस्यानां वृक्षाणां वा संस्कृतेन विवरणं कुर्वन्तु।)in Sanskrit , If possible.
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वृक्षविवरणम्।
Date : 17thJanuary 2022,
Monday.
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January 16, 2022
January 16, 2022
🚩जय सत्य सनातन🚩
🚩आज की हिंदी तिथि
🌥️ 🚩युगाब्द-५१२३
🌥️ 🚩विक्रम संवत-२०७८
⛅ 🚩तिथि - पूर्णिमा १८ जनवरी प्रातः ०५:१७ तक तत्पश्चात प्रतिपदा
⛅ दिनांक - १७ जनवरी २०२२
⛅ दिन - सोमवार
⛅ शक संवत -१९४३
⛅ अयन - उत्तरायण
⛅ ऋतु - शिशिर
⛅ मास - पौस
⛅ पक्ष - शुक्ल
⛅ नक्षत्र - पुनर्वसु १८ जनवरी प्रातः ०४:३७ तक तत्पश्चात पुष्य
⛅ योग - वैधृति शाम ०३:५३ तक तत्पश्चात विषकंभ
⛅ राहुकाल - सुबह ०८:४१ से सुबह १०:०४ तक
⛅ सूर्योदय - ०७:१९
⛅ सूर्यास्त - १८:१७
⛅ दिशाशूल - पूर्व दिशा में
🚩आज की हिंदी तिथि
🌥️ 🚩युगाब्द-५१२३
🌥️ 🚩विक्रम संवत-२०७८
⛅ 🚩तिथि - पूर्णिमा १८ जनवरी प्रातः ०५:१७ तक तत्पश्चात प्रतिपदा
⛅ दिनांक - १७ जनवरी २०२२
⛅ दिन - सोमवार
⛅ शक संवत -१९४३
⛅ अयन - उत्तरायण
⛅ ऋतु - शिशिर
⛅ मास - पौस
⛅ पक्ष - शुक्ल
⛅ नक्षत्र - पुनर्वसु १८ जनवरी प्रातः ०४:३७ तक तत्पश्चात पुष्य
⛅ योग - वैधृति शाम ०३:५३ तक तत्पश्चात विषकंभ
⛅ राहुकाल - सुबह ०८:४१ से सुबह १०:०४ तक
⛅ सूर्योदय - ०७:१९
⛅ सूर्यास्त - १८:१७
⛅ दिशाशूल - पूर्व दिशा में
January 16, 2022
January 16, 2022
January 16, 2022
January 17, 2022
संस्कृत संवादः । Sanskrit Samvadah
ज्ञानार्थक
समित्पाणिः शिष्यः शास्त्राणि जानाति = समर्पित शिष्य शास्त्रों को जानता
है। समित्पाणिं शिष्यं शास्त्राणि ज्ञापयति = समर्पित शिष्य को शास्त्र
जना रहा है। छात्रः धर्म बुध्यते = छात्र धर्म को जानता है। छात्रवत्सलः
गुरुः छात्रं धर्म बोधयति = छात्रवत्सल…
संस्कृतं वद आधुनिको भव।
वेदान् पठ वैज्ञानिको भव।।
पाठ : (८) द्वितीया विभक्तिः (५) + अनुस्वार संधिः
(गत्यर्थक, ज्ञानार्थक, भक्षणार्थक, शब्दकर्मार्थक एवं अकर्मक धातुओं के अण्यन्तावस्था में जो कर्त्ता है वह धातुओं की ण्यन्तावस्था में कर्म संज्ञक होता है, अतः उससे द्वितीया विभक्ति होती है।)
भक्षणार्र्थक (अद् + खाद् धातु को छोड़ कर)
बालः दुग्धं पिबति = बालक दूध पी रहा है।
धात्री बालं दुग्धं पाययते = धायी बालक को दूध पिला रही है।
रोगी गुलिकां निगलति = रोगी गोली निगल रहा है।
परिचारिका रोगिणं गुलिकां निगालयति = नर्स रोगी को गोली निगलवा रही है।
माणविका आम्रं चूषति = बच्ची आम चूस रही है।
माणविकाम् आम्रं चोषयति = बच्ची से आम चुसवा रहा है।
कानीनः कुलपीम् अवलेक्ष्यति = कुंवारी का बच्चा कुलफी चाटेगा।
कानीनं कन्या कुलपीम् अवलेहिष्यति = कन्या कानीन को कुलफी चटवाएगी।
प्रपितामही फाणितं जमेत् = परदादी राब खाए।
प्रपौत्री प्रपितामहीं फाणितं जमयेत् = पड़पोती परदादी को राब खिलाए।
महिषः घासम् अघसत् = भैंसे ने घास खाई।
महिषं घासम् अजीघसत् = भैंसे को घास खिलवाई।
प्रपितामहः कौष्माण्डम् अभुनक् = परदादा ने पेठा खाया।
प्रपौत्रः प्रपितामहं कौष्माण्डम् अभोजयत् = पड़पोते ने परदादा को पेठा खिलाया।
प्रमातामही रसगोलम् अश्नातु = परनानी रसगुल्ला खाए।
दौहित्री प्रमातामहीं रसगोलम् आशयतु = धेवती (पुत्री की पुत्री) परनानी को रसगुल्ला खिलाए।
प्रमातामहः हैमीं अभक्षिष्ट = परनाना ने बर्फी खाई।
नप्त्री प्रमातामहं हैमीम् अभिभक्षत = धेवती ने परनाना को बर्फी खिलाई।
संस्कृताः जनाः संस्कृतं विजानन्ति = शिष्ट लोग संस्कृत जानते हैं।
संस्कृतज्ञः संस्कृतान् जनान् संस्कृतं विज्ञापयति = संस्कृतज्ञ शिष्ट लोगों को संस्कृत जना रहा है।
अहं समाचारम ् अश्रौषम् = मैंने समाचार सुने।
मां समाचारम् अशुश्रवत् = मुझे समाचार सुनाए।
त्वमद्य कां वार्तां उपालभत = तूने आज किस बात को जाना ?
सः त्वामद्य कां वार्तां उपालम्भयत ? = उसने आज तुझे कौन सी बात बताई ?
अतुलः न्यायदर्शनम् अध्येष्यते = अतुल न्यायदर्शन पढ़ेगा।
अहम् अतुलं न्यायदर्शनम् अध्यापयिष्ये = मैं अतुल को न्यायदर्शन पढ़ाऊँगी / पढ़ाऊँगा।
सर्वे गीतां पठेयुः = सब को गीता पढ़नी चाहिए।
विपश्चित् सर्वान् गीतां पाठयेयुः = विद्वान् को सभी को गीता पढ़ानी चाहिए।
वादी सत्यं वदतु = वादी सत्य बोले।
वादिनं सत्यं वादयतु = वादी से सत्य बुलवाए।
जल्पी जल्पति = बकवादी बकवास कर रहा है।
जल्पिनं जल्पयति = बकवादी से बकवास करवा रहा है।
मूर्खः नष्टं विलपति = मूर्ख नष्ट हुई वस्तु के लिए शोक कर रहा है।
महामूर्खः मूर्खं नष्टं विलापयति = महामूर्ख मूर्ख से नष्ट हुई वस्तु पर शोक कराता है।
भाषिता भाषणम् अभाषिष्यते = वक्ता भाषण देगा।
भाषितारं भाषणं अभाषयिष्यते = प्रवक्ता से भाषण दिलवाएगा।
छात्रः पाठम् अपाठीत् = छात्र ने पाठ पढ़ा।
छात्रं पाठम् अपीपठम् = मैंने छात्र से पाठ पढ़वाया।
#vakyabhyas
वेदान् पठ वैज्ञानिको भव।।
पाठ : (८) द्वितीया विभक्तिः (५) + अनुस्वार संधिः
(गत्यर्थक, ज्ञानार्थक, भक्षणार्थक, शब्दकर्मार्थक एवं अकर्मक धातुओं के अण्यन्तावस्था में जो कर्त्ता है वह धातुओं की ण्यन्तावस्था में कर्म संज्ञक होता है, अतः उससे द्वितीया विभक्ति होती है।)
भक्षणार्र्थक (अद् + खाद् धातु को छोड़ कर)
बालः दुग्धं पिबति = बालक दूध पी रहा है।
धात्री बालं दुग्धं पाययते = धायी बालक को दूध पिला रही है।
रोगी गुलिकां निगलति = रोगी गोली निगल रहा है।
परिचारिका रोगिणं गुलिकां निगालयति = नर्स रोगी को गोली निगलवा रही है।
माणविका आम्रं चूषति = बच्ची आम चूस रही है।
माणविकाम् आम्रं चोषयति = बच्ची से आम चुसवा रहा है।
कानीनः कुलपीम् अवलेक्ष्यति = कुंवारी का बच्चा कुलफी चाटेगा।
कानीनं कन्या कुलपीम् अवलेहिष्यति = कन्या कानीन को कुलफी चटवाएगी।
प्रपितामही फाणितं जमेत् = परदादी राब खाए।
प्रपौत्री प्रपितामहीं फाणितं जमयेत् = पड़पोती परदादी को राब खिलाए।
महिषः घासम् अघसत् = भैंसे ने घास खाई।
महिषं घासम् अजीघसत् = भैंसे को घास खिलवाई।
प्रपितामहः कौष्माण्डम् अभुनक् = परदादा ने पेठा खाया।
प्रपौत्रः प्रपितामहं कौष्माण्डम् अभोजयत् = पड़पोते ने परदादा को पेठा खिलाया।
प्रमातामही रसगोलम् अश्नातु = परनानी रसगुल्ला खाए।
दौहित्री प्रमातामहीं रसगोलम् आशयतु = धेवती (पुत्री की पुत्री) परनानी को रसगुल्ला खिलाए।
प्रमातामहः हैमीं अभक्षिष्ट = परनाना ने बर्फी खाई।
नप्त्री प्रमातामहं हैमीम् अभिभक्षत = धेवती ने परनाना को बर्फी खिलाई।
संस्कृताः जनाः संस्कृतं विजानन्ति = शिष्ट लोग संस्कृत जानते हैं।
संस्कृतज्ञः संस्कृतान् जनान् संस्कृतं विज्ञापयति = संस्कृतज्ञ शिष्ट लोगों को संस्कृत जना रहा है।
अहं समाचारम ् अश्रौषम् = मैंने समाचार सुने।
मां समाचारम् अशुश्रवत् = मुझे समाचार सुनाए।
त्वमद्य कां वार्तां उपालभत = तूने आज किस बात को जाना ?
सः त्वामद्य कां वार्तां उपालम्भयत ? = उसने आज तुझे कौन सी बात बताई ?
अतुलः न्यायदर्शनम् अध्येष्यते = अतुल न्यायदर्शन पढ़ेगा।
अहम् अतुलं न्यायदर्शनम् अध्यापयिष्ये = मैं अतुल को न्यायदर्शन पढ़ाऊँगी / पढ़ाऊँगा।
सर्वे गीतां पठेयुः = सब को गीता पढ़नी चाहिए।
विपश्चित् सर्वान् गीतां पाठयेयुः = विद्वान् को सभी को गीता पढ़ानी चाहिए।
वादी सत्यं वदतु = वादी सत्य बोले।
वादिनं सत्यं वादयतु = वादी से सत्य बुलवाए।
जल्पी जल्पति = बकवादी बकवास कर रहा है।
जल्पिनं जल्पयति = बकवादी से बकवास करवा रहा है।
मूर्खः नष्टं विलपति = मूर्ख नष्ट हुई वस्तु के लिए शोक कर रहा है।
महामूर्खः मूर्खं नष्टं विलापयति = महामूर्ख मूर्ख से नष्ट हुई वस्तु पर शोक कराता है।
भाषिता भाषणम् अभाषिष्यते = वक्ता भाषण देगा।
भाषितारं भाषणं अभाषयिष्यते = प्रवक्ता से भाषण दिलवाएगा।
छात्रः पाठम् अपाठीत् = छात्र ने पाठ पढ़ा।
छात्रं पाठम् अपीपठम् = मैंने छात्र से पाठ पढ़वाया।
#vakyabhyas
January 17, 2022
** *संस्कृतं व्यावहारिकी भाषा भवेत्***
😃😅😃😅😃😅😃😅😃😅😅
यथापूर्वंम् अस्मिन् वारे$पि निर्वाचनं द्वयोः चरणयोः भविष्यति । *(पहले की तरह अब की बार भी चुनाव दो चरणों में होगा)*
1-- पूर्वं भवतां मतदातॄणां चरणेषु *(पहले आप मतदाताओं के चरणों में)* भविष्यति ।मतयाचनतत्परमनसः *( वोट मांगने के इच्छुक मन वाले (* भवतां चरणेषु सश्रद्धम् आगमिष्यन्ति।
2-- तदनन्तरं चयनिताभ्यर्थिनां चरणेषु भवद्भिः गन्तव्यं भविष्यति *(बाद में चुने जा चुके candidates के चरणों में आपको जाना होगा )* । एतद् द्वितीयं चरणं भविष्यति।---KSG
#hasya
😃🤣😃😅😃😅😃😅😃😅😃
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यथापूर्वंम् अस्मिन् वारे$पि निर्वाचनं द्वयोः चरणयोः भविष्यति । *(पहले की तरह अब की बार भी चुनाव दो चरणों में होगा)*
1-- पूर्वं भवतां मतदातॄणां चरणेषु *(पहले आप मतदाताओं के चरणों में)* भविष्यति ।मतयाचनतत्परमनसः *( वोट मांगने के इच्छुक मन वाले (* भवतां चरणेषु सश्रद्धम् आगमिष्यन्ति।
2-- तदनन्तरं चयनिताभ्यर्थिनां चरणेषु भवद्भिः गन्तव्यं भविष्यति *(बाद में चुने जा चुके candidates के चरणों में आपको जाना होगा )* । एतद् द्वितीयं चरणं भविष्यति।---KSG
#hasya
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January 17, 2022
सङ्क्षेपरामायणम्
(महर्षिवाल्मीकिप्रणीत-रामायण-बालकाण्ड-प्रथमसर्ग-रूपम्)
मूलश्लोकः-83-84
ततोऽग्निवचनात्सीतां ज्ञात्वा विगतकल्मषाम् ।
कर्मणा तेन महता त्रैलोक्यं सचराचरम्।।83।।
सदेवर्षिगणं तुष्टं राघवस्य महात्मन:।
बभौ राम: संप्रहृष्ट: पूजित: सर्वदैवतै:।। 84।।
श्लोकान्वयः -
तत: अग्निवचनात् सीतां विगतकल्मषां ज्ञात्वा राम: (अङ्गीचकार)।
महात्मन: राघवस्य तेन महता कर्मणा सचराचरं त्रैलोक्यं तुष्टम्।
सर्वदैवतै: पूजित: राम: सम्प्रहृष्ट:।।83-84।।
हिन्दी-अनुवाद -
सीता के अग्नि में प्रवेश करने के पश्चात् अग्निदेव के कथन से सीता को दोषरहित जानकर श्री राम ने सीता को स्वीकार किया।
श्री राम के इस कार्य से (सीता को स्वीकार करने के) सम्पूर्ण त्रैलोक्य आह्लादित हो गया।
देवताओं के द्वारा पूजित श्रीराम भी सुशोभित हुए।।83-84।।
English Meaning
तत: thereafter, अग्निवचनात् because of the testimony of firegod, सीताम् Sita, विगतकल्मषाम् sinless, ज्ञात्वा having known, राम: Rama, सम्प्रहृष्ट: exceedingly pleased, सर्वदैवतै: by all gods, पूजित: was adored, बभौ shone.
महात्मन: of highly courageous, राघवस्य Rama's, तेन महता कर्मणा by that great act, सचराचरम् all the animate and inanimate beings, सदेवर्षिगणम् including groups of gods and sages, त्रैलोक्यम् in three worlds, तुष्टम् wellpleased.
With the of testimony of the firegod, Rama was exceedingly pleased to know that Sita was sinless. All the gods adored him. All the animate and inanimate beings, gods and sages in the three worlds were very pleased at this noble deed of the great Rama.
#SankshepaRamayanam
(महर्षिवाल्मीकिप्रणीत-रामायण-बालकाण्ड-प्रथमसर्ग-रूपम्)
मूलश्लोकः-83-84
ततोऽग्निवचनात्सीतां ज्ञात्वा विगतकल्मषाम् ।
कर्मणा तेन महता त्रैलोक्यं सचराचरम्।।83।।
सदेवर्षिगणं तुष्टं राघवस्य महात्मन:।
बभौ राम: संप्रहृष्ट: पूजित: सर्वदैवतै:।। 84।।
श्लोकान्वयः -
तत: अग्निवचनात् सीतां विगतकल्मषां ज्ञात्वा राम: (अङ्गीचकार)।
महात्मन: राघवस्य तेन महता कर्मणा सचराचरं त्रैलोक्यं तुष्टम्।
सर्वदैवतै: पूजित: राम: सम्प्रहृष्ट:।।83-84।।
हिन्दी-अनुवाद -
सीता के अग्नि में प्रवेश करने के पश्चात् अग्निदेव के कथन से सीता को दोषरहित जानकर श्री राम ने सीता को स्वीकार किया।
श्री राम के इस कार्य से (सीता को स्वीकार करने के) सम्पूर्ण त्रैलोक्य आह्लादित हो गया।
देवताओं के द्वारा पूजित श्रीराम भी सुशोभित हुए।।83-84।।
English Meaning
तत: thereafter, अग्निवचनात् because of the testimony of firegod, सीताम् Sita, विगतकल्मषाम् sinless, ज्ञात्वा having known, राम: Rama, सम्प्रहृष्ट: exceedingly pleased, सर्वदैवतै: by all gods, पूजित: was adored, बभौ shone.
महात्मन: of highly courageous, राघवस्य Rama's, तेन महता कर्मणा by that great act, सचराचरम् all the animate and inanimate beings, सदेवर्षिगणम् including groups of gods and sages, त्रैलोक्यम् in three worlds, तुष्टम् wellpleased.
With the of testimony of the firegod, Rama was exceedingly pleased to know that Sita was sinless. All the gods adored him. All the animate and inanimate beings, gods and sages in the three worlds were very pleased at this noble deed of the great Rama.
#SankshepaRamayanam
January 17, 2022
@samskrt_samvadah संलापशाला - A Samskrit Voicechat room.
Duration : 30 minutes only
Time : IST 11:00 AM 🕚
Topic : #saynotosanskrit.
संस्कृतस्यविरोधः।
Date : 18thJanuary 2022,
Tuesday.
Please Join the voicechat on time.
😇 Please come prepared to discuss ( किमर्थं केचन जनाः संस्कृतस्य विरोधं कुर्वन्ति।)in Sanskrit , If possible.
We are waiting for you.😇
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January 17, 2022
January 17, 2022
🍃
♦️etanme saMshayaM kRRiShNa ChettumarhasyasheShataH|
tvadanyaH saMshayasyaasya Chettaa na hyupapadyate 6.39
⚜6.39 This doubt of mine, O Krishna, do Thou dispel completely; because it is not possible for any but Thee to dispel this doubt. ।।6.39।।
⚜ ।।6.39।।हे कृष्ण मेरे इस संशय को निशेष रूप से छेदन (निराकरण) करने के लिए आप ही योग्य है क्योंकि आपके अतिरिक्त अन्य कोई इस संशय का छेदन करन वाला (छेत्ता) मिलना संभव नहीं है।।
#geeta
एतन्मे संशयं कृष्ण छेत्तुमर्हस्यशेषतः।
त्वदन्यः संशयस्यास्य छेत्ता न ह्युपपद्यते
।।6.39।। ♦️etanme saMshayaM kRRiShNa ChettumarhasyasheShataH|
tvadanyaH saMshayasyaasya Chettaa na hyupapadyate 6.39
⚜6.39 This doubt of mine, O Krishna, do Thou dispel completely; because it is not possible for any but Thee to dispel this doubt. ।।6.39।।
⚜ ।।6.39।।हे कृष्ण मेरे इस संशय को निशेष रूप से छेदन (निराकरण) करने के लिए आप ही योग्य है क्योंकि आपके अतिरिक्त अन्य कोई इस संशय का छेदन करन वाला (छेत्ता) मिलना संभव नहीं है।।
#geeta
January 17, 2022
January 17, 2022
🍃
♦️shrii bhagavaanuvaacha
paartha naiveha naamutra vinaashastasya vidyate|
nahi kalyaaNakRRitkash्ichaddurgatiM taata gachChati 6.40
⚜6.40 The Blessed Lord said --
O Arjuna, neither in this world, nor in the next world is there destruction for him; none, verily, who does good, O My son, ever comes to grief.।।6.40।।
⚜।।6.40।।श्रीभगवान् ने कहा --
हे पार्थ उस पुरुष का न तो इस लोक में और न ही परलोक में ही नाश होता है हे तात कोई भी शुभ कर्म करने वाला दुर्गति को नहीं प्राप्त होता है।।
#geeta
श्री भगवानुवाच
पार्थ नैवेह नामुत्र विनाशस्तस्य विद्यते।
नहि कल्याणकृत्कश्िचद्दुर्गतिं तात गच्छति
।।6.40।। ♦️shrii bhagavaanuvaacha
paartha naiveha naamutra vinaashastasya vidyate|
nahi kalyaaNakRRitkash्ichaddurgatiM taata gachChati 6.40
⚜6.40 The Blessed Lord said --
O Arjuna, neither in this world, nor in the next world is there destruction for him; none, verily, who does good, O My son, ever comes to grief.।।6.40।।
⚜।।6.40।।श्रीभगवान् ने कहा --
हे पार्थ उस पुरुष का न तो इस लोक में और न ही परलोक में ही नाश होता है हे तात कोई भी शुभ कर्म करने वाला दुर्गति को नहीं प्राप्त होता है।।
#geeta
January 17, 2022
🚩जय सत्य सनातन🚩
🚩आज की हिंदी तिथि
🌥 🚩यगाब्द-५१२३
🌥 🚩विक्रम संवत-२०७८
⛅️ 🚩तिथि - प्रतिपदा १९ जनवरी सुबह ०६:५३ तक तत्पश्चात द्वितीया
⛅️ दिनांक - १८ जनवरी २०२२
⛅️ दिन - मंगलवार
⛅️ शक संवत -१९४३
⛅️ अयन - उत्तरायण
⛅️ ऋतु - शिशिर
⛅️ मास - माघ
⛅️ पक्ष - कृष्ण
⛅️ नक्षत्र - पुष्य १९ जनवरी सुबह ०६:४३ तक तत्पश्चात अश्लेशा
⛅️ योग - विषकंभ शाम ०४:०९ तक तत्पश्चात प्रीति
⛅️ राहुकाल - शाम ०३:३४ से शाम ०४:५७ तक
⛅️ सर्योदय - ०७:१९
⛅️ सर्यास्त - १८:१८
⛅️ दिशाशूल - उत्तर दिशा में
🚩आज की हिंदी तिथि
🌥 🚩यगाब्द-५१२३
🌥 🚩विक्रम संवत-२०७८
⛅️ 🚩तिथि - प्रतिपदा १९ जनवरी सुबह ०६:५३ तक तत्पश्चात द्वितीया
⛅️ दिनांक - १८ जनवरी २०२२
⛅️ दिन - मंगलवार
⛅️ शक संवत -१९४३
⛅️ अयन - उत्तरायण
⛅️ ऋतु - शिशिर
⛅️ मास - माघ
⛅️ पक्ष - कृष्ण
⛅️ नक्षत्र - पुष्य १९ जनवरी सुबह ०६:४३ तक तत्पश्चात अश्लेशा
⛅️ योग - विषकंभ शाम ०४:०९ तक तत्पश्चात प्रीति
⛅️ राहुकाल - शाम ०३:३४ से शाम ०४:५७ तक
⛅️ सर्योदय - ०७:१९
⛅️ सर्यास्त - १८:१८
⛅️ दिशाशूल - उत्तर दिशा में
January 17, 2022
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Date : 18thJanuary 2022,
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संस्कृतस्यविरोधः।
Date : 18thJanuary 2022,
Tuesday.
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January 17, 2022
Forwarded from रामदूतः — The Sanskrit News Platform
Switch to DD News daily at 7:15 AM (Morning) for 15 minutes Sanskrit news.
https://youtu.be/6W6NmDRsIvc
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YouTube
वार्ता:संस्कृत में समाचार | पीएम मोदी भाजपा कार्यकर्ताओं के साथ करेंगे संवाद
January 17, 2022
January 17, 2022
January 17, 2022
January 18, 2022
January 18, 2022
संस्कृत संवादः । Sanskrit Samvadah
संस्कृतं
वद आधुनिको भव। वेदान् पठ वैज्ञानिको भव।। पाठ : (८) द्वितीया विभक्तिः
(५) + अनुस्वार संधिः (गत्यर्थक, ज्ञानार्थक, भक्षणार्थक, शब्दकर्मार्थक
एवं अकर्मक धातुओं के अण्यन्तावस्था में जो कर्त्ता है वह धातुओं की
ण्यन्तावस्था में कर्म संज्ञक होता है, अतः…
अकर्मक धातुएं
श्रोतारः तकन्ति = श्रोता खूब हंस रहे हैं। (तकः हंस हंस के लोट-पोट हो जाना।)
परिहासी श्रोतॄन् ताकयति = मजाकिया श्रोताओं को हंसा रहा है।
सर्वे प्रत्यहं हसेयुः = सभी प्रतिदिन हसें।
हास्यप्रशिक्षकः सर्वान् प्रतिदिनं हासयेयुः = हास्यप्रशिक्षक सभी को प्रतिदिन हंसाए।
सुखिनः कखिष्यन्ति = सुखी लोग हंसेंगे।
ईश्वरः सुखिनः काखयिष्यति = ईश्वर सुखी लोगों को हंसाएगा।
पापी रोदितु = पापी रोवे = पापी रोए।
रौद्रः पापिनं रोदयतु = रुद्रस्वरूप ईश्वर पापी को रुलाए।
दुःखिणो जनाः अपि अघाघिषुः = दुःखी लोग भी हंसे।
सुखदो दुःखिणो जनानपि अजीघघत् = सुख देनेवाले ईश्वर ने दुःखी लोगों को भी हंसाया।
को हसति ? = कौन हंसता है ?
कः कं हासयति ? = सुखस्वरूप ईश्वर किसे हंसाता है ?
निर्मलो हसति = निर्मल व्यक्ति हंसता है।
कः निर्मलं हासयति = सुखस्वरूप ईश्वर निर्मल व्यक्ति को हंसाता है।
प्राणिनः प्राणन्ति = प्राणी जी रहे हैं।
प्राणाः प्राणिनः प्राणयन्ति = प्राण प्राणियों को जिला रहे हैं।
सविता उदेति अस्तमेति च = सूर्य उदय एवं अस्त होता है।
कः सवितारम् उदयति अस्तमयति च ? = कौन सूर्य को उदित एवं अस्त कर रहा है ?
पुत्रः अजागः = पुत्र जागा।
पिता पुत्रम् अजागरयत् = पिता ने पुत्र को जगाया।
वृद्धः अपप्तत् = बूढ़ा गिर गया।
दुष्टः वृद्धम् अपीपतत् = दुष्ट ने बूढ़े को गिराया।
सुरभिः प्रियते = गाय प्रसन्न हो रही है।
सौरभेयी सुरभिं प्राययति = बछिया गाय को प्रसन्न कर रही है।
(निम्नलिखित शब्दों के योग में भी द्वितीया विभक्ति का प्रयोग होता है- अन्तरा, अन्तरेण, उभयतः, अभितः, परितः, सर्वतः, समया, निकषा, हा, प्रति, धिक्, उपर्युपरि, अध्यधि, अधोऽधः, विना)
ईश्वरं जीवम् अन्तरा अज्ञानगता दूरी वर्तते = ईश्वर और जीव के बीच में अज्ञानगत दूरी है।
द्युलोकं पृथ्वीलोकमन्तरा अन्तरिक्षलोको विद्यते = द्युलोक और पृथ्वी के बीच में अन्तरिक्षलोक है।
विद्यामन्तरेण कोऽपि विद्वान् कथं स्यात् ? = विद्या के बिना कोई भी विद्वान् कैसे बन सकता है ?
मातरमन्तरेण शिशोः निर्माणं कथं स्यात् ? = मां के बिना बच्चे का निर्माण कैसे हो सकता है ?
निर्मातारं विना जगतः निर्माणं कथं स्यात् ? = निर्माता के बिना संसार का निर्माण कैसे होवे ?
स्रष्टारं विना सृष्टिः न स्यात् = स्रष्टा के बिना सृष्टि नहीं हो सकती।
भारतीं विना न कदाचित् भाति भारतम् = संस्कृत के बिना भारत कभी सुशोभित नहीं हो सकता है।
#vakyabhyas
श्रोतारः तकन्ति = श्रोता खूब हंस रहे हैं। (तकः हंस हंस के लोट-पोट हो जाना।)
परिहासी श्रोतॄन् ताकयति = मजाकिया श्रोताओं को हंसा रहा है।
सर्वे प्रत्यहं हसेयुः = सभी प्रतिदिन हसें।
हास्यप्रशिक्षकः सर्वान् प्रतिदिनं हासयेयुः = हास्यप्रशिक्षक सभी को प्रतिदिन हंसाए।
सुखिनः कखिष्यन्ति = सुखी लोग हंसेंगे।
ईश्वरः सुखिनः काखयिष्यति = ईश्वर सुखी लोगों को हंसाएगा।
पापी रोदितु = पापी रोवे = पापी रोए।
रौद्रः पापिनं रोदयतु = रुद्रस्वरूप ईश्वर पापी को रुलाए।
दुःखिणो जनाः अपि अघाघिषुः = दुःखी लोग भी हंसे।
सुखदो दुःखिणो जनानपि अजीघघत् = सुख देनेवाले ईश्वर ने दुःखी लोगों को भी हंसाया।
को हसति ? = कौन हंसता है ?
कः कं हासयति ? = सुखस्वरूप ईश्वर किसे हंसाता है ?
निर्मलो हसति = निर्मल व्यक्ति हंसता है।
कः निर्मलं हासयति = सुखस्वरूप ईश्वर निर्मल व्यक्ति को हंसाता है।
प्राणिनः प्राणन्ति = प्राणी जी रहे हैं।
प्राणाः प्राणिनः प्राणयन्ति = प्राण प्राणियों को जिला रहे हैं।
सविता उदेति अस्तमेति च = सूर्य उदय एवं अस्त होता है।
कः सवितारम् उदयति अस्तमयति च ? = कौन सूर्य को उदित एवं अस्त कर रहा है ?
पुत्रः अजागः = पुत्र जागा।
पिता पुत्रम् अजागरयत् = पिता ने पुत्र को जगाया।
वृद्धः अपप्तत् = बूढ़ा गिर गया।
दुष्टः वृद्धम् अपीपतत् = दुष्ट ने बूढ़े को गिराया।
सुरभिः प्रियते = गाय प्रसन्न हो रही है।
सौरभेयी सुरभिं प्राययति = बछिया गाय को प्रसन्न कर रही है।
(निम्नलिखित शब्दों के योग में भी द्वितीया विभक्ति का प्रयोग होता है- अन्तरा, अन्तरेण, उभयतः, अभितः, परितः, सर्वतः, समया, निकषा, हा, प्रति, धिक्, उपर्युपरि, अध्यधि, अधोऽधः, विना)
ईश्वरं जीवम् अन्तरा अज्ञानगता दूरी वर्तते = ईश्वर और जीव के बीच में अज्ञानगत दूरी है।
द्युलोकं पृथ्वीलोकमन्तरा अन्तरिक्षलोको विद्यते = द्युलोक और पृथ्वी के बीच में अन्तरिक्षलोक है।
विद्यामन्तरेण कोऽपि विद्वान् कथं स्यात् ? = विद्या के बिना कोई भी विद्वान् कैसे बन सकता है ?
मातरमन्तरेण शिशोः निर्माणं कथं स्यात् ? = मां के बिना बच्चे का निर्माण कैसे हो सकता है ?
निर्मातारं विना जगतः निर्माणं कथं स्यात् ? = निर्माता के बिना संसार का निर्माण कैसे होवे ?
स्रष्टारं विना सृष्टिः न स्यात् = स्रष्टा के बिना सृष्टि नहीं हो सकती।
भारतीं विना न कदाचित् भाति भारतम् = संस्कृत के बिना भारत कभी सुशोभित नहीं हो सकता है।
#vakyabhyas
January 18, 2022
कौतुकः जन्तुशालयां वृत्तिं प्राप्तवान्।
एकदा सः सिंहपञ्जरस्य द्वारे तालं न स्थापितवान् ।
(तदा अधिकारी पृच्छति )
त्वं किमर्थं न तालं स्थापितवान्?
कौतुकः - का आवश्यकता, एतावन्तं हिंसकं पशुं कः चोरयेत्।
#hasya
एकदा सः सिंहपञ्जरस्य द्वारे तालं न स्थापितवान् ।
(तदा अधिकारी पृच्छति )
त्वं किमर्थं न तालं स्थापितवान्?
कौतुकः - का आवश्यकता, एतावन्तं हिंसकं पशुं कः चोरयेत्।
#hasya
January 18, 2022
सङ्क्षेपरामायणम्
(महर्षिवाल्मीकिप्रणीत-रामायण-बालकाण्ड-प्रथमसर्ग-रूपम्)
मूलश्लोकः-85
अभिषिच्य च लङ्कायां राक्षसेन्द्रं विभीषणम् ।
कृतकृत्यस्तदा रामो विज्वर: प्रमुमोद ह।।85।।
श्लोकान्वयः -
तदा राक्षसेन्द्रं विभीषणं लङ्कायाम् अभषिच्य
कृतकृत्य विज्वर: च राम: प्रमुमोद ह।।85।।
हिन्दी-अनुवाद -
सीतासमागम के पश्चात् लङ्काराजसिंहासन पर राक्षसश्रेष्ठ विभषण का विधिपूर्वक
अभिषेक कराकर कृतार्थ एवं निश्चिन्त श्रीराम परम प्रसन्न हुए।।85।।
English Meaning
राम: Rama, विभीषणम् Vibhisana, राक्षसेन्द्रम् king of rakshasas, लङ्कायाम् in the city of Lanka, अभिषिच्य coronated, तदा then, कृतकृत्य: having accomplished his objective, विज्वर: free from distress, प्रमुमोद ह was exceedingly rejoiced.
After coronating the rakshasa chief Vibhishana in the city of Lanka, Rama free from distress, exceedingly rejoiced after having accomplished his objective.
#SankshepaRamayanam
(महर्षिवाल्मीकिप्रणीत-रामायण-बालकाण्ड-प्रथमसर्ग-रूपम्)
मूलश्लोकः-85
अभिषिच्य च लङ्कायां राक्षसेन्द्रं विभीषणम् ।
कृतकृत्यस्तदा रामो विज्वर: प्रमुमोद ह।।85।।
श्लोकान्वयः -
तदा राक्षसेन्द्रं विभीषणं लङ्कायाम् अभषिच्य
कृतकृत्य विज्वर: च राम: प्रमुमोद ह।।85।।
हिन्दी-अनुवाद -
सीतासमागम के पश्चात् लङ्काराजसिंहासन पर राक्षसश्रेष्ठ विभषण का विधिपूर्वक
अभिषेक कराकर कृतार्थ एवं निश्चिन्त श्रीराम परम प्रसन्न हुए।।85।।
English Meaning
राम: Rama, विभीषणम् Vibhisana, राक्षसेन्द्रम् king of rakshasas, लङ्कायाम् in the city of Lanka, अभिषिच्य coronated, तदा then, कृतकृत्य: having accomplished his objective, विज्वर: free from distress, प्रमुमोद ह was exceedingly rejoiced.
After coronating the rakshasa chief Vibhishana in the city of Lanka, Rama free from distress, exceedingly rejoiced after having accomplished his objective.
#SankshepaRamayanam
January 18, 2022
Forwarded from ॐ पीयूषः
@samskrt_samvadah संलापशाला - A Samskrit Voicechat room.
Duration : 30 minutes only
Time : IST 11:00 AM 🕚
Topic : One year of vaccination.
सूच्यौषधस्वीकरणस्य एकवर्षम्।
Date : 19thJanuary 2022,
Wednesday.
Please Join the voicechat on time.
😇 Please come prepared to discuss ( स्वानुवभं, चिकित्साक्षेत्रे भारतस्य प्रगतिविषयं वा वदन्तु।)in Sanskrit , If possible.
We are waiting for you.😇
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https://t.me/samskrt_samvadah?voicechat
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Topic : One year of vaccination.
सूच्यौषधस्वीकरणस्य एकवर्षम्।
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January 18, 2022
January 18, 2022
🍃
♦️praapya puNyakRRitaaM lokaanuShitvaa shaashvatiiH samaaH|
shuchiinaaM shriimataaM gehe yogabhraShTo'bhijaayate6.41
⚜6.41 Having attained to the worlds of the righteous and having dwelt there for everlasting years, he who fell from Yoga is born in a house of the pure and wealthy.
⚜।।6.41।। योगभ्रष्ट पुरुष पुण्यवानों के लोकों को प्राप्त होकर वहाँ दीर्घकाल तक वास करके शुद्ध आचरण वाले श्रीमन्त (धनवान) पुरुषों के घर में जन्म लेता है।।
#geeta
प्राप्य पुण्यकृतां लोकानुषित्वा शाश्वतीः समाः।
शुचीनां श्रीमतां गेहे योगभ्रष्टोऽभिजायते
।।6.41।। ♦️praapya puNyakRRitaaM lokaanuShitvaa shaashvatiiH samaaH|
shuchiinaaM shriimataaM gehe yogabhraShTo'bhijaayate
⚜6.41 Having attained to the worlds of the righteous and having dwelt there for everlasting years, he who fell from Yoga is born in a house of the pure and wealthy.
⚜।।6.41।। योगभ्रष्ट पुरुष पुण्यवानों के लोकों को प्राप्त होकर वहाँ दीर्घकाल तक वास करके शुद्ध आचरण वाले श्रीमन्त (धनवान) पुरुषों के घर में जन्म लेता है।।
#geeta
January 18, 2022
🍀 प्रतिदिनं संस्कृतम् 🍀
नमः सर्वेभ्यः
प्रतिदिनं वयं मिलित्वा विभक्तिपठनं करिष्यामः
समयः - 9.30--10.10. PM (भारतीय समयानुसारम् ) केवलं 40 निमेषाः
सोमवासरतः शुक्रवासरपर्यन्तम्
डिसेम्बर 1 दिनाङ्कतः मासद्वयम्
👉🏼प्रवेश👈🏼
नमः सर्वेभ्यः
प्रतिदिनं वयं मिलित्वा विभक्तिपठनं करिष्यामः
समयः - 9.30--10.10. PM (भारतीय समयानुसारम् ) केवलं 40 निमेषाः
सोमवासरतः शुक्रवासरपर्यन्तम्
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January 18, 2022
January 18, 2022
🍃
♦️athavaa yoginaameva kule bhavati dhiimataam|
etaddhi durlabhataraM loke janma yadiidRRisham6.42
⚜6.42 Or he is born in a family of even the wise Yogis; verily a birth like this is very difficult to obtain in this world.
⚜।।6.42।। अथवा (साधक) ज्ञानवान् योगियों के ही कुल में जन्म लेता है परन्तु इस प्रकार का जन्म इस लोक में निसंदेह अति दुर्लभ है।।
#geeta
अथवा योगिनामेव कुले भवति धीमताम्।
एतद्धि दुर्लभतरं लोके जन्म यदीदृशम्
।।6.42।। ♦️athavaa yoginaameva kule bhavati dhiimataam|
etaddhi durlabhataraM loke janma yadiidRRisham
⚜6.42 Or he is born in a family of even the wise Yogis; verily a birth like this is very difficult to obtain in this world.
⚜।।6.42।। अथवा (साधक) ज्ञानवान् योगियों के ही कुल में जन्म लेता है परन्तु इस प्रकार का जन्म इस लोक में निसंदेह अति दुर्लभ है।।
#geeta
January 18, 2022
🚩जय सत्य सनातन🚩
🚩आज की हिंदी तिथि
🌥️ 🚩युगाब्द-५१२३
🌥️ 🚩विक्रम संवत-२०७८
⛅ 🚩तिथि - द्वितीया पूर्ण रात्रि तक
⛅ दिनांक - १९ जनवरी २०२२
⛅ दिन - बुधवार
⛅ शक संवत -१९४३
⛅ अयन - उत्तरायण
⛅ ऋतु - शिशिर
⛅ मास - माघ
⛅ पक्ष - कृष्ण
⛅ नक्षत्र - अश्लेशा पूर्ण रात्रि तक
⛅ योग - प्रीति शाम ०४:०६ तक तत्पश्चात आयुष्मान
⛅ राहुकाल - दोपहर १२:४९ से दोपहर ०२:१२ तक
⛅ सूर्योदय - ०७:१९
⛅ सूर्यास्त - १८:१८
⛅ दिशाशूल - उत्तर दिशा में
🚩आज की हिंदी तिथि
🌥️ 🚩युगाब्द-५१२३
🌥️ 🚩विक्रम संवत-२०७८
⛅ 🚩तिथि - द्वितीया पूर्ण रात्रि तक
⛅ दिनांक - १९ जनवरी २०२२
⛅ दिन - बुधवार
⛅ शक संवत -१९४३
⛅ अयन - उत्तरायण
⛅ ऋतु - शिशिर
⛅ मास - माघ
⛅ पक्ष - कृष्ण
⛅ नक्षत्र - अश्लेशा पूर्ण रात्रि तक
⛅ योग - प्रीति शाम ०४:०६ तक तत्पश्चात आयुष्मान
⛅ राहुकाल - दोपहर १२:४९ से दोपहर ०२:१२ तक
⛅ सूर्योदय - ०७:१९
⛅ सूर्यास्त - १८:१८
⛅ दिशाशूल - उत्तर दिशा में
January 18, 2022
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Topic : One year of vaccination.
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January 18, 2022
January 18, 2022
Forwarded from रामदूतः — The Sanskrit News Platform
https://youtu.be/xxMsCGzLL30
Switch to DD News daily at 7:15 AM (Morning) for 15 minutes Sanskrit news.
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YouTube
वार्ता: संस्कृत में समाचार | विदेश मंत्री एस जयशंकर ने यूएई के विदेश मंत्री से की बात
January 18, 2022
January 18, 2022
January 18, 2022
January 19, 2022
January 19, 2022
संस्कृत संवादः । Sanskrit Samvadah
अकर्मक
धातुएं श्रोतारः तकन्ति = श्रोता खूब हंस रहे हैं। (तकः हंस हंस के
लोट-पोट हो जाना।) परिहासी श्रोतॄन् ताकयति = मजाकिया श्रोताओं को हंसा रहा
है। सर्वे प्रत्यहं हसेयुः = सभी प्रतिदिन हसें। हास्यप्रशिक्षकः सर्वान्
प्रतिदिनं हासयेयुः = हास्यप्रशिक्षक सभी…
दीपम् उभयतः शलभाः सन्ति = दीपक के दोनों ओर पतंगे हैं।
दीपावलीम् उभयतः पतङ्गाः पतन्ति = दीपमाला के दोनों ओर पतंगे गिर रहे हैं।
चम्पापुष्पम् अभितः चञ्चरिकौ स्तः = चम्पापुष्प के दोनों ओर भौंरे हैं।
इन्दीवरं सर्वतः इन्दिन्दिराः विराजन्ते = नीलकमल के चारों ओर भौंरे दिखाई दे रहे हैं।
रजनीगन्धां सर्वतः द्विरेफाः दृश्यन्ते = रातरानी के चारों ओर भौंरे दिखाई दे रहे हैं।
मालतीं परितः मधुलिहः मधुरं गुञ्जन्ति = चमेली के चारों ओर भौंरे मधुर गुजारव कर रहे हैं।
जपापुष्पं परितः पुष्पलोलुपाः लोलुप्यन्ते = गुड़हल के फूल के चारों ओर भौंरे लार टपका रहे हैं।
गन्धपुष्पं परितः भृङ्गाः भ्रमन्ति = गेंदे के फूल के चारों ओर भौंरे उड़ रहे हैं।
सज्जनं समया सज्जनाः वसन्ति = सज्जन के पास सज्जन रहते हैं।
गुरुकुले अन्तेवासिनः गुरुं समया निवसन्ति = गुरुकुल में विद्यार्थी गुरु के सानिध्य में रहते हैं।
चिकित्सालयं निकषा उद्यानं स्यात् = अस्पताल के समीप बगीचा होना चाहिए।
हा पुत्रम् इति कृत्वा माता शोचति = माता पुत्र के लिए शोक कर रही है।
हा धनम् इति कृत्वा वणिक् संतपति = बनिया धन के लिए संताप कर रहा है।
धिक् शिष्यं यो गुरुम् अभिद्रुह्यति = गुरुद्रोह करनेवाले शिष्य को धिक्कार है !
धिक् अधिकारिणम् उत्कोचं गृह्णाति = रिश्वत लेनेवाले अधिकारी पर लानत है।
वेदं प्रति प्रत्यावर्तेत विश्वम् = वेद की ओर संसार लौटे।
बुभुक्षितं न प्रतिभाति किञ्चित् = भूखे को कुछ भी अच्छा नहीं लगता।
प्राणीरूप-अप्राणीरूप-जगत् उपर्युपरि परमेश्वरो वर्तते = जड़ और चेतन जगत के ऊपर परमेश्वर है। (ईश्वर का शासन है)
मेघान् अध्यधि वायुयानम् उड्डीयते = बादलों के ऊपर विमान उड़ रहा है।
वृक्षम् अधोऽधः तपस्वी शेते = पेड़ के नीचे तपस्वी सो रहा है।
अनुस्वार सन्धि
वर्ण/वर्ग प्रथम द्वितीय तृतीय चतुर्थ पञ्चम
कवर्ग क् ख् ग् घ् ङ्
चवर्ग च् छ् ज् झ् ञ्
टवर्ग ट् ठ् ड् ढ् ण्
तवर्ग त् थ् द् ध् न्
पवर्ग प् फ् ब् भ् म्
अन्तस्थ वर्ण य् र् ल् व्
ऊष्म वर्ण श् ष् स् ह्
अच् = स्वर (अ आ… आदि)
हल् = व्यञ्जन (क् ख्… आदि)
अनुस्वार = ं (कं)
अनुनासिक = ँ (कँ)
अवग्रह चिह्न = ऽ (रामो ऽ स्ति)
(पदान्त मकार को हल अर्थात् कोई व्यञ्जन बाद में हो तो अनुस्वार ( ं ) आदेश हो जाता है। यथा-)
रामम् पश्यति = रामं पश्यति = राम को देख रहा है।
भाण्डम् शुध्यति = भाण्डं शुध्यति = बरतन शुद्ध कर रहा है।
वस्त्रम् स्त्रम् शुष्यति = वस्त्रं स्त्रं शुष्यति = कपड़ा सुखा रहा है।
काष्ठम् भिनत्ति = काष्ठं भिनत्ति = लकड़ी फाड़ रहा है।
पटम् दृणाति = पटं दृणाति = थान को फाड़ रहा है।
पिष्टान्नम् खादति = पिष्टान्नं खादति = पंजीरी खा रहा है।
#vakyabhyas
दीपावलीम् उभयतः पतङ्गाः पतन्ति = दीपमाला के दोनों ओर पतंगे गिर रहे हैं।
चम्पापुष्पम् अभितः चञ्चरिकौ स्तः = चम्पापुष्प के दोनों ओर भौंरे हैं।
इन्दीवरं सर्वतः इन्दिन्दिराः विराजन्ते = नीलकमल के चारों ओर भौंरे दिखाई दे रहे हैं।
रजनीगन्धां सर्वतः द्विरेफाः दृश्यन्ते = रातरानी के चारों ओर भौंरे दिखाई दे रहे हैं।
मालतीं परितः मधुलिहः मधुरं गुञ्जन्ति = चमेली के चारों ओर भौंरे मधुर गुजारव कर रहे हैं।
जपापुष्पं परितः पुष्पलोलुपाः लोलुप्यन्ते = गुड़हल के फूल के चारों ओर भौंरे लार टपका रहे हैं।
गन्धपुष्पं परितः भृङ्गाः भ्रमन्ति = गेंदे के फूल के चारों ओर भौंरे उड़ रहे हैं।
सज्जनं समया सज्जनाः वसन्ति = सज्जन के पास सज्जन रहते हैं।
गुरुकुले अन्तेवासिनः गुरुं समया निवसन्ति = गुरुकुल में विद्यार्थी गुरु के सानिध्य में रहते हैं।
चिकित्सालयं निकषा उद्यानं स्यात् = अस्पताल के समीप बगीचा होना चाहिए।
हा पुत्रम् इति कृत्वा माता शोचति = माता पुत्र के लिए शोक कर रही है।
हा धनम् इति कृत्वा वणिक् संतपति = बनिया धन के लिए संताप कर रहा है।
धिक् शिष्यं यो गुरुम् अभिद्रुह्यति = गुरुद्रोह करनेवाले शिष्य को धिक्कार है !
धिक् अधिकारिणम् उत्कोचं गृह्णाति = रिश्वत लेनेवाले अधिकारी पर लानत है।
वेदं प्रति प्रत्यावर्तेत विश्वम् = वेद की ओर संसार लौटे।
बुभुक्षितं न प्रतिभाति किञ्चित् = भूखे को कुछ भी अच्छा नहीं लगता।
प्राणीरूप-अप्राणीरूप-जगत् उपर्युपरि परमेश्वरो वर्तते = जड़ और चेतन जगत के ऊपर परमेश्वर है। (ईश्वर का शासन है)
मेघान् अध्यधि वायुयानम् उड्डीयते = बादलों के ऊपर विमान उड़ रहा है।
वृक्षम् अधोऽधः तपस्वी शेते = पेड़ के नीचे तपस्वी सो रहा है।
अनुस्वार सन्धि
वर्ण/वर्ग प्रथम द्वितीय तृतीय चतुर्थ पञ्चम
कवर्ग क् ख् ग् घ् ङ्
चवर्ग च् छ् ज् झ् ञ्
टवर्ग ट् ठ् ड् ढ् ण्
तवर्ग त् थ् द् ध् न्
पवर्ग प् फ् ब् भ् म्
अन्तस्थ वर्ण य् र् ल् व्
ऊष्म वर्ण श् ष् स् ह्
अच् = स्वर (अ आ… आदि)
हल् = व्यञ्जन (क् ख्… आदि)
अनुस्वार = ं (कं)
अनुनासिक = ँ (कँ)
अवग्रह चिह्न = ऽ (रामो ऽ स्ति)
(पदान्त मकार को हल अर्थात् कोई व्यञ्जन बाद में हो तो अनुस्वार ( ं ) आदेश हो जाता है। यथा-)
रामम् पश्यति = रामं पश्यति = राम को देख रहा है।
भाण्डम् शुध्यति = भाण्डं शुध्यति = बरतन शुद्ध कर रहा है।
वस्त्रम् स्त्रम् शुष्यति = वस्त्रं स्त्रं शुष्यति = कपड़ा सुखा रहा है।
काष्ठम् भिनत्ति = काष्ठं भिनत्ति = लकड़ी फाड़ रहा है।
पटम् दृणाति = पटं दृणाति = थान को फाड़ रहा है।
पिष्टान्नम् खादति = पिष्टान्नं खादति = पंजीरी खा रहा है।
#vakyabhyas
January 19, 2022
Man 1 :- Hey dear ! What happened to your nose ?
Man 2 :- I have to go abroad regularly for business purposes.This happened by taking sap continuously from the nose for RTPCR test to get a negative certificate on each trip.
#hasya
Man 2 :- I have to go abroad regularly for business purposes.This happened by taking sap continuously from the nose for RTPCR test to get a negative certificate on each trip.
#hasya
January 19, 2022
सङ्क्षेपरामायणम्
(महर्षिवाल्मीकिप्रणीत-रामायण-बालकाण्ड-प्रथमसर्ग-रूपम्)
मूलश्लोकः-86
देवताभ्यो वरं प्राप्य समुत्थाप्य च वानरान् ।
अयोध्यां प्रस्थितो राम: पुष्पकेण सुहृद्-वृत:।।86।
श्लोकान्वयः -
सुहृद्वृत: राम: देवताभ्य: वरं प्राप्य वानरान्
समुत्थाप्य च पुष्पकेण अयोध्यां प्रस्थित:।।86।।
हिन्दी-अनुवाद -
वानर आदि सुहृद्वृन्द से युक्त श्रीराम ने पहले देवताओं से प्राप्त वर के प्रभाव से युद्ध में हताहत वानरादि को
पुन: सचेत कर अपनी नगरी अयोध्या के लिए पुष्पक विमान द्वारा प्रस्थान किया।।86।।
English Meaning
राम: Rama, देवताभ्य: from devatas, वरम् boon, प्राप्य having obtained, वानरान् monkeys fallen in the battle, समुत्थाप्य च revived, सुहृद्वृत: accompanied by friends, पुष्पकेण by Pushpaka, the aerial car, अयोध्याम् Ayodhya, प्रस्थित: set out.
Having obtained a boon from the devatas (who had come to see him) Rama, revived all monkeys (fallen in the battle) and set out for Ayodhya accompanied by friends in the pushpaka (aerial car).
#SankshepaRamayanam
(महर्षिवाल्मीकिप्रणीत-रामायण-बालकाण्ड-प्रथमसर्ग-रूपम्)
मूलश्लोकः-86
देवताभ्यो वरं प्राप्य समुत्थाप्य च वानरान् ।
अयोध्यां प्रस्थितो राम: पुष्पकेण सुहृद्-वृत:।।86।
श्लोकान्वयः -
सुहृद्वृत: राम: देवताभ्य: वरं प्राप्य वानरान्
समुत्थाप्य च पुष्पकेण अयोध्यां प्रस्थित:।।86।।
हिन्दी-अनुवाद -
वानर आदि सुहृद्वृन्द से युक्त श्रीराम ने पहले देवताओं से प्राप्त वर के प्रभाव से युद्ध में हताहत वानरादि को
पुन: सचेत कर अपनी नगरी अयोध्या के लिए पुष्पक विमान द्वारा प्रस्थान किया।।86।।
English Meaning
राम: Rama, देवताभ्य: from devatas, वरम् boon, प्राप्य having obtained, वानरान् monkeys fallen in the battle, समुत्थाप्य च revived, सुहृद्वृत: accompanied by friends, पुष्पकेण by Pushpaka, the aerial car, अयोध्याम् Ayodhya, प्रस्थित: set out.
Having obtained a boon from the devatas (who had come to see him) Rama, revived all monkeys (fallen in the battle) and set out for Ayodhya accompanied by friends in the pushpaka (aerial car).
#SankshepaRamayanam
January 19, 2022
@samskrt_samvadah संलापशाला - A Samskrit Voicechat room.
Duration : 30 minutes only
Time : IST 11:00 AM 🕚
Topic : Escape of Hindus from kashmir in 1990.
काश्मीरतः हिन्दुनां पलायनम् १९९०तमे वर्षे।
Date : 20thJanuary 2022,
Thrusday.
Please Join the voicechat on time.
😇 Please come prepared to discuss (किमर्थं हिन्दवः पलायितवन्तः, अधुना तेषां स्थितिः कीदृशी अस्ति।)in Sanskrit , If possible.
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Topic : Escape of Hindus from kashmir in 1990.
काश्मीरतः हिन्दुनां पलायनम् १९९०तमे वर्षे।
Date : 20thJanuary 2022,
Thrusday.
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January 19, 2022
January 19, 2022
🍃
♦️tatra taM buddhisaMyogaM labhate paurvadehikam|
yatate cha tato bhuuyaH saMsiddhau kurunandana6.43
⚜6.43 Thee he comes in touch with the knowledge acired in his former body and strives more than before for perfection, O Arjuna.
⚜।।6.43।। हे कुरुनन्दन वह पुरुष वहाँ पूर्व देह में प्राप्त किये गये ज्ञान से सम्पन्न होकर योगसंसिद्धि के लिए उससे भी अधिक प्रयत्न करता है।।
#geeta
तत्र तं बुद्धिसंयोगं लभते पौर्वदेहिकम्।
यतते च ततो भूयः संसिद्धौ कुरुनन्दन
।।6.43।। ♦️tatra taM buddhisaMyogaM labhate paurvadehikam|
yatate cha tato bhuuyaH saMsiddhau kurunandana
⚜6.43 Thee he comes in touch with the knowledge acired in his former body and strives more than before for perfection, O Arjuna.
⚜।।6.43।। हे कुरुनन्दन वह पुरुष वहाँ पूर्व देह में प्राप्त किये गये ज्ञान से सम्पन्न होकर योगसंसिद्धि के लिए उससे भी अधिक प्रयत्न करता है।।
#geeta
January 19, 2022
January 19, 2022
🍃
♦️puurvaabhyaasena tenaiva hriyate hyavasho'pi saH|
jij~naasurapi yogasya shabdabrahmaativartate6.44
⚜6.44 By that very former practice he is borne on in spite of himself. Even he who merely wishes to know Yoga goes beyond the Brahmic word.
⚜।।6.44।। उसी पूर्वाभ्यास के कारण वह अवश हुआ योग की ओर आकर्षित होता है। योग का जो केवल जिज्ञासु है वह शब्दब्रह्म का अतिक्रमण करता है।।
#geeta
पूर्वाभ्यासेन तेनैव ह्रियते ह्यवशोऽपि सः।
जिज्ञासुरपि योगस्य शब्दब्रह्मातिवर्तते
।।6.44।। ♦️puurvaabhyaasena tenaiva hriyate hyavasho'pi saH|
jij~naasurapi yogasya shabdabrahmaativartate
⚜6.44 By that very former practice he is borne on in spite of himself. Even he who merely wishes to know Yoga goes beyond the Brahmic word.
⚜।।6.44।। उसी पूर्वाभ्यास के कारण वह अवश हुआ योग की ओर आकर्षित होता है। योग का जो केवल जिज्ञासु है वह शब्दब्रह्म का अतिक्रमण करता है।।
#geeta
January 19, 2022
Forwarded from रामदूतः — The Sanskrit News Platform
🚩जय सत्य सनातन🚩
🚩आज की हिंदी तिथि
🌥 🚩यगाब्द-५१२३
🌥 🚩विक्रम संवत-२०७८
⛅️ 🚩तिथि - द्वितीया सुबह ०८:०४ तक तत्पश्चात तृतीया
⛅️ दिनांक - २० जनवरी २०२२
⛅️ दिन - गुरुवार
⛅️ शक संवत -१९४३
⛅️ अयन - उत्तरायण
⛅️ ऋतु - शिशिर
⛅️ मास - माघ
⛅️ पक्ष - कृष्ण
⛅️ नक्षत्र - अश्लेशा सुबह ०८:२४ तक तत्पश्चात मघा
⛅️ योग - आयुष्मान् शाम ०३:४५ तक तत्पश्चात सौभाग्य
⛅️ राहुकाल - दोपहर ०२:१३ से शाम ०३:३५ तक
⛅️ सर्योदय - ०७:१९
⛅️ सर्यास्त - १८:१९
⛅️ दिशाशूल - दक्षिण दिशा में
🚩आज की हिंदी तिथि
🌥 🚩यगाब्द-५१२३
🌥 🚩विक्रम संवत-२०७८
⛅️ 🚩तिथि - द्वितीया सुबह ०८:०४ तक तत्पश्चात तृतीया
⛅️ दिनांक - २० जनवरी २०२२
⛅️ दिन - गुरुवार
⛅️ शक संवत -१९४३
⛅️ अयन - उत्तरायण
⛅️ ऋतु - शिशिर
⛅️ मास - माघ
⛅️ पक्ष - कृष्ण
⛅️ नक्षत्र - अश्लेशा सुबह ०८:२४ तक तत्पश्चात मघा
⛅️ योग - आयुष्मान् शाम ०३:४५ तक तत्पश्चात सौभाग्य
⛅️ राहुकाल - दोपहर ०२:१३ से शाम ०३:३५ तक
⛅️ सर्योदय - ०७:१९
⛅️ सर्यास्त - १८:१९
⛅️ दिशाशूल - दक्षिण दिशा में
January 19, 2022
@samskrt_samvadah संलापशाला - A Samskrit Voicechat room.
Duration : 30 minutes only
Time : IST 11:00 AM 🕚
Topic : Escape of Hindus from kashmir in 1990.
काश्मीरतः हिन्दुनां पलायनम् १९९०तमे वर्षे।
Date : 20thJanuary 2022,
Thrusday.
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😇 Please come prepared to discuss (किमर्थं हिन्दवः पलायितवन्तः, अधुना तेषां स्थितिः कीदृशी अस्ति।)in Sanskrit , If possible.
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Topic : Escape of Hindus from kashmir in 1990.
काश्मीरतः हिन्दुनां पलायनम् १९९०तमे वर्षे।
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January 19, 2022
January 19, 2022
January 19, 2022
January 19, 2022
January 20, 2022
भगवान् शिवः __________ __________ अस्ति।
Anonymous Quiz
52%
पुष्पैः अलङ्कृतः
20%
पुष्पेण अलङ्कृतः
17%
पुष्पैः अलङ्कृतम्
11%
पुष्पेभ्यः अलङ्कृतः
January 20, 2022
January 20, 2022
संस्कृत संवादः । Sanskrit Samvadah
दीपम्
उभयतः शलभाः सन्ति = दीपक के दोनों ओर पतंगे हैं। दीपावलीम् उभयतः पतङ्गाः
पतन्ति = दीपमाला के दोनों ओर पतंगे गिर रहे हैं। चम्पापुष्पम् अभितः
चञ्चरिकौ स्तः = चम्पापुष्प के दोनों ओर भौंरे हैं। इन्दीवरं सर्वतः
इन्दिन्दिराः विराजन्ते = नीलकमल के चारों ओर भौंरे…
संस्कृतं वद आधुनिको भव।
वेदान् पठ वैज्ञानिको भव।।
पाठ : (९) तृतीया विभक्ति (१) + यण सन्धिः
{करण कारक (क्रिया सम्पन्न करने का साधन) में तृतीया विभक्ति होती है।}
मथन्या मथ्नाति दधि माता = मां मथनी से दही बिलो रही है।
पर्पेण पर्पति पर्पिकः = पंगू (बैसाखीवाला) बैसाखी से चलता है।
वणिक् तुलया धान्यं माति = बनिया तराजू से धान तोल रहा है।
लेखिका लेखन्या लेखं लिखति = लेखिका लेखनी से लेख लिखती है।
सूक्ष्मशरीरेण आत्मा अतति = सूक्ष्म शरीर से आत्मा सतत गति (एक से दूसरे शरीर में) करता है।
पक्षेण पक्षिणः डयन्ते = पंख से पक्षी उड़ते हैं।
हस्तेन हस्ती भारं वहति = सूंड से हाथी भार ढोता है।
मनस्वी मनसा मनुते = मनस्वी मन से मनन करता है।
मनीषी मनीषया मनः ईषते = मनीषी बुद्धि से मन को जानता है।
पण्डितः पण्ड्या पण्डितत्वं प्राप्नोति = पण्डित बुद्धि (=पण्डा) से विद्वत्ता (=पण्डितत्व) को प्राप्त करता है।
बुद्धः बुद्ध्या बोध्यम् अवबुध्यते = ज्ञानी (=बुद्धः) बुद्धि से जाननेयाग्य पदार्थों को जानता है।
वेत्ता विद्यया विश्वं वेत्ति = विद्वान् विद्या से सब कुछ जानता है।
स्मर्त्ता स्मृत्या भूतकालं स्मरति = याद करनेवाला स्मृति से भूतकाल को याद करता है।
ज्ञानी ज्ञानेन ईश्वरमपि जानाति = ज्ञानी ज्ञान से ईश्वर को भी जान लेता है।
भर्त्ता भृत्त्या भृत्यं भरति = पालक (=भर्त्ता) वेतन (=भृत्तिः) से सेवक (=भृत्य) का भरण-पोषण करता है।
यात्री यानेन यात्रास्थलं याति = यात्री वाहन से यात्रास्थल को जाता है।
दाता दानेन दरिद्रं उपकरोति = दाता दान से दरिद्र का उपकार करता है।
ध्याता ध्यानेन धर्त्तारं ध्यायति = ध्यान करनेवाला (=ध्याता) ध्यान के द्वारा धारण करनेवाले ईश्वर (=धर्त्ता) का चिन्तन करता है।
द्रष्टा दर्शनेन दृश्यं पश्यति = ज्ञानी (=द्रष्टा) दर्शनशास्त्र स्त्र के द्वारा संसार (=दृश्यम्) को देखता है।
चित् चित्तेन चलाचलं जगत् चेतयति = चेतन आत्मा चित्त से चल-अचल जगत् को जानता है।
आनन्दः आनन्देन अस्मान् आनन्दयति = आनन्दस्वरूप ईश्वर हमें आनन्द देकर आनन्दित करता है।
अद्भिः गात्राणि शुध्यन्ति = पानी से शरीरावयव साफ होते हैं।
मनः सत्येन शुध्यति = मन सत्य से पवित्र होता है।
विद्यातपोभ्यां भूतात्मा शुध्यति = विद्या और तप से जीवात्मा शुद्ध होता है।
क्षान्त्या शुध्यन्ति विद्वांसः = विद्वान् क्षमा से शुद्ध होते हैं।
दानेन अकार्यकारिणः शुध्यन्ति = दान के द्वारा पापी शुद्ध होते हैं।
प्रच्छन्नपापाः जप्येन शुद्ध्यन्ति = गुप्त रूप (=मानसिकरूप) से पाप करनेवाले जप से शुद्ध होते हैं।
तपसा वेदवित्तमाः शुद्ध्यन्ति = तप से उत्तम विद्वान् (=वेदवित्) शुद्ध होते हैं।
#vakyabhyas
वेदान् पठ वैज्ञानिको भव।।
पाठ : (९) तृतीया विभक्ति (१) + यण सन्धिः
{करण कारक (क्रिया सम्पन्न करने का साधन) में तृतीया विभक्ति होती है।}
मथन्या मथ्नाति दधि माता = मां मथनी से दही बिलो रही है।
पर्पेण पर्पति पर्पिकः = पंगू (बैसाखीवाला) बैसाखी से चलता है।
वणिक् तुलया धान्यं माति = बनिया तराजू से धान तोल रहा है।
लेखिका लेखन्या लेखं लिखति = लेखिका लेखनी से लेख लिखती है।
सूक्ष्मशरीरेण आत्मा अतति = सूक्ष्म शरीर से आत्मा सतत गति (एक से दूसरे शरीर में) करता है।
पक्षेण पक्षिणः डयन्ते = पंख से पक्षी उड़ते हैं।
हस्तेन हस्ती भारं वहति = सूंड से हाथी भार ढोता है।
मनस्वी मनसा मनुते = मनस्वी मन से मनन करता है।
मनीषी मनीषया मनः ईषते = मनीषी बुद्धि से मन को जानता है।
पण्डितः पण्ड्या पण्डितत्वं प्राप्नोति = पण्डित बुद्धि (=पण्डा) से विद्वत्ता (=पण्डितत्व) को प्राप्त करता है।
बुद्धः बुद्ध्या बोध्यम् अवबुध्यते = ज्ञानी (=बुद्धः) बुद्धि से जाननेयाग्य पदार्थों को जानता है।
वेत्ता विद्यया विश्वं वेत्ति = विद्वान् विद्या से सब कुछ जानता है।
स्मर्त्ता स्मृत्या भूतकालं स्मरति = याद करनेवाला स्मृति से भूतकाल को याद करता है।
ज्ञानी ज्ञानेन ईश्वरमपि जानाति = ज्ञानी ज्ञान से ईश्वर को भी जान लेता है।
भर्त्ता भृत्त्या भृत्यं भरति = पालक (=भर्त्ता) वेतन (=भृत्तिः) से सेवक (=भृत्य) का भरण-पोषण करता है।
यात्री यानेन यात्रास्थलं याति = यात्री वाहन से यात्रास्थल को जाता है।
दाता दानेन दरिद्रं उपकरोति = दाता दान से दरिद्र का उपकार करता है।
ध्याता ध्यानेन धर्त्तारं ध्यायति = ध्यान करनेवाला (=ध्याता) ध्यान के द्वारा धारण करनेवाले ईश्वर (=धर्त्ता) का चिन्तन करता है।
द्रष्टा दर्शनेन दृश्यं पश्यति = ज्ञानी (=द्रष्टा) दर्शनशास्त्र स्त्र के द्वारा संसार (=दृश्यम्) को देखता है।
चित् चित्तेन चलाचलं जगत् चेतयति = चेतन आत्मा चित्त से चल-अचल जगत् को जानता है।
आनन्दः आनन्देन अस्मान् आनन्दयति = आनन्दस्वरूप ईश्वर हमें आनन्द देकर आनन्दित करता है।
अद्भिः गात्राणि शुध्यन्ति = पानी से शरीरावयव साफ होते हैं।
मनः सत्येन शुध्यति = मन सत्य से पवित्र होता है।
विद्यातपोभ्यां भूतात्मा शुध्यति = विद्या और तप से जीवात्मा शुद्ध होता है।
क्षान्त्या शुध्यन्ति विद्वांसः = विद्वान् क्षमा से शुद्ध होते हैं।
दानेन अकार्यकारिणः शुध्यन्ति = दान के द्वारा पापी शुद्ध होते हैं।
प्रच्छन्नपापाः जप्येन शुद्ध्यन्ति = गुप्त रूप (=मानसिकरूप) से पाप करनेवाले जप से शुद्ध होते हैं।
तपसा वेदवित्तमाः शुद्ध्यन्ति = तप से उत्तम विद्वान् (=वेदवित्) शुद्ध होते हैं।
#vakyabhyas
January 20, 2022
सङ्क्षेपरामायणम्
(महर्षिवाल्मीकिप्रणीत-रामायण-बालकाण्ड-प्रथमसर्ग-रूपम्)
मूलश्लोकः-87
भरद्वाजाश्रमं गत्वाराम: सत्यपराक्रम:।
भरतस्यान्तिके रामो हनूमन्तं व्यसर्जयत्।।87।।
श्लोकान्वयः -
आराम: सत्यपराक्रम: राम: भरद्वाजाश्रमं गत्वा
भरतस्य अन्तिके हनूमन्तम् व्यसर्जयत्।।87।।
हिन्दी-अनुवाद -
सबको प्रसन्न करने वाले सत्य पराक्रमी श्रीराम भरद्वाजमुनि के आश्रम पहुँचकर
अपने आगमन के सूचनार्थ भरत के पास हनुमान् को भेजा।।87।।
English Meaning
सत्यपराक्रम: steadfast in truth, राम: delightful to everybody, भरद्वाजाश्रमम् hermitage of Bharadwaja, गत्वा having gone, भरतस्यान्तिकम् to the presence of Bharata, हनूमन्तम् Hanuman, राम: Rama, व्यसर्जयत् despatched.
Rama who was a delight of all whose strength lies in truth went to the hermitage of Bharadwaja (as promised) and despatched Hanuman to Bharata as his messenger.
#SankshepaRamayanam
(महर्षिवाल्मीकिप्रणीत-रामायण-बालकाण्ड-प्रथमसर्ग-रूपम्)
मूलश्लोकः-87
भरद्वाजाश्रमं गत्वाराम: सत्यपराक्रम:।
भरतस्यान्तिके रामो हनूमन्तं व्यसर्जयत्।।87।।
श्लोकान्वयः -
आराम: सत्यपराक्रम: राम: भरद्वाजाश्रमं गत्वा
भरतस्य अन्तिके हनूमन्तम् व्यसर्जयत्।।87।।
हिन्दी-अनुवाद -
सबको प्रसन्न करने वाले सत्य पराक्रमी श्रीराम भरद्वाजमुनि के आश्रम पहुँचकर
अपने आगमन के सूचनार्थ भरत के पास हनुमान् को भेजा।।87।।
English Meaning
सत्यपराक्रम: steadfast in truth, राम: delightful to everybody, भरद्वाजाश्रमम् hermitage of Bharadwaja, गत्वा having gone, भरतस्यान्तिकम् to the presence of Bharata, हनूमन्तम् Hanuman, राम: Rama, व्यसर्जयत् despatched.
Rama who was a delight of all whose strength lies in truth went to the hermitage of Bharadwaja (as promised) and despatched Hanuman to Bharata as his messenger.
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January 20, 2022
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Topic :संस्कृतकथा,सुभाषितम्,
हास्यकणिका..... इत्यादयः
Date : 21stJanuary 2022,
Friday.
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😇 Please come prepared to discus (संस्कृतकथां, सुभाषितं, हास्यकणिकां ,स्वस्य कञ्चित् उत्तमम् अनुभवं ,प्रेरकप्रसङ्गं ,लौकिकन्यायं वा वदन्तु। ) in Sanskrit , If possible.
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Topic :संस्कृतकथा,सुभाषितम्,
हास्यकणिका..... इत्यादयः
Date : 21stJanuary 2022,
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January 20, 2022
January 20, 2022
January 20, 2022
🍃
♦️
prayatnaadyatamaanastu yogii saMshuddhakilbiShaH|
anekajanmasaMsiddhastato yaati paraaM gatim6.45
⚜6.45 But the Yogi who strives with assiduity, purified of sins and perfected gradually through many births, reaches the highest goal.
⚜।।6.45।। परन्तु प्रयत्नपूर्वक अभ्यास करने वाला योगी सम्पूर्ण पापों से शुद्ध होकर अनेक जन्मों से (शनै शनै) सिद्ध होता हुआ तब परम गति को प्राप्त होता है।।
#geeta
प्रयत्नाद्यतमानस्तु योगी संशुद्धकिल्बिषः।
अनेकजन्मसंसिद्धस्ततो याति परां गतिम्
।।6.45।। ♦️
prayatnaadyatamaanastu yogii saMshuddhakilbiShaH|
anekajanmasaMsiddhastato yaati paraaM gatim
⚜6.45 But the Yogi who strives with assiduity, purified of sins and perfected gradually through many births, reaches the highest goal.
⚜।।6.45।। परन्तु प्रयत्नपूर्वक अभ्यास करने वाला योगी सम्पूर्ण पापों से शुद्ध होकर अनेक जन्मों से (शनै शनै) सिद्ध होता हुआ तब परम गति को प्राप्त होता है।।
#geeta
January 20, 2022
January 20, 2022
🍃
♦️tapasvibhyo'dhiko yogii j~naanibhyo'pi mato'dhikaH|
karmibhyashchaadhiko yogii tasmaadyogii bhavaarjuna6.46
⚜6.46 The Yogi is thought to be superior to the ascetics and even superior to men of knowledge (obtained through the study of scriptures); he is also superior to men of action; therefore be thou a Yogi, O Arjuna.
⚜।।6.46।। क्योंकि योगी तपस्वियों से श्रेष्ठ है और (केवल शास्त्र के) ज्ञान वालों से भी श्रेष्ठ माना गया है तथा कर्म करने वालों से भी योगी श्रेष्ठ है इसलिए हे अर्जुन तुम योगी बनो।।
#geeta
तपस्विभ्योऽधिको योगी ज्ञानिभ्योऽपि मतोऽधिकः।
कर्मिभ्यश्चाधिको योगी तस्माद्योगी भवार्जुन
।।6.46।। ♦️tapasvibhyo'dhiko yogii j~naanibhyo'pi mato'dhikaH|
karmibhyashchaadhiko yogii tasmaadyogii bhavaarjuna
⚜6.46 The Yogi is thought to be superior to the ascetics and even superior to men of knowledge (obtained through the study of scriptures); he is also superior to men of action; therefore be thou a Yogi, O Arjuna.
⚜।।6.46।। क्योंकि योगी तपस्वियों से श्रेष्ठ है और (केवल शास्त्र के) ज्ञान वालों से भी श्रेष्ठ माना गया है तथा कर्म करने वालों से भी योगी श्रेष्ठ है इसलिए हे अर्जुन तुम योगी बनो।।
#geeta
January 20, 2022
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Topic :संस्कृतकथा,सुभाषितम्,
हास्यकणिका..... इत्यादयः
Date : 21stJanuary 2022,
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हास्यकणिका..... इत्यादयः
Date : 21stJanuary 2022,
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January 20, 2022
Forwarded from रामदूतः — The Sanskrit News Platform
🌞 ~ *आज का हिन्दू पंचांग* ~ 🌞
⛅ *दिनांक - 21 जनवरी 2022*
⛅ *दिन - शुक्रवार*
⛅ *विक्रम संवत - 2078*
⛅ *शक संवत -1943*
⛅ *अयन - उत्तरायण*
⛅ *ऋतु - शिशिर*
⛅ *मास - माघ (गुजरात एवं महाराष्ट्र के अनुसार - पौष)*
⛅ *पक्ष - कृष्ण*
⛅ *तिथि - तृतीया सुबह 08:51 तक तत्पश्चात चतुर्थी*
⛅ *नक्षत्र - मघा सुबह 09:43 तक तत्पश्चात पूर्वाफाल्गुनी*
⛅ *योग - सौभाग्य शाम 03:06 तक तत्पश्चात शोभन*
⛅ *राहुकाल - सुबह 11:27 से दोपहर 12:50 तक*
⛅ *सूर्योदय - 07:19*
⛅ *सूर्यास्त - 18:20*
⛅ *दिशाशूल - पश्चिम दिशा में*
⛅ *दिनांक - 21 जनवरी 2022*
⛅ *दिन - शुक्रवार*
⛅ *विक्रम संवत - 2078*
⛅ *शक संवत -1943*
⛅ *अयन - उत्तरायण*
⛅ *ऋतु - शिशिर*
⛅ *मास - माघ (गुजरात एवं महाराष्ट्र के अनुसार - पौष)*
⛅ *पक्ष - कृष्ण*
⛅ *तिथि - तृतीया सुबह 08:51 तक तत्पश्चात चतुर्थी*
⛅ *नक्षत्र - मघा सुबह 09:43 तक तत्पश्चात पूर्वाफाल्गुनी*
⛅ *योग - सौभाग्य शाम 03:06 तक तत्पश्चात शोभन*
⛅ *राहुकाल - सुबह 11:27 से दोपहर 12:50 तक*
⛅ *सूर्योदय - 07:19*
⛅ *सूर्यास्त - 18:20*
⛅ *दिशाशूल - पश्चिम दिशा में*
January 20, 2022
January 20, 2022
January 20, 2022
अहं प्रतिदिनं _________ गच्छामि
Anonymous Quiz
5%
संलापशालायाः
35%
संलापशालायां
55%
संलापशालां
5%
संलापशालाये
January 21, 2022
January 21, 2022
January 21, 2022
उच्छिष्टं पात्रं मृत्तोयैः शुद्ध्यति = जूठा बरतन मिट्टी व पानी से साफ होता है।
धातवः अग्निना शुद्ध्यन्ति = धातुएं अग्नि से शुद्ध होती है।
प्राणायामैः दहेत् दोषान् = प्राणायाम से दोषों को भस्म कर देवें।
प्राणायामेन क्षीयते प्रकाशावरणम् = प्राणायाम से अज्ञान (=प्रकाश का आवरण) नष्ट होता है।
योगाङ्गानुष्ठानेन ज्ञानदीप्तिर्भवति = योग के अंगों के अनुष्ठान से ज्ञान बढ़ता है।
मनःप्रग्रहेण आत्मानं संयच्छेत् = मन रूपी लगाम से आत्मा को नियन्त्रित करे।
समर्थाः अपि स्वकर्मभिः वध्यमानाः दृश्यन्ते = समर्थ लोग भी अपने बुरे कर्मों के कारण नष्ट हुए दिखाई देते हैं।
पुण्येन पुण्यलोकं जयति = पुण्य कर्मों से (व्यक्ति) स्वर्ग (=पुण्यलोक) को जीतता है (प्राप्त करता है)।
पापेन पापलोकं गच्छति = पाप कर्मों से नरक को प्राप्त करता है।
गन्धेन गावः पश्यन्ति = गाएं गन्ध से देखती हैं।
वेदैः पश्यन्ति ब्रह्मणाः = ब्रह्मण वेदों से देखते हैं।
चारैः पश्यन्ति राजानः = राजा लोग गुप्तचरों से देखते हैं।
चक्षुर्भ्यामितरे जनाः पश्यन्ति = आंखों से अन्य / सामान्य (=इतर) लोग देखते हैं।
आत्मना आत्मानम् अन्विच्छेत् = अपने आप से अपने आप को जाने।
विद्यया विन्दते वसु = विद्या से धन प्राप्त होता है।
अविद्यया मृत्युं तरति = अविद्या (अपरा विद्या) से मृत्यु (शारीरिक कष्ट, बाधा, विपदाएं) से तर जाता है।
विद्यया अमृतम् अश्नुते = विद्या (परा विद्या) से अमृत (मोक्ष सुख) को प्राप्त कर लेता है।
न वित्तेन तर्पणीयो मनुष्यः = मानव को धन से कभी तृप्त नहीं किया जा सकता।
#vakyabhyas
धातवः अग्निना शुद्ध्यन्ति = धातुएं अग्नि से शुद्ध होती है।
प्राणायामैः दहेत् दोषान् = प्राणायाम से दोषों को भस्म कर देवें।
प्राणायामेन क्षीयते प्रकाशावरणम् = प्राणायाम से अज्ञान (=प्रकाश का आवरण) नष्ट होता है।
योगाङ्गानुष्ठानेन ज्ञानदीप्तिर्भवति = योग के अंगों के अनुष्ठान से ज्ञान बढ़ता है।
मनःप्रग्रहेण आत्मानं संयच्छेत् = मन रूपी लगाम से आत्मा को नियन्त्रित करे।
समर्थाः अपि स्वकर्मभिः वध्यमानाः दृश्यन्ते = समर्थ लोग भी अपने बुरे कर्मों के कारण नष्ट हुए दिखाई देते हैं।
पुण्येन पुण्यलोकं जयति = पुण्य कर्मों से (व्यक्ति) स्वर्ग (=पुण्यलोक) को जीतता है (प्राप्त करता है)।
पापेन पापलोकं गच्छति = पाप कर्मों से नरक को प्राप्त करता है।
गन्धेन गावः पश्यन्ति = गाएं गन्ध से देखती हैं।
वेदैः पश्यन्ति ब्रह्मणाः = ब्रह्मण वेदों से देखते हैं।
चारैः पश्यन्ति राजानः = राजा लोग गुप्तचरों से देखते हैं।
चक्षुर्भ्यामितरे जनाः पश्यन्ति = आंखों से अन्य / सामान्य (=इतर) लोग देखते हैं।
आत्मना आत्मानम् अन्विच्छेत् = अपने आप से अपने आप को जाने।
विद्यया विन्दते वसु = विद्या से धन प्राप्त होता है।
अविद्यया मृत्युं तरति = अविद्या (अपरा विद्या) से मृत्यु (शारीरिक कष्ट, बाधा, विपदाएं) से तर जाता है।
विद्यया अमृतम् अश्नुते = विद्या (परा विद्या) से अमृत (मोक्ष सुख) को प्राप्त कर लेता है।
न वित्तेन तर्पणीयो मनुष्यः = मानव को धन से कभी तृप्त नहीं किया जा सकता।
#vakyabhyas
January 21, 2022
January 21, 2022
January 21, 2022
January 21, 2022
सङ्क्षेपरामायणम्
(महर्षिवाल्मीकिप्रणीत-रामायण-बालकाण्ड-प्रथमसर्ग-रूपम्)
मूलश्लोकः-88
पुनराख्यायिकां जल्पन् सुग्रीवसहितस्तदा।
पुष्पकं तत्समारुह्य नन्दिग्रामं ययौ तदा।।88।।
श्लोकान्वयः -
तदा सुग्रीवसहित: (राम:) तत् पुष्पकं पुन: समारुह्य
आख्यायिकाम् जल्पन् तदा नन्दिग्रामं ययौ।।88।।
हिन्दी-अनुवाद -
भरद्वाज जी के आश्रम से निकलकर सुग्रीव आदि के सहित श्रीराम पुन: पुष्पकविमान पर
आरूढ होकर भरतसम्बन्धि वृत्तन्त को कहते हुए उनके वासस्थान नन्दिग्राम को चले।।88।।
English Meaning
पुन: again, सुग्रीवसहित: accompanied by Sugriva, स: Rama, आख्यायिकाम् recalling earlier incidents, जल्पन् conversing with each other, तदा then, तत् पुष्पकं समारुह्य mounting on that Pushpaka, नन्दिग्रामम् to Nandigrama, ययौ departed.
Again accompanied by Sugriva and recalling earlier incidents and after both of them discussed with each other, Rama departed to Nandigrama riding that pushpaka chariot.
#SankshepaRamayanam
(महर्षिवाल्मीकिप्रणीत-रामायण-बालकाण्ड-प्रथमसर्ग-रूपम्)
मूलश्लोकः-88
पुनराख्यायिकां जल्पन् सुग्रीवसहितस्तदा।
पुष्पकं तत्समारुह्य नन्दिग्रामं ययौ तदा।।88।।
श्लोकान्वयः -
तदा सुग्रीवसहित: (राम:) तत् पुष्पकं पुन: समारुह्य
आख्यायिकाम् जल्पन् तदा नन्दिग्रामं ययौ।।88।।
हिन्दी-अनुवाद -
भरद्वाज जी के आश्रम से निकलकर सुग्रीव आदि के सहित श्रीराम पुन: पुष्पकविमान पर
आरूढ होकर भरतसम्बन्धि वृत्तन्त को कहते हुए उनके वासस्थान नन्दिग्राम को चले।।88।।
English Meaning
पुन: again, सुग्रीवसहित: accompanied by Sugriva, स: Rama, आख्यायिकाम् recalling earlier incidents, जल्पन् conversing with each other, तदा then, तत् पुष्पकं समारुह्य mounting on that Pushpaka, नन्दिग्रामम् to Nandigrama, ययौ departed.
Again accompanied by Sugriva and recalling earlier incidents and after both of them discussed with each other, Rama departed to Nandigrama riding that pushpaka chariot.
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January 21, 2022
@samskrt_samvadah संलापशाला - A Samskrit Voicechat room.
Duration : 30 minutes only
Time : IST 11:00 AM 🕚
Topic : Gossip.
जल्पनम्
Date : 22ndJanuary 2022,
Saturday.
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Topic : Gossip.
जल्पनम्
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January 21, 2022
January 21, 2022
🍃
♦️yoginaamapi sarveShaaM madgatenaantaraatmanaa|
shraddhaavaanbhajate yo maaM sa me yuktatamo mataH6.47
⚜6.47 And among all the Yogis he who, full of faith and with his inner self merged in Me, worships Me is deemed by Me to be the most devout.
⚜।।6.47।। समस्त योगियों में जो भी श्रद्धावान् योगी मुझ में युक्त हुये अन्तरात्मा से (अर्थात् एकत्व भाव से मुझे भजता है वह मुझे युक्ततम (सर्वश्रेष्ठ) मान्य है।।
#geeta
योगिनामपि सर्वेषां मद्गतेनान्तरात्मना।
श्रद्धावान्भजते यो मां स मे युक्ततमो मतः
।।6.47।। ♦️yoginaamapi sarveShaaM madgatenaantaraatmanaa|
shraddhaavaanbhajate yo maaM sa me yuktatamo mataH
⚜6.47 And among all the Yogis he who, full of faith and with his inner self merged in Me, worships Me is deemed by Me to be the most devout.
⚜।।6.47।। समस्त योगियों में जो भी श्रद्धावान् योगी मुझ में युक्त हुये अन्तरात्मा से (अर्थात् एकत्व भाव से मुझे भजता है वह मुझे युक्ततम (सर्वश्रेष्ठ) मान्य है।।
#geeta
January 21, 2022
January 21, 2022
🍃
♦️shrii bhagavaanuvaacha
mayyaasaktamanaaH paartha yogaM yu~njanmadaashrayaH|
asaMshayaM samagraM maaM yathaa j~naasyasi tachChRRiNu7.1
⚜7.1 The Blessed Lord said --
O Arjuna, hear how you shall without doubt know Me fully, with the mind intent on Me, practising Yoga and taking refuge in Me.
⚜।।7.1।। हे पार्थ मुझमें असक्त हुए मन वाले तथा मदाश्रित होकर योग का अभ्यास करते हुए जिस प्रकार तुम मुझे समग्ररूप से बिना किसी संशय के जानोगे वह सुनो।।
#geeta
मय्यासक्तमनाः पार्थ योगं युञ्जन्मदाश्रयः।
असंशयं समग्रं मां यथा ज्ञास्यसि तच्छृणु
।।7.1।। ♦️shrii bhagavaanuvaacha
mayyaasaktamanaaH paartha yogaM yu~njanmadaashrayaH|
asaMshayaM samagraM maaM yathaa j~naasyasi tachChRRiNu
⚜7.1 The Blessed Lord said --
O Arjuna, hear how you shall without doubt know Me fully, with the mind intent on Me, practising Yoga and taking refuge in Me.
⚜।।7.1।। हे पार्थ मुझमें असक्त हुए मन वाले तथा मदाश्रित होकर योग का अभ्यास करते हुए जिस प्रकार तुम मुझे समग्ररूप से बिना किसी संशय के जानोगे वह सुनो।।
#geeta
January 21, 2022
Forwarded from रामदूतः — The Sanskrit News Platform
🚩जय सत्य सनातन🚩
🚩आज की हिंदी तिथि
🌥️ 🚩युगाब्द-५१२३
🌥️ 🚩विक्रम संवत-२०७८
⛅ 🚩तिथि - चतुर्थी सुबह ०९:१४ तक तत्पश्चात पंचमी
⛅ दिनांक - २२ जनवरी २०२२
⛅ दिन - शनिवार
⛅ शक संवत -१९४३
⛅ अयन - उत्तरायण
⛅ ऋतु - शिशिर
⛅ मास - माघ
⛅ पक्ष - कृष्ण
⛅ नक्षत्र - पूर्वाफाल्गुनी सुबह १०:३८ तक तत्पश्चात उत्तराफाल्गुनी
⛅ योग - शोभन दोपहर ०२:०७ तक तत्पश्चात अतिगण्ड
⛅ राहुकाल - सुबह १०:०४ से सुबह ११:२७ तक
⛅ सूर्योदय - ०७:१९
⛅ सूर्यास्त - १८:२१
⛅ दिशाशूल - पूर्व दिशा में
🚩आज की हिंदी तिथि
🌥️ 🚩युगाब्द-५१२३
🌥️ 🚩विक्रम संवत-२०७८
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⛅ दिनांक - २२ जनवरी २०२२
⛅ दिन - शनिवार
⛅ शक संवत -१९४३
⛅ अयन - उत्तरायण
⛅ ऋतु - शिशिर
⛅ मास - माघ
⛅ पक्ष - कृष्ण
⛅ नक्षत्र - पूर्वाफाल्गुनी सुबह १०:३८ तक तत्पश्चात उत्तराफाल्गुनी
⛅ योग - शोभन दोपहर ०२:०७ तक तत्पश्चात अतिगण्ड
⛅ राहुकाल - सुबह १०:०४ से सुबह ११:२७ तक
⛅ सूर्योदय - ०७:१९
⛅ सूर्यास्त - १८:२१
⛅ दिशाशूल - पूर्व दिशा में
January 21, 2022
@samskrt_samvadah संलापशाला - A Samskrit Voicechat room.
Duration : 30 minutes only
Time : IST 11:00 AM 🕚
Topic : Gossip.
जल्पनम्
Date : 22ndJanuary 2022,
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जल्पनम्
Date : 22ndJanuary 2022,
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January 21, 2022
Forwarded from रामदूतः — The Sanskrit News Platform
https://youtu.be/qW1ofH02buk
Switch to DD News daily at 7:15 AM (Morning) for 15 minutes Sanskrit news.
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VAARTA : PM Modi to interact with District Magistrates of various districts
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DD News is India’s 24x7 news channel from the stable of the country’s Public Service Broadcaster, Prasar Bharati. It has the distinction of being India’s only terrestrial cum satellite…
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January 21, 2022
January 21, 2022
January 21, 2022
January 21, 2022
January 22, 2022
January 22, 2022
January 22, 2022
संस्कृत संवादः । Sanskrit Samvadah
उच्छिष्टं
पात्रं मृत्तोयैः शुद्ध्यति = जूठा बरतन मिट्टी व पानी से साफ होता है।
धातवः अग्निना शुद्ध्यन्ति = धातुएं अग्नि से शुद्ध होती है। प्राणायामैः
दहेत् दोषान् = प्राणायाम से दोषों को भस्म कर देवें। प्राणायामेन क्षीयते
प्रकाशावरणम् = प्राणायाम से अज्ञान…
क्षमया किं न साध्यते ? = क्षमा से क्या प्राप्त नहीं होता ?
वाचा वदामि मधुमत् = वाणी से मैं मीठा बोलूं।
स्वेन क्रतुना संवदेत = (व्यक्ति) अपने कर्म से बोले।
क्रतुना ब्रवीतु = कर्म (आचरण) से बोलो।
विमानेन दिवं विगाहते = विमान से आकाश में घूम रहा है।
यत्नेन सिद्ध्यन्ति कामाः = पुरुषार्थ से कामनाएं पूर्ण होती हैं।
धर्मेण एधते नित्यम् = धर्म से (व्यक्ति) नित्य ही वृद्धि को प्राप्त होता है।
हविषा हूताशनो वर्धते = हवी से अग्नि बढ़ती है।
पुरुषार्थेन कार्याणि सिद्ध्यन्ति, न मनोरथैः = मेहनत से कार्यों की सिद्धि होती है न कि ख्याली पुलाव पकाने से।
सप्तभिः अश्वैः सविता संचरति सदा = सूर्य सदा सात घोड़ों से चलता है।
धनलोलुपः जलेन दुग्धं वर्धयति = धन का लोभी पानी से दूध बढ़ा रहा है।
अन्नेन भूतानि जीवन्ति = अन्न से प्राणी जीते हैं।
प्राणैः प्राणिनः प्राणन्ति = प्राणों से प्राणी जीते हैं।
भद्रं कर्णेभिः शृणुयाम = हम कानों से कल्याणकारी बातें सुनें।
भद्रं पश्येम अक्षभिः = आंखों से हम भला देखें।
माम् अद्य मेधया मेधाविनं कुरु = मुझे आज ही मेधा बुद्धि से मेधावी करो।
अस्मान् प्रजया, पशुभिः, ब्रह्मवर्चसेन, अन्नाद्येन समेधय = हमें प्रजा से, पशु (धन-सम्पत्ति) से, ब्रह्मतेज से, अन्न (भोग्य पदार्थों) से तथा अद्य (भोग सामर्थ्य) से अच्छी तरह बढ़ा।
आयुः यज्ञेन कल्पन्ताम् = आयु को यज्ञ से सम्पादित करो।
दीपेन दीपं दीप्येत् = दीपक से दीपक जलाना चाहिए।
यण् सन्धिः
इको यण् अचि। इक् = इ, ई, उ, ऊ, ऋ, ॠ, लृ, के बाद अच् = अ आ… आदि स्वर हो तो इ एवं ई को य्, उ एवं ऊ को व्, ऋ तथा ॠ को र् तथा लृ को ल् हो जाता है।
इ / ई + अच् (इ, ई को छोड़ कर) = इ / ई को य्
उ / ऊ + अच् (उ, ऊ को छोड़ कर) = उ / ऊ को व्
ऋ / ॠ + अच् (ऋ, ॠ को छोड़ कर) = ऋ / ॠ को र
लृ + अच् = लृ को ल्
दधि + अशान = दध्यशान।
तिष्ठतु दध्यशान त्वं शाकेन = दही रहने दे, तू शाक से खा ले।
दधि + ओदनम् = दध्योदनम्।
दध्योदनं रुच्या खादति बालः = बालक दही-चावल रुची से खाता है।
अभि + आवहति = अभ्यावहति।
अभ्यावहति कल्याणं विविधं वाक् सुभाषिता = सुभाषित वाणी विविध प्रकार के कल्याण / सुखों को प्राप्त कराती है।
हि + एव = ह्येव।
आत्मा ह्येवात्मनो बन्धुः = आत्मा का भाई आत्मा खुद ही है।
नदी + अस्मान् = नद्यस्मान्।
नद्यस्मान् जलेन तृप्यति = नदी हमको जल से तृप्त करती है।
इति + उवाच = इत्युवाच।
वनं गमिष्यामि इत्युवाच रामः प्रहसन् = राम ने हंसते हुए वन में जाऊंगा ऐसा कहा।
अन्तेवासिनी + ऋग्वेदम् = अन्तेवासिन्यृग्वेदम्।
अन्तेवासिन्यृग्वेदं रटति = छात्रा ऋग्वेद रट रही है।
अन्तेषु + अपि = अन्तेष्वपि।
अन्तेष्वपि जातो वृत्तेन विशेष्यते = निम्नकुल में उत्पन्न होने पर भी आचरण से विशेष हो जाता है।
कटु + अपि = कट्वपि।
कट्वपि भेषजं गदहारी = कड़वी होने पर भी दवाई रोग दूर करनेवाली होती है।
स्वादु + औषधम् = स्वाद्वौषधम्।
कदाचित् स्वाद्वौषधमपि गदहारी भवति = कभी कभी मीठी दवाई भी रोगों को दूर करनेवाली होती है।
पातु एतम् + पात्वेतम्।
पात्वेतम् आत्मानं दुर्गुणैः = इस आत्मा की दुर्गुणों से रक्षा करो।
साधु + आलेखयति = साध्वालेखयति।
चित्रकथः रामं साध्वालेखयति = उत्तम कथाकार राम का अच्छा चित्रण करता है।
भर्त्तृ + एकमना = भर्त्रेकमना।
भर्त्रेकमना भार्या भवेत् = पति के समान मन वाली पत्नी होनी चाहिए।
पितृ + अर्थम् = पित्रर्थम्।
पित्रर्थं पुत्रः पिष्टान्नं पैषयत् = पिता के लिए पुत्र ने पंजीरी भेजी।
लृ + इति = लिति।
वत्स ! लित्यालेखयत्वत्र = बेटे ! ‘लृ’ ऐसा यहां लिखो।
#vakyabhyas
वाचा वदामि मधुमत् = वाणी से मैं मीठा बोलूं।
स्वेन क्रतुना संवदेत = (व्यक्ति) अपने कर्म से बोले।
क्रतुना ब्रवीतु = कर्म (आचरण) से बोलो।
विमानेन दिवं विगाहते = विमान से आकाश में घूम रहा है।
यत्नेन सिद्ध्यन्ति कामाः = पुरुषार्थ से कामनाएं पूर्ण होती हैं।
धर्मेण एधते नित्यम् = धर्म से (व्यक्ति) नित्य ही वृद्धि को प्राप्त होता है।
हविषा हूताशनो वर्धते = हवी से अग्नि बढ़ती है।
पुरुषार्थेन कार्याणि सिद्ध्यन्ति, न मनोरथैः = मेहनत से कार्यों की सिद्धि होती है न कि ख्याली पुलाव पकाने से।
सप्तभिः अश्वैः सविता संचरति सदा = सूर्य सदा सात घोड़ों से चलता है।
धनलोलुपः जलेन दुग्धं वर्धयति = धन का लोभी पानी से दूध बढ़ा रहा है।
अन्नेन भूतानि जीवन्ति = अन्न से प्राणी जीते हैं।
प्राणैः प्राणिनः प्राणन्ति = प्राणों से प्राणी जीते हैं।
भद्रं कर्णेभिः शृणुयाम = हम कानों से कल्याणकारी बातें सुनें।
भद्रं पश्येम अक्षभिः = आंखों से हम भला देखें।
माम् अद्य मेधया मेधाविनं कुरु = मुझे आज ही मेधा बुद्धि से मेधावी करो।
अस्मान् प्रजया, पशुभिः, ब्रह्मवर्चसेन, अन्नाद्येन समेधय = हमें प्रजा से, पशु (धन-सम्पत्ति) से, ब्रह्मतेज से, अन्न (भोग्य पदार्थों) से तथा अद्य (भोग सामर्थ्य) से अच्छी तरह बढ़ा।
आयुः यज्ञेन कल्पन्ताम् = आयु को यज्ञ से सम्पादित करो।
दीपेन दीपं दीप्येत् = दीपक से दीपक जलाना चाहिए।
यण् सन्धिः
इको यण् अचि। इक् = इ, ई, उ, ऊ, ऋ, ॠ, लृ, के बाद अच् = अ आ… आदि स्वर हो तो इ एवं ई को य्, उ एवं ऊ को व्, ऋ तथा ॠ को र् तथा लृ को ल् हो जाता है।
इ / ई + अच् (इ, ई को छोड़ कर) = इ / ई को य्
उ / ऊ + अच् (उ, ऊ को छोड़ कर) = उ / ऊ को व्
ऋ / ॠ + अच् (ऋ, ॠ को छोड़ कर) = ऋ / ॠ को र
लृ + अच् = लृ को ल्
दधि + अशान = दध्यशान।
तिष्ठतु दध्यशान त्वं शाकेन = दही रहने दे, तू शाक से खा ले।
दधि + ओदनम् = दध्योदनम्।
दध्योदनं रुच्या खादति बालः = बालक दही-चावल रुची से खाता है।
अभि + आवहति = अभ्यावहति।
अभ्यावहति कल्याणं विविधं वाक् सुभाषिता = सुभाषित वाणी विविध प्रकार के कल्याण / सुखों को प्राप्त कराती है।
हि + एव = ह्येव।
आत्मा ह्येवात्मनो बन्धुः = आत्मा का भाई आत्मा खुद ही है।
नदी + अस्मान् = नद्यस्मान्।
नद्यस्मान् जलेन तृप्यति = नदी हमको जल से तृप्त करती है।
इति + उवाच = इत्युवाच।
वनं गमिष्यामि इत्युवाच रामः प्रहसन् = राम ने हंसते हुए वन में जाऊंगा ऐसा कहा।
अन्तेवासिनी + ऋग्वेदम् = अन्तेवासिन्यृग्वेदम्।
अन्तेवासिन्यृग्वेदं रटति = छात्रा ऋग्वेद रट रही है।
अन्तेषु + अपि = अन्तेष्वपि।
अन्तेष्वपि जातो वृत्तेन विशेष्यते = निम्नकुल में उत्पन्न होने पर भी आचरण से विशेष हो जाता है।
कटु + अपि = कट्वपि।
कट्वपि भेषजं गदहारी = कड़वी होने पर भी दवाई रोग दूर करनेवाली होती है।
स्वादु + औषधम् = स्वाद्वौषधम्।
कदाचित् स्वाद्वौषधमपि गदहारी भवति = कभी कभी मीठी दवाई भी रोगों को दूर करनेवाली होती है।
पातु एतम् + पात्वेतम्।
पात्वेतम् आत्मानं दुर्गुणैः = इस आत्मा की दुर्गुणों से रक्षा करो।
साधु + आलेखयति = साध्वालेखयति।
चित्रकथः रामं साध्वालेखयति = उत्तम कथाकार राम का अच्छा चित्रण करता है।
भर्त्तृ + एकमना = भर्त्रेकमना।
भर्त्रेकमना भार्या भवेत् = पति के समान मन वाली पत्नी होनी चाहिए।
पितृ + अर्थम् = पित्रर्थम्।
पित्रर्थं पुत्रः पिष्टान्नं पैषयत् = पिता के लिए पुत्र ने पंजीरी भेजी।
लृ + इति = लिति।
वत्स ! लित्यालेखयत्वत्र = बेटे ! ‘लृ’ ऐसा यहां लिखो।
#vakyabhyas
January 22, 2022
January 22, 2022
January 22, 2022
सङ्क्षेपरामायणम्
(महर्षिवाल्मीकिप्रणीत-रामायण-बालकाण्ड-प्रथमसर्ग-रूपम्)
मूलश्लोकः-89
नन्दिग्रामे जटां हित्वा भ्रातृभि: सहितोऽनघ:।
राम: सीतामनुप्राप्य राज्यं पुनरवाप्तवान्।।89।।
श्लोकान्वयः -
अनघ: राम: भ्रातृभि: सहित: नन्दिग्रामे जटां हित्वा
सीताम् अनुप्राप्य राज्यं पुन: अवाप्तवान्।।89।।
हिन्दी-अनुवाद -
निष्पाप राम अपने अनुज भरतादि के सहित नन्दिग्राम में जटा का शोधन करके
सीता को साथ बैठाकर फिर अयोध्या राज्य को प्राप्त किया जिसे पहले पिता के वचन से त्याग दिया था।।89।।
English Meaning
अनघ: sinless, राम: Rama, नन्दिग्रामे in Nandigrama, भ्रातृभि: सहित: along with his brothers,
जटाम् matted lock, हित्वा shedding, सीताम् Sita, अनुप्राप्य having regained, राज्यम् kingdom, पुन: again, अवाप्तवान् got (back).
At Nandigrama sinless Rama arrived, met his brothers. They shed their matted locks. With Sita restored he regained his kingdom.
#SankshepaRamayanam
(महर्षिवाल्मीकिप्रणीत-रामायण-बालकाण्ड-प्रथमसर्ग-रूपम्)
मूलश्लोकः-89
नन्दिग्रामे जटां हित्वा भ्रातृभि: सहितोऽनघ:।
राम: सीतामनुप्राप्य राज्यं पुनरवाप्तवान्।।89।।
श्लोकान्वयः -
अनघ: राम: भ्रातृभि: सहित: नन्दिग्रामे जटां हित्वा
सीताम् अनुप्राप्य राज्यं पुन: अवाप्तवान्।।89।।
हिन्दी-अनुवाद -
निष्पाप राम अपने अनुज भरतादि के सहित नन्दिग्राम में जटा का शोधन करके
सीता को साथ बैठाकर फिर अयोध्या राज्य को प्राप्त किया जिसे पहले पिता के वचन से त्याग दिया था।।89।।
English Meaning
अनघ: sinless, राम: Rama, नन्दिग्रामे in Nandigrama, भ्रातृभि: सहित: along with his brothers,
जटाम् matted lock, हित्वा shedding, सीताम् Sita, अनुप्राप्य having regained, राज्यम् kingdom, पुन: again, अवाप्तवान् got (back).
At Nandigrama sinless Rama arrived, met his brothers. They shed their matted locks. With Sita restored he regained his kingdom.
#SankshepaRamayanam
January 22, 2022
@samskrt_samvadah संलापशाला - A Samskrit Voicechat room.
Duration : 30 minutes only
Time : IST 11:00 AM 🕚
Topic : Subhash chandra bose.
(सुभाषचंद्रः बोसः/पराक्रमदिवसः)
Date : 23rd January 2022,
Sunday.
Please Join the voicechat on time.
😇 Please come prepared to discuss (सुभाषचंद्रबोसस्य जीवनपरिचयं, जीवनघटनां, प्रेरकप्रसङ्गं वा वदन्तु।)in Sanskrit , If possible.
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Topic : Subhash chandra bose.
(सुभाषचंद्रः बोसः/पराक्रमदिवसः)
Date : 23rd January 2022,
Sunday.
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January 22, 2022
January 22, 2022
🍃
♦️j~naanaM te'haM savij~naanamidaM vakShyaamyasheShataH|
yajj~naatvaa neha bhuuyo'nyajj~naatavyamavashiShyate7.2
⚜7.2 I shall declare to thee in full this knowledge combined with realisation, after knowing which nothing more here remains to be known.
⚜।।7.2।। मैं तुम्हारे लिए विज्ञान सहित इस ज्ञान को अशेष रूप से कहूँगा जिसको जानकर यहाँ (जगत् में) फिर और कुछ जानने योग्य (ज्ञातव्य) शेष नहीं रह जाता है।।
#geeta
ज्ञानं तेऽहं सविज्ञानमिदं वक्ष्याम्यशेषतः।
यज्ज्ञात्वा नेह भूयोऽन्यज्ज्ञातव्यमवशिष्यते
।।7.2।। ♦️j~naanaM te'haM savij~naanamidaM vakShyaamyasheShataH|
yajj~naatvaa neha bhuuyo'nyajj~naatavyamavashiShyate
⚜7.2 I shall declare to thee in full this knowledge combined with realisation, after knowing which nothing more here remains to be known.
⚜।।7.2।। मैं तुम्हारे लिए विज्ञान सहित इस ज्ञान को अशेष रूप से कहूँगा जिसको जानकर यहाँ (जगत् में) फिर और कुछ जानने योग्य (ज्ञातव्य) शेष नहीं रह जाता है।।
#geeta
January 22, 2022
Forwarded from रामदूतः — The Sanskrit News Platform
🚩जय सत्य सनातन🚩
🚩आज की हिंदी तिथि
🌥️ 🚩युगाब्द-५१२३
🌥️ 🚩विक्रम संवत-२०७८
⛅ 🚩तिथि - पंचमी सुबह ०९:१२ तक तत्पश्चात षष्ठी
⛅ दिनांक - २३ जनवरी २०२२
⛅ दिन - रविवार
⛅ शक संवत -१९४३
⛅ अयन - उत्तरायण
⛅ ऋतु - शिशिर
⛅ मास - माघ
⛅ पक्ष - कृष्ण
⛅ नक्षत्र - उत्तराफाल्गुनी सुबह ११:०९ तक तत्पश्चात हस्त
⛅ योग - अतिगण्ड दोपहर १२:५० तक तत्पश्चात सुकर्मा
⛅ राहुकाल - शाम ०५:०० से शाम ०६:२३ तक
⛅ सूर्योदय - ०७:१९
⛅ सूर्यास्त - १८:२१
⛅ दिशाशूल - पश्चिम दिशा में
🚩आज की हिंदी तिथि
🌥️ 🚩युगाब्द-५१२३
🌥️ 🚩विक्रम संवत-२०७८
⛅ 🚩तिथि - पंचमी सुबह ०९:१२ तक तत्पश्चात षष्ठी
⛅ दिनांक - २३ जनवरी २०२२
⛅ दिन - रविवार
⛅ शक संवत -१९४३
⛅ अयन - उत्तरायण
⛅ ऋतु - शिशिर
⛅ मास - माघ
⛅ पक्ष - कृष्ण
⛅ नक्षत्र - उत्तराफाल्गुनी सुबह ११:०९ तक तत्पश्चात हस्त
⛅ योग - अतिगण्ड दोपहर १२:५० तक तत्पश्चात सुकर्मा
⛅ राहुकाल - शाम ०५:०० से शाम ०६:२३ तक
⛅ सूर्योदय - ०७:१९
⛅ सूर्यास्त - १८:२१
⛅ दिशाशूल - पश्चिम दिशा में
January 22, 2022
January 22, 2022
🍃
♦️manuShyaaNaaM sahasreShu kash्ichadyatati siddhaye|
yatataamapi siddhaanaaM kash्ichanmaaM vetti tattvataH7.3
⚜7.3 Among thousands of men, one perchance strives for perfection; even among those successful strivers, only one perchance knows Me in essence.
⚜।।7.3।। सहस्रों मनुष्यों में कोई ही मनुष्य पूर्णत्व की सिद्धि के लिए प्रयत्न करता है और उन प्रयत्नशील साधकों में भी कोई ही पुरुष मुझे तत्त्व से जानता है।।
#geeta
मनुष्याणां सहस्रेषु कश्िचद्यतति सिद्धये।
यततामपि सिद्धानां कश्िचन्मां वेत्ति तत्त्वतः
।।7.3।। ♦️manuShyaaNaaM sahasreShu kash्ichadyatati siddhaye|
yatataamapi siddhaanaaM kash्ichanmaaM vetti tattvataH
⚜7.3 Among thousands of men, one perchance strives for perfection; even among those successful strivers, only one perchance knows Me in essence.
⚜।।7.3।। सहस्रों मनुष्यों में कोई ही मनुष्य पूर्णत्व की सिद्धि के लिए प्रयत्न करता है और उन प्रयत्नशील साधकों में भी कोई ही पुरुष मुझे तत्त्व से जानता है।।
#geeta
January 22, 2022
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Topic : Subhash chandra bose.
(सुभाषचंद्रः बोसः/पराक्रमदिवसः)
Date : 23rd January 2022,
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(सुभाषचंद्रः बोसः/पराक्रमदिवसः)
Date : 23rd January 2022,
Sunday.
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😇 Please come prepared to discuss (सुभाषचंद्रबोसस्य जीवनपरिचयं, जीवनघटनां, प्रेरकप्रसङ्गं वा वदन्तु।)in Sanskrit , If possible.
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January 22, 2022
January 22, 2022
Forwarded from रामदूतः — The Sanskrit News Platform
https://youtu.be/B3ciF7w5_Qw
Switch to DD News daily at 7:15 AM (Morning) for 15 minutes Sanskrit news.
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YouTube
VAARTA : Prime Minister Narendra Modi to unveil hologram statue of Netaji Subhash Chandra Bose
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DD News is India’s 24x7 news channel from the stable of the country’s Public Service Broadcaster, Prasar Bharati. It has the distinction of being India’s only…
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January 22, 2022
Forwarded from रामदूतः — The Sanskrit News Platform
Weekly Sanskrit Magazine Vaartavali | 22 .01. 2022 - YouTube
https://m.youtube.com/watch?v=YfZojZrki7I
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YouTube
Weekly Sanskrit Magazine Vaartavali | 22 .01. 2022
January 22, 2022
रामायणस्य भाषा
Course Description
Enjoy Samskrit – the Language of Ramayana
• Selected 101 slokas from Ayodhyaa-khaanda of Ramayana-kavya are explained.
• Total videos = 100; Totalviewing time : 14:40 hours.
• Course Fee INR.500
Course Requirements :
• Knowledge on Samskrit Grammar (similar to level 3 of SSP series).
• Linguistic analysis of the sloka is provided to facilitate the learner to enjoy Kavya on their own terms.
Target Audience :
• Students, BA, MA students of Samskrit, others interested to study kavyas.
• These courses are prepared considering that the learner is 16+.
Course Instructions :
1. You can learn yourself and enjoy the text.
2. Text Book and Video shall be referred as per your convenience.
3. Please use CHAT or WhatsApp or email to put your doubts & questions to a teacher. Please communicate with instructors or teachers in Samskrit.
4. This course supports your interest to learn subject text and gives all linguistic help required. Please pursue & master Samskrit. No test or certificate is provided for this level.
Enrol here https://learnsamskrit.online/course_details?name/=NDcxMTIxNjM5MTM2MQ==
Duration 4 Months
Lectures 100
Quizzes 0
Level Mid-level
Students 135
Language Samskrit
#SanskritEducation
Course Description
Enjoy Samskrit – the Language of Ramayana
• Selected 101 slokas from Ayodhyaa-khaanda of Ramayana-kavya are explained.
• Total videos = 100; Totalviewing time : 14:40 hours.
• Course Fee INR.500
Course Requirements :
• Knowledge on Samskrit Grammar (similar to level 3 of SSP series).
• Linguistic analysis of the sloka is provided to facilitate the learner to enjoy Kavya on their own terms.
Target Audience :
• Students, BA, MA students of Samskrit, others interested to study kavyas.
• These courses are prepared considering that the learner is 16+.
Course Instructions :
1. You can learn yourself and enjoy the text.
2. Text Book and Video shall be referred as per your convenience.
3. Please use CHAT or WhatsApp or email to put your doubts & questions to a teacher. Please communicate with instructors or teachers in Samskrit.
4. This course supports your interest to learn subject text and gives all linguistic help required. Please pursue & master Samskrit. No test or certificate is provided for this level.
Enrol here https://learnsamskrit.online/course_details?name/=NDcxMTIxNjM5MTM2MQ==
Duration 4 Months
Lectures 100
Quizzes 0
Level Mid-level
Students 135
Language Samskrit
#SanskritEducation
January 22, 2022
January 22, 2022
January 22, 2022
January 22, 2022
सुभाषवर्यस्य 1887तमे वर्षे ____ _________ ।
Anonymous Quiz
24%
जन्मं अभवत्
36%
जन्मः अभवत्
34%
जन्म अभवत्
6%
जन्म लब्धवान्
January 23, 2022
संस्कृत संवादः । Sanskrit Samvadah
क्षमया
किं न साध्यते ? = क्षमा से क्या प्राप्त नहीं होता ? वाचा वदामि मधुमत् =
वाणी से मैं मीठा बोलूं। स्वेन क्रतुना संवदेत = (व्यक्ति) अपने कर्म से
बोले। क्रतुना ब्रवीतु = कर्म (आचरण) से बोलो। विमानेन दिवं विगाहते =
विमान से आकाश में घूम रहा है। यत्नेन सिद्ध्यन्ति…
संस्कृतं वद आधुनिको भव।
वेदान् पठ वैज्ञानिको भव।।
पाठ : (१०) तृतीया विभक्ति (२)
{कर्मवाच्य (पॅसिव्ह व्हाइस) में कर्त्ता में तृतीया विभक्ति, कर्म में प्रथमा विभक्ति तथा क्रिया कर्म के अनुसार व आत्मनेपद में होती है।}
रामः ब्राह्मणग्रन्थान् पठति = राम ब्राह्मणग्रन्थ पढ़ता है।
रामेण ब्राह्मणग्रन्थाः पठ्यन्ते = राम के द्वारा ब्राह्मणग्रन्थ पढ़े जा रहे हैं।
वत्सला व्याकरणं पठतु = वत्सला व्याकरणं पढ़े।
वत्सलया व्याकरणं पठ्यताम् = वत्सला के द्वारा व्याकरण पढ़ा जाना चाहिए।
विद्या वेदं पठेत् = विद्या वेद पढ़े।
विद्यया वेदः पठ्येत = विद्या के द्वारा वेद पढ़ा जाए।
रमा रामायणम् अपठत् = रमा ने रामायण पढ़ी।
रमया रामायणम् अपठ्यत = रमा के द्वारा रामायण पढ़ी गई।
माधुरी महाभारतं पठिष्यति = माधुरी महाभारत पढ़ेगी।
माधुर्या महाभारतं पठिष्यते = माधुरी के द्वारा महाभारत पढ़ा जाएगा।
गौरी गीताम् अपाठीत् = गौरी ने गीता पढ़ी।
गौर्या गीता अपाठि = गौरी के द्वारा गीता पढ़ी गई।
गार्गी समग्रं वैदिकवाङ्मयं पपाठ = गार्गी ने समग्र वैदिक वाङ्मय को पढ़ा था।
गार्ग्या समग्रं वैदिकवाङ्मयं पपाठे = गार्गी के द्वारा समग्र वैदिक वाङ्मय पढ़ा गया था।
शृण्वन्तु धर्मसर्वस्वं सर्वे = सभी धर्म के सार को सुनें।
श्रूयतां र्ध्मसर्वस्वं सर्वैः = सब के द्वारा धर्म का सार सुना जाए।
विद्यार्थिन्यः आचार्यां सेविष्यन्ते = छात्राएं आचार्या की सेवा करेंगी।
विद्यार्थिनीभिः आचार्या सेविष्यते = छात्राओं के द्वारा आचार्या की सेवा की जाएगी।
विद्या किं किं न साधयति ? = विद्या क्या प्राप्त नहीं करवाती ?
विद्यया किं किं न साध्यते ? = विद्या के द्वारा क्या प्राप्त नहीं किया जाता ?
विद्या अस्मान् रक्षति = विद्या हमारी रक्षा करती है।
विद्यया वयं रक्ष्यामहे = विद्या के द्वारा हमारी रक्षा की जाती है।
दूरवाणी सर्वान् अहर्निशं सेवते = दूरवाणी सबकी दिन-रात सेवा करती है।
दूरवाण्या सर्वे अहर्निशं सेव्यन्ते = दूरवाणी के द्वारा सबकी दिन-रात सेवा की जा रही है।
विद्या लक्ष्मीं कीर्तिं च वितनोति = विद्या लक्ष्मी (धन) तथा कीर्ति का विस्तार करती है।
विद्यया लक्ष्मी कीर्तिः च वितन्यते = विद्या के द्वारा लक्ष्मी तथा कीर्ति का विस्तार किया जाता है।
वयं सदा धर्मं चरेयम् = हम सदा धर्म का आचरण करें।
अस्माभिः सदा धर्मः चर्येत = हमारे द्वारा सदा धर्म का आचरण होवे।
रोगाः दहन्ति देहम् = रोग शरीर को तपा रहे हैं।
रोगैः दह्यते देहः = रोगों के द्वारा काया तपायी जा रही है।
गावो विप्राश्च वेदाश्च सत्यः सत्यवादिनः अलुब्धाः दानशूराश्च सप्त धारयन्ति महीम् = गऊएं, विद्वान्, वेद, सती-स्त्रि सि्त्रयां, सत्यवादी लोग, अलोभी तथा दानवीर ये सात पृथ्वी को धारण करते हैं।
गोभिर्विप्रैश्च वेदैश्च सतीभिः सत्यवादिभिः।
अलुब्धैर्दानशूरैश्च सप्तभिर्धार्यते मही।। = गाय, विद्वान्, वेद, सती स्त्रि सि्त्रयां, सत्यवादी जन, अलोभी, तथा दानवीर इन सातों के द्वारा पृथ्वी को धारण किया जा रहा है।
भुजङ्पयःपानं विषं वर्धयति = सर्प को दूध पिलाना जहर को बढ़ावा देना है।
भुजङ्पयःपानेन विषं वर्ध्यते = सांप को दूध पिलाया जाने से विष को बढ़ावा मिलता है।
#vakyabhyas
वेदान् पठ वैज्ञानिको भव।।
पाठ : (१०) तृतीया विभक्ति (२)
{कर्मवाच्य (पॅसिव्ह व्हाइस) में कर्त्ता में तृतीया विभक्ति, कर्म में प्रथमा विभक्ति तथा क्रिया कर्म के अनुसार व आत्मनेपद में होती है।}
रामः ब्राह्मणग्रन्थान् पठति = राम ब्राह्मणग्रन्थ पढ़ता है।
रामेण ब्राह्मणग्रन्थाः पठ्यन्ते = राम के द्वारा ब्राह्मणग्रन्थ पढ़े जा रहे हैं।
वत्सला व्याकरणं पठतु = वत्सला व्याकरणं पढ़े।
वत्सलया व्याकरणं पठ्यताम् = वत्सला के द्वारा व्याकरण पढ़ा जाना चाहिए।
विद्या वेदं पठेत् = विद्या वेद पढ़े।
विद्यया वेदः पठ्येत = विद्या के द्वारा वेद पढ़ा जाए।
रमा रामायणम् अपठत् = रमा ने रामायण पढ़ी।
रमया रामायणम् अपठ्यत = रमा के द्वारा रामायण पढ़ी गई।
माधुरी महाभारतं पठिष्यति = माधुरी महाभारत पढ़ेगी।
माधुर्या महाभारतं पठिष्यते = माधुरी के द्वारा महाभारत पढ़ा जाएगा।
गौरी गीताम् अपाठीत् = गौरी ने गीता पढ़ी।
गौर्या गीता अपाठि = गौरी के द्वारा गीता पढ़ी गई।
गार्गी समग्रं वैदिकवाङ्मयं पपाठ = गार्गी ने समग्र वैदिक वाङ्मय को पढ़ा था।
गार्ग्या समग्रं वैदिकवाङ्मयं पपाठे = गार्गी के द्वारा समग्र वैदिक वाङ्मय पढ़ा गया था।
शृण्वन्तु धर्मसर्वस्वं सर्वे = सभी धर्म के सार को सुनें।
श्रूयतां र्ध्मसर्वस्वं सर्वैः = सब के द्वारा धर्म का सार सुना जाए।
विद्यार्थिन्यः आचार्यां सेविष्यन्ते = छात्राएं आचार्या की सेवा करेंगी।
विद्यार्थिनीभिः आचार्या सेविष्यते = छात्राओं के द्वारा आचार्या की सेवा की जाएगी।
विद्या किं किं न साधयति ? = विद्या क्या प्राप्त नहीं करवाती ?
विद्यया किं किं न साध्यते ? = विद्या के द्वारा क्या प्राप्त नहीं किया जाता ?
विद्या अस्मान् रक्षति = विद्या हमारी रक्षा करती है।
विद्यया वयं रक्ष्यामहे = विद्या के द्वारा हमारी रक्षा की जाती है।
दूरवाणी सर्वान् अहर्निशं सेवते = दूरवाणी सबकी दिन-रात सेवा करती है।
दूरवाण्या सर्वे अहर्निशं सेव्यन्ते = दूरवाणी के द्वारा सबकी दिन-रात सेवा की जा रही है।
विद्या लक्ष्मीं कीर्तिं च वितनोति = विद्या लक्ष्मी (धन) तथा कीर्ति का विस्तार करती है।
विद्यया लक्ष्मी कीर्तिः च वितन्यते = विद्या के द्वारा लक्ष्मी तथा कीर्ति का विस्तार किया जाता है।
वयं सदा धर्मं चरेयम् = हम सदा धर्म का आचरण करें।
अस्माभिः सदा धर्मः चर्येत = हमारे द्वारा सदा धर्म का आचरण होवे।
रोगाः दहन्ति देहम् = रोग शरीर को तपा रहे हैं।
रोगैः दह्यते देहः = रोगों के द्वारा काया तपायी जा रही है।
गावो विप्राश्च वेदाश्च सत्यः सत्यवादिनः अलुब्धाः दानशूराश्च सप्त धारयन्ति महीम् = गऊएं, विद्वान्, वेद, सती-स्त्रि सि्त्रयां, सत्यवादी लोग, अलोभी तथा दानवीर ये सात पृथ्वी को धारण करते हैं।
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January 23, 2022
Forwarded from संस्कृत संवादः । Sanskrit Samvadah (Bhavani Raman)
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रामदूतः — The Sanskrit News Platform
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January 23, 2022
January 23, 2022
January 23, 2022
सङ्क्षेपरामायणम्
(महर्षिवाल्मीकिप्रणीत-रामायण-बालकाण्ड-प्रथमसर्ग-रूपम्)
मूलश्लोकः-90
प्रहृष्टमुदितो लोकस्तुष्ट: पुष्ट: सुधार्मिक:।
निरामयो ह्यरोगश्च दुर्भिक्षभयवर्जित:।। 90।।
श्लोकान्वयः -
लोक: हि (राज्यम् अधिरूढे रामे) प्रहृष्टमुदित: तुष्ट: पुष्ट: सुधार्मिक:
निरामय: अरोग: दुर्भिक्षभयवर्जित: च भविष्यति।।90।।
हिन्दी-अनुवाद -
राम के राज्याधिरूढ हो जाने पर समस्त प्रजा जन आनन्द से रोमाञ्चित प्रसन्न सन्तुष्ट सर्वथा पुष्ट तथा सुधार्मिक
सर्वरोगमुक्त एवं अकालादि पीड़ा रहित रहेंगें।।90।।
English Meaning
लोक: entire world, प्रहृष्टमुदित: rejoiced with happiness, तुष्ट: contended (because of fulfillment of their desire), पुष्ट: grown in strength because of happiness, सुधार्मिक: with righteousness, निरामय: without sufferings or agonies, अरोग: without diseases, दुर्भिक्षभयवर्जित: च and without fear of famine.
The entire world rejoiced with happiness with their desire fulfilled they were content. All people were following the path of righteousness. There was no fear of sufferings or agonies, diseases or famine.
#SankshepaRamayanam
(महर्षिवाल्मीकिप्रणीत-रामायण-बालकाण्ड-प्रथमसर्ग-रूपम्)
मूलश्लोकः-90
प्रहृष्टमुदितो लोकस्तुष्ट: पुष्ट: सुधार्मिक:।
निरामयो ह्यरोगश्च दुर्भिक्षभयवर्जित:।। 90।।
श्लोकान्वयः -
लोक: हि (राज्यम् अधिरूढे रामे) प्रहृष्टमुदित: तुष्ट: पुष्ट: सुधार्मिक:
निरामय: अरोग: दुर्भिक्षभयवर्जित: च भविष्यति।।90।।
हिन्दी-अनुवाद -
राम के राज्याधिरूढ हो जाने पर समस्त प्रजा जन आनन्द से रोमाञ्चित प्रसन्न सन्तुष्ट सर्वथा पुष्ट तथा सुधार्मिक
सर्वरोगमुक्त एवं अकालादि पीड़ा रहित रहेंगें।।90।।
English Meaning
लोक: entire world, प्रहृष्टमुदित: rejoiced with happiness, तुष्ट: contended (because of fulfillment of their desire), पुष्ट: grown in strength because of happiness, सुधार्मिक: with righteousness, निरामय: without sufferings or agonies, अरोग: without diseases, दुर्भिक्षभयवर्जित: च and without fear of famine.
The entire world rejoiced with happiness with their desire fulfilled they were content. All people were following the path of righteousness. There was no fear of sufferings or agonies, diseases or famine.
#SankshepaRamayanam
January 23, 2022
@samskrt_samvadah संलापशाला - A Samskrit Voicechat room.
Duration : 30 minutes only
Time : IST 11:00 AM 🕚
Topic : वाक्याभ्यासः
Date : 24th January 2022,
Monday.
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Topic : वाक्याभ्यासः
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January 23, 2022
January 23, 2022
🍃
♦️bhuumiraapo'nalo vaayuH khaM mano buddhireva cha|
aha~Nkaara itiiyaM me bhinnaa prakRRitiraShTadhaa7.4
⚜7.4 Earth, water, fire, air, ether, mind, intellect and egoism thus is My Nature divided eightfold.
⚜।।7.4।। पृथ्वी जल अग्नि वायु और आकाश तथा मन बुद्धि और अहंकार यह आठ प्रकार से विभक्त हुई मेरी प्रकृति है।।
#geeta
भूमिरापोऽनलो वायुः खं मनो बुद्धिरेव च।|
अहङ्कार इतीयं मे भिन्ना प्रकृतिरष्टधा
।।7.4।। ♦️bhuumiraapo'nalo vaayuH khaM mano buddhireva cha|
aha~Nkaara itiiyaM me bhinnaa prakRRitiraShTadhaa
⚜7.4 Earth, water, fire, air, ether, mind, intellect and egoism thus is My Nature divided eightfold.
⚜।।7.4।। पृथ्वी जल अग्नि वायु और आकाश तथा मन बुद्धि और अहंकार यह आठ प्रकार से विभक्त हुई मेरी प्रकृति है।।
#geeta
January 23, 2022
January 23, 2022
🍃
♦️apareyamitastvanyaaM prakRRitiM viddhi me paraam|
jiivabhuutaaM mahaabaaho yayedaM dhaaryate jagat7.5
⚜7.5 This is the inferior Prakriti, O mighty-armed (Arjuna); know thou as different from it My higher Prakriti (Nature), the very life-element, by which this world is upheld.
⚜।।7.5।। हे महाबाहो यह अपरा प्रकृति है। इससे भिन्न मेरी जीवरूपी पराप्रकृति को जानो जिससे यह जगत् धारण किया जाता है।।
#geeta
अपरेयमितस्त्वन्यां प्रकृतिं विद्धि मे पराम्।
जीवभूतां महाबाहो ययेदं धार्यते जगत्
।।7.5।। ♦️apareyamitastvanyaaM prakRRitiM viddhi me paraam|
jiivabhuutaaM mahaabaaho yayedaM dhaaryate jagat
⚜7.5 This is the inferior Prakriti, O mighty-armed (Arjuna); know thou as different from it My higher Prakriti (Nature), the very life-element, by which this world is upheld.
⚜।।7.5।। हे महाबाहो यह अपरा प्रकृति है। इससे भिन्न मेरी जीवरूपी पराप्रकृति को जानो जिससे यह जगत् धारण किया जाता है।।
#geeta
January 23, 2022
January 23, 2022
Forwarded from रामदूतः — The Sanskrit News Platform
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वार्ता: संस्कृत में समाचार | 24/1/2022
DD News is India’s
24x7 news channel from the stable of the country’s Public Service
Broadcaster, Prasar Bharati. It has the distinction of being India’s
only terrestrial cum satellite News Channel. Launched in 2003, DD News
has made a name for itself to…
January 23, 2022
@samskrt_samvadah संलापशाला - A Samskrit Voicechat room.
Duration : 30 minutes only
Time : IST 11:00 AM 🕚
Topic : वाक्याभ्यासः
Date : 24th January 2022,
Monday.
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Topic : वाक्याभ्यासः
Date : 24th January 2022,
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January 23, 2022
January 23, 2022
Forwarded from रामदूतः — The Sanskrit News Platform
🌞 ~ *आज का हिन्दू पंचांग* ~ 🌞
⛅ *दिनांक - 24 जनवरी 2022*
⛅ *दिन - सोमवार*
⛅ *विक्रम संवत - 2078*
⛅ *शक संवत -1943*
⛅ *अयन - उत्तरायण*
⛅ *ऋतु - शिशिर*
⛅ *मास - माघ (गुजरात एवं महाराष्ट्र के अनुसार - पौष)*
⛅ *पक्ष - कृष्ण*
⛅ *तिथि - षष्ठी सुबह 08:43 तक तत्पश्चात सप्तमी*
⛅ *नक्षत्र - हस्त सुबह 11:15 तक तत्पश्चात चित्रा*
⛅ *योग - सुकर्मा सुबह 11:12 तक तत्पश्चात धृति*
⛅ *राहुकाल - सुबह 08:41 से सुबह 10:04 तक*
⛅ *सूर्योदय - 07:19*
⛅ *सूर्यास्त - 18:22*
⛅ *दिशाशूल - पूर्व दिशा में*
⛅ *दिनांक - 24 जनवरी 2022*
⛅ *दिन - सोमवार*
⛅ *विक्रम संवत - 2078*
⛅ *शक संवत -1943*
⛅ *अयन - उत्तरायण*
⛅ *ऋतु - शिशिर*
⛅ *मास - माघ (गुजरात एवं महाराष्ट्र के अनुसार - पौष)*
⛅ *पक्ष - कृष्ण*
⛅ *तिथि - षष्ठी सुबह 08:43 तक तत्पश्चात सप्तमी*
⛅ *नक्षत्र - हस्त सुबह 11:15 तक तत्पश्चात चित्रा*
⛅ *योग - सुकर्मा सुबह 11:12 तक तत्पश्चात धृति*
⛅ *राहुकाल - सुबह 08:41 से सुबह 10:04 तक*
⛅ *सूर्योदय - 07:19*
⛅ *सूर्यास्त - 18:22*
⛅ *दिशाशूल - पूर्व दिशा में*
January 23, 2022
January 23, 2022
January 23, 2022
January 24, 2022
श्रीरामः ___________ _____________ ।
Anonymous Quiz
55%
हनुमन्तम् आलिङ्गति।
4%
हनुमान् आलङ्गति।
15%
हनुमते आलिङ्गति।
9%
हनुमतः आलिङ्गति।
17%
हनुमन्तं आलिङ्गति।
January 24, 2022
संस्कृत संवादः । Sanskrit Samvadah
संस्कृतं
वद आधुनिको भव। वेदान् पठ वैज्ञानिको भव।। पाठ : (१०) तृतीया विभक्ति (२)
{कर्मवाच्य (पॅसिव्ह व्हाइस) में कर्त्ता में तृतीया विभक्ति, कर्म में
प्रथमा विभक्ति तथा क्रिया कर्म के अनुसार व आत्मनेपद में होती है।} रामः
ब्राह्मणग्रन्थान् पठति = राम ब्राह्मणग्रन्थ…
कोऽपि आत्मानं न हन्ति = आत्मा को कोई भी नहीं मारता (मार सकता है)।
केनाऽपि आत्मा न हन्यते = किसी के भी द्वारा आत्मा नहीं मारा जाता (मारा नहीं जा सकता)।
नित्यम् अग्निहोत्रं जुहुयाद् अतन्द्रितः = आलस्य रहित होकर व्यक्ति को नित्य हवन करना चाहिए।
नित्यम् अग्निहोत्रं हूयेत अतन्द्रितेन = पुरुषार्थी (= अनालसी) के द्वारा नित्य ही हवन किया जाए।
क्षुधिताः बालाः मातरं पर्युपासते = भूखे बच्चे अपने मां के इर्द-गिर्द मंडराते हैं।
क्षुधितैः बालैः माता पर्युपास्यते = भूखे बच्चों के द्वारा माता के चक्कर काटा जाता है।
सर्वाणि भूतानि अग्निहोत्रम् उपास्यते = सब प्राणी अग्निहोत्र की उपासना करते हैं (= अर्थात् बिना अग्निहोत्र किसी भी प्राणी का गुजारा नहीं है)।
सर्वैः भूतैः अग्निहोत्रम् उपास्यते = सब प्राणियों के द्वारा अग्निहोत्र की उपासना की जाती है।
शिष्यः समित्पाणिः गुरुम् अभ्यागच्छेत् = शिष्य समर्पित भाव से गुरु के समीप जावे।
शिष्येण समित्पाणिना गुरुः अभ्यागम्येत = शिष्य के द्वारा समर्पित भाव से गुरु के समीप जाया जाना चाहिए।
आत्महनो जनाः अन्धन्तमः प्रविशन्ति = आत्मघाती लोग गहरे अन्धकार में प्रवेश करते हैं।
आत्महन्भिः जनैः अन्धन्तमः प्रविश्यते = आत्मघाती लोगों द्वारा गहरे अन्धकार में प्रवेश किया जाता है।
माता मथन्या मन्थं मन्थति = माता मथनी से मन्थ (मथा हुआ दही) को मथ रही है।
मात्रा मथन्या मन्थः मथ्यते = माता के द्वारा मथनी से मन्थ मथा जा रहा है।
खानकः खनित्रेण गर्तं खनति = खोदनेवाला फावड़े से गड्ढा खोद रहा है।
खानकेन खनित्रेण गर्तः खन्यते = खोदनवाले के द्वारा फावड़े से गड्ढा खोदा जा रहा है।
खनिता फाँकलेन यन्त्रेण खनिं खनिष्यति = खोदनेवाला बिजली यन्त्र से खान खोदेगा।
खनित्रा फाँकलेन यन्त्रेण खनिः खनिष्यते = खोदनेवाले के द्वारा बिजली यन्त्र से खान खोदी जाएगी।
बुभुक्षितैः व्याकरणं न भुज्यते, न पीयते काव्यरसः पिपासुभिः = भूखे लोगों से व्याकरण नहीं खाया जाता और न हि प्यासों से काव्यरस पीया जाता है।
केन ज्ञायते जनार्दनमनोवृत्तिः कदा कीदृशी ? = किससे यह जाना जा सकता है कि भगवान कब क्या करता है ?
श्रद्धया अग्निः समिध्यते, श्रद्धया हूयते हविः = श्रद्धा से संकल्पाग्नि जलाई जाती है, श्रद्धा से हविः = समर्पण किया जाता है।
त्वं दरिद्रान् प्रति दयां कुरु = तू कंगालों के प्रति दया कर।
त्वया दरिद्रान् प्रति दया क्रियताम् = तेरे द्वारा केगालों के प्रति दया की जानी चाहिए।
स मे समुन्नतिपथं सदैव प्रतिबध्नाति = वह मेरे उन्नतिपथ में सदा ही रोड़े अटकाता रहा है।
तेन मे समुन्नतिपथः सदैव प्रतिबध्यते = उसके द्वारा सदा मेरे उन्नतिपथ में बाधा डाली गई है।
तत् ब्रह्म केनापि द्वितीयः तृतीयः चतुर्थः पञ्चमः षष्ठः सप्तमः अष्टमः नवमः दशमःवा न उच्यते = वह ब्रह्म किसी के भी द्वारा दूसरा, तीसरा, चौथा, पांचवां, छठा, सातवां, आठवां, नौवां तथा दसवां नहीं कहा गया है।
#vakyabhyas
केनाऽपि आत्मा न हन्यते = किसी के भी द्वारा आत्मा नहीं मारा जाता (मारा नहीं जा सकता)।
नित्यम् अग्निहोत्रं जुहुयाद् अतन्द्रितः = आलस्य रहित होकर व्यक्ति को नित्य हवन करना चाहिए।
नित्यम् अग्निहोत्रं हूयेत अतन्द्रितेन = पुरुषार्थी (= अनालसी) के द्वारा नित्य ही हवन किया जाए।
क्षुधिताः बालाः मातरं पर्युपासते = भूखे बच्चे अपने मां के इर्द-गिर्द मंडराते हैं।
क्षुधितैः बालैः माता पर्युपास्यते = भूखे बच्चों के द्वारा माता के चक्कर काटा जाता है।
सर्वाणि भूतानि अग्निहोत्रम् उपास्यते = सब प्राणी अग्निहोत्र की उपासना करते हैं (= अर्थात् बिना अग्निहोत्र किसी भी प्राणी का गुजारा नहीं है)।
सर्वैः भूतैः अग्निहोत्रम् उपास्यते = सब प्राणियों के द्वारा अग्निहोत्र की उपासना की जाती है।
शिष्यः समित्पाणिः गुरुम् अभ्यागच्छेत् = शिष्य समर्पित भाव से गुरु के समीप जावे।
शिष्येण समित्पाणिना गुरुः अभ्यागम्येत = शिष्य के द्वारा समर्पित भाव से गुरु के समीप जाया जाना चाहिए।
आत्महनो जनाः अन्धन्तमः प्रविशन्ति = आत्मघाती लोग गहरे अन्धकार में प्रवेश करते हैं।
आत्महन्भिः जनैः अन्धन्तमः प्रविश्यते = आत्मघाती लोगों द्वारा गहरे अन्धकार में प्रवेश किया जाता है।
माता मथन्या मन्थं मन्थति = माता मथनी से मन्थ (मथा हुआ दही) को मथ रही है।
मात्रा मथन्या मन्थः मथ्यते = माता के द्वारा मथनी से मन्थ मथा जा रहा है।
खानकः खनित्रेण गर्तं खनति = खोदनेवाला फावड़े से गड्ढा खोद रहा है।
खानकेन खनित्रेण गर्तः खन्यते = खोदनवाले के द्वारा फावड़े से गड्ढा खोदा जा रहा है।
खनिता फाँकलेन यन्त्रेण खनिं खनिष्यति = खोदनेवाला बिजली यन्त्र से खान खोदेगा।
खनित्रा फाँकलेन यन्त्रेण खनिः खनिष्यते = खोदनेवाले के द्वारा बिजली यन्त्र से खान खोदी जाएगी।
बुभुक्षितैः व्याकरणं न भुज्यते, न पीयते काव्यरसः पिपासुभिः = भूखे लोगों से व्याकरण नहीं खाया जाता और न हि प्यासों से काव्यरस पीया जाता है।
केन ज्ञायते जनार्दनमनोवृत्तिः कदा कीदृशी ? = किससे यह जाना जा सकता है कि भगवान कब क्या करता है ?
श्रद्धया अग्निः समिध्यते, श्रद्धया हूयते हविः = श्रद्धा से संकल्पाग्नि जलाई जाती है, श्रद्धा से हविः = समर्पण किया जाता है।
त्वं दरिद्रान् प्रति दयां कुरु = तू कंगालों के प्रति दया कर।
त्वया दरिद्रान् प्रति दया क्रियताम् = तेरे द्वारा केगालों के प्रति दया की जानी चाहिए।
स मे समुन्नतिपथं सदैव प्रतिबध्नाति = वह मेरे उन्नतिपथ में सदा ही रोड़े अटकाता रहा है।
तेन मे समुन्नतिपथः सदैव प्रतिबध्यते = उसके द्वारा सदा मेरे उन्नतिपथ में बाधा डाली गई है।
तत् ब्रह्म केनापि द्वितीयः तृतीयः चतुर्थः पञ्चमः षष्ठः सप्तमः अष्टमः नवमः दशमःवा न उच्यते = वह ब्रह्म किसी के भी द्वारा दूसरा, तीसरा, चौथा, पांचवां, छठा, सातवां, आठवां, नौवां तथा दसवां नहीं कहा गया है।
#vakyabhyas
January 24, 2022
January 24, 2022
January 24, 2022
सङ्क्षेपरामायणम्
(महर्षिवाल्मीकिप्रणीत-रामायण-बालकाण्ड-प्रथमसर्ग-रूपम्)
मूलश्लोकः-91
न पुत्रमरणं केचिद् द्रक्ष्यन्ति पुरुषा: क्वचित्।
नार्यश्चाविधवा नित्यं भविष्यन्ति पतिव्रता:।।91।।
श्लोकान्वयः -
केचिद् (अपि) पुरुषा: क्वचित् पुत्रमरणं न द्रक्ष्यन्ति।
नार्य: नित्यम् अविधवा: पतिव्रता: च भविष्यन्ति।।91।।
हिन्दी-अनुवाद -
श्री राम के राज्य में कोई भी पिता अपनेे पुत्र का मरण नहीं देखेगा।
नारियाँ सदैव सौभाग्यशालिनी एवं पतिव्रता बनी रहेगीं ।।91।।
English Meaning
पुरुषा: men, क्वचित् any where, किञ्चित् even little, पुत्रमरणम् death of ones's own son, न द्रक्ष्यन्ति will not see, नार्यश्च women, अविधवा: will not be widowed, नित्यम् always, पतिव्रता: भविष्यन्ति will be devoted to their husbands.
During the period of Rama's rule, no where would men witness the death of their sons or women widowed. They would ever remain chaste and devoted to their husbands.
#SankshepaRamayanam
(महर्षिवाल्मीकिप्रणीत-रामायण-बालकाण्ड-प्रथमसर्ग-रूपम्)
मूलश्लोकः-91
न पुत्रमरणं केचिद् द्रक्ष्यन्ति पुरुषा: क्वचित्।
नार्यश्चाविधवा नित्यं भविष्यन्ति पतिव्रता:।।91।।
श्लोकान्वयः -
केचिद् (अपि) पुरुषा: क्वचित् पुत्रमरणं न द्रक्ष्यन्ति।
नार्य: नित्यम् अविधवा: पतिव्रता: च भविष्यन्ति।।91।।
हिन्दी-अनुवाद -
श्री राम के राज्य में कोई भी पिता अपनेे पुत्र का मरण नहीं देखेगा।
नारियाँ सदैव सौभाग्यशालिनी एवं पतिव्रता बनी रहेगीं ।।91।।
English Meaning
पुरुषा: men, क्वचित् any where, किञ्चित् even little, पुत्रमरणम् death of ones's own son, न द्रक्ष्यन्ति will not see, नार्यश्च women, अविधवा: will not be widowed, नित्यम् always, पतिव्रता: भविष्यन्ति will be devoted to their husbands.
During the period of Rama's rule, no where would men witness the death of their sons or women widowed. They would ever remain chaste and devoted to their husbands.
#SankshepaRamayanam
January 24, 2022
@samskrt_samvadah संलापशाला - A Samskrit Voicechat room.
Duration : 30 minutes only
Time : IST 11:00 AM 🕚
Topic : Our Constitution .
(अस्माकं संविधानम्)
Date : 25th January 2022,
Tuesday.
Please Join the voicechat on time.
😇 Please come prepared to discuss [भारतीयसंविधानस्य वैशिष्ट्यं किं, अधिकाराः के, कर्तव्यानि कानि इति।]in Sanskrit , If possible.
We are waiting for you.😇
Set a reminder.
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https://t.me/samskrt_samvadah?voicechat
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(अस्माकं संविधानम्)
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January 24, 2022
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🍃
♦️etadyoniini bhuutaani sarvaaNiityupadhaaraya|
ahaM kRRitsnasya jagataH prabhavaH pralayastathaa7.6
⚜7.6 Know that these two (Natures) are the womb of all beings. So I am the source and dissolution of the whole universe.
⚜।।7.6।। यह जानो कि समम्पूर्ण भूत इन दोनों प्रकृतियों से उत्पत्ति वाले हैं। (अत) मैं सम्पूर्ण जगत् का उत्पत्ति तथा प्रलय स्थान हूँ।।
#geeta
एतद्योनीनि भूतानि सर्वाणीत्युपधारय।
अहं कृत्स्नस्य जगतः प्रभवः प्रलयस्तथा
।।7.6।। ♦️etadyoniini bhuutaani sarvaaNiityupadhaaraya|
ahaM kRRitsnasya jagataH prabhavaH pralayastathaa
⚜7.6 Know that these two (Natures) are the womb of all beings. So I am the source and dissolution of the whole universe.
⚜।।7.6।। यह जानो कि समम्पूर्ण भूत इन दोनों प्रकृतियों से उत्पत्ति वाले हैं। (अत) मैं सम्पूर्ण जगत् का उत्पत्ति तथा प्रलय स्थान हूँ।।
#geeta
January 24, 2022
January 24, 2022
🍃
♦️mattaH parataraM naanyatki~nchidasti dhana~njaya|
mayi sarvamidaM protaM suutre maNigaNaa iva7.7
⚜7.7 There is nothing whatsoever higher than Me, O Arjuna. All this is strung on Me, as clusters of gems on a string.
⚜।।7.7।। हे धनंजय मुझसे श्रेष्ठ (परे) अन्य किचिन्मात्र वस्तु नहीं है। यह सम्पूर्ण जगत् सूत्र में मणियों के सदृश मुझमें पिरोया हुआ है।।
#geeta
मत्तः परतरं नान्यत्किञ्चिदस्ति धनञ्जय।
मयि सर्वमिदं प्रोतं सूत्रे मणिगणा इव
।।7.7।। ♦️mattaH parataraM naanyatki~nchidasti dhana~njaya|
mayi sarvamidaM protaM suutre maNigaNaa iva
⚜7.7 There is nothing whatsoever higher than Me, O Arjuna. All this is strung on Me, as clusters of gems on a string.
⚜।।7.7।। हे धनंजय मुझसे श्रेष्ठ (परे) अन्य किचिन्मात्र वस्तु नहीं है। यह सम्पूर्ण जगत् सूत्र में मणियों के सदृश मुझमें पिरोया हुआ है।।
#geeta
January 24, 2022
Forwarded from रामदूतः — The Sanskrit News Platform
🚩जय सत्य सनातन🚩
🚩आज की हिंदी तिथि
🌥️ 🚩युगाब्द-५१२३
🌥️ 🚩विक्रम संवत-२०७८
⛅ 🚩तिथि - सप्तमी सुबह ०७:४८ तक तत्पश्चात अष्टमी
⛅ दिनांक - २५ जनवरी २०२२
⛅ दिन - मंगलवार
⛅ शक संवत -१९४३
⛅ अयन - उत्तरायण
⛅ ऋतु - शिशिर
⛅ मास - माघ
⛅ पक्ष - कृष्ण
⛅ नक्षत्र - चित्रा सुबह १०:५५ तक तत्पश्चात स्वाती
⛅ योग - धृति सुबह ०९:१३ तक तत्पश्चात शूल
⛅ राहुकाल - शाम ०३:३८ से शाम ०५:०१ तक
⛅ सूर्योदय - ०७:१८
⛅ सूर्यास्त - १८:२३
⛅ दिशाशूल - उत्तर दिशा में
🚩आज की हिंदी तिथि
🌥️ 🚩युगाब्द-५१२३
🌥️ 🚩विक्रम संवत-२०७८
⛅ 🚩तिथि - सप्तमी सुबह ०७:४८ तक तत्पश्चात अष्टमी
⛅ दिनांक - २५ जनवरी २०२२
⛅ दिन - मंगलवार
⛅ शक संवत -१९४३
⛅ अयन - उत्तरायण
⛅ ऋतु - शिशिर
⛅ मास - माघ
⛅ पक्ष - कृष्ण
⛅ नक्षत्र - चित्रा सुबह १०:५५ तक तत्पश्चात स्वाती
⛅ योग - धृति सुबह ०९:१३ तक तत्पश्चात शूल
⛅ राहुकाल - शाम ०३:३८ से शाम ०५:०१ तक
⛅ सूर्योदय - ०७:१८
⛅ सूर्यास्त - १८:२३
⛅ दिशाशूल - उत्तर दिशा में
January 24, 2022
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January 24, 2022
January 24, 2022
Forwarded from रामदूतः — The Sanskrit News Platform
Switch to DD News daily at 7:15 AM (Morning) for 15 minutes Sanskrit news.
https://youtu.be/TsBUU9s1Ry0
https://youtu.be/TsBUU9s1Ry0
YouTube
वार्ता: संस्कृत में समाचार | पीएम मोदी आज गुजरात के भाजपा कार्यकर्ताओं से करेंगे संवाद
DD News is India’s
24x7 news channel from the stable of the country’s Public Service
Broadcaster, Prasar Bharati. It has the distinction of being India’s
only terrestrial cum satellite News Channel. Launched in 2003, DD News
has made a name for itself to…
January 24, 2022
January 24, 2022
January 24, 2022
January 25, 2022
आरक्षकः __________ ___________।
Anonymous Quiz
16%
दण्डेन मारयति।
73%
दण्डेन ताडयति।
8%
दण्डात् मारयति।
3%
दण्डात् ताडयति।
January 25, 2022
January 25, 2022
संस्कृत संवादः । Sanskrit Samvadah
कोऽपि
आत्मानं न हन्ति = आत्मा को कोई भी नहीं मारता (मार सकता है)। केनाऽपि
आत्मा न हन्यते = किसी के भी द्वारा आत्मा नहीं मारा जाता (मारा नहीं जा
सकता)। नित्यम् अग्निहोत्रं जुहुयाद् अतन्द्रितः = आलस्य रहित होकर
व्यक्ति को नित्य हवन करना चाहिए। नित्यम् अग्निहोत्रं…
प्रथमं हि प्रथमं तद् ब्रह्म सर्वैः उच्यते = सबसे पहला और अकेला वह ब्रह्म है ऐसा सभी के द्वारा कहा जा रहा है।
(कर्मवाच्य में द्विकर्मक धातुओं के प्रयोग)
गोपः गां दुग्धं (२/१) दोग्धि = गोपाल गाय का दूध दुहता है।
गोपेन गौः दुग्धं (२/१) दुह्यते = गोपाल के द्वारा गाय का दूध दुहा जा रहा है।
गोपेन गोः (५/१ अथवा ६/१) दुग्धं (१/१) दुह्यते = गोपाल के द्वारा गाय से / का दूध दुहा जा रहा है।
अपराधी नृपं क्षमां याचते = अपराधी राजा से क्षमा मांगता है।
अपराधिना नृपात् नृपस्य वा क्षमा याच्यते = अपराधी के द्वारा राजा से क्षमा मांगी जा रही है।
भिक्षुकः धनिकं भिक्षां भिक्षते = भिखारी सेठ से भीख मांग रहा है।
भिक्षुकेन धनिकात् धनिकस्य वा भिक्षा भिक्ष्यते = भिखारी के द्वारा सेठ से भीख मांगी जा रही है।
भ्रातृव्या माषान् वाष्पापूपान् पचति = भतीजी उड़द की इडली पका रही है।
भ्रातृव्यया माषेभ्यः माषाणां वा वाष्पापूपाः पच्यन्ते = भतीजी के द्वारा उड़द की इडली पकाई जा रही है।
नृपः दुर्जनं शतं दण्डयति = राजा दुष्ट को सौ रुपए का दण्ड देता है।
नृपेण दुर्जनः शतं (२/१) शतस्य वा दण्ड्यते = राजा के द्वारा दुष्ट को सौ रुपए का दण्ड दिया जा रहा है।
नृपेण दुर्जनं दुर्जनस्य वा शतं दण्ड्यते = राजा के द्वारा दुष्ट को सौ रुपए का दण्ड दिया जा रहा है।
अशोकः अजाम् अजिरम् अवरुणद्धि = अशोक बकरी को आंगन में रोकता है।
अशोकेन अजा अजिरम् अवरुध्यते = अशोक के द्वारा बकरी आंगन में रोकी जा रही है।
बालिका अध्यापिकां धर्मं पृच्छति = बच्ची अध्यापिका से धर्म के विषय में पूछ रही है।
बालिकया अध्यापिकायाः (५/१ अथवा ६/१) धर्मः पृच्छ्यते = बालिका के द्वारा अध्यापिका से धर्म के विषय में पूछा जा रहा है।
बालिकया अध्यापिका धर्मं धर्मस्य वा पृच्छ्यते = बालिका के द्वारा धर्म के विषय में अध्यापिका पूछी जा रही है।
लता लतां पुष्पाणि चिनोति = लता बेल से फूल चुन रही है।
लतया लतायाः (५/१ अथवा ६/१) पुष्पाणि चीयन्ते = लता के द्वारा बेल से / के फूल चुने जा रहे हैं।
पुत्रः पितरं सत्यं ब्रवीति = बेटा बाप को सच बताता है।
पुत्रेण पितुः (६/१) पितरं वा सत्यं (१/१) ब्रूयते = बेटे के द्वारा बाप को बताने के लिए सत्य बोला जा रहा है।
सुधीः साधकं साधनां शास्ति = विद्वान् साधक को साधना का उपदेश कर रहा है।
सुधिया साधकं साधकस्य वा साधना शिष्यते = विद्वान् के द्वारा साधक को साधना का उपदेश किया जा रहा है।
सुधिया साधकः साधनां साधनायाः वा शिष्यते = विद्वान् के द्वारा साधक को साधना का उपदेश किया जा रहा है।
श्यामः रामं शतं जयति = श्याम राम से सौ रुपए जीतता है।
श्यामेन रामात् रामस्य वा शतं जीयते = श्याम के द्वारा राम से सौ रुपए जीते जा रहे हैं।
श्यामेन रामः शतं शतस्य वा जीयते = श्याम के द्वारा सौ रुपए से राम जीता जा रहा है।
सुधीरः संसारसागरं सुधां मथ्नाति = सुधीर (=धीर व्यक्ति) संसार सागर से सुधा (=अमृत) को मथता है।
सुधीरेण संसारसागरात् संसारसागरस्य वा सुधा मथ्यते = सुधीर के द्वारा संसारसागर से अमृत मथा जा रहा है।
सुधीरेण संसारसागरः सुधां सुधायाः वा मथ्यते = सुधीर के द्वारा अमृत के लिए संसारसागर मथा जा रहा है।
मूषकः मा माषान् मुष्णाति = चूहा मेरे उड़द चुरा रहा है।
मूषकेन मत् मे मम वा माषाः मुष्यन्ते = चूहे के द्वारा मेरे उड़द चुराए जा रहे हैं।
#vakyabhyas
(कर्मवाच्य में द्विकर्मक धातुओं के प्रयोग)
गोपः गां दुग्धं (२/१) दोग्धि = गोपाल गाय का दूध दुहता है।
गोपेन गौः दुग्धं (२/१) दुह्यते = गोपाल के द्वारा गाय का दूध दुहा जा रहा है।
गोपेन गोः (५/१ अथवा ६/१) दुग्धं (१/१) दुह्यते = गोपाल के द्वारा गाय से / का दूध दुहा जा रहा है।
अपराधी नृपं क्षमां याचते = अपराधी राजा से क्षमा मांगता है।
अपराधिना नृपात् नृपस्य वा क्षमा याच्यते = अपराधी के द्वारा राजा से क्षमा मांगी जा रही है।
भिक्षुकः धनिकं भिक्षां भिक्षते = भिखारी सेठ से भीख मांग रहा है।
भिक्षुकेन धनिकात् धनिकस्य वा भिक्षा भिक्ष्यते = भिखारी के द्वारा सेठ से भीख मांगी जा रही है।
भ्रातृव्या माषान् वाष्पापूपान् पचति = भतीजी उड़द की इडली पका रही है।
भ्रातृव्यया माषेभ्यः माषाणां वा वाष्पापूपाः पच्यन्ते = भतीजी के द्वारा उड़द की इडली पकाई जा रही है।
नृपः दुर्जनं शतं दण्डयति = राजा दुष्ट को सौ रुपए का दण्ड देता है।
नृपेण दुर्जनः शतं (२/१) शतस्य वा दण्ड्यते = राजा के द्वारा दुष्ट को सौ रुपए का दण्ड दिया जा रहा है।
नृपेण दुर्जनं दुर्जनस्य वा शतं दण्ड्यते = राजा के द्वारा दुष्ट को सौ रुपए का दण्ड दिया जा रहा है।
अशोकः अजाम् अजिरम् अवरुणद्धि = अशोक बकरी को आंगन में रोकता है।
अशोकेन अजा अजिरम् अवरुध्यते = अशोक के द्वारा बकरी आंगन में रोकी जा रही है।
बालिका अध्यापिकां धर्मं पृच्छति = बच्ची अध्यापिका से धर्म के विषय में पूछ रही है।
बालिकया अध्यापिकायाः (५/१ अथवा ६/१) धर्मः पृच्छ्यते = बालिका के द्वारा अध्यापिका से धर्म के विषय में पूछा जा रहा है।
बालिकया अध्यापिका धर्मं धर्मस्य वा पृच्छ्यते = बालिका के द्वारा धर्म के विषय में अध्यापिका पूछी जा रही है।
लता लतां पुष्पाणि चिनोति = लता बेल से फूल चुन रही है।
लतया लतायाः (५/१ अथवा ६/१) पुष्पाणि चीयन्ते = लता के द्वारा बेल से / के फूल चुने जा रहे हैं।
पुत्रः पितरं सत्यं ब्रवीति = बेटा बाप को सच बताता है।
पुत्रेण पितुः (६/१) पितरं वा सत्यं (१/१) ब्रूयते = बेटे के द्वारा बाप को बताने के लिए सत्य बोला जा रहा है।
सुधीः साधकं साधनां शास्ति = विद्वान् साधक को साधना का उपदेश कर रहा है।
सुधिया साधकं साधकस्य वा साधना शिष्यते = विद्वान् के द्वारा साधक को साधना का उपदेश किया जा रहा है।
सुधिया साधकः साधनां साधनायाः वा शिष्यते = विद्वान् के द्वारा साधक को साधना का उपदेश किया जा रहा है।
श्यामः रामं शतं जयति = श्याम राम से सौ रुपए जीतता है।
श्यामेन रामात् रामस्य वा शतं जीयते = श्याम के द्वारा राम से सौ रुपए जीते जा रहे हैं।
श्यामेन रामः शतं शतस्य वा जीयते = श्याम के द्वारा सौ रुपए से राम जीता जा रहा है।
सुधीरः संसारसागरं सुधां मथ्नाति = सुधीर (=धीर व्यक्ति) संसार सागर से सुधा (=अमृत) को मथता है।
सुधीरेण संसारसागरात् संसारसागरस्य वा सुधा मथ्यते = सुधीर के द्वारा संसारसागर से अमृत मथा जा रहा है।
सुधीरेण संसारसागरः सुधां सुधायाः वा मथ्यते = सुधीर के द्वारा अमृत के लिए संसारसागर मथा जा रहा है।
मूषकः मा माषान् मुष्णाति = चूहा मेरे उड़द चुरा रहा है।
मूषकेन मत् मे मम वा माषाः मुष्यन्ते = चूहे के द्वारा मेरे उड़द चुराए जा रहे हैं।
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January 25, 2022
January 25, 2022
सङ्क्षेपरामायणम्
(महर्षिवाल्मीकिप्रणीत-रामायण-बालकाण्ड-प्रथमसर्ग-रूपम्)
मूलश्लोकः-92
न चाग्निजं भयं किञ्चन् नाप्सु मज्जन्ति जन्तव:।
न वातजं भयं किञ्चन् नापि ज्वरकृतं तथा।।92।।
श्लोकान्वयः -
न च अग्निजं किञ्चिद् भयम्, न (च) अप्सु जन्तव:
मज्जन्ति न किञ्चिद् वातजं भयम्, न अपि ज्वरकृतं तथा।।92।।
हिन्दी-अनुवाद -
श्रीराम के राज्य में अग्निकाण्ड का कोई भय नहीं रहेगा। प्राणियों के पानी में डूबने का भी कोई भय नहीं होगा।
इसी प्रकार अकालमृत्यु रूप कोई आधिदैविक भय नहीं रहेगा। इसी प्रकार ज्वरपीड़ा आदि जैसे आधिभौतिक कष्ट भी नहीं होगें।।92।।
English Meaning
तत्र in that kingdom of Rama, अग्निजं भयम् fear due to fire, किञ्चित् न not even little, जन्तव: creatures, अप्सु in water, न मज्जन्ति will not be drowned, वातजं भयम् danger due to wind, किञ्चित् न not even little, तथा and, ज्वरकृतम् अपि न also no fear from fever,
There (in the kingdom of Rama) was no fear of fire, water, wind, disease,
#SankshepaRamayanam
(महर्षिवाल्मीकिप्रणीत-रामायण-बालकाण्ड-प्रथमसर्ग-रूपम्)
मूलश्लोकः-92
न चाग्निजं भयं किञ्चन् नाप्सु मज्जन्ति जन्तव:।
न वातजं भयं किञ्चन् नापि ज्वरकृतं तथा।।92।।
श्लोकान्वयः -
न च अग्निजं किञ्चिद् भयम्, न (च) अप्सु जन्तव:
मज्जन्ति न किञ्चिद् वातजं भयम्, न अपि ज्वरकृतं तथा।।92।।
हिन्दी-अनुवाद -
श्रीराम के राज्य में अग्निकाण्ड का कोई भय नहीं रहेगा। प्राणियों के पानी में डूबने का भी कोई भय नहीं होगा।
इसी प्रकार अकालमृत्यु रूप कोई आधिदैविक भय नहीं रहेगा। इसी प्रकार ज्वरपीड़ा आदि जैसे आधिभौतिक कष्ट भी नहीं होगें।।92।।
English Meaning
तत्र in that kingdom of Rama, अग्निजं भयम् fear due to fire, किञ्चित् न not even little, जन्तव: creatures, अप्सु in water, न मज्जन्ति will not be drowned, वातजं भयम् danger due to wind, किञ्चित् न not even little, तथा and, ज्वरकृतम् अपि न also no fear from fever,
There (in the kingdom of Rama) was no fear of fire, water, wind, disease,
#SankshepaRamayanam
January 25, 2022
भवन्तः कदा संस्कृतसंलेखनार्थं कार्यमुक्ताः ?
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आप कब संस्कृत में चैटिंग के लिए उपलब्ध हैं?
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Anonymous Poll
8%
7AM
10%
10AM
18%
1PM
23%
3PM
27%
7PM
13%
Other (Comment)
January 25, 2022
@samskrt_samvadah संलापशाला - A Samskrit Voicechat room.
Duration : 30 minutes only
Time : IST 11:00 AM 🕚
Topic : Republic Day .
(गणतन्त्रदिवसः)
Date : 26th January 2022,
Wednesday.
Please Join the voicechat on time.
😇 Please come prepared to discuss ( गणतन्त्रदिवसस्य इतिहासः, कथम् आचर्यते।)in Sanskrit , If possible.
We are waiting for you.😇
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(गणतन्त्रदिवसः)
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January 25, 2022
January 25, 2022
🍃
♦️raso'hamapsu kaunteya prabhaasmi shashisuuryayoH|
praNavaH sarvavedeShu shabdaH khe pauruShaM nRRiShu7.8
⚜7.8 I am the sapidity in water, O Arjuna; I am the light in the moon and the sun; I am the syllable Om in all the Vedas, sound in ether and virility in men.
⚜।।7.8।। हे कौन्तेय जल में मैं रस हूँ चन्द्रमा और सूर्य में प्रकाश हूँ सब वेदों में प्रणव (ॐकार) हूँ तथा आकाश में शब्द और पुरुषों में पुरुषत्व हूँ।।
#geeta
रसोऽहमप्सु कौन्तेय प्रभास्मि शशिसूर्ययोः।
प्रणवः सर्ववेदेषु शब्दः खे पौरुषं नृषु
।।7.8।। ♦️raso'hamapsu kaunteya prabhaasmi shashisuuryayoH|
praNavaH sarvavedeShu shabdaH khe pauruShaM nRRiShu
⚜7.8 I am the sapidity in water, O Arjuna; I am the light in the moon and the sun; I am the syllable Om in all the Vedas, sound in ether and virility in men.
⚜।।7.8।। हे कौन्तेय जल में मैं रस हूँ चन्द्रमा और सूर्य में प्रकाश हूँ सब वेदों में प्रणव (ॐकार) हूँ तथा आकाश में शब्द और पुरुषों में पुरुषत्व हूँ।।
#geeta
January 25, 2022
January 25, 2022
🍃
♦️puNyo gandhaH pRRithivyaaM cha tejashchaasmi vibhaavasau|
jiivanaM sarvabhuuteShu tapashchaasmi tapasviShu7.9
⚜7.9 I am the sweet fragrance in the earth and the brilliance in the fire, the life in all beings, and I am the austerity in ascetics.
⚜।।7.9।। पृथ्वी में पवित्र गन्ध हूँ और अग्नि में तेज हूँ सम्पूर्ण भूतों में जीवन हूँ और तपस्वियों में मैं तप हूँ।।
#geeta
पुण्यो गन्धः पृथिव्यां च तेजश्चास्मि विभावसौ।
जीवनं सर्वभूतेषु तपश्चास्मि तपस्विषु
।।7.9।। ♦️puNyo gandhaH pRRithivyaaM cha tejashchaasmi vibhaavasau|
jiivanaM sarvabhuuteShu tapashchaasmi tapasviShu
⚜7.9 I am the sweet fragrance in the earth and the brilliance in the fire, the life in all beings, and I am the austerity in ascetics.
⚜।।7.9।। पृथ्वी में पवित्र गन्ध हूँ और अग्नि में तेज हूँ सम्पूर्ण भूतों में जीवन हूँ और तपस्वियों में मैं तप हूँ।।
#geeta
January 25, 2022
January 25, 2022
🚩जय सत्य सनातन🚩
🚩आज की हिंदी तिथि
🌥️ 🚩युगाब्द-५१२३
🌥️ 🚩विक्रम संवत-२०७८
⛅ 🚩तिथि - नवमी २७ जनवरी प्रातः ०४:३४ तक तत्पश्चात दशमी
⛅ दिनांक - २६ जनवरी २०२२
⛅ दिन - बुधवार
⛅ शक संवत -१९४३
⛅ अयन - उत्तरायण
⛅ ऋतु - शिशिर
⛅ मास - माघ
⛅ पक्ष - कृष्ण
⛅ नक्षत्र - स्वाती सुबह १०:०७ तक तत्पश्चात विशाखा
⛅ योग - गण्ड २७ जनवरी प्रातः ०४:०९ तक तत्पश्चात वृद्धि
⛅ राहुकाल - दोपहर १२:५१ से दोपहर ०२:१५ तक
⛅ सूर्योदय - ०७:१८
⛅ सूर्यास्त - १८:२३
⛅ दिशाशूल - उत्तर दिशा में
🚩आज की हिंदी तिथि
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🌥️ 🚩विक्रम संवत-२०७८
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⛅ नक्षत्र - स्वाती सुबह १०:०७ तक तत्पश्चात विशाखा
⛅ योग - गण्ड २७ जनवरी प्रातः ०४:०९ तक तत्पश्चात वृद्धि
⛅ राहुकाल - दोपहर १२:५१ से दोपहर ०२:१५ तक
⛅ सूर्योदय - ०७:१८
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January 25, 2022
January 25, 2022
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(गणतन्त्रदिवसः)
Date : 26th January 2022,
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(गणतन्त्रदिवसः)
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January 25, 2022
January 25, 2022
Forwarded from रामदूतः — The Sanskrit News Platform
https://youtu.be/JLm3-1d9i58
Switch to DD News daily at 7:15 AM (Morning) for 15 minutes Sanskrit news.
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वार्ता : गणतंत्र दिवस परेड : दिखेंगी नई पहलें
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DD News is India’s 24x7 news channel from the stable of the country’s Public Service Broadcaster, Prasar Bharati. It has the distinction of being India’s only terrestrial cum satellite News Channel. Launched…
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January 25, 2022
January 25, 2022
January 25, 2022
January 25, 2022
अद्य ________ गणतन्त्रदिवसः आचर्यते।
Anonymous Quiz
25%
त्रयस्सप्ततितमः
14%
त्रीणिसप्ततितमः
43%
त्रिसप्ततितमः
18%
त्रयसप्ततितमः
January 26, 2022
भारतमाता त्रिवर्णीयं ध्वजं ________ अस्ति।
Anonymous Quiz
31%
गृह्णन्ती
28%
गृह्णन्
22%
गृह्णती
18%
गृह्णाति
January 26, 2022
January 26, 2022
संस्कृत संवादः । Sanskrit Samvadah
प्रथमं
हि प्रथमं तद् ब्रह्म सर्वैः उच्यते = सबसे पहला और अकेला वह ब्रह्म है
ऐसा सभी के द्वारा कहा जा रहा है। (कर्मवाच्य में द्विकर्मक धातुओं के
प्रयोग) गोपः गां दुग्धं (२/१) दोग्धि = गोपाल गाय का दूध दुहता है। गोपेन
गौः दुग्धं (२/१) दुह्यते = गोपाल के द्वारा…
व्याघ्रः व्याधं वनं नयति = शेर शिकारी को वन में ले जा रहा है।
व्याघ्रेण व्याधः वनं वनस्य वा नीयते = शेर के द्वारा शिकारी वन में ले जाया जा रहा है।
व्याघ्रेण व्याधं व्याधस्य वा वनं (१/१) नीयते = शेर के द्वारा शिकारी को वन ले जाया जा रहा है।
शाटिका शालिनीं हाटकं हरति = साड़ी शालिनी को दुकान पर ले जा रही है।
शाटिकया शालिनी हाटकं हाटकस्य वा ह्रियते = साड़ी के द्वारा शालिनी दुकान पर ले जायी जा रही है।
मधु मधुपं मधुशालां कर्षति = शराब शराबी को शराबखाने की ओर खींच रही है।
मधुना मधुपः मधुशालां मधुशालायाः वा कृष्यते = शराब के द्वारा शराबी शराबखाने की ओर खीचा जा रहा है।
बलिवर्दः काष्ठानि कानपुरं वहति = बैल लकड़ियां कानपुर तक ले जा रहा है।
बलिवर्देन काष्ठानि कानपुरं कानपुरस्य वा उह्यन्ते = बैल के द्वारा लकड़ियां कानपुर तक ले जायी जा रही हैं।
सुहृद् मित्रं धर्मं बोधयति = मित्र मित्र को धर्म का ज्ञान करा रहा है।
सुहृदा मित्रं धर्मः बोध्यते = मित्र के द्वारा मित्र को धर्म का ज्ञान कराया जा रहा है।
सुश्रवा सतीर्थ्यं श्लोकं श्रावयति = सुश्रवा (प्रशंसा प्राप्त) सहपाठी को श्लोक सुना रहा है।
सुश्रवसा सतीर्थ्यं श्लोकः श्राव्यते = सुश्रवा के द्वारा सहपाठी को श्लोक सुनाए जा रहे हैं।
भगिनी भ्रातरं भृष्टापूपं भोजयति = बहन भाई को टोस्ट खिला रही है।
भगिन्या भ्रातरं भृष्टापूपः भोज्यते = बहन के द्वारा भाई को टोस्ट खिलाया जा रहा है।
आभा आर्यां मातुलगृहं गमयति = आभा आर्या को मामा के घर भेज रही है।
आभया आर्या मातुलगृहं गम्यते = आभा के द्वारा आर्या मामा के घर भेजी जा रही है।
सुशीला शिशुं शाययति = सुशीला बच्चे को सुला रही है।
सुशीलया शिशुः शाय्यते = सुशीला के द्वारा बच्चे को सुलाया जा रहा है।
पाठयिता पठितारं पाठं पाठयति = पढ़ानेवाले पढ़नेवाले को पाठ पढ़ाता है।
पाठयित्रा पठिता पाठं पाठ्यते = पढ़ानेवाले के द्वारा पढ़नेवाले को पाठ पढ़ाया जा रहा है।
दिनेशः दीपकेन दीपं दीपयति = दिनेश दीप से दीप जला रहा है।
दिनेशेन दीपकेन दीपः दीप्यते = दिनेश के द्वारा दीप से दीप जलाया जा रहा है।
पितृष्वसा पाचकेन पक्ववटीं पाचयति = बुआ पाचकसे पकौड़ी पकवा रही है।
पितृष्वस्रा पाचकेन पक्ववटीं पाच्यते = बुआ के द्वारा पाचक से पकौड़ी पकवाई जा रही है।
रञ्जना रजक्या वस्त्रा स्त्राणि प्रक्षालयति = रंजना धोबन से कपड़े धुलवा रही है।
रञ्जनया रजक्या वस्त्रा स्त्राणि प्रक्षाल्यन्ते = रञ्जना के द्वारा धोबन से कपड़े धुलवाए जा रहे हैं।
यज्ञदत्तेन देवदत्तः विष्णुदत्तं ग्रामं गमयति = यज्ञदत्त की प्रेरणा से देवदत्त विष्णुदत्त को गांव भेजता है।
यज्ञदत्तेन देवदत्तेन विष्णुदत्तः ग्रामं गम्यते = यज्ञदत्त की प्रेरणा से देवदत्त के द्वारा विष्णुदत्त गांव भेजा जा रहा है।
#vakyabhyas
व्याघ्रेण व्याधः वनं वनस्य वा नीयते = शेर के द्वारा शिकारी वन में ले जाया जा रहा है।
व्याघ्रेण व्याधं व्याधस्य वा वनं (१/१) नीयते = शेर के द्वारा शिकारी को वन ले जाया जा रहा है।
शाटिका शालिनीं हाटकं हरति = साड़ी शालिनी को दुकान पर ले जा रही है।
शाटिकया शालिनी हाटकं हाटकस्य वा ह्रियते = साड़ी के द्वारा शालिनी दुकान पर ले जायी जा रही है।
मधु मधुपं मधुशालां कर्षति = शराब शराबी को शराबखाने की ओर खींच रही है।
मधुना मधुपः मधुशालां मधुशालायाः वा कृष्यते = शराब के द्वारा शराबी शराबखाने की ओर खीचा जा रहा है।
बलिवर्दः काष्ठानि कानपुरं वहति = बैल लकड़ियां कानपुर तक ले जा रहा है।
बलिवर्देन काष्ठानि कानपुरं कानपुरस्य वा उह्यन्ते = बैल के द्वारा लकड़ियां कानपुर तक ले जायी जा रही हैं।
सुहृद् मित्रं धर्मं बोधयति = मित्र मित्र को धर्म का ज्ञान करा रहा है।
सुहृदा मित्रं धर्मः बोध्यते = मित्र के द्वारा मित्र को धर्म का ज्ञान कराया जा रहा है।
सुश्रवा सतीर्थ्यं श्लोकं श्रावयति = सुश्रवा (प्रशंसा प्राप्त) सहपाठी को श्लोक सुना रहा है।
सुश्रवसा सतीर्थ्यं श्लोकः श्राव्यते = सुश्रवा के द्वारा सहपाठी को श्लोक सुनाए जा रहे हैं।
भगिनी भ्रातरं भृष्टापूपं भोजयति = बहन भाई को टोस्ट खिला रही है।
भगिन्या भ्रातरं भृष्टापूपः भोज्यते = बहन के द्वारा भाई को टोस्ट खिलाया जा रहा है।
आभा आर्यां मातुलगृहं गमयति = आभा आर्या को मामा के घर भेज रही है।
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सुशीला शिशुं शाययति = सुशीला बच्चे को सुला रही है।
सुशीलया शिशुः शाय्यते = सुशीला के द्वारा बच्चे को सुलाया जा रहा है।
पाठयिता पठितारं पाठं पाठयति = पढ़ानेवाले पढ़नेवाले को पाठ पढ़ाता है।
पाठयित्रा पठिता पाठं पाठ्यते = पढ़ानेवाले के द्वारा पढ़नेवाले को पाठ पढ़ाया जा रहा है।
दिनेशः दीपकेन दीपं दीपयति = दिनेश दीप से दीप जला रहा है।
दिनेशेन दीपकेन दीपः दीप्यते = दिनेश के द्वारा दीप से दीप जलाया जा रहा है।
पितृष्वसा पाचकेन पक्ववटीं पाचयति = बुआ पाचकसे पकौड़ी पकवा रही है।
पितृष्वस्रा पाचकेन पक्ववटीं पाच्यते = बुआ के द्वारा पाचक से पकौड़ी पकवाई जा रही है।
रञ्जना रजक्या वस्त्रा स्त्राणि प्रक्षालयति = रंजना धोबन से कपड़े धुलवा रही है।
रञ्जनया रजक्या वस्त्रा स्त्राणि प्रक्षाल्यन्ते = रञ्जना के द्वारा धोबन से कपड़े धुलवाए जा रहे हैं।
यज्ञदत्तेन देवदत्तः विष्णुदत्तं ग्रामं गमयति = यज्ञदत्त की प्रेरणा से देवदत्त विष्णुदत्त को गांव भेजता है।
यज्ञदत्तेन देवदत्तेन विष्णुदत्तः ग्रामं गम्यते = यज्ञदत्त की प्रेरणा से देवदत्त के द्वारा विष्णुदत्त गांव भेजा जा रहा है।
#vakyabhyas
January 26, 2022
January 26, 2022
सङ्क्षेपरामायणम्
(महर्षिवाल्मीकिप्रणीत-रामायण-बालकाण्ड-प्रथमसर्ग-रूपम्)
मूलश्लोकः-93-94
न चापि क्षुद्भयं तत्र न तस्करभयं तथा।
नगराणि च राष्ट्राणि धनधान्ययुतानि च।। 93।।
नित्यं प्रमुदिता: सर्वे यथा कृतयुगे तथा।।94।।
श्लोकान्वयः -
न च अपि तत्र क्षुद्भयम्, तथा (एव) तस्करभयम् (अपि) न।
नगराणि राष्ट्राणि च धनधान्ययुतानि।
सर्वे तथा प्रमुदिता: यथा कृतयुगे।।93-94।।
हिन्दी-अनुवाद -
इस प्रकार राम राज्य में न भूख का भय और न चोर का भय रहेगा।
नगर एवं प्रदेश सभी प्रकार से समृद्ध रहेगें।
सभी लोग उसी प्रकार प्रसन्न रहेंगें जैसे सत्ययुग में।।93-94।।
English Meaning
न क्षुद्भयम् अपि no fear from hunger, तथा and, तस्करभयं न no fear from thieves. नगराणि च cities, राष्ट्राणि च villages, धनधान्ययुतानि rich in food grains and wealth, यथा कृतयुगे as in kritayuga, तथा in the same way, सर्वे all, नित्यम् ever, प्रमुदिता: were happy.
There (in the kingdom of Rama) was no fear of hunger and also theft. All the cities and villages were affluent with wealth and food grains. People lived happily as though they lived in Kritayuga.
#SankshepaRamayanam
(महर्षिवाल्मीकिप्रणीत-रामायण-बालकाण्ड-प्रथमसर्ग-रूपम्)
मूलश्लोकः-93-94
न चापि क्षुद्भयं तत्र न तस्करभयं तथा।
नगराणि च राष्ट्राणि धनधान्ययुतानि च।। 93।।
नित्यं प्रमुदिता: सर्वे यथा कृतयुगे तथा।।94।।
श्लोकान्वयः -
न च अपि तत्र क्षुद्भयम्, तथा (एव) तस्करभयम् (अपि) न।
नगराणि राष्ट्राणि च धनधान्ययुतानि।
सर्वे तथा प्रमुदिता: यथा कृतयुगे।।93-94।।
हिन्दी-अनुवाद -
इस प्रकार राम राज्य में न भूख का भय और न चोर का भय रहेगा।
नगर एवं प्रदेश सभी प्रकार से समृद्ध रहेगें।
सभी लोग उसी प्रकार प्रसन्न रहेंगें जैसे सत्ययुग में।।93-94।।
English Meaning
न क्षुद्भयम् अपि no fear from hunger, तथा and, तस्करभयं न no fear from thieves. नगराणि च cities, राष्ट्राणि च villages, धनधान्ययुतानि rich in food grains and wealth, यथा कृतयुगे as in kritayuga, तथा in the same way, सर्वे all, नित्यम् ever, प्रमुदिता: were happy.
There (in the kingdom of Rama) was no fear of hunger and also theft. All the cities and villages were affluent with wealth and food grains. People lived happily as though they lived in Kritayuga.
#SankshepaRamayanam
January 26, 2022
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Duration : 30 minutes only
Time : IST 11:00 AM 🕚
Topic : Republic Day Parade.
(गणतन्त्रदिवससञ्चलनम्)
Date : 27th January 2022,
Thrusday.
Please Join the voicechat on time.
😇 Please come prepared to discuss ( गणतन्त्रदिवसस्य सञ्चलने किं सम्यक् आसीत्, किम् अधिकं रोचते।)in Sanskrit , If possible.
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Duration : 30 minutes only
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(गणतन्त्रदिवससञ्चलनम्)
Date : 27th January 2022,
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January 26, 2022
January 26, 2022
🍃
♦️biijaM maaM sarvabhuutaanaaM viddhi paartha sanaatanam|
buddhirbuddhimataamasmi tejastejasvinaamaham7.10
⚜7.10 Know Me, O Arjuna, as the eternal seed of all beings; I am the intelligence of the intelligent; the splendour of the splendid objects am I.
⚜।।7.10।। हे पार्थ सम्पूर्ण भूतों का सनातन बीज (कारण) मुझे ही जानो मैं बुद्धिमानों की बुद्धि और तेजस्वियों का तेज हूँ।।
#geeta
बीजं मां सर्वभूतानां विद्धि पार्थ सनातनम्।
बुद्धिर्बुद्धिमतामस्मि तेजस्तेजस्विनामहम्
।।7.10।। ♦️biijaM maaM sarvabhuutaanaaM viddhi paartha sanaatanam|
buddhirbuddhimataamasmi tejastejasvinaamaham
⚜7.10 Know Me, O Arjuna, as the eternal seed of all beings; I am the intelligence of the intelligent; the splendour of the splendid objects am I.
⚜।।7.10।। हे पार्थ सम्पूर्ण भूतों का सनातन बीज (कारण) मुझे ही जानो मैं बुद्धिमानों की बुद्धि और तेजस्वियों का तेज हूँ।।
#geeta
January 26, 2022
January 26, 2022
🍃
♦️balaM balavataaM chaahaM kaamaraagavivarjitam|
dharmaaviruddho bhuuteShu kaamo'smi bharatarShabha7.11
⚜7.11 Of the strong, I am the strength devoid of desire and attachment, and in (all) beings, I am the desire unopposed to Dharma, O Arjuna.
⚜।।7.11।। हे भरत श्रेष्ठ मैं बलवानों का कामना तथा आसक्ति से रहित बल हूँ और सब भूतों में धर्म के अविरुद्ध अर्थात् अनुकूल काम हूँ।।
#geeta
बलं बलवतामस्मि कामरागविवर्जितम्।
धर्माविरुद्धो भूतेषु कामोऽस्मि भरतर्षभ
।।7.11।। ♦️balaM balavataaM chaahaM kaamaraagavivarjitam|
dharmaaviruddho bhuuteShu kaamo'smi bharatarShabha
⚜7.11 Of the strong, I am the strength devoid of desire and attachment, and in (all) beings, I am the desire unopposed to Dharma, O Arjuna.
⚜।।7.11।। हे भरत श्रेष्ठ मैं बलवानों का कामना तथा आसक्ति से रहित बल हूँ और सब भूतों में धर्म के अविरुद्ध अर्थात् अनुकूल काम हूँ।।
#geeta
January 26, 2022
January 26, 2022
@samskrt_samvadah is starting Narayaneeyam Classes.
विषय — नारायणीयं गायनं (How to recite Narayaneeyam)
शिक्षिका — ललिता विश्वनाथन्
Time — 9AM🕘 (Indian time)
Date —27h January, Thursday (Every Thursday)
Please come with hard copy or soft copy of Narayaneeyam on time.
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#Narayaneeyam
विषय — नारायणीयं गायनं (How to recite Narayaneeyam)
शिक्षिका — ललिता विश्वनाथन्
Time — 9AM🕘 (Indian time)
Date —27h January, Thursday (Every Thursday)
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January 26, 2022
January 26, 2022
🚩जय सत्य सनातन🚩
🚩आज की हिंदी तिथि
🌥️ 🚩युगाब्द-५१२३
🌥️ 🚩विक्रम संवत-२०७८
⛅ 🚩तिथि - दशमी २८ जनवरी रात्रि ०२:१६ तक तत्पश्चात एकादशी
⛅ दिनांक - २७ जनवरी २०२२
⛅ दिन - गुरुवार
⛅ शक संवत -१९४३
⛅ अयन - उत्तरायण
⛅ ऋतु - शिशिर
⛅ मास - माघ
⛅ पक्ष - कृष्ण
⛅ नक्षत्र - विशाखा सुबह ०८:५१ तक तत्पश्चात अनुराधा
⛅ योग - वृद्धि २८ जनवरी रात्रि ०१:०५ तक तत्पश्चात ध्रुव
⛅ राहुकाल - दोपहर ०२:१५ से शाम ०३:३९ तक
⛅ सूर्योदय - ०७:१८
⛅ सूर्यास्त - १८:२४
⛅ दिशाशूल - दक्षिण दिशा में
🚩आज की हिंदी तिथि
🌥️ 🚩युगाब्द-५१२३
🌥️ 🚩विक्रम संवत-२०७८
⛅ 🚩तिथि - दशमी २८ जनवरी रात्रि ०२:१६ तक तत्पश्चात एकादशी
⛅ दिनांक - २७ जनवरी २०२२
⛅ दिन - गुरुवार
⛅ शक संवत -१९४३
⛅ अयन - उत्तरायण
⛅ ऋतु - शिशिर
⛅ मास - माघ
⛅ पक्ष - कृष्ण
⛅ नक्षत्र - विशाखा सुबह ०८:५१ तक तत्पश्चात अनुराधा
⛅ योग - वृद्धि २८ जनवरी रात्रि ०१:०५ तक तत्पश्चात ध्रुव
⛅ राहुकाल - दोपहर ०२:१५ से शाम ०३:३९ तक
⛅ सूर्योदय - ०७:१८
⛅ सूर्यास्त - १८:२४
⛅ दिशाशूल - दक्षिण दिशा में
January 26, 2022
Forwarded from रामदूतः — The Sanskrit News Platform
https://youtu.be/mpc7QPPqGlk
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वार्ता: संस्कृत में समाचार
January 26, 2022
@samskrt_samvadah संलापशाला - A Samskrit Voicechat room.
Duration : 30 minutes only
Time : IST 11:00 AM 🕚
Topic : Republic Day Parade.
(गणतन्त्रदिवससञ्चलनम्)
Date : 27th January 2022,
Thrusday.
Please Join the voicechat on time.
😇 Please come prepared to discuss ( गणतन्त्रदिवसस्य सञ्चलने किं सम्यक् आसीत्, किम् अधिकं रोचते।)in Sanskrit , If possible.
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(गणतन्त्रदिवससञ्चलनम्)
Date : 27th January 2022,
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January 26, 2022
January 26, 2022
January 26, 2022
January 26, 2022
January 26, 2022
January 26, 2022
"सः विद्यालयं गच्छति"।
एतस्य वाक्यस्य कर्मणि प्रयोगे परिवर्तनं कुर्वन्तु।
एतस्य वाक्यस्य कर्मणि प्रयोगे परिवर्तनं कुर्वन्तु।
Anonymous Quiz
31%
तेन विद्यालयं गम्यते।
15%
तेन विद्यालयः गच्छ्यते।
45%
तेन विद्यालयः गम्यते।
10%
तेन विद्यालयं गच्छ्यते।
January 27, 2022
संस्कृत संवादः । Sanskrit Samvadah
व्याघ्रः
व्याधं वनं नयति = शेर शिकारी को वन में ले जा रहा है। व्याघ्रेण व्याधः
वनं वनस्य वा नीयते = शेर के द्वारा शिकारी वन में ले जाया जा रहा है।
व्याघ्रेण व्याधं व्याधस्य वा वनं (१/१) नीयते = शेर के द्वारा शिकारी को
वन ले जाया जा रहा है। शाटिका शालिनीं…
संस्कृतं वद आधुनिको भव।
वेदान् पठ वैज्ञानिको भव।।
पाठ : (११) तृतीया विभक्ति (३) + अयादि सन्धि
(सह, साकम्, सार्धम्, समम् के साथ तृतीया विभक्ति होती है)
नक्षत्रेण सह चन्द्रमा उदेति = ताराओं के साथ चन्द्रमा उगता है।
अन्यया भाषया सह संस्कृतमपि अवश्यं शिक्षेयुः = अन्य भाषाओं के साथ संस्कृत को भी अवश्य सीखें।
रावणेन सह कुम्भकर्णमपि जघान राम = रावण के साथ राम ने कुम्भकरण को भी मारा।
वात्या सह वर्षा अपि अभूत् = आंधी के साथ-साथ बारिश भी हुई।
दुग्धेन सह घृतमप्यलिक्षत् मार्जारी = बिल्ली दूध के साथ घी भी चाट गई।
शाकेन सह शदः अपि स्यात् = सब्जी के साथ सलाद भी होवे / होनी चाहिए।
वास्तुकेन सह साकं सार्धं समं वा प्रैयङ्गवी स्वादुतां याति = बथुए के साथ बाजरे की रोटी स्वादिष्ट लगती है।
पुलाकेन सह साकं सार्धं समं वा दाधिकं स्वद्यते = पुलाव के साथ कढ़ी स्वादिष्ट लगती है।
आलूकेन सह रक्ताङ्गं कलायं च पच = आलू के साथ टमाटर-मटर पका।
आलूकेन सह सर्वाणि शाकानि संगच्छन्ते = आलू के साथ समस्त सब्जियों का मेल है।
सन्धितेन सह अवलेहमपि वाञ्छति = आचार के साथ चटनी भी चाहता है।
गुर्जरप्रान्तीयाः चिपिटान्नेन सह किलाटजं रोचयन्ति = गुजराती चिवड़े के साथ पेंडा पसन्द करते हैं।
आन्ध्रप्रदेशीयाः ओदनेन सह चारुं भावयन्ति = आन्ध्रप्रदेश के लोग भात के साथ रसम् पसन्द करते हैं।
पावको लोहेन सह मुद्गरैः अभिहन्यते = लोहे के साथ अग्नि भी हथोड़े से पीटी जाती है।
केन सह साधारणीकरोमि दुःखम् ? = किसके साथ मैं दुःख सांझा करुं ?
शशिना सह याति कौमुदी = चांदनी चांद के साथ जा रही है।
हनुमान् वानरैः सह जानकीं मार्गयामास = हनुमान ने वानरों के साथ (मिलकर) सीता को ढूंढ लिया।
दुर्जनेन समं सख्यं न कारयेत् = दुर्जन के साथ मित्रता न करें।
धर्मेण सह यात्रां करोत्यात्मा, न बान्धवैः = आत्मा धर्माधर्मरूप कर्मों के साथ यात्रा करता है, न कि बन्धु-बान्धवों के साथ।
श्वश्र्वा सह वधूः संजानीते = बहू की सास के साथ पटती है।
जानता समं गमेमहि = हम विद्वानों के साथ विचरण करें।
सत्येन सह वाक् मधुरा हितकारिणी अपि भवेत् = सत्य के साथ-साथ वाणी मीठी और हितकारी भी होनी चाहिए।
अधर्मेण सह सन्धिः दुःखकर्येव = अधर्म के साथ समझौता दुःख ही देता है।
युवपलितः पलितैः केशैः सह सौंदर्यगृहं प्रविष्टो युवतां याति = सफेद बालोंवाला युवा सफेद बालों के साथ ब्यूटीपार्लर में जाकर युवा हो जाता है।
महाभारत युधि क्षत्रियैः सह बहवो बुधोऽपि मृताः = महाभारत युद्ध में क्षत्रियों के साथ-साथ बहुत से विद्वान भी मारे गए।
#vakyabhyas
वेदान् पठ वैज्ञानिको भव।।
पाठ : (११) तृतीया विभक्ति (३) + अयादि सन्धि
(सह, साकम्, सार्धम्, समम् के साथ तृतीया विभक्ति होती है)
नक्षत्रेण सह चन्द्रमा उदेति = ताराओं के साथ चन्द्रमा उगता है।
अन्यया भाषया सह संस्कृतमपि अवश्यं शिक्षेयुः = अन्य भाषाओं के साथ संस्कृत को भी अवश्य सीखें।
रावणेन सह कुम्भकर्णमपि जघान राम = रावण के साथ राम ने कुम्भकरण को भी मारा।
वात्या सह वर्षा अपि अभूत् = आंधी के साथ-साथ बारिश भी हुई।
दुग्धेन सह घृतमप्यलिक्षत् मार्जारी = बिल्ली दूध के साथ घी भी चाट गई।
शाकेन सह शदः अपि स्यात् = सब्जी के साथ सलाद भी होवे / होनी चाहिए।
वास्तुकेन सह साकं सार्धं समं वा प्रैयङ्गवी स्वादुतां याति = बथुए के साथ बाजरे की रोटी स्वादिष्ट लगती है।
पुलाकेन सह साकं सार्धं समं वा दाधिकं स्वद्यते = पुलाव के साथ कढ़ी स्वादिष्ट लगती है।
आलूकेन सह रक्ताङ्गं कलायं च पच = आलू के साथ टमाटर-मटर पका।
आलूकेन सह सर्वाणि शाकानि संगच्छन्ते = आलू के साथ समस्त सब्जियों का मेल है।
सन्धितेन सह अवलेहमपि वाञ्छति = आचार के साथ चटनी भी चाहता है।
गुर्जरप्रान्तीयाः चिपिटान्नेन सह किलाटजं रोचयन्ति = गुजराती चिवड़े के साथ पेंडा पसन्द करते हैं।
आन्ध्रप्रदेशीयाः ओदनेन सह चारुं भावयन्ति = आन्ध्रप्रदेश के लोग भात के साथ रसम् पसन्द करते हैं।
पावको लोहेन सह मुद्गरैः अभिहन्यते = लोहे के साथ अग्नि भी हथोड़े से पीटी जाती है।
केन सह साधारणीकरोमि दुःखम् ? = किसके साथ मैं दुःख सांझा करुं ?
शशिना सह याति कौमुदी = चांदनी चांद के साथ जा रही है।
हनुमान् वानरैः सह जानकीं मार्गयामास = हनुमान ने वानरों के साथ (मिलकर) सीता को ढूंढ लिया।
दुर्जनेन समं सख्यं न कारयेत् = दुर्जन के साथ मित्रता न करें।
धर्मेण सह यात्रां करोत्यात्मा, न बान्धवैः = आत्मा धर्माधर्मरूप कर्मों के साथ यात्रा करता है, न कि बन्धु-बान्धवों के साथ।
श्वश्र्वा सह वधूः संजानीते = बहू की सास के साथ पटती है।
जानता समं गमेमहि = हम विद्वानों के साथ विचरण करें।
सत्येन सह वाक् मधुरा हितकारिणी अपि भवेत् = सत्य के साथ-साथ वाणी मीठी और हितकारी भी होनी चाहिए।
अधर्मेण सह सन्धिः दुःखकर्येव = अधर्म के साथ समझौता दुःख ही देता है।
युवपलितः पलितैः केशैः सह सौंदर्यगृहं प्रविष्टो युवतां याति = सफेद बालोंवाला युवा सफेद बालों के साथ ब्यूटीपार्लर में जाकर युवा हो जाता है।
महाभारत युधि क्षत्रियैः सह बहवो बुधोऽपि मृताः = महाभारत युद्ध में क्षत्रियों के साथ-साथ बहुत से विद्वान भी मारे गए।
#vakyabhyas
January 27, 2022
January 27, 2022
सङ्क्षेपरामायणम्
(महर्षिवाल्मीकिप्रणीत-रामायण-बालकाण्ड-प्रथमसर्ग-रूपम्)
मूलश्लोकः-94-96
अश्वमेधशतैरिष्ट्वा तथा बहुसुवर्णकै:।। 94।।
गवां कोट्ययुतं दत्त्वा विद्वद्भ्यो विधिपूर्वकम्।
असंख्येयं धनं दत्त्वा ब्राह्मणेभ्यो महायशा:।। 95।।
राजवंशाञ्छतगुणान् स्थापयिष्यति राघव:।
चातुर्वर्ण्यं च लोकेऽस्मिन् स्वे-स्वे धर्मे नियोक्ष्यति ।।96।।
श्लोकान्वयः -
महायशा: राघव: अश्वमेधशतै: बहुसुवर्णकै: इष्ट्वा
गवां कोट्ययुतं असंख्येय धनं (च) विद्वद्भ्य: ब्राह्मणेभ्य:
विधिपर्वूकं दत्त्वा राजवंशान् शतगुणान् स्थापयिष्यति।
अस्मिन् लोके चातुर्वर्ण्यं स्वे-स्वे धर्मे नियोक्ष्यति च।।94-96।।
हिन्दी-अनुवाद -
महायशस्वी श्रीराम प्रचुर स्वर्णों के उपयोग वाले सैकड़ों अश्वमेधों से यज्ञ करके तथा विद्वान् ब्राह्मणों को दस हजार करोड़ गाएँ एवं अपरिमित धनराशि शास्त्रविधिपूर्वक प्रदान करके पूर्व की अपेक्षा सैकड़ों गुने उत्तम राज्य की स्थापना करेगें तथा इस लोक में चारों वर्णों को अपने-अपने कर्तव्य में प्रवृत्त करगें।।94-96।।
English Meaning
महायशा: highly renowned, अश्वमेधशतै: by hundreds of Aswamedha sacrifices, तथा and बहुसुवर्णकै: Bahusuvarnaka sacrifices (where gold is given as charity on large scale),
इष्ट्वा satisfying the gods, गवाम् cows, कोट्ययुतम् hundreds of thousands, दत्वा having bestowed, असंख्येयम् countless, धनम् wealth, ब्राह्मणेभ्य: for brahmins, दत्वा having bestowed, ब्रह्मलोकं प्रयास्यति will proceed to Brahmaloka.
राघव: Rama, अस्मिन् लोके in this world, शतगुणान् hundred times, राजवंशान् royal dynasties, स्थापयिष्यति will establish, चातुर्वर्ण्यम् four castes, स्वे स्वे in their respective, धर्मे duties, नियोक्ष्यति will employ.
Highly renowned Rama, having satisfied the gods with the performance of a hundred of aswamedhas and many suvarnakas bestowing hundreds of thousands of cows and immense wealth on the brahmins, will return to Brahmaloka. Rama will establish hundredfold royal dynasties and employ the four castes to do their respective duties, in this world.
#SankshepaRamayanam
(महर्षिवाल्मीकिप्रणीत-रामायण-बालकाण्ड-प्रथमसर्ग-रूपम्)
मूलश्लोकः-94-96
अश्वमेधशतैरिष्ट्वा तथा बहुसुवर्णकै:।। 94।।
गवां कोट्ययुतं दत्त्वा विद्वद्भ्यो विधिपूर्वकम्।
असंख्येयं धनं दत्त्वा ब्राह्मणेभ्यो महायशा:।। 95।।
राजवंशाञ्छतगुणान् स्थापयिष्यति राघव:।
चातुर्वर्ण्यं च लोकेऽस्मिन् स्वे-स्वे धर्मे नियोक्ष्यति ।।96।।
श्लोकान्वयः -
महायशा: राघव: अश्वमेधशतै: बहुसुवर्णकै: इष्ट्वा
गवां कोट्ययुतं असंख्येय धनं (च) विद्वद्भ्य: ब्राह्मणेभ्य:
विधिपर्वूकं दत्त्वा राजवंशान् शतगुणान् स्थापयिष्यति।
अस्मिन् लोके चातुर्वर्ण्यं स्वे-स्वे धर्मे नियोक्ष्यति च।।94-96।।
हिन्दी-अनुवाद -
महायशस्वी श्रीराम प्रचुर स्वर्णों के उपयोग वाले सैकड़ों अश्वमेधों से यज्ञ करके तथा विद्वान् ब्राह्मणों को दस हजार करोड़ गाएँ एवं अपरिमित धनराशि शास्त्रविधिपूर्वक प्रदान करके पूर्व की अपेक्षा सैकड़ों गुने उत्तम राज्य की स्थापना करेगें तथा इस लोक में चारों वर्णों को अपने-अपने कर्तव्य में प्रवृत्त करगें।।94-96।।
English Meaning
महायशा: highly renowned, अश्वमेधशतै: by hundreds of Aswamedha sacrifices, तथा and बहुसुवर्णकै: Bahusuvarnaka sacrifices (where gold is given as charity on large scale),
इष्ट्वा satisfying the gods, गवाम् cows, कोट्ययुतम् hundreds of thousands, दत्वा having bestowed, असंख्येयम् countless, धनम् wealth, ब्राह्मणेभ्य: for brahmins, दत्वा having bestowed, ब्रह्मलोकं प्रयास्यति will proceed to Brahmaloka.
राघव: Rama, अस्मिन् लोके in this world, शतगुणान् hundred times, राजवंशान् royal dynasties, स्थापयिष्यति will establish, चातुर्वर्ण्यम् four castes, स्वे स्वे in their respective, धर्मे duties, नियोक्ष्यति will employ.
Highly renowned Rama, having satisfied the gods with the performance of a hundred of aswamedhas and many suvarnakas bestowing hundreds of thousands of cows and immense wealth on the brahmins, will return to Brahmaloka. Rama will establish hundredfold royal dynasties and employ the four castes to do their respective duties, in this world.
#SankshepaRamayanam
January 27, 2022
January 27, 2022
🍃
♦️ye chaiva saattvikaa bhaavaa raajasaastaamasaashcha ye|
matta eveti taanviddhi natvahaM teShu te mayi7.12
⚜7.12 Whatever beings (and objects) that are pure, active and inert, know that they proceed from Me. They are in Me, yet I am not in them.
⚜।।7.12।। जो भी सात्त्विक (शुद्ध) राजसिक (क्रियाशील) और तामसिक (जड़) भाव हैं उन सबको तुम मेरे से उत्पन्न हुए जानो तथापि मैं उनमें नहीं हूँ वे मुझमें हैं।।
#geeta
ये चैव सात्त्विका भावा राजसास्तामसाश्च ये।
मत्त एवेति तान्विद्धि नत्वहं तेषु ते मयि
।।7.12।।♦️ye chaiva saattvikaa bhaavaa raajasaastaamasaashcha ye|
matta eveti taanviddhi natvahaM teShu te mayi
⚜7.12 Whatever beings (and objects) that are pure, active and inert, know that they proceed from Me. They are in Me, yet I am not in them.
⚜।।7.12।। जो भी सात्त्विक (शुद्ध) राजसिक (क्रियाशील) और तामसिक (जड़) भाव हैं उन सबको तुम मेरे से उत्पन्न हुए जानो तथापि मैं उनमें नहीं हूँ वे मुझमें हैं।।
#geeta
January 27, 2022
Forwarded from ॐ पीयूषः
@samskrt_samvadah संलापशाला - A Samskrit Voicechat room.
Duration : 30 minutes only
Time : IST 11:00 AM 🕚
Topic :संस्कृतकथा,सुभाषितम्,
हास्यकणिका..... इत्यादयः
Date : 28th January 2022,
Friday.
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😇 Please come prepared to discus (संस्कृतकथां, सुभाषितं, हास्यकणिकां ,स्वस्य कञ्चित् उत्तमम् अनुभवं ,प्रेरकप्रसङ्गं ,लौकिकन्यायं वा वदन्तु। ) in Sanskrit , If possible.
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Topic :संस्कृतकथा,सुभाषितम्,
हास्यकणिका..... इत्यादयः
Date : 28th January 2022,
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January 27, 2022
Great
Chance for Teachers who are not able to teach in Samskrit Language.
They shall be able to teach in Samskrit within 10 days.
Enroll Now : https://adhyapanam.in/courses
Time : 7:30 PM to 9:00 PM
Starts on : 07/02/22
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January 27, 2022
January 27, 2022
January 27, 2022
🍃
♦️tribhirguNamayairbhaavairebhiH sarvamidaM jagat|
mohitaM naabhijaanaati maamebhyaH paramavyayam7.13
⚜7.13 Deluded by these Natures (states or things) composed of the three qualities of Nature all this world does not know Me as distinct from them and immutable.
⚜।।7.13।। त्रिगुणों से उत्पन्न इन भावों (विकारों) से सम्पूर्ण जगत् (लोग) मोहित हुआ इन (गुणों) से परे अव्यय स्वरूप मुझे नहीं जानता है।।
#geeta
त्रिभिर्गुणमयैर्भावैरेभिः सर्वमिदं जगत्।
मोहितं नाभिजानाति मामेभ्यः परमव्ययम्
।।7.13।। ♦️tribhirguNamayairbhaavairebhiH sarvamidaM jagat|
mohitaM naabhijaanaati maamebhyaH paramavyayam
⚜7.13 Deluded by these Natures (states or things) composed of the three qualities of Nature all this world does not know Me as distinct from them and immutable.
⚜।।7.13।। त्रिगुणों से उत्पन्न इन भावों (विकारों) से सम्पूर्ण जगत् (लोग) मोहित हुआ इन (गुणों) से परे अव्यय स्वरूप मुझे नहीं जानता है।।
#geeta
January 27, 2022
🚩जय सत्य सनातन🚩
🚩आज की हिंदी तिथि
🌥️ 🚩युगाब्द-५१२३
🌥️ 🚩विक्रम संवत-२०७८
⛅ 🚩तिथि - एकादशी रात्रि ११:३५ तक तत्पश्चात द्वादशी
⛅ दिनांक - २८ जनवरी २०२२
⛅ दिन - शुक्रवार
⛅ शक संवत -१९४३
⛅ अयन - उत्तरायण
⛅ ऋतु - शिशिर
⛅ मास - माघ
⛅ पक्ष - कृष्ण
⛅ नक्षत्र - जेष्ठा प्रातः ०५:०८ तक तत्पश्चात मूल
⛅ योग - ध्रुव रात्रि ०९:४१ तक तत्पश्चात व्याघात
⛅ राहुकाल - सुबह ११:२८ से दोपहर १२:५२ तक
⛅ सूर्योदय - ०७:१८
⛅ सूर्यास्त - १८:२५
⛅ दिशाशूल - पश्चिम दिशा में
🚩आज की हिंदी तिथि
🌥️ 🚩युगाब्द-५१२३
🌥️ 🚩विक्रम संवत-२०७८
⛅ 🚩तिथि - एकादशी रात्रि ११:३५ तक तत्पश्चात द्वादशी
⛅ दिनांक - २८ जनवरी २०२२
⛅ दिन - शुक्रवार
⛅ शक संवत -१९४३
⛅ अयन - उत्तरायण
⛅ ऋतु - शिशिर
⛅ मास - माघ
⛅ पक्ष - कृष्ण
⛅ नक्षत्र - जेष्ठा प्रातः ०५:०८ तक तत्पश्चात मूल
⛅ योग - ध्रुव रात्रि ०९:४१ तक तत्पश्चात व्याघात
⛅ राहुकाल - सुबह ११:२८ से दोपहर १२:५२ तक
⛅ सूर्योदय - ०७:१८
⛅ सूर्यास्त - १८:२५
⛅ दिशाशूल - पश्चिम दिशा में
January 27, 2022
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Topic :संस्कृतकथा,सुभाषितम्,
हास्यकणिका..... इत्यादयः
Date : 28th January 2022,
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Topic :संस्कृतकथा,सुभाषितम्,
हास्यकणिका..... इत्यादयः
Date : 28th January 2022,
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January 27, 2022
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https://youtu.be/SnWO5-Vci8U
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वार्ता: संस्कृत में समाचार
January 27, 2022
January 27, 2022
January 27, 2022
January 27, 2022
January 28, 2022
January 28, 2022
संस्कृत संवादः । Sanskrit Samvadah
संस्कृतं
वद आधुनिको भव। वेदान् पठ वैज्ञानिको भव।। पाठ : (११) तृतीया विभक्ति (३)
+ अयादि सन्धि (सह, साकम्, सार्धम्, समम् के साथ तृतीया विभक्ति होती है)
नक्षत्रेण सह चन्द्रमा उदेति = ताराओं के साथ चन्द्रमा उगता है। अन्यया
भाषया सह संस्कृतमपि अवश्यं शिक्षेयुः…
(हेतुवादी शब्दों में तृतीया विभक्ति होती है।)
अध्ययनेन अध्यापनेन च गुरुकुलं उपवसामि = पढ़ने-पढ़ाने के लिए गुरुकुल में रहता / रहती हूं।
विद्यया विनयः प्राप्नोति = विद्या से विनय प्राप्त होता है।
दिष्ट्या भवादृशां दर्शनं लब्धम् = भाग्य से आप के दर्शन प्राप्त हुए।
गुणैः पूज्यते विद्वान् सर्वत्र = विद्वान् सभी जगह गुणों से पूजा जाता है।
ज्ञानेन मुक्तिः = ज्ञान (विवेकज्ञान) से मुक्ति होती है।
दिलीपः गोसेवया पुत्ररत्नं लेभे इति श्रूयते = दिलीप ने गोसेवा से पुत्रप्राप्ति की थी ऐसा सुना जाता है।
संस्कारेण शूद्रोऽपि द्विजतां याति = संस्कार से शूद्र (विशिष्ट सामर्थ्य रहित) भी द्विज (विशिष्ट सामर्थ्य युक्त) हो जाता है।
तपसा क्रियते यज्ञिया तनूः = तप से शरीर (=जीवन) यज्ञमय किया जाता है।
काव्यशास्त्र विनोदेन कालो गच्छति धीमतां।
व्यसनेन तु मूर्खाणां निद्रया कलहेन वा।। = बुद्धिमानों का समय तलस्पर्शी ग्रन्थों की रसप्रद चर्चा के कारण व्यतीत होता है। जब कि मूर्खों का समय बुरी आदतों को पूरा करने तथा निद्रा व झगड़े में बीत जाता है।
सः श्रद्धया पूर्वानपि अतिशेते = वह श्रद्धा के कारण पूर्वजों को भी अतिक्रमण कर गया।
गृहिण्या गृहं शोभते नश्यतेऽपि = गृहिणी से घर की शोभा होती है तथा नाश भी होता है।
व्यायामेन वर्धते वपुः = व्यायाम से शरीर बढ़ता है (स्वस्थ रहता है)।
मम छिद्रेण लब्धावकाशः मां पीडयति = मेरी कमजोरी का फायदा उठाकर मुझे परेशान कर रहा है।
परिषदि पराजितो मूत्रपदेन प्रस्थितः = सभा में हारा हुआ पेशाब के बहाने भाग गया।
पृष्टो वैयाकरणखसूचिः उत्तरम् अप्राप्य मूत्रपदेन प्रातिष्ठत् = कुत्सित/मूर्ख वैयाकरण पूछे जाने पर उत्तर न बन पाने से पेशाब के बहाने भाग गया ।
अनामयापदेशेन विद्यार्थी विद्यालयात् पलायितः = बिमारी का बहाना बनाकर बिद्यार्थी विद्यालय से भाग गया ।
उच्चारपदेन गृहात् अगमत् = शौच के बहाने से घर से चला गया ।
शिरोर्त्त्यपदेशेन(शिरोर्त्ति-अपदेशेन) स्नुषा शेते = सिरदर्द का बहाना बनाकर बहू सो रही है ।
पृष्ठपीडापदेशेन पृष्ठं मर्दयति पतिः = पीठ की पीडा के बहाने से पति पीठ पर मसाज करवा रहा है ।
पठनापदेशेन प्रिया प्रेमिणा सह पलायिता = पढ़ने के बहाने से प्रिया प्रेमी के साथ पलायन कर गई।
मांसलोलुपाः वेदापदेशेन वैदिकीं हिंसां प्राचालयत् = मांसलोलुपों ने वेद के बहाने से वैदिकी हिंसा (यज्ञबलि) को चलाया ।
व्यापारपदेन युरोपीयाः भारतं प्रावेशत् = व्यापार के बहाने से अंग्रेजों ने भारत में प्रवेश किया ।
अन्धापदेशेन धूर्त्तः भिक्षां याचते = अन्धा बन कर धूर्त्त भीख मांग रहा है ।
शल्यचिकित्सापदेशेन वैद्यः वृक्कम् अचूचुरत् = सर्जरी के बहाने से डाक्टर ने किडनी चुरा ली ।
दानापदेशेन लुण्टाकः श्रेष्ठिणम् अस्नापयत् = दान के बहाने से लुटेरा लाला जी को नहला गया ।
दैवदुर्विपाकेन व्यसनेषु पतितोऽपि पुरुषार्थेन उद्गच्छति = बदकिस्मत के कारण दुःखों में फंसा हुआ भी पुरुषार्थ से ऊपर उठ जाता है।
संस्कारेण शाकं स्वदुतां याति मनुष्यैश्च शिष्टताम् = संस्कार (=बघार) से सब्जी स्वादिष्ट लगती है और मानव शिष्ट बनता है।
अजीर्णतया जायन्ते रोगाः = अपच के कारण रोग होते हैं।
धर्मेण धार्यते धरा = धर्म के कारण से धरा टिकी है।
असत्यमपि सत्येनैव जीवति, तस्माद् विजयतां सत्यम् = झूठ भी सच के सहारे ही चलता है इसलिए सत्य की जय हो।
#vakyabhyas
अध्ययनेन अध्यापनेन च गुरुकुलं उपवसामि = पढ़ने-पढ़ाने के लिए गुरुकुल में रहता / रहती हूं।
विद्यया विनयः प्राप्नोति = विद्या से विनय प्राप्त होता है।
दिष्ट्या भवादृशां दर्शनं लब्धम् = भाग्य से आप के दर्शन प्राप्त हुए।
गुणैः पूज्यते विद्वान् सर्वत्र = विद्वान् सभी जगह गुणों से पूजा जाता है।
ज्ञानेन मुक्तिः = ज्ञान (विवेकज्ञान) से मुक्ति होती है।
दिलीपः गोसेवया पुत्ररत्नं लेभे इति श्रूयते = दिलीप ने गोसेवा से पुत्रप्राप्ति की थी ऐसा सुना जाता है।
संस्कारेण शूद्रोऽपि द्विजतां याति = संस्कार से शूद्र (विशिष्ट सामर्थ्य रहित) भी द्विज (विशिष्ट सामर्थ्य युक्त) हो जाता है।
तपसा क्रियते यज्ञिया तनूः = तप से शरीर (=जीवन) यज्ञमय किया जाता है।
काव्यशास्त्र विनोदेन कालो गच्छति धीमतां।
व्यसनेन तु मूर्खाणां निद्रया कलहेन वा।। = बुद्धिमानों का समय तलस्पर्शी ग्रन्थों की रसप्रद चर्चा के कारण व्यतीत होता है। जब कि मूर्खों का समय बुरी आदतों को पूरा करने तथा निद्रा व झगड़े में बीत जाता है।
सः श्रद्धया पूर्वानपि अतिशेते = वह श्रद्धा के कारण पूर्वजों को भी अतिक्रमण कर गया।
गृहिण्या गृहं शोभते नश्यतेऽपि = गृहिणी से घर की शोभा होती है तथा नाश भी होता है।
व्यायामेन वर्धते वपुः = व्यायाम से शरीर बढ़ता है (स्वस्थ रहता है)।
मम छिद्रेण लब्धावकाशः मां पीडयति = मेरी कमजोरी का फायदा उठाकर मुझे परेशान कर रहा है।
परिषदि पराजितो मूत्रपदेन प्रस्थितः = सभा में हारा हुआ पेशाब के बहाने भाग गया।
पृष्टो वैयाकरणखसूचिः उत्तरम् अप्राप्य मूत्रपदेन प्रातिष्ठत् = कुत्सित/मूर्ख वैयाकरण पूछे जाने पर उत्तर न बन पाने से पेशाब के बहाने भाग गया ।
अनामयापदेशेन विद्यार्थी विद्यालयात् पलायितः = बिमारी का बहाना बनाकर बिद्यार्थी विद्यालय से भाग गया ।
उच्चारपदेन गृहात् अगमत् = शौच के बहाने से घर से चला गया ।
शिरोर्त्त्यपदेशेन(शिरोर्त्ति-अपदेशेन) स्नुषा शेते = सिरदर्द का बहाना बनाकर बहू सो रही है ।
पृष्ठपीडापदेशेन पृष्ठं मर्दयति पतिः = पीठ की पीडा के बहाने से पति पीठ पर मसाज करवा रहा है ।
पठनापदेशेन प्रिया प्रेमिणा सह पलायिता = पढ़ने के बहाने से प्रिया प्रेमी के साथ पलायन कर गई।
मांसलोलुपाः वेदापदेशेन वैदिकीं हिंसां प्राचालयत् = मांसलोलुपों ने वेद के बहाने से वैदिकी हिंसा (यज्ञबलि) को चलाया ।
व्यापारपदेन युरोपीयाः भारतं प्रावेशत् = व्यापार के बहाने से अंग्रेजों ने भारत में प्रवेश किया ।
अन्धापदेशेन धूर्त्तः भिक्षां याचते = अन्धा बन कर धूर्त्त भीख मांग रहा है ।
शल्यचिकित्सापदेशेन वैद्यः वृक्कम् अचूचुरत् = सर्जरी के बहाने से डाक्टर ने किडनी चुरा ली ।
दानापदेशेन लुण्टाकः श्रेष्ठिणम् अस्नापयत् = दान के बहाने से लुटेरा लाला जी को नहला गया ।
दैवदुर्विपाकेन व्यसनेषु पतितोऽपि पुरुषार्थेन उद्गच्छति = बदकिस्मत के कारण दुःखों में फंसा हुआ भी पुरुषार्थ से ऊपर उठ जाता है।
संस्कारेण शाकं स्वदुतां याति मनुष्यैश्च शिष्टताम् = संस्कार (=बघार) से सब्जी स्वादिष्ट लगती है और मानव शिष्ट बनता है।
अजीर्णतया जायन्ते रोगाः = अपच के कारण रोग होते हैं।
धर्मेण धार्यते धरा = धर्म के कारण से धरा टिकी है।
असत्यमपि सत्येनैव जीवति, तस्माद् विजयतां सत्यम् = झूठ भी सच के सहारे ही चलता है इसलिए सत्य की जय हो।
#vakyabhyas
January 28, 2022
January 28, 2022
28 January
नमो नमः
28 जानेवारी 2022) साप्ताहिकमेलनस्य कृते अधोलिखिता योजना अस्ति।
🌺
सायंकाले
सूत्रञ्चालनम्
🌺
6:00 - 6:03 ध्येयमन्त्रम्
🌺
बालकेन्द्रविशेषकार्यक्रमा:
6:03-6:08 कथा जिताक्ष स्वागतजैन:
🌺
6:08-6:13 गीतम् राघवमाधवसीतेललिते श्राव्या किरण:
🌺
6:13-6:18 सुभाषितम् नाभिषेको न संस्कार: तनय: मिहिर: श्रीवास्तव: च
🌺
6:13-6:18 बालकार्यक्रमसमापनम् वत्सला
🌺
6:13-6:23 गणतन्त्रदिनगीतम् - वत्सला
🌺
6:25-6:40 कोषपठनम् हेमा पई
🌺
6:40 - 6:45 नूतनानां परिचय:
🌺
6:45-7:00 मासिक गीतम् "जयतु संस्कृतं विश्ववन्दितम्" ( आचार्य महोदय )
🌺
7:00 -7:15 चर्चा सूचना मार्गदर्शनं च( आचार्य महोदय/हेमा महोदया)
🌺
07:15 एकात्मतामन्त्रम्
सर्वे निश्चयेन आगच्छन्तु
https://bit.ly/melanam
All are invited. No eligibility..
नमो नमः
28 जानेवारी 2022) साप्ताहिकमेलनस्य कृते अधोलिखिता योजना अस्ति।
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सायंकाले
सूत्रञ्चालनम्
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6:00 - 6:03 ध्येयमन्त्रम्
🌺
बालकेन्द्रविशेषकार्यक्रमा:
6:03-6:08 कथा जिताक्ष स्वागतजैन:
🌺
6:08-6:13 गीतम् राघवमाधवसीतेललिते श्राव्या किरण:
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6:13-6:18 सुभाषितम् नाभिषेको न संस्कार: तनय: मिहिर: श्रीवास्तव: च
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6:13-6:18 बालकार्यक्रमसमापनम् वत्सला
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6:13-6:23 गणतन्त्रदिनगीतम् - वत्सला
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6:25-6:40 कोषपठनम् हेमा पई
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6:40 - 6:45 नूतनानां परिचय:
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6:45-7:00 मासिक गीतम् "जयतु संस्कृतं विश्ववन्दितम्" ( आचार्य महोदय )
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7:00 -7:15 चर्चा सूचना मार्गदर्शनं च( आचार्य महोदय/हेमा महोदया)
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07:15 एकात्मतामन्त्रम्
सर्वे निश्चयेन आगच्छन्तु
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January 28, 2022
सङ्क्षेपरामायणम्
(महर्षिवाल्मीकिप्रणीत-रामायण-बालकाण्ड-प्रथमसर्ग-रूपम्)
मूलश्लोकः-97
दशवर्षसहस्राणि दशवर्षशतानि च।
रामो राज्यमुपासित्वा ब्रह्मलोकं प्रयास्यति।।97।।
श्लोकान्वयः -
रामः दशवर्षसहस्राणि दशवर्षशतानि च
राज्यम् उपासित्वा ब्रह्मलोकं प्रयास्यति।।97।।
हिन्दी-अनुवाद -
जो भी व्यक्ति इस निष्पाप पुण्यप्रद तथा वेदानुसारी राम के चरित्र को पढ़ेगा वह सभी पापों से मुक्त जाएगा।।98।।
English Meaning
राम: Rama, दशवर्षसहस्राणि for ten thousand years, दशवर्षशतानि च ten hundred years, राज्यम्
kingdom, उपासित्वा reigning, ब्रह्मलोकम् Brahmaloka, प्रयास्यति will attain.
Rama, reigning the kingdom for eleven thousand years, will attain Brahmaloka.
#SankshepaRamayanam
(महर्षिवाल्मीकिप्रणीत-रामायण-बालकाण्ड-प्रथमसर्ग-रूपम्)
मूलश्लोकः-97
दशवर्षसहस्राणि दशवर्षशतानि च।
रामो राज्यमुपासित्वा ब्रह्मलोकं प्रयास्यति।।97।।
श्लोकान्वयः -
रामः दशवर्षसहस्राणि दशवर्षशतानि च
राज्यम् उपासित्वा ब्रह्मलोकं प्रयास्यति।।97।।
हिन्दी-अनुवाद -
जो भी व्यक्ति इस निष्पाप पुण्यप्रद तथा वेदानुसारी राम के चरित्र को पढ़ेगा वह सभी पापों से मुक्त जाएगा।।98।।
English Meaning
राम: Rama, दशवर्षसहस्राणि for ten thousand years, दशवर्षशतानि च ten hundred years, राज्यम्
kingdom, उपासित्वा reigning, ब्रह्मलोकम् Brahmaloka, प्रयास्यति will attain.
Rama, reigning the kingdom for eleven thousand years, will attain Brahmaloka.
#SankshepaRamayanam
January 28, 2022
🍀 प्रतिदिनं संस्कृतम् 🍀
नमः सर्वेभ्यः
प्रतिदिनं वयं मिलित्वा विभक्तिपठनं करिष्यामः
समयः - 9.30--10.10. PM (भारतीय समयानुसारम् ) केवलं 40 निमेषाः
सोमवासरतः शुक्रवासरपर्यन्तम्
डिसेम्बर 1 दिनाङ्कतः मासद्वयम्
👉🏼प्रवेश👈🏼
नमः सर्वेभ्यः
प्रतिदिनं वयं मिलित्वा विभक्तिपठनं करिष्यामः
समयः - 9.30--10.10. PM (भारतीय समयानुसारम् ) केवलं 40 निमेषाः
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January 28, 2022
@samskrt_samvadah संलापशाला - A Samskrit Voicechat room.
Duration : 30 minutes only
Time : IST 11:00 AM 🕚
Topic : Gossip.
जल्पनम्
Date : 29th January 2022,
Saturday.
Please Join the voicechat on time.
😇 Please come prepared to discuss in Sanskrit , If possible.
We are waiting for you.😇
Set a reminder.
👇🏼👇🏼👇🏼👇🏼👇🏼
https://t.me/samskrt_samvadah?voicechat
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Time : IST 11:00 AM 🕚
Topic : Gossip.
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January 28, 2022
January 28, 2022
🍃
♦️daivii hyeShaa guNamayii mama maayaa duratyayaa|
maameva ye prapadyante maayaametaaM taranti te7.14
⚜7.14 Verily, this divine illusion of Mine, made up of the (three) qualities (of Nature) is difficult to cross over; those who take refuge in Me alone, cross over this illusion.
⚜।।7.14।। यह दैवी त्रिगुणमयी मेरी माया बड़ी दुस्तर है। परन्तु जो मेरी शरण में आते हैं वे इस माया को पार कर जाते हैं।।
#geeta
दैवी ह्येषा गुणमयी मम माया दुरत्यया।
मामेव ये प्रपद्यन्ते मायामेतां तरन्ति ते
।।7.14।। ♦️daivii hyeShaa guNamayii mama maayaa duratyayaa|
maameva ye prapadyante maayaametaaM taranti te
⚜7.14 Verily, this divine illusion of Mine, made up of the (three) qualities (of Nature) is difficult to cross over; those who take refuge in Me alone, cross over this illusion.
⚜।।7.14।। यह दैवी त्रिगुणमयी मेरी माया बड़ी दुस्तर है। परन्तु जो मेरी शरण में आते हैं वे इस माया को पार कर जाते हैं।।
#geeta
January 28, 2022
January 28, 2022
🍃
♦️na maaM duShkRRitino muuDhaaH prapadyante naraadhamaaH|
maayayaapahRRitaj~naanaa aasuraM bhaavamaashritaaH7.15
⚜7.15 The evil-doers and the deluded who are the lowest of men do not seek Me; they whose knowledge is destroyed by illusion follow the ways of demons.
⚜।।7.15।। दुष्कृत्य करने वाले मूढ नराधम पुरुष मुझे नहीं भजते हैं माया के द्वारा जिनका ज्ञान हर लिया गया है वे आसुरी भाव को धारण किये रहते हैं।।
#geeta
न मां दुष्कृतिनो मूढाः प्रपद्यन्ते नराधमाः।
माययापहृतज्ञाना आसुरं भावमाश्रिताः
।।7.15।। ♦️na maaM duShkRRitino muuDhaaH prapadyante naraadhamaaH|
maayayaapahRRitaj~naanaa aasuraM bhaavamaashritaaH
⚜7.15 The evil-doers and the deluded who are the lowest of men do not seek Me; they whose knowledge is destroyed by illusion follow the ways of demons.
⚜।।7.15।। दुष्कृत्य करने वाले मूढ नराधम पुरुष मुझे नहीं भजते हैं माया के द्वारा जिनका ज्ञान हर लिया गया है वे आसुरी भाव को धारण किये रहते हैं।।
#geeta
January 28, 2022
🚩जय सत्य सनातन🚩
🚩आज की हिंदी तिथि
🌥 🚩यगाब्द-५१२३
🌥 🚩विक्रम संवत-२०७८
⛅️ 🚩तिथि - द्वादशी रात्रि 8:37 तक तत्पश्चात त्रयोदशी
⛅️ दिनांक - 29 जनवरी 2022
⛅️ दिन - शनिवार
⛅️ शक संवत -1943
⛅️ अयन - उत्तरायण
⛅️ ऋतु - शिशिर
⛅️ मास - माघ
⛅️ पक्ष - कृष्ण
⛅️ नक्षत्र - मूल 30 जनवरी रात्रि 02:49 तक तत्पश्चात पूर्वाषाढा
⛅️ योग - व्याघात 06:03 तक तत्पश्चात हर्षण
⛅️ राहुकाल - सुबह 10:04 से सुबह 11:28 तक
⛅️ सर्योदय - 07:17
⛅️ सर्यास्त - 18:26
⛅️ दिशाशूल - पूर्व दिशा में
🚩आज की हिंदी तिथि
🌥 🚩यगाब्द-५१२३
🌥 🚩विक्रम संवत-२०७८
⛅️ 🚩तिथि - द्वादशी रात्रि 8:37 तक तत्पश्चात त्रयोदशी
⛅️ दिनांक - 29 जनवरी 2022
⛅️ दिन - शनिवार
⛅️ शक संवत -1943
⛅️ अयन - उत्तरायण
⛅️ ऋतु - शिशिर
⛅️ मास - माघ
⛅️ पक्ष - कृष्ण
⛅️ नक्षत्र - मूल 30 जनवरी रात्रि 02:49 तक तत्पश्चात पूर्वाषाढा
⛅️ योग - व्याघात 06:03 तक तत्पश्चात हर्षण
⛅️ राहुकाल - सुबह 10:04 से सुबह 11:28 तक
⛅️ सर्योदय - 07:17
⛅️ सर्यास्त - 18:26
⛅️ दिशाशूल - पूर्व दिशा में
January 28, 2022
https://youtu.be/THCT7wsjMOU
Switch to DD News daily at 7:15 AM (Morning) for 15 minutes Sanskrit news.
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YouTube
वार्ता: संस्कृत में समाचार | 29/1/2022
January 28, 2022
@samskrt_samvadah संलापशाला - A Samskrit Voicechat room.
Duration : 30 minutes only
Time : IST 11:00 AM 🕚
Topic : Gossip.
जल्पनम्
Date : 29th January 2022,
Saturday.
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👇🏼👇🏼👇🏼👇🏼👇🏼
https://t.me/samskrt_samvadah?voicechat
Duration : 30 minutes only
Time : IST 11:00 AM 🕚
Topic : Gossip.
जल्पनम्
Date : 29th January 2022,
Saturday.
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👇🏼👇🏼👇🏼👇🏼👇🏼
https://t.me/samskrt_samvadah?voicechat
January 28, 2022
January 28, 2022
January 28, 2022
January 28, 2022
माता देवालयं _______ देवम् ________।
Anonymous Quiz
16%
गत्वा, दृश्यति
3%
गम्य, अर्चति
4%
गम्य, पश्यति
77%
गत्वा, अर्चति
January 29, 2022
संस्कृत संवादः । Sanskrit Samvadah
(हेतुवादी
शब्दों में तृतीया विभक्ति होती है।) अध्ययनेन अध्यापनेन च गुरुकुलं
उपवसामि = पढ़ने-पढ़ाने के लिए गुरुकुल में रहता / रहती हूं। विद्यया विनयः
प्राप्नोति = विद्या से विनय प्राप्त होता है। दिष्ट्या भवादृशां दर्शनं
लब्धम् = भाग्य से आप के दर्शन प्राप्त…
(जिस चिह्न से किसी व्यक्ति या वस्तु का बोध होता है, उसमें तृतीया विभक्ति होती है।)
जटाभिः यतिः प्रतीयते = जटा से संन्यासी प्रतीत होता है।
शिरस्त्रे स्त्रेण राष्ट्रीयस्वयं-सेवक-संघी भाति = टोपी से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का सदस्य लग रहा है।
गणवेशेन विद्यार्थी इव गम्यते = गणवेश से विद्यार्थीसा जान पड़ता है।
शिखया ब्रह्मचारी प्रतीयते = शिखा से ब्रह्मचारी लगता है।
वस्त्रे स्त्रेण संन्यासिनी बुध्यते = कपड़ों से संन्यासिनी लग रही है।
गलपट्टिकया विदेशी ज्ञायते = टाई से विदेशी जान पड़ता है।
भिदया भित्तिः पुरातना प्रतीयते = दरार से दीवार पुरानी लग रही है।
छदिषः कालिम्ना अग्निहोत्री परिवारः प्रतीयते = छत की कालीमा से अग्निहोत्री परिवार लगता है।
वर्णेन यानं नूतनं भाति = रंग से तो लगता है कि गाड़ी नई है।
यज्ञोपवीतेन माणविका उपनीता प्रतीयते = यज्ञोपवीत से निश्चय होता है कि बच्ची का उपनयन संस्कार हो चुका है।
अयादि सन्धिः
एचोऽयवायावः। एच् = ए, ओ, ऐ, औ,। अच् = समस्त स्वर। सूत्रार्थ : ए को अय्, ओ को अव्, ऐ को आय् तथा अव् को आव् हो जाता है यदि अच् (= स्वरों में से कोई भी) बाद में हो तो।
ए + अच् = ए को अय्
ओ + अच् = ओ को अव्
ऐ + अच् = ऐ को आय्
औ + अच् = ए को आव्
(यदि पदान्त में ‘ए’ तथा ‘ओ’ के बाद ‘अ’ होगा तब यह सन्धि कार्य नहीं होगा।)
अपदान्त में होनेवाली अयादि सन्धि शब्दनिर्माण की प्रक्रिया में देखनेयोग्य होने से यहां उसके उदाहरण नहीं दिए जाएंगे।
पदान्त में अयादि-सन्धि से आए हुए ‘य’ तथा ‘व’ का विकल्प से ‘अ’ वर्जित अच् याने स्वर के परे रहते लोप हो जाता है अतः दो रूप बनते हैं यथा-
के + आसते = कय् + आसते = क आसते / कयासते।
कयासते / क आसते अत्र = यहां कौन-कौन बैठते हैं ?
अस्मै + उद्धर = अस्माय् + उद्धर = अस्मा उद्धर / अस्मायुद्धर।
अस्मायुद्धर जलं कूपात् / अस्मा उद्धर जलं कूपात् = इसके लिए कूंए से जल निकालो।
असौ + आदित्यः = असाव् + आदित्यः = असा आदित्यः / असावादित्यः।
असावादित्यः उदेति पश्य / असा आदित्यः उदेति पश्य = देखो यह सूर्य उग रहा है।
नौ + अवतु = नाववतु।
ओं सहनाववतु = हे सर्वरक्षक हम दोनों की साथ-साथ रक्षा करो।
नौ + अधीतम् = नावधीतम्।
तेजस्वि नावधीतमस्तु = हमारा पढ़ना प्रकाशित होवे (=फैले)
मे + आसन् = मय् + आसन् = म आसन्।
घृतं मे चक्षुरमृतं म आसन् = मेरी आंखों में स्नेह और मेरी वाणी में मिठास है।
अग्ने + आयाहि = अग्नय् + आयाहि = अग्न आयाहि।
अग्न आयाहि वीतये = हे ज्ञानस्वरूप परमात्मन् ! उत्तम ज्ञान-विज्ञान की प्राप्ति के लिए आप हमें प्राप्त हूजिए।
वायो + आयाहि = वायव् + आयाहि = वायवायाहि।
वायवायाहि दर्शतेमे सोमा अरङ्कृता = हे वायो ! (= अनन्त बलेश्वर) आप आइए और देखिए ये सोम (= श्रेष्ठ पदार्र्थ) आप के लिए सजाकर रखे हैं।
वै + एतस्माद् = वाय् + एतस्माद् = वा एतस्माद्।
तस्माद् वा एतस्मादात्मना आकाशः सम्भूतः = उस परमेश्वर की ही प्रेरणा से ही इस प्रकृति से आकाश उत्पन्न हुआ है।
वै + इदम् = वाय् + इदम् = वा इदम्।
मघवन् मर्त्यं वा इदं शरीरम् = हे इन्द्र (= जीव) यह शरीर निश्चय से मरणधर्मा है।
#vakyabhyas
जटाभिः यतिः प्रतीयते = जटा से संन्यासी प्रतीत होता है।
शिरस्त्रे स्त्रेण राष्ट्रीयस्वयं-सेवक-संघी भाति = टोपी से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का सदस्य लग रहा है।
गणवेशेन विद्यार्थी इव गम्यते = गणवेश से विद्यार्थीसा जान पड़ता है।
शिखया ब्रह्मचारी प्रतीयते = शिखा से ब्रह्मचारी लगता है।
वस्त्रे स्त्रेण संन्यासिनी बुध्यते = कपड़ों से संन्यासिनी लग रही है।
गलपट्टिकया विदेशी ज्ञायते = टाई से विदेशी जान पड़ता है।
भिदया भित्तिः पुरातना प्रतीयते = दरार से दीवार पुरानी लग रही है।
छदिषः कालिम्ना अग्निहोत्री परिवारः प्रतीयते = छत की कालीमा से अग्निहोत्री परिवार लगता है।
वर्णेन यानं नूतनं भाति = रंग से तो लगता है कि गाड़ी नई है।
यज्ञोपवीतेन माणविका उपनीता प्रतीयते = यज्ञोपवीत से निश्चय होता है कि बच्ची का उपनयन संस्कार हो चुका है।
अयादि सन्धिः
एचोऽयवायावः। एच् = ए, ओ, ऐ, औ,। अच् = समस्त स्वर। सूत्रार्थ : ए को अय्, ओ को अव्, ऐ को आय् तथा अव् को आव् हो जाता है यदि अच् (= स्वरों में से कोई भी) बाद में हो तो।
ए + अच् = ए को अय्
ओ + अच् = ओ को अव्
ऐ + अच् = ऐ को आय्
औ + अच् = ए को आव्
(यदि पदान्त में ‘ए’ तथा ‘ओ’ के बाद ‘अ’ होगा तब यह सन्धि कार्य नहीं होगा।)
अपदान्त में होनेवाली अयादि सन्धि शब्दनिर्माण की प्रक्रिया में देखनेयोग्य होने से यहां उसके उदाहरण नहीं दिए जाएंगे।
पदान्त में अयादि-सन्धि से आए हुए ‘य’ तथा ‘व’ का विकल्प से ‘अ’ वर्जित अच् याने स्वर के परे रहते लोप हो जाता है अतः दो रूप बनते हैं यथा-
के + आसते = कय् + आसते = क आसते / कयासते।
कयासते / क आसते अत्र = यहां कौन-कौन बैठते हैं ?
अस्मै + उद्धर = अस्माय् + उद्धर = अस्मा उद्धर / अस्मायुद्धर।
अस्मायुद्धर जलं कूपात् / अस्मा उद्धर जलं कूपात् = इसके लिए कूंए से जल निकालो।
असौ + आदित्यः = असाव् + आदित्यः = असा आदित्यः / असावादित्यः।
असावादित्यः उदेति पश्य / असा आदित्यः उदेति पश्य = देखो यह सूर्य उग रहा है।
नौ + अवतु = नाववतु।
ओं सहनाववतु = हे सर्वरक्षक हम दोनों की साथ-साथ रक्षा करो।
नौ + अधीतम् = नावधीतम्।
तेजस्वि नावधीतमस्तु = हमारा पढ़ना प्रकाशित होवे (=फैले)
मे + आसन् = मय् + आसन् = म आसन्।
घृतं मे चक्षुरमृतं म आसन् = मेरी आंखों में स्नेह और मेरी वाणी में मिठास है।
अग्ने + आयाहि = अग्नय् + आयाहि = अग्न आयाहि।
अग्न आयाहि वीतये = हे ज्ञानस्वरूप परमात्मन् ! उत्तम ज्ञान-विज्ञान की प्राप्ति के लिए आप हमें प्राप्त हूजिए।
वायो + आयाहि = वायव् + आयाहि = वायवायाहि।
वायवायाहि दर्शतेमे सोमा अरङ्कृता = हे वायो ! (= अनन्त बलेश्वर) आप आइए और देखिए ये सोम (= श्रेष्ठ पदार्र्थ) आप के लिए सजाकर रखे हैं।
वै + एतस्माद् = वाय् + एतस्माद् = वा एतस्माद्।
तस्माद् वा एतस्मादात्मना आकाशः सम्भूतः = उस परमेश्वर की ही प्रेरणा से ही इस प्रकृति से आकाश उत्पन्न हुआ है।
वै + इदम् = वाय् + इदम् = वा इदम्।
मघवन् मर्त्यं वा इदं शरीरम् = हे इन्द्र (= जीव) यह शरीर निश्चय से मरणधर्मा है।
#vakyabhyas
January 29, 2022
January 29, 2022
January 29, 2022
सङ्क्षेपरामायणम्
(महर्षिवाल्मीकिप्रणीत-रामायण-बालकाण्ड-प्रथमसर्ग-रूपम्)
मूलश्लोकः-98
इदं पवित्रं पापघ्नं पुण्यं वेदैश्च सम्मितम् ।
यः पठेद् रामचरितं सर्वपापैः प्रमुच्यते।। 98।।
श्लोकान्वयः -
इदं पवित्रं पापघ्नं पुण्यं वैदेश्च सम्मितं रामचरितं
यः पठेत् सर्वपापैः प्रमुच्यते।।98।।
हिन्दी-अनुवाद -
जो भी व्यक्ति इस निष्पाप पुण्यप्रद तथा वेदानुसारी राम के चरित्र को
पढ़ेगा वह सभी पापों से मुक्त जाएगा।।98।।
English Meaning
इदं रामचरितम् this story of Rama, पवित्रम् sacred, पापघ्नम् destroyer of sins, पुण्यम् auspicious, वेदै: by vedas, सम्मितं च equal to, य: who, पठेत् reads, सर्वपापै: from all sins, प्रमुच्यते will be released.
This story of Rama is sacred and holy. It destroys sins and is equal to the Vedas. Whosoever reads it will be freed from all sins.
#SankshepaRamayanam
(महर्षिवाल्मीकिप्रणीत-रामायण-बालकाण्ड-प्रथमसर्ग-रूपम्)
मूलश्लोकः-98
इदं पवित्रं पापघ्नं पुण्यं वेदैश्च सम्मितम् ।
यः पठेद् रामचरितं सर्वपापैः प्रमुच्यते।। 98।।
श्लोकान्वयः -
इदं पवित्रं पापघ्नं पुण्यं वैदेश्च सम्मितं रामचरितं
यः पठेत् सर्वपापैः प्रमुच्यते।।98।।
हिन्दी-अनुवाद -
जो भी व्यक्ति इस निष्पाप पुण्यप्रद तथा वेदानुसारी राम के चरित्र को
पढ़ेगा वह सभी पापों से मुक्त जाएगा।।98।।
English Meaning
इदं रामचरितम् this story of Rama, पवित्रम् sacred, पापघ्नम् destroyer of sins, पुण्यम् auspicious, वेदै: by vedas, सम्मितं च equal to, य: who, पठेत् reads, सर्वपापै: from all sins, प्रमुच्यते will be released.
This story of Rama is sacred and holy. It destroys sins and is equal to the Vedas. Whosoever reads it will be freed from all sins.
#SankshepaRamayanam
January 29, 2022
@samskrt_samvadah संलापशाला - A Samskrit Voicechat room.
कालावधिः : 30 minutes only
समयः : IST 17:00 PM 🕔
विषयः : भाग्यं प्रधानम् उत पौरुषम् ।
(Luck or Hardwork - Which is important.)
दिनाङ्कः : 30th January 2022,
Sunday.
Please Join the voicechat on time.
😇 Please come prepared to discuss ( जीवने भाग्यस्य प्रधानता अस्ति अथवा प्रयत्नस्य।)in Sanskrit , If possible.
We are waiting for you.😇
Set a reminder.
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https://t.me/samskrt_samvadah?voicechat
कालावधिः : 30 minutes only
समयः : IST 17:00 PM 🕔
विषयः : भाग्यं प्रधानम् उत पौरुषम् ।
(Luck or Hardwork - Which is important.)
दिनाङ्कः : 30th January 2022,
Sunday.
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January 29, 2022
January 29, 2022
🍃
♦️chaturvidhaa bhajante maaM janaaH sukRRitino'rjuna|
aarto jij~naasurarthaarthii j~naanii cha bharatarShabha7.16
⚜7.16 Four kinds of virtuous men worship Me, O Arjuna, and they are the distressed, the seeker of knowledge, the seeker of wealth and the wise, O lord of the Bharatas.
⚜।।7.16।। हे भरत श्रेष्ठ अर्जुन उत्तम कर्म करने वाले (सुकृतिन) आर्त जिज्ञासु अर्थार्थी और ज्ञानी ऐसे चार प्रकार के लोग मुझे भजते हैं।।
#geeta
चतुर्विधा भजन्ते मां जनाः सुकृतिनोऽर्जुन।
आर्तो जिज्ञासुरर्थार्थी ज्ञानी च भरतर्षभ
।।7.16।।♦️chaturvidhaa bhajante maaM janaaH sukRRitino'rjuna|
aarto jij~naasurarthaarthii j~naanii cha bharatarShabha
⚜7.16 Four kinds of virtuous men worship Me, O Arjuna, and they are the distressed, the seeker of knowledge, the seeker of wealth and the wise, O lord of the Bharatas.
⚜।।7.16।। हे भरत श्रेष्ठ अर्जुन उत्तम कर्म करने वाले (सुकृतिन) आर्त जिज्ञासु अर्थार्थी और ज्ञानी ऐसे चार प्रकार के लोग मुझे भजते हैं।।
#geeta
January 29, 2022
Forwarded from रामदूतः — The Sanskrit News Platform
YouTube
vaartavali
DD News is India’s
24x7 news channel from the stable of the country’s Public Service
Broadcaster, Prasar Bharati. It has the distinction of being India’s
only terrestrial cum satellite News Channel. Launched in 2003, DD News
has made a name for itself to…
January 29, 2022
January 29, 2022
🍃
♦️teShaaM j~naanii nityayukta ekabhak्itarvishiShyate|
priyo hi j~naanino'tyarthamahaM sa cha mama priyaH7.17
⚜7.17 Of them the wise, ever steadfast and devoted to the One, excels (is the best); for I am exceedingly dear to the wise and he is dear to Me.
⚜।।7.17।। उनमें भी मुझ से नित्ययुक्त अनन्य भक्ति वाला ज्ञानी श्रेष्ठ है क्योंकि ज्ञानी को मैं अत्यन्त प्रिय हूँ और वह मुझे अत्यन्त प्रिय है।।
#geeta
तेषां ज्ञानी नित्ययुक्त एकभक्ितर्विशिष्यते।
प्रियो हि ज्ञानिनोऽत्यर्थमहं स च मम प्रियः
।।7.17।।♦️teShaaM j~naanii nityayukta ekabhak्itarvishiShyate|
priyo hi j~naanino'tyarthamahaM sa cha mama priyaH
⚜7.17 Of them the wise, ever steadfast and devoted to the One, excels (is the best); for I am exceedingly dear to the wise and he is dear to Me.
⚜।।7.17।। उनमें भी मुझ से नित्ययुक्त अनन्य भक्ति वाला ज्ञानी श्रेष्ठ है क्योंकि ज्ञानी को मैं अत्यन्त प्रिय हूँ और वह मुझे अत्यन्त प्रिय है।।
#geeta
January 29, 2022
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January 29, 2022
Forwarded from रामदूतः — The Sanskrit News Platform
https://youtu.be/s26iIqG8zlI
Switch to DD News daily at 7:15 AM (Morning) for 15 minutes Sanskrit news.
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वार्ता: संस्कृत में समाचार | पीएम मोदी आज मन की बात कार्यक्रम में अपने विचार करेंगे साझा
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January 29, 2022
Forwarded from रामदूतः — The Sanskrit News Platform
🚩जय सत्य सनातन🚩
🚩आज की हिंदी तिथि
🌥️ 🚩युगाब्द-५१२३
🌥️ 🚩विक्रम संवत-२०७८
⛅ 🚩तिथि - त्रयोदशी शाम ०५:२८ तक तत्पश्चात चतुर्दशी
⛅ दिनांक - ३० जनवरी २०२२
⛅ दिन - रविवार
⛅ शक संवत -१९४३
⛅ अयन - उत्तरायण
⛅ ऋतु - शिशिर
⛅ मास - माघ
⛅ पक्ष - कृष्ण
⛅ नक्षत्र - पूर्वाषाढा रात्रि १२:२३ तक तत्पश्चात उत्तराषाढा
⛅ योग - हर्षण दोपहर ०२:१६ तक तत्पश्चात वज्र
⛅ राहुकाल - शाम ०५:०४ से शाम ०६:२८ तक
⛅ सूर्योदय - ०७:१७
⛅ सूर्यास्त - १८:२६
⛅ दिशाशूल - पश्चिम दिशा में
🚩आज की हिंदी तिथि
🌥️ 🚩युगाब्द-५१२३
🌥️ 🚩विक्रम संवत-२०७८
⛅ 🚩तिथि - त्रयोदशी शाम ०५:२८ तक तत्पश्चात चतुर्दशी
⛅ दिनांक - ३० जनवरी २०२२
⛅ दिन - रविवार
⛅ शक संवत -१९४३
⛅ अयन - उत्तरायण
⛅ ऋतु - शिशिर
⛅ मास - माघ
⛅ पक्ष - कृष्ण
⛅ नक्षत्र - पूर्वाषाढा रात्रि १२:२३ तक तत्पश्चात उत्तराषाढा
⛅ योग - हर्षण दोपहर ०२:१६ तक तत्पश्चात वज्र
⛅ राहुकाल - शाम ०५:०४ से शाम ०६:२८ तक
⛅ सूर्योदय - ०७:१७
⛅ सूर्यास्त - १८:२६
⛅ दिशाशूल - पश्चिम दिशा में
January 29, 2022
January 30, 2022
महाभारतस्य भाषा
Course Description
Enjoy Samskrit – the Language of Mahabharata
• Selected 117 slokas from Yaksha-Yudhishthira-samvaada, Niti-upadesha, Rajadharma-upadesha of Mahabharata Kavya are explained.
• Total videos = 101 ; Total viewing time = 21:15 hours.
• Continue enjoying other portions of the Kavya.
Course Requirements :
• Knowledge on Samskrit Grammar (similar to level 3 of SSP series).
• Linguistic analysis of the sloka is provided to facilitate the learner to enjoy Kavya on their own terms.
Target Audience :
• Students, BA, MA students of Samskrit, others interested to study kavyas.
• These courses are prepared considering that the learner is 16+.
Course Instructions :
1. You can learn yourself and enjoy the text.
2. Text Book and Video shall be referred as per your convenience.
3. Please use CHAT or WhatsApp or email to put your doubts & questions to a teacher. Please communicate with instructors or teachers in Samskrit.
4. This course supports your interest to learn subject text and gives all linguistic help required. Please pursue & master Samskrit. No test or certificate is provided for this level.
Course Details
Duration 4 Months
Lectures 101
Course Fee INR 500
Level Mid-level
Students 121
Language Samskrit
To enrol Click here
https://learnsamskrit.online/course_details?name/=MDQ0ODQ4NDI5OTE5MQ==
#SanskritEducation
Course Description
Enjoy Samskrit – the Language of Mahabharata
• Selected 117 slokas from Yaksha-Yudhishthira-samvaada, Niti-upadesha, Rajadharma-upadesha of Mahabharata Kavya are explained.
• Total videos = 101 ; Total viewing time = 21:15 hours.
• Continue enjoying other portions of the Kavya.
Course Requirements :
• Knowledge on Samskrit Grammar (similar to level 3 of SSP series).
• Linguistic analysis of the sloka is provided to facilitate the learner to enjoy Kavya on their own terms.
Target Audience :
• Students, BA, MA students of Samskrit, others interested to study kavyas.
• These courses are prepared considering that the learner is 16+.
Course Instructions :
1. You can learn yourself and enjoy the text.
2. Text Book and Video shall be referred as per your convenience.
3. Please use CHAT or WhatsApp or email to put your doubts & questions to a teacher. Please communicate with instructors or teachers in Samskrit.
4. This course supports your interest to learn subject text and gives all linguistic help required. Please pursue & master Samskrit. No test or certificate is provided for this level.
Course Details
Duration 4 Months
Lectures 101
Course Fee INR 500
Level Mid-level
Students 121
Language Samskrit
To enrol Click here
https://learnsamskrit.online/course_details?name/=MDQ0ODQ4NDI5OTE5MQ==
#SanskritEducation
January 29, 2022
January 29, 2022
किं वाक्यं शुद्धम् अस्ति।
Anonymous Quiz
13%
शिष्यः आचार्यं प्रश्नं अपृच्छत्।
74%
शिष्यः आचार्यं प्रश्नम् अपृच्छत्।
9%
शिष्यः आचार्यम् प्रश्नम् अपृच्छत्।
3%
शिष्यः आचार्यम् प्रश्नं अपृच्छत्।
January 30, 2022
संस्कृत संवादः । Sanskrit Samvadah
(जिस
चिह्न से किसी व्यक्ति या वस्तु का बोध होता है, उसमें तृतीया विभक्ति
होती है।) जटाभिः यतिः प्रतीयते = जटा से संन्यासी प्रतीत होता है।
शिरस्त्रे स्त्रेण राष्ट्रीयस्वयं-सेवक-संघी भाति = टोपी से राष्ट्रीय
स्वयंसेवक संघ का सदस्य लग रहा है। गणवेशेन विद्यार्थी…
संस्कृतं वद आधुनिको भव।
वेदान् पठ वैज्ञानिको भव।।
पाठ: (12) तृतीया विभक्ति (4) + गुण सन्धिः
(क्रिया की विशेषता बतानेवाले शब्द को क्रियाविशेषण कहते हैं क्रियाविशेषण में तृतीया विभक्ति होती है। कहीं अव्यय शब्दों का भी प्रयोग क्रियाविशेषण के रूप में होता है।)
ज्ञानी सुखेन जीवती = ज्ञानी सुख से जीता है।
महात्मानः स्वभावेन कोमलाः भवन्ति = महात्मा स्वभाव से कोमल होते हैं।
गोदुग्धं प्रकृत्या मधुरं भवति = गाय का दूध स्वभावतः मीठा होता है।
विना धर्मं धनं च जीवनयात्रा दुःखेन चलति = धर्म और धन के बिना जीवन यात्रा दुःख से चलती है।
सन्तोषं विना च दुःखतरेण चलति = और सन्तोष के बिना तो जीवनयात्रा अत्यन्त दुःख से चलती है।
वैरागी तु सुखसुखेन जीवति = विरक्त व्यक्ति बहुत सुख से जीता है।
व्यापारे हानिः जाता। अहो वराक ! कृच्छ्रेण दिनानि यापयति = व्यापार में नुकसान हुआ.. अरे बेचारा..! कठिनाई से दिन बिता रहा है।
द्वीपी वेगेन धावति = चीता वेग से दौड़ता है।
चपला क्षणेन पलायते = बिजुली पलभर में भाग जाती है।
अविरलवारिधारासंपातेन वृष्टिः अभवत् = मूसलाधार बारिश हुई।
संयमी संयमेन जीवति तापसश्च तपसा = संयमी संयम से जीता है और तपस्वी तपपूर्वक।
परसुखासहिष्णुः दुःखदुःखेन जीवति = ईर्ष्यालु अत्यन्त कष्ट से जीता है।
नीचैः गच्छत्युपरि च दशा चक्रनेमिक्रमेण = जीवन की दशा पहिए के गोले के समान ऊपर-नीचे होती है।
किन्तु धीराः धैर्येण तिष्ठन्ति = परन्तु धीर लोग धैर्यपूर्वक रहते हैं।
नाम्ना शीतला अहम् = नाम से ही मैं शीतल हूं (=मेरा नाम शीतल है)।
नाम्ना जलनिधिः अस्ति, बिन्दुमपि न पाययति = नाममात्र का सागर है, बून्दभर भी पानी नहीं पिलाता।
श्रान्तः घोरया निद्रया शेते = थका हुआ व्यक्ति गहरी नीन्द सो रहा है।
विपत्तौ प्रायेण छिद्राः बहुली भवन्ति = गरीबी में आटा गीला।
साधुवृत्तानां विपत्तयः प्रायेण अस्थायिन्यो भवन्ति = सदाचारियों के जीवन में आयी हुई विपत्तियां प्रायः करके अस्थायी होती हैं।
हृदा उक्तं त्वरया शृणोति भगवान् = दिल से कही बुई बात शीघ्र ही भगवान सुनता है।
कर्मफलदाता कर्मफलम् अचिरेण ददाति = कर्मफलदाता कर्मफल को बिना देर किए (= समय पर) देता है।
चिरेण शयनं चिरेण जागरणं न शिष्टाचारः = देर से सोना और देर से जगना शिष्टों का आचरण नहीं है।
यदृच्छया किमपि न भवति जगति, सर्वं सहेतुकं भवति = अपनेआप संसार में कुछ भी नहीं होता, सबकुछ कारणपूर्वक ही होता है।
यौवनपदवीमारूढः सः यानं यदृच्छया चालयति = जवानी के मद में चूर वह गाड़ी को बेछूट चलाता है।
यदृच्छया अहमपि तत्र अगमम् = संयोग की बात है, मैं भी वहां गया हुआ / गई हुई था / थी।
विपणीपथं गच्छन्तं मां यदृच्छया भवान् अमिलत् = बजार जाते हुए मुझे रास्ते में संयोग से आप मिले।
नियमपालनं स्वेच्छया क्रियते स्वेच्छाचारिभिः = मनमौजियों के द्वारा निममों का पालन स्वेच्छापूर्वक किया जाता है।
चंचलं प्रमाथि बलवद् दृढं मनः काठिन्येन निगृह्यते = चंचल, मथ देनेवाला, बलवान् हठी मन कठिनाई से पकड़ में आता है।
किन्तु विरक्तं मनः सारल्येन निरुध्यते = परन्तु विरक्त मन सरलता से रुक जाता है।
पर्वतलुण्ठितः अनायासेन पतत्येव = पर्वत से लुढ़का हुआ अनायास गिरता ही जाता है।
धान्येन सह यवसं अनायासेन उद्गच्छति = धान के साथ घास बिना किसी प्रयत्न के ही उग जाता है।
प्रकृतिः जगद्रूपेण परिणमते न तु ब्रह्म = प्रकृति जगतरूप में परिणत होती है, ब्रह्म नहीं।
शीनकेन पयो दधिभावेन परिणमते = जामन के कारण दूध दहि बन जाता है।
धर्म रहिताः मनुष्यरूपेण मृगसदृशाः एव = धर्म से रहित लोग मनुष्यरूप में जंगली पशु के समान ही हैं।
त्यक्तेन भुञ्जीथाः = त्यागपूर्वक भोग कर।
अल्पेन न तुष्यन्ति तृषाः = प्यासे थोड़े से तृप्त नहीं होते।
शान्त्या उपविश मा शब्दं कुरु = शान्ति से बैठ, शोर मत कर !
साधवः सारल्येन वर्तन्ते = साधू लोग सरलता से व्यवहार करते हैं।
वाल्मिकी लवकुशौ सावधानेन पर्यपाठयत् = वाल्मिकी ने लवकुश को सावधानी से पढ़ाया।
#vakyabhyas
वेदान् पठ वैज्ञानिको भव।।
पाठ: (12) तृतीया विभक्ति (4) + गुण सन्धिः
(क्रिया की विशेषता बतानेवाले शब्द को क्रियाविशेषण कहते हैं क्रियाविशेषण में तृतीया विभक्ति होती है। कहीं अव्यय शब्दों का भी प्रयोग क्रियाविशेषण के रूप में होता है।)
ज्ञानी सुखेन जीवती = ज्ञानी सुख से जीता है।
महात्मानः स्वभावेन कोमलाः भवन्ति = महात्मा स्वभाव से कोमल होते हैं।
गोदुग्धं प्रकृत्या मधुरं भवति = गाय का दूध स्वभावतः मीठा होता है।
विना धर्मं धनं च जीवनयात्रा दुःखेन चलति = धर्म और धन के बिना जीवन यात्रा दुःख से चलती है।
सन्तोषं विना च दुःखतरेण चलति = और सन्तोष के बिना तो जीवनयात्रा अत्यन्त दुःख से चलती है।
वैरागी तु सुखसुखेन जीवति = विरक्त व्यक्ति बहुत सुख से जीता है।
व्यापारे हानिः जाता। अहो वराक ! कृच्छ्रेण दिनानि यापयति = व्यापार में नुकसान हुआ.. अरे बेचारा..! कठिनाई से दिन बिता रहा है।
द्वीपी वेगेन धावति = चीता वेग से दौड़ता है।
चपला क्षणेन पलायते = बिजुली पलभर में भाग जाती है।
अविरलवारिधारासंपातेन वृष्टिः अभवत् = मूसलाधार बारिश हुई।
संयमी संयमेन जीवति तापसश्च तपसा = संयमी संयम से जीता है और तपस्वी तपपूर्वक।
परसुखासहिष्णुः दुःखदुःखेन जीवति = ईर्ष्यालु अत्यन्त कष्ट से जीता है।
नीचैः गच्छत्युपरि च दशा चक्रनेमिक्रमेण = जीवन की दशा पहिए के गोले के समान ऊपर-नीचे होती है।
किन्तु धीराः धैर्येण तिष्ठन्ति = परन्तु धीर लोग धैर्यपूर्वक रहते हैं।
नाम्ना शीतला अहम् = नाम से ही मैं शीतल हूं (=मेरा नाम शीतल है)।
नाम्ना जलनिधिः अस्ति, बिन्दुमपि न पाययति = नाममात्र का सागर है, बून्दभर भी पानी नहीं पिलाता।
श्रान्तः घोरया निद्रया शेते = थका हुआ व्यक्ति गहरी नीन्द सो रहा है।
विपत्तौ प्रायेण छिद्राः बहुली भवन्ति = गरीबी में आटा गीला।
साधुवृत्तानां विपत्तयः प्रायेण अस्थायिन्यो भवन्ति = सदाचारियों के जीवन में आयी हुई विपत्तियां प्रायः करके अस्थायी होती हैं।
हृदा उक्तं त्वरया शृणोति भगवान् = दिल से कही बुई बात शीघ्र ही भगवान सुनता है।
कर्मफलदाता कर्मफलम् अचिरेण ददाति = कर्मफलदाता कर्मफल को बिना देर किए (= समय पर) देता है।
चिरेण शयनं चिरेण जागरणं न शिष्टाचारः = देर से सोना और देर से जगना शिष्टों का आचरण नहीं है।
यदृच्छया किमपि न भवति जगति, सर्वं सहेतुकं भवति = अपनेआप संसार में कुछ भी नहीं होता, सबकुछ कारणपूर्वक ही होता है।
यौवनपदवीमारूढः सः यानं यदृच्छया चालयति = जवानी के मद में चूर वह गाड़ी को बेछूट चलाता है।
यदृच्छया अहमपि तत्र अगमम् = संयोग की बात है, मैं भी वहां गया हुआ / गई हुई था / थी।
विपणीपथं गच्छन्तं मां यदृच्छया भवान् अमिलत् = बजार जाते हुए मुझे रास्ते में संयोग से आप मिले।
नियमपालनं स्वेच्छया क्रियते स्वेच्छाचारिभिः = मनमौजियों के द्वारा निममों का पालन स्वेच्छापूर्वक किया जाता है।
चंचलं प्रमाथि बलवद् दृढं मनः काठिन्येन निगृह्यते = चंचल, मथ देनेवाला, बलवान् हठी मन कठिनाई से पकड़ में आता है।
किन्तु विरक्तं मनः सारल्येन निरुध्यते = परन्तु विरक्त मन सरलता से रुक जाता है।
पर्वतलुण्ठितः अनायासेन पतत्येव = पर्वत से लुढ़का हुआ अनायास गिरता ही जाता है।
धान्येन सह यवसं अनायासेन उद्गच्छति = धान के साथ घास बिना किसी प्रयत्न के ही उग जाता है।
प्रकृतिः जगद्रूपेण परिणमते न तु ब्रह्म = प्रकृति जगतरूप में परिणत होती है, ब्रह्म नहीं।
शीनकेन पयो दधिभावेन परिणमते = जामन के कारण दूध दहि बन जाता है।
धर्म रहिताः मनुष्यरूपेण मृगसदृशाः एव = धर्म से रहित लोग मनुष्यरूप में जंगली पशु के समान ही हैं।
त्यक्तेन भुञ्जीथाः = त्यागपूर्वक भोग कर।
अल्पेन न तुष्यन्ति तृषाः = प्यासे थोड़े से तृप्त नहीं होते।
शान्त्या उपविश मा शब्दं कुरु = शान्ति से बैठ, शोर मत कर !
साधवः सारल्येन वर्तन्ते = साधू लोग सरलता से व्यवहार करते हैं।
वाल्मिकी लवकुशौ सावधानेन पर्यपाठयत् = वाल्मिकी ने लवकुश को सावधानी से पढ़ाया।
#vakyabhyas
January 30, 2022
January 30, 2022
@koiralasanskrit — अहो, दूरवाणीव्यसनम् कथं त्यजेयम्?
@Patangaha — उच्चतमे पर्वते गत्वा ततः वेगेन फोनम् अधः क्षिप।
शीघ्रं हि तव मदः अपगमिष्यति न संशयः।
#hasya
@Patangaha — उच्चतमे पर्वते गत्वा ततः वेगेन फोनम् अधः क्षिप।
शीघ्रं हि तव मदः अपगमिष्यति न संशयः।
#hasya
January 30, 2022
सङ्क्षेपरामायणम्
(महर्षिवाल्मीकिप्रणीत-रामायण-बालकाण्ड-प्रथमसर्ग-रूपम्)
मूलश्लोकः-99
एतदाख्यानमायुष्यं पठन् रामायणं नरः।
सपुत्रपौत्रः सगणः प्रेत्य स्वर्गे महीयते।। 99।।
श्लोकान्वयः -
एतद् आयुष्यम् आख्यानं रामायणं पठन् नरः
सपुत्रपौत्रः सगणः प्रेत्य स्वर्गे महीयते।।99।।
हिन्दी-अनुवाद -
दीर्घायुष्य कारक इस राम कथा (रामायण) को पढ़कर मनुष्य शरीर त्यागने के बाद पुत्र,
पौत्र एवं अनुयायियों के साथ स्वर्गलोक में पूजा जाता है।।99।।
English Meaning
एतद् रामायणम् this Ramayana, आख्यानम् true meaning, आयुष्यम् longevity, पठन् reading, नर: men, सपुत्रपौत्र: with sons and grandsons, सगण: with servants and relations, प्रेत्य after death, स्वर्गे in heavens, महीयते worshipped.
This story of Ramayana enhances longevity of those who read it and recite it. They will be worshipped in heavens after their death along with their sons and grandsons, servants and relations.
#SankshepaRamayanam
(महर्षिवाल्मीकिप्रणीत-रामायण-बालकाण्ड-प्रथमसर्ग-रूपम्)
मूलश्लोकः-99
एतदाख्यानमायुष्यं पठन् रामायणं नरः।
सपुत्रपौत्रः सगणः प्रेत्य स्वर्गे महीयते।। 99।।
श्लोकान्वयः -
एतद् आयुष्यम् आख्यानं रामायणं पठन् नरः
सपुत्रपौत्रः सगणः प्रेत्य स्वर्गे महीयते।।99।।
हिन्दी-अनुवाद -
दीर्घायुष्य कारक इस राम कथा (रामायण) को पढ़कर मनुष्य शरीर त्यागने के बाद पुत्र,
पौत्र एवं अनुयायियों के साथ स्वर्गलोक में पूजा जाता है।।99।।
English Meaning
एतद् रामायणम् this Ramayana, आख्यानम् true meaning, आयुष्यम् longevity, पठन् reading, नर: men, सपुत्रपौत्र: with sons and grandsons, सगण: with servants and relations, प्रेत्य after death, स्वर्गे in heavens, महीयते worshipped.
This story of Ramayana enhances longevity of those who read it and recite it. They will be worshipped in heavens after their death along with their sons and grandsons, servants and relations.
#SankshepaRamayanam
January 30, 2022
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@samskrt_samvadah संलापशाला - A Samskrit Voicechat room.
कालावधिः : 30 minutes only
समयः : IST 11:00 AM 🕚
विषयः : वार्ता
(News.)
दिनाङ्कः : 31st January 2022,
Monday.
Please Join the voicechat on time.
😇 Please come prepared to discuss ( प्रदेशीयां , राष्ट्रीयां, अन्यराष्ट्रीयां वा वार्तां वदन्तु।)in Sanskrit , If possible.
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January 30, 2022
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🍃
♦️udaaraaH sarva evaite j~naanii tvaatmaiva me matam|
aasthitaH sa hi yuktaatmaa maamevaanuttamaaM gatim7.18
⚜7.18 Noble indeed are all these; but I deem the wise man as My very Self; for, steadfast in mind he is established in Me alone as the supreme goal.
⚜।।7.18।। (यद्यपि) ये सब उत्कृष्ट हैं, परन्तु ज्ञानी तो मेरा स्वरूप ही है ऐसा मेरा मत है, क्योंकि वह स्थिर बुद्धि ज्ञानी अति उत्तम गतिस्वरूप मुझमें अच्छी प्रकार स्थित है।
#geeta
उदाराः सर्व एवैते ज्ञानी त्वात्मैव मे मतम्।
आस्थितः स हि युक्तात्मा मामेवानुत्तमां गतिम्
।।7.18।।♦️udaaraaH sarva evaite j~naanii tvaatmaiva me matam|
aasthitaH sa hi yuktaatmaa maamevaanuttamaaM gatim
⚜7.18 Noble indeed are all these; but I deem the wise man as My very Self; for, steadfast in mind he is established in Me alone as the supreme goal.
⚜।।7.18।। (यद्यपि) ये सब उत्कृष्ट हैं, परन्तु ज्ञानी तो मेरा स्वरूप ही है ऐसा मेरा मत है, क्योंकि वह स्थिर बुद्धि ज्ञानी अति उत्तम गतिस्वरूप मुझमें अच्छी प्रकार स्थित है।
#geeta
January 30, 2022
January 30, 2022
🍃
♦️bahuunaaM janmanaamante j~naanavaanmaaM prapadyate|
vaasudevaH sarvamiti sa mahaatmaa sudurlabhaH7.19
⚜7.19 At the end of many births the wise man comes to Me, realising that all this is Vaasudeva (the innermost Self); such a great soul (Mahatma) is very hard to find.
⚜।।7.19।। बहुत जन्मों के अन्त में (किसी एक जन्म विशेष में) ज्ञान को प्राप्त होकर कि यह सब वासुदेव है ज्ञानी भक्त मुझे प्राप्त होता है ऐसा महात्मा अति दुर्लभ है।।
#geeta
बहूनां जन्मनामन्ते ज्ञानवान्मां प्रपद्यते।
वासुदेवः सर्वमिति स महात्मा सुदुर्लभः
।।7.19।।♦️bahuunaaM janmanaamante j~naanavaanmaaM prapadyate|
vaasudevaH sarvamiti sa mahaatmaa sudurlabhaH
⚜7.19 At the end of many births the wise man comes to Me, realising that all this is Vaasudeva (the innermost Self); such a great soul (Mahatma) is very hard to find.
⚜।।7.19।। बहुत जन्मों के अन्त में (किसी एक जन्म विशेष में) ज्ञान को प्राप्त होकर कि यह सब वासुदेव है ज्ञानी भक्त मुझे प्राप्त होता है ऐसा महात्मा अति दुर्लभ है।।
#geeta
January 30, 2022
🚩जय सत्य सनातन🚩
🚩आज की हिंदी तिथि
🌥️ 🚩युगाब्द-५१२३
🌥️ 🚩विक्रम संवत-२०७८
⛅ 🚩तिथि - चतुर्दशी दोपहर ०२:२८ तक तत्पश्चात अमावस्या
⛅ दिनांक - ३१ जनवरी २०२२
⛅ दिन - सोमवार
⛅ शक संवत -१९४३
⛅ अयन - उत्तरायण
⛅ ऋतु - शिशिर
⛅ मास - माघ
⛅ पक्ष - कृष्ण
⛅ नक्षत्र - उत्तराषाढा रात्रि ०९:५७ तक तत्पश्चात श्रवण
⛅ योग - वज्र सुबह १०:२६ तक तत्पश्चात सिद्धि
⛅ राहुकाल - सुबह ०८:४० से सुबह १०:०४ तक
⛅ सूर्योदय - ०७:१७
⛅ सूर्यास्त - १९:२७
⛅ दिशाशूल - पूर्व दिशा में
🚩आज की हिंदी तिथि
🌥️ 🚩युगाब्द-५१२३
🌥️ 🚩विक्रम संवत-२०७८
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⛅ दिनांक - ३१ जनवरी २०२२
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⛅ शक संवत -१९४३
⛅ अयन - उत्तरायण
⛅ ऋतु - शिशिर
⛅ मास - माघ
⛅ पक्ष - कृष्ण
⛅ नक्षत्र - उत्तराषाढा रात्रि ०९:५७ तक तत्पश्चात श्रवण
⛅ योग - वज्र सुबह १०:२६ तक तत्पश्चात सिद्धि
⛅ राहुकाल - सुबह ०८:४० से सुबह १०:०४ तक
⛅ सूर्योदय - ०७:१७
⛅ सूर्यास्त - १९:२७
⛅ दिशाशूल - पूर्व दिशा में
January 30, 2022
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January 30, 2022
Forwarded from रामदूतः — The Sanskrit News Platform
Switch to DD News daily at 7:15 AM (Morning) for 15 minutes Sanskrit news.
https://youtu.be/1lXTHuxj8fE
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YouTube
वार्ता: संस्कृत में समाचार | संसद का बजट सत्र आज से शुरु
January 30, 2022
January 30, 2022
January 30, 2022
January 30, 2022
January 31, 2022
संस्कृत संवादः । Sanskrit Samvadah
संस्कृतं
वद आधुनिको भव। वेदान् पठ वैज्ञानिको भव।। पाठ: (12) तृतीया विभक्ति (4) +
गुण सन्धिः (क्रिया की विशेषता बतानेवाले शब्द को क्रियाविशेषण कहते हैं
क्रियाविशेषण में तृतीया विभक्ति होती है। कहीं अव्यय शब्दों का भी प्रयोग
क्रियाविशेषण के रूप में होता है।)…
(क्रियाविशेषण के रूप में अव्ययों का प्रयोग)
मन्दं चल, मा त्वर = धीरे चल, जल्दी मत कर।
मन्दं मन्दं गीतं गुनगुनायते गीता = गीता मन्द स्वर में गीत गुनगुनारही है।
मा तिष्ठ, शीघ्रं चल..! = मत रुक, जल्दी चल..!
चिरं भवति, शीघ्रं शीघ्रं कथं न चलसि ? = देर हो रही है, जल्दी-जल्दी क्यों नहीं चलता है ?
कालं मा यापय, त्वरितं उत्तर..! = समय मत बिगाड़, जल्दी जबाब दे..!
वैद्यलिपीं मा प्रयुङ्क्ष्व, सुष्ठु लिख..! = डॉक्टर की सी शैली में मत लिख, सुन्दर अक्षरों में (= सुलेख) लिख..!
द्रुतम् एहि, कोऽपि द्रक्ष्यति..! = जल्दी आ जा, कोई देख लेगा..!
पित्रे सविनयं प्रणिपातय माम्..! = पिता को विनयपूर्वक मेरा प्रणाम कहना..!
तत्र भवन्तं सादरं प्रणमामि..! = हे पूजनीय, मेरा आप को सादर प्रणाम है..!
दृढं बध्नातु रज्जुं, मा उद्घटेत् = रस्सी मजबूती से बांधना खुल न जाए..!
वचो मा भ्रामय, सरलं वद..! = बात मत घुमा, सीधे बोल..!
न अवगम्यते किं वदति इति, स्पष्टं वद..! = क्या कह रहा है पता नहीं चल रहा है, अतः साफ-साफ कहो..!
तूष्णीं तिष्ठ, कोऽपि श्रोष्यति..! = चुप बैठ, कोई सुन लेगा..!
निश्श्ब्दं भव, श्रान्तो भविष्यति..! = चुप रहो वरना थक जाओगे..!
आस्तामत्र तावत्, निरवं प्रतीयते स्थानम् = यहां बैठो, शान्त जगह लग रही है।
जोषम् आस्ताम्, शिरोर्त्तिः बाधते = चुपचाप बैठ, सिरदर्द हो रहा है।
जोषं कुरु, स्वतन्त्रोऽसि = इच्छानुसार कर, स्वतन्त्र है तू।
जोषं वद, शीघ्रता नास्ति = आराम से बोल, जल्दी नहीं है।
शनैः चल, कथं त्वरायसे ? = आराम से चल, क्यों जल्दी मचा रहा है ?
शनैः भाषस्व, कुड्यमपि शृणोति कदाचित् = धीमे आवाज में बोल, दीवारों के भी कान होते हैं।
शनैः शनैः धर्मं संचिनुयाद् = धीरे-धीरे धर्म का संचय करे।
मृषा जल्पति = व्यर्थ बकवास करता है।
मृषा मा व्याहर = झूठ मत बोल।
इद्धा ब्रूहि किम् इच्छसि ? = साफ बताओ क्या चाहते हो ?
शाखां नीचैः कृत्वा दृढबीजं त्रोटयति = डाली को झुकाकर अमरुद तोड़ रहा है।
अहो ! रिक्तगुरु पात्रम्, नीचैः स्थापय = खाली होने पर भी कितना वजनदार पात्र है यह, इसे नीचे रख दे..!
उच्चैः मा आक्रोश, शिशुः शेते = शोर मत मचा, बच्चा सो रहा है।
निश्चप्रचं विजेष्यन्ते शूरा बाह्यान्तरान् रिपुन् = निश्चय ही शूरवीर बाहर और भीतर के दुश्मनों को जीतेंगे।
छिन्नोऽपि वंशवृक्षः पुनः रोहति = काट देने पर भी बांस फिर उग आया।
वृथा यतते यत् मूर्खान् उपदिशति = मूर्खों को उपदेश करना निरर्थक प्रयत्न है।
#vakyabhyas
मन्दं चल, मा त्वर = धीरे चल, जल्दी मत कर।
मन्दं मन्दं गीतं गुनगुनायते गीता = गीता मन्द स्वर में गीत गुनगुनारही है।
मा तिष्ठ, शीघ्रं चल..! = मत रुक, जल्दी चल..!
चिरं भवति, शीघ्रं शीघ्रं कथं न चलसि ? = देर हो रही है, जल्दी-जल्दी क्यों नहीं चलता है ?
कालं मा यापय, त्वरितं उत्तर..! = समय मत बिगाड़, जल्दी जबाब दे..!
वैद्यलिपीं मा प्रयुङ्क्ष्व, सुष्ठु लिख..! = डॉक्टर की सी शैली में मत लिख, सुन्दर अक्षरों में (= सुलेख) लिख..!
द्रुतम् एहि, कोऽपि द्रक्ष्यति..! = जल्दी आ जा, कोई देख लेगा..!
पित्रे सविनयं प्रणिपातय माम्..! = पिता को विनयपूर्वक मेरा प्रणाम कहना..!
तत्र भवन्तं सादरं प्रणमामि..! = हे पूजनीय, मेरा आप को सादर प्रणाम है..!
दृढं बध्नातु रज्जुं, मा उद्घटेत् = रस्सी मजबूती से बांधना खुल न जाए..!
वचो मा भ्रामय, सरलं वद..! = बात मत घुमा, सीधे बोल..!
न अवगम्यते किं वदति इति, स्पष्टं वद..! = क्या कह रहा है पता नहीं चल रहा है, अतः साफ-साफ कहो..!
तूष्णीं तिष्ठ, कोऽपि श्रोष्यति..! = चुप बैठ, कोई सुन लेगा..!
निश्श्ब्दं भव, श्रान्तो भविष्यति..! = चुप रहो वरना थक जाओगे..!
आस्तामत्र तावत्, निरवं प्रतीयते स्थानम् = यहां बैठो, शान्त जगह लग रही है।
जोषम् आस्ताम्, शिरोर्त्तिः बाधते = चुपचाप बैठ, सिरदर्द हो रहा है।
जोषं कुरु, स्वतन्त्रोऽसि = इच्छानुसार कर, स्वतन्त्र है तू।
जोषं वद, शीघ्रता नास्ति = आराम से बोल, जल्दी नहीं है।
शनैः चल, कथं त्वरायसे ? = आराम से चल, क्यों जल्दी मचा रहा है ?
शनैः भाषस्व, कुड्यमपि शृणोति कदाचित् = धीमे आवाज में बोल, दीवारों के भी कान होते हैं।
शनैः शनैः धर्मं संचिनुयाद् = धीरे-धीरे धर्म का संचय करे।
मृषा जल्पति = व्यर्थ बकवास करता है।
मृषा मा व्याहर = झूठ मत बोल।
इद्धा ब्रूहि किम् इच्छसि ? = साफ बताओ क्या चाहते हो ?
शाखां नीचैः कृत्वा दृढबीजं त्रोटयति = डाली को झुकाकर अमरुद तोड़ रहा है।
अहो ! रिक्तगुरु पात्रम्, नीचैः स्थापय = खाली होने पर भी कितना वजनदार पात्र है यह, इसे नीचे रख दे..!
उच्चैः मा आक्रोश, शिशुः शेते = शोर मत मचा, बच्चा सो रहा है।
निश्चप्रचं विजेष्यन्ते शूरा बाह्यान्तरान् रिपुन् = निश्चय ही शूरवीर बाहर और भीतर के दुश्मनों को जीतेंगे।
छिन्नोऽपि वंशवृक्षः पुनः रोहति = काट देने पर भी बांस फिर उग आया।
वृथा यतते यत् मूर्खान् उपदिशति = मूर्खों को उपदेश करना निरर्थक प्रयत्न है।
#vakyabhyas
January 31, 2022
January 31, 2022
January 31, 2022
January 31, 2022
सङ्क्षेपरामायणम्
(महर्षिवाल्मीकिप्रणीत-रामायण-बालकाण्ड-प्रथमसर्ग-रूपम्)
मूलश्लोकः-100
पठन् द्विजो वागृषभत्वमीयात् स्यात् क्षत्रियो भूमिपतित्वमीयात्।
वणिग्जनः पण्यफलत्वमीयाज्जनश्च शूद्रोऽपि महत्त्वमीयात्।।100।।
श्लोकान्वयः -
द्विजः पठन् वागृषभत्वम् ईयात् स्यात् क्षत्रियः भूमिपतित्वम् ईयात्
वणिग्जनः पण्यफलत्वम् ईयात् शूद्रः जनः च अपि महत्त्वम् ईयात्।।100।।
हिन्दी-अनुवाद -
इस रामायण को पढकर ब्राह्मण वाक्चातुर्य प्राप्त करे, यदि क्षत्रिय है तो भूमि के स्वामित्व को प्राप्त करे।
वैश्य होने से व्यापार में लाभ प्राप्त करे तथा शूद्र को भी महत्त्व प्राप्त हो।।100।।
English Meaning
पठन् जन: People by reading this, द्विज: स्यात् if he is a brahmin, वागृषभत्वम् proficient in the eighteen branches of learning, ईयात् attains, क्षत्रिय: kshatriya, भूमिपतित्वम् lordship over landed possessions, ईयात् gets, वणिग्जनः vaisya, पण्यफलत्वम् fruits of his merit, ईयात् gets, जनश्च men, शूद्रोऽपि sudra also, महत्वम् greatness, ईयात् attains.
A brahmin becomes proficient in the eighteen branches of learning a kshatriya gets lordship over landed possessions a vaisya gets the fruits of his business and sudra also attains greatness by reading Ramayana".
इत्यार्षे श्रीमद्रामायणे वाल्मीकीय आदिकाव्ये बालकाण्डे (श्रीमद्रामायणकथासङ्क्षेपो नाम) प्रथम: सर्ग:।।
Thus ends the first sarga of Balakanda of the holy Ramayana in synopsis of the first epic composed by sage Valmiki.
Jay Shriram. Shubham bhuyat
#SankshepaRamayanam
(महर्षिवाल्मीकिप्रणीत-रामायण-बालकाण्ड-प्रथमसर्ग-रूपम्)
मूलश्लोकः-100
पठन् द्विजो वागृषभत्वमीयात् स्यात् क्षत्रियो भूमिपतित्वमीयात्।
वणिग्जनः पण्यफलत्वमीयाज्जनश्च शूद्रोऽपि महत्त्वमीयात्।।100।।
श्लोकान्वयः -
द्विजः पठन् वागृषभत्वम् ईयात् स्यात् क्षत्रियः भूमिपतित्वम् ईयात्
वणिग्जनः पण्यफलत्वम् ईयात् शूद्रः जनः च अपि महत्त्वम् ईयात्।।100।।
हिन्दी-अनुवाद -
इस रामायण को पढकर ब्राह्मण वाक्चातुर्य प्राप्त करे, यदि क्षत्रिय है तो भूमि के स्वामित्व को प्राप्त करे।
वैश्य होने से व्यापार में लाभ प्राप्त करे तथा शूद्र को भी महत्त्व प्राप्त हो।।100।।
English Meaning
पठन् जन: People by reading this, द्विज: स्यात् if he is a brahmin, वागृषभत्वम् proficient in the eighteen branches of learning, ईयात् attains, क्षत्रिय: kshatriya, भूमिपतित्वम् lordship over landed possessions, ईयात् gets, वणिग्जनः vaisya, पण्यफलत्वम् fruits of his merit, ईयात् gets, जनश्च men, शूद्रोऽपि sudra also, महत्वम् greatness, ईयात् attains.
A brahmin becomes proficient in the eighteen branches of learning a kshatriya gets lordship over landed possessions a vaisya gets the fruits of his business and sudra also attains greatness by reading Ramayana".
इत्यार्षे श्रीमद्रामायणे वाल्मीकीय आदिकाव्ये बालकाण्डे (श्रीमद्रामायणकथासङ्क्षेपो नाम) प्रथम: सर्ग:।।
Thus ends the first sarga of Balakanda of the holy Ramayana in synopsis of the first epic composed by sage Valmiki.
Jay Shriram. Shubham bhuyat
#SankshepaRamayanam
January 31, 2022
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कालावधिः : 30 minutes only
समयः : IST 11:00 AM 🕚
विषयः :भारते प्रवर्धमानं मतान्तरणं तस्य उपायः च।
(Religious Conversion in Bharat.)
दिनाङ्कः : 1st February2022,
Tuesday.
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विषयः :भारते प्रवर्धमानं मतान्तरणं तस्य उपायः च।
(Religious Conversion in Bharat.)
दिनाङ्कः : 1st February2022,
Tuesday.
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January 31, 2022
January 31, 2022
🍃
♦kaamaistaistairhRRitaj~naanaaH prapadyante'nyadevataaH|
taM taM niyamamaasthaaya prakRRityaa niyataaH svayaa7.20
⚜7.20 Those whose wisdom has been rent away by this or that desire, go to other gods, following this or that rite, led by their own nature.
⚜।।7.20।। भोगविशेष की कामना से जिनका ज्ञान हर लिया गया है ऐसे पुरुष अपने स्वभाव से प्रेरित हुए अन्य देवताओं को विशिष्ट नियम का पालन करते हुए भजते हैं।।
#geeta
कामैस्तैस्तैर्हृतज्ञानाः प्रपद्यन्तेऽन्यदेवताः।
तं तं नियममास्थाय प्रकृत्या नियताः स्वया
।।7.20।। ♦kaamaistaistairhRRitaj~naanaaH prapadyante'nyadevataaH|
taM taM niyamamaasthaaya prakRRityaa niyataaH svayaa
⚜7.20 Those whose wisdom has been rent away by this or that desire, go to other gods, following this or that rite, led by their own nature.
⚜।।7.20।। भोगविशेष की कामना से जिनका ज्ञान हर लिया गया है ऐसे पुरुष अपने स्वभाव से प्रेरित हुए अन्य देवताओं को विशिष्ट नियम का पालन करते हुए भजते हैं।।
#geeta
January 31, 2022
January 31, 2022
🍃
♦️yo yo yaaM yaaM tanuM bhaktaH shraddhayaarchitumichChati|
tasya tasyaachalaaM shraddhaaM taameva vidadhaamyaham7.21
⚜7.21 Whatsoever form any devotee desires to worship with faith that (same) faith of his I make firm and unflinching.
⚜।।7.21।। जोजो (सकामी) भक्त जिसजिस (देवता के) रूप को श्रद्धा से पूजना चाहता है उसउस (भक्त) की मैं उस ही देवता के प्रति श्रद्धा को स्थिर करता हूँ।।
#geeta
यो यो यां यां तनुं भक्तः श्रद्धयार्चितुमिच्छति।
तस्य तस्याचलां श्रद्धां तामेव विदधाम्यहम्
।।7.21।। ♦️yo yo yaaM yaaM tanuM bhaktaH shraddhayaarchitumichChati|
tasya tasyaachalaaM shraddhaaM taameva vidadhaamyaham
⚜7.21 Whatsoever form any devotee desires to worship with faith that (same) faith of his I make firm and unflinching.
⚜।।7.21।। जोजो (सकामी) भक्त जिसजिस (देवता के) रूप को श्रद्धा से पूजना चाहता है उसउस (भक्त) की मैं उस ही देवता के प्रति श्रद्धा को स्थिर करता हूँ।।
#geeta
January 31, 2022
🚩जय सत्य सनातन🚩
🚩आज की हिंदी तिथि
🌥️ 🚩युगाब्द-५१२३
🌥️ 🚩विक्रम संवत-२०७८
⛅ 🚩तिथि - अमावस्या सुबह ११:१५ तक तत्पश्चात प्रतिपदा
⛅ दिनांक - ०१ फरवरी २०२२
⛅ दिन - मंगलवार
⛅ शक संवत -१९४३
⛅ अयन - उत्तरायण
⛅ ऋतु - शिशिर
⛅ मास - माघ
⛅ पक्ष - कृष्ण
⛅ नक्षत्र - श्रवण शाम ०७:४४ तक तत्पश्चात धनिष्ठा
⛅ योग - व्यतिपात ०२ फरवरी रात्रि ०३:१० तक तत्पश्चात वरीयान
⛅ राहुकाल - शाम ०३:४१ से शाम ०५:०५ तक
⛅ सूर्योदय - ०७:१७
⛅ सूर्यास्त - १८:२७
⛅ दिशाशूल - उत्तर दिशा में
🚩आज की हिंदी तिथि
🌥️ 🚩युगाब्द-५१२३
🌥️ 🚩विक्रम संवत-२०७८
⛅ 🚩तिथि - अमावस्या सुबह ११:१५ तक तत्पश्चात प्रतिपदा
⛅ दिनांक - ०१ फरवरी २०२२
⛅ दिन - मंगलवार
⛅ शक संवत -१९४३
⛅ अयन - उत्तरायण
⛅ ऋतु - शिशिर
⛅ मास - माघ
⛅ पक्ष - कृष्ण
⛅ नक्षत्र - श्रवण शाम ०७:४४ तक तत्पश्चात धनिष्ठा
⛅ योग - व्यतिपात ०२ फरवरी रात्रि ०३:१० तक तत्पश्चात वरीयान
⛅ राहुकाल - शाम ०३:४१ से शाम ०५:०५ तक
⛅ सूर्योदय - ०७:१७
⛅ सूर्यास्त - १८:२७
⛅ दिशाशूल - उत्तर दिशा में
January 31, 2022
https://youtu.be/S0b1zAVRDSg
Switch to DD News daily at 7:15 AM (Morning) for 15 minutes Sanskrit news.
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YouTube
वार्ता: संस्कृत में समाचार | 1/2/2022
January 31, 2022
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विषयः :भारते प्रवर्धमानं मतान्तरणं तस्य उपायः च।
(Religious Conversion in Bharat.)
दिनाङ्कः : 1st February2022,
Tuesday.
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कालावधिः : 30 minutes only
समयः : IST 11:00 AM 🕚
विषयः :भारते प्रवर्धमानं मतान्तरणं तस्य उपायः च।
(Religious Conversion in Bharat.)
दिनाङ्कः : 1st February2022,
Tuesday.
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January 31, 2022
January 31, 2022
January 31, 2022
January 31, 2022
February 1, 2022
______ बालकैः सह मिलित्वा ध्वजारोहणं ______।
Anonymous Quiz
32%
माता , क्रियते
18%
मात्रा, क्रियते
17%
मात्रा, करोति
32%
माता, कारयति
February 1, 2022
संस्कृत संवादः । Sanskrit Samvadah
(क्रियाविशेषण
के रूप में अव्ययों का प्रयोग) मन्दं चल, मा त्वर = धीरे चल, जल्दी मत
कर। मन्दं मन्दं गीतं गुनगुनायते गीता = गीता मन्द स्वर में गीत गुनगुनारही
है। मा तिष्ठ, शीघ्रं चल..! = मत रुक, जल्दी चल..! चिरं भवति, शीघ्रं
शीघ्रं कथं न चलसि ? = देर हो रही…
मृषा भोजयति कुपुत्रम् = कपूत को खिलाना व्यर्थ है।
मृषा वदति वादी = वादी झूठ बोल रहा है।
मुधा मा वद, पतिष्यति..! = झूठ मत बोल, पतन होगा..!
ज्योक् जीव..! = दीर्घजीवी हो..!
ज्योक् पश्येम सूर्यमुच्चरन्तम् = हम सदा देखें हृदय में विद्यमान (उपस्थित) प्रेरक को।
मिथ्या मा कुरु पदम्, सम्यक् लिख = शब्द को गलत मत कर ठीक से लिख।
प्रायः समापन्नविपत्तिकाले धियोऽपि सुधीनां मलिनी भवन्ति = विपत्तिकाल आने पर प्रायः विद्वानों की बुद्धि भी मलिन (= अच्छे-बुरे, उचितानुचित का विवेक न कर पाना) हो जाया करती है।
भूयो भूयो नमाम्यहं देवम् = दाता को बारम्बार मेरा प्रणाम।
भूयश्च शरदः शतात् = सौ वर्षों से भी अधिक जीएं।
उपभोगेन कामः भूयोऽभिवर्धते = भोग से कामना (= इच्छाएं) और अधिक बढ़ती हैं।
शुकं धावति घोटकः = घोड़ा तेज दौड़ रहा है।
सुकं तु शोभते व्यायामी संयमी दमी = व्यायाम करनेवाला, इन्द्रियसंयम करनेवाला मनोनियन्त्रण करनेवाला मनुष्य अतिशय शोभा को प्राप्त होता है।
दाता वसु मुहुर्मुहुर्दाशुषे ददाति = दाता ईश्वर देनेवाले को बार बार धन देता है।
अभीक्ष्णं चिन्तयति राष्ट्रं जागरूकाः = जागरूक नागरिक राष्ट्र की लगातार चिन्ता करते हैं।
मनाग् ददाति कृपणः = कंजूस थोड़ा देता है।
बालः सामि खादति सामि क्षिपति = बच्चा आधा खाता है, आधा फेंकता है।
संस्कृतानुवादपाठिभ्यः भूरि भूरि धन्यवादाः = संस्कृतानुवाद पढ़नेवालों को बहुत बहुत धन्यवाद।
गुणसन्धिः
{आद्गुणः। अ, ए, ओ इन तीन वर्णों की गुण संज्ञा है। अर्थात् इन तीनों को ‘गुण’ कहते हैं। अ अथवा आ के बाद इ अथवा ई हो तो दोनों (अ/आ+इ/ई) के स्थान पर ‘ए’, उ/ऊ हो तो दानों के स्थान पर ‘ओ’, ऋ/ऋृ हो तो दोनों के स्थान पर ‘अर्’, तथा लृ हो तो दोनों के स्थान पर ‘अल्’ हो जाता है।}
अ / आ + इ / ई = ए; मह् आ + ई शः = मह् ए शः = महेशः।
अ / आ + उ / ऊ = ओ; पर् अ + उ पकारः = पर् ओ पकारः = परोपकारः।
अ / आ + ऋ / ऋृ = अर्; मह् आ + ऋ षिः = मह् अर् षिः = महर्षिः।
अ / आ + लृ = अल्; = तव् अ + लृ कारः = तव् अल् कारः = तवल्कारः।
का + इदानीम् = केदानीम्।
केदानीं वेला ? वेला अस्ति भोक्तुम् = अभी क्या समय हुआ है ? भोजन का समय हुआ है।
का ईशा = केशा।
केशा अस्ति केशानाम् = लम्बे बालोंवाली महिला कौैन है ?
काक + ईश्वरः = काकेश्वरः।
काकेश्वरः काकसभम् अकार्षीत् = कौओं के मुखिया ने कौओं की सभा बुलाई।
पश्य + इदानीम् = पश्येदानीम्।
पश्येदानीं संध्याकालः संजातः, ईश्वरम् उपास्स्व..! = देख अभी संध्याकाल हो गया है, ईश्वर की उपासना कर..!
चन्द्र + उज्ज्वलाः = चन्द्रोज्ज्वलाः।
केयूराणि न भूषयन्ति पुरुषं हारा न चन्द्रोज्ज्वलाः = मानव की शोभा न तो बाजूबन्द से है न हि चन्द्र के समान चमकते हार से होती है।
विद्या + उत्तमाः = विद्योत्तमा।
सा विद्योत्तमा या मूर्खकालिदासं कविकालिदासं करोति = जो मूर्ख कालिदास को कवि कालिदास बनाती है, वह स्त्री उत्तम विद्यावाली मानी जाती है।
क्षेत्र + ऊर्वरम् = क्षेत्रोर्वरम्।
क्षेत्रोर्वरं दृष्ट्वा बीजं वपेत् = उर्वर भूमि में बीज बोना चाहिए (= पात्र को दान देना चाहिए)।
ब्रह्म + ऋषिः = ब्रह्मर्षिः, राज + ऋषिः = राजर्षिः।
वशिष्ठः ब्रह्मर्षिः बभूव विश्वामित्रश्च राजर्षिः = वशिष्ठ ब्रह्मर्षि थे और विश्वामित्र राजर्षि।
महा + ऋषिः = महर्षिः।
विजयतां महर्षिदयानन्दः येन संसारः निबोधितः = महर्षि दयानन्द जी की जय हो जिसने संसार को जगाया।
तव + लृकार = तवल्कार, तवल्कार + उच्चारणम् = तवल्कारोच्चारणम्।
तवल्कारोच्चारणं सम्यक् नास्ति, सुष्ठु कुरु = तेरा लृकार का उच्चारण ठीक नहीं है, उसे ठीक करो।
#vakyabhyas
मृषा वदति वादी = वादी झूठ बोल रहा है।
मुधा मा वद, पतिष्यति..! = झूठ मत बोल, पतन होगा..!
ज्योक् जीव..! = दीर्घजीवी हो..!
ज्योक् पश्येम सूर्यमुच्चरन्तम् = हम सदा देखें हृदय में विद्यमान (उपस्थित) प्रेरक को।
मिथ्या मा कुरु पदम्, सम्यक् लिख = शब्द को गलत मत कर ठीक से लिख।
प्रायः समापन्नविपत्तिकाले धियोऽपि सुधीनां मलिनी भवन्ति = विपत्तिकाल आने पर प्रायः विद्वानों की बुद्धि भी मलिन (= अच्छे-बुरे, उचितानुचित का विवेक न कर पाना) हो जाया करती है।
भूयो भूयो नमाम्यहं देवम् = दाता को बारम्बार मेरा प्रणाम।
भूयश्च शरदः शतात् = सौ वर्षों से भी अधिक जीएं।
उपभोगेन कामः भूयोऽभिवर्धते = भोग से कामना (= इच्छाएं) और अधिक बढ़ती हैं।
शुकं धावति घोटकः = घोड़ा तेज दौड़ रहा है।
सुकं तु शोभते व्यायामी संयमी दमी = व्यायाम करनेवाला, इन्द्रियसंयम करनेवाला मनोनियन्त्रण करनेवाला मनुष्य अतिशय शोभा को प्राप्त होता है।
दाता वसु मुहुर्मुहुर्दाशुषे ददाति = दाता ईश्वर देनेवाले को बार बार धन देता है।
अभीक्ष्णं चिन्तयति राष्ट्रं जागरूकाः = जागरूक नागरिक राष्ट्र की लगातार चिन्ता करते हैं।
मनाग् ददाति कृपणः = कंजूस थोड़ा देता है।
बालः सामि खादति सामि क्षिपति = बच्चा आधा खाता है, आधा फेंकता है।
संस्कृतानुवादपाठिभ्यः भूरि भूरि धन्यवादाः = संस्कृतानुवाद पढ़नेवालों को बहुत बहुत धन्यवाद।
गुणसन्धिः
{आद्गुणः। अ, ए, ओ इन तीन वर्णों की गुण संज्ञा है। अर्थात् इन तीनों को ‘गुण’ कहते हैं। अ अथवा आ के बाद इ अथवा ई हो तो दोनों (अ/आ+इ/ई) के स्थान पर ‘ए’, उ/ऊ हो तो दानों के स्थान पर ‘ओ’, ऋ/ऋृ हो तो दोनों के स्थान पर ‘अर्’, तथा लृ हो तो दोनों के स्थान पर ‘अल्’ हो जाता है।}
अ / आ + इ / ई = ए; मह् आ + ई शः = मह् ए शः = महेशः।
अ / आ + उ / ऊ = ओ; पर् अ + उ पकारः = पर् ओ पकारः = परोपकारः।
अ / आ + ऋ / ऋृ = अर्; मह् आ + ऋ षिः = मह् अर् षिः = महर्षिः।
अ / आ + लृ = अल्; = तव् अ + लृ कारः = तव् अल् कारः = तवल्कारः।
का + इदानीम् = केदानीम्।
केदानीं वेला ? वेला अस्ति भोक्तुम् = अभी क्या समय हुआ है ? भोजन का समय हुआ है।
का ईशा = केशा।
केशा अस्ति केशानाम् = लम्बे बालोंवाली महिला कौैन है ?
काक + ईश्वरः = काकेश्वरः।
काकेश्वरः काकसभम् अकार्षीत् = कौओं के मुखिया ने कौओं की सभा बुलाई।
पश्य + इदानीम् = पश्येदानीम्।
पश्येदानीं संध्याकालः संजातः, ईश्वरम् उपास्स्व..! = देख अभी संध्याकाल हो गया है, ईश्वर की उपासना कर..!
चन्द्र + उज्ज्वलाः = चन्द्रोज्ज्वलाः।
केयूराणि न भूषयन्ति पुरुषं हारा न चन्द्रोज्ज्वलाः = मानव की शोभा न तो बाजूबन्द से है न हि चन्द्र के समान चमकते हार से होती है।
विद्या + उत्तमाः = विद्योत्तमा।
सा विद्योत्तमा या मूर्खकालिदासं कविकालिदासं करोति = जो मूर्ख कालिदास को कवि कालिदास बनाती है, वह स्त्री उत्तम विद्यावाली मानी जाती है।
क्षेत्र + ऊर्वरम् = क्षेत्रोर्वरम्।
क्षेत्रोर्वरं दृष्ट्वा बीजं वपेत् = उर्वर भूमि में बीज बोना चाहिए (= पात्र को दान देना चाहिए)।
ब्रह्म + ऋषिः = ब्रह्मर्षिः, राज + ऋषिः = राजर्षिः।
वशिष्ठः ब्रह्मर्षिः बभूव विश्वामित्रश्च राजर्षिः = वशिष्ठ ब्रह्मर्षि थे और विश्वामित्र राजर्षि।
महा + ऋषिः = महर्षिः।
विजयतां महर्षिदयानन्दः येन संसारः निबोधितः = महर्षि दयानन्द जी की जय हो जिसने संसार को जगाया।
तव + लृकार = तवल्कार, तवल्कार + उच्चारणम् = तवल्कारोच्चारणम्।
तवल्कारोच्चारणं सम्यक् नास्ति, सुष्ठु कुरु = तेरा लृकार का उच्चारण ठीक नहीं है, उसे ठीक करो।
#vakyabhyas
February 1, 2022
Teacher:- What are the benefits of semester system ?
Student:- Sir, I don't know the benefits. But there is a disadvantage of being insulted twice in an year.
#hasya
Student:- Sir, I don't know the benefits. But there is a disadvantage of being insulted twice in an year.
#hasya
February 1, 2022
।।श्रीः।।
।।आत्मबोधः।।
आत्म बोध के इस पहले प्रवचन में पूज्य गुरूजी श्री स्वामी आत्मानंद सरस्वतीजी महाराज आत्म बोध ग्रन्थ का परिचय / ग्रंथकार का परिचय / आत्म-बोध का महत्त्व / पहला श्लोक एवं अनुबंध चतुष्टय बता रहे हैं।
Atmabodha, meaning Self-knowledge or Self-awareness, is an exceptionally lucid and readable work of Shankaracharya. Consisting of sixty-eight verses or shlokas, it is in a sense a simple summary of his entire Vedantic structure of thought, intended, it would seem, as a basic primer for his students and followers. The text follows a clearly elaborated doctrine, starting with knowledge as a key to liberation, the nautre of the Atman within us, the assertion of the pervasive and attribute-less nature of Brahman, and the path towards the realisation of the complete identity between the Atman and Brahman.
तपोभिः क्षीणपापानां शान्तानां वीतरागिणाम्।
मुमुक्षूणामपेक्ष्योऽयमात्मबोधो विधीयते।।1।।
1. I am composing the ATMA-BODHA, this treatise of the Knowledge of the Self, for those who have purified themselves by austerities and are peaceful in heart and calm, who are free from cravings and are desirous of liberation.
#Ātmabōdha
।।आत्मबोधः।।
आत्म बोध के इस पहले प्रवचन में पूज्य गुरूजी श्री स्वामी आत्मानंद सरस्वतीजी महाराज आत्म बोध ग्रन्थ का परिचय / ग्रंथकार का परिचय / आत्म-बोध का महत्त्व / पहला श्लोक एवं अनुबंध चतुष्टय बता रहे हैं।
Atmabodha, meaning Self-knowledge or Self-awareness, is an exceptionally lucid and readable work of Shankaracharya. Consisting of sixty-eight verses or shlokas, it is in a sense a simple summary of his entire Vedantic structure of thought, intended, it would seem, as a basic primer for his students and followers. The text follows a clearly elaborated doctrine, starting with knowledge as a key to liberation, the nautre of the Atman within us, the assertion of the pervasive and attribute-less nature of Brahman, and the path towards the realisation of the complete identity between the Atman and Brahman.
तपोभिः क्षीणपापानां शान्तानां वीतरागिणाम्।
मुमुक्षूणामपेक्ष्योऽयमात्मबोधो विधीयते।।1।।
1. I am composing the ATMA-BODHA, this treatise of the Knowledge of the Self, for those who have purified themselves by austerities and are peaceful in heart and calm, who are free from cravings and are desirous of liberation.
#Ātmabōdha
February 1, 2022
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कालावधिः : 30 minutes only
समयः : IST 11:00 AM 🕚
विषयः : आयव्ययपत्रम्।
(Budget.)
दिनाङ्कः : 2nd February 2022,
Wednesday.
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February 1, 2022
February 1, 2022
🍃
♦️sa tayaa shraddhayaa yuktastasyaaraadhanamiihate|
labhate cha tataH kaamaanmayaiva vihitaan hi taan7.22
⚜Endowed with that faith, he engages in the worship of that (form) and from it he obtains his desire, these being verily ordained by Me (alone). 7.22
⚜वह (भक्त) उस श्रद्धा से युक्त होकर उस देवता का पूजन करता है और उससे मेरे द्वारा विधान किये हुये इच्छित भोगों को निसन्देह प्राप्त करता है।। 7.22 ।।
#geeta
स तया श्रद्धया युक्तस्तस्याराधनमीहते।
लभते च ततः कामान्मयैव विहितान् हि तान्
।।7.22।। ♦️sa tayaa shraddhayaa yuktastasyaaraadhanamiihate|
labhate cha tataH kaamaanmayaiva vihitaan hi taan
⚜Endowed with that faith, he engages in the worship of that (form) and from it he obtains his desire, these being verily ordained by Me (alone). 7.22
⚜वह (भक्त) उस श्रद्धा से युक्त होकर उस देवता का पूजन करता है और उससे मेरे द्वारा विधान किये हुये इच्छित भोगों को निसन्देह प्राप्त करता है।। 7.22 ।।
#geeta
February 1, 2022
February 1, 2022
🍃
♦️antavattu phalaM teShaaM tadbhavatyalpamedhasaam|
devaandevayajo yaanti madbhaktaa yaanti maamapi7.23
⚜Verily the reward (fruit) that accrues to those men of little intelligence is finite. The worshippers of the gods go to them, but My devotees come to Me. 7.23
⚜परन्तु उन अल्प बुद्धि पुरुषों का वह फल नाशवान् होता है। देवताओं के पूजक देवताओं को प्राप्त होते हैं और मेरे भक्त मुझे ही प्राप्त होते हैं।। 7.23 ।।
#geeta
अन्तवत्तु फलं तेषां तद्भवत्यल्पमेधसाम्।
देवान्देवयजो यान्ति मद्भक्ता यान्ति मामपि
।।7.23।। ♦️antavattu phalaM teShaaM tadbhavatyalpamedhasaam|
devaandevayajo yaanti madbhaktaa yaanti maamapi
⚜Verily the reward (fruit) that accrues to those men of little intelligence is finite. The worshippers of the gods go to them, but My devotees come to Me. 7.23
⚜परन्तु उन अल्प बुद्धि पुरुषों का वह फल नाशवान् होता है। देवताओं के पूजक देवताओं को प्राप्त होते हैं और मेरे भक्त मुझे ही प्राप्त होते हैं।। 7.23 ।।
#geeta
February 1, 2022
February 1, 2022
🚩जय सत्य सनातन🚩
🚩आज की हिंदी तिथि
🌥 🚩यगाब्द-५१२३
🌥 🚩विक्रम संवत-२०७८
⛅️ 🚩तिथि - प्रतिपदा सुबह ०७:३१ तक तत्पश्चात द्वितीया
⛅️ दिनांक - ०२ फरवरी २०२२
⛅️ दिन - बुधवार
⛅️ शक संवत -१९४३
⛅️ अयन - उत्तरायण
⛅️ ऋतु - शिशिर
⛅️ मास - माघ
⛅️ पक्ष - शुक्ल
⛅️ नक्षत्र - धनिष्ठा शाम ०५:५३ तक तत्पश्चात शतभिषा
⛅️ योग - वरीयान रात्रि ११:५९ तक तत्पश्चात परिघ
⛅️ राहुकाल - दोपहर १२:५३ से दोपहर ०२:१७ तक
⛅️ सर्योदय - ०७:१६
⛅️ सर्यास्त - १८:२८
⛅️ दिशाशूल - उत्तर दिशा में
🚩आज की हिंदी तिथि
🌥 🚩यगाब्द-५१२३
🌥 🚩विक्रम संवत-२०७८
⛅️ 🚩तिथि - प्रतिपदा सुबह ०७:३१ तक तत्पश्चात द्वितीया
⛅️ दिनांक - ०२ फरवरी २०२२
⛅️ दिन - बुधवार
⛅️ शक संवत -१९४३
⛅️ अयन - उत्तरायण
⛅️ ऋतु - शिशिर
⛅️ मास - माघ
⛅️ पक्ष - शुक्ल
⛅️ नक्षत्र - धनिष्ठा शाम ०५:५३ तक तत्पश्चात शतभिषा
⛅️ योग - वरीयान रात्रि ११:५९ तक तत्पश्चात परिघ
⛅️ राहुकाल - दोपहर १२:५३ से दोपहर ०२:१७ तक
⛅️ सर्योदय - ०७:१६
⛅️ सर्यास्त - १८:२८
⛅️ दिशाशूल - उत्तर दिशा में
February 1, 2022
Forwarded from रामदूतः — The Sanskrit News Platform
Switch to DD News daily at 7:15 AM (Morning) for 15 minutes Sanskrit news.
https://youtu.be/1M1ldD6XQJA
https://youtu.be/1M1ldD6XQJA
YouTube
वार्ता : लोकसभा में धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा
वार्ता : लोकसभा में
धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा DD News is India’s 24x7 news channel from the
stable of the country’s Public Service Broadcaster, Prasar Bharat...
February 1, 2022
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February 1, 2022
February 1, 2022
February 1, 2022
February 1, 2022
अस्माभिः मुखावरकं ________।
Anonymous Quiz
4%
धरति
22%
धरितव्यम्
24%
धर्तव्यम्
18%
ध्रियते
32%
धारितव्यम्
February 2, 2022
February 2, 2022
कार्तिक: — कुतः आगच्छसि रे ?
रमणः — लिङ्लोटौ स्वामीजी आश्रमतः
कार्तिकः — किं नामधेयमेषः ?
रमणः — किमपि पुच्छतु स: सदा वदति
- भवेत् भवतु ... भवेत् भवतु
इति अतः ...
#hasya
रमणः — लिङ्लोटौ स्वामीजी आश्रमतः
कार्तिकः — किं नामधेयमेषः ?
रमणः — किमपि पुच्छतु स: सदा वदति
- भवेत् भवतु ... भवेत् भवतु
इति अतः ...
#hasya
February 2, 2022
।।श्रीः।।
।।आत्मबोधः।।
Atmabodha, meaning Self-knowledge or Self-awareness, is an exceptionally lucid and readable work of Shankaracharya. Consisting of sixty-eight verses or shlokas, it is in a sense a simple summary of his entire Vedantic structure of thought, intended, it would seem, as a basic primer for his students and followers. The text follows a clearly elaborated doctrine, starting with knowledge as a key to liberation, the nautre of the Atman within us, the assertion of the pervasive and attribute-less nature of Brahman, and the path towards the realisation of the complete identity between the Atman and Brahman.
बोधोऽन्यसाधनेभ्यो हि साक्षान्मोक्षैकसाधनम्।
पाकस्य वह्निवज्ज्ञानं विना मोक्षो न सिध्यति।।2।।
2. Just as the fire is the direct cause for cooking, so without Knowledge no emancipation can be had. Compared with all other forms of discipline Knowledge of the Self is the one direct means for liberation.
आत्म-बोध ऑनलाइन क्लास - २ :
आत्म-बोध के दूसरे श्लोक की व्याख्या में पू गुरूजी श्री स्वामी आत्मानन्द सरस्वतीजी महाराज बता रहे हैं की भगवत्पाद भगवान् शंकराचार्य जी मोक्ष के मुख्य साधन की चर्चा कर रहे हैं - और वो है साक्षात् ज्ञान जिसे वे इस ग्रन्थ में बोध शब्द से बता रहे हैं। अर्थात ज्ञान मात्र से मुक्ति हो जाती है। दूसरे जितने भी साधन होते हैं वे भी आदरणीय हैं लेकिन उनका प्रयोजन कुछ न कुछ विकार आदि की निवृत्ति करते हैं और ज्ञान की हमारी पात्रता बढ़ाते हैं।
#Ātmabōdha
।।आत्मबोधः।।
Atmabodha, meaning Self-knowledge or Self-awareness, is an exceptionally lucid and readable work of Shankaracharya. Consisting of sixty-eight verses or shlokas, it is in a sense a simple summary of his entire Vedantic structure of thought, intended, it would seem, as a basic primer for his students and followers. The text follows a clearly elaborated doctrine, starting with knowledge as a key to liberation, the nautre of the Atman within us, the assertion of the pervasive and attribute-less nature of Brahman, and the path towards the realisation of the complete identity between the Atman and Brahman.
बोधोऽन्यसाधनेभ्यो हि साक्षान्मोक्षैकसाधनम्।
पाकस्य वह्निवज्ज्ञानं विना मोक्षो न सिध्यति।।2।।
2. Just as the fire is the direct cause for cooking, so without Knowledge no emancipation can be had. Compared with all other forms of discipline Knowledge of the Self is the one direct means for liberation.
आत्म-बोध ऑनलाइन क्लास - २ :
आत्म-बोध के दूसरे श्लोक की व्याख्या में पू गुरूजी श्री स्वामी आत्मानन्द सरस्वतीजी महाराज बता रहे हैं की भगवत्पाद भगवान् शंकराचार्य जी मोक्ष के मुख्य साधन की चर्चा कर रहे हैं - और वो है साक्षात् ज्ञान जिसे वे इस ग्रन्थ में बोध शब्द से बता रहे हैं। अर्थात ज्ञान मात्र से मुक्ति हो जाती है। दूसरे जितने भी साधन होते हैं वे भी आदरणीय हैं लेकिन उनका प्रयोजन कुछ न कुछ विकार आदि की निवृत्ति करते हैं और ज्ञान की हमारी पात्रता बढ़ाते हैं।
#Ātmabōdha
February 2, 2022
@samskrt_samvadah is starting Narayaneeyam Classes.
विषय — नारायणीयं गायनं (How to recite Narayaneeyam)
शिक्षिका — ललिता विश्वनाथन्
Time — 9AM🕘 (Indian time)
Date —3rd February, Thursday (Every Thursday)
Please come with hard copy or soft copy of Narayaneeyam on time.
Set a reminder.
https://t.me/samskrt_samvadah?voicechat
#Narayaneeyam
विषय — नारायणीयं गायनं (How to recite Narayaneeyam)
शिक्षिका — ललिता विश्वनाथन्
Time — 9AM🕘 (Indian time)
Date —3rd February, Thursday (Every Thursday)
Please come with hard copy or soft copy of Narayaneeyam on time.
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#Narayaneeyam
February 2, 2022
Forwarded from संस्कृत संवादः । Sanskrit Samvadah (Bhavani Raman)
Telegram
संस्कृत संवादः (Sanskrit Samvadah)
Narayaneeyam
February 2, 2022
@samskrt_samvadah संलापशाला - A Samskrit Voicechat room.
कालावधिः : 30 minutes only
समयः : IST 11:00 AM 🕚
विषयः : वाक्याभ्यासः
दिनाङ्कः : 03rd February 2022,
Thrusday.
Please Join the voicechat on time.
😇 Please come prepared to discuss (चित्रं दृष्ट्वा वाक्यानि वदन्तु।)in Sanskrit , If possible.
We are waiting for you.😇
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https://t.me/samskrt_samvadah?voicechat
कालावधिः : 30 minutes only
समयः : IST 11:00 AM 🕚
विषयः : वाक्याभ्यासः
दिनाङ्कः : 03rd February 2022,
Thrusday.
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February 2, 2022
February 2, 2022
🍃
♦️avyaktaM vyak्itamaapannaM manyante maamabuddhayaH|
paraM bhaavamajaananto mamaavyayamanuttamam7.24
⚜The foolish think of Me, the Unmanifest, as having manifestation, knowing not My higher, immutable and most excellent nature. 7.24
⚜बुद्धिहीन पुरुष मेरे अनुत्तम (सर्वोत्तम) अव्यय परम भाव को न जानते हुए मुझ अव्यक्त को व्यक्त मानते हैं।। 7.24 ।।
#geeta
अव्यक्तं व्यक्ितमापन्नं मन्यन्ते मामबुद्धयः।
परं भावमजानन्तो ममाव्ययमनुत्तमम्
।।7.24।। ♦️avyaktaM vyak्itamaapannaM manyante maamabuddhayaH|
paraM bhaavamajaananto mamaavyayamanuttamam
⚜The foolish think of Me, the Unmanifest, as having manifestation, knowing not My higher, immutable and most excellent nature. 7.24
⚜बुद्धिहीन पुरुष मेरे अनुत्तम (सर्वोत्तम) अव्यय परम भाव को न जानते हुए मुझ अव्यक्त को व्यक्त मानते हैं।। 7.24 ।।
#geeta
February 2, 2022
February 2, 2022
🍃
♦️naahaM prakaashaH sarvasya yogamaayaasamaavRRitaH|
muuDho'yaM naabhijaanaati loko maamajamavyayam7.25
⚜I am not manifest to all (as I am) veiled by the Yoga-Maya. This deluded world does not know Me, the unborn and imperishable. 7.25
⚜अपनी योगमाया से आवृत्त मैं सबको प्रत्यक्ष नहीं होता हूँ। यह मोहित लोक (मनुष्य) मुझ जन्मरहित अविनाशी को नहीं जानता है।।7.25।।
#geeta
नाहं प्रकाशः सर्वस्य योगमायासमावृतः।
मूढोऽयं नाभिजानाति लोको मामजमव्ययम्
।।7.25।।♦️naahaM prakaashaH sarvasya yogamaayaasamaavRRitaH|
muuDho'yaM naabhijaanaati loko maamajamavyayam
⚜I am not manifest to all (as I am) veiled by the Yoga-Maya. This deluded world does not know Me, the unborn and imperishable. 7.25
⚜अपनी योगमाया से आवृत्त मैं सबको प्रत्यक्ष नहीं होता हूँ। यह मोहित लोक (मनुष्य) मुझ जन्मरहित अविनाशी को नहीं जानता है।।7.25।।
#geeta
February 2, 2022
February 2, 2022
February 2, 2022
@samskrt_samvadah is starting Narayaneeyam Classes.
विषय — नारायणीयं गायनं (How to recite Narayaneeyam)
शिक्षिका — ललिता विश्वनाथन्
Time — 9AM🕘 (Indian time)
Date —3rd February, Thursday (Every Thursday)
Please come with hard copy or soft copy of Narayaneeyam on time.
Set a reminder.
https://t.me/samskrt_samvadah?voicechat
#Narayaneeyam
विषय — नारायणीयं गायनं (How to recite Narayaneeyam)
शिक्षिका — ललिता विश्वनाथन्
Time — 9AM🕘 (Indian time)
Date —3rd February, Thursday (Every Thursday)
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#Narayaneeyam
February 2, 2022
🚩जय सत्य सनातन🚩
🚩आज की हिंदी तिथि
🌥 🚩यगाब्द-५१२३
🌥 🚩विक्रम संवत-२०७८
⛅️ 🚩तिथि - तृतीया ०४ फरवरी प्रातः ०४:३८ तक तत्पश्चात चतुर्थी
⛅️ दिनांक - ०३ फरवरी २०२२
⛅️ दिन - गुरुवार
⛅️ शक संवत -१९४३
⛅️ अयन - उत्तरायण
⛅️ ऋतु - शिशिर
⛅️ मास - माघ
⛅️ पक्ष - शुक्ल
⛅️ नक्षत्र - शतभिषा शाम ०४:३५ तक तत्पश्चात पूर्व भाद्रपद
⛅️ योग - परिघ रात्रि ०९:१७ तक तत्पश्चात शिव
⛅️ राहुकाल - दोपहर ०२:१७ से शाम ०३:४१ तक
⛅️ सर्योदय - ०७:१६
⛅️ सर्यास्त - १८:२८
⛅️ दिशाशूल - दक्षिण दिशा में
🚩आज की हिंदी तिथि
🌥 🚩यगाब्द-५१२३
🌥 🚩विक्रम संवत-२०७८
⛅️ 🚩तिथि - तृतीया ०४ फरवरी प्रातः ०४:३८ तक तत्पश्चात चतुर्थी
⛅️ दिनांक - ०३ फरवरी २०२२
⛅️ दिन - गुरुवार
⛅️ शक संवत -१९४३
⛅️ अयन - उत्तरायण
⛅️ ऋतु - शिशिर
⛅️ मास - माघ
⛅️ पक्ष - शुक्ल
⛅️ नक्षत्र - शतभिषा शाम ०४:३५ तक तत्पश्चात पूर्व भाद्रपद
⛅️ योग - परिघ रात्रि ०९:१७ तक तत्पश्चात शिव
⛅️ राहुकाल - दोपहर ०२:१७ से शाम ०३:४१ तक
⛅️ सर्योदय - ०७:१६
⛅️ सर्यास्त - १८:२८
⛅️ दिशाशूल - दक्षिण दिशा में
February 2, 2022
https://youtu.be/o1WJZhvRJOs
Switch to DD News daily at 7:15 AM (Morning) for 15 minutes Sanskrit news.
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YouTube
वार्ता : कोरोना के ख़िलाफ़ जंग जारी
DD News is India’s
24x7 news channel from the stable of the country’s Public Service
Broadcaster, Prasar Bharati. It has the distinction of being India’s
onl...
February 2, 2022
@samskrt_samvadah संलापशाला - A Samskrit Voicechat room.
कालावधिः : 30 minutes only
समयः : IST 11:00 AM 🕚
विषयः : वाक्याभ्यासः
दिनाङ्कः : 03rd February 2022,
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कालावधिः : 30 minutes only
समयः : IST 11:00 AM 🕚
विषयः : वाक्याभ्यासः
दिनाङ्कः : 03rd February 2022,
Thrusday.
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February 2, 2022
February 2, 2022
February 2, 2022
February 2, 2022
February 2, 2022
February 2, 2022
February 3, 2022
February 3, 2022
कारागृहे स्थितः कश्चन सैनिकः स्वस्य अधिकारिणं वदति ~
सैनिकः - महोदय! ह्यः केचन अपराधिनः कारागृहे रामायणस्य नाटकं कृतवन्तः।
अधिकारी - चेत् तत्र का वा समस्या?
सैनिकः - समस्या तु नास्ति परन्तु....
अधिकारी - परन्तु किम्... शीघ्रं वदतु।
सैनिकः - ह्यः यः अपराधी हनुमतः अभिनयं कृतवान् सः इदानीम् अपि "सञ्जीवनी" ओषधिं स्वीकृत्य न प्रत्यागतवान् 😂😂😁
#hasya
सैनिकः - महोदय! ह्यः केचन अपराधिनः कारागृहे रामायणस्य नाटकं कृतवन्तः।
अधिकारी - चेत् तत्र का वा समस्या?
सैनिकः - समस्या तु नास्ति परन्तु....
अधिकारी - परन्तु किम्... शीघ्रं वदतु।
सैनिकः - ह्यः यः अपराधी हनुमतः अभिनयं कृतवान् सः इदानीम् अपि "सञ्जीवनी" ओषधिं स्वीकृत्य न प्रत्यागतवान् 😂😂😁
#hasya
February 3, 2022
।।श्रीः।।
।।आत्मबोधः।।
Atmabodha, meaning Self-knowledge or Self-awareness, is an exceptionally lucid and readable work of Shankaracharya. Consisting of sixty-eight verses or shlokas, it is in a sense a simple summary of his entire Vedantic structure of thought, intended, it would seem, as a basic primer for his students and followers. The text follows a clearly elaborated doctrine, starting with knowledge as a key to liberation, the nautre of the Atman within us, the assertion of the pervasive and attribute-less nature of Brahman, and the path towards the realisation of the complete identity between the Atman and Brahman.
अविरोधितया कर्म नाविद्यां विनिवर्तयेत्।
विद्याविद्यां निहन्त्येव तेजस्तिमिरसंघवत्।।3।।
3. Action cannot destroy ignorance, for it is not in conflict with or opposed to ignorance. Knowledge does verily destroy ignorance as light destroys deep darkness.
आत्म-बोध ऑनलाइन क्लास - 3 :
आत्म-बोध के तीसरे श्लोक में पू गुरूजी श्री स्वामी आत्मानन्द सरस्वतीजी महाराज ने बताया की इस श्लोक में एक अत्यंत महत्वपूर्ण विषय पर प्रकाश डाला जा रहा है। इस विषय के बारे में बहुत लोगों को अनेकानेक मोह (गलत धारणाएँ) हैं। की हमें मोक्ष के लिए क्या करना है? या अनेकों लोग कहते हैं की हमने सब तीर्थ कर लिए, बहुत सारे अनुष्ठान कर लिए आदि आदि। यहाँ आचार्य स्पष्ट कर रहे हैं की मोक्ष की प्राप्त का इससे कुछ भी लेना-देना नहीं होता है। क्यूंकि कर्म अविद्या का विरोधी नहीं होता है। अगर किसी चीज़ को दूर करना हो तो मात्र यह विचार करिये इस इसका विरोधी क्या होता है, और फिर उतने मात्र में फोकस करिये। विद्या ही अविद्या को दूर करती है अतः अच्छे कर्मों का आशीर्वाद लेकर एक बार उस अध्याय को समाप्त करके ज्ञान के नए अध्याय को प्रारम्भ करना चाहिए।
#Ātmabōdha
।।आत्मबोधः।।
Atmabodha, meaning Self-knowledge or Self-awareness, is an exceptionally lucid and readable work of Shankaracharya. Consisting of sixty-eight verses or shlokas, it is in a sense a simple summary of his entire Vedantic structure of thought, intended, it would seem, as a basic primer for his students and followers. The text follows a clearly elaborated doctrine, starting with knowledge as a key to liberation, the nautre of the Atman within us, the assertion of the pervasive and attribute-less nature of Brahman, and the path towards the realisation of the complete identity between the Atman and Brahman.
अविरोधितया कर्म नाविद्यां विनिवर्तयेत्।
विद्याविद्यां निहन्त्येव तेजस्तिमिरसंघवत्।।3।।
3. Action cannot destroy ignorance, for it is not in conflict with or opposed to ignorance. Knowledge does verily destroy ignorance as light destroys deep darkness.
आत्म-बोध ऑनलाइन क्लास - 3 :
आत्म-बोध के तीसरे श्लोक में पू गुरूजी श्री स्वामी आत्मानन्द सरस्वतीजी महाराज ने बताया की इस श्लोक में एक अत्यंत महत्वपूर्ण विषय पर प्रकाश डाला जा रहा है। इस विषय के बारे में बहुत लोगों को अनेकानेक मोह (गलत धारणाएँ) हैं। की हमें मोक्ष के लिए क्या करना है? या अनेकों लोग कहते हैं की हमने सब तीर्थ कर लिए, बहुत सारे अनुष्ठान कर लिए आदि आदि। यहाँ आचार्य स्पष्ट कर रहे हैं की मोक्ष की प्राप्त का इससे कुछ भी लेना-देना नहीं होता है। क्यूंकि कर्म अविद्या का विरोधी नहीं होता है। अगर किसी चीज़ को दूर करना हो तो मात्र यह विचार करिये इस इसका विरोधी क्या होता है, और फिर उतने मात्र में फोकस करिये। विद्या ही अविद्या को दूर करती है अतः अच्छे कर्मों का आशीर्वाद लेकर एक बार उस अध्याय को समाप्त करके ज्ञान के नए अध्याय को प्रारम्भ करना चाहिए।
#Ātmabōdha
February 3, 2022
@samskrt_samvadah संलापशाला - A Samskrit Voicechat room.
कालावधिः : 30 minutes only
समयः : IST 11:00 AM 🕚
विषयः :संस्कृतकथा,सुभाषितम्,
हास्यकणिका..... इत्यादयः
दिनाङ्कः : 4th February 2022,
Friday.
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😇 Please come prepared to discus (संस्कृतकथां, सुभाषितं, हास्यकणिकां ,स्वस्य कञ्चित् उत्तमम् अनुभवं ,प्रेरकप्रसङ्गं ,लौकिकन्यायं वा वदन्तु। ) in Sanskrit , If possible.
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कालावधिः : 30 minutes only
समयः : IST 11:00 AM 🕚
विषयः :संस्कृतकथा,सुभाषितम्,
हास्यकणिका..... इत्यादयः
दिनाङ्कः : 4th February 2022,
Friday.
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February 3, 2022
February 3, 2022
🍃
♦️naahaM prakaashaH sarvasya yogamaayaasamaavRRitaH|
muuDho'yaM naabhijaanaati loko maamajamavyayam7.25
⚜I know, O Arjuna, the beings of the past, the present and the future, but no one knows Me. 7.26
⚜हे अर्जुन पूर्व में व्यतीत हुए और वर्तमान में स्थित तथा भविष्य में होने वाले भूतमात्र को मैं जानता हूँ परन्तु मुझे कोई भी पुरुष नहीं जानता हैं।। 7.26 ।।
#geeta
वेदाहं समतीतानि वर्तमानानि चार्जुन।
भविष्याणि च भूतानि मां तु वेद न कश्चन
।।7.26।।♦️naahaM prakaashaH sarvasya yogamaayaasamaavRRitaH|
muuDho'yaM naabhijaanaati loko maamajamavyayam
⚜I know, O Arjuna, the beings of the past, the present and the future, but no one knows Me. 7.26
⚜हे अर्जुन पूर्व में व्यतीत हुए और वर्तमान में स्थित तथा भविष्य में होने वाले भूतमात्र को मैं जानता हूँ परन्तु मुझे कोई भी पुरुष नहीं जानता हैं।। 7.26 ।।
#geeta
February 3, 2022
February 3, 2022
🍃
♦️ichChaadveShasamutthena dvandvamohena bhaarata|
sarvabhuutaani saMmohaM sarge yaanti parantapa7.27
⚜All beings in this world are in utter ignorance due to the delusion
of dualities born of likes and dislikes, O Arjuna. (7.27)
⚜हे परन्तप भारत इच्छा और द्वेष से उत्पन्न द्वन्द्वमोह से भूतमात्र उत्पत्ति काल में ही संमोह (अविवेक) को प्राप्त होते हैं।। 7.27 ।।
#geeta
इच्छाद्वेषसमुत्थेन द्वन्द्वमोहेन भारत।
सर्वभूतानि संमोहं सर्गे यान्ति परन्तप
।।7.27।।♦️ichChaadveShasamutthena dvandvamohena bhaarata|
sarvabhuutaani saMmohaM sarge yaanti parantapa
⚜All beings in this world are in utter ignorance due to the delusion
of dualities born of likes and dislikes, O Arjuna. (7.27)
⚜हे परन्तप भारत इच्छा और द्वेष से उत्पन्न द्वन्द्वमोह से भूतमात्र उत्पत्ति काल में ही संमोह (अविवेक) को प्राप्त होते हैं।। 7.27 ।।
#geeta
February 3, 2022
Forwarded from रामदूतः — The Sanskrit News Platform
🚩जय सत्य सनातन🚩
🚩आज की हिंदी तिथि
🌥️ 🚩युगाब्द-५१२३
🌥️ 🚩विक्रम संवत-२०७८
⛅ 🚩तिथि - चतुर्थी ०५ फरवरी रात्रि ०३:४७ तक तत्पश्चात पंचमी
⛅ दिनांक - ०४ फरवरी २०२२
⛅ दिन - शुक्रवार
⛅ विक्रम संवत - २०७८
⛅ शक संवत -१९४३
⛅ अयन - उत्तरायण
⛅ ऋतु - शिशिर
⛅ मास - माघ
⛅ पक्ष - शुक्ल
⛅ नक्षत्र - पूर्व भाद्रपद शाम 03:58 तक तत्पश्चात उत्तर भाद्रपद
⛅ योग - शिव शाम 07:10 तक तत्पश्चात सिद्ध
⛅ राहुकाल - सुबह 11:28 से दोपहर 12:53 तक
⛅ सूर्योदय - 07:15
⛅ सूर्यास्त - 18:29
⛅ दिशाशूल - पश्चिम दिशा में
🚩आज की हिंदी तिथि
🌥️ 🚩युगाब्द-५१२३
🌥️ 🚩विक्रम संवत-२०७८
⛅ 🚩तिथि - चतुर्थी ०५ फरवरी रात्रि ०३:४७ तक तत्पश्चात पंचमी
⛅ दिनांक - ०४ फरवरी २०२२
⛅ दिन - शुक्रवार
⛅ विक्रम संवत - २०७८
⛅ शक संवत -१९४३
⛅ अयन - उत्तरायण
⛅ ऋतु - शिशिर
⛅ मास - माघ
⛅ पक्ष - शुक्ल
⛅ नक्षत्र - पूर्व भाद्रपद शाम 03:58 तक तत्पश्चात उत्तर भाद्रपद
⛅ योग - शिव शाम 07:10 तक तत्पश्चात सिद्ध
⛅ राहुकाल - सुबह 11:28 से दोपहर 12:53 तक
⛅ सूर्योदय - 07:15
⛅ सूर्यास्त - 18:29
⛅ दिशाशूल - पश्चिम दिशा में
February 3, 2022
Forwarded from रामदूतः — The Sanskrit News Platform
https://youtu.be/GNCEabF2klM
Switch to DD News daily at 7:15 AM (Morning) for 15 minutes Sanskrit news.
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वार्ता: संस्कृत में समाचार | यूपी में चुनाव प्रचार चरम पर
February 3, 2022
@samskrt_samvadah संलापशाला - A Samskrit Voicechat room.
कालावधिः : 30 minutes only
समयः : IST 11:00 AM 🕚
विषयः :संस्कृतकथा,सुभाषितम्,
हास्यकणिका..... इत्यादयः
दिनाङ्कः : 04 February 2022,
Friday.
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😇 Please come prepared to discus (संस्कृतकथां, सुभाषितं, हास्यकणिकां ,स्वस्य कञ्चित् उत्तमम् अनुभवं ,प्रेरकप्रसङ्गं ,लौकिकन्यायं वा वदन्तु। ) in Sanskrit , If possible.
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👇🏼👇🏼👇🏼👇🏼👇🏼
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कालावधिः : 30 minutes only
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विषयः :संस्कृतकथा,सुभाषितम्,
हास्यकणिका..... इत्यादयः
दिनाङ्कः : 04 February 2022,
Friday.
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😇 Please come prepared to discus (संस्कृतकथां, सुभाषितं, हास्यकणिकां ,स्वस्य कञ्चित् उत्तमम् अनुभवं ,प्रेरकप्रसङ्गं ,लौकिकन्यायं वा वदन्तु। ) in Sanskrit , If possible.
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👇🏼👇🏼👇🏼👇🏼👇🏼
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February 3, 2022
February 3, 2022
https://youtu.be/GNCEabF2klM
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वार्ता: संस्कृत में समाचार | यूपी में चुनाव प्रचार चरम पर
February 3, 2022
February 3, 2022
February 3, 2022
_________ _________ सह क्रीडति।
Anonymous Quiz
78%
मार्जालः, कन्दुकेन
5%
चिक्रोडः, कन्दुकेन
14%
शुनकः,कन्दुकेन
3%
मार्जालः, कन्दुकात्
February 4, 2022
February 4, 2022
~सम्भाषणम्~
*विषय:- प्रातः काले मित्रसंभाषणम्*
*गोपाल:*- भो मित्र रमेश: ! सुप्रभातम् ।
हे मित्र रमेश! सुप्रभात ।
*रमेश:*- भो मित्र सुप्रभातम्! त्वम कुशलोऽसि ।
हे मित्र सुप्रभात! तुम कुशल से हो ।
*गोपाल:*- आम अहम कुशली अस्मि। भवान स्वकुशलम् वदतु।
हां मैं कुशल हूं आप अपना हाल-चाल बताओ।
*रमेश:*- अहमपि सपरिवारेण कुशलोऽस्मि।
मैं भी सपरिवार कुशल से हूं।
*गोपाल:*- सदा कुशल: एव भवतु।
हमेशा कुशल ही रहो।
*रमेश:*- त्वम् प्रातः काले एव कुत्र गंतु तत्पर: असि ?
तुम सुबह ही कहां जाने के लिए तैयार हो?
*गोपाल:*- अद्य कार्यालये एका सभा अस्ति । तस्य सर्वं दायित्वं ममोपरि एव अस्ति । अतः प्रातः काले एव गच्छामि।
आज कार्यालय में एक सभा है। उसकी सारी जिम्मेदारी मेरे ऊपर ही है। इसलिए सुबह ही जा रहा हूं।
*रमेश:*- तव कार्यालये कति सदस्या: सन्ति?
तुम्हारे कार्यालय में कितने सदस्य हैं?
*गोपाल:*- मम कार्यालये पंचसप्तति: सदस्या: संति। अहम् सर्वेषां सदस्यानाम् अध्यक्ष: अस्मि।
मेरे कार्यालय में 75 सदस्य हैं । मैं सभी का अध्यक्ष हूं।
*रमेश:*- अति हर्षस्य विषय: । मम पक्षत: वर्धापने स्वीकरोतु।
यह बहुत खुशी की बात है । हमारी बधाई स्वीकार करो।
*गोपाल:*- धन्यवाद:!
धन्यवाद।
*रमेश:*- गच्छतु भवान् विलंब भविष्यति ।
आप चलो देरी हो जाएगी।
*गोपाल:*- गच्छामि अहम्। पुन: मिलिब्याव:।
मैं जाता हूं पुनः मिलेंगे।
#vakyabhyas
*विषय:- प्रातः काले मित्रसंभाषणम्*
*गोपाल:*- भो मित्र रमेश: ! सुप्रभातम् ।
हे मित्र रमेश! सुप्रभात ।
*रमेश:*- भो मित्र सुप्रभातम्! त्वम कुशलोऽसि ।
हे मित्र सुप्रभात! तुम कुशल से हो ।
*गोपाल:*- आम अहम कुशली अस्मि। भवान स्वकुशलम् वदतु।
हां मैं कुशल हूं आप अपना हाल-चाल बताओ।
*रमेश:*- अहमपि सपरिवारेण कुशलोऽस्मि।
मैं भी सपरिवार कुशल से हूं।
*गोपाल:*- सदा कुशल: एव भवतु।
हमेशा कुशल ही रहो।
*रमेश:*- त्वम् प्रातः काले एव कुत्र गंतु तत्पर: असि ?
तुम सुबह ही कहां जाने के लिए तैयार हो?
*गोपाल:*- अद्य कार्यालये एका सभा अस्ति । तस्य सर्वं दायित्वं ममोपरि एव अस्ति । अतः प्रातः काले एव गच्छामि।
आज कार्यालय में एक सभा है। उसकी सारी जिम्मेदारी मेरे ऊपर ही है। इसलिए सुबह ही जा रहा हूं।
*रमेश:*- तव कार्यालये कति सदस्या: सन्ति?
तुम्हारे कार्यालय में कितने सदस्य हैं?
*गोपाल:*- मम कार्यालये पंचसप्तति: सदस्या: संति। अहम् सर्वेषां सदस्यानाम् अध्यक्ष: अस्मि।
मेरे कार्यालय में 75 सदस्य हैं । मैं सभी का अध्यक्ष हूं।
*रमेश:*- अति हर्षस्य विषय: । मम पक्षत: वर्धापने स्वीकरोतु।
यह बहुत खुशी की बात है । हमारी बधाई स्वीकार करो।
*गोपाल:*- धन्यवाद:!
धन्यवाद।
*रमेश:*- गच्छतु भवान् विलंब भविष्यति ।
आप चलो देरी हो जाएगी।
*गोपाल:*- गच्छामि अहम्। पुन: मिलिब्याव:।
मैं जाता हूं पुनः मिलेंगे।
#vakyabhyas
February 4, 2022
February 4, 2022
।।श्रीः।।
।।आत्मबोधः।।
Atmabodha, meaning Self-knowledge or Self-awareness, is an exceptionally lucid and readable work of Shankaracharya. Consisting of sixty-eight verses or shlokas, it is in a sense a simple summary of his entire Vedantic structure of thought, intended, it would seem, as a basic primer for his students and followers. The text follows a clearly elaborated doctrine, starting with knowledge as a key to liberation, the nautre of the Atman within us, the assertion of the pervasive and attribute-less nature of Brahman, and the path towards the realisation of the complete identity between the Atman and Brahman.
अवच्छिन्न इवाज्ञानात्तन्नाशे सति केवलः।
स्वयं प्रकाशते ह्यात्मा मेघापायेंऽशुमानिव।।4।।
4. The Soul appears to be finite because of ignorance. When ignorance is destroyed the Self which does not admit of any multiplicity truly reveals itself by itself: like the Sun when the clouds pass away.
आत्म-बोध ऑनलाइन क्लास - 4 :
आत्म-बोध के चौथे श्लोक में पू गुरूजी श्री स्वामी आत्मानन्द सरस्वतीजी ने बताया की इस श्लोक की संगती यह है की हम सबके अंदर मात्र अज्ञान नहीं है बल्कि कुछ उल्टा विपरीत ज्ञान भी है। यह उल्टा ज्ञान प्रॉब्लम को कॉम्प्लिकेट कर देता है। जिसके अंदर केवल अज्ञान होता है वो व्यक्ति विनम्र होता है और ठीक ज्ञान की पूरी कोशिश करता है लेकिन जब विपरीत ज्ञान आ जाता है तब प्रामाणिक ज्ञान के लिए जिज्ञासा के बजे अपने काल्पनिक अल्पता की निवृत्ति के लिए चेष्टा होने लगती हैं। प्रत्येक व्यक्ति अपने आप को छोटा देखता है और उसकी दलील यह है की हमें छोटापन दिखाई पड़ता है - अनुभव होता है। इसके उत्तर में यह श्लोक दिया गया है। यहाँ इस श्लोक में बताते हैं की किसी भी अनुभव को हमें सच नहीं मान लेना चाहिए। ध्यान पूर्वक व्याख्या सुने।
#Ātmabōdha
।।आत्मबोधः।।
Atmabodha, meaning Self-knowledge or Self-awareness, is an exceptionally lucid and readable work of Shankaracharya. Consisting of sixty-eight verses or shlokas, it is in a sense a simple summary of his entire Vedantic structure of thought, intended, it would seem, as a basic primer for his students and followers. The text follows a clearly elaborated doctrine, starting with knowledge as a key to liberation, the nautre of the Atman within us, the assertion of the pervasive and attribute-less nature of Brahman, and the path towards the realisation of the complete identity between the Atman and Brahman.
अवच्छिन्न इवाज्ञानात्तन्नाशे सति केवलः।
स्वयं प्रकाशते ह्यात्मा मेघापायेंऽशुमानिव।।4।।
4. The Soul appears to be finite because of ignorance. When ignorance is destroyed the Self which does not admit of any multiplicity truly reveals itself by itself: like the Sun when the clouds pass away.
आत्म-बोध ऑनलाइन क्लास - 4 :
आत्म-बोध के चौथे श्लोक में पू गुरूजी श्री स्वामी आत्मानन्द सरस्वतीजी ने बताया की इस श्लोक की संगती यह है की हम सबके अंदर मात्र अज्ञान नहीं है बल्कि कुछ उल्टा विपरीत ज्ञान भी है। यह उल्टा ज्ञान प्रॉब्लम को कॉम्प्लिकेट कर देता है। जिसके अंदर केवल अज्ञान होता है वो व्यक्ति विनम्र होता है और ठीक ज्ञान की पूरी कोशिश करता है लेकिन जब विपरीत ज्ञान आ जाता है तब प्रामाणिक ज्ञान के लिए जिज्ञासा के बजे अपने काल्पनिक अल्पता की निवृत्ति के लिए चेष्टा होने लगती हैं। प्रत्येक व्यक्ति अपने आप को छोटा देखता है और उसकी दलील यह है की हमें छोटापन दिखाई पड़ता है - अनुभव होता है। इसके उत्तर में यह श्लोक दिया गया है। यहाँ इस श्लोक में बताते हैं की किसी भी अनुभव को हमें सच नहीं मान लेना चाहिए। ध्यान पूर्वक व्याख्या सुने।
#Ātmabōdha
February 4, 2022
https://youtu.be/3wnHcKX-cfI
#SanskritCarnaticMusic
श्री भीष्म उवाच -
इति मतिरुपकल्पिता वितृष्णा भगवति सात्वत पुङ्गवे विभूम्नि । स्वसुखमुपगते क्वचिद्विहर्तुं प्रकृतिमुपेयुषि यद्भवप्रवाहः ॥ ३२॥
त्रिभुवनकमनं तमालवर्णं रविकरगौरवराम्बरं दधाने । वपुरलककुलावृताननाब्जं विजयसखे रतिरस्तु मेऽनवद्या ॥ ३३॥
युधि तुरगरजोविधूम्रविष्वक्कचलुलितश्रमवार्यलंकृतास्ये । मम निशितशरैर्विभिद्यमानत्वचि विलसत्कवचेऽस्तु कृष्ण आत्मा ॥ ३४॥
सपदि सखिवचो निशम्य मध्ये निजपरयोर्बलयो रथं निवेश्य । स्थितवति परसैनिकायुरक्ष्णा हृतवति पार्थ सखे रतिर्ममास्तु ॥ ३५॥
व्यवहित पृथनामुखं निरीक्ष्य स्वजनवधाद्विमुखस्य दोषबुद्ध्या। कुमतिमहरदात्मविद्यया यश्चरणरतिः परमस्य तस्य मेऽस्तु ॥ ३६॥
स्वनिगममपहाय मत्प्रतिज्ञा मृतमधिकर्तुमवप्लुतो रथस्थः । धृतरथचरणोऽभ्ययाच्चलत्गुः हरिरिव हन्तुमिभं गतोत्तरीयः ॥ ३७॥
शितविशिखहतोविशीर्णदंशः क्षतजपरिप्लुत आततायिनो मे । प्रसभमभिससार मद्वधार्थं स भवतु मे भगवान् गतिर्मुकुन्दः ॥ ३८॥
विजयरथकुटुम्ब आत्ततोत्रे धृतहयरश्मिनि तच्छ्रियेक्षणीये। भगवति रतिरस्तु मे मुमूर्षोः यमिह निरीक्ष्य हताः गताः सरूपम् ॥ ३९॥
ललित गति विलास वल्गुहास प्रणय निरीक्षण कल्पितोरुमानाः । कृतमनुकृतवत्य उन्मदान्धाः प्रकृतिमगन् किल यस्य गोपवध्वः ॥ ४०॥
मुनिगणनृपवर्यसंकुलेऽन्तः सदसि युधिष्ठिरराजसूय एषाम् । अर्हणमुपपेद ईक्षणीयो मम दृशि गोचर एष आविरात्मा ॥ ४१॥
तमिममहमजं शरीरभाजां हृदिहृदि धिष्टितमात्मकल्पितानाम् । प्रतिदृशमिव नैकधाऽर्कमेकं समधिगतोऽस्मि विधूतभेदमोहः ॥ ४२॥
श्री सूत उवाच - कृष्ण एवं भगवति मनोवाग्दृष्टिवृत्तिभिः । आत्मन्यात्मानमावेश्य सोऽन्तः श्वासमुपारमत् ॥ ४३॥ ॥ इति॥
#SanskritCarnaticMusic
श्री भीष्म उवाच -
इति मतिरुपकल्पिता वितृष्णा भगवति सात्वत पुङ्गवे विभूम्नि । स्वसुखमुपगते क्वचिद्विहर्तुं प्रकृतिमुपेयुषि यद्भवप्रवाहः ॥ ३२॥
त्रिभुवनकमनं तमालवर्णं रविकरगौरवराम्बरं दधाने । वपुरलककुलावृताननाब्जं विजयसखे रतिरस्तु मेऽनवद्या ॥ ३३॥
युधि तुरगरजोविधूम्रविष्वक्कचलुलितश्रमवार्यलंकृतास्ये । मम निशितशरैर्विभिद्यमानत्वचि विलसत्कवचेऽस्तु कृष्ण आत्मा ॥ ३४॥
सपदि सखिवचो निशम्य मध्ये निजपरयोर्बलयो रथं निवेश्य । स्थितवति परसैनिकायुरक्ष्णा हृतवति पार्थ सखे रतिर्ममास्तु ॥ ३५॥
व्यवहित पृथनामुखं निरीक्ष्य स्वजनवधाद्विमुखस्य दोषबुद्ध्या। कुमतिमहरदात्मविद्यया यश्चरणरतिः परमस्य तस्य मेऽस्तु ॥ ३६॥
स्वनिगममपहाय मत्प्रतिज्ञा मृतमधिकर्तुमवप्लुतो रथस्थः । धृतरथचरणोऽभ्ययाच्चलत्गुः हरिरिव हन्तुमिभं गतोत्तरीयः ॥ ३७॥
शितविशिखहतोविशीर्णदंशः क्षतजपरिप्लुत आततायिनो मे । प्रसभमभिससार मद्वधार्थं स भवतु मे भगवान् गतिर्मुकुन्दः ॥ ३८॥
विजयरथकुटुम्ब आत्ततोत्रे धृतहयरश्मिनि तच्छ्रियेक्षणीये। भगवति रतिरस्तु मे मुमूर्षोः यमिह निरीक्ष्य हताः गताः सरूपम् ॥ ३९॥
ललित गति विलास वल्गुहास प्रणय निरीक्षण कल्पितोरुमानाः । कृतमनुकृतवत्य उन्मदान्धाः प्रकृतिमगन् किल यस्य गोपवध्वः ॥ ४०॥
मुनिगणनृपवर्यसंकुलेऽन्तः सदसि युधिष्ठिरराजसूय एषाम् । अर्हणमुपपेद ईक्षणीयो मम दृशि गोचर एष आविरात्मा ॥ ४१॥
तमिममहमजं शरीरभाजां हृदिहृदि धिष्टितमात्मकल्पितानाम् । प्रतिदृशमिव नैकधाऽर्कमेकं समधिगतोऽस्मि विधूतभेदमोहः ॥ ४२॥
श्री सूत उवाच - कृष्ण एवं भगवति मनोवाग्दृष्टिवृत्तिभिः । आत्मन्यात्मानमावेश्य सोऽन्तः श्वासमुपारमत् ॥ ४३॥ ॥ इति॥
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bhishma stuti_beautiful prayer (must listen)
February 4, 2022
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कालावधिः : 30 minutes only
समयः : IST 11:00 AM 🕚
विषयः : Gossip.
जल्पनम्
दिनाङ्कः : 05th February 2022,
Saturday.
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February 4, 2022
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🍃
♦️yeShaaM tvantagataM paapaM janaanaaM puNyakarmaNaam|
te dvandvamohanirmuktaa bhajante maaM dRRiDhavrataaH7.28
⚜Persons of virtuous (or unselfish) deeds, whose Karma has come to an end, become free from the delusion of dualities and worship Me with firm resolve. (7.28)
⚜परन्तु जिन पुण्यकर्मी पुरुषों का पाप नष्ट हो गया है वे द्वन्द्वमोह से निर्मुक्त और दृढ़वती पुरुष मुझे भजते हैं।। 7.28 ।।
#geeta
येषां त्वन्तगतं पापं जनानां पुण्यकर्मणाम्।
ते द्वन्द्वमोहनिर्मुक्ता भजन्ते मां दृढव्रताः
।।7.28।।♦️yeShaaM tvantagataM paapaM janaanaaM puNyakarmaNaam|
te dvandvamohanirmuktaa bhajante maaM dRRiDhavrataaH
⚜Persons of virtuous (or unselfish) deeds, whose Karma has come to an end, become free from the delusion of dualities and worship Me with firm resolve. (7.28)
⚜परन्तु जिन पुण्यकर्मी पुरुषों का पाप नष्ट हो गया है वे द्वन्द्वमोह से निर्मुक्त और दृढ़वती पुरुष मुझे भजते हैं।। 7.28 ।।
#geeta
February 4, 2022
February 4, 2022
🍃
♦️jaraamaraNamokShaaya maamaashritya yatanti ye|
te brahma tadviduH kRRitsnamadhyaatmaM karma chaakhilam7.29
⚜Those who strive for freedom from (the cycles of birth) old age and death by taking refuge in Me know Brahman, the individual self, and Karma in its entirety. (7.29)
⚜जो मेरे शरणागत होकर जरा और मरण से मुक्ति पाने के लिए यत्न करते हैं वे पुरुष उस ब्रह्म को सम्पूर्ण अध्यात्म को और सम्पूर्ण कर्म को जानते हैं।। 7.29 ।।
#geeta
जरामरणमोक्षाय मामाश्रित्य यतन्ति ये।
ते ब्रह्म तद्विदुः कृत्स्नमध्यात्मं कर्म चाखिलम्
।।7.29।।♦️jaraamaraNamokShaaya maamaashritya yatanti ye|
te brahma tadviduH kRRitsnamadhyaatmaM karma chaakhilam
⚜Those who strive for freedom from (the cycles of birth) old age and death by taking refuge in Me know Brahman, the individual self, and Karma in its entirety. (7.29)
⚜जो मेरे शरणागत होकर जरा और मरण से मुक्ति पाने के लिए यत्न करते हैं वे पुरुष उस ब्रह्म को सम्पूर्ण अध्यात्म को और सम्पूर्ण कर्म को जानते हैं।। 7.29 ।।
#geeta
February 4, 2022
February 4, 2022
पावका नः सरस्वती वाजेभिर्वाजिनीवती।
यज्ञं वष्टु धियावसुः॥
English translation:
Goddess Sarasvatī, who sanctifies, nourishes, intelligently bestows opulence, may make our
sacrifice successful with knowledge and action.
Hindi translation:
पवित्र बनाने वाली, पोषण देने वाली, बुद्धिमतापूर्वक ऐश्वर्य प्रदान करने वाली
देवी सरस्वती ज्ञान और कर्म से हमारे यज्ञ को सफल बनाए।
यज्ञं वष्टु धियावसुः॥
English translation:
Goddess Sarasvatī, who sanctifies, nourishes, intelligently bestows opulence, may make our
sacrifice successful with knowledge and action.
Hindi translation:
पवित्र बनाने वाली, पोषण देने वाली, बुद्धिमतापूर्वक ऐश्वर्य प्रदान करने वाली
देवी सरस्वती ज्ञान और कर्म से हमारे यज्ञ को सफल बनाए।
February 4, 2022
🚩जय सत्य सनातन🚩
🚩आज की हिंदी तिथि
🌥️ 🚩युगाब्द-५१२३
🌥️ 🚩विक्रम संवत-२०७८
⛅ 🚩तिथि - पंचमी ०६ फरवरी प्रातः ०३:४६ तक तत्पश्चात षष्ठी
⛅ दिनांक - ०५ फरवरी २०२२
⛅ दिन - शनिवार
⛅ शक संवत -१९४३
⛅ अयन - उत्तरायण
⛅ ऋतु - शिशिर
⛅ मास - माघ
⛅ पक्ष - शुक्ल
⛅ नक्षत्र - उत्तर भाद्रपद शाम ०४:०९ तक तत्पश्चात रेवती
⛅ योग - सिद्ध शाम ०५:४२ तक तत्पश्चात साध्य
⛅ राहुकाल - सुबह १०:०४ से सुबह ११:२८ तक
⛅ सूर्योदय - ०७:१५
⛅ सूर्यास्त - १८:३०
⛅ दिशाशूल - पूर्व दिशा में
🚩आज की हिंदी तिथि
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⛅ शक संवत -१९४३
⛅ अयन - उत्तरायण
⛅ ऋतु - शिशिर
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⛅ नक्षत्र - उत्तर भाद्रपद शाम ०४:०९ तक तत्पश्चात रेवती
⛅ योग - सिद्ध शाम ०५:४२ तक तत्पश्चात साध्य
⛅ राहुकाल - सुबह १०:०४ से सुबह ११:२८ तक
⛅ सूर्योदय - ०७:१५
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February 4, 2022
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February 4, 2022
Forwarded from रामदूतः — The Sanskrit News Platform
https://youtu.be/OW1M4rvr1lY
Switch to DD News daily at 7:15 AM (Morning) for 15 minutes Sanskrit news.
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वार्ता: संस्कृत में समाचार | पीएम मोदी आज हैदराबाद के दौरे पर
February 4, 2022
February 4, 2022
February 4, 2022
February 4, 2022
________ __________ खादन्ति।
Anonymous Quiz
14%
कपिः, फलानि
5%
कपीः, फलाम्
6%
कपाः, फलानि
66%
कपयः, फलानि
9%
कपयः, फलम्
February 5, 2022
February 5, 2022
संस्कृत संवादः । Sanskrit Samvadah
मृषा
भोजयति कुपुत्रम् = कपूत को खिलाना व्यर्थ है। मृषा वदति वादी = वादी झूठ
बोल रहा है। मुधा मा वद, पतिष्यति..! = झूठ मत बोल, पतन होगा..! ज्योक्
जीव..! = दीर्घजीवी हो..! ज्योक् पश्येम सूर्यमुच्चरन्तम् = हम सदा देखें
हृदय में विद्यमान (उपस्थित) प्रेरक को। मिथ्या…
संस्कृतं वद आधुनिको भव।
वेदान् पठ वैज्ञानिको भव।।
पाठ : (१३) तृतीया विभक्ति (५)
(जिस अंग के विकार से शरीर को विकृत माना जाए, उस अंग में तृतीया विभक्ति होती है।)
नेत्रेण अन्धोऽपि पथि सम्यक् व्यवहरति = आंख से अन्धा होने के बावजूद भी रस्ते पर ठीक चलता है।
अन्धापेक्षया नेत्रेण काणोऽपि ज्यायान् = अन्धे की अपेक्षा आंख से काणा व्यक्ति अच्छा है।
हस्तेन लुञ्जोऽपि परिश्रमेण जीवति = एक हाथ से विकलांग होने पर भी महनत कर के जीता है।
कराभ्यां विकलोऽपि प्रसन्नवदनः तिष्ठति = दोनों हाथों से विकलांग होने पर भी प्रसन्नवदन रहता है।
पादेन खञ्जोऽपि भृशं धावति = पैर से लंगड़ा होते हुए भी खूब दोड़ता है।
यत्र प्रजा मुखेन मूका भवति, राजा कर्णेन बधिरो भवति, तत्र नूनं विनाशो भवति = जहां प्रजा गूंगी होती है और राजा बहरा होता है वहां निश्चय ही विनाश होता है।
शिरसा खल्वाटोऽयं केशविन्यासान् पश्यति = टकलु हेअरस्टाईल देख रहा है।
मन्थरा पृष्ठेन कुब्जा आसीत् = मन्थरा पीठ से कुबड़ी थी।
शरीरेण वामनोऽपि शिवराजः दीर्घकायान् शत्रून् अवपातयति स्म = शरीर से बौना होने पर भी शिवाजी महाकाय शत्रुओं को पछाड़ देता था।
दन्तैः रिक्तोऽपि गोलगप्पां वाञ्छति = मुख में दांत नहीं फिर भी गोलगप्पे खाना चाहता है।
अहो आश्चर्यम् अङ्गुलिभिः विकलोऽपि कुष्ठी वस्त्रं स्त्रं वयति = अहो आश्चर्य है, बिना ऊंगलियों के भी कोढ़ी कपड़ा बुन रहा है।
ग्रीवया वक्रोऽपि लक्ष्यं अमोघं विध्यति = टेढ़ी गर्दनवाला भी निशाना अचूक लगाता है।
अक्ष्णा केकरः न ज्ञायते कुत्र पश्यति = भेंगा (ेुनपदज) व्यक्ति कहां देखता है पता नहीं चलता।
(किम्, किं कार्यम्, कोऽर्थः, किं प्रयोजनम् इन शब्दों के साथ तृतीया विभक्ति का प्रयोग होता है।)
सन्दीप्ते भवने कूपखनेन किं, किं कार्यम्, किं प्रयोजनम् कोऽर्थः वा ? = घर जल जाने के बाद कुंआ खोदने से क्या लाभ ?
काले दत्तं वरं ह्यल्पम् अकाले बहुनाऽपि किम् ? = समय पर थोड़ा दिया जाना भी बहुत कहाता है जबकि समय निकल जाने पर बहुत सारा दिया जाना भी व्यर्थ है।
धर्महीनेन मनुष्येण कोऽर्थः = धर्मरहित व्यक्ति से क्या लाभ ?
लवणं विना स्वादु भोजनेन किं = नमक के बिना स्वादिष्ट भोजन कैसा ?
ज्ञानेन विना बलेन किं कार्यम् = ज्ञान के बिना बल किस काम का ?
दृष्टिं विना अक्ष्णा किं प्रयोजनम् = दृष्टि के बिना आंख से क्या लाभ ?
किं तेन जातेन येन वंशो न गच्छति समुन्नतिम् = उसके जन्म लेने से क्या लाभ जिसके कारण वंश उन्नत न हो ?
किं तेन पठनेन येन सदाचारो न शिक्षितः ? = उस पढ़ाई से क्या लाभ जो सदाचार नहीं सिखाता ?
किं तेन धनेन येन दानेन हस्तो न भूषितः ? = उस धन से क्या लाभ जिसने दान से हाथ की शोभा नहीं बढ़ाई ?
किं तेन बुधेन यो सत्यं न भाषते = वह कैसा विद्वान् है जो सत्य नहीं बोलता ?
#vakyabhyas
वेदान् पठ वैज्ञानिको भव।।
पाठ : (१३) तृतीया विभक्ति (५)
(जिस अंग के विकार से शरीर को विकृत माना जाए, उस अंग में तृतीया विभक्ति होती है।)
नेत्रेण अन्धोऽपि पथि सम्यक् व्यवहरति = आंख से अन्धा होने के बावजूद भी रस्ते पर ठीक चलता है।
अन्धापेक्षया नेत्रेण काणोऽपि ज्यायान् = अन्धे की अपेक्षा आंख से काणा व्यक्ति अच्छा है।
हस्तेन लुञ्जोऽपि परिश्रमेण जीवति = एक हाथ से विकलांग होने पर भी महनत कर के जीता है।
कराभ्यां विकलोऽपि प्रसन्नवदनः तिष्ठति = दोनों हाथों से विकलांग होने पर भी प्रसन्नवदन रहता है।
पादेन खञ्जोऽपि भृशं धावति = पैर से लंगड़ा होते हुए भी खूब दोड़ता है।
यत्र प्रजा मुखेन मूका भवति, राजा कर्णेन बधिरो भवति, तत्र नूनं विनाशो भवति = जहां प्रजा गूंगी होती है और राजा बहरा होता है वहां निश्चय ही विनाश होता है।
शिरसा खल्वाटोऽयं केशविन्यासान् पश्यति = टकलु हेअरस्टाईल देख रहा है।
मन्थरा पृष्ठेन कुब्जा आसीत् = मन्थरा पीठ से कुबड़ी थी।
शरीरेण वामनोऽपि शिवराजः दीर्घकायान् शत्रून् अवपातयति स्म = शरीर से बौना होने पर भी शिवाजी महाकाय शत्रुओं को पछाड़ देता था।
दन्तैः रिक्तोऽपि गोलगप्पां वाञ्छति = मुख में दांत नहीं फिर भी गोलगप्पे खाना चाहता है।
अहो आश्चर्यम् अङ्गुलिभिः विकलोऽपि कुष्ठी वस्त्रं स्त्रं वयति = अहो आश्चर्य है, बिना ऊंगलियों के भी कोढ़ी कपड़ा बुन रहा है।
ग्रीवया वक्रोऽपि लक्ष्यं अमोघं विध्यति = टेढ़ी गर्दनवाला भी निशाना अचूक लगाता है।
अक्ष्णा केकरः न ज्ञायते कुत्र पश्यति = भेंगा (ेुनपदज) व्यक्ति कहां देखता है पता नहीं चलता।
(किम्, किं कार्यम्, कोऽर्थः, किं प्रयोजनम् इन शब्दों के साथ तृतीया विभक्ति का प्रयोग होता है।)
सन्दीप्ते भवने कूपखनेन किं, किं कार्यम्, किं प्रयोजनम् कोऽर्थः वा ? = घर जल जाने के बाद कुंआ खोदने से क्या लाभ ?
काले दत्तं वरं ह्यल्पम् अकाले बहुनाऽपि किम् ? = समय पर थोड़ा दिया जाना भी बहुत कहाता है जबकि समय निकल जाने पर बहुत सारा दिया जाना भी व्यर्थ है।
धर्महीनेन मनुष्येण कोऽर्थः = धर्मरहित व्यक्ति से क्या लाभ ?
लवणं विना स्वादु भोजनेन किं = नमक के बिना स्वादिष्ट भोजन कैसा ?
ज्ञानेन विना बलेन किं कार्यम् = ज्ञान के बिना बल किस काम का ?
दृष्टिं विना अक्ष्णा किं प्रयोजनम् = दृष्टि के बिना आंख से क्या लाभ ?
किं तेन जातेन येन वंशो न गच्छति समुन्नतिम् = उसके जन्म लेने से क्या लाभ जिसके कारण वंश उन्नत न हो ?
किं तेन पठनेन येन सदाचारो न शिक्षितः ? = उस पढ़ाई से क्या लाभ जो सदाचार नहीं सिखाता ?
किं तेन धनेन येन दानेन हस्तो न भूषितः ? = उस धन से क्या लाभ जिसने दान से हाथ की शोभा नहीं बढ़ाई ?
किं तेन बुधेन यो सत्यं न भाषते = वह कैसा विद्वान् है जो सत्य नहीं बोलता ?
#vakyabhyas
February 5, 2022
राज्यस्य मुख्यमन्त्री जनान् समस्याः पृच्छति स्म, तदा कश्चन जनः एवं वदति~
मुख्यमंत्री - तव कति अपत्यानि सन्ति?
जनः - चत्वारः बालकाः सन्ति।
मुख्यमंत्री - ते किं कुर्वन्ति?
जनः - प्रथमः B. Tech कृतवान्, द्वितीयः MCA कृतवान्, तृतीयः M. A कृतवान् तथा चतुर्थः चोरः अस्ति।
मुख्यमंत्री - चेत् किमर्थं न तं चोरं गृहात् निष्कासयति.....?
जनः (खिन्नो भूत्वा) - सः एव धनं अर्जति अन्ये तु निरुद्योगिनः सन्ति। 😁😅😂
#hasya
मुख्यमंत्री - तव कति अपत्यानि सन्ति?
जनः - चत्वारः बालकाः सन्ति।
मुख्यमंत्री - ते किं कुर्वन्ति?
जनः - प्रथमः B. Tech कृतवान्, द्वितीयः MCA कृतवान्, तृतीयः M. A कृतवान् तथा चतुर्थः चोरः अस्ति।
मुख्यमंत्री - चेत् किमर्थं न तं चोरं गृहात् निष्कासयति.....?
जनः (खिन्नो भूत्वा) - सः एव धनं अर्जति अन्ये तु निरुद्योगिनः सन्ति। 😁😅😂
#hasya
February 5, 2022
।।श्रीः।।
।।आत्मबोधः।।
Atmabodha, meaning Self-knowledge or Self-awareness, is an exceptionally lucid and readable work of Shankaracharya. Consisting of sixty-eight verses or shlokas, it is in a sense a simple summary of his entire Vedantic structure of thought, intended, it would seem, as a basic primer for his students and followers. The text follows a clearly elaborated doctrine, starting with knowledge as a key to liberation, the nautre of the Atman within us, the assertion of the pervasive and attribute-less nature of Brahman, and the path towards the realisation of the complete identity between the Atman and Brahman.
अज्ञानकलुषं जीवं ज्ञानाभ्यासाद्विनिर्मलम्।
कृत्वा ज्ञानं स्वयं नश्येज्जलं कतकरेणुवत्।।5।।
5. Constant practice of knowledge purifies the Self (‘Jivatman’), stained by ignorance and then disappears itself – as the powder of the’Kataka-nut’ settles down after it has cleansed the muddy water.
आत्म-बोध ऑनलाइन क्लास - 5 :
आत्म-बोध के पांचवें श्लोक में पू गुरूजी श्री स्वामी आत्मानन्द सरस्वतीजी ने बताया की इस श्लोक में आचार्य बता रहे हैं की जीव मात्र अज्ञान से कलुषित होता है अतः प्रामाणिक ज्ञान के अभ्यास से वो निर्मल हो जाता है। जब ज्ञान के अभ्यास की बात करी गयी तो एक प्रश्न उत्पन्न हुआ की आत्मा-अभिमुख होने के लिए हमारी बुद्धि से अगर अन्य सभी वृत्तियों को बाधित होना चाहिए फिर तो ज्ञान की वृत्ति भी हमें मन-बुद्धि की धरातल पर बनाए रखेगी। इसका उत्तर में आचार्य ज्ञान वृत्ति की एक अध्भुत विशिष्टता बताते हैं।
#Ātmabōdha
।।आत्मबोधः।।
Atmabodha, meaning Self-knowledge or Self-awareness, is an exceptionally lucid and readable work of Shankaracharya. Consisting of sixty-eight verses or shlokas, it is in a sense a simple summary of his entire Vedantic structure of thought, intended, it would seem, as a basic primer for his students and followers. The text follows a clearly elaborated doctrine, starting with knowledge as a key to liberation, the nautre of the Atman within us, the assertion of the pervasive and attribute-less nature of Brahman, and the path towards the realisation of the complete identity between the Atman and Brahman.
अज्ञानकलुषं जीवं ज्ञानाभ्यासाद्विनिर्मलम्।
कृत्वा ज्ञानं स्वयं नश्येज्जलं कतकरेणुवत्।।5।।
5. Constant practice of knowledge purifies the Self (‘Jivatman’), stained by ignorance and then disappears itself – as the powder of the’Kataka-nut’ settles down after it has cleansed the muddy water.
आत्म-बोध ऑनलाइन क्लास - 5 :
आत्म-बोध के पांचवें श्लोक में पू गुरूजी श्री स्वामी आत्मानन्द सरस्वतीजी ने बताया की इस श्लोक में आचार्य बता रहे हैं की जीव मात्र अज्ञान से कलुषित होता है अतः प्रामाणिक ज्ञान के अभ्यास से वो निर्मल हो जाता है। जब ज्ञान के अभ्यास की बात करी गयी तो एक प्रश्न उत्पन्न हुआ की आत्मा-अभिमुख होने के लिए हमारी बुद्धि से अगर अन्य सभी वृत्तियों को बाधित होना चाहिए फिर तो ज्ञान की वृत्ति भी हमें मन-बुद्धि की धरातल पर बनाए रखेगी। इसका उत्तर में आचार्य ज्ञान वृत्ति की एक अध्भुत विशिष्टता बताते हैं।
#Ātmabōdha
February 5, 2022
@samskrt_samvadah संलापशाला - A Samskrit Voicechat room.
कालावधिः : 30 minutes only
समयः : IST 11:00 AM 🕚
विषयः : रामायणम्।
(Ramayana.)
दिनाङ्कः : 6th February 2022,
Sunday.
Please Join the voicechat on time.
😇 Please come prepared to discuss ( स्वप्रदेशस्य रामायणस्य विषये वदन्तु।)in Sanskrit , If possible.
We are waiting for you.😇
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(Ramayana.)
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February 5, 2022
February 5, 2022
🍃
♦️saadhibhuutaadhidaivaM maaM saadhiyaj~naM cha ye viduH|
prayaaNakaale'pi cha maaM te viduryuktachetasaH7.30
⚜The steadfast persons, who know that Brahman is everything, the Adhibhoota, the Adhidaiva, and the Adhiyajna, remember Me even at the time of death (and attain Me). (See also 8.04) (7.30)
⚜जो पुरुष अधिभूत और अधिदैव तथा अधियज्ञ के सहित मुझे जानते हैं वे युक्तचित्त वाले पुरुष अन्तकाल में भी मुझे जानते हैं।। 7.30 ।।
#geeta
साधिभूताधिदैवं मां साधियज्ञं च ये विदुः।
प्रयाणकालेऽपि च मां ते विदुर्युक्तचेतसः
।।7.30।।♦️saadhibhuutaadhidaivaM maaM saadhiyaj~naM cha ye viduH|
prayaaNakaale'pi cha maaM te viduryuktachetasaH
⚜The steadfast persons, who know that Brahman is everything, the Adhibhoota, the Adhidaiva, and the Adhiyajna, remember Me even at the time of death (and attain Me). (See also 8.04) (7.30)
⚜जो पुरुष अधिभूत और अधिदैव तथा अधियज्ञ के सहित मुझे जानते हैं वे युक्तचित्त वाले पुरुष अन्तकाल में भी मुझे जानते हैं।। 7.30 ।।
#geeta
February 5, 2022
February 5, 2022
🍃
♦️arjuna uvaacha
kiM tadbrahma kimadhyaatmaM kiM karma puruShottama|
adhibhuutaM cha kiM proktamadhidaivaM kimuchyate8.1
⚜Arjuna said --
O Krishna, what is Brahman? What is Adhyaatma? What is Karma? What is called Adhibhoota? And what is known as Adhidaiva? (8.01)
⚜अर्जुन ने कहा --
हे पुरुषोत्तम वह ब्रह्म क्या है अध्यात्म क्या है तथा कर्म क्या है और अधिभूत नाम से क्या कहा गया है तथा अधिदैव नाम से क्या कहा जाता है, ।। 8.1 ।।
#geeta
अर्जुन उवाच
किं तद्ब्रह्म किमध्यात्मं किं कर्म पुरुषोत्तम।
अधिभूतं च किं प्रोक्तमधिदैवं किमुच्यते
।। 8.1 ।।♦️arjuna uvaacha
kiM tadbrahma kimadhyaatmaM kiM karma puruShottama|
adhibhuutaM cha kiM proktamadhidaivaM kimuchyate
⚜Arjuna said --
O Krishna, what is Brahman? What is Adhyaatma? What is Karma? What is called Adhibhoota? And what is known as Adhidaiva? (8.01)
⚜अर्जुन ने कहा --
हे पुरुषोत्तम वह ब्रह्म क्या है अध्यात्म क्या है तथा कर्म क्या है और अधिभूत नाम से क्या कहा गया है तथा अधिदैव नाम से क्या कहा जाता है, ।। 8.1 ।।
#geeta
February 5, 2022
February 5, 2022
🚩जय सत्य सनातन🚩
🚩आज की हिंदी तिथि
🌥️ 🚩युगाब्द-५१२३
🌥️ 🚩विक्रम संवत-२०७८
⛅ 🚩तिथि - षष्ठी ०७ फरवरी प्रातः ०४:३७ तक तत्पश्चात सप्तमी
⛅ दिनांक - ०६ फरवरी २०२२
⛅ दिन - रविवार
⛅ शक संवत -१९४३
⛅ अयन - उत्तरायण
⛅ ऋतु - शिशिर
⛅ मास - माघ
⛅ पक्ष - शुक्ल
⛅ नक्षत्र - रेवती शाम ०५:१० तक तत्पश्चात अश्विनी
⛅ योग - साध्य शाम ०४:५४ तक तत्पश्चात शुभ
⛅ राहुकाल - शाम ०५:०७ से शाम ०८:३२ तक
⛅ सूर्योदय - ०७:१५
⛅ सूर्यास्त - १८:३०
⛅ दिशाशूल - पश्चिम दिशा में
🚩आज की हिंदी तिथि
🌥️ 🚩युगाब्द-५१२३
🌥️ 🚩विक्रम संवत-२०७८
⛅ 🚩तिथि - षष्ठी ०७ फरवरी प्रातः ०४:३७ तक तत्पश्चात सप्तमी
⛅ दिनांक - ०६ फरवरी २०२२
⛅ दिन - रविवार
⛅ शक संवत -१९४३
⛅ अयन - उत्तरायण
⛅ ऋतु - शिशिर
⛅ मास - माघ
⛅ पक्ष - शुक्ल
⛅ नक्षत्र - रेवती शाम ०५:१० तक तत्पश्चात अश्विनी
⛅ योग - साध्य शाम ०४:५४ तक तत्पश्चात शुभ
⛅ राहुकाल - शाम ०५:०७ से शाम ०८:३२ तक
⛅ सूर्योदय - ०७:१५
⛅ सूर्यास्त - १८:३०
⛅ दिशाशूल - पश्चिम दिशा में
February 5, 2022
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February 5, 2022
https://youtu.be/m5QiO1wz68c
Switch to DD News daily at 7:15 AM (Morning) for 15 minutes Sanskrit news.
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YouTube
वार्ता: संस्कृत में समाचार | पीएम मोदी आज यूपी और गोवा में करेंगे वर्चुअल रैली
February 5, 2022
February 5, 2022
February 5, 2022
गीतायाः भाषा - प्रथमः भागः
Course Description
Learn Samskrit – the Language of Gita (Level 1)
• This is the first of the 4 levels of ‘Samskrit for Specific Purpose – Gita ’.
• Terminology from Bhagavad Gita is used to teach Primary Level Communicative Samskrit.
• This is taught in simple Samskrit language.
• Please watch videos for first 5 to 10 lessons repeatedly. You will start understanding Samskrit.
• Total videos = 43 Total viewing time =17:00 hours.
• Write all exercises in a separate workbook and verify with “uttaradeepika” provided at the end of book.
Course Requirements :
Knowledge of Devnagarilipiis required. (If you do not know Devanagari lipi, please visit www.samskrittutorial.in& watch videos of Class 1 to 4).
Target Audience :
• Students, People interested in Bhagavad Gita, Management Professionals, Students of Vedanta or any other interested learner.
• These courses are prepared considering that the learner is 16+.
Course Instructions :
1. Listen to first few videos repeatedly. You will grasp Samskrit better every time. After some time, you will be able to understand on the first go.
2. Once listening skills improve, repeat after each sentence. Speak loudly. Focus on the pronunciation of each letter.
3. By the end of this level, you will surely be a good listener & speaker.
4. Please set a specific time for learning.
5. Watching every day (regularly), gives excellent results.
6. Please attempt self-evaluation questions after every video to understand your grasp.
7. Please use CHAT or WhatsApp or email to put your doubts &questions to a teacher.
8. You can take test at the end.
Course Details
Duration 4 Months
Lectures 43
Quizzes 40
Level Beginner
Students 479
Language Samskrit
Course Fee INR 500
To enrol Click here
https://learnsamskrit.online/course_details?name/=ODk3MTgxNjY5MzY4
#SanskritEducation
Course Description
Learn Samskrit – the Language of Gita (Level 1)
• This is the first of the 4 levels of ‘Samskrit for Specific Purpose – Gita ’.
• Terminology from Bhagavad Gita is used to teach Primary Level Communicative Samskrit.
• This is taught in simple Samskrit language.
• Please watch videos for first 5 to 10 lessons repeatedly. You will start understanding Samskrit.
• Total videos = 43 Total viewing time =17:00 hours.
• Write all exercises in a separate workbook and verify with “uttaradeepika” provided at the end of book.
Course Requirements :
Knowledge of Devnagarilipiis required. (If you do not know Devanagari lipi, please visit www.samskrittutorial.in& watch videos of Class 1 to 4).
Target Audience :
• Students, People interested in Bhagavad Gita, Management Professionals, Students of Vedanta or any other interested learner.
• These courses are prepared considering that the learner is 16+.
Course Instructions :
1. Listen to first few videos repeatedly. You will grasp Samskrit better every time. After some time, you will be able to understand on the first go.
2. Once listening skills improve, repeat after each sentence. Speak loudly. Focus on the pronunciation of each letter.
3. By the end of this level, you will surely be a good listener & speaker.
4. Please set a specific time for learning.
5. Watching every day (regularly), gives excellent results.
6. Please attempt self-evaluation questions after every video to understand your grasp.
7. Please use CHAT or WhatsApp or email to put your doubts &questions to a teacher.
8. You can take test at the end.
Course Details
Duration 4 Months
Lectures 43
Quizzes 40
Level Beginner
Students 479
Language Samskrit
Course Fee INR 500
To enrol Click here
https://learnsamskrit.online/course_details?name/=ODk3MTgxNjY5MzY4
#SanskritEducation
February 5, 2022
February 5, 2022
शिक्षिकाः _______ पुरस्कारान् _____।
Anonymous Quiz
14%
बालिकाभ्यः, ददाति
15%
बालिकेभ्यः, ददति
33%
बालिकाभ्यः, ददति
9%
बालिकानां, ददति
29%
बालिकाभ्यः, ददन्ति
February 6, 2022
Forwarded from रामदूतः — The Sanskrit News Platform
गानकल्पलता काचिद् गता लोकादहो दिवम्।
गन्धर्वनगरारामं सनादस्वरमञ्जरी॥
“कोई संगीत की कल्प-लता अपने नाद-स्वर रूपी पुष्पों की मञ्जरी के सहित इस लोक से स्वर्ग में गन्धर्वों के उद्यान को चली गई।”
लतामंगेशकराय अस्माकं श्रद्धांजलयः🙏🏻🥀
ॐ शांतिः शांतिः शांतिः
February 6, 2022
संस्कृत संवादः । Sanskrit Samvadah
संस्कृतं
वद आधुनिको भव। वेदान् पठ वैज्ञानिको भव।। पाठ : (१३) तृतीया विभक्ति (५)
(जिस अंग के विकार से शरीर को विकृत माना जाए, उस अंग में तृतीया विभक्ति
होती है।) नेत्रेण अन्धोऽपि पथि सम्यक् व्यवहरति = आंख से अन्धा होने के
बावजूद भी रस्ते पर ठीक चलता है। अन्धापेक्षया…
(अलम् तथा कृतम् इन दो शब्दों के साथ भी तृतीया विभक्ति होती है यदि बस या मत अर्थ हो तो।)
अलम् अतिविस्तरेण, समासेन ब्रूहि..! = ज्यादा विस्तार मत करो, संक्षेप में कहो..!
अलं मोहेन, वानप्रस्थी भव..! = मोह मत कर, वानप्रस्थ धारण कर..!
अलं वार्तालापेन, मौनं धारय..! = बातें मत कर चुप रह..!
अलं क्रीडनेन, पाठं स्मर..! = बस कर खेल, पाठ याद कर..!
कृतम् अत्यादरेण न त्वा काङ्क्षे = बहुत आदर कर दिया अब मुझे तेरी जरूरत नहीं है।
कृतं कार्येण अन्यत् कर्मकरी करिष्यति = बहुत काम कर दिया, अब रहने दो, कामवाली कर देगी।
कृतं सहाय्येन, त्यज, स्वयं करिष्यामि = बहुत सहयोग कर दिया, छोड,़ अब मैं स्वयं कर लूंगा।
(कार्य की सफलता बताई जाए तो समय व मार्ग की दूरीवाचक शब्दों में तृतीया होती है।)
मासेन ग्रन्थः अधीतः = महिनेभर में ग्रन्थ पढ़ लिया।
सा दशभिः दिनैः निरोगी अभूत् = वह दस दिनों में स्वस्थ हो गई।
पञ्चभिः वर्षैः व्याकरणम् अधीयते = ठीक से व्याकरण पढ़ने के लिए पांच वर्र्ष लगते हैं।
सप्तभिः दिनैः शिबिरं समापयत् = उसने सात दिन में शिबिर का सफलतापूर्वक समापन किया।
घण्टाद्वयेन भोजनम् अपाक्षीत् = उसने दो घण्टे में भोजन पका दिया।
षण्मासेन अष्टाध्यायीम् अस्मरत् = छः महिने में अष्टाध्यायी कण्ठस्थ कर ली।
पञ्चमीलेन कथाम् अश्रावयत् = पांच मील तक उसने कथा अच्छी तरह सुना दी।
किलोमिटरेण तिमिरम् अपगतम् = किलोमीटरभर में तो अंधेरा दूर हो गया।
क्रोशेण हास्यकणिकाम् अवदत् = कोसभर चुटकुले बोलता रहा।
शतयोजनेन हंसः हिमवन्तं प्रापत् = सैकड़ों योजन चलकर हंस हिमालय पहुंचा।
(‘शप्’ धातु के साथ शपथ की वस्तु में तृतीया विभक्ति होती है।)
न्यायालये गीता पुस्तकेन शापयति = न्यायालय में गीता की शपथ दिलाते हैं।
भगवता शपे..! नैतत् मया कदापि कृतम् = भगवान् की सौगन्ध मैंने इसको कदापि नहीं किया।
सत्यवादिनं सत्येन शापयेत् = सत्यवादी को सत्य की शपथ दिलानी चाहिए।
आत्मना शपे यदि मृषा वदेयम् = मुझे अपनी ही कसम, यदि मैं झूठ बोलूं।
त्वया शपामि, सत्यं वदामि = तेरी कसम, मैं सच बोल रहा / रही हूं।
#vakyabhyas
अलम् अतिविस्तरेण, समासेन ब्रूहि..! = ज्यादा विस्तार मत करो, संक्षेप में कहो..!
अलं मोहेन, वानप्रस्थी भव..! = मोह मत कर, वानप्रस्थ धारण कर..!
अलं वार्तालापेन, मौनं धारय..! = बातें मत कर चुप रह..!
अलं क्रीडनेन, पाठं स्मर..! = बस कर खेल, पाठ याद कर..!
कृतम् अत्यादरेण न त्वा काङ्क्षे = बहुत आदर कर दिया अब मुझे तेरी जरूरत नहीं है।
कृतं कार्येण अन्यत् कर्मकरी करिष्यति = बहुत काम कर दिया, अब रहने दो, कामवाली कर देगी।
कृतं सहाय्येन, त्यज, स्वयं करिष्यामि = बहुत सहयोग कर दिया, छोड,़ अब मैं स्वयं कर लूंगा।
(कार्य की सफलता बताई जाए तो समय व मार्ग की दूरीवाचक शब्दों में तृतीया होती है।)
मासेन ग्रन्थः अधीतः = महिनेभर में ग्रन्थ पढ़ लिया।
सा दशभिः दिनैः निरोगी अभूत् = वह दस दिनों में स्वस्थ हो गई।
पञ्चभिः वर्षैः व्याकरणम् अधीयते = ठीक से व्याकरण पढ़ने के लिए पांच वर्र्ष लगते हैं।
सप्तभिः दिनैः शिबिरं समापयत् = उसने सात दिन में शिबिर का सफलतापूर्वक समापन किया।
घण्टाद्वयेन भोजनम् अपाक्षीत् = उसने दो घण्टे में भोजन पका दिया।
षण्मासेन अष्टाध्यायीम् अस्मरत् = छः महिने में अष्टाध्यायी कण्ठस्थ कर ली।
पञ्चमीलेन कथाम् अश्रावयत् = पांच मील तक उसने कथा अच्छी तरह सुना दी।
किलोमिटरेण तिमिरम् अपगतम् = किलोमीटरभर में तो अंधेरा दूर हो गया।
क्रोशेण हास्यकणिकाम् अवदत् = कोसभर चुटकुले बोलता रहा।
शतयोजनेन हंसः हिमवन्तं प्रापत् = सैकड़ों योजन चलकर हंस हिमालय पहुंचा।
(‘शप्’ धातु के साथ शपथ की वस्तु में तृतीया विभक्ति होती है।)
न्यायालये गीता पुस्तकेन शापयति = न्यायालय में गीता की शपथ दिलाते हैं।
भगवता शपे..! नैतत् मया कदापि कृतम् = भगवान् की सौगन्ध मैंने इसको कदापि नहीं किया।
सत्यवादिनं सत्येन शापयेत् = सत्यवादी को सत्य की शपथ दिलानी चाहिए।
आत्मना शपे यदि मृषा वदेयम् = मुझे अपनी ही कसम, यदि मैं झूठ बोलूं।
त्वया शपामि, सत्यं वदामि = तेरी कसम, मैं सच बोल रहा / रही हूं।
#vakyabhyas
February 6, 2022
February 6, 2022
February 6, 2022
।।श्रीः।।
।।आत्मबोधः।।
Atmabodha, meaning Self-knowledge or Self-awareness, is an exceptionally lucid and readable work of Shankaracharya. Consisting of sixty-eight verses or shlokas, it is in a sense a simple summary of his entire Vedantic structure of thought, intended, it would seem, as a basic primer for his students and followers. The text follows a clearly elaborated doctrine, starting with knowledge as a key to liberation, the nautre of the Atman within us, the assertion of the pervasive and attribute-less nature of Brahman, and the path towards the realisation of the complete identity between the Atman and Brahman.
संसारः स्वप्नतुल्यो हि रागद्वेषादिसंकुलः।
स्वकाले सत्यवद्भाति प्रबोधे सत्यसद्भवेत्।।6।।
6. The world which is full of attachments, aversions, etc., is like a dream. It appears to be real, as long as it continues but appears to be unreal when one is awake (i.e., when true wisdom dawns).
आत्म-बोध ऑनलाइन क्लास - 6 :
आत्म-बोध के 6th श्लोक में पू गुरूजी श्री स्वामी आत्मानन्द सरस्वतीजी ने बताया की इस श्लोक में आचार्य बता रहे हैं की जब अज्ञान दूर होता है तो क्या होता है। वे कहते हैं की मूल रूप से तो ज्ञान अन्धकार को दूर कर देता है। और जब अज्ञान दूर होता है तो नासमझी से उत्पन्न हमारी पूरी कल्पना की दुनिया समाप्त हो जाती है। हम लोगों की कल्पना की दुनिया यद्यपि काल्पनिक होती है लेकिन यह सृष्टि की वास्तविकता को छुपा देती है और हम सब अपनी कल्पना की दुनियां में जीते हैं। आत्म-बोध इस स्वप्नतुल्य कल्पना की दुनिया को समाप्त कर देता है।
#Ātmabōdha
।।आत्मबोधः।।
Atmabodha, meaning Self-knowledge or Self-awareness, is an exceptionally lucid and readable work of Shankaracharya. Consisting of sixty-eight verses or shlokas, it is in a sense a simple summary of his entire Vedantic structure of thought, intended, it would seem, as a basic primer for his students and followers. The text follows a clearly elaborated doctrine, starting with knowledge as a key to liberation, the nautre of the Atman within us, the assertion of the pervasive and attribute-less nature of Brahman, and the path towards the realisation of the complete identity between the Atman and Brahman.
संसारः स्वप्नतुल्यो हि रागद्वेषादिसंकुलः।
स्वकाले सत्यवद्भाति प्रबोधे सत्यसद्भवेत्।।6।।
6. The world which is full of attachments, aversions, etc., is like a dream. It appears to be real, as long as it continues but appears to be unreal when one is awake (i.e., when true wisdom dawns).
आत्म-बोध ऑनलाइन क्लास - 6 :
आत्म-बोध के 6th श्लोक में पू गुरूजी श्री स्वामी आत्मानन्द सरस्वतीजी ने बताया की इस श्लोक में आचार्य बता रहे हैं की जब अज्ञान दूर होता है तो क्या होता है। वे कहते हैं की मूल रूप से तो ज्ञान अन्धकार को दूर कर देता है। और जब अज्ञान दूर होता है तो नासमझी से उत्पन्न हमारी पूरी कल्पना की दुनिया समाप्त हो जाती है। हम लोगों की कल्पना की दुनिया यद्यपि काल्पनिक होती है लेकिन यह सृष्टि की वास्तविकता को छुपा देती है और हम सब अपनी कल्पना की दुनियां में जीते हैं। आत्म-बोध इस स्वप्नतुल्य कल्पना की दुनिया को समाप्त कर देता है।
#Ātmabōdha
February 6, 2022
February 6, 2022
@samskrt_samvadah संलापशाला - A Samskrit Voicechat room.
कालावधिः : 30 minutes
समयः : IST 11:00 AM 🕚
विषयः : वार्ता
(News.)
दिनाङ्कः : 07 February, 2022,
Monday.
Please Join the voicechat on time.
😇 Please come prepared to discuss ( प्रदेशीयां , राष्ट्रीयां, अन्यराष्ट्रीयां वा वार्तां वदन्तु।)in Sanskrit , If possible.
We are waiting for you.😇
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कालावधिः : 30 minutes
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विषयः : वार्ता
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दिनाङ्कः : 07 February, 2022,
Monday.
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February 6, 2022
🍃
♦️adhiyaj~naH kathaM ko'tra dehe'sminmadhusuudana|
prayaaNakaale cha kathaM j~neyo'si niyataatmabhiH8.2
⚜O Krishna, who is Adhiyajna, and how does He dwell in the body? How can You be remembered at the time of death by the steadfast? (8.02)
⚜और हे मधुसूदन यहाँ अधियज्ञ कौन है और वह इस शरीर में कैसे है और संयत चित्त वाले पुरुषों द्वारा अन्त समय में आप किस प्रकार जाने जाते हैं, ।। 8.2 ।।
#geeta
अधियज्ञः कथं कोऽत्र देहेऽस्मिन्मधुसूदन।
प्रयाणकाले च कथं ज्ञेयोऽसि नियतात्मभिः
।। 8.2 ।।♦️adhiyaj~naH kathaM ko'tra dehe'sminmadhusuudana|
prayaaNakaale cha kathaM j~neyo'si niyataatmabhiH
⚜O Krishna, who is Adhiyajna, and how does He dwell in the body? How can You be remembered at the time of death by the steadfast? (8.02)
⚜और हे मधुसूदन यहाँ अधियज्ञ कौन है और वह इस शरीर में कैसे है और संयत चित्त वाले पुरुषों द्वारा अन्त समय में आप किस प्रकार जाने जाते हैं, ।। 8.2 ।।
#geeta
February 6, 2022
February 6, 2022
🍃
♦️shrii bhagavaanuvaacha
akSharaM brahma paramaM svabhaavo'dhyaatmamuchyate|
bhuutabhaavodbhavakaro visargaH karmasaMj~nitaH8.3
⚜The Supreme Lord said --
Brahman is the Supreme imperishable. The individual self (or Jeevaatma) is called Adhyaatma. The creative power that causes manifestation of beings is called Karma. (8.03)
⚜श्रीभगवान् ने कहा --
परम अक्षर (अविनाशी) तत्त्व ब्रह्म है स्वभाव (अपना स्वरूप) अध्यात्म कहा जाता है भूतों के भावों को उत्पन्न करने वाला विसर्ग (यज्ञ प्रेरक बल) कर्म नाम से जाना जाता है।। 8.3 ।।
#geeta
श्री भगवानुवाच
अक्षरं ब्रह्म परमं स्वभावोऽध्यात्ममुच्यते।
भूतभावोद्भवकरो विसर्गः कर्मसंज्ञितः
।। 8.3 ।।♦️shrii bhagavaanuvaacha
akSharaM brahma paramaM svabhaavo'dhyaatmamuchyate|
bhuutabhaavodbhavakaro visargaH karmasaMj~nitaH
⚜The Supreme Lord said --
Brahman is the Supreme imperishable. The individual self (or Jeevaatma) is called Adhyaatma. The creative power that causes manifestation of beings is called Karma. (8.03)
⚜श्रीभगवान् ने कहा --
परम अक्षर (अविनाशी) तत्त्व ब्रह्म है स्वभाव (अपना स्वरूप) अध्यात्म कहा जाता है भूतों के भावों को उत्पन्न करने वाला विसर्ग (यज्ञ प्रेरक बल) कर्म नाम से जाना जाता है।। 8.3 ।।
#geeta
February 6, 2022
February 6, 2022
February 6, 2022
🚩जय सत्य सनातन🚩
🚩आज की हिंदी तिथि
🌥️ 🚩युगाब्द-५१२३
🌥️ 🚩विक्रम संवत-२०७८
⛅ 🚩तिथि - सप्तमी ०८ फरवरी सुबह ०६:१५ तक तत्पश्चात अष्टमी
⛅ दिनांक - ०७ फरवरी २०२२
⛅ दिन - सोमवार
⛅ शक संवत -१९४३
⛅ अयन - उत्तरायण
⛅ ऋतु - शिशिर
⛅ मास - माघ
⛅ पक्ष - शुक्ल
⛅ नक्षत्र - अश्विनी शाम ०६:५९ तक तत्पश्चात भरणी
⛅ योग - शुभ शाम ०४:४४ तक तत्पश्चात शुक्ल
⛅ राहुकाल - सुबह ०८:३८ से सुबह १०:०३ तक
⛅ सूर्योदय - ०७:१४
⛅ सूर्यास्त - १८:३१
⛅ दिशाशूल - पूर्व दिशा में
🚩आज की हिंदी तिथि
🌥️ 🚩युगाब्द-५१२३
🌥️ 🚩विक्रम संवत-२०७८
⛅ 🚩तिथि - सप्तमी ०८ फरवरी सुबह ०६:१५ तक तत्पश्चात अष्टमी
⛅ दिनांक - ०७ फरवरी २०२२
⛅ दिन - सोमवार
⛅ शक संवत -१९४३
⛅ अयन - उत्तरायण
⛅ ऋतु - शिशिर
⛅ मास - माघ
⛅ पक्ष - शुक्ल
⛅ नक्षत्र - अश्विनी शाम ०६:५९ तक तत्पश्चात भरणी
⛅ योग - शुभ शाम ०४:४४ तक तत्पश्चात शुक्ल
⛅ राहुकाल - सुबह ०८:३८ से सुबह १०:०३ तक
⛅ सूर्योदय - ०७:१४
⛅ सूर्यास्त - १८:३१
⛅ दिशाशूल - पूर्व दिशा में
February 6, 2022
@samskrt_samvadah संलापशाला - A Samskrit Voicechat room.
कालावधिः : 30 minutes
समयः : IST 11:00 AM 🕚
विषयः : वार्ता
(News.)
दिनाङ्कः : 07 February, 2022,
Monday.
Please Join the voicechat on time.
😇 Please come prepared to discuss ( प्रदेशीयां , राष्ट्रीयां, अन्यराष्ट्रीयां वा वार्तां वदन्तु।)in Sanskrit , If possible.
We are waiting for you.😇
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कालावधिः : 30 minutes
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विषयः : वार्ता
(News.)
दिनाङ्कः : 07 February, 2022,
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February 6, 2022
February 6, 2022
Forwarded from रामदूतः — The Sanskrit News Platform
Switch to DD News daily at 7:15 AM (Morning) for 15 minutes Sanskrit news.
https://youtu.be/lNwR0SFg4us
https://youtu.be/lNwR0SFg4us
YouTube
वार्ता: संस्कृत में समाचार | भारत रत्न लता मंगेशकर पंचतत्व में विलीन
DD News is India’s
24x7 news channel from the stable of the country’s Public Service
Broadcaster, Prasar Bharati. It has the distinction of being India’s
only terrestrial cum satellite News Channel. Launched in 2003, DD News
has made a name for itself to…
February 6, 2022
February 6, 2022
February 6, 2022
मूर्खस्तु प्रहर्तव्यः प्रत्यक्षो द्विपदः पशुः ।
भिद्यते वाक्य-शल्येन अदृशं कण्टकं यथा ॥
एक मूर्ख व्यक्ति साक्षात् एक दो पावों वाले एक पशु के समान होता है और वह बलप्रयोग के द्वारा ही वश में किया जा सकता है और उसकी तीर के समान अनर्गल बातों उसी प्रकार चुभती हैं जिस प्रकार पांव में चुभा हुआ पर न दिखाई देना वाला एक कांटा |
#Subhashitam
भिद्यते वाक्य-शल्येन अदृशं कण्टकं यथा ॥
एक मूर्ख व्यक्ति साक्षात् एक दो पावों वाले एक पशु के समान होता है और वह बलप्रयोग के द्वारा ही वश में किया जा सकता है और उसकी तीर के समान अनर्गल बातों उसी प्रकार चुभती हैं जिस प्रकार पांव में चुभा हुआ पर न दिखाई देना वाला एक कांटा |
#Subhashitam
February 6, 2022
चिक्रोडः ________ उपविश्य _____ खादति।
Anonymous Quiz
7%
स्थालिकां, तिलः
12%
स्थालिकायां, तिलः
60%
स्थालिकायाम्, तिलं
8%
स्थालिके, तिलकं
12%
स्थालिकायाम्, तिलः
February 7, 2022
February 7, 2022
संस्कृत संवादः । Sanskrit Samvadah
(अलम्
तथा कृतम् इन दो शब्दों के साथ भी तृतीया विभक्ति होती है यदि बस या मत
अर्थ हो तो।) अलम् अतिविस्तरेण, समासेन ब्रूहि..! = ज्यादा विस्तार मत
करो, संक्षेप में कहो..! अलं मोहेन, वानप्रस्थी भव..! = मोह मत कर,
वानप्रस्थ धारण कर..! अलं वार्तालापेन, मौनं धारय..!…
(सं + वद् तथा अनु + हृ के साथ तृतीया विभक्ति का प्रयोग होता है।)
अस्याः मुखं मातुः मुखेन संवदति = चेहरे से अपनी मांपर गया है।
मुखेन मातरम् अनुहरति = मां के जैसा ही इसका भी चेहरा है।
प्रद्युम्नः दर्शनेन कृष्णम् अनुहरति स्म = प्रद्युम्न दिखने में हूबहू कृष्ण जैसा था।
प्रायः बालिका पितरम् अनुहरति मुखेन = प्रायः कन्याओं का चेहरा अपने पिता से मेल खाता है।
शरीरेण भीमं संवदति = शरीर से भीम जैसा है।
(अशिष्ट व्यवहार = शास्त्र निषिद्ध कर्म में जिसको कुछ दिया जाए उसमें तृतीया विभक्ति होती है।)
सः समस्तं धनं वाराङ्नाभिः अदात् = उसने सारा धन वेश्याओं को दे दिया।
गणिका ऋषिवधाय सूपकारेण द्रविणम् अददात् = ऋषि को जान से मारने के लिए वेश्या ने रसोइए को धन दिया।
शत्रुदेशः आतङ्कवादिभिः धनं ददाति = शत्रुदेश आतङ्कवादियों को धन देता है।
स्वैरि स्वैरिण्या धनं दास्यति = व्यभिचारी व्यभिचारिणी को धन देगा।
अनार्यैः धनं मा दद्यात् = अनार्यों को धन मत दो।
सर्वकारः गोवधकैः अनुदानं मा दद्यात् = सरकार को गोवध करनेवालों को अनुदान नहीं देना चाहिए।
वृद्धि सन्धिः
(वृद्धिरेचि। आ, ऐ, औ इन तीन वर्णों की वृद्धि संज्ञा है। अ/आ के बाद ए/ऐ हो तो दोनों के स्थान पर ‘ऐ’ तथा अ/आ के बाद ओ/औ हो तो दोनों के स्थान पर ‘औ’ हो जाता है।)
अ/आ + ए/ऐ = ऐ; तद् आ + ए कः = तद् ऐ कः = तदैकः
अ/आ + ओ/औ = औ; मह् आ + औ षधिः = मह् औ षधिः = महौषधिः
तस्य + ऐश्वर्यम् = तस्यैश्वर्यम्।
तस्यैश्वर्यं दृष्ट्वा दुर्योधनः ईर्ष्यति = उसका ऐश्वर्य देखकर दुर्योधन को ईर्ष्या हो रही है।
वित्त + एषणा = वित्तैषणा, पुत्र + एषणा = पुत्रैषणा, लोक + एषणा = लोकैषणा।
सामान्यतः मनुष्येषु एषणात्रयं वर्तते, वित्तैषणा पुत्रैषणा लोकैषणा च = सामान्यरूप से मानवों में तीन एषणाएं होती हैं, वित्तैषणा, पुत्रैषणा तथा लोकैषणा।
विद्या + ऐषणा = विद्यैषणा
विद्वत्सु विद्यैषणा दरीदृष्यते = विद्वानों में प्रायः विद्या प्राप्ति की इच्छा देखी जाती है।
महा + औषधम् = महौषधम्।
मौनमेव महौषधं मूर्खाणाम् = मूर्खों का अन्तिम इलाज (स्वयं) मौन हो जाना है।
तथा + एव = तथैव।
यथा वदन्ति तथैव कुर्वन्ति सज्जनाः = सज्जन लोग जैसा कहते हैं वैसा ही करते हैं।
दिव्य + ओषधैः = दिव्यौषधैः।
यदि सुहृद् दिव्यौषधैः किं फलम् ? = यदि मनुष्य के पास सच्चा मित्र है, तो उसे दिव्य औषधियों से क्या प्रयोजन ?
सर्वस्य + औषधम् = सर्वस्यौषधम्।
सर्वस्यौषधमस्ति शास्त्रस्त्रविहितं मूर्खस्यनास्त्यौषधम् = शास्त्रोंस्त्रों में सभी रोगों की दवा है किन्तु मूर्खों की कोई दवा नहीं है।
तृष्णा + ओघः तृष्णौघः।
विट्षु विष्टः तृष्णौघः तापयति नाग्निः = अग्नि नहीं तपाता किन्तु मनुष्यों में विद्यमान तृष्णाओं का महान् समूह तपाता है।
#vakyabhyas
अस्याः मुखं मातुः मुखेन संवदति = चेहरे से अपनी मांपर गया है।
मुखेन मातरम् अनुहरति = मां के जैसा ही इसका भी चेहरा है।
प्रद्युम्नः दर्शनेन कृष्णम् अनुहरति स्म = प्रद्युम्न दिखने में हूबहू कृष्ण जैसा था।
प्रायः बालिका पितरम् अनुहरति मुखेन = प्रायः कन्याओं का चेहरा अपने पिता से मेल खाता है।
शरीरेण भीमं संवदति = शरीर से भीम जैसा है।
(अशिष्ट व्यवहार = शास्त्र निषिद्ध कर्म में जिसको कुछ दिया जाए उसमें तृतीया विभक्ति होती है।)
सः समस्तं धनं वाराङ्नाभिः अदात् = उसने सारा धन वेश्याओं को दे दिया।
गणिका ऋषिवधाय सूपकारेण द्रविणम् अददात् = ऋषि को जान से मारने के लिए वेश्या ने रसोइए को धन दिया।
शत्रुदेशः आतङ्कवादिभिः धनं ददाति = शत्रुदेश आतङ्कवादियों को धन देता है।
स्वैरि स्वैरिण्या धनं दास्यति = व्यभिचारी व्यभिचारिणी को धन देगा।
अनार्यैः धनं मा दद्यात् = अनार्यों को धन मत दो।
सर्वकारः गोवधकैः अनुदानं मा दद्यात् = सरकार को गोवध करनेवालों को अनुदान नहीं देना चाहिए।
वृद्धि सन्धिः
(वृद्धिरेचि। आ, ऐ, औ इन तीन वर्णों की वृद्धि संज्ञा है। अ/आ के बाद ए/ऐ हो तो दोनों के स्थान पर ‘ऐ’ तथा अ/आ के बाद ओ/औ हो तो दोनों के स्थान पर ‘औ’ हो जाता है।)
अ/आ + ए/ऐ = ऐ; तद् आ + ए कः = तद् ऐ कः = तदैकः
अ/आ + ओ/औ = औ; मह् आ + औ षधिः = मह् औ षधिः = महौषधिः
तस्य + ऐश्वर्यम् = तस्यैश्वर्यम्।
तस्यैश्वर्यं दृष्ट्वा दुर्योधनः ईर्ष्यति = उसका ऐश्वर्य देखकर दुर्योधन को ईर्ष्या हो रही है।
वित्त + एषणा = वित्तैषणा, पुत्र + एषणा = पुत्रैषणा, लोक + एषणा = लोकैषणा।
सामान्यतः मनुष्येषु एषणात्रयं वर्तते, वित्तैषणा पुत्रैषणा लोकैषणा च = सामान्यरूप से मानवों में तीन एषणाएं होती हैं, वित्तैषणा, पुत्रैषणा तथा लोकैषणा।
विद्या + ऐषणा = विद्यैषणा
विद्वत्सु विद्यैषणा दरीदृष्यते = विद्वानों में प्रायः विद्या प्राप्ति की इच्छा देखी जाती है।
महा + औषधम् = महौषधम्।
मौनमेव महौषधं मूर्खाणाम् = मूर्खों का अन्तिम इलाज (स्वयं) मौन हो जाना है।
तथा + एव = तथैव।
यथा वदन्ति तथैव कुर्वन्ति सज्जनाः = सज्जन लोग जैसा कहते हैं वैसा ही करते हैं।
दिव्य + ओषधैः = दिव्यौषधैः।
यदि सुहृद् दिव्यौषधैः किं फलम् ? = यदि मनुष्य के पास सच्चा मित्र है, तो उसे दिव्य औषधियों से क्या प्रयोजन ?
सर्वस्य + औषधम् = सर्वस्यौषधम्।
सर्वस्यौषधमस्ति शास्त्रस्त्रविहितं मूर्खस्यनास्त्यौषधम् = शास्त्रोंस्त्रों में सभी रोगों की दवा है किन्तु मूर्खों की कोई दवा नहीं है।
तृष्णा + ओघः तृष्णौघः।
विट्षु विष्टः तृष्णौघः तापयति नाग्निः = अग्नि नहीं तपाता किन्तु मनुष्यों में विद्यमान तृष्णाओं का महान् समूह तपाता है।
#vakyabhyas
February 7, 2022
February 7, 2022
February 7, 2022
।।श्रीः।।
।।आत्मबोधः।।
Atmabodha, meaning Self-knowledge or Self-awareness, is an exceptionally lucid and readable work of Shankaracharya. Consisting of sixty-eight verses or shlokas, it is in a sense a simple summary of his entire Vedantic structure of thought, intended, it would seem, as a basic primer for his students and followers. The text follows a clearly elaborated doctrine, starting with knowledge as a key to liberation, the nautre of the Atman within us, the assertion of the pervasive and attribute-less nature of Brahman, and the path towards the realisation of the complete identity between the Atman and Brahman.
तावत्सत्यं जगद्भाति शुक्तिकारजतं यथा।
यावन्न ज्ञायते ब्रह्म सर्वाधिष्ठानमद्वयम्।।7।।
7. The Jagat appears to be true (Satyam) so long as Brahman, the substratum, the basis of all this creation, is not realised. It is like the illusion of silver in the mother-of pearl.
आत्म-बोध ऑनलाइन क्लास - 7 :
आत्म-बोध के 7th श्लोक में पू गुरूजी श्री स्वामी आत्मानन्द सरस्वतीजी ने बताया की इस श्लोक में आचार्य बता रहे हैं की जब तक हम अधिष्ठान को नहीं जानते हैं तब तक अध्यारोप बना रहता है। जैसे अज्ञानवशात एक सीपी का चांदी समझ लिया - जब तक हमको उसके यथार्थ का ज्ञान नहीं होता तब तक कल्पना बानी रहती है।
#Ātmabōdha #Atmabodha
।।आत्मबोधः।।
Atmabodha, meaning Self-knowledge or Self-awareness, is an exceptionally lucid and readable work of Shankaracharya. Consisting of sixty-eight verses or shlokas, it is in a sense a simple summary of his entire Vedantic structure of thought, intended, it would seem, as a basic primer for his students and followers. The text follows a clearly elaborated doctrine, starting with knowledge as a key to liberation, the nautre of the Atman within us, the assertion of the pervasive and attribute-less nature of Brahman, and the path towards the realisation of the complete identity between the Atman and Brahman.
तावत्सत्यं जगद्भाति शुक्तिकारजतं यथा।
यावन्न ज्ञायते ब्रह्म सर्वाधिष्ठानमद्वयम्।।7।।
7. The Jagat appears to be true (Satyam) so long as Brahman, the substratum, the basis of all this creation, is not realised. It is like the illusion of silver in the mother-of pearl.
आत्म-बोध ऑनलाइन क्लास - 7 :
आत्म-बोध के 7th श्लोक में पू गुरूजी श्री स्वामी आत्मानन्द सरस्वतीजी ने बताया की इस श्लोक में आचार्य बता रहे हैं की जब तक हम अधिष्ठान को नहीं जानते हैं तब तक अध्यारोप बना रहता है। जैसे अज्ञानवशात एक सीपी का चांदी समझ लिया - जब तक हमको उसके यथार्थ का ज्ञान नहीं होता तब तक कल्पना बानी रहती है।
#Ātmabōdha #Atmabodha
February 7, 2022
@samskrt_samvadah संलापशाला - A Samskrit Voicechat room.
कालावधिः : 30 minutes
समयः : IST 11:00 AM 🕚
विषयः : सर्वकारस्य हस्तात् देवालयानां मोचनम्।
(#FreeHinduTemples)
दिनाङ्कः : 08 February, 2022,
Tuesday.
Please Join the voicechat on time.
😇 Please come prepared to discuss (किमर्थं मोचनस्य आवश्यकता अस्ति, मोचनात् अनन्तरं किम्।)in Sanskrit , If possible.
We are waiting for you.😇
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कालावधिः : 30 minutes
समयः : IST 11:00 AM 🕚
विषयः : सर्वकारस्य हस्तात् देवालयानां मोचनम्।
(#FreeHinduTemples)
दिनाङ्कः : 08 February, 2022,
Tuesday.
Please Join the voicechat on time.
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February 7, 2022
🍃
♦️adhibhuutaM kSharo bhaavaH puruShashchaadhidaivatam|
adhiyaj~no'hamevaatra dehe dehabhRRitaaM vara8.4
⚜All perishable objects are called Adhibhoota, and the soul is Adhidaiva. I am Adhiyajna, the five basic elements, in the body, O Arjuna. (8.04)
⚜हे देहधारियों में श्रेष्ठ अर्जुन नश्वर वस्तु (पंचमहाभूत) अधिभूत और पुरुष अधिदैव है इस शरीर में मैं ही अधियज्ञ हूँ।। 8.4।।
#geeta
अधिभूतं क्षरो भावः पुरुषश्चाधिदैवतम्।
अधियज्ञोऽहमेवात्र देहे देहभृतां वर
।। 8.4 ।।♦️adhibhuutaM kSharo bhaavaH puruShashchaadhidaivatam|
adhiyaj~no'hamevaatra dehe dehabhRRitaaM vara
⚜All perishable objects are called Adhibhoota, and the soul is Adhidaiva. I am Adhiyajna, the five basic elements, in the body, O Arjuna. (8.04)
⚜हे देहधारियों में श्रेष्ठ अर्जुन नश्वर वस्तु (पंचमहाभूत) अधिभूत और पुरुष अधिदैव है इस शरीर में मैं ही अधियज्ञ हूँ।। 8.4।।
#geeta
February 7, 2022
February 7, 2022
🍃
♦️antakaale cha maameva smaranmuktvaa kalevaram|
yaH prayaati sa madbhaavaM yaati naastyatra saMshayaH8.5
⚜The One who leaves the body, at the hour of death, remembering Me attains My abode. There is no doubt about this. (8.05)
⚜और जो कोई पुरुष अन्तकाल में मुझे ही स्मरण करता हुआ शरीर को त्याग कर जाता है वह मेरे स्वरूप को प्राप्त होता है इसमें कुछ भी संशय नहीं।। 8.5 ।।
#geeta
अन्तकाले च मामेव स्मरन्मुक्त्वा कलेवरम्।
यः प्रयाति स मद्भावं याति नास्त्यत्र संशयः
।। 8.5 ।।♦️antakaale cha maameva smaranmuktvaa kalevaram|
yaH prayaati sa madbhaavaM yaati naastyatra saMshayaH
⚜The One who leaves the body, at the hour of death, remembering Me attains My abode. There is no doubt about this. (8.05)
⚜और जो कोई पुरुष अन्तकाल में मुझे ही स्मरण करता हुआ शरीर को त्याग कर जाता है वह मेरे स्वरूप को प्राप्त होता है इसमें कुछ भी संशय नहीं।। 8.5 ।।
#geeta
February 7, 2022
February 7, 2022
🚩जय सत्य सनातन🚩
🚩आज की हिंदी तिथि
🌥️ 🚩युगाब्द-५१२३
🌥️ 🚩विक्रम संवत-२०७८
⛅ 🚩तिथि - अष्टमी पूर्ण रात्रि तक
⛅ दिनांक - ०८ फरवरी २०२२
⛅ दिन - मंगलवार
⛅ शक संवत -१९४३
⛅ अयन - उत्तरायण
⛅ ऋतु - शिशिर
⛅ मास - माघ
⛅ पक्ष - शुक्ल
⛅ नक्षत्र - भरणी रात्रि ०९:२७ तक तत्पश्चात कृत्तिका
⛅ योग - शुक्ल शाम ०५:०६ तक तत्पश्चात ब्रह्म
⛅ राहुकाल - शाम ०३:४३ से शाम ०५:०८ तक
⛅ सूर्योदय - ०७:१४
⛅ सूर्यास्त - १८:३३
⛅ दिशाशूल - उत्तर दिशा में
🚩आज की हिंदी तिथि
🌥️ 🚩युगाब्द-५१२३
🌥️ 🚩विक्रम संवत-२०७८
⛅ 🚩तिथि - अष्टमी पूर्ण रात्रि तक
⛅ दिनांक - ०८ फरवरी २०२२
⛅ दिन - मंगलवार
⛅ शक संवत -१९४३
⛅ अयन - उत्तरायण
⛅ ऋतु - शिशिर
⛅ मास - माघ
⛅ पक्ष - शुक्ल
⛅ नक्षत्र - भरणी रात्रि ०९:२७ तक तत्पश्चात कृत्तिका
⛅ योग - शुक्ल शाम ०५:०६ तक तत्पश्चात ब्रह्म
⛅ राहुकाल - शाम ०३:४३ से शाम ०५:०८ तक
⛅ सूर्योदय - ०७:१४
⛅ सूर्यास्त - १८:३३
⛅ दिशाशूल - उत्तर दिशा में
February 7, 2022
@samskrt_samvadah संलापशाला - A Samskrit Voicechat room.
कालावधिः : 30 minutes
समयः : IST 11:00 AM 🕚
विषयः : सर्वकारस्य हस्तात् देवालयानां मोचनम्।
(#FreeHinduTemples)
दिनाङ्कः : 08 February, 2022,
Tuesday.
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विषयः : सर्वकारस्य हस्तात् देवालयानां मोचनम्।
(#FreeHinduTemples)
दिनाङ्कः : 08 February, 2022,
Tuesday.
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😇 Please come prepared to discuss (किमर्थं मोचनस्य आवश्यकता अस्ति, मोचनात् अनन्तरं किम्।)in Sanskrit , If possible.
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February 7, 2022
February 7, 2022
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https://youtu.be/scSKs29XqMA
https://youtu.be/scSKs29XqMA
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वार्ता: संस्कृत में समाचार | 08/02/2022
February 7, 2022
February 7, 2022
रथसप्तमी
माघमासस्य शुक्लपक्षस्य सप्तम्यां तिथौ आचर्यते एतत् पर्व । अस्मिन् पर्वणि आराध्यमानः देवः सूर्यः । एतत् पर्व “अचला सप्तमी” इत्यपि उच्यते । “रथवरः” इत्याख्यानः सूर्यः सप्तम्यां तिथौ पूज्यते इति तद्दिनं रथसप्तमी इति उच्यते । देवालयेषु अस्मात् दिनात् रथोत्सवस्य आरम्भः भवति इत्यस्मात् अपि एतद्दिनं “रथसप्तमी” इति उच्यते । एषा सप्तमी तिथिः अक्षयतृतीया इव अचलं फलं ददाति इत्यस्मात् एतद्दिनम् “अचला सप्तमी” इत्यपि उच्यते ।
सपत्नीकः भगवान् सूर्यः (शरण्या, छाया च)
सूर्यग्रहणतुल्या तु शुक्ला माघस्य सप्तमी ।
अचला सप्तमी दुर्गा शिवरात्रिर्महाभरः ॥
इत्यत्र माघमासस्य शुक्लपक्षस्य सप्तमी सूर्यग्रहणतुल्या इति उक्तम् अस्ति । रथसप्तमी मन्वादिषु परिगणिता इत्यस्मात् तद्दिने मन्वादियुक्तरीत्या श्राद्धं तदधिकारिणः आचरेयुः । अस्मिन् दिने अरुणोदयकाले स्नानं कुर्वन्ति चेत् तत् स्नानम् अक्षयं फलं ददाति इति ।
अरुणोदयवेलायां तस्यां स्नानं महाफलम् । इति विष्णुस्मृतौ उक्तम् अस्ति । माघमासः एव स्नानार्थं प्रशस्तः । माघमासे उषःकाले यः स्नाति सः मातापित्रोः कुले सप्त जनान् उद्धरति इति वदन्ति शास्त्राणि ।
रथोत्सवः
उद्धृत्य सप्त पुरुषान् पितृमातृवंश्यान् ।
स्वर्गं प्रयात्यमरदेहधरो नरोऽसौ ॥ इति ।
समग्रे माघमासे उषःकाले स्नातुं न शक्यते चेदपि सङ्क्रमण-रथसप्तमी-माघी इत्याख्येषु त्रिषु दिनेषु वा स्नातव्यमेव इति शास्त्रवाक्यम् ।
अस्मिन् योगे त्वशक्तोपि स्नायादपि दिनत्रयम् । इति । माघमासे शुक्लपक्षे सप्तम्यां तिथौ अरोणोदयकाले तीर्थराजे प्रयागे स्नानं क्रियते यत् तत् कोटिसूर्यग्रहणपुण्यकाले कृतानाम् आचरणानां समानं भवति इति । सप्तजन्मनि कृतस्य पापस्य परिहारः भवति । त्रिकरणपूर्वकं ज्ञानेन अज्ञानेन वा कृतं पापं नाशयति । दौर्भाग्यं दुःखं च प्रणश्यति । क्षणाभ्यन्तरे सः निष्कल्मषः भवति इति वदन्ति शास्त्राणि ।
तस्यां स्नानं महाफलम् ।
प्रयागे यदि ल्भ्येत कोटिसूर्यग्रहैस्समा ।
सूर्यग्रहणतुल्या तु शुक्ला माघस्य सप्तमी ।
कुर्यात् स्नानार्घ्यादाभ्याम् आयुरारोग्यसम्पदः ।
तन्मे रोगं च शोकं च माकरी हन्तु सप्तमी ।
एतज्ज्न्मकृतं पापं यच्च जन्मान्तरार्जितम् ॥
मनोवाक्कायजं यच्च ज्ञाताज्ञाते च ये पुनः ।
केशवादित्यमालोक्य क्षणान्निष्कल्मषो भवेत् ॥
तस्मिन् दिने यः सूर्यदेवस्य स्वर्णविग्रहं साश्वरथे संस्थाप्य दानं करोति सः अखण्डस्य भूमण्डलस्य चक्राधिपत्यं प्राप्नोति इति । रथसप्तमीदिने अरुणोदयकाले स्नात्वा जप-तप-मन्त्र-देवताराधनं कुर्वन्ति । तद्दिने समुद्रे, पुष्करादिपुण्यसरोवरे, गङ्गादिमहानदीषु वा स्नानं प्रशस्तम् । पूर्वदिने षष्ठ्यां स्नात्वा एकभुक्तिम् आचरन्ति । सप्तम्यां तु निश्चलं जलम् एव । पुण्यस्नानकरणे अनासक्तैः जनैः जलस्वर्शकरणात् पूर्वमेव स्नानम् आचरणीयम् । स्नानमपि अवगाहनस्नानं भवेत् (सम्पूर्णतया जले निमज्जनम्) । इक्षुदण्डेन जलम् आलोड्य स्नानम् आचरेयुः । शिरसि स्वर्णस्य रजतस्य अलाबुदीपपात्रे तिलतैलवर्त्तिकाभिः ज्वालितं दीपं संस्थाप्य सप्त अर्कपर्णानि सप्त बदरीपर्णानि च बाह्वोः मध्ये संस्थाप्य सूर्यदेवस्य ध्यानं कुर्युः । अनन्तरं जलेन तर्पणं कृत्वा तं दीपं जले प्रवाहयेयुः । अनन्तरम् अर्कबदरीपर्णानि, अक्षताः, चन्दनं योजयित्वा सूर्यनारायणाय अष्टाङ्गविधिना अर्घ्यं समर्पयेयुः । रक्तवर्णस्य चन्दनेन कर्णिकासहितम् अष्टदलयुक्तं पद्म रचयेयुः । तस्य पूर्वादिष् दलेषु प्रदक्षिणप्रकारेण रवि-भानु-विवस्वन्-भास्कर-सवितृ-अर्क-सहस्रकिरण-सर्वात्मक-इत्येतैः नामभिः अर्च्यमानं सूर्यदेवं, मध्ये च प्रणवसहितं सपत्नीकं शिवं लिखित्वा आवाह्य पूजयेयुः । सूर्यस्य अश्वाः सप्त । लोकाः अपि सप्त । भूगोले विद्यमानाः द्वीपाः अपि सप्त । सूर्याराधनम् अपि सप्तम्याम् एव । तस्य पूजनम् अपि सप्तसंख्याकैः अर्कपर्णैः ।
भगवतः सूर्यस्य रथः
स्वार्णविग्रहे सूर्यनारायणस्य आराधनं न शक्यते चेत् जले सूर्यस्य प्रतिबिम्बस्य आराधनम् अपि कर्तुं शक्यते । तद्दिने सावित्राष्टाक्षरमहामन्त्रस्य, सूर्यगायत्र्याः, यजुर्वेदस्य अरुणमन्त्रस्य, ऋग्वेदस्य महासौरमन्त्रस्य, सौरनाम-आदित्यहृदयस्य च पारायणं कुर्वन्ति । पूजानन्तरं देवालयेषु प्रवर्तमानं सूर्यमण्डलोत्सवं रथोत्सवं वा पश्यन्ति ।
#रथसप्तमी #Rathasapthami
माघमासस्य शुक्लपक्षस्य सप्तम्यां तिथौ आचर्यते एतत् पर्व । अस्मिन् पर्वणि आराध्यमानः देवः सूर्यः । एतत् पर्व “अचला सप्तमी” इत्यपि उच्यते । “रथवरः” इत्याख्यानः सूर्यः सप्तम्यां तिथौ पूज्यते इति तद्दिनं रथसप्तमी इति उच्यते । देवालयेषु अस्मात् दिनात् रथोत्सवस्य आरम्भः भवति इत्यस्मात् अपि एतद्दिनं “रथसप्तमी” इति उच्यते । एषा सप्तमी तिथिः अक्षयतृतीया इव अचलं फलं ददाति इत्यस्मात् एतद्दिनम् “अचला सप्तमी” इत्यपि उच्यते ।
सपत्नीकः भगवान् सूर्यः (शरण्या, छाया च)
सूर्यग्रहणतुल्या तु शुक्ला माघस्य सप्तमी ।
अचला सप्तमी दुर्गा शिवरात्रिर्महाभरः ॥
इत्यत्र माघमासस्य शुक्लपक्षस्य सप्तमी सूर्यग्रहणतुल्या इति उक्तम् अस्ति । रथसप्तमी मन्वादिषु परिगणिता इत्यस्मात् तद्दिने मन्वादियुक्तरीत्या श्राद्धं तदधिकारिणः आचरेयुः । अस्मिन् दिने अरुणोदयकाले स्नानं कुर्वन्ति चेत् तत् स्नानम् अक्षयं फलं ददाति इति ।
अरुणोदयवेलायां तस्यां स्नानं महाफलम् । इति विष्णुस्मृतौ उक्तम् अस्ति । माघमासः एव स्नानार्थं प्रशस्तः । माघमासे उषःकाले यः स्नाति सः मातापित्रोः कुले सप्त जनान् उद्धरति इति वदन्ति शास्त्राणि ।
रथोत्सवः
उद्धृत्य सप्त पुरुषान् पितृमातृवंश्यान् ।
स्वर्गं प्रयात्यमरदेहधरो नरोऽसौ ॥ इति ।
समग्रे माघमासे उषःकाले स्नातुं न शक्यते चेदपि सङ्क्रमण-रथसप्तमी-माघी इत्याख्येषु त्रिषु दिनेषु वा स्नातव्यमेव इति शास्त्रवाक्यम् ।
अस्मिन् योगे त्वशक्तोपि स्नायादपि दिनत्रयम् । इति । माघमासे शुक्लपक्षे सप्तम्यां तिथौ अरोणोदयकाले तीर्थराजे प्रयागे स्नानं क्रियते यत् तत् कोटिसूर्यग्रहणपुण्यकाले कृतानाम् आचरणानां समानं भवति इति । सप्तजन्मनि कृतस्य पापस्य परिहारः भवति । त्रिकरणपूर्वकं ज्ञानेन अज्ञानेन वा कृतं पापं नाशयति । दौर्भाग्यं दुःखं च प्रणश्यति । क्षणाभ्यन्तरे सः निष्कल्मषः भवति इति वदन्ति शास्त्राणि ।
तस्यां स्नानं महाफलम् ।
प्रयागे यदि ल्भ्येत कोटिसूर्यग्रहैस्समा ।
सूर्यग्रहणतुल्या तु शुक्ला माघस्य सप्तमी ।
कुर्यात् स्नानार्घ्यादाभ्याम् आयुरारोग्यसम्पदः ।
तन्मे रोगं च शोकं च माकरी हन्तु सप्तमी ।
एतज्ज्न्मकृतं पापं यच्च जन्मान्तरार्जितम् ॥
मनोवाक्कायजं यच्च ज्ञाताज्ञाते च ये पुनः ।
केशवादित्यमालोक्य क्षणान्निष्कल्मषो भवेत् ॥
तस्मिन् दिने यः सूर्यदेवस्य स्वर्णविग्रहं साश्वरथे संस्थाप्य दानं करोति सः अखण्डस्य भूमण्डलस्य चक्राधिपत्यं प्राप्नोति इति । रथसप्तमीदिने अरुणोदयकाले स्नात्वा जप-तप-मन्त्र-देवताराधनं कुर्वन्ति । तद्दिने समुद्रे, पुष्करादिपुण्यसरोवरे, गङ्गादिमहानदीषु वा स्नानं प्रशस्तम् । पूर्वदिने षष्ठ्यां स्नात्वा एकभुक्तिम् आचरन्ति । सप्तम्यां तु निश्चलं जलम् एव । पुण्यस्नानकरणे अनासक्तैः जनैः जलस्वर्शकरणात् पूर्वमेव स्नानम् आचरणीयम् । स्नानमपि अवगाहनस्नानं भवेत् (सम्पूर्णतया जले निमज्जनम्) । इक्षुदण्डेन जलम् आलोड्य स्नानम् आचरेयुः । शिरसि स्वर्णस्य रजतस्य अलाबुदीपपात्रे तिलतैलवर्त्तिकाभिः ज्वालितं दीपं संस्थाप्य सप्त अर्कपर्णानि सप्त बदरीपर्णानि च बाह्वोः मध्ये संस्थाप्य सूर्यदेवस्य ध्यानं कुर्युः । अनन्तरं जलेन तर्पणं कृत्वा तं दीपं जले प्रवाहयेयुः । अनन्तरम् अर्कबदरीपर्णानि, अक्षताः, चन्दनं योजयित्वा सूर्यनारायणाय अष्टाङ्गविधिना अर्घ्यं समर्पयेयुः । रक्तवर्णस्य चन्दनेन कर्णिकासहितम् अष्टदलयुक्तं पद्म रचयेयुः । तस्य पूर्वादिष् दलेषु प्रदक्षिणप्रकारेण रवि-भानु-विवस्वन्-भास्कर-सवितृ-अर्क-सहस्रकिरण-सर्वात्मक-इत्येतैः नामभिः अर्च्यमानं सूर्यदेवं, मध्ये च प्रणवसहितं सपत्नीकं शिवं लिखित्वा आवाह्य पूजयेयुः । सूर्यस्य अश्वाः सप्त । लोकाः अपि सप्त । भूगोले विद्यमानाः द्वीपाः अपि सप्त । सूर्याराधनम् अपि सप्तम्याम् एव । तस्य पूजनम् अपि सप्तसंख्याकैः अर्कपर्णैः ।
भगवतः सूर्यस्य रथः
स्वार्णविग्रहे सूर्यनारायणस्य आराधनं न शक्यते चेत् जले सूर्यस्य प्रतिबिम्बस्य आराधनम् अपि कर्तुं शक्यते । तद्दिने सावित्राष्टाक्षरमहामन्त्रस्य, सूर्यगायत्र्याः, यजुर्वेदस्य अरुणमन्त्रस्य, ऋग्वेदस्य महासौरमन्त्रस्य, सौरनाम-आदित्यहृदयस्य च पारायणं कुर्वन्ति । पूजानन्तरं देवालयेषु प्रवर्तमानं सूर्यमण्डलोत्सवं रथोत्सवं वा पश्यन्ति ।
#रथसप्तमी #Rathasapthami
February 7, 2022
"यस्य कस्य प्रसूतोsपि, गुणवान् पूजते नरः।
धनुर्वंश-विशुद्धोपि, निर्गुणः किं करिष्यति।।"
"मनुष्य कहीं भी, किसी भी कुल में पैदा हुआ हो, यदि वह गुणवान है, तभी उसकी पूजा होती है। अच्छे बांस से बना धनुष यदि डोरी-प्रत्यंचा (गुण) विहीन हो, तो वह किसी काम का नहीं होता।"
#Subhashitam
धनुर्वंश-विशुद्धोपि, निर्गुणः किं करिष्यति।।"
"मनुष्य कहीं भी, किसी भी कुल में पैदा हुआ हो, यदि वह गुणवान है, तभी उसकी पूजा होती है। अच्छे बांस से बना धनुष यदि डोरी-प्रत्यंचा (गुण) विहीन हो, तो वह किसी काम का नहीं होता।"
#Subhashitam
February 7, 2022
February 7, 2022
February 8, 2022
February 8, 2022
The Constitution of India in Sanskrit.pdf
15.5 MB
The Constitution of India in Sanskrit.pdf
February 8, 2022
(एकः लघुः बालः स्वमातरं वदति।)
बालः - अम्ब! भवती जानाति ह्यः रात्रौ उत्थाय यदा अहं मूत्रणं कर्तुं गतवान् तदा किमभवत्....
अम्बा - न वत्स ! किमभवत् वद।
बालः - अहं यदा शौचालयस्य द्वारम् उद्घाटितवान् तदा स्वतः प्रकाशः 💡अभवत् तथा च शीतलः वायुः प्रवहति स्म।
(एतत् श्रुत्वा क्रुद्धा माता वदति)
अम्बा - रे दुष्ट! अद्य पुनः त्वं प्रशीतके मूत्रणं कृतवान्।😁😜😂
#hasya
बालः - अम्ब! भवती जानाति ह्यः रात्रौ उत्थाय यदा अहं मूत्रणं कर्तुं गतवान् तदा किमभवत्....
अम्बा - न वत्स ! किमभवत् वद।
बालः - अहं यदा शौचालयस्य द्वारम् उद्घाटितवान् तदा स्वतः प्रकाशः 💡अभवत् तथा च शीतलः वायुः प्रवहति स्म।
(एतत् श्रुत्वा क्रुद्धा माता वदति)
अम्बा - रे दुष्ट! अद्य पुनः त्वं प्रशीतके मूत्रणं कृतवान्।😁😜😂
#hasya
February 8, 2022
February 8, 2022
।।श्रीः।।
।।आत्मबोधः।।
Atmabodha, meaning Self-knowledge or Self-awareness, is an exceptionally lucid and readable work of Shankaracharya. Consisting of sixty-eight verses or shlokas, it is in a sense a simple summary of his entire Vedantic structure of thought, intended, it would seem, as a basic primer for his students and followers. The text follows a clearly elaborated doctrine, starting with knowledge as a key to liberation, the nautre of the Atman within us, the assertion of the pervasive and attribute-less nature of Brahman, and the path towards the realisation of the complete identity between the Atman and Brahman.
उपादानेऽखिलाधारे जगन्ति परमेश्वरे।
सर्गस्थितिलयान्यान्ति बुद्बुदानीव वारिणि।।8।।
8. Like bubbles in the water, the worlds rise, exist and dissolve in the Supreme Self, which is the material cause and the prop of everything.
आत्म-बोध ऑनलाइन क्लास - 8 :
आत्म-बोध के 8th श्लोक में पू गुरूजी श्री स्वामी आत्मानन्द सरस्वतीजी ने बताया की इस श्लोक में आचार्य जगत का रहस्य बता रहे हैं। सबसे पहले हमें जगत देखना आना चाहिए। जगत को यथावत देखने के लिए हमें अपनी कल्पनाओं को बाधित करना चाहिए। जो भी जगत को यथावत देखता है - वे सब जानते हैं की जगत कितना सुन्दर और अद्धभुत है। उसके बाद इसके तत्त्व का चंतन करना चाहिए। यह ही इस श्लोक का विषय है।
#Atmabodha
।।आत्मबोधः।।
Atmabodha, meaning Self-knowledge or Self-awareness, is an exceptionally lucid and readable work of Shankaracharya. Consisting of sixty-eight verses or shlokas, it is in a sense a simple summary of his entire Vedantic structure of thought, intended, it would seem, as a basic primer for his students and followers. The text follows a clearly elaborated doctrine, starting with knowledge as a key to liberation, the nautre of the Atman within us, the assertion of the pervasive and attribute-less nature of Brahman, and the path towards the realisation of the complete identity between the Atman and Brahman.
उपादानेऽखिलाधारे जगन्ति परमेश्वरे।
सर्गस्थितिलयान्यान्ति बुद्बुदानीव वारिणि।।8।।
8. Like bubbles in the water, the worlds rise, exist and dissolve in the Supreme Self, which is the material cause and the prop of everything.
आत्म-बोध ऑनलाइन क्लास - 8 :
आत्म-बोध के 8th श्लोक में पू गुरूजी श्री स्वामी आत्मानन्द सरस्वतीजी ने बताया की इस श्लोक में आचार्य जगत का रहस्य बता रहे हैं। सबसे पहले हमें जगत देखना आना चाहिए। जगत को यथावत देखने के लिए हमें अपनी कल्पनाओं को बाधित करना चाहिए। जो भी जगत को यथावत देखता है - वे सब जानते हैं की जगत कितना सुन्दर और अद्धभुत है। उसके बाद इसके तत्त्व का चंतन करना चाहिए। यह ही इस श्लोक का विषय है।
#Atmabodha
February 8, 2022
@samskrt_samvadah संलापशाला - A Samskrit Voicechat room.
कालावधिः : 30 minutes
समयः : IST 11:00 AM 🕚
विषयः : भीष्माष्टमी।
(Bhishma Astami)
दिनाङ्कः : 09th February, 2022,
Wednesday.
Please Join the voicechat on time.
😇 Please come prepared to discuss (पितामहस्य भीष्मस्य जीवनात् वयं किं स्वीकर्तुं शक्नुमः।)in Sanskrit , If possible.
We are waiting for you.😇
Set a reminder.
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https://t.me/samskrt_samvadah?voicechat
कालावधिः : 30 minutes
समयः : IST 11:00 AM 🕚
विषयः : भीष्माष्टमी।
(Bhishma Astami)
दिनाङ्कः : 09th February, 2022,
Wednesday.
Please Join the voicechat on time.
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February 8, 2022
🍃
♦️yaṅ yaṅ vāpi smaranbhāvaṅ tyajatyantē kalēvaram.
taṅ tamēvaiti kauntēya sadā tadbhāvabhāvitaḥ৷৷8.6৷৷
⚜Remembering whatever object one leaves the body at the end of life, one attains that object, O Arjuna, because of the constant thought of that object (one remembers that object at the end of life and achieves it). (8.06)
⚜हे कौन्तेय (यह जीव) अन्तकाल में जिस किसी भी भाव को स्मरण करता हुआ शरीर को त्यागता है वह सदैव उस भाव के चिन्तन के फलस्वरूप उसी भाव को ही प्राप्त होता है।। 8.6 ।।
#geeta
यं यं वापि स्मरन्भावं त्यजत्यन्ते कलेवरम्।
तं तमेवैति कौन्तेय सदा तद्भावभावितः
।। 8.6 ।।♦️yaṅ yaṅ vāpi smaranbhāvaṅ tyajatyantē kalēvaram.
taṅ tamēvaiti kauntēya sadā tadbhāvabhāvitaḥ৷৷8.6৷৷
⚜Remembering whatever object one leaves the body at the end of life, one attains that object, O Arjuna, because of the constant thought of that object (one remembers that object at the end of life and achieves it). (8.06)
⚜हे कौन्तेय (यह जीव) अन्तकाल में जिस किसी भी भाव को स्मरण करता हुआ शरीर को त्यागता है वह सदैव उस भाव के चिन्तन के फलस्वरूप उसी भाव को ही प्राप्त होता है।। 8.6 ।।
#geeta
February 8, 2022
February 8, 2022
February 8, 2022
🍃
♦️tasmaatsarveShu kaaleShu maamanusmara yudhya cha|
mayyarpitamanobuddhirmaamevaiShyasyasaMshayam8.7
⚜Therefore, always remember Me and do your duty. You shall certainly attain Me if your mind and intellect are fixed on Me. (8.07)
⚜इसलिए तुम सब काल में मेरा निरन्तर स्मरण करो और युद्ध करो मुझमें अर्पण किये मन बुद्धि से युक्त हुए निःसन्देह तुम मुझे ही प्राप्त होओगे।। 8.7 ।।
#geeta
तस्मात्सर्वेषु कालेषु मामनुस्मर युध्य च।
मय्यर्पितमनोबुद्धिर्मामेवैष्यस्यसंशयम्
।। 8.7 ।।♦️tasmaatsarveShu kaaleShu maamanusmara yudhya cha|
mayyarpitamanobuddhirmaamevaiShyasyasaMshayam
⚜Therefore, always remember Me and do your duty. You shall certainly attain Me if your mind and intellect are fixed on Me. (8.07)
⚜इसलिए तुम सब काल में मेरा निरन्तर स्मरण करो और युद्ध करो मुझमें अर्पण किये मन बुद्धि से युक्त हुए निःसन्देह तुम मुझे ही प्राप्त होओगे।। 8.7 ।।
#geeta
February 8, 2022
🚩जय सत्य सनातन🚩
🚩आज की हिंदी तिथि
🌥️ 🚩युगाब्द-५१२३
🌥️ 🚩विक्रम संवत-२०७८
⛅ 🚩तिथि - अष्टमी सुबह 08:32 तक तत्पश्चात नवमी
⛅ दिनांक - 09 फरवरी 2022
⛅ दिन - बुधवार
⛅ शक संवत -1943
⛅ अयन - उत्तरायण
⛅ ऋतु - शिशिर
⛅ मास - माघ
⛅ पक्ष - शुक्ल
⛅ नक्षत्र - कृत्तिका रात्रि 12:23 तक तत्पश्चात रोहिणी
⛅ योग - ब्रह्म शाम 05:52 तक तत्पश्चात इन्द्र
⛅ राहुकाल - दोपहर 12:53 से दोपहर 02:18 तक
⛅ सूर्योदय - 07:13
⛅ सूर्यास्त - 18:32
⛅ दिशाशूल - उत्तर दिशा में
🚩आज की हिंदी तिथि
🌥️ 🚩युगाब्द-५१२३
🌥️ 🚩विक्रम संवत-२०७८
⛅ 🚩तिथि - अष्टमी सुबह 08:32 तक तत्पश्चात नवमी
⛅ दिनांक - 09 फरवरी 2022
⛅ दिन - बुधवार
⛅ शक संवत -1943
⛅ अयन - उत्तरायण
⛅ ऋतु - शिशिर
⛅ मास - माघ
⛅ पक्ष - शुक्ल
⛅ नक्षत्र - कृत्तिका रात्रि 12:23 तक तत्पश्चात रोहिणी
⛅ योग - ब्रह्म शाम 05:52 तक तत्पश्चात इन्द्र
⛅ राहुकाल - दोपहर 12:53 से दोपहर 02:18 तक
⛅ सूर्योदय - 07:13
⛅ सूर्यास्त - 18:32
⛅ दिशाशूल - उत्तर दिशा में
February 8, 2022
https://youtu.be/KXvdC_ruqMQ
Switch to DD News daily at 7:15 AM (Morning) for 15 minutes Sanskrit news.
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YouTube
वार्ता : संस्कृत में समाचार
February 8, 2022
February 8, 2022
February 8, 2022
सौवर्णानि सरोजानि निर्मातुं सन्ति शिल्पिनः |
तत्र सौरभ निर्माणे चतुरश्चतुराननः ||
There are expert artisans who can produce beautiful artificial
lotus flowers made of gold, but only Brahma, the Creator God can
produce natural fragrance in flowers.
सौवर्णानि = from gold metal
सरोजानि = lotus flowers
निर्मातुं = produce, manufacture
सन्ति = there are
शिल्पिनः = artisans
तत्र = there
सौरभ = fragrance
निर्माणे = in producing
चतुरश्चतुराननः = chaturha + chaturaananah
Chaturah = expert
Chaturaananah = the four faced God Brahma ,the Creator
#Subhashitam
तत्र सौरभ निर्माणे चतुरश्चतुराननः ||
There are expert artisans who can produce beautiful artificial
lotus flowers made of gold, but only Brahma, the Creator God can
produce natural fragrance in flowers.
सौवर्णानि = from gold metal
सरोजानि = lotus flowers
निर्मातुं = produce, manufacture
सन्ति = there are
शिल्पिनः = artisans
तत्र = there
सौरभ = fragrance
निर्माणे = in producing
चतुरश्चतुराननः = chaturha + chaturaananah
Chaturah = expert
Chaturaananah = the four faced God Brahma ,the Creator
#Subhashitam
February 8, 2022
February 8, 2022
February 9, 2022
_________ _________।
Anonymous Quiz
12%
धेनुः , चरन्ति
13%
धेनवाः , चर्वन्ति
7%
धेनाः चर्वन्ति
54%
धेनवः चरन्ति
15%
धेनवाः, चरन्ति
February 9, 2022
एकस्याः कक्षायाः सामूहिकचित्रं (Group photo)दर्शयित्वा एका शिक्षिका स्वदुष्टशिष्यं राकेशं वदति।
शिक्षिका - रे राकेश! पठतु नो चेत् भविष्यकाले एतत् चित्रं दृष्ट्वा भवान् वदिष्यति यत् ....
एषः अस्ति राजू यः अधुना अभियन्ता अस्ति।
एषः अस्ति मोहितः सः महान् संस्कृतज्ञः अस्ति।
एषा अस्ति लता या अधुना श्रेष्ठा अधिवक्त्री अस्ति।
तथा एषोऽस्मि अहं तत्रैव😞
(एतत् सर्वं श्रुत्वा तत्क्षणमेव बुद्धिमान् राकेशः वदति)
राकेशः - एषा अस्माकं शिक्षिका या अधुना दिवंगता😜😂😁
#hasya
शिक्षिका - रे राकेश! पठतु नो चेत् भविष्यकाले एतत् चित्रं दृष्ट्वा भवान् वदिष्यति यत् ....
एषः अस्ति राजू यः अधुना अभियन्ता अस्ति।
एषः अस्ति मोहितः सः महान् संस्कृतज्ञः अस्ति।
एषा अस्ति लता या अधुना श्रेष्ठा अधिवक्त्री अस्ति।
तथा एषोऽस्मि अहं तत्रैव😞
(एतत् सर्वं श्रुत्वा तत्क्षणमेव बुद्धिमान् राकेशः वदति)
राकेशः - एषा अस्माकं शिक्षिका या अधुना दिवंगता😜😂😁
#hasya
February 9, 2022
February 9, 2022
।।श्रीः।।
।।आत्मबोधः।।
Atmabodha, meaning Self-knowledge or Self-awareness, is an exceptionally lucid and readable work of Shankaracharya. Consisting of sixty-eight verses or shlokas, it is in a sense a simple summary of his entire Vedantic structure of thought, intended, it would seem, as a basic primer for his students and followers. The text follows a clearly elaborated doctrine, starting with knowledge as a key to liberation, the nautre of the Atman within us, the assertion of the pervasive and attribute-less nature of Brahman, and the path towards the realisation of the complete identity between the Atman and Brahman.
सच्चिदात्मन्यनुस्यूते नित्ये विष्णौ प्रकल्पिताः।
व्यक्तयो विविधाः सर्वा हाटके कटकादिवत्।।9।।
9. All the manifested world of things and beings are projected by imagination upon the substratum which is the Eternal All-pervading Vishnu, whose nature is Existence-Intelligence; just as the different ornaments are all made out of the same gold.
आत्म-बोध ऑनलाइन क्लास - 9 :
आत्म-बोध के 9th श्लोक में पू गुरूजी श्री स्वामी आत्मानन्द सरस्वतीजी ने बताया की इस श्लोक में भी आचार्य जगत का रहस्य बता है। जिसे पिछले श्लोक में परमेश्वर, जगदाधार, जगत का अभिन्न निनित्त उपादान कारण आदि बताया था - अब उसका स्वरुप लक्षण बता रहे हैं। उसका स्वरुप लक्षण है - सत और चित स्वरूपता। अर्थात मात्र सत्ता जो की स्वप्रकाश होती है। इसी के ऊपर पूरा जगत कल्पित है। यह सृष्टि का सिद्धांत ही अद्वैत की सिद्धि के लिए अनुकूल होता है।
#Atmabodha
।।आत्मबोधः।।
Atmabodha, meaning Self-knowledge or Self-awareness, is an exceptionally lucid and readable work of Shankaracharya. Consisting of sixty-eight verses or shlokas, it is in a sense a simple summary of his entire Vedantic structure of thought, intended, it would seem, as a basic primer for his students and followers. The text follows a clearly elaborated doctrine, starting with knowledge as a key to liberation, the nautre of the Atman within us, the assertion of the pervasive and attribute-less nature of Brahman, and the path towards the realisation of the complete identity between the Atman and Brahman.
सच्चिदात्मन्यनुस्यूते नित्ये विष्णौ प्रकल्पिताः।
व्यक्तयो विविधाः सर्वा हाटके कटकादिवत्।।9।।
9. All the manifested world of things and beings are projected by imagination upon the substratum which is the Eternal All-pervading Vishnu, whose nature is Existence-Intelligence; just as the different ornaments are all made out of the same gold.
आत्म-बोध ऑनलाइन क्लास - 9 :
आत्म-बोध के 9th श्लोक में पू गुरूजी श्री स्वामी आत्मानन्द सरस्वतीजी ने बताया की इस श्लोक में भी आचार्य जगत का रहस्य बता है। जिसे पिछले श्लोक में परमेश्वर, जगदाधार, जगत का अभिन्न निनित्त उपादान कारण आदि बताया था - अब उसका स्वरुप लक्षण बता रहे हैं। उसका स्वरुप लक्षण है - सत और चित स्वरूपता। अर्थात मात्र सत्ता जो की स्वप्रकाश होती है। इसी के ऊपर पूरा जगत कल्पित है। यह सृष्टि का सिद्धांत ही अद्वैत की सिद्धि के लिए अनुकूल होता है।
#Atmabodha
February 9, 2022
@samskrt_samvadah is starting Narayaneeyam Classes.
विषय — नारायणीयं गायनं (How to recite Narayaneeyam)
शिक्षिका — ललिता विश्वनाथन्
Time — 9AM🕘 (Indian time)
Date —10th February, Thursday (Every Thursday)
Please come with hard copy or soft copy of Narayaneeyam on time.
Set a reminder.
https://t.me/samskrt_samvadah?voicechat
#Narayaneeyam
विषय — नारायणीयं गायनं (How to recite Narayaneeyam)
शिक्षिका — ललिता विश्वनाथन्
Time — 9AM🕘 (Indian time)
Date —10th February, Thursday (Every Thursday)
Please come with hard copy or soft copy of Narayaneeyam on time.
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#Narayaneeyam
February 9, 2022
Forwarded from संस्कृत संवादः । Sanskrit Samvadah (Bhavani Raman)
Telegram
संस्कृत संवादः (Sanskrit Samvadah)
Narayaneeyam
February 9, 2022
@samskrt_samvadah संलापशाला - A Samskrit Voicechat room.
कालावधिः : 30 minutes
समयः : IST 11:00 AM 🕚
विषयः :भारतस्य गौरवशाली इतिहासः।
( Bharat's Glorious History)
दिनाङ्कः : 10th February, 2022,
Thrusday.
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😇 Please come prepared to discuss ( किमर्थं भारतदेशः विश्वगुरुः आसीत् ,भारतस्य महानता कीदृशी आसीत्।)in Sanskrit , If possible.
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कालावधिः : 30 minutes
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विषयः :भारतस्य गौरवशाली इतिहासः।
( Bharat's Glorious History)
दिनाङ्कः : 10th February, 2022,
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February 9, 2022
🍃
♦️abhyaasayogayuktena chetasaa naanyagaaminaa|
paramaM puruShaM divyaM yaati paarthaanuchintayan8.8
⚜By contemplating on Me with an unwavering mind, disciplined by the practice of meditation, one attains the Supreme divine spirit, O Arjuna. (8.08)
⚜हे पार्थ अभ्यासयोग से युक्त अन्यत्र न जाने वाले चित्त से निरन्तर चिन्तन करता हुआ (साधक) परम दिव्य पुरुष को प्राप्त होता है।। 8.8 ।।
#geeta
अभ्यासयोगयुक्तेन चेतसा नान्यगामिना।
परमं पुरुषं दिव्यं याति पार्थानुचिन्तयन्
।। 8.8 ।।♦️abhyaasayogayuktena chetasaa naanyagaaminaa|
paramaM puruShaM divyaM yaati paarthaanuchintayan
⚜By contemplating on Me with an unwavering mind, disciplined by the practice of meditation, one attains the Supreme divine spirit, O Arjuna. (8.08)
⚜हे पार्थ अभ्यासयोग से युक्त अन्यत्र न जाने वाले चित्त से निरन्तर चिन्तन करता हुआ (साधक) परम दिव्य पुरुष को प्राप्त होता है।। 8.8 ।।
#geeta
February 9, 2022
February 9, 2022
February 9, 2022
🍃
♦️kaviM puraaNamanushaasitaara
maNoraNiiyaaMsamanusmaredyaH|
sarvasya dhaataaramachintyaruupa
maadityavarNaM tamasaH parastaat8.9
⚜The one who meditates on Brahman as the omniscient, the oldest, the controller, smaller than the smallest (and bigger than the biggest), the sustainer of everything, the inconceivable, the self luminous like the sun, and as transcendental or beyond the material reality; (8.09)
⚜जो पुरुष सर्वज्ञ प्राचीन (पुराण) सबके नियन्ता सूक्ष्म से भी सूक्ष्मतर सब के धाता अचिन्त्यरूप सूर्य के समान प्रकाश रूप और (अविद्या) अन्धकार से परे तत्त्व का अनुस्मरण करता है।। 8.9 ।।
#geeta
कविं पुराणमनुशासितार मणोरणीयांसमनुस्मरेद्यः।
सर्वस्य धातारमचिन्त्यरूप मादित्यवर्णं तमसः परस्तात्
।। 8.9 ।।♦️kaviM puraaNamanushaasitaara
maNoraNiiyaaMsamanusmaredyaH|
sarvasya dhaataaramachintyaruupa
maadityavarNaM tamasaH parastaat8.9
⚜The one who meditates on Brahman as the omniscient, the oldest, the controller, smaller than the smallest (and bigger than the biggest), the sustainer of everything, the inconceivable, the self luminous like the sun, and as transcendental or beyond the material reality; (8.09)
⚜जो पुरुष सर्वज्ञ प्राचीन (पुराण) सबके नियन्ता सूक्ष्म से भी सूक्ष्मतर सब के धाता अचिन्त्यरूप सूर्य के समान प्रकाश रूप और (अविद्या) अन्धकार से परे तत्त्व का अनुस्मरण करता है।। 8.9 ।।
#geeta
February 9, 2022
@samskrt_samvadah is starting Narayaneeyam Classes.
विषय — नारायणीयं गायनं (How to recite Narayaneeyam)
शिक्षिका — ललिता विश्वनाथन्
Time — 9AM🕘 (Indian time)
Date —10th February, Thursday (Every Thursday)
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#Narayaneeyam
विषय — नारायणीयं गायनं (How to recite Narayaneeyam)
शिक्षिका — ललिता विश्वनाथन्
Time — 9AM🕘 (Indian time)
Date —10th February, Thursday (Every Thursday)
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#Narayaneeyam
February 9, 2022
February 9, 2022
Forwarded from रामदूतः — The Sanskrit News Platform
Switch to DD News daily at 7:15 AM (Morning) for 15 minutes Sanskrit news.
https://youtu.be/I_f5SFAJHdE
https://youtu.be/I_f5SFAJHdE
YouTube
वार्ता: संस्कृत में समाचार | 10/2/2022
February 9, 2022
@samskrt_samvadah संलापशाला - A Samskrit Voicechat room.
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विषयः :भारतस्य गौरवशाली इतिहासः।
( Bharat's Glorious History)
दिनाङ्कः : 10th February, 2022,
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दिनाङ्कः : 10th February, 2022,
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February 9, 2022
February 9, 2022
February 9, 2022
February 9, 2022
February 9, 2022
Forwarded from रामदूतः — The Sanskrit News Platform
🚩जय सत्य सनातन🚩
🚩आज की हिंदी तिथि
🌥️ 🚩युगाब्द-५१२३
🌥️ 🚩विक्रम संवत-२०७८
⛅ 🚩तिथि - नवमी सुबह ११:०८ तक तत्पश्चात दशमी
⛅ दिनांक - १० फरवरी २०२२
⛅ दिन - गुरुवार
⛅ शक संवत -१९४३
⛅ अयन - उत्तरायण
⛅ ऋतु - शिशिर
⛅ मास - माघ
⛅ पक्ष - शुक्ल
⛅ नक्षत्र - रोहिणी ११ फरवरी रात्रि ०३:३२ तक तत्पश्चात मृगशिरा
⛅ योग - इन्द्र शाम ०६:५० तक तत्पश्चात वैधृति
⛅ राहुकाल - दोपहर ०२:#८ से शाम ०३:४४ तक
⛅ सूर्योदय - ०७:१३
⛅ सूर्यास्त - १८:३२
⛅ दिशाशूल - दक्षिण दिशा में
🚩आज की हिंदी तिथि
🌥️ 🚩युगाब्द-५१२३
🌥️ 🚩विक्रम संवत-२०७८
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⛅ योग - इन्द्र शाम ०६:५० तक तत्पश्चात वैधृति
⛅ राहुकाल - दोपहर ०२:#८ से शाम ०३:४४ तक
⛅ सूर्योदय - ०७:१३
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⛅ दिशाशूल - दक्षिण दिशा में
February 9, 2022
यथा चित्तं तथा वाचः यथा वाचस्तथा क्रियाः |
चित्ते वाचि क्रियायाञ्च साधूनामेकरूपता ||
“As the mind is so is the speech, as is the speech so is the action; there is uniformity in the mind, diction and action of the noble.”
Thoughts become words, words become actions
यथा = however much well
चित्तं = intention
तथा = that is
वाचः = say/ word/ speak
क्रियाः = actions (plural)
साधुः = noble
एकः = one
रूपता = state of being formed
#Subhashitam
चित्ते वाचि क्रियायाञ्च साधूनामेकरूपता ||
“As the mind is so is the speech, as is the speech so is the action; there is uniformity in the mind, diction and action of the noble.”
Thoughts become words, words become actions
यथा = however much well
चित्तं = intention
तथा = that is
वाचः = say/ word/ speak
क्रियाः = actions (plural)
साधुः = noble
एकः = one
रूपता = state of being formed
#Subhashitam
February 9, 2022
February 10, 2022
February 10, 2022
February 10, 2022
. ।। ॐ ।।
चिरन्तन-हासः ।
चोरस्य पुत्रः - जनक ! अहं चाकलेहम् इच्छामि । आनयतु किल !
चोरः - प्रतीक्षां करोतु रे ! आपणानि पिहितानि भवन्तु ।
-------- संस्कृतानन्दः ।
#hasya
चिरन्तन-हासः ।
चोरस्य पुत्रः - जनक ! अहं चाकलेहम् इच्छामि । आनयतु किल !
चोरः - प्रतीक्षां करोतु रे ! आपणानि पिहितानि भवन्तु ।
-------- संस्कृतानन्दः ।
#hasya
February 10, 2022
February 10, 2022
।।श्रीः।।
।।आत्मबोधः।।
Atmabodha, meaning Self-knowledge or Self-awareness, is an exceptionally lucid and readable work of Shankaracharya. Consisting of sixty-eight verses or shlokas, it is in a sense a simple summary of his entire Vedantic structure of thought, intended, it would seem, as a basic primer for his students and followers. The text follows a clearly elaborated doctrine, starting with knowledge as a key to liberation, the nautre of the Atman within us, the assertion of the pervasive and attribute-less nature of Brahman, and the path towards the realisation of the complete identity between the Atman and Brahman.
यथाकाशो हृषीकेशो नानोपाधिगतो विभुः।
तद्भेदाद्भिन्नवद्भाति तन्नाशे केवलो भवेत्।।10।।
10. The All-pervading Akasa appears to be diverse on account of its association with various conditionings (Upadhis) which are different from each other. Space becomes one on the destruction of these limiting adjuncts: So also the Omnipresent Truth appears to be diverse on account of Its association with the various Upadhis and becomes one on the destruction of these Upadhis.
आत्म-बोध ऑनलाइन क्लास - 10 :
आत्म-बोध के 10th श्लोक में पू गुरूजी श्री स्वामी आत्मानन्द सरस्वतीजी ने बताया की इस श्लोक में भी आचार्य हमें बंधन और मुक्ति का स्वरुप बता रहे हैं।
#Atmabodha
।।आत्मबोधः।।
Atmabodha, meaning Self-knowledge or Self-awareness, is an exceptionally lucid and readable work of Shankaracharya. Consisting of sixty-eight verses or shlokas, it is in a sense a simple summary of his entire Vedantic structure of thought, intended, it would seem, as a basic primer for his students and followers. The text follows a clearly elaborated doctrine, starting with knowledge as a key to liberation, the nautre of the Atman within us, the assertion of the pervasive and attribute-less nature of Brahman, and the path towards the realisation of the complete identity between the Atman and Brahman.
यथाकाशो हृषीकेशो नानोपाधिगतो विभुः।
तद्भेदाद्भिन्नवद्भाति तन्नाशे केवलो भवेत्।।10।।
10. The All-pervading Akasa appears to be diverse on account of its association with various conditionings (Upadhis) which are different from each other. Space becomes one on the destruction of these limiting adjuncts: So also the Omnipresent Truth appears to be diverse on account of Its association with the various Upadhis and becomes one on the destruction of these Upadhis.
आत्म-बोध ऑनलाइन क्लास - 10 :
आत्म-बोध के 10th श्लोक में पू गुरूजी श्री स्वामी आत्मानन्द सरस्वतीजी ने बताया की इस श्लोक में भी आचार्य हमें बंधन और मुक्ति का स्वरुप बता रहे हैं।
#Atmabodha
February 10, 2022
@samskrt_samvadah संलापशाला - A Samskrit Voicechat room.
कालावधिः : 30 minutes
समयः : IST 11:00 AM 🕚
विषयः :संस्कृतकथा,सुभाषितम्,
हास्यकणिका..... इत्यादयः
दिनाङ्कः : 11th February 2022,
Friday.
Please Join the voicechat on time.
😇 Please come prepared to discus (संस्कृतकथां, सुभाषितं, हास्यकणिकां ,स्वस्य कञ्चित् उत्तमम् अनुभवं ,प्रेरकप्रसङ्गं ,लौकिकन्यायं वा वदन्तु। ) in Sanskrit , If possible.
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हास्यकणिका..... इत्यादयः
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February 10, 2022
February 10, 2022
🍃
♦️prayaaNakaale manasaa'chalena
bhaktyaa yukto yogabalena chaiva|
bhruvormadhye praaNamaaveshya samyak
sa taM paraM puruShamupaiti divyam8.10
⚜At the time of death with steadfast mind and devotion; making the flow of Pranic impulse rise up (to the middle of two eye brows) by
the power of yoga and holding there; attains the Supreme divine spirit. (See also 4.29, 5.27, and 6.13) (8.10)
⚜वह (साधक) अन्तकाल में योगबल से प्राण को भ्रकुटि के मध्य सम्यक् प्रकार स्थापन करके निश्चल मन से भक्ति युक्त होकर उस परम दिव्य पुरुष को प्राप्त होता है।। 8.10 ।।
#geeta
प्रयाणकाले मनसाऽचलेन भक्त्या युक्तो योगबलेन चैव।
भ्रुवोर्मध्ये प्राणमावेश्य सम्यक् स तं परं पुरुषमुपैति दिव्यम्
।। 8.10 ।।♦️prayaaNakaale manasaa'chalena
bhaktyaa yukto yogabalena chaiva|
bhruvormadhye praaNamaaveshya samyak
sa taM paraM puruShamupaiti divyam
⚜At the time of death with steadfast mind and devotion; making the flow of Pranic impulse rise up (to the middle of two eye brows) by
the power of yoga and holding there; attains the Supreme divine spirit. (See also 4.29, 5.27, and 6.13) (8.10)
⚜वह (साधक) अन्तकाल में योगबल से प्राण को भ्रकुटि के मध्य सम्यक् प्रकार स्थापन करके निश्चल मन से भक्ति युक्त होकर उस परम दिव्य पुरुष को प्राप्त होता है।। 8.10 ।।
#geeta
February 10, 2022
February 10, 2022
🍃
♦️yadakSharaM vedavido vadanti
vishanti yadyatayo viitaraagaaH|
yadichChanto brahmacharyaM charanti
tatte padaM saMgraheNa pravakShye8.11
⚜I shall briefly explain to you (the process to attain) that goal which the knowers of the Vedas call the imperishable; into which the
ascetics, freed from attachment, enter; and desiring which people lead a life of celibacy. (8.11)
⚜वेद के जानने वाले विद्वान जिसे अक्षर कहते हैं रागरहित यत्नशील पुरुष जिसमें प्रवेश करते हैं जिसकी इच्छा से (साधक गण) ब्रह्मचर्य का पालन करते हैं उस पद (लक्ष्य) को मैं तुम्हें संक्षेप में कहूँगा।। 8.11 ।।
#geeta
यदक्षरं वेदविदो वदन्ति विशन्ति यद्यतयो वीतरागाः।
यदिच्छन्तो ब्रह्मचर्यं चरन्ति तत्ते पदं संग्रहेण प्रवक्ष्ये
।। 8.11 ।।♦️yadakSharaM vedavido vadanti
vishanti yadyatayo viitaraagaaH|
yadichChanto brahmacharyaM charanti
tatte padaM saMgraheNa pravakShye
⚜I shall briefly explain to you (the process to attain) that goal which the knowers of the Vedas call the imperishable; into which the
ascetics, freed from attachment, enter; and desiring which people lead a life of celibacy. (8.11)
⚜वेद के जानने वाले विद्वान जिसे अक्षर कहते हैं रागरहित यत्नशील पुरुष जिसमें प्रवेश करते हैं जिसकी इच्छा से (साधक गण) ब्रह्मचर्य का पालन करते हैं उस पद (लक्ष्य) को मैं तुम्हें संक्षेप में कहूँगा।। 8.11 ।।
#geeta
February 10, 2022
🚩जय सत्य सनातन🚩
🚩आज की हिंदी तिथि
🌥️ 🚩युगाब्द-५१२३
🌥️ 🚩विक्रम संवत-२०७८
⛅ 🚩तिथि - दशमी दोपहर 01:52 तक तत्पश्चात एकादशी
⛅ दिनांक - 11 फरवरी 2022
⛅ दिन - शुक्रवार
⛅ शक संवत -1943
⛅ अयन - उत्तरायण
⛅ ऋतु - शिशिर
⛅ मास - माघ
⛅ पक्ष - शुक्ल
⛅ नक्षत्र - मृगशिरा 12 फरवरी सुबह 06:38 तक तत्पश्चात आर्द्रा
⛅ योग - वैधृति शाम 07:50 तक तत्पश्चात विष्कम्भ
⛅ राहुकाल - सुबह 11:28 से दोपहर 12:53 तक
⛅ सूर्योदय - 07:12
⛅ सूर्यास्त - 18:33
⛅ दिशाशूल - पश्चिम दिशा में
🚩आज की हिंदी तिथि
🌥️ 🚩युगाब्द-५१२३
🌥️ 🚩विक्रम संवत-२०७८
⛅ 🚩तिथि - दशमी दोपहर 01:52 तक तत्पश्चात एकादशी
⛅ दिनांक - 11 फरवरी 2022
⛅ दिन - शुक्रवार
⛅ शक संवत -1943
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⛅ मास - माघ
⛅ पक्ष - शुक्ल
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⛅ योग - वैधृति शाम 07:50 तक तत्पश्चात विष्कम्भ
⛅ राहुकाल - सुबह 11:28 से दोपहर 12:53 तक
⛅ सूर्योदय - 07:12
⛅ सूर्यास्त - 18:33
⛅ दिशाशूल - पश्चिम दिशा में
February 10, 2022
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February 10, 2022
https://youtu.be/-k3th_cTN8Q
Switch to DD News daily at 7:15 AM (Morning) for 15 minutes Sanskrit news.
Switch to DD News daily at 7:15 AM (Morning) for 15 minutes Sanskrit news.
February 10, 2022
February 10, 2022
February 10, 2022
February 10, 2022
"स जातो येन जातेन याति वंशः समुन्नतिम् ।
परिवर्तिनि संसारे मृतः को वा न जायते ।।"
अर्थात - "संसार में जन्म-मरण का चक्र चलता ही रहता है । परंतु जन्म लेना उसका सफल है, जिसके जन्म से कुल की उन्नति हो ।"
#Subhashitam
परिवर्तिनि संसारे मृतः को वा न जायते ।।"
अर्थात - "संसार में जन्म-मरण का चक्र चलता ही रहता है । परंतु जन्म लेना उसका सफल है, जिसके जन्म से कुल की उन्नति हो ।"
#Subhashitam
February 10, 2022
February 11, 2022
February 11, 2022
संस्कृत संवादः । Sanskrit Samvadah
(सं
+ वद् तथा अनु + हृ के साथ तृतीया विभक्ति का प्रयोग होता है।) अस्याः
मुखं मातुः मुखेन संवदति = चेहरे से अपनी मांपर गया है। मुखेन मातरम्
अनुहरति = मां के जैसा ही इसका भी चेहरा है। प्रद्युम्नः दर्शनेन कृष्णम्
अनुहरति स्म = प्रद्युम्न दिखने में हूबहू कृष्ण…
संस्कृतं वद आधुनिको भव।
वेदान् पठ वैज्ञानिको भव।।
पाठ (१४) चतुर्थी विभक्ति (१)
(जिसको लक्षित करके क्रिया की जाए, उसकी सम्प्रदान संज्ञा होती है। सम्प्रदान कारक में चतुर्थी विभक्ति होती है।)
माता माणवकाय मोदकं यच्छति।
• माता बच्चे को लड्डू देती है।
राता राङ्कवेभ्यः रातिं राति।
• दाता कम्बलों के लिए दान दे रहा है।
रैपतिः रोगिभ्यः रुप्यकाणि अरात्।
• धनपति ने रोगियों को पैसे दिए।
गालिवन्तः सर्वेभ्यः गालिं ददति।
• गाली बकनेवाले सभी को गाली देते हैं।
सुदामा कृष्णाय तण्डुलान् ददे।
• सुदामा ने कृष्ण को चावल दिए।
दिव्या दरिद्राय द्रविणं ददते।
• दिव्या गरीब को धन देती है।
द्रुपदः अर्जुनाय द्रौपदीम् अददत्।
• द्रुपद ने अर्जुन को द्रौपदी दी।
संन्यसितुकामः सर्ववेदसं सर्वेभ्यः ददिष्यते।
• संन्यास की कामनावाला सकल धनसम्पत्ति सभी को देगा।
नचिकेता पितरं होवाच कस्मै मां दास्यति।
• नचिकेता ने पिता से पूछा मुझे (आप) किसे दोगे?
स होवाच मृत्यवे त्वा ददामि।
• उसने कहा मैं तुझे मृत्यु को देता हूं।
वाजश्रवसः ब्राह्मणाय पीतोदकाः जग्धतृणाः दुग्धदोहाः निरिन्द्रियाः गाः ररौ।
• वाजश्रवस् ने ब्राह्मणों को जो पानी पी चुकी हैं, घास खा चुकी हैं, जिनका दूध दुहा जा चुका है, जो शिथिल इन्द्रियोंवाली हैं एसी बूढी गाएं दान में दीं।
श्वः भरतः रामाय राज्यं रास्यति।
• कल भरत राम को राज्य देगा।
चाणक्यः चन्द्रगुप्ताय नन्दराज्यम् अरासीत्।
• चाणक्य ने चन्द्रगुप्त को नन्दराज्य दिया।
दुर्योधनः पाण्डवेभ्यः सूचिकाग्रम् अपि राज्यं न अददिष्ट।
• दुर्योधन ने पाण्डवों को सुई की नोक जितना भी राज्य नहीं दिया।
विश्पतिः विशे वेदान् सनोति।
• प्रजाओं का स्वामी प्रजाओं के लिए वेदज्ञान देता है।
श्रीमान् स्वर्गाय श्रियं सनिष्यति।
• धनवान् स्वर्ग के लिए श्री को देगा।
जातवेदसे सुनवाम सोमम्।
• उत्पन्न हुए समस्त पदार्थों को प्राप्त ईश्वर के लिए श्रेष्ठ पदार्थ समर्पित करें।
श्रीकामः पात्राय सातिं सनुयात् सर्वदा।
• धन की कामनावाला पात्र व्यक्ति को सदा दान देवे।
ईश्वरः ऋषिभ्यः वेदान् उपदिशति।
• ईश्वर ऋषियों को वेदों का उपदेश देता है।
कथिकः अस्मभ्यं कथाः कथयति।
• कथाकार हमें कथाएं सुनाता है।
कथाकारः बालकेभ्यः लघुकथाः अचीकथत्।
• कथाकार ने बच्चों के लिए लघुकथाएं कहीं।
सृष्ट्यादावीश्वरः अन्तःप्रेरणया ऋषिभ्यः ज्ञानं ददाति।
• आदि सृष्टि में ईश्वर ऋषियों को अन्तःप्रेरणा से ज्ञान देता है।
रामः सुग्रीवाय कपिराज्यम् अयच्छत्।
• राम ने सुग्रीव को वानरराज्य प्रदान किया।
वीराः स्वमातृभूमये स्वजीवनं ददुः।
• वीरों ने मातृभूमि को जीवनदान किया।
#vakyabhyas
वेदान् पठ वैज्ञानिको भव।।
पाठ (१४) चतुर्थी विभक्ति (१)
(जिसको लक्षित करके क्रिया की जाए, उसकी सम्प्रदान संज्ञा होती है। सम्प्रदान कारक में चतुर्थी विभक्ति होती है।)
माता माणवकाय मोदकं यच्छति।
• माता बच्चे को लड्डू देती है।
राता राङ्कवेभ्यः रातिं राति।
• दाता कम्बलों के लिए दान दे रहा है।
रैपतिः रोगिभ्यः रुप्यकाणि अरात्।
• धनपति ने रोगियों को पैसे दिए।
गालिवन्तः सर्वेभ्यः गालिं ददति।
• गाली बकनेवाले सभी को गाली देते हैं।
सुदामा कृष्णाय तण्डुलान् ददे।
• सुदामा ने कृष्ण को चावल दिए।
दिव्या दरिद्राय द्रविणं ददते।
• दिव्या गरीब को धन देती है।
द्रुपदः अर्जुनाय द्रौपदीम् अददत्।
• द्रुपद ने अर्जुन को द्रौपदी दी।
संन्यसितुकामः सर्ववेदसं सर्वेभ्यः ददिष्यते।
• संन्यास की कामनावाला सकल धनसम्पत्ति सभी को देगा।
नचिकेता पितरं होवाच कस्मै मां दास्यति।
• नचिकेता ने पिता से पूछा मुझे (आप) किसे दोगे?
स होवाच मृत्यवे त्वा ददामि।
• उसने कहा मैं तुझे मृत्यु को देता हूं।
वाजश्रवसः ब्राह्मणाय पीतोदकाः जग्धतृणाः दुग्धदोहाः निरिन्द्रियाः गाः ररौ।
• वाजश्रवस् ने ब्राह्मणों को जो पानी पी चुकी हैं, घास खा चुकी हैं, जिनका दूध दुहा जा चुका है, जो शिथिल इन्द्रियोंवाली हैं एसी बूढी गाएं दान में दीं।
श्वः भरतः रामाय राज्यं रास्यति।
• कल भरत राम को राज्य देगा।
चाणक्यः चन्द्रगुप्ताय नन्दराज्यम् अरासीत्।
• चाणक्य ने चन्द्रगुप्त को नन्दराज्य दिया।
दुर्योधनः पाण्डवेभ्यः सूचिकाग्रम् अपि राज्यं न अददिष्ट।
• दुर्योधन ने पाण्डवों को सुई की नोक जितना भी राज्य नहीं दिया।
विश्पतिः विशे वेदान् सनोति।
• प्रजाओं का स्वामी प्रजाओं के लिए वेदज्ञान देता है।
श्रीमान् स्वर्गाय श्रियं सनिष्यति।
• धनवान् स्वर्ग के लिए श्री को देगा।
जातवेदसे सुनवाम सोमम्।
• उत्पन्न हुए समस्त पदार्थों को प्राप्त ईश्वर के लिए श्रेष्ठ पदार्थ समर्पित करें।
श्रीकामः पात्राय सातिं सनुयात् सर्वदा।
• धन की कामनावाला पात्र व्यक्ति को सदा दान देवे।
ईश्वरः ऋषिभ्यः वेदान् उपदिशति।
• ईश्वर ऋषियों को वेदों का उपदेश देता है।
कथिकः अस्मभ्यं कथाः कथयति।
• कथाकार हमें कथाएं सुनाता है।
कथाकारः बालकेभ्यः लघुकथाः अचीकथत्।
• कथाकार ने बच्चों के लिए लघुकथाएं कहीं।
सृष्ट्यादावीश्वरः अन्तःप्रेरणया ऋषिभ्यः ज्ञानं ददाति।
• आदि सृष्टि में ईश्वर ऋषियों को अन्तःप्रेरणा से ज्ञान देता है।
रामः सुग्रीवाय कपिराज्यम् अयच्छत्।
• राम ने सुग्रीव को वानरराज्य प्रदान किया।
वीराः स्वमातृभूमये स्वजीवनं ददुः।
• वीरों ने मातृभूमि को जीवनदान किया।
#vakyabhyas
February 11, 2022
(चिकित्सकः कोरोनारोगिणं पृच्छति)
चिकित्सकः - तव अन्तिमा इच्छा का अस्ति ?
रोगी - जीवने यैः जनैः सह मम क्लेशः अस्ति तान् आलिङ्ग्य क्षमायाचनं कर्तुम् इच्छामि।😷
#hasya
चिकित्सकः - तव अन्तिमा इच्छा का अस्ति ?
रोगी - जीवने यैः जनैः सह मम क्लेशः अस्ति तान् आलिङ्ग्य क्षमायाचनं कर्तुम् इच्छामि।😷
#hasya
February 11, 2022
।।श्रीः।।
।।आत्मबोधः।।
Atmabodha, meaning Self-knowledge or Self-awareness, is an exceptionally lucid and readable work of Shankaracharya. Consisting of sixty-eight verses or shlokas, it is in a sense a simple summary of his entire Vedantic structure of thought, intended, it would seem, as a basic primer for his students and followers. The text follows a clearly elaborated doctrine, starting with knowledge as a key to liberation, the nautre of the Atman within us, the assertion of the pervasive and attribute-less nature of Brahman, and the path towards the realisation of the complete identity between the Atman and Brahman.
नानोपाधिवशादेव जातिनामाश्रमादयः।
आत्मन्यारोपितास्तोये रसवर्णादिभेदवत्।।11।।
11. Because of Its association with different conditionings (Upadhis) such ideas as caste, colour and position are super-imposed upon the Atman, as flavour, colour, etc., are super-imposed on water.
आत्म-बोध ऑनलाइन क्लास - 11 :
आत्म-बोध के 11th श्लोक में पू गुरूजी श्री स्वामी आत्मानन्द सरस्वतीजी ने बताया की इस श्लोक में भी आचार्य हमें यह बता रहे हैं की मनुष्यों का व्यावहारिक भेद एक सच्चाई है लेकिन गहराई में सब दिव्य हैं, और अगर वे चाहें तो अपनी प्रकृति को सुन्दर बनाकर अपने दिव्य स्वरुप का साक्षात्कार कर सकते हैं। व्यवहार में भेद के आधार से ही कर्तव्यताओं का निर्धारण होता है। उपाधि हमारी कैसी हो यह हम सब जैसी भी चाहे वो बना सकते हैं। समस्त औपाधिक भेद आत्मा पर आरोपित होते हैं अर्थातृ उपाधि आत्मा को स्पर्श तक नहीं करती है।
#Atmabodha
।।आत्मबोधः।।
Atmabodha, meaning Self-knowledge or Self-awareness, is an exceptionally lucid and readable work of Shankaracharya. Consisting of sixty-eight verses or shlokas, it is in a sense a simple summary of his entire Vedantic structure of thought, intended, it would seem, as a basic primer for his students and followers. The text follows a clearly elaborated doctrine, starting with knowledge as a key to liberation, the nautre of the Atman within us, the assertion of the pervasive and attribute-less nature of Brahman, and the path towards the realisation of the complete identity between the Atman and Brahman.
नानोपाधिवशादेव जातिनामाश्रमादयः।
आत्मन्यारोपितास्तोये रसवर्णादिभेदवत्।।11।।
11. Because of Its association with different conditionings (Upadhis) such ideas as caste, colour and position are super-imposed upon the Atman, as flavour, colour, etc., are super-imposed on water.
आत्म-बोध ऑनलाइन क्लास - 11 :
आत्म-बोध के 11th श्लोक में पू गुरूजी श्री स्वामी आत्मानन्द सरस्वतीजी ने बताया की इस श्लोक में भी आचार्य हमें यह बता रहे हैं की मनुष्यों का व्यावहारिक भेद एक सच्चाई है लेकिन गहराई में सब दिव्य हैं, और अगर वे चाहें तो अपनी प्रकृति को सुन्दर बनाकर अपने दिव्य स्वरुप का साक्षात्कार कर सकते हैं। व्यवहार में भेद के आधार से ही कर्तव्यताओं का निर्धारण होता है। उपाधि हमारी कैसी हो यह हम सब जैसी भी चाहे वो बना सकते हैं। समस्त औपाधिक भेद आत्मा पर आरोपित होते हैं अर्थातृ उपाधि आत्मा को स्पर्श तक नहीं करती है।
#Atmabodha
February 11, 2022
February 11, 2022
https://youtu.be/xbmfEvoAvGs
#SanskritCarnaticMusic
Pallavi
हिमगिरि तनये हेम लते अम्ब
ईश्र्वरि स्रिललिते मामव
Oh my mother who is daughter of the ice mountain,
Who is a golden climber, who is goddess Lalitha
Anupallavi
राम वनि संसेवित सकले
राज राज्स्वरि राम सहोदरी
Goddess who is served by Saraswathi and Lakshmi,
Goddess Rajarajeswari , Goddess who is sister of Rama.
Charanam
पसन्कुस दण्ड करे अम्ब
परात्परे निज भक्त परे
एकंबर हरिकेस विलासे
आनन्द रूपे अमित प्रतापे ||
Oh mother who holds rope , goad and a stick in her hands,
Who is most divine , Who helps real devotees cross the ocean of birth,
Who is dressed in desire , who lives in Harikesava Nallur
Who has an endless form and who is famous as deathless one.
#SanskritCarnaticMusic
Pallavi
हिमगिरि तनये हेम लते अम्ब
ईश्र्वरि स्रिललिते मामव
Oh my mother who is daughter of the ice mountain,
Who is a golden climber, who is goddess Lalitha
Anupallavi
राम वनि संसेवित सकले
राज राज्स्वरि राम सहोदरी
Goddess who is served by Saraswathi and Lakshmi,
Goddess Rajarajeswari , Goddess who is sister of Rama.
Charanam
पसन्कुस दण्ड करे अम्ब
परात्परे निज भक्त परे
एकंबर हरिकेस विलासे
आनन्द रूपे अमित प्रतापे ||
Oh mother who holds rope , goad and a stick in her hands,
Who is most divine , Who helps real devotees cross the ocean of birth,
Who is dressed in desire , who lives in Harikesava Nallur
Who has an endless form and who is famous as deathless one.
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Himagiri thanaye Hemalathe- Shuddha dhanyasi- Aditala- Muttaiyya Bhagavata
Sung by Nandini Rao Gujar
Violin- Pradesh C R
Mridangam- Aniruddh Bhat
Ghatam- Raghunandan
Raaga: Shudda dhanyaasi
22 kharaharapriya janya
Aa: S G2 M1 P N2 P S
Av: S N2 P M1 G2 S
taaLam: aadi
Composer: H.N. Muthiah Bhaagavatar
Language: Sanskrit
pallavi…
Violin- Pradesh C R
Mridangam- Aniruddh Bhat
Ghatam- Raghunandan
Raaga: Shudda dhanyaasi
22 kharaharapriya janya
Aa: S G2 M1 P N2 P S
Av: S N2 P M1 G2 S
taaLam: aadi
Composer: H.N. Muthiah Bhaagavatar
Language: Sanskrit
pallavi…
February 11, 2022
@samskrt_samvadah संलापशाला - A Samskrit Voicechat room.
कालावधिः : 30 minutes
समयः : IST 11:00 AM 🕚
विषयः : जल्पनम्।
(Gossip.)
दिनाङ्कः : 12th February 2022,
Saturday.
Please Join the voicechat on time.
😇 Please come prepared to discuss in Sanskrit , If possible.
We are waiting for you.😇
Set a reminder.
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https://t.me/samskrt_samvadah?voicechat
कालावधिः : 30 minutes
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विषयः : जल्पनम्।
(Gossip.)
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February 11, 2022
February 11, 2022
🍃
♦️sarvadvaaraaNi saMyamya mano hRRidi nirudhya cha|
muurdhnyaadhaayaatmanaH praaNamaasthito yogadhaaraNaam8.12
⚜Controlling all the (nine) doors of the body, the abode of consciousness; focusing the mind on the heart and Prana in the cerebrum, and engaged in yogic practice; (8.12)
⚜सब (इन्द्रियों के) द्वारों को संयमित कर मन को हृदय में स्थिर करके और प्राण को मस्तक में स्थापित करके योगधारणा में स्थित हुआ।।8.12।।
#geeta
सर्वद्वाराणि संयम्य मनो हृदि निरुध्य च।
मूर्ध्न्याधायात्मनः प्राणमास्थितो योगधारणाम्
।।8.12।।♦️sarvadvaaraaNi saMyamya mano hRRidi nirudhya cha|
muurdhnyaadhaayaatmanaH praaNamaasthito yogadhaaraNaam
⚜Controlling all the (nine) doors of the body, the abode of consciousness; focusing the mind on the heart and Prana in the cerebrum, and engaged in yogic practice; (8.12)
⚜सब (इन्द्रियों के) द्वारों को संयमित कर मन को हृदय में स्थिर करके और प्राण को मस्तक में स्थापित करके योगधारणा में स्थित हुआ।।8.12।।
#geeta
February 11, 2022
February 11, 2022
🍃
♦️omityekaakSharaM brahma vyaaharanmaamanusmaran|
yaH prayaati tyajandehaM sa yaati paramaaM gatim8.13
⚜One who leaves the body while meditating on Brahman and uttering OM, the sacred monosyllable sound of Brahman, attains the Supreme goal. (8.13)
⚜जो पुरुष ओऽम् इस एक अक्षर ब्रह्म का उच्चारण करता हुआ और मेरा स्मरण करता हुआ शरीर का त्याग करता है वह परम गति को प्राप्त होता है।। 8.13 ।।
#geeta
ओमित्येकाक्षरं ब्रह्म व्याहरन्मामनुस्मरन्।
यः प्रयाति त्यजन्देहं स याति परमां गतिम्
।। 8.13 ।।♦️omityekaakSharaM brahma vyaaharanmaamanusmaran|
yaH prayaati tyajandehaM sa yaati paramaaM gatim
⚜One who leaves the body while meditating on Brahman and uttering OM, the sacred monosyllable sound of Brahman, attains the Supreme goal. (8.13)
⚜जो पुरुष ओऽम् इस एक अक्षर ब्रह्म का उच्चारण करता हुआ और मेरा स्मरण करता हुआ शरीर का त्याग करता है वह परम गति को प्राप्त होता है।। 8.13 ।।
#geeta
February 11, 2022
Forwarded from रामदूतः — The Sanskrit News Platform
🚩जय सत्य सनातन🚩
🚩आज की हिंदी तिथि
🌥️ 🚩युगाब्द-५१२३
🌥️ 🚩विक्रम संवत-२०७८
⛅ 🚩तिथि - एकादशी शाम 04:27 तक तत्पश्चात द्वादशी
⛅ दिनांक - 12 फरवरी 2022
⛅ दिन - शनिवार
⛅ विक्रम संवत - 2078
⛅ शक संवत -1943
⛅ अयन - उत्तरायण
⛅ ऋतु - शिशिर
⛅ मास - माघ
⛅ पक्ष - शुक्ल
⛅ नक्षत्र - आर्द्रा पूर्ण रात्रि तक
⛅ योग - विष्कम्भ रात्रि 08:41 तक तत्पश्चात प्रीति
⛅ राहुकाल - सुबह 10:02 से सुबह 11:28 तक
⛅ सूर्योदय - 07:12
⛅ सूर्यास्त - 18:33
⛅ दिशाशूल - पूर्व दिशा में
🚩आज की हिंदी तिथि
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🌥️ 🚩विक्रम संवत-२०७८
⛅ 🚩तिथि - एकादशी शाम 04:27 तक तत्पश्चात द्वादशी
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⛅ दिन - शनिवार
⛅ विक्रम संवत - 2078
⛅ शक संवत -1943
⛅ अयन - उत्तरायण
⛅ ऋतु - शिशिर
⛅ मास - माघ
⛅ पक्ष - शुक्ल
⛅ नक्षत्र - आर्द्रा पूर्ण रात्रि तक
⛅ योग - विष्कम्भ रात्रि 08:41 तक तत्पश्चात प्रीति
⛅ राहुकाल - सुबह 10:02 से सुबह 11:28 तक
⛅ सूर्योदय - 07:12
⛅ सूर्यास्त - 18:33
⛅ दिशाशूल - पूर्व दिशा में
February 11, 2022
https://youtu.be/PrWL2N4uqy0
Switch to DD News daily at 7:15 AM (Morning) for 15 minutes Sanskrit news.
Switch to DD News daily at 7:15 AM (Morning) for 15 minutes Sanskrit news.
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वार्ता: संस्कृत में समाचार
DD News is India’s
24x7 news channel from the stable of the country’s Public Service
Broadcaster, Prasar Bharati. It has the distinction of being India’s
onl...
February 11, 2022
@samskrt_samvadah संलापशाला - A Samskrit Voicechat room.
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दिनाङ्कः : 12th February 2022,
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दिनाङ्कः : 12th February 2022,
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February 11, 2022
February 11, 2022
*अमर्त्यवाणीविलासः*
(हिन्दी द्वारा बच्चों के संस्कृतिवर्धन पाठमाला)
*[अवधान-केवल बच्चों के लिये, कोई संस्कृतभाषाज्ञान की आवश्यकता नहीं]
अध्यापिका- सङ्का उषाराणी
प्रारंभ- 12 दिसेम्बर् 2021 (रविवार) से
पाठ्यांश- श्लोक, स्तोत्र, भजन, गीत, शिशुगीत
समयः- सप्ताह के 1 दिन, रविवार
प्रातः 11:00 से 12:00 तक
पूर्वपाठ-
https://www.youtube.com/c/SvarvaniPrakashaTheLightofSamskrtam/videos
माध्यम- ज़ूम् माध्यम द्वारा
प्रवेश सङ्केत- https://indicacademy.zoom.us/j/95467353855
प्रवेशसंख्या- 954 6735 3855
अधिक जानकारी हेतु- samskrta.usha@gmail.com
-स्वर्वाणीप्रकाशसेवानिकुञ्जम्
(यह पाठावली केवल अध्ययन करने हेतु है। यथोचित समय व श्रद्धा हो तभी प्रवेश करें)
(हिन्दी द्वारा बच्चों के संस्कृतिवर्धन पाठमाला)
*[अवधान-केवल बच्चों के लिये, कोई संस्कृतभाषाज्ञान की आवश्यकता नहीं]
अध्यापिका- सङ्का उषाराणी
प्रारंभ- 12 दिसेम्बर् 2021 (रविवार) से
पाठ्यांश- श्लोक, स्तोत्र, भजन, गीत, शिशुगीत
समयः- सप्ताह के 1 दिन, रविवार
प्रातः 11:00 से 12:00 तक
पूर्वपाठ-
https://www.youtube.com/c/SvarvaniPrakashaTheLightofSamskrtam/videos
माध्यम- ज़ूम् माध्यम द्वारा
प्रवेश सङ्केत- https://indicacademy.zoom.us/j/95467353855
प्रवेशसंख्या- 954 6735 3855
अधिक जानकारी हेतु- samskrta.usha@gmail.com
-स्वर्वाणीप्रकाशसेवानिकुञ्जम्
(यह पाठावली केवल अध्ययन करने हेतु है। यथोचित समय व श्रद्धा हो तभी प्रवेश करें)
Zoom Video
Join our Cloud HD Video Meeting
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modern enterprise video communications, with an easy, reliable cloud
platform for video and audio conferencing, chat, and webinars across
mobile, desktop, and room systems. Zoom Rooms is the original
software-based conference room solution…
February 11, 2022
February 11, 2022
सर्वमन्यत् परित्यज्य, शरीरमनुपालयेत्।
तदभावे हि भावानां , सर्वाभावः शरीरिणाम्।।
भावार्थः - मनुष्यः सर्वं कार्यं विहाय प्रथमं शरीरस्य रक्षणं कुर्यात् , यतः शरीरं सुदृढं भवति चेत् एव सः धर्मादिपुरुषार्थान् प्राप्तुं शक्नोति, शरीरस्य विनाशे सति सर्वेषां कार्याणाम् अभावः एव भवति।
#Subhashitam
तदभावे हि भावानां , सर्वाभावः शरीरिणाम्।।
भावार्थः - मनुष्यः सर्वं कार्यं विहाय प्रथमं शरीरस्य रक्षणं कुर्यात् , यतः शरीरं सुदृढं भवति चेत् एव सः धर्मादिपुरुषार्थान् प्राप्तुं शक्नोति, शरीरस्य विनाशे सति सर्वेषां कार्याणाम् अभावः एव भवति।
#Subhashitam
February 11, 2022
February 12, 2022
हनुमान् "रामदुतः" अस्ति।
अत्र "रामदूतः" शब्दस्य विग्रहं वदन्तु।
अत्र "रामदूतः" शब्दस्य विग्रहं वदन्तु।
Anonymous Quiz
10%
रामः दूतः यस्य सः।
82%
रामस्य दूतः
4%
रामः एव दूतः
3%
रामः इति दूतः
February 12, 2022
February 12, 2022
संस्कृत संवादः । Sanskrit Samvadah
संस्कृतं
वद आधुनिको भव। वेदान् पठ वैज्ञानिको भव।। पाठ (१४) चतुर्थी विभक्ति (१)
(जिसको लक्षित करके क्रिया की जाए, उसकी सम्प्रदान संज्ञा होती है।
सम्प्रदान कारक में चतुर्थी विभक्ति होती है।) माता माणवकाय मोदकं यच्छति।
• माता बच्चे को लड्डू देती है। राता…
एकलव्यः द्रोणाय स्वाङ्गुलिं समर्पयत्।
• एकलव्य ने द्रोण को अपनी ऊंगली समर्पित की।
राजा रघुः कौत्साय धनं ददौ।
• राजा रघु ने कौत्स को धन दिया।
पापाचारात् मेघा अपि रुष्टाः कृषये जलं न सिञ्चन्ति।
• पाप बढ़ने से बादल भी रूठ गए हैं, खेतों को पानी नहीं पिला रहे।
यज्ञाभावात् पर्जन्यः प्रजायै जलं न प्रयच्छति।
• यज्ञों के अभाव के कारण प्रजा को वर्षा पानी नहीं दे रही है।
अम्भोदवर चक्रवाकाय जलं प्रयच्छ।
• हे मेघराज, चकवे को पानी दे दो !
भगवान् सूर्यः कर्णाय कुण्डलं तनुत्रं च अदात्।
• भगवान् सूर्य ने कर्ण को कुण्डल और कवच दिए।
अहम् भूमिम् अददाम् आर्याय।
• मैंने (ईश्वरने) पृथ्वी आर्यों के लिए दी है।
अहं वृष्टिम् अददां दाशुषे मर्त्याय।
• मैंने (ईश्वरने) वृष्टि दानी मनुष्यों के लिए दी है। (= परोपकारी महानुभावों के कारण वर्षा हो रही है)
अहम् दाशुषे विभजामि भोजनम्।
• मैं (ईश्वर) दानी (परोपकारी) को भोजन देता हूं।
मेधां मे देहि।
• मुझे मेधाबुद्धि प्रदान करो।
यस्मै देवाः प्रयच्छन्ति पुरुषाय पराभवम्।
बुद्धिं तस्यापकर्षन्ति सोऽवाचीनानि पश्यति।।
• देवगण जिस पुरुष को पराजय देते हैं (नष्ट करना चाहते हैं), उसकी बुद्धि को नष्ट कर देते हैं, (अतः) वह अवनति को प्राप्त होता है।
गृहं समागताय बुधाय पाद्यम् अर्घ्यं च दद्यात्।
• घर आए हुए विद्वान् को पैर एवं हाथ-मुख धोने के लिए पानी देवे।
चित्तनदी नाम उभयतो वाहिनी वहति कल्याणाय वहति पापाय च।
• चित्तरूपी नदी दो दिशाओं में प्रवाहित होती है, कल्याण के लिए बहती है और पाप के लिए भी बहती है।
कैवल्यप्राग्भारा विवेकविषयनिम्ना सा चित्तनदी कल्याणाय वहति।
• कैवल्य (मुक्ति) की ओर ले जानेवाली विवेकयुक्त वह चित्तनदी की धारा कल्याण के लिए बहती है।
संसारप्राग्भारा अविवेकविषयनिम्ना सा पापाय वहति।
• संसार की ओर ले जानेवाली अविवेक से युक्त वह पाप के लिए बहती है (अवनति की ओर ले जाती है)।
#vakyabhyas
• एकलव्य ने द्रोण को अपनी ऊंगली समर्पित की।
राजा रघुः कौत्साय धनं ददौ।
• राजा रघु ने कौत्स को धन दिया।
पापाचारात् मेघा अपि रुष्टाः कृषये जलं न सिञ्चन्ति।
• पाप बढ़ने से बादल भी रूठ गए हैं, खेतों को पानी नहीं पिला रहे।
यज्ञाभावात् पर्जन्यः प्रजायै जलं न प्रयच्छति।
• यज्ञों के अभाव के कारण प्रजा को वर्षा पानी नहीं दे रही है।
अम्भोदवर चक्रवाकाय जलं प्रयच्छ।
• हे मेघराज, चकवे को पानी दे दो !
भगवान् सूर्यः कर्णाय कुण्डलं तनुत्रं च अदात्।
• भगवान् सूर्य ने कर्ण को कुण्डल और कवच दिए।
अहम् भूमिम् अददाम् आर्याय।
• मैंने (ईश्वरने) पृथ्वी आर्यों के लिए दी है।
अहं वृष्टिम् अददां दाशुषे मर्त्याय।
• मैंने (ईश्वरने) वृष्टि दानी मनुष्यों के लिए दी है। (= परोपकारी महानुभावों के कारण वर्षा हो रही है)
अहम् दाशुषे विभजामि भोजनम्।
• मैं (ईश्वर) दानी (परोपकारी) को भोजन देता हूं।
मेधां मे देहि।
• मुझे मेधाबुद्धि प्रदान करो।
यस्मै देवाः प्रयच्छन्ति पुरुषाय पराभवम्।
बुद्धिं तस्यापकर्षन्ति सोऽवाचीनानि पश्यति।।
• देवगण जिस पुरुष को पराजय देते हैं (नष्ट करना चाहते हैं), उसकी बुद्धि को नष्ट कर देते हैं, (अतः) वह अवनति को प्राप्त होता है।
गृहं समागताय बुधाय पाद्यम् अर्घ्यं च दद्यात्।
• घर आए हुए विद्वान् को पैर एवं हाथ-मुख धोने के लिए पानी देवे।
चित्तनदी नाम उभयतो वाहिनी वहति कल्याणाय वहति पापाय च।
• चित्तरूपी नदी दो दिशाओं में प्रवाहित होती है, कल्याण के लिए बहती है और पाप के लिए भी बहती है।
कैवल्यप्राग्भारा विवेकविषयनिम्ना सा चित्तनदी कल्याणाय वहति।
• कैवल्य (मुक्ति) की ओर ले जानेवाली विवेकयुक्त वह चित्तनदी की धारा कल्याण के लिए बहती है।
संसारप्राग्भारा अविवेकविषयनिम्ना सा पापाय वहति।
• संसार की ओर ले जानेवाली अविवेक से युक्त वह पाप के लिए बहती है (अवनति की ओर ले जाती है)।
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February 12, 2022
(कश्चन कृशकायः पुरुषः स्वस्थूलां भार्यां पृच्छति)
पुरुषः - एतत् तु वदतु यत् , कष्टानि सहमानः मरणं वरम् अथवा एकस्मिन् एव क्षणे मरणं वरं?
भार्या - एकस्मिन् क्षणे मरणम् एव वरम्।
पुरुषः - एवं चेत् , भवती स्वस्याः द्वितीयं पादम् अपि मम उपरि स्थापयतु।
😁😝
#hasya
पुरुषः - एतत् तु वदतु यत् , कष्टानि सहमानः मरणं वरम् अथवा एकस्मिन् एव क्षणे मरणं वरं?
भार्या - एकस्मिन् क्षणे मरणम् एव वरम्।
पुरुषः - एवं चेत् , भवती स्वस्याः द्वितीयं पादम् अपि मम उपरि स्थापयतु।
😁😝
#hasya
February 12, 2022
।।श्रीः।।
।।आत्मबोधः।।
Atmabodha, meaning Self-knowledge or Self-awareness, is an exceptionally lucid and readable work of Shankaracharya. Consisting of sixty-eight verses or shlokas, it is in a sense a simple summary of his entire Vedantic structure of thought, intended, it would seem, as a basic primer for his students and followers. The text follows a clearly elaborated doctrine, starting with knowledge as a key to liberation, the nautre of the Atman within us, the assertion of the pervasive and attribute-less nature of Brahman, and the path towards the realisation of the complete identity between the Atman and Brahman.
पञ्चीकृतमहाभूतसंभवं कर्मसंचितम्।
शरीरं सुखदुःखानां भोगायतनमुच्यते।।12।।
12. Determined for each individual by his own past actions and made up of the Five elements – that have gone through the process of “five-fold self-division and mutual combination” (Pancheekarana) – are born the gross-body, the medium through which pleasure and pain are experienced, the tent-of-experiences.
आत्म-बोध ऑनलाइन क्लास - 12 :
आत्म-बोध के 12th श्लोक में पू गुरूजी श्री स्वामी आत्मानन्द सरस्वतीजी ने बताया की इस श्लोक में भी आचार्य हमें अपनी उपाधियों का परिचय देना प्रारम्भ करते हैं। सबसे पहले हमारे स्थूल शरीर का परिचय देते हैं। जब हम शरीर को शरीर देखने लगें तो उसे आत्मा समझने की भूल समाप्त हो जाएगी। यह ही इस विवेक का प्रयोजन होता है। स्थूल शरीर किस उपादान से बनता है? इसकी विशिष्टता का हेतु क्या होता है ? और इसका प्रयोजन क्या होता है? इस सभी प्रश्नो का उत्तर इस श्लोक में दिया गया है।
#Atmabodha
।।आत्मबोधः।।
Atmabodha, meaning Self-knowledge or Self-awareness, is an exceptionally lucid and readable work of Shankaracharya. Consisting of sixty-eight verses or shlokas, it is in a sense a simple summary of his entire Vedantic structure of thought, intended, it would seem, as a basic primer for his students and followers. The text follows a clearly elaborated doctrine, starting with knowledge as a key to liberation, the nautre of the Atman within us, the assertion of the pervasive and attribute-less nature of Brahman, and the path towards the realisation of the complete identity between the Atman and Brahman.
पञ्चीकृतमहाभूतसंभवं कर्मसंचितम्।
शरीरं सुखदुःखानां भोगायतनमुच्यते।।12।।
12. Determined for each individual by his own past actions and made up of the Five elements – that have gone through the process of “five-fold self-division and mutual combination” (Pancheekarana) – are born the gross-body, the medium through which pleasure and pain are experienced, the tent-of-experiences.
आत्म-बोध ऑनलाइन क्लास - 12 :
आत्म-बोध के 12th श्लोक में पू गुरूजी श्री स्वामी आत्मानन्द सरस्वतीजी ने बताया की इस श्लोक में भी आचार्य हमें अपनी उपाधियों का परिचय देना प्रारम्भ करते हैं। सबसे पहले हमारे स्थूल शरीर का परिचय देते हैं। जब हम शरीर को शरीर देखने लगें तो उसे आत्मा समझने की भूल समाप्त हो जाएगी। यह ही इस विवेक का प्रयोजन होता है। स्थूल शरीर किस उपादान से बनता है? इसकी विशिष्टता का हेतु क्या होता है ? और इसका प्रयोजन क्या होता है? इस सभी प्रश्नो का उत्तर इस श्लोक में दिया गया है।
#Atmabodha
February 12, 2022
February 12, 2022
@samskrt_samvadah संलापशाला - A Samskrit Voicechat room.
कालावधिः : 30 minutes
समयः : IST 11:00 AM 🕚
विषयः : वाक्याभ्यासः
दिनाङ्कः : 13th February 2022,
Sunday.
Please Join the voicechat on time.
😇 Please come prepared to discuss (चित्रं दृष्ट्वा वाक्यानि वदन्तु।)in Sanskrit , If possible.
We are waiting for you.😇
Set a reminder.
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https://t.me/samskrt_samvadah?voicechat
कालावधिः : 30 minutes
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विषयः : वाक्याभ्यासः
दिनाङ्कः : 13th February 2022,
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February 12, 2022
February 12, 2022
🍃
♦️ananyachetaaH satataM yo maaM smarati nityashaH|
tasyaahaM sulabhaH paartha nityayuktasya yoginaH8.14
⚜I am easily attainable, O Arjuna, by that ever steadfast yogi who always thinks of Me and whose mind does not go elsewhere. (8.14)
⚜हे पार्थ जो अनन्यचित्त वाला पुरुष मेरा स्मरण करता है उस नित्ययुक्त योगी के लिए मैं सुलभ हूँ अर्थात् सहज ही प्राप्त हो जाता हूँ।। 8.14 ।।
#geeta
अनन्यचेताः सततं यो मां स्मरति नित्यशः।
तस्याहं सुलभः पार्थ नित्ययुक्तस्य योगिनः
।। 8.14 ।।♦️ananyachetaaH satataM yo maaM smarati nityashaH|
tasyaahaM sulabhaH paartha nityayuktasya yoginaH
⚜I am easily attainable, O Arjuna, by that ever steadfast yogi who always thinks of Me and whose mind does not go elsewhere. (8.14)
⚜हे पार्थ जो अनन्यचित्त वाला पुरुष मेरा स्मरण करता है उस नित्ययुक्त योगी के लिए मैं सुलभ हूँ अर्थात् सहज ही प्राप्त हो जाता हूँ।। 8.14 ।।
#geeta
February 12, 2022
February 12, 2022
🍃
♦️maamupetya punarjanma duHkhaalayamashaashvatam|
naapnuvanti mahaatmaanaH saMsiddhiM paramaaM gataaH8.15
⚜After attaining Me the great souls do not incur rebirth, the impermanent home of misery, because they have attained the highest perfection. (8.15)
⚜परम सिद्धि को प्राप्त हुये महात्माजन मुझे प्राप्त कर अनित्य दुःख के आलयरूप (गृहरूप) पुनर्जन्म को नहीं प्राप्त होते हैं।। 8.15 ।।
#geeta
मामुपेत्य पुनर्जन्म दुःखालयमशाश्वतम्।
नाप्नुवन्ति महात्मानः संसिद्धिं परमां गताः
।। 8.15 ।।♦️maamupetya punarjanma duHkhaalayamashaashvatam|
naapnuvanti mahaatmaanaH saMsiddhiM paramaaM gataaH
⚜After attaining Me the great souls do not incur rebirth, the impermanent home of misery, because they have attained the highest perfection. (8.15)
⚜परम सिद्धि को प्राप्त हुये महात्माजन मुझे प्राप्त कर अनित्य दुःख के आलयरूप (गृहरूप) पुनर्जन्म को नहीं प्राप्त होते हैं।। 8.15 ।।
#geeta
February 12, 2022
@samskrt_samvadah संलापशाला - A Samskrit Voicechat room.
कालावधिः : 30 minutes
समयः : IST 11:00 AM 🕚
विषयः : वाक्याभ्यासः
दिनाङ्कः : 13th February 2022,
Sunday.
Please Join the voicechat on time.
😇 Please come prepared to discuss (चित्रं दृष्ट्वा वाक्यानि वदन्तु।)in Sanskrit , If possible.
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विषयः : वाक्याभ्यासः
दिनाङ्कः : 13th February 2022,
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February 12, 2022
https://youtu.be/FzTu3w0nMoQ
Switch to DD News daily at 7:15 AM (Morning) for 15 minutes Sanskrit news.
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YouTube
वार्ता: संस्कृत में समाचार | चुनावी राज्यों में प्रचार ज़ोरों पर
February 12, 2022
February 12, 2022
February 12, 2022
सुभाषितानां भाषा
Course Description
Enjoy Samskrit – the Language of Subhashitaani
• Selected 100 Subhashitas from different books are explained.
• Linguistic analysis of the sloka is provided to facilitate the learner to enjoy Kavya on their own terms.
• Continue enjoying other portions of the Kavya.
Course Details
Duration 4 Months
Lectures 100
Quizzes 0
Level MId-level
Students 183
Language Samskrit
Course Fee INR 500
Course Instructions :
1. You can learn yourself and enjoy the text.
2. Text Book and Video shall be referred as per your convenience.
3. Please use CHAT or WhatsApp or email to put your doubts & questions to a teacher. Please communicate with instructors or teachers in Samskrit.
4. This course supports your interest to learn subject text and gives all linguistic help required. Please pursue & master Samskrit. No test or certificate is provided for this level.
To enrol Click here
https://learnsamskrit.online/course_details?name/=ODEwNjA2ODI5MzI4MQ==
#SanskritEducation
Course Description
Enjoy Samskrit – the Language of Subhashitaani
• Selected 100 Subhashitas from different books are explained.
• Linguistic analysis of the sloka is provided to facilitate the learner to enjoy Kavya on their own terms.
• Continue enjoying other portions of the Kavya.
Course Details
Duration 4 Months
Lectures 100
Quizzes 0
Level MId-level
Students 183
Language Samskrit
Course Fee INR 500
Course Instructions :
1. You can learn yourself and enjoy the text.
2. Text Book and Video shall be referred as per your convenience.
3. Please use CHAT or WhatsApp or email to put your doubts & questions to a teacher. Please communicate with instructors or teachers in Samskrit.
4. This course supports your interest to learn subject text and gives all linguistic help required. Please pursue & master Samskrit. No test or certificate is provided for this level.
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#SanskritEducation
February 12, 2022
यत् कीटे पांशुभिः श्लक्ष्णैर्वल्मीकः क्रियते महान् |
न तत्र बलसामर्थ्यमुद्द्योगस्तत्र कारणम् ||
Small white ants (termites) create large ant-hills out of small particles of crumbling soil. This is possible not due to their physical strength and capacity but because of their industriousness and perseverance.
यत् = making efforts
कीटे = in an insect
पांशु = crumbling soil
श्लक्ष्णः = small particles
वल्मीकः = ant hill created by termites
क्रियते = constructs, creates
महान् = large, big
न = not
तत्र = there
बल= strength
सामर्थ्य= capacity
उद्योग= perseverance
कारणम् = reason
#Subhashitam
न तत्र बलसामर्थ्यमुद्द्योगस्तत्र कारणम् ||
Small white ants (termites) create large ant-hills out of small particles of crumbling soil. This is possible not due to their physical strength and capacity but because of their industriousness and perseverance.
यत् = making efforts
कीटे = in an insect
पांशु = crumbling soil
श्लक्ष्णः = small particles
वल्मीकः = ant hill created by termites
क्रियते = constructs, creates
महान् = large, big
न = not
तत्र = there
बल= strength
सामर्थ्य= capacity
उद्योग= perseverance
कारणम् = reason
#Subhashitam
February 12, 2022
February 12, 2022
एषः ________ स्वतन्त्रतायाः _________ वर्षः अस्ति।
Anonymous Quiz
24%
अस्माकं, पञ्चसप्ततिः
13%
अस्माकम्,चतुस्सप्ततितमः
6%
अस्माकं, त्रिसप्ततितमः
4%
मम, पञ्चसप्ततितमः
54%
अस्माकं, पञ्चसप्ततितमः
February 13, 2022
February 13, 2022
संस्कृत संवादः । Sanskrit Samvadah
एकलव्यः
द्रोणाय स्वाङ्गुलिं समर्पयत्। • एकलव्य ने द्रोण को अपनी ऊंगली समर्पित
की। राजा रघुः कौत्साय धनं ददौ। • राजा रघु ने कौत्स को धन दिया।
पापाचारात् मेघा अपि रुष्टाः कृषये जलं न सिञ्चन्ति। • पाप बढ़ने से बादल
भी रूठ गए हैं, खेतों को पानी नहीं…
सर्वार्थसिद्धये सर्वभूतानाम् आत्मनश्च सुखावहम् आचरणं कुर्यात्
= सकल अर्थों (प्रयोजनों) की सिद्धि के लिए समस्त प्राणियों के लिए तथा अपने लिए जो सुखदायक आचरण है, उसे करना चाहिए।
आपदाय धनं रक्षेत्
= आपत्तिकाल के लिए धन बचाकर रखे।
हिरण्याय अनृतं मा वद
= पैसे के लिए झूठ मत बोल।
राधसे जज्ञिषे
= तू सिद्धि प्राप्त करने के लिए पैदा हुआ है।
परित्राणाय साधूनां विनाशाय च दुष्कृताम्।
धर्मसंस्थापनार्थाय सम्भवामि युगे युगे।।
= सज्जनों की रक्षा के लिए, दुष्टों के विनाश के लिए, धर्म की स्थापना हेतु मैं (ईश्वर) युग युग में (श्रेष्ठ लोगों को) उत्पन्न करता हूं।
मनुष्याणां सहस्रेषु कश्चिद् यतति सिद्धये
= हजारों में से कोई एक ही योग की सिद्धि के लिए प्रयत्न करता है।
अन्नपते अन्नस्य नो देह्यनमीवस्य शुष्मिणः
= हे अन्न के स्वामी ! हमें आरोग्यदायक, बलदायक अन्न दो।
प्रभो मे देहि विज्ञानम्
= हे प्रभो ! मुझे विशिष्ट ज्ञान प्रदान करो।
मानवाः दहनायैव शिरसा काष्ठानि वहन्ति
= मनुष्य जलाने के लिए सिर पर लकड़ियां ढोते हैं।
प्राज्ञः स्वकार्यसम्पादनाय रिपूनपि स्वकन्धेन वहेत्
= बुद्धिमान् व्यक्ति अपने स्वार्थ सिद्धि के लिए शत्रु को भी अपने कन्धे पर ले जाए।
मेधां मे वरुणो ददातु मेधामग्निः प्रजापतिः।
मेधामिन्द्रश्च वायुश्च मेधां धाता ददातु मे।।
= वरुण (अतिश्रेष्ठ परमात्मा) मुझे श्रेष्ठ बुद्धि प्रदान करे। ज्ञानस्वरूप परमात्मा मुझे ज्ञान ग्रहण करनेवाली बुद्धि प्रदान करे। परमैश्वर्यशाली एवं परम शक्तिशाली परमात्मा मुझे ऐश्वर्य व बल देनेवाली बुद्धि प्रदान करे। जगत् के धर्त्ता मुझे धारणावती बुद्धि प्रदान करे।
#vakyabhyas
= सकल अर्थों (प्रयोजनों) की सिद्धि के लिए समस्त प्राणियों के लिए तथा अपने लिए जो सुखदायक आचरण है, उसे करना चाहिए।
आपदाय धनं रक्षेत्
= आपत्तिकाल के लिए धन बचाकर रखे।
हिरण्याय अनृतं मा वद
= पैसे के लिए झूठ मत बोल।
राधसे जज्ञिषे
= तू सिद्धि प्राप्त करने के लिए पैदा हुआ है।
परित्राणाय साधूनां विनाशाय च दुष्कृताम्।
धर्मसंस्थापनार्थाय सम्भवामि युगे युगे।।
= सज्जनों की रक्षा के लिए, दुष्टों के विनाश के लिए, धर्म की स्थापना हेतु मैं (ईश्वर) युग युग में (श्रेष्ठ लोगों को) उत्पन्न करता हूं।
मनुष्याणां सहस्रेषु कश्चिद् यतति सिद्धये
= हजारों में से कोई एक ही योग की सिद्धि के लिए प्रयत्न करता है।
अन्नपते अन्नस्य नो देह्यनमीवस्य शुष्मिणः
= हे अन्न के स्वामी ! हमें आरोग्यदायक, बलदायक अन्न दो।
प्रभो मे देहि विज्ञानम्
= हे प्रभो ! मुझे विशिष्ट ज्ञान प्रदान करो।
मानवाः दहनायैव शिरसा काष्ठानि वहन्ति
= मनुष्य जलाने के लिए सिर पर लकड़ियां ढोते हैं।
प्राज्ञः स्वकार्यसम्पादनाय रिपूनपि स्वकन्धेन वहेत्
= बुद्धिमान् व्यक्ति अपने स्वार्थ सिद्धि के लिए शत्रु को भी अपने कन्धे पर ले जाए।
मेधां मे वरुणो ददातु मेधामग्निः प्रजापतिः।
मेधामिन्द्रश्च वायुश्च मेधां धाता ददातु मे।।
= वरुण (अतिश्रेष्ठ परमात्मा) मुझे श्रेष्ठ बुद्धि प्रदान करे। ज्ञानस्वरूप परमात्मा मुझे ज्ञान ग्रहण करनेवाली बुद्धि प्रदान करे। परमैश्वर्यशाली एवं परम शक्तिशाली परमात्मा मुझे ऐश्वर्य व बल देनेवाली बुद्धि प्रदान करे। जगत् के धर्त्ता मुझे धारणावती बुद्धि प्रदान करे।
#vakyabhyas
February 13, 2022
वैय्याकरणः
इस नाम से ज्ञात होता है कि जो व्याकरण को जानता है वह वैय्याकरण है।
•Telegram में एक ऐसा तंत्रांश(BOT) है जो व्याकरण के विषय में आपके लिए वरदान हो सकता है।
• वैय्याकरणः @vyakarana_bot नामक इस तंत्रांश (BOT) में आप व्याकरण के बहुत से विषयों की जानकारी पा सकते हैं।
•यथा -
१-धातु का परियच(यथा - सकर्मक/अकर्मक, परस्मैपदि/आत्मनेपदि, अर्थ...इत्यादि) ।
२- किसी धातु के सभी लकारों में रूपों का विवरण।
३-सुबन्तपदों की सभी विभक्तियों तथा तीनो वचनों में रूपों का विवरण।
४-सुबन्तपदों का परिचय (यथा- अन्त,लिङ्ग ...इत्यादि) ।
५- सन्धियुक्त पदों का विग्रह ।
•उपयोग करते समय ध्यान देने योग्य बातें -
• उपसर्गयुक्त धातुओं तथा कृदन्तपदों का अन्वेषण न करें।
इस बोट का उपयोग करने के लिए यहां क्लिक करें
👉🏼 t.me/vyakarana_bot 👈🏼
इस प्रकार का ही एक अन्य तंत्राश(BOT) है -
संस्कृत कोष @sanskritkoshbot
जिसमें आप निम्नांकित बिन्दु पा सकते हैं।
यथा -
• संस्कृत शब्दों का विवरण।
१ - शब्दों का लिंग।
२ - शब्दों का अर्थ।
• संस्कृत धातुओं का विवरण।
१ - मूल धातु ।
२ - धातु का अर्थ।
उपयोग विधि -
• संस्कृत शब्दों का अर्थ जानने के लिए उनका मूल / प्रातिपदिक रूप ही लिखें।
विशेष - किस कोष से अर्थ दिया जा रहा है, यह विवरण भी दिया जाता है।
इस बोट का उपयोग करने के लिए यहां क्लिक करें
👉🏼 t.me/sanskritkoshbot 👈🏼
इस नाम से ज्ञात होता है कि जो व्याकरण को जानता है वह वैय्याकरण है।
•Telegram में एक ऐसा तंत्रांश(BOT) है जो व्याकरण के विषय में आपके लिए वरदान हो सकता है।
• वैय्याकरणः @vyakarana_bot नामक इस तंत्रांश (BOT) में आप व्याकरण के बहुत से विषयों की जानकारी पा सकते हैं।
•यथा -
१-धातु का परियच(यथा - सकर्मक/अकर्मक, परस्मैपदि/आत्मनेपदि, अर्थ...इत्यादि) ।
२- किसी धातु के सभी लकारों में रूपों का विवरण।
३-सुबन्तपदों की सभी विभक्तियों तथा तीनो वचनों में रूपों का विवरण।
४-सुबन्तपदों का परिचय (यथा- अन्त,लिङ्ग ...इत्यादि) ।
५- सन्धियुक्त पदों का विग्रह ।
•उपयोग करते समय ध्यान देने योग्य बातें -
• उपसर्गयुक्त धातुओं तथा कृदन्तपदों का अन्वेषण न करें।
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इस प्रकार का ही एक अन्य तंत्राश(BOT) है -
संस्कृत कोष @sanskritkoshbot
जिसमें आप निम्नांकित बिन्दु पा सकते हैं।
यथा -
• संस्कृत शब्दों का विवरण।
१ - शब्दों का लिंग।
२ - शब्दों का अर्थ।
• संस्कृत धातुओं का विवरण।
१ - मूल धातु ।
२ - धातु का अर्थ।
उपयोग विधि -
• संस्कृत शब्दों का अर्थ जानने के लिए उनका मूल / प्रातिपदिक रूप ही लिखें।
विशेष - किस कोष से अर्थ दिया जा रहा है, यह विवरण भी दिया जाता है।
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February 13, 2022
. ।। ॐ ।।
चिरन्तन-हासः ।
सुरेखा काचन तरुणी । तस्याः वाङ्निश्चयः ( engagement ) अभवत् । सुरेखायाः सखी अस्ति सुवर्णा । सुवर्णा किञ्चित् परिहासशीला अस्ति ।
सुवर्णा - सुरेखे , भवती प्रतिदिनम् एकं सेवफलं ( apple ) खादति खलु ?
सुरेखा - आम् ।
सुवर्णा - यदि स्वहितम् इच्छति भवती तर्हि इतःपरं मा खादतु ।
सुरेखा - ( साश्चर्यम् ) कस्मात् कारणात् ?
सुवर्णा - भवत्याः भावी पतिः चिकित्सकः ( doctor ) अस्ति किल !
--------- संस्कृतानन्दः ।
#hasya
चिरन्तन-हासः ।
सुरेखा काचन तरुणी । तस्याः वाङ्निश्चयः ( engagement ) अभवत् । सुरेखायाः सखी अस्ति सुवर्णा । सुवर्णा किञ्चित् परिहासशीला अस्ति ।
सुवर्णा - सुरेखे , भवती प्रतिदिनम् एकं सेवफलं ( apple ) खादति खलु ?
सुरेखा - आम् ।
सुवर्णा - यदि स्वहितम् इच्छति भवती तर्हि इतःपरं मा खादतु ।
सुरेखा - ( साश्चर्यम् ) कस्मात् कारणात् ?
सुवर्णा - भवत्याः भावी पतिः चिकित्सकः ( doctor ) अस्ति किल !
--------- संस्कृतानन्दः ।
#hasya
February 13, 2022
February 13, 2022
।।श्रीः।।
।।आत्मबोधः।।
Atmabodha, meaning Self-knowledge or Self-awareness, is an exceptionally lucid and readable work of Shankaracharya. Consisting of sixty-eight verses or shlokas, it is in a sense a simple summary of his entire Vedantic structure of thought, intended, it would seem, as a basic primer for his students and followers. The text follows a clearly elaborated doctrine, starting with knowledge as a key to liberation, the nautre of the Atman within us, the assertion of the pervasive and attribute-less nature of Brahman, and the path towards the realisation of the complete identity between the Atman and Brahman.
पञ्चप्राणमनोबुद्धिदशेन्द्रियसमन्वितम्।
अपञ्चीकृतभूतोत्थं सूक्ष्माङ्गं भोगसाधनम्।।13।।
13. The five Pranas, the ten organs and the Manas and the Buddhi, formed from the rudimentary elements (Tanmatras) before their “five-fold division and mutual combination with one another” (Pancheekarana) and this is the subtle body, the instruments-of-experience (of the individual).
आत्म-बोध ऑनलाइन क्लास - 13 :
आत्म-बोध के 13th श्लोक में पू गुरूजी श्री स्वामी आत्मानन्द सरस्वतीजी ने बताया की इस श्लोक में भी आचार्य हमें अपने सूक्ष्म शरीर का परिचय देते हैं। इस अत्यंत महत्वपूर्ण शरीर में सब मिलकर १७ अंग होते हैं - ५ ज्ञान-इन्द्रियाँ, ५ कर्मेन्द्रियाँ, ५ प्राण, मन और बुद्धि। सूक्ष्म शरीर हम लोगों के अनुभूतियों का साधन होता है, अर्थात जितनी भी अनुभूतियाँ होती हैं वे सब इसी के माध्यम से प्राप्त होती हैं। जितने हद तक हम अपने सूक्ष्म शरीर को 'शरीर' मात्र देख लेंगे उतने हद तक इसको आत्मा समझने की भूल समाप्त कर देंगे।
#Atmabodha
।।आत्मबोधः।।
Atmabodha, meaning Self-knowledge or Self-awareness, is an exceptionally lucid and readable work of Shankaracharya. Consisting of sixty-eight verses or shlokas, it is in a sense a simple summary of his entire Vedantic structure of thought, intended, it would seem, as a basic primer for his students and followers. The text follows a clearly elaborated doctrine, starting with knowledge as a key to liberation, the nautre of the Atman within us, the assertion of the pervasive and attribute-less nature of Brahman, and the path towards the realisation of the complete identity between the Atman and Brahman.
पञ्चप्राणमनोबुद्धिदशेन्द्रियसमन्वितम्।
अपञ्चीकृतभूतोत्थं सूक्ष्माङ्गं भोगसाधनम्।।13।।
13. The five Pranas, the ten organs and the Manas and the Buddhi, formed from the rudimentary elements (Tanmatras) before their “five-fold division and mutual combination with one another” (Pancheekarana) and this is the subtle body, the instruments-of-experience (of the individual).
आत्म-बोध ऑनलाइन क्लास - 13 :
आत्म-बोध के 13th श्लोक में पू गुरूजी श्री स्वामी आत्मानन्द सरस्वतीजी ने बताया की इस श्लोक में भी आचार्य हमें अपने सूक्ष्म शरीर का परिचय देते हैं। इस अत्यंत महत्वपूर्ण शरीर में सब मिलकर १७ अंग होते हैं - ५ ज्ञान-इन्द्रियाँ, ५ कर्मेन्द्रियाँ, ५ प्राण, मन और बुद्धि। सूक्ष्म शरीर हम लोगों के अनुभूतियों का साधन होता है, अर्थात जितनी भी अनुभूतियाँ होती हैं वे सब इसी के माध्यम से प्राप्त होती हैं। जितने हद तक हम अपने सूक्ष्म शरीर को 'शरीर' मात्र देख लेंगे उतने हद तक इसको आत्मा समझने की भूल समाप्त कर देंगे।
#Atmabodha
February 13, 2022
@samskrta_group is starting sanskrit chatting sessions.
Type : Trial
Duration : 1 hour
Time : 7PM 🕖 (Indian time)
Topic : मैत्र्याः महत्वम् (Importance of Friendship)
Date : 14th February 2022, Monday.
Please come prepared to discuss Importance of friendship in Sanskrit via text messages.
You can comment on the message posted on 7 PM tomorrow to join the discussion or message in @samskrta_group
Type : Trial
Duration : 1 hour
Time : 7PM 🕖 (Indian time)
Topic : मैत्र्याः महत्वम् (Importance of Friendship)
Date : 14th February 2022, Monday.
Please come prepared to discuss Importance of friendship in Sanskrit via text messages.
You can comment on the message posted on 7 PM tomorrow to join the discussion or message in @samskrta_group
February 13, 2022
@samskrt_samvadah संलापशाला - A Samskrit Voicechat room.
कालावधिः : 30 minutes
समयः : IST 11:00 AM 🕚
विषयः : वार्ता
(News.)
दिनाङ्कः : 14th February, 2022,
Monday.
Please Join the voicechat on time.
😇 Please come prepared to discuss ( प्रदेशीयां , राष्ट्रीयां, अन्ताराष्ट्रीयां वा वार्तां वदन्तु।)in Sanskrit , If possible.
We are waiting for you.😇
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कालावधिः : 30 minutes
समयः : IST 11:00 AM 🕚
विषयः : वार्ता
(News.)
दिनाङ्कः : 14th February, 2022,
Monday.
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February 13, 2022
February 13, 2022
🍃
♦️aabrahmabhuvanaallokaaH punaraavartino'rjuna|
maamupetya tu kaunteya punarjanma na vidyate8.16
⚜The dwellers of all the worlds including the world of Brahmaa, the creator, are subject to (the miseries of) repeated birth and death. But, after attaining Me, O Arjuna, one does not take birth again. (See also 9.25) (8.16)
⚜हे अर्जुन ब्रह्म लोक तक के सब लोग पुनरावर्ती स्वभाव वाले हैं। परन्तु हे कौन्तेय मुझे प्राप्त होने पर पुनर्जन्म नहीं होता।। 8.16 ।।
#geeta
आब्रह्मभुवनाल्लोकाः पुनरावर्तिनोऽर्जुन।
मामुपेत्य तु कौन्तेय पुनर्जन्म न विद्यते
।। 8.16 ।।♦️aabrahmabhuvanaallokaaH punaraavartino'rjuna|
maamupetya tu kaunteya punarjanma na vidyate
⚜The dwellers of all the worlds including the world of Brahmaa, the creator, are subject to (the miseries of) repeated birth and death. But, after attaining Me, O Arjuna, one does not take birth again. (See also 9.25) (8.16)
⚜हे अर्जुन ब्रह्म लोक तक के सब लोग पुनरावर्ती स्वभाव वाले हैं। परन्तु हे कौन्तेय मुझे प्राप्त होने पर पुनर्जन्म नहीं होता।। 8.16 ।।
#geeta
February 13, 2022
February 13, 2022
February 13, 2022
🍃
♦️sahasrayugaparyantamaharyadbrahmaNo viduH|
raatriM yugasahasraantaaM te'horaatravido janaaH8.17
⚜Those who know that the day of Brahmaa lasts one thousand Yugas (or 4.32 billion years) and that his night also lasts one thousand Yugas, they are the knowers of day and night. (8.17)
⚜जो लोग ब्रह्मा जी के एक दिन की अवधि जानते हैं जो कि सहस्र वर्ष की है तथा एक सहस्र वर्ष की अवधि की एक रात्रि को जानते हैं वे दिन और रात्रि को जानने वाले पुरुष हैं।। 8.17 ।।
#geeta
सहस्रयुगपर्यन्तमहर्यद्ब्रह्मणो विदुः।
रात्रिं युगसहस्रान्तां तेऽहोरात्रविदो जनाः
।। 8.17 ।।♦️sahasrayugaparyantamaharyadbrahmaNo viduH|
raatriM yugasahasraantaaM te'horaatravido janaaH
⚜Those who know that the day of Brahmaa lasts one thousand Yugas (or 4.32 billion years) and that his night also lasts one thousand Yugas, they are the knowers of day and night. (8.17)
⚜जो लोग ब्रह्मा जी के एक दिन की अवधि जानते हैं जो कि सहस्र वर्ष की है तथा एक सहस्र वर्ष की अवधि की एक रात्रि को जानते हैं वे दिन और रात्रि को जानने वाले पुरुष हैं।। 8.17 ।।
#geeta
February 13, 2022
🚩जय सत्य सनातन🚩
🚩आज की हिंदी तिथि
🌥️ 🚩युगाब्द-५१२३
🌥️ 🚩विक्रम संवत-२०७८
⛅ 🚩तिथि - त्रयोदशी रात्रि ०८:२८ तक तत्पश्चात चतुर्दशी
⛅ दिनांक - १४ फरवरी २०२२
⛅ दिन - सोमवार
⛅ शक संवत -१९४३
⛅ अयन - उत्तरायण
⛅ ऋतु -वसन्त
⛅ मास - माघ
⛅ पक्ष - शुक्ल
⛅ नक्षत्र - पुनर्वसु सुबह ११:५३ तक तत्पश्चात पुष्य
⛅ योग - आयुष्मान रात्रि ०९:२९ तक तत्पश्चात सौभाग्य
⛅ राहुकाल - सुबह ०८:३६ से सुबह १०:०१ तक
⛅ सूर्योदय - ०७:१०
⛅ सूर्यास्त - १८:३४
⛅ दिशाशूल - पूर्व दिशा में
🚩आज की हिंदी तिथि
🌥️ 🚩युगाब्द-५१२३
🌥️ 🚩विक्रम संवत-२०७८
⛅ 🚩तिथि - त्रयोदशी रात्रि ०८:२८ तक तत्पश्चात चतुर्दशी
⛅ दिनांक - १४ फरवरी २०२२
⛅ दिन - सोमवार
⛅ शक संवत -१९४३
⛅ अयन - उत्तरायण
⛅ ऋतु -वसन्त
⛅ मास - माघ
⛅ पक्ष - शुक्ल
⛅ नक्षत्र - पुनर्वसु सुबह ११:५३ तक तत्पश्चात पुष्य
⛅ योग - आयुष्मान रात्रि ०९:२९ तक तत्पश्चात सौभाग्य
⛅ राहुकाल - सुबह ०८:३६ से सुबह १०:०१ तक
⛅ सूर्योदय - ०७:१०
⛅ सूर्यास्त - १८:३४
⛅ दिशाशूल - पूर्व दिशा में
February 13, 2022
https://youtu.be/3c51ubTcM_k
Switch to DD News daily at 7:15 AM (Morning) for 15 minutes Sanskrit news.
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वार्ता: संस्कृत में समाचार | गोवा और उत्तराखंड में मतदान आज
February 13, 2022
February 13, 2022
February 13, 2022
Forwarded from संस्कृत संवादः । Sanskrit Samvadah (मोहित डोकानिया)
@samskrta_group is starting sanskrit chatting sessions.
Type : Trial
Duration : 1 hour
Time : 7PM 🕖 (Indian time)
Topic : मैत्र्याः महत्वम् (Importance of Friendship)
Date : 14th February 2022, Monday.
Please come prepared to discuss Importance of friendship in Sanskrit via text messages.
You can comment on the message posted on 7 PM tomorrow to join the discussion or message in @samskrta_group
Type : Trial
Duration : 1 hour
Time : 7PM 🕖 (Indian time)
Topic : मैत्र्याः महत्वम् (Importance of Friendship)
Date : 14th February 2022, Monday.
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February 13, 2022
February 13, 2022
*श्रोत्रं श्रुतेनैव न कुण्डलेन,*
*दानेन पाणिर्न तु कंकणेन l*
*विभाति काय: करुणापराणां*
*परोपकारैर्न तु चन्दनेन ll*
*भावार्थ:*
*कानों की शोभा कुण्डलों से नहीं अपितु ज्ञान की बातें सुनने से होती है l हाथ दान करने से सुशोभित होते हैं न कि कंगनों से , सज्जन व्यक्तियों का शरीर चन्दन से नहीं बल्कि दूसरों का हित करने से शोभा पाता है।
#Subhashitam
*दानेन पाणिर्न तु कंकणेन l*
*विभाति काय: करुणापराणां*
*परोपकारैर्न तु चन्दनेन ll*
*भावार्थ:*
*कानों की शोभा कुण्डलों से नहीं अपितु ज्ञान की बातें सुनने से होती है l हाथ दान करने से सुशोभित होते हैं न कि कंगनों से , सज्जन व्यक्तियों का शरीर चन्दन से नहीं बल्कि दूसरों का हित करने से शोभा पाता है।
#Subhashitam
February 13, 2022
राष्ट्ररक्षा समं ________ नास्ति।
Anonymous Quiz
32%
पुण्यं
13%
पुण्यम्
14%
यज्ञः
9%
यज्ञम्
32%
कर्तव्यम्
February 14, 2022
February 14, 2022
संस्कृत संवादः । Sanskrit Samvadah
सर्वार्थसिद्धये
सर्वभूतानाम् आत्मनश्च सुखावहम् आचरणं कुर्यात् = सकल अर्थों (प्रयोजनों)
की सिद्धि के लिए समस्त प्राणियों के लिए तथा अपने लिए जो सुखदायक आचरण
है, उसे करना चाहिए। आपदाय धनं रक्षेत् = आपत्तिकाल के लिए धन बचाकर रखे।
हिरण्याय अनृतं मा वद = पैसे…
यद् भद्रं तन्न आसुव
= जो कुछ भी कल्याणकारी है वह हमें प्राप्त कराइए।
शंयोरभिस्रवन्तु नः
= हमारे लिए लौकिक एवं मोक्ष दोनों प्रकार के सुखों की सभी ओर से वर्षा कीजिए।
यत्कामास्ते जुहुमस्तन्नो अस्तु
= जिस जिस कामनावाले होकर हम तुझे समर्पण करें, वह वह हमारी कामना पूर्ण होवे।
शं नोऽस्तु शं द्विपदे शं चतुष्पदे
= हमारे लिए आप कल्याणकारी होवें, दो पैरवाले और चार पैरवाले अर्थात् प्राणिमात्र के लिए आप कल्याणकारी होवें।
सा विद्या या विमुक्तये
= वह विद्या कहाती है जो मुक्तिदायक होती है।
सर्वज्ञः मर्त्याय सप्तमर्यादां व्यतनोत्
= सर्वज्ञ परमेश्वर ने मरणधर्मा मानवों के लिए सात मर्यादाएं बनाईं।
तद्विद्धि प्रणिपातेन परिप्रश्नेन सेवया।
उपदेक्ष्यन्ति ते ज्ञानं ज्ञानिनस्तत्त्वदर्शिनः।।
= वह बात जान ले कि समर्पण, प्रश्नोत्तर व सेवा करने से तत्त्वज्ञानी तुझे ज्ञान का उपदेश करेंगे।
इदं तु ते गुह्यतमं प्रवक्ष्याम्यनसूनवे
= दोषदृष्टि से रहित तुझे यह गूढतम ज्ञान अवश्य बतलाऊंगा।
विद्या ह वै ब्राह्मणमाजगाम गोपाय मा शेवधिष्टेऽहमस्मि। असूयकायाऽनृजवेऽयताय न मा ब्रूया वीर्यवती तथा स्याम्
= विद्या ब्राह्मण के पास जाकर कहती है- तू मेरी रक्षा कर, मैं तेरा खजाना हूं। निन्दा करनेवाले, हठी, असंयमी को मुझे मत देना, जिससे कि मैं बलवती बनी रहूं।
नावैयाकरणाय नानुपसम्पन्नाय अनिदंविदे वा निरुक्तविद्या निर्ब्रूयात्
= अवैयाकरण को, शिष्यभाव को न प्राप्त व्यक्ति को तथा शब्द की ऊहा करने में असमर्थ व्यक्ति को निरुक्तविद्या न कहे।
वेदान्ते परमं गुह्यं पुराकल्पे प्रचोदितम्।
नाप्रशान्ताय दातव्यं नापुत्रायाशिष्याय वा पुनः।।
= प्राचीनकाल में वेदान्तशास्त्र में अत्यन्त गूढ़ ज्ञान का वर्णन किया गया था। वह ज्ञान अशान्त व्यक्ति को जो पुत्र अथवा शिष्य नहीं है, उसे नहीं देना चाहिए।
मातेव पुत्रान् रक्षस्व श्रीश्च प्रज्ञां च विधेहि नः
= माता के समान हम पुत्रों की रक्षा कर, लक्ष्मी, शोभा, कान्ति तथा प्रज्ञा को हमारे लिए सम्पादित कर।
#vakyabhyas
= जो कुछ भी कल्याणकारी है वह हमें प्राप्त कराइए।
शंयोरभिस्रवन्तु नः
= हमारे लिए लौकिक एवं मोक्ष दोनों प्रकार के सुखों की सभी ओर से वर्षा कीजिए।
यत्कामास्ते जुहुमस्तन्नो अस्तु
= जिस जिस कामनावाले होकर हम तुझे समर्पण करें, वह वह हमारी कामना पूर्ण होवे।
शं नोऽस्तु शं द्विपदे शं चतुष्पदे
= हमारे लिए आप कल्याणकारी होवें, दो पैरवाले और चार पैरवाले अर्थात् प्राणिमात्र के लिए आप कल्याणकारी होवें।
सा विद्या या विमुक्तये
= वह विद्या कहाती है जो मुक्तिदायक होती है।
सर्वज्ञः मर्त्याय सप्तमर्यादां व्यतनोत्
= सर्वज्ञ परमेश्वर ने मरणधर्मा मानवों के लिए सात मर्यादाएं बनाईं।
तद्विद्धि प्रणिपातेन परिप्रश्नेन सेवया।
उपदेक्ष्यन्ति ते ज्ञानं ज्ञानिनस्तत्त्वदर्शिनः।।
= वह बात जान ले कि समर्पण, प्रश्नोत्तर व सेवा करने से तत्त्वज्ञानी तुझे ज्ञान का उपदेश करेंगे।
इदं तु ते गुह्यतमं प्रवक्ष्याम्यनसूनवे
= दोषदृष्टि से रहित तुझे यह गूढतम ज्ञान अवश्य बतलाऊंगा।
विद्या ह वै ब्राह्मणमाजगाम गोपाय मा शेवधिष्टेऽहमस्मि। असूयकायाऽनृजवेऽयताय न मा ब्रूया वीर्यवती तथा स्याम्
= विद्या ब्राह्मण के पास जाकर कहती है- तू मेरी रक्षा कर, मैं तेरा खजाना हूं। निन्दा करनेवाले, हठी, असंयमी को मुझे मत देना, जिससे कि मैं बलवती बनी रहूं।
नावैयाकरणाय नानुपसम्पन्नाय अनिदंविदे वा निरुक्तविद्या निर्ब्रूयात्
= अवैयाकरण को, शिष्यभाव को न प्राप्त व्यक्ति को तथा शब्द की ऊहा करने में असमर्थ व्यक्ति को निरुक्तविद्या न कहे।
वेदान्ते परमं गुह्यं पुराकल्पे प्रचोदितम्।
नाप्रशान्ताय दातव्यं नापुत्रायाशिष्याय वा पुनः।।
= प्राचीनकाल में वेदान्तशास्त्र में अत्यन्त गूढ़ ज्ञान का वर्णन किया गया था। वह ज्ञान अशान्त व्यक्ति को जो पुत्र अथवा शिष्य नहीं है, उसे नहीं देना चाहिए।
मातेव पुत्रान् रक्षस्व श्रीश्च प्रज्ञां च विधेहि नः
= माता के समान हम पुत्रों की रक्षा कर, लक्ष्मी, शोभा, कान्ति तथा प्रज्ञा को हमारे लिए सम्पादित कर।
#vakyabhyas
February 14, 2022
कौतुकः - अहं यत् किमपि कार्यं करोमि मम पत्नी सर्वदा मध्ये आगच्छति।
मित्रम् -भवान् किमर्थं न 🚛 ट्रकयानचालनस्य कार्यं करोति कदाचित् भवतः भाग्यं परिवर्तितं भवेत्। 😄😁😜😂
#hasya
मित्रम् -भवान् किमर्थं न 🚛 ट्रकयानचालनस्य कार्यं करोति कदाचित् भवतः भाग्यं परिवर्तितं भवेत्। 😄😁😜😂
#hasya
February 14, 2022
February 14, 2022
।।श्रीः।।
।।आत्मबोधः।।
Atmabodha, meaning Self-knowledge or Self-awareness, is an exceptionally lucid and readable work of Shankaracharya. Consisting of sixty-eight verses or shlokas, it is in a sense a simple summary of his entire Vedantic structure of thought, intended, it would seem, as a basic primer for his students and followers. The text follows a clearly elaborated doctrine, starting with knowledge as a key to liberation, the nautre of the Atman within us, the assertion of the pervasive and attribute-less nature of Brahman, and the path towards the realisation of the complete identity between the Atman and Brahman.
अनाद्यविद्यानिर्वाच्या कारणोपाधिरुच्यते।
उपाधित्रितयादन्यमात्मानमवधारयेत्।।14।।
14. Avidya which is indescribable and beginningless is the Causal Body. Know for certain that the Atman is other than these three conditioning bodies (Upadhis).
आत्म-बोध ऑनलाइन क्लास - 14 :
आत्म-बोध के 14th श्लोक में पू गुरूजी श्री स्वामी आत्मानन्द सरस्वतीजी ने बताया की इस श्लोक में भी आचार्य हमें अपने कारण शरीर के बारे में बता रहे हैं। कारण शरीर कहते हैं अविद्या को। कौन से अविद्या? - अपने वास्तविक स्वरुप या तत्त्व की अविद्या। हम लोग आत्म-बोध ग्रन्थ इसी लिए पढ़ रहे हैं क्यों की हम जानते हैं की हम नहीं जानते हैं। ये अविद्या अनादि होती है और साथ-साथ अनिर्वचनीय भी। इन दोनों शब्दों का अर्थ पू स्वामीजी महाराज यहाँ सरलता से समझते हैं।
#Atmabodha
।।आत्मबोधः।।
Atmabodha, meaning Self-knowledge or Self-awareness, is an exceptionally lucid and readable work of Shankaracharya. Consisting of sixty-eight verses or shlokas, it is in a sense a simple summary of his entire Vedantic structure of thought, intended, it would seem, as a basic primer for his students and followers. The text follows a clearly elaborated doctrine, starting with knowledge as a key to liberation, the nautre of the Atman within us, the assertion of the pervasive and attribute-less nature of Brahman, and the path towards the realisation of the complete identity between the Atman and Brahman.
अनाद्यविद्यानिर्वाच्या कारणोपाधिरुच्यते।
उपाधित्रितयादन्यमात्मानमवधारयेत्।।14।।
14. Avidya which is indescribable and beginningless is the Causal Body. Know for certain that the Atman is other than these three conditioning bodies (Upadhis).
आत्म-बोध ऑनलाइन क्लास - 14 :
आत्म-बोध के 14th श्लोक में पू गुरूजी श्री स्वामी आत्मानन्द सरस्वतीजी ने बताया की इस श्लोक में भी आचार्य हमें अपने कारण शरीर के बारे में बता रहे हैं। कारण शरीर कहते हैं अविद्या को। कौन से अविद्या? - अपने वास्तविक स्वरुप या तत्त्व की अविद्या। हम लोग आत्म-बोध ग्रन्थ इसी लिए पढ़ रहे हैं क्यों की हम जानते हैं की हम नहीं जानते हैं। ये अविद्या अनादि होती है और साथ-साथ अनिर्वचनीय भी। इन दोनों शब्दों का अर्थ पू स्वामीजी महाराज यहाँ सरलता से समझते हैं।
#Atmabodha
February 14, 2022
विषयः – मैत्र्याः महत्वम्
अवधि – १ होरा
अधः लिखतु👇🏼 Comment down👇🏼
अवधि – १ होरा
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February 14, 2022
@samskrt_samvadah संलापशाला - A Samskrit Voicechat room.
कालावधिः : 30 minutes
समयः : IST 11:00 AM 🕚
विषयः : कर्नाटकराज्ये (हिजब्) अवगुण्ठनविवादः
(Hijab controversy in Karnataka)
दिनाङ्कः : 15th February, 2022,
Tuesday.
Please Join the voicechat on time.
😇 Please come prepared to discuss ( "हिजब्" अनुमतिः देया वा न, विद्यालयेषु कः नियमः भवेत्।)in Sanskrit , If possible.
We are waiting for you.😇
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कालावधिः : 30 minutes
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(Hijab controversy in Karnataka)
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February 14, 2022
February 14, 2022
🍃
♦️avyaktaadvyaktayaH sarvaaH prabhavantyaharaagame|
raatryaagame praliiyante tatraivaavyaktasaMj~nake8.18
⚜All manifestations come out of the unmanifest state or Prakriti at the arrival of Brahmaa's day, and they again merge into the same Prakriti at the coming of Brahmaa's night. (8.18)
⚜(ब्रह्माजी के) दिन का उदय होने पर अव्यक्त से (यह) व्यक्त (चराचर जगत्) उत्पन्न होता है और (ब्रह्माजी की) रात्रि के आगमन पर उसी अव्यक्त में लीन हो जाता है।। 8.18 ।।
#geeta
अव्यक्ताद्व्यक्तयः सर्वाः प्रभवन्त्यहरागमे।
रात्र्यागमे प्रलीयन्ते तत्रैवाव्यक्तसंज्ञके
।। 8.18 ।।♦️avyaktaadvyaktayaH sarvaaH prabhavantyaharaagame|
raatryaagame praliiyante tatraivaavyaktasaMj~nake
⚜All manifestations come out of the unmanifest state or Prakriti at the arrival of Brahmaa's day, and they again merge into the same Prakriti at the coming of Brahmaa's night. (8.18)
⚜(ब्रह्माजी के) दिन का उदय होने पर अव्यक्त से (यह) व्यक्त (चराचर जगत्) उत्पन्न होता है और (ब्रह्माजी की) रात्रि के आगमन पर उसी अव्यक्त में लीन हो जाता है।। 8.18 ।।
#geeta
February 14, 2022
February 14, 2022
🍃
♦️bhuutagraamaH sa evaayaM bhuutvaa bhuutvaa praliiyate|
raatryaagame'vashaH paartha prabhavatyaharaagame8.19
⚜The same multitude of beings come into existence again and again at the arrival of the day of Brahmaa, and they are annihilated, inevitably, at the arrival of Brahmaa's night. (8.19)
⚜हे पार्थ वही यह भूतसमुदाय है जो पुनः पुनः उत्पन्न होकर लीन होता है। अवश हुआ (यह भूतग्राम) रात्रि के आगमन पर लीन तथा दिन के उदय होने पर व्यक्त होता है।। 8.19 ।।
#geeta
भूतग्रामः स एवायं भूत्वा भूत्वा प्रलीयते।
रात्र्यागमेऽवशः पार्थ प्रभवत्यहरागमे
।। 8.19 ।।♦️bhuutagraamaH sa evaayaM bhuutvaa bhuutvaa praliiyate|
raatryaagame'vashaH paartha prabhavatyaharaagame
⚜The same multitude of beings come into existence again and again at the arrival of the day of Brahmaa, and they are annihilated, inevitably, at the arrival of Brahmaa's night. (8.19)
⚜हे पार्थ वही यह भूतसमुदाय है जो पुनः पुनः उत्पन्न होकर लीन होता है। अवश हुआ (यह भूतग्राम) रात्रि के आगमन पर लीन तथा दिन के उदय होने पर व्यक्त होता है।। 8.19 ।।
#geeta
February 14, 2022
🚩जय सत्य सनातन🚩
🚩आज की हिंदी तिथि
🌥️ 🚩युगाब्द-५१२३
🌥️ 🚩विक्रम संवत-२०७८
⛅ 🚩तिथि - चतुर्दशी रात्रि ०९:४२ तक
⛅ दिनांक - १५ फरवरी २०२२
⛅ दिन - मंगलवार
⛅ शक संवत -१९४३
⛅ अयन - उत्तरायण
⛅ ऋतु - वसन्त
⛅ मास - माघ
⛅ पक्ष - शुक्ल
⛅ नक्षत्र - पुष्य दोपहर ०१:४९ तक तत्पश्चात अश्लेशा
⛅ योग - सौभाग्य रात्रि ०९:१८ तक तत्पश्चात शोभन
⛅ राहुकाल - शाम ०३:४५ से शाम ०५:११ तक
⛅ सूर्योदय - ०७:१०
⛅ सूर्यास्त - १८:३५
⛅ दिशाशूल - उत्तर दिशा में
🚩आज की हिंदी तिथि
🌥️ 🚩युगाब्द-५१२३
🌥️ 🚩विक्रम संवत-२०७८
⛅ 🚩तिथि - चतुर्दशी रात्रि ०९:४२ तक
⛅ दिनांक - १५ फरवरी २०२२
⛅ दिन - मंगलवार
⛅ शक संवत -१९४३
⛅ अयन - उत्तरायण
⛅ ऋतु - वसन्त
⛅ मास - माघ
⛅ पक्ष - शुक्ल
⛅ नक्षत्र - पुष्य दोपहर ०१:४९ तक तत्पश्चात अश्लेशा
⛅ योग - सौभाग्य रात्रि ०९:१८ तक तत्पश्चात शोभन
⛅ राहुकाल - शाम ०३:४५ से शाम ०५:११ तक
⛅ सूर्योदय - ०७:१०
⛅ सूर्यास्त - १८:३५
⛅ दिशाशूल - उत्तर दिशा में
February 14, 2022
@samskrt_samvadah संलापशाला - A Samskrit Voicechat room.
कालावधिः : 30 minutes
समयः : IST 11:00 AM 🕚
विषयः : कर्नाटकराज्ये (हिजब्) अवगुण्ठनविवादः
(Hijab controversy in Karnataka)
दिनाङ्कः : 15th February, 2022,
Tuesday.
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कालावधिः : 30 minutes
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विषयः : कर्नाटकराज्ये (हिजब्) अवगुण्ठनविवादः
(Hijab controversy in Karnataka)
दिनाङ्कः : 15th February, 2022,
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February 14, 2022
Forwarded from रामदूतः — The Sanskrit News Platform
https://youtu.be/Y9KmQbq_uiw
Switch to DD News daily at 7:15 AM (Morning) for 15 minutes Sanskrit news.
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वार्ता: संस्कृत में समाचार | 15/2/2022
February 14, 2022
February 14, 2022
संस्कृत संवादः । Sanskrit Samvadah pinned «वैय्याकरणः
इस नाम से ज्ञात होता है कि जो व्याकरण को जानता है वह वैय्याकरण है।
•Telegram में एक ऐसा तंत्रांश(BOT) है जो व्याकरण के विषय में आपके लिए
वरदान हो सकता है। • वैय्याकरणः @vyakarana_bot नामक इस तंत्रांश (BOT)
में आप व्याकरण के बहुत से विषयों की…»
February 14, 2022
February 14, 2022
February 14, 2022
"लोकयात्रा भयं लज्जा दाक्षिण्यं त्यागशीलता।
पञ्च यत्र न विद्यन्ते न कुर्यात्तत्र संगतिम्॥"
अर्थात - "जिन स्थानों पर आजीविका न मिले, लोगों में भय, लज्जा, उदारता तथा दान देने की प्रवृत्ति न हो, ऐसे पांच स्थानों को मनुष्य को अपने निवास के लिए नहीं चुनना चाहिए ।"
#Subhashitam
पञ्च यत्र न विद्यन्ते न कुर्यात्तत्र संगतिम्॥"
अर्थात - "जिन स्थानों पर आजीविका न मिले, लोगों में भय, लज्जा, उदारता तथा दान देने की प्रवृत्ति न हो, ऐसे पांच स्थानों को मनुष्य को अपने निवास के लिए नहीं चुनना चाहिए ।"
#Subhashitam
February 14, 2022
February 15, 2022
February 15, 2022
संस्कृत संवादः । Sanskrit Samvadah
यद्
भद्रं तन्न आसुव = जो कुछ भी कल्याणकारी है वह हमें प्राप्त कराइए।
शंयोरभिस्रवन्तु नः = हमारे लिए लौकिक एवं मोक्ष दोनों प्रकार के सुखों की
सभी ओर से वर्षा कीजिए। यत्कामास्ते जुहुमस्तन्नो अस्तु = जिस जिस
कामनावाले होकर हम तुझे समर्पण करें, वह वह हमारी…
संस्कृतं वद आधुनिको भव।
वेदान् पठ वैज्ञानिको भव।।
पाठ : (१५) चतुर्थी विभक्ति (२) + पूर्वरूप सन्धिः
(अच्छा लगना अर्थ की धातुओं के साथ जिसको अच्छा लगता है, उसकी सम्प्रदान संज्ञा होती है और सम्प्रदान कारक में चतुर्थी विभक्ति होती है।)
शिशवे क्रीडनकं रोचते
= बच्चे को खिलौना अच्छा लगता है।
घस्मराय मोदकाः रोचन्ते
= खाऊ को लड्डू अच्छे लगते हैं।
कृष्णाय दुर्योधनस्य पक्वान्नं नारोचिष्ट किन्तु विदुरस्य श्राणा अरोचिष्ट
= कृष्ण को दुर्योधन के पक्वान्नअच्छे नहीं लगे किन्तु विदुर की भाजी अच्छी लगी।
मूढभारतीयेभ्यः क्षुद्रा आंग्लसंस्कृतिः रोचते किन्तु विश्ववारा वैदिेक संस्कृतिः न
= मूर्ख भारतीयों को क्षुद्र पाश्चात्य संस्कृति अच्छी लगती है किन्तु सबके द्वारा वरणीय वैदिक संस्कृति अच्छी नहीं लगती।
यैः भारतमाता दासतां याता तानि सर्वाणि दूषणानि अद्यापि मूढेभ्यः रोचन्ते
= जिन कारणों से भारत गुलाम हुआ वे सब बुराइयां आज भी मूढ़ लोगों को अच्छी लगती हैं।
इदं कटुसत्यं सर्वेभ्यः न रोचिष्यते इति जानाम्यहं
= यह कड़वा सच सभी को अच्छा नहीं लगेगा यह मैं जानती / जानता हूं।
कंसाय अत्याचारः रोचते स्म
= कंस को अत्याचार करना अच्छा लगता था।
देशप्रेमिभ्यः स्वराष्ट्रं रोचताम्
= देशप्रेमियों को स्वदेश अच्छा लगना चाहिए।
स्वतन्त्र-स्वस्थ-संघटित-भारतवर्षाय आवश्यकमस्ति यद् सर्वेभ्यः स्वभाषा, स्वभूषा, स्वभोजनं, भारती च रोचन्ताम्
= स्वतन्त्र, स्वस्थ, संगठित भारत बनाने के लिए आवश्यक है कि सब को अपनी भाषा, अपना वेश, अपना खानपान तथा संस्कृत भाषा अच्छी लगे।
भरतमुनये मृगशावकं रुरुचे यत्तस्य बन्धाय अभूत
= भरतमुनि को हिरण का बच्चा अच्छा लगा था जो उनके बन्धन (= पतन) का कारण बना।
रामाय पितुराज्ञापालनाय वनगमनम् अरोचत
= राम को पिता की आज्ञा का पालन करने के लिए वन जाना अच्छा लगा था।
भरताय राज्यं नारोचत
= भरत को राज्य करना अच्छा नहीं लगा।
भृष्ट-भण्टाकी मह्यम् अतीव स्वदते
= बैंगन का भरता मुझे बहुत अच्छा लगता है।
सुसिम्बयुक्तं पुलाकं आवुत्ताय स्वदिष्यते
= फ्रेंचबीनवाला पुलाव जीजा को अच्छा लगेगा।
स्वास्थाय ज्येष्ठाम्बायै कर्कटी ज्येष्ठ ताताय च चर्भटी स्वदेत
= स्वास्थ्य के लिए ताई को ककड़ी तथा ताऊ को खीरा अच्छा लगना चाहिए।
आलूक्याः पक्ववटी भागिनेयाय अस्वदत
= अरबी की पकौड़ी भानजे को अच्छी लगती थी।
स्वस्रीयाय रामकोशातकी कोशातकी चापि अस्वदिष्ट
= भानजे को भिण्डी तथा तोरई भी अच्छी लगती थी।
स्वस्रीयायै अपि जालिनी स्वदते स्म
= भानजी को भी तोरई अच्छी लगती थी।
अम्लिकया सह कुष्माण्डं बहुभ्यः जनेभ्यः रोचते
= इमली डालकर पकाया हुआ काशीफल बहुतों को स्वादिष्ट लगता है।
#vakyabhyas
वेदान् पठ वैज्ञानिको भव।।
पाठ : (१५) चतुर्थी विभक्ति (२) + पूर्वरूप सन्धिः
(अच्छा लगना अर्थ की धातुओं के साथ जिसको अच्छा लगता है, उसकी सम्प्रदान संज्ञा होती है और सम्प्रदान कारक में चतुर्थी विभक्ति होती है।)
शिशवे क्रीडनकं रोचते
= बच्चे को खिलौना अच्छा लगता है।
घस्मराय मोदकाः रोचन्ते
= खाऊ को लड्डू अच्छे लगते हैं।
कृष्णाय दुर्योधनस्य पक्वान्नं नारोचिष्ट किन्तु विदुरस्य श्राणा अरोचिष्ट
= कृष्ण को दुर्योधन के पक्वान्नअच्छे नहीं लगे किन्तु विदुर की भाजी अच्छी लगी।
मूढभारतीयेभ्यः क्षुद्रा आंग्लसंस्कृतिः रोचते किन्तु विश्ववारा वैदिेक संस्कृतिः न
= मूर्ख भारतीयों को क्षुद्र पाश्चात्य संस्कृति अच्छी लगती है किन्तु सबके द्वारा वरणीय वैदिक संस्कृति अच्छी नहीं लगती।
यैः भारतमाता दासतां याता तानि सर्वाणि दूषणानि अद्यापि मूढेभ्यः रोचन्ते
= जिन कारणों से भारत गुलाम हुआ वे सब बुराइयां आज भी मूढ़ लोगों को अच्छी लगती हैं।
इदं कटुसत्यं सर्वेभ्यः न रोचिष्यते इति जानाम्यहं
= यह कड़वा सच सभी को अच्छा नहीं लगेगा यह मैं जानती / जानता हूं।
कंसाय अत्याचारः रोचते स्म
= कंस को अत्याचार करना अच्छा लगता था।
देशप्रेमिभ्यः स्वराष्ट्रं रोचताम्
= देशप्रेमियों को स्वदेश अच्छा लगना चाहिए।
स्वतन्त्र-स्वस्थ-संघटित-भारतवर्षाय आवश्यकमस्ति यद् सर्वेभ्यः स्वभाषा, स्वभूषा, स्वभोजनं, भारती च रोचन्ताम्
= स्वतन्त्र, स्वस्थ, संगठित भारत बनाने के लिए आवश्यक है कि सब को अपनी भाषा, अपना वेश, अपना खानपान तथा संस्कृत भाषा अच्छी लगे।
भरतमुनये मृगशावकं रुरुचे यत्तस्य बन्धाय अभूत
= भरतमुनि को हिरण का बच्चा अच्छा लगा था जो उनके बन्धन (= पतन) का कारण बना।
रामाय पितुराज्ञापालनाय वनगमनम् अरोचत
= राम को पिता की आज्ञा का पालन करने के लिए वन जाना अच्छा लगा था।
भरताय राज्यं नारोचत
= भरत को राज्य करना अच्छा नहीं लगा।
भृष्ट-भण्टाकी मह्यम् अतीव स्वदते
= बैंगन का भरता मुझे बहुत अच्छा लगता है।
सुसिम्बयुक्तं पुलाकं आवुत्ताय स्वदिष्यते
= फ्रेंचबीनवाला पुलाव जीजा को अच्छा लगेगा।
स्वास्थाय ज्येष्ठाम्बायै कर्कटी ज्येष्ठ ताताय च चर्भटी स्वदेत
= स्वास्थ्य के लिए ताई को ककड़ी तथा ताऊ को खीरा अच्छा लगना चाहिए।
आलूक्याः पक्ववटी भागिनेयाय अस्वदत
= अरबी की पकौड़ी भानजे को अच्छी लगती थी।
स्वस्रीयाय रामकोशातकी कोशातकी चापि अस्वदिष्ट
= भानजे को भिण्डी तथा तोरई भी अच्छी लगती थी।
स्वस्रीयायै अपि जालिनी स्वदते स्म
= भानजी को भी तोरई अच्छी लगती थी।
अम्लिकया सह कुष्माण्डं बहुभ्यः जनेभ्यः रोचते
= इमली डालकर पकाया हुआ काशीफल बहुतों को स्वादिष्ट लगता है।
#vakyabhyas
February 15, 2022
कार्तिक: – कति लकाराः सन्ति ?
रमण: – दश इति मन्ये
कार्तिकः – ते के ?
रमण: – ल् ल् ल् ल् ल् ल् ल् ल् ल् ल्
कार्तिकः – किं भणति रे ?
रमण: – भवान् एव उक्तवान् यत्
अनुबन्धलोपे सर्वेषां लकाराणं "ल्" इत्येव अवशिष्यते | इति
कार्तिकः – सर्वेषां शिष्याणां स्नातकानन्तरम् त्वमेवात्र अवशिष्यसे 😡
रमण: – ☹️
#hasya
रमण: – दश इति मन्ये
कार्तिकः – ते के ?
रमण: – ल् ल् ल् ल् ल् ल् ल् ल् ल् ल्
कार्तिकः – किं भणति रे ?
रमण: – भवान् एव उक्तवान् यत्
अनुबन्धलोपे सर्वेषां लकाराणं "ल्" इत्येव अवशिष्यते | इति
कार्तिकः – सर्वेषां शिष्याणां स्नातकानन्तरम् त्वमेवात्र अवशिष्यसे 😡
रमण: – ☹️
#hasya
February 15, 2022
।।श्रीः।।
।।आत्मबोधः।।
Atmabodha, meaning Self-knowledge or Self-awareness, is an exceptionally lucid and readable work of Shankaracharya. Consisting of sixty-eight verses or shlokas, it is in a sense a simple summary of his entire Vedantic structure of thought, intended, it would seem, as a basic primer for his students and followers. The text follows a clearly elaborated doctrine, starting with knowledge as a key to liberation, the nautre of the Atman within us, the assertion of the pervasive and attribute-less nature of Brahman, and the path towards the realisation of the complete identity between the Atman and Brahman.
पञ्चकोशादियोगेन तत्तन्मय इव स्थितः।
शुद्धात्मा नीलवस्त्रादियोगेन स्फटिको यथा।।15।।
15. In its identification with the five-sheaths the Immaculate Atman appears to have borrowed their qualities upon Itself; as in the case of a crystal which appears to gather unto itself colour of its vicinity (blue cloth, etc.,).
आत्म-बोध ऑनलाइन क्लास - 15 :
आत्म-बोध के 15th पाठ एवं श्लोक में पू गुरूजी श्री स्वामी आत्मानन्द सरस्वतीजी ने बताया की इस श्लोक में भी आचार्य हमें अपनी उपाधियों कोष के दृष्टी से वर्गीकरण का परिचय देते हैं। अन्नमय, प्राणमय, मनोमय,विज्ञानमय एवं आनन्दमय कोष शनैः शनैः हमारी उपाधियाँ के स्थूल से सूक्ष्म धरातल का परिचय देते हैं। इनसे तादात्म्य करने से ही उपाधियों के धर्म हमारे धर्म लगाने लगते हैं। इस सिद्धांत को आचार्य एक स्फटिक और रंगीन कपडे के दृष्टांत से समझते हैं। स्फटिक कैसा भी रंग की आभा से युक्त दिखाई दे तो तब भी जैसे नीरंग रहता है वैसे ही आत्मा असंग, निर्लिप्त और निर्गुण रहती है।
#Atmabodha
।।आत्मबोधः।।
Atmabodha, meaning Self-knowledge or Self-awareness, is an exceptionally lucid and readable work of Shankaracharya. Consisting of sixty-eight verses or shlokas, it is in a sense a simple summary of his entire Vedantic structure of thought, intended, it would seem, as a basic primer for his students and followers. The text follows a clearly elaborated doctrine, starting with knowledge as a key to liberation, the nautre of the Atman within us, the assertion of the pervasive and attribute-less nature of Brahman, and the path towards the realisation of the complete identity between the Atman and Brahman.
पञ्चकोशादियोगेन तत्तन्मय इव स्थितः।
शुद्धात्मा नीलवस्त्रादियोगेन स्फटिको यथा।।15।।
15. In its identification with the five-sheaths the Immaculate Atman appears to have borrowed their qualities upon Itself; as in the case of a crystal which appears to gather unto itself colour of its vicinity (blue cloth, etc.,).
आत्म-बोध ऑनलाइन क्लास - 15 :
आत्म-बोध के 15th पाठ एवं श्लोक में पू गुरूजी श्री स्वामी आत्मानन्द सरस्वतीजी ने बताया की इस श्लोक में भी आचार्य हमें अपनी उपाधियों कोष के दृष्टी से वर्गीकरण का परिचय देते हैं। अन्नमय, प्राणमय, मनोमय,विज्ञानमय एवं आनन्दमय कोष शनैः शनैः हमारी उपाधियाँ के स्थूल से सूक्ष्म धरातल का परिचय देते हैं। इनसे तादात्म्य करने से ही उपाधियों के धर्म हमारे धर्म लगाने लगते हैं। इस सिद्धांत को आचार्य एक स्फटिक और रंगीन कपडे के दृष्टांत से समझते हैं। स्फटिक कैसा भी रंग की आभा से युक्त दिखाई दे तो तब भी जैसे नीरंग रहता है वैसे ही आत्मा असंग, निर्लिप्त और निर्गुण रहती है।
#Atmabodha
February 15, 2022
February 15, 2022
@samskrt_samvadah संलापशाला - A Samskrit Voicechat room.
कालावधिः : 45 minutes
समयः : IST 11:00 AM 🕚
विषयः : क्षमा
(Patience/ Forgiveness)
दिनाङ्कः : 16th February 2022,
Wednesday.
Please Join the voicechat on time.
😇 Please come prepared to discuss ( कदा पर्यन्तं क्षमादानं सम्यक्,क्षमाविषयस्य कथां स्वानुभवं वा वदन्तु, अस्माकं शास्त्रेषु क्षमाविषये किम् उक्तम्.....।)in Sanskrit , If possible.
We are waiting for you.😇
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(Patience/ Forgiveness)
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February 15, 2022
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🍃
♦️parastasmaattu bhaavo'nyo'vyakto'vyaktaatsanaatanaH|
yaH sa sarveShu bhuuteShu nashyatsu na vinashyati8.20
⚜There is another eternal unmanifest state higher than (both Purusha and) Prakriti that does not perish when all beings perish. (8.20)
⚜परन्तु उस अव्यक्त से परे अन्य जो सनातन अव्यक्त भाव है वह समस्त भूतों के नष्ट होने पर भी नष्ट नहीं होता।। 8.20 ।।
#geeta
परस्तस्मात्तु भावोऽन्योऽव्यक्तोऽव्यक्तात्सनातनः।
यः स सर्वेषु भूतेषु नश्यत्सु न विनश्यति
।। 8.20 ।।♦️parastasmaattu bhaavo'nyo'vyakto'vyaktaatsanaatanaH|
yaH sa sarveShu bhuuteShu nashyatsu na vinashyati
⚜There is another eternal unmanifest state higher than (both Purusha and) Prakriti that does not perish when all beings perish. (8.20)
⚜परन्तु उस अव्यक्त से परे अन्य जो सनातन अव्यक्त भाव है वह समस्त भूतों के नष्ट होने पर भी नष्ट नहीं होता।। 8.20 ।।
#geeta
February 15, 2022
February 15, 2022
🍃
♦️avyakto'kShara ityuktastamaahuH paramaaM gatim|
yaM praapya na nivartante taddhaama paramaM mama8.21
⚜This unmanifest state is called the imperishable or Brahman. This is said to be the ultimate goal. Those who reach My Supreme abode do not return (or take rebirth). (8.21)
⚜जो अव्यक्त अक्षर कहा गया है वही परम गति (लक्ष्य) है। जिसे प्राप्त होकर (साधकगण) पुनः (संसार को) नहीं लौटते वह मेरा परम धाम है।। 8.21 ।।
#geeta
अव्यक्तोऽक्षर इत्युक्तस्तमाहुः परमां गतिम्।
यं प्राप्य न निवर्तन्ते तद्धाम परमं मम
।। 8.21 ।।♦️avyakto'kShara ityuktastamaahuH paramaaM gatim|
yaM praapya na nivartante taddhaama paramaM mama
⚜This unmanifest state is called the imperishable or Brahman. This is said to be the ultimate goal. Those who reach My Supreme abode do not return (or take rebirth). (8.21)
⚜जो अव्यक्त अक्षर कहा गया है वही परम गति (लक्ष्य) है। जिसे प्राप्त होकर (साधकगण) पुनः (संसार को) नहीं लौटते वह मेरा परम धाम है।। 8.21 ।।
#geeta
February 15, 2022
🚩जय सत्य सनातन🚩
🚩आज की हिंदी तिथि
🌥️ 🚩युगाब्द-५१२३
🌥️ 🚩विक्रम संवत-२०७८
⛅ 🚩तिथि - पूर्णिमा रात्रि १०:२५ तक तत्पश्चात प्रतिपदा
⛅ दिनांक - १६ फरवरी २०२२
⛅ दिन - बुधवार
⛅ शक संवत -१९४३
⛅ अयन - उत्तरायण
⛅ ऋतु - वसन्त
⛅ मास - माघ
⛅ पक्ष - शुक्ल
⛅ नक्षत्र - अश्लेशा शाम ०३:१४ तक तत्पश्चात मघा
⛅ योग - शोभन रात्रि ०८:४४ तक तत्पश्चात अतिगण्ड
⛅ राहुकाल - दोपहर १२:५३ से दोपहर ०२:१९ तक
⛅ सूर्योदय - ०७:०९
⛅ सूर्यास्त - १८:३५
⛅ दिशाशूल - उत्तर दिशा में
🚩आज की हिंदी तिथि
🌥️ 🚩युगाब्द-५१२३
🌥️ 🚩विक्रम संवत-२०७८
⛅ 🚩तिथि - पूर्णिमा रात्रि १०:२५ तक तत्पश्चात प्रतिपदा
⛅ दिनांक - १६ फरवरी २०२२
⛅ दिन - बुधवार
⛅ शक संवत -१९४३
⛅ अयन - उत्तरायण
⛅ ऋतु - वसन्त
⛅ मास - माघ
⛅ पक्ष - शुक्ल
⛅ नक्षत्र - अश्लेशा शाम ०३:१४ तक तत्पश्चात मघा
⛅ योग - शोभन रात्रि ०८:४४ तक तत्पश्चात अतिगण्ड
⛅ राहुकाल - दोपहर १२:५३ से दोपहर ०२:१९ तक
⛅ सूर्योदय - ०७:०९
⛅ सूर्यास्त - १८:३५
⛅ दिशाशूल - उत्तर दिशा में
February 15, 2022
https://youtu.be/lEeNn-y7fw0
Switch to DD News daily at 7:15 AM (Morning) for 15 minutes Sanskrit news.
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YouTube
वार्ता: संस्कृत में समाचार | पीएम आज दिल्ली के श्री गुरु रविदास विश्राम धाम मंदिर जाएंगे
February 15, 2022
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February 15, 2022
February 15, 2022
February 15, 2022
क्षमातुल्यं तपो नास्ति, न सन्तोषात्परं सुखम्।
न तृष्णायाः परो व्याधिर्न च धर्मो दयापरः।।
भावार्थः -
मनुष्याणं कृते अस्मिन् संसारे सर्वोत्कृष्टं तपः अस्ति "क्षमा" , सर्वोत्तमं सुखं भवति "संतोषः" तथा "इच्छा" सदृशः रोगः नास्ति अपि च "दया" सदृशः धर्मः नास्ति।
#Subhashitam
न तृष्णायाः परो व्याधिर्न च धर्मो दयापरः।।
भावार्थः -
मनुष्याणं कृते अस्मिन् संसारे सर्वोत्कृष्टं तपः अस्ति "क्षमा" , सर्वोत्तमं सुखं भवति "संतोषः" तथा "इच्छा" सदृशः रोगः नास्ति अपि च "दया" सदृशः धर्मः नास्ति।
#Subhashitam
February 15, 2022
February 15, 2022
February 16, 2022
February 16, 2022
संस्कृत संवादः । Sanskrit Samvadah
संस्कृतं
वद आधुनिको भव। वेदान् पठ वैज्ञानिको भव।। पाठ : (१५) चतुर्थी विभक्ति
(२) + पूर्वरूप सन्धिः (अच्छा लगना अर्थ की धातुओं के साथ जिसको अच्छा
लगता है, उसकी सम्प्रदान संज्ञा होती है और सम्प्रदान कारक में चतुर्थी
विभक्ति होती है।) शिशवे क्रीडनकं रोचते…
{क्रोध
(= गुस्सा), द्रोह (बुरा चाहना, मारने की इच्छा), ईर्ष्या (= जलन) तथा
असूया (= गुणों को भी दोष बताना) इन अर्थवाली धातुओं के साथ जिसके प्रति
क्रोधादि किया जाता है उसकी सम्प्रदान संज्ञा होती है, तथा उसमें चतुर्थी
विभक्ति का प्रयोग होता है।}
गुरुः शिष्येभ्यः क्रुध्यति
= गुरु शिष्यों पर गुस्सा करता है।
सीता रावणाय अक्रुध्यत्
= सीता ने रावण पर गुस्सा किया।
भीमः दुर्योधनाय चुक्रोध
= भीम ने दुर्योधन पर गुस्सा किया।
यदि चौर्यं करिष्यसि तातः तुभ्यं क्रोत्स्यति
= यदि तू चोरी करेगा तो पिताजी तुझ पर गुस्सा करेंगे।
दौवारिकः भिक्षुकाय अक्रुधत्
= द्वारपाल ने भिखारी पर गुस्सा किया।
चण्डी दुष्टाय कथं न चण्डते ?
= चण्डी दुष्टों पर गुस्सा क्यों नहीं करतीं ?
दुर्गावती अकबरस्य सेनापतये चचण्डे
= दुर्गावती ने अकबर के सेनापति पर क्रोध किया।
रणचण्डी लक्ष्मीबाई अंग्रेजशासकेभ्यः अचण्डत
= रणचण्डी लक्ष्मीबाई ने अंग्रेज शासकों पर गुस्सा किया।
दयानन्दः विषदाय पाचकाय न अचण्डिष्ट
= दयानन्द जी ने विषदाता रसोइए पर गुस्सा नहीं किया।
भामिनी भर्त्ताय भामते
= गुस्सैल पत्नी अपने पति पर गुस्सा कर रही है।
पुत्राय कुपितोऽपि पिता तं पालयति
= पुत्र पर कुपित होने के बावजूद भी पिता उसे पालता है।
प्रेम्णा पालितोऽपि पुत्रः वृद्धाय पित्रे कुप्यति
= लाड़-प्यार से पाला हुआ भी पुत्र बूढ़े पिता पर गुस्सा करता है।
विश्वामित्रः रक्षोभ्यः चुकोप
= विश्वामित्र ने राक्षसों पर गुस्सा किया।
भर्त्ता भार्याय भामयति
= पति पत्नी पर गुस्सा करता है।
मशकः कर्णे मशति अतः सः मशकाय मशति
= मच्छर कान में आवाज करता है इसलिए वह मच्छर पर गुस्सा करता है।
रुष्टा सुता पित्रे रोषयति
= रूठी हुई लाड़ली बेटी पिता पर गुस्सा दिखाती है।
अयं ह तुभ्यं वरुणो हृणीते
= यह वरुण भगवान तुझसे क्रुद्ध है।
दुष्टाः सज्जनेभ्यो द्रुह्यन्ति
= दुष्ट लोग सज्जनों से द्रोह करते हैं।
सर्वथा सर्वदा सर्वभूतेभ्यः अद्रोहः हिंसा
= सब प्रकार से तीनों कालों में समस्त प्राणियों का बुरा न चाहना अहिंसा है।
दुष्टान् अवश्यं दण्डयेत् किन्तु लेशमात्रमपि न द्रुह्येत्
= दुष्टों को अवश्य दण्ड देवे किन्तु उनसे लेशमात्र भी द्रोह न करे (अर्थात् उनका बुरा न चाहे)।
वन्ध्या प्रजावतीभ्यः ईर्ष्यति
= बांझ महिला सन्तानोंवाली माताओं से जलती (ईर्ष्या करती) है।
दुर्योधनः युधिष्ठिरस्य वैभवं दृष्ट्वा ईर्क्ष्यति स्म
= दुर्योधन युधिष्ठिर का वैभव देखकर ईर्ष्या करता था।
असुराः सर्वदा सुरेभ्यः सूर्क्ष्यन्ति
= असुर हमेशा देवों से ईर्ष्या करते हैं।
मा भ्राता भ्रात्रे इरस्येत्
= भाई भाई से ईर्ष्या न करे।
पशुतः शिक्षेत् कस्मायपि न इरज्येत् कदाचन
= पशुओं से सीखे कभी भी किसी से ईर्ष्या न करे।
कस्मायपि नासूयति सा अनुसूया
= जो किसी में भी एब नहीं निकालती वह अनुसूया है।
अकुशलाः कुशलेभ्यः असूयन्ति
= अकुशल व्यक्ति कुशल व्यक्ति में एब निकालता है।
विरोधिनः प्रतिभाशालिने दयानन्दाय अनसूयन्
= विरोधी दयानन्द जी की प्रतिभा देखकर असूया करते थे।
#vakyabhyas
गुरुः शिष्येभ्यः क्रुध्यति
= गुरु शिष्यों पर गुस्सा करता है।
सीता रावणाय अक्रुध्यत्
= सीता ने रावण पर गुस्सा किया।
भीमः दुर्योधनाय चुक्रोध
= भीम ने दुर्योधन पर गुस्सा किया।
यदि चौर्यं करिष्यसि तातः तुभ्यं क्रोत्स्यति
= यदि तू चोरी करेगा तो पिताजी तुझ पर गुस्सा करेंगे।
दौवारिकः भिक्षुकाय अक्रुधत्
= द्वारपाल ने भिखारी पर गुस्सा किया।
चण्डी दुष्टाय कथं न चण्डते ?
= चण्डी दुष्टों पर गुस्सा क्यों नहीं करतीं ?
दुर्गावती अकबरस्य सेनापतये चचण्डे
= दुर्गावती ने अकबर के सेनापति पर क्रोध किया।
रणचण्डी लक्ष्मीबाई अंग्रेजशासकेभ्यः अचण्डत
= रणचण्डी लक्ष्मीबाई ने अंग्रेज शासकों पर गुस्सा किया।
दयानन्दः विषदाय पाचकाय न अचण्डिष्ट
= दयानन्द जी ने विषदाता रसोइए पर गुस्सा नहीं किया।
भामिनी भर्त्ताय भामते
= गुस्सैल पत्नी अपने पति पर गुस्सा कर रही है।
पुत्राय कुपितोऽपि पिता तं पालयति
= पुत्र पर कुपित होने के बावजूद भी पिता उसे पालता है।
प्रेम्णा पालितोऽपि पुत्रः वृद्धाय पित्रे कुप्यति
= लाड़-प्यार से पाला हुआ भी पुत्र बूढ़े पिता पर गुस्सा करता है।
विश्वामित्रः रक्षोभ्यः चुकोप
= विश्वामित्र ने राक्षसों पर गुस्सा किया।
भर्त्ता भार्याय भामयति
= पति पत्नी पर गुस्सा करता है।
मशकः कर्णे मशति अतः सः मशकाय मशति
= मच्छर कान में आवाज करता है इसलिए वह मच्छर पर गुस्सा करता है।
रुष्टा सुता पित्रे रोषयति
= रूठी हुई लाड़ली बेटी पिता पर गुस्सा दिखाती है।
अयं ह तुभ्यं वरुणो हृणीते
= यह वरुण भगवान तुझसे क्रुद्ध है।
दुष्टाः सज्जनेभ्यो द्रुह्यन्ति
= दुष्ट लोग सज्जनों से द्रोह करते हैं।
सर्वथा सर्वदा सर्वभूतेभ्यः अद्रोहः हिंसा
= सब प्रकार से तीनों कालों में समस्त प्राणियों का बुरा न चाहना अहिंसा है।
दुष्टान् अवश्यं दण्डयेत् किन्तु लेशमात्रमपि न द्रुह्येत्
= दुष्टों को अवश्य दण्ड देवे किन्तु उनसे लेशमात्र भी द्रोह न करे (अर्थात् उनका बुरा न चाहे)।
वन्ध्या प्रजावतीभ्यः ईर्ष्यति
= बांझ महिला सन्तानोंवाली माताओं से जलती (ईर्ष्या करती) है।
दुर्योधनः युधिष्ठिरस्य वैभवं दृष्ट्वा ईर्क्ष्यति स्म
= दुर्योधन युधिष्ठिर का वैभव देखकर ईर्ष्या करता था।
असुराः सर्वदा सुरेभ्यः सूर्क्ष्यन्ति
= असुर हमेशा देवों से ईर्ष्या करते हैं।
मा भ्राता भ्रात्रे इरस्येत्
= भाई भाई से ईर्ष्या न करे।
पशुतः शिक्षेत् कस्मायपि न इरज्येत् कदाचन
= पशुओं से सीखे कभी भी किसी से ईर्ष्या न करे।
कस्मायपि नासूयति सा अनुसूया
= जो किसी में भी एब नहीं निकालती वह अनुसूया है।
अकुशलाः कुशलेभ्यः असूयन्ति
= अकुशल व्यक्ति कुशल व्यक्ति में एब निकालता है।
विरोधिनः प्रतिभाशालिने दयानन्दाय अनसूयन्
= विरोधी दयानन्द जी की प्रतिभा देखकर असूया करते थे।
#vakyabhyas
February 16, 2022
February 16, 2022
एका
रुदन्ती भयभीता च महिला सायङ्कालसमये त्वरया आरक्षकस्थानकं (police
station) प्रवेशं कृतवती तत्रस्थं च समवेक्षकम् ( निरीक्षकम् , inspector,
समालोककम् ) उक्तवती l
महिला – महोदय ! मम पतिराजः अद्य प्रभाते आलुकान् आनेतुं गृहात् निर्गतः । इदानीं सायङ्कालः । किन्तु इदानीं यावत् अपि सः न प्रत्यागतः । मम मानसे महती चिन्ता वर्तते । किमपि करोतु महोदय !
समवेक्षकः – चिन्ता मास्तु , भगिनि ! मया इदानीम् एव मम गृहोपयोगार्थम् आलुकाः क्रीताः । भवती तान् नयतु , शाकं च पाचयतु । अहम् आलुकान् विना कथम् अपि चालयिष्यामि । 😂😀
#hasya
महिला – महोदय ! मम पतिराजः अद्य प्रभाते आलुकान् आनेतुं गृहात् निर्गतः । इदानीं सायङ्कालः । किन्तु इदानीं यावत् अपि सः न प्रत्यागतः । मम मानसे महती चिन्ता वर्तते । किमपि करोतु महोदय !
समवेक्षकः – चिन्ता मास्तु , भगिनि ! मया इदानीम् एव मम गृहोपयोगार्थम् आलुकाः क्रीताः । भवती तान् नयतु , शाकं च पाचयतु । अहम् आलुकान् विना कथम् अपि चालयिष्यामि । 😂😀
#hasya
February 16, 2022
February 16, 2022
February 16, 2022
।।श्रीः।।
।।आत्मबोधः।।
Atmabodha, meaning Self-knowledge or Self-awareness, is an exceptionally lucid and readable work of Shankaracharya. Consisting of sixty-eight verses or shlokas, it is in a sense a simple summary of his entire Vedantic structure of thought, intended, it would seem, as a basic primer for his students and followers. The text follows a clearly elaborated doctrine, starting with knowledge as a key to liberation, the nautre of the Atman within us, the assertion of the pervasive and attribute-less nature of Brahman, and the path towards the realisation of the complete identity between the Atman and Brahman.
वपुस्तुषादिभिः कोशैर्युक्तं युक्त्यवघाततः।
आत्मानमान्तरं शुद्धं विविञ्च्यात्तण्डुलं यथा।।16।।
16. Through discriminative self-analysis and logical thinking one should separate the Pure self within from the sheaths as one separates the rice from the husk, bran, etc., that are covering it.
आत्म-बोध ऑनलाइन क्लास - 16 :
आत्म-बोध के 16th पाठ एवं श्लोक में पू गुरूजी श्री स्वामी आत्मानन्द सरस्वतीजी ने बताया की इस श्लोक में भी आचार्य हमें आत्मा को उपाधियों से युक्ति पूर्वक अलग देखने की प्रेरणा दे रहे हैं। अज्ञान में जीते हुए हम सब ने अनात्मा के साथ बहुत ही घनिष्ठ सम्बन्ध और तादात्म्य स्थापित कर लिया है। हम लोग सम्मोहित से हो गए हैं। जितना तीव्र तदंतय है उतना ही तीव्र युक्ति पूर्वक अपने मोह की निवृत्ति के लिए मनन और चिंतन होना चाहिए। यहाँ धान में से चावल और भूसी अलग करने का दृष्टांत दे रहे हैं। बस उसी तरह हमें विवेक करना चाहिए और अपनी निराधार धारणाओं से अपने आप को मुक्त करते हुए शुद्धरूप देखना चाहिए।
#Atmabodha
।।आत्मबोधः।।
Atmabodha, meaning Self-knowledge or Self-awareness, is an exceptionally lucid and readable work of Shankaracharya. Consisting of sixty-eight verses or shlokas, it is in a sense a simple summary of his entire Vedantic structure of thought, intended, it would seem, as a basic primer for his students and followers. The text follows a clearly elaborated doctrine, starting with knowledge as a key to liberation, the nautre of the Atman within us, the assertion of the pervasive and attribute-less nature of Brahman, and the path towards the realisation of the complete identity between the Atman and Brahman.
वपुस्तुषादिभिः कोशैर्युक्तं युक्त्यवघाततः।
आत्मानमान्तरं शुद्धं विविञ्च्यात्तण्डुलं यथा।।16।।
16. Through discriminative self-analysis and logical thinking one should separate the Pure self within from the sheaths as one separates the rice from the husk, bran, etc., that are covering it.
आत्म-बोध ऑनलाइन क्लास - 16 :
आत्म-बोध के 16th पाठ एवं श्लोक में पू गुरूजी श्री स्वामी आत्मानन्द सरस्वतीजी ने बताया की इस श्लोक में भी आचार्य हमें आत्मा को उपाधियों से युक्ति पूर्वक अलग देखने की प्रेरणा दे रहे हैं। अज्ञान में जीते हुए हम सब ने अनात्मा के साथ बहुत ही घनिष्ठ सम्बन्ध और तादात्म्य स्थापित कर लिया है। हम लोग सम्मोहित से हो गए हैं। जितना तीव्र तदंतय है उतना ही तीव्र युक्ति पूर्वक अपने मोह की निवृत्ति के लिए मनन और चिंतन होना चाहिए। यहाँ धान में से चावल और भूसी अलग करने का दृष्टांत दे रहे हैं। बस उसी तरह हमें विवेक करना चाहिए और अपनी निराधार धारणाओं से अपने आप को मुक्त करते हुए शुद्धरूप देखना चाहिए।
#Atmabodha
February 16, 2022
@samskrt_samvadah संलापशाला - A Samskrit Voicechat room.
कालावधिः : 45 minutes
समयः : IST 11:00 AM 🕚
विषयः : क्रान्तिकारिण्यः महिलाः।
(Women freedom fighters)
दिनाङ्कः : 17th February 2022,
Thursday .
Please Join the voicechat on time.
😇 Please come prepared to discuss (भारतस्य याः महिलाः स्वतन्त्रतायै युद्धं अथवा त्यागं कृतवत्यः तासां विषये वदन्तु )in Sanskrit , If possible.
We are waiting for you.😇
Set a reminder.
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https://t.me/samskrt_samvadah?voicechat
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February 16, 2022
February 16, 2022
🍃
♦️puruShaH sa paraH paartha bhaktyaa labhyastvananyayaa|
yasyaantaHsthaani bhuutaani yena sarvamidaM tatam8.22
⚜हे पार्थ जिस (परमात्मा) के अन्तर्गत समस्त भूत हैं और जिससे यह सम्पूर्ण (जगत्) व्याप्त है वह परम पुरुष अनन्य भक्ति से ही प्राप्त करने योग्य है।। ८.२२ ।।
⚜That highest Purusha, O Arjuna, is attainable by unswerving devotion to Him alone within Whom all beings dwell and by Whom all this is pervaded. 8.22
#geeta
पुरुषः स परः पार्थ भक्त्या लभ्यस्त्वनन्यया।
यस्यान्तःस्थानि भूतानि येन सर्वमिदं ततम्
।। ८.२२ ।।♦️puruShaH sa paraH paartha bhaktyaa labhyastvananyayaa|
yasyaantaHsthaani bhuutaani yena sarvamidaM tatam
⚜हे पार्थ जिस (परमात्मा) के अन्तर्गत समस्त भूत हैं और जिससे यह सम्पूर्ण (जगत्) व्याप्त है वह परम पुरुष अनन्य भक्ति से ही प्राप्त करने योग्य है।। ८.२२ ।।
⚜That highest Purusha, O Arjuna, is attainable by unswerving devotion to Him alone within Whom all beings dwell and by Whom all this is pervaded. 8.22
#geeta
February 16, 2022
February 16, 2022
🍃
♦️yatra kaale tvanaavRRittimaavRRittiM chaiva yoginaH|
prayaataa yaanti taM kaalaM vakShyaami bharatarShabha8.23
⚜Now I will tell thee, O chief of Bharatas, the times departing at which the Yogis will return or not return. 8.23
⚜हे भरतश्रेष्ठ जिस काल में (मार्ग में) शरीर त्याग कर गये हुए योगीजन अपुनरावृत्ति को और (या) पुनरावृत्ति को प्राप्त होते हैं वह काल (मार्ग) मैं तुम्हें बताऊँगा।। ८.२३ ।।
#geeta
यत्र काले त्वनावृत्तिमावृत्तिं चैव योगिनः।
प्रयाता यान्ति तं कालं वक्ष्यामि भरतर्षभ
।। ८.२३ ।।♦️yatra kaale tvanaavRRittimaavRRittiM chaiva yoginaH|
prayaataa yaanti taM kaalaM vakShyaami bharatarShabha
⚜Now I will tell thee, O chief of Bharatas, the times departing at which the Yogis will return or not return. 8.23
⚜हे भरतश्रेष्ठ जिस काल में (मार्ग में) शरीर त्याग कर गये हुए योगीजन अपुनरावृत्ति को और (या) पुनरावृत्ति को प्राप्त होते हैं वह काल (मार्ग) मैं तुम्हें बताऊँगा।। ८.२३ ।।
#geeta
February 16, 2022
🚩जय सत्य सनातन🚩
🚩आज की हिंदी तिथि
🌥️ 🚩युगाब्द-५१२३
🌥️ 🚩विक्रम संवत-२०७८
⛅ 🚩तिथि - प्रतिपदा रात्रि १०:४० तक तत्पश्चात द्वितीया
⛅ दिनांक - १७ फरवरी २०२२
⛅ दिन - गुरुवार
⛅ शक संवत - १९४३
⛅ अयन - उत्तरायण
⛅ ऋतु - वसन्त
⛅ मास - फाल्गुन
⛅ पक्ष - कृष्ण
⛅ नक्षत्र - मघा शाम ०४:११ तक तत्पश्चात पूर्वाफाल्गुनी
⛅ योग - अतिगण्ड शाम ०७:४७ तक तत्पश्चात सुकर्मा
⛅ राहुकाल - दोपहर ०२:१९ से शाम ०३:४५ तक
⛅ सूर्योदय - ०७:०९
⛅ सूर्यास्त - १८:३६
⛅ दिशाशूल - दक्षिण दिशा में
🚩आज की हिंदी तिथि
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🌥️ 🚩विक्रम संवत-२०७८
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⛅ ऋतु - वसन्त
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⛅ राहुकाल - दोपहर ०२:१९ से शाम ०३:४५ तक
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February 16, 2022
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February 16, 2022
Forwarded from रामदूतः — The Sanskrit News Platform
https://youtu.be/6cDUDaIVd9Y
Switch to DD News daily at 7:15 AM (Morning) for 15 minutes Sanskrit news.
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YouTube
वार्ता: संस्कृत में समाचार | चुनावी राज्यों में प्रचार चरम पर
DD News is India’s
24x7 news channel from the stable of the country’s Public Service
Broadcaster, Prasar Bharati. It has the distinction of being India’s
only terrestrial cum satellite News Channel. Launched in 2003, DD News
has made a name for itself to…
February 16, 2022
February 16, 2022
February 16, 2022
मूर्खा यत्र न पूज्यन्ते धान्यं यत्र सुसञ्चितम् ।
दाम्पत्ये कलहो नास्ति तत्र श्रीः स्वयमागता ॥
धन की देवी लक्ष्मी स्वयं वहां चली आती है जहाँ … १. मूर्खो का सम्मान नहीं होता. २. अनाज का अचछे से भणडारण किया जाता है. ३. पती, पत्नी मे आपस मे लड़ाई बखेड़ा नहीं होता है.
#Subhashitam
दाम्पत्ये कलहो नास्ति तत्र श्रीः स्वयमागता ॥
धन की देवी लक्ष्मी स्वयं वहां चली आती है जहाँ … १. मूर्खो का सम्मान नहीं होता. २. अनाज का अचछे से भणडारण किया जाता है. ३. पती, पत्नी मे आपस मे लड़ाई बखेड़ा नहीं होता है.
#Subhashitam
February 16, 2022
February 16, 2022
February 17, 2022
February 17, 2022
आरक्षणवैभवम्
अनारक्षितलोकानामेका या प्रतिपालिका।
कराभ्यां वृत्तिदात्रीं तां मेधां देवीमुपास्महे॥1
यत्रारक्षणरक्षिताः प्रतिपदं मेधाविहीना बलात्
तत्रारक्षणभक्षिताः प्रतिपदं तन्त्रेण मेधाविनः।
साम्यव्याजहृताधिकारजनता यत्रास्ति तूष्णीं स्थिता
तद्दुःशासनपद्धतिं वयमहो सोढुं समर्थाः कथम्॥2
आरक्षणं कलौ कश्चिच्चिन्तामणिर् विधीयते
विगुणा यस्य संसर्गाद् भवन्ति गुणिनः क्षणे॥3
शक्रासनं न वाञ्छन्ति ये त्वारक्षणजीविनः।
कालेन क्षीयते स्वर्ग आरक्षणं प्रवर्धते॥4
आरक्षणं भवेत्किञ्चिद्विचित्रं यन्त्रमुत्तमम्।
येन काम्यानि सिध्यन्ति निर्मेधस्य विना श्रमम्॥5
आरक्षणेन येषां तु पदस्थाः पितरः पुरा।
सर्वकारे पुनस्तेभ्यो कथमारक्षितं पदम्॥6
अनारक्षितपीठं यः प्राप्येच्छेदुन्नतिं जनः।
आरक्षणं पदोन्नत्यां वीक्ष्य रोदिति सत्वरम्॥7
आरक्षणासवं पीत्वा नेतारश्चाधिकारिणः।
सर्वोच्चपदमारुह्य मेधां मृद्गान्ति ते पुनः॥8
आरक्षणाध्वरे हुत्वा मेधां योग्यतया सह।
क्षेममिच्छन्ति राष्ट्रस्य मूढास्तेभ्यो नमो नमः॥9
नारक्षणसमो मन्त्रो नारक्षणसमं बलम्।
नारक्षणसमं मित्रं नारक्षणसमं धनम्॥11
न कश्चिद् रक्षणीयो वा देशे यत्रावशिष्यते।
तत्रैवारक्षणार्थाय युध्यन्ते कुटिला जनाः॥12
सर्वत्रारक्षिते देशे मेधाविद्रोहिभिर्जनैः।
अनारक्षितकारास्तु न शोभन्ते कदाचन॥13
आतिथ्यं सर्वकारस्य गृहीतुं कोऽत्र मन्दधीः।
आरक्षणं न याचेत कारागेहेष्वपि स्वकम्॥14
न्यायाधीशपदे दत्तं मन्त्रिणाऽऽरक्षणं यदा।
कारागृहे कदा तेन तद्व्यवस्था प्रदास्यते॥15
असाम्ये साम्यमारोप्य निर्मेधे योग्यतां तथा।
तिष्ठत्यारक्षणातङ्को भोगीव जनवक्षसि॥16
अहं कुलीनो न कुलाभिमानी
नारक्षणेनात्र कदापि धन्यः।
मेधाबलेनैव मया सभाया-
मारक्षितं तुच्छपदं स्वकीयम्॥17
न शिक्षणे, नैव च वृत्तिलाभे
स्पर्धासु कुत्रापि पदोन्नतौ वा।
आरक्षणालम्बनमस्तु हेतुर्
मेधाबलेनार्जितमानभाजाम्॥18
मेधां न सूते जठरेण माता
मेधा न जात्या जनिता कदाचित्।
अभ्यासमात्रेण परिश्रमेण
पात्रे स्वतो वै समुदेति मेधा॥19
वेदेषु मेधा हि सरस्वतीयं
लोकेषु मेधा करवृत्तिदात्री।
उपास्महे तां जननीं जगत्या
आरक्षणेनास्ति किमत्र कार्यम्॥20
✍🏼कुशाग्र अनिकेत
अनारक्षितलोकानामेका या प्रतिपालिका।
कराभ्यां वृत्तिदात्रीं तां मेधां देवीमुपास्महे॥1
यत्रारक्षणरक्षिताः प्रतिपदं मेधाविहीना बलात्
तत्रारक्षणभक्षिताः प्रतिपदं तन्त्रेण मेधाविनः।
साम्यव्याजहृताधिकारजनता यत्रास्ति तूष्णीं स्थिता
तद्दुःशासनपद्धतिं वयमहो सोढुं समर्थाः कथम्॥2
आरक्षणं कलौ कश्चिच्चिन्तामणिर् विधीयते
विगुणा यस्य संसर्गाद् भवन्ति गुणिनः क्षणे॥3
शक्रासनं न वाञ्छन्ति ये त्वारक्षणजीविनः।
कालेन क्षीयते स्वर्ग आरक्षणं प्रवर्धते॥4
आरक्षणं भवेत्किञ्चिद्विचित्रं यन्त्रमुत्तमम्।
येन काम्यानि सिध्यन्ति निर्मेधस्य विना श्रमम्॥5
आरक्षणेन येषां तु पदस्थाः पितरः पुरा।
सर्वकारे पुनस्तेभ्यो कथमारक्षितं पदम्॥6
अनारक्षितपीठं यः प्राप्येच्छेदुन्नतिं जनः।
आरक्षणं पदोन्नत्यां वीक्ष्य रोदिति सत्वरम्॥7
आरक्षणासवं पीत्वा नेतारश्चाधिकारिणः।
सर्वोच्चपदमारुह्य मेधां मृद्गान्ति ते पुनः॥8
आरक्षणाध्वरे हुत्वा मेधां योग्यतया सह।
क्षेममिच्छन्ति राष्ट्रस्य मूढास्तेभ्यो नमो नमः॥9
नारक्षणसमो मन्त्रो नारक्षणसमं बलम्।
नारक्षणसमं मित्रं नारक्षणसमं धनम्॥11
न कश्चिद् रक्षणीयो वा देशे यत्रावशिष्यते।
तत्रैवारक्षणार्थाय युध्यन्ते कुटिला जनाः॥12
सर्वत्रारक्षिते देशे मेधाविद्रोहिभिर्जनैः।
अनारक्षितकारास्तु न शोभन्ते कदाचन॥13
आतिथ्यं सर्वकारस्य गृहीतुं कोऽत्र मन्दधीः।
आरक्षणं न याचेत कारागेहेष्वपि स्वकम्॥14
न्यायाधीशपदे दत्तं मन्त्रिणाऽऽरक्षणं यदा।
कारागृहे कदा तेन तद्व्यवस्था प्रदास्यते॥15
असाम्ये साम्यमारोप्य निर्मेधे योग्यतां तथा।
तिष्ठत्यारक्षणातङ्को भोगीव जनवक्षसि॥16
अहं कुलीनो न कुलाभिमानी
नारक्षणेनात्र कदापि धन्यः।
मेधाबलेनैव मया सभाया-
मारक्षितं तुच्छपदं स्वकीयम्॥17
न शिक्षणे, नैव च वृत्तिलाभे
स्पर्धासु कुत्रापि पदोन्नतौ वा।
आरक्षणालम्बनमस्तु हेतुर्
मेधाबलेनार्जितमानभाजाम्॥18
मेधां न सूते जठरेण माता
मेधा न जात्या जनिता कदाचित्।
अभ्यासमात्रेण परिश्रमेण
पात्रे स्वतो वै समुदेति मेधा॥19
वेदेषु मेधा हि सरस्वतीयं
लोकेषु मेधा करवृत्तिदात्री।
उपास्महे तां जननीं जगत्या
आरक्षणेनास्ति किमत्र कार्यम्॥20
✍🏼कुशाग्र अनिकेत
February 17, 2022
संस्कृत संवादः । Sanskrit Samvadah
{क्रोध
(= गुस्सा), द्रोह (बुरा चाहना, मारने की इच्छा), ईर्ष्या (= जलन) तथा
असूया (= गुणों को भी दोष बताना) इन अर्थवाली धातुओं के साथ जिसके प्रति
क्रोधादि किया जाता है उसकी सम्प्रदान संज्ञा होती है, तथा उसमें चतुर्थी
विभक्ति का प्रयोग होता है।} गुरुः शिष्येभ्यः…
(यदि
उपसर्गपूर्वक क्रुध् या द्रुह् धातु का प्रयोग किया गया हो तो जिसके प्रति
क्रोध या द्रोह किया जाता है उसकी कर्म संज्ञा होती है, अतः उसमें
द्वितीया विभक्ति का प्रयोग होता है।)
मन्थरया प्रेरिता कैकेयी दशरथम् अभ्यक्रुध्यत्
= मन्थरा से प्रेरित कैकेयी ने दशरथ पर गुस्सा किया।
जनकः धृष्टात्मजम् अभिक्रुध्यत्
= पिता ढीठ बेटे पर गुस्सा कर रहा है।
दोषदूरीकरणायैव बालम् अभिक्रुध्येत् न अन्यथा
= दोषों को दूर करने की दृष्टि से ही बालक पर गुस्सा करे अन्य किसी प्रयोजन से नहीं।
सः महापाप्मा अस्ति यः राष्ट्रम् अभिद्रुह्यति
= वह बड़ा पापी है जो राष्ट्र से द्रोह करता है।
रे पामर पालकम् अभ्यद्रुह्यत्
= पालक से ही द्रोह किया… बड़ा ही नीच व्यक्ति है।
पूर्वरूप सन्धिः
एङ्ः पदान्तादति। एङ् = ए, ओ। पदान्त ‘ए’ या ‘ओ’ के बाद यदि ‘अ’ हो तो ‘अ’ को पूर्वरूप हो जाता है अर्थात् ‘अ’ पूर्व विद्यमान ‘ए’ या ‘ओ’ में मिल जाता है। इस सन्धि को दिखाने के लिए अवग्रह (ऽ) चिह्न का प्रयोग किया जाता है जो कि ऐच्छिक है।
ए + अ = एऽ / ए।
आत्मने + अपि = आत्मनेऽपि / आत्मनेपि।
ओ + अ = ओऽ / ओ।
गुरो + अत्र = गुरोऽत्र / गुरोत्र।
दूरे + अस्तु = दूरेऽस्तु।
रत्नाकरो जलनिधिरित्यसेवि धनाशया। धनं दूरेऽस्तु वदनमपूरी क्षारवारिभिः।।
= समुद्र रत्नों का भण्डार है ऐसा मानकर धन की आशा से उस का सेवन किया। धन तो दूर रहा, मुख खारे पानी से भर गया।
अश्नुते + अत्र = अश्नुतेऽत्र।
अश्नुतेऽत्र कल्याणं व्यसने यो न मुह्यति
= जो मुसीबत में नहीं घबराता वही यहां (संसार में) सुख भोगता है।
ते + अब्रुवन् = तेऽब्रुवन्।
तेऽब्रुवन् मुनिं भगवन् व्याख्याहि नः सदाचारम्
= उन्होने मुनि से कहा भगवन् हमें सदाचाार का उपदेश दो।
परिवर्त्तन्ते + अत्र = परिवर्त्तन्तऽत्र।
चक्रवत्परिवर्त्तन्तेऽत्र दुःखानि च सुखानि च
= चक्र के समान सुख-दुःख बदलते रहते हैं। (चार दिन की चांदनी फिर अंधेरी रात)
भक्षिते + अपि = भक्षितेऽपि।
भक्षितेऽपि लशुने शांतो व्याधिः
= (लहसून न खाने का व्रत होने पर भी) लहसून खाने पर भी रोग नहीं हटा। (जेहि के कारण मूंड मुंडावा, सो दुःख मोरे आगे आवा।)
दुग्धधौतो + अपि = दुग्धधौतोऽपि।
दुग्धधौतोऽपि किं याति वायसः कलहंसताम्
= दूध से धोने पर भी क्या कौआ राजहंस बन सकता है ?
भूयो + अपि = भूयोऽपि।
भूयोऽपि सिक्तः पयसा घृतेन न निम्बवृक्षो मधुरत्वमेति
= दूध-घी से लाख सींचने पर भी नीम मीठा नहीं बनता।
वैद्यो + अपि = वैद्योऽपि।
धन्वन्तरिर्वैद्योऽपि किं करोति गतायुषि
= आयु बीत जाने पर धन्वन्तरी भी क्या कर सकता है ?
को + अपि = कोऽपि।
रामस्य दैवदुर्नियोगः कोऽपि यद् वनं गतः
= राम का कोई दुर्भाग्य था जिसके कारण वह वन गया।
गतो + अस्या = गतोऽस्याः।
अतिभूमिं गतोऽस्याः अनुरागः
= इसका प्रेम सीमा से बाहर हो गया है।
एरण्डो + अपि = एरण्डोऽपि।
निरस्तपादपे देशे एरण्डोऽपि द्रुमायते
= जहां दरख्त (बड़े पेड़) नहीं होते वहां एरण्ड पौधा भी वृक्ष माना जाता है। (अन्धों में काना राजा।)
पञ्जरशेषो + अपि = पञ्जरशेषोऽपि।
न स्पृशति पल्वलाम्भः पञ्जरशेषोऽपि कुञ्जरः
= पंजरमात्र रह जाने पर भी हाथी कभी छिछली तलैया का पानी नहीं छूता।
कल्पवृक्षो + अपि = कल्पवृक्षोऽपि।
कल्पवृक्षोऽप्यभव्यानां प्रायो याति पलाशताम्
= भाग्य हीनों के लिए कल्पवृक्ष भी ढाक का पेड़ बन जाता है।
पलाशो + अपि = पलाशोऽपि।
पुरुषार्थेन पलाशोऽपि कल्पवृक्षतामेति
= पुरुषार्थ से ढाक भी कल्पवृक्ष बन जाता है।
#vakyabhyas
मन्थरया प्रेरिता कैकेयी दशरथम् अभ्यक्रुध्यत्
= मन्थरा से प्रेरित कैकेयी ने दशरथ पर गुस्सा किया।
जनकः धृष्टात्मजम् अभिक्रुध्यत्
= पिता ढीठ बेटे पर गुस्सा कर रहा है।
दोषदूरीकरणायैव बालम् अभिक्रुध्येत् न अन्यथा
= दोषों को दूर करने की दृष्टि से ही बालक पर गुस्सा करे अन्य किसी प्रयोजन से नहीं।
सः महापाप्मा अस्ति यः राष्ट्रम् अभिद्रुह्यति
= वह बड़ा पापी है जो राष्ट्र से द्रोह करता है।
रे पामर पालकम् अभ्यद्रुह्यत्
= पालक से ही द्रोह किया… बड़ा ही नीच व्यक्ति है।
पूर्वरूप सन्धिः
एङ्ः पदान्तादति। एङ् = ए, ओ। पदान्त ‘ए’ या ‘ओ’ के बाद यदि ‘अ’ हो तो ‘अ’ को पूर्वरूप हो जाता है अर्थात् ‘अ’ पूर्व विद्यमान ‘ए’ या ‘ओ’ में मिल जाता है। इस सन्धि को दिखाने के लिए अवग्रह (ऽ) चिह्न का प्रयोग किया जाता है जो कि ऐच्छिक है।
ए + अ = एऽ / ए।
आत्मने + अपि = आत्मनेऽपि / आत्मनेपि।
ओ + अ = ओऽ / ओ।
गुरो + अत्र = गुरोऽत्र / गुरोत्र।
दूरे + अस्तु = दूरेऽस्तु।
रत्नाकरो जलनिधिरित्यसेवि धनाशया। धनं दूरेऽस्तु वदनमपूरी क्षारवारिभिः।।
= समुद्र रत्नों का भण्डार है ऐसा मानकर धन की आशा से उस का सेवन किया। धन तो दूर रहा, मुख खारे पानी से भर गया।
अश्नुते + अत्र = अश्नुतेऽत्र।
अश्नुतेऽत्र कल्याणं व्यसने यो न मुह्यति
= जो मुसीबत में नहीं घबराता वही यहां (संसार में) सुख भोगता है।
ते + अब्रुवन् = तेऽब्रुवन्।
तेऽब्रुवन् मुनिं भगवन् व्याख्याहि नः सदाचारम्
= उन्होने मुनि से कहा भगवन् हमें सदाचाार का उपदेश दो।
परिवर्त्तन्ते + अत्र = परिवर्त्तन्तऽत्र।
चक्रवत्परिवर्त्तन्तेऽत्र दुःखानि च सुखानि च
= चक्र के समान सुख-दुःख बदलते रहते हैं। (चार दिन की चांदनी फिर अंधेरी रात)
भक्षिते + अपि = भक्षितेऽपि।
भक्षितेऽपि लशुने शांतो व्याधिः
= (लहसून न खाने का व्रत होने पर भी) लहसून खाने पर भी रोग नहीं हटा। (जेहि के कारण मूंड मुंडावा, सो दुःख मोरे आगे आवा।)
दुग्धधौतो + अपि = दुग्धधौतोऽपि।
दुग्धधौतोऽपि किं याति वायसः कलहंसताम्
= दूध से धोने पर भी क्या कौआ राजहंस बन सकता है ?
भूयो + अपि = भूयोऽपि।
भूयोऽपि सिक्तः पयसा घृतेन न निम्बवृक्षो मधुरत्वमेति
= दूध-घी से लाख सींचने पर भी नीम मीठा नहीं बनता।
वैद्यो + अपि = वैद्योऽपि।
धन्वन्तरिर्वैद्योऽपि किं करोति गतायुषि
= आयु बीत जाने पर धन्वन्तरी भी क्या कर सकता है ?
को + अपि = कोऽपि।
रामस्य दैवदुर्नियोगः कोऽपि यद् वनं गतः
= राम का कोई दुर्भाग्य था जिसके कारण वह वन गया।
गतो + अस्या = गतोऽस्याः।
अतिभूमिं गतोऽस्याः अनुरागः
= इसका प्रेम सीमा से बाहर हो गया है।
एरण्डो + अपि = एरण्डोऽपि।
निरस्तपादपे देशे एरण्डोऽपि द्रुमायते
= जहां दरख्त (बड़े पेड़) नहीं होते वहां एरण्ड पौधा भी वृक्ष माना जाता है। (अन्धों में काना राजा।)
पञ्जरशेषो + अपि = पञ्जरशेषोऽपि।
न स्पृशति पल्वलाम्भः पञ्जरशेषोऽपि कुञ्जरः
= पंजरमात्र रह जाने पर भी हाथी कभी छिछली तलैया का पानी नहीं छूता।
कल्पवृक्षो + अपि = कल्पवृक्षोऽपि।
कल्पवृक्षोऽप्यभव्यानां प्रायो याति पलाशताम्
= भाग्य हीनों के लिए कल्पवृक्ष भी ढाक का पेड़ बन जाता है।
पलाशो + अपि = पलाशोऽपि।
पुरुषार्थेन पलाशोऽपि कल्पवृक्षतामेति
= पुरुषार्थ से ढाक भी कल्पवृक्ष बन जाता है।
#vakyabhyas
February 17, 2022
चिकित्सकः (रोगिणं प्रति)- बहुः कृशकायः असि त्वम् ...
फलानि खाद आवरणेन सह।
(अग्रिमे दिवसे)
रोगी - भोः चिकित्सकवर्य!
बहुः उदरवेदना भवति कृपया किमपि करोतु।
चिकित्सकः - किम् खादितवान् त्वम्?
रोगी - नारिकेलम् आवरणेन सह।
😂😝😆
#hasya
फलानि खाद आवरणेन सह।
(अग्रिमे दिवसे)
रोगी - भोः चिकित्सकवर्य!
बहुः उदरवेदना भवति कृपया किमपि करोतु।
चिकित्सकः - किम् खादितवान् त्वम्?
रोगी - नारिकेलम् आवरणेन सह।
😂😝😆
#hasya
February 17, 2022
।।श्रीः।।
।।आत्मबोधः।।
Atmabodha, meaning Self-knowledge or Self-awareness, is an exceptionally lucid and readable work of Shankaracharya. Consisting of sixty-eight verses or shlokas, it is in a sense a simple summary of his entire Vedantic structure of thought, intended, it would seem, as a basic primer for his students and followers. The text follows a clearly elaborated doctrine, starting with knowledge as a key to liberation, the nautre of the Atman within us, the assertion of the pervasive and attribute-less nature of Brahman, and the path towards the realisation of the complete identity between the Atman and Brahman.
सदा सर्वगतोऽप्यात्मा न सर्वत्रावभासते।
बुद्धावेवावभासेत स्वच्छेषु प्रतिबिम्बवत्।।17।।
17. The Atman does not shine in everything although He is All-pervading. He is manifest only in the inner equipment, the intellect (Buddhi): just as the reflection in a clean mirror.
आत्म-बोध ऑनलाइन क्लास - 17 :
आत्म-बोध के 17th श्लोक में पू गुरूजी श्री स्वामी आत्मानन्द सरस्वतीजी ने बताया की इस श्लोक में हमें आचार्यश्री बता रहे हैं की यद्यपि हम सब की आत्मा सर्वव्यापी ब्रह्म है लेकिन ये हमें हर जगह दिखाई नहीं दे सकती है। जैसे हम सबका प्रतिबिम्ब यद्यपि हर जगह मंद रूप से होने के बावजूद हमें हर जगह दिखाई नहीं देता है, लेकिन दर्पण जैसे उपकरण में दिखाई दे जाता है। उसी तरह से आत्मा का साक्षात्कार केवल एक शुद्ध अंतःकरण में ही दिखाई देता है।
#Atmabodha
।।आत्मबोधः।।
Atmabodha, meaning Self-knowledge or Self-awareness, is an exceptionally lucid and readable work of Shankaracharya. Consisting of sixty-eight verses or shlokas, it is in a sense a simple summary of his entire Vedantic structure of thought, intended, it would seem, as a basic primer for his students and followers. The text follows a clearly elaborated doctrine, starting with knowledge as a key to liberation, the nautre of the Atman within us, the assertion of the pervasive and attribute-less nature of Brahman, and the path towards the realisation of the complete identity between the Atman and Brahman.
सदा सर्वगतोऽप्यात्मा न सर्वत्रावभासते।
बुद्धावेवावभासेत स्वच्छेषु प्रतिबिम्बवत्।।17।।
17. The Atman does not shine in everything although He is All-pervading. He is manifest only in the inner equipment, the intellect (Buddhi): just as the reflection in a clean mirror.
आत्म-बोध ऑनलाइन क्लास - 17 :
आत्म-बोध के 17th श्लोक में पू गुरूजी श्री स्वामी आत्मानन्द सरस्वतीजी ने बताया की इस श्लोक में हमें आचार्यश्री बता रहे हैं की यद्यपि हम सब की आत्मा सर्वव्यापी ब्रह्म है लेकिन ये हमें हर जगह दिखाई नहीं दे सकती है। जैसे हम सबका प्रतिबिम्ब यद्यपि हर जगह मंद रूप से होने के बावजूद हमें हर जगह दिखाई नहीं देता है, लेकिन दर्पण जैसे उपकरण में दिखाई दे जाता है। उसी तरह से आत्मा का साक्षात्कार केवल एक शुद्ध अंतःकरण में ही दिखाई देता है।
#Atmabodha
February 17, 2022
February 17, 2022
@samskrt_samvadah संलापशाला - A Samskrit Voicechat room.
कालावधिः : 45 निमेषाः
समयः : IST 11:00 AM 🕚
विषयः :संस्कृतकथा,सुभाषितम्,
हास्यकणिका..... इत्यादयः
दिनाङ्कः : 18th February 2022,
शुक्रवासरः
Please Join the voicechat on time.
😇 यदि शक्येत चेत् संस्कृतेन (संस्कृतकथां, सुभाषितं, हास्यकणिकां ,स्वस्य कञ्चित् उत्तमम् अनुभवं ,प्रेरकप्रसङ्गं ,लौकिकन्यायं वा वदन्तु। ) इत्यस्मिन् चर्चार्थं कृपया पूर्वसिद्धतां कृत्वा आगच्छन्तु।
वयं युष्माकं प्रतीक्षां कुर्मः। 😇
स्मारणतंत्रिकां स्थापयतु⏰
👇🏼👇🏼👇🏼👇🏼👇🏼
https://t.me/samskrt_samvadah?voicechat
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February 17, 2022
February 17, 2022
🍃
♦️agnirjyotirahaH shuklaH ShaNmaasaa uttaraayaNam|
tatra prayaataa gachChanti brahma brahmavido janaaH8.24
⚜️Fire,
light daytime, the bright fortnight, the six months of the northern
path of the sun (the northern solstice) departing then (by these) men
who know brahman go to brahman. 8.24
⚜️जो ब्रह्मविद् साधकजन मरणोपरान्त अग्नि ज्योति दिन शुक्लपक्ष और उत्तरायण के छः मास वाले मार्ग से जाते हैं वे ब्रह्म को प्राप्त होते हैं।। ८.२४ ।।
#geeta
अग्निर्ज्योतिरहः शुक्लः षण्मासा उत्तरायणम्।
तत्र प्रयाता गच्छन्ति ब्रह्म ब्रह्मविदो जनाः
।। ८.२४ ।।♦️agnirjyotirahaH shuklaH ShaNmaasaa uttaraayaNam|
tatra prayaataa gachChanti brahma brahmavido janaaH
⚜️जो ब्रह्मविद् साधकजन मरणोपरान्त अग्नि ज्योति दिन शुक्लपक्ष और उत्तरायण के छः मास वाले मार्ग से जाते हैं वे ब्रह्म को प्राप्त होते हैं।। ८.२४ ।।
#geeta
February 17, 2022
February 17, 2022
🍃
♦️dhuumo raatristathaa kRRiShNaH ShaNmaasaa dakShiNaayanam|
tatra chaandramasaM jyotiryogii praapya nivartate8.25
⚜Attaining to the lunar light by smoke, night time, the dark fortnight also, the six months of the southern path of the sun (the southern solstice), the Yogi returns. 8.25
⚜धूम रात्रि कृष्णपक्ष और दक्षिणायन के छः मास वाले मार्ग से चन्द्रमा की ज्योति को प्राप्त कर योगी (संसार को) लौटता है।। ८.२५ ।।
#geeta
धूमो रात्रिस्तथा कृष्णः षण्मासा दक्षिणायनम्।
तत्र चान्द्रमसं ज्योतिर्योगी प्राप्य निवर्तते
।। ८.२५ ।।♦️dhuumo raatristathaa kRRiShNaH ShaNmaasaa dakShiNaayanam|
tatra chaandramasaM jyotiryogii praapya nivartate
⚜Attaining to the lunar light by smoke, night time, the dark fortnight also, the six months of the southern path of the sun (the southern solstice), the Yogi returns. 8.25
⚜धूम रात्रि कृष्णपक्ष और दक्षिणायन के छः मास वाले मार्ग से चन्द्रमा की ज्योति को प्राप्त कर योगी (संसार को) लौटता है।। ८.२५ ।।
#geeta
February 17, 2022
🚩जय सत्य सनातन🚩
🚩आज की हिंदी तिथि
🌥️ 🚩युगाब्द-५१२३
🌥️ 🚩विक्रम संवत-२०७८
⛅ 🚩तिथि - द्वितीया रात्रि १०:२९ तक तत्पश्चात तृतीया
⛅ दिनांक - १८ फरवरी २०२२
⛅ दिन - शुक्रवार
⛅ शक संवत -१९४३
⛅ अयन - उत्तरायण
⛅ ऋतु - वसंत ऋतु
⛅ मास - फाल्गुन
⛅ पक्ष - कृष्ण
⛅ नक्षत्र - पूर्वाफाल्गुनी शाम ०४:४२ तक तत्पश्चात उत्तराफाल्गुनी
⛅ योग - सुकर्मा शाम ०६:३१ तक तत्पश्चात धृति
⛅ राहुकाल - सुबह ११:२६ से दोपहर १२:५३ तक
⛅ सूर्योदय - ०७:०८
⛅ सूर्यास्त - १८:३६
⛅ दिशाशूल - पश्चिम दिशा में
🚩आज की हिंदी तिथि
🌥️ 🚩युगाब्द-५१२३
🌥️ 🚩विक्रम संवत-२०७८
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⛅ दिनांक - १८ फरवरी २०२२
⛅ दिन - शुक्रवार
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⛅ अयन - उत्तरायण
⛅ ऋतु - वसंत ऋतु
⛅ मास - फाल्गुन
⛅ पक्ष - कृष्ण
⛅ नक्षत्र - पूर्वाफाल्गुनी शाम ०४:४२ तक तत्पश्चात उत्तराफाल्गुनी
⛅ योग - सुकर्मा शाम ०६:३१ तक तत्पश्चात धृति
⛅ राहुकाल - सुबह ११:२६ से दोपहर १२:५३ तक
⛅ सूर्योदय - ०७:०८
⛅ सूर्यास्त - १८:३६
⛅ दिशाशूल - पश्चिम दिशा में
February 17, 2022
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February 17, 2022
Forwarded from रामदूतः — The Sanskrit News Platform
https://youtu.be/r95DP-2f-6A
Switch to DD News daily at 7:15 AM (Morning) for 15 minutes Sanskrit news.
Switch to DD News daily at 7:15 AM (Morning) for 15 minutes Sanskrit news.
YouTube
वार्ता: संस्कृत में समाचार | विदेश मंत्री एस जयशंकर जर्मनी और फ्रांस के दौरे पर
February 17, 2022
February 17, 2022
February 17, 2022
उदारस्य तृणं वित्तं शूरस्य मरणं तृणं |
विरक्तस्य तृणं भार्या निस्पृहस्य तृणं जगत् ||
For a generous person money or wealth is insignificant (like a blade of grass), for a warrior the prospect of facing death is immaterial. Likewise , a person unattached to family life has no interest in his wife, and for a person having no desires this living Earth is immaterial.
उदारस्य - for a generous person
शूरस्य - for a warrior, a brave person
तृणं - a blade of grass (insignificant,immaterial and having no value)
मरणं - death
विरक्तस्य - for a person unattached to family life
भार्या - wife
निस्पृहस्य - for a person having no desire
जगत् - this living Earth, World
#Subhashitam
विरक्तस्य तृणं भार्या निस्पृहस्य तृणं जगत् ||
For a generous person money or wealth is insignificant (like a blade of grass), for a warrior the prospect of facing death is immaterial. Likewise , a person unattached to family life has no interest in his wife, and for a person having no desires this living Earth is immaterial.
उदारस्य - for a generous person
शूरस्य - for a warrior, a brave person
तृणं - a blade of grass (insignificant,immaterial and having no value)
मरणं - death
विरक्तस्य - for a person unattached to family life
भार्या - wife
निस्पृहस्य - for a person having no desire
जगत् - this living Earth, World
#Subhashitam
February 17, 2022
February 17, 2022
February 18, 2022
February 18, 2022
संस्कृत संवादः । Sanskrit Samvadah
(यदि
उपसर्गपूर्वक क्रुध् या द्रुह् धातु का प्रयोग किया गया हो तो जिसके प्रति
क्रोध या द्रोह किया जाता है उसकी कर्म संज्ञा होती है, अतः उसमें
द्वितीया विभक्ति का प्रयोग होता है।) मन्थरया प्रेरिता कैकेयी दशरथम्
अभ्यक्रुध्यत् = मन्थरा से प्रेरित कैकेयी ने दशरथ…
संस्कृतं वद आधुनिको भव।
वेदान् पठ वैज्ञानिको भव।।
पाठ : (१६) चतुर्थी विभक्ति (३)
(स्पृह् धातु के साथ इष्ट वस्तु की सम्प्रदान संज्ञा होती है, अतः उसमें चतुर्थी विभक्ति का प्रयोग होता है।)
सुधा सुधायै स्पृहयति = सुधा अमृत को चाहती है।
यशस्वी यशसे स्पृहयति
= यशस्वी यश को चाहता है।
न जातुचित् धनाय अस्पृहम् अहम्
= मैंने कभी धन को नहीं चाहा।
महाकुलेभ्यः स्पृहयन्ति देवाः धर्मार्थनित्याश्च बहुश्रुताश्च
= धर्म अर्थ में नित्य प्रवृत्त और बहुज्ञानी विद्वान् लोग श्रेष्ठ कुलों को चाहते हैं।
न दुरुक्ताय स्पृहयेत्
= दुष्ट वचन कहनेवाले को न चाहें।
इच्छन्ति देवाः सुन्वन्तं न स्वप्नाय स्पृहयन्ति
= देव लोग यज्ञ करनेवालों को चाहते हैं, आलसी याने सुस्तों को नहीं।
कस्यचिद् धनं भो..? कथं धनाय स्पृहयति ?
= धन किसका है भाई..? क्यों धन को चाहते हो ?
ज्ञानाय स्पृहय, तदेव सन्मित्रम्
= ज्ञान को चाहो, वही सच्चा साथी है।
गर्धी सदैव परकीयाय धनाय स्पृहयिष्यति = लोभी सदैव पराए धन को चाहेगा।
भरतः रामाय राज्यम् अपीस्पृहत्
= भरत ने राम के लिए राज्य चाहा।
दुर्योधनः आत्मने राज्यं स्पृहयाञ्चकार
= दुर्योधन ने अपने लिए राज्य चाहा।
परिक्षीणः कश्चित् स्पृहयति यवानां प्रसृतये
= कोई क्षीण पुरुष तो मुट्ठीभर जौ के लिए तरसता है।
स पश्चात् सम्पूर्णो गणयति धरित्रीं तृणसमाम्
= परन्तु सम्पन्न होने पर वही व्यक्ति सारे संसार को तिनके के समान तुच्छ समझता है।
(धारि = ऋण लेना धातु के प्रयोग में ऋण देनेवाले की सम्प्रदान संज्ञा होती है अतः उसमें चतुर्थी विभक्ति का प्रयोग होता है।)
यज्ञदत्तः देवदत्ताय शतं धारयति
= यज्ञदत्त देवदत्त से सौ रुपए ऋण लेता है।
अन्तेवासी गुरवे विद्यां धारयति
= शिष्य गुरु से विद्या का ऋणी है।
पुत्रः पित्रे पालनं धारयति
= पुत्र पिता से पालन-पोषण का ऋणी है।
सर्वे धात्रे सर्वं धारयति
= सब धाता से सब चीजों के लिए ऋणी हैं।
(प्रति+श्रु तथा आ+श्रु धातु के साथ किसी के द्वारा मांगने पर देने की प्रतिज्ञा करने अर्थ में जिससे प्रतिज्ञा करता है उसकी सम्प्रज्ञान संज्ञा होती है तथा उसमें चतुर्थी विभक्ति का प्रयोग होता है।)
विप्राय गां प्रतिशृणोति
= ब्राह्मण को गाय देने की प्रतिज्ञा करता है।
जनकः आत्मजायै चाकलेहम् आशृणोति
= (बेटी के द्वारा मांगने पर) पिता बेटी को चॉकलेट देने की प्रतिज्ञा करता है।
सर्वे सर्वकाराय न्याय्यान् कारान् प्रतिशृणुयुः / आशृणुयुः
= सरकार को उचित कर देने की सब प्रतिज्ञा करें / करनी चाहिए।
यमः नचिकेतसे उपनिषद्विद्यां प्रत्याशृणोत् / आशृणोत्
= यम ने नचिकेता को उपनिषद विद्या देने की प्रतिज्ञा की।
श्रेष्ठी आजीवनं व्ययभारं वोढुं गुरुकुलछात्राय प्रतिश्रोष्यति / आश्रोष्यति
= धनी सेठ ने गुरुकुल के छात्र का आजीवन व्ययभार वहन करने की प्रतिज्ञा ली।
#vakyabhyas
वेदान् पठ वैज्ञानिको भव।।
पाठ : (१६) चतुर्थी विभक्ति (३)
(स्पृह् धातु के साथ इष्ट वस्तु की सम्प्रदान संज्ञा होती है, अतः उसमें चतुर्थी विभक्ति का प्रयोग होता है।)
सुधा सुधायै स्पृहयति = सुधा अमृत को चाहती है।
यशस्वी यशसे स्पृहयति
= यशस्वी यश को चाहता है।
न जातुचित् धनाय अस्पृहम् अहम्
= मैंने कभी धन को नहीं चाहा।
महाकुलेभ्यः स्पृहयन्ति देवाः धर्मार्थनित्याश्च बहुश्रुताश्च
= धर्म अर्थ में नित्य प्रवृत्त और बहुज्ञानी विद्वान् लोग श्रेष्ठ कुलों को चाहते हैं।
न दुरुक्ताय स्पृहयेत्
= दुष्ट वचन कहनेवाले को न चाहें।
इच्छन्ति देवाः सुन्वन्तं न स्वप्नाय स्पृहयन्ति
= देव लोग यज्ञ करनेवालों को चाहते हैं, आलसी याने सुस्तों को नहीं।
कस्यचिद् धनं भो..? कथं धनाय स्पृहयति ?
= धन किसका है भाई..? क्यों धन को चाहते हो ?
ज्ञानाय स्पृहय, तदेव सन्मित्रम्
= ज्ञान को चाहो, वही सच्चा साथी है।
गर्धी सदैव परकीयाय धनाय स्पृहयिष्यति = लोभी सदैव पराए धन को चाहेगा।
भरतः रामाय राज्यम् अपीस्पृहत्
= भरत ने राम के लिए राज्य चाहा।
दुर्योधनः आत्मने राज्यं स्पृहयाञ्चकार
= दुर्योधन ने अपने लिए राज्य चाहा।
परिक्षीणः कश्चित् स्पृहयति यवानां प्रसृतये
= कोई क्षीण पुरुष तो मुट्ठीभर जौ के लिए तरसता है।
स पश्चात् सम्पूर्णो गणयति धरित्रीं तृणसमाम्
= परन्तु सम्पन्न होने पर वही व्यक्ति सारे संसार को तिनके के समान तुच्छ समझता है।
(धारि = ऋण लेना धातु के प्रयोग में ऋण देनेवाले की सम्प्रदान संज्ञा होती है अतः उसमें चतुर्थी विभक्ति का प्रयोग होता है।)
यज्ञदत्तः देवदत्ताय शतं धारयति
= यज्ञदत्त देवदत्त से सौ रुपए ऋण लेता है।
अन्तेवासी गुरवे विद्यां धारयति
= शिष्य गुरु से विद्या का ऋणी है।
पुत्रः पित्रे पालनं धारयति
= पुत्र पिता से पालन-पोषण का ऋणी है।
सर्वे धात्रे सर्वं धारयति
= सब धाता से सब चीजों के लिए ऋणी हैं।
(प्रति+श्रु तथा आ+श्रु धातु के साथ किसी के द्वारा मांगने पर देने की प्रतिज्ञा करने अर्थ में जिससे प्रतिज्ञा करता है उसकी सम्प्रज्ञान संज्ञा होती है तथा उसमें चतुर्थी विभक्ति का प्रयोग होता है।)
विप्राय गां प्रतिशृणोति
= ब्राह्मण को गाय देने की प्रतिज्ञा करता है।
जनकः आत्मजायै चाकलेहम् आशृणोति
= (बेटी के द्वारा मांगने पर) पिता बेटी को चॉकलेट देने की प्रतिज्ञा करता है।
सर्वे सर्वकाराय न्याय्यान् कारान् प्रतिशृणुयुः / आशृणुयुः
= सरकार को उचित कर देने की सब प्रतिज्ञा करें / करनी चाहिए।
यमः नचिकेतसे उपनिषद्विद्यां प्रत्याशृणोत् / आशृणोत्
= यम ने नचिकेता को उपनिषद विद्या देने की प्रतिज्ञा की।
श्रेष्ठी आजीवनं व्ययभारं वोढुं गुरुकुलछात्राय प्रतिश्रोष्यति / आश्रोष्यति
= धनी सेठ ने गुरुकुल के छात्र का आजीवन व्ययभार वहन करने की प्रतिज्ञा ली।
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February 18, 2022
Forwarded from संस्कृत संवादः । Sanskrit Samvadah (Markdown)
By Telegram Channel @samskrt_samvadah
संस्कृत सीखने के तरीकें—
(Methods of Learning Sanskrit)
⭐️ पुस्तक(Available at nearby bookstores) :–
१.संस्कृत स्वयं शिक्षक — Best Book
Buy —https://www.amazon.in/dp/8170285747/ref=cmswrcpapaglcfabc64GJHK9QRS23B3ZWK8KJ
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२. गीतासोपान — संस्कृत भारती
३.NCERT BOOKS
आपको इस एप में सभी संस्कृत के NCERT पुस्तके मिल जायेंगी
४. A Rapid Sanskrit Method
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५. Medha Michika
६. Learn Sanskrit in 30 days
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७. SamskrutaShri Patamala — Tamil Medium
⭐️ Videos :–
१.Video Series by Knowledgelogy — हिंदी माध्यम
२. Video series by Sanskrit.Today — English medium
३. Central Sanskrit University — Sanskrit Medium
४. IIT Kharagpur — Prof. Anuradha Chaudhary
५. Samskrita Bharati USA — Dr.K.N. Padma Kumar
६. कैलाश शर्मा — हिंदी माध्यम
७. Sanskrit Bhasha Bodha
→Go to playlists
⭐️ Mobile Apps
१.Language Curry — Live Sessions available
→Android
→IOS
२. Sanskrit Safalyam
३. Samskrit Tutorial
४. Little Guru — Under Development
५. Samskrit Bharati Kerela
⭐️ Websites
१. संस्कृत भारती
•पत्राचार
•चलचित्र
२. Practical Sanskrit — English medium
३. अमरहासम्
४.Acharya — English medium
५. Good for foreigners
६. Udemy — English medium
७. Vyoma Labs
८. Memrise
९. Learn Sanskrit through Ramayan
१०. Open Pathshala
११. स्वयंप्रभा
→ Search🔍 Sanskrit in the box there.
१२. Agastya gurukulam — Good for foreigner kids
→ Jignasa — For 6-11 years old
→ Pragnyaa — For 12-18 years old
१३. Sanskrit Guide — English medium
⭐ Others (अन्य)
१. Email this for guidance
vidyadhar@learnsanskritonline.com
२. संस्कृत संभाषण शिविर
३. Get a home tutor
४. एक संस्कृत विद्यालय में दाखिला लें (Admission)
५. Sanskrit TV Channel — Available on Jio TV
💥Comment down If you know other good methods or need help with any method
संस्कृत सीखने के तरीकें—
(Methods of Learning Sanskrit)
⭐️ पुस्तक(Available at nearby bookstores) :–
१.संस्कृत स्वयं शिक्षक — Best Book
Buy —https://www.amazon.in/dp/8170285747/ref=cmswrcpapaglcfabc64GJHK9QRS23B3ZWK8KJ
२. गीतासोपान — संस्कृत भारती
३.NCERT BOOKS
आपको इस एप में सभी संस्कृत के NCERT पुस्तके मिल जायेंगी
४. A Rapid Sanskrit Method
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५. Medha Michika
६. Learn Sanskrit in 30 days
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७. SamskrutaShri Patamala — Tamil Medium
⭐️ Videos :–
१.Video Series by Knowledgelogy — हिंदी माध्यम
२. Video series by Sanskrit.Today — English medium
३. Central Sanskrit University — Sanskrit Medium
४. IIT Kharagpur — Prof. Anuradha Chaudhary
५. Samskrita Bharati USA — Dr.K.N. Padma Kumar
६. कैलाश शर्मा — हिंदी माध्यम
७. Sanskrit Bhasha Bodha
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१.Language Curry — Live Sessions available
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७. Vyoma Labs
८. Memrise
९. Learn Sanskrit through Ramayan
१०. Open Pathshala
११. स्वयंप्रभा
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February 18, 2022
ॐ श्रीहरये नमः ॥ जयश्रीकृष्ण ॥
😄😄हास्यकणिका😃😃
"""""""""""""""""""""""""""""""""""""""
•एका स्त्री एकं वृषभं लप्सिकां पूलिकां च खादयतिस्म ।
~एक महिला एक साँड़ को हलुवा-पूड़ी खिला रही थी ।
•तत्र स्थितः एकः सज्जनः संशयं कृतवान् सम्भवतः इयं स्त्री वृषभं धेनुः चेतति !
~वहां खड़े एक सज्जन को शक हुआ कि शायद यह महिला साँड़ को गाय समझ रही है !
•तदा.... ~तब.....
•सज्जनः- भगिनि अयं वृषभः अस्ति । धेनुः नास्ति यत् भवती इमं पूलिकाः खादयति ।
~~ बहन , यह साँड़ है , गाय नहीं, जो आप इसे पूड़ियाँ खिला रही हैं ।
•अयं वृषभः च नित्यं ग्रामे त्रिचतुर्जनान् शृङ्गेन आघातं कृत्वा अस्थीनि त्रोटयति ।
~और यह सांड प्रति दिन गाँव में तीन चार लोगों को सींग मार कर हड्डियाँ तोड़ देता है ।
•महिला- बन्धो ! अहं जानामि यत् अयं वृषभः अस्ति । परन्तु भवान् न जानाति यत्
~~महिला - भाईसाहब ! मुझे पता है कि.. यह साँड़ है ! पर आपको नहीं पता कि..
•मम पतिः अस्थिचिकित्सकः अस्ति तस्य च चिकित्सालयः अनेन वृषभेन एव चलति ।
~मेरे पति हड्डियों के डॉक्टर हैं और उनका हॉस्पिटल इसी साँड़ की वजह से ही चल रहा है...!
😃😃😀😀😂😂😄😄
ॐ॥जयतु संस्कृतम् ॥ जयतु भारतम्॥ॐ
#hasya
😄😄हास्यकणिका😃😃
"""""""""""""""""""""""""""""""""""""""
•एका स्त्री एकं वृषभं लप्सिकां पूलिकां च खादयतिस्म ।
~एक महिला एक साँड़ को हलुवा-पूड़ी खिला रही थी ।
•तत्र स्थितः एकः सज्जनः संशयं कृतवान् सम्भवतः इयं स्त्री वृषभं धेनुः चेतति !
~वहां खड़े एक सज्जन को शक हुआ कि शायद यह महिला साँड़ को गाय समझ रही है !
•तदा.... ~तब.....
•सज्जनः- भगिनि अयं वृषभः अस्ति । धेनुः नास्ति यत् भवती इमं पूलिकाः खादयति ।
~~ बहन , यह साँड़ है , गाय नहीं, जो आप इसे पूड़ियाँ खिला रही हैं ।
•अयं वृषभः च नित्यं ग्रामे त्रिचतुर्जनान् शृङ्गेन आघातं कृत्वा अस्थीनि त्रोटयति ।
~और यह सांड प्रति दिन गाँव में तीन चार लोगों को सींग मार कर हड्डियाँ तोड़ देता है ।
•महिला- बन्धो ! अहं जानामि यत् अयं वृषभः अस्ति । परन्तु भवान् न जानाति यत्
~~महिला - भाईसाहब ! मुझे पता है कि.. यह साँड़ है ! पर आपको नहीं पता कि..
•मम पतिः अस्थिचिकित्सकः अस्ति तस्य च चिकित्सालयः अनेन वृषभेन एव चलति ।
~मेरे पति हड्डियों के डॉक्टर हैं और उनका हॉस्पिटल इसी साँड़ की वजह से ही चल रहा है...!
😃😃😀😀😂😂😄😄
ॐ॥जयतु संस्कृतम् ॥ जयतु भारतम्॥ॐ
#hasya
February 18, 2022
February 18, 2022
।।श्रीः।।
।।आत्मबोधः।।
Atmabodha, meaning Self-knowledge or Self-awareness, is an exceptionally lucid and readable work of Shankaracharya. Consisting of sixty-eight verses or shlokas, it is in a sense a simple summary of his entire Vedantic structure of thought, intended, it would seem, as a basic primer for his students and followers. The text follows a clearly elaborated doctrine, starting with knowledge as a key to liberation, the nautre of the Atman within us, the assertion of the pervasive and attribute-less nature of Brahman, and the path towards the realisation of the complete identity between the Atman and Brahman.
देहेन्द्रियमनोबुद्धिप्रकृतिभ्यो विलक्षणम्।
तद्वृत्तिसाक्षिणं विद्यादात्मानं राजवत्सदा।।18।।
18. One should understand that the Atman is always like the King, distinct from the body, senses, mind and intellect, all of which constitute the matter (Prakriti); and is the witness of their functions.
आत्म-बोध ऑनलाइन क्लास - 18 :
आत्म-बोध के 18th श्लोक में पू गुरूजी श्री स्वामी आत्मानन्द सरस्वतीजी ने बताया की इस श्लोक में आचार्यश्री हमें बता रहे हैं की उपाधि जानकार अब आगे कैसे बढ़ा जाता है। इसके लिए वे कहते हैं की सर्वप्रथम हमें अपने शरीर, इन्द्रिय, प्राण, मन और बुद्धि - जिनको हम बड़ी आसानी से आत्मा मन बैठते हैं और जिनको अब अनात्मा की तरह से देखने लगे हैं, इनकी कारणभूत प्रकृति को चरों तरफ देखना प्रारम्भ करें और फिर इस बात पात्र ध्यान मोड़े की हम किस प्रकाश में ये सब जान रहे हैं। जो एक प्रकाश स्वरुप चेतन सत्ता और इसी को साक्षी कहा जाता है - उसका भान उत्पन्न करें। ये साक्षी राजा तुल्य है क्यूंकि इसकी सन्निधि मात्र में सभी कार्य होते हैं। ये ही हमारी और आप सब की आत्मा है।
#Atmabodha
।।आत्मबोधः।।
Atmabodha, meaning Self-knowledge or Self-awareness, is an exceptionally lucid and readable work of Shankaracharya. Consisting of sixty-eight verses or shlokas, it is in a sense a simple summary of his entire Vedantic structure of thought, intended, it would seem, as a basic primer for his students and followers. The text follows a clearly elaborated doctrine, starting with knowledge as a key to liberation, the nautre of the Atman within us, the assertion of the pervasive and attribute-less nature of Brahman, and the path towards the realisation of the complete identity between the Atman and Brahman.
देहेन्द्रियमनोबुद्धिप्रकृतिभ्यो विलक्षणम्।
तद्वृत्तिसाक्षिणं विद्यादात्मानं राजवत्सदा।।18।।
18. One should understand that the Atman is always like the King, distinct from the body, senses, mind and intellect, all of which constitute the matter (Prakriti); and is the witness of their functions.
आत्म-बोध ऑनलाइन क्लास - 18 :
आत्म-बोध के 18th श्लोक में पू गुरूजी श्री स्वामी आत्मानन्द सरस्वतीजी ने बताया की इस श्लोक में आचार्यश्री हमें बता रहे हैं की उपाधि जानकार अब आगे कैसे बढ़ा जाता है। इसके लिए वे कहते हैं की सर्वप्रथम हमें अपने शरीर, इन्द्रिय, प्राण, मन और बुद्धि - जिनको हम बड़ी आसानी से आत्मा मन बैठते हैं और जिनको अब अनात्मा की तरह से देखने लगे हैं, इनकी कारणभूत प्रकृति को चरों तरफ देखना प्रारम्भ करें और फिर इस बात पात्र ध्यान मोड़े की हम किस प्रकाश में ये सब जान रहे हैं। जो एक प्रकाश स्वरुप चेतन सत्ता और इसी को साक्षी कहा जाता है - उसका भान उत्पन्न करें। ये साक्षी राजा तुल्य है क्यूंकि इसकी सन्निधि मात्र में सभी कार्य होते हैं। ये ही हमारी और आप सब की आत्मा है।
#Atmabodha
February 18, 2022
https://youtu.be/C69sKSBldKc
#SanskritCarnaticMusic
हिरण्मयीं लक्ष्मीम् - रागं ललिता - ताळं रूपकम्
पल्लवि
हिरण्मयीं लक्ष्मीं सदा भजामि
हीन मानवाश्रयं त्यजामि
अनुपल्लवि
चिर-तर सम्पत्प्रदां
क्षीराम्बुधि तनयां
(मध्यम काल साहित्यम्)
हरि वक्षःस्थलालयां
हरिणीं चरण किसलयां
कर कमल धृत कुवलयां
मरकत मणि-मय वलयाम्
चरणम्
श्वेत द्वीप वासिनीं
श्री कमलाम्बिकां परां
भूत भव्य विलासिनीं
भू-सुर पूजितां वराम्
मातरं अब्ज मालिनीं
माणिक्याभरण धरां
गीत वाद्य विनोदिनीं
गिरिजां तां इन्दिराम्
(मध्यम काल साहित्यम्)
शीत किरण निभ वदनां
श्रित चिन्तामणि सदनां
पीत वसनां गुरु गुह -
मातुल कान्तां ललिताम्
Meaning
Pallavi
sadA bhajAmi – I always worship
hiraNmayIM lakshmIM – the golden hued Lakshmi!
tyajAmi – I give up
hIna mAnava-ASrayaM – dependence on mortals which is inferior.
anupallavi
cira-tara sampat-pradAM– the giver of long-lasting prosperity
kshIra-ambudhi tanayAM – the daughter of the milky ocean,
hari vakshaH-sthala-AlayAM– the dweller of the chest of Vishnu,
hariNIM - the golden one,
caraNa kisalayAM – the one with (soft) sprout-like feet,
kara kamala dhRta kuvalayAM – the one holding a lily with lotus-like hands,
marakata maNi-maya valayAm – the one wearing emerald-set bracelets.
caraNam
SvEta dvIpa vAsinIM – the resident of Shvetha-dvipa ,
SrI kamalA-ambikAM parAM – the supreme Kamalambika,
bhUta bhavya vilAsinIM– the one who manifests as the past and future,
bhU-sura pUjitAM – the one worshipped by Vedic scholars,
varAm – the eminent one,
mAtaraM – the mother,
abja mAlinIM – the one wearing a lotus garland,
mANikya-AbharaNa dharAM – the one wearing ruby-studded ornaments,
gIta vAdya vinOdinIM – the one who delights in song and musical instruments,
girijAM tAM – the one dear to Parvati,
indirAm – the embodiment of beauty,
SIta kiraNa nibha vadanAM – the one with a moon-like face,
Srita cintAmaNi sadanAM – the very abode of wish-fulfilling gems to her devotees,
pIta vasanAM – the one wearing yellow garments,
guru guha - mAtula kAntAM - the wife of Guruguha’s maternal uncle,
lalitAm – the charming one.
Comments:
This Kriti is in the second Vibhakti
#SanskritCarnaticMusic
हिरण्मयीं लक्ष्मीम् - रागं ललिता - ताळं रूपकम्
पल्लवि
हिरण्मयीं लक्ष्मीं सदा भजामि
हीन मानवाश्रयं त्यजामि
अनुपल्लवि
चिर-तर सम्पत्प्रदां
क्षीराम्बुधि तनयां
(मध्यम काल साहित्यम्)
हरि वक्षःस्थलालयां
हरिणीं चरण किसलयां
कर कमल धृत कुवलयां
मरकत मणि-मय वलयाम्
चरणम्
श्वेत द्वीप वासिनीं
श्री कमलाम्बिकां परां
भूत भव्य विलासिनीं
भू-सुर पूजितां वराम्
मातरं अब्ज मालिनीं
माणिक्याभरण धरां
गीत वाद्य विनोदिनीं
गिरिजां तां इन्दिराम्
(मध्यम काल साहित्यम्)
शीत किरण निभ वदनां
श्रित चिन्तामणि सदनां
पीत वसनां गुरु गुह -
मातुल कान्तां ललिताम्
Meaning
Pallavi
sadA bhajAmi – I always worship
hiraNmayIM lakshmIM – the golden hued Lakshmi!
tyajAmi – I give up
hIna mAnava-ASrayaM – dependence on mortals which is inferior.
anupallavi
cira-tara sampat-pradAM– the giver of long-lasting prosperity
kshIra-ambudhi tanayAM – the daughter of the milky ocean,
hari vakshaH-sthala-AlayAM– the dweller of the chest of Vishnu,
hariNIM - the golden one,
caraNa kisalayAM – the one with (soft) sprout-like feet,
kara kamala dhRta kuvalayAM – the one holding a lily with lotus-like hands,
marakata maNi-maya valayAm – the one wearing emerald-set bracelets.
caraNam
SvEta dvIpa vAsinIM – the resident of Shvetha-dvipa ,
SrI kamalA-ambikAM parAM – the supreme Kamalambika,
bhUta bhavya vilAsinIM– the one who manifests as the past and future,
bhU-sura pUjitAM – the one worshipped by Vedic scholars,
varAm – the eminent one,
mAtaraM – the mother,
abja mAlinIM – the one wearing a lotus garland,
mANikya-AbharaNa dharAM – the one wearing ruby-studded ornaments,
gIta vAdya vinOdinIM – the one who delights in song and musical instruments,
girijAM tAM – the one dear to Parvati,
indirAm – the embodiment of beauty,
SIta kiraNa nibha vadanAM – the one with a moon-like face,
Srita cintAmaNi sadanAM – the very abode of wish-fulfilling gems to her devotees,
pIta vasanAM – the one wearing yellow garments,
guru guha - mAtula kAntAM - the wife of Guruguha’s maternal uncle,
lalitAm – the charming one.
Comments:
This Kriti is in the second Vibhakti
YouTube
Sanskrit Carnatic Krithi on "Lakshmi" in Raga Lalitha - "Hiranmayim Lakshmim" (Muthuswami Dikshitar)
Sri Senkamalavalli
Thayar - Mahalakshmi (Periya Piratti aka Cosmic Mother) Unjal Seva (In
Swing) at My Home Thirumaligai (Sanctum) during Deepavali (Festival of
Lights) 2014. The accompanying Sanskrit Carnatic Krithi (Dikshitar) in
Raga Lalitha is performed…
February 18, 2022
@samskrt_samvadah संलापशाला - A Samskrit Voicechat room.
कालावधिः : 45 निमेषाः
समयः : IST 11:00 AM 🕚
विषयः : छत्रपतिः शिवाजी महाराजः
दिनाङ्कः : 19th February 2022,
शनिवासरः
Please Join the voicechat on time.
😇 यदि शक्येत चेत् संस्कृतेन (शिवाजीमहाराजस्य जीवनपरिचयं , जीवनघटनां , युद्धविवरणं वा वदन्तु) चर्चार्थं कृपया पूर्वसिद्धतां कृत्वा आगच्छन्तु।
वयं युष्माकं प्रतीक्षां कुर्मः। 😇
स्मारणतंत्रिकां स्थापयतु⏰
👇🏼👇🏼👇🏼👇🏼👇🏼
https://t.me/samskrt_samvadah?voicechat
कालावधिः : 45 निमेषाः
समयः : IST 11:00 AM 🕚
विषयः : छत्रपतिः शिवाजी महाराजः
दिनाङ्कः : 19th February 2022,
शनिवासरः
Please Join the voicechat on time.
😇 यदि शक्येत चेत् संस्कृतेन (शिवाजीमहाराजस्य जीवनपरिचयं , जीवनघटनां , युद्धविवरणं वा वदन्तु) चर्चार्थं कृपया पूर्वसिद्धतां कृत्वा आगच्छन्तु।
वयं युष्माकं प्रतीक्षां कुर्मः। 😇
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February 18, 2022
February 18, 2022
🍃
♦️shuklakRRiShNe gatii hyete jagataH shaashvate mate|
ekayaa yaatyanaavRRittimanyayaa''vartate punaH8.26
⚜The bright and the dark paths of the world are verily thought to be eternal; by the one (the bright path) a man goes not to return and by the other (the dark path) he returns. 8.26
⚜जगत् के ये दो प्रकार के शुक्ल और कृष्ण मार्ग सनातन माने गये हैं । इनमें एक (शुक्ल) के द्वारा (साधक) अपुनरावृत्ति को तथा अन्य (कृष्ण) के द्वारा पुनरावृत्ति को प्राप्त होता है।। ८.२६ ।।
#geeta
शुक्लकृष्णे गती ह्येते जगतः शाश्वते मते।
एकया यात्यनावृत्तिमन्ययाऽऽवर्तते पुनः
।। ८.२६ ।।♦️shuklakRRiShNe gatii hyete jagataH shaashvate mate|
ekayaa yaatyanaavRRittimanyayaa''vartate punaH
⚜The bright and the dark paths of the world are verily thought to be eternal; by the one (the bright path) a man goes not to return and by the other (the dark path) he returns. 8.26
⚜जगत् के ये दो प्रकार के शुक्ल और कृष्ण मार्ग सनातन माने गये हैं । इनमें एक (शुक्ल) के द्वारा (साधक) अपुनरावृत्ति को तथा अन्य (कृष्ण) के द्वारा पुनरावृत्ति को प्राप्त होता है।। ८.२६ ।।
#geeta
February 18, 2022
February 18, 2022
🍃
♦️naite sRRitii paartha jaananyogii muhyati kashchana|
tasmaatsarveShu kaaleShu yogayukto bhavaarjuna8.27
⚜Knowing these paths, O Arjuna, no Yogi is deluded; therefore at all times be steadfast in Yoga. 8.27
⚜हे पार्थ इन दो मार्गों को (तत्त्व से) जानने वाला कोई भी योगी मोहित नहीं होता। इसलिए हे अर्जुन तुम सब काल में योगयुक्त बनो।। ८.२७ ।।
#geeta
नैते सृती पार्थ जानन्योगी मुह्यति कश्चन।
तस्मात्सर्वेषु कालेषु योगयुक्तो भवार्जुन
।। ८.२७ ।।♦️naite sRRitii paartha jaananyogii muhyati kashchana|
tasmaatsarveShu kaaleShu yogayukto bhavaarjuna
⚜Knowing these paths, O Arjuna, no Yogi is deluded; therefore at all times be steadfast in Yoga. 8.27
⚜हे पार्थ इन दो मार्गों को (तत्त्व से) जानने वाला कोई भी योगी मोहित नहीं होता। इसलिए हे अर्जुन तुम सब काल में योगयुक्त बनो।। ८.२७ ।।
#geeta
February 18, 2022
Forwarded from रामदूतः — The Sanskrit News Platform
🚩जय सत्य सनातन🚩
🚩आज की हिंदी तिथि
🌥️ 🚩युगाब्द-५१२३
🌥️ 🚩विक्रम संवत-२०७८
⛅ 🚩तिथि - तृतीया रात्रि ०९:५६ तक तत्पश्चात चतुर्थी
⛅ दिनांक - १९ फरवरी २०२२
⛅ दिन - शनिवार
⛅ शक संवत -१९४३
⛅ अयन - उत्तरायण
⛅ ऋतु - वसंत ऋतु
⛅ मास - फाल्गुन
⛅ पक्ष - कृष्ण
⛅ नक्षत्र - उत्तराफाल्गुनी शाम ०४:५१ तक तत्पश्चात हस्त
⛅ योग - धृति शाम ०४:५७ तक तत्पश्चात शूल
⛅ राहुकाल - सुबह १०:०० से सुबह ११:२६ तक
⛅ सूर्योदय - ०७:०७
⛅ सूर्यास्त - १८:३७
⛅ दिशाशूल - पूर्व दिशा में
🚩आज की हिंदी तिथि
🌥️ 🚩युगाब्द-५१२३
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⛅ दिनांक - १९ फरवरी २०२२
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February 18, 2022
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February 18, 2022
Forwarded from रामदूतः — The Sanskrit News Platform
https://youtu.be/OumVKTbkgeg
Switch to DD News daily at 7:15 AM (Morning) for 15 minutes Sanskrit news.
Switch to DD News daily at 7:15 AM (Morning) for 15 minutes Sanskrit news.
YouTube
वार्ता: संस्कृत भाषा में समाचार
February 18, 2022
February 18, 2022
February 18, 2022
सुखार्थिनः कुतो विद्या, नास्ति विद्यार्थिनः सुखम्।
सुखार्थी वा त्यजेद्विद्यां, विद्यार्थी वा त्यजेत् सुखम्।।
भावार्थः - यः सुखम् इच्छति सः विद्यां प्राप्तुं न शक्नोति तथा यः विद्याम् इच्छति सः सुखं प्राप्तुं न शक्नोति।
तस्मात् यदि सुखम् इच्छति चेत् विद्यायाः त्यागं करोतु तथा यदि विद्याम् इच्छति चेत् सुखस्य त्यागं करोतु।
#Subhashitam
सुखार्थी वा त्यजेद्विद्यां, विद्यार्थी वा त्यजेत् सुखम्।।
भावार्थः - यः सुखम् इच्छति सः विद्यां प्राप्तुं न शक्नोति तथा यः विद्याम् इच्छति सः सुखं प्राप्तुं न शक्नोति।
तस्मात् यदि सुखम् इच्छति चेत् विद्यायाः त्यागं करोतु तथा यदि विद्याम् इच्छति चेत् सुखस्य त्यागं करोतु।
#Subhashitam
February 18, 2022
February 18, 2022
February 19, 2022
February 19, 2022
संस्कृत संवादः । Sanskrit Samvadah
संस्कृतं
वद आधुनिको भव। वेदान् पठ वैज्ञानिको भव।। पाठ : (१६) चतुर्थी विभक्ति
(३) (स्पृह् धातु के साथ इष्ट वस्तु की सम्प्रदान संज्ञा होती है, अतः
उसमें चतुर्थी विभक्ति का प्रयोग होता है।) सुधा सुधायै स्पृहयति = सुधा
अमृत को चाहती है। यशस्वी यशसे स्पृहयति…
(परिक्रयण
= किसी को निश्चित समय के लिए वेतन पर रख लेना अर्थ में करण कारक की
विकल्प से सम्प्रदान संज्ञा होने से उसमें चतुर्थी विभक्ति होती है।)
भूपतिः निर्र्धनम् आजीवनं धनेन धनाय वा परिक्रीणाति =
जमीनदार निर्धन को जीवनभर के लिए खरीदता है।
सर्वकारः त्रीन् अभियन्तॄन् मार्गनिर्माणाय वर्षद्वयं धनेन / धनाय वा पर्र्यक्रीणात् =
सरकार ने रास्ता बनाने के लिए तीन अभियन्ताओं को दो वर्ष के लिए वेतन पर रखा।
शतेन शताय वा परिक्रीतोऽस्ति दुष्ट मां प्रति वदति?=
नालायक, सौ रुपए से खरीदा हुआ है तू और मुझे उलटा बोलता है ?
धनाढ्यः बहुभूमिकं भवनं निर्मातुं निर्मातॄन् धनेन धनाय वा पञ्चवर्षाणि परिक्रेष्यति =
धनपति बहुमंजिला भवन बनाने के लिए निर्माताओं को पांच वर्ष तक वेतन पर रखेगा।
यावद् ऋणं प्रत्यावर्त्तयेत् तावत्सः तं धनेन धनाय वा परिक्रीणीयात् =
जब तक ऋण लौटाएगा तब तक वह उसको वेतन देकर काम पर रख लेवे।
(श्लाघ्, ह्नुङ्, स्था तथा शप् इन धातुओं के प्रयोग में जिसे ये क्रियाएं जताना अभिप्रेत है, उसकी सम्प्रदान संज्ञा होती है तथा उसमें चतुर्थी विभक्ति का प्रयोग होता है।)
मित्राय श्लाघते =
मित्र की प्रशंसा करता है। (अर्थात् मित्र की दिखावटी प्रशंसा करता है)
चाटुपटुः यशसेऽधिकारिणेऽश्लाघत =
चापलूस व्यक्ति ने यश के लिए अधिकारी की प्रशंसा की है।
दोषी विद्यार्र्थी दण्डात् मुक्तये गुरवे श्लाघिष्यते =
दोषी विद्यार्थी दण्ड से बचने के लिए गुरु की प्रशंसा करेगा।
आत्मश्लाघिने तुष्टये सदा श्लाघेत =
आत्मश्लाघी (खुद ही खुद का प्रशंसक) की तुष्टि के लिए सदा उसकी प्रशंसा करे।
शिशवे क्रीडनकं ह्नुते =
बच्चे से खिलौना छिपाता है। (खिलौना लेने बच्चा उसके पास आए इस लिए जानबूझ कर छिपाने का दिखावा करता है)
अपलापिने तस्य वास्तुकं अपह्नुते =
झूठे से उसकी किसी वस्तु को झुठलाता है। (जिससे उस झूठे व्यक्ति को पता चले कि वह भी अन्यों की वस्तुएं झुठलाता है)
रुष्टा पत्नी पत्ये तिष्ठते =
रूठी हुई पत्नी पति के लिए रुकती / ठहरती है। (इस प्रकार रुकती है कि उस का रुकना पति को पता चले)
हस्तशाकटिकः क्रेतृभ्यः अतिष्ठत =
ठेलेवाला खरीददारों के लिए रुका।
श्वश्रू वध्वे शपते =
सास बहू की निन्दा कर रही है। (बहु को पता चले इस तरह से करती है)
क्रेता विक्रेत्रे अशपत =
ग्राहक ने बेचनेवाले की निन्दा की। (यद्यपि निन्दा अन्यों के सामने की पर इस तरह से की कि बेचनेवाले को पता चले)
(राध् और ईक्ष धातुओं के प्रयोग में जिसका क्षेमकुशल जानने के लिए प्रश्न पूछे जाते हैं उसकी सम्प्रदान संज्ञा होती है अतः उसमें चतुर्थी विभक्ति का प्रयोग होता है।)
पिता वैद्यं पुत्राय राध्यति =
पिता वैद्य को पुत्र के विषय में पूछता है।
पितरावपतेभ्यः शिक्षकान् राध्येताम् =
माता-पिता को बच्चों के विषय में अध्यापकों से पूछना चाहिए।
माता दूरवाण्यां विदेशस्थाय पुत्राय ईक्षते=
दूरभाष पर माता विदेश में रहनेवाले बेटे को विविध प्रश्न पूछती है।
रामः हनुमन्तं सीतायै ऐक्षत =
राम ने हनुमान से सीता के विषय में पूछा।
#vakyabhyas
भूपतिः निर्र्धनम् आजीवनं धनेन धनाय वा परिक्रीणाति =
जमीनदार निर्धन को जीवनभर के लिए खरीदता है।
सर्वकारः त्रीन् अभियन्तॄन् मार्गनिर्माणाय वर्षद्वयं धनेन / धनाय वा पर्र्यक्रीणात् =
सरकार ने रास्ता बनाने के लिए तीन अभियन्ताओं को दो वर्ष के लिए वेतन पर रखा।
शतेन शताय वा परिक्रीतोऽस्ति दुष्ट मां प्रति वदति?=
नालायक, सौ रुपए से खरीदा हुआ है तू और मुझे उलटा बोलता है ?
धनाढ्यः बहुभूमिकं भवनं निर्मातुं निर्मातॄन् धनेन धनाय वा पञ्चवर्षाणि परिक्रेष्यति =
धनपति बहुमंजिला भवन बनाने के लिए निर्माताओं को पांच वर्ष तक वेतन पर रखेगा।
यावद् ऋणं प्रत्यावर्त्तयेत् तावत्सः तं धनेन धनाय वा परिक्रीणीयात् =
जब तक ऋण लौटाएगा तब तक वह उसको वेतन देकर काम पर रख लेवे।
(श्लाघ्, ह्नुङ्, स्था तथा शप् इन धातुओं के प्रयोग में जिसे ये क्रियाएं जताना अभिप्रेत है, उसकी सम्प्रदान संज्ञा होती है तथा उसमें चतुर्थी विभक्ति का प्रयोग होता है।)
मित्राय श्लाघते =
मित्र की प्रशंसा करता है। (अर्थात् मित्र की दिखावटी प्रशंसा करता है)
चाटुपटुः यशसेऽधिकारिणेऽश्लाघत =
चापलूस व्यक्ति ने यश के लिए अधिकारी की प्रशंसा की है।
दोषी विद्यार्र्थी दण्डात् मुक्तये गुरवे श्लाघिष्यते =
दोषी विद्यार्थी दण्ड से बचने के लिए गुरु की प्रशंसा करेगा।
आत्मश्लाघिने तुष्टये सदा श्लाघेत =
आत्मश्लाघी (खुद ही खुद का प्रशंसक) की तुष्टि के लिए सदा उसकी प्रशंसा करे।
शिशवे क्रीडनकं ह्नुते =
बच्चे से खिलौना छिपाता है। (खिलौना लेने बच्चा उसके पास आए इस लिए जानबूझ कर छिपाने का दिखावा करता है)
अपलापिने तस्य वास्तुकं अपह्नुते =
झूठे से उसकी किसी वस्तु को झुठलाता है। (जिससे उस झूठे व्यक्ति को पता चले कि वह भी अन्यों की वस्तुएं झुठलाता है)
रुष्टा पत्नी पत्ये तिष्ठते =
रूठी हुई पत्नी पति के लिए रुकती / ठहरती है। (इस प्रकार रुकती है कि उस का रुकना पति को पता चले)
हस्तशाकटिकः क्रेतृभ्यः अतिष्ठत =
ठेलेवाला खरीददारों के लिए रुका।
श्वश्रू वध्वे शपते =
सास बहू की निन्दा कर रही है। (बहु को पता चले इस तरह से करती है)
क्रेता विक्रेत्रे अशपत =
ग्राहक ने बेचनेवाले की निन्दा की। (यद्यपि निन्दा अन्यों के सामने की पर इस तरह से की कि बेचनेवाले को पता चले)
(राध् और ईक्ष धातुओं के प्रयोग में जिसका क्षेमकुशल जानने के लिए प्रश्न पूछे जाते हैं उसकी सम्प्रदान संज्ञा होती है अतः उसमें चतुर्थी विभक्ति का प्रयोग होता है।)
पिता वैद्यं पुत्राय राध्यति =
पिता वैद्य को पुत्र के विषय में पूछता है।
पितरावपतेभ्यः शिक्षकान् राध्येताम् =
माता-पिता को बच्चों के विषय में अध्यापकों से पूछना चाहिए।
माता दूरवाण्यां विदेशस्थाय पुत्राय ईक्षते=
दूरभाष पर माता विदेश में रहनेवाले बेटे को विविध प्रश्न पूछती है।
रामः हनुमन्तं सीतायै ऐक्षत =
राम ने हनुमान से सीता के विषय में पूछा।
#vakyabhyas
February 19, 2022
एका महिला आपणं गच्छति शाटिकां क्रेतुम्।
आपणिकः - कीदृशीं शाटिकाम् दर्शयानि?
महिला - तादृशीं दर्शयतु यां दृष्ट्वा प्रतिवेशिनी ईर्ष्यया एव म्रियेत।😃😅
#hasya
आपणिकः - कीदृशीं शाटिकाम् दर्शयानि?
महिला - तादृशीं दर्शयतु यां दृष्ट्वा प्रतिवेशिनी ईर्ष्यया एव म्रियेत।😃😅
#hasya
February 19, 2022
।।श्रीः।।
।।आत्मबोधः।।
Atmabodha, meaning Self-knowledge or Self-awareness, is an exceptionally lucid and readable work of Shankaracharya. Consisting of sixty-eight verses or shlokas, it is in a sense a simple summary of his entire Vedantic structure of thought, intended, it would seem, as a basic primer for his students and followers. The text follows a clearly elaborated doctrine, starting with knowledge as a key to liberation, the nautre of the Atman within us, the assertion of the pervasive and attribute-less nature of Brahman, and the path towards the realisation of the complete identity between the Atman and Brahman.
व्यापृतेष्विन्द्रियेष्वात्मा व्यापारीवाविवेकिनाम्।
दृश्यतेऽभ्रेषु धावत्सु धावन्निव यथा शशी।।19।।
19. The moon appears to be running when the clouds move in the sky. Likewise to the non-discriminating person the Atman appears to be active when It is observed through the functions of the sense-organs.
आत्म-बोध ऑनलाइन क्लास - 19 :
आत्म-बोध के 19th श्लोक में पू गुरूजी श्री स्वामी आत्मानन्द सरस्वतीजी ने बताया की इस श्लोक में आचार्यश्री हमें बता रहे हैं की जब शरीर, इन्द्रिय, एवं मन आदि कार्य करते हैं तो अविवेकी लोग ऐसा समझते हैं की आत्मा अर्थात वे खुद कार्य कर रहे हैं। ऐसे लोग न तो यह जानते हैं की वे क्या हैं और न ही यह जानते हैं की कोई भी कार्य कैसे होता है। आत्मा सदैव मात्र एक राजा तुल्य साक्षी की तरह से स्थित रहती है और सबको अपने-अपने कार्य करने के लिए जीवंतता प्रदान करती रहती है - न की खुद करती है। जो इस रहस्य को जान जाता है वो किसी भी काम में कभी भी तनाव आदि से युक्त नहीं होता है। वो तो मुक्त रहता है।
#Atmabodha
।।आत्मबोधः।।
Atmabodha, meaning Self-knowledge or Self-awareness, is an exceptionally lucid and readable work of Shankaracharya. Consisting of sixty-eight verses or shlokas, it is in a sense a simple summary of his entire Vedantic structure of thought, intended, it would seem, as a basic primer for his students and followers. The text follows a clearly elaborated doctrine, starting with knowledge as a key to liberation, the nautre of the Atman within us, the assertion of the pervasive and attribute-less nature of Brahman, and the path towards the realisation of the complete identity between the Atman and Brahman.
व्यापृतेष्विन्द्रियेष्वात्मा व्यापारीवाविवेकिनाम्।
दृश्यतेऽभ्रेषु धावत्सु धावन्निव यथा शशी।।19।।
19. The moon appears to be running when the clouds move in the sky. Likewise to the non-discriminating person the Atman appears to be active when It is observed through the functions of the sense-organs.
आत्म-बोध ऑनलाइन क्लास - 19 :
आत्म-बोध के 19th श्लोक में पू गुरूजी श्री स्वामी आत्मानन्द सरस्वतीजी ने बताया की इस श्लोक में आचार्यश्री हमें बता रहे हैं की जब शरीर, इन्द्रिय, एवं मन आदि कार्य करते हैं तो अविवेकी लोग ऐसा समझते हैं की आत्मा अर्थात वे खुद कार्य कर रहे हैं। ऐसे लोग न तो यह जानते हैं की वे क्या हैं और न ही यह जानते हैं की कोई भी कार्य कैसे होता है। आत्मा सदैव मात्र एक राजा तुल्य साक्षी की तरह से स्थित रहती है और सबको अपने-अपने कार्य करने के लिए जीवंतता प्रदान करती रहती है - न की खुद करती है। जो इस रहस्य को जान जाता है वो किसी भी काम में कभी भी तनाव आदि से युक्त नहीं होता है। वो तो मुक्त रहता है।
#Atmabodha
February 19, 2022
February 19, 2022
।।श्री शिवराजस्तुतिपञ्चकम्।।
(अनुष्टुप् छंदसि , पथ्यावक्त्र वृत्तम् )
**चरितंशिवराजस्य महद्दिव्यम् अलौकिकम् ।
महासत्तवमहाधैर्यमहास्फूर्तिप्रदायकम्।।१।।
येन वै षोडशे वर्षे चक्रे दिव्य पराक्रम:।
जिगाय तोरणा दुर्गं दुर्गंपरमदुर्जय:।।२।।
नारसिंहवपुर्धृत्वा य: शत्रो: शिबिरं गत:।
चक्रे वधम् अफझलस्य व्याघ्रस्यनखरै: पुरा ।।३।।
शिवछत्रपती राजा सुमेरोरपि सुस्थिर:।
सदालोकहितेमग्न: शंकरो धूर्जटिर्यथा।।४।।
कुळवाडिवतंसः स पौरपालनतत्परः।
स नित्यं समुदायच्छेन्नो नीतिं सुखदायिनीम् ।।५।।
वर्णयेयं कथमहं प्रभो तव यशोऽर्णवम् ।
शतदा जन्म लब्ध्वापि वर्णनं नैव शक्यते ।।६।।**
युवराज दिपककुमार भोगावकर
बी.ए.द्वितीय वर्ष , देवगिरी महाविद्यालय, औरंगाबाद
(अनुष्टुप् छंदसि , पथ्यावक्त्र वृत्तम् )
**चरितंशिवराजस्य महद्दिव्यम् अलौकिकम् ।
महासत्तवमहाधैर्यमहास्फूर्तिप्रदायकम्।।१।।
येन वै षोडशे वर्षे चक्रे दिव्य पराक्रम:।
जिगाय तोरणा दुर्गं दुर्गंपरमदुर्जय:।।२।।
नारसिंहवपुर्धृत्वा य: शत्रो: शिबिरं गत:।
चक्रे वधम् अफझलस्य व्याघ्रस्यनखरै: पुरा ।।३।।
शिवछत्रपती राजा सुमेरोरपि सुस्थिर:।
सदालोकहितेमग्न: शंकरो धूर्जटिर्यथा।।४।।
कुळवाडिवतंसः स पौरपालनतत्परः।
स नित्यं समुदायच्छेन्नो नीतिं सुखदायिनीम् ।।५।।
वर्णयेयं कथमहं प्रभो तव यशोऽर्णवम् ।
शतदा जन्म लब्ध्वापि वर्णनं नैव शक्यते ।।६।।**
युवराज दिपककुमार भोगावकर
बी.ए.द्वितीय वर्ष , देवगिरी महाविद्यालय, औरंगाबाद
February 19, 2022
@samskrt_samvadah संलापशाला - A Samskrit Voicechat room.
कालावधिः : 45 निमेषाः
समयः : IST 17:00 PM 🕔
विषयः : दूरवाणी अपायः अथवा उपायः
(Mobile boon or curse)
दिनाङ्कः : 20th February 2022,
रविवासरः
Please Join the voicechat on time.
😇 यदि शक्येत चेत् संस्कृतेन (शिवाजीमहाराजस्य जीवनपरिचयं , जीवनघटनां , युद्धविवरणं वा वदन्तु) चर्चार्थं कृपया पूर्वसिद्धतां कृत्वा आगच्छन्तु।
वयं युष्माकं प्रतीक्षां कुर्मः। 😇
स्मारणतंत्रिकां स्थापयतु⏰
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https://t.me/samskrt_samvadah?voicechat
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February 19, 2022
February 19, 2022
🍃
♦️vedeShu yaj~neShu tapaHsu chaiva
daaneShu yatpuNyaphalaM pradiShTam|
atyeti tatsarvamidaM viditvaa
yogii paraM sthaanamupaiti chaadyam8.28
⚜Whatever fruit of merit is declared (in the scriptures) to accrue from (the study of) the Vedas, (the performance of) sacrifices, (the practice of) austerities, and gifts beyond all this goes the Yogi, having known this; and he attains to the Supreme Primeval (first or ancient) Abode. 8.28
⚜योगी इसको (शुक्ल और कृष्णमार्गके रहस्यको) जानकर वेदोंमें यज्ञोंमें तपोंमें तथा दानमें जोजो पुण्यफल कहे गये हैं उन सभी पुण्यफलोंका अतिक्रमण कर जाता है और आदिस्थान परमात्माको प्राप्त हो जाता है।। 8.28 ।।
#geeta
वेदेषु यज्ञेषु तपःसु चैव दानेषु यत्पुण्यफलं प्रदिष्टम्।
अत्येति तत्सर्वमिदं विदित्वा योगी परं स्थानमुपैति चाद्यम्
।। 8.28 ।।♦️vedeShu yaj~neShu tapaHsu chaiva
daaneShu yatpuNyaphalaM pradiShTam|
atyeti tatsarvamidaM viditvaa
yogii paraM sthaanamupaiti chaadyam
⚜Whatever fruit of merit is declared (in the scriptures) to accrue from (the study of) the Vedas, (the performance of) sacrifices, (the practice of) austerities, and gifts beyond all this goes the Yogi, having known this; and he attains to the Supreme Primeval (first or ancient) Abode. 8.28
⚜योगी इसको (शुक्ल और कृष्णमार्गके रहस्यको) जानकर वेदोंमें यज्ञोंमें तपोंमें तथा दानमें जोजो पुण्यफल कहे गये हैं उन सभी पुण्यफलोंका अतिक्रमण कर जाता है और आदिस्थान परमात्माको प्राप्त हो जाता है।। 8.28 ।।
#geeta
February 19, 2022
Forwarded from रामदूतः — The Sanskrit News Platform
YouTube
“ Vaartavali ” : News in Sanskrit 19/2/2022
Catch the latest news and updates in #Sanskrit in our special bulletin
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February 19, 2022
February 19, 2022
🍃
♦️shrii bhagavaanuvaacha
idaM tu te guhyatamaM pravakShyaamyanasuuyave|
j~naanaM vij~naanasahitaM yajj~naatvaa mokShyase'shubhaat9.1
⚜The Supreme Lord said:
I shall reveal to you, who do not disbelieve, the most profound secret of Self-knowledge and Self-realization. Having known this you will be freed from the miseries of worldly existence. (9.01)
⚜श्रीभगवान् ने कहा --
तुम अनसूयु (दोष दृष्टि रहित) के लिए मैं इस गुह्यतम ज्ञान को विज्ञान के सहित कहूँगा? जिसको जानकर तुम अशुभ (संसार बंधन) से मुक्त हो जाओगे।। 9.1 ।।
#geeta
श्री भगवानुवाच
इदं तु ते गुह्यतमं प्रवक्ष्याम्यनसूयवे।
ज्ञानं विज्ञानसहितं यज्ज्ञात्वा मोक्ष्यसेऽशुभात्
।। 9.1 ।।♦️shrii bhagavaanuvaacha
idaM tu te guhyatamaM pravakShyaamyanasuuyave|
j~naanaM vij~naanasahitaM yajj~naatvaa mokShyase'shubhaat
⚜The Supreme Lord said:
I shall reveal to you, who do not disbelieve, the most profound secret of Self-knowledge and Self-realization. Having known this you will be freed from the miseries of worldly existence. (9.01)
⚜श्रीभगवान् ने कहा --
तुम अनसूयु (दोष दृष्टि रहित) के लिए मैं इस गुह्यतम ज्ञान को विज्ञान के सहित कहूँगा? जिसको जानकर तुम अशुभ (संसार बंधन) से मुक्त हो जाओगे।। 9.1 ।।
#geeta
February 19, 2022
🚩जय सत्य सनातन🚩
🚩आज की हिंदी तिथि
🌥️ 🚩युगाब्द-५१२३
🌥️ 🚩विक्रम संवत-२०७८
⛅ 🚩तिथि - चतुर्थी रात्रि ०९:०५ तक तत्पश्चात पंचमी
⛅ दिनांक - २० फरवरी २०२२
⛅ दिन - रविवार
⛅ विक्रम संवत - २०७८
⛅ शक संवत -१९४३
⛅ अयन - उत्तरायण
⛅ ऋतु - वसंत ऋतु
⛅ मास - फाल्गुन
⛅ पक्ष - कृष्ण
⛅ नक्षत्र - हस्त शाम ०४:४२ तक तत्पश्चात चित्रा
⛅ योग - शूल दोपहर ०३:०८ तक तत्पश्चात गण्ड
⛅ राहुकाल - शाम ०५:१२ से शाम ०६:३९ तक
⛅ सूर्योदय - ०७:०७
⛅ सूर्यास्त - १८:३७
⛅ दिशाशूल - पश्चिम दिशा में
🚩आज की हिंदी तिथि
🌥️ 🚩युगाब्द-५१२३
🌥️ 🚩विक्रम संवत-२०७८
⛅ 🚩तिथि - चतुर्थी रात्रि ०९:०५ तक तत्पश्चात पंचमी
⛅ दिनांक - २० फरवरी २०२२
⛅ दिन - रविवार
⛅ विक्रम संवत - २०७८
⛅ शक संवत -१९४३
⛅ अयन - उत्तरायण
⛅ ऋतु - वसंत ऋतु
⛅ मास - फाल्गुन
⛅ पक्ष - कृष्ण
⛅ नक्षत्र - हस्त शाम ०४:४२ तक तत्पश्चात चित्रा
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⛅ दिशाशूल - पश्चिम दिशा में
February 19, 2022
Forwarded from रामदूतः — The Sanskrit News Platform
https://youtu.be/AuOtTrjsfCM
Switch to DD News daily at 7:15 AM (Morning) for 15 minutes Sanskrit news.
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वार्ता: संस्कृत भाषा में ख़बरें
February 19, 2022
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February 19, 2022
February 20, 2022
Online Sanskrit courses from Vyoma Labs
Sanskrit 101 - Master the Basic Skills (LSRW) of Sanskrit Language - भाषा प्रवेशः
Step confidently into the wonderful world of Sanskrit, and pick up the basic Listening, Speaking, Reading and Writing Skills. Carefully selected courses to systematically teach the sounds of the language and script, build your vocabulary with domain-based words, understand the construction of basic Sanskrit sentences, and have a taste of simple verses in Sanskrit.
Target Audience Beginners (6+ Years)
Eligibility Open For All
No.Of Courses 5
Estimated Duration 75 hours
Course fee INR 1900
This learning program is targeted at beginners in Sanskrit language. It contains a package of 5 hugely popular courses, which together build a strong base for learning Sanskrit. With 75+ hours of learning material, you can learn to read the Devanagari script, understand the basic concepts in sentence construction, introduce yourself and carry out a conversation in Sanskrit, and learn how to analyse and understand simple shlokas.
There is a 2-part assessment at the end of the program - It consists of an Online Multiple Choice Assessment for 100 marks and an Oral Assessment for 50 marks.
The assessment will be offered every 6 months, usually in the months of Jan-Feb and July-Aug. Exact dates will be communicated by Email for each cycle. You can register and take up the assessment when you are ready.
If you get a cumulative score of 60% or more in the assessment, you will receive an e-certificate from Vyoma Labs.
https://www.sanskritfromhome.org/learning-program-details/program_sanskrit_language_skills-8910
To enrol click here
#SanskritEducation
Sanskrit 101 - Master the Basic Skills (LSRW) of Sanskrit Language - भाषा प्रवेशः
Step confidently into the wonderful world of Sanskrit, and pick up the basic Listening, Speaking, Reading and Writing Skills. Carefully selected courses to systematically teach the sounds of the language and script, build your vocabulary with domain-based words, understand the construction of basic Sanskrit sentences, and have a taste of simple verses in Sanskrit.
Target Audience Beginners (6+ Years)
Eligibility Open For All
No.Of Courses 5
Estimated Duration 75 hours
Course fee INR 1900
This learning program is targeted at beginners in Sanskrit language. It contains a package of 5 hugely popular courses, which together build a strong base for learning Sanskrit. With 75+ hours of learning material, you can learn to read the Devanagari script, understand the basic concepts in sentence construction, introduce yourself and carry out a conversation in Sanskrit, and learn how to analyse and understand simple shlokas.
There is a 2-part assessment at the end of the program - It consists of an Online Multiple Choice Assessment for 100 marks and an Oral Assessment for 50 marks.
The assessment will be offered every 6 months, usually in the months of Jan-Feb and July-Aug. Exact dates will be communicated by Email for each cycle. You can register and take up the assessment when you are ready.
If you get a cumulative score of 60% or more in the assessment, you will receive an e-certificate from Vyoma Labs.
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Language Practice
February 19, 2022
उक्तस्य शतशोऽप्युच्चैर्नीचैरुक्तस्य चैकधा । असत्यस्य न सत्यत्वं न सत्यस्याप्यसत्यता ॥
Falsehood uttered loudly a hundred times doesn't become true and truth whispered but once doesn't become false.
#Subhashitam
Falsehood uttered loudly a hundred times doesn't become true and truth whispered but once doesn't become false.
#Subhashitam
February 19, 2022
07:15 - कः समयः?
Anonymous Quiz
90%
सपाद - सप्तवादनम्
2%
सपाद- अष्टवादनम्
8%
पादोन - सप्तवादनम्
0%
पादोन - अष्टवादनम्
February 20, 2022
February 20, 2022
संस्कृत संवादः । Sanskrit Samvadah
(परिक्रयण
= किसी को निश्चित समय के लिए वेतन पर रख लेना अर्थ में करण कारक की
विकल्प से सम्प्रदान संज्ञा होने से उसमें चतुर्थी विभक्ति होती है।)
भूपतिः निर्र्धनम् आजीवनं धनेन धनाय वा परिक्रीणाति = जमीनदार निर्धन को
जीवनभर के लिए खरीदता है। सर्वकारः त्रीन्…
(अप+राध् धातु के साथ जिसके प्रति अपराध किया जाता है उसमें चतुर्थी का प्रयोग देखा जाता है।)
न दूये सात्वतीसूनुर्यन्मह्यमपराध्यति।
यत्तु दन्दह्यते लोकमदो दुःखाकरोति माम्।।
श्रीकृष्ण कहते हैं- मुझे इस बात का दुःख नहीं है कि शिशुपाल मेरे प्रति अपराध कर रहा है, किन्तु उसके कारण प्रजा का जो उत्पीड़न हो रहा है यही बात मुझे परेशान कर रही है।
आत्मघाती आत्मनेऽपराध्यति =
आत्महत्यारा स्वयं के प्रति अपराध करता है।
यदि गुरवेऽपराधिष्यति तर्हि ब्रह्महा भविष्यति =
यदि गुरु के प्रति अपराध करेगा तो ब्रह्म का हत्यारा माना जाएगा।
(गत्यर्र्थक धातु के साथ चेष्टा युक्त गमन जिसमें हाथ-पैर में चेष्टा दृष्टिगोचर हो रही हो, उस में जहां जाया जाता है उसमें चतुर्थी और द्वितीया का विकल्प से प्रयोग होता है।)
बालकाः प्रातः विद्यालयाय विद्यालयं वा गच्छन्ति =
बालक सुबह विद्यालय जाते हैं।
सर्वे प्रातः भ्रमणार्थं वाटिकायै वाटिकां वा गच्छेयुः =
सभी को सुबह भ्रमण के लिए बगीचे में जाना चाहिए।
कृषिवलाः प्रतिदिनं ऋषभैः सह केदाराय केदारं वा गमिष्यन्ति =
किसान प्रतिदिन बैलों के साथ खेत में जाएंगे।
धेनवः चरित्वा गोष्ठाय गोष्ठं वा व्रजन्ति =
गाएं चर चर के बाड़े में जाती हैं।
विट् विमानेन व्यापारार्थं विदेशाय विदेशं याति =
बनिया व्यापार के लिए विमान से विदेश जाता है।
(नमः, स्वस्ति, स्वाहा, स्वधा, वषट्, अलम् इन शब्दों के साथ चतुर्थी विभक्ति का प्रयोग होता है।)
नमः शम्भवाय च मयोभवाय च नमः शङ्कराय च मयस्कराय च नमः शिवाय च शिवतराय च =
जिसने संसार में सुख उत्पन्न किया है और जो सांसारिक सकल सुखों का दाता है ऐसे ईश्वर को नमस्कार, कल्याण करने का ही जिसका स्वभाव है तथा स्वभक्तों को कल्याणकारी कर्मों में प्रेरित करता है जो उस ईश्वर को नमन है, अत्यन्त मंगलस्वरूप तथा मोक्ष आनन्द प्रदाता ईश्वर के लिए नमस्कार है।
स्वस्ति प्रजाभ्यः =
प्रजा का कल्याण होवे।
स्वस्ति नः पथ्यासु धन्वसु स्वस्त्यप्सु वृजने स्वर्वति =
पथ युक्त उत्तम प्रदेशों में (नगर, ग्राम में), मरुस्थल में, जलमय प्रदेशों में, आकाश (अन्तरिक्ष) में, द्युलोक में अर्थात् सर्वत्र हमारा कल्याण हो।
स्वस्ति न इन्द्रो वृद्धश्रवाः स्वस्ति नः पूषा विश्ववेदाः। स्वस्ति नस्तार्क्ष्यो अरिष्टनेमिः स्वस्ति नो बृहस्पतिर्दधातु =
जिसका यश बढ़ा हुआ है ऐसे क्षत्रिय हमारे कल्याण को धारण करे, सब धनों का स्वामी वैश्य हमारे लिए कल्याण को धारण करे, अहिंसित तीव्रगतिवाला शूद्र हमारे लिए कल्याण को धारण करे। बृहत (विस्तृत) ज्ञान का पालक ब्राह्मण हमारे लिए कल्याण को धारण करे। अर्थात् चारों वर्ण हमारे लिए कल्याणकारी होवें।
अग्नये स्वाहा =
अग्निस्वरूप परमात्मा के लिए यह आहुति है।
सोमाय स्वाहा =
सुख स्वरूप परमात्मा के लिए यह आहुति है।
प्रजापतये स्वाहा =
प्रजापालक परमात्माके लिए यह आहुति है।
इन्द्राय स्वाहा =
परमैश्वर्यशाली परमात्मा के लिए यह आहुति है।
पितृभ्यः स्वाहा =
पिरों के लिए स्वधा / अन्नादि भोग्य पदार्थ हैं।
अग्नये वषट् =
अग्निस्वरूप परमात्मा के लिए आहुति है।
(विशेष = श्रौतयागों में ‘वषट्’ कहकर देवताओं को आहुति दी जाती है और स्मार्त्तयज्ञों में ‘स्वाहा’ कहकर।)
अलं मल्लो मल्लाय =
पहलवाल पहलवान के लिए पर्याप्त है।
अलं सुपुत्री यशोवर्धनाय =
सुसंकृत बेटी यश बढ़ाने के लिए पर्याप्त है।
दैत्येभ्यः विष्णुः समर्थः =
दैत्यों को पराजित करने के लिए अके ला विष्णु ही पर्याप्त है।
विधर्मिभ्यः कः प्रभवति अद्यत्वे ? =
आजकल विधर्मियों को पराजित करने में कौन समर्थ है ?
#vakyabhyas
न दूये सात्वतीसूनुर्यन्मह्यमपराध्यति।
यत्तु दन्दह्यते लोकमदो दुःखाकरोति माम्।।
श्रीकृष्ण कहते हैं- मुझे इस बात का दुःख नहीं है कि शिशुपाल मेरे प्रति अपराध कर रहा है, किन्तु उसके कारण प्रजा का जो उत्पीड़न हो रहा है यही बात मुझे परेशान कर रही है।
आत्मघाती आत्मनेऽपराध्यति =
आत्महत्यारा स्वयं के प्रति अपराध करता है।
यदि गुरवेऽपराधिष्यति तर्हि ब्रह्महा भविष्यति =
यदि गुरु के प्रति अपराध करेगा तो ब्रह्म का हत्यारा माना जाएगा।
(गत्यर्र्थक धातु के साथ चेष्टा युक्त गमन जिसमें हाथ-पैर में चेष्टा दृष्टिगोचर हो रही हो, उस में जहां जाया जाता है उसमें चतुर्थी और द्वितीया का विकल्प से प्रयोग होता है।)
बालकाः प्रातः विद्यालयाय विद्यालयं वा गच्छन्ति =
बालक सुबह विद्यालय जाते हैं।
सर्वे प्रातः भ्रमणार्थं वाटिकायै वाटिकां वा गच्छेयुः =
सभी को सुबह भ्रमण के लिए बगीचे में जाना चाहिए।
कृषिवलाः प्रतिदिनं ऋषभैः सह केदाराय केदारं वा गमिष्यन्ति =
किसान प्रतिदिन बैलों के साथ खेत में जाएंगे।
धेनवः चरित्वा गोष्ठाय गोष्ठं वा व्रजन्ति =
गाएं चर चर के बाड़े में जाती हैं।
विट् विमानेन व्यापारार्थं विदेशाय विदेशं याति =
बनिया व्यापार के लिए विमान से विदेश जाता है।
(नमः, स्वस्ति, स्वाहा, स्वधा, वषट्, अलम् इन शब्दों के साथ चतुर्थी विभक्ति का प्रयोग होता है।)
नमः शम्भवाय च मयोभवाय च नमः शङ्कराय च मयस्कराय च नमः शिवाय च शिवतराय च =
जिसने संसार में सुख उत्पन्न किया है और जो सांसारिक सकल सुखों का दाता है ऐसे ईश्वर को नमस्कार, कल्याण करने का ही जिसका स्वभाव है तथा स्वभक्तों को कल्याणकारी कर्मों में प्रेरित करता है जो उस ईश्वर को नमन है, अत्यन्त मंगलस्वरूप तथा मोक्ष आनन्द प्रदाता ईश्वर के लिए नमस्कार है।
स्वस्ति प्रजाभ्यः =
प्रजा का कल्याण होवे।
स्वस्ति नः पथ्यासु धन्वसु स्वस्त्यप्सु वृजने स्वर्वति =
पथ युक्त उत्तम प्रदेशों में (नगर, ग्राम में), मरुस्थल में, जलमय प्रदेशों में, आकाश (अन्तरिक्ष) में, द्युलोक में अर्थात् सर्वत्र हमारा कल्याण हो।
स्वस्ति न इन्द्रो वृद्धश्रवाः स्वस्ति नः पूषा विश्ववेदाः। स्वस्ति नस्तार्क्ष्यो अरिष्टनेमिः स्वस्ति नो बृहस्पतिर्दधातु =
जिसका यश बढ़ा हुआ है ऐसे क्षत्रिय हमारे कल्याण को धारण करे, सब धनों का स्वामी वैश्य हमारे लिए कल्याण को धारण करे, अहिंसित तीव्रगतिवाला शूद्र हमारे लिए कल्याण को धारण करे। बृहत (विस्तृत) ज्ञान का पालक ब्राह्मण हमारे लिए कल्याण को धारण करे। अर्थात् चारों वर्ण हमारे लिए कल्याणकारी होवें।
अग्नये स्वाहा =
अग्निस्वरूप परमात्मा के लिए यह आहुति है।
सोमाय स्वाहा =
सुख स्वरूप परमात्मा के लिए यह आहुति है।
प्रजापतये स्वाहा =
प्रजापालक परमात्माके लिए यह आहुति है।
इन्द्राय स्वाहा =
परमैश्वर्यशाली परमात्मा के लिए यह आहुति है।
पितृभ्यः स्वाहा =
पिरों के लिए स्वधा / अन्नादि भोग्य पदार्थ हैं।
अग्नये वषट् =
अग्निस्वरूप परमात्मा के लिए आहुति है।
(विशेष = श्रौतयागों में ‘वषट्’ कहकर देवताओं को आहुति दी जाती है और स्मार्त्तयज्ञों में ‘स्वाहा’ कहकर।)
अलं मल्लो मल्लाय =
पहलवाल पहलवान के लिए पर्याप्त है।
अलं सुपुत्री यशोवर्धनाय =
सुसंकृत बेटी यश बढ़ाने के लिए पर्याप्त है।
दैत्येभ्यः विष्णुः समर्थः =
दैत्यों को पराजित करने के लिए अके ला विष्णु ही पर्याप्त है।
विधर्मिभ्यः कः प्रभवति अद्यत्वे ? =
आजकल विधर्मियों को पराजित करने में कौन समर्थ है ?
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February 20, 2022
यमुना विषरहिता जाता
एकदा षड्वर्षीय: श्रीकृष्ण: वृन्दावने यमुनातटम् अगच्छत् । गोपाः अपि तेन सह अगच्छन्। गोपाः पिपासया आकुलाः अभवन् । ते यमुनाजलम् अपिबन्। जलं पीत्वा ते मूर्च्छिताः अभवन् । श्रीकृष्णः तान् मूच्छितान् दृष्ट्वा व्याकुलः अभवत्। वस्तुत: यमुनाजले कालियनागस्य कुण्डम् आसीत्। तेन यमुनाजलं विषज्वालाभिः विषाक्तं जातम् । अनेके खगाः पशवः च तत् जलं पीत्वा मृत्युं प्राप्ताः । वायुः अपि तेन विषयुक्तः अभवत् । तेन वायुना वृक्षाः शुष्काः जाताः यदा श्रीकृष्णः एतत् सर्वम् अपश्यत् सः एकं वृक्षम् आरोहत् । तस्मात्
वृक्षात् सः विषयुक्ते जले अकूर्दत् । कालियनागस्य एकाधिकशतं फणाः आसन्।
सः तान् प्रसार्य कृष्णं प्रहर्तुम् ऐच्छत् । श्रीकृष्णः तस्य फणान् आरुह्य अनृत्यत् ।
कालियनागस्य फणाः शनैः शनैः छिन्नाः भिन्नाः अभवन् । मुखात् रक्तं प्रावहत् ।
सः हस्तौ संयोज्य अवदत्- “भगवन्! वयं नागा: जन्मतः एव विषयुक्ताः । अयं न मम अपराधः। भवान् एव सर्वप्राणिनां प्रभुः । अनुग्रहं करोतु निग्रहं वा " इति। एवं प्रार्थितः श्रीकृष्णः अनुग्रहं कुर्वन् अवदत् “रे दुष्ट! किं न जानासि त्वं यत् तव कारणात् सर्वं जलं विषयुक्तं भवति । इतः कुत्रापि अन्यत्र गच्छ" इति। सर्पः ततः पलायितः । एवं च यमुना विषरहिता जाता।
एकदा षड्वर्षीय: श्रीकृष्ण: वृन्दावने यमुनातटम् अगच्छत् । गोपाः अपि तेन सह अगच्छन्। गोपाः पिपासया आकुलाः अभवन् । ते यमुनाजलम् अपिबन्। जलं पीत्वा ते मूर्च्छिताः अभवन् । श्रीकृष्णः तान् मूच्छितान् दृष्ट्वा व्याकुलः अभवत्। वस्तुत: यमुनाजले कालियनागस्य कुण्डम् आसीत्। तेन यमुनाजलं विषज्वालाभिः विषाक्तं जातम् । अनेके खगाः पशवः च तत् जलं पीत्वा मृत्युं प्राप्ताः । वायुः अपि तेन विषयुक्तः अभवत् । तेन वायुना वृक्षाः शुष्काः जाताः यदा श्रीकृष्णः एतत् सर्वम् अपश्यत् सः एकं वृक्षम् आरोहत् । तस्मात्
वृक्षात् सः विषयुक्ते जले अकूर्दत् । कालियनागस्य एकाधिकशतं फणाः आसन्।
सः तान् प्रसार्य कृष्णं प्रहर्तुम् ऐच्छत् । श्रीकृष्णः तस्य फणान् आरुह्य अनृत्यत् ।
कालियनागस्य फणाः शनैः शनैः छिन्नाः भिन्नाः अभवन् । मुखात् रक्तं प्रावहत् ।
सः हस्तौ संयोज्य अवदत्- “भगवन्! वयं नागा: जन्मतः एव विषयुक्ताः । अयं न मम अपराधः। भवान् एव सर्वप्राणिनां प्रभुः । अनुग्रहं करोतु निग्रहं वा " इति। एवं प्रार्थितः श्रीकृष्णः अनुग्रहं कुर्वन् अवदत् “रे दुष्ट! किं न जानासि त्वं यत् तव कारणात् सर्वं जलं विषयुक्तं भवति । इतः कुत्रापि अन्यत्र गच्छ" इति। सर्पः ततः पलायितः । एवं च यमुना विषरहिता जाता।
February 20, 2022
February 20, 2022
कौतुकः - भोः , त्वं किमर्थं चिकित्सालयात् शल्यचिकित्साम् अकारयित्वा एव आगतवान् असि।
मित्रम् - अरे, तत्र अनुवैद्या वारं वारं वदन्ती आसीत् यत् भयं मा करु, धैर्यं धरतु , किमपि न भविष्यति, लघुः शल्यक्रिया एव अस्ति इति।
कौतुकः - चेत् एतस्मिन् को वा क्लेशः, सा सम्यक् एव वदति स्म।
मित्रम् - अरे, सा मां न अपितु वैद्यं वदति स्म।
😁😜😝
#hasya
मित्रम् - अरे, तत्र अनुवैद्या वारं वारं वदन्ती आसीत् यत् भयं मा करु, धैर्यं धरतु , किमपि न भविष्यति, लघुः शल्यक्रिया एव अस्ति इति।
कौतुकः - चेत् एतस्मिन् को वा क्लेशः, सा सम्यक् एव वदति स्म।
मित्रम् - अरे, सा मां न अपितु वैद्यं वदति स्म।
😁😜😝
#hasya
February 20, 2022
।।श्रीः।।
।।आत्मबोधः।।
Atmabodha, meaning Self-knowledge or Self-awareness, is an exceptionally lucid and readable work of Shankaracharya. Consisting of sixty-eight verses or shlokas, it is in a sense a simple summary of his entire Vedantic structure of thought, intended, it would seem, as a basic primer for his students and followers. The text follows a clearly elaborated doctrine, starting with knowledge as a key to liberation, the nautre of the Atman within us, the assertion of the pervasive and attribute-less nature of Brahman, and the path towards the realisation of the complete identity between the Atman and Brahman.
आत्मचैतन्यमाश्रित्य देहेन्द्रियमनोधियः।
स्वकीयार्थेषु वर्तन्ते सूर्यालोकं यथा जनाः।।20।।
20. Depending upon the energy of vitality of Consciousness (Atma Chaitanya) the body, senses, mind and intellect engage themselves in their respective activities, just as men work depending upon the light of the Sun.
आत्म-बोध ऑनलाइन क्लास - 20 :
आत्म-बोध के 20th श्लोक में पू गुरूजी श्री स्वामी आत्मानन्द सरस्वतीजी ने बताया की इस श्लोक में आचार्यश्री हमें बता रहे हैं की आत्मा न तो करता है और न ही करयिता है। करयिता उसे बोलते हैं जो काम करवाता है। जैसे की कोई देश अथवा संस्थान के वरिष्ठ गण, ऐसे लोग निति-निर्धारक होते हैं, वे सबको दिशा एवं प्रेरणा देते हैं, लक्ष्य एवं दिशा को निर्धारित करते हैं और फिर उनके कार्यकर्त्ता कर्म को सम्पादित करते हैं। कारयिता की अपने चुनौतियाँ होती हैं, और संभावित तनाव भी। यहाँ पर आत्म-बोध में आचार्य कहते हैं की आत्मा इस बोझे से भी मुक्त होती है। जैसे सूर्य। इस दृष्टांत को पू गुरूजी बड़ी सुंदरता एवं सरलता से समझाते है - जो आप स्वतः सुनिए।
#Atmabodha
।।आत्मबोधः।।
Atmabodha, meaning Self-knowledge or Self-awareness, is an exceptionally lucid and readable work of Shankaracharya. Consisting of sixty-eight verses or shlokas, it is in a sense a simple summary of his entire Vedantic structure of thought, intended, it would seem, as a basic primer for his students and followers. The text follows a clearly elaborated doctrine, starting with knowledge as a key to liberation, the nautre of the Atman within us, the assertion of the pervasive and attribute-less nature of Brahman, and the path towards the realisation of the complete identity between the Atman and Brahman.
आत्मचैतन्यमाश्रित्य देहेन्द्रियमनोधियः।
स्वकीयार्थेषु वर्तन्ते सूर्यालोकं यथा जनाः।।20।।
20. Depending upon the energy of vitality of Consciousness (Atma Chaitanya) the body, senses, mind and intellect engage themselves in their respective activities, just as men work depending upon the light of the Sun.
आत्म-बोध ऑनलाइन क्लास - 20 :
आत्म-बोध के 20th श्लोक में पू गुरूजी श्री स्वामी आत्मानन्द सरस्वतीजी ने बताया की इस श्लोक में आचार्यश्री हमें बता रहे हैं की आत्मा न तो करता है और न ही करयिता है। करयिता उसे बोलते हैं जो काम करवाता है। जैसे की कोई देश अथवा संस्थान के वरिष्ठ गण, ऐसे लोग निति-निर्धारक होते हैं, वे सबको दिशा एवं प्रेरणा देते हैं, लक्ष्य एवं दिशा को निर्धारित करते हैं और फिर उनके कार्यकर्त्ता कर्म को सम्पादित करते हैं। कारयिता की अपने चुनौतियाँ होती हैं, और संभावित तनाव भी। यहाँ पर आत्म-बोध में आचार्य कहते हैं की आत्मा इस बोझे से भी मुक्त होती है। जैसे सूर्य। इस दृष्टांत को पू गुरूजी बड़ी सुंदरता एवं सरलता से समझाते है - जो आप स्वतः सुनिए।
#Atmabodha
February 20, 2022
February 20, 2022
February 20, 2022
@samskrt_samvadah संलापशाला - A Samskrit Voicechat room.
कालावधिः : 45 निमेषाः
समयः : IST 11:00 AM 🕚
विषयः : मातृभाषादिवसः
दिनाङ्कः : 21th February 2022,
सोमवासरः
Please Join the voicechat on time.
😇 यदि शक्येत चेत् संस्कृतेन (स्वमातृभाषायाः वैशिष्ट्यं, मातृभाषा किमर्थम् आवश्यकी, मातृभाषायाः प्रसारं कथं कर्तुं शक्नुमः तथा संस्कृतम् सर्वेषां भाषाणां माता। ) चर्चार्थं कृपया पूर्वसिद्धतां कृत्वा आगच्छन्तु।
वयं युष्माकं प्रतीक्षां कुर्मः। 😇
स्मारणतंत्रिकां स्थापयतु⏰
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कालावधिः : 45 निमेषाः
समयः : IST 11:00 AM 🕚
विषयः : मातृभाषादिवसः
दिनाङ्कः : 21th February 2022,
सोमवासरः
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February 20, 2022
🙏 नमस्ते 🙏 भगवदनुग्रहेण सर्वं कुशलम् इति आशास्महे ।
Hope all is well. We would like to invite you and your family for a Live Program to commemorate the “International Mother Language Day''.
When? Today (Sunday Feb 20th) at 11:00am ET (9:30 PM IST)
Topic - संस्कृतं, मातृभाषादिनं च (Samskrit and Mother Language Day)
Speaker - Sri Chamu Krishna Shastry, Samskrit Promotion Foundation, New Delhi
Watch it live (on Sunday Feb 20th at 11:00am ET/ 9:30 PM IST) on our YouTube Channel - http://youtube.com/samskritabharatiusa
We request you to spread the word and watch the program with family and friends live on our YouTube Channel.
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When? Today (Sunday Feb 20th) at 11:00am ET (9:30 PM IST)
Topic - संस्कृतं, मातृभाषादिनं च (Samskrit and Mother Language Day)
Speaker - Sri Chamu Krishna Shastry, Samskrit Promotion Foundation, New Delhi
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February 20, 2022
February 20, 2022
🍃
♦️raajavidyaa raajaguhyaM pavitramidamuttamam|
pratyakShaavagamaM dharmyaM susukhaM kartumavyayam9.2
⚜This knowledge is the king of all knowledge, is the most secret, is very sacred, it can be perceived by instinct, conforms to Dharma, is very easy to practice, and is imperishable. (9.02)
⚜यह ज्ञान राजविद्या (विद्याओं का राजा) और राजगुह्य (सब गुह्यों अर्थात् रहस्यों का राजा) एवं पवित्र? उत्तम? प्रत्यक्ष ज्ञानवाला और धर्मयुक्त है? तथा करने में सरल और अव्यय है।। 9.2 ।।
#geeta
राजविद्या राजगुह्यं पवित्रमिदमुत्तमम्।
प्रत्यक्षावगमं धर्म्यं सुसुखं कर्तुमव्ययम्
।। 9.2 ।।♦️raajavidyaa raajaguhyaM pavitramidamuttamam|
pratyakShaavagamaM dharmyaM susukhaM kartumavyayam
⚜This knowledge is the king of all knowledge, is the most secret, is very sacred, it can be perceived by instinct, conforms to Dharma, is very easy to practice, and is imperishable. (9.02)
⚜यह ज्ञान राजविद्या (विद्याओं का राजा) और राजगुह्य (सब गुह्यों अर्थात् रहस्यों का राजा) एवं पवित्र? उत्तम? प्रत्यक्ष ज्ञानवाला और धर्मयुक्त है? तथा करने में सरल और अव्यय है।। 9.2 ।।
#geeta
February 20, 2022
देही _______ देहे सर्वस्य भारत
Anonymous Quiz
35%
नित्यमजन्मोऽयं
30%
नित्यमवध्योऽयं
15%
नित्यमविकारी
14%
निर्विकारी
5%
अमराजरः
February 20, 2022
February 20, 2022
🍃
♦️ashraddadhaanaaH puruShaa dharmasyaasya parantapa|
apraapya maaM nivartante mRRityusaMsaaravartmani9.3
⚜O Arjuna, those who have no faith in this knowledge follow the cycle of birth and death without attaining Me. (9.03)
⚜हे परन्तप इस धर्म में श्रद्धारहित पुरुष मुझे प्राप्त न होकर मृत्युरूपी संसार में रहते हैं (भ्रमण करते हैं)।। 9.3 ।।
#geeta
अश्रद्दधानाः पुरुषा धर्मस्यास्य परन्तप।
अप्राप्य मां निवर्तन्ते मृत्युसंसारवर्त्मनि
।। 9.3 ।।♦️ashraddadhaanaaH puruShaa dharmasyaasya parantapa|
apraapya maaM nivartante mRRityusaMsaaravartmani
⚜O Arjuna, those who have no faith in this knowledge follow the cycle of birth and death without attaining Me. (9.03)
⚜हे परन्तप इस धर्म में श्रद्धारहित पुरुष मुझे प्राप्त न होकर मृत्युरूपी संसार में रहते हैं (भ्रमण करते हैं)।। 9.3 ।।
#geeta
February 20, 2022
🚩जय सत्य सनातन 🚩
🚩आज की हिंदी तिथि
🌥️ 🚩युगाब्द-५१२३
🌥️ 🚩विक्रम संवत-२०७८
⛅ 🚩तिथि - पंचमी शाम ०७:५७ तक तत्पश्चात षष्ठी
⛅ दिनांक - २१ फरवरी २०२२
⛅ दिन - सोमवार
⛅ शक संवत -१९४३
⛅ अयन - उत्तरायण
⛅ ऋतु - वसंत ऋतु
⛅ मास - फाल्गुन
⛅ पक्ष - कृष्ण
⛅ नक्षत्र - चित्रा शाम ०४:१७ तक तत्पश्चात स्वाती
⛅ योग - गण्ड दोपहर ०१:०६ तक तत्पश्चात वृद्धि
⛅ राहुकाल - सुबह ०८:३२ से सुबह ०९:५९ तक
⛅ सूर्योदय - ०७:०६
⛅ सूर्यास्त - १८:३६
⛅ दिशाशूल - पूर्व दिशा में
🚩आज की हिंदी तिथि
🌥️ 🚩युगाब्द-५१२३
🌥️ 🚩विक्रम संवत-२०७८
⛅ 🚩तिथि - पंचमी शाम ०७:५७ तक तत्पश्चात षष्ठी
⛅ दिनांक - २१ फरवरी २०२२
⛅ दिन - सोमवार
⛅ शक संवत -१९४३
⛅ अयन - उत्तरायण
⛅ ऋतु - वसंत ऋतु
⛅ मास - फाल्गुन
⛅ पक्ष - कृष्ण
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⛅ योग - गण्ड दोपहर ०१:०६ तक तत्पश्चात वृद्धि
⛅ राहुकाल - सुबह ०८:३२ से सुबह ०९:५९ तक
⛅ सूर्योदय - ०७:०६
⛅ सूर्यास्त - १८:३६
⛅ दिशाशूल - पूर्व दिशा में
February 20, 2022
@samskrt_samvadah संलापशाला - A Samskrit Voicechat room.
कालावधिः : 45 निमेषाः
समयः : IST 11:00 AM 🕚
विषयः : मातृभाषादिवसः
दिनाङ्कः : 21th February 2022,
सोमवासरः
Please Join the voicechat on time.
😇 यदि शक्येत चेत् संस्कृतेन (स्वमातृभाषायाः वैशिष्ट्यं, मातृभाषा किमर्थम् आवश्यकी, मातृभाषायाः प्रसारं कथं कर्तुं शक्नुमः तथा संस्कृतम् सर्वेषां भाषाणां माता। ) चर्चार्थं कृपया पूर्वसिद्धतां कृत्वा आगच्छन्तु।
वयं युष्माकं प्रतीक्षां कुर्मः। 😇
स्मारणतंत्रिकां स्थापयतु⏰
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कालावधिः : 45 निमेषाः
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विषयः : मातृभाषादिवसः
दिनाङ्कः : 21th February 2022,
सोमवासरः
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February 20, 2022
Forwarded from रामदूतः — The Sanskrit News Platform
https://youtu.be/Lf1wOlY6I5A
Switch to DD News daily at 7:15 AM (Morning) for 15 minutes Sanskrit news.
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संस्कृत भाषा में देखिए सुबह की महत्वपूर्ण ख़बरें विशेष बुलेटिन 'वार्ता' में
DD News is India’s
24x7 news channel from the stable of the country’s Public Service
Broadcaster, Prasar Bharati. It has the distinction of being India’s
onl...
February 20, 2022
February 20, 2022
February 20, 2022
शीलं प्रधानं पुरुषे , तद्यस्येह प्रणश्यति।
न तस्य जीवितेनार्थो, न धनेन न बन्धुभिः।।
भावार्थः -
मनुष्यस्य जीवने शीलं (चारित्र्यं) प्रधानं भवति, यदि कस्यचित् मनुष्यस्य शीलं नष्टं भवति चेत् सः कियान् अपि धनिकः भवतु तस्य कियन्तः अपि उत्तमाः बान्धवाः भवन्तु परन्तु तस्य जीवनं व्यर्थम् अस्ति।
#Subhashitam
न तस्य जीवितेनार्थो, न धनेन न बन्धुभिः।।
भावार्थः -
मनुष्यस्य जीवने शीलं (चारित्र्यं) प्रधानं भवति, यदि कस्यचित् मनुष्यस्य शीलं नष्टं भवति चेत् सः कियान् अपि धनिकः भवतु तस्य कियन्तः अपि उत्तमाः बान्धवाः भवन्तु परन्तु तस्य जीवनं व्यर्थम् अस्ति।
#Subhashitam
February 20, 2022
February 21, 2022
February 21, 2022
February 21, 2022
February 21, 2022
संस्कृत संवादः । Sanskrit Samvadah
(अप+राध्
धातु के साथ जिसके प्रति अपराध किया जाता है उसमें चतुर्थी का प्रयोग देखा
जाता है।) न दूये सात्वतीसूनुर्यन्मह्यमपराध्यति। यत्तु दन्दह्यते लोकमदो
दुःखाकरोति माम्।। श्रीकृष्ण कहते हैं- मुझे इस बात का दुःख नहीं है कि
शिशुपाल मेरे प्रति अपराध कर रहा है…
(नमः
+ कृ तथा नमन अर्थवाली धातुओं के साथ द्वितीया विभक्ति का प्रयोग होता है
किन्तु ‘‘प्र + नि + पत्’’ तथा ‘प्र + नम्’ इन धातुओकं के साथ द्वितीया व
चतुर्थी विकल्प से प्रयोग होता है।)
देवं नमस्करोति =
देव को नमन करता है।
पितरम् अनमत् =
पिता को नमस्कार किया।
पितरं नत्वा मातरमधुना नमामि =
पिता को नमस्कार करके अब माता को नमन कर रहा हूं।
गुरुं गुरवे वा प्रणिपत्य गुरुपत्नीमपि प्रणमतु =
गुरु को नमस्कार करके गुरुपत्नी को भी नमस्कार करना।
भ्रात्रे मम प्रणामं व्याहरतु =
भाई को मेरा प्रणाम कहना।
अद्य आत्मदर्शी मह्यं प्रण्यपतत् =
आज आत्मदर्शी ने मुझे प्रणाम किया।
(समर्थ होना, उत्पन्न करना आदि अर्थवाली क्लृप्, भू, जन आदि धातुओं के प्रयोग में उत्पद्यमान वस्तु के वाचक शब्द में चतुर्थी विभक्ति का प्रयोग होता है।)
ज्ञानं सुखाय कल्पते =
ज्ञान सुख के लिए होता है।
विद्या विवादाय धनं मदाय शक्तिः परेषां परिपीडनाय।
खलस्य साधोर्विपरीतमेतद् ज्ञानाय दानाय च रक्षणाय =
दुष्ट व्यक्ति की विद्या विवाद के लिए, धन अभिमान करने के लिए तथा शक्ति दूसरों को पीड़ित करने के लिए होती है। किन्तु सज्जनों की विद्या ज्ञान के लिए, धन दान के लिए तथा शक्ति दूसरों की रक्षा के लिए होती है।
वाग्देवी सुभाषिता कल्याणाय कल्पते सैव दुर्भाषिता अनर्थाय भवति =
भलीभांति उच्चारित वाणी कल्याण करती है और वही जब कटु होती है तो अनर्थ पैदा करती है।
बिम्बं मतिमान्द्याय जायते =
कुन्दरु बुद्धिमान्द्य लाता है
(यदि वाक्य से अनादर जाना जा रहा हो तो मन् धातु के उपमानभूत कर्म कारक में चतुर्थी व द्वितीया दोनों का प्रयोग होता है।)
अहं त्वां तृणं तृणाय वा अपि न मन्ये =
मैं तुझे तिनका भी नहीं समझता हूं।
सः मां मह्यं वा बुसं मन्यते =
वह मुझे भूसा समझता है।
आत्मानं किं मन्यसे त्वम् ? =
तू अपने आप को क्या समझता है ?
जनाः।
तुभ्यं कुक्कुरमपि न मन्यन्ते =
लोग तुझे कुत्ता भी नहीं समझते।
(अर्थात् तुझसे तो कुत्ता भी बेहतर है।)
मम कन्यां वाञ्छति ? धिक् त्वम् ! तव धनमहं धुलिं मन्ये =
मेरी लड़की को चाहता है ? धिक्कार है तुझे ! तेरे धन को मैं धूल के समान मानता हूं।
मम पादस्य पांसुभ्योऽपि त्वं न मन्ये =
अपने पैर की धूली के बराबर भी तुझे नहीं मानता हूं।
#vakyabhyas
देवं नमस्करोति =
देव को नमन करता है।
पितरम् अनमत् =
पिता को नमस्कार किया।
पितरं नत्वा मातरमधुना नमामि =
पिता को नमस्कार करके अब माता को नमन कर रहा हूं।
गुरुं गुरवे वा प्रणिपत्य गुरुपत्नीमपि प्रणमतु =
गुरु को नमस्कार करके गुरुपत्नी को भी नमस्कार करना।
भ्रात्रे मम प्रणामं व्याहरतु =
भाई को मेरा प्रणाम कहना।
अद्य आत्मदर्शी मह्यं प्रण्यपतत् =
आज आत्मदर्शी ने मुझे प्रणाम किया।
(समर्थ होना, उत्पन्न करना आदि अर्थवाली क्लृप्, भू, जन आदि धातुओं के प्रयोग में उत्पद्यमान वस्तु के वाचक शब्द में चतुर्थी विभक्ति का प्रयोग होता है।)
ज्ञानं सुखाय कल्पते =
ज्ञान सुख के लिए होता है।
विद्या विवादाय धनं मदाय शक्तिः परेषां परिपीडनाय।
खलस्य साधोर्विपरीतमेतद् ज्ञानाय दानाय च रक्षणाय =
दुष्ट व्यक्ति की विद्या विवाद के लिए, धन अभिमान करने के लिए तथा शक्ति दूसरों को पीड़ित करने के लिए होती है। किन्तु सज्जनों की विद्या ज्ञान के लिए, धन दान के लिए तथा शक्ति दूसरों की रक्षा के लिए होती है।
वाग्देवी सुभाषिता कल्याणाय कल्पते सैव दुर्भाषिता अनर्थाय भवति =
भलीभांति उच्चारित वाणी कल्याण करती है और वही जब कटु होती है तो अनर्थ पैदा करती है।
बिम्बं मतिमान्द्याय जायते =
कुन्दरु बुद्धिमान्द्य लाता है
(यदि वाक्य से अनादर जाना जा रहा हो तो मन् धातु के उपमानभूत कर्म कारक में चतुर्थी व द्वितीया दोनों का प्रयोग होता है।)
अहं त्वां तृणं तृणाय वा अपि न मन्ये =
मैं तुझे तिनका भी नहीं समझता हूं।
सः मां मह्यं वा बुसं मन्यते =
वह मुझे भूसा समझता है।
आत्मानं किं मन्यसे त्वम् ? =
तू अपने आप को क्या समझता है ?
जनाः।
तुभ्यं कुक्कुरमपि न मन्यन्ते =
लोग तुझे कुत्ता भी नहीं समझते।
(अर्थात् तुझसे तो कुत्ता भी बेहतर है।)
मम कन्यां वाञ्छति ? धिक् त्वम् ! तव धनमहं धुलिं मन्ये =
मेरी लड़की को चाहता है ? धिक्कार है तुझे ! तेरे धन को मैं धूल के समान मानता हूं।
मम पादस्य पांसुभ्योऽपि त्वं न मन्ये =
अपने पैर की धूली के बराबर भी तुझे नहीं मानता हूं।
#vakyabhyas
February 21, 2022
Forwarded from संस्कृत संवादः । Sanskrit Samvadah (मोहित डोकानिया)
इदानीं वयं युट्युबमध्ये अपि स्मः।
कृपया तत्रापि अस्मभ्यं समर्थनं कुरूत
अब हम युट्युब पर भी हैं। कृपया वहां भी हमारा समर्थन करें।
Now we're on YouTube too.
Please bless us with your support there, too.☺️
https://youtube.com/channel/UCZbDx1eZeletD_nyxdr73rA
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February 21, 2022
February 21, 2022
।।श्रीः।।
।।आत्मबोधः।।
Atmabodha, meaning Self-knowledge or Self-awareness, is an exceptionally lucid and readable work of Shankaracharya. Consisting of sixty-eight verses or shlokas, it is in a sense a simple summary of his entire Vedantic structure of thought, intended, it would seem, as a basic primer for his students and followers. The text follows a clearly elaborated doctrine, starting with knowledge as a key to liberation, the nautre of the Atman within us, the assertion of the pervasive and attribute-less nature of Brahman, and the path towards the realisation of the complete identity between the Atman and Brahman.
देहेन्द्रियगुणान्कर्माण्यमले सच्चिदात्मनि।
अध्यस्यन्त्यविवेकेन गगने नीलतादिवत्।।21।।
21. Fools, because they lack in their powers of discrimination superimpose on the Atman, the Absolute-Existence-Knowledge (Sat-Chit), all the varied functions of the body and the senses, just as they attribute blue colour and the like to the sky.
आत्म-बोध ऑनलाइन क्लास - 21 :
आत्म-बोध के 21st श्लोक में पू गुरूजी श्री स्वामी आत्मानन्द सरस्वतीजी ने बताया की इस श्लोक में आचार्यश्री हमें बता रहे हैं की अविवेकी लोग आत्मा का प्रामाणिक ज्ञान न रखने के कारण देह और इन्द्रिय आदि के गुण और कर्म आत्मा पर आरोपित कर देते हैं जब की वस्तुतः आत्मा तो अमल स्वरुप और मात्र एक चिन्मयी सत्ता होती है। जैसे आकाश में अज्ञानी लोग नील, लाल रंग आदि आरोपित करके आकाश को ही नीला आकाश आदि कहते हैं। अतः अपने आप को शरीर और इन्द्रिय आदि का साक्षी जाने जो की सदैव निर्मल और निर्गुण होती है।
#Atmabodha
।।आत्मबोधः।।
Atmabodha, meaning Self-knowledge or Self-awareness, is an exceptionally lucid and readable work of Shankaracharya. Consisting of sixty-eight verses or shlokas, it is in a sense a simple summary of his entire Vedantic structure of thought, intended, it would seem, as a basic primer for his students and followers. The text follows a clearly elaborated doctrine, starting with knowledge as a key to liberation, the nautre of the Atman within us, the assertion of the pervasive and attribute-less nature of Brahman, and the path towards the realisation of the complete identity between the Atman and Brahman.
देहेन्द्रियगुणान्कर्माण्यमले सच्चिदात्मनि।
अध्यस्यन्त्यविवेकेन गगने नीलतादिवत्।।21।।
21. Fools, because they lack in their powers of discrimination superimpose on the Atman, the Absolute-Existence-Knowledge (Sat-Chit), all the varied functions of the body and the senses, just as they attribute blue colour and the like to the sky.
आत्म-बोध ऑनलाइन क्लास - 21 :
आत्म-बोध के 21st श्लोक में पू गुरूजी श्री स्वामी आत्मानन्द सरस्वतीजी ने बताया की इस श्लोक में आचार्यश्री हमें बता रहे हैं की अविवेकी लोग आत्मा का प्रामाणिक ज्ञान न रखने के कारण देह और इन्द्रिय आदि के गुण और कर्म आत्मा पर आरोपित कर देते हैं जब की वस्तुतः आत्मा तो अमल स्वरुप और मात्र एक चिन्मयी सत्ता होती है। जैसे आकाश में अज्ञानी लोग नील, लाल रंग आदि आरोपित करके आकाश को ही नीला आकाश आदि कहते हैं। अतः अपने आप को शरीर और इन्द्रिय आदि का साक्षी जाने जो की सदैव निर्मल और निर्गुण होती है।
#Atmabodha
February 21, 2022
February 21, 2022
. ॐ
हॅलो ! अद्य वर्ल्ड मदरटंग डे अस्ति इति भवतां नॉलेज अस्ति किम् ?
इन फॅक्ट अहं तु मोस्टली मदरटंगेन एव टॉकिंग करोमि । कदा कदा ऑकेजनली सीच्युएशनस्य रिक्वायरमेंट अस्ति चेत् इंग्लिशस्य अपि यूज करोमि । किन्तु तत् तु रेअरली ।
मम गृहे अपि वयं सर्वे फॅमिली मेंबर्स इनव्हेरिएबली मदरटंगेन एव वदामः । अरे अस्माकं मदरटंगस्य प्रोटेक्शन् अस्माभिः एव करणीयं खलु ! किमर्थं जनाः अन्नेसेसरिली इंग्लिशं वदन्ति न जाने । स्वस्य एज्युकेशन दर्शयन्ति ते ।
अरे ! सॉरि सॉरि ! मम मोबाईलस्य रिंग श्रूयते । पश्यामि कस्य कॉल अस्ति इति । अन्यथा पुनः मिसकॉल भवति चेत् प्रॉब्लेम !
ओ के ! गुड्डे ! सी यू अगेन !
👆 👆 👆
एतादृशं वक्तव्यं मातृभाषया कुर्वतां जनानां कृते साष्टाङ्गं नमनम् अद्य वैश्विक-मातृभाषा-दिवस-निमित्तम् !
🙏
-------- संस्कृतानन्दः ।
#hasya
हॅलो ! अद्य वर्ल्ड मदरटंग डे अस्ति इति भवतां नॉलेज अस्ति किम् ?
इन फॅक्ट अहं तु मोस्टली मदरटंगेन एव टॉकिंग करोमि । कदा कदा ऑकेजनली सीच्युएशनस्य रिक्वायरमेंट अस्ति चेत् इंग्लिशस्य अपि यूज करोमि । किन्तु तत् तु रेअरली ।
मम गृहे अपि वयं सर्वे फॅमिली मेंबर्स इनव्हेरिएबली मदरटंगेन एव वदामः । अरे अस्माकं मदरटंगस्य प्रोटेक्शन् अस्माभिः एव करणीयं खलु ! किमर्थं जनाः अन्नेसेसरिली इंग्लिशं वदन्ति न जाने । स्वस्य एज्युकेशन दर्शयन्ति ते ।
अरे ! सॉरि सॉरि ! मम मोबाईलस्य रिंग श्रूयते । पश्यामि कस्य कॉल अस्ति इति । अन्यथा पुनः मिसकॉल भवति चेत् प्रॉब्लेम !
ओ के ! गुड्डे ! सी यू अगेन !
👆 👆 👆
एतादृशं वक्तव्यं मातृभाषया कुर्वतां जनानां कृते साष्टाङ्गं नमनम् अद्य वैश्विक-मातृभाषा-दिवस-निमित्तम् !
🙏
-------- संस्कृतानन्दः ।
#hasya
February 21, 2022
@samskrt_samvadah संलापशाला - A Samskrit Voicechat room.
कालावधिः : 45 निमेषाः
समयः : IST 11:00 AM 🕚
विषयः : वार्ताः
(News)
दिनाङ्कः : 22th February 2022,
मङ्गलवासरः
Please Join the voicechat on time.
😇 यदि शक्येत चेत् संस्कृतेन ( प्रदेशीयां , राष्ट्रीयां, अन्ताराष्ट्रीयां वा वार्तां वदन्तु ) चर्चार्थं कृपया पूर्वसिद्धतां कृत्वा आगच्छन्तु।
वयं युष्माकं प्रतीक्षां कुर्मः। 😇
स्मारणतंत्रिकां स्थापयतु⏰
👇🏼👇🏼👇🏼👇🏼👇🏼
https://t.me/samskrt_samvadah?voicechat
कालावधिः : 45 निमेषाः
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February 21, 2022
February 21, 2022
🍃
♦️mayaa tatamidaM sarvaM jagadavyaktamuurtinaa|
matsthaani sarvabhuutaani na chaahaM teShvavasthitaH9.4
⚜This entire universe is pervaded by Me, the unmanifest Brahman. All beings depend on (or remain in) Me (like a chain depends on gold). I do not depend on them. (See also 7.12) (9.04)
⚜यह सम्पूर्ण जगत् मुझ (परमात्मा) के अव्यक्त स्वरूप से व्याप्त है भूतमात्र मुझमें स्थित है? परन्तु मैं उनमें स्थित नहीं हूं।। 9.4 ।।
#geeta
मया ततमिदं सर्वं जगदव्यक्तमूर्तिना।
मत्स्थानि सर्वभूतानि न चाहं तेष्ववस्थितः
।। 9.4 ।।♦️mayaa tatamidaM sarvaM jagadavyaktamuurtinaa|
matsthaani sarvabhuutaani na chaahaM teShvavasthitaH
⚜This entire universe is pervaded by Me, the unmanifest Brahman. All beings depend on (or remain in) Me (like a chain depends on gold). I do not depend on them. (See also 7.12) (9.04)
⚜यह सम्पूर्ण जगत् मुझ (परमात्मा) के अव्यक्त स्वरूप से व्याप्त है भूतमात्र मुझमें स्थित है? परन्तु मैं उनमें स्थित नहीं हूं।। 9.4 ।।
#geeta
February 21, 2022
February 21, 2022
🍃
♦️na cha matsthaani bhuutaani pashya me yogamaishvaram|
bhuutabhRRinna cha bhuutastho mamaatmaa bhuutabhaavanaH9.5
⚜And yet beings, in reality, do not remain in Me. Look at the power of My divine mystery. Though the sustainer and creator of all beings, I do not remain in them. (In reality, the chain does not depend on gold; the chain is nothing but gold. Also, matter and energy are different as well as non-different). (9.05)
⚜और (वस्तुत) भूतमात्र मुझ में स्थित नहीं है मेरे ईश्वरीय योग को देखो कि भूतों को धारण करने वाली और भूतों को उत्पन्न करने वाली मेरी आत्मा उन भूतों में स्थित नहीं है।। 9.5 ।।
#geeta
न च मत्स्थानि भूतानि पश्य मे योगमैश्वरम्।
भूतभृन्न च भूतस्थो ममात्मा भूतभावनः
।। 9.5 ।।♦️na cha matsthaani bhuutaani pashya me yogamaishvaram|
bhuutabhRRinna cha bhuutastho mamaatmaa bhuutabhaavanaH
⚜And yet beings, in reality, do not remain in Me. Look at the power of My divine mystery. Though the sustainer and creator of all beings, I do not remain in them. (In reality, the chain does not depend on gold; the chain is nothing but gold. Also, matter and energy are different as well as non-different). (9.05)
⚜और (वस्तुत) भूतमात्र मुझ में स्थित नहीं है मेरे ईश्वरीय योग को देखो कि भूतों को धारण करने वाली और भूतों को उत्पन्न करने वाली मेरी आत्मा उन भूतों में स्थित नहीं है।। 9.5 ।।
#geeta
February 21, 2022
🚩जय सत्य सनातन 🚩
🚩आज की हिंदी तिथि
🌥️ 🚩युगाब्द-५१२३
🌥️ 🚩विक्रम संवत-२०७८
⛅ 🚩तिथि - षष्ठी शाम ०६:३४ तक तत्पश्चात सप्तमी
⛅ दिनांक - २२ फरवरी २०२२
⛅ दिन - मंगलवार
⛅ शक संवत - १९४३
⛅ अयन - उत्तरायण
⛅ ऋतु - वसंत ऋतु
⛅ मास - फाल्गुन
⛅ पक्ष - कृष्ण
⛅ नक्षत्र - स्वाती दोपहर ०३:३६ तक तत्पश्चात विशाखा
⛅ योग - वृद्धि सुबह १०:५२ तक तत्पश्चात ध्रुव
⛅ राहुकाल - शाम ०३:४६ से शाम ०५:१३ तक
⛅ सूर्योदय - ०७:०५
⛅ सूर्यास्त - १८:३८
⛅ दिशाशूल - उत्तर दिशा में
🚩आज की हिंदी तिथि
🌥️ 🚩युगाब्द-५१२३
🌥️ 🚩विक्रम संवत-२०७८
⛅ 🚩तिथि - षष्ठी शाम ०६:३४ तक तत्पश्चात सप्तमी
⛅ दिनांक - २२ फरवरी २०२२
⛅ दिन - मंगलवार
⛅ शक संवत - १९४३
⛅ अयन - उत्तरायण
⛅ ऋतु - वसंत ऋतु
⛅ मास - फाल्गुन
⛅ पक्ष - कृष्ण
⛅ नक्षत्र - स्वाती दोपहर ०३:३६ तक तत्पश्चात विशाखा
⛅ योग - वृद्धि सुबह १०:५२ तक तत्पश्चात ध्रुव
⛅ राहुकाल - शाम ०३:४६ से शाम ०५:१३ तक
⛅ सूर्योदय - ०७:०५
⛅ सूर्यास्त - १८:३८
⛅ दिशाशूल - उत्तर दिशा में
February 21, 2022
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विषयः : वार्ताः
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February 21, 2022
Forwarded from रामदूतः — The Sanskrit News Platform
https://youtu.be/-g9YqvYYh-4
Switch to DD News daily at 7:15 AM (Morning) for 15 minutes Sanskrit news.
Switch to DD News daily at 7:15 AM (Morning) for 15 minutes Sanskrit news.
YouTube
वार्ता: संस्कृत में समाचार | रूस-यूक्रेन तनाव के बीच रूसी राष्ट्रपति का संबोधन
February 21, 2022
February 21, 2022
February 21, 2022
Samskrit
Bharati, Gujarat invites you all for a Sanskrit Wikipedia workshop
(online), which will be held on 27th Feb 2022 from 11.00 AM to 2PM
Those interested kindly fill the form below and submit on or before
25.02.2022
https://forms.gle/hVFzzb7ovEdj2aa86
Organiser contact : samskritwikigujarat@gmail.com
https://forms.gle/hVFzzb7ovEdj2aa86
Organiser contact : samskritwikigujarat@gmail.com
Google Docs
Sanskrit Wikipedia workshop
Samskrit Bharati,
Gujarat invites you all for a Sanskrit Wikipedia workshop (online),
which will be held on 27th Feb 2022 from 11.00 AM to 2PM Those
interested kindly fill the form below and submit on or before 25.02.2022
:
February 21, 2022
संस्कृत संवादः । Sanskrit Samvadah pinned «Samskrit
Bharati, Gujarat invites you all for a Sanskrit Wikipedia workshop
(online), which will be held on 27th Feb 2022 from 11.00 AM to 2PM
Those interested kindly fill the form below and submit on or before
25.02.2022 https://forms.gle/hVFzzb7ovEdj2aa86…»
February 21, 2022
"निरुत्साहस्य दीनस्य शोकपर्याकुलात्मनः ।
सर्वार्था व्यवसीदन्ति व्यसनं चाधिगच्छति ॥"
अर्थात - "उत्साह हीन, दीन और शोकाकुल मनुष्य के सभी काम बिगड़ जाते हैं, वह घोर विपत्ति में फंस जाता है ।"
#Subhashitam
सर्वार्था व्यवसीदन्ति व्यसनं चाधिगच्छति ॥"
अर्थात - "उत्साह हीन, दीन और शोकाकुल मनुष्य के सभी काम बिगड़ जाते हैं, वह घोर विपत्ति में फंस जाता है ।"
#Subhashitam
February 21, 2022
February 21, 2022
February 22, 2022
संस्कृत संवादः । Sanskrit Samvadah
(नमः
+ कृ तथा नमन अर्थवाली धातुओं के साथ द्वितीया विभक्ति का प्रयोग होता है
किन्तु ‘‘प्र + नि + पत्’’ तथा ‘प्र + नम्’ इन धातुओकं के साथ द्वितीया व
चतुर्थी विकल्प से प्रयोग होता है।) देवं नमस्करोति = देव को नमन करता
है। पितरम् अनमत् = पिता को नमस्कार किया।…
संस्कृतं वद आधुनिको भव।
वेदान् पठ वैज्ञानिको भव।।
पाठ : (१७) पञ्चमी विभक्ति
जिससे कोई व्यक्ति या वस्तु पृथक् / अलग होती है, उसे अपादान कहते हैं। अपादान कारक में पञ्चमी विभक्ति का प्रयोग होता है।)
बालकः कुड्यात् पतति
= बालक दीवार से गिरता है।
वृक्षात् पीतानि पत्राणि पतिष्यन्ति
= पेड़ से पीले पत्ते गिरेंगे।
जन्तुशालायां भित्तेः प्रच्युतः किशोरः व्याघ्रस्य पिञ्जरेऽपतत्
= प्राणिसंग्रहालय में दीवार से फिसला हुआ किशोर बाघ के पिंजरे में जा गिरा।
शिशुः प्रेङ्खात् अलुठत्
= बच्चा पालने में से लुढ़क गया।
वानरः कदापि वृक्षात् न प्रच्यवते
= बंदर कभी भी पेड़ से नहीं गिरता।
मरुभूमिम् अटित्वा पर्यटकः उष्ट्रात् अवरोहति
= मरुभूमि में घूमकर पर्यटक उंट से नीचे उतर रहा है।
गिरेः अजाडवीः अवारोहन्
= पहाड़ से भेड़-बकरियां नीचे उतरीं।
प्राकारात् पतितात् अश्वात् लुठत्यश्वारोहकः
= परकोटे से गिरते हुए घोड़े पर से घुड़सवार गिर रहा है।
उखायाः संस्रते दुग्धम्
= बटलोर्ई से दूध गिर रहा है।
भिदायाः अवसंस्रते जलम्
= दरार से पानी रिस रहा है।
कूपात् जलमुद्धरति कन्या
= कन्या कुंए से पानी निकाल रही है।
सम्पुटकात् याज्ञिकः यज्ञाय घृतं निस्सारयति
= डिब्बे में से याज्ञिक यज्ञ के लिए घी निकाल रहा है।
क्षुधितस्य निर्धनस्य बालस्य नेत्रात् निस्सरितान्यश्रूणि कपोलौ क्लेदयन्ति
= भूखे बरीब बच्चे की आंख से निकले हुए आंसु दोनों गालों को गीला कर रहे हैं।
वदनात् च्युतं वाग्बाणं हृदयं विदारयति
= मुख से निकला वाग्बाण दिल को चीर देता है।
अश्वत्थामानं हतं ज्ञात्वा द्रोणस्य हस्तात् धनुः अवास्रंसत
= अश्वत्थामा को मरा जानकर द्रोण के हाथ से धनुष नीचे गिर गया।
असतो मा सद्गयय
= मुझे असत्य से छुड़ाकर सत्य की ओर ले चल।
तमसो मा ज्योतिर्गमय
= मुझे अन्धकार से छुड़ाकर प्रकाश की ओर ले चल।
मृत्योर्माऽमृतं गमय
= मुझे मृत्यु से छुड़ाकर अमृत / मोक्ष की ओर ले चल।
रक्षकभटानां प्रमादात् सः दुष्टः कारागारात् अपलायत्
= पुलिस के प्रमाद के कारण वह दुष्ट जेल से भाग गया।
स्नानार्थं स्वामी दयानन्दः स्वकीयाय गुरवे विरजानन्दाय गङ्गायाः जलम् आनयति स्म
= स्नान के लिए स्वामी दयानन्द अपने गुरु विरजानन्द के लिए गङ्गा से पानी लाते थे।
#vakyabhyas
वेदान् पठ वैज्ञानिको भव।।
पाठ : (१७) पञ्चमी विभक्ति
जिससे कोई व्यक्ति या वस्तु पृथक् / अलग होती है, उसे अपादान कहते हैं। अपादान कारक में पञ्चमी विभक्ति का प्रयोग होता है।)
बालकः कुड्यात् पतति
= बालक दीवार से गिरता है।
वृक्षात् पीतानि पत्राणि पतिष्यन्ति
= पेड़ से पीले पत्ते गिरेंगे।
जन्तुशालायां भित्तेः प्रच्युतः किशोरः व्याघ्रस्य पिञ्जरेऽपतत्
= प्राणिसंग्रहालय में दीवार से फिसला हुआ किशोर बाघ के पिंजरे में जा गिरा।
शिशुः प्रेङ्खात् अलुठत्
= बच्चा पालने में से लुढ़क गया।
वानरः कदापि वृक्षात् न प्रच्यवते
= बंदर कभी भी पेड़ से नहीं गिरता।
मरुभूमिम् अटित्वा पर्यटकः उष्ट्रात् अवरोहति
= मरुभूमि में घूमकर पर्यटक उंट से नीचे उतर रहा है।
गिरेः अजाडवीः अवारोहन्
= पहाड़ से भेड़-बकरियां नीचे उतरीं।
प्राकारात् पतितात् अश्वात् लुठत्यश्वारोहकः
= परकोटे से गिरते हुए घोड़े पर से घुड़सवार गिर रहा है।
उखायाः संस्रते दुग्धम्
= बटलोर्ई से दूध गिर रहा है।
भिदायाः अवसंस्रते जलम्
= दरार से पानी रिस रहा है।
कूपात् जलमुद्धरति कन्या
= कन्या कुंए से पानी निकाल रही है।
सम्पुटकात् याज्ञिकः यज्ञाय घृतं निस्सारयति
= डिब्बे में से याज्ञिक यज्ञ के लिए घी निकाल रहा है।
क्षुधितस्य निर्धनस्य बालस्य नेत्रात् निस्सरितान्यश्रूणि कपोलौ क्लेदयन्ति
= भूखे बरीब बच्चे की आंख से निकले हुए आंसु दोनों गालों को गीला कर रहे हैं।
वदनात् च्युतं वाग्बाणं हृदयं विदारयति
= मुख से निकला वाग्बाण दिल को चीर देता है।
अश्वत्थामानं हतं ज्ञात्वा द्रोणस्य हस्तात् धनुः अवास्रंसत
= अश्वत्थामा को मरा जानकर द्रोण के हाथ से धनुष नीचे गिर गया।
असतो मा सद्गयय
= मुझे असत्य से छुड़ाकर सत्य की ओर ले चल।
तमसो मा ज्योतिर्गमय
= मुझे अन्धकार से छुड़ाकर प्रकाश की ओर ले चल।
मृत्योर्माऽमृतं गमय
= मुझे मृत्यु से छुड़ाकर अमृत / मोक्ष की ओर ले चल।
रक्षकभटानां प्रमादात् सः दुष्टः कारागारात् अपलायत्
= पुलिस के प्रमाद के कारण वह दुष्ट जेल से भाग गया।
स्नानार्थं स्वामी दयानन्दः स्वकीयाय गुरवे विरजानन्दाय गङ्गायाः जलम् आनयति स्म
= स्नान के लिए स्वामी दयानन्द अपने गुरु विरजानन्द के लिए गङ्गा से पानी लाते थे।
#vakyabhyas
February 22, 2022
चतुरः शिक्षकः ~
सर्वकारीये विद्यालये एकः शिक्षकः गहननिद्रायां निद्राति स्म।
तदा एव जनपदशिक्षाधिकारी विद्यालयम् आगतवान् , सः शयानः आसीत् इति अधिकारी ज्ञातवान् ,
बहुकालपर्यन्तम् उत्थापनात् अनन्तरं यदा शिक्षकः उत्तिष्ठति तदा सः परिस्थितिम् अभिज्ञाय झटिति वदति...
शिक्षकः - अस्तु बालकाः! भवन्तः अधुना सम्यक् ज्ञातवन्तः खलु कुम्भकर्णः कथं शेते इति।😜😆😁
#hasya
सर्वकारीये विद्यालये एकः शिक्षकः गहननिद्रायां निद्राति स्म।
तदा एव जनपदशिक्षाधिकारी विद्यालयम् आगतवान् , सः शयानः आसीत् इति अधिकारी ज्ञातवान् ,
बहुकालपर्यन्तम् उत्थापनात् अनन्तरं यदा शिक्षकः उत्तिष्ठति तदा सः परिस्थितिम् अभिज्ञाय झटिति वदति...
शिक्षकः - अस्तु बालकाः! भवन्तः अधुना सम्यक् ज्ञातवन्तः खलु कुम्भकर्णः कथं शेते इति।😜😆😁
#hasya
February 22, 2022
।।श्रीः।।
।।आत्मबोधः।।
Atmabodha, meaning Self-knowledge or Self-awareness, is an exceptionally lucid and readable work of Shankaracharya. Consisting of sixty-eight verses or shlokas, it is in a sense a simple summary of his entire Vedantic structure of thought, intended, it would seem, as a basic primer for his students and followers. The text follows a clearly elaborated doctrine, starting with knowledge as a key to liberation, the nautre of the Atman within us, the assertion of the pervasive and attribute-less nature of Brahman, and the path towards the realisation of the complete identity between the Atman and Brahman.
अज्ञानान्मानसोपाधेः कर्तृत्वादीनि चात्मनि।
कल्प्यन्तेऽम्बुगते चन्द्रे चलनादि यथाम्भसः।।22।।
22. The tremblings that belong to the waters are attributed through ignorance to the reflected moon dancing on it: likewise agency of action, of enjoyment and of other limitations (which really belong to the mind) are delusively understood as the nature of the Self (Atman).
आत्म-बोध ऑनलाइन क्लास - 22 :
आत्म-बोध के 22nd श्लोक में आचार्यश्री हमें बता रहे हैं की जैसे अविवेकी लोग देह और इन्द्रिय के गुण और कर्म - निर्मल और निर्गुण आत्मा पर आरोपित कर उसे ही मलिन आदि समझने लगते हैं, उसी प्रकार से मन के अंदर विद्यमान कर्तापन आदि भी इसी अविवेक के कारण अपना ही कर्तापन आदि मानकर बोझे से युक्त होकर अंतहीन प्रयास करते रहते हैं। यहाँ पू गुरुजी बताते हैं की अज्ञान से तो हम एक विनम्र जिज्ञासु भी बन सकते हैं लेकिन सामान्यतः सब लोग कल्पना का आश्रय ले लेते हैं और ब्रह्म से जिव बन जाते हैं।
#Atmabodha
।।आत्मबोधः।।
Atmabodha, meaning Self-knowledge or Self-awareness, is an exceptionally lucid and readable work of Shankaracharya. Consisting of sixty-eight verses or shlokas, it is in a sense a simple summary of his entire Vedantic structure of thought, intended, it would seem, as a basic primer for his students and followers. The text follows a clearly elaborated doctrine, starting with knowledge as a key to liberation, the nautre of the Atman within us, the assertion of the pervasive and attribute-less nature of Brahman, and the path towards the realisation of the complete identity between the Atman and Brahman.
अज्ञानान्मानसोपाधेः कर्तृत्वादीनि चात्मनि।
कल्प्यन्तेऽम्बुगते चन्द्रे चलनादि यथाम्भसः।।22।।
22. The tremblings that belong to the waters are attributed through ignorance to the reflected moon dancing on it: likewise agency of action, of enjoyment and of other limitations (which really belong to the mind) are delusively understood as the nature of the Self (Atman).
आत्म-बोध ऑनलाइन क्लास - 22 :
आत्म-बोध के 22nd श्लोक में आचार्यश्री हमें बता रहे हैं की जैसे अविवेकी लोग देह और इन्द्रिय के गुण और कर्म - निर्मल और निर्गुण आत्मा पर आरोपित कर उसे ही मलिन आदि समझने लगते हैं, उसी प्रकार से मन के अंदर विद्यमान कर्तापन आदि भी इसी अविवेक के कारण अपना ही कर्तापन आदि मानकर बोझे से युक्त होकर अंतहीन प्रयास करते रहते हैं। यहाँ पू गुरुजी बताते हैं की अज्ञान से तो हम एक विनम्र जिज्ञासु भी बन सकते हैं लेकिन सामान्यतः सब लोग कल्पना का आश्रय ले लेते हैं और ब्रह्म से जिव बन जाते हैं।
#Atmabodha
February 22, 2022
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@samskrt_samvadah संलापशाला - A Samskrit Voicechat room.
कालावधिः : 45 निमेषाः
समयः : IST 11:00 AM 🕚
विषयः : विद्या
(Education)
दिनाङ्कः : 23th February 2022,
बुधवासरः
Please Join the voicechat on time.
😇 यदि शक्येत चेत् संस्कृतेन (विद्यार्जनेन व्यवहारे कीदृशं परिवर्तनं भवितव्यं, विद्यायाः महत्वं किं, विद्यार्जनस्य लक्ष्यं किं....इत्यादयः) चर्चार्थं कृपया पूर्वसिद्धतां कृत्वा आगच्छन्तु।
वयं युष्माकं प्रतीक्षां कुर्मः। 😇
स्मारणतंत्रिकां स्थापयतु⏰
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February 22, 2022
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🍃
♦️yathaa''kaashasthito nityaM vaayuH sarvatrago mahaan|
tathaa sarvaaNi bhuutaani matsthaaniityupadhaaraya9.6
⚜Consider that all beings remain in Me (without any contact or without producing any effect) as the mighty wind, moving everywhere, eternally remains in space. (9.06)
⚜जैसे सर्वत्र विचरण करने वाली महान् वायु सदा आकाश में स्थित रहती हैं वैसे ही सम्पूर्ण भूत मुझमें स्थित हैं ऐसा तुम जानो।।9.6।।
#geeta
यथाऽऽकाशस्थितो नित्यं वायुः सर्वत्रगो महान्।
तथा सर्वाणि भूतानि मत्स्थानीत्युपधारय
।।9.6।।♦️yathaa''kaashasthito nityaM vaayuH sarvatrago mahaan|
tathaa sarvaaNi bhuutaani matsthaaniityupadhaaraya
⚜Consider that all beings remain in Me (without any contact or without producing any effect) as the mighty wind, moving everywhere, eternally remains in space. (9.06)
⚜जैसे सर्वत्र विचरण करने वाली महान् वायु सदा आकाश में स्थित रहती हैं वैसे ही सम्पूर्ण भूत मुझमें स्थित हैं ऐसा तुम जानो।।9.6।।
#geeta
February 22, 2022
February 22, 2022
🍃
♦️sarvabhuutaani kaunteya prakRRitiM yaanti maamikaam|
kalpakShaye punastaani kalpaadau visRRijaamyaham9.7
⚜All beings merge into My Prakriti at the end of a Kalpa (or a cycle of 4.32 billion years), O Arjuna, and I create (or manifest) them again at the beginning of the next Kalpa. (9.07)
⚜हे कौन्तेय (एक) कल्प के अन्त में समस्त भूत मेरी प्रकृति को प्राप्त होते हैं और (दूसरे) कल्प के प्रारम्भ में उनको मैं फिर रचता हूँ।।9.7।।
#geeta
सर्वभूतानि कौन्तेय प्रकृतिं यान्ति मामिकाम्।
कल्पक्षये पुनस्तानि कल्पादौ विसृजाम्यहम्
।।9.7।।♦️sarvabhuutaani kaunteya prakRRitiM yaanti maamikaam|
kalpakShaye punastaani kalpaadau visRRijaamyaham
⚜All beings merge into My Prakriti at the end of a Kalpa (or a cycle of 4.32 billion years), O Arjuna, and I create (or manifest) them again at the beginning of the next Kalpa. (9.07)
⚜हे कौन्तेय (एक) कल्प के अन्त में समस्त भूत मेरी प्रकृति को प्राप्त होते हैं और (दूसरे) कल्प के प्रारम्भ में उनको मैं फिर रचता हूँ।।9.7।।
#geeta
February 22, 2022
🚩जय सत्य सनातन🚩
🚩आज की हिंदी तिथि*
🌥️ 🚩युगाब्द-५१२३
🌥️ 🚩विक्रम संवत-२०७८
⛅ 🚩तिथि - सप्तमी शाम 04:56 तक तत्पश्चात अष्टमी
⛅ दिनांक - 23 फरवरी 2022
⛅ दिन - बुधवार
⛅ शक संवत -1943
⛅ अयन - उत्तरायण
⛅ ऋतु - वसंत ऋतु
⛅ मास - फाल्गुन
⛅ पक्ष - कृष्ण
⛅ नक्षत्र - विशाखा दोपहर 02:41 तक तत्पश्चात अनुराधा
⛅ योग - ध्रुव सुबह 08:26 तक तत्पश्चात व्याघात
⛅ राहुकाल - दोपहर 12:52 से दोपहर 02:19 तक
⛅ सूर्योदय - 07:05
⛅ सूर्यास्त - 18:39
⛅ दिशाशूल - उत्तर दिशा में
🚩आज की हिंदी तिथि*
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⛅ योग - ध्रुव सुबह 08:26 तक तत्पश्चात व्याघात
⛅ राहुकाल - दोपहर 12:52 से दोपहर 02:19 तक
⛅ सूर्योदय - 07:05
⛅ सूर्यास्त - 18:39
⛅ दिशाशूल - उत्तर दिशा में
February 22, 2022
Forwarded from रामदूतः — The Sanskrit News Platform
Switch to DD News daily at 7:15 AM (Morning) for 15 minutes Sanskrit news.
https://youtu.be/kl6xP-iIs6A
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YouTube
वार्ता: संस्कृत में समाचार | यूपी में चौथे चरण का मतदान शुरू
February 22, 2022
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February 22, 2022
February 22, 2022
February 22, 2022
सुन्दरोऽपि सुशीलोऽपि कुलीनोऽपि महाधनः |
शोभते न विना विद्या विद्या सर्वस्य भूषणम् ||
A person may be beautiful, well mannered, belonging to an
illustrious family and also very rich, but if he is uneducated he is
not adorned in the society. That is why proper education is considered as an embellishment for everybody.
सुन्दरोऽपि = sundaro +api Sundaro = beautiful Api = even
सुशीलोऽपि = sushilo + api Susheelo = affable, well mannered
कुलीनोऽपि = kuleeno + api Kuleeno = born in an illustrious family
महाधनः = very rich
शोभते = adorned
विना = without
विद्या = learning, education
सर्वस्य = everybody's
भूषणम् = embellishment
#Subhashitam
शोभते न विना विद्या विद्या सर्वस्य भूषणम् ||
A person may be beautiful, well mannered, belonging to an
illustrious family and also very rich, but if he is uneducated he is
not adorned in the society. That is why proper education is considered as an embellishment for everybody.
सुन्दरोऽपि = sundaro +api Sundaro = beautiful Api = even
सुशीलोऽपि = sushilo + api Susheelo = affable, well mannered
कुलीनोऽपि = kuleeno + api Kuleeno = born in an illustrious family
महाधनः = very rich
शोभते = adorned
विना = without
विद्या = learning, education
सर्वस्य = everybody's
भूषणम् = embellishment
#Subhashitam
February 22, 2022
February 22, 2022
February 23, 2022
February 23, 2022
संस्कृत संवादः । Sanskrit Samvadah
संस्कृतं
वद आधुनिको भव। वेदान् पठ वैज्ञानिको भव।। पाठ : (१७) पञ्चमी विभक्ति
जिससे कोई व्यक्ति या वस्तु पृथक् / अलग होती है, उसे अपादान कहते हैं।
अपादान कारक में पञ्चमी विभक्ति का प्रयोग होता है।) बालकः कुड्यात् पतति
= बालक दीवार से गिरता है। वृक्षात्…
प्रज्ञामेवाऽगमयति यः प्राज्ञेभ्यः सः पण्डितः
= जो बुद्धिमानों से ज्ञान को प्राप्त करता है वह विद्वान् होता है।
धार्तराष्ट्रा वनं राजन् व्याघ्राः पाण्डुसुता मताः। मा वनं छिन्धि सव्याघ्रं मा व्याघ्रा नीनशन् वनात्।।
= हे राजन् ! तुम्हारे पुत्र दुर्योधनादि वन के तुल्य हैं और पाण्डुपुत्र युधिष्ठिरादि व्याघ्र के तुल्य ! अतः व्याघ्र सहित वन को नष्ट मत करो और न वन से व्याघ्र को।
अर्थसिद्धिं परामिच्छन् धर्ममेवादितश्चरेत्।
न हि धर्मादपैत्यर्थः स्वर्गलोकादिवामृतम्।।
= उत्तम अर्थ को चाहनेवाला व्यक्ति पहले धर्म का ही आचरण करे। क्योंकि अर्थ धर्म से अलग नहीं होता, जैसे स्वर्ग से अमृत पृथक् नहीं होता। (तात्पर्य बिना धर्म के अर्थ प्राप्त नहीं होता।)
नित्योदकी नित्ययज्ञोपवीती नित्यस्वाध्यायी पतितान्नवर्जी।
सत्यं ब्रुवन् गुरवे कर्म कुर्वन्, न ब्राह्मणश्च्यवते ब्रह्मलोकात्।।
= नित्य आचमन (= सन्ध्या) करनेवाला, नित्य अग्निहोत्रादि करनेवाला, नित्य स्वाध्याय करनेवाला, पतित (पापी) पुरुषों का अन्नत्याग करनेवाला, सत्य बोलनेवाला, गुरुजनों के अनुरूप कर्म करनेवाला ब्राह्मण ब्रह्मलोक = ब्रह्मत्व से नष्ट नहीं होता।
किं कर्म किमकर्मेति कवयोऽप्यत्र मोहिताः। तत्ते कर्म प्रवक्ष्यामि यज्ज्ञात्वा मोक्षतेऽशुभात्।।
= क्या कर्म है और अकर्म क्या है, इस विषय में विद्वान् भी भ्रम में पड़े हुए हैं। मैं तुझे वह कर्म बताऊंगा, जिसे जानकर अशुभ कष्टों से मुक्त हो जाएगा।
ज्ञेयः स नित्य संन्यासी यो न द्वेष्टि न कांक्षति। निर्द्वन्द्वो हि महाबाहो सुखं बन्धात्प्रमुच्यते।।
= उसे सदा संन्यासी समझना चाहिए जो न द्वेष करता है और न हि चाहना। हे महाबाहु अर्जुन, जो द्वन्द्वों से रहित होता है, वह सरलता से कर्म के बन्धन से छूट जाता है।
अयतिः श्रद्धयोपेतो योगाच्चलितमानसः।
अप्राप्य योगसंसिद्धिं कां गतिं कृष्ण गच्छति।।
= हे कृष्ण ! अगर कोई श्रद्धा से युक्त साधक योग मार्ग पर चल पड़ा, किन्तु संयम पूरा न सधने से योगमार्ग से विचलित हो गया और योग की सिद्धियों को न प्राप्त कर सका, ऐसा साधक किस गति को प्राप्त करता है ?
#vakyabhyas
= जो बुद्धिमानों से ज्ञान को प्राप्त करता है वह विद्वान् होता है।
धार्तराष्ट्रा वनं राजन् व्याघ्राः पाण्डुसुता मताः। मा वनं छिन्धि सव्याघ्रं मा व्याघ्रा नीनशन् वनात्।।
= हे राजन् ! तुम्हारे पुत्र दुर्योधनादि वन के तुल्य हैं और पाण्डुपुत्र युधिष्ठिरादि व्याघ्र के तुल्य ! अतः व्याघ्र सहित वन को नष्ट मत करो और न वन से व्याघ्र को।
अर्थसिद्धिं परामिच्छन् धर्ममेवादितश्चरेत्।
न हि धर्मादपैत्यर्थः स्वर्गलोकादिवामृतम्।।
= उत्तम अर्थ को चाहनेवाला व्यक्ति पहले धर्म का ही आचरण करे। क्योंकि अर्थ धर्म से अलग नहीं होता, जैसे स्वर्ग से अमृत पृथक् नहीं होता। (तात्पर्य बिना धर्म के अर्थ प्राप्त नहीं होता।)
नित्योदकी नित्ययज्ञोपवीती नित्यस्वाध्यायी पतितान्नवर्जी।
सत्यं ब्रुवन् गुरवे कर्म कुर्वन्, न ब्राह्मणश्च्यवते ब्रह्मलोकात्।।
= नित्य आचमन (= सन्ध्या) करनेवाला, नित्य अग्निहोत्रादि करनेवाला, नित्य स्वाध्याय करनेवाला, पतित (पापी) पुरुषों का अन्नत्याग करनेवाला, सत्य बोलनेवाला, गुरुजनों के अनुरूप कर्म करनेवाला ब्राह्मण ब्रह्मलोक = ब्रह्मत्व से नष्ट नहीं होता।
किं कर्म किमकर्मेति कवयोऽप्यत्र मोहिताः। तत्ते कर्म प्रवक्ष्यामि यज्ज्ञात्वा मोक्षतेऽशुभात्।।
= क्या कर्म है और अकर्म क्या है, इस विषय में विद्वान् भी भ्रम में पड़े हुए हैं। मैं तुझे वह कर्म बताऊंगा, जिसे जानकर अशुभ कष्टों से मुक्त हो जाएगा।
ज्ञेयः स नित्य संन्यासी यो न द्वेष्टि न कांक्षति। निर्द्वन्द्वो हि महाबाहो सुखं बन्धात्प्रमुच्यते।।
= उसे सदा संन्यासी समझना चाहिए जो न द्वेष करता है और न हि चाहना। हे महाबाहु अर्जुन, जो द्वन्द्वों से रहित होता है, वह सरलता से कर्म के बन्धन से छूट जाता है।
अयतिः श्रद्धयोपेतो योगाच्चलितमानसः।
अप्राप्य योगसंसिद्धिं कां गतिं कृष्ण गच्छति।।
= हे कृष्ण ! अगर कोई श्रद्धा से युक्त साधक योग मार्ग पर चल पड़ा, किन्तु संयम पूरा न सधने से योगमार्ग से विचलित हो गया और योग की सिद्धियों को न प्राप्त कर सका, ऐसा साधक किस गति को प्राप्त करता है ?
#vakyabhyas
February 23, 2022
February 23, 2022
।।श्रीः।।
।।आत्मबोधः।।
Atmabodha, meaning Self-knowledge or Self-awareness, is an exceptionally lucid and readable work of Shankaracharya. Consisting of sixty-eight verses or shlokas, it is in a sense a simple summary of his entire Vedantic structure of thought, intended, it would seem, as a basic primer for his students and followers. The text follows a clearly elaborated doctrine, starting with knowledge as a key to liberation, the nautre of the Atman within us, the assertion of the pervasive and attribute-less nature of Brahman, and the path towards the realisation of the complete identity between the Atman and Brahman.
रागेच्छासुखदुःखादि बुद्धौ सत्यां प्रवर्तते।
सुषुप्तौ नास्ति तन्नाशे तस्माद्बुद्धेस्तु नात्मनः।।23।।
23. Attachment, desire, pleasure, pain, etc., are perceived to exist so long as Buddhi or mind functions. They are not perceived in deep sleep when the mind ceases to exist. Therefore they belong to the mind alone and not to the Atman.
आत्म-बोध ऑनलाइन क्लास - 23 :
आत्म-बोध के 23rd श्लोक में आचार्यश्री हमें अनात्म के धर्मों का अपवाद करने की प्रक्रिया बता रहे हैं। पिछले दो श्लोकों में हम लोगों ने देह, इन्द्रिय, और मन में आत्म-बुद्धि का अपवाद किया और अब इस श्लोक में बुद्धि के धर्मों का अपने ऊपर से अपवाद करते हैं। अपवाद या निषेध अत्यंत युक्ति पूर्वक होता है, अर्थात हम लोगों को यह बात ठीक से समझनी पड़ती है। यहाँ पर युक्ति यह है की जब बुद्धि होती है तभी हम लोगों में राग, इच्छा, सुख और दुःख आदि होते हैं, लेकिन जब गहरी निद्रा आदि की अवस्था में जाते हैं तब ये राग आदि कुछ भी नहीं होते हैं। इससे यह स्पष्ट हो जाता है की ये राग आदि बुद्धि के कारण ही आते हैं। अतः अपवाद उचित है।
#Atmabodha
।।आत्मबोधः।।
Atmabodha, meaning Self-knowledge or Self-awareness, is an exceptionally lucid and readable work of Shankaracharya. Consisting of sixty-eight verses or shlokas, it is in a sense a simple summary of his entire Vedantic structure of thought, intended, it would seem, as a basic primer for his students and followers. The text follows a clearly elaborated doctrine, starting with knowledge as a key to liberation, the nautre of the Atman within us, the assertion of the pervasive and attribute-less nature of Brahman, and the path towards the realisation of the complete identity between the Atman and Brahman.
रागेच्छासुखदुःखादि बुद्धौ सत्यां प्रवर्तते।
सुषुप्तौ नास्ति तन्नाशे तस्माद्बुद्धेस्तु नात्मनः।।23।।
23. Attachment, desire, pleasure, pain, etc., are perceived to exist so long as Buddhi or mind functions. They are not perceived in deep sleep when the mind ceases to exist. Therefore they belong to the mind alone and not to the Atman.
आत्म-बोध ऑनलाइन क्लास - 23 :
आत्म-बोध के 23rd श्लोक में आचार्यश्री हमें अनात्म के धर्मों का अपवाद करने की प्रक्रिया बता रहे हैं। पिछले दो श्लोकों में हम लोगों ने देह, इन्द्रिय, और मन में आत्म-बुद्धि का अपवाद किया और अब इस श्लोक में बुद्धि के धर्मों का अपने ऊपर से अपवाद करते हैं। अपवाद या निषेध अत्यंत युक्ति पूर्वक होता है, अर्थात हम लोगों को यह बात ठीक से समझनी पड़ती है। यहाँ पर युक्ति यह है की जब बुद्धि होती है तभी हम लोगों में राग, इच्छा, सुख और दुःख आदि होते हैं, लेकिन जब गहरी निद्रा आदि की अवस्था में जाते हैं तब ये राग आदि कुछ भी नहीं होते हैं। इससे यह स्पष्ट हो जाता है की ये राग आदि बुद्धि के कारण ही आते हैं। अतः अपवाद उचित है।
#Atmabodha
February 23, 2022
February 23, 2022
@samskrt_samvadah संलापशाला - A Samskrit Voicechat room.
कालावधिः : 45 निमेषाः
समयः : IST 11:00 AM 🕚
विषयः : "मुघल्" संघर्षकालीनः भारतदेशः
दिनाङ्कः : 24th February 2022,
गुरुवासरः
Please Join the voicechat on time.
😇 यदि शक्येत चेत् संस्कृतेन (मुघल्जनैः सह संघर्षकथां, युद्धविवरणं, जनानाम् आत्मत्यागं,मुघल्जनानां क्रूरतां वा ) चर्चार्थं कृपया पूर्वसिद्धतां कृत्वा आगच्छन्तु।
वयं युष्माकं प्रतीक्षां कुर्मः। 😇
स्मारणतंत्रिकां स्थापयतु⏰
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कालावधिः : 45 निमेषाः
समयः : IST 11:00 AM 🕚
विषयः : "मुघल्" संघर्षकालीनः भारतदेशः
दिनाङ्कः : 24th February 2022,
गुरुवासरः
Please Join the voicechat on time.
😇 यदि शक्येत चेत् संस्कृतेन (मुघल्जनैः सह संघर्षकथां, युद्धविवरणं, जनानाम् आत्मत्यागं,मुघल्जनानां क्रूरतां वा ) चर्चार्थं कृपया पूर्वसिद्धतां कृत्वा आगच्छन्तु।
वयं युष्माकं प्रतीक्षां कुर्मः। 😇
स्मारणतंत्रिकां स्थापयतु⏰
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February 23, 2022
February 23, 2022
🍃
♦️prakRRitiM svaamavaShTabhya visRRijaami punaH punaH|
bhuutagraamamimaM kRRitsnamavashaM prakRRitervashaat9.8
⚜Using My Prakriti I create, again and again, the entire multitude of beings that are helpless, being under the control of (the Gunas of) Prakriti. (9.08)
⚜प्रकृति को अपने वश में करके (अर्थात् उसे चेतनता प्रदान कर) स्वभाव के वश से परतन्त्र (अवश) हुए इस सम्पूर्ण भूत समुदाय को मैं पुनपुन रचता हूँ।।
#geeta
प्रकृतिं स्वामवष्टभ्य विसृजामि पुनः पुनः।
भूतग्राममिमं कृत्स्नमवशं प्रकृतेर्वशात्
।।9.8।।♦️prakRRitiM svaamavaShTabhya visRRijaami punaH punaH|
bhuutagraamamimaM kRRitsnamavashaM prakRRitervashaat
⚜Using My Prakriti I create, again and again, the entire multitude of beings that are helpless, being under the control of (the Gunas of) Prakriti. (9.08)
⚜प्रकृति को अपने वश में करके (अर्थात् उसे चेतनता प्रदान कर) स्वभाव के वश से परतन्त्र (अवश) हुए इस सम्पूर्ण भूत समुदाय को मैं पुनपुन रचता हूँ।।
#geeta
February 23, 2022
February 23, 2022
🍃
♦️na cha maaM taani karmaaNi nibadhnanti dhana~njaya|
udaasiinavadaasiinamasaktaM teShu karmasu9.9
⚜These acts of creation do not bind Me, O Arjuna, because I remain indifferent and unattached to those acts. (9.09)
⚜हे धनंजय उन कर्मों में आसक्ति रहित और उदासीन के समान स्थित मुझ (परमात्मा) को वे कर्म नहीं बांधते हैं।।9.9।।
#geeta
न च मां तानि कर्माणि निबध्नन्ति धनञ्जय।
उदासीनवदासीनमसक्तं तेषु कर्मसु
।।9.9।।♦️na cha maaM taani karmaaNi nibadhnanti dhana~njaya|
udaasiinavadaasiinamasaktaM teShu karmasu
⚜These acts of creation do not bind Me, O Arjuna, because I remain indifferent and unattached to those acts. (9.09)
⚜हे धनंजय उन कर्मों में आसक्ति रहित और उदासीन के समान स्थित मुझ (परमात्मा) को वे कर्म नहीं बांधते हैं।।9.9।।
#geeta
February 23, 2022
February 23, 2022
Forwarded from रामदूतः — The Sanskrit News Platform
https://youtu.be/__C0_SrJfzg
Switch to DD News daily at 7:15 AM (Morning) for 15 minutes Sanskrit news.
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वार्ता: संस्कृत में समाचार | एनसीपी नेता नवाब मलिक ED की रिमांड में
DD News is India’s
24x7 news channel from the stable of the country’s Public Service
Broadcaster, Prasar Bharati. It has the distinction of being India’s
only terrestrial cum satellite News Channel. Launched in 2003, DD News
has made a name for itself to…
February 23, 2022
February 23, 2022
February 23, 2022
भाषासु मुख्या मधुरा दिव्या गीर्वाणभारती ।
तस्यां हि काव्यं मधुरं तस्मादपि सुभाषितम् ॥
bhaa.saasu mukhyaa madhuraa divyaa giirvaa.nabhaaratii |
tasyaa.m hi kaavya.m madhura.m tasmaadapi subhaa.sitam ||
Among all languages, Sanskrit is important, pleasant and divine. Poetries in Sanskrit are the sweetest. In the poetries, Subhashitams are the most charming.
#Subhashitam
तस्यां हि काव्यं मधुरं तस्मादपि सुभाषितम् ॥
bhaa.saasu mukhyaa madhuraa divyaa giirvaa.nabhaaratii |
tasyaa.m hi kaavya.m madhura.m tasmaadapi subhaa.sitam ||
Among all languages, Sanskrit is important, pleasant and divine. Poetries in Sanskrit are the sweetest. In the poetries, Subhashitams are the most charming.
#Subhashitam
February 23, 2022
February 23, 2022
February 24, 2022
February 24, 2022
February 26, 2022
संस्कृत संवादः । Sanskrit Samvadah
प्रज्ञामेवाऽगमयति
यः प्राज्ञेभ्यः सः पण्डितः = जो बुद्धिमानों से ज्ञान को प्राप्त करता
है वह विद्वान् होता है। धार्तराष्ट्रा वनं राजन् व्याघ्राः पाण्डुसुता
मताः। मा वनं छिन्धि सव्याघ्रं मा व्याघ्रा नीनशन् वनात्।। = हे राजन् !
तुम्हारे पुत्र दुर्योधनादि…
यदा संहरते चायं कूर्मोङ्गानीव सर्वशः।
इन्द्रियाणीन्द्रियार्थेभ्यस्तस्य प्रज्ञा प्रतिष्ठिता।।
= जैसे कछुआ अपने अंगों को सब ओर से सिकोड़कर अपने खोल के अन्दर खींच लेता है, उसी प्रकार जब कोई पुरुष इन्द्रियों के विषयों में से अपनी इन्द्रियों को खींच लेता है, तब समझो उसकी प्रज्ञा बुद्धि स्थिर हो गर्ई।
शिरः शार्वं स्वर्गात् पशुपतिशिरस्तः क्षितिधरं, महीध्रादुत्तुङ्गाद् अवनिमवनेश्चापि जलधिं। अधो गङ्गा सेयं पदमुपगता स्तोकमथवा, विवेकभ्रष्टानां भवति विनिपातः शतमुखः।।
= गङ्गा नदी स्वर्र्ग से शिव के सिर पर पहुंची, शिव के सिर से हिमालय पर्वत पर ऊंचे हिमालय पर्वत से पृथ्वी पर और पृथ्वी से भी समुद्र में जा गिरी। इस प्रकार गंगा नीचे से नीचे पद को प्राप्त होती गई। ठीक इसी प्रकार विवेकभ्रष्ट मनुष्यों का सैकड़ों प्रकार से पतन होता है।
करात्पतितोऽपि कन्दुकः उत्पतत्येव
= हाथ से नीची गिरी हुई गेंद ऊपर उठती ही है।
युयोध्यस्मज्जुहुराणमेनः
= कुटिलतायुक्त पापाचरण को हमसे दूर कीजिए।
निन्दन्तु नीतिनिपुणा यदि वा स्तुवन्तु,
लक्ष्मीः समाविशतु गच्छतु वा यथेष्टम्।
अद्यैव वा मरणमस्तु युगान्तरे वा,
न्याय्यात्पथः प्रविचलन्ति पदं न धीराः।।
= नीति में निपुण लोग चाहें निन्दा करें अथवा प्रशंसा करें, येथेष्ट धन-सम्पत्ति चाहे प्राप्त हो अथवा चली जावे, आज ही मरण हो अथवा दीर्र्घकाल के बाद, किन्तु धीर पुरुष न्याय के पथ से एक कदम भी इधर-उधर नहीं हटते।
उदेहि मृत्योः
= मृत्यु से ऊपर उठो।
अग्ने व्रतपते व्रतं चरिष्यामि तच्छकेयं तन्मे राध्यताम्। इदमहमनृतात् सत्यमुपैमि।।
= हे प्रकाशस्वरूप परमात्मन्..! व्रतों के पालक, मैं व्रत धारण करता हूं, व्रत पालन का सामर्थ्य मुझे दो, जिससे मैं इस झूठ, छल, कपट आदि से पृथक् होकर सत्य को प्राप्त हो सकूं।
पृष्ठात्पृथिव्या अहमन्तरिक्षमारुहमन्तरिक्षाद्दिवमारुहम्। दिवो नाकस्य पृष्ठात् स्वर्ज्योतिरगामहम्।।
= पृथ्वी की पीठ से ऊपर उठकर मैंने अन्तरिक्ष को प्राप्त किया, अन्तरिक्ष से द्युलोक को, सुखमय द्युलोक की पीठ से भी ऊपर उठकर मैंने सुखस्वरूप परम ज्योति को प्राप्त किया।
#vakyabhyas
इन्द्रियाणीन्द्रियार्थेभ्यस्तस्य प्रज्ञा प्रतिष्ठिता।।
= जैसे कछुआ अपने अंगों को सब ओर से सिकोड़कर अपने खोल के अन्दर खींच लेता है, उसी प्रकार जब कोई पुरुष इन्द्रियों के विषयों में से अपनी इन्द्रियों को खींच लेता है, तब समझो उसकी प्रज्ञा बुद्धि स्थिर हो गर्ई।
शिरः शार्वं स्वर्गात् पशुपतिशिरस्तः क्षितिधरं, महीध्रादुत्तुङ्गाद् अवनिमवनेश्चापि जलधिं। अधो गङ्गा सेयं पदमुपगता स्तोकमथवा, विवेकभ्रष्टानां भवति विनिपातः शतमुखः।।
= गङ्गा नदी स्वर्र्ग से शिव के सिर पर पहुंची, शिव के सिर से हिमालय पर्वत पर ऊंचे हिमालय पर्वत से पृथ्वी पर और पृथ्वी से भी समुद्र में जा गिरी। इस प्रकार गंगा नीचे से नीचे पद को प्राप्त होती गई। ठीक इसी प्रकार विवेकभ्रष्ट मनुष्यों का सैकड़ों प्रकार से पतन होता है।
करात्पतितोऽपि कन्दुकः उत्पतत्येव
= हाथ से नीची गिरी हुई गेंद ऊपर उठती ही है।
युयोध्यस्मज्जुहुराणमेनः
= कुटिलतायुक्त पापाचरण को हमसे दूर कीजिए।
निन्दन्तु नीतिनिपुणा यदि वा स्तुवन्तु,
लक्ष्मीः समाविशतु गच्छतु वा यथेष्टम्।
अद्यैव वा मरणमस्तु युगान्तरे वा,
न्याय्यात्पथः प्रविचलन्ति पदं न धीराः।।
= नीति में निपुण लोग चाहें निन्दा करें अथवा प्रशंसा करें, येथेष्ट धन-सम्पत्ति चाहे प्राप्त हो अथवा चली जावे, आज ही मरण हो अथवा दीर्र्घकाल के बाद, किन्तु धीर पुरुष न्याय के पथ से एक कदम भी इधर-उधर नहीं हटते।
उदेहि मृत्योः
= मृत्यु से ऊपर उठो।
अग्ने व्रतपते व्रतं चरिष्यामि तच्छकेयं तन्मे राध्यताम्। इदमहमनृतात् सत्यमुपैमि।।
= हे प्रकाशस्वरूप परमात्मन्..! व्रतों के पालक, मैं व्रत धारण करता हूं, व्रत पालन का सामर्थ्य मुझे दो, जिससे मैं इस झूठ, छल, कपट आदि से पृथक् होकर सत्य को प्राप्त हो सकूं।
पृष्ठात्पृथिव्या अहमन्तरिक्षमारुहमन्तरिक्षाद्दिवमारुहम्। दिवो नाकस्य पृष्ठात् स्वर्ज्योतिरगामहम्।।
= पृथ्वी की पीठ से ऊपर उठकर मैंने अन्तरिक्ष को प्राप्त किया, अन्तरिक्ष से द्युलोक को, सुखमय द्युलोक की पीठ से भी ऊपर उठकर मैंने सुखस्वरूप परम ज्योति को प्राप्त किया।
#vakyabhyas
February 24, 2022
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https://forms.gle/hVFzzb7ovEdj2aa86
Organiser contact : samskritwikigujarat@gmail.com
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February 24, 2022
पिता पुत्रस्य उपरि क्रोधं कुर्वन् वदति...
पिता - एकमपि कार्यं सम्यक् रूपेण न करोषि, अजगन्धम् (पुदीना) आनेतुं प्रेषितः परं धान्याकम् (धनिया) आनीतवान् त्वम्....
तव सदृशः मूर्खजनः तु गृहात् निष्कासनीयः।
पुत्रः - तात! यदि एवं चेत् आगच्छ आवां गृहात् निर्गच्छावः।
पिता - किमर्थम् आवाम्।
पुत्रः - यतोऽहि माता वदन्ती आसीत् यत् एतत् तु मेथिका (मैथी) अस्ति।
#hasya
पिता - एकमपि कार्यं सम्यक् रूपेण न करोषि, अजगन्धम् (पुदीना) आनेतुं प्रेषितः परं धान्याकम् (धनिया) आनीतवान् त्वम्....
तव सदृशः मूर्खजनः तु गृहात् निष्कासनीयः।
पुत्रः - तात! यदि एवं चेत् आगच्छ आवां गृहात् निर्गच्छावः।
पिता - किमर्थम् आवाम्।
पुत्रः - यतोऽहि माता वदन्ती आसीत् यत् एतत् तु मेथिका (मैथी) अस्ति।
#hasya
February 24, 2022
।।श्रीः।।
।।आत्मबोधः।।
Atmabodha, meaning Self-knowledge or Self-awareness, is an exceptionally lucid and readable work of Shankaracharya. Consisting of sixty-eight verses or shlokas, it is in a sense a simple summary of his entire Vedantic structure of thought, intended, it would seem, as a basic primer for his students and followers. The text follows a clearly elaborated doctrine, starting with knowledge as a key to liberation, the nautre of the Atman within us, the assertion of the pervasive and attribute-less nature of Brahman, and the path towards the realisation of the complete identity between the Atman and Brahman.
प्रकाशोऽर्कस्य तोयस्य शैत्यमग्नेर्यथोष्णता।
स्वभावः सच्चिदानन्दनित्यनिर्मलतात्मनः।।24।।
24. Just as luminosity is the nature of the Sun, coolness of water and heat of fire, so too the nature of the Atman is Eternity, Purity, Reality, Consciousness and Bliss.
आत्म-बोध ऑनलाइन क्लास - 24 :
आत्म-बोध के 24th श्लोक में आचार्यश्री हमें अनात्म के धर्मों का अपवाद करने के बाद आत्मा के ज्ञान / बोध का महत्वपूर्ण चरण बता रहे हैं। जब सब बादल छट गए हैं तब हमें कुछ करना नहीं होता है, बस जो है उसे पहचानना होता है। हम जानते हैं की आत्मा है, हम हैं - बस यह प्रामाणिक रूप इ जानने की कोशिश करनी है की हम क्या हैं। किसी का स्वरुप / स्वाभाव किसका कहते हैं उसके लिए आचार्य हमें तीन दृष्टांत देते हैं। सूर्य के लिए सबसे सहज और स्वाभाविक क्या होता है - प्रकाश, तो इसी को सूर्य की आत्मा जानिए। जल का स्वरुप क्या होता है - शीतलता। इसी दिशा में वो पुनः-पुनः पहुँच जाती है, और यह ही होने में कोई प्रयास नहीं होता है। उसी प्रकार से अग्नि का स्वाभाव उष्णता अर्थात गर्मी होती है। अग्नि व्यक्त हो या अव्यक्त वो सदैव गर्म रहती है - इसीको अग्नि का स्वाभाव अथवा स्वरुप कहते हैं। उसी तरह से हमारा आपका स्वरुप - सत-चित-आनन्द। जब हमंने अपनी समस्त अस्मिताएँ बाधित कर दी हैं तब हम केवल 'है', केवल सत हैं। और यह सत स्व-प्रकाश है अर्थात इसी जानने के लिए हमें किसी अन्य प्रकाश की जरूरत नहीं होती है। इस का जब दृढ़ निश्चय हो जाता है तब यह ही आनन्द की तरह से स्थित रहती है। हम शब्द का अर्थ - सचिदानन्द है।
#Atmabodha
।।आत्मबोधः।।
Atmabodha, meaning Self-knowledge or Self-awareness, is an exceptionally lucid and readable work of Shankaracharya. Consisting of sixty-eight verses or shlokas, it is in a sense a simple summary of his entire Vedantic structure of thought, intended, it would seem, as a basic primer for his students and followers. The text follows a clearly elaborated doctrine, starting with knowledge as a key to liberation, the nautre of the Atman within us, the assertion of the pervasive and attribute-less nature of Brahman, and the path towards the realisation of the complete identity between the Atman and Brahman.
प्रकाशोऽर्कस्य तोयस्य शैत्यमग्नेर्यथोष्णता।
स्वभावः सच्चिदानन्दनित्यनिर्मलतात्मनः।।24।।
24. Just as luminosity is the nature of the Sun, coolness of water and heat of fire, so too the nature of the Atman is Eternity, Purity, Reality, Consciousness and Bliss.
आत्म-बोध ऑनलाइन क्लास - 24 :
आत्म-बोध के 24th श्लोक में आचार्यश्री हमें अनात्म के धर्मों का अपवाद करने के बाद आत्मा के ज्ञान / बोध का महत्वपूर्ण चरण बता रहे हैं। जब सब बादल छट गए हैं तब हमें कुछ करना नहीं होता है, बस जो है उसे पहचानना होता है। हम जानते हैं की आत्मा है, हम हैं - बस यह प्रामाणिक रूप इ जानने की कोशिश करनी है की हम क्या हैं। किसी का स्वरुप / स्वाभाव किसका कहते हैं उसके लिए आचार्य हमें तीन दृष्टांत देते हैं। सूर्य के लिए सबसे सहज और स्वाभाविक क्या होता है - प्रकाश, तो इसी को सूर्य की आत्मा जानिए। जल का स्वरुप क्या होता है - शीतलता। इसी दिशा में वो पुनः-पुनः पहुँच जाती है, और यह ही होने में कोई प्रयास नहीं होता है। उसी प्रकार से अग्नि का स्वाभाव उष्णता अर्थात गर्मी होती है। अग्नि व्यक्त हो या अव्यक्त वो सदैव गर्म रहती है - इसीको अग्नि का स्वाभाव अथवा स्वरुप कहते हैं। उसी तरह से हमारा आपका स्वरुप - सत-चित-आनन्द। जब हमंने अपनी समस्त अस्मिताएँ बाधित कर दी हैं तब हम केवल 'है', केवल सत हैं। और यह सत स्व-प्रकाश है अर्थात इसी जानने के लिए हमें किसी अन्य प्रकाश की जरूरत नहीं होती है। इस का जब दृढ़ निश्चय हो जाता है तब यह ही आनन्द की तरह से स्थित रहती है। हम शब्द का अर्थ - सचिदानन्द है।
#Atmabodha
February 24, 2022
February 24, 2022
February 24, 2022
🍃
♦️mayaa'dhyakSheNa prakRRitiH suuyate sacharaacharam|
hetunaa'nena kaunteya jagadviparivartate9.10
⚜The Prakriti or nature, under My supervision, creates all animate and inanimate objects; and thus the creation keeps on going, O Arjuna. (See also 14.03) (9.10)
⚜हे कौन्तेय मुझ अध्यक्ष के कारण ( अर्थात् मेरी अध्यक्षता में) प्रकृति चराचर जगत् को उत्पन्न करती है इस कारण यह जगत् घूमता रहता है।।9.10।।
#geeta
मयाऽध्यक्षेण प्रकृतिः सूयते सचराचरम्।
हेतुनाऽनेन कौन्तेय जगद्विपरिवर्तते
।।9.10।।♦️mayaa'dhyakSheNa prakRRitiH suuyate sacharaacharam|
hetunaa'nena kaunteya jagadviparivartate
⚜The Prakriti or nature, under My supervision, creates all animate and inanimate objects; and thus the creation keeps on going, O Arjuna. (See also 14.03) (9.10)
⚜हे कौन्तेय मुझ अध्यक्ष के कारण ( अर्थात् मेरी अध्यक्षता में) प्रकृति चराचर जगत् को उत्पन्न करती है इस कारण यह जगत् घूमता रहता है।।9.10।।
#geeta
February 24, 2022
February 24, 2022
🍃
♦️avajaananti maaM muuDhaa maanuShiiM tanumaashritam|
paraM bhaavamajaananto mama bhuutamaheshvaram9.11
⚜The ignorant ones, not knowing My supreme natures as the great Lord of all beings, disregard Me when I assume human form. (9.11)
⚜समस्त भूतों के महान् ईश्वर रूप मेरे परम भाव को नहीं जानते हुए मूढ़ लोग मनुष्य शरीरधारी मुझ परमात्मा का अनादर करते हैं।।
#geeta
अवजानन्ति मां मूढा मानुषीं तनुमाश्रितम्।
परं भावमजानन्तो मम भूतमहेश्वरम्
।।9.11।।♦️avajaananti maaM muuDhaa maanuShiiM tanumaashritam|
paraM bhaavamajaananto mama bhuutamaheshvaram
⚜The ignorant ones, not knowing My supreme natures as the great Lord of all beings, disregard Me when I assume human form. (9.11)
⚜समस्त भूतों के महान् ईश्वर रूप मेरे परम भाव को नहीं जानते हुए मूढ़ लोग मनुष्य शरीरधारी मुझ परमात्मा का अनादर करते हैं।।
#geeta
February 24, 2022
🚩जय सत्य सनातन🚩
🚩आज की हिंदी तिथि
🌥️ 🚩युगाब्द-५१२३
🌥️ 🚩विक्रम संवत-२०७८
⛅ 🚩तिथि - नवमी दोपहर 12:57 तक तत्पश्चात दशमी
⛅ दिनांक - 25 फरवरी 2022
⛅ दिन - शुक्रवार
⛅ शक संवत -1943
⛅ अयन - उत्तरायण
⛅ ऋतु - वसंत ऋतु
⛅ मास - फाल्गुन
⛅ पक्ष - कृष्ण
⛅ नक्षत्र - जेष्ठा दोपहर 12:07 तक तत्पश्चात मूल
⛅ योग - वज्र रात्रि 12:00 तक तत्पश्चात सिद्धि
⛅ राहुकाल - सुबह 11:25 से दोपहर 12:52 तक
⛅ सूर्योदय - 07:03
⛅ सूर्यास्त - 18:40
⛅ दिशाशूल - पश्चिम दिशा में
🚩आज की हिंदी तिथि
🌥️ 🚩युगाब्द-५१२३
🌥️ 🚩विक्रम संवत-२०७८
⛅ 🚩तिथि - नवमी दोपहर 12:57 तक तत्पश्चात दशमी
⛅ दिनांक - 25 फरवरी 2022
⛅ दिन - शुक्रवार
⛅ शक संवत -1943
⛅ अयन - उत्तरायण
⛅ ऋतु - वसंत ऋतु
⛅ मास - फाल्गुन
⛅ पक्ष - कृष्ण
⛅ नक्षत्र - जेष्ठा दोपहर 12:07 तक तत्पश्चात मूल
⛅ योग - वज्र रात्रि 12:00 तक तत्पश्चात सिद्धि
⛅ राहुकाल - सुबह 11:25 से दोपहर 12:52 तक
⛅ सूर्योदय - 07:03
⛅ सूर्यास्त - 18:40
⛅ दिशाशूल - पश्चिम दिशा में
February 24, 2022
Forwarded from रामदूतः — The Sanskrit News Platform
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वार्ता: संस्कृत में समाचार | अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने विदेश मंत्री जयशंकर से की बात
वार्ता: संस्कृत में समाचार | अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने विदेश मंत्री जयशंकर से की बात
DD News is India’s 24x7 news channel from the stable of the country’s Public Service Broadcaster, Prasar Bharati. It has the distinction of being India’s only…
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February 24, 2022
द्वावम्भसि निवेष्टव्यौ गले बद्ध्वा दृढां शिलाम्।
धनवन्तमदातारं दरिद्रं चातपस्विनम्।।
भावार्थः -
द्विप्रकारकाः जनाः समाजस्य उपरि भाररूपेण भवन्ति।
प्रथमः यः धनवान् अस्ति परन्तु दानं न करोति तथा द्वितीयः यः दरिद्रः भूत्वा अपि परिश्रमं न करोति।
#Subhashitam
धनवन्तमदातारं दरिद्रं चातपस्विनम्।।
भावार्थः -
द्विप्रकारकाः जनाः समाजस्य उपरि भाररूपेण भवन्ति।
प्रथमः यः धनवान् अस्ति परन्तु दानं न करोति तथा द्वितीयः यः दरिद्रः भूत्वा अपि परिश्रमं न करोति।
#Subhashitam
February 24, 2022
February 25, 2022
February 25, 2022
संस्कृत संवादः । Sanskrit Samvadah
यदा
संहरते चायं कूर्मोङ्गानीव सर्वशः। इन्द्रियाणीन्द्रियार्थेभ्यस्तस्य
प्रज्ञा प्रतिष्ठिता।। = जैसे कछुआ अपने अंगों को सब ओर से सिकोड़कर अपने
खोल के अन्दर खींच लेता है, उसी प्रकार जब कोई पुरुष इन्द्रियों के विषयों
में से अपनी इन्द्रियों को खींच लेता है, तब…
(भय
और रक्षा अथवाली धातुओं के साथ जिससे भय लगता है और जिससे रक्षा की जाती
है उसकी अपादान संज्ञा होती है और अपादान कारक में पंचमी विभक्ति का प्रयोग
होता है।)
विपत्तेः सर्वे बिभ्यति
= विपत्तियों से सब डरते हैं।
अधर्माद् बिभेति सज्जनः
= सज्जन व्यक्ति अधर्म से डरता है।
मृत्योर्मा भेम शवसस्पते
= हे बलों के अधिपति तू मृत्यु से मत डर। (अर्थात् तू बलवान् है तुझे मृत्यु से डरने की जरूरत नहीं है।)
कस्माद् बिभेषि तवाहं सखा अस्मि
= किससे डरता है ? मैं तेरा सखा हूं।
धर्माचरणाद् मा बिभीयात्
= धर्माचरण से मत डर।
बिभेत्यल्पश्रुताद् वेदो मामयं प्रहरिष्यति
= मुझपर यह प्रहार करेगा (मुझे यह नष्ट करेगा) ऐसा सोचकर वेद अज्ञानियों से डरता है।
पिञ्जरे पतितः किशोरः व्याघ्रात् भृशम् अबिभेत्
= पिंजरे में गिरा हुआ किशोर बाघ से खूब डरा।
अकामो धीरो अमृतः स्वयम्भू रसेन तृप्तो न कुतश्चनोनः। तमेव विद्वान्न बिभाय मृत्योरात्मानं धीरमजरं युवानम्।।
= ईश्वर पूर्णकाम, धीर, अमृत, स्वयं आधार, आनन्द रस से तृप्त अर्थात् परिपूर्ण है। ऐसे धीर अजर सदा युवा (सामर्थ्यशाली) परमात्मा को जाननेवाला व प्राप्त करनेवाला व्यक्ति मृत्यु से नहीं डरता।
अभयं मित्रादभयममित्रादभयं ज्ञातादभयं परोक्षात्। अभयं नक्तमभयं दिवा नः सर्वा आशा मम मित्रं भवन्तु।।
= हमें मित्र से अभय हो, अमित्र (शत्रु) से अभय हो, जिसको जानते हैं उससे अभय हो, जिसको नहीं जानते उससे भी अभय हो, रात्रि में भी अभय हो दिन में भी अभय हो, सब दिशाएं हमारी मित्र हों अर्थात् हमें सब काल में सभी ओर से निर्भयता प्राप्त हो।
क्षत्रियः दुष्टेभ्यः प्रजां त्रायते
= क्षत्रिय दुष्टों से प्रजा की रक्षा करता है।
रक्षसेभ्यो रक्ष
= राक्षसों से रक्षा करो।
पाहि पृथ्वीं पापिभ्यः पार्थ
= हे पार्थ पृथ्वी की पापियों से रक्षा करो।
तापात् त्रायस्व तात
= हे पिता ताप से मुझे बचाओ।
त्रायध्वं नो दुरेवाया अभिह्रुतः
= हमें दुर्दशा से और सभी प्रकार की कुटिलता से बचाओ।
पुन्नरकं ततस्त्रायते इति पुत्रः
= पुं याने नरक याने दुःख से माता-पिता को तारनेवाला पुत्र कहाता है।
नैनं छन्दांसि वृजनात् तारयन्ति मायाविनं मायया वर्तमानम्। नीडं शकुन्ता इव जातपक्षाश्छन्दांस्येनं प्रजहत्यन्तकाले।।
= छल प्रपंच से व्यवहार करनेवाले इस मायावी पुरुष को वेद भी पापकर्म के फलभोग से नहीं बचा सकते। अपितु जैसे पंख निकल आने पर पक्षी अपने घोंसले को छोड़ देते हैं, वैसे वेद भी इस मायावी पुरुष को अन्तकाल में छोड़ देते हैं।
आवृत्तिर्भयमन्त्यानां मध्यानां मरणाद् भयं। उत्तमानां तु मर्त्यानामवमाननात् परं भयं।।
= साधारण लोगों को निवाह के साधनों के अभाव का भय होता है, मध्यम जनों को मृत्यु से भय होता है, उत्तम जनों को तो अपमान से महान् भय होता है।
सम्मानाद् ब्राह्मणो नित्यमुद्विजेत विषादिव। अमृतस्येव चाकांक्षेदवमानस्य सर्वदा।।
= ब्राह्मण सम्मान से विष के समान भयभीत हो और अपमान की अमृत के समान आकांक्षा करे।
न शत्रुर्वशमापन्नो मोक्तव्यो वध्यतां गतः।
अहताद्धि भयं तस्माज्जायते नचिरादिव।।
= वश में आए हुए मारनेयोग्य शत्रु को कभी न छोड़े। वध के योग्य शत्रु को यदि न मारा जाए तो शीघ्र ही उससे अपने को भय प्राप्त होगा।
न विश्वसेदविश्वस्ते विश्वस्ते नातिविश्वसेद्।
विश्वासाद् भयमुत्पन्नं मूलान्यपि निकृन्तति।।
= अविश्वासी पर कभी विश्वास न करे और विश्वासी पर भी अतिविश्वास न करे, विश्वास करने से उत्पन्न हुआ भय जड़ों को भी काट डालता है।
नेहाभिक्रमनाशो ऽस्ति प्रत्यवायो न विद्यते। स्वल्पमप्यस्य धर्मस्य त्रायते महतो भयात्।।
= अल्पमात्रा में भी किए हुए योगधर्म का कभी नाश नहीं होता, और न हि उसका उलटा फल मिलता है। किन्तु स्वल्प किया हुआ भी धर्म बड़े बड़े भय से बचाने में समर्थ ही होता है। (अर्थात् योगांगानुष्ठान जितना भी किया जाए लाभकारी ही होता है।)
#vakyabhyas
विपत्तेः सर्वे बिभ्यति
= विपत्तियों से सब डरते हैं।
अधर्माद् बिभेति सज्जनः
= सज्जन व्यक्ति अधर्म से डरता है।
मृत्योर्मा भेम शवसस्पते
= हे बलों के अधिपति तू मृत्यु से मत डर। (अर्थात् तू बलवान् है तुझे मृत्यु से डरने की जरूरत नहीं है।)
कस्माद् बिभेषि तवाहं सखा अस्मि
= किससे डरता है ? मैं तेरा सखा हूं।
धर्माचरणाद् मा बिभीयात्
= धर्माचरण से मत डर।
बिभेत्यल्पश्रुताद् वेदो मामयं प्रहरिष्यति
= मुझपर यह प्रहार करेगा (मुझे यह नष्ट करेगा) ऐसा सोचकर वेद अज्ञानियों से डरता है।
पिञ्जरे पतितः किशोरः व्याघ्रात् भृशम् अबिभेत्
= पिंजरे में गिरा हुआ किशोर बाघ से खूब डरा।
अकामो धीरो अमृतः स्वयम्भू रसेन तृप्तो न कुतश्चनोनः। तमेव विद्वान्न बिभाय मृत्योरात्मानं धीरमजरं युवानम्।।
= ईश्वर पूर्णकाम, धीर, अमृत, स्वयं आधार, आनन्द रस से तृप्त अर्थात् परिपूर्ण है। ऐसे धीर अजर सदा युवा (सामर्थ्यशाली) परमात्मा को जाननेवाला व प्राप्त करनेवाला व्यक्ति मृत्यु से नहीं डरता।
अभयं मित्रादभयममित्रादभयं ज्ञातादभयं परोक्षात्। अभयं नक्तमभयं दिवा नः सर्वा आशा मम मित्रं भवन्तु।।
= हमें मित्र से अभय हो, अमित्र (शत्रु) से अभय हो, जिसको जानते हैं उससे अभय हो, जिसको नहीं जानते उससे भी अभय हो, रात्रि में भी अभय हो दिन में भी अभय हो, सब दिशाएं हमारी मित्र हों अर्थात् हमें सब काल में सभी ओर से निर्भयता प्राप्त हो।
क्षत्रियः दुष्टेभ्यः प्रजां त्रायते
= क्षत्रिय दुष्टों से प्रजा की रक्षा करता है।
रक्षसेभ्यो रक्ष
= राक्षसों से रक्षा करो।
पाहि पृथ्वीं पापिभ्यः पार्थ
= हे पार्थ पृथ्वी की पापियों से रक्षा करो।
तापात् त्रायस्व तात
= हे पिता ताप से मुझे बचाओ।
त्रायध्वं नो दुरेवाया अभिह्रुतः
= हमें दुर्दशा से और सभी प्रकार की कुटिलता से बचाओ।
पुन्नरकं ततस्त्रायते इति पुत्रः
= पुं याने नरक याने दुःख से माता-पिता को तारनेवाला पुत्र कहाता है।
नैनं छन्दांसि वृजनात् तारयन्ति मायाविनं मायया वर्तमानम्। नीडं शकुन्ता इव जातपक्षाश्छन्दांस्येनं प्रजहत्यन्तकाले।।
= छल प्रपंच से व्यवहार करनेवाले इस मायावी पुरुष को वेद भी पापकर्म के फलभोग से नहीं बचा सकते। अपितु जैसे पंख निकल आने पर पक्षी अपने घोंसले को छोड़ देते हैं, वैसे वेद भी इस मायावी पुरुष को अन्तकाल में छोड़ देते हैं।
आवृत्तिर्भयमन्त्यानां मध्यानां मरणाद् भयं। उत्तमानां तु मर्त्यानामवमाननात् परं भयं।।
= साधारण लोगों को निवाह के साधनों के अभाव का भय होता है, मध्यम जनों को मृत्यु से भय होता है, उत्तम जनों को तो अपमान से महान् भय होता है।
सम्मानाद् ब्राह्मणो नित्यमुद्विजेत विषादिव। अमृतस्येव चाकांक्षेदवमानस्य सर्वदा।।
= ब्राह्मण सम्मान से विष के समान भयभीत हो और अपमान की अमृत के समान आकांक्षा करे।
न शत्रुर्वशमापन्नो मोक्तव्यो वध्यतां गतः।
अहताद्धि भयं तस्माज्जायते नचिरादिव।।
= वश में आए हुए मारनेयोग्य शत्रु को कभी न छोड़े। वध के योग्य शत्रु को यदि न मारा जाए तो शीघ्र ही उससे अपने को भय प्राप्त होगा।
न विश्वसेदविश्वस्ते विश्वस्ते नातिविश्वसेद्।
विश्वासाद् भयमुत्पन्नं मूलान्यपि निकृन्तति।।
= अविश्वासी पर कभी विश्वास न करे और विश्वासी पर भी अतिविश्वास न करे, विश्वास करने से उत्पन्न हुआ भय जड़ों को भी काट डालता है।
नेहाभिक्रमनाशो ऽस्ति प्रत्यवायो न विद्यते। स्वल्पमप्यस्य धर्मस्य त्रायते महतो भयात्।।
= अल्पमात्रा में भी किए हुए योगधर्म का कभी नाश नहीं होता, और न हि उसका उलटा फल मिलता है। किन्तु स्वल्प किया हुआ भी धर्म बड़े बड़े भय से बचाने में समर्थ ही होता है। (अर्थात् योगांगानुष्ठान जितना भी किया जाए लाभकारी ही होता है।)
#vakyabhyas
February 25, 2022
February 25, 2022
February 25, 2022
।।श्रीः।।
।।आत्मबोधः।।
Atmabodha, meaning Self-knowledge or Self-awareness, is an exceptionally lucid and readable work of Shankaracharya. Consisting of sixty-eight verses or shlokas, it is in a sense a simple summary of his entire Vedantic structure of thought, intended, it would seem, as a basic primer for his students and followers. The text follows a clearly elaborated doctrine, starting with knowledge as a key to liberation, the nautre of the Atman within us, the assertion of the pervasive and attribute-less nature of Brahman, and the path towards the realisation of the complete identity between the Atman and Brahman.
आत्मनः सच्चिदंशश्च बुद्धेर्वृत्तिरिति द्वयम्।
संयोज्य चाविवेकेन जानामीति प्रवर्तते।।25।।
25. By the indiscriminate blending of the two – the Existence-Knowledge-aspect of the Self and the thought-wave of the intellect – there arises the notion of “I know”.
आत्म-बोध ऑनलाइन क्लास - 25 :
आत्म-बोध के 25th श्लोक में आचार्यश्री हमें एक उपहित और अनुपहित चेतना का विवेक दे रहे हैं। जब आत्मा की चेतन स्वरूपता का प्रतिपादन होता है तो अक्सर जीव के अंदर निहित चेतना को ही ब्रह्म-स्वरुप आत्मा मान बैठने का भ्रम उत्पन्न कर लेते हैं। इस संभावित दोष के निराकरण के लिए हमें इन दोनों चेतनाओं का विवेक करना चाहिए। इस विवेक के लिए हमें मात्र यह देखना चाहिए की यह ज्ञाता चेतना कैसे उत्पन्न होती है। इस सन्दर्भ में आचार्य कहते हैं की जब कोई व्यक्ति आत्मा की सत-चित स्वरूपता और किसी मन में उत्पन्न वृत्ति का भेद नहीं देख पता है तब इस वृत्ति और आत्माकी सत-चित स्वरूपता का अज्ञानवशात संयोग हो जाता है, और तब ही ज्ञाता का जन्म हो जाता है, जिसके अंदर 'हम जानने वाले हैं यह भाव उदित हो जाता है। जिसके अंदर इन दोनों का स्पष्ट विवेक होता है उसमे ऐसी कोई भी धरना नहीं आती है।
#Atmabodha
।।आत्मबोधः।।
Atmabodha, meaning Self-knowledge or Self-awareness, is an exceptionally lucid and readable work of Shankaracharya. Consisting of sixty-eight verses or shlokas, it is in a sense a simple summary of his entire Vedantic structure of thought, intended, it would seem, as a basic primer for his students and followers. The text follows a clearly elaborated doctrine, starting with knowledge as a key to liberation, the nautre of the Atman within us, the assertion of the pervasive and attribute-less nature of Brahman, and the path towards the realisation of the complete identity between the Atman and Brahman.
आत्मनः सच्चिदंशश्च बुद्धेर्वृत्तिरिति द्वयम्।
संयोज्य चाविवेकेन जानामीति प्रवर्तते।।25।।
25. By the indiscriminate blending of the two – the Existence-Knowledge-aspect of the Self and the thought-wave of the intellect – there arises the notion of “I know”.
आत्म-बोध ऑनलाइन क्लास - 25 :
आत्म-बोध के 25th श्लोक में आचार्यश्री हमें एक उपहित और अनुपहित चेतना का विवेक दे रहे हैं। जब आत्मा की चेतन स्वरूपता का प्रतिपादन होता है तो अक्सर जीव के अंदर निहित चेतना को ही ब्रह्म-स्वरुप आत्मा मान बैठने का भ्रम उत्पन्न कर लेते हैं। इस संभावित दोष के निराकरण के लिए हमें इन दोनों चेतनाओं का विवेक करना चाहिए। इस विवेक के लिए हमें मात्र यह देखना चाहिए की यह ज्ञाता चेतना कैसे उत्पन्न होती है। इस सन्दर्भ में आचार्य कहते हैं की जब कोई व्यक्ति आत्मा की सत-चित स्वरूपता और किसी मन में उत्पन्न वृत्ति का भेद नहीं देख पता है तब इस वृत्ति और आत्माकी सत-चित स्वरूपता का अज्ञानवशात संयोग हो जाता है, और तब ही ज्ञाता का जन्म हो जाता है, जिसके अंदर 'हम जानने वाले हैं यह भाव उदित हो जाता है। जिसके अंदर इन दोनों का स्पष्ट विवेक होता है उसमे ऐसी कोई भी धरना नहीं आती है।
#Atmabodha
February 25, 2022
https://youtu.be/_1ecG6qPJIg
#SanskritCarnaticMusic
पार्वती कुमारं भावये - रागं नाट कुरञ्जि - ताळं रूपकम्
पल्लवि
पार्वती कुमारं भावये सततं
शरवण भव गुरु गुहं श्री
समष्टि चरणम्
मार्ग सहाय प्रिय सुतं
माधवाद्यमरादि नुतं
(मध्यम काल साहित्यम्)
माणिक्य मकुट शोभित -
मानित गुण वैभवम्
Meaning
pallavi
bhAvayE - I meditate
satataM - always,
SrI pArvatI kumAraM - (upon) the son of Parvati,
SaravaNa bhava guru guhaM - Guruguha who incarnated in the forest of reeds,
samashTi caraNam
mArga sahAya priya sutaM - the dear son of Shiva(Marga-sahayeshwara),
mAdhava-Adi-amara-Adi nutaM - the one praised by Devas led by Vishnu, and other celestial beings,
mANikya makuTa SObhita - the one dazzling with a ruby(-studded) crown,
mAnita guNa Vaibhavam - the one who is venerated for the glory of his qualities
Comments:
This kriti is in the second Vibhakti
In the temple in Virinchipuram, Shiva is known by the name Margasahayeswaya (Vazhitthunai Nathar)
#SanskritCarnaticMusic
पार्वती कुमारं भावये - रागं नाट कुरञ्जि - ताळं रूपकम्
पल्लवि
पार्वती कुमारं भावये सततं
शरवण भव गुरु गुहं श्री
समष्टि चरणम्
मार्ग सहाय प्रिय सुतं
माधवाद्यमरादि नुतं
(मध्यम काल साहित्यम्)
माणिक्य मकुट शोभित -
मानित गुण वैभवम्
Meaning
pallavi
bhAvayE - I meditate
satataM - always,
SrI pArvatI kumAraM - (upon) the son of Parvati,
SaravaNa bhava guru guhaM - Guruguha who incarnated in the forest of reeds,
samashTi caraNam
mArga sahAya priya sutaM - the dear son of Shiva(Marga-sahayeshwara),
mAdhava-Adi-amara-Adi nutaM - the one praised by Devas led by Vishnu, and other celestial beings,
mANikya makuTa SObhita - the one dazzling with a ruby(-studded) crown,
mAnita guNa Vaibhavam - the one who is venerated for the glory of his qualities
Comments:
This kriti is in the second Vibhakti
In the temple in Virinchipuram, Shiva is known by the name Margasahayeswaya (Vazhitthunai Nathar)
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Parvati Kumaram | Nattakurinji | Muthuswamy Dikshitar | Thai Pusam
Thai Poosam is
festival celebrated by Tamil Hindu Community on the full moon day of the
Thai Month ( jan15- Feb15) on the star of PUSHYAM.
It is a very auspicious day for Lord Murugan and various pooja is performed across temples in South India as well as…
It is a very auspicious day for Lord Murugan and various pooja is performed across temples in South India as well as…
February 25, 2022
February 25, 2022
🍃
♦️moghaashaa moghakarmaaNo moghaj~naanaa vichetasaH|
raakShasiimaasuriiM chaiva prakRRitiM mohiniiM shritaaH9.12
⚜The ignorant persons having false hopes, false actions, and false knowledge, possess the delusive (or Taamasika) qualities (See 16.04-18) of fiends and demons. (9.12)
⚜वृथा आशा वृथा कर्म और वृथा ज्ञान वाले अविचारीजन राक्षसों के और असुरों के मोहित करने वाले स्वभाव को धारण किये रहते हैं।।9.12।।
#geeta
मोघाशा मोघकर्माणो मोघज्ञाना विचेतसः।
राक्षसीमासुरीं चैव प्रकृतिं मोहिनीं श्रिताः
।।9.12।।♦️moghaashaa moghakarmaaNo moghaj~naanaa vichetasaH|
raakShasiimaasuriiM chaiva prakRRitiM mohiniiM shritaaH
⚜The ignorant persons having false hopes, false actions, and false knowledge, possess the delusive (or Taamasika) qualities (See 16.04-18) of fiends and demons. (9.12)
⚜वृथा आशा वृथा कर्म और वृथा ज्ञान वाले अविचारीजन राक्षसों के और असुरों के मोहित करने वाले स्वभाव को धारण किये रहते हैं।।9.12।।
#geeta
February 25, 2022
February 25, 2022
🍃
♦️mahaatmaanastu maaM paartha daiviiM prakRRitimaashritaaH|
bhajantyananyamanaso j~naatvaa bhuutaadimavyayam9.13
⚜But great souls, O Arjuna, who possess divine qualities (See 16.01-03) know Me as the (material and efficient) cause of creation and imperishable, and worship Me single-mindedly. (9.13)
⚜हे पार्थ परन्तु दैवी प्रकृति के आश्रित महात्मा पुरुष मुझे समस्त भूतों का आदिकारण और अव्ययस्वरूप जानकर अनन्यमन से युक्त होकर मुझे भजते हैं।।
#geeta
महात्मानस्तु मां पार्थ दैवीं प्रकृतिमाश्रिताः।
भजन्त्यनन्यमनसो ज्ञात्वा भूतादिमव्ययम्
।।9.13।।♦️mahaatmaanastu maaM paartha daiviiM prakRRitimaashritaaH|
bhajantyananyamanaso j~naatvaa bhuutaadimavyayam
⚜But great souls, O Arjuna, who possess divine qualities (See 16.01-03) know Me as the (material and efficient) cause of creation and imperishable, and worship Me single-mindedly. (9.13)
⚜हे पार्थ परन्तु दैवी प्रकृति के आश्रित महात्मा पुरुष मुझे समस्त भूतों का आदिकारण और अव्ययस्वरूप जानकर अनन्यमन से युक्त होकर मुझे भजते हैं।।
#geeta
February 25, 2022
🚩जय सत्य सनातन🚩
🚩आज की हिंदी तिथि
🌥️ 🚩युगाब्द-५१२३
🌥️ 🚩विक्रम संवत-२०७८
⛅ 🚩तिथि - दशमी सुबह 10:39 तक तत्पश्चात एकादशी
⛅ दिनांक - 26 फरवरी 2022
⛅ दिन - शनिवार
⛅ शक संवत -1943
⛅ अयन - उत्तरायण
⛅ ऋतु - वसंत ऋतु
⛅ मास - फाल्गुन
⛅ पक्ष - कृष्ण
⛅ नक्षत्र - मूल सुबह 10:32 तक तत्पश्चात पूर्वाषाढा
⛅ योग - सिद्धि रात्रि 08:52 तक तत्पश्चात वयतीपात
⛅ राहुकाल - सुबह 09:57 से सुबह 11:24 तक
⛅ सूर्योदय - 07:02
⛅ सूर्यास्त - 18:40
⛅ दिशाशूल - पूर्व दिशा में
🚩आज की हिंदी तिथि
🌥️ 🚩युगाब्द-५१२३
🌥️ 🚩विक्रम संवत-२०७८
⛅ 🚩तिथि - दशमी सुबह 10:39 तक तत्पश्चात एकादशी
⛅ दिनांक - 26 फरवरी 2022
⛅ दिन - शनिवार
⛅ शक संवत -1943
⛅ अयन - उत्तरायण
⛅ ऋतु - वसंत ऋतु
⛅ मास - फाल्गुन
⛅ पक्ष - कृष्ण
⛅ नक्षत्र - मूल सुबह 10:32 तक तत्पश्चात पूर्वाषाढा
⛅ योग - सिद्धि रात्रि 08:52 तक तत्पश्चात वयतीपात
⛅ राहुकाल - सुबह 09:57 से सुबह 11:24 तक
⛅ सूर्योदय - 07:02
⛅ सूर्यास्त - 18:40
⛅ दिशाशूल - पूर्व दिशा में
February 25, 2022
Forwarded from रामदूतः — The Sanskrit News Platform
https://youtu.be/3e8h1H62fpg
Switch to DD News daily at 7:15 AM (Morning) for 15 minutes Sanskrit news.
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विशेष कार्यक्रम- वार्ता:
February 25, 2022
ANCIENT HEALTH TIPS
Quotes in Sanskrit
🌸🙏🌸
1. Ajeerne Bhojanam Visham
अजीर्णे भोजनं विषम् ।
If previously taken Lunch is not digested..taking Dinner will be equivalent to taking Poison. Hunger is one signal that the previous food is digested
2. Ardharogahari Nidhraa
अर्धरोगहारी निद्रा।
Proper sleep cures half of the diseases..
3. Mudhgadhaali Gadhavyaali
मूढ़गढ़ाल्ली गढ़व्याली।
Of all the Pulses, Green grams are the best. It boosts Immunity. Other Pulses all have one or the other side effects.
4. Bagnaasthi Sandhaanakaro Rasonaha
बागनास्थी संधानकारो रसोनहा।
Garlic even joins broken Bones..
5. Athi Sarvathra Varjayeth
अति सर्वत्र वर्जयेत।
Anything consumed in Excess, just because it tastes good, is not good for Health. Be moderate.
6. Naasthimoolam Anoushadham
नास्थिमूलम अनौषधाम।
There is No Vegetable that has no medicinal benefit to the body..
7. Na Vaidhyaha Prabhuraayushaha
नां वैध्यः प्रभुरायुशाह ।
No Doctor is Lord of our Longevity. Doctors have limitations.
8. Chinthaa Vyaadhi Prakaashaya
चिंता व्याधि प्रकाश्य।
Worry aggravates ill health..
9. Vyayaamascha Sanaihi Sanaihi
व्यायामच्छ सनैही सनैही।
Do any Exercise slowly. Speedy exercise is not good.
10. Ajavath charvanam Kuryaath
अजावथ चर्वनाम कुर्यात।
Chew your Food like a Goat..Never Swallow food in a hurry..
Saliva aids first in digestion.
11. Snaanam Naama
Manahprasaadhanakaram Dhuswapna Vidhwasanam
स्नानम नामा मानहप्रसाधनकरम धुस्वप्न विध्वसनम।
Bath removes Depression. It drives away Bad Dreams..
12. Na Snaanam Aachareth Bhukthvaa
ना स्नानम आचारेठ भुक्थवा।
Never take Bath immediately after taking Food Digestion is affected
13. Naasthi Meghasamam Thoyam
नास्थि मेघासमाम थोयम।
No water matches Rainwater in purity..
14. Ajeerne Bheshajam Vaari
अजीर्णे भेषजम वारी।
Indigestion can be addressed by taking plain water.
15. Sarvathra Noothanam Sastham Sevakaanne Puraathanam
सर्वत्र नूथनाम सस्थाम सेवकाने पुर्रथनम।
Always prefer things that are Fresh..
Old Rice and Old Servant need to be replaced with new. (Here what it actually means in respect of Servant is: Change his Duties and not terminate.)
16. Nithyam Sarvaa Rasaabhyaasaha
नित्यम् सर्वा रास्सभ्याश।
Take complete Food that has all tastes viz: Salt, Sweet, Bitter, Sour, Astringent and Pungent).
17. Jataram Poorayedhardham Annahi
जटाराम पूरायेधरधाम अन्नाहि।
Fill your Stomach half with Solids, a quarter with Water and rest leave it empty.
18. Bhukthvopa Visathasthandraa
भुक्थवोपा विसथास्थंद्र।
Never sit idle after taking Food. Walk for at least half an hour.
19. Kshuth Saadhuthaam Janayathi
क्षुथ साधुथाम जनयथि।
Hunger increases the taste of food..
In other words, eat only when hungry..
20. Chinthaa Jaraanaam Manushyaanaam
चिंता जर्रानाम मनुष्याणम।
Worrying speeds up ageing..
21. Satham Vihaaya Bhokthavyam
साथम विहाया भोक्ताव्यम।
When it is time for food, keep even 100 jobs aside.
22. Sarvaa Dharmeshu Madhyamaam
सर्व धर्मेशु मध्यमाम।
Choose always the middle path. Avoid going for extremes in anything.
Quotes in Sanskrit
🌸🙏🌸
1. Ajeerne Bhojanam Visham
अजीर्णे भोजनं विषम् ।
If previously taken Lunch is not digested..taking Dinner will be equivalent to taking Poison. Hunger is one signal that the previous food is digested
2. Ardharogahari Nidhraa
अर्धरोगहारी निद्रा।
Proper sleep cures half of the diseases..
3. Mudhgadhaali Gadhavyaali
मूढ़गढ़ाल्ली गढ़व्याली।
Of all the Pulses, Green grams are the best. It boosts Immunity. Other Pulses all have one or the other side effects.
4. Bagnaasthi Sandhaanakaro Rasonaha
बागनास्थी संधानकारो रसोनहा।
Garlic even joins broken Bones..
5. Athi Sarvathra Varjayeth
अति सर्वत्र वर्जयेत।
Anything consumed in Excess, just because it tastes good, is not good for Health. Be moderate.
6. Naasthimoolam Anoushadham
नास्थिमूलम अनौषधाम।
There is No Vegetable that has no medicinal benefit to the body..
7. Na Vaidhyaha Prabhuraayushaha
नां वैध्यः प्रभुरायुशाह ।
No Doctor is Lord of our Longevity. Doctors have limitations.
8. Chinthaa Vyaadhi Prakaashaya
चिंता व्याधि प्रकाश्य।
Worry aggravates ill health..
9. Vyayaamascha Sanaihi Sanaihi
व्यायामच्छ सनैही सनैही।
Do any Exercise slowly. Speedy exercise is not good.
10. Ajavath charvanam Kuryaath
अजावथ चर्वनाम कुर्यात।
Chew your Food like a Goat..Never Swallow food in a hurry..
Saliva aids first in digestion.
11. Snaanam Naama
Manahprasaadhanakaram Dhuswapna Vidhwasanam
स्नानम नामा मानहप्रसाधनकरम धुस्वप्न विध्वसनम।
Bath removes Depression. It drives away Bad Dreams..
12. Na Snaanam Aachareth Bhukthvaa
ना स्नानम आचारेठ भुक्थवा।
Never take Bath immediately after taking Food Digestion is affected
13. Naasthi Meghasamam Thoyam
नास्थि मेघासमाम थोयम।
No water matches Rainwater in purity..
14. Ajeerne Bheshajam Vaari
अजीर्णे भेषजम वारी।
Indigestion can be addressed by taking plain water.
15. Sarvathra Noothanam Sastham Sevakaanne Puraathanam
सर्वत्र नूथनाम सस्थाम सेवकाने पुर्रथनम।
Always prefer things that are Fresh..
Old Rice and Old Servant need to be replaced with new. (Here what it actually means in respect of Servant is: Change his Duties and not terminate.)
16. Nithyam Sarvaa Rasaabhyaasaha
नित्यम् सर्वा रास्सभ्याश।
Take complete Food that has all tastes viz: Salt, Sweet, Bitter, Sour, Astringent and Pungent).
17. Jataram Poorayedhardham Annahi
जटाराम पूरायेधरधाम अन्नाहि।
Fill your Stomach half with Solids, a quarter with Water and rest leave it empty.
18. Bhukthvopa Visathasthandraa
भुक्थवोपा विसथास्थंद्र।
Never sit idle after taking Food. Walk for at least half an hour.
19. Kshuth Saadhuthaam Janayathi
क्षुथ साधुथाम जनयथि।
Hunger increases the taste of food..
In other words, eat only when hungry..
20. Chinthaa Jaraanaam Manushyaanaam
चिंता जर्रानाम मनुष्याणम।
Worrying speeds up ageing..
21. Satham Vihaaya Bhokthavyam
साथम विहाया भोक्ताव्यम।
When it is time for food, keep even 100 jobs aside.
22. Sarvaa Dharmeshu Madhyamaam
सर्व धर्मेशु मध्यमाम।
Choose always the middle path. Avoid going for extremes in anything.
February 25, 2022
अप्युन्मत्तात् प्रलपतो बालाच्च परिजल्पतः।
सर्वतः सारमादद्याद् अश्मभ्य इव काञ्चनम्।।
भावार्थः -
यथा पाषाणखण्डेभ्यः स्वर्णं प्राप्यते तथैव मूर्खात् ,किमपि वदतः बालात् अपि ज्ञानं गृहीतव्यम्।
जीवने सर्वतः सारं गृह्णन्तु।
#Subhashitam
सर्वतः सारमादद्याद् अश्मभ्य इव काञ्चनम्।।
भावार्थः -
यथा पाषाणखण्डेभ्यः स्वर्णं प्राप्यते तथैव मूर्खात् ,किमपि वदतः बालात् अपि ज्ञानं गृहीतव्यम्।
जीवने सर्वतः सारं गृह्णन्तु।
#Subhashitam
February 25, 2022
February 26, 2022
February 26, 2022
संस्कृत संवादः । Sanskrit Samvadah
(भय
और रक्षा अथवाली धातुओं के साथ जिससे भय लगता है और जिससे रक्षा की जाती
है उसकी अपादान संज्ञा होती है और अपादान कारक में पंचमी विभक्ति का प्रयोग
होता है।) विपत्तेः सर्वे बिभ्यति = विपत्तियों से सब डरते हैं।
अधर्माद् बिभेति सज्जनः = सज्जन व्यक्ति…
संस्कृतं वद आधुनिको भव।
वेदान् पठ वैज्ञानिको भव।।
पाठ : (१८) पञ्चमी विभक्तिः (२) + सवर्णदीर्घसन्धिः
{जुगुप्सा (घृणा), विराम (रुकना, हटना) तथा प्रमाद (लापरवाही) इन अर्थवाली धातुओं के साथ जिससे घृणा की जाए, जिससे रुका जाए और जिसमें प्रमाद किया जाए उसकी अपादान संज्ञा होती है तथा अपादान कारक में पंचमी विभक्ति होती है।}
पापात् जुगुप्सते
= पाप से घृणा करता है।
ऋषयः रक्षोभ्यः जुगुप्सन्ते स्म
= ऋषि राक्षसों से घृणा करते थे।
रक्षांसि यज्ञात् जुगुप्सन्ते
= राक्षस यज्ञ से घृणा करते हैं।
प्रजा अन्यायात् जुगुप्सेत
= प्रजा को अन्याय से घृणा करनी चाहिए।
शौचात् स्वाङ्गात् जुगुप्सा जायते
= शौच (शरीर की आन्तरिक व बाह्य शुद्धि करने) से अपने ही शरीर के अंगों से घृणा उत्पन्न होती है।
सदैवाऽसुराः देवेभ्यः अजुगुप्सन्त, जुगुप्सन्ते, जुगुप्सिष्यन्ते च
= सदा ही असुर प्रकृति के लोग देव प्रकृति के लोगों से घृणा करते थे, हैं और करते रहेंगे।
अधार्मिकाः धर्मात् कामं जुगुप्सताम् किन्तु धार्मिकाः क्षणमपि धर्मात् न विरमन्ति
= अधार्मिक भले ही धर्म से घृणा करें, किन्तु धार्मिक जन क्षणभर के लिए भी धर्म करने से नहीं चूकते।
विरराम रामः घोरसमरात् वनं गतः
= राम घोर संग्राम से उपरत (हट गए) हो गए और वन चले गए।
विरमन्तु कदाचारात्
= कदाचार को विराम दो।
व्यरमत् रोगी व्यसनेभ्यः
= रोगी व्यसनों से दूर हो गया।
मधुपा मृत्यम् आवृणोत् किन्तु मधुपानात् न व्यरंसीत्
= शराबी ने मृत्यु का वरण किया किन्तु शराब नहीं छोड़ी।
विरामात् विरम, चरैवेति
= रुकने से रुको, चलते ही रहो।
विरामात् विरम, विरामोऽवसानम्
= रुकने से रुको, रुकना मृत्यु है।
अप्रियात् सत्यात् विरमेम
= हमें सत्य को अप्रिय ढंग से नहीं बोलना चाहिए।
ऋष्युपदेशात् राजा व्यभिचारात् व्यरमत्
= ऋषि के उपदेश से राजा व्यभिचार करने से हट गया।
धर्मात् प्रमाद्यति खलः
= दुष्ट धर्म में प्रमाद करता है।
प्राणाघातात् निवृत्तिः परमः पन्थाः
= जीवहिंसा से हट जाना श्रेष्ठ मार्ग है।
न निश्चयार्थान् विरमन्ति धीराः
= धीर लोग अपने निश्चय से नहीं हटते।
न नवः प्रभुराफलोदयात् स्थिरकर्मा विरराम कर्मणः
= नया राजा तब तक कर्म करने से नहीं रुक, जब तक उसे फल प्राप्ति न हो गई।
भयाद् रणादुपरतं मंस्यन्ते त्वां महारथाः
= (हे अर्जुन !..) महारथी लोग यह समझेंगे कि तू भय के कारण युद्ध से उपरत हो गया है।
#vakyabhyas
वेदान् पठ वैज्ञानिको भव।।
पाठ : (१८) पञ्चमी विभक्तिः (२) + सवर्णदीर्घसन्धिः
{जुगुप्सा (घृणा), विराम (रुकना, हटना) तथा प्रमाद (लापरवाही) इन अर्थवाली धातुओं के साथ जिससे घृणा की जाए, जिससे रुका जाए और जिसमें प्रमाद किया जाए उसकी अपादान संज्ञा होती है तथा अपादान कारक में पंचमी विभक्ति होती है।}
पापात् जुगुप्सते
= पाप से घृणा करता है।
ऋषयः रक्षोभ्यः जुगुप्सन्ते स्म
= ऋषि राक्षसों से घृणा करते थे।
रक्षांसि यज्ञात् जुगुप्सन्ते
= राक्षस यज्ञ से घृणा करते हैं।
प्रजा अन्यायात् जुगुप्सेत
= प्रजा को अन्याय से घृणा करनी चाहिए।
शौचात् स्वाङ्गात् जुगुप्सा जायते
= शौच (शरीर की आन्तरिक व बाह्य शुद्धि करने) से अपने ही शरीर के अंगों से घृणा उत्पन्न होती है।
सदैवाऽसुराः देवेभ्यः अजुगुप्सन्त, जुगुप्सन्ते, जुगुप्सिष्यन्ते च
= सदा ही असुर प्रकृति के लोग देव प्रकृति के लोगों से घृणा करते थे, हैं और करते रहेंगे।
अधार्मिकाः धर्मात् कामं जुगुप्सताम् किन्तु धार्मिकाः क्षणमपि धर्मात् न विरमन्ति
= अधार्मिक भले ही धर्म से घृणा करें, किन्तु धार्मिक जन क्षणभर के लिए भी धर्म करने से नहीं चूकते।
विरराम रामः घोरसमरात् वनं गतः
= राम घोर संग्राम से उपरत (हट गए) हो गए और वन चले गए।
विरमन्तु कदाचारात्
= कदाचार को विराम दो।
व्यरमत् रोगी व्यसनेभ्यः
= रोगी व्यसनों से दूर हो गया।
मधुपा मृत्यम् आवृणोत् किन्तु मधुपानात् न व्यरंसीत्
= शराबी ने मृत्यु का वरण किया किन्तु शराब नहीं छोड़ी।
विरामात् विरम, चरैवेति
= रुकने से रुको, चलते ही रहो।
विरामात् विरम, विरामोऽवसानम्
= रुकने से रुको, रुकना मृत्यु है।
अप्रियात् सत्यात् विरमेम
= हमें सत्य को अप्रिय ढंग से नहीं बोलना चाहिए।
ऋष्युपदेशात् राजा व्यभिचारात् व्यरमत्
= ऋषि के उपदेश से राजा व्यभिचार करने से हट गया।
धर्मात् प्रमाद्यति खलः
= दुष्ट धर्म में प्रमाद करता है।
प्राणाघातात् निवृत्तिः परमः पन्थाः
= जीवहिंसा से हट जाना श्रेष्ठ मार्ग है।
न निश्चयार्थान् विरमन्ति धीराः
= धीर लोग अपने निश्चय से नहीं हटते।
न नवः प्रभुराफलोदयात् स्थिरकर्मा विरराम कर्मणः
= नया राजा तब तक कर्म करने से नहीं रुक, जब तक उसे फल प्राप्ति न हो गई।
भयाद् रणादुपरतं मंस्यन्ते त्वां महारथाः
= (हे अर्जुन !..) महारथी लोग यह समझेंगे कि तू भय के कारण युद्ध से उपरत हो गया है।
#vakyabhyas
February 26, 2022
भक्तः : हे भगवन् ! भवान् कुत्र अस्ति ?
भगवान् : हे भक्त ! त्वं किम् इच्छसि तत् मां पृच्छ । अहं यच्छामि ।
भक्तः : अहं समुद्रस्य तरणं कर्तुम् इच्छामि । अतः सागरस्य उपरि वज्रचूर्ण-मार्ग-निर्माणं कृपया भवता कर्तव्यम्।
भगवान् : भोः ! समुद्र-मध्ये वज्रचूर्ण-मार्ग-निर्माणं तु बहु कठिनं कार्यं भवति । अन्यं वरं पृच्छतु ।
भक्तः : तर्हि मम भार्यया तस्याः वचनानि न्यूनानि करणीयानि । तया मम वचनानि एव श्रोतव्यानि प्रतिवादः न
करणीयः च इति वराः भवता दीयन्ताम् ।
भगवान् : अहो ! चिन्ता मास्तु । एकं क्षणं ददातु । वज्रचूर्ण-मार्गः सिद्धः भविष्यति ।
भक्तः : ????????
Devotee : Oh God! Where are you ?
God : Dear Bhakta! What do you want ? Ask me, I will give you.
Devotee : I want to cross the ocean. So, a cement road should be built on the ocean by you.
God : Building a cement road is a very hard task. Ask me another boon.
Devotee : Then my wife should try to reduce her lectures and listen to me without arguments.
God : Ok Bhakta! Your cement road will be ready in a second.
Devotee : ?????
#hasya
भगवान् : हे भक्त ! त्वं किम् इच्छसि तत् मां पृच्छ । अहं यच्छामि ।
भक्तः : अहं समुद्रस्य तरणं कर्तुम् इच्छामि । अतः सागरस्य उपरि वज्रचूर्ण-मार्ग-निर्माणं कृपया भवता कर्तव्यम्।
भगवान् : भोः ! समुद्र-मध्ये वज्रचूर्ण-मार्ग-निर्माणं तु बहु कठिनं कार्यं भवति । अन्यं वरं पृच्छतु ।
भक्तः : तर्हि मम भार्यया तस्याः वचनानि न्यूनानि करणीयानि । तया मम वचनानि एव श्रोतव्यानि प्रतिवादः न
करणीयः च इति वराः भवता दीयन्ताम् ।
भगवान् : अहो ! चिन्ता मास्तु । एकं क्षणं ददातु । वज्रचूर्ण-मार्गः सिद्धः भविष्यति ।
भक्तः : ????????
Devotee : Oh God! Where are you ?
God : Dear Bhakta! What do you want ? Ask me, I will give you.
Devotee : I want to cross the ocean. So, a cement road should be built on the ocean by you.
God : Building a cement road is a very hard task. Ask me another boon.
Devotee : Then my wife should try to reduce her lectures and listen to me without arguments.
God : Ok Bhakta! Your cement road will be ready in a second.
Devotee : ?????
#hasya
February 26, 2022
।।श्रीः।।
।।आत्मबोधः।।
Atmabodha, meaning Self-knowledge or Self-awareness, is an exceptionally lucid and readable work of Shankaracharya. Consisting of sixty-eight verses or shlokas, it is in a sense a simple summary of his entire Vedantic structure of thought, intended, it would seem, as a basic primer for his students and followers. The text follows a clearly elaborated doctrine, starting with knowledge as a key to liberation, the nautre of the Atman within us, the assertion of the pervasive and attribute-less nature of Brahman, and the path towards the realisation of the complete identity between the Atman and Brahman.
आत्मनो विक्रिया नास्ति बुद्धेर्बोधो न जात्विति।
जीवः सर्वमलं ज्ञात्वा ज्ञाता द्रष्टेति मुह्यति।।26।।
26. Atman never does anything and the intellect of its own accord has no capacity to experience’I know’. But the individuality in us delusorily thinks he is himself the seer and the knower.
आत्म-बोध ऑनलाइन क्लास - 26 :
आत्म-बोध के 26th श्लोक में आचार्यश्री हमें जीव और आत्मा का भेद बताते हुए इसका विवेक प्रदान कर रहे हैं। पिछले श्लोक में भी कुछ ऐसी ही बात बताई थी, पुनः इस विषय को स्पष्ट करते हुए कह रहे हैं की हम लोग जो अपने आपको ज्ञाता, दृष्टा आदि समझते हैं वह वस्तुतः हम लोगों के अज्ञान के कारण उत्पन्न गलत-फ़हमी है। यह समझना इसलिए गलत है क्यूंकि यहाँ पर जो दो चीज़ें आपस में मिश्रित होकर जीव बनी हैं उन्हें देखें - इस मोह से पर्दा उठ जायेगा। आत्मा में कोई विकार नहीं होता है और बुद्धि में अपनी कोई स्वतंत्र जीवंतता नहीं होती है - लेकिन जब कोई इन दोनों का यथार्थ नहीं जनता है तब बुद्धि को ही स्वतंत्र रूप से चेतन मान लेता है। ऐसे में बुद्धि की अनेकानेक संकुचिता आत्मा की संकुचित बन जाती है और हम सब के जीवन का आधार एक निराधार कल्पना हो जाती है।
#Atmabodha
।।आत्मबोधः।।
Atmabodha, meaning Self-knowledge or Self-awareness, is an exceptionally lucid and readable work of Shankaracharya. Consisting of sixty-eight verses or shlokas, it is in a sense a simple summary of his entire Vedantic structure of thought, intended, it would seem, as a basic primer for his students and followers. The text follows a clearly elaborated doctrine, starting with knowledge as a key to liberation, the nautre of the Atman within us, the assertion of the pervasive and attribute-less nature of Brahman, and the path towards the realisation of the complete identity between the Atman and Brahman.
आत्मनो विक्रिया नास्ति बुद्धेर्बोधो न जात्विति।
जीवः सर्वमलं ज्ञात्वा ज्ञाता द्रष्टेति मुह्यति।।26।।
26. Atman never does anything and the intellect of its own accord has no capacity to experience’I know’. But the individuality in us delusorily thinks he is himself the seer and the knower.
आत्म-बोध ऑनलाइन क्लास - 26 :
आत्म-बोध के 26th श्लोक में आचार्यश्री हमें जीव और आत्मा का भेद बताते हुए इसका विवेक प्रदान कर रहे हैं। पिछले श्लोक में भी कुछ ऐसी ही बात बताई थी, पुनः इस विषय को स्पष्ट करते हुए कह रहे हैं की हम लोग जो अपने आपको ज्ञाता, दृष्टा आदि समझते हैं वह वस्तुतः हम लोगों के अज्ञान के कारण उत्पन्न गलत-फ़हमी है। यह समझना इसलिए गलत है क्यूंकि यहाँ पर जो दो चीज़ें आपस में मिश्रित होकर जीव बनी हैं उन्हें देखें - इस मोह से पर्दा उठ जायेगा। आत्मा में कोई विकार नहीं होता है और बुद्धि में अपनी कोई स्वतंत्र जीवंतता नहीं होती है - लेकिन जब कोई इन दोनों का यथार्थ नहीं जनता है तब बुद्धि को ही स्वतंत्र रूप से चेतन मान लेता है। ऐसे में बुद्धि की अनेकानेक संकुचिता आत्मा की संकुचित बन जाती है और हम सब के जीवन का आधार एक निराधार कल्पना हो जाती है।
#Atmabodha
February 26, 2022
February 26, 2022
February 26, 2022
🍃
♦️satataM kiirtayanto maaM yatantashcha dRRiDhavrataaH|
namasyantashcha maaM bhaktyaa nityayuktaa upaasate9.14
⚜Persons of firm resolve worship Me with ever steadfast devotion by always singing My glories, striving to attain Me, and prostrating before Me. (9.14)
⚜सतत मेरा कीर्तन करते हुए? प्रयत्नशील? दढ़व्रती पुरुष मुझे नमस्कार करते हुए? नित्ययुक्त होकर भक्तिपूर्वक मेरी उपासना करते हैं।।
#geeta
सततं कीर्तयन्तो मां यतन्तश्च दृढव्रताः।
नमस्यन्तश्च मां भक्त्या नित्ययुक्ता उपासते
।।9.14।।♦️satataM kiirtayanto maaM yatantashcha dRRiDhavrataaH|
namasyantashcha maaM bhaktyaa nityayuktaa upaasate
⚜Persons of firm resolve worship Me with ever steadfast devotion by always singing My glories, striving to attain Me, and prostrating before Me. (9.14)
⚜सतत मेरा कीर्तन करते हुए? प्रयत्नशील? दढ़व्रती पुरुष मुझे नमस्कार करते हुए? नित्ययुक्त होकर भक्तिपूर्वक मेरी उपासना करते हैं।।
#geeta
February 26, 2022
February 26, 2022
🍃
♦️j~naanayaj~nena chaapyanye yajanto maamupaasate|
ekatvena pRRithaktvena bahudhaa vishvatomukham9.15
⚜Some worship Me by knowledge sacrifice. Others worship the infinite as the one in all (or non-dual), as the master of all (or dual), and in various other ways. (9.15)
⚜कोई मुझे ज्ञानयज्ञ के द्वारा पूजन करते हुए एकत्वभाव से उपासते हैं कोई पृथक भाव से कोई बहुत प्रकार से मुझ विराट स्वरूप (विश्वतो मुखम्) को उपासते हैं।।9.15।।
#geeta
ज्ञानयज्ञेन चाप्यन्ये यजन्तो मामुपासते।
एकत्वेन पृथक्त्वेन बहुधा विश्वतोमुखम्
।।9.15।।♦️j~naanayaj~nena chaapyanye yajanto maamupaasate|
ekatvena pRRithaktvena bahudhaa vishvatomukham
⚜Some worship Me by knowledge sacrifice. Others worship the infinite as the one in all (or non-dual), as the master of all (or dual), and in various other ways. (9.15)
⚜कोई मुझे ज्ञानयज्ञ के द्वारा पूजन करते हुए एकत्वभाव से उपासते हैं कोई पृथक भाव से कोई बहुत प्रकार से मुझ विराट स्वरूप (विश्वतो मुखम्) को उपासते हैं।।9.15।।
#geeta
February 26, 2022
Forwarded from रामदूतः — The Sanskrit News Platform
https://youtu.be/JSNJo63umVE
Switch to DD News daily at 7:15 AM (Morning) for 15 minutes Sanskrit news.
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YouTube
वार्ता: संस्कृत में समाचार | यूपी में पांचवे चरण का मतदान शुरू
February 26, 2022
🚩जय सत्य सनातन🚩
🚩आज की हिंदी तिथि
🌥 🚩यगाब्द-५१२३
🌥 🚩विक्रम संवत-२०७८
⛅️ 🚩तिथि - एकादशी सुबह 08:12 तक तत्पश्चात द्वादशी
⛅️ दिनांक - 27 फरवरी 2022
⛅️ दिन - रविवार
⛅️ शक संवत -1943
⛅️ अयन - उत्तरायण
⛅️ ऋतु - वसंत ऋतु
⛅️ मास - फाल्गुन
⛅️ पक्ष - कृष्ण
⛅️ नक्षत्र - पूर्वाषाढा सुबह 08:49 तक तत्पश्चात उत्तराषाढा
⛅️ योग - वयतीपात शाम 05:39 तक तत्पश्चात वरीयान
⛅️ राहुकाल - शाम 05:14 से शाम 06:42
⛅️ सर्योदय - 07:02
⛅️ सर्यास्त - 18:40
⛅️ दिशाशूल - पश्चिम दिशा में
🚩आज की हिंदी तिथि
🌥 🚩यगाब्द-५१२३
🌥 🚩विक्रम संवत-२०७८
⛅️ 🚩तिथि - एकादशी सुबह 08:12 तक तत्पश्चात द्वादशी
⛅️ दिनांक - 27 फरवरी 2022
⛅️ दिन - रविवार
⛅️ शक संवत -1943
⛅️ अयन - उत्तरायण
⛅️ ऋतु - वसंत ऋतु
⛅️ मास - फाल्गुन
⛅️ पक्ष - कृष्ण
⛅️ नक्षत्र - पूर्वाषाढा सुबह 08:49 तक तत्पश्चात उत्तराषाढा
⛅️ योग - वयतीपात शाम 05:39 तक तत्पश्चात वरीयान
⛅️ राहुकाल - शाम 05:14 से शाम 06:42
⛅️ सर्योदय - 07:02
⛅️ सर्यास्त - 18:40
⛅️ दिशाशूल - पश्चिम दिशा में
February 26, 2022
February 26, 2022
Free Online courses from vyomaLabs
Details here
Course 1. Sri Adishankaracharya’s Sadhanapanchakam - A Blueprint for Sadhana
श्रीमदादिशङ्कराचार्यविरचितं साधनपञ्चकम् - साधनायाः पथप्रदर्शकम्
To Enrol click here
Sri Adishankaracharya’s Sadhanapanchakam - A Blueprint for Sadhana
Upanishads say that for a person to achieve the real purpose of life, to achieve Atmanubhuti, he has to be a real atma-sadhaka and follow certain steps to achieve it. In Sadhana Panchakam, Sri Adi Shankaracharya precisely gives the stepping stones taken from Upanishads to be followed by an atma-sadhaka which counts to 40 instructions explained in 5 shlokas with 8 instructions in each shloka. For an atma-sadhaka, let him be in any stage of his life, the stotram has the answers to his questions regarding the Sadhana to be performed. Shri. Gannavaram Lalith Adithya will explain each shloka with meaning in English.
नामसङ्कीर्तनयज्ञः - बालानां कृते सरलनामावल्यः - २
# Session Date Time
1 14-Mar-2022 6:00 AM TO 7:00 AM
2 15-Mar-2022 6:00 AM TO 7:00 AM
3 16-Mar-2022 6:00 AM TO 7:00 AM
4 17-Mar-2022 6:00 AM TO 7:00 AM
5 18-Mar-2022 6:00 AM TO 7:00 AM
6 19-Mar-2022 6:00 AM TO 7:00 AM
What will you gain from this course? (Key Benefits / Learning Outcomes):
Ability to chant Sadhana Panchakam with proper pronunciation.
An opportunity to listen to the explanation of all the 5 shlokas in the Sadhana Panchakam and the 40 instructions to be followed by an atma-sadhaka.
As per our Shastras, regular practice of the instructions lead to chitta-shuddhi which in turn leads to atmanubhuti or Self-Realisation.
Confidence to surrender to a Guru and lead the life of an atma-sadhaka which gives the Ultimate Purpose of life to be solved.
Course 2. Namasankeerthana Yajna - Bhajans for Children - 2 (Blissful Blessings from Bhagavatar for Bhagavat Bhakti)
To Enrol click here
Namasankeerthanam (singing the names and glories of the Lord) is said to be the easiest way of reaching the Lord, especially in Kaliyuga. It is a path open to all, encompassing the young and the old, laymen and scholars alike. Brahmashri Kalaimamani Udaiyalur Dr. K. Kalyanarama Bhagavatar is one of the leading bhagavatas of Pracheena Bhajana Sampradaya. In this 10-day course, devotees can learn around 20 simple namavalis / bhajans on various deities in different languages from him, and experience the bliss of bhakti.
Course Schedule
1 7-Mar-2022 4:00 PM TO 5:00 PM
2 8-Mar-2022 4:00 PM TO 5:00 PM
3 9-Mar-2022 4:00 PM TO 5:00 PM
4 10-Mar-2022 4:00 PM TO 5:00 PM
5 11-Mar-2022 4:00 PM TO 5:00 PM
6 14-Mar-2022 4:00 PM TO 5:00 PM
7 15-Mar-2022 4:00 PM TO 5:00 PM
#SanskritEducation
Details here
Course 1. Sri Adishankaracharya’s Sadhanapanchakam - A Blueprint for Sadhana
श्रीमदादिशङ्कराचार्यविरचितं साधनपञ्चकम् - साधनायाः पथप्रदर्शकम्
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Sri Adishankaracharya’s Sadhanapanchakam - A Blueprint for Sadhana
Upanishads say that for a person to achieve the real purpose of life, to achieve Atmanubhuti, he has to be a real atma-sadhaka and follow certain steps to achieve it. In Sadhana Panchakam, Sri Adi Shankaracharya precisely gives the stepping stones taken from Upanishads to be followed by an atma-sadhaka which counts to 40 instructions explained in 5 shlokas with 8 instructions in each shloka. For an atma-sadhaka, let him be in any stage of his life, the stotram has the answers to his questions regarding the Sadhana to be performed. Shri. Gannavaram Lalith Adithya will explain each shloka with meaning in English.
नामसङ्कीर्तनयज्ञः - बालानां कृते सरलनामावल्यः - २
# Session Date Time
1 14-Mar-2022 6:00 AM TO 7:00 AM
2 15-Mar-2022 6:00 AM TO 7:00 AM
3 16-Mar-2022 6:00 AM TO 7:00 AM
4 17-Mar-2022 6:00 AM TO 7:00 AM
5 18-Mar-2022 6:00 AM TO 7:00 AM
6 19-Mar-2022 6:00 AM TO 7:00 AM
What will you gain from this course? (Key Benefits / Learning Outcomes):
Ability to chant Sadhana Panchakam with proper pronunciation.
An opportunity to listen to the explanation of all the 5 shlokas in the Sadhana Panchakam and the 40 instructions to be followed by an atma-sadhaka.
As per our Shastras, regular practice of the instructions lead to chitta-shuddhi which in turn leads to atmanubhuti or Self-Realisation.
Confidence to surrender to a Guru and lead the life of an atma-sadhaka which gives the Ultimate Purpose of life to be solved.
Course 2. Namasankeerthana Yajna - Bhajans for Children - 2 (Blissful Blessings from Bhagavatar for Bhagavat Bhakti)
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Namasankeerthanam (singing the names and glories of the Lord) is said to be the easiest way of reaching the Lord, especially in Kaliyuga. It is a path open to all, encompassing the young and the old, laymen and scholars alike. Brahmashri Kalaimamani Udaiyalur Dr. K. Kalyanarama Bhagavatar is one of the leading bhagavatas of Pracheena Bhajana Sampradaya. In this 10-day course, devotees can learn around 20 simple namavalis / bhajans on various deities in different languages from him, and experience the bliss of bhakti.
Course Schedule
1 7-Mar-2022 4:00 PM TO 5:00 PM
2 8-Mar-2022 4:00 PM TO 5:00 PM
3 9-Mar-2022 4:00 PM TO 5:00 PM
4 10-Mar-2022 4:00 PM TO 5:00 PM
5 11-Mar-2022 4:00 PM TO 5:00 PM
6 14-Mar-2022 4:00 PM TO 5:00 PM
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February 26, 2022
एतदेव हि पाण्डित्यमेषा चैव कुलीनता।
एष एव परो धर्मः आयादूनतरो व्ययः।।
भावार्थः -
लोके सः एव उत्तमस्य कुलस्य वर्तते तथा सः एव बुद्धिमान् अस्ति यः अर्जितात् धनात् न्यूनमेव व्ययं करोति।
#Subhashitam
एष एव परो धर्मः आयादूनतरो व्ययः।।
भावार्थः -
लोके सः एव उत्तमस्य कुलस्य वर्तते तथा सः एव बुद्धिमान् अस्ति यः अर्जितात् धनात् न्यूनमेव व्ययं करोति।
#Subhashitam
February 26, 2022
February 27, 2022
February 27, 2022
संस्कृत संवादः । Sanskrit Samvadah
संस्कृतं
वद आधुनिको भव। वेदान् पठ वैज्ञानिको भव।। पाठ : (१८) पञ्चमी विभक्तिः
(२) + सवर्णदीर्घसन्धिः {जुगुप्सा (घृणा), विराम (रुकना, हटना) तथा प्रमाद
(लापरवाही) इन अर्थवाली धातुओं के साथ जिससे घृणा की जाए, जिससे रुका जाए
और जिसमें प्रमाद किया जाए उसकी अपादान…
तस्माद्यस्य महाबाहो निगृहीतानि सर्वशः। इन्द्रियाणीन्द्रियार्थेभ्यस्तस्य प्रज्ञा प्रतिष्ठिता।।
= हे महाबाहो अर्जुन ! जिसकी इन्द्रियां अपने विषयों से रोग दी गई हैं, उसकी बुद्धि स्थिर समझनी चाहिए।
तत् ज्ञानं येन पापेभ्यो विरमति
= वह ज्ञान है जिससे व्यक्ति पापाचरण से हटता है।
विरम विरमायासादस्माद् दुरध्यवसायतो, विपदि महतां धैर्यध्वंसं यदीक्षितुमीहसे।
अयि जडविधे कल्पापये व्यपेतनिजक्रमाः कुलशिखरिणः क्षुद्रा चैते न वा जलराशयः।।
= हे दुर्भाग्य ! जो तू विपत्ति में महापुरुषों के धैर्य को टूटा हुआ देखना चाहता है तो अपनी इस बुरी नियती के प्रयास से बाज आ जा। ये महापुरुष प्रलयकाल में अपने नियत क्रम को छोड़ देनेवाले तुच्छ कुलपर्वत अथवा समुद्र के समान नहीं हैं। (अर्थात् दुर्भाग्य महापुरुषों को डिगा नहीं सकता।)
अद्यत्वे बालकाः प्रातः जागरणात् प्रमदन्ति
= आजकल बच्चे जल्दी उठने में प्रमाद करते हैं।
धर्मात् प्रमाद्यति खलः
= दुष्ट धर्म में प्रमाद करता है।
गृहस्थी अतिथि सत्कारात् मा प्रमदेत्
= गृहस्थी अतिथिसत्कार में प्रमाद न करे।
स्वाध्यायात् मा प्रमदः
= स्वाध्याय में प्रमाद मत कर।
देवपितृकार्याभ्यां न प्रमदितव्यम्
= देवकार्य (संध्या-यज्ञ) तथा पितृकार्य (माता-पिता, गुरु, अतिथि आदि की सेवा) में कभी प्रमाद नहीं करना चाहिए।
प्रमदायाः प्रमाद्येत्
= सि्त्रयों में प्रमाद करे (अर्थात् व्यभिचार न करे)।
(परा + जि धातु के प्रयोग में जो असह्य होता है उसकी अपादान संज्ञा होती है तथा अपादान कारक में पंचमी विभक्ति का प्रयोग होता है।)
अध्ययनात् पराजयते
= अध्ययन से भागता है।
वृद्धः शैत्यात् पराजयते
= बूढे से सर्दी सहन नहीं होती।
गृहिणी गृहकार्यात् पराजयत
= गृहिणी गृहकार्य से ऊब गई।
रुग्णस्य पत्युः सेवायाः पत्नी अपि पराजिता
= रोगी पति की सेवा करके पत्नी भी हार गई।
स्वच्छन्दी अनुशासनात् पराजयते
= स्वच्छन्दी अनुशासन से भागते हैं।
क्षुधायाः पराजितः क्षुधितः प्राणान् अत्याक्षीत्
= भूख से पीड़ित भूखे ने प्राण छोड़ दिए।
एकस्मिन् दिने धनपतयोऽपि धनात् पराजेष्यन्ते एव
= एक दिन धनपति भी धन से ऊब जाएंगे ही।
(परा + जि धातु जब पराजय करना अर्थ में होती है तब जिसे पराजित किया जाता है उसकी कर्म संज्ञा होने से उसमें द्वितीया विभक्ति का ही प्रयोग होता है।)
शत्रुं पराजयते
= दुश्मन को हराता है।
रामः रावणं पराजिग्ये
= राम ने रावण को हराया।
धार्मिको विद्वान् एवासत्यं पराजेतुमर्हति
= धार्मिक विद्वान् ही असत्य को हरा सकता है।
#vakyabhyas
= हे महाबाहो अर्जुन ! जिसकी इन्द्रियां अपने विषयों से रोग दी गई हैं, उसकी बुद्धि स्थिर समझनी चाहिए।
तत् ज्ञानं येन पापेभ्यो विरमति
= वह ज्ञान है जिससे व्यक्ति पापाचरण से हटता है।
विरम विरमायासादस्माद् दुरध्यवसायतो, विपदि महतां धैर्यध्वंसं यदीक्षितुमीहसे।
अयि जडविधे कल्पापये व्यपेतनिजक्रमाः कुलशिखरिणः क्षुद्रा चैते न वा जलराशयः।।
= हे दुर्भाग्य ! जो तू विपत्ति में महापुरुषों के धैर्य को टूटा हुआ देखना चाहता है तो अपनी इस बुरी नियती के प्रयास से बाज आ जा। ये महापुरुष प्रलयकाल में अपने नियत क्रम को छोड़ देनेवाले तुच्छ कुलपर्वत अथवा समुद्र के समान नहीं हैं। (अर्थात् दुर्भाग्य महापुरुषों को डिगा नहीं सकता।)
अद्यत्वे बालकाः प्रातः जागरणात् प्रमदन्ति
= आजकल बच्चे जल्दी उठने में प्रमाद करते हैं।
धर्मात् प्रमाद्यति खलः
= दुष्ट धर्म में प्रमाद करता है।
गृहस्थी अतिथि सत्कारात् मा प्रमदेत्
= गृहस्थी अतिथिसत्कार में प्रमाद न करे।
स्वाध्यायात् मा प्रमदः
= स्वाध्याय में प्रमाद मत कर।
देवपितृकार्याभ्यां न प्रमदितव्यम्
= देवकार्य (संध्या-यज्ञ) तथा पितृकार्य (माता-पिता, गुरु, अतिथि आदि की सेवा) में कभी प्रमाद नहीं करना चाहिए।
प्रमदायाः प्रमाद्येत्
= सि्त्रयों में प्रमाद करे (अर्थात् व्यभिचार न करे)।
(परा + जि धातु के प्रयोग में जो असह्य होता है उसकी अपादान संज्ञा होती है तथा अपादान कारक में पंचमी विभक्ति का प्रयोग होता है।)
अध्ययनात् पराजयते
= अध्ययन से भागता है।
वृद्धः शैत्यात् पराजयते
= बूढे से सर्दी सहन नहीं होती।
गृहिणी गृहकार्यात् पराजयत
= गृहिणी गृहकार्य से ऊब गई।
रुग्णस्य पत्युः सेवायाः पत्नी अपि पराजिता
= रोगी पति की सेवा करके पत्नी भी हार गई।
स्वच्छन्दी अनुशासनात् पराजयते
= स्वच्छन्दी अनुशासन से भागते हैं।
क्षुधायाः पराजितः क्षुधितः प्राणान् अत्याक्षीत्
= भूख से पीड़ित भूखे ने प्राण छोड़ दिए।
एकस्मिन् दिने धनपतयोऽपि धनात् पराजेष्यन्ते एव
= एक दिन धनपति भी धन से ऊब जाएंगे ही।
(परा + जि धातु जब पराजय करना अर्थ में होती है तब जिसे पराजित किया जाता है उसकी कर्म संज्ञा होने से उसमें द्वितीया विभक्ति का ही प्रयोग होता है।)
शत्रुं पराजयते
= दुश्मन को हराता है।
रामः रावणं पराजिग्ये
= राम ने रावण को हराया।
धार्मिको विद्वान् एवासत्यं पराजेतुमर्हति
= धार्मिक विद्वान् ही असत्य को हरा सकता है।
#vakyabhyas
February 27, 2022
February 27, 2022
February 27, 2022
February 27, 2022
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संस्कृत संवादः । Sanskrit Samvadah
Samskrit
Bharati, Gujarat invites you all for a Sanskrit Wikipedia workshop
(online), which will be held on 27th Feb 2022 from 11.00 AM to 2PM
Those interested kindly fill the form below and submit on or before
25.02.2022 https://forms.gle/hVFzzb7ovEdj2aa86…
Please join, If you want to contribute for Sanskrit Wikipedia.
विकिकृत is a whatsapp group to nurture sanskrit Wikipedia.
⚠️ONLY for Serious Participants.
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February 27, 2022
।।श्रीः।।
।।आत्मबोधः।।
Atmabodha, meaning Self-knowledge or Self-awareness, is an exceptionally lucid and readable work of Shankaracharya. Consisting of sixty-eight verses or shlokas, it is in a sense a simple summary of his entire Vedantic structure of thought, intended, it would seem, as a basic primer for his students and followers. The text follows a clearly elaborated doctrine, starting with knowledge as a key to liberation, the nautre of the Atman within us, the assertion of the pervasive and attribute-less nature of Brahman, and the path towards the realisation of the complete identity between the Atman and Brahman.
रज्जुसर्पवदात्मानं जीवं ज्ञात्वा भयं वहेत्।
नाहं जीवः परात्मेति ज्ञातश्चेन्निर्भयो भवेत्।।27।।
27. Just as the person who regards a rope as a snake is overcome by fear, so also one considering oneself as the ego (Jiva) is overcome by fear. The ego-centric individuality in us regains fearlessness by realising that It is not a Jiva but is Itself the Supreme Soul.
आत्म-बोध ऑनलाइन क्लास - 27 :
आत्म-बोध के 27th श्लोक में आचार्यश्री हमें बता रहे हैं की दुनियाभर में मनुष्य की एक बहुत बड़ी समस्या है, और वो है - भय की। सभी लोग किसी न किसी भय से संत्रस्त हैं, इसीलिए अनेकानेक व्यवस्था करने की मजबूरी होती है। भय का मूल कारण है अपने आप को अन्यथा समझ लेना। मूल रूप से हम सब एक अखंड और अविनाशी चेतना हैं, लेकिन जब अज्ञानवशात हम अपने को जीव मन बैठते हैं तभी से बेचैनी और असुरक्षा की भावना पैदा हो जाती है। अपने को जीव मान लेना एक रस्सी को सांप समझ लेना जैसा ही होता है। जहाँ हम यथार्थ को जान लेते हैं - सब अभाव आदि समाप्त हो जाते हैं।
#Atmabodha
।।आत्मबोधः।।
Atmabodha, meaning Self-knowledge or Self-awareness, is an exceptionally lucid and readable work of Shankaracharya. Consisting of sixty-eight verses or shlokas, it is in a sense a simple summary of his entire Vedantic structure of thought, intended, it would seem, as a basic primer for his students and followers. The text follows a clearly elaborated doctrine, starting with knowledge as a key to liberation, the nautre of the Atman within us, the assertion of the pervasive and attribute-less nature of Brahman, and the path towards the realisation of the complete identity between the Atman and Brahman.
रज्जुसर्पवदात्मानं जीवं ज्ञात्वा भयं वहेत्।
नाहं जीवः परात्मेति ज्ञातश्चेन्निर्भयो भवेत्।।27।।
27. Just as the person who regards a rope as a snake is overcome by fear, so also one considering oneself as the ego (Jiva) is overcome by fear. The ego-centric individuality in us regains fearlessness by realising that It is not a Jiva but is Itself the Supreme Soul.
आत्म-बोध ऑनलाइन क्लास - 27 :
आत्म-बोध के 27th श्लोक में आचार्यश्री हमें बता रहे हैं की दुनियाभर में मनुष्य की एक बहुत बड़ी समस्या है, और वो है - भय की। सभी लोग किसी न किसी भय से संत्रस्त हैं, इसीलिए अनेकानेक व्यवस्था करने की मजबूरी होती है। भय का मूल कारण है अपने आप को अन्यथा समझ लेना। मूल रूप से हम सब एक अखंड और अविनाशी चेतना हैं, लेकिन जब अज्ञानवशात हम अपने को जीव मन बैठते हैं तभी से बेचैनी और असुरक्षा की भावना पैदा हो जाती है। अपने को जीव मान लेना एक रस्सी को सांप समझ लेना जैसा ही होता है। जहाँ हम यथार्थ को जान लेते हैं - सब अभाव आदि समाप्त हो जाते हैं।
#Atmabodha
February 27, 2022
February 27, 2022
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@samskrt_samvadah संलापशाला - A Samskrit Voicechat room.
कालावधिः : 45 निमेषाः
समयः : IST 11:00 AM 🕚
विषयः : वार्ताः
(News)
दिनाङ्कः : 28th February 2022,
सोमवासरः
Please Join the voicechat on time.
😇 यदि शक्येत चेत् संस्कृतेन ( प्रदेशीयां , राष्ट्रीयां, अन्ताराष्ट्रीयां वा वार्तां वदन्तु ) चर्चार्थं कृपया पूर्वसिद्धतां कृत्वा आगच्छन्तु।
वयं युष्माकं प्रतीक्षां कुर्मः। 😇
स्मारणतंत्रिकां स्थापयतु⏰
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February 27, 2022
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🍃
♦️ahaM kraturahaM yaj~naH svadhaa'hamahamauShadham|
maMtro'hamahamevaajyamahamagnirahaM hutam9.16
⚜I am the ritual, I am the Yajna, I am the offering, I am the herb, I am the mantra, I am the Ghee, I am the fire, and I am the oblation.(See also 4.24) (9.16)
⚜मैं ऋक्रतु हूँ मैं यज्ञ हूँ स्वधा और औषध मैं हूँ मैं मन्त्र हूँ घी हूँ मैं अग्नि हूँ और हुतं अर्थात् हवन कर्म मैं हूँ।।9.16।।
#geeta
अहं क्रतुरहं यज्ञः स्वधाऽहमहमौषधम्।
मंत्रोऽहमहमेवाज्यमहमग्निरहं हुतम्
।।9.16।।♦️ahaM kraturahaM yaj~naH svadhaa'hamahamauShadham|
maMtro'hamahamevaajyamahamagnirahaM hutam
⚜I am the ritual, I am the Yajna, I am the offering, I am the herb, I am the mantra, I am the Ghee, I am the fire, and I am the oblation.(See also 4.24) (9.16)
⚜मैं ऋक्रतु हूँ मैं यज्ञ हूँ स्वधा और औषध मैं हूँ मैं मन्त्र हूँ घी हूँ मैं अग्नि हूँ और हुतं अर्थात् हवन कर्म मैं हूँ।।9.16।।
#geeta
February 27, 2022
February 27, 2022
🍃
♦️pitaa'hamasya jagato maataa dhaataa pitaamahaH|
vedyaM pavitramoMkaara RRik saama yajureva cha9.17
⚜I am the supporter of the universe, the father, the mother, and the grandfather. I am the object of knowledge, the purifier, the sacred syllable OM, and also the Rig, the Yajur, and the Sama Vedas. (9.17)
⚜मैं ही इस जगत् का पिता माता धाता (धारण करने वाला) और पितामह हूँमैं वेद्य (जानने योग्य) वस्तु हूँ पवित्र ओंकार ऋग्वेद सामवेद और यजुर्वेद भी मैं ही हूँ।।9.17।।
#geeta
पिताऽहमस्य जगतो माता धाता पितामहः।
वेद्यं पवित्रमोंकार ऋक् साम यजुरेव च
।।9.17।।♦️pitaa'hamasya jagato maataa dhaataa pitaamahaH|
vedyaM pavitramoMkaara RRik saama yajureva cha
⚜I am the supporter of the universe, the father, the mother, and the grandfather. I am the object of knowledge, the purifier, the sacred syllable OM, and also the Rig, the Yajur, and the Sama Vedas. (9.17)
⚜मैं ही इस जगत् का पिता माता धाता (धारण करने वाला) और पितामह हूँमैं वेद्य (जानने योग्य) वस्तु हूँ पवित्र ओंकार ऋग्वेद सामवेद और यजुर्वेद भी मैं ही हूँ।।9.17।।
#geeta
February 27, 2022
🚩 जय सत्य सनातन 🚩
🚩 आज की हिंदी तिथि
🌥️ 🚩 युगाब्द-५१२३
🌥️ 🚩 विक्रम संवत-२०७८
⛅ 🚩 तिथि - त्रयोदशी 01 मार्च रात्रि 03:16 तक तत्पश्चात चतुर्दशी
⛅ दिनांक - 28 फरवरी 2022
⛅ दिन - सोमवार
⛅ शक संवत -1943
⛅ अयन - उत्तरायण
⛅ ऋतु - वसंत ऋतु
⛅ मास - फाल्गुन
⛅ पक्ष - कृष्ण
⛅ नक्षत्र - उत्तराषाढा सुबह 07:02 तक तत्पश्चात श्रवण
⛅ योग - वरीयान दोपहर 02:26 तक तत्पश्चात परिघ
⛅ राहुकाल - सुबह 08:28 से सुबह 09:56 तक
⛅ सूर्योदय - 07:01
⛅ सूर्यास्त - 18:41
⛅ दिशाशूल - पूर्व दिशा में
🚩 आज की हिंदी तिथि
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⛅ राहुकाल - सुबह 08:28 से सुबह 09:56 तक
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⛅ दिशाशूल - पूर्व दिशा में
February 27, 2022
Forwarded from रामदूतः — The Sanskrit News Platform
https://youtu.be/pUgnAhTiNoc
Switch to DD News daily at 7:15 AM (Morning) for 15 minutes Sanskrit news.
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वार्ता: संस्कृत में समाचार | मणिपुर मे पहले चरण के लिए मतदान शुरू
February 27, 2022
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February 27, 2022
February 27, 2022
February 27, 2022
February 27, 2022
यस्मिन् जीवति जीवन्ति बहवः सोऽत्र जीवतु।
काकाः किं न कुर्वन्ति चञ्च्वा स्वोदरपूरणम्।।
भावार्थः -
यस्य जीवनेन अन्येषामपि जीवनस्य पालनं भवति तस्य जीवनमेव सार्थकं नो चेत् स्वोदरपूरणं तु काकाः अपि कुर्वन्ति।
#Subhashitam
काकाः किं न कुर्वन्ति चञ्च्वा स्वोदरपूरणम्।।
भावार्थः -
यस्य जीवनेन अन्येषामपि जीवनस्य पालनं भवति तस्य जीवनमेव सार्थकं नो चेत् स्वोदरपूरणं तु काकाः अपि कुर्वन्ति।
#Subhashitam
February 27, 2022
February 28, 2022
February 28, 2022
संस्कृत संवादः । Sanskrit Samvadah
तस्माद्यस्य
महाबाहो निगृहीतानि सर्वशः। इन्द्रियाणीन्द्रियार्थेभ्यस्तस्य प्रज्ञा
प्रतिष्ठिता।। = हे महाबाहो अर्जुन ! जिसकी इन्द्रियां अपने विषयों से
रोग दी गई हैं, उसकी बुद्धि स्थिर समझनी चाहिए। तत् ज्ञानं येन पापेभ्यो
विरमति = वह ज्ञान है जिससे व्यक्ति…
(वारण याने हटाना अर्थवाली धातुओं के साथ जिससे हटाया जाता है उसकी अपादान संज्ञा होती है और उसमें पंचमी विभक्ति होती है।)
यवेभ्यः गां वारयति
= जौ से गाय को हटाता है।
दुग्धात् मार्जारीं वारय
= दूध से बिल्ली को हटा।
पुरोहितः यजमानम् अधर्माद् वारयेत्
= पुरोहित यजमान को अधर्म से रोके।
परापवादसस्येभ्यो गां चरन्तीं निवारय
= दूसरों की निन्दा करनेरूप घास में चरती हुई गाय अर्थात् वाणी को हटाओ।
पापान्निवारति योजयते हिताय, गुह्यं निगूहति सुगुणान्प्रकटिकरोति।
आपद्गतं च न जहाति ददाति काले, सन्मित्रलक्षणमिदं प्रवदन्ति सन्तः।।
= सन्तजन श्रेष्ठ मित्रों के लक्षण बता रहे हैं- मित्र को पाप से हटाता है, पुण्यकर्म में युक्त करता है। मित्र की गुप्त रखने योग्य बातों को तो छिपाता है परन्तु उसके गुणों को अन्यों के सामने प्रकट करता है। संकटकाल में साथ नहीं छोड़ता और समय आने पर सहयोग करता है, वहीं सच्चा मित्र कहाता है।
संन्यासी गृहस्थान् अनाचारात् निवारयतु
= संन्यासी गृहस्थियों को अनाचार से रोके।
आध्यात्मिकं ज्ञानं दुःखान्निवारयति, तस्मात् श्रेष्ठमस्ति
= आध्यात्मिक ज्ञान इसलिए श्रेष्ठ है क्योंकि यह सकल दुःखों से हटाता है।
अनाचाराद् वारितः पुत्रः पितरं व्यापादयत्
= अनाचार करने से रोके हुए पुत्र ने पिता को मार दिया।
तण्डुलेभ्यः पाषाणखण्डान् अपसारय
= चावल में से कंकड़ों को हटाओ।
मशकजालं अस्मत् मशकान् वारयति
= मच्छरदानी हमसे मच्छरों को हटाती है।
(छिपने की क्रिया में जिससे छिपना चाहता है, उसकी अपादान संज्ञा होती है तथा उसमें पंचमी विभक्ति होती है।)
उद्दण्डः छात्रः अध्यापकात् निलीयते
= उद्दण्ड विद्यार्थी अध्यापक से छिपता है।
चौरः जनेभ्यः निलीय चौर्यं करोति
= चोर लोगों से छिपकर चोरी करता है।
अतिथिः भयात् कुक्कुरात् न्यलीयत
= अतिथि डर के मारे कुत्ते से छिप गया।
यो जनेभ्यः निलीय तिष्ठति तमपि सः पश्यति
= जो लोगों से छिपकर रहता है उसे भी वह (ईश्वर) देखता है।
यो धर्मं नाद्रियते धर्मः तस्मात् निलीयते
= जो धर्म को आदर नहीं करता धर्म भी उससे छिप जाता है (अर्थात् उसके साथ कोई धर्म का व्यवहार नहीं करता)।
अधर्मणः उत्तमर्णात् निलीयते
= कर्जा लेनेवाला देनेवाले से छिपता है।
सुग्रीवः बालेः न्यलीयत
= सुग्रीव वाली से छिप गया।
#vakyabhyas
यवेभ्यः गां वारयति
= जौ से गाय को हटाता है।
दुग्धात् मार्जारीं वारय
= दूध से बिल्ली को हटा।
पुरोहितः यजमानम् अधर्माद् वारयेत्
= पुरोहित यजमान को अधर्म से रोके।
परापवादसस्येभ्यो गां चरन्तीं निवारय
= दूसरों की निन्दा करनेरूप घास में चरती हुई गाय अर्थात् वाणी को हटाओ।
पापान्निवारति योजयते हिताय, गुह्यं निगूहति सुगुणान्प्रकटिकरोति।
आपद्गतं च न जहाति ददाति काले, सन्मित्रलक्षणमिदं प्रवदन्ति सन्तः।।
= सन्तजन श्रेष्ठ मित्रों के लक्षण बता रहे हैं- मित्र को पाप से हटाता है, पुण्यकर्म में युक्त करता है। मित्र की गुप्त रखने योग्य बातों को तो छिपाता है परन्तु उसके गुणों को अन्यों के सामने प्रकट करता है। संकटकाल में साथ नहीं छोड़ता और समय आने पर सहयोग करता है, वहीं सच्चा मित्र कहाता है।
संन्यासी गृहस्थान् अनाचारात् निवारयतु
= संन्यासी गृहस्थियों को अनाचार से रोके।
आध्यात्मिकं ज्ञानं दुःखान्निवारयति, तस्मात् श्रेष्ठमस्ति
= आध्यात्मिक ज्ञान इसलिए श्रेष्ठ है क्योंकि यह सकल दुःखों से हटाता है।
अनाचाराद् वारितः पुत्रः पितरं व्यापादयत्
= अनाचार करने से रोके हुए पुत्र ने पिता को मार दिया।
तण्डुलेभ्यः पाषाणखण्डान् अपसारय
= चावल में से कंकड़ों को हटाओ।
मशकजालं अस्मत् मशकान् वारयति
= मच्छरदानी हमसे मच्छरों को हटाती है।
(छिपने की क्रिया में जिससे छिपना चाहता है, उसकी अपादान संज्ञा होती है तथा उसमें पंचमी विभक्ति होती है।)
उद्दण्डः छात्रः अध्यापकात् निलीयते
= उद्दण्ड विद्यार्थी अध्यापक से छिपता है।
चौरः जनेभ्यः निलीय चौर्यं करोति
= चोर लोगों से छिपकर चोरी करता है।
अतिथिः भयात् कुक्कुरात् न्यलीयत
= अतिथि डर के मारे कुत्ते से छिप गया।
यो जनेभ्यः निलीय तिष्ठति तमपि सः पश्यति
= जो लोगों से छिपकर रहता है उसे भी वह (ईश्वर) देखता है।
यो धर्मं नाद्रियते धर्मः तस्मात् निलीयते
= जो धर्म को आदर नहीं करता धर्म भी उससे छिप जाता है (अर्थात् उसके साथ कोई धर्म का व्यवहार नहीं करता)।
अधर्मणः उत्तमर्णात् निलीयते
= कर्जा लेनेवाला देनेवाले से छिपता है।
सुग्रीवः बालेः न्यलीयत
= सुग्रीव वाली से छिप गया।
#vakyabhyas
February 28, 2022
February 28, 2022
पतिः - कीदृशं सूपं निर्मितवती भवती? लवणता नास्ति कटुता नास्ति निस्स्वादुः अस्ति।
सम्पूर्णे दिवसे भवती दूर्वाण्याम् एव व्यस्ता भवती किमपि न जानाति कथं निर्मातव्यं कथं न इति।😤
(वेल्लनीं दर्शयन्ती पत्नी उक्तवती) 😡
पत्नी - प्रथमं भवान् दूरवाणीम् अपसार्य खादतु बहुकालात् पश्यामि यत् तत्र जलेन रोटिकां खादन् अस्ति।
😅😂
#hasya
सम्पूर्णे दिवसे भवती दूर्वाण्याम् एव व्यस्ता भवती किमपि न जानाति कथं निर्मातव्यं कथं न इति।😤
(वेल्लनीं दर्शयन्ती पत्नी उक्तवती) 😡
पत्नी - प्रथमं भवान् दूरवाणीम् अपसार्य खादतु बहुकालात् पश्यामि यत् तत्र जलेन रोटिकां खादन् अस्ति।
😅😂
#hasya
February 28, 2022
।।श्रीः।।
।।आत्मबोधः।।
Atmabodha, meaning Self-knowledge or Self-awareness, is an exceptionally lucid and readable work of Shankaracharya. Consisting of sixty-eight verses or shlokas, it is in a sense a simple summary of his entire Vedantic structure of thought, intended, it would seem, as a basic primer for his students and followers. The text follows a clearly elaborated doctrine, starting with knowledge as a key to liberation, the nautre of the Atman within us, the assertion of the pervasive and attribute-less nature of Brahman, and the path towards the realisation of the complete identity between the Atman and Brahman.
आत्मावभासयत्येको बुद्ध्यादीनीन्द्रियाणि हि।
दीपो घटादिवत्स्वात्मा जडैस्तैर्नावभास्यते।।28।।
28. Just as a lamp illumines a jar or a pot, so also the Atman illumines the mind and the sense organs, etc. These material-objects by themselves cannot illumine themselves because they are inert.
आत्म-बोध ऑनलाइन क्लास - 28 :
आत्म-बोध के 28th श्लोक में आचार्यश्री हमें बता रहे हैं की दुनियाभर में मनुष्य की एक बहुत बड़ी समस्या है, और वो है - भय। यह भय आता है छोटे और असुरक्षित होने से। जब व्यक्ति अज्ञानवशात अपने को यह शरीर आदि समझ लेता है तो छोटापना आ जाता है। इस काल्पनिक छोटेपने की निवृत्ति के लिए हम लोग जीवन भर निरर्थक चेश्टा करते रहते हैं। इस श्लोक में आचार्य हमें इस भय की निवृत्ति के लिए आत्म-ज्ञान का तरीका भी बताते हैं। आत्मा सबके लिए ज्ञात है, वो ही मैं-मैं की तरह से अभिव्यक्त होती रहती है। हमें सर्व-प्रथम इसकी तरफ ध्यान मोड़ना चाहिए, फिर हमें अनेकानेक चीज़ें समझनी चाहिए।
#Atmabodha
।।आत्मबोधः।।
Atmabodha, meaning Self-knowledge or Self-awareness, is an exceptionally lucid and readable work of Shankaracharya. Consisting of sixty-eight verses or shlokas, it is in a sense a simple summary of his entire Vedantic structure of thought, intended, it would seem, as a basic primer for his students and followers. The text follows a clearly elaborated doctrine, starting with knowledge as a key to liberation, the nautre of the Atman within us, the assertion of the pervasive and attribute-less nature of Brahman, and the path towards the realisation of the complete identity between the Atman and Brahman.
आत्मावभासयत्येको बुद्ध्यादीनीन्द्रियाणि हि।
दीपो घटादिवत्स्वात्मा जडैस्तैर्नावभास्यते।।28।।
28. Just as a lamp illumines a jar or a pot, so also the Atman illumines the mind and the sense organs, etc. These material-objects by themselves cannot illumine themselves because they are inert.
आत्म-बोध ऑनलाइन क्लास - 28 :
आत्म-बोध के 28th श्लोक में आचार्यश्री हमें बता रहे हैं की दुनियाभर में मनुष्य की एक बहुत बड़ी समस्या है, और वो है - भय। यह भय आता है छोटे और असुरक्षित होने से। जब व्यक्ति अज्ञानवशात अपने को यह शरीर आदि समझ लेता है तो छोटापना आ जाता है। इस काल्पनिक छोटेपने की निवृत्ति के लिए हम लोग जीवन भर निरर्थक चेश्टा करते रहते हैं। इस श्लोक में आचार्य हमें इस भय की निवृत्ति के लिए आत्म-ज्ञान का तरीका भी बताते हैं। आत्मा सबके लिए ज्ञात है, वो ही मैं-मैं की तरह से अभिव्यक्त होती रहती है। हमें सर्व-प्रथम इसकी तरफ ध्यान मोड़ना चाहिए, फिर हमें अनेकानेक चीज़ें समझनी चाहिए।
#Atmabodha
February 28, 2022
February 28, 2022
February 28, 2022
🍃
♦️gatirbhartaa prabhuH saakShii nivaasaH sharaNaM suhRRit|
prabhavaH pralayaH sthaanaM nidhaanaM biijamavyayam9.18
⚜I am the goal, the supporter, the Lord, the witness, the abode, the refuge, the friend, the origin, the dissolution, the foundation, the substratum, and the imperishable seed. (See also 7.10 and 10.39) (9.18)
⚜गति (लक्ष्य) भरणपोषण करने वाला प्रभु (स्वामी) साक्षी निवास शरणस्थान तथा मित्र और उत्पत्ति प्रलयरूप तथा स्थान (आधार) निधान और अव्यय कारण भी मैं हूँ।।9.18।।
#geeta
गतिर्भर्ता प्रभुः साक्षी निवासः शरणं सुहृत्।
प्रभवः प्रलयः स्थानं निधानं बीजमव्ययम्
।।9.18।।♦️gatirbhartaa prabhuH saakShii nivaasaH sharaNaM suhRRit|
prabhavaH pralayaH sthaanaM nidhaanaM biijamavyayam
⚜I am the goal, the supporter, the Lord, the witness, the abode, the refuge, the friend, the origin, the dissolution, the foundation, the substratum, and the imperishable seed. (See also 7.10 and 10.39) (9.18)
⚜गति (लक्ष्य) भरणपोषण करने वाला प्रभु (स्वामी) साक्षी निवास शरणस्थान तथा मित्र और उत्पत्ति प्रलयरूप तथा स्थान (आधार) निधान और अव्यय कारण भी मैं हूँ।।9.18।।
#geeta
February 28, 2022
February 28, 2022
🍃
♦️tapaamyahamahaM varShaM nigRRihNaamyutsRRijaami cha|
amRRitaM chaiva mRRityushcha sadasachchaahamarjuna9.19
⚜I give heat, I send as well as withhold the rain, I am immortality as well as death, I am also both the Sat and the Asat, O Arjuna. (Brahman is everything, See also 13.12) (9.19)
⚜हे अर्जुन मैं ही (सूर्य रूप में) तपता हूँ मैं वर्षा का निग्रह और उत्सर्जन करता हूँ। मैं ही अमृत और मृत्यु एवं सत् और असत् हूँ।।9.19।।
#geeta
तपाम्यहमहं वर्षं निगृह्णाम्युत्सृजामि च।
अमृतं चैव मृत्युश्च सदसच्चाहमर्जुन
।।9.19।।♦️tapaamyahamahaM varShaM nigRRihNaamyutsRRijaami cha|
amRRitaM chaiva mRRityushcha sadasachchaahamarjuna
⚜I give heat, I send as well as withhold the rain, I am immortality as well as death, I am also both the Sat and the Asat, O Arjuna. (Brahman is everything, See also 13.12) (9.19)
⚜हे अर्जुन मैं ही (सूर्य रूप में) तपता हूँ मैं वर्षा का निग्रह और उत्सर्जन करता हूँ। मैं ही अमृत और मृत्यु एवं सत् और असत् हूँ।।9.19।।
#geeta
February 28, 2022
🚩जय सत्य सनातन🚩
🚩आज की हिंदी तिथि
🌥️ 🚩युगाब्द-५१२३
🌥️ 🚩विक्रम संवत-२०७८
⛅ 🚩तिथि - चतुर्दशी 02 मार्च रात्रि 01:00 तक तत्पश्चात अमावस्या
⛅ दिनांक - 01 मार्च 2022
⛅ दिन - मंगलवार
⛅ शक संवत -1943
⛅ अयन - उत्तरायण
⛅ ऋतु - वसंत ऋतु
⛅ मास - फाल्गुन
⛅ पक्ष - कृष्ण
⛅ नक्षत्र - श्रवण 02 मार्च रात्रि 03:48 तक तत्पश्चात शतभिषा
⛅ योग - परिघ सुबह 11:18 तक तत्पश्चात शिव
⛅ राहुकाल - शाम 03:47 से शाम 05:15 तक
⛅ सूर्योदय - 07:00
⛅ सूर्यास्त - 18:41
⛅ दिशाशूल - उत्तर दिशा में
🚩आज की हिंदी तिथि
🌥️ 🚩युगाब्द-५१२३
🌥️ 🚩विक्रम संवत-२०७८
⛅ 🚩तिथि - चतुर्दशी 02 मार्च रात्रि 01:00 तक तत्पश्चात अमावस्या
⛅ दिनांक - 01 मार्च 2022
⛅ दिन - मंगलवार
⛅ शक संवत -1943
⛅ अयन - उत्तरायण
⛅ ऋतु - वसंत ऋतु
⛅ मास - फाल्गुन
⛅ पक्ष - कृष्ण
⛅ नक्षत्र - श्रवण 02 मार्च रात्रि 03:48 तक तत्पश्चात शतभिषा
⛅ योग - परिघ सुबह 11:18 तक तत्पश्चात शिव
⛅ राहुकाल - शाम 03:47 से शाम 05:15 तक
⛅ सूर्योदय - 07:00
⛅ सूर्यास्त - 18:41
⛅ दिशाशूल - उत्तर दिशा में
February 28, 2022
Forwarded from Shubhechhu Tripathi
Picsart_22-02-28_15-22-31-367.jpg
1.8 MB
February 28, 2022
February 28, 2022
Forwarded from रामदूतः — The Sanskrit News Platform
https://youtu.be/L0u7B8Gm32c
Switch to DD News daily at 7:15 AM (Morning) for 15 minutes Sanskrit news.
Switch to DD News daily at 7:15 AM (Morning) for 15 minutes Sanskrit news.
YouTube
वार्ता: संस्कृत में समाचार | UNSC में भारत ने हिंसा रोकने का किया आह्वान
February 28, 2022
February 28, 2022
"न मुक्ताभि र्न माणिक्यैः न वस्त्रै र्न परिच्छदैः ।
अलङ्कियेत शीलेन केवलेन हि मानवः ॥"
अर्थात - "मोती, माणेक, वस्त्र या पहनावे से नहीं, परंतु केवल शील से ही व्यक्ति विभूषित होता है ।"
संस्कृतभावार्थः - न मणिना न आभूषणेन न वस्त्रेण न च परिधानेन अपितु केवलं "शीलेन" एव मनुष्यः विभूषितः भवति।
#Subhashitam
अलङ्कियेत शीलेन केवलेन हि मानवः ॥"
अर्थात - "मोती, माणेक, वस्त्र या पहनावे से नहीं, परंतु केवल शील से ही व्यक्ति विभूषित होता है ।"
संस्कृतभावार्थः - न मणिना न आभूषणेन न वस्त्रेण न च परिधानेन अपितु केवलं "शीलेन" एव मनुष्यः विभूषितः भवति।
#Subhashitam
February 28, 2022
March 1, 2022
शिवः _______ सह _________।
Anonymous Quiz
29%
शिवेन,शोभते।
13%
शिवया,भवति।
54%
शिवया, शोभते।
3%
शिवाय, शोभते।
March 1, 2022
संस्कृत संवादः । Sanskrit Samvadah
(वारण
याने हटाना अर्थवाली धातुओं के साथ जिससे हटाया जाता है उसकी अपादान
संज्ञा होती है और उसमें पंचमी विभक्ति होती है।) यवेभ्यः गां वारयति =
जौ से गाय को हटाता है। दुग्धात् मार्जारीं वारय = दूध से बिल्ली को
हटा। पुरोहितः यजमानम् अधर्माद् वारयेत्…
(नियमपूर्वक अध्ययन करने में जिससे पढ़ा जाए उसकी अपादान संज्ञा होती है और उसमें पंचमी विभक्ति होती है।)
अन्तेवासी अध्यापकात् विद्यां पठति
= विद्यार्थी अध्यापक से विद्या पढ़ता है।
नर्तकी नृत्यनिष्णातात् नृत्यं शिक्षति
= नर्तकी नाच में दक्ष से नाचना सीखती है।
अहम् आचार्या निरजामहाभागाभ्यो व्याकरणम् अपठम्
= मैंने आचार्या नीरजा जी से व्याकरण पढ़ा।
गुरुमुखात् शास्त्राण्यधीताम्
= गुरु से शास्त्रों को पढ़ना चाहिए।
रामलक्ष्मणौ विश्वामित्रात् अस्त्रविद्यां शिशिक्षाते
= राम और लक्ष्मण ने विश्वामित्र से अस्त्र विद्या सीखी।
लक्ष्मीबाई तात्यागुरोः युद्धविद्याम् अध्यैत
= लक्ष्मीबाई ने तात्या-गुरु से युद्धविद्या सीखी।
स्वामी दयानन्दः गुरु-विरजानन्दमहोदयेभ्यो व्याकरणम् अध्यगीष्ट
= स्वामी दयानन्द जी ने गुरु विरजानन्द जी से व्याकरण पढ़ा।
शिशुः आदौ मातुरधीते
= बच्चा सर्वप्रथम मां से सीखता है।
सृष्ट्यादावृषयो वेदेभ्यः सर्वाः विद्याः अधिजगिरे
= सृष्टि के आदि में ऋषियों ने वेद से ही सारी विद्याएं सीखीं।
सवर्ण-दीर्घ-सन्धिः
अकः सवर्णे दीर्घः। अ/आ के बाद अ/आ हो, इ/ई के बाद इ/ई हो, उ/ऊ के बाद उ/ऊ हो, ऋ/ॠ के बाद ऋ/ॠ हो तो दोनों वर्णों के स्थान यथाक्रम आ, र्ई, ऊ, ॠ ये दीर्घ वर्ण हो जाते हैं।
अ/आ + अ/आ
= आ।
राम + आलयः
= रामालयः।
इह + अत्र
= इहात्र।
विद्या + आलयः
= विद्यालयः।
विद्या + अत्र
= विद्यात्र।
इ/ई + इ/ई
= ई।
करोति + इदम्
= करोतीदम्।
पठति + ईशा
= पठतीशा।
नदी + इति
= नदीति।
श्री + ईशः
= श्रीशः।
उ/ऊ + उ/ऊ
= ऊ।
गुरु + उपदेशः
= गुरूपदेशः।
भानु + ऊहा
= भानूहा।
वधू + उत्तमा
= वधूत्तमा।
ऋ/ॠ + ऋ/ॠ
= ॠ।
होतृ + ऋकारः
= होतॄकारः।
होतृ + ॠकारः
= होतॄकारः।
ज्योत्स्ना + अभिन्ना
= ज्योत्स्नाभिन्ना।
ज्योत्स्नाभिन्ना + अच्छधारम्
= ज्योत्स्नाभिन्नाच्छधारम्।
ज्योत्स्नाभिन्नाच्छधारं न पिबति सलिलं शरदं मन्दभाग्यः।
= चन्द्रमा की चांदनी के कारण निर्मल हुए शरद् ऋतु के जल को अभागा नहीं पी पाता।
चातक + आधारो
= चातकाधारो।
असि + इति
= असीति।
अम्भोदवर + अस्माकम्
= अम्भोदवरास्माकम्।
प्रति + ईक्ष्यसे
= प्रतीक्ष्यसे।
त्वमेव चातकाधारोऽसीति केषां न गोचरः। किमम्भोदवरास्माकं कार्पण्योक्तीः प्रतीक्ष्यसे।।
= हे मेघश्रेष्ठ ! यह कौन नहीं जानता कि चातकों के एकमात्र प्राणाधार तुम्हीं हो, फिर हम चातकों के दीन वचनों की प्रतीक्षा क्यों कर रहे हो ? (अर्थात् धनिकों को आश्रित की इच्छापूर्ति बिना मांगे ही कर देनी चाहिए।)
दानेषु + उत्तमम्
= दानेषूत्तमम्।
सर्वेषु दानेषूत्तमं विद्यादानम्
= समस्त दानों में विद्यादान श्रेष्ठ है।
पितृ + ऋणम्
= पितॄणम्।
पितॄणम् धनेन कथं पूर्यते ?
= माता-पिता का ऋण धन से कैसे चुकाया जा सकता है ?
एव + आत्मना
= एवात्मना।
आत्मना + आत्मानम्
= आत्मनात्मानम्।
स्वयमेवात्मनात्मानं जानीहि
= स्वयं ही अपने आप से अपने आप को जान।
तेषू + उपजायते
= तेषूपजायते।
ध्यायतो विषयान्पुंसः सङ्स्तेषूपजायते
= विषयों का चिंतन करनेवाले पुरुष की उन विषयों में आसक्ति हो जाती है।
अपि + इह
= अपीह।
अल्पं वा बहु वा यस्य श्रुतस्योपकरोति यः। तमपीह गुरुं विद्याच्छ्रुतोपक्रियया तया।।
= जो किसी का थोडे या अधिकरूप से विद्यादान से उपकार करता है उसे भी विद्यारूपी उपकार के कारण गुरु जानना चाहिए।
श्रुतिभानु + उदयो
= श्रुतिभानूदयो।
आनन्दयति + इह
= आनन्दयतीह।
श्रुतिभानूदयोयं जगदानन्दयतीह नितान्तम्
= वेदरूपी सूर्य का उदय इस जगत् को अत्यन्त आनन्दित कर रहा है।
तानि + इन्द्रियाणि
= तानीन्द्रियाणी।
भवति + इति
= भवतीति।
तानीन्द्रियाण्यविकलाणि तदेव नाम, सा बुद्धिरप्रतिहता वचनं तदेव। अर्थोष्मणा विरहितः पुरुषः स एव, त्वन्यः क्षणेन भवतीति विचित्रमेतत्।।
= वही सामर्थ्ययुक्त इन्द्रियां हैं और वही नाम है, वही अबाध चिन्तनवाली बुद्धि है, वही वचन है और धनरूपी ऊष्णता से रहित पुरुष भी वही है, किन्तु धन चले जाने के कारण क्षण भर में सब कुछ बदला हुआ लगता है, यह कितने आश्चर्य की बात है !
#vakyabhyas
अन्तेवासी अध्यापकात् विद्यां पठति
= विद्यार्थी अध्यापक से विद्या पढ़ता है।
नर्तकी नृत्यनिष्णातात् नृत्यं शिक्षति
= नर्तकी नाच में दक्ष से नाचना सीखती है।
अहम् आचार्या निरजामहाभागाभ्यो व्याकरणम् अपठम्
= मैंने आचार्या नीरजा जी से व्याकरण पढ़ा।
गुरुमुखात् शास्त्राण्यधीताम्
= गुरु से शास्त्रों को पढ़ना चाहिए।
रामलक्ष्मणौ विश्वामित्रात् अस्त्रविद्यां शिशिक्षाते
= राम और लक्ष्मण ने विश्वामित्र से अस्त्र विद्या सीखी।
लक्ष्मीबाई तात्यागुरोः युद्धविद्याम् अध्यैत
= लक्ष्मीबाई ने तात्या-गुरु से युद्धविद्या सीखी।
स्वामी दयानन्दः गुरु-विरजानन्दमहोदयेभ्यो व्याकरणम् अध्यगीष्ट
= स्वामी दयानन्द जी ने गुरु विरजानन्द जी से व्याकरण पढ़ा।
शिशुः आदौ मातुरधीते
= बच्चा सर्वप्रथम मां से सीखता है।
सृष्ट्यादावृषयो वेदेभ्यः सर्वाः विद्याः अधिजगिरे
= सृष्टि के आदि में ऋषियों ने वेद से ही सारी विद्याएं सीखीं।
सवर्ण-दीर्घ-सन्धिः
अकः सवर्णे दीर्घः। अ/आ के बाद अ/आ हो, इ/ई के बाद इ/ई हो, उ/ऊ के बाद उ/ऊ हो, ऋ/ॠ के बाद ऋ/ॠ हो तो दोनों वर्णों के स्थान यथाक्रम आ, र्ई, ऊ, ॠ ये दीर्घ वर्ण हो जाते हैं।
अ/आ + अ/आ
= आ।
राम + आलयः
= रामालयः।
इह + अत्र
= इहात्र।
विद्या + आलयः
= विद्यालयः।
विद्या + अत्र
= विद्यात्र।
इ/ई + इ/ई
= ई।
करोति + इदम्
= करोतीदम्।
पठति + ईशा
= पठतीशा।
नदी + इति
= नदीति।
श्री + ईशः
= श्रीशः।
उ/ऊ + उ/ऊ
= ऊ।
गुरु + उपदेशः
= गुरूपदेशः।
भानु + ऊहा
= भानूहा।
वधू + उत्तमा
= वधूत्तमा।
ऋ/ॠ + ऋ/ॠ
= ॠ।
होतृ + ऋकारः
= होतॄकारः।
होतृ + ॠकारः
= होतॄकारः।
ज्योत्स्ना + अभिन्ना
= ज्योत्स्नाभिन्ना।
ज्योत्स्नाभिन्ना + अच्छधारम्
= ज्योत्स्नाभिन्नाच्छधारम्।
ज्योत्स्नाभिन्नाच्छधारं न पिबति सलिलं शरदं मन्दभाग्यः।
= चन्द्रमा की चांदनी के कारण निर्मल हुए शरद् ऋतु के जल को अभागा नहीं पी पाता।
चातक + आधारो
= चातकाधारो।
असि + इति
= असीति।
अम्भोदवर + अस्माकम्
= अम्भोदवरास्माकम्।
प्रति + ईक्ष्यसे
= प्रतीक्ष्यसे।
त्वमेव चातकाधारोऽसीति केषां न गोचरः। किमम्भोदवरास्माकं कार्पण्योक्तीः प्रतीक्ष्यसे।।
= हे मेघश्रेष्ठ ! यह कौन नहीं जानता कि चातकों के एकमात्र प्राणाधार तुम्हीं हो, फिर हम चातकों के दीन वचनों की प्रतीक्षा क्यों कर रहे हो ? (अर्थात् धनिकों को आश्रित की इच्छापूर्ति बिना मांगे ही कर देनी चाहिए।)
दानेषु + उत्तमम्
= दानेषूत्तमम्।
सर्वेषु दानेषूत्तमं विद्यादानम्
= समस्त दानों में विद्यादान श्रेष्ठ है।
पितृ + ऋणम्
= पितॄणम्।
पितॄणम् धनेन कथं पूर्यते ?
= माता-पिता का ऋण धन से कैसे चुकाया जा सकता है ?
एव + आत्मना
= एवात्मना।
आत्मना + आत्मानम्
= आत्मनात्मानम्।
स्वयमेवात्मनात्मानं जानीहि
= स्वयं ही अपने आप से अपने आप को जान।
तेषू + उपजायते
= तेषूपजायते।
ध्यायतो विषयान्पुंसः सङ्स्तेषूपजायते
= विषयों का चिंतन करनेवाले पुरुष की उन विषयों में आसक्ति हो जाती है।
अपि + इह
= अपीह।
अल्पं वा बहु वा यस्य श्रुतस्योपकरोति यः। तमपीह गुरुं विद्याच्छ्रुतोपक्रियया तया।।
= जो किसी का थोडे या अधिकरूप से विद्यादान से उपकार करता है उसे भी विद्यारूपी उपकार के कारण गुरु जानना चाहिए।
श्रुतिभानु + उदयो
= श्रुतिभानूदयो।
आनन्दयति + इह
= आनन्दयतीह।
श्रुतिभानूदयोयं जगदानन्दयतीह नितान्तम्
= वेदरूपी सूर्य का उदय इस जगत् को अत्यन्त आनन्दित कर रहा है।
तानि + इन्द्रियाणि
= तानीन्द्रियाणी।
भवति + इति
= भवतीति।
तानीन्द्रियाण्यविकलाणि तदेव नाम, सा बुद्धिरप्रतिहता वचनं तदेव। अर्थोष्मणा विरहितः पुरुषः स एव, त्वन्यः क्षणेन भवतीति विचित्रमेतत्।।
= वही सामर्थ्ययुक्त इन्द्रियां हैं और वही नाम है, वही अबाध चिन्तनवाली बुद्धि है, वही वचन है और धनरूपी ऊष्णता से रहित पुरुष भी वही है, किन्तु धन चले जाने के कारण क्षण भर में सब कुछ बदला हुआ लगता है, यह कितने आश्चर्य की बात है !
#vakyabhyas
March 1, 2022
March 1, 2022
March 1, 2022
।।श्रीः।।
।।आत्मबोधः।।
Atmabodha, meaning Self-knowledge or Self-awareness, is an exceptionally lucid and readable work of Shankaracharya. Consisting of sixty-eight verses or shlokas, it is in a sense a simple summary of his entire Vedantic structure of thought, intended, it would seem, as a basic primer for his students and followers. The text follows a clearly elaborated doctrine, starting with knowledge as a key to liberation, the nautre of the Atman within us, the assertion of the pervasive and attribute-less nature of Brahman, and the path towards the realisation of the complete identity between the Atman and Brahman.
स्वबोधे नान्यबोधेच्छा बोधरूपतयात्मनः।
न दीपस्यान्यदीपेच्छा यथा स्वात्मप्रकाशने।।29।।
29. A lighted-lamp does not need another lamp to illumine its light. So too, Atman which is Knowledge itself needs no other knowledge to know it.
आत्म-बोध ऑनलाइन क्लास - 29 :
आत्म-बोध के 29th श्लोक में आचार्यश्री हमें बता रहे हैं की हमने पिछले श्लोक में देखा था की बुद्धि आदि उपाधि जड़ होती हैं तो प्रश्न होता है की 'हे गुरु महाराज, यह बात समझ में आती है की हमारे स्थूल और सूक्ष्म शरीर सब जड़ महाभूतों से बने हैं और इनके पास जो भी जानने का सामर्थ्य है वो भी आत्मा से उधार लिया हुआ है - तो अब हम आत्मा को जाने तो कैसे जाने ? इसके उत्तर में आचार्य कहते हैं की - जो भी खुद प्रकाश स्वरुप होता है, उसे जानने के लिए किसी अन्य प्रकाश की जरूरत नहीं होती है, जैसे एक दीपक को जानने के लिए अन्य दीपक की जरुरत नहीं होती है।
#Atmabodha
।।आत्मबोधः।।
Atmabodha, meaning Self-knowledge or Self-awareness, is an exceptionally lucid and readable work of Shankaracharya. Consisting of sixty-eight verses or shlokas, it is in a sense a simple summary of his entire Vedantic structure of thought, intended, it would seem, as a basic primer for his students and followers. The text follows a clearly elaborated doctrine, starting with knowledge as a key to liberation, the nautre of the Atman within us, the assertion of the pervasive and attribute-less nature of Brahman, and the path towards the realisation of the complete identity between the Atman and Brahman.
स्वबोधे नान्यबोधेच्छा बोधरूपतयात्मनः।
न दीपस्यान्यदीपेच्छा यथा स्वात्मप्रकाशने।।29।।
29. A lighted-lamp does not need another lamp to illumine its light. So too, Atman which is Knowledge itself needs no other knowledge to know it.
आत्म-बोध ऑनलाइन क्लास - 29 :
आत्म-बोध के 29th श्लोक में आचार्यश्री हमें बता रहे हैं की हमने पिछले श्लोक में देखा था की बुद्धि आदि उपाधि जड़ होती हैं तो प्रश्न होता है की 'हे गुरु महाराज, यह बात समझ में आती है की हमारे स्थूल और सूक्ष्म शरीर सब जड़ महाभूतों से बने हैं और इनके पास जो भी जानने का सामर्थ्य है वो भी आत्मा से उधार लिया हुआ है - तो अब हम आत्मा को जाने तो कैसे जाने ? इसके उत्तर में आचार्य कहते हैं की - जो भी खुद प्रकाश स्वरुप होता है, उसे जानने के लिए किसी अन्य प्रकाश की जरूरत नहीं होती है, जैसे एक दीपक को जानने के लिए अन्य दीपक की जरुरत नहीं होती है।
#Atmabodha
March 1, 2022
March 1, 2022
https://youtu.be/d1xOIO1LImo
रत्नैः कल्पितमासनं हिमजलैः स्नानं च दिव्याम्बरं
नानारत्नविभूषितं मृगमदामोदाङ्कितं चन्दनम् ।
जातीचम्पकबिल्वपत्ररचितं पुष्पं च धूपं तथा
दीपं देव दयानिधे पशुपते हृत्कल्पितं गृह्यताम् ॥१॥
1.1: (O Pashupati, please accept my Mental Worship of You) I offer an Asanam (Seat) studded with Gems for You to Sit on; I Bathe You in Cool Waters from the Himalayas; and with Divine Clothes ...
1.2: ... decorated with various Gems, and with Marks of Sandal Paste of the Musk Deer (Kasturi), I Adorn Your Form,
1.3: I Offer You Flowers composed of Jaati (Jasmine) (Jaati) and Champaka (Magnolia) (Champaka), along with Bilva Leaves (Bilva), and wave Incense sticks ...
1.4: ... and Oil Lamp before You, O Deva, You Who are an Ocean of Compassion and the Pashupati (the Lord of the Pashus or beings); Please Accept my Offerings made within my Heart.
सौवर्णे नवरत्नखण्डरचिते पात्रे घृतं पायसं
भक्ष्यं पञ्चविधं पयोदधियुतं रम्भाफलं पानकम् ।
शाकानामयुतं जलं रुचिकरं कर्पूरखण्डोज्ज्वलं
ताम्बूलं मनसा मया विरचितं भक्त्या प्रभो स्वीकुरु ॥२॥
2.1: (O Pashupati, please accept my Mental Worship of You) I Offer You Ghrita (Ghee or Clarified Butter) and Payasa (a sweet food prepared with Rice and Milk) in a Golden Bowl studded with Nine types of Gems, ...
2.2: ... and then Offer Five types of different Food preparations, and a special preparation composed of Payas (Milk), Dadhi (Curd) and Rambhaphala (Plaintain),
2.3: For drinking I Offer You Tasteful Water scented with various Fruits and Vegetables; then I wave a piece of Lighted Camphor before You ...
2.4: ... and finally offer a Tambula (Betel Leaf) and complete my Food Offering; O Lord, please Accept my Food Offerings I created in my Mind through Devotional Contemplation.
छत्रं चामरयोर्युगं व्यजनकं चादर्शकं निर्मलं
वीणाभेरिमृदङ्गकाहलकला गीतं च नृत्यं तथा ।
साष्टाङ्गं प्रणतिः स्तुतिर्बहुविधा ह्येतत्समस्तं मया
सङ्कल्पेन समर्पितं तव विभो पूजां गृहाण प्रभो ॥३॥
3.1: (O Pashupati, please accept my Mental Worship of You) I Offer You a Canopy (Umbrella) for Cool Shade and with a Pair of hand Fans made of Chamara, I Fan You; I Offer You a Shining Clean Mirror (representing the Purity of Devotion in my Heart),
3.2: I fill the Place with Divine Songs and Dances accompanied by Music from Veena (a stringed musical instrument), Bheri (a kettle drum), Mridanga (a kind of drum) and Kaahala (a large drum),
3.3: In this Divine surroundings, I do Full Prostration (Sasthanga Pranam) before You and then Sing various Hymns in Your Praise; All these are by me ...
3.4: ... created in my Heart and Offered to You; O Lord, Please accept my Mental Worship.
आत्मा त्वं गिरिजा मतिः सहचराः प्राणाः शरीरं गृहं
पूजा ते विषयोपभोगरचना निद्रा समाधिस्थितिः ।
सञ्चारः पदयोः प्रदक्षिणविधिः स्तोत्राणि सर्वा गिरो
यद्यत्कर्म करोमि तत्तदखिलं शम्भो तवाराधनम् ॥४॥
4.1: O Lord, You are my Atma (Soul), Devi Girija (the Divine Mother) is my Buddhi (Pure Intellect), the Shiva Ganas (the Companions or Attendants) are my Prana and my Body is Your Temple,
4.2: My Interactions with the World are Your Worship and my Sleep is the State of Samadhi (complete absorption in You),
4.3: My Feet Walking about is Your Pradakshina (Circumambulation); all my Speech are Your Hymns of Praises,
4.4: Whatever work I do, all that is Your Aradhana (Worship), O Shambhu.
करचरणकृतं वाक्कायजं कर्मजं वा
श्रवणनयनजं वा मानसं वापराधम् ।
विहितमविहितं वा सर्वमेतत्क्षमस्व
जय जय करुणाब्धे श्रीमहादेव शम्भो ॥५॥
5.1: Whatever Sins have been Committed by Actions Performed by my Hands and Feet, Produced by my Speech and Body, Or my Works,
5.2: Produced by my Ears and Eyes, Or Sins Committed by my Mind (i.e. Thoughts),
5.3: While Performing Actions which are Prescribed (i.e. duties prescribed by tradition or allotted duties in one's station of life), As Well as All other Actions which are Not explicitly Prescribed (i.e. actions done by self-judgement, by mere habit, without much thinking, unknowingly etc); Please Forgive Them All,
5.4: Victory, Victory to You, O Sri Mahadeva Shambho, I Surrender to You, You are an Ocean of Compassion.
#Shivarathrihi
रत्नैः कल्पितमासनं हिमजलैः स्नानं च दिव्याम्बरं
नानारत्नविभूषितं मृगमदामोदाङ्कितं चन्दनम् ।
जातीचम्पकबिल्वपत्ररचितं पुष्पं च धूपं तथा
दीपं देव दयानिधे पशुपते हृत्कल्पितं गृह्यताम् ॥१॥
1.1: (O Pashupati, please accept my Mental Worship of You) I offer an Asanam (Seat) studded with Gems for You to Sit on; I Bathe You in Cool Waters from the Himalayas; and with Divine Clothes ...
1.2: ... decorated with various Gems, and with Marks of Sandal Paste of the Musk Deer (Kasturi), I Adorn Your Form,
1.3: I Offer You Flowers composed of Jaati (Jasmine) (Jaati) and Champaka (Magnolia) (Champaka), along with Bilva Leaves (Bilva), and wave Incense sticks ...
1.4: ... and Oil Lamp before You, O Deva, You Who are an Ocean of Compassion and the Pashupati (the Lord of the Pashus or beings); Please Accept my Offerings made within my Heart.
सौवर्णे नवरत्नखण्डरचिते पात्रे घृतं पायसं
भक्ष्यं पञ्चविधं पयोदधियुतं रम्भाफलं पानकम् ।
शाकानामयुतं जलं रुचिकरं कर्पूरखण्डोज्ज्वलं
ताम्बूलं मनसा मया विरचितं भक्त्या प्रभो स्वीकुरु ॥२॥
2.1: (O Pashupati, please accept my Mental Worship of You) I Offer You Ghrita (Ghee or Clarified Butter) and Payasa (a sweet food prepared with Rice and Milk) in a Golden Bowl studded with Nine types of Gems, ...
2.2: ... and then Offer Five types of different Food preparations, and a special preparation composed of Payas (Milk), Dadhi (Curd) and Rambhaphala (Plaintain),
2.3: For drinking I Offer You Tasteful Water scented with various Fruits and Vegetables; then I wave a piece of Lighted Camphor before You ...
2.4: ... and finally offer a Tambula (Betel Leaf) and complete my Food Offering; O Lord, please Accept my Food Offerings I created in my Mind through Devotional Contemplation.
छत्रं चामरयोर्युगं व्यजनकं चादर्शकं निर्मलं
वीणाभेरिमृदङ्गकाहलकला गीतं च नृत्यं तथा ।
साष्टाङ्गं प्रणतिः स्तुतिर्बहुविधा ह्येतत्समस्तं मया
सङ्कल्पेन समर्पितं तव विभो पूजां गृहाण प्रभो ॥३॥
3.1: (O Pashupati, please accept my Mental Worship of You) I Offer You a Canopy (Umbrella) for Cool Shade and with a Pair of hand Fans made of Chamara, I Fan You; I Offer You a Shining Clean Mirror (representing the Purity of Devotion in my Heart),
3.2: I fill the Place with Divine Songs and Dances accompanied by Music from Veena (a stringed musical instrument), Bheri (a kettle drum), Mridanga (a kind of drum) and Kaahala (a large drum),
3.3: In this Divine surroundings, I do Full Prostration (Sasthanga Pranam) before You and then Sing various Hymns in Your Praise; All these are by me ...
3.4: ... created in my Heart and Offered to You; O Lord, Please accept my Mental Worship.
आत्मा त्वं गिरिजा मतिः सहचराः प्राणाः शरीरं गृहं
पूजा ते विषयोपभोगरचना निद्रा समाधिस्थितिः ।
सञ्चारः पदयोः प्रदक्षिणविधिः स्तोत्राणि सर्वा गिरो
यद्यत्कर्म करोमि तत्तदखिलं शम्भो तवाराधनम् ॥४॥
4.1: O Lord, You are my Atma (Soul), Devi Girija (the Divine Mother) is my Buddhi (Pure Intellect), the Shiva Ganas (the Companions or Attendants) are my Prana and my Body is Your Temple,
4.2: My Interactions with the World are Your Worship and my Sleep is the State of Samadhi (complete absorption in You),
4.3: My Feet Walking about is Your Pradakshina (Circumambulation); all my Speech are Your Hymns of Praises,
4.4: Whatever work I do, all that is Your Aradhana (Worship), O Shambhu.
करचरणकृतं वाक्कायजं कर्मजं वा
श्रवणनयनजं वा मानसं वापराधम् ।
विहितमविहितं वा सर्वमेतत्क्षमस्व
जय जय करुणाब्धे श्रीमहादेव शम्भो ॥५॥
5.1: Whatever Sins have been Committed by Actions Performed by my Hands and Feet, Produced by my Speech and Body, Or my Works,
5.2: Produced by my Ears and Eyes, Or Sins Committed by my Mind (i.e. Thoughts),
5.3: While Performing Actions which are Prescribed (i.e. duties prescribed by tradition or allotted duties in one's station of life), As Well as All other Actions which are Not explicitly Prescribed (i.e. actions done by self-judgement, by mere habit, without much thinking, unknowingly etc); Please Forgive Them All,
5.4: Victory, Victory to You, O Sri Mahadeva Shambho, I Surrender to You, You are an Ocean of Compassion.
#Shivarathrihi
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shiva manasa pooja - shiva stotram - God shiva pooja
'Shiva Manasa Puja'
written by Adi guru Shankaracharya is a very special hymn, which not
only praises Shiva, but also depicts the true flavour of Shiva worship.
Shiva needs devotion and not demonstration. In this stottram we offer to
the great Lord various…
March 1, 2022
@samskrt_samvadah संलापशाला - A Samskrit Voicechat room.
कालावधिः : 45 निमेषाः
समयः : IST 11:00 AM 🕚
विषयः : वाक्याभ्यासः
दिनाङ्कः : 02nd March 2022,
बुधवासरः
Please Join the voicechat on time.
😇 यदि शक्येत चेत् संस्कृतेन (चित्रं दृष्ट्वा वाक्यानि वदन्तु।) चर्चार्थं कृपया पूर्वसिद्धतां कृत्वा आगच्छन्तु।
वयं युष्माकं प्रतीक्षां कुर्मः। 😇
स्मारणतंत्रिकां स्थापयतु⏰
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March 1, 2022
March 1, 2022
🍃
♦️traividyaa maaM somapaaH puutapaapaa
yaj~nairiShTvaa svargatiM praarthayante|
te puNyamaasaadya surendraloka
mashnanti divyaandivi devabhogaan 9.20
⚜The knowers of the three Vedas and the drinkers of the juice of Soma (or devotion), whose sins are cleansed, worship Me by Yajna for gaining heaven. As a result of their good Karma they go to heaven and enjoy celestial sense pleasures. (9.20)
⚜तीनों वेदों के ज्ञाता (वेदोक्त सकाम कर्म करने वाले) सोमपान करने वाले एवं पापों से पवित्र हुए पुरुष मुझे यज्ञों के द्वारा पूजकर स्वर्ग प्राप्ति चाहते हैं वे पुरुष अपने पुण्यों के फलरूप इन्द्रलोक को प्राप्त कर स्वर्ग में दिव्य देवताओं के भोग भोगते हैं।।9.20।।
#geeta
त्रैविद्या मां सोमपाः पूतपापा यज्ञैरिष्ट्वा स्वर्गतिं प्रार्थयन्ते।
ते पुण्यमासाद्य सुरेन्द्रलोक मश्नन्ति दिव्यान्दिवि देवभोगान्
।।9.20।।♦️traividyaa maaM somapaaH puutapaapaa
yaj~nairiShTvaa svargatiM praarthayante|
te puNyamaasaadya surendraloka
mashnanti divyaandivi devabhogaan 9.20
⚜The knowers of the three Vedas and the drinkers of the juice of Soma (or devotion), whose sins are cleansed, worship Me by Yajna for gaining heaven. As a result of their good Karma they go to heaven and enjoy celestial sense pleasures. (9.20)
⚜तीनों वेदों के ज्ञाता (वेदोक्त सकाम कर्म करने वाले) सोमपान करने वाले एवं पापों से पवित्र हुए पुरुष मुझे यज्ञों के द्वारा पूजकर स्वर्ग प्राप्ति चाहते हैं वे पुरुष अपने पुण्यों के फलरूप इन्द्रलोक को प्राप्त कर स्वर्ग में दिव्य देवताओं के भोग भोगते हैं।।9.20।।
#geeta
March 1, 2022
March 1, 2022
🍃
♦️te taM bhuktvaa svargalokaM vishaalaM
kShiiNe puNye martyalokaM vishanti|
eva trayiidharmamanuprapannaa
gataagataM kaamakaamaa labhante9.21
⚜Having enjoyed the wide world of heavenly sense pleasures they return to the mortal world upon exhaustion of their good Karma (or Punya). Thus following the injunctions of three Vedas, the fruitive workers take repeated birth and death. (See also 8.25) (9.21)
⚜वे उस विशाल स्वर्गलोक को भोगकर पुण्यक्षीण होने पर मृत्युलोक को प्राप्त होते हैं। इस प्रकार तीनों वेदों में कहे गये कर्म के शरण हुए और भोगों की कामना वाले पुरुष आवागमन (गतागत) को प्राप्त होते हैं।।9.21।।
#geeta
ते तं भुक्त्वा स्वर्गलोकं विशालं क्षीणे पुण्ये मर्त्यलोकं विशन्ति।
एव त्रयीधर्ममनुप्रपन्ना गतागतं कामकामा लभन्ते
।।9.21।।♦️te taM bhuktvaa svargalokaM vishaalaM
kShiiNe puNye martyalokaM vishanti|
eva trayiidharmamanuprapannaa
gataagataM kaamakaamaa labhante
⚜Having enjoyed the wide world of heavenly sense pleasures they return to the mortal world upon exhaustion of their good Karma (or Punya). Thus following the injunctions of three Vedas, the fruitive workers take repeated birth and death. (See also 8.25) (9.21)
⚜वे उस विशाल स्वर्गलोक को भोगकर पुण्यक्षीण होने पर मृत्युलोक को प्राप्त होते हैं। इस प्रकार तीनों वेदों में कहे गये कर्म के शरण हुए और भोगों की कामना वाले पुरुष आवागमन (गतागत) को प्राप्त होते हैं।।9.21।।
#geeta
March 1, 2022
https://youtu.be/LgTCZjQCJqw
#VedicChanting
प्रातः स्मरामि भवभीतिहरं सुरेशं
गङ्गाधरं वृषभवाहनमम्बिकेशम् ।
खट्वाङ्गशूलवरदाभयहस्तमीशं
संसाररोगहरमौषधमद्वितीयम् ॥१॥
1.1 In the Early Morning, I Remember Sri Shiva, Who Destroys the Fear of Worldly Existence and Who is the Lord of the Devas,
1.2 Who Holds River Ganga on His Head, Who has a Bull as His Vehicle and Who is the Lord of Devi Ambika,
1.3 Who has a Club and Trident in His two Hands, And confers Boon and Fearlessness with His other two Hands and Who is the Lord of the Universe,
1.4 Who is the Medicine to Destroy the Disease (of Delusion) of Worldly Existence and Who is the One without a second.
प्रातर्नमामि गिरिशं गिरिजार्धदेहं
सर्गस्थितिप्रलयकारणमादिदेवम् ।
विश्वेश्वरं विजितविश्वमनोभिरामं
संसाररोगहरमौषधमद्वितीयम् ॥२॥
2.1 In the Early Morning, I Salute Sri Girisha (Shiva), Who has Devi Girija (Parvati) as Half of His Body,
2.2 Who is the Primordial Cause behind the Creation, Maintenance and Dissolution of the Universe,
2.3 Who is the Lord of the Universe and Who Conquers the World by His Charm,
2.4 Who is the Medicine to Destroy the Disease (of Delusion) of Worldly Existence and Who is the One without a second.
प्रातर्भजामि शिवमेकमनन्तमाद्यं
वेदान्तवेद्यमनघं पुरुषं महान्तम् ।
नामादिभेदरहितं षड्भावशून्यं
संसाररोगहरमौषधमद्वितीयम् ॥३॥
3.1 In the Early Morning, I Worship Sri Shiva Who is the One without a second, Who is Boundless and Infinite and Who is Primordial,
3.2 Who is Known only by Understanding the Vedanta, Who is Sinless and Faultless, Who is the Primeval Original Source of the Universe and Who is the Great One,
3.3 Who is Free from the Differences of Names etc and Who is Without the Six Modifications (of Birth, Existence, Growth, Maturity and Death),
3.4 Who is the Medicine to Destroy the Disease (of Delusion) of Worldly Existence and Who is the One without a second.
#VedicChanting
प्रातः स्मरामि भवभीतिहरं सुरेशं
गङ्गाधरं वृषभवाहनमम्बिकेशम् ।
खट्वाङ्गशूलवरदाभयहस्तमीशं
संसाररोगहरमौषधमद्वितीयम् ॥१॥
1.1 In the Early Morning, I Remember Sri Shiva, Who Destroys the Fear of Worldly Existence and Who is the Lord of the Devas,
1.2 Who Holds River Ganga on His Head, Who has a Bull as His Vehicle and Who is the Lord of Devi Ambika,
1.3 Who has a Club and Trident in His two Hands, And confers Boon and Fearlessness with His other two Hands and Who is the Lord of the Universe,
1.4 Who is the Medicine to Destroy the Disease (of Delusion) of Worldly Existence and Who is the One without a second.
प्रातर्नमामि गिरिशं गिरिजार्धदेहं
सर्गस्थितिप्रलयकारणमादिदेवम् ।
विश्वेश्वरं विजितविश्वमनोभिरामं
संसाररोगहरमौषधमद्वितीयम् ॥२॥
2.1 In the Early Morning, I Salute Sri Girisha (Shiva), Who has Devi Girija (Parvati) as Half of His Body,
2.2 Who is the Primordial Cause behind the Creation, Maintenance and Dissolution of the Universe,
2.3 Who is the Lord of the Universe and Who Conquers the World by His Charm,
2.4 Who is the Medicine to Destroy the Disease (of Delusion) of Worldly Existence and Who is the One without a second.
प्रातर्भजामि शिवमेकमनन्तमाद्यं
वेदान्तवेद्यमनघं पुरुषं महान्तम् ।
नामादिभेदरहितं षड्भावशून्यं
संसाररोगहरमौषधमद्वितीयम् ॥३॥
3.1 In the Early Morning, I Worship Sri Shiva Who is the One without a second, Who is Boundless and Infinite and Who is Primordial,
3.2 Who is Known only by Understanding the Vedanta, Who is Sinless and Faultless, Who is the Primeval Original Source of the Universe and Who is the Great One,
3.3 Who is Free from the Differences of Names etc and Who is Without the Six Modifications (of Birth, Existence, Growth, Maturity and Death),
3.4 Who is the Medicine to Destroy the Disease (of Delusion) of Worldly Existence and Who is the One without a second.
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Powerful Shiva Mantra | with Sanskrit lyrics | शिव प्रातःस्मरण स्तोत्रम् | Shiva Morning Mantra
Shiva Pratah Smaran Stotram. [Morning Prayer to Lord Shiva].
LYRICS (Sanskrit):
प्रातः स्मरामि भवभीतिहरं सुरेशं
गङ्गाधरं वृषभवाहनमम्बिकेशम्।
खट्वाङ्गशूलवरदाभयहस्तमीशं
संसाररोगहरमौषधमद्वितीयम् ॥१॥
प्रातर्नमामि गिरिशं गिरिजार्द्धदेहं
सर्गस्थितिप्रलयकारणमादिदेवम्।…
LYRICS (Sanskrit):
प्रातः स्मरामि भवभीतिहरं सुरेशं
गङ्गाधरं वृषभवाहनमम्बिकेशम्।
खट्वाङ्गशूलवरदाभयहस्तमीशं
संसाररोगहरमौषधमद्वितीयम् ॥१॥
प्रातर्नमामि गिरिशं गिरिजार्द्धदेहं
सर्गस्थितिप्रलयकारणमादिदेवम्।…
March 1, 2022
Forwarded from रामदूतः — The Sanskrit News Platform
🚩 जय सत्य सनातन 🚩
🚩 आज की हिंदी तिथि
🌥️ 🚩युगाब्द-५१२३
🌥️ 🚩विक्रम संवत-२०७८
⛅ 🚩तिथि - अमावस्या रात्रि 11:04 तक तत्पश्चात प्रतिपदा
⛅ दिनांक - 02 मार्च 2022
⛅ दिन - बुधवार
⛅ शक संवत -1943
⛅ अयन - उत्तरायण
⛅ ऋतु - वसंत ऋतु
⛅ मास - फाल्गुन
⛅ पक्ष - कृष्ण
⛅ नक्षत्र - शतभिषा 03 मार्च रात्रि 02:37 तक तत्पश्चात पूर्व भाद्रपद
⛅ योग - शिव सुबह 08:21 तक तत्पश्चात सिद्ध
⛅ राहुकाल - दोपहर 12:51 से दोपहर 02:19 तक
⛅ सूर्योदय - 06:59
⛅ सूर्यास्त - 18:42
⛅ दिशाशूल - उत्तर दिशा में
🚩 आज की हिंदी तिथि
🌥️ 🚩युगाब्द-५१२३
🌥️ 🚩विक्रम संवत-२०७८
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⛅ दिन - बुधवार
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⛅ ऋतु - वसंत ऋतु
⛅ मास - फाल्गुन
⛅ पक्ष - कृष्ण
⛅ नक्षत्र - शतभिषा 03 मार्च रात्रि 02:37 तक तत्पश्चात पूर्व भाद्रपद
⛅ योग - शिव सुबह 08:21 तक तत्पश्चात सिद्ध
⛅ राहुकाल - दोपहर 12:51 से दोपहर 02:19 तक
⛅ सूर्योदय - 06:59
⛅ सूर्यास्त - 18:42
⛅ दिशाशूल - उत्तर दिशा में
March 1, 2022
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March 1, 2022
https://youtu.be/PuuhI8YnSz8
Switch to DD News daily at 7:15 AM (Morning) for 15 minutes Sanskrit news.
Switch to DD News daily at 7:15 AM (Morning) for 15 minutes Sanskrit news.
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संस्कृत भाषा में देखिए सुबह की तमाम अहम ख़बरें बुलेटिन वार्ता में 02-03-2022
DD News is India’s
24x7 news channel from the stable of the country’s Public Service
Broadcaster, Prasar Bharati. It has the distinction of being India’s
only terrestrial cum satellite News Channel. Launched in 2003, DD News
has made a name for itself to…
March 1, 2022
March 1, 2022
March 1, 2022
"अर्थानामर्जने दुःखम्, अर्जितानां च रक्षणे।
नाशे दुःखं व्यये दुःखं, धिगर्थदुःखभाजनम्।।"
अर्थात- "धन को अर्जित करने में दुख होता है। अर्जित धन की रक्षा करने में भी कष्ट होता है। धन के नष्ट होने या खर्च होने पर भी कष्ट होता है। दुख के पात्र इस धन को धिक्कार है।"
संस्कृतभावार्थः -
धनस्य अर्जनं करणे दुःखं भवति, अर्जितस्य धनस्य रक्षाकरणे दुःखं भवति, धनस्य व्ययकरणे अथवा तस्य नाशे अपि दुःखं भवति।
तस्मात् दुःखमूलं धनं धिक् ।
#Subhashitam
नाशे दुःखं व्यये दुःखं, धिगर्थदुःखभाजनम्।।"
अर्थात- "धन को अर्जित करने में दुख होता है। अर्जित धन की रक्षा करने में भी कष्ट होता है। धन के नष्ट होने या खर्च होने पर भी कष्ट होता है। दुख के पात्र इस धन को धिक्कार है।"
संस्कृतभावार्थः -
धनस्य अर्जनं करणे दुःखं भवति, अर्जितस्य धनस्य रक्षाकरणे दुःखं भवति, धनस्य व्ययकरणे अथवा तस्य नाशे अपि दुःखं भवति।
तस्मात् दुःखमूलं धनं धिक् ।
#Subhashitam
March 1, 2022
March 1, 2022
(रक्तवर्णीयानि) पुष्पाणि सन्ति।
प्रश्ननिर्माणं कर्तव्यम्।
प्रश्ननिर्माणं कर्तव्यम्।
Anonymous Quiz
10%
कीदृशः पुष्पाणि सन्ति।
9%
कीदृशम् पुष्पाणि सन्ति।
76%
कीदृशानि पुष्पाणि सन्ति।
6%
कीदृशाः पुष्पाणि सन्ति।
March 2, 2022
March 2, 2022
संस्कृत संवादः । Sanskrit Samvadah
(नियमपूर्वक
अध्ययन करने में जिससे पढ़ा जाए उसकी अपादान संज्ञा होती है और उसमें पंचमी
विभक्ति होती है।) अन्तेवासी अध्यापकात् विद्यां पठति = विद्यार्थी
अध्यापक से विद्या पढ़ता है। नर्तकी नृत्यनिष्णातात् नृत्यं शिक्षति =
नर्तकी नाच में दक्ष से नाचना…
संस्कृतं वद आधुनिको भव।
वेदान् पठ वैज्ञानिको भव।।
पाठ : (१९) पञ्चमी विभक्ति (३)
(जिससे कोई वस्तु बनती है / उत्पन्न होती है उसकी अपादान संज्ञा होने से उसमें पंचमी विभक्ति का प्रयोग होता है।)
बीजेभ्यः अङ्कुराः जायन्ते
= बीजों से अंकुर उत्पन्न होते हैं।
मृगशृङ्गात् शरो जायते
= हिरण के सींग से बाण बनता है।
रामात् लवकुशावजायताम्
= राम से लवकुश पैदा हुए।
भूमेः वनस्पतयः प्ररोहन्ति
= भूमि से वनस्पतियां उगती हैं।
तण्डुलात् भक्तं निर्मापयति निर्माति वा
= चावल से भात बनाती है (पकाती है)।
शीनकेन दुग्धाद् दधि न्यर्मापयत् न्यर्माद् वा
= जमावन डालकर (जमावन के द्वारा) दूध से दही बनाया।
अवकराद् दुर्गन्धः उद्गच्छति
= कूड़े से दुर्गन्ध उठ रही है (उठती है)।
पूतिकात् शाकादपि दुर्गन्धः उद्भवति
= सड़े-गले शाक से भी दुर्गन्ध उठ रही है।
नगरनाल्याः पूतिगन्धः प्रभवति
= गटर से दुर्गन्ध उठ रही है।
फाणितात् गुडम् उत्पद्यते
= राब से गुड़ बनता है।
हिमालयात् गङ्गा प्रभवति
= हिमालय से गंगा निकलती है।
स्वर्णकारः स्वर्णाद् आभूषणानि रचयति
= सुनार सोने से आभूषण बनाता है।
कुम्भकारः मृत्तिकायाः मृण्मयानि वस्तूनि विदधाति
= कुम्हार मिट्टी से मिट्टि की चीजें बनाता है।
तन्तुवायः तन्तुभ्यः वस्त्रं स्त्रं वयति
= जुलाहा धागों से कपड़ा बुनता है।
अन्नाद् भवन्ति भूतानि पर्जन्यादन्नसम्भवः। यज्ञाद् भवति पर्जन्यो यज्ञकर्मसमुद्भवः।
= अन्न से भूत = प्राणी उत्पन्न होते हैं, वर्षा से अन्न, यज्ञ से वर्षा और मानवों के कर्मों से यज्ञ उत्पन्न होता है।
प्रकृतेः सृष्टिः प्रादुर्भवति
= सत्त्व-रजस्-तमस् रूप प्रकृति से सृष्टि बनती है।
अभावद् भावो न जायते
= शून्य से सृजन नहीं होता।
न शशशृङ्गात् वस्तूनि निर्मीयन्ते
= खरगोश के सींग से वस्तुएं नहीं बनतीं।
कटिजाद् धानाः व्रीहिभ्यः भिस्सटाः यवेभ्यश्च लाजाः जायन्ते
= मक्के से मक्के का फूला (पापकार्न), चावल (छिलके सहित) से ममरा और जौ से लाजा (खील) बनते हैं।
#vakyabhyas
वेदान् पठ वैज्ञानिको भव।।
पाठ : (१९) पञ्चमी विभक्ति (३)
(जिससे कोई वस्तु बनती है / उत्पन्न होती है उसकी अपादान संज्ञा होने से उसमें पंचमी विभक्ति का प्रयोग होता है।)
बीजेभ्यः अङ्कुराः जायन्ते
= बीजों से अंकुर उत्पन्न होते हैं।
मृगशृङ्गात् शरो जायते
= हिरण के सींग से बाण बनता है।
रामात् लवकुशावजायताम्
= राम से लवकुश पैदा हुए।
भूमेः वनस्पतयः प्ररोहन्ति
= भूमि से वनस्पतियां उगती हैं।
तण्डुलात् भक्तं निर्मापयति निर्माति वा
= चावल से भात बनाती है (पकाती है)।
शीनकेन दुग्धाद् दधि न्यर्मापयत् न्यर्माद् वा
= जमावन डालकर (जमावन के द्वारा) दूध से दही बनाया।
अवकराद् दुर्गन्धः उद्गच्छति
= कूड़े से दुर्गन्ध उठ रही है (उठती है)।
पूतिकात् शाकादपि दुर्गन्धः उद्भवति
= सड़े-गले शाक से भी दुर्गन्ध उठ रही है।
नगरनाल्याः पूतिगन्धः प्रभवति
= गटर से दुर्गन्ध उठ रही है।
फाणितात् गुडम् उत्पद्यते
= राब से गुड़ बनता है।
हिमालयात् गङ्गा प्रभवति
= हिमालय से गंगा निकलती है।
स्वर्णकारः स्वर्णाद् आभूषणानि रचयति
= सुनार सोने से आभूषण बनाता है।
कुम्भकारः मृत्तिकायाः मृण्मयानि वस्तूनि विदधाति
= कुम्हार मिट्टी से मिट्टि की चीजें बनाता है।
तन्तुवायः तन्तुभ्यः वस्त्रं स्त्रं वयति
= जुलाहा धागों से कपड़ा बुनता है।
अन्नाद् भवन्ति भूतानि पर्जन्यादन्नसम्भवः। यज्ञाद् भवति पर्जन्यो यज्ञकर्मसमुद्भवः।
= अन्न से भूत = प्राणी उत्पन्न होते हैं, वर्षा से अन्न, यज्ञ से वर्षा और मानवों के कर्मों से यज्ञ उत्पन्न होता है।
प्रकृतेः सृष्टिः प्रादुर्भवति
= सत्त्व-रजस्-तमस् रूप प्रकृति से सृष्टि बनती है।
अभावद् भावो न जायते
= शून्य से सृजन नहीं होता।
न शशशृङ्गात् वस्तूनि निर्मीयन्ते
= खरगोश के सींग से वस्तुएं नहीं बनतीं।
कटिजाद् धानाः व्रीहिभ्यः भिस्सटाः यवेभ्यश्च लाजाः जायन्ते
= मक्के से मक्के का फूला (पापकार्न), चावल (छिलके सहित) से ममरा और जौ से लाजा (खील) बनते हैं।
#vakyabhyas
March 2, 2022
March 2, 2022
Admission Ad AY 2022-23.pdf
799 KB
Admission Ad AY 2022-23.pdf
March 2, 2022
. ॐ
पिता - अद्यतन-धावनस्पर्धायां भवता विजयः प्राप्तः किम् ?
पुत्रः - न पितृवर्य !
पिता - कियत् शोच्यं रे ! ( how pitiable !) अरे भोः! शिवाजि-महाराजः भवत्समवयस्कः ( of your age ) आसीत् तदा तेन दुर्गद्वयं प्राप्तम् आसीत् !
पुत्रः - सत्यम् एव पितृवर्य ! किन्तु यदा महाराजः भवत्समवयस्कः आसीत् तदा सः छत्रपति-नृपः अभवत् खलु !
-------- संस्कृतानन्दः ।
#hasya
पिता - अद्यतन-धावनस्पर्धायां भवता विजयः प्राप्तः किम् ?
पुत्रः - न पितृवर्य !
पिता - कियत् शोच्यं रे ! ( how pitiable !) अरे भोः! शिवाजि-महाराजः भवत्समवयस्कः ( of your age ) आसीत् तदा तेन दुर्गद्वयं प्राप्तम् आसीत् !
पुत्रः - सत्यम् एव पितृवर्य ! किन्तु यदा महाराजः भवत्समवयस्कः आसीत् तदा सः छत्रपति-नृपः अभवत् खलु !
-------- संस्कृतानन्दः ।
#hasya
March 2, 2022
।।श्रीः।।
।।आत्मबोधः।।
Atmabodha, meaning Self-knowledge or Self-awareness, is an exceptionally lucid and readable work of Shankaracharya. Consisting of sixty-eight verses or shlokas, it is in a sense a simple summary of his entire Vedantic structure of thought, intended, it would seem, as a basic primer for his students and followers. The text follows a clearly elaborated doctrine, starting with knowledge as a key to liberation, the nautre of the Atman within us, the assertion of the pervasive and attribute-less nature of Brahman, and the path towards the realisation of the complete identity between the Atman and Brahman.
निषिध्य निखिलोपाधीन्नेति नेतीति वाक्यतः।
विद्यादैक्यं महावाक्यैर्जीवात्मपरमात्मनोः।।30।।
30. By a process of negation of the conditionings (Upadhis) through the help of the scriptural statement’It is not this, It is not this’, the oneness of the individual soul and the Supreme Soul, as indicated by the great Mahavakyas, has to be realised.
आत्म-बोध ऑनलाइन क्लास - 30:
आत्म-बोध के 30th श्लोक में आचार्यश्री हमें बता रहे हैं की आत्मा को स्वप्रकाश जानने के बाद एवं उसको अन्य किसी प्रकाशक से प्रकाशित करने की अनावश्यकता देखने के बाद - हमें अपनी उपाधियों के साथ तादात्म्य को शनैः-शनैः बाधित करना चाहिए। इसको ही उपनिषदों में नेति-नेति की प्रक्रिया कहते हैं। रस्सी को रस्सी जानने के लिए पहले सर्प-बुद्धि समाप्त होनी चाहिए, उसी तरह से आत्मा को आत्मा जानने के लिए अनात्म के साथ अभिमान समाप्त होना परम आवश्यक होता है। उसके बाद अपने परमात्मा के साथ ऐक्य देखना चाहिए।
#Atmabodha
।।आत्मबोधः।।
Atmabodha, meaning Self-knowledge or Self-awareness, is an exceptionally lucid and readable work of Shankaracharya. Consisting of sixty-eight verses or shlokas, it is in a sense a simple summary of his entire Vedantic structure of thought, intended, it would seem, as a basic primer for his students and followers. The text follows a clearly elaborated doctrine, starting with knowledge as a key to liberation, the nautre of the Atman within us, the assertion of the pervasive and attribute-less nature of Brahman, and the path towards the realisation of the complete identity between the Atman and Brahman.
निषिध्य निखिलोपाधीन्नेति नेतीति वाक्यतः।
विद्यादैक्यं महावाक्यैर्जीवात्मपरमात्मनोः।।30।।
30. By a process of negation of the conditionings (Upadhis) through the help of the scriptural statement’It is not this, It is not this’, the oneness of the individual soul and the Supreme Soul, as indicated by the great Mahavakyas, has to be realised.
आत्म-बोध ऑनलाइन क्लास - 30:
आत्म-बोध के 30th श्लोक में आचार्यश्री हमें बता रहे हैं की आत्मा को स्वप्रकाश जानने के बाद एवं उसको अन्य किसी प्रकाशक से प्रकाशित करने की अनावश्यकता देखने के बाद - हमें अपनी उपाधियों के साथ तादात्म्य को शनैः-शनैः बाधित करना चाहिए। इसको ही उपनिषदों में नेति-नेति की प्रक्रिया कहते हैं। रस्सी को रस्सी जानने के लिए पहले सर्प-बुद्धि समाप्त होनी चाहिए, उसी तरह से आत्मा को आत्मा जानने के लिए अनात्म के साथ अभिमान समाप्त होना परम आवश्यक होता है। उसके बाद अपने परमात्मा के साथ ऐक्य देखना चाहिए।
#Atmabodha
March 2, 2022
@samskrt_samvadah संलापशाला - A Samskrit Voicechat room.
कालावधिः : 45 निमेषाः
समयः : IST 11:00 AM 🕚
विषयः : भारतीयसेना
(Bhartiya military)
दिनाङ्कः : 03rd March 2022,
गुरुवासरः
Please Join the voicechat on time.
😇 यदि शक्येत चेत् संस्कृतेन(भारतीयसैन्यस्य पराक्रमं सैन्याभियानं युद्धविवरणं वा वदन्तु।) चर्चार्थं कृपया पूर्वसिद्धतां कृत्वा आगच्छन्तु।
वयं युष्माकं प्रतीक्षां कुर्मः। 😇
स्मारणतंत्रिकां स्थापयतु⏰
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https://t.me/samskrt_samvadah?voicechat
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March 2, 2022
March 2, 2022
🍃
♦️ananyaashchintayanto maaM ye janaaH paryupaasate|
teShaaM nityaabhiyuktaanaaM yogakShemaM vahaamyaham9.22
⚜To those ever steadfast devotees, who always remember or worship Me with single-minded contemplation, I personally take responsibility for their welfare. (9.22)
⚜अनन्य भाव से मेरा चिन्तन करते हुए जो भक्तजन मेरी ही उपासना करते हैं? उन नित्ययुक्त पुरुषों का योगक्षेम मैं वहन करता हूँ।।9.22।।
#geeta
अनन्याश्िचन्तयन्तो मां ये जनाः पर्युपासते।
तेषां नित्याभियुक्तानां योगक्षेमं वहाम्यहम्
।।9.22।।♦️ananyaashchintayanto maaM ye janaaH paryupaasate|
teShaaM nityaabhiyuktaanaaM yogakShemaM vahaamyaham
⚜To those ever steadfast devotees, who always remember or worship Me with single-minded contemplation, I personally take responsibility for their welfare. (9.22)
⚜अनन्य भाव से मेरा चिन्तन करते हुए जो भक्तजन मेरी ही उपासना करते हैं? उन नित्ययुक्त पुरुषों का योगक्षेम मैं वहन करता हूँ।।9.22।।
#geeta
March 2, 2022
March 2, 2022
🍃
♦️ye'pyanyadevataa bhaktaa yajante shraddhayaa'nvitaaH|
te'pi maameva kaunteya yajantyavidhipuurvakam9.23
⚜O Arjuna, even those devotees who worship demigods with faith, they too worship Me, but in an improper way. (9.23)
⚜हे कौन्तेय श्रद्धा से युक्त जो भक्त अन्य देवताओं को पूजते हैं वे भी मुझे ही अविधिपूर्वक पूजते हैं।।9.23।।
#geeta
येऽप्यन्यदेवता भक्ता यजन्ते श्रद्धयाऽन्विताः।
तेऽपि मामेव कौन्तेय यजन्त्यविधिपूर्वकम्
।।9.23।।♦️ye'pyanyadevataa bhaktaa yajante shraddhayaa'nvitaaH|
te'pi maameva kaunteya yajantyavidhipuurvakam
⚜O Arjuna, even those devotees who worship demigods with faith, they too worship Me, but in an improper way. (9.23)
⚜हे कौन्तेय श्रद्धा से युक्त जो भक्त अन्य देवताओं को पूजते हैं वे भी मुझे ही अविधिपूर्वक पूजते हैं।।9.23।।
#geeta
March 2, 2022
🚩जय सत्य सनातन🚩
🚩आज की हिंदी तिथि
🌥️ 🚩युगाब्द-५१२३
🌥️ 🚩विक्रम संवत-२०७८
⛅ 🚩तिथि - प्रतिपदा रात्रि 09:36 तक तत्पश्चात द्वितीया
⛅ दिनांक - 03 मार्च 2022
⛅ दिन - गुरुवार
⛅ शक संवत -1943
⛅ अयन - उत्तरायण
⛅ ऋतु - वसंत ऋतु
⛅ मास - फाल्गुन
⛅ पक्ष - शुक्ल
⛅ नक्षत्र - पूर्व भाद्रपद 04 मार्च रात्रि 01:56 तक तत्पश्चात उत्तर भाद्रपद
⛅ योग - साध्य 04 मार्च रात्रि 03:29 तक तत्पश्चात शुभ
⛅ राहुकाल - दोपहर 02:19 से शाम 03:57 तक
⛅ सूर्योदय - 06:58
⛅ सूर्यास्त - 18:42
⛅ दिशाशूल - दक्षिण दिशा में
🚩आज की हिंदी तिथि
🌥️ 🚩युगाब्द-५१२३
🌥️ 🚩विक्रम संवत-२०७८
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⛅ राहुकाल - दोपहर 02:19 से शाम 03:57 तक
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March 2, 2022
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समयः : IST 11:00 AM 🕚
विषयः : भारतीयसेना
(Bhartiya military)
दिनाङ्कः : 03rd March 2022,
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March 2, 2022
Forwarded from रामदूतः — The Sanskrit News Platform
https://youtu.be/adrJrev6GuE
Switch to DD News daily at 7:15 AM (Morning) for 15 minutes Sanskrit news.
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वार्ता :संस्कृत भाषा में देखिए सुबह की तमाम अहम ख़बरें बुलेटिन
DD News is India’s
24x7 news channel from the stable of the country’s Public Service
Broadcaster, Prasar Bharati. It has the distinction of being India’s
onl...
March 2, 2022
March 2, 2022
March 2, 2022
पितृशुश्रूषया पुत्र मातृशुश्रूषया तथा।
सत्येन च महाबाहो चिरं जीवाभिरक्षितः।।
संस्कृतभावार्थः -
कौसल्या रामाय मङ्गलवचांसि वदति यत् 'हे महाबाहो पुत्र! त्वया पितुः मातुः च या सेवा कृता, तेन सेवाफलेन अपि च सत्यपालनेन त्वम् अभिरक्षितः सन् चिरकालं यावत् जीवतु। अर्थात् वने किञ्चिद् अपि अनिष्टं तव कृते न भवेद्' इति।
#Subhashitam
सत्येन च महाबाहो चिरं जीवाभिरक्षितः।।
संस्कृतभावार्थः -
कौसल्या रामाय मङ्गलवचांसि वदति यत् 'हे महाबाहो पुत्र! त्वया पितुः मातुः च या सेवा कृता, तेन सेवाफलेन अपि च सत्यपालनेन त्वम् अभिरक्षितः सन् चिरकालं यावत् जीवतु। अर्थात् वने किञ्चिद् अपि अनिष्टं तव कृते न भवेद्' इति।
#Subhashitam
March 2, 2022
March 2, 2022
नेता महिलां मतदानं ______ ___________।
Anonymous Quiz
43%
कर्तुं, निवेदयति।
13%
कर्तुम्, निवेदयति।
13%
कृत्वा, निवेदयति
23%
कर्तुम् , प्रार्थयति।
8%
करणस्य , प्रार्थयति।
March 3, 2022
March 3, 2022
संस्कृत संवादः । Sanskrit Samvadah
संस्कृतं
वद आधुनिको भव। वेदान् पठ वैज्ञानिको भव।। पाठ : (१९) पञ्चमी विभक्ति (३)
(जिससे कोई वस्तु बनती है / उत्पन्न होती है उसकी अपादान संज्ञा होने से
उसमें पंचमी विभक्ति का प्रयोग होता है।) बीजेभ्यः अङ्कुराः जायन्ते =
बीजों से अंकुर उत्पन्न होते हैं।…
(हेतु = कारणवाची शब्दों में पंचमी तथा तृतीया दोनों का प्रयोग होता है।)
गुणात् शुकः पञ्जरे बध्यते, तस्माद् गुणाः गोपनीयाः
= गुण के कारण तोता पिंजरे में बांध दिया जाता है इसलिए गुणों को छिपाकर रखना चाहिए।
गुणैः गुणी उच्यते
= गुणों के कारण से मनुष्य गुणी याने गुणवाला कहा जाता है।
विद्यया प्राप्यते लक्ष्मीः
= विद्या से धन मिलता है।
लक्ष्म्या च विद्या
= और धन से विद्या मिलती है।
समर्पणात् समर्पणेन वा पितरौ तृप्येते
= समर्पण से माता-पिता तृप्त होते हैं।
श्रद्धया श्राद्धमुच्यते
= जो कार्य श्रद्धा से किया जाता है वह श्राद्ध कहा जाता है।
येन पितरौ तृप्येते तत् तर्पणमुच्यते
= जिन कर्मों से मांबाप तृप्त होते हैं, वे कर्म तर्पण कहाते हैं।
जाड्यात् जाड्येन वा मूर्खः व्यसने पतति
= जड़ता के कारण मूर्ख मुसीबतों में फंसता है।
ईश्वरो सर्वव्यापकात् सर्वज्ञोऽस्ति, सर्वज्ञत्वात् सर्वशक्तिमान्
= ईश्वर सर्वव्यापक होने से सर्वज्ञ है और सर्वज्ञ होने से सर्वशक्तिमान् है।
सर्वव्यापकत्वादेवेश्वरो न जायते
= सर्वव्यापक होने से ईश्वर का जन्म नहीं होता।
अतिवृष्टेः नद्याम् आप्लावः समजायत
= अधिक वृष्टि के कारण नदी में बाढ़ आ गई।
अनावृष्टेः नद्यः शुष्काः सञ्जाताः
= अनावृष्टि के कारण नदियां सूख गईं।
सामुद्रिक-पीडनाद् यदा-कदा झञ्झावतोऽपि भवति
= समुद्री दबाव के कारण से कभी-कभी वर्षा के साथ आंधी भी चलती है।
अत्यधिक भोजनाद् उदरं दूयते
= अत्यधिक खा लेने से पेट दर्द हो रहा है।
औष्ण्यात् पिटकाः जाताः
= उष्णता के कारण फुंसियां हो गईं।
शैत्येन पीनसः बाधते
= ठंड के कारण जुकाम हो गया।
पयोहिमेन कासोऽभूत्
= आईस्क्रीम से खांसी हो गई।
बहिर्मा गच्छ शीतवातेन प्रतिश्यायो भविष्यति
= बाहर मत जा, ठंडी हवा के कारण जुकाम हो जाएगा।
पिनसात् नासिकातः शिङ्घाणं प्रवहति
= जुकाम के कारण नाक से रीट बह रही है।
पतनात् अस्थि भिन्नमभवत्
= गिरने से हड्डी टूट गई।
यज्ञात् वायौ सुगन्धः प्रसृतः
= यज्ञ के कारण हवा में सुगन्ध फैल गई।
तत्कर्म नियतं कुर्याद्येन तुष्टो भवेत् पिता।
तन्न कुर्याद्येन पिता मनागपि विषीदति।।
= जिस कार्य से पिता प्रसन्न हों, उस कार्य को नियतरूप से अवश्य करें और जिस कार्य से पिता को थोड़ा सा भी दुःख हो, उसे कदापि करना नहीं चाहिए।
#vakyabhyas
गुणात् शुकः पञ्जरे बध्यते, तस्माद् गुणाः गोपनीयाः
= गुण के कारण तोता पिंजरे में बांध दिया जाता है इसलिए गुणों को छिपाकर रखना चाहिए।
गुणैः गुणी उच्यते
= गुणों के कारण से मनुष्य गुणी याने गुणवाला कहा जाता है।
विद्यया प्राप्यते लक्ष्मीः
= विद्या से धन मिलता है।
लक्ष्म्या च विद्या
= और धन से विद्या मिलती है।
समर्पणात् समर्पणेन वा पितरौ तृप्येते
= समर्पण से माता-पिता तृप्त होते हैं।
श्रद्धया श्राद्धमुच्यते
= जो कार्य श्रद्धा से किया जाता है वह श्राद्ध कहा जाता है।
येन पितरौ तृप्येते तत् तर्पणमुच्यते
= जिन कर्मों से मांबाप तृप्त होते हैं, वे कर्म तर्पण कहाते हैं।
जाड्यात् जाड्येन वा मूर्खः व्यसने पतति
= जड़ता के कारण मूर्ख मुसीबतों में फंसता है।
ईश्वरो सर्वव्यापकात् सर्वज्ञोऽस्ति, सर्वज्ञत्वात् सर्वशक्तिमान्
= ईश्वर सर्वव्यापक होने से सर्वज्ञ है और सर्वज्ञ होने से सर्वशक्तिमान् है।
सर्वव्यापकत्वादेवेश्वरो न जायते
= सर्वव्यापक होने से ईश्वर का जन्म नहीं होता।
अतिवृष्टेः नद्याम् आप्लावः समजायत
= अधिक वृष्टि के कारण नदी में बाढ़ आ गई।
अनावृष्टेः नद्यः शुष्काः सञ्जाताः
= अनावृष्टि के कारण नदियां सूख गईं।
सामुद्रिक-पीडनाद् यदा-कदा झञ्झावतोऽपि भवति
= समुद्री दबाव के कारण से कभी-कभी वर्षा के साथ आंधी भी चलती है।
अत्यधिक भोजनाद् उदरं दूयते
= अत्यधिक खा लेने से पेट दर्द हो रहा है।
औष्ण्यात् पिटकाः जाताः
= उष्णता के कारण फुंसियां हो गईं।
शैत्येन पीनसः बाधते
= ठंड के कारण जुकाम हो गया।
पयोहिमेन कासोऽभूत्
= आईस्क्रीम से खांसी हो गई।
बहिर्मा गच्छ शीतवातेन प्रतिश्यायो भविष्यति
= बाहर मत जा, ठंडी हवा के कारण जुकाम हो जाएगा।
पिनसात् नासिकातः शिङ्घाणं प्रवहति
= जुकाम के कारण नाक से रीट बह रही है।
पतनात् अस्थि भिन्नमभवत्
= गिरने से हड्डी टूट गई।
यज्ञात् वायौ सुगन्धः प्रसृतः
= यज्ञ के कारण हवा में सुगन्ध फैल गई।
तत्कर्म नियतं कुर्याद्येन तुष्टो भवेत् पिता।
तन्न कुर्याद्येन पिता मनागपि विषीदति।।
= जिस कार्य से पिता प्रसन्न हों, उस कार्य को नियतरूप से अवश्य करें और जिस कार्य से पिता को थोड़ा सा भी दुःख हो, उसे कदापि करना नहीं चाहिए।
#vakyabhyas
March 3, 2022
March 3, 2022
March 3, 2022
March 3, 2022
।।श्रीः।।
।।आत्मबोधः।।
Atmabodha, meaning Self-knowledge or Self-awareness, is an exceptionally lucid and readable work of Shankaracharya. Consisting of sixty-eight verses or shlokas, it is in a sense a simple summary of his entire Vedantic structure of thought, intended, it would seem, as a basic primer for his students and followers. The text follows a clearly elaborated doctrine, starting with knowledge as a key to liberation, the nautre of the Atman within us, the assertion of the pervasive and attribute-less nature of Brahman, and the path towards the realisation of the complete identity between the Atman and Brahman.
आविद्यकं शरीरादि दृश्यं बुद्बुदवत्क्षरम्।
एतद्विलक्षणं विद्यादहं ब्रह्मेति निर्मलम्।।31।।
31. The body, etc., up to the “Causal Body” – Ignorance – which are objects perceived, are as perishable as bubbles. Realise through discrimination that I am the’Pure Brahman’ ever completely separate from all these.
आत्म-बोध ऑनलाइन क्लास - 31:
आत्म-बोध के 31st श्लोक में आचार्यश्री हमें बता रहे हैं की पिछले श्लोक में हमने बताया था की अपनी उपाधियों के बारे में महत्त्व-बुद्धि का निषेध करने के बाद आत्मा के यतार्थ का ज्ञान होता है। उसी क्रम में अब इस श्लोक में कह रहे हैं की निषेध करने का अर्थ होता है किसी वास्तु को अनित्य एवं आसार देखना। अपने स्थूल शरीर से लेकर अविद्या रुपी कारण शरीर तक समस्त उपाधियों को सबको स्पष्टता से देखें की ये सब दृश्य हैं, अतः इनमे भी अन्य दृश्य पदार्थों के सभी धर्म विद्यमान हैं। अपने शरीरों को ऐसे देखने पर स्वतः उनका निषेध हो जाता है, और तब हम आत्मा को ब्रह्म जान सकते हैं। अगर कल्पनाएं मन की गहराईयों में बनी रहती हैं तब अपने को ब्रह्म बोलना जाग्रति में पर्यवसित नहीं होता है।
#Atmabodha
।।आत्मबोधः।।
Atmabodha, meaning Self-knowledge or Self-awareness, is an exceptionally lucid and readable work of Shankaracharya. Consisting of sixty-eight verses or shlokas, it is in a sense a simple summary of his entire Vedantic structure of thought, intended, it would seem, as a basic primer for his students and followers. The text follows a clearly elaborated doctrine, starting with knowledge as a key to liberation, the nautre of the Atman within us, the assertion of the pervasive and attribute-less nature of Brahman, and the path towards the realisation of the complete identity between the Atman and Brahman.
आविद्यकं शरीरादि दृश्यं बुद्बुदवत्क्षरम्।
एतद्विलक्षणं विद्यादहं ब्रह्मेति निर्मलम्।।31।।
31. The body, etc., up to the “Causal Body” – Ignorance – which are objects perceived, are as perishable as bubbles. Realise through discrimination that I am the’Pure Brahman’ ever completely separate from all these.
आत्म-बोध ऑनलाइन क्लास - 31:
आत्म-बोध के 31st श्लोक में आचार्यश्री हमें बता रहे हैं की पिछले श्लोक में हमने बताया था की अपनी उपाधियों के बारे में महत्त्व-बुद्धि का निषेध करने के बाद आत्मा के यतार्थ का ज्ञान होता है। उसी क्रम में अब इस श्लोक में कह रहे हैं की निषेध करने का अर्थ होता है किसी वास्तु को अनित्य एवं आसार देखना। अपने स्थूल शरीर से लेकर अविद्या रुपी कारण शरीर तक समस्त उपाधियों को सबको स्पष्टता से देखें की ये सब दृश्य हैं, अतः इनमे भी अन्य दृश्य पदार्थों के सभी धर्म विद्यमान हैं। अपने शरीरों को ऐसे देखने पर स्वतः उनका निषेध हो जाता है, और तब हम आत्मा को ब्रह्म जान सकते हैं। अगर कल्पनाएं मन की गहराईयों में बनी रहती हैं तब अपने को ब्रह्म बोलना जाग्रति में पर्यवसित नहीं होता है।
#Atmabodha
March 3, 2022
@samskrt_samvadah संलापशाला - A Samskrit Voicechat room.
कालावधिः : 45 निमेषाः
समयः : IST 11:00 AM 🕚
विषयः :संस्कृतकथा,सुभाषितम्,
हास्यकणिका..... इत्यादयः
दिनाङ्कः : 04th March 2022,
शुक्रवासरः
Please Join the voicechat on time.
Voicechat would be recorded and shared on this channel.⏺
😇 यदि शक्येत चेत् संस्कृतेन (संस्कृतकथां, सुभाषितं, हास्यकणिकां ,स्वस्य कञ्चित् उत्तमम् अनुभवं ,प्रेरकप्रसङ्गं ,लौकिकन्यायं वा वदन्तु) । चर्चार्थं कृपया पूर्वसिद्धतां कृत्वा आगच्छन्तु।
वयं युष्माकं प्रतीक्षां कुर्मः। 😇
स्मारणतंत्रिकां स्थापयतु⏰
👇🏼👇🏼👇🏼👇🏼👇🏼
https://t.me/samskrt_samvadah?voicechat
कालावधिः : 45 निमेषाः
समयः : IST 11:00 AM 🕚
विषयः :संस्कृतकथा,सुभाषितम्,
हास्यकणिका..... इत्यादयः
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शुक्रवासरः
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March 3, 2022
March 3, 2022
🍃
♦️ahaM hi sarvayaj~naanaaM bhoktaa cha prabhureva cha|
na tu maamabhijaananti tattvenaatashchyavanti te9.24
⚜Because I alone am the enjoyer of all Yajna, and the Lord. But, people do not know My true transcendental nature. Therefore, they fall (into the repeated cycles of birth and death). (9.24)
⚜क्योंकि सब यज्ञों का भोक्ता और स्वामी मैं ही हूँ परन्तु वे मुझे तत्त्वत नहीं जानते हैं इसलिए वे गिरते हैं अर्थात् संसार को प्राप्त होते हैं।।9.24।।
#geeta
अहं हि सर्वयज्ञानां भोक्ता च प्रभुरेव च।
न तु मामभिजानन्ति तत्त्वेनातश्च्यवन्ति ते
।।9.24।।♦️ahaM hi sarvayaj~naanaaM bhoktaa cha prabhureva cha|
na tu maamabhijaananti tattvenaatashchyavanti te
⚜Because I alone am the enjoyer of all Yajna, and the Lord. But, people do not know My true transcendental nature. Therefore, they fall (into the repeated cycles of birth and death). (9.24)
⚜क्योंकि सब यज्ञों का भोक्ता और स्वामी मैं ही हूँ परन्तु वे मुझे तत्त्वत नहीं जानते हैं इसलिए वे गिरते हैं अर्थात् संसार को प्राप्त होते हैं।।9.24।।
#geeta
March 3, 2022
March 3, 2022
March 3, 2022
🍃
♦️yaanti devavrataa devaan pitRRi़nyaanti pitRRivrataaH|
bhuutaani yaanti bhuutejyaa yaanti madyaajino'pi maam9.25
⚜Worshippers of the demigods go to the demigods, the worshippers of the ancestors go to the ancestors, and the worshippers of the ghosts go to the ghosts, but My devotees come to Me (and are not born again). (See also 8.16) (9.25)
⚜देवताओं के पूजक देवताओं को प्राप्त होते हैं पितरपूजक पितरों को जाते हैं भूतों का यजन करने वाले भूतों को प्राप्त होते हैं और मुझे पूजने वाले भक्त मुझे ही प्राप्त होते हैं।।9.25।।
#geeta
यान्ति देवव्रता देवान् पितृ़न्यान्ति पितृव्रताः।
भूतानि यान्ति भूतेज्या यान्ति मद्याजिनोऽपि माम्
।।9.25।।♦️yaanti devavrataa devaan pitRRi़nyaanti pitRRivrataaH|
bhuutaani yaanti bhuutejyaa yaanti madyaajino'pi maam
⚜Worshippers of the demigods go to the demigods, the worshippers of the ancestors go to the ancestors, and the worshippers of the ghosts go to the ghosts, but My devotees come to Me (and are not born again). (See also 8.16) (9.25)
⚜देवताओं के पूजक देवताओं को प्राप्त होते हैं पितरपूजक पितरों को जाते हैं भूतों का यजन करने वाले भूतों को प्राप्त होते हैं और मुझे पूजने वाले भक्त मुझे ही प्राप्त होते हैं।।9.25।।
#geeta
March 3, 2022
@samskrt_samvadah is starting Narayaneeyam Classes.
विषय — नारायणीयं गायनं (How to recite Narayaneeyam)
शिक्षिका — ललिता विश्वनाथन्
Time — 9AM🕘 (Indian time)
Date —4th March, Friday
Please come with hard copy or soft copy of Narayaneeyam on time.
Set a reminder.
https://t.me/samskrt_samvadah?voicechat
#Narayaneeyam
विषय — नारायणीयं गायनं (How to recite Narayaneeyam)
शिक्षिका — ललिता विश्वनाथन्
Time — 9AM🕘 (Indian time)
Date —4th March, Friday
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#Narayaneeyam
March 3, 2022
Forwarded from संस्कृत संवादः । Sanskrit Samvadah (Bhavani Raman)
Telegram
संस्कृत संवादः (Sanskrit Samvadah)
Narayaneeyam
March 3, 2022
🚩जय सत्य सनातन🚩
🚩आज की हिंदी तिथि
🌥 🚩यगाब्द-५१२३
🌥 🚩विक्रम संवत-२०७८
⛅️ 🚩तिथि - द्वितीया रात्रि 08:45 तक तत्पश्चात तृतीया
⛅️ दिनांक - 04 मार्च 2022
⛅️ दिन - शुक्रवार
⛅️ शक संवत -1943
⛅️ अयन - उत्तरायण
⛅️ ऋतु - वसंत ऋतु
⛅️ मास - फाल्गुन
⛅️ पक्ष - शुक्ल
⛅️ नक्षत्र - उत्तर भाद्रपद 05 मार्च रात्रि 01:52 तक तत्पश्चात रेवती
⛅️ योग - शुभ 05 मार्च रात्रि 01:45 तक तत्पश्चात शुक्ल
⛅️ राहुकाल - सुबह 11:22 से दोपहर 12:51 तक
⛅️ सर्योदय - 06:58
⛅️ सर्यास्त - 18:42
⛅️ दिशाशूल - पश्चिम दिशा में
🚩आज की हिंदी तिथि
🌥 🚩यगाब्द-५१२३
🌥 🚩विक्रम संवत-२०७८
⛅️ 🚩तिथि - द्वितीया रात्रि 08:45 तक तत्पश्चात तृतीया
⛅️ दिनांक - 04 मार्च 2022
⛅️ दिन - शुक्रवार
⛅️ शक संवत -1943
⛅️ अयन - उत्तरायण
⛅️ ऋतु - वसंत ऋतु
⛅️ मास - फाल्गुन
⛅️ पक्ष - शुक्ल
⛅️ नक्षत्र - उत्तर भाद्रपद 05 मार्च रात्रि 01:52 तक तत्पश्चात रेवती
⛅️ योग - शुभ 05 मार्च रात्रि 01:45 तक तत्पश्चात शुक्ल
⛅️ राहुकाल - सुबह 11:22 से दोपहर 12:51 तक
⛅️ सर्योदय - 06:58
⛅️ सर्यास्त - 18:42
⛅️ दिशाशूल - पश्चिम दिशा में
March 3, 2022
March 3, 2022
@samskrt_samvadah संलापशाला - A Samskrit Voicechat room.
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शुक्रवासरः
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March 3, 2022
Forwarded from रामदूतः — The Sanskrit News Platform
https://youtu.be/Q95OoR4fyio
Switch to DD News daily at 7:15 AM (Morning) for 15 minutes Sanskrit news.
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YouTube
वार्ता :संस्कृत भाषा में देखिए सुबह की तमाम अहम ख़बरें बुलेटिन
DD News is India’s
24x7 news channel from the stable of the country’s Public Service
Broadcaster, Prasar Bharati. It has the distinction of being India’s
only terrestrial cum satellite News Channel. Launched in 2003, DD News
has made a name for itself to…
March 3, 2022
March 3, 2022
March 3, 2022
March 3, 2022
March 3, 2022
उत्तमे तु क्षणं कोपो मध्यमे घटिकाद्वयम् ।
अधमे स्यादहोरात्रं चाण्डाले मरणान्तिकः ॥
कोप: उत्तमे तु क्षणं = Anger stays in great people for a moment
मध्यमे घटिका+द्वयम् = in the mediocre people, for 2 hours
अधमे स्यात्+अहोरात्रं = in lowly people, probably for a day and night
चाण्डाले मरण+अन्तिकः = For the outcast, it is till the end of life
#Subhashitam
अधमे स्यादहोरात्रं चाण्डाले मरणान्तिकः ॥
कोप: उत्तमे तु क्षणं = Anger stays in great people for a moment
मध्यमे घटिका+द्वयम् = in the mediocre people, for 2 hours
अधमे स्यात्+अहोरात्रं = in lowly people, probably for a day and night
चाण्डाले मरण+अन्तिकः = For the outcast, it is till the end of life
#Subhashitam
March 3, 2022
March 3, 2022
March 4, 2022
बालाः दुर्गं _______ _________।
Anonymous Quiz
12%
स्वच्छं, करोति।
68%
स्वच्छं, कुर्वन्ति।
1%
स्वच्छः, कुरुते
20%
स्वच्छतां , कुर्वन्ति।
March 4, 2022
March 4, 2022
संस्कृत संवादः । Sanskrit Samvadah
(हेतु
= कारणवाची शब्दों में पंचमी तथा तृतीया दोनों का प्रयोग होता है।)
गुणात् शुकः पञ्जरे बध्यते, तस्माद् गुणाः गोपनीयाः = गुण के कारण तोता
पिंजरे में बांध दिया जाता है इसलिए गुणों को छिपाकर रखना चाहिए। गुणैः
गुणी उच्यते = गुणों के कारण से मनुष्य…
लालनाद् बहवो दोषास्ताडनाद् बहवो गुणाः।
तस्मात्पुत्रं च शिष्यं च ताडयेन्न तु लालयेत्
= लाड-प्यार से बच्चों में अनेकों दोष उत्पन्न हो जाते हैं और दण्ड देने से अनेक गुण उत्पन्न होते हैं, अतः बच्चों को व शिष्यों को (उचित) ताड़न करना चाहिए, (अनुचित) लाड़ नहीं करना चाहिए।
दिवसेनैव तत्कुर्याद् येन रात्रौ सुखं वसेत्।
अष्टमासेन तत्कुर्याद् येन वर्षाः सुखं वसेत्।।
पूर्वे वयसि तत्कुर्याद् येन वृद्धः सुखं वसेत्।
यावज्जीवने तत्कुर्याद् येन प्रेत्य सुखं वसेत्।।
= मनुष्य को चाहिए कि दिन में ऐसा काम करे, जिससे रात को सुख की नीन्द सोवे। आठ महिनों में ऐसा प्रयत्न करे जिससे वर्षा ऋतु में सुखपूर्वक रह सके। आयु के पूर्वार्द्ध में ऐसा काम करे जिससे वृद्धावस्था में सुखपूर्वक रह सके। और जीवनभर ऐसा काम करे जिससे परलोक में सुख से रह सके।
अतिरूपेण वै सीता अतिगर्वेण रावणः।
अतिदानाद् बलिर्बद्धस्तस्मादतिं विवर्जयेत्।।
= अत्यधिक सौंदर्य के कारण सीता का अपहरण हुआ, अतिगर्व के कारण रावण मारा गया, अतिदान देने के कारण बलि बन्धन में पड़ा अतः अति का त्याग करना चाहिए।
अपूर्वः कोऽपि कोशोऽयं विद्यते तव भारती।
व्ययतो वृद्धिमायाति क्षयतामायाति सञ्चयात्।।
= हे विद्यादेवी तेरा कोश अद्भुत है, व्यय करने से बढ़ता है और संचय करने से घटता है।
कुभोज्येन दिनं नष्टं कुकलत्रेण शर्वरी।
कुपुत्रेण कुलं नष्टं तन्नष्टं यन्न दीयते।।
= कुभोजन से दिन कुपत्नी से रात और कुपुत्र से कुल नष्ट हो जाता है तथा जो नहीं दिया गया वह धन भी नष्ट हो जाता है।
अभ्यासाद् धार्यते विद्या कुलं शीलेन धार्यते।
गुणेन ज्ञायते त्वार्यः कोपो नेत्रेण गम्यते।।
= निरन्तर अभ्यास से विद्या स्थिर रहती है, शील उत्तम गुण-कर्म-स्वभाव से कुल का विस्तार होता है। आर्य की पहचान श्रेष्ठ गुण से होती है और क्रोध आंख से जाना जाता है।
धर्मादर्थः प्रभवति धर्मात्प्रभवते सुखम्।
धर्मेण लभते सर्वं धर्मसारमिदं जगत्।।
= धर्म से धन प्राप्त होता है और धर्म से सुख भी। धर्म से ही सब कुछ मिलता है, इस संसार में धर्म ही सार है।
ऊर्ध्वबाहुर्विरौम्येष न च कश्चिच्छृणोति मे।
धर्मादर्थश्च कामश्च स किमर्थं न सेव्यते।।
= मैं दोनों भुजाएं ऊपर उठा कर पुकार-पुकार कर कह रहा हूं किन्तु मेरी बात कोई नहीं सुनता। (धर्म से मोक्ष तो मिलता ही है) अर्थ और काम भी धर्म से ही सिद्ध होते हैं, फिर भी लोग उसका सेवन नहीं करते।
भयादस्याग्निस्तपति भयाच्च तपति सूर्यः।
भयादिन्द्रश्च वायुश्च मृत्युर्धावति पञ्चमः।।
= परमेश्वर के भय से (नियम से) अग्नि तप रहा है। उसी के भय से सूर्य भी तप रहा है। विद्युत् और वायु भी उसके भय से चलते हैं। मृत्यु भी उसी के शासन से भागता फिरता है।
अत्यम्बुपानान्न विपच्यतेऽन्नं निरम्बुपानाच्च स एव दोषः।
तस्मान्नरो वह्निविवर्धनाय मुहुर्मुर्वारि पिबेदभूरि।।
= अधिक पानी पीने से अन्न का पाचन ठीक नहीं होता और बिलकुल पानी न पीने से भी वही दोष होता है अतः जठराग्नि को प्रदीप्त करने के लिए मनुष्य को भोजन के मध्य बार-बार थोड़ा-थोड़ा पानी पीना चाहिए।
#vakyabhyas
तस्मात्पुत्रं च शिष्यं च ताडयेन्न तु लालयेत्
= लाड-प्यार से बच्चों में अनेकों दोष उत्पन्न हो जाते हैं और दण्ड देने से अनेक गुण उत्पन्न होते हैं, अतः बच्चों को व शिष्यों को (उचित) ताड़न करना चाहिए, (अनुचित) लाड़ नहीं करना चाहिए।
दिवसेनैव तत्कुर्याद् येन रात्रौ सुखं वसेत्।
अष्टमासेन तत्कुर्याद् येन वर्षाः सुखं वसेत्।।
पूर्वे वयसि तत्कुर्याद् येन वृद्धः सुखं वसेत्।
यावज्जीवने तत्कुर्याद् येन प्रेत्य सुखं वसेत्।।
= मनुष्य को चाहिए कि दिन में ऐसा काम करे, जिससे रात को सुख की नीन्द सोवे। आठ महिनों में ऐसा प्रयत्न करे जिससे वर्षा ऋतु में सुखपूर्वक रह सके। आयु के पूर्वार्द्ध में ऐसा काम करे जिससे वृद्धावस्था में सुखपूर्वक रह सके। और जीवनभर ऐसा काम करे जिससे परलोक में सुख से रह सके।
अतिरूपेण वै सीता अतिगर्वेण रावणः।
अतिदानाद् बलिर्बद्धस्तस्मादतिं विवर्जयेत्।।
= अत्यधिक सौंदर्य के कारण सीता का अपहरण हुआ, अतिगर्व के कारण रावण मारा गया, अतिदान देने के कारण बलि बन्धन में पड़ा अतः अति का त्याग करना चाहिए।
अपूर्वः कोऽपि कोशोऽयं विद्यते तव भारती।
व्ययतो वृद्धिमायाति क्षयतामायाति सञ्चयात्।।
= हे विद्यादेवी तेरा कोश अद्भुत है, व्यय करने से बढ़ता है और संचय करने से घटता है।
कुभोज्येन दिनं नष्टं कुकलत्रेण शर्वरी।
कुपुत्रेण कुलं नष्टं तन्नष्टं यन्न दीयते।।
= कुभोजन से दिन कुपत्नी से रात और कुपुत्र से कुल नष्ट हो जाता है तथा जो नहीं दिया गया वह धन भी नष्ट हो जाता है।
अभ्यासाद् धार्यते विद्या कुलं शीलेन धार्यते।
गुणेन ज्ञायते त्वार्यः कोपो नेत्रेण गम्यते।।
= निरन्तर अभ्यास से विद्या स्थिर रहती है, शील उत्तम गुण-कर्म-स्वभाव से कुल का विस्तार होता है। आर्य की पहचान श्रेष्ठ गुण से होती है और क्रोध आंख से जाना जाता है।
धर्मादर्थः प्रभवति धर्मात्प्रभवते सुखम्।
धर्मेण लभते सर्वं धर्मसारमिदं जगत्।।
= धर्म से धन प्राप्त होता है और धर्म से सुख भी। धर्म से ही सब कुछ मिलता है, इस संसार में धर्म ही सार है।
ऊर्ध्वबाहुर्विरौम्येष न च कश्चिच्छृणोति मे।
धर्मादर्थश्च कामश्च स किमर्थं न सेव्यते।।
= मैं दोनों भुजाएं ऊपर उठा कर पुकार-पुकार कर कह रहा हूं किन्तु मेरी बात कोई नहीं सुनता। (धर्म से मोक्ष तो मिलता ही है) अर्थ और काम भी धर्म से ही सिद्ध होते हैं, फिर भी लोग उसका सेवन नहीं करते।
भयादस्याग्निस्तपति भयाच्च तपति सूर्यः।
भयादिन्द्रश्च वायुश्च मृत्युर्धावति पञ्चमः।।
= परमेश्वर के भय से (नियम से) अग्नि तप रहा है। उसी के भय से सूर्य भी तप रहा है। विद्युत् और वायु भी उसके भय से चलते हैं। मृत्यु भी उसी के शासन से भागता फिरता है।
अत्यम्बुपानान्न विपच्यतेऽन्नं निरम्बुपानाच्च स एव दोषः।
तस्मान्नरो वह्निविवर्धनाय मुहुर्मुर्वारि पिबेदभूरि।।
= अधिक पानी पीने से अन्न का पाचन ठीक नहीं होता और बिलकुल पानी न पीने से भी वही दोष होता है अतः जठराग्नि को प्रदीप्त करने के लिए मनुष्य को भोजन के मध्य बार-बार थोड़ा-थोड़ा पानी पीना चाहिए।
#vakyabhyas
March 4, 2022
March 4, 2022
नमो नमः
(०४ मार्च २०२१)साप्ताहिकमेलनस्य कृते अधोलिखिता योजना अस्ति।
🌼
सायंकाले ६:०० - ६ :०५ - ध्येयमन्त्रम्
( *पुरुषोत्तम पाठक महोदय )*
🌼
६:०५-६:१०- श्लोकः( *अजय द्रविड महोदय)*
🌼
६:१०-६:२०-कथा *"( * डा नीता सरोजिनी महोदया* * )
🌼
६:२०- ६:२५- गीतम्(सहाना भगिनी)
🌼
६:२५-६:४०-कोष पठनम्( *हेमा भगिनी* )
🌼
६.४०- ६:४५-नूतनानां परिचयः
🌼
६:४५-७:०० - मासिक गीतम् *(जनार्दन आचार्यः*/हेमा भगिनी)
🌼
७:००-७:१०- प्रश्न मञ्चः
( *सहाना राव भगिनी)**
🌼
७:१०-७:२०-लघु रूपकम्-(मदन मोहन महोदय,ललिताभगिनी, अपेक्षा भगिनी)
🌼
७:२०-७:२५-मार्गदर्शनं सूचना च
🌼
७:२५ -७:३०एकात्मता मंत्रम् *( * पुरुषोत्तम पाठक महोदय)* *
*सर्वे निश्चयेन आगच्छन्तु*
*All are invited. No eligibility.*
*सर्वे निश्चयेन आगच्छन्तु*
*All are invited.
meet.google.com/mwz-thdc-kgt
(०४ मार्च २०२१)साप्ताहिकमेलनस्य कृते अधोलिखिता योजना अस्ति।
🌼
सायंकाले ६:०० - ६ :०५ - ध्येयमन्त्रम्
( *पुरुषोत्तम पाठक महोदय )*
🌼
६:०५-६:१०- श्लोकः( *अजय द्रविड महोदय)*
🌼
६:१०-६:२०-कथा *"( * डा नीता सरोजिनी महोदया* * )
🌼
६:२०- ६:२५- गीतम्(सहाना भगिनी)
🌼
६:२५-६:४०-कोष पठनम्( *हेमा भगिनी* )
🌼
६.४०- ६:४५-नूतनानां परिचयः
🌼
६:४५-७:०० - मासिक गीतम् *(जनार्दन आचार्यः*/हेमा भगिनी)
🌼
७:००-७:१०- प्रश्न मञ्चः
( *सहाना राव भगिनी)**
🌼
७:१०-७:२०-लघु रूपकम्-(मदन मोहन महोदय,ललिताभगिनी, अपेक्षा भगिनी)
🌼
७:२०-७:२५-मार्गदर्शनं सूचना च
🌼
७:२५ -७:३०एकात्मता मंत्रम् *( * पुरुषोत्तम पाठक महोदय)* *
*सर्वे निश्चयेन आगच्छन्तु*
*All are invited. No eligibility.*
*सर्वे निश्चयेन आगच्छन्तु*
*All are invited.
meet.google.com/mwz-thdc-kgt
March 4, 2022
।।श्रीः।।
।।आत्मबोधः।।
Atmabodha, meaning Self-knowledge or Self-awareness, is an exceptionally lucid and readable work of Shankaracharya. Consisting of sixty-eight verses or shlokas, it is in a sense a simple summary of his entire Vedantic structure of thought, intended, it would seem, as a basic primer for his students and followers. The text follows a clearly elaborated doctrine, starting with knowledge as a key to liberation, the nautre of the Atman within us, the assertion of the pervasive and attribute-less nature of Brahman, and the path towards the realisation of the complete identity between the Atman and Brahman.
देहान्यत्वान्न मे जन्मजराकार्श्यलयादयः।
शब्दादिविषयैः सङ्गो निरिन्द्रियतया न च।।32।।
32. I am other than the body and so I am free from changes such as birth, wrinkling, senility, death, etc. I have nothing to do with the sense objects such as sound and taste, for I am without the sense-organs.
आत्म-बोध ऑनलाइन क्लास - 32:
आत्म-बोध के 32nd श्लोक में आचार्यश्री हमें बता रहे हैं की पिछले श्लोक में हमने देखा की आत्मा के ऊपर से आत्मा का जो अध्यारोप हुआ है हमें मात्र उसका निषेध करना होता है - और मुक्ति प्राप्त हो जाती है। अब यहाँ इस श्लोक में कह रहे हैं की अनात्मा के निषेध के साथ-साथ अभी तक जो इसके साथ सम्बन्ध रहा था उसके कारण अनात्मा के अनेकानेक धर्म हमारे दिल और दिमाग में विद्यमान होते हैं - उन्हें भी दूर करना होता है। इस श्लोक में देह और इन्द्रिय की चर्चा करते हैं। जब हम देह नहीं हैं तब इसके विविध धर्म भी हमारे नहीं हैं। देह के धर्म - अर्थात जन्म, वृद्धि, बीमारी, बुढ़ापा और मृत्यु। इन सब की खुशियां और पीड़ाएँ हम लोगों के दिलोदिमाग में बैठ गयी हैं। हमें यह देखना चाहिए की ये सब हमारे नहीं हैं। किसी का जन्म जरूर होता है, लेकिन हमारा नहीं। अतः हमें इन दोनों को बहुत स्पष्टता से देखना होगा। उसी तरह से हम इन्द्रियां नहीं है, अतः विषयों के साथ हमारा कोई भी संग नहीं है - यह विषयों के मध्य में रहते हुए देखना होगा।
#Atmabodha
।।आत्मबोधः।।
Atmabodha, meaning Self-knowledge or Self-awareness, is an exceptionally lucid and readable work of Shankaracharya. Consisting of sixty-eight verses or shlokas, it is in a sense a simple summary of his entire Vedantic structure of thought, intended, it would seem, as a basic primer for his students and followers. The text follows a clearly elaborated doctrine, starting with knowledge as a key to liberation, the nautre of the Atman within us, the assertion of the pervasive and attribute-less nature of Brahman, and the path towards the realisation of the complete identity between the Atman and Brahman.
देहान्यत्वान्न मे जन्मजराकार्श्यलयादयः।
शब्दादिविषयैः सङ्गो निरिन्द्रियतया न च।।32।।
32. I am other than the body and so I am free from changes such as birth, wrinkling, senility, death, etc. I have nothing to do with the sense objects such as sound and taste, for I am without the sense-organs.
आत्म-बोध ऑनलाइन क्लास - 32:
आत्म-बोध के 32nd श्लोक में आचार्यश्री हमें बता रहे हैं की पिछले श्लोक में हमने देखा की आत्मा के ऊपर से आत्मा का जो अध्यारोप हुआ है हमें मात्र उसका निषेध करना होता है - और मुक्ति प्राप्त हो जाती है। अब यहाँ इस श्लोक में कह रहे हैं की अनात्मा के निषेध के साथ-साथ अभी तक जो इसके साथ सम्बन्ध रहा था उसके कारण अनात्मा के अनेकानेक धर्म हमारे दिल और दिमाग में विद्यमान होते हैं - उन्हें भी दूर करना होता है। इस श्लोक में देह और इन्द्रिय की चर्चा करते हैं। जब हम देह नहीं हैं तब इसके विविध धर्म भी हमारे नहीं हैं। देह के धर्म - अर्थात जन्म, वृद्धि, बीमारी, बुढ़ापा और मृत्यु। इन सब की खुशियां और पीड़ाएँ हम लोगों के दिलोदिमाग में बैठ गयी हैं। हमें यह देखना चाहिए की ये सब हमारे नहीं हैं। किसी का जन्म जरूर होता है, लेकिन हमारा नहीं। अतः हमें इन दोनों को बहुत स्पष्टता से देखना होगा। उसी तरह से हम इन्द्रियां नहीं है, अतः विषयों के साथ हमारा कोई भी संग नहीं है - यह विषयों के मध्य में रहते हुए देखना होगा।
#Atmabodha
March 4, 2022
March 4, 2022
@samskrt_samvadah संलापशाला - A Samskrit Voicechat room.
कालावधिः : 45 निमेषाः
समयः : IST 11:00 AM 🕚
विषयः : मतदानम्
(Polling)
दिनाङ्कः : 05th March 2022,
शनिवासरः
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😇 यदि शक्येत चेत् संस्कृतेन(स्वमतदानं कस्मै किं दृष्ट्वा च कर्तव्यं,अस्माकं नेतारः कीदृशाः भवेयुः, मतदानस्य महत्त्वं किम्।) चर्चार्थं कृपया पूर्वसिद्धतां कृत्वा आगच्छन्तु।
वयं युष्माकं प्रतीक्षां कुर्मः। 😇
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March 4, 2022
March 4, 2022
🍃
♦️patraM puShpaM phalaM toyaM yo me bhaktyaa prayachChati|
tadahaM bhaktyupahRRitamashnaami prayataatmanaH9.26
⚜Whosoever offers Me a leaf, a flower, a fruit, or water with devotion; I accept and eat the offering of devotion by the pure-hearted. (9.26)
⚜जो कोई भी भक्त मेरे लिए पत्र पुष्प फल जल आदि भक्ति से अर्पण करता है उस शुद्ध मन के भक्त का वह भक्तिपूर्वक अर्पण किया हुआ (पत्र पुष्पादि) मैं भोगता हूँ अर्थात् स्वीकार करता हूँ।।9.26।।
#geeta
पत्रं पुष्पं फलं तोयं यो मे भक्त्या प्रयच्छति।
तदहं भक्त्युपहृतमश्नामि प्रयतात्मनः
।।9.26।।♦️patraM puShpaM phalaM toyaM yo me bhaktyaa prayachChati|
tadahaM bhaktyupahRRitamashnaami prayataatmanaH
⚜Whosoever offers Me a leaf, a flower, a fruit, or water with devotion; I accept and eat the offering of devotion by the pure-hearted. (9.26)
⚜जो कोई भी भक्त मेरे लिए पत्र पुष्प फल जल आदि भक्ति से अर्पण करता है उस शुद्ध मन के भक्त का वह भक्तिपूर्वक अर्पण किया हुआ (पत्र पुष्पादि) मैं भोगता हूँ अर्थात् स्वीकार करता हूँ।।9.26।।
#geeta
March 4, 2022
March 4, 2022
🍃
♦️yatkaroShi yadashnaasi yajjuhoShi dadaasi yat|
yattapasyasi kaunteya tatkuruShva madarpaNam9.27
⚜O Arjuna, whatever you do, whatever you eat, whatever you offer as oblation to the sacred fire, whatever charity you give, whatever austerity you perform, do all that as an offering unto Me. (See also 12.10, 18.46) (9.27)
⚜हे कौन्तेय तुम जो कुछ कर्म करते हो जो कुछ खाते हो जो कुछ हवन करते हो जो कुछ दान देते हो और जो कुछ तप करते हो वह सब तुम मुझे अर्पण करो।।9.27।।
#geeta
यत्करोषि यदश्नासि यज्जुहोषि ददासि यत्।
यत्तपस्यसि कौन्तेय तत्कुरुष्व मदर्पणम्
।।9.27।।♦️yatkaroShi yadashnaasi yajjuhoShi dadaasi yat|
yattapasyasi kaunteya tatkuruShva madarpaNam
⚜O Arjuna, whatever you do, whatever you eat, whatever you offer as oblation to the sacred fire, whatever charity you give, whatever austerity you perform, do all that as an offering unto Me. (See also 12.10, 18.46) (9.27)
⚜हे कौन्तेय तुम जो कुछ कर्म करते हो जो कुछ खाते हो जो कुछ हवन करते हो जो कुछ दान देते हो और जो कुछ तप करते हो वह सब तुम मुझे अर्पण करो।।9.27।।
#geeta
March 4, 2022
🚩जय सत्य सनातन🚩
🚩आज की हिंदी तिथि
🌥️ 🚩युगाब्द-५१२३
🌥️ 🚩विक्रम संवत-२०७८
⛅ 🚩तिथि - तृतीया रात्रि 08:35 तक तत्पश्चात चतुर्थी
⛅ दिनांक - 05 मार्च 2022
⛅ दिन - शनिवार
⛅ शक संवत -1943
⛅ अयन - उत्तरायण
⛅ ऋतु - वसंत ऋतु
⛅ मास - फाल्गुन
⛅ पक्ष - कृष्ण
⛅ नक्षत्र - रेवती 06 मार्च रात्रि 02:29 तक तत्पश्चात अश्विनी
⛅ योग - शुक्ल रात्रि 12:36 तक तत्पश्चात ब्रह्म
⛅ राहुकाल - सुबह 09:53 से सुबह 11:22 तक
⛅ सूर्योदय - 06:57
⛅ सूर्यास्त - 18:43
⛅ दिशाशूल - पूर्व दिशा में
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⛅ योग - शुक्ल रात्रि 12:36 तक तत्पश्चात ब्रह्म
⛅ राहुकाल - सुबह 09:53 से सुबह 11:22 तक
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March 4, 2022
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March 4, 2022
Forwarded from रामदूतः — The Sanskrit News Platform
https://youtu.be/nohFftCGTnY
Switch to DD News daily at 7:15 AM (Morning) for 15 minutes Sanskrit news.
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वार्ता :संस्कृत भाषा में देखिए सुबह की तमाम अहम ख़बरें बुलेटिन
DD News is India’s
24x7 news channel from the stable of the country’s Public Service
Broadcaster, Prasar Bharati. It has the distinction of being India’s
only terrestrial cum satellite News Channel. Launched in 2003, DD News
has made a name for itself to…
March 4, 2022
March 4, 2022
March 4, 2022
अन्नदानं परं दानं विद्यदानमतः परम्।
अन्नेन क्षणिका तृप्तिर्यावज्जीवं च विद्यया।।
संस्कृतभावार्थः -
अन्नदानं श्रेष्ठं दानम् अस्ति, अन्नदानात् श्रेष्ठतरं दानं विद्यादानम् अस्ति। यतः अन्नेन किञ्चित् कालं यावत् तृप्तिः भवति। परन्तु विद्यया जीवनपर्यन्तम् अपि तृप्तिः भवति।
#Subhashitam
अन्नेन क्षणिका तृप्तिर्यावज्जीवं च विद्यया।।
संस्कृतभावार्थः -
अन्नदानं श्रेष्ठं दानम् अस्ति, अन्नदानात् श्रेष्ठतरं दानं विद्यादानम् अस्ति। यतः अन्नेन किञ्चित् कालं यावत् तृप्तिः भवति। परन्तु विद्यया जीवनपर्यन्तम् अपि तृप्तिः भवति।
#Subhashitam
March 4, 2022
March 4, 2022
March 4, 2022
कृष्णः _______ उपरि पर्वतम् _________।
Anonymous Quiz
12%
अङ्गुली , उत्तिष्ठति
54%
अङ्गुल्याः, उत्थापयति
23%
अङ्गुलेः, उत्थापयति
11%
अङ्गुल्याः, उत्थाययति
March 5, 2022
March 5, 2022
संस्कृत संवादः । Sanskrit Samvadah
लालनाद्
बहवो दोषास्ताडनाद् बहवो गुणाः। तस्मात्पुत्रं च शिष्यं च ताडयेन्न तु
लालयेत् = लाड-प्यार से बच्चों में अनेकों दोष उत्पन्न हो जाते हैं और
दण्ड देने से अनेक गुण उत्पन्न होते हैं, अतः बच्चों को व शिष्यों को
(उचित) ताड़न करना चाहिए, (अनुचित) लाड़ नहीं करना…
सर्वद्रव्येषु विद्यैव द्रव्यमाहुरनुत्तमम्।
अहार्यत्वादनर्घ्यत्वादक्षयत्वाच्च सर्वदा।।
= चुराया न जाने से, अत्यन्त मूल्यवान होने से, (व्यय करने पर भी कभी भी) नष्ट न होने से विद्या को सब धनों में उत्तम धन माना गया है।
आत्मद्वेषाद् भवेन्मृत्युः परद्वेषाद् धनक्षयः।
राजद्वेषाद् भवेन्नाशो ब्रह्मद्वेषात् कुलक्षयः।।
= स्वयं से द्वेष करने से मृत्यु होती है, अन्यों से द्वेष करने से धन का नाश होता है, राजा से द्वेष करने से अपना नाश होता है और ब्राह्मण से द्वेष करने से कुल का नाश होता है।
सन्तोषादनुत्तमः सुखलाभः
= सन्तोष के धारण करने से सर्वोत्तम सुख मिलता है।
धर्मदानकृतं सौख्यमधर्माद् दुःखसम्भवम्।
तस्माद् धर्मं सुखार्थाय कुर्यात् पापं विवर्जयेत्।।
= धर्म और दान से सुख तथा अधर्म से दुःख होता है, अतः सुख के लिए धर्माचरण करे पाप को सर्वथा त्याग दे।
प्रियवाक्यप्रदानेन तुष्यन्ति सर्व जन्तवः।
तस्मात्तदेव वक्तव्यं वचने का दरिद्रता।।
= प्रिय वचन बोलने से समस्त प्राणी खुश होते हैं, अतः सदा मीठा ही बोलना चाहिए, मधुर वाणी बोलने में कैसी कंजूसी ?
अनभ्यासेन वेदानाम् आचारस्य च वर्जनात्। आलस्यादन्नदोषाच्च मृत्युर्विप्राञ्जिघांसति।।
= वेद का अभ्यास न करने से, आचार का त्याग करने से, आलस्य से और अन्नदोष से ब्राह्मण को मृत्यु मारना चाहती है।
न जातु कामान्न भयान्न लोभाद् धर्मं जह्याज्जीवितस्यापि हेतोः
= कामना (इच्छा), भय और लोभ के कारण तथा प्राणों की रक्षा के लिए भी कभी धर्म का त्याग न करें।
अधर्मोपार्जितैरर्थैः करोत्यौर्ध्वदेहिकम्।
न स तस्य फलं प्रेत्य भुङ्क्तेऽर्थस्य दुरागमात्।।
= जो मनुष्य जन्मान्तर में प्राप्त होनेवाले सुख के उपाय (दान, यज्ञादि कर्म) अधर्म से कमाए हुए धन से सम्पन्न करता है वह उस धन के अनुचित मार्ग से आने के कारण मरने के बाद उन दानादि कर्मों का फल नहीं पाता है।
अप्रशस्तानि कर्याणि यो मोहादनुतिष्ठति।
स तेषां विपरिभ्रंशाद् भ्रंश्यते जीवितादपि।।
= जो पुरुष निन्दित कर्म को मोह के कारण करता है, वह उन कर्मों के दूषित होने से जीवन से भी नष्ट हो जाता है।
#vakyabhyas
अहार्यत्वादनर्घ्यत्वादक्षयत्वाच्च सर्वदा।।
= चुराया न जाने से, अत्यन्त मूल्यवान होने से, (व्यय करने पर भी कभी भी) नष्ट न होने से विद्या को सब धनों में उत्तम धन माना गया है।
आत्मद्वेषाद् भवेन्मृत्युः परद्वेषाद् धनक्षयः।
राजद्वेषाद् भवेन्नाशो ब्रह्मद्वेषात् कुलक्षयः।।
= स्वयं से द्वेष करने से मृत्यु होती है, अन्यों से द्वेष करने से धन का नाश होता है, राजा से द्वेष करने से अपना नाश होता है और ब्राह्मण से द्वेष करने से कुल का नाश होता है।
सन्तोषादनुत्तमः सुखलाभः
= सन्तोष के धारण करने से सर्वोत्तम सुख मिलता है।
धर्मदानकृतं सौख्यमधर्माद् दुःखसम्भवम्।
तस्माद् धर्मं सुखार्थाय कुर्यात् पापं विवर्जयेत्।।
= धर्म और दान से सुख तथा अधर्म से दुःख होता है, अतः सुख के लिए धर्माचरण करे पाप को सर्वथा त्याग दे।
प्रियवाक्यप्रदानेन तुष्यन्ति सर्व जन्तवः।
तस्मात्तदेव वक्तव्यं वचने का दरिद्रता।।
= प्रिय वचन बोलने से समस्त प्राणी खुश होते हैं, अतः सदा मीठा ही बोलना चाहिए, मधुर वाणी बोलने में कैसी कंजूसी ?
अनभ्यासेन वेदानाम् आचारस्य च वर्जनात्। आलस्यादन्नदोषाच्च मृत्युर्विप्राञ्जिघांसति।।
= वेद का अभ्यास न करने से, आचार का त्याग करने से, आलस्य से और अन्नदोष से ब्राह्मण को मृत्यु मारना चाहती है।
न जातु कामान्न भयान्न लोभाद् धर्मं जह्याज्जीवितस्यापि हेतोः
= कामना (इच्छा), भय और लोभ के कारण तथा प्राणों की रक्षा के लिए भी कभी धर्म का त्याग न करें।
अधर्मोपार्जितैरर्थैः करोत्यौर्ध्वदेहिकम्।
न स तस्य फलं प्रेत्य भुङ्क्तेऽर्थस्य दुरागमात्।।
= जो मनुष्य जन्मान्तर में प्राप्त होनेवाले सुख के उपाय (दान, यज्ञादि कर्म) अधर्म से कमाए हुए धन से सम्पन्न करता है वह उस धन के अनुचित मार्ग से आने के कारण मरने के बाद उन दानादि कर्मों का फल नहीं पाता है।
अप्रशस्तानि कर्याणि यो मोहादनुतिष्ठति।
स तेषां विपरिभ्रंशाद् भ्रंश्यते जीवितादपि।।
= जो पुरुष निन्दित कर्म को मोह के कारण करता है, वह उन कर्मों के दूषित होने से जीवन से भी नष्ट हो जाता है।
#vakyabhyas
March 5, 2022
March 5, 2022
March 5, 2022
।।श्रीः।।
।।आत्मबोधः।।
Atmabodha, meaning Self-knowledge or Self-awareness, is an exceptionally lucid and readable work of Shankaracharya. Consisting of sixty-eight verses or shlokas, it is in a sense a simple summary of his entire Vedantic structure of thought, intended, it would seem, as a basic primer for his students and followers. The text follows a clearly elaborated doctrine, starting with knowledge as a key to liberation, the nautre of the Atman within us, the assertion of the pervasive and attribute-less nature of Brahman, and the path towards the realisation of the complete identity between the Atman and Brahman.
अमनस्त्वान्न मे दुःखरागद्वेषभयादयः।
अप्राणो ह्यमनाः शुभ्र इत्यादिश्रुतिशासनात्।।33।।
33. I am other than the mind and hence, I am free from sorrow, attachment, malice and fear, for “HE is without breath and without mind, Pure, etc.”, is the Commandment of the great scripture, the Upanishads.
आत्म-बोध ऑनलाइन क्लास - 33:
आत्म-बोध के 33rd श्लोक में आचार्यश्री हमें बता रहे हैं की जैसे हम लोगों ने पिछले श्लोक में देखा की अपने आप को शरीर और इन्द्रियों से अलग देखने के कारण उनके धर्म भी हमारे नहीं रहते हैं, उसी प्रकार से अपने को मन से पृथक देखने के कारण मन के भी विकार हमारे नहीं होते हैं। मन के विकार, जैसे दुःख, राग, द्वेष, भय आदि। हम मन नहीं हैं - इस विषय में हम लोगों ने अनेकों युक्तियाँ देखि और अनुभूति भी है, और अब आचार्यश्री यहाँ श्रुति प्रमाण भी देते हैं, की, अप्राणो अमनः शुभ्र - की आत्मा निर्मल और चिन्मयी है, तथा उसमे कोई मन अथवा प्राण नहीं है।
#Atmabodha
।।आत्मबोधः।।
Atmabodha, meaning Self-knowledge or Self-awareness, is an exceptionally lucid and readable work of Shankaracharya. Consisting of sixty-eight verses or shlokas, it is in a sense a simple summary of his entire Vedantic structure of thought, intended, it would seem, as a basic primer for his students and followers. The text follows a clearly elaborated doctrine, starting with knowledge as a key to liberation, the nautre of the Atman within us, the assertion of the pervasive and attribute-less nature of Brahman, and the path towards the realisation of the complete identity between the Atman and Brahman.
अमनस्त्वान्न मे दुःखरागद्वेषभयादयः।
अप्राणो ह्यमनाः शुभ्र इत्यादिश्रुतिशासनात्।।33।।
33. I am other than the mind and hence, I am free from sorrow, attachment, malice and fear, for “HE is without breath and without mind, Pure, etc.”, is the Commandment of the great scripture, the Upanishads.
आत्म-बोध ऑनलाइन क्लास - 33:
आत्म-बोध के 33rd श्लोक में आचार्यश्री हमें बता रहे हैं की जैसे हम लोगों ने पिछले श्लोक में देखा की अपने आप को शरीर और इन्द्रियों से अलग देखने के कारण उनके धर्म भी हमारे नहीं रहते हैं, उसी प्रकार से अपने को मन से पृथक देखने के कारण मन के भी विकार हमारे नहीं होते हैं। मन के विकार, जैसे दुःख, राग, द्वेष, भय आदि। हम मन नहीं हैं - इस विषय में हम लोगों ने अनेकों युक्तियाँ देखि और अनुभूति भी है, और अब आचार्यश्री यहाँ श्रुति प्रमाण भी देते हैं, की, अप्राणो अमनः शुभ्र - की आत्मा निर्मल और चिन्मयी है, तथा उसमे कोई मन अथवा प्राण नहीं है।
#Atmabodha
March 5, 2022
March 5, 2022
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कालावधिः : 45 निमेषाः
समयः : IST 11:00 AM 🕚
विषयः : वन्यजीवाः
(Wildlife)
दिनाङ्कः : 06th March 2022,
रविवासरः
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😇 यदि शक्येत चेत् संस्कृतेन ( किमर्थं वन्यजीवानाम् आवश्यकता वर्तते, तेषाम् उपरि पर्यावरणपरिवर्तनस्य प्रभावः, मनुष्येण तेषाम् उपरि क्रियमाणाः अत्याचाराः।) चर्चार्थं कृपया पूर्वसिद्धतां कृत्वा आगच्छन्तु।
वयं युष्माकं प्रतीक्षां कुर्मः। 😇
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कालावधिः : 45 निमेषाः
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(Wildlife)
दिनाङ्कः : 06th March 2022,
रविवासरः
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😇 यदि शक्येत चेत् संस्कृतेन ( किमर्थं वन्यजीवानाम् आवश्यकता वर्तते, तेषाम् उपरि पर्यावरणपरिवर्तनस्य प्रभावः, मनुष्येण तेषाम् उपरि क्रियमाणाः अत्याचाराः।) चर्चार्थं कृपया पूर्वसिद्धतां कृत्वा आगच्छन्तु।
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March 5, 2022
March 5, 2022
🍃
♦️shubhaashubhaphalairevaM mokShyase karmabandhanaiH|
saMnyaasayogayuktaatmaa vimukto maamupaiShyasi9.28
⚜By this attitude of complete renunciation (or Samnyasa-yoga) you shall be freed from the bondage, good and bad, of Karma. You shall be liberated, and come to Me. (9.28)
⚜इस प्रकार तुम शुभाशुभ फलस्वरूप कर्मबन्धनों से मुक्त हो जाओगे और संन्यासयोग से युक्तचित्त हुए तुम विमुक्त होकर मुझे ही प्राप्त हो जाओगे।।9.28।।
#geeta
शुभाशुभफलैरेवं मोक्ष्यसे कर्मबन्धनैः।
संन्यासयोगयुक्तात्मा विमुक्तो मामुपैष्यसि
।।9.28।।♦️shubhaashubhaphalairevaM mokShyase karmabandhanaiH|
saMnyaasayogayuktaatmaa vimukto maamupaiShyasi
⚜By this attitude of complete renunciation (or Samnyasa-yoga) you shall be freed from the bondage, good and bad, of Karma. You shall be liberated, and come to Me. (9.28)
⚜इस प्रकार तुम शुभाशुभ फलस्वरूप कर्मबन्धनों से मुक्त हो जाओगे और संन्यासयोग से युक्तचित्त हुए तुम विमुक्त होकर मुझे ही प्राप्त हो जाओगे।।9.28।।
#geeta
March 5, 2022
March 5, 2022
🍃
♦️
samo'haM sarvabhuuteShu na me dveShyo'sti na priyaH|
ye bhajanti tu maaM bhaktyaa mayi te teShu chaapyaham9.29
⚜The Self is present equally in all beings. There is no one hateful or dear to Me. But, those who worship Me with devotion, they are with Me and I am also with them. (See also 7.18)
⚜मैं समस्त भूतों में सम हूँ न कोई मुझे अप्रिय है और न प्रिय परन्तु जो मुझे भक्तिपूर्वक भजते हैं वे मुझमें और मैं भी उनमें हूँ।।9.29।।
#geeta
समोऽहं सर्वभूतेषु न मे द्वेष्योऽस्ति न प्रियः।
ये भजन्ति तु मां भक्त्या मयि ते तेषु चाप्यहम्
।।9.29।।♦️
samo'haM sarvabhuuteShu na me dveShyo'sti na priyaH|
ye bhajanti tu maaM bhaktyaa mayi te teShu chaapyaham
⚜The Self is present equally in all beings. There is no one hateful or dear to Me. But, those who worship Me with devotion, they are with Me and I am also with them. (See also 7.18)
⚜मैं समस्त भूतों में सम हूँ न कोई मुझे अप्रिय है और न प्रिय परन्तु जो मुझे भक्तिपूर्वक भजते हैं वे मुझमें और मैं भी उनमें हूँ।।9.29।।
#geeta
March 5, 2022
🚩जय सत्य सनातन🚩
🚩आज की हिंदी तिथि
🌥️ 🚩युगाब्द-५१२३
🌥️ 🚩विक्रम संवत-२०७८
⛅ 🚩तिथि - चतुर्थी रात्रि ०९:११ तक तत्पश्चात पंचमी
⛅ दिनांक - ०६ मार्च २०२२
⛅ दिन - रविवार
⛅ विक्रम संवत - २०७८
⛅ शक संवत -१९४३
⛅ अयन - उत्तरायण
⛅ ऋतु - वसंत ऋतु
⛅ मास - फाल्गुन
⛅ पक्ष - शुक्ल
⛅ नक्षत्र - अश्विनी 03:51 ए. एम. ,मार्च 7 तक तत्पश्चात भरणी
⛅ योग - ब्रह्म 12:01 ए. एम तक तत्पश्चात इन्द्र
⛅ राहुकाल - 05: 17 पी.एम से 06:45 पी.एम तक
⛅ सूर्योदय - 06:57 ए.एम.
⛅ सूर्यास्त - 18:45 पी.एम
⛅ चन्द्रोदय - 9:16 ए.एम.
⛅ चन्द्रोस्त - 10:13 पी.एम
⛅ दिशाशूल - पश्चिम दिशा में
🚩आज की हिंदी तिथि
🌥️ 🚩युगाब्द-५१२३
🌥️ 🚩विक्रम संवत-२०७८
⛅ 🚩तिथि - चतुर्थी रात्रि ०९:११ तक तत्पश्चात पंचमी
⛅ दिनांक - ०६ मार्च २०२२
⛅ दिन - रविवार
⛅ विक्रम संवत - २०७८
⛅ शक संवत -१९४३
⛅ अयन - उत्तरायण
⛅ ऋतु - वसंत ऋतु
⛅ मास - फाल्गुन
⛅ पक्ष - शुक्ल
⛅ नक्षत्र - अश्विनी 03:51 ए. एम. ,मार्च 7 तक तत्पश्चात भरणी
⛅ योग - ब्रह्म 12:01 ए. एम तक तत्पश्चात इन्द्र
⛅ राहुकाल - 05: 17 पी.एम से 06:45 पी.एम तक
⛅ सूर्योदय - 06:57 ए.एम.
⛅ सूर्यास्त - 18:45 पी.एम
⛅ चन्द्रोदय - 9:16 ए.एम.
⛅ चन्द्रोस्त - 10:13 पी.एम
⛅ दिशाशूल - पश्चिम दिशा में
March 5, 2022
@samskrt_samvadah संलापशाला - A Samskrit Voicechat room.
कालावधिः : 45 निमेषाः
समयः : IST 11:00 AM 🕚
विषयः : वन्यजीवाः
(Wildlife)
दिनाङ्कः : 06th March 2022,
रविवासरः
Please Join the voicechat on time.
Voicechat would be recorded and shared on this channel.⏺
😇 यदि शक्येत चेत् संस्कृतेन ( किमर्थं वन्यजीवानाम् आवश्यकता वर्तते, तेषाम् उपरि पर्यावरणपरिवर्तनस्य प्रभावः, मनुष्येण तेषाम् उपरि क्रियमाणाः अत्याचाराः।) चर्चार्थं कृपया पूर्वसिद्धतां कृत्वा आगच्छन्तु।
वयं युष्माकं प्रतीक्षां कुर्मः। 😇
स्मारणतंत्रिकां स्थापयन्तु⏰
👇🏼👇🏼👇🏼👇🏼👇🏼
https://t.me/samskrt_samvadah?voicechat
कालावधिः : 45 निमेषाः
समयः : IST 11:00 AM 🕚
विषयः : वन्यजीवाः
(Wildlife)
दिनाङ्कः : 06th March 2022,
रविवासरः
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😇 यदि शक्येत चेत् संस्कृतेन ( किमर्थं वन्यजीवानाम् आवश्यकता वर्तते, तेषाम् उपरि पर्यावरणपरिवर्तनस्य प्रभावः, मनुष्येण तेषाम् उपरि क्रियमाणाः अत्याचाराः।) चर्चार्थं कृपया पूर्वसिद्धतां कृत्वा आगच्छन्तु।
वयं युष्माकं प्रतीक्षां कुर्मः। 😇
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https://t.me/samskrt_samvadah?voicechat
March 5, 2022
March 5, 2022
https://youtu.be/LgsLyNoAkLw
Switch to DD News daily at 7:15 AM (Morning) for 15 minutes Sanskrit news.
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YouTube
वार्ता: संस्कृत में समाचार | पीएम मोदी आज पुणे मेट्रो का करेंगे उद्घाटन
March 5, 2022
March 5, 2022
ज्योतिषस्य भाषा संस्कृतं पठ्यताम्
Jyotisha Course
Course Description
• This is Introductory Grammar book to learn Jyotisha Text books.
• You should be comfortable in communitive Samskritam as all the videos are explained in Samskrit.
• Terminology from Jyotisha textsare used to teach grammar.
• This is taught in simple Samskrit language.
• Total videos = 49 Total viewing time is around 18:00 hours.
• Write all exercises in a separate workbook and verify it with “uttaradeepika” provided at the end.
Course Details
Duration 4 Months
Lectures 49
Quizzes 38
Level MId-level
Students 80
Language Samskrit
Course Fee INR 500
Course Instructions :
1. Listen to videos repeatedly if you have difficulty first time.
2. By the end of this level, you will be a good in all 4 linguistic skills.
3. Watching every day continuously, gives excellent results.
4. Please attempt self-evaluation questions after every video to understand your grasp.
5. Please use CHAT or WhatsApp or email to put your doubts &questions to a teacher.
6. You can take test at the end.
To enrol Click here
https://www.learnsamskrit.online/course_details?name/=MjY4MDkwMTI5NTEwMg==
#SanskritEducation
Jyotisha Course
Course Description
• This is Introductory Grammar book to learn Jyotisha Text books.
• You should be comfortable in communitive Samskritam as all the videos are explained in Samskrit.
• Terminology from Jyotisha textsare used to teach grammar.
• This is taught in simple Samskrit language.
• Total videos = 49 Total viewing time is around 18:00 hours.
• Write all exercises in a separate workbook and verify it with “uttaradeepika” provided at the end.
Course Details
Duration 4 Months
Lectures 49
Quizzes 38
Level MId-level
Students 80
Language Samskrit
Course Fee INR 500
Course Instructions :
1. Listen to videos repeatedly if you have difficulty first time.
2. By the end of this level, you will be a good in all 4 linguistic skills.
3. Watching every day continuously, gives excellent results.
4. Please attempt self-evaluation questions after every video to understand your grasp.
5. Please use CHAT or WhatsApp or email to put your doubts &questions to a teacher.
6. You can take test at the end.
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#SanskritEducation
March 5, 2022
न तन्मित्रं यस्य कोपाद् बिभेति,
यद् वा मित्रं शङ्कितेनोपचर्यम्।
यस्मिन् मित्रे पितरीवाश्वसीत,
तद् वै मित्रं सङ्गतानीतराणि।।
A friend should be someone you can trust like you can trust your parents. Friendship based on fear or doubt is not real friendship. Everyone else is just an acquaintance.
संस्कृतभावार्थः -
तत् मित्रं नास्ति यस्य कोपात् भयम् अनुभूयते।
तत् अपि मित्रं नास्ति यस्य उपरि संदेहः भवति।
तत् एव मित्रं यस्य उपरि पिता अथवा माता इव विश्वासं कर्तुं शक्यते, अन्ये सर्वे जनाः तु सङ्गतानि / सहचराः भवन्ति।
#Subhashitam
यद् वा मित्रं शङ्कितेनोपचर्यम्।
यस्मिन् मित्रे पितरीवाश्वसीत,
तद् वै मित्रं सङ्गतानीतराणि।।
A friend should be someone you can trust like you can trust your parents. Friendship based on fear or doubt is not real friendship. Everyone else is just an acquaintance.
संस्कृतभावार्थः -
तत् मित्रं नास्ति यस्य कोपात् भयम् अनुभूयते।
तत् अपि मित्रं नास्ति यस्य उपरि संदेहः भवति।
तत् एव मित्रं यस्य उपरि पिता अथवा माता इव विश्वासं कर्तुं शक्यते, अन्ये सर्वे जनाः तु सङ्गतानि / सहचराः भवन्ति।
#Subhashitam
March 5, 2022
March 5, 2022
March 5, 2022
एतौ ________ _________।
Anonymous Quiz
10%
रसगोलाः , खादन्ति
16%
रसगोलकानि, खादन्ति
68%
रसगोलकानि, खादतः
7%
रसगोलकाः, खादन्ति
March 6, 2022
March 6, 2022
संस्कृत संवादः । Sanskrit Samvadah
सर्वद्रव्येषु
विद्यैव द्रव्यमाहुरनुत्तमम्। अहार्यत्वादनर्घ्यत्वादक्षयत्वाच्च सर्वदा।।
= चुराया न जाने से, अत्यन्त मूल्यवान होने से, (व्यय करने पर भी कभी
भी) नष्ट न होने से विद्या को सब धनों में उत्तम धन माना गया है।
आत्मद्वेषाद् भवेन्मृत्युः परद्वेषाद्…
यस्योदकं मधुपर्कं च गां च न मन्त्रवित् प्रति गृह्णाति गेहे। लोभाद् भयादथ कार्पण्यतो वा तस्यानर्थं जीवितमाहुरार्याः।।
= जिस (कृपण) पुरुष के घर में (गृहस्वामी के) लोभ के कारण, भय के कारण अथवा न दिए जाने से जल मधुपर्क गौ आदि को विद्वान् पुरुष ग्रहण नहीं करता, उसका जीना व्यर्थ है ऐसा श्रेष्ठ जन कहते हैं।
ब्राह्मणानां परिभवात् परिवादाच्च भारत।
कुलान्यकुलतां यान्ति न्यासापहरणेन च।।
= हे भरतकुलोत्पन्न धृतराष्ट्र ! ब्राह्मणों की हिंसा करने से, निन्दा करने से और अमानत के अपहरण (खा जाने से) उत्तम कुल भी नीच कुल को प्राप्त हो जाते हैं।
संतापाद् भ्रश्यते रूपं सन्तापाद् भ्रश्यते बलम्। सन्तापाद् भ्रश्यते ज्ञानं सन्तापाद् व्याधिमृच्छति।।
= शोक के कारण रूप, बल तथा स्मृति नष्ट हो जाते हैं और सन्ताप के कारण पुरुष रोग को प्राप्त हो जाता है।
अन्योन्यसमुपष्टम्भादन्योन्यापाश्रयेण च।
ज्ञातयः सम्प्रवर्धन्ते सरसीवोत्पलान्युत।।
= एक दूसरे के सहारे और एक दूसरे के सहयोग से सम्बन्धी जन उसी प्रकार बढ़ते हैं, जैसे तालाब में कमल।
श्रीर्मङ्गल्यात् प्रभवति प्रागल्भ्यात् सम्प्रवर्धते। दाक्ष्यात्तु कुरुते मूलं संयमात् प्रतितिष्ठति।।
= लक्ष्मी मंगल कर्मों से प्राप्त होती है, चतुराई से बढ़ती है, कालोचित व्यवहार से अपनी जड़ जमाती है और संयम से स्थिर होती है।
दृश्यन्ते हि महात्मानो वध्यमानाः स्वकर्मभिः। इन्द्रियाणामनीशत्वात् राजानो राजविभ्रमैः।।
= अनेक बड़े-बड़े राजा अजितेन्द्रिय होने से अपने कर्मों एवं ऐश्वर्यमद से ही नष्ट होते हुए देखे जाते हैं।
अर्थानामीश्वरो यः स्यादिन्द्रियाणामनीश्वरः।
इन्द्रियाणामनैश्वर्यादैश्वर्याद् भ्रश्यते हि सः।।
= जो मनुष्य धन-सम्पत्तियों का तो स्वामी है, परन्तु इन्द्रियों का स्वामी नहीं है, वह इन्द्रयों का स्वामी न होने से निश्चय ही ऐश्वर्य से भ्रष्ट हो जाता है (उसका ऐश्वर्य नष्ट हो जाता है)
ध्यायतो विषयान्पुंसः सङ्गस्तेषूपजायते।
सङ्गात्सञ्जायते कामः कामात्क्रोधोऽभिजायते।।
= विषयों का ध्यान लगातार करते रहने से पुरुष का उन विषयों में संग (आसक्ति) पैदा होती है। संग के कारण उन विषयों को भोगने की इच्छा पैदा होती है। और कामनापूर्ति में बाधा आने पर क्रोध उत्पन्न होता है।
क्रोधाद् भवति सम्मोहः सम्मोहात्स्मृतिविभ्रमः।
स्मृतिभ्रंशाद् बुद्धिनाशो बुद्धिनाशात्पणश्यति।।
= क्रोध के कारण मूढ़ता (मोह) उत्पन्न होता है, मोह के कारण स्मृति नष्ट हो जाती है, स्मृति नष्ट होने के के कारण उचित अनुचित का विवेक नहीं रहता और विवेक के नष्ट होने पर व्यक्ति स्वयं ही नष्ट हो जाता है।
#vakyabhyas
= जिस (कृपण) पुरुष के घर में (गृहस्वामी के) लोभ के कारण, भय के कारण अथवा न दिए जाने से जल मधुपर्क गौ आदि को विद्वान् पुरुष ग्रहण नहीं करता, उसका जीना व्यर्थ है ऐसा श्रेष्ठ जन कहते हैं।
ब्राह्मणानां परिभवात् परिवादाच्च भारत।
कुलान्यकुलतां यान्ति न्यासापहरणेन च।।
= हे भरतकुलोत्पन्न धृतराष्ट्र ! ब्राह्मणों की हिंसा करने से, निन्दा करने से और अमानत के अपहरण (खा जाने से) उत्तम कुल भी नीच कुल को प्राप्त हो जाते हैं।
संतापाद् भ्रश्यते रूपं सन्तापाद् भ्रश्यते बलम्। सन्तापाद् भ्रश्यते ज्ञानं सन्तापाद् व्याधिमृच्छति।।
= शोक के कारण रूप, बल तथा स्मृति नष्ट हो जाते हैं और सन्ताप के कारण पुरुष रोग को प्राप्त हो जाता है।
अन्योन्यसमुपष्टम्भादन्योन्यापाश्रयेण च।
ज्ञातयः सम्प्रवर्धन्ते सरसीवोत्पलान्युत।।
= एक दूसरे के सहारे और एक दूसरे के सहयोग से सम्बन्धी जन उसी प्रकार बढ़ते हैं, जैसे तालाब में कमल।
श्रीर्मङ्गल्यात् प्रभवति प्रागल्भ्यात् सम्प्रवर्धते। दाक्ष्यात्तु कुरुते मूलं संयमात् प्रतितिष्ठति।।
= लक्ष्मी मंगल कर्मों से प्राप्त होती है, चतुराई से बढ़ती है, कालोचित व्यवहार से अपनी जड़ जमाती है और संयम से स्थिर होती है।
दृश्यन्ते हि महात्मानो वध्यमानाः स्वकर्मभिः। इन्द्रियाणामनीशत्वात् राजानो राजविभ्रमैः।।
= अनेक बड़े-बड़े राजा अजितेन्द्रिय होने से अपने कर्मों एवं ऐश्वर्यमद से ही नष्ट होते हुए देखे जाते हैं।
अर्थानामीश्वरो यः स्यादिन्द्रियाणामनीश्वरः।
इन्द्रियाणामनैश्वर्यादैश्वर्याद् भ्रश्यते हि सः।।
= जो मनुष्य धन-सम्पत्तियों का तो स्वामी है, परन्तु इन्द्रियों का स्वामी नहीं है, वह इन्द्रयों का स्वामी न होने से निश्चय ही ऐश्वर्य से भ्रष्ट हो जाता है (उसका ऐश्वर्य नष्ट हो जाता है)
ध्यायतो विषयान्पुंसः सङ्गस्तेषूपजायते।
सङ्गात्सञ्जायते कामः कामात्क्रोधोऽभिजायते।।
= विषयों का ध्यान लगातार करते रहने से पुरुष का उन विषयों में संग (आसक्ति) पैदा होती है। संग के कारण उन विषयों को भोगने की इच्छा पैदा होती है। और कामनापूर्ति में बाधा आने पर क्रोध उत्पन्न होता है।
क्रोधाद् भवति सम्मोहः सम्मोहात्स्मृतिविभ्रमः।
स्मृतिभ्रंशाद् बुद्धिनाशो बुद्धिनाशात्पणश्यति।।
= क्रोध के कारण मूढ़ता (मोह) उत्पन्न होता है, मोह के कारण स्मृति नष्ट हो जाती है, स्मृति नष्ट होने के के कारण उचित अनुचित का विवेक नहीं रहता और विवेक के नष्ट होने पर व्यक्ति स्वयं ही नष्ट हो जाता है।
#vakyabhyas
March 6, 2022
March 6, 2022
March 6, 2022
।।श्रीः।।
।।आत्मबोधः।।
Atmabodha, meaning Self-knowledge or Self-awareness, is an exceptionally lucid and readable work of Shankaracharya. Consisting of sixty-eight verses or shlokas, it is in a sense a simple summary of his entire Vedantic structure of thought, intended, it would seem, as a basic primer for his students and followers. The text follows a clearly elaborated doctrine, starting with knowledge as a key to liberation, the nautre of the Atman within us, the assertion of the pervasive and attribute-less nature of Brahman, and the path towards the realisation of the complete identity between the Atman and Brahman.
निर्गुणो निष्क्रियो नित्यो निर्विकल्पो निरञ्जनः।
निर्विकारो निराकारो नित्यमुक्तोऽस्मि निर्मलः।।34।।
34. I am without attributes and actions; Eternal (Nitya) without any desire and thought (Nirvikalpa), without any dirt (Niranjana), without any change (Nirvikara), without form (Nirakara), ever-liberated (Nitya Mukta) ever-pure (Nirmala).
आत्म-बोध ऑनलाइन क्लास - 34:
आत्म-बोध के 34th श्लोक में आचार्यश्री हमें बता रहे हैं की गुरुमुख से प्रामाणिक अर्थात वेदांत-प्रदीपादित आत्म-बोध प्राप्त करने के बाद उसे अत्यंत तीव्र भावना के साथ आत्मसात करना होता है। अपनी अभी तक की अस्मिता सम्बंधित विपरीत धारणाओं को निराधार समझते हुए उनका निषेध करते हुए, अपनी नई पहचान बहुत ही तीव्रता से हृदयांवित करना चाहिए। ये ध्यान रहे की यहाँ मात्र शब्द बोलने से कुछ नहीं होगा, इसलिए पहले एक-एक शब्द का अर्थ अच्छी तरह से देखें और फिर उस अर्थ की आवृत्ति करें।
#Atmabodha
।।आत्मबोधः।।
Atmabodha, meaning Self-knowledge or Self-awareness, is an exceptionally lucid and readable work of Shankaracharya. Consisting of sixty-eight verses or shlokas, it is in a sense a simple summary of his entire Vedantic structure of thought, intended, it would seem, as a basic primer for his students and followers. The text follows a clearly elaborated doctrine, starting with knowledge as a key to liberation, the nautre of the Atman within us, the assertion of the pervasive and attribute-less nature of Brahman, and the path towards the realisation of the complete identity between the Atman and Brahman.
निर्गुणो निष्क्रियो नित्यो निर्विकल्पो निरञ्जनः।
निर्विकारो निराकारो नित्यमुक्तोऽस्मि निर्मलः।।34।।
34. I am without attributes and actions; Eternal (Nitya) without any desire and thought (Nirvikalpa), without any dirt (Niranjana), without any change (Nirvikara), without form (Nirakara), ever-liberated (Nitya Mukta) ever-pure (Nirmala).
आत्म-बोध ऑनलाइन क्लास - 34:
आत्म-बोध के 34th श्लोक में आचार्यश्री हमें बता रहे हैं की गुरुमुख से प्रामाणिक अर्थात वेदांत-प्रदीपादित आत्म-बोध प्राप्त करने के बाद उसे अत्यंत तीव्र भावना के साथ आत्मसात करना होता है। अपनी अभी तक की अस्मिता सम्बंधित विपरीत धारणाओं को निराधार समझते हुए उनका निषेध करते हुए, अपनी नई पहचान बहुत ही तीव्रता से हृदयांवित करना चाहिए। ये ध्यान रहे की यहाँ मात्र शब्द बोलने से कुछ नहीं होगा, इसलिए पहले एक-एक शब्द का अर्थ अच्छी तरह से देखें और फिर उस अर्थ की आवृत्ति करें।
#Atmabodha
March 6, 2022
March 6, 2022
🍃
♦️api chetsuduraachaaro bhajate maamananyabhaak|
saadhureva sa mantavyaH samyagvyavasito hi saH9.30
⚜Even if the most sinful person resolves to worship Me with single-minded loving devotion, such a person must be regarded as a saint because of making the right resolution. (9.30)
⚜यदि कोई अतिशय दुराचारी भी अनन्यभाव से मेरा भक्त होकर मुझे भजता है? वह साधु ही मानने योग्य है? क्योंकि वह यथार्थ निश्चय वाला है।।9.30।।
#geeta
अपि चेत्सुदुराचारो भजते मामनन्यभाक्।
साधुरेव स मन्तव्यः सम्यग्व्यवसितो हि सः
।।9.30।।♦️api chetsuduraachaaro bhajate maamananyabhaak|
saadhureva sa mantavyaH samyagvyavasito hi saH
⚜Even if the most sinful person resolves to worship Me with single-minded loving devotion, such a person must be regarded as a saint because of making the right resolution. (9.30)
⚜यदि कोई अतिशय दुराचारी भी अनन्यभाव से मेरा भक्त होकर मुझे भजता है? वह साधु ही मानने योग्य है? क्योंकि वह यथार्थ निश्चय वाला है।।9.30।।
#geeta
March 6, 2022
March 6, 2022
🍃
♦️kShipraM bhavati dharmaatmaa shashvachChaantiM nigachChati|
kaunteya pratijaaniihi na me bhaktaH praNashyati9.31
⚜Such a person soon becomes righteous and attains everlasting peace. Be aware, O Arjuna, that My devotee never falls down. (9.31)
⚜हे कौन्तेय वह शीघ्र ही धर्मात्मा बन जाता है और शाश्वत शान्ति को प्राप्त होता है। तुम निश्चयपूर्वक सत्य जानो कि मेरा भक्त कभी नष्ट नहीं होता।।9.31।।
#geeta
क्षिप्रं भवति धर्मात्मा शश्वच्छान्तिं निगच्छति।
कौन्तेय प्रतिजानीहि न मे भक्तः प्रणश्यति
।।9.31।।♦️kShipraM bhavati dharmaatmaa shashvachChaantiM nigachChati|
kaunteya pratijaaniihi na me bhaktaH praNashyati
⚜Such a person soon becomes righteous and attains everlasting peace. Be aware, O Arjuna, that My devotee never falls down. (9.31)
⚜हे कौन्तेय वह शीघ्र ही धर्मात्मा बन जाता है और शाश्वत शान्ति को प्राप्त होता है। तुम निश्चयपूर्वक सत्य जानो कि मेरा भक्त कभी नष्ट नहीं होता।।9.31।।
#geeta
March 6, 2022
March 6, 2022
🚩जय सत्य सनातन🚩
🚩आज की हिंदी तिथि
🌥️ 🚩युगाब्द-५१२३
🌥️ 🚩विक्रम संवत-२०७८
⛅ 🚩तिथि - पंचमी रात्रि 10:32 रात्रि तक तत्पश्चात षष्ठी
⛅ दिनांक - 07 मार्च 2022
⛅ दिन - सोमवार
⛅ शक संवत -1943
⛅ अयन - उत्तरायण
⛅ ऋतु - वसंत ऋतु
⛅ मास - फाल्गुन
⛅ पक्ष - शुक्ल
⛅ नक्षत्र - भरणी 05:54 ए. एम. ,मार्च 8 तक
⛅ योग - इन्द्र 12:01 ए. एम तक तत्पश्चात वैधृति
⛅ राहुकाल - सुबह 08:25 ए.एम से 09:54 ए. एम तक
⛅ सूर्योदय - 06:56 ए.एम.
⛅ सूर्यास्त - 18:45 रात्रि
⛅ चन्द्रोदय - 9:51 ए.एम.
⛅ चन्द्रोस्त - 11:07
⛅ दिशाशूल - पूर्व दिशा में
🚩आज की हिंदी तिथि
🌥️ 🚩युगाब्द-५१२३
🌥️ 🚩विक्रम संवत-२०७८
⛅ 🚩तिथि - पंचमी रात्रि 10:32 रात्रि तक तत्पश्चात षष्ठी
⛅ दिनांक - 07 मार्च 2022
⛅ दिन - सोमवार
⛅ शक संवत -1943
⛅ अयन - उत्तरायण
⛅ ऋतु - वसंत ऋतु
⛅ मास - फाल्गुन
⛅ पक्ष - शुक्ल
⛅ नक्षत्र - भरणी 05:54 ए. एम. ,मार्च 8 तक
⛅ योग - इन्द्र 12:01 ए. एम तक तत्पश्चात वैधृति
⛅ राहुकाल - सुबह 08:25 ए.एम से 09:54 ए. एम तक
⛅ सूर्योदय - 06:56 ए.एम.
⛅ सूर्यास्त - 18:45 रात्रि
⛅ चन्द्रोदय - 9:51 ए.एम.
⛅ चन्द्रोस्त - 11:07
⛅ दिशाशूल - पूर्व दिशा में
March 6, 2022
@samskrt_samvadah संलापशाला - A Samskrit Voicechat room.
कालावधिः : 45 निमेषाः
समयः : IST 11:00 AM 🕚
विषयः : संस्कृतज्ञविक्रेता/विक्रेत्री
(Samskrit speaking Merchant)
दिनाङ्कः : 07th March 2022,
सोमवासरः
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😇 यदि शक्येत चेत् संस्कृतेन(एकं वस्तु स्वीकृत्य तस्य विक्रयणं संस्कृतभाषया कर्तव्यम्।) चर्चार्थं कृपया पूर्वसिद्धतां कृत्वा आगच्छन्तु।
वयं युष्माकं प्रतीक्षां कुर्मः। 😇
स्मारणतंत्रिकां स्थापयन्तु⏰
👇🏼👇🏼👇🏼👇🏼👇🏼
https://t.me/samskrt_samvadah?voicechat
कालावधिः : 45 निमेषाः
समयः : IST 11:00 AM 🕚
विषयः : संस्कृतज्ञविक्रेता/विक्रेत्री
(Samskrit speaking Merchant)
दिनाङ्कः : 07th March 2022,
सोमवासरः
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😇 यदि शक्येत चेत् संस्कृतेन(एकं वस्तु स्वीकृत्य तस्य विक्रयणं संस्कृतभाषया कर्तव्यम्।) चर्चार्थं कृपया पूर्वसिद्धतां कृत्वा आगच्छन्तु।
वयं युष्माकं प्रतीक्षां कुर्मः। 😇
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March 6, 2022
Forwarded from रामदूतः — The Sanskrit News Platform
https://youtu.be/tsA8FK2tZTA
Switch to DD News daily at 7:15 AM (Morning) for 15 minutes Sanskrit news.
Switch to DD News daily at 7:15 AM (Morning) for 15 minutes Sanskrit news.
YouTube
वार्ता: संस्कृत में समाचार | यूपी में सातवें और अंतिम चरण के लिए वोटिंग शुरू
March 6, 2022
March 6, 2022
न हि प्रतिज्ञां कुर्वन्ति वितथां सत्यवादिनः।
लक्षणं हि महत्त्वस्य प्रतिज्ञापरिपालनम्।।
संस्कृतार्थः -
सत्यवादिनः महात्मनः कदापि व्यर्थरूपेण प्रतिज्ञां न कुर्वन्ति। यतः दत्तवचनस्य परिपालनम् एव महात्मनां लक्षणं भवति किल?
#Subhashitam
लक्षणं हि महत्त्वस्य प्रतिज्ञापरिपालनम्।।
संस्कृतार्थः -
सत्यवादिनः महात्मनः कदापि व्यर्थरूपेण प्रतिज्ञां न कुर्वन्ति। यतः दत्तवचनस्य परिपालनम् एव महात्मनां लक्षणं भवति किल?
#Subhashitam
March 6, 2022
March 6, 2022
March 6, 2022
बालिका ________ ________।
Anonymous Quiz
66%
शाटिकां , धरति
18%
शाटिका , धरति
1%
शाटिके , धरतः
15%
शाटिकाम् , धरति
March 7, 2022
March 7, 2022
संस्कृत संवादः । Sanskrit Samvadah
यस्योदकं
मधुपर्कं च गां च न मन्त्रवित् प्रति गृह्णाति गेहे। लोभाद् भयादथ
कार्पण्यतो वा तस्यानर्थं जीवितमाहुरार्याः।। = जिस (कृपण) पुरुष के घर
में (गृहस्वामी के) लोभ के कारण, भय के कारण अथवा न दिए जाने से जल
मधुपर्क गौ आदि को विद्वान् पुरुष ग्रहण नहीं करता…
संस्कृतं वद आधुनिको भव।
वेदान् पठ वैज्ञानिको भव।।
पाठ : (२०) पञ्चमी विभक्ति (४)
(दूर और समीपवाची शब्दों के साथ जिससे दूर या समीप की चर्चा हो उसमें पञ्चमी और षष्ठी दोनों विभक्तियों का प्रयोग किया जाता है तथा दूर और समीपवाची शब्दों में द्वितीया, तृतीया, पञ्चमी व सप्तमी विभक्ति का प्रयोग होता है।)
त्वं विद्यालयात् दूरं गच्छ
= तू विद्यालय से दूर जा।
त्वं विद्यालयात् दूरात् गच्छ
= तू विद्यालय से दूर होकर के जाना।
विद्यालयस्य समीपात् मा गच्छ
= विद्यालय के समीप होकर मत जा।
पितुः सकाशं गच्छामि
= पिता के पास जा रहा हूं।
पितुरभ्याशादागच्छामि
= पिता के पास से आ रहा हूं।
ग्रामः नगरात् दूरं दूरे वा वर्तते
= गांव नगर से दूर है।
सा मम मत् वा सकाशात् रुप्यकाणि अनयत्
= वह मेरे पास से पैसे ले गई।
तस्याः समीपे मम रुप्यकाणि सन्ति
= उसके पास मेरे पैसे हैं।
गृहस्य/गृहात् अन्तिकादेव मम आपणः अस्ति
= घर के पास ही मेरी दुकान है।
मम मत् वा निकषा माऽऽगच्छ, दूरादेव वद
= मेरे पास (निकट) मत आ, दूर से ही बोल।
पुत्रः मत् दूरं अभूत्
= बेटा मेरे से दूर हो गया।
बालः स्वस्मात् विप्रकृष्टं विप्रकृष्टे वा पाषाणं क्षिपति
= बच्चा अपने से दूर पत्थर फैंकता है।
(पृथक्, विना एवं नाना शब्दों के साथ तृतीया तथा पञ्चमी का प्रयोग होता है। विना के साथ द्वितीया का भी प्रयोग होता है।)
पुत्रः पितृभ्यां पृथक् वसति
= बेटा मां-बाप से अलग रहता है।
पत्रं वृक्षात् वृक्षेण वा पृथक् अभूत्
= पत्ता पेड़ से अलग हो गया।
पादतलं पादत्राणात् पादत्राणेन वा पृथक् बुभूषति
= जूते का तलवा जूते से अलग होनेवाला है।
सुधालेपनं भित्तिकायाः भित्तिकया वा पृथक् जायते
= चूने की पुताई दीवार से अलग हो रही है।
संमर्दे बालः मात्रा मातुर्वा पृथक् संजातः
= भीड़ में बच्चा मां से अलग हो गया।
बालिका स्वीयया पाञ्चालिकया स्वीयायाः पाञ्चालिकायाः वा पृथक् कृता
= बच्ची को अपनी गुड़िया से अलग कर दिया गया।
अकालं कश्चिदपि स्वजनैः स्वजनेभ्यो वा पृथक् मा भूयात्
= कोई भी समय से पहले अपने स्वजनों से अलग न होवे।
ईश्वरम् ईश्वरेण ईश्वरात् वा विना सृष्टिः कथं चलेत् ?
= ईश्वर के बिना सृष्टि कैसे चल सकती है ?
कर्म कर्मणा कर्मणो वा विना फलं न लभते
= कर्म के बिना फल नहीं मिलता।
पुरुषकारं पुरुषकारेण पुरुषकाराद् वा विना सुखं न भवति
= पुरुषार्थ के बिना सुख नहीं होता।
धर्मं धर्मेण धर्माद् वा विना कुतः सुखम्
= धर्म के बिना सुख कहां ?
#vakyabhyas
वेदान् पठ वैज्ञानिको भव।।
पाठ : (२०) पञ्चमी विभक्ति (४)
(दूर और समीपवाची शब्दों के साथ जिससे दूर या समीप की चर्चा हो उसमें पञ्चमी और षष्ठी दोनों विभक्तियों का प्रयोग किया जाता है तथा दूर और समीपवाची शब्दों में द्वितीया, तृतीया, पञ्चमी व सप्तमी विभक्ति का प्रयोग होता है।)
त्वं विद्यालयात् दूरं गच्छ
= तू विद्यालय से दूर जा।
त्वं विद्यालयात् दूरात् गच्छ
= तू विद्यालय से दूर होकर के जाना।
विद्यालयस्य समीपात् मा गच्छ
= विद्यालय के समीप होकर मत जा।
पितुः सकाशं गच्छामि
= पिता के पास जा रहा हूं।
पितुरभ्याशादागच्छामि
= पिता के पास से आ रहा हूं।
ग्रामः नगरात् दूरं दूरे वा वर्तते
= गांव नगर से दूर है।
सा मम मत् वा सकाशात् रुप्यकाणि अनयत्
= वह मेरे पास से पैसे ले गई।
तस्याः समीपे मम रुप्यकाणि सन्ति
= उसके पास मेरे पैसे हैं।
गृहस्य/गृहात् अन्तिकादेव मम आपणः अस्ति
= घर के पास ही मेरी दुकान है।
मम मत् वा निकषा माऽऽगच्छ, दूरादेव वद
= मेरे पास (निकट) मत आ, दूर से ही बोल।
पुत्रः मत् दूरं अभूत्
= बेटा मेरे से दूर हो गया।
बालः स्वस्मात् विप्रकृष्टं विप्रकृष्टे वा पाषाणं क्षिपति
= बच्चा अपने से दूर पत्थर फैंकता है।
(पृथक्, विना एवं नाना शब्दों के साथ तृतीया तथा पञ्चमी का प्रयोग होता है। विना के साथ द्वितीया का भी प्रयोग होता है।)
पुत्रः पितृभ्यां पृथक् वसति
= बेटा मां-बाप से अलग रहता है।
पत्रं वृक्षात् वृक्षेण वा पृथक् अभूत्
= पत्ता पेड़ से अलग हो गया।
पादतलं पादत्राणात् पादत्राणेन वा पृथक् बुभूषति
= जूते का तलवा जूते से अलग होनेवाला है।
सुधालेपनं भित्तिकायाः भित्तिकया वा पृथक् जायते
= चूने की पुताई दीवार से अलग हो रही है।
संमर्दे बालः मात्रा मातुर्वा पृथक् संजातः
= भीड़ में बच्चा मां से अलग हो गया।
बालिका स्वीयया पाञ्चालिकया स्वीयायाः पाञ्चालिकायाः वा पृथक् कृता
= बच्ची को अपनी गुड़िया से अलग कर दिया गया।
अकालं कश्चिदपि स्वजनैः स्वजनेभ्यो वा पृथक् मा भूयात्
= कोई भी समय से पहले अपने स्वजनों से अलग न होवे।
ईश्वरम् ईश्वरेण ईश्वरात् वा विना सृष्टिः कथं चलेत् ?
= ईश्वर के बिना सृष्टि कैसे चल सकती है ?
कर्म कर्मणा कर्मणो वा विना फलं न लभते
= कर्म के बिना फल नहीं मिलता।
पुरुषकारं पुरुषकारेण पुरुषकाराद् वा विना सुखं न भवति
= पुरुषार्थ के बिना सुख नहीं होता।
धर्मं धर्मेण धर्माद् वा विना कुतः सुखम्
= धर्म के बिना सुख कहां ?
#vakyabhyas
March 7, 2022
March 7, 2022
March 7, 2022
।।श्रीः।।
।।आत्मबोधः।।
Atmabodha, meaning Self-knowledge or Self-awareness, is an exceptionally lucid and readable work of Shankaracharya. Consisting of sixty-eight verses or shlokas, it is in a sense a simple summary of his entire Vedantic structure of thought, intended, it would seem, as a basic primer for his students and followers. The text follows a clearly elaborated doctrine, starting with knowledge as a key to liberation, the nautre of the Atman within us, the assertion of the pervasive and attribute-less nature of Brahman, and the path towards the realisation of the complete identity between the Atman and Brahman.
अहमाकाशवत्सर्वं बहिरन्तर्गतोऽच्युतः।
सदा सर्वसमः सिद्धो निःसङ्गो निर्मलोऽचलः।।35।।
35. Like the space I fill all things within and without. Changeless and the same in all, at all times I am pure, unattached, stainless and motionless.
आत्म-बोध ऑनलाइन क्लास - 35:
आत्म-बोध के 35th श्लोक में आचार्यश्री हमें आत्म-चिन्तन रुपी अभ्यास के लिए कुछ और लक्षण प्रदान कर रहे हैं। ये लक्षण उन्ही साधकों के लिए हैं जिसने आत्मा के ऊपर से अनात्मा के धर्मों का अपवाद कर दिया है। अगर नहीं तो ये सब कल्पना मात्र हो जायेगा जिसका कोई लाभ नहीं होगा। जब हमने देह आदि से अपने को मुक्त देख लिया है, तब हम मात्र चिन्मयी सत्ता होते हैं, जो की आकाश की तरह से सबके अंदर-बाहर होता है। ये सैदव ऐसा ही था और रहेगा अतः अच्युत है. सबके प्रति सम, शुद्ध, असंग और निर्मल है। यह ही हम हैं।
#Atmabodha
।।आत्मबोधः।।
Atmabodha, meaning Self-knowledge or Self-awareness, is an exceptionally lucid and readable work of Shankaracharya. Consisting of sixty-eight verses or shlokas, it is in a sense a simple summary of his entire Vedantic structure of thought, intended, it would seem, as a basic primer for his students and followers. The text follows a clearly elaborated doctrine, starting with knowledge as a key to liberation, the nautre of the Atman within us, the assertion of the pervasive and attribute-less nature of Brahman, and the path towards the realisation of the complete identity between the Atman and Brahman.
अहमाकाशवत्सर्वं बहिरन्तर्गतोऽच्युतः।
सदा सर्वसमः सिद्धो निःसङ्गो निर्मलोऽचलः।।35।।
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आत्म-बोध ऑनलाइन क्लास - 35:
आत्म-बोध के 35th श्लोक में आचार्यश्री हमें आत्म-चिन्तन रुपी अभ्यास के लिए कुछ और लक्षण प्रदान कर रहे हैं। ये लक्षण उन्ही साधकों के लिए हैं जिसने आत्मा के ऊपर से अनात्मा के धर्मों का अपवाद कर दिया है। अगर नहीं तो ये सब कल्पना मात्र हो जायेगा जिसका कोई लाभ नहीं होगा। जब हमने देह आदि से अपने को मुक्त देख लिया है, तब हम मात्र चिन्मयी सत्ता होते हैं, जो की आकाश की तरह से सबके अंदर-बाहर होता है। ये सैदव ऐसा ही था और रहेगा अतः अच्युत है. सबके प्रति सम, शुद्ध, असंग और निर्मल है। यह ही हम हैं।
#Atmabodha
March 7, 2022
March 7, 2022
@samskrt_samvadah संलापशाला - A Samskrit Voicechat room.
कालावधिः : 45 निमेषाः
समयः : IST 11:00 AM 🕚
विषयः : विवाहेषु क्रियमाणाः अपव्ययाः
(Wastage in Wedding celebration)
दिनाङ्कः : 08th March 2022,
मङ्गलवासरः
Please Join the voicechat on time.
Voicechat would be recorded and shared on this channel.⏺
😇 यदि शक्येत चेत् संस्कृतेन(विवाहकार्यक्रमेषु भोजनस्य धनस्य इत्यादीनां अपव्ययः तथा तस्य रोधः कथं कर्तुं शक्यते।) चर्चार्थं कृपया पूर्वसिद्धतां कृत्वा आगच्छन्तु।
वयं युष्माकं प्रतीक्षां कुर्मः। 😇
स्मारणतंत्रिकां स्थापयन्तु⏰
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March 7, 2022
March 7, 2022
🍃
♦️maaM hi paartha vyapaashritya ye'pi syuH paapayonayaH|
striyo vaishyaastathaa shuudraaste'pi yaanti paraaM gatim9.32
⚜Anybody, including women, merchants, laborers, and the evil-minded can attain the supreme goal by just surrendering unto My will (with loving devotion), O Arjuna. (See also 18.66) (9.32)
⚜हे पार्थ स्त्री वैश्य और शूद्र ये जो कोई पापयोनि वाले हों वे भी मुझ पर आश्रित (मेरे शरण) होकर परम गति को प्राप्त होते हैं।।9.32।।
#geeta
मां हि पार्थ व्यपाश्रित्य येऽपि स्युः पापयोनयः।
स्त्रियो वैश्यास्तथा शूद्रास्तेऽपि यान्ति परां गतिम्
।।9.32।।♦️maaM hi paartha vyapaashritya ye'pi syuH paapayonayaH|
striyo vaishyaastathaa shuudraaste'pi yaanti paraaM gatim
⚜Anybody, including women, merchants, laborers, and the evil-minded can attain the supreme goal by just surrendering unto My will (with loving devotion), O Arjuna. (See also 18.66) (9.32)
⚜हे पार्थ स्त्री वैश्य और शूद्र ये जो कोई पापयोनि वाले हों वे भी मुझ पर आश्रित (मेरे शरण) होकर परम गति को प्राप्त होते हैं।।9.32।।
#geeta
March 7, 2022
March 7, 2022
🍃
♦️kiM punarbraahmaNaaH puNyaa bhaktaa raajarShayastathaa|
anityamasukhaM lokamimaM praapya bhajasva maam9.33
⚜Then, it should be very easy for the holy Braahmanas and devout royal sages (to attain the Supreme state). Therefore, having obtained this joyless and transient human life, one should always remember Me with loving devotion. (9.33)
⚜फिर क्या कहना है कि पुण्यशील ब्राह्मण और राजर्षि भक्तजन (परम गति को प्राप्त होते हैं) (इसलिए) इस अनित्य और सुखरहित लोक को प्राप्त होकर (अब) तुम भक्तिपूर्वक मेरी ही पूजा करो।।9.33।।
#geeta
किं पुनर्ब्राह्मणाः पुण्या भक्ता राजर्षयस्तथा।
अनित्यमसुखं लोकमिमं प्राप्य भजस्व माम्
।।9.33।।♦️kiM punarbraahmaNaaH puNyaa bhaktaa raajarShayastathaa|
anityamasukhaM lokamimaM praapya bhajasva maam
⚜Then, it should be very easy for the holy Braahmanas and devout royal sages (to attain the Supreme state). Therefore, having obtained this joyless and transient human life, one should always remember Me with loving devotion. (9.33)
⚜फिर क्या कहना है कि पुण्यशील ब्राह्मण और राजर्षि भक्तजन (परम गति को प्राप्त होते हैं) (इसलिए) इस अनित्य और सुखरहित लोक को प्राप्त होकर (अब) तुम भक्तिपूर्वक मेरी ही पूजा करो।।9.33।।
#geeta
March 7, 2022
🚩जय सत्य सनातन🚩
🚩आज की हिंदी तिथि
🌥️ 🚩युगाब्द-५१२३
🌥️ 🚩विक्रम संवत-२०७८
⛅ 🚩तिथि - षष्ठी 12:01 ए. एम 9 मार्च तक तत्पश्चात सप्तमी
⛅ दिनांक 08 मार्च 2022
⛅ दिन - मंगलवार
⛅ शक संवत - 1943
⛅ अयन - उत्तरायण
⛅ ऋतु - वसंत
⛅ मास - फाल्गुन
⛅ पक्ष - शुक्ल
⛅ नक्षत्र - कृत्तिका पूर्ण रात्रि तक
⛅ योग - वैधृति 12:28 ए. एम 9 मार्च तत्पश्चात गर
⛅ राहुकाल -3:48 पी.एम से 5:17 पी.एम तक
⛅ सूर्योदय - 06:55
⛅ सूर्यास्त - 18:46
⛅ चन्द्रोदय - 10:27 ए.एम.
⛅ चन्द्रोस्त - 12:01 ए.एम 9 मार्च
⛅ दिशाशूल - उत्तर दिशा में
🚩आज की हिंदी तिथि
🌥️ 🚩युगाब्द-५१२३
🌥️ 🚩विक्रम संवत-२०७८
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⛅ दिशाशूल - उत्तर दिशा में
March 7, 2022
Forwarded from रामदूतः — The Sanskrit News Platform
https://youtu.be/7s5cgHKyhpU
Switch to DD News daily at 7:15 AM (Morning) for 15 minutes Sanskrit news.
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YouTube
वार्ता: संस्कृत में समाचार | आख़िरी चरण में पहुंचा ऑपरेशन गंगा
DD News is India’s
24x7 news channel from the stable of the country’s Public Service
Broadcaster, Prasar Bharati. It has the distinction of being India’s
only terrestrial cum satellite News Channel. Launched in 2003, DD News
has made a name for itself to…
March 7, 2022
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March 7, 2022
March 7, 2022
March 7, 2022
March 7, 2022
स्कन्द पुराण के माहेश्वरखण्ड के कौमारिकाखण्ड के अध्याय २३ में एक कन्या को दस पुत्रों के बराबर कहा गया है -
दशपुत्रसमा कन्या दशपुत्रान्प्रवर्द्धयन् ।
यत्फलं लभते मर्त्यस्तल्लभ्यं कन्ययैकया ॥
🌾 🌿 🌴 🌿 🌾
॥ स्क॰ पु॰ - २३.४६ ॥
🌾 🌿 🌴 🌿 🌾
भावार्थ -
एक पुत्री दस पुत्रों के समान है। कोई व्यक्ति दस पुत्रों के लालन-पालन से जो फल प्राप्त करता है; वही फल केवल एक कन्या के पालन पोषण से प्राप्त हो जाता है।
🌾 🌿 🌴 🌿 🌾
दशपुत्रसमा कन्या दशपुत्रान्प्रवर्द्धयन् ।
यत्फलं लभते मर्त्यस्तल्लभ्यं कन्ययैकया ॥
🌾 🌿 🌴 🌿 🌾
॥ स्क॰ पु॰ - २३.४६ ॥
🌾 🌿 🌴 🌿 🌾
भावार्थ -
एक पुत्री दस पुत्रों के समान है। कोई व्यक्ति दस पुत्रों के लालन-पालन से जो फल प्राप्त करता है; वही फल केवल एक कन्या के पालन पोषण से प्राप्त हो जाता है।
🌾 🌿 🌴 🌿 🌾
March 7, 2022
March 7, 2022
अन्नदानं परं दानं विद्यादानमतः परम्।
अन्नेन क्षणिका तृप्तिर्यावज्जीवं च विद्यया।।
संस्कृतार्थः -
अन्नदानं श्रेष्ठं दानम् अस्ति, अन्नदानात् श्रेष्ठतरं दानं विद्यायाः दानम् अस्ति। यतः अन्नेन कञ्चित् कालं यावत् तृप्तिः भवति। परन्तु विद्यया जीवनपर्यन्तम् अपि तृप्तिः भवति।
#Subhashitam
अन्नेन क्षणिका तृप्तिर्यावज्जीवं च विद्यया।।
संस्कृतार्थः -
अन्नदानं श्रेष्ठं दानम् अस्ति, अन्नदानात् श्रेष्ठतरं दानं विद्यायाः दानम् अस्ति। यतः अन्नेन कञ्चित् कालं यावत् तृप्तिः भवति। परन्तु विद्यया जीवनपर्यन्तम् अपि तृप्तिः भवति।
#Subhashitam
March 7, 2022
March 7, 2022
March 7, 2022
March 8, 2022
संस्कृत संवादः । Sanskrit Samvadah
संस्कृतं
वद आधुनिको भव। वेदान् पठ वैज्ञानिको भव।। पाठ : (२०) पञ्चमी विभक्ति (४)
(दूर और समीपवाची शब्दों के साथ जिससे दूर या समीप की चर्चा हो उसमें
पञ्चमी और षष्ठी दोनों विभक्तियों का प्रयोग किया जाता है तथा दूर और
समीपवाची शब्दों में द्वितीया, तृतीया, पञ्चमी…
अभिषेकम् अभिषेकेण अभिषेकाद्वा स्वपराक्रमेणैव सिंहो राजा उच्यते
= बिना अभिषेक के हि सिंह अपने पराक्रम के कारण राजा कहाता है।
गृहिणीं विना कुतो गृहम् ?
= गृहिणी के बिना घर कैसा ?
जगतां यदि नो कर्त्ता, कुलालेन विना घटः। चित्रकारं विना चित्रं, स्वतः एव भवेत्तथा।।
= यदि जगत् का बनानेवाला कोई नहीं है, तो जैसे बिना बनानेवाले के जगत् बन गया वैसे ही बिना कुम्हार के घड़ा तथा बिना चित्रकार के चित्र बन जाने की बात भी मान लेनी चाहिए।
पानीयं प्राणिनां प्राणा विश्वमेव च तन्मयम्। न हि तोयाद् विना वृत्तिः स्वस्थस्य व्याधितस्य वा।।
= जल जीवसृष्टि का प्राण है और सारा विश्व जलमय ही है। स्वस्थ हो या रोगी, जल के बिना किसी का जीवन सम्भव नहीं है।
सुखार्थाः सर्वभूतानां मताः सर्वाः प्रवृत्तयः। सुखं च न विना धर्मात्तस्माद् धर्मपरो भवेत्।।
= सभी प्राणियों की किसी भी कार्य को करने की जितनी प्रवृत्तियां हैं, वे सभी आत्मसुख की प्राप्ति के लिए होती हैं। सुख धर्म के बिना नहीं मिलता, अतः मनुष्य को धर्म परायण होना चाहिए।
न हि कारणं विना कार्योत्पत्तिः सम्भविनी
= कारण के बिना कार्योत्पत्ति सम्भव नहीं है।
कुलेन कुलाद् वा नानाभूय गतः
= कुल से अलग होकर चला गया।
अन्यकुलाद् ऊढ्वा आगतस्तस्मात् कुलेन कुलाद् वा नानाकृतः
= भिन्न कुल से विवाह कर लिया अतः कुल से अलग कर दिया।
गुणाः मनुष्यान् दुर्जनैः दुर्जनाद् वा नानाकुर्वन्ति
= गुण मनुष्यों को दुर्जनों से अलग कर देते हैं।
प्रतिदिनं कलहेण पित्रा अनुजः अग्रजेन अग्रजाद् वा नानाकृतः
= प्रतिदिन के झगड़ों के कारण पिता ने छोटे भार्ई को बड़े भाई से अलग कर दिया।
(‘ऋते’ के साथ भी द्वितीया, तृतीया
व पञ्चमी का प्रयोग देखा जाता है।)
ऋते ज्ञानान्न मुक्तिः
= ज्ञान के बिना मुक्ति नहीं।
पालकादृते शिशवः कथं पाल्यन्ते ?
= पालक के बिना बच्चे कैसे पल सकते हैं ?
यत् प्रज्ञानमुत चेतो धृतिश्च यज्ज्योतिरन्तरमृतं प्रजासु।
यस्मान्न ऋते किं चन कर्म क्रियते तन्मे मनः शिवसङ्कल्पमस्तु।।
= जो प्रकृष्ट ज्ञान का साधन है, चेतना का आधार है, धैर्यादि का साधक है, भीतर विद्यमान ज्ञान का प्रकाशक, उत्पन्न समस्त पदार्थों में अमृत अर्थात् अविनाशी है, जिसके बिना कोई भी कर्म नहीं किया जाता, ऐसा वह मेरा मन शुभ विचारोंवाला होवे।
न स्याद् वनमृते व्याघ्रान् व्याघ्रा न स्युर्ऋते वनम्। वनं हि रक्ष्यते व्याघ्रैर्व्याघ्रान् रक्षति काननम्।।
= व्याघ्रों के बिना वन नहीं है और वन के बिना व्याघ्र नहीं। क्योंकि व्याघ्रों के कारण वन की रक्षा होती है और वन से व्याघ्र की।
वनं राजंस्तव पुत्रोऽम्बिकेय सिंहान् वने पाण्डवांस्तात विद्धि। सिंहैर्विहीनं हि वनं विनश्येद् सिंहा विनश्येयुर्ऋते वनेन।।
= हे अम्बिकापुत्र राजन् (धृतराष्ट्र) ! तुम्हारे पुत्र वन सदृश् हैं और पाण्डवों को सिंह सदृश् जानो। सिंहों के बिना वन नष्ट हो जाते हैं और वन के बिना सिंह।
#vakyabhyas
= बिना अभिषेक के हि सिंह अपने पराक्रम के कारण राजा कहाता है।
गृहिणीं विना कुतो गृहम् ?
= गृहिणी के बिना घर कैसा ?
जगतां यदि नो कर्त्ता, कुलालेन विना घटः। चित्रकारं विना चित्रं, स्वतः एव भवेत्तथा।।
= यदि जगत् का बनानेवाला कोई नहीं है, तो जैसे बिना बनानेवाले के जगत् बन गया वैसे ही बिना कुम्हार के घड़ा तथा बिना चित्रकार के चित्र बन जाने की बात भी मान लेनी चाहिए।
पानीयं प्राणिनां प्राणा विश्वमेव च तन्मयम्। न हि तोयाद् विना वृत्तिः स्वस्थस्य व्याधितस्य वा।।
= जल जीवसृष्टि का प्राण है और सारा विश्व जलमय ही है। स्वस्थ हो या रोगी, जल के बिना किसी का जीवन सम्भव नहीं है।
सुखार्थाः सर्वभूतानां मताः सर्वाः प्रवृत्तयः। सुखं च न विना धर्मात्तस्माद् धर्मपरो भवेत्।।
= सभी प्राणियों की किसी भी कार्य को करने की जितनी प्रवृत्तियां हैं, वे सभी आत्मसुख की प्राप्ति के लिए होती हैं। सुख धर्म के बिना नहीं मिलता, अतः मनुष्य को धर्म परायण होना चाहिए।
न हि कारणं विना कार्योत्पत्तिः सम्भविनी
= कारण के बिना कार्योत्पत्ति सम्भव नहीं है।
कुलेन कुलाद् वा नानाभूय गतः
= कुल से अलग होकर चला गया।
अन्यकुलाद् ऊढ्वा आगतस्तस्मात् कुलेन कुलाद् वा नानाकृतः
= भिन्न कुल से विवाह कर लिया अतः कुल से अलग कर दिया।
गुणाः मनुष्यान् दुर्जनैः दुर्जनाद् वा नानाकुर्वन्ति
= गुण मनुष्यों को दुर्जनों से अलग कर देते हैं।
प्रतिदिनं कलहेण पित्रा अनुजः अग्रजेन अग्रजाद् वा नानाकृतः
= प्रतिदिन के झगड़ों के कारण पिता ने छोटे भार्ई को बड़े भाई से अलग कर दिया।
(‘ऋते’ के साथ भी द्वितीया, तृतीया
व पञ्चमी का प्रयोग देखा जाता है।)
ऋते ज्ञानान्न मुक्तिः
= ज्ञान के बिना मुक्ति नहीं।
पालकादृते शिशवः कथं पाल्यन्ते ?
= पालक के बिना बच्चे कैसे पल सकते हैं ?
यत् प्रज्ञानमुत चेतो धृतिश्च यज्ज्योतिरन्तरमृतं प्रजासु।
यस्मान्न ऋते किं चन कर्म क्रियते तन्मे मनः शिवसङ्कल्पमस्तु।।
= जो प्रकृष्ट ज्ञान का साधन है, चेतना का आधार है, धैर्यादि का साधक है, भीतर विद्यमान ज्ञान का प्रकाशक, उत्पन्न समस्त पदार्थों में अमृत अर्थात् अविनाशी है, जिसके बिना कोई भी कर्म नहीं किया जाता, ऐसा वह मेरा मन शुभ विचारोंवाला होवे।
न स्याद् वनमृते व्याघ्रान् व्याघ्रा न स्युर्ऋते वनम्। वनं हि रक्ष्यते व्याघ्रैर्व्याघ्रान् रक्षति काननम्।।
= व्याघ्रों के बिना वन नहीं है और वन के बिना व्याघ्र नहीं। क्योंकि व्याघ्रों के कारण वन की रक्षा होती है और वन से व्याघ्र की।
वनं राजंस्तव पुत्रोऽम्बिकेय सिंहान् वने पाण्डवांस्तात विद्धि। सिंहैर्विहीनं हि वनं विनश्येद् सिंहा विनश्येयुर्ऋते वनेन।।
= हे अम्बिकापुत्र राजन् (धृतराष्ट्र) ! तुम्हारे पुत्र वन सदृश् हैं और पाण्डवों को सिंह सदृश् जानो। सिंहों के बिना वन नष्ट हो जाते हैं और वन के बिना सिंह।
#vakyabhyas
March 8, 2022
सुमन्तकनामा कश्चन निर्धनः अस्ति ।
एकदा सः कुतश्चित् भूरि धनं💰 लभते ।
तेन सः सन्तुष्टः😌 भवति ।
तथापि सः इतोऽपि अधिकं धनं कामयते ।🤑
कथमपि दैवात् सः तदपि प्राप्नोति ।
तथापि सः न मोदते ।
तस्य आशा वर्धते ।
सः चिन्तयति🤔- "यदि इतो ऽपि अधिक धन लभे🤑 तर्हि एव अहं शोभे☺️" इति।
एवमेव चिन्तयन् सः रात्रौ शेते।
परन्तु चिन्ताग्रस्तः😔 सः बहुकालानन्तरं निद्रां लभते निद्रायां स्थितः😴 सः एकं स्वप्नम्💭 ईक्षते ।
देवाः🙏 स्वप्ने प्रत्यक्षाः भूत्वा भाषन्ते🗣- "हे सुमन्तक ! एवम् आचरितुं कुतो न लज्जसे ?
यदि एवमेव कामयसे तर्हि त्वं दुराशाग्रस्तः अचिरं प्रियसे ।
अतः दुराशां मा कुरु।
अल्पेन तृप्तः😌 भव ।
तेन त्वं जीवनस्य सर्वेषु क्षेत्रेषु एधसे सुखं च लभसे अन्यथा असमये नश्यसि" इति ।
ततः सुमन्तकः निद्रातः😪 जागरितः😲 अभवत् ।
स्व-स्वभावस्य कृते तस्य लज्जा😓 अजायत् ।
एकदा सः कुतश्चित् भूरि धनं💰 लभते ।
तेन सः सन्तुष्टः😌 भवति ।
तथापि सः इतोऽपि अधिकं धनं कामयते ।🤑
कथमपि दैवात् सः तदपि प्राप्नोति ।
तथापि सः न मोदते ।
तस्य आशा वर्धते ।
सः चिन्तयति🤔- "यदि इतो ऽपि अधिक धन लभे🤑 तर्हि एव अहं शोभे☺️" इति।
एवमेव चिन्तयन् सः रात्रौ शेते।
परन्तु चिन्ताग्रस्तः😔 सः बहुकालानन्तरं निद्रां लभते निद्रायां स्थितः😴 सः एकं स्वप्नम्💭 ईक्षते ।
देवाः🙏 स्वप्ने प्रत्यक्षाः भूत्वा भाषन्ते🗣- "हे सुमन्तक ! एवम् आचरितुं कुतो न लज्जसे ?
यदि एवमेव कामयसे तर्हि त्वं दुराशाग्रस्तः अचिरं प्रियसे ।
अतः दुराशां मा कुरु।
अल्पेन तृप्तः😌 भव ।
तेन त्वं जीवनस्य सर्वेषु क्षेत्रेषु एधसे सुखं च लभसे अन्यथा असमये नश्यसि" इति ।
ततः सुमन्तकः निद्रातः😪 जागरितः😲 अभवत् ।
स्व-स्वभावस्य कृते तस्य लज्जा😓 अजायत् ।
March 8, 2022
March 8, 2022
March 8, 2022
।।श्रीः।।
।।आत्मबोधः।।
Atmabodha, meaning Self-knowledge or Self-awareness, is an exceptionally lucid and readable work of Shankaracharya. Consisting of sixty-eight verses or shlokas, it is in a sense a simple summary of his entire Vedantic structure of thought, intended, it would seem, as a basic primer for his students and followers. The text follows a clearly elaborated doctrine, starting with knowledge as a key to liberation, the nautre of the Atman within us, the assertion of the pervasive and attribute-less nature of Brahman, and the path towards the realisation of the complete identity between the Atman and Brahman.
नित्यशुद्धविमुक्तैकमखण्डानन्दमद्वयम्।
सत्यं ज्ञानमनन्तं यत्परं ब्रह्माहमेव तत्।।36।।
36. I am verily that Supreme Brahman alone which is Eternal, Pure and Free, One, indivisible and non-dual and of the nature of Changeless-Knowledge-Infinite.
आत्म-बोध ऑनलाइन क्लास - 36:
आत्म-बोध के 36th श्लोक में भी आचार्यश्री हमें आत्म-अभ्यास के लिए कुछ और लक्षण प्रदान कर रहे हैं। ध्यान रहे ये लक्षण उन्ही साधकों के लिए हैं जिन्होंने अपने जीव-भाव को बाधित कर दिया है। सर्प के निषेध के बाद ही रज्जु का ज्ञान होता है, और ज्ञान के बाद उस ज्ञान में निष्ठा की साधना होती है। इस श्लोक में आचार्य कह रहे हैं दृढ़ता से इस बात को देखो और उसके प्रति भावना उत्पन्न करो की हम नित्यमुक्त हैं, नित्यशुद्ध हैं, एक हैं, अखण्डानन्द हैं अद्वय हैं। हम सत्यम, ज्ञानं, अनन्तं ब्रह्म हैं।
#Atmabodha
।।आत्मबोधः।।
Atmabodha, meaning Self-knowledge or Self-awareness, is an exceptionally lucid and readable work of Shankaracharya. Consisting of sixty-eight verses or shlokas, it is in a sense a simple summary of his entire Vedantic structure of thought, intended, it would seem, as a basic primer for his students and followers. The text follows a clearly elaborated doctrine, starting with knowledge as a key to liberation, the nautre of the Atman within us, the assertion of the pervasive and attribute-less nature of Brahman, and the path towards the realisation of the complete identity between the Atman and Brahman.
नित्यशुद्धविमुक्तैकमखण्डानन्दमद्वयम्।
सत्यं ज्ञानमनन्तं यत्परं ब्रह्माहमेव तत्।।36।।
36. I am verily that Supreme Brahman alone which is Eternal, Pure and Free, One, indivisible and non-dual and of the nature of Changeless-Knowledge-Infinite.
आत्म-बोध ऑनलाइन क्लास - 36:
आत्म-बोध के 36th श्लोक में भी आचार्यश्री हमें आत्म-अभ्यास के लिए कुछ और लक्षण प्रदान कर रहे हैं। ध्यान रहे ये लक्षण उन्ही साधकों के लिए हैं जिन्होंने अपने जीव-भाव को बाधित कर दिया है। सर्प के निषेध के बाद ही रज्जु का ज्ञान होता है, और ज्ञान के बाद उस ज्ञान में निष्ठा की साधना होती है। इस श्लोक में आचार्य कह रहे हैं दृढ़ता से इस बात को देखो और उसके प्रति भावना उत्पन्न करो की हम नित्यमुक्त हैं, नित्यशुद्ध हैं, एक हैं, अखण्डानन्द हैं अद्वय हैं। हम सत्यम, ज्ञानं, अनन्तं ब्रह्म हैं।
#Atmabodha
March 8, 2022
@samskrt_samvadah संलापशाला - A Samskrit Voicechat room.
कालावधिः : 45 निमेषाः
समयः : IST 11:00 AM 🕚
विषयः : वाक्याभ्यासः
दिनाङ्कः : 09th March 2022,
बुधवासरः
Please Join the voicechat on time.
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😇 यदि शक्येत चेत् संस्कृतेन(चित्राणि दृष्ट्वा वाक्यानि वक्तव्यानि।) चर्चार्थं कृपया पूर्वसिद्धतां कृत्वा आगच्छन्तु।
वयं युष्माकं प्रतीक्षां कुर्मः। 😇
स्मारणतंत्रिकां स्थापयन्तु⏰
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https://t.me/samskrt_samvadah?voicechat
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March 8, 2022
March 8, 2022
🍃
♦️manmanaa bhava madbhakto madyaajii maaM namaskuru|
maamevaiShyasi yuktvaivamaatmaanaM matparaayaNaH9.34
⚜Fix your mind on Me, be devoted to Me, worship Me, and bow down to Me. Thus uniting yourself with Me, and setting Me as the supreme goal and sole refuge, you shall certainly realize (or come to) Me. (9.34)
⚜(तुम) मुझमें स्थिर मन वाले बनो मेरे भक्त और मेरे पूजन करने वाले बनो मुझे नमस्कार करो इस प्रकार मत्परायण (अर्थात् मैं ही जिसका परम लक्ष्य हूँ ऐसे) होकर आत्मा को मुझसे युक्त करके तुम मुझे ही प्राप्त होओगे।।9.34।।
#geeta
मन्मना भव मद्भक्तो मद्याजी मां नमस्कुरु।
मामेवैष्यसि युक्त्वैवमात्मानं मत्परायणः
।।9.34।।♦️manmanaa bhava madbhakto madyaajii maaM namaskuru|
maamevaiShyasi yuktvaivamaatmaanaM matparaayaNaH
⚜Fix your mind on Me, be devoted to Me, worship Me, and bow down to Me. Thus uniting yourself with Me, and setting Me as the supreme goal and sole refuge, you shall certainly realize (or come to) Me. (9.34)
⚜(तुम) मुझमें स्थिर मन वाले बनो मेरे भक्त और मेरे पूजन करने वाले बनो मुझे नमस्कार करो इस प्रकार मत्परायण (अर्थात् मैं ही जिसका परम लक्ष्य हूँ ऐसे) होकर आत्मा को मुझसे युक्त करके तुम मुझे ही प्राप्त होओगे।।9.34।।
#geeta
March 8, 2022
🪔सर्वेभ्यः सदस्येभ्यः संस्कृतसंवादस्य १५०० सदस्यानां संगस्य नैकाः शुभकामनाः। आशास्महे अस्माकम् ऐक्यं दृढ़तरं विस्तृततरं भवेत्।🐘
🌻 सभी सदस्यों को संस्कृत संवादः के १५०० सदस्य पूरे होने पर अनेकों शुभकामनाएं। आशा करते हैं हमारी एकता और अधिक दृढ़ और विस्तृत हो🌼
🐚Congratulations everyone for achievement of 1500 members in संस्कृत संवादः । May Our unity be more firm and extensive.🦚
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March 8, 2022
BVGch10vs01
Swami Brahamananda
श्रीमद्भगवद्गीता [10.01]
March 8, 2022
🍃
♦️shrii bhagavaanuvaacha
bhuuya eva mahaabaaho shrRRiNu me paramaM vachaH|
yatte'haM priiyamaaNaaya vakShyaami hitakaamyayaa10.1
⚜The Supreme Lord said:
O Arjuna, listen once again to My supreme word that I shall speak to you, who are dear, for your welfare. (10.01)
⚜श्रीभगवान् ने कहा --
हे महाबाहो पुन तुम मेरे परम वचनों का श्रवण करो जो मैं तुझ अतिशय प्रेम रखने वाले के लिये हित की इच्छा से कहूँगा।।10.1।।
#geeta
श्री भगवानुवाच
भूय एव महाबाहो शृणु मे परमं वचः।
यत्तेऽहं प्रीयमाणाय वक्ष्यामि हितकाम्यया
।।10.1।।♦️shrii bhagavaanuvaacha
bhuuya eva mahaabaaho shrRRiNu me paramaM vachaH|
yatte'haM priiyamaaNaaya vakShyaami hitakaamyayaa
⚜The Supreme Lord said:
O Arjuna, listen once again to My supreme word that I shall speak to you, who are dear, for your welfare. (10.01)
⚜श्रीभगवान् ने कहा --
हे महाबाहो पुन तुम मेरे परम वचनों का श्रवण करो जो मैं तुझ अतिशय प्रेम रखने वाले के लिये हित की इच्छा से कहूँगा।।10.1।।
#geeta
March 8, 2022
🚩 जय सत्य सनातन 🚩
🚩 आज की हिंदी तिथि
🌥️ 🚩 युगाब्द-५१२३
🌥️ 🚩 विक्रम संवत-२०७८
⛅ 🚩 तिथि - सप्तमी 2:56 ए. एम मार्च 10 तक तत्पश्चात अष्टमी
⛅ दिनांक 09 मार्च 2022
⛅ दिन - बुधवार
⛅ शक संवत - 1943
⛅ अयन - उत्तरायण
⛅ ऋतु - वसंत
⛅ मास - फाल्गुन
⛅ पक्ष - शुक्ल
⛅ नक्षत्र - कृत्तिका 8:31ए. एम तक तपश्चात रोहिणी
⛅ योग - विष्कम्भ 1:16 ए. एम मार्च 10 तत्पश्चात प्रीती
⛅ राहुकाल -12:50 पी.एम से 2:19 पी.एम तक
⛅ सूर्योदय - 06:54
⛅ सूर्यास्त - 18:46
⛅ चन्द्रोदय - 11:06 ए.एम.
⛅ चन्द्रोस्त - 12:55 ए.एम मार्च 10
⛅ दिशाशूल - उत्तर दिशा में
🚩 आज की हिंदी तिथि
🌥️ 🚩 युगाब्द-५१२३
🌥️ 🚩 विक्रम संवत-२०७८
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⛅ दिनांक 09 मार्च 2022
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March 8, 2022
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विषयः : वाक्याभ्यासः
दिनाङ्कः : 09th March 2022,
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March 8, 2022
March 8, 2022
Forwarded from रामदूतः — The Sanskrit News Platform
https://youtu.be/Ype35dzJa94
Switch to DD News daily at 7:15 AM (Morning) for 15 minutes Sanskrit news.
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YouTube
वार्ता: संस्कृत में समाचार | कृषि विज्ञान मेला आज से होगा शुरू
DD News is India’s
24x7 news channel from the stable of the country’s Public Service
Broadcaster, Prasar Bharati. It has the distinction of being India’s
only terrestrial cum satellite News Channel. Launched in 2003, DD News
has made a name for itself to…
March 8, 2022
March 8, 2022
"जन्मदुःखं जरादुःखं मृत्युदुःखं पुनः पुनः ।
संसारसागरे दुःखं तस्मात् जागृहि जागृहि ॥"
अर्थात - "संसार सागर में जन्म का, बुढ़ापे का, और मृत्यु का दुःख बार-बार आता है, इसीलिए (हे मानव!), “जाग, जाग !”
संस्कृतार्थः -
अस्मिन् संसारसागरे जन्मनः दुःखं वृद्धावस्थायाः दुःखं तथा मृत्युभयस्य दुःखं वारं वारम् आगच्छति।
तस्मात् कारणात् हे मनुष्य! संसारेण सह मोहं न स्थापय।
#Subhashitam
संसारसागरे दुःखं तस्मात् जागृहि जागृहि ॥"
अर्थात - "संसार सागर में जन्म का, बुढ़ापे का, और मृत्यु का दुःख बार-बार आता है, इसीलिए (हे मानव!), “जाग, जाग !”
संस्कृतार्थः -
अस्मिन् संसारसागरे जन्मनः दुःखं वृद्धावस्थायाः दुःखं तथा मृत्युभयस्य दुःखं वारं वारम् आगच्छति।
तस्मात् कारणात् हे मनुष्य! संसारेण सह मोहं न स्थापय।
#Subhashitam
March 8, 2022
March 8, 2022
March 8, 2022
March 9, 2022
March 9, 2022
संस्कृत संवादः । Sanskrit Samvadah
अभिषेकम्
अभिषेकेण अभिषेकाद्वा स्वपराक्रमेणैव सिंहो राजा उच्यते = बिना अभिषेक
के हि सिंह अपने पराक्रम के कारण राजा कहाता है। गृहिणीं विना कुतो गृहम्
? = गृहिणी के बिना घर कैसा ? जगतां यदि नो कर्त्ता, कुलालेन विना
घटः। चित्रकारं विना चित्रं, स्वतः…
(दो की तुलना में जिससे तुलना की जाए उसमें पञ्मी विभक्ति होती है।)
रामात्कृष्णः पटुतरोऽस्ति
= राम की अपेक्षा से कृष्ण चतुर है।
पठने मालायाः रमा पट्वी वर्तते किन्तु कार्ये रमायाः माला
= पढ़ाई में माला की अपेक्षा रमा पटु याने चतुर है, किन्तु काम में रमा की अपेक्षा से माला कुशल है।
भौतिकोन्नतेराध्यात्मिक्युन्नतिर्दुष्कराऽस्ति
= भौतिक उन्नति से आध्यात्मिक उन्नति करना कठिन है।
असत्यात् सत्यमृजु वर्तते
= असत्य की अपेक्षा सत्य का मार्ग सरल है।
धनाद् धर्मोऽतिरिच्यते
= धन की अपेक्षा धर्म श्रेष्ठ है।
जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसी
= जननी और जन्तमभूमि स्वर्ग से भी महान् है।
धर्म्याद्धि युद्धाच्छ्रेयोऽन्यत् क्षत्रियस्य न विद्यते
= क्षत्रिय के लिए धर्मयुद्ध से बढ़कर और कोई कर्त्तव्य नहीं है।
सम्भावितस्य चाकीर्तिर्मरणादतिरिच्यते
= सम्मानित व्यक्तियों के लिए अपयश मरण से भी बढ़कर है।
नियतं कुरु कर्म त्वं। कर्म ज्यायो ह्यकर्मणः शरीरयात्रापि च ते न प्रसिद्ध्येदकर्मणः
= तू नियमितरूप से कर्मों को कर क्योंकि कर्म करना कर्म न करने की अपेक्षा अच्छा है। बिना कर्म के तो यह शरीरयात्रा भी नहीं चल सकती।
श्रेयान्द्रव्यमयाद्यज्ञाज्ज्ञानयज्ञः परन्तपः।
सर्वं कर्माखिलं पार्थ ज्ञाने परिसमाप्यते।।
= दूसरों को तपानेवाले अर्जुन ! द्रव्ययज्ञ की अपेक्षा ज्ञानयज्ञ श्रेष्ठ है। क्योंकि सब कर्म ब्रह्मज्ञान हो जाने पर समाप्त हो जाते हैं।
न गृहं गृहमित्याहुर्गृहिणी गृहमुच्यते।
गृहं तु गृहिणीहीनं कान्तारादतिरिच्यते।।
= घर को घर नहीं कहते, गृहिणी को घर कहते हैं। गृहिणी के बिना घर जंगल से भी अधिक भीषण होता है।
चन्दनं शीतलं लोके चन्दनादपि चन्द्रमाः।
चन्द्रचन्दनयोर्मध्ये शीतला साधु संगतिः।।
= संसार में चन्दन शीतल माना जाता है। चन्द्रमा चन्दन से भी शीतल है। परन्तु चन्द्रमा और चन्दन से भी साधु की संगत अधिक शीतल है।
दारिद्र्यान्मरणं वरम्
= दरिद्रता की अपेक्षा मर जाना श्रेष्ठ है।
नास्ति कामसमो व्याधिर्नास्ति मोहसमो रिपुः। नास्ति कोपसमो वह्निर्नाऽस्ति ज्ञानात्परं सुखम्।।
= काम के समान दूसरी कोई व्याधि नहीं है, मोह के समान दूसरा कोई शत्रु नहीं है। क्रोध के समान दूसरी कोई आग नहीं है और आत्मज्ञान से बढ़कर कोई सुख नहीं है।
सत्यमेवेश्वरो लोके सत्ये धर्मः सदाश्रितः।
सत्यमूलानि सर्वाणि सत्यान्नास्ति परं पदम्।।
= संसार में सत्य ही समर्थ है, सदा सत्य के आधार पर ही धर्म है। सत्य ही सबकी जड़ है, सत्य से बढ़कर दूसरा कोई परं पद नहीं है।
#vakyabhyas
रामात्कृष्णः पटुतरोऽस्ति
= राम की अपेक्षा से कृष्ण चतुर है।
पठने मालायाः रमा पट्वी वर्तते किन्तु कार्ये रमायाः माला
= पढ़ाई में माला की अपेक्षा रमा पटु याने चतुर है, किन्तु काम में रमा की अपेक्षा से माला कुशल है।
भौतिकोन्नतेराध्यात्मिक्युन्नतिर्दुष्कराऽस्ति
= भौतिक उन्नति से आध्यात्मिक उन्नति करना कठिन है।
असत्यात् सत्यमृजु वर्तते
= असत्य की अपेक्षा सत्य का मार्ग सरल है।
धनाद् धर्मोऽतिरिच्यते
= धन की अपेक्षा धर्म श्रेष्ठ है।
जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसी
= जननी और जन्तमभूमि स्वर्ग से भी महान् है।
धर्म्याद्धि युद्धाच्छ्रेयोऽन्यत् क्षत्रियस्य न विद्यते
= क्षत्रिय के लिए धर्मयुद्ध से बढ़कर और कोई कर्त्तव्य नहीं है।
सम्भावितस्य चाकीर्तिर्मरणादतिरिच्यते
= सम्मानित व्यक्तियों के लिए अपयश मरण से भी बढ़कर है।
नियतं कुरु कर्म त्वं। कर्म ज्यायो ह्यकर्मणः शरीरयात्रापि च ते न प्रसिद्ध्येदकर्मणः
= तू नियमितरूप से कर्मों को कर क्योंकि कर्म करना कर्म न करने की अपेक्षा अच्छा है। बिना कर्म के तो यह शरीरयात्रा भी नहीं चल सकती।
श्रेयान्द्रव्यमयाद्यज्ञाज्ज्ञानयज्ञः परन्तपः।
सर्वं कर्माखिलं पार्थ ज्ञाने परिसमाप्यते।।
= दूसरों को तपानेवाले अर्जुन ! द्रव्ययज्ञ की अपेक्षा ज्ञानयज्ञ श्रेष्ठ है। क्योंकि सब कर्म ब्रह्मज्ञान हो जाने पर समाप्त हो जाते हैं।
न गृहं गृहमित्याहुर्गृहिणी गृहमुच्यते।
गृहं तु गृहिणीहीनं कान्तारादतिरिच्यते।।
= घर को घर नहीं कहते, गृहिणी को घर कहते हैं। गृहिणी के बिना घर जंगल से भी अधिक भीषण होता है।
चन्दनं शीतलं लोके चन्दनादपि चन्द्रमाः।
चन्द्रचन्दनयोर्मध्ये शीतला साधु संगतिः।।
= संसार में चन्दन शीतल माना जाता है। चन्द्रमा चन्दन से भी शीतल है। परन्तु चन्द्रमा और चन्दन से भी साधु की संगत अधिक शीतल है।
दारिद्र्यान्मरणं वरम्
= दरिद्रता की अपेक्षा मर जाना श्रेष्ठ है।
नास्ति कामसमो व्याधिर्नास्ति मोहसमो रिपुः। नास्ति कोपसमो वह्निर्नाऽस्ति ज्ञानात्परं सुखम्।।
= काम के समान दूसरी कोई व्याधि नहीं है, मोह के समान दूसरा कोई शत्रु नहीं है। क्रोध के समान दूसरी कोई आग नहीं है और आत्मज्ञान से बढ़कर कोई सुख नहीं है।
सत्यमेवेश्वरो लोके सत्ये धर्मः सदाश्रितः।
सत्यमूलानि सर्वाणि सत्यान्नास्ति परं पदम्।।
= संसार में सत्य ही समर्थ है, सदा सत्य के आधार पर ही धर्म है। सत्य ही सबकी जड़ है, सत्य से बढ़कर दूसरा कोई परं पद नहीं है।
#vakyabhyas
March 9, 2022
March 9, 2022
March 9, 2022
।।श्रीः।।
।।आत्मबोधः।।
Atmabodha, meaning Self-knowledge or Self-awareness, is an exceptionally lucid and readable work of Shankaracharya. Consisting of sixty-eight verses or shlokas, it is in a sense a simple summary of his entire Vedantic structure of thought, intended, it would seem, as a basic primer for his students and followers. The text follows a clearly elaborated doctrine, starting with knowledge as a key to liberation, the nautre of the Atman within us, the assertion of the pervasive and attribute-less nature of Brahman, and the path towards the realisation of the complete identity between the Atman and Brahman.
एवं निरन्तरकृता ब्रह्मैवास्मीति वासना।
हरत्यविद्याविक्षेपान्रोगानिव रसायनम्।।37।।
37. The impression “I am Brahman” thus created by constant practice destroys ignorance and the agitation caused by it, just as medicine or Rasayana destroys disease.
आत्म-बोध ऑनलाइन क्लास - 37:
आत्म-बोध के 37th श्लोक में भी आचार्यश्री हमें आत्म-अभ्यास क्या है और इससे क्या होता है वो बताते हैं। आत्मा के वास्तविक स्वरुप का पूरे प्रमाण पूर्वक अर्थात शास्त्रोक्त ज्ञान उत्पन्न करके, अपने जीव-भाव को कल्पित जानकर पूर्णतः बाधित करके, अपनी वास्तविकता की पहले तो अपरोक्ष स्पष्टता उत्पन्न करके - उसी में जगे रहना और रमना चाहिए। ये ही अहम्-ब्रह्मास्मि की वृत्ति है - अर्थात हम ही ब्रह्म है। इस निश्चय को सतत अभ्यास के द्वारा हृदयांवित करना चाहिए। अर्थात - ये सहज और अत्यंत प्रिय हो जाये। जब ऐसा हो जाता है, तब अविद्या और ताड-जनित विक्षेप जड़ से ऐसे समाप्त हो जाते हैं, जैसे दवाई से रोग।
#Atmabodha
।।आत्मबोधः।।
Atmabodha, meaning Self-knowledge or Self-awareness, is an exceptionally lucid and readable work of Shankaracharya. Consisting of sixty-eight verses or shlokas, it is in a sense a simple summary of his entire Vedantic structure of thought, intended, it would seem, as a basic primer for his students and followers. The text follows a clearly elaborated doctrine, starting with knowledge as a key to liberation, the nautre of the Atman within us, the assertion of the pervasive and attribute-less nature of Brahman, and the path towards the realisation of the complete identity between the Atman and Brahman.
एवं निरन्तरकृता ब्रह्मैवास्मीति वासना।
हरत्यविद्याविक्षेपान्रोगानिव रसायनम्।।37।।
37. The impression “I am Brahman” thus created by constant practice destroys ignorance and the agitation caused by it, just as medicine or Rasayana destroys disease.
आत्म-बोध ऑनलाइन क्लास - 37:
आत्म-बोध के 37th श्लोक में भी आचार्यश्री हमें आत्म-अभ्यास क्या है और इससे क्या होता है वो बताते हैं। आत्मा के वास्तविक स्वरुप का पूरे प्रमाण पूर्वक अर्थात शास्त्रोक्त ज्ञान उत्पन्न करके, अपने जीव-भाव को कल्पित जानकर पूर्णतः बाधित करके, अपनी वास्तविकता की पहले तो अपरोक्ष स्पष्टता उत्पन्न करके - उसी में जगे रहना और रमना चाहिए। ये ही अहम्-ब्रह्मास्मि की वृत्ति है - अर्थात हम ही ब्रह्म है। इस निश्चय को सतत अभ्यास के द्वारा हृदयांवित करना चाहिए। अर्थात - ये सहज और अत्यंत प्रिय हो जाये। जब ऐसा हो जाता है, तब अविद्या और ताड-जनित विक्षेप जड़ से ऐसे समाप्त हो जाते हैं, जैसे दवाई से रोग।
#Atmabodha
March 9, 2022
March 9, 2022
@samskrt_samvadah संलापशाला - A Samskrit Voicechat room.
कालावधिः : 45 निमेषाः
समयः : IST 11:00 AM 🕚
विषयः : देशभक्तिकथा
(Patriotic story) 75YEARS_OF_INDEPENDENCE
दिनाङ्कः : 10th March 2022,
गुरुवासरः
Please Join the voicechat on time.
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😇 यदि शक्येत चेत् संस्कृतेन (कस्यचित् महापुरुषस्य देशभक्तिपूर्णं प्रसङ्गं कथां वा वदन्तु।) चर्चार्थं कृपया पूर्वसिद्धतां कृत्वा आगच्छन्तु।
वयं युष्माकं प्रतीक्षां कुर्मः। 😇
स्मारणतंत्रिकां स्थापयन्तु⏰
👇🏼👇🏼👇🏼👇🏼👇🏼
https://t.me/samskrt_samvadah?voicechat
कालावधिः : 45 निमेषाः
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विषयः : देशभक्तिकथा
(Patriotic story) 75YEARS_OF_INDEPENDENCE
दिनाङ्कः : 10th March 2022,
गुरुवासरः
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March 9, 2022
BVGch10vs02
Swami Brahamananda
श्रीमद्भगवद्गीता [10.02]
March 9, 2022
🍃
♦️na me viduH suragaNaaH prabhavaM na maharShayaH|
ahamaadirhi devaanaaM maharShiiNaaM cha sarvashaH10.2
⚜Neither the Devas nor the great sages know My origin, because I am the origin of all Devas and sages also. (10.02)
⚜मेरी उत्पत्ति (प्रभव) को न देवतागण जानते हैं और न महर्षिजन क्योंकि मैं सब प्रकार से देवताओं और महर्षियों का भी आदिकारण हूँ।।10.2।।
#geeta
न मे विदुः सुरगणाः प्रभवं न महर्षयः।
अहमादिर्हि देवानां महर्षीणां च सर्वशः
।।10.2।।♦️na me viduH suragaNaaH prabhavaM na maharShayaH|
ahamaadirhi devaanaaM maharShiiNaaM cha sarvashaH
⚜Neither the Devas nor the great sages know My origin, because I am the origin of all Devas and sages also. (10.02)
⚜मेरी उत्पत्ति (प्रभव) को न देवतागण जानते हैं और न महर्षिजन क्योंकि मैं सब प्रकार से देवताओं और महर्षियों का भी आदिकारण हूँ।।10.2।।
#geeta
March 9, 2022
BVGch10vs03
Swami Brahamananda
श्रीमद्भगवद्गीता [10.03]
March 9, 2022
🍃
♦️yo maamajamanaadiM cha vetti lokamaheshvaram|
asammuuDhaH sa martyeShu sarvapaapaiH pramuchyate10.3
⚜One who knows Me as the unborn, the beginningless, and the Supreme Lord of the universe, is considered wise among the mortals, and gets liberation from the bondage of Karma. (10.03)
⚜जो मुझे अजन्मा अनादि और लोकों के महान् ईश्वर के रूप में जानता है र्मत्य मनुष्यों में ऐसा संमोहरहित (ज्ञानी) पुरुष सब पापों से मुक्त हो जाता है।।10.3।।
#geeta
यो मामजमनादिं च वेत्ति लोकमहेश्वरम्।
असम्मूढः स मर्त्येषु सर्वपापैः प्रमुच्यते
।।10.3।।♦️yo maamajamanaadiM cha vetti lokamaheshvaram|
asammuuDhaH sa martyeShu sarvapaapaiH pramuchyate
⚜One who knows Me as the unborn, the beginningless, and the Supreme Lord of the universe, is considered wise among the mortals, and gets liberation from the bondage of Karma. (10.03)
⚜जो मुझे अजन्मा अनादि और लोकों के महान् ईश्वर के रूप में जानता है र्मत्य मनुष्यों में ऐसा संमोहरहित (ज्ञानी) पुरुष सब पापों से मुक्त हो जाता है।।10.3।।
#geeta
March 9, 2022
🚩जय सत्य सनातन🚩
🚩आज की हिंदी तिथि
🌥️ 🚩युगाब्द-५१२३
🌥️ 🚩विक्रम संवत-२०७८
⛅ 🚩तिथि - अष्टमी 5:34 ए. एम मार्च 11 तक तत्पश्चात नवमी
⛅ दिनांक 10 मार्च 2022
⛅ दिन - गुरुवार
⛅ शक संवत - 1943
⛅ अयन - उत्तरायण
⛅ ऋतु - वसंत
⛅ मास - फाल्गुन
⛅ पक्ष - शुक्ल
⛅ नक्षत्र - रोहिणी 11:31ए. एम तक तपश्चात मृगशिरा
⛅ योग - प्रीती 2:14 ए. एम मार्च 11 तत्पश्चात आयुष्मान
⛅ राहुकाल -2:19 पी.एम से 3:48 पी.एम तक
⛅ सूर्योदय - 06:53
⛅ सूर्यास्त - 18:47
⛅ चन्द्रोदय - 11:48 ए.एम.
⛅ चन्द्रोस्त - 1:49 ए.एम मार्च 11
⛅ दिशाशूल - दक्षिण दिशा में
🚩आज की हिंदी तिथि
🌥️ 🚩युगाब्द-५१२३
🌥️ 🚩विक्रम संवत-२०७८
⛅ 🚩तिथि - अष्टमी 5:34 ए. एम मार्च 11 तक तत्पश्चात नवमी
⛅ दिनांक 10 मार्च 2022
⛅ दिन - गुरुवार
⛅ शक संवत - 1943
⛅ अयन - उत्तरायण
⛅ ऋतु - वसंत
⛅ मास - फाल्गुन
⛅ पक्ष - शुक्ल
⛅ नक्षत्र - रोहिणी 11:31ए. एम तक तपश्चात मृगशिरा
⛅ योग - प्रीती 2:14 ए. एम मार्च 11 तत्पश्चात आयुष्मान
⛅ राहुकाल -2:19 पी.एम से 3:48 पी.एम तक
⛅ सूर्योदय - 06:53
⛅ सूर्यास्त - 18:47
⛅ चन्द्रोदय - 11:48 ए.एम.
⛅ चन्द्रोस्त - 1:49 ए.एम मार्च 11
⛅ दिशाशूल - दक्षिण दिशा में
March 9, 2022
March 9, 2022
March 9, 2022
"न कश्चित् कस्यचित् मित्रं न कश्चित् कस्यचित् रिपु:।
व्यवहारेण जायन्ते, मित्राणि रिपवस्तथा।।"
अर्थात - "न कोई किसी का मित्र होता है, न कोई किसी का शत्रु । व्यवहार से ही मित्र या शत्रु बनते हैं ।"
संस्कृतार्थः -
कोऽपि अस्माकं मित्रं नास्ति कोऽपि अस्माकं शत्रुः नास्ति, अस्माकं व्यवहारस्य अनुसारेण एव मित्राणि तथा शत्रवः भवन्ति।
#Subhashitam
व्यवहारेण जायन्ते, मित्राणि रिपवस्तथा।।"
अर्थात - "न कोई किसी का मित्र होता है, न कोई किसी का शत्रु । व्यवहार से ही मित्र या शत्रु बनते हैं ।"
संस्कृतार्थः -
कोऽपि अस्माकं मित्रं नास्ति कोऽपि अस्माकं शत्रुः नास्ति, अस्माकं व्यवहारस्य अनुसारेण एव मित्राणि तथा शत्रवः भवन्ति।
#Subhashitam
March 9, 2022
March 9, 2022
March 10, 2022
March 10, 2022
संस्कृत संवादः । Sanskrit Samvadah
(दो
की तुलना में जिससे तुलना की जाए उसमें पञ्मी विभक्ति होती है।)
रामात्कृष्णः पटुतरोऽस्ति = राम की अपेक्षा से कृष्ण चतुर है। पठने
मालायाः रमा पट्वी वर्तते किन्तु कार्ये रमायाः माला = पढ़ाई में माला
की अपेक्षा रमा पटु याने चतुर है, किन्तु काम में…
अज्ञेभ्यो ग्रन्थिनः श्रेष्ठाः ग्रन्थिभ्यो धारिणो वराः। धारिभ्यो ज्ञानिनः श्रेष्ठाः ज्ञानिभ्यो व्यवसायिनः।।
= अज्ञ अर्थात् मूर्ख से ग्रन्थ पढ़नेवाले श्रेष्ठ हैं, ग्रन्थ पढ़नेवालों से उसे स्मरण करनेवाले (=रटनेवाले) श्रेष्ठ हैं। रटनेवालों से ग्रन्थस्थ ज्ञान को समझनेवाले और समझने वालों से भी तदनुकूल आचरणकर्ता श्रेष्ठ होते हैं।
शान्तितुल्यं तपो नास्ति न सन्तोषात्परं सुखम्। न तृष्णयाः परो व्याधिर्न च धर्मो दयापरः।।
= शान्ति के समान कोई तप नहीं है और सन्तोष से बढ़कर कोई सुख नहीं। तृष्णा से बढ़कर कोर्ई रोग नहीं और दया से बढ़कर कोई धर्म नहीं है।
विषाद् विषं किं ? विषयाः समस्ताः
= विष से भी अधिक विषाक्त क्या है ? समस्त विषयभोग।
वज्रादपि कठोराणि मृदूनि कुसुमादपि।
लोकोत्तराणां चेतांसि को नु विज्ञातुमर्हसि।।
= महापुरुषों का हृदय वज्र से भी कठोर और फूल से भी कोमल होता है। उसे जानने में कौन समर्थ हो सकता है ?
तृणं लघु तृणात्तूलं तूलादपि च याचकः।
वायुना किं न नीतोऽसौ मामयं याचयिष्यति।।
= तिनका अत्यन्त हलका होता है, तिनके से भी रुई अधिक हल्की होती है और रुई से भी याचक अधिक हल्का होता है। (प्रश्न होता है यदि रुई से भी याचक हल्का है तो..) वायु उसे उड़ा क्यों नहीं ले जाती ? (उत्तर है कि वायु को भी यह डर है कि..) कहीं यह याचक मुझसे भी न मांग ले।
वरं प्राणपरित्यागो मानभङ्गेन जीवनात्।
प्राणत्यागे क्षणं दुःखं मानभङ्गे दिने-दिने।।
= अपमानित होकर जीने की अपेक्षा मर जाना अधिक श्रेष्ठ है। क्योंकि मरने के समय तो क्षणभर के लिए कष्ट होता है, परन्तु अपमानित होने पर तो प्रतिदिन दुःख भोगना पड़ता है।
प्रक्षालनाद्धि पङ्कस्य दूरादस्पर्शनं वरम्
= पैर कीचड़ में डालकर धोने की अपेक्षा कीचड़ में न डालना ही अच्छा है।
संन्यासः कर्मयोगश्च निःश्रेयसकरावुभौ।
तयोस्तु कर्मसंन्यासात् कर्मयोगो विशिष्यते।।
= संन्यास अर्थात् सकाम कर्मों का त्याग तथा कर्मयोग अर्थात् निष्काम कर्मों का करना दोनों ही परम कल्याण याने मोक्ष को करनेवाले हैं। परन्तु इन दोनों में सकाम कर्म के त्याग की अपेक्षा निष्काम कर्म का करना अधिक अच्छा है।
तपस्विभ्योऽधिको योगी ज्ञानिभ्योऽपि मतोऽधिकः। कर्मिभ्यश्चाधिको योगी तस्माद्योगी भवार्जुन।।
= योगी तपस्वियों से बड़ा है, ज्ञानियों अनुभवरहितों से भी बड़ा है, कर्मकाण्डियों से भी बड़ा है। इसलिए हे अर्जुन तू योगी बन।
#vakyabhyas
= अज्ञ अर्थात् मूर्ख से ग्रन्थ पढ़नेवाले श्रेष्ठ हैं, ग्रन्थ पढ़नेवालों से उसे स्मरण करनेवाले (=रटनेवाले) श्रेष्ठ हैं। रटनेवालों से ग्रन्थस्थ ज्ञान को समझनेवाले और समझने वालों से भी तदनुकूल आचरणकर्ता श्रेष्ठ होते हैं।
शान्तितुल्यं तपो नास्ति न सन्तोषात्परं सुखम्। न तृष्णयाः परो व्याधिर्न च धर्मो दयापरः।।
= शान्ति के समान कोई तप नहीं है और सन्तोष से बढ़कर कोई सुख नहीं। तृष्णा से बढ़कर कोर्ई रोग नहीं और दया से बढ़कर कोई धर्म नहीं है।
विषाद् विषं किं ? विषयाः समस्ताः
= विष से भी अधिक विषाक्त क्या है ? समस्त विषयभोग।
वज्रादपि कठोराणि मृदूनि कुसुमादपि।
लोकोत्तराणां चेतांसि को नु विज्ञातुमर्हसि।।
= महापुरुषों का हृदय वज्र से भी कठोर और फूल से भी कोमल होता है। उसे जानने में कौन समर्थ हो सकता है ?
तृणं लघु तृणात्तूलं तूलादपि च याचकः।
वायुना किं न नीतोऽसौ मामयं याचयिष्यति।।
= तिनका अत्यन्त हलका होता है, तिनके से भी रुई अधिक हल्की होती है और रुई से भी याचक अधिक हल्का होता है। (प्रश्न होता है यदि रुई से भी याचक हल्का है तो..) वायु उसे उड़ा क्यों नहीं ले जाती ? (उत्तर है कि वायु को भी यह डर है कि..) कहीं यह याचक मुझसे भी न मांग ले।
वरं प्राणपरित्यागो मानभङ्गेन जीवनात्।
प्राणत्यागे क्षणं दुःखं मानभङ्गे दिने-दिने।।
= अपमानित होकर जीने की अपेक्षा मर जाना अधिक श्रेष्ठ है। क्योंकि मरने के समय तो क्षणभर के लिए कष्ट होता है, परन्तु अपमानित होने पर तो प्रतिदिन दुःख भोगना पड़ता है।
प्रक्षालनाद्धि पङ्कस्य दूरादस्पर्शनं वरम्
= पैर कीचड़ में डालकर धोने की अपेक्षा कीचड़ में न डालना ही अच्छा है।
संन्यासः कर्मयोगश्च निःश्रेयसकरावुभौ।
तयोस्तु कर्मसंन्यासात् कर्मयोगो विशिष्यते।।
= संन्यास अर्थात् सकाम कर्मों का त्याग तथा कर्मयोग अर्थात् निष्काम कर्मों का करना दोनों ही परम कल्याण याने मोक्ष को करनेवाले हैं। परन्तु इन दोनों में सकाम कर्म के त्याग की अपेक्षा निष्काम कर्म का करना अधिक अच्छा है।
तपस्विभ्योऽधिको योगी ज्ञानिभ्योऽपि मतोऽधिकः। कर्मिभ्यश्चाधिको योगी तस्माद्योगी भवार्जुन।।
= योगी तपस्वियों से बड़ा है, ज्ञानियों अनुभवरहितों से भी बड़ा है, कर्मकाण्डियों से भी बड़ा है। इसलिए हे अर्जुन तू योगी बन।
#vakyabhyas
March 10, 2022
March 10, 2022
March 10, 2022
।।श्रीः।।
।।आत्मबोधः।।
Atmabodha, meaning Self-knowledge or Self-awareness, is an exceptionally lucid and readable work of Shankaracharya. Consisting of sixty-eight verses or shlokas, it is in a sense a simple summary of his entire Vedantic structure of thought, intended, it would seem, as a basic primer for his students and followers. The text follows a clearly elaborated doctrine, starting with knowledge as a key to liberation, the nautre of the Atman within us, the assertion of the pervasive and attribute-less nature of Brahman, and the path towards the realisation of the complete identity between the Atman and Brahman.
विविक्तदेश आसीनो विरागो विजितेन्द्रियः।
भावयेदेकमात्मानं तमनन्तमनन्यधीः।।38।।
38. Sitting in a solitary place, freeing the mind from desires and controlling the senses, meditate with unswerving attention on the Atman which is One without-a-second.
आत्म-बोध ऑनलाइन क्लास - 38:
आत्म-बोध के 38th श्लोक में आचार्यश्री हमें आत्म-अभ्यास के लिए एक नया आयाम प्रदान कर रहे हैं - वो है ध्यान और समाधी का अभ्यास। ध्यान रहे की हमें यह साधना पहले नहीं प्रदान करी गयी, बल्कि जब हमें अहम् ब्रहास्मि का स्पष्ट ज्ञान हो गया तब ही प्रदान करी जा रही है। जब ज्ञान हुआ ही नहीं है तो किसपे ध्यान करें? इसलिए लोग ध्यान के नाम पर केवल मन को शांत करने का प्रयास करते हैं, वो वस्तुतः ठीक ध्यान नहीं है। ध्यान परमात्मा का, आत्मा का, सत्य का करना चाहिए। एकान्त में बैठकर अंतर्मुख होकर आत्मा के तरफ ध्यान मोड़ें और इसे अनंत और एक, अखंड देखें। अर्थात आत्मा को स्पष्ट रूप से ब्रह्म देखें - और इसके प्रति प्रगाढ़ महत्त्व की बुद्धि उत्पन्न करें। जिसके प्रति महत्त्व की बुद्धि होती है उसके प्रति ही भावना जगती है।
#Atmabodha
।।आत्मबोधः।।
Atmabodha, meaning Self-knowledge or Self-awareness, is an exceptionally lucid and readable work of Shankaracharya. Consisting of sixty-eight verses or shlokas, it is in a sense a simple summary of his entire Vedantic structure of thought, intended, it would seem, as a basic primer for his students and followers. The text follows a clearly elaborated doctrine, starting with knowledge as a key to liberation, the nautre of the Atman within us, the assertion of the pervasive and attribute-less nature of Brahman, and the path towards the realisation of the complete identity between the Atman and Brahman.
विविक्तदेश आसीनो विरागो विजितेन्द्रियः।
भावयेदेकमात्मानं तमनन्तमनन्यधीः।।38।।
38. Sitting in a solitary place, freeing the mind from desires and controlling the senses, meditate with unswerving attention on the Atman which is One without-a-second.
आत्म-बोध ऑनलाइन क्लास - 38:
आत्म-बोध के 38th श्लोक में आचार्यश्री हमें आत्म-अभ्यास के लिए एक नया आयाम प्रदान कर रहे हैं - वो है ध्यान और समाधी का अभ्यास। ध्यान रहे की हमें यह साधना पहले नहीं प्रदान करी गयी, बल्कि जब हमें अहम् ब्रहास्मि का स्पष्ट ज्ञान हो गया तब ही प्रदान करी जा रही है। जब ज्ञान हुआ ही नहीं है तो किसपे ध्यान करें? इसलिए लोग ध्यान के नाम पर केवल मन को शांत करने का प्रयास करते हैं, वो वस्तुतः ठीक ध्यान नहीं है। ध्यान परमात्मा का, आत्मा का, सत्य का करना चाहिए। एकान्त में बैठकर अंतर्मुख होकर आत्मा के तरफ ध्यान मोड़ें और इसे अनंत और एक, अखंड देखें। अर्थात आत्मा को स्पष्ट रूप से ब्रह्म देखें - और इसके प्रति प्रगाढ़ महत्त्व की बुद्धि उत्पन्न करें। जिसके प्रति महत्त्व की बुद्धि होती है उसके प्रति ही भावना जगती है।
#Atmabodha
March 10, 2022
March 10, 2022
@samskrt_samvadah संलापशाला - A Samskrit Voicechat room.
कालावधिः : 45 निमेषाः
समयः : IST 11:00 AM 🕚
विषयः : निर्वाचनपरिणामाः
(Election Results)
दिनाङ्कः : 11th March 2022,
शुक्रवासरः
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😇 यदि शक्येत चेत् संस्कृतेन ( सम्प्रति पञ्चराज्येषु निर्वाचनप्रक्रिया सम्पन्ना जाता तत्र किं दलं किमर्थं जयं प्राप्तवान् अथवा न प्राप्तवान्।) चर्चार्थं कृपया पूर्वसिद्धतां कृत्वा आगच्छन्तु।
वयं युष्माकं प्रतीक्षां कुर्मः। 😇
स्मारणतंत्रिकां स्थापयन्तु⏰
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कालावधिः : 45 निमेषाः
समयः : IST 11:00 AM 🕚
विषयः : निर्वाचनपरिणामाः
(Election Results)
दिनाङ्कः : 11th March 2022,
शुक्रवासरः
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😇 यदि शक्येत चेत् संस्कृतेन ( सम्प्रति पञ्चराज्येषु निर्वाचनप्रक्रिया सम्पन्ना जाता तत्र किं दलं किमर्थं जयं प्राप्तवान् अथवा न प्राप्तवान्।) चर्चार्थं कृपया पूर्वसिद्धतां कृत्वा आगच्छन्तु।
वयं युष्माकं प्रतीक्षां कुर्मः। 😇
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March 10, 2022
BVGch10vs04
Swami Brahamananda
श्रीमद्भगवद्गीता [10.04]
March 10, 2022
🍃
♦️buddhirj~naanamasaMmohaH kShamaa satyaM damaH shamaH|
sukhaM duHkhaM bhavo'bhaavo bhayaM chaabhayameva cha10.4
⚜Discrimination, knowledge, non-delusion, forgiveness, truthfulness,control over the mind and senses, pleasure, pain, birth, death, fear, fearlessness; (10.04).
⚜बुद्धि ज्ञान मोह का अभाव क्षमा सत्य दम (इन्द्रिय संयम) शम (मन संयम) सुख दुख जन्म और मृत्यु भय और अभय।।10.4।।
#geeta
बुद्धिर्ज्ञानमसंमोहः क्षमा सत्यं दमः शमः।
सुखं दुःखं भवोऽभावो भयं चाभयमेव च
।।10.4।।♦️buddhirj~naanamasaMmohaH kShamaa satyaM damaH shamaH|
sukhaM duHkhaM bhavo'bhaavo bhayaM chaabhayameva cha
⚜Discrimination, knowledge, non-delusion, forgiveness, truthfulness,control over the mind and senses, pleasure, pain, birth, death, fear, fearlessness; (10.04).
⚜बुद्धि ज्ञान मोह का अभाव क्षमा सत्य दम (इन्द्रिय संयम) शम (मन संयम) सुख दुख जन्म और मृत्यु भय और अभय।।10.4।।
#geeta
March 10, 2022
BVGch10vs05
Swami Brahamananda
श्रीमद्भगवद्गीता [10.05]
March 10, 2022
🍃
♦️ahiMsaa samataa tuShTistapo daanaM yasho'yashaH|
bhavanti bhaavaa bhuutaanaaM matta eva pRRithagvidhaaH10.5
⚜Nonviolence, equanimity, contentment, austerity, charity, fame, and ill fame; all these diverse qualities in human beings arise from Me alone. (10.05)
⚜अहिंसा समता सन्तोष तप दान यश और अपयश ऐसे ये प्राणियों के नानाविध भाव मुझ से ही प्रकट होते हैं।।
#geeta
अहिंसा समता तुष्टिस्तपो दानं यशोऽयशः।
भवन्ति भावा भूतानां मत्त एव पृथग्विधाः
।।10.5।।♦️ahiMsaa samataa tuShTistapo daanaM yasho'yashaH|
bhavanti bhaavaa bhuutaanaaM matta eva pRRithagvidhaaH
⚜Nonviolence, equanimity, contentment, austerity, charity, fame, and ill fame; all these diverse qualities in human beings arise from Me alone. (10.05)
⚜अहिंसा समता सन्तोष तप दान यश और अपयश ऐसे ये प्राणियों के नानाविध भाव मुझ से ही प्रकट होते हैं।।
#geeta
March 10, 2022
🚩जय सत्य सनातन🚩
🚩आज की हिंदी तिथि
🌥 🚩यगाब्द-५१२३
🌥 🚩विक्रम संवत-२०७८
⛅️ 🚩तिथि - नवमी पूर्णरात्री तक
⛅️ दिनांक 11 मार्च 2022
⛅️ दिन - शुक्रवार
⛅️ शक संवत - 1943
⛅️ अयन - उत्तरायण
⛅️ ऋतु - वसंत
⛅️ मास - फाल्गुन
⛅️ पक्ष - शुक्ल
⛅️ नक्षत्र - मृगशिरा 2:36 पी. एम तक तपश्चात आर्द्रा
⛅️ योग - आयुष्मान 3:11 ए. एम मार्च 12 तत्पश्चात सौभाग्य
⛅️ राहुकाल -11:20 ए.एम से 12:50 पी.एम तक
⛅️ सर्योदय - 06:53
⛅️ सर्यास्त - 18:47
⛅️ चन्द्रोदय - 12:35 पी.एम.
⛅️ चन्द्रोस्त - 2:41 ए.एम मार्च 12
⛅️ दिशाशूल - पश्चिम
🚩आज की हिंदी तिथि
🌥 🚩यगाब्द-५१२३
🌥 🚩विक्रम संवत-२०७८
⛅️ 🚩तिथि - नवमी पूर्णरात्री तक
⛅️ दिनांक 11 मार्च 2022
⛅️ दिन - शुक्रवार
⛅️ शक संवत - 1943
⛅️ अयन - उत्तरायण
⛅️ ऋतु - वसंत
⛅️ मास - फाल्गुन
⛅️ पक्ष - शुक्ल
⛅️ नक्षत्र - मृगशिरा 2:36 पी. एम तक तपश्चात आर्द्रा
⛅️ योग - आयुष्मान 3:11 ए. एम मार्च 12 तत्पश्चात सौभाग्य
⛅️ राहुकाल -11:20 ए.एम से 12:50 पी.एम तक
⛅️ सर्योदय - 06:53
⛅️ सर्यास्त - 18:47
⛅️ चन्द्रोदय - 12:35 पी.एम.
⛅️ चन्द्रोस्त - 2:41 ए.एम मार्च 12
⛅️ दिशाशूल - पश्चिम
March 10, 2022
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कालावधिः : 45 निमेषाः
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विषयः : निर्वाचनपरिणामाः
(Election Results)
दिनाङ्कः : 11th March 2022,
शुक्रवासरः
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दिनाङ्कः : 11th March 2022,
शुक्रवासरः
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😇 यदि शक्येत चेत् संस्कृतेन ( सम्प्रति पञ्चराज्येषु निर्वाचनप्रक्रिया सम्पन्ना जाता तत्र किं दलं किमर्थं जयं प्राप्तवान् अथवा न प्राप्तवान्।) चर्चार्थं कृपया पूर्वसिद्धतां कृत्वा आगच्छन्तु।
वयं युष्माकं प्रतीक्षां कुर्मः। 😇
स्मारणतंत्रिकां स्थापयन्तु⏰
👇🏼👇🏼👇🏼👇🏼👇🏼
https://t.me/samskrt_samvadah?voicechat
March 10, 2022
March 10, 2022
Arsha Seva Kendram, a non-profit organization, is pleased to announce Samskrutam courses starting at the end of March, 2022.
ASK is about to begin a new set of classes. Although teaching for the Samskrita Bharati Distance Learning Program Exams (Pravesha, Parichaya, Shiksha and Kovida) is not the primary goal of these courses, they will be guided in broad terms by them. Emphasis will be on learning the concepts, sambhaashaNa, written skills in Samskrutam. Concepts will be instilled firmly with the help of regular weekly homeworks similar to what one finds in a college/university environment. All courses are taught by experienced Samskrutam teachers.
COURSE BEGINS: Last week of March, 2022
COURSE ENDS: January 2023
FEES: Free; a token dakshina (Rs.101/USD 25) will be asked at the time of registration
TEACHING METHOD: Online, via Zoom
LAST DATE TO REGISTER: March 20, 2022
Please see the attached poster for deciding your current skill level and register for the
appropriate course.
DhanyavaadaH,
BhanuH
ASK is about to begin a new set of classes. Although teaching for the Samskrita Bharati Distance Learning Program Exams (Pravesha, Parichaya, Shiksha and Kovida) is not the primary goal of these courses, they will be guided in broad terms by them. Emphasis will be on learning the concepts, sambhaashaNa, written skills in Samskrutam. Concepts will be instilled firmly with the help of regular weekly homeworks similar to what one finds in a college/university environment. All courses are taught by experienced Samskrutam teachers.
COURSE BEGINS: Last week of March, 2022
COURSE ENDS: January 2023
FEES: Free; a token dakshina (Rs.101/USD 25) will be asked at the time of registration
TEACHING METHOD: Online, via Zoom
LAST DATE TO REGISTER: March 20, 2022
Please see the attached poster for deciding your current skill level and register for the
appropriate course.
DhanyavaadaH,
BhanuH
March 10, 2022
March 10, 2022
March 10, 2022
March 10, 2022
March 10, 2022
अकिंचनत्वं राज्यं च तुलया समतोलयत्।
अकिंचनत्वमधिकं राज्यादपि जितात्मनः।।
If poverty and kingship would be weighed against each other, to a self-controlled poverty would be superior to kingship.
संस्कृतार्थः -
निर्धनताराज्ययोः भारतोलनं यदि क्रियेत चेत् वैराग्यधारीजनस्य कृते निर्धनता एव भारयुक्ता भवेत्।
#Subhashitam
अकिंचनत्वमधिकं राज्यादपि जितात्मनः।।
If poverty and kingship would be weighed against each other, to a self-controlled poverty would be superior to kingship.
संस्कृतार्थः -
निर्धनताराज्ययोः भारतोलनं यदि क्रियेत चेत् वैराग्यधारीजनस्य कृते निर्धनता एव भारयुक्ता भवेत्।
#Subhashitam
March 10, 2022
March 11, 2022
March 11, 2022
संस्कृत संवादः । Sanskrit Samvadah
अज्ञेभ्यो
ग्रन्थिनः श्रेष्ठाः ग्रन्थिभ्यो धारिणो वराः। धारिभ्यो ज्ञानिनः
श्रेष्ठाः ज्ञानिभ्यो व्यवसायिनः।। = अज्ञ अर्थात् मूर्ख से ग्रन्थ
पढ़नेवाले श्रेष्ठ हैं, ग्रन्थ पढ़नेवालों से उसे स्मरण करनेवाले (=रटनेवाले)
श्रेष्ठ हैं। रटनेवालों से ग्रन्थस्थ ज्ञान…
संस्कृतं वद आधुनिको भव।
वेदान् पठ वैज्ञानिको भव।।
पाठ : (२१) पञ्चमी विभक्ति
(जब ल्यप्/क्त्वा प्रत्ययान्त धातु/क्रिया का वाक्य में प्रयोग तो न हुआ हो, किन्तु उसका अर्थ प्रतीत हो रहा हो, तब उस ल्यप्/क्त्वा प्रत्ययान्त क्रिया के कर्म व अधिकरण कारक में पञ्चमी विभक्ति होती है।)
दमयन्ती प्रासादात् (प्रासादम् आरुह्य) नलस्यन्दनं ददर्र्श
= दमयन्ती ने महल से (महल पर चढ़कर) नल के रथ को देखा।
कन्या गवाक्षात् (गवाक्षम् आरुह्य) वीथ्यां पश्यति
= कन्या खिड़की से गली को देख रही है।
हनुमान् पर्वतात् (पर्वतम् आरुह्य) रामलक्ष्मणौ अपश्यत्
= हनुमान ने पर्वत से रामलक्ष्मण को देखा।
बालः छदिषः (छदिः आरुह्य) पतङ्गम् उड्डाययति
= बालक छत से पतंग उड़ा रहा है।
अध्यापकः आसन्दिकायाः (आसन्दिकायाम् उपविश्य) व्याकरणं पाठयति
= अध्यापक कुर्सीपर बैठकर व्याकरण पढ़ा रहे हैं।
पितामही शय्यायाः (शय्यायाम् उपविश्य) नप्त्रीं भर्त्सयति
= दादी बिस्तर से धेवती (बेटी की बेटी) को ड़ांट रही है।
वधूः श्वशुरात् (श्वशुरं दृष्ट्वा) लज्जते
= बहु ससुर से लजाती है।
कपिः वृक्षात् (वृक्षम् आरुह्य) फलानि क्षिपति
= बन्दर पेड़ से फल फेंक रहा है।
वक्ता मञ्चात् (मञ्चे उपविश्य) वदति
= वक्ता मंच से बोल रहा है।
सैनिकः वायुयानात् (वायुयाने उपविश्य) स्फोटकगोलं मुञ्चति क्षिपति वा
= सैनिक विमान से बम फेंक रहा है।
विद्वान् बुद्धि से संसार को देखता है
= बुधः बुद्धेः (बुद्धिं प्रयुज्य) संसारं पश्यति।
(मार्ग और काल के माप के विषय में जहां से काल और मार्ग का माप करना हो उसमें पञ्चमी विभक्ति होती है।)
सिकंदराबादात् हैदराबादं दूरे नास्ति
= सिकंदराबाद से हैदराबाद दूर नहीं है।
मम ग्रामात् नगरं त्रिंशत्-किलोमीटर-यावत् अस्ति
= मेरे गांव से नगर तीस किलोमीटर जितना दूर है।
रामस्य गृहात् रमेशस्य गृहं दूरे वर्तते
= राम के घर से रमेश का घर दूर है।
शरद्-पौर्णमास्याः कार्तिकी पौर्णमासी मासे वर्तते
= शरद् पूर्णिमा से कार्तिक पूर्णिमा एक महिने के बाद होती है।
मङ्गलवासरात् शनिवासरः त्रिषु दिवसेषु अस्ति
= मंगलवार से शनिवार तीन दिन बाद है।
माता दिल्लीतः दिनद्वयेऽत्र आगमिष्यति
= मां दिल्ली से दो दिन में यहां आएगी।
सोमवासरात् बुधवासरपर्यन्तं कार्यक्रमोऽस्ति
= सोमवार से बुधवार तक कार्यक्रम है।
#vakyabhyas
वेदान् पठ वैज्ञानिको भव।।
पाठ : (२१) पञ्चमी विभक्ति
(जब ल्यप्/क्त्वा प्रत्ययान्त धातु/क्रिया का वाक्य में प्रयोग तो न हुआ हो, किन्तु उसका अर्थ प्रतीत हो रहा हो, तब उस ल्यप्/क्त्वा प्रत्ययान्त क्रिया के कर्म व अधिकरण कारक में पञ्चमी विभक्ति होती है।)
दमयन्ती प्रासादात् (प्रासादम् आरुह्य) नलस्यन्दनं ददर्र्श
= दमयन्ती ने महल से (महल पर चढ़कर) नल के रथ को देखा।
कन्या गवाक्षात् (गवाक्षम् आरुह्य) वीथ्यां पश्यति
= कन्या खिड़की से गली को देख रही है।
हनुमान् पर्वतात् (पर्वतम् आरुह्य) रामलक्ष्मणौ अपश्यत्
= हनुमान ने पर्वत से रामलक्ष्मण को देखा।
बालः छदिषः (छदिः आरुह्य) पतङ्गम् उड्डाययति
= बालक छत से पतंग उड़ा रहा है।
अध्यापकः आसन्दिकायाः (आसन्दिकायाम् उपविश्य) व्याकरणं पाठयति
= अध्यापक कुर्सीपर बैठकर व्याकरण पढ़ा रहे हैं।
पितामही शय्यायाः (शय्यायाम् उपविश्य) नप्त्रीं भर्त्सयति
= दादी बिस्तर से धेवती (बेटी की बेटी) को ड़ांट रही है।
वधूः श्वशुरात् (श्वशुरं दृष्ट्वा) लज्जते
= बहु ससुर से लजाती है।
कपिः वृक्षात् (वृक्षम् आरुह्य) फलानि क्षिपति
= बन्दर पेड़ से फल फेंक रहा है।
वक्ता मञ्चात् (मञ्चे उपविश्य) वदति
= वक्ता मंच से बोल रहा है।
सैनिकः वायुयानात् (वायुयाने उपविश्य) स्फोटकगोलं मुञ्चति क्षिपति वा
= सैनिक विमान से बम फेंक रहा है।
विद्वान् बुद्धि से संसार को देखता है
= बुधः बुद्धेः (बुद्धिं प्रयुज्य) संसारं पश्यति।
(मार्ग और काल के माप के विषय में जहां से काल और मार्ग का माप करना हो उसमें पञ्चमी विभक्ति होती है।)
सिकंदराबादात् हैदराबादं दूरे नास्ति
= सिकंदराबाद से हैदराबाद दूर नहीं है।
मम ग्रामात् नगरं त्रिंशत्-किलोमीटर-यावत् अस्ति
= मेरे गांव से नगर तीस किलोमीटर जितना दूर है।
रामस्य गृहात् रमेशस्य गृहं दूरे वर्तते
= राम के घर से रमेश का घर दूर है।
शरद्-पौर्णमास्याः कार्तिकी पौर्णमासी मासे वर्तते
= शरद् पूर्णिमा से कार्तिक पूर्णिमा एक महिने के बाद होती है।
मङ्गलवासरात् शनिवासरः त्रिषु दिवसेषु अस्ति
= मंगलवार से शनिवार तीन दिन बाद है।
माता दिल्लीतः दिनद्वयेऽत्र आगमिष्यति
= मां दिल्ली से दो दिन में यहां आएगी।
सोमवासरात् बुधवासरपर्यन्तं कार्यक्रमोऽस्ति
= सोमवार से बुधवार तक कार्यक्रम है।
#vakyabhyas
March 11, 2022
March 11, 2022
March 11, 2022
।।श्रीः।।
।।आत्मबोधः।।
Atmabodha, meaning Self-knowledge or Self-awareness, is an exceptionally lucid and readable work of Shankaracharya. Consisting of sixty-eight verses or shlokas, it is in a sense a simple summary of his entire Vedantic structure of thought, intended, it would seem, as a basic primer for his students and followers. The text follows a clearly elaborated doctrine, starting with knowledge as a key to liberation, the nautre of the Atman within us, the assertion of the pervasive and attribute-less nature of Brahman, and the path towards the realisation of the complete identity between the Atman and Brahman.
आत्मन्येवाखिलं दृश्यं प्रविलाप्य धिया सुधीः।
भावयेदेकमात्मानं निर्मलाकाशवत्सदा।।39।।
39. The wise one should intelligently merge the entire world-of-objects in the Atman alone and constantly think of the Self ever as contaminated by anything as the sky.
आत्म-बोध ऑनलाइन क्लास - 39:
आत्म-बोध के 39th श्लोक में आचार्यश्री हमें निदिध्यासन रुपी ध्यान का स्वरुप बता रहे हैं। वे कहते हैं की जिस एकांत वास में रह कर हमने पिछले श्लोक में ध्यान करने की बात कही थी, उसी ध्यान में क्या करना होता है। वे कहते हैं की जो हमें ये समस्त द्रश्य जगत दिख रहा है, जिसमे ही हम सब अपनी खुशियां ढूंढते रहते हैं, अर्थात हो हमारे लिए अभी तब सत्य था, उसके ऊपर ध्यान करें और उसके तत्त्व पर विचार करें - और यह देखें की दृश्य जगत का अस्तित्व और महत्त्व सब दृष्टा के कारण ही होता है। अतः दृश्य को आत्मा में विलीन करें - इसको प्रविलापन कहते हैं। फिर अपने आप को सर्वात्मा, अखण्ड और अनंत देखें - इसकी तीव्र भावना उत्पन्न करें।
#Atmabodha
।।आत्मबोधः।।
Atmabodha, meaning Self-knowledge or Self-awareness, is an exceptionally lucid and readable work of Shankaracharya. Consisting of sixty-eight verses or shlokas, it is in a sense a simple summary of his entire Vedantic structure of thought, intended, it would seem, as a basic primer for his students and followers. The text follows a clearly elaborated doctrine, starting with knowledge as a key to liberation, the nautre of the Atman within us, the assertion of the pervasive and attribute-less nature of Brahman, and the path towards the realisation of the complete identity between the Atman and Brahman.
आत्मन्येवाखिलं दृश्यं प्रविलाप्य धिया सुधीः।
भावयेदेकमात्मानं निर्मलाकाशवत्सदा।।39।।
39. The wise one should intelligently merge the entire world-of-objects in the Atman alone and constantly think of the Self ever as contaminated by anything as the sky.
आत्म-बोध ऑनलाइन क्लास - 39:
आत्म-बोध के 39th श्लोक में आचार्यश्री हमें निदिध्यासन रुपी ध्यान का स्वरुप बता रहे हैं। वे कहते हैं की जिस एकांत वास में रह कर हमने पिछले श्लोक में ध्यान करने की बात कही थी, उसी ध्यान में क्या करना होता है। वे कहते हैं की जो हमें ये समस्त द्रश्य जगत दिख रहा है, जिसमे ही हम सब अपनी खुशियां ढूंढते रहते हैं, अर्थात हो हमारे लिए अभी तब सत्य था, उसके ऊपर ध्यान करें और उसके तत्त्व पर विचार करें - और यह देखें की दृश्य जगत का अस्तित्व और महत्त्व सब दृष्टा के कारण ही होता है। अतः दृश्य को आत्मा में विलीन करें - इसको प्रविलापन कहते हैं। फिर अपने आप को सर्वात्मा, अखण्ड और अनंत देखें - इसकी तीव्र भावना उत्पन्न करें।
#Atmabodha
March 11, 2022
March 11, 2022
https://youtu.be/qOxc19qz3uM
#SanskritCarnaticMusic
पाहि मां पार्वति परमेश्वरि - रागं मोहनम् - ताळं रूपकम्
पल्लवि
पाहि मां पार्वति परमेश्वरि श्री
अनुपल्लवि
मोहन सुन्दर स्वरूपिणि शङ्करि
मोदक कर गुरु गुह भक्त जनावन शङ्करि
चरणम्
पञ्चानन हृदयेश्वरि
परमेश्वर मोहिनि
सर्वेश्वरि सर्वानन्द-मय चक्र वासिनि
(मध्यम काल साहित्यम्)
वाञ्छितार्थ फल प्रदायिनि
वारिजासनादि नुत चरण नळिनि
संप्रदाय कुलोत्तीर्ण योगिनि
Meaning
pallavi
pAhi mAM - Protect me!
SrI pArvati - O Parvati!
parama-ISvari - O great goddess!
anupallavi
mOhana sundara svarUpiNi - O one whose form is enchanting and beautiful!
Sankari - O wife of Shiva (Shankara)!
mOdaka kara guru guha bhakta jana-avana - O one who protects the devotees of Ganesha (who holds a Modaka in his hand) and Guruguha!
Sankari - O causer of good fortune and happiness!
caraNam
panca-Anana hRdaya-ISvari - O queen of the heart of Shiva (the five-faced one)!
parama-ISvara mOhini - O enchantress of Shiva (the great god)!
sarva-ISvari - O goddess of everything!
sarva-Ananda-maya cakra vAsini - O one dwelling in the Sarvanandamaya Chakra!
vAnchita-artha phala pradAyini - O giver of desired benefits!
vArija-Asana-Adi nuta caraNa naLini - O one whose lotus-feet are extolled by the lotus-seated Brahma!
saMpradAya kula-uttIrNa yOgini - O one taking the forms of the Sampradaya and Kulottirna Yoginis!
Comments:
This Kriti is in the eighth (Sambodhana Prathama) Vibhakti
The names ‘pArvatI’, ‘paramESvarI’ and ‘sarvESvarI’ are found in the Lalita Sahasranama
#SanskritCarnaticMusic
पाहि मां पार्वति परमेश्वरि - रागं मोहनम् - ताळं रूपकम्
पल्लवि
पाहि मां पार्वति परमेश्वरि श्री
अनुपल्लवि
मोहन सुन्दर स्वरूपिणि शङ्करि
मोदक कर गुरु गुह भक्त जनावन शङ्करि
चरणम्
पञ्चानन हृदयेश्वरि
परमेश्वर मोहिनि
सर्वेश्वरि सर्वानन्द-मय चक्र वासिनि
(मध्यम काल साहित्यम्)
वाञ्छितार्थ फल प्रदायिनि
वारिजासनादि नुत चरण नळिनि
संप्रदाय कुलोत्तीर्ण योगिनि
Meaning
pallavi
pAhi mAM - Protect me!
SrI pArvati - O Parvati!
parama-ISvari - O great goddess!
anupallavi
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Sankari - O wife of Shiva (Shankara)!
mOdaka kara guru guha bhakta jana-avana - O one who protects the devotees of Ganesha (who holds a Modaka in his hand) and Guruguha!
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saMpradAya kula-uttIrNa yOgini - O one taking the forms of the Sampradaya and Kulottirna Yoginis!
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This Kriti is in the eighth (Sambodhana Prathama) Vibhakti
The names ‘pArvatI’, ‘paramESvarI’ and ‘sarvESvarI’ are found in the Lalita Sahasranama
YouTube
Pahimam Pravathi- ClassicalVocal- Krithis Of Dikshitar - Veena Gana Priya | Sri Muthuswamy Dikshitar
Listen to Krithis Of Dikshitar - Pahimam Pravathi - Veena Gana Priya.
Dikshitar, was a South Indian poet, singer and veena player, and a legendary composer of Indian classical music, who is considered one of the musical trinity of Carnatic music. His compositions…
Dikshitar, was a South Indian poet, singer and veena player, and a legendary composer of Indian classical music, who is considered one of the musical trinity of Carnatic music. His compositions…
March 11, 2022
@samskrt_samvadah संलापशाला - A Samskrit Voicechat room.
कालावधिः : 45 निमेषाः
समयः : IST 11:00 AM 🕚
विषयः :संस्कृतकथा,सुभाषितम्,
हास्यकणिका..... इत्यादयः
दिनाङ्कः : 12th March 2022,
शनिवासरः
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😇 यदि शक्येत चेत् संस्कृतेन (संस्कृतकथां, सुभाषितं, हास्यकणिकां ,स्वस्य कञ्चित् उत्तमम् अनुभवं ,प्रेरकप्रसङ्गं ,लौकिकन्यायं, गीतं वा वदन्तु) । चर्चार्थं कृपया पूर्वसिद्धतां कृत्वा आगच्छन्तु।
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दिनाङ्कः : 12th March 2022,
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March 11, 2022
BVGch10vs06
Swami Brahamananda
श्रीमद्भगवद्गीता [10.06]
March 11, 2022
🍃
♦️maharShayaH sapta puurve chatvaaro manavastathaa|
madbhaavaa maanasaa jaataa yeShaaM loka imaaH prajaaH10.6
⚜The seven great sages and four ancient Manus, from whom all these creatures of the world were born, originated from My potential energy. (10.06)
⚜सात महर्षिजन पूर्वकाल के चार (सनकादि) तथा (चौदह) मनु ये मेरे प्रभाव वाले मेरे संकल्प से उत्पन्न हुए हैं जिनकी संसार (लोक) में यह प्रजा है।।10.6।।
#geeta
महर्षयः सप्त पूर्वे चत्वारो मनवस्तथा।
मद्भावा मानसा जाता येषां लोक इमाः प्रजाः
।।10.6।।♦️maharShayaH sapta puurve chatvaaro manavastathaa|
madbhaavaa maanasaa jaataa yeShaaM loka imaaH prajaaH
⚜The seven great sages and four ancient Manus, from whom all these creatures of the world were born, originated from My potential energy. (10.06)
⚜सात महर्षिजन पूर्वकाल के चार (सनकादि) तथा (चौदह) मनु ये मेरे प्रभाव वाले मेरे संकल्प से उत्पन्न हुए हैं जिनकी संसार (लोक) में यह प्रजा है।।10.6।।
#geeta
March 11, 2022
BVGch10vs07
Swami Brahamananda
श्रीमद्भगवद्गीता [10.07]
March 11, 2022
🍃
♦️etaaM vibhuutiM yogaM cha mama yo vetti tattvataH|
so'vikampena yogena yujyate naatra saMshayaH10.7
⚜One who truly understands My manifestations and yogic powers, is united with Me in unswerving devotion. There is no doubt about this. (10.07)
⚜जो पुरुष इस मेरी विभूति और योग को तत्त्व से जानता है वह पुरुष अविकम्प योग (अर्थात् निश्चल ध्यान योग) से युक्त हो जाता है इसमें कुछ भी संशय नहीं है।।10.7।।
#geeta
एतां विभूतिं योगं च मम यो वेत्ति तत्त्वतः।
सोऽविकम्पेन योगेन युज्यते नात्र संशयः
।।10.7।।♦️etaaM vibhuutiM yogaM cha mama yo vetti tattvataH|
so'vikampena yogena yujyate naatra saMshayaH
⚜One who truly understands My manifestations and yogic powers, is united with Me in unswerving devotion. There is no doubt about this. (10.07)
⚜जो पुरुष इस मेरी विभूति और योग को तत्त्व से जानता है वह पुरुष अविकम्प योग (अर्थात् निश्चल ध्यान योग) से युक्त हो जाता है इसमें कुछ भी संशय नहीं है।।10.7।।
#geeta
March 11, 2022
🚩जय सत्य सनातन🚩
🚩आज की हिंदी तिथि
🌥 🚩यगाब्द-५१२३
🌥 🚩विक्रम संवत-२०७८
⛅️ 🚩तिथि - नवमी 8:07 ए. एम. तक ततपश्चात दशमी
⛅️ दिनांक 12 मार्च 2022
⛅️ दिन - शनिवार
⛅️ शक संवत - 1943
⛅️ अयन - उत्तरायण
⛅️ ऋतु - वसंत
⛅️ मास - फाल्गुन
⛅️ पक्ष - शुक्ल
⛅️ नक्षत्र - आर्द्रा 5:32 पी. एम तक तपश्चात पुर्नवसु
⛅️ योग - सौभाग्य 3:55 ए. एम मार्च 13 तत्पश्चात शोभन
⛅️ राहुकाल -9:51 ए.एम से 11:20 ए.एम. तक
⛅️ सर्योदय - 06:52
⛅️ सर्यास्त - 18:47
⛅️ चन्द्रोदय - 01:25 पी.एम.
⛅️ चन्द्रोस्त - 3:31 ए.एम मार्च 13
⛅️ दिशाशूल - पूर्व
🚩आज की हिंदी तिथि
🌥 🚩यगाब्द-५१२३
🌥 🚩विक्रम संवत-२०७८
⛅️ 🚩तिथि - नवमी 8:07 ए. एम. तक ततपश्चात दशमी
⛅️ दिनांक 12 मार्च 2022
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⛅️ चन्द्रोदय - 01:25 पी.एम.
⛅️ चन्द्रोस्त - 3:31 ए.एम मार्च 13
⛅️ दिशाशूल - पूर्व
March 11, 2022
https://youtu.be/mRuixi5mKU4
Switch to DD News daily at 7:15 AM (Morning) for 15 minutes Sanskrit news.
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YouTube
वार्ता: संस्कृत में समाचार | पीएम मोदी खेल महाकुंभ का करेंगे उद्घाटन
March 11, 2022
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कालावधिः : 45 निमेषाः
समयः : IST 11:00 AM 🕚
विषयः :संस्कृतकथा,सुभाषितम्,
हास्यकणिका..... इत्यादयः
दिनाङ्कः : 12th March 2022,
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वयं युष्माकं प्रतीक्षां कुर्मः। 😇
स्मारणतंत्रिकां स्थापयतु⏰
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March 11, 2022
March 11, 2022
March 11, 2022
"आत्मनश्च परेषां च यः समीक्ष्य बलाबलम् ।
अन्तरं नैव जानाति स तिरस्क्रियतेदरिभिः ॥"
अर्थात - "स्वयं के और दूसरे के बल का विचार करके जो योग्य अंतर नहीं रखता वह (राजा) शत्रु के तिरस्कार का पात्र बनता है ।"
संस्कृतार्थः -
यः मनुष्यः स्वस्य अन्येषां च बलं दौर्बल्यं च ज्ञात्वा अपि पर्याप्तम् अन्तरं न स्थापयति, तादृशं जनं शत्रवः सर्वदा तिरस्कुर्वन्ति।
#Subhashitam
अन्तरं नैव जानाति स तिरस्क्रियतेदरिभिः ॥"
अर्थात - "स्वयं के और दूसरे के बल का विचार करके जो योग्य अंतर नहीं रखता वह (राजा) शत्रु के तिरस्कार का पात्र बनता है ।"
संस्कृतार्थः -
यः मनुष्यः स्वस्य अन्येषां च बलं दौर्बल्यं च ज्ञात्वा अपि पर्याप्तम् अन्तरं न स्थापयति, तादृशं जनं शत्रवः सर्वदा तिरस्कुर्वन्ति।
#Subhashitam
March 11, 2022
March 11, 2022
March 11, 2022
March 12, 2022
March 12, 2022
संस्कृत संवादः । Sanskrit Samvadah
संस्कृतं
वद आधुनिको भव। वेदान् पठ वैज्ञानिको भव।। पाठ : (२१) पञ्चमी विभक्ति
(जब ल्यप्/क्त्वा प्रत्ययान्त धातु/क्रिया का वाक्य में प्रयोग तो न हुआ
हो, किन्तु उसका अर्थ प्रतीत हो रहा हो, तब उस ल्यप्/क्त्वा प्रत्ययान्त
क्रिया के कर्म व अधिकरण कारक में पञ्चमी…
{अन्य,
भिन्न, इतर, आरात्, (निकट, दूर) इन शब्दों से युक्त शब्दों में तथा पूर्व,
पश्चिम, उत्तर, दक्षिण, प्राक्, प्रत्यक्, उदक्, दक्षिणा, उत्तरा,
दक्षिणाहि और उत्तराहि शब्दों से युक्त शब्दों में पञ्चमी विभक्ति होती
है।}
मत् शीतला अन्य स्वभावा
= मुझसे शीतल का स्वभाव अलग है।
प्रिय ! रामात् अन्यो बलरामः
= प्यारे ! राम से बलराम भिन्न है।
यज्ञात्कर्मणोन्यऽत्र लोकोऽयं कर्मबन्धनः।
तदर्थं कर्म कौन्तेय मुक्तसङ्गः समाचर।।
= यज्ञीय कर्म (निष्काम भावना से किए गए कर्म) से भिन्न कर्म संसार में बांधनेवाले हैं। अतः हे अर्जुन आसक्ति रहित होकर यज्ञीय (निष्काम) कर्म कर।
यथा फलानां पक्वानां नान्यत्र पतनाद् भयम्। एवं नरस्य जातस्य नान्यत्र मरणाद् भयम्।।
= जैसे पके हुए फलों को गिरने के अलावा और कोई भय नहीं होता, वैसे ही उत्पन्न हुए मनुष्य को मृत्यु के सिवा और कोई भय नहीं होता।
एतन्मे संशयं कृष्ण छेत्तुमर्हस्यशेषतः।
त्वदन्यः संशयस्यास्य छेत्ता न ह्युपपद्यते।।
= हे कृष्ण ! मेरे इस संशय को तू पूर्णरूप से नष्ट कर सकता है। तेरे बिना अन्य कोई इस संशय को छिन्न-भिन्न करनेवाला नहीं मिल सकता।
कस्मै अपि दद्यात्, मत्तः मम अनुजो न भिन्नः
= किसी को भी दे सकते हो ! मेरे से मेरा छोटा भाई अलग नहीं है (हम दोनों एक ही हैं)।
एषा सैव वार्ता न, तस्याः भिन्नाऽस्ति
= यह वही बात नहीं है, उससे अलग है।
परशुरामः रामात् इतरः आसीत्
= परशुराम राम से पृथक् (भिन्न) था।
त्वदितरः कः कल्पते कर्त्तुमिदम् ?
= तेरे सिवा कौन इसे कर सकता था ?
भीरवः अस्मद् इतरे खलु स्युः, वयं तु राजपूताः
= डरपोक तो हमसे कोई दूसरे होंगे, हम तो राजपूत हैं।
ग्रामस्य आरात् आरामोऽस्ति
= गांव के समीप बगीचा है।
भारतवर्षं हिमालयात् दक्षिणे वर्त्तते
= भारतवर्ष हिमालय से दक्षिण में है।
मध्यप्रदेशात् गुजरातप्रान्तः पश्चिमो वर्त्तते दिल्ली-नगरी च उत्तरा
= गुजरात मध्यप्रदेश के पश्चिम में है और दिल्ली उत्तर में है।
गुरुकुलं ग्रामात् पूर्वेऽस्ति
= गुरुकुल गांव की पूर्र्व दिशा में है।
रामात् पूर्वो यः स्थितः सः श्यामोऽस्ति
= राम से पहले जो खड़ा है वह श्याम है।
अस्मात् तगाडात् प्राक् प्रत्यक् उदक् च पर्वताः सन्ति
= इस तालाब के पूर्व, पश्चिम तथा उत्तर में पहाड़ हैं।
कृष्णात् प्राक् रामो जातः
= कृष्ण से पहले राम हो गए।
नैव सृष्टिरचनाऽदिकालीना, सृष्टेः प्राक् प्रलयो भवति
= अनादि काल से सृष्टि नहीं चली आ रही है, सृष्टि से पहले प्रलय होता है।
राजस्थानं गुजरातप्रान्ताद् उत्तरा अस्ति
= राजस्थान गुजरात से उत्तर दिशा में है।
आन्ध्रप्रदेशात् रामेश्वरं दक्षिणा वर्तते
= आन्ध्रप्रदेश के दक्षिण में रामेश्वर है।
गृहात् उत्तरा अतीव समीचीनं दृश्यते
= घर का उत्तरवाला भाग बहुत सुन्दर दिख रहा है।
गुरुकुलात् दक्षिणा क्षेत्रं शुष्कं जातम्
= गुरुकुल का दक्षिणभाग का खेत सूख गया।
आश्रमभवनात् दक्षिणाहि विद्यालयः उत्तराहि च भोजनालयः अस्ति
= आश्रम भवन के दक्षिण में विद्यालय और उत्तर में भोजनालय है।
गुरुकुलस्य दक्षिणाहि उत्तराहि च रमणीयं वर्त्तते
= गुरुकुल का दक्षिण व उत्तरभाग सुन्दर है।
संस्थानाद् दक्षिणाहि गच्छ
= चौराहे से दक्षिण में जाना।
#vakyabhyas
मत् शीतला अन्य स्वभावा
= मुझसे शीतल का स्वभाव अलग है।
प्रिय ! रामात् अन्यो बलरामः
= प्यारे ! राम से बलराम भिन्न है।
यज्ञात्कर्मणोन्यऽत्र लोकोऽयं कर्मबन्धनः।
तदर्थं कर्म कौन्तेय मुक्तसङ्गः समाचर।।
= यज्ञीय कर्म (निष्काम भावना से किए गए कर्म) से भिन्न कर्म संसार में बांधनेवाले हैं। अतः हे अर्जुन आसक्ति रहित होकर यज्ञीय (निष्काम) कर्म कर।
यथा फलानां पक्वानां नान्यत्र पतनाद् भयम्। एवं नरस्य जातस्य नान्यत्र मरणाद् भयम्।।
= जैसे पके हुए फलों को गिरने के अलावा और कोई भय नहीं होता, वैसे ही उत्पन्न हुए मनुष्य को मृत्यु के सिवा और कोई भय नहीं होता।
एतन्मे संशयं कृष्ण छेत्तुमर्हस्यशेषतः।
त्वदन्यः संशयस्यास्य छेत्ता न ह्युपपद्यते।।
= हे कृष्ण ! मेरे इस संशय को तू पूर्णरूप से नष्ट कर सकता है। तेरे बिना अन्य कोई इस संशय को छिन्न-भिन्न करनेवाला नहीं मिल सकता।
कस्मै अपि दद्यात्, मत्तः मम अनुजो न भिन्नः
= किसी को भी दे सकते हो ! मेरे से मेरा छोटा भाई अलग नहीं है (हम दोनों एक ही हैं)।
एषा सैव वार्ता न, तस्याः भिन्नाऽस्ति
= यह वही बात नहीं है, उससे अलग है।
परशुरामः रामात् इतरः आसीत्
= परशुराम राम से पृथक् (भिन्न) था।
त्वदितरः कः कल्पते कर्त्तुमिदम् ?
= तेरे सिवा कौन इसे कर सकता था ?
भीरवः अस्मद् इतरे खलु स्युः, वयं तु राजपूताः
= डरपोक तो हमसे कोई दूसरे होंगे, हम तो राजपूत हैं।
ग्रामस्य आरात् आरामोऽस्ति
= गांव के समीप बगीचा है।
भारतवर्षं हिमालयात् दक्षिणे वर्त्तते
= भारतवर्ष हिमालय से दक्षिण में है।
मध्यप्रदेशात् गुजरातप्रान्तः पश्चिमो वर्त्तते दिल्ली-नगरी च उत्तरा
= गुजरात मध्यप्रदेश के पश्चिम में है और दिल्ली उत्तर में है।
गुरुकुलं ग्रामात् पूर्वेऽस्ति
= गुरुकुल गांव की पूर्र्व दिशा में है।
रामात् पूर्वो यः स्थितः सः श्यामोऽस्ति
= राम से पहले जो खड़ा है वह श्याम है।
अस्मात् तगाडात् प्राक् प्रत्यक् उदक् च पर्वताः सन्ति
= इस तालाब के पूर्व, पश्चिम तथा उत्तर में पहाड़ हैं।
कृष्णात् प्राक् रामो जातः
= कृष्ण से पहले राम हो गए।
नैव सृष्टिरचनाऽदिकालीना, सृष्टेः प्राक् प्रलयो भवति
= अनादि काल से सृष्टि नहीं चली आ रही है, सृष्टि से पहले प्रलय होता है।
राजस्थानं गुजरातप्रान्ताद् उत्तरा अस्ति
= राजस्थान गुजरात से उत्तर दिशा में है।
आन्ध्रप्रदेशात् रामेश्वरं दक्षिणा वर्तते
= आन्ध्रप्रदेश के दक्षिण में रामेश्वर है।
गृहात् उत्तरा अतीव समीचीनं दृश्यते
= घर का उत्तरवाला भाग बहुत सुन्दर दिख रहा है।
गुरुकुलात् दक्षिणा क्षेत्रं शुष्कं जातम्
= गुरुकुल का दक्षिणभाग का खेत सूख गया।
आश्रमभवनात् दक्षिणाहि विद्यालयः उत्तराहि च भोजनालयः अस्ति
= आश्रम भवन के दक्षिण में विद्यालय और उत्तर में भोजनालय है।
गुरुकुलस्य दक्षिणाहि उत्तराहि च रमणीयं वर्त्तते
= गुरुकुल का दक्षिण व उत्तरभाग सुन्दर है।
संस्थानाद् दक्षिणाहि गच्छ
= चौराहे से दक्षिण में जाना।
#vakyabhyas
March 12, 2022
March 12, 2022
March 12, 2022
।।श्रीः।।
।।आत्मबोधः।।
Atmabodha, meaning Self-knowledge or Self-awareness, is an exceptionally lucid and readable work of Shankaracharya. Consisting of sixty-eight verses or shlokas, it is in a sense a simple summary of his entire Vedantic structure of thought, intended, it would seem, as a basic primer for his students and followers. The text follows a clearly elaborated doctrine, starting with knowledge as a key to liberation, the nautre of the Atman within us, the assertion of the pervasive and attribute-less nature of Brahman, and the path towards the realisation of the complete identity between the Atman and Brahman.
रूपवर्णादिकं सर्वं विहाय परमार्थवित्।
परिपूर्णचिदानन्दस्वरूपेणावतिष्ठते।।40।।
40. He who has realised the Supreme, discards all his identification with the objects of names and forms. (Thereafter) he dwells as an embodiment of the Infinite Consciousness and Bliss. He becomes the Self.
आत्म-बोध ऑनलाइन क्लास - 40:
आत्म-बोध के 40th श्लोक में आचार्यश्री हमें पिछले श्लोक में बताये गए एक बिंदु पर और गहराई से प्रकाश डालते हैं। वो बिंदु है - दृश्य का आत्मा में प्रविलापन। यह प्रविलापन कैसे किया जाता है - वह इस श्लोक में बताया जा रहा है। समस्त दृश्य विविध विषयों से बना है, और सभी विषयों में दो पहलु होते हैं, एक उसका विशिष्ट नाम-रूप और दूसरा उसका तत्त्व। इनकी दोनों को गहराई से समझा जाता है। इसके विवेक से ही प्रविलापन संभव होता है, और एक अखंड तत्त्व का साक्षात्कार हो जाता है।
#Atmabodha
।।आत्मबोधः।।
Atmabodha, meaning Self-knowledge or Self-awareness, is an exceptionally lucid and readable work of Shankaracharya. Consisting of sixty-eight verses or shlokas, it is in a sense a simple summary of his entire Vedantic structure of thought, intended, it would seem, as a basic primer for his students and followers. The text follows a clearly elaborated doctrine, starting with knowledge as a key to liberation, the nautre of the Atman within us, the assertion of the pervasive and attribute-less nature of Brahman, and the path towards the realisation of the complete identity between the Atman and Brahman.
रूपवर्णादिकं सर्वं विहाय परमार्थवित्।
परिपूर्णचिदानन्दस्वरूपेणावतिष्ठते।।40।।
40. He who has realised the Supreme, discards all his identification with the objects of names and forms. (Thereafter) he dwells as an embodiment of the Infinite Consciousness and Bliss. He becomes the Self.
आत्म-बोध ऑनलाइन क्लास - 40:
आत्म-बोध के 40th श्लोक में आचार्यश्री हमें पिछले श्लोक में बताये गए एक बिंदु पर और गहराई से प्रकाश डालते हैं। वो बिंदु है - दृश्य का आत्मा में प्रविलापन। यह प्रविलापन कैसे किया जाता है - वह इस श्लोक में बताया जा रहा है। समस्त दृश्य विविध विषयों से बना है, और सभी विषयों में दो पहलु होते हैं, एक उसका विशिष्ट नाम-रूप और दूसरा उसका तत्त्व। इनकी दोनों को गहराई से समझा जाता है। इसके विवेक से ही प्रविलापन संभव होता है, और एक अखंड तत्त्व का साक्षात्कार हो जाता है।
#Atmabodha
March 12, 2022
March 12, 2022
@samskrt_samvadah संलापशाला - A Samskrit Voicechat room.
कालावधिः : 45 निमेषाः
समयः : IST 11:00 AM 🕚
विषयः : मैत्र्याः महत्तवम्
(Importance of Friendship)
दिनाङ्कः : 13th March 2022,
रविवासरः
Please Join the voicechat on time.
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😇 यदि शक्येत चेत् संस्कृतेन ( मैत्री कीदृशी भवेत् , अस्माकं शास्त्रेषु किमुक्तम् अस्ति,स्वानुभवः कोऽपि,कयोः मैत्रीम् अधिकम् इच्छन्ति) । चर्चार्थं कृपया पूर्वसिद्धतां कृत्वा आगच्छन्तु।
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दिनाङ्कः : 13th March 2022,
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March 12, 2022
क्या सोच रहे हैं?
सोचने में ही समय निकल जाएगा।
आइए, एक अच्छा अवसर आपके द्वार ।
Online संस्कृत संभाषण एवं सामान्य व्याकरण का अध्ययन। यदि आप भी चाहते हैं संस्कृत बोलना, संस्कृत ग्रन्थों को पढ़ना ,अपने धर्म ग्रन्थों को जानना तो एक सुनहरा अवसर है आपके पास।
पञ्जीकरण कराइए
12.03.2022 से शुरू हो रहा है।
समय सन्ध्या 06.30 से 08:00 pm।
आपकी प्रतिदिन उपस्थिति और संस्कृत संभाषण संस्कृत का प्रचार-प्रसार ही हमारे लिए शुल्क है।🙃
क्या आप Samskrit grammar में आ रही दिक्कतों की वजह से अब तक संस्कृत में बात करना नहीं सीख पाएं हैं?
किसी भी काम को करने के लिए प्रथम प्रयास तो आपको ही करना होता है, इसलिए बिना किसी झिझक के संस्कृत में बोलने की कोशिश करें। अगर आप दोस्तों से मिलते हैं तो उनके साथ सामूहिक चर्चा कीजिये, आप कोई अशुद्ध शब्द बोलते हैं या आपको उच्चारण नहीं आता तो आप बिलकुल भी घबरायें नहीं थोड़ी सी हिम्मत करें और अपने अन्दर का डर बाहर निकालकर खुलके संस्कृत बातें कर सकते हैं।
आज के new generation में अपनी मातृभाषा जानने के साथ-साथ संस्कृत सीखना जरूरी नहीं बल्कि अनिवार्य हो गया है।संस्कृत सीखना कोई कठिन काम नहीं है। आज के Digital युग में आप घर बैठे संस्कृत सीख सकते हैं।
हम आपके लिए Google meet में संस्कृत वातावरण बना रहे हैं।
तो देरी किस बात की, शीघ्र जुड़ें
कब से? मार्च 12, 2022 से
किस समय? सन्ध्या 06.30 से 08.00 तक
कैसे करें? अपना नाम पता विवरण whatsapp number
सोचने में ही समय निकल जाएगा।
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7326815737
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आपकी प्रतिदिन उपस्थिति और संस्कृत संभाषण संस्कृत का प्रचार-प्रसार ही हमारे लिए शुल्क है।🙃
क्या आप Samskrit grammar में आ रही दिक्कतों की वजह से अब तक संस्कृत में बात करना नहीं सीख पाएं हैं?
किसी भी काम को करने के लिए प्रथम प्रयास तो आपको ही करना होता है, इसलिए बिना किसी झिझक के संस्कृत में बोलने की कोशिश करें। अगर आप दोस्तों से मिलते हैं तो उनके साथ सामूहिक चर्चा कीजिये, आप कोई अशुद्ध शब्द बोलते हैं या आपको उच्चारण नहीं आता तो आप बिलकुल भी घबरायें नहीं थोड़ी सी हिम्मत करें और अपने अन्दर का डर बाहर निकालकर खुलके संस्कृत बातें कर सकते हैं।
आज के new generation में अपनी मातृभाषा जानने के साथ-साथ संस्कृत सीखना जरूरी नहीं बल्कि अनिवार्य हो गया है।संस्कृत सीखना कोई कठिन काम नहीं है। आज के Digital युग में आप घर बैठे संस्कृत सीख सकते हैं।
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संस्कृत संवादः । Sanskrit Samvadah pinned «क्या
सोच रहे हैं? सोचने में ही समय निकल जाएगा। आइए, एक अच्छा अवसर आपके
द्वार । Online संस्कृत संभाषण एवं सामान्य व्याकरण का अध्ययन। यदि आप भी
चाहते हैं संस्कृत बोलना, संस्कृत ग्रन्थों को पढ़ना ,अपने धर्म ग्रन्थों
को जानना तो एक सुनहरा अवसर है आपके पास।…»
March 12, 2022
BVGch10vs08
Swami Brahamananda
श्रीमद्भगवद्गीता [10.08]
March 12, 2022
🍃
♦️ahaM sarvasya prabhavo mattaH sarvaM pravartate|
iti matvaa bhajante maaM budhaa bhaavasamanvitaaH10.8
⚜I am the origin of all. Everything emanates from Me. Understanding this, the wise ones worship Me with love and devotion. (10.08)
⚜मैं ही सबका प्रभव स्थान हूँ मुझसे ही सब (जगत्) विकास को प्राप्त होता है इस प्रकार जानकर बुधजन भक्ति भाव से युक्त होकर मुझे ही भजते हैं।।10.8।।
#geeta
अहं सर्वस्य प्रभवो मत्तः सर्वं प्रवर्तते।
इति मत्वा भजन्ते मां बुधा भावसमन्विताः
।।10.8।।♦️ahaM sarvasya prabhavo mattaH sarvaM pravartate|
iti matvaa bhajante maaM budhaa bhaavasamanvitaaH
⚜I am the origin of all. Everything emanates from Me. Understanding this, the wise ones worship Me with love and devotion. (10.08)
⚜मैं ही सबका प्रभव स्थान हूँ मुझसे ही सब (जगत्) विकास को प्राप्त होता है इस प्रकार जानकर बुधजन भक्ति भाव से युक्त होकर मुझे ही भजते हैं।।10.8।।
#geeta
March 12, 2022
BVGch10vs09
Swami Brahamananda
श्रीमद्भगवद्गीता [10.09]
March 12, 2022
🍃
♦️machchittaa madgatapraaNaa bodhayantaH parasparam|
kathayantashcha maaM nityaM tuShyanti cha ramanti cha10.9
⚜With their minds absorbed in Me, with their lives surrendered unto Me, always enlightening each other by talking about Me; they remain ever content and delighted. (10.09)
⚜मुझमें ही चित्त को स्थिर करने वाले और मुझमें ही प्राणों (इन्द्रियों) को अर्पित करने वाले भक्तजन सदैव परस्पर मेरा बोध कराते हुए मेरे ही विषय में कथन करते हुए सन्तुष्ट होते हैं और रमते हैं।।10.9।।
#geeta
मच्चित्ता मद्गतप्राणा बोधयन्तः परस्परम्।
कथयन्तश्च मां नित्यं तुष्यन्ति च रमन्ति च
।।10.9।।♦️machchittaa madgatapraaNaa bodhayantaH parasparam|
kathayantashcha maaM nityaM tuShyanti cha ramanti cha
⚜With their minds absorbed in Me, with their lives surrendered unto Me, always enlightening each other by talking about Me; they remain ever content and delighted. (10.09)
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March 12, 2022
🚩 जय सत्य सनातन 🚩
🚩 आज की हिंदी तिथि
🌥 🚩 यगाब्द-५१२३
🌥 🚩 विक्रम संवत-२०७८
⛅️ 🚩 तिथि - दशमी 10:21 ए. एम. तक ततपश्चात एकादशी
⛅️ दिनांक 13 मार्च 2022
⛅️ दिन - रविवार
⛅️ शक संवत - 1943
⛅️ अयन - उत्तरायण
⛅️ ऋतु - वसंत
⛅️ मास - फाल्गुन
⛅️ पक्ष - शुक्ल
⛅️ नक्षत्र - पुर्नवसु 8:06 पी. एम तक तपश्चात पुष्य
⛅️ योग - शोभन 4:18 ए. एम मार्च 14 तत्पश्चात अतिगण्ड
⛅️ रविपुष्यामृतयोग मार्च 13 रात्रि 8:06 पी.एम से 14 मार्च सूर्यदय 6:50 ए.एम. तक
⛅️सर्वार्थसिद्धि योग - 13 रात्रि 8:06 पी.एम से 14 मार्च सूर्यदय 6:50 ए.एम. तक
⛅️ राहुकाल -9:51 ए.एम से 11:20 ए.एम. तक
⛅️ सर्योदय - 06:51
⛅️ सर्यास्त - 18:48
⛅️ चन्द्रोदय - 02:18 पी.एम.
⛅️ चन्द्रोस्त - 4:18 ए.एम मार्च 14
⛅️ दिशाशूल - पश्चिम
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March 12, 2022
Forwarded from रामदूतः — The Sanskrit News Platform
https://youtu.be/jIqM2kG_LY4
Switch to DD News daily at 7:15 AM (Morning) for 15 minutes Sanskrit news.
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वार्ता: संस्कृत भाषा में ताज़ा समाचार
March 12, 2022
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कालावधिः : 45 निमेषाः
समयः : IST 11:00 AM 🕚
विषयः : मैत्र्याः महत्तवम्
(Importance of Friendship)
दिनाङ्कः : 13th March 2022,
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March 12, 2022
March 12, 2022
Forwarded from रामदूतः — The Sanskrit News Platform
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Vaartavali: Weekly Sanskrit Magazine I Episode:330
Vaartavali: Weekly Sanskrit Magazine I Episode:330
DD News is India’s 24x7 news channel from the stable of the country’s Public Service Broadcaster, Prasar Bharati. It has the distinction of being India’s only terrestrial cum satellite News Channel. Launched…
DD News is India’s 24x7 news channel from the stable of the country’s Public Service Broadcaster, Prasar Bharati. It has the distinction of being India’s only terrestrial cum satellite News Channel. Launched…
March 12, 2022
March 12, 2022
Indira Gandhi National Open University (IGNOU)
Certificate in (Communicative Sanskrit) Saral Sanskrit Bodh (CSSB)
Distance Learning /Correspondence Course
http://www.ignou.ac.in/ignou/aboutignou/school/soh/programmes/detail/726/2
Course Details Click here
Minimum Duration: 6 Months
Maximum Duration: 2 Years
Course Fee: Rs. 1500
Minimum Age: No bar
Maximum Age: No bar
CourseCode Course Name
SSB-001 PrathamBodhah
SSB-002 Dwitiya Bodhah
SSB-004 Bhasha Prayogik Parikshan
SSB-003 Sambhashanam
To Enrol Click here
Last Date to Apply without late Fee is 15th March 2022
The last date of Fresh Admission for PG and UG Programmes both for Online and ODL mode ( except certificate, semester based and merit based Programmes) and Re-registration for the January 2022 Session has been extended till 25th March 2022.
#SanskritEducation
Certificate in (Communicative Sanskrit) Saral Sanskrit Bodh (CSSB)
Distance Learning /Correspondence Course
http://www.ignou.ac.in/ignou/aboutignou/school/soh/programmes/detail/726/2
Course Details Click here
Minimum Duration: 6 Months
Maximum Duration: 2 Years
Course Fee: Rs. 1500
Minimum Age: No bar
Maximum Age: No bar
CourseCode Course Name
SSB-001 PrathamBodhah
SSB-002 Dwitiya Bodhah
SSB-004 Bhasha Prayogik Parikshan
SSB-003 Sambhashanam
To Enrol Click here
Last Date to Apply without late Fee is 15th March 2022
The last date of Fresh Admission for PG and UG Programmes both for Online and ODL mode ( except certificate, semester based and merit based Programmes) and Re-registration for the January 2022 Session has been extended till 25th March 2022.
#SanskritEducation
ignou.ac.in
IGNOU - School of Humanities (SOH) - Programmes - Distance - Certificate in (Communicative Sanskrit) Saral Sanskrit Bodh (CSSB)
The Indira Gandhi
National Open University (IGNOU), established by an Act of Parliament in
1985, has continuously striven to build an inclusive knowledge society
through inclusive education.
March 12, 2022
March 12, 2022
धर्म एव हतो हन्ति धर्मो रक्षति रक्षितः |
तस्माद्धर्मो न हन्तव्यः मा नो धर्मो हतोवधीत् | | – मनुस्मृति
Meaning : Dharma only destroys (those) that destroy it. Dharma also protects those that protect it. Hence, Dharma should not be destroyed. Know that if violated, Dharma destroys us.
Dharm - Dharma
Eva - used to emphasis
-- Dharm~Eva - Dharma alone/Dharma indeed
Hato - Being killed/destroyed
Hanti - Kills/destroyes
Dharmo - From Dharma
Rakshati - To protect
Rakshitah - The protected one
Tasma - Hence/Therefore
Dharmo - From Dharma
Na - Not
Hantvyo - To kill/destroy
Ma - Do not
No - Nor
Dharmo - From Dharma
Hato - Being killed/destroyed
Vadhit - Killed
#Subhashitam
तस्माद्धर्मो न हन्तव्यः मा नो धर्मो हतोवधीत् | | – मनुस्मृति
Meaning : Dharma only destroys (those) that destroy it. Dharma also protects those that protect it. Hence, Dharma should not be destroyed. Know that if violated, Dharma destroys us.
Dharm - Dharma
Eva - used to emphasis
-- Dharm~Eva - Dharma alone/Dharma indeed
Hato - Being killed/destroyed
Hanti - Kills/destroyes
Dharmo - From Dharma
Rakshati - To protect
Rakshitah - The protected one
Tasma - Hence/Therefore
Dharmo - From Dharma
Na - Not
Hantvyo - To kill/destroy
Ma - Do not
No - Nor
Dharmo - From Dharma
Hato - Being killed/destroyed
Vadhit - Killed
#Subhashitam
March 12, 2022
March 13, 2022
March 13, 2022
March 13, 2022
संस्कृत संवादः । Sanskrit Samvadah
{अन्य,
भिन्न, इतर, आरात्, (निकट, दूर) इन शब्दों से युक्त शब्दों में तथा पूर्व,
पश्चिम, उत्तर, दक्षिण, प्राक्, प्रत्यक्, उदक्, दक्षिणा, उत्तरा,
दक्षिणाहि और उत्तराहि शब्दों से युक्त शब्दों में पञ्चमी विभक्ति होती
है।} मत् शीतला अन्य स्वभावा = मुझसे शीतल…
(प्रभृति, आरभ्य, बहिः, ऊर्ध्वम्, अनन्तरम् के योग में भी पञ्चमी विभक्ति होती है।)
इतः प्रभृति नगर पर्यन्तं वृष्टो देवः
= यहां से लेकर शहर तक वर्षा हुई।
हिमालयात् प्रभृति रामेश्वर पर्यन्तं भारतवर्षं वर्तते
= हिमालय से लेकर रामेश्वर तक भारतवर्ष है।
प्रतिपदायाः आरभ्य त्रयोदशीपर्यन्तं विद्यालयं चलति। चतुर्दश्यां पौर्णमास्यां च अवकाशो वर्तते
= प्रतिपदा से लेकर त्रयोदशी तक विद्यालय चलता है। चतुर्दशी और पूर्णिमा को अवकाश होता है।
भारतात् बहिर्वेदविद्या दुर्लभा
= भारत से बाहर वेदविद्या दुर्लभ है।
पृथ्वीलोकाद् ऊर्ध्वमन्तरिक्षलोको वर्तते, ततः ऊर्ध्वञ्च द्युलोकः
= पृथ्वीलोक के ऊपर अन्तरिक्ष लोक है और उससे ऊपर द्युलोक।
अतः ऊर्ध्वं षष्ठी-विभक्तेः पाठो भविष्यति
= इसके पश्चात् षष्ठी विभक्ति का पाठ होगा।
सोमवासराद् ऊर्ध्वं मङ्गलवासरो भवति
= सोमवार के बाद मंगलवार होता है।
मङ्गलवासराद् अनन्तरं बुधवासरः
= मंगलवार के बाद बुधवार होता है।
भोजनस्य सम्यक् पाकाय भोजनाद् अनन्तरं जलं न पातव्यं किन्तु देशि-गुडं भोक्तव्यम्
= भोजन के सुपाचन हेतु तुरन्त बाद पानी नहीं पीना चाहिए, किन्तु देशी गुड़ (रसायन रहित) खाना चाहिए।
न तिष्ठति तु यः पूर्वां नोपास्ते यश्च पश्चिमाम्। स शूद्रवत् बहिष्कार्यः सर्वस्माद् द्विजकर्मणः।।
= जो मनुष्य प्रातः व सायं सन्ध्योपासना नहीं करता उसे शूद्र के समान समस्त द्विजकर्म (ब्राह्मण, क्षत्रिय व वैश्य के कर्म) से वंचित कर देना चाहिए।
{‘अप’ तथा ‘परि’ जब वर्जन (त्याग) अथवाले होते हैं, तब उसकी कर्मप्रवचनीय संज्ञा होती है, और उनसे युक्त शब्दों में पञ्चमी विभक्ति का प्रयोग होता है।}
अप अलियाबादात् दक्षिणाहि मेघो मेहति
= अलियाबाद को छोड़कर दक्षिण दिशा में बादल बरस रहे हैं।
परि भारतात् परिवारो दुर्लभः
= भारत को छोड़कर अन्य देशों में परिवार मिलना दुर्लभ है।
परि कृषेरन्ये व्यवसायाः औन्नत्याय न कल्पते
= खेती को छोड़कर अन्य व्यवसाय उन्नति कराने में समर्थ नहीं हैं।
{आ (आङ्) जब मर्यादा (उसको छोड़कर) तथा अभिविधि (उसके सहित) अर्थ में होते हैं, तब उसकी कर्मप्रवचनीय संज्ञा होती है, तथा उससे युक्त शब्दों में पञ्चमी विभक्ति का प्रयोग होता है।}
(मर्यादा) आ ग्रामाद् दृढो मार्गो वर्तते
= गांव को छोड़कर पक्की सड़क है।
आ क्षेत्रात् गुरुकुलं शुचिकृतम्
= खेत को छोड़कर सारा गुरुकुल साफ किया।
(अभिविधि) आ कुमारेभ्यः यशः पाणिनेः
= बच्चे-बच्चे तक पाणिनि की कीर्ति फैली हुई है।
आ बालात् आतङ्कं प्रासारयत ् मुगलशासकाः
= यवन शासकों ने अपने आतंक से बच्चे तक को नहीं छोड़ा था।
उत्तरा आ काश्मीरात् दक्षिणाहि आ रामेश्वरात् पश्चिमे आ गुजरातात् पूर्वस्याञ्च दिशि आ अरुणाचलप्रदेशात् भारतवर्षस्य सीमा अस्ति
= उत्तर में कश्मीर तक, दक्षिण में रामेश्वर तक, पश्चिम में गुजरात तक तथा पूर्व में अरुणांचल प्रदेश तक भारत की सीमा है।
{प्रतिनिधि के विषय में और प्रतिदान (एक वस्तु के बदले में दूसरी देना) के विषय में प्रति शब्द की कर्मप्रवचनीय संज्ञा होती है, तथा उससे युक्त शब्द में पञ्चमी विभक्ति का प्रयोग होता है।}
आचार्यात् प्रति शिष्यः सभायाम् उपातिष्ठत्
= आचार्य के प्रतिनिधि के रूप में शिष्य सभा में उपस्थित रहा।
पाण्डवेभ्यः प्रति कृष्णः शान्तिप्रस्तावं नीत्वा दुर्योधनम् उपातिष्ठत्
= पाण्डवों की ओर से शान्ति प्रस्ताव लेकर कृष्ण दुर्योधन के पास गए।
रुग्णपितुः प्रति पुत्रः कार्यम् अकार्षीत्
= बीमार पिता के बदले में पुत्र ने काम किया।
तिलेभ्यः प्रति माषान् यच्छति
= तिल के बदले में उड़द देता है। (किसी से तिल लेकर बदले में उड़द देता है।)
गोदुग्धात् प्रति महिषीदुग्धं यच्छति
= गोदुग्ध के बदले भैंस का दूध देता है। (किसी से गाय का दूध लेता है, बदले में भैस का दूध देता है।)
विद्यायाः प्रति धनं ददाति
= विद्या के बदले में धन देता है।
आपणिकः रुप्यकेभ्यः प्रति वस्तूनि ग्राहकाय ददाति
= दुकानदार पैसे के बदले में ग्रहक को वस्तुएं देता है।
#vakyabhyas
इतः प्रभृति नगर पर्यन्तं वृष्टो देवः
= यहां से लेकर शहर तक वर्षा हुई।
हिमालयात् प्रभृति रामेश्वर पर्यन्तं भारतवर्षं वर्तते
= हिमालय से लेकर रामेश्वर तक भारतवर्ष है।
प्रतिपदायाः आरभ्य त्रयोदशीपर्यन्तं विद्यालयं चलति। चतुर्दश्यां पौर्णमास्यां च अवकाशो वर्तते
= प्रतिपदा से लेकर त्रयोदशी तक विद्यालय चलता है। चतुर्दशी और पूर्णिमा को अवकाश होता है।
भारतात् बहिर्वेदविद्या दुर्लभा
= भारत से बाहर वेदविद्या दुर्लभ है।
पृथ्वीलोकाद् ऊर्ध्वमन्तरिक्षलोको वर्तते, ततः ऊर्ध्वञ्च द्युलोकः
= पृथ्वीलोक के ऊपर अन्तरिक्ष लोक है और उससे ऊपर द्युलोक।
अतः ऊर्ध्वं षष्ठी-विभक्तेः पाठो भविष्यति
= इसके पश्चात् षष्ठी विभक्ति का पाठ होगा।
सोमवासराद् ऊर्ध्वं मङ्गलवासरो भवति
= सोमवार के बाद मंगलवार होता है।
मङ्गलवासराद् अनन्तरं बुधवासरः
= मंगलवार के बाद बुधवार होता है।
भोजनस्य सम्यक् पाकाय भोजनाद् अनन्तरं जलं न पातव्यं किन्तु देशि-गुडं भोक्तव्यम्
= भोजन के सुपाचन हेतु तुरन्त बाद पानी नहीं पीना चाहिए, किन्तु देशी गुड़ (रसायन रहित) खाना चाहिए।
न तिष्ठति तु यः पूर्वां नोपास्ते यश्च पश्चिमाम्। स शूद्रवत् बहिष्कार्यः सर्वस्माद् द्विजकर्मणः।।
= जो मनुष्य प्रातः व सायं सन्ध्योपासना नहीं करता उसे शूद्र के समान समस्त द्विजकर्म (ब्राह्मण, क्षत्रिय व वैश्य के कर्म) से वंचित कर देना चाहिए।
{‘अप’ तथा ‘परि’ जब वर्जन (त्याग) अथवाले होते हैं, तब उसकी कर्मप्रवचनीय संज्ञा होती है, और उनसे युक्त शब्दों में पञ्चमी विभक्ति का प्रयोग होता है।}
अप अलियाबादात् दक्षिणाहि मेघो मेहति
= अलियाबाद को छोड़कर दक्षिण दिशा में बादल बरस रहे हैं।
परि भारतात् परिवारो दुर्लभः
= भारत को छोड़कर अन्य देशों में परिवार मिलना दुर्लभ है।
परि कृषेरन्ये व्यवसायाः औन्नत्याय न कल्पते
= खेती को छोड़कर अन्य व्यवसाय उन्नति कराने में समर्थ नहीं हैं।
{आ (आङ्) जब मर्यादा (उसको छोड़कर) तथा अभिविधि (उसके सहित) अर्थ में होते हैं, तब उसकी कर्मप्रवचनीय संज्ञा होती है, तथा उससे युक्त शब्दों में पञ्चमी विभक्ति का प्रयोग होता है।}
(मर्यादा) आ ग्रामाद् दृढो मार्गो वर्तते
= गांव को छोड़कर पक्की सड़क है।
आ क्षेत्रात् गुरुकुलं शुचिकृतम्
= खेत को छोड़कर सारा गुरुकुल साफ किया।
(अभिविधि) आ कुमारेभ्यः यशः पाणिनेः
= बच्चे-बच्चे तक पाणिनि की कीर्ति फैली हुई है।
आ बालात् आतङ्कं प्रासारयत ् मुगलशासकाः
= यवन शासकों ने अपने आतंक से बच्चे तक को नहीं छोड़ा था।
उत्तरा आ काश्मीरात् दक्षिणाहि आ रामेश्वरात् पश्चिमे आ गुजरातात् पूर्वस्याञ्च दिशि आ अरुणाचलप्रदेशात् भारतवर्षस्य सीमा अस्ति
= उत्तर में कश्मीर तक, दक्षिण में रामेश्वर तक, पश्चिम में गुजरात तक तथा पूर्व में अरुणांचल प्रदेश तक भारत की सीमा है।
{प्रतिनिधि के विषय में और प्रतिदान (एक वस्तु के बदले में दूसरी देना) के विषय में प्रति शब्द की कर्मप्रवचनीय संज्ञा होती है, तथा उससे युक्त शब्द में पञ्चमी विभक्ति का प्रयोग होता है।}
आचार्यात् प्रति शिष्यः सभायाम् उपातिष्ठत्
= आचार्य के प्रतिनिधि के रूप में शिष्य सभा में उपस्थित रहा।
पाण्डवेभ्यः प्रति कृष्णः शान्तिप्रस्तावं नीत्वा दुर्योधनम् उपातिष्ठत्
= पाण्डवों की ओर से शान्ति प्रस्ताव लेकर कृष्ण दुर्योधन के पास गए।
रुग्णपितुः प्रति पुत्रः कार्यम् अकार्षीत्
= बीमार पिता के बदले में पुत्र ने काम किया।
तिलेभ्यः प्रति माषान् यच्छति
= तिल के बदले में उड़द देता है। (किसी से तिल लेकर बदले में उड़द देता है।)
गोदुग्धात् प्रति महिषीदुग्धं यच्छति
= गोदुग्ध के बदले भैंस का दूध देता है। (किसी से गाय का दूध लेता है, बदले में भैस का दूध देता है।)
विद्यायाः प्रति धनं ददाति
= विद्या के बदले में धन देता है।
आपणिकः रुप्यकेभ्यः प्रति वस्तूनि ग्राहकाय ददाति
= दुकानदार पैसे के बदले में ग्रहक को वस्तुएं देता है।
#vakyabhyas
March 13, 2022
हैन्दवा घातिताः नूनं गेहात् क्षेत्रात् निवारिताः ।
स्वदेशेऽगतिका जाताः सत्यं चित्रीकृतं त्विह ॥
पश्यन्तु दर्शयन्त्वेतत् सर्वे सर्वांस्तु हैन्दवान्।
संस्मृते भाविशोको न विस्मृते नास्ति संस्थितिः॥
Meaning:Hindus were killed, removed from their homes & fields & rendered refugees in homeland. This truth has been documented here (in the movie). See &make all Hindus see the movie. If you remember (the tragedy) there is no future misery. If you forget, there is no existence.
~ Jayaraman M
Don't Forget to Watch The Kashmir Files in Theatres.
स्वदेशेऽगतिका जाताः सत्यं चित्रीकृतं त्विह ॥
पश्यन्तु दर्शयन्त्वेतत् सर्वे सर्वांस्तु हैन्दवान्।
संस्मृते भाविशोको न विस्मृते नास्ति संस्थितिः॥
Meaning:Hindus were killed, removed from their homes & fields & rendered refugees in homeland. This truth has been documented here (in the movie). See &make all Hindus see the movie. If you remember (the tragedy) there is no future misery. If you forget, there is no existence.
~ Jayaraman M
Don't Forget to Watch The Kashmir Files in Theatres.
March 13, 2022
March 13, 2022
।।श्रीः।।
।।आत्मबोधः।।
Atmabodha, meaning Self-knowledge or Self-awareness, is an exceptionally lucid and readable work of Shankaracharya. Consisting of sixty-eight verses or shlokas, it is in a sense a simple summary of his entire Vedantic structure of thought, intended, it would seem, as a basic primer for his students and followers. The text follows a clearly elaborated doctrine, starting with knowledge as a key to liberation, the nautre of the Atman within us, the assertion of the pervasive and attribute-less nature of Brahman, and the path towards the realisation of the complete identity between the Atman and Brahman.
ज्ञातृज्ञानज्ञेयभेदः परे नात्मनि विद्यते।
चिदानन्दैकरूपत्वाद्दीप्यते स्वयमेव हि।।41।।
41. There are no distinctions such as “Knower”, the “Knowledge” and the “Object of Knowledge” in the Supreme Self. On account of Its being of the nature of endless Bliss, It does not admit of such distinctions within Itself. It alone shines by Itself.
आत्म-बोध ऑनलाइन क्लास - 41:
आत्म-बोध के 41st श्लोक में आचार्यश्री हमें पिछले श्लोक में बताये गए आत्मा-अभ्यास के विषय पर एक और महत्वपूर्ण दृष्टिकोण से प्रकाश डालते हैं। यह बिंदु है - त्रिपुटी का। त्रिपुटी के अन्दर ही हम सब का पूरा संसार चलता है। जबतक त्रिपुटी है तब तक संसार और संस्करण चलता रहता है। त्रिपुटी बोलते हैं ज्ञाता-ज्ञान और ज्ञेय के भेद को। इस बात पर ध्यान दीजिये - की हम लोगों के समस्त अच्छे-बुरे व्यवहार सभी इस त्रिपुटी के अंदर ही चलते हैं। फिर भले ज्ञाता हो, अथवा दृष्टा हो, श्रोता हो आदि। देखने वाला अलग है, देखने वाली वस्तु अलग है, और इन दोनों के संस्पर्श से उत्पन्न दर्शन अलग है। यहाँ आचार्य बोलते हैं की परमात्मा में ये तीनों नहीं होते हैं। ये तीनों मूल रूप से चिदानंद रूप ही हैं - जो एक है, अखण्ड है, और जो स्वतः प्रकाशित होती है।
#Atmabodha
।।आत्मबोधः।।
Atmabodha, meaning Self-knowledge or Self-awareness, is an exceptionally lucid and readable work of Shankaracharya. Consisting of sixty-eight verses or shlokas, it is in a sense a simple summary of his entire Vedantic structure of thought, intended, it would seem, as a basic primer for his students and followers. The text follows a clearly elaborated doctrine, starting with knowledge as a key to liberation, the nautre of the Atman within us, the assertion of the pervasive and attribute-less nature of Brahman, and the path towards the realisation of the complete identity between the Atman and Brahman.
ज्ञातृज्ञानज्ञेयभेदः परे नात्मनि विद्यते।
चिदानन्दैकरूपत्वाद्दीप्यते स्वयमेव हि।।41।।
41. There are no distinctions such as “Knower”, the “Knowledge” and the “Object of Knowledge” in the Supreme Self. On account of Its being of the nature of endless Bliss, It does not admit of such distinctions within Itself. It alone shines by Itself.
आत्म-बोध ऑनलाइन क्लास - 41:
आत्म-बोध के 41st श्लोक में आचार्यश्री हमें पिछले श्लोक में बताये गए आत्मा-अभ्यास के विषय पर एक और महत्वपूर्ण दृष्टिकोण से प्रकाश डालते हैं। यह बिंदु है - त्रिपुटी का। त्रिपुटी के अन्दर ही हम सब का पूरा संसार चलता है। जबतक त्रिपुटी है तब तक संसार और संस्करण चलता रहता है। त्रिपुटी बोलते हैं ज्ञाता-ज्ञान और ज्ञेय के भेद को। इस बात पर ध्यान दीजिये - की हम लोगों के समस्त अच्छे-बुरे व्यवहार सभी इस त्रिपुटी के अंदर ही चलते हैं। फिर भले ज्ञाता हो, अथवा दृष्टा हो, श्रोता हो आदि। देखने वाला अलग है, देखने वाली वस्तु अलग है, और इन दोनों के संस्पर्श से उत्पन्न दर्शन अलग है। यहाँ आचार्य बोलते हैं की परमात्मा में ये तीनों नहीं होते हैं। ये तीनों मूल रूप से चिदानंद रूप ही हैं - जो एक है, अखण्ड है, और जो स्वतः प्रकाशित होती है।
#Atmabodha
March 13, 2022
March 13, 2022
*संस्कृतं व्यावहारिकी भाषा भवेत्*
😆😆😆😆😆😆😆😆😆😆
*उत्तरप्रदेश-विधानसभायै आयोजितस्य निर्वाचनस्य घोषितः आधिकारिकः परिणामः*
(Officially announced Results of Election held for U.P. Assembly)
शिवसेनादलम् --- 395
समाजवादी-पार्टीं --- 210
भारतीय-जनता-पार्टी --- 001
बहुजन समाज पार्टी --- 265
कांग्रेस-दलम् --- 385
अपना-दलम् --- 004
अन्यानि दलानि --- 1241
*कृपया अधोलिखितम् अपि पठ्यताम् .... 😂😂*
_उपरिदत्ता संख्या तेषां
प्रत्याशिनाम् अस्ति येषां प्रतिभूः अपहृतः *( यह संख्या उन उम्मीदवारों की है जिनकी जमानत जब्त हो गई है = Those whose security deposit has been confiscated)* । --KSG
😃😃
#hasya
😆😆😆😆😆😆😆😆😆😆
*उत्तरप्रदेश-विधानसभायै आयोजितस्य निर्वाचनस्य घोषितः आधिकारिकः परिणामः*
(Officially announced Results of Election held for U.P. Assembly)
शिवसेनादलम् --- 395
समाजवादी-पार्टीं --- 210
भारतीय-जनता-पार्टी --- 001
बहुजन समाज पार्टी --- 265
कांग्रेस-दलम् --- 385
अपना-दलम् --- 004
अन्यानि दलानि --- 1241
*कृपया अधोलिखितम् अपि पठ्यताम् .... 😂😂*
_उपरिदत्ता संख्या तेषां
प्रत्याशिनाम् अस्ति येषां प्रतिभूः अपहृतः *( यह संख्या उन उम्मीदवारों की है जिनकी जमानत जब्त हो गई है = Those whose security deposit has been confiscated)* । --KSG
😃😃
#hasya
March 13, 2022
@samskrt_samvadah संलापशाला - A Samskrit Voicechat room.
कालावधिः : 45 निमेषाः
समयः : IST 11:00 AM 🕚
विषयः : वार्ताः
(News)
दिनाङ्कः : 14th March 2022,
सोमवासरः
Please Join the voicechat on time.
😇 यदि शक्येत चेत् संस्कृतेन ( प्रदेशीयां , राष्ट्रीयां, अन्ताराष्ट्रीयां वा वार्तां वदन्तु ) चर्चार्थं कृपया पूर्वसिद्धतां कृत्वा आगच्छन्तु।
वयं युष्माकं प्रतीक्षां कुर्मः। 😇
स्मारणतंत्रिकां स्थापयतु⏰
👇🏼👇🏼👇🏼👇🏼👇🏼
https://t.me/samskrt_samvadah?voicechat
कालावधिः : 45 निमेषाः
समयः : IST 11:00 AM 🕚
विषयः : वार्ताः
(News)
दिनाङ्कः : 14th March 2022,
सोमवासरः
Please Join the voicechat on time.
😇 यदि शक्येत चेत् संस्कृतेन ( प्रदेशीयां , राष्ट्रीयां, अन्ताराष्ट्रीयां वा वार्तां वदन्तु ) चर्चार्थं कृपया पूर्वसिद्धतां कृत्वा आगच्छन्तु।
वयं युष्माकं प्रतीक्षां कुर्मः। 😇
स्मारणतंत्रिकां स्थापयतु⏰
👇🏼👇🏼👇🏼👇🏼👇🏼
https://t.me/samskrt_samvadah?voicechat
March 13, 2022
BVGch10vs10
Swami Brahamananda
श्रीमद्भगवद्गीता [10.10]
March 13, 2022
🍃
♦️teShaaM satatayuktaanaaM bhajataaM priitipuurvakam|
dadaami buddhiyogaM taM yena maamupayaanti te10.10
⚜I give the knowledge, to those who are ever united with Me and lovingly adore Me, by which they come to Me. (10.10)
⚜उन (मुझ से) नित्य युक्त हुए और प्रेमपूर्वक मेरा भजन करने वाले भक्तों को मैं वह बुद्धियोग देता हूँ जिससे वे मुझे प्राप्त होते हैं।।10.10।।
#geeta
तेषां सततयुक्तानां भजतां प्रीतिपूर्वकम्।
ददामि बुद्धियोगं तं येन मामुपयान्ति ते
।।10.10।।♦️teShaaM satatayuktaanaaM bhajataaM priitipuurvakam|
dadaami buddhiyogaM taM yena maamupayaanti te
⚜I give the knowledge, to those who are ever united with Me and lovingly adore Me, by which they come to Me. (10.10)
⚜उन (मुझ से) नित्य युक्त हुए और प्रेमपूर्वक मेरा भजन करने वाले भक्तों को मैं वह बुद्धियोग देता हूँ जिससे वे मुझे प्राप्त होते हैं।।10.10।।
#geeta
March 13, 2022
BVGch10vs11
Swami Brahamananda
श्रीमद्भगवद्गीता [10.11]
March 13, 2022
🍃
♦️teShaamevaanukampaarthamahamaj~naanajaM tamaH|
naashayaamyaatmabhaavastho j~naanadiipena bhaasvataa10.11
⚜Out of compassion for them I, who dwell within their heart, destroy the darkness born of ignorance by the shining lamp of knowledge. (10.11)
⚜उनके ऊपर अनुग्रह करने के लिए मैं उनके अन्तकरण में स्थित होकर? अज्ञानजनित अन्धकार को प्रकाशमय ज्ञान के दीपक द्वारा नष्ट करता हूँ।।10.11।।
#geeta
तेषामेवानुकम्पार्थमहमज्ञानजं तमः।
नाशयाम्यात्मभावस्थो ज्ञानदीपेन भास्वता
।।10.11।।♦️teShaamevaanukampaarthamahamaj~naanajaM tamaH|
naashayaamyaatmabhaavastho j~naanadiipena bhaasvataa
⚜Out of compassion for them I, who dwell within their heart, destroy the darkness born of ignorance by the shining lamp of knowledge. (10.11)
⚜उनके ऊपर अनुग्रह करने के लिए मैं उनके अन्तकरण में स्थित होकर? अज्ञानजनित अन्धकार को प्रकाशमय ज्ञान के दीपक द्वारा नष्ट करता हूँ।।10.11।।
#geeta
March 13, 2022
🚩जय सत्य सनातन🚩
🚩आज की हिंदी तिथि
🌥️ 🚩युगाब्द-५१२३
🌥️ 🚩विक्रम संवत-२०७८
⛅ 🚩तिथि - एकादशी 12:05 पी. एम. तक ततपश्चात द्वादशी
⛅ दिनांक 14 मार्च 2022
⛅ दिन - सोमवार
⛅ शक संवत - 1943
⛅ अयन - उत्तरायण
⛅ ऋतु - वसंत
⛅ मास - फाल्गुन
⛅ पक्ष - शुक्ल
⛅ नक्षत्र - पुष्य 10:08 पी. एम तक तपश्चात अश्लेषा
⛅ योग - अतिगण्ड 04:15 ए. एम मार्च 15 तत्पश्चात सुकर्मा
⛅ राहुकाल -8:20 ए.एम से 09:49 ए.एम. तक
⛅ सूर्योदय - 06:50 ए. एम.
⛅ सूर्यास्त - 06:48 पी.एम
⛅ चन्द्रोदय - 03:14 पी.एम.
⛅ चन्द्रोस्त - 5:01 ए.एम मार्च 15
⛅ दिशाशूल - पूर्व
🚩आज की हिंदी तिथि
🌥️ 🚩युगाब्द-५१२३
🌥️ 🚩विक्रम संवत-२०७८
⛅ 🚩तिथि - एकादशी 12:05 पी. एम. तक ततपश्चात द्वादशी
⛅ दिनांक 14 मार्च 2022
⛅ दिन - सोमवार
⛅ शक संवत - 1943
⛅ अयन - उत्तरायण
⛅ ऋतु - वसंत
⛅ मास - फाल्गुन
⛅ पक्ष - शुक्ल
⛅ नक्षत्र - पुष्य 10:08 पी. एम तक तपश्चात अश्लेषा
⛅ योग - अतिगण्ड 04:15 ए. एम मार्च 15 तत्पश्चात सुकर्मा
⛅ राहुकाल -8:20 ए.एम से 09:49 ए.एम. तक
⛅ सूर्योदय - 06:50 ए. एम.
⛅ सूर्यास्त - 06:48 पी.एम
⛅ चन्द्रोदय - 03:14 पी.एम.
⛅ चन्द्रोस्त - 5:01 ए.एम मार्च 15
⛅ दिशाशूल - पूर्व
March 13, 2022
@samskrt_samvadah संलापशाला - A Samskrit Voicechat room.
कालावधिः : 45 निमेषाः
समयः : IST 11:00 AM 🕚
विषयः : वार्ताः
(News)
दिनाङ्कः : 14th March 2022,
सोमवासरः
Please Join the voicechat on time.
😇 यदि शक्येत चेत् संस्कृतेन ( प्रदेशीयां , राष्ट्रीयां, अन्ताराष्ट्रीयां वा वार्तां वदन्तु ) चर्चार्थं कृपया पूर्वसिद्धतां कृत्वा आगच्छन्तु।
वयं युष्माकं प्रतीक्षां कुर्मः। 😇
स्मारणतंत्रिकां स्थापयतु⏰
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कालावधिः : 45 निमेषाः
समयः : IST 11:00 AM 🕚
विषयः : वार्ताः
(News)
दिनाङ्कः : 14th March 2022,
सोमवासरः
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March 13, 2022
March 13, 2022
Forwarded from रामदूतः — The Sanskrit News Platform
https://youtu.be/p8c09mN8OFQ
Switch to DD News daily at 7:15 AM (Morning) for 15 minutes Sanskrit news.
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वार्ता: संस्कृत में समाचार | रूस औऱ यूक्रेन के बीच संघर्ष जारी
March 13, 2022
March 13, 2022
March 13, 2022
March 13, 2022
सेवितव्यो महान् वृक्षः फलच्छायासमन्वितः।
यदि दैवात् फलं नास्ति छाया केन निवार्यते।।
संस्कृतार्थः -
फलसहितान् छायावृक्षान् एव आश्रयन्तु यतः अभाग्यवशात् फलानि न मिलन्ति चेदपि छाया अस्मान् आतपात् रक्षति एव किल?
#Subhashitam
यदि दैवात् फलं नास्ति छाया केन निवार्यते।।
संस्कृतार्थः -
फलसहितान् छायावृक्षान् एव आश्रयन्तु यतः अभाग्यवशात् फलानि न मिलन्ति चेदपि छाया अस्मान् आतपात् रक्षति एव किल?
#Subhashitam
March 13, 2022
March 14, 2022
March 14, 2022
March 14, 2022
परश्वः (16-03-2022)संलापशालायाः विषयः भविष्यति
"THE KASHMIR FILES " इति कृपया सर्वे आगच्छन्तु तथा यदि शक्यते चेत् चलचित्रं दृष्ट्वा अपि आगच्छन्तु।
"
March 14, 2022
हास्यकणिका
- सुजाता हळदीपुर , मुम्बई
जनक: — विशाल, अद्य तव अम्बायाः स्वास्थ्यं सम्यक् नास्ति वा ? होराद्वयं सा किमपि न उक्तवती । किमर्थम् ? मूर्ख , किं कृतवान् त्वम् ??
विशालः — तात, चिन्ता मास्तु। स्वस्था अस्ति सा । सा ओष्ठरङ्गम् ( लिप्स्टिक 💄) इष्टवती। अहम् अनवधानेन तस्यै फेविस्टिक-लेपम् दत्तवान्।
जनक: — अत्युत्तमम्। शतायुषी भव। ईश्वरकृपया ईदृश: सुपुत्र: सर्वे लभेयु:।
#hasya
- सुजाता हळदीपुर , मुम्बई
जनक: — विशाल, अद्य तव अम्बायाः स्वास्थ्यं सम्यक् नास्ति वा ? होराद्वयं सा किमपि न उक्तवती । किमर्थम् ? मूर्ख , किं कृतवान् त्वम् ??
विशालः — तात, चिन्ता मास्तु। स्वस्था अस्ति सा । सा ओष्ठरङ्गम् ( लिप्स्टिक 💄) इष्टवती। अहम् अनवधानेन तस्यै फेविस्टिक-लेपम् दत्तवान्।
जनक: — अत्युत्तमम्। शतायुषी भव। ईश्वरकृपया ईदृश: सुपुत्र: सर्वे लभेयु:।
#hasya
March 14, 2022
संस्कृत संवादः । Sanskrit Samvadah
(प्रभृति,
आरभ्य, बहिः, ऊर्ध्वम्, अनन्तरम् के योग में भी पञ्चमी विभक्ति होती है।)
इतः प्रभृति नगर पर्यन्तं वृष्टो देवः = यहां से लेकर शहर तक वर्षा
हुई। हिमालयात् प्रभृति रामेश्वर पर्यन्तं भारतवर्षं वर्तते = हिमालय
से लेकर रामेश्वर तक भारतवर्ष है।…
संस्कृतं वद आधुनिको भव।
वेदान् पठ वैज्ञानिको भव।।
पाठ : (२२) षष्ठी विभक्ति (१) + श्चुत्व सन्धिः
(सम्बन्ध का बोध कराने के लिए षष्ठी विभक्ति होती है।)
इदं रामस्य पुस्तकमस्ति
= यह राम की पुस्तक है।
एषः सीतायाः सेवकोऽस्ति
= यह सीतायाः का सेवक है।
तक्षकः तक्षण्या हस्तस्याऽङ्गुलीः अप्यतक्षत्
= बढ़ई ने रंदे से हाथ की ऊंगलियां भी छील दीं।
ग्रामीणाः बालाः ग्रामस्य विद्यालये पठितुं नेच्छन्ति
= गांव के बच्चे गांव के विद्यालय में पढ़ना नहीं चाहते हैं।
किं रामस्य पिता दशरथो रामं वनं प्रैषयत् ?
= क्या राम के पिता दशरथ ने राम को वन में भेजा था ?
कर्मकाण्डे विविधानां यागानां षोडश ऋत्विजः भवन्ति
= कर्मकाण्ड में विविध यागों के सोलह ऋत्विग् होते हैं।
अतिप्रयोगात् घटस्य तले छिद्रं जातम्
= अधिक प्रयोग के कारण घड़े के तले में छेद हो गया है।
लब्धप्रतिष्ठाः पुष्करस्य पयोऽपूपाः
= पुष्कर के दूध के मालपूए विख्यात हैं।
घृतस्य घटः चिक्कणोऽस्ति, सम्यक् मार्जय
= घी का घड़ा चिकना है ठीक से साफ कर।
रामस्य सेतुरिदानीं नष्टप्रायः संजातोऽस्ति
= राम के द्वारा निर्मित पुल अब प्रायः नष्ट-भ्रष्ट हो गया है।
चन्दनचौराः चन्दनस्य वनं प्राविशत्
= चन्दनचोर चन्दन के वन में घुस गए।
वने रावणो रामस्य सीतां अपजहार
= वन में रावण ने राम की सीता का अपहरण किया।
अरबदेशस्य खर्जुराणि संसारे प्रसिद्धानि सन्ति
= अरब देश के खजूर संसारभर में प्रसिद्ध हैं।
रामोजीरावस्य चलचित्रनगरं जगति प्रसिद्धमस्ति
= रामोजीराव की फिल्मसिटि जगप्रसिद्ध है।
रे मूर्खा ! सेटकस्य स्थाल्यां सेटकतण्डुलान् पचति
= अरे मूर्ख स्त्री ! एक किलो की पतीली में एक किलो चावल पका रही है।
बकस्य धौर्त्यं ‘बकभक्ति’ इति नाम्ना जगति प्रसिद्धमस्ति
= बगुले की धूर्तता ‘बगुलाभक्ति’ नाम से जगविख्यात है।
एकडद्वयस्य क्षेत्रे गुरुकुलाय भवनं निर्मातुमिच्छति
= दो एकड़ के खेत में गुरुकुल के लिए भवन बनाना चाहता है।
रथे नियुक्तं विवाहस्य घोटकं चालयितुं चालकः वाद्यं वादयति
= रथ में जोते हुए विवाह के घोड़े को चलाने के लिए चालक बाजा बजाता है।
कोकिलानां स्वरो रूपं स्त्रीणां रूपं पतिव्रतम्। विद्या रूपं कुरूपाणां क्षमा रूपं तपस्विनाम्।।
= कोयल की शोभा स्वर के कारण से है, स्त्रियों की शोभा पतिव्रत धर्म से है, कुरूपों की शोभा विद्या से है और तपस्वी लोग क्षमा से शोभायमान होते हैं।
#vakyabhyas
वेदान् पठ वैज्ञानिको भव।।
पाठ : (२२) षष्ठी विभक्ति (१) + श्चुत्व सन्धिः
(सम्बन्ध का बोध कराने के लिए षष्ठी विभक्ति होती है।)
इदं रामस्य पुस्तकमस्ति
= यह राम की पुस्तक है।
एषः सीतायाः सेवकोऽस्ति
= यह सीतायाः का सेवक है।
तक्षकः तक्षण्या हस्तस्याऽङ्गुलीः अप्यतक्षत्
= बढ़ई ने रंदे से हाथ की ऊंगलियां भी छील दीं।
ग्रामीणाः बालाः ग्रामस्य विद्यालये पठितुं नेच्छन्ति
= गांव के बच्चे गांव के विद्यालय में पढ़ना नहीं चाहते हैं।
किं रामस्य पिता दशरथो रामं वनं प्रैषयत् ?
= क्या राम के पिता दशरथ ने राम को वन में भेजा था ?
कर्मकाण्डे विविधानां यागानां षोडश ऋत्विजः भवन्ति
= कर्मकाण्ड में विविध यागों के सोलह ऋत्विग् होते हैं।
अतिप्रयोगात् घटस्य तले छिद्रं जातम्
= अधिक प्रयोग के कारण घड़े के तले में छेद हो गया है।
लब्धप्रतिष्ठाः पुष्करस्य पयोऽपूपाः
= पुष्कर के दूध के मालपूए विख्यात हैं।
घृतस्य घटः चिक्कणोऽस्ति, सम्यक् मार्जय
= घी का घड़ा चिकना है ठीक से साफ कर।
रामस्य सेतुरिदानीं नष्टप्रायः संजातोऽस्ति
= राम के द्वारा निर्मित पुल अब प्रायः नष्ट-भ्रष्ट हो गया है।
चन्दनचौराः चन्दनस्य वनं प्राविशत्
= चन्दनचोर चन्दन के वन में घुस गए।
वने रावणो रामस्य सीतां अपजहार
= वन में रावण ने राम की सीता का अपहरण किया।
अरबदेशस्य खर्जुराणि संसारे प्रसिद्धानि सन्ति
= अरब देश के खजूर संसारभर में प्रसिद्ध हैं।
रामोजीरावस्य चलचित्रनगरं जगति प्रसिद्धमस्ति
= रामोजीराव की फिल्मसिटि जगप्रसिद्ध है।
रे मूर्खा ! सेटकस्य स्थाल्यां सेटकतण्डुलान् पचति
= अरे मूर्ख स्त्री ! एक किलो की पतीली में एक किलो चावल पका रही है।
बकस्य धौर्त्यं ‘बकभक्ति’ इति नाम्ना जगति प्रसिद्धमस्ति
= बगुले की धूर्तता ‘बगुलाभक्ति’ नाम से जगविख्यात है।
एकडद्वयस्य क्षेत्रे गुरुकुलाय भवनं निर्मातुमिच्छति
= दो एकड़ के खेत में गुरुकुल के लिए भवन बनाना चाहता है।
रथे नियुक्तं विवाहस्य घोटकं चालयितुं चालकः वाद्यं वादयति
= रथ में जोते हुए विवाह के घोड़े को चलाने के लिए चालक बाजा बजाता है।
कोकिलानां स्वरो रूपं स्त्रीणां रूपं पतिव्रतम्। विद्या रूपं कुरूपाणां क्षमा रूपं तपस्विनाम्।।
= कोयल की शोभा स्वर के कारण से है, स्त्रियों की शोभा पतिव्रत धर्म से है, कुरूपों की शोभा विद्या से है और तपस्वी लोग क्षमा से शोभायमान होते हैं।
#vakyabhyas
March 14, 2022
।।श्रीः।।
।।आत्मबोधः।।
Atmabodha, meaning Self-knowledge or Self-awareness, is an exceptionally lucid and readable work of Shankaracharya. Consisting of sixty-eight verses or shlokas, it is in a sense a simple summary of his entire Vedantic structure of thought, intended, it would seem, as a basic primer for his students and followers. The text follows a clearly elaborated doctrine, starting with knowledge as a key to liberation, the nautre of the Atman within us, the assertion of the pervasive and attribute-less nature of Brahman, and the path towards the realisation of the complete identity between the Atman and Brahman.
एवमात्मारणौ ध्यानमथने सततं कृते।
उदितावगतिज्वाला सर्वाज्ञानेन्धनं दहेत्।।42।।
42. When this the lower and the higher aspects of the Self are well churned together, the fire of knowledge is born from it, which in its mighty conflagration shall burn down all the fuel of ignorance in us.
आत्म-बोध ऑनलाइन क्लास - 42:
आत्म-बोध के 42nd श्लोक में आचार्यश्री हमें निदिध्यासन रूपी ध्यान की प्रक्रिया को एक दृष्टांत से समझते हैं। वो दृष्टांत है अरणी का। किसी यज्ञ में अग्नि को प्रज्वलित करने के लिए प्राचीन तरीका होता है - दो लकड़ियों के घर्षण और मंथन का। लकड़ियों के घर्षण से अग्नि प्रज्वलित होती है जिससे यज्ञ आदि कार्य संपन्न किये जाते हैं। दो लकड़ियां ऊपर और नीचे होती है और एक मथानी बीच में खड़ी होती है - जिसे किसी रस्सी आदि से अथवा हाथ से मथा जाता है। इसमें नीचे की लकड़ी को जीव भाव समझें और ऊपर को अपना ब्रह्म-स्वरूपता का लक्ष्य। बीच की खड़ी लकड़ी को वेदांत ज्ञान समझें। मंथन से जो ज्ञान रुपी अग्नि निकलती है वो हमारे अज्ञान रुपी संसार के ईंधन को जला देती है।
#Atmabodha
।।आत्मबोधः।।
Atmabodha, meaning Self-knowledge or Self-awareness, is an exceptionally lucid and readable work of Shankaracharya. Consisting of sixty-eight verses or shlokas, it is in a sense a simple summary of his entire Vedantic structure of thought, intended, it would seem, as a basic primer for his students and followers. The text follows a clearly elaborated doctrine, starting with knowledge as a key to liberation, the nautre of the Atman within us, the assertion of the pervasive and attribute-less nature of Brahman, and the path towards the realisation of the complete identity between the Atman and Brahman.
एवमात्मारणौ ध्यानमथने सततं कृते।
उदितावगतिज्वाला सर्वाज्ञानेन्धनं दहेत्।।42।।
42. When this the lower and the higher aspects of the Self are well churned together, the fire of knowledge is born from it, which in its mighty conflagration shall burn down all the fuel of ignorance in us.
आत्म-बोध ऑनलाइन क्लास - 42:
आत्म-बोध के 42nd श्लोक में आचार्यश्री हमें निदिध्यासन रूपी ध्यान की प्रक्रिया को एक दृष्टांत से समझते हैं। वो दृष्टांत है अरणी का। किसी यज्ञ में अग्नि को प्रज्वलित करने के लिए प्राचीन तरीका होता है - दो लकड़ियों के घर्षण और मंथन का। लकड़ियों के घर्षण से अग्नि प्रज्वलित होती है जिससे यज्ञ आदि कार्य संपन्न किये जाते हैं। दो लकड़ियां ऊपर और नीचे होती है और एक मथानी बीच में खड़ी होती है - जिसे किसी रस्सी आदि से अथवा हाथ से मथा जाता है। इसमें नीचे की लकड़ी को जीव भाव समझें और ऊपर को अपना ब्रह्म-स्वरूपता का लक्ष्य। बीच की खड़ी लकड़ी को वेदांत ज्ञान समझें। मंथन से जो ज्ञान रुपी अग्नि निकलती है वो हमारे अज्ञान रुपी संसार के ईंधन को जला देती है।
#Atmabodha
March 14, 2022
March 14, 2022
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कालावधिः : 45 निमेषाः
समयः : IST 11:00 AM 🕚
विषयः :किमर्थं संस्कृतम् वैज्ञानिकी भाषा वर्तते।
(Why samskrit is a scientific language)
दिनाङ्कः : 15th March 2022,
मङ्गलवासरः
Please Join the voicechat on time.
😇 यदि शक्येत चेत् संस्कृतेन (संस्कृतस्य व्याकरणे,उच्चारणे ,लेखने,वाक्यनिर्माणे, शब्दनिर्माणे इत्यादिषु विषयेषु किं वैज्ञानिकम् अस्ति। ) चर्चार्थं कृपया पूर्वसिद्धतां कृत्वा आगच्छन्तु।
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March 14, 2022
BVGch10vs12
Swami Brahamananda
श्रीमद्भगवद्गीता [10.12]
March 14, 2022
🍃
♦️arjuna uvaacha
paraM brahma paraM dhaama pavitraM paramaM bhavaan|
puruShaM shaashvataM divyamaadidevamajaM vibhum10.12
⚜Arjuna said:
You are the Supreme Brahman, the supreme abode, the supreme purifier, the eternal divine spirit, the primal God, the unborn, and the omnipresent. (10.12)
⚜अर्जुन ने कहा --
आप परम ब्रह्म परम धाम और परम पवित्र हंै सनातन दिव्य पुरुष देवों के भी आदि देव जन्म रहित और सर्वव्यापी हैं।।10.12।।
#geeta
अर्जुन उवाच
परं ब्रह्म परं धाम पवित्रं परमं भवान्।
पुरुषं शाश्वतं दिव्यमादिदेवमजं विभुम्
।।10.12।।♦️arjuna uvaacha
paraM brahma paraM dhaama pavitraM paramaM bhavaan|
puruShaM shaashvataM divyamaadidevamajaM vibhum
⚜Arjuna said:
You are the Supreme Brahman, the supreme abode, the supreme purifier, the eternal divine spirit, the primal God, the unborn, and the omnipresent. (10.12)
⚜अर्जुन ने कहा --
आप परम ब्रह्म परम धाम और परम पवित्र हंै सनातन दिव्य पुरुष देवों के भी आदि देव जन्म रहित और सर्वव्यापी हैं।।10.12।।
#geeta
March 14, 2022
BVGch10vs13
Swami Brahamananda
श्रीमद्भगवद्गीता [10.13]
March 14, 2022
🍃
♦️aahustvaamRRiShayaH sarve devarShirnaaradastathaa|
asito devalo vyaasaH svayaM chaiva braviiShi me10.13
⚜All sages have thus acclaimed You. The divine sage Narada, Asita, Devala, Vyaasa, and You Yourself tell me. (10.13)
⚜ऐसा आपको समस्त ऋषिजन कहते हैं वैसे ही देवर्षि नारद? असित? देवल ऋषि तथा व्यास और स्वयं आप भी मेरे प्रति कहते हैं।।10.13।।
#geeta
आहुस्त्वामृषयः सर्वे देवर्षिर्नारदस्तथा।
असितो देवलो व्यासः स्वयं चैव ब्रवीषि मे
।।10.13।।♦️aahustvaamRRiShayaH sarve devarShirnaaradastathaa|
asito devalo vyaasaH svayaM chaiva braviiShi me
⚜All sages have thus acclaimed You. The divine sage Narada, Asita, Devala, Vyaasa, and You Yourself tell me. (10.13)
⚜ऐसा आपको समस्त ऋषिजन कहते हैं वैसे ही देवर्षि नारद? असित? देवल ऋषि तथा व्यास और स्वयं आप भी मेरे प्रति कहते हैं।।10.13।।
#geeta
March 14, 2022
🚩जय सत्य सनातन🚩
🚩आज की हिंदी तिथि
🌥️ 🚩युगाब्द-५१२३
🌥️ 🚩विक्रम संवत-२०७८
⛅ 🚩तिथि - द्वादशी 01:12 पी. एम. तक ततपश्चात त्रयोदशी
⛅ दिनांक 15 मार्च 2022
⛅ दिन - मंगलवार
⛅ शक संवत - 1943
⛅ अयन - उत्तरायण
⛅ ऋतु - वसंत
⛅ मास - फाल्गुन
⛅ पक्ष - शुक्ल
⛅ नक्षत्र - अश्लेषा 11:33 पी. एम तक तपश्चात मघा
⛅ योग - सुकर्मा 03:42 ए. एम मार्च 16 तत्पश्चात धृति
⛅ राहुकाल -3:49 पी.एम से 05:19 पी.एम. तक
⛅ सूर्योदय - 06:49 ए. एम.
⛅ सूर्यास्त - 06:49 पी.एम
⛅ चन्द्रोदय - 04:10 पी.एम.
⛅ चन्द्रोस्त - 5:41 ए.एम मार्च 16
⛅ दिशाशूल - उत्तर
🚩आज की हिंदी तिथि
🌥️ 🚩युगाब्द-५१२३
🌥️ 🚩विक्रम संवत-२०७८
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March 14, 2022
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March 14, 2022
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वार्ता: संस्कृत में समाचार | भारत ने बेंगलुरु टेस्ट में श्रीलंका को दी मात
March 14, 2022
March 14, 2022
March 14, 2022
March 14, 2022
March 14, 2022
पश्यतोsप्यस्य लोकस्य मरणं पुरतः स्थितम्।
अमरस्येव चरितम् अत्याश्चर्यं सुरोत्तम।।
हे देवोत्तम! संसार मे लोग यह महसूस करते हैं कि उनके सामने उनकी मृत्यु सदैव खड़ी है, फिर भी मनुष्य स्वयं ही मृत्युरहित व्यक्ति के समान ही आचरण करता है - यह भी बड़े आश्चर्य की बात है।
संस्कृतार्थः -
अस्मिन् संसारे महदाश्चर्यकरी वार्ता अस्ति, यत् जनाः अन्येषां मृत्युं पश्यन्ति तथा जानन्ति अपि यत् अहम् अपि मरिष्यामि चेदपि ते तथा व्यवहरन्ति यथा ते अमराः स्युः।
#Subhashitam
अमरस्येव चरितम् अत्याश्चर्यं सुरोत्तम।।
हे देवोत्तम! संसार मे लोग यह महसूस करते हैं कि उनके सामने उनकी मृत्यु सदैव खड़ी है, फिर भी मनुष्य स्वयं ही मृत्युरहित व्यक्ति के समान ही आचरण करता है - यह भी बड़े आश्चर्य की बात है।
संस्कृतार्थः -
अस्मिन् संसारे महदाश्चर्यकरी वार्ता अस्ति, यत् जनाः अन्येषां मृत्युं पश्यन्ति तथा जानन्ति अपि यत् अहम् अपि मरिष्यामि चेदपि ते तथा व्यवहरन्ति यथा ते अमराः स्युः।
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March 14, 2022
March 15, 2022
March 15, 2022
संस्कृत संवादः । Sanskrit Samvadah
संस्कृतं
वद आधुनिको भव। वेदान् पठ वैज्ञानिको भव।। पाठ : (२२) षष्ठी विभक्ति (१) +
श्चुत्व सन्धिः (सम्बन्ध का बोध कराने के लिए षष्ठी विभक्ति होती है।)
इदं रामस्य पुस्तकमस्ति = यह राम की पुस्तक है। एषः सीतायाः
सेवकोऽस्ति = यह सीतायाः का सेवक है। …
यस्य पुत्रो न वै विद्वान्न शूरो न च धार्मिकः। अप्रकाशं कुलं तस्य नष्टचन्द्रेव शर्वरी।।
= जिसका पुत्र न विद्वान् हो, न शूरवीर हो और न धार्मिक हो उसका कुल उसी प्रकार प्रकाशरहित (प्रसिद्धिरहित) रहता है जैसे चन्द्रमा से रहित रात्रि।
संसारतापदग्धानां त्रयो विश्रान्तिहेतवः।
अपत्यं च कलत्रं च सतां संगतिरेव च।।
= संसार के तापों (कष्टों) से तप्त (त्रस्त) व्यक्ति के लिए शान्ति प्राप्ति के तीन ही साधन हैं- पुत्र, पत्नी और सज्जनों की संगति।
अपुत्रस्य गृहं शून्यं दिशः शून्यास्त्वबान्धवाः। मूर्खस्य हृदयं शून्यं सर्वशून्या दरिद्रता।।
= पुत्र रहित मनुष्य का घर सूना होता है। बन्धु-बान्धव से रहित मनुष्य की चारों दिशाएं सूनी होती हैं। मूर्ख का हृदय सूना होता है और दरिद्र व्यक्ति का तो घर दिशादि सब कुछ सूना होता है।
अग्निर्देवो द्विजातीनां मुनीनां हृदि देवतम्।
प्रतिमा स्वल्पबुद्धीनां सर्वत्र समदर्शिनः।।
= द्विजों (ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य) का देवता अग्निहोत्र अर्थात् यज्ञ है। मुनियों का देवता हृदय में रहता है। मूर्खों का देवता प्रतिमा अर्थात् मूर्ति है और समदर्शियों के लिए सर्वत्र देवता विराजमान है।
मूर्खाणां पण्डिता द्वेष्या अधनानां महाधनाः। वाराऽङ्गनाः कुलस्त्रीणां दुर्भगानां च सुभगाः।।
= मूर्खों के शत्रु विद्वान् हैं, निर्धन धनिकों से शत्रुता रखते हैं। कुलीन स्त्रियां वेश्या से द्वेष करती हैं और विधवाएं सुहागिन नारियों से द्वेष करती हैं।
सुखस्य मूलं धर्मः। धर्मस्य मूलमर्थः।।
= सुख का मूल (कारण) धर्म है और धर्म का मूल (आधार) अर्थ (धन) है।
मम माता मम पिता ममेयं गृहिणी गृहम्।
एतदन्यं ममत्वं यत् स मोह इति कीर्त्तितः।।
= मेरी माता, मेरे पिता, मेरी पत्नी, मेरा घर.. यह और अन्य सब प्रकार के ममत्व (आसक्ति) को मोह कहते हैं।
विद्या मित्रं प्रवासेषु भार्या मित्रं गृहेषु च।
व्याधितस्यौषधं मित्रं धर्मो मित्रं मृतस्य च।।
= प्रवास (यात्रा) में विद्या मनुष्य का मित्र होती है, घर में पत्नी मित्र होती है। रोगी का मित्र औषध है और मरे हुए (पतित व्यक्ति) का मित्र धर्म है।
उद्यन्त्सूर्य इव सुप्तानां द्विषतां वर्च आददे।
= जैसे उदय होता हुआ सूर्य सोए हुए आलसियों के तेज को हर लेता है, उसी प्रकार मैं (वीर) शत्रुओं के तेज को खींच लेता हूं।
सन्तोषामृततृप्तानां यत्सुखं शान्तचेतसाम्। न च तद् धनलुब्धानामितश्चेतश्च धावताम्।।
= सन्तोषरूपी अमृत से तृप्त और शान्त चित्तवाले मनुष्य को जो सुख-शान्ति मिलती है, वह धन के लोभ से इधर-उधर भागनेवाले मनुष्य को नहीं मिल सकती।
यस्याऽर्थास्तस्य मित्राणि यस्याऽर्र्थातस्य बान्धवाः। यस्याऽर्थाः स पुमांल्लोके यस्याऽर्थाः स च जीवति।।
= संसार में जिसके पास धन है उसी के सब मित्र होते हैं, उसी के सब बन्धु-बान्धव होते हैं। वही लोक में श्रेष्ठ पुरुष गिना जाता है और वही सुख से जीता है।
वाचं शौचं च मनसः शौचमिन्द्रियनिग्रहः।
सर्वभूते दया शौचं एतच्छौचं परार्थिनाम्।।
= मन और वाणी की पवित्रता, इन्द्रियों का संयम, प्राणिमात्र पर दया और धन की पवित्रता यही परोपकारियों (मुमुक्षुओं) की शुद्धि (पवित्रता) मानी गयी है।
सुखार्थी च त्यजेद्विद्यां विद्यार्थी च त्यजेत्सुखम्। न विद्यासुखयोः सन्धिस्तेजस्तिमिरयोरिव।।
= सुखाभिलाषी को विद्या की आशा छोड़ देनी चाहिए और विद्यार्थी को सुखप्राप्ति की अभिलाषा छोड़ देनी चाहिए, क्योंकि विद्या और सुख का मेल ऐसे ही असम्भव है जैसे प्रकाश और अन्धकार का मिलन।
लुब्धानां याचकः शत्रुर्मूर्खाणां बोधकः रिपुः। जारस्त्रीणां पतिः शत्रुश्चोराणां चन्द्रमा रिपुः।।
= मांगनेवाला (याचक) लोभियों का शत्रु होता है। सदुपदेशक मूर्खों का शत्रु होता है। पति व्यभिचारिणी स्त्रियों का शत्रु होता है और चोरों के लिए शत्रु चन्द्रमा हुआ करता है।
यस्य नास्ति स्वयं प्रज्ञा शास्त्रं तस्य करोति किम् ? लोचनाभ्यां विहीनस्य दर्पणः किं करिष्यति ?
= बुद्धिहीन का कल्याण वेदादि शास्त्र उसी प्रकार नहीं कर सकते, जैसे नेत्रविहीन के लिए दर्पण बेकार होता है।
#vakyabhyas
= जिसका पुत्र न विद्वान् हो, न शूरवीर हो और न धार्मिक हो उसका कुल उसी प्रकार प्रकाशरहित (प्रसिद्धिरहित) रहता है जैसे चन्द्रमा से रहित रात्रि।
संसारतापदग्धानां त्रयो विश्रान्तिहेतवः।
अपत्यं च कलत्रं च सतां संगतिरेव च।।
= संसार के तापों (कष्टों) से तप्त (त्रस्त) व्यक्ति के लिए शान्ति प्राप्ति के तीन ही साधन हैं- पुत्र, पत्नी और सज्जनों की संगति।
अपुत्रस्य गृहं शून्यं दिशः शून्यास्त्वबान्धवाः। मूर्खस्य हृदयं शून्यं सर्वशून्या दरिद्रता।।
= पुत्र रहित मनुष्य का घर सूना होता है। बन्धु-बान्धव से रहित मनुष्य की चारों दिशाएं सूनी होती हैं। मूर्ख का हृदय सूना होता है और दरिद्र व्यक्ति का तो घर दिशादि सब कुछ सूना होता है।
अग्निर्देवो द्विजातीनां मुनीनां हृदि देवतम्।
प्रतिमा स्वल्पबुद्धीनां सर्वत्र समदर्शिनः।।
= द्विजों (ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य) का देवता अग्निहोत्र अर्थात् यज्ञ है। मुनियों का देवता हृदय में रहता है। मूर्खों का देवता प्रतिमा अर्थात् मूर्ति है और समदर्शियों के लिए सर्वत्र देवता विराजमान है।
मूर्खाणां पण्डिता द्वेष्या अधनानां महाधनाः। वाराऽङ्गनाः कुलस्त्रीणां दुर्भगानां च सुभगाः।।
= मूर्खों के शत्रु विद्वान् हैं, निर्धन धनिकों से शत्रुता रखते हैं। कुलीन स्त्रियां वेश्या से द्वेष करती हैं और विधवाएं सुहागिन नारियों से द्वेष करती हैं।
सुखस्य मूलं धर्मः। धर्मस्य मूलमर्थः।।
= सुख का मूल (कारण) धर्म है और धर्म का मूल (आधार) अर्थ (धन) है।
मम माता मम पिता ममेयं गृहिणी गृहम्।
एतदन्यं ममत्वं यत् स मोह इति कीर्त्तितः।।
= मेरी माता, मेरे पिता, मेरी पत्नी, मेरा घर.. यह और अन्य सब प्रकार के ममत्व (आसक्ति) को मोह कहते हैं।
विद्या मित्रं प्रवासेषु भार्या मित्रं गृहेषु च।
व्याधितस्यौषधं मित्रं धर्मो मित्रं मृतस्य च।।
= प्रवास (यात्रा) में विद्या मनुष्य का मित्र होती है, घर में पत्नी मित्र होती है। रोगी का मित्र औषध है और मरे हुए (पतित व्यक्ति) का मित्र धर्म है।
उद्यन्त्सूर्य इव सुप्तानां द्विषतां वर्च आददे।
= जैसे उदय होता हुआ सूर्य सोए हुए आलसियों के तेज को हर लेता है, उसी प्रकार मैं (वीर) शत्रुओं के तेज को खींच लेता हूं।
सन्तोषामृततृप्तानां यत्सुखं शान्तचेतसाम्। न च तद् धनलुब्धानामितश्चेतश्च धावताम्।।
= सन्तोषरूपी अमृत से तृप्त और शान्त चित्तवाले मनुष्य को जो सुख-शान्ति मिलती है, वह धन के लोभ से इधर-उधर भागनेवाले मनुष्य को नहीं मिल सकती।
यस्याऽर्थास्तस्य मित्राणि यस्याऽर्र्थातस्य बान्धवाः। यस्याऽर्थाः स पुमांल्लोके यस्याऽर्थाः स च जीवति।।
= संसार में जिसके पास धन है उसी के सब मित्र होते हैं, उसी के सब बन्धु-बान्धव होते हैं। वही लोक में श्रेष्ठ पुरुष गिना जाता है और वही सुख से जीता है।
वाचं शौचं च मनसः शौचमिन्द्रियनिग्रहः।
सर्वभूते दया शौचं एतच्छौचं परार्थिनाम्।।
= मन और वाणी की पवित्रता, इन्द्रियों का संयम, प्राणिमात्र पर दया और धन की पवित्रता यही परोपकारियों (मुमुक्षुओं) की शुद्धि (पवित्रता) मानी गयी है।
सुखार्थी च त्यजेद्विद्यां विद्यार्थी च त्यजेत्सुखम्। न विद्यासुखयोः सन्धिस्तेजस्तिमिरयोरिव।।
= सुखाभिलाषी को विद्या की आशा छोड़ देनी चाहिए और विद्यार्थी को सुखप्राप्ति की अभिलाषा छोड़ देनी चाहिए, क्योंकि विद्या और सुख का मेल ऐसे ही असम्भव है जैसे प्रकाश और अन्धकार का मिलन।
लुब्धानां याचकः शत्रुर्मूर्खाणां बोधकः रिपुः। जारस्त्रीणां पतिः शत्रुश्चोराणां चन्द्रमा रिपुः।।
= मांगनेवाला (याचक) लोभियों का शत्रु होता है। सदुपदेशक मूर्खों का शत्रु होता है। पति व्यभिचारिणी स्त्रियों का शत्रु होता है और चोरों के लिए शत्रु चन्द्रमा हुआ करता है।
यस्य नास्ति स्वयं प्रज्ञा शास्त्रं तस्य करोति किम् ? लोचनाभ्यां विहीनस्य दर्पणः किं करिष्यति ?
= बुद्धिहीन का कल्याण वेदादि शास्त्र उसी प्रकार नहीं कर सकते, जैसे नेत्रविहीन के लिए दर्पण बेकार होता है।
#vakyabhyas
March 15, 2022
. ॐ
शिक्षकः - गृहकार्यार्थं दत्तानां प्रश्नानाम् उत्तराणि लिखितानि किम् ?
छात्रः - न आचार्य महोदय !
शिक्षकः - किं कारणम् ?
छात्रः - महोदय ! मम पिता अन्यत् कार्यार्थम् आदिनं गृहात् बहिः आसीत् ।
--------- संस्कृतानन्दः ।
#hasya
शिक्षकः - गृहकार्यार्थं दत्तानां प्रश्नानाम् उत्तराणि लिखितानि किम् ?
छात्रः - न आचार्य महोदय !
शिक्षकः - किं कारणम् ?
छात्रः - महोदय ! मम पिता अन्यत् कार्यार्थम् आदिनं गृहात् बहिः आसीत् ।
--------- संस्कृतानन्दः ।
#hasya
March 15, 2022
।।श्रीः।।
।।आत्मबोधः।।
Atmabodha, meaning Self-knowledge or Self-awareness, is an exceptionally lucid and readable work of Shankaracharya. Consisting of sixty-eight verses or shlokas, it is in a sense a simple summary of his entire Vedantic structure of thought, intended, it would seem, as a basic primer for his students and followers. The text follows a clearly elaborated doctrine, starting with knowledge as a key to liberation, the nautre of the Atman within us, the assertion of the pervasive and attribute-less nature of Brahman, and the path towards the realisation of the complete identity between the Atman and Brahman.
अरुणेनेव बोधेन पूर्वं संतमसे हृते।
तत आविर्भवेदात्मा स्वयमेवांशुमानिव।।43।।
43. The Lord of the early dawn (Aruna) himself has already looted away the thick darkness, when soon the sun rises. The Divine Consciousness of the Self rises when the right knowledge has already killed the darkness in the bosom.
आत्म-बोध ऑनलाइन क्लास - 43:
आत्म-बोध के 43rd श्लोक में आचार्यश्री हमें एक अत्यंत महत्वपूर्ण एवं प्रचलित प्रश्न का उत्तर दे रहे हैं। शास्त्र के ज्ञान की क्या आवश्यकता होती है ? क्या हम लोग सीधे ध्यान और समाधी का अभ्यास नहीं कर सकते हैं? इसका उत्तर एक दृष्टांत से देते हैं - जैसे सूर्य के उदय से पूर्व उनका अरुण नामक सारथि अपना रथ लेकर आता है और ज़्यादातर अन्धकार को दूर कर देता है और फिर सूर्य देवता उदित होते हैं। उसी प्रकार से हमें पहले वेदान्त का अध्यन करकेअपने अन्दर अनेकानेक मोह दूर करने होते हैं, तत्पश्च्यात अज्ञान को दूर करते हैं - जिससे आत्मा का अपरोक्ष-साक्षात्कार होता है।
#Atmabodha
।।आत्मबोधः।।
Atmabodha, meaning Self-knowledge or Self-awareness, is an exceptionally lucid and readable work of Shankaracharya. Consisting of sixty-eight verses or shlokas, it is in a sense a simple summary of his entire Vedantic structure of thought, intended, it would seem, as a basic primer for his students and followers. The text follows a clearly elaborated doctrine, starting with knowledge as a key to liberation, the nautre of the Atman within us, the assertion of the pervasive and attribute-less nature of Brahman, and the path towards the realisation of the complete identity between the Atman and Brahman.
अरुणेनेव बोधेन पूर्वं संतमसे हृते।
तत आविर्भवेदात्मा स्वयमेवांशुमानिव।।43।।
43. The Lord of the early dawn (Aruna) himself has already looted away the thick darkness, when soon the sun rises. The Divine Consciousness of the Self rises when the right knowledge has already killed the darkness in the bosom.
आत्म-बोध ऑनलाइन क्लास - 43:
आत्म-बोध के 43rd श्लोक में आचार्यश्री हमें एक अत्यंत महत्वपूर्ण एवं प्रचलित प्रश्न का उत्तर दे रहे हैं। शास्त्र के ज्ञान की क्या आवश्यकता होती है ? क्या हम लोग सीधे ध्यान और समाधी का अभ्यास नहीं कर सकते हैं? इसका उत्तर एक दृष्टांत से देते हैं - जैसे सूर्य के उदय से पूर्व उनका अरुण नामक सारथि अपना रथ लेकर आता है और ज़्यादातर अन्धकार को दूर कर देता है और फिर सूर्य देवता उदित होते हैं। उसी प्रकार से हमें पहले वेदान्त का अध्यन करकेअपने अन्दर अनेकानेक मोह दूर करने होते हैं, तत्पश्च्यात अज्ञान को दूर करते हैं - जिससे आत्मा का अपरोक्ष-साक्षात्कार होता है।
#Atmabodha
March 15, 2022
March 15, 2022
@samskrt_samvadah संलापशाला - A Samskrit Voicechat room.
कालावधिः : 45 निमेषाः
समयः : IST 11:00 AM 🕚
विषयः : काश्मीरे हिन्दूनां पलायनम्
(Exodus of Hindus from kashmir)
THE KASHMIR FILES
दिनाङ्कः : 16th March 2022,
बुधवासरः
Please Join the voicechat on time.
😇 यदि शक्येत चेत् संस्कृतेन (तस्मिन् समये हिन्दूजनैः सह किं किं जातम् ,तथा चलचित्रे किं किं प्रदर्शितम् अस्ति) चर्चार्थं कृपया पूर्वसिद्धतां कृत्वा आगच्छन्तु।
वयं युष्माकं प्रतीक्षां कुर्मः। 😇
स्मारणतंत्रिकां स्थापयतु⏰
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कालावधिः : 45 निमेषाः
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विषयः : काश्मीरे हिन्दूनां पलायनम्
(Exodus of Hindus from kashmir)
दिनाङ्कः : 16th March 2022,
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March 15, 2022
BVGch10vs14
Swami Brahamananda
श्रीमद्भगवद्गीता [10.14]
March 15, 2022
🍃
♦️sarvametadRRitaM manye yanmaaM vadasi keshava|
na hi te bhagavan vyak्itaM vidurdevaa na daanavaaH10.14
⚜O Krishna, I believe all that You have told Me to be true. O Lord, neither the Devas nor the demons fully understand Your manifestations. (See also 4.06) (10.14)
⚜हे केशव जो कुछ भी आप मेरे प्रति कहते हैं इस सबको मैं सत्य मानता हूँ। हे भगवन् आपके (वास्तविक) स्वरूप को न देवता जानते हैं और न दानव।।10.14।।
#geeta
सर्वमेतदृतं मन्ये यन्मां वदसि केशव।
न हि ते भगवन् व्यक्ितं विदुर्देवा न दानवाः
।।10.14।।♦️sarvametadRRitaM manye yanmaaM vadasi keshava|
na hi te bhagavan vyak्itaM vidurdevaa na daanavaaH
⚜O Krishna, I believe all that You have told Me to be true. O Lord, neither the Devas nor the demons fully understand Your manifestations. (See also 4.06) (10.14)
⚜हे केशव जो कुछ भी आप मेरे प्रति कहते हैं इस सबको मैं सत्य मानता हूँ। हे भगवन् आपके (वास्तविक) स्वरूप को न देवता जानते हैं और न दानव।।10.14।।
#geeta
March 15, 2022
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Swami Brahamananda
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March 15, 2022
🍃
♦️svayamevaatmanaa'tmaanaM vettha tvaM puruShottama|
bhuutabhaavana bhuutesha devadeva jagatpate10.15
⚜O Creator and Lord of all beings, God of all gods, Supreme person and Lord of the universe, You alone know Yourself by Yourself. (10.15)
⚜हे पुरुषोत्तम हे भूतभावन हे भूतेश हे देवों के देव हे जगत् के स्वामी आप स्वयं ही अपने आप को जानते हैं।।10.15।।
#geeta
स्वयमेवात्मनाऽत्मानं वेत्थ त्वं पुरुषोत्तम।
भूतभावन भूतेश देवदेव जगत्पते
।।10.15।।♦️svayamevaatmanaa'tmaanaM vettha tvaM puruShottama|
bhuutabhaavana bhuutesha devadeva jagatpate
⚜O Creator and Lord of all beings, God of all gods, Supreme person and Lord of the universe, You alone know Yourself by Yourself. (10.15)
⚜हे पुरुषोत्तम हे भूतभावन हे भूतेश हे देवों के देव हे जगत् के स्वामी आप स्वयं ही अपने आप को जानते हैं।।10.15।।
#geeta
March 15, 2022
🌞🚩आज का पञ्चाङ्ग🚩 🌞
⛅ दिनांक - 16 मार्च 2022
⛅ दिन - बुधवार
⛅ विक्रम संवत - 2078
⛅ शक संवत -1943
⛅ अयन - उत्तरायण
⛅ ऋतु - वसंत ऋतु
⛅ मास - फाल्गुन
⛅ पक्ष - शुक्ल
⛅ तिथि - त्रयोदशी दोपहर 01:39 तक तत्पश्चात चतुर्दशी
⛅ नक्षत्र - मघा रात्रि 12:21 तक तत्पश्चात पूर्वाफाल्गुनी
⛅ योग - धृति 17 मार्च रात्रि 02:39 तक तत्पश्चात शूल
⛅ राहुकाल - दोपहर 12:47 से दोपहर 02:18 तक
⛅ दिशाशूल - उत्तर दिशा में
⛅ दिनांक - 16 मार्च 2022
⛅ दिन - बुधवार
⛅ विक्रम संवत - 2078
⛅ शक संवत -1943
⛅ अयन - उत्तरायण
⛅ ऋतु - वसंत ऋतु
⛅ मास - फाल्गुन
⛅ पक्ष - शुक्ल
⛅ तिथि - त्रयोदशी दोपहर 01:39 तक तत्पश्चात चतुर्दशी
⛅ नक्षत्र - मघा रात्रि 12:21 तक तत्पश्चात पूर्वाफाल्गुनी
⛅ योग - धृति 17 मार्च रात्रि 02:39 तक तत्पश्चात शूल
⛅ राहुकाल - दोपहर 12:47 से दोपहर 02:18 तक
⛅ दिशाशूल - उत्तर दिशा में
March 15, 2022
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March 15, 2022
March 15, 2022
Forwarded from रामदूतः — The Sanskrit News Platform
https://youtu.be/FJzOxYs97YE
Switch to DD News daily at 7:15 AM (Morning) for 15 minutes Sanskrit news.
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YouTube
वार्ता: संस्कृत में समाचार | पीएम मोदी ने ऑपरेशन गंगा में शामिल हितधारकों के साथ बातचीत की
March 15, 2022
March 15, 2022
न वर्ण्यवस्तुमाहात्म्यान्महत्तां भजते कविः ।
तथा सति कवीन्द्रः स्यात्सर्वोऽद्रीभादि वर्णयन् ॥
One doesn't become a महाकवि just because the object of one's description is महत् (big/great). If that had been the case, everyone who describes an elephant or a mountain would be महाकवि
संस्कृतार्थः -
विशालस्य ग्रन्थस्य लेखनेन एव कोऽपि महाकविः न भवति। यदि तथा भवेत् चेत् ते सर्वे महाकवयः सन्ति ये गजं पर्वतं वा वर्णयन्ति।
इत्युक्ते गुणाः एव प्रधानाः न तु कुलीनता।
#Subhashitam
तथा सति कवीन्द्रः स्यात्सर्वोऽद्रीभादि वर्णयन् ॥
One doesn't become a महाकवि just because the object of one's description is महत् (big/great). If that had been the case, everyone who describes an elephant or a mountain would be महाकवि
संस्कृतार्थः -
विशालस्य ग्रन्थस्य लेखनेन एव कोऽपि महाकविः न भवति। यदि तथा भवेत् चेत् ते सर्वे महाकवयः सन्ति ये गजं पर्वतं वा वर्णयन्ति।
इत्युक्ते गुणाः एव प्रधानाः न तु कुलीनता।
#Subhashitam
March 15, 2022
March 15, 2022
March 15, 2022
योगी आदित्यनाथः निर्वाचनप्रक्रियायां जयं _______।
Anonymous Quiz
4%
प्राप्तः
84%
प्राप्तवान्
4%
प्राप्तवत्
7%
प्राप्तवन्तः
March 16, 2022
March 16, 2022
संस्कृत संवादः । Sanskrit Samvadah
यस्य
पुत्रो न वै विद्वान्न शूरो न च धार्मिकः। अप्रकाशं कुलं तस्य
नष्टचन्द्रेव शर्वरी।। = जिसका पुत्र न विद्वान् हो, न शूरवीर हो और न
धार्मिक हो उसका कुल उसी प्रकार प्रकाशरहित (प्रसिद्धिरहित) रहता है जैसे
चन्द्रमा से रहित रात्रि। संसारतापदग्धानां त्रयो…
आत्माऽपराधवृक्षस्य फलान्येतानि देहिनाम्। दारिद्र्यरोगदुःखानि बन्धनव्यसनानि च।।
= दरिद्रता, रोग, कष्ट, दुःख, बन्धन और आपत्तियां ये सब मनुष्य के अपने ही किए पापरूप वृक्ष के फल हैं।
यद् व्यङ्गाः कुष्ठिनश्चान्धाः पङ्गवश्च दरिद्रिणः। पूर्वोपार्जितपापस्य फलमश्नाति देहिनः।।
= अपंग, कोढ़ी, नेत्रहीन, लंगड़े तथा दरिद्र लोग वास्तव में अपने पूर्वोपार्जित पापों का फल ही भोग रहे होते हैं।
बहूनां चैव सत्त्वानां समवायो रिपुञ्जयः।
वर्षधाराधरो मेघस्तृणैरपि निवार्यते।।
= संगठित मनुष्यों का समूह शत्रु के छक्के छुड़ा सकता है, जैसे मूसलाधार वर्षा के वेग को क्षुद्र तिनके (छप्पर के रूप में) रोक देते हैं।
उत्पन्नपश्चात्तापस्य बुद्धिर्भवति यादृशी।
तादृशी यदि पूर्वं स्यात् कस्य न स्यानमहोदयः।।
= अशुभ कर्म कर चुकने के उपरान्त जैसी बुद्धि पछतानेवाले मनुष्य की उत्पन्न होती है वैसी बुद्धि कर्म करने के पूर्व में हो जाए तो किसका मोक्ष नहीं होगा ? अर्थात् सभी का कल्याण होगा।
स जीवति गुणा यस्य यस्य धर्मः स जीवति। गुणधर्मविहीनस्य जीवितं निष्प्रयोजनम्।।
= वह जीवित है जिसके पास गुण हैं, वहभी जीवित है जिसके पास धर्म है। गुण तथा धर्म से रहित व्यक्ति का जीवन निष्फल तथा व्यर्थ है।
संसारकटुवृक्षस्य द्वे फले अमृतोपमे।
सुभाषितं च सुस्वादु सङ्गतिः सुजने जने।।
= संसार रूपी कड़वे वृक्ष के अमृत के समान मधुर दो ही फल हैं। रसीला प्रिय वचन और सज्जनों की संगति।
पिता रत्नाकरो यस्य लक्ष्मीर्यस्य सहोदरा।
शङ्खो भिक्षाटनं कुर्यान्नाऽदत्तमुपतिष्ठते।।
= समुद्र जिसका पिता है, लक्ष्मी जिसकी बहन है, चन्द्रमा के समान चमकता हुआ शंङ्ख भी यदि भीख मांगता फिरे तो समझ लेना चाहिए कि बिना दान दिए धन नहीं मिलता।
तक्षकस्य विषं दन्ते मक्षिकायास्तु मस्तके।
वृश्चिकस्य विषं पुच्छे सर्वाङ्गे दुर्जने विषम्।।
= सांप का विष उसके दांत में, मक्खी के सिर में, बिच्छु के पूंछ में होता है। जबकि दुर्जन व्यक्ति के तो अंग अंग में विष होता है।
परोपकरणं येषां जागर्त्ति हृदये सताम्।
नश्यन्ति विपदस्तेषां सम्पदः स्युः पदे पदे।।
= जिन सज्जनों के हृदय में परोपकार की भावना जागृत रहती है, उनकी आपत्तियां दूर हो जाती हैं और कदम कदम पर उन्हें सम्पत्तियां प्राप्त होती हैं।
परोपकारशून्यस्य धिङ् मनुष्यस्य जीवितम्। जीवन्तु पशवो येषां चर्माप्युपकरिष्यति।।
= परोपकाररहित मानव के जीवन को धिक्कार है अर्थात् उनका जीना बेकार है। जिनका मरणोपरान्त चमड़ा भी उपकार में लगता है ऐसे पशुओं का जीना सार्थक है।
शुचीनां श्रीमतां गेहे योगभ्रष्टोऽभिजायते।
= योगभ्रष्ट व्यक्ति पवित्र और श्रीमन्त लोगों के घर में जन्म लेता है।
#vakyabhyas
= दरिद्रता, रोग, कष्ट, दुःख, बन्धन और आपत्तियां ये सब मनुष्य के अपने ही किए पापरूप वृक्ष के फल हैं।
यद् व्यङ्गाः कुष्ठिनश्चान्धाः पङ्गवश्च दरिद्रिणः। पूर्वोपार्जितपापस्य फलमश्नाति देहिनः।।
= अपंग, कोढ़ी, नेत्रहीन, लंगड़े तथा दरिद्र लोग वास्तव में अपने पूर्वोपार्जित पापों का फल ही भोग रहे होते हैं।
बहूनां चैव सत्त्वानां समवायो रिपुञ्जयः।
वर्षधाराधरो मेघस्तृणैरपि निवार्यते।।
= संगठित मनुष्यों का समूह शत्रु के छक्के छुड़ा सकता है, जैसे मूसलाधार वर्षा के वेग को क्षुद्र तिनके (छप्पर के रूप में) रोक देते हैं।
उत्पन्नपश्चात्तापस्य बुद्धिर्भवति यादृशी।
तादृशी यदि पूर्वं स्यात् कस्य न स्यानमहोदयः।।
= अशुभ कर्म कर चुकने के उपरान्त जैसी बुद्धि पछतानेवाले मनुष्य की उत्पन्न होती है वैसी बुद्धि कर्म करने के पूर्व में हो जाए तो किसका मोक्ष नहीं होगा ? अर्थात् सभी का कल्याण होगा।
स जीवति गुणा यस्य यस्य धर्मः स जीवति। गुणधर्मविहीनस्य जीवितं निष्प्रयोजनम्।।
= वह जीवित है जिसके पास गुण हैं, वहभी जीवित है जिसके पास धर्म है। गुण तथा धर्म से रहित व्यक्ति का जीवन निष्फल तथा व्यर्थ है।
संसारकटुवृक्षस्य द्वे फले अमृतोपमे।
सुभाषितं च सुस्वादु सङ्गतिः सुजने जने।।
= संसार रूपी कड़वे वृक्ष के अमृत के समान मधुर दो ही फल हैं। रसीला प्रिय वचन और सज्जनों की संगति।
पिता रत्नाकरो यस्य लक्ष्मीर्यस्य सहोदरा।
शङ्खो भिक्षाटनं कुर्यान्नाऽदत्तमुपतिष्ठते।।
= समुद्र जिसका पिता है, लक्ष्मी जिसकी बहन है, चन्द्रमा के समान चमकता हुआ शंङ्ख भी यदि भीख मांगता फिरे तो समझ लेना चाहिए कि बिना दान दिए धन नहीं मिलता।
तक्षकस्य विषं दन्ते मक्षिकायास्तु मस्तके।
वृश्चिकस्य विषं पुच्छे सर्वाङ्गे दुर्जने विषम्।।
= सांप का विष उसके दांत में, मक्खी के सिर में, बिच्छु के पूंछ में होता है। जबकि दुर्जन व्यक्ति के तो अंग अंग में विष होता है।
परोपकरणं येषां जागर्त्ति हृदये सताम्।
नश्यन्ति विपदस्तेषां सम्पदः स्युः पदे पदे।।
= जिन सज्जनों के हृदय में परोपकार की भावना जागृत रहती है, उनकी आपत्तियां दूर हो जाती हैं और कदम कदम पर उन्हें सम्पत्तियां प्राप्त होती हैं।
परोपकारशून्यस्य धिङ् मनुष्यस्य जीवितम्। जीवन्तु पशवो येषां चर्माप्युपकरिष्यति।।
= परोपकाररहित मानव के जीवन को धिक्कार है अर्थात् उनका जीना बेकार है। जिनका मरणोपरान्त चमड़ा भी उपकार में लगता है ऐसे पशुओं का जीना सार्थक है।
शुचीनां श्रीमतां गेहे योगभ्रष्टोऽभिजायते।
= योगभ्रष्ट व्यक्ति पवित्र और श्रीमन्त लोगों के घर में जन्म लेता है।
#vakyabhyas
March 16, 2022
March 16, 2022
March 16, 2022
।।श्रीः।।
।।आत्मबोधः।।
Atmabodha, meaning Self-knowledge or Self-awareness, is an exceptionally lucid and readable work of Shankaracharya. Consisting of sixty-eight verses or shlokas, it is in a sense a simple summary of his entire Vedantic structure of thought, intended, it would seem, as a basic primer for his students and followers. The text follows a clearly elaborated doctrine, starting with knowledge as a key to liberation, the nautre of the Atman within us, the assertion of the pervasive and attribute-less nature of Brahman, and the path towards the realisation of the complete identity between the Atman and Brahman.
आत्मा तु सततं प्राप्तोऽप्यप्राप्तवदविद्यया।
तन्नाशे प्राप्तवद्भाति स्वकण्ठाभरणं यथा।।44।।
44. Atman is an ever-present Reality. Yet, because of ignorance it is not realised. On the destruction of ignorance Atman is realised. It is like the missing ornament of one’s neck.
आत्म-बोध ऑनलाइन क्लास - 44:
आत्म-बोध के 44th श्लोक में आचार्यश्री हमें एक प्रचलित प्रश्न का उत्तर दे रहे हैं। प्रश्न है - कि, महाराज हमने इतनी साधना करि, इतनी पढ़ाई करी लेकिन अभी तक हमें आत्मा की प्राप्ति नहीं हुई है, कब होगी? ऐसे लोगों को आचार्य कहते है की आत्मा की प्राप्ति किसी दिव्य अज्ञात तत्व की प्राप्ति नहीं होती है। आत्मा तो मैं को बोलते हैं और वो तो प्राप्त ही है। समस्या तो अपने आप को ठीक से न जानने की है। न जानना ही अज्ञान ही - और अज्ञान के दो रूप होते हैं - न जानना और गलत जानना। वेदान्त शास्त्र इन्ही दोनों को दूर कर देते हैं और उसके बाद हमें मनो प्राप्त हो जाती है - जैसे गले में पड़ा हुआ माला।
#Atmabodha
।।आत्मबोधः।।
Atmabodha, meaning Self-knowledge or Self-awareness, is an exceptionally lucid and readable work of Shankaracharya. Consisting of sixty-eight verses or shlokas, it is in a sense a simple summary of his entire Vedantic structure of thought, intended, it would seem, as a basic primer for his students and followers. The text follows a clearly elaborated doctrine, starting with knowledge as a key to liberation, the nautre of the Atman within us, the assertion of the pervasive and attribute-less nature of Brahman, and the path towards the realisation of the complete identity between the Atman and Brahman.
आत्मा तु सततं प्राप्तोऽप्यप्राप्तवदविद्यया।
तन्नाशे प्राप्तवद्भाति स्वकण्ठाभरणं यथा।।44।।
44. Atman is an ever-present Reality. Yet, because of ignorance it is not realised. On the destruction of ignorance Atman is realised. It is like the missing ornament of one’s neck.
आत्म-बोध ऑनलाइन क्लास - 44:
आत्म-बोध के 44th श्लोक में आचार्यश्री हमें एक प्रचलित प्रश्न का उत्तर दे रहे हैं। प्रश्न है - कि, महाराज हमने इतनी साधना करि, इतनी पढ़ाई करी लेकिन अभी तक हमें आत्मा की प्राप्ति नहीं हुई है, कब होगी? ऐसे लोगों को आचार्य कहते है की आत्मा की प्राप्ति किसी दिव्य अज्ञात तत्व की प्राप्ति नहीं होती है। आत्मा तो मैं को बोलते हैं और वो तो प्राप्त ही है। समस्या तो अपने आप को ठीक से न जानने की है। न जानना ही अज्ञान ही - और अज्ञान के दो रूप होते हैं - न जानना और गलत जानना। वेदान्त शास्त्र इन्ही दोनों को दूर कर देते हैं और उसके बाद हमें मनो प्राप्त हो जाती है - जैसे गले में पड़ा हुआ माला।
#Atmabodha
March 16, 2022
@samskrt_samvadah संलापशाला - A Samskrit Voicechat room.
कालावधिः : 45 निमेषाः
समयः : IST 11:00 AM 🕚
विषयः : "होली" उत्सवः
दिनाङ्कः : 17th March 2022,
गुरुवासरः
Please Join the voicechat on time.
😇 यदि शक्येत चेत् संस्कृतेन (कथं भवतां स्थाने एतस्याः आचरणं भवति, कश्चन अनुभवः अस्ति,का पौराणिकी कथा अस्ति, कः संदेशः प्राप्यते। ) चर्चार्थं कृपया पूर्वसिद्धतां कृत्वा आगच्छन्तु।
वयं युष्माकं प्रतीक्षां कुर्मः। 😇
स्मारणतंत्रिकां स्थापयतु⏰
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March 16, 2022
BVGch10vs16
Swami Brahamananda
श्रीमद्भगवद्गीता [10.16]
March 16, 2022
🍃
♦️vaktumarhasyasheSheNa divyaa hyaatmavibhuutayaH|
yaabhirvibhuutibhirlokaanimaaMstvaM vyaapya tiShThasi10.16
⚜(Therefore), You alone are able to fully describe Your own divine glories, the manifestations, by which You exist pervading all the universe. (10.16)
⚜आप ही उन अपनी दिव्य विभूतियों को अशेषत कहने के लिए योग्य हैं जिन विभूतियों के द्वारा इन समस्त लोकों को आप व्याप्त करके स्थित हैं।।10.16।।
#geeta
वक्तुमर्हस्यशेषेण दिव्या ह्यात्मविभूतयः।
याभिर्विभूतिभिर्लोकानिमांस्त्वं व्याप्य तिष्ठसि
।।10.16।।♦️vaktumarhasyasheSheNa divyaa hyaatmavibhuutayaH|
yaabhirvibhuutibhirlokaanimaaMstvaM vyaapya tiShThasi
⚜(Therefore), You alone are able to fully describe Your own divine glories, the manifestations, by which You exist pervading all the universe. (10.16)
⚜आप ही उन अपनी दिव्य विभूतियों को अशेषत कहने के लिए योग्य हैं जिन विभूतियों के द्वारा इन समस्त लोकों को आप व्याप्त करके स्थित हैं।।10.16।।
#geeta
March 16, 2022
BVGch10vs17
Swami Brahamananda
श्रीमद्भगवद्गीता [10.17]
March 16, 2022
🍃
♦️kathaM vidyaamahaM yogiMstvaaM sadaa parichintayan|
keShu keShu cha bhaaveShu chintyo'si bhagavanmayaa10.17
⚜How may I know You, O Lord, by constant contemplation? In what form (of manifestation) are You to be thought of by me, O Lord? (10.17)
⚜हे योगेश्वर मैं किस प्रकार निरन्तर चिन्तन करता हुआ आपको जानूँ? और हे भगवन् आप किनकिन भावों में मेरे द्वारा चिन्तन करने योग्य हैं।।10.17।।
#geeta
कथं विद्यामहं योगिंस्त्वां सदा परिचिन्तयन्।
केषु केषु च भावेषु चिन्त्योऽसि भगवन्मया
।।10.17।।♦️kathaM vidyaamahaM yogiMstvaaM sadaa parichintayan|
keShu keShu cha bhaaveShu chintyo'si bhagavanmayaa
⚜How may I know You, O Lord, by constant contemplation? In what form (of manifestation) are You to be thought of by me, O Lord? (10.17)
⚜हे योगेश्वर मैं किस प्रकार निरन्तर चिन्तन करता हुआ आपको जानूँ? और हे भगवन् आप किनकिन भावों में मेरे द्वारा चिन्तन करने योग्य हैं।।10.17।।
#geeta
March 16, 2022
🚩जय सत्य सनातन🚩
🚩आज की हिंदी तिथि
🌥 🚩यगाब्द-५१२३
🌥 🚩विक्रम संवत-२०७८
⛅️ 🚩तिथि - चतुर्दशी 01:29 पी. एम. तक ततपश्चात पूर्णिमा
⛅️ दिनांक 17 मार्च 2022
⛅️ दिन - गुरुवार
⛅️ शक संवत - 1943
⛅️ अयन - उत्तरायण
⛅️ ऋतु - वसंत
⛅️ मास - फाल्गुन
⛅️ पक्ष - शुक्ल
⛅️ नक्षत्र - पूर्वाफाल्गुनी 12:34 ए. एम तक,मार्च 18 तपश्चात उत्तराफाल्गुनी
⛅️ योग - शूल 01:09 ए. एम मार्च 18 तत्पश्चात गण्ड
⛅️ राहुकाल -2:18 पी.एम से 03:49 पी.एम. तक
⛅️ सर्योदय - 06:47 ए. एम.
⛅️ सर्यास्त - 06:49 पी.एम
⛅️ चन्द्रोदय - 06:04 पी.एम.
⛅️ दिशाशूल - दक्षिण
🚩आज की हिंदी तिथि
🌥 🚩यगाब्द-५१२३
🌥 🚩विक्रम संवत-२०७८
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⛅️ दिनांक 17 मार्च 2022
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⛅️ शक संवत - 1943
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⛅️ योग - शूल 01:09 ए. एम मार्च 18 तत्पश्चात गण्ड
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⛅️ सर्योदय - 06:47 ए. एम.
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March 16, 2022
Forwarded from रामदूतः — The Sanskrit News Platform
https://youtu.be/XmcvWjwwVJo
Switch to DD News daily at 7:15 AM (Morning) for 15 minutes Sanskrit news.
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YouTube
वार्ता: पीएम LBSNAA में आयोजित समापन समारोह को वर्चुअली संबोधित करेंगे
March 16, 2022
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कालावधिः : 45 निमेषाः
समयः : IST 11:00 AM 🕚
विषयः : "होली" उत्सवः
दिनाङ्कः : 17th March 2022,
गुरुवासरः
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दिनाङ्कः : 17th March 2022,
गुरुवासरः
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March 16, 2022
March 16, 2022
March 16, 2022
"न हि वैरेण वैराणि, शाम्यन्तीह कदाचन।
अवैरेण तु शाम्यन्ति, एष धर्मः सनातनः।।"
अर्थात - "शत्रुता कभी भी शत्रुता से शांत नहीं होती । वह प्रेमभाव से ही शांत होती है । यही सत्य और शाश्वत सनातन धर्म है ।"
संस्कृतार्थः -
शत्रुभावस्य नाशः कदापि शत्रुभावेन न भवति अपितु प्रेमणः भावेन एव तस्य नाशः भवति, एषः एव सनातनः धर्मः वर्तते।
#Subhashitam
अवैरेण तु शाम्यन्ति, एष धर्मः सनातनः।।"
अर्थात - "शत्रुता कभी भी शत्रुता से शांत नहीं होती । वह प्रेमभाव से ही शांत होती है । यही सत्य और शाश्वत सनातन धर्म है ।"
संस्कृतार्थः -
शत्रुभावस्य नाशः कदापि शत्रुभावेन न भवति अपितु प्रेमणः भावेन एव तस्य नाशः भवति, एषः एव सनातनः धर्मः वर्तते।
#Subhashitam
March 16, 2022
March 16, 2022
March 17, 2022
हनुमान् पर्वतात् रामलक्ष्मणौ _______।
Anonymous Quiz
4%
स्तः
22%
अपश्यताम्
59%
अपश्यत्
6%
अपश्यतम्
9%
अदर्शताम्
March 17, 2022
संस्कृत संवादः । Sanskrit Samvadah
आत्माऽपराधवृक्षस्य
फलान्येतानि देहिनाम्। दारिद्र्यरोगदुःखानि बन्धनव्यसनानि च।। =
दरिद्रता, रोग, कष्ट, दुःख, बन्धन और आपत्तियां ये सब मनुष्य के अपने ही
किए पापरूप वृक्ष के फल हैं। यद् व्यङ्गाः कुष्ठिनश्चान्धाः पङ्गवश्च
दरिद्रिणः। पूर्वोपार्जितपापस्य फलमश्नाति…
श्चुत्व सन्धिः
{(स्तोः श्चुना श्चुः) सकार या तवर्ग (त्, थ्, द्, ध्, न्) से पहले या बाद में शकार या चवर्ग (च्, छ्, ज्, झ्, ञ्) कोई भी हो तो सकार और तवर्ग को क्रमशः शकार और चवर्ग हो जाता है। (अर्थात् ‘स्’ को ‘श्’, ‘त्’ को ‘च्’, ‘थ्’ को ‘छ्’, ‘द्’ को ‘ज्’, ‘ध्’ को ‘झ्’ और ‘न्’ को ‘ञ्’ हो जाता है।)}
श्/तवर्ग + स्/तवर्ग अथवा स्/तवर्ग + श्/चवर्ग है तो स् = श् तथा तवर्ग = चवर्ग।
रामस् + च = रामश् च = रामश्च।
सत् + चित् = सच् चित् = सच्चित्।
यद् + ज्योतिः = यज् + ज्योतिः = यज्ज्योतिः।
याच् + ना = याच् ञा = याच्ञा
यद् + ज्योतिर् = यज्ज्योतिर्।
यज्ज्योतिरन्तरमृतम्प्रजासु तन्मे मनः शिवसङ्कल्पमस्तु।
= जो ज्योतिस्वरूप शरीर के अन्दर विद्यमान, उत्पन्न हुए समस्त पदार्थों में अविनाशी है, वह मेरा मन कल्याणकारी संकल्पवाला होवे।
तत् + चक्षुर् = तच्चक्षुर्;
उत् + चरत् = उच्चरत्।
तच्चक्षुर्देवहितं पुरस्ताच्छुक्रमुच्चरत्।
= वह सबका मार्गदर्शक, देवों का हितकारी, शुद्धस्वरूप सामने उपस्थित है।
सत् + चित् = सच्चित्।
ईश्वरः सच्चिदानन्दस्वरूपोऽस्ति
= ईश्वर सत्, चित् व आनन्दस्वरूप है।
कस् + चिद् = कश्चिद्।
मनुष्याणां सहस्रेषु कश्चिद्यतति सिद्धये।
यततामपि सिद्धानां कश्चिन्मां वेत्ति तत्त्वतः।।
= हजारों में कोई एकाद योग सिद्धि के लिए प्रयत्न करता है। यत्न करनेवालों में कोई एकाद ही मुझे यथार्थरूप में जान पाता है।
योगात् + चलितमानसः = योगाच्चलितमानसः।
अयतिः श्रद्धयोपेतो योगाच्चलितमानसः।
अप्राप्य योगसंसिद्धिं कां गतिं कृष्ण गच्छति।।
= हे कृष्ण ! श्रद्धायुक्त हो योगमार्ग पर चलनेवाले साधक का मन उसका यत्न पूरा न होने के कारण योग से विचलित हो गया है, ऐसा साधक योगसिद्धियों को प्राप्त न करके किस गति को प्राप्त करता है ?
यत् + चन्द्रमसि = यच्चन्द्रमसि;
यत् + चाग्नौ = यच्चाग्नौ।
यदादित्यगतं तेजो जगद्भासयतेऽखिलम्।
यच्चन्द्रमसि यच्चाग्नौ तत्तेजो विद्धि मामकम्।।
= सूर्य में विद्यमान तेज जो सकल जगत को प्रकाशित करता है, और जो चन्द्रमा तथा अग्नि में विद्यमान है, वह मेरा ही तेज है ऐसा जान।
कस् + चिद् = कश्चिद्।
न हि कल्याणकृत्कश्चिद् दुर्गतिं तात गच्छति।
= हे तात ! कल्याण करनेवाला कभी दुर्गति को प्राप्त नहीं होता।
#vakyabhyas
{(स्तोः श्चुना श्चुः) सकार या तवर्ग (त्, थ्, द्, ध्, न्) से पहले या बाद में शकार या चवर्ग (च्, छ्, ज्, झ्, ञ्) कोई भी हो तो सकार और तवर्ग को क्रमशः शकार और चवर्ग हो जाता है। (अर्थात् ‘स्’ को ‘श्’, ‘त्’ को ‘च्’, ‘थ्’ को ‘छ्’, ‘द्’ को ‘ज्’, ‘ध्’ को ‘झ्’ और ‘न्’ को ‘ञ्’ हो जाता है।)}
श्/तवर्ग + स्/तवर्ग अथवा स्/तवर्ग + श्/चवर्ग है तो स् = श् तथा तवर्ग = चवर्ग।
रामस् + च = रामश् च = रामश्च।
सत् + चित् = सच् चित् = सच्चित्।
यद् + ज्योतिः = यज् + ज्योतिः = यज्ज्योतिः।
याच् + ना = याच् ञा = याच्ञा
यद् + ज्योतिर् = यज्ज्योतिर्।
यज्ज्योतिरन्तरमृतम्प्रजासु तन्मे मनः शिवसङ्कल्पमस्तु।
= जो ज्योतिस्वरूप शरीर के अन्दर विद्यमान, उत्पन्न हुए समस्त पदार्थों में अविनाशी है, वह मेरा मन कल्याणकारी संकल्पवाला होवे।
तत् + चक्षुर् = तच्चक्षुर्;
उत् + चरत् = उच्चरत्।
तच्चक्षुर्देवहितं पुरस्ताच्छुक्रमुच्चरत्।
= वह सबका मार्गदर्शक, देवों का हितकारी, शुद्धस्वरूप सामने उपस्थित है।
सत् + चित् = सच्चित्।
ईश्वरः सच्चिदानन्दस्वरूपोऽस्ति
= ईश्वर सत्, चित् व आनन्दस्वरूप है।
कस् + चिद् = कश्चिद्।
मनुष्याणां सहस्रेषु कश्चिद्यतति सिद्धये।
यततामपि सिद्धानां कश्चिन्मां वेत्ति तत्त्वतः।।
= हजारों में कोई एकाद योग सिद्धि के लिए प्रयत्न करता है। यत्न करनेवालों में कोई एकाद ही मुझे यथार्थरूप में जान पाता है।
योगात् + चलितमानसः = योगाच्चलितमानसः।
अयतिः श्रद्धयोपेतो योगाच्चलितमानसः।
अप्राप्य योगसंसिद्धिं कां गतिं कृष्ण गच्छति।।
= हे कृष्ण ! श्रद्धायुक्त हो योगमार्ग पर चलनेवाले साधक का मन उसका यत्न पूरा न होने के कारण योग से विचलित हो गया है, ऐसा साधक योगसिद्धियों को प्राप्त न करके किस गति को प्राप्त करता है ?
यत् + चन्द्रमसि = यच्चन्द्रमसि;
यत् + चाग्नौ = यच्चाग्नौ।
यदादित्यगतं तेजो जगद्भासयतेऽखिलम्।
यच्चन्द्रमसि यच्चाग्नौ तत्तेजो विद्धि मामकम्।।
= सूर्य में विद्यमान तेज जो सकल जगत को प्रकाशित करता है, और जो चन्द्रमा तथा अग्नि में विद्यमान है, वह मेरा ही तेज है ऐसा जान।
कस् + चिद् = कश्चिद्।
न हि कल्याणकृत्कश्चिद् दुर्गतिं तात गच्छति।
= हे तात ! कल्याण करनेवाला कभी दुर्गति को प्राप्त नहीं होता।
#vakyabhyas
March 17, 2022
March 17, 2022
March 17, 2022
।।श्रीः।।
।।आत्मबोधः।।
Atmabodha, meaning Self-knowledge or Self-awareness, is an exceptionally lucid and readable work of Shankaracharya. Consisting of sixty-eight verses or shlokas, it is in a sense a simple summary of his entire Vedantic structure of thought, intended, it would seem, as a basic primer for his students and followers. The text follows a clearly elaborated doctrine, starting with knowledge as a key to liberation, the nautre of the Atman within us, the assertion of the pervasive and attribute-less nature of Brahman, and the path towards the realisation of the complete identity between the Atman and Brahman.
स्थाणौ पुरुषवद्भ्रान्त्या कृता ब्रह्मणि जीवता।
जीवस्य तात्त्विके रूपे तस्मिन्दृष्टे निवर्तते।।45।।
45. Brahman appears to be a’Jiva’ because of ignorance, just as a post appears to be a ghost. The ego-centric-individuality is destroyed when the real nature of the’Jiva’ is realised as the Self.
आत्म-बोध ऑनलाइन क्लास - 45:
आत्म-बोध के 45th श्लोक में आचार्यश्री एक अत्यंत महत्वपूर्ण विषय पर प्रकाश डाल रहे हैं। यह विषय है की आत्मा का दर्शन और उसमे निष्ठा कब होगी। क्या हम सदैव आत्मा का ध्यान करें? आचार्य बोलते हैं कि नहीं, आत्मा का नहीं 'जीव' पर ध्यान दो। जीव किसको कहते हैं? ये कैसे उत्पन्न होता है? इसकी संकुचिताएँ कैसे आती हैं, और कैसे जाती हैं? वे कहते हैं की वस्तुतः जीव आत्मा को ठीक से न जानने के कारण एक भ्रान्ति मात्र होती है, और भ्रान्ति की समाप्ति से यह भी दूर हो जाता है, और उसके स्थान पर एक अनन्त सत्ता विद्यमान होती है - वो ब्रह्म है।
#Atmabodha
।।आत्मबोधः।।
Atmabodha, meaning Self-knowledge or Self-awareness, is an exceptionally lucid and readable work of Shankaracharya. Consisting of sixty-eight verses or shlokas, it is in a sense a simple summary of his entire Vedantic structure of thought, intended, it would seem, as a basic primer for his students and followers. The text follows a clearly elaborated doctrine, starting with knowledge as a key to liberation, the nautre of the Atman within us, the assertion of the pervasive and attribute-less nature of Brahman, and the path towards the realisation of the complete identity between the Atman and Brahman.
स्थाणौ पुरुषवद्भ्रान्त्या कृता ब्रह्मणि जीवता।
जीवस्य तात्त्विके रूपे तस्मिन्दृष्टे निवर्तते।।45।।
45. Brahman appears to be a’Jiva’ because of ignorance, just as a post appears to be a ghost. The ego-centric-individuality is destroyed when the real nature of the’Jiva’ is realised as the Self.
आत्म-बोध ऑनलाइन क्लास - 45:
आत्म-बोध के 45th श्लोक में आचार्यश्री एक अत्यंत महत्वपूर्ण विषय पर प्रकाश डाल रहे हैं। यह विषय है की आत्मा का दर्शन और उसमे निष्ठा कब होगी। क्या हम सदैव आत्मा का ध्यान करें? आचार्य बोलते हैं कि नहीं, आत्मा का नहीं 'जीव' पर ध्यान दो। जीव किसको कहते हैं? ये कैसे उत्पन्न होता है? इसकी संकुचिताएँ कैसे आती हैं, और कैसे जाती हैं? वे कहते हैं की वस्तुतः जीव आत्मा को ठीक से न जानने के कारण एक भ्रान्ति मात्र होती है, और भ्रान्ति की समाप्ति से यह भी दूर हो जाता है, और उसके स्थान पर एक अनन्त सत्ता विद्यमान होती है - वो ब्रह्म है।
#Atmabodha
March 17, 2022
March 17, 2022
🍁 प्रतिदिनं संस्कृतम् 🍁
नमः सर्वेभ्यः,
नूतनसम्भाषणशिबिरार्थिनां कृते विशेष सूचना
मार्च मासस्य 14 दिनाङ्कतः 31 दिनाङ्कपर्यन्तं अभ्यासकक्ष्या चाल्यते।
समयः -- सायं 7pm-7.40pm
विषयः -- सुलभसम्भाषणम्
पुस्तकम् -- संस्कृतभारती पुस्तकविभागस्य अभ्यास पुस्तकम्
-- https://us05web.zoom.us/j/7286226080?pwd=a0hNQnJ4aHVvVXUvWm1SSm9HTjFkUT09
Meeting ID:
Passcode:
🍁*सर्वेषां हार्दं स्वागतम्* 🍁
नमः सर्वेभ्यः,
नूतनसम्भाषणशिबिरार्थिनां कृते विशेष सूचना
मार्च मासस्य 14 दिनाङ्कतः 31 दिनाङ्कपर्यन्तं अभ्यासकक्ष्या चाल्यते।
समयः -- सायं 7pm-7.40pm
विषयः -- सुलभसम्भाषणम्
पुस्तकम् -- संस्कृतभारती पुस्तकविभागस्य अभ्यास पुस्तकम्
-- https://us05web.zoom.us/j/7286226080?pwd=a0hNQnJ4aHVvVXUvWm1SSm9HTjFkUT09
Meeting ID:
7286226080
Passcode:
9TXy4g
🍁*सर्वेषां हार्दं स्वागतम्* 🍁
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March 17, 2022
🍀 प्रतिदिनं संस्कृतम् 🍀
नमः सर्वेभ्यः
प्रतिदिनं वयं मिलित्वा लकारपठनं करिष्यामः
लट् , लोट्, लङ्,विधिलिँङ् लकाराः
समयः - 9.30-10.10. PM (भारतीय समयानुसारम् ) केवलं 40 निमेषाः
सोमवासरतः शुक्रवासरपर्यन्तम्
कक्ष्या मार्च मासस्य 16 दिनाङ्कतः आरभते
https://meet.google.com/dck-rnvy-hhn
नमः सर्वेभ्यः
प्रतिदिनं वयं मिलित्वा लकारपठनं करिष्यामः
लट् , लोट्, लङ्,विधिलिँङ् लकाराः
समयः - 9.30-10.10. PM (भारतीय समयानुसारम् ) केवलं 40 निमेषाः
सोमवासरतः शुक्रवासरपर्यन्तम्
कक्ष्या मार्च मासस्य 16 दिनाङ्कतः आरभते
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March 17, 2022
BVGch10vs18
Swami Brahamananda
श्रीमद्भगवद्गीता [10.18]
March 17, 2022
🍃
♦️vistareNaatmano yogaM vibhuutiM cha janaardana|
bhuuyaH kathaya tRRiptirhi shrRRiNvato naasti me'mRRitam10.18
⚜O Lord, explain to me again in detail, Your yogic power and glory; because, I am not satiated by hearing Your nectar-like words. (10.18)
⚜हे जनार्दन अपनी योग शक्ति और विभूति को पुन विस्तारपूर्वक कहिए क्योंकि आपके अमृतमय वचनों को सुनते हुए मुझे तृप्ति नहीं होती।।10.18।।
#geeta
विस्तरेणात्मनो योगं विभूतिं च जनार्दन।
भूयः कथय तृप्तिर्हि श्रृण्वतो नास्ति मेऽमृतम्
।।10.18।।♦️vistareNaatmano yogaM vibhuutiM cha janaardana|
bhuuyaH kathaya tRRiptirhi shrRRiNvato naasti me'mRRitam
⚜O Lord, explain to me again in detail, Your yogic power and glory; because, I am not satiated by hearing Your nectar-like words. (10.18)
⚜हे जनार्दन अपनी योग शक्ति और विभूति को पुन विस्तारपूर्वक कहिए क्योंकि आपके अमृतमय वचनों को सुनते हुए मुझे तृप्ति नहीं होती।।10.18।।
#geeta
March 17, 2022
BVGch10vs19
Swami Brahamananda
श्रीमद्भगवद्गीता [10.19]
March 17, 2022
🍃
♦️shrii bhagavaanuvaacha
hanta te kathayiShyaami divyaa hyaatmavibhuutayaH|
praadhaanyataH kurushreShTha naastyanto vistarasya me10.19
⚜The Supreme Lord said:
O Arjuna, now I shall explain to you My prominent divine manifestations, because My manifestations are endless. (10.19)
⚜श्रीभगवान् ने कहा --
हन्त अब मैं तुम्हें अपनी दिव्य विभूतियों को प्रधानता से कहूँगा। हे कुरुश्रेष्ठ मेरे विस्तार का अन्त नहीं है।।10.19।।
#geeta
श्री भगवानुवाच
हन्त ते कथयिष्यामि दिव्या ह्यात्मविभूतयः।
प्राधान्यतः कुरुश्रेष्ठ नास्त्यन्तो विस्तरस्य मे
।।10.19।।♦️shrii bhagavaanuvaacha
hanta te kathayiShyaami divyaa hyaatmavibhuutayaH|
praadhaanyataH kurushreShTha naastyanto vistarasya me
⚜The Supreme Lord said:
O Arjuna, now I shall explain to you My prominent divine manifestations, because My manifestations are endless. (10.19)
⚜श्रीभगवान् ने कहा --
हन्त अब मैं तुम्हें अपनी दिव्य विभूतियों को प्रधानता से कहूँगा। हे कुरुश्रेष्ठ मेरे विस्तार का अन्त नहीं है।।10.19।।
#geeta
March 17, 2022
अग्ने॒ नय॑ सु॒पथा॑ रा॒ये अ॒स्मान्।
Hindi Translation:
हे अग्नि, सभी प्रकार के ज्ञान को जानकर, हमें अच्छे मार्ग से धन की ओर ले चलो।
English Translation:
O Agni, knowing all kinds of knowledge, lead us to wealth in good ways.
Source:
(bṛhadāraṇyaka-upaniṣad 5.15.1) (īśa-upaniṣad 18) (ṛgvedaḥ 1.189.1) (yajurvedaḥ 5.36)
सर्वेभ्य: होलिका पर्वण्: हार्दिक्य शुभकामना:।
आप सभी को होली पर्व की हार्दिक शुभकामनाएं।
Hindi Translation:
हे अग्नि, सभी प्रकार के ज्ञान को जानकर, हमें अच्छे मार्ग से धन की ओर ले चलो।
English Translation:
O Agni, knowing all kinds of knowledge, lead us to wealth in good ways.
Source:
(bṛhadāraṇyaka-upaniṣad 5.15.1) (īśa-upaniṣad 18) (ṛgvedaḥ 1.189.1) (yajurvedaḥ 5.36)
सर्वेभ्य: होलिका पर्वण्: हार्दिक्य शुभकामना:।
आप सभी को होली पर्व की हार्दिक शुभकामनाएं।
March 17, 2022
🚩जय सत्य सनातन🚩
🚩आज की हिंदी तिथि
🌥️ 🚩युगाब्द-५१२३
🌥️ 🚩विक्रम संवत-२०७८
⛅ 🚩तिथि - पूर्णिमा 12:47 पी. एम. तक ततपश्चात प्रतिपदा
⛅ दिनांक 18 मार्च 2022
⛅ दिन - शुक्रवार
⛅ शक संवत - 1943
⛅ अयन - उत्तरायण
⛅ ऋतु - वसंत
⛅ मास - फाल्गुन
⛅ पक्ष - शुक्ल
⛅ नक्षत्र - उत्तराफाल्गुनी 12:18 ए. एम तक,मार्च 19 तपश्चात हस्त
⛅ योग - गण्ड 11:15 पी. एम तक तत्पश्चात वृद्धि
⛅ राहुकाल -11:17 ए.एम से 12:48 पी.एम. तक
⛅ सूर्योदय - 06:46 ए. एम.
⛅ सूर्यास्त - 06:50 पी.एम
⛅ चन्द्रोदय - 07:01 पी.एम.
⛅ दिशाशूल - पश्चिम
🚩आज की हिंदी तिथि
🌥️ 🚩युगाब्द-५१२३
🌥️ 🚩विक्रम संवत-२०७८
⛅ 🚩तिथि - पूर्णिमा 12:47 पी. एम. तक ततपश्चात प्रतिपदा
⛅ दिनांक 18 मार्च 2022
⛅ दिन - शुक्रवार
⛅ शक संवत - 1943
⛅ अयन - उत्तरायण
⛅ ऋतु - वसंत
⛅ मास - फाल्गुन
⛅ पक्ष - शुक्ल
⛅ नक्षत्र - उत्तराफाल्गुनी 12:18 ए. एम तक,मार्च 19 तपश्चात हस्त
⛅ योग - गण्ड 11:15 पी. एम तक तत्पश्चात वृद्धि
⛅ राहुकाल -11:17 ए.एम से 12:48 पी.एम. तक
⛅ सूर्योदय - 06:46 ए. एम.
⛅ सूर्यास्त - 06:50 पी.एम
⛅ चन्द्रोदय - 07:01 पी.एम.
⛅ दिशाशूल - पश्चिम
March 17, 2022
Forwarded from रामदूतः — The Sanskrit News Platform
https://youtu.be/Hp6Fe0FvgvM
Switch to DD News daily at 7:15 AM (Morning) for 15 minutes Sanskrit news.
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YouTube
वार्ता: संस्कृत समाचार बुलेटिन
March 17, 2022
चिन्ता चिता समानास्ति बिन्दुमात्रविशेषतः।
सजीवन्दहते चिन्ता निर्जीवन्दहते चिता।।
संस्कृतार्थः -
"चिन्ता" "चिता" शब्दयोः मध्ये बिन्दुमात्रः भेदः अस्ति।
परन्तु तयोः कार्यं पूर्णतः भिन्नम् अस्ति, चिता तु मृतं शरीरम् एव दहति किन्तु चिन्ता जीवन्तं मनुष्यं दहति।
#Subhashitam
सजीवन्दहते चिन्ता निर्जीवन्दहते चिता।।
संस्कृतार्थः -
"चिन्ता" "चिता" शब्दयोः मध्ये बिन्दुमात्रः भेदः अस्ति।
परन्तु तयोः कार्यं पूर्णतः भिन्नम् अस्ति, चिता तु मृतं शरीरम् एव दहति किन्तु चिन्ता जीवन्तं मनुष्यं दहति।
#Subhashitam
March 17, 2022
March 18, 2022
March 18, 2022
संस्कृतभाषायां प्रसिद्धा: लोकोक्तय: -
1. संघे शक्ति: कलौ युगे। – एकता में बल है।
2. अविवेक: परमापदां पद्म। – अज्ञानता विपत्ति का घर है।
3. कालस्य कुटिला गति:। – विपत्ति अकेले नहीं आती।
4. अल्पविद्या भयंकरी। – नीम हकीम खतरे जान।
5. बह्वारम्भे लघुक्रिया। – खोदा पहाड़ निकली चुहिया।
6. वरमद्य कपोत: श्वो मयूरात। – नौ नगद न तेरह उधार।
7. वीरभोग्य वसुन्धरा। – जिकसी लाठी उसकी भैंस।
8. शठे शाठ्यं समाचरेत् – जैसे को तैसा।
9. दूरस्था: पर्वता: रम्या:। – दूर के ढोल सुहावने लगते हैं।
10. बली बलं वेत्ति न तु निर्बल : जौहर की गति जौहर जाने।
11. अतिदर्पे हता लंका। – घमंडी का सिर नीचा।
12. अर्धो घटो घोषमुपैति नूनम्। – थोथा चना बाजे घना।
13. कष्ट खलु पराश्रय:। – पराधीन सपनेहुँ सुख नाहीं।
14. क्षते क्षारप्रक्षेप:। – जले पर नमक छिड़कना।
15. विषकुम्भं पयोमुखम। – तन के उजले मन के काले।
16. जलबिन्दुनिपातेन क्रमश: पूर्यते घट:। – बूँद-बूँद घड़ा भरता है।
17. गत: कालो न आयाति। – गया वक्त हाथ नहीं आता।
18. पय: पानं भुजङ्गानां केवलं विषवर्धनम्। – साँपों को दूध पिलाना उनके विष को बढ़ाना है।
19. सर्वनाशे समुत्पन्ने अर्धं त्यजति पण्डित:। – भागते चोर की लंगोटी सही।
20. यत्नं विना रत्नं न लभ्यते। – सेवा बिन मेवा नहीं।
-सङकलन- वशिष्ठ कुमार व्यास
1. संघे शक्ति: कलौ युगे। – एकता में बल है।
2. अविवेक: परमापदां पद्म। – अज्ञानता विपत्ति का घर है।
3. कालस्य कुटिला गति:। – विपत्ति अकेले नहीं आती।
4. अल्पविद्या भयंकरी। – नीम हकीम खतरे जान।
5. बह्वारम्भे लघुक्रिया। – खोदा पहाड़ निकली चुहिया।
6. वरमद्य कपोत: श्वो मयूरात। – नौ नगद न तेरह उधार।
7. वीरभोग्य वसुन्धरा। – जिकसी लाठी उसकी भैंस।
8. शठे शाठ्यं समाचरेत् – जैसे को तैसा।
9. दूरस्था: पर्वता: रम्या:। – दूर के ढोल सुहावने लगते हैं।
10. बली बलं वेत्ति न तु निर्बल : जौहर की गति जौहर जाने।
11. अतिदर्पे हता लंका। – घमंडी का सिर नीचा।
12. अर्धो घटो घोषमुपैति नूनम्। – थोथा चना बाजे घना।
13. कष्ट खलु पराश्रय:। – पराधीन सपनेहुँ सुख नाहीं।
14. क्षते क्षारप्रक्षेप:। – जले पर नमक छिड़कना।
15. विषकुम्भं पयोमुखम। – तन के उजले मन के काले।
16. जलबिन्दुनिपातेन क्रमश: पूर्यते घट:। – बूँद-बूँद घड़ा भरता है।
17. गत: कालो न आयाति। – गया वक्त हाथ नहीं आता।
18. पय: पानं भुजङ्गानां केवलं विषवर्धनम्। – साँपों को दूध पिलाना उनके विष को बढ़ाना है।
19. सर्वनाशे समुत्पन्ने अर्धं त्यजति पण्डित:। – भागते चोर की लंगोटी सही।
20. यत्नं विना रत्नं न लभ्यते। – सेवा बिन मेवा नहीं।
-सङकलन- वशिष्ठ कुमार व्यास
March 18, 2022
संस्कृत संवादः । Sanskrit Samvadah
श्चुत्व
सन्धिः {(स्तोः श्चुना श्चुः) सकार या तवर्ग (त्, थ्, द्, ध्, न्) से
पहले या बाद में शकार या चवर्ग (च्, छ्, ज्, झ्, ञ्) कोई भी हो तो सकार और
तवर्ग को क्रमशः शकार और चवर्ग हो जाता है। (अर्थात् ‘स्’ को ‘श्’, ‘त्’ को
‘च्’, ‘थ्’ को ‘छ्’, ‘द्’ को ‘ज्’, ‘ध्’…
संस्कृतं वद आधुनिको भव।
वेदान् पठ वैज्ञानिको भव।।
पाठ : (२३) षष्ठी विभक्ति (२) + ष्टुत्व सन्धिः
(बहुतों में एक को छांटने में जिसमें से छांटा जाए उसमें षष्ठी तथा सप्तमी दोनों का प्रयोग देखा जाता है।)
व्याकरणअध्येतृणां व्याकरणाध्येतृषु दयानन्दः पटुः अस्ति
= व्याकरण पढ़नेवालों में दयानन्द चतुर/कुशल है।
कविषु कवीनां वा कालिदासः श्रेष्ठोऽस्ति
= कवियों में कालिदास श्रेष्ठ है।
गवां गोषु वा देशि-गौ श्रेष्ठतमा भवति
= गायों में देशी गाय सर्वोत्तम होती है।
पशुनां पशुषु वा सिंहः शूरो भवति
= पशुओं में शेर शूर होता है।
मृगानां मृगेषु वा चित्रकः वेगेन धावति
= जंगली पशुओं में चीता तेजी से दौड़ता है।
वयसां वयस्सु हंसः दूरम् उड्डयति
= पक्षियों में हंस लम्बी उड़ान भरता है।
पेयानां पेयेषु वा दुग्धं सम्पूर्णाहार इति कथ्यते
= पेय पदार्थों में दूध को सम्पूर्णाहार कहा जाता है।
जीवेषु जीवानां वा मानवः श्रेष्ठः
= प्राणियों में मनुष्य श्रेष्ठ है।
मानवानां मानवेषु वा पण्डिताः श्रेष्ठाः
= मानवों में पण्डित श्रेष्ठ है।
वृक्षानां वृक्षेषु वा चन्दनं शीतलं वर्तते
= वृक्षों में चन्दन शीतल होता है।
वस्त्रेषु वस्त्राणां वा कार्पासं वस्त्रं स्वास्थ्यप्रदं भवति
= कपड़ों में सूती कपड़ा स्वास्थ्यप्रद होता है।
धातूनां धातुषु वा सुवर्णस्य महिमा अधिकोऽस्ति =
धातुओं में सोने का महत्व अधिक है।
सैनिकानां सैनिकेषु वा पञ्च सैनिकाः अद्य वीरगतिं प्राप्नुवन्
= सैनिकों में आज पांच सैनिक शहीद हो गए।
राजनीतिज्ञानां राजनीतिज्ञेषु वा कृष्णोऽन्यतमः
= राजनीतिज्ञों में कृष्ण जैसा कोई नहीं है।
पुरुषेषु पुरुषाणां वा राम एव मर्यादापुरुषोत्तमो बभूव
= पुरुषों में श्रीराम ही मर्यादापुरुषोत्तम हुए।
देशेषु देशाणां वा भारत एव जगद्गुरु-नाम्ना लब्धख्यातिकोऽस्ति
= देशों में केवल भारत ही जगद्गुरु नाम से प्रसिद्ध है।
भाषाणां भाषासु वा संस्कृतस्य साहित्यं विशालं वर्तते
= सकल भाषाओं में संस्कृत भाषा का साहित्य विशाल है।
ऋतुनां ऋतुषु वा शरदृतुर्जीवग्राही वर्तते वसन्तर्तु च स्वास्थ्यदायी
= ऋतुओं में शरद्-ऋतु जानलेवा होती है जबकि वसन्त-ऋतु स्वास्थ्यदायी।
भोजनानां भोजनेषु वा उष्णिका शीतर्तौ स्वद्यते
= व्यंजनों में गरमागरम लप्सी ठंड में खूब स्वादिष्ट लगती है।
धर्मार्थकाममोक्षाणां यस्यैकोऽपि न विद्यते।
जन्म-जन्मनि मर्त्येषु मरणं तस्य केवलम्।।
= जिस मानव ने अपने जीवन में धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष इन चार पुरुषार्थों में से एक भी नहीं प्राप्त किया, उसे इस मृत्यु लोक में बार-बार जन्म लेने और मृत्युदुःख भोगने का ही विकल्प बचता है।
#vakyabhyas
वेदान् पठ वैज्ञानिको भव।।
पाठ : (२३) षष्ठी विभक्ति (२) + ष्टुत्व सन्धिः
(बहुतों में एक को छांटने में जिसमें से छांटा जाए उसमें षष्ठी तथा सप्तमी दोनों का प्रयोग देखा जाता है।)
व्याकरणअध्येतृणां व्याकरणाध्येतृषु दयानन्दः पटुः अस्ति
= व्याकरण पढ़नेवालों में दयानन्द चतुर/कुशल है।
कविषु कवीनां वा कालिदासः श्रेष्ठोऽस्ति
= कवियों में कालिदास श्रेष्ठ है।
गवां गोषु वा देशि-गौ श्रेष्ठतमा भवति
= गायों में देशी गाय सर्वोत्तम होती है।
पशुनां पशुषु वा सिंहः शूरो भवति
= पशुओं में शेर शूर होता है।
मृगानां मृगेषु वा चित्रकः वेगेन धावति
= जंगली पशुओं में चीता तेजी से दौड़ता है।
वयसां वयस्सु हंसः दूरम् उड्डयति
= पक्षियों में हंस लम्बी उड़ान भरता है।
पेयानां पेयेषु वा दुग्धं सम्पूर्णाहार इति कथ्यते
= पेय पदार्थों में दूध को सम्पूर्णाहार कहा जाता है।
जीवेषु जीवानां वा मानवः श्रेष्ठः
= प्राणियों में मनुष्य श्रेष्ठ है।
मानवानां मानवेषु वा पण्डिताः श्रेष्ठाः
= मानवों में पण्डित श्रेष्ठ है।
वृक्षानां वृक्षेषु वा चन्दनं शीतलं वर्तते
= वृक्षों में चन्दन शीतल होता है।
वस्त्रेषु वस्त्राणां वा कार्पासं वस्त्रं स्वास्थ्यप्रदं भवति
= कपड़ों में सूती कपड़ा स्वास्थ्यप्रद होता है।
धातूनां धातुषु वा सुवर्णस्य महिमा अधिकोऽस्ति =
धातुओं में सोने का महत्व अधिक है।
सैनिकानां सैनिकेषु वा पञ्च सैनिकाः अद्य वीरगतिं प्राप्नुवन्
= सैनिकों में आज पांच सैनिक शहीद हो गए।
राजनीतिज्ञानां राजनीतिज्ञेषु वा कृष्णोऽन्यतमः
= राजनीतिज्ञों में कृष्ण जैसा कोई नहीं है।
पुरुषेषु पुरुषाणां वा राम एव मर्यादापुरुषोत्तमो बभूव
= पुरुषों में श्रीराम ही मर्यादापुरुषोत्तम हुए।
देशेषु देशाणां वा भारत एव जगद्गुरु-नाम्ना लब्धख्यातिकोऽस्ति
= देशों में केवल भारत ही जगद्गुरु नाम से प्रसिद्ध है।
भाषाणां भाषासु वा संस्कृतस्य साहित्यं विशालं वर्तते
= सकल भाषाओं में संस्कृत भाषा का साहित्य विशाल है।
ऋतुनां ऋतुषु वा शरदृतुर्जीवग्राही वर्तते वसन्तर्तु च स्वास्थ्यदायी
= ऋतुओं में शरद्-ऋतु जानलेवा होती है जबकि वसन्त-ऋतु स्वास्थ्यदायी।
भोजनानां भोजनेषु वा उष्णिका शीतर्तौ स्वद्यते
= व्यंजनों में गरमागरम लप्सी ठंड में खूब स्वादिष्ट लगती है।
धर्मार्थकाममोक्षाणां यस्यैकोऽपि न विद्यते।
जन्म-जन्मनि मर्त्येषु मरणं तस्य केवलम्।।
= जिस मानव ने अपने जीवन में धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष इन चार पुरुषार्थों में से एक भी नहीं प्राप्त किया, उसे इस मृत्यु लोक में बार-बार जन्म लेने और मृत्युदुःख भोगने का ही विकल्प बचता है।
#vakyabhyas
March 18, 2022
March 18, 2022
।।श्रीः।।
।।आत्मबोधः।।
Atmabodha, meaning Self-knowledge or Self-awareness, is an exceptionally lucid and readable work of Shankaracharya. Consisting of sixty-eight verses or shlokas, it is in a sense a simple summary of his entire Vedantic structure of thought, intended, it would seem, as a basic primer for his students and followers. The text follows a clearly elaborated doctrine, starting with knowledge as a key to liberation, the nautre of the Atman within us, the assertion of the pervasive and attribute-less nature of Brahman, and the path towards the realisation of the complete identity between the Atman and Brahman.
तत्त्वस्वरूपानुभवादुत्पन्नं ज्ञानमञ्जसा।
अहं ममेति चाज्ञानं बाधते दिग्भ्रमादिवत्।।46।।
46. The ignorance characterised by the notions’I’ and’Mine’ is destroyed by the knowledge produced by the realisation of the true nature of the Self, just as right information removes the wrong notion about the directions.
आत्म-बोध ऑनलाइन क्लास - 46:
आत्म-बोध के 46th श्लोक में आचार्यश्री हमें आत्म-साक्षात्कार अर्थात आत्म-अनुभव का क्या चमत्कारी प्रभाव होता है वो बताते हैं। सबसे पहले तो आत्मानुभव के बारे में पू गुरूजी ने यह स्पष्ट किया की यह साक्षात्कार जीव-भाव बाधित करने के बाद ही होता है। अगर हम रस्सी को सर्प समझते ही रहेंगें तब तक उसके अधिष्ठान की असलियत का कभी भी पता नहीं चल सकता है। जब कल्पना रहित अर्थात विरक्त अर्थात सन्यस्त मन से वेदांत चिंतन करते हैं तो पहले बुद्धि को संतुष्ट करें, फिर ज्ञान को हृदयांवित करें - तभी अनुभव होता है। जब अनुभव होता है तब उसी क्षण सब ग्रंथियों का भेदन हो जाता है - अहं और मम सब जड़ से समाप्त हो जाते हैं। यह वैसे ही होता है जैसे एक दिशाओं से भ्रमित व्यक्ति को एक दिशा मिलते ही सभी दिशाओं का पता चल जाता है।
#Atmabodha
।।आत्मबोधः।।
Atmabodha, meaning Self-knowledge or Self-awareness, is an exceptionally lucid and readable work of Shankaracharya. Consisting of sixty-eight verses or shlokas, it is in a sense a simple summary of his entire Vedantic structure of thought, intended, it would seem, as a basic primer for his students and followers. The text follows a clearly elaborated doctrine, starting with knowledge as a key to liberation, the nautre of the Atman within us, the assertion of the pervasive and attribute-less nature of Brahman, and the path towards the realisation of the complete identity between the Atman and Brahman.
तत्त्वस्वरूपानुभवादुत्पन्नं ज्ञानमञ्जसा।
अहं ममेति चाज्ञानं बाधते दिग्भ्रमादिवत्।।46।।
46. The ignorance characterised by the notions’I’ and’Mine’ is destroyed by the knowledge produced by the realisation of the true nature of the Self, just as right information removes the wrong notion about the directions.
आत्म-बोध ऑनलाइन क्लास - 46:
आत्म-बोध के 46th श्लोक में आचार्यश्री हमें आत्म-साक्षात्कार अर्थात आत्म-अनुभव का क्या चमत्कारी प्रभाव होता है वो बताते हैं। सबसे पहले तो आत्मानुभव के बारे में पू गुरूजी ने यह स्पष्ट किया की यह साक्षात्कार जीव-भाव बाधित करने के बाद ही होता है। अगर हम रस्सी को सर्प समझते ही रहेंगें तब तक उसके अधिष्ठान की असलियत का कभी भी पता नहीं चल सकता है। जब कल्पना रहित अर्थात विरक्त अर्थात सन्यस्त मन से वेदांत चिंतन करते हैं तो पहले बुद्धि को संतुष्ट करें, फिर ज्ञान को हृदयांवित करें - तभी अनुभव होता है। जब अनुभव होता है तब उसी क्षण सब ग्रंथियों का भेदन हो जाता है - अहं और मम सब जड़ से समाप्त हो जाते हैं। यह वैसे ही होता है जैसे एक दिशाओं से भ्रमित व्यक्ति को एक दिशा मिलते ही सभी दिशाओं का पता चल जाता है।
#Atmabodha
March 18, 2022
March 18, 2022
🍁 प्रतिदिनं संस्कृतम् 🍁
नमः सर्वेभ्यः,
नूतनसम्भाषणशिबिरार्थिनां कृते विशेष सूचना
मार्च मासस्य 14 दिनाङ्कतः 31 दिनाङ्कपर्यन्तं अभ्यासकक्ष्या चाल्यते।
समयः -- सायं 7pm-7.40pm
विषयः -- सुलभसम्भाषणम्
पुस्तकम् -- संस्कृतभारती पुस्तकविभागस्य अभ्यास पुस्तकम्
-- https://us05web.zoom.us/j/7286226080?pwd=a0hNQnJ4aHVvVXUvWm1SSm9HTjFkUT09
Meeting ID:
Passcode:
🍁*सर्वेषां हार्दं स्वागतम्* 🍁
नमः सर्वेभ्यः,
नूतनसम्भाषणशिबिरार्थिनां कृते विशेष सूचना
मार्च मासस्य 14 दिनाङ्कतः 31 दिनाङ्कपर्यन्तं अभ्यासकक्ष्या चाल्यते।
समयः -- सायं 7pm-7.40pm
विषयः -- सुलभसम्भाषणम्
पुस्तकम् -- संस्कृतभारती पुस्तकविभागस्य अभ्यास पुस्तकम्
-- https://us05web.zoom.us/j/7286226080?pwd=a0hNQnJ4aHVvVXUvWm1SSm9HTjFkUT09
Meeting ID:
7286226080
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9TXy4g
🍁*सर्वेषां हार्दं स्वागतम्* 🍁
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software-based conference room solution…
March 18, 2022
https://youtu.be/zU6gJE0iadw
#SanskritCarnaticMusic
अरुणाचल नाथम् - रागं सारङ्गा - ताळं रूपकं
पल्लवि
अरुणाचल नाथं स्मरामि अनिशं
अपीत कुचाम्बा समेतम्
अनुपल्लवि
स्मरणात् कैवल्य प्रद चरणारविन्दं
तरुणादित्य कोटि संकाश चिदानन्दं
(मध्यम काल साहित्यम्)
करुणा रसादि कन्दं शरणागत सुर बृन्दम्
चरणम्
अप्राकृत तेजो-मय लिङ्गं
अत्यद्भुत कर धृत सारङ्गं
अप्रमेयं अपर्णाब्ज भृङ्गं
आरूढोत्तुङ्ग वृष तुरङ्गम्
(मध्यम काल साहित्यम्)
विप्रोत्तम विशेषान्तरङ्गं
वीर गुरु गुह तार प्रसङ्गं
स्व-प्रदीप मौलि विधृत गङ्गं
स्व-प्रकाश जित सोमाग्नि पतङ्गम्
Meaning
pallavi
smarAmi - I think
aniSaM - incessantly
aruNAcala nAthaM - (of) the lord of Arunachala,
apIta kucAmbA samEtam - the one in the company of Goddess Apitakuchamba,
anupallavi
kaivalya prada caraNa-aravindaM - the one whose lotus-feet grant liberation
smaraNAt - (simply) upon remembrance,
taruNa-Aditya kOTi saMkASa - the one resembling a crore (i.e. countless) rising suns,
cidAnandaM - the embodiment of the bliss of consciousness,
karuNA rasa-Adi kandaM - the prime root (source) of the sentiment of mercy,
SaraNa-Agata sura bRndam - the one in whom the assembly of gods has sought protection,
caraNam
aprAkRta tEjO-maya lingaM - the unearthly, extraordinary Linga of fire,
ati-adbhuta kara dhRta sArangaM - the one holding a marvelous deer in his hand,
apramEyaM - the immeasurable one,
aparNA-abja bhRngaM - the honey-bee to the lotus that is Parvati,
ArUDha-uttunga vRsha turangam - the one who has ascended a lofty bull as his mount,
vipra-uttama viSEsha-antarangaM - the one who is specially dear to superior (saintly) Brahmins,
vIra guru guha tAra prasangaM - the one greatly attached to the brave Guruguha,
sva-pradIpa mauli vidhRta gangaM - the one who bears Ganga on his luminous head,
sva-prakASa jita sOma-agni patangam - the one who has surpassed the moon, fire and sun with his radiance.
Comments:
This kriti is in the second Vibhakti
Among the Pancha-bhuta kritis, this is on the lord of Arunachala, where he is worshipped as Agni(fire)
The greatness of Arunachala is described as
‘jananAt kamalAlayE darSanAd-abhrasadasi
kASyAM tu maraNan-muktih smaraNad-arunAcale’
(Meaning: Liberation is possible by being born in Tiruvarur, or seeing Chidambaram, or dying in Kashi or (just) remembering Arunachala. )
Hence the use of the verb ‘smarAmi’ in the Kriti, as well as the epithet “smaraNAt kaivalya prada caraNa-aravindaM”
The phrase ‘ati-adbhuta kara dhRta sArangaM’ contains the Raga Mudra
#SanskritCarnaticMusic
अरुणाचल नाथम् - रागं सारङ्गा - ताळं रूपकं
पल्लवि
अरुणाचल नाथं स्मरामि अनिशं
अपीत कुचाम्बा समेतम्
अनुपल्लवि
स्मरणात् कैवल्य प्रद चरणारविन्दं
तरुणादित्य कोटि संकाश चिदानन्दं
(मध्यम काल साहित्यम्)
करुणा रसादि कन्दं शरणागत सुर बृन्दम्
चरणम्
अप्राकृत तेजो-मय लिङ्गं
अत्यद्भुत कर धृत सारङ्गं
अप्रमेयं अपर्णाब्ज भृङ्गं
आरूढोत्तुङ्ग वृष तुरङ्गम्
(मध्यम काल साहित्यम्)
विप्रोत्तम विशेषान्तरङ्गं
वीर गुरु गुह तार प्रसङ्गं
स्व-प्रदीप मौलि विधृत गङ्गं
स्व-प्रकाश जित सोमाग्नि पतङ्गम्
Meaning
pallavi
smarAmi - I think
aniSaM - incessantly
aruNAcala nAthaM - (of) the lord of Arunachala,
apIta kucAmbA samEtam - the one in the company of Goddess Apitakuchamba,
anupallavi
kaivalya prada caraNa-aravindaM - the one whose lotus-feet grant liberation
smaraNAt - (simply) upon remembrance,
taruNa-Aditya kOTi saMkASa - the one resembling a crore (i.e. countless) rising suns,
cidAnandaM - the embodiment of the bliss of consciousness,
karuNA rasa-Adi kandaM - the prime root (source) of the sentiment of mercy,
SaraNa-Agata sura bRndam - the one in whom the assembly of gods has sought protection,
caraNam
aprAkRta tEjO-maya lingaM - the unearthly, extraordinary Linga of fire,
ati-adbhuta kara dhRta sArangaM - the one holding a marvelous deer in his hand,
apramEyaM - the immeasurable one,
aparNA-abja bhRngaM - the honey-bee to the lotus that is Parvati,
ArUDha-uttunga vRsha turangam - the one who has ascended a lofty bull as his mount,
vipra-uttama viSEsha-antarangaM - the one who is specially dear to superior (saintly) Brahmins,
vIra guru guha tAra prasangaM - the one greatly attached to the brave Guruguha,
sva-pradIpa mauli vidhRta gangaM - the one who bears Ganga on his luminous head,
sva-prakASa jita sOma-agni patangam - the one who has surpassed the moon, fire and sun with his radiance.
Comments:
This kriti is in the second Vibhakti
Among the Pancha-bhuta kritis, this is on the lord of Arunachala, where he is worshipped as Agni(fire)
The greatness of Arunachala is described as
‘jananAt kamalAlayE darSanAd-abhrasadasi
kASyAM tu maraNan-muktih smaraNad-arunAcale’
(Meaning: Liberation is possible by being born in Tiruvarur, or seeing Chidambaram, or dying in Kashi or (just) remembering Arunachala. )
Hence the use of the verb ‘smarAmi’ in the Kriti, as well as the epithet “smaraNAt kaivalya prada caraNa-aravindaM”
The phrase ‘ati-adbhuta kara dhRta sArangaM’ contains the Raga Mudra
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Arunachala Natham | Saranga | Muthuswamy Dikshitar | Pancha Bhuta Kriti
This song, set in
sAranga raga and rUpaka tALa is one of the pancabhUta kritis of the
composer Shri Muthuswami Deekshitar. It is one of the five songs that
celebrates Shiva manifesting as the five elements – earth, water, fire,
air and space. South India…
March 18, 2022
जिज्ञासा — एक संस्कृत प्रश्नोत्तर समूह
व्याकरण के विषय की अथवा संस्कृतसम्भाषण के विषय की शंकासमाधान के लिए आइए जिज्ञासा नाम के गण में।
इस गण में आप संस्कृत भाषा से सम्बन्धित प्रश्न पूछ सकते हैं तथा अपनी व्याकरण के ज्ञान की प्यास को शान्त कर सकते हैं।
गण में लोगों द्वारा पूछे गए प्रश्नों के उत्तर जानकार लोग दे सकते हैं।
हम सभी परस्पर सहायता से संस्कृत के अपने ज्ञान को बढ़ाते हुए संस्कृतक्षेत्र में अपना योगदान दे सकते हैं।
जैसा कि श्रीमद्भगवद्गीता में भी कहा गया है कि "
इस रीति का अनुसरण करते हुए हम सभी ज्ञानलाभ कर सकते हैं।
परन्तु किसी गण संस्था आदि को सम्यक् प्रकार से चलाने के लिए कुछ नियम आवश्यक होते हैं, उसी प्रकार इस गण में भी संस्कृतसंबंद्धित प्रश्नों को छोड़कर अन्य संदेश नहीं भेजने हैं ।
इस वाक्य का पालन न करने पर आप उचित कार्यवाही के पात्र होंगे।
××××××××××××××××××××××××××
जिज्ञासा - A Sanskrit Q&A group
To solve the doubts of the subject of grammar or spoken Sanskrit, Join the group named जिज्ञासा.
In this group you can ask questions related to Sanskrit language and quench your thirst for knowledge of Sanskrit grammar.
Knowledgeable people can give answers to the questions asked by people in Gana.
We can all contribute to the field of Sanskrit by increasing our knowledge of Sanskrit with mutual help.
As also stated in the Srimad Bhagavad Gita, “parasparaM bhaavayantaH shreyaH paramavaapsyatha” (nourishing one another, ye shall attain to the highest good).
We can all gain knowledge by following this method.
But some rules are necessary for proper running of any institution. Similarly, in this Group also, other messages should not be sent except questions related to Sanskrit.
If you do not follow this sentence, you will be eligible for appropriate action.
👉🏼 t.me/Ask_Sanskrit 👈🏼
व्याकरण के विषय की अथवा संस्कृतसम्भाषण के विषय की शंकासमाधान के लिए आइए जिज्ञासा नाम के गण में।
इस गण में आप संस्कृत भाषा से सम्बन्धित प्रश्न पूछ सकते हैं तथा अपनी व्याकरण के ज्ञान की प्यास को शान्त कर सकते हैं।
गण में लोगों द्वारा पूछे गए प्रश्नों के उत्तर जानकार लोग दे सकते हैं।
हम सभी परस्पर सहायता से संस्कृत के अपने ज्ञान को बढ़ाते हुए संस्कृतक्षेत्र में अपना योगदान दे सकते हैं।
जैसा कि श्रीमद्भगवद्गीता में भी कहा गया है कि "
परस्परं भावयन्तः श्रेयः परमवाप्स्यथ
" (एक दूसरे को उन्नत करते हुए परमपद को प्राप्त करें) । इस रीति का अनुसरण करते हुए हम सभी ज्ञानलाभ कर सकते हैं।
परन्तु किसी गण संस्था आदि को सम्यक् प्रकार से चलाने के लिए कुछ नियम आवश्यक होते हैं, उसी प्रकार इस गण में भी संस्कृतसंबंद्धित प्रश्नों को छोड़कर अन्य संदेश नहीं भेजने हैं ।
इस वाक्य का पालन न करने पर आप उचित कार्यवाही के पात्र होंगे।
××××××××××××××××××××××××××
जिज्ञासा - A Sanskrit Q&A group
To solve the doubts of the subject of grammar or spoken Sanskrit, Join the group named जिज्ञासा.
In this group you can ask questions related to Sanskrit language and quench your thirst for knowledge of Sanskrit grammar.
Knowledgeable people can give answers to the questions asked by people in Gana.
We can all contribute to the field of Sanskrit by increasing our knowledge of Sanskrit with mutual help.
As also stated in the Srimad Bhagavad Gita, “parasparaM bhaavayantaH shreyaH paramavaapsyatha” (nourishing one another, ye shall attain to the highest good).
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March 18, 2022
जिज्ञासा — संस्कृतस्य प्रश्नोत्तरेभ्यः
व्याकरणविषये अथवा संस्कृतसम्भाषणविषये कापि शंका अस्ति चेत् आयात जिज्ञासा नामकं गणम्।
अस्मिन् गणे सर्वे संस्कृतसम्बद्धान् प्रश्नान् प्रष्टुम् अर्हन्ति स्वव्याकरणपिपासां पूरयितुं च शक्नुवन्ति।
एतस्मिन् गणे वयं प्रश्नान् पृच्छामः तथा गणे वर्तमानाः ये जनाः तेषाम् उत्तराणि जानन्ति ते उत्तरं वक्तुम् अर्हन्ति।
वयं सर्वे परस्परसाहाय्येन संस्कृते स्वज्ञानं
वर्धामहे तथा संस्कृतक्षेत्रे स्वयोगदानं दद्मः।
श्रीमद्भगवद्गीतायाम् अपि एतस्मिन् विषये उक्तं यत् "
इत्यनया रीत्या वयं ज्ञानलाभं प्राप्तुं शक्नुमः।
कस्यचिदपि गणस्य संस्थायाः सम्यक् सञ्चालनाय केचन नियमाः आवश्यकाः तथैव अत्रापि एकः ध्यातव्यः विषयः अस्ति यत् अस्मिन् गणे संस्कृतप्रश्नेभ्यः इतराः विषयाः न प्रेषणीयाः एव (यथा शुभकामनाः वार्ताः ....इत्यादयः)।
नो चेत् तस्य उचितदण्डविधानं भवेत्।
अत्र नुन्दत👇🏼
https://t.me/Ask_Sanskrit
हिन्दी में पढें
Read in English
व्याकरणविषये अथवा संस्कृतसम्भाषणविषये कापि शंका अस्ति चेत् आयात जिज्ञासा नामकं गणम्।
अस्मिन् गणे सर्वे संस्कृतसम्बद्धान् प्रश्नान् प्रष्टुम् अर्हन्ति स्वव्याकरणपिपासां पूरयितुं च शक्नुवन्ति।
एतस्मिन् गणे वयं प्रश्नान् पृच्छामः तथा गणे वर्तमानाः ये जनाः तेषाम् उत्तराणि जानन्ति ते उत्तरं वक्तुम् अर्हन्ति।
वयं सर्वे परस्परसाहाय्येन संस्कृते स्वज्ञानं
वर्धामहे तथा संस्कृतक्षेत्रे स्वयोगदानं दद्मः।
श्रीमद्भगवद्गीतायाम् अपि एतस्मिन् विषये उक्तं यत् "
परस्परं भावयन्तः श्रेयः परमवाप्स्यथ
"(परस्परं सहायतां कुर्वन्तः वयं परं पदं प्राप्स्यामः)।इत्यनया रीत्या वयं ज्ञानलाभं प्राप्तुं शक्नुमः।
कस्यचिदपि गणस्य संस्थायाः सम्यक् सञ्चालनाय केचन नियमाः आवश्यकाः तथैव अत्रापि एकः ध्यातव्यः विषयः अस्ति यत् अस्मिन् गणे संस्कृतप्रश्नेभ्यः इतराः विषयाः न प्रेषणीयाः एव (यथा शुभकामनाः वार्ताः ....इत्यादयः)।
नो चेत् तस्य उचितदण्डविधानं भवेत्।
अत्र नुन्दत👇🏼
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March 18, 2022
संस्कृत संवादः । Sanskrit Samvadah pinned «जिज्ञासा
— संस्कृतस्य प्रश्नोत्तरेभ्यः व्याकरणविषये अथवा संस्कृतसम्भाषणविषये
कापि शंका अस्ति चेत् आयात जिज्ञासा नामकं गणम्। अस्मिन् गणे सर्वे
संस्कृतसम्बद्धान् प्रश्नान् प्रष्टुम् अर्हन्ति स्वव्याकरणपिपासां
पूरयितुं च शक्नुवन्ति। एतस्मिन् गणे वयं प्रश्नान्…»
March 18, 2022
@samskrt_samvadah संलापशाला - A Samskrit Voicechat room.
कालावधिः : 45 निमेषाः
समयः : IST 11:00 AM 🕚
विषयः : धनम्
दिनाङ्कः : 19th March 2022,
शनिवासरः
Please Join the voicechat on time.
😇 यदि शक्येत चेत् संस्कृतेन (धनस्य का आवश्यकता अस्ति, तस्य विषये शास्त्रेषु किम् उक्तम् अस्ति,धनं प्रति अस्माकं दृष्टिः कथं भवेत् , धनस्य सुभाषितं वा वदन्तु।) चर्चार्थं कृपया पूर्वसिद्धतां कृत्वा आगच्छन्तु।
वयं युष्माकं प्रतीक्षां कुर्मः। 😇
स्मारणतंत्रिकां स्थापयतु⏰
👇🏼👇🏼👇🏼👇🏼👇🏼
https://t.me/samskrt_samvadah?voicechat
कालावधिः : 45 निमेषाः
समयः : IST 11:00 AM 🕚
विषयः : धनम्
दिनाङ्कः : 19th March 2022,
शनिवासरः
Please Join the voicechat on time.
😇 यदि शक्येत चेत् संस्कृतेन (धनस्य का आवश्यकता अस्ति, तस्य विषये शास्त्रेषु किम् उक्तम् अस्ति,धनं प्रति अस्माकं दृष्टिः कथं भवेत् , धनस्य सुभाषितं वा वदन्तु।) चर्चार्थं कृपया पूर्वसिद्धतां कृत्वा आगच्छन्तु।
वयं युष्माकं प्रतीक्षां कुर्मः। 😇
स्मारणतंत्रिकां स्थापयतु⏰
👇🏼👇🏼👇🏼👇🏼👇🏼
https://t.me/samskrt_samvadah?voicechat
March 18, 2022
March 18, 2022
🍀 प्रतिदिनं संस्कृतम् 🍀
नमः सर्वेभ्यः
प्रतिदिनं वयं मिलित्वा लकारपठनं करिष्यामः
लट् , लोट्, लङ्,विधिलिँङ् लकाराः
समयः - 9.30-10.10. PM (भारतीय समयानुसारम् ) केवलं 40 निमेषाः
सोमवासरतः शुक्रवासरपर्यन्तम्
कक्ष्या मार्च मासस्य 16 दिनाङ्कतः आरभते
https://meet.google.com/dck-rnvy-hhn
नमः सर्वेभ्यः
प्रतिदिनं वयं मिलित्वा लकारपठनं करिष्यामः
लट् , लोट्, लङ्,विधिलिँङ् लकाराः
समयः - 9.30-10.10. PM (भारतीय समयानुसारम् ) केवलं 40 निमेषाः
सोमवासरतः शुक्रवासरपर्यन्तम्
कक्ष्या मार्च मासस्य 16 दिनाङ्कतः आरभते
https://meet.google.com/dck-rnvy-hhn
Google
Real-time meetings by Google. Using your browser, share your video, desktop, and presentations with teammates and customers.
March 18, 2022
BVGch10vs20
Swami Brahamananda
श्रीमद्भगवद्गीता [10.20]
March 18, 2022
🍃
♦️ahamaatmaa guDaakesha sarvabhuutaashayasthitaH|
ahamaadishcha madhyaM cha bhuutaanaamanta eva cha10.20
⚜O Arjuna, I am the Atma abiding in the heart of all beings. I am also the beginning, the middle, and the end of all beings. (10.20)
⚜हे गुडाकेश (निद्राजित्) मैं समस्त भूतों के हृदय में स्थित सबकी आत्मा हूँ तथा सम्पूर्ण भूतों का आदि? मध्य और अन्त भी मैं ही हूँ।।10.20।।
#geeta
अहमात्मा गुडाकेश सर्वभूताशयस्थितः।
अहमादिश्च मध्यं च भूतानामन्त एव च
।।10.20।।♦️ahamaatmaa guDaakesha sarvabhuutaashayasthitaH|
ahamaadishcha madhyaM cha bhuutaanaamanta eva cha
⚜O Arjuna, I am the Atma abiding in the heart of all beings. I am also the beginning, the middle, and the end of all beings. (10.20)
⚜हे गुडाकेश (निद्राजित्) मैं समस्त भूतों के हृदय में स्थित सबकी आत्मा हूँ तथा सम्पूर्ण भूतों का आदि? मध्य और अन्त भी मैं ही हूँ।।10.20।।
#geeta
March 18, 2022
BVGch10vs21
Swami Brahamananda
श्रीमद्भगवद्गीता [10.21]
March 18, 2022
🍃
♦️aadityaanaamahaM viShNurjyotiShaaM raviraMshumaan|
mariichirmarutaamasmi nakShatraaNaamahaM shashii10.21
⚜I am Vishnu among the (twelve) sons of Aditi, I am the radiant sun among the luminaries, I am Marici among the gods of wind, I am the moon among the stars. (10.21)
⚜मैं (बारह) आदित्यों में विष्णु और ज्योतियों में अंशुमान् सूर्य हूँ मैं (उनचास) मरुतों (वायु देवताओं) में मरीचि हूँ और नक्षत्रों में शशी (चन्द्रमा) हूँ।।10.21।।
#geeta
आदित्यानामहं विष्णुर्ज्योतिषां रविरंशुमान्।
मरीचिर्मरुतामस्मि नक्षत्राणामहं शशी
।।10.21।।♦️aadityaanaamahaM viShNurjyotiShaaM raviraMshumaan|
mariichirmarutaamasmi nakShatraaNaamahaM shashii
⚜I am Vishnu among the (twelve) sons of Aditi, I am the radiant sun among the luminaries, I am Marici among the gods of wind, I am the moon among the stars. (10.21)
⚜मैं (बारह) आदित्यों में विष्णु और ज्योतियों में अंशुमान् सूर्य हूँ मैं (उनचास) मरुतों (वायु देवताओं) में मरीचि हूँ और नक्षत्रों में शशी (चन्द्रमा) हूँ।।10.21।।
#geeta
March 18, 2022
🚩जय सत्य सनातन🚩
🚩आज की हिंदी तिथि
🌥 🚩यगाब्द-५१२३
🌥 🚩विक्रम संवत-२०७८
⛅️ 🚩तिथि - प्रतिपदा 11:37 ए. एम. तक ततपश्चात द्वितीया
⛅️ दिनांक 19 मार्च 2022
⛅️ दिन - शनिवार
⛅️ शक संवत - 1943
⛅️ अयन - उत्तरायण
⛅️ ऋतु - वसंत
⛅️ मास - चैत्र
⛅️ पक्ष - कृष्ण
⛅️ नक्षत्र - हस्त 11:38 ए. एम तक तपश्चात चित्रा
⛅️ योग - वृद्धि 9:01 पी. एम तक तत्पश्चात ध्रुव
⛅️ राहुकाल -09:46 ए.एम से 11:17 ए.एम. तक
⛅️ सर्योदय - 06:45 ए. एम.
⛅️ सर्यास्त - 06:50 पी.एम
⛅️ चन्द्रोदय - 07:58 पी.एम.
⛅️ दिशाशूल - पूर्व
🚩आज की हिंदी तिथि
🌥 🚩यगाब्द-५१२३
🌥 🚩विक्रम संवत-२०७८
⛅️ 🚩तिथि - प्रतिपदा 11:37 ए. एम. तक ततपश्चात द्वितीया
⛅️ दिनांक 19 मार्च 2022
⛅️ दिन - शनिवार
⛅️ शक संवत - 1943
⛅️ अयन - उत्तरायण
⛅️ ऋतु - वसंत
⛅️ मास - चैत्र
⛅️ पक्ष - कृष्ण
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⛅️ योग - वृद्धि 9:01 पी. एम तक तत्पश्चात ध्रुव
⛅️ राहुकाल -09:46 ए.एम से 11:17 ए.एम. तक
⛅️ सर्योदय - 06:45 ए. एम.
⛅️ सर्यास्त - 06:50 पी.एम
⛅️ चन्द्रोदय - 07:58 पी.एम.
⛅️ दिशाशूल - पूर्व
March 18, 2022
Forwarded from रामदूतः — The Sanskrit News Platform
https://youtu.be/J1uR0cdCnmk
Switch to DD News daily at 7:15 AM (Morning) for 15 minutes Sanskrit news.
Switch to DD News daily at 7:15 AM (Morning) for 15 minutes Sanskrit news.
YouTube
संस्कृत समाचार-वार्ताः @07:15 AM
March 18, 2022
होल्यां गोपवधूसमूहमचिरं सम्प्राप्य भूत्वा वधूः
राधाफुल्लकपोललोकमभितो लिम्पन् गुलालैधृतः।
गन्तुं देहि वदन् परन्तु न हरिर्मुक्तो मुदालिम्पितो
धारायन्त्रविमुक्ततोयललितो गोपाङ्गनालिङ्गितः।।
अरविन्दः
लीलाधर श्रीकृष्ण ने होली में गोपियों की टोली देखकर स्वयं गोपी का रूप बना लिया और श्रीराधारानी के कपोलों पर गुलाल लगाने लगाते हुये पकड़ लिये गये। मुझे जाने मुझे जाने दो कहते हुये भी प्रेम से । उनका शरीर लीप दिया गया, पिचकारियों के जल से सुन्दर, गोपाङ्गनाओं से आश्लिष्ट हरि का छोड़ा नहीं गया।
March 18, 2022
@samskrt_samvadah संलापशाला - A Samskrit Voicechat room.
कालावधिः : 45 निमेषाः
समयः : IST 11:00 AM 🕚
विषयः : धनम्
दिनाङ्कः : 19th March 2022,
शनिवासरः
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वयं युष्माकं प्रतीक्षां कुर्मः। 😇
स्मारणतंत्रिकां स्थापयतु⏰
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कालावधिः : 45 निमेषाः
समयः : IST 11:00 AM 🕚
विषयः : धनम्
दिनाङ्कः : 19th March 2022,
शनिवासरः
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😇 यदि शक्येत चेत् संस्कृतेन (धनस्य का आवश्यकता अस्ति, तस्य विषये शास्त्रेषु किम् उक्तम् अस्ति,धनं प्रति अस्माकं दृष्टिः कथं भवेत् , धनस्य सुभाषितं वा वदन्तु।) चर्चार्थं कृपया पूर्वसिद्धतां कृत्वा आगच्छन्तु।
वयं युष्माकं प्रतीक्षां कुर्मः। 😇
स्मारणतंत्रिकां स्थापयतु⏰
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March 18, 2022
March 18, 2022
March 18, 2022
March 18, 2022
क्षणशः कणशश्चैव विद्यामर्थं च चिन्तयेत्।
न त्याज्यौ तु क्षणकणौ नित्यं विद्याधनार्थिना।।
संस्कृतार्थः -
विद्यार्जनाय क्षणस्य अपि रक्षणं करणीयम् , धनार्जनाय कणस्य अपि रक्षणं करणीयम्। यः एतौ द्वौ इच्छति तेन नित्यं एतयोः रक्षणं कर्तव्यम् एव।
#Subhashitam
न त्याज्यौ तु क्षणकणौ नित्यं विद्याधनार्थिना।।
संस्कृतार्थः -
विद्यार्जनाय क्षणस्य अपि रक्षणं करणीयम् , धनार्जनाय कणस्य अपि रक्षणं करणीयम्। यः एतौ द्वौ इच्छति तेन नित्यं एतयोः रक्षणं कर्तव्यम् एव।
#Subhashitam
March 18, 2022
March 19, 2022
March 19, 2022
March 19, 2022
संस्कृत संवादः । Sanskrit Samvadah
संस्कृतं
वद आधुनिको भव। वेदान् पठ वैज्ञानिको भव।। पाठ : (२३) षष्ठी विभक्ति (२) +
ष्टुत्व सन्धिः (बहुतों में एक को छांटने में जिसमें से छांटा जाए उसमें
षष्ठी तथा सप्तमी दोनों का प्रयोग देखा जाता है।) व्याकरणअध्येतृणां
व्याकरणाध्येतृषु दयानन्दः पटुः अस्ति…
धर्मार्थकाममोक्षाणां यस्यैकोऽपि न विद्यते। अजागलस्तनस्येव तस्य जन्म निरर्थकम्।।
= जिसके जीवन में धर्म अर्थ काम और मोक्ष इन चार पुरुषार्थों में से एक भी नहीं है उसका जन्म ऐसे ही निष्फल है जैसे बकरी के गले का स्तन (जो न दूध देता है और ना हि गले की शोभा बढ़ाता है)।
नराणां नापितो धूर्तः पक्षिणां चैव वायसः। चतुष्पदां शृगालस्तु स्त्रीणां धूर्ता च मालिनी।।
= पुरुषों में नाई, पक्षियों में कौआ, चौपायों में सियार और महिलाओं में मालिन ये सब चालाक (धूर्त) होते हैं।
पक्षिणां काकश्चाण्डालः पशूनां चैव कुक्कुरः। मुनीनां कोपी चाण्डालः सर्वेषां चैव निन्दकः।।
= पक्षियों कौआ, पुशुओं में कुत्ता, मुनियों में क्रोधी तथा सबकी निन्दा करनेवाला मनुष्यों में चाण्डाल माना जाता है।
सर्वेषामेव शौचानामर्थशौचं परं स्मृतम्।
योऽर्थे शुचिर्हि स शुचिर्न मृद्वारि शुचिः शुचिः।।
= समस्त पवित्रताओं में धन की पवित्रता सर्वश्रेष्ठ मानी गई है। जो धन के मामले में सर्वथा पवित्र है वास्तव में वही व्यक्ति पवित्र है। जो केवल मिट्टी-जलादि से (अर्थात् शरीर स्थानादि की सफाई से) पवित्र है वह वास्तव में पवित्र नहीं है।
मनः शौचं कर्मशौचं कुलशौचं च भारत।
शरीरशौचं वाक्शौचं शौचं पञ्चविधं समृतम्।।
= पांच प्रकार की शुद्धियां कही गई हैं यथा मन की शुद्धि, कर्मशुद्धि, कुल की शुद्धि, शरीरशुद्धि और वाणी की शुद्धि।
पञ्चस्वेतेषु शौचेषु हृदि शौचं विशिष्यते।
हृदयस्य तु शौचेन स्वर्गं गच्छन्ति मानवा।।
= इन पांचों शुद्धियों (मनशुद्धि, कर्मशुद्धि, कुलशुद्धि, शरीरशुद्धि और वाक्शुद्धि) में हृदय अर्थात् मनशुद्धि सर्वश्रेष्ठ है। क्योंकि मन की पवित्रता से ही मानव उत्तम सुखों को प्राप्त होता है।
सर्वौषधीनाममृता प्रधाना सर्वेषु सौख्येष्वशनं प्रधानम्। सर्वेन्द्रियाणां नयनं प्रधानं सर्वेषु गात्रेषु शिरः प्रधानम्।।
= सब ओषधियों में गिलोय, समस्त सुखों में भोजनसुख, सकल इन्द्रियों में आंख और शरीर के समस्त अंगों में सिर सर्वश्रेष्ठ होता है।
मनुष्याणां सहस्रेषु कश्चिद्यतति सिद्धये।
यततामपि सिद्धानां कश्चिन्मां वेत्ति तत्त्वतः।।
= हजारों मनुष्यों में से कोई एक योग की सिद्धि के लिए यत्न करता है और प्रयत्न करनेवाले सिद्धों में कोई एकाद ही मुझे (ईश्वर को) यथार्थ रूप से जान पाता है।
तेषां ज्ञानी नित्ययुक्त एकभक्तिर्विशिष्यते।
प्रियो हि ज्ञानिनोऽत्यर्थमहं स च मम प्रियः।।
= उन सब में (चार प्रकार के भक्तों में) ज्ञानी भक्त जो नित्य ब्रह्म के साथ लगा हुआ है, अनन्य भक्तिवाला है, वह सबसे श्रेष्ठ है। क्योंकि मैं (ईश्वर) इस प्रकार के ज्ञानी भक्त को अत्यन्त प्रिय हूं और वह मुझे अत्यन्त प्रिय है।
शतेषु जायते शूरः सहस्रेषु च पण्डितः।
वक्ता दशसहस्रेषु दाता भवति वा न वा।।
= सैकड़ों में एकाध शूर-वीर उत्पन्न होता है, हजारों में एकाध पण्डित तथा दस हजारों में एकाद वक्ता किन्तु दाता तो कोई कोई ही होता है।
#vakyabhyas
= जिसके जीवन में धर्म अर्थ काम और मोक्ष इन चार पुरुषार्थों में से एक भी नहीं है उसका जन्म ऐसे ही निष्फल है जैसे बकरी के गले का स्तन (जो न दूध देता है और ना हि गले की शोभा बढ़ाता है)।
नराणां नापितो धूर्तः पक्षिणां चैव वायसः। चतुष्पदां शृगालस्तु स्त्रीणां धूर्ता च मालिनी।।
= पुरुषों में नाई, पक्षियों में कौआ, चौपायों में सियार और महिलाओं में मालिन ये सब चालाक (धूर्त) होते हैं।
पक्षिणां काकश्चाण्डालः पशूनां चैव कुक्कुरः। मुनीनां कोपी चाण्डालः सर्वेषां चैव निन्दकः।।
= पक्षियों कौआ, पुशुओं में कुत्ता, मुनियों में क्रोधी तथा सबकी निन्दा करनेवाला मनुष्यों में चाण्डाल माना जाता है।
सर्वेषामेव शौचानामर्थशौचं परं स्मृतम्।
योऽर्थे शुचिर्हि स शुचिर्न मृद्वारि शुचिः शुचिः।।
= समस्त पवित्रताओं में धन की पवित्रता सर्वश्रेष्ठ मानी गई है। जो धन के मामले में सर्वथा पवित्र है वास्तव में वही व्यक्ति पवित्र है। जो केवल मिट्टी-जलादि से (अर्थात् शरीर स्थानादि की सफाई से) पवित्र है वह वास्तव में पवित्र नहीं है।
मनः शौचं कर्मशौचं कुलशौचं च भारत।
शरीरशौचं वाक्शौचं शौचं पञ्चविधं समृतम्।।
= पांच प्रकार की शुद्धियां कही गई हैं यथा मन की शुद्धि, कर्मशुद्धि, कुल की शुद्धि, शरीरशुद्धि और वाणी की शुद्धि।
पञ्चस्वेतेषु शौचेषु हृदि शौचं विशिष्यते।
हृदयस्य तु शौचेन स्वर्गं गच्छन्ति मानवा।।
= इन पांचों शुद्धियों (मनशुद्धि, कर्मशुद्धि, कुलशुद्धि, शरीरशुद्धि और वाक्शुद्धि) में हृदय अर्थात् मनशुद्धि सर्वश्रेष्ठ है। क्योंकि मन की पवित्रता से ही मानव उत्तम सुखों को प्राप्त होता है।
सर्वौषधीनाममृता प्रधाना सर्वेषु सौख्येष्वशनं प्रधानम्। सर्वेन्द्रियाणां नयनं प्रधानं सर्वेषु गात्रेषु शिरः प्रधानम्।।
= सब ओषधियों में गिलोय, समस्त सुखों में भोजनसुख, सकल इन्द्रियों में आंख और शरीर के समस्त अंगों में सिर सर्वश्रेष्ठ होता है।
मनुष्याणां सहस्रेषु कश्चिद्यतति सिद्धये।
यततामपि सिद्धानां कश्चिन्मां वेत्ति तत्त्वतः।।
= हजारों मनुष्यों में से कोई एक योग की सिद्धि के लिए यत्न करता है और प्रयत्न करनेवाले सिद्धों में कोई एकाद ही मुझे (ईश्वर को) यथार्थ रूप से जान पाता है।
तेषां ज्ञानी नित्ययुक्त एकभक्तिर्विशिष्यते।
प्रियो हि ज्ञानिनोऽत्यर्थमहं स च मम प्रियः।।
= उन सब में (चार प्रकार के भक्तों में) ज्ञानी भक्त जो नित्य ब्रह्म के साथ लगा हुआ है, अनन्य भक्तिवाला है, वह सबसे श्रेष्ठ है। क्योंकि मैं (ईश्वर) इस प्रकार के ज्ञानी भक्त को अत्यन्त प्रिय हूं और वह मुझे अत्यन्त प्रिय है।
शतेषु जायते शूरः सहस्रेषु च पण्डितः।
वक्ता दशसहस्रेषु दाता भवति वा न वा।।
= सैकड़ों में एकाध शूर-वीर उत्पन्न होता है, हजारों में एकाध पण्डित तथा दस हजारों में एकाद वक्ता किन्तु दाता तो कोई कोई ही होता है।
#vakyabhyas
March 19, 2022
सुरेन्दमोहनमिश्रकविमित्राय
---महाचार्य्यः मनतोषः भट्टाचार्यः
जातः क्रोधो यदि मयि कवेर्मोहनस्यात्मबन्धोर्-
याचे तस्यापरिमितकृपां पूर्णिमायां सखे भोः।
भूयश्च त्वं प्रलिख कवितां याञ्च दीनः पठित्वा
दोले रङ्गैर्नवमतियुतो नन्दितो रङ्गयुक्तः।।१।।
रङ्गक्षेपायुधविरहितो दूरदेशे वसामि
फल्गूनां नो कथमपि सखे चूर्णकै रञ्जयामि।
रङ्गैर्भावोत्थितहृदयजैर्मानसैर्वा प्रदत्तैः
किं नो त्वं भो सपदि मनुषे रागरङ्गानुलिप्तः।।२।।
कोऽहं कस्त्वं यदि शुभदिने मन्यसे हा कथञ्चित्
रागै रक्ता शशधररमा पूर्णिमा स्याद्विरक्ता।
हामावस्यासमयजनिता माञ्च मित्रं सुदीनं
दीनाद्दीनं यदि हि कुरुते तन्न किं ते व्यथायै।।३।।
धन्यो मन्ये वसति निकटे यो जनस्ते सुरेन्द्र
धन्यश्चाहं यदि खलु भवान् नैव विस्मृत्य दैवात्।
सम्बोध्य द्राग् ननु सुरगिरा काञ्च वाणीं शुभेच्छां
दत्त्वा कष्टं यदि च कुरुते स्यादमा पूर्णिमेव।।४।।
बन्धो मन्ये न च कविरहं काव्यनिष्ठा मदीया
कञ्चित् काञ्चित् यदि च कुरुते रागयुक्तं सुरक्ताम्।
त्यक्त्वा रङ्गं यदि कुकवितया ताञ्च निष्ठां गरिष्ठां
मत्वानन्दं भवति मनसो मन्यसे त्वं तथैव।।५।।
नाहं गोपो व्रजकुलरमा नो सखा नैव शत्रुर्-
नाहं भक्तो न भजनपटुर्नार्चकस्स्तोत्रकर्ता।
कस्मात् कृष्णो भवति मम हा का कथा चेत् सुरेन्द्रो
यस्मै रक्ता गुणिकविबुधा भाषते नो मयैव।।६।।
आसम् दासो यदुकुलपतेश्चास्मि दासो मुरारेर्-
दासो दासः पुनरपि तथाहं भविष्यामि दासः।
ज्ञात्वा दासं चलति न मया कोऽपि कस्मात् सुरेन्द्रः
कृत्वालापं कथमपि मया गौरवं हन्ति नैजम्।।७।।
एवम् मन्ये यदि सहचरा दोलयात्राशुभाहे
दैवीवाणीपरमभजकाः पुण्यवृन्दावने वा।
क्षेत्रे पुण्ये व्रजजनपुरे द्वारकायां मिलित्वा
रङ्गक्रीडारसमुखरिता सार्थकं मर्त्त्यजन्म।।८।।
मित्रो मित्रं दहति यदि चेच्चैत्रके रुद्रनेत्रो
धारापातैर्यदि न जलदस्सिञ्चति प्राणतुल्यम्।
तन्वी रामाधरमधुरसैर्नैव पुष्णाति मित्र-
मेकोऽहं तं प्रणयवचसा रागसिक्तं करोमि।।९।।
---महाचार्य्यः मनतोषः भट्टाचार्यः
जातः क्रोधो यदि मयि कवेर्मोहनस्यात्मबन्धोर्-
याचे तस्यापरिमितकृपां पूर्णिमायां सखे भोः।
भूयश्च त्वं प्रलिख कवितां याञ्च दीनः पठित्वा
दोले रङ्गैर्नवमतियुतो नन्दितो रङ्गयुक्तः।।१।।
रङ्गक्षेपायुधविरहितो दूरदेशे वसामि
फल्गूनां नो कथमपि सखे चूर्णकै रञ्जयामि।
रङ्गैर्भावोत्थितहृदयजैर्मानसैर्वा प्रदत्तैः
किं नो त्वं भो सपदि मनुषे रागरङ्गानुलिप्तः।।२।।
कोऽहं कस्त्वं यदि शुभदिने मन्यसे हा कथञ्चित्
रागै रक्ता शशधररमा पूर्णिमा स्याद्विरक्ता।
हामावस्यासमयजनिता माञ्च मित्रं सुदीनं
दीनाद्दीनं यदि हि कुरुते तन्न किं ते व्यथायै।।३।।
धन्यो मन्ये वसति निकटे यो जनस्ते सुरेन्द्र
धन्यश्चाहं यदि खलु भवान् नैव विस्मृत्य दैवात्।
सम्बोध्य द्राग् ननु सुरगिरा काञ्च वाणीं शुभेच्छां
दत्त्वा कष्टं यदि च कुरुते स्यादमा पूर्णिमेव।।४।।
बन्धो मन्ये न च कविरहं काव्यनिष्ठा मदीया
कञ्चित् काञ्चित् यदि च कुरुते रागयुक्तं सुरक्ताम्।
त्यक्त्वा रङ्गं यदि कुकवितया ताञ्च निष्ठां गरिष्ठां
मत्वानन्दं भवति मनसो मन्यसे त्वं तथैव।।५।।
नाहं गोपो व्रजकुलरमा नो सखा नैव शत्रुर्-
नाहं भक्तो न भजनपटुर्नार्चकस्स्तोत्रकर्ता।
कस्मात् कृष्णो भवति मम हा का कथा चेत् सुरेन्द्रो
यस्मै रक्ता गुणिकविबुधा भाषते नो मयैव।।६।।
आसम् दासो यदुकुलपतेश्चास्मि दासो मुरारेर्-
दासो दासः पुनरपि तथाहं भविष्यामि दासः।
ज्ञात्वा दासं चलति न मया कोऽपि कस्मात् सुरेन्द्रः
कृत्वालापं कथमपि मया गौरवं हन्ति नैजम्।।७।।
एवम् मन्ये यदि सहचरा दोलयात्राशुभाहे
दैवीवाणीपरमभजकाः पुण्यवृन्दावने वा।
क्षेत्रे पुण्ये व्रजजनपुरे द्वारकायां मिलित्वा
रङ्गक्रीडारसमुखरिता सार्थकं मर्त्त्यजन्म।।८।।
मित्रो मित्रं दहति यदि चेच्चैत्रके रुद्रनेत्रो
धारापातैर्यदि न जलदस्सिञ्चति प्राणतुल्यम्।
तन्वी रामाधरमधुरसैर्नैव पुष्णाति मित्र-
मेकोऽहं तं प्रणयवचसा रागसिक्तं करोमि।।९।।
March 19, 2022
कदा यास्यति होलिका?
उल्का (शोले) नामक चलचित्र में “होली कब है?” पूछने वाला गब्बर सिंह हुआ था। उसी प्रकार आज सारी जनता है।
~ कुशाग्र अनिकेत
#hasya
उल्केति चलिते चित्रे कदा यास्यति होलिका?।
पृच्छको गब्बरो जातस् तथेमाः सकलाः प्रजाः॥
उल्का (शोले) नामक चलचित्र में “होली कब है?” पूछने वाला गब्बर सिंह हुआ था। उसी प्रकार आज सारी जनता है।
~ कुशाग्र अनिकेत
#hasya
March 19, 2022
।।श्रीः।।
।।आत्मबोधः।।
Atmabodha, meaning Self-knowledge or Self-awareness, is an exceptionally lucid and readable work of Shankaracharya. Consisting of sixty-eight verses or shlokas, it is in a sense a simple summary of his entire Vedantic structure of thought, intended, it would seem, as a basic primer for his students and followers. The text follows a clearly elaborated doctrine, starting with knowledge as a key to liberation, the nautre of the Atman within us, the assertion of the pervasive and attribute-less nature of Brahman, and the path towards the realisation of the complete identity between the Atman and Brahman.
सम्यग्विज्ञानवान्योगी स्वात्मन्येवाखिलं स्थितम्।
एकं च सर्वमात्मानमीक्षते ज्ञानचक्षुषा।।47।।
47. The Yogi of perfect realisation and enlightenment sees through his “eye of wisdom” (Gyana Chakshush) the entire universe in his own Self and regards everything else as his own Self and nothing else.
आत्म-बोध ऑनलाइन क्लास - 47:
आत्म-बोध के 47th श्लोक में आचार्यश्री हमें आत्मा के विज्ञानं अर्थात आत्म-साक्षात्कार के दो महत्वपूर्ण लक्षण दिखाते हैं। जब हम अपने शरीर और मन आदि उपाधि के अपने को अलग देख रहे हैं तो हम और हमारी दुनिया दोनों अलग दिख रहे होते हैं। पहला लक्षण है - कि हम पूरी दुनियाँ को अपने अन्दर देखते हैं। हम अधिष्ठान हैं और सब नाम-रूप हमारे अन्दर विद्यमान हैं - जैसे सागर में अनंत लहरें। नाम-रूप सब नश्वर हैं लेकिन हम उन्हें रहने हेतु सत्ता प्रदान कर रहे हैं। दुनिया हमारे अन्दर एक स्वप्न की तरह से है। जैसे स्वप्न से जगाने के बाद हम स्वप्न को अपने अंदर मन का विलास मात्र देखते हैं वैसे ही अब यह पूरा ब्रह्माण्ड हमारे अंदर दिखाई दे रहा है। दूसरा लक्षण - हम सब की आत्मा हैं।
#Atmabodha
।।आत्मबोधः।।
Atmabodha, meaning Self-knowledge or Self-awareness, is an exceptionally lucid and readable work of Shankaracharya. Consisting of sixty-eight verses or shlokas, it is in a sense a simple summary of his entire Vedantic structure of thought, intended, it would seem, as a basic primer for his students and followers. The text follows a clearly elaborated doctrine, starting with knowledge as a key to liberation, the nautre of the Atman within us, the assertion of the pervasive and attribute-less nature of Brahman, and the path towards the realisation of the complete identity between the Atman and Brahman.
सम्यग्विज्ञानवान्योगी स्वात्मन्येवाखिलं स्थितम्।
एकं च सर्वमात्मानमीक्षते ज्ञानचक्षुषा।।47।।
47. The Yogi of perfect realisation and enlightenment sees through his “eye of wisdom” (Gyana Chakshush) the entire universe in his own Self and regards everything else as his own Self and nothing else.
आत्म-बोध ऑनलाइन क्लास - 47:
आत्म-बोध के 47th श्लोक में आचार्यश्री हमें आत्मा के विज्ञानं अर्थात आत्म-साक्षात्कार के दो महत्वपूर्ण लक्षण दिखाते हैं। जब हम अपने शरीर और मन आदि उपाधि के अपने को अलग देख रहे हैं तो हम और हमारी दुनिया दोनों अलग दिख रहे होते हैं। पहला लक्षण है - कि हम पूरी दुनियाँ को अपने अन्दर देखते हैं। हम अधिष्ठान हैं और सब नाम-रूप हमारे अन्दर विद्यमान हैं - जैसे सागर में अनंत लहरें। नाम-रूप सब नश्वर हैं लेकिन हम उन्हें रहने हेतु सत्ता प्रदान कर रहे हैं। दुनिया हमारे अन्दर एक स्वप्न की तरह से है। जैसे स्वप्न से जगाने के बाद हम स्वप्न को अपने अंदर मन का विलास मात्र देखते हैं वैसे ही अब यह पूरा ब्रह्माण्ड हमारे अंदर दिखाई दे रहा है। दूसरा लक्षण - हम सब की आत्मा हैं।
#Atmabodha
March 19, 2022
March 19, 2022
@samskrt_samvadah संलापशाला - A Samskrit Voicechat room.
कालावधिः : 45 निमेषाः
समयः : IST 11:00 AM 🕚
विषयः : रामायणपात्रस्य परिचयः
(Describe Ramayan's characters)
दिनाङ्कः : 20th March 2022,
रविवासरः
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😇 यदि शक्येत चेत् संस्कृतेन (रामायणस्य कस्यचित् पात्रस्य परिचयः संस्कृतेन वक्तव्यं यथा - रामः,सीता, दशरथः .... इत्यादयः।) चर्चार्थं कृपया पूर्वसिद्धतां कृत्वा आगच्छन्तु।
वयं युष्माकं प्रतीक्षां कुर्मः। 😇
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कालावधिः : 45 निमेषाः
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विषयः : रामायणपात्रस्य परिचयः
(Describe Ramayan's characters)
दिनाङ्कः : 20th March 2022,
रविवासरः
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😇 यदि शक्येत चेत् संस्कृतेन (रामायणस्य कस्यचित् पात्रस्य परिचयः संस्कृतेन वक्तव्यं यथा - रामः,सीता, दशरथः .... इत्यादयः।) चर्चार्थं कृपया पूर्वसिद्धतां कृत्वा आगच्छन्तु।
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March 19, 2022
BVGch10vs22
Swami Brahamananda
श्रीमद्भगवद्गीता [10.22]
March 19, 2022
🍃
♦️vedaanaaM saamavedo'smi devaanaamasmi vaasavaH|
indriyaaNaaM manashchaasmi bhuutaanaamasmi chetanaa10.22
⚜I am the Sama Veda among the Vedas; I am Indra among the Devas; I am the mind among the senses; I am the consciousness in living beings. (10.22)
⚜मैं वेदों में सामवेद हूँ? देवों में वासव (इन्द्र) हूँ मैं इन्द्रियों में मन और भूतप्राणियों में चेतना (ज्ञानशक्ति) हूँ।।10.22।।
#geeta
वेदानां सामवेदोऽस्मि देवानामस्मि वासवः।
इन्द्रियाणां मनश्चास्मि भूतानामस्मि चेतना
।।10.22।।♦️vedaanaaM saamavedo'smi devaanaamasmi vaasavaH|
indriyaaNaaM manashchaasmi bhuutaanaamasmi chetanaa
⚜I am the Sama Veda among the Vedas; I am Indra among the Devas; I am the mind among the senses; I am the consciousness in living beings. (10.22)
⚜मैं वेदों में सामवेद हूँ? देवों में वासव (इन्द्र) हूँ मैं इन्द्रियों में मन और भूतप्राणियों में चेतना (ज्ञानशक्ति) हूँ।।10.22।।
#geeta
March 19, 2022
BVGch10vs23
Swami Brahamananda
श्रीमद्भगवद्गीता [10.23]
March 19, 2022
🍃
♦️rudraaNaaM sha~Nkarashchaasmi vittesho yakSharakShasaam|
vasuunaaM paavakashchaasmi meruH shikhariNaamaham10.23
⚜I am Shiva among the Rudras; (I am) Kubera among the Yakshas and demons; I am the fire among the Vasus; and I am Meru among the mountain peaks. (10.23)
⚜मैं (ग्यारह) रुद्रों में शंकर हूँ और यक्ष तथा राक्षसों में धनपति कुबेर (वित्तेश) हूँ (आठ) वसुओं में अग्नि हूँ तथा शिखर वाले पर्वतों में मेरु हूँ।।10.23।।
#geeta
रुद्राणां शङ्करश्चास्मि वित्तेशो यक्षरक्षसाम्।
वसूनां पावकश्चास्मि मेरुः शिखरिणामहम्
।।10.23।।♦️rudraaNaaM sha~Nkarashchaasmi vittesho yakSharakShasaam|
vasuunaaM paavakashchaasmi meruH shikhariNaamaham
⚜I am Shiva among the Rudras; (I am) Kubera among the Yakshas and demons; I am the fire among the Vasus; and I am Meru among the mountain peaks. (10.23)
⚜मैं (ग्यारह) रुद्रों में शंकर हूँ और यक्ष तथा राक्षसों में धनपति कुबेर (वित्तेश) हूँ (आठ) वसुओं में अग्नि हूँ तथा शिखर वाले पर्वतों में मेरु हूँ।।10.23।।
#geeta
March 19, 2022
March 19, 2022
🚩जय सत्य सनातन🚩
🚩आज की हिंदी तिथि
🌥️ 🚩युगाब्द-५१२३
🌥️ 🚩विक्रम संवत-२०७८
⛅ 🚩तिथि - द्वितीया सुबह 10:06 तक ततपश्चात तृतीया
⛅ दिनांक 20 मार्च 2022
⛅ दिन - रविवार
⛅ शक संवत - 1943
⛅ अयन - उत्तरायण
⛅ ऋतु - वसंत
⛅ मास - चैत्र
⛅ पक्ष - कृष्ण
⛅ नक्षत्र - चित्रा सुबह 10:40 तक तपश्चात स्वाती
⛅ योग - ध्रुव , शाम 6:34 तक तत्पश्चात व्याघात
⛅ राहुकाल - शाम 05:20 से 06:51 तक
⛅ सूर्योदय - 06:44
⛅ सूर्यास्त - 06:51
⛅ चन्द्रोदय - रात्रि 08:57
⛅ दिशाशूल - पश्चिम
🚩आज की हिंदी तिथि
🌥️ 🚩युगाब्द-५१२३
🌥️ 🚩विक्रम संवत-२०७८
⛅ 🚩तिथि - द्वितीया सुबह 10:06 तक ततपश्चात तृतीया
⛅ दिनांक 20 मार्च 2022
⛅ दिन - रविवार
⛅ शक संवत - 1943
⛅ अयन - उत्तरायण
⛅ ऋतु - वसंत
⛅ मास - चैत्र
⛅ पक्ष - कृष्ण
⛅ नक्षत्र - चित्रा सुबह 10:40 तक तपश्चात स्वाती
⛅ योग - ध्रुव , शाम 6:34 तक तत्पश्चात व्याघात
⛅ राहुकाल - शाम 05:20 से 06:51 तक
⛅ सूर्योदय - 06:44
⛅ सूर्यास्त - 06:51
⛅ चन्द्रोदय - रात्रि 08:57
⛅ दिशाशूल - पश्चिम
March 19, 2022
March 19, 2022
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विषयः : रामायणपात्रस्य परिचयः
(Describe Ramayan's characters)
दिनाङ्कः : 20th March 2022,
रविवासरः
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😇 यदि शक्येत चेत् संस्कृतेन (रामायणस्य कस्यचित् पात्रस्य परिचयः संस्कृतेन वक्तव्यं यथा - रामः,सीता, दशरथः .... इत्यादयः।) चर्चार्थं कृपया पूर्वसिद्धतां कृत्वा आगच्छन्तु।
वयं युष्माकं प्रतीक्षां कुर्मः। 😇
स्मारणतंत्रिकां स्थापयतु⏰
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कालावधिः : 45 निमेषाः
समयः : IST 11:00 AM 🕚
विषयः : रामायणपात्रस्य परिचयः
(Describe Ramayan's characters)
दिनाङ्कः : 20th March 2022,
रविवासरः
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😇 यदि शक्येत चेत् संस्कृतेन (रामायणस्य कस्यचित् पात्रस्य परिचयः संस्कृतेन वक्तव्यं यथा - रामः,सीता, दशरथः .... इत्यादयः।) चर्चार्थं कृपया पूर्वसिद्धतां कृत्वा आगच्छन्तु।
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March 19, 2022
March 19, 2022
Forwarded from रामदूतः — The Sanskrit News Platform
https://m.youtube.com/watch?v=Btpf1iOFC_w
Switch to DD News daily at 7:15 AM (Morning) for 15 minutes Sanskrit news.
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YouTube
संस्कृत समाचार- वार्ताः
March 19, 2022
March 19, 2022
March 19, 2022
Sanskrit Degree from Indra Gandhi National Open University, NewDelhi
MA Sanskrit at IGNOU
Master of Arts (Sanskrit) (MSK)
Minimum Duration: 2 Years
Maximum Duration: 4 Years
Course Fee: Rs. 13,200
Minimum Age: No bar
Maximum Age: No bar
Eligibility:
Bachelor's Degree or a higher degree from a recognised University.
Fee Structure: Rs.13,200/- for the full programme to be paid year wise Rs. 6,600/- Fee to be paid in the first year is Rs. 6800/- including a registration fee of Rs. 200.
MA Sanskrit course details here
BA Sanskrit at IGNOU
Bachelor of Arts (General) in Sanskrit (BAG Sanskrit)
Minimum Duration: 3 Years
Maximum Duration: 6 Years
Course Fee: Rs. 9,900
Minimum Age: No bar
Maximum Age: No bar
Eligibility:
10+2 or its equivalent
Fee Structure: Rs.9,900/- for full programme to be paid year wise @ Rs. 3,300/- per year. Fee to be paid in 1st year is Rs.3,500/- including a registration fee of Rs.200/-
BA Sanskrit Course Details here
To Register
To Register for courses click here
Last date to apply: 25th March 2022
Note: The fee details given in the programme guide is different for BA sanskrit. It's total of Rs.11990 for the three year course
#SanskritEducation
MA Sanskrit at IGNOU
Master of Arts (Sanskrit) (MSK)
Minimum Duration: 2 Years
Maximum Duration: 4 Years
Course Fee: Rs. 13,200
Minimum Age: No bar
Maximum Age: No bar
Eligibility:
Bachelor's Degree or a higher degree from a recognised University.
Fee Structure: Rs.13,200/- for the full programme to be paid year wise Rs. 6,600/- Fee to be paid in the first year is Rs. 6800/- including a registration fee of Rs. 200.
MA Sanskrit course details here
BA Sanskrit at IGNOU
Bachelor of Arts (General) in Sanskrit (BAG Sanskrit)
Minimum Duration: 3 Years
Maximum Duration: 6 Years
Course Fee: Rs. 9,900
Minimum Age: No bar
Maximum Age: No bar
Eligibility:
10+2 or its equivalent
Fee Structure: Rs.9,900/- for full programme to be paid year wise @ Rs. 3,300/- per year. Fee to be paid in 1st year is Rs.3,500/- including a registration fee of Rs.200/-
BA Sanskrit Course Details here
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Last date to apply: 25th March 2022
Note: The fee details given in the programme guide is different for BA sanskrit. It's total of Rs.11990 for the three year course
#SanskritEducation
www.ignou.ac.in
IGNOU - School of Humanities (SOH) - Programmes - Distance - Master of Arts (Sanskrit) (MSK)
The Indira Gandhi
National Open University (IGNOU), established by an Act of Parliament in
1985, has continuously striven to build an inclusive knowledge society
through inclusive education.
March 19, 2022
*कामधेनुगुणा विद्या ह्यकाले फलदायिनी ।*
*प्रवासे मातृसदृशी विद्या गुप्तं धनं स्मृतम् ।।*
*भावार्थ:*
विद्या अर्जन करना यह एक कामधेनु के समान है जो हर मौसम में अमृत प्रदान करती है । वह विदेश में माता के समान रक्षक अवं हितकारी होती है । इसीलिए विद्या को एक गुप्त धन कहा जाता है ।
संस्कृतार्थः -
कामधेनुसमाना विद्या सर्वेषु कालेषु अमृतोपमा भवति।
विदेशगमने विद्या माता सदृशी या रक्षणं पोषणं च करोति, विद्या गुप्तं(अत्यावश्यकं) धनम् उक्तम्।
#Subhashitam
*प्रवासे मातृसदृशी विद्या गुप्तं धनं स्मृतम् ।।*
*भावार्थ:*
विद्या अर्जन करना यह एक कामधेनु के समान है जो हर मौसम में अमृत प्रदान करती है । वह विदेश में माता के समान रक्षक अवं हितकारी होती है । इसीलिए विद्या को एक गुप्त धन कहा जाता है ।
संस्कृतार्थः -
कामधेनुसमाना विद्या सर्वेषु कालेषु अमृतोपमा भवति।
विदेशगमने विद्या माता सदृशी या रक्षणं पोषणं च करोति, विद्या गुप्तं(अत्यावश्यकं) धनम् उक्तम्।
#Subhashitam
March 19, 2022
March 19, 2022
March 19, 2022
रामः ___________ सह वनं गच्छति।
Anonymous Quiz
54%
सीतालक्ष्मणाभ्यां
24%
सीतालक्ष्मणैः
15%
सीतालक्ष्मणयोः
6%
सीतालक्ष्मणे
March 20, 2022
March 20, 2022
संस्कृत संवादः । Sanskrit Samvadah
धर्मार्थकाममोक्षाणां
यस्यैकोऽपि न विद्यते। अजागलस्तनस्येव तस्य जन्म निरर्थकम्।। = जिसके
जीवन में धर्म अर्थ काम और मोक्ष इन चार पुरुषार्थों में से एक भी नहीं है
उसका जन्म ऐसे ही निष्फल है जैसे बकरी के गले का स्तन (जो न दूध देता है और
ना हि गले की शोभा बढ़ाता…
यद् बलानां बलं श्रेष्ठं तत् प्रज्ञाबलमुच्यते
= बुद्धिबल को समस्त बलों में श्रेष्ठ बल कहा जाता है।
आदित्यानामहं विष्णुर्ज्योतिषां रविरंशुमान्। मरीचिर्मरुतामस्मि नक्षत्राणामहं शशी।।
= आदित्यों में मैं विष्णु हूं, ज्योतियों में दमकता हुआ सूर्य हूं, मरुद्गणों में मरीचि हूं और नक्षत्रों में चन्द्रमा हूं।
वेदानां सामवेदोऽस्मि देवानामस्मि वासवः। इन्द्रियाणां मनश्चास्मि भूतानामस्मि चेतना।।
= वेदों में सामवेद हूं, देवों में इन्द्र हूं, इन्द्रियों में मन मैं हूं और प्राणियों में चेतना मैं हूं।
रुद्राणां शङ्करश्चास्मि वित्तेशो यक्षरक्षसाम्। वसूनां पावकश्चास्मि मेरुः शिखरिणामहम्।।
= रुद्रों में शंकर हूं मैं, यक्ष और राक्षसों में कुबेर हूं मैं, वसुओं में मैं अग्नि हूं तथा पर्वतों में मैं मेरू हूं।
पुरोधसां च मुख्यं मां विद्धि पार्थ बृहस्पतिम्। सेनानीनामहं स्कन्दः सरसामस्मि सागरः।।
= हे पार्थ पुरोहितों में मुख्य बृहस्पति मुझे समझ, सेनानायकों में कार्त्तिकेय मैं हूं और जलाशयों में समुद्र मैं हूं।
महर्षीणां भृगुरहं गिरामस्म्येकमक्षरम्।
यज्ञानां जपयज्ञोऽस्मि स्थावराणां हिमालयः।।
= महर्षियों में भृगु मैं हूं, वाणी में ओंकार मैं हूं, यज्ञों में जप-यज्ञ मैं हूं, स्थावरों में हिमालय मैं हूं।
अश्वत्थः सर्ववृक्षाणां देवर्षीणां च नारदः।
गन्धर्वाणां चित्ररथः सिद्धानां कपिलो मुनिः।।
= सकल वृक्षों में पीपल हूं मैं, देवर्षियों में नारद हूं मैं, गन्धर्वों में चित्ररथ मैं हूं तथा सिद्धों में कपिलमुनि हूं मैं।
ष्टुत्व सन्धिः
{(ष्टुना ष्टुः) सकार या तवर्ग (त्, थ्, द्, ध्, न्) से पहले या बाद में षकार या टवर्ग (ट्, ठ्, ड्, ढ्, ण्) कोई भी हो तो सकार और तवर्ग को क्रमशः षकार और टवर्ग हो जाता है। (अर्थात् ‘स्’ को ‘ष्’, ‘त्’ को ‘ट्’, ‘थ्’ को ‘ठ्’, ‘द्’ को ‘ड्’, ‘ध्’ को ‘ढ्’ और ‘न्’ को ‘ण्’ हो जाता है।)}
ष्/टवर्ग + स्/तवर्ग अथवा स्/तवर्ग + ष्/टवर्ग है तो स् = ष् तथा तवर्ग = टवर्ग।
रामस् + षष्ठः = रामष् + षष्ठः = रामष्षष्ठः।
दुष् + तः = दुष् + टः = दुष्टः।
उद् + डयते = उड् + डयते = उड्डयते।
बालस् + टीकते = बालष् + टीकते = बालष्टीकते।
विष् + नुः = विष् + णुः = विष्णुः।
सकृत् + टंकयतु
= सकृट्टंकयतु।
सकृट्टंकयतु कुडुपं प्रिये !
= प्यारी ! एक बार बटन टांक दे (सिल दे)।
उद् + डयते
= उड्डयते।
उच्चैरुड्डयते हंसो विहायसि
= आकाश में हंस ऊंचाई पर उड़ता है।
ढुण्ढनाद् + ढुण्ढिः
= ढुण्ढनाड्ढुण्ढिः।
ढुण्ढनाड्ढुण्ढिरपि प्राप्नोति
= ढूंढने पर ढुण्ढि (गणेश) भी मिलता है। (ढुण्ढनाड्ढुण्ढिः काशकृत्स्न-धातुपाठात् प्राप्तः।)
बालस् + टीकते
= बालष्टीेकते।
बालष्टीकते वारं वारम्
= बच्चा बार बार खेलता है।
असकृद् + ढोलति
= असकृड्ढोलति।
ढोल्ला ढोलमसकृड्ढोलति
= ढोली ढोल बार बार बजाता है।
छात्रान् + ठालिनी
= छात्राण्ठालिनी।
पुरा गुरुकुले छात्राण्ठालिनीं धारयन्ति स्म
= प्राचीन काल में गुरुकुल में विद्यार्थियों को मेखला पहनाते थे।
#vakyabhyas
= बुद्धिबल को समस्त बलों में श्रेष्ठ बल कहा जाता है।
आदित्यानामहं विष्णुर्ज्योतिषां रविरंशुमान्। मरीचिर्मरुतामस्मि नक्षत्राणामहं शशी।।
= आदित्यों में मैं विष्णु हूं, ज्योतियों में दमकता हुआ सूर्य हूं, मरुद्गणों में मरीचि हूं और नक्षत्रों में चन्द्रमा हूं।
वेदानां सामवेदोऽस्मि देवानामस्मि वासवः। इन्द्रियाणां मनश्चास्मि भूतानामस्मि चेतना।।
= वेदों में सामवेद हूं, देवों में इन्द्र हूं, इन्द्रियों में मन मैं हूं और प्राणियों में चेतना मैं हूं।
रुद्राणां शङ्करश्चास्मि वित्तेशो यक्षरक्षसाम्। वसूनां पावकश्चास्मि मेरुः शिखरिणामहम्।।
= रुद्रों में शंकर हूं मैं, यक्ष और राक्षसों में कुबेर हूं मैं, वसुओं में मैं अग्नि हूं तथा पर्वतों में मैं मेरू हूं।
पुरोधसां च मुख्यं मां विद्धि पार्थ बृहस्पतिम्। सेनानीनामहं स्कन्दः सरसामस्मि सागरः।।
= हे पार्थ पुरोहितों में मुख्य बृहस्पति मुझे समझ, सेनानायकों में कार्त्तिकेय मैं हूं और जलाशयों में समुद्र मैं हूं।
महर्षीणां भृगुरहं गिरामस्म्येकमक्षरम्।
यज्ञानां जपयज्ञोऽस्मि स्थावराणां हिमालयः।।
= महर्षियों में भृगु मैं हूं, वाणी में ओंकार मैं हूं, यज्ञों में जप-यज्ञ मैं हूं, स्थावरों में हिमालय मैं हूं।
अश्वत्थः सर्ववृक्षाणां देवर्षीणां च नारदः।
गन्धर्वाणां चित्ररथः सिद्धानां कपिलो मुनिः।।
= सकल वृक्षों में पीपल हूं मैं, देवर्षियों में नारद हूं मैं, गन्धर्वों में चित्ररथ मैं हूं तथा सिद्धों में कपिलमुनि हूं मैं।
ष्टुत्व सन्धिः
{(ष्टुना ष्टुः) सकार या तवर्ग (त्, थ्, द्, ध्, न्) से पहले या बाद में षकार या टवर्ग (ट्, ठ्, ड्, ढ्, ण्) कोई भी हो तो सकार और तवर्ग को क्रमशः षकार और टवर्ग हो जाता है। (अर्थात् ‘स्’ को ‘ष्’, ‘त्’ को ‘ट्’, ‘थ्’ को ‘ठ्’, ‘द्’ को ‘ड्’, ‘ध्’ को ‘ढ्’ और ‘न्’ को ‘ण्’ हो जाता है।)}
ष्/टवर्ग + स्/तवर्ग अथवा स्/तवर्ग + ष्/टवर्ग है तो स् = ष् तथा तवर्ग = टवर्ग।
रामस् + षष्ठः = रामष् + षष्ठः = रामष्षष्ठः।
दुष् + तः = दुष् + टः = दुष्टः।
उद् + डयते = उड् + डयते = उड्डयते।
बालस् + टीकते = बालष् + टीकते = बालष्टीकते।
विष् + नुः = विष् + णुः = विष्णुः।
सकृत् + टंकयतु
= सकृट्टंकयतु।
सकृट्टंकयतु कुडुपं प्रिये !
= प्यारी ! एक बार बटन टांक दे (सिल दे)।
उद् + डयते
= उड्डयते।
उच्चैरुड्डयते हंसो विहायसि
= आकाश में हंस ऊंचाई पर उड़ता है।
ढुण्ढनाद् + ढुण्ढिः
= ढुण्ढनाड्ढुण्ढिः।
ढुण्ढनाड्ढुण्ढिरपि प्राप्नोति
= ढूंढने पर ढुण्ढि (गणेश) भी मिलता है। (ढुण्ढनाड्ढुण्ढिः काशकृत्स्न-धातुपाठात् प्राप्तः।)
बालस् + टीकते
= बालष्टीेकते।
बालष्टीकते वारं वारम्
= बच्चा बार बार खेलता है।
असकृद् + ढोलति
= असकृड्ढोलति।
ढोल्ला ढोलमसकृड्ढोलति
= ढोली ढोल बार बार बजाता है।
छात्रान् + ठालिनी
= छात्राण्ठालिनी।
पुरा गुरुकुले छात्राण्ठालिनीं धारयन्ति स्म
= प्राचीन काल में गुरुकुल में विद्यार्थियों को मेखला पहनाते थे।
#vakyabhyas
March 20, 2022
March 20, 2022
March 20, 2022
।।श्रीः।।
।।आत्मबोधः।।
Atmabodha, meaning Self-knowledge or Self-awareness, is an exceptionally lucid and readable work of Shankaracharya. Consisting of sixty-eight verses or shlokas, it is in a sense a simple summary of his entire Vedantic structure of thought, intended, it would seem, as a basic primer for his students and followers. The text follows a clearly elaborated doctrine, starting with knowledge as a key to liberation, the nautre of the Atman within us, the assertion of the pervasive and attribute-less nature of Brahman, and the path towards the realisation of the complete identity between the Atman and Brahman.
आत्मैवेदं जगत्सर्वमात्मनोऽन्यन्न किंचन।
मृदो यद्वद्धटादीनि स्वात्मानं सर्वमीक्षते।।48।।
48. Nothing whatever exists other than the Atman: the tangible universe is verily Atman. As pots and jars are verily made of clay and cannot be said to be anything but clay, so too, to the enlightened soul and that is perceived is the Self.
आत्म-बोध ऑनलाइन क्लास - 48:
आत्म-बोध के 48th श्लोक में आचार्यश्री हमें आत्मा के विज्ञानं एक और लक्षण देते हैं - और वो है अद्वैत सिद्धि। विज्ञान से अद्वैत सिद्धि होती है, यह ही मुक्ति है। प्रारम्भ होता है ज्ञान से - जब हम अपने शास्त्र और गुरु से जीवन का सत्य जानते हैं। ज्ञान परोक्ष होता है - अर्थात यह सुनी हुई बात है, न की देखी हुई। विज्ञान देखी हुई बात हो जाती है। इसमें अद्वैत सिद्धि हो जाती है। द्वैत तब तक होता है जब तक हम लोग जगत को अलग देखते हैं। यहाँ पर गुरूजी अत्यंत सरल ढंग से जगत का रहस्य बताते हैं जिसके फल स्वरुप हम लोग अद्वैत का साक्षात्कार कर सकते हैं।
#Atmabodha
।।आत्मबोधः।।
Atmabodha, meaning Self-knowledge or Self-awareness, is an exceptionally lucid and readable work of Shankaracharya. Consisting of sixty-eight verses or shlokas, it is in a sense a simple summary of his entire Vedantic structure of thought, intended, it would seem, as a basic primer for his students and followers. The text follows a clearly elaborated doctrine, starting with knowledge as a key to liberation, the nautre of the Atman within us, the assertion of the pervasive and attribute-less nature of Brahman, and the path towards the realisation of the complete identity between the Atman and Brahman.
आत्मैवेदं जगत्सर्वमात्मनोऽन्यन्न किंचन।
मृदो यद्वद्धटादीनि स्वात्मानं सर्वमीक्षते।।48।।
48. Nothing whatever exists other than the Atman: the tangible universe is verily Atman. As pots and jars are verily made of clay and cannot be said to be anything but clay, so too, to the enlightened soul and that is perceived is the Self.
आत्म-बोध ऑनलाइन क्लास - 48:
आत्म-बोध के 48th श्लोक में आचार्यश्री हमें आत्मा के विज्ञानं एक और लक्षण देते हैं - और वो है अद्वैत सिद्धि। विज्ञान से अद्वैत सिद्धि होती है, यह ही मुक्ति है। प्रारम्भ होता है ज्ञान से - जब हम अपने शास्त्र और गुरु से जीवन का सत्य जानते हैं। ज्ञान परोक्ष होता है - अर्थात यह सुनी हुई बात है, न की देखी हुई। विज्ञान देखी हुई बात हो जाती है। इसमें अद्वैत सिद्धि हो जाती है। द्वैत तब तक होता है जब तक हम लोग जगत को अलग देखते हैं। यहाँ पर गुरूजी अत्यंत सरल ढंग से जगत का रहस्य बताते हैं जिसके फल स्वरुप हम लोग अद्वैत का साक्षात्कार कर सकते हैं।
#Atmabodha
March 20, 2022
@samskrt_samvadah संलापशाला - A Samskrit Voicechat room.
कालावधिः : 45 निमेषाः
समयः : IST 11:00 AM 🕚
विषयः : वार्ताः
(News)
दिनाङ्कः : 21th March 2022,
सोमवासरः
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कालावधिः : 45 निमेषाः
समयः : IST 11:00 AM 🕚
विषयः : वार्ताः
(News)
दिनाङ्कः : 21th March 2022,
सोमवासरः
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March 20, 2022
BVGch10vs24
Swami Brahamananda
श्रीमद्भगवद्गीता [10.24]
March 20, 2022
🍃
♦️purodhasaaM cha mukhyaM maaM viddhi paartha bRRihaspatim|
senaaniinaamahaM skandaH sarasaamasmi saagaraH10.24
⚜Among the priests, O Arjuna, know Me to be the chief, Brihaspati. Among the army generals, I am Skanda; I am the ocean among the bodies of water. (10.24)
⚜हे पार्थ पुरोहितों में मुझे बृहस्पति जानो मैं सेनापतियों में स्कन्द और जलाशयों में समुद्र हूँ।।10.24।।
#geeta
पुरोधसां च मुख्यं मां विद्धि पार्थ बृहस्पतिम्।
सेनानीनामहं स्कन्दः सरसामस्मि सागरः
।।10.24।।♦️purodhasaaM cha mukhyaM maaM viddhi paartha bRRihaspatim|
senaaniinaamahaM skandaH sarasaamasmi saagaraH
⚜Among the priests, O Arjuna, know Me to be the chief, Brihaspati. Among the army generals, I am Skanda; I am the ocean among the bodies of water. (10.24)
⚜हे पार्थ पुरोहितों में मुझे बृहस्पति जानो मैं सेनापतियों में स्कन्द और जलाशयों में समुद्र हूँ।।10.24।।
#geeta
March 20, 2022
BVGch10vs25
Swami Brahamananda
श्रीमद्भगवद्गीता [10.25]
March 20, 2022
🍃
♦️maharShiiNaaM bhRRigurahaM giraamasmyekamakSharam|
yaj~naanaaM japayaj~no'smi sthaavaraaNaaM himaalayaH10.25
🍃I am Bhrigu among the great sages; I am the monosyllable OM among the words; I am Japa among the Yajna; and I am the Himalaya among the immovables. (10.25)
⚜मैं महर्षियों में भृगु और वाणी (शब्दों) में एकाक्षर ओंकार हूँ। मैं यज्ञों में जपयज्ञ और स्थावरों (अचलों) में हिमालय हूँ।।10.25।।
#geeta
महर्षीणां भृगुरहं गिरामस्म्येकमक्षरम्।
यज्ञानां जपयज्ञोऽस्मि स्थावराणां हिमालयः
।।10.25।।♦️maharShiiNaaM bhRRigurahaM giraamasmyekamakSharam|
yaj~naanaaM japayaj~no'smi sthaavaraaNaaM himaalayaH
🍃I am Bhrigu among the great sages; I am the monosyllable OM among the words; I am Japa among the Yajna; and I am the Himalaya among the immovables. (10.25)
⚜मैं महर्षियों में भृगु और वाणी (शब्दों) में एकाक्षर ओंकार हूँ। मैं यज्ञों में जपयज्ञ और स्थावरों (अचलों) में हिमालय हूँ।।10.25।।
#geeta
March 20, 2022
March 20, 2022
🚩जय सत्य सनातन🚩
🚩आज की हिंदी तिथि
🌥️ 🚩युगाब्द-५१२३
🌥️ 🚩विक्रम संवत-२०७८
⛅ 🚩तिथि - तृतीया सुबह 08:02 तक ततपश्चात चतुर्थी 22 मार्च सुबह 06:24 तक
⛅ दिनांक 21 मार्च 2022
⛅ दिन - सोमवार
⛅ शक संवत - 1943
⛅ अयन - उत्तरायण
⛅ ऋतु - वसंत
⛅ मास - चैत्र
⛅ पक्ष - कृष्ण
⛅ नक्षत्र - स्वाती रात्रि 09:31 तक तपश्चात विशाखा
⛅ योग - व्याघात अपरान्ह 3:55 तक तत्पश्चात हर्षण
⛅ राहुकाल - सुबह 08:14 से 09:45 तक
⛅ सूर्योदय - 06:43
⛅ सूर्यास्त - 06:51
⛅ चन्द्रोदय - रात्रि 09:59
⛅ दिशाशूल - पूर्व
🚩आज की हिंदी तिथि
🌥️ 🚩युगाब्द-५१२३
🌥️ 🚩विक्रम संवत-२०७८
⛅ 🚩तिथि - तृतीया सुबह 08:02 तक ततपश्चात चतुर्थी 22 मार्च सुबह 06:24 तक
⛅ दिनांक 21 मार्च 2022
⛅ दिन - सोमवार
⛅ शक संवत - 1943
⛅ अयन - उत्तरायण
⛅ ऋतु - वसंत
⛅ मास - चैत्र
⛅ पक्ष - कृष्ण
⛅ नक्षत्र - स्वाती रात्रि 09:31 तक तपश्चात विशाखा
⛅ योग - व्याघात अपरान्ह 3:55 तक तत्पश्चात हर्षण
⛅ राहुकाल - सुबह 08:14 से 09:45 तक
⛅ सूर्योदय - 06:43
⛅ सूर्यास्त - 06:51
⛅ चन्द्रोदय - रात्रि 09:59
⛅ दिशाशूल - पूर्व
March 20, 2022
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March 20, 2022
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Switch to DD News daily at 7:15 AM (Morning) for 15 minutes Sanskrit news.
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वार्ता: संस्कृत में समाचार | ऑस्ट्रिया के विदेश मंत्री अलेक्जेंडर शालेनबर्ग का भारत दौरा
March 20, 2022
March 20, 2022
March 20, 2022
March 20, 2022
न कश्चिदपि जानाति किं कस्य श्वो भविष्यति।
अतः श्वः करणीयानि कुर्यादद्यैव बुद्धिमान्।।
संस्कृतार्थः -
कोऽपि न जानाति यत् तस्य भविष्यकालः कीदृशः भविष्यति अथवा भविष्यति वा न , तस्मात् चतुरः मनुष्यः आगामिकाले कर्तव्यानि कार्याणि इदानीमेव करोति।
#Subhashitam
अतः श्वः करणीयानि कुर्यादद्यैव बुद्धिमान्।।
संस्कृतार्थः -
कोऽपि न जानाति यत् तस्य भविष्यकालः कीदृशः भविष्यति अथवा भविष्यति वा न , तस्मात् चतुरः मनुष्यः आगामिकाले कर्तव्यानि कार्याणि इदानीमेव करोति।
#Subhashitam
March 20, 2022
संस्कृत संवादः । Sanskrit Samvadah
⚠️ Very Important Information ❗️Click on following hashtags (#) to explore the content of संस्कृत संवादः | Use 🔼 and 🔽 for next and previous posts. 🖱Click on #vakyabhyas for every vakyabhyash at one place. 🖱Click on #ramayan for some shlokas of Valmiki Ramayan.…
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March 20, 2022
March 20, 2022
March 21, 2022
March 21, 2022
March 21, 2022
🎥चलचित्र देखें
•कुछ तंत्रांश(BOT) जो आपके संस्कृतभाषा के अध्ययन को और भी सरल बना सकते हैं।
१. वैय्याकरणः
इस नाम से ज्ञात होता है कि जो व्याकरण को जानता है वह वैय्याकरण है।
•टेलीग्राम में एक ऐसा तंत्रांश(Bot) है जो व्याकरण के विषय में आपके लिए वरदान हो सकता है।
• वैय्याकरणः @vyakarana_bot नामक इस तंत्रांश (Bot) में आप व्याकरण के बहुत से विषयों की जानकारी पा सकते हैं।
•यथा -
१-धातु का परियच(यथा - सकर्मक/अकर्मक, परस्मैपदि/आत्मनेपदि, अर्थ...इत्यादि) ।
२- किसी धातु के सभी लकारों में रूपों का विवरण।
३-सुबन्तपदों की सभी विभक्तियों तथा तीनो वचनों में रूपों का विवरण।
४-सुबन्तपदों का परिचय (यथा- अन्त,लिङ्ग ...इत्यादि) ।
५- सन्धियुक्त पदों का विग्रह ।
•उपयोग करते समय ध्यान देने योग्य बातें -
• उपसर्गयुक्त धातुओं तथा कृदन्तपदों का अन्वेषण न करें।
इस बोट का उपयोग करने के लिए यहां क्लिक करें
👉🏼 t.me/vyakarana_bot 👈🏼
इस प्रकार का ही एक अन्य तंत्राश(BOT) है -
२.संस्कृतकोश @sanskritkoshbot
जिसमें आप निम्नांकित बिन्दु पा सकते हैं।
यथा -
• संस्कृत शब्दों का विवरण।
१ - शब्दों का लिंग।
२ - शब्दों का अर्थ।
• संस्कृत धातुओं का विवरण।
१ - मूल धातु ।
२ - धातु का अर्थ।
उपयोग विधि -
• संस्कृत शब्दों का अर्थ जानने के लिए उनका मूल / प्रातिपदिक रूप ही लिखें।
विशेष - किस कोश से अर्थ दिया जा रहा है, यह विवरण भी दिया जाता है।
इस बोट का उपयोग करने के लिए यहां क्लिक करें
👉🏼 t.me/sanskritkoshbot 👈🏼
३. @BruhulBot एक ऐसा तंत्रांश (Bot) है जो आपके टङ्कण (Typing)करने में जाने वाले समय को बचा सकता है तथा संस्कृत श्लोक, सुभाषित, लेख साहित्य इत्यादि विषय जो आपके पास चित्र रूप में हैं उन्हें आपको कुछ ही क्षणों में लिखित रूप में प्राप्त करा सकता है ।
~उपयोगविधि ~
प्रथम कार्य -
किसी भी चित्र (जिस पर कुछ लिखा हुआ हो) को लें तथा तंत्रांश को प्रेषित करें ।
द्वितीय कार्य -
अब आप प्रेषित किए हुए चित्र का प्रत्युत्तर (Reply) /ocr लिख कर दें।
कुछ समय उपरान्त ही चित्र के सम्पूर्ण लिखित स्वरूप को आप प्राप्त कर लेंगे।
इस बोट का उपयोग करने के लिए यहां क्लिक करें
👉🏼 t.me/BruhulBot 👈🏼
अधिक जानकारी के लिए चलचित्र देखें
१- 👉 t.me/vyakarana_bot 👈
२- 👉 t.me/sanskritkoshbot 👈
३- 👉 t.me/BruhulBot 👈
•कुछ तंत्रांश(BOT) जो आपके संस्कृतभाषा के अध्ययन को और भी सरल बना सकते हैं।
१. वैय्याकरणः
इस नाम से ज्ञात होता है कि जो व्याकरण को जानता है वह वैय्याकरण है।
•टेलीग्राम में एक ऐसा तंत्रांश(Bot) है जो व्याकरण के विषय में आपके लिए वरदान हो सकता है।
• वैय्याकरणः @vyakarana_bot नामक इस तंत्रांश (Bot) में आप व्याकरण के बहुत से विषयों की जानकारी पा सकते हैं।
•यथा -
१-धातु का परियच(यथा - सकर्मक/अकर्मक, परस्मैपदि/आत्मनेपदि, अर्थ...इत्यादि) ।
२- किसी धातु के सभी लकारों में रूपों का विवरण।
३-सुबन्तपदों की सभी विभक्तियों तथा तीनो वचनों में रूपों का विवरण।
४-सुबन्तपदों का परिचय (यथा- अन्त,लिङ्ग ...इत्यादि) ।
५- सन्धियुक्त पदों का विग्रह ।
•उपयोग करते समय ध्यान देने योग्य बातें -
• उपसर्गयुक्त धातुओं तथा कृदन्तपदों का अन्वेषण न करें।
इस बोट का उपयोग करने के लिए यहां क्लिक करें
👉🏼 t.me/vyakarana_bot 👈🏼
इस प्रकार का ही एक अन्य तंत्राश(BOT) है -
२.संस्कृतकोश @sanskritkoshbot
जिसमें आप निम्नांकित बिन्दु पा सकते हैं।
यथा -
• संस्कृत शब्दों का विवरण।
१ - शब्दों का लिंग।
२ - शब्दों का अर्थ।
• संस्कृत धातुओं का विवरण।
१ - मूल धातु ।
२ - धातु का अर्थ।
उपयोग विधि -
• संस्कृत शब्दों का अर्थ जानने के लिए उनका मूल / प्रातिपदिक रूप ही लिखें।
विशेष - किस कोश से अर्थ दिया जा रहा है, यह विवरण भी दिया जाता है।
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३. @BruhulBot एक ऐसा तंत्रांश (Bot) है जो आपके टङ्कण (Typing)करने में जाने वाले समय को बचा सकता है तथा संस्कृत श्लोक, सुभाषित, लेख साहित्य इत्यादि विषय जो आपके पास चित्र रूप में हैं उन्हें आपको कुछ ही क्षणों में लिखित रूप में प्राप्त करा सकता है ।
~उपयोगविधि ~
प्रथम कार्य -
किसी भी चित्र (जिस पर कुछ लिखा हुआ हो) को लें तथा तंत्रांश को प्रेषित करें ।
द्वितीय कार्य -
अब आप प्रेषित किए हुए चित्र का प्रत्युत्तर (Reply) /ocr लिख कर दें।
कुछ समय उपरान्त ही चित्र के सम्पूर्ण लिखित स्वरूप को आप प्राप्त कर लेंगे।
इस बोट का उपयोग करने के लिए यहां क्लिक करें
👉🏼 t.me/BruhulBot 👈🏼
अधिक जानकारी के लिए चलचित्र देखें
१- 👉 t.me/vyakarana_bot 👈
२- 👉 t.me/sanskritkoshbot 👈
३- 👉 t.me/BruhulBot 👈
March 21, 2022
हिन्दी में पढे़ं
🎥 Watch Demo
• Some bots that can make your study of Sanskrit language easier.
1. वैयाकरण:
It is known by this name that one who knows grammar is a वैयाकरण (grammarian).
• There is such a bot which can be a boon for you regarding grammar.
• वैयाकरण: In this bot called @vyakarana_bot, you can find information on many topics of grammar.
• As -
1- description of dhatu (eg - transitive/intransitive, parasmapadi/atmannepadi, meaning...etc.).
2- Description of the forms in all the forms of a dhatu.
3-Description of all the divisions of the Subantapadas and the forms in the three numbers.
4- Introduction of Subantapadas (eg- Anta, Linga ... etc.).
5- Delegation of conjoined words (sandhi).
• Things to note while using -
• Do not search for prefixed dhatu and participles.
Click here to use this boat
👉🏼 t.me/vyakarana_bot 👈🏼
There is another bot of this type -
2.Sanskrit Kosh @sanskritkoshbot
In which you can find the following points.
as -
• Description of Sanskrit words.
1 - Gender of words.
2 - Meaning of words.
• Description of Sanskrit dhatu.
1 - root dhatu.
2 - Meaning of dhatu.
Usage method -
• To know the meaning of Sanskrit words, write their original / Pratipadik form only.
Note - From which dictionary the meaning is being given, this detail is also given.
Click here to use this bot
👉🏼 t.me/sanskritkoshbot 👈🏼
3. @BruhulBot there is such a bot which can save your time in typing and the topics which you have in picture form like Sanskrit shlokas, subhashits, article literature etc., you can get them in writing in few moments.
usage
first task -
Take any picture (which has something written on it) and send it to the bot.
Second task -
Now reply to the picture sent by writing /ocr.
After some time you will get the complete text form of the picture.
Click here to use this bot
👉🏼 t.me/BruhulBot 👈🏼
For more information watch the video
१- 👉 t.me/vyakarana_bot 👈
२- 👉 t.me/sanskritkoshbot 👈
३- 👉 t.me/BruhulBot 👈
🎥 Watch Demo
• Some bots that can make your study of Sanskrit language easier.
1. वैयाकरण:
It is known by this name that one who knows grammar is a वैयाकरण (grammarian).
• There is such a bot which can be a boon for you regarding grammar.
• वैयाकरण: In this bot called @vyakarana_bot, you can find information on many topics of grammar.
• As -
1- description of dhatu (eg - transitive/intransitive, parasmapadi/atmannepadi, meaning...etc.).
2- Description of the forms in all the forms of a dhatu.
3-Description of all the divisions of the Subantapadas and the forms in the three numbers.
4- Introduction of Subantapadas (eg- Anta, Linga ... etc.).
5- Delegation of conjoined words (sandhi).
• Things to note while using -
• Do not search for prefixed dhatu and participles.
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👉🏼 t.me/vyakarana_bot 👈🏼
There is another bot of this type -
2.Sanskrit Kosh @sanskritkoshbot
In which you can find the following points.
as -
• Description of Sanskrit words.
1 - Gender of words.
2 - Meaning of words.
• Description of Sanskrit dhatu.
1 - root dhatu.
2 - Meaning of dhatu.
Usage method -
• To know the meaning of Sanskrit words, write their original / Pratipadik form only.
Note - From which dictionary the meaning is being given, this detail is also given.
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3. @BruhulBot there is such a bot which can save your time in typing and the topics which you have in picture form like Sanskrit shlokas, subhashits, article literature etc., you can get them in writing in few moments.
usage
first task -
Take any picture (which has something written on it) and send it to the bot.
Second task -
Now reply to the picture sent by writing /ocr.
After some time you will get the complete text form of the picture.
Click here to use this bot
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१- 👉 t.me/vyakarana_bot 👈
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३- 👉 t.me/BruhulBot 👈
March 21, 2022
हिन्दी में पढे़
Read in English
🎥चलचित्रदर्शनम्
• केचन तंत्रांशाः(Bot) ये भवतां संस्कृतभाषायाः अध्ययनं सरलं कर्तुं शक्नुवन्ति।
१.वैय्याकरणः
नाम श्रुत्वा एव ज्ञायते यत् "यः व्याकरणं जानाति" सः वैय्याकरणः।
• टेलीग्राममध्ये एकः तादृशः तंत्रांशः(Bot) अस्ति यः व्याकरणविषये अस्माकं कृते वरदानं भवेत्।
• वैय्याकरणः @vyakarana_bot नाम्नः अस्मिन् तंत्रांशे बहूनां व्याकरणविषयाणां ज्ञानं प्राप्तुं शक्नुमः वयम्।
•यथा -
१-धातोः परिचयः(यथा - सकर्मकः/अकर्मकः, परस्मैपदि/आत्मनेपदि, अर्थः कः .....इत्यादयः)
२- कस्यचित् धातोः सर्वेषु लकारेषु रूपाणां विवरणम्।
३- सुबन्तपदानां सर्वासु विभक्तिषु तथा त्रिषु वचनेषु रूपाणां विवरणम्।
४- सुबन्तपदानां परिचयः (यथा - कः अन्तः अस्ति, किं लिङ्गम् अस्ति..... इत्यादयः) ।
५- सन्धियुक्तपदानां विग्रहः कः इति अपि ज्ञातुं शक्नुमः।
• उपयोगकरणसमये ध्यातव्याः विषयाः -
• उपसर्गयुक्तधातुनां तथा कृदन्तपदानाम् अन्वेषणं न कुर्वत।
एतस्य तंत्रांशस्य उपयोगं कर्तुम् अत्र नुदत ।
👉 t.me/vyakarana_bot 👈
एतादृशः एव एकः अन्यः तंत्रांशः(BOT) अपि अस्ति -
२- संस्कृतकोशः @sanskritkoshbot
एतस्मिन् निम्नाङ्कितान् बिन्दून् प्राप्तुं शक्नुमः।
यथा-
• संस्कृतशब्दानां विवरणम्।
१ - शब्दानां लिङ्गं किम्।
२ - शब्दानाम् अर्थः कः।
•संस्कृतधातुनां विवरणम्।
१ - मूलधातुः कः।
२ - धातोः अर्थः कः।
उपयोगविधिः -
• संस्कृतशब्दानाम् अर्थं ज्ञातुं तेषां मूलशब्दं / प्रातिपदिकं रूपम् एव लिखत।
विशेषः - कस्मात् कोशात् अर्थः दत्तः, इति अपि विवरणं तत्र भवति।
एतस्य तंत्रांशस्य उपयोगं कर्तुं अत्र नुदत 👉 t.me/sanskritkoshbot 👈
३. @BruhulBot एकः तादृशः तंत्रांशः (Bot) अस्ति यः अस्माकं टङ्कणकरणस्य (Typing)समयं न्यूनं कर्तुं शक्नोति तथा च एषः तंत्रांशः संस्कृतस्य श्लोकः, सुभाषितम् , लेखः , साहित्यः इत्यादयः विषयाः ये अस्माकं पार्श्वे चित्ररूपेण सन्ति तान् केषुचित् क्षणेषु एव लिखितरूपेण दातुं शक्नोति।
~उपयोगविधिः~
प्रथमं कार्यम् -
किमपि चित्रं(यस्मिन् किमपि लिखितम् अस्ति) तत् स्वीकृत्य तंत्रांशं प्रति प्रेषयत।
द्वितीयं कार्यम् -
अधुना प्रेषितस्य चित्रस्य प्रत्युत्तरं (Reply) /ocr लिखित्वा दातव्यम्।
केषुचित् क्षणेषु एव चित्रस्य सम्पूर्णं लिखितस्वरूपं प्राप्तुं शक्नुमः।
एतस्य तंत्रांशस्य उपयोगं कर्तुम् अत्र नुदत। 👉 t.me/BruhulBot 👈
अधिकज्ञानाय चलचित्रं पश्यत।
१- 👉 t.me/vyakarana_bot 👈
२- 👉 t.me/sanskritkoshbot 👈
३- 👉 t.me/BruhulBot 👈
Read in English
🎥चलचित्रदर्शनम्
• केचन तंत्रांशाः(Bot) ये भवतां संस्कृतभाषायाः अध्ययनं सरलं कर्तुं शक्नुवन्ति।
१.वैय्याकरणः
नाम श्रुत्वा एव ज्ञायते यत् "यः व्याकरणं जानाति" सः वैय्याकरणः।
• टेलीग्राममध्ये एकः तादृशः तंत्रांशः(Bot) अस्ति यः व्याकरणविषये अस्माकं कृते वरदानं भवेत्।
• वैय्याकरणः @vyakarana_bot नाम्नः अस्मिन् तंत्रांशे बहूनां व्याकरणविषयाणां ज्ञानं प्राप्तुं शक्नुमः वयम्।
•यथा -
१-धातोः परिचयः(यथा - सकर्मकः/अकर्मकः, परस्मैपदि/आत्मनेपदि, अर्थः कः .....इत्यादयः)
२- कस्यचित् धातोः सर्वेषु लकारेषु रूपाणां विवरणम्।
३- सुबन्तपदानां सर्वासु विभक्तिषु तथा त्रिषु वचनेषु रूपाणां विवरणम्।
४- सुबन्तपदानां परिचयः (यथा - कः अन्तः अस्ति, किं लिङ्गम् अस्ति..... इत्यादयः) ।
५- सन्धियुक्तपदानां विग्रहः कः इति अपि ज्ञातुं शक्नुमः।
• उपयोगकरणसमये ध्यातव्याः विषयाः -
• उपसर्गयुक्तधातुनां तथा कृदन्तपदानाम् अन्वेषणं न कुर्वत।
एतस्य तंत्रांशस्य उपयोगं कर्तुम् अत्र नुदत ।
👉 t.me/vyakarana_bot 👈
एतादृशः एव एकः अन्यः तंत्रांशः(BOT) अपि अस्ति -
२- संस्कृतकोशः @sanskritkoshbot
एतस्मिन् निम्नाङ्कितान् बिन्दून् प्राप्तुं शक्नुमः।
यथा-
• संस्कृतशब्दानां विवरणम्।
१ - शब्दानां लिङ्गं किम्।
२ - शब्दानाम् अर्थः कः।
•संस्कृतधातुनां विवरणम्।
१ - मूलधातुः कः।
२ - धातोः अर्थः कः।
उपयोगविधिः -
• संस्कृतशब्दानाम् अर्थं ज्ञातुं तेषां मूलशब्दं / प्रातिपदिकं रूपम् एव लिखत।
विशेषः - कस्मात् कोशात् अर्थः दत्तः, इति अपि विवरणं तत्र भवति।
एतस्य तंत्रांशस्य उपयोगं कर्तुं अत्र नुदत 👉 t.me/sanskritkoshbot 👈
३. @BruhulBot एकः तादृशः तंत्रांशः (Bot) अस्ति यः अस्माकं टङ्कणकरणस्य (Typing)समयं न्यूनं कर्तुं शक्नोति तथा च एषः तंत्रांशः संस्कृतस्य श्लोकः, सुभाषितम् , लेखः , साहित्यः इत्यादयः विषयाः ये अस्माकं पार्श्वे चित्ररूपेण सन्ति तान् केषुचित् क्षणेषु एव लिखितरूपेण दातुं शक्नोति।
~उपयोगविधिः~
प्रथमं कार्यम् -
किमपि चित्रं(यस्मिन् किमपि लिखितम् अस्ति) तत् स्वीकृत्य तंत्रांशं प्रति प्रेषयत।
द्वितीयं कार्यम् -
अधुना प्रेषितस्य चित्रस्य प्रत्युत्तरं (Reply) /ocr लिखित्वा दातव्यम्।
केषुचित् क्षणेषु एव चित्रस्य सम्पूर्णं लिखितस्वरूपं प्राप्तुं शक्नुमः।
एतस्य तंत्रांशस्य उपयोगं कर्तुम् अत्र नुदत। 👉 t.me/BruhulBot 👈
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March 21, 2022
संस्कृत संवादः । Sanskrit Samvadah pinned «हिन्दी में पढे़ Read in English 🎥चलचित्रदर्शनम्
• केचन तंत्रांशाः(Bot) ये भवतां संस्कृतभाषायाः अध्ययनं सरलं कर्तुं
शक्नुवन्ति। १.वैय्याकरणः नाम श्रुत्वा एव ज्ञायते यत् "यः व्याकरणं
जानाति" सः वैय्याकरणः। • टेलीग्राममध्ये एकः तादृशः तंत्रांशः(Bot)
अस्ति…»
March 21, 2022
संस्कृत संवादः । Sanskrit Samvadah
यद्
बलानां बलं श्रेष्ठं तत् प्रज्ञाबलमुच्यते = बुद्धिबल को समस्त बलों
में श्रेष्ठ बल कहा जाता है। आदित्यानामहं विष्णुर्ज्योतिषां रविरंशुमान्।
मरीचिर्मरुतामस्मि नक्षत्राणामहं शशी।। = आदित्यों में मैं विष्णु
हूं, ज्योतियों में दमकता हुआ सूर्य हूं, मरुद्गणों…
संस्कृतं वद आधुनिको भव।
वेदान् पठ वैज्ञानिको भव।।
पाठ : (२४) षष्ठी विभक्ति (३) + जश्त्व सन्धिः
(कर्त्तादि कारकों को कहने की इच्छा न हो तब उन कारकों में षष्ठी विभक्ति का प्रयोग होता है।)
सीता अशोकवाटिकायामुपविश्य रामस्य स्मरति
= सीता अशोकवाटिका में बैठकर राम को याद कर रही है।
छात्रावासे वसन् वटुः मातुः स्मरति
= छात्रावास में रहता हुआ बच्चा मां को याद कर रहा है।
विटपे स्थितः कोकिलः वसन्तस्य स्मरति
= शाखा पर बैठी कोयल वसन्त ऋतु को याद कर रही है।
कच्चिद् भर्त्तुः स्मरसि सुभगे ?
= हे सौभाग्यवती ! पति को याद कर रही हो क्या..?
विधुरः विधुरे काले दयितायाः मृतायाः भृशं स्मरति स्म
= विधुर कठिन समय में अपनी मृत पत्नी को खूब याद करता था।
हे प्रभो ! दयस्व मे विषमस्थितस्य
= विपत्तियों में फंसे हुए मुझ पर हे प्रभो ! दया कीजिए।
दयालुः दीनानां दयते
= दयालु ईश्वर दीनों पर दया करता है।
दयेरन् आतङ्किनः प्रजायाः
= आतंकवादी लोगों पर दया करें।
दयै सदाऽहं मदाश्रितानाम्
= मुझ पर आश्रितों की मैं सदा रक्षा करूं।
ईश्वराः निर्धनेभ्यो रङ्कवानां दयाञ्चक्रे
= समृद्ध/सम्पन्न लोगों ने गरीबों को कम्बल दिए।
अद्यत्वे नरेन्द्रमोदी भारतस्य ईष्टे
= आजकल नरेन्द्र मोदी भारत पर शासन कर रहे हैं।
रामः अयोध्यायाः र्ईशाञ्चक्रे
= राम ने अयोध्या पर शासन किया।
इन्द्रो दिव इन्द्र इशे पृथिव्याः
= इन्द्र द्युलोक का स्वामी है, ईन्द्र पृथ्वीलोक का स्वामी है।
ईशिरे भुवनस्य प्रचेतसो विश्वस्य स्थातुर्जगतश्च मन्तवः
= उत्कृष्ट ज्ञानवाले मननशील ज्ञानी लोग स्थावर व जंगमस्वरूप सम्पूर्ण जगत का शासन करते हैं।
इन्द्रो विश्वस्य राजति
= इन्द्र सबको प्रकाशित करता है।
ईशानः लोकानां लोकपालः
= लोकों का पालन करनेवाला ईश्वर सभी लोक-लोकान्तरों का स्वामी है।
ईशे द्विपदानां चतुष्पदानां
= दो पैरवाले तथा चार पैरवाले समस्त प्रणियों पर मैं (ईश्वर) शासन करता हूं।
मल्लः घृतस्य नाथते
= पहलवान घी की इच्छा करता है।
रुग्णः औषधस्य नाथते
= रोगी दवाई चाहता है।
#vakyabhyas
वेदान् पठ वैज्ञानिको भव।।
पाठ : (२४) षष्ठी विभक्ति (३) + जश्त्व सन्धिः
(कर्त्तादि कारकों को कहने की इच्छा न हो तब उन कारकों में षष्ठी विभक्ति का प्रयोग होता है।)
सीता अशोकवाटिकायामुपविश्य रामस्य स्मरति
= सीता अशोकवाटिका में बैठकर राम को याद कर रही है।
छात्रावासे वसन् वटुः मातुः स्मरति
= छात्रावास में रहता हुआ बच्चा मां को याद कर रहा है।
विटपे स्थितः कोकिलः वसन्तस्य स्मरति
= शाखा पर बैठी कोयल वसन्त ऋतु को याद कर रही है।
कच्चिद् भर्त्तुः स्मरसि सुभगे ?
= हे सौभाग्यवती ! पति को याद कर रही हो क्या..?
विधुरः विधुरे काले दयितायाः मृतायाः भृशं स्मरति स्म
= विधुर कठिन समय में अपनी मृत पत्नी को खूब याद करता था।
हे प्रभो ! दयस्व मे विषमस्थितस्य
= विपत्तियों में फंसे हुए मुझ पर हे प्रभो ! दया कीजिए।
दयालुः दीनानां दयते
= दयालु ईश्वर दीनों पर दया करता है।
दयेरन् आतङ्किनः प्रजायाः
= आतंकवादी लोगों पर दया करें।
दयै सदाऽहं मदाश्रितानाम्
= मुझ पर आश्रितों की मैं सदा रक्षा करूं।
ईश्वराः निर्धनेभ्यो रङ्कवानां दयाञ्चक्रे
= समृद्ध/सम्पन्न लोगों ने गरीबों को कम्बल दिए।
अद्यत्वे नरेन्द्रमोदी भारतस्य ईष्टे
= आजकल नरेन्द्र मोदी भारत पर शासन कर रहे हैं।
रामः अयोध्यायाः र्ईशाञ्चक्रे
= राम ने अयोध्या पर शासन किया।
इन्द्रो दिव इन्द्र इशे पृथिव्याः
= इन्द्र द्युलोक का स्वामी है, ईन्द्र पृथ्वीलोक का स्वामी है।
ईशिरे भुवनस्य प्रचेतसो विश्वस्य स्थातुर्जगतश्च मन्तवः
= उत्कृष्ट ज्ञानवाले मननशील ज्ञानी लोग स्थावर व जंगमस्वरूप सम्पूर्ण जगत का शासन करते हैं।
इन्द्रो विश्वस्य राजति
= इन्द्र सबको प्रकाशित करता है।
ईशानः लोकानां लोकपालः
= लोकों का पालन करनेवाला ईश्वर सभी लोक-लोकान्तरों का स्वामी है।
ईशे द्विपदानां चतुष्पदानां
= दो पैरवाले तथा चार पैरवाले समस्त प्रणियों पर मैं (ईश्वर) शासन करता हूं।
मल्लः घृतस्य नाथते
= पहलवान घी की इच्छा करता है।
रुग्णः औषधस्य नाथते
= रोगी दवाई चाहता है।
#vakyabhyas
March 21, 2022
March 21, 2022
March 21, 2022
March 21, 2022
।।श्रीः।।
।।आत्मबोधः।।
Atmabodha, meaning Self-knowledge or Self-awareness, is an exceptionally lucid and readable work of Shankaracharya. Consisting of sixty-eight verses or shlokas, it is in a sense a simple summary of his entire Vedantic structure of thought, intended, it would seem, as a basic primer for his students and followers. The text follows a clearly elaborated doctrine, starting with knowledge as a key to liberation, the nautre of the Atman within us, the assertion of the pervasive and attribute-less nature of Brahman, and the path towards the realisation of the complete identity between the Atman and Brahman.
जीवन्मुक्तस्तु तद्विद्वान्पूर्वोपाधिगुणांस्त्यजेत्।
स सच्चिदादिधर्मत्वं भेजे भ्रमरकीटवत्।।49।।
49. A liberated one, endowed with Self-knowledge, gives up the traits of his previously explained equipments (Upadhis) and because of his nature of Sat-chit-ananda, he verily becomes Brahman like (the worm that grows to be) a wasp.
आत्म-बोध ऑनलाइन क्लास - 49:
आत्म-बोध के 49th श्लोक में आचार्यश्री हमें जीवन्मुक्त के बारे में बताते हैं। जीवन्मुक्त उसको कहते हैं जो शरीर के रहते-रहते मुक्त हो गया है। जिसने यहीं पर अपने आप को ब्रह्म जान लिया है। हम सब मूल रूप से ब्रह्म थे, और सदैव रहेंगे - अतः अपनी ब्रह्मस्वरूपता में जगाने के लिए कोई कर्म नहीं करने पड़ते हैं, केवल अपने मोह और अज्ञान को दूर करा जाता है। जीवन्मुक्त होना ही जीवन का मूल लक्ष्य होता है। इसके लिए पहले वेदान्त शास्त्र का विद्वान होना चाहिए। इसी से हमें वो मोक्षदायी विवेक प्राप्त होता है, की हम अपनी उपाधियों से विलक्षण एक सत्चिदानन्द स्वरुप सत्ता हैं। फिर इसी ज्ञान में रमते हुए अपने समस्त संशय और विपर्यय दूर होते ही अपने स्वरुप में निष्ठा प्राप्त हो जाती है - माानो एक कीट अब भ्रमर बन गया हो।
#Atmabodha
।।आत्मबोधः।।
Atmabodha, meaning Self-knowledge or Self-awareness, is an exceptionally lucid and readable work of Shankaracharya. Consisting of sixty-eight verses or shlokas, it is in a sense a simple summary of his entire Vedantic structure of thought, intended, it would seem, as a basic primer for his students and followers. The text follows a clearly elaborated doctrine, starting with knowledge as a key to liberation, the nautre of the Atman within us, the assertion of the pervasive and attribute-less nature of Brahman, and the path towards the realisation of the complete identity between the Atman and Brahman.
जीवन्मुक्तस्तु तद्विद्वान्पूर्वोपाधिगुणांस्त्यजेत्।
स सच्चिदादिधर्मत्वं भेजे भ्रमरकीटवत्।।49।।
49. A liberated one, endowed with Self-knowledge, gives up the traits of his previously explained equipments (Upadhis) and because of his nature of Sat-chit-ananda, he verily becomes Brahman like (the worm that grows to be) a wasp.
आत्म-बोध ऑनलाइन क्लास - 49:
आत्म-बोध के 49th श्लोक में आचार्यश्री हमें जीवन्मुक्त के बारे में बताते हैं। जीवन्मुक्त उसको कहते हैं जो शरीर के रहते-रहते मुक्त हो गया है। जिसने यहीं पर अपने आप को ब्रह्म जान लिया है। हम सब मूल रूप से ब्रह्म थे, और सदैव रहेंगे - अतः अपनी ब्रह्मस्वरूपता में जगाने के लिए कोई कर्म नहीं करने पड़ते हैं, केवल अपने मोह और अज्ञान को दूर करा जाता है। जीवन्मुक्त होना ही जीवन का मूल लक्ष्य होता है। इसके लिए पहले वेदान्त शास्त्र का विद्वान होना चाहिए। इसी से हमें वो मोक्षदायी विवेक प्राप्त होता है, की हम अपनी उपाधियों से विलक्षण एक सत्चिदानन्द स्वरुप सत्ता हैं। फिर इसी ज्ञान में रमते हुए अपने समस्त संशय और विपर्यय दूर होते ही अपने स्वरुप में निष्ठा प्राप्त हो जाती है - माानो एक कीट अब भ्रमर बन गया हो।
#Atmabodha
March 21, 2022
#⃣ ००१
🏬 संस्कृतभारती हडपसरप्रान्त
📣 सुलभसम्भाषणम्
⏳ 7 PM 🇮🇳
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🗓 प्रतिदिनम्
🔛14th March — 31st March🔚
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March 21, 2022
#⃣ ००२
🏬 संस्कृतभारती हडपसरप्रान्त
📣 लकारपठनम्
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🔛16th March onwards
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March 21, 2022
@samskrt_samvadah संलापशाला - A Samskrit Voicechat room.
कालावधिः : 45 निमेषाः
समयः : IST 11:00 AM 🕚
विषयः : चलचित्राणां समाजे प्रभावाः
(Effects of cinema on the society)
दिनाङ्कः : 22th March 2022,
मङ्गलवासरः
Please Join the voicechat on time.
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😇 यदि शक्येत चेत् संस्कृतेन (समाजस्य उपरि चलचित्राणां के मानसिकप्रभावाः भवन्ति तथा तेषां परिणामाः के भवन्ति।) चर्चार्थं कृपया पूर्वसिद्धतां कृत्वा आगच्छन्तु।
वयं युष्माकं प्रतीक्षां कुर्मः। 😇
स्मारणतंत्रिकां स्थापयतु⏰
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March 21, 2022
BVGch10vs26
Swami Brahamananda
श्रीमद्भगवद्गीता [10.26]
March 21, 2022
🍃
♦️ashvatthaH sarvavRRikShaaNaaM devarShiiNaaM cha naaradaH|
gandharvaaNaaM chitrarathaH siddhaanaaM kapilo muniH10.26
⚜I am the Peepal tree among the trees, Narada among the sages, Chitraaratha among the Gandharvas, and sage Kapila among the Siddhas. (10.26)
⚜मैं समस्त वृक्षों में अश्वत्थ (पीपल) हूँ और देवर्षियों में नारद हूँ मैं गन्धर्वों में चित्ररथ और सिद्ध पुरुषों में कपिल मुनि हूँ।।10.26।।
#geeta
अश्वत्थः सर्ववृक्षाणां देवर्षीणां च नारदः।
गन्धर्वाणां चित्ररथः सिद्धानां कपिलो मुनिः
।।10.26।।♦️ashvatthaH sarvavRRikShaaNaaM devarShiiNaaM cha naaradaH|
gandharvaaNaaM chitrarathaH siddhaanaaM kapilo muniH
⚜I am the Peepal tree among the trees, Narada among the sages, Chitraaratha among the Gandharvas, and sage Kapila among the Siddhas. (10.26)
⚜मैं समस्त वृक्षों में अश्वत्थ (पीपल) हूँ और देवर्षियों में नारद हूँ मैं गन्धर्वों में चित्ररथ और सिद्ध पुरुषों में कपिल मुनि हूँ।।10.26।।
#geeta
March 21, 2022
BVGch10vs27
Swami Brahamananda
श्रीमद्भगवद्गीता [10.27]
March 21, 2022
🍃
♦️uchchaiHshravasamashvaanaaM viddhi maamamRRitodbhavam|
airaavataM gajendraaNaaM naraaNaaM cha naraadhipam10.27
⚜Know Me as Uchchaihshrava, born at the time of churning the ocean for getting the nectar, among the horses; Airaavata among the elephants; and the King among men. (10.27)
⚜अश्वों में अमृत से उत्पन्न हुए उच्चैश्रवा नामक अश्व हाथियों में ऐरावत और मनुष्यों में राजा मुझे ही जानो।।10.27।।
#geeta
उच्चैःश्रवसमश्वानां विद्धि माममृतोद्भवम्।
ऐरावतं गजेन्द्राणां नराणां च नराधिपम्
।।10.27।।♦️uchchaiHshravasamashvaanaaM viddhi maamamRRitodbhavam|
airaavataM gajendraaNaaM naraaNaaM cha naraadhipam
⚜Know Me as Uchchaihshrava, born at the time of churning the ocean for getting the nectar, among the horses; Airaavata among the elephants; and the King among men. (10.27)
⚜अश्वों में अमृत से उत्पन्न हुए उच्चैश्रवा नामक अश्व हाथियों में ऐरावत और मनुष्यों में राजा मुझे ही जानो।।10.27।।
#geeta
March 21, 2022
🚩जय सत्य सनातन🚩
🚩आज की हिंदी तिथि
🌥️ 🚩युगाब्द-५१२३
🌥️ 🚩विक्रम संवत-२०७८
⛅ 🚩तिथि - पंचमी सुबह 06:24 से 23 मार्च सुबह 04:21 तक तपश्चात षष्टी
⛅ दिनांक 22 मार्च 2022
⛅ दिन - मंगलवार
⛅ शक संवत - 1943
⛅ अयन - उत्तरायण
⛅ ऋतु - वसंत
⛅ मास - चैत्र
⛅ पक्ष - कृष्ण
⛅ नक्षत्र - विशाखा रात्रि 08:14 तक तपश्चात अनुराधा
⛅ योग - हर्षण रात्रि 1:10 तक तत्पश्चात वज्र
⛅ राहुकाल - अपरान्ह 03:49 से 04:20 तक
⛅ सूर्योदय - 06:42
⛅ सूर्यास्त - 06:51
⛅ चन्द्रोदय - रात्रि 11:03
⛅ दिशाशूल - उत्तर
🚩आज की हिंदी तिथि
🌥️ 🚩युगाब्द-५१२३
🌥️ 🚩विक्रम संवत-२०७८
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March 21, 2022
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March 21, 2022
March 21, 2022
Forwarded from रामदूतः — The Sanskrit News Platform
https://youtu.be/G_bgYvNCNZQ
Switch to DD News daily at 7:15 AM (Morning) for 15 minutes Sanskrit news.
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YouTube
वार्ता: संस्कृत में समाचार | विश्व जल दिवस आज
March 21, 2022
March 21, 2022
March 21, 2022
March 21, 2022
आचार्यात् पादमादत्ते पादं शिष्यः स्वमेधया।
पादं सब्रह्मचारिभ्यः पादं कालक्रमेण च॥
शिष्यः स्वस्याः विद्यायाः प्रथमं पादं(चतुर्थांशं भागं) आचार्यात् प्राप्नोति, द्वितीयं पादं स्वबुद्धिकौशलात् प्राप्नोति, तृतीयं पादं सहपाठिभ्यः प्राप्नोति तथा अन्तिमं पादं गच्छता कालेन प्राप्नोति।
A student gets a quarter (knowledge) from his teacher, a quarter by his own intelligence. A quarter from his co-students and a quarter in due course of time. (Since this is about Shishya, the one-fourth is understood as pertaining to learning.)
#Subhashitam
March 21, 2022
March 22, 2022
March 22, 2022
संस्कृत संवादः । Sanskrit Samvadah
संस्कृतं
वद आधुनिको भव। वेदान् पठ वैज्ञानिको भव।। पाठ : (२४) षष्ठी विभक्ति (३) +
जश्त्व सन्धिः (कर्त्तादि कारकों को कहने की इच्छा न हो तब उन कारकों में
षष्ठी विभक्ति का प्रयोग होता है।) सीता अशोकवाटिकायामुपविश्य रामस्य
स्मरति = सीता अशोकवाटिका में बैठकर…
नाथेऽहं संस्कृतस्य समृद्धेः
= मैं संस्कृत की समृद्धि चाहती/चाहता हूं।
नाथेरन् विश्वे विश्वविकासस्य
= सभी विश्व के विकास को चाहें।
उज्जासतां दुष्टानां रक्षकभटाः उज्जासयन्ति
= हत्यारे दुष्टों को पुलिस मार रही है।
सर्वकारः एतस्याऽऽतङ्किनः निप्रहन्यात्
= सरकार को इस आतंकवादी की हत्या कर देनी चाहिए।
स्वदुर्गुणानां निहन्तु
= अपने दुर्गुणों को मार भगाओ।
प्राहन् ऋषिः सर्वदोषानाम्
= ऋषि ने सारे दोष नष्ट कर दिए।
शरणगतानां न उन्नाटयेत् कदाचित्
= शरणागतों को कभी भी न मारे।
पुरा सङ्ग्रामे निरस्त्रकानां नोन्नाटयन्ति स्म
= प्रचीनकालीन युद्ध में निहत्थे पर वार नहीं करते थे।
यः निरपराधानां क्राथयति तस्य परमेश्वरः क्राथयति
= जो बेकसूरोंको मारता है, उसे ईश्वर मारता है।
आतङ्किप्रहारे नैकेषां निर्दोषानाम् अक्राथयत्
= आतंकवादी हमले में कई सारे निर्दोष मार दिए गए।
बर्बराणां पिंष्यात्
= बर्बरों को पीस दो।
गोघातकानां पिण्ढि
= गाय व पृथ्वी के हत्यारों को पीस दो।
भ्रूणहनोऽपिनट्
= भ्रूणहत्यारे को पीस दिया।
एषः समवायः प्रतिवर्षं सहस्रकोटिरुप्यकाणां व्यवहरति
= इस कंपनी का हजार करोड़ रुपयों का वार्र्षिक लेन-देन है।
एषः आपणिकः लक्षाणां पणते
= यह दुकानदार लाखों रुपयों की लेन-देन करता है।
प्रतिराष्ट्रं शासकाः अब्जानां शङ्कूनां रुप्यकाणां विकासाय दीव्यन्ति
= प्रत्येक राष्ट्र की सरकारें अरबों-खरबों रुपए विकास के लिए लगाती हैं।
कितवाः दीपावल्यां सहस्राणां दीव्यन्ति
= जुआरी दीपावली पर हजारों का जुआ खेलते हैं।
युधिष्ठिरः द्युतक्रीडायां निजपरिवारस्य दिदेव
= युधिष्ठिर ने जुए में अपने परिवार को दांव पर लगा दिया।
एधः उदकस्य उपस्कुरुते
= इन्धन की लकड़ियां शीतल जल को गरम करती हैं।
अग्निहोत्रं परिसरस्य उपस्कुरुते
= अग्निहोत्र परिसर के वायुमण्डल को बदल देता है।
सूपस्य संस्कारो वातावरणस्योपास्करोत्
= दाल के तड़के ने हवा में सुगन्धि फैला दी।
सज्जनानां सङ्गतिः खलहृदयस्योपस्कर्त्तुं शक्नोति
= सज्जनों की संगति दुष्टों का हृदयपरिवर्तन कर सकती है।
फेनिलं हरिद्रावर्णस्योपस्कुरुते
= साबुन हल्दी के रंग को बदल देता है।
क्रोधो मनस उपस्कुरुते
= गुस्सा मन को विकृत कर देता है।
रोगिणः रुजन्ति रोगाः
= बीमारियां बीमारों को सता रही हैं।
व्यायामक्षुण्णगात्रस्य आमयाः न आमयन्ति
= व्यायाम से थकाए हुए शरीरवाले को रोग तंग नहीं करते।
जीर्णभोजिनः व्याधयो न व्यथन्ते
= पहला भोजन पच जाने पर खानेवाले को रोग नहीं सताते।
मानसिकरोगाः कृपणस्य रुजन्ति
= कंजूस को मानसिक रोग सताते हैं।
सा लक्ष्मीरुपकुरुते यया परेषाम्
= वह लक्ष्मी है, जिससे दूसरों का उपकार करता है।
#vakyabhyas
= मैं संस्कृत की समृद्धि चाहती/चाहता हूं।
नाथेरन् विश्वे विश्वविकासस्य
= सभी विश्व के विकास को चाहें।
उज्जासतां दुष्टानां रक्षकभटाः उज्जासयन्ति
= हत्यारे दुष्टों को पुलिस मार रही है।
सर्वकारः एतस्याऽऽतङ्किनः निप्रहन्यात्
= सरकार को इस आतंकवादी की हत्या कर देनी चाहिए।
स्वदुर्गुणानां निहन्तु
= अपने दुर्गुणों को मार भगाओ।
प्राहन् ऋषिः सर्वदोषानाम्
= ऋषि ने सारे दोष नष्ट कर दिए।
शरणगतानां न उन्नाटयेत् कदाचित्
= शरणागतों को कभी भी न मारे।
पुरा सङ्ग्रामे निरस्त्रकानां नोन्नाटयन्ति स्म
= प्रचीनकालीन युद्ध में निहत्थे पर वार नहीं करते थे।
यः निरपराधानां क्राथयति तस्य परमेश्वरः क्राथयति
= जो बेकसूरोंको मारता है, उसे ईश्वर मारता है।
आतङ्किप्रहारे नैकेषां निर्दोषानाम् अक्राथयत्
= आतंकवादी हमले में कई सारे निर्दोष मार दिए गए।
बर्बराणां पिंष्यात्
= बर्बरों को पीस दो।
गोघातकानां पिण्ढि
= गाय व पृथ्वी के हत्यारों को पीस दो।
भ्रूणहनोऽपिनट्
= भ्रूणहत्यारे को पीस दिया।
एषः समवायः प्रतिवर्षं सहस्रकोटिरुप्यकाणां व्यवहरति
= इस कंपनी का हजार करोड़ रुपयों का वार्र्षिक लेन-देन है।
एषः आपणिकः लक्षाणां पणते
= यह दुकानदार लाखों रुपयों की लेन-देन करता है।
प्रतिराष्ट्रं शासकाः अब्जानां शङ्कूनां रुप्यकाणां विकासाय दीव्यन्ति
= प्रत्येक राष्ट्र की सरकारें अरबों-खरबों रुपए विकास के लिए लगाती हैं।
कितवाः दीपावल्यां सहस्राणां दीव्यन्ति
= जुआरी दीपावली पर हजारों का जुआ खेलते हैं।
युधिष्ठिरः द्युतक्रीडायां निजपरिवारस्य दिदेव
= युधिष्ठिर ने जुए में अपने परिवार को दांव पर लगा दिया।
एधः उदकस्य उपस्कुरुते
= इन्धन की लकड़ियां शीतल जल को गरम करती हैं।
अग्निहोत्रं परिसरस्य उपस्कुरुते
= अग्निहोत्र परिसर के वायुमण्डल को बदल देता है।
सूपस्य संस्कारो वातावरणस्योपास्करोत्
= दाल के तड़के ने हवा में सुगन्धि फैला दी।
सज्जनानां सङ्गतिः खलहृदयस्योपस्कर्त्तुं शक्नोति
= सज्जनों की संगति दुष्टों का हृदयपरिवर्तन कर सकती है।
फेनिलं हरिद्रावर्णस्योपस्कुरुते
= साबुन हल्दी के रंग को बदल देता है।
क्रोधो मनस उपस्कुरुते
= गुस्सा मन को विकृत कर देता है।
रोगिणः रुजन्ति रोगाः
= बीमारियां बीमारों को सता रही हैं।
व्यायामक्षुण्णगात्रस्य आमयाः न आमयन्ति
= व्यायाम से थकाए हुए शरीरवाले को रोग तंग नहीं करते।
जीर्णभोजिनः व्याधयो न व्यथन्ते
= पहला भोजन पच जाने पर खानेवाले को रोग नहीं सताते।
मानसिकरोगाः कृपणस्य रुजन्ति
= कंजूस को मानसिक रोग सताते हैं।
सा लक्ष्मीरुपकुरुते यया परेषाम्
= वह लक्ष्मी है, जिससे दूसरों का उपकार करता है।
#vakyabhyas
March 22, 2022
March 22, 2022
।।श्रीः।।
।।आत्मबोधः।।
Atmabodha, meaning Self-knowledge or Self-awareness, is an exceptionally lucid and readable work of Shankaracharya. Consisting of sixty-eight verses or shlokas, it is in a sense a simple summary of his entire Vedantic structure of thought, intended, it would seem, as a basic primer for his students and followers. The text follows a clearly elaborated doctrine, starting with knowledge as a key to liberation, the nautre of the Atman within us, the assertion of the pervasive and attribute-less nature of Brahman, and the path towards the realisation of the complete identity between the Atman and Brahman.
तीर्त्वा मोहार्णवं हत्वा रागद्वेषादिराक्षसान्।
योगी शान्तिसमायुक्त आत्मा रामो विराजते।।50।।
50. After crossing the ocean of delusion and killing the monsters of likes and dislikes, the Yogi who is united with peace dwells in the glory of his own realised Self – as an Atmaram.
आत्म-बोध ऑनलाइन क्लास - 50:
आत्म-बोध के 50th श्लोक में आचार्यश्री हमें जीवन्मुक्त के जीवन की यात्रा रामायण के दृष्टांत से समझते हैं। रामायण की जो मूल शिक्षा है वो इन जीवन्मुक्त ने समझ ली एवं रामजी ने अपने जीवन से जो आध्यात्मिक शिक्षा प्रदान करी है वो भी प्राप्त कर ली है। रामायण में प्रत्येक मनुष्य के जीवन की आत्मा-कथा बताई गयी है। जहाँ पहले उसके मन की शांति गायब हो जाती है और उसे एक विशाल समुद्र के परे छुपा के रखा गया है, और उसकी अनेकों राक्षस लोग रक्षा करते हैं। ये सागर हमारा मोह है और जो राक्षस हमारी शांति की रक्षा करते हैं वो - राग और द्वेष हैं। अतः जो व्यक्ति पहले गुरु मुख से शास्त्र का ज्ञान प्राप्त करके अपना मोह दूर करते हैं और अपने राग और द्वेष को दूर कर देते हैं, वे ही अपने सीता रुपी शांति से एक होकर शांति से अयोध्या में विराजते हैं। यह रामायण की भषा में एक जीवन्मुक्त की यात्रा होती है।
#Atmabodha
।।आत्मबोधः।।
Atmabodha, meaning Self-knowledge or Self-awareness, is an exceptionally lucid and readable work of Shankaracharya. Consisting of sixty-eight verses or shlokas, it is in a sense a simple summary of his entire Vedantic structure of thought, intended, it would seem, as a basic primer for his students and followers. The text follows a clearly elaborated doctrine, starting with knowledge as a key to liberation, the nautre of the Atman within us, the assertion of the pervasive and attribute-less nature of Brahman, and the path towards the realisation of the complete identity between the Atman and Brahman.
तीर्त्वा मोहार्णवं हत्वा रागद्वेषादिराक्षसान्।
योगी शान्तिसमायुक्त आत्मा रामो विराजते।।50।।
50. After crossing the ocean of delusion and killing the monsters of likes and dislikes, the Yogi who is united with peace dwells in the glory of his own realised Self – as an Atmaram.
आत्म-बोध ऑनलाइन क्लास - 50:
आत्म-बोध के 50th श्लोक में आचार्यश्री हमें जीवन्मुक्त के जीवन की यात्रा रामायण के दृष्टांत से समझते हैं। रामायण की जो मूल शिक्षा है वो इन जीवन्मुक्त ने समझ ली एवं रामजी ने अपने जीवन से जो आध्यात्मिक शिक्षा प्रदान करी है वो भी प्राप्त कर ली है। रामायण में प्रत्येक मनुष्य के जीवन की आत्मा-कथा बताई गयी है। जहाँ पहले उसके मन की शांति गायब हो जाती है और उसे एक विशाल समुद्र के परे छुपा के रखा गया है, और उसकी अनेकों राक्षस लोग रक्षा करते हैं। ये सागर हमारा मोह है और जो राक्षस हमारी शांति की रक्षा करते हैं वो - राग और द्वेष हैं। अतः जो व्यक्ति पहले गुरु मुख से शास्त्र का ज्ञान प्राप्त करके अपना मोह दूर करते हैं और अपने राग और द्वेष को दूर कर देते हैं, वे ही अपने सीता रुपी शांति से एक होकर शांति से अयोध्या में विराजते हैं। यह रामायण की भषा में एक जीवन्मुक्त की यात्रा होती है।
#Atmabodha
March 22, 2022
March 22, 2022
@samskrt_samvadah संलापशाला - A Samskrit Voicechat room.
कालावधिः : 45 निमेषाः
समयः : IST 11:00 AM 🕚
विषयः : वाक्याभ्यासः
दिनाङ्कः : 23th March 2022,
बुधवासरः
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😇 यदि शक्येत चेत् संस्कृतेन(चित्राणि दृष्ट्वा वाक्यानि वक्तव्यानि।) चर्चार्थं कृपया पूर्वसिद्धतां कृत्वा आगच्छन्तु।
वयं युष्माकं प्रतीक्षां कुर्मः। 😇
स्मारणतंत्रिकां स्थापयन्तु⏰
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March 22, 2022
BVGch10vs28
Swami Brahamananda
श्रीमद्भगवद्गीता [10.28]
March 22, 2022
🍃
♦️aayudhaanaamahaM vajraM dhenuunaamasmi kaamadhuk|
prajanashchaasmi kandarpaH sarpaaNaamasmi vaasukiH10.28
⚜I am thunderbolt among the weapons, Kaamadhenu among the cows, and the cupid among the procreators. Among the serpents, I am Vaasuki. (10.28)
⚜मैं शस्त्रों में वज्र और धेनुओं (गायों) में कामधेनु हूँ? प्रजा उत्पत्ति का हेतु कन्दर्प (कामदेव) मैं हूँ और सर्पों में वासुकि हूँ।।10.28।।
#geeta
आयुधानामहं वज्रं धेनूनामस्मि कामधुक्।
प्रजनश्चास्मि कन्दर्पः सर्पाणामस्मि वासुकिः
।।10.28।।♦️aayudhaanaamahaM vajraM dhenuunaamasmi kaamadhuk|
prajanashchaasmi kandarpaH sarpaaNaamasmi vaasukiH
⚜I am thunderbolt among the weapons, Kaamadhenu among the cows, and the cupid among the procreators. Among the serpents, I am Vaasuki. (10.28)
⚜मैं शस्त्रों में वज्र और धेनुओं (गायों) में कामधेनु हूँ? प्रजा उत्पत्ति का हेतु कन्दर्प (कामदेव) मैं हूँ और सर्पों में वासुकि हूँ।।10.28।।
#geeta
March 22, 2022
संस्कृत संवादः । Sanskrit Samvadah
neelachalpuri@gmail.com sanskritgita.com +917500286183
#⃣ ००३
🏬 नीलाचलपुरी
📣 Level - 4
🔰 सन्धयः समासाः कारकाणि क्रियाः च
⏳ 5:30 PM 🇮🇳
⌛️ 6:45 PM 🇮🇳
🗓 मङ्गलवासरः गुरुवासरः च
🔛 1st week of April onwards
📱Zoom
💰 ₹४१०० भारतीयेभ्यः
📞 +917500286183
🌐 sanskritgita.com
📧 neelachalpuri@gmail.com
❗️ Total 18-19 classes with recordings
🔒पिहिता
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March 22, 2022
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March 22, 2022
BVGch10vs29
Swami Brahamananda
श्रीमद्भगवद्गीता [10.29]
March 22, 2022
⚜
♦️anantashchaasmi naagaanaaM varuNo yaadasaamaham|
pitRRi़Naamaryamaa chaasmi yamaH saMyamataamaham10.29
⚜I am Sheshanaaga among the Naagas, I am Varuna among the water gods, and Aryamaa among the manes. I am Yama among the controllers. (10.29)
⚜मैं नागों में अनन्त (शेषनाग) हूँ और जल देवताओं में वरुण हूँ मैं पितरों में अर्यमा हँ और नियमन करने वालों में यम हूँ।।10.29।।
#geeta
अनन्तश्चास्मि नागानां वरुणो यादसामहम्।
पितृ़णामर्यमा चास्मि यमः संयमतामहम्
।।10.29।।♦️anantashchaasmi naagaanaaM varuNo yaadasaamaham|
pitRRi़Naamaryamaa chaasmi yamaH saMyamataamaham
⚜I am Sheshanaaga among the Naagas, I am Varuna among the water gods, and Aryamaa among the manes. I am Yama among the controllers. (10.29)
⚜मैं नागों में अनन्त (शेषनाग) हूँ और जल देवताओं में वरुण हूँ मैं पितरों में अर्यमा हँ और नियमन करने वालों में यम हूँ।।10.29।।
#geeta
March 22, 2022
March 22, 2022
🚩जय सत्य सनातन 🚩
🚩आज की हिंदी तिथि
🌥️ 🚩युगाब्द - ५१२३
🌥️ 🚩विक्रम संवत - २०७८
⛅ 🚩तिथि - षष्टी रात्रि 02:16 तक तपश्चात सप्तमी
⛅ दिनांक - 23 मार्च 2022
⛅ दिन - बुधवार
⛅ शक संवत - 1943
⛅ अयन - उत्तरायण
⛅ ऋतु - वसंत
⛅ मास - चैत्र
⛅ पक्ष - कृष्ण
⛅ नक्षत्र - अनुराधा शाम 06:53 तक तपश्चात ज्येष्ठा
⛅ योग - वज्र सुबह 10:20 तक तत्पश्चात सिद्धि
⛅ राहुकाल - दोपहर 12:46 से 02:18 तक
⛅ सूर्योदय - 06:41
⛅ सूर्यास्त - 06:52
⛅ चन्द्रोदय - रात्रि 12:08
⛅ दिशाशूल - उत्तर
🚩आज की हिंदी तिथि
🌥️ 🚩युगाब्द - ५१२३
🌥️ 🚩विक्रम संवत - २०७८
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⛅ दिनांक - 23 मार्च 2022
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March 22, 2022
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March 22, 2022
March 22, 2022
Forwarded from रामदूतः — The Sanskrit News Platform
https://youtu.be/8MZoUsRHVRQ
Switch to DD News daily at 7:15 AM (Morning) for 15 minutes Sanskrit news.
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YouTube
Vaarta: News in Sanskrit | 23/03/2022
Vaarta: News in
Sanskrit | 23/03/2022DD News is India’s 24x7 news channel from the
stable of the country’s Public Service Broadcaster, Prasar Bharati. It
has...
March 22, 2022
March 22, 2022
उपकारिषु यः साधुः साधुत्वे तस्य को गुणः।
अपकारिषु यः साधुः स साधुरिति कीर्तितः।।
संस्कृतार्थः -
उपकारं ये कुर्वन्ति तेषु एव यस्य व्यवहारः सम्यक् भवति तस्य सज्जनता , सज्जनता नास्ति।
अपकारं ये कुर्वन्ति तेषु अपि यस्य व्यवहारः उत्तमः सः एव सज्जनः।
#Subhashitam
अपकारिषु यः साधुः स साधुरिति कीर्तितः।।
संस्कृतार्थः -
उपकारं ये कुर्वन्ति तेषु एव यस्य व्यवहारः सम्यक् भवति तस्य सज्जनता , सज्जनता नास्ति।
अपकारं ये कुर्वन्ति तेषु अपि यस्य व्यवहारः उत्तमः सः एव सज्जनः।
#Subhashitam
March 22, 2022
March 22, 2022
March 22, 2022
"रामात्-याचय"।
सन्धिं कृत्वा किं भवति।
सन्धिं कृत्वा किं भवति।
Anonymous Quiz
31%
रामात्याचय
12%
रामादयाचय
56%
रामाद्याचय
1%
रामादय्चय
March 23, 2022
संस्कृत संवादः । Sanskrit Samvadah
नाथेऽहं
संस्कृतस्य समृद्धेः = मैं संस्कृत की समृद्धि चाहती/चाहता हूं।
नाथेरन् विश्वे विश्वविकासस्य = सभी विश्व के विकास को चाहें।
उज्जासतां दुष्टानां रक्षकभटाः उज्जासयन्ति = हत्यारे दुष्टों को पुलिस
मार रही है। सर्वकारः एतस्याऽऽतङ्किनः निप्रहन्यात्…
(कभी कभी चतुर्थी के अर्थ में षष्ठी विभक्ति का प्रयोग देखा जाता है।)
तृणं ब्रह्मविदः स्वर्गस्तृणं शूरस्य जीवितम्।
जिताऽक्षस्य तृणं नारी निःस्पृहस्य तृणं जगत्।।
= ब्रह्मज्ञानी के लिए स्वर्ग, शूरवीर के लिए जीवन, जितेन्द्रिय के लिए स्त्री और निर्लोभी के लिए संसार तिनके के समान तुच्छ है।
को हि भारः समर्थानां किं दूरं व्यवसायिनाम्। को विदेशः सविद्यानां कः परः प्रियवादिनाम्।।
= शक्तिशालियों के लिए कौनसा कार्य कठिन है,व्यापारियों के लिए कौन सा स्थान दूर है, विद्वानों के लिए कौन देश विदेश है और मधुर बोलनेवालों के लिए कौन पराया है..? अर्थात् कोई नहीं।
दरिद्रान् भर कौन्तेय मा प्रयच्छेश्वरे धनम्।
व्याधितस्यौषधं पथ्यं नीरुजस्य किमौषधेः।।
= हे युधिष्ठिर ! निर्धनों का पालन करो, धनिकों को दान न दो। रोगी के लिए दवा लाभकारी होती है, निरोगी को दवाई से क्या प्रयोजन।
खलानां कण्टकानां च द्विविधैव प्रतिक्रिया। उपानान्मुखभङगं वा दूरतो वा विसर्जनम्।।
= दुष्ट व कांटे के लिए दो ही प्रकार की प्रतिक्रिया है, या तो जूते से इनका मुंह कुचल दो या तो दूर से ही इन्हें त्याग दो।
युक्ताहारविहारस्य युक्तचेष्टस्य कर्मसु।
युक्तस्वप्नावबोधस्य योगो भवति दुःखहा।।
= जिसका आहार-विहार नियमित हो, जिसके कर्म नियमित हों, जिसका सोना-जागना नियमित हो ऐसे व्यक्ति द्वारा किया योग उसके दुःखों का हरनेवाला होता है।
(अर्थे, कृते तथा हेतु शब्दों के साथ षष्ठी विभक्ति का प्रयोग होता है।)
त्यजेदेकं कुलस्याऽर्थे ग्रामस्याऽर्थे कुलं त्यजेत्। ग्रामं जनपदस्याऽर्थे आत्माऽर्थे पृथिवीं त्यजेत्।।
= मनुष्य को चाहिए कि कुल की रक्षार्थ एक व्यक्ति को त्याग दे, गांव की उन्नति के लिए कुल का त्याग करे, जिले की उन्नति के लिए गांव को छोड़ दे और और अपने आत्मा की उन्नति के लिए सारे धरतीवासियों के मोह को त्याग दे।
मूर्खः स उच्यते यो हिरण्यस्यार्थे कृते वा अलीकं वदति
= वह मूर्ख कहाता है जो सोने (धन) के लिए झूठ बोलता है।
विद्यायाः कृते सुखं त्यजेत्
= विद्या के लिए सुख को छोड़ देना चाहिए।
मन्दभाग्योऽर्थस्यार्थे स्वदेशं जहाति
= भाग्यहीन व्यक्ति धन के लिए अपना देश छोड़ देता है।
अध्ययनस्य हेतोः गुरुकुले वसामि
= अध्ययन के लिए गुरुकुल में रहता हूं।
धर्मस्य हेतोः स्वप्राणानुदसृजत् श्रद्धानन्दः
= धर्म के लिए श्रद्धानन्द ने प्राणों का त्याग किया।
जीवनस्य कृते भोजनमस्ति न तु भोजनस्य कृते जीवनम्
= जीने के लिए खाना चाहिए न कि खाने के लिए जीना।
न जातु कामान्न भयान्न लोभाद् धर्मं जह्याज्जीवितस्यापि हेतोः।
= व्यक्ति काम, लोभ, भय के वशीभूत होकर तथा जान बचाने के लिए भी धर्म का परित्याग न करे।
जश्त्व सन्धिः
{झलां झशोऽन्ते। झलों (वर्ग के प्रथम, द्वितीय, तृतीय, चतुर्थ वर्ण तथा हकार) को जश् (वर्ग का तृतीय वर्ण) होता है यदि झल् पद के अन्त में हो तो।}
अर्थात् यदि पदान्त में-
क्, ख्, ग्, घ् होगा तो उसे ग् हो जाता है।
च्, छ्, ज्, झ् होगा तो उसे ज् हो जाता है।्
ट्, ठ्, ड्, ढ् होगा तो उसे ड् हो जाता है।
त्, थ्, द्, ध्, होगा तो उसे द् हो जाता है।
प्, फ, ब्, भ्, होगा तो उसे ब् हो जाता है।
ह्, होगा तो उसे द् हो जाता है।
यथा जगत् + ईशः = जगद् + र्ईशः = जगदीशः।
चित् + आनन्दः = चिद् + आनन्दः = चिदानन्दः।
वाक् + ईशः = वाग् + ईशः = वागीशः।
षट् + दर्शनानि
= षड्दर्शनानि।
वैदिकवाङ्मये षड्दर्शनानि सन्ति
= वैदिक साहित्य में छै दर्शन हैं।
तत् + एजति
= तदेजति;
तत् + दूरे
= तद्दूरे;
तत् + उ
= तदु।
तदेजति तन्नैजति तद्दूरे तद्वन्तिके
= वह (र्ईश्वर) चलता है, नहीं चलता है, वह दूर है, वह निश्चय से समीप है।
विनयात् + याति
= विनयाद्याति;
पात्रत्वात् + धनम्
= पात्रत्वाद्धनम्;
धनात् + धर्मम्
= धनाद्धर्मम्।
विद्या ददाति विनयं विनयाद्याति पात्रताम्। पात्रत्वाद्धनमाप्नोति धनाद्धर्मं ततः सुखम्।।
= विद्या से मानव में विनम्रता आती है, विनम्रता से योग्यता प्राप्त होती है, योग्यता से धन मिलता है, धन से धर्म कमाया जाता है और धर्म से सुख मिलता है।
ककुभ् + दिक् + उच्यते
= ककुब् दिगुच्यते।
ककुब् दिगुच्यते संस्कृते
= संस्कृत में ककुभ् दिशा को कहते हैं।
समिध् + इति
= समिदिति।
समिधा समिदित्यपि कथ्यते
= समिधा को समिध् भी कहते हैं।
समिध् + आधानाम्
= समिदाधानम्।
अग्निहोत्रे समिदाधानं कर्म क्रियते
= हवन में समिदाधान क्रिया की जाती है।
अप् + भक्षी
= अब्भक्षी।
अब्भक्षी बालोऽयं किमपि न भुङ्क्ते
= यह बालक केवल पानी पीता है और कुछ भी नहीं खाता।
उपानह् + विक्रेता
= उपानद्विक्रेता।
उपानद्विक्रेता महार्घ्याः उपानहाः विक्रीणीते
= जूते बेचनेवाला बहुत मंहगे जूते बेचता है।
#vakyabhyas
तृणं ब्रह्मविदः स्वर्गस्तृणं शूरस्य जीवितम्।
जिताऽक्षस्य तृणं नारी निःस्पृहस्य तृणं जगत्।।
= ब्रह्मज्ञानी के लिए स्वर्ग, शूरवीर के लिए जीवन, जितेन्द्रिय के लिए स्त्री और निर्लोभी के लिए संसार तिनके के समान तुच्छ है।
को हि भारः समर्थानां किं दूरं व्यवसायिनाम्। को विदेशः सविद्यानां कः परः प्रियवादिनाम्।।
= शक्तिशालियों के लिए कौनसा कार्य कठिन है,व्यापारियों के लिए कौन सा स्थान दूर है, विद्वानों के लिए कौन देश विदेश है और मधुर बोलनेवालों के लिए कौन पराया है..? अर्थात् कोई नहीं।
दरिद्रान् भर कौन्तेय मा प्रयच्छेश्वरे धनम्।
व्याधितस्यौषधं पथ्यं नीरुजस्य किमौषधेः।।
= हे युधिष्ठिर ! निर्धनों का पालन करो, धनिकों को दान न दो। रोगी के लिए दवा लाभकारी होती है, निरोगी को दवाई से क्या प्रयोजन।
खलानां कण्टकानां च द्विविधैव प्रतिक्रिया। उपानान्मुखभङगं वा दूरतो वा विसर्जनम्।।
= दुष्ट व कांटे के लिए दो ही प्रकार की प्रतिक्रिया है, या तो जूते से इनका मुंह कुचल दो या तो दूर से ही इन्हें त्याग दो।
युक्ताहारविहारस्य युक्तचेष्टस्य कर्मसु।
युक्तस्वप्नावबोधस्य योगो भवति दुःखहा।।
= जिसका आहार-विहार नियमित हो, जिसके कर्म नियमित हों, जिसका सोना-जागना नियमित हो ऐसे व्यक्ति द्वारा किया योग उसके दुःखों का हरनेवाला होता है।
(अर्थे, कृते तथा हेतु शब्दों के साथ षष्ठी विभक्ति का प्रयोग होता है।)
त्यजेदेकं कुलस्याऽर्थे ग्रामस्याऽर्थे कुलं त्यजेत्। ग्रामं जनपदस्याऽर्थे आत्माऽर्थे पृथिवीं त्यजेत्।।
= मनुष्य को चाहिए कि कुल की रक्षार्थ एक व्यक्ति को त्याग दे, गांव की उन्नति के लिए कुल का त्याग करे, जिले की उन्नति के लिए गांव को छोड़ दे और और अपने आत्मा की उन्नति के लिए सारे धरतीवासियों के मोह को त्याग दे।
मूर्खः स उच्यते यो हिरण्यस्यार्थे कृते वा अलीकं वदति
= वह मूर्ख कहाता है जो सोने (धन) के लिए झूठ बोलता है।
विद्यायाः कृते सुखं त्यजेत्
= विद्या के लिए सुख को छोड़ देना चाहिए।
मन्दभाग्योऽर्थस्यार्थे स्वदेशं जहाति
= भाग्यहीन व्यक्ति धन के लिए अपना देश छोड़ देता है।
अध्ययनस्य हेतोः गुरुकुले वसामि
= अध्ययन के लिए गुरुकुल में रहता हूं।
धर्मस्य हेतोः स्वप्राणानुदसृजत् श्रद्धानन्दः
= धर्म के लिए श्रद्धानन्द ने प्राणों का त्याग किया।
जीवनस्य कृते भोजनमस्ति न तु भोजनस्य कृते जीवनम्
= जीने के लिए खाना चाहिए न कि खाने के लिए जीना।
न जातु कामान्न भयान्न लोभाद् धर्मं जह्याज्जीवितस्यापि हेतोः।
= व्यक्ति काम, लोभ, भय के वशीभूत होकर तथा जान बचाने के लिए भी धर्म का परित्याग न करे।
जश्त्व सन्धिः
{झलां झशोऽन्ते। झलों (वर्ग के प्रथम, द्वितीय, तृतीय, चतुर्थ वर्ण तथा हकार) को जश् (वर्ग का तृतीय वर्ण) होता है यदि झल् पद के अन्त में हो तो।}
अर्थात् यदि पदान्त में-
क्, ख्, ग्, घ् होगा तो उसे ग् हो जाता है।
च्, छ्, ज्, झ् होगा तो उसे ज् हो जाता है।्
ट्, ठ्, ड्, ढ् होगा तो उसे ड् हो जाता है।
त्, थ्, द्, ध्, होगा तो उसे द् हो जाता है।
प्, फ, ब्, भ्, होगा तो उसे ब् हो जाता है।
ह्, होगा तो उसे द् हो जाता है।
यथा जगत् + ईशः = जगद् + र्ईशः = जगदीशः।
चित् + आनन्दः = चिद् + आनन्दः = चिदानन्दः।
वाक् + ईशः = वाग् + ईशः = वागीशः।
षट् + दर्शनानि
= षड्दर्शनानि।
वैदिकवाङ्मये षड्दर्शनानि सन्ति
= वैदिक साहित्य में छै दर्शन हैं।
तत् + एजति
= तदेजति;
तत् + दूरे
= तद्दूरे;
तत् + उ
= तदु।
तदेजति तन्नैजति तद्दूरे तद्वन्तिके
= वह (र्ईश्वर) चलता है, नहीं चलता है, वह दूर है, वह निश्चय से समीप है।
विनयात् + याति
= विनयाद्याति;
पात्रत्वात् + धनम्
= पात्रत्वाद्धनम्;
धनात् + धर्मम्
= धनाद्धर्मम्।
विद्या ददाति विनयं विनयाद्याति पात्रताम्। पात्रत्वाद्धनमाप्नोति धनाद्धर्मं ततः सुखम्।।
= विद्या से मानव में विनम्रता आती है, विनम्रता से योग्यता प्राप्त होती है, योग्यता से धन मिलता है, धन से धर्म कमाया जाता है और धर्म से सुख मिलता है।
ककुभ् + दिक् + उच्यते
= ककुब् दिगुच्यते।
ककुब् दिगुच्यते संस्कृते
= संस्कृत में ककुभ् दिशा को कहते हैं।
समिध् + इति
= समिदिति।
समिधा समिदित्यपि कथ्यते
= समिधा को समिध् भी कहते हैं।
समिध् + आधानाम्
= समिदाधानम्।
अग्निहोत्रे समिदाधानं कर्म क्रियते
= हवन में समिदाधान क्रिया की जाती है।
अप् + भक्षी
= अब्भक्षी।
अब्भक्षी बालोऽयं किमपि न भुङ्क्ते
= यह बालक केवल पानी पीता है और कुछ भी नहीं खाता।
उपानह् + विक्रेता
= उपानद्विक्रेता।
उपानद्विक्रेता महार्घ्याः उपानहाः विक्रीणीते
= जूते बेचनेवाला बहुत मंहगे जूते बेचता है।
#vakyabhyas
March 23, 2022
March 23, 2022
।।श्रीः।।
।।आत्मबोधः।।
Atmabodha, meaning Self-knowledge or Self-awareness, is an exceptionally lucid and readable work of Shankaracharya. Consisting of sixty-eight verses or shlokas, it is in a sense a simple summary of his entire Vedantic structure of thought, intended, it would seem, as a basic primer for his students and followers. The text follows a clearly elaborated doctrine, starting with knowledge as a key to liberation, the nautre of the Atman within us, the assertion of the pervasive and attribute-less nature of Brahman, and the path towards the realisation of the complete identity between the Atman and Brahman.
बाह्यानित्यसुखासक्तिं हित्वात्मसुखनिर्वृतः।
घटस्थदीपवच्छश्वदन्तरेव प्रकाशते।।51।।
51. The self-abiding Jivan Mukta, relinquishing all his attachments to the illusory external happiness and satisfied with the bliss derived from the Atman, shines inwardly like a lamp placed inside a jar.
आत्म-बोध ऑनलाइन क्लास - 51:
आत्म-बोध के 51st श्लोक में आचार्यश्री हमें जीवन्मुक्त के कुछ और लक्षण देते हैं। वे कहते हैं की जीवन्मुक्त की जीवन की यात्रा में सर्वप्रथम यह जाना की जो भी बाहरी - अर्थात इन्द्रियग्राह्य वस्तुएँ होती हैं वे सब अनित्य होती हैं। इनके ऊपर निर्भर होना इनसे आसक्ति हो जाना ही समस्त दुःख का मूल होता है। इसलिए वेदान्त के अधिकारी में वैराग्य होना चाहिए। भगवान् शंकराचार्य भी आग्रह पूर्वक कहते हैं की बिना संन्यास के ब्रह्म-विद्या प्राप्त नहीं हो सकती है। जब हम सभी बाह्य चीज़ों से आसक्ति दूर कर देते हैं, तभी आत्म-ज्ञान का मार्ग प्रशस्त होता है। वो आत्मा को नित्य जान जाता है। वो ही सत्य है, शास्वत है, आनन्दस्वरूप है - वो ही हम हैं। ऐसा व्यक्ति ही वास्तविक रूप से स्वस्थ है - जैसे एक घड़े के अंदर दीपक स्थित है और खुद भी प्रकाशित हो रहा है और समस्त बाहरी वस्तुओं को भी प्रकाशित कर रहा है।
#Atmabodha
।।आत्मबोधः।।
Atmabodha, meaning Self-knowledge or Self-awareness, is an exceptionally lucid and readable work of Shankaracharya. Consisting of sixty-eight verses or shlokas, it is in a sense a simple summary of his entire Vedantic structure of thought, intended, it would seem, as a basic primer for his students and followers. The text follows a clearly elaborated doctrine, starting with knowledge as a key to liberation, the nautre of the Atman within us, the assertion of the pervasive and attribute-less nature of Brahman, and the path towards the realisation of the complete identity between the Atman and Brahman.
बाह्यानित्यसुखासक्तिं हित्वात्मसुखनिर्वृतः।
घटस्थदीपवच्छश्वदन्तरेव प्रकाशते।।51।।
51. The self-abiding Jivan Mukta, relinquishing all his attachments to the illusory external happiness and satisfied with the bliss derived from the Atman, shines inwardly like a lamp placed inside a jar.
आत्म-बोध ऑनलाइन क्लास - 51:
आत्म-बोध के 51st श्लोक में आचार्यश्री हमें जीवन्मुक्त के कुछ और लक्षण देते हैं। वे कहते हैं की जीवन्मुक्त की जीवन की यात्रा में सर्वप्रथम यह जाना की जो भी बाहरी - अर्थात इन्द्रियग्राह्य वस्तुएँ होती हैं वे सब अनित्य होती हैं। इनके ऊपर निर्भर होना इनसे आसक्ति हो जाना ही समस्त दुःख का मूल होता है। इसलिए वेदान्त के अधिकारी में वैराग्य होना चाहिए। भगवान् शंकराचार्य भी आग्रह पूर्वक कहते हैं की बिना संन्यास के ब्रह्म-विद्या प्राप्त नहीं हो सकती है। जब हम सभी बाह्य चीज़ों से आसक्ति दूर कर देते हैं, तभी आत्म-ज्ञान का मार्ग प्रशस्त होता है। वो आत्मा को नित्य जान जाता है। वो ही सत्य है, शास्वत है, आनन्दस्वरूप है - वो ही हम हैं। ऐसा व्यक्ति ही वास्तविक रूप से स्वस्थ है - जैसे एक घड़े के अंदर दीपक स्थित है और खुद भी प्रकाशित हो रहा है और समस्त बाहरी वस्तुओं को भी प्रकाशित कर रहा है।
#Atmabodha
March 23, 2022
March 23, 2022
@samskrt_samvadah संलापशाला - A Samskrit Voicechat room.
कालावधिः : 45 निमेषाः
समयः : IST 11:00 AM 🕚
विषयः : सिक्खानां दश गुरवः
(Ten gurus of Sikhs.)
दिनाङ्कः : 24th March 2022,
गुरुवासरः
७५तमः स्वातन्त्र्योत्सवः
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😇 यदि शक्येत चेत् संस्कृतेन (सिक्खजनानां गुरूणां जीवनप्रसङ्गं, घटनां,कथां तथा समाजाय तेषां त्यागः कः इति वक्तुं शक्नुमः।) चर्चार्थं कृपया पूर्वसिद्धतां कृत्वा आगच्छन्तु।
वयं युष्माकं प्रतीक्षां कुर्मः। 😇
स्मारणतंत्रिकां स्थापयतु⏰
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(Ten gurus of Sikhs.)
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March 23, 2022
BVGch10vs30
Swami Brahamananda
श्रीमद्भगवद्गीता [10.30]
March 23, 2022
🍃
♦️prahlaadashchaasmi daityaanaaM kaalaH kalayataamaham|
mRRigaaNaaM cha mRRigendro'haM vainateyashcha pakShiNaam10.30
⚜I am Prahlaada among Diti's progeny, time or death among the healers, lion among the beasts, and the Garuda among birds. (10.30)
⚜मैं दैत्यों में प्रह्लाद और गणना करने वालों में काल हूँ? मैं पशुओं में सिंह (मृगेन्द्र) और पक्षियों में गरुड़ हूँ।।10.30।।
#geeta
प्रह्लादश्चास्मि दैत्यानां कालः कलयतामहम्।
मृगाणां च मृगेन्द्रोऽहं वैनतेयश्च पक्षिणाम्
।।10.30।।♦️prahlaadashchaasmi daityaanaaM kaalaH kalayataamaham|
mRRigaaNaaM cha mRRigendro'haM vainateyashcha pakShiNaam
⚜I am Prahlaada among Diti's progeny, time or death among the healers, lion among the beasts, and the Garuda among birds. (10.30)
⚜मैं दैत्यों में प्रह्लाद और गणना करने वालों में काल हूँ? मैं पशुओं में सिंह (मृगेन्द्र) और पक्षियों में गरुड़ हूँ।।10.30।।
#geeta
March 23, 2022
BVGch10vs31
Swami Brahamananda
श्रीमद्भगवद्गीता [10.31]
March 23, 2022
🍃
♦️pavanaH pavataamasmi raamaH shastrabhRRitaamaham|
jhaShaaNaaM makarashchaasmi srotasaamasmi jaahnavii10.31
⚜I am the wind among the purifiers, and Lord Rama among the warriors. I am the shark among the fishes, and the Ganges among the rivers. (10.31)
⚜मैं पवित्र करने वालों में वायु हूँ और शस्त्रधारियों में राम हूँ तथा मत्स्यों (जलचरों) में मैं मगरमच्छ और नदियों में मैं गंगा हूँ।।10.31।।
#geeta
पवनः पवतामस्मि रामः शस्त्रभृतामहम्।
झषाणां मकरश्चास्मि स्रोतसामस्मि जाह्नवी
।।10.31।।♦️pavanaH pavataamasmi raamaH shastrabhRRitaamaham|
jhaShaaNaaM makarashchaasmi srotasaamasmi jaahnavii
⚜I am the wind among the purifiers, and Lord Rama among the warriors. I am the shark among the fishes, and the Ganges among the rivers. (10.31)
⚜मैं पवित्र करने वालों में वायु हूँ और शस्त्रधारियों में राम हूँ तथा मत्स्यों (जलचरों) में मैं मगरमच्छ और नदियों में मैं गंगा हूँ।।10.31।।
#geeta
March 23, 2022
🚩जय सत्य सनातन🚩
🚩आज की हिंदी तिथि
🌥️ 🚩युगाब्द-५१२३
🌥️ 🚩विक्रम संवत-२०७८
⛅ 🚩तिथि - सप्तमी रात्रि 12:09 तक तपश्चात अष्टमी
⛅ दिनांक 24 मार्च 2022
⛅ दिन - गुरुवार
⛅ शक संवत - 1943
⛅ अयन - उत्तरायण
⛅ ऋतु - वसंत
⛅ मास - चैत्र
⛅ पक्ष - कृष्ण
⛅ नक्षत्र - ज्येष्ठा शाम 05:30 तक तपश्चात मूल
⛅ योग - सिद्धि सुबह 07:29 तक तत्पश्चात व्यतिपात 25 मार्च सुबह 4:37 तक
⛅ राहुकाल - अपरान्ह 2:18 से 03:49 तक
⛅ सूर्योदय - 06:40
⛅ सूर्यास्त - 06:52
⛅ चन्द्रोदय - रात्रि 01:14
⛅ दिशाशूल - दक्षिण
🚩आज की हिंदी तिथि
🌥️ 🚩युगाब्द-५१२३
🌥️ 🚩विक्रम संवत-२०७८
⛅ 🚩तिथि - सप्तमी रात्रि 12:09 तक तपश्चात अष्टमी
⛅ दिनांक 24 मार्च 2022
⛅ दिन - गुरुवार
⛅ शक संवत - 1943
⛅ अयन - उत्तरायण
⛅ ऋतु - वसंत
⛅ मास - चैत्र
⛅ पक्ष - कृष्ण
⛅ नक्षत्र - ज्येष्ठा शाम 05:30 तक तपश्चात मूल
⛅ योग - सिद्धि सुबह 07:29 तक तत्पश्चात व्यतिपात 25 मार्च सुबह 4:37 तक
⛅ राहुकाल - अपरान्ह 2:18 से 03:49 तक
⛅ सूर्योदय - 06:40
⛅ सूर्यास्त - 06:52
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March 23, 2022
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March 23, 2022
Forwarded from रामदूतः — The Sanskrit News Platform
https://youtu.be/6378FrPfRu4
Switch to DD News daily at 7:15 AM (Morning) for 15 minutes Sanskrit news.
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YouTube
वार्ता: संस्कृत समाचार || Sanskrit News
वार्ता: संस्कृत
समाचार || Sanskrit News DD News is India’s 24x7 news channel from the
stable of the country’s Public Service Broadcaster, Prasar Bharati. It
...
March 23, 2022
March 23, 2022
March 23, 2022
March 23, 2022
March 23, 2022
एतदेव हि पाण्डित्यमेषा चैव कुलीनता।
एष एव परो धर्मः आयादूनतरो व्ययः।।
संस्कृतार्थः -
अस्मिन् संसारे सः एव पण्डितः/विद्वान् , सः एव सज्जनः/कुलीनः तथा सः एव उत्तमं धर्मं/कर्तव्यं पालयति यः स्वस्य आयात्/अर्जनात् न्यूनमेव व्ययं करोति।
#Subhashitam
एष एव परो धर्मः आयादूनतरो व्ययः।।
संस्कृतार्थः -
अस्मिन् संसारे सः एव पण्डितः/विद्वान् , सः एव सज्जनः/कुलीनः तथा सः एव उत्तमं धर्मं/कर्तव्यं पालयति यः स्वस्य आयात्/अर्जनात् न्यूनमेव व्ययं करोति।
#Subhashitam
March 23, 2022
March 24, 2022
March 24, 2022
संस्कृत संवादः । Sanskrit Samvadah
(कभी
कभी चतुर्थी के अर्थ में षष्ठी विभक्ति का प्रयोग देखा जाता है।) तृणं
ब्रह्मविदः स्वर्गस्तृणं शूरस्य जीवितम्। जिताऽक्षस्य तृणं नारी
निःस्पृहस्य तृणं जगत्।। = ब्रह्मज्ञानी के लिए स्वर्ग, शूरवीर के लिए
जीवन, जितेन्द्रिय के लिए स्त्री और निर्लोभी के लिए…
संस्कृतं वद आधुनिको भव।
वेदान् पठ वैज्ञानिको भव।।
पाठ : (२५) षष्ठी विभक्ति ४
(कृत् संज्ञक प्रत्यय के प्रयोग में कर्त्ता व कर्म में षष्ठी विभक्ति का प्रयोग होता है जब वाक्य में कर्त्ता व कर्म कारक दोनों का एक साथ प्रयोग किया गया हो तब कर्म में षष्ठी विभक्ति होगी तथा कर्त्ता में तृतीया अथवा षष्ठी विभक्ति होगी।
यह नियम शतृ, शानच्, क्वसु, कानच्, कि, किन्, उ, इष्णुच्, उकञ्, क्वा, ल्यप्, तुमुन् आदि अव्यय तथा क्त, क्तवतु, खल्, युच्, चानच्, शानन् आदि कृत् प्रत्ययों में नहीं लगता।
भाव व अधिकरण कारक में आए हुए क्त प्रत्यय के कर्त्ता कारक में षष्ठी विभक्ति का प्रयोग होता है।)
धनं याचति
= धन मांगता है।
धनस्य याचको मा भुवम्
= मैं धन का मांगनेवाला न होऊं।
दोषान् दहति
= दोषों को जलाता है।
दोषणां दाहकः स्वर्गं लोकं यान्ति
= दोषों को जलानेवाला स्वर्ग को प्राप्त करता है।
राष्ट्रं नयति
= राष्ट्र को ले जाते हैं।
राष्ट्रस्य नायकाः धार्मिकाः विद्वांसश्च भवेयुः
= राष्ट्र के नायक धार्मिक तथा विद्वान होने चाहिएं।
विद्यां निन्दन्ति
= विद्या की निन्दा करे हैं।
विद्यायाः निन्दकाः मूर्खा उच्यन्ते
= विद्या के निन्दक मूर्ख कहाते हैं।
इतिहासं लिखन्ति
= इतिहास को लिखते हैं।
इतिहासस्य लेखकाः प्रामाणिकाः भवेयुः
= इतिहास लेखक प्रामाणिक होने चाहिएं।
प्रजां सेवते
= प्रजा की सेवा करता है।
प्रजायाः सेवकः प्रजावत्सलो भवेत्
= प्रजा का सेवक प्रजावत्सल होना चाहिए।
परलोकं पश्यति
= परलोक को देखता है।
परलोकस्य दर्शकः कदापि पापाचारं न करोति
= परलोक को देखनेवाला कभी भी पापाचरण नहीं करता है।
सर्वान् पुनाति
= सब को पवित्र करता है।
धर्मः सर्वेषां पावकोऽस्ति
= धर्म सभी को पवित्र करता है।
सर्वान् मोदयन्ति
= सब को प्रसन्न करते हैं।
मोदकाः सर्वेषां मोदकाः भवन्ति
= लड्डू सभी को प्रसन्न करनेवाले होते हैं।
वेदं पठति पाठयति च शृणोति श्रावयति च
= वेद को पढ़ता पढ़ाता और सुनता सुनाता है।
वेदस्य पाठकः श्रावकश्च भूयात्
= वेद को पढ़ने-पढ़ानेवाला और सुनने-सुनानेवाला होवे।
छात्रान् अध्यापयति
= विद्यार्थियों को पढ़ाता है।
छात्राणां अध्यापकः संयमी स्यात्
= छात्रों को पढ़ानेवाला अध्यापक संयमी होना चाहिए।
सर्वं पश्यति
= सब को देखता है।
सर्वस्य द्रष्टा ईश्वरोऽस्ति
= सब को देखनेवाला ईश्वर है।
#vakyabhyas
वेदान् पठ वैज्ञानिको भव।।
पाठ : (२५) षष्ठी विभक्ति ४
(कृत् संज्ञक प्रत्यय के प्रयोग में कर्त्ता व कर्म में षष्ठी विभक्ति का प्रयोग होता है जब वाक्य में कर्त्ता व कर्म कारक दोनों का एक साथ प्रयोग किया गया हो तब कर्म में षष्ठी विभक्ति होगी तथा कर्त्ता में तृतीया अथवा षष्ठी विभक्ति होगी।
यह नियम शतृ, शानच्, क्वसु, कानच्, कि, किन्, उ, इष्णुच्, उकञ्, क्वा, ल्यप्, तुमुन् आदि अव्यय तथा क्त, क्तवतु, खल्, युच्, चानच्, शानन् आदि कृत् प्रत्ययों में नहीं लगता।
भाव व अधिकरण कारक में आए हुए क्त प्रत्यय के कर्त्ता कारक में षष्ठी विभक्ति का प्रयोग होता है।)
धनं याचति
= धन मांगता है।
धनस्य याचको मा भुवम्
= मैं धन का मांगनेवाला न होऊं।
दोषान् दहति
= दोषों को जलाता है।
दोषणां दाहकः स्वर्गं लोकं यान्ति
= दोषों को जलानेवाला स्वर्ग को प्राप्त करता है।
राष्ट्रं नयति
= राष्ट्र को ले जाते हैं।
राष्ट्रस्य नायकाः धार्मिकाः विद्वांसश्च भवेयुः
= राष्ट्र के नायक धार्मिक तथा विद्वान होने चाहिएं।
विद्यां निन्दन्ति
= विद्या की निन्दा करे हैं।
विद्यायाः निन्दकाः मूर्खा उच्यन्ते
= विद्या के निन्दक मूर्ख कहाते हैं।
इतिहासं लिखन्ति
= इतिहास को लिखते हैं।
इतिहासस्य लेखकाः प्रामाणिकाः भवेयुः
= इतिहास लेखक प्रामाणिक होने चाहिएं।
प्रजां सेवते
= प्रजा की सेवा करता है।
प्रजायाः सेवकः प्रजावत्सलो भवेत्
= प्रजा का सेवक प्रजावत्सल होना चाहिए।
परलोकं पश्यति
= परलोक को देखता है।
परलोकस्य दर्शकः कदापि पापाचारं न करोति
= परलोक को देखनेवाला कभी भी पापाचरण नहीं करता है।
सर्वान् पुनाति
= सब को पवित्र करता है।
धर्मः सर्वेषां पावकोऽस्ति
= धर्म सभी को पवित्र करता है।
सर्वान् मोदयन्ति
= सब को प्रसन्न करते हैं।
मोदकाः सर्वेषां मोदकाः भवन्ति
= लड्डू सभी को प्रसन्न करनेवाले होते हैं।
वेदं पठति पाठयति च शृणोति श्रावयति च
= वेद को पढ़ता पढ़ाता और सुनता सुनाता है।
वेदस्य पाठकः श्रावकश्च भूयात्
= वेद को पढ़ने-पढ़ानेवाला और सुनने-सुनानेवाला होवे।
छात्रान् अध्यापयति
= विद्यार्थियों को पढ़ाता है।
छात्राणां अध्यापकः संयमी स्यात्
= छात्रों को पढ़ानेवाला अध्यापक संयमी होना चाहिए।
सर्वं पश्यति
= सब को देखता है।
सर्वस्य द्रष्टा ईश्वरोऽस्ति
= सब को देखनेवाला ईश्वर है।
#vakyabhyas
March 24, 2022
March 24, 2022
।।श्रीः।।
।।आत्मबोधः।।
Atmabodha, meaning Self-knowledge or Self-awareness, is an exceptionally lucid and readable work of Shankaracharya. Consisting of sixty-eight verses or shlokas, it is in a sense a simple summary of his entire Vedantic structure of thought, intended, it would seem, as a basic primer for his students and followers. The text follows a clearly elaborated doctrine, starting with knowledge as a key to liberation, the nautre of the Atman within us, the assertion of the pervasive and attribute-less nature of Brahman, and the path towards the realisation of the complete identity between the Atman and Brahman.
उपाधिस्थोऽपि तद्धर्मैरलिप्तो व्योमवन्मुनिः।
सर्वविन्मूढवत्तिष्ठेदसक्तो वायुवच्चरेत्।।52।।
52. Though he lives in the conditionings (Upadhis), he, the contemplative one, remains ever unconcerned with anything or he may move about like the wind, perfectly unattached.
आत्म-बोध ऑनलाइन क्लास - 52:
आत्म-बोध के 52nd श्लोक में भी भगवान् शंकराचार्यजी हमें जीवन्मुक्त के कुछ और लक्षण देते हैं। इस श्लोक की दो लाइन में वे दो महत्वपूर्ण लक्षण देते हैं। ये दोनों लक्षण ऐसे हैं जिनमे अनेकानेक वेदान्त जिज्ञासु फसें रहते हैं और इनसे ऊपर नहीं उठ पाते हैं, और इनके चलते अपने गुरु से प्राप्त दिव्य ज्ञान को चौपट कर देते हैं। अर्थात ये दो ऐसे महत्वपूर्ण बिंदु होते हैं की हम ज्ञान प्राप्ति के बाद भी संसारी बने रहते हैं। पहली लाइन में आचार्य कहते हैं तत्त्व-ज्ञानी उपाधि में रहते हुए भी उपाधि के समस्त धर्म से अछूते रहते हैं - जैसे आकाश। दूसरी लाइन में कहते हैं की वे सर्ववित हैं लेकिन ज्ञान के प्रदर्शन की कोई प्रेरणा नहीं होती है। उनके लिए ज्ञान मूल रूप से उनकी मुक्ति का साधन था - न की अज्ञानी लोगों से ज्ञानी का प्रमाण पात्र की प्राप्ति का माध्यम। वे तो एक शीतल पवन जैसे होते हैं जो की असंग और अलिप्त रहते हुए प्रवाहित होती रहती है।
#Atmabodha
।।आत्मबोधः।।
Atmabodha, meaning Self-knowledge or Self-awareness, is an exceptionally lucid and readable work of Shankaracharya. Consisting of sixty-eight verses or shlokas, it is in a sense a simple summary of his entire Vedantic structure of thought, intended, it would seem, as a basic primer for his students and followers. The text follows a clearly elaborated doctrine, starting with knowledge as a key to liberation, the nautre of the Atman within us, the assertion of the pervasive and attribute-less nature of Brahman, and the path towards the realisation of the complete identity between the Atman and Brahman.
उपाधिस्थोऽपि तद्धर्मैरलिप्तो व्योमवन्मुनिः।
सर्वविन्मूढवत्तिष्ठेदसक्तो वायुवच्चरेत्।।52।।
52. Though he lives in the conditionings (Upadhis), he, the contemplative one, remains ever unconcerned with anything or he may move about like the wind, perfectly unattached.
आत्म-बोध ऑनलाइन क्लास - 52:
आत्म-बोध के 52nd श्लोक में भी भगवान् शंकराचार्यजी हमें जीवन्मुक्त के कुछ और लक्षण देते हैं। इस श्लोक की दो लाइन में वे दो महत्वपूर्ण लक्षण देते हैं। ये दोनों लक्षण ऐसे हैं जिनमे अनेकानेक वेदान्त जिज्ञासु फसें रहते हैं और इनसे ऊपर नहीं उठ पाते हैं, और इनके चलते अपने गुरु से प्राप्त दिव्य ज्ञान को चौपट कर देते हैं। अर्थात ये दो ऐसे महत्वपूर्ण बिंदु होते हैं की हम ज्ञान प्राप्ति के बाद भी संसारी बने रहते हैं। पहली लाइन में आचार्य कहते हैं तत्त्व-ज्ञानी उपाधि में रहते हुए भी उपाधि के समस्त धर्म से अछूते रहते हैं - जैसे आकाश। दूसरी लाइन में कहते हैं की वे सर्ववित हैं लेकिन ज्ञान के प्रदर्शन की कोई प्रेरणा नहीं होती है। उनके लिए ज्ञान मूल रूप से उनकी मुक्ति का साधन था - न की अज्ञानी लोगों से ज्ञानी का प्रमाण पात्र की प्राप्ति का माध्यम। वे तो एक शीतल पवन जैसे होते हैं जो की असंग और अलिप्त रहते हुए प्रवाहित होती रहती है।
#Atmabodha
March 24, 2022
March 24, 2022
@samskrt_samvadah संलापशाला - A Samskrit Voicechat room.
कालावधिः : 45 निमेषाः
समयः : IST 11:00 AM 🕚
विषयः :संस्कृतकथा,सुभाषितम्,
हास्यकणिका..... इत्यादयः
दिनाङ्कः : 25th March 2022,
शुक्रवासरः
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😇 यदि शक्येत चेत् संस्कृतेन (संस्कृतकथां, सुभाषितं, हास्यकणिकां ,स्वस्य कञ्चित् उत्तमम् अनुभवं ,प्रेरकप्रसङ्गं ,लौकिकन्यायं वा वदन्तु) । चर्चार्थं कृपया पूर्वसिद्धतां कृत्वा आगच्छन्तु।
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विषयः :संस्कृतकथा,सुभाषितम्,
हास्यकणिका..... इत्यादयः
दिनाङ्कः : 25th March 2022,
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😇 यदि शक्येत चेत् संस्कृतेन (संस्कृतकथां, सुभाषितं, हास्यकणिकां ,स्वस्य कञ्चित् उत्तमम् अनुभवं ,प्रेरकप्रसङ्गं ,लौकिकन्यायं वा वदन्तु) । चर्चार्थं कृपया पूर्वसिद्धतां कृत्वा आगच्छन्तु।
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March 24, 2022
BVGch10vs32
Swami Brahamananda
श्रीमद्भगवद्गीता [10.32]
March 24, 2022
🍃
♦️sargaaNaamaadirantashcha madhyaM chaivaahamarjuna|
adhyaatmavidyaa vidyaanaaM vaadaH pravadataamaham10.32
⚜I am the beginning, the middle, and the end of the creation, O Arjuna. Among the knowledge I am knowledge of the supreme Self. I am logic of the logician. (10.32)
⚜हे अर्जुन सृष्टियों का आदि अन्त और मध्य भी मैं ही हूँ मैं विद्याओं में अध्यात्मविद्या और विवाद करने वालों में (अर्थात् विवाद के प्रकारों में) मैं वाद हूँ।।10.32।।
#geeta
सर्गाणामादिरन्तश्च मध्यं चैवाहमर्जुन।
अध्यात्मविद्या विद्यानां वादः प्रवदतामहम्
।।10.32।।♦️sargaaNaamaadirantashcha madhyaM chaivaahamarjuna|
adhyaatmavidyaa vidyaanaaM vaadaH pravadataamaham
⚜I am the beginning, the middle, and the end of the creation, O Arjuna. Among the knowledge I am knowledge of the supreme Self. I am logic of the logician. (10.32)
⚜हे अर्जुन सृष्टियों का आदि अन्त और मध्य भी मैं ही हूँ मैं विद्याओं में अध्यात्मविद्या और विवाद करने वालों में (अर्थात् विवाद के प्रकारों में) मैं वाद हूँ।।10.32।।
#geeta
March 24, 2022
BVGch10vs33
Swami Brahamananda
श्रीमद्भगवद्गीता [10.33]
March 24, 2022
🍃
♦️akSharaaNaamakaaro'smi dvandvaH saamaasikasya cha|
ahamevaakShayaH kaalo dhaataa'haM vishvatomukhaH10.33
⚜I am the letter "A" among the alphabets, among the compound words I am the dual compound, I am the endless time, I am the sustainer of all, and have faces on all sides (or I am omniscient). (10.33)
⚜मैं अक्षरों (वर्णमाला) में अकार और समासों में द्वन्द्व (नामक समास) हूँ मैं अक्षय काल और विश्वतोमुख (विराट् स्वरूप) धाता हूँ।।10.33।।
#geeta
अक्षराणामकारोऽस्मि द्वन्द्वः सामासिकस्य च।
अहमेवाक्षयः कालो धाताऽहं विश्वतोमुखः
।।10.33।।♦️akSharaaNaamakaaro'smi dvandvaH saamaasikasya cha|
ahamevaakShayaH kaalo dhaataa'haM vishvatomukhaH
⚜I am the letter "A" among the alphabets, among the compound words I am the dual compound, I am the endless time, I am the sustainer of all, and have faces on all sides (or I am omniscient). (10.33)
⚜मैं अक्षरों (वर्णमाला) में अकार और समासों में द्वन्द्व (नामक समास) हूँ मैं अक्षय काल और विश्वतोमुख (विराट् स्वरूप) धाता हूँ।।10.33।।
#geeta
March 24, 2022
Forwarded from रामदूतः — The Sanskrit News Platform
🚩जय सत्य सनातन🚩
🚩आज की हिंदी तिथि
🌥️ 🚩युगाब्द-५१२३
🌥️ 🚩विक्रम संवत-२०७८
⛅ 🚩तिथि - अष्टमी रात्रि 10:04 तक तपश्चात नवमी
⛅ दिनांक 25 मार्च 2022
⛅ दिन - शुक्रवार
⛅ शक संवत - 1943
⛅ अयन - उत्तरायण
⛅ ऋतु - वसंत
⛅ मास - चैत्र
⛅ पक्ष - कृष्ण
⛅ नक्षत्र - मूल अपरान्ह 04:07 तक तपश्चात पूर्वाषाढ़ा
⛅ योग - वरीयान रात्रि 01:47 तक तत्पश्चात परिघ
⛅ राहुकाल - दोपहर 11:14 से रात्रि 12:46 तक
⛅ सूर्योदय - 06:39
⛅ सूर्यास्त - 06:52
⛅ चन्द्रोदय - रात्रि 02:16
⛅ दिशाशूल - पश्चिम दिशा में
🚩आज की हिंदी तिथि
🌥️ 🚩युगाब्द-५१२३
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⛅ दिनांक 25 मार्च 2022
⛅ दिन - शुक्रवार
⛅ शक संवत - 1943
⛅ अयन - उत्तरायण
⛅ ऋतु - वसंत
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⛅ पक्ष - कृष्ण
⛅ नक्षत्र - मूल अपरान्ह 04:07 तक तपश्चात पूर्वाषाढ़ा
⛅ योग - वरीयान रात्रि 01:47 तक तत्पश्चात परिघ
⛅ राहुकाल - दोपहर 11:14 से रात्रि 12:46 तक
⛅ सूर्योदय - 06:39
⛅ सूर्यास्त - 06:52
⛅ चन्द्रोदय - रात्रि 02:16
⛅ दिशाशूल - पश्चिम दिशा में
March 24, 2022
@samskrt_samvadah संलापशाला - A Samskrit Voicechat room.
कालावधिः : 45 निमेषाः
समयः : IST 11:00 AM 🕚
विषयः :संस्कृतकथा,सुभाषितम्,
हास्यकणिका..... इत्यादयः
दिनाङ्कः : 25th March 2022,
शुक्रवासरः
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😇 यदि शक्येत चेत् संस्कृतेन (संस्कृतकथां, सुभाषितं, हास्यकणिकां ,स्वस्य कञ्चित् उत्तमम् अनुभवं ,प्रेरकप्रसङ्गं ,लौकिकन्यायं वा वदन्तु) । चर्चार्थं कृपया पूर्वसिद्धतां कृत्वा आगच्छन्तु।
वयं युष्माकं प्रतीक्षां कुर्मः। 😇
स्मारणतंत्रिकां स्थापयतु⏰
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कालावधिः : 45 निमेषाः
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विषयः :संस्कृतकथा,सुभाषितम्,
हास्यकणिका..... इत्यादयः
दिनाङ्कः : 25th March 2022,
शुक्रवासरः
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March 24, 2022
March 24, 2022
Forwarded from रामदूतः — The Sanskrit News Platform
https://youtu.be/ESXDH4alI94
Switch to DD News daily at 7:15 AM (Morning) for 15 minutes Sanskrit news.
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YouTube
वार्ता: संस्कृत भाषा में समाचार
March 24, 2022
March 24, 2022
सदयं हृदयं यस्य भाषितं सत्यभूषितम्।
कायः परहिते यस्य कलिस्तस्य करोति किम्।।
संस्कृतार्थः -
यस्य जनस्य हृदयं दयया(कृपया) पूरितम् अस्ति , यस्य वदनं(वाक्यं) माधुर्येण पूरितम् अस्ति, यस्य कायः(शरीरं) परोपकारे एव लग्नम् अस्ति तादृशस्य जनस्य कलिः(मृत्युः) किं वा कर्तुं शक्नोति।
#Subhashitam
कायः परहिते यस्य कलिस्तस्य करोति किम्।।
संस्कृतार्थः -
यस्य जनस्य हृदयं दयया(कृपया) पूरितम् अस्ति , यस्य वदनं(वाक्यं) माधुर्येण पूरितम् अस्ति, यस्य कायः(शरीरं) परोपकारे एव लग्नम् अस्ति तादृशस्य जनस्य कलिः(मृत्युः) किं वा कर्तुं शक्नोति।
#Subhashitam
March 24, 2022
March 24, 2022
March 24, 2022
March 25, 2022
हनुमान् पर्वतम् __________।
Anonymous Quiz
17%
उत्तिष्ठयति
64%
उत्थापयति
7%
प्रस्थापयति
12%
उत्थापययति
March 25, 2022
संस्कृत संवादः । Sanskrit Samvadah
संस्कृतं
वद आधुनिको भव। वेदान् पठ वैज्ञानिको भव।। पाठ : (२५) षष्ठी विभक्ति ४
(कृत् संज्ञक प्रत्यय के प्रयोग में कर्त्ता व कर्म में षष्ठी विभक्ति का
प्रयोग होता है जब वाक्य में कर्त्ता व कर्म कारक दोनों का एक साथ प्रयोग
किया गया हो तब कर्म में षष्ठी विभक्ति…
सृष्टिं करोति, धरति, हरति च
= सृष्टि को बनाता, धारण करता और विनाश करता है।
सृष्टेः कर्त्ता धर्त्ता हर्त्ता चेश्वरो वर्त्तते
= सृष्टि का कर्त्ता धर्त्ता हर्त्ता ईश्वर है।
विषयान् भुङ्क्ते
= विषयों को भोगता है।
विषयाणां भोक्ता दुःखमेव लभते
= विषयों को भोगनेवाला दुःख ही पाता है।
शास्त्राणि शृणोति
= शास्त्रों को सुनता है।
शास्त्राणां श्रोता कामं शनैः शनैः किन्तु वर्धते एव
= शास्त्रों का (आध्यात्मिक) श्रवण करनेवाला धीरे धीरे ही सही बढ़ता ही है।
शास्त्रं जानाति
= शास्त्रों को जानता है।
शास्त्राणां ज्ञाता आचरणेन ज्ञायते
= शास्त्रों का ज्ञाता है या नहीं यह आचरण से पता चलता है।
वेदान् वेत्ति
= वेदों को जानता है।
वेदानां वेत्ता वेदवेत्ता कथ्यते
= वेदों का ज्ञाता वेदवेत्ता कहाता है।
दुग्धं दोग्धि
= दूध दुहता है।
दुग्धस्य दोग्धा प्रतिदिनं शतं सेटकं दुग्धं दोग्धि
= ग्वाला प्रतिदिन सौ लीटर दूध दुहता है।
जगतः करोति
= विविध जगत को करता है।
जगतां यदि नो कर्त्ता कुलालेन विना घटः। चित्रकारं विना चित्रं स्वत एव भवेत्तथा।।
= यदि कर्त्ता के बिना स्वयं जगत बन गया है ऐसा मान लिया जाए तो कुम्हार के बिना घड़ा और चित्रकार के बिना चित्र भी स्वयमेव बन जाना चाहिए।
ज्ञानं ददाति, धनं च
= ज्ञान देता है और धन भी।
ज्ञानस्य दाता धनस्य दातुरतिरिच्यते
= ज्ञानदाता धनदाता से श्रेष्ठ है।
प्रश्नं पृच्छति
= प्रश्न पूछता है।
प्रश्नस्य प्रष्टारं शिक्षकः उत्तरति
= प्रश्नकर्त्ता को शिक्षक उत्तर दे रहा है।
जीवनं गच्छति
= जीवन बीत रहा है।
जीवनस्य गतिं दृष्ट्वा मनुष्यः पुनर्जन्म निश्चेतुमर्हति
= जीवन की गति देखकर व्यक्ति पुनर्जन्म का निश्चय कर सकता है।
धनं गच्छति
= धन खर्च हो रहा है।
धनस्य तिस्रो गतयः सन्ति, भोगो दानं नाशश्च
= धन की तीन गतियां हैं, भोग दान और नाश।
सूर्यो दीप्यति
= सूर्य चमक रहा है।
सूर्यस्य दीप्त्या दीपकस्य प्रकाशो न दृश्यते
= सूर्यप्रकाश में दीपक का प्रकाश नहीं दीखता है।
मनः संयमति
= मन को संयमित करता है।
मनसः संयतिः उन्नत्याय कल्पते
= मन का संयम उन्नति का कारण बनता है।
अहं प्रणमामी
= मैं प्रणाम करता/करती हूं।
गुरवे मम प्रणतिं निवेदयतु
= गुरुजी को मेरा नमस्कार कहना।
धनं प्राप्नोति
= धन को प्राप्त करता है।
धर्मरहिता धनस्य प्राप्तिरवनत्याय कल्पते
= धर्मरहित धन की प्राप्ति अवनति का कारण बनती है।
#vakyabhyas
= सृष्टि को बनाता, धारण करता और विनाश करता है।
सृष्टेः कर्त्ता धर्त्ता हर्त्ता चेश्वरो वर्त्तते
= सृष्टि का कर्त्ता धर्त्ता हर्त्ता ईश्वर है।
विषयान् भुङ्क्ते
= विषयों को भोगता है।
विषयाणां भोक्ता दुःखमेव लभते
= विषयों को भोगनेवाला दुःख ही पाता है।
शास्त्राणि शृणोति
= शास्त्रों को सुनता है।
शास्त्राणां श्रोता कामं शनैः शनैः किन्तु वर्धते एव
= शास्त्रों का (आध्यात्मिक) श्रवण करनेवाला धीरे धीरे ही सही बढ़ता ही है।
शास्त्रं जानाति
= शास्त्रों को जानता है।
शास्त्राणां ज्ञाता आचरणेन ज्ञायते
= शास्त्रों का ज्ञाता है या नहीं यह आचरण से पता चलता है।
वेदान् वेत्ति
= वेदों को जानता है।
वेदानां वेत्ता वेदवेत्ता कथ्यते
= वेदों का ज्ञाता वेदवेत्ता कहाता है।
दुग्धं दोग्धि
= दूध दुहता है।
दुग्धस्य दोग्धा प्रतिदिनं शतं सेटकं दुग्धं दोग्धि
= ग्वाला प्रतिदिन सौ लीटर दूध दुहता है।
जगतः करोति
= विविध जगत को करता है।
जगतां यदि नो कर्त्ता कुलालेन विना घटः। चित्रकारं विना चित्रं स्वत एव भवेत्तथा।।
= यदि कर्त्ता के बिना स्वयं जगत बन गया है ऐसा मान लिया जाए तो कुम्हार के बिना घड़ा और चित्रकार के बिना चित्र भी स्वयमेव बन जाना चाहिए।
ज्ञानं ददाति, धनं च
= ज्ञान देता है और धन भी।
ज्ञानस्य दाता धनस्य दातुरतिरिच्यते
= ज्ञानदाता धनदाता से श्रेष्ठ है।
प्रश्नं पृच्छति
= प्रश्न पूछता है।
प्रश्नस्य प्रष्टारं शिक्षकः उत्तरति
= प्रश्नकर्त्ता को शिक्षक उत्तर दे रहा है।
जीवनं गच्छति
= जीवन बीत रहा है।
जीवनस्य गतिं दृष्ट्वा मनुष्यः पुनर्जन्म निश्चेतुमर्हति
= जीवन की गति देखकर व्यक्ति पुनर्जन्म का निश्चय कर सकता है।
धनं गच्छति
= धन खर्च हो रहा है।
धनस्य तिस्रो गतयः सन्ति, भोगो दानं नाशश्च
= धन की तीन गतियां हैं, भोग दान और नाश।
सूर्यो दीप्यति
= सूर्य चमक रहा है।
सूर्यस्य दीप्त्या दीपकस्य प्रकाशो न दृश्यते
= सूर्यप्रकाश में दीपक का प्रकाश नहीं दीखता है।
मनः संयमति
= मन को संयमित करता है।
मनसः संयतिः उन्नत्याय कल्पते
= मन का संयम उन्नति का कारण बनता है।
अहं प्रणमामी
= मैं प्रणाम करता/करती हूं।
गुरवे मम प्रणतिं निवेदयतु
= गुरुजी को मेरा नमस्कार कहना।
धनं प्राप्नोति
= धन को प्राप्त करता है।
धर्मरहिता धनस्य प्राप्तिरवनत्याय कल्पते
= धर्मरहित धन की प्राप्ति अवनति का कारण बनती है।
#vakyabhyas
March 25, 2022
द्रोणाचार्यः - "अर्जुन! त्वं किं पश्यसि?"
अर्जुनः- "आचार्य! अहं केवलं एकम् आम्रफलं पश्यामि"।
द्रोणः- " तर्हि अहं भवनस्य अन्तः प्रविश्य द्वारं कीलयामि। तदनन्तरं त्वं अस्त्रप्रेषणेन आम्रफलं पातय।"
#hasya
अर्जुनः- "आचार्य! अहं केवलं एकम् आम्रफलं पश्यामि"।
द्रोणः- " तर्हि अहं भवनस्य अन्तः प्रविश्य द्वारं कीलयामि। तदनन्तरं त्वं अस्त्रप्रेषणेन आम्रफलं पातय।"
#hasya
March 25, 2022
।।श्रीः।।
।।आत्मबोधः।।
Atmabodha, meaning Self-knowledge or Self-awareness, is an exceptionally lucid and readable work of Shankaracharya. Consisting of sixty-eight verses or shlokas, it is in a sense a simple summary of his entire Vedantic structure of thought, intended, it would seem, as a basic primer for his students and followers. The text follows a clearly elaborated doctrine, starting with knowledge as a key to liberation, the nautre of the Atman within us, the assertion of the pervasive and attribute-less nature of Brahman, and the path towards the realisation of the complete identity between the Atman and Brahman.
उपाधिविलयाद्विष्णौ निर्विशेषं विशेन्मुनिः।
जले जलं वियद्व्योम्नि तेजस्तेजसि वा यथा।।53।।
53. On the destruction of the Upadhis, the contemplative one is totally absorbed in’Vishnu’, the All-pervading Spirit, like water into water, space into space and light into light.
आत्म-बोध ऑनलाइन क्लास - 53:
आत्म-बोध के 53rd श्लोक में भी भगवान् शंकराचार्यजी हमें जीवन्मुक्त के अंतिम क्षण हैं - कि वे अंतिम क्षण में ब्रह्म में कैसे लीं होते हैं। पहले तो यह बात स्पष्ट करनी चाहिए की ब्रह्म-ज्ञानी के लिए शरीर के मरने से ब्रह्म में लीन होने का कोई सम्बन्ध नहीं होता है। ईश्वर के अवतार में भी यह सिद्धांत स्पष्ट हो जाता है की भगवान् शरीर के रहते-रहते पूर्ण रूप से मुक्त होते हैं। पिछले श्लोक में भी यह बात स्पष्ट हो गयी थी की ब्रह्म-ज्ञानी उपाधि में स्थित रहते हुए भी उपाधि के धर्मों से अलिप्त होते हैं। तात-तवं-ऐसी महावाक्य के शोधन के बाद वे अपने को मात्र चेतन तत्त्व देखते हैं और ईश्वर के भी तत्त्व को यह ही देखते हैं। अब चेतन चेतन में कैसे लीन होता है। केवल नाम मात्र के लिए ही वे लीन होते हैं। वस्तुतः जहाँ उन्होने अपनी उपाधि के धर्मों का निषेध किया उसी क्षण वे मानो ब्रह्म हो गए। उनका ब्रह्म में लीन होना कुछ ऐसा होता है - जैसे जल, जल में विलीन होता है, जैसे आकाश, आकाश में लीन होता है, जैसे तेज, तेज में विलीन होता है।
#Atmabodha
।।आत्मबोधः।।
Atmabodha, meaning Self-knowledge or Self-awareness, is an exceptionally lucid and readable work of Shankaracharya. Consisting of sixty-eight verses or shlokas, it is in a sense a simple summary of his entire Vedantic structure of thought, intended, it would seem, as a basic primer for his students and followers. The text follows a clearly elaborated doctrine, starting with knowledge as a key to liberation, the nautre of the Atman within us, the assertion of the pervasive and attribute-less nature of Brahman, and the path towards the realisation of the complete identity between the Atman and Brahman.
उपाधिविलयाद्विष्णौ निर्विशेषं विशेन्मुनिः।
जले जलं वियद्व्योम्नि तेजस्तेजसि वा यथा।।53।।
53. On the destruction of the Upadhis, the contemplative one is totally absorbed in’Vishnu’, the All-pervading Spirit, like water into water, space into space and light into light.
आत्म-बोध ऑनलाइन क्लास - 53:
आत्म-बोध के 53rd श्लोक में भी भगवान् शंकराचार्यजी हमें जीवन्मुक्त के अंतिम क्षण हैं - कि वे अंतिम क्षण में ब्रह्म में कैसे लीं होते हैं। पहले तो यह बात स्पष्ट करनी चाहिए की ब्रह्म-ज्ञानी के लिए शरीर के मरने से ब्रह्म में लीन होने का कोई सम्बन्ध नहीं होता है। ईश्वर के अवतार में भी यह सिद्धांत स्पष्ट हो जाता है की भगवान् शरीर के रहते-रहते पूर्ण रूप से मुक्त होते हैं। पिछले श्लोक में भी यह बात स्पष्ट हो गयी थी की ब्रह्म-ज्ञानी उपाधि में स्थित रहते हुए भी उपाधि के धर्मों से अलिप्त होते हैं। तात-तवं-ऐसी महावाक्य के शोधन के बाद वे अपने को मात्र चेतन तत्त्व देखते हैं और ईश्वर के भी तत्त्व को यह ही देखते हैं। अब चेतन चेतन में कैसे लीन होता है। केवल नाम मात्र के लिए ही वे लीन होते हैं। वस्तुतः जहाँ उन्होने अपनी उपाधि के धर्मों का निषेध किया उसी क्षण वे मानो ब्रह्म हो गए। उनका ब्रह्म में लीन होना कुछ ऐसा होता है - जैसे जल, जल में विलीन होता है, जैसे आकाश, आकाश में लीन होता है, जैसे तेज, तेज में विलीन होता है।
#Atmabodha
March 25, 2022
March 25, 2022
@samskrt_samvadah संलापशाला - A Samskrit Voicechat room.
कालावधिः : 45 निमेषाः
समयः : IST 11:00 AM 🕚
विषयः : वितरितानि पद्मपुरस्काराणि
(Distributions of padma awards.)
दिनाङ्कः : 26th March 2022,
शनिवासरः
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कालावधिः : 45 निमेषाः
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विषयः : वितरितानि पद्मपुरस्काराणि
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March 25, 2022
BVGch10vs34
Swami Brahamananda
श्रीमद्भगवद्गीता [10.34]
March 25, 2022
🍃
♦️mRRityuH sarvaharashchaahamudbhavashcha bhaviShyataam|
kiirtiH shriirvaakcha naariiNaaM smRRitirmedhaa dhRRitiH kShamaa10.34
⚜I am the all-devouring death, and also the origin of future beings. Among the feminine nouns I am fame, prosperity, speech, memory, intellect, resolve, and forgiveness. (10.34)
⚜मैं सर्वभक्षक मृत्यु और भविष्य में होने वालों की उत्पत्ति का कारण हूँ स्त्रियों में कीर्ति श्री वाक (वाणी) स्मृति मेधा धृति और क्षमा हूँ।।10.34।।
#geeta
मृत्युः सर्वहरश्चाहमुद्भवश्च भविष्यताम्।
कीर्तिः श्रीर्वाक्च नारीणां स्मृतिर्मेधा धृतिः क्षमा
।।10.34।।♦️mRRityuH sarvaharashchaahamudbhavashcha bhaviShyataam|
kiirtiH shriirvaakcha naariiNaaM smRRitirmedhaa dhRRitiH kShamaa
⚜I am the all-devouring death, and also the origin of future beings. Among the feminine nouns I am fame, prosperity, speech, memory, intellect, resolve, and forgiveness. (10.34)
⚜मैं सर्वभक्षक मृत्यु और भविष्य में होने वालों की उत्पत्ति का कारण हूँ स्त्रियों में कीर्ति श्री वाक (वाणी) स्मृति मेधा धृति और क्षमा हूँ।।10.34।।
#geeta
March 25, 2022
BVGch10vs35
Swami Brahamananda
श्रीमद्भगवद्गीता [10.35]
March 25, 2022
🍃
♦️bRRihatsaama tathaa saamnaaM gaayatrii Chandasaamaham|
maasaanaaM maargashiirSho'hamRRituunaaM kusumaakaraH10.35
⚜10.35 Among the hymns also I am the Brihatsaman; among metres Gayatri am I; among the montsh I am the Margasirsha; among the seasons (I am) the flowery season.
⚜।।10.35।। सामों (गेय मन्त्रों) में मैं बृहत्साम और छन्दों में गायत्री छन्द हूँ मैं मासों में मार्गशीर्ष (दिसम्बरजनवरी के भाग) और ऋतुओं में वसन्त हूँ।।
#geeta
बृहत्साम तथा साम्नां गायत्री छन्दसामहम्।
मासानां मार्गशीर्षोऽहमृतूनां कुसुमाकरः
।।10.35।।♦️bRRihatsaama tathaa saamnaaM gaayatrii Chandasaamaham|
maasaanaaM maargashiirSho'hamRRituunaaM kusumaakaraH
⚜10.35 Among the hymns also I am the Brihatsaman; among metres Gayatri am I; among the montsh I am the Margasirsha; among the seasons (I am) the flowery season.
⚜।।10.35।। सामों (गेय मन्त्रों) में मैं बृहत्साम और छन्दों में गायत्री छन्द हूँ मैं मासों में मार्गशीर्ष (दिसम्बरजनवरी के भाग) और ऋतुओं में वसन्त हूँ।।
#geeta
March 25, 2022
🚩जय सत्य सनातन🚩
🚩आज की हिंदी तिथि
🌥️ 🚩युगाब्द-५१२३
🌥️ 🚩विक्रम संवत-२०७८
⛅ 🚩तिथि - नवमी रात्रि 08:01 तक तपश्चात दशमी
⛅ दिनांक 26 मार्च 2022
⛅ दिन - शनिवार
⛅ शक संवत - 1943
⛅ अयन - उत्तरायण
⛅ ऋतु - वसंत
⛅ मास - चैत्र
⛅ पक्ष - कृष्ण
⛅ नक्षत्र - पूर्वाषाढ़ा अपरान्ह 02:47 तक तपश्चात उत्तराषाढ़ा
⛅ योग - परिघ रात्रि 10:59 तक तत्पश्चात शिव
⛅ राहुकाल - सुबह 9:42 से 11:14 तक
⛅ सूर्योदय - 06:38
⛅ सूर्यास्त - 06:53
⛅ चन्द्रोदय - रात्रि 03:13
⛅ दिशाशूल - पूर्व दिशा में
🚩आज की हिंदी तिथि
🌥️ 🚩युगाब्द-५१२३
🌥️ 🚩विक्रम संवत-२०७८
⛅ 🚩तिथि - नवमी रात्रि 08:01 तक तपश्चात दशमी
⛅ दिनांक 26 मार्च 2022
⛅ दिन - शनिवार
⛅ शक संवत - 1943
⛅ अयन - उत्तरायण
⛅ ऋतु - वसंत
⛅ मास - चैत्र
⛅ पक्ष - कृष्ण
⛅ नक्षत्र - पूर्वाषाढ़ा अपरान्ह 02:47 तक तपश्चात उत्तराषाढ़ा
⛅ योग - परिघ रात्रि 10:59 तक तत्पश्चात शिव
⛅ राहुकाल - सुबह 9:42 से 11:14 तक
⛅ सूर्योदय - 06:38
⛅ सूर्यास्त - 06:53
⛅ चन्द्रोदय - रात्रि 03:13
⛅ दिशाशूल - पूर्व दिशा में
March 25, 2022
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(Distributions of padma awards.)
दिनाङ्कः : 26th March 2022,
शनिवासरः
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😇 यदि शक्येत चेत् संस्कृतेन (ये पद्मपुरस्काराणि प्राप्तवन्तः तेषां विषये वक्तव्यम्।) चर्चार्थं कृपया पूर्वसिद्धतां कृत्वा आगच्छन्तु।
वयं युष्माकं प्रतीक्षां कुर्मः। 😇
स्मारणतंत्रिकां स्थापयतु⏰
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March 25, 2022
March 25, 2022
Forwarded from रामदूतः — The Sanskrit News Platform
https://youtu.be/X93mwVf4kZk
Switch to DD News daily at 7:15 AM (Morning) for 15 minutes Sanskrit news.
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संस्कृत समाचार: वार्ताः
March 25, 2022
March 25, 2022
March 25, 2022
March 25, 2022
"विना कार्येण ये मूढाः गच्छन्ति परमन्दिरम् ।
अवश्यं लघुतां यान्ति कृष्णपक्षे यथा शशी ॥"
अर्थात - "जो लोग बिना कारण दूसरों के घर जाते हैं, वे अवश्य ही कृष्ण पक्ष के चंद्र की तरह लघुता को प्राप्त होते हैं ।"
संस्कृतार्थः -
ये जनाः विना करणेन वारं वारम् अन्येषां गृहं गच्छन्ति, ते तथैव लघुतां/हीनतां प्राप्नुवन्ति यथा कृष्णपक्षे चन्द्रः लघुतां प्राप्नोति।
#Subhashitam
अवश्यं लघुतां यान्ति कृष्णपक्षे यथा शशी ॥"
अर्थात - "जो लोग बिना कारण दूसरों के घर जाते हैं, वे अवश्य ही कृष्ण पक्ष के चंद्र की तरह लघुता को प्राप्त होते हैं ।"
संस्कृतार्थः -
ये जनाः विना करणेन वारं वारम् अन्येषां गृहं गच्छन्ति, ते तथैव लघुतां/हीनतां प्राप्नुवन्ति यथा कृष्णपक्षे चन्द्रः लघुतां प्राप्नोति।
#Subhashitam
March 25, 2022
कुक्कुरः _________ सह __________ खादति।
Anonymous Quiz
25%
बिडालेन, तण्डुलं
70%
बिडालेन, ओदनं
3%
ओदनेन,बिडालं
2%
बिडालात्, ओदनं
March 26, 2022
March 26, 2022
संस्कृत संवादः । Sanskrit Samvadah
सृष्टिं
करोति, धरति, हरति च = सृष्टि को बनाता, धारण करता और विनाश करता है।
सृष्टेः कर्त्ता धर्त्ता हर्त्ता चेश्वरो वर्त्तते = सृष्टि का कर्त्ता
धर्त्ता हर्त्ता ईश्वर है। विषयान् भुङ्क्ते = विषयों को भोगता है।
विषयाणां भोक्ता दुःखमेव लभते …
वानरः प्लवते
= बन्दर कूद रहा है।
वानरस्य प्लुतिं दृष्ट्वा बालो मोदते
= बन्दर की उछलकूद देखकर बच्चा प्रसन्न हो रहा है।
मद्यं पिबति
= शराब पीता है।
अद्यत्वे मद्यस्य पीतिः आढ्यानां प्रतीकं वर्तते
= आजकल मद्यपान धनिक होने की निशानी है।
भवान् शेते
= आप सो रहे हैं।
अधुना भवतः शायिका वर्तते
= अब आपकी सोने की बारी है।
त्वमग्रे ग्रसते
= तू पहले खा रहा है।
त्वं खाद, तवाऽग्रग्रासिकाऽस्ति
= तू खाले, तेरी पहले भोजन करने की बारी है।
पयः पिबति
= दूध पीता है।
अधुना कस्य पयसः पायिका वर्तते ?
= अब किसकी दूध पीने की बारी है ?
रामः भोजनं वितरति
= राम भोजन बांट रहा है।
रामस्य भोजनस्य वितरिकाऽस्ति, अतो वितरति
= राम की भोजन परोसने की बारी है इसलिए परोस रहा है।
स्वाध्यायं करोति
= स्वाध्याय करता है।
मोहनस्याऽद्य स्वाध्यायस्य कारिकाऽऽसीत्, पुनरपि स यज्ञेऽनुपस्थित आसीत्
= आज मोहन की स्वाध्याय करने की बारी थी फिर भी वह यज्ञ में अनुपस्थित था।
भोजनं पचति
= भोजन पकाती है।
का भोजनं पचति ? अद्य कस्याः भोजनस्य पाचिकाऽस्ति ?
= कौन भोजन पका रही है ? आज किसकी भोजन पकाने की बारी है ?
गां दोग्धी
= गाय दुहती है।
सा गवां दोहिका सम्यक् करोति
= वह अपनी गोदोहन बारी अच्छी तरह करती है।
अहम् उपविशामि
= मैं बैठता/बैठती हूं।
मम उपवेशिकाऽस्ति, भवान तिष्ठतु
= मेरी बैठने की बारी है, आप खड़े रहिए।
त्वं कार्यं करोषि
= तू काम करता/करती है।
तव कार्यस्य चिकीर्षाऽस्ति, त्वं कुरु
= तेरी काम करने की बारी है, तू कर।
त्वं खादसि
= तू खाता/खाती है।
त्वमधुना कथं खादसि, किं तव चिखादिषाऽस्ति ?
= तू अभी क्यों खा रहा/रही है, क्या तेरी अभी खाने की बारी है ?
#vakyabhyas
= बन्दर कूद रहा है।
वानरस्य प्लुतिं दृष्ट्वा बालो मोदते
= बन्दर की उछलकूद देखकर बच्चा प्रसन्न हो रहा है।
मद्यं पिबति
= शराब पीता है।
अद्यत्वे मद्यस्य पीतिः आढ्यानां प्रतीकं वर्तते
= आजकल मद्यपान धनिक होने की निशानी है।
भवान् शेते
= आप सो रहे हैं।
अधुना भवतः शायिका वर्तते
= अब आपकी सोने की बारी है।
त्वमग्रे ग्रसते
= तू पहले खा रहा है।
त्वं खाद, तवाऽग्रग्रासिकाऽस्ति
= तू खाले, तेरी पहले भोजन करने की बारी है।
पयः पिबति
= दूध पीता है।
अधुना कस्य पयसः पायिका वर्तते ?
= अब किसकी दूध पीने की बारी है ?
रामः भोजनं वितरति
= राम भोजन बांट रहा है।
रामस्य भोजनस्य वितरिकाऽस्ति, अतो वितरति
= राम की भोजन परोसने की बारी है इसलिए परोस रहा है।
स्वाध्यायं करोति
= स्वाध्याय करता है।
मोहनस्याऽद्य स्वाध्यायस्य कारिकाऽऽसीत्, पुनरपि स यज्ञेऽनुपस्थित आसीत्
= आज मोहन की स्वाध्याय करने की बारी थी फिर भी वह यज्ञ में अनुपस्थित था।
भोजनं पचति
= भोजन पकाती है।
का भोजनं पचति ? अद्य कस्याः भोजनस्य पाचिकाऽस्ति ?
= कौन भोजन पका रही है ? आज किसकी भोजन पकाने की बारी है ?
गां दोग्धी
= गाय दुहती है।
सा गवां दोहिका सम्यक् करोति
= वह अपनी गोदोहन बारी अच्छी तरह करती है।
अहम् उपविशामि
= मैं बैठता/बैठती हूं।
मम उपवेशिकाऽस्ति, भवान तिष्ठतु
= मेरी बैठने की बारी है, आप खड़े रहिए।
त्वं कार्यं करोषि
= तू काम करता/करती है।
तव कार्यस्य चिकीर्षाऽस्ति, त्वं कुरु
= तेरी काम करने की बारी है, तू कर।
त्वं खादसि
= तू खाता/खाती है।
त्वमधुना कथं खादसि, किं तव चिखादिषाऽस्ति ?
= तू अभी क्यों खा रहा/रही है, क्या तेरी अभी खाने की बारी है ?
#vakyabhyas
March 26, 2022
March 26, 2022
March 26, 2022
।।श्रीः।।
।।आत्मबोधः।।
Atmabodha, meaning Self-knowledge or Self-awareness, is an exceptionally lucid and readable work of Shankaracharya. Consisting of sixty-eight verses or shlokas, it is in a sense a simple summary of his entire Vedantic structure of thought, intended, it would seem, as a basic primer for his students and followers. The text follows a clearly elaborated doctrine, starting with knowledge as a key to liberation, the nautre of the Atman within us, the assertion of the pervasive and attribute-less nature of Brahman, and the path towards the realisation of the complete identity between the Atman and Brahman.
यल्लाभान्नापरो लाभो यत्सुखान्नापरं सुखम्।
यज्ज्ञानान्नापरं ज्ञानं तद्ब्रह्मेत्यवधारयेत्।।54।।
54. Realise That to be Brahman, the attainment of which leaves nothing more to be attained, the blessedness of which leaves no other blessing to be desired and the knowledge of which leaves nothing more to be known.
आत्म-बोध ऑनलाइन क्लास - 54:
आत्म-बोध के 54th श्लोक में भी भगवान् शंकराचार्यजी हमें ब्रह्म-ज्ञान में पूरे दिल से निष्ठ होकर उसी में रमने के लिए ब्रह्म की महिमा बता रहे हैं। ये श्लोक उनके लिए भी हो सकते हैं जो अभी पूरे दिल से ब्रह्म-ज्ञान के लिए समर्पित नहीं हुए हैं और अभी भी बहिर्मुख हैं, अर्थात किसी न किसी दुनिया की वस्तुओं से तृप्त होना चाहते हैं। वे कहते हैं की उसे ब्रह्म जानो जिसके 'लाभ' के बाद अन्य कोई लाभ की प्राप्ति शेष नहीं बचती है। जिसके सुख के बाद अन्य कोई सुख की प्राप्ति की संभावना शेष नहीं होती है। और तीसरी बात कहते हैं जिसके ज्ञान के बाद दूसरा कोई ज्ञान का विषय ही नहीं होता है।
#Atmabodha
।।आत्मबोधः।।
Atmabodha, meaning Self-knowledge or Self-awareness, is an exceptionally lucid and readable work of Shankaracharya. Consisting of sixty-eight verses or shlokas, it is in a sense a simple summary of his entire Vedantic structure of thought, intended, it would seem, as a basic primer for his students and followers. The text follows a clearly elaborated doctrine, starting with knowledge as a key to liberation, the nautre of the Atman within us, the assertion of the pervasive and attribute-less nature of Brahman, and the path towards the realisation of the complete identity between the Atman and Brahman.
यल्लाभान्नापरो लाभो यत्सुखान्नापरं सुखम्।
यज्ज्ञानान्नापरं ज्ञानं तद्ब्रह्मेत्यवधारयेत्।।54।।
54. Realise That to be Brahman, the attainment of which leaves nothing more to be attained, the blessedness of which leaves no other blessing to be desired and the knowledge of which leaves nothing more to be known.
आत्म-बोध ऑनलाइन क्लास - 54:
आत्म-बोध के 54th श्लोक में भी भगवान् शंकराचार्यजी हमें ब्रह्म-ज्ञान में पूरे दिल से निष्ठ होकर उसी में रमने के लिए ब्रह्म की महिमा बता रहे हैं। ये श्लोक उनके लिए भी हो सकते हैं जो अभी पूरे दिल से ब्रह्म-ज्ञान के लिए समर्पित नहीं हुए हैं और अभी भी बहिर्मुख हैं, अर्थात किसी न किसी दुनिया की वस्तुओं से तृप्त होना चाहते हैं। वे कहते हैं की उसे ब्रह्म जानो जिसके 'लाभ' के बाद अन्य कोई लाभ की प्राप्ति शेष नहीं बचती है। जिसके सुख के बाद अन्य कोई सुख की प्राप्ति की संभावना शेष नहीं होती है। और तीसरी बात कहते हैं जिसके ज्ञान के बाद दूसरा कोई ज्ञान का विषय ही नहीं होता है।
#Atmabodha
March 26, 2022
March 26, 2022
BVGch10vs36
Swami Brahamananda
श्रीमद्भगवद्गीता [10.36]
March 26, 2022
🍃
♦️dyuutaM Chalayataamasmi tejastejasvinaamaham|
jayo'smi vyavasaayo'smi sattvaM sattvavataamaham10.36
⚜10.36 I am the gambling of the fraudulent; I am the splendour of the splendid; I am victory; I am determination (of those who are determined); I am the goodness of the good.
⚜।।10.36।। मैं छल करने वालों में द्यूत हूँ और तेजस्वियों में तेज हूँ मैं विजय हूँमैं व्यवसाय (उद्यमशीलता) हूँ और सात्विक पुरुषों का सात्विक भाव हूँ।।
#geeta
द्यूतं छलयतामस्मि तेजस्तेजस्विनामहम्।
जयोऽस्मि व्यवसायोऽस्मि सत्त्वं सत्त्ववतामहम्
।।10.36।।♦️dyuutaM Chalayataamasmi tejastejasvinaamaham|
jayo'smi vyavasaayo'smi sattvaM sattvavataamaham
⚜10.36 I am the gambling of the fraudulent; I am the splendour of the splendid; I am victory; I am determination (of those who are determined); I am the goodness of the good.
⚜।।10.36।। मैं छल करने वालों में द्यूत हूँ और तेजस्वियों में तेज हूँ मैं विजय हूँमैं व्यवसाय (उद्यमशीलता) हूँ और सात्विक पुरुषों का सात्विक भाव हूँ।।
#geeta
March 26, 2022
Forwarded from रामदूतः — The Sanskrit News Platform
March 26, 2022
BVGch10vs37
Swami Brahamananda
श्रीमद्भगवद्गीता [10.37]
March 26, 2022
🍃
♦️vRRiShNiinaaM vaasudevo'smi paaNDavaanaaM dhanaMjayaH|
muniinaamapyahaM vyaasaH kaviinaamushanaa kaviH10.37
⚜I am Vaasudeva among the Vrishni, Arjuna among the Paandavas, Vyaasa among the sages, and Ushanaa among the poets. (10.37)
⚜मैं वृष्णियों में वासुदेव हूँ और पाण्डवों में धनंजय मैं मुनियों में व्यास और कवियों में उशना कवि हूँ।।10.37।।
#geeta
वृष्णीनां वासुदेवोऽस्मि पाण्डवानां धनंजयः।
मुनीनामप्यहं व्यासः कवीनामुशना कविः
।।10.37।।♦️vRRiShNiinaaM vaasudevo'smi paaNDavaanaaM dhanaMjayaH|
muniinaamapyahaM vyaasaH kaviinaamushanaa kaviH
⚜I am Vaasudeva among the Vrishni, Arjuna among the Paandavas, Vyaasa among the sages, and Ushanaa among the poets. (10.37)
⚜मैं वृष्णियों में वासुदेव हूँ और पाण्डवों में धनंजय मैं मुनियों में व्यास और कवियों में उशना कवि हूँ।।10.37।।
#geeta
March 26, 2022
🚩जय सत्य सनातन🚩
🚩आज की हिंदी तिथि
🌥️ 🚩युगाब्द-५१२३
🌥️ 🚩विक्रम संवत-२०७८
⛅ 🚩तिथि - दशमी शाम 06:04 तक तपश्चात एकादशी
⛅ दिनांक 27 मार्च 2022
⛅ दिन - रविवार
⛅ शक संवत - 1943
⛅ अयन - उत्तरायण
⛅ ऋतु - वसंत
⛅ मास - चैत्र
⛅ पक्ष - कृष्ण
⛅ नक्षत्र - उत्तराषाढ़ा दोपहर 01:32 तक तपश्चात श्रवण
⛅योग - शिव रात्रि 08:16 तक तत्पश्चात सिद्ध
⛅ राहुकाल - शाम 5:21 से 06:53 तक
⛅सूर्योदय - 06:37
⛅ सूर्यास्त - 06:53
⛅चन्द्रोदय - रात्रि 04:04 (28 तरीख सुबह)
⛅ दिशाशूल - पश्चिम दिशा में
🚩आज की हिंदी तिथि
🌥️ 🚩युगाब्द-५१२३
🌥️ 🚩विक्रम संवत-२०७८
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⛅ दिनांक 27 मार्च 2022
⛅ दिन - रविवार
⛅ शक संवत - 1943
⛅ अयन - उत्तरायण
⛅ ऋतु - वसंत
⛅ मास - चैत्र
⛅ पक्ष - कृष्ण
⛅ नक्षत्र - उत्तराषाढ़ा दोपहर 01:32 तक तपश्चात श्रवण
⛅योग - शिव रात्रि 08:16 तक तत्पश्चात सिद्ध
⛅ राहुकाल - शाम 5:21 से 06:53 तक
⛅सूर्योदय - 06:37
⛅ सूर्यास्त - 06:53
⛅चन्द्रोदय - रात्रि 04:04 (28 तरीख सुबह)
⛅ दिशाशूल - पश्चिम दिशा में
March 26, 2022
Forwarded from रामदूतः — The Sanskrit News Platform
https://youtu.be/WjPbyPA_Pko
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वार्ता: संस्कृत भाषा में समाचार
March 26, 2022
@sutaah, subsidiary of @samskrt_samvadah is starting Elements in Periodic Table through Sanskrit Classes
Date: 31st March to 3rd April 2022
Time : 11 AM - 12.00 PM 🕖 (Indian time)
Teacher : @BhavaniSSR
Prior Sanskrit knowledge NOT Necessary.
Pls fill the Gform👇👇
https://forms.gle/bc7sJdPyQsnQ8ajt8
Do you know Sanskrit language helps to acquire the highest mental acumen quickly which is required to be skillful in computer languages?
Give your child an opportunity to learn Chemistry in a much better way through the Deva Bhasha Samskrit. And you will be surprised to know how Sanskrit played a role in the discovery of Mendeleev's periodic table
सर्वे भवन्तु सुखिनः🙏
NOTE: IX and X std students can join.💪However students from 6th to 12th can join if they are interested. Classes will be interactive and it's requested that your child is provided with hi-speed internet connectivity and a serene atmosphere to concentrate.
🚷 Adults! Pls 😅Let's NOT walk into the space meant for Children
Date: 31st March to 3rd April 2022
Time : 11 AM - 12.00 PM 🕖 (Indian time)
Teacher : @BhavaniSSR
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Do you know Sanskrit language helps to acquire the highest mental acumen quickly which is required to be skillful in computer languages?
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सर्वे भवन्तु सुखिनः🙏
NOTE: IX and X std students can join.💪However students from 6th to 12th can join if they are interested. Classes will be interactive and it's requested that your child is provided with hi-speed internet connectivity and a serene atmosphere to concentrate.
🚷 Adults! Pls 😅Let's NOT walk into the space meant for Children
March 26, 2022
Admission Announcement.pdf
410.7 KB
KAVIKULAGURU KALIDAS SANSKRIT UNIVERSITY, RAMTEK DIST NAGPUR(Maharashtra)
Centre for Open & Distance Learning Courses here
Post Graduate Courses
M.A. Sanskrit ( Two Year)
M.A. Yogashastra ( Two Year)
Under Graduate Courses-
Diploma Courses-
Diploma in Early Childhood Education and Care ( One Year)
Diploma in Sanskrit Agam ( One Year)
Diploma in Yoga ( One Year)
Certificate Courses
Certificate in Vastushastra ( 6 Months)
Certificate in Jyotish ( 6 Months)
Certificate in Yoga setu ( 3 Months)
Certificate in Sanskrit Writing ( 6 Months)
Certificate in Spoken Sanskrit ( 6 Months)
Facilities
Provide printing Self Learning Materials.
Provide online Counseling Class.
Provide online Assignment.
Provide Audio and Video
Contact Information : Ms. Shrivarada Malge – Cell – 8087650981
#SanskritEducation
Centre for Open & Distance Learning Courses here
Post Graduate Courses
M.A. Sanskrit ( Two Year)
M.A. Yogashastra ( Two Year)
Under Graduate Courses-
Diploma Courses-
Diploma in Early Childhood Education and Care ( One Year)
Diploma in Sanskrit Agam ( One Year)
Diploma in Yoga ( One Year)
Certificate Courses
Certificate in Vastushastra ( 6 Months)
Certificate in Jyotish ( 6 Months)
Certificate in Yoga setu ( 3 Months)
Certificate in Sanskrit Writing ( 6 Months)
Certificate in Spoken Sanskrit ( 6 Months)
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#SanskritEducation
March 26, 2022
अङ्गं गलितं पलितं मुण्डं दन्तविहीनं जातं तुण्डम्।
करधृतकम्पितशोभितदण्डं तदपि न मुञ्चत्याशापिण्डम्।।
अंग गल गए हैं, बाल सफेद हो गए हैं, दाँत गिर गए हैं, काँपते हाथों में डंडा लिया हुआ है, फिर भी आशा मनुष्य का पिण्ड नहीं छोड़ती।
संस्कृतार्थः -
अङ्गानि गलितानि , केशाः श्वेतवर्णीयाः अभवन् , दन्ताः पतिताः , कम्पमाने हस्ते दण्डः स्वीकृतः अस्ति तथापि मनुष्यः विषयाशां न त्यजति।
#Subhashitam
करधृतकम्पितशोभितदण्डं तदपि न मुञ्चत्याशापिण्डम्।।
अंग गल गए हैं, बाल सफेद हो गए हैं, दाँत गिर गए हैं, काँपते हाथों में डंडा लिया हुआ है, फिर भी आशा मनुष्य का पिण्ड नहीं छोड़ती।
संस्कृतार्थः -
अङ्गानि गलितानि , केशाः श्वेतवर्णीयाः अभवन् , दन्ताः पतिताः , कम्पमाने हस्ते दण्डः स्वीकृतः अस्ति तथापि मनुष्यः विषयाशां न त्यजति।
#Subhashitam
March 26, 2022
जनाः _________ अधः __________ सन्ति।
Anonymous Quiz
10%
वृक्षस्य,उत्तिष्ठाः
10%
वृक्षं,उपविष्टाः
15%
वृक्षात् , उपविष्टाः
65%
वृक्षस्य, उपविष्टाः
March 27, 2022
March 27, 2022
संस्कृत संवादः । Sanskrit Samvadah
वानरः
प्लवते = बन्दर कूद रहा है। वानरस्य प्लुतिं दृष्ट्वा बालो मोदते
= बन्दर की उछलकूद देखकर बच्चा प्रसन्न हो रहा है। मद्यं पिबति =
शराब पीता है। अद्यत्वे मद्यस्य पीतिः आढ्यानां प्रतीकं वर्तते = आजकल
मद्यपान धनिक होने की निशानी है। भवान्…
त्वं वदसि
= तू बोलता/बोलती है।
तव विवदिषा समाप्ता, अधुनाऽहं वक्ष्यामि
= तेरी बोलने की बारी समाप्त हुई, अब मैं बोलूंगा/बोलूंगी।
अहं पुस्तकं पठामि
= मैं पुस्तक पढ़ता/पढ़ती हूं।
मह्यं पुस्तकं ददातु, अधुना मम पुस्तकस्य पाठिकाऽस्ति
= मुझे पुस्तक देदो, अभी मेरी पुस्तक पढ़ने की बारी है।
इक्षवो भुङ्क्ते
= गन्ने खा रहा/रही है।
इक्षूणां भक्षिकाम् अर्हति भवान्
= आप गन्ने खा सकते/सकती हैं।
बालः दुग्धं पिबति
= बच्चा दूध पी रहा है।
बालः दुग्धस्य पायिकाम् अर्हति
= बच्चा दूध पी सकता है।
भाण्डानि मार्जयति वस्त्राणि प्रक्षालयति
= बरतन साफ कर रही है और कपड़े धो रही है।
जलाशये जलमधुना पूरितम्, भवति भाण्डानां मार्जिकां वस्त्राणां च प्रक्षालिकाम् अर्हत्यधुना
= टंकी में पानी भर दिया है, अब आप बरतन मांज सकती हैं और कपड़े धो सकती हैं।
शाटिकां धारयति
= साड़ी पहन रही है।
कञ्चुकं स्यूतम्, शाटिकायाः धारिकामर्हति भवती
= ब्लाउज सिल दिया है, आप साड़ी पहन सकती हैं।
भ्रातृजाया हसति
= भाभी हंस रही है।
भ्रातृजायायाः हसनं मह्यं रोचते
= भाभी की हंसी मुझे अच्छी लगती है।
बालो दुग्धं पिबति
= बच्चा दूध पी रहा है।
बालेन बालस्य वा दुग्धस्य पानं बहु शोभनं वर्तते
= बच्चा बहुत अच्छी तरह से दूध पी रहा है।
ओदनं पचति
= चावल पका रही है।
ओदनस्य पचनं बहु सरलमस्ति
= चावल पकाना बहुत सरल है।
माधुरी गच्छति
= माधुरी जा रही है।
माधुर्याः गमनं कुटिलं प्रतीयते
= माधुरी का जाना कुटिल प्रतीत हो रहा है।
कैकेयी वरं याचति
= कैकेयी वर मांग रही है।
रामो वनं गच्छति
= राम वन जा रहा है।
कैकेय्याः कैकेय्या वा वरस्य याचनं रामस्य वनगमनस्य कारणमभूत्
= कैकेयी का वर मांगना राम के वनगमन का कारण बना।
आतङ्कवादिनो निगृह्णति = आतंकवादियों को पकड़ता है।
आतङ्कवादिनां निग्रहणं कृत्वा कारागारेऽक्षिपत् ।
= आतंकवादियों को पकडकर जेल में डाल दिया।
दुष्टाः प्रजाः पीडयन्ति
= दुष्ट प्रजा को पीड़ित कर रहे हैं।
दुष्टैः प्रजायाः पीडनं क्रियते
= दुष्टों के द्वारा प्रजा को पीड़ित किया जा रहा है।
सीतां हरति
= सीता का अपहरण करता है।
सीतायाः हरणेन रावणो मृतः
= सीता के अपहरण के कारण रावण मारा गया।
एतेऽत्राऽसते
= ये लोग यहां बैठ रहे हैं।
इदमेषाम् आसितमस्ति
= ये इनका बैठने का स्थान है।
एतेऽत्र शेरते
= ये यहां सोते हैं।
इदमेतेषां शयितमस्ति
= ये इनका शयनकक्ष है।
एतेऽत्र भुञ्जते अश्नन्ति खादन्ति भक्षन्ति वा
= ये यहां पर भोजन करते हैं।
इदमेतेषां भुक्तम् अशितं खादितं भक्षितं वाऽस्ति
= ये इनकी भोजनशाला है।
एतेऽत्र फलरसं पिबन्ति
= ये यहां फलों का रस पीते हैं।
इदमेतेषां फलरसस्य पीतमस्ति
= यह इनके फलों का रस पीने का स्थान है।
रामोऽत्र पठति
= राम यहां पढ़ता है।
इदं रामस्य पठितमस्ति
= यह राम का अध्ययनकक्ष है।
बालकाः अत्र क्रीडन्ति
= बच्चे यहां खेलते हैं।
इदं बालकानां क्रीडनमस्ति
= यह बच्चों के खेलने का स्थान है।
अहम् उपविशामि
= मैं बैठता/बैठती हूं।
मम उपविष्टे केनापि अद्य जलं क्षिप्तम्
= मेरे बैठने के स्थान पर किसी ने आज पानी फैला दिया है।
जनाः यान्ति
= लोग चलते हैं।
जनानां याते प्रावृषि यवसं जातम्
= लोगों के चलने के स्थान पर बारिश में घास उग आई।
मूषकाः भ्रमन्ति
= चूहे घूम रहे हैं।
मूषकाणां भ्रमितेऽद्य मार्जारी अवेक्षणं करोति
= चूहों के घूमने की जगह पर आज बिल्ली पहरा दे रही है।
उलूकाः वसन्ति
= उल्लू रहते हैं।
उलूकानां उषिते काकाः परिभ्रमन्ति
= उल्लुओं के निवासस्थान पर कौए मंडरा रहे हैं।
#vakyabhyas
= तू बोलता/बोलती है।
तव विवदिषा समाप्ता, अधुनाऽहं वक्ष्यामि
= तेरी बोलने की बारी समाप्त हुई, अब मैं बोलूंगा/बोलूंगी।
अहं पुस्तकं पठामि
= मैं पुस्तक पढ़ता/पढ़ती हूं।
मह्यं पुस्तकं ददातु, अधुना मम पुस्तकस्य पाठिकाऽस्ति
= मुझे पुस्तक देदो, अभी मेरी पुस्तक पढ़ने की बारी है।
इक्षवो भुङ्क्ते
= गन्ने खा रहा/रही है।
इक्षूणां भक्षिकाम् अर्हति भवान्
= आप गन्ने खा सकते/सकती हैं।
बालः दुग्धं पिबति
= बच्चा दूध पी रहा है।
बालः दुग्धस्य पायिकाम् अर्हति
= बच्चा दूध पी सकता है।
भाण्डानि मार्जयति वस्त्राणि प्रक्षालयति
= बरतन साफ कर रही है और कपड़े धो रही है।
जलाशये जलमधुना पूरितम्, भवति भाण्डानां मार्जिकां वस्त्राणां च प्रक्षालिकाम् अर्हत्यधुना
= टंकी में पानी भर दिया है, अब आप बरतन मांज सकती हैं और कपड़े धो सकती हैं।
शाटिकां धारयति
= साड़ी पहन रही है।
कञ्चुकं स्यूतम्, शाटिकायाः धारिकामर्हति भवती
= ब्लाउज सिल दिया है, आप साड़ी पहन सकती हैं।
भ्रातृजाया हसति
= भाभी हंस रही है।
भ्रातृजायायाः हसनं मह्यं रोचते
= भाभी की हंसी मुझे अच्छी लगती है।
बालो दुग्धं पिबति
= बच्चा दूध पी रहा है।
बालेन बालस्य वा दुग्धस्य पानं बहु शोभनं वर्तते
= बच्चा बहुत अच्छी तरह से दूध पी रहा है।
ओदनं पचति
= चावल पका रही है।
ओदनस्य पचनं बहु सरलमस्ति
= चावल पकाना बहुत सरल है।
माधुरी गच्छति
= माधुरी जा रही है।
माधुर्याः गमनं कुटिलं प्रतीयते
= माधुरी का जाना कुटिल प्रतीत हो रहा है।
कैकेयी वरं याचति
= कैकेयी वर मांग रही है।
रामो वनं गच्छति
= राम वन जा रहा है।
कैकेय्याः कैकेय्या वा वरस्य याचनं रामस्य वनगमनस्य कारणमभूत्
= कैकेयी का वर मांगना राम के वनगमन का कारण बना।
आतङ्कवादिनो निगृह्णति = आतंकवादियों को पकड़ता है।
आतङ्कवादिनां निग्रहणं कृत्वा कारागारेऽक्षिपत् ।
= आतंकवादियों को पकडकर जेल में डाल दिया।
दुष्टाः प्रजाः पीडयन्ति
= दुष्ट प्रजा को पीड़ित कर रहे हैं।
दुष्टैः प्रजायाः पीडनं क्रियते
= दुष्टों के द्वारा प्रजा को पीड़ित किया जा रहा है।
सीतां हरति
= सीता का अपहरण करता है।
सीतायाः हरणेन रावणो मृतः
= सीता के अपहरण के कारण रावण मारा गया।
एतेऽत्राऽसते
= ये लोग यहां बैठ रहे हैं।
इदमेषाम् आसितमस्ति
= ये इनका बैठने का स्थान है।
एतेऽत्र शेरते
= ये यहां सोते हैं।
इदमेतेषां शयितमस्ति
= ये इनका शयनकक्ष है।
एतेऽत्र भुञ्जते अश्नन्ति खादन्ति भक्षन्ति वा
= ये यहां पर भोजन करते हैं।
इदमेतेषां भुक्तम् अशितं खादितं भक्षितं वाऽस्ति
= ये इनकी भोजनशाला है।
एतेऽत्र फलरसं पिबन्ति
= ये यहां फलों का रस पीते हैं।
इदमेतेषां फलरसस्य पीतमस्ति
= यह इनके फलों का रस पीने का स्थान है।
रामोऽत्र पठति
= राम यहां पढ़ता है।
इदं रामस्य पठितमस्ति
= यह राम का अध्ययनकक्ष है।
बालकाः अत्र क्रीडन्ति
= बच्चे यहां खेलते हैं।
इदं बालकानां क्रीडनमस्ति
= यह बच्चों के खेलने का स्थान है।
अहम् उपविशामि
= मैं बैठता/बैठती हूं।
मम उपविष्टे केनापि अद्य जलं क्षिप्तम्
= मेरे बैठने के स्थान पर किसी ने आज पानी फैला दिया है।
जनाः यान्ति
= लोग चलते हैं।
जनानां याते प्रावृषि यवसं जातम्
= लोगों के चलने के स्थान पर बारिश में घास उग आई।
मूषकाः भ्रमन्ति
= चूहे घूम रहे हैं।
मूषकाणां भ्रमितेऽद्य मार्जारी अवेक्षणं करोति
= चूहों के घूमने की जगह पर आज बिल्ली पहरा दे रही है।
उलूकाः वसन्ति
= उल्लू रहते हैं।
उलूकानां उषिते काकाः परिभ्रमन्ति
= उल्लुओं के निवासस्थान पर कौए मंडरा रहे हैं।
#vakyabhyas
March 27, 2022
March 27, 2022
March 27, 2022
।।श्रीः।।
।।आत्मबोधः।।
Atmabodha, meaning Self-knowledge or Self-awareness, is an exceptionally lucid and readable work of Shankaracharya. Consisting of sixty-eight verses or shlokas, it is in a sense a simple summary of his entire Vedantic structure of thought, intended, it would seem, as a basic primer for his students and followers. The text follows a clearly elaborated doctrine, starting with knowledge as a key to liberation, the nautre of the Atman within us, the assertion of the pervasive and attribute-less nature of Brahman, and the path towards the realisation of the complete identity between the Atman and Brahman.
यद्दृष्ट्वा नापरं दृश्यं यद्भूत्वा न पुनर्भवः।
यज्ज्ञात्वा नापरं ज्ञेयं तद्ब्रह्मेत्यवधारयेत्।।55।।
55. Realise that to be Brahman which, when seen, leaves nothing more to be seen, which having become one is not born again in this world and which, when knowing leaves nothing else to be known.
आत्म-बोध ऑनलाइन क्लास - 55:
आत्म-बोध के 55th श्लोक में भी भगवान् शंकराचार्यजी हमें ब्रह्म-ज्ञान में पूरे दिल से निष्ठ होकर उसी में रमने के लिए ब्रह्म की कुछ और महिमा बता रहे हैं। पू गुरूजी यहाँ पर बताते हैं की प्रत्येक मनुष्य में एक दिमाग और एक दिल होता है। वेदान्त में पहले दिमाग को प्रबुद्ध किया जाता है और फिर अपनी ही बुद्धि से अपने ही दिल में ज्ञान उतारा जाता है। यह पढ़ाओ सबसे महत्वपूर्ण होता है और इसके बाद ही ज्ञान में निष्ठा होती है, और मुक्ति केवल ज्ञान में निष्ठा के बाद ही होती है। तो यहाँ इस श्लोक में आचार्य कहते हैं की अपनी ही बुद्धि से अपने दिल को बताना चाहिए की हे मन ब्रह्म वो होता है जो सबसे दर्शनीय है, जिसको देखने के बाद फिर कुछ दर्शन योग्य नहीं बचता है। यह वो है जो हो जाने के बाद अन्य कुछ बनाने की संभावना नहीं रहती है और जिसको जानने के बाद अन्य कोई ज्ञेय वस्तु नहीं रहती है।
#Atmabodha
।।आत्मबोधः।।
Atmabodha, meaning Self-knowledge or Self-awareness, is an exceptionally lucid and readable work of Shankaracharya. Consisting of sixty-eight verses or shlokas, it is in a sense a simple summary of his entire Vedantic structure of thought, intended, it would seem, as a basic primer for his students and followers. The text follows a clearly elaborated doctrine, starting with knowledge as a key to liberation, the nautre of the Atman within us, the assertion of the pervasive and attribute-less nature of Brahman, and the path towards the realisation of the complete identity between the Atman and Brahman.
यद्दृष्ट्वा नापरं दृश्यं यद्भूत्वा न पुनर्भवः।
यज्ज्ञात्वा नापरं ज्ञेयं तद्ब्रह्मेत्यवधारयेत्।।55।।
55. Realise that to be Brahman which, when seen, leaves nothing more to be seen, which having become one is not born again in this world and which, when knowing leaves nothing else to be known.
आत्म-बोध ऑनलाइन क्लास - 55:
आत्म-बोध के 55th श्लोक में भी भगवान् शंकराचार्यजी हमें ब्रह्म-ज्ञान में पूरे दिल से निष्ठ होकर उसी में रमने के लिए ब्रह्म की कुछ और महिमा बता रहे हैं। पू गुरूजी यहाँ पर बताते हैं की प्रत्येक मनुष्य में एक दिमाग और एक दिल होता है। वेदान्त में पहले दिमाग को प्रबुद्ध किया जाता है और फिर अपनी ही बुद्धि से अपने ही दिल में ज्ञान उतारा जाता है। यह पढ़ाओ सबसे महत्वपूर्ण होता है और इसके बाद ही ज्ञान में निष्ठा होती है, और मुक्ति केवल ज्ञान में निष्ठा के बाद ही होती है। तो यहाँ इस श्लोक में आचार्य कहते हैं की अपनी ही बुद्धि से अपने दिल को बताना चाहिए की हे मन ब्रह्म वो होता है जो सबसे दर्शनीय है, जिसको देखने के बाद फिर कुछ दर्शन योग्य नहीं बचता है। यह वो है जो हो जाने के बाद अन्य कुछ बनाने की संभावना नहीं रहती है और जिसको जानने के बाद अन्य कोई ज्ञेय वस्तु नहीं रहती है।
#Atmabodha
March 27, 2022
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कालावधिः : 45 निमेषाः
समयः : IST 11:00 AM 🕚
विषयः : वार्ताः
(News)
दिनाङ्कः : 28th March 2022,
सोमवासरः
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😇 यदि शक्येत चेत् संस्कृतेन ( प्रदेशीयां , राष्ट्रीयां, अन्ताराष्ट्रीयां वा वार्तां वदन्तु ) चर्चार्थं कृपया पूर्वसिद्धतां कृत्वा आगच्छन्तु।
वयं युष्माकं प्रतीक्षां कुर्मः। 😇
स्मारणतंत्रिकां स्थापयतु⏰
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March 27, 2022
BVGch10vs38
Swami Brahamananda
श्रीमद्भगवद्गीता [10.38]
March 27, 2022
🍃
♦️daNDo damayataamasmi niitirasmi jigiiShataam|
maunaM chaivaasmi guhyaanaaM j~naanaM j~naanavataamaham10.38
⚜I am the power of rulers, the statesmanship of the seekers of victory, I am silence among the secrets, and the Self-knowledge of the knowledgeable. (10.38)
⚜मैं दमन करने वालों का दण्ड हूँ और विजयेच्छुओं की नीति हूँ मैं गुह्यों में मौन हूँ और ज्ञानवानों का ज्ञान हूँ।।10.38।।
#geeta
दण्डो दमयतामस्मि नीतिरस्मि जिगीषताम्।
मौनं चैवास्मि गुह्यानां ज्ञानं ज्ञानवतामहम्
।।10.38।।♦️daNDo damayataamasmi niitirasmi jigiiShataam|
maunaM chaivaasmi guhyaanaaM j~naanaM j~naanavataamaham
⚜I am the power of rulers, the statesmanship of the seekers of victory, I am silence among the secrets, and the Self-knowledge of the knowledgeable. (10.38)
⚜मैं दमन करने वालों का दण्ड हूँ और विजयेच्छुओं की नीति हूँ मैं गुह्यों में मौन हूँ और ज्ञानवानों का ज्ञान हूँ।।10.38।।
#geeta
March 27, 2022
BVGch10vs39
Swami Brahamananda
श्रीमद्भगवद्गीता [10.39]
March 27, 2022
🍃
♦️yachchaapi sarvabhuutaanaaM biijaM tadahamarjuna|
na tadasti vinaa yatsyaanmayaa bhuutaM charaacharam10.39
⚜I am the origin or seed of all beings, O Arjuna. There is nothing, animate or inanimate, that can exist without Me. (See also 7.10 and 9.18) (10.39)
⚜हे अर्जुन जो समस्त भूतों की उत्पत्ति का बीज (कारण) है वह भी में ही हूँ क्योंकि ऐसा कोई चर और अचर भूत नहीं है जो मुझसे रहित है।।10.39।।
#geeta
यच्चापि सर्वभूतानां बीजं तदहमर्जुन।
न तदस्ति विना यत्स्यान्मया भूतं चराचरम्
।।10.39।।♦️yachchaapi sarvabhuutaanaaM biijaM tadahamarjuna|
na tadasti vinaa yatsyaanmayaa bhuutaM charaacharam
⚜I am the origin or seed of all beings, O Arjuna. There is nothing, animate or inanimate, that can exist without Me. (See also 7.10 and 9.18) (10.39)
⚜हे अर्जुन जो समस्त भूतों की उत्पत्ति का बीज (कारण) है वह भी में ही हूँ क्योंकि ऐसा कोई चर और अचर भूत नहीं है जो मुझसे रहित है।।10.39।।
#geeta
March 27, 2022
🚩जय सत्य सनातन🚩
🚩आज की हिंदी तिथि
🌥️ 🚩युगाब्द-५१२३
🌥️ 🚩विक्रम संवत-२०७८
⛅ 🚩तिथि - एकादशी अपरान्ह 04:15 तक तपश्चात द्वादशी
⛅ दिनांक 28 मार्च 2022
⛅ दिन - सोमवार
⛅ शक संवत - 1943
⛅ अयन - उत्तरायण
⛅ ऋतु - वसंत
⛅ मास - चैत्र
⛅ पक्ष - कृष्ण
⛅ नक्षत्र - श्रवण दोपहर 12:24 तक तपश्चात धनिष्ठा
⛅योग - सिद्ध शाम 05:40 तक तत्पश्चात साध्य
⛅ राहुकाल - सुबह 08:08 से 09:41 तक
⛅सूर्योदय - 06:36
⛅ सूर्यास्त - 06:54
⛅चन्द्रोदय - रात्रि 04:04 (28 तरीख सुबह)
⛅ दिशाशूल - पूर्व दिशा में
🚩आज की हिंदी तिथि
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March 27, 2022
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March 27, 2022
March 27, 2022
https://youtu.be/dXWD2x49sLk
Switch to DD News daily at 7:15 AM (Morning) for 15 minutes Sanskrit news.
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वार्ता - संस्कृत में देश विदेश की प्रमुख खबरें
वार्ता - संस्कृत में
देश विदेश की प्रमुख खबरें DD News is India’s 24x7 news channel from
the stable of the country’s Public Service Broadcaster, Prasar Bha...
March 27, 2022
March 27, 2022
March 27, 2022
March 27, 2022
आत्मछिद्रं न जानाति परच्छिद्राणि पश्यति |
स्वच्छिद्रं यदि जानाति परच्छिद्रं न पश्यति ||
लोग स्वयं अपनी कमियों को तो नहीं देखते हैं परन्तु दूसरों की कमियां उन्हें अधिक दिखाई देती हैं | यदि वे अपनी कमियों को जानते ( या जानने का प्रयत्न करते ) तो उन्हें दूसरों की कमियों को देखने की आवश्यकता ही नहीं होती |
संस्कृतार्थः -
सामान्यतः जनाः स्वन्यूनतां न पश्यन्ति अपितु अन्येषां का न्यूनता वर्तते इति एव पश्यन्ति।
परन्तु यदि जनाः स्वस्य अयेग्यतां पश्यन्ति अथवा तां द्रष्टुं प्रयत्नं कुर्वन्ति चेत् अन्येषां न्यूनतादर्शनस्य आवश्यकता एव न भवति।
#Subhashitam
स्वच्छिद्रं यदि जानाति परच्छिद्रं न पश्यति ||
लोग स्वयं अपनी कमियों को तो नहीं देखते हैं परन्तु दूसरों की कमियां उन्हें अधिक दिखाई देती हैं | यदि वे अपनी कमियों को जानते ( या जानने का प्रयत्न करते ) तो उन्हें दूसरों की कमियों को देखने की आवश्यकता ही नहीं होती |
संस्कृतार्थः -
सामान्यतः जनाः स्वन्यूनतां न पश्यन्ति अपितु अन्येषां का न्यूनता वर्तते इति एव पश्यन्ति।
परन्तु यदि जनाः स्वस्य अयेग्यतां पश्यन्ति अथवा तां द्रष्टुं प्रयत्नं कुर्वन्ति चेत् अन्येषां न्यूनतादर्शनस्य आवश्यकता एव न भवति।
#Subhashitam
March 27, 2022
March 28, 2022
March 28, 2022
संस्कृत संवादः । Sanskrit Samvadah
त्वं
वदसि = तू बोलता/बोलती है। तव विवदिषा समाप्ता, अधुनाऽहं वक्ष्यामि
= तेरी बोलने की बारी समाप्त हुई, अब मैं बोलूंगा/बोलूंगी। अहं पुस्तकं
पठामि = मैं पुस्तक पढ़ता/पढ़ती हूं। मह्यं पुस्तकं ददातु, अधुना मम
पुस्तकस्य पाठिकाऽस्ति = मुझे पुस्तक…
संस्कृतं वद आधुनिको भव।
वेदान् पठ वैज्ञानिको भव।।
पाठ : (२६) षष्ठी विभक्ति (५) + विसर्ग-सन्धिः
(क्रिया को बार-बार करने के होनेवाले कृत्वसुच्, सुच् तथा धा प्रत्ययवाले शब्दों के साथ कालाधिकरण कारक में षष्ठी विभक्ति का प्रयोग होता है।)
अजा दिनस्य बहुकृत्वो बहुधा वा भुङ्क्ते
= बकरी दिन में बहुत बार खाती है।
एषः संन्यासी दिवसस्य सकृत् भक्षति
= यह संन्यासी दिन में एक बार खाता है।
एषो यायावरो मासस्य बहुकृत्वो बहुधा वा भ्रमणाय गच्छति
= यह घुमक्कड़ महिने में बहुत बार घूमने के लिए चला जाता है।
अयं योगी दिनस्य द्विर्गुलिकां गृह्णाति
= यह रोगी दिन में दो बार गोली लेता है।
अयं मद्यपः पक्षस्य त्रिर्मधु पिबति
= यह शराबी पखवाडे में तीन बार शराब पीता है।
इयं चायपी अह्नः चतुः चायपानं करोति
= यह चाय पीनेवाली दिन में चार बार चाय पीती है।
स्वास्थ्याय दिवसस्य द्विर्भुञ्जीत, न ततोऽधिकम्
= स्वास्थ्य के लिए दिन में दो बार खाना चाहिए, इससे अधिक नहीं।
सप्ताहस्य सकृत् उपवसेत्
= सप्ताह में एक बार उपवास करे।
दिनस्य द्विः सन्ध्यामुपासीत
= दिन में दो बार सन्ध्या करे।
भोजनात्पूर्वं त्रिराचमेत्
= भोजन से पूर्व तीन बार आचमन करे।
अपरिचितोऽपि अयं जनोऽस्माकमुपनिवेशे बहुधा दृश्यते
= अपरिचित यह व्यक्ति अपनी सोसायटी में बहुत बार दिखाई देता है।
चलत्यहं द्विराहिता किन्तु न पतिता
= चलते हुए मुझे दो बार ठोकर लगी, फिर भी मैं नहीं गिरी।
इयं यजमाना संवत्सरस्य षट्कृत्वो यजुर्वेदस्य पारायणं करोति
= यह यजमाना वर्र्ष में छः बार यजुर्वेद का पारायण करती है।
अयं कुक्कुरः रात्रेः त्रिः रौति
= यह कुत्ता रात में तीन बार भौंकता है।
जीवनस्य बहुधाऽसफलोऽयं पुनरप्युत्साहेन कार्यं करोति
= जीवन में बहुत असफल होने पर भी यह व्यक्ति बहुत उत्साह से काम करता है।
(दक्षिणतः, उत्तरतः, परतः, अवरतः, उपरि, उपरिष्टात्, पश्चात्, उत्तरात्, अधरात्, दक्षिणात्, पुरः, अधः, अवः, पुरस्तात्, अधस्तात् और अवस्तात् इन शब्दों के प्रयोग में साथवाले शब्द से षष्ठी विभक्ति होती है।)
भारतवर्षस्य दक्षिणातो दक्षिणाद् वा महासागरोऽस्ति
= भारत के दक्षिण में समुद्र है।
भारतदेशस्योत्तरत उत्तराद् वा हिमालयो वर्तते
= भारत के उत्तर में हिमालय है।
अस्याः सरस्या अवरतोऽवरस्तादवो वा पर्वताः सन्ति
= इस बड़े तालाब के पीछे पर्वत हैं।
मम पश्चात् तिष्ठ
= मेरे पीछे खड़ा रह।
प्रथमभूमेरुपरि उपरिष्टात् वा केचन प्रकोष्ठाः सन्ति
= प्रथम मंजिल के ऊपर कुछ कमरे हैं।
अस्माकं यज्ञवेद्याः अधोऽधस्तादधराद् वा वेदाः स्थापिताः सन्ति
= हमारी यज्ञवेदी के नीचे वेद रखे हुए हैं।
सत्यार्थभवनस्याऽधः सत्यार्थप्रकाशो वर्तते
= सत्यार्थ-भवन के नीचे सत्यार्थ-प्रकाश रखा है।
पितुः पुरस्तात् पुरो वा दुर्घटना जाता पुत्रश्च मृतः
= पिता के सामने ही दुर्घटना हुई और बेटा मर गया।
तस्य वृक्षस्य अधरात् सर्पबिलं वर्तते
= इस पेड़ के नीचे सांप का बिल है।
छदिषः उपरि स्थित्वा बालः पतङ्गमुड्डायति
= छत पर खड़ा होकर बच्चा पतंग उड़ा रहा है।
पथि मम पुरस्तादेव सर्पः सृप्तः
= मार्ग में मेरे सामने से ही सांप गया।
मम पितृव्योऽस्माकमुपरिष्टात् वसति
= मेरे चाचाजी हमारे (घर के) ऊपर रहते हैं।
शाकस्योपरि तु सम्यक् प्रतीयते किन्तु नीचैर्ज्वलितमस्ति
= शाक का ऊपरवाला हिस्सा तो ठीक दीखता है किन्तु नीचे जला हुआ है।
गृहस्य उपरिष्टात् दीपावल्या शोभनं दृश्यते
= घर का ऊपर का हिस्सा दीपकों की माला के कारण सुन्दर दीख रहा है।
कनुकाका अस्माकं पश्चात् वसति
= कनुकाका हमारे पीछे रहते हैं।
मम पश्चादागतस्त्वं मम पुरतः कथं तिष्ठसि ?
= मुझसे बाद में आया तू मुझसे आगे कैसे खड़ा हो रहा/रही है ?
अस्माकं भारतस्य पुरस्ताद् निर्धनाः प्रान्ताः सन्ति
= हमारे भारत के पूर्व दिशा के प्रान्त निर्धन है।
ये भारतस्य पश्चात् वसन्ति ते पाश्चात्याः कथ्यन्ते
= जो भारत के पश्चिम में रहते हैं वे पाश्चात्य कहलाते हैं।
मध्यप्रदेशस्य दक्षिणतो निवसन्तः जनाः दाक्षिणात्याः उच्यन्ते
= मध्यप्रदेश के दक्षिण में रहनेवाले लोग दाक्षिणात्य कहे जाते हैं।
तस्य उत्तरतो ये वसन्ति ते औदीच्याः कथ्यन्ते
= उसके उत्तर में रहनेवाले लोग औदीच्य कहलाते हैं।
#vakyabhyas
वेदान् पठ वैज्ञानिको भव।।
पाठ : (२६) षष्ठी विभक्ति (५) + विसर्ग-सन्धिः
(क्रिया को बार-बार करने के होनेवाले कृत्वसुच्, सुच् तथा धा प्रत्ययवाले शब्दों के साथ कालाधिकरण कारक में षष्ठी विभक्ति का प्रयोग होता है।)
अजा दिनस्य बहुकृत्वो बहुधा वा भुङ्क्ते
= बकरी दिन में बहुत बार खाती है।
एषः संन्यासी दिवसस्य सकृत् भक्षति
= यह संन्यासी दिन में एक बार खाता है।
एषो यायावरो मासस्य बहुकृत्वो बहुधा वा भ्रमणाय गच्छति
= यह घुमक्कड़ महिने में बहुत बार घूमने के लिए चला जाता है।
अयं योगी दिनस्य द्विर्गुलिकां गृह्णाति
= यह रोगी दिन में दो बार गोली लेता है।
अयं मद्यपः पक्षस्य त्रिर्मधु पिबति
= यह शराबी पखवाडे में तीन बार शराब पीता है।
इयं चायपी अह्नः चतुः चायपानं करोति
= यह चाय पीनेवाली दिन में चार बार चाय पीती है।
स्वास्थ्याय दिवसस्य द्विर्भुञ्जीत, न ततोऽधिकम्
= स्वास्थ्य के लिए दिन में दो बार खाना चाहिए, इससे अधिक नहीं।
सप्ताहस्य सकृत् उपवसेत्
= सप्ताह में एक बार उपवास करे।
दिनस्य द्विः सन्ध्यामुपासीत
= दिन में दो बार सन्ध्या करे।
भोजनात्पूर्वं त्रिराचमेत्
= भोजन से पूर्व तीन बार आचमन करे।
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= चलते हुए मुझे दो बार ठोकर लगी, फिर भी मैं नहीं गिरी।
इयं यजमाना संवत्सरस्य षट्कृत्वो यजुर्वेदस्य पारायणं करोति
= यह यजमाना वर्र्ष में छः बार यजुर्वेद का पारायण करती है।
अयं कुक्कुरः रात्रेः त्रिः रौति
= यह कुत्ता रात में तीन बार भौंकता है।
जीवनस्य बहुधाऽसफलोऽयं पुनरप्युत्साहेन कार्यं करोति
= जीवन में बहुत असफल होने पर भी यह व्यक्ति बहुत उत्साह से काम करता है।
(दक्षिणतः, उत्तरतः, परतः, अवरतः, उपरि, उपरिष्टात्, पश्चात्, उत्तरात्, अधरात्, दक्षिणात्, पुरः, अधः, अवः, पुरस्तात्, अधस्तात् और अवस्तात् इन शब्दों के प्रयोग में साथवाले शब्द से षष्ठी विभक्ति होती है।)
भारतवर्षस्य दक्षिणातो दक्षिणाद् वा महासागरोऽस्ति
= भारत के दक्षिण में समुद्र है।
भारतदेशस्योत्तरत उत्तराद् वा हिमालयो वर्तते
= भारत के उत्तर में हिमालय है।
अस्याः सरस्या अवरतोऽवरस्तादवो वा पर्वताः सन्ति
= इस बड़े तालाब के पीछे पर्वत हैं।
मम पश्चात् तिष्ठ
= मेरे पीछे खड़ा रह।
प्रथमभूमेरुपरि उपरिष्टात् वा केचन प्रकोष्ठाः सन्ति
= प्रथम मंजिल के ऊपर कुछ कमरे हैं।
अस्माकं यज्ञवेद्याः अधोऽधस्तादधराद् वा वेदाः स्थापिताः सन्ति
= हमारी यज्ञवेदी के नीचे वेद रखे हुए हैं।
सत्यार्थभवनस्याऽधः सत्यार्थप्रकाशो वर्तते
= सत्यार्थ-भवन के नीचे सत्यार्थ-प्रकाश रखा है।
पितुः पुरस्तात् पुरो वा दुर्घटना जाता पुत्रश्च मृतः
= पिता के सामने ही दुर्घटना हुई और बेटा मर गया।
तस्य वृक्षस्य अधरात् सर्पबिलं वर्तते
= इस पेड़ के नीचे सांप का बिल है।
छदिषः उपरि स्थित्वा बालः पतङ्गमुड्डायति
= छत पर खड़ा होकर बच्चा पतंग उड़ा रहा है।
पथि मम पुरस्तादेव सर्पः सृप्तः
= मार्ग में मेरे सामने से ही सांप गया।
मम पितृव्योऽस्माकमुपरिष्टात् वसति
= मेरे चाचाजी हमारे (घर के) ऊपर रहते हैं।
शाकस्योपरि तु सम्यक् प्रतीयते किन्तु नीचैर्ज्वलितमस्ति
= शाक का ऊपरवाला हिस्सा तो ठीक दीखता है किन्तु नीचे जला हुआ है।
गृहस्य उपरिष्टात् दीपावल्या शोभनं दृश्यते
= घर का ऊपर का हिस्सा दीपकों की माला के कारण सुन्दर दीख रहा है।
कनुकाका अस्माकं पश्चात् वसति
= कनुकाका हमारे पीछे रहते हैं।
मम पश्चादागतस्त्वं मम पुरतः कथं तिष्ठसि ?
= मुझसे बाद में आया तू मुझसे आगे कैसे खड़ा हो रहा/रही है ?
अस्माकं भारतस्य पुरस्ताद् निर्धनाः प्रान्ताः सन्ति
= हमारे भारत के पूर्व दिशा के प्रान्त निर्धन है।
ये भारतस्य पश्चात् वसन्ति ते पाश्चात्याः कथ्यन्ते
= जो भारत के पश्चिम में रहते हैं वे पाश्चात्य कहलाते हैं।
मध्यप्रदेशस्य दक्षिणतो निवसन्तः जनाः दाक्षिणात्याः उच्यन्ते
= मध्यप्रदेश के दक्षिण में रहनेवाले लोग दाक्षिणात्य कहे जाते हैं।
तस्य उत्तरतो ये वसन्ति ते औदीच्याः कथ्यन्ते
= उसके उत्तर में रहनेवाले लोग औदीच्य कहलाते हैं।
#vakyabhyas
March 28, 2022
March 28, 2022
।।श्रीः।।
।।आत्मबोधः।।
Atmabodha, meaning Self-knowledge or Self-awareness, is an exceptionally lucid and readable work of Shankaracharya. Consisting of sixty-eight verses or shlokas, it is in a sense a simple summary of his entire Vedantic structure of thought, intended, it would seem, as a basic primer for his students and followers. The text follows a clearly elaborated doctrine, starting with knowledge as a key to liberation, the nautre of the Atman within us, the assertion of the pervasive and attribute-less nature of Brahman, and the path towards the realisation of the complete identity between the Atman and Brahman.
तिर्यगूर्ध्वमधः पूर्णं सच्चिदानन्दमद्वयम्।
अनन्तं नित्यमेकं यत्तद्ब्रह्मेत्यवधारयेत्।।56।।
56. Realise that to be Brahman which is Existence-Knowledge-Bliss-Absolute, which is Non-dual, Infinite, Eternal and One and which fills all the quarters – above and below and all that exists between.
आत्म-बोध ऑनलाइन क्लास - 56:
आत्म-बोध के 56th श्लोक में भी भगवान् शंकराचार्यजी हमें ब्रह्म की महिमा उसका वास्तविक अर्थ बता रहे हैं। श्लोक का अंतिम पद समान है - की उसको ही ब्रह्म जानो। किसको? जो श्लोक में पूर्ण तत्व है। जो सचिदानन्द स्वरुप है। वो ही तीनों दिशाओं में अपनी माया से विविध रूपों में अभिव्यक्त हो रहा है। तीन दिशाएं मतलब - ऊपर, नीचे और पृथ्वी के ऊपर। जो स्वतः अनंत है, जिसके दृष्टी से कोई द्वैत नहीं होता है। वह ही ब्रह्म है - हे मन अपने समस्त विक्षेप त्यागो और मात्र उसमें अपना ध्यान लगाओ। ब्रह्म के अलावा पूरे ब्रह्माण्ड में और कुछ भी नहीं है।
#Atmabodha
।।आत्मबोधः।।
Atmabodha, meaning Self-knowledge or Self-awareness, is an exceptionally lucid and readable work of Shankaracharya. Consisting of sixty-eight verses or shlokas, it is in a sense a simple summary of his entire Vedantic structure of thought, intended, it would seem, as a basic primer for his students and followers. The text follows a clearly elaborated doctrine, starting with knowledge as a key to liberation, the nautre of the Atman within us, the assertion of the pervasive and attribute-less nature of Brahman, and the path towards the realisation of the complete identity between the Atman and Brahman.
तिर्यगूर्ध्वमधः पूर्णं सच्चिदानन्दमद्वयम्।
अनन्तं नित्यमेकं यत्तद्ब्रह्मेत्यवधारयेत्।।56।।
56. Realise that to be Brahman which is Existence-Knowledge-Bliss-Absolute, which is Non-dual, Infinite, Eternal and One and which fills all the quarters – above and below and all that exists between.
आत्म-बोध ऑनलाइन क्लास - 56:
आत्म-बोध के 56th श्लोक में भी भगवान् शंकराचार्यजी हमें ब्रह्म की महिमा उसका वास्तविक अर्थ बता रहे हैं। श्लोक का अंतिम पद समान है - की उसको ही ब्रह्म जानो। किसको? जो श्लोक में पूर्ण तत्व है। जो सचिदानन्द स्वरुप है। वो ही तीनों दिशाओं में अपनी माया से विविध रूपों में अभिव्यक्त हो रहा है। तीन दिशाएं मतलब - ऊपर, नीचे और पृथ्वी के ऊपर। जो स्वतः अनंत है, जिसके दृष्टी से कोई द्वैत नहीं होता है। वह ही ब्रह्म है - हे मन अपने समस्त विक्षेप त्यागो और मात्र उसमें अपना ध्यान लगाओ। ब्रह्म के अलावा पूरे ब्रह्माण्ड में और कुछ भी नहीं है।
#Atmabodha
March 28, 2022
March 28, 2022
Forwarded from संस्कृत संवादः । Sanskrit Samvadah (Bhavani Raman)
@sutaah, subsidiary of @samskrt_samvadah is starting Elements in Periodic Table through Sanskrit Classes
Date: 31st March to 3rd April 2022
Time : 11 AM - 12.00 PM 🕖 (Indian time)
Teacher : @BhavaniSSR
Prior Sanskrit knowledge NOT Necessary.
Pls fill the Gform👇👇
https://forms.gle/bc7sJdPyQsnQ8ajt8
Do you know Sanskrit language helps to acquire the highest mental acumen quickly which is required to be skillful in computer languages?
Give your child an opportunity to learn Chemistry in a much better way through the Deva Bhasha Samskrit. And you will be surprised to know how Sanskrit played a role in the discovery of Mendeleev's periodic table
सर्वे भवन्तु सुखिनः🙏
NOTE: IX and X std students can join.💪However students from 6th to 12th can join if they are interested. Classes will be interactive and it's requested that your child is provided with hi-speed internet connectivity and a serene atmosphere to concentrate.
🚷 Adults! Pls 😅Let's NOT walk into the space meant for Children
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सर्वे भवन्तु सुखिनः🙏
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March 28, 2022
@samskrt_samvadah संलापशाला - A Samskrit Voicechat room.
कालावधिः : 45 निमेषाः
समयः : IST 11:00 AM 🕚
विषयः : भक्तिः
दिनाङ्कः : 29th March 2022,
मङ्गलवासरः
Please Join the voicechat on time.
Voicechat would be recorded and shared on this channel.⏺
😇 यदि शक्येत चेत् संस्कृतेन (कस्यचित् जनस्य उत्तमभक्त्याः उदाहरणं तस्य जीवनचरित्रं वा वदन्तु।) चर्चार्थं कृपया पूर्वसिद्धतां कृत्वा आगच्छन्तु।
वयं युष्माकं प्रतीक्षां कुर्मः। 😇
स्मारणतंत्रिकां स्थापयतु⏰
👇🏼👇🏼👇🏼👇🏼👇🏼
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कालावधिः : 45 निमेषाः
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दिनाङ्कः : 29th March 2022,
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March 28, 2022
BVGch10vs40
Swami Brahamananda
श्रीमद्भगवद्गीता [10.40]
March 28, 2022
🍃
♦️naanto'sti mama divyaanaaM vibhuutiinaaM paraMtapa|
eSha tuuddeshataH prokto vibhuutervistaro mayaa10.40
⚜There is no end of My divine manifestations, O Arjuna. This is only a brief description by Me of the extent of My divine manifestations. (10.40)
⚜हे परन्तप मेरी दिव्य विभूतियों का अन्त नहीं है अपनी विभूतियों का यह विस्तार मैंने एक देश से अर्थात् संक्षेप में कहा है।।10.40।।
#geeta
नान्तोऽस्ति मम दिव्यानां विभूतीनां परंतप।
एष तूद्देशतः प्रोक्तो विभूतेर्विस्तरो मया
।।10.40।।♦️naanto'sti mama divyaanaaM vibhuutiinaaM paraMtapa|
eSha tuuddeshataH prokto vibhuutervistaro mayaa
⚜There is no end of My divine manifestations, O Arjuna. This is only a brief description by Me of the extent of My divine manifestations. (10.40)
⚜हे परन्तप मेरी दिव्य विभूतियों का अन्त नहीं है अपनी विभूतियों का यह विस्तार मैंने एक देश से अर्थात् संक्षेप में कहा है।।10.40।।
#geeta
March 28, 2022
BVGch10vs41
Swami Brahamananda
श्रीमद्भगवद्गीता [10.41]
March 28, 2022
🍃
♦️yadyadvibhuutimatsattvaM shriimaduurjitameva vaa|
tattadevaavagachCha tvaM mama tejoM'shasaMbhavam10.41
⚜Whatever is endowed with glory, brilliance, and power; know that to be a manifestation of a fraction of My splendor. (10.41)
⚜जो कोई भी विभूतियुक्त कान्तियुक्त अथवा शक्तियुक्त वस्तु (या प्राणी) है उसको तुम मेरे तेज के अंश से ही उत्पन्न हुई जानो।।10.41।।
#geeta
यद्यद्विभूतिमत्सत्त्वं श्रीमदूर्जितमेव वा।
तत्तदेवावगच्छ त्वं मम तेजोंऽशसंभवम्
।।10.41।।♦️yadyadvibhuutimatsattvaM shriimaduurjitameva vaa|
tattadevaavagachCha tvaM mama tejoM'shasaMbhavam
⚜Whatever is endowed with glory, brilliance, and power; know that to be a manifestation of a fraction of My splendor. (10.41)
⚜जो कोई भी विभूतियुक्त कान्तियुक्त अथवा शक्तियुक्त वस्तु (या प्राणी) है उसको तुम मेरे तेज के अंश से ही उत्पन्न हुई जानो।।10.41।।
#geeta
March 28, 2022
🚩जय सत्य सनातन🚩
🚩आज की हिंदी तिथि
🌥️ 🚩युगाब्द-५१२३
🌥️ 🚩विक्रम संवत-२०७८
⛅ 🚩तिथि - द्वादशी अपरान्ह 02:38 तक तपश्चात त्रयोदशी
⛅ दिनांक 29 मार्च 2022
⛅ दिन - मंगलवार
⛅ शक संवत - 1943
⛅ अयन - उत्तरायण
⛅ ऋतु - वसंत
⛅ मास - चैत्र
⛅ पक्ष - कृष्ण
⛅ नक्षत्र - धनिष्ठा दोपहर 11:28 तक तपश्चात शतभिषा
⛅योग - साध्य अपरान्ह 03:14 तक तत्पश्चात शुभ
⛅ राहुकाल - अपरान्ह 03:49 से 05:22 तक
⛅सूर्योदय - 06:35
⛅ सूर्यास्त - 06:54
⛅ दिशाशूल - उत्तर दिशा में
🚩आज की हिंदी तिथि
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March 28, 2022
March 28, 2022
Forwarded from रामदूतः — The Sanskrit News Platform
https://youtu.be/aKD38l-CuPk
Switch to DD News daily at 7:15 AM (Morning) for 15 minutes Sanskrit news.
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YouTube
संस्कृत समाचार- वार्ताः
March 28, 2022
Forwarded from Bhavani Raman
[ Photo ]
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Date: 31st March to 3rd April 2022
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March 28, 2022
March 28, 2022
सत्यं ब्रूयात प्रियं ब्रूयात न ब्रूयात सत्यमप्रियं|
प्रियं च सूनृतं ब्रूयात ऐष धर्मः सनातनः||
i.e. One should speak the truth that is liked by others and should never speak such truth that is disliked .The cardinal principle is that one should speak only such truth that is acceptable to others.
Satya = truth
Bruyaat = speak
Priyam = pleasing, palatable, acceptable.
Apriya = unpleasant, unpalatable, unacceptable
Soonrut = Truth that is pleasing and acceptable
संस्कृतार्थः -
सर्वदा प्रियं सत्यं वक्तव्यम् अप्रियं सत्यं न कदाचित् वदनीयं तथा तादृशं सत्यमेव वक्तव्यं यस्य स्वीकार्यता भवेत्।
एषः एव सनातनः धर्मः वर्तते।
#Subhashitam
प्रियं च सूनृतं ब्रूयात ऐष धर्मः सनातनः||
i.e. One should speak the truth that is liked by others and should never speak such truth that is disliked .The cardinal principle is that one should speak only such truth that is acceptable to others.
Satya = truth
Bruyaat = speak
Priyam = pleasing, palatable, acceptable.
Apriya = unpleasant, unpalatable, unacceptable
Soonrut = Truth that is pleasing and acceptable
संस्कृतार्थः -
सर्वदा प्रियं सत्यं वक्तव्यम् अप्रियं सत्यं न कदाचित् वदनीयं तथा तादृशं सत्यमेव वक्तव्यं यस्य स्वीकार्यता भवेत्।
एषः एव सनातनः धर्मः वर्तते।
#Subhashitam
March 28, 2022
March 28, 2022
March 28, 2022
March 29, 2022
धेनोः दीर्घौ ______ ____।
Anonymous Quiz
8%
शृङ्गः, अस्ति
66%
शृङ्गौ, स्तः
17%
शृङ्गाः, सन्ति
9%
शृङ्गे, स्तः
March 29, 2022
संस्कृत संवादः । Sanskrit Samvadah
संस्कृतं
वद आधुनिको भव। वेदान् पठ वैज्ञानिको भव।। पाठ : (२६) षष्ठी विभक्ति (५) +
विसर्ग-सन्धिः (क्रिया को बार-बार करने के होनेवाले कृत्वसुच्, सुच् तथा
धा प्रत्ययवाले शब्दों के साथ कालाधिकरण कारक में षष्ठी विभक्ति का प्रयोग
होता है।) अजा दिनस्य बहुकृत्वो…
(एनप् प्रत्ययान्त के साथ प्रायः द्वितीया का प्रयोग होता है, किन्तु कहीं कहीं षष्ठी का भी प्रयोग होता है।)
विद्यालयस्य उत्तरेण ग्रामो वर्तते
= विद्यालय के उत्तर में गांव है।
मम प्रकोष्ठं दक्षिणेनाऽऽचार्यस्य प्रकोष्ठोऽस्ति
= मेरे कमरे के दक्षिण में आचार्य का कमरा है।
बहवो जनाः भारतस्य दक्षिणेन आगत्य उत्तरेण वसति
= बहुत सारे लोग दक्षिणभारत से आकर उत्तर में बसते हैं।
व्यापाराय पुनः केचन भारतम् उत्तरेण आगत्य दक्षिणेन निवसति
= व्यापारार्थ कुछ लोग उत्तर भारत से आकर दक्षिण में बसते हैं।
(तुल्यवाची शब्दों के साथ षष्ठी व तृतीया दोनों का प्रयोग होता है, किन्तु ‘तुला’ व ‘उपमा’ इन दो शब्दों के साथ केवल षष्ठी का ही प्रयोग होता है।)
अच्छबुद्धेः अच्छबुद्ध्या वा सदृशं रत्नं न विद्यते
= निर्मल बुद्धि के समान और कोई रत्न नहीं है।
नास्ति जगत्यस्मिन्ऩुत्तमं ज्ञानेन ज्ञानस्य वा तुल्यम्
= इस संसार में ज्ञान के समान और कुछ भी उत्तम नहीं है।
श्रवणस्य श्रवणेन वा समानः पितृभक्तो दुर्लभः
= श्रवण के समान पितृभक्त दुर्लभ है।
राजनीतिज्ञेषु कृष्णस्य तुला नास्ति
= राजनीतिज्ञों में कृष्ण की बराबरी का कोई नहीं है।
कविषु कालिदासस्य उपमा नास्ति
= कवियों में कालिदास की उपमा नहीं है।
ईश्वरस्योपमा नास्ति, अतः सः अनुपमः कथ्यते
= ईश्वर की उपमा नहीं है इसलिए वह अनुपम कहाता है।
यदि सर्वे पतयः रामेण रामस्य वा सदृशाः अभविष्यन् तर्हि सर्वाः पत्न्योऽपि सीतया सीतायाः वा सदृश्योऽभविष्यन्
= यदि समस्त पतिगण राम जैसे होंगे तो उनकी पत्नियां भी सीता के तुल्य हो जाएंगी।
योगविद्या सदृशी काऽपि विद्या नास्ति
= योगविद्या जैसी कोई अन्य विद्या नहीं है।
लक्ष्मीबाय्याः तुल्या वीरांगना न दृश्यतेऽद्य भूतले
= आज संसार में लक्ष्मीबाई जैसी वीरांगना नहीं दिखाई देती है।
ईशाज्ञापालनं समाना श्रेष्ठा भक्तिर्नास्ति
= ईश्वराज्ञापालन जैसी अन्य कोई श्रेष्ठ ईशभक्ति नहीं है।
(आयुष्य, मद्र, भद्र, कुशल, सुख, अर्थ, हित इन शब्दों के साथ जिसे आशीर्वाद दिया जाता है उसमें विकल्प से षष्ठी विभक्ति होती है।)
यजमानस्य यजमानाय वा भद्रं भूयात्
= यजमान का कल्याण होवे।
दातुः दीर्घायुष्यं स्यात्
= दाता को लम्बी आयु मिले।
छात्राणां छात्रेभ्यो वा शुभं भूयात्
= छात्रों का कल्याण हो।
सर्वेषां सर्वेभ्यो वा सुखं स्यात्
= सब को सुख मिले।
बालेभ्यः मद्रं स्यात्, युवभ्योऽर्थः वृद्धेभ्यश्च कुशलम्
= बालकों को प्रसन्नता मिले, युवाओं का प्रयोजन सिद्ध हो, वृद्धों का कल्याण हो।
विसर्ग सन्धिः
{विसर्जनीयस्य सः। विसर्ग के बाद (च्, छ्, त्, थ्, ट्, ठ्, श्, ष्, स् हों तो विसर्ग को स् हो जाता है) चवर्ग (च्, छ्) बाद में होंगे तो ‘स्’ को ‘श्’ और ट वर्ग (ट् ठ्) बाद में होंगे तो ‘स्’ को ‘ष्’ होगा।}
: + (च्, छ्, त्, थ्, ट्, ठ्, श्, ष्, स्) हों तो : = स्
हरिः + त्रायते = हरिस् त्रायते = हरिस्त्रायते।
रामः : चलति = रामस् चलति = रामश्चलति। (श्चुत्वसन्धिः)
श्यामः + छिनत्ति = श्यामस् छिनत्ति = श्यामश्छिनत्ति। (श्चुत्वसन्धिः)
बालः + टीकते = बालस् टीकते = बालष्टीकते। (ष्टुत्वसन्धिः)
सर्पः + सरति = सर्पस् सरति = सर्पस्सरति।
रामः + षष्ठः = रामस् षष्ठः = रामष्षष्ठः। (ष्टुत्वसन्धिः)
बालः + शेते = बालस् शेते = बालश्शेते। (श्चुत्वसन्धिः)
बालः + तावत्
= बालस्तावत्।
क्रीडासक्तः + तरुणः + तावत्
= क्रीडासक्तस्तरुणस्तावत्।
वृद्धः + तावत्
= वृद्धस्तावत्।
बालस्तावत्क्रीडासक्तस्तरुणस्तावत् तरुणीसक्तः। वृद्धस्तावच्चिन्तासक्तः परमे ब्रह्मणि कोऽपि न सक्तः।।
= बच्चा खेल में लगा हुआ है, युवा युवती में फंसा हुआ है, बूढ़ा चिन्ताओं में लगा हुआ है, परमब्रह्म से कोई भी जुड़ा नहीं है।
पण्डितैः + सह = पण्डितैस् सह = पण्डितैस्सह।
पण्डितैस्सह सांगत्यं पण्डितैस्सह संकथा।
पण्डितैस्सह मित्रत्वं कुर्वाणो नावसीदति।।
= पण्डितों के साथ संगति करनेवाला, पण्डितों के साथ संवाद करनेवाला, पण्डितों के साथ मैत्री रखनेवाला कभी अवनति को प्राप्त नहीं होता।
विजयः + च = विजयस् च = विजयश्च।
मृत्युः + च = मृत्युस् च = मृत्युश्च।
यस्य प्रसादे पद्माऽऽस्ते विजयश्च पराक्रमे।
मृत्युश्च वसति क्रोधे सर्वतेजोमयो हि सः।।
= जिस व्यक्ति के प्रसन्न हो जाने पर लक्ष्मी की प्राप्ति होती है, जिसके पराक्रम करने पर निश्चित विजय होती है और जिसके क्रोध करने पर दुष्टों की मृत्यु अवश्य होती है, वही व्यक्ति सम्पूर्ण तेजों से युक्त है।
#vakyabhyas
विद्यालयस्य उत्तरेण ग्रामो वर्तते
= विद्यालय के उत्तर में गांव है।
मम प्रकोष्ठं दक्षिणेनाऽऽचार्यस्य प्रकोष्ठोऽस्ति
= मेरे कमरे के दक्षिण में आचार्य का कमरा है।
बहवो जनाः भारतस्य दक्षिणेन आगत्य उत्तरेण वसति
= बहुत सारे लोग दक्षिणभारत से आकर उत्तर में बसते हैं।
व्यापाराय पुनः केचन भारतम् उत्तरेण आगत्य दक्षिणेन निवसति
= व्यापारार्थ कुछ लोग उत्तर भारत से आकर दक्षिण में बसते हैं।
(तुल्यवाची शब्दों के साथ षष्ठी व तृतीया दोनों का प्रयोग होता है, किन्तु ‘तुला’ व ‘उपमा’ इन दो शब्दों के साथ केवल षष्ठी का ही प्रयोग होता है।)
अच्छबुद्धेः अच्छबुद्ध्या वा सदृशं रत्नं न विद्यते
= निर्मल बुद्धि के समान और कोई रत्न नहीं है।
नास्ति जगत्यस्मिन्ऩुत्तमं ज्ञानेन ज्ञानस्य वा तुल्यम्
= इस संसार में ज्ञान के समान और कुछ भी उत्तम नहीं है।
श्रवणस्य श्रवणेन वा समानः पितृभक्तो दुर्लभः
= श्रवण के समान पितृभक्त दुर्लभ है।
राजनीतिज्ञेषु कृष्णस्य तुला नास्ति
= राजनीतिज्ञों में कृष्ण की बराबरी का कोई नहीं है।
कविषु कालिदासस्य उपमा नास्ति
= कवियों में कालिदास की उपमा नहीं है।
ईश्वरस्योपमा नास्ति, अतः सः अनुपमः कथ्यते
= ईश्वर की उपमा नहीं है इसलिए वह अनुपम कहाता है।
यदि सर्वे पतयः रामेण रामस्य वा सदृशाः अभविष्यन् तर्हि सर्वाः पत्न्योऽपि सीतया सीतायाः वा सदृश्योऽभविष्यन्
= यदि समस्त पतिगण राम जैसे होंगे तो उनकी पत्नियां भी सीता के तुल्य हो जाएंगी।
योगविद्या सदृशी काऽपि विद्या नास्ति
= योगविद्या जैसी कोई अन्य विद्या नहीं है।
लक्ष्मीबाय्याः तुल्या वीरांगना न दृश्यतेऽद्य भूतले
= आज संसार में लक्ष्मीबाई जैसी वीरांगना नहीं दिखाई देती है।
ईशाज्ञापालनं समाना श्रेष्ठा भक्तिर्नास्ति
= ईश्वराज्ञापालन जैसी अन्य कोई श्रेष्ठ ईशभक्ति नहीं है।
(आयुष्य, मद्र, भद्र, कुशल, सुख, अर्थ, हित इन शब्दों के साथ जिसे आशीर्वाद दिया जाता है उसमें विकल्प से षष्ठी विभक्ति होती है।)
यजमानस्य यजमानाय वा भद्रं भूयात्
= यजमान का कल्याण होवे।
दातुः दीर्घायुष्यं स्यात्
= दाता को लम्बी आयु मिले।
छात्राणां छात्रेभ्यो वा शुभं भूयात्
= छात्रों का कल्याण हो।
सर्वेषां सर्वेभ्यो वा सुखं स्यात्
= सब को सुख मिले।
बालेभ्यः मद्रं स्यात्, युवभ्योऽर्थः वृद्धेभ्यश्च कुशलम्
= बालकों को प्रसन्नता मिले, युवाओं का प्रयोजन सिद्ध हो, वृद्धों का कल्याण हो।
विसर्ग सन्धिः
{विसर्जनीयस्य सः। विसर्ग के बाद (च्, छ्, त्, थ्, ट्, ठ्, श्, ष्, स् हों तो विसर्ग को स् हो जाता है) चवर्ग (च्, छ्) बाद में होंगे तो ‘स्’ को ‘श्’ और ट वर्ग (ट् ठ्) बाद में होंगे तो ‘स्’ को ‘ष्’ होगा।}
: + (च्, छ्, त्, थ्, ट्, ठ्, श्, ष्, स्) हों तो : = स्
हरिः + त्रायते = हरिस् त्रायते = हरिस्त्रायते।
रामः : चलति = रामस् चलति = रामश्चलति। (श्चुत्वसन्धिः)
श्यामः + छिनत्ति = श्यामस् छिनत्ति = श्यामश्छिनत्ति। (श्चुत्वसन्धिः)
बालः + टीकते = बालस् टीकते = बालष्टीकते। (ष्टुत्वसन्धिः)
सर्पः + सरति = सर्पस् सरति = सर्पस्सरति।
रामः + षष्ठः = रामस् षष्ठः = रामष्षष्ठः। (ष्टुत्वसन्धिः)
बालः + शेते = बालस् शेते = बालश्शेते। (श्चुत्वसन्धिः)
बालः + तावत्
= बालस्तावत्।
क्रीडासक्तः + तरुणः + तावत्
= क्रीडासक्तस्तरुणस्तावत्।
वृद्धः + तावत्
= वृद्धस्तावत्।
बालस्तावत्क्रीडासक्तस्तरुणस्तावत् तरुणीसक्तः। वृद्धस्तावच्चिन्तासक्तः परमे ब्रह्मणि कोऽपि न सक्तः।।
= बच्चा खेल में लगा हुआ है, युवा युवती में फंसा हुआ है, बूढ़ा चिन्ताओं में लगा हुआ है, परमब्रह्म से कोई भी जुड़ा नहीं है।
पण्डितैः + सह = पण्डितैस् सह = पण्डितैस्सह।
पण्डितैस्सह सांगत्यं पण्डितैस्सह संकथा।
पण्डितैस्सह मित्रत्वं कुर्वाणो नावसीदति।।
= पण्डितों के साथ संगति करनेवाला, पण्डितों के साथ संवाद करनेवाला, पण्डितों के साथ मैत्री रखनेवाला कभी अवनति को प्राप्त नहीं होता।
विजयः + च = विजयस् च = विजयश्च।
मृत्युः + च = मृत्युस् च = मृत्युश्च।
यस्य प्रसादे पद्माऽऽस्ते विजयश्च पराक्रमे।
मृत्युश्च वसति क्रोधे सर्वतेजोमयो हि सः।।
= जिस व्यक्ति के प्रसन्न हो जाने पर लक्ष्मी की प्राप्ति होती है, जिसके पराक्रम करने पर निश्चित विजय होती है और जिसके क्रोध करने पर दुष्टों की मृत्यु अवश्य होती है, वही व्यक्ति सम्पूर्ण तेजों से युक्त है।
#vakyabhyas
March 29, 2022
March 29, 2022
।।श्रीः।।
।।आत्मबोधः।।
Atmabodha, meaning Self-knowledge or Self-awareness, is an exceptionally lucid and readable work of Shankaracharya. Consisting of sixty-eight verses or shlokas, it is in a sense a simple summary of his entire Vedantic structure of thought, intended, it would seem, as a basic primer for his students and followers. The text follows a clearly elaborated doctrine, starting with knowledge as a key to liberation, the nautre of the Atman within us, the assertion of the pervasive and attribute-less nature of Brahman, and the path towards the realisation of the complete identity between the Atman and Brahman.
अतद्व्यावृत्तिरूपेण वेदान्तैर्लक्ष्यतेऽव्ययम्।
अखण्डानन्दमेकं यत्तद्ब्रह्मेत्यवधारयेत्।।57।।
57. Realise that to be Brahman which is Non-dual, Indivisible, One and Blissful and which is indicated in Vedanta as the Immutable Substratum, realised after the negation of all tangible objects.
आत्म-बोध ऑनलाइन क्लास - 57:
आत्म-बोध के 57th श्लोक में भी भगवान् शंकराचार्यजी हमें ब्रह्म की महिमा, उसके एक प्रसिद्द लक्षण के द्वारा बताते हैं। आचार्य कह रहे हैं, की हम सब ने ब्रह्म के बारे में अनेकों से सुना होगा, लेकिन हमें सदैव शास्त्रोक्त लक्षण को ही प्रधानता देनी चाहिए। ब्रह्म वो है जो की अतत-व्यावृत्ति लक्षण के द्वारा वेदांत शास्त्रों में लक्षित किया जाता है। पू स्वामीजी ने बताया के ब्रह्म को लक्षित करने के तीन प्रधान लक्षण होते हैं, उनमे यह लक्षण निषेध प्रधान होता है। अतः हमें निषेध करने के बाद ही जो अवशिष्ट होता है उसे ब्रह्म की तरह से जानना चाहिए। जो शेष रहता है वो कल्पना का विषय नहीं होना चाहिए। वो अद्वय और अखंड आनन्द होता है। आनंद का रहस्य भी पू स्वामीजी ने बताया।
#Atmabodha
।।आत्मबोधः।।
Atmabodha, meaning Self-knowledge or Self-awareness, is an exceptionally lucid and readable work of Shankaracharya. Consisting of sixty-eight verses or shlokas, it is in a sense a simple summary of his entire Vedantic structure of thought, intended, it would seem, as a basic primer for his students and followers. The text follows a clearly elaborated doctrine, starting with knowledge as a key to liberation, the nautre of the Atman within us, the assertion of the pervasive and attribute-less nature of Brahman, and the path towards the realisation of the complete identity between the Atman and Brahman.
अतद्व्यावृत्तिरूपेण वेदान्तैर्लक्ष्यतेऽव्ययम्।
अखण्डानन्दमेकं यत्तद्ब्रह्मेत्यवधारयेत्।।57।।
57. Realise that to be Brahman which is Non-dual, Indivisible, One and Blissful and which is indicated in Vedanta as the Immutable Substratum, realised after the negation of all tangible objects.
आत्म-बोध ऑनलाइन क्लास - 57:
आत्म-बोध के 57th श्लोक में भी भगवान् शंकराचार्यजी हमें ब्रह्म की महिमा, उसके एक प्रसिद्द लक्षण के द्वारा बताते हैं। आचार्य कह रहे हैं, की हम सब ने ब्रह्म के बारे में अनेकों से सुना होगा, लेकिन हमें सदैव शास्त्रोक्त लक्षण को ही प्रधानता देनी चाहिए। ब्रह्म वो है जो की अतत-व्यावृत्ति लक्षण के द्वारा वेदांत शास्त्रों में लक्षित किया जाता है। पू स्वामीजी ने बताया के ब्रह्म को लक्षित करने के तीन प्रधान लक्षण होते हैं, उनमे यह लक्षण निषेध प्रधान होता है। अतः हमें निषेध करने के बाद ही जो अवशिष्ट होता है उसे ब्रह्म की तरह से जानना चाहिए। जो शेष रहता है वो कल्पना का विषय नहीं होना चाहिए। वो अद्वय और अखंड आनन्द होता है। आनंद का रहस्य भी पू स्वामीजी ने बताया।
#Atmabodha
March 29, 2022
March 29, 2022
Forwarded from Bhavani Raman
@sutaah, subsidiary of @samskrt_samvadah "आवर्त सरण्यां तत्वानि" इति संस्कृतमाध्यमेन कक्षां प्रारम्भं करोति।
दिनाङ्कः : 31st मार्चतः 3rd एप्रिल्पर्यन्तम् 2022
समयः : 11 AM - 12.00 PM 🕚 (भारतीय समयानुसारेण)
शिक्षिका : @BhavaniSSR
संस्कृतस्य अधिकं ज्ञानम् आवश्यकं नास्ति.
प्रविष्टुं पञ्जिकरणं कुर्वन्तु👇👇
https://forms.gle/bc7sJdPyQsnQ8ajt8
किं भवन्तः जानन्ति संस्कृतभाषा भवतां बुद्धेः कुशाग्रतां बहु शीघ्रं वर्धयितुं शक्नोति या सङ्गणकविषये ज्ञानं वर्धयितुं बहु आवश्यकम् अस्ति।
स्वबालिकाः/बालकान् संस्कृतभाषया उत्तमरीत्या रसायनविज्ञानं पठितुम् अवसरं ददतु तथा च भवन्तः ज्ञात्वा विस्मिताः भविष्यन्ति यत् कथं संस्कृतस्य Mendeleev's periodic table(आवर्त सरणी) इत्यस्य निर्माणे मुख्या भूमिका आसीत्।
सर्वे भवन्तु सुखिनः🙏
ध्यातव्यः विषयः - नवमः तथा दशमः कक्षायाः छात्राणां कृते एषा कक्षा।
आम् , परन्तु षट्तः द्वादशकक्षा पर्यन्तं ये पठन्ति ते अपि आगन्तुं शक्नुवन्ति।
कक्षाः परस्परचर्चायुक्ताः भविष्यन्ति तथा Internet इत्यस्य गतिः उत्तमा भवेत् अपि च पठनाय अनुकूलं वातावरणं भवेत् इति पूर्वमेव निश्चितं कुर्वन्तु ।
दिनाङ्कः : 31st मार्चतः 3rd एप्रिल्पर्यन्तम् 2022
समयः : 11 AM - 12.00 PM 🕚 (भारतीय समयानुसारेण)
शिक्षिका : @BhavaniSSR
संस्कृतस्य अधिकं ज्ञानम् आवश्यकं नास्ति.
प्रविष्टुं पञ्जिकरणं कुर्वन्तु👇👇
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किं भवन्तः जानन्ति संस्कृतभाषा भवतां बुद्धेः कुशाग्रतां बहु शीघ्रं वर्धयितुं शक्नोति या सङ्गणकविषये ज्ञानं वर्धयितुं बहु आवश्यकम् अस्ति।
स्वबालिकाः/बालकान् संस्कृतभाषया उत्तमरीत्या रसायनविज्ञानं पठितुम् अवसरं ददतु तथा च भवन्तः ज्ञात्वा विस्मिताः भविष्यन्ति यत् कथं संस्कृतस्य Mendeleev's periodic table(आवर्त सरणी) इत्यस्य निर्माणे मुख्या भूमिका आसीत्।
सर्वे भवन्तु सुखिनः🙏
ध्यातव्यः विषयः - नवमः तथा दशमः कक्षायाः छात्राणां कृते एषा कक्षा।
आम् , परन्तु षट्तः द्वादशकक्षा पर्यन्तं ये पठन्ति ते अपि आगन्तुं शक्नुवन्ति।
कक्षाः परस्परचर्चायुक्ताः भविष्यन्ति तथा Internet इत्यस्य गतिः उत्तमा भवेत् अपि च पठनाय अनुकूलं वातावरणं भवेत् इति पूर्वमेव निश्चितं कुर्वन्तु ।
March 29, 2022
@samskrt_samvadah संलापशाला - A Samskrit Voicechat room.
कालावधिः : 45 निमेषाः
समयः : IST 11:00 AM 🕚
विषयः : वाक्याभ्यासः
दिनाङ्कः : 30th March 2022,
बुधवासरः
Please Join the voicechat on time.
Voicechat would be recorded and shared on this channel.⏺
😇 यदि शक्येत चेत् संस्कृतेन(चित्राणि दृष्ट्वा वाक्यानि वक्तव्यानि।) चर्चार्थं कृपया पूर्वसिद्धतां कृत्वा आगच्छन्तु।
वयं युष्माकं प्रतीक्षां कुर्मः। 😇
स्मारणतंत्रिकां स्थापयन्तु⏰
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कालावधिः : 45 निमेषाः
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March 29, 2022
BVGch10vs42
Swami Brahamananda
श्रीमद्भगवद्गीता [10.42]
March 29, 2022
🍃
♦️athavaa bahunaitena kiM j~naatena tavaarjuna|
viShTabhyaahamidaM kRRitsnamekaaMshena sthito jagat10.42
⚜What is the need for this detailed knowledge, O Arjuna? I continually support the entire universe by a small fraction of My energy. (10.42)
⚜अथवा हे अर्जुन बहुत जानने से तुम्हारा क्या प्रयोजन है मैं इस सम्पूर्ण जगत् को अपने एक अंश मात्र से धारण करके स्थित हूँ।।10.42।।
#geeta
अथवा बहुनैतेन किं ज्ञातेन तवार्जुन।
विष्टभ्याहमिदं कृत्स्नमेकांशेन स्थितो जगत्
।।10.42।।♦️athavaa bahunaitena kiM j~naatena tavaarjuna|
viShTabhyaahamidaM kRRitsnamekaaMshena sthito jagat
⚜What is the need for this detailed knowledge, O Arjuna? I continually support the entire universe by a small fraction of My energy. (10.42)
⚜अथवा हे अर्जुन बहुत जानने से तुम्हारा क्या प्रयोजन है मैं इस सम्पूर्ण जगत् को अपने एक अंश मात्र से धारण करके स्थित हूँ।।10.42।।
#geeta
March 29, 2022
March 29, 2022
🍃
♦️arjuna uvaacha
madanugrahaaya paramaM guhyamadhyaatmasaMj~nitam|
yattvayoktaM vachastena moho'yaM vigato mama11.1
⚜Arjuna said:
My illusion is dispelled by Your profound words, that You spoke out of compassion towards me, about the supreme secret of the Self. (11.01)
⚜अर्जुन ने कहा --
मुझ पर अनुग्रह करने के लिए जो परम गोपनीय? अध्यात्मविषयक वचन (उपदेश) आपके द्वारा कहा गया? उससे मेरा मोह दूर हो गया है।।
#geeta
अर्जुन उवाच
मदनुग्रहाय परमं गुह्यमध्यात्मसंज्ञितम्।
यत्त्वयोक्तं वचस्तेन मोहोऽयं विगतो मम
।।11.1।।♦️arjuna uvaacha
madanugrahaaya paramaM guhyamadhyaatmasaMj~nitam|
yattvayoktaM vachastena moho'yaM vigato mama
⚜Arjuna said:
My illusion is dispelled by Your profound words, that You spoke out of compassion towards me, about the supreme secret of the Self. (11.01)
⚜अर्जुन ने कहा --
मुझ पर अनुग्रह करने के लिए जो परम गोपनीय? अध्यात्मविषयक वचन (उपदेश) आपके द्वारा कहा गया? उससे मेरा मोह दूर हो गया है।।
#geeta
March 29, 2022
March 29, 2022
🚩जय सत्य सनातन 🚩
🚩आज की हिंदी तिथि
🌥️ 🚩युगाब्द - ५१२३
🌥️ 🚩विक्रम संवत - २०७८
⛅ 🚩तिथि - त्रयोदशी दोपहर 01:19 तक तपश्चात चतुर्दशी
⛅ दिनांक - 30 मार्च 2022
⛅ दिन - बुधवार
⛅ शक संवत - 1943
⛅ अयन - उत्तरायण
⛅ ऋतु - वसंत
⛅ मास - चैत्र
⛅ पक्ष - कृष्ण
⛅ नक्षत्र - शतभिषा, सुबह 10:49 तक तपश्चात पूर्व भाद्रपद
⛅ योग - शुभ ,दोपहर 01:02 तक तत्पश्चात शुक्ल
⛅ राहुकाल - दोपहर 12:44 से 02:17 तक
⛅ सूर्योदय - 06:34
⛅ सूर्यास्त - 06:54
⛅ दिशाशूल - उत्तर दिशा में
🚩आज की हिंदी तिथि
🌥️ 🚩युगाब्द - ५१२३
🌥️ 🚩विक्रम संवत - २०७८
⛅ 🚩तिथि - त्रयोदशी दोपहर 01:19 तक तपश्चात चतुर्दशी
⛅ दिनांक - 30 मार्च 2022
⛅ दिन - बुधवार
⛅ शक संवत - 1943
⛅ अयन - उत्तरायण
⛅ ऋतु - वसंत
⛅ मास - चैत्र
⛅ पक्ष - कृष्ण
⛅ नक्षत्र - शतभिषा, सुबह 10:49 तक तपश्चात पूर्व भाद्रपद
⛅ योग - शुभ ,दोपहर 01:02 तक तत्पश्चात शुक्ल
⛅ राहुकाल - दोपहर 12:44 से 02:17 तक
⛅ सूर्योदय - 06:34
⛅ सूर्यास्त - 06:54
⛅ दिशाशूल - उत्तर दिशा में
March 29, 2022
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March 29, 2022
March 29, 2022
https://youtu.be/BGw0Moort5k
Switch to DD News daily at 7:15 AM (Morning) for 15 minutes Sanskrit news.
Switch to DD News daily at 7:15 AM (Morning) for 15 minutes Sanskrit news.
YouTube
वार्ता: संस्कृत में समाचार I 30-03-2022
वार्ता: संस्कृत में
समाचार I 30-03-2022DD News is India’s 24x7 news channel from the stable
of the country’s Public Service Broadcaster, Prasar Bharati. It h...
March 29, 2022
March 29, 2022
नाभिषेको न संस्कारः, सिंहस्य क्रियते वने ।
विक्रमार्जितसत्त्वस्य, स्वयमेव मृगेन्द्रता॥
There is no official coronation ceremony held to declare lion as the king of the jungle. He becomes the king by his own strength and heroic actions.
संस्कृतार्थः -
अरण्ये "सिंहः नृपः अस्ति "इति घोषयितुं कापि औपचारिकी सभा न भवति, अपितु सः स्वविक्रमस्य कारणेन एव वनराजः घोषितः भवति।
#Subhashitam
विक्रमार्जितसत्त्वस्य, स्वयमेव मृगेन्द्रता॥
There is no official coronation ceremony held to declare lion as the king of the jungle. He becomes the king by his own strength and heroic actions.
संस्कृतार्थः -
अरण्ये "सिंहः नृपः अस्ति "इति घोषयितुं कापि औपचारिकी सभा न भवति, अपितु सः स्वविक्रमस्य कारणेन एव वनराजः घोषितः भवति।
#Subhashitam
March 29, 2022
March 29, 2022
March 29, 2022
युवती गोमयस्य चित्रं स्वीकरोति।
अस्मिन् वाक्ये "कर्मपदं" किम् अस्ति?
अस्मिन् वाक्ये "कर्मपदं" किम् अस्ति?
Anonymous Quiz
56%
चित्रं
16%
गोमयस्य
6%
युवती
17%
स्वीकरोति
4%
कर्मपदं नास्ति
March 30, 2022
March 30, 2022
संस्कृत संवादः । Sanskrit Samvadah
(एनप्
प्रत्ययान्त के साथ प्रायः द्वितीया का प्रयोग होता है, किन्तु कहीं कहीं
षष्ठी का भी प्रयोग होता है।) विद्यालयस्य उत्तरेण ग्रामो वर्तते =
विद्यालय के उत्तर में गांव है। मम प्रकोष्ठं दक्षिणेनाऽऽचार्यस्य
प्रकोष्ठोऽस्ति = मेरे कमरे के दक्षिण में…
संस्कृतं वद आधुनिको भव।
वेदान् पठ वैज्ञानिको भव।।
पाठ : (२७) सप्तमी विभक्ति (१)
(कर्त्ता व कर्म के आधार को अधिकरण कहते हैं। अधिकरण कारक में सप्तमी विभक्ति होती है। व्याख्याकारों ने आधार तीन प्रकार के माने हैं- १. औपश्लेषिक आधार, २. वैषयिक आधार तथा ३. अभिव्यापक आधार।
१. औपश्लेषिक आधार : जहां आधार का आधेय के साथ संयोगादि सम्बन्ध हो वहां औपश्लेषिक आधार होता है यथा-)
ऋजीषे रोटिकां भर्जति
= तवे पर रोटी सेक रही/रहा है।
तल्पे शेते
= गद्दे पर सो रहा/रही है।
नद्यां तरति
= नदी में तैर रहा/रही है।
जलाशये जलं पिबति
= तालाब से पानी पी रहा/रही है।
सरस्यां स्नाति
= तालाब में नहा रहा/रही है।
ह्रदे स्थित्वा हृष्यति
= तालाब में खड़ा होकर प्रसन्न हो रहा है।
कटाहे वटकान् तलति
= कड़ाही में वड़े तल रहा/रही है।
घृतोदङ्के घृतं निस्सारयति
= (घी के कनस्तर में से) घृतपात्र में घी निकाल रहा/रही है।
भारते निवसति
= भारत में रहता/रहती है।
शाखायां खगाः उपविष्टाः सन्ति
= डाल पर पक्षी बैठे हैं।
अटव्याम् अटति
= जंगल में घूम रहा/रही है।
कुशूले धान्यं पूरयति
= कोठी में धान भर रहा/रही है।
गोण्यां गोधूमाः सन्ति
= (बड़ी) बोरी में गेहूं है।
गोणीतर्यां गुडं वर्तते
= छोटी बोरी में गुड़ है।
शिरसि तैलं नियोजयति
= सिर में तेल लगा रहा/रही है।
शरीरेऽभ्यङ्गं करोति
= शरीर पर मालीश कर रहा/रही
कर्गले काव्यं लिखति
= कागज़ पर कविता लिख रहा/रही है।
शाके पलाण्डुं मा पातय
= सब्जी में प्याज मत डाल।
भस्मनि हुतं तव कार्यमिदम्
= राख में आहूति देने के समान तेरा यह कार्य व्यर्थ है।
एक एव खगो मानी वने वसति चातकः।
पिपासितो वा म्रियते याचते वा पुरन्दरम्।।
= वन में केवल एक ही स्वाभिमानी पक्षी चातक निवास करता है। वह या तो प्यासा मर जाता है या तो इन्द्र से (जल की) याचना करता है।
माता यस्य गृहे नास्ति भार्या चाप्रियवादिनी। अरण्यं तेन गन्तव्यं यथारण्यं तथा गृहम्।।
= जिसके घर में माता न हो और पत्नी कडुए बोल बालने की आदी हो, उसे तो वन में चले जाना चाहिए; क्योंकि उसके लिए घर और जंगल एकसमान है।
दुष्टा भार्या शठं मित्रं भृत्यश्चोत्तरदायकः।
ससर्पे च गृहे वासो मृत्युरेव न संशयः।।
= कटुभाषिणी और दुराचारिणी पत्नी, धूर्त स्वभाववाला मित्र, सामने बोलनेवाला नोकर ओर सांपवाले घर में रहना ये सब बातें मौत के समान ही हैं।
यस्मिन्देशे न सम्मानो न वृत्तिर्न च बान्धवाः। न च विद्यागमः कश्चित् तं देशं परिवर्जयेत्।।
= जिस देश में न तो आदर सम्मान है, न आजीविका प्राप्ति के साधन हैं, न बन्धु-बान्धव हैं और नहिकिसी प्रकार की विद्याप्राप्ति की सम्भावना है ऐसे देश को छोड़ देना चाहिए।
धनिकः श्रोत्रियो राजा नदी वैद्यस्तु पञ्चमः। पञ्च यत्र न विद्यन्ते न तत्र दिवसं वसेत्।।
= जहां धनवान्, वेदज्ञ ब्राह्मण, राजा, नदी और वैद्य ये पांच न रहते हों ऐसे स्थान पर तो एक दिन भी नहीं रहना चाहिए।
#vakyabhyas
वेदान् पठ वैज्ञानिको भव।।
पाठ : (२७) सप्तमी विभक्ति (१)
(कर्त्ता व कर्म के आधार को अधिकरण कहते हैं। अधिकरण कारक में सप्तमी विभक्ति होती है। व्याख्याकारों ने आधार तीन प्रकार के माने हैं- १. औपश्लेषिक आधार, २. वैषयिक आधार तथा ३. अभिव्यापक आधार।
१. औपश्लेषिक आधार : जहां आधार का आधेय के साथ संयोगादि सम्बन्ध हो वहां औपश्लेषिक आधार होता है यथा-)
ऋजीषे रोटिकां भर्जति
= तवे पर रोटी सेक रही/रहा है।
तल्पे शेते
= गद्दे पर सो रहा/रही है।
नद्यां तरति
= नदी में तैर रहा/रही है।
जलाशये जलं पिबति
= तालाब से पानी पी रहा/रही है।
सरस्यां स्नाति
= तालाब में नहा रहा/रही है।
ह्रदे स्थित्वा हृष्यति
= तालाब में खड़ा होकर प्रसन्न हो रहा है।
कटाहे वटकान् तलति
= कड़ाही में वड़े तल रहा/रही है।
घृतोदङ्के घृतं निस्सारयति
= (घी के कनस्तर में से) घृतपात्र में घी निकाल रहा/रही है।
भारते निवसति
= भारत में रहता/रहती है।
शाखायां खगाः उपविष्टाः सन्ति
= डाल पर पक्षी बैठे हैं।
अटव्याम् अटति
= जंगल में घूम रहा/रही है।
कुशूले धान्यं पूरयति
= कोठी में धान भर रहा/रही है।
गोण्यां गोधूमाः सन्ति
= (बड़ी) बोरी में गेहूं है।
गोणीतर्यां गुडं वर्तते
= छोटी बोरी में गुड़ है।
शिरसि तैलं नियोजयति
= सिर में तेल लगा रहा/रही है।
शरीरेऽभ्यङ्गं करोति
= शरीर पर मालीश कर रहा/रही
कर्गले काव्यं लिखति
= कागज़ पर कविता लिख रहा/रही है।
शाके पलाण्डुं मा पातय
= सब्जी में प्याज मत डाल।
भस्मनि हुतं तव कार्यमिदम्
= राख में आहूति देने के समान तेरा यह कार्य व्यर्थ है।
एक एव खगो मानी वने वसति चातकः।
पिपासितो वा म्रियते याचते वा पुरन्दरम्।।
= वन में केवल एक ही स्वाभिमानी पक्षी चातक निवास करता है। वह या तो प्यासा मर जाता है या तो इन्द्र से (जल की) याचना करता है।
माता यस्य गृहे नास्ति भार्या चाप्रियवादिनी। अरण्यं तेन गन्तव्यं यथारण्यं तथा गृहम्।।
= जिसके घर में माता न हो और पत्नी कडुए बोल बालने की आदी हो, उसे तो वन में चले जाना चाहिए; क्योंकि उसके लिए घर और जंगल एकसमान है।
दुष्टा भार्या शठं मित्रं भृत्यश्चोत्तरदायकः।
ससर्पे च गृहे वासो मृत्युरेव न संशयः।।
= कटुभाषिणी और दुराचारिणी पत्नी, धूर्त स्वभाववाला मित्र, सामने बोलनेवाला नोकर ओर सांपवाले घर में रहना ये सब बातें मौत के समान ही हैं।
यस्मिन्देशे न सम्मानो न वृत्तिर्न च बान्धवाः। न च विद्यागमः कश्चित् तं देशं परिवर्जयेत्।।
= जिस देश में न तो आदर सम्मान है, न आजीविका प्राप्ति के साधन हैं, न बन्धु-बान्धव हैं और नहिकिसी प्रकार की विद्याप्राप्ति की सम्भावना है ऐसे देश को छोड़ देना चाहिए।
धनिकः श्रोत्रियो राजा नदी वैद्यस्तु पञ्चमः। पञ्च यत्र न विद्यन्ते न तत्र दिवसं वसेत्।।
= जहां धनवान्, वेदज्ञ ब्राह्मण, राजा, नदी और वैद्य ये पांच न रहते हों ऐसे स्थान पर तो एक दिन भी नहीं रहना चाहिए।
#vakyabhyas
March 30, 2022
March 30, 2022
।।श्रीः।।
।।आत्मबोधः।।
Atmabodha, meaning Self-knowledge or Self-awareness, is an exceptionally lucid and readable work of Shankaracharya. Consisting of sixty-eight verses or shlokas, it is in a sense a simple summary of his entire Vedantic structure of thought, intended, it would seem, as a basic primer for his students and followers. The text follows a clearly elaborated doctrine, starting with knowledge as a key to liberation, the nautre of the Atman within us, the assertion of the pervasive and attribute-less nature of Brahman, and the path towards the realisation of the complete identity between the Atman and Brahman.
अखण्डानन्दरूपस्य तस्यानन्दलवाश्रिताः।
ब्रह्माद्यास्तारतम्येन भवन्त्यानन्दिनोऽखिलाः।।58।।
58. Deities like Brahma and others taste only a particle, of the unlimited Bliss of Brahman and enjoy in proportion their share of that particle.
आत्म-बोध ऑनलाइन क्लास - 58:
आत्म-बोध के 58th श्लोक में भी भगवान् शंकराचार्यजी हमें ब्रह्म की महिमा बता रहे हैं। अपने मन को भी ब्रह्म में निष्ठ करने के लिए वे चर्चा कर रहे हैं - आनन्द की। हम लोगों की बुद्धि में ब्रह्म-ज्ञान की स्पष्टता होनी चाहिए, और मन में ब्रह्म-ज्ञान हेतु निष्ठा। हम सबका मन, भले वो छोटा व्यक्ति हो या बड़ा, पढ़ा-लिखा हो या अनपढ़, देसी हो या विदेशी, संसारी हो या साधक - सब के सब केवल अपनी-अपनी धारणाओं के अनुरूप आनन्द की प्राप्ति की चेष्टाओं में लगे हुए हैं। और हम सबके प्रयासों से हमें मात्र एक क्षण का आनन्द मिलता है, और उसी में अपने आप को धन्य समझते हैं। यहाँ आचार्य कहते हैं की अपने मन को समझाओ की ' हे मन, जब ज्ञानीजनों के द्वारा बताया गया तुम्हारे लिए आनंद का सागर हो जाने का विकल्प उपलब्ध है, तो तुम अज्ञानियों के पथ पर चलते हुए एक क्षण मात्र के लिए आनंद की एक बून्द क्यों प्राप्त करने की चेष्टा कर रहे हो। विवेकी बनो, और अपनी सोच ऊंची करो। सीधे ब्रह्म-ज्ञान का संकल्प करो। वो तो अत्यंत निकट भी है - वो तो हमारी आत्मा ही है। बस अपने को यथावत जानने के लिए समर्पित हो जाओ। हमारी बुद्धि ने तो वो जान भी लिया है, अब मात्र अपनी बुद्धि के द्वारा बताये मार्ग पर चलो।
#Atmabodha
।।आत्मबोधः।।
Atmabodha, meaning Self-knowledge or Self-awareness, is an exceptionally lucid and readable work of Shankaracharya. Consisting of sixty-eight verses or shlokas, it is in a sense a simple summary of his entire Vedantic structure of thought, intended, it would seem, as a basic primer for his students and followers. The text follows a clearly elaborated doctrine, starting with knowledge as a key to liberation, the nautre of the Atman within us, the assertion of the pervasive and attribute-less nature of Brahman, and the path towards the realisation of the complete identity between the Atman and Brahman.
अखण्डानन्दरूपस्य तस्यानन्दलवाश्रिताः।
ब्रह्माद्यास्तारतम्येन भवन्त्यानन्दिनोऽखिलाः।।58।।
58. Deities like Brahma and others taste only a particle, of the unlimited Bliss of Brahman and enjoy in proportion their share of that particle.
आत्म-बोध ऑनलाइन क्लास - 58:
आत्म-बोध के 58th श्लोक में भी भगवान् शंकराचार्यजी हमें ब्रह्म की महिमा बता रहे हैं। अपने मन को भी ब्रह्म में निष्ठ करने के लिए वे चर्चा कर रहे हैं - आनन्द की। हम लोगों की बुद्धि में ब्रह्म-ज्ञान की स्पष्टता होनी चाहिए, और मन में ब्रह्म-ज्ञान हेतु निष्ठा। हम सबका मन, भले वो छोटा व्यक्ति हो या बड़ा, पढ़ा-लिखा हो या अनपढ़, देसी हो या विदेशी, संसारी हो या साधक - सब के सब केवल अपनी-अपनी धारणाओं के अनुरूप आनन्द की प्राप्ति की चेष्टाओं में लगे हुए हैं। और हम सबके प्रयासों से हमें मात्र एक क्षण का आनन्द मिलता है, और उसी में अपने आप को धन्य समझते हैं। यहाँ आचार्य कहते हैं की अपने मन को समझाओ की ' हे मन, जब ज्ञानीजनों के द्वारा बताया गया तुम्हारे लिए आनंद का सागर हो जाने का विकल्प उपलब्ध है, तो तुम अज्ञानियों के पथ पर चलते हुए एक क्षण मात्र के लिए आनंद की एक बून्द क्यों प्राप्त करने की चेष्टा कर रहे हो। विवेकी बनो, और अपनी सोच ऊंची करो। सीधे ब्रह्म-ज्ञान का संकल्प करो। वो तो अत्यंत निकट भी है - वो तो हमारी आत्मा ही है। बस अपने को यथावत जानने के लिए समर्पित हो जाओ। हमारी बुद्धि ने तो वो जान भी लिया है, अब मात्र अपनी बुद्धि के द्वारा बताये मार्ग पर चलो।
#Atmabodha
March 30, 2022
March 30, 2022
@samskrt_samvadah संलापशाला - A Samskrit Voicechat room.
कालावधिः : 45 निमेषाः
समयः : IST 11:00 AM 🕚
विषयः : अखण्डं भारतम्
दिनाङ्कः : 31th March 2022,
गुरुवासरः
Please Join the voicechat on time.
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😇 यदि शक्येत चेत् संस्कृतेन(भारतं कदा अखण्डम् आसीत् , तदा के के देशाः भारते आसन् , किमर्थं भारतं खण्डितम् अभवत् , पुनः कथम् अखण्डं कर्तुं शक्नुमः एतेषु बिन्दुषु वक्तुं शक्नुमः।) चर्चार्थं कृपया पूर्वसिद्धतां कृत्वा आगच्छन्तु।
वयं युष्माकं प्रतीक्षां कुर्मः। 😇
स्मारणतंत्रिकां स्थापयन्तु⏰
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March 30, 2022
March 30, 2022
🍃
♦️bhavaapyayau hi bhuutaanaaM shrutau vistarasho mayaa|
tvattaH kamalapatraakSha maahaatmyamapi chaavyayam11.2
⚜O Krishna, I have heard from You in detail about the origin and dissolution of beings, and Your imperishable glory. (11.02)
⚜हे कमलनयन मैंने भूतों की उत्पत्ति और प्रलय आपसे विस्तारपूर्वक सुने हैं तथा आपका अव्यय माहात्म्य (प्रभाव) भी सुना है।।
#geeta
भवाप्ययौ हि भूतानां श्रुतौ विस्तरशो मया।
त्वत्तः कमलपत्राक्ष माहात्म्यमपि चाव्ययम्
।।11.2।।♦️bhavaapyayau hi bhuutaanaaM shrutau vistarasho mayaa|
tvattaH kamalapatraakSha maahaatmyamapi chaavyayam
⚜O Krishna, I have heard from You in detail about the origin and dissolution of beings, and Your imperishable glory. (11.02)
⚜हे कमलनयन मैंने भूतों की उत्पत्ति और प्रलय आपसे विस्तारपूर्वक सुने हैं तथा आपका अव्यय माहात्म्य (प्रभाव) भी सुना है।।
#geeta
March 30, 2022
March 30, 2022
🍃
♦️evametadyathaattha tvamaatmaanaM parameshvara|
draShTumichChaami te ruupamaishvaraM puruShottama11.3
⚜O Lord, You are as You have said, yet I wish to see Your divine cosmic form, O Supreme Being. (11.03)
⚜हे परमेश्वर आप अपने को जैसा कहते हो यह ठीक ऐसा ही है। (परन्तु) हे पुरुषोत्तम मैं आपके ईश्वरीय रूप को प्रत्यक्ष देखना चाहता हूँ।।11.3।।
#geeta
एवमेतद्यथात्थ त्वमात्मानं परमेश्वर।
द्रष्टुमिच्छामि ते रूपमैश्वरं पुरुषोत्तम
।।11.3।।♦️evametadyathaattha tvamaatmaanaM parameshvara|
draShTumichChaami te ruupamaishvaraM puruShottama
⚜O Lord, You are as You have said, yet I wish to see Your divine cosmic form, O Supreme Being. (11.03)
⚜हे परमेश्वर आप अपने को जैसा कहते हो यह ठीक ऐसा ही है। (परन्तु) हे पुरुषोत्तम मैं आपके ईश्वरीय रूप को प्रत्यक्ष देखना चाहता हूँ।।11.3।।
#geeta
March 30, 2022
🚩जय सत्य सनातन🚩
🚩आज की हिंदी तिथि
🌥️ 🚩युगाब्द-५१२३
🌥️ 🚩विक्रम संवत-२०७८
⛅ 🚩तिथि - चतुर्दशी दोपहर 12:22 तक तपश्चात अमावस्या
⛅ दिनांक 31 मार्च 2022
⛅ दिन - गुरुवार
⛅ शक संवत - 1943
⛅ अयन - उत्तरायण
⛅ ऋतु - वसंत
⛅ मास - चैत्र
⛅ पक्ष - कृष्ण
⛅ नक्षत्र - पूर्व भाद्रपद सुबह 10:31 तक तपश्चात उत्तर भाद्रपद
⛅योग - शुक्ल सुबह 11:18 तक तत्पश्चात ब्रह्म
⛅ राहुकाल - अपरान्ह 2:17 से 03:49 तक
⛅सूर्योदय - 06:33
⛅ सूर्यास्त - 06:55
⛅ दिशाशूल - दक्षिण दिशा में
🚩आज की हिंदी तिथि
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March 30, 2022
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March 30, 2022
https://youtu.be/iwipadxmdFw
Switch to DD News daily at 7:15 AM (Morning) for 15 minutes Sanskrit news.
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YouTube
संस्कृत भाषा में देखिए सुबह की महत्वपूर्ण ख़बरें, डीडी न्यूज़ के विशेष बुलेटिन 'वार्ता' में
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DD News is India’s 24x7 news channel from the stable of the country’s Public Service Broadcaster, Prasar Bharati. It has the distinction of being India’s only terrestrial…
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March 30, 2022
Forwarded from Bhavani Raman
@sutaah, subsidiary of @samskrt_samvadah is starting Elements in Periodic Table through Sanskrit Classes
Date: 31st March to 3rd April 2022
Time : 11 AM - 12.00 PM (Indian time)
Teacher : @BhavaniSSR
Prior Sanskrit knowledge NOT Necessary.
Meeting Link 👇👇👇
https://t.me/sutaah?videochat=083480a16368f298f7
सर्वे भवन्तु सुखिनः🙏
NOTE: No fee. IX & X std students can join.💪However students from 6th to 12th can join if they are interested. Classes will be interactive and it's requested that your child is provided with hi-speed internet connectivity and a serene atmosphere to concentrate.
🚷 Adults! Pls 😅Let's NOT walk into the space meant for Children
Date: 31st March to 3rd April 2022
Time : 11 AM - 12.00 PM (Indian time)
Teacher : @BhavaniSSR
Prior Sanskrit knowledge NOT Necessary.
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सर्वे भवन्तु सुखिनः🙏
NOTE: No fee. IX & X std students can join.💪However students from 6th to 12th can join if they are interested. Classes will be interactive and it's requested that your child is provided with hi-speed internet connectivity and a serene atmosphere to concentrate.
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March 30, 2022
March 30, 2022
March 30, 2022
March 30, 2022
तावज्जितेन्द्रियो न स्याद् विजितान्येन्द्रिय: पुमान्।
न जयेद् रसनं यावद् जितं सर्वं जिते रसे ॥
जब तक मनुष्य अपने विविध आहार के उपर स्वनियंत्रण नही रखता तब तक उसने सब इन्द्रियों के उपर विजय पायी है ऐसा नही बोल सकते।आहार के उपर स्वनियंत्रण यही सब से आवश्यक बात है ।
संस्कृतार्थः -
यावत् पर्यन्तं मनुष्यः स्वरसेन्द्रियस्य(आहारप्रीतिः) उपरि जयं न प्राप्नोति तावत् पर्यन्तं सः जितेन्द्रियः न भवति।
यः रसेन्द्रियं जितवान् सः सर्वान् जितवान् इत्युक्ते रसेन्द्रियस्य एव प्रधानता अस्ति।
#Subhashitam
न जयेद् रसनं यावद् जितं सर्वं जिते रसे ॥
जब तक मनुष्य अपने विविध आहार के उपर स्वनियंत्रण नही रखता तब तक उसने सब इन्द्रियों के उपर विजय पायी है ऐसा नही बोल सकते।आहार के उपर स्वनियंत्रण यही सब से आवश्यक बात है ।
संस्कृतार्थः -
यावत् पर्यन्तं मनुष्यः स्वरसेन्द्रियस्य(आहारप्रीतिः) उपरि जयं न प्राप्नोति तावत् पर्यन्तं सः जितेन्द्रियः न भवति।
यः रसेन्द्रियं जितवान् सः सर्वान् जितवान् इत्युक्ते रसेन्द्रियस्य एव प्रधानता अस्ति।
#Subhashitam
March 30, 2022
March 30, 2022
March 31, 2022
अखण्डं भारतं सर्वदैव स्मरन्तु।
सर्वदैव - सन्धिविच्छेदः कः?
सर्वदैव - सन्धिविच्छेदः कः?
Anonymous Quiz
22%
सर्वदा+इव
9%
सर्वद+एव
11%
सर्वदे+एव
57%
सर्वदा+एव
1%
सर्वदै+व
March 31, 2022
संस्कृत संवादः । Sanskrit Samvadah
संस्कृतं
वद आधुनिको भव। वेदान् पठ वैज्ञानिको भव।। पाठ : (२७) सप्तमी विभक्ति (१)
(कर्त्ता व कर्म के आधार को अधिकरण कहते हैं। अधिकरण कारक में सप्तमी
विभक्ति होती है। व्याख्याकारों ने आधार तीन प्रकार के माने हैं- १.
औपश्लेषिक आधार, २. वैषयिक आधार तथा ३. अभिव्यापक…
यः प्रीणयेत्सुचरितैः पितरं स पुत्रो, यद्भर्तुरेव हितमिच्छति तत्कलत्रम्।
तन्मित्रमापदि सुखे च समक्रियं, यदेतत्त्रयं जगति पुण्यकृतो लभन्ते।।
= जो अपने उत्तम आचरण से पिता को प्रसन्न करे, वस्तुतः वही पुत्र है। जो सदा पति का कल्याण चाहे वही पत्नी है। जो सुख और दुःख में मित्र के साथ समान व्यवहार रखे वही मित्र है। संसार में ये तीनों बातें पुण्यकर्मा मनुष्यों को ही प्राप्त होती हैं।
यौवनं धनसम्पत्तिः प्रभुत्वमविवेकता।
एकैकमप्यनर्थाय किमु यत्र चतुष्टयम्।।
= जवानी, धनसम्पत्ति प्रभुता (सत्ता) और अविवेक इनमें से एकेक भी अनर्थ का कारण हैं, फिर जहां ये चारों मिल जाएं वहां का तो कहना ही क्या..?
शैले शैले न माणिक्यं मौक्तिकं न गजे गजे।साधवो न हि सर्वत्र चन्दनं न वने वने।।
= सभी पर्वतों पर माणिक्य नहीं होते, सभी हाथियों के मस्तक में मोती नहीं उत्पन्न होता, सज्जन पुरुष सर्वत्र नहीं मिलते और प्रत्येक वन में चन्दन नहीं होता।
दुर्जनस्य मुखे प्रीतिर्वाणी चन्दनशीतला।
हृदये तस्य दुर्बुद्धेः कुलिशादपि कर्कशम्।।
= दुर्जन अपने मुख पर प्रसन्नता लिए रहता है, उसकी वाणी चन्दन के समान शीतल प्रतीत होती है, किन्तु उस दुष्टबुद्धि के हृदय में वज्र से भी अधिक कठोरता होती है।
ओङ्कारशब्दो विप्राणां यस्य राष्ट्रे प्रवर्तते। स राजा हि भवेद्योगी व्याधिभिश्च न पीड्यते।।
= जिस राजा के राष्ट्र में ब्राह्मणों के द्वारा उच्चारित ओंकार का नाद गूंजता है, वही राजा योगी होता है और व्याधियों से पीड़ित नहीं होता।
मूर्खा यत्र न पूज्यन्ते धान्यं यत्र सुसञ्चितम्। दम्पत्त्योः कलहो नाऽस्ति यत्र श्रीः स्वयमागताः।।
= जहां मूर्खों की पूजा नहीं होती जहां अन्न-धान्य विपुल मात्रा में संचित रहते हैं, जहां पति-पत्नी में लड़ाई झगड़ा नहीं होता, वहां श्री याने लक्ष्मी स्वयं आकर निवास करने लगती है।
अपूज्या यत्र पूज्यन्ते पूजनीयो न पूज्यते।
त्रीणी तत्र प्रवर्तन्ते दुर्भिक्षं मरणं भयम्।।
= जहां अपूज्यों की पूजा होती है और पूजनीयों का तिरस्कार होता है वहां तीन बातें होती हैं, दुर्भिक्ष याने अकाल, मौत और डर।
पुत्रसूः पाककुशला पवित्रा च पतिव्रता।
पद्माक्षी पञ्चपैर्नारी भुवि संयाति गौरवम्।।
= वीर पुत्रों को जन्म देनेवाली, पाकविद्या में कुशल, पवित्र, पतिव्रता और पद्माक्षी याने सुन्दरी इन पांच पकारों से युक्त नारी संसार में गौरव प्राप्त करती है।
येषां न विद्या न तपो न दानं ज्ञानं शीलं न गुणो न धर्मः। ते मर्त्यलोके भुविभारभूताः मनुष्यरूपेण मृगाश्चरन्ति।।
= जिन मनुष्यों में न तो विद्या है, न तप है, न दान देने की भावना है, न ज्ञान है, न शील-स्वभाव है, न कोई उत्तम गुण है, न हि जीवन में धर्म का आचरण है; ऐसे व्यक्ति धरती पर बोझस्वरूप हैं, मानो मनुष्य जैसे दिखते हैं किन्तु निरे पशु ही हैं।
अयं च सुरतज्वालः कामाग्निः प्रणयेन्धनः। नराणां यत्र हूयन्ते यौवनानि धनानि च।।
= प्रेम जिसका ईंधन है और रतिक्रिया जिसकी ज्वाला है, ऐसी यह कामरूपी अग्नि में मनुष्य अपने यौवन और धन को फूंक देता है।
यावत्पवनो निवसति देहे तावत्पृच्छति कुशलं गेहे। गतवति वायौ देहापाये, भार्या बिभ्यति तस्मिन्काये।।
= जब तक शरीर में प्राण है, तब तक घर में व्यक्ति के कुशल-मंगल को लोग पूछते हैं। प्राण के निकल जाने पर और देह के गिर जाने पर पत्नी भी उस मृत शरीर को देखकर डरती है।
पुनरपि जननं पुनरपि मरणं, पुनरपि जननी जठरे शयनम्। इह संसारे बहुदुस्तारे कृपयाऽपारे पाहि मुरारे।।
= हे मुरारी (कृष्ण) बार-बार जन्म होना, बार-बार मरण होना, बार-बार मां के गर्भ में शयन करना। इस प्रकार जिसे पार करना बहुत कठिन है ऐसे इस अपार संसार में हमारी रक्षा कर।
मूढ जहीहि धनागमतृष्णां कुरु सद्बुद्धिं मनसि वितृष्णाम्। यल्लभसे निजकर्मोपात्तं वित्तं तेन विनोदय चित्तम्।।
= हे मूर्ख ! धनप्राप्ति की लालसा को छोड़ दे, और मन में सद्बुद्धि तथा वितृष्णा को धारण कर। स्व कर्म से जितना धन प्राप्त करता है, उतने से ही चित्त को प्रसन्न कर।
#vakyabhyas
तन्मित्रमापदि सुखे च समक्रियं, यदेतत्त्रयं जगति पुण्यकृतो लभन्ते।।
= जो अपने उत्तम आचरण से पिता को प्रसन्न करे, वस्तुतः वही पुत्र है। जो सदा पति का कल्याण चाहे वही पत्नी है। जो सुख और दुःख में मित्र के साथ समान व्यवहार रखे वही मित्र है। संसार में ये तीनों बातें पुण्यकर्मा मनुष्यों को ही प्राप्त होती हैं।
यौवनं धनसम्पत्तिः प्रभुत्वमविवेकता।
एकैकमप्यनर्थाय किमु यत्र चतुष्टयम्।।
= जवानी, धनसम्पत्ति प्रभुता (सत्ता) और अविवेक इनमें से एकेक भी अनर्थ का कारण हैं, फिर जहां ये चारों मिल जाएं वहां का तो कहना ही क्या..?
शैले शैले न माणिक्यं मौक्तिकं न गजे गजे।साधवो न हि सर्वत्र चन्दनं न वने वने।।
= सभी पर्वतों पर माणिक्य नहीं होते, सभी हाथियों के मस्तक में मोती नहीं उत्पन्न होता, सज्जन पुरुष सर्वत्र नहीं मिलते और प्रत्येक वन में चन्दन नहीं होता।
दुर्जनस्य मुखे प्रीतिर्वाणी चन्दनशीतला।
हृदये तस्य दुर्बुद्धेः कुलिशादपि कर्कशम्।।
= दुर्जन अपने मुख पर प्रसन्नता लिए रहता है, उसकी वाणी चन्दन के समान शीतल प्रतीत होती है, किन्तु उस दुष्टबुद्धि के हृदय में वज्र से भी अधिक कठोरता होती है।
ओङ्कारशब्दो विप्राणां यस्य राष्ट्रे प्रवर्तते। स राजा हि भवेद्योगी व्याधिभिश्च न पीड्यते।।
= जिस राजा के राष्ट्र में ब्राह्मणों के द्वारा उच्चारित ओंकार का नाद गूंजता है, वही राजा योगी होता है और व्याधियों से पीड़ित नहीं होता।
मूर्खा यत्र न पूज्यन्ते धान्यं यत्र सुसञ्चितम्। दम्पत्त्योः कलहो नाऽस्ति यत्र श्रीः स्वयमागताः।।
= जहां मूर्खों की पूजा नहीं होती जहां अन्न-धान्य विपुल मात्रा में संचित रहते हैं, जहां पति-पत्नी में लड़ाई झगड़ा नहीं होता, वहां श्री याने लक्ष्मी स्वयं आकर निवास करने लगती है।
अपूज्या यत्र पूज्यन्ते पूजनीयो न पूज्यते।
त्रीणी तत्र प्रवर्तन्ते दुर्भिक्षं मरणं भयम्।।
= जहां अपूज्यों की पूजा होती है और पूजनीयों का तिरस्कार होता है वहां तीन बातें होती हैं, दुर्भिक्ष याने अकाल, मौत और डर।
पुत्रसूः पाककुशला पवित्रा च पतिव्रता।
पद्माक्षी पञ्चपैर्नारी भुवि संयाति गौरवम्।।
= वीर पुत्रों को जन्म देनेवाली, पाकविद्या में कुशल, पवित्र, पतिव्रता और पद्माक्षी याने सुन्दरी इन पांच पकारों से युक्त नारी संसार में गौरव प्राप्त करती है।
येषां न विद्या न तपो न दानं ज्ञानं शीलं न गुणो न धर्मः। ते मर्त्यलोके भुविभारभूताः मनुष्यरूपेण मृगाश्चरन्ति।।
= जिन मनुष्यों में न तो विद्या है, न तप है, न दान देने की भावना है, न ज्ञान है, न शील-स्वभाव है, न कोई उत्तम गुण है, न हि जीवन में धर्म का आचरण है; ऐसे व्यक्ति धरती पर बोझस्वरूप हैं, मानो मनुष्य जैसे दिखते हैं किन्तु निरे पशु ही हैं।
अयं च सुरतज्वालः कामाग्निः प्रणयेन्धनः। नराणां यत्र हूयन्ते यौवनानि धनानि च।।
= प्रेम जिसका ईंधन है और रतिक्रिया जिसकी ज्वाला है, ऐसी यह कामरूपी अग्नि में मनुष्य अपने यौवन और धन को फूंक देता है।
यावत्पवनो निवसति देहे तावत्पृच्छति कुशलं गेहे। गतवति वायौ देहापाये, भार्या बिभ्यति तस्मिन्काये।।
= जब तक शरीर में प्राण है, तब तक घर में व्यक्ति के कुशल-मंगल को लोग पूछते हैं। प्राण के निकल जाने पर और देह के गिर जाने पर पत्नी भी उस मृत शरीर को देखकर डरती है।
पुनरपि जननं पुनरपि मरणं, पुनरपि जननी जठरे शयनम्। इह संसारे बहुदुस्तारे कृपयाऽपारे पाहि मुरारे।।
= हे मुरारी (कृष्ण) बार-बार जन्म होना, बार-बार मरण होना, बार-बार मां के गर्भ में शयन करना। इस प्रकार जिसे पार करना बहुत कठिन है ऐसे इस अपार संसार में हमारी रक्षा कर।
मूढ जहीहि धनागमतृष्णां कुरु सद्बुद्धिं मनसि वितृष्णाम्। यल्लभसे निजकर्मोपात्तं वित्तं तेन विनोदय चित्तम्।।
= हे मूर्ख ! धनप्राप्ति की लालसा को छोड़ दे, और मन में सद्बुद्धि तथा वितृष्णा को धारण कर। स्व कर्म से जितना धन प्राप्त करता है, उतने से ही चित्त को प्रसन्न कर।
#vakyabhyas
March 31, 2022
जांति-पांति पूछै नहीं कोई, हरि को भजै सो हरि का होई।
~रामानंद
~रामानंद
जातिं न च मयीक्षन्तां , रामानन्दो ब्रवीति हि।हरिं किल भजन्ते ये, हरेः किल भवन्ति ते।।
March 31, 2022
March 31, 2022
।।श्रीः।।
।।आत्मबोधः।।
Atmabodha, meaning Self-knowledge or Self-awareness, is an exceptionally lucid and readable work of Shankaracharya. Consisting of sixty-eight verses or shlokas, it is in a sense a simple summary of his entire Vedantic structure of thought, intended, it would seem, as a basic primer for his students and followers. The text follows a clearly elaborated doctrine, starting with knowledge as a key to liberation, the nautre of the Atman within us, the assertion of the pervasive and attribute-less nature of Brahman, and the path towards the realisation of the complete identity between the Atman and Brahman.
तद्युक्तमखिलं वस्तु व्यवहारश्चिदन्वितः।
तस्मात्सर्वगतं ब्रह्म क्षीरे सर्पिरिवाखिले।।59।।
59. All objects are pervaded by Brahman. All actions are possible because of Brahman: therefore Brahman permeates everything as butter permeates milk.
आत्म-बोध ऑनलाइन क्लास - 59:
आत्म-बोध के 59th श्लोक में भी भगवान् शंकराचार्यजी हमें ब्रह्म की एक और महिमा बता रहे हैं। संसारी लोगों की दुनिया से आये हम सब की बुद्धि एक बहुत बड़े दोष से युक्त होती है - और वो है की ब्रह्म को भी अन्य किसी विषय की तरह से बाहरी, ग्राह्य एवं कर्म के प्राप्त करने योग्य वस्तु समझना। कर्म की सीमाओं की चर्चा आत्म-बोध के प्रारम्भिक श्लोकों में करी जा चुकी है। अब यहाँ ब्रह्म को व्यवहार की वस्तु की तरह से एकदेशीय समझने की संभावना का निषेध किया जा रहा रहा है। जो वस्तु भी एकदेशीय होती है वो सीमित एवं संकुचित होती है - और ब्रह्म ऐसा नहीं होता है। ब्रह्म व्यवहार की समस्त वस्तुओं, व्यक्तोयों आदि को व्याप्त करता है। वो सबका सत्य होता है, सबको आत्मवान करता है। ब्रह्म ही सबको सत्तू, स्फूर्ति एवं प्रियता प्रदान करता है। आचार्य कहते हैं की जैसे दूध में मक्खन व्याप्त होता है, उसी तरह से जगत के कण-कण में ब्रह्म व्याप्त होता है, अर्थात ब्रह्म-ज्ञान से सब कुछ प्राप्त हो जाता है।
#Atmabodha
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Atmabodha, meaning Self-knowledge or Self-awareness, is an exceptionally lucid and readable work of Shankaracharya. Consisting of sixty-eight verses or shlokas, it is in a sense a simple summary of his entire Vedantic structure of thought, intended, it would seem, as a basic primer for his students and followers. The text follows a clearly elaborated doctrine, starting with knowledge as a key to liberation, the nautre of the Atman within us, the assertion of the pervasive and attribute-less nature of Brahman, and the path towards the realisation of the complete identity between the Atman and Brahman.
तद्युक्तमखिलं वस्तु व्यवहारश्चिदन्वितः।
तस्मात्सर्वगतं ब्रह्म क्षीरे सर्पिरिवाखिले।।59।।
59. All objects are pervaded by Brahman. All actions are possible because of Brahman: therefore Brahman permeates everything as butter permeates milk.
आत्म-बोध ऑनलाइन क्लास - 59:
आत्म-बोध के 59th श्लोक में भी भगवान् शंकराचार्यजी हमें ब्रह्म की एक और महिमा बता रहे हैं। संसारी लोगों की दुनिया से आये हम सब की बुद्धि एक बहुत बड़े दोष से युक्त होती है - और वो है की ब्रह्म को भी अन्य किसी विषय की तरह से बाहरी, ग्राह्य एवं कर्म के प्राप्त करने योग्य वस्तु समझना। कर्म की सीमाओं की चर्चा आत्म-बोध के प्रारम्भिक श्लोकों में करी जा चुकी है। अब यहाँ ब्रह्म को व्यवहार की वस्तु की तरह से एकदेशीय समझने की संभावना का निषेध किया जा रहा रहा है। जो वस्तु भी एकदेशीय होती है वो सीमित एवं संकुचित होती है - और ब्रह्म ऐसा नहीं होता है। ब्रह्म व्यवहार की समस्त वस्तुओं, व्यक्तोयों आदि को व्याप्त करता है। वो सबका सत्य होता है, सबको आत्मवान करता है। ब्रह्म ही सबको सत्तू, स्फूर्ति एवं प्रियता प्रदान करता है। आचार्य कहते हैं की जैसे दूध में मक्खन व्याप्त होता है, उसी तरह से जगत के कण-कण में ब्रह्म व्याप्त होता है, अर्थात ब्रह्म-ज्ञान से सब कुछ प्राप्त हो जाता है।
#Atmabodha
March 31, 2022
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@samskrt_samvadah संलापशाला - A Samskrit Voicechat room.
कालावधिः : 45 निमेषाः
समयः : IST 11:00 AM 🕚
विषयः :संस्कृतकथा,सुभाषितम्,
हास्यकणिका..... इत्यादयः
दिनाङ्कः : 1st April 2022,
शुक्रवासरः
Please Join the voicechat on time.
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😇 यदि शक्येत चेत् संस्कृतेन (संस्कृतकथां, सुभाषितं, हास्यकणिकां ,स्वस्य कञ्चित् उत्तमम् अनुभवं ,प्रेरकप्रसङ्गं ,लौकिकन्यायं वा वदन्तु) । चर्चार्थं कृपया पूर्वसिद्धतां कृत्वा आगच्छन्तु।
वयं युष्माकं प्रतीक्षां कुर्मः। 😇
स्मारणतंत्रिकां स्थापयतु⏰
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यदीच्छसि वशीकर्तुं, भाषणमेककर्मणा।।
यायास्संलापशालां वै, भवति यत्र भाषणम्
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March 31, 2022
March 31, 2022
🍃
♦️manyase yadi tachChakyaM mayaa draShTumiti prabho|
yogeshvara tato me tvaM darshayaa'tmaanamavyayam11.4
⚜O Lord, if You think it is possible for me to see this, then O Lord of the yogis, show me Your imperishable Self. (11.04)
⚜हे प्रभो यदि आप मानते हैं कि मेरे द्वारा वह आपका रूप देखा जाना संभव है तो हे योगेश्वर आप अपने अव्यय रूप का दर्शन कराइये।।11.4।।
#geeta
मन्यसे यदि तच्छक्यं मया द्रष्टुमिति प्रभो।
योगेश्वर ततो मे त्वं दर्शयाऽत्मानमव्ययम्
।।11.4।।♦️manyase yadi tachChakyaM mayaa draShTumiti prabho|
yogeshvara tato me tvaM darshayaa'tmaanamavyayam
⚜O Lord, if You think it is possible for me to see this, then O Lord of the yogis, show me Your imperishable Self. (11.04)
⚜हे प्रभो यदि आप मानते हैं कि मेरे द्वारा वह आपका रूप देखा जाना संभव है तो हे योगेश्वर आप अपने अव्यय रूप का दर्शन कराइये।।11.4।।
#geeta
March 31, 2022
March 31, 2022
🍃
♦️shrii bhagavaanuvaacha
pashya me paartha ruupaaNi shatasho'tha sahasrashaH|
naanaavidhaani divyaani naanaavarNaakRRitiini cha11.5
⚜The Supreme Lord said:
O Arjuna, behold My hundreds and thousands of multifarious divine forms of different colors and shapes. (11.05)
⚜श्रीभगवान् ने कहा --
हे पार्थ मेरे सैकड़ों तथा सहस्रों नाना प्रकार के और नाना वर्ण तथा आकृति वाले दिव्य रूपों को देखो।।11.5।।
#geeta
श्री भगवानुवाच
पश्य मे पार्थ रूपाणि शतशोऽथ सहस्रशः।
नानाविधानि दिव्यानि नानावर्णाकृतीनि च
।।11.5।।♦️shrii bhagavaanuvaacha
pashya me paartha ruupaaNi shatasho'tha sahasrashaH|
naanaavidhaani divyaani naanaavarNaakRRitiini cha
⚜The Supreme Lord said:
O Arjuna, behold My hundreds and thousands of multifarious divine forms of different colors and shapes. (11.05)
⚜श्रीभगवान् ने कहा --
हे पार्थ मेरे सैकड़ों तथा सहस्रों नाना प्रकार के और नाना वर्ण तथा आकृति वाले दिव्य रूपों को देखो।।11.5।।
#geeta
March 31, 2022
🚩जय सत्य सनातन🚩
🚩आज की हिंदी तिथि
🌥️ 🚩युगाब्द-५१२३
🌥️ 🚩विक्रम संवत-२०७८
⛅ 🚩तिथि - अमावस्या 11:53 तक तपश्चात प्रतिपदा
⛅ दिनांक 01 अप्रैल 2022
⛅ दिन - शुक्रवार
⛅ शक संवत - 1943
⛅ अयन - उत्तरायण
⛅ ऋतु - वसंत
⛅ मास - चैत्र
⛅ पक्ष - कृष्ण
⛅ नक्षत्र - उत्तर भाद्रपद सुबह 10:40 तक तपश्चात रेवती
⛅योग - ब्रह्म सुबह 09:37 तक तत्पश्चात इन्द्र
⛅ राहुकाल - सुबह 11:11 से दोपहर 12:44 तक
⛅सूर्योदय - 06:33
⛅ सूर्यास्त - 06:55
⛅ दिशाशूल - पश्चिम दिशा में
🚩आज की हिंदी तिथि
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March 31, 2022
https://youtu.be/SyuvmJhArZM
Switch to DD News daily at 7:15 AM (Morning) for 15 minutes Sanskrit news.
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वार्ता : पीएम मोदी छात्रों के साथ परीक्षा पे चर्चा कार्यक्रम में करेंगे चर्चा व अन्य प्रमुख ख़बरें
वार्ता : पीएम मोदी
छात्रों के साथ परीक्षा पे चर्चा कार्यक्रम में करेंगे चर्चा व अन्य प्रमुख
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March 31, 2022
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विषयः :संस्कृतकथा,सुभाषितम्,
हास्यकणिका..... इत्यादयः
दिनाङ्कः : 1st April 2022,
शुक्रवासरः
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March 31, 2022
March 31, 2022
March 31, 2022
धारणाद्धर्म इत्याहुः धर्मो धारयते प्रजाः।
यत् स्याद्धारणसंयुक्तं स धर्म इति निश्चयः॥
(Due to) bearing, (it) is called 'dharma', dharma supports people. That which is associated with upholding (the creation) is called dharma.
संस्कृतार्थः -
यस्य धारणं क्रियते सः धर्मः, धर्मः एव प्रजाः धारयति, तथा यः (संसारं) धारयति तस्मै हि निश्चयेन धर्मः इति संज्ञा दीयते।
#Subhashitam
यत् स्याद्धारणसंयुक्तं स धर्म इति निश्चयः॥
(Due to) bearing, (it) is called 'dharma', dharma supports people. That which is associated with upholding (the creation) is called dharma.
संस्कृतार्थः -
यस्य धारणं क्रियते सः धर्मः, धर्मः एव प्रजाः धारयति, तथा यः (संसारं) धारयति तस्मै हि निश्चयेन धर्मः इति संज्ञा दीयते।
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March 31, 2022
March 31, 2022
March 31, 2022
April 1, 2022
April 1, 2022
संस्कृत संवादः । Sanskrit Samvadah
यः
प्रीणयेत्सुचरितैः पितरं स पुत्रो, यद्भर्तुरेव हितमिच्छति तत्कलत्रम्।
तन्मित्रमापदि सुखे च समक्रियं, यदेतत्त्रयं जगति पुण्यकृतो लभन्ते।। =
जो अपने उत्तम आचरण से पिता को प्रसन्न करे, वस्तुतः वही पुत्र है। जो सदा
पति का कल्याण चाहे वही पत्नी है। जो सुख…
धनानि भूमौ पशवश्च गोष्ठे भार्या गृहद्वारि जनः स्मशाने। देहश्चितायां परलोकमार्गे कर्मानुगो गच्छति जीव एकः।।
= जीवनभर संग्रह किया धन भूमिपर, पालतू पशु बाड़े में रह जाते हैं। पत्नी अधिक से अधिक द्वार तक और इष्ट-मित्र बन्धु-बान्धव श्मशान तक पहुंच जाते हैं, शरीर चिता तक साथ देता है। परलोक गमन में मनुष्य के साथ केवल उसके शुभाशुभ कर्म ही साथ जाते हैं।
नामुत्र हि सहायार्थं पिता-माता च तिष्ठतः। न पुत्रदारा न ज्ञातिर्धर्मस्तिष्ठति केवलः।।
= परलोक में माता-पिता, पुत्र-पत्नी और बन्धु-बान्धव कोई भी सहायता के लिए नहीं रहते हैं। वहां तो केवल धर्म ही सहायक होता है।
मृतं शरीरमुत्सृज्य काष्ठलोष्ठसमं क्षितौ।
विमुखा बान्धवा यान्ति धर्मस्तमनुगच्छति।।
= बन्धु-बान्धव, निर्जीव शरीर को लकड़ी और मिट्टी के ढेले के समानभूमि पर छोड़कर मुंह मोड़कर चले जाते हैं। एक धर्म ही उसके साथ जाता है।
चला लक्ष्मीश्चलाः प्राणाश्चलं जीवित यौवनम्। चलाचले च संसारे धर्म एको हि निश्चलः।।
= इस चराचर जगत में लक्ष्मी (धन-सम्पत्ति) प्राण, यौवन और जीवन सभी कुछ नाशवान् है। केवल एक धर्म ही निश्चल है।
अस्मिन्महामोहमये कटाहे सूर्याग्निना रात्रिदिवेन्धनेन। मासर्तुदर्वी परिघट्टनेन भूतानि कालः पचतीति वार्ता।।
= इस महामोहरूपी कड़ाह (संसार) में काल समस्त प्राणियों को मास और ऋतुरूपी कडछी से उलट-पुलट कर सूर्यरूपी अग्नि और दिन-रात रूपी इन्धन के द्वारा पका रहा है.. यही वार्ता (खबर) है।
स्वयं कर्म करोत्यात्मा स्वयं तत्फलमश्नुते।
स्वयं भ्रमति संसारे स्वयं तस्माद् विमुच्यते।।
= जीव स्वयं ही कर्म करता है, स्वयं ही उन कर्मों का फल सुख-दुःख रूप में भोगता है, स्वयं ही संसार में विभिन्न योनियों में जन्म लेता है और स्वयं ही पुरुषार्थ करके संसार बन्धन से छूटकर मुक्त हो जाता है।
जन्ममृत्यू हि यात्येको भुनक्त्येकः शुभाशुभम्। नरकेषु पतत्येक एको याति परां गतिम्।।
= मनुष्य अकेला ही जन्म-मृत्यु के चक्र में फंसता है, अकेला ही पाप-पुण्य के फलों को भोगता है, अकेला ही नरक अर्थात् विविध दुःखदायी योनियों को प्राप्त करता है तथा अकेला ही मोक्ष को प्राप्त करता है।
यत्पृथिव्यां व्रीहियवं हिरण्यं पशवः स्त्रियः। नालमेकस्य तत्सर्वमिति पश्यन्न मुह्यति।।
= पृथ्वी पर जितना धान, जौ, सोना, पशु और स्त्रियां हैं, वे सब एक मनुष्य की समस्त कामनाओं को पूर्ण करके तृप्त करने के लिए भी पर्याप्त नहीं है; इस प्रकार विचार करनेवाला मनुष्य मोह में नहीं फंसता।
स्वर्गस्थितानामिह जीवलोके चत्वारि चिह्नानि वसन्ति देहे। दानप्रसङ्गो मधुरा च वाणी देवाऽर्चनं ब्राह्मणतर्पणं च।।
= इस संसार में स्वर्गवासियों के शरीर में चार चिह्न होते हैं.. १. दान देने का स्वभाव, २. मधुर वाणी, ३. देवों का सत्कार करना तथा ४. ब्राह्मणों को तृप्त करना।
#vakyabhyas
= जीवनभर संग्रह किया धन भूमिपर, पालतू पशु बाड़े में रह जाते हैं। पत्नी अधिक से अधिक द्वार तक और इष्ट-मित्र बन्धु-बान्धव श्मशान तक पहुंच जाते हैं, शरीर चिता तक साथ देता है। परलोक गमन में मनुष्य के साथ केवल उसके शुभाशुभ कर्म ही साथ जाते हैं।
नामुत्र हि सहायार्थं पिता-माता च तिष्ठतः। न पुत्रदारा न ज्ञातिर्धर्मस्तिष्ठति केवलः।।
= परलोक में माता-पिता, पुत्र-पत्नी और बन्धु-बान्धव कोई भी सहायता के लिए नहीं रहते हैं। वहां तो केवल धर्म ही सहायक होता है।
मृतं शरीरमुत्सृज्य काष्ठलोष्ठसमं क्षितौ।
विमुखा बान्धवा यान्ति धर्मस्तमनुगच्छति।।
= बन्धु-बान्धव, निर्जीव शरीर को लकड़ी और मिट्टी के ढेले के समानभूमि पर छोड़कर मुंह मोड़कर चले जाते हैं। एक धर्म ही उसके साथ जाता है।
चला लक्ष्मीश्चलाः प्राणाश्चलं जीवित यौवनम्। चलाचले च संसारे धर्म एको हि निश्चलः।।
= इस चराचर जगत में लक्ष्मी (धन-सम्पत्ति) प्राण, यौवन और जीवन सभी कुछ नाशवान् है। केवल एक धर्म ही निश्चल है।
अस्मिन्महामोहमये कटाहे सूर्याग्निना रात्रिदिवेन्धनेन। मासर्तुदर्वी परिघट्टनेन भूतानि कालः पचतीति वार्ता।।
= इस महामोहरूपी कड़ाह (संसार) में काल समस्त प्राणियों को मास और ऋतुरूपी कडछी से उलट-पुलट कर सूर्यरूपी अग्नि और दिन-रात रूपी इन्धन के द्वारा पका रहा है.. यही वार्ता (खबर) है।
स्वयं कर्म करोत्यात्मा स्वयं तत्फलमश्नुते।
स्वयं भ्रमति संसारे स्वयं तस्माद् विमुच्यते।।
= जीव स्वयं ही कर्म करता है, स्वयं ही उन कर्मों का फल सुख-दुःख रूप में भोगता है, स्वयं ही संसार में विभिन्न योनियों में जन्म लेता है और स्वयं ही पुरुषार्थ करके संसार बन्धन से छूटकर मुक्त हो जाता है।
जन्ममृत्यू हि यात्येको भुनक्त्येकः शुभाशुभम्। नरकेषु पतत्येक एको याति परां गतिम्।।
= मनुष्य अकेला ही जन्म-मृत्यु के चक्र में फंसता है, अकेला ही पाप-पुण्य के फलों को भोगता है, अकेला ही नरक अर्थात् विविध दुःखदायी योनियों को प्राप्त करता है तथा अकेला ही मोक्ष को प्राप्त करता है।
यत्पृथिव्यां व्रीहियवं हिरण्यं पशवः स्त्रियः। नालमेकस्य तत्सर्वमिति पश्यन्न मुह्यति।।
= पृथ्वी पर जितना धान, जौ, सोना, पशु और स्त्रियां हैं, वे सब एक मनुष्य की समस्त कामनाओं को पूर्ण करके तृप्त करने के लिए भी पर्याप्त नहीं है; इस प्रकार विचार करनेवाला मनुष्य मोह में नहीं फंसता।
स्वर्गस्थितानामिह जीवलोके चत्वारि चिह्नानि वसन्ति देहे। दानप्रसङ्गो मधुरा च वाणी देवाऽर्चनं ब्राह्मणतर्पणं च।।
= इस संसार में स्वर्गवासियों के शरीर में चार चिह्न होते हैं.. १. दान देने का स्वभाव, २. मधुर वाणी, ३. देवों का सत्कार करना तथा ४. ब्राह्मणों को तृप्त करना।
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April 1, 2022
एकचक्रम्
Sanskrit movie for Sanskrit Lovers
After 40 years a full fledged Sanskrit movie titled ‘Ekachakram’ was premiered at Suchitra film institute last Sunday. The movie was directed by the renowned director K Suchendra Prasad. The movie is based on the Sanskrit kavya ‘Ekachakram’ by Mahamahopadhyaya Late NadahaLLi Ranganath’s Sharma, a renowned grammarian, Philosopher and Scholar. The story is based on the historic epic Mahabharata from the episode of Pandava’s exile in the village Ekachakram. It is very important to support such movies especially when Sanskrit is being pushed to the margins and being projected as a dead language.
Please share with family, friends, Sanskrit and movie lovers and support the movie. You can watch the trailer here. Watch out for the official release.
https://youtu.be/pjzGVl3VOKM
Sanskrit movie for Sanskrit Lovers
After 40 years a full fledged Sanskrit movie titled ‘Ekachakram’ was premiered at Suchitra film institute last Sunday. The movie was directed by the renowned director K Suchendra Prasad. The movie is based on the Sanskrit kavya ‘Ekachakram’ by Mahamahopadhyaya Late NadahaLLi Ranganath’s Sharma, a renowned grammarian, Philosopher and Scholar. The story is based on the historic epic Mahabharata from the episode of Pandava’s exile in the village Ekachakram. It is very important to support such movies especially when Sanskrit is being pushed to the margins and being projected as a dead language.
Please share with family, friends, Sanskrit and movie lovers and support the movie. You can watch the trailer here. Watch out for the official release.
https://youtu.be/pjzGVl3VOKM
YouTube
Ekachakram Samskrutha Trailer
A Samskrutha feature
Film based on published literary work by Vidwan N Ranganatha
Sharma..Directed by K. Suchendra Prasad, presented by VOICING SILENCE, a
juxtapose of the past and present through an important presentation as a
play, a film, alongside contemporary…
April 1, 2022
April 1, 2022
।।श्रीः।।
।।आत्मबोधः।।
Atmabodha, meaning Self-knowledge or Self-awareness, is an exceptionally lucid and readable work of Shankaracharya. Consisting of sixty-eight verses or shlokas, it is in a sense a simple summary of his entire Vedantic structure of thought, intended, it would seem, as a basic primer for his students and followers. The text follows a clearly elaborated doctrine, starting with knowledge as a key to liberation, the nautre of the Atman within us, the assertion of the pervasive and attribute-less nature of Brahman, and the path towards the realisation of the complete identity between the Atman and Brahman.
अनण्वस्थूलमह्रस्वमदीर्घमजमव्ययम्।
अरूपगुणवर्णाख्यं तद्ब्रह्मेत्यवधारयेत्।।60।।
60. Realise that to be Brahman which is neither subtle nor gross: neither short nor long: without birth or change: without form, qualities, colour and name.
आत्म-बोध ऑनलाइन क्लास - 60:
आत्म-बोध के 60th श्लोक में भी भगवान् शंकराचार्यजी हमें ब्रह्म की महिमा बता रहे हैं। सत्य की खोज सतत और सर्वत्र होती रहती है। प्रत्येक देश और काल में यह मानव की जिज्ञासा का विषय रहा है। सत्य की खोज करते-करते मनुष्य को अनेकानेक महत्वपूर्ण वस्तुएँ मिल जाती हैं जो की बहुत की काम की भी होती हैं, कई बार हम लोग उन महत्वपूर्ण और उपयोगी वस्तुओं को अपना भगवान् मान लेते हैं। आचार्यश्री यहाँ पर ऐसी अनेकानेक वस्तुओं के बारे में कहते हैं की जो भी दृष्ट है, ग्राह्य है, वो भले महत्वपूर्ण हो, लेकिन हमें ध्यान रखना चाहिए की ये सब कार्यरूपा हैं। ये मूल सत्य नहीं हैं। मूल सत्य, अर्थात ब्रह्म वो है जो की अजन्मा है, किसी भी गुण और रंग आदि से युक्त नहीं होता है। समस्त दृष्ट वस्तुओं का निषेध करो और फिर अधीस्तान को जानो।
#Atmabodha
।।आत्मबोधः।।
Atmabodha, meaning Self-knowledge or Self-awareness, is an exceptionally lucid and readable work of Shankaracharya. Consisting of sixty-eight verses or shlokas, it is in a sense a simple summary of his entire Vedantic structure of thought, intended, it would seem, as a basic primer for his students and followers. The text follows a clearly elaborated doctrine, starting with knowledge as a key to liberation, the nautre of the Atman within us, the assertion of the pervasive and attribute-less nature of Brahman, and the path towards the realisation of the complete identity between the Atman and Brahman.
अनण्वस्थूलमह्रस्वमदीर्घमजमव्ययम्।
अरूपगुणवर्णाख्यं तद्ब्रह्मेत्यवधारयेत्।।60।।
60. Realise that to be Brahman which is neither subtle nor gross: neither short nor long: without birth or change: without form, qualities, colour and name.
आत्म-बोध ऑनलाइन क्लास - 60:
आत्म-बोध के 60th श्लोक में भी भगवान् शंकराचार्यजी हमें ब्रह्म की महिमा बता रहे हैं। सत्य की खोज सतत और सर्वत्र होती रहती है। प्रत्येक देश और काल में यह मानव की जिज्ञासा का विषय रहा है। सत्य की खोज करते-करते मनुष्य को अनेकानेक महत्वपूर्ण वस्तुएँ मिल जाती हैं जो की बहुत की काम की भी होती हैं, कई बार हम लोग उन महत्वपूर्ण और उपयोगी वस्तुओं को अपना भगवान् मान लेते हैं। आचार्यश्री यहाँ पर ऐसी अनेकानेक वस्तुओं के बारे में कहते हैं की जो भी दृष्ट है, ग्राह्य है, वो भले महत्वपूर्ण हो, लेकिन हमें ध्यान रखना चाहिए की ये सब कार्यरूपा हैं। ये मूल सत्य नहीं हैं। मूल सत्य, अर्थात ब्रह्म वो है जो की अजन्मा है, किसी भी गुण और रंग आदि से युक्त नहीं होता है। समस्त दृष्ट वस्तुओं का निषेध करो और फिर अधीस्तान को जानो।
#Atmabodha
April 1, 2022
*संस्कृतभारती हडपसर् साप्ताहिकमेलनम्*
*1 Apr 2022*
*शुक्रवासर: Friday 6 PM to 7.30 PM*
सर्वे निश्चयेन आगच्छन्तु
https://bit.ly/melanam
All are invited. No eligibility
*1 Apr 2022*
*शुक्रवासर: Friday 6 PM to 7.30 PM*
सर्वे निश्चयेन आगच्छन्तु
https://bit.ly/melanam
All are invited. No eligibility
April 1, 2022
April 1, 2022
🍃
♦️pashyaadityaanvasuunrudraanash्ivanau marutastathaa|
bahuunyadRRiShTapuurvaaNi pashyaa'shcharyaaNi bhaarata11.6
⚜See the Adityas, the Vasus, the Rudras, the Ashvins, and the Maruts. Behold, O Arjuna, many wonders never seen before. (11.06)
⚜हे भारत (मुझमें) आदित्यों वसुओं रुद्रों तथा अश्विनीकुमारों और मरुद्गणों को देखो तथा और भी अनेक इसके पूर्व कभी न देखे हुए आश्चर्यों को देखो।।11.6।।
#geeta
पश्यादित्यान्वसून्रुद्रानश्िवनौ मरुतस्तथा।
बहून्यदृष्टपूर्वाणि पश्याऽश्चर्याणि भारत
।।11.6।।♦️pashyaadityaanvasuunrudraanash्ivanau marutastathaa|
bahuunyadRRiShTapuurvaaNi pashyaa'shcharyaaNi bhaarata
⚜See the Adityas, the Vasus, the Rudras, the Ashvins, and the Maruts. Behold, O Arjuna, many wonders never seen before. (11.06)
⚜हे भारत (मुझमें) आदित्यों वसुओं रुद्रों तथा अश्विनीकुमारों और मरुद्गणों को देखो तथा और भी अनेक इसके पूर्व कभी न देखे हुए आश्चर्यों को देखो।।11.6।।
#geeta
April 1, 2022
April 1, 2022
🍃
♦️ihaikasthaM jagatkRRitsnaM pashyaadya sacharaacharam|
mama dehe guDaakesha yachchaanyaddraShTumichChasi11.7
⚜O Arjuna, now behold the entire creation; animate, inanimate, and whatever else you like to see; all at one place in My body. (11.07)
⚜हे गुडाकेश आज (अब) इस मेरे शरीर में एक स्थान पर स्थित हुए चराचर सहित सम्पूर्ण जगत् को देखो तथा और भी जो कुछ तुम देखना चाहते हो? उसे भी देखो।।11.7।।
#geeta
इहैकस्थं जगत्कृत्स्नं पश्याद्य सचराचरम्।
मम देहे गुडाकेश यच्चान्यद्द्रष्टुमिच्छसि
।।11.7।।♦️ihaikasthaM jagatkRRitsnaM pashyaadya sacharaacharam|
mama dehe guDaakesha yachchaanyaddraShTumichChasi
⚜O Arjuna, now behold the entire creation; animate, inanimate, and whatever else you like to see; all at one place in My body. (11.07)
⚜हे गुडाकेश आज (अब) इस मेरे शरीर में एक स्थान पर स्थित हुए चराचर सहित सम्पूर्ण जगत् को देखो तथा और भी जो कुछ तुम देखना चाहते हो? उसे भी देखो।।11.7।।
#geeta
April 1, 2022
🚩जय सत्य सनातन🚩
🚩आज की हिंदी तिथि
🌥 🚩यगाब्द-५१२४
🌥 🚩विक्रम संवत-२०७९
⛅️ 🚩तिथि - प्रतिपदा 11:58 तक तपश्चात द्वितीया
⛅️ दिनांक 02 अप्रैल 2022
⛅️ दिन - शनिवार
⛅️ शक संवत - 1944
⛅️ अयन - उत्तरायण
⛅️ ऋतु - वसंत
⛅️ मास - चैत्र
⛅️ पक्ष - शुक्ल
⛅️ नक्षत्र - रेवती सुबह 11:21 तक तपश्चात अश्विनी
⛅️योग - इन्द्र सुबह 08:31 तक तत्पश्चात वैधृति
⛅️ राहुकाल - सुबह 09:37 से 11:10 तक
⛅️सर्योदय - 06:31
⛅️ सर्यास्त - 06:55
⛅️ दिशाशूल - पूर्व दिशा में
🚩आज की हिंदी तिथि
🌥 🚩यगाब्द-५१२४
🌥 🚩विक्रम संवत-२०७९
⛅️ 🚩तिथि - प्रतिपदा 11:58 तक तपश्चात द्वितीया
⛅️ दिनांक 02 अप्रैल 2022
⛅️ दिन - शनिवार
⛅️ शक संवत - 1944
⛅️ अयन - उत्तरायण
⛅️ ऋतु - वसंत
⛅️ मास - चैत्र
⛅️ पक्ष - शुक्ल
⛅️ नक्षत्र - रेवती सुबह 11:21 तक तपश्चात अश्विनी
⛅️योग - इन्द्र सुबह 08:31 तक तत्पश्चात वैधृति
⛅️ राहुकाल - सुबह 09:37 से 11:10 तक
⛅️सर्योदय - 06:31
⛅️ सर्यास्त - 06:55
⛅️ दिशाशूल - पूर्व दिशा में
April 1, 2022
Forwarded from रामदूतः — The Sanskrit News Platform
https://youtu.be/3bdzlcdoSLQ
Switch to DD News daily at 7:15 AM (Morning) for 15 minutes Sanskrit news.
Switch to DD News daily at 7:15 AM (Morning) for 15 minutes Sanskrit news.
YouTube
वार्ता: संस्कृत भाषा में समाचार
April 1, 2022
April 1, 2022
VID-20220402-WA0000.mp4
4.3 MB
नूतनसंवत्सरस्य शुभाशयाः
April 1, 2022
April 1, 2022
🔰करोति कृ धातोः लट्लकारस्य नवरूपेभ्यः एकैकं वाक्यं रचयत।
🎏प्रयासं कुरुत यत् वाक्यानि समानानि न भवेयुः।
✍🏼सर्वे टिप्पणीसञ्चिका (comment box) मध्ये स्वोत्तराणि लेखितुं शक्नुवन्ति अथवा पुस्तिकायां लिखित्वा तस्य चित्रं स्वीकृत्य अपि प्रेषयितुं शक्नुवन्ति।
🔰करोति (कृ धातु )के लट् लकार के ९ रूपों से एक-एक वाक्य बनायें।
🎏 प्रयास करें की सभी वाक्य एक जैसे न हों।
✍🏼आप कमेंट बॉक्स में टङ्कण कर सकते हैं या कॉपी पर लिखकर फोटो भी भेज सकते हैं।
🔰Make a sentence each from the 9 forms of Karoti 's (कृ धातु) Latlakār.
🎏Try not to have all the sentences similar.
✍🏼You can type in the comment box or you can also send a photo by writing on the notebook.
🎏प्रयासं कुरुत यत् वाक्यानि समानानि न भवेयुः।
✍🏼सर्वे टिप्पणीसञ्चिका (comment box) मध्ये स्वोत्तराणि लेखितुं शक्नुवन्ति अथवा पुस्तिकायां लिखित्वा तस्य चित्रं स्वीकृत्य अपि प्रेषयितुं शक्नुवन्ति।
🔰करोति (कृ धातु )के लट् लकार के ९ रूपों से एक-एक वाक्य बनायें।
🎏 प्रयास करें की सभी वाक्य एक जैसे न हों।
✍🏼आप कमेंट बॉक्स में टङ्कण कर सकते हैं या कॉपी पर लिखकर फोटो भी भेज सकते हैं।
🔰Make a sentence each from the 9 forms of Karoti 's (कृ धातु) Latlakār.
🎏Try not to have all the sentences similar.
✍🏼You can type in the comment box or you can also send a photo by writing on the notebook.
April 1, 2022
अन्सायोपार्जितं वित्तं दशवर्षाणि तिष्ठति।
प्राप्ते चैकादशे वर्षे समूलं तत् विनश्यति।।
संस्कृतार्थः -
अन्यायेन सम्पादितं धनं दशवर्षाणि यावत् तिष्ठति। तदनन्तरम् एकादशे वर्षे तत् सर्वं धनं विनश्यति इति।
#Subhashitam
प्राप्ते चैकादशे वर्षे समूलं तत् विनश्यति।।
संस्कृतार्थः -
अन्यायेन सम्पादितं धनं दशवर्षाणि यावत् तिष्ठति। तदनन्तरम् एकादशे वर्षे तत् सर्वं धनं विनश्यति इति।
#Subhashitam
April 1, 2022
April 2, 2022
अद्यास्माकन्नववर्षोऽस्ति।
सन्धिविच्छेदं कुर्वन्तु।
सन्धिविच्छेदं कुर्वन्तु।
Anonymous Quiz
18%
अद्य-अस्माकं-नववर्षोऽस्ति।
4%
अद्यास्माकं-नव-वर्षः-अस्ति।
31%
अद्य-अस्माकं-नव-वर्षः-अस्ति।
47%
अद्य-अस्माकं-नववर्षः-अस्ति।
April 2, 2022
संस्कृत संवादः । Sanskrit Samvadah
धनानि
भूमौ पशवश्च गोष्ठे भार्या गृहद्वारि जनः स्मशाने। देहश्चितायां
परलोकमार्गे कर्मानुगो गच्छति जीव एकः।। = जीवनभर संग्रह किया धन
भूमिपर, पालतू पशु बाड़े में रह जाते हैं। पत्नी अधिक से अधिक द्वार तक और
इष्ट-मित्र बन्धु-बान्धव श्मशान तक पहुंच जाते हैं, शरीर…
अत्यन्त कोपः कटुका च वाणी दरिद्रता च स्वजनेषु वैरम्। नीचप्रसङ्गः कुलहीनसेवा चिह्नानि देहे नरकस्थितानाम्।।
= नरक में रहनेवालों के शरीर में निम्न चिह्न होते हैं.. १. अत्यन्त क्रोधी स्वभाव, २. कटु वाणी, ३. दरिद्रता, ४. अपनों से वैर, ५. नीचों की सङ्गति और ६. कुलहीनों की सेवा।
पत्रं नैव यदा करीरविटपे दोषो वसन्तस्य किम् ? नोलूकोऽप्यवलोकते यदि दिवा सूर्यस्य किं दूषणम्। वर्षा नैव पतन्ति चातकमुखे मेघस्य किं दूषणम्,
यत्पूर्वं विधिना ललाटलिखितं तन्मार्जितुं कः क्षमः।।
= यदि करीर के पेड़ में पत्ते नहीं लगते तो इसमें वसन्त ऋतु का क्या दोष ? यदि उल्लू को दिन में नहीं दिखाई देता तो इसमें सूर्य का क्या अपराध ? यदि वर्षा की बूंदें चातक के मुख में नहीं पड़तीं तो इसमें बादलों का क्या दोष ? विधाता ने जो कुछ भी ललाट में लिख दिया है उसे कौन मिटा सकता है ?
अनवस्थितकार्यस्य न जने न वने सुखम्।
जने दहति संसर्गो वने सङ्गविवर्जनम्।।
= अव्यवस्थित कर्म करनेवाले को न तो जनसमाज में सुख मिलता है और न वन में जनसमाज में मनुष्यों का संसर्ग उसे जलाता है और वन में एकाकी रहने के कारण वह दुःखी रहता है।
उदयति यदि भानुः पश्चिमे दिग्विभागे, प्रचलति यदि मेरुः शीततां याति वह्नः।
विकसति यदि पद्मं पर्वताग्रे शिलायां, न भवति पुनरुक्तं भाषितं सज्जनानाम्।।
= चाहे सूर्य पश्चिम दिशा में उग आए, चाहे मेरु पर्वत अपना स्थान छोड़कर चल दे, चाहे अग्नि अपने गरम स्वभाव को त्याग शीतल बने और चाहे पर्वत के किसी पत्थर पर कमल खिल जाए.. (कवि इन असम्भव बातों की कल्पना करते कहता है..) परन्तु सज्जन लोग एक बार जो प्रतिज्ञा कर लेते हैं, उसे छोड़ नहीं सकते अर्थात् उनकी वाणी बेकार नहीं जाती।
कर्मजा हि शरीरेषु रोगाः शरीरमानसाः।
शरा इव पतन्तीह विमुखा दृढधन्विभिः।।
= अपने पूर्वजन्म के पापकर्मों के फलस्वरूप उत्पन्न होनेवाले शारीरिक और मानसिक रोग मनुष्य के शरीर पर ठीक वैसे ही आक्रमण किया करते हैं, जैसे सिद्धहस्त धनुर्धारी द्वारा छोड़े गए बाण ठीक लक्ष्य पर जा गिरते हैं।
जले तैलं खले गुह्यं पात्रे दानमनागपि।
प्राज्ञे शास्त्रं स्वयं याति विस्तारं वस्तु शक्तितः।।
= जल में तेल, दुष्ट पुरुष में गुप्त बात, सत्पात्र को दिया दान और बुद्धिमान को दिया गया शास्त्रज्ञान ये थोड़े होने पर भी वस्तु की शक्ति से स्वयं विस्तार को प्राप्त हो जाते हैं।
धर्माऽऽख्याने श्मशाने च रोगिणां या मतिर्भवेत्। सा सर्वदैव तिष्ठेच्चेत् को न मुच्येत बन्धनात्।।
= धर्मकथा सुनते समय, स्मशान में और रोगी होने पर मनुष्य की जैसी बुद्धि उत्पन्न होती है यदि वह सदा बनी रहे तो संसार बन्धन से कौन नहीं छूट जाए ?
दूरस्थोऽपि न दूरस्थो यो यस्य मनसि स्थितः।यो यस्य हृदये नास्ति समीपस्थोऽपि दूरतः।।
= जो जिसके हृदय में बसा हुआ है, वह स्थान की दृष्टि से दूर होने पर भी दूर नहीं है। और जिसे दिल में बसाया नहीं है, वह पास होने पर भी दूर है ऐसा समझना चाहिए।
#vakyabhyas
= नरक में रहनेवालों के शरीर में निम्न चिह्न होते हैं.. १. अत्यन्त क्रोधी स्वभाव, २. कटु वाणी, ३. दरिद्रता, ४. अपनों से वैर, ५. नीचों की सङ्गति और ६. कुलहीनों की सेवा।
पत्रं नैव यदा करीरविटपे दोषो वसन्तस्य किम् ? नोलूकोऽप्यवलोकते यदि दिवा सूर्यस्य किं दूषणम्। वर्षा नैव पतन्ति चातकमुखे मेघस्य किं दूषणम्,
यत्पूर्वं विधिना ललाटलिखितं तन्मार्जितुं कः क्षमः।।
= यदि करीर के पेड़ में पत्ते नहीं लगते तो इसमें वसन्त ऋतु का क्या दोष ? यदि उल्लू को दिन में नहीं दिखाई देता तो इसमें सूर्य का क्या अपराध ? यदि वर्षा की बूंदें चातक के मुख में नहीं पड़तीं तो इसमें बादलों का क्या दोष ? विधाता ने जो कुछ भी ललाट में लिख दिया है उसे कौन मिटा सकता है ?
अनवस्थितकार्यस्य न जने न वने सुखम्।
जने दहति संसर्गो वने सङ्गविवर्जनम्।।
= अव्यवस्थित कर्म करनेवाले को न तो जनसमाज में सुख मिलता है और न वन में जनसमाज में मनुष्यों का संसर्ग उसे जलाता है और वन में एकाकी रहने के कारण वह दुःखी रहता है।
उदयति यदि भानुः पश्चिमे दिग्विभागे, प्रचलति यदि मेरुः शीततां याति वह्नः।
विकसति यदि पद्मं पर्वताग्रे शिलायां, न भवति पुनरुक्तं भाषितं सज्जनानाम्।।
= चाहे सूर्य पश्चिम दिशा में उग आए, चाहे मेरु पर्वत अपना स्थान छोड़कर चल दे, चाहे अग्नि अपने गरम स्वभाव को त्याग शीतल बने और चाहे पर्वत के किसी पत्थर पर कमल खिल जाए.. (कवि इन असम्भव बातों की कल्पना करते कहता है..) परन्तु सज्जन लोग एक बार जो प्रतिज्ञा कर लेते हैं, उसे छोड़ नहीं सकते अर्थात् उनकी वाणी बेकार नहीं जाती।
कर्मजा हि शरीरेषु रोगाः शरीरमानसाः।
शरा इव पतन्तीह विमुखा दृढधन्विभिः।।
= अपने पूर्वजन्म के पापकर्मों के फलस्वरूप उत्पन्न होनेवाले शारीरिक और मानसिक रोग मनुष्य के शरीर पर ठीक वैसे ही आक्रमण किया करते हैं, जैसे सिद्धहस्त धनुर्धारी द्वारा छोड़े गए बाण ठीक लक्ष्य पर जा गिरते हैं।
जले तैलं खले गुह्यं पात्रे दानमनागपि।
प्राज्ञे शास्त्रं स्वयं याति विस्तारं वस्तु शक्तितः।।
= जल में तेल, दुष्ट पुरुष में गुप्त बात, सत्पात्र को दिया दान और बुद्धिमान को दिया गया शास्त्रज्ञान ये थोड़े होने पर भी वस्तु की शक्ति से स्वयं विस्तार को प्राप्त हो जाते हैं।
धर्माऽऽख्याने श्मशाने च रोगिणां या मतिर्भवेत्। सा सर्वदैव तिष्ठेच्चेत् को न मुच्येत बन्धनात्।।
= धर्मकथा सुनते समय, स्मशान में और रोगी होने पर मनुष्य की जैसी बुद्धि उत्पन्न होती है यदि वह सदा बनी रहे तो संसार बन्धन से कौन नहीं छूट जाए ?
दूरस्थोऽपि न दूरस्थो यो यस्य मनसि स्थितः।यो यस्य हृदये नास्ति समीपस्थोऽपि दूरतः।।
= जो जिसके हृदय में बसा हुआ है, वह स्थान की दृष्टि से दूर होने पर भी दूर नहीं है। और जिसे दिल में बसाया नहीं है, वह पास होने पर भी दूर है ऐसा समझना चाहिए।
#vakyabhyas
April 2, 2022
April 2, 2022
।।श्रीः।।
।।आत्मबोधः।।
Atmabodha, meaning Self-knowledge or Self-awareness, is an exceptionally lucid and readable work of Shankaracharya. Consisting of sixty-eight verses or shlokas, it is in a sense a simple summary of his entire Vedantic structure of thought, intended, it would seem, as a basic primer for his students and followers. The text follows a clearly elaborated doctrine, starting with knowledge as a key to liberation, the nautre of the Atman within us, the assertion of the pervasive and attribute-less nature of Brahman, and the path towards the realisation of the complete identity between the Atman and Brahman.
यद्भासा भास्यतेऽर्कादि भास्यैर्यत्तु न भास्यते।
येन सर्वमिदं भाति तद्ब्रह्मेत्यवधारयेत्।।61।।
61. That by the light of which the luminous, orbs like the Sun and the Moon are illuminated, but which is not illumined by their light, realise that to be Brahman.
आत्म-बोध ऑनलाइन क्लास - 61:
आत्म-बोध के 61st श्लोक में भी भगवान् शंकराचार्यजी हमें ब्रह्म की महिमा बता रहे हैं। हम लोग सतत कुछ तलाश करते रहते हैं। ऐसे चीज़ की तलाश जो हमें और सुखी एवं करदे। लेकिन विडम्बना यह है, की पूरी दुनियाँ में लोग दुखी हैं, संतप्त हैं। तनाव आज कल की दुनिया की बहुत ही बड़ी समस्या बन गयी है। क्यों? क्यों की हम सबने अनेकों वस्तुएं तो प्राप्त करी हैं लेकिन ये सब नश्वर हैं। आवागमन वाली हैं। अतः जिन-जिन चीज़ों के ऊपर हम आश्रित हुए हैं वे सब एक दिन चली जाती हैं। मूल आवश्यकता एक सत्य और शाश्वत की खोज की होती है। यह ही वेदांत का विषय और प्रसाद होता है। जब भी हम कोई इच्छा करते हैं तो हमारी दृष्टी दृश्य वस्तु पर होती है। शास्त्र बोलते हैं की कहीं जाने की जरूरत नहीं है, उसी जगह और समय नित्य वस्तु वही विराजमान है - उसे जानने मात्र की जरूरत है। उसके लिए ही इस श्लोक में अनेकों लक्षणाएँ देते हैं। वो कौन है जिससे सूर्य-आदि प्रकाशित होते हैं? वो क्या है जिसे सूर्य आदि लौकिक प्रकाश कभी भी प्रकाशित नहीं कर सकते हैं? लेकिन उसके द्वारा दुनिया की सब जड़-चेतन वस्तुएँ प्रकाशित होती हैं। वो ही नित्य है, वो ही टिकाऊ है। वो हमारे अंदर विराजमान चेतन दृष्टा। चेतना ही वो दिव्य प्रकाश है।
#Atmabodha
।।आत्मबोधः।।
Atmabodha, meaning Self-knowledge or Self-awareness, is an exceptionally lucid and readable work of Shankaracharya. Consisting of sixty-eight verses or shlokas, it is in a sense a simple summary of his entire Vedantic structure of thought, intended, it would seem, as a basic primer for his students and followers. The text follows a clearly elaborated doctrine, starting with knowledge as a key to liberation, the nautre of the Atman within us, the assertion of the pervasive and attribute-less nature of Brahman, and the path towards the realisation of the complete identity between the Atman and Brahman.
यद्भासा भास्यतेऽर्कादि भास्यैर्यत्तु न भास्यते।
येन सर्वमिदं भाति तद्ब्रह्मेत्यवधारयेत्।।61।।
61. That by the light of which the luminous, orbs like the Sun and the Moon are illuminated, but which is not illumined by their light, realise that to be Brahman.
आत्म-बोध ऑनलाइन क्लास - 61:
आत्म-बोध के 61st श्लोक में भी भगवान् शंकराचार्यजी हमें ब्रह्म की महिमा बता रहे हैं। हम लोग सतत कुछ तलाश करते रहते हैं। ऐसे चीज़ की तलाश जो हमें और सुखी एवं करदे। लेकिन विडम्बना यह है, की पूरी दुनियाँ में लोग दुखी हैं, संतप्त हैं। तनाव आज कल की दुनिया की बहुत ही बड़ी समस्या बन गयी है। क्यों? क्यों की हम सबने अनेकों वस्तुएं तो प्राप्त करी हैं लेकिन ये सब नश्वर हैं। आवागमन वाली हैं। अतः जिन-जिन चीज़ों के ऊपर हम आश्रित हुए हैं वे सब एक दिन चली जाती हैं। मूल आवश्यकता एक सत्य और शाश्वत की खोज की होती है। यह ही वेदांत का विषय और प्रसाद होता है। जब भी हम कोई इच्छा करते हैं तो हमारी दृष्टी दृश्य वस्तु पर होती है। शास्त्र बोलते हैं की कहीं जाने की जरूरत नहीं है, उसी जगह और समय नित्य वस्तु वही विराजमान है - उसे जानने मात्र की जरूरत है। उसके लिए ही इस श्लोक में अनेकों लक्षणाएँ देते हैं। वो कौन है जिससे सूर्य-आदि प्रकाशित होते हैं? वो क्या है जिसे सूर्य आदि लौकिक प्रकाश कभी भी प्रकाशित नहीं कर सकते हैं? लेकिन उसके द्वारा दुनिया की सब जड़-चेतन वस्तुएँ प्रकाशित होती हैं। वो ही नित्य है, वो ही टिकाऊ है। वो हमारे अंदर विराजमान चेतन दृष्टा। चेतना ही वो दिव्य प्रकाश है।
#Atmabodha
April 2, 2022
April 2, 2022
April 2, 2022
April 2, 2022
🍃
♦️na tu maaM shakyase draShTumanenaiva svachakShuShaa|
divyaM dadaami te chakShuH pashya me yogamaishvaram11.8
⚜But, you are not able to see Me with your physical eye; therefore, I give you the divine eye to see My majestic power and glory. (11.08)
⚜परन्तु तुम अपने इन्हीं (प्राकृत) नेत्रों के द्वारा मुझे देखने में समर्थ नहीं हो (इसलिए) मैं तुम्हें दिव्यचक्षु देता हूँ? जिससे तुम मेरे ईश्वरीय योग को देखो।।11.8।।
#geeta
न तु मां शक्यसे द्रष्टुमनेनैव स्वचक्षुषा।
दिव्यं ददामि ते चक्षुः पश्य मे योगमैश्वरम्
।।11.8।।♦️na tu maaM shakyase draShTumanenaiva svachakShuShaa|
divyaM dadaami te chakShuH pashya me yogamaishvaram
⚜But, you are not able to see Me with your physical eye; therefore, I give you the divine eye to see My majestic power and glory. (11.08)
⚜परन्तु तुम अपने इन्हीं (प्राकृत) नेत्रों के द्वारा मुझे देखने में समर्थ नहीं हो (इसलिए) मैं तुम्हें दिव्यचक्षु देता हूँ? जिससे तुम मेरे ईश्वरीय योग को देखो।।11.8।।
#geeta
April 2, 2022
April 2, 2022
🍃
♦️sa~njaya uvaacha
evamuktvaa tato raajanmahaayogeshvaro hariH|
darshayaamaasa paarthaaya paramaM ruupamaishvaram11.9
⚜Sanjaya said:
O King, having said this; Lord Krishna, the great Lord of (the mystic power of) yoga, revealed His supreme majestic form to Arjuna. (11.09)
⚜संजय ने कहा --
हे राजन् महायोगेश्वर हरि ने इस प्रकार कहकर फिर अर्जुन के लिए परम ऐश्वर्ययुक्त रूप को दर्शाया।।11.9।।
#geeta
एवमुक्त्वा ततो राजन्महायोगेश्वरो हरिः।
दर्शयामास पार्थाय परमं रूपमैश्वरम्
।।11.9।।♦️sa~njaya uvaacha
evamuktvaa tato raajanmahaayogeshvaro hariH|
darshayaamaasa paarthaaya paramaM ruupamaishvaram
⚜Sanjaya said:
O King, having said this; Lord Krishna, the great Lord of (the mystic power of) yoga, revealed His supreme majestic form to Arjuna. (11.09)
⚜संजय ने कहा --
हे राजन् महायोगेश्वर हरि ने इस प्रकार कहकर फिर अर्जुन के लिए परम ऐश्वर्ययुक्त रूप को दर्शाया।।11.9।।
#geeta
April 2, 2022
🚩जय सत्य सनातन
🚩आज की हिंदी तिथि
🌥️ 🚩युगाब्द-५१२४
🌥️ 🚩विक्रम संवत-२०७९
⛅ 🚩तिथि - द्वितीया दोपहर 12:38 तक तपश्चात तृतीया
⛅ दिनांक 03 अप्रैल 2022
⛅ दिन - रविवार
⛅ शक संवत - 1944
⛅ अयन - उत्तरायण
⛅ ऋतु - वसंत
⛅ मास - चैत्र
⛅ पक्ष - शुक्ल
⛅ नक्षत्र - अश्विनी दोपहर 12:37 तक तपश्चात भरणी
⛅योग - वैधृति सुबह 07:54 तक तत्पश्चात विष्कम्भ
⛅ राहुकाल - शाम 05:23 से 06:56 तक
⛅सूर्योदय - 06:30
⛅ सूर्यास्त - 06:56
⛅ दिशाशूल - पश्चिम दिशा में
🚩आज की हिंदी तिथि
🌥️ 🚩युगाब्द-५१२४
🌥️ 🚩विक्रम संवत-२०७९
⛅ 🚩तिथि - द्वितीया दोपहर 12:38 तक तपश्चात तृतीया
⛅ दिनांक 03 अप्रैल 2022
⛅ दिन - रविवार
⛅ शक संवत - 1944
⛅ अयन - उत्तरायण
⛅ ऋतु - वसंत
⛅ मास - चैत्र
⛅ पक्ष - शुक्ल
⛅ नक्षत्र - अश्विनी दोपहर 12:37 तक तपश्चात भरणी
⛅योग - वैधृति सुबह 07:54 तक तत्पश्चात विष्कम्भ
⛅ राहुकाल - शाम 05:23 से 06:56 तक
⛅सूर्योदय - 06:30
⛅ सूर्यास्त - 06:56
⛅ दिशाशूल - पश्चिम दिशा में
April 2, 2022
@samskrt_samvadah संलापशाला - A Samskrit Voicechat room.
संलापशाला अनिश्चित्कालाय पिहिता😞
Samlaapshala is closed until further notice.🔒
संलापशाला अनिश्चित् काल तक बंद रहेगी।🔒
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April 2, 2022
Forwarded from रामदूतः — The Sanskrit News Platform
Switch to DD News daily at 7:15 AM (Morning) for 15 minutes Sanskrit news.
https://youtu.be/DVfN90Z1F98
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YouTube
वार्ता: संस्कृत भाषा में समाचार
April 2, 2022
Digital Sanskrit Courses @ The Madras Sanskrit College, Chennai #SanskritEducation
List of courses
New courses start on 15th of every month.
Tarkasangraha - Tarkasangraha course Registration here
Laghusiddantakaumudi LaghuSidhantakaumudi course registration Here
Hatha Yoga Sangraha HathaYogasangraha Course Registration here
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Vedantadakshatha Vedanatadakshata course Registration here
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Questions in the
category: sfwd-courses. Lahgu siddhanta Kaumudi-Batch 22 Hatha Yoga
Sangraha-Batch 22 பஞ்சாங்கம் – Batch 22 Tarkasangra
April 2, 2022
पुण्यस्य फलमिच्छन्ति पुण्यं नेच्छन्ति मानवाः। न पापफलमिच्छन्ति पापं कुर्वन्ति यत्नतः॥
संस्कृतार्थः -
प्रायः मावनावां स्वभावः भवति यत् ते पुण्यस्य फलं तु इच्छन्ति परन्तु पुण्यं कर्तुं न इच्छन्ति तथा यद्यपि पापस्य फलं तु न इच्छन्ति तथापि सर्वदा पापाचरणम् एव कुर्वन्ति।
#subhaShitam
संस्कृतार्थः -
प्रायः मावनावां स्वभावः भवति यत् ते पुण्यस्य फलं तु इच्छन्ति परन्तु पुण्यं कर्तुं न इच्छन्ति तथा यद्यपि पापस्य फलं तु न इच्छन्ति तथापि सर्वदा पापाचरणम् एव कुर्वन्ति।
#subhaShitam
April 2, 2022
April 3, 2022
संस्कृत संवादः । Sanskrit Samvadah
अत्यन्त
कोपः कटुका च वाणी दरिद्रता च स्वजनेषु वैरम्। नीचप्रसङ्गः कुलहीनसेवा
चिह्नानि देहे नरकस्थितानाम्।। = नरक में रहनेवालों के शरीर में निम्न
चिह्न होते हैं.. १. अत्यन्त क्रोधी स्वभाव, २. कटु वाणी, ३. दरिद्रता, ४.
अपनों से वैर, ५. नीचों की सङ्गति और…
संस्कृतं वद आधुनिको भव।
वेदान् पठ वैज्ञानिको भव।।
पाठ : (२८) सप्तमी विभक्ति (२)
(वैषयिक आधार :- विषयता सम्बन्ध से जब किसी को आधार माना जाता है, तब वह वैषयिक आधार कहाता है।)
मुमुक्षोः मोक्षे इच्छाऽस्ति
= मुमुक्षु की मोक्ष (के विषय) में इच्छा है।
सर्वेषां व्याकरणे रुचिर्न भवति
= सब की व्याकरण (के विषय) में रुचि नहीं होती।
परमे ब्रह्मणि आस्तिकस्य महति भक्तिरस्ति
= आस्तिक की परब्रह्म (के विषय) में बहुत भक्ति है।
सत्यवादिषु सर्वेषां श्रद्धा भवति
= सत्यवादियों (के विषय) में सबकी श्रद्धा होती है।
परदारेषु न वर्त्तितव्यम्
= पराई स्त्रियों के साथ व्यवहार नहीं करना चाहिए।
किन्नु खलु बालेऽस्मिन् स्निह्यति मे मनः
= मेरा मन इस बालक को प्यार करता है।
तापसकन्यायां शकुन्तलायां दुष्यन्तस्याभिलाषोऽस्ति
= मुनिकन्या शकुन्तला में दुष्यन्त की अभिलाषा है।
चलचित्रेषु अनुरक्तेयं कन्या आदिनं चलचित्राण्येव पश्यति
= फिल्मों में आसक्त यह कन्या दिनभर पिक्चरें देखती है।
अयोध्यावासिनः रामे दृढमनुरक्ताः आसन्
= अयोध्यावासियों का राम के प्रति खूब अनुराग था।
पिता मयि भृशं स्निह्यति
= पिता मुझे खूब चाहते हैं।
मातुरपि मयि स्नेहो वर्तते
= माता का भी मुझ पर स्नेह है।
वस्त्रेषु केशेषु चासक्ताः अद्यतनाः युवतयः उन्मुक्ताः जाताः सन्ति
= कपड़ों और बालों में आसक्त आज की युवतियां पागल हो रही हैं।
विद्यायां रक्तानां शृङ्गारेण किम् ?
= विद्यार्ज में लगे हुओं को फैशन (सज-धज) से क्या लेना-देना..?
दुर्योधने मूढोऽयं धृतराष्ट्रः भारतं विनाशतामनयत्
= दुर्योधन में मोहित धृतराष्ट्र भारत को विनाश की ओर ले गया।
क्षत्रियेषु कुपितोऽयं परशुरामः क्षितिमिमां क्षत्रियविहीनामकरोत्
= क्षत्रियों पर कुपित इस परशुराम ने धरा को क्षत्रियों से रहित कर दिया।
खलेषु विश्वासो न कर्त्तव्यः
= दुष्टों पर विश्वास नहीं करना चाहिए।
मिथ्यावादिषु न विश्वसेत्
= झूठे व्यक्ति पर विश्वास न करे।
दाने तपसि शौर्ये च यस्य न प्रथितं यशः।
विद्यायामर्थलाभे च मातुरुच्चार एव स।।
= दान, तप, शौर्य, विद्या-प्राप्ति और धनलाभ में जिसकी कीर्ति न फैली वह पुत्र नहीं है अपितु माता के द्वारा उत्पन्न मांस का लोथडा मात्र है।
यस्यात्मबुद्धिः कुणपे त्रिधातुके स्वधीः कलत्रादिषु भौम इज्यधीः।
यत्तीर्थबुद्धिः सलिलेन कर्हिचित् जनेष्वभिज्ञेषु स एव गोखरः।।
= जो वात-पित्त-कफमय शरीर को आत्मा मानता है, जो स्त्री-पुत्रादि को अपना समझता है, जो मूर्ति में पूज्यबुद्धि रखता है, जो जल में तीर्थबुद्धि रखता है ऐसा मनुष्य विद्वानों की दुष्टि में गोखर अर्थात् अत्यन्त मूर्ख है।
#vakyabhyas
वेदान् पठ वैज्ञानिको भव।।
पाठ : (२८) सप्तमी विभक्ति (२)
(वैषयिक आधार :- विषयता सम्बन्ध से जब किसी को आधार माना जाता है, तब वह वैषयिक आधार कहाता है।)
मुमुक्षोः मोक्षे इच्छाऽस्ति
= मुमुक्षु की मोक्ष (के विषय) में इच्छा है।
सर्वेषां व्याकरणे रुचिर्न भवति
= सब की व्याकरण (के विषय) में रुचि नहीं होती।
परमे ब्रह्मणि आस्तिकस्य महति भक्तिरस्ति
= आस्तिक की परब्रह्म (के विषय) में बहुत भक्ति है।
सत्यवादिषु सर्वेषां श्रद्धा भवति
= सत्यवादियों (के विषय) में सबकी श्रद्धा होती है।
परदारेषु न वर्त्तितव्यम्
= पराई स्त्रियों के साथ व्यवहार नहीं करना चाहिए।
किन्नु खलु बालेऽस्मिन् स्निह्यति मे मनः
= मेरा मन इस बालक को प्यार करता है।
तापसकन्यायां शकुन्तलायां दुष्यन्तस्याभिलाषोऽस्ति
= मुनिकन्या शकुन्तला में दुष्यन्त की अभिलाषा है।
चलचित्रेषु अनुरक्तेयं कन्या आदिनं चलचित्राण्येव पश्यति
= फिल्मों में आसक्त यह कन्या दिनभर पिक्चरें देखती है।
अयोध्यावासिनः रामे दृढमनुरक्ताः आसन्
= अयोध्यावासियों का राम के प्रति खूब अनुराग था।
पिता मयि भृशं स्निह्यति
= पिता मुझे खूब चाहते हैं।
मातुरपि मयि स्नेहो वर्तते
= माता का भी मुझ पर स्नेह है।
वस्त्रेषु केशेषु चासक्ताः अद्यतनाः युवतयः उन्मुक्ताः जाताः सन्ति
= कपड़ों और बालों में आसक्त आज की युवतियां पागल हो रही हैं।
विद्यायां रक्तानां शृङ्गारेण किम् ?
= विद्यार्ज में लगे हुओं को फैशन (सज-धज) से क्या लेना-देना..?
दुर्योधने मूढोऽयं धृतराष्ट्रः भारतं विनाशतामनयत्
= दुर्योधन में मोहित धृतराष्ट्र भारत को विनाश की ओर ले गया।
क्षत्रियेषु कुपितोऽयं परशुरामः क्षितिमिमां क्षत्रियविहीनामकरोत्
= क्षत्रियों पर कुपित इस परशुराम ने धरा को क्षत्रियों से रहित कर दिया।
खलेषु विश्वासो न कर्त्तव्यः
= दुष्टों पर विश्वास नहीं करना चाहिए।
मिथ्यावादिषु न विश्वसेत्
= झूठे व्यक्ति पर विश्वास न करे।
दाने तपसि शौर्ये च यस्य न प्रथितं यशः।
विद्यायामर्थलाभे च मातुरुच्चार एव स।।
= दान, तप, शौर्य, विद्या-प्राप्ति और धनलाभ में जिसकी कीर्ति न फैली वह पुत्र नहीं है अपितु माता के द्वारा उत्पन्न मांस का लोथडा मात्र है।
यस्यात्मबुद्धिः कुणपे त्रिधातुके स्वधीः कलत्रादिषु भौम इज्यधीः।
यत्तीर्थबुद्धिः सलिलेन कर्हिचित् जनेष्वभिज्ञेषु स एव गोखरः।।
= जो वात-पित्त-कफमय शरीर को आत्मा मानता है, जो स्त्री-पुत्रादि को अपना समझता है, जो मूर्ति में पूज्यबुद्धि रखता है, जो जल में तीर्थबुद्धि रखता है ऐसा मनुष्य विद्वानों की दुष्टि में गोखर अर्थात् अत्यन्त मूर्ख है।
#vakyabhyas
April 3, 2022
व्याकरण बिन्दुः
क्त्वा – एक-क्रियायाः समाप्तौ यदा अन्य-क्रियायाः आरम्भः भवति तदा पूर्वकालिक क्रियाया: ज्ञानार्थ क्त्वा प्रत्ययस्य प्रयोगः भवति। क्त्वा इत्यस्य त्वा अवशिष्यते। यथा —
पठ् + क्त्वा- पठित्वा - पाठं पठित्वा सा उद्यानं गच्छति।
ल्यप् - यदि धातो: पूर्वम् उपसर्गः भवति तदा क्त्वा प्रत्ययस्य स्थाने ल्यप् प्रत्ययस्य प्रयोगः भवति।
यथा —
प्र + दा + ल्यप् - प्रदाय - फलानि प्रदाय वृक्षाः उपकुर्वन्ति।
क्त्वा – एक-क्रियायाः समाप्तौ यदा अन्य-क्रियायाः आरम्भः भवति तदा पूर्वकालिक क्रियाया: ज्ञानार्थ क्त्वा प्रत्ययस्य प्रयोगः भवति। क्त्वा इत्यस्य त्वा अवशिष्यते। यथा —
पठ् + क्त्वा- पठित्वा - पाठं पठित्वा सा उद्यानं गच्छति।
ल्यप् - यदि धातो: पूर्वम् उपसर्गः भवति तदा क्त्वा प्रत्ययस्य स्थाने ल्यप् प्रत्ययस्य प्रयोगः भवति।
यथा —
प्र + दा + ल्यप् - प्रदाय - फलानि प्रदाय वृक्षाः उपकुर्वन्ति।
April 3, 2022
April 3, 2022
।।श्रीः।।
।।आत्मबोधः।।
Atmabodha, meaning Self-knowledge or Self-awareness, is an exceptionally lucid and readable work of Shankaracharya. Consisting of sixty-eight verses or shlokas, it is in a sense a simple summary of his entire Vedantic structure of thought, intended, it would seem, as a basic primer for his students and followers. The text follows a clearly elaborated doctrine, starting with knowledge as a key to liberation, the nautre of the Atman within us, the assertion of the pervasive and attribute-less nature of Brahman, and the path towards the realisation of the complete identity between the Atman and Brahman.
स्वयमन्तर्बहिर्व्याप्य भासयन्नखिलं जगत्।
ब्रह्म प्रकाशते वह्निप्रतप्तायसपिण्डवत्।।62।।
62. Pervading the entire universe outwardly and inwardly the Supreme Brahman shines of Itself like the fire that permeates a red-hot iron-ball and glows by itself.
आत्म-बोध ऑनलाइन क्लास - 62:
आत्म-बोध के 62nd श्लोक में भी भगवान् शंकराचार्यजी हमें ब्रह्म की प्रकाश स्वरूपता की विलक्षणता दिखा रहे हैं। ब्रह्म की प्रकाशरूपता दिखने के लिए कई बार सूर्य के दृष्टांत का प्रयोग किया जाता है। इस दृष्टांत में प्रकाश-रूपता की तो साम्यता है, लेकिन एक समस्या भी होती है, और वो है सूर्य जैसे एकदेशीय होने की संभावना। समस्त लौकिक प्रकाश एकदेशीय होते हैं, और यह साम्यता हमें इष्ट नहीं है। ब्रह्म सर्वव्यापी हैं अतः इस श्लोक में कहते हैं की ब्रह्म खुद सब चीज़ों के अंदर और बहार व्याप्त रहते हुए सबको प्रकाशित करता है। इसके लिए आचार्य एक दूसरा दृष्टांत देते हैं - जैसे एक लोहे का टुकड़ा लेलें, उसे जब हम अग्नि में डालते हैं तो अग्नि उसके अंदर और बाहर व्याप्त हो जाती है, और उसके अंदर-बाहर रहते हुए उसे प्रकाशित करती है। उसी तरह से सात-चित-आनंद स्वरुप ब्रह्म सबके अंदर और बाहर विराजमान रहते हुए सबको प्रकाशित करता है।
#Atmabodha
।।आत्मबोधः।।
Atmabodha, meaning Self-knowledge or Self-awareness, is an exceptionally lucid and readable work of Shankaracharya. Consisting of sixty-eight verses or shlokas, it is in a sense a simple summary of his entire Vedantic structure of thought, intended, it would seem, as a basic primer for his students and followers. The text follows a clearly elaborated doctrine, starting with knowledge as a key to liberation, the nautre of the Atman within us, the assertion of the pervasive and attribute-less nature of Brahman, and the path towards the realisation of the complete identity between the Atman and Brahman.
स्वयमन्तर्बहिर्व्याप्य भासयन्नखिलं जगत्।
ब्रह्म प्रकाशते वह्निप्रतप्तायसपिण्डवत्।।62।।
62. Pervading the entire universe outwardly and inwardly the Supreme Brahman shines of Itself like the fire that permeates a red-hot iron-ball and glows by itself.
आत्म-बोध ऑनलाइन क्लास - 62:
आत्म-बोध के 62nd श्लोक में भी भगवान् शंकराचार्यजी हमें ब्रह्म की प्रकाश स्वरूपता की विलक्षणता दिखा रहे हैं। ब्रह्म की प्रकाशरूपता दिखने के लिए कई बार सूर्य के दृष्टांत का प्रयोग किया जाता है। इस दृष्टांत में प्रकाश-रूपता की तो साम्यता है, लेकिन एक समस्या भी होती है, और वो है सूर्य जैसे एकदेशीय होने की संभावना। समस्त लौकिक प्रकाश एकदेशीय होते हैं, और यह साम्यता हमें इष्ट नहीं है। ब्रह्म सर्वव्यापी हैं अतः इस श्लोक में कहते हैं की ब्रह्म खुद सब चीज़ों के अंदर और बहार व्याप्त रहते हुए सबको प्रकाशित करता है। इसके लिए आचार्य एक दूसरा दृष्टांत देते हैं - जैसे एक लोहे का टुकड़ा लेलें, उसे जब हम अग्नि में डालते हैं तो अग्नि उसके अंदर और बाहर व्याप्त हो जाती है, और उसके अंदर-बाहर रहते हुए उसे प्रकाशित करती है। उसी तरह से सात-चित-आनंद स्वरुप ब्रह्म सबके अंदर और बाहर विराजमान रहते हुए सबको प्रकाशित करता है।
#Atmabodha
April 3, 2022
April 3, 2022
April 3, 2022
🍃
♦️anekavaktranayanamanekaadbhutadarshanam|
anekadivyaabharaNaM divyaanekodyataayudham11.10
⚜(Arjuna saw the Universal Form of the Lord) with many mouths and eyes, and many visions of marvel, with numerous divine ornaments, and holding divine weapons. (11.10)
⚜उस अनेक मुख और नेत्रों से युक्त तथा अनेक अद्भुत दर्शनों वाले एवं बहुत से दिव्य भूषणों से युक्त और बहुत से दिव्य शस्त्रों को हाथों में उठाये हुये।।11.10।।
#geeta
अनेकवक्त्रनयनमनेकाद्भुतदर्शनम्।
अनेकदिव्याभरणं दिव्यानेकोद्यतायुधम्
।।11.10।।♦️anekavaktranayanamanekaadbhutadarshanam|
anekadivyaabharaNaM divyaanekodyataayudham
⚜(Arjuna saw the Universal Form of the Lord) with many mouths and eyes, and many visions of marvel, with numerous divine ornaments, and holding divine weapons. (11.10)
⚜उस अनेक मुख और नेत्रों से युक्त तथा अनेक अद्भुत दर्शनों वाले एवं बहुत से दिव्य भूषणों से युक्त और बहुत से दिव्य शस्त्रों को हाथों में उठाये हुये।।11.10।।
#geeta
April 3, 2022
🚩जय सत्य सनातन🚩
🚩आज की हिंदी तिथि
🌥 🚩यगाब्द-५१२४
🌥 🚩विक्रम संवत-२०७९
⛅️ 🚩तिथि - तृतीया दोपहर 01:54 तक तपश्चात चतुर्थी
⛅️ दिनांक 04 अप्रैल 2022
⛅️ दिन - सोमवार
⛅️ शक संवत - 1944
⛅️ अयन - उत्तरायण
⛅️ ऋतु - वसंत
⛅️ मास - चैत्र
⛅️ पक्ष - शुक्ल
⛅️ नक्षत्र - भरणी दोपहर 02:29 तक तपश्चात कृतिका
⛅️योग - विष्कम्भ सुबह 07:43 तक तत्पश्चात प्रीती
⛅️ राहुकाल - सुबह 08:03 से 09:36 तक
⛅️सर्योदय - 06:29
⛅️ सर्यास्त - 06:56
⛅️ दिशाशूल - पूर्व दिशा में
🚩आज की हिंदी तिथि
🌥 🚩यगाब्द-५१२४
🌥 🚩विक्रम संवत-२०७९
⛅️ 🚩तिथि - तृतीया दोपहर 01:54 तक तपश्चात चतुर्थी
⛅️ दिनांक 04 अप्रैल 2022
⛅️ दिन - सोमवार
⛅️ शक संवत - 1944
⛅️ अयन - उत्तरायण
⛅️ ऋतु - वसंत
⛅️ मास - चैत्र
⛅️ पक्ष - शुक्ल
⛅️ नक्षत्र - भरणी दोपहर 02:29 तक तपश्चात कृतिका
⛅️योग - विष्कम्भ सुबह 07:43 तक तत्पश्चात प्रीती
⛅️ राहुकाल - सुबह 08:03 से 09:36 तक
⛅️सर्योदय - 06:29
⛅️ सर्यास्त - 06:56
⛅️ दिशाशूल - पूर्व दिशा में
April 3, 2022
Forwarded from रामदूतः — The Sanskrit News Platform
https://youtu.be/yrkJVcHViRY
Switch to DD News daily at 7:15 AM (Morning) for 15 minutes Sanskrit news.
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संस्कृत भाषा में देखिए तमाम अहम ख़बरें, डीडी न्यूज़ के ख़ास बुलेटिन वार्ता में-
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India’s 24x7 news channel from the stable of the country’s Public S...
April 3, 2022
🔰ददाति दा धातोः लट्लकारस्य नवरूपेभ्यः एकैकं वाक्यं रचयत।
🎏प्रयासं कुरुत यत् वाक्यानि समानानि न भवेयुः।
✍🏼सर्वे टिप्पणीसञ्चिका (comment box) मध्ये स्वोत्तराणि लेखितुं शक्नुवन्ति अथवा पुस्तिकायां लिखित्वा तस्य चित्रं स्वीकृत्य अपि प्रेषयितुं शक्नुवन्ति।
🔰ददाति (दा धातु )के लट् लकार के ९ रूपों से एक-एक वाक्य बनायें।
🎏 प्रयास करें की सभी वाक्य एक जैसे न हों।
✍🏼आप कमेंट बॉक्स में टङ्कण कर सकते हैं या कॉपी पर लिखकर फोटो भी भेज सकते हैं।
🔰Make a sentence each from the 9 forms of ददाति (दा धातु) Latlakār.
🎏Try not to have all the sentences similar.
✍🏼You can type in the comment box or you can also send a photo by writing on the notebook.
🎏प्रयासं कुरुत यत् वाक्यानि समानानि न भवेयुः।
✍🏼सर्वे टिप्पणीसञ्चिका (comment box) मध्ये स्वोत्तराणि लेखितुं शक्नुवन्ति अथवा पुस्तिकायां लिखित्वा तस्य चित्रं स्वीकृत्य अपि प्रेषयितुं शक्नुवन्ति।
🔰ददाति (दा धातु )के लट् लकार के ९ रूपों से एक-एक वाक्य बनायें।
🎏 प्रयास करें की सभी वाक्य एक जैसे न हों।
✍🏼आप कमेंट बॉक्स में टङ्कण कर सकते हैं या कॉपी पर लिखकर फोटो भी भेज सकते हैं।
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April 3, 2022
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April 3, 2022
किं वाक्यं शुद्धम्?
Anonymous Quiz
15%
इयं पाटलपुष्पं शोभते।
13%
एषः पाटलपुष्पः शोभते।
6%
अयं पाटलपुष्पः शोभते।
66%
इदं पाटलपुष्पं शोभते।
April 4, 2022
April 4, 2022
संस्कृत संवादः । Sanskrit Samvadah
संस्कृतं
वद आधुनिको भव। वेदान् पठ वैज्ञानिको भव।। पाठ : (२८) सप्तमी विभक्ति (२)
(वैषयिक आधार :- विषयता सम्बन्ध से जब किसी को आधार माना जाता है, तब वह
वैषयिक आधार कहाता है।) मुमुक्षोः मोक्षे इच्छाऽस्ति = मुमुक्षु की
मोक्ष (के विषय) में इच्छा है। सर्वेषां…
सदा प्रहृष्टया भाव्यं गृहकार्येषु दक्षया।
सुसंस्कृतोपस्करया व्यये चामुक्तहस्तया।।
= स्त्री को सदा प्रसन्न रहना चाहिए, गृहकार्यों में वह कुशल हो, घर के बर्तन आदि को स्वच्छ तथा घर को सफाई, लेपन आदि द्वारा शुद्ध रखनेवाली हो, खर्च करने में खुले हाथवाली न हो अर्थात् निरर्थक धन न लुटाए ऐसी हो।
अद्रोहः सर्वभूतेषु कर्मणा मनसा गिरा।
अनुग्रहश्च दानं च शीलमेतत्प्रशस्यते।।
= मन, वचन और कर्म से किसी भी प्राणी से द्रोह याने वैर न करना, सब पर दया करना और दान देना यह शील कहाता है जिसकी सभी प्रशंसा करते हैं।
तावद् भयेषु भेतव्यं यावद्भयमनागतम्।
आगतं तु भयं दृष्ट्वा प्रहर्तव्यमशङ्कया।।
= आपत्तियों तथा संकटों से तभी तक डरना चाहिए जब तक वे दूर हैं, परन्तु जब भय और संकट सिर पर आ पड़े तब शंकारहित होकर उस पर टूट पड़ना चाहिए अर्थात् उस भय या संकट को दूर करने का यत्न करना चाहिए।
एकोदरसमुद्भूता एकनक्षत्रजातकाः।
न भवन्ति समाः शीले यथा बदरकण्टकाः।।
= एक ही माता से उत्पन्न अथवा एक ही नक्षत्र में जन्म लेनेवाले सभी बालक गुण-कर्म-स्वभाव में समान नहीं होते, जैसे एक ही पेड़ में उत्पन्न होनेवाले बेर और कांटे समान नहीं होते।
न स्वसुखे वै कुरुते प्रहर्षं चान्यस्य दुःखे भवति विषादी। दत्त्वा न पश्चात्कुरुतेऽनुतापं स कथ्यते सत्पुरुषार्यशीलः।।
= जो व्यक्ति अपने सुख में खुश नहीं होता, दूसरों के दुःख में दुःखी हो जाता है तथा दान देकर जो पश्चाताप नहीं करता, वही सज्जनों में आर्य पुरुष माना जाता है।
सखायः प्रविविक्तेषु भवन्त्येताः प्रियंवदाः।
पितरो धर्मकार्येषु भवन्त्यार्तस्य मातरः।।
= पत्नी एकान्त में प्रियवचन बोलनवाली मित्र है। धर्मकार्य में पत्नी पिता की तरह हितैषिणी है और संकटकाल में माता के समान दुःख दूर करनेवाली है।
सन्तोषस्त्रिषु कर्त्तव्यः स्वदारे भोजने धने।
त्रिषु चैव न कर्त्तव्योऽध्ययने तपदानयोः।।
= स्व-पत्नी, भोजन और धन इन तीनों में व्यक्ति को सन्तोष करना चाहिए। परन्तु अध्ययन, तप और दान में सन्तोष कभी नहीं करना चाहिए।
धनधान्यप्रयोगेषु विद्यासंग्रहणेषु च।
आहारे व्यवहारे च त्यक्तलज्जः सुखी भवेत्।।
= धन के लेन-देन में, धान्य के क्रय-विक्रय में, विद्या के संग्रह में, आहार और व्यवहार में लज्जा न करनेवाला मनुष्य सुखी होता है।
गुणेष्वेव हि कर्त्तव्यः प्रयत्नः पुरुषैः सदा।
गुणयुक्तो दरिद्रोऽपि नेश्वरैरगुणैः समः।।
= मनुष्य को सदा दया, दाक्षिण्य आदि शुभगुणों की प्राप्ति में प्रयत्न करना चाहिए, क्योंकि गुणी दरिद्र व्यक्ति भी गुणहीन धनिकों से श्रेष्ठ है।
दाक्षिण्यं स्वजने दया परजने शाठ्यं सदा दुर्जने। प्रितिः साधुजने स्मयः खलजने विद्वज्जने चार्जवम्। शौर्यं शत्रुजने क्षमा गुरुजने नारिजने धृष्टता। इत्थं ये पुरुषाः कलासु कुशलास्तेष्वेव लोकस्थितिः।।
= अपनों के प्रति प्रसन्नता, परायों पर दया, दुर्जनों के प्रति दुष्टता, सज्जनों के प्रति प्रेम, दुष्टों के प्रति अकड़, विद्वानों के साथ सरलता, शत्रुओं के प्रति शूरता, बड़े लोगों के प्रति क्षमाभाव, स्त्रियों के प्रति विश्वास, इस प्रकार से उपरोक्त कलाओं याने व्यवहारों में जो लोग कुशल होते हैं, ऐसे लोगों के कारण ही पृथ्वी टिकी हुई है।
#vakyabhyas
सुसंस्कृतोपस्करया व्यये चामुक्तहस्तया।।
= स्त्री को सदा प्रसन्न रहना चाहिए, गृहकार्यों में वह कुशल हो, घर के बर्तन आदि को स्वच्छ तथा घर को सफाई, लेपन आदि द्वारा शुद्ध रखनेवाली हो, खर्च करने में खुले हाथवाली न हो अर्थात् निरर्थक धन न लुटाए ऐसी हो।
अद्रोहः सर्वभूतेषु कर्मणा मनसा गिरा।
अनुग्रहश्च दानं च शीलमेतत्प्रशस्यते।।
= मन, वचन और कर्म से किसी भी प्राणी से द्रोह याने वैर न करना, सब पर दया करना और दान देना यह शील कहाता है जिसकी सभी प्रशंसा करते हैं।
तावद् भयेषु भेतव्यं यावद्भयमनागतम्।
आगतं तु भयं दृष्ट्वा प्रहर्तव्यमशङ्कया।।
= आपत्तियों तथा संकटों से तभी तक डरना चाहिए जब तक वे दूर हैं, परन्तु जब भय और संकट सिर पर आ पड़े तब शंकारहित होकर उस पर टूट पड़ना चाहिए अर्थात् उस भय या संकट को दूर करने का यत्न करना चाहिए।
एकोदरसमुद्भूता एकनक्षत्रजातकाः।
न भवन्ति समाः शीले यथा बदरकण्टकाः।।
= एक ही माता से उत्पन्न अथवा एक ही नक्षत्र में जन्म लेनेवाले सभी बालक गुण-कर्म-स्वभाव में समान नहीं होते, जैसे एक ही पेड़ में उत्पन्न होनेवाले बेर और कांटे समान नहीं होते।
न स्वसुखे वै कुरुते प्रहर्षं चान्यस्य दुःखे भवति विषादी। दत्त्वा न पश्चात्कुरुतेऽनुतापं स कथ्यते सत्पुरुषार्यशीलः।।
= जो व्यक्ति अपने सुख में खुश नहीं होता, दूसरों के दुःख में दुःखी हो जाता है तथा दान देकर जो पश्चाताप नहीं करता, वही सज्जनों में आर्य पुरुष माना जाता है।
सखायः प्रविविक्तेषु भवन्त्येताः प्रियंवदाः।
पितरो धर्मकार्येषु भवन्त्यार्तस्य मातरः।।
= पत्नी एकान्त में प्रियवचन बोलनवाली मित्र है। धर्मकार्य में पत्नी पिता की तरह हितैषिणी है और संकटकाल में माता के समान दुःख दूर करनेवाली है।
सन्तोषस्त्रिषु कर्त्तव्यः स्वदारे भोजने धने।
त्रिषु चैव न कर्त्तव्योऽध्ययने तपदानयोः।।
= स्व-पत्नी, भोजन और धन इन तीनों में व्यक्ति को सन्तोष करना चाहिए। परन्तु अध्ययन, तप और दान में सन्तोष कभी नहीं करना चाहिए।
धनधान्यप्रयोगेषु विद्यासंग्रहणेषु च।
आहारे व्यवहारे च त्यक्तलज्जः सुखी भवेत्।।
= धन के लेन-देन में, धान्य के क्रय-विक्रय में, विद्या के संग्रह में, आहार और व्यवहार में लज्जा न करनेवाला मनुष्य सुखी होता है।
गुणेष्वेव हि कर्त्तव्यः प्रयत्नः पुरुषैः सदा।
गुणयुक्तो दरिद्रोऽपि नेश्वरैरगुणैः समः।।
= मनुष्य को सदा दया, दाक्षिण्य आदि शुभगुणों की प्राप्ति में प्रयत्न करना चाहिए, क्योंकि गुणी दरिद्र व्यक्ति भी गुणहीन धनिकों से श्रेष्ठ है।
दाक्षिण्यं स्वजने दया परजने शाठ्यं सदा दुर्जने। प्रितिः साधुजने स्मयः खलजने विद्वज्जने चार्जवम्। शौर्यं शत्रुजने क्षमा गुरुजने नारिजने धृष्टता। इत्थं ये पुरुषाः कलासु कुशलास्तेष्वेव लोकस्थितिः।।
= अपनों के प्रति प्रसन्नता, परायों पर दया, दुर्जनों के प्रति दुष्टता, सज्जनों के प्रति प्रेम, दुष्टों के प्रति अकड़, विद्वानों के साथ सरलता, शत्रुओं के प्रति शूरता, बड़े लोगों के प्रति क्षमाभाव, स्त्रियों के प्रति विश्वास, इस प्रकार से उपरोक्त कलाओं याने व्यवहारों में जो लोग कुशल होते हैं, ऐसे लोगों के कारण ही पृथ्वी टिकी हुई है।
#vakyabhyas
April 4, 2022
April 4, 2022
।।श्रीः।।
।।आत्मबोधः।।
Atmabodha, meaning Self-knowledge or Self-awareness, is an exceptionally lucid and readable work of Shankaracharya. Consisting of sixty-eight verses or shlokas, it is in a sense a simple summary of his entire Vedantic structure of thought, intended, it would seem, as a basic primer for his students and followers. The text follows a clearly elaborated doctrine, starting with knowledge as a key to liberation, the nautre of the Atman within us, the assertion of the pervasive and attribute-less nature of Brahman, and the path towards the realisation of the complete identity between the Atman and Brahman.
जगद्विलक्षणं ब्रह्म ब्रह्मणोऽन्यन्न किंचन।
ब्रह्मान्यद्भाति चेन्मिथ्या यथा मरुमरीचिका।।63।।
63. Brahman is other than this, the universe. There exists nothing that is not Brahman. If any object other than Brahman appears to exist, it is unreal like the mirage.
आत्म-बोध ऑनलाइन क्लास - 63:
आत्म-बोध के 63rd श्लोक में भगवान् शंकराचार्यजी हमें ब्रह्म की अद्वितीयता की सिद्धि का तरीका बताते हैं। ध्यान रहे की जब तक द्वैत रहता है तब तक हमारा छोटापना, अर्थात जीव-भाव बना रहता है - तब तक कितना भी ज्ञान प्राप्त करलो मुक्ति नहीं मिलती है। द्वैत का मतलब होता है की हमारी यह धरना की हमसे पृथक किसी स्वतंत्र वस्तु का अस्तित्व है। यही नहीं वह वस्तु ही हमें पूर्णता, आनंद और सुरक्षा प्रदान करेगी - इसलिए हम सब ऐसी वस्तुओं की कामना करते है, उनसे आसक्त होते है, उनपर आश्रित होते हैं। इसी को अन्तहीन संसार कहते हैं। अब अगर हमें मोक्ष की सिद्धि करनी हो तो हमें मात्र अपने से पृथक समस्त दृश्य वस्तुओं के मिथ्यात्व का निश्चय करना होगा। यह ही इस श्लोक का विषय है। जिसे पूज्य गुरूजी ने अत्यंत सरलता और स्पष्टता से समझाया है।
#Atmabodha
।।आत्मबोधः।।
Atmabodha, meaning Self-knowledge or Self-awareness, is an exceptionally lucid and readable work of Shankaracharya. Consisting of sixty-eight verses or shlokas, it is in a sense a simple summary of his entire Vedantic structure of thought, intended, it would seem, as a basic primer for his students and followers. The text follows a clearly elaborated doctrine, starting with knowledge as a key to liberation, the nautre of the Atman within us, the assertion of the pervasive and attribute-less nature of Brahman, and the path towards the realisation of the complete identity between the Atman and Brahman.
जगद्विलक्षणं ब्रह्म ब्रह्मणोऽन्यन्न किंचन।
ब्रह्मान्यद्भाति चेन्मिथ्या यथा मरुमरीचिका।।63।।
63. Brahman is other than this, the universe. There exists nothing that is not Brahman. If any object other than Brahman appears to exist, it is unreal like the mirage.
आत्म-बोध ऑनलाइन क्लास - 63:
आत्म-बोध के 63rd श्लोक में भगवान् शंकराचार्यजी हमें ब्रह्म की अद्वितीयता की सिद्धि का तरीका बताते हैं। ध्यान रहे की जब तक द्वैत रहता है तब तक हमारा छोटापना, अर्थात जीव-भाव बना रहता है - तब तक कितना भी ज्ञान प्राप्त करलो मुक्ति नहीं मिलती है। द्वैत का मतलब होता है की हमारी यह धरना की हमसे पृथक किसी स्वतंत्र वस्तु का अस्तित्व है। यही नहीं वह वस्तु ही हमें पूर्णता, आनंद और सुरक्षा प्रदान करेगी - इसलिए हम सब ऐसी वस्तुओं की कामना करते है, उनसे आसक्त होते है, उनपर आश्रित होते हैं। इसी को अन्तहीन संसार कहते हैं। अब अगर हमें मोक्ष की सिद्धि करनी हो तो हमें मात्र अपने से पृथक समस्त दृश्य वस्तुओं के मिथ्यात्व का निश्चय करना होगा। यह ही इस श्लोक का विषय है। जिसे पूज्य गुरूजी ने अत्यंत सरलता और स्पष्टता से समझाया है।
#Atmabodha
April 4, 2022
April 4, 2022
🍃
♦️divyamaalyaambaradharaM divyagandhaanulepanam|
sarvaashcharyamayaM devamanantaM vishvatomukham ।।11.11।।
⚜Wearing divine garlands and apparel, anointed with celestial perfumes and ointments, full of all wonders, the limitless God with faces on all sides. (11.11)
⚜दिव्य माला और वस्त्रों को धारण किये हुये और दिव्य गन्ध का लेपन किये हुये एवं समस्त प्रकार के आश्चर्यों से युक्त अनन्त विश्वतोमुख (विराट् स्वरूप) परम देव (को अर्जुन ने देखा)।।11.11।।
#geeta
दिव्यमाल्याम्बरधरं दिव्यगन्धानुलेपनम्।
सर्वाश्चर्यमयं देवमनन्तं विश्वतोमुखम्
।।11.11।।♦️divyamaalyaambaradharaM divyagandhaanulepanam|
sarvaashcharyamayaM devamanantaM vishvatomukham ।।11.11।।
⚜Wearing divine garlands and apparel, anointed with celestial perfumes and ointments, full of all wonders, the limitless God with faces on all sides. (11.11)
⚜दिव्य माला और वस्त्रों को धारण किये हुये और दिव्य गन्ध का लेपन किये हुये एवं समस्त प्रकार के आश्चर्यों से युक्त अनन्त विश्वतोमुख (विराट् स्वरूप) परम देव (को अर्जुन ने देखा)।।11.11।।
#geeta
April 4, 2022
🍃
♦️divi suuryasahasrasya bhavedyugapadutthitaa|
yadi bhaaH sadRRishii saa syaadbhaasastasya mahaatmanaH ।।11.12।।
⚜If the splendor of thousands of suns were to blaze forth all at once in the sky, even that would not resemble the splendor of that exalted being. (11.12)
⚜आकाश में सहस्र सूर्यों के एक साथ उदय होने से उत्पन्न जो प्रकाश होगा वह उस (विश्वरूप) परमात्मा के प्रकाश के सदृश होगा।।11.12।।
#geeta
दिवि सूर्यसहस्रस्य भवेद्युगपदुत्थिता।
यदि भाः सदृशी सा स्याद्भासस्तस्य महात्मनः
।।11.12।।♦️divi suuryasahasrasya bhavedyugapadutthitaa|
yadi bhaaH sadRRishii saa syaadbhaasastasya mahaatmanaH ।।11.12।।
⚜If the splendor of thousands of suns were to blaze forth all at once in the sky, even that would not resemble the splendor of that exalted being. (11.12)
⚜आकाश में सहस्र सूर्यों के एक साथ उदय होने से उत्पन्न जो प्रकाश होगा वह उस (विश्वरूप) परमात्मा के प्रकाश के सदृश होगा।।11.12।।
#geeta
April 4, 2022
April 4, 2022
🚩जय सत्य सनातन🚩
🚩आज की हिंदी तिथि
🌥 🚩यगाब्द-५१२४
🌥 🚩विक्रम संवत-२०७९
⛅️ 🚩तिथि - चतुर्थी दोपहर 03:45 तक तत्पश्चात पंचमी
⛅️ दिनांक 05 अप्रैल 2022
⛅️ दिन -मंगलवार
⛅️ शक संवत - 1944
⛅️ अयन - उत्तरायण
⛅️ ऋतु - वसंत
⛅️ मास - चैत्र
⛅️ पक्ष - शुक्ल
⛅️ नक्षत्र - कृतिका दोपहर 04:52 तक तत्पश्चात रोहिणी
⛅️योग - प्रीती सुबह 08:00 तक तत्पश्चात आयुष्मान
⛅️ राहुकाल - दोपहर 03:49 से 05:23 तक
⛅️सर्योदय - 06:29
⛅️ सर्यास्त - 06:56
⛅️ दिशाशूल - उत्तर दिशा में
🚩आज की हिंदी तिथि
🌥 🚩यगाब्द-५१२४
🌥 🚩विक्रम संवत-२०७९
⛅️ 🚩तिथि - चतुर्थी दोपहर 03:45 तक तत्पश्चात पंचमी
⛅️ दिनांक 05 अप्रैल 2022
⛅️ दिन -मंगलवार
⛅️ शक संवत - 1944
⛅️ अयन - उत्तरायण
⛅️ ऋतु - वसंत
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⛅️ पक्ष - शुक्ल
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⛅️योग - प्रीती सुबह 08:00 तक तत्पश्चात आयुष्मान
⛅️ राहुकाल - दोपहर 03:49 से 05:23 तक
⛅️सर्योदय - 06:29
⛅️ सर्यास्त - 06:56
⛅️ दिशाशूल - उत्तर दिशा में
April 4, 2022
Forwarded from रामदूतः — The Sanskrit News Platform
Switch to DD News daily at 7:15 AM (Morning) for 15 minutes Sanskrit news.
https://youtu.be/jDNxaWd1w94
https://youtu.be/jDNxaWd1w94
YouTube
वार्ता: संस्कृत में समाचार | राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद नीदरलैंड की यात्रा पर
April 4, 2022
🔰चित्रं दृष्ट्वा पञ्चवाक्यानि रचयत।
✍🏼सर्वे टिप्पणीसञ्चिका (comment box) मध्ये स्वोत्तराणि लेखितुं शक्नुवन्ति अथवा पुस्तिकायां लिखित्वा तस्य चित्रं स्वीकृत्य अपि प्रेषयितुं शक्नुवन्ति।
🔰 चित्र देखकर पांच वाक्य बनायें।
✍🏼आप कमेंट बॉक्स में टङ्कण कर सकते हैं या कॉपी पर लिखकर फोटो भी भेज सकते हैं।
🔰Make 5 sentences, Observing the attached image.
✍🏼You can type in the comment box or you can also send a photo by writing on the notebook.
#chitram
✍🏼सर्वे टिप्पणीसञ्चिका (comment box) मध्ये स्वोत्तराणि लेखितुं शक्नुवन्ति अथवा पुस्तिकायां लिखित्वा तस्य चित्रं स्वीकृत्य अपि प्रेषयितुं शक्नुवन्ति।
🔰 चित्र देखकर पांच वाक्य बनायें।
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#chitram
April 4, 2022
काकस्य देहो यदि काञ्चनस्य
माणिक्यरत्नं यदि चञ्चुदेशे।
एकैकपक्षे ग्रथितं मणीनां
तथाऽपि काको न तु राजहंसः।।
कौए का शरीर सोने का हो जाए और उस की चोंच में माणिक्य और रत्न लगा दिये जाएँ, प्रत्येक पंख में मणियां गुंथ दी जायें, फिर भी वह कौआ, कौआ ही रहेगा, राजहंस नहीं हो सकता।
संस्कृतार्थः - काकस्य शरीरं स्वर्णस्य भवतु चञ्चुमध्ये रत्नानि भवन्तु प्रत्येकं पक्षे मणयः ग्रथिताः भवन्तु एतत् सर्वमपि यदि भवति तथापि काकः तु काकः एव तिष्ठति न कदापि राजहंसः भवति।
(श्रेष्ठता केवलेन बाह्याडम्बरेण न भवति।)
#subhaShitam
माणिक्यरत्नं यदि चञ्चुदेशे।
एकैकपक्षे ग्रथितं मणीनां
तथाऽपि काको न तु राजहंसः।।
कौए का शरीर सोने का हो जाए और उस की चोंच में माणिक्य और रत्न लगा दिये जाएँ, प्रत्येक पंख में मणियां गुंथ दी जायें, फिर भी वह कौआ, कौआ ही रहेगा, राजहंस नहीं हो सकता।
संस्कृतार्थः - काकस्य शरीरं स्वर्णस्य भवतु चञ्चुमध्ये रत्नानि भवन्तु प्रत्येकं पक्षे मणयः ग्रथिताः भवन्तु एतत् सर्वमपि यदि भवति तथापि काकः तु काकः एव तिष्ठति न कदापि राजहंसः भवति।
(श्रेष्ठता केवलेन बाह्याडम्बरेण न भवति।)
#subhaShitam
April 4, 2022
April 5, 2022
April 5, 2022
संस्कृत संवादः । Sanskrit Samvadah
सदा
प्रहृष्टया भाव्यं गृहकार्येषु दक्षया। सुसंस्कृतोपस्करया व्यये
चामुक्तहस्तया।। = स्त्री को सदा प्रसन्न रहना चाहिए, गृहकार्यों में
वह कुशल हो, घर के बर्तन आदि को स्वच्छ तथा घर को सफाई, लेपन आदि द्वारा
शुद्ध रखनेवाली हो, खर्च करने में खुले हाथवाली न हो…
धर्मे तत्परता मुखे मधुरता दाने समुत्साहता।
मित्रेऽवञ्चकता गुरौ विनयता चित्तेऽति गम्भीरता।
आचारे शुचिता गुणे रसिकता शास्त्रेषु विज्ञानता।
रूपे सुन्दरता शिवे भजनता सत्स्वेव संदृष्यते।।
= धर्म में तत्परता, मुख में मधुरता, दान देने में अत्यन्त उत्साह का होना, मित्रों के प्रति निष्कपटता, गुरुओं के प्रति नम्रता, अन्तःकरण में समुद्र के समान गम्भीरता, आचार में पवित्रता, गुणों में रसिकता, शास्त्रों में विज्ञता, रूप में सुन्दरता और परमेश्वर की भक्ति ये सब बातें सज्जनों में ही दिखायी देती हैं।
दाने तपसि शौर्ये वा विज्ञाने विनये नये।
विस्मयो न हि कर्त्तव्यो बहुरत्ना वसुन्धरा।।
= दानशीलता, तपस्या, शूरवीरता, विज्ञान, विनम्रता और नीतिमत्ता में सबसे बड़ा होने का अभिमान नहीं करना चाहिए क्योंकि पृथ्वी रत्नगर्भा है अर्थात् उपरोक्त गुणोंवाले इस धरा पर एक से बढ़कर एक मिल जाएंगे।
दुःखेष्वनुद्विग्नमनाः सुखेषु विगतस्पृहः।
वीतरागभयक्रोधः स्थितधीर्मुनिरुच्यते।।
= जिसका मन दुःखों में उद्विग्न याने बेचैन नहीं होता, सुखों के प्रति लालसारहित जो है, जो राग-भय-क्रोध से मुक्त है, ऐसा स्थिर-बुद्धिवाला व्यक्ति मुनि कहाता है।
यः सर्वत्राऽनभिस्नेहस्तत्तत्प्राप्य शुभाऽशुभम्।
नाऽभिनन्दति न द्वेष्टि तस्य प्रज्ञा प्रतिष्ठिता।।
= जो सब वस्तुओं के प्रति रागरहित है, शुभ को प्राप्त होके प्रसन्न तथा अशुभ को प्राप्त होके अप्रसन्न नहीं होता उसकी बुद्धि स्थिर स्थिर हो गई है (ऐसा मानना चाहिए)।
कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन।
मा कर्मफलहेतुर्भूर्मा ते संगोऽस्त्वकर्मणि।।
= कर्म करने में तेरा अधिकार है (अर्थात् कैसे कर्म करना ये तेरे हाथ में है)। कर्मों के फल पर तेरा अधिकार नहीं है (अर्थात् फलों का कब मिलना, कितना मिलना, कैसा मिलना इसका निर्णय तेरे हाथ में नहीं है)। इसलिए अमुक कर्म का अमुक फल मिले ऐसी कामना रखकर कर्म मत कर (अर्थात् निष्कामभाव से कर्म कर)। कर्म के त्याग के प्रति तेरी प्राीति न होवे (अर्थात् कर्म का त्याग नहीं करना है, अपितु फलाशा त्यागनी है)।
योगस्थः कुरु कर्माणि संगं त्यक्त्वा धनञ्जय।
सिद्ध्यसिद्धयोः समो भूत्वा समत्वं योग उच्यते।।
= हे अर्जुन ! (फल के प्रति) आसक्ति छोड़कर योग में स्थित होकर कर्मों को कर। सफलता-असफलता दोनों ही अवस्थाओं में समता बनाए रख। मन की सम अवस्था को ही योग कहते हैं।
श्रुतिविप्रतिपन्ना ते यदा स्थास्यति निश्चला।
समाधावचला बुद्धिस्तदा योगमवाप्स्यसि।।
= सुनी हुई बातों के कारण चलायमान तेरी बुद्धि जब निश्चल हो जाएगी, तथा समाधि में टिक जाएगी तब तुझे योग (कर्मकौशल/समत्व) की प्राप्ति होगी।
#vakyabhyas
मित्रेऽवञ्चकता गुरौ विनयता चित्तेऽति गम्भीरता।
आचारे शुचिता गुणे रसिकता शास्त्रेषु विज्ञानता।
रूपे सुन्दरता शिवे भजनता सत्स्वेव संदृष्यते।।
= धर्म में तत्परता, मुख में मधुरता, दान देने में अत्यन्त उत्साह का होना, मित्रों के प्रति निष्कपटता, गुरुओं के प्रति नम्रता, अन्तःकरण में समुद्र के समान गम्भीरता, आचार में पवित्रता, गुणों में रसिकता, शास्त्रों में विज्ञता, रूप में सुन्दरता और परमेश्वर की भक्ति ये सब बातें सज्जनों में ही दिखायी देती हैं।
दाने तपसि शौर्ये वा विज्ञाने विनये नये।
विस्मयो न हि कर्त्तव्यो बहुरत्ना वसुन्धरा।।
= दानशीलता, तपस्या, शूरवीरता, विज्ञान, विनम्रता और नीतिमत्ता में सबसे बड़ा होने का अभिमान नहीं करना चाहिए क्योंकि पृथ्वी रत्नगर्भा है अर्थात् उपरोक्त गुणोंवाले इस धरा पर एक से बढ़कर एक मिल जाएंगे।
दुःखेष्वनुद्विग्नमनाः सुखेषु विगतस्पृहः।
वीतरागभयक्रोधः स्थितधीर्मुनिरुच्यते।।
= जिसका मन दुःखों में उद्विग्न याने बेचैन नहीं होता, सुखों के प्रति लालसारहित जो है, जो राग-भय-क्रोध से मुक्त है, ऐसा स्थिर-बुद्धिवाला व्यक्ति मुनि कहाता है।
यः सर्वत्राऽनभिस्नेहस्तत्तत्प्राप्य शुभाऽशुभम्।
नाऽभिनन्दति न द्वेष्टि तस्य प्रज्ञा प्रतिष्ठिता।।
= जो सब वस्तुओं के प्रति रागरहित है, शुभ को प्राप्त होके प्रसन्न तथा अशुभ को प्राप्त होके अप्रसन्न नहीं होता उसकी बुद्धि स्थिर स्थिर हो गई है (ऐसा मानना चाहिए)।
कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन।
मा कर्मफलहेतुर्भूर्मा ते संगोऽस्त्वकर्मणि।।
= कर्म करने में तेरा अधिकार है (अर्थात् कैसे कर्म करना ये तेरे हाथ में है)। कर्मों के फल पर तेरा अधिकार नहीं है (अर्थात् फलों का कब मिलना, कितना मिलना, कैसा मिलना इसका निर्णय तेरे हाथ में नहीं है)। इसलिए अमुक कर्म का अमुक फल मिले ऐसी कामना रखकर कर्म मत कर (अर्थात् निष्कामभाव से कर्म कर)। कर्म के त्याग के प्रति तेरी प्राीति न होवे (अर्थात् कर्म का त्याग नहीं करना है, अपितु फलाशा त्यागनी है)।
योगस्थः कुरु कर्माणि संगं त्यक्त्वा धनञ्जय।
सिद्ध्यसिद्धयोः समो भूत्वा समत्वं योग उच्यते।।
= हे अर्जुन ! (फल के प्रति) आसक्ति छोड़कर योग में स्थित होकर कर्मों को कर। सफलता-असफलता दोनों ही अवस्थाओं में समता बनाए रख। मन की सम अवस्था को ही योग कहते हैं।
श्रुतिविप्रतिपन्ना ते यदा स्थास्यति निश्चला।
समाधावचला बुद्धिस्तदा योगमवाप्स्यसि।।
= सुनी हुई बातों के कारण चलायमान तेरी बुद्धि जब निश्चल हो जाएगी, तथा समाधि में टिक जाएगी तब तुझे योग (कर्मकौशल/समत्व) की प्राप्ति होगी।
#vakyabhyas
April 5, 2022
April 5, 2022
।।श्रीः।।
।।आत्मबोधः।।
Atmabodha, meaning Self-knowledge or Self-awareness, is an exceptionally lucid and readable work of Shankaracharya. Consisting of sixty-eight verses or shlokas, it is in a sense a simple summary of his entire Vedantic structure of thought, intended, it would seem, as a basic primer for his students and followers. The text follows a clearly elaborated doctrine, starting with knowledge as a key to liberation, the nautre of the Atman within us, the assertion of the pervasive and attribute-less nature of Brahman, and the path towards the realisation of the complete identity between the Atman and Brahman.
दृश्यते श्रूयते यद्यद्ब्रह्मणोऽन्यन्न तद्भवेत्।
तत्त्वज्ञानाच्च तद्ब्रह्म सच्चिदानन्दमद्वयम्।।64।।
64. All that is perceived, or heard, is Brahman and nothing else. Attaining the knowledge of the Reality, one sees the Universe as the non-dual Brahman, Existence-Knowledge-Bliss-Absolute.
आत्म-बोध ऑनलाइन क्लास - 64:
आत्म-बोध के 64th श्लोक में भगवान् शंकराचार्यजी हमें ब्रह्म-ज्ञान में सतत रमने के लिए ज्ञान और प्रेरणा दे रहे हैं। अगर हमारा ज्ञान सदैव एकांत में बैठ के ही संभव होता है तो समझ लीजिये की अभी जगत के मिथ्यात्व की सिद्धि नहीं हुई है। एक बार ज्ञान की स्पष्टता हो जाये उसके बाद एकांत से निकल कर विविधता पूर्ण दुनिया के मध्य में, व्यवहार में अवश्य जाना चाहिए। अज्ञान काल में हम जो कुछ भी देखते और सुनते थे उन सब के बारे में धरना यह थी की ये सब हमसे अलग स्वतंत्र वस्तुएं हैं, लेकिन अब इस नयी दृष्टी के हिसाब से जीना है। अब यह स्पष्टता से देखना है की जो कुछ भी हम इन्द्रियों से ग्रहण कर रहे हैं वो सब माया के छोले में साक्षात् सात-चित-आनंद स्वरुप ब्रह्म ही विराजमान है। जब चलते-फिरते हर जगह ब्रह्म की बुद्धि बनी रहती है तब ही ब्रह्म ज्ञान में निष्ठा हो जाती है।
#Atmabodha
।।आत्मबोधः।।
Atmabodha, meaning Self-knowledge or Self-awareness, is an exceptionally lucid and readable work of Shankaracharya. Consisting of sixty-eight verses or shlokas, it is in a sense a simple summary of his entire Vedantic structure of thought, intended, it would seem, as a basic primer for his students and followers. The text follows a clearly elaborated doctrine, starting with knowledge as a key to liberation, the nautre of the Atman within us, the assertion of the pervasive and attribute-less nature of Brahman, and the path towards the realisation of the complete identity between the Atman and Brahman.
दृश्यते श्रूयते यद्यद्ब्रह्मणोऽन्यन्न तद्भवेत्।
तत्त्वज्ञानाच्च तद्ब्रह्म सच्चिदानन्दमद्वयम्।।64।।
64. All that is perceived, or heard, is Brahman and nothing else. Attaining the knowledge of the Reality, one sees the Universe as the non-dual Brahman, Existence-Knowledge-Bliss-Absolute.
आत्म-बोध ऑनलाइन क्लास - 64:
आत्म-बोध के 64th श्लोक में भगवान् शंकराचार्यजी हमें ब्रह्म-ज्ञान में सतत रमने के लिए ज्ञान और प्रेरणा दे रहे हैं। अगर हमारा ज्ञान सदैव एकांत में बैठ के ही संभव होता है तो समझ लीजिये की अभी जगत के मिथ्यात्व की सिद्धि नहीं हुई है। एक बार ज्ञान की स्पष्टता हो जाये उसके बाद एकांत से निकल कर विविधता पूर्ण दुनिया के मध्य में, व्यवहार में अवश्य जाना चाहिए। अज्ञान काल में हम जो कुछ भी देखते और सुनते थे उन सब के बारे में धरना यह थी की ये सब हमसे अलग स्वतंत्र वस्तुएं हैं, लेकिन अब इस नयी दृष्टी के हिसाब से जीना है। अब यह स्पष्टता से देखना है की जो कुछ भी हम इन्द्रियों से ग्रहण कर रहे हैं वो सब माया के छोले में साक्षात् सात-चित-आनंद स्वरुप ब्रह्म ही विराजमान है। जब चलते-फिरते हर जगह ब्रह्म की बुद्धि बनी रहती है तब ही ब्रह्म ज्ञान में निष्ठा हो जाती है।
#Atmabodha
April 5, 2022
🍃तत्रैकस्थं जगत्कृत्स्नं प्रविभक्तमनेकधा।
अपश्यद्देवदेवस्य शरीरे पाण्डवस्तदा।।11.13।।
♦️tatraikasthaM jagatkRRitsnaM pravibhaktamanekadhaa|
apashyaddevadevasya shariire paaNDavastadaa ।।11.13।।
⚜Arjuna saw the entire universe, divided in many ways, but standing
as (all in) One (and One in all) in the body of Krishna, the God of
Gods. (11.13)
⚜पाण्डुपुत्र अर्जुन ने उस समय अनेक प्रकार से विभक्त हुए सम्पूर्ण जगत् को देवों के देव श्रीकृष्ण के शरीर में एक स्थान पर स्थित देखा।।11.13।।
#geeta
अपश्यद्देवदेवस्य शरीरे पाण्डवस्तदा।।11.13।।
♦️tatraikasthaM jagatkRRitsnaM pravibhaktamanekadhaa|
apashyaddevadevasya shariire paaNDavastadaa ।।11.13।।
⚜Arjuna saw the entire universe, divided in many ways, but standing
as (all in) One (and One in all) in the body of Krishna, the God of
Gods. (11.13)
⚜पाण्डुपुत्र अर्जुन ने उस समय अनेक प्रकार से विभक्त हुए सम्पूर्ण जगत् को देवों के देव श्रीकृष्ण के शरीर में एक स्थान पर स्थित देखा।।11.13।।
#geeta
April 5, 2022
April 5, 2022
🍃
♦️tataH sa vismayaaviShTo hRRiShTaromaa dhana~njayaH|
praNamya shirasaa devaM kRRitaa~njalirabhaaShata।।11.14।।
⚜Then Arjuna, filled with wonder and his hairs standing on end,
bowed his head to the Lord and prayed with folded hands (11.14)
⚜उसके उपरान्त वह आश्चर्यचकित हुआ हर्षित रोमों वाला (जिसे रोमांच का अनुभव हो रहा हो) धनंजय अर्जुन विश्वरूप देव को (श्रद्धा भक्ति सहित) शिर से प्रणाम करके हाथ जोड़कर बोला ।।11.14।।
#geeta
ततः स विस्मयाविष्टो हृष्टरोमा धनञ्जयः।
प्रणम्य शिरसा देवं कृताञ्जलिरभाषत
।।11.14।।♦️tataH sa vismayaaviShTo hRRiShTaromaa dhana~njayaH|
praNamya shirasaa devaM kRRitaa~njalirabhaaShata।।11.14।।
⚜Then Arjuna, filled with wonder and his hairs standing on end,
bowed his head to the Lord and prayed with folded hands (11.14)
⚜उसके उपरान्त वह आश्चर्यचकित हुआ हर्षित रोमों वाला (जिसे रोमांच का अनुभव हो रहा हो) धनंजय अर्जुन विश्वरूप देव को (श्रद्धा भक्ति सहित) शिर से प्रणाम करके हाथ जोड़कर बोला ।।11.14।।
#geeta
April 5, 2022
April 5, 2022
🚩जय सत्य सनातन🚩
🚩आज की हिंदी तिथि
🌥 🚩यगाब्द-५१२४
🌥 🚩विक्रम संवत-२०७९
⛅️ 🚩तिथि - पंचमी शाम 06:01 तक तत्पश्चात षष्टी
⛅️ दिनांक 06 अप्रैल 2022
⛅️ दिन -बुधवार
⛅️ शक संवत - 1944
⛅️ अयन - उत्तरायण
⛅️ ऋतु - वसंत
⛅️ मास - चैत्र
⛅️ पक्ष - शुक्ल
⛅️ नक्षत्र - रोहिणी शाम 07:40 तक तत्पश्चात मृगशिरा
⛅️योग -आयुष्मान सुबह 08:38 तक तत्पश्चात सौभाग्य
⛅️ राहुकाल - दोपहर 12:42 से 02:16 तक
⛅️सर्योदय - 06:28
⛅️ सर्यास्त - 06:56
⛅️ दिशाशूल - उत्तर दिशा में
🚩आज की हिंदी तिथि
🌥 🚩यगाब्द-५१२४
🌥 🚩विक्रम संवत-२०७९
⛅️ 🚩तिथि - पंचमी शाम 06:01 तक तत्पश्चात षष्टी
⛅️ दिनांक 06 अप्रैल 2022
⛅️ दिन -बुधवार
⛅️ शक संवत - 1944
⛅️ अयन - उत्तरायण
⛅️ ऋतु - वसंत
⛅️ मास - चैत्र
⛅️ पक्ष - शुक्ल
⛅️ नक्षत्र - रोहिणी शाम 07:40 तक तत्पश्चात मृगशिरा
⛅️योग -आयुष्मान सुबह 08:38 तक तत्पश्चात सौभाग्य
⛅️ राहुकाल - दोपहर 12:42 से 02:16 तक
⛅️सर्योदय - 06:28
⛅️ सर्यास्त - 06:56
⛅️ दिशाशूल - उत्तर दिशा में
April 5, 2022
Forwarded from रामदूतः — The Sanskrit News Platform
संस्कृत समाचार। वार्ताः I देश-विदेश की खबरें संस्कृत में - YouTube
https://m.youtube.com/watch?v=SHz9RgtbOjY Switch to DD News daily at 7:15 AM (Morning) for 15 minutes Sanskrit news.
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YouTube
संस्कृत समाचार। वार्ताः I देश-विदेश की खबरें संस्कृत में
April 5, 2022
April 6, 2022
April 6, 2022
अभिवादनशीलस्य नित्यं वृद्धोपसेविनः।
चत्वारि तस्य वर्धन्ते आयुर्विद्यायशोबलम्।।
अन्वय - अभिवादनशीलस्य, नित्यं वृद्धोपसेविनः, तस्य, चत्वारि आयुः, विद्या, यशः, बलम् वर्धन्ते।
#Subhashitam
April 6, 2022
संस्कृत संवादः । Sanskrit Samvadah
धर्मे
तत्परता मुखे मधुरता दाने समुत्साहता। मित्रेऽवञ्चकता गुरौ विनयता
चित्तेऽति गम्भीरता। आचारे शुचिता गुणे रसिकता शास्त्रेषु विज्ञानता। रूपे
सुन्दरता शिवे भजनता सत्स्वेव संदृष्यते।। = धर्म में तत्परता, मुख में
मधुरता, दान देने में अत्यन्त उत्साह का होना…
विद्याविनयसम्पन्ने ब्राह्मणे गवि हस्तिनि।
शुनि चैव श्वपाके च पण्डिताः समदर्शिनः।।
= विद्या तथा विनय से युक्त ब्राह्मण में, गाय में, हाथी, कुत्ते, चाण्डाल में पण्डितों की भेदबुद्धि नहीं होती अर्थात् वे सबको समान देखते हैं।
समः रात्रौ च मित्रे च तथा मानापमानयोः। शीतोष्ण सुखदुःखेषु समः संगविवर्जितः।।
= जो शत्रु और मित्र में सम दृष्टि रखता है, मानापमान, शीतोष्ण, सुख-दुःख आदि द्वन्द्वों में समता बनाए रखता है, जो निरासक्त (आसक्तिरहित) है (ऐसा भक्त मुझे प्रिय है)।
अभ्यासेऽप्यसमर्थोऽसि मत्कर्मपरमो भव।
मदर्थमपि कर्माणि कुर्वन्सिद्धिमवाप्स्यसि।।
= यदि तू (अर्जुन) योगाभ्यास करने में असमर्थ है, तो सब कर्म मुझे (ईश्वर) को लक्ष्य बनाकर कर। मेरे लिए (परमात्मा के लिए) कर्म करता हुआ भी तू सिद्धि को प्राप्त कर लेगा।
इन्द्रियार्थेषु वैराग्यमनहंकार एव च।
जन्ममृत्युजराव्याधिदुःखदोषानुदर्शनम्।।
= इन्द्रिय के विषयों में वैराग्य का होना, अहंकार-शून्यता, संसार में जन्म-मृत्यु, बुढापा, बीमारी और दुःखों को देखना (यही ज्ञान कहाता है)।
आसक्तिरनभिष्वङ्गः पुत्रदारगृहादिषु।
नित्यं च समचित्तत्वमिष्टानिष्टोपपत्तिषु।।
= अनासक्ति, पुत्र-पत्नी-गृह आदि में मोह का न होना, इष्ट-अनिष्ट अर्थात् प्रियाप्रिय में चित्त की समता बनाए रखना (यही ज्ञान है)।
मयि चानन्ययोगेन भक्तिरव्यभिचारिणी।
विविक्तदेशसेवित्वमरतिर्जनसंसदि।।
= अनन्य भाव से मुझ में एकनिष्ठ भक्ति का होना, एकान्त स्थान का सेवन करना, जन-समुदाय में अरुचि अर्थात् किसी व्यक्तिविशेष के प्रति लगाव का न होना (यही ज्ञान कहाता है)।
पतिव्रता पतिप्राणा पत्युःप्रियहिते रताः।
यस्य स्यादृशी भार्या धन्य स पुरुषो भुवि।।
= जिसे पतिव्रता याने पति को प्राणवत् चाहनेवाली, पति के हित में सदा तत्पर रहनेवाली पत्नी प्राप्त हो, वह पुरुष पृथ्वी पर धन्य है।
लौकिके कर्मणि रतः पशुनां परिपालकः।
वाणिज्यकृषिकर्ता यः स विप्रो वैश्य उच्यते।।
= जो द्विज लौकिक कर्मों में संलग्न हो, पशु पालता हो, व्यापार और खेती करता हो वह वैश्य कहाता है।
वापी-कूप-तडागानामाराम-सुर-वेश्मनाम्।
उच्छेदने निराऽऽशङ्कः स विप्रो म्लेच्छ उच्यते।।
= जो द्विज बावड़ी, कुंआ, तालाब, वाटिका, देवालयों के तोड़ने-फोड़ने में नीडर हो, वह म्लेच्छ कहाता है।
वाञ्छा सज्जनसङ्गमे परगुणे प्रीतिर्गुरौ नम्रता, विद्यायां व्यसनं स्वयोषिति रतिर्लोकापवादाद् भयम्।
भक्तिः शूलिनि शक्तिरात्मदमने संसर्गमुक्तिः खले, एते येषु वसन्ति निर्मलगुणास्तेभ्यो नरेभ्यो नमः।।
= सज्जनों के संग की इच्छा, दूसरों के गुणों में अनुराग, गुरुजनों के प्रति विनम्रता, विद्या का व्यसन, अपनी ही स्त्री से रतिक्रीडा, लोक में बदनामी से भय, परमात्मा की भक्ति, मन और इन्द्रियों को वश में रखने की शक्ति और दुष्टों के संसर्ग (संगति) का त्याग ये निर्मल गुण जिन मनुष्यों में रहते हैं ऐसे महापुरुष को हमारा प्रणाम है।
#vakyabhyas
शुनि चैव श्वपाके च पण्डिताः समदर्शिनः।।
= विद्या तथा विनय से युक्त ब्राह्मण में, गाय में, हाथी, कुत्ते, चाण्डाल में पण्डितों की भेदबुद्धि नहीं होती अर्थात् वे सबको समान देखते हैं।
समः रात्रौ च मित्रे च तथा मानापमानयोः। शीतोष्ण सुखदुःखेषु समः संगविवर्जितः।।
= जो शत्रु और मित्र में सम दृष्टि रखता है, मानापमान, शीतोष्ण, सुख-दुःख आदि द्वन्द्वों में समता बनाए रखता है, जो निरासक्त (आसक्तिरहित) है (ऐसा भक्त मुझे प्रिय है)।
अभ्यासेऽप्यसमर्थोऽसि मत्कर्मपरमो भव।
मदर्थमपि कर्माणि कुर्वन्सिद्धिमवाप्स्यसि।।
= यदि तू (अर्जुन) योगाभ्यास करने में असमर्थ है, तो सब कर्म मुझे (ईश्वर) को लक्ष्य बनाकर कर। मेरे लिए (परमात्मा के लिए) कर्म करता हुआ भी तू सिद्धि को प्राप्त कर लेगा।
इन्द्रियार्थेषु वैराग्यमनहंकार एव च।
जन्ममृत्युजराव्याधिदुःखदोषानुदर्शनम्।।
= इन्द्रिय के विषयों में वैराग्य का होना, अहंकार-शून्यता, संसार में जन्म-मृत्यु, बुढापा, बीमारी और दुःखों को देखना (यही ज्ञान कहाता है)।
आसक्तिरनभिष्वङ्गः पुत्रदारगृहादिषु।
नित्यं च समचित्तत्वमिष्टानिष्टोपपत्तिषु।।
= अनासक्ति, पुत्र-पत्नी-गृह आदि में मोह का न होना, इष्ट-अनिष्ट अर्थात् प्रियाप्रिय में चित्त की समता बनाए रखना (यही ज्ञान है)।
मयि चानन्ययोगेन भक्तिरव्यभिचारिणी।
विविक्तदेशसेवित्वमरतिर्जनसंसदि।।
= अनन्य भाव से मुझ में एकनिष्ठ भक्ति का होना, एकान्त स्थान का सेवन करना, जन-समुदाय में अरुचि अर्थात् किसी व्यक्तिविशेष के प्रति लगाव का न होना (यही ज्ञान कहाता है)।
पतिव्रता पतिप्राणा पत्युःप्रियहिते रताः।
यस्य स्यादृशी भार्या धन्य स पुरुषो भुवि।।
= जिसे पतिव्रता याने पति को प्राणवत् चाहनेवाली, पति के हित में सदा तत्पर रहनेवाली पत्नी प्राप्त हो, वह पुरुष पृथ्वी पर धन्य है।
लौकिके कर्मणि रतः पशुनां परिपालकः।
वाणिज्यकृषिकर्ता यः स विप्रो वैश्य उच्यते।।
= जो द्विज लौकिक कर्मों में संलग्न हो, पशु पालता हो, व्यापार और खेती करता हो वह वैश्य कहाता है।
वापी-कूप-तडागानामाराम-सुर-वेश्मनाम्।
उच्छेदने निराऽऽशङ्कः स विप्रो म्लेच्छ उच्यते।।
= जो द्विज बावड़ी, कुंआ, तालाब, वाटिका, देवालयों के तोड़ने-फोड़ने में नीडर हो, वह म्लेच्छ कहाता है।
वाञ्छा सज्जनसङ्गमे परगुणे प्रीतिर्गुरौ नम्रता, विद्यायां व्यसनं स्वयोषिति रतिर्लोकापवादाद् भयम्।
भक्तिः शूलिनि शक्तिरात्मदमने संसर्गमुक्तिः खले, एते येषु वसन्ति निर्मलगुणास्तेभ्यो नरेभ्यो नमः।।
= सज्जनों के संग की इच्छा, दूसरों के गुणों में अनुराग, गुरुजनों के प्रति विनम्रता, विद्या का व्यसन, अपनी ही स्त्री से रतिक्रीडा, लोक में बदनामी से भय, परमात्मा की भक्ति, मन और इन्द्रियों को वश में रखने की शक्ति और दुष्टों के संसर्ग (संगति) का त्याग ये निर्मल गुण जिन मनुष्यों में रहते हैं ऐसे महापुरुष को हमारा प्रणाम है।
#vakyabhyas
April 6, 2022
April 6, 2022
।।श्रीः।।
।।आत्मबोधः।।
Atmabodha, meaning Self-knowledge or Self-awareness, is an exceptionally lucid and readable work of Shankaracharya. Consisting of sixty-eight verses or shlokas, it is in a sense a simple summary of his entire Vedantic structure of thought, intended, it would seem, as a basic primer for his students and followers. The text follows a clearly elaborated doctrine, starting with knowledge as a key to liberation, the nautre of the Atman within us, the assertion of the pervasive and attribute-less nature of Brahman, and the path towards the realisation of the complete identity between the Atman and Brahman.
सर्वगं सच्चिदानन्दं ज्ञानचक्षुर्निरीक्षते।
अज्ञानचक्षुर्नेक्षेत भास्वन्तं भानुमन्धवत्।।65।।
65. Though Atman is Pure Consciousness and ever present everywhere, yet It is perceived by the eye-of-wisdom alone: but one whose vision is obscured by ignorance he does not see It; as the blind do not see the resplendent Sun.
आत्म-बोध ऑनलाइन क्लास - 65:
आत्म-बोध के 65th श्लोक में भगवान् शंकराचार्यजी हमें ब्रह्म-ज्ञानी की दृष्टी के बारे में बताते हैं। जो तत्त्व के अज्ञानी होते हैं, वे दुनियां को सतही दृष्टि से ही देखते हैं इसलिये उतने मात्र को ही सत्य मानते हैं। विविध रूप और उनके नाम, हो हमारे शरीर से किसी भी तरह से जुड़े हुए हैं वे ही अपने समझे जाते हैं, अन्य सब पराये होते हैं। ऐसे लोगों की दृष्टी संकुचित होती है और वे जीवन भर छोटे एवं असुरक्षित रहते हैं। ऐसे लोग ही दुनियां में समस्त हिंसा एवं पीड़ा के कारण होते हैं। इनसे विपरीत ब्रह्म-ज्ञानी वे होते हैं जिनकी ज्ञान-चक्षु खुल गयी है। उन्हें अपनी एवं अन्य सबकी आत्मा दिख रही है - जो की सत-चित स्वरुप है, और यह ही हम हैं। हम ही विविध रूप में अभिव्यक्त हैं। हम पूर्ण हैं, सर्व-व्यापी हैं, हम ही एक, अखंड ब्रह्म हैं।
#Atmabodha
।।आत्मबोधः।।
Atmabodha, meaning Self-knowledge or Self-awareness, is an exceptionally lucid and readable work of Shankaracharya. Consisting of sixty-eight verses or shlokas, it is in a sense a simple summary of his entire Vedantic structure of thought, intended, it would seem, as a basic primer for his students and followers. The text follows a clearly elaborated doctrine, starting with knowledge as a key to liberation, the nautre of the Atman within us, the assertion of the pervasive and attribute-less nature of Brahman, and the path towards the realisation of the complete identity between the Atman and Brahman.
सर्वगं सच्चिदानन्दं ज्ञानचक्षुर्निरीक्षते।
अज्ञानचक्षुर्नेक्षेत भास्वन्तं भानुमन्धवत्।।65।।
65. Though Atman is Pure Consciousness and ever present everywhere, yet It is perceived by the eye-of-wisdom alone: but one whose vision is obscured by ignorance he does not see It; as the blind do not see the resplendent Sun.
आत्म-बोध ऑनलाइन क्लास - 65:
आत्म-बोध के 65th श्लोक में भगवान् शंकराचार्यजी हमें ब्रह्म-ज्ञानी की दृष्टी के बारे में बताते हैं। जो तत्त्व के अज्ञानी होते हैं, वे दुनियां को सतही दृष्टि से ही देखते हैं इसलिये उतने मात्र को ही सत्य मानते हैं। विविध रूप और उनके नाम, हो हमारे शरीर से किसी भी तरह से जुड़े हुए हैं वे ही अपने समझे जाते हैं, अन्य सब पराये होते हैं। ऐसे लोगों की दृष्टी संकुचित होती है और वे जीवन भर छोटे एवं असुरक्षित रहते हैं। ऐसे लोग ही दुनियां में समस्त हिंसा एवं पीड़ा के कारण होते हैं। इनसे विपरीत ब्रह्म-ज्ञानी वे होते हैं जिनकी ज्ञान-चक्षु खुल गयी है। उन्हें अपनी एवं अन्य सबकी आत्मा दिख रही है - जो की सत-चित स्वरुप है, और यह ही हम हैं। हम ही विविध रूप में अभिव्यक्त हैं। हम पूर्ण हैं, सर्व-व्यापी हैं, हम ही एक, अखंड ब्रह्म हैं।
#Atmabodha
April 6, 2022
April 6, 2022
🍃
♦️arjuna uvaacha
pashyaami devaaMstava deva dehe
sarvaaMstathaa bhuutavisheShasa~Nghaan|
brahmaaNamiishaM kamalaasanastha
mRRiShiiMshcha sarvaanuragaaMshcha divyaan
⚜Arjuna said:
O Lord, I see in Your body all the gods and multitude of beings, all sages, celestial serpents, Lord Shiva as well as Lord Brahmaa seated on the lotus. (11.15)
⚜अर्जुन ने कहा --
हे देव मैं आपके शरीर में समस्त देवों को तथा अनेक भूतविशेषों के समुदायों को और कमलासन पर स्थित सृष्टि के स्वामी ब्रह्माजी को? ऋषियों को और दिव्य सर्पों को देख रहा हूँ।।11.15।।
#geeta
अर्जुन उवाच
पश्यामि देवांस्तव देव देहे सर्वांस्तथा भूतविशेषसङ्घान्।
ब्रह्माणमीशं कमलासनस्थ मृषींश्च सर्वानुरगांश्च दिव्यान्
।।11.15।।♦️arjuna uvaacha
pashyaami devaaMstava deva dehe
sarvaaMstathaa bhuutavisheShasa~Nghaan|
brahmaaNamiishaM kamalaasanastha
mRRiShiiMshcha sarvaanuragaaMshcha divyaan
⚜Arjuna said:
O Lord, I see in Your body all the gods and multitude of beings, all sages, celestial serpents, Lord Shiva as well as Lord Brahmaa seated on the lotus. (11.15)
⚜अर्जुन ने कहा --
हे देव मैं आपके शरीर में समस्त देवों को तथा अनेक भूतविशेषों के समुदायों को और कमलासन पर स्थित सृष्टि के स्वामी ब्रह्माजी को? ऋषियों को और दिव्य सर्पों को देख रहा हूँ।।11.15।।
#geeta
April 6, 2022
🍃
♦️anekabaahuudaravaktranetraM
pashyaami tvaaM sarvato'nantaruupam|
naantaM na madhyaM na punastavaadiM
pashyaami vishveshvara vishvaruupa
⚜O Lord of the universe, I see You everywhere with infinite form, with many arms, stomachs, faces, and eyes. Neither do I see the beginning nor the middle nor the end of Your Universal Form. (11.16)
⚜हे विश्वेश्वर मैं आपकी अनेक बाहु उदर मुख और नेत्रों से युक्त तथा सब ओर से अनन्त रूपों वाला देखता हूँ। हे विश्वरूप मैं आपके न अन्त को देखता हूँ और न मध्य को और न आदि को।।11.16।।
#geeta
अनेकबाहूदरवक्त्रनेत्रं पश्यामि त्वां सर्वतोऽनन्तरूपम्।
नान्तं न मध्यं न पुनस्तवादिं पश्यामि विश्वेश्वर विश्वरूप
।।11.16।।♦️anekabaahuudaravaktranetraM
pashyaami tvaaM sarvato'nantaruupam|
naantaM na madhyaM na punastavaadiM
pashyaami vishveshvara vishvaruupa
⚜O Lord of the universe, I see You everywhere with infinite form, with many arms, stomachs, faces, and eyes. Neither do I see the beginning nor the middle nor the end of Your Universal Form. (11.16)
⚜हे विश्वेश्वर मैं आपकी अनेक बाहु उदर मुख और नेत्रों से युक्त तथा सब ओर से अनन्त रूपों वाला देखता हूँ। हे विश्वरूप मैं आपके न अन्त को देखता हूँ और न मध्य को और न आदि को।।11.16।।
#geeta
April 6, 2022
April 6, 2022
🚩जय सत्य सनातन🚩
🚩आज की हिंदी तिथि
🌥 🚩यगाब्द-५१२४
🌥 🚩विक्रम संवत-२०७९
⛅️ 🚩तिथि - षष्टी रात्रि 08:32 तक तत्पश्चात सप्तमी
⛅️दिनांक 07 अप्रैल 2022
⛅️दिन -गुरुवार
⛅️शक संवत - 1944
⛅️अयन - उत्तरायण
⛅️ऋतु - वसंत
⛅️मास - चैत्र
⛅️पक्ष - शुक्ल
⛅️नक्षत्र - मृगशिरा रात्रि 10:42 तक तत्पश्चात आर्द्रा
⛅️योग -सौभाग्य सुबह 09:32 तक तत्पश्चात शोभन
⛅️राहुकाल - दोपहर 02:16 से 03:50 तक
⛅️सर्योदय - 06:27
⛅️सर्यास्त - 06:57
⛅️दिशाशूल - दक्षिण दिशा में
🚩आज की हिंदी तिथि
🌥 🚩यगाब्द-५१२४
🌥 🚩विक्रम संवत-२०७९
⛅️ 🚩तिथि - षष्टी रात्रि 08:32 तक तत्पश्चात सप्तमी
⛅️दिनांक 07 अप्रैल 2022
⛅️दिन -गुरुवार
⛅️शक संवत - 1944
⛅️अयन - उत्तरायण
⛅️ऋतु - वसंत
⛅️मास - चैत्र
⛅️पक्ष - शुक्ल
⛅️नक्षत्र - मृगशिरा रात्रि 10:42 तक तत्पश्चात आर्द्रा
⛅️योग -सौभाग्य सुबह 09:32 तक तत्पश्चात शोभन
⛅️राहुकाल - दोपहर 02:16 से 03:50 तक
⛅️सर्योदय - 06:27
⛅️सर्यास्त - 06:57
⛅️दिशाशूल - दक्षिण दिशा में
April 6, 2022
Forwarded from रामदूतः — The Sanskrit News Platform
Switch to DD News daily at 7:15 AM (Morning) for 15 minutes Sanskrit news.
https://youtu.be/NlAjfVYIBRs
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YouTube
वार्ता: संस्कृत में समाचार | विश्व स्वास्थ्य दिवस आज
April 6, 2022
🔰चित्रं दृष्ट्वा पञ्चवाक्यानि रचयत।
✍🏼सर्वे टिप्पणीसञ्चिका (comment box) मध्ये स्वोत्तराणि लेखितुं शक्नुवन्ति अथवा पुस्तिकायां लिखित्वा तस्य चित्रं स्वीकृत्य अपि प्रेषयितुं शक्नुवन्ति।
🔰 चित्र देखकर पांच वाक्य बनायें।
✍🏼आप कमेंट बॉक्स में टङ्कण कर सकते हैं या कॉपी पर लिखकर फोटो भी भेज सकते हैं।
🔰Make 5 sentences, Observing the attached image.
✍🏼You can type in the comment box or you can also send a photo by writing on the notebook.
#chitram
✍🏼सर्वे टिप्पणीसञ्चिका (comment box) मध्ये स्वोत्तराणि लेखितुं शक्नुवन्ति अथवा पुस्तिकायां लिखित्वा तस्य चित्रं स्वीकृत्य अपि प्रेषयितुं शक्नुवन्ति।
🔰 चित्र देखकर पांच वाक्य बनायें।
✍🏼आप कमेंट बॉक्स में टङ्कण कर सकते हैं या कॉपी पर लिखकर फोटो भी भेज सकते हैं।
🔰Make 5 sentences, Observing the attached image.
✍🏼You can type in the comment box or you can also send a photo by writing on the notebook.
#chitram
April 6, 2022
परोक्षे कार्यहन्तारं प्रत्यक्षे प्रियवादिनम्। वर्जयेत् तादृशं मित्रं विषकुम्भं पयोमुखम्।।
अन्वय - (यत्) मित्रं परोक्षे कार्यहन्तारं प्रत्यक्षे प्रियवादिनम् (भवति) विषकुम्भम् पयः मुखम् (इव) तादृशं मित्रं वर्जयेत्।
#Subhashitam
April 6, 2022
________ बालकेभ्यः मोदकाः प्रयच्छ।
Anonymous Quiz
9%
एकस्मै
11%
द्वाभ्याम्
4%
त्रयः
17%
चत्वारः
58%
चतुर्भ्यः
April 7, 2022
संस्कृत संवादः । Sanskrit Samvadah
विद्याविनयसम्पन्ने
ब्राह्मणे गवि हस्तिनि। शुनि चैव श्वपाके च पण्डिताः समदर्शिनः।। =
विद्या तथा विनय से युक्त ब्राह्मण में, गाय में, हाथी, कुत्ते, चाण्डाल
में पण्डितों की भेदबुद्धि नहीं होती अर्थात् वे सबको समान देखते हैं। समः
रात्रौ च मित्रे च तथा मानापमानयोः।…
अकरुणत्वमकारणविग्रहः परधने परयोषिति च स्पृहा।
सुजनबन्धुजनेष्वसहिष्णुता प्रकृति सिद्धमिदं हि दुरात्मनाम्।।
= निर्दयता याने दया का अभाव, बिना कारण लड़ाई-झगडा करना, दूसरे के धन और स्त्री को पाने की इच्छा करना, सज्जनों और सगे सम्बन्धियों के साथ डाह रखना ये लक्षण दुर्जनों में स्वभाव से ही पाए जाते हैं।
विपदि धैर्यमथाभ्युदये क्षमा सदसि वाक्पटुता युधि विक्रमः।
यशसि चाभिरुचिर्व्यसनं श्रुतौ प्रकृति सिद्धमिदं हि महात्मनाम्।।
= विपत्ति में धैर्य, समृद्धि में क्षमाशीलता, सभा में वाक्चातुर्य, युद्ध में पराक्रम, यश-प्राप्ति में अभिलाशा, वेदादि शास्त्रों के अध्ययन का व्यसन ये बातें महापुरुषों में स्वभाव से ही होती हैं।
पद्माकरं दिनकरो विकचं करोति, चन्द्रो विकासयति कैरवचक्रवालम्।
नाभ्यर्थितो जलधरोऽपि जलं ददाति, सन्तः स्वयं परहितेषु कृताभियोगाः।।
= सूर्य बिना याचना किए ही कमल-समूह को विकसित करता है, चन्द्रमा भी बिना प्रार्थना के स्वयं ही कुमुदों को प्रफुल्लित करता है, बादल भी बिना मांगे ही जल बरसाता है, इसी प्रकार सज्जन भी अपने-आप ही दूसरों की भलाई करना अपना कर्त्तव्य समझते हैं।
यस्तात् न क्रुध्यति सर्वकालं भृत्यस्य भक्तस्य हिते रतस्य।
तस्मिन् भृत्या भर्तरि विश्वसन्ति न चैनमापत्सु परित्यजन्ति।।
= हे तात ! स्वामी के हित में लगे हुए भक्त सेवक के प्रति जो कदापि क्रोध नहीं करता, उस स्वामी के प्रति सेवक विश्वास करते हैं और आपत्ति में भी उसका परित्याग नहीं करते।
कान्तारे वनदुर्गेषु कृच्छ्रास्वापत्सु सम्भ्रमे।
उद्यतेषु च शस्त्रेषु नास्ति सत्त्ववतां भयम्।।
= जङ्गलों में, वनों के दुर्गम स्थानों में कठिन आपत्तियों में, युद्धादि की हलचल में और मारने के लिए शस्त्रों के उठाए जाने पर भी मनोबल से युक्त मनुष्यों को भय नहीं होता।
अनाहूतः प्रविशति अपृष्टो बहु भाषते।
अविश्वस्ते विश्वसिति मूढचेता नराधमः।।
= बिना बुलाए जो पुरुष सभा आदि में प्रविष्ट होता है और बिना पूछे बहुत बोलता है तथा विश्वास के अयोग्य पुरुषों में विश्वास करता है, वह जड़बुद्धि व्यक्ति मनुष्यों में घटिया है।
आर्यकर्मणि रज्यन्ते भूतिकर्माणि कुर्वते।
हितं च नाऽभ्यसूयन्ति पण्डिता भरतर्षभ।।
= हे भरतकुल में श्रेष्ठ धृतराष्ट्र ! जो व्यक्ति आर्यों के कर्मों में अनुराग रखते हैं, ऐश्वर्य प्राप्त करानेवाले कर्मों को ही करते हैं और कल्याणकारक की कभी असूया, निन्दा नहीं करते, वे ही पण्डित हैं।
यस्य देवे परा भक्तिर्यथा देवे तथा गुरौ।
तस्यैते कथिता ह्यर्थाः प्रकाशन्ते महात्मनः।।
= रहस्यपूर्ण आध्यात्मिक उपदेश उसी महात्मा को ज्ञात होते हैं, जिसकी परमदेव (परमात्मा) में तथा अपने गुरु में परम भक्ति होती है।
#vakyabhyas
सुजनबन्धुजनेष्वसहिष्णुता प्रकृति सिद्धमिदं हि दुरात्मनाम्।।
= निर्दयता याने दया का अभाव, बिना कारण लड़ाई-झगडा करना, दूसरे के धन और स्त्री को पाने की इच्छा करना, सज्जनों और सगे सम्बन्धियों के साथ डाह रखना ये लक्षण दुर्जनों में स्वभाव से ही पाए जाते हैं।
विपदि धैर्यमथाभ्युदये क्षमा सदसि वाक्पटुता युधि विक्रमः।
यशसि चाभिरुचिर्व्यसनं श्रुतौ प्रकृति सिद्धमिदं हि महात्मनाम्।।
= विपत्ति में धैर्य, समृद्धि में क्षमाशीलता, सभा में वाक्चातुर्य, युद्ध में पराक्रम, यश-प्राप्ति में अभिलाशा, वेदादि शास्त्रों के अध्ययन का व्यसन ये बातें महापुरुषों में स्वभाव से ही होती हैं।
पद्माकरं दिनकरो विकचं करोति, चन्द्रो विकासयति कैरवचक्रवालम्।
नाभ्यर्थितो जलधरोऽपि जलं ददाति, सन्तः स्वयं परहितेषु कृताभियोगाः।।
= सूर्य बिना याचना किए ही कमल-समूह को विकसित करता है, चन्द्रमा भी बिना प्रार्थना के स्वयं ही कुमुदों को प्रफुल्लित करता है, बादल भी बिना मांगे ही जल बरसाता है, इसी प्रकार सज्जन भी अपने-आप ही दूसरों की भलाई करना अपना कर्त्तव्य समझते हैं।
यस्तात् न क्रुध्यति सर्वकालं भृत्यस्य भक्तस्य हिते रतस्य।
तस्मिन् भृत्या भर्तरि विश्वसन्ति न चैनमापत्सु परित्यजन्ति।।
= हे तात ! स्वामी के हित में लगे हुए भक्त सेवक के प्रति जो कदापि क्रोध नहीं करता, उस स्वामी के प्रति सेवक विश्वास करते हैं और आपत्ति में भी उसका परित्याग नहीं करते।
कान्तारे वनदुर्गेषु कृच्छ्रास्वापत्सु सम्भ्रमे।
उद्यतेषु च शस्त्रेषु नास्ति सत्त्ववतां भयम्।।
= जङ्गलों में, वनों के दुर्गम स्थानों में कठिन आपत्तियों में, युद्धादि की हलचल में और मारने के लिए शस्त्रों के उठाए जाने पर भी मनोबल से युक्त मनुष्यों को भय नहीं होता।
अनाहूतः प्रविशति अपृष्टो बहु भाषते।
अविश्वस्ते विश्वसिति मूढचेता नराधमः।।
= बिना बुलाए जो पुरुष सभा आदि में प्रविष्ट होता है और बिना पूछे बहुत बोलता है तथा विश्वास के अयोग्य पुरुषों में विश्वास करता है, वह जड़बुद्धि व्यक्ति मनुष्यों में घटिया है।
आर्यकर्मणि रज्यन्ते भूतिकर्माणि कुर्वते।
हितं च नाऽभ्यसूयन्ति पण्डिता भरतर्षभ।।
= हे भरतकुल में श्रेष्ठ धृतराष्ट्र ! जो व्यक्ति आर्यों के कर्मों में अनुराग रखते हैं, ऐश्वर्य प्राप्त करानेवाले कर्मों को ही करते हैं और कल्याणकारक की कभी असूया, निन्दा नहीं करते, वे ही पण्डित हैं।
यस्य देवे परा भक्तिर्यथा देवे तथा गुरौ।
तस्यैते कथिता ह्यर्थाः प्रकाशन्ते महात्मनः।।
= रहस्यपूर्ण आध्यात्मिक उपदेश उसी महात्मा को ज्ञात होते हैं, जिसकी परमदेव (परमात्मा) में तथा अपने गुरु में परम भक्ति होती है।
#vakyabhyas
April 7, 2022
April 7, 2022
।।श्रीः।।
।।आत्मबोधः।।
Atmabodha, meaning Self-knowledge or Self-awareness, is an exceptionally lucid and readable work of Shankaracharya. Consisting of sixty-eight verses or shlokas, it is in a sense a simple summary of his entire Vedantic structure of thought, intended, it would seem, as a basic primer for his students and followers. The text follows a clearly elaborated doctrine, starting with knowledge as a key to liberation, the nautre of the Atman within us, the assertion of the pervasive and attribute-less nature of Brahman, and the path towards the realisation of the complete identity between the Atman and Brahman.
श्रवणादिभिरुद्दीप्त
ज्ञानाग्निपरितापितः।
जीवः सर्वमलान्मुक्तः
स्वर्णवद्द्योतते स्वयम्।।66।।
66. The’Jiva’ free from impurities, being heated in the fire of knowledge kindled by hearing and so on, shines of itself like gold.
आत्म-बोध ऑनलाइन क्लास - 66:
आत्म-बोध के 66th श्लोक में भगवान् शंकराचार्यजी हमें अपने ब्रह्म-ज्ञान हेतु पूरी यात्रा का सारांश बता रहे हैं। वे कहते हैं की याद करो की यह तुम्हारी आध्यात्मिक यात्रा कहाँ से प्रारम्भ हुई थी। हम सब के अंदर एक अपूर्णता थी, असुरक्षा थी, जिसकी निवृत्ति के लिए अनेकानेक आकांक्षाएं थी। इन कामनाओं के कारण अनेकों आसक्तियां, राग और द्वेष उत्पन्न हो जाते हैं। इनके फलस्वरूप हम लोग और पराधीन हो जाते हैं। इस तरह से अनेकों प्रकार के मल जमा हो जाते हैं। इनसे मुक्ति ही वास्तविक मुक्ति होती है। इसी लक्ष्य को ध्यान रखते हुए हमारे गुरु हमें जीवन के यथार्थ का ज्ञान देते हैं। श्रवण, मनन और निदिध्यासन से ही ज्ञान उत्पन्न होता है। ज्ञान अग्नि की तरह होता है - जो समस्त अज्ञान और उसके कार्य को भस्मीभूत कर देता है। और एक जीव अपने जीवत्व से मुक्त होकर स्वर्ण-तुल्य साक्षात् ब्रह्म होकर स्थित हो जाता है।
#Atmabodha
।।आत्मबोधः।।
Atmabodha, meaning Self-knowledge or Self-awareness, is an exceptionally lucid and readable work of Shankaracharya. Consisting of sixty-eight verses or shlokas, it is in a sense a simple summary of his entire Vedantic structure of thought, intended, it would seem, as a basic primer for his students and followers. The text follows a clearly elaborated doctrine, starting with knowledge as a key to liberation, the nautre of the Atman within us, the assertion of the pervasive and attribute-less nature of Brahman, and the path towards the realisation of the complete identity between the Atman and Brahman.
श्रवणादिभिरुद्दीप्त
ज्ञानाग्निपरितापितः।
जीवः सर्वमलान्मुक्तः
स्वर्णवद्द्योतते स्वयम्।।66।।
66. The’Jiva’ free from impurities, being heated in the fire of knowledge kindled by hearing and so on, shines of itself like gold.
आत्म-बोध ऑनलाइन क्लास - 66:
आत्म-बोध के 66th श्लोक में भगवान् शंकराचार्यजी हमें अपने ब्रह्म-ज्ञान हेतु पूरी यात्रा का सारांश बता रहे हैं। वे कहते हैं की याद करो की यह तुम्हारी आध्यात्मिक यात्रा कहाँ से प्रारम्भ हुई थी। हम सब के अंदर एक अपूर्णता थी, असुरक्षा थी, जिसकी निवृत्ति के लिए अनेकानेक आकांक्षाएं थी। इन कामनाओं के कारण अनेकों आसक्तियां, राग और द्वेष उत्पन्न हो जाते हैं। इनके फलस्वरूप हम लोग और पराधीन हो जाते हैं। इस तरह से अनेकों प्रकार के मल जमा हो जाते हैं। इनसे मुक्ति ही वास्तविक मुक्ति होती है। इसी लक्ष्य को ध्यान रखते हुए हमारे गुरु हमें जीवन के यथार्थ का ज्ञान देते हैं। श्रवण, मनन और निदिध्यासन से ही ज्ञान उत्पन्न होता है। ज्ञान अग्नि की तरह होता है - जो समस्त अज्ञान और उसके कार्य को भस्मीभूत कर देता है। और एक जीव अपने जीवत्व से मुक्त होकर स्वर्ण-तुल्य साक्षात् ब्रह्म होकर स्थित हो जाता है।
#Atmabodha
April 7, 2022
April 7, 2022
April 7, 2022
April 7, 2022
🍃
♦️kiriiTinaM gadinaM chakriNaM cha
tejoraashiM sarvatodiiptimantam|
pashyaami tvaaM durniriikShyaM samantaa
ddiiptaanalaarkadyutimaprameyam
⚜I see You with Your crown, club, discus; and a mass of radiance, difficult to behold, shining all around with immeasurable brilliance of the sun and the blazing fire. (11.17)
⚜मैं आपका मुकुटयुक्त गदायुक्त और चक्रधारण किये हुये तथा सब ओर से प्रकाशमान् तेज का पुंज दीप्त अग्नि और सूर्य के समान ज्योतिर्मय देखने में अति कठिन और अप्रमेयस्वरूप सब ओर से देखता हूँ।।11.17।।
#geeta
किरीटिनं गदिनं चक्रिणं च तेजोराशिं सर्वतोदीप्तिमन्तम्।
पश्यामि त्वां दुर्निरीक्ष्यं समन्ता द्दीप्तानलार्कद्युतिमप्रमेयम्
।।11.17।।♦️kiriiTinaM gadinaM chakriNaM cha
tejoraashiM sarvatodiiptimantam|
pashyaami tvaaM durniriikShyaM samantaa
ddiiptaanalaarkadyutimaprameyam
⚜I see You with Your crown, club, discus; and a mass of radiance, difficult to behold, shining all around with immeasurable brilliance of the sun and the blazing fire. (11.17)
⚜मैं आपका मुकुटयुक्त गदायुक्त और चक्रधारण किये हुये तथा सब ओर से प्रकाशमान् तेज का पुंज दीप्त अग्नि और सूर्य के समान ज्योतिर्मय देखने में अति कठिन और अप्रमेयस्वरूप सब ओर से देखता हूँ।।11.17।।
#geeta
April 7, 2022
🍃
♦️tvamakSharaM paramaM veditavyaM
tvamasya vishvasya paraM nidhaanam|
tvamavyayaH shaashvatadharmagoptaa
sanaatanastvaM puruSho mato me
⚜I believe You are the imperishable, the Supreme to be realized. You are the ultimate resort of the universe. You are the protector of eternal Dharma, and the imperishable primal spirit. (11.18)
⚜आप ही जानने योग्य (वेदितव्यम्) परम अक्षर हैं आप ही इस विश्व के परम आश्रय (निधान) हैं आप ही शाश्वत धर्म के रक्षक हैं और आप ही सनातन पुरुष हैं ऐसा मेरा मत है।।11.18।।
#geeta
त्वमक्षरं परमं वेदितव्यं त्वमस्य विश्वस्य परं निधानम्।
त्वमव्ययः शाश्वतधर्मगोप्ता सनातनस्त्वं पुरुषो मतो मे
।।11.18।।♦️tvamakSharaM paramaM veditavyaM
tvamasya vishvasya paraM nidhaanam|
tvamavyayaH shaashvatadharmagoptaa
sanaatanastvaM puruSho mato me
⚜I believe You are the imperishable, the Supreme to be realized. You are the ultimate resort of the universe. You are the protector of eternal Dharma, and the imperishable primal spirit. (11.18)
⚜आप ही जानने योग्य (वेदितव्यम्) परम अक्षर हैं आप ही इस विश्व के परम आश्रय (निधान) हैं आप ही शाश्वत धर्म के रक्षक हैं और आप ही सनातन पुरुष हैं ऐसा मेरा मत है।।11.18।।
#geeta
April 7, 2022
April 7, 2022
🚩जय सत्य सनातन🚩
🚩आज की हिंदी तिथि
🌥 🚩यगाब्द-५१२४
🌥 🚩विक्रम संवत-२०७९
⛅️ 🚩तिथि - सप्तमी रात्रि 11:05 तक तत्पश्चात अष्टमी
⛅️दिनांक 08 अप्रैल 2022
⛅️दिन - शुक्रवार
⛅️शक संवत - 1944
⛅️अयन - उत्तरायण
⛅️ऋतु - वसंत
⛅️मास - चैत्र
⛅️पक्ष - शुक्ल
⛅️नक्षत्र - आर्द्रा रात्रि 01:43 तक तत्पश्चात पुनर्वसु
⛅️योग - शोभन सुबह 10:31 तक तत्पश्चात अतिगण्ड
⛅️राहुकाल - सुबह 11:08 से दोपहर 12:42 तक
⛅️सर्योदय - 06:26
⛅️सर्यास्त - 06:58
⛅️दिशाशूल - पश्चिम दिशा में
🚩आज की हिंदी तिथि
🌥 🚩यगाब्द-५१२४
🌥 🚩विक्रम संवत-२०७९
⛅️ 🚩तिथि - सप्तमी रात्रि 11:05 तक तत्पश्चात अष्टमी
⛅️दिनांक 08 अप्रैल 2022
⛅️दिन - शुक्रवार
⛅️शक संवत - 1944
⛅️अयन - उत्तरायण
⛅️ऋतु - वसंत
⛅️मास - चैत्र
⛅️पक्ष - शुक्ल
⛅️नक्षत्र - आर्द्रा रात्रि 01:43 तक तत्पश्चात पुनर्वसु
⛅️योग - शोभन सुबह 10:31 तक तत्पश्चात अतिगण्ड
⛅️राहुकाल - सुबह 11:08 से दोपहर 12:42 तक
⛅️सर्योदय - 06:26
⛅️सर्यास्त - 06:58
⛅️दिशाशूल - पश्चिम दिशा में
April 7, 2022
Forwarded from रामदूतः — The Sanskrit News Platform
https://m.youtube.com/watch?v=gS4bSiZFnFY
Switch to DD News daily at 7:15 AM (Morning) for 15 minutes Sanskrit news.
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प्रतिष्ठित पुरस्कार हे ग्रैमी अवार्ड्स। DD News is India’s 24x7 news
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P...
April 7, 2022
🔰चित्रं दृष्ट्वा पञ्चवाक्यानि रचयत।
✍🏼सर्वे टिप्पणीसञ्चिका (comment box) मध्ये स्वोत्तराणि लेखितुं शक्नुवन्ति अथवा पुस्तिकायां लिखित्वा तस्य चित्रं स्वीकृत्य अपि प्रेषयितुं शक्नुवन्ति।
🔰 चित्र देखकर पांच वाक्य बनायें।
✍🏼आप कमेंट बॉक्स में टङ्कण कर सकते हैं या कॉपी पर लिखकर फोटो भी भेज सकते हैं।
🔰Make 5 sentences, Observing the attached image.
✍🏼You can type in the comment box or you can also send a photo by writing on the notebook.
#chitram
✍🏼सर्वे टिप्पणीसञ्चिका (comment box) मध्ये स्वोत्तराणि लेखितुं शक्नुवन्ति अथवा पुस्तिकायां लिखित्वा तस्य चित्रं स्वीकृत्य अपि प्रेषयितुं शक्नुवन्ति।
🔰 चित्र देखकर पांच वाक्य बनायें।
✍🏼आप कमेंट बॉक्स में टङ्कण कर सकते हैं या कॉपी पर लिखकर फोटो भी भेज सकते हैं।
🔰Make 5 sentences, Observing the attached image.
✍🏼You can type in the comment box or you can also send a photo by writing on the notebook.
#chitram
April 7, 2022
दृष्टिपूत न्यसेत् पादं वस्त्रपूतं जलं पिबेत्। शास्त्रपूतं वदेत् वाक्यं मन:पूतं समाचरेत्।।
अन्वय: – (मानवः) पादं दृष्टिपूतं न्यसेत्, जलं वस्त्रपूतं पिबेत्, वाक्यं शास्त्रपूतं वदेत् मनः पूत (च) समाचरेत्।
#Subhashitam
April 7, 2022
ताड़ी (the juice of palms) इत्युक्ते संंस्कृतेन किम्?🌴
Anonymous Quiz
17%
मद्यपः
10%
तारी
10%
तारिका
19%
मदोदकः
44%
तारीरसः
April 8, 2022
संस्कृत संवादः । Sanskrit Samvadah
अकरुणत्वमकारणविग्रहः
परधने परयोषिति च स्पृहा। सुजनबन्धुजनेष्वसहिष्णुता प्रकृति सिद्धमिदं हि
दुरात्मनाम्।। = निर्दयता याने दया का अभाव, बिना कारण लड़ाई-झगडा करना,
दूसरे के धन और स्त्री को पाने की इच्छा करना, सज्जनों और सगे सम्बन्धियों
के साथ डाह रखना ये…
संस्कृतं वद आधुनिको भव।
वेदान् पठ वैज्ञानिको भव।।
पाठ : (२९) सप्तमी विभक्ति (३)
(अभिव्यापक आधार- ऐसा आधार जिसके साथ आधेय का व्याप्य-व्यापक सम्बन्ध हो, उसको अभिव्यापक आधार कहते हैं।)
गुडे माधुर्यं वर्तते
= गुड़ में मिठास है।
जले शैत्यं वर्तते
= पानी में शीतलता होती है।
तिलेषु तैलं केन पूरितम् ?
= तिलों में तेल किसने भरा है ?
दधनि सर्पिर्भवति, परं न दृश्यते
= दही में घी होता है किन्तु दीखता नहीं है।
तथैव सर्वत्र ईश्वरोऽपि वर्तते, केवलं ज्ञानचक्षुषैव दृश्यते
= वैसे ही ईश्वर सर्वत्र विद्यमान है, किन्तु केवल ज्ञान की आंखों से ही दिखाई देता है।
यावद् देहे प्राणो वसति तावत् प्राणी जीवति
= जब तक शरीर में प्राण है, तब तक प्राणी जीवित रहता है।
यस्मिन् काष्ठेऽग्निरस्ति, तदेव जलति, तदेव ज्वालयितुं शक्यते
= जिस लकड़ी में आग है, वही जलती है, उसे ही जलाना सम्भव है।
पुष्पे गन्धं दृष्ट्वा क्षुद्रा तत्रैवोपविष्टा
= फूल में गन्ध देखकर मधुमक्खी वहीं बैठ गई।
यथा सिकतासु तैलं नास्ति तथैव प्रकृतौ चैतन्यं नास्ति
= जैसे रेत में तेल का अभाव है, वैसे ही प्रकृति में चैतन्य का सर्वथा अभाव है।
सुतप्तेऽयोगोलके विद्यमानेनाग्निना दग्धोऽयं वटुः
= तपे हुए लोहे के गोले में विद्यमान अग्नि से यह बच्चा जल गया।
मूर्खोऽयं जले घृतमन्वेषयति
= मूर्ख है यह जो पानी में घी खोज रहा है।
पुष्पेषु मधु यथा मक्षिकैव पश्यति तथा सर्वेष्वात्मानं ज्ञानिन एव पश्यन्ति
= जैसे फूलों में शहद मक्खी को ही दीखता है, वैसे सब में व्यापक ईश्वर केवल ज्ञानियों को ही दीखता है।
यस्तु सर्वाणि भूतान्यात्मन्येवानुपश्यति।
सर्वभूतेषु चात्मानं ततो न विजुगुप्सते।।
= जो सकल भूत चराचर जगत् में परमात्मा को देखता है और सब भूतों में परमात्मा को व्यापक देखता है, फिर वह पाप नहीं करता अथवा किसी से घृणा नहीं करता है।
यावत्पवनो निवसति देहे, तावत्पृच्छति कुशलं गेहे।
गतवति वायौ देहापाये, भार्या बिभ्यति तस्मिन्काये।।
= जब तक इस देह में प्राण रहता है, तब तक घर में सब कुशल-मंगल पूछते हैं, किन्तु प्राण के छूट जाने पर जब देह गिर जाता है, तब पत्नी भी उस मृत शरीर को देखकर भयभीत हो जाती है।
तोये शैत्यं दाहकत्वं च भानौ तापो भानौ शीतभानौ प्रसादः।
पुष्पे गन्धो दुग्धमध्ये च सर्पिर्यत्तच्छम्भो ! त्वं ततस्त्वां प्रपद्ये।।
= पानी में शीतलता, सूर्य में ताप तथा दाहकता, चन्द्रमा में चांदनी, फूल में गन्ध और दूध में घी है हे शम्भो ! (कल्याणकारी परमेश्वर) यह सब तेरी कारीगरी है अतः मैं तेरी शरण आया हूं।
तिलेषु तैलं दधनीव सर्पिरापः स्रोतःस्वरणीषु चाग्निः।
एवमात्माऽऽत्मनि गृह्यतेऽसौ सत्येनैनं तपसा योऽनुपश्यति।।
= जैसे तिलों में तेल, दही में घी, स्रोतों में जल, अरणियों में अग्नि रहती है, और तिलों को पीडने से, दही को बिलोने से, स्रोतों को खोदने से, अरणियों को रगड़ने से ये प्रकट होते हैं, वैसे जीवात्मा में परमात्मा निहित है, और वहीं उसका ग्रहण होता है, परन्तु वह दिखता सत्य और तप की रगड़ से है।
सर्वव्यापिनमात्मानं क्षीरे सर्पिरिवार्पितम्।
आत्मविद्यातपोमूलं तद्ब्रह्मोपनिषत्परमिति।।
= जैसे दूध के कण-कण में घी व्याप्त है, वैसे समस्त पदार्थों में परमेश्वर व्याप्त है। इस बात को आत्मविद्या और तप से जान लेना ही ‘‘परम ब्रह्मोपनिषद’’ कहाता है।
#vakyabhyas
वेदान् पठ वैज्ञानिको भव।।
पाठ : (२९) सप्तमी विभक्ति (३)
(अभिव्यापक आधार- ऐसा आधार जिसके साथ आधेय का व्याप्य-व्यापक सम्बन्ध हो, उसको अभिव्यापक आधार कहते हैं।)
गुडे माधुर्यं वर्तते
= गुड़ में मिठास है।
जले शैत्यं वर्तते
= पानी में शीतलता होती है।
तिलेषु तैलं केन पूरितम् ?
= तिलों में तेल किसने भरा है ?
दधनि सर्पिर्भवति, परं न दृश्यते
= दही में घी होता है किन्तु दीखता नहीं है।
तथैव सर्वत्र ईश्वरोऽपि वर्तते, केवलं ज्ञानचक्षुषैव दृश्यते
= वैसे ही ईश्वर सर्वत्र विद्यमान है, किन्तु केवल ज्ञान की आंखों से ही दिखाई देता है।
यावद् देहे प्राणो वसति तावत् प्राणी जीवति
= जब तक शरीर में प्राण है, तब तक प्राणी जीवित रहता है।
यस्मिन् काष्ठेऽग्निरस्ति, तदेव जलति, तदेव ज्वालयितुं शक्यते
= जिस लकड़ी में आग है, वही जलती है, उसे ही जलाना सम्भव है।
पुष्पे गन्धं दृष्ट्वा क्षुद्रा तत्रैवोपविष्टा
= फूल में गन्ध देखकर मधुमक्खी वहीं बैठ गई।
यथा सिकतासु तैलं नास्ति तथैव प्रकृतौ चैतन्यं नास्ति
= जैसे रेत में तेल का अभाव है, वैसे ही प्रकृति में चैतन्य का सर्वथा अभाव है।
सुतप्तेऽयोगोलके विद्यमानेनाग्निना दग्धोऽयं वटुः
= तपे हुए लोहे के गोले में विद्यमान अग्नि से यह बच्चा जल गया।
मूर्खोऽयं जले घृतमन्वेषयति
= मूर्ख है यह जो पानी में घी खोज रहा है।
पुष्पेषु मधु यथा मक्षिकैव पश्यति तथा सर्वेष्वात्मानं ज्ञानिन एव पश्यन्ति
= जैसे फूलों में शहद मक्खी को ही दीखता है, वैसे सब में व्यापक ईश्वर केवल ज्ञानियों को ही दीखता है।
यस्तु सर्वाणि भूतान्यात्मन्येवानुपश्यति।
सर्वभूतेषु चात्मानं ततो न विजुगुप्सते।।
= जो सकल भूत चराचर जगत् में परमात्मा को देखता है और सब भूतों में परमात्मा को व्यापक देखता है, फिर वह पाप नहीं करता अथवा किसी से घृणा नहीं करता है।
यावत्पवनो निवसति देहे, तावत्पृच्छति कुशलं गेहे।
गतवति वायौ देहापाये, भार्या बिभ्यति तस्मिन्काये।।
= जब तक इस देह में प्राण रहता है, तब तक घर में सब कुशल-मंगल पूछते हैं, किन्तु प्राण के छूट जाने पर जब देह गिर जाता है, तब पत्नी भी उस मृत शरीर को देखकर भयभीत हो जाती है।
तोये शैत्यं दाहकत्वं च भानौ तापो भानौ शीतभानौ प्रसादः।
पुष्पे गन्धो दुग्धमध्ये च सर्पिर्यत्तच्छम्भो ! त्वं ततस्त्वां प्रपद्ये।।
= पानी में शीतलता, सूर्य में ताप तथा दाहकता, चन्द्रमा में चांदनी, फूल में गन्ध और दूध में घी है हे शम्भो ! (कल्याणकारी परमेश्वर) यह सब तेरी कारीगरी है अतः मैं तेरी शरण आया हूं।
तिलेषु तैलं दधनीव सर्पिरापः स्रोतःस्वरणीषु चाग्निः।
एवमात्माऽऽत्मनि गृह्यतेऽसौ सत्येनैनं तपसा योऽनुपश्यति।।
= जैसे तिलों में तेल, दही में घी, स्रोतों में जल, अरणियों में अग्नि रहती है, और तिलों को पीडने से, दही को बिलोने से, स्रोतों को खोदने से, अरणियों को रगड़ने से ये प्रकट होते हैं, वैसे जीवात्मा में परमात्मा निहित है, और वहीं उसका ग्रहण होता है, परन्तु वह दिखता सत्य और तप की रगड़ से है।
सर्वव्यापिनमात्मानं क्षीरे सर्पिरिवार्पितम्।
आत्मविद्यातपोमूलं तद्ब्रह्मोपनिषत्परमिति।।
= जैसे दूध के कण-कण में घी व्याप्त है, वैसे समस्त पदार्थों में परमेश्वर व्याप्त है। इस बात को आत्मविद्या और तप से जान लेना ही ‘‘परम ब्रह्मोपनिषद’’ कहाता है।
#vakyabhyas
April 8, 2022
. ।। ॐ।।
हास-सेचनम् ।
कश्चन धनिकः तस्य पुत्रं प्रति उपदेशं करोति ।
धनिकः - प्राणेषु कण्ठम् आगतेषु अपि अन्यजनेभ्यः दत्तस्य वचनस्य पालनम् अवश्यं कठोरतया च एव करणीयम् । वचनभङ्गः तु कदापि नैव भवेत् ।
पुत्रः - आं , पितृवर्य !
धनिकः - तस्मात् अपि अधिकम् एव महत्वपूर्णम् अस्ति यद् .........
पुत्रः - आम् । वदतु पितृवर्य ! श्रुणोमि अहम् ।
धनिकः - प्राणेषु कण्ठम् आगतेषु अपि कस्मै अपि कदापि किमपि वचनं नैव दातव्यम् !
भवतां सर्वेषां जीवनं वचनभाररहितं भवेत् !
-------- संस्कृतानन्दः ।
#hasya
हास-सेचनम् ।
कश्चन धनिकः तस्य पुत्रं प्रति उपदेशं करोति ।
धनिकः - प्राणेषु कण्ठम् आगतेषु अपि अन्यजनेभ्यः दत्तस्य वचनस्य पालनम् अवश्यं कठोरतया च एव करणीयम् । वचनभङ्गः तु कदापि नैव भवेत् ।
पुत्रः - आं , पितृवर्य !
धनिकः - तस्मात् अपि अधिकम् एव महत्वपूर्णम् अस्ति यद् .........
पुत्रः - आम् । वदतु पितृवर्य ! श्रुणोमि अहम् ।
धनिकः - प्राणेषु कण्ठम् आगतेषु अपि कस्मै अपि कदापि किमपि वचनं नैव दातव्यम् !
भवतां सर्वेषां जीवनं वचनभाररहितं भवेत् !
-------- संस्कृतानन्दः ।
#hasya
April 8, 2022
।।श्रीः।।
।।आत्मबोधः।।
Atmabodha, meaning Self-knowledge or Self-awareness, is an exceptionally lucid and readable work of Shankaracharya. Consisting of sixty-eight verses or shlokas, it is in a sense a simple summary of his entire Vedantic structure of thought, intended, it would seem, as a basic primer for his students and followers. The text follows a clearly elaborated doctrine, starting with knowledge as a key to liberation, the nautre of the Atman within us, the assertion of the pervasive and attribute-less nature of Brahman, and the path towards the realisation of the complete identity between the Atman and Brahman.
हृदाकाशोदितो ह्यात्मा
बोधभानुस्तमोपहृत्।
सर्वव्यापी सर्वधारी
भाति भासयतेऽखिलम्।।67।।
67. The Atman, the Sun of Knowledge that rises in the sky of the heart, destroys the darkness of the ignorance, pervades and sustains all and shines and makes everything to shine.
आत्म-बोध ऑनलाइन क्लास - 67:
आत्म-बोध के 67th श्लोक में भगवान् शंकराचार्यजी महाराज हमें आत्म-ज्ञान के उदय को एक सूर्य उदय से तुलना करते हैं। जैसे जब सूर्योदय होता है, तब दुनिया में विराजमान अन्धकार तत्क्षण दूर हो जाता है, और इसके फल-स्वरुप अन्धकार के समस्त कार्य भी दूर हो जाते हैं। उसी प्रकार अपने यथार्थ से अनभिज्ञ हम सब अनेकानेक कल्पनाओं में पड़े हुए हैं। हम लोगों का पूरा संसार केवल कल्पनाओं और धारणाओं पर आधारित होता है। हम लोगों ने न अपने बारे में और न ही दुनियां के बारे में कभी विचार किया है, बस अविचारपूर्वक धारणाएँ उत्पन्न कर रही हैं। अज्ञान की निवृत्ति के साथ ही सब कल्पनाएँ समाप्त होने लगाती हैं और हम अपने आप को सर्वव्यापी और सर्व-धारी ब्रह्म जान लेते हैं।
#Atmabodha
।।आत्मबोधः।।
Atmabodha, meaning Self-knowledge or Self-awareness, is an exceptionally lucid and readable work of Shankaracharya. Consisting of sixty-eight verses or shlokas, it is in a sense a simple summary of his entire Vedantic structure of thought, intended, it would seem, as a basic primer for his students and followers. The text follows a clearly elaborated doctrine, starting with knowledge as a key to liberation, the nautre of the Atman within us, the assertion of the pervasive and attribute-less nature of Brahman, and the path towards the realisation of the complete identity between the Atman and Brahman.
हृदाकाशोदितो ह्यात्मा
बोधभानुस्तमोपहृत्।
सर्वव्यापी सर्वधारी
भाति भासयतेऽखिलम्।।67।।
67. The Atman, the Sun of Knowledge that rises in the sky of the heart, destroys the darkness of the ignorance, pervades and sustains all and shines and makes everything to shine.
आत्म-बोध ऑनलाइन क्लास - 67:
आत्म-बोध के 67th श्लोक में भगवान् शंकराचार्यजी महाराज हमें आत्म-ज्ञान के उदय को एक सूर्य उदय से तुलना करते हैं। जैसे जब सूर्योदय होता है, तब दुनिया में विराजमान अन्धकार तत्क्षण दूर हो जाता है, और इसके फल-स्वरुप अन्धकार के समस्त कार्य भी दूर हो जाते हैं। उसी प्रकार अपने यथार्थ से अनभिज्ञ हम सब अनेकानेक कल्पनाओं में पड़े हुए हैं। हम लोगों का पूरा संसार केवल कल्पनाओं और धारणाओं पर आधारित होता है। हम लोगों ने न अपने बारे में और न ही दुनियां के बारे में कभी विचार किया है, बस अविचारपूर्वक धारणाएँ उत्पन्न कर रही हैं। अज्ञान की निवृत्ति के साथ ही सब कल्पनाएँ समाप्त होने लगाती हैं और हम अपने आप को सर्वव्यापी और सर्व-धारी ब्रह्म जान लेते हैं।
#Atmabodha
April 8, 2022
April 8, 2022
April 8, 2022
🍃
♦️anaadimadhyaantamanantaviirya
manantabaahuM shashisuuryanetram|
pashyaami tvaaM diiptahutaashavaktram
svatejasaa vishvamidaM tapantam
⚜ I see Thee without beginning, middle or end, infinite in power, of endless arms, the sun and the moon being Thy eyes, the burning fire Thy mouth, heating the whole universe with Thy radiance. ।।11.19।।
⚜ मैं आपको आदि अन्त और मध्य से रहित तथा अनंत सार्मथ्य से युक्त और अनंत बाहुओं वाला तथा चन्द्रसूर्यरूपी नेत्रों वाला और दीप्त अग्निरूपी मुख वाला तथा अपने तेज से इस विश्व को तपाते हुए देखता हूँ।।11.19।।
#geeta
अनादिमध्यान्तमनन्तवीर्य मनन्तबाहुं शशिसूर्यनेत्रम्।
पश्यामि त्वां दीप्तहुताशवक्त्रम्स्वतेजसा विश्वमिदं तपन्तम्
।।11.19।।♦️anaadimadhyaantamanantaviirya
manantabaahuM shashisuuryanetram|
pashyaami tvaaM diiptahutaashavaktram
svatejasaa vishvamidaM tapantam
⚜ I see Thee without beginning, middle or end, infinite in power, of endless arms, the sun and the moon being Thy eyes, the burning fire Thy mouth, heating the whole universe with Thy radiance. ।।11.19।।
⚜ मैं आपको आदि अन्त और मध्य से रहित तथा अनंत सार्मथ्य से युक्त और अनंत बाहुओं वाला तथा चन्द्रसूर्यरूपी नेत्रों वाला और दीप्त अग्निरूपी मुख वाला तथा अपने तेज से इस विश्व को तपाते हुए देखता हूँ।।11.19।।
#geeta
April 8, 2022
April 8, 2022
🍃
♦️
dyaavaapRRithivyoridamantaraM hi
vyaaptaM tvayaikena dishashcha sarvaaH|
dRRiShTvaa'dbhutaM ruupamugraM tavedaM
lokatrayaM pravyathitaM mahaatman।।11.20।।
⚜ This space between the earth and the heaven and all the arters are filled by Thee alone; having seen this, Thy wonderful and teriible form, the three worlds are trembling with fear, O great-souled Being.।।11.20।।
⚜ हे महात्मन् स्वर्ग और पृथ्वी के मध्य का यह आकाश तथा समस्त दिशाएं अकेले आप से ही व्याप्त हैं आपके इस अद्भुत और उग्र रूप को देखकर तीनों लोक अतिव्यथा (भय) को प्राप्त हो रहे हैं।।11.20।।
#geeta
द्यावापृथिव्योरिदमन्तरं हि व्याप्तं त्वयैकेन दिशश्च सर्वाः।
दृष्ट्वाऽद्भुतं रूपमुग्रं तवेदं लोकत्रयं प्रव्यथितं महात्मन्
।।11.20।।♦️
dyaavaapRRithivyoridamantaraM hi
vyaaptaM tvayaikena dishashcha sarvaaH|
dRRiShTvaa'dbhutaM ruupamugraM tavedaM
lokatrayaM pravyathitaM mahaatman।।11.20।।
⚜ This space between the earth and the heaven and all the arters are filled by Thee alone; having seen this, Thy wonderful and teriible form, the three worlds are trembling with fear, O great-souled Being.।।11.20।।
⚜ हे महात्मन् स्वर्ग और पृथ्वी के मध्य का यह आकाश तथा समस्त दिशाएं अकेले आप से ही व्याप्त हैं आपके इस अद्भुत और उग्र रूप को देखकर तीनों लोक अतिव्यथा (भय) को प्राप्त हो रहे हैं।।11.20।।
#geeta
April 8, 2022
🚩जय सत्य सनातन🚩
🚩आज की हिंदी तिथि
🌥 🚩यगाब्द-५१२४
🌥 🚩विक्रम संवत-२०७९
⛅️ 🚩तिथि - अष्टमी रात्रि 01:33 तक तत्पश्चात नवमी
⛅️दिनांक 09 अप्रैल 2022
⛅️दिन - शनिवार
⛅️शक संवत - 1944
⛅️अयन - उत्तरायण
⛅️ऋतु - वसंत
⛅️मास - चैत्र
⛅️पक्ष - शुक्ल
⛅️नक्षत्र - पुनर्वसु रात्रि 04:31 तक तत्पश्चात पुष्य
⛅️योग - अतिगण्ड सुबह 11:25 तक तत्पश्चात सुकर्मा
⛅️राहुकाल - सुबह 09:33 से दोपहर 11:07 तक
⛅️सर्योदय - 06:25
⛅️सर्यास्त - 06:58
⛅️दिशाशूल - पूर्व दिशा में
🚩आज की हिंदी तिथि
🌥 🚩यगाब्द-५१२४
🌥 🚩विक्रम संवत-२०७९
⛅️ 🚩तिथि - अष्टमी रात्रि 01:33 तक तत्पश्चात नवमी
⛅️दिनांक 09 अप्रैल 2022
⛅️दिन - शनिवार
⛅️शक संवत - 1944
⛅️अयन - उत्तरायण
⛅️ऋतु - वसंत
⛅️मास - चैत्र
⛅️पक्ष - शुक्ल
⛅️नक्षत्र - पुनर्वसु रात्रि 04:31 तक तत्पश्चात पुष्य
⛅️योग - अतिगण्ड सुबह 11:25 तक तत्पश्चात सुकर्मा
⛅️राहुकाल - सुबह 09:33 से दोपहर 11:07 तक
⛅️सर्योदय - 06:25
⛅️सर्यास्त - 06:58
⛅️दिशाशूल - पूर्व दिशा में
April 8, 2022
Forwarded from रामदूतः — The Sanskrit News Platform (Bhavani Raman)
Switch to DD News daily at 7:15 AM (Morning) for 15 minutes Sanskrit news.
https://youtu.be/rz6CD22LAVg
https://youtu.be/rz6CD22LAVg
YouTube
वार्ता: संस्कृत भाषा में समाचार
April 8, 2022
🔰चित्रं दृष्ट्वा पञ्चवाक्यानि रचयत।
✍🏼सर्वे टिप्पणीसञ्चिका (comment box) मध्ये स्वोत्तराणि लेखितुं शक्नुवन्ति अथवा पुस्तिकायां लिखित्वा तस्य चित्रं स्वीकृत्य अपि प्रेषयितुं शक्नुवन्ति।
🔰 चित्र देखकर पांच वाक्य बनायें।
✍🏼आप कमेंट बॉक्स में टङ्कण कर सकते हैं या कॉपी पर लिखकर फोटो भी भेज सकते हैं।
🔰Make 5 sentences, Observing the attached image.
✍🏼You can type in the comment box or you can also send a photo by writing on the notebook.
#chitram
✍🏼सर्वे टिप्पणीसञ्चिका (comment box) मध्ये स्वोत्तराणि लेखितुं शक्नुवन्ति अथवा पुस्तिकायां लिखित्वा तस्य चित्रं स्वीकृत्य अपि प्रेषयितुं शक्नुवन्ति।
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#chitram
April 8, 2022
आलस्यं हि मनुष्याणां शरीरस्थो महान् रिपुः ।
नास्त्युद्यमसमो बन्धुः कृत्वा यं नावसीदति
॥1॥ अन्वय - मनुष्याणां शरीरस्थः आलस्यं हि महान् रिपुः (अस्ति)। उद्यमसमः बन्धुः न अस्ति यं कृत्वा (मनुष्यः) न अवसीदति।
सरलार्थ - मनुष्यों के शरीर में स्थित आलस्य ही महान् (बहुत बड़ा) शत्रु है। परिश्रम के समान मित्र नहीं है, जिसे (परिश्रम) करके मनुष्य दुःखी नहीं होता है।
#Subhashitam
April 8, 2022
कूटशलाका इत्युक्ते किम्?
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April 9, 2022
संस्कृत संवादः । Sanskrit Samvadah
संस्कृतं
वद आधुनिको भव। वेदान् पठ वैज्ञानिको भव।। पाठ : (२९) सप्तमी विभक्ति (३)
(अभिव्यापक आधार- ऐसा आधार जिसके साथ आधेय का व्याप्य-व्यापक सम्बन्ध हो,
उसको अभिव्यापक आधार कहते हैं।) गुडे माधुर्यं वर्तते = गुड़ में
मिठास है। जले शैत्यं वर्तते = पानी…
यो देवोऽग्नौ योऽप्सु यो विश्वं भुवनमाविवेश। यो औषधीषु यो वनस्पतिषु तस्मै देवाय नमो नमः।।
= जो देव अग्नि में है, जलों में सम्पूर्ण भुवन में सब जगह पहुंचा हुआ है, जो औषधियों में है, वनस्पतियों में है; उस देव को नमस्कार हो।
अरण्योर्निहितौ जातवेदा गर्भ इव सुभृतो गर्भिणीभिः। दिवे दिव ईड्यो जागृवद्भिर्हविष्मद्भिर्मनुष्येभिरग्निः एतद्वै तत्।।
= दो अरणियों में छिपा अग्नि जैसे रगड़ने से प्राप्त होता है तथा गर्भिणी स्त्री के द्वारा गर्भ जिस प्रकार सुरक्षित रखा जाता है और न दिखने पर भी गर्भिणी का ध्यान सतत उस पर रहता है, वैसे ही सब पदार्थों में विद्यमान, आत्ममन्थन से प्राप्त होनेवाला (अग्निस्वरूप परमात्मा) जागरूक तथा सब पदार्थों को समर्पित करनेवाले मनुष्यों के द्वारा प्रतिदिन सतत स्तुति करने योग्य है। वही यह ब्रह्म है।
पुष्पे गन्धं तिले तैलं काष्ठेऽग्निं पयसि घृतम्। इक्षौ गुडं तथा देहे पश्याऽऽत्मानं विवेकतः।।
= जैसे फूल में गन्ध होती है, तिलों में तेल, काष्ठ में अग्नि, दूध में घृत और ईख में गुड़ होता है, वैसे इस शरीर में आत्मा है। उसको विवेक से देख !
लभेत सिकतासु तैलमपि यत्नेन पीडयन्, पिबेत मृगतृष्णिकासु सलिलं पिपासार्दितः।
कदाचिदपि पर्यटञ्छशविषाणमसादयेत्, न तु प्रतिनिविष्टमूर्खजनचित्तमाराधयेत्।।
= प्रयत्नपूर्वक पेरने पर चाहे बालू रेत से तेल निकल आए, प्यासे मनुष्य की प्यास चाहे मृगमरीचिका के जल से बुझ जाए और इधर-उधर घूमते चाहे खरगोश का सींग भी मिल जाए, किन्तु हठधर्मी मूर्ख मनुष्य को मनाना या उसे सुधारना असम्भव है।
गन्धः सुवर्णे फलमिक्षुदण्डे नाऽकारि पुष्पं खलु चन्दनस्य। विद्वान् धनाढ्यश्च नृपतिश्चिरायुः धातुः पुरा कोऽपि न बुद्धिदोऽभूत्।।
= ईश्वर ने सोने में सुगन्ध नहीं डाली, ईख में फल नहीं लगाए, चन्दन के वृक्ष में फूल नहीं खिलाए, विद्वान् को धनी और राजा को दीर्घायु नहीं बनाया। इससे ऐसा निश्चय होता है कि पूर्वकाल में कोई भी परमेश्वर को बुद्धि देनेवाला नहीं था।
(जिस कालविशेष में क्रिया की जाती है, उस कालविशेष को कालाधिकरण कहते हैं।)
गुरुकुले छात्राः प्रातःकाले चतुर्वादने जाग्रति
= गुरुकुल में छात्राएं सुबह चार बजे जगती हैं।
प्रातःकाले सविता उदेति सायंकाले अस्तमेति
= सुबह सूर्य उगता है, शाम को ढल जाता है।
प्रदूषणकारणाद् अद्यत्वे प्रावषि र्वृष्टिर्न भवति
= प्रदूषण के कारण आज-कल वर्षा ऋतु में बारिश नहीं होती है।
पीनो देवदत्तो दिवसे न भुङ्क्ते
= मोटा देवदत्त दिन में नहीं खाता है।
पौर्णमास्यां मासः समाप्यतेऽतः सा पूर्णमासी कथ्यते
= पूर्णिमा के दिन महिना पूरा होता है, अतः वह पूर्णमासी कहाती है।
यस्मिन् दिने सूर्यचन्द्रमसौ पृथिव्या एकस्मिन्पक्षे सह भवतः, तद्दिनं अमावास्या उच्यते
= जिस दिन सूर्य और चन्द्रमा पृथ्वी की अपेक्षा से एक ही दिशा में रहते हैं, उस दिन को अमावास्या कहते हैं।
दिवा मा स्वाप्सीः
= दिन में मत सोओ।
रात्रौ मा भुञ्जीत
= रात में मत खाओ।
सदा सत्यं वद
= हमेशा सत्य बोलो।
अधर्माचरणाद् दिने-दिने, गृहे-गृहे कलहो दृश्यते
= अधर्माचरण के कारण प्रतिदिन प्रत्येक घर में झगड़े होते हैं।
ग्रीष्मर्तौ मध्याह्ने मार्तण्डः भृशं तपति
= गरमियों में दोपहरी में सूर्य खूब तपता है।
अतिवृष्टौ जलाधिक्यात् प्राणिनो म्रियन्ते, अनावृष्टौ जलाभावाद्
= वर्षाधिक्य में (बाढ़ में) पानी के बढ़ जाने से प्राणी मर जाते हैं और अनावृष्टि में पानी के अभाव से।
विद्यालयेषु रविवासरेऽवकाशो भवति, किन्तु अस्माकं गुरुकुले अष्टम्यां पूर्णमास्याम् अमावस्याञ्चावकाशो विद्यते
= विद्यालयों में रविवार को छुट्टी होती है, किन्तु हमारे गुरुकुल में चतुर्दशी, पूर्णिमा तथा अमावस्या के दिन अवकाश होता है।
#vakyabhyas
= जो देव अग्नि में है, जलों में सम्पूर्ण भुवन में सब जगह पहुंचा हुआ है, जो औषधियों में है, वनस्पतियों में है; उस देव को नमस्कार हो।
अरण्योर्निहितौ जातवेदा गर्भ इव सुभृतो गर्भिणीभिः। दिवे दिव ईड्यो जागृवद्भिर्हविष्मद्भिर्मनुष्येभिरग्निः एतद्वै तत्।।
= दो अरणियों में छिपा अग्नि जैसे रगड़ने से प्राप्त होता है तथा गर्भिणी स्त्री के द्वारा गर्भ जिस प्रकार सुरक्षित रखा जाता है और न दिखने पर भी गर्भिणी का ध्यान सतत उस पर रहता है, वैसे ही सब पदार्थों में विद्यमान, आत्ममन्थन से प्राप्त होनेवाला (अग्निस्वरूप परमात्मा) जागरूक तथा सब पदार्थों को समर्पित करनेवाले मनुष्यों के द्वारा प्रतिदिन सतत स्तुति करने योग्य है। वही यह ब्रह्म है।
पुष्पे गन्धं तिले तैलं काष्ठेऽग्निं पयसि घृतम्। इक्षौ गुडं तथा देहे पश्याऽऽत्मानं विवेकतः।।
= जैसे फूल में गन्ध होती है, तिलों में तेल, काष्ठ में अग्नि, दूध में घृत और ईख में गुड़ होता है, वैसे इस शरीर में आत्मा है। उसको विवेक से देख !
लभेत सिकतासु तैलमपि यत्नेन पीडयन्, पिबेत मृगतृष्णिकासु सलिलं पिपासार्दितः।
कदाचिदपि पर्यटञ्छशविषाणमसादयेत्, न तु प्रतिनिविष्टमूर्खजनचित्तमाराधयेत्।।
= प्रयत्नपूर्वक पेरने पर चाहे बालू रेत से तेल निकल आए, प्यासे मनुष्य की प्यास चाहे मृगमरीचिका के जल से बुझ जाए और इधर-उधर घूमते चाहे खरगोश का सींग भी मिल जाए, किन्तु हठधर्मी मूर्ख मनुष्य को मनाना या उसे सुधारना असम्भव है।
गन्धः सुवर्णे फलमिक्षुदण्डे नाऽकारि पुष्पं खलु चन्दनस्य। विद्वान् धनाढ्यश्च नृपतिश्चिरायुः धातुः पुरा कोऽपि न बुद्धिदोऽभूत्।।
= ईश्वर ने सोने में सुगन्ध नहीं डाली, ईख में फल नहीं लगाए, चन्दन के वृक्ष में फूल नहीं खिलाए, विद्वान् को धनी और राजा को दीर्घायु नहीं बनाया। इससे ऐसा निश्चय होता है कि पूर्वकाल में कोई भी परमेश्वर को बुद्धि देनेवाला नहीं था।
(जिस कालविशेष में क्रिया की जाती है, उस कालविशेष को कालाधिकरण कहते हैं।)
गुरुकुले छात्राः प्रातःकाले चतुर्वादने जाग्रति
= गुरुकुल में छात्राएं सुबह चार बजे जगती हैं।
प्रातःकाले सविता उदेति सायंकाले अस्तमेति
= सुबह सूर्य उगता है, शाम को ढल जाता है।
प्रदूषणकारणाद् अद्यत्वे प्रावषि र्वृष्टिर्न भवति
= प्रदूषण के कारण आज-कल वर्षा ऋतु में बारिश नहीं होती है।
पीनो देवदत्तो दिवसे न भुङ्क्ते
= मोटा देवदत्त दिन में नहीं खाता है।
पौर्णमास्यां मासः समाप्यतेऽतः सा पूर्णमासी कथ्यते
= पूर्णिमा के दिन महिना पूरा होता है, अतः वह पूर्णमासी कहाती है।
यस्मिन् दिने सूर्यचन्द्रमसौ पृथिव्या एकस्मिन्पक्षे सह भवतः, तद्दिनं अमावास्या उच्यते
= जिस दिन सूर्य और चन्द्रमा पृथ्वी की अपेक्षा से एक ही दिशा में रहते हैं, उस दिन को अमावास्या कहते हैं।
दिवा मा स्वाप्सीः
= दिन में मत सोओ।
रात्रौ मा भुञ्जीत
= रात में मत खाओ।
सदा सत्यं वद
= हमेशा सत्य बोलो।
अधर्माचरणाद् दिने-दिने, गृहे-गृहे कलहो दृश्यते
= अधर्माचरण के कारण प्रतिदिन प्रत्येक घर में झगड़े होते हैं।
ग्रीष्मर्तौ मध्याह्ने मार्तण्डः भृशं तपति
= गरमियों में दोपहरी में सूर्य खूब तपता है।
अतिवृष्टौ जलाधिक्यात् प्राणिनो म्रियन्ते, अनावृष्टौ जलाभावाद्
= वर्षाधिक्य में (बाढ़ में) पानी के बढ़ जाने से प्राणी मर जाते हैं और अनावृष्टि में पानी के अभाव से।
विद्यालयेषु रविवासरेऽवकाशो भवति, किन्तु अस्माकं गुरुकुले अष्टम्यां पूर्णमास्याम् अमावस्याञ्चावकाशो विद्यते
= विद्यालयों में रविवार को छुट्टी होती है, किन्तु हमारे गुरुकुल में चतुर्दशी, पूर्णिमा तथा अमावस्या के दिन अवकाश होता है।
#vakyabhyas
April 9, 2022
April 9, 2022
।।श्रीः।।
।।आत्मबोधः।।
Atmabodha, meaning Self-knowledge or Self-awareness, is an exceptionally lucid and readable work of Shankaracharya. Consisting of sixty-eight verses or shlokas, it is in a sense a simple summary of his entire Vedantic structure of thought, intended, it would seem, as a basic primer for his students and followers. The text follows a clearly elaborated doctrine, starting with knowledge as a key to liberation, the nautre of the Atman within us, the assertion of the pervasive and attribute-less nature of Brahman, and the path towards the realisation of the complete identity between the Atman and Brahman.
दिग्देशकालाद्यनपेक्ष्य सर्वगं
शीतादिहृन्नित्यसुखं निरञ्जनम्।
यः स्वात्मतीर्थं भजते विनिष्क्रियः
स सर्ववित्सर्वगतोऽमृतो भवेत्।।68।।
68. He who renouncing all activities, who is free of all the limitations of time, space and direction, worships his own Atman which is present everywhere, which is the destroyer of heat and cold, which is Bliss-Eternal and stainless, becomes All-knowing and All-pervading and attains thereafter Immortality.
आत्म-बोध ऑनलाइन क्लास - 68:
आत्म-बोध के आखिरी, अर्थात 68th श्लोक में भगवान् शंकराचार्यजी महाराज हमें आत्म-ज्ञान की प्राप्ति के तरीके और यात्रा को एक तीर्थ यात्रा से तुलना करते हैं। जैसे एक तीर्थ यात्रा किसी दूरस्थ देवता के दर्शन की तीव्र उत्कंठा से प्रेरित होती है, और जहाँ जाने के लिए हमें अपने समस्त परिवार के लोग, धन-दौलत, घर-बार आदि के प्रति मोह किनारे करना पड़ता है और ऐसी जगह जाते हैं जहाँ जाना भी अत्यंत दुष्कर और खतरों से युक्त होते हैं - फिर भी श्रद्धा और उत्कंठा इतनी तीव्र होती है की हम लोग यह सब कर पाते हैं - उसी तरह से आत्मा-ज्ञान की इच्छा वाले व्यक्ति भी ऐसी ही श्रद्धा, तपस्विता और उत्कंठा से युक्त होते हैं। यहाँ पर कुछ और गन भी चाहिए - वो है कर्मसन्यास। आत्मा के यथार्थ का ज्ञान कर्म का विषय नहीं होता है, अतः समस्त कर्म की मनोवृत्ति को शांत करके आत्मा का ज्ञान प्राप्त करना होता है। वो आत्मा जो हर जगह, हर समय और हर दिशा में है। अब इन दिशा आदि की कोई चिंता नहीं है। ऐसी आत्मा को जानकर वे ज्ञानवान खुद सर्वव्यापी आदि हो जाते हैं।
#Atmabodha
।।आत्मबोधः।।
Atmabodha, meaning Self-knowledge or Self-awareness, is an exceptionally lucid and readable work of Shankaracharya. Consisting of sixty-eight verses or shlokas, it is in a sense a simple summary of his entire Vedantic structure of thought, intended, it would seem, as a basic primer for his students and followers. The text follows a clearly elaborated doctrine, starting with knowledge as a key to liberation, the nautre of the Atman within us, the assertion of the pervasive and attribute-less nature of Brahman, and the path towards the realisation of the complete identity between the Atman and Brahman.
दिग्देशकालाद्यनपेक्ष्य सर्वगं
शीतादिहृन्नित्यसुखं निरञ्जनम्।
यः स्वात्मतीर्थं भजते विनिष्क्रियः
स सर्ववित्सर्वगतोऽमृतो भवेत्।।68।।
68. He who renouncing all activities, who is free of all the limitations of time, space and direction, worships his own Atman which is present everywhere, which is the destroyer of heat and cold, which is Bliss-Eternal and stainless, becomes All-knowing and All-pervading and attains thereafter Immortality.
आत्म-बोध ऑनलाइन क्लास - 68:
आत्म-बोध के आखिरी, अर्थात 68th श्लोक में भगवान् शंकराचार्यजी महाराज हमें आत्म-ज्ञान की प्राप्ति के तरीके और यात्रा को एक तीर्थ यात्रा से तुलना करते हैं। जैसे एक तीर्थ यात्रा किसी दूरस्थ देवता के दर्शन की तीव्र उत्कंठा से प्रेरित होती है, और जहाँ जाने के लिए हमें अपने समस्त परिवार के लोग, धन-दौलत, घर-बार आदि के प्रति मोह किनारे करना पड़ता है और ऐसी जगह जाते हैं जहाँ जाना भी अत्यंत दुष्कर और खतरों से युक्त होते हैं - फिर भी श्रद्धा और उत्कंठा इतनी तीव्र होती है की हम लोग यह सब कर पाते हैं - उसी तरह से आत्मा-ज्ञान की इच्छा वाले व्यक्ति भी ऐसी ही श्रद्धा, तपस्विता और उत्कंठा से युक्त होते हैं। यहाँ पर कुछ और गन भी चाहिए - वो है कर्मसन्यास। आत्मा के यथार्थ का ज्ञान कर्म का विषय नहीं होता है, अतः समस्त कर्म की मनोवृत्ति को शांत करके आत्मा का ज्ञान प्राप्त करना होता है। वो आत्मा जो हर जगह, हर समय और हर दिशा में है। अब इन दिशा आदि की कोई चिंता नहीं है। ऐसी आत्मा को जानकर वे ज्ञानवान खुद सर्वव्यापी आदि हो जाते हैं।
#Atmabodha
April 9, 2022
April 9, 2022
Forwarded from रामदूतः — The Sanskrit News Platform (मोहित डोकानिया)
April 9, 2022
🍃
♦️amii hi tvaaM surasa~NghaaH vishanti
kechidbhiitaaH praa~njalayo gRRiNanti|
svastiityuktvaa maharShisiddhasa~NghaaH
stuvanti tvaaM stutibhiH puShkalaabhiH(11.21)
⚜These hosts of demigods enter into You. Some with folded hands sing Your names and glories in fear. A multitude of Maharishis and Siddhas hail and adore You with abundant praises. (11.21)
⚜ये समस्त देवताओं के समूह आप में ही प्रवेश कर रहे हैं और कई एक भयभीत होकर हाथ जोड़े हुए आप की स्तुति करते हैं महर्षि और सिद्धों के समुदाय कल्याण होवे (स्वस्तिवाचन करते हुए) ऐसा कहकर उत्तम (या सम्पूर्ण) स्रोतों द्वारा आपकी स्तुति करते हैं।।11.21।।
#geeta
अमी हि त्वां सुरसङ्घाः विशन्ति केचिद्भीताः प्राञ्जलयो गृणन्ति।
स्वस्तीत्युक्त्वा महर्षिसिद्धसङ्घाः स्तुवन्ति त्वां स्तुतिभिः पुष्कलाभिः
।।11.21।।♦️amii hi tvaaM surasa~NghaaH vishanti
kechidbhiitaaH praa~njalayo gRRiNanti|
svastiityuktvaa maharShisiddhasa~NghaaH
stuvanti tvaaM stutibhiH puShkalaabhiH(11.21)
⚜These hosts of demigods enter into You. Some with folded hands sing Your names and glories in fear. A multitude of Maharishis and Siddhas hail and adore You with abundant praises. (11.21)
⚜ये समस्त देवताओं के समूह आप में ही प्रवेश कर रहे हैं और कई एक भयभीत होकर हाथ जोड़े हुए आप की स्तुति करते हैं महर्षि और सिद्धों के समुदाय कल्याण होवे (स्वस्तिवाचन करते हुए) ऐसा कहकर उत्तम (या सम्पूर्ण) स्रोतों द्वारा आपकी स्तुति करते हैं।।11.21।।
#geeta
April 9, 2022
April 9, 2022
🍃
♦️rudraadityaa vasavo ye cha saadhyaa
vishve'sh्ivanau marutashchoShmapaashcha|
gandharvayakShaasurasiddhasa~Nghaa
viikShante tvaaM vismitaashchaiva sarve
⚜Rudras, Adityas, Vasus, Saadhyas, Vishwedevas, Ashvins, Maruts,Ushmapas, Gandharvas, Yakshas, Asuras, and Siddhas; they all amazingly gaze at You. (11.22)
⚜रुद्रगण, आदित्य, वसु और साध्यगण, विश्वेदेव तथा दो अश्विनीकुमार, मरुद्गण और उष्मपा, गन्धर्व, यक्ष, असुर और सिद्धगणों के समुदाय ये सब ही विस्मित होते हुए आपको देखते हैं।।11.22।।
#geeta
रुद्रादित्या वसवो ये च साध्या विश्वेऽश्िवनौ मरुतश्चोष्मपाश्च।
गन्धर्वयक्षासुरसिद्धसङ्घा वीक्षन्ते त्वां विस्मिताश्चैव सर्वे
।।11.22।।♦️rudraadityaa vasavo ye cha saadhyaa
vishve'sh्ivanau marutashchoShmapaashcha|
gandharvayakShaasurasiddhasa~Nghaa
viikShante tvaaM vismitaashchaiva sarve
⚜Rudras, Adityas, Vasus, Saadhyas, Vishwedevas, Ashvins, Maruts,Ushmapas, Gandharvas, Yakshas, Asuras, and Siddhas; they all amazingly gaze at You. (11.22)
⚜रुद्रगण, आदित्य, वसु और साध्यगण, विश्वेदेव तथा दो अश्विनीकुमार, मरुद्गण और उष्मपा, गन्धर्व, यक्ष, असुर और सिद्धगणों के समुदाय ये सब ही विस्मित होते हुए आपको देखते हैं।।11.22।।
#geeta
April 9, 2022
April 9, 2022
April 9, 2022
Nama Ramayanam.pdf
127.6 KB
Sri Nama Ramayanam
April 9, 2022
लक्ष्मीश्चन्द्रादपेयाद्वा हिमवान्वा हिमं त्यजेत्।
अतीयात्सागरो वेलां न प्रतिज्ञामहं पितुः॥
The Moon might lose its splendour, snow might abandon the Himavat mountain,
the ocean might overstep its shores, but I (Shri Ram) shall not forsake the promise made to my father.
Hindi translation
चन्द्रमा का सौन्दर्य जा सकता है, हिमालय बर्फ़ त्याग सकता है,
और सागर अपनी सीमा लांघ सकता है, पर मैं पिता से की गयी प्रतिज्ञा कदापि नहीं तोड़ सकता।
Source – Vālmīkirāmāyaṇam 2.112.18
श्री रामचंद्र कृपालु भज
मन हरण भवभय दारुणम।
नवकंज लोचन, कंज मुख,
कर कंज, पद कंजारुणम।
श्रीराम नवमी की शुभकामनाः !🙏🌈
अतीयात्सागरो वेलां न प्रतिज्ञामहं पितुः॥
The Moon might lose its splendour, snow might abandon the Himavat mountain,
the ocean might overstep its shores, but I (Shri Ram) shall not forsake the promise made to my father.
Hindi translation
चन्द्रमा का सौन्दर्य जा सकता है, हिमालय बर्फ़ त्याग सकता है,
और सागर अपनी सीमा लांघ सकता है, पर मैं पिता से की गयी प्रतिज्ञा कदापि नहीं तोड़ सकता।
Source – Vālmīkirāmāyaṇam 2.112.18
श्री रामचंद्र कृपालु भज
मन हरण भवभय दारुणम।
नवकंज लोचन, कंज मुख,
कर कंज, पद कंजारुणम।
श्रीराम नवमी की शुभकामनाः !🙏🌈
April 9, 2022
April 9, 2022
Forwarded from रामदूतः — The Sanskrit News Platform (Bhavani Raman)
प्रशासक समिति ✊🚩
🚩जय सत्य सनातन🚩
🚩आज की हिंदी तिथि
🌥 🚩यगाब्द-५१२४
🌥 🚩विक्रम संवत-२०७९
⛅️ 🚩तिथि - नवमी रात्रि 03:15 ( 11 अप्रैल सुबह ) तक तत्पश्चात दशमी
⛅️दिनांक 10 अप्रैल 2022
⛅️दिन - रविवार
⛅️शक संवत - 1944
⛅️अयन - उत्तरायण
⛅️ऋतु - वसंत
⛅️मास - चैत्र
⛅️पक्ष - शुक्ल
⛅️नक्षत्र - पुष्य पूर्णरात्री तक
⛅️योग - सुकर्मा दोपहर 12:04 तक तत्पश्चात धृति
⛅️राहुकाल - शाम 05:24 से 06:58 तक
⛅️सर्योदय - 06:24
⛅️सर्यास्त - 06:58
⛅️दिशाशूल पश्चिम दिशा में
🚩जय सत्य सनातन🚩
🚩आज की हिंदी तिथि
🌥 🚩यगाब्द-५१२४
🌥 🚩विक्रम संवत-२०७९
⛅️ 🚩तिथि - नवमी रात्रि 03:15 ( 11 अप्रैल सुबह ) तक तत्पश्चात दशमी
⛅️दिनांक 10 अप्रैल 2022
⛅️दिन - रविवार
⛅️शक संवत - 1944
⛅️अयन - उत्तरायण
⛅️ऋतु - वसंत
⛅️मास - चैत्र
⛅️पक्ष - शुक्ल
⛅️नक्षत्र - पुष्य पूर्णरात्री तक
⛅️योग - सुकर्मा दोपहर 12:04 तक तत्पश्चात धृति
⛅️राहुकाल - शाम 05:24 से 06:58 तक
⛅️सर्योदय - 06:24
⛅️सर्यास्त - 06:58
⛅️दिशाशूल पश्चिम दिशा में
April 9, 2022
Forwarded from रामदूतः — The Sanskrit News Platform (Bhavani Raman)
Switch to DD News daily at 7:15 AM (Morning) for 15 minutes Sanskrit news.
https://youtu.be/6T1n-IeQapo
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वार्ता: संस्कृत भाषा में समाचार
April 9, 2022
🔰चित्रं दृष्ट्वा पञ्चवाक्यानि रचयत।
✍🏼सर्वे टिप्पणीसञ्चिका (comment box) मध्ये स्वोत्तराणि लेखितुं शक्नुवन्ति अथवा पुस्तिकायां लिखित्वा तस्य चित्रं स्वीकृत्य अपि प्रेषयितुं शक्नुवन्ति।
🔰 चित्र देखकर पांच वाक्य बनायें।
✍🏼आप कमेंट बॉक्स में टङ्कण कर सकते हैं या कॉपी पर लिखकर फोटो भी भेज सकते हैं।
🔰Make 5 sentences, Observing the attached image.
✍🏼You can type in the comment box or you can also send a photo by writing on the notebook.
#chitram
✍🏼सर्वे टिप्पणीसञ्चिका (comment box) मध्ये स्वोत्तराणि लेखितुं शक्नुवन्ति अथवा पुस्तिकायां लिखित्वा तस्य चित्रं स्वीकृत्य अपि प्रेषयितुं शक्नुवन्ति।
🔰 चित्र देखकर पांच वाक्य बनायें।
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#chitram
April 9, 2022
April 9, 2022
April 9, 2022
गुणी गुणं वेत्ति न वेत्ति निर्गुणो,
बली बलं वेत्ति न वेत्ति निर्बलः । पिको वसन्तस्य गुणं न वायसः,
करी च सिंहस्य बलं न मूषकः
॥2॥ अन्वय - गुणी गुणं वेत्ति, निर्गुणः (गुण) न वेत्ति, बली बलं वेत्ति, निर्बलं (बल) न वेत्ति, वसन्तस्य गुणं पिकः (वैत्ति), वायसः न (वेत्ति), सिंहस्य बलं करी (वैत्ति), मूषकः न।
सरलार्थ – गुणी गुण जानता है, निर्गुण गुण नहीं जानता। बलशाली बल जानता है, निर्बल बल नहीं जानता। वसन्त का गुण कोयल जानती है, कौआ नहीं जानता। शेर का बल हाथी जानता है, चूहा नहीं जानता।
#Subhashitam
April 9, 2022
April 10, 2022
संस्कृत संवादः । Sanskrit Samvadah
यो
देवोऽग्नौ योऽप्सु यो विश्वं भुवनमाविवेश। यो औषधीषु यो वनस्पतिषु तस्मै
देवाय नमो नमः।। = जो देव अग्नि में है, जलों में सम्पूर्ण भुवन में सब
जगह पहुंचा हुआ है, जो औषधियों में है, वनस्पतियों में है; उस देव को
नमस्कार हो। अरण्योर्निहितौ जातवेदा गर्भ इव…
पञ्चमेऽहनि षष्ठे वा शाकं पचति स्वगृहे।
अनृणी चाप्रवासी च स वारिचर मोदते।।
= हे यक्ष ! भले ही कोई पांचवे या छठे दिन में अपने घर में शाक पकाकर खाता हो, किन्तु यदि वह किसी का ऋणी नहीं है और विदेश में नहीं रहता है तो वह सुखी माना जाता है।
धर्मार्थकाममोक्षाणां यस्यैकोऽपि न विद्यते। जन्म-जन्मनि मर्त्येषु मरणं तस्य केवलम्।।
= जिस मनुष्य ने अपने जीवन में धर्म अर्थ काम और मोक्ष इन चारों पुरुषार्थों में से एक भी नहीं प्राप्त किया उसे प्रत्येक जन्म में मृत्युलोक में मरण ही प्राप्त होता है।
वृद्धकाले मृता भार्या बन्धुहस्ते गतं धनम्।
भोजनं च पराधीनं तिस्रः पुंसां विडम्बना।।
= वृद्धावस्था में पत्नी का देहान्त हो जाना, अपने धन का बन्धुओं के हाथ में चला जाना और भेजन के लिए दूसरों का मूंह तकना; ये तीनों बातें मनुष्य के लिए अत्यन्त दुःखदायी हैं।
युगान्ते प्रचलते मेरुः कल्पान्ते सप्त सागराः।
साधवः प्रतिपन्नार्थान् न चलन्ति कदाचन।।
= युग के अन्त में सुमेरु पर्वत चलायमान हो जाता है, कल्पान्त में सातों समुद्र भी अपनी मर्यादा छोड़ देते हैं, परन्तु श्रेष्ठ पुरुष अपने हाथ में लिए हुए कार्य से अथवा अपनी प्रतिज्ञा से कभी भी विमुख नहीं होते हैं।
वरं प्राणपरित्यागो मानभङ्गेन जीवनात्।
प्राणत्यागे क्षणं दुःखं मानभङ्गे दिने दिने।।
= अपमानित होकर जीने की अपेक्षा मर जाना अधिक अच्छा है, क्यों कि मरते समय तो क्षणभर के लिए कष्ट होता है परन्तु अपमानित व्यक्ति का हर दिन दुःखदायी होता है।
परित्राणाय साधूनां विनाशाय च दुष्कृताम्।
धर्मसंस्थापनार्थाय सम्भवामि युगे युगे।।
= साधुओं की रक्षा के लिए, दुष्टों के विनाश के लिए तथा धर्म की स्थापना के लिए मैं श्रेष्ठ जनों को प्रत्येक युग में उत्पन्न करता हूं।
निन्दन्तु नीतिनिपुणा यदि वा स्तुवन्तु, लक्ष्मीः समाविशतु गच्छतु वा यथेष्टम्।
अद्यैव मरणमस्तु युगान्तरे वा, न्याय्यात्पथः प्रविचलन्ति पदं न धीराः।।
= नीतिनिपुण लोग चाहे निन्दा करें या प्रशंसा, मनचाहा धनैश्वर्य प्राप्त होता हो या चला जाता हो, दीर्घजीवी हों या आज ही मौत का सामना करना पड़ जाए किन्तु धीर पुरुष न्यायसङ्गत मार्ग से एक पग भी इधर-उधर नहीं हटते।
या निशा सर्वभूतानां तस्यां जागर्ति संयमी।
यस्यां जाग्रति भूतानि सा निशा पश्यतो मुनेः।।
= प्राणीमात्र के लिए जो रात होती है, उसमें संयमी पुरुष जागता रहता है। जिसमें प्राणीमात्र जाग रहे होते हैं, ज्ञानचक्षु से देखनेवाले मुनि के लिए वह रात होती है।
यदा ते मोहकलिलं बुद्धिर्व्यतितरिष्यति।
तदा गन्तासि निर्वेदं श्रोतव्यस्य श्रुतस्य च।।
= जब तेरी बुद्धि मोह के दलदल से पार हो जाएगी, तब सुनने योग्य तथा जो कुछ तूने अभी सुना है, उन सब के प्रति उदासीन हो जाएगा।
न जायते म्रियते वा कदाचिन्नायं भूत्वा भविता वा न भूयः।
अजो नित्यः शाश्वतोऽयं पुराणो न हन्यते हन्यमाने शरीरे।।
= यह आत्मा न कभी उत्पन्न होता है न मरता है। ऐसा भी नहीं कि एक बार यह अस्तित्व में आ गया तब फिर दोबारा नहीं होगा। यह अजन्मा है, नित्य है, शाश्वत है, पुरातन है। शरीर के वध हो जाने पर भी यह मरता नहीं है।
#vakyabhyas
अनृणी चाप्रवासी च स वारिचर मोदते।।
= हे यक्ष ! भले ही कोई पांचवे या छठे दिन में अपने घर में शाक पकाकर खाता हो, किन्तु यदि वह किसी का ऋणी नहीं है और विदेश में नहीं रहता है तो वह सुखी माना जाता है।
धर्मार्थकाममोक्षाणां यस्यैकोऽपि न विद्यते। जन्म-जन्मनि मर्त्येषु मरणं तस्य केवलम्।।
= जिस मनुष्य ने अपने जीवन में धर्म अर्थ काम और मोक्ष इन चारों पुरुषार्थों में से एक भी नहीं प्राप्त किया उसे प्रत्येक जन्म में मृत्युलोक में मरण ही प्राप्त होता है।
वृद्धकाले मृता भार्या बन्धुहस्ते गतं धनम्।
भोजनं च पराधीनं तिस्रः पुंसां विडम्बना।।
= वृद्धावस्था में पत्नी का देहान्त हो जाना, अपने धन का बन्धुओं के हाथ में चला जाना और भेजन के लिए दूसरों का मूंह तकना; ये तीनों बातें मनुष्य के लिए अत्यन्त दुःखदायी हैं।
युगान्ते प्रचलते मेरुः कल्पान्ते सप्त सागराः।
साधवः प्रतिपन्नार्थान् न चलन्ति कदाचन।।
= युग के अन्त में सुमेरु पर्वत चलायमान हो जाता है, कल्पान्त में सातों समुद्र भी अपनी मर्यादा छोड़ देते हैं, परन्तु श्रेष्ठ पुरुष अपने हाथ में लिए हुए कार्य से अथवा अपनी प्रतिज्ञा से कभी भी विमुख नहीं होते हैं।
वरं प्राणपरित्यागो मानभङ्गेन जीवनात्।
प्राणत्यागे क्षणं दुःखं मानभङ्गे दिने दिने।।
= अपमानित होकर जीने की अपेक्षा मर जाना अधिक अच्छा है, क्यों कि मरते समय तो क्षणभर के लिए कष्ट होता है परन्तु अपमानित व्यक्ति का हर दिन दुःखदायी होता है।
परित्राणाय साधूनां विनाशाय च दुष्कृताम्।
धर्मसंस्थापनार्थाय सम्भवामि युगे युगे।।
= साधुओं की रक्षा के लिए, दुष्टों के विनाश के लिए तथा धर्म की स्थापना के लिए मैं श्रेष्ठ जनों को प्रत्येक युग में उत्पन्न करता हूं।
निन्दन्तु नीतिनिपुणा यदि वा स्तुवन्तु, लक्ष्मीः समाविशतु गच्छतु वा यथेष्टम्।
अद्यैव मरणमस्तु युगान्तरे वा, न्याय्यात्पथः प्रविचलन्ति पदं न धीराः।।
= नीतिनिपुण लोग चाहे निन्दा करें या प्रशंसा, मनचाहा धनैश्वर्य प्राप्त होता हो या चला जाता हो, दीर्घजीवी हों या आज ही मौत का सामना करना पड़ जाए किन्तु धीर पुरुष न्यायसङ्गत मार्ग से एक पग भी इधर-उधर नहीं हटते।
या निशा सर्वभूतानां तस्यां जागर्ति संयमी।
यस्यां जाग्रति भूतानि सा निशा पश्यतो मुनेः।।
= प्राणीमात्र के लिए जो रात होती है, उसमें संयमी पुरुष जागता रहता है। जिसमें प्राणीमात्र जाग रहे होते हैं, ज्ञानचक्षु से देखनेवाले मुनि के लिए वह रात होती है।
यदा ते मोहकलिलं बुद्धिर्व्यतितरिष्यति।
तदा गन्तासि निर्वेदं श्रोतव्यस्य श्रुतस्य च।।
= जब तेरी बुद्धि मोह के दलदल से पार हो जाएगी, तब सुनने योग्य तथा जो कुछ तूने अभी सुना है, उन सब के प्रति उदासीन हो जाएगा।
न जायते म्रियते वा कदाचिन्नायं भूत्वा भविता वा न भूयः।
अजो नित्यः शाश्वतोऽयं पुराणो न हन्यते हन्यमाने शरीरे।।
= यह आत्मा न कभी उत्पन्न होता है न मरता है। ऐसा भी नहीं कि एक बार यह अस्तित्व में आ गया तब फिर दोबारा नहीं होगा। यह अजन्मा है, नित्य है, शाश्वत है, पुरातन है। शरीर के वध हो जाने पर भी यह मरता नहीं है।
#vakyabhyas
April 10, 2022
प्रियदासः ख्यापयति वृन्दावने तुलसीदासस्य चमत्कृता कथा।
यदा सः एकस्मिन् कृष्णालये जगाम। यदा सः कृष्णस्य प्रतिमायै प्रणमति स्म तदैव परशुरामः नाम्ना पुरोहितः तम् परीक्षितुम् ऐच्छत्। परशुरामः तुलसीदासम् अवदत् यो कोऽपि स्वेष्टदेवं विहाय अन्यस्मै कस्मैचित् नमति सो मूर्खः इति यतः तुलसीदासस्य इष्टदेवः श्रीरामः आसीत्। तत्क्षणमेव सः एतत् पङ्क्तिद्वयम् उवाच
तदैव सः कृष्णप्रतिमा वंशीधरेण शरचापधारीं ससाम।
Priyadas narrates a miracle of Tulsidas at Vrindavan, when he visited a temple of Krishna.When he began bowing down to the idol of Krishna, the Mahant of the temple named Parshuram decided to test Tulsidas.
He told Tulsidas that he who bows down to any deity except their Ishta Devata is a fool, as Tulsidas' Ishta Devata was Rama.
In response, Tulsidas recited the following extempore:
काह कहौं छबि आजुकि भले बने हो नाथ ।
तुलसी मस्तक तब नवै धरो धनुष शर हाथ ॥
When Tulsidas recited this couplet, the idol of Krishna holding the flute in hands changed to the idol holding the bow and arrow.
यदा सः एकस्मिन् कृष्णालये जगाम। यदा सः कृष्णस्य प्रतिमायै प्रणमति स्म तदैव परशुरामः नाम्ना पुरोहितः तम् परीक्षितुम् ऐच्छत्। परशुरामः तुलसीदासम् अवदत् यो कोऽपि स्वेष्टदेवं विहाय अन्यस्मै कस्मैचित् नमति सो मूर्खः इति यतः तुलसीदासस्य इष्टदेवः श्रीरामः आसीत्। तत्क्षणमेव सः एतत् पङ्क्तिद्वयम् उवाच
काह कहौं छबि आजुकि भले बने हो नाथ ।
तुलसी मस्तक तब नवै धरो धनुष शर हाथ ॥
तदैव सः कृष्णप्रतिमा वंशीधरेण शरचापधारीं ससाम।
Priyadas narrates a miracle of Tulsidas at Vrindavan, when he visited a temple of Krishna.When he began bowing down to the idol of Krishna, the Mahant of the temple named Parshuram decided to test Tulsidas.
He told Tulsidas that he who bows down to any deity except their Ishta Devata is a fool, as Tulsidas' Ishta Devata was Rama.
In response, Tulsidas recited the following extempore:
काह कहौं छबि आजुकि भले बने हो नाथ ।
तुलसी मस्तक तब नवै धरो धनुष शर हाथ ॥
When Tulsidas recited this couplet, the idol of Krishna holding the flute in hands changed to the idol holding the bow and arrow.
April 10, 2022
. ।। ॐ ।।
चिरन्तन-हासः ।
कस्मिंश्चित् वर्गे कश्चन शिक्षकः “ स्म भूतकालः" इति बिन्दोः पाठनं करोति ।
शिक्षकः - या क्रिया पूर्वकाले सातत्येन घटिता सा क्रिया भूतकालस्य एतेन प्रकारेण दर्शिता भवेत् । अधुना सा क्रिया नैव घटति इति तस्य भावार्थः अस्ति ।
भूतकाले अमुककृतिः कर्तृणा बहुवारं कृता किन्तु सद्यः नैव क्रियते इति भावं दर्शयितुं एतस्य प्रयोगः भवति ।
आङ्ग्लभाषायाम् एतस्य अनुवादः “ used to " इत्येन भवितुं शक्नोति ।
उदाहरणार्थं ,
युवावस्थायाम् अहं नृत्यं करोमि स्म । ( अधुना न करोमि । )
In the young age I used to dance. ( Presently I don't. )
पूर्वं सा गायति स्म । ( अधुना न गायति । )
सत्ययुगे साक्षात् ईश्वर-दर्शनं भवति स्म । ( अधुना न भवति । )
…….
…….
…….
इदानीं भवन्तः अपि कानिचित् उदाहरणानि वदन्तु । राहुल ! भवान् प्रथमं वदतु ।
राहुलः - शैशवकाले अहं सत्यं वदामि स्म ।
( भवतां सर्वेषां जीवनम् सत्ययुतं भवेत् । )
🙏
------- संस्कृतानन्दः ।
**
#hasya
चिरन्तन-हासः ।
कस्मिंश्चित् वर्गे कश्चन शिक्षकः “ स्म भूतकालः" इति बिन्दोः पाठनं करोति ।
शिक्षकः - या क्रिया पूर्वकाले सातत्येन घटिता सा क्रिया भूतकालस्य एतेन प्रकारेण दर्शिता भवेत् । अधुना सा क्रिया नैव घटति इति तस्य भावार्थः अस्ति ।
भूतकाले अमुककृतिः कर्तृणा बहुवारं कृता किन्तु सद्यः नैव क्रियते इति भावं दर्शयितुं एतस्य प्रयोगः भवति ।
आङ्ग्लभाषायाम् एतस्य अनुवादः “ used to " इत्येन भवितुं शक्नोति ।
उदाहरणार्थं ,
युवावस्थायाम् अहं नृत्यं करोमि स्म । ( अधुना न करोमि । )
In the young age I used to dance. ( Presently I don't. )
पूर्वं सा गायति स्म । ( अधुना न गायति । )
सत्ययुगे साक्षात् ईश्वर-दर्शनं भवति स्म । ( अधुना न भवति । )
…….
…….
…….
इदानीं भवन्तः अपि कानिचित् उदाहरणानि वदन्तु । राहुल ! भवान् प्रथमं वदतु ।
राहुलः - शैशवकाले अहं सत्यं वदामि स्म ।
( भवतां सर्वेषां जीवनम् सत्ययुतं भवेत् । )
🙏
------- संस्कृतानन्दः ।
**
#hasya
April 10, 2022
।।श्रीः।।
।।आत्मबोधः।।
Atmabodha, meaning Self-knowledge or Self-awareness, is an exceptionally lucid and readable work of Shankaracharya. Consisting of sixty-eight verses or shlokas, it is in a sense a simple summary of his entire Vedantic structure of thought, intended, it would seem, as a basic primer for his students and followers. The text follows a clearly elaborated doctrine, starting with knowledge as a key to liberation, the nautre of the Atman within us, the assertion of the pervasive and attribute-less nature of Brahman, and the path towards the realisation of the complete identity between the Atman and Brahman.
इति श्रीमत्परमहंसपरिव्राजकाचार्यस्य श्रीगोविन्दभगव़
त्पूज्यपादशिष्यस्य श्रीमच्छंकरभगवतः कृतौ
आत्मबोधः संपूर्णः।।
#Atmabodha
।।आत्मबोधः।।
Atmabodha, meaning Self-knowledge or Self-awareness, is an exceptionally lucid and readable work of Shankaracharya. Consisting of sixty-eight verses or shlokas, it is in a sense a simple summary of his entire Vedantic structure of thought, intended, it would seem, as a basic primer for his students and followers. The text follows a clearly elaborated doctrine, starting with knowledge as a key to liberation, the nautre of the Atman within us, the assertion of the pervasive and attribute-less nature of Brahman, and the path towards the realisation of the complete identity between the Atman and Brahman.
इति श्रीमत्परमहंसपरिव्राजकाचार्यस्य श्रीगोविन्दभगव़
त्पूज्यपादशिष्यस्य श्रीमच्छंकरभगवतः कृतौ
आत्मबोधः संपूर्णः।।
#Atmabodha
April 10, 2022
Media is too big
VIEW IN TELEGRAM
#Atmabodha
All 68 Shlokas🙏
All 68 Shlokas🙏
April 10, 2022
April 10, 2022
🍃
♦️ruupaM mahatte bahuvaktranetraM
mahaabaaho bahubaahuurupaadam|
bahuudaraM bahudaMShTraakaraalaM
dRRiShTvaa lokaaH pravyathitaastathaa'ham
⚜Seeing your infinite form with many mouths, eyes, arms, thighs, feet, stomachs, and many fearful teeth; the worlds are trembling with fear and so do I, O mighty Lord. (11.23)
⚜हे महाबाहो आपके बहुत मुख तथा नेत्र वाले बहुत बाहु उरु (जंघा) तथा पैरों वाले बहुत उदरों वाले तथा बहुतसी विकराल दाढ़ों वाले महान् रूप को देखकर सब लोग व्यथित हो रहे हैं और उसी प्रकार मैं भी (व्याकुल हो रहा हूँ)।।11.23।।
#geeta
रूपं महत्ते बहुवक्त्रनेत्रं महाबाहो बहुबाहूरुपादम्।
बहूदरं बहुदंष्ट्राकरालं दृष्ट्वा लोकाः प्रव्यथितास्तथाऽहम्
।।11.23।।♦️ruupaM mahatte bahuvaktranetraM
mahaabaaho bahubaahuurupaadam|
bahuudaraM bahudaMShTraakaraalaM
dRRiShTvaa lokaaH pravyathitaastathaa'ham
⚜Seeing your infinite form with many mouths, eyes, arms, thighs, feet, stomachs, and many fearful teeth; the worlds are trembling with fear and so do I, O mighty Lord. (11.23)
⚜हे महाबाहो आपके बहुत मुख तथा नेत्र वाले बहुत बाहु उरु (जंघा) तथा पैरों वाले बहुत उदरों वाले तथा बहुतसी विकराल दाढ़ों वाले महान् रूप को देखकर सब लोग व्यथित हो रहे हैं और उसी प्रकार मैं भी (व्याकुल हो रहा हूँ)।।11.23।।
#geeta
April 10, 2022
April 10, 2022
🍃
♦️nabhaHspRRishaM diiptamanekavarNaM
vyaattaananaM diiptavishaalanetram|
dRRiShTvaa hi tvaaM pravyathitaantaraatmaa
dhRRitiM na vindaami shamaM cha viShNo
⚜Seeing Your great effulgent and various-colored form touching the sky; Your mouth wide open and large shining eyes; I am frightened and find neither peace nor courage, O Krishna. (11.24)
⚜हे विष्णो आकाश के साथ स्पर्श किये हुए देदीप्यमान अनेक रूपों से युक्त तथा विस्तरित मुख और प्रकाशमान विशाल नेत्रों से युक्त आपको देखकर भयभीत हुआ मैं धैर्य और शान्ति को नहीं प्राप्त हो रहा हूँ।।11.24।।
#geeta
नभःस्पृशं दीप्तमनेकवर्णं व्यात्ताननं दीप्तविशालनेत्रम्।
दृष्ट्वा हि त्वां प्रव्यथितान्तरात्मा धृतिं न विन्दामि शमं च विष्णो
।।11.24।।♦️nabhaHspRRishaM diiptamanekavarNaM
vyaattaananaM diiptavishaalanetram|
dRRiShTvaa hi tvaaM pravyathitaantaraatmaa
dhRRitiM na vindaami shamaM cha viShNo
⚜Seeing Your great effulgent and various-colored form touching the sky; Your mouth wide open and large shining eyes; I am frightened and find neither peace nor courage, O Krishna. (11.24)
⚜हे विष्णो आकाश के साथ स्पर्श किये हुए देदीप्यमान अनेक रूपों से युक्त तथा विस्तरित मुख और प्रकाशमान विशाल नेत्रों से युक्त आपको देखकर भयभीत हुआ मैं धैर्य और शान्ति को नहीं प्राप्त हो रहा हूँ।।11.24।।
#geeta
April 10, 2022
🚩जय सत्य सनातन🚩
🚩आज की हिंदी तिथि
🌥 🚩यगाब्द-५१२४
🌥 🚩विक्रम संवत-२०७९
⛅️ 🚩तिथि - दशमी रात्रि 04:30 तक ( 12 अप्रैल सुबह ) तक तत्पश्चात एकादशी
⛅️दिनांक 11अप्रैल 2022
⛅️दिन - सोमवार
⛅️शक संवत - 1944
⛅️अयन - उत्तरायण
⛅️ऋतु - वसंत
⛅️मास - चैत्र
⛅️पक्ष - शुक्ल
⛅️नक्षत्र - पुष्य सुबह 06:51 तक तत्पश्चात अश्लेषा
⛅️योग - धृति दोपहर 12:19 तक तत्पश्चात शूल
⛅️राहुकाल - सुबह 07:57 से 09:32 तक
⛅️सर्योदय - 06:23
⛅️सर्यास्त - 06:59
⛅️दिशाशूल पूर्व दिशा में
🚩आज की हिंदी तिथि
🌥 🚩यगाब्द-५१२४
🌥 🚩विक्रम संवत-२०७९
⛅️ 🚩तिथि - दशमी रात्रि 04:30 तक ( 12 अप्रैल सुबह ) तक तत्पश्चात एकादशी
⛅️दिनांक 11अप्रैल 2022
⛅️दिन - सोमवार
⛅️शक संवत - 1944
⛅️अयन - उत्तरायण
⛅️ऋतु - वसंत
⛅️मास - चैत्र
⛅️पक्ष - शुक्ल
⛅️नक्षत्र - पुष्य सुबह 06:51 तक तत्पश्चात अश्लेषा
⛅️योग - धृति दोपहर 12:19 तक तत्पश्चात शूल
⛅️राहुकाल - सुबह 07:57 से 09:32 तक
⛅️सर्योदय - 06:23
⛅️सर्यास्त - 06:59
⛅️दिशाशूल पूर्व दिशा में
April 10, 2022
Forwarded from रामदूतः — The Sanskrit News Platform (Bhavani Raman)
https://youtu.be/3lAbd_yvrxI
Switch to DD News daily at 7:15 AM (Morning) for 15 minutes Sanskrit news.
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वार्ता: संस्कृत में समाचार | पीएम मोदी और जो बाइडेन के बीच वर्चुअल बैठक आज
April 10, 2022
🔰चित्रं दृष्ट्वा पञ्चवाक्यानि रचयत।
✍🏼सर्वे टिप्पणीसञ्चिका (comment box) मध्ये स्वोत्तराणि लेखितुं शक्नुवन्ति अथवा पुस्तिकायां लिखित्वा तस्य चित्रं स्वीकृत्य अपि प्रेषयितुं शक्नुवन्ति।
🔰 चित्र देखकर पांच वाक्य बनायें।
✍🏼आप कमेंट बॉक्स में टङ्कण कर सकते हैं या कॉपी पर लिखकर फोटो भी भेज सकते हैं।
🔰Make 5 sentences, Observing the attached image.
✍🏼You can type in the comment box or you can also send a photo by writing on the notebook.
#chitram
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#chitram
April 10, 2022
निमित्तमुद्दिश्य हि यः प्रकुप्यति,
ध्रुवं स तस्यापगमे प्रसीदति । अकारणद्वेषि मनस्तु यस्य वै,
कथं जनस्तं परितोषयिष्यति
॥3॥ अन्वय - यः निमित्तम् उद्दिश्य प्रकुप्यति सः तस्य (निमित्तस्य) अपगमे ध्रुवं प्रसीदति। (तु) यस्य मनः अकारणद्वेषि (अस्ति) जनः तं कथं परितोषयिष्यति।
सरलार्थ - जो निमित्त (किसी वजह) को लक्ष्य कर अधिक क्रोध करता है, वह उसकी (निमित्त की) समाप्ति पर निश्चय ही प्रसन्न होता है। लेकिन जिसका मन अकारण द्वेष करता है मनुष्य उसको (मन को) कैसे संतुष्ट करेगा।
#Subhashitam
April 10, 2022
यस्मिन् ________ तदेव जलति
Anonymous Quiz
21%
काष्ठेष्वग्निरस्ति
14%
काष्ठेऽग्निर्सन्ति
47%
काष्ठेऽग्निरस्ति
14%
काष्ठमग्निरस्ति
5%
काष्ठेऽग्नयर्स्ति
April 11, 2022
संस्कृत संवादः । Sanskrit Samvadah
पञ्चमेऽहनि
षष्ठे वा शाकं पचति स्वगृहे। अनृणी चाप्रवासी च स वारिचर मोदते।। = हे
यक्ष ! भले ही कोई पांचवे या छठे दिन में अपने घर में शाक पकाकर खाता हो,
किन्तु यदि वह किसी का ऋणी नहीं है और विदेश में नहीं रहता है तो वह सुखी
माना जाता है। धर्मार्थकाममोक्षाणां…
संस्कृतं वद आधुनिको भव।
वेदान् पठ वैज्ञानिको भव।।
पाठ : (३०) सप्तमी विभक्ति (४)
(सति- सप्तमी :- जिस क्रिया से अन्य क्रिया बताई जा रही हो, तब उस पूर्ववाली क्रिया में तथा उस क्रिया के कर्ता व कर्म में सप्तमी विभक्ति का प्रयोग होता है।)
मयि भक्षितेऽतिथयः आगमन्
= मेरे द्वारा भोजन कर लेने पर अतिथि आए।
उत्तीर्णे बाले पिता पर्यटनार्थमनैषीत्
= बालक के उत्तीर्ण हो जाने पर पिता उसे घुमाने ले गया।
हूयमानेषु गतो रामो हुतेषु आगतः
= हवन के चलते हुए गया राम हवन के समाप्त होने पर वापस आया।
उदिते सवितरि जुहोति
= सूर्योदय होने पर हवन करता है।
अस्तमिते सवितरि ग्रामिणाः अश्नन्ति
= सूर्यास्त के समय गांव के लोग भोजन करते हैं।
मार्जितेषु भाण्डेषु पात्रेषु वा सेविका प्रोञ्छनमकरोत्
= बरतन साफ करने के बाद नौकरानी ने पौंछा लगाया।
उदरे पूरिते सति आत्मन् भृशं विकुर्वते
= पेट भर जाने पर आत्मन् खूब मस्ती करता है।
स्वयं मृते सति स्वर्गो दृश्यते
= खुद मरने पर ही स्वर्ग देखा जाता है।
चलिते पथि लक्ष्यं प्राप्यते
= मार्ग पर चलने से ही लक्ष्य प्राप्त किया जाता है।
सति ज्ञाने मुक्तिर्नान्यथा
= ज्ञान के होने पर ही मुक्ति होती है, और किसी प्रकार से नहीं।
सति क्लेशे कर्माणि बन्धकारणानि, क्लेशाभावे मोक्षसाधनानि
= क्लेश के होने पर ही कर्म बांधनेवाले होते हैं, क्लेश का अभाव हो जाने पर कर्म मोक्ष का साधन बन जाते हैं।
सति शरीरे प्रियाप्रिययोरपहतिर्नास्ति
= जब तक शरीर है (संसार में) प्रिय-अप्रिय (सुख-दुःख) बने ही रहेंगे।
पुरुषार्थे कृतेऽपि काले (एव) फलं प्राप्नोति
= पुरुषार्थ करने पर भी समय आने पर ही फल मिलता है।
सति विभवे न जीर्णमलवद्वासाः स्यात्
= धन होते हुए मनुष्य पुराने व मैले कपड़े न पहने।
नरेशे जीवलोकोऽयं निमीलति निमीलति
= राजा के नष्ट हो जाने पर राज्य भी नष्ट हो जाता है।
विकारहेतौ सति विक्रियन्ते येषां न चेतांसि त एव धीराः
= विकार के कारणों के उपस्थित होने पर भी जिनके चित्त विकृत नहीं होते वे ही धीर हैं।
यस्मिन्जीवति जीवन्ति बहवः सोऽत्र जीवन्तु
= जिसके जीवित रहने पर बहुतों को जीवन मिलता है, वह इस लोक में दीर्घायु होवे।
काकः कृष्णः पिकः कृष्णः को भेदः पिककाकयोः।
वसन्तकाले सम्प्राप्ते काकः काकः पिकः पिकः।।
= प्रश्न :- दिखने में कौआ और कोयल दोनों काले वर्ण के हैं, फिर दोनों में फर्क क्या है ? उत्तर :- वसन्त ऋतु आने पर (कोयल की कूक से सिद्ध हो जाता है कि) कौआ कौआ है और कोयल कोयल है अर्थात् व्यक्ति की पहचान बाह्य रूप से नहीं अपितु गुणों से होती है।
#vakyabhyas
वेदान् पठ वैज्ञानिको भव।।
पाठ : (३०) सप्तमी विभक्ति (४)
(सति- सप्तमी :- जिस क्रिया से अन्य क्रिया बताई जा रही हो, तब उस पूर्ववाली क्रिया में तथा उस क्रिया के कर्ता व कर्म में सप्तमी विभक्ति का प्रयोग होता है।)
मयि भक्षितेऽतिथयः आगमन्
= मेरे द्वारा भोजन कर लेने पर अतिथि आए।
उत्तीर्णे बाले पिता पर्यटनार्थमनैषीत्
= बालक के उत्तीर्ण हो जाने पर पिता उसे घुमाने ले गया।
हूयमानेषु गतो रामो हुतेषु आगतः
= हवन के चलते हुए गया राम हवन के समाप्त होने पर वापस आया।
उदिते सवितरि जुहोति
= सूर्योदय होने पर हवन करता है।
अस्तमिते सवितरि ग्रामिणाः अश्नन्ति
= सूर्यास्त के समय गांव के लोग भोजन करते हैं।
मार्जितेषु भाण्डेषु पात्रेषु वा सेविका प्रोञ्छनमकरोत्
= बरतन साफ करने के बाद नौकरानी ने पौंछा लगाया।
उदरे पूरिते सति आत्मन् भृशं विकुर्वते
= पेट भर जाने पर आत्मन् खूब मस्ती करता है।
स्वयं मृते सति स्वर्गो दृश्यते
= खुद मरने पर ही स्वर्ग देखा जाता है।
चलिते पथि लक्ष्यं प्राप्यते
= मार्ग पर चलने से ही लक्ष्य प्राप्त किया जाता है।
सति ज्ञाने मुक्तिर्नान्यथा
= ज्ञान के होने पर ही मुक्ति होती है, और किसी प्रकार से नहीं।
सति क्लेशे कर्माणि बन्धकारणानि, क्लेशाभावे मोक्षसाधनानि
= क्लेश के होने पर ही कर्म बांधनेवाले होते हैं, क्लेश का अभाव हो जाने पर कर्म मोक्ष का साधन बन जाते हैं।
सति शरीरे प्रियाप्रिययोरपहतिर्नास्ति
= जब तक शरीर है (संसार में) प्रिय-अप्रिय (सुख-दुःख) बने ही रहेंगे।
पुरुषार्थे कृतेऽपि काले (एव) फलं प्राप्नोति
= पुरुषार्थ करने पर भी समय आने पर ही फल मिलता है।
सति विभवे न जीर्णमलवद्वासाः स्यात्
= धन होते हुए मनुष्य पुराने व मैले कपड़े न पहने।
नरेशे जीवलोकोऽयं निमीलति निमीलति
= राजा के नष्ट हो जाने पर राज्य भी नष्ट हो जाता है।
विकारहेतौ सति विक्रियन्ते येषां न चेतांसि त एव धीराः
= विकार के कारणों के उपस्थित होने पर भी जिनके चित्त विकृत नहीं होते वे ही धीर हैं।
यस्मिन्जीवति जीवन्ति बहवः सोऽत्र जीवन्तु
= जिसके जीवित रहने पर बहुतों को जीवन मिलता है, वह इस लोक में दीर्घायु होवे।
काकः कृष्णः पिकः कृष्णः को भेदः पिककाकयोः।
वसन्तकाले सम्प्राप्ते काकः काकः पिकः पिकः।।
= प्रश्न :- दिखने में कौआ और कोयल दोनों काले वर्ण के हैं, फिर दोनों में फर्क क्या है ? उत्तर :- वसन्त ऋतु आने पर (कोयल की कूक से सिद्ध हो जाता है कि) कौआ कौआ है और कोयल कोयल है अर्थात् व्यक्ति की पहचान बाह्य रूप से नहीं अपितु गुणों से होती है।
#vakyabhyas
April 11, 2022
कश्चन वृद्धः प्रतिवर्षं स्वपत्न्या सह विवाहं रचयति स्म।
कामपि बाधां विना सर्वः माङ्गलिककार्यक्रमः सुसम्पन्नः भवति स्म। एवमेव प्रतिवर्षं तस्यैव पुनरावृत्तिः भवति स्म।
सम्पूर्णे ग्रामे विवाहोत्सवोऽयं कुतूहलस्य विषयः अभवत्।
अन्ते च एतद्दृष्ट्वा कश्चन तूष्णीं स्थातुं न अशक्नोत्, स च तस्य कारणं तम् अपृच्छत् भोः! भवान् किमर्थं प्रतिवर्षम् एकया सहैव पुनः पुनः विवाहं करोति?
वृद्धः तदा हसन् प्रत्यवदत् - भोः! अहं तमेव शब्दं श्रुत्वा अतीव प्रसन्नः भवामि, अतः पुनः पुनः विवाहं करोमि।
सः पुनः अपृच्छत् कः स शब्दः?
वृद्धः अवदत् यदा पण्डितः वदति युवानम् (वरम्) आह्वयन्तु। इत्येव पण्डितस्य मुखात् युवान् इति शब्दं श्रुत्वा अहं प्रसन्नः भवामि।
#hasya
कामपि बाधां विना सर्वः माङ्गलिककार्यक्रमः सुसम्पन्नः भवति स्म। एवमेव प्रतिवर्षं तस्यैव पुनरावृत्तिः भवति स्म।
सम्पूर्णे ग्रामे विवाहोत्सवोऽयं कुतूहलस्य विषयः अभवत्।
अन्ते च एतद्दृष्ट्वा कश्चन तूष्णीं स्थातुं न अशक्नोत्, स च तस्य कारणं तम् अपृच्छत् भोः! भवान् किमर्थं प्रतिवर्षम् एकया सहैव पुनः पुनः विवाहं करोति?
वृद्धः तदा हसन् प्रत्यवदत् - भोः! अहं तमेव शब्दं श्रुत्वा अतीव प्रसन्नः भवामि, अतः पुनः पुनः विवाहं करोमि।
सः पुनः अपृच्छत् कः स शब्दः?
वृद्धः अवदत् यदा पण्डितः वदति युवानम् (वरम्) आह्वयन्तु। इत्येव पण्डितस्य मुखात् युवान् इति शब्दं श्रुत्वा अहं प्रसन्नः भवामि।
#hasya
April 11, 2022
April 11, 2022
🍃
♦️daMShTraakaraalaani cha te mukhaani
dRRiShTvaiva kaalaanalasannibhaani|
disho na jaane na labhe cha sharma
prasiida devesha jagannivaasa
⚜Seeing Your mouths, with fearful teeth, glowing like fires of cosmic dissolution, I lose my sense of direction and find no comfort. Have mercy on me! O Lord of gods, refuge of the universe.(11.25)
⚜आपके विकराल दाढ़ों वाले और प्रलयाग्नि के समान प्रज्वलित मुखों को देखकर मैं न दिशाओं को जान पा रहा हूँ और न शान्ति को प्राप्त हो रहा हूँ इसलिए हे देवेश हे जगन्निवास आप प्रसन्न हो जाइए।।11.25।।
#geeta
दंष्ट्राकरालानि च ते मुखानि दृष्ट्वैव कालानलसन्निभानि।
दिशो न जाने न लभे च शर्म प्रसीद देवेश जगन्निवास
।।11.25।।♦️daMShTraakaraalaani cha te mukhaani
dRRiShTvaiva kaalaanalasannibhaani|
disho na jaane na labhe cha sharma
prasiida devesha jagannivaasa
⚜Seeing Your mouths, with fearful teeth, glowing like fires of cosmic dissolution, I lose my sense of direction and find no comfort. Have mercy on me! O Lord of gods, refuge of the universe.(11.25)
⚜आपके विकराल दाढ़ों वाले और प्रलयाग्नि के समान प्रज्वलित मुखों को देखकर मैं न दिशाओं को जान पा रहा हूँ और न शान्ति को प्राप्त हो रहा हूँ इसलिए हे देवेश हे जगन्निवास आप प्रसन्न हो जाइए।।11.25।।
#geeta
April 11, 2022
April 11, 2022
🍃
♦️amii cha tvaaM dhRRitaraaShTrasya putraaH
sarve sahaivaavanipaalasa~NghaiH|
bhiiShmo droNaH suutaputrastathaa'sau
sahaasmadiiyairapi yodhamukhyaiH
⚜The sons of Dhritaraashtra along with the hosts of kings; Bheeshma, Drona, and Karna together with chief warriors on our side are also quickly entering into Your fearful mouths having terrible teeth. Some are seen caught in between the teeth with their heads crushed.(11.26-27)
⚜और ये समस्त धृतराष्ट्र के पुत्र राजाओं के समुदाय सहित आप में प्रवेश करते हैं। भीष्म द्रोण तथा कर्ण और हमारे पक्ष के भी प्रधान योद्धाओं के सहित.।।11.26।।
#geeta
अमी च त्वां धृतराष्ट्रस्य पुत्राः सर्वे सहैवावनिपालसङ्घैः।
भीष्मो द्रोणः सूतपुत्रस्तथाऽसौ सहास्मदीयैरपि योधमुख्यैः
।।11.26।।♦️amii cha tvaaM dhRRitaraaShTrasya putraaH
sarve sahaivaavanipaalasa~NghaiH|
bhiiShmo droNaH suutaputrastathaa'sau
sahaasmadiiyairapi yodhamukhyaiH
⚜The sons of Dhritaraashtra along with the hosts of kings; Bheeshma, Drona, and Karna together with chief warriors on our side are also quickly entering into Your fearful mouths having terrible teeth. Some are seen caught in between the teeth with their heads crushed.(11.26-27)
⚜और ये समस्त धृतराष्ट्र के पुत्र राजाओं के समुदाय सहित आप में प्रवेश करते हैं। भीष्म द्रोण तथा कर्ण और हमारे पक्ष के भी प्रधान योद्धाओं के सहित.।।11.26।।
#geeta
April 11, 2022
🚩जय सत्य सनातन🚩
🚩आज की हिंदी तिथि
🌥 🚩यगाब्द-५१२४
🌥 🚩विक्रम संवत-२०७९
⛅️ 🚩तिथि - एकादशी 13 अप्रैल सुबह 05:02 तक तत्पश्चात द्वादशी
⛅️दिनांक 12 अप्रैल 2022
⛅️दिन - मंगलवार
⛅️शक संवत - 1944
⛅️अयन - उत्तरायण
⛅️ऋतु - वसंत
⛅️मास - चैत्र
⛅️पक्ष - शुक्ल
⛅️नक्षत्र - अश्लेषा सुबह 08:35 तक तत्पश्चात मघा
⛅️योग - शूल दोपहर 12:04 तक तत्पश्चात गण्ड
⛅️राहुकाल - अपरान्ह 03:50 से 05:24 तक
⛅️सर्योदय - 06:22
⛅️सर्यास्त - 06:59
⛅️दिशाशूल - उत्तर दिशा में
🚩आज की हिंदी तिथि
🌥 🚩यगाब्द-५१२४
🌥 🚩विक्रम संवत-२०७९
⛅️ 🚩तिथि - एकादशी 13 अप्रैल सुबह 05:02 तक तत्पश्चात द्वादशी
⛅️दिनांक 12 अप्रैल 2022
⛅️दिन - मंगलवार
⛅️शक संवत - 1944
⛅️अयन - उत्तरायण
⛅️ऋतु - वसंत
⛅️मास - चैत्र
⛅️पक्ष - शुक्ल
⛅️नक्षत्र - अश्लेषा सुबह 08:35 तक तत्पश्चात मघा
⛅️योग - शूल दोपहर 12:04 तक तत्पश्चात गण्ड
⛅️राहुकाल - अपरान्ह 03:50 से 05:24 तक
⛅️सर्योदय - 06:22
⛅️सर्यास्त - 06:59
⛅️दिशाशूल - उत्तर दिशा में
April 11, 2022
Forwarded from रामदूतः — The Sanskrit News Platform (Bhavani Raman)
https://youtu.be/YxupQUTj1fo
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वार्ता: संस्कृत में समाचार | पीएम मोदी और अमेरिका राष्ट्रपति के बीच हुआ वर्चुअल संवाद
April 11, 2022
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April 11, 2022
उदीरितोऽर्थः पशुनापि गृह्यते,
हयाश्च नागाश्च वहन्ति बोधिताः। अनुक्तमप्यूहति पण्डितो जनः,
परेङ्गितज्ञानफला हि बुद्धयः
॥4॥ अन्वय - पशुना अपि उदीरितः अर्थः गृह्यते, (यथा) हयाः नागाः च बोधिताः (भार) वहन्ति। पण्डितः जनः अनुक्तम् अपि ऊहति, बुद्धयः परेङ्गितज्ञानफलाः भवन्ति ।
सरलार्थ - पशु के द्वारा भी कहा गया अर्थ समझ लिया जाता है। जैसे घोड़े और हाथी बताए गए (भार को) ढ़ोते हैं। ज्ञानी पुरुष बिना कहे हुए का भी अनुमान लगा लेते हैं, बुद्धियाँ दूसरों के संकेत से उत्पन्न ज्ञान रूपी फल वाली होती हैं।
#Subhashitam
April 11, 2022
April 12, 2022
संस्कृत संवादः । Sanskrit Samvadah
संस्कृतं
वद आधुनिको भव। वेदान् पठ वैज्ञानिको भव।। पाठ : (३०) सप्तमी विभक्ति (४)
(सति- सप्तमी :- जिस क्रिया से अन्य क्रिया बताई जा रही हो, तब उस
पूर्ववाली क्रिया में तथा उस क्रिया के कर्ता व कर्म में सप्तमी विभक्ति का
प्रयोग होता है।) मयि भक्षितेऽतिथयः आगमन्…
जानीयात् प्रेषणे भृत्यान् बान्धवान् व्यसनाऽऽगमे।
मित्रं चाऽऽपत्तिकालेषु भार्यां च विभवक्षये।।
= कार्य में नियुक्त करने पर नौकरों की, दुःख आने पर बान्धवों की, विपत्ति काल में मित्रों की और धन नष्ट होने पर स्त्री की परीक्षा होती है।
आतुरे व्यसने प्राप्ते दुर्भिक्षे शत्रुसंकटे।
राजद्वारे स्मशाने च यस्तिष्ठति स बान्धवः।।
= रोगी होने पर, दुःखी होने पर, अकाल पड़ने पर शत्रु से संकट उपस्थित होने पर, किसी मुकदमे आदि में फंस जाने पर गवाह एवं सहायक के रूप में राजसभा में और मरने पर जो स्मशान में भी साथ देता है, वही सच्चा बन्धु है।
अस्ति पुत्रो वशे यस्य भृत्यो भार्या तथैव च।
अभावे सति सन्तोषः स्वर्गस्थोऽसौ महीतले।।
= जिसका पुत्र, सेवक और पत्नी वश में है, धन का अभाव होने पर भी जो सन्तुष्ट है वह मनुष्य भूतल पर भी स्वर्ग में रहता है।
उद्योगे नास्ति दारिद्र्यं जपतो नास्ति पातकम्।
मौने च कलहो नास्ति नास्ति जागरिते भयम्।।
= पुरुषार्थी के पास दरिद्रता नहीं फटकती, जप करनेवाले के पास पाप नहीं रहता, मौन रहने पर लड़ाई-झगड़ा नहीं होता और जागनेवाले को भय नहीं होता।
लालयेत् पञ्चवर्षाणि दशवर्षाणि ताडयेत्।
प्राप्ते तु षोडशे वर्षे पुत्रं मित्रवदाचरेत्।।
= पांच वर्ष की आयु तक पुत्र का प्यार दुलार करना चाहिए, तत्पश्चात दस वर्ष तक (हठ, दुराग्रह करने पर) ताड़ना करनी चाहिए। और सोलहवां वर्ष आरम्भ होते ही पुत्र के साथ मित्र जैसा व्यवहार करना चाहिए।
उपसर्गेऽन्यचक्रे च दुर्भिक्षे भयावहे।
असाधुजनसम्पर्के यः पलायेत् स जीवति।।
= बाढ, महामारी आदि उपद्रव उठने पर, आक्रमण होने पर, भयंकर दुर्भिक्ष में और दुष्टों का संग होने पर जो भागता है वही जीवित रहता है।
यावत्स्वस्थो ह्ययं देहो यावन्मृत्युश्च दूरतः।
तावदात्महितं कुर्यात् प्राणान्ते किं करिष्यति।।
= जब तक शरीर निरोग है और मृत्यु दूर है, तब तक आत्मकल्याण का उपाय कर लेना चाहिए। क्योंकि मृत्यु हो जाने पर कोई कुछ नहीं कर सकता।
यावत्स्वस्थमिदं शरीरमरुजं यावज्जरा दूरतो, यावच्चेन्द्रियशक्तिरप्रतिहता यावत्क्षयो नायुषः।
आत्मश्रेयसि तावदेव विदुषा कार्यः प्रयत्नो महान्, सन्दीप्ते भवने तु कूपखननं प्रत्युद्यमः कीदृशः।।
= जब तक शरीर स्वस्थ और रोग रहित है, जब तक बुढापा दूर है, जब तक सभी इन्द्रियों में भरपूर शक्ति है, जब तक प्राणशक्ति क्षीण नहीं हुई है तब तक बुद्धिमान् को चाहिए कि अपने आत्मकल्याण के लिए महान् प्रयत्न करे। अन्यथा घर में आग लग जाने पर कुंआ खेदने से क्या लाभ ?
अनभ्यासे विषं शास्त्रमजीर्णे भोजनं विषम्।
दरिद्रस्य विषं गोष्ठी वृद्धस्य तरुणी विषम्।।
= अभ्यास (आवृत्ति) के बिना शास्त्र विष है, अर्थात् अर्थों की संगति लगाना समझाना कठिन है, अपच में भोजन विषतुल्य है, दरिद्र के लिए सभा विषसमान है अर्थात् सभा में कंगले को कोई नहीं पूछता और बूढे के लिए युवती विष समान है।
असम्भवं हेममृगस्य जन्म तथाऽपि रामो लुलुभे मृगाय।
प्रायः समापन्न विपत्तिकाले धियोऽपि पुंसां मलिनी भवन्ति।।
= सोने के हिरण का जन्म असम्भव है, फिर भी श्रीराम स्वर्णमृग में लुब्ध हो गए। अतः निश्चय होता है कि विपत्ति आने के समय मनुष्य मलिनबुद्धि अर्थात् विचारशून्य हो जाता है।
कालः पचति भूतानि कालः संहरते प्रजाः।
कालः सुप्तेषु जागर्ति कालो हि दुरतिक्रमः।।
= काल सब प्राणियों को पकाता है, काल ही सब प्रजा को नष्ट करता है। सब के सो जाने पर भी काल जागता रहता है। सचमुच काल बड़ा बलवान है, काल को कोई लांघ नहीं सकता।
#vakyabhyas
मित्रं चाऽऽपत्तिकालेषु भार्यां च विभवक्षये।।
= कार्य में नियुक्त करने पर नौकरों की, दुःख आने पर बान्धवों की, विपत्ति काल में मित्रों की और धन नष्ट होने पर स्त्री की परीक्षा होती है।
आतुरे व्यसने प्राप्ते दुर्भिक्षे शत्रुसंकटे।
राजद्वारे स्मशाने च यस्तिष्ठति स बान्धवः।।
= रोगी होने पर, दुःखी होने पर, अकाल पड़ने पर शत्रु से संकट उपस्थित होने पर, किसी मुकदमे आदि में फंस जाने पर गवाह एवं सहायक के रूप में राजसभा में और मरने पर जो स्मशान में भी साथ देता है, वही सच्चा बन्धु है।
अस्ति पुत्रो वशे यस्य भृत्यो भार्या तथैव च।
अभावे सति सन्तोषः स्वर्गस्थोऽसौ महीतले।।
= जिसका पुत्र, सेवक और पत्नी वश में है, धन का अभाव होने पर भी जो सन्तुष्ट है वह मनुष्य भूतल पर भी स्वर्ग में रहता है।
उद्योगे नास्ति दारिद्र्यं जपतो नास्ति पातकम्।
मौने च कलहो नास्ति नास्ति जागरिते भयम्।।
= पुरुषार्थी के पास दरिद्रता नहीं फटकती, जप करनेवाले के पास पाप नहीं रहता, मौन रहने पर लड़ाई-झगड़ा नहीं होता और जागनेवाले को भय नहीं होता।
लालयेत् पञ्चवर्षाणि दशवर्षाणि ताडयेत्।
प्राप्ते तु षोडशे वर्षे पुत्रं मित्रवदाचरेत्।।
= पांच वर्ष की आयु तक पुत्र का प्यार दुलार करना चाहिए, तत्पश्चात दस वर्ष तक (हठ, दुराग्रह करने पर) ताड़ना करनी चाहिए। और सोलहवां वर्ष आरम्भ होते ही पुत्र के साथ मित्र जैसा व्यवहार करना चाहिए।
उपसर्गेऽन्यचक्रे च दुर्भिक्षे भयावहे।
असाधुजनसम्पर्के यः पलायेत् स जीवति।।
= बाढ, महामारी आदि उपद्रव उठने पर, आक्रमण होने पर, भयंकर दुर्भिक्ष में और दुष्टों का संग होने पर जो भागता है वही जीवित रहता है।
यावत्स्वस्थो ह्ययं देहो यावन्मृत्युश्च दूरतः।
तावदात्महितं कुर्यात् प्राणान्ते किं करिष्यति।।
= जब तक शरीर निरोग है और मृत्यु दूर है, तब तक आत्मकल्याण का उपाय कर लेना चाहिए। क्योंकि मृत्यु हो जाने पर कोई कुछ नहीं कर सकता।
यावत्स्वस्थमिदं शरीरमरुजं यावज्जरा दूरतो, यावच्चेन्द्रियशक्तिरप्रतिहता यावत्क्षयो नायुषः।
आत्मश्रेयसि तावदेव विदुषा कार्यः प्रयत्नो महान्, सन्दीप्ते भवने तु कूपखननं प्रत्युद्यमः कीदृशः।।
= जब तक शरीर स्वस्थ और रोग रहित है, जब तक बुढापा दूर है, जब तक सभी इन्द्रियों में भरपूर शक्ति है, जब तक प्राणशक्ति क्षीण नहीं हुई है तब तक बुद्धिमान् को चाहिए कि अपने आत्मकल्याण के लिए महान् प्रयत्न करे। अन्यथा घर में आग लग जाने पर कुंआ खेदने से क्या लाभ ?
अनभ्यासे विषं शास्त्रमजीर्णे भोजनं विषम्।
दरिद्रस्य विषं गोष्ठी वृद्धस्य तरुणी विषम्।।
= अभ्यास (आवृत्ति) के बिना शास्त्र विष है, अर्थात् अर्थों की संगति लगाना समझाना कठिन है, अपच में भोजन विषतुल्य है, दरिद्र के लिए सभा विषसमान है अर्थात् सभा में कंगले को कोई नहीं पूछता और बूढे के लिए युवती विष समान है।
असम्भवं हेममृगस्य जन्म तथाऽपि रामो लुलुभे मृगाय।
प्रायः समापन्न विपत्तिकाले धियोऽपि पुंसां मलिनी भवन्ति।।
= सोने के हिरण का जन्म असम्भव है, फिर भी श्रीराम स्वर्णमृग में लुब्ध हो गए। अतः निश्चय होता है कि विपत्ति आने के समय मनुष्य मलिनबुद्धि अर्थात् विचारशून्य हो जाता है।
कालः पचति भूतानि कालः संहरते प्रजाः।
कालः सुप्तेषु जागर्ति कालो हि दुरतिक्रमः।।
= काल सब प्राणियों को पकाता है, काल ही सब प्रजा को नष्ट करता है। सब के सो जाने पर भी काल जागता रहता है। सचमुच काल बड़ा बलवान है, काल को कोई लांघ नहीं सकता।
#vakyabhyas
April 12, 2022
उपसर्गाणां त्रय गतिः
उपसर्गों की तीन गति होती हैं; जैसे कि कहा गया है
अर्थात् कोई उपसर्ग धातु के अर्थ को विपरीत कर देता है, कोई उपसर्ग उसी अर्थ का अनुसरण करता है तथा कोई उपसर्ग उस अर्थ में विशेषता उत्पन्न कर देता है। इस प्रकार उपसर्गों की गति तीन प्रकार की कही गई है। जैसे
1. जय का अर्थ जीत है। उसके पूर्व परा उपसर्ग जोड़ देने पर पराजय का अर्थ हार हो जाता है। परा उपसर्ग ने अर्थ को
विपरीत कर दिया।
2. भू धातु का अर्थ होना है। उसके पूर्व प्र उपसर्ग जोड़ देने पर प्र + भू धातु का अर्थ सामर्थ्यवान् होना हो जाता है। यहाँ प्र
उपसर्ग ने उसी अर्थ का अनुकरण किया है। अर्थ विपरीत नहीं हुआ है।
3. कृष् धातु का अर्थ खींचना है। उसमें प्र उपसर्ग जोड़ देने पर कृष् धातु का अर्थ खूब जोर से खींचना हो जाता है। यहाँ प्र
उपसर्ग ने अर्थ में विशेषता उत्पन्न कर दी है।
उपसर्गों की तीन गति होती हैं; जैसे कि कहा गया है
धात्वर्यं बाधते कश्चित्, कश्चित् चिन्तमनुवर्तते।
तमेव विशिष्ट्यन्यः उपसर्गगति स्त्रिधा॥
अर्थात् कोई उपसर्ग धातु के अर्थ को विपरीत कर देता है, कोई उपसर्ग उसी अर्थ का अनुसरण करता है तथा कोई उपसर्ग उस अर्थ में विशेषता उत्पन्न कर देता है। इस प्रकार उपसर्गों की गति तीन प्रकार की कही गई है। जैसे
1. जय का अर्थ जीत है। उसके पूर्व परा उपसर्ग जोड़ देने पर पराजय का अर्थ हार हो जाता है। परा उपसर्ग ने अर्थ को
विपरीत कर दिया।
2. भू धातु का अर्थ होना है। उसके पूर्व प्र उपसर्ग जोड़ देने पर प्र + भू धातु का अर्थ सामर्थ्यवान् होना हो जाता है। यहाँ प्र
उपसर्ग ने उसी अर्थ का अनुकरण किया है। अर्थ विपरीत नहीं हुआ है।
3. कृष् धातु का अर्थ खींचना है। उसमें प्र उपसर्ग जोड़ देने पर कृष् धातु का अर्थ खूब जोर से खींचना हो जाता है। यहाँ प्र
उपसर्ग ने अर्थ में विशेषता उत्पन्न कर दी है।
April 12, 2022
Accused:- Judge sir, I was not drunk then but was just drinking !
Judge :- Oh...is it so ? Then I will reduce your imprisonment from one month to 30 days.
#hasya
Judge :- Oh...is it so ? Then I will reduce your imprisonment from one month to 30 days.
#hasya
April 12, 2022
🍃
♦️
vaktraaNi te tvaramaaNaa vishanti
daMShTraakaraalaani bhayaanakaani|
kechidvilagnaa dashanaantareShu
saMdRRishyante chuurNitairuttamaa~NgaiH
⚜11.27 Some hurriedly enter Thy mouths with their terrible teeth, fearful to behold. Some are found sticking in the gaps between the teeth with their heads crushed to powder.
⚜तीव्र वेग से आपके विकराल दाढ़ों वाले भयानक मुखों में प्रवेश करते हैं और कई एक चूर्णित शिरों सहित आपके दांतों के बीच में फँसे हुए दिख रहे हैं।।11.27।।
#geeta
वक्त्राणि ते त्वरमाणा विशन्ति दंष्ट्राकरालानि भयानकानि।
केचिद्विलग्ना दशनान्तरेषु संदृश्यन्ते चूर्णितैरुत्तमाङ्गैः
।।11.27।।♦️
vaktraaNi te tvaramaaNaa vishanti
daMShTraakaraalaani bhayaanakaani|
kechidvilagnaa dashanaantareShu
saMdRRishyante chuurNitairuttamaa~NgaiH
⚜11.27 Some hurriedly enter Thy mouths with their terrible teeth, fearful to behold. Some are found sticking in the gaps between the teeth with their heads crushed to powder.
⚜तीव्र वेग से आपके विकराल दाढ़ों वाले भयानक मुखों में प्रवेश करते हैं और कई एक चूर्णित शिरों सहित आपके दांतों के बीच में फँसे हुए दिख रहे हैं।।11.27।।
#geeta
April 12, 2022
April 12, 2022
April 12, 2022
🍃
♦️yathaa nadiinaaM bahavo'mbuvegaaH
samudramevaabhimukhaaH dravanti|
tathaa tavaamii naralokaviiraa
vishanti vaktraaNyabhivijvalanti
⚜As many torrents of the rivers rush toward the ocean, similarly, those warriors of the mortal world are entering Your blazing mouths. (11.28)
⚜जैसे नदियों के बहुत से जलप्रवाह समुद्र की ओर वेग से बहते हैं वैसे ही मनुष्यलोक के ये वीर योद्धागण आपके प्रज्वलित मुखों में प्रवेश करते हैं।।11.28।।
#geeta
यथा नदीनां बहवोऽम्बुवेगाः समुद्रमेवाभिमुखाः द्रवन्ति।
तथा तवामी नरलोकवीरा विशन्ति वक्त्राण्यभिविज्वलन्ति
।।11.28।।♦️yathaa nadiinaaM bahavo'mbuvegaaH
samudramevaabhimukhaaH dravanti|
tathaa tavaamii naralokaviiraa
vishanti vaktraaNyabhivijvalanti
⚜As many torrents of the rivers rush toward the ocean, similarly, those warriors of the mortal world are entering Your blazing mouths. (11.28)
⚜जैसे नदियों के बहुत से जलप्रवाह समुद्र की ओर वेग से बहते हैं वैसे ही मनुष्यलोक के ये वीर योद्धागण आपके प्रज्वलित मुखों में प्रवेश करते हैं।।11.28।।
#geeta
April 12, 2022
🚩जय सत्य सनातन🚩
🚩आज की हिंदी तिथि
🌥 🚩यगाब्द-५१२४
🌥 🚩विक्रम संवत-२०७९
⛅️ 🚩तिथि - द्वादशी 14 अप्रैल प्रातः 04:49 तक तत्पश्चात त्रयोदशी
⛅️दिनांक 13 अप्रैल 2022
⛅️दिन - बुधवार
⛅️शक संवत - 1944
⛅️अयन - उत्तरायण
⛅️ऋतु - वसंत
⛅️मास - चैत्र
⛅️पक्ष - शुक्ल
⛅️नक्षत्र - मघा सुबह 9:37 तक तत्पश्चात पूर्वाफाल्गुनी
⛅️योग - गण्ड सुबह 11:15 तक तत्पश्चात वृद्धि
⛅️राहुकाल - दोपहर 12:40 से 02:15 तक
⛅️सर्योदय - 06:21
⛅️सर्यास्त - 07:00
⛅️दिशाशूल - उत्तर दिशा में
🚩आज की हिंदी तिथि
🌥 🚩यगाब्द-५१२४
🌥 🚩विक्रम संवत-२०७९
⛅️ 🚩तिथि - द्वादशी 14 अप्रैल प्रातः 04:49 तक तत्पश्चात त्रयोदशी
⛅️दिनांक 13 अप्रैल 2022
⛅️दिन - बुधवार
⛅️शक संवत - 1944
⛅️अयन - उत्तरायण
⛅️ऋतु - वसंत
⛅️मास - चैत्र
⛅️पक्ष - शुक्ल
⛅️नक्षत्र - मघा सुबह 9:37 तक तत्पश्चात पूर्वाफाल्गुनी
⛅️योग - गण्ड सुबह 11:15 तक तत्पश्चात वृद्धि
⛅️राहुकाल - दोपहर 12:40 से 02:15 तक
⛅️सर्योदय - 06:21
⛅️सर्यास्त - 07:00
⛅️दिशाशूल - उत्तर दिशा में
April 12, 2022
Forwarded from रामदूतः — The Sanskrit News Platform (Bhavani Raman)
https://youtu.be/sag8s2vJHjg
Switch to DD News daily at 7:15 AM (Morning) for 15 minutes Sanskrit news.
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YouTube
वार्ता: संस्कृत में समाचार | न्यूयॉर्क के ब्रुकलिन सब-वे स्टेशन पर गोलीबारी, 16 लोग घायल
April 12, 2022
🔰चित्रं दृष्ट्वा पञ्चवाक्यानि रचयत।
✍🏼सर्वे टिप्पणीसञ्चिका (comment box) मध्ये स्वोत्तराणि लेखितुं शक्नुवन्ति अथवा पुस्तिकायां लिखित्वा तस्य चित्रं स्वीकृत्य अपि प्रेषयितुं शक्नुवन्ति।
🔰 चित्र देखकर पांच वाक्य बनायें।
✍🏼आप कमेंट बॉक्स में टङ्कण कर सकते हैं या कॉपी पर लिखकर फोटो भी भेज सकते हैं।
🔰Make 5 sentences, Observing the attached image.
✍🏼You can type in the comment box or you can also send a photo by writing on the notebook.
#chitram
✍🏼सर्वे टिप्पणीसञ्चिका (comment box) मध्ये स्वोत्तराणि लेखितुं शक्नुवन्ति अथवा पुस्तिकायां लिखित्वा तस्य चित्रं स्वीकृत्य अपि प्रेषयितुं शक्नुवन्ति।
🔰 चित्र देखकर पांच वाक्य बनायें।
✍🏼आप कमेंट बॉक्स में टङ्कण कर सकते हैं या कॉपी पर लिखकर फोटो भी भेज सकते हैं।
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#chitram
April 12, 2022
क्रोधो हि शत्रुः प्रथमो नराणां,
देहस्थितो देहविनाशनाय ।
यथास्थितः काष्ठगतो हि वह्निः,
स एव वह्निर्दहते शरीरम्
॥5॥ अन्वय – हि नराणां देहविनाशनाय प्रथमः शत्रुः देहस्थितः क्रोधः (अस्ति)। हि यथा काष्ठगतः स्थितः वह्निः काष्ठम् एव दहते (तथैव) सः एव (शरीरस्थः क्रोधः) शरीरं दहते।
सरलार्थ - निश्चय ही मनुष्यों के शरीर के विनाश के लिए प्रथम शत्रु शरीर में स्थित क्रोध है। क्योंकि जैसे लकड़ी में स्थित आग लकड़ी को ही जलाती है, वैसे ही शरीर में स्थित क्रोध ही शरीर को जला देता है।
#Subhashitam
April 12, 2022
कर्बुरः इत्युक्ते किम्?
Anonymous Quiz
44%
चितकबरा (spotted)
26%
गोल-मटोल (round)
13%
दुबला (thin)
10%
तुतला (lisp)
7%
हकला (stutter)
April 13, 2022
संस्कृत संवादः । Sanskrit Samvadah
जानीयात्
प्रेषणे भृत्यान् बान्धवान् व्यसनाऽऽगमे। मित्रं चाऽऽपत्तिकालेषु भार्यां च
विभवक्षये।। = कार्य में नियुक्त करने पर नौकरों की, दुःख आने पर
बान्धवों की, विपत्ति काल में मित्रों की और धन नष्ट होने पर स्त्री की
परीक्षा होती है। आतुरे व्यसने प्राप्ते…
तुष्यन्ति भोजने विप्रा मयुरा घनगर्जिते।
साधवः परसम्पत्तौ खलः परविपत्तिषु।।
= ब्राह्मण भरपेट भोजन मिलने पर, मोर बादलों के गरजने पर, सज्जन दूसरों के सम्पन्न होने पर और दुष्ट अन्यों की विपत्ति में प्रसन्न होते हैं।
आहारशुद्धौ सत्त्वशुद्धिः सत्त्वशुद्धौ ध्रुवा स्मृतिः।
स्मृतिलम्भे सर्वग्रन्थीनां विप्रमोक्षः।।
= आहार (इन्द्रियों के विषय) के शुद्ध हो जाने पर अन्तःकरण की मलिनता दूर हो जाती है। अन्तःकरण के शुद्ध होने पर आत्मस्वरूप की स्थिर स्मृति प्राप्त होती है। आत्मस्वरूप के सतत स्मरण से (अविद्यारूपी) सब गांठे खुल जाती हैं।
अजीर्णे भेषजं वारि जीर्णे वारि बलप्रदम्।
भोजने चामृतं वारि भोजनान्ते विषप्रदम्।।
= अपच में पानी पीना औषध के समान है, भोजन पचने पर पीना बलदायक है, भोजन के मध्य जल का सेवन अमृत के समान है और भोजन के अन्त में पानी पीना विषतुल्य हानिकारक है।
एकवृक्षसमारूढा नाना वर्णाः विहङ्गमाः।
प्रभाते दिक्षु दशसु का तत्र परिदेवना।।
= अनेक रंग व रूपोंवाले पक्षी सायंकाल होने पर एक वृक्ष पर आकर बैठ जाते हैं और प्रातःकाल होने पर समस्त दसों दिशाओं में उड़ जाते हैं। (ऐसे ही बन्धु-बान्धव एक परिवार में मिलते हैं और बिछुड़ जाते हैं) इस विषय में शोक यानी रोना-धोना कैसा ?
सम्पत्सु महतां चित्तं भवत्युत्पलकोमलम्।
आपत्सु च महाशैलशिलासंघातकर्कशम्।।
= समृद्धि में महापुरुषों का चित्त नीलकमल के समान कोमल हो जाता है परन्तु आपत्ति में वह महापर्वत के पत्थरों के समान कठोर हो जाता है।
राज्ञि धर्मिणि धर्मिष्ठाः पापे पापाः समे समाः।
राजानमनुवर्तन्ते यथा राजा तथा प्रजाः।।
= राजा के धार्मिक होने पर प्रजा भी धर्मपरायण, राजा के पापी होने पर प्रजा भी पापी तथा राजा के उदासीन होने पर प्रजा भी उदासीन होती है। प्रजा राजा का अनुसरण करती है अर्थात् जैसा राजा हुआ करता है प्रजा भी वैसे ही हो जाती है।
देहाभिमाने गलिते विज्ञाते परमात्मनि।
यत्र यत्र मनो याति तत्र तत्र समाधयः।।
= देह के अभिमान का नाश और परमात्म-निष्ठ हो जाने पर जहां-जहां मन जाता है वहीं-वहीं समाधि समझनी चाहिए।
यथा धेनुसहस्रेषु वत्सो गच्छति मातरम्।
तथा यच्च कृतं कर्म कर्त्तारमनुगच्छति।।
= हजारों गायों में भी बछड़ा अपनी मां के पास पहुंच जाता है, वैसे ही असंख्य जीवों के होने पर भी किया हुआ कर्म कर्ता तक पहुंच ही जाता है।
वहेदमित्रं स्कन्धेन यावत्कालस्य पर्ययः।
ततः प्रत्यागते काले भिन्द्यात् घटमिवाश्मनि।।
= जब तक समय अपने अनुकूल न हो तब तक शत्रु को अपने कन्धे पर ढोना चाहिए अर्थात् उसका आदर-सत्कार करना चाहिए। परन्तु जब समय अपने अनुकूल आ जाए तो उसे उसी प्रकार नष्ट कर दे जैसे घड़े को पत्थर पर पटककर फोड़ डालते हैं।
रात्रिर्गमिष्यति भविष्यति सुप्रभातं, भास्वानुदेष्यति हसिष्यति पङ्कजश्रीः।
इत्थं विचिन्तयति कोशगते द्विरेफे, हा हन्त हन्त नलिनीं गज उज्जहार।।
= सायंकाल प्रेम के बन्धन में फंसकर मुंदी हुई कमलिनी के भीतर बैठा हुआ एक भौंरा इस प्रकार सोच रहा था- रात बीत जाएगी, सुन्दर प्रभात होगा, सूर्योदय होगा और कमल खिल उठेगा, तब मैं यहां से मुक्त हो जाऊंगा। किन्तु दुःख है कि भौंरा इस प्रकार चिन्तन कर ही रहा था कि एक हाथी ने उस कमल को उखाड़कर फैंक दिया।
यस्मिन्रुष्टे भयं नास्ति तुष्टे नैव धनागमः।
निग्रहोऽनुग्रहो नास्ति स रुष्टः किं करिष्यति।।
= जिसके क्रोधित होने पर कोई भय नहीं है और प्रसन्न होने पर धन-प्राप्ति की कोई आशा भी नहीं है, जो न दण्ड दे सकता है और कृपा ही कर सकता है, ऐसा व्यक्ति रुष्ट होता है तो क्या बिगाड़ लेगा ?
#vakyabhyas
साधवः परसम्पत्तौ खलः परविपत्तिषु।।
= ब्राह्मण भरपेट भोजन मिलने पर, मोर बादलों के गरजने पर, सज्जन दूसरों के सम्पन्न होने पर और दुष्ट अन्यों की विपत्ति में प्रसन्न होते हैं।
आहारशुद्धौ सत्त्वशुद्धिः सत्त्वशुद्धौ ध्रुवा स्मृतिः।
स्मृतिलम्भे सर्वग्रन्थीनां विप्रमोक्षः।।
= आहार (इन्द्रियों के विषय) के शुद्ध हो जाने पर अन्तःकरण की मलिनता दूर हो जाती है। अन्तःकरण के शुद्ध होने पर आत्मस्वरूप की स्थिर स्मृति प्राप्त होती है। आत्मस्वरूप के सतत स्मरण से (अविद्यारूपी) सब गांठे खुल जाती हैं।
अजीर्णे भेषजं वारि जीर्णे वारि बलप्रदम्।
भोजने चामृतं वारि भोजनान्ते विषप्रदम्।।
= अपच में पानी पीना औषध के समान है, भोजन पचने पर पीना बलदायक है, भोजन के मध्य जल का सेवन अमृत के समान है और भोजन के अन्त में पानी पीना विषतुल्य हानिकारक है।
एकवृक्षसमारूढा नाना वर्णाः विहङ्गमाः।
प्रभाते दिक्षु दशसु का तत्र परिदेवना।।
= अनेक रंग व रूपोंवाले पक्षी सायंकाल होने पर एक वृक्ष पर आकर बैठ जाते हैं और प्रातःकाल होने पर समस्त दसों दिशाओं में उड़ जाते हैं। (ऐसे ही बन्धु-बान्धव एक परिवार में मिलते हैं और बिछुड़ जाते हैं) इस विषय में शोक यानी रोना-धोना कैसा ?
सम्पत्सु महतां चित्तं भवत्युत्पलकोमलम्।
आपत्सु च महाशैलशिलासंघातकर्कशम्।।
= समृद्धि में महापुरुषों का चित्त नीलकमल के समान कोमल हो जाता है परन्तु आपत्ति में वह महापर्वत के पत्थरों के समान कठोर हो जाता है।
राज्ञि धर्मिणि धर्मिष्ठाः पापे पापाः समे समाः।
राजानमनुवर्तन्ते यथा राजा तथा प्रजाः।।
= राजा के धार्मिक होने पर प्रजा भी धर्मपरायण, राजा के पापी होने पर प्रजा भी पापी तथा राजा के उदासीन होने पर प्रजा भी उदासीन होती है। प्रजा राजा का अनुसरण करती है अर्थात् जैसा राजा हुआ करता है प्रजा भी वैसे ही हो जाती है।
देहाभिमाने गलिते विज्ञाते परमात्मनि।
यत्र यत्र मनो याति तत्र तत्र समाधयः।।
= देह के अभिमान का नाश और परमात्म-निष्ठ हो जाने पर जहां-जहां मन जाता है वहीं-वहीं समाधि समझनी चाहिए।
यथा धेनुसहस्रेषु वत्सो गच्छति मातरम्।
तथा यच्च कृतं कर्म कर्त्तारमनुगच्छति।।
= हजारों गायों में भी बछड़ा अपनी मां के पास पहुंच जाता है, वैसे ही असंख्य जीवों के होने पर भी किया हुआ कर्म कर्ता तक पहुंच ही जाता है।
वहेदमित्रं स्कन्धेन यावत्कालस्य पर्ययः।
ततः प्रत्यागते काले भिन्द्यात् घटमिवाश्मनि।।
= जब तक समय अपने अनुकूल न हो तब तक शत्रु को अपने कन्धे पर ढोना चाहिए अर्थात् उसका आदर-सत्कार करना चाहिए। परन्तु जब समय अपने अनुकूल आ जाए तो उसे उसी प्रकार नष्ट कर दे जैसे घड़े को पत्थर पर पटककर फोड़ डालते हैं।
रात्रिर्गमिष्यति भविष्यति सुप्रभातं, भास्वानुदेष्यति हसिष्यति पङ्कजश्रीः।
इत्थं विचिन्तयति कोशगते द्विरेफे, हा हन्त हन्त नलिनीं गज उज्जहार।।
= सायंकाल प्रेम के बन्धन में फंसकर मुंदी हुई कमलिनी के भीतर बैठा हुआ एक भौंरा इस प्रकार सोच रहा था- रात बीत जाएगी, सुन्दर प्रभात होगा, सूर्योदय होगा और कमल खिल उठेगा, तब मैं यहां से मुक्त हो जाऊंगा। किन्तु दुःख है कि भौंरा इस प्रकार चिन्तन कर ही रहा था कि एक हाथी ने उस कमल को उखाड़कर फैंक दिया।
यस्मिन्रुष्टे भयं नास्ति तुष्टे नैव धनागमः।
निग्रहोऽनुग्रहो नास्ति स रुष्टः किं करिष्यति।।
= जिसके क्रोधित होने पर कोई भय नहीं है और प्रसन्न होने पर धन-प्राप्ति की कोई आशा भी नहीं है, जो न दण्ड दे सकता है और कृपा ही कर सकता है, ऐसा व्यक्ति रुष्ट होता है तो क्या बिगाड़ लेगा ?
#vakyabhyas
April 13, 2022
April 13, 2022
Teacher :- You didn't wash your mouth well, right ? I can tell you from your face , what you ate in the morning !
Student :- Is it so ? Then please tell !
Teacher :- Its Biriyani , no ?
Student :- No madam, you are wrong ! I ate biriyani last night only. Ha..ha..ha
#hasya
Student :- Is it so ? Then please tell !
Teacher :- Its Biriyani , no ?
Student :- No madam, you are wrong ! I ate biriyani last night only. Ha..ha..ha
#hasya
April 13, 2022
🍃
♦️yathaa pradiiptaM jvalanaM pata~Ngaa
vishanti naashaaya samRRiddhavegaaH|
tathaiva naashaaya vishanti lokaa
stavaapi vaktraaNi samRRiddhavegaaH
⚜As moths rush with great speed into the blazing flame for destruction, similarly all these people are rapidly rushing into Your mouths for destruction. (11.29)
⚜जैसे पतंगे अपने नाश के लिए प्रज्वलित अग्नि में अतिवेग से प्रवेश करते हैं? वैसे ही ये लोग भी अपने नाश के लिए आपके मुखों में अतिवेग से प्रवेश करते हैं।।11.29।।
#geeta
यथा प्रदीप्तं ज्वलनं पतङ्गा विशन्ति नाशाय समृद्धवेगाः।
तथैव नाशाय विशन्ति लोका स्तवापि वक्त्राणि समृद्धवेगाः
।।11.29।।♦️yathaa pradiiptaM jvalanaM pata~Ngaa
vishanti naashaaya samRRiddhavegaaH|
tathaiva naashaaya vishanti lokaa
stavaapi vaktraaNi samRRiddhavegaaH
⚜As moths rush with great speed into the blazing flame for destruction, similarly all these people are rapidly rushing into Your mouths for destruction. (11.29)
⚜जैसे पतंगे अपने नाश के लिए प्रज्वलित अग्नि में अतिवेग से प्रवेश करते हैं? वैसे ही ये लोग भी अपने नाश के लिए आपके मुखों में अतिवेग से प्रवेश करते हैं।।11.29।।
#geeta
April 13, 2022
April 13, 2022
🍃
♦️lelihyase grasamaanaH samantaa
llokaansamagraanvadanairjvaladbhiH|
tejobhiraapuurya jagatsamagraM
bhaasastavograaH pratapanti viShNo
⚜You are licking up all the worlds with Your flaming mouths, swallowing them from all sides. Your powerful radiance is burning the entire universe, and filling it with splendor, O Krishna.(11.30)
⚜हे विष्णो आप प्रज्वलित मुखों के द्वारा इन समस्त लोकों का ग्रसन करते हुए आस्वाद ले रहे हैं आपका उग्र प्रकाश सम्पूर्ण जगत् को तेज के द्वारा परिपूर्ण करके तपा रहा है।।11.30।।
#geeta
लेलिह्यसे ग्रसमानः समन्ता ल्लोकान्समग्रान्वदनैर्ज्वलद्भिः।
तेजोभिरापूर्य जगत्समग्रं भासस्तवोग्राः प्रतपन्ति विष्णो
।।11.30।।♦️lelihyase grasamaanaH samantaa
llokaansamagraanvadanairjvaladbhiH|
tejobhiraapuurya jagatsamagraM
bhaasastavograaH pratapanti viShNo
⚜You are licking up all the worlds with Your flaming mouths, swallowing them from all sides. Your powerful radiance is burning the entire universe, and filling it with splendor, O Krishna.(11.30)
⚜हे विष्णो आप प्रज्वलित मुखों के द्वारा इन समस्त लोकों का ग्रसन करते हुए आस्वाद ले रहे हैं आपका उग्र प्रकाश सम्पूर्ण जगत् को तेज के द्वारा परिपूर्ण करके तपा रहा है।।11.30।।
#geeta
April 13, 2022
April 13, 2022
🚩जय सत्य सनातन🚩
🚩आज की हिंदी तिथि
🌥 🚩यगाब्द-५१२४
🌥 🚩विक्रम संवत-२०७९
⛅️ 🚩तिथि - त्रयोदशी रात्रि 03:55 ( 15 अप्रैल प्रातः ) तक तत्पश्चात चतुर्दशी
⛅️दिनांक 14 अप्रैल 2022
⛅️दिन - गुरुवार
⛅️विक्रम संवत - 2079
⛅️शक संवत - 1944
⛅️अयन - उत्तरायण
⛅️ऋतु - वसंत
⛅️मास - चैत्र
⛅️पक्ष - शुक्ल
⛅️नक्षत्र -पूर्वाफाल्गुनी सुबह 09:56 तक तत्पश्चात उत्तरा फाल्गुनी
⛅️योग - वृद्धि सुबह 09:52 तक तत्पश्चात ध्रुव
⛅️राहुकाल - अपरान्ह 02:15 से 03:50 तक
⛅️सर्योदय - 06:20
⛅️सर्यास्त - 07:00
⛅️दिशाशूल - दक्षिण दिशा में
🚩आज की हिंदी तिथि
🌥 🚩यगाब्द-५१२४
🌥 🚩विक्रम संवत-२०७९
⛅️ 🚩तिथि - त्रयोदशी रात्रि 03:55 ( 15 अप्रैल प्रातः ) तक तत्पश्चात चतुर्दशी
⛅️दिनांक 14 अप्रैल 2022
⛅️दिन - गुरुवार
⛅️विक्रम संवत - 2079
⛅️शक संवत - 1944
⛅️अयन - उत्तरायण
⛅️ऋतु - वसंत
⛅️मास - चैत्र
⛅️पक्ष - शुक्ल
⛅️नक्षत्र -पूर्वाफाल्गुनी सुबह 09:56 तक तत्पश्चात उत्तरा फाल्गुनी
⛅️योग - वृद्धि सुबह 09:52 तक तत्पश्चात ध्रुव
⛅️राहुकाल - अपरान्ह 02:15 से 03:50 तक
⛅️सर्योदय - 06:20
⛅️सर्यास्त - 07:00
⛅️दिशाशूल - दक्षिण दिशा में
April 13, 2022
Forwarded from रामदूतः — The Sanskrit News Platform (Bhavani Raman)
https://youtu.be/2tMplCQCHSs
Switch to DD News daily at 7:15 AM (Morning) for 15 minutes Sanskrit news.
Switch to DD News daily at 7:15 AM (Morning) for 15 minutes Sanskrit news.
YouTube
वार्ता: संस्कृत में समाचार | पीएम मोदी आज प्रधानमंत्री संग्रहालय का करेंगे उद्घाटन
April 13, 2022
🔰चित्रं दृष्ट्वा पञ्चवाक्यानि रचयत।
✍🏼सर्वे टिप्पणीसञ्चिका (comment box) मध्ये स्वोत्तराणि लेखितुं शक्नुवन्ति अथवा पुस्तिकायां लिखित्वा तस्य चित्रं स्वीकृत्य अपि प्रेषयितुं शक्नुवन्ति।
🔰 चित्र देखकर पांच वाक्य बनायें।
✍🏼आप कमेंट बॉक्स में टङ्कण कर सकते हैं या कॉपी पर लिखकर फोटो भी भेज सकते हैं।
🔰Make 5 sentences, Observing the attached image.
✍🏼You can type in the comment box or you can also send a photo by writing on the notebook.
#chitram
✍🏼सर्वे टिप्पणीसञ्चिका (comment box) मध्ये स्वोत्तराणि लेखितुं शक्नुवन्ति अथवा पुस्तिकायां लिखित्वा तस्य चित्रं स्वीकृत्य अपि प्रेषयितुं शक्नुवन्ति।
🔰 चित्र देखकर पांच वाक्य बनायें।
✍🏼आप कमेंट बॉक्स में टङ्कण कर सकते हैं या कॉपी पर लिखकर फोटो भी भेज सकते हैं।
🔰Make 5 sentences, Observing the attached image.
✍🏼You can type in the comment box or you can also send a photo by writing on the notebook.
#chitram
April 13, 2022
🍃
🔅कोशगते द्विरेफे इत्थम् विचिन्तयति -" रात्रि: गमिष्यति, सुप्रभातम् भविष्यति, भास्वान् उदेष्यति, पञ्कजश्रीः हसिष्यति-" (किन्तु ) हा हन्त हन्त ! नलिनीम् गजः उद्-जहार !!
⚜As the bee, stuck in the lotus bud, was thinking; "The night will pass, dawn will arrive, the sun will rise and the lotus will bloom" - Alas, alas, an elephant uprooted the lotus!!
#Subhashitam
रात्रिर्गमिष्यति भविष्यति सुप्रभातम्, भास्वानुदेष्यति हसिष्यति पङ्कजश्रीः ।
इत्थं विचिन्तयति कोशगते द्विरेफे, हा हन्त हन्त नलिनीं गज उज्जहार॥
🔅कोशगते द्विरेफे इत्थम् विचिन्तयति -" रात्रि: गमिष्यति, सुप्रभातम् भविष्यति, भास्वान् उदेष्यति, पञ्कजश्रीः हसिष्यति-" (किन्तु ) हा हन्त हन्त ! नलिनीम् गजः उद्-जहार !!
⚜As the bee, stuck in the lotus bud, was thinking; "The night will pass, dawn will arrive, the sun will rise and the lotus will bloom" - Alas, alas, an elephant uprooted the lotus!!
#Subhashitam
April 13, 2022
करोति — कर्तव्यः
ददाति — दातव्यः
शक्नोति — ?
ददाति — दातव्यः
शक्नोति — ?
Anonymous Quiz
9%
शक्नतव्यः
8%
शातव्यः
6%
शकतव्यः
7%
शक्तवयः
69%
शक्तव्यः
April 14, 2022
संस्कृत संवादः । Sanskrit Samvadah
तुष्यन्ति
भोजने विप्रा मयुरा घनगर्जिते। साधवः परसम्पत्तौ खलः परविपत्तिषु।। =
ब्राह्मण भरपेट भोजन मिलने पर, मोर बादलों के गरजने पर, सज्जन दूसरों के
सम्पन्न होने पर और दुष्ट अन्यों की विपत्ति में प्रसन्न होते हैं।
आहारशुद्धौ सत्त्वशुद्धिः सत्त्वशुद्धौ ध्रुवा…
न निर्मितः केन न दृष्टपूर्वः, न श्रूयते हेममयः कुरङ्गः।
तथाऽपि तृष्णा रघुनन्दनस्य, विनाशकाले विपरीतबुद्धिः।।
= स्वर्णमृग की रचना न तो पहले किसी ने की, न किसी ने स्वर्णमृग देखा, और न कभी उसके सम्बन्ध में सुना गया। फिर भी श्रीराम स्वर्णमृग को पकड़ने के लिए आतुर हो गए। ऐसा लगता है कि विनाशकाल आने पर मनुष्य की बुद्धि उलटी हो जाती है।
कृते प्रतिकृतं कुर्याद् हिंसने प्रतिहिंसनम्।
तत्र दोषो न पतति दुष्टे दुष्टं समाचरेत्।।
= उपकारी के प्रति उपकार और हिंसक के प्रति हिंसा का व्यवहार करना चाहिए, ऐसा करने से कोई दोष नहीं लगता। क्योंकि दुष्ट के साथ दुष्टता का व्यवहार उचित होता है अर्थात् वह इसी भाषा को समझता है।
अध्रुवे हि शरीरे यो न करोति तपोऽर्जनम्।
स पश्चात्तप्यते मूढो मृते गत्वाऽऽत्मगतिम्।।
= यह शरीर क्षणभङ्गुर है। जो मनुष्य इसे पाकर तप का अनुष्ठान नहीं करता वह मूर्ख मरने के पश्चात् जब कर्मफल मिलता है, तब दुःखी होता है।
वयसः परिणामेऽपि यः खलः खल एव सः।
सुपक्वमपि माधुर्यं नोपयातीन्द्रवारुणम्।।
= जैसे अत्यन्त पक जाने पर भी इन्द्रायण के फल में मिठास नहीं आती, वह कड़वा ही बना रहता है ठीक वैसे ही वयोवृद्ध हो जाने पर भी जो दुष्ट है वह दुष्ट ही बना रहता है।
प्रसादे सर्वदुःखानां हानिरस्योपजायते।
प्रसन्नचेतो ह्याशु बुद्धिः पर्यवतिष्ठते।।
= चित्त के प्रसन्न होने पर समस्त दुःखों का अभाव हो जाता है और इस प्रसन्न चित्तवाले की बुद्धि निश्चय से शीघ्र ही स्थिर हो जाती है।
खल्वाटो दिवसेश्वरस्य किरणैः सन्तापिते मस्तके, वाञ्छन्देशमनातपं विधिवशात्तालस्य मूलं गतः।
तत्राप्यस्य महाफलेन पतता भग्नं सशब्दं शिरः, प्रायो गच्छति यत्र दैवहतकस्तत्रैवयान्त्यापदः।।
= सिर पर पड़नेवाली सूर्य की किरणों से सन्तप्त एक गंजा छायास्थान खोजता हुआ भाग्यवश ताड़ के पेड़ के नीचे जा पहुंचा। जहां एक बहुत बड़ा फल धड़ाम से उसके सिर पर गिर पड़ा जिससे उसका सिर फट गया। भाग्यहीन मनुष्य जहां भी पहुंच जाता है विपत्तियां वहीं उसका पीछा करती हैं।
दैवेन प्रभुणा स्वयं जगति यद्यस्य प्रमाणीकृतम्, तत्तस्योपनमेन्मनागपि महान्नैवाश्रयः कारणम्।
सर्वाऽऽशापरिपूरके जलधरे वर्षत्यपि प्रत्यहं, सूक्ष्मा एव पतन्ति चातकमुखे द्वित्राः पयोबिन्दवः।।
= सर्वशक्तिमान परमात्मा ने (कर्मानुसार) सब का भाग्य जैसा निर्धारित किया है, वह उसे अवश्य मिलेगा। इसके लिए किसी को भी सिफारिश की थोड़ी सी भी आवश्यकता नहीं है। उदाहरण के लिए चातक को देखिए- प्रतिदिन चारों दिशाओं को भर देनेवाली घनघोर वर्षा के बीच मुंह खोलकर बैठे रहने पर भी उसके मुख में वर्षा की छोटी-छोटी दो-चार बूंदे ही पड़ पाती हैं।
छिन्नोऽपि रोहति तरुः क्षीणोऽप्युपचीयते पुनश्चन्द्रः।
इति विमृशन्तः सन्तः सन्तप्यते न दुःखेषु।।
= कट जाने पर भी समय पाकर वृक्ष फिर से पल्लवित हो बढ़ता है, क्षीण होने पर भी चन्द्रमा पुनः बढ़ता है। इस प्रकार का विचार करनवाले सज्जन पुरुष विपत्ति आने पर दुःखी नहीं होते।
#vakyabhyas
तथाऽपि तृष्णा रघुनन्दनस्य, विनाशकाले विपरीतबुद्धिः।।
= स्वर्णमृग की रचना न तो पहले किसी ने की, न किसी ने स्वर्णमृग देखा, और न कभी उसके सम्बन्ध में सुना गया। फिर भी श्रीराम स्वर्णमृग को पकड़ने के लिए आतुर हो गए। ऐसा लगता है कि विनाशकाल आने पर मनुष्य की बुद्धि उलटी हो जाती है।
कृते प्रतिकृतं कुर्याद् हिंसने प्रतिहिंसनम्।
तत्र दोषो न पतति दुष्टे दुष्टं समाचरेत्।।
= उपकारी के प्रति उपकार और हिंसक के प्रति हिंसा का व्यवहार करना चाहिए, ऐसा करने से कोई दोष नहीं लगता। क्योंकि दुष्ट के साथ दुष्टता का व्यवहार उचित होता है अर्थात् वह इसी भाषा को समझता है।
अध्रुवे हि शरीरे यो न करोति तपोऽर्जनम्।
स पश्चात्तप्यते मूढो मृते गत्वाऽऽत्मगतिम्।।
= यह शरीर क्षणभङ्गुर है। जो मनुष्य इसे पाकर तप का अनुष्ठान नहीं करता वह मूर्ख मरने के पश्चात् जब कर्मफल मिलता है, तब दुःखी होता है।
वयसः परिणामेऽपि यः खलः खल एव सः।
सुपक्वमपि माधुर्यं नोपयातीन्द्रवारुणम्।।
= जैसे अत्यन्त पक जाने पर भी इन्द्रायण के फल में मिठास नहीं आती, वह कड़वा ही बना रहता है ठीक वैसे ही वयोवृद्ध हो जाने पर भी जो दुष्ट है वह दुष्ट ही बना रहता है।
प्रसादे सर्वदुःखानां हानिरस्योपजायते।
प्रसन्नचेतो ह्याशु बुद्धिः पर्यवतिष्ठते।।
= चित्त के प्रसन्न होने पर समस्त दुःखों का अभाव हो जाता है और इस प्रसन्न चित्तवाले की बुद्धि निश्चय से शीघ्र ही स्थिर हो जाती है।
खल्वाटो दिवसेश्वरस्य किरणैः सन्तापिते मस्तके, वाञ्छन्देशमनातपं विधिवशात्तालस्य मूलं गतः।
तत्राप्यस्य महाफलेन पतता भग्नं सशब्दं शिरः, प्रायो गच्छति यत्र दैवहतकस्तत्रैवयान्त्यापदः।।
= सिर पर पड़नेवाली सूर्य की किरणों से सन्तप्त एक गंजा छायास्थान खोजता हुआ भाग्यवश ताड़ के पेड़ के नीचे जा पहुंचा। जहां एक बहुत बड़ा फल धड़ाम से उसके सिर पर गिर पड़ा जिससे उसका सिर फट गया। भाग्यहीन मनुष्य जहां भी पहुंच जाता है विपत्तियां वहीं उसका पीछा करती हैं।
दैवेन प्रभुणा स्वयं जगति यद्यस्य प्रमाणीकृतम्, तत्तस्योपनमेन्मनागपि महान्नैवाश्रयः कारणम्।
सर्वाऽऽशापरिपूरके जलधरे वर्षत्यपि प्रत्यहं, सूक्ष्मा एव पतन्ति चातकमुखे द्वित्राः पयोबिन्दवः।।
= सर्वशक्तिमान परमात्मा ने (कर्मानुसार) सब का भाग्य जैसा निर्धारित किया है, वह उसे अवश्य मिलेगा। इसके लिए किसी को भी सिफारिश की थोड़ी सी भी आवश्यकता नहीं है। उदाहरण के लिए चातक को देखिए- प्रतिदिन चारों दिशाओं को भर देनेवाली घनघोर वर्षा के बीच मुंह खोलकर बैठे रहने पर भी उसके मुख में वर्षा की छोटी-छोटी दो-चार बूंदे ही पड़ पाती हैं।
छिन्नोऽपि रोहति तरुः क्षीणोऽप्युपचीयते पुनश्चन्द्रः।
इति विमृशन्तः सन्तः सन्तप्यते न दुःखेषु।।
= कट जाने पर भी समय पाकर वृक्ष फिर से पल्लवित हो बढ़ता है, क्षीण होने पर भी चन्द्रमा पुनः बढ़ता है। इस प्रकार का विचार करनवाले सज्जन पुरुष विपत्ति आने पर दुःखी नहीं होते।
#vakyabhyas
April 14, 2022
Teacher - On the way I saw a man beating a donkey. I stopped him. What feeling was there in my action ?
Student - Sympathy towards own people. What else ?
#hasya
Student - Sympathy towards own people. What else ?
#hasya
April 14, 2022
Sri Chambu Krishna sastri Mahodayh's recent tweet about UGC recent notification to allow two degrees simultaneously.
' Let all the Bharatiya Bhasha UG/PG students do a course from other streams also. Non-Bharatiya Bhasha UG/PG students, including technical/professional, do a Bharatiya Bhasha course since future job market will be for those who are good in both modern subjects & Bharatiya Bhasha! https://t.co/IC8cq2Zt3H
#SanskritEducation
' Let all the Bharatiya Bhasha UG/PG students do a course from other streams also. Non-Bharatiya Bhasha UG/PG students, including technical/professional, do a Bharatiya Bhasha course since future job market will be for those who are good in both modern subjects & Bharatiya Bhasha! https://t.co/IC8cq2Zt3H
#SanskritEducation
Twitter
चमू कृष्णशास्त्री Chamu KrishnaShastry
Let all the Bharatiya
Bhasha UG/PG students do a course from other streams also.
Non-Bharatiya Bhasha UG/PG students, including technical/professional,
do a Bharatiya Bhasha course since future job market will be for those
who are good in both modern subjects…
April 14, 2022
🍃
♦️
aakhyaahi me ko bhavaanugraruupo
namo'stu te devavara prasiida|
vij~naatumichChaami bhavantamaadyaM
na hi prajaanaami tava pravRRittim
⚜Tell me who are You in such a fierce form? My salutations to You, O best of gods, be merciful! I wish to understand You, the primal Being, because I do not know Your mission. (11.31)
⚜(कृपया) मेरे प्रति कहिये? कि उग्ररूप वाले आप कौन हैं हे देवों में श्रेष्ठ आपको नमस्कार है आप प्रसन्न होइये। आदि स्वरूप आपको मैं (तत्त्व से) जानना चाहता हूँ क्योंकि आपकी प्रवृत्ति (अर्थात् प्रयोजन को) को मैं नहीं समझ पा रहा हूँ।।11.31।।
#geeta
आख्याहि मे को भवानुग्ररूपो नमोऽस्तु ते देववर प्रसीद।
विज्ञातुमिच्छामि भवन्तमाद्यं न हि प्रजानामि तव प्रवृत्तिम्
।।11.31।।♦️
aakhyaahi me ko bhavaanugraruupo
namo'stu te devavara prasiida|
vij~naatumichChaami bhavantamaadyaM
na hi prajaanaami tava pravRRittim
⚜Tell me who are You in such a fierce form? My salutations to You, O best of gods, be merciful! I wish to understand You, the primal Being, because I do not know Your mission. (11.31)
⚜(कृपया) मेरे प्रति कहिये? कि उग्ररूप वाले आप कौन हैं हे देवों में श्रेष्ठ आपको नमस्कार है आप प्रसन्न होइये। आदि स्वरूप आपको मैं (तत्त्व से) जानना चाहता हूँ क्योंकि आपकी प्रवृत्ति (अर्थात् प्रयोजन को) को मैं नहीं समझ पा रहा हूँ।।11.31।।
#geeta
April 14, 2022
April 14, 2022
April 14, 2022
@samskrt_samvadah संलापशाला - A Samskrit Voicechat room.
⏳45 निमेषाः
🕚 IST 11:00 AM विषयः
🔰संस्कृतकथा,सुभाषितम्, हास्यकणिका इत्यादयः
🗓15th April 2022, शुक्रवासरः
🔴Voicechat would be recorded and shared on this channel.
📑यदि शक्येत चेत् संस्कृतेन (संस्कृतकथां, सुभाषितं, हास्यकणिकां ,स्वस्य कञ्चित् उत्तमम् अनुभवं ,प्रेरकप्रसङ्गं ,लौकिकन्यायं वा वदन्तु) । चर्चार्थं कृपया पूर्वसिद्धतां कृत्वा आगच्छन्तु।
वयं युष्माकं प्रतीक्षां कुर्मः। 😇
स्मारणतंत्रिकां स्थापयतु ⏰
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⏳45 निमेषाः
🕚 IST 11:00 AM विषयः
🔰संस्कृतकथा,सुभाषितम्, हास्यकणिका इत्यादयः
🗓15th April 2022, शुक्रवासरः
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📑यदि शक्येत चेत् संस्कृतेन (संस्कृतकथां, सुभाषितं, हास्यकणिकां ,स्वस्य कञ्चित् उत्तमम् अनुभवं ,प्रेरकप्रसङ्गं ,लौकिकन्यायं वा वदन्तु) । चर्चार्थं कृपया पूर्वसिद्धतां कृत्वा आगच्छन्तु।
वयं युष्माकं प्रतीक्षां कुर्मः। 😇
स्मारणतंत्रिकां स्थापयतु ⏰
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April 14, 2022
April 14, 2022
🍃
♦️shrii bhagavaanuvaacha
kaalo'smi lokakShayakRRitpravRRiddho
lokaansamaahartumiha pravRRittaH|
RRite'pi tvaaM na bhaviShyanti sarve
ye'vasthitaaH pratyaniikeShu yodhaaH
⚜The Supreme Lord said:
I am death, the mighty destroyer of the world, out to destroy. Even without your participation all the warriors standing arrayed in the opposing armies shall cease to
exist. (11.32)
⚜श्रीभगवान् ने कहा --
मैं लोकों का नाश करने वाला प्रवृद्ध काल हूँ। इस समय मैं इन लोकों का संहार करने में प्रवृत्त हूँ। जो प्रतिपक्षियों की सेना में स्थित योद्धा हैं वे सब तुम्हारे बिना भी नहीं रहेंगे।।11.32।।
#geeta
श्री भगवानुवाच
कालोऽस्मि लोकक्षयकृत्प्रवृद्धो लोकान्समाहर्तुमिह प्रवृत्तः।
ऋतेऽपि त्वां न भविष्यन्ति सर्वे येऽवस्थिताः प्रत्यनीकेषु योधाः
।।11.32।।♦️shrii bhagavaanuvaacha
kaalo'smi lokakShayakRRitpravRRiddho
lokaansamaahartumiha pravRRittaH|
RRite'pi tvaaM na bhaviShyanti sarve
ye'vasthitaaH pratyaniikeShu yodhaaH
⚜The Supreme Lord said:
I am death, the mighty destroyer of the world, out to destroy. Even without your participation all the warriors standing arrayed in the opposing armies shall cease to
exist. (11.32)
⚜श्रीभगवान् ने कहा --
मैं लोकों का नाश करने वाला प्रवृद्ध काल हूँ। इस समय मैं इन लोकों का संहार करने में प्रवृत्त हूँ। जो प्रतिपक्षियों की सेना में स्थित योद्धा हैं वे सब तुम्हारे बिना भी नहीं रहेंगे।।11.32।।
#geeta
April 14, 2022
🚩जय सत्य सनातन🚩
🚩आज की हिंदी तिथि
🌥️ 🚩युगाब्द-५१२४
🌥️ 🚩विक्रम संवत-२०७९
⛅ 🚩तिथि - चतुर्दशी रात्रि 02:25 तक तत्पश्चात पूर्णिमा
⛅दिनांक 15 अप्रैल 2022
⛅दिन - शुक्रवार
⛅विक्रम संवत - 2079
⛅शक संवत - 1944
⛅अयन - उत्तरायण
⛅ऋतु - वसंत
⛅मास - चैत्र
⛅पक्ष - शुक्ल
⛅नक्षत्र - उत्तरा फाल्गुनी सुबह 09:35 तक तत्पश्चात हस्त
⛅योग - ध्रुव सुबह 07:57 तक तत्पश्चात व्याघात
⛅राहुकाल - सुबह 11:05 से दोपहर 12:40 तक
⛅सूर्योदय - 06:19
⛅सूर्यास्त - 07:00
⛅दिशाशूल - पश्चिम दिशा में
🚩आज की हिंदी तिथि
🌥️ 🚩युगाब्द-५१२४
🌥️ 🚩विक्रम संवत-२०७९
⛅ 🚩तिथि - चतुर्दशी रात्रि 02:25 तक तत्पश्चात पूर्णिमा
⛅दिनांक 15 अप्रैल 2022
⛅दिन - शुक्रवार
⛅विक्रम संवत - 2079
⛅शक संवत - 1944
⛅अयन - उत्तरायण
⛅ऋतु - वसंत
⛅मास - चैत्र
⛅पक्ष - शुक्ल
⛅नक्षत्र - उत्तरा फाल्गुनी सुबह 09:35 तक तत्पश्चात हस्त
⛅योग - ध्रुव सुबह 07:57 तक तत्पश्चात व्याघात
⛅राहुकाल - सुबह 11:05 से दोपहर 12:40 तक
⛅सूर्योदय - 06:19
⛅सूर्यास्त - 07:00
⛅दिशाशूल - पश्चिम दिशा में
April 14, 2022
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⏳45 निमेषाः
🕚 IST 11:00 AM विषयः
🔰सस्कृतकथा,सुभाषितम्, हास्यकणिका इत्यादयः
🗓15th April 2022, शुक्रवासरः
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April 14, 2022
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https://youtu.be/X5p9KNPzBbw
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April 14, 2022
🔰चित्रं दृष्ट्वा पञ्चवाक्यानि रचयत।
✍🏼सर्वे टिप्पणीसञ्चिका (comment box) मध्ये स्वोत्तराणि लेखितुं शक्नुवन्ति अथवा पुस्तिकायां लिखित्वा तस्य चित्रं स्वीकृत्य अपि प्रेषयितुं शक्नुवन्ति।
🔰 चित्र देखकर पांच वाक्य बनायें।
✍🏼आप कमेंट बॉक्स में टङ्कण कर सकते हैं या कॉपी पर लिखकर फोटो भी भेज सकते हैं।
🔰Make 5 sentences, Observing the attached image.
✍🏼You can type in the comment box or you can also send a photo by writing on the notebook.
#Chitram
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🔰 चित्र देखकर पांच वाक्य बनायें।
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#Chitram
April 14, 2022
April 14, 2022
🍃
❗️Alternate words : प्रतिरुपम् or समान शब्द
धरणिं अथवा वसुधां & ब्रूहि अथवा कुरु
🔅रे मित्र, रे चातक, सावधन मनसा, क्षणम् श्रुयताम् (शृणु )।( गगने अम्बोदाः बहवाः सन्ति, अपि सर्वे एतादृशाः न (सन्ति)। केचित् (अम्बोदाः) धरणिं वृष्टिभिः आर्दयन्ति। केचित् वृथा गर्जयन्ति। (त्वम्) यम् यम् पश्यसि तस्य तस्य पुरतः दीनम् वचः मा (कुरु) ब्रूहि।
❗️(चातक - This bird is harbinger of monsoon, and supposed to drink water directly from rain only
(कवि कल्पना). It is considered synonymous of ‘thirst’)
⚜Oh Chatak, oh my friend, listen carefully for a moment. There are too many clouds in the sky. Yet not all are alike. Some humidify the earth by showering rain. Others just roar in vain. (Therefore) Do not appeal to each and every cloud you see there.
#Subhashitam
रे रे चातक सावधान मनसा मित्र क्षणं श्रुयताम् ।
अम्बोदा: बहवा: सन्ति गगने सर्वेपि न एतादृशा:।
केचिद् वृष्टिभि: आर्द्रयन्ति धरणिं गर्जयन्ति केचिद् वृथा ।
यं यं पश्यसि तस्य तस्य पुरत: मा ब्रूहि दीनं वच:॥
❗️Alternate words : प्रतिरुपम् or समान शब्द
धरणिं अथवा वसुधां & ब्रूहि अथवा कुरु
🔅रे मित्र, रे चातक, सावधन मनसा, क्षणम् श्रुयताम् (शृणु )।( गगने अम्बोदाः बहवाः सन्ति, अपि सर्वे एतादृशाः न (सन्ति)। केचित् (अम्बोदाः) धरणिं वृष्टिभिः आर्दयन्ति। केचित् वृथा गर्जयन्ति। (त्वम्) यम् यम् पश्यसि तस्य तस्य पुरतः दीनम् वचः मा (कुरु) ब्रूहि।
❗️(चातक - This bird is harbinger of monsoon, and supposed to drink water directly from rain only
(कवि कल्पना). It is considered synonymous of ‘thirst’)
⚜Oh Chatak, oh my friend, listen carefully for a moment. There are too many clouds in the sky. Yet not all are alike. Some humidify the earth by showering rain. Others just roar in vain. (Therefore) Do not appeal to each and every cloud you see there.
#Subhashitam
April 14, 2022
April 14, 2022
April 15, 2022
April 15, 2022
संस्कृत संवादः । Sanskrit Samvadah
न
निर्मितः केन न दृष्टपूर्वः, न श्रूयते हेममयः कुरङ्गः। तथाऽपि तृष्णा
रघुनन्दनस्य, विनाशकाले विपरीतबुद्धिः।। = स्वर्णमृग की रचना न तो पहले
किसी ने की, न किसी ने स्वर्णमृग देखा, और न कभी उसके सम्बन्ध में सुना
गया। फिर भी श्रीराम स्वर्णमृग को पकड़ने के लिए…
संस्कृतं वद आधुनिको भव।
वेदान् पठ वैज्ञानिको भव।।
पाठ : (३१) सप्तमी विभक्ति (५)
(निमित्त, हेतु, सम्प्रदान आदि के वाचक शब्दों में चतुर्थी के स्थान में सप्तमी का प्रयोग भी देखा जाता है।)
समित्सु आम्रमुत्पाटयति
= समिधाओं के लिए आम के पेड़ को फाड़ रहा है।
केशेषु मेषान् पालयति मेषपालः
= गड़रिया बालों के लिए भेड़ को पालता है।
धने रागिणः वृक्कं चोरयति वैद्यः
= वैद्य धन के लिए रोगी की किड़नी चुराता है।
सम्माने बुधो धनिनो मिथ्यां प्रशंसति
= सम्मान के लिए विद्वान् धनी लोगों की मिथ्या प्रशंसा करता है।
पुष्पेषु पाटलान् वपति
= पुष्पों के लिए गुलाब के पौधों को बो रहा है।
कर्गलेषु वृक्षान् कर्तयति
= कागजों के लिए पेड़ काट रहा है।
उद्योगेषु मूर्खाः क्षेत्रं विक्रीणते
= कारखाने के लिए मूर्ख लोग खेत बेचते हैं।
विलासितायां प्राकृतिक-सम्पदं दुहन्ति मूढाः
= मूढ़ लोग ऐशो-आराम के लिए प्राकृतिक सम्पदा का दोहन करते हैं।
रे मूर्ख ! पाके कपाटं मा ज्वालय
= मूर्ख ! (खाना) पकाने के लिए किवाड़ को मत जला।
चर्मणि द्विपिनं हन्ति दन्तयोर्हन्ति कुञ्जरम्।
केशेषु चर्मरीं हन्ति सीम्नि पुष्कलको हतः।।
= लोग चमड़े के लिए चीते को मारते हैं, दातों के लिए हाथी को मारते हैं, केशों के लिए चंवरी गाय को मारते हैं और कस्तुरी के लिए पुष्कलक जाति के हिरण को मारते हैं।
मुखे सिंहं घातयति
= मुंह के लिए शेर को मरवाते हैं।
यथा परोपकारेषु नित्यं जागर्त्ति सज्जनः।
तथा परापकारेषु जागर्त्ति सततं खलः।।
= जैसे सज्जन दूसरों का उपकार करने के लिए सदा जागरूक रहता है, वैसे ही खल अर्थात् दुष्ट व्यक्ति दूसरों का अपकार करने के लिए सदा तैयार रहता है।
पृथिव्यां त्रीणि रत्नानि जलमन्नं सुभाषितम्।
मूढ़ैः पाषाणखण्डेषु रत्नसंज्ञा विधीयते।।
= पृथ्वी पर जल, अन्न और सत्य मधुर वाणी ये तीन ही रत्न हैं। परन्तु मूर्ख लोग पत्थर के टुकड़ों को ही रत्न कहते हैं।
यावत्स्वस्थमिदं शरीरमरुजं यावज्जरा दूरतो, यावच्चेन्द्रियशक्तिरप्रतिहता यावत्क्षयो नायुषः।
आत्मश्रेयसि तावदेव विदुषा कार्यः प्रयत्नो महान्, सन्दीप्ते भवने तु कूपखननं प्रत्युद्यमः कीदृशः।।
= जब तक शरीर स्वस्थ और रोगरहित है, जब तक वृद्धावस्था दूर है, जब तक सकल इन्द्रियों में भरपूर शक्ति है, जब तक प्राणशक्ति क्षीण नहीं हुई है; तब तक बुद्धिमान् को चाहिए कि आत्मकल्याण के लिए महान प्रयत्न करे, वरना घर में में आग लगने पर कुंआ खोदने से क्या लाभ होगा ?
#vakyabhyas
वेदान् पठ वैज्ञानिको भव।।
पाठ : (३१) सप्तमी विभक्ति (५)
(निमित्त, हेतु, सम्प्रदान आदि के वाचक शब्दों में चतुर्थी के स्थान में सप्तमी का प्रयोग भी देखा जाता है।)
समित्सु आम्रमुत्पाटयति
= समिधाओं के लिए आम के पेड़ को फाड़ रहा है।
केशेषु मेषान् पालयति मेषपालः
= गड़रिया बालों के लिए भेड़ को पालता है।
धने रागिणः वृक्कं चोरयति वैद्यः
= वैद्य धन के लिए रोगी की किड़नी चुराता है।
सम्माने बुधो धनिनो मिथ्यां प्रशंसति
= सम्मान के लिए विद्वान् धनी लोगों की मिथ्या प्रशंसा करता है।
पुष्पेषु पाटलान् वपति
= पुष्पों के लिए गुलाब के पौधों को बो रहा है।
कर्गलेषु वृक्षान् कर्तयति
= कागजों के लिए पेड़ काट रहा है।
उद्योगेषु मूर्खाः क्षेत्रं विक्रीणते
= कारखाने के लिए मूर्ख लोग खेत बेचते हैं।
विलासितायां प्राकृतिक-सम्पदं दुहन्ति मूढाः
= मूढ़ लोग ऐशो-आराम के लिए प्राकृतिक सम्पदा का दोहन करते हैं।
रे मूर्ख ! पाके कपाटं मा ज्वालय
= मूर्ख ! (खाना) पकाने के लिए किवाड़ को मत जला।
चर्मणि द्विपिनं हन्ति दन्तयोर्हन्ति कुञ्जरम्।
केशेषु चर्मरीं हन्ति सीम्नि पुष्कलको हतः।।
= लोग चमड़े के लिए चीते को मारते हैं, दातों के लिए हाथी को मारते हैं, केशों के लिए चंवरी गाय को मारते हैं और कस्तुरी के लिए पुष्कलक जाति के हिरण को मारते हैं।
मुखे सिंहं घातयति
= मुंह के लिए शेर को मरवाते हैं।
यथा परोपकारेषु नित्यं जागर्त्ति सज्जनः।
तथा परापकारेषु जागर्त्ति सततं खलः।।
= जैसे सज्जन दूसरों का उपकार करने के लिए सदा जागरूक रहता है, वैसे ही खल अर्थात् दुष्ट व्यक्ति दूसरों का अपकार करने के लिए सदा तैयार रहता है।
पृथिव्यां त्रीणि रत्नानि जलमन्नं सुभाषितम्।
मूढ़ैः पाषाणखण्डेषु रत्नसंज्ञा विधीयते।।
= पृथ्वी पर जल, अन्न और सत्य मधुर वाणी ये तीन ही रत्न हैं। परन्तु मूर्ख लोग पत्थर के टुकड़ों को ही रत्न कहते हैं।
यावत्स्वस्थमिदं शरीरमरुजं यावज्जरा दूरतो, यावच्चेन्द्रियशक्तिरप्रतिहता यावत्क्षयो नायुषः।
आत्मश्रेयसि तावदेव विदुषा कार्यः प्रयत्नो महान्, सन्दीप्ते भवने तु कूपखननं प्रत्युद्यमः कीदृशः।।
= जब तक शरीर स्वस्थ और रोगरहित है, जब तक वृद्धावस्था दूर है, जब तक सकल इन्द्रियों में भरपूर शक्ति है, जब तक प्राणशक्ति क्षीण नहीं हुई है; तब तक बुद्धिमान् को चाहिए कि आत्मकल्याण के लिए महान प्रयत्न करे, वरना घर में में आग लगने पर कुंआ खोदने से क्या लाभ होगा ?
#vakyabhyas
April 15, 2022
April 15, 2022
https://youtu.be/m3eXnncStzY
#SanskritCarnaticMusic
The Madalassa Updesha
शुद्धोसि बुद्धोसि निरँजनोऽसि
सँसारमाया परिवर्जितोऽसि
सँसारस्वप्नँ त्यज मोहनिद्राँ
मँदालसोल्लपमुवाच पुत्रम्।
Madalasa says to her crying son:
“You are pure, Enlightened, and spotless.
Leave the illusion of the world
and wake up from this deep slumber of delusion”
शुद्धोऽसि रे तात न तेऽस्ति नाम
कृतँ हि तत्कल्पनयाधुनैव।
पच्चात्मकँ देहँ इदँ न तेऽस्ति
नैवास्य त्वँ रोदिषि कस्य हेतो॥
My Child, you are Ever Pure! You do not have a name. A name is only an imaginary superimposition on you.
This body made of five elements is not you nor do you belong to it. This being so, what can be a reason for your crying ?
न वै भवान् रोदिति विक्ष्वजन्मा
शब्दोयमायाध्य महीश सूनूम्।
विकल्पयमानो विविधैर्गुणैस्ते
गुणाश्च भौताः सकलेन्दियेषु॥
The essence of the universe does not cry in reality. All is a maya of words, oh Prince! Please understand this. The various qualities you seem to have are are just your imaginations, they belong to the elements that make the senses (and have nothing to do with you).
भूतनि भूतैः परिदुर्बलानि
वृद्धिँ समायाति यथेह पुँसः।
अन्नाम्बुपानादिभिरेव तस्मात्
न तेस्ति वृद्धिर् न च तेस्ति हानिः॥
The Elements [that make this body] grow with accumulation of more elements or reduce in size if some elements are taken away. This is what is seen in a body’s growing in size or becoming lean depending upon the consumption of food, water etc. You do not have growth or decay.
त्वम् कँचुके शीर्यमाणे निजोस्मिन्
तस्मिन् देहे मूढताँ मा व्रजेथाः।
शुभाशुभौः कर्मभिर्देहमेतत्
मृदादिभिः कँचुकस्ते पिनद्धः॥
You are in the body which is like a jacket that gets worn out day by day. Do not have the wrong notion that you are the body. This body is like a jacket that you are tied to, for the frutification of the good and bad karmas.
तातेति किँचित् तनयेति किँचित्
अँबेति किँचिद्धयितेति किँचित्।
ममेति किँचित् न ममेति किँचित्
त्वम् भूतसँघँ बहु म नयेथाः॥
Some may refer to you are Father and some others may refer to you a Son or some may refer to you as mother and some one else may refer to you as wife. some say “you are mine” and some others say “you are not mine” These are all references to this “Combination of Physical Elements”, Do not identify with them.
सुखानि दुःखोपशमाय भोगान्
सुखाय जानाति विमूढचेताः।
तान्येव दुःखानि पुनः सुखानि
जानाति विद्धनविमूढचेताः॥
The deluded look at objects of enjoyments as giving happiness by removing the unhappiness. The wise clearly see that the same object which gives happiness now will become a source of unhappiness.
यानँ चित्तौ तत्र गतश्च देहो
देहोपि चान्यः पुरुषो निविष्ठः।
ममत्वमुरोया न यथ तथास्मिन्
देहेति मात्रँ बत मूढरौष।
The vehicle that moves on the ground is different from the person in it similarly this body is also different from the person who is inside! The owner of the body is different from the body! Ah how foolish it is to think I am the body!
#SanskritCarnaticMusic
The Madalassa Updesha
शुद्धोसि बुद्धोसि निरँजनोऽसि
सँसारमाया परिवर्जितोऽसि
सँसारस्वप्नँ त्यज मोहनिद्राँ
मँदालसोल्लपमुवाच पुत्रम्।
Madalasa says to her crying son:
“You are pure, Enlightened, and spotless.
Leave the illusion of the world
and wake up from this deep slumber of delusion”
शुद्धोऽसि रे तात न तेऽस्ति नाम
कृतँ हि तत्कल्पनयाधुनैव।
पच्चात्मकँ देहँ इदँ न तेऽस्ति
नैवास्य त्वँ रोदिषि कस्य हेतो॥
My Child, you are Ever Pure! You do not have a name. A name is only an imaginary superimposition on you.
This body made of five elements is not you nor do you belong to it. This being so, what can be a reason for your crying ?
न वै भवान् रोदिति विक्ष्वजन्मा
शब्दोयमायाध्य महीश सूनूम्।
विकल्पयमानो विविधैर्गुणैस्ते
गुणाश्च भौताः सकलेन्दियेषु॥
The essence of the universe does not cry in reality. All is a maya of words, oh Prince! Please understand this. The various qualities you seem to have are are just your imaginations, they belong to the elements that make the senses (and have nothing to do with you).
भूतनि भूतैः परिदुर्बलानि
वृद्धिँ समायाति यथेह पुँसः।
अन्नाम्बुपानादिभिरेव तस्मात्
न तेस्ति वृद्धिर् न च तेस्ति हानिः॥
The Elements [that make this body] grow with accumulation of more elements or reduce in size if some elements are taken away. This is what is seen in a body’s growing in size or becoming lean depending upon the consumption of food, water etc. You do not have growth or decay.
त्वम् कँचुके शीर्यमाणे निजोस्मिन्
तस्मिन् देहे मूढताँ मा व्रजेथाः।
शुभाशुभौः कर्मभिर्देहमेतत्
मृदादिभिः कँचुकस्ते पिनद्धः॥
You are in the body which is like a jacket that gets worn out day by day. Do not have the wrong notion that you are the body. This body is like a jacket that you are tied to, for the frutification of the good and bad karmas.
तातेति किँचित् तनयेति किँचित्
अँबेति किँचिद्धयितेति किँचित्।
ममेति किँचित् न ममेति किँचित्
त्वम् भूतसँघँ बहु म नयेथाः॥
Some may refer to you are Father and some others may refer to you a Son or some may refer to you as mother and some one else may refer to you as wife. some say “you are mine” and some others say “you are not mine” These are all references to this “Combination of Physical Elements”, Do not identify with them.
सुखानि दुःखोपशमाय भोगान्
सुखाय जानाति विमूढचेताः।
तान्येव दुःखानि पुनः सुखानि
जानाति विद्धनविमूढचेताः॥
The deluded look at objects of enjoyments as giving happiness by removing the unhappiness. The wise clearly see that the same object which gives happiness now will become a source of unhappiness.
यानँ चित्तौ तत्र गतश्च देहो
देहोपि चान्यः पुरुषो निविष्ठः।
ममत्वमुरोया न यथ तथास्मिन्
देहेति मात्रँ बत मूढरौष।
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Sanskrit Day Song | Niranjana Padmanabhan 4k
Jayathu Samskritham !
Jayathu Bharatham !Sravana poornima is celebrated as all over the world
as Sanskrit Day since 1986. Sravana poornima is celebrating as ...
April 15, 2022
@samskrt_samvadah संलापशाला - A Samskrit Voicechat room.
⏳45 निमेषाः
🕚 IST 11:00 AM विषयः
🔰जैनसम्प्रदायः, डा. भीमराव अम्बेडकर
🗓16th April 2022, शनिवासरः
🔴Voicechat would be recorded and shared on this channel.
📑यदि शक्येत चेत् संस्कृतेन (जैनानां मूलसिद्धान्तः कः , जैनतीर्थङ्कराणां जीवनसंदेशः कः, कापि जीवनघटना अथवा कथा / भीमराव अम्बेडकरस्य जीवनपरिचयः जीवनघटना वा) । चर्चार्थं कृपया पूर्वसिद्धतां कृत्वा आगच्छन्तु।
वयं युष्माकं प्रतीक्षां कुर्मः। 😇
स्मारणतंत्रिकां स्थापयतु ⏰
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April 15, 2022
🍃
♦️tasmaattvamuttiShTha yasho labhasva
jitvaa shatruun bhu~NkShva raajyaM samRRiddham|
mayaivaite nihataaH puurvameva
nimittamaatraM bhava savyasaachin
⚜Therefore, you get up and attain glory. Conquer your enemies and enjoy a prosperous kingdom. All these (warriors) have already been destroyed by Me. You are only an instrument, O Arjuna. (11.33)
⚜इसलिए तुम उठ खड़े हो जाओ और यश को प्राप्त करो शत्रुओं को जीतकर समृद्ध राज्य को भोगो। ये सब पहले से ही मेरे द्वारा मारे जा चुके हैं। हे सव्यसाचिन् तुम केवल निमित्त ही बनो।।11.33।।
#geeta
तस्मात्त्वमुत्तिष्ठ यशो लभस्व जित्वा शत्रून् भुङ्क्ष्व राज्यं समृद्धम्।
मयैवैते निहताः पूर्वमेव निमित्तमात्रं भव सव्यसाचिन्
।।11.33।।♦️tasmaattvamuttiShTha yasho labhasva
jitvaa shatruun bhu~NkShva raajyaM samRRiddham|
mayaivaite nihataaH puurvameva
nimittamaatraM bhava savyasaachin
⚜Therefore, you get up and attain glory. Conquer your enemies and enjoy a prosperous kingdom. All these (warriors) have already been destroyed by Me. You are only an instrument, O Arjuna. (11.33)
⚜इसलिए तुम उठ खड़े हो जाओ और यश को प्राप्त करो शत्रुओं को जीतकर समृद्ध राज्य को भोगो। ये सब पहले से ही मेरे द्वारा मारे जा चुके हैं। हे सव्यसाचिन् तुम केवल निमित्त ही बनो।।11.33।।
#geeta
April 15, 2022
April 15, 2022
April 15, 2022
🍃
♦️droNaM cha bhiiShmaM cha jayadrathaM cha
karNaM tathaa'nyaanapi yodhaviiraan|
mayaa hataaMstvaM jahi maa vyathiShThaa
yudhyasva jetaasi raNe sapatnaan
⚜Kill Drona, Bheeshma, Jayadratha, Karna, and other great warriors who are already killed by Me. Do not fear. You will certainly conquer the enemies in the battle, therefore, fight! (11.34)
⚜द्रोण, भीष्म, जयद्रथ, कर्ण तथा और भी बहुत से मेरे द्वारा मारे गये वीर योद्धाओं को तुम मारो भय मत करो युद्ध करो तुम युद्ध में शत्रुओं को जीतोगे।।11.34।।
#geeta
द्रोणं च भीष्मं च जयद्रथं च कर्णं तथाऽन्यानपि योधवीरान्।
मया हतांस्त्वं जहि मा व्यथिष्ठा युध्यस्व जेतासि रणे सपत्नान्
।।11.34।।♦️droNaM cha bhiiShmaM cha jayadrathaM cha
karNaM tathaa'nyaanapi yodhaviiraan|
mayaa hataaMstvaM jahi maa vyathiShThaa
yudhyasva jetaasi raNe sapatnaan
⚜Kill Drona, Bheeshma, Jayadratha, Karna, and other great warriors who are already killed by Me. Do not fear. You will certainly conquer the enemies in the battle, therefore, fight! (11.34)
⚜द्रोण, भीष्म, जयद्रथ, कर्ण तथा और भी बहुत से मेरे द्वारा मारे गये वीर योद्धाओं को तुम मारो भय मत करो युद्ध करो तुम युद्ध में शत्रुओं को जीतोगे।।11.34।।
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April 15, 2022
🚩जय सत्य सनातन🚩
🚩आज की हिंदी तिथि
🌥️ 🚩युगाब्द-५१२४
🌥️ 🚩विक्रम संवत-२०७९
⛅ 🚩तिथि - पूर्णिमा रात्रि 12:24 तक तत्पश्चात प्रतिपदा
⛅दिनांक 16 अप्रैल 2022
⛅दिन - शनिवार
⛅विक्रम संवत - 2079
⛅शक संवत - 1944
⛅अयन - उत्तरायण
⛅ऋतु - वसंत
⛅मास - चैत्र
⛅पक्ष - शुक्ल
⛅नक्षत्र - हस्त सुबह 08:40 तक तत्पश्चात चित्रा
⛅योग - हर्षण रात्रि 02:45 तक तत्पश्चात वज्र
⛅राहुकाल - सुबह 09:29 से दोपहर 11:04 तक
⛅सूर्योदय - 06:19
⛅सूर्यास्त - 07:01
⛅दिशाशूल - पूर्व दिशा में
🚩आज की हिंदी तिथि
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Vaarta: DD News brings you news in Sanskrit | 16.04.2022
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🔰जैनसम्प्रदायः, डा. भीमराव अम्बेडकर
🗓16th April 2022, शनिवासरः
🔴Voicechat would be recorded and shared on this channel.
📑यदि शक्येत चेत् संस्कृतेन (जैनानां मूलसिद्धान्तः कः , जैनतीर्थङ्कराणां जीवनसंदेशः कः, कापि जीवनघटना अथवा कथा / भीमराव अम्बेडकरस्य जीवनपरिचयः जीवनघटना वा) । चर्चार्थं कृपया पूर्वसिद्धतां कृत्वा आगच्छन्तु।
वयं युष्माकं प्रतीक्षां कुर्मः। 😇
स्मारणतंत्रिकां स्थापयतु ⏰
👇🏼👇🏼👇🏼👇🏼👇🏼
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April 15, 2022
April 15, 2022
🔰चित्रं दृष्ट्वा पञ्चवाक्यानि रचयत।
✍🏼सर्वे टिप्पणीसञ्चिका (comment box) मध्ये स्वोत्तराणि लेखितुं शक्नुवन्ति अथवा पुस्तिकायां लिखित्वा तस्य चित्रं स्वीकृत्य अपि प्रेषयितुं शक्नुवन्ति।
🔰 चित्र देखकर पांच वाक्य बनायें।
✍🏼आप कमेंट बॉक्स में टङ्कण कर सकते हैं या कॉपी पर लिखकर फोटो भी भेज सकते हैं।
🔰Make 5 sentences, Observing the attached image.
✍🏼You can type in the comment box or you can also send a photo by writing on the notebook.
#chitram
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#chitram
April 15, 2022
April 15, 2022
April 15, 2022
🍃
🔅नद्यः स्वयम् एव अम्भः न पिबन्ति। वृक्षाः स्वयं (एव) फलानि न खादन्ति। वारिवाहाः खलु (स्वयं एव) सस्यं न अदन्ति । सतां विभूतयः (खलु) परोपकाराय (सन्ति)॥
⚜The rivers do not drink their own waters. The trees do not eat their own fruits. The clouds, indeed, do not eat the crops (they have watered). The riches of the noble (virtuous) people are for helping others.
#Subhashitam
पिबन्ति नद्यः स्वयमेव नाम्भः, स्वयं न खादन्ति फलानि वृक्षाः।
नादन्ति सस्यं खलु वारिवाहाः, परोपकाराय सतां विभूतयः॥
🔅नद्यः स्वयम् एव अम्भः न पिबन्ति। वृक्षाः स्वयं (एव) फलानि न खादन्ति। वारिवाहाः खलु (स्वयं एव) सस्यं न अदन्ति । सतां विभूतयः (खलु) परोपकाराय (सन्ति)॥
⚜The rivers do not drink their own waters. The trees do not eat their own fruits. The clouds, indeed, do not eat the crops (they have watered). The riches of the noble (virtuous) people are for helping others.
#Subhashitam
April 15, 2022
April 15, 2022
April 15, 2022
April 16, 2022
April 16, 2022
संस्कृत संवादः । Sanskrit Samvadah
संस्कृतं
वद आधुनिको भव। वेदान् पठ वैज्ञानिको भव।। पाठ : (३१) सप्तमी विभक्ति (५)
(निमित्त, हेतु, सम्प्रदान आदि के वाचक शब्दों में चतुर्थी के स्थान में
सप्तमी का प्रयोग भी देखा जाता है।) समित्सु आम्रमुत्पाटयति = समिधाओं
के लिए आम के पेड़ को फाड़ रहा है।…
आर्तेषु विप्रेषु दयान्वितश्च यत् श्रद्धया स्वल्पमुपैति दानम्।
अनन्तपारं समुपैति राजन् यद्दीयते तन्न लभेद्-द्विजेभ्यः।।
= दयालु और करुणापूर्ण मनुष्य दुःखी-पीड़ित ब्राह्मणों को जो थोड़ा सा भी दान देता है, हे राजन् ! ऐसे ब्राह्मणों को जितना दान दिया जाता है, वह पुनः उतना ही नहीं प्राप्त होता, किन्तु परमात्मा की कृपा से वह अनन्तगुणा होकर पुनः मिलता है।
वित्तं देहि गुणान्वितेषु मतिमन्नान्यत्र देहि क्वचित्, प्राप्तं वारिनिघेर्जलं घनमुखे माधुर्युक्तं सदा।
जीवान्स्थावरजङ्गमांश्चसकलान् संजीव्य भूमण्डलम्, भूयः पश्य तदेव कोटिगुणितं गच्छन्तमम्भोनिधिम्।।
= हे बुद्धिमान् लोगों ! गुणी पुरुषों को ही धन दो, गुणहीनों को नहीं। देखो समुद्र का खारा जल बादल के मुख को प्राप्त होकर मधुर हो जाता है, और फिर पृथ्वी पर गिरकर जड़ और चेतन सभी को जीवन प्रदान करके अनेक गुणा होकर पुनः समुद्र को प्राप्त हो जाता है। (अर्थात बादल को प्राप्त हुआ समुद्र का खारा जल संसार में जीवन का हेतु बनता है और अनेक गुणा होकर पुनः समुद्र को प्राप्त हो जाता है वैसे ही गुणी जनों को दिया धन परोपकार में खर्च होता है और अनेकगुणा होकर पुनः दाता को प्राप्त हो जाता है।)
वृथा वृष्टिः समुद्रेषु वृथा तृप्तेषु भोजनम्।
वृथा दानं धनाढ्येषु वृथा दीपो दिवाऽपि च।।
= समुद्र में वर्षा, भोजन से तृप्त हुओं को भोजन, धनिकों को दान देना और दिन में दीपक जलाना ये सभी कार्य व्यर्थ हैं।
दातव्यमिति यद्दानं दीयतेऽनुपकारिणे।
देशकाले च पात्रे च तद्दानं सात्त्विकं स्मृतम्।।
= इसे देना उचित है ऐसा समझकर अपने पर उपकार न किया होने पर भी, उचित देश और उचित काल में पात्र (योग्य) व्यक्ति को दान दिया जाता है, उस दान को सात्त्विक दान कहते हैं।
(फेंकना अर्थवाली धातुओं के साथ जिस पर फेंका जाता है उसमें सप्तमी विभक्ति का प्रयोग होता है।)
मृगे बाणं क्षिपति
= जंगली प्राणी पर बाण फेंकता है।
मयि पाषाणखण्डं क्षिपति
= मुझपर पत्थर फेंकता है।
विनोदाय वटुकाः तडागे पाषाणान् अस्यन्ति
= मनोरंजन के लिए बच्चे तालाब में पत्थर फेंक रहे हैं।
एकलव्य कुक्कुरस्य मुखे बाणान् मुमोच
= एकलव्य ने कुत्ते के मुख में बाण छोड़े थे।
वरं तुरङ्गाच्छृङ्गाद्-गुरुशिखरिणः क्वापि विषमे, पतित्वाऽयं कायः कठिनदृषदन्तर्विदलितः।
वरं न्यस्तो हस्तः फणिपतिमुखे तीक्ष्णदशने, वरं वह्नौ पातस्तदपि न कुतः शीलविलयः।।
= पर्वत के ऊंचे शिखर से किसी ऊबड़-खाबड़ चट्टान पर गिर करशरीर को नष्ट कर देना उत्तम है, विषधर सर्प के मुख में हाथ डाल देना पड़े तो भी कोई बात नहीं, दहकती हुई अग्नि में कूद जाना बहुत अच्छा है, परन्तु शील का त्याग कर देना अच्छा नहीं है।
मयि सर्वाणि कर्माणि संन्यस्याऽध्यात्मचेतसा।
निराशीर्निममो भूत्वा युध्यस्व विगतज्वरः।।
= मुझे सब कर्म सौंप कर, आध्यात्मिक भावनायुक्त चित्त से, आशारहित, अहंकार-रहित और सन्ताप-रहित होकर युद्ध कर।
ब्रह्मणि सर्वाणि कर्माणि सन्यस्त ये ध्यायन्ते।
अचिरात्संसारसागरात् त एव पारयन्ते।।
= जो लोग ईश्वर पर सब कर्मों को छोड़कर ईश्वर की ध्यान-उपासना करते हैं, वे शीघ्र ही संसार-सागर से पार हो जाते हैं।
ब्रह्मणि चित्तमाधाय ब्रह्मकर्मपरो भव।
ब्रह्मर्थं कर्माणि कुर्वन् सिद्धिं परामवाप्स्यसि।।
= ब्रह्म में चित्त को रखकर ब्रह्म के लिए कर्म करनेवाला बन जा, ब्रह्म (ईश्वर) के लिए कर्म करता हुआ तू (उपासक) श्रेष्ठ गति को प्राप्त कर लेगा।
(नक्षत्रवाची शब्द यदि नक्षत्र से युक्त काल का वाचक हो, तो उस नक्षत्रवाची शब्द में सप्तमी व तृतीया दोनों का प्रयोग देखा जाता है।)
पुष्ये पुष्येण वा पायसम् अश्नीयात्
= पुष्य नक्षत्र से युक्त काल में खीर खावे।
मघासु मघाभिः माषौदनं भक्षयेत्
= मघा नक्षत्रवाले दिन में उड़द और भात खावे।
सन्तप्तायसि संस्थितस्य पयसो नामापि न श्रूयते, मुक्ताकारतया तदेव नलिनीपत्रस्थितं राजते।
स्वात्यां सागरशुक्तिमध्यपतितं तन्मौक्तिकं जायते, प्रायेणाधममध्यमोत्तमजुषामेवंविधा वृत्तयः।।
= गर्म लोहे पर पड़ी हुई पानी की बूंद का नामो-निशान भी नहीं रहता, वही बूंद कमल के पत्ते पर गिरकर मोती के समान चमकने लगती है, फिर वही बूंद स्वाती नक्षत्र से युक्त काल में समुद्र के सीप में पड़कर मोती बन जाती है। इससे यह प्रतीत होता है कि अधम, मध्यम और उत्तम गुण मनुष्य में सत्संग से ही उत्पन्न होते हैं।
#vakyabhyas
अनन्तपारं समुपैति राजन् यद्दीयते तन्न लभेद्-द्विजेभ्यः।।
= दयालु और करुणापूर्ण मनुष्य दुःखी-पीड़ित ब्राह्मणों को जो थोड़ा सा भी दान देता है, हे राजन् ! ऐसे ब्राह्मणों को जितना दान दिया जाता है, वह पुनः उतना ही नहीं प्राप्त होता, किन्तु परमात्मा की कृपा से वह अनन्तगुणा होकर पुनः मिलता है।
वित्तं देहि गुणान्वितेषु मतिमन्नान्यत्र देहि क्वचित्, प्राप्तं वारिनिघेर्जलं घनमुखे माधुर्युक्तं सदा।
जीवान्स्थावरजङ्गमांश्चसकलान् संजीव्य भूमण्डलम्, भूयः पश्य तदेव कोटिगुणितं गच्छन्तमम्भोनिधिम्।।
= हे बुद्धिमान् लोगों ! गुणी पुरुषों को ही धन दो, गुणहीनों को नहीं। देखो समुद्र का खारा जल बादल के मुख को प्राप्त होकर मधुर हो जाता है, और फिर पृथ्वी पर गिरकर जड़ और चेतन सभी को जीवन प्रदान करके अनेक गुणा होकर पुनः समुद्र को प्राप्त हो जाता है। (अर्थात बादल को प्राप्त हुआ समुद्र का खारा जल संसार में जीवन का हेतु बनता है और अनेक गुणा होकर पुनः समुद्र को प्राप्त हो जाता है वैसे ही गुणी जनों को दिया धन परोपकार में खर्च होता है और अनेकगुणा होकर पुनः दाता को प्राप्त हो जाता है।)
वृथा वृष्टिः समुद्रेषु वृथा तृप्तेषु भोजनम्।
वृथा दानं धनाढ्येषु वृथा दीपो दिवाऽपि च।।
= समुद्र में वर्षा, भोजन से तृप्त हुओं को भोजन, धनिकों को दान देना और दिन में दीपक जलाना ये सभी कार्य व्यर्थ हैं।
दातव्यमिति यद्दानं दीयतेऽनुपकारिणे।
देशकाले च पात्रे च तद्दानं सात्त्विकं स्मृतम्।।
= इसे देना उचित है ऐसा समझकर अपने पर उपकार न किया होने पर भी, उचित देश और उचित काल में पात्र (योग्य) व्यक्ति को दान दिया जाता है, उस दान को सात्त्विक दान कहते हैं।
(फेंकना अर्थवाली धातुओं के साथ जिस पर फेंका जाता है उसमें सप्तमी विभक्ति का प्रयोग होता है।)
मृगे बाणं क्षिपति
= जंगली प्राणी पर बाण फेंकता है।
मयि पाषाणखण्डं क्षिपति
= मुझपर पत्थर फेंकता है।
विनोदाय वटुकाः तडागे पाषाणान् अस्यन्ति
= मनोरंजन के लिए बच्चे तालाब में पत्थर फेंक रहे हैं।
एकलव्य कुक्कुरस्य मुखे बाणान् मुमोच
= एकलव्य ने कुत्ते के मुख में बाण छोड़े थे।
वरं तुरङ्गाच्छृङ्गाद्-गुरुशिखरिणः क्वापि विषमे, पतित्वाऽयं कायः कठिनदृषदन्तर्विदलितः।
वरं न्यस्तो हस्तः फणिपतिमुखे तीक्ष्णदशने, वरं वह्नौ पातस्तदपि न कुतः शीलविलयः।।
= पर्वत के ऊंचे शिखर से किसी ऊबड़-खाबड़ चट्टान पर गिर करशरीर को नष्ट कर देना उत्तम है, विषधर सर्प के मुख में हाथ डाल देना पड़े तो भी कोई बात नहीं, दहकती हुई अग्नि में कूद जाना बहुत अच्छा है, परन्तु शील का त्याग कर देना अच्छा नहीं है।
मयि सर्वाणि कर्माणि संन्यस्याऽध्यात्मचेतसा।
निराशीर्निममो भूत्वा युध्यस्व विगतज्वरः।।
= मुझे सब कर्म सौंप कर, आध्यात्मिक भावनायुक्त चित्त से, आशारहित, अहंकार-रहित और सन्ताप-रहित होकर युद्ध कर।
ब्रह्मणि सर्वाणि कर्माणि सन्यस्त ये ध्यायन्ते।
अचिरात्संसारसागरात् त एव पारयन्ते।।
= जो लोग ईश्वर पर सब कर्मों को छोड़कर ईश्वर की ध्यान-उपासना करते हैं, वे शीघ्र ही संसार-सागर से पार हो जाते हैं।
ब्रह्मणि चित्तमाधाय ब्रह्मकर्मपरो भव।
ब्रह्मर्थं कर्माणि कुर्वन् सिद्धिं परामवाप्स्यसि।।
= ब्रह्म में चित्त को रखकर ब्रह्म के लिए कर्म करनेवाला बन जा, ब्रह्म (ईश्वर) के लिए कर्म करता हुआ तू (उपासक) श्रेष्ठ गति को प्राप्त कर लेगा।
(नक्षत्रवाची शब्द यदि नक्षत्र से युक्त काल का वाचक हो, तो उस नक्षत्रवाची शब्द में सप्तमी व तृतीया दोनों का प्रयोग देखा जाता है।)
पुष्ये पुष्येण वा पायसम् अश्नीयात्
= पुष्य नक्षत्र से युक्त काल में खीर खावे।
मघासु मघाभिः माषौदनं भक्षयेत्
= मघा नक्षत्रवाले दिन में उड़द और भात खावे।
सन्तप्तायसि संस्थितस्य पयसो नामापि न श्रूयते, मुक्ताकारतया तदेव नलिनीपत्रस्थितं राजते।
स्वात्यां सागरशुक्तिमध्यपतितं तन्मौक्तिकं जायते, प्रायेणाधममध्यमोत्तमजुषामेवंविधा वृत्तयः।।
= गर्म लोहे पर पड़ी हुई पानी की बूंद का नामो-निशान भी नहीं रहता, वही बूंद कमल के पत्ते पर गिरकर मोती के समान चमकने लगती है, फिर वही बूंद स्वाती नक्षत्र से युक्त काल में समुद्र के सीप में पड़कर मोती बन जाती है। इससे यह प्रतीत होता है कि अधम, मध्यम और उत्तम गुण मनुष्य में सत्संग से ही उत्पन्न होते हैं।
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April 16, 2022
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@samskrt_samvadah संलापशाला - A Samskrit Voicechat room.
⏳45 निमेषाः
🕚 IST 11:00 AM विषयः
🔰भगवतः हनुमतः जन्मोत्सवः
🗓17th April 2022, रविवासरः
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📑यदि शक्येत चेत् संस्कृतेन (हनुमतः विषये कामपि कथां , तस्य गुणकीर्तनं, भवतां प्रदेशे कथम् आचरणं भवति , प्रसिद्धस्य हनुमतः मन्दिरस्य विवरणम् वा वदन्तु) । चर्चार्थं कृपया पूर्वसिद्धतां कृत्वा आगच्छन्तु।
वयं युष्माकं प्रतीक्षां कुर्मः। 😇
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🗓17th April 2022, रविवासरः
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April 16, 2022
April 16, 2022
🍃
♦️sa~njaya uvaacha
etachChrutvaa vachanaM keshavasya
kRRitaa~njalirvepamaanaH kiriiTii|
namaskRRitvaa bhuuya evaaha kRRiShNaM
sagadgadaM bhiitabhiitaH praNamya
⚜Sanjaya said:
Having heard these words of Krishna; the crowned Arjuna, trembling with folded hands, prostrated with fear and spoke to Krishna in a choked voice.
⚜संजय ने कहा --
केशव भगवान् के इस वचन को सुनकर मुकुटधारी अर्जुन हाथ जोड़े हुए? कांपता हुआ नमस्कार करके पुन भयभीत हुआ श्रीकृष्ण के प्रति गद्गद् वाणी से बोला।।11.35।।
#geeta
सञ्जय उवाच
एतच्छ्रुत्वा वचनं केशवस्य कृताञ्जलिर्वेपमानः किरीटी।
नमस्कृत्वा भूय एवाह कृष्णं सगद्गदं भीतभीतः प्रणम्य
।।11.35।।♦️sa~njaya uvaacha
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namaskRRitvaa bhuuya evaaha kRRiShNaM
sagadgadaM bhiitabhiitaH praNamya
⚜Sanjaya said:
Having heard these words of Krishna; the crowned Arjuna, trembling with folded hands, prostrated with fear and spoke to Krishna in a choked voice.
⚜संजय ने कहा --
केशव भगवान् के इस वचन को सुनकर मुकुटधारी अर्जुन हाथ जोड़े हुए? कांपता हुआ नमस्कार करके पुन भयभीत हुआ श्रीकृष्ण के प्रति गद्गद् वाणी से बोला।।11.35।।
#geeta
April 16, 2022
April 16, 2022
🍃
♦️arjuna uvaacha
sthaane hRRiShiikesha tava prakiirtyaa
jagat prahRRiShyatyanurajyate cha|
rakShaaMsi bhiitaani disho dravanti
sarve namasyanti cha siddhasa~NghaaH
⚜Arjuna said:
Rightly, O Krishna, the world delights and rejoices in glorifying You. Terrified demons flee in all directions. The hosts of Siddhas bow to You in adoration. (11.36)
⚜अर्जुन ने कहा --
यह योग्य ही है कि आपके कीर्तन से जगत् अति हर्षित होता है और अनुराग को भी प्राप्त होता है। भयभीत राक्षस लोग समस्त दिशाओं में भागते हैं और समस्त सिद्धगणों के समुदाय आपको नमस्कार करते हैं।।11.36।।
#geeta
अर्जुन उवाच
स्थाने हृषीकेश तव प्रकीर्त्या जगत् प्रहृष्यत्यनुरज्यते च।
रक्षांसि भीतानि दिशो द्रवन्ति सर्वे नमस्यन्ति च सिद्धसङ्घाः
।।11.36।।♦️arjuna uvaacha
sthaane hRRiShiikesha tava prakiirtyaa
jagat prahRRiShyatyanurajyate cha|
rakShaaMsi bhiitaani disho dravanti
sarve namasyanti cha siddhasa~NghaaH
⚜Arjuna said:
Rightly, O Krishna, the world delights and rejoices in glorifying You. Terrified demons flee in all directions. The hosts of Siddhas bow to You in adoration. (11.36)
⚜अर्जुन ने कहा --
यह योग्य ही है कि आपके कीर्तन से जगत् अति हर्षित होता है और अनुराग को भी प्राप्त होता है। भयभीत राक्षस लोग समस्त दिशाओं में भागते हैं और समस्त सिद्धगणों के समुदाय आपको नमस्कार करते हैं।।11.36।।
#geeta
April 16, 2022
🚩जय सत्य सनातन🚩
🚩आज की हिंदी तिथि
🌥️ 🚩युगाब्द-५१२४
🌥️ 🚩विक्रम संवत-२०७९
⛅ 🚩तिथि - प्रतिपदा रात्रि 10:01 तक तत्पश्चात द्वितीया
⛅दिनांक 17 अप्रैल 2022
⛅दिन - रविवार
⛅विक्रम संवत - 2079
⛅शक संवत - 1944
⛅अयन - उत्तरायण
⛅ऋतु - ग्रीष्म
⛅मास - वैशाख
⛅पक्ष - कृष्ण
⛅नक्षत्र - चित्रा सुबह 07:17 तक तत्पश्चात स्वाती
⛅योग - वज्र रात्रि 11:41 तक तत्पश्चात सिद्धि
⛅राहुकाल - शाम 05:26 से 07:01 तक
⛅सूर्योदय - 06:18
⛅सूर्यास्त - 07:01
⛅दिशाशूल - पश्चिम दिशा में
⛅ब्रह्म मुहूर्त- प्रातः 04:47 से 05:33 तक
⛅निशिता मुहूर्त - रात्रि 12.16 से 01:01 तक
🚩आज की हिंदी तिथि
🌥️ 🚩युगाब्द-५१२४
🌥️ 🚩विक्रम संवत-२०७९
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⛅योग - वज्र रात्रि 11:41 तक तत्पश्चात सिद्धि
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April 16, 2022
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April 16, 2022
Forwarded from रामदूतः — The Sanskrit News Platform (ॐ पीयूषः)
https://youtu.be/NX5oJ_cLxtg
Switch to DD News daily at 7:15 AM (Morning) for 15 minutes Sanskrit news.
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YouTube
वार्ता: संस्कृत में समाचार | 16 से 17 अप्रैल तक हुनर हाट का आयोजन
April 16, 2022
April 16, 2022
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April 16, 2022
April 16, 2022
Samskrit Speaking Skill Development Program
Level 2 : Online Classes for Speaking Skill Development
Specially designed to facilitate Samskrit Teachers
Evening Classes for 4 weeks / 20 days (Monday to Friday)
Class time: 7:00- 8:00 PM
Total 29 lessons / 43 Videos/ 16 hours of viewing time
Clearing the doubts through WhatsApp chat
Classes will be conducted in Samskrit
Online examination through
Assignment – 50 marks
Conversation test – 50 marks
Learning Material:
Abhyasa-sarini / Practice Book (Conversation) Videos
Online classes for 4 weeks (20 days)
Medium of Instruction will be Samskritam
Target audience: Samskrit Teachers who want to acquire Samskrit speaking skills.
Those who teach Samskrit as a subject
Those teach other subjects in Samskrit
Those who work in Samskrit Institutions in management positions
Fees: Rs 1500/- (Rupees One Thousand Five Hundred Only) Note: Fees paid for one session is not transferable or refundable.
To enroll https://adhyapanam.in/level-2
#SanskritEducation
Level 2 : Online Classes for Speaking Skill Development
Specially designed to facilitate Samskrit Teachers
Evening Classes for 4 weeks / 20 days (Monday to Friday)
Class time: 7:00- 8:00 PM
Total 29 lessons / 43 Videos/ 16 hours of viewing time
Clearing the doubts through WhatsApp chat
Classes will be conducted in Samskrit
Online examination through
Assignment – 50 marks
Conversation test – 50 marks
Learning Material:
Abhyasa-sarini / Practice Book (Conversation) Videos
Online classes for 4 weeks (20 days)
Medium of Instruction will be Samskritam
Target audience: Samskrit Teachers who want to acquire Samskrit speaking skills.
Those who teach Samskrit as a subject
Those teach other subjects in Samskrit
Those who work in Samskrit Institutions in management positions
Fees: Rs 1500/- (Rupees One Thousand Five Hundred Only) Note: Fees paid for one session is not transferable or refundable.
To enroll https://adhyapanam.in/level-2
#SanskritEducation
www.adhyapanam.in/level-2
Samskrit Conversation and Communication Skill | Samskrita Sambhashanam | Adhyapanam
This is a custom-built course for Samskrit Teachers to improve the Samskrit Conversation and Communication Skill.
April 16, 2022
April 16, 2022
April 16, 2022
🍃
🔅लोभः पापस्य सङ्कटस्य च मूलमस्ति। लोभात् वैरं प्रवर्तते, अति लोभात् (सर्वम्) विनश्यति॥
⚜Desires (Greeds) are the roots (causes) of all sins and all troubles. Greed gives rise to enmity. (Enmity rises with greed). One perishes with excess greed.
#Subhashitam
लोभमूलानि पापानि संकटानि तथैव च।
लोभात्प्रवर्तते वैरं अतिलोभात्विनश्यति॥
🔅लोभः पापस्य सङ्कटस्य च मूलमस्ति। लोभात् वैरं प्रवर्तते, अति लोभात् (सर्वम्) विनश्यति॥
⚜Desires (Greeds) are the roots (causes) of all sins and all troubles. Greed gives rise to enmity. (Enmity rises with greed). One perishes with excess greed.
#Subhashitam
April 16, 2022
April 17, 2022
April 17, 2022
संस्कृत संवादः । Sanskrit Samvadah
आर्तेषु
विप्रेषु दयान्वितश्च यत् श्रद्धया स्वल्पमुपैति दानम्। अनन्तपारं समुपैति
राजन् यद्दीयते तन्न लभेद्-द्विजेभ्यः।। = दयालु और करुणापूर्ण मनुष्य
दुःखी-पीड़ित ब्राह्मणों को जो थोड़ा सा भी दान देता है, हे राजन् ! ऐसे
ब्राह्मणों को जितना दान दिया जाता है…
स्वात्यां सागरशुक्तिमध्यपतितं तन्मौक्तिकं जायते, प्रायेणाधममध्यमोत्तमजुषामेवंविधा वृत्तयः।।
= गर्म लोहे पर पड़ी हुई पानी की बूंद का नामो-निशान भी नहीं रहता, वही बूंद कमल के पत्ते पर गिरकर मोती के समान चमकने लगती है, फिर वही बूंद स्वाती नक्षत्र से युक्त काल में समुद्र के सीप में पड़कर मोती बन जाती है। इससे यह प्रतीत होता है कि अधम, मध्यम और उत्तम गुण मनुष्य में सत्संग से ही उत्पन्न होते हैं।
(स्वामी, ईश्वर, अधिपति, दायाद, साक्षी, प्रतिभू और प्रसूत इन शब्दों से सम्बन्धित शब्द में विकल्प से सप्तमी विभक्ति होती है पक्ष में षष्ठी विभक्ति होती है।)
सर्वेषु सर्वेषां वा ईश्वरत्वाद् ईश्वर ईश्वरः कथ्यते
= सब का स्वामी होने से ईश्वर ईश्वर कहाता है।
गोपालो गोषु गवां वा स्वामी वर्तते
= गोपाल गायों का स्वामी है।
प्रजासु प्रजानां वाऽधिपतिः शूरः प्रजावत्सलश्च भवेत्
= प्रजा का अधिपति शूर तथा प्रजावत्सल होना चाहिए।
आर्येषु आर्याणां वा दायाद आर्य एव स्यात्
= आर्य (श्रेष्ठ व्यक्ति) का उत्तराधिकारी आर्य ही होना चाहिए।
दुष्टः पुत्रः पितरि पित्रोर्वा दायादो न भवेत्
= दुष्ट सन्तान पिता का उत्तराधिकारी नहीं होनी चाहिए।
अस्याः घटनायाः अस्यां घटनायां वा साक्षिणः के सन्ति ?
= इस घटना के साक्षी कौन-कौन हैं ?
वाक्कीलः प्रतिवादिनः प्रतिवादिनि वा साक्षिणं वाचा कीलति
= वकील प्रतिवादी के साक्षी को वाणी से बांध लेता है।
श्यामे पलायिते श्यामस्य श्यामे वा प्रतिभूः रुप्यकाणि ददाति
= श्याम के भाग जाने के कारण श्याम का जामिन पैसे दे रहा है।
क्षत्रियकुले क्षत्रियकुलस्य वा प्रसूतोऽपि कर्णः दौर्भाग्यात् सूदपुत्र इतिनाम्ना ख्यातिं जगाम
= क्षत्रिय कुल में उत्पन्न होने पर भी दुर्भाग्य से कर्ण सूदपुत्र कहाया।
शूद्रकुले शूद्रकुलस्य वा प्रसूतो विद्यया ब्राह्मणत्वमेति
= शूद्रकुल में उत्पन्न हुआ व्यक्ति विद्या से ब्राह्मणत्व को प्राप्त कर लेता है।
(उप शब्द के प्रयोग में जिससे अधिकता बताई जा रही हो, उसमें सप्तमी विभक्ति का प्रयोग होता है। तथा ‘अधि’ शब्द के प्रयोग में जिसका स्व-स्वामी-भाव बताया जा रहा हो, उससे सप्तमी विभक्ति होती है।)
उप किलोग्रामे पञ्च शतानि ग्रामाः सन्ति सितायाः
= एक किलो से पांचसौ ग्राम मिश्री अधिक है।
अस्यां वातादगोण्यां उप क्विंटले दश किलोग्रामाः सन्ति
= इस बोरी में एक क्विंटल से दस किलो अधिक बादाम हैं।
अस्मिन् कुसूले उप टनचतुष्टये गोधूमानां क्विण्टलं वर्तते
= इस कोठी में चार टन से एक क्विंटल अधिक गेहूं है।
अस्याम् गोदोहन्याम् उप लिटरपञ्चके दुग्धस्य शतं मिलिलिटराणि सन्ति
= इस दुग्धपात्र में चार लिटर से सौ मिलिलिटर दूध अधिक है।
कञ्चुकाय उप मीटरत्रितये चत्वारिंशत् सेंटीमीटराणि वस्त्रस्य प्रयोक्ष्यते
= कुर्ते के लिए तीन मीटर से चालीस सेंटीमीटर कपड़ा अधिक लगेगा।
अधि नरेंन्द्रे भारतीयाः सन्ति
= नरेन्द्र मोदी के अधीन भारतीय हैं।
अधि भारतीयेषु नरेन्द्रो वर्तते
= भारतीयों के अधीन नरेन्द्र मोदी है।
यत्र राजा अधि प्रजासु वर्तते प्रजा च अधि राजनि, तत्सुराष्ट्रमुच्यते
= जहां राजा प्रजा के अधीन और प्रजा राजा के अधीन होती है, वह सुराष्ट्र कहाता है।
अधि आचार्येषु ये छात्राः भवन्ति त एव सुरक्षिताः सुशीलाश्च भवन्ति
= जो छात्र आचार्य के अधीन रहते हैं, वे ही सुरक्षित व सुशील होते हैं।
अधि पित्रोरभावाद् बालकाः पथभ्रष्टाः जाताः सन्ति
= माता-पिता के अधीन न होने से बच्चे पथभ्रष्ट हो गए हैं।
अधि परमात्मनि सकलं जगत् वर्तते
= परमात्मा के अधीन सकल संसार है।
#vakyabhyas
= गर्म लोहे पर पड़ी हुई पानी की बूंद का नामो-निशान भी नहीं रहता, वही बूंद कमल के पत्ते पर गिरकर मोती के समान चमकने लगती है, फिर वही बूंद स्वाती नक्षत्र से युक्त काल में समुद्र के सीप में पड़कर मोती बन जाती है। इससे यह प्रतीत होता है कि अधम, मध्यम और उत्तम गुण मनुष्य में सत्संग से ही उत्पन्न होते हैं।
(स्वामी, ईश्वर, अधिपति, दायाद, साक्षी, प्रतिभू और प्रसूत इन शब्दों से सम्बन्धित शब्द में विकल्प से सप्तमी विभक्ति होती है पक्ष में षष्ठी विभक्ति होती है।)
सर्वेषु सर्वेषां वा ईश्वरत्वाद् ईश्वर ईश्वरः कथ्यते
= सब का स्वामी होने से ईश्वर ईश्वर कहाता है।
गोपालो गोषु गवां वा स्वामी वर्तते
= गोपाल गायों का स्वामी है।
प्रजासु प्रजानां वाऽधिपतिः शूरः प्रजावत्सलश्च भवेत्
= प्रजा का अधिपति शूर तथा प्रजावत्सल होना चाहिए।
आर्येषु आर्याणां वा दायाद आर्य एव स्यात्
= आर्य (श्रेष्ठ व्यक्ति) का उत्तराधिकारी आर्य ही होना चाहिए।
दुष्टः पुत्रः पितरि पित्रोर्वा दायादो न भवेत्
= दुष्ट सन्तान पिता का उत्तराधिकारी नहीं होनी चाहिए।
अस्याः घटनायाः अस्यां घटनायां वा साक्षिणः के सन्ति ?
= इस घटना के साक्षी कौन-कौन हैं ?
वाक्कीलः प्रतिवादिनः प्रतिवादिनि वा साक्षिणं वाचा कीलति
= वकील प्रतिवादी के साक्षी को वाणी से बांध लेता है।
श्यामे पलायिते श्यामस्य श्यामे वा प्रतिभूः रुप्यकाणि ददाति
= श्याम के भाग जाने के कारण श्याम का जामिन पैसे दे रहा है।
क्षत्रियकुले क्षत्रियकुलस्य वा प्रसूतोऽपि कर्णः दौर्भाग्यात् सूदपुत्र इतिनाम्ना ख्यातिं जगाम
= क्षत्रिय कुल में उत्पन्न होने पर भी दुर्भाग्य से कर्ण सूदपुत्र कहाया।
शूद्रकुले शूद्रकुलस्य वा प्रसूतो विद्यया ब्राह्मणत्वमेति
= शूद्रकुल में उत्पन्न हुआ व्यक्ति विद्या से ब्राह्मणत्व को प्राप्त कर लेता है।
(उप शब्द के प्रयोग में जिससे अधिकता बताई जा रही हो, उसमें सप्तमी विभक्ति का प्रयोग होता है। तथा ‘अधि’ शब्द के प्रयोग में जिसका स्व-स्वामी-भाव बताया जा रहा हो, उससे सप्तमी विभक्ति होती है।)
उप किलोग्रामे पञ्च शतानि ग्रामाः सन्ति सितायाः
= एक किलो से पांचसौ ग्राम मिश्री अधिक है।
अस्यां वातादगोण्यां उप क्विंटले दश किलोग्रामाः सन्ति
= इस बोरी में एक क्विंटल से दस किलो अधिक बादाम हैं।
अस्मिन् कुसूले उप टनचतुष्टये गोधूमानां क्विण्टलं वर्तते
= इस कोठी में चार टन से एक क्विंटल अधिक गेहूं है।
अस्याम् गोदोहन्याम् उप लिटरपञ्चके दुग्धस्य शतं मिलिलिटराणि सन्ति
= इस दुग्धपात्र में चार लिटर से सौ मिलिलिटर दूध अधिक है।
कञ्चुकाय उप मीटरत्रितये चत्वारिंशत् सेंटीमीटराणि वस्त्रस्य प्रयोक्ष्यते
= कुर्ते के लिए तीन मीटर से चालीस सेंटीमीटर कपड़ा अधिक लगेगा।
अधि नरेंन्द्रे भारतीयाः सन्ति
= नरेन्द्र मोदी के अधीन भारतीय हैं।
अधि भारतीयेषु नरेन्द्रो वर्तते
= भारतीयों के अधीन नरेन्द्र मोदी है।
यत्र राजा अधि प्रजासु वर्तते प्रजा च अधि राजनि, तत्सुराष्ट्रमुच्यते
= जहां राजा प्रजा के अधीन और प्रजा राजा के अधीन होती है, वह सुराष्ट्र कहाता है।
अधि आचार्येषु ये छात्राः भवन्ति त एव सुरक्षिताः सुशीलाश्च भवन्ति
= जो छात्र आचार्य के अधीन रहते हैं, वे ही सुरक्षित व सुशील होते हैं।
अधि पित्रोरभावाद् बालकाः पथभ्रष्टाः जाताः सन्ति
= माता-पिता के अधीन न होने से बच्चे पथभ्रष्ट हो गए हैं।
अधि परमात्मनि सकलं जगत् वर्तते
= परमात्मा के अधीन सकल संसार है।
#vakyabhyas
April 17, 2022
April 17, 2022
April 17, 2022
Hare Krishna 🙏🙏🙏
Learn to Chant Bhagavad Gita from Samskrita Bharati
We are happy to announce the commencement of 11th Chapter of Bhagavad Gita Shloka recitation classes on 18-Apr-2022.
The focus of this class will be purely on learning to chant the Bhagavad Gita Shlokas with proper pronunciation and breaking at the proper places and so on.
Registration Link (Pre Registration is Must) :
https://forms.gle/jk2TtDw6qEA31hT89
Join the following group for all further announcements related to this course
https://t.me/dailyoneshloka
Class Timing: Daily 3 PM to 3.30 PM
Fees: Nil
PLEASE FORWARD FURTHER SO THAT PEOPLE WHO ARE NOT IN THIS GROUP AND WISH TO ATTEND CAN BENEFIT
Learn to Chant Bhagavad Gita from Samskrita Bharati
We are happy to announce the commencement of 11th Chapter of Bhagavad Gita Shloka recitation classes on 18-Apr-2022.
The focus of this class will be purely on learning to chant the Bhagavad Gita Shlokas with proper pronunciation and breaking at the proper places and so on.
Registration Link (Pre Registration is Must) :
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Class Timing: Daily 3 PM to 3.30 PM
Fees: Nil
PLEASE FORWARD FURTHER SO THAT PEOPLE WHO ARE NOT IN THIS GROUP AND WISH TO ATTEND CAN BENEFIT
Google Docs
Shrimad Bhagavad Gita
Learn to chant Shrimad Bhagavad Gita
April 17, 2022
Wife - using abusing words.
Husband - You speak too much. Do not wake the animal that is sleeping inside me.
Wife - Let it wake up. Who's afraid of mice!!!
#hasya
Husband - You speak too much. Do not wake the animal that is sleeping inside me.
Wife - Let it wake up. Who's afraid of mice!!!
#hasya
April 17, 2022
@samskrt_samvadah संलापशाला - A Samskrit Voicechat room.
⏳45 निमेषाः
🕚 IST 11:00 AM विषयः
🔰शोभायात्रासु कृतानि आक्रमणानि
🗓18th April 2022, सोमवासरः
🔴Voicechat would be recorded and shared on this channel.
📑यदि शक्येत चेत् संस्कृतेन (भारते अनेकेषु राज्येषु हिन्दूशोभायात्रासु कृतानि आक्रमणानि, तेषां कारणं निवारणं च) चर्चार्थं कृपया पूर्वसिद्धतां कृत्वा आगच्छन्तु।
वयं युष्माकं प्रतीक्षां कुर्मः। 😇
स्मारणतंत्रिकां स्थापयतु ⏰
👇🏼👇🏼👇🏼👇🏼👇🏼
https://t.me/samskrt_samvadah?voicechat
⏳45 निमेषाः
🕚 IST 11:00 AM विषयः
🔰शोभायात्रासु कृतानि आक्रमणानि
🗓18th April 2022, सोमवासरः
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📑यदि शक्येत चेत् संस्कृतेन (भारते अनेकेषु राज्येषु हिन्दूशोभायात्रासु कृतानि आक्रमणानि, तेषां कारणं निवारणं च) चर्चार्थं कृपया पूर्वसिद्धतां कृत्वा आगच्छन्तु।
वयं युष्माकं प्रतीक्षां कुर्मः। 😇
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April 17, 2022
April 17, 2022
🍃
♦️kasmaachcha te na nameranmahaatman
gariiyase brahmaNo'pyaadikartre|
ananta devesha jagannivaasa
tvamakSharaM sadasattatparaM yat
⚜Why should they not, O great soul, bow to You, the original creator who is even greater than Brahmaa? O infinite Lord, O God of gods, O abode of the universe, You are both Sat and Asat, and the imperishable Brahman that is beyond both (Sat and Asat).
⚜हे महात्मन् ब्रह्मा के भी आदि कर्ता और सबसे श्रेष्ठ आपके लिए वे कैसे नमस्कार नहीं करें (क्योंकि) हे अनन्त हे देवेश हे जगन्निवास जो सत् असत् और इन दोनों से परे अक्षरतत्त्व है? वह आप ही हैं।।11.37।।
#geeta
कस्माच्च ते न नमेरन्महात्मन् गरीयसे ब्रह्मणोऽप्यादिकर्त्रे।
अनन्त देवेश जगन्निवास त्वमक्षरं सदसत्तत्परं यत्
।।11.37।।♦️kasmaachcha te na nameranmahaatman
gariiyase brahmaNo'pyaadikartre|
ananta devesha jagannivaasa
tvamakSharaM sadasattatparaM yat
⚜Why should they not, O great soul, bow to You, the original creator who is even greater than Brahmaa? O infinite Lord, O God of gods, O abode of the universe, You are both Sat and Asat, and the imperishable Brahman that is beyond both (Sat and Asat).
⚜हे महात्मन् ब्रह्मा के भी आदि कर्ता और सबसे श्रेष्ठ आपके लिए वे कैसे नमस्कार नहीं करें (क्योंकि) हे अनन्त हे देवेश हे जगन्निवास जो सत् असत् और इन दोनों से परे अक्षरतत्त्व है? वह आप ही हैं।।11.37।।
#geeta
April 17, 2022
April 17, 2022
🍃
♦️tvamaadidevaH puruShaH puraaNa
stvamasya vishvasya paraM nidhaanam|
vettaasi vedyaM cha paraM cha dhaama
tvayaa tataM vishvamanantaruupa
⚜You are the primal God, the most ancient Person. You are the ultimate resort of all the universe. You are the knower, the object of knowledge, and the supreme abode. The entire universe is pervaded by You, O Lord of the infinite form. (11.38)
⚜आप आदिदेव और पुराण (सनातन) पुरुष हैं। आप इस जगत् के परम आश्रय ज्ञाता ज्ञेय (जानने योग्य) और परम धाम हैं। हे अनन्तरूप आपसे ही यह विश्व व्याप्त है।।11.38।।
#geeta
त्वमादिदेवः पुरुषः पुराण स्त्वमस्य विश्वस्य परं निधानम्।
वेत्तासि वेद्यं च परं च धाम त्वया ततं विश्वमनन्तरूप
।।11.38।।♦️tvamaadidevaH puruShaH puraaNa
stvamasya vishvasya paraM nidhaanam|
vettaasi vedyaM cha paraM cha dhaama
tvayaa tataM vishvamanantaruupa
⚜You are the primal God, the most ancient Person. You are the ultimate resort of all the universe. You are the knower, the object of knowledge, and the supreme abode. The entire universe is pervaded by You, O Lord of the infinite form. (11.38)
⚜आप आदिदेव और पुराण (सनातन) पुरुष हैं। आप इस जगत् के परम आश्रय ज्ञाता ज्ञेय (जानने योग्य) और परम धाम हैं। हे अनन्तरूप आपसे ही यह विश्व व्याप्त है।।11.38।।
#geeta
April 17, 2022
April 17, 2022
🚩जय सत्य सनातन🚩
🚩आज की हिंदी तिथि
🌥️ 🚩युगाब्द-५१२४
🌥️ 🚩विक्रम संवत-२०७९
⛅ 🚩तिथि - द्वितीया शाम 07:23 तक तत्पश्चात तृतीया
⛅दिनांक 18 अप्रैल 2022
⛅दिन - सोमवार
⛅विक्रम संवत - 2079
⛅शक संवत - 1944
⛅अयन - उत्तरायण
⛅ऋतु - ग्रीष्म
⛅मास - वैशाख
⛅पक्ष - कृष्ण
⛅नक्षत्र - विशाखा रात्रि 03:39 तक तत्पश्चात अनुराधा
⛅योग - सिद्धि रात्रि 08:24 तक तत्पश्चात व्यतिपात
⛅राहुकाल - सुबह 07:52 से दोपहर 09:28 तक
⛅सूर्योदय - 06:17
⛅सूर्यास्त - 07:01
⛅दिशाशूल - पूर्व दिशा में
⛅ब्रह्म मुहूर्त- प्रातः 04:47 से 05:32 तक
⛅निशिता मुहूर्त - रात्रि 12.16 से 01:01
🚩आज की हिंदी तिथि
🌥️ 🚩युगाब्द-५१२४
🌥️ 🚩विक्रम संवत-२०७९
⛅ 🚩तिथि - द्वितीया शाम 07:23 तक तत्पश्चात तृतीया
⛅दिनांक 18 अप्रैल 2022
⛅दिन - सोमवार
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⛅शक संवत - 1944
⛅अयन - उत्तरायण
⛅ऋतु - ग्रीष्म
⛅मास - वैशाख
⛅पक्ष - कृष्ण
⛅नक्षत्र - विशाखा रात्रि 03:39 तक तत्पश्चात अनुराधा
⛅योग - सिद्धि रात्रि 08:24 तक तत्पश्चात व्यतिपात
⛅राहुकाल - सुबह 07:52 से दोपहर 09:28 तक
⛅सूर्योदय - 06:17
⛅सूर्यास्त - 07:01
⛅दिशाशूल - पूर्व दिशा में
⛅ब्रह्म मुहूर्त- प्रातः 04:47 से 05:32 तक
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April 17, 2022
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April 17, 2022
Forwarded from रामदूतः — The Sanskrit News Platform (ॐ पीयूषः)
https://youtu.be/X6cDnjFLzvE
Switch to DD News daily at 7:15 AM (Morning) for 15 minutes Sanskrit news.
Switch to DD News daily at 7:15 AM (Morning) for 15 minutes Sanskrit news.
YouTube
वार्ता: संस्कृत में समाचार | पीएम मोदी आज से 3 दिवसीय गुजरात दौरे पर
वार्ता: संस्कृत में
समाचार | पीएम मोदी आज से 3 दिवसीय गुजरात दौरे पर DD News is India’s 24x7
news channel from the stable of the country’s Public Service Bro...
April 17, 2022
April 17, 2022
🔰चित्रं दृष्ट्वा पञ्चवाक्यानि रचयत।
✍🏼सर्वे टिप्पणीसञ्चिका (comment box) मध्ये स्वोत्तराणि लेखितुं शक्नुवन्ति अथवा पुस्तिकायां लिखित्वा तस्य चित्रं स्वीकृत्य अपि प्रेषयितुं शक्नुवन्ति।
🔰 चित्र देखकर पांच वाक्य बनायें।
✍🏼आप कमेंट बॉक्स में टङ्कण कर सकते हैं या कॉपी पर लिखकर फोटो भी भेज सकते हैं।
🔰Make 5 sentences, Observing the attached image.
✍🏼You can type in the comment box or you can also send a photo by writing on the notebook.
#chitram
✍🏼सर्वे टिप्पणीसञ्चिका (comment box) मध्ये स्वोत्तराणि लेखितुं शक्नुवन्ति अथवा पुस्तिकायां लिखित्वा तस्य चित्रं स्वीकृत्य अपि प्रेषयितुं शक्नुवन्ति।
🔰 चित्र देखकर पांच वाक्य बनायें।
✍🏼आप कमेंट बॉक्स में टङ्कण कर सकते हैं या कॉपी पर लिखकर फोटो भी भेज सकते हैं।
🔰Make 5 sentences, Observing the attached image.
✍🏼You can type in the comment box or you can also send a photo by writing on the notebook.
#chitram
April 17, 2022
April 17, 2022
🍃
🔅यः परिणामे खलः, सः वयसः अपि खलः एव (अस्ति ) । इन्द्रवारुणम् सु-पक्वम् अपि न माधुर्यम् उपयाति ।
⚜An evil person remains an evil person even after gaining maturity with age. Bitter pumpkin (Indravaarun fruit) does not mellow into sweetness even after becoming fully ripe.
#Subhashitam
वयसः परिणामेऽपि यः खलः खल एव सः।
सुपक्वमपि माधुर्यं नोपयातीन्द्रवारुणम् ॥
🔅यः परिणामे खलः, सः वयसः अपि खलः एव (अस्ति ) । इन्द्रवारुणम् सु-पक्वम् अपि न माधुर्यम् उपयाति ।
⚜An evil person remains an evil person even after gaining maturity with age. Bitter pumpkin (Indravaarun fruit) does not mellow into sweetness even after becoming fully ripe.
#Subhashitam
April 17, 2022
April 17, 2022
April 18, 2022
April 18, 2022
April 18, 2022
संस्कृत संवादः । Sanskrit Samvadah
स्वात्यां
सागरशुक्तिमध्यपतितं तन्मौक्तिकं जायते, प्रायेणाधममध्यमोत्तमजुषामेवंविधा
वृत्तयः।। = गर्म लोहे पर पड़ी हुई पानी की बूंद का नामो-निशान भी नहीं
रहता, वही बूंद कमल के पत्ते पर गिरकर मोती के समान चमकने लगती है, फिर
वही बूंद स्वाती नक्षत्र से युक्त…
संस्कृतं वद आधुनिको भव।
वेदान् पठ वैज्ञानिको भव।।
पाठ: (32) कर्मवाच्य (पॅसिव्ह वॉईस)
(कर्म को प्रधान रूप से कहने के लिए कर्मवाच्य का प्रयोग होता है। कर्मवाच्य में कर्ता में तृतीया, कर्म में प्रथमा तथा क्रिया कर्म के अनुसार चलती है। सकर्मक धातुओं का ही कर्मवाच्य में प्रयोग होता है तथा धातु से आत्मनेपद होता है।)
रामः (कर्ता) रोटिकां (कर्म) खादति (क्रिया)
= राम रोटी खा रहा है। (कतृवाच्य प्रयोग)
रामेण रोटिका खाद्यते
= राम के द्वारा रोटी खाई जाती है।
अहं पाठं लिखामि
= मैं पाठ लिख रही हूं।
मया पाठः लिख्यते
= मेरे द्वारा पाठ लिखा जा रहा है।
आत्मदर्शी प्रातः दुग्धम् अपिबत्
= आत्मदर्शी ने सुबह दूध पीया।
आत्मदर्शिना प्रातः दुग्धम् अपीयत
= आत्मदर्शी के द्वारा सुबह दूध पीया गया।
छात्राः सर्वा श्वः यज्ञार्थं नगरं गमिष्यन्ति
= सभी छात्राएं कल यज्ञ के लिए शहर जाएंगी।
छात्राभिः सर्वाभिः श्वः यज्ञार्थं नगरं गमिष्यते
= सभी छात्राओं के द्वारा यज्ञ के लिए कल शहर जाया जाएगा।
कृषकः हलेन क्षेत्रम् कर्षति
= किसान हल से भूमि जोतता है।
कृषकेन हलेन क्षेत्रम् कृष्यते
= किसान के द्वारा हल से भूमि जोती जा रही है।
श्रेष्ठी निर्धनेभ्यः कम्बलानि ददाति
= श्रेष्ठी गरीबों को कम्बल दे रहा है।
श्रेष्ठिना निर्धनेभ्यः कम्बलानि दीयन्ते
= श्रेष्ठी के द्वारा गरीबों को कम्बल दिए जा रहे हैं।
प्रत्यूषे सर्वे कोष्णं जलं पिबेयुः
= जल्दी सुबह सभी को गुनगुना पानी पीना चाहिए।
प्रत्यूषे सर्वैः कोष्णं जलं पीयेत
= सुबह सभी के द्वारा गुनगुना पानी पीया जाना चाहिए।
रात्रौ चिरेण भोजनं मा कुरु
= रात को देर से भोजन मत कर।
रात्रौ चिरेण भोजनं मा क्रियस्व
= रात को देर से भोजन नहीं किया जाना चाहिए।
वातप्रकोपे चमसपूरं मेथिकां जले विक्लिद्य प्रातः रिक्तोदरं भुङ्क्ताम्
= वायु प्रकुपित होने पर चम्मचभर मेथी के दाने पानी में भिगो कर सुबह खाली पेट खाओ।
वातप्रकोपे चमसपूरं मेथिका जले विक्लिद्य प्रातः रिक्तोदरं भुज्यताम्
= वायु प्रकुपित होने पर चम्मचभर मेथी के दाने पानी में भिगो कर सुबह खाली पेट खाया जाना चाहिए।
कोष्ठबद्धतायां प्रातः प्रतिदिनं चतुःपञ्चचषकपरिमितं कोष्णं जलं पिबतु
= कब्जियत में सुबह प्रतिदिन चार-पांच गिलास गुनगुना पानी पीयो।
कोष्ठबद्धतायां प्रातः प्रतिदिनं चतुःपञ्चचषकपरिमितं कोष्णं जलं पीयताम्
= कब्ज में सुबह प्रतिदिन चार-पांच ग्लास गुनगुना पानी पीया जाए।
वेदशास्त्राध्ययनेन धर्मं जानीत
= वेद व वैदिक शास्त्रों के अध्ययन से धर्म को जानना चाहिए।
वेदशास्त्राध्ययनेन धर्मः ज्ञायेत
= वेद व वैदिक शास्त्रों के अध्ययन से धर्म जाना जाए।
वीथ्यां गच्छन् चायपानं कुर्वन्तं पुत्रं पिता अद्राक्षीत्
= बाजार में जाते हुए पिता ने चाय पी रहे पुत्र को देखा।
वीथ्यां गच्छता चायपानं कुर्वाणः पुत्रः पित्रा अदर्शि
= बाजार में जाते हुए पिता के द्वारा चाय पीता हुआ पुत्र देखा गया।
नर्तकी अद्य भरतनाट्यम् अकार्षीत्
= नर्तकी ने आज भरतनाट्यम् किया।
नर्तक्या अद्य भरतनाट्यम् अकारि
= नर्तकी के द्वारा आज भरतनाट्यम् किया गया।
#vakyabhyas
वेदान् पठ वैज्ञानिको भव।।
पाठ: (32) कर्मवाच्य (पॅसिव्ह वॉईस)
(कर्म को प्रधान रूप से कहने के लिए कर्मवाच्य का प्रयोग होता है। कर्मवाच्य में कर्ता में तृतीया, कर्म में प्रथमा तथा क्रिया कर्म के अनुसार चलती है। सकर्मक धातुओं का ही कर्मवाच्य में प्रयोग होता है तथा धातु से आत्मनेपद होता है।)
रामः (कर्ता) रोटिकां (कर्म) खादति (क्रिया)
= राम रोटी खा रहा है। (कतृवाच्य प्रयोग)
रामेण रोटिका खाद्यते
= राम के द्वारा रोटी खाई जाती है।
अहं पाठं लिखामि
= मैं पाठ लिख रही हूं।
मया पाठः लिख्यते
= मेरे द्वारा पाठ लिखा जा रहा है।
आत्मदर्शी प्रातः दुग्धम् अपिबत्
= आत्मदर्शी ने सुबह दूध पीया।
आत्मदर्शिना प्रातः दुग्धम् अपीयत
= आत्मदर्शी के द्वारा सुबह दूध पीया गया।
छात्राः सर्वा श्वः यज्ञार्थं नगरं गमिष्यन्ति
= सभी छात्राएं कल यज्ञ के लिए शहर जाएंगी।
छात्राभिः सर्वाभिः श्वः यज्ञार्थं नगरं गमिष्यते
= सभी छात्राओं के द्वारा यज्ञ के लिए कल शहर जाया जाएगा।
कृषकः हलेन क्षेत्रम् कर्षति
= किसान हल से भूमि जोतता है।
कृषकेन हलेन क्षेत्रम् कृष्यते
= किसान के द्वारा हल से भूमि जोती जा रही है।
श्रेष्ठी निर्धनेभ्यः कम्बलानि ददाति
= श्रेष्ठी गरीबों को कम्बल दे रहा है।
श्रेष्ठिना निर्धनेभ्यः कम्बलानि दीयन्ते
= श्रेष्ठी के द्वारा गरीबों को कम्बल दिए जा रहे हैं।
प्रत्यूषे सर्वे कोष्णं जलं पिबेयुः
= जल्दी सुबह सभी को गुनगुना पानी पीना चाहिए।
प्रत्यूषे सर्वैः कोष्णं जलं पीयेत
= सुबह सभी के द्वारा गुनगुना पानी पीया जाना चाहिए।
रात्रौ चिरेण भोजनं मा कुरु
= रात को देर से भोजन मत कर।
रात्रौ चिरेण भोजनं मा क्रियस्व
= रात को देर से भोजन नहीं किया जाना चाहिए।
वातप्रकोपे चमसपूरं मेथिकां जले विक्लिद्य प्रातः रिक्तोदरं भुङ्क्ताम्
= वायु प्रकुपित होने पर चम्मचभर मेथी के दाने पानी में भिगो कर सुबह खाली पेट खाओ।
वातप्रकोपे चमसपूरं मेथिका जले विक्लिद्य प्रातः रिक्तोदरं भुज्यताम्
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कोष्ठबद्धतायां प्रातः प्रतिदिनं चतुःपञ्चचषकपरिमितं कोष्णं जलं पिबतु
= कब्जियत में सुबह प्रतिदिन चार-पांच गिलास गुनगुना पानी पीयो।
कोष्ठबद्धतायां प्रातः प्रतिदिनं चतुःपञ्चचषकपरिमितं कोष्णं जलं पीयताम्
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वेदशास्त्राध्ययनेन धर्मं जानीत
= वेद व वैदिक शास्त्रों के अध्ययन से धर्म को जानना चाहिए।
वेदशास्त्राध्ययनेन धर्मः ज्ञायेत
= वेद व वैदिक शास्त्रों के अध्ययन से धर्म जाना जाए।
वीथ्यां गच्छन् चायपानं कुर्वन्तं पुत्रं पिता अद्राक्षीत्
= बाजार में जाते हुए पिता ने चाय पी रहे पुत्र को देखा।
वीथ्यां गच्छता चायपानं कुर्वाणः पुत्रः पित्रा अदर्शि
= बाजार में जाते हुए पिता के द्वारा चाय पीता हुआ पुत्र देखा गया।
नर्तकी अद्य भरतनाट्यम् अकार्षीत्
= नर्तकी ने आज भरतनाट्यम् किया।
नर्तक्या अद्य भरतनाट्यम् अकारि
= नर्तकी के द्वारा आज भरतनाट्यम् किया गया।
#vakyabhyas
April 18, 2022
April 18, 2022
Namah, Anyone who wants to act along with their children in vakyabhyas video series that would be uploaded on our youtube channel?
We would provide you script, you just have to act along with your child and record with your camera/mobile and send to us.
we would handle Video editing. An example of kind of videos needed is here ( Just replace English/Hindi by Samskrit)
https://youtube.com/shorts/Lfmo8Uzd-Sk?feature=share
नमो नमः, कोई भी जो अपने बच्चों के साथ वाक्याभ्यास वीडियो श्रृंखला में अभिनय करना चाहता है जिसे हमारे यूट्यूब चैनल पर अपलोड किया जाएगा?
हम आपको स्क्रिप्ट प्रदान करेंगे, आपको बस अपने बच्चे के साथ अभिनय करना है और अपने कैमरे/मोबाइल से रिकॉर्ड करना है और हमें भेजना है।
हम वीडियो एडिटिंग को हैंडल करेंगे। आवश्यक वीडियो का एक उदाहरण यहां है (बस अंग्रेजी/हिंदी को संस्कृत से बदला जायेगा)
https://youtube.com/shorts/Lfmo8Uzd-Sk?feature=share
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नमो नमः, कोई भी जो अपने बच्चों के साथ वाक्याभ्यास वीडियो श्रृंखला में अभिनय करना चाहता है जिसे हमारे यूट्यूब चैनल पर अपलोड किया जाएगा?
हम आपको स्क्रिप्ट प्रदान करेंगे, आपको बस अपने बच्चे के साथ अभिनय करना है और अपने कैमरे/मोबाइल से रिकॉर्ड करना है और हमें भेजना है।
हम वीडियो एडिटिंग को हैंडल करेंगे। आवश्यक वीडियो का एक उदाहरण यहां है (बस अंग्रेजी/हिंदी को संस्कृत से बदला जायेगा)
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April 18, 2022
April 18, 2022
🍃
♦️vaayuryamo'gnirvaruNaH shashaa~NkaH
prajaapatistvaM prapitaamahashcha|
namo namaste'stu sahasrakRRitvaH
punashcha bhuuyo'pi namo namaste
⚜You are Vaayu, Yama, Agni, Varuna, Shashaanka, and Brahmaa as well as the father of Brahmaa. Salutations to You a thousand times, and again and again salutations to You. (11.39)
⚜आप वायु, यम, अग्नि, वरुण, चन्द्रमा, प्रजापति (ब्रह्मा) और प्रपितामह (ब्रह्मा के भी कारण) हैं आपके लिए सहस्र बार नमस्कार, नमस्कार है, पुन आपको बारम्बार नमस्कार, नमस्कार है।।11.39।।
#geeta
वायुर्यमोऽग्निर्वरुणः शशाङ्कः प्रजापतिस्त्वं प्रपितामहश्च।
नमो नमस्तेऽस्तु सहस्रकृत्वः पुनश्च भूयोऽपि नमो नमस्ते
।।11.39।।♦️vaayuryamo'gnirvaruNaH shashaa~NkaH
prajaapatistvaM prapitaamahashcha|
namo namaste'stu sahasrakRRitvaH
punashcha bhuuyo'pi namo namaste
⚜You are Vaayu, Yama, Agni, Varuna, Shashaanka, and Brahmaa as well as the father of Brahmaa. Salutations to You a thousand times, and again and again salutations to You. (11.39)
⚜आप वायु, यम, अग्नि, वरुण, चन्द्रमा, प्रजापति (ब्रह्मा) और प्रपितामह (ब्रह्मा के भी कारण) हैं आपके लिए सहस्र बार नमस्कार, नमस्कार है, पुन आपको बारम्बार नमस्कार, नमस्कार है।।11.39।।
#geeta
April 18, 2022
@samskrt_samvadah संलापशाला - A Samskrit Voicechat room.
⏳45 निमेषाः
🕚 IST 11:00 AM विषयः
🔰वाक्याभ्यासः
🗓19th April 2022, मङ्गलवासरः
🔴Voicechat would be recorded and shared on this channel.
📑यदि शक्येत चेत् संस्कृतेन (चित्रं दृष्ट्वा वाक्यानि वक्तव्यानि) चर्चार्थं कृपया पूर्वसिद्धतां कृत्वा आगच्छन्तु।
वयं युष्माकं प्रतीक्षां कुर्मः। 😇
स्मारणतंत्रिकां स्थापयतु ⏰
👇🏼👇🏼👇🏼👇🏼👇🏼
https://t.me/samskrt_samvadah?voicechat
⏳45 निमेषाः
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April 18, 2022
April 18, 2022
🍃
♦️namaH purastaadatha pRRiShThataste
namo'stu te sarvata eva sarva|
anantaviiryaamitavikramastvaM
sarvaM samaapnoShi tato'si sarvaH
⚜My salutations to You from front and from behind. O Lord, my obeisances to You from all sides. You are infinite valor and the boundless might. You pervade everything, and therefore You are everywhere and in everything. (11.40)
⚜हे अनन्तसार्मथ्य वाले भगवन् आपके लिए अग्रत और पृष्ठत नमस्कार है हे सर्वात्मन् आपको सब ओर से नमस्कार है। आप अमित विक्रमशाली हैं और आप सबको व्याप्त किये हुए हैं? इससे आप सर्वरूप हैं।।11.40।।
#geeta
नमः पुरस्तादथ पृष्ठतस्ते नमोऽस्तु ते सर्वत एव सर्व।
अनन्तवीर्यामितविक्रमस्त्वं सर्वं समाप्नोषि ततोऽसि सर्वः
।।11.40।।♦️namaH purastaadatha pRRiShThataste
namo'stu te sarvata eva sarva|
anantaviiryaamitavikramastvaM
sarvaM samaapnoShi tato'si sarvaH
⚜My salutations to You from front and from behind. O Lord, my obeisances to You from all sides. You are infinite valor and the boundless might. You pervade everything, and therefore You are everywhere and in everything. (11.40)
⚜हे अनन्तसार्मथ्य वाले भगवन् आपके लिए अग्रत और पृष्ठत नमस्कार है हे सर्वात्मन् आपको सब ओर से नमस्कार है। आप अमित विक्रमशाली हैं और आप सबको व्याप्त किये हुए हैं? इससे आप सर्वरूप हैं।।11.40।।
#geeta
April 18, 2022
🚩जय सत्य सनातन🚩
🚩आज की हिंदी तिथि
🌥️ 🚩युगाब्द-५१२४
🌥️ 🚩विक्रम संवत-२०७९
⛅ 🚩तिथि - तृतीया शाम 04:38 तक तत्पश्चात चतुर्थी
⛅दिनांक 19 अप्रैल 2022
⛅दिन - मंगलवार
⛅विक्रम संवत - 2079
⛅शक संवत - 1944
⛅अयन - उत्तरायण
⛅ऋतु - ग्रीष्म
⛅मास - वैशाख
⛅पक्ष - कृष्ण
⛅नक्षत्र - अनुराधा रात्रि 01:39 तक तत्पश्चात ज्येष्ठा
⛅योग - व्यतिपात 05:02 तक तत्पश्चात वरियान
⛅राहुकाल - अपरान्ह 03:50 से शाम 05:26 तक
⛅सूर्योदय - 06:16
⛅सूर्यास्त - 07:02
⛅चन्द्रोदय- रात्रि 09:57
⛅दिशाशूल - उत्तर दिशा में
🚩आज की हिंदी तिथि
🌥️ 🚩युगाब्द-५१२४
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April 18, 2022
@samskrt_samvadah संलापशाला - A Samskrit Voicechat room.
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वयं युष्माकं प्रतीक्षां कुर्मः। 😇
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April 18, 2022
April 18, 2022
Forwarded from ॐ पीयूषः
https://youtu.be/l0RUOEyGDc8
Switch to DD News daily at 7:15 AM (Morning) for 15 minutes Sanskrit news.
Switch to DD News daily at 7:15 AM (Morning) for 15 minutes Sanskrit news.
YouTube
वार्ता: संस्कृत में समाचार | लेफ्टिनेंट जनरल मनोज पांडे होंगे देश के अगले सेना प्रमुख
April 18, 2022
🔰चित्रं दृष्ट्वा पञ्चवाक्यानि रचयत।
✍🏼सर्वे टिप्पणीसञ्चिका (comment box) मध्ये स्वोत्तराणि लेखितुं शक्नुवन्ति अथवा पुस्तिकायां लिखित्वा तस्य चित्रं स्वीकृत्य अपि प्रेषयितुं शक्नुवन्ति।
🔰 चित्र देखकर पांच वाक्य बनायें।
✍🏼आप कमेंट बॉक्स में टङ्कण कर सकते हैं या कॉपी पर लिखकर फोटो भी भेज सकते हैं।
🔰Make 5 sentences, Observing the attached image.
✍🏼You can type in the comment box or you can also send a photo by writing on the notebook.
#chitram
✍🏼सर्वे टिप्पणीसञ्चिका (comment box) मध्ये स्वोत्तराणि लेखितुं शक्नुवन्ति अथवा पुस्तिकायां लिखित्वा तस्य चित्रं स्वीकृत्य अपि प्रेषयितुं शक्नुवन्ति।
🔰 चित्र देखकर पांच वाक्य बनायें।
✍🏼आप कमेंट बॉक्स में टङ्कण कर सकते हैं या कॉपी पर लिखकर फोटो भी भेज सकते हैं।
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#chitram
April 18, 2022
April 18, 2022
🍃
🔅अभ्यासेन सर्वविधानि कार्याणि सिध्यन्ति । अभ्यासेन सम्पूर्णाः कलाः सिध्यन्ति । अभ्यासात ध्यानं मौनं ज्ञानादयः च प्राप्यन्ते । अतः अभ्यासेन किं कार्यं न सिध्यति अर्थात सर्वं सिध्यति ।।
#Subhashitam
अभ्यासेन क्रियाः सर्वाः अभ्यासात् सकलाः कलाः । अभ्यासाद् ध्यानमौनादि किमभ्यासस्य दुष्करम्
॥🔅अभ्यासेन सर्वविधानि कार्याणि सिध्यन्ति । अभ्यासेन सम्पूर्णाः कलाः सिध्यन्ति । अभ्यासात ध्यानं मौनं ज्ञानादयः च प्राप्यन्ते । अतः अभ्यासेन किं कार्यं न सिध्यति अर्थात सर्वं सिध्यति ।।
#Subhashitam
April 18, 2022
April 18, 2022
April 18, 2022
April 19, 2022
शुद्धवाक्यस्य चयनं कुर्वन्तु।
Anonymous Quiz
25%
हनुमतः पञ्चानि मुखानि सन्ति।
51%
हनुमतः पञ्च मुखानि सन्ति।
23%
हनुमतस्य पञ्च मुखानि सन्ति।
2%
हनुमन्तस्य पञ्चन् मुखानि सन्ति।
April 19, 2022
संस्कृत संवादः । Sanskrit Samvadah
संस्कृतं
वद आधुनिको भव। वेदान् पठ वैज्ञानिको भव।। पाठ: (32) कर्मवाच्य (पॅसिव्ह
वॉईस) (कर्म को प्रधान रूप से कहने के लिए कर्मवाच्य का प्रयोग होता है।
कर्मवाच्य में कर्ता में तृतीया, कर्म में प्रथमा तथा क्रिया कर्म के
अनुसार चलती है। सकर्मक धातुओं का ही कर्मवाच्य…
छात्रा शोधप्रबन्धनम् अलेखीत्
= छात्रा ने शोधप्रबन्ध लिखा।
छात्रया शोधप्रबन्धोऽलेखि
= छात्रा के द्वारा शोधप्रबन्ध लिखा गया।
स्वयम्भूर्याथातथ्यतोऽर्थान् व्यदधात् शाश्वतीभ्यः समाभ्यः
= स्वयंसिद्ध ईश्वर ने ठीक प्रकार से (जैसे होने चाहिए वैसे ही) पदार्थों को शाश्वत प्रजा के लिए बनाया।
स्वयंभूर्याथातथ्यतोऽर्थाः व्यधायिषुः शाश्वतीभ्यः समाभ्यः
= स्वयं सिद्ध ईश्वर के द्वारा ठीक प्रकार से शाश्वत प्रजा के लिए पदार्थों का निर्माण किया गया।
विचक्षणाः विद्याञ्चाऽविद्याञ्चा सहैवाऽवेदिषुः
= विवेकी विद्वान् ज्ञान तथा कर्म को एक साथ जानते थे।
विचक्षणैः विद्या चाऽविद्या च सहैवाऽवेदि
= विवेकी विद्वानों के द्वारा ज्ञान तथा कर्म एक साथ जाने गए।
मुक्ताः अनासक्तभावेन कर्माणि सर्वाणि चक्रुः
= मुक्तों ने अनासक्त भाव से सब कर्मों को किया था।
मुक्तैः अनासक्तभावेन कर्माणि सर्वाणि चक्रिरे
= मुक्तों के द्वारा अनासक्त भाव से सब कर्म किए गए थे।
कुभोज्येन दिनं नष्टं कुकलत्रेण शर्वरी।
कुपुत्रेण कुलं नष्टं तन्नष्टं यन्न दीयते।।
= कुभोजन से दिन, कुपत्नी से रात और कुपुत्र से कुल नष्ट हो जाता है तथा जो नहीं दिया गया है वह (धनादि भी) नष्ट हो जाते हैं।
न गृहं गृहमित्याहुर्गृहिणी गृहमुच्यते।
गृहं तु गृहिणीहीनं कान्तारादतिरिच्यते।।
= घर को घर नहीं कहते अपितु गृहिणी को ही घर कहा जाता है। गृहिणी के बिना घर जंगल से भी अधिक भीषण होता है।
सकृज्जल्पन्ति राजानः सकृज्जल्पन्ति पण्डिताः।
सकृत् कन्याः प्रदीयन्ते त्रीण्येतानि सकृत्सकृत्।।
= राजा एक ही बार आज्ञा देता है, पण्डित एक ही बार बोलता है अर्थात् दोनों स्व-वचनों पर दृढ़ रहते हैं। कन्यादान एक ही बार किया जाता है। ये तीनों बातें एक ही बार होती हैं, बार-बार नहीं।
यथा चतुर्भिः कनकं परीक्ष्यते निघर्षणच्छेदनतापताडनैः।
तथा चतुर्भिः पुरुषः परीक्ष्यते त्यागेन शीलेन गुणेन कर्मणा।।
= जैसे सोने का खरे-खोटे के पहचान के लिए घिसने, काटने, तपाने और कूटने के द्वारा परीक्षण किया जाता है वैसे मनुष्य का भी दान, शील, गुण और कर्म से परीक्षण किया जाता है।
अभ्यासाद् धार्यते विद्या कुलं शीलेन धार्यते।
गुणेन ज्ञायते त्वार्यः कोपो नेत्रेण गम्यते।।
= निरन्तर अभ्यास से विद्या प्राप्त होती है, उत्तम आचरण से कुल धारण किया जाता है (कुल का गौरव-मान बढ़ता है), उत्तम गुणों से आर्य जाना जाता है और आंखों से गुस्सा जाना जाता है।
अज्ञोऽपि तज्ञतामेति शनैः शलोऽपि चूर्ण्यते।
बाणोऽप्येति महालक्ष्यं पश्याऽभ्यास विजृम्भितम्।।
= अभ्यास का चमत्कार देखो, अभ्यास से अज्ञानी भी ज्ञानी हो जाता है, पर्वत भी धीरे-धीरे चूरा कर दिया जाता है, बाण भी सूक्ष्म लक्ष्य को बींध
सकता है।
वित्तेन रक्ष्यते धर्मो विद्या योगेन रक्ष्यते।
मृदुना रक्ष्यते भूपः सत्स्त्रिया रक्ष्यते गृहम्।।
= धन से धर्म की, योग से विद्या की, कोमलता व मधुरता से राजा की, तथा सती स्त्री से घर की रक्षा होती है।
#vakyabhyas
= छात्रा ने शोधप्रबन्ध लिखा।
छात्रया शोधप्रबन्धोऽलेखि
= छात्रा के द्वारा शोधप्रबन्ध लिखा गया।
स्वयम्भूर्याथातथ्यतोऽर्थान् व्यदधात् शाश्वतीभ्यः समाभ्यः
= स्वयंसिद्ध ईश्वर ने ठीक प्रकार से (जैसे होने चाहिए वैसे ही) पदार्थों को शाश्वत प्रजा के लिए बनाया।
स्वयंभूर्याथातथ्यतोऽर्थाः व्यधायिषुः शाश्वतीभ्यः समाभ्यः
= स्वयं सिद्ध ईश्वर के द्वारा ठीक प्रकार से शाश्वत प्रजा के लिए पदार्थों का निर्माण किया गया।
विचक्षणाः विद्याञ्चाऽविद्याञ्चा सहैवाऽवेदिषुः
= विवेकी विद्वान् ज्ञान तथा कर्म को एक साथ जानते थे।
विचक्षणैः विद्या चाऽविद्या च सहैवाऽवेदि
= विवेकी विद्वानों के द्वारा ज्ञान तथा कर्म एक साथ जाने गए।
मुक्ताः अनासक्तभावेन कर्माणि सर्वाणि चक्रुः
= मुक्तों ने अनासक्त भाव से सब कर्मों को किया था।
मुक्तैः अनासक्तभावेन कर्माणि सर्वाणि चक्रिरे
= मुक्तों के द्वारा अनासक्त भाव से सब कर्म किए गए थे।
कुभोज्येन दिनं नष्टं कुकलत्रेण शर्वरी।
कुपुत्रेण कुलं नष्टं तन्नष्टं यन्न दीयते।।
= कुभोजन से दिन, कुपत्नी से रात और कुपुत्र से कुल नष्ट हो जाता है तथा जो नहीं दिया गया है वह (धनादि भी) नष्ट हो जाते हैं।
न गृहं गृहमित्याहुर्गृहिणी गृहमुच्यते।
गृहं तु गृहिणीहीनं कान्तारादतिरिच्यते।।
= घर को घर नहीं कहते अपितु गृहिणी को ही घर कहा जाता है। गृहिणी के बिना घर जंगल से भी अधिक भीषण होता है।
सकृज्जल्पन्ति राजानः सकृज्जल्पन्ति पण्डिताः।
सकृत् कन्याः प्रदीयन्ते त्रीण्येतानि सकृत्सकृत्।।
= राजा एक ही बार आज्ञा देता है, पण्डित एक ही बार बोलता है अर्थात् दोनों स्व-वचनों पर दृढ़ रहते हैं। कन्यादान एक ही बार किया जाता है। ये तीनों बातें एक ही बार होती हैं, बार-बार नहीं।
यथा चतुर्भिः कनकं परीक्ष्यते निघर्षणच्छेदनतापताडनैः।
तथा चतुर्भिः पुरुषः परीक्ष्यते त्यागेन शीलेन गुणेन कर्मणा।।
= जैसे सोने का खरे-खोटे के पहचान के लिए घिसने, काटने, तपाने और कूटने के द्वारा परीक्षण किया जाता है वैसे मनुष्य का भी दान, शील, गुण और कर्म से परीक्षण किया जाता है।
अभ्यासाद् धार्यते विद्या कुलं शीलेन धार्यते।
गुणेन ज्ञायते त्वार्यः कोपो नेत्रेण गम्यते।।
= निरन्तर अभ्यास से विद्या प्राप्त होती है, उत्तम आचरण से कुल धारण किया जाता है (कुल का गौरव-मान बढ़ता है), उत्तम गुणों से आर्य जाना जाता है और आंखों से गुस्सा जाना जाता है।
अज्ञोऽपि तज्ञतामेति शनैः शलोऽपि चूर्ण्यते।
बाणोऽप्येति महालक्ष्यं पश्याऽभ्यास विजृम्भितम्।।
= अभ्यास का चमत्कार देखो, अभ्यास से अज्ञानी भी ज्ञानी हो जाता है, पर्वत भी धीरे-धीरे चूरा कर दिया जाता है, बाण भी सूक्ष्म लक्ष्य को बींध
सकता है।
वित्तेन रक्ष्यते धर्मो विद्या योगेन रक्ष्यते।
मृदुना रक्ष्यते भूपः सत्स्त्रिया रक्ष्यते गृहम्।।
= धन से धर्म की, योग से विद्या की, कोमलता व मधुरता से राजा की, तथा सती स्त्री से घर की रक्षा होती है।
#vakyabhyas
April 19, 2022
April 19, 2022
Friend 1 - Do you know ? Scientists say that usage of mobile phone affects our intelligence ?
Friend 2 - Don't worry dear. It won't affect both of us as I don't use mobile phone and you don't have intellect.
#hasya
Friend 2 - Don't worry dear. It won't affect both of us as I don't use mobile phone and you don't have intellect.
#hasya
April 19, 2022
@samskrt_samvadah संलापशाला - A Samskrit Voicechat room.
⏳45 निमेषाः
🕚 IST 11:00 AM विषयः
🔰उपकरणानाम् उपरि निर्भरता
(Dependence on devices)
🗓20th April 2022, बुधवासरः
🔴Voicechat would be recorded and shared on this channel.
📑यदि शक्येत चेत् संस्कृतेन (जीवने उपकरणानां कीयती आवश्यकता वर्तते,स्वानुभवः कोऽपि अस्ति चेत्, दुष्प्रभावः कः भवति। ) चर्चार्थं कृपया पूर्वसिद्धतां कृत्वा आगच्छन्तु।
वयं युष्माकं प्रतीक्षां कुर्मः। 😇
स्मारणतंत्रिकां स्थापयतु ⏰
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https://t.me/samskrt_samvadah?voicechat
यदीच्छसि वशीकर्तुं, भाषणमेककर्मणा।
यायास्संलापशालां वै, भवति यत्र भाषणम्।।
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।।वयं युष्माकं प्रतीक्षां कुर्मः। 😇
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April 19, 2022
April 19, 2022
🍃
♦️sakheti matvaa prasabhaM yaduktaM
he kRRiShNa he yaadava he sakheti|
ajaanataa mahimaanaM tavedaM
mayaa pramaadaatpraNayena vaapi
⚜Considering You merely as a friend, not knowing Your greatness, I have inadvertently addressed You as O Krishna, O Yadava, O friend; merely out of affection or carelessness. (11.41)
⚜हे भगवन् आपको सखा मानकर आपकी इस महिमा को न जानते हुए मेरे द्वारा प्रमाद से अथवा प्रेम से भी हे कृष्ण हे यादव हे सखे इस प्रकार जो कुछ बलात् कहा गया है।।11.41।।
#geeta
सखेति मत्वा प्रसभं यदुक्तं हे कृष्ण हे यादव हे सखेति।
अजानता महिमानं तवेदं मया प्रमादात्प्रणयेन वापि
।।11.41।।♦️sakheti matvaa prasabhaM yaduktaM
he kRRiShNa he yaadava he sakheti|
ajaanataa mahimaanaM tavedaM
mayaa pramaadaatpraNayena vaapi
⚜Considering You merely as a friend, not knowing Your greatness, I have inadvertently addressed You as O Krishna, O Yadava, O friend; merely out of affection or carelessness. (11.41)
⚜हे भगवन् आपको सखा मानकर आपकी इस महिमा को न जानते हुए मेरे द्वारा प्रमाद से अथवा प्रेम से भी हे कृष्ण हे यादव हे सखे इस प्रकार जो कुछ बलात् कहा गया है।।11.41।।
#geeta
April 19, 2022
April 19, 2022
🍃
♦️yachchaavahaasaarthamasatkRRito'si
vihaarashayyaasanabhojaneShu|
eko'thavaapyachyuta tatsamakShaM
tatkShaamaye tvaamahamaprameyam
⚜In whatever way I may have insulted You in jokes; while playing, reposing in bed, sitting, or at meals; when alone, or in front of others; O Krishna, I implore You for forgiveness. (11.42)
⚜और हे अच्युत जो आप मेरे द्वारा हँसी के लिये बिहार, शय्या, आसन और भोजन के समय अकेले में अथवा अन्यों के समक्ष भी अपमानित किये गये हैं उन सब के लिए अप्रमेय स्वरूप आप से मैं क्षमायाचना करता हूँ।।11.42।।
#geeta
यच्चावहासार्थमसत्कृतोऽसि विहारशय्यासनभोजनेषु।
एकोऽथवाप्यच्युत तत्समक्षं तत्क्षामये त्वामहमप्रमेयम्
।।11.42।।♦️yachchaavahaasaarthamasatkRRito'si
vihaarashayyaasanabhojaneShu|
eko'thavaapyachyuta tatsamakShaM
tatkShaamaye tvaamahamaprameyam
⚜In whatever way I may have insulted You in jokes; while playing, reposing in bed, sitting, or at meals; when alone, or in front of others; O Krishna, I implore You for forgiveness. (11.42)
⚜और हे अच्युत जो आप मेरे द्वारा हँसी के लिये बिहार, शय्या, आसन और भोजन के समय अकेले में अथवा अन्यों के समक्ष भी अपमानित किये गये हैं उन सब के लिए अप्रमेय स्वरूप आप से मैं क्षमायाचना करता हूँ।।11.42।।
#geeta
April 19, 2022
🚩जय सत्य सनातन🚩
🚩आज की हिंदी तिथि
🌥 🚩यगाब्द-५१२४
🌥 🚩विक्रम संवत-२०७९
⛅️ 🚩तिथि - चतुर्थी दोपहर 01:52 तक तत्पश्चात पंचमी
⛅️दिनांक 20 अप्रैल 2022
⛅️दिन - बुधवार
⛅️विक्रम संवत - 2079
⛅️शक संवत - 1944
⛅️अयन - उत्तरायण
⛅️ऋतु - ग्रीष्म
⛅️मास - वैशाख
⛅️पक्ष - कृष्ण
⛅️नक्षत्र - ज्येष्ठा रात्रि 11:42 तक तत्पश्चात मूल
⛅️योग - वरियान दोपहर 01:40 तक तत्पश्चात परिघ
⛅️राहुकाल - दोपहर 12:39 से 02:15 तक
⛅️सर्योदय - 06:15
⛅️सर्यास्त - 07:02
⛅️दिशाशूल - उत्तर दिशा में
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April 19, 2022
April 19, 2022
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April 19, 2022
https://youtu.be/GE0XLG5M2uI
Switch to DD News daily at 7:15 AM (Morning) for 15 minutes Sanskrit news.
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YouTube
वार्ता: संस्कृत में समाचार | जहांगीर पुरी हिंसा मामले में गिरफ़्तार 5 लोगों पर लगा NSA
April 19, 2022
🔰चित्रं दृष्ट्वा पञ्चवाक्यानि रचयत।
✍🏼सर्वे टिप्पणीसञ्चिकायां स्वोत्तराणि लेखितुं शक्नुवन्ति अथवा पुस्तिकायां लिखित्वा तस्य चित्रं स्वीकृत्य अपि प्रेषयितुं शक्नुवन्ति।
🗣सहैव तानि वाक्यानि उक्त्वा ध्वनिमाध्यमेन अपि प्रेषयत।
🔰 चित्र देखकर पांच वाक्य बनायें।
✍🏼आप कमेंट बॉक्स में टङ्कण कर सकते हैं या कॉपी पर लिखकर फोटो भी भेज सकते हैं।
🗣 साथ हि वें वाक्य बोलकर भी वाइस नोट भेजें।
🔰Make 5 sentences, Observing the attached image.
✍🏼You can type in the comment box or you can also send a photo by writing on the notebook.
🗣 Also, Send voice message by uttering those sentences.
#chitram
✍🏼सर्वे टिप्पणीसञ्चिकायां स्वोत्तराणि लेखितुं शक्नुवन्ति अथवा पुस्तिकायां लिखित्वा तस्य चित्रं स्वीकृत्य अपि प्रेषयितुं शक्नुवन्ति।
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🗣 Also, Send voice message by uttering those sentences.
#chitram
April 19, 2022
April 19, 2022
April 19, 2022
April 19, 2022
🍃
🔅अन्वयः – अधमा: (जनाः) धनम् इच्छन्ति। मध्यमाः (जनाः) धनं मानं च (इच्छन्ति)।
उत्तमाः (जना: केवलम्) मानम् इच्छन्ति। महतां मानः हि धनम् (भवति)।
#Subhashitam
अधमाः धनमिच्छन्ति धनं मानं च मध्यमाः।
उत्तमाः मानमिच्छन्ति मानो हि महतां धनम्
।।🔅अन्वयः – अधमा: (जनाः) धनम् इच्छन्ति। मध्यमाः (जनाः) धनं मानं च (इच्छन्ति)।
उत्तमाः (जना: केवलम्) मानम् इच्छन्ति। महतां मानः हि धनम् (भवति)।
#Subhashitam
April 19, 2022
April 20, 2022
April 20, 2022
संस्कृत संवादः । Sanskrit Samvadah
छात्रा
शोधप्रबन्धनम् अलेखीत् = छात्रा ने शोधप्रबन्ध लिखा। छात्रया
शोधप्रबन्धोऽलेखि = छात्रा के द्वारा शोधप्रबन्ध लिखा गया।
स्वयम्भूर्याथातथ्यतोऽर्थान् व्यदधात् शाश्वतीभ्यः समाभ्यः =
स्वयंसिद्ध ईश्वर ने ठीक प्रकार से (जैसे होने चाहिए वैसे ही)…
ऊर्ध्वबाहुर्विरोम्येष न च कश्चिच्छृणोति मे।
धर्मादर्थश्च कामश्च स किमर्थं न सेव्यते।।
= मैं दोनों भुजाएं ऊपर उठाकर चिल्ला-चिल्ला कर कह रहा हूं, फिर भी मुझे कोई नहीं सुनता है। धर्म से ही धन व इच्छाओं की पूर्ति होती है, उस धर्म का सेवन (लोगों के द्वारा) क्यों नहीं किया जाता..?
अयं च सुरतज्वालः कामाग्निः प्रणयेन्धनः।
नराणां यत्र हूयन्ते यौवनानि धनानि च।।
= भोग जिसकी ज्वालाएं हैं, प्रेम जिसका इंधन है ऐसी इस कामरूपी अग्नि में मनुष्य के यौवन तथा धन दोनों का होम (नष्ट) हो जाता है।
सत्येन धार्यते पृथिवी सत्येन तपते रविः।
सत्येन वाति वायुश्च सर्वं सत्ये प्रतिष्ठितम्।।
= सत्य के कारण ही पृथ्वी टिकी हुई है, सत्य प्रताप से ही सूर्य तप रहा है, सत्य के बल से वायु बह रही है, सब कुछ सत्य में ही स्थिर है।
गोभिर्विपै्रश्च वेदैश्च सतीभिर्सत्यवादिभिः।
अलुब्धैर्दानशरैश्च सप्तभिर्धार्यते मही।।
= गो, ब्राह्मण, वेद, सती स्त्री, सत्यवादी, निर्लोभी, दानवीर इन सात के द्वारा पृथ्वी धारण की जाती है।
भ्रमन् सम्पूज्यते राजा भ्रमन् सम्पूज्यते द्विजः।
भ्रमन् सम्पूज्यते योगी स्त्री भ्रमन्ती विनश्यति।।
= भ्रमण करनेवाले राजा, ब्राह्मण (विद्वान्) तथा योगी सर्वत्र आदर प्राप्त करते हैं, किन्तु भ्रमण करनेवाली नारी नष्ट हो जाती है।
हस्ती अंकुराहस्तेन वाजी हस्तेन ताड्यते।
शृङ्गी लगुडहस्तेन खड्गहस्तेन दुर्जनः।।
= हाथी हाथ में पकड़े हुए अंकुश से वश में किया जाता है, घोड़ा चाबुक से पीटा जाता है, सींगवाला पशु दण्डे से पीटा जाता है और दुर्जन मनुष्य हाथ में ली हुई तलवार से मारा जाता है।
गम्यते यदि मृगेन्द्रमन्दिरं, लभ्यते करिकपोलमौक्तिकम्।
जम्बुकाऽऽलयगते च प्राप्यते वत्सपुच्छखरश्चर्मखण्डनम्।।
= सिंह की गुफा में जाने से हाथी के मस्तक का मोती प्राप्त होता है, गीदड़ के स्थान में जाने पर बछड़े की पूंछ तथा गधे के चमड़े का टुकड़ा मिलता है। (अर्थात् बड़ों के साथ मैत्री करनी चाहिए, नीचों के साथ नहीं..)
धीरोऽप्यतिबहुज्ञोऽपि कुलजोऽपि महानपि।
तृष्णया बद्ध्यते जन्तुः सिंहः शृङ्खलया यथा।।
= धीर, विद्वान्, कुलीन और महान् व्यक्ति भी तृष्णा से ऐसे बन्ध जाता है, जैसे सांकल द्वारा सिंह बांध दिया जाता है।
पदं हि सर्वत्र गुणैर्निधीयते
= गुण सर्वत्र अपना प्रभाव जमा देते हैं।
किं कुलेन विशालेन विद्याहीनेन देहिनाम्।
दुष्कुलीनोऽपि विद्वांश्च देवैरपि सुपूज्यते।।
= विद्याहीन बड़े कुल से मनुष्य को क्या लाभ है ? निम्नकुलोत्पन्न विद्वान् व्यक्ति बड़े-बड़े विद्वानों के द्वारा सम्मानित किया जाता है।
विद्वान् प्रशस्यते लोके, विद्वान् गच्छति गौरवम्।
विद्यया लभ्यते सर्वं विद्या सर्वत्र पूज्यते।।
= संसार में विद्वान् ही प्रशंसित होता है, विद्वान् ही सर्वत्र आदर पाता है, विद्या से धन-धान्य, मान-प्रतिष्ठा सब कुछ मिलता है। विद्या का सर्वत्र आदर होता है।
का चिन्ता मम जीवने यदि हरिर्विश्वम्भरो गीयते।
नो चेदर्भकजीवनाय जननीस्तन्यं कथं निर्मयेत्।
इत्यालोच्य मुहुर्मुहुर्यदुपते लक्ष्मीपते केवलम्।
त्वत्पादाम्बुजसेवनेन सततं कालो मया नीयते।।
= मुझे मेरे जीवन की क्यों चिन्ता जब सब दुःखों को हरण करनेवाला परमेश्वर (हरि) विश्वम्भर याने सबका भरण-पोषण करनेवाला कहा जाता है। यदि ईश्वर ऐसा न होता तो शिशु के जीवन के लिए माता के स्तनों में दूध कैसे बनता..? बारंबार ऐसा विचार कर हे प्रजापते अर्थात् यदुपते, ऐश्वर्यों के स्वामीन् अर्थात् लक्ष्मीपते मैं आपके शरण में आकर अपना समय व्यतीत करता हूं।
#vakyabhyas
धर्मादर्थश्च कामश्च स किमर्थं न सेव्यते।।
= मैं दोनों भुजाएं ऊपर उठाकर चिल्ला-चिल्ला कर कह रहा हूं, फिर भी मुझे कोई नहीं सुनता है। धर्म से ही धन व इच्छाओं की पूर्ति होती है, उस धर्म का सेवन (लोगों के द्वारा) क्यों नहीं किया जाता..?
अयं च सुरतज्वालः कामाग्निः प्रणयेन्धनः।
नराणां यत्र हूयन्ते यौवनानि धनानि च।।
= भोग जिसकी ज्वालाएं हैं, प्रेम जिसका इंधन है ऐसी इस कामरूपी अग्नि में मनुष्य के यौवन तथा धन दोनों का होम (नष्ट) हो जाता है।
सत्येन धार्यते पृथिवी सत्येन तपते रविः।
सत्येन वाति वायुश्च सर्वं सत्ये प्रतिष्ठितम्।।
= सत्य के कारण ही पृथ्वी टिकी हुई है, सत्य प्रताप से ही सूर्य तप रहा है, सत्य के बल से वायु बह रही है, सब कुछ सत्य में ही स्थिर है।
गोभिर्विपै्रश्च वेदैश्च सतीभिर्सत्यवादिभिः।
अलुब्धैर्दानशरैश्च सप्तभिर्धार्यते मही।।
= गो, ब्राह्मण, वेद, सती स्त्री, सत्यवादी, निर्लोभी, दानवीर इन सात के द्वारा पृथ्वी धारण की जाती है।
भ्रमन् सम्पूज्यते राजा भ्रमन् सम्पूज्यते द्विजः।
भ्रमन् सम्पूज्यते योगी स्त्री भ्रमन्ती विनश्यति।।
= भ्रमण करनेवाले राजा, ब्राह्मण (विद्वान्) तथा योगी सर्वत्र आदर प्राप्त करते हैं, किन्तु भ्रमण करनेवाली नारी नष्ट हो जाती है।
हस्ती अंकुराहस्तेन वाजी हस्तेन ताड्यते।
शृङ्गी लगुडहस्तेन खड्गहस्तेन दुर्जनः।।
= हाथी हाथ में पकड़े हुए अंकुश से वश में किया जाता है, घोड़ा चाबुक से पीटा जाता है, सींगवाला पशु दण्डे से पीटा जाता है और दुर्जन मनुष्य हाथ में ली हुई तलवार से मारा जाता है।
गम्यते यदि मृगेन्द्रमन्दिरं, लभ्यते करिकपोलमौक्तिकम्।
जम्बुकाऽऽलयगते च प्राप्यते वत्सपुच्छखरश्चर्मखण्डनम्।।
= सिंह की गुफा में जाने से हाथी के मस्तक का मोती प्राप्त होता है, गीदड़ के स्थान में जाने पर बछड़े की पूंछ तथा गधे के चमड़े का टुकड़ा मिलता है। (अर्थात् बड़ों के साथ मैत्री करनी चाहिए, नीचों के साथ नहीं..)
धीरोऽप्यतिबहुज्ञोऽपि कुलजोऽपि महानपि।
तृष्णया बद्ध्यते जन्तुः सिंहः शृङ्खलया यथा।।
= धीर, विद्वान्, कुलीन और महान् व्यक्ति भी तृष्णा से ऐसे बन्ध जाता है, जैसे सांकल द्वारा सिंह बांध दिया जाता है।
पदं हि सर्वत्र गुणैर्निधीयते
= गुण सर्वत्र अपना प्रभाव जमा देते हैं।
किं कुलेन विशालेन विद्याहीनेन देहिनाम्।
दुष्कुलीनोऽपि विद्वांश्च देवैरपि सुपूज्यते।।
= विद्याहीन बड़े कुल से मनुष्य को क्या लाभ है ? निम्नकुलोत्पन्न विद्वान् व्यक्ति बड़े-बड़े विद्वानों के द्वारा सम्मानित किया जाता है।
विद्वान् प्रशस्यते लोके, विद्वान् गच्छति गौरवम्।
विद्यया लभ्यते सर्वं विद्या सर्वत्र पूज्यते।।
= संसार में विद्वान् ही प्रशंसित होता है, विद्वान् ही सर्वत्र आदर पाता है, विद्या से धन-धान्य, मान-प्रतिष्ठा सब कुछ मिलता है। विद्या का सर्वत्र आदर होता है।
का चिन्ता मम जीवने यदि हरिर्विश्वम्भरो गीयते।
नो चेदर्भकजीवनाय जननीस्तन्यं कथं निर्मयेत्।
इत्यालोच्य मुहुर्मुहुर्यदुपते लक्ष्मीपते केवलम्।
त्वत्पादाम्बुजसेवनेन सततं कालो मया नीयते।।
= मुझे मेरे जीवन की क्यों चिन्ता जब सब दुःखों को हरण करनेवाला परमेश्वर (हरि) विश्वम्भर याने सबका भरण-पोषण करनेवाला कहा जाता है। यदि ईश्वर ऐसा न होता तो शिशु के जीवन के लिए माता के स्तनों में दूध कैसे बनता..? बारंबार ऐसा विचार कर हे प्रजापते अर्थात् यदुपते, ऐश्वर्यों के स्वामीन् अर्थात् लक्ष्मीपते मैं आपके शरण में आकर अपना समय व्यतीत करता हूं।
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April 20, 2022
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April 20, 2022
Wife - there is no happiness on ur face after seeing me. You see that man how happy he is with his wife.
Man - Hi sweet heart ! Love u so much.
Man - I will miss you.
Husband - Now you got the difference no ? He is here to see off his wife and I am to receive you !!!!
#hasya
Man - Hi sweet heart ! Love u so much.
Man - I will miss you.
Husband - Now you got the difference no ? He is here to see off his wife and I am to receive you !!!!
#hasya
April 20, 2022
@samskrt_samvadah संलापशाला - A Samskrit Voicechat room.
यदीच्छसि वशीकर्तुं, भाषणमेककर्मणा।
यायास्संलापशालां वै, भवति यत्र भाषणम्।।
⏳45 निमेषाः
🕚 IST 11:00 AM विषयः
🔰बालक्रान्तिकारिणः
(young revolutionaries)
🗓21th April 2022, गुरुवासरः
75तमः स्वातन्त्र्योत्सवः
🔴Voicechat would be recorded and shared on this channel.
📑यदि शक्येत चेत् संस्कृतेन (अस्माकं देशस्य ते बालाः ये अल्पायुषि एव स्वजीवनं देशाय समर्पितवन्तः तेषां जीवनविवरणं जीवनकथां वा वदन्तु। ) चर्चार्थं कृपया पूर्वसिद्धतां कृत्वा आगच्छन्तु।
वयं युष्माकं प्रतीक्षां कुर्मः। 😇
स्मारणतंत्रिकां स्थापयतु ⏰
👇🏼👇🏼👇🏼👇🏼👇🏼
https://t.me/samskrt_samvadah?voicechat
यदीच्छसि वशीकर्तुं, भाषणमेककर्मणा।
यायास्संलापशालां वै, भवति यत्र भाषणम्।।
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🔰बालक्रान्तिकारिणः
(young revolutionaries)
🗓21th April 2022, गुरुवासरः
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📑यदि शक्येत चेत् संस्कृतेन (अस्माकं देशस्य ते बालाः ये अल्पायुषि एव स्वजीवनं देशाय समर्पितवन्तः तेषां जीवनविवरणं जीवनकथां वा वदन्तु। ) चर्चार्थं कृपया पूर्वसिद्धतां कृत्वा आगच्छन्तु।
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April 20, 2022
April 20, 2022
🍃
♦️pitaasi lokasya charaacharasya
tvamasya puujyashcha gururgariiyaan|
na tvatsamo'styabhyadhikaH kuto'nyo
lokatraye'pyapratimaprabhaava
⚜11.43 Thou art the Father of this world, moving and unmoving. Thou art to be adored by this world, Thou, the greatest Guru; (for) none there exists who is equal to Thee; how then could there be another superior to Thee in the three worlds, O Being of unequalled power,
⚜।।11.43।। आप इस चराचर जगत् के पिता? पूजनीय और सर्वश्रेष्ठ गुरु हैं। हे अप्रितम प्रभाव वाले भगवन् तीनों लोकों में आपके समान भी कोई नहीं हैं? तो फिर आपसे अधिक श्रेष्ठ कैसे होगा।।
#geeta
पितासि लोकस्य चराचरस्य त्वमस्य पूज्यश्च गुरुर्गरीयान्।
न त्वत्समोऽस्त्यभ्यधिकः कुतोऽन्यो लोकत्रयेऽप्यप्रतिमप्रभाव
।।11.43।।♦️pitaasi lokasya charaacharasya
tvamasya puujyashcha gururgariiyaan|
na tvatsamo'styabhyadhikaH kuto'nyo
lokatraye'pyapratimaprabhaava
⚜11.43 Thou art the Father of this world, moving and unmoving. Thou art to be adored by this world, Thou, the greatest Guru; (for) none there exists who is equal to Thee; how then could there be another superior to Thee in the three worlds, O Being of unequalled power,
⚜।।11.43।। आप इस चराचर जगत् के पिता? पूजनीय और सर्वश्रेष्ठ गुरु हैं। हे अप्रितम प्रभाव वाले भगवन् तीनों लोकों में आपके समान भी कोई नहीं हैं? तो फिर आपसे अधिक श्रेष्ठ कैसे होगा।।
#geeta
April 20, 2022
April 20, 2022
🍃
♦️tasmaatpraNamya praNidhaaya kaayaM
prasaadaye tvaamahamiishamiiDyam|
piteva putrasya sakheva sakhyuH
priyaH priyaayaarhasi deva soDhum
⚜11.44 Therefore, bowing down, prostrating my body, I crave Thy forgiveness, O adorable Lord. As a father forgives his son, a friend his (dear) friend, a lover his beloved, even so shouldest Thou forgive me, O God.
⚜।।11.44।। इसलिये हे भगवन् मैं शरीर के द्वारा साष्टांग प्रणिपात करके स्तुति के योग्य आप ईश्वर को प्रसन्न होने के लिये प्रार्थना करता हूँ। हे देव जैसे पिता पुत्र के मित्र अपने मित्र के और प्रिय अपनी प्रिया के(अपराध को क्षमा करता है) वैसे ही आप भी मेरे अपराधों को क्षमा कीजिये।।
#geeta
तस्मात्प्रणम्य प्रणिधाय कायं प्रसादये त्वामहमीशमीड्यम्।
पितेव पुत्रस्य सखेव सख्युः प्रियः प्रियायार्हसि देव सोढुम्
।।11.44।।♦️tasmaatpraNamya praNidhaaya kaayaM
prasaadaye tvaamahamiishamiiDyam|
piteva putrasya sakheva sakhyuH
priyaH priyaayaarhasi deva soDhum
⚜11.44 Therefore, bowing down, prostrating my body, I crave Thy forgiveness, O adorable Lord. As a father forgives his son, a friend his (dear) friend, a lover his beloved, even so shouldest Thou forgive me, O God.
⚜।।11.44।। इसलिये हे भगवन् मैं शरीर के द्वारा साष्टांग प्रणिपात करके स्तुति के योग्य आप ईश्वर को प्रसन्न होने के लिये प्रार्थना करता हूँ। हे देव जैसे पिता पुत्र के मित्र अपने मित्र के और प्रिय अपनी प्रिया के(अपराध को क्षमा करता है) वैसे ही आप भी मेरे अपराधों को क्षमा कीजिये।।
#geeta
April 20, 2022
🚩जय सत्य सनातन🚩
🚩आज की हिंदी तिथि
🌥️ 🚩युगाब्द-५१२४
🌥️ 🚩विक्रम संवत-२०७९
⛅ 🚩तिथि - पंचमी सुबह 11:12 तक तत्पश्चात षष्टी
⛅दिनांक 21 अप्रैल 2022
⛅दिन - गुरुवार
⛅विक्रम संवत - 2079
⛅शक संवत - 1944
⛅अयन - उत्तरायण
⛅ऋतु - ग्रीष्म
⛅मास - वैशाख
⛅पक्ष - कृष्ण
⛅नक्षत्र - मूल रात्रि 09:52 तक तत्पश्चात पूर्वाषाढा
⛅योग - परिघ सुबह 10:27 तक तत्पश्चात शिव
⛅राहुकाल - अपरान्ह 02:15 से 03:51 तक
⛅सूर्योदय - 06:14
⛅सूर्यास्त - 07:03
⛅दिशाशूल - दक्षिण दिशा में
⛅ब्रह्म मुहूर्त- प्रातः 04:45 से 05:30 तक
🚩आज की हिंदी तिथि
🌥️ 🚩युगाब्द-५१२४
🌥️ 🚩विक्रम संवत-२०७९
⛅ 🚩तिथि - पंचमी सुबह 11:12 तक तत्पश्चात षष्टी
⛅दिनांक 21 अप्रैल 2022
⛅दिन - गुरुवार
⛅विक्रम संवत - 2079
⛅शक संवत - 1944
⛅अयन - उत्तरायण
⛅ऋतु - ग्रीष्म
⛅मास - वैशाख
⛅पक्ष - कृष्ण
⛅नक्षत्र - मूल रात्रि 09:52 तक तत्पश्चात पूर्वाषाढा
⛅योग - परिघ सुबह 10:27 तक तत्पश्चात शिव
⛅राहुकाल - अपरान्ह 02:15 से 03:51 तक
⛅सूर्योदय - 06:14
⛅सूर्यास्त - 07:03
⛅दिशाशूल - दक्षिण दिशा में
⛅ब्रह्म मुहूर्त- प्रातः 04:45 से 05:30 तक
April 20, 2022
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🗓21th April 2022, गुरुवासरः
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April 20, 2022
Forwarded from रामदूतः — The Sanskrit News Platform (Bhavani Raman)
Switch to DD News daily at 7:15 AM (Morning) for 15 minutes Sanskrit news.
https://youtu.be/eZ0CTm2xxjg
https://youtu.be/eZ0CTm2xxjg
YouTube
वार्ता : पीएम लेगे प्रकाश पर्व समारोह में भाग व अन्य ख़बरें
वार्ता : पीएम लेगे
प्रकाश पर्व समारोह में भाग व अन्य ख़बरेंDD News is India’s 24x7 news
channel from the stable of the country’s Public Service Broadcaster, ...
April 20, 2022
April 20, 2022
🔰चित्रं दृष्ट्वा पञ्चवाक्यानि रचयत।
✍🏼सर्वे टिप्पणीसञ्चिकायां स्वोत्तराणि लेखितुं शक्नुवन्ति अथवा पुस्तिकायां लिखित्वा तस्य चित्रं स्वीकृत्य अपि प्रेषयितुं शक्नुवन्ति।
🗣सहैव तानि वाक्यानि उक्त्वा ध्वनिमाध्यमेन अपि प्रेषयत।
🔰 चित्र देखकर पांच वाक्य बनायें।
✍🏼आप कमेंट बॉक्स में टङ्कण कर सकते हैं या कॉपी पर लिखकर फोटो भी भेज सकते हैं।
🗣 साथ हि वें वाक्य बोलकर भी वाइस नोट भेजें।
🔰Make 5 sentences, Observing the attached image.
✍🏼You can type in the comment box or you can also send a photo by writing on the notebook.
🗣 Also, Send voice message by uttering those sentences.
#chitram
✍🏼सर्वे टिप्पणीसञ्चिकायां स्वोत्तराणि लेखितुं शक्नुवन्ति अथवा पुस्तिकायां लिखित्वा तस्य चित्रं स्वीकृत्य अपि प्रेषयितुं शक्नुवन्ति।
🗣सहैव तानि वाक्यानि उक्त्वा ध्वनिमाध्यमेन अपि प्रेषयत।
🔰 चित्र देखकर पांच वाक्य बनायें।
✍🏼आप कमेंट बॉक्स में टङ्कण कर सकते हैं या कॉपी पर लिखकर फोटो भी भेज सकते हैं।
🗣 साथ हि वें वाक्य बोलकर भी वाइस नोट भेजें।
🔰Make 5 sentences, Observing the attached image.
✍🏼You can type in the comment box or you can also send a photo by writing on the notebook.
🗣 Also, Send voice message by uttering those sentences.
#chitram
April 20, 2022
April 20, 2022
April 20, 2022
April 20, 2022
🍃
⚜A person who is straightforward and assertive while dealing with issues about money, business, education, food and communication is a happy person.
🔅यः मनुष्यः धनस्य प्रयोगे विद्यायाः सङ्ग्रहणे आहारविषये व्यवहारकरणसमये च लज्जायाः सङ्कोचस्य वा त्यागं करोति, सः सर्वदा सुखी भवति।
#Subhashitam
धन धान्य प्रयोगेषु विद्या संग्रहणेषु च।
आहारे व्यवहारे च त्यक्तलज्जः सुखी भवेत्
।। ⚜A person who is straightforward and assertive while dealing with issues about money, business, education, food and communication is a happy person.
🔅यः मनुष्यः धनस्य प्रयोगे विद्यायाः सङ्ग्रहणे आहारविषये व्यवहारकरणसमये च लज्जायाः सङ्कोचस्य वा त्यागं करोति, सः सर्वदा सुखी भवति।
#Subhashitam
April 20, 2022
April 21, 2022
April 21, 2022
संस्कृत संवादः । Sanskrit Samvadah
ऊर्ध्वबाहुर्विरोम्येष
न च कश्चिच्छृणोति मे। धर्मादर्थश्च कामश्च स किमर्थं न सेव्यते।। =
मैं दोनों भुजाएं ऊपर उठाकर चिल्ला-चिल्ला कर कह रहा हूं, फिर भी मुझे कोई
नहीं सुनता है। धर्म से ही धन व इच्छाओं की पूर्ति होती है, उस धर्म का
सेवन (लोगों के द्वारा)…
जलबिन्दुनिपातेन क्रमशः पूर्यते घटः।
स हेतुः सर्वविद्यानां धर्मस्य च धनस्य च।।
= पानी की एकेक बून्द से घड़ा भर जाता है। इसी प्रकार धीरे-धीरे अभ्यास करने से सब विद्याओं की प्राप्ति हो जाती है। इसी प्रकार थोड़ा-थोड़ा करके धर्म और धन का संचय भी हो जाता है।
प्रारभ्यते न खलु विघ्नभयेन नीचैः प्रारभ्यविघ्नविहता विरमन्ति मध्याः।
विघ्नैः पुनः पुनरपि प्रतिहन्यमानाः प्रारभ्य चोत्तमजनाः न परित्यजन्ति।।
= अधम पुरुष विघ्नों के भय से किसी कार्य को आरम्भ ही नहीं करते। मध्यम श्रेणी के लोग कार्य को आरम्भ तो कर लेते हैं किन्तु विघ्नों से विचलित होकर बीच में ही छोड़ देते हैं। उत्तम श्रेणी के लोग विघ्नों से बार बार प्रताड़ित किए जाने पर भी आरम्भ किए हुए कार्य को पूर्ण किए बिना नहीं छोड़ते।
यः स्वभावो हि यस्याऽस्ति स नित्यं दुरतिक्रमः।
श्वा यदि क्रियते राजा स किं नाश्नात्युपाहनम्।।
= जिसका जो स्वभाव है, उसे बदलना अत्यन्त कठिन है। यदि कुत्ते को राजा बना दिया जाए तो क्या वह जूता चबाने के अपने स्वभाव को छोड़ सकता है..?
स्नेहेन तिलवत्सर्वं सर्गचक्रे निपीड्यते।
तिलपीडैरिवाक्रम्य क्लेशैरनज्ञानसम्भवैः।।
= तेली लोगों के द्वारा तेल के लिए तिल जिस प्रकार कोल्हू में पिसे जाते हैं, उसी प्रकार स्नेह के कारण सब लोग अज्ञानजनित क्लेशों के द्वारा सृष्टिचक्र में पिसे जा रहे हैं।
शुभेन कर्मणा सौख्यं दुःखं पापेन कर्मणा।
कृतं फलति सर्वत्र नाकृतं भुज्यते क्वचित्।।
= शुभकर्म करने से सुख और पाप कर्म करने से दुःख मिलता है। अपना किया हुआ कर्म ही सर्वत्र फल देता है। बिना किए हुए कर्म का फल नहीं भोगा जाता।
गुरुशुश्रुषया विद्या पुष्कलेन धनेन वा।
अथवा विद्यया विद्या चतुर्थं नोपलभ्यते।।
= विद्या की प्राप्ति या तो गुरु की सेवा करने से हो सकती है, अथवा बहुत बड़ी धनराशि द्वारा विद्या अर्जित की जा सकती है, अथवा विद्या के बदले विद्या प्राप्ति सम्भव है, चौथा कोई प्रकार विद्याप्राप्ति का नहीं है।
तावन्मौनेन नीयन्ते कोकिलैश्चैव वासराः।
यावत्सर्वजनानन्ददायिनी वाक्प्रवर्तते।।
= जब तक सब मनुष्यों को आनन्द देनेवाली वसन्तऋतु आरम्भ नहीं हो जाती, तब तक कोयल मौन रहकर ही अपने दिनों को बिताती है। (अर्थात् बुद्धिमान् को चाहिए कि वह मौन रहे और समय आने पर प्रिय, हितकर, मधुर वचन बोले..)
अस्ति यावत्तु सधनस्तावत्सर्वैस्तु सेव्यते।
निर्धनस्त्यज्यते भार्या पुत्राद्यैः सगुणोप्यतः।।
= जब तक मनुष्य के पास धन रहता है, तब तक सबके द्वारा उसकी सेवा की जाती है। जब धनहीन हो जाता है तब गुणवान होने पर भी पत्नी पुत्रादि के द्वारा छोड़ दिया जाता है।
तद्भोजनं यद् द्विजभुक्तशेषं तत्सौहृदं यत्क्रियते परस्मिन्।
सा प्रज्ञता या न करोति पापं दम्भं विना यः क्रियते स धर्मः।।
= भोजन वह है जो ब्राह्मण को भोजन करा देने पर बचता है, प्रेम (मैत्री) वह है जो परायों पर किया जाए, विद्वत्ता (बुद्धिमत्ता) वह है जो मनुष्यों को पाप करने से बचाए और धर्म वह है जो बिना दम्भ के किया जाए।
मणिर्लुण्ठति पादाग्रे काचः शिरसि धार्यते।
क्रयविक्रयवेलायां काचः काचः मणिर्मणिः।।
= रत्न चाहे पैरो के आगे लुढ़कता रहे और कांच भले ही सिर पर धारण कर लिया जाए। किन्तु मोल लेने या बेचते समय कांच कांच ही रहता है और रत्न रत्न।
#vakyabhyas
स हेतुः सर्वविद्यानां धर्मस्य च धनस्य च।।
= पानी की एकेक बून्द से घड़ा भर जाता है। इसी प्रकार धीरे-धीरे अभ्यास करने से सब विद्याओं की प्राप्ति हो जाती है। इसी प्रकार थोड़ा-थोड़ा करके धर्म और धन का संचय भी हो जाता है।
प्रारभ्यते न खलु विघ्नभयेन नीचैः प्रारभ्यविघ्नविहता विरमन्ति मध्याः।
विघ्नैः पुनः पुनरपि प्रतिहन्यमानाः प्रारभ्य चोत्तमजनाः न परित्यजन्ति।।
= अधम पुरुष विघ्नों के भय से किसी कार्य को आरम्भ ही नहीं करते। मध्यम श्रेणी के लोग कार्य को आरम्भ तो कर लेते हैं किन्तु विघ्नों से विचलित होकर बीच में ही छोड़ देते हैं। उत्तम श्रेणी के लोग विघ्नों से बार बार प्रताड़ित किए जाने पर भी आरम्भ किए हुए कार्य को पूर्ण किए बिना नहीं छोड़ते।
यः स्वभावो हि यस्याऽस्ति स नित्यं दुरतिक्रमः।
श्वा यदि क्रियते राजा स किं नाश्नात्युपाहनम्।।
= जिसका जो स्वभाव है, उसे बदलना अत्यन्त कठिन है। यदि कुत्ते को राजा बना दिया जाए तो क्या वह जूता चबाने के अपने स्वभाव को छोड़ सकता है..?
स्नेहेन तिलवत्सर्वं सर्गचक्रे निपीड्यते।
तिलपीडैरिवाक्रम्य क्लेशैरनज्ञानसम्भवैः।।
= तेली लोगों के द्वारा तेल के लिए तिल जिस प्रकार कोल्हू में पिसे जाते हैं, उसी प्रकार स्नेह के कारण सब लोग अज्ञानजनित क्लेशों के द्वारा सृष्टिचक्र में पिसे जा रहे हैं।
शुभेन कर्मणा सौख्यं दुःखं पापेन कर्मणा।
कृतं फलति सर्वत्र नाकृतं भुज्यते क्वचित्।।
= शुभकर्म करने से सुख और पाप कर्म करने से दुःख मिलता है। अपना किया हुआ कर्म ही सर्वत्र फल देता है। बिना किए हुए कर्म का फल नहीं भोगा जाता।
गुरुशुश्रुषया विद्या पुष्कलेन धनेन वा।
अथवा विद्यया विद्या चतुर्थं नोपलभ्यते।।
= विद्या की प्राप्ति या तो गुरु की सेवा करने से हो सकती है, अथवा बहुत बड़ी धनराशि द्वारा विद्या अर्जित की जा सकती है, अथवा विद्या के बदले विद्या प्राप्ति सम्भव है, चौथा कोई प्रकार विद्याप्राप्ति का नहीं है।
तावन्मौनेन नीयन्ते कोकिलैश्चैव वासराः।
यावत्सर्वजनानन्ददायिनी वाक्प्रवर्तते।।
= जब तक सब मनुष्यों को आनन्द देनेवाली वसन्तऋतु आरम्भ नहीं हो जाती, तब तक कोयल मौन रहकर ही अपने दिनों को बिताती है। (अर्थात् बुद्धिमान् को चाहिए कि वह मौन रहे और समय आने पर प्रिय, हितकर, मधुर वचन बोले..)
अस्ति यावत्तु सधनस्तावत्सर्वैस्तु सेव्यते।
निर्धनस्त्यज्यते भार्या पुत्राद्यैः सगुणोप्यतः।।
= जब तक मनुष्य के पास धन रहता है, तब तक सबके द्वारा उसकी सेवा की जाती है। जब धनहीन हो जाता है तब गुणवान होने पर भी पत्नी पुत्रादि के द्वारा छोड़ दिया जाता है।
तद्भोजनं यद् द्विजभुक्तशेषं तत्सौहृदं यत्क्रियते परस्मिन्।
सा प्रज्ञता या न करोति पापं दम्भं विना यः क्रियते स धर्मः।।
= भोजन वह है जो ब्राह्मण को भोजन करा देने पर बचता है, प्रेम (मैत्री) वह है जो परायों पर किया जाए, विद्वत्ता (बुद्धिमत्ता) वह है जो मनुष्यों को पाप करने से बचाए और धर्म वह है जो बिना दम्भ के किया जाए।
मणिर्लुण्ठति पादाग्रे काचः शिरसि धार्यते।
क्रयविक्रयवेलायां काचः काचः मणिर्मणिः।।
= रत्न चाहे पैरो के आगे लुढ़कता रहे और कांच भले ही सिर पर धारण कर लिया जाए। किन्तु मोल लेने या बेचते समय कांच कांच ही रहता है और रत्न रत्न।
#vakyabhyas
April 21, 2022
April 21, 2022
@samskrt_samvadah संलापशाला - A Samskrit Voicechat room.
⏳45 निमेषाः
🕚 IST 11:00 AM विषयः
🔰संस्कृतकथा,सुभाषितम्, हास्यकणिका इत्यादयः
🗓22th April 2022, शुक्रवासरः
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📑यदि शक्येत चेत् संस्कृतेन (संस्कृतकथां, सुभाषितं, हास्यकणिकां ,स्वस्य कञ्चित् उत्तमम् अनुभवं ,प्रेरकप्रसङ्गं ,लौकिकन्यायं वा वदन्तु) । चर्चार्थं कृपया पूर्वसिद्धतां कृत्वा आगच्छन्तु।
वयं युष्माकं प्रतीक्षां कुर्मः। 😇
स्मारणतंत्रिकां स्थापयतु ⏰
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यदीच्छसि वशीकर्तुं, भाषणमेककर्मणा।
यायास्संलापशालां वै, भवति यत्र भाषणम्।।
⏳45 निमेषाः
🕚 IST 11:00 AM विषयः
🔰संस्कृतकथा,सुभाषितम्, हास्यकणिका इत्यादयः
🗓22th April 2022, शुक्रवासरः
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📑यदि शक्येत चेत् संस्कृतेन (संस्कृतकथां, सुभाषितं, हास्यकणिकां ,स्वस्य कञ्चित् उत्तमम् अनुभवं ,प्रेरकप्रसङ्गं ,लौकिकन्यायं वा वदन्तु) । चर्चार्थं कृपया पूर्वसिद्धतां कृत्वा आगच्छन्तु।
वयं युष्माकं प्रतीक्षां कुर्मः। 😇
स्मारणतंत्रिकां स्थापयतु ⏰
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April 21, 2022
April 21, 2022
🍃
♦️adRRiShTapuurvaM hRRiShito'smi dRRiShTvaa
bhayena cha pravyathitaM mano me|
tadeva me darshaya deva ruupaM
prasiida devesha jagannivaasa
⚜I am delighted by beholding that which has never been seen before, and yet my mind is tormented with fear. Show me that (four-armed) form. O God of gods, the refuge of the universe have mercy! (11.45)
⚜मैं आपके इस अदृष्टपूर्व रूप को देखकर हर्षित हो रहा हूँ और मेरा मन भय से अतिव्याकुल भी हो रहा हैं। इसलिए हे देव आप उस पूर्वकाल को ही मुझे दिखाइये। हे देवेश हे जगन्निवास आप प्रसन्न होइये।।11.45।।
#geeta
अदृष्टपूर्वं हृषितोऽस्मि दृष्ट्वा भयेन च प्रव्यथितं मनो मे।
तदेव मे दर्शय देव रूपं प्रसीद देवेश जगन्निवास
।।11.45।।♦️adRRiShTapuurvaM hRRiShito'smi dRRiShTvaa
bhayena cha pravyathitaM mano me|
tadeva me darshaya deva ruupaM
prasiida devesha jagannivaasa
⚜I am delighted by beholding that which has never been seen before, and yet my mind is tormented with fear. Show me that (four-armed) form. O God of gods, the refuge of the universe have mercy! (11.45)
⚜मैं आपके इस अदृष्टपूर्व रूप को देखकर हर्षित हो रहा हूँ और मेरा मन भय से अतिव्याकुल भी हो रहा हैं। इसलिए हे देव आप उस पूर्वकाल को ही मुझे दिखाइये। हे देवेश हे जगन्निवास आप प्रसन्न होइये।।11.45।।
#geeta
April 21, 2022
April 21, 2022
🍃
♦️kiriiTinaM gadinaM chakrahasta
michChaami tvaaM draShTumahaM tathaiva|
tenaiva ruupeNa chaturbhujena
sahasrabaaho bhava vishvamuurte
⚜I wish to see You with a crown, holding mace and discus in Your hand. O Lord with thousand arms and universal form, appear in the four-armed form. (11.46)
⚜मैं आपको उसी प्रकार मुकुटधारी गदा और चक्र हाथ में लिए हुए देखना चाहता हूँ। हे विश्वमूर्ते हे सहस्रबाहो आप उस चतुर्भुजरूप के ही बन जाइए।।11.46।।
#geeta
किरीटिनं गदिनं चक्रहस्त मिच्छामि त्वां द्रष्टुमहं तथैव।
तेनैव रूपेण चतुर्भुजेन सहस्रबाहो भव विश्वमूर्ते
।।11.46।।♦️kiriiTinaM gadinaM chakrahasta
michChaami tvaaM draShTumahaM tathaiva|
tenaiva ruupeNa chaturbhujena
sahasrabaaho bhava vishvamuurte
⚜I wish to see You with a crown, holding mace and discus in Your hand. O Lord with thousand arms and universal form, appear in the four-armed form. (11.46)
⚜मैं आपको उसी प्रकार मुकुटधारी गदा और चक्र हाथ में लिए हुए देखना चाहता हूँ। हे विश्वमूर्ते हे सहस्रबाहो आप उस चतुर्भुजरूप के ही बन जाइए।।11.46।।
#geeta
April 21, 2022
🚩जय सत्य सनातन🚩
🚩आज की हिंदी तिथि
🌥 🚩यगाब्द-५१२४
🌥 🚩विक्रम संवत-२०७९
⛅️ 🚩तिथि - षष्टी सुबह 08:42 तक तत्पश्चात सप्तमी
⛅️दिनांक 22 अप्रैल 2022
⛅️दिन - शुक्रवार
⛅️विक्रम संवत - 2079
⛅️शक संवत - 1944
⛅️अयन - उत्तरायण
⛅️ऋतु - ग्रीष्म
⛅️मास - वैशाख
⛅️पक्ष - कृष्ण
⛅️नक्षत्र - पूर्वाषाढा रात्रि 08:14 तक तत्पश्चात उत्तराषाढा
⛅️योग - शिव सुबह 07:12 तक तत्पश्चात सिद्ध
⛅️राहुकाल - सुबह 11:02 से 12:38 तक
⛅️सर्योदय - 06:14
⛅️सर्यास्त - 07:03
⛅️दिशाशूल - पश्चिम दिशा में
🚩आज की हिंदी तिथि
🌥 🚩यगाब्द-५१२४
🌥 🚩विक्रम संवत-२०७९
⛅️ 🚩तिथि - षष्टी सुबह 08:42 तक तत्पश्चात सप्तमी
⛅️दिनांक 22 अप्रैल 2022
⛅️दिन - शुक्रवार
⛅️विक्रम संवत - 2079
⛅️शक संवत - 1944
⛅️अयन - उत्तरायण
⛅️ऋतु - ग्रीष्म
⛅️मास - वैशाख
⛅️पक्ष - कृष्ण
⛅️नक्षत्र - पूर्वाषाढा रात्रि 08:14 तक तत्पश्चात उत्तराषाढा
⛅️योग - शिव सुबह 07:12 तक तत्पश्चात सिद्ध
⛅️राहुकाल - सुबह 11:02 से 12:38 तक
⛅️सर्योदय - 06:14
⛅️सर्यास्त - 07:03
⛅️दिशाशूल - पश्चिम दिशा में
April 21, 2022
@samskrt_samvadah संलापशाला - A Samskrit Voicechat room.
यदीच्छसि वशीकर्तुं, भाषणमेककर्मणा।
यायास्संलापशालां वै, भवति यत्र भाषणम्।।
⏳45 निमेषाः
🕚 IST 11:00 AM विषयः
🔰सस्कृतकथा,सुभाषितम्, हास्यकणिका इत्यादयः
🗓22th April 2022, शुक्रवासरः
🔴Voicechat would be recorded and shared on this channel.
📑यदि शक्येत चेत् संस्कृतेन (संस्कृतकथां, सुभाषितं, हास्यकणिकां ,स्वस्य कञ्चित् उत्तमम् अनुभवं ,प्रेरकप्रसङ्गं ,लौकिकन्यायं वा वदन्तु) । चर्चार्थं कृपया पूर्वसिद्धतां कृत्वा आगच्छन्तु।
वयं युष्माकं प्रतीक्षां कुर्मः। 😇
स्मारणतंत्रिकां स्थापयतु ⏰
👇🏼👇🏼👇🏼👇🏼👇🏼
https://t.me/samskrt_samvadah?voicechat
यदीच्छसि वशीकर्तुं, भाषणमेककर्मणा।
यायास्संलापशालां वै, भवति यत्र भाषणम्।।
⏳45 निमेषाः
🕚 IST 11:00 AM विषयः
🔰सस्कृतकथा,सुभाषितम्, हास्यकणिका इत्यादयः
🗓22th April 2022, शुक्रवासरः
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वयं युष्माकं प्रतीक्षां कुर्मः। 😇
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April 21, 2022
Forwarded from रामदूतः — The Sanskrit News Platform (ॐ पीयूषः)
https://youtu.be/74KbCGkB9fA
Switch to DD News daily at 7:15 AM (Morning) for 15 minutes Sanskrit news.
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YouTube
वार्ताः | Vaartah | Sanskrit News Bulletin | 22.04.2022
वार्ताः | Vaartah |
Sanskrit News Bulletin | 22.04.2022DD News is India’s 24x7 news channel
from the stable of the country’s Public Service Broadcaster, Pras...
April 21, 2022
April 21, 2022
🔰चित्रं दृष्ट्वा पञ्चवाक्यानि रचयत।
✍🏼सर्वे टिप्पणीसञ्चिकायां स्वोत्तराणि लेखितुं शक्नुवन्ति अथवा पुस्तिकायां लिखित्वा तस्य चित्रं स्वीकृत्य अपि प्रेषयितुं शक्नुवन्ति।
🗣सहैव तानि वाक्यानि उक्त्वा ध्वनिमाध्यमेन अपि प्रेषयत।
🔰 चित्र देखकर पांच वाक्य बनायें।
✍🏼आप कमेंट बॉक्स में टङ्कण कर सकते हैं या कॉपी पर लिखकर फोटो भी भेज सकते हैं।
🗣 साथ हि वें वाक्य बोलकर भी वाइस नोट भेजें।
🔰Make 5 sentences, Observing the attached image.
✍🏼You can type in the comment box or you can also send a photo by writing on the notebook.
🗣 Also, Send voice message by uttering those sentences.
#chitram
✍🏼सर्वे टिप्पणीसञ्चिकायां स्वोत्तराणि लेखितुं शक्नुवन्ति अथवा पुस्तिकायां लिखित्वा तस्य चित्रं स्वीकृत्य अपि प्रेषयितुं शक्नुवन्ति।
🗣सहैव तानि वाक्यानि उक्त्वा ध्वनिमाध्यमेन अपि प्रेषयत।
🔰 चित्र देखकर पांच वाक्य बनायें।
✍🏼आप कमेंट बॉक्स में टङ्कण कर सकते हैं या कॉपी पर लिखकर फोटो भी भेज सकते हैं।
🗣 साथ हि वें वाक्य बोलकर भी वाइस नोट भेजें।
🔰Make 5 sentences, Observing the attached image.
✍🏼You can type in the comment box or you can also send a photo by writing on the notebook.
🗣 Also, Send voice message by uttering those sentences.
#chitram
April 21, 2022
April 21, 2022
🍃
🔅यः आलस्यं करोति सः विद्यां न प्राप्नोति । यः अज्ञानी भवति सः धनार्जनं कर्तुं न शक्नोति । यः निर्धनः भवति तस्य मित्राणि न भवन्ति । यस्य मित्राणि न भवन्ति तस्य सुखं न भवति ।
#Subhashitam
अलसस्य कुतो विद्या अविद्यस्य कुतो धनम्। अधनस्य कुतो मित्रम् अमित्रस्य कुतः सुखम्
॥🔅यः आलस्यं करोति सः विद्यां न प्राप्नोति । यः अज्ञानी भवति सः धनार्जनं कर्तुं न शक्नोति । यः निर्धनः भवति तस्य मित्राणि न भवन्ति । यस्य मित्राणि न भवन्ति तस्य सुखं न भवति ।
#Subhashitam
April 21, 2022
April 21, 2022
April 22, 2022
सप्तजनाः एकं वेणुं वादयन्ति।
वाक्यस्य 'कर्मणिप्रयोगः' कथं भवति?
वाक्यस्य 'कर्मणिप्रयोगः' कथं भवति?
Anonymous Quiz
17%
सप्तजनाः एकः वेणुः वादयन्ते।
30%
सप्तजनैः एकः वेणुः वाद्यन्ते
48%
सप्तजनैः एकः वेणुः वाद्यते।
5%
सप्तजनैः एकः वेणुः वद्यते।
April 22, 2022
संस्कृत संवादः । Sanskrit Samvadah
जलबिन्दुनिपातेन
क्रमशः पूर्यते घटः। स हेतुः सर्वविद्यानां धर्मस्य च धनस्य च।। =
पानी की एकेक बून्द से घड़ा भर जाता है। इसी प्रकार धीरे-धीरे अभ्यास करने
से सब विद्याओं की प्राप्ति हो जाती है। इसी प्रकार थोड़ा-थोड़ा करके धर्म और
धन का संचय भी हो जाता है। प्रारभ्यते…
संस्कृतं वद आधुनिको भव।
वेदान् पठ वैज्ञानिको भव।।
पाठ: (33) भाववाच्य
(क्रिया को प्रधानरूप से कहने के लिए भाववाच्य का प्रयोग होता है। भाववाच्य का प्रयोग अकर्मक धातुओं से होता है। कर्म की अविवक्षा होने पर सकर्मक धातु भी अकर्मक मानी जाती है। ऐसी अकर्मक धातुओं से भसी भाववाच्य का प्रयोग होता है। भाववाच्य में क्रिया नित्य ही आत्मनेपद प्रथमपुरुष एकवचन में होती है। कर्ता में तृतीया विभक्ति का प्रयोग होता है। भाववाच्य में कर्म कारक नहीं होता।)
अहं हसामि
= मैं हंस रही हूं।
मया हस्यते
= मेरे द्वारा हंसा जा रहा है।
वयं धावामः
= हम दौड़ रहे हैं।
अस्माभिर्धाव्यते
= हमारे द्वारा दौड़ा जा रहा है।
बालकाः अकूर्दन्त
= बच्चे कूदे।
बालकैरकूर्द्यत
= बच्चों के द्वारा कूदा गया।
रात्रौ शीघ्रं स्वप्यात् ब्रह्ममुहूर्ते च जागृयात् एष एव शिष्टाचारः
= रात को जल्दी सोएं और ब्रह्ममुहूर्त में उठ जाएं यही शिष्टाचार है।
रात्रौ शीघ्रं सुप्येत ब्रह्ममुहुर्ते च जागर्येत एष एव शिष्टाचारः
= रात को जल्दी सोया जाना चाहिए तथा ब्रह्ममुहुर्त में जग जाना चाहिए यही शिष्टाचार है।
आलस्यात् अलसो जृम्भते
= आलस्य के कारण आलसी जंभाई ले रहा है।
आलस्यत् अलसेन जृम्भ्यते
= आलस्य के कारण आलसी के द्वारा जंभाई ली जा रही है।
सर्वोऽपि काले जीर्यति
= समय आने पर सब बूढे़ होते हैं।
सर्वेणाऽपि काले जीर्यते
= समय आने पर सभी के द्वारा वृद्ध हुआ जाता है।
नवागन्तुकाद् बालोऽभैषीत्
= अजनबी से बालक डर गया।
नवागन्तुकाद् बालेनाऽभायि
= अजनबी से बालक डर गया।
तृषातुरः कदापि न तोक्ष्यति
= प्यासा कभी तृप्त नहीं होगा।
तृषातुरेण कदापि न तोक्ष्यते
= प्यासे के द्वारा कभी तृप्त नहीं हुआ जाएगा।
अराजकतया जनता त्रस्यति
= अराजकता के कारण जनता त्रस्त है।
अराजकतया जनतया त्रस्यते
= अराजकता के कारण जनता त्रस्त हो रही है।
प्राथम्यात् वेदिकात् प्रवचनेन बालिका लज्जते
= प्रथम अनुभव के कारण मंच से बोलने में बालिका को शरम आ रही है।
प्राथम्यात् वेदिकात् प्रवचनेन बालिकया लज्ज्यते
= प्रथम अनुभव के कारण मंच से बोलने में बालिका द्वारा लज्जित हुआ जा रहा है।
पथभ्रष्टः प्रत्यावर्तेत
= पथभ्रष्ट को लौट आना चाहिए।
पथभ्रष्टेन प्रत्यावृत्येत
= पथभ्रष्ट के द्वारा लौट आना चाहिए।
#vakyabhyas
वेदान् पठ वैज्ञानिको भव।।
पाठ: (33) भाववाच्य
(क्रिया को प्रधानरूप से कहने के लिए भाववाच्य का प्रयोग होता है। भाववाच्य का प्रयोग अकर्मक धातुओं से होता है। कर्म की अविवक्षा होने पर सकर्मक धातु भी अकर्मक मानी जाती है। ऐसी अकर्मक धातुओं से भसी भाववाच्य का प्रयोग होता है। भाववाच्य में क्रिया नित्य ही आत्मनेपद प्रथमपुरुष एकवचन में होती है। कर्ता में तृतीया विभक्ति का प्रयोग होता है। भाववाच्य में कर्म कारक नहीं होता।)
अहं हसामि
= मैं हंस रही हूं।
मया हस्यते
= मेरे द्वारा हंसा जा रहा है।
वयं धावामः
= हम दौड़ रहे हैं।
अस्माभिर्धाव्यते
= हमारे द्वारा दौड़ा जा रहा है।
बालकाः अकूर्दन्त
= बच्चे कूदे।
बालकैरकूर्द्यत
= बच्चों के द्वारा कूदा गया।
रात्रौ शीघ्रं स्वप्यात् ब्रह्ममुहूर्ते च जागृयात् एष एव शिष्टाचारः
= रात को जल्दी सोएं और ब्रह्ममुहूर्त में उठ जाएं यही शिष्टाचार है।
रात्रौ शीघ्रं सुप्येत ब्रह्ममुहुर्ते च जागर्येत एष एव शिष्टाचारः
= रात को जल्दी सोया जाना चाहिए तथा ब्रह्ममुहुर्त में जग जाना चाहिए यही शिष्टाचार है।
आलस्यात् अलसो जृम्भते
= आलस्य के कारण आलसी जंभाई ले रहा है।
आलस्यत् अलसेन जृम्भ्यते
= आलस्य के कारण आलसी के द्वारा जंभाई ली जा रही है।
सर्वोऽपि काले जीर्यति
= समय आने पर सब बूढे़ होते हैं।
सर्वेणाऽपि काले जीर्यते
= समय आने पर सभी के द्वारा वृद्ध हुआ जाता है।
नवागन्तुकाद् बालोऽभैषीत्
= अजनबी से बालक डर गया।
नवागन्तुकाद् बालेनाऽभायि
= अजनबी से बालक डर गया।
तृषातुरः कदापि न तोक्ष्यति
= प्यासा कभी तृप्त नहीं होगा।
तृषातुरेण कदापि न तोक्ष्यते
= प्यासे के द्वारा कभी तृप्त नहीं हुआ जाएगा।
अराजकतया जनता त्रस्यति
= अराजकता के कारण जनता त्रस्त है।
अराजकतया जनतया त्रस्यते
= अराजकता के कारण जनता त्रस्त हो रही है।
प्राथम्यात् वेदिकात् प्रवचनेन बालिका लज्जते
= प्रथम अनुभव के कारण मंच से बोलने में बालिका को शरम आ रही है।
प्राथम्यात् वेदिकात् प्रवचनेन बालिकया लज्ज्यते
= प्रथम अनुभव के कारण मंच से बोलने में बालिका द्वारा लज्जित हुआ जा रहा है।
पथभ्रष्टः प्रत्यावर्तेत
= पथभ्रष्ट को लौट आना चाहिए।
पथभ्रष्टेन प्रत्यावृत्येत
= पथभ्रष्ट के द्वारा लौट आना चाहिए।
#vakyabhyas
April 22, 2022
Forwarded from संस्कृत संवादः । Sanskrit Samvadah
April 22, 2022
April 22, 2022
नमो नमः
22 एप्रिल 2022 साप्ताहिकमेलनस्य कृते अधोलिखिता योजना अस्ति।
🌸
सायंकाले
🌸
6:00 - 6:03 ध्येयमन्त्रम् सहना सुब्रह्मण्य
🌸
6:03 - 6:08 सुभाषितम् Dipika Tambekar
🌸
6:09 - 6:15 गीतम् मदन मोहन किर्वे
🌸
6:15 - 6:25 कथा
🌸
6:25 - 6:45 भाषाभ्यास:
🌸
6:45 - 7.10 मासिकगीतम् "मृदपि च चन्दनम्"
🌸
7:10 - 7:20 चर्चा सूचना मार्गदर्शनं च
🌸
07:20 एकात्मता मन्त्रम्
सर्वे निश्चयेन आगच्छन्तु
https://bit.ly/melanam
All are invited. No eligibility.
22 एप्रिल 2022 साप्ताहिकमेलनस्य कृते अधोलिखिता योजना अस्ति।
🌸
सायंकाले
🌸
6:00 - 6:03 ध्येयमन्त्रम् सहना सुब्रह्मण्य
🌸
6:03 - 6:08 सुभाषितम् Dipika Tambekar
🌸
6:09 - 6:15 गीतम् मदन मोहन किर्वे
🌸
6:15 - 6:25 कथा
🌸
6:25 - 6:45 भाषाभ्यास:
🌸
6:45 - 7.10 मासिकगीतम् "मृदपि च चन्दनम्"
🌸
7:10 - 7:20 चर्चा सूचना मार्गदर्शनं च
🌸
07:20 एकात्मता मन्त्रम्
सर्वे निश्चयेन आगच्छन्तु
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All are invited. No eligibility.
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April 22, 2022
@samskrt_samvadah संलापशाला - A Samskrit Voicechat room.
यदीच्छसि वशीकर्तुं, भाषणमेककर्मणा।
यायास्संलापशालां वै, भवति यत्र भाषणम्।।
⏳45 निमेषाः
🕚 IST 11:00 AM विषयः
🔰पृथ्वीदिवसः
🗓23th April 2022,शनिवासरः
🔴Voicechat would be recorded and shared on this channel.
📑यदि शक्येत चेत् संस्कृतेन (पृथ्व्याः का आवश्यकता, पृथ्वी मातृभूमिः इति किमर्थम् उच्यते, संरक्षणं कथं कर्तव्यम् ,शास्त्रेेषु पृथ्वीविषये किम् उच्यते) । चर्चार्थं कृपया पूर्वसिद्धतां कृत्वा आगच्छन्तु।
वयं युष्माकं प्रतीक्षां कुर्मः। 😇
स्मारणतंत्रिकां स्थापयतु ⏰
👇🏼👇🏼👇🏼👇🏼👇🏼
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यदीच्छसि वशीकर्तुं, भाषणमेककर्मणा।
यायास्संलापशालां वै, भवति यत्र भाषणम्।।
⏳45 निमेषाः
🕚 IST 11:00 AM विषयः
🔰पृथ्वीदिवसः
🗓23th April 2022,शनिवासरः
🔴Voicechat would be recorded and shared on this channel.
📑यदि शक्येत चेत् संस्कृतेन (पृथ्व्याः का आवश्यकता, पृथ्वी मातृभूमिः इति किमर्थम् उच्यते, संरक्षणं कथं कर्तव्यम् ,शास्त्रेेषु पृथ्वीविषये किम् उच्यते) । चर्चार्थं कृपया पूर्वसिद्धतां कृत्वा आगच्छन्तु।
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April 22, 2022
April 22, 2022
🍃
♦️shrii bhagavaanuvaacha
mayaa prasannena tavaarjunedaM
ruupaM paraM darshitamaatmayogaat|
tejomayaM vishvamanantamaadyaM
yanme tvadanyena na dRRiShTapuurvam
⚜The Supreme Lord said: O Arjuna, being pleased with you I have shown you, through My own yogic powers, this supreme, shining, universal, infinite, and primal form of Mine that has never been seen before by anyone other than you. (11.47)
⚜हे अर्जुन तुम पर प्रसन्न होकर मैंने अपनी योगशक्ति (आत्मयोगात्) के प्रभाव से यह अपना परम तेजोमय, सबका आदि और अनन्त विश्वरूप तुझे दर्शाया है, जिसे तुम्हारे पूर्व किसी ने नहीं देखा है।।11.47।।
#geeta
श्री भगवानुवाच
मया प्रसन्नेन तवार्जुनेदं रूपं परं दर्शितमात्मयोगात्।
तेजोमयं विश्वमनन्तमाद्यं यन्मे त्वदन्येन न दृष्टपूर्वम्
।।11.47।।♦️shrii bhagavaanuvaacha
mayaa prasannena tavaarjunedaM
ruupaM paraM darshitamaatmayogaat|
tejomayaM vishvamanantamaadyaM
yanme tvadanyena na dRRiShTapuurvam
⚜The Supreme Lord said: O Arjuna, being pleased with you I have shown you, through My own yogic powers, this supreme, shining, universal, infinite, and primal form of Mine that has never been seen before by anyone other than you. (11.47)
⚜हे अर्जुन तुम पर प्रसन्न होकर मैंने अपनी योगशक्ति (आत्मयोगात्) के प्रभाव से यह अपना परम तेजोमय, सबका आदि और अनन्त विश्वरूप तुझे दर्शाया है, जिसे तुम्हारे पूर्व किसी ने नहीं देखा है।।11.47।।
#geeta
April 22, 2022
April 22, 2022
April 22, 2022
🍃
♦️na vedayaj~naadhyayanairna daanai
rna cha kriyaabhirna tapobhirugraiH|
evaMruupaH shakya ahaM nRRiloke
draShTuM tvadanyena kurupraviira
⚜Neither by study of the Vedas, nor by Yajna, nor by charity, nor by rituals, nor by severe austerities, can I be seen in the cosmic form in this human world by anyone other than you, O Arjuna.(11.48)
⚜हे कुरुप्रवीर तुम्हारे अतिरिक्त इस मनुष्य लोक में किसी अन्य के द्वारा मैं इस रूप में न वेदाध्ययन और न यज्ञ न दान और न (धार्मिक) क्रियायों के द्वारा और न उग्र तपों के द्वारा ही देखा जा सकता हूँ।।11.48।।
#geeta
न वेदयज्ञाध्ययनैर्न दानै र्न च क्रियाभिर्न तपोभिरुग्रैः।
एवंरूपः शक्य अहं नृलोके द्रष्टुं त्वदन्येन कुरुप्रवीर
।।11.48।।♦️na vedayaj~naadhyayanairna daanai
rna cha kriyaabhirna tapobhirugraiH|
evaMruupaH shakya ahaM nRRiloke
draShTuM tvadanyena kurupraviira
⚜Neither by study of the Vedas, nor by Yajna, nor by charity, nor by rituals, nor by severe austerities, can I be seen in the cosmic form in this human world by anyone other than you, O Arjuna.(11.48)
⚜हे कुरुप्रवीर तुम्हारे अतिरिक्त इस मनुष्य लोक में किसी अन्य के द्वारा मैं इस रूप में न वेदाध्ययन और न यज्ञ न दान और न (धार्मिक) क्रियायों के द्वारा और न उग्र तपों के द्वारा ही देखा जा सकता हूँ।।11.48।।
#geeta
April 22, 2022
🚩जय सत्य सनातन🚩
🚩आज की हिंदी तिथि
🌥️ 🚩युगाब्द-५१२४
🌥️ 🚩विक्रम संवत-२०७९
⛅ 🚩तिथि - सप्तमी सुबह 06:27 तक तत्पश्चात अष्टमी ( 24 अप्रैल प्रातः 04:29 तक )
⛅दिनांक 23 अप्रैल 2022
⛅दिन - शनिवार
⛅विक्रम संवत - 2079
⛅शक संवत - 1944
⛅अयन - उत्तरायण
⛅ऋतु - ग्रीष्म
⛅मास - वैशाख
⛅पक्ष - कृष्ण
⛅नक्षत्र - उत्तराषाढा शाम 06:54 तक तत्पश्चात श्रवण
⛅योग - साध्य रात्रि 01:03 तक तत्पश्चात शुभ
⛅राहुकाल - सुबह 09:25 से 11:02 तक
⛅सूर्योदय - 06:14
⛅सूर्यास्त - 07:03
⛅दिशाशूल - पूर्व दिशा में
⛅ब्रह्म मुहूर्त- प्रातः 04:43 से 05:28 तक
🚩आज की हिंदी तिथि
🌥️ 🚩युगाब्द-५१२४
🌥️ 🚩विक्रम संवत-२०७९
⛅ 🚩तिथि - सप्तमी सुबह 06:27 तक तत्पश्चात अष्टमी ( 24 अप्रैल प्रातः 04:29 तक )
⛅दिनांक 23 अप्रैल 2022
⛅दिन - शनिवार
⛅विक्रम संवत - 2079
⛅शक संवत - 1944
⛅अयन - उत्तरायण
⛅ऋतु - ग्रीष्म
⛅मास - वैशाख
⛅पक्ष - कृष्ण
⛅नक्षत्र - उत्तराषाढा शाम 06:54 तक तत्पश्चात श्रवण
⛅योग - साध्य रात्रि 01:03 तक तत्पश्चात शुभ
⛅राहुकाल - सुबह 09:25 से 11:02 तक
⛅सूर्योदय - 06:14
⛅सूर्यास्त - 07:03
⛅दिशाशूल - पूर्व दिशा में
⛅ब्रह्म मुहूर्त- प्रातः 04:43 से 05:28 तक
April 22, 2022
April 22, 2022
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वार्ता: संस्कृत भाषा में समाचार
April 22, 2022
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🔰Make 5 sentences, Observing the attached image.
✍🏼You can type in the comment box or you can also send a photo by writing on the notebook.
🗣 Also, Send voice message by uttering those sentences.
#chitram
✍🏼सर्वे टिप्पणीसञ्चिकायां स्वोत्तराणि लेखितुं शक्नुवन्ति अथवा पुस्तिकायां लिखित्वा तस्य चित्रं स्वीकृत्य अपि प्रेषयितुं शक्नुवन्ति।
🗣सहैव तानि वाक्यानि उक्त्वा ध्वनिमाध्यमेन अपि प्रेषयत।
🔰 चित्र देखकर पांच वाक्य बनायें।
✍🏼आप कमेंट बॉक्स में टङ्कण कर सकते हैं या कॉपी पर लिखकर फोटो भी भेज सकते हैं।
🗣 साथ हि वें वाक्य बोलकर भी वाइस नोट भेजें।
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#chitram
April 22, 2022
April 22, 2022
🍃
♦️sarasvatī namastubhyaṃ varade kāmarūpiṇi,
vidyārambhaṃ kariṣyāmi siddhirbhavatu me sadā.
sarasvatī = Goddess Sarasvatī
namaḥ tubhyam = salutations to you
varadā = the giver of boons
kāmarūpiṇī = the one who takes any desired form
vidyā ārambham kariṣyāmi = I shall begin my studies
siddhiḥ bhavatu = may there be accomplishment
me = for me
sadā = always
⚜O Goddess Sarasvatī; salutations to you, the giver of boons, the one who can take any desired form. I shall begin my studies, may there always be accomplishment for me.
🔅इच्छितं वरदात्रीं, कामरूपिणीं, मातरं सरस्वतीम् अहं नमामि। पठनस्य आरम्भं करोमि मम सर्वदा सिद्धिः भवतु।
#Subhashitam
सरस्वती नमस्तुभ्यं वरदे कामरूपिणि।
विद्यारम्भं करिष्यामि सिद्धिर्भवतु मे सदा
॥♦️sarasvatī namastubhyaṃ varade kāmarūpiṇi,
vidyārambhaṃ kariṣyāmi siddhirbhavatu me sadā.
sarasvatī = Goddess Sarasvatī
namaḥ tubhyam = salutations to you
varadā = the giver of boons
kāmarūpiṇī = the one who takes any desired form
vidyā ārambham kariṣyāmi = I shall begin my studies
siddhiḥ bhavatu = may there be accomplishment
me = for me
sadā = always
⚜O Goddess Sarasvatī; salutations to you, the giver of boons, the one who can take any desired form. I shall begin my studies, may there always be accomplishment for me.
🔅इच्छितं वरदात्रीं, कामरूपिणीं, मातरं सरस्वतीम् अहं नमामि। पठनस्य आरम्भं करोमि मम सर्वदा सिद्धिः भवतु।
#Subhashitam
April 22, 2022
April 22, 2022
April 22, 2022
जनशिखा दीर्घा वर्तते।
कर्मणिप्रयोगः कथं भवति।
कर्मणिप्रयोगः कथं भवति।
Anonymous Quiz
34%
जनशिखया दीर्घा वर्तते।
26%
जनशिखया दीर्घया वर्तते।
33%
जनशिखया दीर्घया वृत्यते।
7%
जनशिखया दीर्घया वृतयते।
April 23, 2022
April 23, 2022
संस्कृत संवादः । Sanskrit Samvadah
संस्कृतं
वद आधुनिको भव। वेदान् पठ वैज्ञानिको भव।। पाठ: (33) भाववाच्य (क्रिया
को प्रधानरूप से कहने के लिए भाववाच्य का प्रयोग होता है। भाववाच्य का
प्रयोग अकर्मक धातुओं से होता है। कर्म की अविवक्षा होने पर सकर्मक धातु भी
अकर्मक मानी जाती है। ऐसी अकर्मक धातुओं…
स्वप्नक् स्वप्नेषु लोटति
= ख्वाबों का शहंशाह ख्वाबों में लोट-पलोट लगा रहा है।
स्वप्नजा स्वप्नेषु लुट्यते
= ख्वाबों के शहंशाह द्वारा ख्वाबों मंे लोट-पलोट लगाई जा रही है।
मूले सति छिन्नोऽपि तरुः रोहति
= जड़ के रहने पर कटा हुआ पेड़ भी पुनः उग आता है।
मूले सति छिन्नेनापि तरुणा रुह्यते
= जड़ के रहने पर कटे हुए पेड़ द्वारा भी पुनः उगा जाता है।
छिद्रवदेकेन दुर्गुणेनापि सर्वे गुणाः स्रवन्ति
= जैसे एक छेद के कारण घड़े से सारा पानी बह जाता है वैसे ही एक दुर्गण के कारण व्यक्ति के सारे गुण नष्ट हो जाते हैं।
छिद्रवदेकेन दुर्गुणेनापि सर्वैर्गुणैः स्रूयते
= छेदवाले घड़े के पानी के समान व्यक्ति के एक ही दुर्गुण से भी सारे गुण नष्ट हो जाते हैं।
अनवधानेन कदलीवल्कले पदनिधानेन पान्थोऽस्खालीत्
= असावधानी के कारण केले के छिलके पर पैर रखने से पथिक फिसल गया।
अनवधानेन कदलीवल्कले पदनिधानेन पान्थेनाऽस्खालि
= असावधानी में केले के छिलके पर पैर रखे जाने से पथिक द्वारा फिसला गया।
ह्रदे आमूर्ध्नः स्नायात्
= तालाब में डूबकर नहाना चाहिए।
ह्रदे आमूर्ध्नः स्नायेत
= तालाब में डूबकर नहाया जाना चाहिए।
दिवा मा स्वाप्सीः
= दिन में मत साओ।
दिवा मा स्वापि
= दिन में नहीं सोया जाना चाहिए।
अधोमुखं मा शेताम्
= औंधे मुख मत सोओ।
अधोमुखं माप शय्यताम्
= औंधे मुख नहीं सोया जाना चाहिए।
स्थित्वा मा भुङ्क्ष्व
= खड़े-खड़े मत खा।
स्थित्वा मा भुज्यताम्
= खड़े रहकर नहीं खाया जाना चाहिए।
मा गृधः
= लोभ मत कर।
मा गार्धि
= लोभ नहीं किया जाना चाहिए।
तिष्ठन् मा मूत्रयेत्
= खड़े होकर लघुशंका न करे।
तिष्ठता मा मूत्र्येत
= खड़े होकर लघुशंका न की जाए।
कांस्यपात्र्यां खादेत्
= कांसे के पात्र में खाए।
कांस्यपात्र्यां खाद्येत
= कांसे के पात्र में खाया जाना चाहिए।
पथि वामपक्षी स्यात्
= रास्ते में बायीं ओर से चले।
पथि वामपक्षिणा भूयेत
= रास्ते में बायीं ओर से चला जाए।
रक्तसंकेते तिष्ठतु हरिते च चलतु
= लालबत्ती के संकेत पर रुक जाएं हरीबत्ती होने पर चलें।
रक्तसंकेते स्थीयताम् हरिते च चल्यताम्
= लालबत्ती के संकेत पर रुका जाना चाहिए तथा हरीबत्ती पर चला जाना चाहिए।
रिक्ते गेहे गुञ्जति शब्दाः
= खाली घर में बोल गूंजते हैं।
रिक्ते गेहे गुञ्ज्यते शब्देन
= खाली घर में शब्दों द्वारा गुंजन होता है।
आतपात् म्लायते माला
=धूप के कारण माला मुरझा रही है।
आतपात् म्लायते मालया
= धूप के कारण माला द्वारा मुरझाया जा रहा है।
गर्जन् मेघो न वर्षति
= गरजता बादल बरसता नहीं है।
गर्जता मेघेन न वृष्यते
= गरजते बादल के द्वारा बरसा नहीं जाता।
#vakyabhyas
= ख्वाबों का शहंशाह ख्वाबों में लोट-पलोट लगा रहा है।
स्वप्नजा स्वप्नेषु लुट्यते
= ख्वाबों के शहंशाह द्वारा ख्वाबों मंे लोट-पलोट लगाई जा रही है।
मूले सति छिन्नोऽपि तरुः रोहति
= जड़ के रहने पर कटा हुआ पेड़ भी पुनः उग आता है।
मूले सति छिन्नेनापि तरुणा रुह्यते
= जड़ के रहने पर कटे हुए पेड़ द्वारा भी पुनः उगा जाता है।
छिद्रवदेकेन दुर्गुणेनापि सर्वे गुणाः स्रवन्ति
= जैसे एक छेद के कारण घड़े से सारा पानी बह जाता है वैसे ही एक दुर्गण के कारण व्यक्ति के सारे गुण नष्ट हो जाते हैं।
छिद्रवदेकेन दुर्गुणेनापि सर्वैर्गुणैः स्रूयते
= छेदवाले घड़े के पानी के समान व्यक्ति के एक ही दुर्गुण से भी सारे गुण नष्ट हो जाते हैं।
अनवधानेन कदलीवल्कले पदनिधानेन पान्थोऽस्खालीत्
= असावधानी के कारण केले के छिलके पर पैर रखने से पथिक फिसल गया।
अनवधानेन कदलीवल्कले पदनिधानेन पान्थेनाऽस्खालि
= असावधानी में केले के छिलके पर पैर रखे जाने से पथिक द्वारा फिसला गया।
ह्रदे आमूर्ध्नः स्नायात्
= तालाब में डूबकर नहाना चाहिए।
ह्रदे आमूर्ध्नः स्नायेत
= तालाब में डूबकर नहाया जाना चाहिए।
दिवा मा स्वाप्सीः
= दिन में मत साओ।
दिवा मा स्वापि
= दिन में नहीं सोया जाना चाहिए।
अधोमुखं मा शेताम्
= औंधे मुख मत सोओ।
अधोमुखं माप शय्यताम्
= औंधे मुख नहीं सोया जाना चाहिए।
स्थित्वा मा भुङ्क्ष्व
= खड़े-खड़े मत खा।
स्थित्वा मा भुज्यताम्
= खड़े रहकर नहीं खाया जाना चाहिए।
मा गृधः
= लोभ मत कर।
मा गार्धि
= लोभ नहीं किया जाना चाहिए।
तिष्ठन् मा मूत्रयेत्
= खड़े होकर लघुशंका न करे।
तिष्ठता मा मूत्र्येत
= खड़े होकर लघुशंका न की जाए।
कांस्यपात्र्यां खादेत्
= कांसे के पात्र में खाए।
कांस्यपात्र्यां खाद्येत
= कांसे के पात्र में खाया जाना चाहिए।
पथि वामपक्षी स्यात्
= रास्ते में बायीं ओर से चले।
पथि वामपक्षिणा भूयेत
= रास्ते में बायीं ओर से चला जाए।
रक्तसंकेते तिष्ठतु हरिते च चलतु
= लालबत्ती के संकेत पर रुक जाएं हरीबत्ती होने पर चलें।
रक्तसंकेते स्थीयताम् हरिते च चल्यताम्
= लालबत्ती के संकेत पर रुका जाना चाहिए तथा हरीबत्ती पर चला जाना चाहिए।
रिक्ते गेहे गुञ्जति शब्दाः
= खाली घर में बोल गूंजते हैं।
रिक्ते गेहे गुञ्ज्यते शब्देन
= खाली घर में शब्दों द्वारा गुंजन होता है।
आतपात् म्लायते माला
=धूप के कारण माला मुरझा रही है।
आतपात् म्लायते मालया
= धूप के कारण माला द्वारा मुरझाया जा रहा है।
गर्जन् मेघो न वर्षति
= गरजता बादल बरसता नहीं है।
गर्जता मेघेन न वृष्यते
= गरजते बादल के द्वारा बरसा नहीं जाता।
#vakyabhyas
April 23, 2022
Husband - Hey...Why do you beat him ?
Wife - I told him to study well and you will get a good wife. He said my Dad studied well...and what did he get ?
#hasya
Wife - I told him to study well and you will get a good wife. He said my Dad studied well...and what did he get ?
#hasya
April 23, 2022
@samskrt_samvadah संलापशाला - A Samskrit Voicechat room.
यदीच्छसि वशीकर्तुं, भाषणमेककर्मणा।
यायास्संलापशालां वै, भवति यत्र भाषणम्।।
⏳45 निमेषाः
🕚 IST 11:00 AM विषयः
🔰पाककृतिः (Recipe)
🗓24th April 2022,रविवासरः
🔴Voicechat would be recorded and shared on this channel.
📑यदि शक्येत चेत् संस्कृतेन (भवन्तः यत्र वसन्ति तत्र यत् प्रसिद्धं भोजनम् अस्ति तस्य विधिं संस्कृतेन वदन्तु) । चर्चार्थं कृपया पूर्वसिद्धतां कृत्वा आगच्छन्तु।
वयं युष्माकं प्रतीक्षां कुर्मः। 😇
स्मारणतंत्रिकां स्थापयतु ⏰
👇🏼👇🏼👇🏼👇🏼👇🏼
https://t.me/samskrt_samvadah?voicechat
यदीच्छसि वशीकर्तुं, भाषणमेककर्मणा।
यायास्संलापशालां वै, भवति यत्र भाषणम्।।
⏳45 निमेषाः
🕚 IST 11:00 AM विषयः
🔰पाककृतिः (Recipe)
🗓24th April 2022,रविवासरः
🔴Voicechat would be recorded and shared on this channel.
📑यदि शक्येत चेत् संस्कृतेन (भवन्तः यत्र वसन्ति तत्र यत् प्रसिद्धं भोजनम् अस्ति तस्य विधिं संस्कृतेन वदन्तु) । चर्चार्थं कृपया पूर्वसिद्धतां कृत्वा आगच्छन्तु।
वयं युष्माकं प्रतीक्षां कुर्मः। 😇
स्मारणतंत्रिकां स्थापयतु ⏰
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April 23, 2022
April 23, 2022
🍃
♦️maa te vyathaa maa cha vimuuDhabhaavo
dRRiShTvaa ruupaM ghoramiidRRi~Nmamedam|
vyapetabhiiH priitamanaaH punastvaM
tadeva me ruupamidaM prapashya
⚜Do not be perturbed and deluded by seeing such a terrible form of Mine as this. With fearless and cheerful mind, now behold My four-armed form. (11.49)
⚜इस प्रकार मेरे इस घोर रूप को देखकर तुम व्यथा और मूढ़भाव को मत प्राप्त हो। निर्भय और प्रसन्नचित्त होकर तुम पुन मेरे उसी (पूर्व के) रूप को देखो।।11.49।।
#geeta
मा ते व्यथा मा च विमूढभावो दृष्ट्वा रूपं घोरमीदृङ्ममेदम्।
व्यपेतभीः प्रीतमनाः पुनस्त्वं तदेव मे रूपमिदं प्रपश्य
।।11.49।।♦️maa te vyathaa maa cha vimuuDhabhaavo
dRRiShTvaa ruupaM ghoramiidRRi~Nmamedam|
vyapetabhiiH priitamanaaH punastvaM
tadeva me ruupamidaM prapashya
⚜Do not be perturbed and deluded by seeing such a terrible form of Mine as this. With fearless and cheerful mind, now behold My four-armed form. (11.49)
⚜इस प्रकार मेरे इस घोर रूप को देखकर तुम व्यथा और मूढ़भाव को मत प्राप्त हो। निर्भय और प्रसन्नचित्त होकर तुम पुन मेरे उसी (पूर्व के) रूप को देखो।।11.49।।
#geeta
April 23, 2022
April 23, 2022
🍃
♦️sa~njaya uvaacha
ityarjunaM vaasudevastathoktvaa
svakaM ruupaM darshayaamaasa bhuuyaH|
aashvaasayaamaasa cha bhiitamenaM
bhuutvaa punaH saumyavapurmahaatmaa
⚜Sanjaya said:
Lord Krishna, having thus spoken to Arjuna, revealed His four-armed form. Then assuming His gentle human form, Mahatma Krishna consoled Arjuna who was terrified. (11.50)
⚜संजय ने कहा --
भगवान् वासुदेव ने अर्जुन से इस प्रकार कहकर पुन अपने (पूर्व) रूप को दर्शाया और फिर सौम्यरूप महात्मा श्रीकृष्ण ने इस भयभीत अर्जुन को आश्वस्त किया।।11.50।।
#geeta
सञ्जय उवाच
इत्यर्जुनं वासुदेवस्तथोक्त्वा स्वकं रूपं दर्शयामास भूयः।
आश्वासयामास च भीतमेनं भूत्वा पुनः सौम्यवपुर्महात्मा
।।11.50।।♦️sa~njaya uvaacha
ityarjunaM vaasudevastathoktvaa
svakaM ruupaM darshayaamaasa bhuuyaH|
aashvaasayaamaasa cha bhiitamenaM
bhuutvaa punaH saumyavapurmahaatmaa
⚜Sanjaya said:
Lord Krishna, having thus spoken to Arjuna, revealed His four-armed form. Then assuming His gentle human form, Mahatma Krishna consoled Arjuna who was terrified. (11.50)
⚜संजय ने कहा --
भगवान् वासुदेव ने अर्जुन से इस प्रकार कहकर पुन अपने (पूर्व) रूप को दर्शाया और फिर सौम्यरूप महात्मा श्रीकृष्ण ने इस भयभीत अर्जुन को आश्वस्त किया।।11.50।।
#geeta
April 23, 2022
🚩जय सत्य सनातन🚩
🚩आज की हिंदी तिथि
🌥️ 🚩युगाब्द-५१२४
🌥️ 🚩विक्रम संवत-२०७९
⛅ 🚩तिथि - नवमी प्रातः 04 :30 से रात्रि 02:52 तक तत्पश्चात दशमी
⛅दिनांक 24 अप्रैल 2022
⛅दिन - रविवार
⛅विक्रम संवत - 2079
⛅शक संवत - 1944
⛅अयन - उत्तरायण
⛅ऋतु - ग्रीष्म
⛅मास - वैशाख
⛅पक्ष - कृष्ण
⛅नक्षत्र - श्रवण शाम 05:52 तक तत्पश्चात धनिष्ठा
⛅योग - शुभ रात्रि 11:04 तक तत्पश्चात शुक्ल
⛅राहुकाल - शाम 05:27 से 07:04 तक
⛅सूर्योदय - 06:12
⛅सूर्यास्त - 07:04
⛅दिशाशूल - पश्चिम दिशा में
⛅ब्रह्म मुहूर्त- प्रातः 04:43 से 05:27 तक
🚩आज की हिंदी तिथि
🌥️ 🚩युगाब्द-५१२४
🌥️ 🚩विक्रम संवत-२०७९
⛅ 🚩तिथि - नवमी प्रातः 04 :30 से रात्रि 02:52 तक तत्पश्चात दशमी
⛅दिनांक 24 अप्रैल 2022
⛅दिन - रविवार
⛅विक्रम संवत - 2079
⛅शक संवत - 1944
⛅अयन - उत्तरायण
⛅ऋतु - ग्रीष्म
⛅मास - वैशाख
⛅पक्ष - कृष्ण
⛅नक्षत्र - श्रवण शाम 05:52 तक तत्पश्चात धनिष्ठा
⛅योग - शुभ रात्रि 11:04 तक तत्पश्चात शुक्ल
⛅राहुकाल - शाम 05:27 से 07:04 तक
⛅सूर्योदय - 06:12
⛅सूर्यास्त - 07:04
⛅दिशाशूल - पश्चिम दिशा में
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April 23, 2022
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April 23, 2022
Forwarded from रामदूतः — The Sanskrit News Platform (Bhavani Raman)
Switch to DD News daily at 7:15 AM (Morning) for 15 minutes Sanskrit news.
https://youtu.be/EUAsZsVrqnQ
https://youtu.be/EUAsZsVrqnQ
YouTube
वार्ता: संस्कृत भाषा में समाचार
April 23, 2022
🔰चित्रं दृष्ट्वा पञ्चवाक्यानि रचयत।
✍🏼सर्वे टिप्पणीसञ्चिकायां स्वोत्तराणि लेखितुं शक्नुवन्ति अथवा पुस्तिकायां लिखित्वा तस्य चित्रं स्वीकृत्य अपि प्रेषयितुं शक्नुवन्ति।
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April 23, 2022
April 23, 2022
April 23, 2022
M.A. in Samskrit
MIT Pune
MIT SVS, in association with Hindu University of America, announces the launch of M.A. in Sanskrit designed for 21st century seekers. This Authentic, Convenient and Customizable program is meant for the smart seeker yearning to dive deep into the ocean of knowledge available in the Samskrit language.
Are you
a professional looking for Indic insights in arts, sciences or management?
a seeker of truth and meaning in life from Indic perspective?
an Indian searching for your Indic roots?
If yes, then the MA in Samskrit program is your authentic gateway to the Indic dimension.
Objectives
To transform the growing number of Samskrit enthusiasts worldwide into competent scholars well-equipped for rigorous academic study of Indic knowledge embedded in the Samskrit language, in the following manner
Become an expert in Samskrit – The key to ancient Indian knowledge
Gain direct access to Indic source texts – Become an authentic exponent
Establish the foundations for original study and research in Indic knowledge systems
Target Audience
Students of mainstream education
Working professionals interested in the study of Indic knowledge systems
Those seeking the meaning of life from the Indic perspective
Indians searching for their Indic roots
Course educational objective(s)
To provide an introduction and background of the Indic knowledge landscape with details of categorization and classification of Vedas, their relevance in paving the Indic way of life
Course outcome
At the end of the course the learner will be able to -
Describe the Vedic worldview gleaning through the Chaturdaśa vidyāsthānās (14 Indic Knowledge Systems)
Demonstrate the structure and landscape of Vedic knowledge body based on their purpose, function and structure
Compare the different structures of the Vedic literature that encode knowledge serving different purposes including transmission of knowledge over generations, its practice and application
Analyze the social impact of the Vedic way of life
Curriculum
Module I
Vedas and allied literature:
Introduction to Indic knowledge landscape
What are Vedas?
Central theme of the Vedas
Vedāṅgas
The six Vedāṅgas – Śikṣā, Kalpa, Nirukta, Jyotiṣa, Vyākaraṇa, Chandas
The role of Vedāṅgas with regards to Vedas
Veda-upāṅgas
The four Veda-upāṅgas – Mīmāṁsā, Nyāya, Purāṇa, Dharmaśāstra
The role of Veda-upāṅgas in Vedic literature
Upavedas
The four Upavedas – Āyurveda, Dhanurveda, Gāndharva-veda, Arthaśāstra
Applicative aspects of the Upavedas
Module II
Categorization and classification of Vedas
Classification of Vedas into Ṛk, Yajur, Sāma and Atharva by Vedavyāsa
Saṁhitā, Brāhmaṇa, Āraṇyaka and Upaniṣad
Module III
Role of Vedas in paving Indic way of life
Vedic society and culture
The tradition of preservation of Vedas
Indic philosophy of life
References:
बलदेव उपाध्याय, संस्कृत साहित्य का इतिहास, शारदा निकेतन, वाराणसी
बलदेव उपाध्याय, वैदिक साहित्य और संस्कृति, वाराणसी
राधावल्लभ त्रिपाठी, संस्कृत साहित्य का अभिनव इतिहास, विश्वविद्यालय प्रकाशन, वाराणसी
Winternitz Maurice, Indian Literature (Vol. I – III), Motilal Banarsidass, Delhi
#SanskritEducation
To apply click here
https://mitvedicsciences.edu.in/education/m-a-in-samskrit/
MIT Pune
MIT SVS, in association with Hindu University of America, announces the launch of M.A. in Sanskrit designed for 21st century seekers. This Authentic, Convenient and Customizable program is meant for the smart seeker yearning to dive deep into the ocean of knowledge available in the Samskrit language.
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If yes, then the MA in Samskrit program is your authentic gateway to the Indic dimension.
Objectives
To transform the growing number of Samskrit enthusiasts worldwide into competent scholars well-equipped for rigorous academic study of Indic knowledge embedded in the Samskrit language, in the following manner
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Target Audience
Students of mainstream education
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Those seeking the meaning of life from the Indic perspective
Indians searching for their Indic roots
Course educational objective(s)
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Course outcome
At the end of the course the learner will be able to -
Describe the Vedic worldview gleaning through the Chaturdaśa vidyāsthānās (14 Indic Knowledge Systems)
Demonstrate the structure and landscape of Vedic knowledge body based on their purpose, function and structure
Compare the different structures of the Vedic literature that encode knowledge serving different purposes including transmission of knowledge over generations, its practice and application
Analyze the social impact of the Vedic way of life
Curriculum
Module I
Vedas and allied literature:
Introduction to Indic knowledge landscape
What are Vedas?
Central theme of the Vedas
Vedāṅgas
The six Vedāṅgas – Śikṣā, Kalpa, Nirukta, Jyotiṣa, Vyākaraṇa, Chandas
The role of Vedāṅgas with regards to Vedas
Veda-upāṅgas
The four Veda-upāṅgas – Mīmāṁsā, Nyāya, Purāṇa, Dharmaśāstra
The role of Veda-upāṅgas in Vedic literature
Upavedas
The four Upavedas – Āyurveda, Dhanurveda, Gāndharva-veda, Arthaśāstra
Applicative aspects of the Upavedas
Module II
Categorization and classification of Vedas
Classification of Vedas into Ṛk, Yajur, Sāma and Atharva by Vedavyāsa
Saṁhitā, Brāhmaṇa, Āraṇyaka and Upaniṣad
Module III
Role of Vedas in paving Indic way of life
Vedic society and culture
The tradition of preservation of Vedas
Indic philosophy of life
References:
बलदेव उपाध्याय, संस्कृत साहित्य का इतिहास, शारदा निकेतन, वाराणसी
बलदेव उपाध्याय, वैदिक साहित्य और संस्कृति, वाराणसी
राधावल्लभ त्रिपाठी, संस्कृत साहित्य का अभिनव इतिहास, विश्वविद्यालय प्रकाशन, वाराणसी
Winternitz Maurice, Indian Literature (Vol. I – III), Motilal Banarsidass, Delhi
#SanskritEducation
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April 23, 2022
🍃
♦️Karotu karatah shabdam sarvadaa praangane vasan.
Na shrunoti budhh preetyaa shrunoti pikabhaashitam.
Karotu =do
Karatah = a crow
Shabdam = noise
Sarvadaa = always
Praangane = at the court-yard
Na = not
shrunoti = hear, listen
Budhah = wisemen
Preetyaa = gladly, affectionately
Pika = Indian cuckoo bird (Koel)
Bhaashitiam = cuckoo's call.
⚜Crows roam around the court-yards of houses and
create noise (kao kao) . Wise persons ignore such sound
but listen gladly the tweets (kuhu Kuhu) of the cuckoo
bird (Koel in Hindi).
(The idea behind this Subhashita is that wise men ignore the harsh words spoken to them and do not react, whereas listen to those attentively who speak to them politely. )
🔅ज्ञानीजनः प्राङ्गणे वसतः काकस्य कर्कशध्वनीं न शृणोति अपि तु पिकभाषितं मधुरं वचनमेव शृणोति।
अर्थात् बुद्धिमन्तः कटुवचनेषु न अपितु मधुरवचनेषु एव ध्यानं ददति।
#Subhashitam
करोतु करटः शब्दं सर्वदा प्राङ्गणे वसन्।
न शृणोति बुधः प्रीत्या शृणोति पिकभाषितं
||♦️Karotu karatah shabdam sarvadaa praangane vasan.
Na shrunoti budhh preetyaa shrunoti pikabhaashitam.
Karotu =do
Karatah = a crow
Shabdam = noise
Sarvadaa = always
Praangane = at the court-yard
Na = not
shrunoti = hear, listen
Budhah = wisemen
Preetyaa = gladly, affectionately
Pika = Indian cuckoo bird (Koel)
Bhaashitiam = cuckoo's call.
⚜Crows roam around the court-yards of houses and
create noise (kao kao) . Wise persons ignore such sound
but listen gladly the tweets (kuhu Kuhu) of the cuckoo
bird (Koel in Hindi).
(The idea behind this Subhashita is that wise men ignore the harsh words spoken to them and do not react, whereas listen to those attentively who speak to them politely. )
🔅ज्ञानीजनः प्राङ्गणे वसतः काकस्य कर्कशध्वनीं न शृणोति अपि तु पिकभाषितं मधुरं वचनमेव शृणोति।
अर्थात् बुद्धिमन्तः कटुवचनेषु न अपितु मधुरवचनेषु एव ध्यानं ददति।
#Subhashitam
April 23, 2022
April 23, 2022
April 23, 2022
April 24, 2022
April 24, 2022
संस्कृत संवादः । Sanskrit Samvadah
स्वप्नक्
स्वप्नेषु लोटति = ख्वाबों का शहंशाह ख्वाबों में लोट-पलोट लगा रहा
है। स्वप्नजा स्वप्नेषु लुट्यते = ख्वाबों के शहंशाह द्वारा ख्वाबों
मंे लोट-पलोट लगाई जा रही है। मूले सति छिन्नोऽपि तरुः रोहति = जड़ के
रहने पर कटा हुआ पेड़ भी पुनः उग आता है।…
कदाचित् गर्जन् मेघोऽपि वर्षति
= कभी-कभी गरजता बादल भी बरस जाता है।
कदाचित् गर्जता मेघेनापि वृष्यते
= कभी-कभी गरजते बादल के द्वारा भी बरसा जाता है।
आपदां कथितः पन्था इन्द्रियाणामसंयमः।
तज्जयः सम्पदां मार्गो येनेष्टं तेन गम्यताम्।।
= इन्द्रियों का असंयम असंख्य आपत्तियों को बुलावा है जबकि इन्द्रिय-संयम सम्पत्तियों भरा मार्ग है। दोनों में से तुम्हें जो पसन्द हो उसी पर गमन करो।
तादृशी भूयते बुद्धिर्व्यवसायोऽपि तादृशः।
सहायास्तादृशा एव यादृशी भवितव्यता।।
= जैसी होनहार होती है, मनुष्य की बुद्धि भी वैसी ही हो जाती है। उसके निर्णय, साधन तथा सहायक भी वैसे ही होते चले जाते हैं।
दिवा दृश्यते नोलूकेन काकेन नक्तं न दृश्यते।
अपूर्वेण कामान्धेन दिवा नक्तं न दृश्यते।।
= उल्लू को दिन में तथा कौए को रात में दिखाई नहीं देता, जबकि कामान्ध व्यक्ति को रात और दिन दोनों में ही नहीं दिखाई देता।
न दृश्यते जन्मान्धेन कामान्धेन न दृश्यते।
नैव दृश्यते मत्तेन न चार्थी दोषान् पश्यति।।
= जन्मान्ध को दिखाई नहीं देता, कामान्ध को दिखाई नहीं देता, नशेबाज को दिखाई नहीं देता तथा स्वार्थी को भी दोष दिखाई नहीं देते।
कल्पकोटिशतैरपि नाभुक्तेन कर्मणा क्षीयते।
= करोड़ों कल्प बीत जाने पर भी बिना भोगे कर्म नष्ट नहीं होते।
एतेनाऽमर्त्येन देवेनपर्णवीरिव डीयते।
= इस अविनाशी जीव के द्वारा पक्षी की भांति उड़ा जा रहा है।
दीपो भक्षयते ध्वान्तं कज्जलं च प्रसूयते।
यदन्नं भक्षयेन्नित्यं भूयते तादृशी प्रजा।।
= जैसे दिया अंधेरा खाता है और काजल उत्पन्न करता है, इसी प्रकार मनुष्य जैसा अन्न खाता है उसकी विचाररूपी सन्तान भी वैसी ही होती है।
मलिनचेतसि बुद्धिप्ररोहेण न भूयते।
= मैले चित्त में बुद्धि (ज्ञान) का अंकुरण नहीं होता।
गामश्वं पुरुषं पशुमहरहर्नयमानेन वैवस्वतेन न तृप्यते सुराया इव दुर्मदिना।
= जैसे पियक्कड शराब से तृप्त नहीं होता, वैसे ही प्रतिदिन गाय, अश्व, पुरुष आदि प्राणियों को ले जानेवाला यम भी तृप्त नहीं होता।
सन्ध्या येन न विज्ञाता सन्ध्या येनानुपासिता।
जीवमानो भवेच्छूद्रो मृतः श्वा चैव भूयते।।
= जिसने संध्या की महिमा को नहीं जाना, जीवन में कभी संध्योपासना नहीं की, वह जीते जी शूद्र हो जाता है और मरने के बाद कुत्ता बन जाता है।
यः सर्वभूतेभ्योऽभयं दत्त्वा चरति, तेन कदाचिदपि केनापि न भीयते।
= जो समस्त प्राणियों को अभयदान देकर चलता है, उसे कभी भी किसी से भय नहीं होता।
बोधयन्ति न याचन्ते भिक्षाद्वारा गृहे गृहे।
दीयतां दीयतां नित्यमदातुः फलमीदृशम्।।
= भिक्षुक लोग भीख नहीं मांगते हैं, अपितु वे घर-घर जाकर भिक्षा मांगते हुए लोगों को बोध प्रदान करते हैं कि सदा दान दिया करो क्योंकि दान न देनेवाले की दुर्गति हमारे जैसी ही होती है।
#vakyabhyas
= कभी-कभी गरजता बादल भी बरस जाता है।
कदाचित् गर्जता मेघेनापि वृष्यते
= कभी-कभी गरजते बादल के द्वारा भी बरसा जाता है।
आपदां कथितः पन्था इन्द्रियाणामसंयमः।
तज्जयः सम्पदां मार्गो येनेष्टं तेन गम्यताम्।।
= इन्द्रियों का असंयम असंख्य आपत्तियों को बुलावा है जबकि इन्द्रिय-संयम सम्पत्तियों भरा मार्ग है। दोनों में से तुम्हें जो पसन्द हो उसी पर गमन करो।
तादृशी भूयते बुद्धिर्व्यवसायोऽपि तादृशः।
सहायास्तादृशा एव यादृशी भवितव्यता।।
= जैसी होनहार होती है, मनुष्य की बुद्धि भी वैसी ही हो जाती है। उसके निर्णय, साधन तथा सहायक भी वैसे ही होते चले जाते हैं।
दिवा दृश्यते नोलूकेन काकेन नक्तं न दृश्यते।
अपूर्वेण कामान्धेन दिवा नक्तं न दृश्यते।।
= उल्लू को दिन में तथा कौए को रात में दिखाई नहीं देता, जबकि कामान्ध व्यक्ति को रात और दिन दोनों में ही नहीं दिखाई देता।
न दृश्यते जन्मान्धेन कामान्धेन न दृश्यते।
नैव दृश्यते मत्तेन न चार्थी दोषान् पश्यति।।
= जन्मान्ध को दिखाई नहीं देता, कामान्ध को दिखाई नहीं देता, नशेबाज को दिखाई नहीं देता तथा स्वार्थी को भी दोष दिखाई नहीं देते।
कल्पकोटिशतैरपि नाभुक्तेन कर्मणा क्षीयते।
= करोड़ों कल्प बीत जाने पर भी बिना भोगे कर्म नष्ट नहीं होते।
एतेनाऽमर्त्येन देवेनपर्णवीरिव डीयते।
= इस अविनाशी जीव के द्वारा पक्षी की भांति उड़ा जा रहा है।
दीपो भक्षयते ध्वान्तं कज्जलं च प्रसूयते।
यदन्नं भक्षयेन्नित्यं भूयते तादृशी प्रजा।।
= जैसे दिया अंधेरा खाता है और काजल उत्पन्न करता है, इसी प्रकार मनुष्य जैसा अन्न खाता है उसकी विचाररूपी सन्तान भी वैसी ही होती है।
मलिनचेतसि बुद्धिप्ररोहेण न भूयते।
= मैले चित्त में बुद्धि (ज्ञान) का अंकुरण नहीं होता।
गामश्वं पुरुषं पशुमहरहर्नयमानेन वैवस्वतेन न तृप्यते सुराया इव दुर्मदिना।
= जैसे पियक्कड शराब से तृप्त नहीं होता, वैसे ही प्रतिदिन गाय, अश्व, पुरुष आदि प्राणियों को ले जानेवाला यम भी तृप्त नहीं होता।
सन्ध्या येन न विज्ञाता सन्ध्या येनानुपासिता।
जीवमानो भवेच्छूद्रो मृतः श्वा चैव भूयते।।
= जिसने संध्या की महिमा को नहीं जाना, जीवन में कभी संध्योपासना नहीं की, वह जीते जी शूद्र हो जाता है और मरने के बाद कुत्ता बन जाता है।
यः सर्वभूतेभ्योऽभयं दत्त्वा चरति, तेन कदाचिदपि केनापि न भीयते।
= जो समस्त प्राणियों को अभयदान देकर चलता है, उसे कभी भी किसी से भय नहीं होता।
बोधयन्ति न याचन्ते भिक्षाद्वारा गृहे गृहे।
दीयतां दीयतां नित्यमदातुः फलमीदृशम्।।
= भिक्षुक लोग भीख नहीं मांगते हैं, अपितु वे घर-घर जाकर भिक्षा मांगते हुए लोगों को बोध प्रदान करते हैं कि सदा दान दिया करो क्योंकि दान न देनेवाले की दुर्गति हमारे जैसी ही होती है।
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April 24, 2022
@samskrt_samvadah संलापशाला - A Samskrit Voicechat room.
यदीच्छसि वशीकर्तुं, भाषणमेककर्मणा।
यायास्संलापशालां वै, भवति यत्र भाषणम्।।
⏳45 निमेषाः
🕚 IST 11:00 AM विषयः
🔰वार्ताः
🗓25th April 2022,सोमवासरः
🔴Voicechat would be recorded and shared on this channel.
📑यदि शक्येत चेत् संस्कृतेन (स्वस्थानीयां,प्रादेशीयां, अन्ताराष्ट्रीयां उत्तमां वार्तां वदन्तु) । चर्चार्थं कृपया पूर्वसिद्धतां कृत्वा आगच्छन्तु।
वयं युष्माकं प्रतीक्षां कुर्मः। 😇
स्मारणतंत्रिकां स्थापयतु ⏰
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यदीच्छसि वशीकर्तुं, भाषणमेककर्मणा।
यायास्संलापशालां वै, भवति यत्र भाषणम्।।
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April 24, 2022
April 24, 2022
🍃
♦️arjuna uvaacha
dRRiShTvedaM maanuShaM ruupaM tavasaumyaM janaardana|
idaaniimasmi saMvRRittaH sachetaaH prakRRitiM gataH
⚜Arjuna said:
O Krishna, seeing this gentle human form of Yours, I have now become composed and I am normal again. (11.51)
⚜अर्जुन ने कहा --
हे जनार्दन आपके इस सौम्य मनुष्य रूप को देखकर अब मैं शांतचित्त हुआ अपने स्वभाव को प्राप्त हो गया हूँ।।11.51।।
#geeta
अर्जुन उवाच
दृष्ट्वेदं मानुषं रूपं तवसौम्यं जनार्दन।
इदानीमस्मि संवृत्तः सचेताः प्रकृतिं गतः
।।11.51।।♦️arjuna uvaacha
dRRiShTvedaM maanuShaM ruupaM tavasaumyaM janaardana|
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⚜Arjuna said:
O Krishna, seeing this gentle human form of Yours, I have now become composed and I am normal again. (11.51)
⚜अर्जुन ने कहा --
हे जनार्दन आपके इस सौम्य मनुष्य रूप को देखकर अब मैं शांतचित्त हुआ अपने स्वभाव को प्राप्त हो गया हूँ।।11.51।।
#geeta
April 24, 2022
April 24, 2022
🍃
♦️shrii bhagavaanuvaacha
sudurdarshamidaM ruupaM dRRiShTavaanasi yanmama|
devaa apyasya ruupasya nityaM darshanakaa~NkShiNaH
⚜The Supreme Lord said:
This (four-armed) form of Mine that you have seen is very difficult, indeed, to see. Even the gods are ever longing to see this form. (11.52)
⚜श्रीभगवान् ने कहा --
मेरा यह रूप देखने को मिलना अति दुर्लभ है जिसको कि तुमने देखा है। देवतागण भी सदा इस रूप के दर्शन के इच्छुक रहते हैं।।11.52।।
#geeta
श्री भगवानुवाच
सुदुर्दर्शमिदं रूपं दृष्टवानसि यन्मम।
देवा अप्यस्य रूपस्य नित्यं दर्शनकाङ्क्षिणः
।।11.52।।♦️shrii bhagavaanuvaacha
sudurdarshamidaM ruupaM dRRiShTavaanasi yanmama|
devaa apyasya ruupasya nityaM darshanakaa~NkShiNaH
⚜The Supreme Lord said:
This (four-armed) form of Mine that you have seen is very difficult, indeed, to see. Even the gods are ever longing to see this form. (11.52)
⚜श्रीभगवान् ने कहा --
मेरा यह रूप देखने को मिलना अति दुर्लभ है जिसको कि तुमने देखा है। देवतागण भी सदा इस रूप के दर्शन के इच्छुक रहते हैं।।11.52।।
#geeta
April 24, 2022
April 24, 2022
🚩जय सत्य सनातन 🚩
🚩आज की हिंदी तिथि
🌥️ 🚩युगाब्द-५१२४
🌥️ 🚩विक्रम संवत-२०७९
⛅ 🚩तिथि - दशमी रात्रि 01:38 तक तत्पश्चात एकादशी
⛅दिनांक - 25 अप्रैल 2022
⛅दिन - सोमवार
⛅विक्रम संवत - 2079
⛅शक संवत - 1944
⛅अयन - उत्तरायण
⛅ऋतु - ग्रीष्म
⛅मास - वैशाख
⛅पक्ष - कृष्ण
⛅नक्षत्र - धनिष्ठा शाम 05:13 तक तत्पश्चात शतभिषा
⛅योग - शुक्ल रात्रि 08:56 तक तत्पश्चात ब्रह्म
⛅राहुकाल - सुबह 07:48 से 09:24 तक
⛅सूर्योदय - 06:11
⛅सूर्यास्त - 07:04
⛅दिशाशूल - पूर्व दिशा में
⛅ब्रह्म मुहूर्त- प्रातः 04:42 से 05:27 तक
🚩आज की हिंदी तिथि
🌥️ 🚩युगाब्द-५१२४
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⛅दिन - सोमवार
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⛅शक संवत - 1944
⛅अयन - उत्तरायण
⛅ऋतु - ग्रीष्म
⛅मास - वैशाख
⛅पक्ष - कृष्ण
⛅नक्षत्र - धनिष्ठा शाम 05:13 तक तत्पश्चात शतभिषा
⛅योग - शुक्ल रात्रि 08:56 तक तत्पश्चात ब्रह्म
⛅राहुकाल - सुबह 07:48 से 09:24 तक
⛅सूर्योदय - 06:11
⛅सूर्यास्त - 07:04
⛅दिशाशूल - पूर्व दिशा में
⛅ब्रह्म मुहूर्त- प्रातः 04:42 से 05:27 तक
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April 24, 2022
Forwarded from रामदूतः — The Sanskrit News Platform (Bhavani Raman)
Switch to DD News daily at 7:15 AM (Morning) for 15 minutes Sanskrit news.
https://youtu.be/yGKwsXVlju0
https://youtu.be/yGKwsXVlju0
YouTube
Vaarta: News in Sanskrit | France's Emmanuel Macron re-elected as President
April 24, 2022
🔰चित्रं दृष्ट्वा पञ्चवाक्यानि रचयत।
✍🏼सर्वे टिप्पणीसञ्चिकायां स्वोत्तराणि लेखितुं शक्नुवन्ति अथवा पुस्तिकायां लिखित्वा तस्य चित्रं स्वीकृत्य अपि प्रेषयितुं शक्नुवन्ति।
🗣सहैव तानि वाक्यानि उक्त्वा ध्वनिमाध्यमेन अपि प्रेषयत।
🔰 चित्र देखकर पांच वाक्य बनायें।
✍🏼आप कमेंट बॉक्स में टङ्कण कर सकते हैं या कॉपी पर लिखकर फोटो भी भेज सकते हैं।
🗣 साथ हि वें वाक्य बोलकर भी वाइस नोट भेजें।
🔰Make 5 sentences, Observing the attached image.
✍🏼You can type in the comment box or you can also send a photo by writing on the notebook.
🗣 Also, Send voice message by uttering those sentences.
#chitram
✍🏼सर्वे टिप्पणीसञ्चिकायां स्वोत्तराणि लेखितुं शक्नुवन्ति अथवा पुस्तिकायां लिखित्वा तस्य चित्रं स्वीकृत्य अपि प्रेषयितुं शक्नुवन्ति।
🗣सहैव तानि वाक्यानि उक्त्वा ध्वनिमाध्यमेन अपि प्रेषयत।
🔰 चित्र देखकर पांच वाक्य बनायें।
✍🏼आप कमेंट बॉक्स में टङ्कण कर सकते हैं या कॉपी पर लिखकर फोटो भी भेज सकते हैं।
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✍🏼You can type in the comment box or you can also send a photo by writing on the notebook.
🗣 Also, Send voice message by uttering those sentences.
#chitram
April 24, 2022
April 24, 2022
April 24, 2022
🍃
⚜Let the body be purified by working for the welfare of others; words be purified for the happiness of others; and the mind be purified with thoughts of generosity.
🔅अस्माकं शरीरं परोपकारेषु वाणी परसुखेषु उदारभावनायाः विचारेषु चेतः(मनः) च शुद्धतां प्राप्नुवन्तु।
#Subhashitam
वपुः परोपकारेषु वचः परसुखेषु च।
उदारेषु विचारेषु चेतः पूतं प्रवर्तताम्
॥⚜Let the body be purified by working for the welfare of others; words be purified for the happiness of others; and the mind be purified with thoughts of generosity.
🔅अस्माकं शरीरं परोपकारेषु वाणी परसुखेषु उदारभावनायाः विचारेषु चेतः(मनः) च शुद्धतां प्राप्नुवन्तु।
#Subhashitam
April 24, 2022
April 24, 2022
April 25, 2022
April 25, 2022
संस्कृत संवादः । Sanskrit Samvadah
कदाचित्
गर्जन् मेघोऽपि वर्षति = कभी-कभी गरजता बादल भी बरस जाता है। कदाचित्
गर्जता मेघेनापि वृष्यते = कभी-कभी गरजते बादल के द्वारा भी बरसा जाता
है। आपदां कथितः पन्था इन्द्रियाणामसंयमः। तज्जयः सम्पदां मार्गो
येनेष्टं तेन गम्यताम्।। = इन्द्रियों…
संस्कृतं वद आधुनिको भव।
वेदान् पठ वैज्ञानिको भव।।
पाठ: (34) कृदन्त 1 (निष्ठा प्रत्यय)
(व्याकरण में क्त तथा क्तवतु प्रत्यय की निष्ठा संज्ञा है। सामान्य रूप से दोनों प्रत्ययों का प्रयोग भूतकाल दर्शाने के लिए होता है। क्तवतु प्रत्यय कर्तरि वाच्य में तथा क्त प्रत्यय कर्म व कतृवाच्य में प्रयुक्त होता है। दोनों प्रत्ययों से निर्मित कृदन्त शब्द स्वतन्त्र क्रिया के रूप में भी प्रयुक्त होते हैं, तथा विशेषण रूप में भी यथा:-
क्रियारूप में प्रयोग = रामः गतवान्/गतः = राम गया।
विशेषणरूप में प्रयोग = गतवन्तं/गतं रामं शोचति = गए हुए राम का शोक करता है।
कर्मवाच्य में क्त प्रत्यय = यदि क्त प्रत्ययान्त शब्द क्रिया के रूप में प्रयुक्त है, तब कर्त्ता में तृतीया, कर्म में प्रथमा तथा क्तान्त क्रिया शब्द के लिङ्ग-वचन-विभक्ति कर्म के अनुसार होंगे, और यदि क्तान्त शब्द के विशेषण होने पर उसके लिङ्ग-वचन-विभक्ति विशेष्य के अनुसार होंगे।)
(क्त प्रत्यय कर्मवाच्य में क्रियारूप प्रयोग)
अहं पाठं लिखामि
= मैं पाठ लिख रहा/रही हूं।
मया पाठः लिखितः
= मेरे द्वारा पाठ लिखा गया।
रामः रोटिकां खादति
= राम रोटी खा रहा है।
रामेण रोटिका खादिता
= राम के द्वारा रोटी खाई गई।
चित्रकारः चित्रं करोति
= चित्रकार चित्र बना रहा है।
चित्रकारेण चित्रं कृतम्
= चित्रकार के द्वारा चित्र बनाया गया।
अहं पाठौ लिखामि
= मैं दो पाठ लिख रहा/रही हूं।
मया पाठौ लिखितौ
= मेरे द्वारा दो पाठ लिखे गए।
अहं पाठान् लिखामि
= मैं पाठों को लिख रहा/रही हूं।
मया पाठाः लिखिताः
= मेरे द्वारा पाठ लिखे गए।
रामौ रोटिकां खादतः
= दो बालक राम खा रहे हैं।
रामाभ्यां रोटिका खादिता
= दो रामों के द्वारा रोटी खाई गई।
रामाः रोटिकां खादन्ति
= बहुत सारे राम रोटी खा रहे हैं।
रामैः रोटिका खादिता
= बहुत सारे रामों के द्वारा रोटी खाई गई।
चित्रकारौ चित्रे कुरुतः
= दो चित्रकार दो चित्र बना रहे हैं।
चित्रकाराभ्यां चित्रे कृते
= दो चित्रकारों के द्वारा दो चित्र बनाए गए।
चित्रकाराः चित्राणि कुर्वन्ति
= बहुत सारे चित्रकार चित्रों को बना रहे हैं।
चित्रकारैः चित्राणि कृतानि
= अनेक चित्रकारों के द्वारा चित्रों को बनाया गया।
बालेन दुग्धं पीतम्
= बच्चे के द्वारा दूध पीया गया।
मात्रा शाकं संस्कृतम्
= मां ने सब्जी छोंकी।
#vakyabhyas
वेदान् पठ वैज्ञानिको भव।।
पाठ: (34) कृदन्त 1 (निष्ठा प्रत्यय)
(व्याकरण में क्त तथा क्तवतु प्रत्यय की निष्ठा संज्ञा है। सामान्य रूप से दोनों प्रत्ययों का प्रयोग भूतकाल दर्शाने के लिए होता है। क्तवतु प्रत्यय कर्तरि वाच्य में तथा क्त प्रत्यय कर्म व कतृवाच्य में प्रयुक्त होता है। दोनों प्रत्ययों से निर्मित कृदन्त शब्द स्वतन्त्र क्रिया के रूप में भी प्रयुक्त होते हैं, तथा विशेषण रूप में भी यथा:-
क्रियारूप में प्रयोग = रामः गतवान्/गतः = राम गया।
विशेषणरूप में प्रयोग = गतवन्तं/गतं रामं शोचति = गए हुए राम का शोक करता है।
कर्मवाच्य में क्त प्रत्यय = यदि क्त प्रत्ययान्त शब्द क्रिया के रूप में प्रयुक्त है, तब कर्त्ता में तृतीया, कर्म में प्रथमा तथा क्तान्त क्रिया शब्द के लिङ्ग-वचन-विभक्ति कर्म के अनुसार होंगे, और यदि क्तान्त शब्द के विशेषण होने पर उसके लिङ्ग-वचन-विभक्ति विशेष्य के अनुसार होंगे।)
(क्त प्रत्यय कर्मवाच्य में क्रियारूप प्रयोग)
अहं पाठं लिखामि
= मैं पाठ लिख रहा/रही हूं।
मया पाठः लिखितः
= मेरे द्वारा पाठ लिखा गया।
रामः रोटिकां खादति
= राम रोटी खा रहा है।
रामेण रोटिका खादिता
= राम के द्वारा रोटी खाई गई।
चित्रकारः चित्रं करोति
= चित्रकार चित्र बना रहा है।
चित्रकारेण चित्रं कृतम्
= चित्रकार के द्वारा चित्र बनाया गया।
अहं पाठौ लिखामि
= मैं दो पाठ लिख रहा/रही हूं।
मया पाठौ लिखितौ
= मेरे द्वारा दो पाठ लिखे गए।
अहं पाठान् लिखामि
= मैं पाठों को लिख रहा/रही हूं।
मया पाठाः लिखिताः
= मेरे द्वारा पाठ लिखे गए।
रामौ रोटिकां खादतः
= दो बालक राम खा रहे हैं।
रामाभ्यां रोटिका खादिता
= दो रामों के द्वारा रोटी खाई गई।
रामाः रोटिकां खादन्ति
= बहुत सारे राम रोटी खा रहे हैं।
रामैः रोटिका खादिता
= बहुत सारे रामों के द्वारा रोटी खाई गई।
चित्रकारौ चित्रे कुरुतः
= दो चित्रकार दो चित्र बना रहे हैं।
चित्रकाराभ्यां चित्रे कृते
= दो चित्रकारों के द्वारा दो चित्र बनाए गए।
चित्रकाराः चित्राणि कुर्वन्ति
= बहुत सारे चित्रकार चित्रों को बना रहे हैं।
चित्रकारैः चित्राणि कृतानि
= अनेक चित्रकारों के द्वारा चित्रों को बनाया गया।
बालेन दुग्धं पीतम्
= बच्चे के द्वारा दूध पीया गया।
मात्रा शाकं संस्कृतम्
= मां ने सब्जी छोंकी।
#vakyabhyas
April 25, 2022
https://youtu.be/YcEc2Pk-umQ
'हॅलो सह्याद्री' इति वाहिन्यां शिरीष-भेडसगावकर-महोदयस्य (संस्कृत भारती प्रचार प्रमुख) साक्षात्कारः।
'हॅलो सह्याद्री' इति वाहिन्यां शिरीष-भेडसगावकर-महोदयस्य (संस्कृत भारती प्रचार प्रमुख) साक्षात्कारः।
YouTube
हॅलो सह्याद्री. 25.04.2022
April 25, 2022
Husband - Hey...Why do you beat him ?
Wife - do you know what he did ? He pasted my photo in place provided for hippopotamuses!!!
#hasya
Wife - do you know what he did ? He pasted my photo in place provided for hippopotamuses!!!
#hasya
April 25, 2022
@samskrt_samvadah संलापशाला - A Samskrit Voicechat room.
यदीच्छसि वशीकर्तुं, भाषणमेककर्मणा।
यायास्संलापशालां वै, भवति यत्र भाषणम्।।
⏳45 निमेषाः
🕚 IST 11:00 AM विषयः
🔰परीक्षासिद्धता कथं करणीया
🗓26th April 2022,मङ्गलवासरः
🔴Voicechat would be recorded and shared on this channel.
📑यदि शक्येत चेत् संस्कृतेन (परीक्षातः पूर्वम् अस्माकं मानसिकता कीदृशी भवेत् ,परीक्षा अक्लेशिनी भवेत् तदर्थं किं कर्तव्यम्) । चर्चार्थं कृपया पूर्वसिद्धतां कृत्वा आगच्छन्तु।
वयं युष्माकं प्रतीक्षां कुर्मः। 😇
स्मारणतंत्रिकां स्थापयतु ⏰
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https://t.me/samskrt_samvadah?voicechat
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April 25, 2022
April 25, 2022
🍃
♦️naahaM vedairna tapasaa na daanena na chejyayaa|
shakya evaMvidho draShTuM dRRiShTavaanasi maaM yathaa
⚜Neither by study of the Vedas, nor by austerity, nor by charity, nor by ritual, can I be seen in this form as you have seen Me.(11.53)
⚜न वेदों से न तप से न दान से और न यज्ञ से ही मैं इस प्रकार देखा जा सकता हूँ जैसा कि तुमने मुझे देखा है।।11.53।।
#geeta
नाहं वेदैर्न तपसा न दानेन न चेज्यया।
शक्य एवंविधो द्रष्टुं दृष्टवानसि मां यथा
।।11.53।।♦️naahaM vedairna tapasaa na daanena na chejyayaa|
shakya evaMvidho draShTuM dRRiShTavaanasi maaM yathaa
⚜Neither by study of the Vedas, nor by austerity, nor by charity, nor by ritual, can I be seen in this form as you have seen Me.(11.53)
⚜न वेदों से न तप से न दान से और न यज्ञ से ही मैं इस प्रकार देखा जा सकता हूँ जैसा कि तुमने मुझे देखा है।।11.53।।
#geeta
April 25, 2022
April 25, 2022
🍃
♦️bhaktyaa tvananyayaa shakyamahamevaMvidho'rjuna|
j~naatuM dRRiShTuM cha tattvena praveShTuM cha paraMtapa
⚜However, through single-minded devotion alone, I can be seen in this form, can be known in essence, and also can be reached, O Arjuna. (11.54)
⚜परन्तु हे परन्तप अर्जुन अनन्य भक्ति के द्वारा मैं तत्त्वत जानने देखने और प्रवेश करने के लिए (एकी भाव से प्राप्त होने के लिए) भी? शक्य हूँ।।11.54।।
#geeta
भक्त्या त्वनन्यया शक्यमहमेवंविधोऽर्जुन।
ज्ञातुं दृष्टुं च तत्त्वेन प्रवेष्टुं च परंतप
।।11.54।।♦️bhaktyaa tvananyayaa shakyamahamevaMvidho'rjuna|
j~naatuM dRRiShTuM cha tattvena praveShTuM cha paraMtapa
⚜However, through single-minded devotion alone, I can be seen in this form, can be known in essence, and also can be reached, O Arjuna. (11.54)
⚜परन्तु हे परन्तप अर्जुन अनन्य भक्ति के द्वारा मैं तत्त्वत जानने देखने और प्रवेश करने के लिए (एकी भाव से प्राप्त होने के लिए) भी? शक्य हूँ।।11.54।।
#geeta
April 25, 2022
🚩जय सत्य सनातन🚩
🚩आज की हिंदी तिथि
🌥️ 🚩युगाब्द-५१२४
🌥️ 🚩विक्रम संवत-२०७९
⛅ 🚩तिथि - एकादशी रात्रि 12:47 तक तत्पश्चात द्वादशी
⛅दिनांक 26 अप्रैल 2022
⛅दिन - मंगलवार
⛅विक्रम संवत - 2079
⛅शक संवत - 1944
⛅अयन - उत्तरायण
⛅ऋतु - ग्रीष्म
⛅मास - वैशाख
⛅पक्ष - कृष्ण
⛅नक्षत्र - शतभिषा शाम 04:56 तक तत्पश्चात पूर्वभाद्रपद
⛅योग - ब्रह्म शाम 07:06 तक तत्पश्चात इन्द्र
⛅राहुकाल - अपरान्ह 03:51 से 05:26 तक
⛅सूर्योदय - 06:10
⛅सूर्यास्त - 07:05
⛅दिशाशूल - उत्तर दिशा में
⛅ब्रह्म मुहूर्त- प्रातः 04:42 से 05:26 तक
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April 25, 2022
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April 25, 2022
April 25, 2022
Forwarded from रामदूतः — The Sanskrit News Platform (ॐ पीयूषः)
https://youtu.be/os1Hrp4i9Vk
Switch to DD News daily at 7:15 AM (Morning) for 15 minutes Sanskrit news.
Switch to DD News daily at 7:15 AM (Morning) for 15 minutes Sanskrit news.
YouTube
वार्ता: संस्कृत में समाचार | ट्विटर के मालिक बने एलन मस्क
April 25, 2022
🔰चित्रं दृष्ट्वा पञ्चवाक्यानि रचयत।
✍🏼सर्वे टिप्पणीसञ्चिकायां स्वोत्तराणि लेखितुं शक्नुवन्ति अथवा पुस्तिकायां लिखित्वा तस्य चित्रं स्वीकृत्य अपि प्रेषयितुं शक्नुवन्ति।
🗣सहैव तानि वाक्यानि उक्त्वा ध्वनिमाध्यमेन अपि प्रेषयत।
🔰 चित्र देखकर पांच वाक्य बनायें।
✍🏼आप कमेंट बॉक्स में टङ्कण कर सकते हैं या कॉपी पर लिखकर फोटो भी भेज सकते हैं।
🗣 साथ हि वें वाक्य बोलकर भी वाइस नोट भेजें।
🔰Make 5 sentences, Observing the attached image.
✍🏼You can type in the comment box or you can also send a photo by writing on the notebook.
🗣 Also, Send voice message by uttering those sentences.
#chitram
✍🏼सर्वे टिप्पणीसञ्चिकायां स्वोत्तराणि लेखितुं शक्नुवन्ति अथवा पुस्तिकायां लिखित्वा तस्य चित्रं स्वीकृत्य अपि प्रेषयितुं शक्नुवन्ति।
🗣सहैव तानि वाक्यानि उक्त्वा ध्वनिमाध्यमेन अपि प्रेषयत।
🔰 चित्र देखकर पांच वाक्य बनायें।
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#chitram
April 25, 2022
April 25, 2022
April 25, 2022
April 25, 2022
🍃
⚜Remembering the small amount of water which was given in its early age, the coconut trees carry nectar like water on their head throughout their life. [In the same manner] good and noble people do not forget a favour done to them.
प्रथमवयसि = in the early age
दत्तं = given
तोयं = water
अल्पम् = little
स्मरन्तः = remembering
शिरसि = in the head
निहितभारा = placed load
नारिकेलाः = coconuts
नराणाम् = among men
सलिलम् = water
अमृतकल्पम् = nectar like
दद्युः = should give
आजीवनान्तम् = throughout life
न = not
हि = indeed
कृतम् = done
उपकारम् = service, help, favour
साधवः = noble men
विस्मरन्ति = forget
🔅यथा नारिकेलवृक्षस्य बाल्यावस्थायां तस्मै दत्तस्य स्वल्पजलस्य प्रत्यर्पणार्थम् सः आजीवनं स्वशिरसः उपरि मधुरं जलं धरति स्वकृतज्ञतां च प्रदर्शयति तथैव उत्तमजनाः अन्यैः कृतम् उपकारं नैव विस्मरन्ति।
#Subhashitam
प्रथमवयसि दत्तं तोयमल्पं स्मरन्तः
शिरसि निहितभारा नारिकेला नराणाम् ।
सलिलममृतकल्पं दद्युराजीवनान्तं
न हि कृतमुपकारं साधवो विस्मरन्ति
।।⚜Remembering the small amount of water which was given in its early age, the coconut trees carry nectar like water on their head throughout their life. [In the same manner] good and noble people do not forget a favour done to them.
प्रथमवयसि = in the early age
दत्तं = given
तोयं = water
अल्पम् = little
स्मरन्तः = remembering
शिरसि = in the head
निहितभारा = placed load
नारिकेलाः = coconuts
नराणाम् = among men
सलिलम् = water
अमृतकल्पम् = nectar like
दद्युः = should give
आजीवनान्तम् = throughout life
न = not
हि = indeed
कृतम् = done
उपकारम् = service, help, favour
साधवः = noble men
विस्मरन्ति = forget
🔅यथा नारिकेलवृक्षस्य बाल्यावस्थायां तस्मै दत्तस्य स्वल्पजलस्य प्रत्यर्पणार्थम् सः आजीवनं स्वशिरसः उपरि मधुरं जलं धरति स्वकृतज्ञतां च प्रदर्शयति तथैव उत्तमजनाः अन्यैः कृतम् उपकारं नैव विस्मरन्ति।
#Subhashitam
April 25, 2022
April 26, 2022
April 26, 2022
संस्कृत संवादः । Sanskrit Samvadah
संस्कृतं
वद आधुनिको भव। वेदान् पठ वैज्ञानिको भव।। पाठ: (34) कृदन्त 1 (निष्ठा
प्रत्यय) (व्याकरण में क्त तथा क्तवतु प्रत्यय की निष्ठा संज्ञा है।
सामान्य रूप से दोनों प्रत्ययों का प्रयोग भूतकाल दर्शाने के लिए होता है।
क्तवतु प्रत्यय कर्तरि वाच्य में तथा क्त…
जनैः रावणः दग्धः
= लोगों ने रावण को जलाया।
हस्तशाकटिकेन जलापूपाः विक्रीताः
= ठेलेवाले ने पानीपूरी बेची।
भगिन्या भिक्षुकाय भोजनं दत्तम्
= बहन ने भिक्षुक को भोजन दिया।
सेवकेन शौचार्थं भ्रमणार्थ´्च कुक्कुरः बहिर्नीतः
= सेवक शौच एवं भ्रमण के लिए कुत्ते को बाहर ले गया।
विक्रेत्रा शुकः पि´्जरे बद्धः
= विक्रेता (बहेलिया) ने तोते को पिंजरे में बन्द कर दिया।
बोद्धृभिः सनातन-धर्मः बुद्धः
= विद्वानों ने सनातन धर्म को जाना।
कन्यया शाटिका क्रीता
= लड़की ने साड़ी खरीदी।
राजनेत्रा भाषणं भाषितम्
= राजनेता ने भाषण दिया।
पेष्ट्रा घरट्टेन चूर्णं पिष्टम्
= पिसनवाले ने चक्की से आटा पिसा।
पथिकेन नगरात् ग्रामो गतः
= पथिक नगर से गांव गया।
कृषकेन क्षेत्रे वायुना धान्यं पूतम्
= किसान ने खेत में हवा से धान साफ किया।
पाचिकया तण्डुलाः शोधिताः
= पाचिका (भोजन बनानेवाली) ने चावल साफ किए।
बालिकया आत्मा अलंकृतः
= लड़की ने अपने आप को सजाया।
उपासनायै आसनं ततम्
= उपासना के लिए आसन फैलाया।
पश्चात् आसने उपविश्य प्राणायामाः कृताः, इन्द्रियाणि प्रत्याहृतानि, ईश्वरश्च ध्यातः
= इसके बाद आसन पर बैठ कर प्राणायाम किए, इन्द्रियों का प्रत्याहार सिद्ध कर ईश्वर-चिन्तन किया।
हतं ज्ञानं क्रियाहीनं हतश्चाऽज्ञानतो नरः।
हतं निर्नायकं सैन्यं स्त्रियो नष्टा ह्यभर्त्तृकाः।।
= आचरण के बिना ज्ञान नष्ट हो जाता है, अज्ञान से मनुष्य नष्ट हो जाता है, सेनापति के बिना सेना नष्ट हो जाती है और पति के बिना स्त्रियां नष्ट हो जाती हैं।
तद्गृहं यत्र वसति तद् भोज्यं येन जीवति।
यन्मुक्तये तदेवोक्तं ज्ञानमज्ञानमन्यथा।।
= जहां निवास होता है वहां घर है, जिससे प्राणी जीवित रहते हैं वह अन्न है, जिससे मोक्ष मिलता है वह ज्ञान है, शेष सब अज्ञान है।
निर्गुणस्य हतं रूपं दुःशीलस्य हतं कुलम्।
असिद्धस्य हता विद्या अभोगेन हतं धनम्।।
= गुणहीन मनुष्य की सुन्दरता व्यर्थ है, शीलरहित का कुल नष्ट हो जाता है, आचरण में उतारे बिना विद्या नष्ट हो जाती है तथा भोग के बिना धन नष्ट हो जाता है।
अर्थाऽधीताश्च यैर्वेदास्तथा शूद्रान्नभोजिनाः।
ते द्विजाः किं करिष्यन्ति निर्विषा इव पन्नगाः।।
= जिन ब्राह्मणों ने धन प्राप्ति के लिए वेदों को अध्ययन किया है तथा जो शूद्र-शराबी-कबाबी अर्थात् नीच-पतित मनुष्यों का अन्न खाते हैं, ऐसे विषहीन सर्प के समान निस्तेज वे ब्राह्मण क्या कर सकते हैं ?
धनहीनो न हीनश्च धनिकः स सुनिश्चयः।
विद्यारत्नेन यो हीनः स हीनः सर्ववस्तुषु।।
= धनाभाव में जीता गरीब किन्तु विद्यावान् वस्तुतः दीन-हीन नहीं है, वह तो निश्चय ही महाधनी है। परन्तु जो मनुष्य विद्यारूपी रत्न से हीन है वही कंगाल है।
#vakyabhyas
= लोगों ने रावण को जलाया।
हस्तशाकटिकेन जलापूपाः विक्रीताः
= ठेलेवाले ने पानीपूरी बेची।
भगिन्या भिक्षुकाय भोजनं दत्तम्
= बहन ने भिक्षुक को भोजन दिया।
सेवकेन शौचार्थं भ्रमणार्थ´्च कुक्कुरः बहिर्नीतः
= सेवक शौच एवं भ्रमण के लिए कुत्ते को बाहर ले गया।
विक्रेत्रा शुकः पि´्जरे बद्धः
= विक्रेता (बहेलिया) ने तोते को पिंजरे में बन्द कर दिया।
बोद्धृभिः सनातन-धर्मः बुद्धः
= विद्वानों ने सनातन धर्म को जाना।
कन्यया शाटिका क्रीता
= लड़की ने साड़ी खरीदी।
राजनेत्रा भाषणं भाषितम्
= राजनेता ने भाषण दिया।
पेष्ट्रा घरट्टेन चूर्णं पिष्टम्
= पिसनवाले ने चक्की से आटा पिसा।
पथिकेन नगरात् ग्रामो गतः
= पथिक नगर से गांव गया।
कृषकेन क्षेत्रे वायुना धान्यं पूतम्
= किसान ने खेत में हवा से धान साफ किया।
पाचिकया तण्डुलाः शोधिताः
= पाचिका (भोजन बनानेवाली) ने चावल साफ किए।
बालिकया आत्मा अलंकृतः
= लड़की ने अपने आप को सजाया।
उपासनायै आसनं ततम्
= उपासना के लिए आसन फैलाया।
पश्चात् आसने उपविश्य प्राणायामाः कृताः, इन्द्रियाणि प्रत्याहृतानि, ईश्वरश्च ध्यातः
= इसके बाद आसन पर बैठ कर प्राणायाम किए, इन्द्रियों का प्रत्याहार सिद्ध कर ईश्वर-चिन्तन किया।
हतं ज्ञानं क्रियाहीनं हतश्चाऽज्ञानतो नरः।
हतं निर्नायकं सैन्यं स्त्रियो नष्टा ह्यभर्त्तृकाः।।
= आचरण के बिना ज्ञान नष्ट हो जाता है, अज्ञान से मनुष्य नष्ट हो जाता है, सेनापति के बिना सेना नष्ट हो जाती है और पति के बिना स्त्रियां नष्ट हो जाती हैं।
तद्गृहं यत्र वसति तद् भोज्यं येन जीवति।
यन्मुक्तये तदेवोक्तं ज्ञानमज्ञानमन्यथा।।
= जहां निवास होता है वहां घर है, जिससे प्राणी जीवित रहते हैं वह अन्न है, जिससे मोक्ष मिलता है वह ज्ञान है, शेष सब अज्ञान है।
निर्गुणस्य हतं रूपं दुःशीलस्य हतं कुलम्।
असिद्धस्य हता विद्या अभोगेन हतं धनम्।।
= गुणहीन मनुष्य की सुन्दरता व्यर्थ है, शीलरहित का कुल नष्ट हो जाता है, आचरण में उतारे बिना विद्या नष्ट हो जाती है तथा भोग के बिना धन नष्ट हो जाता है।
अर्थाऽधीताश्च यैर्वेदास्तथा शूद्रान्नभोजिनाः।
ते द्विजाः किं करिष्यन्ति निर्विषा इव पन्नगाः।।
= जिन ब्राह्मणों ने धन प्राप्ति के लिए वेदों को अध्ययन किया है तथा जो शूद्र-शराबी-कबाबी अर्थात् नीच-पतित मनुष्यों का अन्न खाते हैं, ऐसे विषहीन सर्प के समान निस्तेज वे ब्राह्मण क्या कर सकते हैं ?
धनहीनो न हीनश्च धनिकः स सुनिश्चयः।
विद्यारत्नेन यो हीनः स हीनः सर्ववस्तुषु।।
= धनाभाव में जीता गरीब किन्तु विद्यावान् वस्तुतः दीन-हीन नहीं है, वह तो निश्चय ही महाधनी है। परन्तु जो मनुष्य विद्यारूपी रत्न से हीन है वही कंगाल है।
#vakyabhyas
April 26, 2022
Wife - Where are you going ?
Hus - To hunt lions.
Wife - Then why don't you go ?
Hus - Can't you see !!! There is a dog barking in the way....
#hasya
Hus - To hunt lions.
Wife - Then why don't you go ?
Hus - Can't you see !!! There is a dog barking in the way....
#hasya
April 26, 2022
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🗓27th April 2022, बुधवासरः
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April 26, 2022
April 26, 2022
🍃
♦️matkarmakRRinmatparamo madbhaktaH sa~NgavarjitaH|
nirvairaH sarvabhuuteShu yaH sa maameti paaNDava
⚜The one who does all works for Me, and to whom I am the supreme goal, who is my devotee, who has no attachment, and is free from enmity towards any being attains Me, O Arjuna. (See also 8.22)(11.55)
⚜हे पाण्डव जो पुरुष मेरे लिए ही कर्म करने वाला है और मुझे ही परम लक्ष्य मानता है जो मेरा भक्त है तथा संगरहित है जो भूतमात्र के प्रति निर्वैर है वह मुझे प्राप्त होता है।।11.55।।
#geeta
मत्कर्मकृन्मत्परमो मद्भक्तः सङ्गवर्जितः।
निर्वैरः सर्वभूतेषु यः स मामेति पाण्डव
।।11.55।।♦️matkarmakRRinmatparamo madbhaktaH sa~NgavarjitaH|
nirvairaH sarvabhuuteShu yaH sa maameti paaNDava
⚜The one who does all works for Me, and to whom I am the supreme goal, who is my devotee, who has no attachment, and is free from enmity towards any being attains Me, O Arjuna. (See also 8.22)(11.55)
⚜हे पाण्डव जो पुरुष मेरे लिए ही कर्म करने वाला है और मुझे ही परम लक्ष्य मानता है जो मेरा भक्त है तथा संगरहित है जो भूतमात्र के प्रति निर्वैर है वह मुझे प्राप्त होता है।।11.55।।
#geeta
April 26, 2022
April 26, 2022
🍃
♦️arjuna uvaacha
evaM satatayuktaa ye bhaktaastvaaM paryupaasate|
yechaapyakSharamavyaktaM teShaaM ke yogavittamaaH
⚜Arjuna said:
Those ever-steadfast devotees (or Bhaktas) who thus worship You (as the manifest or personal God), and those who worship the eternal unmanifest (the formless or impersonal) Brahman (by developing Jnana), which of these has the best knowledge of yoga? (12.01)
⚜अर्जुन ने कहा --
जो भक्त सतत युक्त होकर इस (पूर्वोक्त) प्रकार से आपकी उपासना करते हैं और जो भक्त अक्षर और अव्यक्त की उपासना करते हैं उन दोनों में कौन उत्तम योगवित् है।।12.1।।
#geeta
अर्जुन उवाच
एवं सततयुक्ता ये भक्तास्त्वां पर्युपासते।
येचाप्यक्षरमव्यक्तं तेषां के योगवित्तमाः
।।12.1।।♦️arjuna uvaacha
evaM satatayuktaa ye bhaktaastvaaM paryupaasate|
yechaapyakSharamavyaktaM teShaaM ke yogavittamaaH
⚜Arjuna said:
Those ever-steadfast devotees (or Bhaktas) who thus worship You (as the manifest or personal God), and those who worship the eternal unmanifest (the formless or impersonal) Brahman (by developing Jnana), which of these has the best knowledge of yoga? (12.01)
⚜अर्जुन ने कहा --
जो भक्त सतत युक्त होकर इस (पूर्वोक्त) प्रकार से आपकी उपासना करते हैं और जो भक्त अक्षर और अव्यक्त की उपासना करते हैं उन दोनों में कौन उत्तम योगवित् है।।12.1।।
#geeta
April 26, 2022
🚩जय सत्य सनातन🚩
🚩आज की हिंदी तिथि
🌥️ 🚩युगाब्द-५१२४
🌥️ 🚩विक्रम संवत-२०७९
⛅ 🚩तिथि - द्वादशी रात्रि 12:23 तक तत्पश्चात त्रयोदशी
⛅दिनांक 27 अप्रैल 2022
⛅दिन - बुधवार
⛅विक्रम संवत - 2079
⛅शक संवत - 1944
⛅अयन - उत्तरायण
⛅ऋतु - ग्रीष्म
⛅मास - वैशाख
⛅पक्ष - कृष्ण
⛅नक्षत्र - पूर्वभाद्रपद शाम 05:05 तक तत्पश्चात उत्तरभाद्रपद
⛅योग - इन्द्र शाम 05:37 तक तत्पश्चात वैधृति
⛅राहुकाल - दोपहर 12:37 से 02:14 तक
⛅सूर्योदय - 06:10
⛅सूर्यास्त - 07:05
⛅दिशाशूल - उत्तर दिशा में
⛅ब्रह्म मुहूर्त- प्रातः 04:41 से 05:25 तक
🚩आज की हिंदी तिथि
🌥️ 🚩युगाब्द-५१२४
🌥️ 🚩विक्रम संवत-२०७९
⛅ 🚩तिथि - द्वादशी रात्रि 12:23 तक तत्पश्चात त्रयोदशी
⛅दिनांक 27 अप्रैल 2022
⛅दिन - बुधवार
⛅विक्रम संवत - 2079
⛅शक संवत - 1944
⛅अयन - उत्तरायण
⛅ऋतु - ग्रीष्म
⛅मास - वैशाख
⛅पक्ष - कृष्ण
⛅नक्षत्र - पूर्वभाद्रपद शाम 05:05 तक तत्पश्चात उत्तरभाद्रपद
⛅योग - इन्द्र शाम 05:37 तक तत्पश्चात वैधृति
⛅राहुकाल - दोपहर 12:37 से 02:14 तक
⛅सूर्योदय - 06:10
⛅सूर्यास्त - 07:05
⛅दिशाशूल - उत्तर दिशा में
⛅ब्रह्म मुहूर्त- प्रातः 04:41 से 05:25 तक
April 26, 2022
@samskrt_samvadah संलापशाला - A Samskrit Voicechat room.
⏳45 निमेषाः
🕚 IST 11:00 AM विषयः
🔰वाक्याभ्यासः
🗓27th April 2022, बुधवासरः
🔴Voicechat would be recorded and shared on this channel.
📑यदि शक्येत चेत् संस्कृतेन (चित्रं दृष्ट्वा वाक्यानि वक्तव्यानि) चर्चार्थं कृपया पूर्वसिद्धतां कृत्वा आगच्छन्तु।
वयं युष्माकं प्रतीक्षां कुर्मः। 😇
स्मारणतंत्रिकां स्थापयतु ⏰
👇🏼👇🏼👇🏼👇🏼👇🏼
https://t.me/samskrt_samvadah?voicechat
⏳45 निमेषाः
🕚 IST 11:00 AM विषयः
🔰वाक्याभ्यासः
🗓27th April 2022, बुधवासरः
🔴Voicechat would be recorded and shared on this channel.
📑यदि शक्येत चेत् संस्कृतेन (चित्रं दृष्ट्वा वाक्यानि वक्तव्यानि) चर्चार्थं कृपया पूर्वसिद्धतां कृत्वा आगच्छन्तु।
वयं युष्माकं प्रतीक्षां कुर्मः। 😇
स्मारणतंत्रिकां स्थापयतु ⏰
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April 26, 2022
Forwarded from रामदूतः — The Sanskrit News Platform (Bhavani Raman)
https://youtu.be/wSnzXY8nBbc
Switch to DD News daily at 7:15 AM (Morning) for 15 minutes Sanskrit news.
Switch to DD News daily at 7:15 AM (Morning) for 15 minutes Sanskrit news.
YouTube
संस्कृत भाषा में देखिए तमाम अहम ख़बरें, डीडी न्यूज़ के ख़ास बुलेटिन वार्ता में-
संस्कृत भाषा में देखिए तमाम अहम ख़बरें, डीडी न्यूज़ के ख़ास बुलेटिन वार्ता में-
DD News is India’s 24x7 news channel from the stable of the country’s Public Service Broadcaster, Prasar Bharati. It has the distinction of being India’s only terrestrial cum…
DD News is India’s 24x7 news channel from the stable of the country’s Public Service Broadcaster, Prasar Bharati. It has the distinction of being India’s only terrestrial cum…
April 26, 2022
April 26, 2022
🔰चित्रं दृष्ट्वा पञ्चवाक्यानि रचयत।
✍🏼सर्वे टिप्पणीसञ्चिकायां स्वोत्तराणि लेखितुं शक्नुवन्ति अथवा पुस्तिकायां लिखित्वा तस्य चित्रं स्वीकृत्य अपि प्रेषयितुं शक्नुवन्ति।
🗣सहैव तानि वाक्यानि उक्त्वा ध्वनिमाध्यमेन अपि प्रेषयत।
🔰 चित्र देखकर पांच वाक्य बनायें।
✍🏼आप कमेंट बॉक्स में टङ्कण कर सकते हैं या कॉपी पर लिखकर फोटो भी भेज सकते हैं।
🗣 साथ हि वें वाक्य बोलकर भी वाइस नोट भेजें।
🔰Make 5 sentences, Observing the attached image.
✍🏼You can type in the comment box or you can also send a photo by writing on the notebook.
🗣 Also, Send voice message by uttering those sentences.
#chitram
✍🏼सर्वे टिप्पणीसञ्चिकायां स्वोत्तराणि लेखितुं शक्नुवन्ति अथवा पुस्तिकायां लिखित्वा तस्य चित्रं स्वीकृत्य अपि प्रेषयितुं शक्नुवन्ति।
🗣सहैव तानि वाक्यानि उक्त्वा ध्वनिमाध्यमेन अपि प्रेषयत।
🔰 चित्र देखकर पांच वाक्य बनायें।
✍🏼आप कमेंट बॉक्स में टङ्कण कर सकते हैं या कॉपी पर लिखकर फोटो भी भेज सकते हैं।
🗣 साथ हि वें वाक्य बोलकर भी वाइस नोट भेजें।
🔰Make 5 sentences, Observing the attached image.
✍🏼You can type in the comment box or you can also send a photo by writing on the notebook.
🗣 Also, Send voice message by uttering those sentences.
#chitram
April 26, 2022
April 26, 2022
April 26, 2022
पुनरपि भविष्यति
भाषापाकपरीक्षा
(प्रथमभागीया) सम्भाषणसन्देशेन (सन्देशप्रतिष्ठानेन सञ्चाल्यमानेन) कर्णाटकसंस्कृतविश्वविद्यालयस्य सहयोगेन आयोजयिष्यते । ।
परीक्षासम्बद्धाः सूचनाः सन्ति एवम्.....
१. भाषापाकस्य प्रथमभागम् आधृत्य भविष्यति एषा परीक्षा ।
२. सर्वोऽपि परीक्षां स्वीकर्तुम् अर्हति । पञ्जीकरणार्थं वयोमितिः नास्ति ।
३. पञ्जीकरणार्थम् अन्तिमः दिनाङ्कः ३० जून् २०२२
४. पञ्जीकरणशुल्कं रू. १००/- । अधः दत्तं QR Code Scan कृत्वा शुल्कं प्रेषयितुं शक्यम् ।
शुल्कदानस्य विवरणम् (UTR No, दिनाङ्कः इत्यादि) आवेदनपत्रे उल्लेखनीयम् ।।
५. पुस्तकं प्राप्तुं जालपुटः गन्तव्यः (https://www.samskritabharati.in/bookstore)। ततः मुद्रितपुस्तकम् ई-पुस्तकं वा क्रेतुं शक्येत ।
६. परीक्षा शताङ्कात्मिका । अक्टोबरमासस्य ३०तमे दिनाङ्के आन्लाईन्-माध्यमेन परीक्षा भविष्यति ।
७. उत्तरपत्रम् ईमेल्माध्यमेन, पोस्टद्वारा वा प्रेषयितुं शक्यम् ।
८.नवत्यधिकान् अङ्कान् प्राप्तवद्भयः सर्वेभ्यः पुस्तकपारितोषिकं दास्यते ।
९. अशीत्यधिकान् अङ्कान् प्राप्तवतां सर्वेषां सम्भाषणसन्देशग्राहकतावधिः वर्षं यावत् वर्धयिष्यते । अथवा नूतनग्राहकत्वं परिकल्पयिष्यते । १०. परीक्षाम् उत्तीर्णवद्ध्यः सर्वेभ्यः आन्लाईन्-प्रमाणपत्रं दास्यते ।
११. ये पूर्वम् एतां परीक्षां न स्वीकृतवन्तः, ते पुनः पञ्जीकरणं कृत्वा परीक्षां स्वीकर्तुम् अर्हन्ति ।
१२. विषयेऽस्मिन् सम्पर्कार्थम् ई-मेल -
१३. आवेदनपत्रम् अत्र अस्ति - https://forms.gle/vULhoEjddGPxCUST7
TIONLD413301
सम्भाषणसन्देशः
Aksharam, 8th Cross, 2nd Phase 'Girinagar, Bengaluru - 5600851
'Ph-
20
भाषापाकपरीक्षा
(प्रथमभागीया) सम्भाषणसन्देशेन (सन्देशप्रतिष्ठानेन सञ्चाल्यमानेन) कर्णाटकसंस्कृतविश्वविद्यालयस्य सहयोगेन आयोजयिष्यते । ।
परीक्षासम्बद्धाः सूचनाः सन्ति एवम्.....
१. भाषापाकस्य प्रथमभागम् आधृत्य भविष्यति एषा परीक्षा ।
२. सर्वोऽपि परीक्षां स्वीकर्तुम् अर्हति । पञ्जीकरणार्थं वयोमितिः नास्ति ।
३. पञ्जीकरणार्थम् अन्तिमः दिनाङ्कः ३० जून् २०२२
४. पञ्जीकरणशुल्कं रू. १००/- । अधः दत्तं QR Code Scan कृत्वा शुल्कं प्रेषयितुं शक्यम् ।
शुल्कदानस्य विवरणम् (UTR No, दिनाङ्कः इत्यादि) आवेदनपत्रे उल्लेखनीयम् ।।
५. पुस्तकं प्राप्तुं जालपुटः गन्तव्यः (https://www.samskritabharati.in/bookstore)। ततः मुद्रितपुस्तकम् ई-पुस्तकं वा क्रेतुं शक्येत ।
६. परीक्षा शताङ्कात्मिका । अक्टोबरमासस्य ३०तमे दिनाङ्के आन्लाईन्-माध्यमेन परीक्षा भविष्यति ।
७. उत्तरपत्रम् ईमेल्माध्यमेन, पोस्टद्वारा वा प्रेषयितुं शक्यम् ।
८.नवत्यधिकान् अङ्कान् प्राप्तवद्भयः सर्वेभ्यः पुस्तकपारितोषिकं दास्यते ।
९. अशीत्यधिकान् अङ्कान् प्राप्तवतां सर्वेषां सम्भाषणसन्देशग्राहकतावधिः वर्षं यावत् वर्धयिष्यते । अथवा नूतनग्राहकत्वं परिकल्पयिष्यते । १०. परीक्षाम् उत्तीर्णवद्ध्यः सर्वेभ्यः आन्लाईन्-प्रमाणपत्रं दास्यते ।
११. ये पूर्वम् एतां परीक्षां न स्वीकृतवन्तः, ते पुनः पञ्जीकरणं कृत्वा परीक्षां स्वीकर्तुम् अर्हन्ति ।
१२. विषयेऽस्मिन् सम्पर्कार्थम् ई-मेल -
ssvruttam@gmail.com
१३. आवेदनपत्रम् अत्र अस्ति - https://forms.gle/vULhoEjddGPxCUST7
TIONLD413301
सम्भाषणसन्देशः
Aksharam, 8th Cross, 2nd Phase 'Girinagar, Bengaluru - 5600851
'Ph-
080-26722576
/26721054
Email - samskritam@gmail.com20
samskritabharati.in
Bookstore Samskrita Bharati
April 26, 2022
संस्कृत संवादः । Sanskrit Samvadah pinned «पुनरपि
भविष्यति भाषापाकपरीक्षा (प्रथमभागीया) सम्भाषणसन्देशेन
(सन्देशप्रतिष्ठानेन सञ्चाल्यमानेन) कर्णाटकसंस्कृतविश्वविद्यालयस्य
सहयोगेन आयोजयिष्यते । । परीक्षासम्बद्धाः सूचनाः सन्ति एवम्..... १.
भाषापाकस्य प्रथमभागम् आधृत्य भविष्यति एषा परीक्षा । २. सर्वोऽपि…»
April 26, 2022
🍃
⚜As a flame is covered by smoke, mirror by dirt and embryo by the
amnion, so is knowledge covered by desire.
धूमेन - by smoke
आव्रियते - is covered
वहिनः - fire
यथा - just as
आदर्शः - mirror
मलेन - by dust
च - भी
यथा - just as
उल्बेन - by the womb
आवृतः - is covered
गर्भः - embryo
तथा - similarly
तेन - by that (desire)
इदम् - this
आवृतम् - is covered
🔅यथा धूमः अग्निं परितः भूत्वा अग्निम् आवृणोति, यथा दर्पणं मलिनता आवृणोति, यथा गर्भस्थशिशुम् उल्बः आवृणोति तथैव इच्छया ज्ञानम् आवृतम् अस्ति।
#Subhashitam
धूमेनावृयते वह्निर्यथादर्शो मलेन च ।
यथोल्बेनावृतो गर्भस्तथा तेनेदमावृतम्
॥⚜As a flame is covered by smoke, mirror by dirt and embryo by the
amnion, so is knowledge covered by desire.
धूमेन - by smoke
आव्रियते - is covered
वहिनः - fire
यथा - just as
आदर्शः - mirror
मलेन - by dust
च - भी
यथा - just as
उल्बेन - by the womb
आवृतः - is covered
गर्भः - embryo
तथा - similarly
तेन - by that (desire)
इदम् - this
आवृतम् - is covered
🔅यथा धूमः अग्निं परितः भूत्वा अग्निम् आवृणोति, यथा दर्पणं मलिनता आवृणोति, यथा गर्भस्थशिशुम् उल्बः आवृणोति तथैव इच्छया ज्ञानम् आवृतम् अस्ति।
#Subhashitam
April 26, 2022
April 26, 2022
April 26, 2022
April 27, 2022
April 27, 2022
संस्कृत संवादः । Sanskrit Samvadah
जनैः
रावणः दग्धः = लोगों ने रावण को जलाया। हस्तशाकटिकेन जलापूपाः
विक्रीताः = ठेलेवाले ने पानीपूरी बेची। भगिन्या भिक्षुकाय भोजनं
दत्तम् = बहन ने भिक्षुक को भोजन दिया। सेवकेन शौचार्थं भ्रमणार्थ´्च
कुक्कुरः बहिर्नीतः = सेवक शौच एवं भ्रमण के…
बुद्धिर्यस्य बलं तस्य निर्बुद्धेश्च कुतो बलम्।
वने सिंहो मदोन्मत्तः शशकेन निपातितः।।
= जिसके पास बुद्धि है वास्तव में उसी के पास बल है, बुद्धिहीन के पास बल कहां ? देखो, वन में उन्मत्त सिंह भी बुद्धिमान खरगोश के द्वारा मारा गया।
सुखार्थाः सर्वभूतानां मताः सर्वाः प्रवृत्तयः।
सुखं च न विना धर्मात्तस्माद् धर्मपरो भवेत्।।
= सभी प्राणियों की सकल प्रवृत्तियां स्वयं के सुखप्राप्ति के लिए होती हैं। सुख धर्म के बिना नहीं मिलता, अतः मनुष्य को धर्मपरायण होना चाहिए।
देहाभिमाने गलिते विज्ञाते परमात्मनि।
यत्र यत्र मनो याति तत्र तत्र समाधयः।।
= देहाभिमान का नाश और परमात्मनिष्ठ हो जाने पर जहां जहां मन जाता है वहीं वहीं समाधि समझनी चाहिए।
यथा धेनु सहस्रेषु वत्सो गच्छति मातरम्।
तथा यच्च कृतं कर्म कर्त्तारमनुगच्छति।।
= जैसे हजारों गायों में भी बछड़ा अपनी माता को पहचानकरउसी के पास जाता है ठीक उसी प्रकार मनुष्य जो भी कर्म करता है वह उसके पीछे-पीछे चलता है अर्थात् उसे अपने किए का फल भोगना ही पड़ता है।
बोद्धारो मत्सग्रस्ताः प्रभवः स्मयदूषिताः।
अबोधोपहताश्चान्ये जीर्णमङ्गे सुभाषितम्।।
= विद्वान् एक दूसरे से डाह रखते हैं, समर्थ धनी एवं अधिकारी अभिमान के नशे में चूर हैं, साधारण लोग पहले ही अज्ञान में फंसे हुए हैं, ऐसी दुरवस्था में दिव्य उपदेश मन में ही रह जोते हैं, अर्थात् सुनाएं तो किसे सुनाएं ?
क्षीरेणात्मगतोदकाय हि गुणा दत्ताः पुरा तेऽखिलाः।
क्षीरोत्तापमवेक्ष्य तेन पयसा स्वात्मा कृशानौ हुतः।
गन्तुं पावकमुन्मनस्तदभवद् दृष्ट्वा तु मित्रापदम्।
युक्तं तेन जलेन शाम्यति सतां मैत्री पुनस्त्वीदृशी।।
= अपने में मिलाए गए जलरूपी मित्र को दुध ने अपने सभी गुण देकर अपने जैसा बना लिया। उस उपकार के बदले में गरम किए जाते दूध को जलते देख पानी ने अपने को अग्नि के समर्पित कर दिया। अग्नि द्वारा स्वमित्र का नाश न देख सकनेवाला दुध जैसे ही उफनकर अग्नि को बुझाने के लिए व्याकूल हो उठा उतने में छींटों के रूप में अपने मित्र को पुनः पाकर वह शान्त हो गया। सारांश यह है सज्जनों की मित्रता ऐसी उच्चकोटि की होती है।
(क्त प्रत्यय कर्मवाच्य में विशेषणरूप प्रयोग)
बालिकया अर्धा रोटिका भुक्ता
= लड़की ने आधी रोटी खाई।
सा अर्धां भुक्तां रोटिकां भ्रात्रे ददाति
= वह आधी खाई हुई रोटी भाई को देती है।
ब्रह्मदर्शिना कञ्चुकं धृतम्
= ब्रह्मदर्शी ने कुर्ता पहना।
ब्रह्मदर्शिना धृतं कञ्चुकम् आत्मदर्शिना क्लेदितम्
= ब्रह्मदर्शी के द्वारा पहने कुर्ते को आत्मदर्शी ने गीला कर दिया।
तत्त्वदर्शिना वेदमन्त्राः स्मृताः
= तत्त्वदर्शी ने वेदमन्त्र याद किए।
स्मृतैः वेदमन्त्रैः तत्त्वदर्शिना यश उपार्जितः
= याद किए हुए वेदमन्त्रों द्वारा तत्त्वदर्शी ने यश प्राप्त किया।
सौचिकेन स्यूतं स्यूतम्
= दर्जी ने थैला सिला।
तया स्यूते स्यूते वस्तूनि स्थापयित्वा आपणात् आनीतानि
= उसके द्वारा सिले थैले में वस्तुएं रखकरदुकान से लाई गईं।
चालकेन यानं नगरं नीतम्
= चालक गाड़ी को शहर ले गया।
नगरं नीतस्य यानस्य घट्टनं स´्जातम्
= शहर ले जाए गए यान से दुर्घटना हुई।
गीताञ्जलिना गां दुग्धं दुग्धम्
= गीताञ्जलि ने गाय का दूध दुहा।
दुग्धेन दुग्धेन पायसं पक्वम्
= दुहे हुए दूध से खीर पकाई।
पत्या दयिता दयिता
= पति ने पत्नी को प्रेम किया।
दयितया दयितया पतिः प्रीतः
= प्रेम प्राप्त पत्नी ने पति को प्रसन्न किया।
द्यूतकारेण द्यूतः द्यूतः
= जुआरी ने जुआ खेला।
द्यूतेन द्यूतेन तस्य सर्वं धनं नष्टम्
= खेले गए जुए द्वारा उसका सारा धन समाप्त हुआ।
मथन्या मथितं मथितम्
= मथनी से बिलोए हुए दही को मथा।
मथितेन मथितेन ओदनं भुक्तम्
= बिलोए हुए मथित से भात खाए।
रञ्जकेन रक्तेन वर्णेन वस्त्रं रक्तम्
= रंगरेज ने लाल रंग से कपड़ा रंगा।
रक्तेन रक्तं वस्त्रं पुनरापणिकाय दत्तम्
= लाल रंग से रंगा वस्त्र फिर दुकानवाले को दे दिया।
#vakyabhyas
वने सिंहो मदोन्मत्तः शशकेन निपातितः।।
= जिसके पास बुद्धि है वास्तव में उसी के पास बल है, बुद्धिहीन के पास बल कहां ? देखो, वन में उन्मत्त सिंह भी बुद्धिमान खरगोश के द्वारा मारा गया।
सुखार्थाः सर्वभूतानां मताः सर्वाः प्रवृत्तयः।
सुखं च न विना धर्मात्तस्माद् धर्मपरो भवेत्।।
= सभी प्राणियों की सकल प्रवृत्तियां स्वयं के सुखप्राप्ति के लिए होती हैं। सुख धर्म के बिना नहीं मिलता, अतः मनुष्य को धर्मपरायण होना चाहिए।
देहाभिमाने गलिते विज्ञाते परमात्मनि।
यत्र यत्र मनो याति तत्र तत्र समाधयः।।
= देहाभिमान का नाश और परमात्मनिष्ठ हो जाने पर जहां जहां मन जाता है वहीं वहीं समाधि समझनी चाहिए।
यथा धेनु सहस्रेषु वत्सो गच्छति मातरम्।
तथा यच्च कृतं कर्म कर्त्तारमनुगच्छति।।
= जैसे हजारों गायों में भी बछड़ा अपनी माता को पहचानकरउसी के पास जाता है ठीक उसी प्रकार मनुष्य जो भी कर्म करता है वह उसके पीछे-पीछे चलता है अर्थात् उसे अपने किए का फल भोगना ही पड़ता है।
बोद्धारो मत्सग्रस्ताः प्रभवः स्मयदूषिताः।
अबोधोपहताश्चान्ये जीर्णमङ्गे सुभाषितम्।।
= विद्वान् एक दूसरे से डाह रखते हैं, समर्थ धनी एवं अधिकारी अभिमान के नशे में चूर हैं, साधारण लोग पहले ही अज्ञान में फंसे हुए हैं, ऐसी दुरवस्था में दिव्य उपदेश मन में ही रह जोते हैं, अर्थात् सुनाएं तो किसे सुनाएं ?
क्षीरेणात्मगतोदकाय हि गुणा दत्ताः पुरा तेऽखिलाः।
क्षीरोत्तापमवेक्ष्य तेन पयसा स्वात्मा कृशानौ हुतः।
गन्तुं पावकमुन्मनस्तदभवद् दृष्ट्वा तु मित्रापदम्।
युक्तं तेन जलेन शाम्यति सतां मैत्री पुनस्त्वीदृशी।।
= अपने में मिलाए गए जलरूपी मित्र को दुध ने अपने सभी गुण देकर अपने जैसा बना लिया। उस उपकार के बदले में गरम किए जाते दूध को जलते देख पानी ने अपने को अग्नि के समर्पित कर दिया। अग्नि द्वारा स्वमित्र का नाश न देख सकनेवाला दुध जैसे ही उफनकर अग्नि को बुझाने के लिए व्याकूल हो उठा उतने में छींटों के रूप में अपने मित्र को पुनः पाकर वह शान्त हो गया। सारांश यह है सज्जनों की मित्रता ऐसी उच्चकोटि की होती है।
(क्त प्रत्यय कर्मवाच्य में विशेषणरूप प्रयोग)
बालिकया अर्धा रोटिका भुक्ता
= लड़की ने आधी रोटी खाई।
सा अर्धां भुक्तां रोटिकां भ्रात्रे ददाति
= वह आधी खाई हुई रोटी भाई को देती है।
ब्रह्मदर्शिना कञ्चुकं धृतम्
= ब्रह्मदर्शी ने कुर्ता पहना।
ब्रह्मदर्शिना धृतं कञ्चुकम् आत्मदर्शिना क्लेदितम्
= ब्रह्मदर्शी के द्वारा पहने कुर्ते को आत्मदर्शी ने गीला कर दिया।
तत्त्वदर्शिना वेदमन्त्राः स्मृताः
= तत्त्वदर्शी ने वेदमन्त्र याद किए।
स्मृतैः वेदमन्त्रैः तत्त्वदर्शिना यश उपार्जितः
= याद किए हुए वेदमन्त्रों द्वारा तत्त्वदर्शी ने यश प्राप्त किया।
सौचिकेन स्यूतं स्यूतम्
= दर्जी ने थैला सिला।
तया स्यूते स्यूते वस्तूनि स्थापयित्वा आपणात् आनीतानि
= उसके द्वारा सिले थैले में वस्तुएं रखकरदुकान से लाई गईं।
चालकेन यानं नगरं नीतम्
= चालक गाड़ी को शहर ले गया।
नगरं नीतस्य यानस्य घट्टनं स´्जातम्
= शहर ले जाए गए यान से दुर्घटना हुई।
गीताञ्जलिना गां दुग्धं दुग्धम्
= गीताञ्जलि ने गाय का दूध दुहा।
दुग्धेन दुग्धेन पायसं पक्वम्
= दुहे हुए दूध से खीर पकाई।
पत्या दयिता दयिता
= पति ने पत्नी को प्रेम किया।
दयितया दयितया पतिः प्रीतः
= प्रेम प्राप्त पत्नी ने पति को प्रसन्न किया।
द्यूतकारेण द्यूतः द्यूतः
= जुआरी ने जुआ खेला।
द्यूतेन द्यूतेन तस्य सर्वं धनं नष्टम्
= खेले गए जुए द्वारा उसका सारा धन समाप्त हुआ।
मथन्या मथितं मथितम्
= मथनी से बिलोए हुए दही को मथा।
मथितेन मथितेन ओदनं भुक्तम्
= बिलोए हुए मथित से भात खाए।
रञ्जकेन रक्तेन वर्णेन वस्त्रं रक्तम्
= रंगरेज ने लाल रंग से कपड़ा रंगा।
रक्तेन रक्तं वस्त्रं पुनरापणिकाय दत्तम्
= लाल रंग से रंगा वस्त्र फिर दुकानवाले को दे दिया।
#vakyabhyas
April 27, 2022
1) Once a scientist married a lady to understand what a marriage is.
2) Now the scientist has forgotten what science is
#hasya
2) Now the scientist has forgotten what science is
#hasya
April 27, 2022
#⃣ ००४
🏬 संस्कृत संवादः
📣 संस्कृताश्रमः
🔰 प्रतिदिनं भिन्नः
⏳ 9:00 PM 🇮🇳
⌛️ 9:20 PM 🇮🇳
🗓 सोमवासरतः शनिवासरः पर्यन्तम्
🔛 २८ अप्रैलात्
📱 Telegram
💰 निश्शुल्कः
🌐 t.me/samskrt_samvadah
🔗 t.me/samskrt_samvadah?voicechat
📧 samskrit.samvadah@gmail.com
❗️ Recordings in our youtube playlist
🔒 Temporarily closed
🏬 संस्कृत संवादः
📣 संस्कृताश्रमः
🔰 प्रतिदिनं भिन्नः
⏳ 9:00 PM 🇮🇳
⌛️ 9:20 PM 🇮🇳
🗓 सोमवासरतः शनिवासरः पर्यन्तम्
🔛 २८ अप्रैलात्
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💰 निश्शुल्कः
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April 27, 2022
संस्कृत संवादः । Sanskrit Samvadah pinned «#⃣ ००४ 🏬 संस्कृत संवादः 📣 संस्कृताश्रमः 🔰 प्रतिदिनं भिन्नः ⏳ 9:00 PM 🇮🇳 ⌛️ 9:20 PM 🇮🇳 🗓 सोमवासरतः शनिवासरः पर्यन्तम् 🔛 २८ अप्रैलात् 📱 Telegram 💰 निश्शुल्कः 🌐 t.me/samskrt_samvadah 🔗 t.me/samskrt_samvadah?voicechat 📧 samskrit.samvadah@gmail.com ❗️ Recordings…»
April 27, 2022
@samskrt_samvadah संलापशाला - A Samskrit Voicechat room.
⏳45 निमेषाः
🕚 IST 11:00 AM विषयः
🔰क्रान्तिकारिणी घटना
🗓28th April 2022, गुरुवासरः
🔴Voicechat would be recorded and shared on this channel.
📑यदि शक्येत चेत् संस्कृतेन (कस्याश्चित् क्रान्तिकारिण्याः घटनायाः विवरणं वदनीयम्) चर्चार्थं कृपया पूर्वसिद्धतां कृत्वा आगच्छन्तु।
वयं युष्माकं प्रतीक्षां कुर्मः। 😇
स्मारणतंत्रिकां स्थापयतु ⏰
👇🏼👇🏼👇🏼👇🏼👇🏼
https://t.me/samskrt_samvadah?voicechat
⏳45 निमेषाः
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🔰क्रान्तिकारिणी घटना
🗓28th April 2022, गुरुवासरः
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April 27, 2022
April 27, 2022
🍃
♦️shrii bhagavaanuvaacha
mayyaaveshya mano ye maaM nityayuktaa upaasate|
shraddhayaa parayopetaaste me yuktatamaa mataaH
⚜The Supreme Lord said:
Those ever steadfast devotees who worship with supreme faith by fixing their mind on Me as personal God, I consider them to be the best yogis. (See also 6.47) (12.02)
⚜श्रीभगवान् ने कहा --
मुझमें मन को एकाग्र करके नित्ययुक्त हुए जो भक्तजन परम श्रद्धा से युक्त होकर मेरी उपासना करते हैं वे मेरे मत से युक्ततम हैं अर्थात् श्रेष्ठ हैं।।12.2।।
#geeta
श्री भगवानुवाच
मय्यावेश्य मनो ये मां नित्ययुक्ता उपासते।
श्रद्धया परयोपेतास्ते मे युक्ततमा मताः
।।12.2।।♦️shrii bhagavaanuvaacha
mayyaaveshya mano ye maaM nityayuktaa upaasate|
shraddhayaa parayopetaaste me yuktatamaa mataaH
⚜The Supreme Lord said:
Those ever steadfast devotees who worship with supreme faith by fixing their mind on Me as personal God, I consider them to be the best yogis. (See also 6.47) (12.02)
⚜श्रीभगवान् ने कहा --
मुझमें मन को एकाग्र करके नित्ययुक्त हुए जो भक्तजन परम श्रद्धा से युक्त होकर मेरी उपासना करते हैं वे मेरे मत से युक्ततम हैं अर्थात् श्रेष्ठ हैं।।12.2।।
#geeta
April 27, 2022
April 27, 2022
🍃
♦️ye tvakSharamanirdeshyamavyaktaM paryupaasate|
sarvatragamachintyaM cha kuuTasthamachalaM dhruvam
⚜But those who worship the imperishable, the undefinable, the unmanifest, the omnipresent, the unthinkable, the unchanging, the immovable, and the eternal Brahman; (12.03)
⚜परन्तु जो भक्त अक्षर अनिर्देश्य अव्यक्त सर्वगत अचिन्त्य कूटस्थ अचल और ध्रुव की उपासना करते हैं।।12.3।।
#geeta
ये त्वक्षरमनिर्देश्यमव्यक्तं पर्युपासते।
सर्वत्रगमचिन्त्यं च कूटस्थमचलं ध्रुवम्
।।12.3।।♦️ye tvakSharamanirdeshyamavyaktaM paryupaasate|
sarvatragamachintyaM cha kuuTasthamachalaM dhruvam
⚜But those who worship the imperishable, the undefinable, the unmanifest, the omnipresent, the unthinkable, the unchanging, the immovable, and the eternal Brahman; (12.03)
⚜परन्तु जो भक्त अक्षर अनिर्देश्य अव्यक्त सर्वगत अचिन्त्य कूटस्थ अचल और ध्रुव की उपासना करते हैं।।12.3।।
#geeta
April 27, 2022
🚩जय सत्य सनातन🚩
🚩आज की हिंदी तिथि
🌥️ 🚩युगाब्द-५१२४
🌥️ 🚩विक्रम संवत-२०७९
⛅ 🚩तिथि - त्रयोदशी रात्रि 12:26 तक तत्पश्चात चतुर्द्धशी
⛅दिनांक 28 अप्रैल 2022
⛅दिन - गुरुवार
⛅विक्रम संवत - 2079
⛅शक संवत - 1944
⛅अयन - उत्तरायण
⛅ऋतु - ग्रीष्म
⛅मास - वैशाख
⛅पक्ष - कृष्ण
⛅नक्षत्र - उत्तरभाद्रपद शाम 05:40 तक तत्पश्चात रेवती
⛅योग - वैधृति शाम 04:29 तक तत्पश्चात विष्कम्भ
⛅राहुकाल - दोपहर 2:14 से 03:51 तक
⛅सूर्योदय - 06:09
⛅सूर्यास्त - 07:06
⛅दिशाशूल - दक्षिण दिशा में
⛅ब्रह्म मुहूर्त- प्रातः 04:40 से 05:25 तक
🚩आज की हिंदी तिथि
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⛅योग - वैधृति शाम 04:29 तक तत्पश्चात विष्कम्भ
⛅राहुकाल - दोपहर 2:14 से 03:51 तक
⛅सूर्योदय - 06:09
⛅सूर्यास्त - 07:06
⛅दिशाशूल - दक्षिण दिशा में
⛅ब्रह्म मुहूर्त- प्रातः 04:40 से 05:25 तक
April 27, 2022
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April 27, 2022
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https://youtu.be/0D4HJ00PyOw
Switch to DD News daily at 7:15 AM (Morning) for 15 minutes Sanskrit news.
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April 27, 2022
🔰चित्रं दृष्ट्वा पञ्चवाक्यानि रचयत।
✍🏼सर्वे टिप्पणीसञ्चिकायां स्वोत्तराणि लेखितुं शक्नुवन्ति अथवा पुस्तिकायां लिखित्वा तस्य चित्रं स्वीकृत्य अपि प्रेषयितुं शक्नुवन्ति।
🗣सहैव तानि वाक्यानि उक्त्वा ध्वनिमाध्यमेन अपि प्रेषयत।
🔰 चित्र देखकर पांच वाक्य बनायें।
✍🏼आप कमेंट बॉक्स में टङ्कण कर सकते हैं या कॉपी पर लिखकर फोटो भी भेज सकते हैं।
🗣 साथ हि वें वाक्य बोलकर भी वाइस नोट भेजें।
🔰Make 5 sentences, Observing the attached image.
✍🏼You can type in the comment box or you can also send a photo by writing on the notebook.
🗣 Also, Send voice message by uttering those sentences.
#chitram
✍🏼सर्वे टिप्पणीसञ्चिकायां स्वोत्तराणि लेखितुं शक्नुवन्ति अथवा पुस्तिकायां लिखित्वा तस्य चित्रं स्वीकृत्य अपि प्रेषयितुं शक्नुवन्ति।
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✍🏼You can type in the comment box or you can also send a photo by writing on the notebook.
🗣 Also, Send voice message by uttering those sentences.
#chitram
April 27, 2022
April 27, 2022
April 27, 2022
April 27, 2022
🍃
⚜"प्रतिदिन उठकर “आज क्या सुकृत्य किया”, ऐसा चिंतन करना चाहिए, क्यों कि सूर्य प्रतिदिन आयुष्य(उम्र) का छोटा तुकड़ा लेकर ही अस्त होता है।(जीवन क्षणिक है, हर क्षण महत्वपूर्ण है)"
🔅प्रतिदिनं प्रातःकाले उत्थाय चिन्तनीयं यत् अद्य किम् उत्तमम् कार्यं करोमि इति यतोहि सूर्यः प्रतिदिनं आयुषः एकं खण्डं स्वीकृत्य एव अस्तं गच्छति ।
(इत्युक्ते जीवनं बहु लघु वर्तते प्रत्येकं क्षणस्य उपयोगं कृत्वा धर्माचरणं करोतु।)
#Subhashitam
"उत्थायोत्थाय बोद्धव्यं किमद्य सुकृतं कृतम्।
आयुषः खण्डमादाय रविरस्तं गमिष्यति
॥"⚜"प्रतिदिन उठकर “आज क्या सुकृत्य किया”, ऐसा चिंतन करना चाहिए, क्यों कि सूर्य प्रतिदिन आयुष्य(उम्र) का छोटा तुकड़ा लेकर ही अस्त होता है।(जीवन क्षणिक है, हर क्षण महत्वपूर्ण है)"
🔅प्रतिदिनं प्रातःकाले उत्थाय चिन्तनीयं यत् अद्य किम् उत्तमम् कार्यं करोमि इति यतोहि सूर्यः प्रतिदिनं आयुषः एकं खण्डं स्वीकृत्य एव अस्तं गच्छति ।
(इत्युक्ते जीवनं बहु लघु वर्तते प्रत्येकं क्षणस्य उपयोगं कृत्वा धर्माचरणं करोतु।)
#Subhashitam
April 27, 2022
April 28, 2022
_______ रावणं दृष्ट्वा विभीषणः ________।
Anonymous Quiz
19%
रामहतः, विलेपयति
49%
रामहतं, विलपति।
9%
रामहतम् , प्रलपति।
22%
रामहतेन, आलपति।
April 28, 2022
संस्कृत संवादः । Sanskrit Samvadah
बुद्धिर्यस्य
बलं तस्य निर्बुद्धेश्च कुतो बलम्। वने सिंहो मदोन्मत्तः शशकेन निपातितः।।
= जिसके पास बुद्धि है वास्तव में उसी के पास बल है, बुद्धिहीन के पास
बल कहां ? देखो, वन में उन्मत्त सिंह भी बुद्धिमान खरगोश के द्वारा मारा
गया। सुखार्थाः सर्वभूतानां मताः…
सामृतैः पाणिभिर्घ्नन्ति गुरवो न विषोक्षितैः।
लालनाश्रयिणो दोषाः ताडनाश्रयिणो गुणाः।।
= गुरुजन अमृतमय हाथों से ताड़न करते हैं, विषयुक्त हाथों से नहीं, मिथ्या लाड़ से पाल्य दोषयुक्त होते हैं जबकि उचित ताड़न से गुणयुक्त।
नदीतीरे च ये वृक्षाःपरगेहेषु कामिनी।
मन्त्रिहीनाश्च राजानःशीघ्रं नश्यत्यसंशयम्।।
= नदी के किनारे पर उगे हुए वृक्ष, दूसरे के घर जाने अथवा रहनेवाली स्त्री और मन्त्रियों रहित राजा ये सब निश्चय ही शीघ्र नष्ट हो जाते हैं।
किं कुलेन विशालेन विद्याहीनेन देहिनाम्।
दुष्कुलीनोऽपि विद्वांश्च देवैरपि सुपूज्यते।।
= स्वयं विद्याहीन यदि है तो बड़े कुल से उसे क्या लाभ ? नीच कुलोत्पन्न विद्वान भी अन्य विद्वानों द्वारा सम्मानित होता पाया गया है।
अन्नहीनो दहेद् राष्ट्रं मन्त्रहीनश्च ऋत्विजः।
यजमानं दानहीनो नास्ति यज्ञसमो रिपुः।।
= अन्नहीन यज्ञ राष्ट्र को, मन्त्रहीन यज्ञ ऋत्विजों को और दानरहित यज्ञ यजमान को भस्म कर देता है। संसार में यज्ञ (विधिहीन) के समान कोई शत्रु नहीं है।
विधिहीनस्य यज्ञस्य कर्त्ता सद्यः विनश्यति
= विधिहीन यज्ञकर्त्ता शीघ्र नष्ट हो जाता है।
विधिहीनमसृष्टान्नं मन्त्रहीनमदक्षिणम्।
श्रद्धाविरहितं यज्ञं तामसं प्रचक्षते।।
= जो शास्त्रोक्त विधिरहित हो, जिसमें
लोक-कल्याणार्थ अन्नदान न किया गया हो, जिसमें वेद मन्त्रों को उच्चारण न किया गया हो, जिसमें यज्ञ करानेवाले को दक्षिणा न दी गई हो और बिना श्रद्धा से किया गया हो, ऐसे यज्ञ को तामस यज्ञ कहते हैं।
रोहते सायकैर्विद्धं वनं परशुना हतम्।
वाचा दुरुक्तं बीभत्सं न संरोहति वाक्षतम्।।
= बाणों से बींधा हुआ घाव फिर भर जाता है, कुल्हाडे से काटा वन फिर हरा-भरा हो जाता है, परन्तु कटुवचनों द्वारा वाणी से किया गया हृदय का घाव कभी नहीं भरता।
दृष्टिपूतं न्यसेद् पादं वस्त्रपूतं जलं पिबेत्।
शास्त्रपूतं वदेद् वाक्यं मनःपूतं समाचरेत्।।
= मनुष्य को चाहिए कि अच्छी प्रकार देखकर कदम उठाए, कपड़े से छानकर पानी पीए, सत्यशास्त्रों के अनुकूल वाणी बोले और मन से सोच-विचार कर शुभ आचरण करे।
विप्रो वृक्षस्तस्य मूलं च सन्ध्या वेदाः शाखा धर्मकर्माणि पत्रम्।
तस्मान्मूलं यत्नतो रक्षणीयं छिन्ने मूले नैव शाखा न पत्रम्।।
= ब्राह्मणरूपी वृक्ष की जड़ संध्या है, वेद उसकी शाखाएं हैं और धर्मकर्म उसके पत्ते हैं। अतः प्रयत्नपूर्वक जड़ की रक्षा करनी चाहिए क्योंकि जड़ के कट जाने या नष्ट हो जाने पर शाखा और पत्ते भी नहीं रहते।
शुभेन कर्मणा सौख्यं दुःखं पापेन कर्मणा।
कृतं फलति सर्वत्र नाकृतं भुज्यते क्वचित्।।
= शुभ कर्म करने से सुख और पाप कर्म करने से दुःख मिलता है। अपना किया हुआ कर्म सर्वत्र ही फल देता है। बिना किए हुए कर्म का फल नहीं भोगा जाता।
अज्ञः सुखमाराध्यः सुखतरमाराध्यते विशेषज्ञः।
ज्ञानलवदुर्विदग्धं ब्रह्मापि तं नरं न रञ्जयति।।
= अबोध को समझाना सरल है, बुद्धिमान को भी समझाना सरल है, किन्तु अधकचरे ज्ञान से ही अपने आप को पण्डित माननेवाले मनुष्य को चारों वेदों के ज्ञाता ब्रह्मा भी सच नहीं समझा सकते।
#vakyabhyas
लालनाश्रयिणो दोषाः ताडनाश्रयिणो गुणाः।।
= गुरुजन अमृतमय हाथों से ताड़न करते हैं, विषयुक्त हाथों से नहीं, मिथ्या लाड़ से पाल्य दोषयुक्त होते हैं जबकि उचित ताड़न से गुणयुक्त।
नदीतीरे च ये वृक्षाःपरगेहेषु कामिनी।
मन्त्रिहीनाश्च राजानःशीघ्रं नश्यत्यसंशयम्।।
= नदी के किनारे पर उगे हुए वृक्ष, दूसरे के घर जाने अथवा रहनेवाली स्त्री और मन्त्रियों रहित राजा ये सब निश्चय ही शीघ्र नष्ट हो जाते हैं।
किं कुलेन विशालेन विद्याहीनेन देहिनाम्।
दुष्कुलीनोऽपि विद्वांश्च देवैरपि सुपूज्यते।।
= स्वयं विद्याहीन यदि है तो बड़े कुल से उसे क्या लाभ ? नीच कुलोत्पन्न विद्वान भी अन्य विद्वानों द्वारा सम्मानित होता पाया गया है।
अन्नहीनो दहेद् राष्ट्रं मन्त्रहीनश्च ऋत्विजः।
यजमानं दानहीनो नास्ति यज्ञसमो रिपुः।।
= अन्नहीन यज्ञ राष्ट्र को, मन्त्रहीन यज्ञ ऋत्विजों को और दानरहित यज्ञ यजमान को भस्म कर देता है। संसार में यज्ञ (विधिहीन) के समान कोई शत्रु नहीं है।
विधिहीनस्य यज्ञस्य कर्त्ता सद्यः विनश्यति
= विधिहीन यज्ञकर्त्ता शीघ्र नष्ट हो जाता है।
विधिहीनमसृष्टान्नं मन्त्रहीनमदक्षिणम्।
श्रद्धाविरहितं यज्ञं तामसं प्रचक्षते।।
= जो शास्त्रोक्त विधिरहित हो, जिसमें
लोक-कल्याणार्थ अन्नदान न किया गया हो, जिसमें वेद मन्त्रों को उच्चारण न किया गया हो, जिसमें यज्ञ करानेवाले को दक्षिणा न दी गई हो और बिना श्रद्धा से किया गया हो, ऐसे यज्ञ को तामस यज्ञ कहते हैं।
रोहते सायकैर्विद्धं वनं परशुना हतम्।
वाचा दुरुक्तं बीभत्सं न संरोहति वाक्षतम्।।
= बाणों से बींधा हुआ घाव फिर भर जाता है, कुल्हाडे से काटा वन फिर हरा-भरा हो जाता है, परन्तु कटुवचनों द्वारा वाणी से किया गया हृदय का घाव कभी नहीं भरता।
दृष्टिपूतं न्यसेद् पादं वस्त्रपूतं जलं पिबेत्।
शास्त्रपूतं वदेद् वाक्यं मनःपूतं समाचरेत्।।
= मनुष्य को चाहिए कि अच्छी प्रकार देखकर कदम उठाए, कपड़े से छानकर पानी पीए, सत्यशास्त्रों के अनुकूल वाणी बोले और मन से सोच-विचार कर शुभ आचरण करे।
विप्रो वृक्षस्तस्य मूलं च सन्ध्या वेदाः शाखा धर्मकर्माणि पत्रम्।
तस्मान्मूलं यत्नतो रक्षणीयं छिन्ने मूले नैव शाखा न पत्रम्।।
= ब्राह्मणरूपी वृक्ष की जड़ संध्या है, वेद उसकी शाखाएं हैं और धर्मकर्म उसके पत्ते हैं। अतः प्रयत्नपूर्वक जड़ की रक्षा करनी चाहिए क्योंकि जड़ के कट जाने या नष्ट हो जाने पर शाखा और पत्ते भी नहीं रहते।
शुभेन कर्मणा सौख्यं दुःखं पापेन कर्मणा।
कृतं फलति सर्वत्र नाकृतं भुज्यते क्वचित्।।
= शुभ कर्म करने से सुख और पाप कर्म करने से दुःख मिलता है। अपना किया हुआ कर्म सर्वत्र ही फल देता है। बिना किए हुए कर्म का फल नहीं भोगा जाता।
अज्ञः सुखमाराध्यः सुखतरमाराध्यते विशेषज्ञः।
ज्ञानलवदुर्विदग्धं ब्रह्मापि तं नरं न रञ्जयति।।
= अबोध को समझाना सरल है, बुद्धिमान को भी समझाना सरल है, किन्तु अधकचरे ज्ञान से ही अपने आप को पण्डित माननेवाले मनुष्य को चारों वेदों के ज्ञाता ब्रह्मा भी सच नहीं समझा सकते।
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April 28, 2022
@samskrt_samvadah is opening संस्कृताश्रमः - Short Samskrit Learning classes through Telegram videochat.
🎾 Trial
⏳20 minutes
🕚 09:00 PM 🇮🇳
🔰भाषापरिचयः
🗓28th April 2022, गुरुवासरः
🔴 Classes would be recorded and uploaded on our Youtube channel.
Set your alarm, Don't be late
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April 28, 2022
Man - Hey! Haven't received the items I ordered yet? What are you doing? Why is it so late?
Waiter - Sir, please do not be angry. Please speak politely (with Namrata. In Sanskrit Namrata means polite)
Man - Okay, then call Namrata.
#hasya
Waiter - Sir, please do not be angry. Please speak politely (with Namrata. In Sanskrit Namrata means polite)
Man - Okay, then call Namrata.
#hasya
April 28, 2022
@samskrt_samvadah संलापशाला - A Samskrit Voicechat room.
यदीच्छसि वशीकर्तुं, भाषणमेककर्मणा।
यायास्संलापशालां वै, भवति यत्र भाषणम्।।
⏳45 निमेषाः
🕚 IST 11:00 AM
🔰सस्कृतकथा,सुभाषितम्, हास्यकणिका इत्यादयः
🗓29th April 2022, शुक्रवासरः
🔴Voicechat would be recorded and shared on this channel.
📑यदि शक्येत चेत् संस्कृतेन (संस्कृतकथां, सुभाषितं, हास्यकणिकां ,स्वस्य कञ्चित् उत्तमम् अनुभवं ,प्रेरकप्रसङ्गं ,लौकिकन्यायं वा वदन्तु) । चर्चार्थं कृपया पूर्वसिद्धतां कृत्वा आगच्छन्तु।
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यदीच्छसि वशीकर्तुं, भाषणमेककर्मणा।
यायास्संलापशालां वै, भवति यत्र भाषणम्।।
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🗓29th April 2022, शुक्रवासरः
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April 28, 2022
April 28, 2022
April 28, 2022
🍃
♦️saMniyamyendriyagraamaM sarvatra samabuddhayaH|
te praapnuvanti maameva sarvabhuutahite rataaH
⚜Restraining all the senses, even minded under all circumstances, engaged in the welfare of all creatures, they also attain Me.(12.04)
⚜इन्द्रिय समुदाय को सम्यक् प्रकार से नियमित करके सर्वत्र समभाव वाले भूतमात्र के हित में रत वे भक्त मुझे ही प्राप्त होते हैं।।12.4।।
#geeta
संनियम्येन्द्रियग्रामं सर्वत्र समबुद्धयः।
ते प्राप्नुवन्ति मामेव सर्वभूतहिते रताः
।।12.4।।♦️saMniyamyendriyagraamaM sarvatra samabuddhayaH|
te praapnuvanti maameva sarvabhuutahite rataaH
⚜Restraining all the senses, even minded under all circumstances, engaged in the welfare of all creatures, they also attain Me.(12.04)
⚜इन्द्रिय समुदाय को सम्यक् प्रकार से नियमित करके सर्वत्र समभाव वाले भूतमात्र के हित में रत वे भक्त मुझे ही प्राप्त होते हैं।।12.4।।
#geeta
April 28, 2022
April 28, 2022
April 28, 2022
April 28, 2022
🍃
♦️klesho'dhikatarasteShaamavyaktaasaktachetasaam|
avyaktaa hi gatirduHkhaM dehavadbhiravaapyate
⚜Self-realization is more difficult for those who fix their mind on the formless Brahman, because the comprehension of the unmanifest Brahman by the average embodied human being is very difficult. (12.05)
⚜परन्तु उन अव्यक्त में आसक्त हुए चित्त वाले पुरुषों को क्लेश अधिक होता है क्योंकि देहधारियों से अव्यक्त की गति कठिनाईपूर्वक प्राप्त की जाती है।।12.5।।
#geeta
क्लेशोऽधिकतरस्तेषामव्यक्तासक्तचेतसाम्।
अव्यक्ता हि गतिर्दुःखं देहवद्भिरवाप्यते
।।12.5।।♦️klesho'dhikatarasteShaamavyaktaasaktachetasaam|
avyaktaa hi gatirduHkhaM dehavadbhiravaapyate
⚜Self-realization is more difficult for those who fix their mind on the formless Brahman, because the comprehension of the unmanifest Brahman by the average embodied human being is very difficult. (12.05)
⚜परन्तु उन अव्यक्त में आसक्त हुए चित्त वाले पुरुषों को क्लेश अधिक होता है क्योंकि देहधारियों से अव्यक्त की गति कठिनाईपूर्वक प्राप्त की जाती है।।12.5।।
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🌥 🚩यगाब्द-५१२४
🌥 🚩विक्रम संवत-२०७९
⛅️ 🚩तिथि - चतुर्दशी रात्रि 12:57 तक तत्पश्चात अमावस्या
⛅️दिनांक 29 अप्रैल 2022
⛅️दिन -शुक्रवार
⛅️विक्रम संवत - 2079
⛅️शक संवत - 1944
⛅️अयन - उत्तरायण
⛅️ऋतु - ग्रीष्म
⛅️मास - वैशाख
⛅️पक्ष - कृष्ण
⛅️नक्षत्र - रेवती शाम 06:43 तक तत्पश्चात अश्विनी
⛅️योग - विष्कम्भ शाम 04:29 तक तत्पश्चात प्रिती
⛅️राहुकाल - सुबह 11:00 से दोपहर 12:37 तक
⛅️सर्योदय - 06:08
⛅️सर्यास्त - 07:06
⛅️दिशाशूल - पश्चिम दिशा में
⛅️बरह्म मुहूर्त- प्रातः 04:40 से 05:24 तक
🚩आज की हिंदी तिथि
🌥 🚩यगाब्द-५१२४
🌥 🚩विक्रम संवत-२०७९
⛅️ 🚩तिथि - चतुर्दशी रात्रि 12:57 तक तत्पश्चात अमावस्या
⛅️दिनांक 29 अप्रैल 2022
⛅️दिन -शुक्रवार
⛅️विक्रम संवत - 2079
⛅️शक संवत - 1944
⛅️अयन - उत्तरायण
⛅️ऋतु - ग्रीष्म
⛅️मास - वैशाख
⛅️पक्ष - कृष्ण
⛅️नक्षत्र - रेवती शाम 06:43 तक तत्पश्चात अश्विनी
⛅️योग - विष्कम्भ शाम 04:29 तक तत्पश्चात प्रिती
⛅️राहुकाल - सुबह 11:00 से दोपहर 12:37 तक
⛅️सर्योदय - 06:08
⛅️सर्यास्त - 07:06
⛅️दिशाशूल - पश्चिम दिशा में
⛅️बरह्म मुहूर्त- प्रातः 04:40 से 05:24 तक
April 28, 2022
@samskrt_samvadah संलापशाला - A Samskrit Voicechat room.
यदीच्छसि वशीकर्तुं, भाषणमेककर्मणा।
यायास्संलापशालां वै, भवति यत्र भाषणम्।।
⏳45 निमेषाः
🕚 IST 11:00 AM
🔰सस्कृतकथा,सुभाषितम्, हास्यकणिका इत्यादयः
🗓29th April 2022, शुक्रवासरः
🔴Voicechat would be recorded and shared on this channel.
📑यदि शक्येत चेत् संस्कृतेन (संस्कृतकथां, सुभाषितं, हास्यकणिकां ,स्वस्य कञ्चित् उत्तमम् अनुभवं ,प्रेरकप्रसङ्गं ,लौकिकन्यायं वा वदन्तु) । चर्चार्थं कृपया पूर्वसिद्धतां कृत्वा आगच्छन्तु।
वयं युष्माकं प्रतीक्षां कुर्मः। 😇
स्मारणतंत्रिकां स्थापयतु ⏰
👇🏼👇🏼👇🏼👇🏼👇🏼
https://t.me/samskrt_samvadah?voicechat
यदीच्छसि वशीकर्तुं, भाषणमेककर्मणा।
यायास्संलापशालां वै, भवति यत्र भाषणम्।।
⏳45 निमेषाः
🕚 IST 11:00 AM
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🗓29th April 2022, शुक्रवासरः
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वयं युष्माकं प्रतीक्षां कुर्मः। 😇
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April 28, 2022
April 28, 2022
https://youtu.be/QHNl35cU2To
Switch to DD News daily at 7:15 AM (Morning) for 15 minutes Sanskrit news.
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Broad...
April 28, 2022
🔰चित्रं दृष्ट्वा पञ्चवाक्यानि रचयत।
✍🏼सर्वे टिप्पणीसञ्चिकायां स्वोत्तराणि लेखितुं शक्नुवन्ति अथवा पुस्तिकायां लिखित्वा तस्य चित्रं स्वीकृत्य अपि प्रेषयितुं शक्नुवन्ति।
🗣सहैव तानि वाक्यानि उक्त्वा ध्वनिमाध्यमेन अपि प्रेषयत।
🔰 चित्र देखकर पांच वाक्य बनायें।
✍🏼आप कमेंट बॉक्स में टङ्कण कर सकते हैं या कॉपी पर लिखकर फोटो भी भेज सकते हैं।
🗣 साथ हि वें वाक्य बोलकर भी वाइस नोट भेजें।
🔰Make 5 sentences, Observing the attached image.
✍🏼You can type in the comment box or you can also send a photo by writing on the notebook.
🗣 Also, Send voice message by uttering those sentences.
#chitram
✍🏼सर्वे टिप्पणीसञ्चिकायां स्वोत्तराणि लेखितुं शक्नुवन्ति अथवा पुस्तिकायां लिखित्वा तस्य चित्रं स्वीकृत्य अपि प्रेषयितुं शक्नुवन्ति।
🗣सहैव तानि वाक्यानि उक्त्वा ध्वनिमाध्यमेन अपि प्रेषयत।
🔰 चित्र देखकर पांच वाक्य बनायें।
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#chitram
April 28, 2022
April 28, 2022
April 28, 2022
April 28, 2022
🍃
⚜"श्रीकृष्ण कहते हैं कि हे अर्जुन! तू जो कर्म करता है, जो खाता है, जो हवन करता है, जो दान देता है और जो तप करता है, वह सब मेरे अर्पण कर।"
~ श्रीमद्भागवतगीता ॥9.27॥
🔅भगवान् श्रीकृष्णः वदति यत् , हे अर्जुन! यत् कार्यं करोति, यत् खादति, यत् जयते, यत् दानं करोति, यत् तपः करोति, तत् सर्वं मह्यम् अर्पयतु।
#Subhashitam
"यत्करोषि यदश्नासि यज्जुहोषि ददासि यत्।
यत्तपस्यसि कौन्तेय तत्कुरुष्व मदर्पणम्
॥"⚜"श्रीकृष्ण कहते हैं कि हे अर्जुन! तू जो कर्म करता है, जो खाता है, जो हवन करता है, जो दान देता है और जो तप करता है, वह सब मेरे अर्पण कर।"
~ श्रीमद्भागवतगीता ॥9.27॥
🔅भगवान् श्रीकृष्णः वदति यत् , हे अर्जुन! यत् कार्यं करोति, यत् खादति, यत् जयते, यत् दानं करोति, यत् तपः करोति, तत् सर्वं मह्यम् अर्पयतु।
#Subhashitam
April 28, 2022
माता सीता ______ हरिणं _______।
Anonymous Quiz
52%
हस्तेन,लक्षयति।
25%
हस्तेन, इङ्गति।
17%
हस्तात् , दर्शयति।
7%
हस्तं , लक्षयति
April 29, 2022
April 29, 2022
संस्कृत संवादः । Sanskrit Samvadah
सामृतैः
पाणिभिर्घ्नन्ति गुरवो न विषोक्षितैः। लालनाश्रयिणो दोषाः ताडनाश्रयिणो
गुणाः।। = गुरुजन अमृतमय हाथों से ताड़न करते हैं, विषयुक्त हाथों से
नहीं, मिथ्या लाड़ से पाल्य दोषयुक्त होते हैं जबकि उचित ताड़न से गुणयुक्त।
नदीतीरे च ये वृक्षाःपरगेहेषु कामिनी।…
एकेनाऽपि हि शूरेण पादाक्रान्तं महीतलम्।
क्रियते भास्करेण परिस्फुरित तेजसा।।
= जैसे सूर्य अपने प्रखर प्रकाश से सारी पृथ्वी को परिव्याप्त कर देता है, उसी प्रकार शूरवीर अपने प्रबल पराक्रम से सारे संसार को पादाक्रान्त कर लेता है।
न कश्चिच्चण्डकोपानामात्मीयो नाम भूभुजाम्।
होतारमपि जुह्नानं स्पृष्टो दहति पावकः।।
= प्रचण्ड क्रोधी राजाओं का कोई अपना नहीं होता। जैसे छू जाने पर अग्नि हवन करनेवाले को भी जला डालती है, ऐसे ही क्रुद्ध होने पर राजा लोग अपने मित्रों को भी नहीं छोड़ते।
नैवाकृतिः फलति नैव कुलं न शीलम् विद्याऽपि नैव न च यत्नकृताऽपि सेवा।
भाग्यानि पूर्वतपसा खलु स´्चितानि काले फलन्ति पुरुषस्य यथैव वृक्षाः।।
= मनुष्य को न तो सुन्दर आकृति (रंग-रूप) फल देती है, न उत्तम कुल, न शील, न कलाकौशल और न हि यत्नपूर्वक की गई सेवा; पूर्व जन्मकृत तप के द्वारा संचित भाग्य ही समय पर वृक्ष की भांति फल देता है। अर्थात् विपरीत भाग्य प्रबल हो तो वर्तमान् का किया गया पुरुषार्थ प्रभावी नहीं दिखाई पड़ता।
वने रणे शत्रुजलाग्निमध्ये महार्णवे पर्वतमस्तके वा।
सुप्तं प्रमत्तं विषमस्थितं वा रक्षन्ति पुण्यानि पुराकृतानि।।
= वन में, युद्ध में, शत्रुओं के बीच, जल में, अग्नि में, समुद्र में, पर्वत की चोटी पर, सुप्त अवस्था में असावधानी की दशा में, विषम स्थितियों में मनुष्य के पूर्वजन्मकृत सुकर्म ही रक्षा करते हैं।
भीमं वनं भवति तस्य पुरं प्रधानं सर्वो जनः स्वजनतामुपयाति तस्य। कृत्स्ना च भूर्भवति सन्निधिरत्नपूर्णा यस्यास्ति पूर्वसुकृतं विपुलं नरस्य।।
= जिस मनुष्य के पूर्वजन्म में किए शुभकर्मों का पुण्यफल प्रबल है, उसके लिए भयंकर वन भी श्रेष्ठ नगर बन जाता है, सब लोग उसके मित्र स्वजन बन जाते हैं और सारी पृथ्वी उसके लिए उत्तम निधियों और रत्नों से परिपूर्ण हो जाती है।
#vakyabhyas
क्रियते भास्करेण परिस्फुरित तेजसा।।
= जैसे सूर्य अपने प्रखर प्रकाश से सारी पृथ्वी को परिव्याप्त कर देता है, उसी प्रकार शूरवीर अपने प्रबल पराक्रम से सारे संसार को पादाक्रान्त कर लेता है।
न कश्चिच्चण्डकोपानामात्मीयो नाम भूभुजाम्।
होतारमपि जुह्नानं स्पृष्टो दहति पावकः।।
= प्रचण्ड क्रोधी राजाओं का कोई अपना नहीं होता। जैसे छू जाने पर अग्नि हवन करनेवाले को भी जला डालती है, ऐसे ही क्रुद्ध होने पर राजा लोग अपने मित्रों को भी नहीं छोड़ते।
नैवाकृतिः फलति नैव कुलं न शीलम् विद्याऽपि नैव न च यत्नकृताऽपि सेवा।
भाग्यानि पूर्वतपसा खलु स´्चितानि काले फलन्ति पुरुषस्य यथैव वृक्षाः।।
= मनुष्य को न तो सुन्दर आकृति (रंग-रूप) फल देती है, न उत्तम कुल, न शील, न कलाकौशल और न हि यत्नपूर्वक की गई सेवा; पूर्व जन्मकृत तप के द्वारा संचित भाग्य ही समय पर वृक्ष की भांति फल देता है। अर्थात् विपरीत भाग्य प्रबल हो तो वर्तमान् का किया गया पुरुषार्थ प्रभावी नहीं दिखाई पड़ता।
वने रणे शत्रुजलाग्निमध्ये महार्णवे पर्वतमस्तके वा।
सुप्तं प्रमत्तं विषमस्थितं वा रक्षन्ति पुण्यानि पुराकृतानि।।
= वन में, युद्ध में, शत्रुओं के बीच, जल में, अग्नि में, समुद्र में, पर्वत की चोटी पर, सुप्त अवस्था में असावधानी की दशा में, विषम स्थितियों में मनुष्य के पूर्वजन्मकृत सुकर्म ही रक्षा करते हैं।
भीमं वनं भवति तस्य पुरं प्रधानं सर्वो जनः स्वजनतामुपयाति तस्य। कृत्स्ना च भूर्भवति सन्निधिरत्नपूर्णा यस्यास्ति पूर्वसुकृतं विपुलं नरस्य।।
= जिस मनुष्य के पूर्वजन्म में किए शुभकर्मों का पुण्यफल प्रबल है, उसके लिए भयंकर वन भी श्रेष्ठ नगर बन जाता है, सब लोग उसके मित्र स्वजन बन जाते हैं और सारी पृथ्वी उसके लिए उत्तम निधियों और रत्नों से परिपूर्ण हो जाती है।
#vakyabhyas
April 29, 2022
April 29, 2022
@samskrt_samvadah प्रारंभ करता है, संस्कृताश्रमः - संस्कृतशिक्षण की लघु कक्षाऐं
🎾 परीक्षण
⏳20 मिनट
🕚 09:00 PM 🇮🇳
🔰उच्चारणम्
🗓29th अप्रैल 2022, गुरुवार
🔴 कक्षाओं की प्रति हमारे युट्युब चैनल पर डाली जायेगी
कृपया अलार्म लगा लें और विलंब से न आयें।
👇🏼👇🏼👇🏼👇🏼👇🏼
https://t.me/samskrt_samvadah?voicechat
🎾 परीक्षण
⏳20 मिनट
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🗓29th अप्रैल 2022, गुरुवार
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कृपया अलार्म लगा लें और विलंब से न आयें।
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April 29, 2022
April 29, 2022
Corona - Friend ! Come out of home...let's go for shopping.
People - Okay dear...wait...just coming.
(after a long time)
Corona - Hey...! Why...you didn't come yet ?
People - Dear...going out is restricted... Lock down declared.
Corona - Then why did you tell me that you are just coming ?
People - ha ha ha...you became April fool.
Stay at home, save the nation
#hasya
People - Okay dear...wait...just coming.
(after a long time)
Corona - Hey...! Why...you didn't come yet ?
People - Dear...going out is restricted... Lock down declared.
Corona - Then why did you tell me that you are just coming ?
People - ha ha ha...you became April fool.
Stay at home, save the nation
#hasya
April 29, 2022
@samskrt_samvadah संलापशाला - A Samskrit Voicechat room.
⏳45 निमेषाः
🕚 IST 11:00 AM
🔰आत्मनिर्भरं भारतम्
🗓30th April 2022, शनिवासरः
🔴Voicechat would be recorded and shared on this channel.
📑यदि शक्येत चेत् संस्कृतेन (कदा आरब्धम् ,एतस्य आवश्यकता का, वयं स्वयोगदानं कथं कर्तुं शक्नुमः,सुप्रभावः अथवा दुष्प्रभावः कः) चर्चार्थं कृपया पूर्वसिद्धतां कृत्वा आगच्छन्तु।
वयं युष्माकं प्रतीक्षां कुर्मः। 😇
स्मारणतंत्रिकां स्थापयतु ⏰
👇🏼👇🏼👇🏼👇🏼👇🏼
https://t.me/samskrt_samvadah?voicechat
⏳45 निमेषाः
🕚 IST 11:00 AM
🔰आत्मनिर्भरं भारतम्
🗓30th April 2022, शनिवासरः
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📑यदि शक्येत चेत् संस्कृतेन (कदा आरब्धम् ,एतस्य आवश्यकता का, वयं स्वयोगदानं कथं कर्तुं शक्नुमः,सुप्रभावः अथवा दुष्प्रभावः कः) चर्चार्थं कृपया पूर्वसिद्धतां कृत्वा आगच्छन्तु।
वयं युष्माकं प्रतीक्षां कुर्मः। 😇
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April 29, 2022
April 29, 2022
🍃
♦️ye tu sarvaaNi karmaaNi mayi saMnyasya matparaaH|
ananyenaiva yogena maaM dhyaayanta upaasate
⚜But, to those who worship Me as the personal God, renouncing all actions to Me; setting Me as their supreme goal, and meditating on Me with single minded devotion; (12.06)
⚜परन्तु जो भक्तजन मुझे ही परम लक्ष्य समझते हुए सब कर्मों को मुझे अर्पण करके अनन्ययोग के द्वारा मेरा (सगुण का) ही ध्यान करते हैं।।12.6।।
#geeta
ये तु सर्वाणि कर्माणि मयि संन्यस्य मत्पराः।
अनन्येनैव योगेन मां ध्यायन्त उपासते
।।12.6।।♦️ye tu sarvaaNi karmaaNi mayi saMnyasya matparaaH|
ananyenaiva yogena maaM dhyaayanta upaasate
⚜But, to those who worship Me as the personal God, renouncing all actions to Me; setting Me as their supreme goal, and meditating on Me with single minded devotion; (12.06)
⚜परन्तु जो भक्तजन मुझे ही परम लक्ष्य समझते हुए सब कर्मों को मुझे अर्पण करके अनन्ययोग के द्वारा मेरा (सगुण का) ही ध्यान करते हैं।।12.6।।
#geeta
April 29, 2022
April 29, 2022
April 29, 2022
April 29, 2022
🍃
♦️teShaamahaM samuddhartaa mRRityusaMsaarasaagaraat|
bhavaami nachiraatpaartha mayyaaveshitachetasaam
⚜I swiftly become their savior, from the world that is the ocean of death and transmigration, whose thoughts are set on Me, O Arjuna. (12.07)
⚜हे पार्थ जिनका चित्त मुझमें ही स्थिर हुआ है ऐसे भक्तों का मैं शीघ्र ही मृत्युरूप संसार सागर से उद्धार करने वाला होता हूँ।।12.7।।
#geeta
तेषामहं समुद्धर्ता मृत्युसंसारसागरात्।
भवामि नचिरात्पार्थ मय्यावेशितचेतसाम्
।।12.7।।♦️teShaamahaM samuddhartaa mRRityusaMsaarasaagaraat|
bhavaami nachiraatpaartha mayyaaveshitachetasaam
⚜I swiftly become their savior, from the world that is the ocean of death and transmigration, whose thoughts are set on Me, O Arjuna. (12.07)
⚜हे पार्थ जिनका चित्त मुझमें ही स्थिर हुआ है ऐसे भक्तों का मैं शीघ्र ही मृत्युरूप संसार सागर से उद्धार करने वाला होता हूँ।।12.7।।
#geeta
April 29, 2022
April 29, 2022
🚩जय सत्य सनातन🚩
🚩आज की हिंदी तिथि
🌥️ 🚩युगाब्द-५१२४
🌥️ 🚩विक्रम संवत-२०७९
⛅ 🚩तिथि - अमावस्या रात्रि 01:57 तक तत्पश्चात प्रतिपदा
⛅दिनांक 30 अप्रैल 2022
⛅दिन - शनिवार
⛅विक्रम संवत - 2079
⛅शक संवत - 1944
⛅अयन - उत्तरायण
⛅ऋतु - ग्रीष्म
⛅मास - वैशाख
⛅पक्ष - कृष्ण
⛅नक्षत्र - अश्विनी रात्रि 08:13 तक तत्पश्चात भरणी
⛅योग - प्रिती अपरान्ह 03:20 तक तत्पश्चात आयुष्मान
⛅राहुकाल - सुबह 09:22 से दोपहर 11:00 तक
⛅सूर्योदय - 06:08
⛅सूर्यास्त - 07:07
⛅दिशाशूल - पूर्व दिशा में
⛅ब्रह्म मुहूर्त- प्रातः 04:39 से 05:23 तक
🚩आज की हिंदी तिथि
🌥️ 🚩युगाब्द-५१२४
🌥️ 🚩विक्रम संवत-२०७९
⛅ 🚩तिथि - अमावस्या रात्रि 01:57 तक तत्पश्चात प्रतिपदा
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⛅मास - वैशाख
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⛅सूर्योदय - 06:08
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Forwarded from रामदूतः — The Sanskrit News Platform (Bhavani Raman)
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https://youtu.be/hw3Wb9Fw-Xc
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April 29, 2022
April 29, 2022
April 29, 2022
April 29, 2022
🍃
⚜One who has never achieved any unity of thought, speech, and action but contemplates on the unity of jiva and Brahman is fit to be laughed at.
🔅यः जीवस्य तथा ब्रह्मणः ऐक्यविषये चिन्तयति परन्तु तस्य विचारे वाण्यां तथा कार्ये ऐक्यं नास्ति सः हासपात्रः भवति।
#Subhashitam
मनोवाक्कर्मणामेक्यं यस्य सिद्धं न जातुचित् ।
स जीवब्रह्मणोरैक्यं ध्यायन्याति विडम्बनाम्
॥⚜One who has never achieved any unity of thought, speech, and action but contemplates on the unity of jiva and Brahman is fit to be laughed at.
🔅यः जीवस्य तथा ब्रह्मणः ऐक्यविषये चिन्तयति परन्तु तस्य विचारे वाण्यां तथा कार्ये ऐक्यं नास्ति सः हासपात्रः भवति।
#Subhashitam
April 29, 2022
April 30, 2022
April 30, 2022
संस्कृत संवादः । Sanskrit Samvadah
एकेनाऽपि
हि शूरेण पादाक्रान्तं महीतलम्। क्रियते भास्करेण परिस्फुरित तेजसा।। =
जैसे सूर्य अपने प्रखर प्रकाश से सारी पृथ्वी को परिव्याप्त कर देता है,
उसी प्रकार शूरवीर अपने प्रबल पराक्रम से सारे संसार को पादाक्रान्त कर
लेता है। न कश्चिच्चण्डकोपानामात्मीयो…
संस्कृतं वद आधुनिको भव।
वेदान् पठ वैज्ञानिको भव।।
पाठ: (35) कृदन्त (2) निष्ठा प्रत्यय
(क्त प्रत्यय कर्त्तृवाच्य- अकर्मक धातुएं तथा श्लिष्, शीङ्, स्था, आस्, वस्, जन्, रुह्, ज§, इन धातुओं से क्त प्रत्यय कर्त्तृवाच्य में भी होता है।)
क्त प्रत्यय कर्त्तृवाच्य क्रियारूप प्रयोग:-
आचार्यमहोदयः ऑस्ट्रेलियादेशम् अगच्छत्
= आचार्य जी ऑस्ट्रेलिया गए।
आचार्यमहोदयः ऑस्ट्रेलियादेशम् गतः
= आचार्य जी ऑस्ट्रेलिया गए।
ह्यः अहं मशकजालं विनैवाऽस्वाप्सम्/सुप्तः सुप्ता वा
= कल मैं मच्छरदानी के बिना ही सो गया/गई।
पितृभ्यां वियुक्तः स बालः रात्रौ पद्यायामेवाऽशयिष्ट शयितो वा
= माता-पिता से बिछुड़ा हुआ वह बच्चा रात पादचारी सड़क पर ही सोया।
महदाश्चर्यं यत् मार्जारकुक्कुटौ सह अशायाताम् शयितौ वा
= बड़ा ही आश्चर्य है कि बिल्ली और कुत्ता साथ-साथ सोए।
निषद्यायामप्राप्तायां स्थानाभावाच्च यात्रिणः रेलयाने शौचालयसमीपमपि अस्वाप्सुः सुप्ताः वा
= सीट न मिलने पर तथा स्थानाभाव के कारण ट्रेन में यात्री शौचालय के पास भी सो गए।
अवकाशे बालकाः वैदिकसंस्कृतेः ज्ञानार्थं शिविरमयुः याताः वा
= छुट्टियों में बच्चे वैदिक संस्कृति को जानने हेतु शिविर में गए।
शिविरात् पुनः पित्रा सह सप्तदिनेषु गृहमागमन् आगताः वा
= सात दिन के बाद फिर शिविर से पिता के साथ घर आए।
संसारात् विरक्तः परिव्राजको गृहाद् अव्राजीत् व्रजितो वा
= संसार से विरक्त हुआ संन्यासी घर से चला गया।
गृहस्वामितः त्रस्तो भाटकी इतः इतः तत्रोषितः
= गृहस्वामी/मकान मालिक से परेशान किराएदार यहां से चला गया, वहां जाकर बस गया।
माता वत्सम् उपाश्लिक्षत् उपश्लिष्टा वा
= माता ने बच्चे का आलिंगन किया।
निर्यासमोदके भुक्ते निर्यासः दत्तः उपाश्लिषत् उपश्लिष्टो वा
= गोंद के लड्डू खाने से गोंद दांतों में चिपक गया।
आयसपिण्डः अयस्कान्तमुपाश्लिषत् उपश्लिष्टो वा
= लोहे का गोला चुम्बक से चिपक गया।
पुत्रेण पलायिता माता पुत्रीम् उपाशयिष्ट उपशयिता वा
= बेटे के द्वारा भगा दिए जाने पर मां बेटी के पास रही।
विद्यार्थं छात्रः गुरुकुलम् उपाशेत उपाशयितो वा
= विद्याप्राप्ति के लिए विद्यार्थी गुरुकुल में रहा।
गुरुणा आहूतोऽन्तेवासी गुरुम् उपास्थात् उपस्थितो वा
= गुरु के द्वारा बुलाए जाने पर शिष्य गुरु के समीप उपस्थित हुआ।
साक्षात्काराय साक्षात्कारिणः कार्यालयम् उपातिष्ठन् उपस्थिताः वा
= साक्षात्कार (इंटरव्यू) के आवेदक कार्यालय में उपस्थित हुए।
प्रातः उत्थाय स्नात्वाऽहम् ईश्वरम् उपासिषि उपासिता वा
= सुबह उठकर नहा-धोकर मैंने ईश्वरोपासना की।
चायपायी चायम् उपास्त उपासितो वा घस्मरश्च घृतमोदकम्
= चाय के व्यसनी ने चाय की उपासना की और खाऊराम ने घी के लड्डुओं की।
गृहाद् बहिः कृतौ पितरौ वृद्धाश्रमम् अन्ववात्ताम् अनूषितौ वा
= घर से निकाले गए मां-बाप वृद्धाश्रम में रहे।
#vakyabhyas
वेदान् पठ वैज्ञानिको भव।।
पाठ: (35) कृदन्त (2) निष्ठा प्रत्यय
(क्त प्रत्यय कर्त्तृवाच्य- अकर्मक धातुएं तथा श्लिष्, शीङ्, स्था, आस्, वस्, जन्, रुह्, ज§, इन धातुओं से क्त प्रत्यय कर्त्तृवाच्य में भी होता है।)
क्त प्रत्यय कर्त्तृवाच्य क्रियारूप प्रयोग:-
आचार्यमहोदयः ऑस्ट्रेलियादेशम् अगच्छत्
= आचार्य जी ऑस्ट्रेलिया गए।
आचार्यमहोदयः ऑस्ट्रेलियादेशम् गतः
= आचार्य जी ऑस्ट्रेलिया गए।
ह्यः अहं मशकजालं विनैवाऽस्वाप्सम्/सुप्तः सुप्ता वा
= कल मैं मच्छरदानी के बिना ही सो गया/गई।
पितृभ्यां वियुक्तः स बालः रात्रौ पद्यायामेवाऽशयिष्ट शयितो वा
= माता-पिता से बिछुड़ा हुआ वह बच्चा रात पादचारी सड़क पर ही सोया।
महदाश्चर्यं यत् मार्जारकुक्कुटौ सह अशायाताम् शयितौ वा
= बड़ा ही आश्चर्य है कि बिल्ली और कुत्ता साथ-साथ सोए।
निषद्यायामप्राप्तायां स्थानाभावाच्च यात्रिणः रेलयाने शौचालयसमीपमपि अस्वाप्सुः सुप्ताः वा
= सीट न मिलने पर तथा स्थानाभाव के कारण ट्रेन में यात्री शौचालय के पास भी सो गए।
अवकाशे बालकाः वैदिकसंस्कृतेः ज्ञानार्थं शिविरमयुः याताः वा
= छुट्टियों में बच्चे वैदिक संस्कृति को जानने हेतु शिविर में गए।
शिविरात् पुनः पित्रा सह सप्तदिनेषु गृहमागमन् आगताः वा
= सात दिन के बाद फिर शिविर से पिता के साथ घर आए।
संसारात् विरक्तः परिव्राजको गृहाद् अव्राजीत् व्रजितो वा
= संसार से विरक्त हुआ संन्यासी घर से चला गया।
गृहस्वामितः त्रस्तो भाटकी इतः इतः तत्रोषितः
= गृहस्वामी/मकान मालिक से परेशान किराएदार यहां से चला गया, वहां जाकर बस गया।
माता वत्सम् उपाश्लिक्षत् उपश्लिष्टा वा
= माता ने बच्चे का आलिंगन किया।
निर्यासमोदके भुक्ते निर्यासः दत्तः उपाश्लिषत् उपश्लिष्टो वा
= गोंद के लड्डू खाने से गोंद दांतों में चिपक गया।
आयसपिण्डः अयस्कान्तमुपाश्लिषत् उपश्लिष्टो वा
= लोहे का गोला चुम्बक से चिपक गया।
पुत्रेण पलायिता माता पुत्रीम् उपाशयिष्ट उपशयिता वा
= बेटे के द्वारा भगा दिए जाने पर मां बेटी के पास रही।
विद्यार्थं छात्रः गुरुकुलम् उपाशेत उपाशयितो वा
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गुरुणा आहूतोऽन्तेवासी गुरुम् उपास्थात् उपस्थितो वा
= गुरु के द्वारा बुलाए जाने पर शिष्य गुरु के समीप उपस्थित हुआ।
साक्षात्काराय साक्षात्कारिणः कार्यालयम् उपातिष्ठन् उपस्थिताः वा
= साक्षात्कार (इंटरव्यू) के आवेदक कार्यालय में उपस्थित हुए।
प्रातः उत्थाय स्नात्वाऽहम् ईश्वरम् उपासिषि उपासिता वा
= सुबह उठकर नहा-धोकर मैंने ईश्वरोपासना की।
चायपायी चायम् उपास्त उपासितो वा घस्मरश्च घृतमोदकम्
= चाय के व्यसनी ने चाय की उपासना की और खाऊराम ने घी के लड्डुओं की।
गृहाद् बहिः कृतौ पितरौ वृद्धाश्रमम् अन्ववात्ताम् अनूषितौ वा
= घर से निकाले गए मां-बाप वृद्धाश्रम में रहे।
#vakyabhyas
April 30, 2022
@samskrt_samvadah प्रारंभ करता है, संस्कृताश्रमः - संस्कृतशिक्षण की लघु कक्षाऐं
🎾 परीक्षण
⏳20 मिनट
🕚 09:00 PM 🇮🇳
🔰उच्चारणम्
🗓30th अप्रैल 2022, शनिवासरः
🔴 कक्षाओं की प्रति हमारे युट्युब चैनल पर डाली जायेगी
कृपया अलार्म लगा लें और विलंब से न आयें।
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https://t.me/samskrt_samvadah?voicechat
🎾 परीक्षण
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🕚 09:00 PM 🇮🇳
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🗓30th अप्रैल 2022, शनिवासरः
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April 30, 2022
April 30, 2022
@samskrt_samvadah संलापशाला - A Samskrit Voicechat room.
यदीच्छसि वशीकर्तुं, भाषणमेककर्मणा।
यायास्संलापशालां वै, भवति यत्र भाषणम्।।
⏳45 निमेषाः
🕚 IST 11:00 AM
🔰भ्रमणम्
🗓01st May 2022, रविवासरः
🔴Voicechat would be recorded and shared on this channel.
📑यदि शक्येत चेत् संस्कृतेन (कस्यचित् प्रसिद्धस्थानस्य मन्दिरस्य आश्रमस्य वा विवरणं संस्कृतेन कर्तव्यं यत्र भवन्तः गतवन्तः) चर्चार्थं कृपया पूर्वसिद्धतां कृत्वा आगच्छन्तु।
वयं युष्माकं प्रतीक्षां कुर्मः। 😇
स्मारणतंत्रिकां स्थापयतु ⏰
👇🏼👇🏼👇🏼👇🏼👇🏼
https://t.me/samskrt_samvadah?voicechat
यदीच्छसि वशीकर्तुं, भाषणमेककर्मणा।
यायास्संलापशालां वै, भवति यत्र भाषणम्।।
⏳45 निमेषाः
🕚 IST 11:00 AM
🔰भ्रमणम्
🗓01st May 2022, रविवासरः
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📑यदि शक्येत चेत् संस्कृतेन (कस्यचित् प्रसिद्धस्थानस्य मन्दिरस्य आश्रमस्य वा विवरणं संस्कृतेन कर्तव्यं यत्र भवन्तः गतवन्तः) चर्चार्थं कृपया पूर्वसिद्धतां कृत्वा आगच्छन्तु।
वयं युष्माकं प्रतीक्षां कुर्मः। 😇
स्मारणतंत्रिकां स्थापयतु ⏰
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April 30, 2022
April 30, 2022
🍃
♦️mayyeva mana aadhatsva mayi buddhiM niveshaya|
nivasiShyasi mayyeva ata uurdhvaM na saMshayaH
⚜Therefore, focus your mind on Me alone and let your intellect dwell upon Me through meditation and contemplation. Thereafter you shall certainly come to Me. (12.08)
⚜तुम अपने मन और बुद्धि को मुझमें ही स्थिर करो तदुपरान्त तुम मुझमें ही निवास करोगे? इसमें कोई संशय नहीं है।।12.8।।
#geeta
मय्येव मन आधत्स्व मयि बुद्धिं निवेशय।
निवसिष्यसि मय्येव अत ऊर्ध्वं न संशयः
।।12.8।।♦️mayyeva mana aadhatsva mayi buddhiM niveshaya|
nivasiShyasi mayyeva ata uurdhvaM na saMshayaH
⚜Therefore, focus your mind on Me alone and let your intellect dwell upon Me through meditation and contemplation. Thereafter you shall certainly come to Me. (12.08)
⚜तुम अपने मन और बुद्धि को मुझमें ही स्थिर करो तदुपरान्त तुम मुझमें ही निवास करोगे? इसमें कोई संशय नहीं है।।12.8।।
#geeta
April 30, 2022
April 30, 2022
April 30, 2022
April 30, 2022
🍃
♦️atha chittaM samaadhaatuM na shaknoShi mayi sthiram|
abhyaasayogena tato maamichChaaptuM dhana~njaya
⚜If you are unable to meditate (or focus your mind) steadily on Me, then seek to reach Me, O Arjuna, by practice of (any other) spiritual discipline (or Sadhana of your choice). (12.09)
⚜हे धनंजय यदि तुम अपने मन को मुझमें स्थिर करने में समर्थ नहीं हो तो अभ्यासयोग के द्वारा तुम मुझे प्राप्त करने की इच्छा (अर्थात् प्रयत्न) करो।।12.9।।
#geeta
अथ चित्तं समाधातुं न शक्नोषि मयि स्थिरम्।
अभ्यासयोगेन ततो मामिच्छाप्तुं धनञ्जय
।।12.9।।♦️atha chittaM samaadhaatuM na shaknoShi mayi sthiram|
abhyaasayogena tato maamichChaaptuM dhana~njaya
⚜If you are unable to meditate (or focus your mind) steadily on Me, then seek to reach Me, O Arjuna, by practice of (any other) spiritual discipline (or Sadhana of your choice). (12.09)
⚜हे धनंजय यदि तुम अपने मन को मुझमें स्थिर करने में समर्थ नहीं हो तो अभ्यासयोग के द्वारा तुम मुझे प्राप्त करने की इच्छा (अर्थात् प्रयत्न) करो।।12.9।।
#geeta
April 30, 2022
🚩जय सत्य सनातन🚩
🚩आज की हिंदी तिथि
🌥️ 🚩युगाब्द-५१२४
🌥️ 🚩विक्रम संवत-२०७९
⛅ 🚩तिथि - प्रतिपदा रात्रि 03:25 तक तत्पश्चात द्वितीया
⛅दिनांक 01 मई 2022
⛅दिन - रविवार
⛅विक्रम संवत - 2079
⛅शक संवत - 1944
⛅अयन - उत्तरायण
⛅ऋतु - ग्रीष्म
⛅मास - वैशाख
⛅पक्ष - शुक्ल
⛅नक्षत्र - भरणी रात्रि 10:11 तक तत्पश्चात कृतिका
⛅योग - आयुष्मान अपरान्ह 03:19 तक तत्पश्चात सौभाग्य
⛅राहुकाल - शाम 05:29 से दोपहर 07:07 तक
⛅सूर्योदय - 06:07
⛅सूर्यास्त - 07:07
⛅दिशाशूल - पश्चिम में
⛅ब्रह्म मुहूर्त- प्रातः 04:39 से 05:23 तक
🚩आज की हिंदी तिथि
🌥️ 🚩युगाब्द-५१२४
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⛅सूर्योदय - 06:07
⛅सूर्यास्त - 07:07
⛅दिशाशूल - पश्चिम में
⛅ब्रह्म मुहूर्त- प्रातः 04:39 से 05:23 तक
April 30, 2022
Forwarded from रामदूतः — The Sanskrit News Platform (Bhavani Raman)
Switch to DD News daily at 7:15 AM (Morning) for 15 minutes Sanskrit news.
https://youtu.be/ES3wI7zyyWs
https://youtu.be/ES3wI7zyyWs
YouTube
वार्ता: संस्कृत भाषा में प्रमुख समाचार
April 30, 2022
@samskrt_samvadah संलापशाला - A Samskrit Voicechat room.
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🗓01st May 2022, रविवासरः
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April 30, 2022
April 30, 2022
Namaste ,
Vidyasvam has launched the 7th batch of Samskrita Karyashala May 2022 starting 14th May 2022.
The workshop will be conducted over the weekends - Saturdays and Sundays 7 PM to 9 PM ( IST ) for 6 months.
Brochure Video : https://youtu.be/62OpYQ3-yac
If you are interested in joining the workshop please register https://www.vidyasvam.in/
Vidyasvam has launched the 7th batch of Samskrita Karyashala May 2022 starting 14th May 2022.
The workshop will be conducted over the weekends - Saturdays and Sundays 7 PM to 9 PM ( IST ) for 6 months.
Brochure Video : https://youtu.be/62OpYQ3-yac
If you are interested in joining the workshop please register https://www.vidyasvam.in/
April 30, 2022
संस्कृत संवादः । Sanskrit Samvadah pinned «Namaste
, Vidyasvam has launched the 7th batch of Samskrita Karyashala May
2022 starting 14th May 2022. The workshop will be conducted over the
weekends - Saturdays and Sundays 7 PM to 9 PM ( IST ) for 6 months.
Brochure Video : https://youtu.be/62OpYQ3…»
April 30, 2022
🔰चित्रं दृष्ट्वा पञ्चवाक्यानि रचयत।
✍🏼सर्वे टिप्पणीसञ्चिकायां स्वोत्तराणि लेखितुं शक्नुवन्ति अथवा पुस्तिकायां लिखित्वा तस्य चित्रं स्वीकृत्य अपि प्रेषयितुं शक्नुवन्ति।
🗣सहैव तानि वाक्यानि उक्त्वा ध्वनिमाध्यमेन अपि प्रेषयत।
🔰 चित्र देखकर पांच वाक्य बनायें।
✍🏼आप कमेंट बॉक्स में टङ्कण कर सकते हैं या कॉपी पर लिखकर फोटो भी भेज सकते हैं।
🗣 साथ हि वें वाक्य बोलकर भी वाइस नोट भेजें।
🔰Make 5 sentences, Observing the attached image.
✍🏼You can type in the comment box or you can also send a photo by writing on the notebook.
🗣 Also, Send voice message by uttering those sentences.
#chitram
✍🏼सर्वे टिप्पणीसञ्चिकायां स्वोत्तराणि लेखितुं शक्नुवन्ति अथवा पुस्तिकायां लिखित्वा तस्य चित्रं स्वीकृत्य अपि प्रेषयितुं शक्नुवन्ति।
🗣सहैव तानि वाक्यानि उक्त्वा ध्वनिमाध्यमेन अपि प्रेषयत।
🔰 चित्र देखकर पांच वाक्य बनायें।
✍🏼आप कमेंट बॉक्स में टङ्कण कर सकते हैं या कॉपी पर लिखकर फोटो भी भेज सकते हैं।
🗣 साथ हि वें वाक्य बोलकर भी वाइस नोट भेजें।
🔰Make 5 sentences, Observing the attached image.
✍🏼You can type in the comment box or you can also send a photo by writing on the notebook.
🗣 Also, Send voice message by uttering those sentences.
#chitram
April 30, 2022
April 30, 2022
Samskrit Speaking Skill Development Program
Level 2 : Online Classes for Speaking Skill Development
https://www.adhyapanam.in/level-2
Evening Classes for 4 weeks/ Classes from 02.05.2022 to 27.05.2022 / 20 days (Monday to Friday)
Class time: 7:00- 8:00 PM
Total 29 lessons / 43 Videos/ 16 hours of viewing time
Clearing the doubts through WhatsApp chat
Classes will be conducted in Samskrit
Online examination through
Assignment – 50 marks
Conversation test – 50 marks
Learning Material:
Abhyasa-sarini / Practice Book (Conversation) Videos
Online classes for 4 weeks (20 days)
Medium of Instruction will be Samskritam
Fees: Rs 1500/- (Rupees One Thousand Five Hundred Only) Note: Fees paid for one session is not transferable or refundable.
90% attendance and submission of assignments is mandatory for course completion.
To Enrol click here
#SanskritEducation
Level 2 : Online Classes for Speaking Skill Development
https://www.adhyapanam.in/level-2
Evening Classes for 4 weeks/ Classes from 02.05.2022 to 27.05.2022 / 20 days (Monday to Friday)
Class time: 7:00- 8:00 PM
Total 29 lessons / 43 Videos/ 16 hours of viewing time
Clearing the doubts through WhatsApp chat
Classes will be conducted in Samskrit
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Assignment – 50 marks
Conversation test – 50 marks
Learning Material:
Abhyasa-sarini / Practice Book (Conversation) Videos
Online classes for 4 weeks (20 days)
Medium of Instruction will be Samskritam
Fees: Rs 1500/- (Rupees One Thousand Five Hundred Only) Note: Fees paid for one session is not transferable or refundable.
90% attendance and submission of assignments is mandatory for course completion.
To Enrol click here
#SanskritEducation
www.adhyapanam.in/level-2
Samskrit Conversation and Communication Skill | Samskrita Sambhashanam | Adhyapanam
This is a custom-built course for Samskrit Teachers to improve the Samskrit Conversation and Communication Skill.
April 30, 2022
🍃
⚜"क्लेश बिना द्रव्य नहीं, द्रव्य बिना क्रिया नहीं, क्रिया बिना धर्म संभव नहीं; और धर्म के बिना सुख कैसे हो ? (अर्थात क्लेशरहित तो धर्म और सुख भी नहीं मिल सकते)"
🔅परिश्रमेण विना धनं मिलति, धनेन विना कापि क्रिया सम्भवा नास्ति, क्रियया विना धर्मः नास्ति तथा च यदि धर्मः एव नास्ति चेत् सुखमपि न प्राप्यते।
(तस्मात् परिश्रमेण विना किमपि न सिध्यति)
#Subhashitam
"न क्लेशेन विना द्रव्यं विना द्रव्येण न क्रिया।
क्रियाहीने न धर्मः स्यात् धर्महीने कुतः सुखम्
॥"⚜"क्लेश बिना द्रव्य नहीं, द्रव्य बिना क्रिया नहीं, क्रिया बिना धर्म संभव नहीं; और धर्म के बिना सुख कैसे हो ? (अर्थात क्लेशरहित तो धर्म और सुख भी नहीं मिल सकते)"
🔅परिश्रमेण विना धनं मिलति, धनेन विना कापि क्रिया सम्भवा नास्ति, क्रियया विना धर्मः नास्ति तथा च यदि धर्मः एव नास्ति चेत् सुखमपि न प्राप्यते।
(तस्मात् परिश्रमेण विना किमपि न सिध्यति)
#Subhashitam
April 30, 2022
April 30, 2022
April 30, 2022
May 1, 2022
May 1, 2022
संस्कृत संवादः । Sanskrit Samvadah
संस्कृतं
वद आधुनिको भव। वेदान् पठ वैज्ञानिको भव।। पाठ: (35) कृदन्त (2) निष्ठा
प्रत्यय (क्त प्रत्यय कर्त्तृवाच्य- अकर्मक धातुएं तथा श्लिष्, शीङ्,
स्था, आस्, वस्, जन्, रुह्, ज§, इन धातुओं से क्त प्रत्यय कर्त्तृवाच्य में
भी होता है।) क्त प्रत्यय कर्त्तृवाच्य…
कोटिपतिः सर्ववेदसमिष्ट्वा आश्रमम् अन्ववात्सीत् अनूषितो वा
= करोड़पति सकल धन दान करके आश्रम में रहा।
दौर्भाग्यात् धनार्जनाय विदेशम् अन्ववसत् अनूषितो वा
= दुर्भाग्य के कारण धन कमाने के लिए विदेश में रहा।
वत्सः वत्साम् अन्वजायत अनुजातो वा
= बछड़ी के बाद बछड़ा पैदा हुआ।
यतः वत्सां वत्सा अन्वजनिष्ट अनुजाता वा तस्मात् पत्या पत्नी ताडिता
= क्योंकि कन्या के बाद पुनः कन्या पैदा हुई इसलिए पति ने पत्नी को पीट दिया।
वल्लरी वृक्षम् आरोहत् आरूढा वा
= बेल पेड़ पर चढ़ गई।
पतंगोत्पतनाय बालः छदिरारुक्षत् आरूढो वा
= पतंग उड़ाने के लिए बच्चा छत पर चढ़ा
जनाः उत्कोचग्राहिणम् अन्वजीर्यत् अनुजीर्णाः वा
= लोगों ने घूसखोर को पीट-पीट कर अधमरा कर दिया।
ग्रामिणाः व्यभिचारिणम् अन्वजारित् अन्वजीर्णाः वा
= ग्रामवासियों ने व्यभिचारी की खूइ पिटाई की।
कस्यात्यन्तं सुखमुपनतं दुःखमेकान्ततो वा।
नीचैर्गच्छत्युपरि च दशा चक्रनेमिक्रमेण।।
= सुख ही सुख अथवा दुःख ही दुःख सदा किसे रहता है ? मनुष्य की अवस्था पहिए के अरों की भांति नीचे और ऊपर आती-जाती रहती है।
असन्तुष्टा द्विजा नष्टाः सन्तुष्टाश्च महीभृतः।
सलज्जा गणिका नष्टा निर्लज्जाश्च कुलाङ्नाः।।
= असन्तोषी ब्राह्मण, सन्तोषी राजा, लज्जा करनेवाली वेश्याएं और लज्जाहीन कुलीन स्त्रियां ये सब नष्ट हो जाते हैं।
अकृष्टफलमूलेन वनवासरतः सदा।
कुरुतेऽहरहः श्राद्धमृषिर्विप्रः स उच्यते।।
= जो बिना जोती हुई भूमि से उत्पन्न फल-मूल खाता है, जो सदा वनवास में ही अनुराग रखता है और प्रतिदिन श्राद्ध (सत्य को धारण करना) करता है, ऐसा ब्राह्मण ऋषि कहाता है।
हस्तौ दानविवर्जितौ श्रुतिपुटौ सारस्वतद्रोहिणौ,
नेत्रे साधुविलोकनेन रहिते पादौ न तीर्थं गतौ।
अन्यायाऽर्जितवित्तपूर्णमुदरं गर्वेण तुंगं शिरौ,
रे रे जम्बुक मु´्च मु´्च सहसा नीचं सुनिन्द्यं वपुः।।
= जिसने हाथों से दान नहीं दिया, कान जिसके विद्याद्वेषी हैं, नेत्र जिसके सज्जन-साधुओं के दर्शन रहित हैं, जिसके पैरों ने तीर्थयात्रा नहीं की, उदर अन्यायोपार्जित धन से भरा हुआ है, अभिमान के कारण जिसका सिर ऊंचा उठा हुआ है, ऐसे सियाररूपी हे दुष्ट मनुष्य ! तू ऐसे नीच और निन्दनीय शरीर को जितना शीघ्र हो सके छोड़ दे। अर्थात् गुणरहित जीवन से तो मृत्यु ही भली।
द्राक्षा म्लानमुखी जाता शर्करा चाश्मतां गता।
सुभाषितसस्याग्रे सुधा भीता दिवं गता।।
= सुभाषित रस के आगे अंगूरों का मुख मुर्झा गया, मिश्री पत्थर सी हो गई और अमृत भयभीत होकर स्वर्ग में चला गया।।
यदि सत्सङ्निरतो भविष्यसि भविष्यसि।
अथ दुर्जनसंसर्गे पतिष्यति पतिष्यति।।
= यदि सत्संगी बनोगे तो निश्चय ही उन्नत हो जाओगे और यदि कुसंग में पड़ गए तो निश्चय ही पतित हो जाओगे।
प्राप्ता जरा यौवनमप्यतीतं बुधा यतध्वं परमार्थ सिद्धये।
आयुर्गतप्रायमिदं यतोऽसौ विश्रम्य विश्रम्य न याति कालः।।
= बुढापा आ गया है, यौवन बीत गया है। हे बुद्धिमान लोगों ! आध्यात्मिक उन्नति के लिए शीघ्र प्रयत्न करो। यह आयु लगभग समसप्त होने वाली है। स्मरण रखना यह काल विश्राम करता हुआ नहीं चलता।
अतृणे पतितो वह्निः स्वयमेवोपशाम्यति।
अक्षमावान् परं दोषैरात्मानं चैव योजयेत्।।
= बिना घासवाली भूमि पर गिरी हुई अग्नि स्वयं ही शान्त हो जाती है, जबकि क्षमारहित मनुष्य दूसरे तथा अपने आपको भी अनेकों दोषों से युक्त कर देता है।
#vakyabhyas
= करोड़पति सकल धन दान करके आश्रम में रहा।
दौर्भाग्यात् धनार्जनाय विदेशम् अन्ववसत् अनूषितो वा
= दुर्भाग्य के कारण धन कमाने के लिए विदेश में रहा।
वत्सः वत्साम् अन्वजायत अनुजातो वा
= बछड़ी के बाद बछड़ा पैदा हुआ।
यतः वत्सां वत्सा अन्वजनिष्ट अनुजाता वा तस्मात् पत्या पत्नी ताडिता
= क्योंकि कन्या के बाद पुनः कन्या पैदा हुई इसलिए पति ने पत्नी को पीट दिया।
वल्लरी वृक्षम् आरोहत् आरूढा वा
= बेल पेड़ पर चढ़ गई।
पतंगोत्पतनाय बालः छदिरारुक्षत् आरूढो वा
= पतंग उड़ाने के लिए बच्चा छत पर चढ़ा
जनाः उत्कोचग्राहिणम् अन्वजीर्यत् अनुजीर्णाः वा
= लोगों ने घूसखोर को पीट-पीट कर अधमरा कर दिया।
ग्रामिणाः व्यभिचारिणम् अन्वजारित् अन्वजीर्णाः वा
= ग्रामवासियों ने व्यभिचारी की खूइ पिटाई की।
कस्यात्यन्तं सुखमुपनतं दुःखमेकान्ततो वा।
नीचैर्गच्छत्युपरि च दशा चक्रनेमिक्रमेण।।
= सुख ही सुख अथवा दुःख ही दुःख सदा किसे रहता है ? मनुष्य की अवस्था पहिए के अरों की भांति नीचे और ऊपर आती-जाती रहती है।
असन्तुष्टा द्विजा नष्टाः सन्तुष्टाश्च महीभृतः।
सलज्जा गणिका नष्टा निर्लज्जाश्च कुलाङ्नाः।।
= असन्तोषी ब्राह्मण, सन्तोषी राजा, लज्जा करनेवाली वेश्याएं और लज्जाहीन कुलीन स्त्रियां ये सब नष्ट हो जाते हैं।
अकृष्टफलमूलेन वनवासरतः सदा।
कुरुतेऽहरहः श्राद्धमृषिर्विप्रः स उच्यते।।
= जो बिना जोती हुई भूमि से उत्पन्न फल-मूल खाता है, जो सदा वनवास में ही अनुराग रखता है और प्रतिदिन श्राद्ध (सत्य को धारण करना) करता है, ऐसा ब्राह्मण ऋषि कहाता है।
हस्तौ दानविवर्जितौ श्रुतिपुटौ सारस्वतद्रोहिणौ,
नेत्रे साधुविलोकनेन रहिते पादौ न तीर्थं गतौ।
अन्यायाऽर्जितवित्तपूर्णमुदरं गर्वेण तुंगं शिरौ,
रे रे जम्बुक मु´्च मु´्च सहसा नीचं सुनिन्द्यं वपुः।।
= जिसने हाथों से दान नहीं दिया, कान जिसके विद्याद्वेषी हैं, नेत्र जिसके सज्जन-साधुओं के दर्शन रहित हैं, जिसके पैरों ने तीर्थयात्रा नहीं की, उदर अन्यायोपार्जित धन से भरा हुआ है, अभिमान के कारण जिसका सिर ऊंचा उठा हुआ है, ऐसे सियाररूपी हे दुष्ट मनुष्य ! तू ऐसे नीच और निन्दनीय शरीर को जितना शीघ्र हो सके छोड़ दे। अर्थात् गुणरहित जीवन से तो मृत्यु ही भली।
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सुभाषितसस्याग्रे सुधा भीता दिवं गता।।
= सुभाषित रस के आगे अंगूरों का मुख मुर्झा गया, मिश्री पत्थर सी हो गई और अमृत भयभीत होकर स्वर्ग में चला गया।।
यदि सत्सङ्निरतो भविष्यसि भविष्यसि।
अथ दुर्जनसंसर्गे पतिष्यति पतिष्यति।।
= यदि सत्संगी बनोगे तो निश्चय ही उन्नत हो जाओगे और यदि कुसंग में पड़ गए तो निश्चय ही पतित हो जाओगे।
प्राप्ता जरा यौवनमप्यतीतं बुधा यतध्वं परमार्थ सिद्धये।
आयुर्गतप्रायमिदं यतोऽसौ विश्रम्य विश्रम्य न याति कालः।।
= बुढापा आ गया है, यौवन बीत गया है। हे बुद्धिमान लोगों ! आध्यात्मिक उन्नति के लिए शीघ्र प्रयत्न करो। यह आयु लगभग समसप्त होने वाली है। स्मरण रखना यह काल विश्राम करता हुआ नहीं चलता।
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May 1, 2022
@samskrt_samvadah संलापशाला - A Samskrit Voicechat room.
यदीच्छसि वशीकर्तुं, भाषणमेककर्मणा।
यायास्संलापशालां वै, भवति यत्र भाषणम्।।
⏳45 निमेषाः
🕚 IST 11:00 AM
🔰सार्थकं जीवनम्
🗓02nd May 2022, सोमवासरः
🔴Voicechat would be recorded and shared on this channel.
📑यदि शक्येत चेत् संस्कृतेन (अस्माकं लौकिकजीवनस्य सार्थकता कस्मिन् कर्मणि अस्ति) चर्चार्थं कृपया पूर्वसिद्धतां कृत्वा आगच्छन्तु।
विशेषः - जैनमुनेः सम्बोधनम्।
पूज्यः मुनिश्री अमोघकीर्ति जी
वयं युष्माकं प्रतीक्षां कुर्मः। 😇
स्मारणतंत्रिकां स्थापयतु ⏰
👇🏼👇🏼👇🏼👇🏼👇🏼
https://t.me/samskrt_samvadah?voicechat
यदीच्छसि वशीकर्तुं, भाषणमेककर्मणा।
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May 1, 2022
*🔹प्रतिदिन संस्कृत लाइव कक्षा 🔹*
https://youtu.be/ve9Ust8NwDg
👉 सभी विद्यार्थियों को प्रतिदिन शाम 6 बजे होने वाली यह संस्कृत की निःशुल्क क्लास लाइव ही लेनी है, अन्यथा क्लास होते ही यह क्लास हटा ली जाती है ।
👉 प्रतिदिन शाम को 6 बजे यह कक्षा ली सकती है।
♦️No Live - No Class♦️
*👇चैनल लिंक👇*
https://youtube.com/c/MantramClasses
🙏धन्यवाद🙏
https://youtu.be/ve9Ust8NwDg
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YouTube
🔴Live_Class_31 सन्धिप्रकरण_भाग_18। अनुस्वार परसवर्ण सन्धि ।Reet Sanskrit। संस्कृत। डॉ मनोज वशिष्ठ ।
#net #manojvashisath #sanskritmantram #mantramclasses #reetfreeclass #reetsanskrit
नमस्कार सभी विद्यार्थियों को, आपके इस चैनल पर मैं डॉ. मनोज वशिष्ठ लेकर आया हूँ एकदम निःशुल्क संस्कृत भाषा की कक्षाएँ जो आपके #reet #reet परीक्षा के सपने को सच करने में साथ…
नमस्कार सभी विद्यार्थियों को, आपके इस चैनल पर मैं डॉ. मनोज वशिष्ठ लेकर आया हूँ एकदम निःशुल्क संस्कृत भाषा की कक्षाएँ जो आपके #reet #reet परीक्षा के सपने को सच करने में साथ…
May 1, 2022
May 1, 2022
🍃
♦️abhyaase'pyasamartho'si matkarmaparamo bhava|
madarthamapi karmaaNi kurvan siddhimavaapsyasi
⚜If you are unable even to do any Sadhana, then be intent on performing your duty for Me. You shall attain perfection just by working for Me (as an instrument, just to serve and please Me, without selfish motives). (See also 9.27, 18.46) (12.10)
⚜यदि तुम अभ्यास में भी असमर्थ हो तो मत्कर्म परायण बनो इस प्रकार मेरे लिए कर्मों को करते हुए भी तुम सिद्धि को प्राप्त करोगे।।12.10।।
#geeta
अभ्यासेऽप्यसमर्थोऽसि मत्कर्मपरमो भव।
मदर्थमपि कर्माणि कुर्वन् सिद्धिमवाप्स्यसि
।।12.10।।♦️abhyaase'pyasamartho'si matkarmaparamo bhava|
madarthamapi karmaaNi kurvan siddhimavaapsyasi
⚜If you are unable even to do any Sadhana, then be intent on performing your duty for Me. You shall attain perfection just by working for Me (as an instrument, just to serve and please Me, without selfish motives). (See also 9.27, 18.46) (12.10)
⚜यदि तुम अभ्यास में भी असमर्थ हो तो मत्कर्म परायण बनो इस प्रकार मेरे लिए कर्मों को करते हुए भी तुम सिद्धि को प्राप्त करोगे।।12.10।।
#geeta
May 1, 2022
May 1, 2022
🍃
♦️athaitadapyashakto'si kartuM madyogamaashritaH|
sarvakarmaphalatyaagaM tataH kuru yataatmavaan
⚜If you are unable to work for Me then just surrender unto My will with subdued mind, and renounce (the attachment to, and the anxiety for) the fruits of all work (by learning to accept all results, as God-given, with equanimity). (12.11)
⚜और यदि इसको भी करने के लिए तुम असमर्थ हो तो आत्मसंयम से युक्त होकर मेरी प्राप्ति रूप योग का आश्रय लेकर तुम समस्त कर्मों के फल का त्याग करो।।12.11।।
#geeta
अथैतदप्यशक्तोऽसि कर्तुं मद्योगमाश्रितः।
सर्वकर्मफलत्यागं ततः कुरु यतात्मवान्
।।12.11।।♦️athaitadapyashakto'si kartuM madyogamaashritaH|
sarvakarmaphalatyaagaM tataH kuru yataatmavaan
⚜If you are unable to work for Me then just surrender unto My will with subdued mind, and renounce (the attachment to, and the anxiety for) the fruits of all work (by learning to accept all results, as God-given, with equanimity). (12.11)
⚜और यदि इसको भी करने के लिए तुम असमर्थ हो तो आत्मसंयम से युक्त होकर मेरी प्राप्ति रूप योग का आश्रय लेकर तुम समस्त कर्मों के फल का त्याग करो।।12.11।।
#geeta
May 1, 2022
🚩जय सत्य सनातन🚩
🚩आज की हिंदी तिथि
🌥 🚩यगाब्द-५१२४
🌥 🚩विक्रम संवत-२०७९
⛅️ 🚩तिथि - द्वितीया प्रातः 05:18 (03 मई) तक तत्पश्चात तृतीया
⛅️दिनांक 02 मई 2022
⛅️दिन - सोमवार
⛅️विक्रम संवत - 2079
⛅️शक संवत - 1944
⛅️अयन - उत्तरायण
⛅️ऋतु - ग्रीष्म
⛅️मास - वैशाख
⛅️पक्ष - शुक्ल
⛅️नक्षत्र - कृतिका रात्रि 12:34 तक तत्पश्चात रोहिणी
⛅️योग - सौभाग्य अपरान्ह 03:38 तक तत्पश्चात शोभन
⛅️राहुकाल - सुबह 07:44 से सुबह 09:21 तक
⛅️सर्योदय - 06:06
⛅️सर्यास्त - 07:07
⛅️दिशाशूल - पूर्व दिशा में
⛅️बरह्म मुहूर्त- प्रातः 04:38 से 05:22 तक
🚩आज की हिंदी तिथि
🌥 🚩यगाब्द-५१२४
🌥 🚩विक्रम संवत-२०७९
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⛅️दिनांक 02 मई 2022
⛅️दिन - सोमवार
⛅️विक्रम संवत - 2079
⛅️शक संवत - 1944
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⛅️राहुकाल - सुबह 07:44 से सुबह 09:21 तक
⛅️सर्योदय - 06:06
⛅️सर्यास्त - 07:07
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May 1, 2022
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May 1, 2022
Forwarded from रामदूतः — The Sanskrit News Platform (Bhavani Raman)
Switch to DD News daily at 7:15 AM (Morning) for 15 minutes Sanskrit news.
https://youtu.be/YtZJQoUizxM
https://youtu.be/YtZJQoUizxM
YouTube
वार्ताः | Vaartah | Sanskrit News Bulletin | 02.05.2022
DD News 24x7 |
Breaking News and other Live updates | | News in Hindi | Latest News DD
News is India’s 24x7 news channel from the stable of the country’s
Pu...
May 1, 2022
May 1, 2022
🔰चित्रं दृष्ट्वा पञ्चवाक्यानि रचयत।
✍🏼सर्वे टिप्पणीसञ्चिकायां स्वोत्तराणि लेखितुं शक्नुवन्ति अथवा पुस्तिकायां लिखित्वा तस्य चित्रं स्वीकृत्य अपि प्रेषयितुं शक्नुवन्ति।
🗣सहैव तानि वाक्यानि उक्त्वा ध्वनिमाध्यमेन अपि प्रेषयत।
🔰 चित्र देखकर पांच वाक्य बनायें।
✍🏼आप कमेंट बॉक्स में टङ्कण कर सकते हैं या कॉपी पर लिखकर फोटो भी भेज सकते हैं।
🗣 साथ हि वें वाक्य बोलकर भी वाइस नोट भेजें।
🔰Make 5 sentences, Observing the attached image.
✍🏼You can type in the comment box or you can also send a photo by writing on the notebook.
🗣 Also, Send voice message by uttering those sentences.
#chitram
✍🏼सर्वे टिप्पणीसञ्चिकायां स्वोत्तराणि लेखितुं शक्नुवन्ति अथवा पुस्तिकायां लिखित्वा तस्य चित्रं स्वीकृत्य अपि प्रेषयितुं शक्नुवन्ति।
🗣सहैव तानि वाक्यानि उक्त्वा ध्वनिमाध्यमेन अपि प्रेषयत।
🔰 चित्र देखकर पांच वाक्य बनायें।
✍🏼आप कमेंट बॉक्स में टङ्कण कर सकते हैं या कॉपी पर लिखकर फोटो भी भेज सकते हैं।
🗣 साथ हि वें वाक्य बोलकर भी वाइस नोट भेजें।
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May 1, 2022
May 1, 2022
May 1, 2022
May 1, 2022
🍃
⚜"धारणा शक्ति, क्षमा, दम, अस्तेय (चोरी न करना), शौच, इन्द्रियनिग्रह, बुद्धि, विद्या, सत्य, अक्रोध – ये दस धर्म के लक्षण हैं ।"
🔅धारणाशक्तिः, क्षमा, दमः, अस्तेयम्(चौर्यं न करणम् ) , शौचः (शुद्धता) , इन्द्रियनिग्रहः (इन्द्रियाणाम् उपरि नियंत्रणम्), बुद्धिः, ,विद्या, सत्यम् , अक्रोधः - एतानि धर्मस्य दशलक्षणानि।
#Subhashitam
"धृतिः क्षमा दमोऽस्तेयं शौच मिन्द्रियनिग्रहः ।
धी र्विद्या सत्यमक्रोधो दशकं धर्म लक्षणम्
॥"⚜"धारणा शक्ति, क्षमा, दम, अस्तेय (चोरी न करना), शौच, इन्द्रियनिग्रह, बुद्धि, विद्या, सत्य, अक्रोध – ये दस धर्म के लक्षण हैं ।"
🔅धारणाशक्तिः, क्षमा, दमः, अस्तेयम्(चौर्यं न करणम् ) , शौचः (शुद्धता) , इन्द्रियनिग्रहः (इन्द्रियाणाम् उपरि नियंत्रणम्), बुद्धिः, ,विद्या, सत्यम् , अक्रोधः - एतानि धर्मस्य दशलक्षणानि।
#Subhashitam
May 1, 2022
________ _______ जलं पिबन्ति।
Anonymous Quiz
48%
चत्वारः, पक्षिणः
19%
चतस्रः, पक्षिणः
8%
चत्वारि, पक्षाः
25%
चत्वारि, पक्षिणः
May 2, 2022
May 2, 2022
संस्कृत संवादः । Sanskrit Samvadah
कोटिपतिः
सर्ववेदसमिष्ट्वा आश्रमम् अन्ववात्सीत् अनूषितो वा = करोड़पति सकल धन
दान करके आश्रम में रहा। दौर्भाग्यात् धनार्जनाय विदेशम् अन्ववसत् अनूषितो
वा = दुर्भाग्य के कारण धन कमाने के लिए विदेश में रहा। वत्सः वत्साम्
अन्वजायत अनुजातो वा = बछड़ी के…
नोदकक्लिन्नगात्रस्तु स्नात इत्यभिधीयते।
स स्नातो यो दमस्नातः स बाह्याभ्यन्तरः शुचि।।
= जल से भीगे हुए शरीरवाला नहाया हुआ नहीं कहाता, अपितु नहाया हुआ वह है, जो दम (मन के नियन्त्रण) रूपी जल में नहाया हुआ है। वस्तुतः वही बाहर और भीतर से शुद्ध है।
यः सर्वत्राऽनभिस्नेहस्तत्तत्प्राप्य शुभाऽशुभम्।
नाऽभिनन्दति न द्वेष्टि तस्य प्रज्ञा प्रतिष्ठिता।।
= जिसका कहीं भी किसी से भी किसी भी प्रकार का लगाव नहीं है और जो शुभ को प्राप्त कर प्रसन्न नहीं होता तथा अशुभ को पाकर उससे द्वेष नहीं करता उसकी बुद्धि स्थिर है।
यदा संहरते चाऽयं कूर्मोऽङ्गानीव सर्वशः।
इन्द्रियाणीन्द्रियार्थेभ्यस्तस्य प्रज्ञा प्रतिष्ठिता।।
= जैसे (संकट आने पर) कछुआ अपने अंगों को समेट लेता है, वैसे ही जो मनुष्य अपनी इन्द्रियों को विषयों से भली भांति समेट लेता है उसी की बुद्धि स्थिर है।
न पण्डितः क्रुध्यति नाभिपद्यते न चापि संसीदति न प्रहृष्यति।
न चार्थकृच्छ्रव्यसनेषु शोचते स्थितः प्रकृत्या हिमवानिवाऽचलः।।
= पण्डित मनुष्य न क्रोध करता है और न अभिमान ही करता है, न अति दुःखी होता है और न अति प्रसन्न होता है। आर्थिक कठिनाइयों और आपत्तियों में शोक नहीं करता तथा स्वभाव से ही हिमालय के समान अचल और शान्त होता है।
निवृत्ता भागेच्छा पुरुषबहुमानो विगलितः, समानाः स्वर्याताः सपदि सुहृदो जीवितसमाः।
शनैर्यष्ट्युत्थानं घनतिमिररुद्धे च नयने, अहो दुष्टः कायस्तदपि मरणापायचकितः।।
= भोगों की इच्छा दूर हो गई है, पुरुषों में जो मान-सम्मान था वह भी कम हो गया है और अपने प्राणों के समान प्रिय समवयस्क मित्रजन भी शीघ्र ही क्रमशः स्वर्गवासी हो गए हैं। अब धीरे-धीरे लकड़ी के सहारे उठा जाता है और नेत्र गहरे अंधेरे से बन्द हो गए हैं, अहो ! यह दुष्ट शरीर (जीवन) तब भी मत्यु और संसार के विषय में चकित है।
भोगा न भुक्ता वयमेव भुक्तास्तपो न तप्तं वयमेव तप्ताः।
कालो न यातो वयमेव यातास्तृष्णा न जीर्णा वयमेव जीर्णाः।।
= हमारे द्वारा भोग नहीं भोगे गए अपितु हम ही भोगों के द्वारा भोग लिए गए। हमने तप नहीं तपा अपितु हम ही सन्तप्त हो गए। समय नहीं बीता अपितु हम ही बीत गए और तृष्णा बूढ़ी नहीं हुई वरन् हम ही बूढ़े हो गए।
मातापितृसहस्राणि पुत्रदारशतानि च।
तवाऽनन्तानि यातानि कस्तेषां कस्य वा भवान्।।
= हजारों माता-पिता और सैकड़ों पुत्र और पत्नियां इस प्रकार तेरे अनन्त सगे और सम्बन्धी हो चुके। उनका कौन हुआ और किसके तुम हो ?
दिनमपि रजनी सायं प्रातः शिशिरवसन्तौ पुनरायातः।
कालः क्रीडति गच्छत्यायुस्तदपि न मु´्चत्याशावायुः।।
= दिन-रात, सायं-प्रातः, शिशिर-वसन्त आदि बार-बार आए और गए। इस प्रकार काल क्रीडा कर रहा है तथा आयु बीतती जा रही है, तो भी आशा रूपी वायु पिण्ड अर्थात् शरीर नहीं छोड़ रही है। अर्थात् शरीर में आशाएं ज्यों कि त्यों विद्यमान हैं।
यावद्वित्तोपार्जनसक्तस्तावन्निजपरिवारो रक्तः।
पश्चाद् धावति जर्जर देहे वार्तां पृच्छति कोऽपि न गेहे।।
= जब तक मनुष्य धन कमाने में लगा रहता है तब तक उसका परिवार उससे प्रेम करता है। किन्तु जब बुढ़ापे में शरीर जीर्ण हो जाता है, तो घर में उसकी कोई बात भी नहीं पूछता है।
अङ्गं गलितं पलितं मुण्डं, दशनविहीनं जातं तुण्डम्।
वृद्धो याति गृहीत्वा दण्डं तदपि न मु´्चत्याशापिण्डम्।।
= शरीर गल गया है, सिर के बाल पक गए हैं और मुख दांतों से रहित हो गया है, इस अवस्था से युक्त बूढ़ा मनुष्य लकड़ी लेकर चलता है फिर भी जीने की बलवती लालसा उसका पीछा नहीं छोड़ती।
#vakyabhyas
स स्नातो यो दमस्नातः स बाह्याभ्यन्तरः शुचि।।
= जल से भीगे हुए शरीरवाला नहाया हुआ नहीं कहाता, अपितु नहाया हुआ वह है, जो दम (मन के नियन्त्रण) रूपी जल में नहाया हुआ है। वस्तुतः वही बाहर और भीतर से शुद्ध है।
यः सर्वत्राऽनभिस्नेहस्तत्तत्प्राप्य शुभाऽशुभम्।
नाऽभिनन्दति न द्वेष्टि तस्य प्रज्ञा प्रतिष्ठिता।।
= जिसका कहीं भी किसी से भी किसी भी प्रकार का लगाव नहीं है और जो शुभ को प्राप्त कर प्रसन्न नहीं होता तथा अशुभ को पाकर उससे द्वेष नहीं करता उसकी बुद्धि स्थिर है।
यदा संहरते चाऽयं कूर्मोऽङ्गानीव सर्वशः।
इन्द्रियाणीन्द्रियार्थेभ्यस्तस्य प्रज्ञा प्रतिष्ठिता।।
= जैसे (संकट आने पर) कछुआ अपने अंगों को समेट लेता है, वैसे ही जो मनुष्य अपनी इन्द्रियों को विषयों से भली भांति समेट लेता है उसी की बुद्धि स्थिर है।
न पण्डितः क्रुध्यति नाभिपद्यते न चापि संसीदति न प्रहृष्यति।
न चार्थकृच्छ्रव्यसनेषु शोचते स्थितः प्रकृत्या हिमवानिवाऽचलः।।
= पण्डित मनुष्य न क्रोध करता है और न अभिमान ही करता है, न अति दुःखी होता है और न अति प्रसन्न होता है। आर्थिक कठिनाइयों और आपत्तियों में शोक नहीं करता तथा स्वभाव से ही हिमालय के समान अचल और शान्त होता है।
निवृत्ता भागेच्छा पुरुषबहुमानो विगलितः, समानाः स्वर्याताः सपदि सुहृदो जीवितसमाः।
शनैर्यष्ट्युत्थानं घनतिमिररुद्धे च नयने, अहो दुष्टः कायस्तदपि मरणापायचकितः।।
= भोगों की इच्छा दूर हो गई है, पुरुषों में जो मान-सम्मान था वह भी कम हो गया है और अपने प्राणों के समान प्रिय समवयस्क मित्रजन भी शीघ्र ही क्रमशः स्वर्गवासी हो गए हैं। अब धीरे-धीरे लकड़ी के सहारे उठा जाता है और नेत्र गहरे अंधेरे से बन्द हो गए हैं, अहो ! यह दुष्ट शरीर (जीवन) तब भी मत्यु और संसार के विषय में चकित है।
भोगा न भुक्ता वयमेव भुक्तास्तपो न तप्तं वयमेव तप्ताः।
कालो न यातो वयमेव यातास्तृष्णा न जीर्णा वयमेव जीर्णाः।।
= हमारे द्वारा भोग नहीं भोगे गए अपितु हम ही भोगों के द्वारा भोग लिए गए। हमने तप नहीं तपा अपितु हम ही सन्तप्त हो गए। समय नहीं बीता अपितु हम ही बीत गए और तृष्णा बूढ़ी नहीं हुई वरन् हम ही बूढ़े हो गए।
मातापितृसहस्राणि पुत्रदारशतानि च।
तवाऽनन्तानि यातानि कस्तेषां कस्य वा भवान्।।
= हजारों माता-पिता और सैकड़ों पुत्र और पत्नियां इस प्रकार तेरे अनन्त सगे और सम्बन्धी हो चुके। उनका कौन हुआ और किसके तुम हो ?
दिनमपि रजनी सायं प्रातः शिशिरवसन्तौ पुनरायातः।
कालः क्रीडति गच्छत्यायुस्तदपि न मु´्चत्याशावायुः।।
= दिन-रात, सायं-प्रातः, शिशिर-वसन्त आदि बार-बार आए और गए। इस प्रकार काल क्रीडा कर रहा है तथा आयु बीतती जा रही है, तो भी आशा रूपी वायु पिण्ड अर्थात् शरीर नहीं छोड़ रही है। अर्थात् शरीर में आशाएं ज्यों कि त्यों विद्यमान हैं।
यावद्वित्तोपार्जनसक्तस्तावन्निजपरिवारो रक्तः।
पश्चाद् धावति जर्जर देहे वार्तां पृच्छति कोऽपि न गेहे।।
= जब तक मनुष्य धन कमाने में लगा रहता है तब तक उसका परिवार उससे प्रेम करता है। किन्तु जब बुढ़ापे में शरीर जीर्ण हो जाता है, तो घर में उसकी कोई बात भी नहीं पूछता है।
अङ्गं गलितं पलितं मुण्डं, दशनविहीनं जातं तुण्डम्।
वृद्धो याति गृहीत्वा दण्डं तदपि न मु´्चत्याशापिण्डम्।।
= शरीर गल गया है, सिर के बाल पक गए हैं और मुख दांतों से रहित हो गया है, इस अवस्था से युक्त बूढ़ा मनुष्य लकड़ी लेकर चलता है फिर भी जीने की बलवती लालसा उसका पीछा नहीं छोड़ती।
#vakyabhyas
May 2, 2022
Firstday of a threday workshop.
Course director - What programme is going on ?
Resource person - Sir, inaugurator not yet reached. So self introduction by the participants is going on one hour we can manage with it.
#hasya
Course director - What programme is going on ?
Resource person - Sir, inaugurator not yet reached. So self introduction by the participants is going on one hour we can manage with it.
#hasya
May 2, 2022
सूचना ~
अद्य संस्कृताश्रमः कक्षा न भविष्यति।
आज संस्कृताश्रमः कक्षा नहीं होगी।
अद्य संस्कृताश्रमः कक्षा न भविष्यति।
आज संस्कृताश्रमः कक्षा नहीं होगी।
May 2, 2022
May 2, 2022
🍃
♦️shreyo hi j~naanamabhyaasaajj~naanaaddhyaanaM vishiShyate|
dhyaanaatkarmaphalatyaagastyaagaachChaantiranantaram
⚜Knowledge is better than mere ritualistic practice, meditation is better than mere knowledge, renunciation of the fruit of work is better than meditation, peace immediately follows the renunciation of (the attachment to) the fruit of work. (See more on renunciation in Chapter 18) (12.12)
⚜अभ्यास से ज्ञान श्रेष्ठ है ज्ञान से श्रेष्ठ ध्यान है और ध्यान से भी श्रेष्ठ कर्मफल त्याग है त्याग से तत्काल ही शान्ति मिलती है।।12.12।।
#geeta
श्रेयो हि ज्ञानमभ्यासाज्ज्ञानाद्ध्यानं विशिष्यते।
ध्यानात्कर्मफलत्यागस्त्यागाच्छान्तिरनन्तरम्
।।12.12।।♦️shreyo hi j~naanamabhyaasaajj~naanaaddhyaanaM vishiShyate|
dhyaanaatkarmaphalatyaagastyaagaachChaantiranantaram
⚜Knowledge is better than mere ritualistic practice, meditation is better than mere knowledge, renunciation of the fruit of work is better than meditation, peace immediately follows the renunciation of (the attachment to) the fruit of work. (See more on renunciation in Chapter 18) (12.12)
⚜अभ्यास से ज्ञान श्रेष्ठ है ज्ञान से श्रेष्ठ ध्यान है और ध्यान से भी श्रेष्ठ कर्मफल त्याग है त्याग से तत्काल ही शान्ति मिलती है।।12.12।।
#geeta
May 2, 2022
@samskrt_samvadah संलापशाला - A Samskrit Voicechat room.
यदीच्छसि वशीकर्तुं, भाषणमेककर्मणा।
यायास्संलापशालां वै, भवति यत्र भाषणम्।।
⏳45 निमेषाः
🕚 IST 11:00 AM
🔰ग्रीष्मकालः
🗓03rd May 2022, मङ्गलवासरः
🔴Voicechat would be recorded and shared on this channel.
📑यदि शक्येत चेत् संस्कृतेन (भवतां प्रदेशे उष्णता कीदृशी अस्ति,एतस्य कारणं किम् तथा निवारणं किम्) चर्चार्थं कृपया पूर्वसिद्धतां कृत्वा आगच्छन्तु।
वयं युष्माकं प्रतीक्षां कुर्मः। 😇
स्मारणतंत्रिकां स्थापयतु ⏰
👇🏼👇🏼👇🏼👇🏼👇🏼
https://t.me/samskrt_samvadah?voicechat
यदीच्छसि वशीकर्तुं, भाषणमेककर्मणा।
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May 2, 2022
May 2, 2022
🍃
♦️adveShTaa sarvabhuutaanaaM maitraH karuNa eva cha|
nirmamo niraha~NkaaraH samaduHkhasukhaH kShamii
⚜One who does not hate any creature, who is friendly and compassionate, free from (the notion of) ``I'' and ``my'', even-minded in pain and pleasure, forgiving; and (12.13)
⚜भूतमात्र के प्रति जो द्वेषरहित है तथा सबका मित्र तथा करुणावान् है जो ममता और अहंकार से रहित सुख और दुख में सम और क्षमावान् है।।12.13।।
#geeta
अद्वेष्टा सर्वभूतानां मैत्रः करुण एव च।
निर्ममो निरहङ्कारः समदुःखसुखः क्षमी
।।12.13।।♦️adveShTaa sarvabhuutaanaaM maitraH karuNa eva cha|
nirmamo niraha~NkaaraH samaduHkhasukhaH kShamii
⚜One who does not hate any creature, who is friendly and compassionate, free from (the notion of) ``I'' and ``my'', even-minded in pain and pleasure, forgiving; and (12.13)
⚜भूतमात्र के प्रति जो द्वेषरहित है तथा सबका मित्र तथा करुणावान् है जो ममता और अहंकार से रहित सुख और दुख में सम और क्षमावान् है।।12.13।।
#geeta
May 2, 2022
May 2, 2022
उत्तमोऽप्रार्थितो दत्ते मध्यमः प्रार्थितः पुनः।
याचकैर्याच्यमानोऽपि दत्ते न त्वधमाधमः॥
Hindi translation:
उत्तम मनुष्य मांगे बिना देता है, मध्यम मांगने पर देता है, और आधम तो याचकों के मांगने पर भी नहीं देता है।
English translation:
A noble person gives without being asked, a person of the medium category gives when asked,
and the worst of them doesn’t give even after being asked by the needy.
So let's give more on this Akshaya Tritiya and earn more punya 🙏
Source: Mahāsubhāṣitasaṃgraha
याचकैर्याच्यमानोऽपि दत्ते न त्वधमाधमः॥
Hindi translation:
उत्तम मनुष्य मांगे बिना देता है, मध्यम मांगने पर देता है, और आधम तो याचकों के मांगने पर भी नहीं देता है।
English translation:
A noble person gives without being asked, a person of the medium category gives when asked,
and the worst of them doesn’t give even after being asked by the needy.
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Source: Mahāsubhāṣitasaṃgraha
May 2, 2022
🚩जय सत्य सनातन🚩
🚩आज की हिंदी तिथि
🌥️ 🚩युगाब्द-५१२४
🌥️ 🚩विक्रम संवत-२०७९
⛅ 🚩तिथि - तृतीया पूर्णरात्रि तक
⛅दिनांक 03 मई 2022
⛅दिन - मंगलवार
⛅विक्रम संवत - 2079
⛅शक संवत - 1944
⛅अयन - उत्तरायण
⛅ऋतु - ग्रीष्म
⛅मास - वैशाख
⛅पक्ष - शुक्ल
⛅नक्षत्र - रोहिणी रात्रि 03:18 तक तत्पश्चात मृगशिरा
⛅योग - शोभन अपरान्ह 04:16 तक तत्पश्चात अतिगण्ड
⛅राहुकाल - अपरान्ह 03:52 से 05:30 तक
⛅सूर्योदय - 06:05
⛅सूर्यास्त - 07:08
⛅दिशाशूल - उत्तर दिशा में
⛅ब्रह्म मुहूर्त- प्रातः 04:38 से 05:22 तक
🚩आज की हिंदी तिथि
🌥️ 🚩युगाब्द-५१२४
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⛅सूर्योदय - 06:05
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⛅दिशाशूल - उत्तर दिशा में
⛅ब्रह्म मुहूर्त- प्रातः 04:38 से 05:22 तक
May 2, 2022
Forwarded from रामदूतः — The Sanskrit News Platform (Bhavani Raman)
https://youtu.be/4Dq0u2lp6TU
Switch to DD News daily at 7:15 AM (Morning) for 15 minutes Sanskrit news
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YouTube
वार्ता: संस्कृत में समाचार | पीएम मोदी आज डेनमार्क के पीएम के साथ करेंगे द्विपक्षीय बैठक
वार्ता: संस्कृत में समाचार | पीएम मोदी आज डेनमार्क के पीएम मेटे फ्रेडरिकसेन के साथ करेंगे द्विपक्षीय बैठक
May 2, 2022
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May 2, 2022
May 2, 2022
🔰चित्रं दृष्ट्वा पञ्चवाक्यानि रचयत।
✍🏼सर्वे टिप्पणीसञ्चिकायां स्वोत्तराणि लेखितुं शक्नुवन्ति अथवा पुस्तिकायां लिखित्वा तस्य चित्रं स्वीकृत्य अपि प्रेषयितुं शक्नुवन्ति।
🗣सहैव तानि वाक्यानि उक्त्वा ध्वनिमाध्यमेन अपि प्रेषयत।
🔰 चित्र देखकर पांच वाक्य बनायें।
✍🏼आप कमेंट बॉक्स में टङ्कण कर सकते हैं या कॉपी पर लिखकर फोटो भी भेज सकते हैं।
🗣 साथ हि वें वाक्य बोलकर भी वाइस नोट भेजें।
🔰Make 5 sentences, Observing the attached image.
✍🏼You can type in the comment box or you can also send a photo by writing on the notebook.
🗣 Also, Send voice message by uttering those sentences.
#chitram
✍🏼सर्वे टिप्पणीसञ्चिकायां स्वोत्तराणि लेखितुं शक्नुवन्ति अथवा पुस्तिकायां लिखित्वा तस्य चित्रं स्वीकृत्य अपि प्रेषयितुं शक्नुवन्ति।
🗣सहैव तानि वाक्यानि उक्त्वा ध्वनिमाध्यमेन अपि प्रेषयत।
🔰 चित्र देखकर पांच वाक्य बनायें।
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#chitram
May 2, 2022
May 2, 2022
May 2, 2022
May 3, 2022
May 3, 2022
संस्कृत संवादः । Sanskrit Samvadah
नोदकक्लिन्नगात्रस्तु
स्नात इत्यभिधीयते। स स्नातो यो दमस्नातः स बाह्याभ्यन्तरः शुचि।। =
जल से भीगे हुए शरीरवाला नहाया हुआ नहीं कहाता, अपितु नहाया हुआ वह है, जो
दम (मन के नियन्त्रण) रूपी जल में नहाया हुआ है। वस्तुतः वही बाहर और भीतर
से शुद्ध है। यः सर्…
सर्वाः सम्पत्तयस्तस्य सन्तुष्टं यस्य मानसम्।
उपानद्गूढपादस्य ननु चर्मावृतेव भूः।।
= समस्त ऐश्वर्य उसी के हैं जिसका कि मन सन्तुष्ट है। पांव में जूते पहने हुए मनुष्य के लिए तो मानो सारी भूमि ही चर्म से ढकी हुई है।
वयमिह परितुष्टा वल्कलैस्त्वञ्च लक्ष्म्याः सम इह परितोषो निर्विशेषो विशेषः।
स तु भवति दरिद्रो यस्य तृष्णा विशाला मनसि च परितुष्टे कोऽर्थवान् को दरिद्रः।।
= हे ऐश्वर्यमत्त मनुष्य ! हम तपस्वी वृक्ष की छालों के वस्त्रों से सन्तुष्ट हैं और तुम धन-सम्पत्ति से। हम दोनों का सन्तोष तो एक समान ही है, उसमें कोई अन्तर नहीं है। दरिद्र तो वह होता है जिसकी तृष्णा बहुत बड़ी हुआ करती है। मन के सन्तुष्ट हो जाने पर तो क्या धनी क्या निर्धन, सब एक समान हैं।
सत्ये तपसि शौर्ये च यस्य न प्रथितं यशः।
विद्यायामर्थलाभे वा मातुरुच्चार एव सः।।
= सत्य में तप में पराक्रम में विद्या में अथवा धनप्राप्ति में जिसका यश नहीं फैला, वह मनुष्य न होकर मानो अपनी माता के शरीर का मैल है।
अथ ये सहिता वृक्षाः यङ्घशः सुप्रतिष्ठिताः।
ते हि शीघ्रतमान् वातान् सहतेऽन्योऽन्यसंश्रयात्।।
= जो वृक्ष एक साथ समूह में अच्छे प्रकार स्थिर होते हैं, वे एक दूसरे के सहारे से अतितीव्र झंझावातों को भी सह लेते हैं।
एतावज्जन्मसाफल्यं यदनायतवृत्तिता।
ये पराधीनतां यातास्ते वै जीवन्ति के मृताः।।
= इसी में जन्म की सफलता है कि मनुष्य अपनी प्रवृत्तियों को पराधीन न होने दे, जो पराधीनता को प्राप्त हो गए हैं वे भी यदि जीवित कहलाते हैं, तो मरे हुए कौन कहलाएंगे ?
द्वाविमौ पुरुषव्याघ्रौ सूर्यमण्डलभेदिनौ।
परिव्राड् योगयुक्तश्च रणे चाभिऽमुखोहतः।।
= हे पुरुषश्रेष्ठ दो ही प्रकार के मनुष्य इस सूर्यमण्डल को भेदकर उत्तम लोक को प्राप्त करनेवाले हैं। प्रथम है योगसाधक संन्यासी और दूसरा युद्ध में वीरगति को प्राप्त योद्धा।
यां चिन्तयामि सततं मयि सा विरक्ता साप्यन्यमिच्छति जनं स जनोऽन्यसक्तः।
अस्मत्कृते च परितुष्यति काचिदन्या धिक् तां च तं च मदनं इमां च मां च।।
= मैं अपने चित्त में दिन-रात जिसकी स्मृति संजोए रहता हूं, वह बाला मुझसे प्रेम न करते किसी अन्य पुरुष पर मुग्ध है। वह पुरुष किसी अन्य स्त्री में आसक्त है और इस पुरुष की अभिलषित स्त्री मुझे चाहती है। धिक्कार है उस बाला को, उस पुरुष को, उस पुरुष की अभिलषित स्त्री को, मुझे और इस कामदेव को (जिसने यह सारा कुचक्र चलाया है)।
आज्ञा कीर्त्तिः पालनं ब्राह्मणानां दानं भोगो मित्रसंरक्षणं च।
येषामेते षड्गुणा न प्रवृत्ताः कोऽर्थस्तेषां पार्थिवोपाश्रयेण।।
= जिन राजाओं में शासन करने की योग्यता, यश विस्तार की इच्छा, प्रजापालन में दक्षता, सुपात्रों को दान देना, ऐश्वर्य का उपयोग करना और मित्रों के सुख-दुःख का ध्यान रखना; ये छः गुण न हों उनकी शरण में रहना व्यर्थ है।
यदा किञ्चिज्ज्ञोऽहं द्विपइव मदान्धः समभवम्, तदा सर्वज्ञोऽस्मीत्यभवदवलिप्तं मम मनः।
यदा किञ्चित्किञ्चिद् बुधजन सकाशादवगतम्, तदा मूर्खोऽस्मीति ज्वर इव मदो मे व्यपगतः।।
= जब मैं अल्पज्ञ था मदोन्मत्त हाथी की भांति घमण्ड में अन्धा हो गया था और यह समझता था कि मैं सब-कुछ जानता हूं। परन्तु जब बुद्धिमानों के संसर्ग से कुछ-कुछ ज्ञान हुआ तब पता चला कि मैं तो मूर्ख हूं। उस समय मेरा अभिमान ज्वर की भांति उतर गया।
#vakyabhyas
उपानद्गूढपादस्य ननु चर्मावृतेव भूः।।
= समस्त ऐश्वर्य उसी के हैं जिसका कि मन सन्तुष्ट है। पांव में जूते पहने हुए मनुष्य के लिए तो मानो सारी भूमि ही चर्म से ढकी हुई है।
वयमिह परितुष्टा वल्कलैस्त्वञ्च लक्ष्म्याः सम इह परितोषो निर्विशेषो विशेषः।
स तु भवति दरिद्रो यस्य तृष्णा विशाला मनसि च परितुष्टे कोऽर्थवान् को दरिद्रः।।
= हे ऐश्वर्यमत्त मनुष्य ! हम तपस्वी वृक्ष की छालों के वस्त्रों से सन्तुष्ट हैं और तुम धन-सम्पत्ति से। हम दोनों का सन्तोष तो एक समान ही है, उसमें कोई अन्तर नहीं है। दरिद्र तो वह होता है जिसकी तृष्णा बहुत बड़ी हुआ करती है। मन के सन्तुष्ट हो जाने पर तो क्या धनी क्या निर्धन, सब एक समान हैं।
सत्ये तपसि शौर्ये च यस्य न प्रथितं यशः।
विद्यायामर्थलाभे वा मातुरुच्चार एव सः।।
= सत्य में तप में पराक्रम में विद्या में अथवा धनप्राप्ति में जिसका यश नहीं फैला, वह मनुष्य न होकर मानो अपनी माता के शरीर का मैल है।
अथ ये सहिता वृक्षाः यङ्घशः सुप्रतिष्ठिताः।
ते हि शीघ्रतमान् वातान् सहतेऽन्योऽन्यसंश्रयात्।।
= जो वृक्ष एक साथ समूह में अच्छे प्रकार स्थिर होते हैं, वे एक दूसरे के सहारे से अतितीव्र झंझावातों को भी सह लेते हैं।
एतावज्जन्मसाफल्यं यदनायतवृत्तिता।
ये पराधीनतां यातास्ते वै जीवन्ति के मृताः।।
= इसी में जन्म की सफलता है कि मनुष्य अपनी प्रवृत्तियों को पराधीन न होने दे, जो पराधीनता को प्राप्त हो गए हैं वे भी यदि जीवित कहलाते हैं, तो मरे हुए कौन कहलाएंगे ?
द्वाविमौ पुरुषव्याघ्रौ सूर्यमण्डलभेदिनौ।
परिव्राड् योगयुक्तश्च रणे चाभिऽमुखोहतः।।
= हे पुरुषश्रेष्ठ दो ही प्रकार के मनुष्य इस सूर्यमण्डल को भेदकर उत्तम लोक को प्राप्त करनेवाले हैं। प्रथम है योगसाधक संन्यासी और दूसरा युद्ध में वीरगति को प्राप्त योद्धा।
यां चिन्तयामि सततं मयि सा विरक्ता साप्यन्यमिच्छति जनं स जनोऽन्यसक्तः।
अस्मत्कृते च परितुष्यति काचिदन्या धिक् तां च तं च मदनं इमां च मां च।।
= मैं अपने चित्त में दिन-रात जिसकी स्मृति संजोए रहता हूं, वह बाला मुझसे प्रेम न करते किसी अन्य पुरुष पर मुग्ध है। वह पुरुष किसी अन्य स्त्री में आसक्त है और इस पुरुष की अभिलषित स्त्री मुझे चाहती है। धिक्कार है उस बाला को, उस पुरुष को, उस पुरुष की अभिलषित स्त्री को, मुझे और इस कामदेव को (जिसने यह सारा कुचक्र चलाया है)।
आज्ञा कीर्त्तिः पालनं ब्राह्मणानां दानं भोगो मित्रसंरक्षणं च।
येषामेते षड्गुणा न प्रवृत्ताः कोऽर्थस्तेषां पार्थिवोपाश्रयेण।।
= जिन राजाओं में शासन करने की योग्यता, यश विस्तार की इच्छा, प्रजापालन में दक्षता, सुपात्रों को दान देना, ऐश्वर्य का उपयोग करना और मित्रों के सुख-दुःख का ध्यान रखना; ये छः गुण न हों उनकी शरण में रहना व्यर्थ है।
यदा किञ्चिज्ज्ञोऽहं द्विपइव मदान्धः समभवम्, तदा सर्वज्ञोऽस्मीत्यभवदवलिप्तं मम मनः।
यदा किञ्चित्किञ्चिद् बुधजन सकाशादवगतम्, तदा मूर्खोऽस्मीति ज्वर इव मदो मे व्यपगतः।।
= जब मैं अल्पज्ञ था मदोन्मत्त हाथी की भांति घमण्ड में अन्धा हो गया था और यह समझता था कि मैं सब-कुछ जानता हूं। परन्तु जब बुद्धिमानों के संसर्ग से कुछ-कुछ ज्ञान हुआ तब पता चला कि मैं तो मूर्ख हूं। उस समय मेरा अभिमान ज्वर की भांति उतर गया।
#vakyabhyas
May 3, 2022
May 3, 2022
@samskrt_samvadah प्रारंभ करता है, संस्कृताश्रमः - संस्कृतशिक्षण की लघु कक्षाऐं
⏳20 मिनट
🕚 09:00 PM 🇮🇳
🔰लकारपरिचयः
🗓03rd मई 2022, मङ्गलवासरः
🔴 कक्षाओं की प्रति हमारे युट्युब चैनल पर डाली जायेगी
कृपया अलार्म लगा लें और विलंब से न आयें।
👇🏼👇🏼👇🏼👇🏼👇🏼
https://t.me/samskrt_samvadah?voicechat
⏳20 मिनट
🕚 09:00 PM 🇮🇳
🔰लकारपरिचयः
🗓03rd मई 2022, मङ्गलवासरः
🔴 कक्षाओं की प्रति हमारे युट्युब चैनल पर डाली जायेगी
कृपया अलार्म लगा लें और विलंब से न आयें।
👇🏼👇🏼👇🏼👇🏼👇🏼
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May 3, 2022
May 3, 2022
@samskrt_samvadah संलापशाला - A Samskrit Voicechat room.
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यायास्संलापशालां वै, भवति यत्र भाषणम्।।
⏳45 निमेषाः
🕚 IST 11:00 AM
🔰वाक्याभ्यासः
🗓04th May 2022, बुधवासरः
🔴Voicechat would be recorded and shared on this channel.
📑यदि शक्येत चेत् संस्कृतेन (चित्रं दृष्ट्वा वाक्यानि वक्तव्यानि) चर्चार्थं कृपया पूर्वसिद्धतां कृत्वा आगच्छन्तु।
वयं युष्माकं प्रतीक्षां कुर्मः। 😇
स्मारणतंत्रिकां स्थापयतु ⏰
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यदीच्छसि वशीकर्तुं, भाषणमेककर्मणा।
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⏳45 निमेषाः
🕚 IST 11:00 AM
🔰वाक्याभ्यासः
🗓04th May 2022, बुधवासरः
🔴Voicechat would be recorded and shared on this channel.
📑यदि शक्येत चेत् संस्कृतेन (चित्रं दृष्ट्वा वाक्यानि वक्तव्यानि) चर्चार्थं कृपया पूर्वसिद्धतां कृत्वा आगच्छन्तु।
वयं युष्माकं प्रतीक्षां कुर्मः। 😇
स्मारणतंत्रिकां स्थापयतु ⏰
👇🏼👇🏼👇🏼👇🏼👇🏼
https://t.me/samskrt_samvadah?voicechat
May 3, 2022
May 3, 2022
🍃
♦️santuShTaH satataM yogii yataatmaa dRRiDhanishchayaH|
mayyarpitamanobuddhiryo madbhaktaH sa me priyaH
⚜The yogi who is ever content, who has subdued the mind, whoseresolve is firm, whose mind and intellect are engaged in dwelling upon Me; such a devotee is dear to Me. (12.14)
⚜जो संयतात्मा दृढ़निश्चयी योगी सदा सन्तुष्ट है जो अपने मन और बुद्धि को मुझमें अर्पण किये हुए है जो ऐसा मेरा भक्त है, वह मुझे प्रिय है।।12.14।।
#geeta
सन्तुष्टः सततं योगी यतात्मा दृढनिश्चयः।
मय्यर्पितमनोबुद्धिर्यो मद्भक्तः स मे प्रियः
।।12.14।।♦️santuShTaH satataM yogii yataatmaa dRRiDhanishchayaH|
mayyarpitamanobuddhiryo madbhaktaH sa me priyaH
⚜The yogi who is ever content, who has subdued the mind, whoseresolve is firm, whose mind and intellect are engaged in dwelling upon Me; such a devotee is dear to Me. (12.14)
⚜जो संयतात्मा दृढ़निश्चयी योगी सदा सन्तुष्ट है जो अपने मन और बुद्धि को मुझमें अर्पण किये हुए है जो ऐसा मेरा भक्त है, वह मुझे प्रिय है।।12.14।।
#geeta
May 3, 2022
May 3, 2022
May 3, 2022
May 3, 2022
🍃
♦️yasmaannodvijate loko lokaannodvijate cha yaH|
harShaamarShabhayodvegairmukto yaH sa cha me priyaH
⚜The one by whom others are not agitated, and who is not agitated by others; who is free from joy, envy, fear, and anxiety; is also dear to Me. (12.15)
⚜जिससे कोई लोक (अर्थात् जीव व्यक्ति) उद्वेग को प्राप्त नहीं होता और जो स्वयं भी किसी व्यक्ति से उद्वेग अनुभव नहीं करता तथा जो हर्ष अमर्ष (असहिष्णुता) भय और उद्वेगों से मुक्त है वह भक्त मुझे प्रिय है।।12.15।।
#geeta
यस्मान्नोद्विजते लोको लोकान्नोद्विजते च यः।
हर्षामर्षभयोद्वेगैर्मुक्तो यः स च मे प्रियः
।।12.15।।♦️yasmaannodvijate loko lokaannodvijate cha yaH|
harShaamarShabhayodvegairmukto yaH sa cha me priyaH
⚜The one by whom others are not agitated, and who is not agitated by others; who is free from joy, envy, fear, and anxiety; is also dear to Me. (12.15)
⚜जिससे कोई लोक (अर्थात् जीव व्यक्ति) उद्वेग को प्राप्त नहीं होता और जो स्वयं भी किसी व्यक्ति से उद्वेग अनुभव नहीं करता तथा जो हर्ष अमर्ष (असहिष्णुता) भय और उद्वेगों से मुक्त है वह भक्त मुझे प्रिय है।।12.15।।
#geeta
May 3, 2022
🚩जय सत्य सनातन🚩
🚩आज की हिंदी तिथि
🌥️ 🚩युगाब्द-५१२४
🌥️ 🚩विक्रम संवत-२०७९
⛅ 🚩तिथि - चतुर्थी सुबह 07:33 से 5 मई सुबह 10:00 बजे तक
⛅दिनांक 04 मई 2022
⛅दिन - बुधवार
⛅विक्रम संवत - 2079
⛅शक संवत - 1944
⛅अयन - उत्तरायण
⛅ऋतु - ग्रीष्म
⛅मास - वैशाख
⛅पक्ष - शुक्ल
⛅नक्षत्र - मृगशिरा पूर्णरात्रि तक
⛅योग - अतिगण्ड अपरान्ह 05:08 तक तत्पश्चात सुकर्मा
⛅राहुकाल - दोपहर 12:37 से 02:15 तक
⛅सूर्योदय - 06:05
⛅सूर्यास्त - 07:08
⛅दिशाशूल - दक्षिण दिशा में
⛅ब्रह्म मुहूर्त- प्रातः 04:37 से 05:21 तक
🚩आज की हिंदी तिथि
🌥️ 🚩युगाब्द-५१२४
🌥️ 🚩विक्रम संवत-२०७९
⛅ 🚩तिथि - चतुर्थी सुबह 07:33 से 5 मई सुबह 10:00 बजे तक
⛅दिनांक 04 मई 2022
⛅दिन - बुधवार
⛅विक्रम संवत - 2079
⛅शक संवत - 1944
⛅अयन - उत्तरायण
⛅ऋतु - ग्रीष्म
⛅मास - वैशाख
⛅पक्ष - शुक्ल
⛅नक्षत्र - मृगशिरा पूर्णरात्रि तक
⛅योग - अतिगण्ड अपरान्ह 05:08 तक तत्पश्चात सुकर्मा
⛅राहुकाल - दोपहर 12:37 से 02:15 तक
⛅सूर्योदय - 06:05
⛅सूर्यास्त - 07:08
⛅दिशाशूल - दक्षिण दिशा में
⛅ब्रह्म मुहूर्त- प्रातः 04:37 से 05:21 तक
May 3, 2022
Forwarded from रामदूतः — The Sanskrit News Platform (ॐ पीयूषः)
https://youtu.be/sIZNd7q2QHE
Switch to DD News daily at 7:15 AM (Morning) for 15 minutes Sanskrit news.
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वार्ता: संस्कृत में समाचार | 4/5/2022
May 3, 2022
@samskrt_samvadah संलापशाला - A Samskrit Voicechat room.
यदीच्छसि वशीकर्तुं, भाषणमेककर्मणा।
यायास्संलापशालां वै, भवति यत्र भाषणम्।।
⏳45 निमेषाः
🕚 IST 11:00 AM
🔰वाक्याभ्यासः
🗓04th May 2022, बुधवासरः
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यदीच्छसि वशीकर्तुं, भाषणमेककर्मणा।
यायास्संलापशालां वै, भवति यत्र भाषणम्।।
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🔰वाक्याभ्यासः
🗓04th May 2022, बुधवासरः
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📑यदि शक्येत चेत् संस्कृतेन (चित्रं दृष्ट्वा वाक्यानि वक्तव्यानि) चर्चार्थं कृपया पूर्वसिद्धतां कृत्वा आगच्छन्तु।
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May 3, 2022
May 3, 2022
🔰चित्रं दृष्ट्वा पञ्चवाक्यानि रचयत।
✍🏼सर्वे टिप्पणीसञ्चिकायां स्वोत्तराणि लेखितुं शक्नुवन्ति अथवा पुस्तिकायां लिखित्वा तस्य चित्रं स्वीकृत्य अपि प्रेषयितुं शक्नुवन्ति।
🗣सहैव तानि वाक्यानि उक्त्वा ध्वनिमाध्यमेन अपि प्रेषयत।
🔰 चित्र देखकर पांच वाक्य बनायें।
✍🏼आप कमेंट बॉक्स में टङ्कण कर सकते हैं या कॉपी पर लिखकर फोटो भी भेज सकते हैं।
🗣 साथ हि वें वाक्य बोलकर भी वाइस नोट भेजें।
🔰Make 5 sentences, Observing the attached image.
✍🏼You can type in the comment box or you can also send a photo by writing on the notebook.
🗣 Also, Send voice message by uttering those sentences.
#chitram
✍🏼सर्वे टिप्पणीसञ्चिकायां स्वोत्तराणि लेखितुं शक्नुवन्ति अथवा पुस्तिकायां लिखित्वा तस्य चित्रं स्वीकृत्य अपि प्रेषयितुं शक्नुवन्ति।
🗣सहैव तानि वाक्यानि उक्त्वा ध्वनिमाध्यमेन अपि प्रेषयत।
🔰 चित्र देखकर पांच वाक्य बनायें।
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#chitram
May 3, 2022
May 3, 2022
🍃
- चाणक्य नीति
⚜(One) should fear fears, only as long as the fears are awaited. Upon seeing the onset of fear, (he) should beat it without a doubt.
⚜आपत्तियों और संकटों से तभी तक डरना चाहिए जब तक वे दूर हैं,
परन्तु जब वह संकट सिर पर आ जय तो उस पर शंकारहित होकर प्रहार करना चाहिए उन्हें दूर करने का उपय करना चाहिए।
🔅आपत्तिभ्यः संकटेभ्यः च तावत् पर्यन्तमेव भीतिम् अनुभवन्तु यावत् ते दूरे स्थिताः स्युः।
यदा संकटः साक्षात् पुरतः स्थितः भवति तदा भीतिं शंकां च त्यक्त्वा तस्योपरि प्रहारः कर्तव्यः तान् दूरीकर्तुं प्रयासः कार्यः च।
#Subhashitam
तावद् भयेषु भेतव्यं यावद्भयमनागतम् ।
आगतं तु भयं दृष्ट्वा प्रहर्तव्यमशङ्कया
॥- चाणक्य नीति
⚜(One) should fear fears, only as long as the fears are awaited. Upon seeing the onset of fear, (he) should beat it without a doubt.
⚜आपत्तियों और संकटों से तभी तक डरना चाहिए जब तक वे दूर हैं,
परन्तु जब वह संकट सिर पर आ जय तो उस पर शंकारहित होकर प्रहार करना चाहिए उन्हें दूर करने का उपय करना चाहिए।
🔅आपत्तिभ्यः संकटेभ्यः च तावत् पर्यन्तमेव भीतिम् अनुभवन्तु यावत् ते दूरे स्थिताः स्युः।
यदा संकटः साक्षात् पुरतः स्थितः भवति तदा भीतिं शंकां च त्यक्त्वा तस्योपरि प्रहारः कर्तव्यः तान् दूरीकर्तुं प्रयासः कार्यः च।
#Subhashitam
May 3, 2022
May 3, 2022
May 3, 2022
May 4, 2022
May 4, 2022
@samskrt_samvadah प्रारंभ करता है, संस्कृताश्रमः - संस्कृतशिक्षण की लघु कक्षाऐं
⏳20 मिनट
🕚 09:00 PM 🇮🇳
🔰लट्लकारः
🗓04th अप्रैल 2022, बुधवासरः
🔴 कक्षाओं की प्रति हमारे युट्युब चैनल पर डाली जायेगी
कृपया अलार्म लगा लें और विलंब से न आयें।
👇🏼👇🏼👇🏼👇🏼👇🏼
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⏳20 मिनट
🕚 09:00 PM 🇮🇳
🔰लट्लकारः
🗓04th अप्रैल 2022, बुधवासरः
🔴 कक्षाओं की प्रति हमारे युट्युब चैनल पर डाली जायेगी
कृपया अलार्म लगा लें और विलंब से न आयें।
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May 4, 2022
May 4, 2022
Traffic board - Go Slow. Same old wife is waiting at home.
( New technique to govern the speed )
#hasya
( New technique to govern the speed )
#hasya
May 4, 2022
@samskrt_samvadah संलापशाला - A Samskrit Voicechat room.
यदीच्छसि वशीकर्तुं, भाषणमेककर्मणा।
यायास्संलापशालां वै, भवति यत्र भाषणम्।।
⏳45 निमेषाः
🕚 IST 11:00 AM
🔰युद्धविवरणम्
75तमः स्वातन्त्र्योत्सवः
🗓05th May 2022, गुरुवासरः
🔴Voicechat would be recorded and shared on this channel.
📑यदि शक्येत चेत् संस्कृतेन (भारतीयनृपैः मुघल् तथा आङ्ग्लजनैः सह कृतस्य युद्धस्य विवरणं करणीयम्) चर्चार्थं कृपया पूर्वसिद्धतां कृत्वा आगच्छन्तु।
वयं युष्माकं प्रतीक्षां कुर्मः। 😇
स्मारणतंत्रिकां स्थापयतु ⏰
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यदीच्छसि वशीकर्तुं, भाषणमेककर्मणा।
यायास्संलापशालां वै, भवति यत्र भाषणम्।।
⏳45 निमेषाः
🕚 IST 11:00 AM
🔰युद्धविवरणम्
🗓05th May 2022, गुरुवासरः
🔴Voicechat would be recorded and shared on this channel.
📑यदि शक्येत चेत् संस्कृतेन (भारतीयनृपैः मुघल् तथा आङ्ग्लजनैः सह कृतस्य युद्धस्य विवरणं करणीयम्) चर्चार्थं कृपया पूर्वसिद्धतां कृत्वा आगच्छन्तु।
वयं युष्माकं प्रतीक्षां कुर्मः। 😇
स्मारणतंत्रिकां स्थापयतु ⏰
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May 4, 2022
May 4, 2022
🍃
♦️anapekShaH shuchirdakSha udaasiino gatavyathaH|
sarvaarambhaparityaagii yo madbhaktaH sa me priyaH
⚜One who is free from desires; who is pure, wise, impartial, and free from anxiety; who has renounced (the doership in) all undertakings; and who is devoted to Me, is dear to Me. (12.16)
⚜जो अपेक्षारहित शुद्ध दक्ष उदासीन व्यथारहित और सर्वकर्मों का संन्यास करने वाला मेरा भक्त है वह मुझे प्रिय है।।12.16।।
#geeta
अनपेक्षः शुचिर्दक्ष उदासीनो गतव्यथः।
सर्वारम्भपरित्यागी यो मद्भक्तः स मे प्रियः
।।12.16।।♦️anapekShaH shuchirdakSha udaasiino gatavyathaH|
sarvaarambhaparityaagii yo madbhaktaH sa me priyaH
⚜One who is free from desires; who is pure, wise, impartial, and free from anxiety; who has renounced (the doership in) all undertakings; and who is devoted to Me, is dear to Me. (12.16)
⚜जो अपेक्षारहित शुद्ध दक्ष उदासीन व्यथारहित और सर्वकर्मों का संन्यास करने वाला मेरा भक्त है वह मुझे प्रिय है।।12.16।।
#geeta
May 4, 2022
May 4, 2022
May 4, 2022
May 4, 2022
🍃
♦️yo na hRRiShyati na dveShTi na shochati na kaa~NkShati|
shubhaashubhaparityaagii bhak्itamaanyaH sa me priyaH
⚜One who neither rejoices nor grieves, neither likes nor dislikes, who has renounced both the good and the evil, and who is full of devotion, such a person is dear to Me. (12.17)
⚜जो न हर्षित होता है और न द्वेष करता है न शोक करता है और न आकांक्षा तथा जो शुभ और अशुभ को त्याग देता है वह भक्तिमान् पुरुष मुझे प्रिय है।।12.17।।
#geeta
यो न हृष्यति न द्वेष्टि न शोचति न काङ्क्षति।
शुभाशुभपरित्यागी भक्ितमान्यः स मे प्रियः
।।12.17।।♦️yo na hRRiShyati na dveShTi na shochati na kaa~NkShati|
shubhaashubhaparityaagii bhak्itamaanyaH sa me priyaH
⚜One who neither rejoices nor grieves, neither likes nor dislikes, who has renounced both the good and the evil, and who is full of devotion, such a person is dear to Me. (12.17)
⚜जो न हर्षित होता है और न द्वेष करता है न शोक करता है और न आकांक्षा तथा जो शुभ और अशुभ को त्याग देता है वह भक्तिमान् पुरुष मुझे प्रिय है।।12.17।।
#geeta
May 4, 2022
🚩जय सत्य सनातन🚩
🚩आज की हिंदी तिथि
🌥️ 🚩युगाब्द-५१२४
🌥️ 🚩विक्रम संवत-२०७९
⛅ 🚩तिथि - चतुर्थी सुबह 07:33 से 5 मई सुबह 10:00 बजे तक
⛅दिनांक 05 मई 2022
⛅दिन - गुरुवार
⛅विक्रम संवत - 2079
⛅शक संवत - 1944
⛅अयन - उत्तरायण
⛅ऋतु - ग्रीष्म
⛅मास - वैशाख
⛅पक्ष - शुक्ल
⛅नक्षत्र - मृगशिरा सुबह 06:07 तक तत्पश्चात आर्द्रा
⛅योग - सुकर्मा अपरान्ह 05:08 तक तत्पश्चात धृति
⛅राहुकाल - दोपहर 02:15 से 03:53 तक
⛅सूर्योदय - 06:04
⛅सूर्यास्त - 07:09
⛅दिशाशूल - दक्षिण दिशा में
⛅ब्रह्म मुहूर्त- प्रातः 04:37 से 05:20 तक
🚩आज की हिंदी तिथि
🌥️ 🚩युगाब्द-५१२४
🌥️ 🚩विक्रम संवत-२०७९
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⛅दिनांक 05 मई 2022
⛅दिन - गुरुवार
⛅विक्रम संवत - 2079
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⛅अयन - उत्तरायण
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⛅पक्ष - शुक्ल
⛅नक्षत्र - मृगशिरा सुबह 06:07 तक तत्पश्चात आर्द्रा
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⛅राहुकाल - दोपहर 02:15 से 03:53 तक
⛅सूर्योदय - 06:04
⛅सूर्यास्त - 07:09
⛅दिशाशूल - दक्षिण दिशा में
⛅ब्रह्म मुहूर्त- प्रातः 04:37 से 05:20 तक
May 4, 2022
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May 4, 2022
May 4, 2022
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वार्ता: संस्कृत में समाचार | पीएम मोदी का तीन यूरोपीय देशों का दौरा सम्पन्न
May 4, 2022
🔰चित्रं दृष्ट्वा पञ्चवाक्यानि रचयत।
✍🏼सर्वे टिप्पणीसञ्चिकायां स्वोत्तराणि लेखितुं शक्नुवन्ति अथवा पुस्तिकायां लिखित्वा तस्य चित्रं स्वीकृत्य अपि प्रेषयितुं शक्नुवन्ति।
🗣सहैव तानि वाक्यानि उक्त्वा ध्वनिमाध्यमेन अपि प्रेषयत।
🔰 चित्र देखकर पांच वाक्य बनायें।
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🗣 साथ हि वें वाक्य बोलकर भी वाइस नोट भेजें।
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✍🏼You can type in the comment box or you can also send a photo by writing on the notebook.
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#chitram
✍🏼सर्वे टिप्पणीसञ्चिकायां स्वोत्तराणि लेखितुं शक्नुवन्ति अथवा पुस्तिकायां लिखित्वा तस्य चित्रं स्वीकृत्य अपि प्रेषयितुं शक्नुवन्ति।
🗣सहैव तानि वाक्यानि उक्त्वा ध्वनिमाध्यमेन अपि प्रेषयत।
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#chitram
May 4, 2022
May 4, 2022
May 4, 2022
May 4, 2022
🍃
⚜The coward makes friendship with a stronger enemy to safeguard his life. He also makes enmity with somebody weaker to safeguard his self-worth.
🔅बलहीनः प्राणरक्षार्थं स्वापेक्षया बलवता जनेन सह मैत्रीं करोति, सः एव स्वबलप्रदर्शनार्थं स्वापेक्षया बलहीनेन सह विरोधं करोति।
#Subhashitam
भीरुणा प्राणरक्षायै मित्रीकृत्य बली रिपुः ।
दुर्बलो मानवृद्ध्यर्थं नीयते रिपुतां परः
॥⚜The coward makes friendship with a stronger enemy to safeguard his life. He also makes enmity with somebody weaker to safeguard his self-worth.
🔅बलहीनः प्राणरक्षार्थं स्वापेक्षया बलवता जनेन सह मैत्रीं करोति, सः एव स्वबलप्रदर्शनार्थं स्वापेक्षया बलहीनेन सह विरोधं करोति।
#Subhashitam
May 4, 2022
May 5, 2022
शिशुः _______ _________ अस्ति।
Anonymous Quiz
15%
जलपूरिकायाः, विक्रेत्री
15%
वर्तुलपूरिकायाः, विक्रेता
17%
पानीपूरिकायाः, विक्रेत्री
53%
जलपूरिकायाः, विक्रेता
May 5, 2022
संस्कृतं वद आधुनिको भव।
वेदान् पठ वैज्ञानिको भव।।
पाठ: (36) कृदन्त (3) निष्ठा प्रत्यय
(क्त प्रत्यय कर्तृवाच्य विशेषणरूप प्रयोग)
बाला महाविद्यालयं गता
= बालिका कॉलेज गई।
महाविद्यालयं गतां बालिकां माता सप्ताहात् प्रतीक्षते, साऽधुनापि न प्रत्यावर्तिता
= कॉलेज गई हुई बालिका की मां हप्तेभर से प्रतीक्षा कर रही है, वह अभी भी लौटकर नहीं आई।
बालकः दुष्टोऽस्ति
= बालक दुष्ट है।
दुष्टं बालकं पिता तस्य दुष्टतायै ताड़यति
= दुष्ट बालक को पिता उसकी दुष्टता के कारण से पीट रहा है।
महामार्यां नैके जनाः मृताः
= महामारी में कई लोग मर गए।
महामार्यां मृतेभ्यः जनेभ्यः सर्वकारः कालोचितं क्रियाकलापमकार्षीत्
= महामारी में मरे हुए लोगों के लिए सरकार ने यथोचित कदम उठाए।
विभीषिका प्रथिताऽस्ति यत् आंग्लभाषयैव जनः शिष्ट इति
= हौवा फैला हुआ है कि अंग्रेजी से ही व्यक्ति शिष्ट बन सकता है।
प्रथितायाः विभीषिकायाः दूरिकरणमस्माकं कर्त्तव्यमस्ति
= फैले हुए हौवे को दूर करना हमारा कर्त्तव्य है।
विद्वान् गृहमागतः = विद्वान् घर आ गया।
गृहमागतो विद्वान् एवाऽतिथिः कथ्यते
= घर पर आया हुआ विद्वान् ही अतिथि कहलाता है।
आत्मदर्शी रात्रौ दशवादने सुप्तः
= आत्मतदर्शी रात दस बजे सो गया।
सुप्तः आत्मदर्शी निद्रायां द्विचक्रिकामचीचलत्
= सोए हुए आत्मदर्शी ने नींद में साईकिल चलाई।
वटुः जटिलात् भृशं भीतः
= बच्चा जटाधारी से खेब डरा।
दिने जटिलात् भीतो वटुः रात्रौ विष्टरे एव मूत्रितः
= दिन में जटाधारी से डरे हुए बच्चे ने रात को बिस्तर में ही मूत्रत्याग किया।
दुष्टानामत्याचारात् सर्वे हिन्दवः कश्मीरात् पलायिताः
= दुष्टों के अत्याचार के कारण सभी हिन्दू कश्मीर से भाग गए।
पलायितानां हिन्दूनां सर्वा सम्पत्तिः दुष्टैः स्वायत्तीकृताः
= भाग खड़े हुए हिन्दुओं की सारी सम्पत्ति दुष्टों ने जप्त कर ली।
माता पुत्रं उपशिष्टा
= मां ने बच्चे को आलिंगन किया।
उपश्लिष्टां मातरं पुत्र स्वीयया बालचेष्टया प्रीणयति
= आलिंगन की हुई मां को बच्चा अपनी बालचेष्टा से तृप्त कर रहा है।
उद्याने कश्चित् कीटः बालिकायाः वस्त्रमुपश्लिष्टः
= बगीचे में कोई कीड़ा बालिका के कपड़ों में चिपक गया।
वस्त्रमुपश्लिष्टात् कीटात् भीता बाला रोदिति
= कपड़े में चिपके हुए कीड़े से डरी हुई बालिका रो रही है।
सृष्ट्यादौ वृक्षवनस्पतिपशुपक्षिणं मनुष्या अनुजाताः
= सृष्टि के आदि में वृक्ष-वनस्पति-पशु-पक्षियों के पश्चात मनुष्य उत्पन्न हुए।
वृक्षादीन् अनुजाता मनुष्या अपि अमैथुनिकयैवोत्पन्नाः
= वृक्षादियों के पश्चात् उत्पन्न होनेवाले मनुष्य भी अमैथुनी प्रक्रिया से ही पैदा हुए।
क्षेत्रे धान्यमुत्पन्नम्
= खेत में धान पैदा हुआ।
उत्पन्नेन नूतनेन धान्येन नवसस्येष्टि कृता
= उत्पन्न नए धान्य से नवसस्येष्टि याग किया।
पतङ्गोड्डयनार्थं बालश्छदिरारूढः
= पतंग उडाने के लिए बालक छत पर चढ़ा।
छदिरारूढो बालोऽनवधानतया नीचैरपतत्
= छत पर चढ़ा हुआ बच्चा असावधानी के कारण नीचे गिरा।
ह्यः रात्रौ श्वमण्डलं भृशं बुक्कितम्
= कल रात कुत्ते खूब भौंके।
बुक्कितेन श्वमण्डलेन सर्वेषां निद्रा विकारिता
= भौंकते कुत्ते ने सबकी नीन्द खराब कर दी।
#vakyabhyas
वेदान् पठ वैज्ञानिको भव।।
पाठ: (36) कृदन्त (3) निष्ठा प्रत्यय
(क्त प्रत्यय कर्तृवाच्य विशेषणरूप प्रयोग)
बाला महाविद्यालयं गता
= बालिका कॉलेज गई।
महाविद्यालयं गतां बालिकां माता सप्ताहात् प्रतीक्षते, साऽधुनापि न प्रत्यावर्तिता
= कॉलेज गई हुई बालिका की मां हप्तेभर से प्रतीक्षा कर रही है, वह अभी भी लौटकर नहीं आई।
बालकः दुष्टोऽस्ति
= बालक दुष्ट है।
दुष्टं बालकं पिता तस्य दुष्टतायै ताड़यति
= दुष्ट बालक को पिता उसकी दुष्टता के कारण से पीट रहा है।
महामार्यां नैके जनाः मृताः
= महामारी में कई लोग मर गए।
महामार्यां मृतेभ्यः जनेभ्यः सर्वकारः कालोचितं क्रियाकलापमकार्षीत्
= महामारी में मरे हुए लोगों के लिए सरकार ने यथोचित कदम उठाए।
विभीषिका प्रथिताऽस्ति यत् आंग्लभाषयैव जनः शिष्ट इति
= हौवा फैला हुआ है कि अंग्रेजी से ही व्यक्ति शिष्ट बन सकता है।
प्रथितायाः विभीषिकायाः दूरिकरणमस्माकं कर्त्तव्यमस्ति
= फैले हुए हौवे को दूर करना हमारा कर्त्तव्य है।
विद्वान् गृहमागतः = विद्वान् घर आ गया।
गृहमागतो विद्वान् एवाऽतिथिः कथ्यते
= घर पर आया हुआ विद्वान् ही अतिथि कहलाता है।
आत्मदर्शी रात्रौ दशवादने सुप्तः
= आत्मतदर्शी रात दस बजे सो गया।
सुप्तः आत्मदर्शी निद्रायां द्विचक्रिकामचीचलत्
= सोए हुए आत्मदर्शी ने नींद में साईकिल चलाई।
वटुः जटिलात् भृशं भीतः
= बच्चा जटाधारी से खेब डरा।
दिने जटिलात् भीतो वटुः रात्रौ विष्टरे एव मूत्रितः
= दिन में जटाधारी से डरे हुए बच्चे ने रात को बिस्तर में ही मूत्रत्याग किया।
दुष्टानामत्याचारात् सर्वे हिन्दवः कश्मीरात् पलायिताः
= दुष्टों के अत्याचार के कारण सभी हिन्दू कश्मीर से भाग गए।
पलायितानां हिन्दूनां सर्वा सम्पत्तिः दुष्टैः स्वायत्तीकृताः
= भाग खड़े हुए हिन्दुओं की सारी सम्पत्ति दुष्टों ने जप्त कर ली।
माता पुत्रं उपशिष्टा
= मां ने बच्चे को आलिंगन किया।
उपश्लिष्टां मातरं पुत्र स्वीयया बालचेष्टया प्रीणयति
= आलिंगन की हुई मां को बच्चा अपनी बालचेष्टा से तृप्त कर रहा है।
उद्याने कश्चित् कीटः बालिकायाः वस्त्रमुपश्लिष्टः
= बगीचे में कोई कीड़ा बालिका के कपड़ों में चिपक गया।
वस्त्रमुपश्लिष्टात् कीटात् भीता बाला रोदिति
= कपड़े में चिपके हुए कीड़े से डरी हुई बालिका रो रही है।
सृष्ट्यादौ वृक्षवनस्पतिपशुपक्षिणं मनुष्या अनुजाताः
= सृष्टि के आदि में वृक्ष-वनस्पति-पशु-पक्षियों के पश्चात मनुष्य उत्पन्न हुए।
वृक्षादीन् अनुजाता मनुष्या अपि अमैथुनिकयैवोत्पन्नाः
= वृक्षादियों के पश्चात् उत्पन्न होनेवाले मनुष्य भी अमैथुनी प्रक्रिया से ही पैदा हुए।
क्षेत्रे धान्यमुत्पन्नम्
= खेत में धान पैदा हुआ।
उत्पन्नेन नूतनेन धान्येन नवसस्येष्टि कृता
= उत्पन्न नए धान्य से नवसस्येष्टि याग किया।
पतङ्गोड्डयनार्थं बालश्छदिरारूढः
= पतंग उडाने के लिए बालक छत पर चढ़ा।
छदिरारूढो बालोऽनवधानतया नीचैरपतत्
= छत पर चढ़ा हुआ बच्चा असावधानी के कारण नीचे गिरा।
ह्यः रात्रौ श्वमण्डलं भृशं बुक्कितम्
= कल रात कुत्ते खूब भौंके।
बुक्कितेन श्वमण्डलेन सर्वेषां निद्रा विकारिता
= भौंकते कुत्ते ने सबकी नीन्द खराब कर दी।
#vakyabhyas
May 5, 2022
@samskrt_samvadah प्रारंभ करता है, संस्कृताश्रमः - संस्कृतशिक्षण की लघु कक्षाऐं
⏳20 मिनट
🕚 09:00 PM 🇮🇳
🔰भविष्यकालः
🗓05th मई 2022, गुरुवासरः
🔴 कक्षाओं की प्रति हमारे युट्युब चैनल पर डाली जायेगी
कृपया अलार्म लगा लें और विलंब से न आयें।
👇🏼👇🏼👇🏼👇🏼👇🏼
https://t.me/samskrt_samvadah?voicechat
⏳20 मिनट
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🔰भविष्यकालः
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May 5, 2022
. ।। ॐ ।।
भोजनोत्तरं मनोरञ्जनम् !
ग्राहकः - इयत् महार्घं धान्यम् ?
आपणिकः - युक्रेनतः आगच्छति ।
ग्राहकः - खाद्यतैलम् अपि एतावत्प्रमाणेन महार्घं कथम् ?
आपणिकः - युक्रेनतः आगच्छति ।
ग्राहकः - शर्करा अपि एतावती महार्घा ?
आपणिकः - युक्रेनतः आगच्छति ।
ग्राहकः वस्तूनां क्रयणं करोति । वस्तूनि गृहीत्वा धनं च अदत्वा एव गमनं करोति ।
आपणिकः - अरे महोदय ! धनं न दत्तं भवता ।
ग्राहकः - युक्रेनतः आगमिष्यति ।
अस्मद्देशीयम् आनन्दम् अनुभवन्तु सर्वे ।
------ संस्कृतानन्दः ।
#hasya
भोजनोत्तरं मनोरञ्जनम् !
ग्राहकः - इयत् महार्घं धान्यम् ?
आपणिकः - युक्रेनतः आगच्छति ।
ग्राहकः - खाद्यतैलम् अपि एतावत्प्रमाणेन महार्घं कथम् ?
आपणिकः - युक्रेनतः आगच्छति ।
ग्राहकः - शर्करा अपि एतावती महार्घा ?
आपणिकः - युक्रेनतः आगच्छति ।
ग्राहकः वस्तूनां क्रयणं करोति । वस्तूनि गृहीत्वा धनं च अदत्वा एव गमनं करोति ।
आपणिकः - अरे महोदय ! धनं न दत्तं भवता ।
ग्राहकः - युक्रेनतः आगमिष्यति ।
अस्मद्देशीयम् आनन्दम् अनुभवन्तु सर्वे ।
------ संस्कृतानन्दः ।
#hasya
May 5, 2022
May 5, 2022
@samskrt_samvadah संलापशाला - A Samskrit Voicechat room.
यदीच्छसि वशीकर्तुं, भाषणमेककर्मणा।
यायास्संलापशालां वै, भवति यत्र भाषणम्।।
⏳45 निमेषाः
🕚 IST 11:00 AM
🔰आद्यशङ्कराचार्यस्य तथा सूरदासस्य जयन्ती
🗓06th May 2022, शुक्रवासरः
🔴Voicechat would be recorded and shared on this channel.
📑यदि शक्येत चेत् संस्कृतेन (द्वयोः जीवनविषये वक्तव्यम्) चर्चार्थं कृपया पूर्वसिद्धतां कृत्वा आगच्छन्तु।
वयं युष्माकं प्रतीक्षां कुर्मः। 😇
स्मारणतंत्रिकां स्थापयतु ⏰
👇🏼👇🏼👇🏼👇🏼👇🏼
https://t.me/samskrt_samvadah?voicechat
यदीच्छसि वशीकर्तुं, भाषणमेककर्मणा।
यायास्संलापशालां वै, भवति यत्र भाषणम्।।
⏳45 निमेषाः
🕚 IST 11:00 AM
🔰आद्यशङ्कराचार्यस्य तथा सूरदासस्य जयन्ती
🗓06th May 2022, शुक्रवासरः
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📑यदि शक्येत चेत् संस्कृतेन (द्वयोः जीवनविषये वक्तव्यम्) चर्चार्थं कृपया पूर्वसिद्धतां कृत्वा आगच्छन्तु।
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May 5, 2022
May 5, 2022
🍃
♦️samaH shatrau cha mitre cha tathaa maanaapamaanayoH|
shiitoShNasukhaduHkheShu samaH sa~NgavivarjitaH
⚜The one who remains the same towards friend or foe, in honor or disgrace, in heat or cold, in pleasure or pain; who is free from attachment. (12.18)
⚜जो पुरुष शत्रु और मित्र में तथा मान और अपमान में सम है जो शीतउष्ण व सुखदुखादिक द्वन्द्वों में सम है और आसक्ति रहित है।।12.18।।
#geeta
समः शत्रौ च मित्रे च तथा मानापमानयोः।
शीतोष्णसुखदुःखेषु समः सङ्गविवर्जितः
।।12.18।।♦️samaH shatrau cha mitre cha tathaa maanaapamaanayoH|
shiitoShNasukhaduHkheShu samaH sa~NgavivarjitaH
⚜The one who remains the same towards friend or foe, in honor or disgrace, in heat or cold, in pleasure or pain; who is free from attachment. (12.18)
⚜जो पुरुष शत्रु और मित्र में तथा मान और अपमान में सम है जो शीतउष्ण व सुखदुखादिक द्वन्द्वों में सम है और आसक्ति रहित है।।12.18।।
#geeta
May 5, 2022
May 5, 2022
May 5, 2022
May 5, 2022
🍃
♦️tulyanindaastutirmaunii santuShTo yenakenachit|
aniketaH sthiramatirbhak्itamaanme priyo naraH
⚜The one who is indifferent or silent in censure or praise, content with anything, unattached to a place (country, or house), equanimous, and full of devotion; that person is dear to Me. (12.19)
⚜जिसको निन्दा और स्तुति दोनों ही तुल्य है जो मौनी है जो किसी अल्प वस्तु से भी सन्तुष्ट है जो अनिकेत है वह स्थिर बुद्धि का भक्तिमान् पुरुष मुझे प्रिय है।।12.19।।
#geeta
तुल्यनिन्दास्तुतिर्मौनी सन्तुष्टो येनकेनचित्।
अनिकेतः स्थिरमतिर्भक्ितमान्मे प्रियो नरः
।।12.19।।♦️tulyanindaastutirmaunii santuShTo yenakenachit|
aniketaH sthiramatirbhak्itamaanme priyo naraH
⚜The one who is indifferent or silent in censure or praise, content with anything, unattached to a place (country, or house), equanimous, and full of devotion; that person is dear to Me. (12.19)
⚜जिसको निन्दा और स्तुति दोनों ही तुल्य है जो मौनी है जो किसी अल्प वस्तु से भी सन्तुष्ट है जो अनिकेत है वह स्थिर बुद्धि का भक्तिमान् पुरुष मुझे प्रिय है।।12.19।।
#geeta
May 5, 2022
🚩जय सत्य सनातन🚩
🚩आज की हिंदी तिथि
🌥️ 🚩युगाब्द-५१२४
🌥️ 🚩विक्रम संवत-२०७९
⛅ 🚩तिथि - तिथि - पंचमी दोपहर 12:32 बजे तक तत्पश्चात षष्टी
⛅दिनांक 06 मई 2022
⛅दिन - शुक्रवार
⛅विक्रम संवत - 2079
⛅शक संवत - 1944
⛅अयन - उत्तरायण
⛅ऋतु - ग्रीष्म
⛅मास - वैशाख
⛅पक्ष - शुक्ल
⛅नक्षत्र - आर्द्रा सुबह 09:20 तक तत्पश्चात पुनर्वसु
⛅योग - धृति शाम 07:07 तक तत्पश्चात शूल
⛅राहुकाल - सुबह 10:58 से दोपहर 12:36 तक
⛅सूर्योदय - 06:04
⛅सूर्यास्त - 07:09
⛅दिशाशूल - पश्चिम दिशा में
⛅ब्रह्म मुहूर्त- प्रातः 04:36 से 05:20 तक
🚩आज की हिंदी तिथि
🌥️ 🚩युगाब्द-५१२४
🌥️ 🚩विक्रम संवत-२०७९
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⛅नक्षत्र - आर्द्रा सुबह 09:20 तक तत्पश्चात पुनर्वसु
⛅योग - धृति शाम 07:07 तक तत्पश्चात शूल
⛅राहुकाल - सुबह 10:58 से दोपहर 12:36 तक
⛅सूर्योदय - 06:04
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May 5, 2022
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May 5, 2022
Forwarded from रामदूतः — The Sanskrit News Platform (Bhavani Raman)
https://youtu.be/0Zcwq0JcjKw
Switch to DD News daily at 7:15 AM (Morning) for 15 minutes Sanskrit news.
Switch to DD News daily at 7:15 AM (Morning) for 15 minutes Sanskrit news.
YouTube
वार्ता: संस्कृत में समाचार | पीएम मोदी 'JITO कनेक्ट 2022 ' को करेंगे संबोधित और अन्य ख़बरें |
May 5, 2022
May 5, 2022
🔰चित्रं दृष्ट्वा पञ्चवाक्यानि रचयत।
✍🏼सर्वे टिप्पणीसञ्चिकायां स्वोत्तराणि लेखितुं शक्नुवन्ति अथवा पुस्तिकायां लिखित्वा तस्य चित्रं स्वीकृत्य अपि प्रेषयितुं शक्नुवन्ति।
🗣सहैव तानि वाक्यानि उक्त्वा ध्वनिमाध्यमेन अपि प्रेषयत।
🔰 चित्र देखकर पांच वाक्य बनायें।
✍🏼आप कमेंट बॉक्स में टङ्कण कर सकते हैं या कॉपी पर लिखकर फोटो भी भेज सकते हैं।
🗣 साथ हि वें वाक्य बोलकर भी वाइस नोट भेजें।
🔰Make 5 sentences, Observing the attached image.
✍🏼You can type in the comment box or you can also send a photo by writing on the notebook.
🗣 Also, Send voice message by uttering those sentences.
#chitram
✍🏼सर्वे टिप्पणीसञ्चिकायां स्वोत्तराणि लेखितुं शक्नुवन्ति अथवा पुस्तिकायां लिखित्वा तस्य चित्रं स्वीकृत्य अपि प्रेषयितुं शक्नुवन्ति।
🗣सहैव तानि वाक्यानि उक्त्वा ध्वनिमाध्यमेन अपि प्रेषयत।
🔰 चित्र देखकर पांच वाक्य बनायें।
✍🏼आप कमेंट बॉक्स में टङ्कण कर सकते हैं या कॉपी पर लिखकर फोटो भी भेज सकते हैं।
🗣 साथ हि वें वाक्य बोलकर भी वाइस नोट भेजें।
🔰Make 5 sentences, Observing the attached image.
✍🏼You can type in the comment box or you can also send a photo by writing on the notebook.
🗣 Also, Send voice message by uttering those sentences.
#chitram
May 5, 2022
May 5, 2022
May 5, 2022
May 5, 2022
🍃
(हितोपदेशे)
⚜Full of enthusiasm, absence of delaying tactics, knowledge related to the undertaken work, unconcerned about failures, bold, grateful nature, steadiness in friendship - to people who are endowed with these qualities, Goddess Lakshmi comes on her own accord due to favourable conditions to stay on.
🔅यः उत्साहेन सम्पन्नः भवति, कार्ये विलम्बं न करोति, यत् कार्यं करोति तस्य ज्ञानमपि धरति, असफलताविषये ध्यानं न ददाति, निर्भीकः भवति, अन्यकृतम् उपकारं न विस्मरति, सर्वदा मैत्रीं पालयति, एतादृशं जनं श्रेष्ठनिवासकारणात् लक्ष्मीः कदापि न जहाति(त्यजति) ।
#Subhashitam
उत्साहसम्पन्नमदीर्घसूत्रं क्रियाविधिज्ञं व्यसनेष्वसक्तम्।
शूरं कृतज्ञं दृढसौहृदं च लक्ष्मीः स्वयं याति निवासहेतोः
॥(हितोपदेशे)
⚜Full of enthusiasm, absence of delaying tactics, knowledge related to the undertaken work, unconcerned about failures, bold, grateful nature, steadiness in friendship - to people who are endowed with these qualities, Goddess Lakshmi comes on her own accord due to favourable conditions to stay on.
🔅यः उत्साहेन सम्पन्नः भवति, कार्ये विलम्बं न करोति, यत् कार्यं करोति तस्य ज्ञानमपि धरति, असफलताविषये ध्यानं न ददाति, निर्भीकः भवति, अन्यकृतम् उपकारं न विस्मरति, सर्वदा मैत्रीं पालयति, एतादृशं जनं श्रेष्ठनिवासकारणात् लक्ष्मीः कदापि न जहाति(त्यजति) ।
#Subhashitam
May 5, 2022
May 5, 2022
May 5, 2022
पितामहः भीष्मः _______ ________ वर्तते।
Anonymous Quiz
16%
बाणात् , छिन्नः
50%
बाणैः, छिन्नः
25%
बाणेभ्यः, छिन्दन्
9%
बाणैः, छिनत्ति
May 6, 2022
May 6, 2022
संस्कृत संवादः । Sanskrit Samvadah
संस्कृतं
वद आधुनिको भव। वेदान् पठ वैज्ञानिको भव।। पाठ: (36) कृदन्त (3) निष्ठा
प्रत्यय (क्त प्रत्यय कर्तृवाच्य विशेषणरूप प्रयोग) बाला महाविद्यालयं
गता = बालिका कॉलेज गई। महाविद्यालयं गतां बालिकां माता सप्ताहात्
प्रतीक्षते, साऽधुनापि न प्रत्यावर्तिता =…
महत्यामपि घनावल्यां देवो न वृष्टः
= बहुत सारे काले बादलों के होने पर भी बारिश नहीं हुई।
अवृष्टे देवे सर्वे व्यापाराः निष्क्रियप्रायाः सञ्जाताः
= वर्षा के अभाव में सभी व्यापारों में मन्दी छा गई।
प्रदूषणकारणाद् अद्यत्वे घर्मः प्रवृद्धः
= प्रदूषण के कारण आज-कल गर्मी बढ़ गई है।
प्रवृद्धेन घर्मेण जना अत्यन्तं त्रस्ताः सन्ति
= बढी हुई गर्मी के कारण लोग अत्यन्त त्रस्त हैं।
पुरा काले ऋषय ईश्वरमुपासिताः
= प्राचीनकाल में ऋषियों ने ईश्वर की उपासना की।
सः तान् उपासितान् ऋषीन् कृतकृत्यानकरोत्
= उसने उन उपासना किए हुए ऋषियों को कृतकृत्य कर दिया।
कुक्कुराणामनुधावनात् भीतो बालोऽपि धावितः
= कुत्तों के पीछे पड़ने से डरा हुआ बच्चा भी भागा।
अतिरभसेन धावितो बालः पाषाणेनाऽऽहत
= हड़बड़ी से भागते बच्चे को पत्थर के कारण ठेस लग गई।
मासद्वयानन्तरं पितरौ दृष्ट्वा छात्रावासे बालिका प्रकोष्ठात् धावित्वा आगता
= होस्टल में दो महिने बाद माता-पिता को देखकर बालिका कमरे से दौड़कर आई।
धावित्वा आगतायाः बालिकायाः प्रसन्नतां दृष्ट्वा पितरौ आर्द्राक्षौ सञ्जातौ
= दौड़कर आई हुई बच्ची की प्रसन्नता को देखकर माता-पिता की आंखे गीली हुईं।
वायुना शोधितानि वस्त्राणि उड्डितानि
= हवा के कारण सुखाए हुए कपड़े उड़ गए।
उड्डितानि तानि वस्त्राणि इतस्ततः भूमौ पतितानि
= उड़े हुए वे कपड़े जहां-तहां भूमि पर गिर गए।
रात्रौ वृष्टिना पद्यायां शायिताः अनिकेताः जनाः क्लिन्नाः
= रात वर्षा के कारण फुटपाथ पर सोए हुए बेघर लोग भीग गए।
तेषु क्लिन्नेषु जनेषु केचन तारवायुना मृताः
= उन भीगे हुओं में से कुछ लोग सनसनाती हवा के कारण मर गए।
तारजाले संलग्नं वस्त्रम् उत्पटितम्
= तार की जाली में उलझा हुआ कपड़ा फट गया।
पश्चात् तदुत्पटितं वस्त्रं मात्रा सूचिकया स्यूतम्
= बाद में वह फटा हुआ कपड़ा मां ने सुई द्वारा सिल दिया।
हस्तात् स्रस्तं काचपात्रं त्रुटितम्
= हाथ से गिरा हुआ काचपात्र टूट गया।
त्रुटितस्य काचपात्रस्य लघुना शकलेन मम पादः विद्धः
= टूटे हुए कांचपात्र के छोटे टुकड़े से मेरा पैर घायल हुआ।
अग्निना सर्वं गृहं ज्वलितम्
= आग से पूरा घर जल गया।
ज्वलितं गृहं पातयित्वा तत्रैव नूतनम् निर्मितम्
= जले हुए घर को गिरा कर वहीं पर नया घर बना दिया।
निर्धनं पुरुषं वेश्या प्रजा भग्नं नृपं त्यजेत्।
खगा वीतफलं वृक्षं भुक्त्वा चाऽभ्यागता गृहम्।।
= वेश्या निर्धन मनुष्य को, प्रजा पराजित राजा को, पक्षी फलरहित पेड़ को और अतिथि भोजन करके घर को छोड़ देते हैं।
#vakyabhyas
= बहुत सारे काले बादलों के होने पर भी बारिश नहीं हुई।
अवृष्टे देवे सर्वे व्यापाराः निष्क्रियप्रायाः सञ्जाताः
= वर्षा के अभाव में सभी व्यापारों में मन्दी छा गई।
प्रदूषणकारणाद् अद्यत्वे घर्मः प्रवृद्धः
= प्रदूषण के कारण आज-कल गर्मी बढ़ गई है।
प्रवृद्धेन घर्मेण जना अत्यन्तं त्रस्ताः सन्ति
= बढी हुई गर्मी के कारण लोग अत्यन्त त्रस्त हैं।
पुरा काले ऋषय ईश्वरमुपासिताः
= प्राचीनकाल में ऋषियों ने ईश्वर की उपासना की।
सः तान् उपासितान् ऋषीन् कृतकृत्यानकरोत्
= उसने उन उपासना किए हुए ऋषियों को कृतकृत्य कर दिया।
कुक्कुराणामनुधावनात् भीतो बालोऽपि धावितः
= कुत्तों के पीछे पड़ने से डरा हुआ बच्चा भी भागा।
अतिरभसेन धावितो बालः पाषाणेनाऽऽहत
= हड़बड़ी से भागते बच्चे को पत्थर के कारण ठेस लग गई।
मासद्वयानन्तरं पितरौ दृष्ट्वा छात्रावासे बालिका प्रकोष्ठात् धावित्वा आगता
= होस्टल में दो महिने बाद माता-पिता को देखकर बालिका कमरे से दौड़कर आई।
धावित्वा आगतायाः बालिकायाः प्रसन्नतां दृष्ट्वा पितरौ आर्द्राक्षौ सञ्जातौ
= दौड़कर आई हुई बच्ची की प्रसन्नता को देखकर माता-पिता की आंखे गीली हुईं।
वायुना शोधितानि वस्त्राणि उड्डितानि
= हवा के कारण सुखाए हुए कपड़े उड़ गए।
उड्डितानि तानि वस्त्राणि इतस्ततः भूमौ पतितानि
= उड़े हुए वे कपड़े जहां-तहां भूमि पर गिर गए।
रात्रौ वृष्टिना पद्यायां शायिताः अनिकेताः जनाः क्लिन्नाः
= रात वर्षा के कारण फुटपाथ पर सोए हुए बेघर लोग भीग गए।
तेषु क्लिन्नेषु जनेषु केचन तारवायुना मृताः
= उन भीगे हुओं में से कुछ लोग सनसनाती हवा के कारण मर गए।
तारजाले संलग्नं वस्त्रम् उत्पटितम्
= तार की जाली में उलझा हुआ कपड़ा फट गया।
पश्चात् तदुत्पटितं वस्त्रं मात्रा सूचिकया स्यूतम्
= बाद में वह फटा हुआ कपड़ा मां ने सुई द्वारा सिल दिया।
हस्तात् स्रस्तं काचपात्रं त्रुटितम्
= हाथ से गिरा हुआ काचपात्र टूट गया।
त्रुटितस्य काचपात्रस्य लघुना शकलेन मम पादः विद्धः
= टूटे हुए कांचपात्र के छोटे टुकड़े से मेरा पैर घायल हुआ।
अग्निना सर्वं गृहं ज्वलितम्
= आग से पूरा घर जल गया।
ज्वलितं गृहं पातयित्वा तत्रैव नूतनम् निर्मितम्
= जले हुए घर को गिरा कर वहीं पर नया घर बना दिया।
निर्धनं पुरुषं वेश्या प्रजा भग्नं नृपं त्यजेत्।
खगा वीतफलं वृक्षं भुक्त्वा चाऽभ्यागता गृहम्।।
= वेश्या निर्धन मनुष्य को, प्रजा पराजित राजा को, पक्षी फलरहित पेड़ को और अतिथि भोजन करके घर को छोड़ देते हैं।
#vakyabhyas
May 6, 2022
@samskrt_samvadah प्रारंभ करता है, संस्कृताश्रमः - संस्कृतशिक्षण की लघु कक्षाऐं
⏳20 मिनट
🕚 09:00 PM 🇮🇳
🔰भविष्यकालः (अभ्यासः)
🗓06th मई 2022, शुक्रवासरः
🔴 कक्षाओं की प्रति हमारे युट्युब चैनल पर डाली जायेगी
कृपया अलार्म लगा लें और विलंब से न आयें।
👇🏼👇🏼👇🏼👇🏼👇🏼
https://t.me/samskrt_samvadah?voicechat
⏳20 मिनट
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🔰भविष्यकालः (अभ्यासः)
🗓06th मई 2022, शुक्रवासरः
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May 6, 2022
Wife - Now you are married no ? Why don't you ask for a salary hike ?
Husband - I have already asked for it. But they denied it telling that they are not responsible for accidents, outside the office.
#hasya
Husband - I have already asked for it. But they denied it telling that they are not responsible for accidents, outside the office.
#hasya
May 6, 2022
@samskrt_samvadah संलापशाला - A Samskrit Voicechat room.
यदीच्छसि वशीकर्तुं, भाषणमेककर्मणा।
यायास्संलापशालां वै, भवति यत्र भाषणम्।।
⏳45 निमेषाः
🕚 IST 11:00 AM
🔰संस्कृतकथा,सुभाषितम्, हास्यकणिका इत्यादयः
🗓07th may 2022, शनिवासरः
🔴Voicechat would be recorded and shared on this channel.
📑यदि शक्येत चेत् संस्कृतेन (संस्कृतकथां, सुभाषितं, हास्यकणिकां ,स्वस्य कञ्चित् उत्तमम् अनुभवं ,प्रेरकप्रसङ्गं ,लौकिकन्यायं वा वदन्तु) । चर्चार्थं कृपया पूर्वसिद्धतां कृत्वा आगच्छन्तु।
वयं युष्माकं प्रतीक्षां कुर्मः। 😇
स्मारणतंत्रिकां स्थापयतु ⏰
👇🏼👇🏼👇🏼👇🏼👇🏼
https://t.me/samskrt_samvadah?voicechat
यदीच्छसि वशीकर्तुं, भाषणमेककर्मणा।
यायास्संलापशालां वै, भवति यत्र भाषणम्।।
⏳45 निमेषाः
🕚 IST 11:00 AM
🔰संस्कृतकथा,सुभाषितम्, हास्यकणिका इत्यादयः
🗓07th may 2022, शनिवासरः
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📑यदि शक्येत चेत् संस्कृतेन (संस्कृतकथां, सुभाषितं, हास्यकणिकां ,स्वस्य कञ्चित् उत्तमम् अनुभवं ,प्रेरकप्रसङ्गं ,लौकिकन्यायं वा वदन्तु) । चर्चार्थं कृपया पूर्वसिद्धतां कृत्वा आगच्छन्तु।
वयं युष्माकं प्रतीक्षां कुर्मः। 😇
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May 6, 2022
May 6, 2022
May 6, 2022
🍃
♦️ye tu dharmyaamRRitamidaM yathoktaM paryupaasate|
shraddadhaanaa matparamaa bhaktaaste'tiiva me priyaaH
⚜But those devotees who have faith and sincerely try to develop the above mentioned immortal virtues, and set Me as their supreme goal; are very dear to Me. (12.20)
⚜जो भक्त श्रद्धावान् तथा मुझे ही परम लक्ष्य समझने वाले हैं और इस यथोक्त धर्ममय अमृत का अर्थात् धर्ममय जीवन का पालन करते हैं वे मुझे अतिशय प्रिय हैं।।12.20।।
#geeta
ये तु धर्म्यामृतमिदं यथोक्तं पर्युपासते।
श्रद्दधाना मत्परमा भक्तास्तेऽतीव मे प्रियाः
।।12.20।।♦️ye tu dharmyaamRRitamidaM yathoktaM paryupaasate|
shraddadhaanaa matparamaa bhaktaaste'tiiva me priyaaH
⚜But those devotees who have faith and sincerely try to develop the above mentioned immortal virtues, and set Me as their supreme goal; are very dear to Me. (12.20)
⚜जो भक्त श्रद्धावान् तथा मुझे ही परम लक्ष्य समझने वाले हैं और इस यथोक्त धर्ममय अमृत का अर्थात् धर्ममय जीवन का पालन करते हैं वे मुझे अतिशय प्रिय हैं।।12.20।।
#geeta
May 6, 2022
May 6, 2022
May 6, 2022
May 6, 2022
🍃
♦️arjuna uvaacha
prakRRitiM puruShaM chaiva kShetraM kShetraj~nameva cha|
etadveditumichChaami j~naanaM j~neyaM cha keshava
⚜Arjuna said -
I wish to learn about Nature (matter) and the Spirit (soul), the field and the knower of the field, knowledge and that which ought to be known, O Kesava. (13.1)
⚜अर्जुन ने कहा --
हे केशव मैं प्रकृति और पुरुष क्षेत्र और क्षेत्रज्ञ तथा ज्ञान और ज्ञेय को जानना चाहता हूँ।।13.1।।
#geeta
अर्जुन उवाच
प्रकृतिं पुरुषं चैव क्षेत्रं क्षेत्रज्ञमेव च।
एतद्वेदितुमिच्छामि ज्ञानं ज्ञेयं च केशव
।।13.1।।♦️arjuna uvaacha
prakRRitiM puruShaM chaiva kShetraM kShetraj~nameva cha|
etadveditumichChaami j~naanaM j~neyaM cha keshava
⚜Arjuna said -
I wish to learn about Nature (matter) and the Spirit (soul), the field and the knower of the field, knowledge and that which ought to be known, O Kesava. (13.1)
⚜अर्जुन ने कहा --
हे केशव मैं प्रकृति और पुरुष क्षेत्र और क्षेत्रज्ञ तथा ज्ञान और ज्ञेय को जानना चाहता हूँ।।13.1।।
#geeta
May 6, 2022
🚩जय सत्य सनातन🚩
🚩आज की हिंदी तिथि
🌥️ 🚩युगाब्द-५१२४
🌥️ 🚩विक्रम संवत-२०७९
⛅ 🚩तिथि - षष्टी अपरान्ह 02:56 बजे तक तत्पश्चात सप्तमी
⛅दिनांक 07 मई 2022
⛅दिन - शनिवार
⛅विक्रम संवत - 2079
⛅शक संवत - 1944
⛅अयन - उत्तरायण
⛅ऋतु - ग्रीष्म
⛅मास - वैशाख
⛅पक्ष - शुक्ल
⛅नक्षत्र - पुनर्वसु दोपहर 12:18 तक तत्पश्चात पुष्य
⛅योग - शूल रात्रि 07:59 तक तत्पश्चात गण्ड
⛅राहुकाल - सुबह 09:20 से 10:58 तक
⛅सूर्योदय - 06:03
⛅सूर्यास्त - 07:10
⛅दिशाशूल - पूर्व दिशा में
⛅ब्रह्म मुहूर्त- प्रातः 04:36 से 05:19 तक
🚩आज की हिंदी तिथि
🌥️ 🚩युगाब्द-५१२४
🌥️ 🚩विक्रम संवत-२०७९
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⛅दिनांक 07 मई 2022
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⛅विक्रम संवत - 2079
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⛅ऋतु - ग्रीष्म
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⛅राहुकाल - सुबह 09:20 से 10:58 तक
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⛅सूर्यास्त - 07:10
⛅दिशाशूल - पूर्व दिशा में
⛅ब्रह्म मुहूर्त- प्रातः 04:36 से 05:19 तक
May 6, 2022
May 6, 2022
@samskrt_samvadah संलापशाला - A Samskrit Voicechat room.
यदीच्छसि वशीकर्तुं, भाषणमेककर्मणा।
यायास्संलापशालां वै, भवति यत्र भाषणम्।।
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🗓07th may 2022, शनिवासरः
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🔰संस्कृतकथा,सुभाषितम्, हास्यकणिका इत्यादयः
🗓07th may 2022, शनिवासरः
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May 6, 2022
Forwarded from रामदूतः — The Sanskrit News Platform (Bhavani Raman)
Switch to DD News daily at 7:15 AM (Morning) for 15 minutes Sanskrit news.
https://youtu.be/40cTx61k1Pk
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YouTube
वार्ता: संस्कृत में समाचार | गिरफ्तार बग्गा की देर रात हुई रिहाई | और अन्य ख़बरें
May 6, 2022
May 6, 2022
May 6, 2022
May 6, 2022
🔰चित्रं दृष्ट्वा पञ्चवाक्यानि रचयत।
✍🏼सर्वे टिप्पणीसञ्चिकायां स्वोत्तराणि लेखितुं शक्नुवन्ति अथवा पुस्तिकायां लिखित्वा तस्य चित्रं स्वीकृत्य अपि प्रेषयितुं शक्नुवन्ति।
🗣सहैव तानि वाक्यानि उक्त्वा ध्वनिमाध्यमेन अपि प्रेषयत।
🔰 चित्र देखकर पांच वाक्य बनायें।
✍🏼आप कमेंट बॉक्स में टङ्कण कर सकते हैं या कॉपी पर लिखकर फोटो भी भेज सकते हैं।
🗣 साथ हि वें वाक्य बोलकर भी वाइस नोट भेजें।
🔰Make 5 sentences, Observing the attached image.
✍🏼You can type in the comment box or you can also send a photo by writing on the notebook.
🗣 Also, Send voice message by uttering those sentences.
#chitram
✍🏼सर्वे टिप्पणीसञ्चिकायां स्वोत्तराणि लेखितुं शक्नुवन्ति अथवा पुस्तिकायां लिखित्वा तस्य चित्रं स्वीकृत्य अपि प्रेषयितुं शक्नुवन्ति।
🗣सहैव तानि वाक्यानि उक्त्वा ध्वनिमाध्यमेन अपि प्रेषयत।
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✍🏼आप कमेंट बॉक्स में टङ्कण कर सकते हैं या कॉपी पर लिखकर फोटो भी भेज सकते हैं।
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#chitram
May 6, 2022
🍃
⚜निर्धन व्यक्ति धन चाहता है। चार पैर वाले पशु वाणी चाहते हैं। मनुष्य स्वर्ग की इच्छा करता है और देववत् विद्वान लोग मोक्ष की इच्छा करते हैं।
🔅निर्धनजनाः सर्वदा धनमेव वाञ्छन्ति, सर्वे जन्तवः मनुष्यवत् वाणी इच्छन्ति, मानवाः तु स्वर्गं प्राप्तुम् अभिलषन्ति तथा श्रेष्ठजनाः मोक्षस्य(ज्ञानस्य) कामनां कुर्वन्ति।
#Subhashitam
अधना धनमिच्छन्ति वाचं चैव चतुष्पदाः।
मानवाः स्वर्गमिच्छन्ति मोक्षमिच्छन्ति देवताः
॥⚜निर्धन व्यक्ति धन चाहता है। चार पैर वाले पशु वाणी चाहते हैं। मनुष्य स्वर्ग की इच्छा करता है और देववत् विद्वान लोग मोक्ष की इच्छा करते हैं।
🔅निर्धनजनाः सर्वदा धनमेव वाञ्छन्ति, सर्वे जन्तवः मनुष्यवत् वाणी इच्छन्ति, मानवाः तु स्वर्गं प्राप्तुम् अभिलषन्ति तथा श्रेष्ठजनाः मोक्षस्य(ज्ञानस्य) कामनां कुर्वन्ति।
#Subhashitam
May 6, 2022
नमोनमः सर्वेभ्यः
हडपसरभागस्य एका भगिनी Rangoli Radio मध्ये प्रतिसप्ताहं
*मम जनकस्य नीलपुस्तिका* इति
एकं कार्यक्रमं चालायति ।
सामान्यतया हिन्दीभाषया चालयामि,
अस्मिन् सप्ताहे संस्कृतेन कार्यक्रमस्य प्रस्तुतिकर्तुं प्रयास: अस्ति।
सर्वे निश्चयेन शृण्वन्तु। Saturday & Sunday at 3:30pm sharp. Join 5 minutes before it starts. Simply click on the link www.rangoliradio.com/listen-live
हडपसरभागस्य एका भगिनी Rangoli Radio मध्ये प्रतिसप्ताहं
*मम जनकस्य नीलपुस्तिका* इति
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अस्मिन् सप्ताहे संस्कृतेन कार्यक्रमस्य प्रस्तुतिकर्तुं प्रयास: अस्ति।
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May 6, 2022
May 7, 2022
May 7, 2022
संस्कृत संवादः । Sanskrit Samvadah
महत्यामपि
घनावल्यां देवो न वृष्टः = बहुत सारे काले बादलों के होने पर भी बारिश
नहीं हुई। अवृष्टे देवे सर्वे व्यापाराः निष्क्रियप्रायाः सञ्जाताः =
वर्षा के अभाव में सभी व्यापारों में मन्दी छा गई। प्रदूषणकारणाद्
अद्यत्वे घर्मः प्रवृद्धः = प्रदूषण के कारण…
रूपयौवनसम्पन्नाः विशालकुलसम्भवाः।
विद्याहीनाः न शोभन्ते निर्गन्धा इव किंशुकाः।।
= रूप और यौवन से सम्पन्न तथा ऊंचे कुल में जन्म लेने पर भी विद्याहीन मनुष्य ऐसे ही सुशोभित नहीं होता जैसे ढाक के गन्धरहित फूल।
किं तया क्रियते धेन्वा या न दोग्ध्री न च गुर्विणी।
कोऽर्थः पुत्रेण जातेन यो न विद्वान् न भक्तिमान्।।
= उस गाय से क्या लाभ जो न दूध देती हो न गर्भ धारण करती हो ? उसी प्रकार उस पुत्र से क्या लाभ है जो न तो विद्वान है न हि ईश्वरभक्त ?
संसारतापदग्धानां त्रयो विश्रान्तिहेतवः।
अपत्यं च कलत्रं च सतां संगतिरेव च।।
= संसार के त्रिविध तापों से तप्त हुए मनुष्यों के लिए शान्ति प्राप्ति के तीन ही साधन हैं- पुत्र, पत्नी और सज्जनों की संगति।
एकोदरसमुद्भूता एक नक्षत्रजातकाः।
न भवन्ति समाः शीले यथा बदरकण्टकाः।।
= एक ही माता-पिता और एक ही नक्षत्र में जन्मे हुएसब बालक गुण-कर्म-स्वभाव में समान नहीं होते, जैसे बेर और उसके कांटे समान नहीं होते।
वृद्धकाले मृता भार्या बन्धुहस्ते गतं धनम्।
भोजनं च पराधीनं तिस्रः पुंसां विडम्बना।।
= वृद्धावस्था में पत्नी का देहान्त हो जाना, स्वधन का भाई-बन्धुओं के हाथ में चले जाना और भोजन के लिए दूसरों को मुंह ताकना ये तीनों बातें मनुष्यों के लिए मृत्यु के समान दुःख देनेवाली हैं।
दूतो न स´्चरति खे न चलेच्च वार्ता, पूर्वं न जल्पितमिदं न च सङ्गमोऽस्ति।
व्योम्नि स्थितं रविशशिग्रहणं प्रशस्तं, जानाति यो द्विजवरः स कथं न विद्वान्।।
= आकाश में कोई दूत नहीं जा सकता, न वहां किसी से कोई वार्तालाप हो सकता, न पहले से किसी ने कुछ बता ही रखा है और नहि वहां किसी से मिलना हो सकता, फिर भी जो ब्राह्मणश्रेष्ठ आकाश में स्थित सूर्य और चन्द्रमा के ग्रहण को जान लेता है वह विद्वान् क्यों नहीं है ?
अहिं नृपं च शार्दूलं किटिं च बालकं तथा।
परश्वानं च मूर्खं च सप्त सुप्तान् न बोधयेत्।।
= सांप, राजा, बाघ, सूअर, बालक, दूसरे का कुत्ता और मूर्ख इन सात सोए हुओं को नहीं जगाना चाहिए।
यस्मिन्रुष्टे भयं नास्ति तुष्टे नैव धनाऽऽगमः।
निग्रहोऽनुग्रहो नास्ति स रुष्टः किं करिष्यति।।
= जिसके क्रुद्ध होने पर कोई भय नहीं है और प्रसन्न होने पर धनप्राप्ति की कोई आशा नहीं है, जो न दण्ड दे सकता है और न हि कृपा कर सकता है, वह रूठ कर भी क्या बिगाड़ेगा ?
एकवृक्षसमारूढा नाना वर्णाः विहङ्गमाः।
प्रभाते दिक्षु दशसु का तत्र परिदेवना।।
= अनेक रंग और रूपोंवाले पक्षी सायंकाल एक वृक्ष पर आकर बैठते हैं और प्रातःकाल दसों दिशाओं में उड़ जाते हैं ऐसे ही बन्धु-बान्धव एक परिवार में मिलते हैं और बिछुड़ जाते हैं, इस विषय में शोक, रोना-धोना क्या ?
पतितः पशुरपि कूपे निःसर्त्तुं चरणचालनं कुरुते।
धिक् त्वां चित्त भवाब्धेरिच्छामपि नो बिभर्षि निःसर्त्तुम्।।
= कंुए में गिरा हुआ पशु भी उसमें से निकलने के लिए हाथ-पैर चलाकर यत्न करता है, रे मन तुझे धिक्कार है ! तू तो भवसागर से निकलने की इच्छा भी नहीं करता।
बन्धाय विषयाऽऽसक्तं मुक्त्यै निर्विषयं मनः।
मन एव मनुष्याणां कारणं बन्धमोक्षयोः।।
= मनुष्य के बन्ध और मोक्ष का कारण मन ही है। विषयों में फंसा हुआ मन बन्धन का कारण होता है और विषय-वासनाओं से शून्य मन मनुष्य के मोक्ष का कारण होता है।
#vakyabhyas
विद्याहीनाः न शोभन्ते निर्गन्धा इव किंशुकाः।।
= रूप और यौवन से सम्पन्न तथा ऊंचे कुल में जन्म लेने पर भी विद्याहीन मनुष्य ऐसे ही सुशोभित नहीं होता जैसे ढाक के गन्धरहित फूल।
किं तया क्रियते धेन्वा या न दोग्ध्री न च गुर्विणी।
कोऽर्थः पुत्रेण जातेन यो न विद्वान् न भक्तिमान्।।
= उस गाय से क्या लाभ जो न दूध देती हो न गर्भ धारण करती हो ? उसी प्रकार उस पुत्र से क्या लाभ है जो न तो विद्वान है न हि ईश्वरभक्त ?
संसारतापदग्धानां त्रयो विश्रान्तिहेतवः।
अपत्यं च कलत्रं च सतां संगतिरेव च।।
= संसार के त्रिविध तापों से तप्त हुए मनुष्यों के लिए शान्ति प्राप्ति के तीन ही साधन हैं- पुत्र, पत्नी और सज्जनों की संगति।
एकोदरसमुद्भूता एक नक्षत्रजातकाः।
न भवन्ति समाः शीले यथा बदरकण्टकाः।।
= एक ही माता-पिता और एक ही नक्षत्र में जन्मे हुएसब बालक गुण-कर्म-स्वभाव में समान नहीं होते, जैसे बेर और उसके कांटे समान नहीं होते।
वृद्धकाले मृता भार्या बन्धुहस्ते गतं धनम्।
भोजनं च पराधीनं तिस्रः पुंसां विडम्बना।।
= वृद्धावस्था में पत्नी का देहान्त हो जाना, स्वधन का भाई-बन्धुओं के हाथ में चले जाना और भोजन के लिए दूसरों को मुंह ताकना ये तीनों बातें मनुष्यों के लिए मृत्यु के समान दुःख देनेवाली हैं।
दूतो न स´्चरति खे न चलेच्च वार्ता, पूर्वं न जल्पितमिदं न च सङ्गमोऽस्ति।
व्योम्नि स्थितं रविशशिग्रहणं प्रशस्तं, जानाति यो द्विजवरः स कथं न विद्वान्।।
= आकाश में कोई दूत नहीं जा सकता, न वहां किसी से कोई वार्तालाप हो सकता, न पहले से किसी ने कुछ बता ही रखा है और नहि वहां किसी से मिलना हो सकता, फिर भी जो ब्राह्मणश्रेष्ठ आकाश में स्थित सूर्य और चन्द्रमा के ग्रहण को जान लेता है वह विद्वान् क्यों नहीं है ?
अहिं नृपं च शार्दूलं किटिं च बालकं तथा।
परश्वानं च मूर्खं च सप्त सुप्तान् न बोधयेत्।।
= सांप, राजा, बाघ, सूअर, बालक, दूसरे का कुत्ता और मूर्ख इन सात सोए हुओं को नहीं जगाना चाहिए।
यस्मिन्रुष्टे भयं नास्ति तुष्टे नैव धनाऽऽगमः।
निग्रहोऽनुग्रहो नास्ति स रुष्टः किं करिष्यति।।
= जिसके क्रुद्ध होने पर कोई भय नहीं है और प्रसन्न होने पर धनप्राप्ति की कोई आशा नहीं है, जो न दण्ड दे सकता है और न हि कृपा कर सकता है, वह रूठ कर भी क्या बिगाड़ेगा ?
एकवृक्षसमारूढा नाना वर्णाः विहङ्गमाः।
प्रभाते दिक्षु दशसु का तत्र परिदेवना।।
= अनेक रंग और रूपोंवाले पक्षी सायंकाल एक वृक्ष पर आकर बैठते हैं और प्रातःकाल दसों दिशाओं में उड़ जाते हैं ऐसे ही बन्धु-बान्धव एक परिवार में मिलते हैं और बिछुड़ जाते हैं, इस विषय में शोक, रोना-धोना क्या ?
पतितः पशुरपि कूपे निःसर्त्तुं चरणचालनं कुरुते।
धिक् त्वां चित्त भवाब्धेरिच्छामपि नो बिभर्षि निःसर्त्तुम्।।
= कंुए में गिरा हुआ पशु भी उसमें से निकलने के लिए हाथ-पैर चलाकर यत्न करता है, रे मन तुझे धिक्कार है ! तू तो भवसागर से निकलने की इच्छा भी नहीं करता।
बन्धाय विषयाऽऽसक्तं मुक्त्यै निर्विषयं मनः।
मन एव मनुष्याणां कारणं बन्धमोक्षयोः।।
= मनुष्य के बन्ध और मोक्ष का कारण मन ही है। विषयों में फंसा हुआ मन बन्धन का कारण होता है और विषय-वासनाओं से शून्य मन मनुष्य के मोक्ष का कारण होता है।
#vakyabhyas
May 7, 2022
May 7, 2022
Forwarded from रामदूतः — The Sanskrit News Platform (मोहित डोकानिया)
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Weekly Sanskrit Magazine Vaartavali
Weekly Sanskrit Magazine Vaartavali
DD News 24x7 | Breaking News and other Live updates | | News in Hindi | Latest News
DD News is India’s 24x7 news channel from the stable of the country’s Public Service Broadcaster, Prasar Bharati. It has the distinction…
DD News 24x7 | Breaking News and other Live updates | | News in Hindi | Latest News
DD News is India’s 24x7 news channel from the stable of the country’s Public Service Broadcaster, Prasar Bharati. It has the distinction…
May 7, 2022
अद्य संस्कृताश्रमः कक्षा न भविष्यति।
सोमवासरे मेलितास्मः।
सोमवासरे मेलितास्मः।
May 7, 2022
May 7, 2022
🍃
♦️shrii bhagavaanuvaacha
idaM shariiraM kaunteya kShetramityabhidhiiyate|
etadyo vetti taM praahuH kShetraj~na iti tadvidaH
⚜13.2 The Blessed Lord said
This body, O Arjuna, is called the field; he who knows it is called the knower of the field, by those who know of them.
⚜।।13.2।। श्रीभगवान् ने कहा --
हे कौन्तेय यह शरीर क्षेत्र कहा जाता है और इसको जो जानता है उसे तत्त्वज्ञ जन क्षेत्रज्ञ कहते हैं।।
#geeta
श्री भगवानुवाच
इदं शरीरं कौन्तेय क्षेत्रमित्यभिधीयते।
एतद्यो वेत्ति तं प्राहुः क्षेत्रज्ञ इति तद्विदः
।।13.2।।♦️shrii bhagavaanuvaacha
idaM shariiraM kaunteya kShetramityabhidhiiyate|
etadyo vetti taM praahuH kShetraj~na iti tadvidaH
⚜13.2 The Blessed Lord said
This body, O Arjuna, is called the field; he who knows it is called the knower of the field, by those who know of them.
⚜।।13.2।। श्रीभगवान् ने कहा --
हे कौन्तेय यह शरीर क्षेत्र कहा जाता है और इसको जो जानता है उसे तत्त्वज्ञ जन क्षेत्रज्ञ कहते हैं।।
#geeta
May 7, 2022
May 7, 2022
🍃
♦️kShetraj~naM chaapi maaM viddhi sarvakShetreShu bhaarata|
kShetrakShetraj~nayorj~naanaM yattajj~naanaM mataM mama
⚜I am the Omniscient self that abides in the playground of Matter; knowledge of Matter and of the all-knowing Self is wisdom.(13.3)
⚜हे भारत तुम समस्त क्षेत्रों में क्षेत्रज्ञ मुझे ही जानो। क्षेत्र और क्षेत्रज्ञ का जो ज्ञान है वही (वास्तव में) ज्ञान है ऐसा मेरा मत है।।13.3।।
#geeta
क्षेत्रज्ञं चापि मां विद्धि सर्वक्षेत्रेषु भारत।
क्षेत्रक्षेत्रज्ञयोर्ज्ञानं यत्तज्ज्ञानं मतं मम
।।13.3।।♦️kShetraj~naM chaapi maaM viddhi sarvakShetreShu bhaarata|
kShetrakShetraj~nayorj~naanaM yattajj~naanaM mataM mama
⚜I am the Omniscient self that abides in the playground of Matter; knowledge of Matter and of the all-knowing Self is wisdom.(13.3)
⚜हे भारत तुम समस्त क्षेत्रों में क्षेत्रज्ञ मुझे ही जानो। क्षेत्र और क्षेत्रज्ञ का जो ज्ञान है वही (वास्तव में) ज्ञान है ऐसा मेरा मत है।।13.3।।
#geeta
May 7, 2022
🚩जय सत्य सनातन🚩
🚩आज की हिंदी तिथि
🌥️ 🚩युगाब्द-५१२४
🌥️ 🚩विक्रम संवत-२०७९
⛅ 🚩तिथि - सप्तमी शाम 05:01 बजे तक तत्पश्चात अष्टमी
⛅दिनांक 08 मई 2022
⛅दिन - रविवार
⛅विक्रम संवत - 2079
⛅शक संवत - 1944
⛅अयन - उत्तरायण
⛅ऋतु - ग्रीष्म
⛅मास - वैशाख
⛅पक्ष - शुक्ल
⛅नक्षत्र - पुष्य दोपहर 02:58 तक तत्पश्चात अश्लेषा
⛅योग - गण्ड रात्रि 08:34 तक तत्पश्चात वृद्धि
⛅राहुकाल - शाम 05:32 से 07:10 तक
⛅सूर्योदय - 06:02
⛅सूर्यास्त - 07:10
⛅दिशाशूल - पश्चिम दिशा में
⛅ब्रह्म मुहूर्त- प्रातः 04:35 से 05:19 तक
⛅निशिता मुहूर्त - रात्रि 12.14 से 12:58 तक
🚩आज की हिंदी तिथि
🌥️ 🚩युगाब्द-५१२४
🌥️ 🚩विक्रम संवत-२०७९
⛅ 🚩तिथि - सप्तमी शाम 05:01 बजे तक तत्पश्चात अष्टमी
⛅दिनांक 08 मई 2022
⛅दिन - रविवार
⛅विक्रम संवत - 2079
⛅शक संवत - 1944
⛅अयन - उत्तरायण
⛅ऋतु - ग्रीष्म
⛅मास - वैशाख
⛅पक्ष - शुक्ल
⛅नक्षत्र - पुष्य दोपहर 02:58 तक तत्पश्चात अश्लेषा
⛅योग - गण्ड रात्रि 08:34 तक तत्पश्चात वृद्धि
⛅राहुकाल - शाम 05:32 से 07:10 तक
⛅सूर्योदय - 06:02
⛅सूर्यास्त - 07:10
⛅दिशाशूल - पश्चिम दिशा में
⛅ब्रह्म मुहूर्त- प्रातः 04:35 से 05:19 तक
⛅निशिता मुहूर्त - रात्रि 12.14 से 12:58 तक
May 7, 2022
May 7, 2022
https://youtu.be/Nptgoz6tUXQ
Switch to DD News daily at 7:15 AM (Morning) for 15 minutes Sanskrit news.
Switch to DD News daily at 7:15 AM (Morning) for 15 minutes Sanskrit news.
YouTube
वार्ता: संस्कृत में समाचार | संस्कृत विश्वविद्यालयों का आरम्भ हुआ त्रिदिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन
May 7, 2022
@samskrt_samvadah संलापशाला - A Samskrit Voicechat room.
यदीच्छसि वशीकर्तुं, भाषणमेककर्मणा।
यायास्संलापशालां वै, भवति यत्र भाषणम्।।
⏳45 निमेषाः
🕚 IST 11:00 AM
🔰सामाजिकान्तरजालस्य प्रभावः
🗓08th may 2022, रविवासरः
🔴Voicechat would be recorded and shared on this channel.
📑यदि शक्येत चेत् संस्कृतेन (सामाजिकान्तरजालस्य अस्माकम् उपरि कः दुष्प्रभावः सुप्रभावः वा भवति) । चर्चार्थं कृपया पूर्वसिद्धतां कृत्वा आगच्छन्तु।
वयं युष्माकं प्रतीक्षां कुर्मः। 😇
स्मारणतंत्रिकां स्थापयतु ⏰
👇🏼👇🏼👇🏼👇🏼👇🏼
https://t.me/samskrt_samvadah?voicechat
यदीच्छसि वशीकर्तुं, भाषणमेककर्मणा।
यायास्संलापशालां वै, भवति यत्र भाषणम्।।
⏳45 निमेषाः
🕚 IST 11:00 AM
🔰सामाजिकान्तरजालस्य प्रभावः
🗓08th may 2022, रविवासरः
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📑यदि शक्येत चेत् संस्कृतेन (सामाजिकान्तरजालस्य अस्माकम् उपरि कः दुष्प्रभावः सुप्रभावः वा भवति) । चर्चार्थं कृपया पूर्वसिद्धतां कृत्वा आगच्छन्तु।
वयं युष्माकं प्रतीक्षां कुर्मः। 😇
स्मारणतंत्रिकां स्थापयतु ⏰
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https://t.me/samskrt_samvadah?voicechat
May 7, 2022
🔰चित्रं दृष्ट्वा पञ्चवाक्यानि रचयत।
✍🏼सर्वे टिप्पणीसञ्चिकायां स्वोत्तराणि लेखितुं शक्नुवन्ति अथवा पुस्तिकायां लिखित्वा तस्य चित्रं स्वीकृत्य अपि प्रेषयितुं शक्नुवन्ति।
🗣सहैव तानि वाक्यानि उक्त्वा ध्वनिमाध्यमेन अपि प्रेषयत।
🔰 चित्र देखकर पांच वाक्य बनायें।
✍🏼आप कमेंट बॉक्स में टङ्कण कर सकते हैं या कॉपी पर लिखकर फोटो भी भेज सकते हैं।
🗣 साथ हि वें वाक्य बोलकर भी वाइस नोट भेजें।
🔰Make 5 sentences, Observing the attached image.
✍🏼You can type in the comment box or you can also send a photo by writing on the notebook.
🗣 Also, Send voice message by uttering those sentences.
#chitram
✍🏼सर्वे टिप्पणीसञ्चिकायां स्वोत्तराणि लेखितुं शक्नुवन्ति अथवा पुस्तिकायां लिखित्वा तस्य चित्रं स्वीकृत्य अपि प्रेषयितुं शक्नुवन्ति।
🗣सहैव तानि वाक्यानि उक्त्वा ध्वनिमाध्यमेन अपि प्रेषयत।
🔰 चित्र देखकर पांच वाक्य बनायें।
✍🏼आप कमेंट बॉक्स में टङ्कण कर सकते हैं या कॉपी पर लिखकर फोटो भी भेज सकते हैं।
🗣 साथ हि वें वाक्य बोलकर भी वाइस नोट भेजें।
🔰Make 5 sentences, Observing the attached image.
✍🏼You can type in the comment box or you can also send a photo by writing on the notebook.
🗣 Also, Send voice message by uttering those sentences.
#chitram
May 7, 2022
May 7, 2022
Samskrita-Sambhashanam
Skill Development Program
(Samskrit Speaking)
https://www.adhyapanam.in/level-1
Level 1: Samskrit Speaking Skill Classes (1 Credit)
Online classes in the evening for 10 days (2 weeks Monday to Friday)
Time : 7:30 PM to 9:00 PM - 1.5 hours/day (15 hours)
Self-study Period : 21 lessons / 22 Videos / 7 hours watching time / to be completed in 4 weeks
Whatsapp chat to clarify doubts
Course-end Discussion (to evaluate Spoken Samskrit Skill level for Further Guidance)
Medium of instruction will be "Samskrit"
Course Fee :
Rs 300/- (Rupees Three Hundred Only) (non-refundable)
To Apply Click here
#SanskritEducation
Skill Development Program
(Samskrit Speaking)
https://www.adhyapanam.in/level-1
Level 1: Samskrit Speaking Skill Classes (1 Credit)
Online classes in the evening for 10 days (2 weeks Monday to Friday)
Time : 7:30 PM to 9:00 PM - 1.5 hours/day (15 hours)
Self-study Period : 21 lessons / 22 Videos / 7 hours watching time / to be completed in 4 weeks
Whatsapp chat to clarify doubts
Course-end Discussion (to evaluate Spoken Samskrit Skill level for Further Guidance)
Medium of instruction will be "Samskrit"
Course Fee :
Rs 300/- (Rupees Three Hundred Only) (non-refundable)
To Apply Click here
#SanskritEducation
www.adhyapanam.in/level-1
Samskrit Speaking and Listening Skill | Samskrita Sambhashanam | Adhyapanam
This is a custom-built course for Samskrit Teachers to improve the Samskrit Speaking and Listening Skill.
May 7, 2022
May 7, 2022
May 7, 2022
🍃
⚜Rains over the sea are not of any use. Food for one whose stomach is full, is waste. What’s the use of donation to an affluent? Also, lighting a lamp during day is useless.
⚜समुद्र पे बारिश और पेट भरा हो तो खाना व्यर्थ है। धनवान व्यक्ति को चंदा देना व्यर्थ है और दिन में दिया जलाना भी निरुपयोगी है।
🔅समुद्रे वर्षा पूरिते उदरे भोजनं धनिकानां कृते धनदानं तथा दिवसे दीप ज्वालनम् एतानि कार्याणि वृथानि भवन्ति।
#Subhashitam
वृथा वृष्टि: समुद्रेषु वृथा तृप्तेषु भोजनम् ।
वृथा दानम् धनाढ्येषु वृथा दीपो दिवाऽपि च
॥⚜Rains over the sea are not of any use. Food for one whose stomach is full, is waste. What’s the use of donation to an affluent? Also, lighting a lamp during day is useless.
⚜समुद्र पे बारिश और पेट भरा हो तो खाना व्यर्थ है। धनवान व्यक्ति को चंदा देना व्यर्थ है और दिन में दिया जलाना भी निरुपयोगी है।
🔅समुद्रे वर्षा पूरिते उदरे भोजनं धनिकानां कृते धनदानं तथा दिवसे दीप ज्वालनम् एतानि कार्याणि वृथानि भवन्ति।
#Subhashitam
May 7, 2022
May 8, 2022
May 8, 2022
Google
Translate has now opened Sanskrit for contributions! This is the
learning phase for Google Translate - it doesn't yet support Sanskrit
translation but it accepts contributions from those of us who know the
language even partially and in due course it would support actual
Sanskrit translation!
Those who are proficient in Sanskrit can now contribute to Google's database and "knowledge" of Sanskrit. I have no doubt that our dream of seeing Sanskrit becoming accessible to all is soon going to turn into a reality!
To contribute:
1. Go to translate.google.com
2. Click on Contribute
3. Select Sanskrit as language
4. Contribute by either Validating or Writing your contribution of sentences shown.
Thank you for your support to this initiative!
Those who are proficient in Sanskrit can now contribute to Google's database and "knowledge" of Sanskrit. I have no doubt that our dream of seeing Sanskrit becoming accessible to all is soon going to turn into a reality!
To contribute:
1. Go to translate.google.com
2. Click on Contribute
3. Select Sanskrit as language
4. Contribute by either Validating or Writing your contribution of sentences shown.
Thank you for your support to this initiative!
May 8, 2022
Read in English👇🏼
https://t.me/samskrt_samvadah/9223?single
Google Translate इति संस्कृतम् आरभते योगदानाय, एषा अभिज्ञानस्य अवस्थायां वर्तते । एषः इदानीं पर्यन्तं संस्कृतस्य अनुवादकरणं तु न आरब्धवान् परन्तु तथा अग्रे भवेत् तदर्थं ये जनाः ईषदपि संस्कृतं जानन्ति तेभ्यः योगदानं स्वीकरोति येन भविष्ये तथा अनुवादकरणं भवेत्।
अपि च ये जनाः संस्कृते पारङ्गताः वर्तन्ते ते गुगल् इत्यस्य दत्तनिधये संस्कृतस्य च ज्ञानाय स्वयोगदानं दातुम् अर्हन्ति।
संस्कृतं सर्वेषां कृते सुलभं भविष्यति इति मया दृष्टं स्वप्नं शीघ्रमेव सत्यतां यास्यति।
योगदानार्थम्
१. translate.google.com अत्र गच्छन्तु।
२. Contribute उपरि नुदन्तु।
३.संस्कृतं भाषारूपेण चिन्वन्तु।
४. वाक्यं मान्यं कृत्वा अथवा दत्तस्य वाक्यस्य विषये लिखित्वा योगदानं कर्तुं शक्नुमः।
एतस्य नूतनोपक्रमाय भवतां सहयोगार्थं धन्यवादाः।
https://t.me/samskrt_samvadah/9223?single
Google Translate इति संस्कृतम् आरभते योगदानाय, एषा अभिज्ञानस्य अवस्थायां वर्तते । एषः इदानीं पर्यन्तं संस्कृतस्य अनुवादकरणं तु न आरब्धवान् परन्तु तथा अग्रे भवेत् तदर्थं ये जनाः ईषदपि संस्कृतं जानन्ति तेभ्यः योगदानं स्वीकरोति येन भविष्ये तथा अनुवादकरणं भवेत्।
अपि च ये जनाः संस्कृते पारङ्गताः वर्तन्ते ते गुगल् इत्यस्य दत्तनिधये संस्कृतस्य च ज्ञानाय स्वयोगदानं दातुम् अर्हन्ति।
संस्कृतं सर्वेषां कृते सुलभं भविष्यति इति मया दृष्टं स्वप्नं शीघ्रमेव सत्यतां यास्यति।
योगदानार्थम्
१. translate.google.com अत्र गच्छन्तु।
२. Contribute उपरि नुदन्तु।
३.संस्कृतं भाषारूपेण चिन्वन्तु।
४. वाक्यं मान्यं कृत्वा अथवा दत्तस्य वाक्यस्य विषये लिखित्वा योगदानं कर्तुं शक्नुमः।
एतस्य नूतनोपक्रमाय भवतां सहयोगार्थं धन्यवादाः।
May 8, 2022
May 8, 2022
संस्कृत संवादः । Sanskrit Samvadah
रूपयौवनसम्पन्नाः
विशालकुलसम्भवाः। विद्याहीनाः न शोभन्ते निर्गन्धा इव किंशुकाः।। =
रूप और यौवन से सम्पन्न तथा ऊंचे कुल में जन्म लेने पर भी विद्याहीन मनुष्य
ऐसे ही सुशोभित नहीं होता जैसे ढाक के गन्धरहित फूल। किं तया क्रियते
धेन्वा या न दोग्ध्री न च गुर्विणी।…
अप्रियवचनदरिद्रैः प्रवचनाढ्यैः स्वदारपरितुष्टैः।
परपरिवादनिवृत्तैः क्वचित्क्वचिन्मण्डिता वसुधा।।
= अप्रिय और कठोर वचन बोलने में दरिद्र, प्रिय और मधुर वचनों के धनी, अपनी पत्नी से ही सदा सन्तुष्ट रहनेवाले और दूसरों की निन्दा से विमुख सज्जनों द्वारा ये धरती किसी-किसी स्थान पर ही अलंकृत है, सर्वत्र नहीं, अर्थात् ऐसे महापुरुष संसार में विरले ही होते हैं।
यमाजीवन्ति पुरुषं सर्वभूतानि स´्जय।
पक्वं द्रुममिवाऽऽसाद्य तस्य जीवितमर्थवत्।।
= हे संजय पके हुए फलोंवाले वृक्ष के समान जिस मनुष्य का सहारा लेकर सभी प्राणी अपना जीवनयापन करते हैं, उसी का जीवन सफल है।
प्रदानं प्रच्छन्नं गृहमुपगते सम्भ्रमविधिः, प्रियं कृत्वा मौनं सदसि कथनं चाप्युकृतेः।
अनुत्सेको लक्ष्म्यां निरभिभवसाराः परकथाः, सतां केनोद्दिष्टं विषममसिधाराव्रतमिदम्।।
= गुप् रूप से दान देना, घर पर आए हुए का तत्परता से सत्कार करना, किसी का प्रिय कार्य करके चुप रहना और दूसरे के द्वारा अपना कार्य किए जाने पर उसका सभा में बखान करनार, धन-सम्पत्ति होने पर अभिमान न करना और दूसरों की चर्चा के प्रसंग में उनके लिए अपमानजनक वचन न कहना, तलवार की धार पर चलने के समान इन कठोर व्रतों को करने का सत्पुरुषों को किसने आदेश दिया है ?
न स्वे सुखे वै कुरुते प्रहर्षं नान्यस्य दुःखे भवति प्रहृष्टः।
दत्त्वा न पश्चात्कुरुतेऽनुतापं स कथ्यते सत्पुरुषार्यशीलः।।
= जो अपने सुख में प्रसन्न नहीं होता और अन्यों के दुःख में हर्षित नहीं होता, जो किसी को कुछ देकर बाद में पछताता नहीं, वही सत्पुरुष आर्य चरित्रवाला कहलाता है।
अपां समीपे नियतो नैत्यकं विधिमास्थितः।
सावित्रीमप्यधीयीत गत्वाऽरण्यं समाहितः।।
= मनुष्य प्रतिदिन वन में जाकर, नदी सरोवर आदि के तट पर बैठकर, दैनिक नित्य कर्त्तव्य प्राणायामादि करके गायत्री मन्त्र का अर्थचिन्तनपूर्वक जप करे।
आचम्य प्रयतो नित्यमुभे सन्ध्ये समाहितः।
शुचौ देशे जप´्जप्यमुपासीत यथाविधिः।।
= मनुष्य प्रतिदिन दोनों सन्ध्याबेलाओं में शुद्ध स्थान पर बैठकर, आचमन करे, एकाग्र होकर, विधिपूर्वक ओम् का जप करता हुआ ईश्वरोपासना करे।
उत्थायाऽऽवश्यकं कृत्वा कृतशौचः समाहितः।
पूर्वां सन्ध्यां जपंस्तिष्ठेत् स्वकाले चाऽपरां चिरम्।।
= मनुष्य प्रातः उठकर आवश्यक कार्य करके स्नानादि से शुद्ध होकर एकाग्रचित्त से बैठे। प्रातःकाल की सन्ध्याबेला में स्थिरतापूर्वक जप करे और सायंकालीन सन्ध्याबेला में भी चिरकाल तक जप करे।
अरावप्युचितं कार्यमातिथ्यं गृहमागते।
छेत्तुः पार्श्वगतां छायां नोपसंहरते दु्रमः।।
= घर पर आए हुए शत्रु का भी यथोचित अतिथि-सत्कार करना चाहिए। वृक्ष को देखो वह अपनी फैली हुई छाया को अपने ही को आटनेवाले के ऊपर से भी नहीं हटाता।
दुःखात्तेषु प्रमत्तेषु नास्तिकेष्वलसेषु च।
न श्रीर्वसत्यदान्तेषु ये चोत्साहविवर्जिताः।।
= दुःख से परेशान, प्रमादी तथा नशाखोर, नास्तिक, आलसी, मन आदि को वश में न रखनेवाले और उत्साहहीन मनुष्य के पास लक्ष्मी निवास नहीं करती है।
तानीन्द्रिण्यविकलानि तदेव नाम, सा बुद्धिरप्रतिहता वचनं तदेव।
अर्थोष्मणा विरहितः पुरुषः स एव, त्वन्यः क्षणेन भवतीति विचित्रमेतत्।।
= वही सामर्थ्ययुक्त इन्द्रियां हैं और नाम भी वही है, वही अबाध चिन्तनवाली बुद्धि है, और वचन भी वही है, तथा धनरूपी ऊष्णता से रहित पुरुष भी वही है। किन्तु धन चले जाने के कारण क्षणभर में सबकुछ बदला हुआ लगता है, यह कितने आश्चर्य की बात है ?
स्वाध्याये नित्ययुक्तः स्याद् दान्तो मैत्रः समाहितः।
दाता नित्यमनादाता सर्वभूतानुकम्पकः।।
= (वानप्रस्थी) सदा स्वाध्याय में लगा रहे। तथा वह मनादि को दमन करनेवाला, सबसे मित्रभाव रखनेवाला, एकाग्र, दान देनेवाला, कभी न लेनेवाला और सब प्रणियों पर दया रखनेवाला बने।
#vakyabhyas
परपरिवादनिवृत्तैः क्वचित्क्वचिन्मण्डिता वसुधा।।
= अप्रिय और कठोर वचन बोलने में दरिद्र, प्रिय और मधुर वचनों के धनी, अपनी पत्नी से ही सदा सन्तुष्ट रहनेवाले और दूसरों की निन्दा से विमुख सज्जनों द्वारा ये धरती किसी-किसी स्थान पर ही अलंकृत है, सर्वत्र नहीं, अर्थात् ऐसे महापुरुष संसार में विरले ही होते हैं।
यमाजीवन्ति पुरुषं सर्वभूतानि स´्जय।
पक्वं द्रुममिवाऽऽसाद्य तस्य जीवितमर्थवत्।।
= हे संजय पके हुए फलोंवाले वृक्ष के समान जिस मनुष्य का सहारा लेकर सभी प्राणी अपना जीवनयापन करते हैं, उसी का जीवन सफल है।
प्रदानं प्रच्छन्नं गृहमुपगते सम्भ्रमविधिः, प्रियं कृत्वा मौनं सदसि कथनं चाप्युकृतेः।
अनुत्सेको लक्ष्म्यां निरभिभवसाराः परकथाः, सतां केनोद्दिष्टं विषममसिधाराव्रतमिदम्।।
= गुप् रूप से दान देना, घर पर आए हुए का तत्परता से सत्कार करना, किसी का प्रिय कार्य करके चुप रहना और दूसरे के द्वारा अपना कार्य किए जाने पर उसका सभा में बखान करनार, धन-सम्पत्ति होने पर अभिमान न करना और दूसरों की चर्चा के प्रसंग में उनके लिए अपमानजनक वचन न कहना, तलवार की धार पर चलने के समान इन कठोर व्रतों को करने का सत्पुरुषों को किसने आदेश दिया है ?
न स्वे सुखे वै कुरुते प्रहर्षं नान्यस्य दुःखे भवति प्रहृष्टः।
दत्त्वा न पश्चात्कुरुतेऽनुतापं स कथ्यते सत्पुरुषार्यशीलः।।
= जो अपने सुख में प्रसन्न नहीं होता और अन्यों के दुःख में हर्षित नहीं होता, जो किसी को कुछ देकर बाद में पछताता नहीं, वही सत्पुरुष आर्य चरित्रवाला कहलाता है।
अपां समीपे नियतो नैत्यकं विधिमास्थितः।
सावित्रीमप्यधीयीत गत्वाऽरण्यं समाहितः।।
= मनुष्य प्रतिदिन वन में जाकर, नदी सरोवर आदि के तट पर बैठकर, दैनिक नित्य कर्त्तव्य प्राणायामादि करके गायत्री मन्त्र का अर्थचिन्तनपूर्वक जप करे।
आचम्य प्रयतो नित्यमुभे सन्ध्ये समाहितः।
शुचौ देशे जप´्जप्यमुपासीत यथाविधिः।।
= मनुष्य प्रतिदिन दोनों सन्ध्याबेलाओं में शुद्ध स्थान पर बैठकर, आचमन करे, एकाग्र होकर, विधिपूर्वक ओम् का जप करता हुआ ईश्वरोपासना करे।
उत्थायाऽऽवश्यकं कृत्वा कृतशौचः समाहितः।
पूर्वां सन्ध्यां जपंस्तिष्ठेत् स्वकाले चाऽपरां चिरम्।।
= मनुष्य प्रातः उठकर आवश्यक कार्य करके स्नानादि से शुद्ध होकर एकाग्रचित्त से बैठे। प्रातःकाल की सन्ध्याबेला में स्थिरतापूर्वक जप करे और सायंकालीन सन्ध्याबेला में भी चिरकाल तक जप करे।
अरावप्युचितं कार्यमातिथ्यं गृहमागते।
छेत्तुः पार्श्वगतां छायां नोपसंहरते दु्रमः।।
= घर पर आए हुए शत्रु का भी यथोचित अतिथि-सत्कार करना चाहिए। वृक्ष को देखो वह अपनी फैली हुई छाया को अपने ही को आटनेवाले के ऊपर से भी नहीं हटाता।
दुःखात्तेषु प्रमत्तेषु नास्तिकेष्वलसेषु च।
न श्रीर्वसत्यदान्तेषु ये चोत्साहविवर्जिताः।।
= दुःख से परेशान, प्रमादी तथा नशाखोर, नास्तिक, आलसी, मन आदि को वश में न रखनेवाले और उत्साहहीन मनुष्य के पास लक्ष्मी निवास नहीं करती है।
तानीन्द्रिण्यविकलानि तदेव नाम, सा बुद्धिरप्रतिहता वचनं तदेव।
अर्थोष्मणा विरहितः पुरुषः स एव, त्वन्यः क्षणेन भवतीति विचित्रमेतत्।।
= वही सामर्थ्ययुक्त इन्द्रियां हैं और नाम भी वही है, वही अबाध चिन्तनवाली बुद्धि है, और वचन भी वही है, तथा धनरूपी ऊष्णता से रहित पुरुष भी वही है। किन्तु धन चले जाने के कारण क्षणभर में सबकुछ बदला हुआ लगता है, यह कितने आश्चर्य की बात है ?
स्वाध्याये नित्ययुक्तः स्याद् दान्तो मैत्रः समाहितः।
दाता नित्यमनादाता सर्वभूतानुकम्पकः।।
= (वानप्रस्थी) सदा स्वाध्याय में लगा रहे। तथा वह मनादि को दमन करनेवाला, सबसे मित्रभाव रखनेवाला, एकाग्र, दान देनेवाला, कभी न लेनेवाला और सब प्रणियों पर दया रखनेवाला बने।
#vakyabhyas
May 8, 2022
May 8, 2022
संस्कृत संवादः (@samskrt_samvadah) वाहिन्या आयोज्यते कार्यशाला एका (Voice-chat माध्यमेन) यत्र अनुष्टुप्-छन्दसि श्लोकनिर्माणं ज्ञास्यन्ति भवन्तः , इयं कार्यशाला मे मासस्य 11 दिनाङ्के बुधवासरे मध्याह्ने 12:00 वादने भविष्यति।
यदि श्लोकनिर्माणं ज्ञातुम् इच्छन्ति चेत् निश्चयेन आयान्तु।
👇🏼👇🏼👇🏼👇🏼👇🏼👇🏼
http://t.me/samskrt_samvadah?voicechat
यदि श्लोकनिर्माणं ज्ञातुम् इच्छन्ति चेत् निश्चयेन आयान्तु।
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http://t.me/samskrt_samvadah?voicechat
May 8, 2022
संस्कृत संवादः । Sanskrit Samvadah pinned «संस्कृत
संवादः (@samskrt_samvadah) वाहिन्या आयोज्यते कार्यशाला एका (Voice-chat
माध्यमेन) यत्र अनुष्टुप्-छन्दसि श्लोकनिर्माणं ज्ञास्यन्ति भवन्तः , इयं
कार्यशाला मे मासस्य 11 दिनाङ्के बुधवासरे मध्याह्ने 12:00 वादने भविष्यति।
यदि श्लोकनिर्माणं ज्ञातुम् इच्छन्ति…»
May 8, 2022
@samskrt_samvadah संलापशाला - A Samskrit Voicechat room.
यदीच्छसि वशीकर्तुं, भाषणमेककर्मणा।
यायास्संलापशालां वै, भवति यत्र भाषणम्।।
⏳45 निमेषाः
🕚 IST 11:00 AM विषयः
🔰वार्ताः
🗓09th May2022,सोमवासरः
🔴Voicechat would be recorded and shared on this channel.
📑यदि शक्येत चेत् संस्कृतेन (स्वस्थानीयां,प्रादेशीयां, अन्ताराष्ट्रीयाम् उत्तमां वार्तां वदन्तु) । चर्चार्थं कृपया पूर्वसिद्धतां कृत्वा आगच्छन्तु।
वयं युष्माकं प्रतीक्षां कुर्मः। 😇
स्मारणतंत्रिकां स्थापयतु ⏰
👇🏼👇🏼👇🏼👇🏼👇🏼
https://t.me/samskrt_samvadah?voicechat
यदीच्छसि वशीकर्तुं, भाषणमेककर्मणा।
यायास्संलापशालां वै, भवति यत्र भाषणम्।।
⏳45 निमेषाः
🕚 IST 11:00 AM विषयः
🔰वार्ताः
🗓09th May2022,सोमवासरः
🔴Voicechat would be recorded and shared on this channel.
📑यदि शक्येत चेत् संस्कृतेन (स्वस्थानीयां,प्रादेशीयां, अन्ताराष्ट्रीयाम् उत्तमां वार्तां वदन्तु) । चर्चार्थं कृपया पूर्वसिद्धतां कृत्वा आगच्छन्तु।
वयं युष्माकं प्रतीक्षां कुर्मः। 😇
स्मारणतंत्रिकां स्थापयतु ⏰
👇🏼👇🏼👇🏼👇🏼👇🏼
https://t.me/samskrt_samvadah?voicechat
May 8, 2022
May 8, 2022
🍃
♦️tatkShetraM yachcha yaadRRik cha yadvikaari yatashcha yat|
sa cha yo yatprabhaavashcha tatsamaasena me shrRRiNu
⚜What the field is and of what nature, what are its modifications and whence it is and also who He is and what His powers are hear all that from Me in brief.(13.4)
⚜इसलिये वह क्षेत्र जो है और जैसा है तथा जिन विकारों वाला है और जिस (कारण) से जो (कार्य) हुआ है तथा वह (क्षेत्रज्ञ) भी जो है और जिस प्रभाव वाला है वह संक्षेप में मुझसे सुनो।।13.4।।
#geeta
तत्क्षेत्रं यच्च यादृक् च यद्विकारि यतश्च यत्।
स च यो यत्प्रभावश्च तत्समासेन मे श्रृणु
।।13.4।।♦️tatkShetraM yachcha yaadRRik cha yadvikaari yatashcha yat|
sa cha yo yatprabhaavashcha tatsamaasena me shrRRiNu
⚜What the field is and of what nature, what are its modifications and whence it is and also who He is and what His powers are hear all that from Me in brief.(13.4)
⚜इसलिये वह क्षेत्र जो है और जैसा है तथा जिन विकारों वाला है और जिस (कारण) से जो (कार्य) हुआ है तथा वह (क्षेत्रज्ञ) भी जो है और जिस प्रभाव वाला है वह संक्षेप में मुझसे सुनो।।13.4।।
#geeta
May 8, 2022
May 8, 2022
🍃
♦️RRiShibhirbahudhaa giitaM ChandobhirvividhaiH pRRithak|
brahmasuutrapadaishchaiva hetumadbhirvinish्ichataiH
⚜Sages have sung in many ways, in various distinctive chants and also in the suggestive words indicative of the Absolute, full of reasoning and decisive. (13.05)
⚜(क्षेत्रक्षेत्रज्ञ के विषय में) ऋषियों द्वारा विभिन्न और विविध छन्दों में बहुत प्रकार से गाया गया है तथा सम्यक् प्रकार से निश्चित किये हुये युक्तियुक्त ब्रह्मसूत्र के पदों द्वारा (अर्थात् ब्रह्म के सूचक शब्दों द्वारा) भी (वैसे ही कहा गया है)।।13.5।।
#geeta
ऋषिभिर्बहुधा गीतं छन्दोभिर्विविधैः पृथक्।
ब्रह्मसूत्रपदैश्चैव हेतुमद्भिर्विनिश्िचतैः
।।13.5।।♦️RRiShibhirbahudhaa giitaM ChandobhirvividhaiH pRRithak|
brahmasuutrapadaishchaiva hetumadbhirvinish्ichataiH
⚜Sages have sung in many ways, in various distinctive chants and also in the suggestive words indicative of the Absolute, full of reasoning and decisive. (13.05)
⚜(क्षेत्रक्षेत्रज्ञ के विषय में) ऋषियों द्वारा विभिन्न और विविध छन्दों में बहुत प्रकार से गाया गया है तथा सम्यक् प्रकार से निश्चित किये हुये युक्तियुक्त ब्रह्मसूत्र के पदों द्वारा (अर्थात् ब्रह्म के सूचक शब्दों द्वारा) भी (वैसे ही कहा गया है)।।13.5।।
#geeta
May 8, 2022
🚩जय सत्य सनातन🚩
🚩आज की हिंदी तिथि
🌥️ 🚩युगाब्द-५१२४
🌥️ 🚩विक्रम संवत-२०७९
⛅ 🚩तिथि - अष्टमी शाम 06:32 बजे तक तत्पश्चात नवमी
⛅दिनांक 09 मई 2022
⛅दिन - सोमवार
⛅विक्रम संवत - 2079
⛅शक संवत - 1944
⛅अयन - उत्तरायण
⛅ऋतु - ग्रीष्म
⛅मास - वैशाख
⛅पक्ष - शुक्ल
⛅नक्षत्र - अश्लेषा दोपहर 05:08 तक तत्पश्चात मघा
⛅योग - वृद्धि रात्रि 08:44 तक तत्पश्चात ध्रुव
⛅राहुकाल - सुबह 07:40 से 09:19 तक
⛅सूर्योदय - 06:02
⛅सूर्यास्त - 07:11
⛅दिशाशूल - पूर्व दिशा में
⛅ब्रह्म मुहूर्त- प्रातः 04:35 से 05:18 तक
🚩आज की हिंदी तिथि
🌥️ 🚩युगाब्द-५१२४
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⛅शक संवत - 1944
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⛅ऋतु - ग्रीष्म
⛅मास - वैशाख
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⛅नक्षत्र - अश्लेषा दोपहर 05:08 तक तत्पश्चात मघा
⛅योग - वृद्धि रात्रि 08:44 तक तत्पश्चात ध्रुव
⛅राहुकाल - सुबह 07:40 से 09:19 तक
⛅सूर्योदय - 06:02
⛅सूर्यास्त - 07:11
⛅दिशाशूल - पूर्व दिशा में
⛅ब्रह्म मुहूर्त- प्रातः 04:35 से 05:18 तक
May 8, 2022
https://youtu.be/DpQY5tuRtac
Switch to DD News daily at 7:15 AM (Morning) for 15 minutes Sanskrit news.
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वार्ता: संस्कृत में समाचार | केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर इज़रायल के दौरे पर
May 8, 2022
@samskrt_samvadah संलापशाला - A Samskrit Voicechat room.
यदीच्छसि वशीकर्तुं, भाषणमेककर्मणा।
यायास्संलापशालां वै, भवति यत्र भाषणम्।।
⏳45 निमेषाः
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🗓09th May2022,सोमवासरः
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यदीच्छसि वशीकर्तुं, भाषणमेककर्मणा।
यायास्संलापशालां वै, भवति यत्र भाषणम्।।
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🔰वार्ताः
🗓09th May2022,सोमवासरः
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May 8, 2022
May 8, 2022
May 8, 2022
May 8, 2022
May 8, 2022
🍃
- चाणक्यनीतिः 13.15
⚜Just as in a herd of thousands of cows, a calf recognizes its mother easily, similarly, all past actions (of past human lives) always follow the doer.
⚜जैसे एक बछड़ा हज़ारो गायों के झुंड मे अपनी माँ के पीछे चलता है। उसी प्रकार आदमी के अच्छे और बुरे कर्म उसके पीछे चलते हैं।
🔅यथा बहुधेनुषु वत्सः स्वमातरं सरलेन प्राप्नोति , तथैव पूर्वकृतानि कर्माणि तेषां यः कर्ता भवति तस्य पृष्ठतः अग्रिमजन्मनि अपि गच्छन्ति, तस्मात् सर्वदा उत्तमानि कर्तव्यानि एव करणीयानि।
#Subhashitam
यथा धेनुसहस्रेषु, वत्सो विन्दति मातरम्।
तथा पूर्वकृतं कर्म, कर्तारमनुगच्छति
॥ - चाणक्यनीतिः 13.15
⚜Just as in a herd of thousands of cows, a calf recognizes its mother easily, similarly, all past actions (of past human lives) always follow the doer.
⚜जैसे एक बछड़ा हज़ारो गायों के झुंड मे अपनी माँ के पीछे चलता है। उसी प्रकार आदमी के अच्छे और बुरे कर्म उसके पीछे चलते हैं।
🔅यथा बहुधेनुषु वत्सः स्वमातरं सरलेन प्राप्नोति , तथैव पूर्वकृतानि कर्माणि तेषां यः कर्ता भवति तस्य पृष्ठतः अग्रिमजन्मनि अपि गच्छन्ति, तस्मात् सर्वदा उत्तमानि कर्तव्यानि एव करणीयानि।
#Subhashitam
May 8, 2022
May 9, 2022
May 9, 2022
संस्कृत संवादः । Sanskrit Samvadah
अप्रियवचनदरिद्रैः
प्रवचनाढ्यैः स्वदारपरितुष्टैः। परपरिवादनिवृत्तैः क्वचित्क्वचिन्मण्डिता
वसुधा।। = अप्रिय और कठोर वचन बोलने में दरिद्र, प्रिय और मधुर वचनों
के धनी, अपनी पत्नी से ही सदा सन्तुष्ट रहनेवाले और दूसरों की निन्दा से
विमुख सज्जनों द्वारा ये धरती…
अनग्निरनिकेतः स्याद् ग्राममन्नार्थमाश्रयेत्।
उपेक्षकोऽसंकुसुको मुनिर्भाव समाहितः।।
= (संन्यासी) स्वभोजनादि हेतु अग्नि अर्थात् चूल्हे आदि का बखेडा न करे। स्वयं हेतु कोई भवन नहीं बनावे, भोजन हेतु ही ग्रामादि का आश्रय लेवे, सामान्य सांसारिक व्यवहारों को उपेक्षा की दृष्टि से देखे, चंचलमति न बने, मननशील बने और ब्रह्मभाव में लीन रहे।
दूषितोऽपि चरेद् धर्मं यत्र तत्राऽऽश्रमे रतः।
समः सर्वेषु भूतेषु न लिङ्गं धर्मकारणम्।।
= लोगों द्वारा दोषारोपण किए जाने पर भी सब आश्रमों में धर्मोपदेश करता हुआ अपने संन्यासधर्म का पालन करता रहे और सब प्राणियों पर समभाव रखे। इस प्रकार अपने आश्रम के नियम का पालन करते हुए यह ध्यान रखे कि दण्ड कमण्डलु गेरुए वस्त्र आदि चिह्न ही संन्यास धर्म का आधार नहीं हैं।
उद्यमेन हि सिध्यन्ति कार्याणि न मनोरथैः।
नहि सुप्तस्य सिंहस्य प्रविशन्ति मुखे मृगाः।।
= सब काम पुरुषार्थ से ही सिद्ध होते हैं, केवल मनोरथ से नहीं। जैसे सोए हुए सिंह के मुख में हिरण अपने आप प्रविष्ट नहीं हो जाता।
दक्षः श्रियमधिगच्छति पथ्याशीः कल्यतां सुखमरोगी।
उद्युक्तो विद्यान्तं धर्मार्थयशांसि च विनीतः।।
= निपुण व्यक्ति सम्पत्ति को प्राप्त कर लेता है, पथ्य (हितकारक तथा मात्रा में) भोजन करनेवाला स्वास्थ्य को, निरोग सुख को, तत्पर पूर्ण विद्या को और विनम्र मनुष्य धर्म अर्थ तथा कीर्ति को प्राप्त कर लेता है।
द्रष्ट्राविरहितः सर्पो मदहीनो यथा गजः।
सर्वेषां जायते वश्यो दुर्गहीनस्तथा नृपः।।
= जिस प्रकार दांत रहित सांप और मद रहित हाथी सबके वश में हो जाते हैं वैसे ही दुर्ग रहित राजा सबके वश में हो जाता है।
अर्धार्धाद् योजनशतादामिषं वीक्षते खगः।
सोऽपि पार्श्वस्थितं दैवाद् बन्धनं न च पश्यति।।
= जो पक्षी पचास-पचास योजन दूर से भी अपनी भोग्य वस्तु को देख लेता है, वही पक्षी दुर्भाग्यवशात् पास में स्थित बन्धन को नहीं देख पाता।
न विश्वसेदविश्वस्ते विश्वस्तेऽपि न विश्वसेद्।
विश्वासाद् भयमुत्पन्नं मूलान्यपि निकृन्तति।।
= विश्वास के अयोग्य पुरुष का कभी विश्वास न करे तथाविश्वस्त आदमी का भी अधिक विश्वास न करे, क्योंकि विश्वास के द्वारा उत्पन्न भय जड़ों को भी काट देता है, अर्थात् सर्वथा नष्ट कर देता है।
किं तेन जातु जातेन मातुर्यौवनहारिणा।
आरोहति न यः स्वस्य वंशस्याग्रे ध्वजो यथा।।
= माता की युवावस्था हरण करनेवाले उस पुत्र के जन्म से क्या लाभ ?जो अपने वंश (कुल) में वंश (बांस) के अग्रिम भाग में स्थित पताका के समान नहीं फहरता।
अश्वः शस्त्रं शास्त्रं वीणा वाणी नरश्च नारी च।
पुरुषविशेषं प्राप्ता भवन्त्ययोग्याश्च योग्याश्च।।
= घोड़ा, शस्त्र, शास्त्र, वीणा, वाणी, नर और नारी ये पुरुष विशेष को प्राप्त होकर योग्य अथवा अयोग्य हो जाया करते हैं।
जातस्य हि ध्रुवो मृत्युर्ध्रुवं जन्म मृतस्य च।
तस्मादपरिहार्येऽर्थे न त्वं शोचितुमर्हसि।।
= जो जन्मा है उसकी मत्यु निश्चित है और जो मर चुका है उसका जन्म निश्चित है। इस लिए इस अपरिहार्य न टाले जाने योग्य बात के लिए तुझे शोक करना उचित नहीं है।
भोगैश्वर्यप्रसक्तानां तयाऽपहृतचेतसाम्।
व्यवसायात्मिका बुद्धिःसमाधौ न विधीयते।।
= भोग और ऐश्वर्यों में डूबे हुए तथा भोग और ऐश्वर्यों की बातों में ही जिसका चित्त खोया हुआ है, ऐसे लोगों की बुद्धि समाधि में स्थिर नहीं होती।
कर्मजं बुद्धियुक्ता हि फलं त्यक्त्वा मनीषिणः।
जन्मबन्धविनिर्मुक्ताः पदं गच्छन्त्यनामयम्।।
= मनीषी ज्ञानयोग (समाधि-ज्ञान से युक्त होकर) कर्म से प्राप्त होनेवाले फलों को त्यागकर, जन्म के बन्धन से मुक्त होकर दुःख से रहित स्थिति को प्राप्त कर लेते हैं।
हतो वा प्राप्स्यसि स्वर्गं जित्वा वा भोक्ष्यसे महीम्।
तस्मादुतिष्ठ कौन्तेय युद्धाय कृतनिश्चयः।।
= अगर तू युद्ध में मारा गया तो स्वर्ग को प्राप्त करेगा और जीत गया तो पृथ्वी का राज्य भोगेगा। इसलिए हे कुन्तिपुत्र तू युद्ध के लिए निश्चय करके उठ खड़ा हो !
#vakyabhyas
उपेक्षकोऽसंकुसुको मुनिर्भाव समाहितः।।
= (संन्यासी) स्वभोजनादि हेतु अग्नि अर्थात् चूल्हे आदि का बखेडा न करे। स्वयं हेतु कोई भवन नहीं बनावे, भोजन हेतु ही ग्रामादि का आश्रय लेवे, सामान्य सांसारिक व्यवहारों को उपेक्षा की दृष्टि से देखे, चंचलमति न बने, मननशील बने और ब्रह्मभाव में लीन रहे।
दूषितोऽपि चरेद् धर्मं यत्र तत्राऽऽश्रमे रतः।
समः सर्वेषु भूतेषु न लिङ्गं धर्मकारणम्।।
= लोगों द्वारा दोषारोपण किए जाने पर भी सब आश्रमों में धर्मोपदेश करता हुआ अपने संन्यासधर्म का पालन करता रहे और सब प्राणियों पर समभाव रखे। इस प्रकार अपने आश्रम के नियम का पालन करते हुए यह ध्यान रखे कि दण्ड कमण्डलु गेरुए वस्त्र आदि चिह्न ही संन्यास धर्म का आधार नहीं हैं।
उद्यमेन हि सिध्यन्ति कार्याणि न मनोरथैः।
नहि सुप्तस्य सिंहस्य प्रविशन्ति मुखे मृगाः।।
= सब काम पुरुषार्थ से ही सिद्ध होते हैं, केवल मनोरथ से नहीं। जैसे सोए हुए सिंह के मुख में हिरण अपने आप प्रविष्ट नहीं हो जाता।
दक्षः श्रियमधिगच्छति पथ्याशीः कल्यतां सुखमरोगी।
उद्युक्तो विद्यान्तं धर्मार्थयशांसि च विनीतः।।
= निपुण व्यक्ति सम्पत्ति को प्राप्त कर लेता है, पथ्य (हितकारक तथा मात्रा में) भोजन करनेवाला स्वास्थ्य को, निरोग सुख को, तत्पर पूर्ण विद्या को और विनम्र मनुष्य धर्म अर्थ तथा कीर्ति को प्राप्त कर लेता है।
द्रष्ट्राविरहितः सर्पो मदहीनो यथा गजः।
सर्वेषां जायते वश्यो दुर्गहीनस्तथा नृपः।।
= जिस प्रकार दांत रहित सांप और मद रहित हाथी सबके वश में हो जाते हैं वैसे ही दुर्ग रहित राजा सबके वश में हो जाता है।
अर्धार्धाद् योजनशतादामिषं वीक्षते खगः।
सोऽपि पार्श्वस्थितं दैवाद् बन्धनं न च पश्यति।।
= जो पक्षी पचास-पचास योजन दूर से भी अपनी भोग्य वस्तु को देख लेता है, वही पक्षी दुर्भाग्यवशात् पास में स्थित बन्धन को नहीं देख पाता।
न विश्वसेदविश्वस्ते विश्वस्तेऽपि न विश्वसेद्।
विश्वासाद् भयमुत्पन्नं मूलान्यपि निकृन्तति।।
= विश्वास के अयोग्य पुरुष का कभी विश्वास न करे तथाविश्वस्त आदमी का भी अधिक विश्वास न करे, क्योंकि विश्वास के द्वारा उत्पन्न भय जड़ों को भी काट देता है, अर्थात् सर्वथा नष्ट कर देता है।
किं तेन जातु जातेन मातुर्यौवनहारिणा।
आरोहति न यः स्वस्य वंशस्याग्रे ध्वजो यथा।।
= माता की युवावस्था हरण करनेवाले उस पुत्र के जन्म से क्या लाभ ?जो अपने वंश (कुल) में वंश (बांस) के अग्रिम भाग में स्थित पताका के समान नहीं फहरता।
अश्वः शस्त्रं शास्त्रं वीणा वाणी नरश्च नारी च।
पुरुषविशेषं प्राप्ता भवन्त्ययोग्याश्च योग्याश्च।।
= घोड़ा, शस्त्र, शास्त्र, वीणा, वाणी, नर और नारी ये पुरुष विशेष को प्राप्त होकर योग्य अथवा अयोग्य हो जाया करते हैं।
जातस्य हि ध्रुवो मृत्युर्ध्रुवं जन्म मृतस्य च।
तस्मादपरिहार्येऽर्थे न त्वं शोचितुमर्हसि।।
= जो जन्मा है उसकी मत्यु निश्चित है और जो मर चुका है उसका जन्म निश्चित है। इस लिए इस अपरिहार्य न टाले जाने योग्य बात के लिए तुझे शोक करना उचित नहीं है।
भोगैश्वर्यप्रसक्तानां तयाऽपहृतचेतसाम्।
व्यवसायात्मिका बुद्धिःसमाधौ न विधीयते।।
= भोग और ऐश्वर्यों में डूबे हुए तथा भोग और ऐश्वर्यों की बातों में ही जिसका चित्त खोया हुआ है, ऐसे लोगों की बुद्धि समाधि में स्थिर नहीं होती।
कर्मजं बुद्धियुक्ता हि फलं त्यक्त्वा मनीषिणः।
जन्मबन्धविनिर्मुक्ताः पदं गच्छन्त्यनामयम्।।
= मनीषी ज्ञानयोग (समाधि-ज्ञान से युक्त होकर) कर्म से प्राप्त होनेवाले फलों को त्यागकर, जन्म के बन्धन से मुक्त होकर दुःख से रहित स्थिति को प्राप्त कर लेते हैं।
हतो वा प्राप्स्यसि स्वर्गं जित्वा वा भोक्ष्यसे महीम्।
तस्मादुतिष्ठ कौन्तेय युद्धाय कृतनिश्चयः।।
= अगर तू युद्ध में मारा गया तो स्वर्ग को प्राप्त करेगा और जीत गया तो पृथ्वी का राज्य भोगेगा। इसलिए हे कुन्तिपुत्र तू युद्ध के लिए निश्चय करके उठ खड़ा हो !
#vakyabhyas
May 9, 2022
May 9, 2022
@samskrt_samvadah प्रारंभ करता है, संस्कृताश्रमः - संस्कृतशिक्षण की लघु कक्षाऐं
⏳20 मिनट
🕚 09:00 PM 🇮🇳
🔰भूतकालः
🗓09th मई 2022, सोमवासरः
🔴 कक्षाओं की प्रति हमारे युट्युब चैनल पर डाली जायेगी
कृपया अलार्म लगा लें और विलंब से न आयें।
👇🏼👇🏼👇🏼👇🏼👇🏼
https://t.me/samskrt_samvadah?voicechat
⏳20 मिनट
🕚 09:00 PM 🇮🇳
🔰भूतकालः
🗓09th मई 2022, सोमवासरः
🔴 कक्षाओं की प्रति हमारे युट्युब चैनल पर डाली जायेगी
कृपया अलार्म लगा लें और विलंब से न आयें।
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May 9, 2022
@samskrt_samvadah संलापशाला - A Samskrit Voicechat room.
यदीच्छसि वशीकर्तुं, भाषणमेककर्मणा।
यायास्संलापशालां वै, भवति यत्र भाषणम्।।
⏳45 निमेषाः
🕚 IST 11:00 AM
🔰भारते संस्कृतस्य विरोधः
🗓10th May2022,मङ्गलवासरः
🔴Voicechat would be recorded and shared on this channel.
📑यदि शक्येत चेत् संस्कृतेन (भारते किमर्थं संस्कृतस्य विरोधः क्रियते तथा वयं किं कर्तुं शक्नुमः तस्य निराकरणाय) । चर्चार्थं कृपया पूर्वसिद्धतां कृत्वा आगच्छन्तु।
वयं युष्माकं प्रतीक्षां कुर्मः। 😇
स्मारणतंत्रिकां स्थापयतु ⏰
👇🏼👇🏼👇🏼👇🏼👇🏼
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यदीच्छसि वशीकर्तुं, भाषणमेककर्मणा।
यायास्संलापशालां वै, भवति यत्र भाषणम्।।
⏳45 निमेषाः
🕚 IST 11:00 AM
🔰भारते संस्कृतस्य विरोधः
🗓10th May2022,मङ्गलवासरः
🔴Voicechat would be recorded and shared on this channel.
📑यदि शक्येत चेत् संस्कृतेन (भारते किमर्थं संस्कृतस्य विरोधः क्रियते तथा वयं किं कर्तुं शक्नुमः तस्य निराकरणाय) । चर्चार्थं कृपया पूर्वसिद्धतां कृत्वा आगच्छन्तु।
वयं युष्माकं प्रतीक्षां कुर्मः। 😇
स्मारणतंत्रिकां स्थापयतु ⏰
👇🏼👇🏼👇🏼👇🏼👇🏼
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May 9, 2022
May 9, 2022
May 9, 2022
🍃
♦️mahaabhuutaanyaha~Nkaaro buddhiravyaktameva cha|
indriyaaNi dashaikaM cha pa~ncha chendriyagocharaaH
⚜The great elements, egoism, intellect, and also the Unmanifested Nature, the ten senses and one (mind), and the five objects of the senses. (13.06)
⚜पंच महाभूत अहंकार बुद्धि अव्यक्त (प्रकृति) दस इन्द्रियाँ एक मन इन्द्रियों के पाँच विषय।।13.6।।
#geeta
महाभूतान्यहङ्कारो बुद्धिरव्यक्तमेव च।
इन्द्रियाणि दशैकं च पञ्च चेन्द्रियगोचराः
।।13.6।।♦️mahaabhuutaanyaha~Nkaaro buddhiravyaktameva cha|
indriyaaNi dashaikaM cha pa~ncha chendriyagocharaaH
⚜The great elements, egoism, intellect, and also the Unmanifested Nature, the ten senses and one (mind), and the five objects of the senses. (13.06)
⚜पंच महाभूत अहंकार बुद्धि अव्यक्त (प्रकृति) दस इन्द्रियाँ एक मन इन्द्रियों के पाँच विषय।।13.6।।
#geeta
May 9, 2022
May 9, 2022
May 9, 2022
May 9, 2022
🍃
♦️ichChaa dveShaH sukhaM duHkhaM sa~NghaatashchetanaadhRRitiH|
etatkShetraM samaasena savikaaramudaahRRitam
⚜Desire, hatred, pleasure, pain, the aggregate (the body), intelligence, fortitude the field has thus been briefly described with its modifications. (13.07)
⚜इच्छा द्वेष सुख दुख संघात (स्थूलदेह) चेतना (अन्तकरण की चेतन वृत्ति) तथा धृति इस प्रकार यह क्षेत्र विकारों के सहित संक्षेप में कहा गया है।।13.7।।
#geeta
इच्छा द्वेषः सुखं दुःखं सङ्घातश्चेतनाधृतिः।
एतत्क्षेत्रं समासेन सविकारमुदाहृतम्
।।13.7।।♦️ichChaa dveShaH sukhaM duHkhaM sa~NghaatashchetanaadhRRitiH|
etatkShetraM samaasena savikaaramudaahRRitam
⚜Desire, hatred, pleasure, pain, the aggregate (the body), intelligence, fortitude the field has thus been briefly described with its modifications. (13.07)
⚜इच्छा द्वेष सुख दुख संघात (स्थूलदेह) चेतना (अन्तकरण की चेतन वृत्ति) तथा धृति इस प्रकार यह क्षेत्र विकारों के सहित संक्षेप में कहा गया है।।13.7।।
#geeta
May 9, 2022
🚩जय सत्य सनातन🚩
🚩आज की हिंदी तिथि
🌥️ 🚩युगाब्द-५१२४
🌥️ 🚩विक्रम संवत-२०७९
⛅ 🚩तिथि - नवमी शाम 07:24 बजे तक तत्पश्चात दशमी
⛅दिनांक 10 मई 2022
⛅दिन - मंगलवार
⛅विक्रम संवत - 2079
⛅शक संवत - 1944
⛅अयन - उत्तरायण
⛅ऋतु - ग्रीष्म
⛅मास - वैशाख
⛅पक्ष - शुक्ल
⛅नक्षत्र - मघा शाम 06:40 तक तत्पश्चात पूर्वाफाल्गुनी
⛅योग - ध्रुव रात्रि 08:22 तक तत्पश्चात व्याघात
⛅राहुकाल - अपराह्न 03:54 से 05:32 तक
⛅सूर्योदय - 06:01
⛅सूर्यास्त - 07:11
⛅दिशाशूल - उत्तर दिशा में
⛅ब्रह्म मुहूर्त- प्रातः 04:35 से 05:18 तक
🚩आज की हिंदी तिथि
🌥️ 🚩युगाब्द-५१२४
🌥️ 🚩विक्रम संवत-२०७९
⛅ 🚩तिथि - नवमी शाम 07:24 बजे तक तत्पश्चात दशमी
⛅दिनांक 10 मई 2022
⛅दिन - मंगलवार
⛅विक्रम संवत - 2079
⛅शक संवत - 1944
⛅अयन - उत्तरायण
⛅ऋतु - ग्रीष्म
⛅मास - वैशाख
⛅पक्ष - शुक्ल
⛅नक्षत्र - मघा शाम 06:40 तक तत्पश्चात पूर्वाफाल्गुनी
⛅योग - ध्रुव रात्रि 08:22 तक तत्पश्चात व्याघात
⛅राहुकाल - अपराह्न 03:54 से 05:32 तक
⛅सूर्योदय - 06:01
⛅सूर्यास्त - 07:11
⛅दिशाशूल - उत्तर दिशा में
⛅ब्रह्म मुहूर्त- प्रातः 04:35 से 05:18 तक
May 9, 2022
@samskrt_samvadah संलापशाला - A Samskrit Voicechat room.
यदीच्छसि वशीकर्तुं, भाषणमेककर्मणा।
यायास्संलापशालां वै, भवति यत्र भाषणम्।।
⏳45 निमेषाः
🕚 IST 11:00 AM
🔰भारते संस्कृतस्य विरोधः
🗓10th May2022,मङ्गलवासरः
🔴Voicechat would be recorded and shared on this channel.
📑यदि शक्येत चेत् संस्कृतेन (भारते किमर्थं संस्कृतस्य विरोधः क्रियते तथा वयं किं कर्तुं शक्नुमः तस्य निराकरणाय) । चर्चार्थं कृपया पूर्वसिद्धतां कृत्वा आगच्छन्तु।
वयं युष्माकं प्रतीक्षां कुर्मः। 😇
स्मारणतंत्रिकां स्थापयतु ⏰
👇🏼👇🏼👇🏼👇🏼👇🏼
https://t.me/samskrt_samvadah?voicechat
यदीच्छसि वशीकर्तुं, भाषणमेककर्मणा।
यायास्संलापशालां वै, भवति यत्र भाषणम्।।
⏳45 निमेषाः
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🔰भारते संस्कृतस्य विरोधः
🗓10th May2022,मङ्गलवासरः
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📑यदि शक्येत चेत् संस्कृतेन (भारते किमर्थं संस्कृतस्य विरोधः क्रियते तथा वयं किं कर्तुं शक्नुमः तस्य निराकरणाय) । चर्चार्थं कृपया पूर्वसिद्धतां कृत्वा आगच्छन्तु।
वयं युष्माकं प्रतीक्षां कुर्मः। 😇
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May 9, 2022
Forwarded from ॐ पीयूषः
https://youtu.be/SuAeOxJy8ow
Switch to DD News daily at 7:15 AM (Morning) for 15 minutes Sanskrit news.
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YouTube
वार्ता: संस्कृत में समाचार | केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह का असम दौरा
May 9, 2022
May 9, 2022
May 9, 2022
🍃
🔅ईश्वरः काष्ठे, पाषाणे मृत्तिकायां च नास्ति । अपितु काष्ठं पाषाणं मृत्तिकां च प्रति यदा देवस्य भावः भवति तदा तस्मिन् भावे एव देवः तिष्ठति । अतः ईश्वरस्य विषये भावना एव कारणम् अस्ति ।
#Subhashitam
न देवो विद्यते काष्ठे न पाषाणे न मृण्मये ।
भावेषु विद्यते देवस्तस्माद्भावो हि कारणम्
।। 🔅ईश्वरः काष्ठे, पाषाणे मृत्तिकायां च नास्ति । अपितु काष्ठं पाषाणं मृत्तिकां च प्रति यदा देवस्य भावः भवति तदा तस्मिन् भावे एव देवः तिष्ठति । अतः ईश्वरस्य विषये भावना एव कारणम् अस्ति ।
#Subhashitam
May 9, 2022
🔰चित्रं दृष्ट्वा पञ्चवाक्यानि रचयत।
✍🏼सर्वे टिप्पणीसञ्चिकायां स्वोत्तराणि लेखितुं शक्नुवन्ति अथवा पुस्तिकायां लिखित्वा तस्य चित्रं स्वीकृत्य अपि प्रेषयितुं शक्नुवन्ति।
🗣सहैव तानि वाक्यानि उक्त्वा ध्वनिमाध्यमेन अपि प्रेषयत।
🔰 चित्र देखकर पांच वाक्य बनायें।
✍🏼आप कमेंट बॉक्स में टङ्कण कर सकते हैं या कॉपी पर लिखकर फोटो भी भेज सकते हैं।
🗣 साथ हि वें वाक्य बोलकर भी वाइस नोट भेजें।
🔰Make 5 sentences, Observing the attached image.
✍🏼You can type in the comment box or you can also send a photo by writing on the notebook.
🗣 Also, Send voice message by uttering those sentences.
#chitram
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🗣सहैव तानि वाक्यानि उक्त्वा ध्वनिमाध्यमेन अपि प्रेषयत।
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#chitram
May 9, 2022
May 9, 2022
May 10, 2022
May 10, 2022
"हनुमते सूर्यः एव रोचते"।
अस्मिन् वाक्ये कर्ता कः अस्ति।
अस्मिन् वाक्ये कर्ता कः अस्ति।
Anonymous Quiz
49%
हनुमते
10%
कर्ता नास्ति
1%
एव
40%
सूर्यः
May 10, 2022
संस्कृत संवादः । Sanskrit Samvadah
अनग्निरनिकेतः
स्याद् ग्राममन्नार्थमाश्रयेत्। उपेक्षकोऽसंकुसुको मुनिर्भाव समाहितः।।
= (संन्यासी) स्वभोजनादि हेतु अग्नि अर्थात् चूल्हे आदि का बखेडा न करे।
स्वयं हेतु कोई भवन नहीं बनावे, भोजन हेतु ही ग्रामादि का आश्रय लेवे,
सामान्य सांसारिक व्यवहारों को उपेक्षा…
संस्कृतं वद आधुनिको भव।
वेदान् पठ वैज्ञानिको भव।।
पाठ: (37) कृदन्त (4) निष्ठा प्रत्यय
(क्त प्रत्यय भाव में। अकर्मक धातुओं से क्त प्रत्यय भाव में होता है। सकर्मक धातुओं में भी जब कर्म की अविवक्षा होती है, तब सकर्मक धातुओं से भी क्त प्रत्यय भाव में हो सकता है। भाव में क्त प्रत्ययान्त क्रिया नित्य ही नपुंसकलिंग एकवचन में होती है, तथा कर्त्ता में तृतीया विभक्ति होती है।)
बुभुक्षया बालेन रुदितम्
= भूख के कारण बच्चे के द्वारा रोया गया।
अध्यापकस्याऽनुपस्थितौ बालैः जल्पितम्
= अध्यापक के अनुपस्थित होने से बच्चों के द्वारा गपशप की गई।
आतंकवादिनो मुक्तिं श्रुत्वा जनैर्भृशमाक्रुष्टम्
= आतंकवादी की रिहाई सुनकर लोगों के द्वारा खूब आक्रोश किया गया।
वने सिंहं दृष्ट्वा भीतेन भृशं धावितम् = वन में शेर को देखकर डरे हुए व्यक्ति के द्वारा खूब दौड़ा गया।
पदं मिथ्याकरणात् शिक्षकेण क्रुद्धम्
= शब्द का गलत उच्चारण करने से शिक्षक ने गुस्सा किया।
गुरुकुले यत् भुक्तं पीतं तप्तं जल्पितमटितं तन्न प्रस्मर्यते
= गुरुकुल में जो खाया-पीया, तप किया, बातें की, घूमे वह भूला नहीं जा रहा है।
स्थालीपक्वमेव पितामहो भुङ्क्ते
= दादाजी बटलोई का पका ही खाते हैं।
चुल्लीपक्वं सुपाच्यं मधुरञ्च भवति
= चूल्हे में पकाया हुआ सुपाच्य और मधुर होता है।
उपकृतं दत्तञ्चैव परलोकं सह गच्छति
= उपकार किया हुआ और दान किया हुआ ही परलोक को जाता है।
अभुक्तमदत्तं नित्यं हि क्षीयते
= न स्वयं भोगा हुआ, न किसी को दिया हुआ, वह नष्ट ही होता है।
मुहूर्तं ज्वलितं श्रेयो न च धूमायितं चिरम्
= एक मुहूर्तभर भी प्रज्वलित रहना अच्छा है, परन्तु दीर्घकाल तक धुंआ छोड़ते हुए सुलगना अच्छा नहीं है।
गतं न शुच्यतामनागतं न चिन्त्यताम्, वर्त्तमानं दृश्यताम्
= बीते हुए का शोक न करें, जो अभी आया नहीं उसकी व्यर्थ चिन्ता न करें, वर्तमान को अच्छी तरह सोच-समझकर जीएं।
शोको नाशयते धैर्यं शोको नाशयते श्रुतम्।
शोको नाशयते सर्वं नास्ति शोकसमो रिपुः।।
= शोक धैर्य को नष्ट कर देता है, शोक शास्त्रज्ञान को भी लुप्त कर देता है, शोक सबकुछ नष्ट कर देता है, अतः शोक के समान दूसरा कोई शत्रु नहीं।
गते शोको न कर्त्तव्यो भविष्यं नैव चिन्तयेत्।
वर्तमानेन कालेन प्रवर्तन्ते विचक्षणाः।।
= बीती हुई बात का शोक नहीं करना चाहिए, और भविष्य में क्या होगा इसकी चिन्ता नहीं करनी चाहिए, बुद्धिमान लोग वर्तमान काल के अनुसार कार्य में जुट जाते हैं।
यज्जीव्यते क्षणमपि प्रथितं मनुष्यैर्विज्ञानशौर्यविभवार्यगुणैः समेतम्।
तन्नाम जीवितमिह प्रवदन्ति तज्ज्ञाः काकोऽपि जीवति चिराय बलिं च भुङ्क्ते।।
= मनुष्यों से जिस जीवन में विज्ञान शूरता तथा ऐश्वर्य आदि सद्गुणों से युक्त होकर क्षणभर भी प्रतिष्ठा के साथ जीया जाता है उसे ही विद्वान लोग वास्तविक जीवन कहते हैं। यूं तो कौआ भी बहुत दिनों तक जीता है और बलि खाकर अपना पेट भरता है।
वाच्यं श्रद्धा समेतस्य पृच्छतेश्च विशेषतः।
प्रोक्तं श्रद्धा विहीनस्य अरण्यरुदितोपमम्।।
= विशेष श्रद्धा से युक्त होकर यदि कोई जानने की इच्छा से पूछे तो उससे बात करनी चाहिए। श्रद्धारहित मनुष्यों से कुछ भी कहना निर्जन वन में रोने के समान निरर्थक है।
यस्य न ज्ञायते वीर्यं न कुलं न विचेष्टितम्।
न तेन सङ्गतिं कुर्यादित्युवाच बृहस्पतिः।।
= जिसके सामर्थ्य वंश और कार्य का पता न हो, उसके साथ मेल-संगति नहीं करनी चाहिए, ऐसा बृहस्पति ने कहा है।
अश्रद्धया हुतं दत्तं तपस्तप्तं कृतं च यत्।
असदित्युच्यते पार्थ न च तत्प्रेत्य नो इह।।
= अश्रद्धा से जो यज्ञ किया जाता है, जो दान दिया जाता है, जो तप किया जाता है हे पार्थ ! वह असत् अर्थात् न किया हुआ माना जाता है। वह न मरने पर कोई लाभ देता है और न यहां जीते जी कोई लाभ देता है।
यदा ते मोहकलिलं बुद्धिर्व्यतितरिष्यति।
तदा गन्तासि निर्वेदं श्रोतव्यस्य श्रुतस्य च।।
= जब तेरी बुद्धि मोहरूपी दलदल को पार कर जाएगी, तब तू उस सबके प्रति उदासीन हो जाएगा, जो कुछ तूने सुनना है या सुना है।
एको हि दोषो गुणसन्निपाते निमज्जतीन्दोरिति यो बभाषे।
नूनं न दृष्टं कविनापि तेन दारिद्र्यदोषो गुणकोटिनाशी।।
= जिस कवि ने यह कहा है कि जहां बहुत सारे गुण हों वहां एक दोष ऐसे छिप जाता है, जैसे चन्द्रमा की किरणों में उसका कलंक। उस कवि ने निश्चय से यह नहीं सोचा कि एक दरिद्रतारूपी दोष सारे गुणों को मिट्टी में मिला देता है।
सर्वे क्षयान्ता निचयः पतनान्ताः समुच्छ्रयाः।
संयोगा विप्रयोगान्ता मरणान्तं च जीवितम्।।
= समस्त संग्रहों का अन्त विनाश है, लौकिक उन्नतियों का अन्त पतन है, संयोग का अन्त वियोग है और जीवन का अन्त मरण है।
#vakyabhyas
वेदान् पठ वैज्ञानिको भव।।
पाठ: (37) कृदन्त (4) निष्ठा प्रत्यय
(क्त प्रत्यय भाव में। अकर्मक धातुओं से क्त प्रत्यय भाव में होता है। सकर्मक धातुओं में भी जब कर्म की अविवक्षा होती है, तब सकर्मक धातुओं से भी क्त प्रत्यय भाव में हो सकता है। भाव में क्त प्रत्ययान्त क्रिया नित्य ही नपुंसकलिंग एकवचन में होती है, तथा कर्त्ता में तृतीया विभक्ति होती है।)
बुभुक्षया बालेन रुदितम्
= भूख के कारण बच्चे के द्वारा रोया गया।
अध्यापकस्याऽनुपस्थितौ बालैः जल्पितम्
= अध्यापक के अनुपस्थित होने से बच्चों के द्वारा गपशप की गई।
आतंकवादिनो मुक्तिं श्रुत्वा जनैर्भृशमाक्रुष्टम्
= आतंकवादी की रिहाई सुनकर लोगों के द्वारा खूब आक्रोश किया गया।
वने सिंहं दृष्ट्वा भीतेन भृशं धावितम् = वन में शेर को देखकर डरे हुए व्यक्ति के द्वारा खूब दौड़ा गया।
पदं मिथ्याकरणात् शिक्षकेण क्रुद्धम्
= शब्द का गलत उच्चारण करने से शिक्षक ने गुस्सा किया।
गुरुकुले यत् भुक्तं पीतं तप्तं जल्पितमटितं तन्न प्रस्मर्यते
= गुरुकुल में जो खाया-पीया, तप किया, बातें की, घूमे वह भूला नहीं जा रहा है।
स्थालीपक्वमेव पितामहो भुङ्क्ते
= दादाजी बटलोई का पका ही खाते हैं।
चुल्लीपक्वं सुपाच्यं मधुरञ्च भवति
= चूल्हे में पकाया हुआ सुपाच्य और मधुर होता है।
उपकृतं दत्तञ्चैव परलोकं सह गच्छति
= उपकार किया हुआ और दान किया हुआ ही परलोक को जाता है।
अभुक्तमदत्तं नित्यं हि क्षीयते
= न स्वयं भोगा हुआ, न किसी को दिया हुआ, वह नष्ट ही होता है।
मुहूर्तं ज्वलितं श्रेयो न च धूमायितं चिरम्
= एक मुहूर्तभर भी प्रज्वलित रहना अच्छा है, परन्तु दीर्घकाल तक धुंआ छोड़ते हुए सुलगना अच्छा नहीं है।
गतं न शुच्यतामनागतं न चिन्त्यताम्, वर्त्तमानं दृश्यताम्
= बीते हुए का शोक न करें, जो अभी आया नहीं उसकी व्यर्थ चिन्ता न करें, वर्तमान को अच्छी तरह सोच-समझकर जीएं।
शोको नाशयते धैर्यं शोको नाशयते श्रुतम्।
शोको नाशयते सर्वं नास्ति शोकसमो रिपुः।।
= शोक धैर्य को नष्ट कर देता है, शोक शास्त्रज्ञान को भी लुप्त कर देता है, शोक सबकुछ नष्ट कर देता है, अतः शोक के समान दूसरा कोई शत्रु नहीं।
गते शोको न कर्त्तव्यो भविष्यं नैव चिन्तयेत्।
वर्तमानेन कालेन प्रवर्तन्ते विचक्षणाः।।
= बीती हुई बात का शोक नहीं करना चाहिए, और भविष्य में क्या होगा इसकी चिन्ता नहीं करनी चाहिए, बुद्धिमान लोग वर्तमान काल के अनुसार कार्य में जुट जाते हैं।
यज्जीव्यते क्षणमपि प्रथितं मनुष्यैर्विज्ञानशौर्यविभवार्यगुणैः समेतम्।
तन्नाम जीवितमिह प्रवदन्ति तज्ज्ञाः काकोऽपि जीवति चिराय बलिं च भुङ्क्ते।।
= मनुष्यों से जिस जीवन में विज्ञान शूरता तथा ऐश्वर्य आदि सद्गुणों से युक्त होकर क्षणभर भी प्रतिष्ठा के साथ जीया जाता है उसे ही विद्वान लोग वास्तविक जीवन कहते हैं। यूं तो कौआ भी बहुत दिनों तक जीता है और बलि खाकर अपना पेट भरता है।
वाच्यं श्रद्धा समेतस्य पृच्छतेश्च विशेषतः।
प्रोक्तं श्रद्धा विहीनस्य अरण्यरुदितोपमम्।।
= विशेष श्रद्धा से युक्त होकर यदि कोई जानने की इच्छा से पूछे तो उससे बात करनी चाहिए। श्रद्धारहित मनुष्यों से कुछ भी कहना निर्जन वन में रोने के समान निरर्थक है।
यस्य न ज्ञायते वीर्यं न कुलं न विचेष्टितम्।
न तेन सङ्गतिं कुर्यादित्युवाच बृहस्पतिः।।
= जिसके सामर्थ्य वंश और कार्य का पता न हो, उसके साथ मेल-संगति नहीं करनी चाहिए, ऐसा बृहस्पति ने कहा है।
अश्रद्धया हुतं दत्तं तपस्तप्तं कृतं च यत्।
असदित्युच्यते पार्थ न च तत्प्रेत्य नो इह।।
= अश्रद्धा से जो यज्ञ किया जाता है, जो दान दिया जाता है, जो तप किया जाता है हे पार्थ ! वह असत् अर्थात् न किया हुआ माना जाता है। वह न मरने पर कोई लाभ देता है और न यहां जीते जी कोई लाभ देता है।
यदा ते मोहकलिलं बुद्धिर्व्यतितरिष्यति।
तदा गन्तासि निर्वेदं श्रोतव्यस्य श्रुतस्य च।।
= जब तेरी बुद्धि मोहरूपी दलदल को पार कर जाएगी, तब तू उस सबके प्रति उदासीन हो जाएगा, जो कुछ तूने सुनना है या सुना है।
एको हि दोषो गुणसन्निपाते निमज्जतीन्दोरिति यो बभाषे।
नूनं न दृष्टं कविनापि तेन दारिद्र्यदोषो गुणकोटिनाशी।।
= जिस कवि ने यह कहा है कि जहां बहुत सारे गुण हों वहां एक दोष ऐसे छिप जाता है, जैसे चन्द्रमा की किरणों में उसका कलंक। उस कवि ने निश्चय से यह नहीं सोचा कि एक दरिद्रतारूपी दोष सारे गुणों को मिट्टी में मिला देता है।
सर्वे क्षयान्ता निचयः पतनान्ताः समुच्छ्रयाः।
संयोगा विप्रयोगान्ता मरणान्तं च जीवितम्।।
= समस्त संग्रहों का अन्त विनाश है, लौकिक उन्नतियों का अन्त पतन है, संयोग का अन्त वियोग है और जीवन का अन्त मरण है।
#vakyabhyas
May 10, 2022
टेलीग्राम पर ही प्रतिदिन मात्र २० मिनट देकर संस्कृत सीखिए ।
t.me/samskrt_samvadah पर सोमवार से शनिवार प्रतिदिन रात 9 बजे संस्कृत की कक्षा होती है। इन कक्षाओं को संस्कृताश्रम नाम दिया गया है। जिसमें प्रतिदिन भिन्न-भिन्न पाठ पढाए जातें हैं, जिसकी पूर्व सूचना भी हमारे चैनल पर आ जाती है। कक्षा पूर्णतः निश्शुल्क है और सभी के लिए खुली हैं।
बस नीचे दिये गये लिंक से कक्षा से जुड़े। ध्यान रहे लिंक बस कक्षा के समय यानि रात 9 बजे ही कार्य करती है।
https://t.me/samskrt_samvadah?voicechat
t.me/samskrt_samvadah पर सोमवार से शनिवार प्रतिदिन रात 9 बजे संस्कृत की कक्षा होती है। इन कक्षाओं को संस्कृताश्रम नाम दिया गया है। जिसमें प्रतिदिन भिन्न-भिन्न पाठ पढाए जातें हैं, जिसकी पूर्व सूचना भी हमारे चैनल पर आ जाती है। कक्षा पूर्णतः निश्शुल्क है और सभी के लिए खुली हैं।
बस नीचे दिये गये लिंक से कक्षा से जुड़े। ध्यान रहे लिंक बस कक्षा के समय यानि रात 9 बजे ही कार्य करती है।
https://t.me/samskrt_samvadah?voicechat
May 10, 2022
@samskrt_samvadah प्रारंभ करता है, संस्कृताश्रमः - संस्कृतशिक्षण की लघु कक्षाऐं
⏳20 मिनट
🕚 09:00 PM 🇮🇳
🔰लोट्लकारः
🗓10th मई 2022, मङ्गलवासरः
🔴 कक्षाओं की प्रति हमारे युट्युब चैनल पर डाली जायेगी
कृपया अलार्म लगा लें और विलंब से न आयें।
👇🏼👇🏼👇🏼👇🏼👇🏼
https://t.me/samskrt_samvadah?voicechat
⏳20 मिनट
🕚 09:00 PM 🇮🇳
🔰लोट्लकारः
🗓10th मई 2022, मङ्गलवासरः
🔴 कक्षाओं की प्रति हमारे युट्युब चैनल पर डाली जायेगी
कृपया अलार्म लगा लें और विलंब से न आयें।
👇🏼👇🏼👇🏼👇🏼👇🏼
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May 10, 2022
May 10, 2022
May 10, 2022
May 10, 2022
🍃
♦️amaanitvamadambhitvamahiMsaa kShaantiraarjavam|
aachaaryopaasanaM shauchaM sthairyamaatmavinigrahaH
⚜Humility, unpretentiousness, non-injury, forgiveness, uprightness, service of the teacher, purity, steadfastness, self-control. (13.8)
⚜अमानित्व अदम्भित्व अहिंसा क्षमा आर्जव आचार्य की सेवा शुद्धि स्थिरता और आत्मसंयम।।13.8।।
#geeta
अमानित्वमदम्भित्वमहिंसा क्षान्तिरार्जवम्।
आचार्योपासनं शौचं स्थैर्यमात्मविनिग्रहः
।।13.8।।♦️amaanitvamadambhitvamahiMsaa kShaantiraarjavam|
aachaaryopaasanaM shauchaM sthairyamaatmavinigrahaH
⚜Humility, unpretentiousness, non-injury, forgiveness, uprightness, service of the teacher, purity, steadfastness, self-control. (13.8)
⚜अमानित्व अदम्भित्व अहिंसा क्षमा आर्जव आचार्य की सेवा शुद्धि स्थिरता और आत्मसंयम।।13.8।।
#geeta
May 10, 2022
May 10, 2022
May 10, 2022
May 10, 2022
🍃
♦️indriyaartheShu vairaagyamanaha~Nkaara eva cha|
janmamRRityujaraavyaadhiduHkhadoShaanudarshanam
⚜13.9 Indifference to the objects of the senses and also absence of egoism; perception of (or reflection on) the evil in birth, death, old age, sickness and pain.
⚜।।13.9।। इन्द्रियों के विषय के प्रति वैराग्य अहंकार का अभाव जन्म मृत्यु वृद्धवस्था व्याधि और दुख में दोष दर्शन৷৷.।।
#geeta
इन्द्रियार्थेषु वैराग्यमनहङ्कार एव च।
जन्ममृत्युजराव्याधिदुःखदोषानुदर्शनम्
।।13.9।।♦️indriyaartheShu vairaagyamanaha~Nkaara eva cha|
janmamRRityujaraavyaadhiduHkhadoShaanudarshanam
⚜13.9 Indifference to the objects of the senses and also absence of egoism; perception of (or reflection on) the evil in birth, death, old age, sickness and pain.
⚜।।13.9।। इन्द्रियों के विषय के प्रति वैराग्य अहंकार का अभाव जन्म मृत्यु वृद्धवस्था व्याधि और दुख में दोष दर्शन৷৷.।।
#geeta
May 10, 2022
🚩जय सत्य सनातन🚩
🚩आज की हिंदी तिथि
🌥 🚩यगाब्द-५१२४
🌥 🚩विक्रम संवत-२०७९
⛅️ 🚩तिथि - दशमी शाम 07:31 तक तत्पश्चात एकादशी
⛅️दिनांक 11 मई 2022
⛅️दिन - बुधवार
⛅️विक्रम संवत - 2079
⛅️शक संवत - 1944
⛅️अयन - उत्तरायण
⛅️ऋतु - ग्रीष्म
⛅️मास - वैशाख
⛅️पक्ष - शुक्ल
⛅️नक्षत्र -पूर्वाफाल्गुनी शाम 07:28 तक तत्पश्चात उत्तराफाल्गुनी
⛅️योग - व्याघात रात्रि 07:25 तक तत्पश्चात हर्षण
⛅️राहुकाल - दोपहर 12:36 से 02:15 तक
⛅️सर्योदय - 06:01
⛅️सर्यास्त - 07:12
⛅️दिशाशूल - उत्तर दिशा में
⛅️बरह्म मुहूर्त- प्रातः 04:34 से 05:17 तक
🚩आज की हिंदी तिथि
🌥 🚩यगाब्द-५१२४
🌥 🚩विक्रम संवत-२०७९
⛅️ 🚩तिथि - दशमी शाम 07:31 तक तत्पश्चात एकादशी
⛅️दिनांक 11 मई 2022
⛅️दिन - बुधवार
⛅️विक्रम संवत - 2079
⛅️शक संवत - 1944
⛅️अयन - उत्तरायण
⛅️ऋतु - ग्रीष्म
⛅️मास - वैशाख
⛅️पक्ष - शुक्ल
⛅️नक्षत्र -पूर्वाफाल्गुनी शाम 07:28 तक तत्पश्चात उत्तराफाल्गुनी
⛅️योग - व्याघात रात्रि 07:25 तक तत्पश्चात हर्षण
⛅️राहुकाल - दोपहर 12:36 से 02:15 तक
⛅️सर्योदय - 06:01
⛅️सर्यास्त - 07:12
⛅️दिशाशूल - उत्तर दिशा में
⛅️बरह्म मुहूर्त- प्रातः 04:34 से 05:17 तक
May 10, 2022
Forwarded from ॐ पीयूषः
https://youtu.be/zCDo0AHqYlc
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वार्ताः | Vaarta | Sanskrit News Bulletin | 11.05.2022
May 10, 2022
May 10, 2022
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May 10, 2022
May 10, 2022
🍃
- चाणक्यनीतिः 15.12
⚜They read all the four Vedas and many a dharmaśāstras (scriptures).
However, they do not know the Ātmā (Self), just as the ladle doesn't know the flavor of the food.
🔅ये जनाः सर्वान् वेदान् सर्वाणि शास्त्राणि पठितवन्तः परन्तु यदि स्वं न जानन्ति तेषां स्थितिः तादृशी भवति यथा दर्वी भोजने भूत्वा अपि तस्य रसं ज्ञातुं न शक्नोति।
#Subhashitam
पठन्ति चतुरो वेदान्, धर्मशास्त्राण्यनेकशः ।
आत्मानं नैव जानन्ति, दर्वीपाकरसं यथा
॥- चाणक्यनीतिः 15.12
⚜They read all the four Vedas and many a dharmaśāstras (scriptures).
However, they do not know the Ātmā (Self), just as the ladle doesn't know the flavor of the food.
🔅ये जनाः सर्वान् वेदान् सर्वाणि शास्त्राणि पठितवन्तः परन्तु यदि स्वं न जानन्ति तेषां स्थितिः तादृशी भवति यथा दर्वी भोजने भूत्वा अपि तस्य रसं ज्ञातुं न शक्नोति।
#Subhashitam
May 10, 2022
May 11, 2022
बालकः ________ _________ विद्यालयं गच्छति।
Anonymous Quiz
9%
अर्धोरुकं, धरति
73%
अर्धोरुकं, धृत्वा
13%
अर्धोरुकः, धारय
6%
अर्धोरुकां, आधृत्य
May 11, 2022
May 11, 2022
May 11, 2022
May 11, 2022
संस्कृत संवादः । Sanskrit Samvadah
संस्कृतं
वद आधुनिको भव। वेदान् पठ वैज्ञानिको भव।। पाठ: (37) कृदन्त (4) निष्ठा
प्रत्यय (क्त प्रत्यय भाव में। अकर्मक धातुओं से क्त प्रत्यय भाव में होता
है। सकर्मक धातुओं में भी जब कर्म की अविवक्षा होती है, तब सकर्मक धातुओं
से भी क्त प्रत्यय भाव में हो सकता…
क्तवतु प्रत्यय
(क्तवतु प्रत्यय भी निष्ठासंज्ञक है। इस प्रत्यय का प्रयोग भूतकाल कर्त्ताकारक में होता है। क्तवतु प्रत्ययान्त क्रिया के प्रयोग में कर्त्ता में प्रथमा विभक्ति तथा कर्म में द्वितीया विभक्ति का ही प्रयोग होता है। किन्तु क्रिया कर्त्ता के अनुसार चलती है। अर्थात् जो लिङ्ग वचन विभक्ति कर्त्ता में होती है वही लिङ्ग वचन विभक्ति क्रिया में भी होती है। क्तवतु प्रत्ययान्त शब्द भी क्रियारूप में तथा विशेषणरूप में दोनों ही तरह प्रयुक्त होते हैं।)
रामः ग्रामं गतवान
= राम गांव गया।
वृक्षात् वायुना पत्रं पतितम्
= हवा के कारण पेड़ से पत्ता गिरा।
क्रयार्थं महिला महाऽऽपणं गतवती
= खरीददारी के लिए महिला शॉपिंग-मॉल में गई।
अध्ययनार्थं बाल्यकाले कृष्णसुदामानौ सान्दीपनेर्मुनेराश्रमम् उषितवन्तौ
= पढ़ने के लिए बचपन में कृष्ण और सुदामा सांदीपनि मुनि के आश्रम में रहे।
भुक्तवान् भजेद् भगवन्तं न बुभुक्षितः
= खाली पेट भगवान का भजन नहीं होता।
सदाचाररहिता अधीतवन्तोऽपि अनधीता एव
= सदाचाररहित लोग पढ़े हुए भी अनपढ़ ही हैं।
पै्रषकरी भाण्डानि प्रक्षालितवती
= बाई ने बरतन साफ कर लिए।
अहं शिविरे मोक्षकरीं विद्यां अधीतवती
= मैंने शिविर में मोक्ष देनेवाली विद्या को पढ़ा।
क्रीडितवते पुत्राय माता अपूपान् दत्तवती
= खेल चुके बेटे को माता ने मालपूए दिए।
भुक्तवन्तं मा भोजय
= जो खा चुके उन्हें भोजन मत दो।
विश्रान्तवन्तः छात्राः कार्यार्थमागच्छेयुः
= विश्राम कर चुके छात्र काम करने के लिए आ जाएं।
धावितवत्सु छात्रेभ्यः जम्बीररसं प्राप्स्यते
= दौड़ लेने पर छात्रों को नींबू सरबत मिलेगा।
खादितवतां खादितवत्सु वा एको भोजनं परिवेषयेत्
= जिन्होंने भोजन कर लिया है, उनमें से एक भोजन बांटे।
दुग्धं दत्तवतीः तृणञ्च जग्धवतीः गावो दृष्ट्वा नचिकेता पितरमवोचत्
= जो दूध दे चुकी हैं, चारा खा चुकी हैं, ऐसी बूढी गायों को देखकर नचिकेता ने पिता को कहा।
गुरुकुलात् गृहमागतवतीं पुत्रीं दृष्ट्वा पितरौ मोदितवन्तौ
= गुरुकुल से घर आई हुई बच्ची को देखकर माता-पिता खुश हुए।
अल्पाहारं कृतवती शीतला पुनर् लेखनम् आरब्धवती
= अल्पाहार (नाश्ता) की हुई शीतल ने पुनः लेखन आरम्भ किया।
मुम्बईनगरं गतवती भागिनेयी मदर्थं शाटिकामानीतवती
= मुम्बई गई हुई भानजी मेरे लिए साड़ी लेकर आई।
मृतवतीं भगिनीं दृष्ट्वा मूलशंकरः स्तब्धः सञ्जातवान्
= मृत बहन को देखकर मूलशंकर स्तब्ध रह गया।
यावज्जीवो निवसति देहे कुशलं तावत्पृच्छति गेहे।
गतवति वायौ देहापाये भार्या बिभ्यति तस्मिन्काये।।
= जब तक जीव देहरूपी घर में रहता है तभी तक घर में हर कोई कुशलक्षेम पूछता है। देह नष्ट होने पर प्राणपखेरू उड़ जाते ही उस देह से जीवनसंगिनी भार्या भी भय मानने लगती है।
पौलस्त्यः कथमन्यदारहरणे दोषं न विज्ञातवान्,
रामेणापि कथं न हेमहारिणस्यासम्भवो लक्षितः।
अक्षैश्चापि युधिष्ठिरेण सहसा प्राप्तो ह्यनर्थः कथं,
प्रत्यासन्नविपत्तिमूढमनसां प्रायो मतिः क्षीयते।।
= रावण ने दूसरे की स्त्री का हरण करने में क्यों न बुराई समझी, राम ने भी सोने की हिरण की असम्भवता क्यों न समझी, युधिष्ठिर ने भी जुआ खेलकर अकस्मात् वनवास रूप अनर्थ क्यों पाया, (भविष्य में) शीघ्र आनेवाली विपत्तियों केे कारण जिनका मन भ्रान्त हो गया है ऐसे पुरुषों की बुद्धि प्रायः नष्ट हो जाती है।
#vakyabhyas
(क्तवतु प्रत्यय भी निष्ठासंज्ञक है। इस प्रत्यय का प्रयोग भूतकाल कर्त्ताकारक में होता है। क्तवतु प्रत्ययान्त क्रिया के प्रयोग में कर्त्ता में प्रथमा विभक्ति तथा कर्म में द्वितीया विभक्ति का ही प्रयोग होता है। किन्तु क्रिया कर्त्ता के अनुसार चलती है। अर्थात् जो लिङ्ग वचन विभक्ति कर्त्ता में होती है वही लिङ्ग वचन विभक्ति क्रिया में भी होती है। क्तवतु प्रत्ययान्त शब्द भी क्रियारूप में तथा विशेषणरूप में दोनों ही तरह प्रयुक्त होते हैं।)
रामः ग्रामं गतवान
= राम गांव गया।
वृक्षात् वायुना पत्रं पतितम्
= हवा के कारण पेड़ से पत्ता गिरा।
क्रयार्थं महिला महाऽऽपणं गतवती
= खरीददारी के लिए महिला शॉपिंग-मॉल में गई।
अध्ययनार्थं बाल्यकाले कृष्णसुदामानौ सान्दीपनेर्मुनेराश्रमम् उषितवन्तौ
= पढ़ने के लिए बचपन में कृष्ण और सुदामा सांदीपनि मुनि के आश्रम में रहे।
भुक्तवान् भजेद् भगवन्तं न बुभुक्षितः
= खाली पेट भगवान का भजन नहीं होता।
सदाचाररहिता अधीतवन्तोऽपि अनधीता एव
= सदाचाररहित लोग पढ़े हुए भी अनपढ़ ही हैं।
पै्रषकरी भाण्डानि प्रक्षालितवती
= बाई ने बरतन साफ कर लिए।
अहं शिविरे मोक्षकरीं विद्यां अधीतवती
= मैंने शिविर में मोक्ष देनेवाली विद्या को पढ़ा।
क्रीडितवते पुत्राय माता अपूपान् दत्तवती
= खेल चुके बेटे को माता ने मालपूए दिए।
भुक्तवन्तं मा भोजय
= जो खा चुके उन्हें भोजन मत दो।
विश्रान्तवन्तः छात्राः कार्यार्थमागच्छेयुः
= विश्राम कर चुके छात्र काम करने के लिए आ जाएं।
धावितवत्सु छात्रेभ्यः जम्बीररसं प्राप्स्यते
= दौड़ लेने पर छात्रों को नींबू सरबत मिलेगा।
खादितवतां खादितवत्सु वा एको भोजनं परिवेषयेत्
= जिन्होंने भोजन कर लिया है, उनमें से एक भोजन बांटे।
दुग्धं दत्तवतीः तृणञ्च जग्धवतीः गावो दृष्ट्वा नचिकेता पितरमवोचत्
= जो दूध दे चुकी हैं, चारा खा चुकी हैं, ऐसी बूढी गायों को देखकर नचिकेता ने पिता को कहा।
गुरुकुलात् गृहमागतवतीं पुत्रीं दृष्ट्वा पितरौ मोदितवन्तौ
= गुरुकुल से घर आई हुई बच्ची को देखकर माता-पिता खुश हुए।
अल्पाहारं कृतवती शीतला पुनर् लेखनम् आरब्धवती
= अल्पाहार (नाश्ता) की हुई शीतल ने पुनः लेखन आरम्भ किया।
मुम्बईनगरं गतवती भागिनेयी मदर्थं शाटिकामानीतवती
= मुम्बई गई हुई भानजी मेरे लिए साड़ी लेकर आई।
मृतवतीं भगिनीं दृष्ट्वा मूलशंकरः स्तब्धः सञ्जातवान्
= मृत बहन को देखकर मूलशंकर स्तब्ध रह गया।
यावज्जीवो निवसति देहे कुशलं तावत्पृच्छति गेहे।
गतवति वायौ देहापाये भार्या बिभ्यति तस्मिन्काये।।
= जब तक जीव देहरूपी घर में रहता है तभी तक घर में हर कोई कुशलक्षेम पूछता है। देह नष्ट होने पर प्राणपखेरू उड़ जाते ही उस देह से जीवनसंगिनी भार्या भी भय मानने लगती है।
पौलस्त्यः कथमन्यदारहरणे दोषं न विज्ञातवान्,
रामेणापि कथं न हेमहारिणस्यासम्भवो लक्षितः।
अक्षैश्चापि युधिष्ठिरेण सहसा प्राप्तो ह्यनर्थः कथं,
प्रत्यासन्नविपत्तिमूढमनसां प्रायो मतिः क्षीयते।।
= रावण ने दूसरे की स्त्री का हरण करने में क्यों न बुराई समझी, राम ने भी सोने की हिरण की असम्भवता क्यों न समझी, युधिष्ठिर ने भी जुआ खेलकर अकस्मात् वनवास रूप अनर्थ क्यों पाया, (भविष्य में) शीघ्र आनेवाली विपत्तियों केे कारण जिनका मन भ्रान्त हो गया है ऐसे पुरुषों की बुद्धि प्रायः नष्ट हो जाती है।
#vakyabhyas
May 11, 2022
May 11, 2022
@samskrt_samvadah प्रारंभ करता है, संस्कृताश्रमः - संस्कृतशिक्षण की लघु कक्षाऐं
⏳20 मिनट
🕚 09:00 PM 🇮🇳
🔰लिङ्लकारः
🗓11th मई 2022, बुधवासरः
🔴 कक्षाओं की प्रति हमारे युट्युब चैनल पर डाली जायेगी
कृपया अलार्म लगा लें और विलंब से न आयें।
👇🏼👇🏼👇🏼👇🏼👇🏼
https://t.me/samskrt_samvadah?voicechat
⏳20 मिनट
🕚 09:00 PM 🇮🇳
🔰लिङ्लकारः
🗓11th मई 2022, बुधवासरः
🔴 कक्षाओं की प्रति हमारे युट्युब चैनल पर डाली जायेगी
कृपया अलार्म लगा लें और विलंब से न आयें।
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May 11, 2022
Job interview in future.
Interviewer - When did you pass Engineering ?
Candidate - Corona affected year, 2021.
Interviewer - Okay. Stay at home and stay safe.
#hasya
Interviewer - When did you pass Engineering ?
Candidate - Corona affected year, 2021.
Interviewer - Okay. Stay at home and stay safe.
#hasya
May 11, 2022
@samskrt_samvadah संलापशाला - A Samskrit Voicechat room.
यदीच्छसि वशीकर्तुं, भाषणमेककर्मणा।
यायास्संलापशालां वै, भवति यत्र भाषणम्।।
⏳45 निमेषाः
🕚 IST 11:00 AM
🔰सेनायाः पराक्रमकार्याणि
🗓12th May2022,गुरुवासरः
75तः स्वातन्त्र्योत्सवः
🔴Voicechat would be recorded and shared on this channel.
📑यदि शक्येत चेत् संस्कृतेन (भारतीयसेनायाः पराक्रमकार्याणां विषये वक्तव्यम्) । चर्चार्थं कृपया पूर्वसिद्धतां कृत्वा आगच्छन्तु।
वयं युष्माकं प्रतीक्षां कुर्मः। 😇
स्मारणतंत्रिकां स्थापयतु ⏰
👇🏼👇🏼👇🏼👇🏼👇🏼
https://t.me/samskrt_samvadah?voicechat
यदीच्छसि वशीकर्तुं, भाषणमेककर्मणा।
यायास्संलापशालां वै, भवति यत्र भाषणम्।।
⏳45 निमेषाः
🕚 IST 11:00 AM
🔰सेनायाः पराक्रमकार्याणि
🗓12th May2022,गुरुवासरः
🔴Voicechat would be recorded and shared on this channel.
📑यदि शक्येत चेत् संस्कृतेन (भारतीयसेनायाः पराक्रमकार्याणां विषये वक्तव्यम्) । चर्चार्थं कृपया पूर्वसिद्धतां कृत्वा आगच्छन्तु।
वयं युष्माकं प्रतीक्षां कुर्मः। 😇
स्मारणतंत्रिकां स्थापयतु ⏰
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https://t.me/samskrt_samvadah?voicechat
May 11, 2022
May 11, 2022
May 11, 2022
🍃
♦️asak्itaranabhiShva~NgaH putradaaragRRihaadiShu|
nityaM cha samachittatvamiShTaaniShTopapattiShu
⚜13.10 Non-attachment, non-identification of the Self with son, wife, home and the rest, and constant even-mindedness on the attainment of the desirable and the undesirable.
⚜।।13.10।। आसक्ति तथा पुत्र पत्नी गृह आदि में अनभिष्वङ्ग (तादात्म्य का अभाव) और इष्ट और अनिष्ट की प्राप्ति में समचित्तता।।
#geeta
असक्ितरनभिष्वङ्गः पुत्रदारगृहादिषु।
नित्यं च समचित्तत्वमिष्टानिष्टोपपत्तिषु
।।13.10।।♦️asak्itaranabhiShva~NgaH putradaaragRRihaadiShu|
nityaM cha samachittatvamiShTaaniShTopapattiShu
⚜13.10 Non-attachment, non-identification of the Self with son, wife, home and the rest, and constant even-mindedness on the attainment of the desirable and the undesirable.
⚜।।13.10।। आसक्ति तथा पुत्र पत्नी गृह आदि में अनभिष्वङ्ग (तादात्म्य का अभाव) और इष्ट और अनिष्ट की प्राप्ति में समचित्तता।।
#geeta
May 11, 2022
May 11, 2022
May 11, 2022
May 11, 2022
🍃
♦️mayi chaananyayogena bhak्itaravyabhichaariNii|
viviktadeshasevitvamaratirjanasaMsadi
⚜Unswerving devotion unto Me by the Yoga of non-separation, resort to solitary places, distaste for the society of men. (13.11)
⚜अनन्ययोग के द्वारा मुझमें अव्यभिचारिणी भक्ति एकान्त स्थान में रहने का स्वभाव और (असंस्कृत) जनों के समुदाय में अरुचि।।13.11।।
#geeta
मयि चानन्ययोगेन भक्ितरव्यभिचारिणी।
विविक्तदेशसेवित्वमरतिर्जनसंसदि
।।13.11।।♦️mayi chaananyayogena bhak्itaravyabhichaariNii|
viviktadeshasevitvamaratirjanasaMsadi
⚜Unswerving devotion unto Me by the Yoga of non-separation, resort to solitary places, distaste for the society of men. (13.11)
⚜अनन्ययोग के द्वारा मुझमें अव्यभिचारिणी भक्ति एकान्त स्थान में रहने का स्वभाव और (असंस्कृत) जनों के समुदाय में अरुचि।।13.11।।
#geeta
May 11, 2022
🚩जय सत्य सनातन 🚩
🚩आज की हिंदी तिथि
🌥️ 🚩युगाब्द - ५१२४
🌥️ 🚩विक्रम संवत - २०७९
⛅ 🚩तिथि - एकादशी शाम 06:51 तक तत्पश्चात द्वादशी
⛅ दिनाँक - 12 मई 2022
⛅ दिन - गुरुवार
⛅ विक्रम संवत - 2079
⛅ शक संवत - 1944
⛅ अयन - उत्तरायण
⛅ ऋतु - ग्रीष्म
⛅ मास - वैशाख
⛅ पक्ष - शुक्ल
⛅ नक्षत्र - उत्तराफाल्गुनी शाम 07:30 तक तत्पश्चात हस्त
⛅ योग - हर्षण रात्रि 05:51 तक तत्पश्चात वज्र
⛅ राहुकाल - अपरान्ह 2:15 से 03:54 तक
⛅ सूर्योदय - 06:00
⛅ सूर्यास्त - 07:12
⛅ दिशाशूल - उत्तर दिशा में
⛅ ब्रह्म मुहूर्त- प्रातः 04:34 से 05:17 तक
🚩आज की हिंदी तिथि
🌥️ 🚩युगाब्द - ५१२४
🌥️ 🚩विक्रम संवत - २०७९
⛅ 🚩तिथि - एकादशी शाम 06:51 तक तत्पश्चात द्वादशी
⛅ दिनाँक - 12 मई 2022
⛅ दिन - गुरुवार
⛅ विक्रम संवत - 2079
⛅ शक संवत - 1944
⛅ अयन - उत्तरायण
⛅ ऋतु - ग्रीष्म
⛅ मास - वैशाख
⛅ पक्ष - शुक्ल
⛅ नक्षत्र - उत्तराफाल्गुनी शाम 07:30 तक तत्पश्चात हस्त
⛅ योग - हर्षण रात्रि 05:51 तक तत्पश्चात वज्र
⛅ राहुकाल - अपरान्ह 2:15 से 03:54 तक
⛅ सूर्योदय - 06:00
⛅ सूर्यास्त - 07:12
⛅ दिशाशूल - उत्तर दिशा में
⛅ ब्रह्म मुहूर्त- प्रातः 04:34 से 05:17 तक
May 11, 2022
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🗓12th May2022,गुरुवासरः
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यदीच्छसि वशीकर्तुं, भाषणमेककर्मणा।
यायास्संलापशालां वै, भवति यत्र भाषणम्।।
⏳45 निमेषाः
🕚 IST 11:00 AM
🔰सेनायाः पराक्रमकार्याणि
🗓12th May2022,गुरुवासरः
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वयं युष्माकं प्रतीक्षां कुर्मः। 😇
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May 11, 2022
May 11, 2022
Forwarded from ॐ पीयूषः
https://youtu.be/6NiJOQ19Zvs
Switch to DD News daily at 7:15 AM (Morning) for 15 minutes Sanskrit news.
Switch to DD News daily at 7:15 AM (Morning) for 15 minutes Sanskrit news.
YouTube
वार्ता: संस्कृत में समाचार | पीएम मोदी आज भरूज में 'उत्कर्ष समारोह' को करेंगे संबोधित
May 11, 2022
🔰चित्रं दृष्ट्वा पञ्चवाक्यानि रचयत।
✍🏼सर्वे टिप्पणीसञ्चिकायां स्वोत्तराणि लेखितुं शक्नुवन्ति अथवा पुस्तिकायां लिखित्वा तस्य चित्रं स्वीकृत्य अपि प्रेषयितुं शक्नुवन्ति।
🗣सहैव तानि वाक्यानि उक्त्वा ध्वनिमाध्यमेन अपि प्रेषयत।
🔰 चित्र देखकर पांच वाक्य बनायें।
✍🏼आप कमेंट बॉक्स में टङ्कण कर सकते हैं या कॉपी पर लिखकर फोटो भी भेज सकते हैं।
🗣 साथ हि वें वाक्य बोलकर भी वाइस नोट भेजें।
🔰Make 5 sentences, Observing the attached image.
✍🏼You can type in the comment box or you can also send a photo by writing on the notebook.
🗣 Also, Send voice message by uttering those sentences.
#chitram
✍🏼सर्वे टिप्पणीसञ्चिकायां स्वोत्तराणि लेखितुं शक्नुवन्ति अथवा पुस्तिकायां लिखित्वा तस्य चित्रं स्वीकृत्य अपि प्रेषयितुं शक्नुवन्ति।
🗣सहैव तानि वाक्यानि उक्त्वा ध्वनिमाध्यमेन अपि प्रेषयत।
🔰 चित्र देखकर पांच वाक्य बनायें।
✍🏼आप कमेंट बॉक्स में टङ्कण कर सकते हैं या कॉपी पर लिखकर फोटो भी भेज सकते हैं।
🗣 साथ हि वें वाक्य बोलकर भी वाइस नोट भेजें।
🔰Make 5 sentences, Observing the attached image.
✍🏼You can type in the comment box or you can also send a photo by writing on the notebook.
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#chitram
May 11, 2022
May 11, 2022
May 11, 2022
May 11, 2022
🍃
🔅राजा दिलीपः विद्वान् सन् अपि मौनं तिष्ठति स्म, प्रतिकार-सामर्थ्यसद् अपि क्षमां करोति स्म, दानं दत्त्वा अपि प्रशंसां नेच्छति स्म, तस्य सद्गुणाः विरुद्धगुणैः सह नियमेन साहचर्यात् भ्रातरः इव आसन् । अर्थात् दिलीपे ज्ञानं, शक्तिः, दानञ्च इति एते सद्गुणाः आसन् । मौनं, क्षमा, प्रशंसाभावश्च इति एते सद्गुणानां विरुद्धगुणाः आसन् ।
#Subhashitam
ज्ञाने मौनं क्षमा शक्तौ त्यागे श्लाघाविपर्ययः। गुणा गुणानुबन्धित्वात्तस्य सप्रसवा इव
॥🔅राजा दिलीपः विद्वान् सन् अपि मौनं तिष्ठति स्म, प्रतिकार-सामर्थ्यसद् अपि क्षमां करोति स्म, दानं दत्त्वा अपि प्रशंसां नेच्छति स्म, तस्य सद्गुणाः विरुद्धगुणैः सह नियमेन साहचर्यात् भ्रातरः इव आसन् । अर्थात् दिलीपे ज्ञानं, शक्तिः, दानञ्च इति एते सद्गुणाः आसन् । मौनं, क्षमा, प्रशंसाभावश्च इति एते सद्गुणानां विरुद्धगुणाः आसन् ।
#Subhashitam
May 11, 2022
May 12, 2022
May 12, 2022
संस्कृत संवादः । Sanskrit Samvadah
क्तवतु
प्रत्यय (क्तवतु प्रत्यय भी निष्ठासंज्ञक है। इस प्रत्यय का प्रयोग
भूतकाल कर्त्ताकारक में होता है। क्तवतु प्रत्ययान्त क्रिया के प्रयोग में
कर्त्ता में प्रथमा विभक्ति तथा कर्म में द्वितीया विभक्ति का ही प्रयोग
होता है। किन्तु क्रिया कर्त्ता के अनुसार…
(क्त प्रत्यय अकर्मक धातुओं से, गति अर्थवाली धातुओं से तथा भोजन अर्थवाली धातुओं से अधिकरण कारक में भी होता है।)
इदमेषाम् आसितं वर्तते
= यह इनकी बैठक (दीवानखाना) है।
आसिते कतिपया अतिथयः सन्ति
= बैठक में कुछ अतिथिलोग बैठे हैं।
इदमेषां शयितं सुप्तं वाऽस्ति
= यह इनका शयनकक्ष है।
प्रतिदिनं दशवादने रात्रौ शयनार्थं शयितं सुप्तं वा प्रविशति
= प्रतिदिन रात को दस बजे शयनकक्ष में सोने के लिए आता है।
इदमेषां स्नातमस्ति
= यह इनका स्नानागार है।
स्नाते बालोऽधुना स्नाति
= स्नानागार में बच्चा अभी स्नान कर रहा है।
इदमस्माकं स्थितमस्ति, रात्रौ वयमत्र तिष्ठामः
= यह हमारा ठहरने का स्थान है, रात को हम यहां ठहरते हैं।
केचनाऽनिकेतानां रेलस्थानकस्य वेदी स्थानं वर्तते
= कुछ बेघर लोगों के लिए रेल्वेस्टेशन का फलाट ही ठहरने का स्थान होता है।
ग्रामीणानां तडाग एव स्नातं भवति
= गांववालों के लिए तालाब ही स्नानागार होता है।
मम पितुर्यानस्येदं स्थितमस्ति
= मेरे पिता के गाडी का ये गैरेज है।
तीर्णमिदम्
= यह तरण-ताल है।
सुकुमाराणां सृतमिदम्
= यह छोटे बच्चों की घिसलपट्टी है।
किमिदं युष्माकं भुक्तमस्ति ?
= क्या यह तुम्हारा खाने का स्थान (डायनिंग रूम) है ?
#vakyabhyas
इदमेषाम् आसितं वर्तते
= यह इनकी बैठक (दीवानखाना) है।
आसिते कतिपया अतिथयः सन्ति
= बैठक में कुछ अतिथिलोग बैठे हैं।
इदमेषां शयितं सुप्तं वाऽस्ति
= यह इनका शयनकक्ष है।
प्रतिदिनं दशवादने रात्रौ शयनार्थं शयितं सुप्तं वा प्रविशति
= प्रतिदिन रात को दस बजे शयनकक्ष में सोने के लिए आता है।
इदमेषां स्नातमस्ति
= यह इनका स्नानागार है।
स्नाते बालोऽधुना स्नाति
= स्नानागार में बच्चा अभी स्नान कर रहा है।
इदमस्माकं स्थितमस्ति, रात्रौ वयमत्र तिष्ठामः
= यह हमारा ठहरने का स्थान है, रात को हम यहां ठहरते हैं।
केचनाऽनिकेतानां रेलस्थानकस्य वेदी स्थानं वर्तते
= कुछ बेघर लोगों के लिए रेल्वेस्टेशन का फलाट ही ठहरने का स्थान होता है।
ग्रामीणानां तडाग एव स्नातं भवति
= गांववालों के लिए तालाब ही स्नानागार होता है।
मम पितुर्यानस्येदं स्थितमस्ति
= मेरे पिता के गाडी का ये गैरेज है।
तीर्णमिदम्
= यह तरण-ताल है।
सुकुमाराणां सृतमिदम्
= यह छोटे बच्चों की घिसलपट्टी है।
किमिदं युष्माकं भुक्तमस्ति ?
= क्या यह तुम्हारा खाने का स्थान (डायनिंग रूम) है ?
#vakyabhyas
May 12, 2022
@samskrt_samvadah प्रारंभ करता है, संस्कृताश्रमः - संस्कृतशिक्षण की लघु कक्षाऐं
⏳20 मिनट
🕚 08:30 PM 🇮🇳
🔰लृङ्लकारः
🗓12th मई 2022, गुरुवासरः
🔴 कक्षाओं की प्रति हमारे युट्युब चैनल पर डाली जायेगी
कृपया अलार्म लगा लें और विलंब से न आयें।
👇🏼👇🏼👇🏼👇🏼👇🏼
https://t.me/samskrt_samvadah?voicechat
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May 12, 2022
May 12, 2022
May 12, 2022
May 12, 2022
May 12, 2022
🍃
♦️adhyaatmaj~naananityatvaM tattvaj~naanaarthadarshanam|
etajj~naanamiti proktamaj~naanaM yadatonyathaa
⚜Constancy in Self-knowledge, perception of the end of true knowledge this is declared to be knowledge, and what is opposed to it is ignorance. (13.12)
⚜अध्यात्मज्ञान में नित्यत्व अर्थात् स्थिरता तथा तत्त्वज्ञान के अर्थ रूप परमात्मा का दर्शन यह सब तो ज्ञान कहा गया है और जो इससे विपरीत है वह अज्ञान है।।13.12।।
#geeta
अध्यात्मज्ञाननित्यत्वं तत्त्वज्ञानार्थदर्शनम्।
एतज्ज्ञानमिति प्रोक्तमज्ञानं यदतोन्यथा
।।13.12।।♦️adhyaatmaj~naananityatvaM tattvaj~naanaarthadarshanam|
etajj~naanamiti proktamaj~naanaM yadatonyathaa
⚜Constancy in Self-knowledge, perception of the end of true knowledge this is declared to be knowledge, and what is opposed to it is ignorance. (13.12)
⚜अध्यात्मज्ञान में नित्यत्व अर्थात् स्थिरता तथा तत्त्वज्ञान के अर्थ रूप परमात्मा का दर्शन यह सब तो ज्ञान कहा गया है और जो इससे विपरीत है वह अज्ञान है।।13.12।।
#geeta
May 12, 2022
May 12, 2022
@samskrt_samvadah संलापशाला - A Samskrit Voicechat room.
यदीच्छसि वशीकर्तुं, भाषणमेककर्मणा।
यायास्संलापशालां वै, भवति यत्र भाषणम्।।
⏳45 निमेषाः
🕚 IST 11:00 AM
🔰संस्कृतकथा,सुभाषितम्, हास्यकणिका इत्यादयः
🗓13th may 2022, शुक्रवासरः
🔴Voicechat would be recorded and shared on this channel.
📑यदि शक्येत चेत् संस्कृतेन (संस्कृतकथां, सुभाषितं, हास्यकणिकां ,स्वस्य कञ्चित् उत्तमम् अनुभवं ,प्रेरकप्रसङ्गं ,लौकिकन्यायं वा वदन्तु) । चर्चार्थं कृपया पूर्वसिद्धतां कृत्वा आगच्छन्तु।
वयं युष्माकं प्रतीक्षां कुर्मः। 😇
स्मारणतंत्रिकां स्थापयतु ⏰
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यायास्संलापशालां वै, भवति यत्र भाषणम्।।
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May 12, 2022
May 12, 2022
🍃
♦️j~neyaM yattatpravakShyaami yajj~naatvaa'mRRitamashnute|
anaadimatparaM brahma na sattannaasaduchyate
⚜I will declare that which has to be known, knowing which one attains to immortality, the beginningless supreme Brahman, called neither being nor non-being. (13.13)
⚜मैं उस ज्ञेय वस्तु को स्पष्ट कहूंगा जिसे जानकर मनुष्य अमृतत्व को प्राप्त करता है। वह ज्ञेय है अनादि परम ब्रह्म जो न सत् और न असत् ही कहा जा सकता है।।13.13।।
#geeta
ज्ञेयं यत्तत्प्रवक्ष्यामि यज्ज्ञात्वाऽमृतमश्नुते।
अनादिमत्परं ब्रह्म न सत्तन्नासदुच्यते
।।13.13।।♦️j~neyaM yattatpravakShyaami yajj~naatvaa'mRRitamashnute|
anaadimatparaM brahma na sattannaasaduchyate
⚜I will declare that which has to be known, knowing which one attains to immortality, the beginningless supreme Brahman, called neither being nor non-being. (13.13)
⚜मैं उस ज्ञेय वस्तु को स्पष्ट कहूंगा जिसे जानकर मनुष्य अमृतत्व को प्राप्त करता है। वह ज्ञेय है अनादि परम ब्रह्म जो न सत् और न असत् ही कहा जा सकता है।।13.13।।
#geeta
May 12, 2022
🚩जय सत्य सनातन 🚩
🚩आज की हिंदी तिथि
🌥️ 🚩युगाब्द - ५१२४
🌥️ 🚩विक्रम संवत - २०७९
⛅ 🚩तिथि - द्वादशी शाम 05:26 तक तत्पश्चात त्रयोदशी
⛅ दिनांक - 13 मई 2022
⛅ दिन - शुक्रवार
⛅ विक्रम संवत - 2079
⛅ शक संवत - 1944
⛅ अयन - उत्तरायण
⛅ ऋतु - ग्रीष्म
⛅ मास - वैशाख
⛅ पक्ष - शुक्ल
⛅ नक्षत्र - हस्त शाम 06:48 तक तत्पश्चातचित्रा
⛅ योग -वज्र अपरान्ह 03:42 तक तत्पश्चात सिद्धि
⛅ राहुकाल - सुबह 10:57 से दोपहर 12:36 तक
⛅ सूर्योदय - 06:00
⛅ सूर्यास्त - 07:13
⛅ दिशाशूल - पूर्व दिशा में
⛅ ब्रह्म मुहूर्त- प्रातः 04:33 से 05:17 तक
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🌥️ 🚩विक्रम संवत - २०७९
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⛅ दिनांक - 13 मई 2022
⛅ दिन - शुक्रवार
⛅ विक्रम संवत - 2079
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⛅ योग -वज्र अपरान्ह 03:42 तक तत्पश्चात सिद्धि
⛅ राहुकाल - सुबह 10:57 से दोपहर 12:36 तक
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⛅ दिशाशूल - पूर्व दिशा में
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May 12, 2022
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May 12, 2022
https://youtu.be/Z60g-fsVMyw
Switch to DD News daily at 7:15 AM (Morning) for 15 minutes Sanskrit news.
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YouTube
वार्ता: संस्कृत में समाचार | मध्य प्रदेश में आज स्टार्ट अप कॉन्कलेव का आयोजन
May 12, 2022
May 12, 2022
🔰चित्रं दृष्ट्वा पञ्चवाक्यानि रचयत।
✍🏼सर्वे टिप्पणीसञ्चिकायां स्वोत्तराणि लेखितुं शक्नुवन्ति अथवा पुस्तिकायां लिखित्वा तस्य चित्रं स्वीकृत्य अपि प्रेषयितुं शक्नुवन्ति।
🗣सहैव तानि वाक्यानि उक्त्वा ध्वनिमाध्यमेन अपि प्रेषयत।
🔰 चित्र देखकर पांच वाक्य बनायें।
✍🏼आप कमेंट बॉक्स में टङ्कण कर सकते हैं या कॉपी पर लिखकर फोटो भी भेज सकते हैं।
🗣 साथ हि वें वाक्य बोलकर भी वाइस नोट भेजें।
🔰Make 5 sentences, Observing the attached image.
✍🏼You can type in the comment box or you can also send a photo by writing on the notebook.
🗣 Also, Send voice message by uttering those sentences.
#chitram
✍🏼सर्वे टिप्पणीसञ्चिकायां स्वोत्तराणि लेखितुं शक्नुवन्ति अथवा पुस्तिकायां लिखित्वा तस्य चित्रं स्वीकृत्य अपि प्रेषयितुं शक्नुवन्ति।
🗣सहैव तानि वाक्यानि उक्त्वा ध्वनिमाध्यमेन अपि प्रेषयत।
🔰 चित्र देखकर पांच वाक्य बनायें।
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#chitram
May 12, 2022
May 12, 2022
May 12, 2022
May 12, 2022
🍃
🔅दैवं नाम प्रारब्धं वर्तते, तथा च पुरुषकारो नाम पुरुषार्थः अर्थात् परिश्रमःअस्ति । अनयोः द्वयोः मध्ये परिश्रमः एव प्रधानः । यतो हि यथा क्षेत्रे यदि बीजं न उप्यते तर्हि तद् क्षेत्रं किमपि फलं न ददाति । तथैव यदि मनुष्यः परिश्रमं न करोति तर्हि प्रारब्धम् अपि फलं न ददाति । अतः फलप्राप्त्यर्थं सदैव परिश्रमेण एव भाव्यम्।
#Subhashitam
यथा बीजं विना क्षेत्रमुप्तं भवति निष्फलम्।
तथा पुरुषकारेण विना दैवं न सिध्यति
।🔅दैवं नाम प्रारब्धं वर्तते, तथा च पुरुषकारो नाम पुरुषार्थः अर्थात् परिश्रमःअस्ति । अनयोः द्वयोः मध्ये परिश्रमः एव प्रधानः । यतो हि यथा क्षेत्रे यदि बीजं न उप्यते तर्हि तद् क्षेत्रं किमपि फलं न ददाति । तथैव यदि मनुष्यः परिश्रमं न करोति तर्हि प्रारब्धम् अपि फलं न ददाति । अतः फलप्राप्त्यर्थं सदैव परिश्रमेण एव भाव्यम्।
#Subhashitam
May 12, 2022
अलसः कदापि सफलतां न प्राप्नोति।
"प्राप्नोति" अत्र कः धातुः।
"प्राप्नोति" अत्र कः धातुः।
Anonymous Quiz
30%
प्राप्
41%
आप्
11%
आप्न
18%
अप्
May 13, 2022
आङ्ग्लानुवादः च हिन्द्यानुवादः
🔰 चित्र देखकर पांच वाक्य बनायें।
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May 13, 2022
संस्कृत संवादः । Sanskrit Samvadah
(क्त
प्रत्यय अकर्मक धातुओं से, गति अर्थवाली धातुओं से तथा भोजन अर्थवाली
धातुओं से अधिकरण कारक में भी होता है।) इदमेषाम् आसितं वर्तते = यह
इनकी बैठक (दीवानखाना) है। आसिते कतिपया अतिथयः सन्ति = बैठक में कुछ
अतिथिलोग बैठे हैं। इदमेषां शयितं सुप्तं वाऽस्ति…
संस्कृतं वद आधुनिको भव।
वेदान् पठ वैज्ञानिको भव।।
पाठ: (38) कृदन्त (5) क्त्वा प्रत्यय
(एक वाक्य में प्रयुक्त दो अथवा दो से ज्यादा क्रियाओं का कर्त्ता यदि समान है, तो पूर्वकाल वाली क्रियाओं में क्त्वा प्रत्यय का प्रयोग होता है। क्त्वा प्रत्यय का अर्थ है ‘करके’। क्त्वा प्रत्ययान्त क्रियावाची शब्द अव्यय होता है।)
आत्मदर्शी दुग्धं पीत्वा क्रीडति
= आत्मदर्शी दूध पीकर खेलता है।
को जानाति सुप्त्वा को जागरिष्यति
= कौन जानता है सोकर कौन जगेगा ?
आर्य इष्ट्वैव भुङ्क्ते
= आर्य (श्रेष्ठ व्यक्ति) यज्ञ करके ही भोजन करता है।
शिष्टो बालो पितरौ नत्वा विद्यालयं गच्छति
= शिष्ट बच्चा मां-बाप को नमन करके विद्यालय को जाता है।
व्याख्यानं श्रुत्वा प्रबुद्धः श्रोतृगणः शंकां पृच्छति
= व्याख्यान सुनकर प्रबुद्ध श्रोता प्रश्न पूछता है।
सत्यस्य बोधाय विदुषः समीपं गत्वा धर्मचर्चां कुर्यात्
= सत्य के बोध के लिए विद्वानों के पास जाकर धर्मचर्चा करनी चाहिए।
प्रत्यहं स्वाध्यायं कृत्वा ज्ञानं वर्धयेत्
= प्रतिदिन स्वाध्याय करके ज्ञान को बढ़ाना चाहिए।
गृहस्थी प्रतिदिनं प´्चमहायज्ञान् कृत्वैव सुखं लभते
= गृहस्थी प्रतिदिन पांच महायज्ञों को करके ही सुख प्राप्त करता है।
मृत्वाऽपि यो यशःकायेन जीवति स जीवति
= जीना तो उसका है जिसकी कीर्ति अमर है।
सरलं आसित्वा आसने अध्यापकः अष्टाध्यायीमध्यापयति
= आसन पर सीधा बैठकर अध्यापक अष्टाध्यायी पढ़ा रहे हैं।
अद्यत्वे जनाः व्हाट्सपादिकं मुहुर्मुहुः चालयित्वा समयं व्यर्थीकुर्वन्ति
= आजकल लोग व्हाट्स्एप् आदि का बार-बार प्रयोग कर समय को व्यर्थ गंवाते हैं।
पुत्री श्वशुरालयात् मातरं दूरभाषं कृत्वा श्वश्रुम् उपालभते
= बेटी ससुराल से मां को फोन करके सास की शिकायत कर रही है।
पितरौ हित्वा पुत्रः पत्न्या सममन्यत्रावसत्
= मां-बाप को छोड़कर बेटा पत्नी सहित अन्यत्र चला गया।
श्रवणः कष्टं सहित्वाऽपि पितरावसेवत
= श्रवण ने कष्ट उठाकरके भी माता-पिता की सेवा की।
भरतः राजभवनं त्यक्त्वा कुटिरे च उषित्वाभ्रातुराज्ञाम् अपालयत्
= भरत ने राजभवन को छोड़कर झोपड़ी में वास करते हुए भाई की आज्ञा का पालन किया।
चतुर्दशवर्षपर्यन्तं वनवासं श्रुत्वाऽपि रामो नाखिन्दत
= चौदह वर्ष वनवास सुनकर भी राम खिन्न नहीं हुआ।
आर्ष-विद्यां पठित्वैव मनुष्याः देवाः भवन्ति
= आर्ष विद्या को पढ़कर ही सामान्य मनुष्य दिव्य हो जाते हैं।
मत्वा कार्याणि करोति स एव मनुष्य उच्यते
= जो विचार करके कार्यों को करता है उसको ही मनुष्य कहते हैं।
दृष्ट्वा स पादं न्यसेत् जागरूकः
= जागरूक व्यक्ति को सोच-समझकर कदम उठाना चाहिए।
द्वात्रिंशद्वारं भोजनं चर्वित्वा निगरेत्
= बत्तीस बार भोजन चबाकर फिर निगलना चाहिए।
#vakyabhyas
वेदान् पठ वैज्ञानिको भव।।
पाठ: (38) कृदन्त (5) क्त्वा प्रत्यय
(एक वाक्य में प्रयुक्त दो अथवा दो से ज्यादा क्रियाओं का कर्त्ता यदि समान है, तो पूर्वकाल वाली क्रियाओं में क्त्वा प्रत्यय का प्रयोग होता है। क्त्वा प्रत्यय का अर्थ है ‘करके’। क्त्वा प्रत्ययान्त क्रियावाची शब्द अव्यय होता है।)
आत्मदर्शी दुग्धं पीत्वा क्रीडति
= आत्मदर्शी दूध पीकर खेलता है।
को जानाति सुप्त्वा को जागरिष्यति
= कौन जानता है सोकर कौन जगेगा ?
आर्य इष्ट्वैव भुङ्क्ते
= आर्य (श्रेष्ठ व्यक्ति) यज्ञ करके ही भोजन करता है।
शिष्टो बालो पितरौ नत्वा विद्यालयं गच्छति
= शिष्ट बच्चा मां-बाप को नमन करके विद्यालय को जाता है।
व्याख्यानं श्रुत्वा प्रबुद्धः श्रोतृगणः शंकां पृच्छति
= व्याख्यान सुनकर प्रबुद्ध श्रोता प्रश्न पूछता है।
सत्यस्य बोधाय विदुषः समीपं गत्वा धर्मचर्चां कुर्यात्
= सत्य के बोध के लिए विद्वानों के पास जाकर धर्मचर्चा करनी चाहिए।
प्रत्यहं स्वाध्यायं कृत्वा ज्ञानं वर्धयेत्
= प्रतिदिन स्वाध्याय करके ज्ञान को बढ़ाना चाहिए।
गृहस्थी प्रतिदिनं प´्चमहायज्ञान् कृत्वैव सुखं लभते
= गृहस्थी प्रतिदिन पांच महायज्ञों को करके ही सुख प्राप्त करता है।
मृत्वाऽपि यो यशःकायेन जीवति स जीवति
= जीना तो उसका है जिसकी कीर्ति अमर है।
सरलं आसित्वा आसने अध्यापकः अष्टाध्यायीमध्यापयति
= आसन पर सीधा बैठकर अध्यापक अष्टाध्यायी पढ़ा रहे हैं।
अद्यत्वे जनाः व्हाट्सपादिकं मुहुर्मुहुः चालयित्वा समयं व्यर्थीकुर्वन्ति
= आजकल लोग व्हाट्स्एप् आदि का बार-बार प्रयोग कर समय को व्यर्थ गंवाते हैं।
पुत्री श्वशुरालयात् मातरं दूरभाषं कृत्वा श्वश्रुम् उपालभते
= बेटी ससुराल से मां को फोन करके सास की शिकायत कर रही है।
पितरौ हित्वा पुत्रः पत्न्या सममन्यत्रावसत्
= मां-बाप को छोड़कर बेटा पत्नी सहित अन्यत्र चला गया।
श्रवणः कष्टं सहित्वाऽपि पितरावसेवत
= श्रवण ने कष्ट उठाकरके भी माता-पिता की सेवा की।
भरतः राजभवनं त्यक्त्वा कुटिरे च उषित्वाभ्रातुराज्ञाम् अपालयत्
= भरत ने राजभवन को छोड़कर झोपड़ी में वास करते हुए भाई की आज्ञा का पालन किया।
चतुर्दशवर्षपर्यन्तं वनवासं श्रुत्वाऽपि रामो नाखिन्दत
= चौदह वर्ष वनवास सुनकर भी राम खिन्न नहीं हुआ।
आर्ष-विद्यां पठित्वैव मनुष्याः देवाः भवन्ति
= आर्ष विद्या को पढ़कर ही सामान्य मनुष्य दिव्य हो जाते हैं।
मत्वा कार्याणि करोति स एव मनुष्य उच्यते
= जो विचार करके कार्यों को करता है उसको ही मनुष्य कहते हैं।
दृष्ट्वा स पादं न्यसेत् जागरूकः
= जागरूक व्यक्ति को सोच-समझकर कदम उठाना चाहिए।
द्वात्रिंशद्वारं भोजनं चर्वित्वा निगरेत्
= बत्तीस बार भोजन चबाकर फिर निगलना चाहिए।
#vakyabhyas
May 13, 2022
May 13, 2022
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May 13, 2022
नमो नमः
13 मई 2022 साप्ताहिकमेलनस्य कृते अधोलिखिता योजना अस्ति।
🌺
सायंकाले
🌺
6:00 - 6:05 ध्येयमन्त्रम्
🌺
6:05 - 6:15 भगवद्गीता पठनम्
🌺
6:15- 6:20 सुभाषितम् - दीपिका तांबेकर
🌺
6:20 - 6:25 कथा - व्दौ मेघाः - चित्रा सोहनी
🌺
6:25 - 6:30 गीतम् - "सततं कुर्वन्तु" - Dr. पी .बी . श्रीदेवी
🌺
6:30 - 6:35 सुभाषितम् - सुधीर पाण्डे
🌺
6:35 - 6:55 कोषपठनम् - हेमा महोदया
🌺
6:55 - 7:10 मासिकगीतम् "चिरनवीना संस्कृता एषा "
🌺
7:10 - 7:15 नूतनानां परिचयः
🌺
7:15 - 7:25 भाषाभ्यासः
🌺
7:25 - 07:30 एकात्मता मन्त्रम्
🌺
सर्वे निश्चयेन आगच्छन्तु
https://bit.ly/melanam
All are invited. No eligibility.
13 मई 2022 साप्ताहिकमेलनस्य कृते अधोलिखिता योजना अस्ति।
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सायंकाले
🌺
6:00 - 6:05 ध्येयमन्त्रम्
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6:05 - 6:15 भगवद्गीता पठनम्
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6:15- 6:20 सुभाषितम् - दीपिका तांबेकर
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6:20 - 6:25 कथा - व्दौ मेघाः - चित्रा सोहनी
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6:25 - 6:30 गीतम् - "सततं कुर्वन्तु" - Dr. पी .बी . श्रीदेवी
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6:30 - 6:35 सुभाषितम् - सुधीर पाण्डे
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6:35 - 6:55 कोषपठनम् - हेमा महोदया
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6:55 - 7:10 मासिकगीतम् "चिरनवीना संस्कृता एषा "
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7:10 - 7:15 नूतनानां परिचयः
🌺
7:15 - 7:25 भाषाभ्यासः
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7:25 - 07:30 एकात्मता मन्त्रम्
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सर्वे निश्चयेन आगच्छन्तु
https://bit.ly/melanam
All are invited. No eligibility.
May 13, 2022
https://youtu.be/CABcibpobDE
#SanskritCarnaticMusic
रङ्ग पुर विहार - रागं बृन्दावन सारङ्ग - ताळं रूपकम्
पल्लवि
रङ्ग पुर विहार जय कोदण्ड -
(मध्यम काल साहित्यम्)
रामावतार रघुवीर श्री
अनुपल्लवि
अङ्गज जनक देव बृन्दावन
सारङ्गेन्द्र वरद रमान्तरङ्ग
(मध्यम काल साहित्यम्)
श्यामळाङ्ग विहङ्ग तुरङ्ग
सदयापाङ्ग सत्सङ्ग
चरणम्
पङ्कजाप्त कुल जल निधि सोम
वर पङ्कज मुख पट्टाभिराम
पद पङ्कज जित काम रघु राम
वामाङ्क गत सीता वर वेष
शेषाङ्क शयन भक्त सन्तोष
एणाङ्क रवि नयन मृदु-तर भाष
अकळङ्क दर्पण कपोल विशेष मुनि -
(मध्यम काल साहित्यम्)
सङ्कट हरण गोविन्द
वेङ्कट रमण मुकुन्द
सङ्कर्षण मूल कन्द
शङ्कर गुरु गुहानन्द
Meaning
pallavi
SrI ranga pura vihAra - O one sporting in the city of Srirangam!
jaya - May you be victorious!
kOdaNDa -rAma-avatAra - O one who incarnated as the bow-wielding Rama!
raghuvIra - O brave one of Raghu’s dynasty!
anupallavi
angaja janaka - O father of Manmatha!
dEva bRnda-avana - O protector of the congregation of Devas,
sAranga-indra varada - O giver of boons(protection and salvation) to the king of elephants
ramA-antaranga - O one dwelling in the heart of Lakshmi(Ramaa)!
SyAmaLa-anga - O one with dark-hued limbs!
vihanga turanga - O one whose mount is a bird(Garuda)!
sadaya-apAnga - O one with compassionate glances!
satsanga - O one in the company of the noble!
caraNam
pankaja-Apta kula jala nidhi sOma - O moon rising from the ocean of the Solar dynasty!
vara pankaja mukha - O Excellent lotus-faced one!
paTTa-abhirAma - O charming one crowned (as the king)!
pada pankaja jita kAma - O one who feet (alone) can vanquish Manmatha in beauty!
raghu rAma; - O Rama of Raghu’s family!
vAma-anka gata sItA vara vEsha- O one bedecked as the chosen lord of Sita(who is) seated on your left thigh!
SEsha-anka Sayana - O one reclining on the folds of Adi Sesha!
bhakta santOsha - O one highly pleased with your devotees!
ENa-anka ravi nayana - O one whose eyes are the moon (with a deer-like mark) and the sun,
mRdu-tara bhAsha - O one whose speech is very soft and pleasing,
akaLanka darpaNa kapOla viSEsha - O one with amazing blemish-less mirror-like cheeks,
muni sankaTa haraNa - O remover of the distress of sages,
gOvinda - O Govinda,
vEnkaTa ramaNa - O lord of Venkata (hill),
mukunda - O giver of liberation,
sankarshaNa - the one who takes the form of Sankarshana(Adi Sesha),
mUla kanda - the root cause(of the universe),
Sankara guru guha-Ananda - the source of joy to Shiva and Guruguha.
Comments:
This kriti is in the eighth (Sambodhana Prathama) Vibhakti
#SanskritCarnaticMusic
रङ्ग पुर विहार - रागं बृन्दावन सारङ्ग - ताळं रूपकम्
पल्लवि
रङ्ग पुर विहार जय कोदण्ड -
(मध्यम काल साहित्यम्)
रामावतार रघुवीर श्री
अनुपल्लवि
अङ्गज जनक देव बृन्दावन
सारङ्गेन्द्र वरद रमान्तरङ्ग
(मध्यम काल साहित्यम्)
श्यामळाङ्ग विहङ्ग तुरङ्ग
सदयापाङ्ग सत्सङ्ग
चरणम्
पङ्कजाप्त कुल जल निधि सोम
वर पङ्कज मुख पट्टाभिराम
पद पङ्कज जित काम रघु राम
वामाङ्क गत सीता वर वेष
शेषाङ्क शयन भक्त सन्तोष
एणाङ्क रवि नयन मृदु-तर भाष
अकळङ्क दर्पण कपोल विशेष मुनि -
(मध्यम काल साहित्यम्)
सङ्कट हरण गोविन्द
वेङ्कट रमण मुकुन्द
सङ्कर्षण मूल कन्द
शङ्कर गुरु गुहानन्द
Meaning
pallavi
SrI ranga pura vihAra - O one sporting in the city of Srirangam!
jaya - May you be victorious!
kOdaNDa -rAma-avatAra - O one who incarnated as the bow-wielding Rama!
raghuvIra - O brave one of Raghu’s dynasty!
anupallavi
angaja janaka - O father of Manmatha!
dEva bRnda-avana - O protector of the congregation of Devas,
sAranga-indra varada - O giver of boons(protection and salvation) to the king of elephants
ramA-antaranga - O one dwelling in the heart of Lakshmi(Ramaa)!
SyAmaLa-anga - O one with dark-hued limbs!
vihanga turanga - O one whose mount is a bird(Garuda)!
sadaya-apAnga - O one with compassionate glances!
satsanga - O one in the company of the noble!
caraNam
pankaja-Apta kula jala nidhi sOma - O moon rising from the ocean of the Solar dynasty!
vara pankaja mukha - O Excellent lotus-faced one!
paTTa-abhirAma - O charming one crowned (as the king)!
pada pankaja jita kAma - O one who feet (alone) can vanquish Manmatha in beauty!
raghu rAma; - O Rama of Raghu’s family!
vAma-anka gata sItA vara vEsha- O one bedecked as the chosen lord of Sita(who is) seated on your left thigh!
SEsha-anka Sayana - O one reclining on the folds of Adi Sesha!
bhakta santOsha - O one highly pleased with your devotees!
ENa-anka ravi nayana - O one whose eyes are the moon (with a deer-like mark) and the sun,
mRdu-tara bhAsha - O one whose speech is very soft and pleasing,
akaLanka darpaNa kapOla viSEsha - O one with amazing blemish-less mirror-like cheeks,
muni sankaTa haraNa - O remover of the distress of sages,
gOvinda - O Govinda,
vEnkaTa ramaNa - O lord of Venkata (hill),
mukunda - O giver of liberation,
sankarshaNa - the one who takes the form of Sankarshana(Adi Sesha),
mUla kanda - the root cause(of the universe),
Sankara guru guha-Ananda - the source of joy to Shiva and Guruguha.
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This kriti is in the eighth (Sambodhana Prathama) Vibhakti
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Rangapura Vihara | Sooryagayathri | Carnatic Krithi
#rangapuravihara #sooryagayathri #strummspiritual
Enjoy the Dikshitar classic, Rangapura Vihara, dedicated to Lord Ranganatha of Srirangam in the voice of Sooryagayathri to music by S Jaykumar. May this special song transport you to spiritual bliss.
Singer…
Enjoy the Dikshitar classic, Rangapura Vihara, dedicated to Lord Ranganatha of Srirangam in the voice of Sooryagayathri to music by S Jaykumar. May this special song transport you to spiritual bliss.
Singer…
May 13, 2022
May 13, 2022
May 13, 2022
May 13, 2022
🍃
♦️sarvataH paaNipaadaM tatsarvato'kShishiromukham|
sarvataH shrutimalloke sarvamaavRRitya tiShThati
⚜With hands and feet everywhere, with eyes, heads and mouths everywhere, with ears everywhere, He exists in the worlds enveloping all. (13.14)
⚜वह सब ओर हाथपैर वाला है और सब ओर से नेत्र शिर और मुखवाला तथा सब ओर से श्रोत्रवाला है वह जगत् में सबको व्याप्त करके स्थित है।।13.14।।
#geeta
सर्वतः पाणिपादं तत्सर्वतोऽक्षिशिरोमुखम्।
सर्वतः श्रुतिमल्लोके सर्वमावृत्य तिष्ठति
।।13.14।।♦️sarvataH paaNipaadaM tatsarvato'kShishiromukham|
sarvataH shrutimalloke sarvamaavRRitya tiShThati
⚜With hands and feet everywhere, with eyes, heads and mouths everywhere, with ears everywhere, He exists in the worlds enveloping all. (13.14)
⚜वह सब ओर हाथपैर वाला है और सब ओर से नेत्र शिर और मुखवाला तथा सब ओर से श्रोत्रवाला है वह जगत् में सबको व्याप्त करके स्थित है।।13.14।।
#geeta
May 13, 2022
May 13, 2022
May 13, 2022
🍃
♦️sarvendriyaguNaabhaasaM sarvendriyavivarjitam|
asaktaM sarvabhRRichchaiva nirguNaM guNabhoktRRi cha
⚜Shining by the functions of all the senses, yet without the senses; unattached, yet supporting all; devoid of alities, yet their experiencer. (13.15)
⚜वह समस्त इन्द्रियों के गुणो (कार्यों) के द्वारा प्रकाशित होने वाला परन्तु (वस्तुत) समस्त इन्द्रियों से रहित है आसक्ति रहित तथा गुण रहित होते हुए भी सबको धारणपोषण करने वाला और गुणों का भोक्ता है।।13.15।।
#geeta
सर्वेन्द्रियगुणाभासं सर्वेन्द्रियविवर्जितम्।
असक्तं सर्वभृच्चैव निर्गुणं गुणभोक्तृ च
।।13.15।।♦️sarvendriyaguNaabhaasaM sarvendriyavivarjitam|
asaktaM sarvabhRRichchaiva nirguNaM guNabhoktRRi cha
⚜Shining by the functions of all the senses, yet without the senses; unattached, yet supporting all; devoid of alities, yet their experiencer. (13.15)
⚜वह समस्त इन्द्रियों के गुणो (कार्यों) के द्वारा प्रकाशित होने वाला परन्तु (वस्तुत) समस्त इन्द्रियों से रहित है आसक्ति रहित तथा गुण रहित होते हुए भी सबको धारणपोषण करने वाला और गुणों का भोक्ता है।।13.15।।
#geeta
May 13, 2022
🚩जय सत्य सनातन 🚩
🚩आज की हिंदी तिथि
🌥 🚩यगाब्द - ५१२४
🌥 🚩विक्रम संवत - २०७९
⛅️ 🚩तिथि - त्रयोदशी अपरान्ह 03:22 तक तत्पश्चात चतुर्दशी
⛅️ दिनांक - 14 मई 2022
⛅️ दिन - शनिवार
⛅️ विक्रम संवत - 2079
⛅️ शक संवत - 1944
⛅️ अयन - उत्तरायण
⛅️ ऋतु - ग्रीष्म
⛅️ मास - वैशाख
⛅️ पक्ष - शुक्ल
⛅️ नक्षत्र - चित्रा शाम 05:28 तक तत्पश्चात स्वाती
⛅️ योग - सिद्धि अपरान्ह 12:59 तक तत्पश्चात व्यतिपात
⛅️ राहुकाल - सुबह 09:18 से 10:57 तक
⛅️ सर्योदय - 05:59
⛅️ सर्यास्त - 07:13
⛅️ दिशाशूल - पूर्व दिशा में
⛅️ बरह्म मुहूर्त- प्रातः 04:33 से 05:16 तक
🚩आज की हिंदी तिथि
🌥 🚩यगाब्द - ५१२४
🌥 🚩विक्रम संवत - २०७९
⛅️ 🚩तिथि - त्रयोदशी अपरान्ह 03:22 तक तत्पश्चात चतुर्दशी
⛅️ दिनांक - 14 मई 2022
⛅️ दिन - शनिवार
⛅️ विक्रम संवत - 2079
⛅️ शक संवत - 1944
⛅️ अयन - उत्तरायण
⛅️ ऋतु - ग्रीष्म
⛅️ मास - वैशाख
⛅️ पक्ष - शुक्ल
⛅️ नक्षत्र - चित्रा शाम 05:28 तक तत्पश्चात स्वाती
⛅️ योग - सिद्धि अपरान्ह 12:59 तक तत्पश्चात व्यतिपात
⛅️ राहुकाल - सुबह 09:18 से 10:57 तक
⛅️ सर्योदय - 05:59
⛅️ सर्यास्त - 07:13
⛅️ दिशाशूल - पूर्व दिशा में
⛅️ बरह्म मुहूर्त- प्रातः 04:33 से 05:16 तक
May 13, 2022
May 13, 2022
@samskrt_samvadah संलापशाला - A Samskrit Voicechat room.
यदीच्छसि वशीकर्तुं, भाषणमेककर्मणा।
यायास्संलापशालां वै, भवति यत्र भाषणम्।।
⏳45 निमेषाः
🕚 IST 11:00 AM
🔰अविस्मरणीया घटना
🗓14th May2022, शनिवासरः
🔴Voicechat would be recorded and shared on this channel.
📑यदि शक्येत चेत् संस्कृतेन (भवतां जीवनस्य अविस्मरणीयाम् उत्तमां शिक्षाप्रदायिनीं घटनां श्रावयन्तु ) । चर्चार्थं कृपया पूर्वसिद्धतां कृत्वा आगच्छन्तु।
वयं युष्माकं प्रतीक्षां कुर्मः। 😇
स्मारणतंत्रिकां स्थापयतु ⏰
👇🏼👇🏼👇🏼👇🏼👇🏼
https://t.me/samskrt_samvadah?voicechat
यदीच्छसि वशीकर्तुं, भाषणमेककर्मणा।
यायास्संलापशालां वै, भवति यत्र भाषणम्।।
⏳45 निमेषाः
🕚 IST 11:00 AM
🔰अविस्मरणीया घटना
🗓14th May2022, शनिवासरः
🔴Voicechat would be recorded and shared on this channel.
📑यदि शक्येत चेत् संस्कृतेन (भवतां जीवनस्य अविस्मरणीयाम् उत्तमां शिक्षाप्रदायिनीं घटनां श्रावयन्तु ) । चर्चार्थं कृपया पूर्वसिद्धतां कृत्वा आगच्छन्तु।
वयं युष्माकं प्रतीक्षां कुर्मः। 😇
स्मारणतंत्रिकां स्थापयतु ⏰
👇🏼👇🏼👇🏼👇🏼👇🏼
https://t.me/samskrt_samvadah?voicechat
May 13, 2022
Forwarded from रामदूतः — The Sanskrit News Platform (Bhavani Raman)
https://youtu.be/Hx9gAvxyGBY
Switch to DD News daily at 7:15 AM (Morning) for 15 minutes Sanskrit news.
Switch to DD News daily at 7:15 AM (Morning) for 15 minutes Sanskrit news.
YouTube
वार्ता: मुंडका मेट्रो स्टेशन के पास इमारत में लगी भीषण आग में 27 लोगों की मौत | संस्कृत में समाचार
May 13, 2022
🔰चित्रं दृष्ट्वा पञ्चवाक्यानि रचयत।
✍🏼सर्वे टिप्पणीसञ्चिकायां स्वोत्तराणि लेखितुं शक्नुवन्ति अथवा पुस्तिकायां लिखित्वा तस्य चित्रं स्वीकृत्य अपि प्रेषयितुं शक्नुवन्ति।
🗣सहैव तानि वाक्यानि उक्त्वा ध्वनिमाध्यमेन अपि प्रेषयत।
Read in English
हिन्दी में पढें
#chitram
✍🏼सर्वे टिप्पणीसञ्चिकायां स्वोत्तराणि लेखितुं शक्नुवन्ति अथवा पुस्तिकायां लिखित्वा तस्य चित्रं स्वीकृत्य अपि प्रेषयितुं शक्नुवन्ति।
🗣सहैव तानि वाक्यानि उक्त्वा ध्वनिमाध्यमेन अपि प्रेषयत।
Read in English
हिन्दी में पढें
#chitram
May 13, 2022
May 13, 2022
🍃
♦️osanskritaacharyaofficial laalayet panchavarShaaNi dashavarshaaNi taaDayet praapte tu ShoDashe varShe putraM mitravadaacharet
⚜पाँच साल तक के बच्चों को खूब लाड़ प्यार देना चाहिए। दस वर्ष तथा उसके बाद उसे कठोरतापूर्वक शिक्षा देनी चाहिए। सोलह साल के होने
पर मित्र की तरह बरताव करना योग्य है।
⚜Kids, until and above the age of five, should be showered with affection. Kids, until and above the age of 10, must be disciplined strictly. Kids, after reaching the age of 16, must be treated like a friend.
🔅बालकस्य बालिकायाः वा प्रेम्णा लालनं पञ्चवर्षवयपर्यन्तं कर्तव्यं ततः दशवर्षवयपर्यन्तं लालनेन सह ताडनम् अपि कर्तव्यं तथा सः/सा यदा षोडशवर्षस्य भवति तदा तेन/तया सह मित्रवत् आचरणं कार्यम्।
#Subhashitam
लालयेत् पञ्चवर्षाणि दशवर्षाणि ताडयेत् ।
प्राप्ते तु षोडशे वर्षे पुत्रं मित्रवदाचरेत्
॥♦️osanskritaacharyaofficial laalayet panchavarShaaNi dashavarshaaNi taaDayet praapte tu ShoDashe varShe putraM mitravadaacharet
⚜पाँच साल तक के बच्चों को खूब लाड़ प्यार देना चाहिए। दस वर्ष तथा उसके बाद उसे कठोरतापूर्वक शिक्षा देनी चाहिए। सोलह साल के होने
पर मित्र की तरह बरताव करना योग्य है।
⚜Kids, until and above the age of five, should be showered with affection. Kids, until and above the age of 10, must be disciplined strictly. Kids, after reaching the age of 16, must be treated like a friend.
🔅बालकस्य बालिकायाः वा प्रेम्णा लालनं पञ्चवर्षवयपर्यन्तं कर्तव्यं ततः दशवर्षवयपर्यन्तं लालनेन सह ताडनम् अपि कर्तव्यं तथा सः/सा यदा षोडशवर्षस्य भवति तदा तेन/तया सह मित्रवत् आचरणं कार्यम्।
#Subhashitam
May 13, 2022
May 13, 2022
May 13, 2022
"अभूत्" अत्र कः लकारः अस्ति?
Anonymous Quiz
9%
लट्लकारः
10%
लृट्लकारः
16%
लोट्लकारः
27%
लृङ्लकारः
37%
लुङ्लकारः
May 14, 2022
संस्कृत संवादः । Sanskrit Samvadah
संस्कृतं
वद आधुनिको भव। वेदान् पठ वैज्ञानिको भव।। पाठ: (38) कृदन्त (5) क्त्वा
प्रत्यय (एक वाक्य में प्रयुक्त दो अथवा दो से ज्यादा क्रियाओं का कर्त्ता
यदि समान है, तो पूर्वकाल वाली क्रियाओं में क्त्वा प्रत्यय का प्रयोग
होता है। क्त्वा प्रत्यय का अर्थ है ‘करके’।…
दुग्धं खादित्वा रोटिकाञ्च पीत्वा भुञ्जीत
= दूध को खाकर और रोटी को पीकर खाएं।
लवणं अशित्वा दुग्धं मा पिबेत्
= नमकीन भोजन खाकर दूध न पीएं।
स्थित्वा कदापि जलं न पिबेत्
= खडे़ होकर कभी भी पानी न पीएं।
स्थित्वा अटित्वा च भोजनं पश्वाचारः
= खड़े होकर घूमकर खाना पशुओं की रीति है।
ग्रीष्मर्त्ताै शिथिलानि कार्पास-वस्त्राणि धृत्वा सुखिनः स्याम
= गरमी में खुले सूती वस्त्र पहनकर सुख से रहें।
पत्रं लिखित्वा समाचार-ज्ञापनं खपत्रेण लुप्तप्रायं सञ्जातम्
= पत्र लिखकर हाल सुनाना ई-मेल के कारण लगभग लुप्त सा हो गया है।
माता रोटिकां वेल्लित्वा भृष्ट्वा घृतं नियोजयति
= मां रोटी बेलकर, सेककर, उसपर घी लगा रही है।
पुरा भर्ज्जकः भ्राष्ट्रे चणकान् भृष्ट्वा ददाति स्म
= पहले के समय में बड़भुजा भाड़ में चने भूनकर देता था।
श्रुत्वा स्पृष्ट्वा च दृष्ट्वा च भुक्त्वा घ्रात्वा च यो नरः।
न हृष्यति ग्लायति वा स विज्ञेयो जितेन्द्रियः।।
= जो मनुष्य (सुखद या दुःखद) बातों को सुनकर, छूकर, सूंघकर, न तो प्रसन्न होता है न हि अप्रसन्न होता है, उसे ही जितेन्द्रिय जानना चाहिए।
कर्मजं बुद्धियुक्ता हि फलं त्यक्त्वा मनीषिणः।
जन्मबन्धविनिर्मुक्ता पदं गच्छन्त्यनामयं।।
= बुद्धि से युक्त ज्ञानी लोग कर्म से उत्पन्न होनेवाले फल (की आकांक्षा) को त्यागकर होनेवाले जन्म के बन्धन से मुक्त हुए दुःखविहीन स्थिति को प्राप्त करते हैं।
विद्यां चाऽविद्यां च यस्तद्वेदोभयं सह।
अविद्यया मृत्युं तीर्त्वा विद्ययामृतमश्नुते।।
= जो मनुष्य विद्या (यथार्थ ज्ञान) और अविद्या (कर्म और उपासना) इन दोनों को साथ-साथ जानता है (आचरण में लाता है), वह अविद्या से मृत्यु को जीतकर विद्या से मोक्ष को प्राप्त कर लेता है।
अज्ञानप्रभवो लोभो भूतानां दृश्यते सदा।
अस्थिरत्वं च भोगानां दृष्ट्वा ज्ञात्वा निवर्त्तते।।
= यह देखा जाता है कि प्राणियों में जो लोभ है वह सदा अज्ञान के कारण ही उत्पन्न होता है। सांसारिक भोगों की अस्थिरता को देखने और अच्छी प्रकार जान लेने पर लोभ की निवृत्ति हो जाती है।
पृथिवी रत्नसम्पूर्णा हिरण्यं पशवः स्त्रियः।
नाऽलमेकस्य तत्सर्वमिति मत्वा शमं व्रजेत्।।
= रत्नों से भरी हुई पृथ्वी, सोना, पशु और स्त्रियां ये सभी एक मनुष्य के लिए भी पर्याप्त नहीं हैं, ऐसा विचार कर मनुष्य शान्ति को धारण करे।
गृहीत्वा दक्षिणां विप्रास्त्यजन्ति यजमानकम्।
प्राप्तविद्या गुरुं शिष्या दग्धारण्यं मृगास्तथा।।
= ब्राह्मण दक्षिणा लेकर यजमान को, शिष्य विद्याप्राप्ति के बाद गुरु को और पशु जले हुए वन को त्याग देते हैं।
निर्धनं पुरुषं वेश्या प्रजा भग्नं नृपं त्यजेत्।
खगा वीतफलं वृक्षं भुक्त्वा चाऽभ्यागता गृहम्।।
= वेश्या निर्धन मनुष्य को, प्रजा पराजित राजा को, पक्षी फलरहित वृक्ष को और अतिथि भोजन करके यजमान के घर को छोड़ देते हैं।
न स्वसुखे वै कुरुते प्रहर्षं चान्यस्य दुःखे भवति विषादी।
दत्त्वा न पश्चात् कुरुतेऽनुतापं स कथ्यते सत्पुरुषार्यशीलः।।
= जो पुरुष अपने सुख में प्रसन्न नहीं होता, दूसरे के दुःख में दुःखी हो जाता है, और दान देकर पश्चाताप नहीं करता, वही सज्जनों में आर्यपुरुष गिना जाता है।
#vakyabhyas
= दूध को खाकर और रोटी को पीकर खाएं।
लवणं अशित्वा दुग्धं मा पिबेत्
= नमकीन भोजन खाकर दूध न पीएं।
स्थित्वा कदापि जलं न पिबेत्
= खडे़ होकर कभी भी पानी न पीएं।
स्थित्वा अटित्वा च भोजनं पश्वाचारः
= खड़े होकर घूमकर खाना पशुओं की रीति है।
ग्रीष्मर्त्ताै शिथिलानि कार्पास-वस्त्राणि धृत्वा सुखिनः स्याम
= गरमी में खुले सूती वस्त्र पहनकर सुख से रहें।
पत्रं लिखित्वा समाचार-ज्ञापनं खपत्रेण लुप्तप्रायं सञ्जातम्
= पत्र लिखकर हाल सुनाना ई-मेल के कारण लगभग लुप्त सा हो गया है।
माता रोटिकां वेल्लित्वा भृष्ट्वा घृतं नियोजयति
= मां रोटी बेलकर, सेककर, उसपर घी लगा रही है।
पुरा भर्ज्जकः भ्राष्ट्रे चणकान् भृष्ट्वा ददाति स्म
= पहले के समय में बड़भुजा भाड़ में चने भूनकर देता था।
श्रुत्वा स्पृष्ट्वा च दृष्ट्वा च भुक्त्वा घ्रात्वा च यो नरः।
न हृष्यति ग्लायति वा स विज्ञेयो जितेन्द्रियः।।
= जो मनुष्य (सुखद या दुःखद) बातों को सुनकर, छूकर, सूंघकर, न तो प्रसन्न होता है न हि अप्रसन्न होता है, उसे ही जितेन्द्रिय जानना चाहिए।
कर्मजं बुद्धियुक्ता हि फलं त्यक्त्वा मनीषिणः।
जन्मबन्धविनिर्मुक्ता पदं गच्छन्त्यनामयं।।
= बुद्धि से युक्त ज्ञानी लोग कर्म से उत्पन्न होनेवाले फल (की आकांक्षा) को त्यागकर होनेवाले जन्म के बन्धन से मुक्त हुए दुःखविहीन स्थिति को प्राप्त करते हैं।
विद्यां चाऽविद्यां च यस्तद्वेदोभयं सह।
अविद्यया मृत्युं तीर्त्वा विद्ययामृतमश्नुते।।
= जो मनुष्य विद्या (यथार्थ ज्ञान) और अविद्या (कर्म और उपासना) इन दोनों को साथ-साथ जानता है (आचरण में लाता है), वह अविद्या से मृत्यु को जीतकर विद्या से मोक्ष को प्राप्त कर लेता है।
अज्ञानप्रभवो लोभो भूतानां दृश्यते सदा।
अस्थिरत्वं च भोगानां दृष्ट्वा ज्ञात्वा निवर्त्तते।।
= यह देखा जाता है कि प्राणियों में जो लोभ है वह सदा अज्ञान के कारण ही उत्पन्न होता है। सांसारिक भोगों की अस्थिरता को देखने और अच्छी प्रकार जान लेने पर लोभ की निवृत्ति हो जाती है।
पृथिवी रत्नसम्पूर्णा हिरण्यं पशवः स्त्रियः।
नाऽलमेकस्य तत्सर्वमिति मत्वा शमं व्रजेत्।।
= रत्नों से भरी हुई पृथ्वी, सोना, पशु और स्त्रियां ये सभी एक मनुष्य के लिए भी पर्याप्त नहीं हैं, ऐसा विचार कर मनुष्य शान्ति को धारण करे।
गृहीत्वा दक्षिणां विप्रास्त्यजन्ति यजमानकम्।
प्राप्तविद्या गुरुं शिष्या दग्धारण्यं मृगास्तथा।।
= ब्राह्मण दक्षिणा लेकर यजमान को, शिष्य विद्याप्राप्ति के बाद गुरु को और पशु जले हुए वन को त्याग देते हैं।
निर्धनं पुरुषं वेश्या प्रजा भग्नं नृपं त्यजेत्।
खगा वीतफलं वृक्षं भुक्त्वा चाऽभ्यागता गृहम्।।
= वेश्या निर्धन मनुष्य को, प्रजा पराजित राजा को, पक्षी फलरहित वृक्ष को और अतिथि भोजन करके यजमान के घर को छोड़ देते हैं।
न स्वसुखे वै कुरुते प्रहर्षं चान्यस्य दुःखे भवति विषादी।
दत्त्वा न पश्चात् कुरुतेऽनुतापं स कथ्यते सत्पुरुषार्यशीलः।।
= जो पुरुष अपने सुख में प्रसन्न नहीं होता, दूसरे के दुःख में दुःखी हो जाता है, और दान देकर पश्चाताप नहीं करता, वही सज्जनों में आर्यपुरुष गिना जाता है।
#vakyabhyas
May 14, 2022
♥️ Sansgreet ♥️
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Sansgreet - संस्कृत में आशंसापत्र भेजने का मोबैल आप। महद्व्यक्तियों के जन्मदिन, स्मृति दिवस, अन्य विशेष दिवस, राष्ट्रीय एवं अन्ताराष्ट्रीय दिवस समारोह एवं नवरात्रि, दिवाली, जन्मदिन, शादी आदि के सन्दर्भ में उचित आशंसा भेजने के लिए तथा सुप्रभात और शुभरात्रि की शुभकामनाएं भेजने के लिए भी उचित आशंसापत्र इस में उपलब्ध हैं। अपने जीवन में संस्कृत भाषा का स्पर्श हमेशा अनुभव करें। अपने प्रियजनों को आशंसा सन्देश संस्कृत में भेजिए।
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संस्कृतभाषायां सन्देशान् सम्प्रेषयितुमुपयुज्यतामयं Sansgreet नामानुप्रयोगः (Android Mobile App) | महद्व्यक्तीनां जन्मदिनानि, स्मृतिदिनानि, अन्यानि विशेषदिनानि,देशीयान्तर्देशीयोत्सवाः,नवरात्रदीपावलीप्रभृतयः उत्सवाः, जन्मदिनं, विवाहः इत्यादिषु अवसरेषु तथा प्रतिदिनाभिवादनार्थं चाशंसापत्राणि उपलभ्यन्ते। आप्नुयात्संस्कृतस्पर्शनं दैनिकजीवने। प्रियजनेभ्यः प्रेष्यताम् आशिषः संस्कृते।
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Greetings sharing app in Sanskrit.
Brings you Greeting cards suitable for any occasion like Birthdays of great personalities, Remembrance Day, National and International Day Celebrations , Festivals Birthdays, Weddings.
Feel the Sanskrit language in every moment... Share Sanskrit with loved ones.
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🟥⬜️🟧⬜️🟨⬜️🟩⬜️🟦⬜️🟪⬜️🟫
©team Livesanskrit
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Sanskrit greetings App
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Sansgreet - संस्कृत में आशंसापत्र भेजने का मोबैल आप। महद्व्यक्तियों के जन्मदिन, स्मृति दिवस, अन्य विशेष दिवस, राष्ट्रीय एवं अन्ताराष्ट्रीय दिवस समारोह एवं नवरात्रि, दिवाली, जन्मदिन, शादी आदि के सन्दर्भ में उचित आशंसा भेजने के लिए तथा सुप्रभात और शुभरात्रि की शुभकामनाएं भेजने के लिए भी उचित आशंसापत्र इस में उपलब्ध हैं। अपने जीवन में संस्कृत भाषा का स्पर्श हमेशा अनुभव करें। अपने प्रियजनों को आशंसा सन्देश संस्कृत में भेजिए।
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संस्कृतभाषायां सन्देशान् सम्प्रेषयितुमुपयुज्यतामयं Sansgreet नामानुप्रयोगः (Android Mobile App) | महद्व्यक्तीनां जन्मदिनानि, स्मृतिदिनानि, अन्यानि विशेषदिनानि,देशीयान्तर्देशीयोत्सवाः,नवरात्रदीपावलीप्रभृतयः उत्सवाः, जन्मदिनं, विवाहः इत्यादिषु अवसरेषु तथा प्रतिदिनाभिवादनार्थं चाशंसापत्राणि उपलभ्यन्ते। आप्नुयात्संस्कृतस्पर्शनं दैनिकजीवने। प्रियजनेभ्यः प्रेष्यताम् आशिषः संस्कृते।
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Collection of Sanskrit greeting cards & wishes, useful for various occasions.
May 14, 2022
@samskrt_samvadah प्रारंभ करता है, संस्कृताश्रमः - संस्कृतशिक्षण की लघु कक्षाऐं
⏳20 मिनट
🕚 09:00 PM 🇮🇳
🔰 क्त्वा प्रत्ययः
🗓14th मई 2022, शनिवासरः
🔴 कक्षाओं की प्रति हमारे युट्युब चैनल पर डाली जायेगी
कृपया अलार्म लगा लें और विलंब से न आयें।
👇🏼👇🏼👇🏼👇🏼👇🏼
https://t.me/samskrt_samvadah?voicechat
⏳20 मिनट
🕚 09:00 PM 🇮🇳
🔰 क्त्वा प्रत्ययः
🗓14th मई 2022, शनिवासरः
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May 14, 2022
Priest - Son ! It's understood from your breath that you have drunk too much. So you won't get entry into heaven.
Drunkard - Is it so father ? Don't worry. After death, I'll leave my breath here before going up
*******
#hasya
Drunkard - Is it so father ? Don't worry. After death, I'll leave my breath here before going up
*******
#hasya
May 14, 2022
@samskrt_samvadah संलापशाला - A Samskrit Voicechat room.
यदीच्छसि वशीकर्तुं, भाषणमेककर्मणा।
यायास्संलापशालां वै, भवति यत्र भाषणम्।।
⏳45 निमेषाः
🕚 IST 11:00 AM
🔰धनं प्रधानम् उत गुणाः प्रधानाः
🗓15th May2022, रविवासरः
🔴Voicechat would be recorded and shared on this channel.
📑यदि शक्येत चेत् संस्कृतेन (जीवने धनस्य प्रधानता अधिका अस्ति अथवा गुणानां प्रधानता) । चर्चार्थं कृपया पूर्वसिद्धतां कृत्वा आगच्छन्तु।
वयं युष्माकं प्रतीक्षां कुर्मः। 😇
स्मारणतंत्रिकां स्थापयतु ⏰
👇🏼👇🏼👇🏼👇🏼👇🏼
https://t.me/samskrt_samvadah?voicechat
यदीच्छसि वशीकर्तुं, भाषणमेककर्मणा।
यायास्संलापशालां वै, भवति यत्र भाषणम्।।
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🔰धनं प्रधानम् उत गुणाः प्रधानाः
🗓15th May2022, रविवासरः
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May 14, 2022
May 14, 2022
🍃
♦️bahirantashcha bhuutaanaamacharaM charameva cha|
suukShmatvaattadavij~neyaM duurasthaM chaantike cha tat
⚜Without and within (all) beings the unmoving and also the moving; because of Its subtlety, unknowable; and near and far away is That. (13.16।।)
⚜(वह ब्रह्म) भूत मात्र के अन्तर्बाह्य स्थित है वह चर है और अचर भी। सूक्ष्म होने से वह अविज्ञेय है वह सुदूर और अत्यन्त समीपस्थ भी है।।13.16।।
#geeta
बहिरन्तश्च भूतानामचरं चरमेव च।
सूक्ष्मत्वात्तदविज्ञेयं दूरस्थं चान्तिके च तत्
।।13.16।।♦️bahirantashcha bhuutaanaamacharaM charameva cha|
suukShmatvaattadavij~neyaM duurasthaM chaantike cha tat
⚜Without and within (all) beings the unmoving and also the moving; because of Its subtlety, unknowable; and near and far away is That. (13.16।।)
⚜(वह ब्रह्म) भूत मात्र के अन्तर्बाह्य स्थित है वह चर है और अचर भी। सूक्ष्म होने से वह अविज्ञेय है वह सुदूर और अत्यन्त समीपस्थ भी है।।13.16।।
#geeta
May 14, 2022
May 14, 2022
May 14, 2022
May 14, 2022
May 14, 2022
🍃
♦️avibhaktaM cha bhuuteShu vibhaktamiva cha sthitam|
bhuutabhartRRi cha tajj~neyaM grasiShNu prabhaviShNu cha
⚜And undivided, yet It exists as if divided in beings; It is to be known as the supporter of being; It devours and It generates.(13.17)
⚜और वह अविभक्त है तथापि वह भूतों में विभक्त के समान स्थित है। वह ज्ञेय ब्रह्म भूतमात्र का भर्ता संहारकर्ता और उत्पत्ति कर्ता है।।13.17।।
#geeta
अविभक्तं च भूतेषु विभक्तमिव च स्थितम्।
भूतभर्तृ च तज्ज्ञेयं ग्रसिष्णु प्रभविष्णु च
।।13.17।।♦️avibhaktaM cha bhuuteShu vibhaktamiva cha sthitam|
bhuutabhartRRi cha tajj~neyaM grasiShNu prabhaviShNu cha
⚜And undivided, yet It exists as if divided in beings; It is to be known as the supporter of being; It devours and It generates.(13.17)
⚜और वह अविभक्त है तथापि वह भूतों में विभक्त के समान स्थित है। वह ज्ञेय ब्रह्म भूतमात्र का भर्ता संहारकर्ता और उत्पत्ति कर्ता है।।13.17।।
#geeta
May 14, 2022
🚩जय सत्य सनातन 🚩
🚩आज की हिंदी तिथि
🌥 🚩यगाब्द - ५१२४
🌥 🚩विक्रम संवत - २०७९
⛅️ 🚩तिथि - चतुर्दशी दोपहर 12:45 तक तत्पश्चात पूर्णिमा
⛅️ दिनांक - 15 मई 2022
⛅️ दिन - रविवार
⛅️ विक्रम संवत - 2079
⛅️ शक संवत - 1944
⛅️ अयन - उत्तरायण
⛅️ ऋतु - ग्रीष्म
⛅️ मास - वैशाख
⛅️ पक्ष - शुक्ल
⛅️ नक्षत्र - स्वाती शाम 05:28 तक तत्पश्चात विशाखा
⛅️ योग - व्यतिपात सुबह 09:49 तक तत्पश्चात वरियान
⛅️ राहुकाल - शाम 05:34 से 07:13 तक
⛅️ सर्योदय - 05:59
⛅️ सर्यास्त - 07:13
⛅️ दिशाशूल - पश्चिम दिशा में
⛅️ बरह्म मुहूर्त- प्रातः 04:33 से 05:16 तक
🚩आज की हिंदी तिथि
🌥 🚩यगाब्द - ५१२४
🌥 🚩विक्रम संवत - २०७९
⛅️ 🚩तिथि - चतुर्दशी दोपहर 12:45 तक तत्पश्चात पूर्णिमा
⛅️ दिनांक - 15 मई 2022
⛅️ दिन - रविवार
⛅️ विक्रम संवत - 2079
⛅️ शक संवत - 1944
⛅️ अयन - उत्तरायण
⛅️ ऋतु - ग्रीष्म
⛅️ मास - वैशाख
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⛅️ दिशाशूल - पश्चिम दिशा में
⛅️ बरह्म मुहूर्त- प्रातः 04:33 से 05:16 तक
May 14, 2022
प्रतिदिनं प्रातः ७:१५ वादने १५ निमेषात्मिकायै वार्तायै डी डी न्यूज् इति पश्यत।
Switch to DD News daily at 7:15 AM (Morning) for 15 minutes Sanskrit news.
https://youtu.be/PcXzs1ahLlk
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वार्ता: संस्कृत भाषा में समाचार
May 14, 2022
May 14, 2022
@samskrt_samvadah संलापशाला - A Samskrit Voicechat room.
यदीच्छसि वशीकर्तुं, भाषणमेककर्मणा।
यायास्संलापशालां वै, भवति यत्र भाषणम्।।
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🔰धनं प्रधानम् उत गुणाः प्रधानाः
🗓15th May2022, रविवासरः
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यदीच्छसि वशीकर्तुं, भाषणमेककर्मणा।
यायास्संलापशालां वै, भवति यत्र भाषणम्।।
⏳45 निमेषाः
🕚 IST 11:00 AM
🔰धनं प्रधानम् उत गुणाः प्रधानाः
🗓15th May2022, रविवासरः
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📑यदि शक्येत चेत् संस्कृतेन (जीवने धनस्य प्रधानता अधिका अस्ति अथवा गुणानां प्रधानता) । चर्चार्थं कृपया पूर्वसिद्धतां कृत्वा आगच्छन्तु।
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May 14, 2022
🔰चित्रं दृष्ट्वा पञ्चवाक्यानि रचयत।
✍🏼सर्वे टिप्पणीसञ्चिकायां स्वोत्तराणि लेखितुं शक्नुवन्ति अथवा पुस्तिकायां लिखित्वा तस्य चित्रं स्वीकृत्य अपि प्रेषयितुं शक्नुवन्ति।
🗣सहैव तानि वाक्यानि उक्त्वा ध्वनिमाध्यमेन अपि प्रेषयत।
Read in English
हिन्दी में पढें
#chitram
✍🏼सर्वे टिप्पणीसञ्चिकायां स्वोत्तराणि लेखितुं शक्नुवन्ति अथवा पुस्तिकायां लिखित्वा तस्य चित्रं स्वीकृत्य अपि प्रेषयितुं शक्नुवन्ति।
🗣सहैव तानि वाक्यानि उक्त्वा ध्वनिमाध्यमेन अपि प्रेषयत।
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May 14, 2022
May 14, 2022
अर्थशास्त्रस्य भाषा संस्कृतं पठ्यताम्
https://www.learnsamskrit.online/course_details?name/=MjgwNTE1Mzg4NTc5Mg==
Learn Samskrit – the Language of Arthashastra
• This book is based on Kautilya’s Arthashastra.
• In this book you will study some selected aspects of administration, economics and taxation of ancient India.
• Total number of videos = 49 & Total viewing time= 20 hours.
Target Audience :
Students of economics, commerce, taxation, and IAS officers.
Course Fee - INR 500
Course Instructions :
1. You can learn yourself and enjoy the text.
2. Please use CHAT or WhatsApp or email to put your doubts & questions to a teacher. Please try to communicate with instructors or teachers in Samskrit.
3. This course supports your interest to learn subject text and gives all linguistic help required. Please pursue & master Samskrit. There will be no test or certificate for this level.
To enrol Click here
#SanskritEducation
https://www.learnsamskrit.online/course_details?name/=MjgwNTE1Mzg4NTc5Mg==
Learn Samskrit – the Language of Arthashastra
• This book is based on Kautilya’s Arthashastra.
• In this book you will study some selected aspects of administration, economics and taxation of ancient India.
• Total number of videos = 49 & Total viewing time= 20 hours.
Target Audience :
Students of economics, commerce, taxation, and IAS officers.
Course Fee - INR 500
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2. Please use CHAT or WhatsApp or email to put your doubts & questions to a teacher. Please try to communicate with instructors or teachers in Samskrit.
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May 14, 2022
May 14, 2022
May 14, 2022
🍃
⚜काम को करने से पहले विचार करें कि उसे करने से क्या लाभ होगा तथा न करने से क्या हानि होगी ? कार्य के फल के बारे में विचार करके कार्य करें या न करें। लेकिन बिना विचारे कोई कार्य न करे।
🔅कार्यकरणात् पूर्वम् एव चिन्तनीयं यत् मम एतत् कार्यं करणात् के परिणामाः भविष्यन्ति तथा यदि न करिष्यामि चेत् के परिणामाः भविष्यन्ति। कार्यफलं चिन्तित्वा एव कर्म कुर्वन्तु अथवा न कुर्वन्तु।
अविचार्य कार्यं न कार्यम्।
#Subhashitam
किन्नु मे स्यादिदं कृत्वा
किन्नु मे स्यादकुर्वतः।
इति कर्माणि सञ्चिन्त्य
कुर्याद्वा पुरुषो न वा
।। ⚜काम को करने से पहले विचार करें कि उसे करने से क्या लाभ होगा तथा न करने से क्या हानि होगी ? कार्य के फल के बारे में विचार करके कार्य करें या न करें। लेकिन बिना विचारे कोई कार्य न करे।
🔅कार्यकरणात् पूर्वम् एव चिन्तनीयं यत् मम एतत् कार्यं करणात् के परिणामाः भविष्यन्ति तथा यदि न करिष्यामि चेत् के परिणामाः भविष्यन्ति। कार्यफलं चिन्तित्वा एव कर्म कुर्वन्तु अथवा न कुर्वन्तु।
अविचार्य कार्यं न कार्यम्।
#Subhashitam
May 14, 2022
Forwarded from रामदूतः — The Sanskrit News Platform (मोहित डोकानिया)
May 15, 2022
May 15, 2022
May 15, 2022
संस्कृत संवादः । Sanskrit Samvadah
दुग्धं
खादित्वा रोटिकाञ्च पीत्वा भुञ्जीत = दूध को खाकर और रोटी को पीकर खाएं।
लवणं अशित्वा दुग्धं मा पिबेत् = नमकीन भोजन खाकर दूध न पीएं। स्थित्वा
कदापि जलं न पिबेत् = खडे़ होकर कभी भी पानी न पीएं। स्थित्वा अटित्वा च
भोजनं पश्वाचारः = खड़े होकर घूमकर…
श्रुत्वा स्पृष्ट्वा च दृष्ट्वा च भुक्त्वा घ्रात्वा च यो नरः।
न हृष्यति ग्लायति वा स विज्ञेयो जितेन्द्रियः।।
= जो मनुष्य (सुखद या दुःखद) बातों को सुनकर, छूकर, सूंघकर, न तो प्रसन्न होता है न हि अप्रसन्न होता है, उसे ही जितेन्द्रिय जानना चाहिए।
कर्मजं बुद्धियुक्ता हि फलं त्यक्त्वा मनीषिणः।
जन्मबन्धविनिर्मुक्ता पदं गच्छन्त्यनामयं।।
= बुद्धि से युक्त ज्ञानी लोग कर्म से उत्पन्न होनेवाले फल (की आकांक्षा) को त्यागकर होनेवाले जन्म के बन्धन से मुक्त हुए दुःखविहीन स्थिति को प्राप्त करते हैं।
विद्यां चाऽविद्यां च यस्तद्वेदोभयं सह।
अविद्यया मृत्युं तीर्त्वा विद्ययामृतमश्नुते।।
= जो मनुष्य विद्या (यथार्थ ज्ञान) और अविद्या (कर्म और उपासना) इन दोनों को साथ-साथ जानता है (आचरण में लाता है), वह अविद्या से मृत्यु को जीतकर विद्या से मोक्ष को प्राप्त कर लेता है।
अज्ञानप्रभवो लोभो भूतानां दृश्यते सदा।
अस्थिरत्वं च भोगानां दृष्ट्वा ज्ञात्वा निवर्त्तते।।
= यह देखा जाता है कि प्राणियों में जो लोभ है वह सदा अज्ञान के कारण ही उत्पन्न होता है। सांसारिक भोगों की अस्थिरता को देखने और अच्छी प्रकार जान लेने पर लोभ की निवृत्ति हो जाती है।
पृथिवी रत्नसम्पूर्णा हिरण्यं पशवः óियः।
नाऽलमेकस्य तत्सर्वमिति मत्वा शमं व्रजेत्।।
= रत्नों से भरी हुई पृथ्वी, सोना, पशु और óियां ये सभी एक मनुष्य के लिए भी पर्याप्त नहीं हैं, ऐसा विचार कर मनुष्य शान्ति को धारण करे।
गृहीत्वा दक्षिणां विप्रास्त्यजन्ति यजमानकम्।
प्राप्तविद्या गुरुं शिष्या दग्धारण्यं मृगास्तथा।।
= ब्राह्मण दक्षिणा लेकर यजमान को, शिष्य विद्याप्राप्ति के बाद गुरु को और पशु जले हुए वन को त्याग देते हैं।
निर्धनं पुरुषं वेश्या प्रजा भग्नं नृपं त्यजेत्।
खगा वीतफलं वृक्षं भुक्त्वा चाऽभ्यागता गृहम्।।
= वेश्या निर्धन मनुष्य को, प्रजा पराजित राजा को, पक्षी फलरहित वृक्ष को और अतिथि भोजन करके यजमान के घर को छोड़ देते हैं।
न स्वसुखे वै कुरुते प्रहर्षं चान्यस्य दुःखे भवति विषादी।
दत्त्वा न पश्चात् कुरुतेऽनुतापं स कथ्यते सत्पुरुषार्यशीलः।।
= जो पुरुष अपने सुख में प्रसन्न नहीं होता, दूसरे के दुःख में दुःखी हो जाता है, और दान देकर पश्चाताप नहीं करता, वही सज्जनों में आर्यपुरुष गिना जाता है।
श्रुत्वा धर्मं विजानाति श्रुत्वा त्यजति दुर्मतिम्।
श्रुत्वा ज्ञानमवाप्नोति श्रुत्वा मोक्षमवाप्नुयात्।।
= मनुष्य वेदादि शाóों के श्रवण से धर्म के मर्म को जानता है, और खोटी बुद्धि को छोड़ देता है, यथार्थज्ञान को प्राप्त कर लेता है और अन्त में मोक्ष को भी पा लेता है।
द्वावम्भसी निवेष्टव्यौ गले बद्ध्वा दृढां शिलाम्।
धन्वन्तरमदातारं दरिद्रं चातपस्विनम्।।
= दो मनुष्यों को गले में बड़ी भारी शिला बांधकर डुबा देना चाहिए। एक तो धनवान होकर भी दान न देनेवाले कंजूस को और दूसरे पुरुषार्थ न करनेवाले दरिद्र को।
नाऽत्यन्तं सरलैर्भाव्यं गत्वा पश्य वनस्थलीम्।
छिद्यन्ते सरलास्तत्र कुब्जास्तिष्ठन्ति पादपाः।।
= मनुष्य को अत्यन्त सीधे और सरल स्वभाव का नहीं बनना चाहिए। वन में जाकर देखो, वहां सीधे वृक्ष काट डाले जाते हैं, और टेढे़-मेढ़े वृक्ष खड़े रहते हैं अर्थात् उन्हें कोई नहीं काटता।
#vakyabhyas
न हृष्यति ग्लायति वा स विज्ञेयो जितेन्द्रियः।।
= जो मनुष्य (सुखद या दुःखद) बातों को सुनकर, छूकर, सूंघकर, न तो प्रसन्न होता है न हि अप्रसन्न होता है, उसे ही जितेन्द्रिय जानना चाहिए।
कर्मजं बुद्धियुक्ता हि फलं त्यक्त्वा मनीषिणः।
जन्मबन्धविनिर्मुक्ता पदं गच्छन्त्यनामयं।।
= बुद्धि से युक्त ज्ञानी लोग कर्म से उत्पन्न होनेवाले फल (की आकांक्षा) को त्यागकर होनेवाले जन्म के बन्धन से मुक्त हुए दुःखविहीन स्थिति को प्राप्त करते हैं।
विद्यां चाऽविद्यां च यस्तद्वेदोभयं सह।
अविद्यया मृत्युं तीर्त्वा विद्ययामृतमश्नुते।।
= जो मनुष्य विद्या (यथार्थ ज्ञान) और अविद्या (कर्म और उपासना) इन दोनों को साथ-साथ जानता है (आचरण में लाता है), वह अविद्या से मृत्यु को जीतकर विद्या से मोक्ष को प्राप्त कर लेता है।
अज्ञानप्रभवो लोभो भूतानां दृश्यते सदा।
अस्थिरत्वं च भोगानां दृष्ट्वा ज्ञात्वा निवर्त्तते।।
= यह देखा जाता है कि प्राणियों में जो लोभ है वह सदा अज्ञान के कारण ही उत्पन्न होता है। सांसारिक भोगों की अस्थिरता को देखने और अच्छी प्रकार जान लेने पर लोभ की निवृत्ति हो जाती है।
पृथिवी रत्नसम्पूर्णा हिरण्यं पशवः óियः।
नाऽलमेकस्य तत्सर्वमिति मत्वा शमं व्रजेत्।।
= रत्नों से भरी हुई पृथ्वी, सोना, पशु और óियां ये सभी एक मनुष्य के लिए भी पर्याप्त नहीं हैं, ऐसा विचार कर मनुष्य शान्ति को धारण करे।
गृहीत्वा दक्षिणां विप्रास्त्यजन्ति यजमानकम्।
प्राप्तविद्या गुरुं शिष्या दग्धारण्यं मृगास्तथा।।
= ब्राह्मण दक्षिणा लेकर यजमान को, शिष्य विद्याप्राप्ति के बाद गुरु को और पशु जले हुए वन को त्याग देते हैं।
निर्धनं पुरुषं वेश्या प्रजा भग्नं नृपं त्यजेत्।
खगा वीतफलं वृक्षं भुक्त्वा चाऽभ्यागता गृहम्।।
= वेश्या निर्धन मनुष्य को, प्रजा पराजित राजा को, पक्षी फलरहित वृक्ष को और अतिथि भोजन करके यजमान के घर को छोड़ देते हैं।
न स्वसुखे वै कुरुते प्रहर्षं चान्यस्य दुःखे भवति विषादी।
दत्त्वा न पश्चात् कुरुतेऽनुतापं स कथ्यते सत्पुरुषार्यशीलः।।
= जो पुरुष अपने सुख में प्रसन्न नहीं होता, दूसरे के दुःख में दुःखी हो जाता है, और दान देकर पश्चाताप नहीं करता, वही सज्जनों में आर्यपुरुष गिना जाता है।
श्रुत्वा धर्मं विजानाति श्रुत्वा त्यजति दुर्मतिम्।
श्रुत्वा ज्ञानमवाप्नोति श्रुत्वा मोक्षमवाप्नुयात्।।
= मनुष्य वेदादि शाóों के श्रवण से धर्म के मर्म को जानता है, और खोटी बुद्धि को छोड़ देता है, यथार्थज्ञान को प्राप्त कर लेता है और अन्त में मोक्ष को भी पा लेता है।
द्वावम्भसी निवेष्टव्यौ गले बद्ध्वा दृढां शिलाम्।
धन्वन्तरमदातारं दरिद्रं चातपस्विनम्।।
= दो मनुष्यों को गले में बड़ी भारी शिला बांधकर डुबा देना चाहिए। एक तो धनवान होकर भी दान न देनेवाले कंजूस को और दूसरे पुरुषार्थ न करनेवाले दरिद्र को।
नाऽत्यन्तं सरलैर्भाव्यं गत्वा पश्य वनस्थलीम्।
छिद्यन्ते सरलास्तत्र कुब्जास्तिष्ठन्ति पादपाः।।
= मनुष्य को अत्यन्त सीधे और सरल स्वभाव का नहीं बनना चाहिए। वन में जाकर देखो, वहां सीधे वृक्ष काट डाले जाते हैं, और टेढे़-मेढ़े वृक्ष खड़े रहते हैं अर्थात् उन्हें कोई नहीं काटता।
#vakyabhyas
May 15, 2022
May 15, 2022
@samskrt_samvadah संलापशाला - A Samskrit Voicechat room.
यदीच्छसि वशीकर्तुं, भाषणमेककर्मणा।
यायास्संलापशालां वै, भवति यत्र भाषणम्।।
⏳45 निमेषाः
🕚 IST 11:00 AM
🔰वैशाखपूर्णिमा , बुद्धपूर्णिमा
🗓16th May2022, सोमवासरः
🔴Voicechat would be recorded and shared on this channel.
📑यदि शक्येत चेत् संस्कृतेन (वैशाखपूर्णिमायाः महत्वः कः,बुद्धस्य जीवनघटनां कथां वा वदन्तु) । चर्चार्थं कृपया पूर्वसिद्धतां कृत्वा आगच्छन्तु।
वयं युष्माकं प्रतीक्षां कुर्मः। 😇
स्मारणतंत्रिकां स्थापयतु ⏰
👇🏼👇🏼👇🏼👇🏼👇🏼
https://t.me/samskrt_samvadah?voicechat
यदीच्छसि वशीकर्तुं, भाषणमेककर्मणा।
यायास्संलापशालां वै, भवति यत्र भाषणम्।।
⏳45 निमेषाः
🕚 IST 11:00 AM
🔰वैशाखपूर्णिमा , बुद्धपूर्णिमा
🗓16th May2022, सोमवासरः
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May 15, 2022
May 15, 2022
🍃
♦️jyotiShaamapi tajjyotistamasaH paramuchyate|
j~naanaM j~neyaM j~naanagamyaM hRRidi sarvasya viShThitam
⚜That, the Light of all lights, is said to be beyond darkness: knowledge, the knowable and the goal of knowledge, seated in the hearts of all.(13.18)
⚜(वह ब्रह्म) ज्योतियों की भी ज्योति और (अज्ञान) अन्धकार से परे कहा जाता है। वह ज्ञान (चैतन्यस्वरूप) ज्ञेय और ज्ञान के द्वारा जानने योग्य (ज्ञानगम्य) है। वह सभी के हृदय में स्थित है।।13.18।।
#geeta
ज्योतिषामपि तज्ज्योतिस्तमसः परमुच्यते।
ज्ञानं ज्ञेयं ज्ञानगम्यं हृदि सर्वस्य विष्ठितम्
।।13.18।।♦️jyotiShaamapi tajjyotistamasaH paramuchyate|
j~naanaM j~neyaM j~naanagamyaM hRRidi sarvasya viShThitam
⚜That, the Light of all lights, is said to be beyond darkness: knowledge, the knowable and the goal of knowledge, seated in the hearts of all.(13.18)
⚜(वह ब्रह्म) ज्योतियों की भी ज्योति और (अज्ञान) अन्धकार से परे कहा जाता है। वह ज्ञान (चैतन्यस्वरूप) ज्ञेय और ज्ञान के द्वारा जानने योग्य (ज्ञानगम्य) है। वह सभी के हृदय में स्थित है।।13.18।।
#geeta
May 15, 2022
May 15, 2022
May 15, 2022
🍃
♦️iti kShetraM tathaa j~naanaM j~neyaM choktaM samaasataH|
madbhakta etadvij~naaya madbhaavaayopapadyate
⚜Thus the field, as well as knowledge and the knowable have been briefly stated. My devotee, knowing this, enters into My Being.(13.19)
⚜इस प्रकार (मेरे द्वारा) क्षेत्र ज्ञान और ज्ञेय को संक्षेपत कहा गया। इसे तत्त्व से जानकर (विज्ञाय) मेरा भक्त मेरे स्वरूप को प्राप्त होता है।।13.19।।
#geeta
इति क्षेत्रं तथा ज्ञानं ज्ञेयं चोक्तं समासतः।
मद्भक्त एतद्विज्ञाय मद्भावायोपपद्यते
।।13.19।।♦️iti kShetraM tathaa j~naanaM j~neyaM choktaM samaasataH|
madbhakta etadvij~naaya madbhaavaayopapadyate
⚜Thus the field, as well as knowledge and the knowable have been briefly stated. My devotee, knowing this, enters into My Being.(13.19)
⚜इस प्रकार (मेरे द्वारा) क्षेत्र ज्ञान और ज्ञेय को संक्षेपत कहा गया। इसे तत्त्व से जानकर (विज्ञाय) मेरा भक्त मेरे स्वरूप को प्राप्त होता है।।13.19।।
#geeta
May 15, 2022
🚩जय सत्य सनातन 🚩
🚩आज की हिंदी तिथि
🌥️ 🚩युगाब्द - ५१२४
🌥️ 🚩विक्रम संवत - २०७९
⛅ 🚩तिथि - पूर्णिमा सुबह 09:43 तक तत्पश्चात प्रतिपदा
⛅ दिनांक - 16 मई 2022
⛅ दिन - सोमवार
⛅ विक्रम संवत - 2079
⛅ शक संवत - 1944
⛅ अयन - उत्तरायण
⛅ ऋतु - ग्रीष्म
⛅ मास - वैशाख
⛅ पक्ष - शुक्ल
⛅ नक्षत्र - विशाखा दोपहर 01:18 तक तत्पश्चात अनुराधा
⛅ योग - वरियान सुबह 06:18 तक तत्पश्चात परिघ
⛅ राहुकाल - सुबह 07:38 से 09:17 तक
⛅ सूर्योदय - 05:58
⛅ सूर्यास्त - 07:14
⛅ दिशाशूल - पूर्व दिशा में
⛅ ब्रह्म मुहूर्त- प्रातः 04:32 से 05:15 तक
🚩आज की हिंदी तिथि
🌥️ 🚩युगाब्द - ५१२४
🌥️ 🚩विक्रम संवत - २०७९
⛅ 🚩तिथि - पूर्णिमा सुबह 09:43 तक तत्पश्चात प्रतिपदा
⛅ दिनांक - 16 मई 2022
⛅ दिन - सोमवार
⛅ विक्रम संवत - 2079
⛅ शक संवत - 1944
⛅ अयन - उत्तरायण
⛅ ऋतु - ग्रीष्म
⛅ मास - वैशाख
⛅ पक्ष - शुक्ल
⛅ नक्षत्र - विशाखा दोपहर 01:18 तक तत्पश्चात अनुराधा
⛅ योग - वरियान सुबह 06:18 तक तत्पश्चात परिघ
⛅ राहुकाल - सुबह 07:38 से 09:17 तक
⛅ सूर्योदय - 05:58
⛅ सूर्यास्त - 07:14
⛅ दिशाशूल - पूर्व दिशा में
⛅ ब्रह्म मुहूर्त- प्रातः 04:32 से 05:15 तक
May 15, 2022
May 15, 2022
May 15, 2022
https://youtu.be/-vNtn6L6KJI
प्रतिदिनं प्रातः ७:१५ वादने १५ निमेषात्मिकायै वार्तायै डी डी न्यूज् इति पश्यत।
प्रतिदिनं प्रातः ७:१५ वादने १५ निमेषात्मिकायै वार्तायै डी डी न्यूज् इति पश्यत।
YouTube
वार्ता: संस्कृत में समाचार | पीएम मोदी आज बुद्ध पूर्णिमा के अवसर पर नेपाल की यात्रा करेंगें
May 15, 2022
@samskrt_samvadah संलापशाला - A Samskrit Voicechat room.
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🗓16th May2022, सोमवासरः
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May 15, 2022
🔰चित्रं दृष्ट्वा पञ्चवाक्यानि रचयत।
✍🏼सर्वे टिप्पणीसञ्चिकायां स्वोत्तराणि लेखितुं शक्नुवन्ति अथवा पुस्तिकायां लिखित्वा तस्य चित्रं स्वीकृत्य अपि प्रेषयितुं शक्नुवन्ति।
🗣सहैव तानि वाक्यानि उक्त्वा ध्वनिमाध्यमेन अपि प्रेषयत।
Read in English
हिन्दी में पढें
#chitram
✍🏼सर्वे टिप्पणीसञ्चिकायां स्वोत्तराणि लेखितुं शक्नुवन्ति अथवा पुस्तिकायां लिखित्वा तस्य चित्रं स्वीकृत्य अपि प्रेषयितुं शक्नुवन्ति।
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Read in English
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#chitram
May 15, 2022
May 15, 2022
May 15, 2022
May 15, 2022
🍃
⚜स्वभाव, वीरता, कार्य में सक्रियता, बुद्धिमानी, मित्रों का संगठन - ये पाँचों मनुष्य के जीवन से कभी खत्म नहीं होते, इन्हें चोर भी नहीं चुरा सकता, ये मनुष्य का अक्षय धन है ।
🔅चरित्रं वीरता क्रायेषु लगनं बुद्धिकुशलता मित्राणां सङ्गठनम् च - एतानि पञ्च मनुष्यजीवनात् कदापि नष्टानि न भवन्ति, चोरः अपि न चोरयेत् मनुष्यस्य अक्षं धनम् अस्ति।
#Subhashitam
शीलं शौर्यमनालस्यं पाण्डित्यं मित्रसङ्ग्रहः।
अचोरहरणीयानि पञ्चैतान्यक्षयो निधिः
।। ⚜स्वभाव, वीरता, कार्य में सक्रियता, बुद्धिमानी, मित्रों का संगठन - ये पाँचों मनुष्य के जीवन से कभी खत्म नहीं होते, इन्हें चोर भी नहीं चुरा सकता, ये मनुष्य का अक्षय धन है ।
🔅चरित्रं वीरता क्रायेषु लगनं बुद्धिकुशलता मित्राणां सङ्गठनम् च - एतानि पञ्च मनुष्यजीवनात् कदापि नष्टानि न भवन्ति, चोरः अपि न चोरयेत् मनुष्यस्य अक्षं धनम् अस्ति।
#Subhashitam
May 15, 2022
May 16, 2022
जनाः _____ ________।
Anonymous Quiz
33%
अजान् , चरन्ति।
39%
अजाः, चारयन्ति।
23%
मेषान् , चारयन्ति।
5%
वृषभान् , चारयन्ति।
May 16, 2022
संस्कृत संवादः । Sanskrit Samvadah
श्रुत्वा
स्पृष्ट्वा च दृष्ट्वा च भुक्त्वा घ्रात्वा च यो नरः। न हृष्यति ग्लायति
वा स विज्ञेयो जितेन्द्रियः।। = जो मनुष्य (सुखद या दुःखद) बातों को
सुनकर, छूकर, सूंघकर, न तो प्रसन्न होता है न हि अप्रसन्न होता है, उसे ही
जितेन्द्रिय जानना चाहिए। कर्मजं बुद्धियुक्ता…
बहिर्भ्रमति यः कश्चित्त्यक्त्वा देहस्थमीश्वरम्।
सो गृहपायसं त्यक्त्वा भिक्षामटति दुर्मतिः।।
= जो शरीर में स्थित परमेश्वर को छोड़कर बाहर भटकता फिरता है, वह उस मूर्ख के समान है, जो घर की खीर को छोड़कर भिक्षा मांगता फिरता है।
आम्रं छित्वा कुठारेण निम्बं परिचरेत्तु कः।
यश्चैनं पयसा सि´्चेनैवास्य मधुरो भवेत्।।
= कौन बुद्धिमान आम को कुल्हाडे से काटकर उसके स्थान पर नीम की सेवा करेगा ? जो आम के स्थान पर नीम को दूध से सींचता है, उसके लिए भी वह नीम मीठा फल देनेवाला नहीं हो सकता।
स्थितो मृत्युमुखे चाहं क्षणमायुर्ममास्ति नः।
इति मत्वा दानधर्मौ यथेष्टौ तु समाचरेत्।।
= ”मैं मौत के मुख में स्थित हूं, मेरी क्षणभर की भी आयु नहीं है“- ऐसा समझकर मनुष्य को येथेष्ट दान और धर्म का आचरण करना चाहिए।
यस्य स्नेहो भयं तस्य स्नेहो दुःखस्य भाजनम्।
स्नेहमूलानि दुःखानि तानि त्यक्त्वा वसेत्सुखम्।।
= जिसे किसी से प्रेम होता है, उसको उसी से भय भी होता है (कि बिछुड़ न जाए)। (आसक्तिमय) स्नेह दुःख का आधार है, वही ही दुःख का मूल भी है। अतः (आसक्ति बढ़ानेवाले) स्नेहबन्धनों को तोड़कर सुखपूर्वक रहना चाहिए।
यथा खात्वा खनित्रेण भूतले वारि विन्दति।
तथा गुरुगतां विद्यां शुश्रूषुरधिगच्छति।।
= जैसे खोदनेवाला फावड़े आदि के द्वारा भूमि को खोदकर उसमें से जल प्राप्त कर लेता है, इसी प्रकार गुरुगत विद्या को सेवा करनेवाला विद्यार्थी ही प्राप्त कर पाता है।
एकाक्षरप्रदातारं यो गुरुं नाभिवन्दति।
श्वानयोनिशतं भुक्त्वा चाण्डालेष्वभिजायते।।
= जो मनुष्य थोड़े से भी ज्ञान देनेवाले अथवा अविनाशी परमेश्वर का ज्ञान देनेवाले गुरु का मान-सम्मान नहीं करता, उसे प्रणाम नहीं करता, वह सौ बार कुत्ते का जन्म भोगकर अन्त में चाण्डाल परिवार में उत्पन्न होता है।
एकमेवाऽक्षरं यस्तु गुरुः शिष्यं प्रबोधयेत्।
पृथिव्यां नास्ति तद्द्रव्यं यद्दत्त्वा चाऽनृणी भवेत्।।
= जो गुरु अपने शिष्य को थोड़ा सा भी ज्ञान देता है, अथवा अविनाशी परमेश्वर को ठीक-ठीक बोध करा देता है, पृथ्वी पर कोई ऐसा धनादि पदार्थ नहीं है जिसे गुरु को समर्पित करके शिष्य गुरु के ऋण से उर्ऋण हो सके।
यः सम्मानं सदा धत्ते भृत्यानां क्षितिपोऽधिकम्।
वित्ताभावेऽपि तं दृष्ट्वा ते त्यजन्ति न कर्हिचित्।।
= जो राजा हमेशा भृत्यों का अधिक सम्मान करता है, उसका भृत्य धन के न होने पर भी अपने सम्मान का स्मरण कर उस राजा को कभी नहीं छोड़ते।
सुखदुःखे समे कृत्वा लाभालाभौ जयाऽजयौ।
ततो युद्धाय युज्यस्व नैव पापमवाप्स्यसि।।
= सुख-दुःख को, लाभ और हानि को, जय और पराजय को एक समान समझकर, फिर युद्ध के लिए जुट जा, इस प्रकार युद्ध करने से तुझे पाप नहीं लगेगा।
योगस्थः कुरु कर्माणि सङ्गं त्यक्त्वा धन´्जयः।
सिद्ध्यसिद्ध्योः समोभूत्वा समत्वं योग उच्यते।।
= हे धन´्जय ! योगस्थ होकर = योग में स्थिर होकर, कर्म के फल की आसक्ति को छोड़कर कर्म की सिद्धि = सफलता अथवा असिद्धि = असफलता दोनों अवस्थाओं में समता की मनोवृत्ति को धारण करके कर्म कर। कर्म की सिद्धि तथा असिद्धि दोनों ही स्थिति में मन का सम अवस्था में रहना योग कहाता है।
विषया विनिवर्तन्ते निराहारस्य देहिनः।
रसवर्जं रसोऽप्यस्य परं दृष्ट्वा निवर्तते।।
= देहधारी मनुष्य के निराहार होने पर (विषयों का भोग न करने पर/उपवास करने पर) विषय तो निवृत्त हो जाते हैं, परन्तु उन विषयों का रस (संस्कार, लालसा) बना रहता है। वह रस भी परब्रह्म का दर्शन करने पर निवृत्त हो जाता है।
भक्त्या मामभिजानाति यावान्यश्चास्मि तत्त्वतः।
ततो मां तत्त्वतो ज्ञात्वा विशते तदनन्तरं।।
= भक्ति (ईश्वर-समर्पण) के द्वारा, मैं (ईश्वर) जो हूं और जैसा हूं, इस बात को जो जान लेता है, वह यथार्थ रूप में मुझे जानकर मुझ में प्रवेश पा लेता है।
यस्य नाऽहंकृतो भावो बुद्धिर्यस्य न लिप्यते।
हत्वाऽपि स इमाँल्लोकान् न हन्ति न निबध्यते।।
= जो अहंकार की भावना से मुक्त है, और जिसकी बुद्धि निर्लिप्त है, अर्थात् जो निःसंग है, वह इन सब लोगों को मारता हुआ भी नहीं मारता। वह कर्म करता हुआ भी कर्म के बन्धन में नहीं पड़ता।
कार्यमित्येव यत्कर्म नियतं क्रियतेऽर्जुन।
सङ्गं त्यक्त्वा फलं चैव सः त्याग सात्विको मतः।।
= हे अर्जुन ! जो अपने नियत कर्म को अपना कर्त्तव्य समझकर करता है, अर्थात् उस कर्म के प्रति आसक्ति तथा फलाशा दोनों को छोड़कर कर्म करता है, उसका आसक्ति तथा फलाशा का त्याग सात्विक त्याग माना जाता है।
रजसि प्रलयं गत्वा कर्मसङ्गिषु जायते।
तथा प्रलीनस्तमसि मूढयोनिषु जायते।।
= जब देहधारी रजोगुण की अवस्था में मरे तब कर्मों में आसक्त लोगों में जन्म लेता है और तमोगुणी अवस्था में मरकर मूढ़ योनियों में जन्म लेता है।
#vakyabhyas
सो गृहपायसं त्यक्त्वा भिक्षामटति दुर्मतिः।।
= जो शरीर में स्थित परमेश्वर को छोड़कर बाहर भटकता फिरता है, वह उस मूर्ख के समान है, जो घर की खीर को छोड़कर भिक्षा मांगता फिरता है।
आम्रं छित्वा कुठारेण निम्बं परिचरेत्तु कः।
यश्चैनं पयसा सि´्चेनैवास्य मधुरो भवेत्।।
= कौन बुद्धिमान आम को कुल्हाडे से काटकर उसके स्थान पर नीम की सेवा करेगा ? जो आम के स्थान पर नीम को दूध से सींचता है, उसके लिए भी वह नीम मीठा फल देनेवाला नहीं हो सकता।
स्थितो मृत्युमुखे चाहं क्षणमायुर्ममास्ति नः।
इति मत्वा दानधर्मौ यथेष्टौ तु समाचरेत्।।
= ”मैं मौत के मुख में स्थित हूं, मेरी क्षणभर की भी आयु नहीं है“- ऐसा समझकर मनुष्य को येथेष्ट दान और धर्म का आचरण करना चाहिए।
यस्य स्नेहो भयं तस्य स्नेहो दुःखस्य भाजनम्।
स्नेहमूलानि दुःखानि तानि त्यक्त्वा वसेत्सुखम्।।
= जिसे किसी से प्रेम होता है, उसको उसी से भय भी होता है (कि बिछुड़ न जाए)। (आसक्तिमय) स्नेह दुःख का आधार है, वही ही दुःख का मूल भी है। अतः (आसक्ति बढ़ानेवाले) स्नेहबन्धनों को तोड़कर सुखपूर्वक रहना चाहिए।
यथा खात्वा खनित्रेण भूतले वारि विन्दति।
तथा गुरुगतां विद्यां शुश्रूषुरधिगच्छति।।
= जैसे खोदनेवाला फावड़े आदि के द्वारा भूमि को खोदकर उसमें से जल प्राप्त कर लेता है, इसी प्रकार गुरुगत विद्या को सेवा करनेवाला विद्यार्थी ही प्राप्त कर पाता है।
एकाक्षरप्रदातारं यो गुरुं नाभिवन्दति।
श्वानयोनिशतं भुक्त्वा चाण्डालेष्वभिजायते।।
= जो मनुष्य थोड़े से भी ज्ञान देनेवाले अथवा अविनाशी परमेश्वर का ज्ञान देनेवाले गुरु का मान-सम्मान नहीं करता, उसे प्रणाम नहीं करता, वह सौ बार कुत्ते का जन्म भोगकर अन्त में चाण्डाल परिवार में उत्पन्न होता है।
एकमेवाऽक्षरं यस्तु गुरुः शिष्यं प्रबोधयेत्।
पृथिव्यां नास्ति तद्द्रव्यं यद्दत्त्वा चाऽनृणी भवेत्।।
= जो गुरु अपने शिष्य को थोड़ा सा भी ज्ञान देता है, अथवा अविनाशी परमेश्वर को ठीक-ठीक बोध करा देता है, पृथ्वी पर कोई ऐसा धनादि पदार्थ नहीं है जिसे गुरु को समर्पित करके शिष्य गुरु के ऋण से उर्ऋण हो सके।
यः सम्मानं सदा धत्ते भृत्यानां क्षितिपोऽधिकम्।
वित्ताभावेऽपि तं दृष्ट्वा ते त्यजन्ति न कर्हिचित्।।
= जो राजा हमेशा भृत्यों का अधिक सम्मान करता है, उसका भृत्य धन के न होने पर भी अपने सम्मान का स्मरण कर उस राजा को कभी नहीं छोड़ते।
सुखदुःखे समे कृत्वा लाभालाभौ जयाऽजयौ।
ततो युद्धाय युज्यस्व नैव पापमवाप्स्यसि।।
= सुख-दुःख को, लाभ और हानि को, जय और पराजय को एक समान समझकर, फिर युद्ध के लिए जुट जा, इस प्रकार युद्ध करने से तुझे पाप नहीं लगेगा।
योगस्थः कुरु कर्माणि सङ्गं त्यक्त्वा धन´्जयः।
सिद्ध्यसिद्ध्योः समोभूत्वा समत्वं योग उच्यते।।
= हे धन´्जय ! योगस्थ होकर = योग में स्थिर होकर, कर्म के फल की आसक्ति को छोड़कर कर्म की सिद्धि = सफलता अथवा असिद्धि = असफलता दोनों अवस्थाओं में समता की मनोवृत्ति को धारण करके कर्म कर। कर्म की सिद्धि तथा असिद्धि दोनों ही स्थिति में मन का सम अवस्था में रहना योग कहाता है।
विषया विनिवर्तन्ते निराहारस्य देहिनः।
रसवर्जं रसोऽप्यस्य परं दृष्ट्वा निवर्तते।।
= देहधारी मनुष्य के निराहार होने पर (विषयों का भोग न करने पर/उपवास करने पर) विषय तो निवृत्त हो जाते हैं, परन्तु उन विषयों का रस (संस्कार, लालसा) बना रहता है। वह रस भी परब्रह्म का दर्शन करने पर निवृत्त हो जाता है।
भक्त्या मामभिजानाति यावान्यश्चास्मि तत्त्वतः।
ततो मां तत्त्वतो ज्ञात्वा विशते तदनन्तरं।।
= भक्ति (ईश्वर-समर्पण) के द्वारा, मैं (ईश्वर) जो हूं और जैसा हूं, इस बात को जो जान लेता है, वह यथार्थ रूप में मुझे जानकर मुझ में प्रवेश पा लेता है।
यस्य नाऽहंकृतो भावो बुद्धिर्यस्य न लिप्यते।
हत्वाऽपि स इमाँल्लोकान् न हन्ति न निबध्यते।।
= जो अहंकार की भावना से मुक्त है, और जिसकी बुद्धि निर्लिप्त है, अर्थात् जो निःसंग है, वह इन सब लोगों को मारता हुआ भी नहीं मारता। वह कर्म करता हुआ भी कर्म के बन्धन में नहीं पड़ता।
कार्यमित्येव यत्कर्म नियतं क्रियतेऽर्जुन।
सङ्गं त्यक्त्वा फलं चैव सः त्याग सात्विको मतः।।
= हे अर्जुन ! जो अपने नियत कर्म को अपना कर्त्तव्य समझकर करता है, अर्थात् उस कर्म के प्रति आसक्ति तथा फलाशा दोनों को छोड़कर कर्म करता है, उसका आसक्ति तथा फलाशा का त्याग सात्विक त्याग माना जाता है।
रजसि प्रलयं गत्वा कर्मसङ्गिषु जायते।
तथा प्रलीनस्तमसि मूढयोनिषु जायते।।
= जब देहधारी रजोगुण की अवस्था में मरे तब कर्मों में आसक्त लोगों में जन्म लेता है और तमोगुणी अवस्था में मरकर मूढ़ योनियों में जन्म लेता है।
#vakyabhyas
May 16, 2022
Go to settings → Language → Show Translate button
Now Click on any message in samskrit and tap translate. The translations are many times inaccurate. So be attentive.
फिर संस्कृत में लिखे किसी भी संदेश पर क्लिक करें और Translate पर टैप करें। अनुवाद कई बार गलत होते हैं। इसलिए सावधान रहें।
Now Click on any message in samskrit and tap translate. The translations are many times inaccurate. So be attentive.
फिर संस्कृत में लिखे किसी भी संदेश पर क्लिक करें और Translate पर टैप करें। अनुवाद कई बार गलत होते हैं। इसलिए सावधान रहें।
May 16, 2022
May 16, 2022
@samskrt_samvadah प्रारंभ करता है, संस्कृताश्रमः - संस्कृतशिक्षण की लघु कक्षाऐं
⏳20 मिनट
🕚 09:00 PM 🇮🇳
🔰 ल्यप् प्रत्ययः
🗓16th मई 2022, सोमवासरः
🔴 कक्षाओं की प्रति हमारे युट्युब चैनल पर डाली जायेगी
कृपया अलार्म लगा लें और विलंब से न आयें।
👇🏼👇🏼👇🏼👇🏼👇🏼
https://t.me/samskrt_samvadah?voicechat
⏳20 मिनट
🕚 09:00 PM 🇮🇳
🔰 ल्यप् प्रत्ययः
🗓16th मई 2022, सोमवासरः
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कृपया अलार्म लगा लें और विलंब से न आयें।
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May 16, 2022
May 16, 2022
Earlier and Now.
Earlier computer was fatty and man was slim. Now computer became slim and man fatty.
#hasya
Earlier computer was fatty and man was slim. Now computer became slim and man fatty.
#hasya
May 16, 2022
May 16, 2022
🍃
♦️prakRRitiM puruShaM chaiva viddhyanaadii ubhaavapi|
vikaaraaMshcha guNaaMshchaiva viddhi prakRRitisaMbhavaan
⚜Know thou that Nature (matter) and the Spirit are both beginningless; and know also that all modifications and alities are born of Nature.(13.20)
⚜प्रकृति और पुरुष इन दोनों को ही तुम अनादि जानो। और तुम यह भी जानो कि सभी विकार और गुण प्रकृति से ही उत्पन्न हुए हैं।।13.20।।
#geeta
प्रकृतिं पुरुषं चैव विद्ध्यनादी उभावपि।
विकारांश्च गुणांश्चैव विद्धि प्रकृतिसंभवान्
।।13.20।।♦️prakRRitiM puruShaM chaiva viddhyanaadii ubhaavapi|
vikaaraaMshcha guNaaMshchaiva viddhi prakRRitisaMbhavaan
⚜Know thou that Nature (matter) and the Spirit are both beginningless; and know also that all modifications and alities are born of Nature.(13.20)
⚜प्रकृति और पुरुष इन दोनों को ही तुम अनादि जानो। और तुम यह भी जानो कि सभी विकार और गुण प्रकृति से ही उत्पन्न हुए हैं।।13.20।।
#geeta
May 16, 2022
May 16, 2022
May 16, 2022
May 16, 2022
🍃
♦️kaaryakaaraNakartRRitve hetuH prakRRitiruchyate|
puruShaH sukhaduHkhaanaaM bhoktRRitve heturuchyate
⚜13.21 In the production of the effect and the cause, Nature (matter) is said to be the cause; in the experience of pleasure and pain, the soul is said to be the cause.
⚜।।13.21।। कार्य और कारण के उत्पन्न करने में हेतु प्रकृति कही जाती है और पुरुष सुखदुख के भोक्तृत्व में हेतु कहा जाता है।।
#geeta
कार्यकारणकर्तृत्वे हेतुः प्रकृतिरुच्यते।
पुरुषः सुखदुःखानां भोक्तृत्वे हेतुरुच्यते
।।13.21।।♦️kaaryakaaraNakartRRitve hetuH prakRRitiruchyate|
puruShaH sukhaduHkhaanaaM bhoktRRitve heturuchyate
⚜13.21 In the production of the effect and the cause, Nature (matter) is said to be the cause; in the experience of pleasure and pain, the soul is said to be the cause.
⚜।।13.21।। कार्य और कारण के उत्पन्न करने में हेतु प्रकृति कही जाती है और पुरुष सुखदुख के भोक्तृत्व में हेतु कहा जाता है।।
#geeta
May 16, 2022
🚩जय सत्य सनातन 🚩
🚩आज की हिंदी तिथि
🌥️ 🚩युगाब्द - ५१२४
🌥️ 🚩विक्रम संवत - २०७९
⛅ 🚩तिथि - प्रतिपदा सुबह 06:25 तक तत्पश्चात द्वितीया 18 मई प्रातः 03:00 तक
⛅ दिनांक - 17 मई 2022
⛅ दिन - मंगलवार
⛅ विक्रम संवत - 2079
⛅ शक संवत - 1944
⛅ अयन - उत्तरायण
⛅ ऋतु - ग्रीष्म
⛅ मास - ज्येष्ठ
⛅ पक्ष - कृष्ण
⛅ नक्षत्र - अनुराधा सुबह 10:46 तक तत्पश्चात ज्येष्ठा
⛅ योग - शिव रात्रि 10:88 तक तत्पश्चात सिद्ध
⛅ राहुकाल - सुबह 03:55 से 05:35 तक
⛅ सूर्योदय - 05:58
⛅ सूर्यास्त - 07:14
⛅ दिशाशूल - उत्तर दिशा में
⛅ ब्रह्म मुहूर्त- प्रातः 04:32 से 05:15 तक
🚩आज की हिंदी तिथि
🌥️ 🚩युगाब्द - ५१२४
🌥️ 🚩विक्रम संवत - २०७९
⛅ 🚩तिथि - प्रतिपदा सुबह 06:25 तक तत्पश्चात द्वितीया 18 मई प्रातः 03:00 तक
⛅ दिनांक - 17 मई 2022
⛅ दिन - मंगलवार
⛅ विक्रम संवत - 2079
⛅ शक संवत - 1944
⛅ अयन - उत्तरायण
⛅ ऋतु - ग्रीष्म
⛅ मास - ज्येष्ठ
⛅ पक्ष - कृष्ण
⛅ नक्षत्र - अनुराधा सुबह 10:46 तक तत्पश्चात ज्येष्ठा
⛅ योग - शिव रात्रि 10:88 तक तत्पश्चात सिद्ध
⛅ राहुकाल - सुबह 03:55 से 05:35 तक
⛅ सूर्योदय - 05:58
⛅ सूर्यास्त - 07:14
⛅ दिशाशूल - उत्तर दिशा में
⛅ ब्रह्म मुहूर्त- प्रातः 04:32 से 05:15 तक
May 16, 2022
Forwarded from रामदूतः — The Sanskrit News Platform (Bhavani Raman)
https://youtu.be/MZ2e7V2jsGw
प्रतिदिनं प्रातः ७:१५ वादने १५ निमेषात्मिकायै वार्तायै डी डी न्यूज् इति पश्यत।
प्रतिदिनं प्रातः ७:१५ वादने १५ निमेषात्मिकायै वार्तायै डी डी न्यूज् इति पश्यत।
YouTube
वार्ता: संस्कृत में समाचार | ज्ञानवापी मस्जिद मामले में आज अदालत में पेश होगी सर्वे की रिपोर्ट
May 16, 2022
@samskrt_samvadah संलापशाला - A Samskrit Voicechat room.
यदीच्छसि वशीकर्तुं, भाषणमेककर्मणा।
यायास्संलापशालां वै, भवति यत्र भाषणम्।।
⏳45 निमेषाः
🕚 IST 11:00 AM
🔰महाभारतपात्रस्य वर्णनम्
🗓17th May2022, मङ्गलवासरः
🔴Voicechat would be recorded and shared on this channel.
📑यदि शक्येत चेत् संस्कृतेन (कस्यचित्/कस्याश्चित् पात्रस्य विवरणं कर्तव्यम्) । चर्चार्थं कृपया पूर्वसिद्धतां कृत्वा आगच्छन्तु।
वयं युष्माकं प्रतीक्षां कुर्मः। 😇
स्मारणतंत्रिकां स्थापयतु ⏰
👇🏼👇🏼👇🏼👇🏼👇🏼
https://t.me/samskrt_samvadah?voicechat
यदीच्छसि वशीकर्तुं, भाषणमेककर्मणा।
यायास्संलापशालां वै, भवति यत्र भाषणम्।।
⏳45 निमेषाः
🕚 IST 11:00 AM
🔰महाभारतपात्रस्य वर्णनम्
🗓17th May2022, मङ्गलवासरः
🔴Voicechat would be recorded and shared on this channel.
📑यदि शक्येत चेत् संस्कृतेन (कस्यचित्/कस्याश्चित् पात्रस्य विवरणं कर्तव्यम्) । चर्चार्थं कृपया पूर्वसिद्धतां कृत्वा आगच्छन्तु।
वयं युष्माकं प्रतीक्षां कुर्मः। 😇
स्मारणतंत्रिकां स्थापयतु ⏰
👇🏼👇🏼👇🏼👇🏼👇🏼
https://t.me/samskrt_samvadah?voicechat
May 16, 2022
May 16, 2022
🔰चित्रं दृष्ट्वा पञ्चवाक्यानि रचयत।
✍🏼सर्वे टिप्पणीसञ्चिकायां स्वोत्तराणि लेखितुं शक्नुवन्ति अथवा पुस्तिकायां लिखित्वा तस्य चित्रं स्वीकृत्य अपि प्रेषयितुं शक्नुवन्ति।
🗣सहैव तानि वाक्यानि उक्त्वा ध्वनिमाध्यमेन अपि प्रेषयत।
Read in English
हिन्दी में पढें
#chitram
✍🏼सर्वे टिप्पणीसञ्चिकायां स्वोत्तराणि लेखितुं शक्नुवन्ति अथवा पुस्तिकायां लिखित्वा तस्य चित्रं स्वीकृत्य अपि प्रेषयितुं शक्नुवन्ति।
🗣सहैव तानि वाक्यानि उक्त्वा ध्वनिमाध्यमेन अपि प्रेषयत।
Read in English
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#chitram
May 16, 2022
May 16, 2022
May 16, 2022
May 16, 2022
🍃
⚜"अपने धर्म (कर्त्तव्य) में लगे रहना ही
तपस्या है। मन को वश में रखना ही दमन है।
सुख-दुःख, लाभ-हानि में एक समान
भाव रखना ही क्षमा है। न करने योग्य
कार्य को त्याग देना ही लज्जा है।"
🔅स्वधर्मपरिपालनम् एव तपस्या भवति, मनोनिग्रहः एव दमः भवति, सुखदुःखेषु तथा लाभहानिषु समभावः एव क्षमा भवति तथा अकार्यं कर्मणः त्यागः एव लज्जा भवति।
#Subhashitam
"तपः स्वधर्मवर्तित्वं मनसो दमनं दमः ।
क्षमा द्वन्द्वसहिष्णुत्वं हीरकार्यनिवर्तनम्
।।"⚜"अपने धर्म (कर्त्तव्य) में लगे रहना ही
तपस्या है। मन को वश में रखना ही दमन है।
सुख-दुःख, लाभ-हानि में एक समान
भाव रखना ही क्षमा है। न करने योग्य
कार्य को त्याग देना ही लज्जा है।"
🔅स्वधर्मपरिपालनम् एव तपस्या भवति, मनोनिग्रहः एव दमः भवति, सुखदुःखेषु तथा लाभहानिषु समभावः एव क्षमा भवति तथा अकार्यं कर्मणः त्यागः एव लज्जा भवति।
#Subhashitam
May 16, 2022
_______ तपः _____ जातम्।
Anonymous Quiz
19%
नन्द्याः , पूर्णः
26%
नन्द्याः , पूर्णम्
34%
नन्दिनः, पूर्णं
17%
नन्दिनः, पूर्णम्
5%
नन्दिनः, पूर्णः
May 17, 2022
May 17, 2022
संस्कृत संवादः । Sanskrit Samvadah
बहिर्भ्रमति
यः कश्चित्त्यक्त्वा देहस्थमीश्वरम्। सो गृहपायसं त्यक्त्वा भिक्षामटति
दुर्मतिः।। = जो शरीर में स्थित परमेश्वर को छोड़कर बाहर भटकता फिरता
है, वह उस मूर्ख के समान है, जो घर की खीर को छोड़कर भिक्षा मांगता फिरता
है। आम्रं छित्वा कुठारेण निम्बं परिचरेत्तु…
संस्कृतं वद आधुनिको भव।
वेदान् पठ वैज्ञानिको भव।।
पाठ: (39) कृदन्त (6) ल्यप् प्रत्यय
(सोपसर्ग = उपसर्ग सहित धातु हो तो क्त्वा प्रत्यय के स्थान पर ल्यप् प्रत्यय का प्रयोग होता है। ल्यप् प्रत्ययान्त क्रिया शब्द भी अव्यय होता है, अतः इसके विभिन्न विभक्तियों में रूप नहीं चलते।)
छात्राः गुरुकुले प्रातरुत्थाय ईश्वरं ध्यायन्ति
= छात्राएं गुरुकुल में सुबह उठकर ईश्वर का ध्यान करती हैं।
पुरा पितामही कूपात् जलमानीय स्नाति स्म
= पहले दादीमां कुंए से पानी लाकर स्नान करती थीं।
धनयन्त्रात् रुप्यकाणि निसार्य आपणं गता
= एटीएम से पैसे निकालकर दुकान पर गई।
सम्भूय सर्वे बालाः क्रीडन्ति
= मिलकर के सभी बच्चे खेल रहे हैं।
चटका धान्यकणान् च´्च्वा आदाय चाटकैरं भोजयति
= चिड़िया चोंच से दाने लाकर बच्चे को खिला रही है।
पथिभ्रष्टो हिरणः ग्रामस्य प्राकारं प्रकूर्द्य वनं प्राविशत्
= मार्ग भटका हुआ हिरण गांव की चारदिवारी कूदकर वनमें चला गया।
पक्षिणः प्रातः वृक्षात् उड्डीय अस्तं पुनरागच्छन्ति
= पक्षी पेड़ पर से सुबह उड़कर शाम को फिर लौट आ जाते हैं।
गुणिनोऽविगणय्य स्वकष्टान् उपकुर्वन्ति
= सज्जन अपने कष्टों की परवाह किए बिना उपकार में लगे रहते हैं।
गोभक्तः विक्रीय महिषीं गामक्रैषीत्
= गोभक्त ने भैंस बेचकर गाय खरीदी।
सर्वाणि शास्त्राणि समीक्ष्य जिज्ञासुरन्ते वैदिकधर्मम् अङ्गीचकार
= समस्त शास्त्रों की समीक्षा करके अन्त में जिज्ञासु ने वैदिक धर्म को स्वीकार किया।
पितुराज्ञां विधाय ज्येष्ठभ्राता विद्यालयात् व्यापारे समलगत्
= पिता की बात रखते हुए बड़ा भाई विद्यालय न जाकर व्यापार में लग गया।
उपदिश्य मूर्खान् स्वमौर्ख्यं मा प्रकटीकुर्यात्
= मूर्खों को उपदेश देकर अपनी मूर्खता जाहिर न करनी चाहिए।
धर्मम् आश्रित्य यो जीवति सः सुखी भवति
= धर्म का आश्रय लेकर जो जीता है, वह सुखी होता है।
सन्त्यज्य सन्त्यज्य दोषान् पुनरुपाददानोऽबुधः श्ववृत्तमेवाऽवर्त्तयति
= जैसे कुत्ता अपना वमन किया हुआ स्वयं चाट लेता है, वैसे ही अज्ञानी व्यक्ति अपने दोषों को बार-बार छोड़कर पुनः उन्हें करने लग जाता है।
अभिवन्द्य गुरुं पाठं पठेत्
= गुरु को अभिवादन करके पाठ पढ़ना चाहिए।
आहूय रामं कैकेयी वरद्वयम् अश्रावीत्
= राम को बुलाकर कैकेयी ने अपने दो वरदान सुनाए।
कैकेय्याः अभिप्रायं विज्ञाय रामोऽयोध्यां परित्यज्य वनमारोहत्
= कैकेयी के अभिप्राय को जानकर राम अयोध्या छोड़कर वन में चला गया।
रामे वनं गते दशरथो बहु विलप्य मृतः
= राम के वन चले जाने से दशरथ बहुत विलाप करके मर गया।
भरतोऽपि कैकेयीं संक्रुध्य राममानेतुं वनाय विसर्जितः
= भरत भी कैकेयी पर खूब गुस्सा करके राम को लाने के लिए वन चला गया।
विदुषो विहस्य मूर्ख आत्मानं पण्डितं मन्यते
= विद्वानों का उपहास करके मूर्ख अपने आप को पण्डित मानता है।
#vakyabhyas
वेदान् पठ वैज्ञानिको भव।।
पाठ: (39) कृदन्त (6) ल्यप् प्रत्यय
(सोपसर्ग = उपसर्ग सहित धातु हो तो क्त्वा प्रत्यय के स्थान पर ल्यप् प्रत्यय का प्रयोग होता है। ल्यप् प्रत्ययान्त क्रिया शब्द भी अव्यय होता है, अतः इसके विभिन्न विभक्तियों में रूप नहीं चलते।)
छात्राः गुरुकुले प्रातरुत्थाय ईश्वरं ध्यायन्ति
= छात्राएं गुरुकुल में सुबह उठकर ईश्वर का ध्यान करती हैं।
पुरा पितामही कूपात् जलमानीय स्नाति स्म
= पहले दादीमां कुंए से पानी लाकर स्नान करती थीं।
धनयन्त्रात् रुप्यकाणि निसार्य आपणं गता
= एटीएम से पैसे निकालकर दुकान पर गई।
सम्भूय सर्वे बालाः क्रीडन्ति
= मिलकर के सभी बच्चे खेल रहे हैं।
चटका धान्यकणान् च´्च्वा आदाय चाटकैरं भोजयति
= चिड़िया चोंच से दाने लाकर बच्चे को खिला रही है।
पथिभ्रष्टो हिरणः ग्रामस्य प्राकारं प्रकूर्द्य वनं प्राविशत्
= मार्ग भटका हुआ हिरण गांव की चारदिवारी कूदकर वनमें चला गया।
पक्षिणः प्रातः वृक्षात् उड्डीय अस्तं पुनरागच्छन्ति
= पक्षी पेड़ पर से सुबह उड़कर शाम को फिर लौट आ जाते हैं।
गुणिनोऽविगणय्य स्वकष्टान् उपकुर्वन्ति
= सज्जन अपने कष्टों की परवाह किए बिना उपकार में लगे रहते हैं।
गोभक्तः विक्रीय महिषीं गामक्रैषीत्
= गोभक्त ने भैंस बेचकर गाय खरीदी।
सर्वाणि शास्त्राणि समीक्ष्य जिज्ञासुरन्ते वैदिकधर्मम् अङ्गीचकार
= समस्त शास्त्रों की समीक्षा करके अन्त में जिज्ञासु ने वैदिक धर्म को स्वीकार किया।
पितुराज्ञां विधाय ज्येष्ठभ्राता विद्यालयात् व्यापारे समलगत्
= पिता की बात रखते हुए बड़ा भाई विद्यालय न जाकर व्यापार में लग गया।
उपदिश्य मूर्खान् स्वमौर्ख्यं मा प्रकटीकुर्यात्
= मूर्खों को उपदेश देकर अपनी मूर्खता जाहिर न करनी चाहिए।
धर्मम् आश्रित्य यो जीवति सः सुखी भवति
= धर्म का आश्रय लेकर जो जीता है, वह सुखी होता है।
सन्त्यज्य सन्त्यज्य दोषान् पुनरुपाददानोऽबुधः श्ववृत्तमेवाऽवर्त्तयति
= जैसे कुत्ता अपना वमन किया हुआ स्वयं चाट लेता है, वैसे ही अज्ञानी व्यक्ति अपने दोषों को बार-बार छोड़कर पुनः उन्हें करने लग जाता है।
अभिवन्द्य गुरुं पाठं पठेत्
= गुरु को अभिवादन करके पाठ पढ़ना चाहिए।
आहूय रामं कैकेयी वरद्वयम् अश्रावीत्
= राम को बुलाकर कैकेयी ने अपने दो वरदान सुनाए।
कैकेय्याः अभिप्रायं विज्ञाय रामोऽयोध्यां परित्यज्य वनमारोहत्
= कैकेयी के अभिप्राय को जानकर राम अयोध्या छोड़कर वन में चला गया।
रामे वनं गते दशरथो बहु विलप्य मृतः
= राम के वन चले जाने से दशरथ बहुत विलाप करके मर गया।
भरतोऽपि कैकेयीं संक्रुध्य राममानेतुं वनाय विसर्जितः
= भरत भी कैकेयी पर खूब गुस्सा करके राम को लाने के लिए वन चला गया।
विदुषो विहस्य मूर्ख आत्मानं पण्डितं मन्यते
= विद्वानों का उपहास करके मूर्ख अपने आप को पण्डित मानता है।
#vakyabhyas
May 17, 2022
May 17, 2022
Vedshala Sanskritam starts new batch of
*Free - Basic Spoken Sanskrit*
1. Basic Spoken Sanskrit.
2. Basic Grammar.
3. Sentence formation.
4. No books required.
5. Age more then 14 years.
6. We don't teach any school syllabus.
Choice of 2 batches :
Batch no. *VS107* : Morning 6.00am to 7.30am.
*Daily for 12 days*
Date : From 23rd May to 4th June 2022. (Sunday Holiday)
*Explanation : In English*
Batch No. *VS108* : Night 8.00pm to 9.30pm. *Three days in week - Tuesday, Thursday and Saturday*
Date : From 24th May to 18th June 2022.
*Explanation : In Hindi*
*Last date of registration : 21st May 2022*
Those only who are serious should fill the Google Form. Please read the instructions on the form before filling it.
https://forms.gle/QP2sn8EAUgUA3rD46
🙏 शुभं भवतु 🙏
Kindly forward if anyone is interested for Basic Spoken Sanskritam in your circle.
🙏🏻🙏🏻🙏🏻
*Free - Basic Spoken Sanskrit*
1. Basic Spoken Sanskrit.
2. Basic Grammar.
3. Sentence formation.
4. No books required.
5. Age more then 14 years.
6. We don't teach any school syllabus.
Choice of 2 batches :
Batch no. *VS107* : Morning 6.00am to 7.30am.
*Daily for 12 days*
Date : From 23rd May to 4th June 2022. (Sunday Holiday)
*Explanation : In English*
Batch No. *VS108* : Night 8.00pm to 9.30pm. *Three days in week - Tuesday, Thursday and Saturday*
Date : From 24th May to 18th June 2022.
*Explanation : In Hindi*
*Last date of registration : 21st May 2022*
Those only who are serious should fill the Google Form. Please read the instructions on the form before filling it.
https://forms.gle/QP2sn8EAUgUA3rD46
🙏 शुभं भवतु 🙏
Kindly forward if anyone is interested for Basic Spoken Sanskritam in your circle.
🙏🏻🙏🏻🙏🏻
Google Docs
Vedshala - Free Spoken Sanskrit - May 2022
Teacher: Arjun Vyas
May 17, 2022
संस्कृत संवादः । Sanskrit Samvadah pinned «Vedshala
Sanskritam starts new batch of *Free - Basic Spoken Sanskrit* 1.
Basic Spoken Sanskrit. 2. Basic Grammar. 3. Sentence formation. 4. No
books required. 5. Age more then 14 years. 6. We don't teach any school
syllabus. Choice of 2 batches : Batch…»
May 17, 2022
May 17, 2022
Seat belt is mandatory for four wheeler drivers and co-passengers - News.
Tailor - I have made new T Shirt for drivers and co-passengers.
#hasya
Tailor - I have made new T Shirt for drivers and co-passengers.
#hasya
May 17, 2022
May 17, 2022
🍃
♦️puruShaH prakRRitistho hi bhu~Nkte prakRRitijaanguNaan|
kaaraNaM guNasa~Ngo'sya sadasadyonijanmasu
⚜13.22 The soul seated in Nature experiences the qualities born of Nature; attachment to the qualities is the cause of its birth in good and evil wombs.
⚜।।13.22।। प्रकृति में स्थित पुरुष प्रकृति से उत्पन्न गुणों को भोगता है। इन गुणों का संग ही इस पुरुष (जीव) के शुभ और अशुभ योनियों में जन्म लेने का कारण है।।
#geeta
पुरुषः प्रकृतिस्थो हि भुङ्क्ते प्रकृतिजान्गुणान्।
कारणं गुणसङ्गोऽस्य सदसद्योनिजन्मसु
।।13.22।।♦️puruShaH prakRRitistho hi bhu~Nkte prakRRitijaanguNaan|
kaaraNaM guNasa~Ngo'sya sadasadyonijanmasu
⚜13.22 The soul seated in Nature experiences the qualities born of Nature; attachment to the qualities is the cause of its birth in good and evil wombs.
⚜।।13.22।। प्रकृति में स्थित पुरुष प्रकृति से उत्पन्न गुणों को भोगता है। इन गुणों का संग ही इस पुरुष (जीव) के शुभ और अशुभ योनियों में जन्म लेने का कारण है।।
#geeta
May 17, 2022
May 17, 2022
🍃
♦️upadraShTaa'numantaa cha bhartaa bhoktaa maheshvaraH|
paramaatmeti chaapyukto dehe'sminpuruShaH paraH
⚜13.23 The Supreme Soul in this body is also called the spectator, the permitter, the supporter, the enjoyer, the great Lord and the Supreme Self.
⚜।।13.23।। परम पुरुष ही इस देह में उपद्रष्टा अनुमन्ता भर्ता भोक्ता महेश्वर और परमात्मा कहा जाता है।।
#geeta
उपद्रष्टाऽनुमन्ता च भर्ता भोक्ता महेश्वरः।
परमात्मेति चाप्युक्तो देहेऽस्मिन्पुरुषः परः
।।13.23।।♦️upadraShTaa'numantaa cha bhartaa bhoktaa maheshvaraH|
paramaatmeti chaapyukto dehe'sminpuruShaH paraH
⚜13.23 The Supreme Soul in this body is also called the spectator, the permitter, the supporter, the enjoyer, the great Lord and the Supreme Self.
⚜।।13.23।। परम पुरुष ही इस देह में उपद्रष्टा अनुमन्ता भर्ता भोक्ता महेश्वर और परमात्मा कहा जाता है।।
#geeta
May 17, 2022
🚩जय सत्य सनातन 🚩
🚩आज की हिंदी तिथि
🌥️ 🚩युगाब्द - ५१२४
🌥️ 🚩विक्रम संवत - २०७९
⛅ 🚩तिथि - तृतीया रात्रि 11:36 तक तत्पश्चात चतुर्थी
⛅ दिनांक - 18 मई 2022
⛅ दिन - बुधवार
⛅ विक्रम संवत - 2079
⛅ शक संवत - 1944
⛅ अयन - उत्तरायण
⛅ ऋतु - ग्रीष्म
⛅ मास - ज्येष्ठ
⛅ पक्ष - कृष्ण
⛅ नक्षत्र - ज्येष्ठा सुबह 08:10 तक तत्पश्चात मूल
⛅ योग - सिद्ध सुबह 06:45 तक तत्पश्चात साध्य
⛅ राहुकाल - दोपहर 12:36 से 02:15 तक
⛅ सूर्योदय - 05:58
⛅ सूर्यास्त - 07:15
⛅ दिशाशूल - उत्तर दिशा में
⛅ ब्रह्म मुहूर्त- प्रातः 04:32 से 05:15 तक
🚩आज की हिंदी तिथि
🌥️ 🚩युगाब्द - ५१२४
🌥️ 🚩विक्रम संवत - २०७९
⛅ 🚩तिथि - तृतीया रात्रि 11:36 तक तत्पश्चात चतुर्थी
⛅ दिनांक - 18 मई 2022
⛅ दिन - बुधवार
⛅ विक्रम संवत - 2079
⛅ शक संवत - 1944
⛅ अयन - उत्तरायण
⛅ ऋतु - ग्रीष्म
⛅ मास - ज्येष्ठ
⛅ पक्ष - कृष्ण
⛅ नक्षत्र - ज्येष्ठा सुबह 08:10 तक तत्पश्चात मूल
⛅ योग - सिद्ध सुबह 06:45 तक तत्पश्चात साध्य
⛅ राहुकाल - दोपहर 12:36 से 02:15 तक
⛅ सूर्योदय - 05:58
⛅ सूर्यास्त - 07:15
⛅ दिशाशूल - उत्तर दिशा में
⛅ ब्रह्म मुहूर्त- प्रातः 04:32 से 05:15 तक
May 17, 2022
Forwarded from रामदूतः — The Sanskrit News Platform (ॐ पीयूषः)
https://youtu.be/xOTZsggmfT0
प्रतिदिनं प्रातः ७:१५ वादने १५ निमेषात्मिकायै वार्तायै डी डी न्यूज् इति पश्यत।
प्रतिदिनं प्रातः ७:१५ वादने १५ निमेषात्मिकायै वार्तायै डी डी न्यूज् इति पश्यत।
YouTube
वार्ता: संस्कृत में समाचार | राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने जमैका की संसद को किया संबोधित
वार्ता: संस्कृत में समाचार | राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने जमैका की संसद के दोनों सदनों को किया संबोधित
May 17, 2022
🔰चित्रं दृष्ट्वा पञ्चवाक्यानि रचयत।
✍🏼सर्वे टिप्पणीसञ्चिकायां स्वोत्तराणि लेखितुं शक्नुवन्ति अथवा पुस्तिकायां लिखित्वा तस्य चित्रं स्वीकृत्य अपि प्रेषयितुं शक्नुवन्ति।
🗣सहैव तानि वाक्यानि उक्त्वा ध्वनिमाध्यमेन अपि प्रेषयत।
Read in English
हिन्दी में पढें
#chitram
✍🏼सर्वे टिप्पणीसञ्चिकायां स्वोत्तराणि लेखितुं शक्नुवन्ति अथवा पुस्तिकायां लिखित्वा तस्य चित्रं स्वीकृत्य अपि प्रेषयितुं शक्नुवन्ति।
🗣सहैव तानि वाक्यानि उक्त्वा ध्वनिमाध्यमेन अपि प्रेषयत।
Read in English
हिन्दी में पढें
#chitram
May 17, 2022
🍃
🔅यः जनः सर्वदा पठति लिखति सम्यक् पश्यति जिज्ञासां करोति तथा श्रेष्ठानां समीपे तिष्ठति तस्य जनस्य बुद्धिः तथा भवति यथा कमलं सूर्यकिरणैः सह विकसतं भवति।
#Subhashitam
यः पठति लिखति पश्यति परिपृच्छति पंडितान् उपाश्रयति।
तस्य दिवाकरकिरणैः नलिनी दलं इव विस्तारिता बुद्धिः
॥🔅यः जनः सर्वदा पठति लिखति सम्यक् पश्यति जिज्ञासां करोति तथा श्रेष्ठानां समीपे तिष्ठति तस्य जनस्य बुद्धिः तथा भवति यथा कमलं सूर्यकिरणैः सह विकसतं भवति।
#Subhashitam
May 17, 2022
अनु + भू(धातुः) + ल्यप् प्रत्ययः = ?
Anonymous Quiz
17%
अनुभूत्वा
11%
अनुभाव्य
66%
अनुभूय
6%
अनुभवति
May 18, 2022
संस्कृत संवादः । Sanskrit Samvadah
संस्कृतं
वद आधुनिको भव। वेदान् पठ वैज्ञानिको भव।। पाठ: (39) कृदन्त (6) ल्यप्
प्रत्यय (सोपसर्ग = उपसर्ग सहित धातु हो तो क्त्वा प्रत्यय के स्थान पर
ल्यप् प्रत्यय का प्रयोग होता है। ल्यप् प्रत्ययान्त क्रिया शब्द भी अव्यय
होता है, अतः इसके विभिन्न विभक्तियों…
आश्लिष्य रामं भरतो भृशं संतताप
= राम का आलिंगन करके भरत खूब दुःखी हुआ।
रामस्य वार्तां निशम्य क्रुद्धो लक्ष्मणोऽशमत्
= राम की बात सुनकर क्रोधित लक्ष्मण शान्त हो गया।
हेमहरिणं संदृश्य सीता अमोहीत्
= सोने का हिरण देखकर सीता मोहित हो गई।
उल्लन्घ्य लक्ष्मणस्य वचः सीता भिक्षुकाय भिक्षामददात्
= लक्ष्मण की बात का उल्लंघन करके सीता ने भिक्षुक को भिक्षा दी।
छद्मवेषो रावणः सीताम् अपहृत्य लंकामानिनाय
= छद्मवेषधारी रावण सीता का अपहरण करके लंका ले आया।
वाग्मी हनुमान् सीताम् अन्विष्य रामं सूचयाञ्चकार
= वाक्पटु हनुमान ने सीता की खोज करके राम को सूचना दी।
रावणं निहत्य रामः सीतां पुनः प्राप
= रावण को मार को राम ने सीता को फिर से पा लिया।
अयोध्यामागत्य सर्वे सुखसुखेन जीवनं यापयाञ्चक्रुः
= अयोध्या आकर सबने अत्यन्त सुख से जीवन बिताया।
वासांसि जीर्णानि यथा विहाय नवानि गृह्णाति नरोपराणि।
तथा शरीराणि विहाय जीर्णान्यन्यानि संयाति नवानि देहि।।
= जैसे मनुष्य फटे हुए वस्त्रों को त्यागकर दूसरे नए वó धारण कर लेता है, वैसे ही यह जीवात्मा जीर्ण शरीरों को त्यागकर दूसरे नवीन शरीर प्राप्त कर लेता है।
सञ्चिन्त्य मनसा राजन् विदित्वा शक्यमात्मनः।
करोति यः शुभं कर्म स वै भद्राणि पश्यति।।
= हे राजन् ! जो मनुष्य मन से भली प्रकार चिन्तन करके और अपने सामर्थ्य को देखकर शुभ कर्म करता है, वह भद्र का दर्शन करता है, अर्थात् उसके जीवन में शुभ ही शुभ होता है।
धर्मं प्रसङ्गादपि नाचरन्ति पापं प्रयत्नेन समाचरन्ति।
आश्चर्यमेतद्धि मनुष्यलोकेऽमृतं परित्यज्य विषं पिबन्ति।।
= लोग धर्म का तो किसी प्रसंग के बहाने से भी आचरण नहीं करते, और पाप का तो प्रयत्नपूर्वक आचरण करते हैं। मानव संसार में यह एक अद्भुत बात है कि लोग अमृत को त्याग कर विष को पीते हैं।
इन्द्रियाणां प्रसङ्गेन दोषमृच्छत्यसंशयम्।
सन्नियम्य तु तान्येव ततः सिद्धिं नियच्छति।।
= मनुष्य इन्द्रियों की आसक्ति से निश्चय ही दोष को प्राप्त होता है। और इन्हीं इन्द्रियों को नियन्त्रित करके सिद्धि को प्राप्त होता है।
समुत्पत्तिं च मांसस्य वधबन्धौ च देहिनाम्।
प्रसमीक्ष्य निवर्त्तेत सर्वमांसस्य भक्षणात्।।
= मांस की प्राप्ति का और प्राणियों के बन्धन तथा हत्यादि का विचार करके मनुष्य को सब प्रकार के मांस के सेवन से दूर हो जाना चाहिए।
उपनीय तु यः शिष्यं वेदमध्यापयेद् द्विजः।
सकल्पं सरहस्यं च तमाचार्यं प्रचक्षते।।
= जो विद्यावान् मनुष्य शिष्य का उपनयन करके उसे कल्प (= श्रौत, गृह्य, धर्म तथा शुल्ब सूत्र) सहित और उपनिषद सहित सम्पूर्ण वेद पढ़ावे, उसे ही आचार्य कहते हैं।
निश्चित्य यः प्रक्रमते नान्तर्वसति कर्मणः।
अवन्ध्यकालो वश्यात्मा स वै पण्डित उच्यते।।
= जो पहले निश्चय करके फिर कर्म का आरम्भ करता है, कर्म के बीच में नहीं ठहरता, समय को व्यर्थ नहीं गंवाता और जो अपने आप को वश में रखता है वही पण्डित कहाता है।
यथा वायुं समाश्रित्य वर्त्तन्ते सर्वजन्तवः।
तथा गृहस्थमाश्रित्य वर्त्तन्ते सर्वआश्रमाः।।
= जैसे वायु के सहारे सभी प्राणी जीवित रहते हैं, वैसे ही गृहस्थ के सहारे सभी अन्य आश्रमी स्व-कर्म में स्थिर रहते हैं।
#vakyabhyas
= राम का आलिंगन करके भरत खूब दुःखी हुआ।
रामस्य वार्तां निशम्य क्रुद्धो लक्ष्मणोऽशमत्
= राम की बात सुनकर क्रोधित लक्ष्मण शान्त हो गया।
हेमहरिणं संदृश्य सीता अमोहीत्
= सोने का हिरण देखकर सीता मोहित हो गई।
उल्लन्घ्य लक्ष्मणस्य वचः सीता भिक्षुकाय भिक्षामददात्
= लक्ष्मण की बात का उल्लंघन करके सीता ने भिक्षुक को भिक्षा दी।
छद्मवेषो रावणः सीताम् अपहृत्य लंकामानिनाय
= छद्मवेषधारी रावण सीता का अपहरण करके लंका ले आया।
वाग्मी हनुमान् सीताम् अन्विष्य रामं सूचयाञ्चकार
= वाक्पटु हनुमान ने सीता की खोज करके राम को सूचना दी।
रावणं निहत्य रामः सीतां पुनः प्राप
= रावण को मार को राम ने सीता को फिर से पा लिया।
अयोध्यामागत्य सर्वे सुखसुखेन जीवनं यापयाञ्चक्रुः
= अयोध्या आकर सबने अत्यन्त सुख से जीवन बिताया।
वासांसि जीर्णानि यथा विहाय नवानि गृह्णाति नरोपराणि।
तथा शरीराणि विहाय जीर्णान्यन्यानि संयाति नवानि देहि।।
= जैसे मनुष्य फटे हुए वस्त्रों को त्यागकर दूसरे नए वó धारण कर लेता है, वैसे ही यह जीवात्मा जीर्ण शरीरों को त्यागकर दूसरे नवीन शरीर प्राप्त कर लेता है।
सञ्चिन्त्य मनसा राजन् विदित्वा शक्यमात्मनः।
करोति यः शुभं कर्म स वै भद्राणि पश्यति।।
= हे राजन् ! जो मनुष्य मन से भली प्रकार चिन्तन करके और अपने सामर्थ्य को देखकर शुभ कर्म करता है, वह भद्र का दर्शन करता है, अर्थात् उसके जीवन में शुभ ही शुभ होता है।
धर्मं प्रसङ्गादपि नाचरन्ति पापं प्रयत्नेन समाचरन्ति।
आश्चर्यमेतद्धि मनुष्यलोकेऽमृतं परित्यज्य विषं पिबन्ति।।
= लोग धर्म का तो किसी प्रसंग के बहाने से भी आचरण नहीं करते, और पाप का तो प्रयत्नपूर्वक आचरण करते हैं। मानव संसार में यह एक अद्भुत बात है कि लोग अमृत को त्याग कर विष को पीते हैं।
इन्द्रियाणां प्रसङ्गेन दोषमृच्छत्यसंशयम्।
सन्नियम्य तु तान्येव ततः सिद्धिं नियच्छति।।
= मनुष्य इन्द्रियों की आसक्ति से निश्चय ही दोष को प्राप्त होता है। और इन्हीं इन्द्रियों को नियन्त्रित करके सिद्धि को प्राप्त होता है।
समुत्पत्तिं च मांसस्य वधबन्धौ च देहिनाम्।
प्रसमीक्ष्य निवर्त्तेत सर्वमांसस्य भक्षणात्।।
= मांस की प्राप्ति का और प्राणियों के बन्धन तथा हत्यादि का विचार करके मनुष्य को सब प्रकार के मांस के सेवन से दूर हो जाना चाहिए।
उपनीय तु यः शिष्यं वेदमध्यापयेद् द्विजः।
सकल्पं सरहस्यं च तमाचार्यं प्रचक्षते।।
= जो विद्यावान् मनुष्य शिष्य का उपनयन करके उसे कल्प (= श्रौत, गृह्य, धर्म तथा शुल्ब सूत्र) सहित और उपनिषद सहित सम्पूर्ण वेद पढ़ावे, उसे ही आचार्य कहते हैं।
निश्चित्य यः प्रक्रमते नान्तर्वसति कर्मणः।
अवन्ध्यकालो वश्यात्मा स वै पण्डित उच्यते।।
= जो पहले निश्चय करके फिर कर्म का आरम्भ करता है, कर्म के बीच में नहीं ठहरता, समय को व्यर्थ नहीं गंवाता और जो अपने आप को वश में रखता है वही पण्डित कहाता है।
यथा वायुं समाश्रित्य वर्त्तन्ते सर्वजन्तवः।
तथा गृहस्थमाश्रित्य वर्त्तन्ते सर्वआश्रमाः।।
= जैसे वायु के सहारे सभी प्राणी जीवित रहते हैं, वैसे ही गृहस्थ के सहारे सभी अन्य आश्रमी स्व-कर्म में स्थिर रहते हैं।
#vakyabhyas
May 18, 2022
May 18, 2022
Man 1:- Why this fellow is crying ?
Man 2:- Now he will meet them only after five years no ! In next election. May be because of that.
#hasya
Man 2:- Now he will meet them only after five years no ! In next election. May be because of that.
#hasya
May 18, 2022
May 18, 2022
🍃
♦️ya evaM vetti puruShaM prakRRitiM cha guNaiHsaha|
sarvathaa vartamaano'pi na sa bhuuyo'bhijaayate
⚜13.24 He who thus knows the Spirit and Matter together with the qualities, in whatever condition he may be, he is not born again.
⚜।।13.24।। इस प्रकार पुरुष और गुणों के सहित प्रकृति को जो मनुष्य जानता है वह सब प्रकार से रहता हुआ (व्यवहार करता हुआ) भी पुन नहीं जन्मता है।।
#geeta
य एवं वेत्ति पुरुषं प्रकृतिं च गुणैःसह।
सर्वथा वर्तमानोऽपि न स भूयोऽभिजायते
।।13.24।।♦️ya evaM vetti puruShaM prakRRitiM cha guNaiHsaha|
sarvathaa vartamaano'pi na sa bhuuyo'bhijaayate
⚜13.24 He who thus knows the Spirit and Matter together with the qualities, in whatever condition he may be, he is not born again.
⚜।।13.24।। इस प्रकार पुरुष और गुणों के सहित प्रकृति को जो मनुष्य जानता है वह सब प्रकार से रहता हुआ (व्यवहार करता हुआ) भी पुन नहीं जन्मता है।।
#geeta
May 18, 2022
May 18, 2022
🍃
♦️dhyaanenaatmani pashyanti kechidaatmaanamaatmanaa|
anye saaMkhyena yogena karmayogena chaapare
⚜Some by meditation behold the Self in the self by the self, others by the Yoga of knowledge, and still others by the Yoga of action. (13.25)
⚜कोई पुरुष ध्यान के अभ्यास से आत्मा को आत्मा (हृदय) में आत्मा (शुद्ध बुद्धि) के द्वारा देखते हैं अन्य लोग सांख्य योग के द्वारा तथा कोई साधक कर्मयोग से (आत्मा को देखते हैं )।।13.25।।
#geeta
ध्यानेनात्मनि पश्यन्ति केचिदात्मानमात्मना।
अन्ये सांख्येन योगेन कर्मयोगेन चापरे
।।13.25।।♦️dhyaanenaatmani pashyanti kechidaatmaanamaatmanaa|
anye saaMkhyena yogena karmayogena chaapare
⚜Some by meditation behold the Self in the self by the self, others by the Yoga of knowledge, and still others by the Yoga of action. (13.25)
⚜कोई पुरुष ध्यान के अभ्यास से आत्मा को आत्मा (हृदय) में आत्मा (शुद्ध बुद्धि) के द्वारा देखते हैं अन्य लोग सांख्य योग के द्वारा तथा कोई साधक कर्मयोग से (आत्मा को देखते हैं )।।13.25।।
#geeta
May 18, 2022
🚩जय सत्य सनातन 🚩
🚩आज की हिंदी तिथि
🌥 🚩यगाब्द - ५१२४
🌥 🚩विक्रम संवत - २०७९
⛅️ 🚩तिथि - चतुर्थी रात्रि 08:23 तक तत्पश्चात पंचमी
⛅️ दिनांक - 19 मई 2022
⛅️ दिन - गुरुवार
⛅️ विक्रम संवत - 2079
⛅️ शक संवत - 1944
⛅️ अयन - उत्तरायण
⛅️ ऋतु - ग्रीष्म
⛅️ मास - ज्येष्ठ
⛅️ पक्ष - कृष्ण
⛅️ योग - साध्य दोपहर 02:58 तक तत्पश्चात शुभ
⛅️ राहुकाल - दोपहर 2:16 से 03:56 तक
⛅️ सर्योदय - 05:57
⛅️ सर्यास्त - 07:15
⛅️ दिशाशूल - दक्षिण दिशा में
⛅️ बरह्म मुहूर्त- प्रातः 04:32 से 05:14 तक
🚩आज की हिंदी तिथि
🌥 🚩यगाब्द - ५१२४
🌥 🚩विक्रम संवत - २०७९
⛅️ 🚩तिथि - चतुर्थी रात्रि 08:23 तक तत्पश्चात पंचमी
⛅️ दिनांक - 19 मई 2022
⛅️ दिन - गुरुवार
⛅️ विक्रम संवत - 2079
⛅️ शक संवत - 1944
⛅️ अयन - उत्तरायण
⛅️ ऋतु - ग्रीष्म
⛅️ मास - ज्येष्ठ
⛅️ पक्ष - कृष्ण
⛅️ योग - साध्य दोपहर 02:58 तक तत्पश्चात शुभ
⛅️ राहुकाल - दोपहर 2:16 से 03:56 तक
⛅️ सर्योदय - 05:57
⛅️ सर्यास्त - 07:15
⛅️ दिशाशूल - दक्षिण दिशा में
⛅️ बरह्म मुहूर्त- प्रातः 04:32 से 05:14 तक
May 18, 2022
Forwarded from रामदूतः — The Sanskrit News Platform (Bhavani Raman)
YouTube
वार्ता: संस्कृत में समाचार | 19-05-2022
May 18, 2022
🔰चित्रं दृष्ट्वा पञ्चवाक्यानि रचयत।
✍🏼सर्वे टिप्पणीसञ्चिकायां स्वोत्तराणि लेखितुं शक्नुवन्ति अथवा पुस्तिकायां लिखित्वा तस्य चित्रं स्वीकृत्य अपि प्रेषयितुं शक्नुवन्ति।
🗣सहैव तानि वाक्यानि उक्त्वा ध्वनिमाध्यमेन अपि प्रेषयत।
Read in English
हिन्दी में पढें
#chitram
✍🏼सर्वे टिप्पणीसञ्चिकायां स्वोत्तराणि लेखितुं शक्नुवन्ति अथवा पुस्तिकायां लिखित्वा तस्य चित्रं स्वीकृत्य अपि प्रेषयितुं शक्नुवन्ति।
🗣सहैव तानि वाक्यानि उक्त्वा ध्वनिमाध्यमेन अपि प्रेषयत।
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#chitram
May 18, 2022
🍃
⚜मनुष्य के सुख-समृद्धि के समय, खान-पान और मान के समय, प्रिय बातें करने वालों की भीड़ लगी रहती है । परंतु विपत्ति के समय केवल सज्जन पुरुष ही साथ दिखाई पड़ते हैं ।
🔅मनुष्यस्य समृद्धिसमये भोजनसमये इत्युक्ते अनुकूलपरिस्थितौ एव प्रियवादिनः जनाः तिष्ठन्ति यदा विपत्तयः आपदः वा आगच्छन्ति न तदा ते तिष्ठन्ति तदा तु केवलाः सज्जनाः एव तिष्ठन्ति।
#Subhashitam
विभवे भोजने दाने तिष्ठन्ति प्रियवादिनः ।
विपत्ते चागते अन्यत्र दृश्यन्ते खलु साधवः ।।
⚜मनुष्य के सुख-समृद्धि के समय, खान-पान और मान के समय, प्रिय बातें करने वालों की भीड़ लगी रहती है । परंतु विपत्ति के समय केवल सज्जन पुरुष ही साथ दिखाई पड़ते हैं ।
🔅मनुष्यस्य समृद्धिसमये भोजनसमये इत्युक्ते अनुकूलपरिस्थितौ एव प्रियवादिनः जनाः तिष्ठन्ति यदा विपत्तयः आपदः वा आगच्छन्ति न तदा ते तिष्ठन्ति तदा तु केवलाः सज्जनाः एव तिष्ठन्ति।
#Subhashitam
May 18, 2022
May 19, 2022
May 19, 2022
संस्कृत संवादः । Sanskrit Samvadah
आश्लिष्य
रामं भरतो भृशं संतताप = राम का आलिंगन करके भरत खूब दुःखी हुआ।
रामस्य वार्तां निशम्य क्रुद्धो लक्ष्मणोऽशमत् = राम की बात सुनकर
क्रोधित लक्ष्मण शान्त हो गया। हेमहरिणं संदृश्य सीता अमोहीत् = सोने
का हिरण देखकर सीता मोहित हो गई। उल्लन्घ्य…
अतिथिर्यस्य भग्नाशो गृहात्प्रति निवर्त्तते।
स दत्त्वा दुष्कृतं तस्मै पुण्यमादाय गच्छति।।
= जिस गृहस्थ के घर से आया हुआ अतिथि बिना भोजनादि की आशा पूरी किए खाली लौट जाता है, वह अतिथि उस गृहस्थ को अपने दुष्कर्म देकर और उस गृहस्थ के सत्कर्म लेकर चला जाता है।
न सङ्करेण द्रविणं प्रचिन्वीयाद् विचक्षणः।
धर्मार्थं न्यायमुत्सृज्य न तत् कल्याणमुच्यते।।
= बुद्धिमान् मनुष्य धर्मयुक्त न्याय को त्यागकर जिस किसी प्रकार से धन का संग्रह न करे। ऐसा धन कल्याणकारक नहीं होता।
सन्त्यज्य ग्राम्यमाहारं सर्वं चैव परिच्छदम्।
पुत्रेषु भार्यां निक्षिप्य वनं गच्छेत् सहैव वा।।
= ग्राम में सुलभ भोजन को और सब प्रकार की सुख सामग्री को त्यागकर तथा पत्नी को अपने पुत्रों को सौप कर वानप्रस्थी वन में जावे अथवा (पत्नी भी तपस्या के इच्छुक हो तो) पत्नी के साथ ही वन को प्रस्थान करे।
अग्निहोत्रं समादाय गृह्यं चाग्निपरिच्छदम्।
ग्रामादरण्यं निःसृत्य निवसेन्नियतेन्द्रियः।।
= अग्निहोत्र करने के व्रत को तथा गृहस्थित अग्निहोत्र करने के उपकरणों को साथ लेकर, गांव से निकलकर वन में जितेन्द्रिय होकर वानप्रस्थी निवास करे।
अधीत्य विधिवद् वेदान् पुत्रांश्चोत्पाद्य धर्मतः।
इष्ट्वा च शक्तितो यज्ञैर्मनो मोक्षे निवेशयेत्।।
= विधिवत् वेदों को पढ़कर, धर्मानुसार सन्तानों को जन्म देकर तथा उनका पालनपोषण करके, सामर्थ्यानुसार अनेक प्रकार के यज्ञ = परोपकार करके तत्पश्चात् अपने मन को मोक्ष में लगावे।
योऽनधीत्य द्विजो वेदमन्यत्र कुरुते श्रमम्।
स जीवन्नेव शूद्रत्वमाशु गच्छति सान्वयः।।
= जो द्विज वेद का अध्ययन न करके अन्य ग्रन्थों के पढ़ने में अथवा अन्य कर्मों को करने में परिश्रम करता है, वह जीते जी ही अपने वंश सहित शीघ्र शूद्रत्व को प्राप्त हो जाता है।
मत्या परीक्ष्य मेधावी बुद्ध्या सम्पाद्य चासकृत्।
श्रुत्वा दृष्ट्वाऽथ विज्ञाय प्राज्ञैर्मैत्रीं समाचरेत्।।
= बुद्धिमान् मनुष्य मनन, चिन्तन द्वारा परीक्षा करके, बुद्धि से अनेक बार निश्चय करके, सुनकर, देखकर और समझकरके मेधावी लोगों के साथ मित्रता करे।
यथा काष्ठं च काष्ठं च समेयातां महार्णवे।
समेत्य च व्यपेयातां कालमासाद्य क´्चन।।
एवं भार्या च पुत्राश्च ज्ञातयश्च वसूनि च।
समेत्य व्यवधावन्ति ध्रुवो येषां विनाभवः।।
= जैसे महासागर में दो काष्ठ इकट्ठे हो जाएं, ऐसे ही पत्नी, पुत्र, बन्धु-बान्धव और धन-सम्पत्ति ये सब हमारे साथ इकट्ठे होकर फिर हमसे दूर हो जाते हैं, क्योंकि इन सबका दूर होना अवश्य ही निश्चित होता है।
सन्तोषं परमास्थाय सुखार्थी संयतो भवेत्।
सन्तोषमूलं हि सुखं दुःखमूलं विपर्ययः।।
= सुख इच्छुक मनुष्य सन्तोष को उत्तमता से धारण करके संयम वर्त्ते, क्योंकि सन्तोष ही सुख का मूल है और असन्तोष (तृष्णा) दुःख का कारण है।
सन्त्यज्य हृद्गुहेशानं देवमन्यं प्रयान्ति ये।
ते रत्नमभिवाञ्छन्ति त्यक्त्वा हस्तस्थ कौस्तुभम्।।
= जो लोग हृदयरूपी गुहा में विद्यमान परमेश्वर को छोड़कर दूसरे देवता को ढूंढते फिरते हैं, वे मानो मुट्ठी में पकड़ी हुई मणि को छोड़कर कांच के टुकड़े को इधर-उधर ढूंढते फिरते हैं।
#vakyabhyas
स दत्त्वा दुष्कृतं तस्मै पुण्यमादाय गच्छति।।
= जिस गृहस्थ के घर से आया हुआ अतिथि बिना भोजनादि की आशा पूरी किए खाली लौट जाता है, वह अतिथि उस गृहस्थ को अपने दुष्कर्म देकर और उस गृहस्थ के सत्कर्म लेकर चला जाता है।
न सङ्करेण द्रविणं प्रचिन्वीयाद् विचक्षणः।
धर्मार्थं न्यायमुत्सृज्य न तत् कल्याणमुच्यते।।
= बुद्धिमान् मनुष्य धर्मयुक्त न्याय को त्यागकर जिस किसी प्रकार से धन का संग्रह न करे। ऐसा धन कल्याणकारक नहीं होता।
सन्त्यज्य ग्राम्यमाहारं सर्वं चैव परिच्छदम्।
पुत्रेषु भार्यां निक्षिप्य वनं गच्छेत् सहैव वा।।
= ग्राम में सुलभ भोजन को और सब प्रकार की सुख सामग्री को त्यागकर तथा पत्नी को अपने पुत्रों को सौप कर वानप्रस्थी वन में जावे अथवा (पत्नी भी तपस्या के इच्छुक हो तो) पत्नी के साथ ही वन को प्रस्थान करे।
अग्निहोत्रं समादाय गृह्यं चाग्निपरिच्छदम्।
ग्रामादरण्यं निःसृत्य निवसेन्नियतेन्द्रियः।।
= अग्निहोत्र करने के व्रत को तथा गृहस्थित अग्निहोत्र करने के उपकरणों को साथ लेकर, गांव से निकलकर वन में जितेन्द्रिय होकर वानप्रस्थी निवास करे।
अधीत्य विधिवद् वेदान् पुत्रांश्चोत्पाद्य धर्मतः।
इष्ट्वा च शक्तितो यज्ञैर्मनो मोक्षे निवेशयेत्।।
= विधिवत् वेदों को पढ़कर, धर्मानुसार सन्तानों को जन्म देकर तथा उनका पालनपोषण करके, सामर्थ्यानुसार अनेक प्रकार के यज्ञ = परोपकार करके तत्पश्चात् अपने मन को मोक्ष में लगावे।
योऽनधीत्य द्विजो वेदमन्यत्र कुरुते श्रमम्।
स जीवन्नेव शूद्रत्वमाशु गच्छति सान्वयः।।
= जो द्विज वेद का अध्ययन न करके अन्य ग्रन्थों के पढ़ने में अथवा अन्य कर्मों को करने में परिश्रम करता है, वह जीते जी ही अपने वंश सहित शीघ्र शूद्रत्व को प्राप्त हो जाता है।
मत्या परीक्ष्य मेधावी बुद्ध्या सम्पाद्य चासकृत्।
श्रुत्वा दृष्ट्वाऽथ विज्ञाय प्राज्ञैर्मैत्रीं समाचरेत्।।
= बुद्धिमान् मनुष्य मनन, चिन्तन द्वारा परीक्षा करके, बुद्धि से अनेक बार निश्चय करके, सुनकर, देखकर और समझकरके मेधावी लोगों के साथ मित्रता करे।
यथा काष्ठं च काष्ठं च समेयातां महार्णवे।
समेत्य च व्यपेयातां कालमासाद्य क´्चन।।
एवं भार्या च पुत्राश्च ज्ञातयश्च वसूनि च।
समेत्य व्यवधावन्ति ध्रुवो येषां विनाभवः।।
= जैसे महासागर में दो काष्ठ इकट्ठे हो जाएं, ऐसे ही पत्नी, पुत्र, बन्धु-बान्धव और धन-सम्पत्ति ये सब हमारे साथ इकट्ठे होकर फिर हमसे दूर हो जाते हैं, क्योंकि इन सबका दूर होना अवश्य ही निश्चित होता है।
सन्तोषं परमास्थाय सुखार्थी संयतो भवेत्।
सन्तोषमूलं हि सुखं दुःखमूलं विपर्ययः।।
= सुख इच्छुक मनुष्य सन्तोष को उत्तमता से धारण करके संयम वर्त्ते, क्योंकि सन्तोष ही सुख का मूल है और असन्तोष (तृष्णा) दुःख का कारण है।
सन्त्यज्य हृद्गुहेशानं देवमन्यं प्रयान्ति ये।
ते रत्नमभिवाञ्छन्ति त्यक्त्वा हस्तस्थ कौस्तुभम्।।
= जो लोग हृदयरूपी गुहा में विद्यमान परमेश्वर को छोड़कर दूसरे देवता को ढूंढते फिरते हैं, वे मानो मुट्ठी में पकड़ी हुई मणि को छोड़कर कांच के टुकड़े को इधर-उधर ढूंढते फिरते हैं।
#vakyabhyas
May 19, 2022
२०२० तमे वर्षे
Friend :- What's special on Feb 14 ?
Friend 2 :- You have a wife or a lover ?
Friend :- I have a wife.
Friend:- if so its durgashtami for you.
#hasya
Friend :- What's special on Feb 14 ?
Friend 2 :- You have a wife or a lover ?
Friend :- I have a wife.
Friend:- if so its durgashtami for you.
#hasya
May 19, 2022
May 19, 2022
🍃
♦️anye tvevamajaanantaH shrutvaa'nyebhya upaasate|
te'pi chaatitarantyeva mRRityuM shrutiparaayaNaaH
⚜Others also, not knowing thus, worship, having heard of It from others; they, too, cross beyond death, regarding what they have heard as the Supreme refuge. (13.26)
⚜परन्तु अन्य लोग जो स्वयं इस प्रकार न जानते हुए दूसरों से (आचार्यों से) सुनकर ही उपासना करते हैं वे श्रुतिपरायण (अर्थात् श्रवण ही जिनके लिए परम साधन है) लोग भी मृत्यु को निसन्देह तर जाते हैं।।13.26।।
#geeta
अन्ये त्वेवमजानन्तः श्रुत्वाऽन्येभ्य उपासते।
तेऽपि चातितरन्त्येव मृत्युं श्रुतिपरायणाः
।।13.26।।♦️anye tvevamajaanantaH shrutvaa'nyebhya upaasate|
te'pi chaatitarantyeva mRRityuM shrutiparaayaNaaH
⚜Others also, not knowing thus, worship, having heard of It from others; they, too, cross beyond death, regarding what they have heard as the Supreme refuge. (13.26)
⚜परन्तु अन्य लोग जो स्वयं इस प्रकार न जानते हुए दूसरों से (आचार्यों से) सुनकर ही उपासना करते हैं वे श्रुतिपरायण (अर्थात् श्रवण ही जिनके लिए परम साधन है) लोग भी मृत्यु को निसन्देह तर जाते हैं।।13.26।।
#geeta
May 19, 2022
May 19, 2022
🍃
♦️yaavatsa~njaayate ki~nchitsattvaM sthaavaraja~Ngamam|
kShetrakShetraj~nasaMyogaattadviddhi bharatarShabha
⚜Wherever a being is born, whether unmoving or moving, know thou, O best of the Bharatas (Arjuna), that it is from the union between the field and its knower. (13.27)
⚜हे भरत श्रेष्ठ यावन्मात्र जो कुछ भी स्थावर जंगम (चराचर) वस्तु उत्पन्न होती है? उस सबको तुम क्षेत्र और क्षेत्रज्ञ के संयोग से उत्पन्न हुई जानो।।13.27।।
#geeta
यावत्सञ्जायते किञ्चित्सत्त्वं स्थावरजङ्गमम्।
क्षेत्रक्षेत्रज्ञसंयोगात्तद्विद्धि भरतर्षभ
।।13.27।।♦️yaavatsa~njaayate ki~nchitsattvaM sthaavaraja~Ngamam|
kShetrakShetraj~nasaMyogaattadviddhi bharatarShabha
⚜Wherever a being is born, whether unmoving or moving, know thou, O best of the Bharatas (Arjuna), that it is from the union between the field and its knower. (13.27)
⚜हे भरत श्रेष्ठ यावन्मात्र जो कुछ भी स्थावर जंगम (चराचर) वस्तु उत्पन्न होती है? उस सबको तुम क्षेत्र और क्षेत्रज्ञ के संयोग से उत्पन्न हुई जानो।।13.27।।
#geeta
May 19, 2022
🚩जय सत्य सनातन 🚩
🚩आज की हिंदी तिथि
🌥️ 🚩युगाब्द - ५१२४
🌥️ 🚩विक्रम संवत - २०७९
⛅ 🚩तिथि - पंचमी शाम 05:28 तक तत्पश्चात षष्टी
⛅ दिनांक - 20 मई 2022
⛅ दिन - शुक्रवार
⛅ विक्रम संवत - 2079
⛅ शक संवत - 1944
⛅ अयन - उत्तरायण
⛅ ऋतु - ग्रीष्म
⛅ मास - ज्येष्ठ
⛅ पक्ष - कृष्ण
⛅ नक्षत्र - उत्तराषाढ़ा रात्रि 01:18 तक तत्पश्चात श्रवण
⛅ योग - शुभ सुबह 11:25 तक तत्पश्चात शुक्ल
⛅ राहुकाल - सुबह 10:56 से दोपहर 12:36 तक
⛅ सूर्योदय - 05:57
⛅ सूर्यास्त - 07:16
⛅ दिशाशूल - पश्चिम दिशा में
⛅ ब्रह्म मुहूर्त- प्रातः 04:31 से 05:14 तक
🚩आज की हिंदी तिथि
🌥️ 🚩युगाब्द - ५१२४
🌥️ 🚩विक्रम संवत - २०७९
⛅ 🚩तिथि - पंचमी शाम 05:28 तक तत्पश्चात षष्टी
⛅ दिनांक - 20 मई 2022
⛅ दिन - शुक्रवार
⛅ विक्रम संवत - 2079
⛅ शक संवत - 1944
⛅ अयन - उत्तरायण
⛅ ऋतु - ग्रीष्म
⛅ मास - ज्येष्ठ
⛅ पक्ष - कृष्ण
⛅ नक्षत्र - उत्तराषाढ़ा रात्रि 01:18 तक तत्पश्चात श्रवण
⛅ योग - शुभ सुबह 11:25 तक तत्पश्चात शुक्ल
⛅ राहुकाल - सुबह 10:56 से दोपहर 12:36 तक
⛅ सूर्योदय - 05:57
⛅ सूर्यास्त - 07:16
⛅ दिशाशूल - पश्चिम दिशा में
⛅ ब्रह्म मुहूर्त- प्रातः 04:31 से 05:14 तक
May 19, 2022
Forwarded from रामदूतः — The Sanskrit News Platform (Bhavani Raman)
https://youtu.be/D_f19EOW3G8
प्रतिदिनं प्रातः ७:१५ वादने १५ निमेषात्मिकायै वार्तायै डी डी न्यूज् इति पश्यत।
प्रतिदिनं प्रातः ७:१५ वादने १५ निमेषात्मिकायै वार्तायै डी डी न्यूज् इति पश्यत।
YouTube
वार्ता: संस्कृत में समाचार | 20-05-2022
May 19, 2022
🔰चित्रं दृष्ट्वा पञ्चवाक्यानि रचयत।
✍🏼सर्वे टिप्पणीसञ्चिकायां स्वोत्तराणि लेखितुं शक्नुवन्ति अथवा पुस्तिकायां लिखित्वा तस्य चित्रं स्वीकृत्य अपि प्रेषयितुं शक्नुवन्ति।
🗣सहैव तानि वाक्यानि उक्त्वा ध्वनिमाध्यमेन अपि प्रेषयत।
Read in English
हिन्दी में पढें
#chitram
✍🏼सर्वे टिप्पणीसञ्चिकायां स्वोत्तराणि लेखितुं शक्नुवन्ति अथवा पुस्तिकायां लिखित्वा तस्य चित्रं स्वीकृत्य अपि प्रेषयितुं शक्नुवन्ति।
🗣सहैव तानि वाक्यानि उक्त्वा ध्वनिमाध्यमेन अपि प्रेषयत।
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#chitram
May 19, 2022
🍃
अग्निपुराणम्
⚜इस लोक में मनुष्य जन्म मिलना दुर्लभ हैं,
मनुष्य जन्म होके भी विद्या प्राप्त करनेवाले और भी दुर्लभ हैं।
उनमें भी चरित्रवान मनुष्य मिलना दुर्लभ है और
उनमें भी विनम्र मनुष्य मिलना और भी कठिन हैं।
🔅अस्मिन् लोके मनुष्यजन्म दुर्लभं भवति तत्रापि मनुष्यजन्मनि विद्याप्राप्तिः दुर्लभतरा भवति। तत्र च उत्तमचरित्रयुक्तः दुर्लभः तेषु अपि विनम्रता तु कस्मिंश्चित् एव भवति।
#Subhashitam
नरत्वं दुर्लभं लोके विद्या तत्र सुदुर्लभा।
शीलं च दुर्लभं तत्र विनयस्तत्र सुदुर्लभः
॥ अग्निपुराणम्
⚜इस लोक में मनुष्य जन्म मिलना दुर्लभ हैं,
मनुष्य जन्म होके भी विद्या प्राप्त करनेवाले और भी दुर्लभ हैं।
उनमें भी चरित्रवान मनुष्य मिलना दुर्लभ है और
उनमें भी विनम्र मनुष्य मिलना और भी कठिन हैं।
🔅अस्मिन् लोके मनुष्यजन्म दुर्लभं भवति तत्रापि मनुष्यजन्मनि विद्याप्राप्तिः दुर्लभतरा भवति। तत्र च उत्तमचरित्रयुक्तः दुर्लभः तेषु अपि विनम्रता तु कस्मिंश्चित् एव भवति।
#Subhashitam
May 19, 2022
May 20, 2022
बालाः ________ प्रकाशे ______ कुर्वन्ति।
Anonymous Quiz
71%
सिक्थवर्तिकायाः, पठनं
14%
सिक्थकस्य, पठनं
4%
धूमवर्तिकायाः, पाठनं
12%
सिक्थवर्तिकायाः, पाठनं
May 20, 2022
संस्कृत संवादः । Sanskrit Samvadah
अतिथिर्यस्य
भग्नाशो गृहात्प्रति निवर्त्तते। स दत्त्वा दुष्कृतं तस्मै पुण्यमादाय
गच्छति।। = जिस गृहस्थ के घर से आया हुआ अतिथि बिना भोजनादि की आशा
पूरी किए खाली लौट जाता है, वह अतिथि उस गृहस्थ को अपने दुष्कर्म देकर और
उस गृहस्थ के सत्कर्म लेकर चला जाता है।…
मृतं शरीर मृत्सज्य काष्ठलोष्ठसमं क्षितौ।
विमुखा बान्धवा यान्ति धर्मस्तमनुगच्छति।।
= बन्धु-बान्धव निर्जीव शरीर को लकड़ी और मिट्टी के ढेले के समान भूमि पर छोड़कर परांगमुख होकर चले जाते हैं, एक धर्म ही उसके साथ जाता है।
इन्द्रियाणि च संयम्य बकवत् पण्डितो नरः।
देशकालबलं ज्ञात्वा सर्वकार्याणि साधयेत्।।
= बुद्धिमान मनुष्य को चाहिए कि अपने इन्द्रियों को वश में और चित्त को एकाग्र करके तथा देश, काल और अपने बल को जानकर बगुले के समान धैर्यपूर्वक अपने सारे कार्यों को सिद्ध करे।
प्रत्युत्थानं च युद्धं च संविभागं च बन्धुषु।
स्वयमाक्रम्य भुक्तं च शिक्षेच्चत्वारि कुक्कुटात्।।
= यथासमय (सूर्यादय से पूर्व) जागना, युद्ध के लिए उद्यत रहना, बन्धुओं को उनका हिस्सा देना और आक्रमण करके भोजन करना इन चार बातों को मुर्गे से सीखना चाहिए।
न वेत्ति यो यस्य गुणप्रकर्षं स तं सदा निन्दति नाऽत्र चित्रम्।
यथा किराती करिकुम्भजाता मुक्ताः परित्यज्य बिभर्त्ति गुञ्जाः।।
= जो जिसके गुणों की श्रेष्ठता को नहीं जानता, वह सदा उसकी निन्दा करता है यह तनिक भी आश्चर्य की बात नहीं है। देखो न ! भीलनी हाथी के मस्तक से उत्पन्न होनेवाले मोतियों को छोड़कर घंुघची की माला को धारण करती है।
हस्तं हस्तेन संपीड्य दन्तैर्दन्तान् विचूर्ण्य च।
अङ्गान्यङ्गैः समाक्रम्य जयेदादौ स्वकं मनः।।
= हाथ को हाथ से भींचकर, दातों को दातों से पीसकर, अंगों को अंगों से आक्रान्त करके अर्थात् प्रबल पुरुषार्थ से सर्वप्रथम मन को जीतना चाहिए।
स्नेहेन तिलवत्सर्वं सर्गचक्रे निपीड्यते।
तिलपीडैरिवाक्रम्य क्लेशैरज्ञानसम्भवैः।।
= तेली लोग तेल के लिए जैसे तिल को कोल्हू में पेलते हैं उसी प्रकार स्नेह के कारण सब लोग अज्ञानजनित क्लेशों द्वारा सृष्टि-चक्र में पिस रहे हैं।
विहाय कामान्यः सर्वान्पुमाँश्चरति निःस्पृहः।
निर्ममो निरहंकारः स शान्तिमधिगच्छति।।
= जो पुरुष सब कामनाओं को त्याग देता है तथा लालसा व ममता से रहित होकर मैं-मेरे की भावना को छोड़कर विचरता है, वह शान्ति को प्राप्त करता है।
अभिसन्धाय तु फलं दम्भार्थमपि चैव यत्।
इज्यते भरतश्रेष्ठ तं यज्ञं विद्धि राजसम्।।
= हे भरतकुल में श्रेष्ठ अर्जुन ! जो यज्ञ = परोपकार किसी फल को लक्ष्य में रखकर अथवा अपने वैभव-ऐश्वर्य प्रदर्शित करने के लिए किया जाता है, उसे राजसिक यज्ञ जान।
यत्तु प्रत्युपकारार्थं फलमुद्दिश्य वा पुनः।
दीयते च परिक्लिष्टं तद्दानं राजसं स्मृतम्।।
= जो दान किसी उपकार के बदले में प्रत्युपकार रूप किया जाता है अथवा भविष्य में किसी लाभ की आशा से दिया जाता है, अथवा जिस दान को करते हुए दानदाता क्लेश-दुःख का अनुभव करता है, उसे राजसिक दान माना जाता है।
अनुबन्धं क्षयं हिंस्यमनवेक्ष्य च पौरुषम्।
मोहादारभ्यते कर्म यत्तत्तामसमुच्यते।।
= जो कर्म क्या परिणाम होगा, क्या हानि हो जाएगी, किस-किस की हिंसा होगी, अपना सामर्थ्य उस काम को करने का है या नहीं, इन सब बातों पर विचार किए बिना मूर्खता से किया जाता है, वह तामस कर्म कहाता है।
यतः प्रवृत्तिर्भूतानां येन सर्वमिदं ततम्।
स्वकर्मणा तमभ्यर्च्य सिद्धिं विन्दन्ति मानवः।।
= जिससे सब प्राणि जन्म लेते हैं, जिससे यह समस्त संसार फैला हुआ है, उस परमात्मा की अपने कर्मों से पूजा करके मनुष्य सिद्धि को प्राप्त कर लेता है।
#vakyabhyas
विमुखा बान्धवा यान्ति धर्मस्तमनुगच्छति।।
= बन्धु-बान्धव निर्जीव शरीर को लकड़ी और मिट्टी के ढेले के समान भूमि पर छोड़कर परांगमुख होकर चले जाते हैं, एक धर्म ही उसके साथ जाता है।
इन्द्रियाणि च संयम्य बकवत् पण्डितो नरः।
देशकालबलं ज्ञात्वा सर्वकार्याणि साधयेत्।।
= बुद्धिमान मनुष्य को चाहिए कि अपने इन्द्रियों को वश में और चित्त को एकाग्र करके तथा देश, काल और अपने बल को जानकर बगुले के समान धैर्यपूर्वक अपने सारे कार्यों को सिद्ध करे।
प्रत्युत्थानं च युद्धं च संविभागं च बन्धुषु।
स्वयमाक्रम्य भुक्तं च शिक्षेच्चत्वारि कुक्कुटात्।।
= यथासमय (सूर्यादय से पूर्व) जागना, युद्ध के लिए उद्यत रहना, बन्धुओं को उनका हिस्सा देना और आक्रमण करके भोजन करना इन चार बातों को मुर्गे से सीखना चाहिए।
न वेत्ति यो यस्य गुणप्रकर्षं स तं सदा निन्दति नाऽत्र चित्रम्।
यथा किराती करिकुम्भजाता मुक्ताः परित्यज्य बिभर्त्ति गुञ्जाः।।
= जो जिसके गुणों की श्रेष्ठता को नहीं जानता, वह सदा उसकी निन्दा करता है यह तनिक भी आश्चर्य की बात नहीं है। देखो न ! भीलनी हाथी के मस्तक से उत्पन्न होनेवाले मोतियों को छोड़कर घंुघची की माला को धारण करती है।
हस्तं हस्तेन संपीड्य दन्तैर्दन्तान् विचूर्ण्य च।
अङ्गान्यङ्गैः समाक्रम्य जयेदादौ स्वकं मनः।।
= हाथ को हाथ से भींचकर, दातों को दातों से पीसकर, अंगों को अंगों से आक्रान्त करके अर्थात् प्रबल पुरुषार्थ से सर्वप्रथम मन को जीतना चाहिए।
स्नेहेन तिलवत्सर्वं सर्गचक्रे निपीड्यते।
तिलपीडैरिवाक्रम्य क्लेशैरज्ञानसम्भवैः।।
= तेली लोग तेल के लिए जैसे तिल को कोल्हू में पेलते हैं उसी प्रकार स्नेह के कारण सब लोग अज्ञानजनित क्लेशों द्वारा सृष्टि-चक्र में पिस रहे हैं।
विहाय कामान्यः सर्वान्पुमाँश्चरति निःस्पृहः।
निर्ममो निरहंकारः स शान्तिमधिगच्छति।।
= जो पुरुष सब कामनाओं को त्याग देता है तथा लालसा व ममता से रहित होकर मैं-मेरे की भावना को छोड़कर विचरता है, वह शान्ति को प्राप्त करता है।
अभिसन्धाय तु फलं दम्भार्थमपि चैव यत्।
इज्यते भरतश्रेष्ठ तं यज्ञं विद्धि राजसम्।।
= हे भरतकुल में श्रेष्ठ अर्जुन ! जो यज्ञ = परोपकार किसी फल को लक्ष्य में रखकर अथवा अपने वैभव-ऐश्वर्य प्रदर्शित करने के लिए किया जाता है, उसे राजसिक यज्ञ जान।
यत्तु प्रत्युपकारार्थं फलमुद्दिश्य वा पुनः।
दीयते च परिक्लिष्टं तद्दानं राजसं स्मृतम्।।
= जो दान किसी उपकार के बदले में प्रत्युपकार रूप किया जाता है अथवा भविष्य में किसी लाभ की आशा से दिया जाता है, अथवा जिस दान को करते हुए दानदाता क्लेश-दुःख का अनुभव करता है, उसे राजसिक दान माना जाता है।
अनुबन्धं क्षयं हिंस्यमनवेक्ष्य च पौरुषम्।
मोहादारभ्यते कर्म यत्तत्तामसमुच्यते।।
= जो कर्म क्या परिणाम होगा, क्या हानि हो जाएगी, किस-किस की हिंसा होगी, अपना सामर्थ्य उस काम को करने का है या नहीं, इन सब बातों पर विचार किए बिना मूर्खता से किया जाता है, वह तामस कर्म कहाता है।
यतः प्रवृत्तिर्भूतानां येन सर्वमिदं ततम्।
स्वकर्मणा तमभ्यर्च्य सिद्धिं विन्दन्ति मानवः।।
= जिससे सब प्राणि जन्म लेते हैं, जिससे यह समस्त संसार फैला हुआ है, उस परमात्मा की अपने कर्मों से पूजा करके मनुष्य सिद्धि को प्राप्त कर लेता है।
#vakyabhyas
May 20, 2022
May 20, 2022
May 20, 2022
Girl in greeting cards shop on Valentine's day.
Girl - Do you have cards written 'you are my only love' ?
Shopkeeper - Yes, Sister.
Girl - Give me 10 such cards.
#hasya
Girl - Do you have cards written 'you are my only love' ?
Shopkeeper - Yes, Sister.
Girl - Give me 10 such cards.
#hasya
May 20, 2022
May 20, 2022
May 20, 2022
🍃
♦️samaM sarveShu bhuuteShu tiShThantaM parameshvaram|
vinashyatsvavinashyantaM yaH pashyati sa pashyati
⚜He sees, who sees the Supreme Lord, existing eally in all beings, the unperishing within the perishing. (13.28)
⚜जो पुरुष समस्त नश्वर भूतों में अनश्वर परमेश्वर को समभाव से स्थित देखता है? वही (वास्तव में) देखता है।।13.28।।
#geeta
समं सर्वेषु भूतेषु तिष्ठन्तं परमेश्वरम्।
विनश्यत्स्वविनश्यन्तं यः पश्यति स पश्यति
।।13.28।।♦️samaM sarveShu bhuuteShu tiShThantaM parameshvaram|
vinashyatsvavinashyantaM yaH pashyati sa pashyati
⚜He sees, who sees the Supreme Lord, existing eally in all beings, the unperishing within the perishing. (13.28)
⚜जो पुरुष समस्त नश्वर भूतों में अनश्वर परमेश्वर को समभाव से स्थित देखता है? वही (वास्तव में) देखता है।।13.28।।
#geeta
May 20, 2022
May 20, 2022
🍃
♦️samaM pashyanhi sarvatra samavasthitamiishvaram|
na hinastyaatmanaa''tmaanaM tato yaati paraaM gatim
⚜Because he who sees the same Lord eally dwelling everywhere does not destroy the Self by the self; he goes to the highest goal. (13.29)
⚜निश्चय ही वह पुरुष सर्वत्र सम भाव से स्थित परमेश्वर को समान हुआ आत्मा (स्वयं) के द्वारा आत्मा (स्वयं) का नाश नहीं करता है इससे वह परम गति को प्राप्त होता है।।13.29।।
#geeta
समं पश्यन्हि सर्वत्र समवस्थितमीश्वरम्।
न हिनस्त्यात्मनाऽऽत्मानं ततो याति परां गतिम्
।।13.29।।♦️samaM pashyanhi sarvatra samavasthitamiishvaram|
na hinastyaatmanaa''tmaanaM tato yaati paraaM gatim
⚜Because he who sees the same Lord eally dwelling everywhere does not destroy the Self by the self; he goes to the highest goal. (13.29)
⚜निश्चय ही वह पुरुष सर्वत्र सम भाव से स्थित परमेश्वर को समान हुआ आत्मा (स्वयं) के द्वारा आत्मा (स्वयं) का नाश नहीं करता है इससे वह परम गति को प्राप्त होता है।।13.29।।
#geeta
May 20, 2022
🚩जय सत्य सनातन 🚩
🚩आज की हिंदी तिथि
🌥 🚩यगाब्द - ५१२४
🌥 🚩विक्रम संवत - २०७९
⛅️ 🚩तिथि - षष्टी दोपहर 02:59 तक तत्पश्चात सप्तमी
⛅️ दिनांक - 21 मई 2022
⛅️ दिन - शनिवार
⛅️ विक्रम संवत - 2079
⛅️ शक संवत - 1944
⛅️ अयन - उत्तरायण
⛅️ ऋतु - ग्रीष्म
⛅️ मास - ज्येष्ठ
⛅️ पक्ष - कृष्ण
⛅️ नक्षत्र - श्रवण रात्रि 11:46 तक तत्पश्चात धनिष्ठा
⛅️ योग - शुक्ल सुबह 08:12 तक तत्पश्चात ब्रह्म 05:22 ( 21मई सुबह )
⛅️ राहुकाल - सुबह 09:16 से 10:56 तक
⛅️ सर्योदय - 05:56
⛅️ सर्यास्त - 07:16
⛅️ दिशाशूल - पूर्व दिशा में
⛅️ बरह्म मुहूर्त- प्रातः 04:31 से 05:14 तक
🚩आज की हिंदी तिथि
🌥 🚩यगाब्द - ५१२४
🌥 🚩विक्रम संवत - २०७९
⛅️ 🚩तिथि - षष्टी दोपहर 02:59 तक तत्पश्चात सप्तमी
⛅️ दिनांक - 21 मई 2022
⛅️ दिन - शनिवार
⛅️ विक्रम संवत - 2079
⛅️ शक संवत - 1944
⛅️ अयन - उत्तरायण
⛅️ ऋतु - ग्रीष्म
⛅️ मास - ज्येष्ठ
⛅️ पक्ष - कृष्ण
⛅️ नक्षत्र - श्रवण रात्रि 11:46 तक तत्पश्चात धनिष्ठा
⛅️ योग - शुक्ल सुबह 08:12 तक तत्पश्चात ब्रह्म 05:22 ( 21मई सुबह )
⛅️ राहुकाल - सुबह 09:16 से 10:56 तक
⛅️ सर्योदय - 05:56
⛅️ सर्यास्त - 07:16
⛅️ दिशाशूल - पूर्व दिशा में
⛅️ बरह्म मुहूर्त- प्रातः 04:31 से 05:14 तक
May 20, 2022
Forwarded from रामदूतः — The Sanskrit News Platform (Bhavani Raman)
https://youtu.be/Lfne6JNDCLI
प्रतिदिनं प्रातः ७:१५ वादने १५ निमेषात्मिकायै वार्तायै डी डी न्यूज् इति पश्यत।
प्रतिदिनं प्रातः ७:१५ वादने १५ निमेषात्मिकायै वार्तायै डी डी न्यूज् इति पश्यत।
YouTube
वार्ता
May 20, 2022
🔰चित्रं दृष्ट्वा पञ्चवाक्यानि रचयत।
✍🏼सर्वे टिप्पणीसञ्चिकायां स्वोत्तराणि लेखितुं शक्नुवन्ति अथवा पुस्तिकायां लिखित्वा तस्य चित्रं स्वीकृत्य अपि प्रेषयितुं शक्नुवन्ति।
🗣सहैव तानि वाक्यानि उक्त्वा ध्वनिमाध्यमेन अपि प्रेषयत।
Read in English
हिन्दी में पढें
#chitram
✍🏼सर्वे टिप्पणीसञ्चिकायां स्वोत्तराणि लेखितुं शक्नुवन्ति अथवा पुस्तिकायां लिखित्वा तस्य चित्रं स्वीकृत्य अपि प्रेषयितुं शक्नुवन्ति।
🗣सहैव तानि वाक्यानि उक्त्वा ध्वनिमाध्यमेन अपि प्रेषयत।
Read in English
हिन्दी में पढें
#chitram
May 20, 2022
🍃
⚜Even without doing anything ignorant people stay restless, while intelligent people stay focused even when working on multiple tasks.
🔅मूर्खः जनः किमपि अकृत्वा अपि सर्वदा श्रान्तः खिन्नः च भवति तथा बहूनि कर्माणि कृत्वा अपि बुद्धिमान् जनः एकाग्रचित्तः निश्श्रान्तः च तिष्ठति।
#Subhashitam
अकुर्वन्नपि संक्षोभाद् व्यग्रः सर्वत्र मूढधीः।
कुर्वन्नपि तु कृत्यानि कुशलो हि निरीकुलः
॥ ⚜Even without doing anything ignorant people stay restless, while intelligent people stay focused even when working on multiple tasks.
🔅मूर्खः जनः किमपि अकृत्वा अपि सर्वदा श्रान्तः खिन्नः च भवति तथा बहूनि कर्माणि कृत्वा अपि बुद्धिमान् जनः एकाग्रचित्तः निश्श्रान्तः च तिष्ठति।
#Subhashitam
May 20, 2022
May 21, 2022
बुद्ध्या विशुद्धया युक्तो धृत्याऽऽत्मानं नियम्य च।
शब्दादीन्विषयांस्त्यक्त्वा रागद्वेषौ व्युदस्य च।।
= विशुद्ध बुद्धि से युक्त होकर, अपने आप को धैर्यपूर्वक संयम में रखकर, शब्द आदि इन्द्रियों के विषयों का त्यागकर, राग और द्वेष को नष्ट करके (व्यक्ति ज्ञान की पराकाष्ठा को प्राप्त कर लेता है)।
अहङ्कारं बलं दर्पं कामं क्रोधं परिग्रहम्।
विमुच्य निर्मर्मः शान्तो ब्रह्मभूयाय कल्पते।
= अहंकार, बल, अभिमान, काम, क्रोध और धन-सम्पत्ति को छोड़कर ममता से (मै-मेरे की भावना से) रहित होकर जो मन को नियन्त्रित कर लेता है, वह ब्रह्म प्राप्त करने के योग्य हो जाता है।
चेतसा सर्वकर्माणि मयि संन्यस्य मत्परः।
बुद्धियोगमुपाश्रित्य मच्चितः सततं भव।।
= अपने चित्त से सब कर्मों को मुझे समर्पित करके मुझे ही अपना लक्ष्य समझता हुआ, समाधि का आश्रय लेकर अपने चित्त को निरन्तर मुझमें लगाए रख।
सत्त्वं सुखे संजयति रजः कर्मणि भारत।
ज्ञानमावृत्य तु तमः प्रमादे स´्जयत्युत।।
= हे भारत ! (अर्जुन) सत्त्वगुण मनुष्य को सुख में, रजोगुण कर्म में और तमोगुण ज्ञान को ढककर प्रमाद में लगा देता है।
श्रोत्रं चक्षुः स्पर्शनं च रसनं घ्राणमेव च।
अधिष्ठाय मनश्चायं विषयानुपसेवते।।
= आत्मा कान, आंख, त्वचा, जीभ, नाक और मन का आश्रय लेकर विषयों का सेवन करता है।
उत्क्षिप्य टिट्टिभः पादावास्ते भङ्गभयाद्दिवः।
स्वचित्तकल्पितो गर्वः कस्य नात्रापि विद्यते।।
= आकाश कहीं हमारे ऊपर टूटकर न गिर पड़े इस भय से टिड्डा अपने पैरों को आकाश की ओर ऊपर उठाकर सोता है। भला इस संसार में किसे अपने चित्त से कल्पना किया हुआ अभिमान नहीं होता ?
महान्तमप्यर्थमधर्मयुक्तं यः संत्यजत्यनपाकृष्ट एव।
सुखं सुदुःखान्यवमुच्य शेते जीर्णां त्वचं सर्प इवावमुच्य।।
= जो पुरुष अधर्मयुक्त महान धनराशि को उसकी ओर आकृष्ट न होता हुआ छोड़ देता है, वह जैसे सर्प जीर्ण त्वचा (कैंचुली) को त्यागकर सुखी होता है, उसी प्रकार भारी दुःखों से छूटकर सुख को प्राप्त होता है।
उत्सृज्य विनिवर्तन्ते ज्ञातयः सुहृदः सुताः।
अपुष्पानफलान् वृक्षान् यथा तात पतत्रिणः।।
= हे तात ! सम्बन्धी, माता, पिता, मित्र, पुत्रादि सभी (मृत पुरुष को जंगल/स्मशान में) छोड़कर उसी प्रकार वापस आ जाते हैं, जैसे पुष्प और फल से रहित वृक्ष को पक्षी छोड़ जाते हैं।
अधीत्य वेदान् परिसंस्तीर्य चाग्नीनिष्ट्वा यज्ञैः पालयित्वा प्रजाश्च।
गोब्राह्मणार्थं शस्त्रपूतान्तरात्मा हतः संग्रामे क्षत्रियः स्वर्गमेति।।
= जो क्षत्रिय वेदों को पढ़कर, अग्नि (=वेदी) को कुशा से आच्छादित कर (पवित्र कर), यज्ञ करके, प्रजा का पालन करके, शस्त्र (के आघात = प्रहारों) से पवित्र आत्मावाला संग्राम में मारा गया, स्वर्ग = कल्याण को प्राप्त करता है।
वैश्योऽधीत्य ब्राह्मणान् क्षत्रियांश्च धनैः काले संविभज्याश्रितांश्च।
त्रेतापूतं धूममाघ्राय पुण्यं प्रेत्य स्वर्गे दिव्यसुखानि भुङ्क्ते।।
= जो वैश्य वेदों को यथाविधि पढ़कर समयानुसार ब्राह्मण, क्षत्रिय, और अपने आश्रित्य भृत्यवर्ग को धन बांटकर, तीन अग्नियों से (माता-पिता-आचार्य) उठे हुए पवित्र धूम को सूंघकर (से प्राप्त शिक्षा से शिक्षित होकर) मरता है, वह मृत्यु के बाद स्वर्ग लोक में उत्तम सुखों को भोगता है।
#vakyabhyas
शब्दादीन्विषयांस्त्यक्त्वा रागद्वेषौ व्युदस्य च।।
= विशुद्ध बुद्धि से युक्त होकर, अपने आप को धैर्यपूर्वक संयम में रखकर, शब्द आदि इन्द्रियों के विषयों का त्यागकर, राग और द्वेष को नष्ट करके (व्यक्ति ज्ञान की पराकाष्ठा को प्राप्त कर लेता है)।
अहङ्कारं बलं दर्पं कामं क्रोधं परिग्रहम्।
विमुच्य निर्मर्मः शान्तो ब्रह्मभूयाय कल्पते।
= अहंकार, बल, अभिमान, काम, क्रोध और धन-सम्पत्ति को छोड़कर ममता से (मै-मेरे की भावना से) रहित होकर जो मन को नियन्त्रित कर लेता है, वह ब्रह्म प्राप्त करने के योग्य हो जाता है।
चेतसा सर्वकर्माणि मयि संन्यस्य मत्परः।
बुद्धियोगमुपाश्रित्य मच्चितः सततं भव।।
= अपने चित्त से सब कर्मों को मुझे समर्पित करके मुझे ही अपना लक्ष्य समझता हुआ, समाधि का आश्रय लेकर अपने चित्त को निरन्तर मुझमें लगाए रख।
सत्त्वं सुखे संजयति रजः कर्मणि भारत।
ज्ञानमावृत्य तु तमः प्रमादे स´्जयत्युत।।
= हे भारत ! (अर्जुन) सत्त्वगुण मनुष्य को सुख में, रजोगुण कर्म में और तमोगुण ज्ञान को ढककर प्रमाद में लगा देता है।
श्रोत्रं चक्षुः स्पर्शनं च रसनं घ्राणमेव च।
अधिष्ठाय मनश्चायं विषयानुपसेवते।।
= आत्मा कान, आंख, त्वचा, जीभ, नाक और मन का आश्रय लेकर विषयों का सेवन करता है।
उत्क्षिप्य टिट्टिभः पादावास्ते भङ्गभयाद्दिवः।
स्वचित्तकल्पितो गर्वः कस्य नात्रापि विद्यते।।
= आकाश कहीं हमारे ऊपर टूटकर न गिर पड़े इस भय से टिड्डा अपने पैरों को आकाश की ओर ऊपर उठाकर सोता है। भला इस संसार में किसे अपने चित्त से कल्पना किया हुआ अभिमान नहीं होता ?
महान्तमप्यर्थमधर्मयुक्तं यः संत्यजत्यनपाकृष्ट एव।
सुखं सुदुःखान्यवमुच्य शेते जीर्णां त्वचं सर्प इवावमुच्य।।
= जो पुरुष अधर्मयुक्त महान धनराशि को उसकी ओर आकृष्ट न होता हुआ छोड़ देता है, वह जैसे सर्प जीर्ण त्वचा (कैंचुली) को त्यागकर सुखी होता है, उसी प्रकार भारी दुःखों से छूटकर सुख को प्राप्त होता है।
उत्सृज्य विनिवर्तन्ते ज्ञातयः सुहृदः सुताः।
अपुष्पानफलान् वृक्षान् यथा तात पतत्रिणः।।
= हे तात ! सम्बन्धी, माता, पिता, मित्र, पुत्रादि सभी (मृत पुरुष को जंगल/स्मशान में) छोड़कर उसी प्रकार वापस आ जाते हैं, जैसे पुष्प और फल से रहित वृक्ष को पक्षी छोड़ जाते हैं।
अधीत्य वेदान् परिसंस्तीर्य चाग्नीनिष्ट्वा यज्ञैः पालयित्वा प्रजाश्च।
गोब्राह्मणार्थं शस्त्रपूतान्तरात्मा हतः संग्रामे क्षत्रियः स्वर्गमेति।।
= जो क्षत्रिय वेदों को पढ़कर, अग्नि (=वेदी) को कुशा से आच्छादित कर (पवित्र कर), यज्ञ करके, प्रजा का पालन करके, शस्त्र (के आघात = प्रहारों) से पवित्र आत्मावाला संग्राम में मारा गया, स्वर्ग = कल्याण को प्राप्त करता है।
वैश्योऽधीत्य ब्राह्मणान् क्षत्रियांश्च धनैः काले संविभज्याश्रितांश्च।
त्रेतापूतं धूममाघ्राय पुण्यं प्रेत्य स्वर्गे दिव्यसुखानि भुङ्क्ते।।
= जो वैश्य वेदों को यथाविधि पढ़कर समयानुसार ब्राह्मण, क्षत्रिय, और अपने आश्रित्य भृत्यवर्ग को धन बांटकर, तीन अग्नियों से (माता-पिता-आचार्य) उठे हुए पवित्र धूम को सूंघकर (से प्राप्त शिक्षा से शिक्षित होकर) मरता है, वह मृत्यु के बाद स्वर्ग लोक में उत्तम सुखों को भोगता है।
#vakyabhyas
May 21, 2022
May 21, 2022
May 21, 2022
May 21, 2022
May 21, 2022
🍃
♦️prakRRityaiva cha karmaaNi kriyamaaNaani sarvashaH|
yaH pashyati tathaa''tmaanamakartaaraM sa pashyati
⚜He sees, who sees that all actions are performed by Nature alone and that the Self is actionless. (13.30)
⚜जो पुरुष समस्त कर्मों को सर्वश प्रकृति द्वारा ही किये गये देखता है तथा आत्मा को अकर्ता देखता है वही (वास्तव में) देखता है।।13.30।।
#geeta
प्रकृत्यैव च कर्माणि क्रियमाणानि सर्वशः।
यः पश्यति तथाऽऽत्मानमकर्तारं स पश्यति
।।13.30।।♦️prakRRityaiva cha karmaaNi kriyamaaNaani sarvashaH|
yaH pashyati tathaa''tmaanamakartaaraM sa pashyati
⚜He sees, who sees that all actions are performed by Nature alone and that the Self is actionless. (13.30)
⚜जो पुरुष समस्त कर्मों को सर्वश प्रकृति द्वारा ही किये गये देखता है तथा आत्मा को अकर्ता देखता है वही (वास्तव में) देखता है।।13.30।।
#geeta
May 21, 2022
May 21, 2022
🍃
♦️yadaa bhuutapRRithagbhaavamekasthamanupashyati|
tata eva cha vistaaraM brahma sampadyate tadaa
⚜When a man sees the whole variety of beings as resting in the One, and spreading forth from That alone, he then becomes Brahman. (13.31)
⚜यह पुरुष जब भूतों के पृथक् भावों को एक (परमात्मा) में स्थित देखता है तथा उस (परमात्मा) से ही यह विस्तार हुआ जानता है तब वह ब्रह्म को प्राप्त होता है।।13.31।।
#geeta
यदा भूतपृथग्भावमेकस्थमनुपश्यति।
तत एव च विस्तारं ब्रह्म सम्पद्यते तदा
।।13.31।।♦️yadaa bhuutapRRithagbhaavamekasthamanupashyati|
tata eva cha vistaaraM brahma sampadyate tadaa
⚜When a man sees the whole variety of beings as resting in the One, and spreading forth from That alone, he then becomes Brahman. (13.31)
⚜यह पुरुष जब भूतों के पृथक् भावों को एक (परमात्मा) में स्थित देखता है तथा उस (परमात्मा) से ही यह विस्तार हुआ जानता है तब वह ब्रह्म को प्राप्त होता है।।13.31।।
#geeta
May 21, 2022
🚩जय सत्य सनातन 🚩
🚩आज की हिंदी तिथि
🌥 🚩यगाब्द - ५१२४
🌥 🚩विक्रम संवत - २०७९
⛅️ 🚩तिथि - सप्तमी दोपहर 01:00 तक तत्पश्चात अष्टमी
⛅️ दिनांक - 22 मई 2022
⛅️ दिन - रविवार
⛅️ विक्रम संवत - 2079
⛅️ शक संवत - 1944
⛅️ अयन - उत्तरायण
⛅️ ऋतु - ग्रीष्म
⛅️ मास - ज्येष्ठ
⛅️ पक्ष - कृष्ण
⛅️ नक्षत्र - धनिष्ठा रात्रि 10:47 तक तत्पश्चात शतभिषा
⛅️ योग - इन्द्र प्रातः 03:00 तक तत्पश्चात वैधृति
⛅️ राहुकाल - शाम 05:37 से 07:17 तक
⛅️ सर्योदय - 05:56
⛅️ सर्यास्त - 07:17
⛅️ दिशाशूल - पश्चम दिशा में
⛅️ बरह्म मुहूर्त- प्रातः 04:31 से 05:13 तक
🚩आज की हिंदी तिथि
🌥 🚩यगाब्द - ५१२४
🌥 🚩विक्रम संवत - २०७९
⛅️ 🚩तिथि - सप्तमी दोपहर 01:00 तक तत्पश्चात अष्टमी
⛅️ दिनांक - 22 मई 2022
⛅️ दिन - रविवार
⛅️ विक्रम संवत - 2079
⛅️ शक संवत - 1944
⛅️ अयन - उत्तरायण
⛅️ ऋतु - ग्रीष्म
⛅️ मास - ज्येष्ठ
⛅️ पक्ष - कृष्ण
⛅️ नक्षत्र - धनिष्ठा रात्रि 10:47 तक तत्पश्चात शतभिषा
⛅️ योग - इन्द्र प्रातः 03:00 तक तत्पश्चात वैधृति
⛅️ राहुकाल - शाम 05:37 से 07:17 तक
⛅️ सर्योदय - 05:56
⛅️ सर्यास्त - 07:17
⛅️ दिशाशूल - पश्चम दिशा में
⛅️ बरह्म मुहूर्त- प्रातः 04:31 से 05:13 तक
May 21, 2022
Forwarded from रामदूतः — The Sanskrit News Platform (Bhavani Raman)
https://youtu.be/AxrZ5_X8I9s
प्रतिदिनं प्रातः ७:१५ वादने १५ निमेषात्मिकायै वार्तायै डी डी न्यूज् इति पश्यत।
प्रतिदिनं प्रातः ७:१५ वादने १५ निमेषात्मिकायै वार्तायै डी डी न्यूज् इति पश्यत।
YouTube
वार्ता: संस्कृत भाषा में समाचार
May 21, 2022
🔰चित्रं दृष्ट्वा पञ्चवाक्यानि रचयत।
✍🏼सर्वे टिप्पणीसञ्चिकायां स्वोत्तराणि लेखितुं शक्नुवन्ति अथवा पुस्तिकायां लिखित्वा तस्य चित्रं स्वीकृत्य अपि प्रेषयितुं शक्नुवन्ति।
🗣सहैव तानि वाक्यानि उक्त्वा ध्वनिमाध्यमेन अपि प्रेषयत।
Read in English
हिन्दी में पढें
#chitram
✍🏼सर्वे टिप्पणीसञ्चिकायां स्वोत्तराणि लेखितुं शक्नुवन्ति अथवा पुस्तिकायां लिखित्वा तस्य चित्रं स्वीकृत्य अपि प्रेषयितुं शक्नुवन्ति।
🗣सहैव तानि वाक्यानि उक्त्वा ध्वनिमाध्यमेन अपि प्रेषयत।
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#chitram
May 21, 2022
गीतायाः भाषा - प्रथमः भागः
https://learnsamskrit.online/course_details?name/=ODk3MTgxNjY5MzY4
Course Description
Learn Samskrit – the Language of Gita (Level 1)
• This is the first of the 4 levels of ‘Samskrit for Specific Purpose – Gita ’.
• Terminology from Bhagavad Gita is used to teach Primary Level Communicative Samskrit.
• This is taught in simple Samskrit language.
• Please watch videos for first 5 to 10 lessons repeatedly. You will start understanding Samskrit.
• Total videos = 43 Total viewing time =17:00 hours.
• Write all exercises in a separate workbook and verify with “uttaradeepika” provided at the end of book.
Duration 4 Months
Lectures 43
Quizzes 40
Level Beginner
Fee INR 500
Course Requirements :
Knowledge of Devnagari lipiis required. (If you do not know Devanagari lipi, please visit www.samskrittutorial.in& watch videos of Class 1 to 4).
Target Audience :
• Students, People interested in Bhagavad Gita, Management Professionals, Students of Vedanta or any other interested learner.
• These courses are prepared considering that the learner is 16+.
Course Instructions :
1. Listen to first few videos repeatedly. You will grasp Samskrit better every time. After some time, you will be able to understand on the first go.
2. Once listening skills improve, repeat after each sentence. Speak loudly. Focus on the pronunciation of each letter.
3. By the end of this level, you will surely be a good listener & speaker.
4. Please set a specific time for learning.
5. Watching every day (regularly), gives excellent results.
6. Please attempt self-evaluation questions after every video to understand your grasp.
7. Please use CHAT or WhatsApp or email to put your doubts &questions to a teacher.
8. You can take test at the end.
#SanskritEducation
https://learnsamskrit.online/course_details?name/=ODk3MTgxNjY5MzY4
Course Description
Learn Samskrit – the Language of Gita (Level 1)
• This is the first of the 4 levels of ‘Samskrit for Specific Purpose – Gita ’.
• Terminology from Bhagavad Gita is used to teach Primary Level Communicative Samskrit.
• This is taught in simple Samskrit language.
• Please watch videos for first 5 to 10 lessons repeatedly. You will start understanding Samskrit.
• Total videos = 43 Total viewing time =17:00 hours.
• Write all exercises in a separate workbook and verify with “uttaradeepika” provided at the end of book.
Duration 4 Months
Lectures 43
Quizzes 40
Level Beginner
Fee INR 500
Course Requirements :
Knowledge of Devnagari lipiis required. (If you do not know Devanagari lipi, please visit www.samskrittutorial.in& watch videos of Class 1 to 4).
Target Audience :
• Students, People interested in Bhagavad Gita, Management Professionals, Students of Vedanta or any other interested learner.
• These courses are prepared considering that the learner is 16+.
Course Instructions :
1. Listen to first few videos repeatedly. You will grasp Samskrit better every time. After some time, you will be able to understand on the first go.
2. Once listening skills improve, repeat after each sentence. Speak loudly. Focus on the pronunciation of each letter.
3. By the end of this level, you will surely be a good listener & speaker.
4. Please set a specific time for learning.
5. Watching every day (regularly), gives excellent results.
6. Please attempt self-evaluation questions after every video to understand your grasp.
7. Please use CHAT or WhatsApp or email to put your doubts &questions to a teacher.
8. You can take test at the end.
#SanskritEducation
May 21, 2022
🍃
⚜"व्यक्ति को अपनी दानशीलता, तप, शौर्य, विद्वता, सुशीलता व नीतिनिपुणता पर कभी भी अहंकार नहीँ करना चाहिए चूंकि यह धरा शूरों से भरी पड़ी है ।
🔅केनापि कदापि स्वस्य ज्ञानस्य दानस्य शीलतायाः तपसः शौर्यस्य च विषये अहंकारः न करणीयः यतो हि पृथिव्यां बहवः श्रेष्ठजनाः सन्ति।
#Subhashitam
"दाने तपसि शौर्ये च विज्ञाने विनये नये।
विस्मयो न हि कर्तव्यो बहुरत्ना वसुधरा
॥"⚜"व्यक्ति को अपनी दानशीलता, तप, शौर्य, विद्वता, सुशीलता व नीतिनिपुणता पर कभी भी अहंकार नहीँ करना चाहिए चूंकि यह धरा शूरों से भरी पड़ी है ।
🔅केनापि कदापि स्वस्य ज्ञानस्य दानस्य शीलतायाः तपसः शौर्यस्य च विषये अहंकारः न करणीयः यतो हि पृथिव्यां बहवः श्रेष्ठजनाः सन्ति।
#Subhashitam
May 21, 2022
शिशुः रामनाम _______ ________ ।
Anonymous Quiz
12%
श्रुत्वा, मोदताम्
10%
श्रुत्य, मोदते
3%
श्राव्य, मोदेत
75%
श्रुत्वा, मोदते
May 22, 2022
संस्कृत संवादः । Sanskrit Samvadah
बुद्ध्या
विशुद्धया युक्तो धृत्याऽऽत्मानं नियम्य च। शब्दादीन्विषयांस्त्यक्त्वा
रागद्वेषौ व्युदस्य च।। = विशुद्ध बुद्धि से युक्त होकर, अपने आप को
धैर्यपूर्वक संयम में रखकर, शब्द आदि इन्द्रियों के विषयों का त्यागकर, राग
और द्वेष को नष्ट करके (व्यक्ति ज्ञान…
संस्कृतं वद आधुनिको भव।
वेदान् पठ वैज्ञानिको भव।।
पाठ: (40) कृदन्त 7 (क्त्वा + णमुल् प्रत्ययौ) + तुमुन् प्रत्ययाः
(”बार-बार करना“ इस अर्थ में एक ही वाक्य में प्रयुक्त समान = एक कर्त्तावाली दो धातुओं में से पूर्वकालिक धातु से क्त्वा तथा णमुल् प्रत्ययों का प्रयोग होता है। क्त्वा के समान णमुल् प्रत्ययान्त क्रिया शब्द भी अव्यय होता है, अतः सब विभक्तियों में इसके रूप नहीं चलते।)
कूर्दित्वा कूर्दित्वा बालेन खट्वायाः रज्जुः शिथिला कृताः
= कूद-कूद कर बच्चे ने खटिया की रस्सी ढीली कर दी।
कूर्दं कूर्दं बालेन खट्वायाः रज्जुः शिथिला कृता
=कूद-कूद कर बच्चे ने खटिया की रस्सी ढीली कर दी।
अलसो भोजं-भोजं भुक्त्वा-भुक्त्वा वा स्वपिति
= आलसी खा-खाकर सो जाता है।
स्नात्वा-स्नात्वा स्नायं-स्नायं वा महिष्यः ह्रदस्य जलम् मलिनमकार्षुः
= बार-बार नहाकर भैंसों ने तालाब का पानी गंदा कर दिया।
नवजातं शिशुं दृष्ट्वा-दृष्ट्वा दर्शं-दर्शं वा माता मोदते
= नवजात बच्चे को देख-देखकर माता प्रसन्न हो रही है।
पीत्वा-पीत्वा पायं-पायं वा मद्यं मद्यपो भूमौ लुण्ठति
= शराब पी-पीकर शराबी भूमि पर लोट रहा है।
पठित्वा-पठित्वा पाठं-पाठं वा पुस्तकम् उत्पाटितं किन्तु जडमतिर्न उत्तीर्णः
= पढ़-पढ़कर पुस्तक फट गई किन्तु जड़मति उत्तीर्ण न हुआ।
सीमास्थः सैनिकः स्मारं-स्मारं स्मृत्वा-स्मृत्वा वा नवोढां समयं नयति
= सरहद पर तैनात सैनिक दुल्हन को याद कर-करके समय बिता रहा है।
पातं-पातं पतित्वा-पतित्वा वा पुनरुत्थाय बालो चलति
= बार-बार गिरकर पुनः उठकर बालक चलता है।
लिखित्वा-लिखित्वा लेखं-लेखं वा हस्ते पीडा सञ्जाता
= लिख-लिखकर हाथ में दर्द होने लगा।
चलित्वा-चलित्वा चालं-चालं वा पादौ व्रणितौ
= चल-चलकर पैरों में छाले पड़ गए।
मम पितामहो भोजनं चर्वित्वा-चर्वित्वा चर्वं-चर्वं वा खादति स्म
= मेरे दादाजी भोजन चबा-चबाकर खाते थे।
मात्रा वियुक्तो बालो रोदं-रोदं रुदित्वा-रुदित्वा वा श्रान्तः पुनरपि माता न प्राप्ता
= मां से बिछुडा बच्चा रो-रोकर थक गया किन्तु मां नहीं मिली।
आसम्-आसम् आसित्वा-आसित्वा वा श्रान्ता वयं कुत्रापि गन्तव्यमधुना
= बैठ-बैठकर थक गए अब कहीं चलना चाहिए।
वृद्धाश्रमस्था वृद्धा स्थायं-स्थायं स्थित्वा-स्थित्वा वा पुनः चलित्वा किमपि चिन्तयति
= वृद्धाश्रम में स्थित बुढिया रुक-रुककर पुनः चलकर कुछ सोच रही है।
घ्रात्वा-घ्रात्वा घ्रायं-घ्रायं वा भूमिं कुक्कुरः चौरमन्वैष्यत्
= सूंघ-सूंघकर भूमि को कुत्ते ने चोर का पता लगा लिया।
गृहं गत्वा-गत्वा गामं गामं वा विधर्मिणः स्वधर्मप्रचारं कुर्वन्ति
= घरों में जा-जाकर विधर्मी अपने धर्म का प्रचार करते हैं।
सरागो मृत्वा-मृत्वा मारं-मारं वा पुनर्जायते
= रागी व्यक्ति मर-मरके फिर जन्म लेता है।
सुखेष्वपि दुःखं दृष्ट्वा-दृष्ट्वा दर्शं-दर्शं वा विवेकी विरक्तो भवति
= सुखों में भी दुःखों को देख-देखकर विवेकी विरक्त हो जाता है।
तस्य गृहं आगम्य-आगम्य आगामम्-आगामं वा वार्ताकरणं मह्यं न रोचते
= उसका घर बार-बार आकर बातें करना मुझे अच्छा नहीं लगता।
उत्थाय-उत्थाय उत्थायमुत्थायं भवान् किं पश्यति ?
= उठ-उठकर आप क्या देख रहे हैं ?
#vakyabhyas
वेदान् पठ वैज्ञानिको भव।।
पाठ: (40) कृदन्त 7 (क्त्वा + णमुल् प्रत्ययौ) + तुमुन् प्रत्ययाः
(”बार-बार करना“ इस अर्थ में एक ही वाक्य में प्रयुक्त समान = एक कर्त्तावाली दो धातुओं में से पूर्वकालिक धातु से क्त्वा तथा णमुल् प्रत्ययों का प्रयोग होता है। क्त्वा के समान णमुल् प्रत्ययान्त क्रिया शब्द भी अव्यय होता है, अतः सब विभक्तियों में इसके रूप नहीं चलते।)
कूर्दित्वा कूर्दित्वा बालेन खट्वायाः रज्जुः शिथिला कृताः
= कूद-कूद कर बच्चे ने खटिया की रस्सी ढीली कर दी।
कूर्दं कूर्दं बालेन खट्वायाः रज्जुः शिथिला कृता
=कूद-कूद कर बच्चे ने खटिया की रस्सी ढीली कर दी।
अलसो भोजं-भोजं भुक्त्वा-भुक्त्वा वा स्वपिति
= आलसी खा-खाकर सो जाता है।
स्नात्वा-स्नात्वा स्नायं-स्नायं वा महिष्यः ह्रदस्य जलम् मलिनमकार्षुः
= बार-बार नहाकर भैंसों ने तालाब का पानी गंदा कर दिया।
नवजातं शिशुं दृष्ट्वा-दृष्ट्वा दर्शं-दर्शं वा माता मोदते
= नवजात बच्चे को देख-देखकर माता प्रसन्न हो रही है।
पीत्वा-पीत्वा पायं-पायं वा मद्यं मद्यपो भूमौ लुण्ठति
= शराब पी-पीकर शराबी भूमि पर लोट रहा है।
पठित्वा-पठित्वा पाठं-पाठं वा पुस्तकम् उत्पाटितं किन्तु जडमतिर्न उत्तीर्णः
= पढ़-पढ़कर पुस्तक फट गई किन्तु जड़मति उत्तीर्ण न हुआ।
सीमास्थः सैनिकः स्मारं-स्मारं स्मृत्वा-स्मृत्वा वा नवोढां समयं नयति
= सरहद पर तैनात सैनिक दुल्हन को याद कर-करके समय बिता रहा है।
पातं-पातं पतित्वा-पतित्वा वा पुनरुत्थाय बालो चलति
= बार-बार गिरकर पुनः उठकर बालक चलता है।
लिखित्वा-लिखित्वा लेखं-लेखं वा हस्ते पीडा सञ्जाता
= लिख-लिखकर हाथ में दर्द होने लगा।
चलित्वा-चलित्वा चालं-चालं वा पादौ व्रणितौ
= चल-चलकर पैरों में छाले पड़ गए।
मम पितामहो भोजनं चर्वित्वा-चर्वित्वा चर्वं-चर्वं वा खादति स्म
= मेरे दादाजी भोजन चबा-चबाकर खाते थे।
मात्रा वियुक्तो बालो रोदं-रोदं रुदित्वा-रुदित्वा वा श्रान्तः पुनरपि माता न प्राप्ता
= मां से बिछुडा बच्चा रो-रोकर थक गया किन्तु मां नहीं मिली।
आसम्-आसम् आसित्वा-आसित्वा वा श्रान्ता वयं कुत्रापि गन्तव्यमधुना
= बैठ-बैठकर थक गए अब कहीं चलना चाहिए।
वृद्धाश्रमस्था वृद्धा स्थायं-स्थायं स्थित्वा-स्थित्वा वा पुनः चलित्वा किमपि चिन्तयति
= वृद्धाश्रम में स्थित बुढिया रुक-रुककर पुनः चलकर कुछ सोच रही है।
घ्रात्वा-घ्रात्वा घ्रायं-घ्रायं वा भूमिं कुक्कुरः चौरमन्वैष्यत्
= सूंघ-सूंघकर भूमि को कुत्ते ने चोर का पता लगा लिया।
गृहं गत्वा-गत्वा गामं गामं वा विधर्मिणः स्वधर्मप्रचारं कुर्वन्ति
= घरों में जा-जाकर विधर्मी अपने धर्म का प्रचार करते हैं।
सरागो मृत्वा-मृत्वा मारं-मारं वा पुनर्जायते
= रागी व्यक्ति मर-मरके फिर जन्म लेता है।
सुखेष्वपि दुःखं दृष्ट्वा-दृष्ट्वा दर्शं-दर्शं वा विवेकी विरक्तो भवति
= सुखों में भी दुःखों को देख-देखकर विवेकी विरक्त हो जाता है।
तस्य गृहं आगम्य-आगम्य आगामम्-आगामं वा वार्ताकरणं मह्यं न रोचते
= उसका घर बार-बार आकर बातें करना मुझे अच्छा नहीं लगता।
उत्थाय-उत्थाय उत्थायमुत्थायं भवान् किं पश्यति ?
= उठ-उठकर आप क्या देख रहे हैं ?
#vakyabhyas
May 22, 2022
आभारतं
संस्कृतकवीनां संयोजकस्य वैदिकगणस्य संस्थापकस्य
श्रीवत्सदेशराजशर्ममहोदयस्य अद्य जन्मदिनं वर्तते। तस्य कृते ममेयं
शुभाशयकाव्यावली।-
श्रीवत्सदेशराजजन्मदिवसे शुभानुशंसनम्-
पुण्ये हिमाचले क्षेत्रे कश्चिद् दैवज्ञपण्डितः।
देशराजोऽभवद् वत्सो धर्मज्ञो विनयी बुधः॥१
सर्वशास्त्रोपरण्ये यः शार्दूल इव निर्भयः।
सन्ततं चरति प्राज्ञो गुरोराज्ञाप्रसादतः॥२
प्रवासी ब्राह्मणो वन्द्यो देशदेशाटने रतः।
यत्र यत्र स संयाति विद्वद्भिस्तत्र पूज्यते॥३
पौरोहित्ये च निष्णातः कर्मकाण्डधुरन्धरः।
वार्ताहरो गुणी श्रीमान् देशराजो विराजते॥४
दैवज्ञचक्रचूडाख्यो लोकचिन्तामणिप्रभः।
अन्वेषणेन सम्प्राप्तो देशराजो महीयते॥५
ममापि जन्मचक्रं स वीक्ष्य विज्ञानचक्षुषा।
मार्गप्रदर्शनायैव जीवने फलमब्रवीत्॥६
पाराशरे भृगोः सूत्रे बृहज्जातकसञ्चये॥
यदुक्तं चान्यशास्त्रेषु प्रज्ञायां तेन रक्षितः॥७
संस्कृतोत्थानकार्येषु प्रवृत्तः कर्मठो वटुः।
विद्वत्सम्मेलनानां च सञ्चालको विशेषतः॥८
प्रवक्ता भूसुराणां स वैदिकाख्यगणाधिपः।
बहुभिर् गुरुभिर्मान्यो देशराजो विचक्षणः॥९
निष्ठया को न मोदेत तस्य संस्कृतसेवया।
शुभे जन्मदिने तस्मात् प्रेषयाम्यनुशंसनम्॥१०
~ कुशाग्र अनिकेतः
श्रीवत्सदेशराजजन्मदिवसे शुभानुशंसनम्-
पुण्ये हिमाचले क्षेत्रे कश्चिद् दैवज्ञपण्डितः।
देशराजोऽभवद् वत्सो धर्मज्ञो विनयी बुधः॥१
सर्वशास्त्रोपरण्ये यः शार्दूल इव निर्भयः।
सन्ततं चरति प्राज्ञो गुरोराज्ञाप्रसादतः॥२
प्रवासी ब्राह्मणो वन्द्यो देशदेशाटने रतः।
यत्र यत्र स संयाति विद्वद्भिस्तत्र पूज्यते॥३
पौरोहित्ये च निष्णातः कर्मकाण्डधुरन्धरः।
वार्ताहरो गुणी श्रीमान् देशराजो विराजते॥४
दैवज्ञचक्रचूडाख्यो लोकचिन्तामणिप्रभः।
अन्वेषणेन सम्प्राप्तो देशराजो महीयते॥५
ममापि जन्मचक्रं स वीक्ष्य विज्ञानचक्षुषा।
मार्गप्रदर्शनायैव जीवने फलमब्रवीत्॥६
पाराशरे भृगोः सूत्रे बृहज्जातकसञ्चये॥
यदुक्तं चान्यशास्त्रेषु प्रज्ञायां तेन रक्षितः॥७
संस्कृतोत्थानकार्येषु प्रवृत्तः कर्मठो वटुः।
विद्वत्सम्मेलनानां च सञ्चालको विशेषतः॥८
प्रवक्ता भूसुराणां स वैदिकाख्यगणाधिपः।
बहुभिर् गुरुभिर्मान्यो देशराजो विचक्षणः॥९
निष्ठया को न मोदेत तस्य संस्कृतसेवया।
शुभे जन्मदिने तस्मात् प्रेषयाम्यनुशंसनम्॥१०
~ कुशाग्र अनिकेतः
May 22, 2022
May 22, 2022
उत्तिष्ठ गृहगोधिका, स्वस्य वर्णपरिवर्तनस्य समयः आगतः अस्ति।
ज्ञानवापी इत्यस्य स्थाने विद्यालयस्य निर्माणाय चिकित्सालयस्य च निर्माणाय पुनरावेदनं करणीयं भवेत्।
#hasya
ज्ञानवापी इत्यस्य स्थाने विद्यालयस्य निर्माणाय चिकित्सालयस्य च निर्माणाय पुनरावेदनं करणीयं भवेत्।
#hasya
May 22, 2022
May 22, 2022
🍃
♦️anaaditvaannirguNatvaatparamaatmaayamavyayaH|
shariirastho'pi kaunteya na karoti na lipyate
⚜Being without beginning and being devoid of (any) alities, the Supreme Self, imperishable, though dwelling in the body, O Arjuna, neither acts nor is tainted. (13.32)
⚜हे कौन्तेय अनादि और निर्गुण होने से यह परमात्मा अव्यय है। शरीर में स्थित हुआ भी वस्तुत: वह न (कर्म) करता है और न (फलों से) लिप्त होता है।।13.32।।
#geeta
अनादित्वान्निर्गुणत्वात्परमात्मायमव्ययः।
शरीरस्थोऽपि कौन्तेय न करोति न लिप्यते
।।13.32।।♦️anaaditvaannirguNatvaatparamaatmaayamavyayaH|
shariirastho'pi kaunteya na karoti na lipyate
⚜Being without beginning and being devoid of (any) alities, the Supreme Self, imperishable, though dwelling in the body, O Arjuna, neither acts nor is tainted. (13.32)
⚜हे कौन्तेय अनादि और निर्गुण होने से यह परमात्मा अव्यय है। शरीर में स्थित हुआ भी वस्तुत: वह न (कर्म) करता है और न (फलों से) लिप्त होता है।।13.32।।
#geeta
May 22, 2022
May 22, 2022
🍃
♦️yathaa sarvagataM saukShmyaadaakaashaM nopalipyate|
sarvatraavasthito dehe tathaa''tmaa nopalipyate
⚜As the all-pervading ether is not tainted, because of its subtlety, so the Self seated everywhere in the body is not tainted.(13.33)
⚜जिस प्रकार सर्वगत आकाश सूक्ष्म होने के कारण लिप्त नहीं होता उसी प्रकार सर्वत्र देह में स्थित आत्मा लिप्त नहीं होता।।13.33।।
#geeta
यथा सर्वगतं सौक्ष्म्यादाकाशं नोपलिप्यते।
सर्वत्रावस्थितो देहे तथाऽऽत्मा नोपलिप्यते
।।13.33।।♦️yathaa sarvagataM saukShmyaadaakaashaM nopalipyate|
sarvatraavasthito dehe tathaa''tmaa nopalipyate
⚜As the all-pervading ether is not tainted, because of its subtlety, so the Self seated everywhere in the body is not tainted.(13.33)
⚜जिस प्रकार सर्वगत आकाश सूक्ष्म होने के कारण लिप्त नहीं होता उसी प्रकार सर्वत्र देह में स्थित आत्मा लिप्त नहीं होता।।13.33।।
#geeta
May 22, 2022
Forwarded from रामदूतः — The Sanskrit News Platform (Bhavani Raman)
प्रशासक समिति ✊🚩
🚩जय सत्य सनातन
🚩आज की हिंदी तिथि
🌥️ 🚩युगाब्द - ५१२४
🌥️ 🚩विक्रम संवत - २०७९
⛅ 🚩तिथि - अष्टमी सुबह 11:34 तक तत्पश्चात नवमी
⛅ दिनांक - 23 मई 2022
⛅ दिन - सोमवार
⛅ विक्रम संवत - 2079
⛅ शक संवत - 1944
⛅ अयन - उत्तरायण
⛅ ऋतु - ग्रीष्म
⛅ मास - ज्येष्ठ
⛅ पक्ष - कृष्ण
⛅ नक्षत्र - शतभिषा रात्रि 10:22 तक तत्पश्चात पूर्वभाद्रपद
⛅ योग - वैधृति रात्रि 01:06 तक तत्पश्चात विष्कम्भ
⛅ राहुकाल - सुबह 07:36 से 09:16 तक
⛅ सूर्योदय - 05:56
⛅ सूर्यास्त - 07:17
⛅ दिशाशूल - पूर्व दिशा में
⛅ ब्रह्म मुहूर्त- प्रातः 04:31 से 05:13 तक
🚩जय सत्य सनातन
🚩आज की हिंदी तिथि
🌥️ 🚩युगाब्द - ५१२४
🌥️ 🚩विक्रम संवत - २०७९
⛅ 🚩तिथि - अष्टमी सुबह 11:34 तक तत्पश्चात नवमी
⛅ दिनांक - 23 मई 2022
⛅ दिन - सोमवार
⛅ विक्रम संवत - 2079
⛅ शक संवत - 1944
⛅ अयन - उत्तरायण
⛅ ऋतु - ग्रीष्म
⛅ मास - ज्येष्ठ
⛅ पक्ष - कृष्ण
⛅ नक्षत्र - शतभिषा रात्रि 10:22 तक तत्पश्चात पूर्वभाद्रपद
⛅ योग - वैधृति रात्रि 01:06 तक तत्पश्चात विष्कम्भ
⛅ राहुकाल - सुबह 07:36 से 09:16 तक
⛅ सूर्योदय - 05:56
⛅ सूर्यास्त - 07:17
⛅ दिशाशूल - पूर्व दिशा में
⛅ ब्रह्म मुहूर्त- प्रातः 04:31 से 05:13 तक
May 22, 2022
Forwarded from रामदूतः — The Sanskrit News Platform (Bhavani Raman)
https://m.youtube.com/watch?v=uRLuuDxfgLM
प्रतिदिनं प्रातः ७:१५ वादने १५ निमेषात्मिकायै वार्तायै डी डी न्यूज् इति पश्यत।
प्रतिदिनं प्रातः ७:१५ वादने १५ निमेषात्मिकायै वार्तायै डी डी न्यूज् इति पश्यत।
YouTube
वार्ता: संस्कृत में समाचार | पीएम मोदी का टोक्यो में भारतीय समुदाय ने किया ज़ोरदार स्वागत
May 22, 2022
SB Course Profile - IGCSE Sanskrit 2022-23.pdf
228 KB
SB Course Profile - IGCSE Sanskrit 2022-23.pdf
SB Course Profile - Sanskrit for Beginners 2022-23.pdf
220.6 KB
SB Course Profile - Sanskrit for Beginners 2022-23.pdf
Sanskrut Bhakti Course Flyer 2022-23.pdf
241.9 KB
Sanskrut Bhakti Course Flyer 2022-23.pdf
May 22, 2022
🔰चित्रं दृष्ट्वा पञ्चवाक्यानि रचयत।
✍🏼सर्वे टिप्पणीसञ्चिकायां स्वोत्तराणि लेखितुं शक्नुवन्ति अथवा पुस्तिकायां लिखित्वा तस्य चित्रं स्वीकृत्य अपि प्रेषयितुं शक्नुवन्ति।
🗣सहैव तानि वाक्यानि उक्त्वा ध्वनिमाध्यमेन अपि प्रेषयत।
Read in English
हिन्दी में पढें
#chitram
✍🏼सर्वे टिप्पणीसञ्चिकायां स्वोत्तराणि लेखितुं शक्नुवन्ति अथवा पुस्तिकायां लिखित्वा तस्य चित्रं स्वीकृत्य अपि प्रेषयितुं शक्नुवन्ति।
🗣सहैव तानि वाक्यानि उक्त्वा ध्वनिमाध्यमेन अपि प्रेषयत।
Read in English
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#chitram
May 22, 2022
🍃
-मनुस्मृतिः 2.113
⚜A wise person should not teach w/o being asked for knowledge. One must never teach/answer when the question is not posed with correct intentions(out of arrogance etc.) In the absence of genuine intent of the questioner, may a wise person even if knowing everything behave as if stupid in this world.
🔅विद्वान् व्यक्तिः तावत् न वदति तावत् कोऽपि तं न पृच्छति तदापि न वदति यदा कोऽपि अन्यायेन(अनुचितरीत्या) पृच्छति, सः सर्वं जानन् अपि मूढवत् आचरणं करोति।
#Subhashitam
नापृष्टः कस्यचिद्-ब्रूयात्,न चान्यायेन पृच्छतः।
जानन्नपि हि मेधावी, जडवल्लोक आचरेत्
॥ -मनुस्मृतिः 2.113
⚜A wise person should not teach w/o being asked for knowledge. One must never teach/answer when the question is not posed with correct intentions(out of arrogance etc.) In the absence of genuine intent of the questioner, may a wise person even if knowing everything behave as if stupid in this world.
🔅विद्वान् व्यक्तिः तावत् न वदति तावत् कोऽपि तं न पृच्छति तदापि न वदति यदा कोऽपि अन्यायेन(अनुचितरीत्या) पृच्छति, सः सर्वं जानन् अपि मूढवत् आचरणं करोति।
#Subhashitam
May 22, 2022
May 23, 2022
बालाः ______ आनन्देन ________।
Anonymous Quiz
20%
दोलया, दुलन्ति
51%
दोलया, दोलयन्ति
23%
दोलेन, दोलायन्ति
7%
वाहिन्या, दुलन्ति
May 23, 2022
May 23, 2022
May 23, 2022
संस्कृत संवादः । Sanskrit Samvadah
संस्कृतं
वद आधुनिको भव। वेदान् पठ वैज्ञानिको भव।। पाठ: (40) कृदन्त 7 (क्त्वा +
णमुल् प्रत्ययौ) + तुमुन् प्रत्ययाः (”बार-बार करना“ इस अर्थ में एक ही
वाक्य में प्रयुक्त समान = एक कर्त्तावाली दो धातुओं में से पूर्वकालिक
धातु से क्त्वा तथा णमुल् प्रत्ययों का…
तुमुन् प्रत्यय
(”के लिए“ अर्थ में एक वाक्य में प्रयुक्त समान कर्तावाली दो या दो से अधिक धातुओं का प्रयोग होने पर पूर्वकालिक धातु/धातुओं से तुमुन् प्रत्यय का प्रयोग होता है। तुमुनान्त क्रियावाची शब्द भी अव्यय होने से सभी विभक्तियों में इसके रूप नहीं चलते। अर्ह तथा शक् धातुओं के साथ भी तुमुन् प्रत्यय का प्रयोग होता है।)
भोक्तुं बालो गृहं व्रजति
= खाने के लिए बच्चा घर जा रहा है।
चिकित्सालये गहनचिकित्साप्रकोष्ठे (आय.सी.यू.) विद्यमानं स्वकं पितरं द्रष्टुं स आकुली भवति
= अस्पताल में गहन चिकित्सा कक्ष में विद्यमान अपने पिता को देखने के लिए वह व्याकुल हो रहा है।
भोजनार्थं घण्टिका निनादिता, भोक्तुं गच्छामि
= भोजन की घण्टी बज गई है, खाने के लिए जा रहा/रही हूं।
सुखेन जीवितुं स्वाधीनं राष्ट्रं स्यात्
= सुख से जीने के लिए राष्ट्र स्वाधीन होना चाहिए।
भारतदेशं स्वाधीनं कर्त्तंु प्रयतेमहि
= भारत को स्वाधीन करने के लिए हमें प्रयत्न करना चाहिए।
सम्यक् कार्याणि विधातुं पूर्वं सम्यक् ज्ञानं स्यात्
B= कार्यों को ठीक तरह से करने के लिए पहले सटीक ज्ञान होना चाहिए।
स्व-संस्कृतिं रक्षितुं सर्वे जाग्रतु
= अपनी संस्कृति की रक्षा के लिए सभी जागृत होवें।
स्वराष्ट्रं निर्मातुं जात्याग्रहं त्यजेत्
= स्वराज्य के निर्माण के लिए जातिवाद का त्याग करना चाहिए।
स्वाम्याज्ञां विना समर्थः सेवकोऽपि किं कर्त्तुमर्हति
= स्वामी के आदेश के बिना समर्थ सेवक भी क्या कर सकता है ?
व्यस्ते जीवने जनानां समीपे पर्यटितुं कालोऽस्ति, किन्तु धर्मं ज्ञातुं नास्ति
= व्यस्त जीवन में भी लोगों के पास घूमने-फिरने के लिए तो समय है पर धर्म को जानने के लिए नहीं है।
स्वसंस्कृतिम् उन्नेतुं गुरुकुलानि सर्वथा आवश्यकानि
= अपनी संस्कृति के उत्थान के लिए गुरुकुल व्यवस्था नितान्त आवश्यक है।
बालकान् गुरुकुलं प्रेषयितुमद्यापि जनाः उत्सुकाः सन्ति, किन्तु न स्वबालान्
= गुरुकुल में बच्चों को भेजने के लिए आज भी लोग उत्सुक हैं, किन्तु अपने बच्चों को छोड़कर।
अद्यत्वे सर्वे केवलं धनं प्राप्तुमेवाऽधीयते
= आजकल सब धनप्राप्ति के लिए ही पढ़ते हैं।
महदाश्चर्यमेतत् आध्यात्मिकज्ञानरूपां नावं विना दुःखसागरं तरितुमिच्छति
= बहुत आश्चर्य की बात है आध्यात्मिक ज्ञानरूपी नाव के बिना दुःखसागर पार करना चाहते हैं।
छिन्नपक्षः पुरुषार्थशतेनाऽपि उड्डयितुं न समर्थः पंखकटा
= पक्षी लाख कोशिश करने पर भी उड़ने में समर्थ नहीं होता।
विशाखं वृक्षं क आश्रयितुं वा´्छति ?
= विना शाखा के पेड़ का आश्रय कौन लेना चाहता है ?
कृपया उपवेष्टुं कि´्चित स्थानं दद्यात्
= कृपा करके बैठने के लिए थोड़ा स्थान दीजिए।
शय्यायां शयितुं मनः कामयते
= मन खाट पर सोने की इच्छा कर रहा है।
सर्वप्रदम् ईश्वरं ध्यातुं कस्यापि समीपे कालो नास्ति
= सबकुछ देनेवाले ईश्वर का ध्यान करने के लिए किसी के पास भी समय नहीं है।
चलितुं शिक्षमाणः बालः मुहुर्मुहुः पतति
= चलना सीखता हुआ बच्चा बार-बार गिर रहा है।
अविनाशी तु तद्विद्धि येन सर्वमिदं ततम्। विनाशमव्ययस्यास्य न कश्चित्कर्त्तुमर्हति
= उसे तू अविनाशी जान जिसने यह संसार फैलाया है। इस अव्यय = अविनाशी का कोई विनाश नहीं कर सकता।
समर्थं को पराजेतुं शक्नोति ?
= समर्थ को कौन पराजित कर सकता है ?
ईश्वरं तिरस्कर्तुं कः समर्थः ?
= ईश्वर का तिरस्कार अर्थात् उसकी आज्ञा का उल्लंघन कौन कर सकता है ?
#vakyabhyas
(”के लिए“ अर्थ में एक वाक्य में प्रयुक्त समान कर्तावाली दो या दो से अधिक धातुओं का प्रयोग होने पर पूर्वकालिक धातु/धातुओं से तुमुन् प्रत्यय का प्रयोग होता है। तुमुनान्त क्रियावाची शब्द भी अव्यय होने से सभी विभक्तियों में इसके रूप नहीं चलते। अर्ह तथा शक् धातुओं के साथ भी तुमुन् प्रत्यय का प्रयोग होता है।)
भोक्तुं बालो गृहं व्रजति
= खाने के लिए बच्चा घर जा रहा है।
चिकित्सालये गहनचिकित्साप्रकोष्ठे (आय.सी.यू.) विद्यमानं स्वकं पितरं द्रष्टुं स आकुली भवति
= अस्पताल में गहन चिकित्सा कक्ष में विद्यमान अपने पिता को देखने के लिए वह व्याकुल हो रहा है।
भोजनार्थं घण्टिका निनादिता, भोक्तुं गच्छामि
= भोजन की घण्टी बज गई है, खाने के लिए जा रहा/रही हूं।
सुखेन जीवितुं स्वाधीनं राष्ट्रं स्यात्
= सुख से जीने के लिए राष्ट्र स्वाधीन होना चाहिए।
भारतदेशं स्वाधीनं कर्त्तंु प्रयतेमहि
= भारत को स्वाधीन करने के लिए हमें प्रयत्न करना चाहिए।
सम्यक् कार्याणि विधातुं पूर्वं सम्यक् ज्ञानं स्यात्
B= कार्यों को ठीक तरह से करने के लिए पहले सटीक ज्ञान होना चाहिए।
स्व-संस्कृतिं रक्षितुं सर्वे जाग्रतु
= अपनी संस्कृति की रक्षा के लिए सभी जागृत होवें।
स्वराष्ट्रं निर्मातुं जात्याग्रहं त्यजेत्
= स्वराज्य के निर्माण के लिए जातिवाद का त्याग करना चाहिए।
स्वाम्याज्ञां विना समर्थः सेवकोऽपि किं कर्त्तुमर्हति
= स्वामी के आदेश के बिना समर्थ सेवक भी क्या कर सकता है ?
व्यस्ते जीवने जनानां समीपे पर्यटितुं कालोऽस्ति, किन्तु धर्मं ज्ञातुं नास्ति
= व्यस्त जीवन में भी लोगों के पास घूमने-फिरने के लिए तो समय है पर धर्म को जानने के लिए नहीं है।
स्वसंस्कृतिम् उन्नेतुं गुरुकुलानि सर्वथा आवश्यकानि
= अपनी संस्कृति के उत्थान के लिए गुरुकुल व्यवस्था नितान्त आवश्यक है।
बालकान् गुरुकुलं प्रेषयितुमद्यापि जनाः उत्सुकाः सन्ति, किन्तु न स्वबालान्
= गुरुकुल में बच्चों को भेजने के लिए आज भी लोग उत्सुक हैं, किन्तु अपने बच्चों को छोड़कर।
अद्यत्वे सर्वे केवलं धनं प्राप्तुमेवाऽधीयते
= आजकल सब धनप्राप्ति के लिए ही पढ़ते हैं।
महदाश्चर्यमेतत् आध्यात्मिकज्ञानरूपां नावं विना दुःखसागरं तरितुमिच्छति
= बहुत आश्चर्य की बात है आध्यात्मिक ज्ञानरूपी नाव के बिना दुःखसागर पार करना चाहते हैं।
छिन्नपक्षः पुरुषार्थशतेनाऽपि उड्डयितुं न समर्थः पंखकटा
= पक्षी लाख कोशिश करने पर भी उड़ने में समर्थ नहीं होता।
विशाखं वृक्षं क आश्रयितुं वा´्छति ?
= विना शाखा के पेड़ का आश्रय कौन लेना चाहता है ?
कृपया उपवेष्टुं कि´्चित स्थानं दद्यात्
= कृपा करके बैठने के लिए थोड़ा स्थान दीजिए।
शय्यायां शयितुं मनः कामयते
= मन खाट पर सोने की इच्छा कर रहा है।
सर्वप्रदम् ईश्वरं ध्यातुं कस्यापि समीपे कालो नास्ति
= सबकुछ देनेवाले ईश्वर का ध्यान करने के लिए किसी के पास भी समय नहीं है।
चलितुं शिक्षमाणः बालः मुहुर्मुहुः पतति
= चलना सीखता हुआ बच्चा बार-बार गिर रहा है।
अविनाशी तु तद्विद्धि येन सर्वमिदं ततम्। विनाशमव्ययस्यास्य न कश्चित्कर्त्तुमर्हति
= उसे तू अविनाशी जान जिसने यह संसार फैलाया है। इस अव्यय = अविनाशी का कोई विनाश नहीं कर सकता।
समर्थं को पराजेतुं शक्नोति ?
= समर्थ को कौन पराजित कर सकता है ?
ईश्वरं तिरस्कर्तुं कः समर्थः ?
= ईश्वर का तिरस्कार अर्थात् उसकी आज्ञा का उल्लंघन कौन कर सकता है ?
#vakyabhyas
May 23, 2022
May 23, 2022
May 23, 2022
"पादरक्षकाभ्यां विना वयं तु चलितुं शक्नुमः परन्तु अस्माभिः विना पादरक्षके चलितुं न शक्नुतः।"
आत्ममन्थनशिबिरे राहुलस्य एतद् भाषणम्। 😜
#hasya
आत्ममन्थनशिबिरे राहुलस्य एतद् भाषणम्। 😜
#hasya
May 23, 2022
May 23, 2022
🍃
♦️yathaa prakaashayatyekaH kRRitsnaM lokamimaM raviH|
kShetraM kShetrii tathaa kRRitsnaM prakaashayati bhaarata
⚜Just as the one sun illumines the whole world, so also the Lord of the field (Supreme Self) illumines the whole field, O Arjuna.(13.34)
⚜हे भारत जिस प्रकार एक ही सूर्य इस सम्पूर्ण लोक को प्रकाशित करता है उसी प्रकार एक ही क्षेत्री (क्षेत्रज्ञ) सम्पूर्ण क्षेत्र को प्रकाशित करता है।।13.34।।
#geeta
यथा प्रकाशयत्येकः कृत्स्नं लोकमिमं रविः।
क्षेत्रं क्षेत्री तथा कृत्स्नं प्रकाशयति भारत
।।13.34।।♦️yathaa prakaashayatyekaH kRRitsnaM lokamimaM raviH|
kShetraM kShetrii tathaa kRRitsnaM prakaashayati bhaarata
⚜Just as the one sun illumines the whole world, so also the Lord of the field (Supreme Self) illumines the whole field, O Arjuna.(13.34)
⚜हे भारत जिस प्रकार एक ही सूर्य इस सम्पूर्ण लोक को प्रकाशित करता है उसी प्रकार एक ही क्षेत्री (क्षेत्रज्ञ) सम्पूर्ण क्षेत्र को प्रकाशित करता है।।13.34।।
#geeta
May 23, 2022
May 23, 2022
🍃
♦️kShetrakShetraj~nayorevamantaraM j~naanachakShuShaa|
bhuutaprakRRitimokShaM cha ye viduryaanti te param
⚜They who, by the eye of knowledge, perceive the distinction between the field and its knower and also the liberation from the Nature of being, go to the Supreme.(13.35)
⚜इस प्रकार जो पुरुष ज्ञानचक्षु के द्वारा क्षेत्र और क्षेत्रज्ञ के भेद को तथा प्रकृति के विकारों से मोक्ष को जानते हैं वे परम ब्रह्म को प्राप्त होते हैं।।13.35।।
#geeta
क्षेत्रक्षेत्रज्ञयोरेवमन्तरं ज्ञानचक्षुषा।
भूतप्रकृतिमोक्षं च ये विदुर्यान्ति ते परम्
।।13.35।।♦️kShetrakShetraj~nayorevamantaraM j~naanachakShuShaa|
bhuutaprakRRitimokShaM cha ye viduryaanti te param
⚜They who, by the eye of knowledge, perceive the distinction between the field and its knower and also the liberation from the Nature of being, go to the Supreme.(13.35)
⚜इस प्रकार जो पुरुष ज्ञानचक्षु के द्वारा क्षेत्र और क्षेत्रज्ञ के भेद को तथा प्रकृति के विकारों से मोक्ष को जानते हैं वे परम ब्रह्म को प्राप्त होते हैं।।13.35।।
#geeta
May 23, 2022
🚩जय सत्य सनातन 🚩
🚩आज की हिंदी तिथि
🌥 🚩 यगाब्द - ५१२४
🌥 🚩 विक्रम संवत - २०७९
⛅️ 🚩 तिथि - नवमी सुबह 10:45 तक तत्पश्चात दशमी
⛅️ दिनांक - 24 मई 2022
⛅️ दिन - मंगलवार
⛅️ विक्रम संवत - 2079
⛅️ शक संवत - 1944
⛅️ अयन - उत्तरायण
⛅️ ऋतु - ग्रीष्म
⛅️ मास - ज्येष्ठ
⛅️ पक्ष - कृष्ण
⛅️ नक्षत्र - पूर्वभाद्रपद रात्रि 10:33 तक तत्पश्चात उत्तर भाद्रपद
⛅️ राहुकाल - शाम 03:57 से 05:37 तक
⛅️ सर्योदय - 05:56
⛅️ सर्यास्त - 07:18
⛅️ दिशाशूल - उत्तर दिशा में
⛅️ बरह्म मुहूर्त- प्रातः 04:30 से 05:13 तक
🚩आज की हिंदी तिथि
🌥 🚩 यगाब्द - ५१२४
🌥 🚩 विक्रम संवत - २०७९
⛅️ 🚩 तिथि - नवमी सुबह 10:45 तक तत्पश्चात दशमी
⛅️ दिनांक - 24 मई 2022
⛅️ दिन - मंगलवार
⛅️ विक्रम संवत - 2079
⛅️ शक संवत - 1944
⛅️ अयन - उत्तरायण
⛅️ ऋतु - ग्रीष्म
⛅️ मास - ज्येष्ठ
⛅️ पक्ष - कृष्ण
⛅️ नक्षत्र - पूर्वभाद्रपद रात्रि 10:33 तक तत्पश्चात उत्तर भाद्रपद
⛅️ राहुकाल - शाम 03:57 से 05:37 तक
⛅️ सर्योदय - 05:56
⛅️ सर्यास्त - 07:18
⛅️ दिशाशूल - उत्तर दिशा में
⛅️ बरह्म मुहूर्त- प्रातः 04:30 से 05:13 तक
May 23, 2022
🔰चित्रं दृष्ट्वा पञ्चवाक्यानि रचयत।
✍🏼सर्वे टिप्पणीसञ्चिकायां स्वोत्तराणि लेखितुं शक्नुवन्ति अथवा पुस्तिकायां लिखित्वा तस्य चित्रं स्वीकृत्य अपि प्रेषयितुं शक्नुवन्ति।
🗣सहैव तानि वाक्यानि उक्त्वा ध्वनिमाध्यमेन अपि प्रेषयत।
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#chitram
✍🏼सर्वे टिप्पणीसञ्चिकायां स्वोत्तराणि लेखितुं शक्नुवन्ति अथवा पुस्तिकायां लिखित्वा तस्य चित्रं स्वीकृत्य अपि प्रेषयितुं शक्नुवन्ति।
🗣सहैव तानि वाक्यानि उक्त्वा ध्वनिमाध्यमेन अपि प्रेषयत।
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हिन्दी में पढें
#chitram
May 23, 2022
🍃
- चाणक्यनीतिः 4.18
⚜कैसा समय (परिस्थिति) है, कौन मेरे मित्र हैं, में किस देश में हूं, मेरी आय और तदनुसार व्यय कितना है, में कौन हूं और मुझ में कितनी शक्ति है, इन विषयों पर बारम्बार विचार करना चाहिये। (और तदनुसार आचरण करना चाहिये )
⚜One should always and repeatedly ponder over as to what are the prevailing circumstances, who are my friends, in which country I am, what is my income and expenditure, who am I and what is my ability and strength ( before undertaking any task and then take the appropriate action).
🔅कस्मादपि कार्यारम्भात् पूर्वं कीदृशः समयः अस्ति कानि मित्राणि सन्ति कस्मिन् स्थाने अस्मि मम आयः कः तथा व्ययः कियान् अस्ति अहं कः अस्मि मम सामर्थ्यं कियत् एते विषयाः पुनःपौन्येन चिन्तनीयाः तथा तद्वत् आचरणं विधातव्यम्।
#Subhashitam
कः कालः कानि मित्राणि को देशः को व्ययागमौ ।
कस्याहं का च मे शक्तिः, इति चिन्त्यं मुहुर्मुहुः
॥ - चाणक्यनीतिः 4.18
⚜कैसा समय (परिस्थिति) है, कौन मेरे मित्र हैं, में किस देश में हूं, मेरी आय और तदनुसार व्यय कितना है, में कौन हूं और मुझ में कितनी शक्ति है, इन विषयों पर बारम्बार विचार करना चाहिये। (और तदनुसार आचरण करना चाहिये )
⚜One should always and repeatedly ponder over as to what are the prevailing circumstances, who are my friends, in which country I am, what is my income and expenditure, who am I and what is my ability and strength ( before undertaking any task and then take the appropriate action).
🔅कस्मादपि कार्यारम्भात् पूर्वं कीदृशः समयः अस्ति कानि मित्राणि सन्ति कस्मिन् स्थाने अस्मि मम आयः कः तथा व्ययः कियान् अस्ति अहं कः अस्मि मम सामर्थ्यं कियत् एते विषयाः पुनःपौन्येन चिन्तनीयाः तथा तद्वत् आचरणं विधातव्यम्।
#Subhashitam
May 23, 2022
May 24, 2022
जनः ______ वस्त्रं ________।
Anonymous Quiz
26%
हस्तेन,निष्पीडयति
7%
करैः, आर्द्रिकरोति
5%
करात् , निचोडयति
61%
हस्ताभ्यां, निष्पीडयति
May 24, 2022
संस्कृत संवादः । Sanskrit Samvadah
तुमुन्
प्रत्यय (”के लिए“ अर्थ में एक वाक्य में प्रयुक्त समान कर्तावाली दो या
दो से अधिक धातुओं का प्रयोग होने पर पूर्वकालिक धातु/धातुओं से तुमुन्
प्रत्यय का प्रयोग होता है। तुमुनान्त क्रियावाची शब्द भी अव्यय होने से
सभी विभक्तियों में इसके रूप नहीं चलते।…
हन्ता चेन्मन्यते हन्तुं हतश्चेन्मन्यते हतम्। उभौ तौ न विजानीतो नायं हन्ति न हन्यते।।
= मारनेवाला यदि मारना चाहता है और मरा हुआ अपने आप को मरा जानता है, वे दोनों (मारनेवाला-मरनेवाला) ही नहीं जानते कि आत्मा न तो मारता है न मरता है।
स्वधर्ममपि चावेक्ष्य न विकम्पितुमर्हसि। धर्म्याद्धि युद्धाच्छ्रेयोऽन्यत् क्षत्रियस्य न विद्यते।।
= स्वधर्म = अपने कर्त्तव्य को देखते हुए भी हिम्मत हारना उचित नहीं है। क्षत्रिय के लिए धर्मयुद्ध से बढ़कर और कोई कर्त्तव्य नहीं है।
नहि देहभृता शक्यं त्यक्तंु कर्माण्यशेषतः। यस्तुकर्मफलत्यागी स त्यागीत्यभिधीयते।।
= किसी भी देहधारी के लिए कर्मों का पूर्णरूपेण त्याग सम्भव नहीं है, परन्तु जो कर्म के फल को त्याग देता है, वही त्यागी कहलाता है।
अम्भोजिनीवनविहारविलासमेव हंसस्य हन्ति नितरां कुपितो विधाता। न त्वस्य दुग्धजलभेदविधौ प्रसिद्धां, वैदग्ध्यकीर्तिमपहर्त्तुमसौ समर्थः।।
= अत्यन्त क्रुद्ध विधाता भी हंस को कमलवन का आनन्द लूटने से तो एकदम रोक सकता है परन्तु उसके नीर-क्षीर विवेक के प्रसिद्ध चातुर्य को नष्ट करने में वह भी असमर्थ है।
पत्रं नैव यदा करीरविटपे दोषो वसन्तस्य किम्, नोलूकोऽप्यवलोकते यदि दिवा सूर्यस्य किं दूषणम्।
धारा नैव पतन्ति चातकमुखे मेघस्य किं दूषणम्, यत्पूर्वं विधिना ललाटलिखितं तन्मार्जितुं कः क्षमः।।
= यदि वसन्त ऋतु आने पर भी करीर के वृक्ष पर पत्ते नहीं फूटते तो इसमें वसन्त ऋतु का क्या दोष ? यदि उल्लू को दिन में दिखाई नहीं देता तो इसमें सूर्य का क्या अपराध ? यदि चातक के मुख में वर्षा की बूंदें नहीं पड़ती तो इसमें बादल का क्या दोष ? भाग्य में जो लिखा है उसे कौन मिटा सकता है ? (अर्थात् किया हुआ अवश्य भरना पड़ता है।)
त्याज्यं न ध्यैर्यं विधुरेऽपि काले धैर्यात्कदाचित् स्थितिमाप्नुयाद्धि।
जाते समुद्रेऽपि च पोत भङ्गे सांयात्रिको वा´्छति तर्त्तुमेव।।
= कठिनाई के समय के उपस्थित होने पर भी ध्यैर्य नहीं त्यागना चाहिए, किन्तु ध्यैर्य से मनुष्य किसी समय फिर से अपनी पूर्वस्थिति को प्राप्त कर सकता है। जैसे समुद्र के मध्य में जहाज के टूट जाने पर भी जहाज का यात्री तैरकर बचने की ही कामना करते हैं।
न दैवमिति सञ्चिन्त्य त्यजेदुद्योगमात्मनः। अनुद्योगेन तैलानि तिलेभ्यो नाप्तुमर्हति।।
= मनुष्य ”भाग्य ही सब कुछ है“ ऐसा विचार करके अपने पुरुषार्थ का त्याग न करे बिना पुरुषार्थ के तो मनुष्य तिलों से तैल भी प्राप्त नहीं कर सकता।
स्वभावो नोपदेशेन शक्यते कर्त्तुमन्यथा। सुतप्तमपि पानीयं पुनर्गच्छति शीतताम्।।
= उपदेश से कोई किसी के स्वभाव को नहीं बदल सकता। भलीभांति खौलाया हुआ पानी भी पुनः शीतल हो जाता है।
#vakyabhyas
= मारनेवाला यदि मारना चाहता है और मरा हुआ अपने आप को मरा जानता है, वे दोनों (मारनेवाला-मरनेवाला) ही नहीं जानते कि आत्मा न तो मारता है न मरता है।
स्वधर्ममपि चावेक्ष्य न विकम्पितुमर्हसि। धर्म्याद्धि युद्धाच्छ्रेयोऽन्यत् क्षत्रियस्य न विद्यते।।
= स्वधर्म = अपने कर्त्तव्य को देखते हुए भी हिम्मत हारना उचित नहीं है। क्षत्रिय के लिए धर्मयुद्ध से बढ़कर और कोई कर्त्तव्य नहीं है।
नहि देहभृता शक्यं त्यक्तंु कर्माण्यशेषतः। यस्तुकर्मफलत्यागी स त्यागीत्यभिधीयते।।
= किसी भी देहधारी के लिए कर्मों का पूर्णरूपेण त्याग सम्भव नहीं है, परन्तु जो कर्म के फल को त्याग देता है, वही त्यागी कहलाता है।
अम्भोजिनीवनविहारविलासमेव हंसस्य हन्ति नितरां कुपितो विधाता। न त्वस्य दुग्धजलभेदविधौ प्रसिद्धां, वैदग्ध्यकीर्तिमपहर्त्तुमसौ समर्थः।।
= अत्यन्त क्रुद्ध विधाता भी हंस को कमलवन का आनन्द लूटने से तो एकदम रोक सकता है परन्तु उसके नीर-क्षीर विवेक के प्रसिद्ध चातुर्य को नष्ट करने में वह भी असमर्थ है।
पत्रं नैव यदा करीरविटपे दोषो वसन्तस्य किम्, नोलूकोऽप्यवलोकते यदि दिवा सूर्यस्य किं दूषणम्।
धारा नैव पतन्ति चातकमुखे मेघस्य किं दूषणम्, यत्पूर्वं विधिना ललाटलिखितं तन्मार्जितुं कः क्षमः।।
= यदि वसन्त ऋतु आने पर भी करीर के वृक्ष पर पत्ते नहीं फूटते तो इसमें वसन्त ऋतु का क्या दोष ? यदि उल्लू को दिन में दिखाई नहीं देता तो इसमें सूर्य का क्या अपराध ? यदि चातक के मुख में वर्षा की बूंदें नहीं पड़ती तो इसमें बादल का क्या दोष ? भाग्य में जो लिखा है उसे कौन मिटा सकता है ? (अर्थात् किया हुआ अवश्य भरना पड़ता है।)
त्याज्यं न ध्यैर्यं विधुरेऽपि काले धैर्यात्कदाचित् स्थितिमाप्नुयाद्धि।
जाते समुद्रेऽपि च पोत भङ्गे सांयात्रिको वा´्छति तर्त्तुमेव।।
= कठिनाई के समय के उपस्थित होने पर भी ध्यैर्य नहीं त्यागना चाहिए, किन्तु ध्यैर्य से मनुष्य किसी समय फिर से अपनी पूर्वस्थिति को प्राप्त कर सकता है। जैसे समुद्र के मध्य में जहाज के टूट जाने पर भी जहाज का यात्री तैरकर बचने की ही कामना करते हैं।
न दैवमिति सञ्चिन्त्य त्यजेदुद्योगमात्मनः। अनुद्योगेन तैलानि तिलेभ्यो नाप्तुमर्हति।।
= मनुष्य ”भाग्य ही सब कुछ है“ ऐसा विचार करके अपने पुरुषार्थ का त्याग न करे बिना पुरुषार्थ के तो मनुष्य तिलों से तैल भी प्राप्त नहीं कर सकता।
स्वभावो नोपदेशेन शक्यते कर्त्तुमन्यथा। सुतप्तमपि पानीयं पुनर्गच्छति शीतताम्।।
= उपदेश से कोई किसी के स्वभाव को नहीं बदल सकता। भलीभांति खौलाया हुआ पानी भी पुनः शीतल हो जाता है।
#vakyabhyas
May 24, 2022
Forwarded from संस्कृतवाहिनी | Sanskrit Channel | PS
नमाज इति शब्दः संस्कृतात् एव निष्पन्नः अस्ति । नमाज इत्यस्य विग्रहे द्वौ शब्दौ स्तः नमः अजः चेति।
संस्कृते नमः इत्युक्ते प्रणतिः तथा अजः इत्युक्ते न जातो न जनिष्यते इति
द्वयोः समासेन नमाजः इति शब्दः सिद्धः (नम + अज: )
संक्षेपार्थे ईश्वराय नमस्कारः वा नमः शिवाय
The word NAMAZ/J is derived from Sanskrut itself. the Namaz/j has two sylables i.e. Namas( नमस् ) and Ajah ( अज: ) .
In Samskrut Namas (नमस् = नमः ) means to Bow, Salutation, and Ajah ( अज: ) means the unborn (Shiva, Vishnu or brahma generally)
Both words combined with samas (conjunction) makes नमाज (नमः +अज: ) i. e. Namaz/j.
In short it is the word having meaning , Salutation to God / Namah Shivay (नमः शिवाय )
नमाज शब्द संस्कृत से लिया गया है। नमाज के विग्रह में दो शब्द हैं, नमः और अजः
संस्कृत में नमः का अर्थ है झुकना और अजः का अर्थ है वो जो न जन्मा है न जन्मेगा अर्थात् ईश्वर
दोनों के समास से नमाज (नमः +अज:) शब्द सिद्ध होता है।
संक्षेप में, मैं भगवान् को नमन करता हूं या नमः शिवाय , यह अर्थ निकलता है।
संस्कृते नमः इत्युक्ते प्रणतिः तथा अजः इत्युक्ते न जातो न जनिष्यते इति
द्वयोः समासेन नमाजः इति शब्दः सिद्धः (नम + अज: )
संक्षेपार्थे ईश्वराय नमस्कारः वा नमः शिवाय
The word NAMAZ/J is derived from Sanskrut itself. the Namaz/j has two sylables i.e. Namas( नमस् ) and Ajah ( अज: ) .
In Samskrut Namas (नमस् = नमः ) means to Bow, Salutation, and Ajah ( अज: ) means the unborn (Shiva, Vishnu or brahma generally)
Both words combined with samas (conjunction) makes नमाज (नमः +अज: ) i. e. Namaz/j.
In short it is the word having meaning , Salutation to God / Namah Shivay (नमः शिवाय )
नमाज शब्द संस्कृत से लिया गया है। नमाज के विग्रह में दो शब्द हैं, नमः और अजः
संस्कृत में नमः का अर्थ है झुकना और अजः का अर्थ है वो जो न जन्मा है न जन्मेगा अर्थात् ईश्वर
दोनों के समास से नमाज (नमः +अज:) शब्द सिद्ध होता है।
संक्षेप में, मैं भगवान् को नमन करता हूं या नमः शिवाय , यह अर्थ निकलता है।
May 24, 2022
May 24, 2022
May 24, 2022
May 24, 2022
🍃
♦️sri bhagavanuvaca
paran bhuyah pravaksyami jnananan jnanamuttamam.
yajjnatva munayah sarve paran siddhimito gatah৷৷14.1৷৷
⚜The Blessed Lord said --
I will again declare (to thee) that supreme knowledge, the best of all knowledge, having known which all the sages have gone to the supreme perfection after this life.(14.01)
⚜श्री भगवान् ने कहा --
समस्त ज्ञानों में उत्तम परम ज्ञान को मैं पुन कहूंगा जिसको जानकर सभी मुनिजन इस (लोक) से जाकर (इस जीवनोपरान्त) परम सिद्धि को प्राप्त हुए हैं।।14.01।।
#geeta
श्री भगवानुवाच
परं भूयः प्रवक्ष्यामि ज्ञानानां ज्ञानमुत्तमम्।
यज्ज्ञात्वा मुनयः सर्वे परां सिद्धिमितो गताः
।।14.1।।♦️sri bhagavanuvaca
paran bhuyah pravaksyami jnananan jnanamuttamam.
yajjnatva munayah sarve paran siddhimito gatah৷৷14.1৷৷
⚜The Blessed Lord said --
I will again declare (to thee) that supreme knowledge, the best of all knowledge, having known which all the sages have gone to the supreme perfection after this life.(14.01)
⚜श्री भगवान् ने कहा --
समस्त ज्ञानों में उत्तम परम ज्ञान को मैं पुन कहूंगा जिसको जानकर सभी मुनिजन इस (लोक) से जाकर (इस जीवनोपरान्त) परम सिद्धि को प्राप्त हुए हैं।।14.01।।
#geeta
May 24, 2022
May 24, 2022
🍃
♦️idan jnanamupasritya mama sadharmyamagatah.
sarge.pi nopajayante pralaye na vyathanti ca৷৷14.2৷৷
⚜They who, having taken refuge in this knowledge, have attained to unity with Me, are neither born at the time of creation nor are they disturbed at the time of dissolution.(14.2)
⚜इस ज्ञान का आश्रय लेकर मेरे स्वरूप (सार्धम्यम्) को प्राप्त पुरुष सृष्टि के आदि में जन्म नहीं लेते और प्रलयकाल में व्याकुल भी नहीं होते हैं।।14.2।।
#geeta
इदं ज्ञानमुपाश्रित्य मम साधर्म्यमागताः।
सर्गेऽपि नोपजायन्ते प्रलये न व्यथन्ति च
।।14.2।।♦️idan jnanamupasritya mama sadharmyamagatah.
sarge.pi nopajayante pralaye na vyathanti ca৷৷14.2৷৷
⚜They who, having taken refuge in this knowledge, have attained to unity with Me, are neither born at the time of creation nor are they disturbed at the time of dissolution.(14.2)
⚜इस ज्ञान का आश्रय लेकर मेरे स्वरूप (सार्धम्यम्) को प्राप्त पुरुष सृष्टि के आदि में जन्म नहीं लेते और प्रलयकाल में व्याकुल भी नहीं होते हैं।।14.2।।
#geeta
May 24, 2022
🚩जय सत्य सनातन 🚩
🚩आज की हिंदी तिथि
🌥 🚩यगाब्द - ५१२४
🌥 🚩विक्रम संवत - २०७९
⛅️ 🚩तिथि - दशमी सुबह 10:32 तक तत्पश्चात एकादशी
⛅️ दिनांक - 25 मई 2022
⛅️ दिन - बुधवार
⛅️ शक संवत - 1944
⛅️ अयन - उत्तरायण
⛅️ ऋतु - ग्रीष्म
⛅️ मास - ज्येष्ठ
⛅️ पक्ष - कृष्ण
⛅️ नक्षत्र - उत्तर भाद्रपद रात्रि 11:20 तक तत्पश्चात रेवती
⛅️ योग - प्रिती रात्रि 10:45 तक तत्पश्चात आयुष्मान
⛅️ राहुकाल - दोपहर 12:37 से 02:17 तक
⛅️ सर्योदय - 05:55
⛅️ सर्यास्त - 07:18
⛅️ दिशाशूल - उत्तर दिशा में
⛅️ बरह्म मुहूर्त- प्रातः 04:30 से 05:13 तक
🚩आज की हिंदी तिथि
🌥 🚩यगाब्द - ५१२४
🌥 🚩विक्रम संवत - २०७९
⛅️ 🚩तिथि - दशमी सुबह 10:32 तक तत्पश्चात एकादशी
⛅️ दिनांक - 25 मई 2022
⛅️ दिन - बुधवार
⛅️ शक संवत - 1944
⛅️ अयन - उत्तरायण
⛅️ ऋतु - ग्रीष्म
⛅️ मास - ज्येष्ठ
⛅️ पक्ष - कृष्ण
⛅️ नक्षत्र - उत्तर भाद्रपद रात्रि 11:20 तक तत्पश्चात रेवती
⛅️ योग - प्रिती रात्रि 10:45 तक तत्पश्चात आयुष्मान
⛅️ राहुकाल - दोपहर 12:37 से 02:17 तक
⛅️ सर्योदय - 05:55
⛅️ सर्यास्त - 07:18
⛅️ दिशाशूल - उत्तर दिशा में
⛅️ बरह्म मुहूर्त- प्रातः 04:30 से 05:13 तक
May 24, 2022
Forwarded from रामदूतः — The Sanskrit News Platform (Bhavani Raman)
वार्ता: संस्कृत में समाचार | यासीन मलिक की सजा पर फै़सला आज - YouTube
https://m.youtube.com/watch?v=uRLuuDxfgLM
प्रतिदिनं प्रातः ७:१५ वादने १५ निमेषात्मिकायै वार्तायै डी डी न्यूज् इति पश्यत।
https://m.youtube.com/watch?v=uRLuuDxfgLM
प्रतिदिनं प्रातः ७:१५ वादने १५ निमेषात्मिकायै वार्तायै डी डी न्यूज् इति पश्यत।
YouTube
वार्ता: संस्कृत में समाचार | पीएम मोदी का टोक्यो में भारतीय समुदाय ने किया ज़ोरदार स्वागत
May 24, 2022
🔰चित्रं दृष्ट्वा पञ्चवाक्यानि रचयत।
✍🏼सर्वे टिप्पणीसञ्चिकायां स्वोत्तराणि लेखितुं शक्नुवन्ति अथवा पुस्तिकायां लिखित्वा तस्य चित्रं स्वीकृत्य अपि प्रेषयितुं शक्नुवन्ति।
🗣सहैव तानि वाक्यानि उक्त्वा ध्वनिमाध्यमेन अपि प्रेषयत।
Read in English
हिन्दी में पढें
#chitram
✍🏼सर्वे टिप्पणीसञ्चिकायां स्वोत्तराणि लेखितुं शक्नुवन्ति अथवा पुस्तिकायां लिखित्वा तस्य चित्रं स्वीकृत्य अपि प्रेषयितुं शक्नुवन्ति।
🗣सहैव तानि वाक्यानि उक्त्वा ध्वनिमाध्यमेन अपि प्रेषयत।
Read in English
हिन्दी में पढें
#chitram
May 24, 2022
🍃कालः पचति भूतानि कालः संहरते प्रजाः।
कालः सुप्तेषु जागर्ति कालो हि दुरतिक्रमः ॥
⚜इस संसार में सभी जीवित प्राणियों को काल अपना ग्रास बना लेता है (उनकी मृत्यु हो जाती है ) और काल ही किसी देश की प्रजा को भी नष्ट कर देता है और काल के ही प्रभाव से
(परिस्थिति वश) एक निष्क्रिय व्यक्ति भी सक्रिय हो जाता है | निश्चय ही काल को कोई भी अपने वश में नहीं कर सकता है |
⚜It is the passage of time which ultimately brings to an end all the living beings on the Earth and also untimely kills the citizens of a country. An inactive person awakens and becomes very active if the time is favourable to him.
Definitely the time is insurmountable.
🔅अस्मिन् संसारे कालः(समयः) सर्वान् प्राणिनः ग्रसति, कालः एव निष्क्रियं जनं परिस्थित्यनुगुणं सक्रिय करोति एतादृशं कालं न कोऽपि वशे कर्तुं अर्हति।
#Subhashitam
कालः सुप्तेषु जागर्ति कालो हि दुरतिक्रमः ॥
⚜इस संसार में सभी जीवित प्राणियों को काल अपना ग्रास बना लेता है (उनकी मृत्यु हो जाती है ) और काल ही किसी देश की प्रजा को भी नष्ट कर देता है और काल के ही प्रभाव से
(परिस्थिति वश) एक निष्क्रिय व्यक्ति भी सक्रिय हो जाता है | निश्चय ही काल को कोई भी अपने वश में नहीं कर सकता है |
⚜It is the passage of time which ultimately brings to an end all the living beings on the Earth and also untimely kills the citizens of a country. An inactive person awakens and becomes very active if the time is favourable to him.
Definitely the time is insurmountable.
🔅अस्मिन् संसारे कालः(समयः) सर्वान् प्राणिनः ग्रसति, कालः एव निष्क्रियं जनं परिस्थित्यनुगुणं सक्रिय करोति एतादृशं कालं न कोऽपि वशे कर्तुं अर्हति।
#Subhashitam
May 24, 2022
May 25, 2022
कृषकः ______ क्षेत्रं ______ ।
Anonymous Quiz
8%
वृषभात् , कर्षन्ति
71%
वृषभाभ्यां, कर्षति
6%
वृषभेभ्यः, कर्षन्ति
15%
वृषभाभ्यां, कर्षतः
May 25, 2022
संस्कृत संवादः । Sanskrit Samvadah
हन्ता
चेन्मन्यते हन्तुं हतश्चेन्मन्यते हतम्। उभौ तौ न विजानीतो नायं हन्ति न
हन्यते।। = मारनेवाला यदि मारना चाहता है और मरा हुआ अपने आप को मरा
जानता है, वे दोनों (मारनेवाला-मरनेवाला) ही नहीं जानते कि आत्मा न तो
मारता है न मरता है। स्वधर्ममपि चावेक्ष्य…
क्षालयन्ति हि तीर्थानि सर्वथा देहजं मलम्। मानसं क्षालितुं तानि न समर्थानि वै नृपः।।
= गङ्गादि जलमय तीर्थ में स्नान करने से शरीर का मल ही धुलता है, हे राजन् ये जलमय तीर्थ मानसिक दोषों को धोने में सर्वथा असमर्थ हैं।
दह्यमानाः सुतीव्रेण नीचाः परयशोऽग्निना।
अशक्तास्तत्पदं गन्तुं ततो निन्दां प्रकुर्वते।।
= दुर्जन दूसरे की कीर्त्तिरूपी अग्नि से जलते हुए जब उस पद को प्राप्त करने में असमर्थ रहते हैं तब वे उस गुणी की निन्दा करने में प्रवृत्त हो जाते हैं।
पतितः पशुरपि कूपे निःसर्त्तुं चरणचालनं कुरुते।
धिक् त्वां चित्त भवाब्देरिच्छामपि नो बिभर्षि निःसर्त्तुम्।।
= कुंए में गिरा हुआ पशु भी उसमें से निकलने के लिए पैर चलाता है, प्रयत्न करता है, पर हे मन ! तुझे धिक्कार है, तू भवसागर से निकलने की इच्छा भी नहीं करता।
यस्य चाप्रियमिच्छेत तस्य ब्रूयात् सदा प्रियम्। व्याधो मृगवधं कर्त्तंु गीतं गायति सुस्वरम्।।
= जिसका अप्रिय करने की इच्छा हो उससे सदा मधुर भाषण करना चाहिए जैसे शिकारी हिरन का शिकार करने के लिए पहले मधुर स्वर से गीत गाता है।
यदीच्छसि वशीकर्त्तंु जगदेकेन कर्मणा। परापवादसस्येभ्यो गां चरन्तीं निवारय।।
= हे मनुष्य यदि तू एक ही कर्म के द्वारा संसार को अपने वश में करना चाहता है तो दूसरों की निन्दा करने में लगी हुई अपनी वाणी को वश में कर, अर्थात् किसी की निन्दा मत कर।
या साधूँश्च खलान्करोति विदुषो मूर्खान्हितान्द्वेषिणः, प्रत्यक्षं कुरुते परोक्षममृतं हलाहलं तत्क्षणात्।
तामाराधय सत्क्रियां भगवतीं भोक्तुं फलं वा´्छितं, हे साधो व्यसनैर्गुणेषु विपुलेष्वास्थां वृथा मा कृथाः।।
= हे सज्जन ! यदि तुझे मनोवांछित फल भोगने की इच्छा है तो सब के द्वारा सम्मानित उस सत्कर्म का अनुष्ठान करो जो दुष्टों को सज्जन, मूर्खों को विद्वान्, शत्रुओं को मित्र, गुप्त वस्तुओं को प्रकट और विष को तत्काल अमृत बना देता है। बहुत से गुणों के उपार्जन का व्यर्थ उद्योग न करके तुम केवल सुकर्म ही करो।
घातयितुमेव नीचः परकार्यं वेत्ति न प्रसादयितुम्।
पातयितुमस्ति शक्तिर्वायोर्वृक्षं न चोन्नमितुम्।।
= अधम पुरुष पराए कार्यों को नष्ट करना ही जानता है, किन्तु बनाना नहीं जानता। जिस प्रकार वायु की शक्ति वृक्षों को उखाड़ने की ही है, किन्तु गिरे हुए वृक्ष को जमाने में नहीं।
#vakyabhyas
= गङ्गादि जलमय तीर्थ में स्नान करने से शरीर का मल ही धुलता है, हे राजन् ये जलमय तीर्थ मानसिक दोषों को धोने में सर्वथा असमर्थ हैं।
दह्यमानाः सुतीव्रेण नीचाः परयशोऽग्निना।
अशक्तास्तत्पदं गन्तुं ततो निन्दां प्रकुर्वते।।
= दुर्जन दूसरे की कीर्त्तिरूपी अग्नि से जलते हुए जब उस पद को प्राप्त करने में असमर्थ रहते हैं तब वे उस गुणी की निन्दा करने में प्रवृत्त हो जाते हैं।
पतितः पशुरपि कूपे निःसर्त्तुं चरणचालनं कुरुते।
धिक् त्वां चित्त भवाब्देरिच्छामपि नो बिभर्षि निःसर्त्तुम्।।
= कुंए में गिरा हुआ पशु भी उसमें से निकलने के लिए पैर चलाता है, प्रयत्न करता है, पर हे मन ! तुझे धिक्कार है, तू भवसागर से निकलने की इच्छा भी नहीं करता।
यस्य चाप्रियमिच्छेत तस्य ब्रूयात् सदा प्रियम्। व्याधो मृगवधं कर्त्तंु गीतं गायति सुस्वरम्।।
= जिसका अप्रिय करने की इच्छा हो उससे सदा मधुर भाषण करना चाहिए जैसे शिकारी हिरन का शिकार करने के लिए पहले मधुर स्वर से गीत गाता है।
यदीच्छसि वशीकर्त्तंु जगदेकेन कर्मणा। परापवादसस्येभ्यो गां चरन्तीं निवारय।।
= हे मनुष्य यदि तू एक ही कर्म के द्वारा संसार को अपने वश में करना चाहता है तो दूसरों की निन्दा करने में लगी हुई अपनी वाणी को वश में कर, अर्थात् किसी की निन्दा मत कर।
या साधूँश्च खलान्करोति विदुषो मूर्खान्हितान्द्वेषिणः, प्रत्यक्षं कुरुते परोक्षममृतं हलाहलं तत्क्षणात्।
तामाराधय सत्क्रियां भगवतीं भोक्तुं फलं वा´्छितं, हे साधो व्यसनैर्गुणेषु विपुलेष्वास्थां वृथा मा कृथाः।।
= हे सज्जन ! यदि तुझे मनोवांछित फल भोगने की इच्छा है तो सब के द्वारा सम्मानित उस सत्कर्म का अनुष्ठान करो जो दुष्टों को सज्जन, मूर्खों को विद्वान्, शत्रुओं को मित्र, गुप्त वस्तुओं को प्रकट और विष को तत्काल अमृत बना देता है। बहुत से गुणों के उपार्जन का व्यर्थ उद्योग न करके तुम केवल सुकर्म ही करो।
घातयितुमेव नीचः परकार्यं वेत्ति न प्रसादयितुम्।
पातयितुमस्ति शक्तिर्वायोर्वृक्षं न चोन्नमितुम्।।
= अधम पुरुष पराए कार्यों को नष्ट करना ही जानता है, किन्तु बनाना नहीं जानता। जिस प्रकार वायु की शक्ति वृक्षों को उखाड़ने की ही है, किन्तु गिरे हुए वृक्ष को जमाने में नहीं।
#vakyabhyas
May 25, 2022
May 25, 2022
May 25, 2022
Teacher - Why different blood groups in human body ?
Student - For mosquitoes to enjoy a variety of tastes.
#hasya
Student - For mosquitoes to enjoy a variety of tastes.
#hasya
May 25, 2022
May 25, 2022
🍃
♦️mama yonirmahadbrahma tasmin garbhan dadhamyaham.
sanbhavah sarvabhutanan tato bhavati bharata৷৷14.3৷৷
⚜My womb is the great Brahma; in that I place the germ; thence, O Arjuna, is the birth of all beings.(14.3)
⚜हे भारत मेरी महद् ब्रह्मरूप प्रकृति (भूतों की) योनि है जिसमें मैं गर्भाधान करता हूँ इससे समस्त भूतों की उत्पत्ति होती है।।14.3।।
#geeta
मम योनिर्महद्ब्रह्म तस्मिन् गर्भं दधाम्यहम्।
संभवः सर्वभूतानां ततो भवति भारत
।।14.3।।♦️mama yonirmahadbrahma tasmin garbhan dadhamyaham.
sanbhavah sarvabhutanan tato bhavati bharata৷৷14.3৷৷
⚜My womb is the great Brahma; in that I place the germ; thence, O Arjuna, is the birth of all beings.(14.3)
⚜हे भारत मेरी महद् ब्रह्मरूप प्रकृति (भूतों की) योनि है जिसमें मैं गर्भाधान करता हूँ इससे समस्त भूतों की उत्पत्ति होती है।।14.3।।
#geeta
May 25, 2022
May 25, 2022
🍃
♦️sarvayonisu kaunteya murtayah sambhavanti yah.
tasan brahma mahadyonirahan bijapradah pita৷৷14.4৷৷
⚜Whatever forms are produced, O Arjuna, in any womb whatsoever, the great Brahma is their womb and I am the seed-giving father.(14.4)
⚜हे कौन्तेय समस्त योनियों में जितनी मूर्तियाँ (शरीर) उत्पन्न होती हैं उन सबकी योनि अर्थात् गर्भ है महद्ब्रह्म और मैं बीज की स्थापना करने वाला पिता हूँ।।
#geeta
सर्वयोनिषु कौन्तेय मूर्तयः सम्भवन्ति याः।
तासां ब्रह्म महद्योनिरहं बीजप्रदः पिता
।।14.4।।♦️sarvayonisu kaunteya murtayah sambhavanti yah.
tasan brahma mahadyonirahan bijapradah pita৷৷14.4৷৷
⚜Whatever forms are produced, O Arjuna, in any womb whatsoever, the great Brahma is their womb and I am the seed-giving father.(14.4)
⚜हे कौन्तेय समस्त योनियों में जितनी मूर्तियाँ (शरीर) उत्पन्न होती हैं उन सबकी योनि अर्थात् गर्भ है महद्ब्रह्म और मैं बीज की स्थापना करने वाला पिता हूँ।।
#geeta
May 25, 2022
🚩जय सत्य सनातन 🚩
🚩आज की हिंदी तिथि
🌥 🚩यगाब्द - ५१२४
🌥 🚩विक्रम संवत - २०७९
⛅️ 🚩तिथि - एकादशी सुबह 10:54 तक तत्पश्चात द्वादशी
⛅️ दिनांक - 26 मई 2022
⛅️ दिन - गुरुवार
⛅️ शक संवत - 1944
⛅️ अयन - उत्तरायण
⛅️ ऋतु - ग्रीष्म
⛅️ मास - ज्येष्ठ
⛅️ पक्ष - कृष्ण
⛅️ नक्षत्र - रेवती रात्रि 12:39 तक तत्पश्चात आश्विनी
⛅️ योग - आयुष्मान रात्रि 10:15 तक तत्पश्चात सौभाग्य
⛅️ राहुकाल - अपरान्ह 02:17 से 03:58 तक
⛅️ सर्योदय - 05:55
⛅️ सर्यास्त - 07:19
⛅️ दिशाशूल - दक्षिण दिशा में
⛅️ बरह्म मुहूर्त- प्रातः 04:30 से 05:13 तक
🚩आज की हिंदी तिथि
🌥 🚩यगाब्द - ५१२४
🌥 🚩विक्रम संवत - २०७९
⛅️ 🚩तिथि - एकादशी सुबह 10:54 तक तत्पश्चात द्वादशी
⛅️ दिनांक - 26 मई 2022
⛅️ दिन - गुरुवार
⛅️ शक संवत - 1944
⛅️ अयन - उत्तरायण
⛅️ ऋतु - ग्रीष्म
⛅️ मास - ज्येष्ठ
⛅️ पक्ष - कृष्ण
⛅️ नक्षत्र - रेवती रात्रि 12:39 तक तत्पश्चात आश्विनी
⛅️ योग - आयुष्मान रात्रि 10:15 तक तत्पश्चात सौभाग्य
⛅️ राहुकाल - अपरान्ह 02:17 से 03:58 तक
⛅️ सर्योदय - 05:55
⛅️ सर्यास्त - 07:19
⛅️ दिशाशूल - दक्षिण दिशा में
⛅️ बरह्म मुहूर्त- प्रातः 04:30 से 05:13 तक
May 25, 2022
Forwarded from रामदूतः — The Sanskrit News Platform (Bhavani Raman)
वार्ता: संस्कृत भाषा में समाचार - YouTube
https://m.youtube.com/watch?v=vNogH2dRmzk
प्रतिदिनं प्रातः ७:१५ वादने १५ निमेषात्मिकायै वार्तायै डी डी न्यूज् इति पश्यत।
https://m.youtube.com/watch?v=vNogH2dRmzk
प्रतिदिनं प्रातः ७:१५ वादने १५ निमेषात्मिकायै वार्तायै डी डी न्यूज् इति पश्यत।
YouTube
वार्ता: संस्कृत भाषा में समाचार
May 25, 2022
🔰चित्रं दृष्ट्वा पञ्चवाक्यानि रचयत।
✍🏼सर्वे टिप्पणीसञ्चिकायां स्वोत्तराणि लेखितुं शक्नुवन्ति अथवा पुस्तिकायां लिखित्वा तस्य चित्रं स्वीकृत्य अपि प्रेषयितुं शक्नुवन्ति।
🗣सहैव तानि वाक्यानि उक्त्वा ध्वनिमाध्यमेन अपि प्रेषयत।
Read in English
हिन्दी में पढें
#chitram
✍🏼सर्वे टिप्पणीसञ्चिकायां स्वोत्तराणि लेखितुं शक्नुवन्ति अथवा पुस्तिकायां लिखित्वा तस्य चित्रं स्वीकृत्य अपि प्रेषयितुं शक्नुवन्ति।
🗣सहैव तानि वाक्यानि उक्त्वा ध्वनिमाध्यमेन अपि प्रेषयत।
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#chitram
May 25, 2022
🍃नात्यन्तं सरलेर्भाव्यं गत्वा पश्य वनस्थलीम्। छिद्यन्ते सरलास्तत्र कुब्जास्तिष्ठन्ति पादपाः।।
⚜Do not be very upright in your dealings, as you would see in forest, the straight trees are cut down while the crooked ones are left standing.
⚜अपने व्यवहार में बहुत सीधे ना रहे, बन में जो सीधे पेड़ पहले काटे जाते हैं,
और जो पेड़ टेढ़े हैं वो खड़े हैं।
🔅संसारे अतिसरलः भूत्वा न भवितव्यम् यतः वने सरलाः वृक्षाः प्रथमं छिद्यन्ते कुब्जान्(वक्रान्) वृक्षान् न केऽपि छिन्दन्ति।
#Subhashitam
⚜Do not be very upright in your dealings, as you would see in forest, the straight trees are cut down while the crooked ones are left standing.
⚜अपने व्यवहार में बहुत सीधे ना रहे, बन में जो सीधे पेड़ पहले काटे जाते हैं,
और जो पेड़ टेढ़े हैं वो खड़े हैं।
🔅संसारे अतिसरलः भूत्वा न भवितव्यम् यतः वने सरलाः वृक्षाः प्रथमं छिद्यन्ते कुब्जान्(वक्रान्) वृक्षान् न केऽपि छिन्दन्ति।
#Subhashitam
May 25, 2022
May 26, 2022
May 26, 2022
संस्कृत संवादः । Sanskrit Samvadah
क्षालयन्ति
हि तीर्थानि सर्वथा देहजं मलम्। मानसं क्षालितुं तानि न समर्थानि वै
नृपः।। = गङ्गादि जलमय तीर्थ में स्नान करने से शरीर का मल ही धुलता
है, हे राजन् ये जलमय तीर्थ मानसिक दोषों को धोने में सर्वथा असमर्थ हैं।
दह्यमानाः सुतीव्रेण नीचाः परयशोऽग्निना।…
संस्कृतं वद आधुनिको भव।
वेदान् पठ वैज्ञानिको भव।।
पाठ: (41) कृदन्त (9) शतृ प्रत्यय
(जब नाम शब्दों के विशेषण के रूप में वर्तमानकाल तथा भविष्यकाल में विद्यमान परस्मैपद संज्ञक धातु का प्रयोग किया जाता है, तब उस धातु से शतृ प्रत्यय का प्रयोग होता है। शतृ प्रत्ययान्त क्रिया शब्द के रूप पुल्लिंग में ‘पठत्’ के समान, óीलिंग में ‘नदी’ के समान तथा नपुंसकलिंग में ‘जगत्’ के समान चलेंगे।)
पाठं पठते बालकाय माता नारंगरसं यच्छति
= पाठ पढ़ते हुए बालक को मां मोसमी का रस दे रही है।
ग्रामम् आगच्छन्तं शकटं पथ्येव व्यकरोत्
= गांव आती हुई बैलगाड़ी रास्ते में ही बिगड़ गई।
प्राङ्गणे क्रीडन्तस्य किशोरस्य पादे कण्टकोऽविध्यत्
= आंगन में खेलते हुए बच्चे के पैर में कांटा चुभ गया।
कुण्डलिनीं खादन्तं बालकं भिक्षुकः कुण्डलिनीमयाचीत्
= जिलेबी खाते हुए बच्चे से भिखारी ने जिलेबी मांगी।
सन्तानिकामपसारयन्ती माता दुग्धं पिबन्तीं मार्जारमद्राक्षीत्
= मलाई निकालती हुई मां ने दूध पीती हुई बिल्ली देखी।
परीक्षायाः सज्जां कुर्वत्या मालया बहूनि पुस्तकानि पठितानि
= परीक्षा की तैयारी करती हुई माला के द्वारा बहुत पुस्तकें पढ़ी गईं।
प्रवणे विलुण्ठन्ती वृद्धा चीत्कारमकार्षीत्
= ढलान पर लुढकती हुई बुढिया चिल्लाई।
क्रीडनकेन क्रीडतः आत्मदर्शिनः क्रीडनकं ब्रह्मदर्शी अनैषीत्
= खिलौने से खेलते हुए आत्मदर्शी का खिलौना ब्रह्मदर्शी ले गया।
रुदते आत्मदर्शिने च ग्लुकोविटा-गुल्लिकां ददाति
= रोते हुए आत्मदर्शी को ग्लुकोविटा-टॉफी दे रही है।
गुल्लिकां खादन् आत्मदर्शी मोदते
= टॉफी खाता आत्मदर्शी खुश हो रहा है।
अनुधावतः कुक्कुरात् पान्थो बिभेति
= पीछे पड़े हुए कुत्ते से राहगीर डर रहा है।
बुक्कति कुक्कुरे भीतः पथिकः पाषाणं क्षिपति
= भौंकते हुए कुत्ते पर पथिक पत्थर फैंकता है।
जल्पन्तं तत्त्वदर्शिनं दृष्ट्वा देयाऽऽदेय-लेखां कुर्वन् पिता तं पठितुमवोचत्
= बात करते हुए तत्त्वदर्शी को देखकर हिसाब करते हुए पिता ने उसे पढ़ने के लिए कहा।
वृक्षे निवसन्तः खगाः प्रातरुड्डीय सायं
पुनः प्रत्यागच्छन्ति
= पेड़ पर रहते हुए पक्षी सुबह
उड़कर शाम को फिर आ जाते हैं।
स्वपन् शिशुः किमपि स्मरन् हसति
= सोया हुआ बच्चा कुछ याद करके हंस रहा है।
खादन् न जल्पेयुः
= खाते हुए बात न करें।
वसन्तीह रमा भृशं कलहायते स्म
= यहां रहती हुई रमा खूब झगड़े करती थी।
दीव्यन् कितवः सर्वं पराजयत
= जुआ खेलता हुआ जुआरी सब कुछ हार गया।
पादपान् सि´्चन्ती उद्यानपालिका पुष्पं चिन्वन्तीं कन्यामपश्यत्
= पौधों को पानी पिलाती हुई मालिन ने फूल तोड़ती हुई बच्ची को देखा।
सीमां रक्षतः सैनिकान् वन्दामहै
= सरहद की रक्षा करते हुए सैनिकों को हम वन्दन करते हैं।
मद्यपं जहता मद्यपेन बहूनि कष्टानि अनुभूतानि
= शराब छोड़ते हुए शराबी ने बहुत कष्ट अनुभव किया।
दूरं त्यक्तोऽपि भषकः जिघ्रन् पुनरपि ग्रामं प्रत्यावर्त्तत
= दूर छोड़ दिया गया कुत्ता फिर सूंघता हुआ गांव में आ गया।
वर्षन्ती मेघमाला मनः आह्लादते
= बरसते हुए बादल मन को आह्लादित करते हैं।
शीकरं हस्तेन गृह्णत्या बालिकायाः बाल्यं
कियत् मनोरममस्ति
= फुहार को हाथ से पकड़ती हुई बच्ची का बचपना कितना मनोरम है।
वानप्रस्थिनः आश्रमे तपन्तः सुखेन जीवन्ति अन्ये तु अतीतानि दिनानि स्मरन्तः कालं यापयन्ति
= वानप्रस्थी आश्रम में तपस्या करते हुए सुख से जीते हैें, और अन्य लोग बीते दिनों को याद करते समय बिताते हैं।
परिव्राजकः परिव्रजन् सर्वान् धर्ममुपदिशेत्
= संन्यासी सर्वत्र विचरण करता हुआ सबको धर्म का उपदेश करे।
स्वाश्रमं निर्मिमियन् संन्यासी स्वधर्मात् प्रवच्यते
= अपना आश्रम बनाता हुआ संन्यासी अपने धर्म से गिर जाता है।
परछिद्रान्वेषी स्वछिद्राणि पश्यन्नपि न
पश्यति
= दूसरों के दोष देखने का आदि व्यक्ति अपने दोषों को देखते हुए भी नहीं देखता।
प्रत्यहं आत्मनिरीक्षणं कुर्वन् मनुष्य उन्नतिं लभते
= प्रतिदिन आत्मनिरीक्षण करनेवाला ऊँचाईयों को छूता है।
दानं ददन् गृहस्थी स्वर्गमाप्नोति
= दान देता हुआ गृहस्थी उत्तम सुखों को प्राप्त करता है।
#vakyabhyas
वेदान् पठ वैज्ञानिको भव।।
पाठ: (41) कृदन्त (9) शतृ प्रत्यय
(जब नाम शब्दों के विशेषण के रूप में वर्तमानकाल तथा भविष्यकाल में विद्यमान परस्मैपद संज्ञक धातु का प्रयोग किया जाता है, तब उस धातु से शतृ प्रत्यय का प्रयोग होता है। शतृ प्रत्ययान्त क्रिया शब्द के रूप पुल्लिंग में ‘पठत्’ के समान, óीलिंग में ‘नदी’ के समान तथा नपुंसकलिंग में ‘जगत्’ के समान चलेंगे।)
पाठं पठते बालकाय माता नारंगरसं यच्छति
= पाठ पढ़ते हुए बालक को मां मोसमी का रस दे रही है।
ग्रामम् आगच्छन्तं शकटं पथ्येव व्यकरोत्
= गांव आती हुई बैलगाड़ी रास्ते में ही बिगड़ गई।
प्राङ्गणे क्रीडन्तस्य किशोरस्य पादे कण्टकोऽविध्यत्
= आंगन में खेलते हुए बच्चे के पैर में कांटा चुभ गया।
कुण्डलिनीं खादन्तं बालकं भिक्षुकः कुण्डलिनीमयाचीत्
= जिलेबी खाते हुए बच्चे से भिखारी ने जिलेबी मांगी।
सन्तानिकामपसारयन्ती माता दुग्धं पिबन्तीं मार्जारमद्राक्षीत्
= मलाई निकालती हुई मां ने दूध पीती हुई बिल्ली देखी।
परीक्षायाः सज्जां कुर्वत्या मालया बहूनि पुस्तकानि पठितानि
= परीक्षा की तैयारी करती हुई माला के द्वारा बहुत पुस्तकें पढ़ी गईं।
प्रवणे विलुण्ठन्ती वृद्धा चीत्कारमकार्षीत्
= ढलान पर लुढकती हुई बुढिया चिल्लाई।
क्रीडनकेन क्रीडतः आत्मदर्शिनः क्रीडनकं ब्रह्मदर्शी अनैषीत्
= खिलौने से खेलते हुए आत्मदर्शी का खिलौना ब्रह्मदर्शी ले गया।
रुदते आत्मदर्शिने च ग्लुकोविटा-गुल्लिकां ददाति
= रोते हुए आत्मदर्शी को ग्लुकोविटा-टॉफी दे रही है।
गुल्लिकां खादन् आत्मदर्शी मोदते
= टॉफी खाता आत्मदर्शी खुश हो रहा है।
अनुधावतः कुक्कुरात् पान्थो बिभेति
= पीछे पड़े हुए कुत्ते से राहगीर डर रहा है।
बुक्कति कुक्कुरे भीतः पथिकः पाषाणं क्षिपति
= भौंकते हुए कुत्ते पर पथिक पत्थर फैंकता है।
जल्पन्तं तत्त्वदर्शिनं दृष्ट्वा देयाऽऽदेय-लेखां कुर्वन् पिता तं पठितुमवोचत्
= बात करते हुए तत्त्वदर्शी को देखकर हिसाब करते हुए पिता ने उसे पढ़ने के लिए कहा।
वृक्षे निवसन्तः खगाः प्रातरुड्डीय सायं
पुनः प्रत्यागच्छन्ति
= पेड़ पर रहते हुए पक्षी सुबह
उड़कर शाम को फिर आ जाते हैं।
स्वपन् शिशुः किमपि स्मरन् हसति
= सोया हुआ बच्चा कुछ याद करके हंस रहा है।
खादन् न जल्पेयुः
= खाते हुए बात न करें।
वसन्तीह रमा भृशं कलहायते स्म
= यहां रहती हुई रमा खूब झगड़े करती थी।
दीव्यन् कितवः सर्वं पराजयत
= जुआ खेलता हुआ जुआरी सब कुछ हार गया।
पादपान् सि´्चन्ती उद्यानपालिका पुष्पं चिन्वन्तीं कन्यामपश्यत्
= पौधों को पानी पिलाती हुई मालिन ने फूल तोड़ती हुई बच्ची को देखा।
सीमां रक्षतः सैनिकान् वन्दामहै
= सरहद की रक्षा करते हुए सैनिकों को हम वन्दन करते हैं।
मद्यपं जहता मद्यपेन बहूनि कष्टानि अनुभूतानि
= शराब छोड़ते हुए शराबी ने बहुत कष्ट अनुभव किया।
दूरं त्यक्तोऽपि भषकः जिघ्रन् पुनरपि ग्रामं प्रत्यावर्त्तत
= दूर छोड़ दिया गया कुत्ता फिर सूंघता हुआ गांव में आ गया।
वर्षन्ती मेघमाला मनः आह्लादते
= बरसते हुए बादल मन को आह्लादित करते हैं।
शीकरं हस्तेन गृह्णत्या बालिकायाः बाल्यं
कियत् मनोरममस्ति
= फुहार को हाथ से पकड़ती हुई बच्ची का बचपना कितना मनोरम है।
वानप्रस्थिनः आश्रमे तपन्तः सुखेन जीवन्ति अन्ये तु अतीतानि दिनानि स्मरन्तः कालं यापयन्ति
= वानप्रस्थी आश्रम में तपस्या करते हुए सुख से जीते हैें, और अन्य लोग बीते दिनों को याद करते समय बिताते हैं।
परिव्राजकः परिव्रजन् सर्वान् धर्ममुपदिशेत्
= संन्यासी सर्वत्र विचरण करता हुआ सबको धर्म का उपदेश करे।
स्वाश्रमं निर्मिमियन् संन्यासी स्वधर्मात् प्रवच्यते
= अपना आश्रम बनाता हुआ संन्यासी अपने धर्म से गिर जाता है।
परछिद्रान्वेषी स्वछिद्राणि पश्यन्नपि न
पश्यति
= दूसरों के दोष देखने का आदि व्यक्ति अपने दोषों को देखते हुए भी नहीं देखता।
प्रत्यहं आत्मनिरीक्षणं कुर्वन् मनुष्य उन्नतिं लभते
= प्रतिदिन आत्मनिरीक्षण करनेवाला ऊँचाईयों को छूता है।
दानं ददन् गृहस्थी स्वर्गमाप्नोति
= दान देता हुआ गृहस्थी उत्तम सुखों को प्राप्त करता है।
#vakyabhyas
May 26, 2022
May 26, 2022
May 26, 2022
May 26, 2022
🍃
♦️sattvan rajastama iti gunah prakrtisanbhavah.
nibadhnanti mahabaho dehe dehinamavyayam৷৷14.5৷৷
⚜Purity, passion and inertia these alities, O Arjuna, born of Nature, bind fast in the body, the embodied, the indestructible.(14.5)
⚜हे महाबाहो सत्त्व रज और तम ये प्रकृति से उत्पन्न तीनों गुण देही आत्मा को देह के साथ बांध देते हैं।।14.5।।
#geeta
सत्त्वं रजस्तम इति गुणाः प्रकृतिसंभवाः।
निबध्नन्ति महाबाहो देहे देहिनमव्ययम्
।।14.5।।♦️sattvan rajastama iti gunah prakrtisanbhavah.
nibadhnanti mahabaho dehe dehinamavyayam৷৷14.5৷৷
⚜Purity, passion and inertia these alities, O Arjuna, born of Nature, bind fast in the body, the embodied, the indestructible.(14.5)
⚜हे महाबाहो सत्त्व रज और तम ये प्रकृति से उत्पन्न तीनों गुण देही आत्मा को देह के साथ बांध देते हैं।।14.5।।
#geeta
May 26, 2022
May 26, 2022
🍃
♦️tatra sattvan nirmalatvatprakasakamanamayam.
sukhasangena badhnati jnanasangena canagha৷৷14.6৷৷
⚜Of these, Sattva, which from its stainlessness is luminous and healthy, binds by attachment to happiness and by attachment to knowledge, O sinless one.(14.6)
⚜हे निष्पाप अर्जुन इन (तीनों) में सत्त्वगुण निर्मल होने से प्रकाशक और अनामय (निरुपद्रव निर्विकार या निरोग) है (वह जीव को) सुख की आसक्ति से और ज्ञान की आसक्ति से बांध देता है।।14.6।।
#geeta
तत्र सत्त्वं निर्मलत्वात्प्रकाशकमनामयम्।
सुखसङ्गेन बध्नाति ज्ञानसङ्गेन चानघ
।।14.6।।♦️tatra sattvan nirmalatvatprakasakamanamayam.
sukhasangena badhnati jnanasangena canagha৷৷14.6৷৷
⚜Of these, Sattva, which from its stainlessness is luminous and healthy, binds by attachment to happiness and by attachment to knowledge, O sinless one.(14.6)
⚜हे निष्पाप अर्जुन इन (तीनों) में सत्त्वगुण निर्मल होने से प्रकाशक और अनामय (निरुपद्रव निर्विकार या निरोग) है (वह जीव को) सुख की आसक्ति से और ज्ञान की आसक्ति से बांध देता है।।14.6।।
#geeta
May 26, 2022
🚩जय सत्य सनातन 🚩
🚩आज की हिंदी तिथि
🌥 🚩यगाब्द - ५१२४
🌥 🚩विक्रम संवत - २०७९
🌥 🚩शक संवत - १९४४
⛅️ 🚩तिथि - द्वादशी सुबह 11:47 तक तत्पश्चात त्रयोदशी
⛅️ दिनांक - 27 मई 2022
⛅️ दिन - शुक्रवार
⛅️ अयन - उत्तरायण
⛅️ ऋतु - ग्रीष्म
⛅️ मास - ज्येष्ठ
⛅️ पक्ष - कृष्ण
⛅️ नक्षत्र - आश्विनी रात्रि 12:39 तक तत्पश्चात भरणी
⛅️ योग - सौभाग्य रात्रि 10:09 तक तत्पश्चात शोभन
⛅️ राहुकाल - सुबह 10:56 से दोपहर 12:37 तक
⛅️ सर्योदय - 05:55
⛅️ सर्यास्त - 07:19
⛅️ दिशाशूल - पश्चिम दिशा में
⛅️ बरह्म मुहूर्त- प्रातः 04:30 से 05:12 तक
🚩आज की हिंदी तिथि
🌥 🚩यगाब्द - ५१२४
🌥 🚩विक्रम संवत - २०७९
🌥 🚩शक संवत - १९४४
⛅️ 🚩तिथि - द्वादशी सुबह 11:47 तक तत्पश्चात त्रयोदशी
⛅️ दिनांक - 27 मई 2022
⛅️ दिन - शुक्रवार
⛅️ अयन - उत्तरायण
⛅️ ऋतु - ग्रीष्म
⛅️ मास - ज्येष्ठ
⛅️ पक्ष - कृष्ण
⛅️ नक्षत्र - आश्विनी रात्रि 12:39 तक तत्पश्चात भरणी
⛅️ योग - सौभाग्य रात्रि 10:09 तक तत्पश्चात शोभन
⛅️ राहुकाल - सुबह 10:56 से दोपहर 12:37 तक
⛅️ सर्योदय - 05:55
⛅️ सर्यास्त - 07:19
⛅️ दिशाशूल - पश्चिम दिशा में
⛅️ बरह्म मुहूर्त- प्रातः 04:30 से 05:12 तक
May 26, 2022
Forwarded from रामदूतः — The Sanskrit News Platform (Bhavani Raman)
वार्ता: संस्कृत में समाचार | पीएम मोदी आज भारत ड्रोन महोत्सव 2022 का उद्घाटन करेंगे - YouTube
https://m.youtube.com/watch?v=OtSF7ZsULbQ
https://m.youtube.com/watch?v=OtSF7ZsULbQ
YouTube
वार्ता: संस्कृत में समाचार | पीएम मोदी आज भारत ड्रोन महोत्सव 2022 का उद्घाटन करेंगे
May 26, 2022
🍃न पश्यति च जन्मान्धः कामान्धो नैव पश्यति।
न पश्यति मदोन्मत्तो ह्यर्थी दोषान् न पश्यति ॥
⚜जन्म के अन्धे को दिखाई नहीं देता, कामान्ध को भी कुछ नहीं दीखता, शराब आदि के कारण उन्मत्त को भी कुछ नहीं सूझता और स्वार्थी अपने काम को सिद्ध करने की धुन में किसी काम में दोष नहीं देखता ।।
🔅जन्मतः अन्धः न पश्यति, कामकारणेन अपि न पश्यति, व्यसनकारणेनापि न द्रष्टुं किमपि कर्तुं वा शक्नोति तथा च स्वार्थी जनः स्वकार्यं साधयितुम् अपि दोषान् न पश्यति।
#Subhashitam
न पश्यति मदोन्मत्तो ह्यर्थी दोषान् न पश्यति ॥
⚜जन्म के अन्धे को दिखाई नहीं देता, कामान्ध को भी कुछ नहीं दीखता, शराब आदि के कारण उन्मत्त को भी कुछ नहीं सूझता और स्वार्थी अपने काम को सिद्ध करने की धुन में किसी काम में दोष नहीं देखता ।।
🔅जन्मतः अन्धः न पश्यति, कामकारणेन अपि न पश्यति, व्यसनकारणेनापि न द्रष्टुं किमपि कर्तुं वा शक्नोति तथा च स्वार्थी जनः स्वकार्यं साधयितुम् अपि दोषान् न पश्यति।
#Subhashitam
May 26, 2022
May 27, 2022
________ नासिकां ________।
Anonymous Quiz
10%
करेण,प्रोञ्छति
62%
करवस्त्रेण, प्रोञ्छति
12%
करवस्त्रात् , स्वच्छिकरोति
16%
करवस्त्रेण, मार्जते
May 27, 2022
पठित्वा वद सुखम् अभवत् वा दु≍खम्।
जीवनस्य चतसृषु अवस्थायां मनुष्यस्य प्रमुखं प्रश्नम्।
बाल्यावस्थायां केन सह क्रीडितव्यः इति।
युवावस्थायां केन सह विवाहं कर्तव्यम् इति।
प्रौढावस्थायां किमर्थं विवाहम् अकुर्वि इति।
वृद्धावस्थायां किमर्थं मम जीवनसङ्गी मत् पूर्वम् अम्रियत् इति।
जीवनस्य चतसृषु अवस्थायां मनुष्यस्य प्रमुखं प्रश्नम्।
बाल्यावस्थायां केन सह क्रीडितव्यः इति।
युवावस्थायां केन सह विवाहं कर्तव्यम् इति।
प्रौढावस्थायां किमर्थं विवाहम् अकुर्वि इति।
वृद्धावस्थायां किमर्थं मम जीवनसङ्गी मत् पूर्वम् अम्रियत् इति।
May 27, 2022
May 27, 2022
Aunty - Your wedding day is near no ? How's the preparations going on ?
Girl - Whats app, Facebook, Instagram... all accounts deleted. Only Changing the phone number is remaining.
#hasya
Girl - Whats app, Facebook, Instagram... all accounts deleted. Only Changing the phone number is remaining.
#hasya
May 27, 2022
संस्कृत संवादः । Sanskrit Samvadah
संस्कृतं
वद आधुनिको भव। वेदान् पठ वैज्ञानिको भव।। पाठ: (41) कृदन्त (9) शतृ
प्रत्यय (जब नाम शब्दों के विशेषण के रूप में वर्तमानकाल तथा भविष्यकाल
में विद्यमान परस्मैपद संज्ञक धातु का प्रयोग किया जाता है, तब उस धातु से
शतृ प्रत्यय का प्रयोग होता है। शतृ प्रत्ययान्त…
जीवन्तं मतवन्मन्ये देहिनं धर्मवर्जितं।
मृतो धर्मेण संयुक्तो दीर्घजीवी न संशयः।।
= मैं धर्मरहित मनुष्य को मरे हुए के समान समझता हूं। इस में कोई सन्देह नहीं कि धार्मिक मनुष्य मरने के बाद भी जीवित रहता है, क्योंकि उसकी कीर्ति अमर रहती है।
सुशीघ्रपमि धावन्तं विधानमनुधावति।
शेते सह शयानेन येन येन यथाकृतम्।।
उपतिष्ठति तिष्ठन्तं गच्छन्तमनु गच्छति।
करोति कुर्वतः कर्म च्छायेवानुविधीयते।।
= जिस-जिस मनुष्य ने जैसा-जैसा कर्म किया है, वह उसके पीछे लगा रहता है। यदि कर्मकर्त्ता शीघ्रतापूर्वक दौड़ता है तो वह कर्म भी उतने ही वेग से उसके पीछे भागता है। जब वह सोता है तो उसका भाग्य भी उसके साथ सो जाता है। जब वह खड़ा होता है तो उसका भाग्य भी उसके पास ही खड़ा होता है। और जब मनुष्य चलता है तो उसका किया हुआ कर्म भी उसके पीछे-पीछे चलने लगता है। इतना ही नहीं, कोई भी कार्य करते हुए कर्म संस्कार उसका पीछा नहीं छोड़ता, अपितु सदा छाया के समान उसके पीछे लगा रहता है।
यदिच्छसि वशीकर्त्तुं जगदेकेन कर्मणा।
परापवादसस्येभ्यो गां चरन्तीं निवारय।।
= हे मनुष्य यदि तू एक ही कर्म के द्वारा संसार को अपने वश में करना चाहता है तो दूसरों की निन्दा करने में लगी हुई अपनी वाणी को वश में कर अर्थात् किसी की निन्दा मत कर।
छिन्नोपि रोहति तरुः क्षीणोप्युपचीयते पुनश्चन्द्रः।
इति विमृशन्तः सन्तः सन्तप्यन्ते न दुःखेषु।।
= कट जाने पर भी वृक्ष फिर समय पाकर अंकुरित हो जाता है। क्षीण होने पर भी चन्द्रमा पुनः बढ़ता है। इसी प्रकार विचारशील सज्जन विपत्ति पड़ने पर दुःखी नहीं होते।
खल्वाटो दिवसेश्वरस्य किरणैः सन्तापिते मस्तके,
वा´्छन्देशमनातपं विधिवशात्तालस्य मूलं गतः।
तत्राप्यस्य महाफलेन पतता भग्नं सशब्दं शिरः,
प्रायो गच्छति यत्र दैवहतकस्तप्तैव यान्त्यापदः।।
= सिर पर पड़नेवाली सूर्यकिरणों से सन्तप्त होकर कोई गंजा व्यक्ति छाया खोजता हुआ भाग्यवश ताड़ के वृक्ष के नीचे जा पहुंचा। वहां पर एक बहुत बड़ा फल धडाम् से उसके सिर पर गिर पड़ा और उसका सिर फट गया। प्रायः भाग्यहीन मनुष्य जहां भी जाता है विपत्तियां उसके पीछे वहीं पहुंच जाती हैं।
#vakyabhyas
मृतो धर्मेण संयुक्तो दीर्घजीवी न संशयः।।
= मैं धर्मरहित मनुष्य को मरे हुए के समान समझता हूं। इस में कोई सन्देह नहीं कि धार्मिक मनुष्य मरने के बाद भी जीवित रहता है, क्योंकि उसकी कीर्ति अमर रहती है।
सुशीघ्रपमि धावन्तं विधानमनुधावति।
शेते सह शयानेन येन येन यथाकृतम्।।
उपतिष्ठति तिष्ठन्तं गच्छन्तमनु गच्छति।
करोति कुर्वतः कर्म च्छायेवानुविधीयते।।
= जिस-जिस मनुष्य ने जैसा-जैसा कर्म किया है, वह उसके पीछे लगा रहता है। यदि कर्मकर्त्ता शीघ्रतापूर्वक दौड़ता है तो वह कर्म भी उतने ही वेग से उसके पीछे भागता है। जब वह सोता है तो उसका भाग्य भी उसके साथ सो जाता है। जब वह खड़ा होता है तो उसका भाग्य भी उसके पास ही खड़ा होता है। और जब मनुष्य चलता है तो उसका किया हुआ कर्म भी उसके पीछे-पीछे चलने लगता है। इतना ही नहीं, कोई भी कार्य करते हुए कर्म संस्कार उसका पीछा नहीं छोड़ता, अपितु सदा छाया के समान उसके पीछे लगा रहता है।
यदिच्छसि वशीकर्त्तुं जगदेकेन कर्मणा।
परापवादसस्येभ्यो गां चरन्तीं निवारय।।
= हे मनुष्य यदि तू एक ही कर्म के द्वारा संसार को अपने वश में करना चाहता है तो दूसरों की निन्दा करने में लगी हुई अपनी वाणी को वश में कर अर्थात् किसी की निन्दा मत कर।
छिन्नोपि रोहति तरुः क्षीणोप्युपचीयते पुनश्चन्द्रः।
इति विमृशन्तः सन्तः सन्तप्यन्ते न दुःखेषु।।
= कट जाने पर भी वृक्ष फिर समय पाकर अंकुरित हो जाता है। क्षीण होने पर भी चन्द्रमा पुनः बढ़ता है। इसी प्रकार विचारशील सज्जन विपत्ति पड़ने पर दुःखी नहीं होते।
खल्वाटो दिवसेश्वरस्य किरणैः सन्तापिते मस्तके,
वा´्छन्देशमनातपं विधिवशात्तालस्य मूलं गतः।
तत्राप्यस्य महाफलेन पतता भग्नं सशब्दं शिरः,
प्रायो गच्छति यत्र दैवहतकस्तप्तैव यान्त्यापदः।।
= सिर पर पड़नेवाली सूर्यकिरणों से सन्तप्त होकर कोई गंजा व्यक्ति छाया खोजता हुआ भाग्यवश ताड़ के वृक्ष के नीचे जा पहुंचा। वहां पर एक बहुत बड़ा फल धडाम् से उसके सिर पर गिर पड़ा और उसका सिर फट गया। प्रायः भाग्यहीन मनुष्य जहां भी जाता है विपत्तियां उसके पीछे वहीं पहुंच जाती हैं।
#vakyabhyas
May 27, 2022
नमो नमः
27 मई 2022 साप्ताहिकमेलनस्य कृते सर्वे निश्चयेन आगच्छन्तु
https://bit.ly/melanam
All are invited. No eligibility.
27 मई 2022 साप्ताहिकमेलनस्य कृते सर्वे निश्चयेन आगच्छन्तु
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May 27, 2022
May 27, 2022
🍃
♦️rajo ragatmakan viddhi trsnasangasamudbhavam.
tannibadhnati kaunteya karmasangena dehinam৷৷14.7৷৷
⚜Know thou Rajas to be of the nature of passion, the source of thirst (for sensual enjoyment) and attachment; it binds fast, O Arjuna, the embodied one by attachment to action.(14.7)
⚜हे कौन्तेय रजोगुण को रागस्वरूप जानो जिससे तृष्णा और आसक्ति उत्पन्न होती है। वह देही आत्मा को कर्मों की आसक्ति से बांधता है।।14.7।।
#geeta
रजो रागात्मकं विद्धि तृष्णासङ्गसमुद्भवम्।
तन्निबध्नाति कौन्तेय कर्मसङ्गेन देहिनम्
।।14.7।।♦️rajo ragatmakan viddhi trsnasangasamudbhavam.
tannibadhnati kaunteya karmasangena dehinam৷৷14.7৷৷
⚜Know thou Rajas to be of the nature of passion, the source of thirst (for sensual enjoyment) and attachment; it binds fast, O Arjuna, the embodied one by attachment to action.(14.7)
⚜हे कौन्तेय रजोगुण को रागस्वरूप जानो जिससे तृष्णा और आसक्ति उत्पन्न होती है। वह देही आत्मा को कर्मों की आसक्ति से बांधता है।।14.7।।
#geeta
May 27, 2022
May 27, 2022
🍃
♦️tamastvajnanajan viddhi mohanan sarvadehinam.
pramadalasyanidrabhistannibadhnati bharata৷৷14.8৷৷
⚜But know thou Tamas to be born of ignorance, deluding all embodied beings; it binds fast, O Arjuna, by heedlessness, indolence and sleep.(14.8)
⚜और हे भारत तमोगुण को अज्ञान से उत्पन्न जानो जो समस्त देहधारियों (जीवों) को मोहित करने वाला है। वह प्रमाद आलस्य और निद्रा के द्वारा जीव को बांधता है।।14.8।।
#geeta
तमस्त्वज्ञानजं विद्धि मोहनं सर्वदेहिनाम्।
प्रमादालस्यनिद्राभिस्तन्निबध्नाति भारत
।।14.8।।♦️tamastvajnanajan viddhi mohanan sarvadehinam.
pramadalasyanidrabhistannibadhnati bharata৷৷14.8৷৷
⚜But know thou Tamas to be born of ignorance, deluding all embodied beings; it binds fast, O Arjuna, by heedlessness, indolence and sleep.(14.8)
⚜और हे भारत तमोगुण को अज्ञान से उत्पन्न जानो जो समस्त देहधारियों (जीवों) को मोहित करने वाला है। वह प्रमाद आलस्य और निद्रा के द्वारा जीव को बांधता है।।14.8।।
#geeta
May 27, 2022
🚩जय सत्य सनातन 🚩
🚩आज की हिंदी तिथि
🌥 🚩यगाब्द - ५१२४
🌥 🚩विक्रम संवत - २०७९
🌥 🚩शक संवत - १९४४
⛅️ 🚩तिथि - त्रयोदशी दोपहर 01:09 तक तत्पश्चात चतुर्दशी
⛅️ दिनांक - 28 मई 2022
⛅️ दिन - शनिवार
⛅️ अयन - उत्तरायण
⛅️ ऋतु - ग्रीष्म
⛅️ मास - ज्येष्ठ
⛅️ पक्ष - कृष्ण
⛅️ नक्षत्र - भरणी 29 मई प्रातः 04:39 तक तत्पश्चात कृत्तिका
⛅️ योग - शोभन रात्रि 10:23 तक तत्पश्चात अतिगण्ड
⛅️ राहुकाल - सुबह 09:19 से 10:56 तक
⛅️ सर्योदय - 05:55
⛅️ सर्यास्त - 07:20
⛅️ दिशाशूल - पश्चिम दिशा में
⛅️ बरह्म मुहूर्त- प्रातः 04:30 से 05:12 तक
🚩आज की हिंदी तिथि
🌥 🚩यगाब्द - ५१२४
🌥 🚩विक्रम संवत - २०७९
🌥 🚩शक संवत - १९४४
⛅️ 🚩तिथि - त्रयोदशी दोपहर 01:09 तक तत्पश्चात चतुर्दशी
⛅️ दिनांक - 28 मई 2022
⛅️ दिन - शनिवार
⛅️ अयन - उत्तरायण
⛅️ ऋतु - ग्रीष्म
⛅️ मास - ज्येष्ठ
⛅️ पक्ष - कृष्ण
⛅️ नक्षत्र - भरणी 29 मई प्रातः 04:39 तक तत्पश्चात कृत्तिका
⛅️ योग - शोभन रात्रि 10:23 तक तत्पश्चात अतिगण्ड
⛅️ राहुकाल - सुबह 09:19 से 10:56 तक
⛅️ सर्योदय - 05:55
⛅️ सर्यास्त - 07:20
⛅️ दिशाशूल - पश्चिम दिशा में
⛅️ बरह्म मुहूर्त- प्रातः 04:30 से 05:12 तक
May 27, 2022
Forwarded from रामदूतः — The Sanskrit News Platform (Bhavani Raman)
प्रतिदिनं प्रातः ७:१५ वादने १५ निमेषात्मिकायै वार्तायै डी डी न्यूज् इति पश्यत।
https://youtu.be/L4O8VI-DWHE
https://youtu.be/L4O8VI-DWHE
YouTube
वार्ता: संस्कृत में समाचार | पीएम मोदी आज गुजरात का दौरा करेंगे
May 27, 2022
May 27, 2022
🍃सद्भिरेव सहासीत
सद्भिः कुर्वीत सङ्गतिम्।
सद्भिर्विवादं मैत्री च
नासद्भिः किञ्चिदाचरेत् ।।
⚜सज्जनों के साथ ही बैठना चाहिए।सज्जनों के साथ संगति (रहन-सहन) करनी चाहिए। सज्जनों के साथ विवाद(तर्क-वितर्क)और मित्रता करनी चाहिए। असज्जनों (दुष्टों) के साथ कुछ भी व्यवहार नहीं करना चाहिए।
🔅सदा सज्जनैः सह उपविशेत् , सज्जनैः सह वासं/सङ्गतिं कुर्यात् , सज्जनैः सह कलहं मित्रतां च कुर्यात् , असज्जनैः सह किमपि न कुर्यात्।
#Subhashitam
सद्भिः कुर्वीत सङ्गतिम्।
सद्भिर्विवादं मैत्री च
नासद्भिः किञ्चिदाचरेत् ।।
⚜सज्जनों के साथ ही बैठना चाहिए।सज्जनों के साथ संगति (रहन-सहन) करनी चाहिए। सज्जनों के साथ विवाद(तर्क-वितर्क)और मित्रता करनी चाहिए। असज्जनों (दुष्टों) के साथ कुछ भी व्यवहार नहीं करना चाहिए।
🔅सदा सज्जनैः सह उपविशेत् , सज्जनैः सह वासं/सङ्गतिं कुर्यात् , सज्जनैः सह कलहं मित्रतां च कुर्यात् , असज्जनैः सह किमपि न कुर्यात्।
#Subhashitam
May 27, 2022
संस्कृत संवादः । Sanskrit Samvadah
🌷ओ३म्🌷 🌺 संस्कृत स्वयं शिक्षक 🌺
- श्रीपाद दामोदर सातवलेकर पाठ ४ 'गम्-(गच्छ) का अर्थ 'जाना'। परन्तु
उससे पूर्व 'आ' लगाने से आगम्-(आगच्छ) का अर्थ 'आना' होता है। जैसे -
शब्द गच्छति-वह जाता है। गच्छसि-तू जाता है। गच्छामि-मैं जाता हूँ।
आगच्छति-वह आता…
पूर्व भाग
🌷ओ३म्🌷
🌺 संस्कृत स्वयं शिक्षक 🌺 - श्रीपाद दामोदर सातवलेकर
पाठ ४ ख
विभक्तयः
अब कुछ विभक्तियों के रूप देते हैं, जिनको स्मरण करने से पाठकों की योग्यता बहुत बढ़ सकती है। संस्कृत में सात विभक्तियाँ होती हैं (यह हिन्दी में भी हैं)।
'देव' शब्द के सातों विभक्तियों एकवचन के रूप
विभक्ति---रूप---हिन्दी अर्थ
1. प्रथमा---देवः---देव (ने)
2. द्वितीया---देवम्---देव को
3. तृतीया---देवेन---देव के द्वारा (से)
4. चतुर्थी---देवाय---देव के लिए
5. पंचमी---देवात्---देव से (पृथकता का भाव)
6. षष्ठी---देवस्य---देव का, की, के
7. सप्तमी---देवे---देव में, पर
सम्बोधन---[हे] देव---हे देव
पाठक देख सकते हैं कि इन रूपों का बातचीत करने में कितना उपयोग होता है। उक्त रूपों का उपयोग करके अब कुछ वाक्य देते हैं
1. देवः तत्र गच्छति।
- देव वहाँ जाता है।
2. तत्र देवं पश्य।
- वहाँ देव को देख।
3. देवेन अन्नं दत्तम्।
- देव के द्वारा अन्न दिया गया।
4. देवाय फलं देहि।
- देव के लिए फल दे।
5. देवात् ज्ञानं लभते।
- देव से ज्ञान पाता है।
6. देवस्य गृहम् अस्ति।
- देव का घर है।
7. देवे ज्ञानम् अस्ति।
- देव में ज्ञान है।
सम्बोधन - हे देव ! त्वं तत्र गच्छसि किम् ?
- हे देव ! तू वहाँ जाता है क्या ?
इस प्रकार पाठक वाक्य बना सकेंगे। उनको चाहिए कि वे इस प्रकार नये शब्दों का उपयोग करते रहें। अब उक्त वाक्यों के निषेध अर्थ के वाक्य देते हैं। इनका अर्थ पाठक स्वयं जान सकेंगे, इसलिए नहीं दिया है।
1. देवः तत्र न गच्छति ।
2. तत्र देवं न पश्य ।
3. देवेन अन्नं न दत्तम् ।
4. देवाय फलं न देहि ।
5. देवात् ज्ञानं न लभते ।
6. देवस्य गृहं न अस्ति ।
7. देवे ज्ञानं न अस्ति ।
सम्बोधन- हे देव ! त्वं तत्र न गच्छसि किम् ?
पाठकों को ध्यान रखना चाहिए कि ये वाक्य कोई विशेष अर्थ नहीं रखते। यहाँ इतना ही बताया है कि नकार के साथ वाक्य कैसे बनाए जाते हैं। इनको देखकर पाठक बहुत से नए वाक्य बनाकर बोल सकते हैं ।
वाक्य
अहं नैव गमिष्यामि।
सः मांस नैव भक्षयिष्यति।
सः आम्रं कदा भक्षयिष्यति ?
यदा त्वं मोदकं भक्षयिष्यसि।
सः नित्यं कदलीफलं भक्षयति।
देवः इदानीं कुत्र अस्ति ?
देवः सर्वत्र अस्ति।
सः कदा आगमिष्यति ?
सः अत्र श्वः प्रातः आगमिष्यति।
यत्र-यत्र अहं गच्छामि, तत्र-तत्र सः नित्यम् आगच्छति।
व्यवहारिक-धातवः
१. अच्छा लगना—रुच् - रोचते
२. अच्छा दिखना—शुभ् - शोभते, वि + लस् - विलसति
३. अभिनन्दन करना—अभि± नन्द् · अभिनन्दति
४. अभिलाषा करना—अभि + लस् - अभिलषति, काङ्क्ष - काङ्क्षते
५. अदृश्य होना—अन्तर् + धा - अन्तर्दधाति
व्यवहारिक-शब्दाः
अँगरखा -> अङ्गरक्षिका (स्त्री.)
अँगिया -> अङ्गिका (स्त्री.)
अँगीठी -> अग्नीष्टिका, अङ्गारधानी, हसन्ती (स्त्री.)
अँगुली -> अङ्गुलिः, करशाखा (स्त्री.)
अँगूठा -> अँगुष्ठ:
अँगूठी -> अङ्गुलीयकम् (नपुं.), ऊर्मिका (स्त्री.)
अँगूठे के पास की अँगुली -> तर्जनी, प्रदेशिनी (स्त्री.)
©आर्य विजय चौहान #vakyabhyas #sanskritlessons
🌷ओ३म्🌷
🌺 संस्कृत स्वयं शिक्षक 🌺 - श्रीपाद दामोदर सातवलेकर
पाठ ४ ख
विभक्तयः
अब कुछ विभक्तियों के रूप देते हैं, जिनको स्मरण करने से पाठकों की योग्यता बहुत बढ़ सकती है। संस्कृत में सात विभक्तियाँ होती हैं (यह हिन्दी में भी हैं)।
'देव' शब्द के सातों विभक्तियों एकवचन के रूप
विभक्ति---रूप---हिन्दी अर्थ
1. प्रथमा---देवः---देव (ने)
2. द्वितीया---देवम्---देव को
3. तृतीया---देवेन---देव के द्वारा (से)
4. चतुर्थी---देवाय---देव के लिए
5. पंचमी---देवात्---देव से (पृथकता का भाव)
6. षष्ठी---देवस्य---देव का, की, के
7. सप्तमी---देवे---देव में, पर
सम्बोधन---[हे] देव---हे देव
पाठक देख सकते हैं कि इन रूपों का बातचीत करने में कितना उपयोग होता है। उक्त रूपों का उपयोग करके अब कुछ वाक्य देते हैं
1. देवः तत्र गच्छति।
- देव वहाँ जाता है।
2. तत्र देवं पश्य।
- वहाँ देव को देख।
3. देवेन अन्नं दत्तम्।
- देव के द्वारा अन्न दिया गया।
4. देवाय फलं देहि।
- देव के लिए फल दे।
5. देवात् ज्ञानं लभते।
- देव से ज्ञान पाता है।
6. देवस्य गृहम् अस्ति।
- देव का घर है।
7. देवे ज्ञानम् अस्ति।
- देव में ज्ञान है।
सम्बोधन - हे देव ! त्वं तत्र गच्छसि किम् ?
- हे देव ! तू वहाँ जाता है क्या ?
इस प्रकार पाठक वाक्य बना सकेंगे। उनको चाहिए कि वे इस प्रकार नये शब्दों का उपयोग करते रहें। अब उक्त वाक्यों के निषेध अर्थ के वाक्य देते हैं। इनका अर्थ पाठक स्वयं जान सकेंगे, इसलिए नहीं दिया है।
1. देवः तत्र न गच्छति ।
2. तत्र देवं न पश्य ।
3. देवेन अन्नं न दत्तम् ।
4. देवाय फलं न देहि ।
5. देवात् ज्ञानं न लभते ।
6. देवस्य गृहं न अस्ति ।
7. देवे ज्ञानं न अस्ति ।
सम्बोधन- हे देव ! त्वं तत्र न गच्छसि किम् ?
पाठकों को ध्यान रखना चाहिए कि ये वाक्य कोई विशेष अर्थ नहीं रखते। यहाँ इतना ही बताया है कि नकार के साथ वाक्य कैसे बनाए जाते हैं। इनको देखकर पाठक बहुत से नए वाक्य बनाकर बोल सकते हैं ।
वाक्य
अहं नैव गमिष्यामि।
सः मांस नैव भक्षयिष्यति।
सः आम्रं कदा भक्षयिष्यति ?
यदा त्वं मोदकं भक्षयिष्यसि।
सः नित्यं कदलीफलं भक्षयति।
देवः इदानीं कुत्र अस्ति ?
देवः सर्वत्र अस्ति।
सः कदा आगमिष्यति ?
सः अत्र श्वः प्रातः आगमिष्यति।
यत्र-यत्र अहं गच्छामि, तत्र-तत्र सः नित्यम् आगच्छति।
व्यवहारिक-धातवः
१. अच्छा लगना—रुच् - रोचते
२. अच्छा दिखना—शुभ् - शोभते, वि + लस् - विलसति
३. अभिनन्दन करना—अभि± नन्द् · अभिनन्दति
४. अभिलाषा करना—अभि + लस् - अभिलषति, काङ्क्ष - काङ्क्षते
५. अदृश्य होना—अन्तर् + धा - अन्तर्दधाति
व्यवहारिक-शब्दाः
अँगरखा -> अङ्गरक्षिका (स्त्री.)
अँगिया -> अङ्गिका (स्त्री.)
अँगीठी -> अग्नीष्टिका, अङ्गारधानी, हसन्ती (स्त्री.)
अँगुली -> अङ्गुलिः, करशाखा (स्त्री.)
अँगूठा -> अँगुष्ठ:
अँगूठी -> अङ्गुलीयकम् (नपुं.), ऊर्मिका (स्त्री.)
अँगूठे के पास की अँगुली -> तर्जनी, प्रदेशिनी (स्त्री.)
©आर्य विजय चौहान #vakyabhyas #sanskritlessons
May 28, 2022
May 28, 2022
May 28, 2022
Wife - Our daughter persists for a new mobile !
Wife - Our son demands for a new bike.
Wife - My clothes got very old.
Husband's photo - Dear I have gone to the world of dead , not to any foreign country.
#hasya
Wife - Our son demands for a new bike.
Wife - My clothes got very old.
Husband's photo - Dear I have gone to the world of dead , not to any foreign country.
#hasya
May 28, 2022
🔰चित्रं दृष्ट्वा पञ्चवाक्यानि रचयत।
✍🏼सर्वे टिप्पणीसञ्चिकायां स्वोत्तराणि लेखितुं शक्नुवन्ति अथवा पुस्तिकायां लिखित्वा तस्य चित्रं स्वीकृत्य अपि प्रेषयितुं शक्नुवन्ति।
🗣सहैव तानि वाक्यानि उक्त्वा ध्वनिमाध्यमेन अपि प्रेषयत।
Read in English
हिन्दी में पढें
#chitram
✍🏼सर्वे टिप्पणीसञ्चिकायां स्वोत्तराणि लेखितुं शक्नुवन्ति अथवा पुस्तिकायां लिखित्वा तस्य चित्रं स्वीकृत्य अपि प्रेषयितुं शक्नुवन्ति।
🗣सहैव तानि वाक्यानि उक्त्वा ध्वनिमाध्यमेन अपि प्रेषयत।
Read in English
हिन्दी में पढें
#chitram
May 28, 2022
Elbow (कोहनी) = कूर्परः
अद्य अस्माकं प्रश्ने कर्पूरः इति लिखितम् आसीत्। तस्य कृते क्षम्याः वयम्🙏🏼
अद्य अस्माकं प्रश्ने कर्पूरः इति लिखितम् आसीत्। तस्य कृते क्षम्याः वयम्🙏🏼
May 28, 2022
May 28, 2022
🍃
♦️sattvan sukhe sanjayati rajah karmani bharata.
jnanamavrtya tu tamah pramade sanjayatyuta৷৷14.9৷৷
⚜Sattva attaches to happiness, Rajas to action, O Arjuna, while Tamas verily shrouding knowledge attaches to heedlessness.(14.9)
⚜हे भारत सत्त्वगुण सुख में आसक्त कर देता है और रजोगुण कर्म में किन्तु तमोगुण ज्ञान को आवृत्त करके जीव को प्रमाद से युक्त कर देता है।।14.9।।
#geeta
सत्त्वं सुखे सञ्जयति रजः कर्मणि भारत।
ज्ञानमावृत्य तु तमः प्रमादे सञ्जयत्युत
।।14.9।।♦️sattvan sukhe sanjayati rajah karmani bharata.
jnanamavrtya tu tamah pramade sanjayatyuta৷৷14.9৷৷
⚜Sattva attaches to happiness, Rajas to action, O Arjuna, while Tamas verily shrouding knowledge attaches to heedlessness.(14.9)
⚜हे भारत सत्त्वगुण सुख में आसक्त कर देता है और रजोगुण कर्म में किन्तु तमोगुण ज्ञान को आवृत्त करके जीव को प्रमाद से युक्त कर देता है।।14.9।।
#geeta
May 28, 2022
May 28, 2022
🍃
♦️rajastamascabhibhuya sattvaṅ bhavati bharata.
rajah sattvan tamascaiva tamah sattvan rajastatha৷৷14.10৷৷
⚜Now Sattva arises (prevails), O Arjuna, having overpowered Rajas and Tamas; nor Rajas, having overpowered Sattva and Tamas; and now Tamas, having overpowered Sattva and Rajas.(14.10)
⚜हे भारत कभी रज और तम को अभिभूत (दबा) करके सत्त्वगुण की वृद्धि होती है कभी रज और सत्त्व को दबाकर तमोगुण की वृद्धि होती है तो कभी तम और सत्त्व को अभिभूत कर रजोगुण की वृद्धि होती है।।14.10।।
#geeta
रजस्तमश्चाभिभूय सत्त्वं भवति भारत।
रजः सत्त्वं तमश्चैव तमः सत्त्वं रजस्तथा
।।14.10।।♦️rajastamascabhibhuya sattvaṅ bhavati bharata.
rajah sattvan tamascaiva tamah sattvan rajastatha৷৷14.10৷৷
⚜Now Sattva arises (prevails), O Arjuna, having overpowered Rajas and Tamas; nor Rajas, having overpowered Sattva and Tamas; and now Tamas, having overpowered Sattva and Rajas.(14.10)
⚜हे भारत कभी रज और तम को अभिभूत (दबा) करके सत्त्वगुण की वृद्धि होती है कभी रज और सत्त्व को दबाकर तमोगुण की वृद्धि होती है तो कभी तम और सत्त्व को अभिभूत कर रजोगुण की वृद्धि होती है।।14.10।।
#geeta
May 28, 2022
🚩जय सत्य सनातन 🚩
🚩आज की हिंदी तिथि
🌥 🚩यगाब्द - ५१२४
🌥 🚩शक संवत - १९४४
🌥 🚩विक्रम संवत - २०७९
⛅️ 🚩तिथि - चतुर्दशी अपरान्ह 02:54 तक अमावस्या
⛅️ दिनांक - 29 मई 2022
⛅️ दिन - रविवार
⛅️ अयन - उत्तरायण
⛅️ ऋतु - ग्रीष्म
⛅️ मास - ज्येष्ठ
⛅️ पक्ष - कृष्ण
⛅️ नक्षत्र - कृत्तिका पूर्ण रात्रि तक
⛅️ योग - अतिगण्ड रात्रि 10:54 तक तत्पश्चात सुकर्मा
⛅️ राहुकाल - शाम 05:39 से 07:20 तक
⛅️ सर्योदय - 05:54
⛅️ सर्यास्त - 07:20
⛅️ दिशाशूल - पश्चिम दिशा में
⛅️ बरह्म मुहूर्त- प्रातः 04:30 से 05:12 तक
🚩आज की हिंदी तिथि
🌥 🚩यगाब्द - ५१२४
🌥 🚩शक संवत - १९४४
🌥 🚩विक्रम संवत - २०७९
⛅️ 🚩तिथि - चतुर्दशी अपरान्ह 02:54 तक अमावस्या
⛅️ दिनांक - 29 मई 2022
⛅️ दिन - रविवार
⛅️ अयन - उत्तरायण
⛅️ ऋतु - ग्रीष्म
⛅️ मास - ज्येष्ठ
⛅️ पक्ष - कृष्ण
⛅️ नक्षत्र - कृत्तिका पूर्ण रात्रि तक
⛅️ योग - अतिगण्ड रात्रि 10:54 तक तत्पश्चात सुकर्मा
⛅️ राहुकाल - शाम 05:39 से 07:20 तक
⛅️ सर्योदय - 05:54
⛅️ सर्यास्त - 07:20
⛅️ दिशाशूल - पश्चिम दिशा में
⛅️ बरह्म मुहूर्त- प्रातः 04:30 से 05:12 तक
May 28, 2022
Forwarded from रामदूतः — The Sanskrit News Platform (Bhavani Raman)
प्रतिदिनं प्रातः ७:१५ वादने १५ निमेषात्मिकायै वार्तायै डी डी न्यूज् इति पश्यत।
https://youtu.be/ocOoRZe3080
https://youtu.be/ocOoRZe3080
YouTube
वार्ता: संस्कृत भाषा में मुख़्य समाचार
May 28, 2022
🔰चित्रं दृष्ट्वा पञ्चवाक्यानि रचयत।
✍🏼सर्वे टिप्पणीसञ्चिकायां स्वोत्तराणि लेखितुं शक्नुवन्ति अथवा पुस्तिकायां लिखित्वा तस्य चित्रं स्वीकृत्य अपि प्रेषयितुं शक्नुवन्ति।
🗣सहैव तानि वाक्यानि उक्त्वा ध्वनिमाध्यमेन अपि प्रेषयत।
Read in English
हिन्दी में पढें
#chitram
✍🏼सर्वे टिप्पणीसञ्चिकायां स्वोत्तराणि लेखितुं शक्नुवन्ति अथवा पुस्तिकायां लिखित्वा तस्य चित्रं स्वीकृत्य अपि प्रेषयितुं शक्नुवन्ति।
🗣सहैव तानि वाक्यानि उक्त्वा ध्वनिमाध्यमेन अपि प्रेषयत।
Read in English
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#chitram
May 28, 2022
level-3 https://www.adhyapanam.in/level-3
Samskrit Speaking Skill Development Program
Level 3 : Samskrit Reading and Writing Skills
Course details :
Specially designed for Samskrit Teachers (1 batch every three months).
Online classes in the evening for 3 months (Wednesday & Thursday).
Class time: 7:00- 8:00 PM
Self-study Period 49 lessons / 52 Videos / 14 hours of viewing time.
Clearing the doubts through WhatsApp chat.
Classes will be conducted in Samskrit.
Online examination through.
Assignment (Hand Written): 50 marks
Conversation mode : 50 marks
Learning Material:
Abhyasa-sarini / Practice Book (Grammar)
Videos
Online classes for 3 months (Wednesday & Thursday).
Who can join the course?
Samskrit Teachers who want to acquire 'Reading & Writing Skills in Samskrit'
Those who teach Samskrit
Those who teach other subjects in Samskrit
Students of Education (B.Ed & M.Ed) (Samskrit)
Those who work in Samskrit Institutions in management positions and those who have completed second level.
Course Fee:
Rs 3000/- (Rupees Three Thousand Only)
Participants need to adhere to the rules and regulations of the course.
90% attendance and submission of assignments is mandatory for course completion
To Enrol Click here
#SanskritEducation
Samskrit Speaking Skill Development Program
Level 3 : Samskrit Reading and Writing Skills
Course details :
Specially designed for Samskrit Teachers (1 batch every three months).
Online classes in the evening for 3 months (Wednesday & Thursday).
Class time: 7:00- 8:00 PM
Self-study Period 49 lessons / 52 Videos / 14 hours of viewing time.
Clearing the doubts through WhatsApp chat.
Classes will be conducted in Samskrit.
Online examination through.
Assignment (Hand Written): 50 marks
Conversation mode : 50 marks
Learning Material:
Abhyasa-sarini / Practice Book (Grammar)
Videos
Online classes for 3 months (Wednesday & Thursday).
Who can join the course?
Samskrit Teachers who want to acquire 'Reading & Writing Skills in Samskrit'
Those who teach Samskrit
Those who teach other subjects in Samskrit
Students of Education (B.Ed & M.Ed) (Samskrit)
Those who work in Samskrit Institutions in management positions and those who have completed second level.
Course Fee:
Rs 3000/- (Rupees Three Thousand Only)
Participants need to adhere to the rules and regulations of the course.
90% attendance and submission of assignments is mandatory for course completion
To Enrol Click here
#SanskritEducation
www.adhyapanam.in/level-3
Samskrit Reading and Writing Skill | Samskrita Sambhashanam | Adhyapanam
This is a custom-built course for Samskrit Teachers to improve the Samskrit Reading and Writing Skill.
May 28, 2022
🍃चित्ते प्रसन्ने भुवनं प्रसन्नं चित्ते विषण्णे भुवनं विषण्णम्।
अतोऽभिलाषो यदि ते सुखे स्यात् चित्तप्रसादे प्रथमं यतस्व॥
⚜मन प्रसन्न है तो सारा संसार सुखी है। मन दुखी है तो सारा संसार दुखी है। इसलिए यदि आप सुख चाहते हैं तो पहले मन को सुखी रखने का प्रयास करें।
🔅मनसः प्रसन्नताकारणेन सर्वत्र सुखम् अस्ति इति दृश्यते, मनसः दुःखकारणेन सर्वत्र दुःखं दृश्यते, अतः यदि सुखं वाञ्छति चेत् मनसः सौख्यं कल्पयतु।
#Subhashitam
अतोऽभिलाषो यदि ते सुखे स्यात् चित्तप्रसादे प्रथमं यतस्व॥
⚜मन प्रसन्न है तो सारा संसार सुखी है। मन दुखी है तो सारा संसार दुखी है। इसलिए यदि आप सुख चाहते हैं तो पहले मन को सुखी रखने का प्रयास करें।
🔅मनसः प्रसन्नताकारणेन सर्वत्र सुखम् अस्ति इति दृश्यते, मनसः दुःखकारणेन सर्वत्र दुःखं दृश्यते, अतः यदि सुखं वाञ्छति चेत् मनसः सौख्यं कल्पयतु।
#Subhashitam
May 28, 2022
May 29, 2022
May 29, 2022
संस्कृत संवादः । Sanskrit Samvadah
पूर्व भाग 🌷ओ३म्🌷 🌺 संस्कृत स्वयं शिक्षक 🌺
- श्रीपाद दामोदर सातवलेकर पाठ ४ ख विभक्तयः अब कुछ विभक्तियों के
रूप देते हैं, जिनको स्मरण करने से पाठकों की योग्यता बहुत बढ़ सकती है।
संस्कृत में सात विभक्तियाँ होती हैं (यह हिन्दी में भी हैं)। 'देव'
शब्द…
🌷ओ३म्🌷
🌺 संस्कृत स्वयं शिक्षक 🌺 - श्रीपाद दामोदर सातवलेकर
पाठ ५
नीचे लिखे हुए शब्द याद कीजिए -
नक्तम् - रात्रि में ।
नयति - वह ले जाता है।
नयसि - तू ले जाता है।
नयामि - मैं ले जाता हूँ।
नेष्यति - वह ले जाएगा।
नेष्यसि - तू ले जाएगा।
नेष्यामि - मैं ले जाऊँगा ।
सर्वम् - सब।
आनयति - वह लाता है।
आनयसि - तू लाता है।
आनयामि- मैं लाता हूँ।
आनेष्यति- वह लाएगा।
आनेष्यामि - मैं लाऊँगा ।
नवीनम् - नया।
पुराणम् - पुराना ।
वाक्यानि
1. सः फलं नयति-वह फल ले जाता है।
2. अहम् आम्रम् आनयामि - मैं आम लाता हूँ।
3. त्वम् अन्नम् आनेष्यसि किं - तू अन्न लाएगा क्या ?
4. अहं तत्र गमिष्यामि - मैं वहाँ जाऊँगा।
5. फलं च आनेष्यामि - और फल लाऊँगा।
6. त्वं श्वः कुत्र गन्तासि/गमिष्यसि - तू कल कहाँ जाएगा ?
7. त्वं कदा आगमिष्यसि - तू कब आएगा ?
शब्दाः
जलम् - जल । पुष्पम् - फूल। अपूपम् - पूड़ा। सूपम् - दाल । पुस्तकम् - पुस्तक । किमर्थम् - किसलिए । लेखनी– कलम। मसी - स्याही । मसीपात्रम् - दवात। वस्त्रम् - कपड़ा । उत्तरीयम् - दुपट्टा। व्यर्थम् - व्यर्थ ।
वाक्यानि
1. अहं जलम् आनयामि - मैं जल लाता हूँ।
2. त्वं पुष्पम् आनयसि - तू फूल लाता है।
3. सः वस्त्रं तत्र नयति - वह वस्त्र वहाँ ले जाता है।
4. सः सदा नगरं गच्छति, पुस्तकं च आनयति - वह हमेशा शहर जाता है और पुस्तक लाता है।
5. सः अद्य आगमिष्यति, वस्त्रं च नेष्यति - वह आज आएगा और कपड़ा ले जाएगा।
6. अहम् आम्रम् आनयामि - मैं आम लाता हूँ।
7. त्वम् अपूपम् आनयसि - तू पूड़ा लाता है।
8. सः उत्तरीयं नयति- वह दुपट्टा ले जाता है।
9. कदा सः मसीपात्रं पुस्तकं च तत्र नेष्यति?- वह दवात और पुस्तक वहाँ कब ले जाएगा?
10. सः सायं तत्र मसीपात्रं लेखनीं च नेष्यति - वह शाम को वहाँ दवात और कलम ले जाएगा।
11. त्वं रात्रौ हरिद्वारं गमिष्यसि किम् - तू रात्रि में हरिद्वार जाएगा क्या ?
12. नहि, अहं श्वः मध्याहे तत्र गन्तास्मि/गमिष्यामि - नहीं, मैं कल दोपहर को वहाँ जाऊँगा।
13. अहं गृहं गमिष्यामि सूपं च भक्षयिष्यामि - मैं घर जाऊँगा और दाल खाऊँगा ।
व्यवहारिक-धातवः
१. अनुमोदन/मण्डन करना
मण्ड् - मण्डयति
२. आलिङ्गन करना
श्लिष् - श्लिष्यति
आ + श्लिष् - आश्लिष्यति
३. आशा करना
आ + शंस् - आशंसते
४. आना
आ + गम् - आगच्छति
सम् + आ - समागच्छति
आ + या - आयाति
५. आज्ञा देना (अनुमोदन करना)
अनु + मन् - अनुमन्यते
६. आदेश देना
आ + दिश् - आदिशति
७. आक्रमण करना
अभि + द्रु - अभिद्रोग्धि
व्यवहारिक-शब्दाः
अँगोछा/तौलिया -> अंगप्रोक्षणम्, उपवस्त्रम्, अङ्गोक्षम्, गात्रमार्जनी
अचार -> उपदंशः
अँजली -> अञ्जलि: (स्त्री.)
अंकुरित -> अङ्कुराः
अंकोल -> अकोलः (पुँ.)
अंग -> अङ्गम् (नपुं.), अवयव:, प्रतीकः (नपुं.)
अंगूर -> द्राक्षाफलम् (नपुं.), मृद्वीका, स्वाद्बी (स्त्री.)
अंगूरपेंड़ > द्राक्षा, मृद्वीका वृक्षः
अंजीर -> अंजीर:, अंजीरम्
©आर्य विजय चौहान #vakyabhyas #sanskritlessons
🌺 संस्कृत स्वयं शिक्षक 🌺 - श्रीपाद दामोदर सातवलेकर
पाठ ५
नीचे लिखे हुए शब्द याद कीजिए -
नक्तम् - रात्रि में ।
नयति - वह ले जाता है।
नयसि - तू ले जाता है।
नयामि - मैं ले जाता हूँ।
नेष्यति - वह ले जाएगा।
नेष्यसि - तू ले जाएगा।
नेष्यामि - मैं ले जाऊँगा ।
सर्वम् - सब।
आनयति - वह लाता है।
आनयसि - तू लाता है।
आनयामि- मैं लाता हूँ।
आनेष्यति- वह लाएगा।
आनेष्यामि - मैं लाऊँगा ।
नवीनम् - नया।
पुराणम् - पुराना ।
वाक्यानि
1. सः फलं नयति-वह फल ले जाता है।
2. अहम् आम्रम् आनयामि - मैं आम लाता हूँ।
3. त्वम् अन्नम् आनेष्यसि किं - तू अन्न लाएगा क्या ?
4. अहं तत्र गमिष्यामि - मैं वहाँ जाऊँगा।
5. फलं च आनेष्यामि - और फल लाऊँगा।
6. त्वं श्वः कुत्र गन्तासि/गमिष्यसि - तू कल कहाँ जाएगा ?
7. त्वं कदा आगमिष्यसि - तू कब आएगा ?
शब्दाः
जलम् - जल । पुष्पम् - फूल। अपूपम् - पूड़ा। सूपम् - दाल । पुस्तकम् - पुस्तक । किमर्थम् - किसलिए । लेखनी– कलम। मसी - स्याही । मसीपात्रम् - दवात। वस्त्रम् - कपड़ा । उत्तरीयम् - दुपट्टा। व्यर्थम् - व्यर्थ ।
वाक्यानि
1. अहं जलम् आनयामि - मैं जल लाता हूँ।
2. त्वं पुष्पम् आनयसि - तू फूल लाता है।
3. सः वस्त्रं तत्र नयति - वह वस्त्र वहाँ ले जाता है।
4. सः सदा नगरं गच्छति, पुस्तकं च आनयति - वह हमेशा शहर जाता है और पुस्तक लाता है।
5. सः अद्य आगमिष्यति, वस्त्रं च नेष्यति - वह आज आएगा और कपड़ा ले जाएगा।
6. अहम् आम्रम् आनयामि - मैं आम लाता हूँ।
7. त्वम् अपूपम् आनयसि - तू पूड़ा लाता है।
8. सः उत्तरीयं नयति- वह दुपट्टा ले जाता है।
9. कदा सः मसीपात्रं पुस्तकं च तत्र नेष्यति?- वह दवात और पुस्तक वहाँ कब ले जाएगा?
10. सः सायं तत्र मसीपात्रं लेखनीं च नेष्यति - वह शाम को वहाँ दवात और कलम ले जाएगा।
11. त्वं रात्रौ हरिद्वारं गमिष्यसि किम् - तू रात्रि में हरिद्वार जाएगा क्या ?
12. नहि, अहं श्वः मध्याहे तत्र गन्तास्मि/गमिष्यामि - नहीं, मैं कल दोपहर को वहाँ जाऊँगा।
13. अहं गृहं गमिष्यामि सूपं च भक्षयिष्यामि - मैं घर जाऊँगा और दाल खाऊँगा ।
व्यवहारिक-धातवः
१. अनुमोदन/मण्डन करना
मण्ड् - मण्डयति
२. आलिङ्गन करना
श्लिष् - श्लिष्यति
आ + श्लिष् - आश्लिष्यति
३. आशा करना
आ + शंस् - आशंसते
४. आना
आ + गम् - आगच्छति
सम् + आ - समागच्छति
आ + या - आयाति
५. आज्ञा देना (अनुमोदन करना)
अनु + मन् - अनुमन्यते
६. आदेश देना
आ + दिश् - आदिशति
७. आक्रमण करना
अभि + द्रु - अभिद्रोग्धि
व्यवहारिक-शब्दाः
अँगोछा/तौलिया -> अंगप्रोक्षणम्, उपवस्त्रम्, अङ्गोक्षम्, गात्रमार्जनी
अचार -> उपदंशः
अँजली -> अञ्जलि: (स्त्री.)
अंकुरित -> अङ्कुराः
अंकोल -> अकोलः (पुँ.)
अंग -> अङ्गम् (नपुं.), अवयव:, प्रतीकः (नपुं.)
अंगूर -> द्राक्षाफलम् (नपुं.), मृद्वीका, स्वाद्बी (स्त्री.)
अंगूरपेंड़ > द्राक्षा, मृद्वीका वृक्षः
अंजीर -> अंजीर:, अंजीरम्
©आर्य विजय चौहान #vakyabhyas #sanskritlessons
May 29, 2022
May 29, 2022
May 29, 2022
🍃
♦️sarvadvaresu dehesminprakasa upajayate.
jnanan yada tada vidyadvivṛddhan sattvamityuta৷৷14.11৷৷
⚜When through every gate (sense) in this body, the wisdom-light shines, then it may be known that Sattva is predominant.(14.11)
⚜जब इस देह के द्वारों अर्थात् समस्त इन्द्रियों में ज्ञानरूप प्रकाश उत्पन्न होता है तब सत्त्वगुण को प्रवृद्ध हुआ जानो।।14.11।।
#geeta
सर्वद्वारेषु देहेऽस्मिन्प्रकाश उपजायते।
ज्ञानं यदा तदा विद्याद्विवृद्धं सत्त्वमित्युत
।।14.11।।♦️sarvadvaresu dehesminprakasa upajayate.
jnanan yada tada vidyadvivṛddhan sattvamityuta৷৷14.11৷৷
⚜When through every gate (sense) in this body, the wisdom-light shines, then it may be known that Sattva is predominant.(14.11)
⚜जब इस देह के द्वारों अर्थात् समस्त इन्द्रियों में ज्ञानरूप प्रकाश उत्पन्न होता है तब सत्त्वगुण को प्रवृद्ध हुआ जानो।।14.11।।
#geeta
May 29, 2022
May 29, 2022
🍃
♦️lobhah pravrttirarambhah karmanamasamah sprha.
rajasyetani jayante vivrddhe bharatarsabha৷৷14.12৷৷
⚜Greed, activity, the undertaking of actions, restlessness, longing these arise when Rajas is predominant, O Arjuna.(14.12)
⚜हे भरतश्रेष्ठ रजोगुण के प्रवृद्ध होने पर लोभ प्रवृत्ति (सामान्य चेष्टा) कर्मों का आरम्भ शम का अभाव तथा स्पृहा ये सब उत्पन्न होते हैं।।14.12।।
#geeta
लोभः प्रवृत्तिरारम्भः कर्मणामशमः स्पृहा।
रजस्येतानि जायन्ते विवृद्धे भरतर्षभ
।।14.12।।♦️lobhah pravrttirarambhah karmanamasamah sprha.
rajasyetani jayante vivrddhe bharatarsabha৷৷14.12৷৷
⚜Greed, activity, the undertaking of actions, restlessness, longing these arise when Rajas is predominant, O Arjuna.(14.12)
⚜हे भरतश्रेष्ठ रजोगुण के प्रवृद्ध होने पर लोभ प्रवृत्ति (सामान्य चेष्टा) कर्मों का आरम्भ शम का अभाव तथा स्पृहा ये सब उत्पन्न होते हैं।।14.12।।
#geeta
May 29, 2022
May 29, 2022
🚩जय सत्य सनातन 🚩
🚩आज की हिंदी तिथि
🌥 🚩यगाब्द - ५१२४
🌥 🚩शक संवत - १९४४
🌥 🚩विक्रम संवत - २०७९
⛅️ 🚩तिथि - अमावस्या शाम 05:00 तक तत्पश्चात प्रतिपदा
⛅️ दिनांक - 30 मई 2022
⛅️ दिन - सोमवार
⛅️ अयन - उत्तरायण
⛅️ ऋतु - ग्रीष्म
⛅️ मास - ज्येष्ठ
⛅️ पक्ष - कृष्ण
⛅️ नक्षत्र - कृत्तिका सुबह 07:12 तक तत्पश्चात रोहिणी
⛅️ योग - सुकर्मा रात्रि 11:39 तक तत्पश्चात धृति
⛅️ राहुकाल - सुबह 07:35 से 09:16 तक
⛅️ सर्योदय - 05:54
⛅️ सर्यास्त - 07:20
⛅️ दिशाशूल - पूर्व दिशा में
⛅️ बरह्म मुहूर्त- प्रातः 04:30 से 05:12 तक
🚩आज की हिंदी तिथि
🌥 🚩यगाब्द - ५१२४
🌥 🚩शक संवत - १९४४
🌥 🚩विक्रम संवत - २०७९
⛅️ 🚩तिथि - अमावस्या शाम 05:00 तक तत्पश्चात प्रतिपदा
⛅️ दिनांक - 30 मई 2022
⛅️ दिन - सोमवार
⛅️ अयन - उत्तरायण
⛅️ ऋतु - ग्रीष्म
⛅️ मास - ज्येष्ठ
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⛅️ नक्षत्र - कृत्तिका सुबह 07:12 तक तत्पश्चात रोहिणी
⛅️ योग - सुकर्मा रात्रि 11:39 तक तत्पश्चात धृति
⛅️ राहुकाल - सुबह 07:35 से 09:16 तक
⛅️ सर्योदय - 05:54
⛅️ सर्यास्त - 07:20
⛅️ दिशाशूल - पूर्व दिशा में
⛅️ बरह्म मुहूर्त- प्रातः 04:30 से 05:12 तक
May 29, 2022
Forwarded from रामदूतः — The Sanskrit News Platform (Bhavani Raman)
https://youtu.be/qOvd-kXzz6g
प्रतिदिनं प्रातः ७:१५ वादने १५ निमेषात्मिकायै वार्तायै डी डी न्यूज् इति पश्यत।
प्रतिदिनं प्रातः ७:१५ वादने १५ निमेषात्मिकायै वार्तायै डी डी न्यूज् इति पश्यत।
YouTube
वार्ता: संस्कृत में समाचार | उपराष्ट्रपति आज से तीन देशों की यात्रा पर
May 29, 2022
🔰चित्रं दृष्ट्वा पञ्चवाक्यानि रचयत।
✍🏼सर्वे टिप्पणीसञ्चिकायां स्वोत्तराणि लेखितुं शक्नुवन्ति अथवा पुस्तिकायां लिखित्वा तस्य चित्रं स्वीकृत्य अपि प्रेषयितुं शक्नुवन्ति।
🗣सहैव तानि वाक्यानि उक्त्वा ध्वनिमाध्यमेन अपि प्रेषयत।
Read in English
हिन्दी में पढें
#chitram
✍🏼सर्वे टिप्पणीसञ्चिकायां स्वोत्तराणि लेखितुं शक्नुवन्ति अथवा पुस्तिकायां लिखित्वा तस्य चित्रं स्वीकृत्य अपि प्रेषयितुं शक्नुवन्ति।
🗣सहैव तानि वाक्यानि उक्त्वा ध्वनिमाध्यमेन अपि प्रेषयत।
Read in English
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#chitram
May 29, 2022
May 29, 2022
🍃
⚜A book speaks : to protect it from oil, from water, from loose binding. Also, not to give it in the hands of a fool.
🔅पुस्तकस्य कथनम् - मां तैलात् जलात् शिथिल(चल) बन्धनात् च रक्षतु तथा मूर्खस्य हस्ते न कदापि मां समर्पयतु।
#Subhashitam
तैलाद्रक्षेज्जलाद्रक्षेद्रक्षेच्छिथिलबन्धनात्।
मूर्खहस्ते न दातव्यं एवं वदति पुस्तकम्
॥⚜A book speaks : to protect it from oil, from water, from loose binding. Also, not to give it in the hands of a fool.
🔅पुस्तकस्य कथनम् - मां तैलात् जलात् शिथिल(चल) बन्धनात् च रक्षतु तथा मूर्खस्य हस्ते न कदापि मां समर्पयतु।
#Subhashitam
May 29, 2022
"वर्तमानः" शब्दे कः प्रत्ययः अस्ति।
Anonymous Quiz
18%
शतृप्रत्ययः
8%
घञ् प्रत्ययः
19%
अच् प्रत्ययः
55%
शानच् प्रत्ययः
May 30, 2022
संस्कृत संवादः । Sanskrit Samvadah
🌷ओ३म्🌷 🌺 संस्कृत स्वयं शिक्षक 🌺
- श्रीपाद दामोदर सातवलेकर पाठ ५ नीचे लिखे हुए शब्द याद कीजिए -
नक्तम् - रात्रि में । नयति - वह ले जाता है। नयसि - तू ले जाता है। नयामि
- मैं ले जाता हूँ। नेष्यति - वह ले जाएगा। नेष्यसि - तू ले जाएगा।
नेष्यामि - मैं…
🌷ओ३म्🌷
🌺 संस्कृत स्वयं शिक्षक 🌺 - श्रीपाद दामोदर सातवलेकर
पाठ ५ ख
वाक्यानि
1. यज्ञदत्तः गृहं गच्छति - यज्ञदत्त घर जाता है।
2. ईश्वरः सर्वत्र अस्ति - ईश्वर सब स्थान पर है।
3. हे ईश्वर ! दयां कुरु - हे ईश्वर दया करो।
4. हे पुरुष ! धर्मं कुरु - हे पुरुष ! धर्म करो।
5. तत्र अश्वं पश्य - वहाँ घोड़े को देख।
6. अत्र दीपं पश्य - यहाँ दीए को देख।
7. सः रात्रौ दीपेन पुस्तकं पठति - वह रात्रि में दीए से पुस्तक पढ़ता है।
8. ईश्वरेण धनं दत्तम् - ईश्वर ने धन दिया।
9. मनुष्याय ज्ञानं देहि - मनुष्य के लिये ज्ञान दे।
10. अश्वाय जलं देहि - घोड़े के लिए जल दे।
11. दीपात् प्रकाशः भवति - दीप से प्रकाश होता है।
12. ईश्वरात् ज्ञानं भवति- ईश्वर से ज्ञान होता है।
13. सः गणस्य ईश्वरः अस्ति - वह गण (समूह) का स्वामी है।
14. सः समूहस्य ईशः अस्ति - वह समूह का स्वामी है।
15. पुस्तके ज्ञानम् अस्ति - पुस्तक में ज्ञान है।
16. मासे दिवसाः भवन्ति - महीने में दिन होते हैं।
17. समूहे मनुष्याः भवन्ति - समूह में मनुष्य होते हैं।
18. आकाशे खगाः सन्ति - आकाश में पक्षी हैं।
अन्यानि वाक्यानि
1. तत्र आकाशे खगं पश्य। - वहां आकाश में पक्षी को देख।
2. हे देवदत्त ! यज्ञदत्तः कुत्र गच्छति ? - हे देवदत्त! यज्ञदत्त कहाँ जाता है?
3. इदानीं यज्ञदत्तः गृहं गच्छति। - अब यज्ञदत्त घर जाता है।
4. श्रीकृष्णस्य उत्तरीयम् अत्र आनय। - श्रीकृष्ण का दुपट्टा यहांँ ला।
5. सः तत्र व्यर्थं गच्छति। - वह वहां व्यर्थ जाता है।
6. सः पुरुषः किमर्थं पुष्पम् आनयति ? - वह पुरुष किसलिए पुष्प/फूल लाता है।
'राम' शब्दस्य रूपाणि
विभक्ति---शब्द रूप---हिन्दी अर्थ
1. प्रथमा----रामः---राम (ने)
2. द्वितीया---रामम्---राम को
3. तृतीया---रामेण---राम से, राम के द्वारा
4. चतुर्थी---रामाय---राम के लिए
5. पंचमी---रामात्---राम से (पृथकता)
6. षष्ठी----रामस्य---राम का, की, के
7. सप्तमी---रामे---राम में, पर
सम्बोधन---हे राम !---हे राम !
देव और राम इन दो शब्दों के रूप यदि पाठक भली प्रकार स्मरण करेंगे, तो वे निम्न शब्दों के रूप बना सकेंगे।
यज्ञदत्तः, ईश्वरः, गणेशः, पुरुषः, मनुष्यः, अश्वः, खगः, पाठः, दीपः, उदयः, गणः, समूहः, दिवसः, मासः, कणः - ये शब्द देव तथा राम के समान ही चलते हैं।
व्यवहारिक धातवः
आराधना करना
आ + राध् - आराधयति
आनन्दित करना
आ + नन्द् - आनन्दयति
आशीर्वाद देना
आ + शास् - आशास्ते
आदर करना
आ + दृ - आद्रियते
आ गिरना
आ + पत् - आपतति
आराम करना
वि + श्रम् - विश्राम्यति
आराम देना
वि + श्रम् + णिच् - विश्रामयति
आदर सत्कार करना
सम् + मन् - सम्मानयति
सत् + कृ - सत्करोति
आरम्भ करना
आ + रभ् - आरभते
उप + क्रम् - उपक्रमते
आश्रय लेना
श्रि - श्रयति/श्रयते
आ + श्रि - आश्रयति/आश्रयते
आलस्य करना
प्र + मद् - प्रमाद्यति
व्यवहारिक शब्दाः
अंडरवियर (जांघिया) -> कटिवस्त्रम्, कच्छपटम्
अखबार वाला -> समाचारपत्रवाहक (पुं.)
अखरोट -> अक्षोटः, अक्षोटम् (नपुं.)
अखरोट पेंड़ > अक्षोटः वृक्षः
अगर बूटी -> अगरुः (पुँ.)/जोङ्गकम् (नपुं.)
अगरबत्ती -> अगरुवर्तिका, गन्धवर्तिका (स्त्री.)
अग्नि -> अग्निः (पुँ.), कृशानुः
आतिशवाजी -> अग्निक्रीडा
अच्छा लेख -> सुलेखः
अजगर -> अजगर:, शयु:, बाहस: (पुँ.)
अजवाइन -> अजमोद: (पुं.) /यवानी / अजमोदिका (स्त्री.)
©आर्य विजय चौहान #vakyabhyas #sanskritlessons
🌺 संस्कृत स्वयं शिक्षक 🌺 - श्रीपाद दामोदर सातवलेकर
पाठ ५ ख
वाक्यानि
1. यज्ञदत्तः गृहं गच्छति - यज्ञदत्त घर जाता है।
2. ईश्वरः सर्वत्र अस्ति - ईश्वर सब स्थान पर है।
3. हे ईश्वर ! दयां कुरु - हे ईश्वर दया करो।
4. हे पुरुष ! धर्मं कुरु - हे पुरुष ! धर्म करो।
5. तत्र अश्वं पश्य - वहाँ घोड़े को देख।
6. अत्र दीपं पश्य - यहाँ दीए को देख।
7. सः रात्रौ दीपेन पुस्तकं पठति - वह रात्रि में दीए से पुस्तक पढ़ता है।
8. ईश्वरेण धनं दत्तम् - ईश्वर ने धन दिया।
9. मनुष्याय ज्ञानं देहि - मनुष्य के लिये ज्ञान दे।
10. अश्वाय जलं देहि - घोड़े के लिए जल दे।
11. दीपात् प्रकाशः भवति - दीप से प्रकाश होता है।
12. ईश्वरात् ज्ञानं भवति- ईश्वर से ज्ञान होता है।
13. सः गणस्य ईश्वरः अस्ति - वह गण (समूह) का स्वामी है।
14. सः समूहस्य ईशः अस्ति - वह समूह का स्वामी है।
15. पुस्तके ज्ञानम् अस्ति - पुस्तक में ज्ञान है।
16. मासे दिवसाः भवन्ति - महीने में दिन होते हैं।
17. समूहे मनुष्याः भवन्ति - समूह में मनुष्य होते हैं।
18. आकाशे खगाः सन्ति - आकाश में पक्षी हैं।
अन्यानि वाक्यानि
1. तत्र आकाशे खगं पश्य। - वहां आकाश में पक्षी को देख।
2. हे देवदत्त ! यज्ञदत्तः कुत्र गच्छति ? - हे देवदत्त! यज्ञदत्त कहाँ जाता है?
3. इदानीं यज्ञदत्तः गृहं गच्छति। - अब यज्ञदत्त घर जाता है।
4. श्रीकृष्णस्य उत्तरीयम् अत्र आनय। - श्रीकृष्ण का दुपट्टा यहांँ ला।
5. सः तत्र व्यर्थं गच्छति। - वह वहां व्यर्थ जाता है।
6. सः पुरुषः किमर्थं पुष्पम् आनयति ? - वह पुरुष किसलिए पुष्प/फूल लाता है।
'राम' शब्दस्य रूपाणि
विभक्ति---शब्द रूप---हिन्दी अर्थ
1. प्रथमा----रामः---राम (ने)
2. द्वितीया---रामम्---राम को
3. तृतीया---रामेण---राम से, राम के द्वारा
4. चतुर्थी---रामाय---राम के लिए
5. पंचमी---रामात्---राम से (पृथकता)
6. षष्ठी----रामस्य---राम का, की, के
7. सप्तमी---रामे---राम में, पर
सम्बोधन---हे राम !---हे राम !
देव और राम इन दो शब्दों के रूप यदि पाठक भली प्रकार स्मरण करेंगे, तो वे निम्न शब्दों के रूप बना सकेंगे।
यज्ञदत्तः, ईश्वरः, गणेशः, पुरुषः, मनुष्यः, अश्वः, खगः, पाठः, दीपः, उदयः, गणः, समूहः, दिवसः, मासः, कणः - ये शब्द देव तथा राम के समान ही चलते हैं।
व्यवहारिक धातवः
आराधना करना
आ + राध् - आराधयति
आनन्दित करना
आ + नन्द् - आनन्दयति
आशीर्वाद देना
आ + शास् - आशास्ते
आदर करना
आ + दृ - आद्रियते
आ गिरना
आ + पत् - आपतति
आराम करना
वि + श्रम् - विश्राम्यति
आराम देना
वि + श्रम् + णिच् - विश्रामयति
आदर सत्कार करना
सम् + मन् - सम्मानयति
सत् + कृ - सत्करोति
आरम्भ करना
आ + रभ् - आरभते
उप + क्रम् - उपक्रमते
आश्रय लेना
श्रि - श्रयति/श्रयते
आ + श्रि - आश्रयति/आश्रयते
आलस्य करना
प्र + मद् - प्रमाद्यति
व्यवहारिक शब्दाः
अंडरवियर (जांघिया) -> कटिवस्त्रम्, कच्छपटम्
अखबार वाला -> समाचारपत्रवाहक (पुं.)
अखरोट -> अक्षोटः, अक्षोटम् (नपुं.)
अखरोट पेंड़ > अक्षोटः वृक्षः
अगर बूटी -> अगरुः (पुँ.)/जोङ्गकम् (नपुं.)
अगरबत्ती -> अगरुवर्तिका, गन्धवर्तिका (स्त्री.)
अग्नि -> अग्निः (पुँ.), कृशानुः
आतिशवाजी -> अग्निक्रीडा
अच्छा लेख -> सुलेखः
अजगर -> अजगर:, शयु:, बाहस: (पुँ.)
अजवाइन -> अजमोद: (पुं.) /यवानी / अजमोदिका (स्त्री.)
©आर्य विजय चौहान #vakyabhyas #sanskritlessons
May 30, 2022
May 30, 2022
In a Restaurant
Man - Hello dear friend, your wife is here in the restaurant with another guy.
(Very next moment )
#hasya
Man - Hello dear friend, your wife is here in the restaurant with another guy.
(Very next moment )
#hasya
May 30, 2022
🍃
♦️aprakasopravrttisca pramado moha eva ca.
tamasyetani jayante vivrddhe kurunandana৷৷14.13৷৷
⚜Darkness, inertness, heedlessness and delusion these arise when Tamas is predominant, O Arjuna.(14.13)
⚜हे कुरुनन्दन तमोगुण के प्रवृद्ध होने पर अप्रकाश अप्रवृत्ति प्रमाद और मोह ये सब उत्पन्न होते हैं।।14.13।।
#geeta
अप्रकाशोऽप्रवृत्तिश्च प्रमादो मोह एव च।
तमस्येतानि जायन्ते विवृद्धे कुरुनन्दन
।।14.13।।♦️aprakasopravrttisca pramado moha eva ca.
tamasyetani jayante vivrddhe kurunandana৷৷14.13৷৷
⚜Darkness, inertness, heedlessness and delusion these arise when Tamas is predominant, O Arjuna.(14.13)
⚜हे कुरुनन्दन तमोगुण के प्रवृद्ध होने पर अप्रकाश अप्रवृत्ति प्रमाद और मोह ये सब उत्पन्न होते हैं।।14.13।।
#geeta
May 30, 2022
May 30, 2022
🍃
♦️yada sattve pravṛddhe tu pralayan yati dehabhrt.
tadottamavidan lokanamalanpratipadyate৷৷14.14৷৷
⚜If the embodied one meets with death when Sattva is predominant, then he attains to the spotless worlds of the knowers of the Highest.(14.14)
⚜जब यह जीव (देहभृत्) सत्त्वगुण की प्रवृद्धि में मृत्यु को प्राप्त होता है तब उत्तम कर्म करने वालों के निर्मल अर्थात् स्वर्गादि लोकों को प्राप्त होता है।।14.14।।
#geeta
यदा सत्त्वे प्रवृद्धे तु प्रलयं याति देहभृत्।
तदोत्तमविदां लोकानमलान्प्रतिपद्यते
।।14.14।।♦️yada sattve pravṛddhe tu pralayan yati dehabhrt.
tadottamavidan lokanamalanpratipadyate৷৷14.14৷৷
⚜If the embodied one meets with death when Sattva is predominant, then he attains to the spotless worlds of the knowers of the Highest.(14.14)
⚜जब यह जीव (देहभृत्) सत्त्वगुण की प्रवृद्धि में मृत्यु को प्राप्त होता है तब उत्तम कर्म करने वालों के निर्मल अर्थात् स्वर्गादि लोकों को प्राप्त होता है।।14.14।।
#geeta
May 30, 2022
May 30, 2022
🚩जय सत्य सनातन
🚩आज की हिंदी तिथि
🌥 🚩यगाब्द - ५१२४
🌥 🚩शक संवत - १९४४
🌥 🚩विक्रम संवत - २०७९
⛅️ 🚩तिथि - प्रतिपदा शाम 07:18 तक तत्पश्चात द्वितीया
⛅️ दिनांक - 31 मई 2022
⛅️ दिन - मंगलवार
⛅️ अयन - उत्तरायण
⛅️ ऋतु - ग्रीष्म
⛅️ मास - ज्येष्ठ
⛅️ पक्ष - कृष्ण
⛅️ नक्षत्र - रोहिणी सुबह 10:01 तक तत्पश्चात मृगशिरा
⛅️ योग - धृति रात्रि 12:34 तक तत्पश्चात शूल
⛅️ राहुकाल - शाम 03:59 से 05:40 तक
⛅️ सर्योदय - 05:54
⛅️ सर्यास्त - 07:21
⛅️ दिशाशूल - उत्तर दिशा में
⛅️ बरह्म मुहूर्त- प्रातः 04:30 से 05:12 तक
🚩आज की हिंदी तिथि
🌥 🚩यगाब्द - ५१२४
🌥 🚩शक संवत - १९४४
🌥 🚩विक्रम संवत - २०७९
⛅️ 🚩तिथि - प्रतिपदा शाम 07:18 तक तत्पश्चात द्वितीया
⛅️ दिनांक - 31 मई 2022
⛅️ दिन - मंगलवार
⛅️ अयन - उत्तरायण
⛅️ ऋतु - ग्रीष्म
⛅️ मास - ज्येष्ठ
⛅️ पक्ष - कृष्ण
⛅️ नक्षत्र - रोहिणी सुबह 10:01 तक तत्पश्चात मृगशिरा
⛅️ योग - धृति रात्रि 12:34 तक तत्पश्चात शूल
⛅️ राहुकाल - शाम 03:59 से 05:40 तक
⛅️ सर्योदय - 05:54
⛅️ सर्यास्त - 07:21
⛅️ दिशाशूल - उत्तर दिशा में
⛅️ बरह्म मुहूर्त- प्रातः 04:30 से 05:12 तक
May 30, 2022
Forwarded from रामदूतः — The Sanskrit News Platform (Bhavani Raman)
वार्ता: संस्कृत में समाचार | पीएम नरेंद्र मोदी आज शिमला का दौरा करेंगे - YouTube
https://m.youtube.com/watch?v=oXwjZIIFME8
प्रतिदिनं प्रातः ७:१५ वादने १५ निमेषात्मिकायै वार्तायै डी डी न्यूज् इति पश्यत।
https://m.youtube.com/watch?v=oXwjZIIFME8
प्रतिदिनं प्रातः ७:१५ वादने १५ निमेषात्मिकायै वार्तायै डी डी न्यूज् इति पश्यत।
YouTube
वार्ता: संस्कृत में समाचार | पीएम नरेंद्र मोदी आज शिमला का दौरा करेंगे
May 30, 2022
🔰चित्रं दृष्ट्वा पञ्चवाक्यानि रचयत।
✍🏼सर्वे टिप्पणीसञ्चिकायां स्वोत्तराणि लेखितुं शक्नुवन्ति अथवा पुस्तिकायां लिखित्वा तस्य चित्रं स्वीकृत्य अपि प्रेषयितुं शक्नुवन्ति।
🗣सहैव तानि वाक्यानि उक्त्वा ध्वनिमाध्यमेन अपि प्रेषयत।
Read in English
हिन्दी में पढें
#chitram
✍🏼सर्वे टिप्पणीसञ्चिकायां स्वोत्तराणि लेखितुं शक्नुवन्ति अथवा पुस्तिकायां लिखित्वा तस्य चित्रं स्वीकृत्य अपि प्रेषयितुं शक्नुवन्ति।
🗣सहैव तानि वाक्यानि उक्त्वा ध्वनिमाध्यमेन अपि प्रेषयत।
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#chitram
May 30, 2022
May 30, 2022
🍃
♦️osanskritaacharya
takshakasya vishaM dante makshikaayaashcha mastake vRishchikasya vishaM puchchhe sarvaange durjanasya tat
⚜तक्षक (सर्प) के दांत में विष होता है, मक्षिका (मक्खी) के मस्तक में तथा वृश्चिक (बिच्छु) के पूँछ में विष रहता है। परंतु दुर्जन मनुष्य का सम्पूर्ण शरीर विषमय
होता है।
⚜Snake's teeth are poisonous, fly's head is poisonous, scorpion's poison stays in its tail. But an evil person's entire body is poisonous.
🔅सर्पस्य दन्तयोः विषं भवति, मक्षिकायाः मस्तके विषं भवति, वृश्चिकस्य पुच्छे विषं भवति, परन्तु दुर्जनस्य सर्वेषु अङ्गेषु विषं भवति।
#Subhashitam
तक्षकस्य विषं दन्ते मक्षिकायाश्च मस्तके । वृश्चिकस्य विषं पुच्छे सर्वाङ्गे दुर्जनस्य तत्
।।♦️osanskritaacharya
takshakasya vishaM dante makshikaayaashcha mastake vRishchikasya vishaM puchchhe sarvaange durjanasya tat
⚜तक्षक (सर्प) के दांत में विष होता है, मक्षिका (मक्खी) के मस्तक में तथा वृश्चिक (बिच्छु) के पूँछ में विष रहता है। परंतु दुर्जन मनुष्य का सम्पूर्ण शरीर विषमय
होता है।
⚜Snake's teeth are poisonous, fly's head is poisonous, scorpion's poison stays in its tail. But an evil person's entire body is poisonous.
🔅सर्पस्य दन्तयोः विषं भवति, मक्षिकायाः मस्तके विषं भवति, वृश्चिकस्य पुच्छे विषं भवति, परन्तु दुर्जनस्य सर्वेषु अङ्गेषु विषं भवति।
#Subhashitam
May 30, 2022
शुद्धं वाक्यं चिन्वन्तु।
Anonymous Quiz
79%
बालाः आनन्देन वाद्यानि वादयन्ते।
13%
बालकाः आनन्दात् वाद्याः वादयन्ति।
4%
बलिकाः आनन्दे वाद्यानि वादयन्ति।
4%
बालाः आनन्दाय वाद्यान् वादयते।
May 31, 2022
संस्कृत संवादः । Sanskrit Samvadah
🌷ओ३म्🌷 🌺 संस्कृत स्वयं शिक्षक 🌺
- श्रीपाद दामोदर सातवलेकर पाठ ५ ख वाक्यानि 1. यज्ञदत्तः गृहं
गच्छति - यज्ञदत्त घर जाता है। 2. ईश्वरः सर्वत्र अस्ति - ईश्वर सब स्थान
पर है। 3. हे ईश्वर ! दयां कुरु - हे ईश्वर दया करो। 4. हे पुरुष !
धर्मं कुरु -…
🌷ओ३म्🌷
🌺 संस्कृत स्वयं शिक्षक 🌺 - श्रीपाद दामोदर सातवलेकर
पाठ ६
शब्दानि
उपदेशकः - उपदेशक। करोति - वह करता है। करोषि - तू करता है। करोमि - मैं करता हूँ। पटः - वस्त्र, कपड़ा। लवणम् - नमक। देवदत्तः - देवदत्त। कृष्णचन्द्रः - कृष्णचन्द्र। चित्रम् - चित्र, तस्वीर। पुष्पमालाम् - फूलों की माला को।
वाक्यानि
1. रामचन्द्रः पाठशालां गमिष्यति, लेखं च लेखिष्यति - रामचन्द्र पाठशाला जाएगा और लेख लिखेगा।
2. सत्यकामः गृहं गमिष्यति, मधुरं च फलं भक्षयिष्यति - सत्यकाम घर जाएगा और मधुर फल खाएगा।
3. अहं वनं गमिष्यामि, पुष्पमालां च रचयिष्यामि - मैं वन को जाऊँगा और फूलों की माला बनाऊँगा।
4. हरिश्चन्द्रः कदा उद्यानं गमिष्यति - हरिश्चन्द्र बाग कब जाएगा?
5. सः श्वः तत्र गन्ता - वह कल वहाँ जाएगा।
6. देवदत्तः सर्वदा उद्यानं गच्छति, पुष्पमालां च रचयति किम् - देवदत्त हमेशा बाग़ जाता है और पुष्पमाला बनाता है क्या ?
7. यदि हरिश्चन्द्रः उद्यानं न गमिष्यति, तर्हि देवदत्तः अपि न गमिष्यति - अगर हरिश्चन्द्र बाग़ को न जाएगा, तो देवदत्त भी न जाएगा।
शब्दानि
गच्छ - जा । आगच्छ - आ । नय - ले जा । धनम् - द्रव्य । आनय -ले आ । वृक्षम् - वृक्ष को । रूप्यकम् - रुपया । द्रव्यम् - धन । कुरु - कर । भक्षय - खा । स्वीकुरु - स्वीकार कर, ले । देहि- दे । एकम् - एक । गृहाण - ग्रहण कर, ले । धौतम् - धुला हुआ । सूत्रम् - सूत्र । अन्यः - दूसरा ।
वाक्यानि
1. त्वं गृहं गच्छ, धौतं वस्त्रं च आनय - तू घर जा और धोया हुआ वस्त्र ले आ।
2. अत्र आगच्छ, मधुरं च फलं भक्षय - यहाँ आ और मीठा फल खा।
3. सः वनं गच्छति, अन्यं पुष्पं च आनयति - वह वन को जाता है और दूसरा फूल लाता है।
4. एकं रूप्यकं देहि - एक रुपया दे।
5. अत्र आगच्छ, मधुरं दुग्धं च गृहाण - यहाँ आ और मीठा दूध ले।
6. उद्यानं गच्छ, फलं च भक्षय - बाग़ को जा और फल खा।
7. अन्यं वस्त्रं देहि - दूसरा वस्त्र दे।
8. अन्यं पुस्तकम् आनय - दूसरी पुस्तक ले आ।
9. अपूपं देहि, सूपं च स्वीकुरु - पूड़ा दे और दाल ले।
10. मुद्गौदनं देहि, दुग्धं च तत्र नय - खिचड़ी दे और दूध वहाँ ले जा ।
11. अत्र त्वम् आगच्छ, स्वादु फलं च देहि - यहाँ तू आ और मीठा फल दे।
12. ओदनं भक्षय, यत्र कुत्रापि च गच्छ - चावल खा और जहाँ कहीं भी जा।
व्यवहारिक-धातवः
इकट्ठा करना
सम् + चि - संचिनोति
इच्छा करना
इष् - इच्छति
स्पृह् - स्पृहयति
अभि + लस् - अभिलषति
काङ्क्ष् - काङ्क्षते
कम् - कामयते
ईर्ष्या करना
ईर्ष्य - ईर्ष्यति
स्पर्धा करना
स्पर्ध् - स्पर्धते
उड़ना
डीङ् - डयते
उत् + डी - उड्डीयते
उत् + पत् - उत्पतति
उड़ाना
उत् + डी + णिच् (अय) - उड्डाययति
उत् + पत् + णिच् (अय) - उत्पातयति
उतरना
अव + रुह् - अवरोहति
अव + तृ - अवतरति
उतारना
अव + रुह् + णिच् (अय्) - अवरोहयति
अव + तृ + णिच् (अय्) - अवतारयति
उगना, चढ़ना
रुह् - रोहति, आरोहति
प्र + रुह् - प्ररोहति
उगाना, चढ़ाना
रुह् + णिच् (अय्) - रोहयति, आरोहयति
व्यवहारिक-शब्दानि
अटारी -> अट्टः
अण्डा -> अण्डम् (नपुं.), पेशी (स्त्री.), कोष: (पुँ.)
अण्डकोष -> वृषण:, मुष्क: (पुँ.)
अतिथि, पाहुन -> अतिथिः, प्राघुणः
अदरक -> आर्द्रकम् (नपुं।
अदरक चटनी -> आर्द्रकोपसेचनम्
अदल, बदल -> विनियमः
अधखिली कली -> कुड्मल: (पुँ.)
अध्यापक -> अध्यापक:/शिक्षक: (पुं.)
अनानास -> अनानासम् (नपुं.)
अनार -> दाडिमम् (नपुं.)
पका हुआ चावल -> उपस्कृतोदनम्
अन्न -> अन्नम्/धान्यम् (नपुं.)
अन्न (खेत में विद्यमान ) -> शस्यम्
अन्न की बाल -> कणिश: (पुं.)
अफीम -> अहिफेनः, निफेनः (पुं.)
अबाबील -> कृष्णचटका (स्त्री.)
अबीर -> अबीरम् (नपुं.)
अभ्रक -> अभ्रकम्/गिरिजामलम् (नपुं.)
अमचूर -> आम्रचूर्णम् (नपुं.)
अमरूद -> आम्रलम्/ दृढबीजम् /पेरुफलम्/बीजपूरम् (नपुं.)
अमरूद का वृक्ष -> पेरुकः (वृक्षः) (पुं.), बीजपूरः वृक्षः
अमलतास -> कृतमालः/आरग्वधः (पुँ.)
अमृत -> पीयूषम्
अम्पायर -> निर्णायकः
अरगनी -> लङ्गनी (स्त्री.)
©आर्य विजय चौहान #vakyabhyas #sanskritlessons
🌺 संस्कृत स्वयं शिक्षक 🌺 - श्रीपाद दामोदर सातवलेकर
पाठ ६
शब्दानि
उपदेशकः - उपदेशक। करोति - वह करता है। करोषि - तू करता है। करोमि - मैं करता हूँ। पटः - वस्त्र, कपड़ा। लवणम् - नमक। देवदत्तः - देवदत्त। कृष्णचन्द्रः - कृष्णचन्द्र। चित्रम् - चित्र, तस्वीर। पुष्पमालाम् - फूलों की माला को।
वाक्यानि
1. रामचन्द्रः पाठशालां गमिष्यति, लेखं च लेखिष्यति - रामचन्द्र पाठशाला जाएगा और लेख लिखेगा।
2. सत्यकामः गृहं गमिष्यति, मधुरं च फलं भक्षयिष्यति - सत्यकाम घर जाएगा और मधुर फल खाएगा।
3. अहं वनं गमिष्यामि, पुष्पमालां च रचयिष्यामि - मैं वन को जाऊँगा और फूलों की माला बनाऊँगा।
4. हरिश्चन्द्रः कदा उद्यानं गमिष्यति - हरिश्चन्द्र बाग कब जाएगा?
5. सः श्वः तत्र गन्ता - वह कल वहाँ जाएगा।
6. देवदत्तः सर्वदा उद्यानं गच्छति, पुष्पमालां च रचयति किम् - देवदत्त हमेशा बाग़ जाता है और पुष्पमाला बनाता है क्या ?
7. यदि हरिश्चन्द्रः उद्यानं न गमिष्यति, तर्हि देवदत्तः अपि न गमिष्यति - अगर हरिश्चन्द्र बाग़ को न जाएगा, तो देवदत्त भी न जाएगा।
शब्दानि
गच्छ - जा । आगच्छ - आ । नय - ले जा । धनम् - द्रव्य । आनय -ले आ । वृक्षम् - वृक्ष को । रूप्यकम् - रुपया । द्रव्यम् - धन । कुरु - कर । भक्षय - खा । स्वीकुरु - स्वीकार कर, ले । देहि- दे । एकम् - एक । गृहाण - ग्रहण कर, ले । धौतम् - धुला हुआ । सूत्रम् - सूत्र । अन्यः - दूसरा ।
वाक्यानि
1. त्वं गृहं गच्छ, धौतं वस्त्रं च आनय - तू घर जा और धोया हुआ वस्त्र ले आ।
2. अत्र आगच्छ, मधुरं च फलं भक्षय - यहाँ आ और मीठा फल खा।
3. सः वनं गच्छति, अन्यं पुष्पं च आनयति - वह वन को जाता है और दूसरा फूल लाता है।
4. एकं रूप्यकं देहि - एक रुपया दे।
5. अत्र आगच्छ, मधुरं दुग्धं च गृहाण - यहाँ आ और मीठा दूध ले।
6. उद्यानं गच्छ, फलं च भक्षय - बाग़ को जा और फल खा।
7. अन्यं वस्त्रं देहि - दूसरा वस्त्र दे।
8. अन्यं पुस्तकम् आनय - दूसरी पुस्तक ले आ।
9. अपूपं देहि, सूपं च स्वीकुरु - पूड़ा दे और दाल ले।
10. मुद्गौदनं देहि, दुग्धं च तत्र नय - खिचड़ी दे और दूध वहाँ ले जा ।
11. अत्र त्वम् आगच्छ, स्वादु फलं च देहि - यहाँ तू आ और मीठा फल दे।
12. ओदनं भक्षय, यत्र कुत्रापि च गच्छ - चावल खा और जहाँ कहीं भी जा।
व्यवहारिक-धातवः
इकट्ठा करना
सम् + चि - संचिनोति
इच्छा करना
इष् - इच्छति
स्पृह् - स्पृहयति
अभि + लस् - अभिलषति
काङ्क्ष् - काङ्क्षते
कम् - कामयते
ईर्ष्या करना
ईर्ष्य - ईर्ष्यति
स्पर्धा करना
स्पर्ध् - स्पर्धते
उड़ना
डीङ् - डयते
उत् + डी - उड्डीयते
उत् + पत् - उत्पतति
उड़ाना
उत् + डी + णिच् (अय) - उड्डाययति
उत् + पत् + णिच् (अय) - उत्पातयति
उतरना
अव + रुह् - अवरोहति
अव + तृ - अवतरति
उतारना
अव + रुह् + णिच् (अय्) - अवरोहयति
अव + तृ + णिच् (अय्) - अवतारयति
उगना, चढ़ना
रुह् - रोहति, आरोहति
प्र + रुह् - प्ररोहति
उगाना, चढ़ाना
रुह् + णिच् (अय्) - रोहयति, आरोहयति
व्यवहारिक-शब्दानि
अटारी -> अट्टः
अण्डा -> अण्डम् (नपुं.), पेशी (स्त्री.), कोष: (पुँ.)
अण्डकोष -> वृषण:, मुष्क: (पुँ.)
अतिथि, पाहुन -> अतिथिः, प्राघुणः
अदरक -> आर्द्रकम् (नपुं।
अदरक चटनी -> आर्द्रकोपसेचनम्
अदल, बदल -> विनियमः
अधखिली कली -> कुड्मल: (पुँ.)
अध्यापक -> अध्यापक:/शिक्षक: (पुं.)
अनानास -> अनानासम् (नपुं.)
अनार -> दाडिमम् (नपुं.)
पका हुआ चावल -> उपस्कृतोदनम्
अन्न -> अन्नम्/धान्यम् (नपुं.)
अन्न (खेत में विद्यमान ) -> शस्यम्
अन्न की बाल -> कणिश: (पुं.)
अफीम -> अहिफेनः, निफेनः (पुं.)
अबाबील -> कृष्णचटका (स्त्री.)
अबीर -> अबीरम् (नपुं.)
अभ्रक -> अभ्रकम्/गिरिजामलम् (नपुं.)
अमचूर -> आम्रचूर्णम् (नपुं.)
अमरूद -> आम्रलम्/ दृढबीजम् /पेरुफलम्/बीजपूरम् (नपुं.)
अमरूद का वृक्ष -> पेरुकः (वृक्षः) (पुं.), बीजपूरः वृक्षः
अमलतास -> कृतमालः/आरग्वधः (पुँ.)
अमृत -> पीयूषम्
अम्पायर -> निर्णायकः
अरगनी -> लङ्गनी (स्त्री.)
©आर्य विजय चौहान #vakyabhyas #sanskritlessons
May 31, 2022
May 31, 2022
A stupid husband :-
Hey... Shut up ! How many times have I told you not to open your mouth?
A wise husband :-
Dear ! You look so beautiful when your mouth is closed.
#hasya
Hey... Shut up ! How many times have I told you not to open your mouth?
A wise husband :-
Dear ! You look so beautiful when your mouth is closed.
#hasya
May 31, 2022
🍃
♦️rajasi pralayan gatva karmasangisu jayate.
tatha pralinastamasi mudhayonisu jayate৷৷14.15৷৷
⚜Meeting death in Rajas, he is born among those who are attached to action; and dying in Tamas, he is born in the womb of the senseless.(14.15)
⚜रजोगुण के प्रवृद्ध काल में मृत्यु को प्राप्त होकर कर्मासक्ति वाले (मनुष्य) लोक में वह जन्म लेता है तथा तमोगुण के प्रवृद्धकाल में (मरण होने पर) मूढ़योनि में जन्म लेता है।।14.15।।
#geeta
रजसि प्रलयं गत्वा कर्मसङ्गिषु जायते।
तथा प्रलीनस्तमसि मूढयोनिषु जायते
।।14.15।।♦️rajasi pralayan gatva karmasangisu jayate.
tatha pralinastamasi mudhayonisu jayate৷৷14.15৷৷
⚜Meeting death in Rajas, he is born among those who are attached to action; and dying in Tamas, he is born in the womb of the senseless.(14.15)
⚜रजोगुण के प्रवृद्ध काल में मृत्यु को प्राप्त होकर कर्मासक्ति वाले (मनुष्य) लोक में वह जन्म लेता है तथा तमोगुण के प्रवृद्धकाल में (मरण होने पर) मूढ़योनि में जन्म लेता है।।14.15।।
#geeta
May 31, 2022
May 31, 2022
🍃
♦️karmanah sukrtasyahuh sattvikan nirmalan phalam.
rajasastu phalan duhkhamajnanan tamasah phalam৷৷14.16৷৷
⚜The fruit of good action, they say, is Sattvic and pure, verily the fruit of Rajas is pain, and ignorance is the fruit of Tamas.(14.16)
⚜शुभ कर्म का फल सात्विक और निर्मल कहा गया है रजोगुण का फल दुख और तमोगुण का फल अज्ञान है।।14.16।।
#geeta
कर्मणः सुकृतस्याहुः सात्त्विकं निर्मलं फलम्।
रजसस्तु फलं दुःखमज्ञानं तमसः फलम्
।।14.16।। ♦️karmanah sukrtasyahuh sattvikan nirmalan phalam.
rajasastu phalan duhkhamajnanan tamasah phalam৷৷14.16৷৷
⚜The fruit of good action, they say, is Sattvic and pure, verily the fruit of Rajas is pain, and ignorance is the fruit of Tamas.(14.16)
⚜शुभ कर्म का फल सात्विक और निर्मल कहा गया है रजोगुण का फल दुख और तमोगुण का फल अज्ञान है।।14.16।।
#geeta
May 31, 2022
May 31, 2022
Forwarded from रामदूतः — The Sanskrit News Platform (Bhavani Raman)
https://youtu.be/cVSC3hJxFa4
प्रतिदिनं प्रातः ७:१५ वादने १५ निमेषात्मिकायै वार्तायै डी डी न्यूज् इति पश्यत।
प्रतिदिनं प्रातः ७:१५ वादने १५ निमेषात्मिकायै वार्तायै डी डी न्यूज् इति पश्यत।
May 31, 2022
🔰चित्रं दृष्ट्वा पञ्चवाक्यानि रचयत।
✍🏼सर्वे टिप्पणीसञ्चिकायां स्वोत्तराणि लेखितुं शक्नुवन्ति अथवा पुस्तिकायां लिखित्वा तस्य चित्रं स्वीकृत्य अपि प्रेषयितुं शक्नुवन्ति।
🗣सहैव तानि वाक्यानि उक्त्वा ध्वनिमाध्यमेन अपि प्रेषयत।
Read in English
हिन्दी में पढें
#chitram
✍🏼सर्वे टिप्पणीसञ्चिकायां स्वोत्तराणि लेखितुं शक्नुवन्ति अथवा पुस्तिकायां लिखित्वा तस्य चित्रं स्वीकृत्य अपि प्रेषयितुं शक्नुवन्ति।
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May 31, 2022
🍃
⚜ जिस कुल में स्त्रियां शोक में रहती है, वह कुल शीघ्र ही बिगड़ जाता है,
और जहां प्रसन्न रहती है, वह सदा के लिए बढ़ता जाता है।
⚜Where the female relatios live in grief, the family soon wholly perishes; but that family where they are not unhappy ever prospers.
🔅यस्मिन् कुले महिलाः दुःखिताः भवन्ति, तत् कुलं न कदापि सम्यक् तिष्ठति, यत्र ताः प्रसन्नाः भवन्ति तत्र सर्वदा समृद्धयः आगच्छन्ति।
#Subhashitam
शोचन्ति जामयोयत्र विनश्यत्याशु तत् कुलम्।
न शोचन्ति तु यत्रता वर्धते तद्धि सर्वदा
।।⚜ जिस कुल में स्त्रियां शोक में रहती है, वह कुल शीघ्र ही बिगड़ जाता है,
और जहां प्रसन्न रहती है, वह सदा के लिए बढ़ता जाता है।
⚜Where the female relatios live in grief, the family soon wholly perishes; but that family where they are not unhappy ever prospers.
🔅यस्मिन् कुले महिलाः दुःखिताः भवन्ति, तत् कुलं न कदापि सम्यक् तिष्ठति, यत्र ताः प्रसन्नाः भवन्ति तत्र सर्वदा समृद्धयः आगच्छन्ति।
#Subhashitam
May 31, 2022
🚩जय सत्य सनातन
🚩आज की हिंदी तिथि
🌥️ 🚩युगाब्द - ५१२४
🌥️ 🚩शक संवत - १९४४
🌥️ 🚩विक्रम संवत - २०७९
⛅ 🚩तिथि - द्वितीया रात्रि 09:46 तक तत्पश्चात तृतीया
⛅ दिनांक - 01 जून 2022
⛅ दिन - बुधवार
⛅ अयन - उत्तरायण
⛅ ऋतु - ग्रीष्म
⛅ मास - ज्येष्ठ
⛅ पक्ष - शुक्ल
⛅ नक्षत्र - मृगशिरा दोपहर 01:01 तक तत्पश्चात आर्द्रा
⛅ योग - शूल रात्रि 01:35 तक तत्पश्चात गण्ड
⛅ राहुकाल - दोपहर 12:38 से 02:19 तक
⛅ सूर्योदय - 05:54
⛅ सूर्यास्त - 07:21
⛅ दिशाशूल - उत्तर दिशा में
⛅ ब्रह्म मुहूर्त- प्रातः 04:29 से 05:12 तक
🚩आज की हिंदी तिथि
🌥️ 🚩युगाब्द - ५१२४
🌥️ 🚩शक संवत - १९४४
🌥️ 🚩विक्रम संवत - २०७९
⛅ 🚩तिथि - द्वितीया रात्रि 09:46 तक तत्पश्चात तृतीया
⛅ दिनांक - 01 जून 2022
⛅ दिन - बुधवार
⛅ अयन - उत्तरायण
⛅ ऋतु - ग्रीष्म
⛅ मास - ज्येष्ठ
⛅ पक्ष - शुक्ल
⛅ नक्षत्र - मृगशिरा दोपहर 01:01 तक तत्पश्चात आर्द्रा
⛅ योग - शूल रात्रि 01:35 तक तत्पश्चात गण्ड
⛅ राहुकाल - दोपहर 12:38 से 02:19 तक
⛅ सूर्योदय - 05:54
⛅ सूर्यास्त - 07:21
⛅ दिशाशूल - उत्तर दिशा में
⛅ ब्रह्म मुहूर्त- प्रातः 04:29 से 05:12 तक
May 31, 2022
संस्कृत संवादः । Sanskrit Samvadah
🌷ओ३म्🌷 🌺 संस्कृत स्वयं शिक्षक 🌺
- श्रीपाद दामोदर सातवलेकर पाठ ६ शब्दानि उपदेशकः - उपदेशक। करोति -
वह करता है। करोषि - तू करता है। करोमि - मैं करता हूँ। पटः - वस्त्र,
कपड़ा। लवणम् - नमक। देवदत्तः - देवदत्त। कृष्णचन्द्रः - कृष्णचन्द्र।
चित्रम् - चित्र…
🌷ओ३म्🌷
🌺 संस्कृत स्वयं शिक्षक 🌺 - श्रीपाद दामोदर सातवलेकर
पाठ ६ ख
वाक्यानि
1. विष्णुमित्रस्य गृहं कुत्र अस्ति ।
- विष्णुमित्र का घर कहाँ है ।
2. तस्य गृहं तत्र न अस्ति ।
- उसका घर वहाँ नहीं है ।
3. देवेन द्रव्यं दत्तम् ।
- देव के द्वारा धन दिया गया ।
4. यज्ञदत्तः कदा अत्र आगमिष्यति? ।
- यज्ञदत्त कब यहाँ आएगा ।
5. फलस्य बीजं कुत्र अस्ति ।
- फल का बीज कहाँ है ।
6. पश्य सः तत्र न अस्ति ।
- देख, वह वहाँ नहीं है ।
7. पर्वतस्य शिखरं रमणीयम् अस्ति ।
- पर्वत का शिखर रमणीय है ।
8. पाठे शब्दाः सन्ति ।
- पाठ के अन्दर शब्द हैं ।
9. शब्दे अक्षराणि सन्ति ।
- शब्द में अक्षर हैं ।
10. पुस्तकं त्यक्त्वा गच्छ ।
- पुस्तक को छोड़कर जा ।
11. एकस्य पुस्तकम् अन्यः कथं नेष्यति ।
- एक की पुस्तक दूसरा कैसे ले जाएगा ।
12. अस्य मनुष्यस्य बलं नास्ति ।
- इस मनुष्य का बल नहीं है ।
13. बालकस्य मुखं मलिनम् अस्ति ।
- बालक का मुख मलिन है ।
14. तस्य मुखं मलिनं न अस्ति ।
- उसका मुख मलिन नहीं है ।
15. राजपुरुषस्य आज्ञा अस्ति ।
- राज्याधिकारी की आज्ञा है ।
व्यवहारिक-धातवः
उठना
उत् + स्था - उत्तिष्ठति
उठाना
उत् + स्था + णिच् (अय्) - उत्थापयति
उत् + नम् + णिच् (अय्) - उन्नमयति
उद् + धृ + णिच् (अय्) - उद्धारयति
उत् + नी - उन्नयति
उत् + तुल् - उत्तोलयति
उपासना करना
उप + आस् - उपास्ते
उदय होना
उद् - उदेति
उपेक्षा करना (प्रतिकार करना)
उप + ईक्ष् - उपेक्षते
उपचार करना
प्रति + कृ - प्रतिकरोति
उदाहरण देना
उत् + हृ - उद्धरति
उखाड़ना
उत् + खन् - उत्खनति
उत् + मूल् - उन्मूलयति
उद्धार करना
उत् + हृ + णिच् (अय्) - उद्धारयति
उलाहना देना
उप + आ + लभ् - उपालभते
उत्पन्न होना
उत् + पद् - उत्पद्यते
उद् + भू - उद्भवति
प्र + भू - प्रभवति
व्यवहारिक-शब्दाः
अरगनी (Hanger) -> लङ्गनी (स्त्री.)
अरहर -> आढकी/तुवरी (स्त्री.)
अरुई/अरबी -> आलुकी (स्त्री.)
अर्क -> आसव:, रस: (पुं.)
अर्गला (साँकल) -> अर्गलम्
अर्जुन का वृक्ष -> अर्जुन: / वीरतरु: (पु.)
अलमारी -> काष्ठमञ्जूषा
अलसी (Flax/linseed) -> अतसी (स्त्री.)
अलार्म घड़ी -> प्रबोधनघटी (स्त्री.)
अवृष्टिः -> अवग्रहः
अशोक -> अशोक: (पुँ.)
अश्वदौड़/घुडदौड़ -> अश्वधावनम्
अस्थिपञ्जर > कज्रल: (पुं.)
अहीर/ग्वाला -> आभीर:/गोप:/गोपाल: (पुं.)
आँख -> नेत्रम्, लोचनम्, नयनम्, चक्षुः (नपुं.)
लट् लकार-परिचयः
संस्कृत में लट् लकार का प्रयोग वर्तमान काल में हो रही घटना वा क्रिया के लिए होता है।
वद् धातु (बोलना) के लट् लकार के रूप निम्नलिखित हैं -
१) वद् धातुः - लट् लकारः (वर्तमान् कालः)
----एकवचनम् द्विवचनम् बहुवचनम्
प्रथमः पुरुषः वदति वदतः वदन्ति
मध्यमः पुरुषः वदसि वदथः वदथ
उत्तमः पुरुषः वदामि वदावः वदामः
२) सर्वनाम में ३ पुरुष और ३ वचन -
(क) पुंल्लिङ्गम्
---एकवचनम् द्विवचनम् बहुवचनम्
प्रथमः पुरुषः सः तौ ते
मध्यमः पुरुषः त्वम् युवाम् यूयम्
उत्तमः पुरुषः अहम् आवाम् वयम्
(ख) स्त्रीलिङ्गम्
----एकवचनम् द्विवचनम् बहुवचनम्
प्रथमः पुरुषः सा ते ताः
(शेष पुल्लिंग के समान)
सर्वनाम रूपों के तीनों पुरुष और तीनों वचनों को वद् धातु के पुरुषों और वचनों से क्रमशः मिलाने पर संस्कृत के निम्न वाक्य बनते हैं -
(क) प्रथमः पुरुषः
----पुंल्लिङ्गम्
१. सः वदति।
- वह बोलता है।
२. तौ वदतः।
- वे दो बोलते हैं।
३. ते वदन्ति।
- वे सब बोलते हैं।
-----स्त्रीलिङ्गम्
१. सा वदति।
- वह बोलती है।
२. ते वदतः।
- वे दो बोलती हैं।
३. ताः वदन्ति।
- वे सब बोलती हैं।
(ख) मध्यमः पुरुषः
१. त्वम् वदसि।
- तुम बोलते/बोलती हो।
२. युवाम् वदथः।
- तुम दो बोलते/बोलती हो।
३. यूयम् वदथ।
- तुम सब बोलते/बोलती हो।
(ग) उत्तमः पुरुषः
१. अहम् वदामि।
- मैं बोलता/बोलती हूं।
२. आवाम् वदावः।
- हम दो बोलते/बोलती हैं।
३. वयम् वदामः।
- हम सब बोलते/बोलती हैं।
©आर्य विजय चौहान #vakyabhyas #sanskritlessons
🌺 संस्कृत स्वयं शिक्षक 🌺 - श्रीपाद दामोदर सातवलेकर
पाठ ६ ख
वाक्यानि
1. विष्णुमित्रस्य गृहं कुत्र अस्ति ।
- विष्णुमित्र का घर कहाँ है ।
2. तस्य गृहं तत्र न अस्ति ।
- उसका घर वहाँ नहीं है ।
3. देवेन द्रव्यं दत्तम् ।
- देव के द्वारा धन दिया गया ।
4. यज्ञदत्तः कदा अत्र आगमिष्यति? ।
- यज्ञदत्त कब यहाँ आएगा ।
5. फलस्य बीजं कुत्र अस्ति ।
- फल का बीज कहाँ है ।
6. पश्य सः तत्र न अस्ति ।
- देख, वह वहाँ नहीं है ।
7. पर्वतस्य शिखरं रमणीयम् अस्ति ।
- पर्वत का शिखर रमणीय है ।
8. पाठे शब्दाः सन्ति ।
- पाठ के अन्दर शब्द हैं ।
9. शब्दे अक्षराणि सन्ति ।
- शब्द में अक्षर हैं ।
10. पुस्तकं त्यक्त्वा गच्छ ।
- पुस्तक को छोड़कर जा ।
11. एकस्य पुस्तकम् अन्यः कथं नेष्यति ।
- एक की पुस्तक दूसरा कैसे ले जाएगा ।
12. अस्य मनुष्यस्य बलं नास्ति ।
- इस मनुष्य का बल नहीं है ।
13. बालकस्य मुखं मलिनम् अस्ति ।
- बालक का मुख मलिन है ।
14. तस्य मुखं मलिनं न अस्ति ।
- उसका मुख मलिन नहीं है ।
15. राजपुरुषस्य आज्ञा अस्ति ।
- राज्याधिकारी की आज्ञा है ।
व्यवहारिक-धातवः
उठना
उत् + स्था - उत्तिष्ठति
उठाना
उत् + स्था + णिच् (अय्) - उत्थापयति
उत् + नम् + णिच् (अय्) - उन्नमयति
उद् + धृ + णिच् (अय्) - उद्धारयति
उत् + नी - उन्नयति
उत् + तुल् - उत्तोलयति
उपासना करना
उप + आस् - उपास्ते
उदय होना
उद् - उदेति
उपेक्षा करना (प्रतिकार करना)
उप + ईक्ष् - उपेक्षते
उपचार करना
प्रति + कृ - प्रतिकरोति
उदाहरण देना
उत् + हृ - उद्धरति
उखाड़ना
उत् + खन् - उत्खनति
उत् + मूल् - उन्मूलयति
उद्धार करना
उत् + हृ + णिच् (अय्) - उद्धारयति
उलाहना देना
उप + आ + लभ् - उपालभते
उत्पन्न होना
उत् + पद् - उत्पद्यते
उद् + भू - उद्भवति
प्र + भू - प्रभवति
व्यवहारिक-शब्दाः
अरगनी (Hanger) -> लङ्गनी (स्त्री.)
अरहर -> आढकी/तुवरी (स्त्री.)
अरुई/अरबी -> आलुकी (स्त्री.)
अर्क -> आसव:, रस: (पुं.)
अर्गला (साँकल) -> अर्गलम्
अर्जुन का वृक्ष -> अर्जुन: / वीरतरु: (पु.)
अलमारी -> काष्ठमञ्जूषा
अलसी (Flax/linseed) -> अतसी (स्त्री.)
अलार्म घड़ी -> प्रबोधनघटी (स्त्री.)
अवृष्टिः -> अवग्रहः
अशोक -> अशोक: (पुँ.)
अश्वदौड़/घुडदौड़ -> अश्वधावनम्
अस्थिपञ्जर > कज्रल: (पुं.)
अहीर/ग्वाला -> आभीर:/गोप:/गोपाल: (पुं.)
आँख -> नेत्रम्, लोचनम्, नयनम्, चक्षुः (नपुं.)
लट् लकार-परिचयः
संस्कृत में लट् लकार का प्रयोग वर्तमान काल में हो रही घटना वा क्रिया के लिए होता है।
वद् धातु (बोलना) के लट् लकार के रूप निम्नलिखित हैं -
१) वद् धातुः - लट् लकारः (वर्तमान् कालः)
----एकवचनम् द्विवचनम् बहुवचनम्
प्रथमः पुरुषः वदति वदतः वदन्ति
मध्यमः पुरुषः वदसि वदथः वदथ
उत्तमः पुरुषः वदामि वदावः वदामः
२) सर्वनाम में ३ पुरुष और ३ वचन -
(क) पुंल्लिङ्गम्
---एकवचनम् द्विवचनम् बहुवचनम्
प्रथमः पुरुषः सः तौ ते
मध्यमः पुरुषः त्वम् युवाम् यूयम्
उत्तमः पुरुषः अहम् आवाम् वयम्
(ख) स्त्रीलिङ्गम्
----एकवचनम् द्विवचनम् बहुवचनम्
प्रथमः पुरुषः सा ते ताः
(शेष पुल्लिंग के समान)
सर्वनाम रूपों के तीनों पुरुष और तीनों वचनों को वद् धातु के पुरुषों और वचनों से क्रमशः मिलाने पर संस्कृत के निम्न वाक्य बनते हैं -
(क) प्रथमः पुरुषः
----पुंल्लिङ्गम्
१. सः वदति।
- वह बोलता है।
२. तौ वदतः।
- वे दो बोलते हैं।
३. ते वदन्ति।
- वे सब बोलते हैं।
-----स्त्रीलिङ्गम्
१. सा वदति।
- वह बोलती है।
२. ते वदतः।
- वे दो बोलती हैं।
३. ताः वदन्ति।
- वे सब बोलती हैं।
(ख) मध्यमः पुरुषः
१. त्वम् वदसि।
- तुम बोलते/बोलती हो।
२. युवाम् वदथः।
- तुम दो बोलते/बोलती हो।
३. यूयम् वदथ।
- तुम सब बोलते/बोलती हो।
(ग) उत्तमः पुरुषः
१. अहम् वदामि।
- मैं बोलता/बोलती हूं।
२. आवाम् वदावः।
- हम दो बोलते/बोलती हैं।
३. वयम् वदामः।
- हम सब बोलते/बोलती हैं।
©आर्य विजय चौहान #vakyabhyas #sanskritlessons
June 1, 2022
June 1, 2022
June 1, 2022
🍃
♦️sattvatsanjayate jnanan rajaso lobha eva ca.
pramadamohau tamaso bhavatojnanameva ca৷৷14.17৷৷
⚜From Sattva arises knowledge, and greed from Rajas; heedlessness and delusion arise from Tamas, and also ignorance.(14.17)
⚜सत्त्वगुण से ज्ञान उत्पन्न होता है। रजोगुण से लोभ तथा तमोगुण से प्रमाद मोह और अज्ञान उत्पन्न होता है।।14.17।।
#geeta
सत्त्वात्सञ्जायते ज्ञानं रजसो लोभ एव च।
प्रमादमोहौ तमसो भवतोऽज्ञानमेव च
।।14.17।।♦️sattvatsanjayate jnanan rajaso lobha eva ca.
pramadamohau tamaso bhavatojnanameva ca৷৷14.17৷৷
⚜From Sattva arises knowledge, and greed from Rajas; heedlessness and delusion arise from Tamas, and also ignorance.(14.17)
⚜सत्त्वगुण से ज्ञान उत्पन्न होता है। रजोगुण से लोभ तथा तमोगुण से प्रमाद मोह और अज्ञान उत्पन्न होता है।।14.17।।
#geeta
June 1, 2022
June 1, 2022
🍃
♦️Urdhvan gacchanti sattvastha madhye tisthanti rajasah.
jaghanyagunavrttistha adho gacchanti tamasah৷৷14.18৷৷
⚜Those who are seated in Sattva go upwards; the Rajasic dwell in the middle; and the Tamasic, abiding in the function of the lowest Guna, go downwards.(14,18)
⚜सत्त्वगुण में स्थित पुरुष उच्च (लोकों को) जाते हैं राजस पुरुष मध्य (मनुष्य लोक) में रहते हैं और तमोगुण की अत्यन्त हीन प्रवृत्तियों में स्थित तामस लोग अधोगति को प्राप्त होते हैं।।14.18।।
#geeta
ऊर्ध्वं गच्छन्ति सत्त्वस्था मध्ये तिष्ठन्ति राजसाः।
जघन्यगुणवृत्तिस्था अधो गच्छन्ति तामसाः
।।14.18।।♦️Urdhvan gacchanti sattvastha madhye tisthanti rajasah.
jaghanyagunavrttistha adho gacchanti tamasah৷৷14.18৷৷
⚜Those who are seated in Sattva go upwards; the Rajasic dwell in the middle; and the Tamasic, abiding in the function of the lowest Guna, go downwards.(14,18)
⚜सत्त्वगुण में स्थित पुरुष उच्च (लोकों को) जाते हैं राजस पुरुष मध्य (मनुष्य लोक) में रहते हैं और तमोगुण की अत्यन्त हीन प्रवृत्तियों में स्थित तामस लोग अधोगति को प्राप्त होते हैं।।14.18।।
#geeta
June 1, 2022
June 1, 2022
🚩जय सत्य सनातन
🚩आज की हिंदी तिथि
🌥 🚩यगाब्द - ५१२४
🌥 🚩शक संवत - १९४४
🌥 🚩विक्रम संवत - २०७९
⛅️ 🚩तिथि - तृतिया रात्रि 12:17 तक तत्पश्चात चतुर्थी
⛅️ दिनांक - 02 जून 2022
⛅️ दिन - गुरुवार
⛅️ अयन - उत्तरायण
⛅️ ऋतु - ग्रीष्म
⛅️ मास - ज्येष्ठ
⛅️ पक्ष - शुक्ल
⛅️ नक्षत्र - आर्द्रा अपरान्ह 04:04 तक तत्पश्चात पुनर्वसु
⛅️ योग - गण्ड रात्रि 02:37 तक तत्पश्चात वृद्धि
⛅️ राहुकाल - अपरान्ह 02:19 से 04:00 तक
⛅️ सर्योदय - 05:54
⛅️ सर्यास्त - 07:22
⛅️ दिशाशूल - दक्षिण दिशा में
⛅️ बरह्म मुहूर्त- प्रातः 04:29 से 05:12 तक
🚩आज की हिंदी तिथि
🌥 🚩यगाब्द - ५१२४
🌥 🚩शक संवत - १९४४
🌥 🚩विक्रम संवत - २०७९
⛅️ 🚩तिथि - तृतिया रात्रि 12:17 तक तत्पश्चात चतुर्थी
⛅️ दिनांक - 02 जून 2022
⛅️ दिन - गुरुवार
⛅️ अयन - उत्तरायण
⛅️ ऋतु - ग्रीष्म
⛅️ मास - ज्येष्ठ
⛅️ पक्ष - शुक्ल
⛅️ नक्षत्र - आर्द्रा अपरान्ह 04:04 तक तत्पश्चात पुनर्वसु
⛅️ योग - गण्ड रात्रि 02:37 तक तत्पश्चात वृद्धि
⛅️ राहुकाल - अपरान्ह 02:19 से 04:00 तक
⛅️ सर्योदय - 05:54
⛅️ सर्यास्त - 07:22
⛅️ दिशाशूल - दक्षिण दिशा में
⛅️ बरह्म मुहूर्त- प्रातः 04:29 से 05:12 तक
June 1, 2022
प्रतिदिनं प्रातः ७:१५ वादने १५ निमेषात्मिकायै वार्तायै डी डी न्यूज् इति पश्यत।
https://youtu.be/dIeKdZYDlPU
https://youtu.be/dIeKdZYDlPU
YouTube
वार्ता: संस्कृत में समाचार | उपराष्ट्रपति नायडू ने डकार में सेनेगल के राष्ट्रपति से मुलाक़ात की
वार्ता: संस्कृत में समाचार | उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने डकार में सेनेगल के राष्ट्रपति से मुलाक़ात की
June 1, 2022
🔰चित्रं दृष्ट्वा पञ्चवाक्यानि रचयत।
✍🏼सर्वे टिप्पणीसञ्चिकायां स्वोत्तराणि लेखितुं शक्नुवन्ति अथवा पुस्तिकायां लिखित्वा तस्य चित्रं स्वीकृत्य अपि प्रेषयितुं शक्नुवन्ति।
🗣सहैव तानि वाक्यानि उक्त्वा ध्वनिमाध्यमेन अपि प्रेषयत।
Read in English
हिन्दी में पढें
#chitram
✍🏼सर्वे टिप्पणीसञ्चिकायां स्वोत्तराणि लेखितुं शक्नुवन्ति अथवा पुस्तिकायां लिखित्वा तस्य चित्रं स्वीकृत्य अपि प्रेषयितुं शक्नुवन्ति।
🗣सहैव तानि वाक्यानि उक्त्वा ध्वनिमाध्यमेन अपि प्रेषयत।
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#chitram
June 1, 2022
🍃
⚜एक बेवकूफ अपने ही घर में मनाया जाता है; एक स्वामी का अपने ही शहर में सम्मान किया जाता है; एक राजा को उसके ही देश में पूजा जाता है; एक विद्वान व्यक्ति को हर जगह सम्मानित किया जाता है।
⚜An idiot is celebrated in his own home; a lord is respected in his own town: a king is worshipped in his own country: a learned man is honored everywhere.
🔅मूर्खस्य पूजनं स्वगृहे भवति न अन्यत्र, नगरस्वामिनः सम्मानं स्वग्रामे एव न अन्यत्र, नृपस्य पूजनीदिकं स्वदेशे एव न अन्यत्र परन्तु विद्वान् व्यक्तिः यः भवति तस्य पूजनं सर्वत्र भवति।
#Subhashitam
स्वगृहे पूज्यते मूर्खः स्वग्रामे पूज्यते प्रभुः। स्वदेशे पूज्यते राजा विद्वान सर्वत्र पूज्यते
॥⚜एक बेवकूफ अपने ही घर में मनाया जाता है; एक स्वामी का अपने ही शहर में सम्मान किया जाता है; एक राजा को उसके ही देश में पूजा जाता है; एक विद्वान व्यक्ति को हर जगह सम्मानित किया जाता है।
⚜An idiot is celebrated in his own home; a lord is respected in his own town: a king is worshipped in his own country: a learned man is honored everywhere.
🔅मूर्खस्य पूजनं स्वगृहे भवति न अन्यत्र, नगरस्वामिनः सम्मानं स्वग्रामे एव न अन्यत्र, नृपस्य पूजनीदिकं स्वदेशे एव न अन्यत्र परन्तु विद्वान् व्यक्तिः यः भवति तस्य पूजनं सर्वत्र भवति।
#Subhashitam
June 1, 2022
June 2, 2022
संस्कृत संवादः । Sanskrit Samvadah
🌷ओ३म्🌷 🌺 संस्कृत स्वयं शिक्षक 🌺
- श्रीपाद दामोदर सातवलेकर पाठ ६ ख वाक्यानि 1. विष्णुमित्रस्य गृहं
कुत्र अस्ति । - विष्णुमित्र का घर कहाँ है । 2. तस्य गृहं तत्र न अस्ति ।
- उसका घर वहाँ नहीं है । 3. देवेन द्रव्यं दत्तम् । - देव के द्वारा धन
दिया गया…
🌷ओ३म्🌷
🌺 संस्कृत स्वयं शिक्षक 🌺 - श्रीपाद दामोदर सातवलेकर
पाठ ७
शब्दानि
कथय - कह । पश्य - देख । दर्शय - दिखा । अस्ति - वह है । अस्मि - मैं हूँ । असि - तू है । सत्य - सच्चाई । दयाम् - दया को । सन्ध्याम् - सन्ध्या को । आगच्छ - आ। ब्रूहि - बोल । शृणु - सुन । वद - कह । पश्य- देख । खाद - खा । उत्तिष्ठ - उठ । कर्म - काम, कार्य । पाठम् - पाठ को । श्रावय - सुना । पाठय - पढ़ा । आह्वय - बुला । खादय/आदय - खिला । उत्थापय/उन्नय - उठा । उत्खन/उन्मूलय - उखाड़ । उड्डायय/उत्पातय - उड़ा । अवतर/अवरोह - उतर । अवतारय/अवरोहय - उतार। रोहय/आरोहय - उगा, चढ़ा । वप - बीज बो । उपरिष्टात् - ऊपर से । नीचैः/अधः - नीचे ।
वाक्यानि
1. सत्यं ब्रूहि।
- सत्य बोल।
2. उद्यानं पश्य।
- बाग़ को देख।
3. दयां कुरु।
- दया कर।
4. सन्ध्यां कुरु।
- सन्ध्या कर।
5. सत्यकामः तत्र अस्ति।
- सत्यकाम वहाँ है।
6. हरिश्चंद्रः अत्र अस्ति।
- हरिश्चन्द्र यहाँ है।
7. अहम् अस्मि।
- मैं हूँ।
8. त्वम् असि।
- तू है।
9. सः अस्ति।
- वह है।
10. विष्णुमित्रः कुत्र अस्ति।
- विष्णुमित्र कहाँ है?
11. पश्य सः तत्र अस्ति।
- देख, वह वहाँ है।
12. नहि, सः तत्र नास्ति।
- नहीं, वह वहाँ नहीं है।
13. पुस्तकं दर्शय।
- पुस्तक दिखा।
14. वेदवचनानि शृणु।
- वेद वचनों को सुन।
15. अत्र आगच्छ, कथां श्रावय च।
- यहाँ आ और कथा सुना।
16. बालकं आह्वय पाठय च।
- बालक को बुला और पढ़ा।
17. सेवफलम् उत्थापय, खाद च।
- सेब उठा और खा।
18. क्षुधार्तम् अपि खादय।
- भूखे को भी खिला।
19. उत्तिष्ठ स्वकर्म कुरु।
- उठ अपना कार्य कर।
20. तृणम् उत्खन/उन्मूलय।
- घास को उखाड़।
21. खगः डयते/उड्डीयते/उत्पतति।
- पक्षी उड़ता है।
22. वाताटम् उड्डायय/उत्पातय।
- पतंग उड़ा।
23. पादपः रोहति।
- पौधा उगता है।
24. सः वक्षं आरोहति।
- वह वृक्ष को चढ़ता है।
25. वृक्षस्य उपरिष्टात् नीचैः अवतर/अवरोह।
- वृक्ष के ऊपर से नीचे उतर।
26. अट्टात् मञ्जूषां अवतारय।
- अटारी से संदूक को उतार।
27. उपरिष्टात् पेटिकां अधः अवरोहय।
- ऊपर से पेटी/बक्से को नीचे उतार।
28. पादपं रोहय रोपय वा।
- पौधा उगा वा लगा।
29. बालकं वृक्षं आरोहय।
- बालक को वृक्ष को चढ़ा।
30. बीजानि वप।
- बीज बो।
©आर्य विजय चौहान #vakyabhyas #sanskritlessons
🌺 संस्कृत स्वयं शिक्षक 🌺 - श्रीपाद दामोदर सातवलेकर
पाठ ७
शब्दानि
कथय - कह । पश्य - देख । दर्शय - दिखा । अस्ति - वह है । अस्मि - मैं हूँ । असि - तू है । सत्य - सच्चाई । दयाम् - दया को । सन्ध्याम् - सन्ध्या को । आगच्छ - आ। ब्रूहि - बोल । शृणु - सुन । वद - कह । पश्य- देख । खाद - खा । उत्तिष्ठ - उठ । कर्म - काम, कार्य । पाठम् - पाठ को । श्रावय - सुना । पाठय - पढ़ा । आह्वय - बुला । खादय/आदय - खिला । उत्थापय/उन्नय - उठा । उत्खन/उन्मूलय - उखाड़ । उड्डायय/उत्पातय - उड़ा । अवतर/अवरोह - उतर । अवतारय/अवरोहय - उतार। रोहय/आरोहय - उगा, चढ़ा । वप - बीज बो । उपरिष्टात् - ऊपर से । नीचैः/अधः - नीचे ।
वाक्यानि
1. सत्यं ब्रूहि।
- सत्य बोल।
2. उद्यानं पश्य।
- बाग़ को देख।
3. दयां कुरु।
- दया कर।
4. सन्ध्यां कुरु।
- सन्ध्या कर।
5. सत्यकामः तत्र अस्ति।
- सत्यकाम वहाँ है।
6. हरिश्चंद्रः अत्र अस्ति।
- हरिश्चन्द्र यहाँ है।
7. अहम् अस्मि।
- मैं हूँ।
8. त्वम् असि।
- तू है।
9. सः अस्ति।
- वह है।
10. विष्णुमित्रः कुत्र अस्ति।
- विष्णुमित्र कहाँ है?
11. पश्य सः तत्र अस्ति।
- देख, वह वहाँ है।
12. नहि, सः तत्र नास्ति।
- नहीं, वह वहाँ नहीं है।
13. पुस्तकं दर्शय।
- पुस्तक दिखा।
14. वेदवचनानि शृणु।
- वेद वचनों को सुन।
15. अत्र आगच्छ, कथां श्रावय च।
- यहाँ आ और कथा सुना।
16. बालकं आह्वय पाठय च।
- बालक को बुला और पढ़ा।
17. सेवफलम् उत्थापय, खाद च।
- सेब उठा और खा।
18. क्षुधार्तम् अपि खादय।
- भूखे को भी खिला।
19. उत्तिष्ठ स्वकर्म कुरु।
- उठ अपना कार्य कर।
20. तृणम् उत्खन/उन्मूलय।
- घास को उखाड़।
21. खगः डयते/उड्डीयते/उत्पतति।
- पक्षी उड़ता है।
22. वाताटम् उड्डायय/उत्पातय।
- पतंग उड़ा।
23. पादपः रोहति।
- पौधा उगता है।
24. सः वक्षं आरोहति।
- वह वृक्ष को चढ़ता है।
25. वृक्षस्य उपरिष्टात् नीचैः अवतर/अवरोह।
- वृक्ष के ऊपर से नीचे उतर।
26. अट्टात् मञ्जूषां अवतारय।
- अटारी से संदूक को उतार।
27. उपरिष्टात् पेटिकां अधः अवरोहय।
- ऊपर से पेटी/बक्से को नीचे उतार।
28. पादपं रोहय रोपय वा।
- पौधा उगा वा लगा।
29. बालकं वृक्षं आरोहय।
- बालक को वृक्ष को चढ़ा।
30. बीजानि वप।
- बीज बो।
©आर्य विजय चौहान #vakyabhyas #sanskritlessons
June 2, 2022
June 2, 2022
June 2, 2022
1) Husband and wife during their first wedding anniversary.
2) During their 25th wedding anniversary.
#hasya
2) During their 25th wedding anniversary.
#hasya
June 2, 2022
🍃
♦️nanyan gunebhyah kartaran yada drastanupasyati.
gunebhyasca paraṅ vetti madbhavan sodhigacchati৷৷14.19৷৷
⚜When the seer beholds no agent other than the Gunas and knows That which is higher than they, he attains to My Being.(14.19)
⚜जब द्रष्टा (साधक) पुरुष तीनों गुणों के अतिरिक्त किसी अन्य को कर्ता नहीं देखता अर्थात् नहीं समझता है और तीनों गुणों से परे मेरे तत्व को जानता है तब वह मेरे स्वरूप को प्राप्त होता है।।14.19।।
#geeta
नान्यं गुणेभ्यः कर्तारं यदा द्रष्टानुपश्यति।
गुणेभ्यश्च परं वेत्ति मद्भावं सोऽधिगच्छति
।।14.19।।♦️nanyan gunebhyah kartaran yada drastanupasyati.
gunebhyasca paraṅ vetti madbhavan sodhigacchati৷৷14.19৷৷
⚜When the seer beholds no agent other than the Gunas and knows That which is higher than they, he attains to My Being.(14.19)
⚜जब द्रष्टा (साधक) पुरुष तीनों गुणों के अतिरिक्त किसी अन्य को कर्ता नहीं देखता अर्थात् नहीं समझता है और तीनों गुणों से परे मेरे तत्व को जानता है तब वह मेरे स्वरूप को प्राप्त होता है।।14.19।।
#geeta
June 2, 2022
June 2, 2022
@samskrt_samvadah संलापशाला - A Samskrit Voicechat room.
यदीच्छसि वशीकर्तुं, भाषणमेककर्मणा।
यायास्संलापशालां वै, भवति यत्र भाषणम्।।
⏳45 निमेषाः
🕚 IST 11:00 AM
🔰जल्पनम्
🗓03rd june 2022, शुक्रवासरः
🔴Voicechat would be recorded and shared on this channel.
📑यदि शक्येत चेत् संस्कृतेन (सामान्याः वार्ताः कुर्मः) । चर्चार्थं कृपया पूर्वसिद्धतां कृत्वा आगच्छन्तु।
वयं युष्माकं प्रतीक्षां कुर्मः। 😇
स्मारणतंत्रिकां स्थापयतु ⏰
👇🏼👇🏼👇🏼👇🏼👇🏼
https://t.me/samskrt_samvadah?voicechat
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June 2, 2022
June 2, 2022
🍃
♦️gunanetanatitya trindehi dehasamudbhavan.
janmamrtyujaraduhkhairvimuktomrtamasnute৷৷14.20৷৷
⚜The embodied one having crossed beyond these three Gunas out of which the body is evolved, is freed from birth, death, decay and pain, and attains to immortality.(14.20)
⚜यह देही पुरुष शरीर की उत्पत्ति के कारणरूप तीनों गुणों से अतीत होकर जन्म मृत्यु जरा और दुखों से विमुक्त हुआ अमृतत्व को प्राप्त होता है।।14.20।।
#geeta
गुणानेतानतीत्य त्रीन्देही देहसमुद्भवान्।
जन्ममृत्युजरादुःखैर्विमुक्तोऽमृतमश्नुते
।।14.20।।♦️gunanetanatitya trindehi dehasamudbhavan.
janmamrtyujaraduhkhairvimuktomrtamasnute৷৷14.20৷৷
⚜The embodied one having crossed beyond these three Gunas out of which the body is evolved, is freed from birth, death, decay and pain, and attains to immortality.(14.20)
⚜यह देही पुरुष शरीर की उत्पत्ति के कारणरूप तीनों गुणों से अतीत होकर जन्म मृत्यु जरा और दुखों से विमुक्त हुआ अमृतत्व को प्राप्त होता है।।14.20।।
#geeta
June 2, 2022
June 2, 2022
🚩जय सत्य सनातन 🚩
🚩आज की हिंदी तिथि
🌥 🚩यगाब्द - ५१२४
🌥 🚩विक्रम संवत - १९४४
🌥 🚩विक्रम संवत - २०७९
⛅️ 🚩तिथि - चतुर्थी रात्रि 02:41 तक तत्पश्चात पंचमी
⛅️ दिनांक - 03 जून 2022
⛅️ दिन - शुक्रवार
⛅️ अयन - उत्तरायण
⛅️ ऋतु - ग्रीष्म
⛅️ मास - ज्येष्ठ
⛅️ पक्ष - शुक्ल
⛅️ नक्षत्र - पुनर्वसु शाम 07:05 तक तत्पश्चात पुष्य
⛅️ योग - वृद्धि रात्रि 03:34 तक तत्पश्चात ध्रुव
⛅️ राहुकाल - सुबह 10:57 से दोपहर 12:38 तक
⛅️ सर्योदय - 05:54
⛅️ सर्यास्त - 07:22
⛅️ दिशाशूल - पश्चिम दिशा में
⛅️ बरह्म मुहूर्त- प्रातः 04:29 से 05:12 तक
🚩आज की हिंदी तिथि
🌥 🚩यगाब्द - ५१२४
🌥 🚩विक्रम संवत - १९४४
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⛅️ दिशाशूल - पश्चिम दिशा में
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June 2, 2022
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June 2, 2022
🔰चित्रं दृष्ट्वा पञ्चवाक्यानि रचयत।
✍🏼सर्वे टिप्पणीसञ्चिकायां स्वोत्तराणि लेखितुं शक्नुवन्ति अथवा पुस्तिकायां लिखित्वा तस्य चित्रं स्वीकृत्य अपि प्रेषयितुं शक्नुवन्ति।
🗣सहैव तानि वाक्यानि उक्त्वा ध्वनिमाध्यमेन अपि प्रेषयत।
Read in English
हिन्दी में पढें
#chitram
✍🏼सर्वे टिप्पणीसञ्चिकायां स्वोत्तराणि लेखितुं शक्नुवन्ति अथवा पुस्तिकायां लिखित्वा तस्य चित्रं स्वीकृत्य अपि प्रेषयितुं शक्नुवन्ति।
🗣सहैव तानि वाक्यानि उक्त्वा ध्वनिमाध्यमेन अपि प्रेषयत।
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#chitram
June 2, 2022
June 2, 2022
June 2, 2022
June 2, 2022
🍃
♦️shaantitulyam tapo naasti na santoShaatparam sukham na tRiShNaayaal paro vyaadhiH na cha dharmo dayaaparaH
⚜शान्ति के समान कोई तप नहीं है। संतोष से बड़ा कोई सुख नहीं है। तृष्णा (आकांक्षा) से बुरी कोई बिमारी नहीं है। दया से बड़ा कोई धर्म नहीं है।
⚜There is no penance equal to peace; no pleasure beyond satisfaction; no disease is worse than greed; no virtue better than compassion.
🔅शान्तिः सदृशं तपः नास्ति, संतोषः सदृशं सुखं नास्ति, तृष्णा(इच्छा) सदृशः रोगः नास्ति तथा दया सदृशः धर्मः नास्ति।
#Subhashitam
शान्तितुल्यं तपो नास्ति न सन्तोषात्परं सुखम् । न तृष्णायाः परो व्याधिः न च धर्मो दयापरः
॥♦️shaantitulyam tapo naasti na santoShaatparam sukham na tRiShNaayaal paro vyaadhiH na cha dharmo dayaaparaH
⚜शान्ति के समान कोई तप नहीं है। संतोष से बड़ा कोई सुख नहीं है। तृष्णा (आकांक्षा) से बुरी कोई बिमारी नहीं है। दया से बड़ा कोई धर्म नहीं है।
⚜There is no penance equal to peace; no pleasure beyond satisfaction; no disease is worse than greed; no virtue better than compassion.
🔅शान्तिः सदृशं तपः नास्ति, संतोषः सदृशं सुखं नास्ति, तृष्णा(इच्छा) सदृशः रोगः नास्ति तथा दया सदृशः धर्मः नास्ति।
#Subhashitam
June 2, 2022
न अङ्गीकरोति = ?
समस्तपदः कः भवेत्।
समस्तपदः कः भवेत्।
Anonymous Quiz
12%
आङ्गीकरोति
53%
नाङ्गीकरोति
30%
अनङ्गीकरोति
5%
नङ्गीकरोति
June 3, 2022
Sanskrit Academy,
Osmania University, Hyderabad is offering Online course from the month
of June 2022 and requests all the interested/ enthusiastic people/
Sanskrit lovers to join this course. Classes may commence from
13.06.2022. Last date for admission is 06.06.2022.
Please contact for more details .
Certificate Course in Sanskrit Language - level 3 (संक्षेपरामायणम्) Please click the link for more details
https://forms.gle/d8VY7Z1edZDtuFen8
Diploma In Bhagavadgeeta
Please click the link for more details https://forms.gle/csNgUa1A6Mc8b21aA
Please contact for more details .
+91 93986 01140
Certificate Course in Sanskrit Language - level 3 (संक्षेपरामायणम्) Please click the link for more details
https://forms.gle/d8VY7Z1edZDtuFen8
Diploma In Bhagavadgeeta
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June 3, 2022
संस्कृत संवादः । Sanskrit Samvadah pinned «Sanskrit
Academy, Osmania University, Hyderabad is offering Online course from
the month of June 2022 and requests all the interested/ enthusiastic
people/ Sanskrit lovers to join this course. Classes may commence from
13.06.2022. Last date for admission is…»
June 3, 2022
संस्कृत संवादः । Sanskrit Samvadah
🌷ओ३म्🌷 🌺 संस्कृत स्वयं शिक्षक 🌺
- श्रीपाद दामोदर सातवलेकर पाठ ७ शब्दानि कथय - कह । पश्य - देख ।
दर्शय - दिखा । अस्ति - वह है । अस्मि - मैं हूँ । असि - तू है । सत्य -
सच्चाई । दयाम् - दया को । सन्ध्याम् - सन्ध्या को । आगच्छ - आ। ब्रूहि -
बोल । शृणु -…
🌷ओ३म्🌷
🌺 संस्कृत स्वयं शिक्षक 🌺
पाठ ७ ख
लोट् लकार
संस्कृत में काल और अर्थ की दृष्टि से प्रत्येक क्रिया/धातु को ११ लकारों में विभाग किया गया है, जैसे लट्, लोट्, लृट्, लङ्, विधिलिङ्, लुट् आदि। इनमें से लट् लकार का प्रयोग वर्तमान काल के लिए होता है, जिसके रूप हम आपको दे चुके हैं। आगे लोट् लकार का प्रयोग आज्ञा देने अथवा प्रार्थना करने के अर्थ में किया जाता है। लोट् लकार के व्यवहारिक वाक्य इससे पूर्व के पाठ ७ में आप पढ़ चुके हैं, जिनमें वद, पश्य, आगच्छ, श्रावय, उत्थापय, कथय, तिष्ठ, उत्तिष्ठ, दर्शय, खाद, वप आदि लोट् लकार के मध्यमपुरुष, एकवचन धातुरूप का प्रयोग किया गया था।
अब पठ् धातु के लोट् लकार के रूप निम्नलिखित हैं, इन्हें स्मरण कर लें -
१) पठ् धातुः - लोट् लकारः आज्ञार्थक
----एकवचनम् द्विवचनम् बहुवचनम्
प्रथमः पुरुषः पठतु पठताम् पठन्तु
मध्यमः पुरुषः पठ पठतम् पठत
उत्तमः पुरुषः पठानि पठाव पठाम
इसी प्रकार आप दृश् (पश्य्), वद्, लिख्, कथ् (कथय्), गम् (गच्छ्), खाद्, वप्, स्था (तिष्ठ्) [बैठने के अर्थ में], उत्+स्था (उत्तिष्ठ्) आदि धातुओं के लोट् लकार के रूप बना सकते हैं, यथा - तिष्ठतु, तिष्ठताम्, तिष्ठन्तु इत्यादि।
सर्वनाम रूपों के तीनों पुरुष और तीनों वचनों को पठ् धातु के पुरुषों और वचनों से क्रमशः मिलाने पर संस्कृत के निम्न वाक्य बनते हैं -
(क) प्रथमः पुरुषः [आज्ञार्थ वाक्य]
----पुंल्लिङ्गम्
१. सः पाठं पठतु - वह पाठ पढ़े।
२. तौ क्रमशः पाठं पठताम् - वे दो क्रम से पाठ पढ़ें।
३. ते क्रमशः पाठं पठन्तु - वे सब क्रम से पाठ पढ़ें।
-----स्त्रीलिङ्गम्
१. सा बालिका पठतु - वह बालिका पढ़े।
२. ते बालिके पठताम् - वे दो बालिकायें पढ़ें।
३. ताः बालिकाः पठन्तु - वे सब बालिकायें पढ़ें।
(ख) मध्यमः पुरुषः [आज्ञार्थ वाक्य]
१. त्वम् वेदमन्त्रं पठ - तुम वेदमन्त्र पढ़ो।
२. युवाम् वेदमन्त्रं पठतम् - तुम दो वेदमन्त्र पढ़ो।
३. यूयम् वेदमन्त्रं पठत - तुम सब वेदमन्त्र पढ़ो।
(ग) उत्तमः पुरुषः [प्रार्थना अर्थ वाक्य]
१. किम् अहम् पुस्तकं पठानि - क्या मैं पुस्तक पढ़ूँ?
२. किम् आवाम् विज्ञानं पठाव? - क्या हम दो विज्ञानं पढ़ें?
३. किम् वयम् संस्कृतं पठाम? - क्या हम सब संस्कृतं पढ़ें?
भवान्/भवती (आप) के साथ प्रथमपुरुष क्रिया का ही प्रयोग होता है, मध्यमपुरुष का नहीं। अतः उसके वचन के अनुसार उसी क्रिया के रूप का प्रयोग करना चाहिए -
(क) प्रथमः पुरुषः [आज्ञार्थ/प्रार्थनार्थ]
----पुंल्लिङ्गम्
१. भवान् पाठं पठतु - आप पाठ पढ़ो।
२. भवन्तौ क्रमशः पाठं पठताम् - आप दो क्रम से पाठ पढ़ो।
३. भवन्तः क्रमशः पाठं पठन्तु - आप सब क्रम से पाठ पढ़ें।
-----स्त्रीलिङ्गम्
१. भवती पठतु - आप पढ़े।
२. भवत्यौ पठताम् - आप दो पढ़ें।
३. भवत्यः पठन्तु - आप सब पढ़ें।
लट् आदि अन्य लकारों में भी यही नियम लगेगा। यथा -
१. भवान्/भवती पाठं पठति - आप पाठ पढ़ते हो।
२. भवन्तौ/भवत्यौ मन्त्रं पठतः - आप दो मन्त्र पढ़ते हो।
३. भवन्तः/भवत्यः संस्कृतं पठन्ति - आप सब संस्कृत पढ़ते हो।
ध्यातव्यम् - भवत् पुल्लिंग के रूप (भवान् आदि) पठत् के तुल्य चलेंगे और भवत् स्त्रीलिंग के रूप (भवती आदि) नदी के तुल्य चलेंगे।
#vakyabhyas
🌺 संस्कृत स्वयं शिक्षक 🌺
पाठ ७ ख
लोट् लकार
संस्कृत में काल और अर्थ की दृष्टि से प्रत्येक क्रिया/धातु को ११ लकारों में विभाग किया गया है, जैसे लट्, लोट्, लृट्, लङ्, विधिलिङ्, लुट् आदि। इनमें से लट् लकार का प्रयोग वर्तमान काल के लिए होता है, जिसके रूप हम आपको दे चुके हैं। आगे लोट् लकार का प्रयोग आज्ञा देने अथवा प्रार्थना करने के अर्थ में किया जाता है। लोट् लकार के व्यवहारिक वाक्य इससे पूर्व के पाठ ७ में आप पढ़ चुके हैं, जिनमें वद, पश्य, आगच्छ, श्रावय, उत्थापय, कथय, तिष्ठ, उत्तिष्ठ, दर्शय, खाद, वप आदि लोट् लकार के मध्यमपुरुष, एकवचन धातुरूप का प्रयोग किया गया था।
अब पठ् धातु के लोट् लकार के रूप निम्नलिखित हैं, इन्हें स्मरण कर लें -
१) पठ् धातुः - लोट् लकारः आज्ञार्थक
----एकवचनम् द्विवचनम् बहुवचनम्
प्रथमः पुरुषः पठतु पठताम् पठन्तु
मध्यमः पुरुषः पठ पठतम् पठत
उत्तमः पुरुषः पठानि पठाव पठाम
इसी प्रकार आप दृश् (पश्य्), वद्, लिख्, कथ् (कथय्), गम् (गच्छ्), खाद्, वप्, स्था (तिष्ठ्) [बैठने के अर्थ में], उत्+स्था (उत्तिष्ठ्) आदि धातुओं के लोट् लकार के रूप बना सकते हैं, यथा - तिष्ठतु, तिष्ठताम्, तिष्ठन्तु इत्यादि।
सर्वनाम रूपों के तीनों पुरुष और तीनों वचनों को पठ् धातु के पुरुषों और वचनों से क्रमशः मिलाने पर संस्कृत के निम्न वाक्य बनते हैं -
(क) प्रथमः पुरुषः [आज्ञार्थ वाक्य]
----पुंल्लिङ्गम्
१. सः पाठं पठतु - वह पाठ पढ़े।
२. तौ क्रमशः पाठं पठताम् - वे दो क्रम से पाठ पढ़ें।
३. ते क्रमशः पाठं पठन्तु - वे सब क्रम से पाठ पढ़ें।
-----स्त्रीलिङ्गम्
१. सा बालिका पठतु - वह बालिका पढ़े।
२. ते बालिके पठताम् - वे दो बालिकायें पढ़ें।
३. ताः बालिकाः पठन्तु - वे सब बालिकायें पढ़ें।
(ख) मध्यमः पुरुषः [आज्ञार्थ वाक्य]
१. त्वम् वेदमन्त्रं पठ - तुम वेदमन्त्र पढ़ो।
२. युवाम् वेदमन्त्रं पठतम् - तुम दो वेदमन्त्र पढ़ो।
३. यूयम् वेदमन्त्रं पठत - तुम सब वेदमन्त्र पढ़ो।
(ग) उत्तमः पुरुषः [प्रार्थना अर्थ वाक्य]
१. किम् अहम् पुस्तकं पठानि - क्या मैं पुस्तक पढ़ूँ?
२. किम् आवाम् विज्ञानं पठाव? - क्या हम दो विज्ञानं पढ़ें?
३. किम् वयम् संस्कृतं पठाम? - क्या हम सब संस्कृतं पढ़ें?
भवान्/भवती (आप) के साथ प्रथमपुरुष क्रिया का ही प्रयोग होता है, मध्यमपुरुष का नहीं। अतः उसके वचन के अनुसार उसी क्रिया के रूप का प्रयोग करना चाहिए -
(क) प्रथमः पुरुषः [आज्ञार्थ/प्रार्थनार्थ]
----पुंल्लिङ्गम्
१. भवान् पाठं पठतु - आप पाठ पढ़ो।
२. भवन्तौ क्रमशः पाठं पठताम् - आप दो क्रम से पाठ पढ़ो।
३. भवन्तः क्रमशः पाठं पठन्तु - आप सब क्रम से पाठ पढ़ें।
-----स्त्रीलिङ्गम्
१. भवती पठतु - आप पढ़े।
२. भवत्यौ पठताम् - आप दो पढ़ें।
३. भवत्यः पठन्तु - आप सब पढ़ें।
लट् आदि अन्य लकारों में भी यही नियम लगेगा। यथा -
१. भवान्/भवती पाठं पठति - आप पाठ पढ़ते हो।
२. भवन्तौ/भवत्यौ मन्त्रं पठतः - आप दो मन्त्र पढ़ते हो।
३. भवन्तः/भवत्यः संस्कृतं पठन्ति - आप सब संस्कृत पढ़ते हो।
ध्यातव्यम् - भवत् पुल्लिंग के रूप (भवान् आदि) पठत् के तुल्य चलेंगे और भवत् स्त्रीलिंग के रूप (भवती आदि) नदी के तुल्य चलेंगे।
#vakyabhyas
June 3, 2022
@samskrt_samvadah प्रारंभ करता है, संस्कृताश्रमः - संस्कृतशिक्षण की लघु कक्षाऐं
⏳20 मिनट
🕚 09:00 PM 🇮🇳
🔰 क्त्वा ल्यप् प्रत्ययोः अभ्यासः
🗓3rd जून 2022, शुक्रवासरः
🔴 कक्षाओं की प्रति हमारे युट्युब चैनल पर डाली जायेगी
कृपया अलार्म लगा लें और विलंब से न आयें।
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June 3, 2022
June 3, 2022
#⃣ ००५
🏬 स्वर्वाणीप्रकाश
📣 सुरवाणीविलासः
🔰 प्रारम्भिकस्तरः
👩🏻🏫 उषाराणी सङ्का
🗣 हिन्दीमाध्यमेन
⏳ 9 AM 🇮🇳
⌛️ 10 AM 🇮🇳
🗓 मंगलवासरे गुरुवासरे शनिवासरे च
🔛 9th June 2022 onwards
📱Zoom
💰 निश्शुल्कम्
💻 Meeting ID:
🔗 https://indicacademy.zoom.us/j/98231927653
🌐 svarvani-prakasha.blogspot.com
📧 samskrta.usha@gmail.com
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🏬 स्वर्वाणीप्रकाश
📣 सुरवाणीविलासः
🔰 प्रारम्भिकस्तरः
👩🏻🏫 उषाराणी सङ्का
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🗓 मंगलवासरे गुरुवासरे शनिवासरे च
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98231927653
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June 3, 2022
संस्कृत संवादः । Sanskrit Samvadah pinned «#⃣ ००५ 🏬 स्वर्वाणीप्रकाश 📣 सुरवाणीविलासः 🔰 प्रारम्भिकस्तरः 👩🏻🏫 उषाराणी सङ्का 🗣 हिन्दीमाध्यमेन ⏳ 9 AM 🇮🇳 ⌛️ 10 AM 🇮🇳 🗓 मंगलवासरे गुरुवासरे शनिवासरे च 🔛 9th June 2022 onwards 📱Zoom 💰 निश्शुल्कम् 💻 Meeting ID: 98231927653 🔗 https://indicacademy.zoom.us/j/98231927653…»
June 3, 2022
#⃣ ००६
🏬 स्वर्वाणीप्रकाश
📣 देववाणीविलासः
🔰 माध्यमिकस्तरः
👩🏻🏫 उषाराणी सङ्का
🗣 हिन्दीमाध्यमेन
⏳ 3 PM 🇮🇳
⌛️ 4 PM 🇮🇳
🗓 मंगलवासरे शुक्रवासरे च
🔛 10th June 2022 onwards
📱Zoom
💰 निश्शुल्कम्
💻 Meeting ID:
📖 संस्कृतप्रथमादर्शः
🔗 https://indicacademy.zoom.us/j/98231927653
🌐 svarvani-prakasha.blogspot.com
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🏬 स्वर्वाणीप्रकाश
📣 देववाणीविलासः
🔰 माध्यमिकस्तरः
👩🏻🏫 उषाराणी सङ्का
🗣 हिन्दीमाध्यमेन
⏳ 3 PM 🇮🇳
⌛️ 4 PM 🇮🇳
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🔛 10th June 2022 onwards
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💻 Meeting ID:
98231927653
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June 3, 2022
#⃣ ००७
🏬 स्वर्वाणीप्रकाश
📣 निलिम्पवाणीविलासः
🔰 संस्कृतसम्भाषणाभ्यासाः
👩🏻🏫 उषाराणी सङ्का
🗣 संस्कृतमाध्यमेन
⏳ 9 PM 🇮🇳
⌛️ 10 PM 🇮🇳
🗓 बुधवासरे शुक्रवासरे च
🔛 10th June 2022 onwards
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💰 निश्शुल्कम्
💻 Meeting ID:
🔗 https://indicacademy.zoom.us/j/91922212853
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🏬 स्वर्वाणीप्रकाश
📣 निलिम्पवाणीविलासः
🔰 संस्कृतसम्भाषणाभ्यासाः
👩🏻🏫 उषाराणी सङ्का
🗣 संस्कृतमाध्यमेन
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⌛️ 10 PM 🇮🇳
🗓 बुधवासरे शुक्रवासरे च
🔛 10th June 2022 onwards
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91922212853
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June 3, 2022
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June 3, 2022
संस्कृत संवादः । Sanskrit Samvadah pinned «#⃣ ००७ 🏬 स्वर्वाणीप्रकाश 📣 निलिम्पवाणीविलासः 🔰 संस्कृतसम्भाषणाभ्यासाः 👩🏻🏫 उषाराणी सङ्का 🗣 संस्कृतमाध्यमेन ⏳ 9 PM 🇮🇳 ⌛️ 10 PM 🇮🇳 🗓 बुधवासरे शुक्रवासरे च 🔛 10th June 2022 onwards 📱Zoom 💰 निश्शुल्कम् 💻 Meeting ID: 91922212853 🔗 https://indicacademy.zoom.us/j/91922212853…»
June 3, 2022
June 3, 2022
June 3, 2022
नमो नमः
03 जून 2022 साप्ताहिकमेलनस्य कृते अधोलिखिता योजना अस्ति।
🌼
सायंकाले
🌼
6:00 - 6:05 ध्येयमन्त्रम्
🌼
6:05 - 6:15 भगवद्गीता पठनम्
🌼
6:15 - 6:20 सुभाषितम् - सहना राव
🌼
6:20 - 6:25 गीतम् - विशाखा लेले
🌼
6:25 - 6:30 "कथा - ""कच्छप्याः वंशी"" - स्मिता कोप्पीकरः"
🌼
6:30 - 6:35 गीतम् - बालासाहेब महोदयः
🌼
6:35 - 6:55 मासिकगीतम्
🌼
6:55 - 7:00 नूतनानां परिचयः
🌼
7:00 - 7:15 चित्रवर्णनम् - चित्रा सोहनी
🌼
7:15 - 7:25 चर्चा सूचना मार्गदर्शनं च
🌼
7:25 - 7:30 एकात्मता मन्त्रम्
🌼
सर्वे निश्चयेन आगच्छन्तु
https://bit.ly/melanam
All are invited. No eligibility.
03 जून 2022 साप्ताहिकमेलनस्य कृते अधोलिखिता योजना अस्ति।
🌼
सायंकाले
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6:00 - 6:05 ध्येयमन्त्रम्
🌼
6:05 - 6:15 भगवद्गीता पठनम्
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6:25 - 6:30 "कथा - ""कच्छप्याः वंशी"" - स्मिता कोप्पीकरः"
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7:00 - 7:15 चित्रवर्णनम् - चित्रा सोहनी
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सर्वे निश्चयेन आगच्छन्तु
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June 3, 2022
@samskrt_samvadah संलापशाला - A Samskrit Voicechat room.
यदीच्छसि वशीकर्तुं, भाषणमेककर्मणा।
यायास्संलापशालां वै, भवति यत्र भाषणम्।।
⏳45 निमेषाः
🕚 IST 11:00 AM
🔰संस्कृतकथा,सुभाषितम्, हास्यकणिका इत्यादयः
🗓04th june 2022, शनिवासरः
🔴Voicechat would be recorded and shared on this channel.
📑यदि शक्येत चेत् संस्कृतेन (संस्कृतकथां, सुभाषितं, हास्यकणिकां ,स्वस्य कञ्चित् उत्तमम् अनुभवं ,प्रेरकप्रसङ्गं ,लौकिकन्यायं वा वदन्तु) । चर्चार्थं कृपया पूर्वसिद्धतां कृत्वा आगच्छन्तु।
वयं युष्माकं प्रतीक्षां कुर्मः। 😇
स्मारणतंत्रिकां स्थापयतु ⏰
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https://t.me/samskrt_samvadah?voicechat
यदीच्छसि वशीकर्तुं, भाषणमेककर्मणा।
यायास्संलापशालां वै, भवति यत्र भाषणम्।।
⏳45 निमेषाः
🕚 IST 11:00 AM
🔰संस्कृतकथा,सुभाषितम्, हास्यकणिका इत्यादयः
🗓04th june 2022, शनिवासरः
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📑यदि शक्येत चेत् संस्कृतेन (संस्कृतकथां, सुभाषितं, हास्यकणिकां ,स्वस्य कञ्चित् उत्तमम् अनुभवं ,प्रेरकप्रसङ्गं ,लौकिकन्यायं वा वदन्तु) । चर्चार्थं कृपया पूर्वसिद्धतां कृत्वा आगच्छन्तु।
वयं युष्माकं प्रतीक्षां कुर्मः। 😇
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June 3, 2022
🍃
♦️arjuna uvāca
kairlingaistringunanetanatīio bhavati prabho.
kimacarah kathan caitanstringunanativartate৷৷14.21৷৷
⚜Arjuna said --
What are the marks of him who has transcended the three alities, O Lord? What is his conduct and how does he go beyond these three alities?(14.21)
⚜अर्जुन ने कहा --
हे प्रभो इन तीनो गुणों से अतीत हुआ पुरुष किन लक्षणों से युक्त होता है वह किस प्रकार के आचरण वाला होता है और वह किस उपाय से इन तीनों गुणों से अतीत होता है।।14.21।।
#geeta
अर्जुन उवाच
कैर्लिंगैस्त्रीन्गुणानेतानतीतो भवति प्रभो।
किमाचारः कथं चैतांस्त्रीन्गुणानतिवर्तते
।।14.21।।♦️arjuna uvāca
kairlingaistringunanetanatīio bhavati prabho.
kimacarah kathan caitanstringunanativartate৷৷14.21৷৷
⚜Arjuna said --
What are the marks of him who has transcended the three alities, O Lord? What is his conduct and how does he go beyond these three alities?(14.21)
⚜अर्जुन ने कहा --
हे प्रभो इन तीनो गुणों से अतीत हुआ पुरुष किन लक्षणों से युक्त होता है वह किस प्रकार के आचरण वाला होता है और वह किस उपाय से इन तीनों गुणों से अतीत होता है।।14.21।।
#geeta
June 3, 2022
June 3, 2022
June 3, 2022
June 3, 2022
🍃
♦️sri bhagavanuvaca
prakasan ca pravrttin ca mohameva ca pandava.
na dvesti sampravrttani na nivrttani kanksati৷৷14.22৷৷
⚜The Blessed Lord said --
When light, activity and delusion are present, he hates them not, nor does he long for them when they are absent.(14.22)
⚜श्रीभगवान् ने कहा --
हे पाण्डव (ज्ञानी पुरुष) प्रकाश प्रवृत्ति और मोह के प्रवृत्त होने पर भी उनका द्वेष नहीं करता तथा निवृत्त होने पर उनकी आकांक्षा नहीं करता है।।14.22।।
#geeta
श्री भगवानुवाच
प्रकाशं च प्रवृत्तिं च मोहमेव च पाण्डव।
न द्वेष्टि सम्प्रवृत्तानि न निवृत्तानि काङ्क्षति
।।14.22।।♦️sri bhagavanuvaca
prakasan ca pravrttin ca mohameva ca pandava.
na dvesti sampravrttani na nivrttani kanksati৷৷14.22৷৷
⚜The Blessed Lord said --
When light, activity and delusion are present, he hates them not, nor does he long for them when they are absent.(14.22)
⚜श्रीभगवान् ने कहा --
हे पाण्डव (ज्ञानी पुरुष) प्रकाश प्रवृत्ति और मोह के प्रवृत्त होने पर भी उनका द्वेष नहीं करता तथा निवृत्त होने पर उनकी आकांक्षा नहीं करता है।।14.22।।
#geeta
June 3, 2022
June 3, 2022
🚩जय सत्य सनातन🚩
🚩आज की हिंदी तिथि
🌥 🚩यगाब्द-५१२४
🌥 🚩विक्रम संवत-२०७९
⛅️ 🚩तिथि - पंचमी (5 जून प्रात: 04:52) तक तत्पश्चात षष्टी
⛅️दिनांक 04 जून 2022
⛅️दिन - शनिवार
⛅️शक संवत - 1944
⛅️अयन - उत्तरायण
⛅️ऋतु - ग्रीष्म
⛅️मास - ज्येष्ठ
⛅️पक्ष - शुक्ल
⛅️नक्षत्र - पुष्य रात्रि 09:55 तक तत्पश्चात अश्लेषा
⛅️योग - ध्रुव (5 जून प्रातः 04:20) तक तत्पश्चात व्याघात
⛅️राहुकाल - सुबह 09:16 से 10:57 तक
⛅️सर्योदय - 05:54
⛅️सर्यास्त - 07:23
⛅️दिशाशूल - पूर्व दिशा में
⛅️बरह्म मुहूर्त- प्रातः 04:29 से 05:12 तक
🚩आज की हिंदी तिथि
🌥 🚩यगाब्द-५१२४
🌥 🚩विक्रम संवत-२०७९
⛅️ 🚩तिथि - पंचमी (5 जून प्रात: 04:52) तक तत्पश्चात षष्टी
⛅️दिनांक 04 जून 2022
⛅️दिन - शनिवार
⛅️शक संवत - 1944
⛅️अयन - उत्तरायण
⛅️ऋतु - ग्रीष्म
⛅️मास - ज्येष्ठ
⛅️पक्ष - शुक्ल
⛅️नक्षत्र - पुष्य रात्रि 09:55 तक तत्पश्चात अश्लेषा
⛅️योग - ध्रुव (5 जून प्रातः 04:20) तक तत्पश्चात व्याघात
⛅️राहुकाल - सुबह 09:16 से 10:57 तक
⛅️सर्योदय - 05:54
⛅️सर्यास्त - 07:23
⛅️दिशाशूल - पूर्व दिशा में
⛅️बरह्म मुहूर्त- प्रातः 04:29 से 05:12 तक
June 3, 2022
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यदीच्छसि वशीकर्तुं, भाषणमेककर्मणा।
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वयं युष्माकं प्रतीक्षां कुर्मः। 😇
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June 3, 2022
June 3, 2022
Forwarded from ॐ पीयूषः
https://youtu.be/v-Z1SFiZi_g
प्रतिदिनं प्रातः ७:१५ वादने १५ निमेषात्मिकायै वार्तायै डी डी न्यूज् इति पश्यत।
प्रतिदिनं प्रातः ७:१५ वादने १५ निमेषात्मिकायै वार्तायै डी डी न्यूज् इति पश्यत।
YouTube
वार्ता - राष्ट्रपति कोविंद का उत्तर प्रदेश दौरा और अन्य खबरें संस्कृत में
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DD News 24x7 | Breaking News and other Live updates | | News in Hindi | Latest News
DD News is India’s 24x7 news channel from the stable of the country’s Public Service Broadcaster…
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June 3, 2022
Samskrit Speaking Skill Development Program
Level 3 Samskrit Reading and Writing Skills
(Specially designed to facilitate Samskrit Teachers)
Last Date of Joining | 06/07/22
Enroll Now : https://learnsamskrit.online/level-3
Need to share it !🙏
Level 3 Samskrit Reading and Writing Skills
(Specially designed to facilitate Samskrit Teachers)
Last Date of Joining | 06/07/22
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June 3, 2022
June 3, 2022
🍃
⚜मनुष्य भवन बदलता है, मित्र बदलता है, वस्त्र बदलता है, वस्तुएं बदलता है फिर भी दुःखी रहता है क्योंकि स्वभाव नहीं बदलता ।
🔅मनुष्यः भवनानि(साधनानि) परिवर्तते, मित्राणि परिवर्तते, वस्त्राणि वस्तूनि च परिवर्तते परन्तु स्वभावं न परिवर्तते तस्मात् दुःखी भवति।
#Subhashitam
गृहं मित्रं च वस्त्राणि साधनं पर्यवर्तयत्। तथापि लभते दु:खं स्वभावेऽपरिवर्तिते
।। ⚜मनुष्य भवन बदलता है, मित्र बदलता है, वस्त्र बदलता है, वस्तुएं बदलता है फिर भी दुःखी रहता है क्योंकि स्वभाव नहीं बदलता ।
🔅मनुष्यः भवनानि(साधनानि) परिवर्तते, मित्राणि परिवर्तते, वस्त्राणि वस्तूनि च परिवर्तते परन्तु स्वभावं न परिवर्तते तस्मात् दुःखी भवति।
#Subhashitam
June 3, 2022
June 3, 2022
June 3, 2022
June 4, 2022
मोदीवर्यः _______ _________।
Anonymous Quiz
9%
विमानात् , आरोहित
82%
विमानात् , अवतरति
4%
विमाने , अवतरयति
5%
विमानम् , अवतरति
June 4, 2022
ओ३म्
संस्कृताभ्यासः
अहम् अस्मि
= मैं हूँ
वयं स्मः
= हम सब हैं
अहं युवकः अस्मि।
= मैं युवक हूँ।
अहं युवती अस्मि।
= मैं युवती हूँ।
अहं छात्रः अस्मि।
= मैं छात्र हूँ।
अहं छात्रा अस्मि।
= मैं छात्रा हूँ।
अहं भारतीयः/ भारतीया अस्मि
= मैं भारतीय हूँ।
अहं स्वस्थः/स्वस्था अस्मि।
= मैं स्वस्थ हूँ।
सः अस्ति
= वह है (पुंलिङ्ग)
सा अस्ति
= वह है (स्त्रीलिंग)
एषः अस्ति
= यह है (पुंलिङ्ग)
एषा अस्ति
= यह है (स्त्रीलिंग)
सः वैद्यः अस्ति
= वह वैद्य है।
सा शिक्षिका अस्ति
= वह शिक्षिका है।
एषः सुयोग्यः बालकः अस्ति।
= यह सुयोग्य बालक है।
एषा तेजस्विनी छात्रा अस्ति।
= यह तेजस्विनी छात्रा है।
तथैव सरलवाक्यानाम् अभ्यासं कुर्वन्तु।
= इसी प्रकार सरल वाक्यों का अभ्यास करें।
ओ३म्
संस्कृताभ्यासः
अहं कुत्र अस्मि ?
= मैं कहाँ हूँ ?
अहं गृहे अस्मि।
अहम् उद्याने अस्मि।
अहं विद्यालये अस्मि।
अहं कार्यालये अस्मि।
अहं नागपुरे अस्मि।
सः / सा कुत्र अस्ति ?
= वह कहाँ है ?
एषः / एषा कुत्र अस्ति ?
= यह कहाँ है ?
सः जयपुरे अस्ति।
सः दिल्लीनगरे अस्ति।
सा पाकशालायाम् अस्ति।
= वह रसोई में है।
एषः अत्रैव अस्ति।
= यह यहीं है।
एषा कारयाने अस्ति।
= यह कार में है।
गोशाला कुत्र अस्ति ?
= गोशाला कहाँ है ?
गोशाला तत्र अस्ति।
= गोशाला वहाँ है ।
मम पुस्तकं कुत्र अस्ति ?
= मेरी पुस्तक कहाँ है ?
भवतः/ भवत्याः पुस्तकं उत्पीठिकायाम् अस्ति।
= आपकी पुस्तक टेबल पर है।
कार्यक्रमः कुत्र अस्ति ?
= कार्यक्रम कहाँ है ?
कार्यक्रमः सभागारे अस्ति।
= कार्यक्रम सभागार में है।
तथैव सरलवाक्यानाम् अभ्यासं कुर्वन्तु।
= इसी प्रकार सरल वाक्यों का अभ्यास करें।
#vakyabhyas
संस्कृताभ्यासः
अहम् अस्मि
= मैं हूँ
वयं स्मः
= हम सब हैं
अहं युवकः अस्मि।
= मैं युवक हूँ।
अहं युवती अस्मि।
= मैं युवती हूँ।
अहं छात्रः अस्मि।
= मैं छात्र हूँ।
अहं छात्रा अस्मि।
= मैं छात्रा हूँ।
अहं भारतीयः/ भारतीया अस्मि
= मैं भारतीय हूँ।
अहं स्वस्थः/स्वस्था अस्मि।
= मैं स्वस्थ हूँ।
सः अस्ति
= वह है (पुंलिङ्ग)
सा अस्ति
= वह है (स्त्रीलिंग)
एषः अस्ति
= यह है (पुंलिङ्ग)
एषा अस्ति
= यह है (स्त्रीलिंग)
सः वैद्यः अस्ति
= वह वैद्य है।
सा शिक्षिका अस्ति
= वह शिक्षिका है।
एषः सुयोग्यः बालकः अस्ति।
= यह सुयोग्य बालक है।
एषा तेजस्विनी छात्रा अस्ति।
= यह तेजस्विनी छात्रा है।
तथैव सरलवाक्यानाम् अभ्यासं कुर्वन्तु।
= इसी प्रकार सरल वाक्यों का अभ्यास करें।
ओ३म्
संस्कृताभ्यासः
अहं कुत्र अस्मि ?
= मैं कहाँ हूँ ?
अहं गृहे अस्मि।
अहम् उद्याने अस्मि।
अहं विद्यालये अस्मि।
अहं कार्यालये अस्मि।
अहं नागपुरे अस्मि।
सः / सा कुत्र अस्ति ?
= वह कहाँ है ?
एषः / एषा कुत्र अस्ति ?
= यह कहाँ है ?
सः जयपुरे अस्ति।
सः दिल्लीनगरे अस्ति।
सा पाकशालायाम् अस्ति।
= वह रसोई में है।
एषः अत्रैव अस्ति।
= यह यहीं है।
एषा कारयाने अस्ति।
= यह कार में है।
गोशाला कुत्र अस्ति ?
= गोशाला कहाँ है ?
गोशाला तत्र अस्ति।
= गोशाला वहाँ है ।
मम पुस्तकं कुत्र अस्ति ?
= मेरी पुस्तक कहाँ है ?
भवतः/ भवत्याः पुस्तकं उत्पीठिकायाम् अस्ति।
= आपकी पुस्तक टेबल पर है।
कार्यक्रमः कुत्र अस्ति ?
= कार्यक्रम कहाँ है ?
कार्यक्रमः सभागारे अस्ति।
= कार्यक्रम सभागार में है।
तथैव सरलवाक्यानाम् अभ्यासं कुर्वन्तु।
= इसी प्रकार सरल वाक्यों का अभ्यास करें।
#vakyabhyas
June 4, 2022
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Sanskrit in a Chinese movie
Hiuen Tsang, spoke Sanskrit because medium of Instruction was Sanskrit in Nalanda.
My favourite scene
From his records it is clear that Hiuen Tsang mastered Samskrit language.
Even Buddhist scholars used to speak sanskrit, Sanskrit was knowledge of scholars
Hiuen Tsang, spoke Sanskrit because medium of Instruction was Sanskrit in Nalanda.
My favourite scene
From his records it is clear that Hiuen Tsang mastered Samskrit language.
Even Buddhist scholars used to speak sanskrit, Sanskrit was knowledge of scholars
June 4, 2022
@samskrt_samvadah प्रारंभ करता है, संस्कृताश्रमः - संस्कृतशिक्षण की लघु कक्षाऐं
⏳20 मिनट
🕚 09:00 PM 🇮🇳
🔰 तुमुन् प्रत्ययः
🗓4th जून 2022, शनिवासरः
🔴 कक्षाओं की प्रति हमारे युट्युब चैनल पर डाली जायेगी
कृपया अलार्म लगा लें और विलंब से न आयें।
👇🏼👇🏼👇🏼👇🏼👇🏼
https://t.me/samskrt_samvadah?voicechat
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June 4, 2022
June 4, 2022
June 4, 2022
🔰चित्रं दृष्ट्वा पञ्चवाक्यानि रचयत।
✍🏼सर्वे टिप्पणीसञ्चिकायां स्वोत्तराणि लेखितुं शक्नुवन्ति अथवा पुस्तिकायां लिखित्वा तस्य चित्रं स्वीकृत्य अपि प्रेषयितुं शक्नुवन्ति।
🗣सहैव तानि वाक्यानि उक्त्वा ध्वनिमाध्यमेन अपि प्रेषयत।
Read in English
हिन्दी में पढें
#chitram
✍🏼सर्वे टिप्पणीसञ्चिकायां स्वोत्तराणि लेखितुं शक्नुवन्ति अथवा पुस्तिकायां लिखित्वा तस्य चित्रं स्वीकृत्य अपि प्रेषयितुं शक्नुवन्ति।
🗣सहैव तानि वाक्यानि उक्त्वा ध्वनिमाध्यमेन अपि प्रेषयत।
Read in English
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#chitram
June 4, 2022
Forwarded from रामदूतः — The Sanskrit News Platform (Bhavani Raman)
YouTube
Weekly Sanskrit Magazine Vaartavali
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DD News 24x7 | Breaking News and other Live updates | | News in Hindi | Latest News
DD News is India’s 24x7 news channel from the stable of the country’s Public Service Broadcaster, Prasar Bharati. It has the distinction…
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June 4, 2022
@samskrt_samvadah संलापशाला - A Samskrit Voicechat room.
यदीच्छसि वशीकर्तुं, भाषणमेककर्मणा।
यायास्संलापशालां वै, भवति यत्र भाषणम्।।
⏳45 निमेषाः
🕚 IST 11:00 AM
🔰काश्मीरे पुनः प्रवर्तमाना आतङ्कवादिनी घटना
🗓05th june 2022, रविवासरः
🔴Voicechat would be recorded and shared on this channel.
📑यदि शक्येत चेत् संस्कृतेन (काश्मीरे पुनः हिन्दूनां हननं आतङ्कवादिभिः क्रियते एवं किमर्थं भवति एतस्य निराकरणं किम् अस्ति) । चर्चार्थं कृपया पूर्वसिद्धतां कृत्वा आगच्छन्तु।
वयं युष्माकं प्रतीक्षां कुर्मः। 😇
स्मारणतंत्रिकां स्थापयतु ⏰
👇🏼👇🏼👇🏼👇🏼👇🏼
https://t.me/samskrt_samvadah?voicechat
यदीच्छसि वशीकर्तुं, भाषणमेककर्मणा।
यायास्संलापशालां वै, भवति यत्र भाषणम्।।
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🔰काश्मीरे पुनः प्रवर्तमाना आतङ्कवादिनी घटना
🗓05th june 2022, रविवासरः
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📑यदि शक्येत चेत् संस्कृतेन (काश्मीरे पुनः हिन्दूनां हननं आतङ्कवादिभिः क्रियते एवं किमर्थं भवति एतस्य निराकरणं किम् अस्ति) । चर्चार्थं कृपया पूर्वसिद्धतां कृत्वा आगच्छन्तु।
वयं युष्माकं प्रतीक्षां कुर्मः। 😇
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June 4, 2022
🍃
♦️udasinavadasino gunairyo na vicalyate.
guna vartanta ityeva yovatisthati nengate৷৷14.23৷৷
⚜He who, seated like one unconcerned, is not moved by the alities, and who, knowing that the alities are active, is self-centred and moves not.(14.23)
⚜जो उदासीन के समान आसीन होकर गुणों के द्वारा विचलित नहीं किया जा सकता और गुण ही व्यवहार करते हैं ऐसा जानकर स्थित रहता है और उस स्थिति से विचलित नहीं होता।।14.23।।
#geeta
उदासीनवदासीनो गुणैर्यो न विचाल्यते।
गुणा वर्तन्त इत्येव योऽवतिष्ठति नेङ्गते
।।14.23।।♦️udasinavadasino gunairyo na vicalyate.
guna vartanta ityeva yovatisthati nengate৷৷14.23৷৷
⚜He who, seated like one unconcerned, is not moved by the alities, and who, knowing that the alities are active, is self-centred and moves not.(14.23)
⚜जो उदासीन के समान आसीन होकर गुणों के द्वारा विचलित नहीं किया जा सकता और गुण ही व्यवहार करते हैं ऐसा जानकर स्थित रहता है और उस स्थिति से विचलित नहीं होता।।14.23।।
#geeta
June 4, 2022
June 4, 2022
June 4, 2022
June 4, 2022
🍃
♦️samaduhkhasukhah svasthah samalostasmakancanah.
tulyapriyapriyo dhirastulyanindatmasanstutih৷৷14.24৷৷
⚜Who is the same in pleasure and pain, who dwells in the Self, to whom a clod of earth, stone and gold are alike, who is the same to the dear and the unfriendly, who is firm, and to whom censure and praise are as one.(14.24)
⚜जो स्वस्थ (स्वरूप में स्थित) सुखदुख में समान रहता है तथा मिट्टी पत्थर और स्वर्ण में समदृष्टि रखता है ऐसा वीर पुरुष प्रिय और अप्रिय को तथा निन्दा और आत्मस्तुति को तुल्य समझता है।।14.24।।
#geeta
समदुःखसुखः स्वस्थः समलोष्टाश्मकाञ्चनः।
तुल्यप्रियाप्रियो धीरस्तुल्यनिन्दात्मसंस्तुतिः
।।14.24।।♦️samaduhkhasukhah svasthah samalostasmakancanah.
tulyapriyapriyo dhirastulyanindatmasanstutih৷৷14.24৷৷
⚜Who is the same in pleasure and pain, who dwells in the Self, to whom a clod of earth, stone and gold are alike, who is the same to the dear and the unfriendly, who is firm, and to whom censure and praise are as one.(14.24)
⚜जो स्वस्थ (स्वरूप में स्थित) सुखदुख में समान रहता है तथा मिट्टी पत्थर और स्वर्ण में समदृष्टि रखता है ऐसा वीर पुरुष प्रिय और अप्रिय को तथा निन्दा और आत्मस्तुति को तुल्य समझता है।।14.24।।
#geeta
June 4, 2022
June 4, 2022
🚩जय सत्य सनातन🚩
🚩आज की हिंदी तिथि
🌥️ 🚩युगाब्द-५१२४
🌥️ 🚩विक्रम संवत-२०७९
⛅ 🚩तिथि - षष्टी पूर्ण रात्रि तक
⛅दिनांक 05 जून 2022
⛅दिन - रविवार
⛅शक संवत - 1944
⛅अयन - उत्तरायण
⛅ऋतु - ग्रीष्म
⛅मास - ज्येष्ठ
⛅पक्ष - शुक्ल
⛅नक्षत्र - अश्लेषा रात्रि 12:25 तक तत्पश्चात मघा
⛅योग - व्याघात ( 6 जून प्रातः 04:49) तक तत्पश्चात हर्षण
⛅राहुकाल - शाम 05:42 से 07:23 तक
⛅सूर्योदय - 05:54
⛅सूर्यास्त - 07:23
⛅दिशाशूल - पश्चिम दिशा में
⛅ब्रह्म मुहूर्त- प्रातः 04:29 से 05:11 तक
🚩आज की हिंदी तिथि
🌥️ 🚩युगाब्द-५१२४
🌥️ 🚩विक्रम संवत-२०७९
⛅ 🚩तिथि - षष्टी पूर्ण रात्रि तक
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⛅दिन - रविवार
⛅शक संवत - 1944
⛅अयन - उत्तरायण
⛅ऋतु - ग्रीष्म
⛅मास - ज्येष्ठ
⛅पक्ष - शुक्ल
⛅नक्षत्र - अश्लेषा रात्रि 12:25 तक तत्पश्चात मघा
⛅योग - व्याघात ( 6 जून प्रातः 04:49) तक तत्पश्चात हर्षण
⛅राहुकाल - शाम 05:42 से 07:23 तक
⛅सूर्योदय - 05:54
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⛅दिशाशूल - पश्चिम दिशा में
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June 4, 2022
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🗓05th june 2022, रविवासरः
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June 4, 2022
June 4, 2022
Forwarded from रामदूतः — The Sanskrit News Platform (ॐ पीयूषः)
https://youtu.be/DYWssvjvFAw
प्रतिदिनं प्रातः ७:१५ वादने १५ निमेषात्मिकायै वार्तायै डी डी न्यूज् इति पश्यत।
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वार्ताः | Vaarta | Sanskrit News Bulletin | 05.06.2022
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DD News 24x7 | Breaking News and other Live updates | | News in Hindi | Latest News
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June 4, 2022
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June 4, 2022
June 4, 2022
Free online Sanskrit Course by MHRD, India
सन्धि sandhi in Paninian grammar
through Swayam.gov.in https://onlinecourses.nptel.ac.in/noc22_hs106/preview
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Course Status : Upcoming
Course Fee : Free
Duration : 12 weeks
Start Date : 25 Jul 2022
End Date : 14 Oct 2022
Exam Date : 30 Oct 2022 IST
Enrollment Ends : 01 Aug 2022
Course layout
Week 1: The concept of सन्धि sandhi, Substitute, संहिता saṁhitā, अवसान avasāna, Internal and External, 3 levels in Pāṇinian grammar, स्थानिवद्भाव sthānivadbhāva.
Week 2: Process of Speech production, features of sounds, principle of homogeneity, principle of closest feature as base of substitution (स्थानेऽन्तरतमः sthāne'ntaratamaḥ), phonetic explanation of सन्धि sandhi.
Week 3: अच् (vowel) सन्धि ac sandhi I- यण् yaṇ, अयवायाव ayavāyāva, अच् सन्धि ac sandhi II- गुण guṇa.
Week 4: अच् (vowel) सन्धि ac sandhi II- वृद्धि vṛddhi, पररूप pararūpa, सवर्णदीर्घ savarṇadīrgha, पूर्वरूप pūrvarūpa.
Week 5: Absence of अच् (vowel) सन्धि ac sandhi- प्रकृतिभाव prakṛtibhāva.
Week 6: हल् (consonant) सन्धि hal sandhi I- श्चुत्व ścutva, ष्टुत्व ṣṭutva, परसवर्ण parasavarṇa, पूर्वसवर्ण pūrvasavarṇa, अनुस्वार anusvāra.
Week 7: हल् (consonant) सन्धि hal sandhi II- Augments-आगमs āgamas, रुत्व rutva.
Week 8: विसर्ग सन्धि visarga sandhi-सत्व satva, षत्व ṣatva.
Week 9: सन्धि sandhi in the पदs padas, उत्व utva, यत्व yatva, रत्व ratva.
Week 10: Derivation process of a Sentence and सन्धि sandhi, असिद्ध asiddha and सन्धि sandhi.
Week 11: Treatment of Sandhi in modern European language grammars of Sanskrit, contact of Sanskrit grammar with European linguists, contribution of Pāṇinian grammar in articulatory phonetics, Saussure and Pāṇinian grammar.
Week 12: सन्धि स्वर sandhi svara - accent based on Sandhi.
Books and references
1. The Aṣṭādhyāyī Sūtrapāṭha of Panini, with Vārtikas, Gaṇa, Dhātupāṭha, Pāṇinīya-śikṣā and Paribhāṣāpāṭha, second edition, edited by C. Sankara Rama Shastri, printed and published by The Shri Bala Manorama Press, Mylapore, Madras, 1937.
2. The Aṣṭādhyāyī of Pāṇini, translated into English by Shrish Chandra Vasu, Benares, 1897.
3. Vaiyākaraṇasiddhāntakaumudī together with Bālamanoramā and Tattvabodhinī, edited by Pt Giridharasharma Caturveda and Parameshvarananda Sharma Bhaskar, Motilal Benarsidass, Vol. 1, 1991.
4. Vaiyākaraṇasiddhāntakaumudī with an english translation by Shrish Chandra Vasu,
#SanskritEducation
सन्धि sandhi in Paninian grammar
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Course Status : Upcoming
Course Fee : Free
Duration : 12 weeks
Start Date : 25 Jul 2022
End Date : 14 Oct 2022
Exam Date : 30 Oct 2022 IST
Enrollment Ends : 01 Aug 2022
Course layout
Week 1: The concept of सन्धि sandhi, Substitute, संहिता saṁhitā, अवसान avasāna, Internal and External, 3 levels in Pāṇinian grammar, स्थानिवद्भाव sthānivadbhāva.
Week 2: Process of Speech production, features of sounds, principle of homogeneity, principle of closest feature as base of substitution (स्थानेऽन्तरतमः sthāne'ntaratamaḥ), phonetic explanation of सन्धि sandhi.
Week 3: अच् (vowel) सन्धि ac sandhi I- यण् yaṇ, अयवायाव ayavāyāva, अच् सन्धि ac sandhi II- गुण guṇa.
Week 4: अच् (vowel) सन्धि ac sandhi II- वृद्धि vṛddhi, पररूप pararūpa, सवर्णदीर्घ savarṇadīrgha, पूर्वरूप pūrvarūpa.
Week 5: Absence of अच् (vowel) सन्धि ac sandhi- प्रकृतिभाव prakṛtibhāva.
Week 6: हल् (consonant) सन्धि hal sandhi I- श्चुत्व ścutva, ष्टुत्व ṣṭutva, परसवर्ण parasavarṇa, पूर्वसवर्ण pūrvasavarṇa, अनुस्वार anusvāra.
Week 7: हल् (consonant) सन्धि hal sandhi II- Augments-आगमs āgamas, रुत्व rutva.
Week 8: विसर्ग सन्धि visarga sandhi-सत्व satva, षत्व ṣatva.
Week 9: सन्धि sandhi in the पदs padas, उत्व utva, यत्व yatva, रत्व ratva.
Week 10: Derivation process of a Sentence and सन्धि sandhi, असिद्ध asiddha and सन्धि sandhi.
Week 11: Treatment of Sandhi in modern European language grammars of Sanskrit, contact of Sanskrit grammar with European linguists, contribution of Pāṇinian grammar in articulatory phonetics, Saussure and Pāṇinian grammar.
Week 12: सन्धि स्वर sandhi svara - accent based on Sandhi.
Books and references
1. The Aṣṭādhyāyī Sūtrapāṭha of Panini, with Vārtikas, Gaṇa, Dhātupāṭha, Pāṇinīya-śikṣā and Paribhāṣāpāṭha, second edition, edited by C. Sankara Rama Shastri, printed and published by The Shri Bala Manorama Press, Mylapore, Madras, 1937.
2. The Aṣṭādhyāyī of Pāṇini, translated into English by Shrish Chandra Vasu, Benares, 1897.
3. Vaiyākaraṇasiddhāntakaumudī together with Bālamanoramā and Tattvabodhinī, edited by Pt Giridharasharma Caturveda and Parameshvarananda Sharma Bhaskar, Motilal Benarsidass, Vol. 1, 1991.
4. Vaiyākaraṇasiddhāntakaumudī with an english translation by Shrish Chandra Vasu,
#SanskritEducation
June 4, 2022
🍃
पञ्चतन्त्रमित्रसम्प्राप्ति
⚜Where there is zeal in effort, where there is absence of indolence, there, in the conjugation of humility & courage, wealth is certain to be steady
⚜जहाँ पुरुषार्थ में जोश है, जहाँ आलस्य काअभाव है, वहाँ नम्रता और साहस के संयोग में धन का स्थिर होना निश्चित है।
🔅यत्र कार्यकरणे उत्साहः भवति, यत्र आलस्यस्य अभावः भवति यत्र विनम्रतायाः तथा साहसस्य संयोगः भवति तत्र श्रीः(वैभवं) स्थिरा भवति।
#Subhashitam
यत्रोऽत्साहसमारम्भः यत्रालस्यविहीनता ।
नयविक्रमसंयोगः तत्र श्रीरचला ध्रुवम्
॥पञ्चतन्त्रमित्रसम्प्राप्ति
⚜Where there is zeal in effort, where there is absence of indolence, there, in the conjugation of humility & courage, wealth is certain to be steady
⚜जहाँ पुरुषार्थ में जोश है, जहाँ आलस्य काअभाव है, वहाँ नम्रता और साहस के संयोग में धन का स्थिर होना निश्चित है।
🔅यत्र कार्यकरणे उत्साहः भवति, यत्र आलस्यस्य अभावः भवति यत्र विनम्रतायाः तथा साहसस्य संयोगः भवति तत्र श्रीः(वैभवं) स्थिरा भवति।
#Subhashitam
June 4, 2022
June 4, 2022
June 5, 2022
रामः ______ ________ ।
Anonymous Quiz
63%
शिवधनुं, भञ्जते
14%
शिवधनु, भञ्जति
13%
शिवधनुः , भनक्ति
11%
शिवधनुः, भज्यते
June 5, 2022
June 5, 2022
ओ३म्
संस्कृताभ्यासः
वयं न स्मः
= हम सब नहीं हैं।
वयं पाकिस्तानिनः न स्मः।
= हम पाकिस्तानी नहीं हैं।
वयं दुर्बलाः न स्मः।
= हम सब दुर्बल नहीं हैं।
वयं वञ्चकाः न स्मः।
= हम ठग नहीं हैं।
ते न सन्ति।
= वे नहीं हैं। (पुंलिङ्ग)
ताः न सन्ति।
= वे नहीं हैं । ( स्त्रीलिंग)
तानि न सन्ति।
= वो नहीं हैं ( नपुंसकलिंग)
ते वृद्धाः न सन्ति।
= वे वृद्ध नहीं हैं।
ते मूर्खाः न सन्ति।
= वे मूर्ख नहीं हैं।
ते निर्दोषाः न सन्ति।
= वे निर्दोष नहीं हैं।
ताः सामान्याः युवत्यः न सन्ति।
= वे सामान्य युवतियाँ नहीं हैं।
ताः नृत्याङ्गनाः न सन्ति।
= वे नृत्यांगनाएँ नहीं हैं।
ताः अशिक्षिताः न सन्ति।
= वे अशिक्षित नहीं हैं।
तानि फलानि मधुराणि न सन्ति।
= वे फल मीठे नहीं हैं।
तानि पुस्तकानि भवतः न सन्ति।
= वो पुस्तकें आपकी नहीं हैं।
तथैव सरलवाक्यानाम् अभ्यासं कुर्वन्तु।
= इसी प्रकार सरल वाक्यों का अभ्यास करें।
ओ३म्
संस्कृताभ्यासः
अहं भविष्यामि
= मैं होऊँगा / हो जाऊँगा
अहं जागृतः भविष्यामि।
= मैं जाग जाऊँगा।
अहं स्वस्थः भविष्यामि।
= मैं स्वस्थ हो जाऊँगा।
अहं निपुणः भविष्यामि।
= मैं निपुण हो जाऊँगा।
अहं धनिकः भविष्यामि।
= मैं धनवान बन जाऊँगा।
अहं लेखकः भविष्यामि
= मैं लेखक बनूँगा।
अहं लेखिका भविष्यामि।
= मैं लेखिका बनूँगी।
सः भविष्यति
= वह होगा (पुंलिङ्ग)
सा भविष्यति
= वह होगी (स्त्रीलिंग)
एषः भविष्यति
= यह होगी (पुंलिङ्ग)
एषा भविष्यति
= यह होगी (स्त्रीलिंग)
सः प्रसन्नः भविष्यति
= वह प्रसन्न होगा।
सा प्रसन्ना भविष्यति
= वह खुश होगी।
विजयः उत्तीर्णः भविष्यति।
= विजय उत्तीर्ण होगा।
सुरभिः उत्तीर्णा भविष्यति।
= सुरभि उत्तीर्ण होगी।
तथैव सरलवाक्यानाम् अभ्यासं कुर्वन्तु।
= इसी प्रकार सरल वाक्यों का अभ्यास करें।
ओ३म्
संस्कृताभ्यासः
अहं गच्छामि
= मैं जाता हूँ।
अधुना अहं गच्छामि
= अब मैं जा रहा हूँ।
अधुना अहं पुलवामां गच्छामि।
= अभी मैं पुलवामा जा रहा हूँ।
प्रतिदिनम् अहं कार्यालयं गच्छामि।
= प्रतिदिन मैं कार्यालय जाता हूँ।
अहं स्नानं कर्तुं गच्छामि।
= मैं स्नान करने जा रहा हूँ।
अहं चिकित्सालयं न गच्छामि।
= मैं चिकित्सालय नहीं जाता हूँ।
इदानीं रागिणी अल्मोड़ां गच्छति।
= अभी रागिणी अल्मोड़ा जा रही है।
श्रेया भोजनालयं न गच्छति।
= श्रेया भोजनालय नहीं जाती है।
सञ्जयः कुरुक्षेत्रं गच्छति।
= संजय कुरुक्षेत्र जाता है।
छात्रः विद्यालयं गच्छति।
= छात्र विद्यालय जा रहा है।
भवान् किमर्थं न गच्छति ?
= आप क्यों नहीं जा रहे हैं ?
भवती किमर्थं न गच्छति ?
= आप क्यों नहीं जा रही हैं ?
#vakyabhyas
संस्कृताभ्यासः
वयं न स्मः
= हम सब नहीं हैं।
वयं पाकिस्तानिनः न स्मः।
= हम पाकिस्तानी नहीं हैं।
वयं दुर्बलाः न स्मः।
= हम सब दुर्बल नहीं हैं।
वयं वञ्चकाः न स्मः।
= हम ठग नहीं हैं।
ते न सन्ति।
= वे नहीं हैं। (पुंलिङ्ग)
ताः न सन्ति।
= वे नहीं हैं । ( स्त्रीलिंग)
तानि न सन्ति।
= वो नहीं हैं ( नपुंसकलिंग)
ते वृद्धाः न सन्ति।
= वे वृद्ध नहीं हैं।
ते मूर्खाः न सन्ति।
= वे मूर्ख नहीं हैं।
ते निर्दोषाः न सन्ति।
= वे निर्दोष नहीं हैं।
ताः सामान्याः युवत्यः न सन्ति।
= वे सामान्य युवतियाँ नहीं हैं।
ताः नृत्याङ्गनाः न सन्ति।
= वे नृत्यांगनाएँ नहीं हैं।
ताः अशिक्षिताः न सन्ति।
= वे अशिक्षित नहीं हैं।
तानि फलानि मधुराणि न सन्ति।
= वे फल मीठे नहीं हैं।
तानि पुस्तकानि भवतः न सन्ति।
= वो पुस्तकें आपकी नहीं हैं।
तथैव सरलवाक्यानाम् अभ्यासं कुर्वन्तु।
= इसी प्रकार सरल वाक्यों का अभ्यास करें।
ओ३म्
संस्कृताभ्यासः
अहं भविष्यामि
= मैं होऊँगा / हो जाऊँगा
अहं जागृतः भविष्यामि।
= मैं जाग जाऊँगा।
अहं स्वस्थः भविष्यामि।
= मैं स्वस्थ हो जाऊँगा।
अहं निपुणः भविष्यामि।
= मैं निपुण हो जाऊँगा।
अहं धनिकः भविष्यामि।
= मैं धनवान बन जाऊँगा।
अहं लेखकः भविष्यामि
= मैं लेखक बनूँगा।
अहं लेखिका भविष्यामि।
= मैं लेखिका बनूँगी।
सः भविष्यति
= वह होगा (पुंलिङ्ग)
सा भविष्यति
= वह होगी (स्त्रीलिंग)
एषः भविष्यति
= यह होगी (पुंलिङ्ग)
एषा भविष्यति
= यह होगी (स्त्रीलिंग)
सः प्रसन्नः भविष्यति
= वह प्रसन्न होगा।
सा प्रसन्ना भविष्यति
= वह खुश होगी।
विजयः उत्तीर्णः भविष्यति।
= विजय उत्तीर्ण होगा।
सुरभिः उत्तीर्णा भविष्यति।
= सुरभि उत्तीर्ण होगी।
तथैव सरलवाक्यानाम् अभ्यासं कुर्वन्तु।
= इसी प्रकार सरल वाक्यों का अभ्यास करें।
ओ३म्
संस्कृताभ्यासः
अहं गच्छामि
= मैं जाता हूँ।
अधुना अहं गच्छामि
= अब मैं जा रहा हूँ।
अधुना अहं पुलवामां गच्छामि।
= अभी मैं पुलवामा जा रहा हूँ।
प्रतिदिनम् अहं कार्यालयं गच्छामि।
= प्रतिदिन मैं कार्यालय जाता हूँ।
अहं स्नानं कर्तुं गच्छामि।
= मैं स्नान करने जा रहा हूँ।
अहं चिकित्सालयं न गच्छामि।
= मैं चिकित्सालय नहीं जाता हूँ।
इदानीं रागिणी अल्मोड़ां गच्छति।
= अभी रागिणी अल्मोड़ा जा रही है।
श्रेया भोजनालयं न गच्छति।
= श्रेया भोजनालय नहीं जाती है।
सञ्जयः कुरुक्षेत्रं गच्छति।
= संजय कुरुक्षेत्र जाता है।
छात्रः विद्यालयं गच्छति।
= छात्र विद्यालय जा रहा है।
भवान् किमर्थं न गच्छति ?
= आप क्यों नहीं जा रहे हैं ?
भवती किमर्थं न गच्छति ?
= आप क्यों नहीं जा रही हैं ?
#vakyabhyas
June 5, 2022
Courtesy: Dr. Shivani Sharma
समस्यापूर्तिश्लोकाः
।।गोपाङ्गनालिङ्गितः ।।
श्रीकृष्णो ननु भारतेऽवतरितः कंसस्य कारागृहे
देवोऽयं वसुदेवगोपतनुजः श्रीदेवकीनन्दनः ।
प्राप्तश्चैव यशोदया परमया भक्त्या च बालस्तथा
ज्ञातोऽयं निजपुत्ररूपकशिशु-र्गोपाङ्गनालिङ्गितः ।।१।।
ज्ञातो हि व्रजमण्डले सुरनरैः बालश्च कृष्णो यथा
आनन्दोत्सव एव सुन्दरतमो नन्देन चायोजितः ।
तस्मिन्नुत्सवमङ्गले सुललिते सर्वाश्च गोपाङ्गना
दृष्ट्वा दिव्यमयं मुखं सुकमलं गोपाङ्गनालिङ्गितः ।।२।।
गोलोके स करोति बालचपलो लीलां मनोहारिणीं
दृष्ट्वा बालमुकुन्दरूपविमलं गीतानि गायन्ति ताः ।
धावन्तं नवनीतचोरकुहकं पश्यन्ति वै गोपिकाः
श्रीवंशीधरबालगोकुलवरो गोपाङ्गनालिङ्गितः ।।३।।
आसारं स चकार गोकुलपुरे शक्रोऽभिमानी हि यो
गर्वं तस्य जहार दानवहरो दामोदरो माधवः ।
अङ्गुल्यां तु दधार पर्वतमिमं गोलोकभद्राय वै
गोपालो ननु बालको गिरिधरो गोपाङ्गनालिङ्गितः ।।४।।
दैत्यान् यश्च जघान गोकुलपतिर्लक्ष्मीपतिः श्रीपति-
र्यो गोपैः सह कानने भ्रमितवान् गोचारणार्थं यथा ।
रासं यः कृतवान्यथा स रमणः पीताम्बरः श्रीकरः
गोपीनाथवरस्सुपङ्कजधरो गोपाङ्गनालिङ्गितः ।।५।।
गोपास्ते बहवो हि सन्ति सरलाः मित्राणि कृष्णस्य वै
राधाया ननु गोपिका विमलकाः सख्यस्तु सन्त्येव हि ।
द्रोण्यां मिश्रितवर्णपूरकजलं तद्धोलिकापर्वणि
वर्णं क्षेपितवान्यदा यदुवरो गोपाङ्गनालिङ्गितः ।।६।।
अक्रूरो ब्रजमण्डलं प्रति गतो नेतुं च कृष्णं यदा
प्राणा यान्ति यथा तनोः प्रियकराः पित्रोस्तथा वै स्थितिः ।
श्रुत्वा वाचमिमं च गोकुलजनाः खिन्नास्तथा व्याकुला
गोपालो ननु दृष्टवान् सुविविधान्गोपाङ्गनालिङ्गितः ।।७।।
गच्छन्तं किल गोपवर्यचपलं गोप्यो ददर्शुर्यदा
मार्गे ताश्शयिताश्च गोपदयिताः सर्वा रथस्याग्रतः ।
दूरात्पश्यति राधिका नटवरं नाथं मुकुन्दं यथा
कृष्णो धावितवांश्च तां प्रति यदा गोपाङ्गनालिङ्गितः ।।८।।
कंसं यश्च जघान नन्दतनयो देवास्तदा हर्षिताः
श्रीमातामह उग्रसेनकुशलो राजा तु जातस्तदा ।
यो मातापितरौ मुमोच भगवान् श्रीवासुदेवो यथा
ध्यायन्त्या मनसा तथा ललितया गोपाङ्गनालिङ्गितः ।।९।।
ज्ञानं शुष्कमयं सदा हि विमलं भक्त्या विना सर्वथा
तज्ज्ञानं किल बोधनाय परमं येनोद्धवः प्रेषितः ।
गोपीभिर्गदितो हि कृष्णसुसखा तद्ब्रह्मरूपं तथा
यो गोपीषु विराजते यदुवरो गोपाङ्गनालिङ्गितः ।।१०।।
यो गोपीषु शिवानि! तिष्ठति सदा श्रीमाधवः श्रीधरः
दृष्ट्वा गोपतिनाथरूपमतुलं तृप्तस्तदा ह्युद्धवः ।
तद्भक्तेः सुजलेन सिञ्चितमिदं ज्ञानं महत्कारकं
श्रीकृष्णो ननु राधिकादिसहितं गोपाङ्गनालिङ्गितः ।।११।।
(शार्दूलविक्रीडितं छन्दः)
डा. शिवानी शर्मा आत्रेयी, ढाटरथग्रामः, जयन्तीपुरं, हरियाणाराज्यम् ।
GopAnganAlingitaH - Sanskrit poem
समस्यापूर्तिश्लोकाः
।।गोपाङ्गनालिङ्गितः ।।
श्रीकृष्णो ननु भारतेऽवतरितः कंसस्य कारागृहे
देवोऽयं वसुदेवगोपतनुजः श्रीदेवकीनन्दनः ।
प्राप्तश्चैव यशोदया परमया भक्त्या च बालस्तथा
ज्ञातोऽयं निजपुत्ररूपकशिशु-र्गोपाङ्गनालिङ्गितः ।।१।।
ज्ञातो हि व्रजमण्डले सुरनरैः बालश्च कृष्णो यथा
आनन्दोत्सव एव सुन्दरतमो नन्देन चायोजितः ।
तस्मिन्नुत्सवमङ्गले सुललिते सर्वाश्च गोपाङ्गना
दृष्ट्वा दिव्यमयं मुखं सुकमलं गोपाङ्गनालिङ्गितः ।।२।।
गोलोके स करोति बालचपलो लीलां मनोहारिणीं
दृष्ट्वा बालमुकुन्दरूपविमलं गीतानि गायन्ति ताः ।
धावन्तं नवनीतचोरकुहकं पश्यन्ति वै गोपिकाः
श्रीवंशीधरबालगोकुलवरो गोपाङ्गनालिङ्गितः ।।३।।
आसारं स चकार गोकुलपुरे शक्रोऽभिमानी हि यो
गर्वं तस्य जहार दानवहरो दामोदरो माधवः ।
अङ्गुल्यां तु दधार पर्वतमिमं गोलोकभद्राय वै
गोपालो ननु बालको गिरिधरो गोपाङ्गनालिङ्गितः ।।४।।
दैत्यान् यश्च जघान गोकुलपतिर्लक्ष्मीपतिः श्रीपति-
र्यो गोपैः सह कानने भ्रमितवान् गोचारणार्थं यथा ।
रासं यः कृतवान्यथा स रमणः पीताम्बरः श्रीकरः
गोपीनाथवरस्सुपङ्कजधरो गोपाङ्गनालिङ्गितः ।।५।।
गोपास्ते बहवो हि सन्ति सरलाः मित्राणि कृष्णस्य वै
राधाया ननु गोपिका विमलकाः सख्यस्तु सन्त्येव हि ।
द्रोण्यां मिश्रितवर्णपूरकजलं तद्धोलिकापर्वणि
वर्णं क्षेपितवान्यदा यदुवरो गोपाङ्गनालिङ्गितः ।।६।।
अक्रूरो ब्रजमण्डलं प्रति गतो नेतुं च कृष्णं यदा
प्राणा यान्ति यथा तनोः प्रियकराः पित्रोस्तथा वै स्थितिः ।
श्रुत्वा वाचमिमं च गोकुलजनाः खिन्नास्तथा व्याकुला
गोपालो ननु दृष्टवान् सुविविधान्गोपाङ्गनालिङ्गितः ।।७।।
गच्छन्तं किल गोपवर्यचपलं गोप्यो ददर्शुर्यदा
मार्गे ताश्शयिताश्च गोपदयिताः सर्वा रथस्याग्रतः ।
दूरात्पश्यति राधिका नटवरं नाथं मुकुन्दं यथा
कृष्णो धावितवांश्च तां प्रति यदा गोपाङ्गनालिङ्गितः ।।८।।
कंसं यश्च जघान नन्दतनयो देवास्तदा हर्षिताः
श्रीमातामह उग्रसेनकुशलो राजा तु जातस्तदा ।
यो मातापितरौ मुमोच भगवान् श्रीवासुदेवो यथा
ध्यायन्त्या मनसा तथा ललितया गोपाङ्गनालिङ्गितः ।।९।।
ज्ञानं शुष्कमयं सदा हि विमलं भक्त्या विना सर्वथा
तज्ज्ञानं किल बोधनाय परमं येनोद्धवः प्रेषितः ।
गोपीभिर्गदितो हि कृष्णसुसखा तद्ब्रह्मरूपं तथा
यो गोपीषु विराजते यदुवरो गोपाङ्गनालिङ्गितः ।।१०।।
यो गोपीषु शिवानि! तिष्ठति सदा श्रीमाधवः श्रीधरः
दृष्ट्वा गोपतिनाथरूपमतुलं तृप्तस्तदा ह्युद्धवः ।
तद्भक्तेः सुजलेन सिञ्चितमिदं ज्ञानं महत्कारकं
श्रीकृष्णो ननु राधिकादिसहितं गोपाङ्गनालिङ्गितः ।।११।।
(शार्दूलविक्रीडितं छन्दः)
डा. शिवानी शर्मा आत्रेयी, ढाटरथग्रामः, जयन्तीपुरं, हरियाणाराज्यम् ।
GopAnganAlingitaH - Sanskrit poem
June 5, 2022
June 5, 2022
@samskrt_samvadah संलापशाला - A Samskrit Voicechat room.
यदीच्छसि वशीकर्तुं, भाषणमेककर्मणा।
यायास्संलापशालां वै, भवति यत्र भाषणम्।।
⏳45 निमेषाः
🕚 IST 11:00 AM
🔰विश्वपर्यावरणदिवसः
🗓06th june 2022, सोमवासरः
🔴Voicechat would be recorded and shared on this channel.
📑यदि शक्येत चेत् संस्कृतेन (वयं स्वस्तरे भूत्वा पर्यावरणसंर्क्षणाय किं कर्तुं शक्नुमः) । चर्चार्थं कृपया पूर्वसिद्धतां कृत्वा आगच्छन्तु।
वयं युष्माकं प्रतीक्षां कुर्मः। 😇
स्मारणतंत्रिकां स्थापयतु ⏰
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यदीच्छसि वशीकर्तुं, भाषणमेककर्मणा।
यायास्संलापशालां वै, भवति यत्र भाषणम्।।
⏳45 निमेषाः
🕚 IST 11:00 AM
🔰विश्वपर्यावरणदिवसः
🗓06th june 2022, सोमवासरः
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📑यदि शक्येत चेत् संस्कृतेन (वयं स्वस्तरे भूत्वा पर्यावरणसंर्क्षणाय किं कर्तुं शक्नुमः) । चर्चार्थं कृपया पूर्वसिद्धतां कृत्वा आगच्छन्तु।
वयं युष्माकं प्रतीक्षां कुर्मः। 😇
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June 5, 2022
🍃
♦️manapamanayostulyastulyo mitraripaksayoh.
sarvarambhaparityagi gunatitah sa ucyate৷৷14.25৷৷
⚜Who is the same in honour and dishonour, the same to friend and foe, abandoning all undertakings he is said to have transcended the alities.(14.25)
⚜जो मान और अपमान में सम है शत्रु और मित्र के पक्ष में भी सम है ऐसा सर्वारम्भ परित्यागी पुरुष गुणातीत कहा जाता है।।14.25।।
#geeta
मानापमानयोस्तुल्यस्तुल्यो मित्रारिपक्षयोः।
सर्वारम्भपरित्यागी गुणातीतः स उच्यते
।।14.25।।♦️manapamanayostulyastulyo mitraripaksayoh.
sarvarambhaparityagi gunatitah sa ucyate৷৷14.25৷৷
⚜Who is the same in honour and dishonour, the same to friend and foe, abandoning all undertakings he is said to have transcended the alities.(14.25)
⚜जो मान और अपमान में सम है शत्रु और मित्र के पक्ष में भी सम है ऐसा सर्वारम्भ परित्यागी पुरुष गुणातीत कहा जाता है।।14.25।।
#geeta
June 5, 2022
June 5, 2022
🍃
♦️man ca yovyabhicarena bhakitayogena sevate.
sa gunansamatityaitan brahmabhuyaya kalpate৷৷14.26৷৷
⚜And he who serves Me with unswerving devotion, he, crossing beyond the alities, is fit for becoming Brahman.(14.26)
⚜जो पुरुष अव्यभिचारी भक्तियोग के द्वारा मेरी सेवा अर्थात् उपासना करता है वह इन तीनों गुणों के अतीत होकर ब्रह्म बनने के लिये योग्य हो जाता है।।14.26।।
#geeta
मां च योऽव्यभिचारेण भक्ितयोगेन सेवते।
स गुणान्समतीत्यैतान् ब्रह्मभूयाय कल्पते
।।14.26।।♦️man ca yovyabhicarena bhakitayogena sevate.
sa gunansamatityaitan brahmabhuyaya kalpate৷৷14.26৷৷
⚜And he who serves Me with unswerving devotion, he, crossing beyond the alities, is fit for becoming Brahman.(14.26)
⚜जो पुरुष अव्यभिचारी भक्तियोग के द्वारा मेरी सेवा अर्थात् उपासना करता है वह इन तीनों गुणों के अतीत होकर ब्रह्म बनने के लिये योग्य हो जाता है।।14.26।।
#geeta
June 5, 2022
June 5, 2022
🚩जय सत्य सनातन🚩
🚩आज की हिंदी तिथि
🌥️ 🚩युगाब्द-५१२४
🌥️ 🚩विक्रम संवत-२०७९
⛅ 🚩तिथि - षष्टी सुबह 06:39 तक तत्पश्चात सप्तमी
⛅दिनांक 06 जून 2022
⛅दिन - सोमवार
⛅शक संवत - 1944
⛅अयन - उत्तरायण
⛅ऋतु - ग्रीष्म
⛅मास - ज्येष्ठ
⛅पक्ष - शुक्ल
⛅नक्षत्र - मघा रात्रि 02:26 तक तत्पश्चात पूर्वाफाल्गुनी
⛅योग - हर्षण ( 07 जून प्रातः 04:53) तक तत्पश्चात वज्र
⛅राहुकाल - सुबह 07:35 से 09:16 तक
⛅सूर्योदय - 05:53
⛅सूर्यास्त - 07:23
⛅दिशाशूल - पश्चिम दिशा में
⛅ब्रह्म मुहूर्त- प्रातः 04:29 से 05:11 तक
🚩आज की हिंदी तिथि
🌥️ 🚩युगाब्द-५१२४
🌥️ 🚩विक्रम संवत-२०७९
⛅ 🚩तिथि - षष्टी सुबह 06:39 तक तत्पश्चात सप्तमी
⛅दिनांक 06 जून 2022
⛅दिन - सोमवार
⛅शक संवत - 1944
⛅अयन - उत्तरायण
⛅ऋतु - ग्रीष्म
⛅मास - ज्येष्ठ
⛅पक्ष - शुक्ल
⛅नक्षत्र - मघा रात्रि 02:26 तक तत्पश्चात पूर्वाफाल्गुनी
⛅योग - हर्षण ( 07 जून प्रातः 04:53) तक तत्पश्चात वज्र
⛅राहुकाल - सुबह 07:35 से 09:16 तक
⛅सूर्योदय - 05:53
⛅सूर्यास्त - 07:23
⛅दिशाशूल - पश्चिम दिशा में
⛅ब्रह्म मुहूर्त- प्रातः 04:29 से 05:11 तक
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June 5, 2022
June 5, 2022
Forwarded from रामदूतः — The Sanskrit News Platform (ॐ पीयूषः)
https://youtu.be/F8lcMPok-So
प्रतिदिनं प्रातः ७:१५ वादने १५ निमेषात्मिकायै वार्तायै डी डी न्यूज् इति पश्यत।
प्रतिदिनं प्रातः ७:१५ वादने १५ निमेषात्मिकायै वार्तायै डी डी न्यूज् इति पश्यत।
YouTube
वार्ता: संस्कृत में समाचार | उत्तरकाशी में तीर्थ यात्रियाें से भरी बस गहरी खाई में गिरी, 26 की मौत
June 5, 2022
🔰चित्रं दृष्ट्वा पञ्चवाक्यानि रचयत।
✍🏼सर्वे टिप्पणीसञ्चिकायां स्वोत्तराणि लेखितुं शक्नुवन्ति अथवा पुस्तिकायां लिखित्वा तस्य चित्रं स्वीकृत्य अपि प्रेषयितुं शक्नुवन्ति।
🗣सहैव तानि वाक्यानि उक्त्वा ध्वनिमाध्यमेन अपि प्रेषयत।
Read in English
हिन्दी में पढें
#chitram
✍🏼सर्वे टिप्पणीसञ्चिकायां स्वोत्तराणि लेखितुं शक्नुवन्ति अथवा पुस्तिकायां लिखित्वा तस्य चित्रं स्वीकृत्य अपि प्रेषयितुं शक्नुवन्ति।
🗣सहैव तानि वाक्यानि उक्त्वा ध्वनिमाध्यमेन अपि प्रेषयत।
Read in English
हिन्दी में पढें
#chitram
June 5, 2022
June 5, 2022
🍃
♦️yaadRishaiH saMvivadate yaadRishaashchopasevate yaadRigichchhechcha bhavitum taadRigbhavati purushah
⚜मनुष्य जिससे निरन्तर संवाद करता है, जिसकी सेवा करता है तथा जिसके
जैसा बनना चाहता है - वैसा ही बनता है।
⚜A man becomes like the one he converses with, like the one he serves and like the one he wishes to be. - विदुरनीतिः
🔅मनुष्यः यैः सह संवादं करोति, येषां सेवां करोति, येषां सदृशः भवितुम् इच्छति तादृशः भवति।
#Subhashitam
यादृशैः संविवदते यादृशांश्चोपसेवते। यादृगिच्छेच्च भवितुंतादृग्भवति पूरुषः
।।♦️yaadRishaiH saMvivadate yaadRishaashchopasevate yaadRigichchhechcha bhavitum taadRigbhavati purushah
⚜मनुष्य जिससे निरन्तर संवाद करता है, जिसकी सेवा करता है तथा जिसके
जैसा बनना चाहता है - वैसा ही बनता है।
⚜A man becomes like the one he converses with, like the one he serves and like the one he wishes to be. - विदुरनीतिः
🔅मनुष्यः यैः सह संवादं करोति, येषां सेवां करोति, येषां सदृशः भवितुम् इच्छति तादृशः भवति।
#Subhashitam
June 5, 2022
June 5, 2022
June 5, 2022
June 6, 2022
ओ३म्
संस्कृताभ्यासः
भविष्यकाल
अहं गमिष्यामि
= मैं जाऊँगा
श्वः अहम् अबोहरं गमिष्यामि।
= कल मैं अबोहर जाऊँगा।
रविवासरे अहं कानपुरं गमिष्यामि।
= रविवार को मैं कानपुर जाऊँगा।
एक होरा अनन्तरम् अहं कार्यालयं गमिष्यामि।
= एक घंटे के बाद मैं कार्यालय जाऊँगा।
अधुना तु अहं पाकिस्तानं न गमिष्यामि।
= अभी तो मैं पाकिस्तान नहीं जाऊँगा।
काश्मीरा अद्य मन्दिरं न गच्छति, श्वः गमिष्यति।
= काश्मीरा आज मंदिर नहीं जा रही है, कल जाएगी।
लतिका श्वः अवश्यमेव विद्यालयं गमिष्यति।
= लतिका कल अवश्य ही विद्यालय जाएगी।
माघमासे योगेन्द्रः हरिद्वारं गमिष्यति।
= माघ महीने में योगेन्द्र हरिद्वार जाएगा।
आगामिनि सप्ताहे धर्मपालः मॉरीशसं गमिष्यति।
= अगले सप्ताह धर्मपाल मॉरीशस जाएगा।
मम भार्या मातृगृहं कदा गमिष्यति?
= मेरी पत्नी मायके कब जाएगी ?
सः एकवारं तु हिमालयं गमिष्यति।
= वह एकबार तो हिमालय जाएगा।
ओ३म्
संस्कृताभ्यासः
भूतकाल
अहम् अगच्छम्
= मैं गया था / गई थी
अहं गतवान्
= मैं गया था।
अहं गतवती
= मैं गई थी।
ह्यः अहम् इन्दौरम् अगच्छम्।
= कल मैं इंदौर गया था / गई थी।
गत शनिवासरे अहं सिलीगुड़ीं गतवती
= पिछले शनिवार को मैं सिलीगुड़ी गई थी।
परह्यः अहं गढ़मुक्तेश्वरं गतवान्।
= बीते परसों मैं गढ़मुक्तेश्वर गया था।
गतवर्षे अहं सापुतारां गतवान् / गतवती।
= पिछले वर्ष मैं सापुतारा गया था / गई थी।
सः/ सा अगच्छत्
= वह गया था / गई थी
सः गतवान्
= वह गया था।
सा गतवती
= वह गई थी।
अद्य मन्दिरं न गच्छति, श्वः गमिष्यति।
= काश्मीरा आज मंदिर नहीं जा रही है, कल जाएगी।
योगिता ह्यः शान्तिवनं गतवती।
= योगिता कल शांतिवन गई थी।
सोमेशः अधुनैव कार्यालयं गतवान्।
= सोमेश अभी अभी कार्यालय गया।
स्वरा गतसप्ताहे इटारसीं गतवती।
= स्वरा पिछले सप्ताह इटारसी गई थी।
मम मित्रं बालीं गतवान्।
= मेरा मित्र बाली गया था।
ओ३म्
संस्कृताभ्यासः
आज्ञार्थ
अहम् गच्छानि ?
= मैं जाऊँ ?
अहम् अनन्तनागं गच्छानि?
= मैं अनंतनाग जाऊँ ?
भवान् गच्छतु । (पुंलिङ्ग)
भवती गच्छतु। (स्त्रीलिंग)
भवती विद्यालयं गच्छतु।
= आप विद्यालय जाईये।
भवान् जोधपुरं गच्छतु।
= आप जोधपुर जाईये।
अधुनैव गच्छतु।
= अभी ही जाईये।
शीघ्रमेव गच्छतु।
= जल्दी से जाईये।
गच्छतु .... माता आह्वयति।
= जाईये ... माँ पबुला रही है।
पठनार्थं गुरुकुलं गच्छतु।
= पढ़ने के लिये गुरुकुल जाईये।
प्रातः एव गच्छतु।
= सबेरे ही जाईये।
प्रारम्भे एकवचने एव अभ्यासं कुर्वन्तु।
= प्रारम्भ में एकवचन में ही अभ्यास करिये।
#vakyabhyas
संस्कृताभ्यासः
भविष्यकाल
अहं गमिष्यामि
= मैं जाऊँगा
श्वः अहम् अबोहरं गमिष्यामि।
= कल मैं अबोहर जाऊँगा।
रविवासरे अहं कानपुरं गमिष्यामि।
= रविवार को मैं कानपुर जाऊँगा।
एक होरा अनन्तरम् अहं कार्यालयं गमिष्यामि।
= एक घंटे के बाद मैं कार्यालय जाऊँगा।
अधुना तु अहं पाकिस्तानं न गमिष्यामि।
= अभी तो मैं पाकिस्तान नहीं जाऊँगा।
काश्मीरा अद्य मन्दिरं न गच्छति, श्वः गमिष्यति।
= काश्मीरा आज मंदिर नहीं जा रही है, कल जाएगी।
लतिका श्वः अवश्यमेव विद्यालयं गमिष्यति।
= लतिका कल अवश्य ही विद्यालय जाएगी।
माघमासे योगेन्द्रः हरिद्वारं गमिष्यति।
= माघ महीने में योगेन्द्र हरिद्वार जाएगा।
आगामिनि सप्ताहे धर्मपालः मॉरीशसं गमिष्यति।
= अगले सप्ताह धर्मपाल मॉरीशस जाएगा।
मम भार्या मातृगृहं कदा गमिष्यति?
= मेरी पत्नी मायके कब जाएगी ?
सः एकवारं तु हिमालयं गमिष्यति।
= वह एकबार तो हिमालय जाएगा।
ओ३म्
संस्कृताभ्यासः
भूतकाल
अहम् अगच्छम्
= मैं गया था / गई थी
अहं गतवान्
= मैं गया था।
अहं गतवती
= मैं गई थी।
ह्यः अहम् इन्दौरम् अगच्छम्।
= कल मैं इंदौर गया था / गई थी।
गत शनिवासरे अहं सिलीगुड़ीं गतवती
= पिछले शनिवार को मैं सिलीगुड़ी गई थी।
परह्यः अहं गढ़मुक्तेश्वरं गतवान्।
= बीते परसों मैं गढ़मुक्तेश्वर गया था।
गतवर्षे अहं सापुतारां गतवान् / गतवती।
= पिछले वर्ष मैं सापुतारा गया था / गई थी।
सः/ सा अगच्छत्
= वह गया था / गई थी
सः गतवान्
= वह गया था।
सा गतवती
= वह गई थी।
अद्य मन्दिरं न गच्छति, श्वः गमिष्यति।
= काश्मीरा आज मंदिर नहीं जा रही है, कल जाएगी।
योगिता ह्यः शान्तिवनं गतवती।
= योगिता कल शांतिवन गई थी।
सोमेशः अधुनैव कार्यालयं गतवान्।
= सोमेश अभी अभी कार्यालय गया।
स्वरा गतसप्ताहे इटारसीं गतवती।
= स्वरा पिछले सप्ताह इटारसी गई थी।
मम मित्रं बालीं गतवान्।
= मेरा मित्र बाली गया था।
ओ३म्
संस्कृताभ्यासः
आज्ञार्थ
अहम् गच्छानि ?
= मैं जाऊँ ?
अहम् अनन्तनागं गच्छानि?
= मैं अनंतनाग जाऊँ ?
भवान् गच्छतु । (पुंलिङ्ग)
भवती गच्छतु। (स्त्रीलिंग)
भवती विद्यालयं गच्छतु।
= आप विद्यालय जाईये।
भवान् जोधपुरं गच्छतु।
= आप जोधपुर जाईये।
अधुनैव गच्छतु।
= अभी ही जाईये।
शीघ्रमेव गच्छतु।
= जल्दी से जाईये।
गच्छतु .... माता आह्वयति।
= जाईये ... माँ पबुला रही है।
पठनार्थं गुरुकुलं गच्छतु।
= पढ़ने के लिये गुरुकुल जाईये।
प्रातः एव गच्छतु।
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#vakyabhyas
June 6, 2022
. ।। ॐ ।।
मस्तकं चालयन्तु ।
क-ख-ग-घ-च-व्यक्तिपञ्चकम् ।
क-व्यक्तिः <----> ख-व्यक्तिः पिता <----> पुत्री
ग-व्यक्तिः <----> घ-व्यक्तिः भ्राता <----> भगिनी
ख-व्यक्तिः <----> ग-व्यक्तिः माता <----> पुत्रः
च-व्यक्तिः <----> घ-व्यक्तिः पिता <----> पुत्री
चेत्
च-व्यक्तिः <----> क-व्यक्तिः ????????
मम केनचन मित्रेण एषः कूटप्रश्नः मह्यं दत्तः । पठित्वा मम मस्तकस्य भ्रमणम् आरब्धम् । शिव ! शिव !! शिव !!! आप्तसम्बन्धानां कियती जटिलता एषा ! कः अपि जनः मम वराकस्य साहाय्यं करोति किम् ?
--------- संस्कृतानन्दः ।
मस्तकं चालयन्तु ।
क-ख-ग-घ-च-व्यक्तिपञ्चकम् ।
क-व्यक्तिः <----> ख-व्यक्तिः पिता <----> पुत्री
ग-व्यक्तिः <----> घ-व्यक्तिः भ्राता <----> भगिनी
ख-व्यक्तिः <----> ग-व्यक्तिः माता <----> पुत्रः
च-व्यक्तिः <----> घ-व्यक्तिः पिता <----> पुत्री
चेत्
च-व्यक्तिः <----> क-व्यक्तिः ????????
मम केनचन मित्रेण एषः कूटप्रश्नः मह्यं दत्तः । पठित्वा मम मस्तकस्य भ्रमणम् आरब्धम् । शिव ! शिव !! शिव !!! आप्तसम्बन्धानां कियती जटिलता एषा ! कः अपि जनः मम वराकस्य साहाय्यं करोति किम् ?
--------- संस्कृतानन्दः ।
June 6, 2022
@samskrt_samvadah प्रारंभ करता है, संस्कृताश्रमः - संस्कृतशिक्षण की लघु कक्षाऐं
⏳20 मिनट
🕚 09:00 PM 🇮🇳
🔰 विभक्तिपरिचयः
🗓6th जून 2022, सोमवासरः
🔴 कक्षाओं की प्रति हमारे युट्युब चैनल पर डाली जायेगी
कृपया अलार्म लगा लें और विलंब से न आयें।
👇🏼👇🏼👇🏼👇🏼👇🏼
https://t.me/samskrt_samvadah?voicechat
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June 6, 2022
June 6, 2022
June 6, 2022
June 6, 2022
🍃
♦️brahmano hi pratisthahamamrtasyavyayasya ca.
sasvatasya ca dharmasya sukhasyaikantikasya ca৷৷14.27৷৷
⚜For I am the abode of Brahman, the immortal and the immutable, of everlasting Dharma and of absolute bliss.(14.27)
⚜क्योंकि मैं अमृत अव्यय ब्रह्म शाश्वत धर्म और ऐकान्तिक अर्थात् पारमार्थिक सुख की प्रतिष्ठा हूँ।।14.27।।
#geeta
ब्रह्मणो हि प्रतिष्ठाऽहममृतस्याव्ययस्य च।
शाश्वतस्य च धर्मस्य सुखस्यैकान्तिकस्य च
।।14.27।।♦️brahmano hi pratisthahamamrtasyavyayasya ca.
sasvatasya ca dharmasya sukhasyaikantikasya ca৷৷14.27৷৷
⚜For I am the abode of Brahman, the immortal and the immutable, of everlasting Dharma and of absolute bliss.(14.27)
⚜क्योंकि मैं अमृत अव्यय ब्रह्म शाश्वत धर्म और ऐकान्तिक अर्थात् पारमार्थिक सुख की प्रतिष्ठा हूँ।।14.27।।
#geeta
June 6, 2022
June 6, 2022
@samskrt_samvadah संलापशाला - A Samskrit Voicechat room.
यदीच्छसि वशीकर्तुं, भाषणमेककर्मणा।
यायास्संलापशालां वै, भवति यत्र भाषणम्।।
⏳45 निमेषाः
🕚 IST 11:00 AM
🔰चलचित्राणां जीवने प्रभावः
🗓07th june 2022, मङ्गलवासरः
🔴Voicechat would be recorded and shared on this channel.
📑यदि शक्येत चेत् संस्कृतेन (अस्माकं जीवने चलचित्राणां कः प्रभावः भवति तस्य परिणामः च कः भवति। ) । चर्चार्थं कृपया पूर्वसिद्धतां कृत्वा आगच्छन्तु।
वयं युष्माकं प्रतीक्षां कुर्मः। 😇
स्मारणतंत्रिकां स्थापयतु ⏰
👇🏼👇🏼👇🏼👇🏼👇🏼
https://t.me/samskrt_samvadah?voicechat
यदीच्छसि वशीकर्तुं, भाषणमेककर्मणा।
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🔰चलचित्राणां जीवने प्रभावः
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📑यदि शक्येत चेत् संस्कृतेन (अस्माकं जीवने चलचित्राणां कः प्रभावः भवति तस्य परिणामः च कः भवति। ) । चर्चार्थं कृपया पूर्वसिद्धतां कृत्वा आगच्छन्तु।
वयं युष्माकं प्रतीक्षां कुर्मः। 😇
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June 6, 2022
June 6, 2022
June 6, 2022
June 6, 2022
🍃
♦️sri bhagavanuvaca
urdhvamulamadhahsakhamaavatthan prahuravyayam.
chandansi yasya parnani yastan veda sa vedavit৷৷15.1৷৷
⚜The Blessed Lord said --
They (the wise) speak of the indestructible peepul tree having its root above and branches below, whose leaves are the metres or hymns: he who knows it is a knower of the Vedas.(15.1)
⚜श्री भगवान् ने कहा --
(ज्ञानी पुरुष इस संसार वृक्ष को) ऊर्ध्वमूल और अधशाखा वाला अश्वत्थ और अव्यय कहते हैं जिसके पर्ण छन्द अर्थात् वेद हैं ऐसे (संसार वृक्ष) को जो जानता है वह वेदवित् है।।15.1।।
#geeta
श्री भगवानुवाच
ऊर्ध्वमूलमधःशाखमश्वत्थं प्राहुरव्ययम्।
छन्दांसि यस्य पर्णानि यस्तं वेद स वेदवित्
।।15.1।।♦️sri bhagavanuvaca
urdhvamulamadhahsakhamaavatthan prahuravyayam.
chandansi yasya parnani yastan veda sa vedavit৷৷15.1৷৷
⚜The Blessed Lord said --
They (the wise) speak of the indestructible peepul tree having its root above and branches below, whose leaves are the metres or hymns: he who knows it is a knower of the Vedas.(15.1)
⚜श्री भगवान् ने कहा --
(ज्ञानी पुरुष इस संसार वृक्ष को) ऊर्ध्वमूल और अधशाखा वाला अश्वत्थ और अव्यय कहते हैं जिसके पर्ण छन्द अर्थात् वेद हैं ऐसे (संसार वृक्ष) को जो जानता है वह वेदवित् है।।15.1।।
#geeta
June 6, 2022
🚩जय सत्य सनातन🚩
🚩आज की हिंदी तिथि
🌥️ 🚩युगाब्द-५१२४
🌥️ 🚩विक्रम संवत-२०७९
⛅ 🚩तिथि - सप्तमी सुबह 07:54 तक तत्पश्चात अष्टमी
⛅दिनांक 07 जून 2022
⛅दिन - मंगलवार
⛅शक संवत - 1944
⛅अयन - उत्तरायण
⛅ऋतु - ग्रीष्म
⛅मास - ज्येष्ठ
⛅पक्ष - शुक्ल
⛅नक्षत्र - पूर्वाफाल्गुनी रात्रि 03:50 तक तत्पश्चात उत्तराफाल्गुनी
⛅योग - वज्र ( 08 जून प्रातः 04:27) तक तत्पश्चात सिद्धि
⛅राहुकाल - शाम 04:01 से 05:42 तक
⛅सूर्योदय - 05:53
⛅सूर्यास्त - 07:24
⛅दिशाशूल - उत्तर दिशा में
⛅ब्रह्म मुहूर्त- प्रातः 04:29 से 05:11 तक
🚩आज की हिंदी तिथि
🌥️ 🚩युगाब्द-५१२४
🌥️ 🚩विक्रम संवत-२०७९
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⛅दिनांक 07 जून 2022
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⛅मास - ज्येष्ठ
⛅पक्ष - शुक्ल
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⛅योग - वज्र ( 08 जून प्रातः 04:27) तक तत्पश्चात सिद्धि
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⛅सूर्यास्त - 07:24
⛅दिशाशूल - उत्तर दिशा में
⛅ब्रह्म मुहूर्त- प्रातः 04:29 से 05:11 तक
June 6, 2022
https://youtu.be/i1hlCHC0iZ8
प्रतिदिनं प्रातः ७:१५ वादने १५ निमेषात्मिकायै वार्तायै डी डी न्यूज् इति पश्यत।
प्रतिदिनं प्रातः ७:१५ वादने १५ निमेषात्मिकायै वार्तायै डी डी न्यूज् इति पश्यत।
June 6, 2022
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🕚 IST 11:00 AM
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वयं युष्माकं प्रतीक्षां कुर्मः। 😇
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June 6, 2022
June 6, 2022
🔰चित्रं दृष्ट्वा पञ्चवाक्यानि रचयत।
✍🏼सर्वे टिप्पणीसञ्चिकायां स्वोत्तराणि लेखितुं शक्नुवन्ति अथवा पुस्तिकायां लिखित्वा तस्य चित्रं स्वीकृत्य अपि प्रेषयितुं शक्नुवन्ति।
🗣सहैव तानि वाक्यानि उक्त्वा ध्वनिमाध्यमेन अपि प्रेषयत।
Read in English
हिन्दी में पढें
#chitram
✍🏼सर्वे टिप्पणीसञ्चिकायां स्वोत्तराणि लेखितुं शक्नुवन्ति अथवा पुस्तिकायां लिखित्वा तस्य चित्रं स्वीकृत्य अपि प्रेषयितुं शक्नुवन्ति।
🗣सहैव तानि वाक्यानि उक्त्वा ध्वनिमाध्यमेन अपि प्रेषयत।
Read in English
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#chitram
June 6, 2022
June 6, 2022
https://twitter.com/Gopalee67/status/1533869883212955649?t=55r8ML1fwQKFT9yaIB_UfA&s=08
केन्द्रीय-संस्कृत-विश्वविद्यालय: मद्रपुरी - संस्कृत-महाविद्यालयेन सह मिलित्वा व्याख्यानमालां आयोजयति।
स्वतन्त्रतासङ्ग्रामे संस्कृतज्ञानां योगदानम् - इति विषयः
Zoom माध्यमेन भविष्यति। Zoom प्रवेश विवरणम् अधः चित्रे अस्ति ।
केन्द्रीय-संस्कृत-विश्वविद्यालय: मद्रपुरी - संस्कृत-महाविद्यालयेन सह मिलित्वा व्याख्यानमालां आयोजयति।
स्वतन्त्रतासङ्ग्रामे संस्कृतज्ञानां योगदानम् - इति विषयः
Zoom माध्यमेन भविष्यति। Zoom प्रवेश विवरणम् अधः चित्रे अस्ति ।
June 6, 2022
June 6, 2022
June 6, 2022
🍃
मनुस्मृतिः॥ २.१५५ ॥
♦️viprāṇāṃ jñānato jyaiṣṭhyaṃ kṣatriyāṇāṃ tu vīryataḥ |
vaiśyānāṃ dhānyadhanataḥ śūdrāṇāmeva janmataḥ 155
⚜Among Brāhmaṇas seniority is by knowledge; among Kṣatriyas by valour; and among Vaiśyas by grains and riches; among Shudras alone it is by age.—(155)
#Subhashitam
विप्राणां ज्ञानतो ज्यैष्ठ्यं क्षत्रियाणां तु वीर्यतः ।
वैश्यानां धान्यधनतः शूद्राणामेव जन्मतः॥
मनुस्मृतिः॥ २.१५५ ॥
♦️viprāṇāṃ jñānato jyaiṣṭhyaṃ kṣatriyāṇāṃ tu vīryataḥ |
vaiśyānāṃ dhānyadhanataḥ śūdrāṇāmeva janmataḥ
⚜Among Brāhmaṇas seniority is by knowledge; among Kṣatriyas by valour; and among Vaiśyas by grains and riches; among Shudras alone it is by age.—(155)
#Subhashitam
June 6, 2022
June 7, 2022
शुद्धं वाक्यं चिन्वन्तु।
Anonymous Quiz
56%
शबर्या दत्तं बदरीफलं खादति रामः।
10%
शबर्याः दत्तः बदरीफलः रामः खादति।
19%
रामः शबरीदत्ता बदरीफल खादति।
15%
रामः खाद्यते बदरीफलं शबर्या दत्तम्।
June 7, 2022
ओ३म्
संस्कृताभ्यासः
*वर्तमानकाल*
अहम् आगच्छामि ?
= मैं आता हूँ / आती हूँ।
अहम् अधुनैव आगच्छामि।
= मैं अभी आता हूँ / आती हूँ।
अहं गृहात् आगच्छामि।
= मैं घर से आ रहा हूँ / आ रही हूँ।
अहं भुवनेश्वरतः आगच्छामि।
= मैं भुवनेश्वर से आ रहा हूँ / आ रही हूँ।
भवान् कुतः आगच्छति ? (पुंलिङ्ग)
= आप कहाँ से आ रहे हैं ?
भवती कुतः आगच्छति? (स्त्रीलिंग)
= आप कहाँ से आ रही हैं ?
सुरेखा कुम्भलगढ़तः आगच्छति ।
= सुरेखा कुम्भलगढ़ से आती है।
जयेन्द्रः ऊटीतः आगच्छति।
= जयेन्द्र ऊटी से आ रहा है।
सः / सा आगच्छति वा ?
= वह आ रहा / आ रही है क्या ?
आं सः / सा आगच्छति।
= हाँ , वह आ रहा / आ रही है।
पश्यतु .... लोकयानम् आगच्छति।
= देखिये ..... बस आ रही है।
चिकित्सकः विलम्बेन आगच्छति।
= चिकित्सक देर से आता है।
अधुना कासः आगच्छति।
= अभी खाँसी आ रही है।
*प्रारम्भे एकवचने एव अभ्यासं कुर्वन्तु।*
= *प्रारम्भ में एकवचन में ही अभ्यास करिये।*
ओ३म्
संस्कृताभ्यासः
*भविष्यकाल*
अहम् आगमिष्यामि ?
= मैं आऊँगा / आऊँगी
अहं श्वः आगमिष्यामि।
= मैं कल आऊँगा / आऊँगी
अहं गृहात् आगमिष्यामि।
= मैं घर से आऊँगा / आऊँगी।
अहं सप्तवादने आगमिष्यामि।
= मैं सात बजे आऊँगा / आऊँगी।
अहं रात्रिकाले आगमिष्यामि।
= मैं रात में आऊँगा/ आऊँगी।
भवान् कदा आगमिष्यति ?
= आप कब आएँगे ?
भवती कदा आगमिष्यति ?
= आप कब आएँगी ?
विभा परश्वः आगमिष्यति। ।
= विभा परसों आएगी।
स्नेहा बुधवासरे आगमिष्यति।
= स्नेहा बुधवार को आएगी।
सः / सा आगमिष्यति वा ?
= वह आएगा/ आएगी क्या ?
आं सः / सा आगमिष्यति।
= हाँ , वह आएगा / आएगी।
चिकित्सकः विलम्बेन आगमिष्यति।
= चिकित्सक देर से आएगा।
मम परिणामः कदा आगमिष्यति ?
= मेरा परिणाम कब आएगा ?
*प्रारम्भे एकवचने एव अभ्यासं कुर्वन्तु।*
= *प्रारम्भ में एकवचन में ही अभ्यास करिये।*
ओ३म्
संस्कृताभ्यासः
*भूतकाल*
अहम् आगतवान् ?
= मैं आया/ मैं आ गया।
अहम् आगतवती ?
= मैं आई/ मैं आ गई।
अहं ह्यः एव आगतवान् / आगतवती।
= मैं कल ही आया / आई
अहं कोट्टायमतः आगतवान् / आगतवती
= मैं कोट्टायम से आया हूँ/ आई हूँ।
अहं षड्वादने एव आगतवान् / आगतवती
= मैं छः बजे ही आ गया था / आ गई थी।
अहं दुग्धं पीत्वा आगतवान् अस्मि।
= मैं दूध पीकर के आया हूँ।
अहम् अल्पाहारं कृत्वा आगतवती अस्मि।
= मैं अल्पाहार करके आई हूँ।
भवान् कदा आगतवान् ?
= आप कब आए ?
भवती कदा आगतवती ?
= आप कब आईं ?
सुपर्णा रत्नागिरीतः आगतवती
= सुपर्णा रत्नागिरी से आई है।
शान्तिः .... शिक्षकः आगतवान्।
= शान्ति ..... शिक्षक जी आ गए।
मम वेतनम् अधुना अपि न आगतम् ।
= मेरा वेतन अभी भी नहीं आया।
अद्य प्रातः दुग्धम् न आगतम्।
= आज सुबह दूध नहीं आया
चिकित्सकः विलम्बेन आगतवान्।
= चिकित्सक देर से आया।
*प्रारम्भे एकवचने एव अभ्यासं कुर्वन्तु।*
= *प्रारम्भ में एकवचन में ही अभ्यास करिये।*
#vakyabhyas
संस्कृताभ्यासः
*वर्तमानकाल*
अहम् आगच्छामि ?
= मैं आता हूँ / आती हूँ।
अहम् अधुनैव आगच्छामि।
= मैं अभी आता हूँ / आती हूँ।
अहं गृहात् आगच्छामि।
= मैं घर से आ रहा हूँ / आ रही हूँ।
अहं भुवनेश्वरतः आगच्छामि।
= मैं भुवनेश्वर से आ रहा हूँ / आ रही हूँ।
भवान् कुतः आगच्छति ? (पुंलिङ्ग)
= आप कहाँ से आ रहे हैं ?
भवती कुतः आगच्छति? (स्त्रीलिंग)
= आप कहाँ से आ रही हैं ?
सुरेखा कुम्भलगढ़तः आगच्छति ।
= सुरेखा कुम्भलगढ़ से आती है।
जयेन्द्रः ऊटीतः आगच्छति।
= जयेन्द्र ऊटी से आ रहा है।
सः / सा आगच्छति वा ?
= वह आ रहा / आ रही है क्या ?
आं सः / सा आगच्छति।
= हाँ , वह आ रहा / आ रही है।
पश्यतु .... लोकयानम् आगच्छति।
= देखिये ..... बस आ रही है।
चिकित्सकः विलम्बेन आगच्छति।
= चिकित्सक देर से आता है।
अधुना कासः आगच्छति।
= अभी खाँसी आ रही है।
*प्रारम्भे एकवचने एव अभ्यासं कुर्वन्तु।*
= *प्रारम्भ में एकवचन में ही अभ्यास करिये।*
ओ३म्
संस्कृताभ्यासः
*भविष्यकाल*
अहम् आगमिष्यामि ?
= मैं आऊँगा / आऊँगी
अहं श्वः आगमिष्यामि।
= मैं कल आऊँगा / आऊँगी
अहं गृहात् आगमिष्यामि।
= मैं घर से आऊँगा / आऊँगी।
अहं सप्तवादने आगमिष्यामि।
= मैं सात बजे आऊँगा / आऊँगी।
अहं रात्रिकाले आगमिष्यामि।
= मैं रात में आऊँगा/ आऊँगी।
भवान् कदा आगमिष्यति ?
= आप कब आएँगे ?
भवती कदा आगमिष्यति ?
= आप कब आएँगी ?
विभा परश्वः आगमिष्यति। ।
= विभा परसों आएगी।
स्नेहा बुधवासरे आगमिष्यति।
= स्नेहा बुधवार को आएगी।
सः / सा आगमिष्यति वा ?
= वह आएगा/ आएगी क्या ?
आं सः / सा आगमिष्यति।
= हाँ , वह आएगा / आएगी।
चिकित्सकः विलम्बेन आगमिष्यति।
= चिकित्सक देर से आएगा।
मम परिणामः कदा आगमिष्यति ?
= मेरा परिणाम कब आएगा ?
*प्रारम्भे एकवचने एव अभ्यासं कुर्वन्तु।*
= *प्रारम्भ में एकवचन में ही अभ्यास करिये।*
ओ३म्
संस्कृताभ्यासः
*भूतकाल*
अहम् आगतवान् ?
= मैं आया/ मैं आ गया।
अहम् आगतवती ?
= मैं आई/ मैं आ गई।
अहं ह्यः एव आगतवान् / आगतवती।
= मैं कल ही आया / आई
अहं कोट्टायमतः आगतवान् / आगतवती
= मैं कोट्टायम से आया हूँ/ आई हूँ।
अहं षड्वादने एव आगतवान् / आगतवती
= मैं छः बजे ही आ गया था / आ गई थी।
अहं दुग्धं पीत्वा आगतवान् अस्मि।
= मैं दूध पीकर के आया हूँ।
अहम् अल्पाहारं कृत्वा आगतवती अस्मि।
= मैं अल्पाहार करके आई हूँ।
भवान् कदा आगतवान् ?
= आप कब आए ?
भवती कदा आगतवती ?
= आप कब आईं ?
सुपर्णा रत्नागिरीतः आगतवती
= सुपर्णा रत्नागिरी से आई है।
शान्तिः .... शिक्षकः आगतवान्।
= शान्ति ..... शिक्षक जी आ गए।
मम वेतनम् अधुना अपि न आगतम् ।
= मेरा वेतन अभी भी नहीं आया।
अद्य प्रातः दुग्धम् न आगतम्।
= आज सुबह दूध नहीं आया
चिकित्सकः विलम्बेन आगतवान्।
= चिकित्सक देर से आया।
*प्रारम्भे एकवचने एव अभ्यासं कुर्वन्तु।*
= *प्रारम्भ में एकवचन में ही अभ्यास करिये।*
#vakyabhyas
June 7, 2022
@samskrt_samvadah प्रारंभ करता है, संस्कृताश्रमः - संस्कृतशिक्षण की लघु कक्षाऐं
⏳20 मिनट
🕚 09:00 PM 🇮🇳
🔰 द्वितीयाविभक्तिः
🗓7th जून 2022, मङ्गलवासरः
🔴 कक्षाओं की प्रति हमारे युट्युब चैनल पर डाली जायेगी
कृपया अलार्म लगा लें और विलंब से न आयें।
👇🏼👇🏼👇🏼👇🏼👇🏼
https://t.me/samskrt_samvadah?voicechat
⏳20 मिनट
🕚 09:00 PM 🇮🇳
🔰 द्वितीयाविभक्तिः
🗓7th जून 2022, मङ्गलवासरः
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June 7, 2022
June 7, 2022
June 7, 2022
June 7, 2022
हरि: ॐ
सर्वेभ्यो नमस्कार: ।
कृष्णं वन्दे जगद्गुरुम्।
Gita Shikshana Kendram (Samskrit online through Bhagavadgita)
Geetha sopanam level 1 & level 2 classes will be start on
Geeta sopam level 1 23/06/2022
Geeta sopnam level 2
24/06/2022
Last Date of Registration to this classes is
17/06/2022
To Register Click on this link and read instruction given in this link:*
https://forms.gle/zgMWp1uoj8CQtK4f7
सर्वेभ्यो नमस्कार: ।
कृष्णं वन्दे जगद्गुरुम्।
Gita Shikshana Kendram (Samskrit online through Bhagavadgita)
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Geeta sopam level 1 23/06/2022
Geeta sopnam level 2
24/06/2022
Last Date of Registration to this classes is
17/06/2022
To Register Click on this link and read instruction given in this link:*
https://forms.gle/zgMWp1uoj8CQtK4f7
Google Docs
Registration for Gita Sopanam examination
Examination for Gita Sopanam levels 1 and 2 conducted by Samskrita Bharati, Telangana
June 7, 2022
June 7, 2022
🍃
♦️adhascordhvan prasrtastasya sakha gunapravrddha visayapravalah.
adhasca mulanyanusantatani
karmanubandhini manusyaloke৷৷15.2৷৷
⚜Below and above spread its branches, nourished by the Gunas; sense-objects are its buds; and below, in the world of men, stretch forth the roots, originating action.(15.2)
⚜उस वृक्ष की शाखाएं गुणों से प्रवृद्ध हुईं नीचे और ऊपर फैली हुईं हैं (पंच) विषय इसके अंकुर हैं मनुष्य लोक में कर्मों का अनुसरण करने वाली इसकी अन्य जड़ें नीचे फैली हुईं हैं।।15.2।।
#geeta
अधश्चोर्ध्वं प्रसृतास्तस्य शाखा गुणप्रवृद्धा विषयप्रवालाः।
अधश्च मूलान्यनुसन्ततानि कर्मानुबन्धीनि मनुष्यलोके
।।15.2।।♦️adhascordhvan prasrtastasya sakha gunapravrddha visayapravalah.
adhasca mulanyanusantatani
karmanubandhini manusyaloke৷৷15.2৷৷
⚜Below and above spread its branches, nourished by the Gunas; sense-objects are its buds; and below, in the world of men, stretch forth the roots, originating action.(15.2)
⚜उस वृक्ष की शाखाएं गुणों से प्रवृद्ध हुईं नीचे और ऊपर फैली हुईं हैं (पंच) विषय इसके अंकुर हैं मनुष्य लोक में कर्मों का अनुसरण करने वाली इसकी अन्य जड़ें नीचे फैली हुईं हैं।।15.2।।
#geeta
June 7, 2022
June 7, 2022
June 7, 2022
June 7, 2022
🍃
♦️na rupamasyeha tathopalabhyate
nanto na cadirna ca sanpratistha.
asvatthamenan suvirudhamula
masangasastrena drdhena chittva৷৷15.3৷৷
⚜Its form is not perceived here as such, neither its end nor its origin, nor its foundation nor resting place: having cut asunder this firmly rooted peepul tree with the strong axe of non-attachment.(15.3)
⚜इस (संसार वृक्ष) का स्वरूप जैसा कहा गया है वैसा यहाँ उपलब्ध नहीं होता है क्योंकि इसका न आदि है और न अंत और न प्रतिष्ठा ही है। इस अति दृढ़ मूल वाले अश्वत्थ वृक्ष को दृढ़ असङ्ग शस्त्र से काटकर।।
#geeta
न रूपमस्येह तथोपलभ्यते नान्तो न चादिर्न च संप्रतिष्ठा।
अश्वत्थमेनं सुविरूढमूल मसङ्गशस्त्रेण दृढेन छित्त्वा
।।15.3।।♦️na rupamasyeha tathopalabhyate
nanto na cadirna ca sanpratistha.
asvatthamenan suvirudhamula
masangasastrena drdhena chittva৷৷15.3৷৷
⚜Its form is not perceived here as such, neither its end nor its origin, nor its foundation nor resting place: having cut asunder this firmly rooted peepul tree with the strong axe of non-attachment.(15.3)
⚜इस (संसार वृक्ष) का स्वरूप जैसा कहा गया है वैसा यहाँ उपलब्ध नहीं होता है क्योंकि इसका न आदि है और न अंत और न प्रतिष्ठा ही है। इस अति दृढ़ मूल वाले अश्वत्थ वृक्ष को दृढ़ असङ्ग शस्त्र से काटकर।।
#geeta
June 7, 2022
🚩जय सत्य सनातन🚩
🚩आज की हिंदी तिथि
🌥️ 🚩युगाब्द-५१२४
🌥️ 🚩विक्रम संवत-२०७९
⛅ 🚩तिथि - अष्टमी सुबह 08:31 तक तत्पश्चात नवमी
⛅ दिनांक 08 जून 2022
⛅दिन - बुधवार
⛅शक संवत - 1944
⛅अयन - उत्तरायण
⛅ऋतु - ग्रीष्म
⛅मास - ज्येष्ठ
⛅पक्ष - शुक्ल
⛅नक्षत्र - उत्तराफाल्गुनी रात्रि ( 09 जून प्रातः 04:31 ) तक तत्पश्चात हस्त
⛅योग - सिद्धि ( 09 जून प्रातः 03:27) तक तत्पश्चात व्यतिपात
⛅राहुकाल - दोपहर 12:29 से 02:20 तक
⛅सूर्योदय - 05:53
⛅सूर्यास्त - 07:24
⛅दिशाशूल - उत्तर दिशा में
⛅ब्रह्म मुहूर्त- प्रातः 04:29 से 05:11 तक
🚩आज की हिंदी तिथि
🌥️ 🚩युगाब्द-५१२४
🌥️ 🚩विक्रम संवत-२०७९
⛅ 🚩तिथि - अष्टमी सुबह 08:31 तक तत्पश्चात नवमी
⛅ दिनांक 08 जून 2022
⛅दिन - बुधवार
⛅शक संवत - 1944
⛅अयन - उत्तरायण
⛅ऋतु - ग्रीष्म
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⛅पक्ष - शुक्ल
⛅नक्षत्र - उत्तराफाल्गुनी रात्रि ( 09 जून प्रातः 04:31 ) तक तत्पश्चात हस्त
⛅योग - सिद्धि ( 09 जून प्रातः 03:27) तक तत्पश्चात व्यतिपात
⛅राहुकाल - दोपहर 12:29 से 02:20 तक
⛅सूर्योदय - 05:53
⛅सूर्यास्त - 07:24
⛅दिशाशूल - उत्तर दिशा में
⛅ब्रह्म मुहूर्त- प्रातः 04:29 से 05:11 तक
June 7, 2022
https://youtu.be/x_mJLmmW5Ow
प्रतिदिनं प्रातः ७:१५ वादने १५ निमेषात्मिकायै वार्तायै डी डी न्यूज् इति पश्यत।
प्रतिदिनं प्रातः ७:१५ वादने १५ निमेषात्मिकायै वार्तायै डी डी न्यूज् इति पश्यत।
YouTube
Vaarta: News in Sanskrit | World Bank cuts global growth rate to 2.9% in forecast for 2022
Vaarta: News in Sanskrit | President Ram Nath Kovind to host visitor’s conference 2022
DD News 24x7 | Breaking News and other Live updates | | News in Hindi | Latest News
DD News is India’s 24x7 news channel from the stable of the country’s Public Service…
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June 7, 2022
🔰चित्रं दृष्ट्वा पञ्चवाक्यानि रचयत।
✍🏼सर्वे टिप्पणीसञ्चिकायां स्वोत्तराणि लेखितुं शक्नुवन्ति अथवा पुस्तिकायां लिखित्वा तस्य चित्रं स्वीकृत्य अपि प्रेषयितुं शक्नुवन्ति।
🗣सहैव तानि वाक्यानि उक्त्वा ध्वनिमाध्यमेन अपि प्रेषयत।
Read in English
हिन्दी में पढें
#chitram
✍🏼सर्वे टिप्पणीसञ्चिकायां स्वोत्तराणि लेखितुं शक्नुवन्ति अथवा पुस्तिकायां लिखित्वा तस्य चित्रं स्वीकृत्य अपि प्रेषयितुं शक्नुवन्ति।
🗣सहैव तानि वाक्यानि उक्त्वा ध्वनिमाध्यमेन अपि प्रेषयत।
Read in English
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#chitram
June 7, 2022
https://youtu.be/CBvcbgpOj6w
स्वातन्त्र्यामृतमहोत्सवान्तर्गता #AzadiKaAmritMahotsav संस्कृतज्ञस्वातन्त्र्यवीरस्मृतिव्याख्यानमाला
This lecture series starts today and continue upto 15-06-2022 in all Campuses of CSU under guidance and kind directions of @shrivarakhedi Hon'ble VC ,CSU.
Watch LIVE on YouTube, FB https://t.co/HowvBW4t1X
स्वातन्त्र्यामृतमहोत्सवान्तर्गता #AzadiKaAmritMahotsav संस्कृतज्ञस्वातन्त्र्यवीरस्मृतिव्याख्यानमाला
This lecture series starts today and continue upto 15-06-2022 in all Campuses of CSU under guidance and kind directions of @shrivarakhedi Hon'ble VC ,CSU.
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YouTube
स्वातन्त्र्यामृतमहोत्सवान्तर्गता
संस्कृतज्ञस्वातन्त्र्यवीरस्मृतिव्याख्यानमाला
June 7, 2022
June 7, 2022
🍃
(महाभारत, शान्ति पर्व - ५८/१५)
⚜जो उद्योग करनेवाले वीर होते हैं वह वीर पुरुष वाग्वीर पुरुषों पर अपने आधिपत्य जमा लेते हैं, वाग्वीर विद्वान् उद्योगवीर पुरुषों का मनोरंजन करते हुए उनकी उपासना करते हैं।
🔅उद्यमिनः जनाः वाक्पटुजनानाम् उपरि प्रभुत्वं स्थापयन्ति, वाक्पटवः परिश्रमिणां कृते आनन्दस्य साधनमात्राः भवन्ति।
#Subhashitam
उत्थानवीरः पुरुषो
वाग्वीरानधितिष्ठति
उत्थानवीरान् वग्वीरा
रमयन्त उपासते
।। (महाभारत, शान्ति पर्व - ५८/१५)
⚜जो उद्योग करनेवाले वीर होते हैं वह वीर पुरुष वाग्वीर पुरुषों पर अपने आधिपत्य जमा लेते हैं, वाग्वीर विद्वान् उद्योगवीर पुरुषों का मनोरंजन करते हुए उनकी उपासना करते हैं।
🔅उद्यमिनः जनाः वाक्पटुजनानाम् उपरि प्रभुत्वं स्थापयन्ति, वाक्पटवः परिश्रमिणां कृते आनन्दस्य साधनमात्राः भवन्ति।
#Subhashitam
June 7, 2022
कर्तरि प्रयोगे _______ प्रधानता भवति।
Anonymous Quiz
59%
कर्ता
11%
कर्मणः
4%
कर्म
23%
कर्तुः
3%
क्रियायाः
June 8, 2022
ओ३म्
संस्कृताभ्यासः
आज्ञार्थ
अहम् आगच्छानि वा ?
= मैं आऊँ क्या ?
आम् आगच्छतु ।
= हाँ आईये।
न मा आगच्छतु।
= नहीं मत आईये।
हे दीपक ! भवान् मम गृहम् आगच्छतु।
= दीपक ! आप मेरे घर आईयेगा।
भवती शीघ्रमेव आगच्छतु।
= आप जल्दी से आईये।
भोजनं कर्तुम् आगच्छतु।
= भोजन करने आईये।
आगच्छन्तु संस्कृतं पठाम।
= आईये संस्कृत पढ़ते हैं
प्रारम्भे एकवचने एव अभ्यासं कुर्वन्तु।
= प्रारम्भ में एकवचन में ही अभ्यास करिये।
ओ३म्
संस्कृताभ्यासः
वर्तमानकाल
अहं पठामि
= पढ़ता हूँ / पढ़ती हूँ।
अहं ऋग्वेदं पठामि।
= मैं ऋग्वेद पढ़ रही हूँ / रहा हूँ।
इदानीम् अहं मनुस्मृतिं पठामि।
= अभी मैं मनुस्मृति पढ़ रहा हूँ / पढ़ रही हूँ।
सोमवासरे अहं भगवद्गीतां पठामि।
= सोमवार को मैं भगवद्गीता पढ़ता हूँ / पढ़ती हूँ।
अहं परिपत्रं पठामि।
= मैं सर्कुलर पढ़ रहा हूँ / पढ़ रही हूँ।
सः नीतिशतकं पठति।
= वह नीतिशतक पढ़ रहा है।
सा रघुवंशं पठति।
= वह रघुवंश पढ़ रही है ।
नीलेशः मेघदूतं पठति।
= नीलेश मेघदूत पढ़ रहा है।
गोमती सायंकाले पठति।
= गोमती शाम को पढ़ती है।
सुनिधिः आयुर्वेदं पठति।
= सुनिधि आयुर्वेद पढ़ती है।
माता मम पत्रं पठति।
= माँ मेरा पत्र पढ़ रही है।
ओ३म्
संस्कृताभ्यासः
भविष्यकाल
अहं पठिष्यामि
= पढूँगा / पढूँगी।
अहं ऋग्वेदं पठिष्यामि।
= मैं ऋग्वेद पढूँगा / पढूँगी।
अहं मनुस्मृतिं पठिष्यामि।
= मैं मनुस्मृति पढूँगा / पढूँगी।
रविवासरे अहं भगवद्गीतां पठिष्यामि।
= रविवार को मैं भगवद्गीता पढूँगा / पढूँगी।
अहं गृहं गत्वा पठिष्यामि।
= मैं घर जाकर पढूँगा / पढूँगी।
सः नीतिशतकं पठिष्यति।
= वह नीतिशतक पढ़ेगा।
सा रघुवंशं पठिष्यति।
= वह रघुवंश पढ़ेगी ।
नीलेशः मेघदूतं पठिष्यति।
= नीलेश मेघदूत पढ़ेगा।
गोमती रात्रिकाले पठिष्यति।
= गोमती रात को पढ़ेगी।
सुनिधिः आयुर्वेदं पठिष्यति।
= सुनिधि आयुर्वेद पढ़ेगी।
पुत्रः गणितं पठिष्यति।
= पुत्र गणित पढ़ेगा।
#vakyabhyas
संस्कृताभ्यासः
आज्ञार्थ
अहम् आगच्छानि वा ?
= मैं आऊँ क्या ?
आम् आगच्छतु ।
= हाँ आईये।
न मा आगच्छतु।
= नहीं मत आईये।
हे दीपक ! भवान् मम गृहम् आगच्छतु।
= दीपक ! आप मेरे घर आईयेगा।
भवती शीघ्रमेव आगच्छतु।
= आप जल्दी से आईये।
भोजनं कर्तुम् आगच्छतु।
= भोजन करने आईये।
आगच्छन्तु संस्कृतं पठाम।
= आईये संस्कृत पढ़ते हैं
प्रारम्भे एकवचने एव अभ्यासं कुर्वन्तु।
= प्रारम्भ में एकवचन में ही अभ्यास करिये।
ओ३म्
संस्कृताभ्यासः
वर्तमानकाल
अहं पठामि
= पढ़ता हूँ / पढ़ती हूँ।
अहं ऋग्वेदं पठामि।
= मैं ऋग्वेद पढ़ रही हूँ / रहा हूँ।
इदानीम् अहं मनुस्मृतिं पठामि।
= अभी मैं मनुस्मृति पढ़ रहा हूँ / पढ़ रही हूँ।
सोमवासरे अहं भगवद्गीतां पठामि।
= सोमवार को मैं भगवद्गीता पढ़ता हूँ / पढ़ती हूँ।
अहं परिपत्रं पठामि।
= मैं सर्कुलर पढ़ रहा हूँ / पढ़ रही हूँ।
सः नीतिशतकं पठति।
= वह नीतिशतक पढ़ रहा है।
सा रघुवंशं पठति।
= वह रघुवंश पढ़ रही है ।
नीलेशः मेघदूतं पठति।
= नीलेश मेघदूत पढ़ रहा है।
गोमती सायंकाले पठति।
= गोमती शाम को पढ़ती है।
सुनिधिः आयुर्वेदं पठति।
= सुनिधि आयुर्वेद पढ़ती है।
माता मम पत्रं पठति।
= माँ मेरा पत्र पढ़ रही है।
ओ३म्
संस्कृताभ्यासः
भविष्यकाल
अहं पठिष्यामि
= पढूँगा / पढूँगी।
अहं ऋग्वेदं पठिष्यामि।
= मैं ऋग्वेद पढूँगा / पढूँगी।
अहं मनुस्मृतिं पठिष्यामि।
= मैं मनुस्मृति पढूँगा / पढूँगी।
रविवासरे अहं भगवद्गीतां पठिष्यामि।
= रविवार को मैं भगवद्गीता पढूँगा / पढूँगी।
अहं गृहं गत्वा पठिष्यामि।
= मैं घर जाकर पढूँगा / पढूँगी।
सः नीतिशतकं पठिष्यति।
= वह नीतिशतक पढ़ेगा।
सा रघुवंशं पठिष्यति।
= वह रघुवंश पढ़ेगी ।
नीलेशः मेघदूतं पठिष्यति।
= नीलेश मेघदूत पढ़ेगा।
गोमती रात्रिकाले पठिष्यति।
= गोमती रात को पढ़ेगी।
सुनिधिः आयुर्वेदं पठिष्यति।
= सुनिधि आयुर्वेद पढ़ेगी।
पुत्रः गणितं पठिष्यति।
= पुत्र गणित पढ़ेगा।
#vakyabhyas
June 8, 2022
@samskrt_samvadah प्रारंभ करता है, संस्कृताश्रमः - संस्कृतशिक्षण की लघु कक्षाऐं
⏳20 मिनट
🕚 09:00 PM 🇮🇳
🔰तृतीयाविभक्तिः
🗓08th जून 2022, बुधवासरः
🔴 कक्षाओं की प्रति हमारे युट्युब चैनल पर डाली जायेगी
कृपया अलार्म लगा लें और विलंब से न आयें।
👇🏼👇🏼👇🏼👇🏼👇🏼
https://t.me/samskrt_samvadah?voicechat
⏳20 मिनट
🕚 09:00 PM 🇮🇳
🔰तृतीयाविभक्तिः
🗓08th जून 2022, बुधवासरः
🔴 कक्षाओं की प्रति हमारे युट्युब चैनल पर डाली जायेगी
कृपया अलार्म लगा लें और विलंब से न आयें।
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https://t.me/samskrt_samvadah?voicechat
June 8, 2022
June 8, 2022
June 8, 2022
@samskrt_samvadah संलापशाला - A Samskrit Voicechat room.
यदीच्छसि वशीकर्तुं, भाषणमेककर्मणा।
यायास्संलापशालां वै, भवति यत्र भाषणम्।।
⏳45 निमेषाः
🕚 IST 11:00 AM
🔰वाक्याभ्यासः
🗓09th June 2022, गुरुवासरः
🔴Voicechat would be recorded and shared on this channel.
📑यदि शक्येत चेत् संस्कृतेन (चित्रं दृष्ट्वा वाक्यानि वक्तव्यानि) चर्चार्थं कृपया पूर्वसिद्धतां कृत्वा आगच्छन्तु।
वयं युष्माकं प्रतीक्षां कुर्मः। 😇
स्मारणतंत्रिकां स्थापयतु ⏰
👇🏼👇🏼👇🏼👇🏼👇🏼
https://t.me/samskrt_samvadah?voicechat
यदीच्छसि वशीकर्तुं, भाषणमेककर्मणा।
यायास्संलापशालां वै, भवति यत्र भाषणम्।।
⏳45 निमेषाः
🕚 IST 11:00 AM
🔰वाक्याभ्यासः
🗓09th June 2022, गुरुवासरः
🔴Voicechat would be recorded and shared on this channel.
📑यदि शक्येत चेत् संस्कृतेन (चित्रं दृष्ट्वा वाक्यानि वक्तव्यानि) चर्चार्थं कृपया पूर्वसिद्धतां कृत्वा आगच्छन्तु।
वयं युष्माकं प्रतीक्षां कुर्मः। 😇
स्मारणतंत्रिकां स्थापयतु ⏰
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June 8, 2022
June 8, 2022
🍃
♦️tatah padan tatparimargitavya
yasmingata na nivartanti bhuyah tameva cadyan purusan prapadye yatah pravrttih prasrta purani৷৷15.4৷৷
⚜Then That goal should be sought for, whither having gone none returns again. I seek refuge in that Primeval Purusha Whence streamed forth the ancient activity or energy.(15.4)
⚜(तदुपरान्त) उस पद का अन्वेषण करना चाहिए जिसको प्राप्त हुए पुरुष पुन संसार में नहीं लौटते हैं। मैं उस आदि पुरुष की शरण हूँ जिससे यह पुरातन प्रवृत्ति प्रसृत हुई है।।15.4।।
#geeta
ततः पदं तत्परिमार्गितव्य यस्मिन्गता न निवर्तन्ति भूयः।
तमेव चाद्यं पुरुषं प्रपद्ये यतः प्रवृत्तिः प्रसृता पुराणी
।।15.4।।♦️tatah padan tatparimargitavya
yasmingata na nivartanti bhuyah tameva cadyan purusan prapadye yatah pravrttih prasrta purani৷৷15.4৷৷
⚜Then That goal should be sought for, whither having gone none returns again. I seek refuge in that Primeval Purusha Whence streamed forth the ancient activity or energy.(15.4)
⚜(तदुपरान्त) उस पद का अन्वेषण करना चाहिए जिसको प्राप्त हुए पुरुष पुन संसार में नहीं लौटते हैं। मैं उस आदि पुरुष की शरण हूँ जिससे यह पुरातन प्रवृत्ति प्रसृत हुई है।।15.4।।
#geeta
June 8, 2022
June 8, 2022
June 8, 2022
June 8, 2022
🍃
♦️nirmanamoha jitasangadosa
adhyatmanitya vinivrttakamah
dvandvairvimuktah sukhaduhkhasanjnai-
rgacchantyamudhah padamavyayan tat৷৷15.5৷৷
⚜Free from pride and delusion, victorious over the evil of attachment, dwelling constantly in the Self, their desires having completely turned away, freed from the pairs of opposites known as pleasure and pain, the undeluded reach the eternal goal.(15.5)
⚜जिनका मान और मोह निवृत्त हो गया है जिन्होंने संगदोष को जीत लिया है जो अध्यात्म में स्थित हैं जिनकी कामनाएं निवृत्त हो चुकी हैं और जो सुखदुख नामक द्वन्द्वों से विमुक्त हो गये हैं ऐसे सम्मोह रहित ज्ञानीजन उस अव्यय पद को प्राप्त होते हैं।।15.5।।
#geeta
निर्मानमोहा जितसङ्गदोषा अध्यात्मनित्या विनिवृत्तकामाः।
द्वन्द्वैर्विमुक्ताः सुखदुःखसंज्ञै र्गच्छन्त्यमूढाः पदमव्ययं तत्
।।15.5।।♦️nirmanamoha jitasangadosa
adhyatmanitya vinivrttakamah
dvandvairvimuktah sukhaduhkhasanjnai-
rgacchantyamudhah padamavyayan tat৷৷15.5৷৷
⚜Free from pride and delusion, victorious over the evil of attachment, dwelling constantly in the Self, their desires having completely turned away, freed from the pairs of opposites known as pleasure and pain, the undeluded reach the eternal goal.(15.5)
⚜जिनका मान और मोह निवृत्त हो गया है जिन्होंने संगदोष को जीत लिया है जो अध्यात्म में स्थित हैं जिनकी कामनाएं निवृत्त हो चुकी हैं और जो सुखदुख नामक द्वन्द्वों से विमुक्त हो गये हैं ऐसे सम्मोह रहित ज्ञानीजन उस अव्यय पद को प्राप्त होते हैं।।15.5।।
#geeta
June 8, 2022
🚩जय सत्य सनातन🚩
🚩आज की हिंदी तिथि
🌥️ 🚩युगाब्द-५१२४
🌥️ 🚩विक्रम संवत-२०७९
⛅ 🚩तिथि - नवमी सुबह 08:21 तक तत्पश्चात दशमी
⛅दिनांक 09 जून 2022
⛅दिन - गुरुवार
⛅शक संवत - 1944
⛅अयन - उत्तरायण
⛅ऋतु - ग्रीष्म
⛅मास - ज्येष्ठ
⛅पक्ष - शुक्ल
⛅नक्षत्र - हस्त रात्रि (10 जून प्रातः 04:26 ) तक तत्पश्चात चित्रा
⛅योग - व्यतिपात रात्रि 01:50 तक तत्पश्चात वरीयान
⛅राहुकाल - अपरान्ह 02:20 से 04:02 तक
⛅सूर्योदय - 05:53
⛅सूर्यास्त - 07:24
⛅दिशाशूल - दक्षिण दिशा में
⛅ब्रह्म मुहूर्त- प्रातः 04:30 से 05:12 तक
🚩आज की हिंदी तिथि
🌥️ 🚩युगाब्द-५१२४
🌥️ 🚩विक्रम संवत-२०७९
⛅ 🚩तिथि - नवमी सुबह 08:21 तक तत्पश्चात दशमी
⛅दिनांक 09 जून 2022
⛅दिन - गुरुवार
⛅शक संवत - 1944
⛅अयन - उत्तरायण
⛅ऋतु - ग्रीष्म
⛅मास - ज्येष्ठ
⛅पक्ष - शुक्ल
⛅नक्षत्र - हस्त रात्रि (10 जून प्रातः 04:26 ) तक तत्पश्चात चित्रा
⛅योग - व्यतिपात रात्रि 01:50 तक तत्पश्चात वरीयान
⛅राहुकाल - अपरान्ह 02:20 से 04:02 तक
⛅सूर्योदय - 05:53
⛅सूर्यास्त - 07:24
⛅दिशाशूल - दक्षिण दिशा में
⛅ब्रह्म मुहूर्त- प्रातः 04:30 से 05:12 तक
June 8, 2022
@samskrt_samvadah संलापशाला - A Samskrit Voicechat room.
यदीच्छसि वशीकर्तुं, भाषणमेककर्मणा।
यायास्संलापशालां वै, भवति यत्र भाषणम्।।
⏳45 निमेषाः
🕚 IST 11:00 AM
🔰वाक्याभ्यासः
🗓09th June 2022, गुरुवासरः
🔴Voicechat would be recorded and shared on this channel.
📑यदि शक्येत चेत् संस्कृतेन (चित्रं दृष्ट्वा वाक्यानि वक्तव्यानि) चर्चार्थं कृपया पूर्वसिद्धतां कृत्वा आगच्छन्तु।
वयं युष्माकं प्रतीक्षां कुर्मः। 😇
स्मारणतंत्रिकां स्थापयतु ⏰
👇🏼👇🏼👇🏼👇🏼👇🏼
https://t.me/samskrt_samvadah?voicechat
यदीच्छसि वशीकर्तुं, भाषणमेककर्मणा।
यायास्संलापशालां वै, भवति यत्र भाषणम्।।
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🔰वाक्याभ्यासः
🗓09th June 2022, गुरुवासरः
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June 8, 2022
Forwarded from रामदूतः — The Sanskrit News Platform (Bhavani Raman)
प्रतिदिनं प्रातः ७:१५ वादने १५ निमेषात्मिकायै वार्तायै डी डी न्यूज् इति पश्यत।
https://youtu.be/MvFepjo3Bkc
https://youtu.be/MvFepjo3Bkc
YouTube
Vaarta: News in Sanskrit | President's visit to Jammu and Biotech Startup Expo 2022
DD News 24x7 | Breaking News and other Live updates | | News in Hindi | Latest News
DD News is India’s 24x7 news channel from the stable of the country’s Public Service Broadcaster, Prasar Bharati. It has the distinction of being India’s only terrestrial…
DD News is India’s 24x7 news channel from the stable of the country’s Public Service Broadcaster, Prasar Bharati. It has the distinction of being India’s only terrestrial…
June 8, 2022
June 8, 2022
🔰चित्रं दृष्ट्वा पञ्चवाक्यानि रचयत।
✍🏼सर्वे टिप्पणीसञ्चिकायां स्वोत्तराणि लेखितुं शक्नुवन्ति अथवा पुस्तिकायां लिखित्वा तस्य चित्रं स्वीकृत्य अपि प्रेषयितुं शक्नुवन्ति।
🗣सहैव तानि वाक्यानि उक्त्वा ध्वनिमाध्यमेन अपि प्रेषयत।
Read in English
हिन्दी में पढें
#chitram
✍🏼सर्वे टिप्पणीसञ्चिकायां स्वोत्तराणि लेखितुं शक्नुवन्ति अथवा पुस्तिकायां लिखित्वा तस्य चित्रं स्वीकृत्य अपि प्रेषयितुं शक्नुवन्ति।
🗣सहैव तानि वाक्यानि उक्त्वा ध्वनिमाध्यमेन अपि प्रेषयत।
Read in English
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#chitram
June 8, 2022
June 8, 2022
🍃
⚜शरीरके जीर्ण हो जाने पर और व्याधियों के घेर लेने पर 'गङ्गाजल' ही औषधि है और 'नारायण' ही वैद्य हैं।
🔅व्याधिग्रस्ते जीर्णे शरीरे सति गङ्गाजलम् एका एव औषधी तथा नारायणः एकः एव वैद्यः भवति।
-पाण्डवगीता
#Subhashitam
शरीरे जर्जरीभूते व्याधिग्रस्ते कलेवरे। औषधञ्जाह्नवीतोयं वैद्यो नारायणो हरिः
॥⚜शरीरके जीर्ण हो जाने पर और व्याधियों के घेर लेने पर 'गङ्गाजल' ही औषधि है और 'नारायण' ही वैद्य हैं।
🔅व्याधिग्रस्ते जीर्णे शरीरे सति गङ्गाजलम् एका एव औषधी तथा नारायणः एकः एव वैद्यः भवति।
-पाण्डवगीता
#Subhashitam
June 8, 2022
June 8, 2022
June 8, 2022
June 9, 2022
ओ३म्
संस्कृताभ्यासः
भूतकाल
अहं पठितवान्
= मैंने पढ़ा।
अहं पठितवान् / पठितवती
= मैंने पढ़ा
अहं रामायणं पठितवान् /पठितवती।
= मैंने रामायण पढ़ी।
अहं अर्थशास्त्रं पठितवान् / पठितवती।
= मैंने अर्थशास्त्र पढ़ा लिया।
शुक्रवासरे अहं योगदर्शनं पठितवान् / पठितवती।
= शुक्रवार को मैंने योगदर्शन पढ़ा।
गिरीशः नीतिशतकं पठितवान्।
= गिरीश ने नीतिशतक पढ़ लिया।
लता मम सन्देशं पठितवती।
= लता ने मेरा संदेश पढ़ लिया।
सौम्या राजतरङ्गिणीं पठितवती।
= सौम्या ने राजतरंगिणी पढ़ी।
आलोकः प्रातःकाले लक्ष्मीसूक्तं पठितवान्
= आलोक ने सुबह लक्ष्मीसूक्तं पढ़ा।
मम माता व्यवहारभानुं पठितवती।
= मेरी माँ ने व्यवहारभानु पढ़ी।
अम्बुजः नाट्यशास्त्रं पठितवान्।
= अम्बुज ने नाट्यशास्त्र पढ़ा।
ओ३म्
संस्कृताभ्यासः
आज्ञार्थ
अहं किं पठानि ?
= मैं क्या पढूँ ?
अहं ऑथेलो पठानि वा ?
= मैं ऑथेलो पढूँ क्या ?
न ऑथेलो मा पठतु।
= नहीं ऑथेलो मत पढ़िये।
हे सुनीत ! नीतिशतकं पठतु।
= सुनीत जी ! नीतिशतक पढ़िये।
भगिनि ! मम सन्देशं पठतु।
= बहन , मेरा संदेश पढ़िये।
हे सौम्ये ! राजतरङ्गिणीं पठतु
= सौम्या जी ! राजतरंगिणी पढ़िये
आलोक , कृपया प्रातःकाले स्वस्तिवाचनं पठतु।
= आलोक जी कृपया सुबह स्वस्तिवाचन पढ़िये।
हे मातः ! व्यवहारभानुं पठतु।
= माँ व्यवहारभानु पढ़िये।
भो अम्बुज ! नाट्यशास्त्रं पठतु।
= अम्बुज जी नाट्यशास्त्र पढ़िये।
ओ३म्
संस्कृताभ्यासः
वर्तमानकाल
अहं लिखामि
= लिखता हूँ / लिखती हूँ।
अहं पत्रं लिखामि।
= मैं पत्र लिख रही हूँ / रहा हूँ।
इदानीम् अहं पाठं लिखामि।
= अभी मैं पाठ लिख रहा हूँ / रही हूँ।
अहं बालकथां लिखामि
= मैं बालकथा लिखता हूँ / लिखती हूँ।
सः उपन्यासं लिखति।
= वह उपन्यास लिखता है।
सा प्रतिदिनं गायत्रीमन्त्रं लिखति।
= वह प्रतिदिन गायत्री मन्त्र लिखती है ।
अनुरागः सुविचारं लिखति।
= अनुराग सुविचार लिख रहा है।
चिकित्सकः रुग्णस्य कृते औषधं लिखति।
= चिकित्सक रोगी के लिये औषधि लिख रहा है।
अङ्किता भगिनी वामहस्तेन लिखति।
= अंकिता बहन बाएँ हाथ से लिखती है।
सुजाता दक्षिणहस्तेन लिखति।।
= सुजाता दाहिने हाथ से लिखती है
ओ३म्
संस्कृताभ्यासः
भविष्यकाल
अहं लेखिष्यामि
= लिखूँगा / लिखूँगी।
अहं गीतं लेखिष्यामि।
= मैं गीत लिखूँगा / लिखूँगी।
श्वः अहं मम संस्मरणं लेखिष्यामि।
= कल मैं अपना संस्मरण लिखूँगा / लिखूँगी
अहं भित्तौ सुविचारं लेखिष्यामि।
= मैं दीवाल पर सुविचार लिखूँगा / लिखूँगी।
अहं मम भाषायां लेखिष्यामि।
= मैं मेरी भाषा में लिखूँगा /लिखूँगी
पत्रकारः समाचारं लेखिष्यति।
= पत्रकार समाचार लिखेगा।
किशोरः सान्त्वनासन्देशं लेखिष्यति।
= किशोर सांत्वना संदेश लिखेगा।
नीता पुत्रीं पत्रं लेखिष्यति।
= नीता पुत्री को पत्र लिखेगी।
अरुणा अद्य न लेखिष्यति श्वः लेखिष्यति।
= अरुणा आज नहीं लिखेगी कल लिखेगी।
छात्रः उत्तरं लेखिष्यति।
= छात्र उत्तर लिखेगा।
चिकित्सकः औषधं लेखिष्यति।
= चिकित्सक औषधि लिखेगा।
#vakyabhyas
संस्कृताभ्यासः
भूतकाल
अहं पठितवान्
= मैंने पढ़ा।
अहं पठितवान् / पठितवती
= मैंने पढ़ा
अहं रामायणं पठितवान् /पठितवती।
= मैंने रामायण पढ़ी।
अहं अर्थशास्त्रं पठितवान् / पठितवती।
= मैंने अर्थशास्त्र पढ़ा लिया।
शुक्रवासरे अहं योगदर्शनं पठितवान् / पठितवती।
= शुक्रवार को मैंने योगदर्शन पढ़ा।
गिरीशः नीतिशतकं पठितवान्।
= गिरीश ने नीतिशतक पढ़ लिया।
लता मम सन्देशं पठितवती।
= लता ने मेरा संदेश पढ़ लिया।
सौम्या राजतरङ्गिणीं पठितवती।
= सौम्या ने राजतरंगिणी पढ़ी।
आलोकः प्रातःकाले लक्ष्मीसूक्तं पठितवान्
= आलोक ने सुबह लक्ष्मीसूक्तं पढ़ा।
मम माता व्यवहारभानुं पठितवती।
= मेरी माँ ने व्यवहारभानु पढ़ी।
अम्बुजः नाट्यशास्त्रं पठितवान्।
= अम्बुज ने नाट्यशास्त्र पढ़ा।
ओ३म्
संस्कृताभ्यासः
आज्ञार्थ
अहं किं पठानि ?
= मैं क्या पढूँ ?
अहं ऑथेलो पठानि वा ?
= मैं ऑथेलो पढूँ क्या ?
न ऑथेलो मा पठतु।
= नहीं ऑथेलो मत पढ़िये।
हे सुनीत ! नीतिशतकं पठतु।
= सुनीत जी ! नीतिशतक पढ़िये।
भगिनि ! मम सन्देशं पठतु।
= बहन , मेरा संदेश पढ़िये।
हे सौम्ये ! राजतरङ्गिणीं पठतु
= सौम्या जी ! राजतरंगिणी पढ़िये
आलोक , कृपया प्रातःकाले स्वस्तिवाचनं पठतु।
= आलोक जी कृपया सुबह स्वस्तिवाचन पढ़िये।
हे मातः ! व्यवहारभानुं पठतु।
= माँ व्यवहारभानु पढ़िये।
भो अम्बुज ! नाट्यशास्त्रं पठतु।
= अम्बुज जी नाट्यशास्त्र पढ़िये।
ओ३म्
संस्कृताभ्यासः
वर्तमानकाल
अहं लिखामि
= लिखता हूँ / लिखती हूँ।
अहं पत्रं लिखामि।
= मैं पत्र लिख रही हूँ / रहा हूँ।
इदानीम् अहं पाठं लिखामि।
= अभी मैं पाठ लिख रहा हूँ / रही हूँ।
अहं बालकथां लिखामि
= मैं बालकथा लिखता हूँ / लिखती हूँ।
सः उपन्यासं लिखति।
= वह उपन्यास लिखता है।
सा प्रतिदिनं गायत्रीमन्त्रं लिखति।
= वह प्रतिदिन गायत्री मन्त्र लिखती है ।
अनुरागः सुविचारं लिखति।
= अनुराग सुविचार लिख रहा है।
चिकित्सकः रुग्णस्य कृते औषधं लिखति।
= चिकित्सक रोगी के लिये औषधि लिख रहा है।
अङ्किता भगिनी वामहस्तेन लिखति।
= अंकिता बहन बाएँ हाथ से लिखती है।
सुजाता दक्षिणहस्तेन लिखति।।
= सुजाता दाहिने हाथ से लिखती है
ओ३म्
संस्कृताभ्यासः
भविष्यकाल
अहं लेखिष्यामि
= लिखूँगा / लिखूँगी।
अहं गीतं लेखिष्यामि।
= मैं गीत लिखूँगा / लिखूँगी।
श्वः अहं मम संस्मरणं लेखिष्यामि।
= कल मैं अपना संस्मरण लिखूँगा / लिखूँगी
अहं भित्तौ सुविचारं लेखिष्यामि।
= मैं दीवाल पर सुविचार लिखूँगा / लिखूँगी।
अहं मम भाषायां लेखिष्यामि।
= मैं मेरी भाषा में लिखूँगा /लिखूँगी
पत्रकारः समाचारं लेखिष्यति।
= पत्रकार समाचार लिखेगा।
किशोरः सान्त्वनासन्देशं लेखिष्यति।
= किशोर सांत्वना संदेश लिखेगा।
नीता पुत्रीं पत्रं लेखिष्यति।
= नीता पुत्री को पत्र लिखेगी।
अरुणा अद्य न लेखिष्यति श्वः लेखिष्यति।
= अरुणा आज नहीं लिखेगी कल लिखेगी।
छात्रः उत्तरं लेखिष्यति।
= छात्र उत्तर लिखेगा।
चिकित्सकः औषधं लेखिष्यति।
= चिकित्सक औषधि लिखेगा।
#vakyabhyas
June 9, 2022
सनातनधर्मः महान्।
रामभक्ताः प्रस्तरखण्डेषु रामनाम लिखित्वा समुद्रस्य उपरि सेतुनिर्माणम् अकुर्वन्।
हनुमान् प्रस्तरम् (पर्वतम्)आनीय लक्ष्मणस्य प्राणान् अरक्षत्।
भगवान् श्रीकृष्णः गोवर्धनपर्वतम् उद्धृत्य गोकुलवासिनः प्रलयात् अरक्षत्।
२०१३ तमे वर्षे कश्चन महान् प्रस्तरखण्डः केदारनाथमन्दिरं प्राकृतिकविपर्ययात् अरक्षत्।
सनातनधर्मावलम्बिनाम् एतत् सौन्दर्यं यत् अस्मिन् धर्मे पर्वतः, जलं, वृक्षः, सूर्यः, च इत्यादीनां सर्वेषां पूजनं भवति।
ईश्वरः प्राकृतिकवस्तुषु , प्राणिषु च सर्वत्र भवति इति सनातनसिद्धान्तः। अतः सनातनधर्मे सर्वेषां पूजनं भवति।
प्रदीपः!
रामभक्ताः प्रस्तरखण्डेषु रामनाम लिखित्वा समुद्रस्य उपरि सेतुनिर्माणम् अकुर्वन्।
हनुमान् प्रस्तरम् (पर्वतम्)आनीय लक्ष्मणस्य प्राणान् अरक्षत्।
भगवान् श्रीकृष्णः गोवर्धनपर्वतम् उद्धृत्य गोकुलवासिनः प्रलयात् अरक्षत्।
२०१३ तमे वर्षे कश्चन महान् प्रस्तरखण्डः केदारनाथमन्दिरं प्राकृतिकविपर्ययात् अरक्षत्।
सनातनधर्मावलम्बिनाम् एतत् सौन्दर्यं यत् अस्मिन् धर्मे पर्वतः, जलं, वृक्षः, सूर्यः, च इत्यादीनां सर्वेषां पूजनं भवति।
ईश्वरः प्राकृतिकवस्तुषु , प्राणिषु च सर्वत्र भवति इति सनातनसिद्धान्तः। अतः सनातनधर्मे सर्वेषां पूजनं भवति।
प्रदीपः!
June 9, 2022
@samskrt_samvadah प्रारंभ करता है, संस्कृताश्रमः - संस्कृतशिक्षण की लघु कक्षाऐं
⏳20 मिनट
🕚 09:00 PM 🇮🇳
🔰द्वितीयाविभक्तेः अभ्यासः
🗓09th जून 2022, गुरुवासरः
🔴 कक्षाओं की प्रति हमारे युट्युब चैनल पर डाली जायेगी
कृपया अलार्म लगा लें और विलंब से न आयें।
👇🏼👇🏼👇🏼👇🏼👇🏼
https://t.me/samskrt_samvadah?voicechat
⏳20 मिनट
🕚 09:00 PM 🇮🇳
🔰द्वितीयाविभक्तेः अभ्यासः
🗓09th जून 2022, गुरुवासरः
🔴 कक्षाओं की प्रति हमारे युट्युब चैनल पर डाली जायेगी
कृपया अलार्म लगा लें और विलंब से न आयें।
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June 9, 2022
June 9, 2022
June 9, 2022
Person 1 :- Here light is very less.
Person 2 :- Shall we go there ?
Person 2 :- Now how's it ?
Person 1 :- Its great.
#hasya
Person 2 :- Shall we go there ?
Person 2 :- Now how's it ?
Person 1 :- Its great.
#hasya
June 9, 2022
@samskrt_samvadah संलापशाला - A Samskrit Voicechat room.
यदीच्छसि वशीकर्तुं, भाषणमेककर्मणा।
यायास्संलापशालां वै, भवति यत्र भाषणम्।।
⏳45 निमेषाः
🕚 IST 11:00 AM
🔰संस्कृतकथा,सुभाषितम्, हास्यकणिका इत्यादयः
🗓10th june 2022, शुक्रवासरः
🔴Voicechat would be recorded and shared on this channel.
📑यदि शक्येत चेत् संस्कृतेन (संस्कृतकथां, सुभाषितं, हास्यकणिकां ,स्वस्य कञ्चित् उत्तमम् अनुभवं ,प्रेरकप्रसङ्गं ,लौकिकन्यायं वा वदन्तु) । चर्चार्थं कृपया पूर्वसिद्धतां कृत्वा आगच्छन्तु।
वयं युष्माकं प्रतीक्षां कुर्मः। 😇
स्मारणतंत्रिकां स्थापयतु ⏰
👇🏼👇🏼👇🏼👇🏼👇🏼
https://t.me/samskrt_samvadah?voicechat
यदीच्छसि वशीकर्तुं, भाषणमेककर्मणा।
यायास्संलापशालां वै, भवति यत्र भाषणम्।।
⏳45 निमेषाः
🕚 IST 11:00 AM
🔰संस्कृतकथा,सुभाषितम्, हास्यकणिका इत्यादयः
🗓10th june 2022, शुक्रवासरः
🔴Voicechat would be recorded and shared on this channel.
📑यदि शक्येत चेत् संस्कृतेन (संस्कृतकथां, सुभाषितं, हास्यकणिकां ,स्वस्य कञ्चित् उत्तमम् अनुभवं ,प्रेरकप्रसङ्गं ,लौकिकन्यायं वा वदन्तु) । चर्चार्थं कृपया पूर्वसिद्धतां कृत्वा आगच्छन्तु।
वयं युष्माकं प्रतीक्षां कुर्मः। 😇
स्मारणतंत्रिकां स्थापयतु ⏰
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June 9, 2022
June 9, 2022
🍃
♦️na tadbhasayate suryo na sasanko na pavakah.
yadgatva na nivartante taddhama paraman mama৷৷15.6৷৷
⚜Neither doth the sun illumine there nor the moon, nor the fire; having gone thither they return not; that is My supreme abode.(15.6)
⚜उसे न सूर्य प्रकाशित कर सकता है और न चन्द्रमा और न अग्नि। जिसे प्राप्त कर मनुष्य पुन (संसार को) नहीं लौटते हैं वह मेरा परम धाम है।।15.6।।
#geeta
न तद्भासयते सूर्यो न शशाङ्को न पावकः।
यद्गत्वा न निवर्तन्ते तद्धाम परमं मम
।।15.6।।♦️na tadbhasayate suryo na sasanko na pavakah.
yadgatva na nivartante taddhama paraman mama৷৷15.6৷৷
⚜Neither doth the sun illumine there nor the moon, nor the fire; having gone thither they return not; that is My supreme abode.(15.6)
⚜उसे न सूर्य प्रकाशित कर सकता है और न चन्द्रमा और न अग्नि। जिसे प्राप्त कर मनुष्य पुन (संसार को) नहीं लौटते हैं वह मेरा परम धाम है।।15.6।।
#geeta
June 9, 2022
June 9, 2022
June 9, 2022
June 9, 2022
🍃
♦️mamaivanso jivaloke jivabhutah sanatanah.
manahsasthanindriyani prakrtisthani karsati৷৷15.7৷৷
⚜An eternal portion of Myself having become a living soul in the world of life, draws to (itself) the (five) senses with the mind for the sixth, abiding in Nature.(15.7)
⚜इस जीव लोक में मेरा ही एक सनातन अंश जीव बना है। वह प्रकृति में स्थित हुआ (देहत्याग के समय) पाँचो इन्द्रियों तथा मन को अपनी ओर खींच लेता है अर्थात् उन्हें एकत्रित कर लेता है।।15.7।।
#geeta
ममैवांशो जीवलोके जीवभूतः सनातनः।
मनःषष्ठानीन्द्रियाणि प्रकृतिस्थानि कर्षति
।।15.7।।♦️mamaivanso jivaloke jivabhutah sanatanah.
manahsasthanindriyani prakrtisthani karsati৷৷15.7৷৷
⚜An eternal portion of Myself having become a living soul in the world of life, draws to (itself) the (five) senses with the mind for the sixth, abiding in Nature.(15.7)
⚜इस जीव लोक में मेरा ही एक सनातन अंश जीव बना है। वह प्रकृति में स्थित हुआ (देहत्याग के समय) पाँचो इन्द्रियों तथा मन को अपनी ओर खींच लेता है अर्थात् उन्हें एकत्रित कर लेता है।।15.7।।
#geeta
June 9, 2022
🚩जय सत्य सनातन🚩
🚩आज की हिंदी तिथि
🌥️ 🚩युगाब्द-५१२४
🌥️ 🚩विक्रम संवत-२०७९
⛅ 🚩तिथि - दशमी सुबह 07:25 तक तत्पश्चात एकादशी
⛅दिनांक 10 जून 2022
⛅दिन - शुक्रवार
⛅शक संवत - 1944
⛅अयन - उत्तरायण
⛅ऋतु - ग्रीष्म
⛅मास - ज्येष्ठ
⛅पक्ष - शुक्ल
⛅नक्षत्र - चित्रा रात्रि (11 जून प्रातः 03:37 ) तक तत्पश्चात स्वाती
⛅योग - वरीयान रात्रि 11:36 तक तत्पश्चात परिघ
⛅राहुकाल - सुबह 10:58 से दोपहर 12:39 तक
⛅सूर्योदय - 05:53
⛅सूर्यास्त - 07:25
⛅दिशाशूल - पश्चिम दिशा में
⛅ब्रह्म मुहूर्त- प्रातः 04:30 से 05:12 तक
🚩आज की हिंदी तिथि
🌥️ 🚩युगाब्द-५१२४
🌥️ 🚩विक्रम संवत-२०७९
⛅ 🚩तिथि - दशमी सुबह 07:25 तक तत्पश्चात एकादशी
⛅दिनांक 10 जून 2022
⛅दिन - शुक्रवार
⛅शक संवत - 1944
⛅अयन - उत्तरायण
⛅ऋतु - ग्रीष्म
⛅मास - ज्येष्ठ
⛅पक्ष - शुक्ल
⛅नक्षत्र - चित्रा रात्रि (11 जून प्रातः 03:37 ) तक तत्पश्चात स्वाती
⛅योग - वरीयान रात्रि 11:36 तक तत्पश्चात परिघ
⛅राहुकाल - सुबह 10:58 से दोपहर 12:39 तक
⛅सूर्योदय - 05:53
⛅सूर्यास्त - 07:25
⛅दिशाशूल - पश्चिम दिशा में
⛅ब्रह्म मुहूर्त- प्रातः 04:30 से 05:12 तक
June 9, 2022
June 9, 2022
@samskrt_samvadah संलापशाला - A Samskrit Voicechat room.
यदीच्छसि वशीकर्तुं, भाषणमेककर्मणा।
यायास्संलापशालां वै, भवति यत्र भाषणम्।।
⏳45 निमेषाः
🕚 IST 11:00 AM
🔰संस्कृतकथा,सुभाषितम्, हास्यकणिका इत्यादयः
🗓10th june 2022, शुक्रवासरः
🔴Voicechat would be recorded and shared on this channel.
📑यदि शक्येत चेत् संस्कृतेन (संस्कृतकथां, सुभाषितं, हास्यकणिकां ,स्वस्य कञ्चित् उत्तमम् अनुभवं ,प्रेरकप्रसङ्गं ,लौकिकन्यायं वा वदन्तु) । चर्चार्थं कृपया पूर्वसिद्धतां कृत्वा आगच्छन्तु।
वयं युष्माकं प्रतीक्षां कुर्मः। 😇
स्मारणतंत्रिकां स्थापयतु ⏰
👇🏼👇🏼👇🏼👇🏼👇🏼
https://t.me/samskrt_samvadah?voicechat
यदीच्छसि वशीकर्तुं, भाषणमेककर्मणा।
यायास्संलापशालां वै, भवति यत्र भाषणम्।।
⏳45 निमेषाः
🕚 IST 11:00 AM
🔰संस्कृतकथा,सुभाषितम्, हास्यकणिका इत्यादयः
🗓10th june 2022, शुक्रवासरः
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📑यदि शक्येत चेत् संस्कृतेन (संस्कृतकथां, सुभाषितं, हास्यकणिकां ,स्वस्य कञ्चित् उत्तमम् अनुभवं ,प्रेरकप्रसङ्गं ,लौकिकन्यायं वा वदन्तु) । चर्चार्थं कृपया पूर्वसिद्धतां कृत्वा आगच्छन्तु।
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June 9, 2022
https://youtu.be/7Cg2YSFuhqc
प्रतिदिनं प्रातः ७:१५ वादने १५ निमेषात्मिकायै वार्तायै डी डी न्यूज् इति पश्यत।
प्रतिदिनं प्रातः ७:१५ वादने १५ निमेषात्मिकायै वार्तायै डी डी न्यूज् इति पश्यत।
YouTube
Vaarta: News in Sanskrit | PM Modi in Gujarat and President Ram Nath Kovind's Himachal visit
DD News 24x7 | Breaking News and other Live updates | | News in Hindi | Latest News
DD News is India’s 24x7 news channel from the stable of the country’s Public Service Broadcaster, Prasar Bharati. It has the distinction of being India’s only terrestrial…
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June 9, 2022
🔰चित्रं दृष्ट्वा पञ्चवाक्यानि रचयत।
✍🏼सर्वे टिप्पणीसञ्चिकायां स्वोत्तराणि लेखितुं शक्नुवन्ति अथवा पुस्तिकायां लिखित्वा तस्य चित्रं स्वीकृत्य अपि प्रेषयितुं शक्नुवन्ति।
🗣सहैव तानि वाक्यानि उक्त्वा ध्वनिमाध्यमेन अपि प्रेषयत।
Read in English
हिन्दी में पढें
#chitram
✍🏼सर्वे टिप्पणीसञ्चिकायां स्वोत्तराणि लेखितुं शक्नुवन्ति अथवा पुस्तिकायां लिखित्वा तस्य चित्रं स्वीकृत्य अपि प्रेषयितुं शक्नुवन्ति।
🗣सहैव तानि वाक्यानि उक्त्वा ध्वनिमाध्यमेन अपि प्रेषयत।
Read in English
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#chitram
June 9, 2022
June 9, 2022
June 9, 2022
June 9, 2022
🍃
⚜किसके कुल में दोष नहीं है,व्याधि से कौन पीड़ित नहीं है,कौन दुःखी नहीं है और किसकी धन-सम्पत्तियाॅं सदैव विद्यमान रही हैं?
🔅कस्मिन् कुले दोषः न वर्तते को वा व्याधिभ्यः पीड़ितः न भवति कस्य पार्श्वे धनवैभवं सर्वदा तिष्ठति?
- गरुडपुराणम्(आचारकाण्डम्)
#Subhashitam
कस्य दोषः कुले नास्ति व्याधिना को न पीडितः।
केन न व्यसनम्प्राप्तं श्रियः कस्य निरन्तराः
।।⚜किसके कुल में दोष नहीं है,व्याधि से कौन पीड़ित नहीं है,कौन दुःखी नहीं है और किसकी धन-सम्पत्तियाॅं सदैव विद्यमान रही हैं?
🔅कस्मिन् कुले दोषः न वर्तते को वा व्याधिभ्यः पीड़ितः न भवति कस्य पार्श्वे धनवैभवं सर्वदा तिष्ठति?
- गरुडपुराणम्(आचारकाण्डम्)
#Subhashitam
June 9, 2022
June 10, 2022
June 10, 2022
ओ३म्
संस्कृताभ्यासः
भूतकाल
अहं लिखितवान् / लिखितवती
= मैंने लिखा / लिख लिया
अहं किमपि न लिखितवान् /लिखितवती।
= मैंने कुछ भी नहीं लिखा ।
अहम् अधुनैव लिखितवान् / लिखितवती।
= मैंने अभी अभी लिखा।
अहं पाठं लिखितवान् / लिखितवती।
= मैंने पाठ लिख लिया।
सुमितः सुविचारं लिखितवान्।
= सुमित ने सुविचार लिखा।
स्नेहलता शुभकामनासन्देशं लिखितवती।
= स्नेहलता ने शुभकामना संदेश लिखा।
श्रीकान्तः शोधपत्रं लिखितवान्।
= श्रीकांत ने रिसर्च पेपर लिखा।
वर्णिका प्रातःकाले गीतं लिखितवती।
= वर्णिका ने प्रातःकाल गीत लिखा।
शिक्षिका श्यामफलके पाठं लिखितवती।
= शिक्षिका ने श्यामफलक पर पाठ लिखा।
छात्रः अद्य शुद्धं लिखितवान्।
= छात्र ने शुद्ध लिखा।
ओ३म्
संस्कृताभ्यासः
आज्ञार्थ
अहं लिखानि वा ?
= मैं लिखूँ क्या ?
अहं किं लिखानि ?
= मैं क्या लिखूँ ?
अहम् अत्र लिखानि वा ?
= मैं यहाँ लिखूँ क्या ?
अहं किमर्थं लिखानि ?
= मैं क्यों लिखूँ ?
भो सुमित! सुविचारं लिखतु।
= सुमित जी ने सुविचार लिखिये
स्नेहलते! शुभकामनासन्देशं लिखतु।
= स्नेहलता जी शुभकामना संदेश लिखिये।
श्रीकान्त ! कृपया शोधपत्रं लिखतु।
= श्रीकांत जी कृपया रिसर्च पेपर लिखिये।
वर्णिके ! एकं गीतं लिखतु।
= वर्णिका जी, एक गीत लिखिये
शिक्षिके ! श्यामफलके पाठं लिखतु।
= शिक्षिका जी , श्यामफलक पर पाठ लिखिये।
भो छात्र! अशुद्धं मा लिख ।
= हे छात्र! अशुद्ध मत लिख।
ओ३म्
संस्कृताभ्यासः
वर्तमानकाल
अहं भवामि
= होता हूँ / होती हूँ।
अहं स्वस्थः / स्वस्था भवामि।
= मैं स्वस्थ हो रहा हूँ / रही हूँ।
इदानीम् अहं शान्तः / शान्ता भवामि।
= अब मैं शान्त हो रहा हूँ / रही हूँ।
संस्कृतं पठित्वा अहं निपुणः / निपुणा भवामि।
= संस्कृत पढ़ कर मैं निपुण बन रहा / रही हूँ।
सः परीक्षायाम् उत्तीर्णः भवति।
= वह परीक्षा में उत्तीर्ण होता है ।
सा नृत्यं कर्तुं सिद्धा भवति।
= वह नृत्य करने के लिये तैयार होती है।
तस्य पुत्रः सदाचारी भवति।
= उसका पुत्र सदाचारी बनता है।
व्यायामं कृत्वा सः बलिष्ठः भवति।
= व्यायाम करके वह बलिष्ठ बनता है।
रुचिः प्रातःकाले गृहे एव भवति।
= रुचि सुबह घर पर ही होती है।
विमलस्य गृहे यज्ञः भवति।
= विमल के घर हवन हो रहा है।
#vakyabhyas
संस्कृताभ्यासः
भूतकाल
अहं लिखितवान् / लिखितवती
= मैंने लिखा / लिख लिया
अहं किमपि न लिखितवान् /लिखितवती।
= मैंने कुछ भी नहीं लिखा ।
अहम् अधुनैव लिखितवान् / लिखितवती।
= मैंने अभी अभी लिखा।
अहं पाठं लिखितवान् / लिखितवती।
= मैंने पाठ लिख लिया।
सुमितः सुविचारं लिखितवान्।
= सुमित ने सुविचार लिखा।
स्नेहलता शुभकामनासन्देशं लिखितवती।
= स्नेहलता ने शुभकामना संदेश लिखा।
श्रीकान्तः शोधपत्रं लिखितवान्।
= श्रीकांत ने रिसर्च पेपर लिखा।
वर्णिका प्रातःकाले गीतं लिखितवती।
= वर्णिका ने प्रातःकाल गीत लिखा।
शिक्षिका श्यामफलके पाठं लिखितवती।
= शिक्षिका ने श्यामफलक पर पाठ लिखा।
छात्रः अद्य शुद्धं लिखितवान्।
= छात्र ने शुद्ध लिखा।
ओ३म्
संस्कृताभ्यासः
आज्ञार्थ
अहं लिखानि वा ?
= मैं लिखूँ क्या ?
अहं किं लिखानि ?
= मैं क्या लिखूँ ?
अहम् अत्र लिखानि वा ?
= मैं यहाँ लिखूँ क्या ?
अहं किमर्थं लिखानि ?
= मैं क्यों लिखूँ ?
भो सुमित! सुविचारं लिखतु।
= सुमित जी ने सुविचार लिखिये
स्नेहलते! शुभकामनासन्देशं लिखतु।
= स्नेहलता जी शुभकामना संदेश लिखिये।
श्रीकान्त ! कृपया शोधपत्रं लिखतु।
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वर्णिके ! एकं गीतं लिखतु।
= वर्णिका जी, एक गीत लिखिये
शिक्षिके ! श्यामफलके पाठं लिखतु।
= शिक्षिका जी , श्यामफलक पर पाठ लिखिये।
भो छात्र! अशुद्धं मा लिख ।
= हे छात्र! अशुद्ध मत लिख।
ओ३म्
संस्कृताभ्यासः
वर्तमानकाल
अहं भवामि
= होता हूँ / होती हूँ।
अहं स्वस्थः / स्वस्था भवामि।
= मैं स्वस्थ हो रहा हूँ / रही हूँ।
इदानीम् अहं शान्तः / शान्ता भवामि।
= अब मैं शान्त हो रहा हूँ / रही हूँ।
संस्कृतं पठित्वा अहं निपुणः / निपुणा भवामि।
= संस्कृत पढ़ कर मैं निपुण बन रहा / रही हूँ।
सः परीक्षायाम् उत्तीर्णः भवति।
= वह परीक्षा में उत्तीर्ण होता है ।
सा नृत्यं कर्तुं सिद्धा भवति।
= वह नृत्य करने के लिये तैयार होती है।
तस्य पुत्रः सदाचारी भवति।
= उसका पुत्र सदाचारी बनता है।
व्यायामं कृत्वा सः बलिष्ठः भवति।
= व्यायाम करके वह बलिष्ठ बनता है।
रुचिः प्रातःकाले गृहे एव भवति।
= रुचि सुबह घर पर ही होती है।
विमलस्य गृहे यज्ञः भवति।
= विमल के घर हवन हो रहा है।
#vakyabhyas
June 10, 2022
Forwarded from रामदूतः — The Sanskrit News Platform (मोहित डोकानिया)
The One and Only, All-in-one Sanskrit News Platform @ramdootah had been started on Telegram and WhatsApp.
Why to join?
• Daily datesheet
• Daily Sanskrit radio broadcast
• Daily Three Sanskrit newspapers
• No Ads
• No Spams
• Free of Cost
• Every Sanskrit news youtube video at one platform.
• Daily Sanskrit news posts
• Daily text bulletins
• Branch on Telegram
• Free monthly magazines
• Weekly Sanskrit programmes
• Monthly Manogatam
• Learn Sanskrit by watching and reading sanskrit news daily.
WhatsApp link👇🏼👇🏼
https://chat.whatsapp.com/EQvIhBgzbFvLnG5A65Z368
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June 10, 2022
@samskrt_samvadah प्रारंभ करता है, संस्कृताश्रमः - संस्कृतशिक्षण की लघु कक्षाऐं
⏳20 मिनट
🕚 09:00 PM 🇮🇳
🔰तृतीयाविभक्तेः अभ्यासः
🗓10th जून् 2022, शुक्रवासरः
🔴 कक्षाओं की प्रति हमारे युट्युब प्लेलिस्ट पर डाली जायेगी
https://youtube.com/playlist?list=PL6OCpxoxDlOZwPLLcoB8TtdqgxmdSR-7c
कृपया अलार्म लगा लें और विलंब से न आयें।
👇🏼👇🏼👇🏼👇🏼👇🏼
https://t.me/samskrt_samvadah?voicechat
⏳20 मिनट
🕚 09:00 PM 🇮🇳
🔰तृतीयाविभक्तेः अभ्यासः
🗓10th जून् 2022, शुक्रवासरः
🔴 कक्षाओं की प्रति हमारे युट्युब प्लेलिस्ट पर डाली जायेगी
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कृपया अलार्म लगा लें और विलंब से न आयें।
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June 10, 2022
June 10, 2022
June 10, 2022
June 10, 2022
June 10, 2022
@samskrt_samvadah संलापशाला - A Samskrit Voicechat room.
यदीच्छसि वशीकर्तुं, भाषणमेककर्मणा।
यायास्संलापशालां वै, भवति यत्र भाषणम्।।
⏳45 निमेषाः
🕚 IST 11:00 AM
🔰आरोग्याय आवश्यकाहारः तथा भोजनापव्ययः
🗓11th june 2022, शनिवासरः
🔴Voicechat would be recorded and shared on this channel.
📑यदि शक्येत चेत् संस्कृतेन (कीदृशं भोजनं खादामः येन अस्माकं स्वास्थ्यं सम्यक् स्यात् तथा भोजनस्य रक्षणं कथं कर्तुं शक्नुमः)। चर्चार्थं कृपया पूर्वसिद्धतां कृत्वा आगच्छन्तु।
वयं युष्माकं प्रतीक्षां कुर्मः। 😇
स्मारणतंत्रिकां स्थापयतु ⏰
👇🏼👇🏼👇🏼👇🏼👇🏼
https://t.me/samskrt_samvadah?voicechat
यदीच्छसि वशीकर्तुं, भाषणमेककर्मणा।
यायास्संलापशालां वै, भवति यत्र भाषणम्।।
⏳45 निमेषाः
🕚 IST 11:00 AM
🔰आरोग्याय आवश्यकाहारः तथा भोजनापव्ययः
🗓11th june 2022, शनिवासरः
🔴Voicechat would be recorded and shared on this channel.
📑यदि शक्येत चेत् संस्कृतेन (कीदृशं भोजनं खादामः येन अस्माकं स्वास्थ्यं सम्यक् स्यात् तथा भोजनस्य रक्षणं कथं कर्तुं शक्नुमः)। चर्चार्थं कृपया पूर्वसिद्धतां कृत्वा आगच्छन्तु।
वयं युष्माकं प्रतीक्षां कुर्मः। 😇
स्मारणतंत्रिकां स्थापयतु ⏰
👇🏼👇🏼👇🏼👇🏼👇🏼
https://t.me/samskrt_samvadah?voicechat
June 10, 2022
अस्मान् ट्विटर इत्युक्ते कूजनस्थले अनुसरणं कृत्वा संस्कृतसमुदायस्य गौरवपूर्णः सदस्यः भवत।
प्रतिदिनम् एकं कूजनं कृत्वा संस्कृतं संरक्षणीयम्।
x.com/_samvadah_
प्रतिदिनम् एकं कूजनं कृत्वा संस्कृतं संरक्षणीयम्।
x.com/_samvadah_
X (formerly Twitter)
संस्कृत संवादः (@_samvadah_) on X
Daily dose of Sanskrit. https://t.co/F0Bz93BRxy
June 10, 2022
अत्र
अस्माकं जालस्थानम् अस्ति यत्र भवन्तः हास्यं वाक्याभ्यासम् इत्यादीनां
विविधक्षेत्राणां संग्रहान् द्रष्टुं शक्नुवन्ति। कृपया द्रष्ट्वा
प्रतिक्रियां ददतु।
https://sanskritdocuments.org/sites/sanskritsamvada/
https://sanskritdocuments.org/sites/sanskritsamvada/
June 10, 2022
June 10, 2022
🍃
♦️sariram yadavapnoti yaccapyutkramatisvarah.
grhitvaitani sanyati vayurgandhanivasayat৷৷15.8৷৷
⚜When the Lord (as the individual soul) obtains a body and when He leaves it, He takes these and goes (with them) as the wind takes the scents from their seats (flowers, etc.).(15.8)
⚜जब (देहादि का) ईश्वर (जीव) (एक शरीर से) उत्क्रमण करता है तब इन (इन्द्रियों और मन) को ग्रहण कर अन्य शरीर में इस प्रकार ले जाता है जैसे गन्ध के आश्रय (फूलादि) से गन्ध को वायु ले जाता है।।15.8।।
#geeta
शरीरं यदवाप्नोति यच्चाप्युत्क्रामतीश्वरः।
गृहीत्वैतानि संयाति वायुर्गन्धानिवाशयात्
।।15.8।।♦️sariram yadavapnoti yaccapyutkramatisvarah.
grhitvaitani sanyati vayurgandhanivasayat৷৷15.8৷৷
⚜When the Lord (as the individual soul) obtains a body and when He leaves it, He takes these and goes (with them) as the wind takes the scents from their seats (flowers, etc.).(15.8)
⚜जब (देहादि का) ईश्वर (जीव) (एक शरीर से) उत्क्रमण करता है तब इन (इन्द्रियों और मन) को ग्रहण कर अन्य शरीर में इस प्रकार ले जाता है जैसे गन्ध के आश्रय (फूलादि) से गन्ध को वायु ले जाता है।।15.8।।
#geeta
June 10, 2022
June 10, 2022
June 10, 2022
June 10, 2022
🍃
♦️srotran caksuh sparsanan ca rasanan ghranameva ca.
adhisthaya manascayan visayanupasevate৷৷15.9৷৷
⚜Presiding over the ear, the eye, touch, taste and smell, as well as the mind, it enjoys the objects of the senses.(15.9)
⚜(यह जीव) श्रोत्र चक्षु स्पर्शेन्द्रिय रसना और घ्राण (नाक) इन इन्द्रियों तथा मन को आश्रय करके अर्थात् इनके द्वारा विषयों का सेवन करता है।।15.9।।
#geeta
श्रोत्रं चक्षुः स्पर्शनं च रसनं घ्राणमेव च।
अधिष्ठाय मनश्चायं विषयानुपसेवते
।।15.9।।♦️srotran caksuh sparsanan ca rasanan ghranameva ca.
adhisthaya manascayan visayanupasevate৷৷15.9৷৷
⚜Presiding over the ear, the eye, touch, taste and smell, as well as the mind, it enjoys the objects of the senses.(15.9)
⚜(यह जीव) श्रोत्र चक्षु स्पर्शेन्द्रिय रसना और घ्राण (नाक) इन इन्द्रियों तथा मन को आश्रय करके अर्थात् इनके द्वारा विषयों का सेवन करता है।।15.9।।
#geeta
June 10, 2022
🚩जय सत्य सनातन🚩
🚩आज की हिंदी तिथि
🌥 🚩यगाब्द-५१२४
🌥 🚩विक्रम संवत-२०७९
⛅️ 🚩तिथि - एकादशी प्रातः 05:45 तक तत्पश्चात द्वादशी
⛅️दिनांक 11 जून 2022
⛅️दिन - शनिवार
⛅️शक संवत - 1944
⛅️अयन - उत्तरायण
⛅️ऋतु - ग्रीष्म
⛅️मास - ज्येष्ठ
⛅️पक्ष - शुक्ल
⛅️नक्षत्र - स्वाती रात्रि 02:05 तक तत्पश्चात विशाखा
⛅️योग - परिघ रात्रि 08:47 तक तत्पश्चात शिव
⛅️राहुकाल - सुबह 09:16 से 10:58 तक
⛅️सर्योदय - 05:54
⛅️सर्यास्त - 07:25
⛅️दिशाशूल - पूर्व दिशा में
⛅️बरह्म मुहूर्त - प्रातः 04:30 से 05:12 तक
🚩आज की हिंदी तिथि
🌥 🚩यगाब्द-५१२४
🌥 🚩विक्रम संवत-२०७९
⛅️ 🚩तिथि - एकादशी प्रातः 05:45 तक तत्पश्चात द्वादशी
⛅️दिनांक 11 जून 2022
⛅️दिन - शनिवार
⛅️शक संवत - 1944
⛅️अयन - उत्तरायण
⛅️ऋतु - ग्रीष्म
⛅️मास - ज्येष्ठ
⛅️पक्ष - शुक्ल
⛅️नक्षत्र - स्वाती रात्रि 02:05 तक तत्पश्चात विशाखा
⛅️योग - परिघ रात्रि 08:47 तक तत्पश्चात शिव
⛅️राहुकाल - सुबह 09:16 से 10:58 तक
⛅️सर्योदय - 05:54
⛅️सर्यास्त - 07:25
⛅️दिशाशूल - पूर्व दिशा में
⛅️बरह्म मुहूर्त - प्रातः 04:30 से 05:12 तक
June 10, 2022
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यदीच्छसि वशीकर्तुं, भाषणमेककर्मणा।
यायास्संलापशालां वै, भवति यत्र भाषणम्।।
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🔰आरोग्याय आवश्यकाहारः तथा भोजनापव्ययः
🗓11th june 2022, शनिवासरः
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📑यदि शक्येत चेत् संस्कृतेन (कीदृशं भोजनं खादामः येन अस्माकं स्वास्थ्यं सम्यक् स्यात् तथा भोजनस्य रक्षणं कथं कर्तुं शक्नुमः)। चर्चार्थं कृपया पूर्वसिद्धतां कृत्वा आगच्छन्तु।
वयं युष्माकं प्रतीक्षां कुर्मः। 😇
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यदीच्छसि वशीकर्तुं, भाषणमेककर्मणा।
यायास्संलापशालां वै, भवति यत्र भाषणम्।।
⏳45 निमेषाः
🕚 IST 11:00 AM
🔰आरोग्याय आवश्यकाहारः तथा भोजनापव्ययः
🗓11th june 2022, शनिवासरः
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📑यदि शक्येत चेत् संस्कृतेन (कीदृशं भोजनं खादामः येन अस्माकं स्वास्थ्यं सम्यक् स्यात् तथा भोजनस्य रक्षणं कथं कर्तुं शक्नुमः)। चर्चार्थं कृपया पूर्वसिद्धतां कृत्वा आगच्छन्तु।
वयं युष्माकं प्रतीक्षां कुर्मः। 😇
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June 10, 2022
https://youtu.be/AUv_Ab0k5Qw
प्रतिदिनं प्रातः ७:१५ वादने १५ निमेषात्मिकायै वार्तायै डी डी न्यूज् इति पश्यत।
प्रतिदिनं प्रातः ७:१५ वादने १५ निमेषात्मिकायै वार्तायै डी डी न्यूज् इति पश्यत।
YouTube
वार्ता: संस्कृत भाषा में समाचार
June 10, 2022
June 10, 2022
🔰चित्रं दृष्ट्वा पञ्चवाक्यानि रचयत।
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✍🏼सर्वे टिप्पणीसञ्चिकायां स्वोत्तराणि लेखितुं शक्नुवन्ति अथवा पुस्तिकायां लिखित्वा तस्य चित्रं स्वीकृत्य अपि प्रेषयितुं शक्नुवन्ति।
🗣सहैव तानि वाक्यानि उक्त्वा ध्वनिमाध्यमेन अपि प्रेषयत।
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June 10, 2022
June 10, 2022
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June 10, 2022
🍃
♦️asanskritaacharya
ekamevaaksharam yastu guruh sishyam prabodhayet prithivyaal naasti tad dravyaM yad dattva chaanriNee bhavet
⚜गुरु भले ही शिष्य को एक ही अक्षर का ज्ञान प्रदान करे, तब भी इस पृथिवी पर ऐसी कोई वस्तु नहीं है जिससे विद्यादान जैसे महादान
का ऋण उतर सके।
⚜Even a little knowledge gained by a teacher can never be paid back by any means. Knowledge is the biggest
donation.
🔅भवतु यदि गुरुः शिष्याय एकमेव अक्षरं पाठयेत् तथापि कुत्रापि तादृशं वस्तु नास्ति यस्य गुरवे समर्पणेन शिष्यः ऋणमुक्तः भवेत्। अर्थात् विद्यायाः दानं सर्वोत्कृष्टम् अस्ति।
#Subhashitam
एकमेवाक्षरं यस्तु गुरुः शिष्यं प्रबोधयेत् ।
पृथिव्यां नास्ति तद द्रव्यं यद् दत्वा चाऽनृणी भवेत्
।।♦️asanskritaacharya
ekamevaaksharam yastu guruh sishyam prabodhayet prithivyaal naasti tad dravyaM yad dattva chaanriNee bhavet
⚜गुरु भले ही शिष्य को एक ही अक्षर का ज्ञान प्रदान करे, तब भी इस पृथिवी पर ऐसी कोई वस्तु नहीं है जिससे विद्यादान जैसे महादान
का ऋण उतर सके।
⚜Even a little knowledge gained by a teacher can never be paid back by any means. Knowledge is the biggest
donation.
🔅भवतु यदि गुरुः शिष्याय एकमेव अक्षरं पाठयेत् तथापि कुत्रापि तादृशं वस्तु नास्ति यस्य गुरवे समर्पणेन शिष्यः ऋणमुक्तः भवेत्। अर्थात् विद्यायाः दानं सर्वोत्कृष्टम् अस्ति।
#Subhashitam
June 10, 2022
June 11, 2022
ओ३म्
संस्कृताभ्यासः
वर्तमानकाल
अहं ददामि
= देता हूँ / देती हूँ।
अहं धनं ददामि।
= मैं धन देता हूँ / देती हूँ।
इदानीम् अहं तुलसीपादपाय जलं ददामि।
= अब मैं तुलसी के पौधे को जल दे रहा हूँ / दे रही हूँ।
अहं किं ददामि ?
= मैं क्या दे रहा हूँ ?
अहं ज्ञानं ददामि।
= मैं ज्ञान दे रहा हूँ / दे रही हूँ।
सः धेनवे त्रिणं ददाति।
= वह गाय को घास देता है ।
सा भिक्षुकाय भोजनं ददाति।
= वह भिक्षुक को भोजन देती है।
चिकित्सकः रुग्णाय औषधं ददाति।
= चिकित्सक रुग्ण व्यक्ति को औषधि देता है।
धनं विना सः किमपि न ददाति।
= धन के बिना वह कुछ भी नहीं देता है।
सुकृतिः प्रश्नस्य उत्तरं ददाति।
= सुकृति प्रश्न का उत्तर देती है।
जयपालः पुत्रस्य हस्ते खड्गं ददाति।
= जयपाल पुत्र के हाथ में तलवार देता है।
ओ३म्
संस्कृताभ्यासः
भूतकाल
अहं सिद्धः / सिद्धा अभवम् ।
= मैं तैयार हो गया / हो गई
अहं चकितः / चकिता अभवम्
= मैं चकित हो गया / हो गई ।
अहं स्वस्थः / स्वस्था अभवम् ।
= मैं स्वस्थ हो गया / हो गई।
अहं उत्तीर्णः / उत्तीर्णा अभवम् ।
= मैं उत्तीर्ण हो गया / हो गई ।
सुमितस्य कार्यम् अभवत्।
= सुमित का काम हो गया।
स्नेहलता नृत्यांगना अभवत्।
= स्नेहलता नृत्यांगना बन गई।
श्रीकान्तः स्वीये कार्ये सफलः अभवत्।
= श्रीकांत अपने काम में सफल हो गया।
वर्णिका गृहकार्ये निपुणा अभवत्।
= वर्णिका घर के काम में निपुण हो गई।
एका शिक्षिका अद्य निवृत्ता अभवत्।
= एक शिक्षिका आज निवृत्त हो गई।
छात्रः उत्तरं श्रुत्वा शान्तः अभवत्।
= छात्र उत्तर सुनकर शान्त हो गया।
ओ३म्
संस्कृताभ्यासः
आज्ञार्थ
अहं भवानि वा ?
= मैं क्रुद्ध होऊँ क्या ?
अहं सिद्धः / सिद्धा। भवानि ?
= मैं तैयार होऊँ ?
भो हरिजित ! सिद्धः भवतु।
= हरिजित जी , तैयार हो जाइये
दीपिके ! राष्ट्रद्रोहिणी मा भवतु ।
= दीपिका जी , राष्ट्रद्रोहिणी मत बनिये।
दुर्जनः न सज्जनः भवतु।
= दुर्जन नहीं सज्जन बनिये।
कृपया नियमितः भवतु।
= कृपया नियमित बनिये।
निश्चिन्तः भवतु।
= निश्चिन्त हो जाइये।
मम मित्रं भवतु।
= मेरा मित्र बनिये।
ओ३म्
संस्कृताभ्यासः
वर्तमानकाल
अहं पश्यामि
= मैं देखता हूँ / देखती हूँ।
अहं किं पश्यामि ?
= मैं क्या देख रहा / रही हूँ ?
अहं मम शिक्षकं पश्यामि।
= मैं मेरे शिक्षक को देख रहा हूँ / रही हूँ।
इदानीम् अहं चलचित्रं पश्यामि।
= अभी मैं चलचित्र देख रहा हूँ / रही हूँ।
अहं कुत्र पश्यामि ?
= मैं कहाँ देख रहा / रही हूँ?
अहं तं / तां प्रति पश्यामि।
= मैं उसकी तरफ देख रहा हूँ / देख रही हूँ।
अहं सूर्यं प्रति पश्यामि।
= मैं सूर्य की ओर देख रहा / रही हूँ।
सः पश्यति।
= वह देखता है / देख रहा है ।
सा पश्यति।
= वह देखती है / देख रही है ।
सः / सा किं पश्यति ?
= वह क्या देख रहा / देख रही है ?
सः / सा मातरं पश्यति।
= वह माँ को देख रहा है / देख रही है ।
हेमाङ्गः वायुयानं पश्यति।।
= हेमांग वायुयान देख रहा है।
नेहा पुष्पाणि पश्यति।
= नेहा फूलों को देख रही है।
सः / सा कुत्र पश्यति ?
= वह कहाँ देखता / देखती है ?
सः / सा मां प्रति पश्यति।
= वह मेरी तरफ देखता / देखती है।
सैनिकः राष्ट्रध्वजं प्रति पश्यति।
= सैनिक राष्ट्रध्वज की ओर देखता है।
#vakyabhyas
संस्कृताभ्यासः
वर्तमानकाल
अहं ददामि
= देता हूँ / देती हूँ।
अहं धनं ददामि।
= मैं धन देता हूँ / देती हूँ।
इदानीम् अहं तुलसीपादपाय जलं ददामि।
= अब मैं तुलसी के पौधे को जल दे रहा हूँ / दे रही हूँ।
अहं किं ददामि ?
= मैं क्या दे रहा हूँ ?
अहं ज्ञानं ददामि।
= मैं ज्ञान दे रहा हूँ / दे रही हूँ।
सः धेनवे त्रिणं ददाति।
= वह गाय को घास देता है ।
सा भिक्षुकाय भोजनं ददाति।
= वह भिक्षुक को भोजन देती है।
चिकित्सकः रुग्णाय औषधं ददाति।
= चिकित्सक रुग्ण व्यक्ति को औषधि देता है।
धनं विना सः किमपि न ददाति।
= धन के बिना वह कुछ भी नहीं देता है।
सुकृतिः प्रश्नस्य उत्तरं ददाति।
= सुकृति प्रश्न का उत्तर देती है।
जयपालः पुत्रस्य हस्ते खड्गं ददाति।
= जयपाल पुत्र के हाथ में तलवार देता है।
ओ३म्
संस्कृताभ्यासः
भूतकाल
अहं सिद्धः / सिद्धा अभवम् ।
= मैं तैयार हो गया / हो गई
अहं चकितः / चकिता अभवम्
= मैं चकित हो गया / हो गई ।
अहं स्वस्थः / स्वस्था अभवम् ।
= मैं स्वस्थ हो गया / हो गई।
अहं उत्तीर्णः / उत्तीर्णा अभवम् ।
= मैं उत्तीर्ण हो गया / हो गई ।
सुमितस्य कार्यम् अभवत्।
= सुमित का काम हो गया।
स्नेहलता नृत्यांगना अभवत्।
= स्नेहलता नृत्यांगना बन गई।
श्रीकान्तः स्वीये कार्ये सफलः अभवत्।
= श्रीकांत अपने काम में सफल हो गया।
वर्णिका गृहकार्ये निपुणा अभवत्।
= वर्णिका घर के काम में निपुण हो गई।
एका शिक्षिका अद्य निवृत्ता अभवत्।
= एक शिक्षिका आज निवृत्त हो गई।
छात्रः उत्तरं श्रुत्वा शान्तः अभवत्।
= छात्र उत्तर सुनकर शान्त हो गया।
ओ३म्
संस्कृताभ्यासः
आज्ञार्थ
अहं भवानि वा ?
= मैं क्रुद्ध होऊँ क्या ?
अहं सिद्धः / सिद्धा। भवानि ?
= मैं तैयार होऊँ ?
भो हरिजित ! सिद्धः भवतु।
= हरिजित जी , तैयार हो जाइये
दीपिके ! राष्ट्रद्रोहिणी मा भवतु ।
= दीपिका जी , राष्ट्रद्रोहिणी मत बनिये।
दुर्जनः न सज्जनः भवतु।
= दुर्जन नहीं सज्जन बनिये।
कृपया नियमितः भवतु।
= कृपया नियमित बनिये।
निश्चिन्तः भवतु।
= निश्चिन्त हो जाइये।
मम मित्रं भवतु।
= मेरा मित्र बनिये।
ओ३म्
संस्कृताभ्यासः
वर्तमानकाल
अहं पश्यामि
= मैं देखता हूँ / देखती हूँ।
अहं किं पश्यामि ?
= मैं क्या देख रहा / रही हूँ ?
अहं मम शिक्षकं पश्यामि।
= मैं मेरे शिक्षक को देख रहा हूँ / रही हूँ।
इदानीम् अहं चलचित्रं पश्यामि।
= अभी मैं चलचित्र देख रहा हूँ / रही हूँ।
अहं कुत्र पश्यामि ?
= मैं कहाँ देख रहा / रही हूँ?
अहं तं / तां प्रति पश्यामि।
= मैं उसकी तरफ देख रहा हूँ / देख रही हूँ।
अहं सूर्यं प्रति पश्यामि।
= मैं सूर्य की ओर देख रहा / रही हूँ।
सः पश्यति।
= वह देखता है / देख रहा है ।
सा पश्यति।
= वह देखती है / देख रही है ।
सः / सा किं पश्यति ?
= वह क्या देख रहा / देख रही है ?
सः / सा मातरं पश्यति।
= वह माँ को देख रहा है / देख रही है ।
हेमाङ्गः वायुयानं पश्यति।।
= हेमांग वायुयान देख रहा है।
नेहा पुष्पाणि पश्यति।
= नेहा फूलों को देख रही है।
सः / सा कुत्र पश्यति ?
= वह कहाँ देखता / देखती है ?
सः / सा मां प्रति पश्यति।
= वह मेरी तरफ देखता / देखती है।
सैनिकः राष्ट्रध्वजं प्रति पश्यति।
= सैनिक राष्ट्रध्वज की ओर देखता है।
#vakyabhyas
June 11, 2022
June 11, 2022
Forwarded from रामदूतः — The Sanskrit News Platform (मोहित डोकानिया)
YouTube
Weekly Sanskrit Magazine Vaartavali (Episode 343)
Weekly Sanskrit Magazine Vaartavali (Episode 343)
DD News 24x7 | Breaking News and other Live updates | | News in Hindi | Latest News
DD News is India’s 24x7 news channel from the stable of the country’s Public Service Broadcaster, Prasar Bharati.…
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June 11, 2022
@samskrt_samvadah संलापशाला - A Samskrit Voicechat room.
यदीच्छसि वशीकर्तुं, भाषणमेककर्मणा।
यायास्संलापशालां वै, भवति यत्र भाषणम्।।
⏳45 निमेषाः
🕚 IST 11:00 AM
🔰कोरोनाकालस्य स्मृतयः
🗓12th june 2022, रविवासरः
🔴Voicechat would be recorded and shared on this channel.
📑यदि शक्येत चेत् संस्कृतेन (कोरोनाकालस्य कां स्मृतिं भवन्तः सर्वदा स्मरन्ति तां श्रावयन्तु)। चर्चार्थं कृपया पूर्वसिद्धतां कृत्वा आगच्छन्तु।
वयं युष्माकं प्रतीक्षां कुर्मः। 😇
स्मारणतंत्रिकां स्थापयतु ⏰
👇🏼👇🏼👇🏼👇🏼👇🏼
https://t.me/samskrt_samvadah?voicechat
यदीच्छसि वशीकर्तुं, भाषणमेककर्मणा।
यायास्संलापशालां वै, भवति यत्र भाषणम्।।
⏳45 निमेषाः
🕚 IST 11:00 AM
🔰कोरोनाकालस्य स्मृतयः
🗓12th june 2022, रविवासरः
🔴Voicechat would be recorded and shared on this channel.
📑यदि शक्येत चेत् संस्कृतेन (कोरोनाकालस्य कां स्मृतिं भवन्तः सर्वदा स्मरन्ति तां श्रावयन्तु)। चर्चार्थं कृपया पूर्वसिद्धतां कृत्वा आगच्छन्तु।
वयं युष्माकं प्रतीक्षां कुर्मः। 😇
स्मारणतंत्रिकां स्थापयतु ⏰
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https://t.me/samskrt_samvadah?voicechat
June 11, 2022
June 11, 2022
🍃
♦️utkramantan sthitan vapi bhunjanan va gunanvitam.
vimudha nanupasyanti pasyanti jnanacaksusah৷৷15.10৷৷
⚜The deluded do not see Him Who departs, stays and enjoys; but they who possess the eye of knowledge behold Him.(15.10)
⚜शरीर को त्यागते हुये उसमें स्थित हुये अथवा (विषयों को) भोगते हुये गुणों से समन्वित आत्मा को विमूढ़ लोग नहीं देखते हैं (परन्तु) ज्ञानचक्षु वाले पुरुष उसे देखते हैं।।15.10।।
#geeta
उत्क्रामन्तं स्थितं वापि भुञ्जानं वा गुणान्वितम्।
विमूढा नानुपश्यन्ति पश्यन्ति ज्ञानचक्षुषः
।।15.10।।♦️utkramantan sthitan vapi bhunjanan va gunanvitam.
vimudha nanupasyanti pasyanti jnanacaksusah৷৷15.10৷৷
⚜The deluded do not see Him Who departs, stays and enjoys; but they who possess the eye of knowledge behold Him.(15.10)
⚜शरीर को त्यागते हुये उसमें स्थित हुये अथवा (विषयों को) भोगते हुये गुणों से समन्वित आत्मा को विमूढ़ लोग नहीं देखते हैं (परन्तु) ज्ञानचक्षु वाले पुरुष उसे देखते हैं।।15.10।।
#geeta
June 11, 2022
June 11, 2022
🍃
♦️yatanto yoginascainan pasyantyatmanyavasthitam.
yatanto pyakrtatmano nainan pasyantyacetasah৷৷15.11৷৷
⚜The Yogins striving (for perfection) behold Him dwelling in the Self; but, the unrefined and unintelligent, even though striving, see Him not.(15.11)
⚜योगीजन प्रयत्न करते हुये ही अपने हृदय में स्थित आत्मा को देखते हैं जब कि अशुद्ध अन्तकरण वाले (अकृतात्मान) और अविवेकी (अचेतस) लोग यत्न करते हुये भी इसे नहीं देखते हैं।।15.11।।
#geeta
यतन्तो योगिनश्चैनं पश्यन्त्यात्मन्यवस्थितम्।
यतन्तोऽप्यकृतात्मानो नैनं पश्यन्त्यचेतसः
।।15.11।।♦️yatanto yoginascainan pasyantyatmanyavasthitam.
yatanto pyakrtatmano nainan pasyantyacetasah৷৷15.11৷৷
⚜The Yogins striving (for perfection) behold Him dwelling in the Self; but, the unrefined and unintelligent, even though striving, see Him not.(15.11)
⚜योगीजन प्रयत्न करते हुये ही अपने हृदय में स्थित आत्मा को देखते हैं जब कि अशुद्ध अन्तकरण वाले (अकृतात्मान) और अविवेकी (अचेतस) लोग यत्न करते हुये भी इसे नहीं देखते हैं।।15.11।।
#geeta
June 11, 2022
🚩जय सत्य सनातन🚩
🚩आज की हिंदी तिथि
🌥 🚩यगाब्द-५१२४
🌥 🚩विक्रम संवत-२०७९
⛅️ 🚩तिथि - त्रयोदशी जून 12 प्रातः 03:23 से रात्रि 12:26 तक
⛅️दिनांक 12 जून 2022
⛅️दिन - रविवार
⛅️शक संवत - 1944
⛅️अयन - उत्तरायण
⛅️ऋतु - ग्रीष्म
⛅️मास - ज्येष्ठ
⛅️पक्ष - शुक्ल
⛅️नक्षत्र - विशाखा रात्रि 11:58 तक तत्पश्चात अनुराधा
⛅️योग - शिव शाम 05:27 तक तत्पश्चात सिद्ध
⛅️राहुकाल - शाम 05:44 से 07:26 तक
⛅️सर्योदय - 05:54
⛅️सर्यास्त - 07:26
⛅️दिशाशूल - पश्चिम दिशा में
⛅️बरह्म मुहूर्त- प्रातः 04:30 से 05:12 तक
🚩आज की हिंदी तिथि
🌥 🚩यगाब्द-५१२४
🌥 🚩विक्रम संवत-२०७९
⛅️ 🚩तिथि - त्रयोदशी जून 12 प्रातः 03:23 से रात्रि 12:26 तक
⛅️दिनांक 12 जून 2022
⛅️दिन - रविवार
⛅️शक संवत - 1944
⛅️अयन - उत्तरायण
⛅️ऋतु - ग्रीष्म
⛅️मास - ज्येष्ठ
⛅️पक्ष - शुक्ल
⛅️नक्षत्र - विशाखा रात्रि 11:58 तक तत्पश्चात अनुराधा
⛅️योग - शिव शाम 05:27 तक तत्पश्चात सिद्ध
⛅️राहुकाल - शाम 05:44 से 07:26 तक
⛅️सर्योदय - 05:54
⛅️सर्यास्त - 07:26
⛅️दिशाशूल - पश्चिम दिशा में
⛅️बरह्म मुहूर्त- प्रातः 04:30 से 05:12 तक
June 11, 2022
Forwarded from रामदूतः — The Sanskrit News Platform (Bhavani Raman)
प्रतिदिनं प्रातः ७:१५ वादने १५ निमेषात्मिकायै वार्तायै डी डी न्यूज् इति पश्यत।
https://youtu.be/CpolENU568w
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वार्ता: संस्कृत भाषा में समाचार
June 11, 2022
@samskrt_samvadah संलापशाला - A Samskrit Voicechat room.
यदीच्छसि वशीकर्तुं, भाषणमेककर्मणा।
यायास्संलापशालां वै, भवति यत्र भाषणम्।।
⏳45 निमेषाः
🕚 IST 11:00 AM
🔰कोरोनाकालस्य स्मृतयः
🗓12th june 2022, रविवासरः
🔴Voicechat would be recorded and shared on this channel.
📑यदि शक्येत चेत् संस्कृतेन (कोरोनाकालस्य कां स्मृतिं भवन्तः सर्वदा स्मरन्ति तां श्रावयन्तु)। चर्चार्थं कृपया पूर्वसिद्धतां कृत्वा आगच्छन्तु।
वयं युष्माकं प्रतीक्षां कुर्मः। 😇
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🔰कोरोनाकालस्य स्मृतयः
🗓12th june 2022, रविवासरः
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June 11, 2022
June 11, 2022
🔰चित्रं दृष्ट्वा पञ्चवाक्यानि रचयत।
✍🏼सर्वे टिप्पणीसञ्चिकायां स्वोत्तराणि लेखितुं शक्नुवन्ति अथवा पुस्तिकायां लिखित्वा तस्य चित्रं स्वीकृत्य अपि प्रेषयितुं शक्नुवन्ति।
🗣सहैव तानि वाक्यानि उक्त्वा ध्वनिमाध्यमेन अपि प्रेषयत।
Read in English
हिन्दी में पढें
#chitram
✍🏼सर्वे टिप्पणीसञ्चिकायां स्वोत्तराणि लेखितुं शक्नुवन्ति अथवा पुस्तिकायां लिखित्वा तस्य चित्रं स्वीकृत्य अपि प्रेषयितुं शक्नुवन्ति।
🗣सहैव तानि वाक्यानि उक्त्वा ध्वनिमाध्यमेन अपि प्रेषयत।
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#chitram
June 11, 2022
June 11, 2022
Forwarded from Bhavani Raman
@sutaah, a subsidiary of @samskrt_samvadah is starting Elements in Periodic Table through Sanskrit Classes
Date: 19th June 2022, Sunday
Subtopic - Chemical formula
Time : 6.00 - 7.00 PM 🕖 (Indian time)
Prior Sanskrit knowledge NOT Necessary.
Pls fill the Gform👇👇
https://forms.gle/bc7sJdPyQsnQ8ajt8
NOTE — IX and X std students can join.
However students from 6th to 12th can join if they are interested. Classes will be interactive and it's requested that your child is provided with hi-speed internet connectivity.
Date: 19th June 2022, Sunday
Subtopic - Chemical formula
Time : 6.00 - 7.00 PM 🕖 (Indian time)
Prior Sanskrit knowledge NOT Necessary.
Pls fill the Gform👇👇
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NOTE — IX and X std students can join.
However students from 6th to 12th can join if they are interested. Classes will be interactive and it's requested that your child is provided with hi-speed internet connectivity.
June 11, 2022
🍃
⚜️People of self respect rather have death than humiliation. Fire dies out but never turns cold,
⚜️सवाभिमानी लोग अपमानजनक जीवन के जगह में मृत्यु पसंद करते हैं।।
आग बुझ जाती है लेकिन कभी ठंडी नहीं होती।
🔅सवाभिमानिनः जनाः अपमानजनकस्य जीवनस्य अपेक्षया मृत्युम् एव स्वीकुर्वन्ति, अग्निः भवेत् उत न परन्तु उष्णता सदैव तिष्ठति।
#Subhashitam
मनस्वी नियते कागं कार्पण्यं न तु गच्छति । अपि निर्वाणमायाति नानलो याति शांतताम्
।।⚜️People of self respect rather have death than humiliation. Fire dies out but never turns cold,
⚜️सवाभिमानी लोग अपमानजनक जीवन के जगह में मृत्यु पसंद करते हैं।।
आग बुझ जाती है लेकिन कभी ठंडी नहीं होती।
🔅सवाभिमानिनः जनाः अपमानजनकस्य जीवनस्य अपेक्षया मृत्युम् एव स्वीकुर्वन्ति, अग्निः भवेत् उत न परन्तु उष्णता सदैव तिष्ठति।
#Subhashitam
June 11, 2022
June 11, 2022
June 11, 2022
धेनवः _____ ______।
Anonymous Quiz
23%
कृष्णेन अनुसरन्ति
65%
कृष्णम् अनुसरन्ति
8%
कृष्णाय अनुसरति
4%
कृष्णात् अनुसरन्ति
June 12, 2022
June 12, 2022
June 12, 2022
@samskrt_samvadah संलापशाला - A Samskrit Voicechat room.
यदीच्छसि वशीकर्तुं, भाषणमेककर्मणा।
यायास्संलापशालां वै, भवति यत्र भाषणम्।।
⏳45 निमेषाः
🕚 IST 11:00 AM
🔰स्पर्धापरीक्षाभ्यासः
🗓13th june 2022, सोमवासरः
🔴Voicechat would be recorded and shared on this channel.
📑यदि शक्येत चेत् संस्कृतेन (स्पर्धापरीक्षायाः अभ्याससमये बालानां मनसि कः प्रभावः भवति तथा परीक्षा अधुना व्यापारवत् अभवत्)। चर्चार्थं कृपया पूर्वसिद्धतां कृत्वा आगच्छन्तु।
वयं युष्माकं प्रतीक्षां कुर्मः। 😇
स्मारणतंत्रिकां स्थापयतु ⏰
👇🏼👇🏼👇🏼👇🏼👇🏼
https://t.me/samskrt_samvadah?voicechat
यदीच्छसि वशीकर्तुं, भाषणमेककर्मणा।
यायास्संलापशालां वै, भवति यत्र भाषणम्।।
⏳45 निमेषाः
🕚 IST 11:00 AM
🔰स्पर्धापरीक्षाभ्यासः
🗓13th june 2022, सोमवासरः
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📑यदि शक्येत चेत् संस्कृतेन (स्पर्धापरीक्षायाः अभ्याससमये बालानां मनसि कः प्रभावः भवति तथा परीक्षा अधुना व्यापारवत् अभवत्)। चर्चार्थं कृपया पूर्वसिद्धतां कृत्वा आगच्छन्तु।
वयं युष्माकं प्रतीक्षां कुर्मः। 😇
स्मारणतंत्रिकां स्थापयतु ⏰
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June 12, 2022
June 12, 2022
June 12, 2022
June 12, 2022
🍃
♦️yadadityagatan tejo jagadbhasayate khilam.
yaccandramasi yaccagnau tattejo viddhi mamakam ৷৷15.12৷৷
⚜That light which residing in the sun illumines the whole world, that which is in the moon and in the fire know that light to be Mine.(15.12)
⚜जो तेज सूर्य में स्थित होकर सम्पूर्ण जगत् को प्रकाशित करता है तथा जो तेज चन्द्रमा में है और अग्नि में है उस तेज को तुम मेरा ही जानो।।15.12।।
#geeta
यदादित्यगतं तेजो जगद्भासयतेऽखिलम्।
यच्चन्द्रमसि यच्चाग्नौ तत्तेजो विद्धि मामकम्
।।15.12।।♦️yadadityagatan tejo jagadbhasayate khilam.
yaccandramasi yaccagnau tattejo viddhi mamakam ৷৷15.12৷৷
⚜That light which residing in the sun illumines the whole world, that which is in the moon and in the fire know that light to be Mine.(15.12)
⚜जो तेज सूर्य में स्थित होकर सम्पूर्ण जगत् को प्रकाशित करता है तथा जो तेज चन्द्रमा में है और अग्नि में है उस तेज को तुम मेरा ही जानो।।15.12।।
#geeta
June 12, 2022
June 12, 2022
🍃
♦️gamavisya ca bhutani dharayamyahamojasa.
pusnami causadhih sarvah somo bhutva rasatmakah৷৷15.13৷৷
⚜Permeating the earth I support all beings by (My) energy; and having become the watery moon I nourish all herbs.(15.13)
⚜मैं ही पृथ्वी में प्रवेश करके अपने ओज से भूतमात्र को धारण करता हूँ और रसस्वरूप चन्द्रमा बनकर समस्त औषधियों का अर्थात् वनस्पतियों का पोषण करता हूँ।।15.13।।
#geeta
गामाविश्य च भूतानि धारयाम्यहमोजसा।
पुष्णामि चौषधीः सर्वाः सोमो भूत्वा रसात्मकः
।।15.13।।♦️gamavisya ca bhutani dharayamyahamojasa.
pusnami causadhih sarvah somo bhutva rasatmakah৷৷15.13৷৷
⚜Permeating the earth I support all beings by (My) energy; and having become the watery moon I nourish all herbs.(15.13)
⚜मैं ही पृथ्वी में प्रवेश करके अपने ओज से भूतमात्र को धारण करता हूँ और रसस्वरूप चन्द्रमा बनकर समस्त औषधियों का अर्थात् वनस्पतियों का पोषण करता हूँ।।15.13।।
#geeta
June 12, 2022
🚩जय सत्य सनातन🚩
🚩आज की हिंदी तिथि
🌥 🚩यगाब्द-५१२४
🌥 🚩विक्रम संवत-२०७९
⛅️ 🚩तिथि - चतुर्दशी जून 12 रात्रि 12:27 से 13 जून रात्रि 09:02 तक
⛅️दिनांक 13 जून 2022
⛅️दिन - सोमवार
⛅️शक संवत - 1944
⛅️अयन - उत्तरायण
⛅️ऋतु - ग्रीष्म
⛅️मास - ज्येष्ठ
⛅️पक्ष - शुक्ल
⛅️नक्षत्र - अनुराधा रात्रि 09:24 तक तत्पश्चात ज्येष्ठा
⛅️योग - सिद्ध दोपहर 01:43 तक तत्पश्चात साध्य
⛅️राहुकाल - सुबह 07:35 से 09:17 तक
⛅️सर्योदय - 05:54
⛅️सर्यास्त - 07:26
⛅️दिशाशूल - पूर्व दिशा में
⛅️बरह्म मुहूर्त- प्रातः 04:30 से 05:12 तक
🚩आज की हिंदी तिथि
🌥 🚩यगाब्द-५१२४
🌥 🚩विक्रम संवत-२०७९
⛅️ 🚩तिथि - चतुर्दशी जून 12 रात्रि 12:27 से 13 जून रात्रि 09:02 तक
⛅️दिनांक 13 जून 2022
⛅️दिन - सोमवार
⛅️शक संवत - 1944
⛅️अयन - उत्तरायण
⛅️ऋतु - ग्रीष्म
⛅️मास - ज्येष्ठ
⛅️पक्ष - शुक्ल
⛅️नक्षत्र - अनुराधा रात्रि 09:24 तक तत्पश्चात ज्येष्ठा
⛅️योग - सिद्ध दोपहर 01:43 तक तत्पश्चात साध्य
⛅️राहुकाल - सुबह 07:35 से 09:17 तक
⛅️सर्योदय - 05:54
⛅️सर्यास्त - 07:26
⛅️दिशाशूल - पूर्व दिशा में
⛅️बरह्म मुहूर्त- प्रातः 04:30 से 05:12 तक
June 12, 2022
@samskrt_samvadah संलापशाला - A Samskrit Voicechat room.
यदीच्छसि वशीकर्तुं, भाषणमेककर्मणा।
यायास्संलापशालां वै, भवति यत्र भाषणम्।।
⏳45 निमेषाः
🕚 IST 11:00 AM
🔰स्पर्धापरीक्षाभ्यासः
🗓13th june 2022, सोमवासरः
🔴Voicechat would be recorded and shared on this channel.
📑यदि शक्येत चेत् संस्कृतेन (स्पर्धापरीक्षायाः अभ्याससमये बालानां मनसि कः प्रभावः भवति तथा परीक्षा अधुना व्यापारवत् अभवत्)। चर्चार्थं कृपया पूर्वसिद्धतां कृत्वा आगच्छन्तु।
वयं युष्माकं प्रतीक्षां कुर्मः। 😇
स्मारणतंत्रिकां स्थापयतु ⏰
👇🏼👇🏼👇🏼👇🏼👇🏼
https://t.me/samskrt_samvadah?voicechat
यदीच्छसि वशीकर्तुं, भाषणमेककर्मणा।
यायास्संलापशालां वै, भवति यत्र भाषणम्।।
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🕚 IST 11:00 AM
🔰स्पर्धापरीक्षाभ्यासः
🗓13th june 2022, सोमवासरः
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June 12, 2022
June 12, 2022
https://youtu.be/55JbqR4iDJ0
प्रतिदिनं प्रातः ७:१५ वादने १५ निमेषात्मिकायै वार्तायै डी डी न्यूज् इति पश्यत।
प्रतिदिनं प्रातः ७:१५ वादने १५ निमेषात्मिकायै वार्तायै डी डी न्यूज् इति पश्यत।
YouTube
वार्ता: संस्कृत में समाचार | खेलो इंडिया यूथ गेम्स का आज होगा समापन
June 12, 2022
🔰चित्रं दृष्ट्वा पञ्चवाक्यानि रचयत।
✍🏼सर्वे टिप्पणीसञ्चिकायां स्वोत्तराणि लेखितुं शक्नुवन्ति अथवा पुस्तिकायां लिखित्वा तस्य चित्रं स्वीकृत्य अपि प्रेषयितुं शक्नुवन्ति।
🗣सहैव तानि वाक्यानि उक्त्वा ध्वनिमाध्यमेन अपि प्रेषयत।
Read in English
हिन्दी में पढें
#chitram
✍🏼सर्वे टिप्पणीसञ्चिकायां स्वोत्तराणि लेखितुं शक्नुवन्ति अथवा पुस्तिकायां लिखित्वा तस्य चित्रं स्वीकृत्य अपि प्रेषयितुं शक्नुवन्ति।
🗣सहैव तानि वाक्यानि उक्त्वा ध्वनिमाध्यमेन अपि प्रेषयत।
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#chitram
June 12, 2022
June 12, 2022
June 12, 2022
June 12, 2022
June 12, 2022
🍃
⚜"जो व्यक्ति दूसरों की धन-सम्पति, सौंदर्य, पराक्रम, उच्च कुल, सुख, सौभाग्य और सम्मान से ईर्ष्या व द्वेष करता है, वह असाध्य रोगी है । उसका यह रोग कभी ठीक नहीं हो सकता ।"
🔅यः व्यक्तिः अन्यजनस्य धनाय, वैभवाय, रूपाय, शूरवीरतायै, उच्चकुलाय, सुखाय, सौभाग्याय, सम्मानाय ईर्ष्यति, सः असाध्य रोगी वर्तते, तस्य उपचारः भवितुमेव न अर्हति।
#Subhashitam
"य ईर्षुः परवित्तेषु रुपे वीर्ये कुलान्वये । सुखसौभाग्यसत्कारे तस्य व्याधिरनन्तकः
॥"⚜"जो व्यक्ति दूसरों की धन-सम्पति, सौंदर्य, पराक्रम, उच्च कुल, सुख, सौभाग्य और सम्मान से ईर्ष्या व द्वेष करता है, वह असाध्य रोगी है । उसका यह रोग कभी ठीक नहीं हो सकता ।"
🔅यः व्यक्तिः अन्यजनस्य धनाय, वैभवाय, रूपाय, शूरवीरतायै, उच्चकुलाय, सुखाय, सौभाग्याय, सम्मानाय ईर्ष्यति, सः असाध्य रोगी वर्तते, तस्य उपचारः भवितुमेव न अर्हति।
#Subhashitam
June 12, 2022
June 12, 2022
माता पुत्रीं _______ ______ ।
Anonymous Quiz
33%
प्रेमेन दृश्यति
16%
प्रेमात् पश्यति
46%
प्रेम्णा पश्यति
4%
प्रेम्णः पश्यति
June 13, 2022
June 13, 2022
ओ३म्
संस्कृताभ्यासः
भविष्यकाल
अहं द्रक्ष्यामि।
= मैं देखूँगा / देखूँगी।
अहं भारतस्य उन्नतिं द्रक्ष्यामि।
= मैं भारत की उन्नति देखूँगा / देखूँगी।
अहं छपाक चलचित्रं न द्रक्ष्यामि
= मैं छपाक फ़िल्म नहीं देखूँगा /देखूँगी।
एकदा अहं हिमालयं द्रक्ष्यामि।
= एक बार मैं हिमालय देखूँगा / देखूँगी।
हिमालये सः यतिं द्रक्ष्यति।
= हिमालय में वह यति को देखेगा।
पुरीनगरे सा मन्दिरं द्रक्ष्यति।
= पुरी में वह मन्दिर देखेगी।
वर्षासमये किशोरः मयूरस्य नृत्यं द्रक्ष्यति।
= वर्षा के समय किशोर मोर का नृत्य देखेगा।
नेत्रचिकित्सायाः अनन्तरं सः सर्वं द्रक्ष्यति।
= आँखों की चिकित्सा के बाद वह सब कुछ देखेगा।
आगामिनी वर्षे सः मानसरोवरं द्रक्ष्यति।
= आगामी वर्ष में वह मानसरोवर देखेगा।
श्वः सा लोकनृत्यं द्रक्ष्यति।
= कल वह लोकनृत्य देखेगी।
ओ३म्
अमृतमहोत्सवः संस्कृतमहोत्सवः
इदानीं ये युवकाः युवत्यः सन्ति ते आँग्लशासनस्य पीडां न जानन्ति।
= इस समय जो युवक युवतियाँ हैं वे अंग्रेजों के शासन की पीड़ा नहीं जानते हैं।
तेषु अनेके युवकाः युवत्यः आँग्लशासनस्य प्रशंसां कुर्वन्ति।
= उनमें से अनेक युवक युवतियाँ अंग्रेजी शासन की प्रशंसा करते हैं।
आँग्लशासने कृषकानां परिस्थितिः दयनीया आसीत्।
= अंग्रेज शासन में किसानों की परिस्थिति दयनीय थी।
तेषां क्षेत्रे यत्किमपि उद्भवति स्म तद् सर्व आँग्लजनाः हरन्ति स्म।
= उनके खेत में जो भी पैदा होता था वो सब अंग्रेज छीन लेते थे।
अथवा तदर्थं बहु अधिकं करं अधिगृहणन्ति स्म।
= या उसके लिये बहुत अधिक लगान वसूलते थे।
भूस्वामिनः विलासं कुर्वन्ति स्म , कृषकाः परिश्रमं कुर्वन्ति स्म।
= जमींदार मौज करते थे , किसान परिश्रम करते थे।
आँग्लजनाः नीतिः "विभाजनं कृत्वा शासनं कुर्वन्तु" इति आसीत्।
= अंग्रेजों की नीति "फूट डालो और राज करो" की थी।
समाजे यत्र अपि सौहार्दः भवति तत्र ते विभेदं कारयन्ति स्म।
= समाज में जहाँ भी सौहार्द होता था वहाँ वे फुट डलवाते थे।
तेन समाजे क्लेशः वर्धते स्म , नृपाणां मध्ये अपि कलहः भवति स्म।
= उससे समाज में क्लेश बढ़ता था , राजाओं के बीच भी कलह होता था।
आँग्लशासकाः बहु कष्टदायकं विधानं रचयन्ति स्म।
= अंग्रेज बहुत ही कष्टदायक कानून बनाते थे।
तेन जनाः सुखेन न निवसन्ति स्म।
= जिस कारण लोग सुख से निवास नहीं करते थे।
महिलाभिः सह अपि दुराचारः भवति स्म।
= महिलाओं के साथ भी दुराचार होता था।
अतएव अधुनातनं शासनं बहु योग्यम् अस्ति।
= इसलिये अभी का शासन बहुत अच्छा है।
ओ३म्
अमृतमहोत्सवः संस्कृतमहोत्सवः
ह्यः बालिकादिनम् आसीत्।
= कल बालिका दिन था।
बालिकाः , बालकाश्च सर्वेभ्यः रोचन्ते।
= बालिकाएँ और बालक सबको अच्छे लगते हैं।
बालिकानां , बालकानां विकासाय शिक्षा आवश्यकी भवति।
= बालिकाओं , बालकों के विकास के लिये शिक्षा आवश्यक होती है।
संस्कारः अपि आवश्यकः भवति।
= संस्कार भी आवश्यक होता है।
( संस्काराः अपि आवश्यकाः भवन्ति।
= संस्कार भी आवश्यक होते हैं। )
स्वाधीनतासंग्रामे अनेकाः बालिकाः अपि भागं गृहीतवत्यः।
= स्वाधीनतासंग्राम में अनेक बालिकाओं ने भी भाग लिया था।
यथा राज्ञी लक्ष्मीबाई , कनकलता बरुआ, भीखाजी कामा , तारारानी, कमलादेवी चट्टोपाध्याय इत्यादयः।
= जैसे रानी लक्ष्मीबाई , कनकलता बरुआ, भीखाजी कामा , तारारानी, कमलादेवी चट्टोपाध्याय इत्यादि।
एतासां साहसं दृष्ट्वा आँग्लजनाः अपि बिभ्यति स्म।
= इनका साहस देखकर अंग्रेज लोग भी डर जाते थे।
एताः महिलाः न केवलं वीरांगनाः आसन् अपितु विदुष्यः अपि आसन्।
= ये महिलाएँ न केवल वीरांगनाएँ थीं अपितु विदुषी भी थीं।
अद्य याः बालिकाः सन्ति ताः अपि वीरांगनाः भवन्तु।
= आज जो बालिकाएँ हैं वे भी वीरांगना बनें।
सुशिक्षिताः भवन्तु।
= सुशिक्षित बनें।
भारतस्य उन्नत्यर्थं संस्कृतम् अपि पठन्तु।
= भारत की उन्नति के लिये संस्कृत भी पढ़ें।
#vakyabhyas
संस्कृताभ्यासः
भविष्यकाल
अहं द्रक्ष्यामि।
= मैं देखूँगा / देखूँगी।
अहं भारतस्य उन्नतिं द्रक्ष्यामि।
= मैं भारत की उन्नति देखूँगा / देखूँगी।
अहं छपाक चलचित्रं न द्रक्ष्यामि
= मैं छपाक फ़िल्म नहीं देखूँगा /देखूँगी।
एकदा अहं हिमालयं द्रक्ष्यामि।
= एक बार मैं हिमालय देखूँगा / देखूँगी।
हिमालये सः यतिं द्रक्ष्यति।
= हिमालय में वह यति को देखेगा।
पुरीनगरे सा मन्दिरं द्रक्ष्यति।
= पुरी में वह मन्दिर देखेगी।
वर्षासमये किशोरः मयूरस्य नृत्यं द्रक्ष्यति।
= वर्षा के समय किशोर मोर का नृत्य देखेगा।
नेत्रचिकित्सायाः अनन्तरं सः सर्वं द्रक्ष्यति।
= आँखों की चिकित्सा के बाद वह सब कुछ देखेगा।
आगामिनी वर्षे सः मानसरोवरं द्रक्ष्यति।
= आगामी वर्ष में वह मानसरोवर देखेगा।
श्वः सा लोकनृत्यं द्रक्ष्यति।
= कल वह लोकनृत्य देखेगी।
ओ३म्
अमृतमहोत्सवः संस्कृतमहोत्सवः
इदानीं ये युवकाः युवत्यः सन्ति ते आँग्लशासनस्य पीडां न जानन्ति।
= इस समय जो युवक युवतियाँ हैं वे अंग्रेजों के शासन की पीड़ा नहीं जानते हैं।
तेषु अनेके युवकाः युवत्यः आँग्लशासनस्य प्रशंसां कुर्वन्ति।
= उनमें से अनेक युवक युवतियाँ अंग्रेजी शासन की प्रशंसा करते हैं।
आँग्लशासने कृषकानां परिस्थितिः दयनीया आसीत्।
= अंग्रेज शासन में किसानों की परिस्थिति दयनीय थी।
तेषां क्षेत्रे यत्किमपि उद्भवति स्म तद् सर्व आँग्लजनाः हरन्ति स्म।
= उनके खेत में जो भी पैदा होता था वो सब अंग्रेज छीन लेते थे।
अथवा तदर्थं बहु अधिकं करं अधिगृहणन्ति स्म।
= या उसके लिये बहुत अधिक लगान वसूलते थे।
भूस्वामिनः विलासं कुर्वन्ति स्म , कृषकाः परिश्रमं कुर्वन्ति स्म।
= जमींदार मौज करते थे , किसान परिश्रम करते थे।
आँग्लजनाः नीतिः "विभाजनं कृत्वा शासनं कुर्वन्तु" इति आसीत्।
= अंग्रेजों की नीति "फूट डालो और राज करो" की थी।
समाजे यत्र अपि सौहार्दः भवति तत्र ते विभेदं कारयन्ति स्म।
= समाज में जहाँ भी सौहार्द होता था वहाँ वे फुट डलवाते थे।
तेन समाजे क्लेशः वर्धते स्म , नृपाणां मध्ये अपि कलहः भवति स्म।
= उससे समाज में क्लेश बढ़ता था , राजाओं के बीच भी कलह होता था।
आँग्लशासकाः बहु कष्टदायकं विधानं रचयन्ति स्म।
= अंग्रेज बहुत ही कष्टदायक कानून बनाते थे।
तेन जनाः सुखेन न निवसन्ति स्म।
= जिस कारण लोग सुख से निवास नहीं करते थे।
महिलाभिः सह अपि दुराचारः भवति स्म।
= महिलाओं के साथ भी दुराचार होता था।
अतएव अधुनातनं शासनं बहु योग्यम् अस्ति।
= इसलिये अभी का शासन बहुत अच्छा है।
ओ३म्
अमृतमहोत्सवः संस्कृतमहोत्सवः
ह्यः बालिकादिनम् आसीत्।
= कल बालिका दिन था।
बालिकाः , बालकाश्च सर्वेभ्यः रोचन्ते।
= बालिकाएँ और बालक सबको अच्छे लगते हैं।
बालिकानां , बालकानां विकासाय शिक्षा आवश्यकी भवति।
= बालिकाओं , बालकों के विकास के लिये शिक्षा आवश्यक होती है।
संस्कारः अपि आवश्यकः भवति।
= संस्कार भी आवश्यक होता है।
( संस्काराः अपि आवश्यकाः भवन्ति।
= संस्कार भी आवश्यक होते हैं। )
स्वाधीनतासंग्रामे अनेकाः बालिकाः अपि भागं गृहीतवत्यः।
= स्वाधीनतासंग्राम में अनेक बालिकाओं ने भी भाग लिया था।
यथा राज्ञी लक्ष्मीबाई , कनकलता बरुआ, भीखाजी कामा , तारारानी, कमलादेवी चट्टोपाध्याय इत्यादयः।
= जैसे रानी लक्ष्मीबाई , कनकलता बरुआ, भीखाजी कामा , तारारानी, कमलादेवी चट्टोपाध्याय इत्यादि।
एतासां साहसं दृष्ट्वा आँग्लजनाः अपि बिभ्यति स्म।
= इनका साहस देखकर अंग्रेज लोग भी डर जाते थे।
एताः महिलाः न केवलं वीरांगनाः आसन् अपितु विदुष्यः अपि आसन्।
= ये महिलाएँ न केवल वीरांगनाएँ थीं अपितु विदुषी भी थीं।
अद्य याः बालिकाः सन्ति ताः अपि वीरांगनाः भवन्तु।
= आज जो बालिकाएँ हैं वे भी वीरांगना बनें।
सुशिक्षिताः भवन्तु।
= सुशिक्षित बनें।
भारतस्य उन्नत्यर्थं संस्कृतम् अपि पठन्तु।
= भारत की उन्नति के लिये संस्कृत भी पढ़ें।
#vakyabhyas
June 13, 2022
Media is too big
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एतत् मम प्रियं दृश्यं पुष्पा नाम चलचित्रात्। एतस्मिन् रुचिकरं संस्कृतगीतम् अस्ति।
अत्र तस्य विषये आङ्ग्लभाषायाः लेखम्
अत्र गीतं पठत
अत्र तस्य विषये आङ्ग्लभाषायाः लेखम्
अत्र गीतं पठत
June 13, 2022
@samskrt_samvadah प्रारंभ करता है, संस्कृताश्रमः - संस्कृतशिक्षण की लघु कक्षाऐं
⏳20 मिनट
🕚 09:00 PM 🇮🇳
🔰चतुर्थीविभक्तिः
🗓13th जून् 2022, सोमवासरः
🔴 कक्षाओं की प्रति हमारे युट्युब प्लेलिस्ट पर डाली जायेगी
https://youtube.com/playlist?list=PL6OCpxoxDlOZwPLLcoB8TtdqgxmdSR-7c
कृपया अलार्म लगा लें और विलंब से न आयें।
👇🏼👇🏼👇🏼👇🏼👇🏼
https://t.me/samskrt_samvadah?voicechat
⏳20 मिनट
🕚 09:00 PM 🇮🇳
🔰चतुर्थीविभक्तिः
🗓13th जून् 2022, सोमवासरः
🔴 कक्षाओं की प्रति हमारे युट्युब प्लेलिस्ट पर डाली जायेगी
https://youtube.com/playlist?list=PL6OCpxoxDlOZwPLLcoB8TtdqgxmdSR-7c
कृपया अलार्म लगा लें और विलंब से न आयें।
👇🏼👇🏼👇🏼👇🏼👇🏼
https://t.me/samskrt_samvadah?voicechat
June 13, 2022
June 13, 2022
June 13, 2022
June 13, 2022
@samskrt_samvadah संलापशाला - A Samskrit Voicechat room.
यदीच्छसि वशीकर्तुं, भाषणमेककर्मणा।
यायास्संलापशालां वै, भवति यत्र भाषणम्।।
⏳45 निमेषाः
🕚 IST 11:00 AM
🔰आदर्शाः युवकाः/युवत्यः
🗓14th june 2022, मङ्गलवासरः
🔴Voicechat would be recorded and shared on this channel.
📑यदि शक्येत चेत् संस्कृतेन (देशस्य युवकाः/युवत्यः कीदृशाः भवेयुः येन अस्माकं समाजः देशः च उन्नतिं प्राप्नुयाताम्)। चर्चार्थं कृपया पूर्वसिद्धतां कृत्वा आगच्छन्तु।
वयं युष्माकं प्रतीक्षां कुर्मः। 😇
स्मारणतंत्रिकां स्थापयतु ⏰
👇🏼👇🏼👇🏼👇🏼👇🏼
https://t.me/samskrt_samvadah?voicechat
यदीच्छसि वशीकर्तुं, भाषणमेककर्मणा।
यायास्संलापशालां वै, भवति यत्र भाषणम्।।
⏳45 निमेषाः
🕚 IST 11:00 AM
🔰आदर्शाः युवकाः/युवत्यः
🗓14th june 2022, मङ्गलवासरः
🔴Voicechat would be recorded and shared on this channel.
📑यदि शक्येत चेत् संस्कृतेन (देशस्य युवकाः/युवत्यः कीदृशाः भवेयुः येन अस्माकं समाजः देशः च उन्नतिं प्राप्नुयाताम्)। चर्चार्थं कृपया पूर्वसिद्धतां कृत्वा आगच्छन्तु।
वयं युष्माकं प्रतीक्षां कुर्मः। 😇
स्मारणतंत्रिकां स्थापयतु ⏰
👇🏼👇🏼👇🏼👇🏼👇🏼
https://t.me/samskrt_samvadah?voicechat
June 13, 2022
CSU, Lucknow Campus is inviting you to a scheduled Zoom meeting.
Topic: संस्कृतज्ञस्वातन्त्र्यवीरस्मृतिव्याख्यानमाला
Date: 8-15 June 2022
Time: 04:00 PM
Join Zoom Meeting
https://us02web.zoom.us/j/87999606499?pwd=aHRyTkZTa1lkZzZaZkQyRmIxcDZoZz09
Meeting ID:
Passcode:
दिनांक 12.06.2022
वैदिकमंगलाचरणम् — डॉ. धर्मेन्द्रकुमारपाठकः
स्वागतभाषणम् — प्रो.गणेशशंकरविद्यार्थी
मुख्यवक्ता — प्रो.भागीरथिनन्दः
अध्यक्षः — प्रो. सर्वनारायणझा
धन्यवादज्ञापनम् — प्रो. गुरुचरणसिंहनेगी
संचालकः — डॉ.आनन्दप्रकाशपाठक
संयोजक: — प्रो. लोकमान्य मिश्र
सहसंयोजक: — डॉ. नीरज तिवारी एवं डॉ. डी. दयानाथ
Topic: संस्कृतज्ञस्वातन्त्र्यवीरस्मृतिव्याख्यानमाला
Date: 8-15 June 2022
Time: 04:00 PM
Join Zoom Meeting
https://us02web.zoom.us/j/87999606499?pwd=aHRyTkZTa1lkZzZaZkQyRmIxcDZoZz09
Meeting ID:
879 9960 6499
Passcode:
423510
दिनांक 12.06.2022
वैदिकमंगलाचरणम् — डॉ. धर्मेन्द्रकुमारपाठकः
स्वागतभाषणम् — प्रो.गणेशशंकरविद्यार्थी
मुख्यवक्ता — प्रो.भागीरथिनन्दः
अध्यक्षः — प्रो. सर्वनारायणझा
धन्यवादज्ञापनम् — प्रो. गुरुचरणसिंहनेगी
संचालकः — डॉ.आनन्दप्रकाशपाठक
संयोजक: — प्रो. लोकमान्य मिश्र
सहसंयोजक: — डॉ. नीरज तिवारी एवं डॉ. डी. दयानाथ
June 13, 2022
June 13, 2022
🍃
♦️ahan vaisvanaro bhutva praninan dehamasritah.
pranapanasamayuktah pacamyannan caturvidham ৷৷15.14৷৷
⚜Having become the fire Vaisvanara, I abide in the body of living beings and, associated with the Prana and the Apana, digest the fourfold food.(15.14)
⚜मैं ही समस्त प्राणियों के देह में स्थित वैश्वानर अग्निरूप होकर प्राण और अपान से युक्त चार प्रकार के अन्न को पचाता हूँ।।15.14।।
#geeta
अहं वैश्वानरो भूत्वा प्राणिनां देहमाश्रितः।
प्राणापानसमायुक्तः पचाम्यन्नं चतुर्विधम्
।।15.14।।♦️ahan vaisvanaro bhutva praninan dehamasritah.
pranapanasamayuktah pacamyannan caturvidham ৷৷15.14৷৷
⚜Having become the fire Vaisvanara, I abide in the body of living beings and, associated with the Prana and the Apana, digest the fourfold food.(15.14)
⚜मैं ही समस्त प्राणियों के देह में स्थित वैश्वानर अग्निरूप होकर प्राण और अपान से युक्त चार प्रकार के अन्न को पचाता हूँ।।15.14।।
#geeta
June 13, 2022
June 13, 2022
June 13, 2022
June 13, 2022
🍃
♦️sarvasya cahan hrdi sannivisto
mattah smrtirjnanamapohanan ca.
vedaisca sarvairahameva vedyo
vedantakrdvedavideva caham ৷৷15.15৷৷
⚜And I am seated in the hearts of all; from Me are memory and knowledge, as well as their absence. I am verily That which has to be known by all the Vedas; I am indeed the author of the Vedanta and the knower of the Vedas am I. (15.15)
⚜मैं ही समस्त प्राणियों के हृदय में स्थित हूँ। मुझसे ही स्मृति ज्ञान और अपोहन (उनका अभाव) होता है। समस्त वेदों के द्वारा मैं ही वेद्य (जानने योग्य) वस्तु हूँ तथा वेदान्त का और वेदों का ज्ञाता भी मैं ही हूँ।।15.15।।
#geeta
सर्वस्य चाहं हृदि सन्निविष्टो मत्तः स्मृतिर्ज्ञानमपोहनं च।
वेदैश्च सर्वैरहमेव वेद्यो वेदान्तकृद्वेदविदेव चाहम्
।।15.15।।♦️sarvasya cahan hrdi sannivisto
mattah smrtirjnanamapohanan ca.
vedaisca sarvairahameva vedyo
vedantakrdvedavideva caham ৷৷15.15৷৷
⚜And I am seated in the hearts of all; from Me are memory and knowledge, as well as their absence. I am verily That which has to be known by all the Vedas; I am indeed the author of the Vedanta and the knower of the Vedas am I. (15.15)
⚜मैं ही समस्त प्राणियों के हृदय में स्थित हूँ। मुझसे ही स्मृति ज्ञान और अपोहन (उनका अभाव) होता है। समस्त वेदों के द्वारा मैं ही वेद्य (जानने योग्य) वस्तु हूँ तथा वेदान्त का और वेदों का ज्ञाता भी मैं ही हूँ।।15.15।।
#geeta
June 13, 2022
🚩जय सत्य सनातन🚩
🚩आज की हिंदी तिथि
🌥 🚩यगाब्द-५१२४
🌥 🚩विक्रम संवत-२०७९
⛅️ 🚩तिथि - पूर्णिमा जून 13 रात्रि 09:03 से 14 जून शाम 05:21 तक
⛅️दिनांक 14 जून 2022
⛅️दिन - मंगलवार
⛅️शक संवत - 1944
⛅️अयन - उत्तरायण
⛅️ऋतु - ग्रीष्म
⛅️मास - ज्येष्ठ
⛅️पक्ष - शुक्ल
⛅️नक्षत्र - ज्येष्ठा शाम 06:32 तक तत्पश्चात मूल
⛅️योग - साध्य सुबह 09:40 तक तत्पश्चात शुभ
⛅️राहुकाल - शाम 04:03 से 05:45 तक
⛅️सर्योदय - 05:54
⛅️सर्यास्त - 07:26
⛅️दिशाशूल - उत्तर दिशा में
⛅️बरह्म मुहूर्त - प्रातः 04:30 से 05:12 तक
🚩आज की हिंदी तिथि
🌥 🚩यगाब्द-५१२४
🌥 🚩विक्रम संवत-२०७९
⛅️ 🚩तिथि - पूर्णिमा जून 13 रात्रि 09:03 से 14 जून शाम 05:21 तक
⛅️दिनांक 14 जून 2022
⛅️दिन - मंगलवार
⛅️शक संवत - 1944
⛅️अयन - उत्तरायण
⛅️ऋतु - ग्रीष्म
⛅️मास - ज्येष्ठ
⛅️पक्ष - शुक्ल
⛅️नक्षत्र - ज्येष्ठा शाम 06:32 तक तत्पश्चात मूल
⛅️योग - साध्य सुबह 09:40 तक तत्पश्चात शुभ
⛅️राहुकाल - शाम 04:03 से 05:45 तक
⛅️सर्योदय - 05:54
⛅️सर्यास्त - 07:26
⛅️दिशाशूल - उत्तर दिशा में
⛅️बरह्म मुहूर्त - प्रातः 04:30 से 05:12 तक
June 13, 2022
@samskrt_samvadah संलापशाला - A Samskrit Voicechat room.
यदीच्छसि वशीकर्तुं, भाषणमेककर्मणा।
यायास्संलापशालां वै, भवति यत्र भाषणम्।।
⏳45 निमेषाः
🕚 IST 11:00 AM
🔰आदर्शाः युवकाः/युवत्यः
🗓14th june 2022, मङ्गलवासरः
🔴Voicechat would be recorded and shared on this channel.
📑यदि शक्येत चेत् संस्कृतेन (देशस्य युवकाः/युवत्यः कीदृशाः भवेयुः येन अस्माकं समाजः देशः च उन्नतिं प्राप्नुयाताम्)। चर्चार्थं कृपया पूर्वसिद्धतां कृत्वा आगच्छन्तु।
वयं युष्माकं प्रतीक्षां कुर्मः। 😇
स्मारणतंत्रिकां स्थापयतु ⏰
👇🏼👇🏼👇🏼👇🏼👇🏼
https://t.me/samskrt_samvadah?voicechat
यदीच्छसि वशीकर्तुं, भाषणमेककर्मणा।
यायास्संलापशालां वै, भवति यत्र भाषणम्।।
⏳45 निमेषाः
🕚 IST 11:00 AM
🔰आदर्शाः युवकाः/युवत्यः
🗓14th june 2022, मङ्गलवासरः
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📑यदि शक्येत चेत् संस्कृतेन (देशस्य युवकाः/युवत्यः कीदृशाः भवेयुः येन अस्माकं समाजः देशः च उन्नतिं प्राप्नुयाताम्)। चर्चार्थं कृपया पूर्वसिद्धतां कृत्वा आगच्छन्तु।
वयं युष्माकं प्रतीक्षां कुर्मः। 😇
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June 13, 2022
Forwarded from रामदूतः — The Sanskrit News Platform (Bhavani Raman)
प्रतिदिनं प्रातः ७:१५ वादने १५ निमेषात्मिकायै वार्तायै डी डी न्यूज् इति पश्यत।
https://youtu.be/l-ir6pDMUUQ
https://youtu.be/l-ir6pDMUUQ
YouTube
वार्ता: संस्कृत में समाचार | आज फिर ईडी के सामने पेश होंगे राहुल गांधी
June 13, 2022
June 13, 2022
🔰चित्रं दृष्ट्वा पञ्चवाक्यानि रचयत।
✍🏼सर्वे टिप्पणीसञ्चिकायां स्वोत्तराणि लेखितुं शक्नुवन्ति अथवा पुस्तिकायां लिखित्वा तस्य चित्रं स्वीकृत्य अपि प्रेषयितुं शक्नुवन्ति।
🗣सहैव तानि वाक्यानि उक्त्वा ध्वनिमाध्यमेन अपि प्रेषयत।
Read in English
हिन्दी में पढें
#chitram
✍🏼सर्वे टिप्पणीसञ्चिकायां स्वोत्तराणि लेखितुं शक्नुवन्ति अथवा पुस्तिकायां लिखित्वा तस्य चित्रं स्वीकृत्य अपि प्रेषयितुं शक्नुवन्ति।
🗣सहैव तानि वाक्यानि उक्त्वा ध्वनिमाध्यमेन अपि प्रेषयत।
Read in English
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#chitram
June 13, 2022
June 13, 2022
June 13, 2022
June 13, 2022
🍃
⚜"जिसके भाग्य में पराजय लिखी हो, ईश्वर उसकी बुद्धि पहले ही हर लेते हैं, इससे उस व्यक्ति को अच्छी बातें नहीं दिखाई देती, वह केवल बुरा-ही-बुरा देख पाता है ।"
🔅यस्य भाग्ये अपकीर्तिः लिखिता भवति, ईश्वरः तस्य बुद्धिं प्रथममेव हरति तस्मात् सः सर्वदा सर्वत्र च अनुचितमेव पश्यति आचरति च।
#Subhashitam
"यस्मै देवाः प्रयच्छन्ति पुरुषाय प्रराभवम्।
बुद्धिं तस्यापकर्षन्ति सोऽवाचीनानि पश्यति
॥"⚜"जिसके भाग्य में पराजय लिखी हो, ईश्वर उसकी बुद्धि पहले ही हर लेते हैं, इससे उस व्यक्ति को अच्छी बातें नहीं दिखाई देती, वह केवल बुरा-ही-बुरा देख पाता है ।"
🔅यस्य भाग्ये अपकीर्तिः लिखिता भवति, ईश्वरः तस्य बुद्धिं प्रथममेव हरति तस्मात् सः सर्वदा सर्वत्र च अनुचितमेव पश्यति आचरति च।
#Subhashitam
June 13, 2022
𝐅𝐑𝐄𝐄 𝐎𝐍𝐋𝐈𝐍𝐄 𝐒𝐀𝐍𝐒𝐊𝐑𝐈𝐓 𝐂𝐋𝐀𝐒𝐒 𝐅𝐎𝐑 𝐁𝐄𝐆𝐈𝐍𝐍𝐄𝐑𝐒
𝐍𝐨 𝐏𝐫𝐢𝐨𝐫 𝐒𝐚𝐧𝐬𝐤𝐫𝐢𝐭 𝐊𝐧𝐨𝐰𝐥𝐞𝐝𝐠𝐞 𝐑𝐞𝐪𝐮𝐢𝐫𝐞𝐝
𝐃𝐮𝐫𝐚𝐭𝐢𝐨𝐧- *20𝐭𝐡 June - 1𝐬𝐭 𝐉𝐮𝐥𝐲*
*Registration Form 𝐥𝐢𝐧𝐤*
https://forms.gle/Q8RxZTzZiMHEgSZCA
After Filling Form Keeping Checking Your Email Box To Get Whatsapp Group Link
𝐐𝐮𝐞𝐫𝐢𝐞𝐬: sbsamskritavarga@gmail.com
𝐁𝐚𝐭𝐜𝐡 𝐓𝐢𝐦𝐢𝐧𝐠𝐬
1)4:00 pm - 6.00 pm IST
2)9:00 pm - 11.00 pm IST
𝐍𝐨 𝐏𝐫𝐢𝐨𝐫 𝐒𝐚𝐧𝐬𝐤𝐫𝐢𝐭 𝐊𝐧𝐨𝐰𝐥𝐞𝐝𝐠𝐞 𝐑𝐞𝐪𝐮𝐢𝐫𝐞𝐝
𝐃𝐮𝐫𝐚𝐭𝐢𝐨𝐧- *20𝐭𝐡 June - 1𝐬𝐭 𝐉𝐮𝐥𝐲*
*Registration Form 𝐥𝐢𝐧𝐤*
https://forms.gle/Q8RxZTzZiMHEgSZCA
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𝐐𝐮𝐞𝐫𝐢𝐞𝐬: sbsamskritavarga@gmail.com
𝐁𝐚𝐭𝐜𝐡 𝐓𝐢𝐦𝐢𝐧𝐠𝐬
1)4:00 pm - 6.00 pm IST
2)9:00 pm - 11.00 pm IST
Google Docs
Sambhashana Varga: Registration form
Namaste
Online Samskrita Sambhashana Varga: (Spoken Samskritam Courses) is arranged for beginners. A good opportunity to learn Samskritam together at home and create Samskrita Griham.
Prior Knowledge of samskritam is not necessary to attend this free course.…
Online Samskrita Sambhashana Varga: (Spoken Samskritam Courses) is arranged for beginners. A good opportunity to learn Samskritam together at home and create Samskrita Griham.
Prior Knowledge of samskritam is not necessary to attend this free course.…
June 13, 2022
संस्कृत संवादः । Sanskrit Samvadah pinned «𝐅𝐑𝐄𝐄
𝐎𝐍𝐋𝐈𝐍𝐄 𝐒𝐀𝐍𝐒𝐊𝐑𝐈𝐓 𝐂𝐋𝐀𝐒𝐒 𝐅𝐎𝐑 𝐁𝐄𝐆𝐈𝐍𝐍𝐄𝐑𝐒
𝐍𝐨 𝐏𝐫𝐢𝐨𝐫 𝐒𝐚𝐧𝐬𝐤𝐫𝐢𝐭 𝐊𝐧𝐨𝐰𝐥𝐞𝐝𝐠𝐞 𝐑𝐞𝐪𝐮𝐢𝐫𝐞𝐝
𝐃𝐮𝐫𝐚𝐭𝐢𝐨𝐧- *20𝐭𝐡 June - 1𝐬𝐭 𝐉𝐮𝐥𝐲* *Registration Form
𝐥𝐢𝐧𝐤* https://forms.gle/Q8RxZTzZiMHEgSZCA After Filling Form
Keeping Checking Your Email Box To Get Whatsapp Group Link …»
June 13, 2022
June 14, 2022
June 14, 2022
ओ३म्
अमृतमहोत्सवः संस्कृतमहोत्सवः
अद्य वयं गणतन्त्रदिनम् आचरामः।
= आज हम सभी गणतंत्र दिन मना रहे हैं।
ईसवी सन् १९५० तमे वर्षे जनवरी मासस्य २६ दिनाँके संविधानम् अङ्गीकृतम्।
= ईसवी सन् १९५० के वर्ष में २६ जनवरी को संविधानम् अङ्गीकार किया गया।
वयं सर्वे भारतस्य उन्नत्यर्थं सर्वदा यत्नशीलाः भवेम।
= हम सभी भारत की उन्नति के लिये हमेशा यत्नशील रहें।
सर्वै: सह सौहार्दपूर्वकं व्यवहारं कुर्याम।
= सभी के साथ सौहार्दपूर्वक व्यवहार करें।
सर्वासां भाषाणां सम्मानं कुर्याम।
= सभी भाषाओं का सम्मान करें।
भारतीयसभ्यतायाः अनुसरणं कुर्याम।
= भारतीय सभ्यता का अनुसरण करें।
भारते पठेम , भारते एव वसेम।
= भारत मे पढ़ें , भारत में ही रहें।
भारतस्य विकासार्थं नूतनम् आविष्कारं कुर्याम।
= भारत के विकास के लिये नया आविष्कार करें।
विदेशं गत्वा विदेशस्य कृते आविष्कारं न कुर्याम।
= विदेश जाकर विदेश के लिये आविष्कार न करें।
वैदिक आर्षग्रन्थानाम् अध्ययनं कुर्याम।
= वैदिक आर्ष ग्रंथों का अध्ययन करें।
भारतीयचिकित्सापद्धतौ विश्वासं कुर्याम।
= भारतीय चिकित्सापद्धति पर विश्वास करें।
भारतीयं परिधानं धरेम।
= भारतीय परिधान पहनें।
भारतीयं भोजनं खादेम।
= भारतीय भोजन खाएँ।
सबलाः भवेम , सफलाः भवेम।
= सबल बनें , सफल बनें।
ओ३म्
अमृतमहोत्सवः संस्कृतमहोत्सवः
सम्प्रति भारतदेशः स्वतन्त्रः अस्ति।
= इस समय भारत देश स्वतन्त्र है।
पूर्वमपि भारतं स्वतन्त्रम् आसीत्।
= पहले भी भारत स्वतन्त्र था।
पूर्वं तु अस्माकं भारतम् अखण्डम् आसीत्।
= पहले तो हमारा भारत अखण्ड था।
इदानीं यत्र म्यांमार देशः प्रवर्तते सः देशः अपि अखण्डभारतस्य भागः आसीत्।
= इस समय जहाँ म्यांमार देश है वह देश भी अखण्ड भारत का हिस्सा था।
बांग्लादेशः , पाकिस्तानम् , नेपाल , गांधारदेशपर्यन्तम् अखण्डं भारतम् आसीत्।
= बांग्लादेशः , पाकिस्तानम् , नेपाल , गांधारदेश पर्यन्तम् अखण्ड भारत था।
अस्माकं देशस्य प्राचीनं नाम आर्यावर्त अस्ति।
= हमारे देश का प्राचीन नाम आर्यावर्त है।
भारतीया संस्कृतिः सर्वश्रेष्ठा अस्ति।
= भारतीया संस्कृति सर्वश्रेष्ठा है।
अतएव जावा , सुमात्रा , बाली इत्यादिषु द्वीपेषु अपि वयं भारतीयसंस्कृतिं पश्यामः।
= इसीलिये हम जावा , सुमात्रा , बाली इत्यादि द्वीपों में भी भारतीय संस्कृति को देखते हैं।
वियतनाम, कम्बोडिया, थाईलैंड इत्यादिषु देशेषु अपि भारतीया सभ्यता विद्यमाना अस्ति।
= वियतनाम, कम्बोडिया, थाईलैंड इत्यादि देशों में भी भारतीया सभ्यता विद्यमान है।
एतेषु देशेषु संस्कृतभाषा पठ्यते, पाठ्यते च।
= इन देशों में संस्कृत भाषा पढ़ी और पढ़ाई जाती है।
संस्कृतविश्वविद्यालयाः अपि सन्ति।
= संस्कृतविश्वविद्यालय भी हैं।
भारतीया सभ्यता सर्वत्र विराजते।
= भारतीय सभ्यता सब जगह विराजमान है।
ओ३म्
अमृतमहोत्सवः संस्कृतमहोत्सवः
अस्माकं देशः ऋषीणां देशः अस्ति।
= हमारा देश ऋषियों का देश है।
अनेके ऋषयः भारते अभवन्।
= भारत में अनेक ऋषि हुए।
सर्वे ऋषयः विद्वांसः आसन्।
= सभी ऋषि विद्वान थे।
सर्वे ऋषयः तपस्विनः आसन्।
= सभी ऋषि तपस्वी थे।
पुरातने काले अपि अविष्कारः भवति स्म।
= पुरातन काल में भी आविष्कार होता था।
वेदानाम् अध्ययनं कृत्वा ऋषयः वैज्ञानिकं संशोधनं कुर्वन्ति स्म।
= वेदों का अध्ययन करके ऋषिगण वैज्ञानिक संशोधन करते थे।
ऋषीणाम् आविष्कारेण सर्वत्र सुखं भवति स्म।
= ऋषियों के आविष्कार से सब जगह सुख होता था।
ऋषयः निःस्वार्थमेव कार्यं कुर्वन्ति स्म।
= ऋषिगण निःस्वार्थ ही काम करते थे।
ऋषीणां जीवनं बहु सात्विकम् आसीत्।
= ऋषियों का जीवन बहुत सात्विक था।
ऋषयः न केवलं योगसाधनां जानन्ति स्म अपितु ते खगोलविद्यां , रसायनविद्यां , भौतिकशास्त्रं , गणितम् इत्यादिकं जानन्ति स्म।
= ऋषिगण न केवलं योगसाधना जानते थे अपितु वे खगोलविद्या , रसायनविद्या , भौतिकशास्त्र , गणित इत्यादि भी जानते थे।
यदा समयः लभते तदा अवश्यमेव संस्कृतस्य समृद्धं वाङमयं पठन्तु।
= जब समय मिलता है तब अवश्य ही संस्कृत का समृद्ध साहित्य पढ़िये।
#vakyabhyas
अमृतमहोत्सवः संस्कृतमहोत्सवः
अद्य वयं गणतन्त्रदिनम् आचरामः।
= आज हम सभी गणतंत्र दिन मना रहे हैं।
ईसवी सन् १९५० तमे वर्षे जनवरी मासस्य २६ दिनाँके संविधानम् अङ्गीकृतम्।
= ईसवी सन् १९५० के वर्ष में २६ जनवरी को संविधानम् अङ्गीकार किया गया।
वयं सर्वे भारतस्य उन्नत्यर्थं सर्वदा यत्नशीलाः भवेम।
= हम सभी भारत की उन्नति के लिये हमेशा यत्नशील रहें।
सर्वै: सह सौहार्दपूर्वकं व्यवहारं कुर्याम।
= सभी के साथ सौहार्दपूर्वक व्यवहार करें।
सर्वासां भाषाणां सम्मानं कुर्याम।
= सभी भाषाओं का सम्मान करें।
भारतीयसभ्यतायाः अनुसरणं कुर्याम।
= भारतीय सभ्यता का अनुसरण करें।
भारते पठेम , भारते एव वसेम।
= भारत मे पढ़ें , भारत में ही रहें।
भारतस्य विकासार्थं नूतनम् आविष्कारं कुर्याम।
= भारत के विकास के लिये नया आविष्कार करें।
विदेशं गत्वा विदेशस्य कृते आविष्कारं न कुर्याम।
= विदेश जाकर विदेश के लिये आविष्कार न करें।
वैदिक आर्षग्रन्थानाम् अध्ययनं कुर्याम।
= वैदिक आर्ष ग्रंथों का अध्ययन करें।
भारतीयचिकित्सापद्धतौ विश्वासं कुर्याम।
= भारतीय चिकित्सापद्धति पर विश्वास करें।
भारतीयं परिधानं धरेम।
= भारतीय परिधान पहनें।
भारतीयं भोजनं खादेम।
= भारतीय भोजन खाएँ।
सबलाः भवेम , सफलाः भवेम।
= सबल बनें , सफल बनें।
ओ३म्
अमृतमहोत्सवः संस्कृतमहोत्सवः
सम्प्रति भारतदेशः स्वतन्त्रः अस्ति।
= इस समय भारत देश स्वतन्त्र है।
पूर्वमपि भारतं स्वतन्त्रम् आसीत्।
= पहले भी भारत स्वतन्त्र था।
पूर्वं तु अस्माकं भारतम् अखण्डम् आसीत्।
= पहले तो हमारा भारत अखण्ड था।
इदानीं यत्र म्यांमार देशः प्रवर्तते सः देशः अपि अखण्डभारतस्य भागः आसीत्।
= इस समय जहाँ म्यांमार देश है वह देश भी अखण्ड भारत का हिस्सा था।
बांग्लादेशः , पाकिस्तानम् , नेपाल , गांधारदेशपर्यन्तम् अखण्डं भारतम् आसीत्।
= बांग्लादेशः , पाकिस्तानम् , नेपाल , गांधारदेश पर्यन्तम् अखण्ड भारत था।
अस्माकं देशस्य प्राचीनं नाम आर्यावर्त अस्ति।
= हमारे देश का प्राचीन नाम आर्यावर्त है।
भारतीया संस्कृतिः सर्वश्रेष्ठा अस्ति।
= भारतीया संस्कृति सर्वश्रेष्ठा है।
अतएव जावा , सुमात्रा , बाली इत्यादिषु द्वीपेषु अपि वयं भारतीयसंस्कृतिं पश्यामः।
= इसीलिये हम जावा , सुमात्रा , बाली इत्यादि द्वीपों में भी भारतीय संस्कृति को देखते हैं।
वियतनाम, कम्बोडिया, थाईलैंड इत्यादिषु देशेषु अपि भारतीया सभ्यता विद्यमाना अस्ति।
= वियतनाम, कम्बोडिया, थाईलैंड इत्यादि देशों में भी भारतीया सभ्यता विद्यमान है।
एतेषु देशेषु संस्कृतभाषा पठ्यते, पाठ्यते च।
= इन देशों में संस्कृत भाषा पढ़ी और पढ़ाई जाती है।
संस्कृतविश्वविद्यालयाः अपि सन्ति।
= संस्कृतविश्वविद्यालय भी हैं।
भारतीया सभ्यता सर्वत्र विराजते।
= भारतीय सभ्यता सब जगह विराजमान है।
ओ३म्
अमृतमहोत्सवः संस्कृतमहोत्सवः
अस्माकं देशः ऋषीणां देशः अस्ति।
= हमारा देश ऋषियों का देश है।
अनेके ऋषयः भारते अभवन्।
= भारत में अनेक ऋषि हुए।
सर्वे ऋषयः विद्वांसः आसन्।
= सभी ऋषि विद्वान थे।
सर्वे ऋषयः तपस्विनः आसन्।
= सभी ऋषि तपस्वी थे।
पुरातने काले अपि अविष्कारः भवति स्म।
= पुरातन काल में भी आविष्कार होता था।
वेदानाम् अध्ययनं कृत्वा ऋषयः वैज्ञानिकं संशोधनं कुर्वन्ति स्म।
= वेदों का अध्ययन करके ऋषिगण वैज्ञानिक संशोधन करते थे।
ऋषीणाम् आविष्कारेण सर्वत्र सुखं भवति स्म।
= ऋषियों के आविष्कार से सब जगह सुख होता था।
ऋषयः निःस्वार्थमेव कार्यं कुर्वन्ति स्म।
= ऋषिगण निःस्वार्थ ही काम करते थे।
ऋषीणां जीवनं बहु सात्विकम् आसीत्।
= ऋषियों का जीवन बहुत सात्विक था।
ऋषयः न केवलं योगसाधनां जानन्ति स्म अपितु ते खगोलविद्यां , रसायनविद्यां , भौतिकशास्त्रं , गणितम् इत्यादिकं जानन्ति स्म।
= ऋषिगण न केवलं योगसाधना जानते थे अपितु वे खगोलविद्या , रसायनविद्या , भौतिकशास्त्र , गणित इत्यादि भी जानते थे।
यदा समयः लभते तदा अवश्यमेव संस्कृतस्य समृद्धं वाङमयं पठन्तु।
= जब समय मिलता है तब अवश्य ही संस्कृत का समृद्ध साहित्य पढ़िये।
#vakyabhyas
June 14, 2022
@samskrt_samvadah प्रारंभ करता है, संस्कृताश्रमः - संस्कृतशिक्षण की लघु कक्षाऐं
⏳20 मिनट
🕚 09:00 PM 🇮🇳
🔰चतुर्थीविभक्तेः अभ्यासः
🗓14th जून् 2022, मङ्गलवासरः
🔴 कक्षाओं की प्रति हमारे युट्युब प्लेलिस्ट पर डाली जायेगी
https://youtube.com/playlist?list=PL6OCpxoxDlOZwPLLcoB8TtdqgxmdSR-7c
कृपया अलार्म लगा लें और विलंब से न आयें।
👇🏼👇🏼👇🏼👇🏼👇🏼
https://t.me/samskrt_samvadah?voicechat
⏳20 मिनट
🕚 09:00 PM 🇮🇳
🔰चतुर्थीविभक्तेः अभ्यासः
🗓14th जून् 2022, मङ्गलवासरः
🔴 कक्षाओं की प्रति हमारे युट्युब प्लेलिस्ट पर डाली जायेगी
https://youtube.com/playlist?list=PL6OCpxoxDlOZwPLLcoB8TtdqgxmdSR-7c
कृपया अलार्म लगा लें और विलंब से न आयें।
👇🏼👇🏼👇🏼👇🏼👇🏼
https://t.me/samskrt_samvadah?voicechat
June 14, 2022
June 14, 2022
@samskrt_samvadah संलापशाला - A Samskrit Voicechat room.
यदीच्छसि वशीकर्तुं, भाषणमेककर्मणा।
यायास्संलापशालां वै, भवति यत्र भाषणम्।।
⏳45 निमेषाः
🕚 IST 11:00 AM
🔰वाक्याभ्यासः
🗓14th June 2022, बुधवासरः
🔴Voicechat would be recorded and shared on this channel.
📑यदि शक्येत चेत् संस्कृतेन (चित्रं दृष्ट्वा वाक्यानि वक्तव्यानि) चर्चार्थं कृपया पूर्वसिद्धतां कृत्वा आगच्छन्तु।
वयं युष्माकं प्रतीक्षां कुर्मः। 😇
स्मारणतंत्रिकां स्थापयतु ⏰
👇🏼👇🏼👇🏼👇🏼👇🏼
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यदीच्छसि वशीकर्तुं, भाषणमेककर्मणा।
यायास्संलापशालां वै, भवति यत्र भाषणम्।।
⏳45 निमेषाः
🕚 IST 11:00 AM
🔰वाक्याभ्यासः
🗓14th June 2022, बुधवासरः
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📑यदि शक्येत चेत् संस्कृतेन (चित्रं दृष्ट्वा वाक्यानि वक्तव्यानि) चर्चार्थं कृपया पूर्वसिद्धतां कृत्वा आगच्छन्तु।
वयं युष्माकं प्रतीक्षां कुर्मः। 😇
स्मारणतंत्रिकां स्थापयतु ⏰
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June 14, 2022
June 14, 2022
🍃
♦️dvavimau purusau loke ksarascaksara eva ca.
ksarah sarvani bhutani kutastho ksara ucyate ৷৷15.16৷৷
⚜Two Purushas there are in this world, the perishable and the imperishable. All beings are the perishable and the Kutastha the unchanging is called the imperishable. (15.16)
⚜इस लोक में क्षर (नश्वर) और अक्षर (अनश्वर) ये दो पुरुष हैं समस्त भूत क्षर हैं और कूटस्थ अक्षर कहलाता है।।15.16।।
#geeta
द्वाविमौ पुरुषौ लोके क्षरश्चाक्षर एव च।
क्षरः सर्वाणि भूतानि कूटस्थोऽक्षर उच्यते
।।15.16।।♦️dvavimau purusau loke ksarascaksara eva ca.
ksarah sarvani bhutani kutastho ksara ucyate ৷৷15.16৷৷
⚜Two Purushas there are in this world, the perishable and the imperishable. All beings are the perishable and the Kutastha the unchanging is called the imperishable. (15.16)
⚜इस लोक में क्षर (नश्वर) और अक्षर (अनश्वर) ये दो पुरुष हैं समस्त भूत क्षर हैं और कूटस्थ अक्षर कहलाता है।।15.16।।
#geeta
June 14, 2022
June 14, 2022
June 14, 2022
June 14, 2022
🍃
♦️uttamah purusastvanyah paramatmetyudahrtah.
yo lokatrayamavisya bibhartyavyaya isvarah৷৷15.17৷৷
⚜But distinct is the Supreme Purusha called the highest Self, the indestructible Lord Who, pervading the three worlds, sustains them.(15.17)
⚜परन्तु उत्तम पुरुष अन्य ही है जो परमात्मा कहलाता है और जो तीनों लोकों में प्रवेश करके सबका धारण करने वाला अव्यय ईश्वर है।।15.17।।
#geeta
उत्तमः पुरुषस्त्वन्यः परमात्मेत्युदाहृतः।
यो लोकत्रयमाविश्य बिभर्त्यव्यय ईश्वरः
।।15.17।।♦️uttamah purusastvanyah paramatmetyudahrtah.
yo lokatrayamavisya bibhartyavyaya isvarah৷৷15.17৷৷
⚜But distinct is the Supreme Purusha called the highest Self, the indestructible Lord Who, pervading the three worlds, sustains them.(15.17)
⚜परन्तु उत्तम पुरुष अन्य ही है जो परमात्मा कहलाता है और जो तीनों लोकों में प्रवेश करके सबका धारण करने वाला अव्यय ईश्वर है।।15.17।।
#geeta
June 14, 2022
🚩जय सत्य सनातन🚩
🚩आज की हिंदी तिथि
🌥️ 🚩युगाब्द-५१२४
🌥️ 🚩विक्रम संवत-२०७९
⛅ 🚩तिथि - प्रतिपदा दोपहर 01:31तक तत्पश्चात द्वितीया
⛅दिनांक 15 जून 2022
⛅दिन - बुधवार
⛅शक संवत - 1944
⛅अयन - उत्तरायण
⛅ऋतु - ग्रीष्म
⛅मास - आषाढ़
⛅पक्ष - कृष्ण
⛅नक्षत्र - मूल दोपहर 03:33 तक तत्पश्चात पूर्वाषाढा
⛅योग - शुक्ल रात्रि 01:15 तक तत्पश्चात ब्रह्म
⛅राहु काल - दोपहर 12:40 से 02:22 तक
⛅सूर्योदय - 05:54
⛅सूर्यास्त - 07:26
⛅दिशा शूल - उत्तर दिशा में
⛅ब्रह्म मुहूर्त - प्रातः 04:30 से 05:12 तक
🚩आज की हिंदी तिथि
🌥️ 🚩युगाब्द-५१२४
🌥️ 🚩विक्रम संवत-२०७९
⛅ 🚩तिथि - प्रतिपदा दोपहर 01:31तक तत्पश्चात द्वितीया
⛅दिनांक 15 जून 2022
⛅दिन - बुधवार
⛅शक संवत - 1944
⛅अयन - उत्तरायण
⛅ऋतु - ग्रीष्म
⛅मास - आषाढ़
⛅पक्ष - कृष्ण
⛅नक्षत्र - मूल दोपहर 03:33 तक तत्पश्चात पूर्वाषाढा
⛅योग - शुक्ल रात्रि 01:15 तक तत्पश्चात ब्रह्म
⛅राहु काल - दोपहर 12:40 से 02:22 तक
⛅सूर्योदय - 05:54
⛅सूर्यास्त - 07:26
⛅दिशा शूल - उत्तर दिशा में
⛅ब्रह्म मुहूर्त - प्रातः 04:30 से 05:12 तक
June 14, 2022
@samskrt_samvadah संलापशाला - A Samskrit Voicechat room.
यदीच्छसि वशीकर्तुं, भाषणमेककर्मणा।
यायास्संलापशालां वै, भवति यत्र भाषणम्।।
⏳45 निमेषाः
🕚 IST 11:00 AM
🔰वाक्याभ्यासः
🗓14th June 2022, बुधवासरः
🔴Voicechat would be recorded and shared on this channel.
📑यदि शक्येत चेत् संस्कृतेन (चित्रं दृष्ट्वा वाक्यानि वक्तव्यानि) चर्चार्थं कृपया पूर्वसिद्धतां कृत्वा आगच्छन्तु।
वयं युष्माकं प्रतीक्षां कुर्मः। 😇
स्मारणतंत्रिकां स्थापयतु ⏰
👇🏼👇🏼👇🏼👇🏼👇🏼
https://t.me/samskrt_samvadah?voicechat
यदीच्छसि वशीकर्तुं, भाषणमेककर्मणा।
यायास्संलापशालां वै, भवति यत्र भाषणम्।।
⏳45 निमेषाः
🕚 IST 11:00 AM
🔰वाक्याभ्यासः
🗓14th June 2022, बुधवासरः
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June 14, 2022
June 14, 2022
https://youtu.be/87uqp_r95Fc
प्रतिदिनं प्रातः ७:१५ वादने १५ निमेषात्मिकायै वार्तायै डी डी न्यूज् इति पश्यत।
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Vaarta: News in Sanskrit | चुनाव आयोग आज देश के 16 वे राष्ट्रपति के चुनाव की जारी करेगा अधिसूचना
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June 14, 2022
🔰चित्रं दृष्ट्वा पञ्चवाक्यानि रचयत।
✍🏼सर्वे टिप्पणीसञ्चिकायां स्वोत्तराणि लेखितुं शक्नुवन्ति अथवा पुस्तिकायां लिखित्वा तस्य चित्रं स्वीकृत्य अपि प्रेषयितुं शक्नुवन्ति।
🗣सहैव तानि वाक्यानि उक्त्वा ध्वनिमाध्यमेन अपि प्रेषयत।
Read in English
हिन्दी में पढें
#chitram
✍🏼सर्वे टिप्पणीसञ्चिकायां स्वोत्तराणि लेखितुं शक्नुवन्ति अथवा पुस्तिकायां लिखित्वा तस्य चित्रं स्वीकृत्य अपि प्रेषयितुं शक्नुवन्ति।
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#chitram
June 14, 2022
June 14, 2022
🍃
⚜Over-introduction leads to neglect, and frequent visits lead to disrespect. On the Malay Mountains, Bhil women also use sandalwood for fuel.
⚜अतिपरिचय से उपेक्षा,तथा बार-बार जाने से अनादर का भाव होता है । मलय पर्वत पर तो भील स्त्री चंदन की लकड़ी का भी इंधन हेतु उपयोग करती है।
🔅अतिपरिचयात् उपेक्षा भवति, वारं वारम् एकस्मिन् स्थाने गमनेन अनादरः भवति यथा मलयपर्वते वसन्त्यः महिलाः चन्दनकाष्ठस्य उपयोगं इन्धनम् इव कुर्वन्ति।
#Subhashitam
अतिपरिचयादवज्ञा संतत गमनादनादरो भवति। मलये भिल्लपुरन्ध्री चन्दनतरु काष्ठमिन्धनं कुरुते
॥⚜Over-introduction leads to neglect, and frequent visits lead to disrespect. On the Malay Mountains, Bhil women also use sandalwood for fuel.
⚜अतिपरिचय से उपेक्षा,तथा बार-बार जाने से अनादर का भाव होता है । मलय पर्वत पर तो भील स्त्री चंदन की लकड़ी का भी इंधन हेतु उपयोग करती है।
🔅अतिपरिचयात् उपेक्षा भवति, वारं वारम् एकस्मिन् स्थाने गमनेन अनादरः भवति यथा मलयपर्वते वसन्त्यः महिलाः चन्दनकाष्ठस्य उपयोगं इन्धनम् इव कुर्वन्ति।
#Subhashitam
June 14, 2022
June 14, 2022
June 15, 2022
June 15, 2022
ओ३म्
अमृतमहोत्सवः संस्कृतमहोत्सवः
अस्माकं देशे अनेके जनाः सुशिक्षिताः सन्ति।
= हमारे देश में अनेक लोग सुशिक्षित हैं।
अनेके जनाः अशिक्षिताः अपि सन्ति।
= अनेक लोग अशिक्षित भी हैं।
अनेके जनाः धनिकाः सन्ति।
= अनेक लोग धनवान हैं।
अनेके जनाः निर्धनाः अपि सन्ति।
= अनेक लोग निर्धन भी हैं।
सुशिक्षिताः जनाः अपि देशस्य उन्नत्यर्थं कार्यं कुर्वन्ति।
= सुशिक्षित लोग भी देश की उन्नति के लिये काम करते हैं।
अशिक्षिताः जनाः अपि देशस्य उन्नत्यर्थं कार्यं कुर्वन्ति।
= अशिक्षित लोग भी देश की उन्नति के लिये काम करते हैं।
धनिकाः निर्धनाश्च जनाः अपि देशस्य उन्नत्यर्थं कार्यं कुर्वन्ति।
= धनिक और निर्धन लोग भी देश की उन्नति के लिये काम करते हैं।
वयं यस्मिन् देशे अजायामहि तस्य कृते कार्यं तु करणीयम् एव।
= हम जिस देश में पैदा हुए हैं उसके लिये काम तो करना ही चाहिये।
स्वसामर्थ्यानुसारं कार्यं करणीयम्।
= अपने सामर्थ्य अनुसार काम करना चाहिये।
यः पाठयितुं शक्नोति सः पाठयेत्।
= जो पढ़ा सकता है वह पढ़ाए।
यः व्यापारं कर्तुं शक्नोति सः व्यापारं कुर्यात्।
= जो व्यापार कर सकता है वह व्यापार करे।
प्रत्येकं कार्यं राष्ट्रस्य उन्नत्यर्थमेव भवेत्।
= प्रत्येक कार्य राष्ट्र की उन्नति के लिये ही हो।
कार्यकरणेन व्यक्तिगतमपि विकासः भवति , राष्ट्रस्य अपि विकासः भवति।
= कार्य करने से व्यक्तिगत विकास होता है , राष्ट्र का भी विकास होता है।
उन्नतं भारतं दृष्ट्वा अस्माकं मनः प्रसन्नं भवति।
= उन्नत भारत देखकर हमारा मन प्रसन्न होता है।
समग्रे विश्वे भारतस्य जय-जयकारः भवति।
= पूरे विश्व में भारत की जय जयकार होता है।
ओ३म्
संस्कृताभ्यासः
वर्तमानकाल
अहं खादामि
= मैं खाता हूँ / खाती हूँ।
अहं किं खादामि ?
= मैं क्या खा रहा / रही हूँ ?
अहं मिष्ठान्नं खादामि।
= मैं मिठाई खा रहा हूँ / रही हूँ।
इदानीम् अहं न खादामि।
= अभी मैं नहीं खा रहा हूँ / रही हूँ।
सः/ सा किं खादति ?
= वह क्या खा रहा / रही है ?
सः / सा अपूपं खादति।
= वह मालपुआ खा रहा / रही है।
भवान् किमर्थं न खादति ?
= आप क्यों नहीं खा रहे हैं ?
भवती किमर्थं न खादति ?
= आप क्यों नहीं खा रही हैं ?
नयना सोमवासरे किमपि न खादति।
= नयना सोमवार को कुछ भी नहीं खाती है।
साध्वी केवलं फलं खादति।
= साध्वी केवल फल खाती है।
किरीटः गृहे एव खादति।।
= किरीट घर में ही खाता है ।
अमरदीपः वारंवारं खादति
= अमरदीप बारबार खाता है।
पुत्रः मातुः हस्तेन खादति।
= पुत्र माँ के हाथ से खाता है।
दीपाली स्नानं कृत्वा खादति।
= दीपाली स्नान करके खाती है।
अरुणः यज्ञं कृत्वा खादति।
= अरुण यज्ञ करके खाता है
सैनिकः सियाचिने शीतलं भोजनं खादति।।
= सैनिक सियाचिन में ठंडा खाना खाता है।
ओ३म्
संस्कृताभ्यासः
भविष्यकाल
अहं खादिष्यामि।
= मैं खाऊँगा / मैं खाऊँगी।
अहं न खादिष्यामि।
= मैं नहीं खाऊँगा / मैं नहीं खाऊँगी।
अहं अष्टवादने खादिष्यामि।
= मैं आठ बजे खाऊँगा / खाऊँगी।
अहं पुत्रेण सह खादिष्यामि।
= मैं पुत्र के साथ खाऊँगा / खाऊँगी।
अहं सुपाच्यं भोजनं खादिष्यामि।
= मैं सुपाच्य भोजन खाऊँगा / मैं खाऊँगी।
सः कदलीपत्रे एव खादिष्यति।
= वह केले के पत्ते में ही खाएगा।
मृगः तृणं खादिष्यति।
= हिरन घास खाएगा।
राजेशः एलोपैथिक-औषधं न खादिष्यति।
= राजेश एलोपैथिक दवा नहीं खाएगा।
राजेशः आयुर्वैदिकम् औषधं खादिष्यति।
= राजेश आयुर्वैदिक औषधि खाएगा।
सः लवणविहीनं भोजनं खादिष्यति।
= वह नमक बिना का भोजन खाएगा।
सुमेधा यज्ञस्य अनन्तरं खादिष्यति।
= सुमेधा यज्ञ के बाद खाएगी।
#vakyabhyas
अमृतमहोत्सवः संस्कृतमहोत्सवः
अस्माकं देशे अनेके जनाः सुशिक्षिताः सन्ति।
= हमारे देश में अनेक लोग सुशिक्षित हैं।
अनेके जनाः अशिक्षिताः अपि सन्ति।
= अनेक लोग अशिक्षित भी हैं।
अनेके जनाः धनिकाः सन्ति।
= अनेक लोग धनवान हैं।
अनेके जनाः निर्धनाः अपि सन्ति।
= अनेक लोग निर्धन भी हैं।
सुशिक्षिताः जनाः अपि देशस्य उन्नत्यर्थं कार्यं कुर्वन्ति।
= सुशिक्षित लोग भी देश की उन्नति के लिये काम करते हैं।
अशिक्षिताः जनाः अपि देशस्य उन्नत्यर्थं कार्यं कुर्वन्ति।
= अशिक्षित लोग भी देश की उन्नति के लिये काम करते हैं।
धनिकाः निर्धनाश्च जनाः अपि देशस्य उन्नत्यर्थं कार्यं कुर्वन्ति।
= धनिक और निर्धन लोग भी देश की उन्नति के लिये काम करते हैं।
वयं यस्मिन् देशे अजायामहि तस्य कृते कार्यं तु करणीयम् एव।
= हम जिस देश में पैदा हुए हैं उसके लिये काम तो करना ही चाहिये।
स्वसामर्थ्यानुसारं कार्यं करणीयम्।
= अपने सामर्थ्य अनुसार काम करना चाहिये।
यः पाठयितुं शक्नोति सः पाठयेत्।
= जो पढ़ा सकता है वह पढ़ाए।
यः व्यापारं कर्तुं शक्नोति सः व्यापारं कुर्यात्।
= जो व्यापार कर सकता है वह व्यापार करे।
प्रत्येकं कार्यं राष्ट्रस्य उन्नत्यर्थमेव भवेत्।
= प्रत्येक कार्य राष्ट्र की उन्नति के लिये ही हो।
कार्यकरणेन व्यक्तिगतमपि विकासः भवति , राष्ट्रस्य अपि विकासः भवति।
= कार्य करने से व्यक्तिगत विकास होता है , राष्ट्र का भी विकास होता है।
उन्नतं भारतं दृष्ट्वा अस्माकं मनः प्रसन्नं भवति।
= उन्नत भारत देखकर हमारा मन प्रसन्न होता है।
समग्रे विश्वे भारतस्य जय-जयकारः भवति।
= पूरे विश्व में भारत की जय जयकार होता है।
ओ३म्
संस्कृताभ्यासः
वर्तमानकाल
अहं खादामि
= मैं खाता हूँ / खाती हूँ।
अहं किं खादामि ?
= मैं क्या खा रहा / रही हूँ ?
अहं मिष्ठान्नं खादामि।
= मैं मिठाई खा रहा हूँ / रही हूँ।
इदानीम् अहं न खादामि।
= अभी मैं नहीं खा रहा हूँ / रही हूँ।
सः/ सा किं खादति ?
= वह क्या खा रहा / रही है ?
सः / सा अपूपं खादति।
= वह मालपुआ खा रहा / रही है।
भवान् किमर्थं न खादति ?
= आप क्यों नहीं खा रहे हैं ?
भवती किमर्थं न खादति ?
= आप क्यों नहीं खा रही हैं ?
नयना सोमवासरे किमपि न खादति।
= नयना सोमवार को कुछ भी नहीं खाती है।
साध्वी केवलं फलं खादति।
= साध्वी केवल फल खाती है।
किरीटः गृहे एव खादति।।
= किरीट घर में ही खाता है ।
अमरदीपः वारंवारं खादति
= अमरदीप बारबार खाता है।
पुत्रः मातुः हस्तेन खादति।
= पुत्र माँ के हाथ से खाता है।
दीपाली स्नानं कृत्वा खादति।
= दीपाली स्नान करके खाती है।
अरुणः यज्ञं कृत्वा खादति।
= अरुण यज्ञ करके खाता है
सैनिकः सियाचिने शीतलं भोजनं खादति।।
= सैनिक सियाचिन में ठंडा खाना खाता है।
ओ३म्
संस्कृताभ्यासः
भविष्यकाल
अहं खादिष्यामि।
= मैं खाऊँगा / मैं खाऊँगी।
अहं न खादिष्यामि।
= मैं नहीं खाऊँगा / मैं नहीं खाऊँगी।
अहं अष्टवादने खादिष्यामि।
= मैं आठ बजे खाऊँगा / खाऊँगी।
अहं पुत्रेण सह खादिष्यामि।
= मैं पुत्र के साथ खाऊँगा / खाऊँगी।
अहं सुपाच्यं भोजनं खादिष्यामि।
= मैं सुपाच्य भोजन खाऊँगा / मैं खाऊँगी।
सः कदलीपत्रे एव खादिष्यति।
= वह केले के पत्ते में ही खाएगा।
मृगः तृणं खादिष्यति।
= हिरन घास खाएगा।
राजेशः एलोपैथिक-औषधं न खादिष्यति।
= राजेश एलोपैथिक दवा नहीं खाएगा।
राजेशः आयुर्वैदिकम् औषधं खादिष्यति।
= राजेश आयुर्वैदिक औषधि खाएगा।
सः लवणविहीनं भोजनं खादिष्यति।
= वह नमक बिना का भोजन खाएगा।
सुमेधा यज्ञस्य अनन्तरं खादिष्यति।
= सुमेधा यज्ञ के बाद खाएगी।
#vakyabhyas
June 15, 2022
@samskrt_samvadah प्रारंभ करता है, संस्कृताश्रमः - संस्कृतशिक्षण की लघु कक्षाऐं
⏳20 मिनट
🕚 09:00 PM 🇮🇳
🔰चतुर्थीविभक्तेः अभ्यासः २
🗓15th जून् 2022, बुधवासरः
🔴 कक्षाओं की प्रति हमारे युट्युब प्लेलिस्ट पर डाली जायेगी
https://youtube.com/playlist?list=PL6OCpxoxDlOZwPLLcoB8TtdqgxmdSR-7c
कृपया अलार्म लगा लें और विलंब से न आयें।
👇🏼👇🏼👇🏼👇🏼👇🏼
https://t.me/samskrt_samvadah?voicechat
⏳20 मिनट
🕚 09:00 PM 🇮🇳
🔰चतुर्थीविभक्तेः अभ्यासः २
🗓15th जून् 2022, बुधवासरः
🔴 कक्षाओं की प्रति हमारे युट्युब प्लेलिस्ट पर डाली जायेगी
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कृपया अलार्म लगा लें और विलंब से न आयें।
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June 15, 2022
June 15, 2022
June 15, 2022
@samskrt_samvadah संलापशाला - A Samskrit Voicechat room.
यदीच्छसि वशीकर्तुं, भाषणमेककर्मणा।
यायास्संलापशालां वै, भवति यत्र भाषणम्।।
⏳45 निमेषाः
🕚 IST 11:00 AM
🔰महापुरुषपरिचयः
🗓16th June 2022, गुरुवासरः
🔴Voicechat would be recorded and shared on this channel.
📑यदि शक्येत चेत् संस्कृतेन (प्रियस्य महापुरुषस्य जीवनपरिचयं जीवनघटनां वा वदन्तु) चर्चार्थं कृपया पूर्वसिद्धतां कृत्वा आगच्छन्तु।
वयं युष्माकं प्रतीक्षां कुर्मः। 😇
स्मारणतंत्रिकां स्थापयतु ⏰
👇🏼👇🏼👇🏼👇🏼👇🏼
https://t.me/samskrt_samvadah?voicechat
यदीच्छसि वशीकर्तुं, भाषणमेककर्मणा।
यायास्संलापशालां वै, भवति यत्र भाषणम्।।
⏳45 निमेषाः
🕚 IST 11:00 AM
🔰महापुरुषपरिचयः
🗓16th June 2022, गुरुवासरः
🔴Voicechat would be recorded and shared on this channel.
📑यदि शक्येत चेत् संस्कृतेन (प्रियस्य महापुरुषस्य जीवनपरिचयं जीवनघटनां वा वदन्तु) चर्चार्थं कृपया पूर्वसिद्धतां कृत्वा आगच्छन्तु।
वयं युष्माकं प्रतीक्षां कुर्मः। 😇
स्मारणतंत्रिकां स्थापयतु ⏰
👇🏼👇🏼👇🏼👇🏼👇🏼
https://t.me/samskrt_samvadah?voicechat
June 15, 2022
June 15, 2022
June 15, 2022
🍃
♦️yasmatksaramatito hamaksaradapi cottamah.
atosmi loke vede ca prathitah purusottamah ৷৷15.18৷৷
⚜As I transcend the perishable and am even higher than the imperishable, I am declared to be the highest Purusha in the world and in the Vedas.(15.18)
⚜क्योंकि मैं क्षर से अतीत हूँ और अक्षर से भी उत्तम हूँ इसलिये लोक में और वेद में भी पुरुषोत्तम के नाम से प्रसिद्ध हूँ।।15.18।।
#geeta
यस्मात्क्षरमतीतोऽहमक्षरादपि चोत्तमः।
अतोऽस्मि लोके वेदे च प्रथितः पुरुषोत्तमः
।।15.18।।♦️yasmatksaramatito hamaksaradapi cottamah.
atosmi loke vede ca prathitah purusottamah ৷৷15.18৷৷
⚜As I transcend the perishable and am even higher than the imperishable, I am declared to be the highest Purusha in the world and in the Vedas.(15.18)
⚜क्योंकि मैं क्षर से अतीत हूँ और अक्षर से भी उत्तम हूँ इसलिये लोक में और वेद में भी पुरुषोत्तम के नाम से प्रसिद्ध हूँ।।15.18।।
#geeta
June 15, 2022
June 15, 2022
June 15, 2022
June 15, 2022
🍃
♦️yo mamevamasammudho janati purusottamam.
sa sarvavidbhajati man sarvabhavena bharata৷৷15.19৷৷
⚜He who, undeluded, knows Me thus as the highest Purusha, he, knowing all, worships Me with his whole being (heart), O Arjuna.(15.19)
⚜हे भारत इस प्रकार जो संमोहरहित पुरुष मुझ पुरुषोत्तम को जानता है वह सर्वज्ञ होकर सम्पूर्ण भाव से अर्थात् पूर्ण हृदय से मेरी भक्ति करता है।।15.19।।
#geeta
यो मामेवमसम्मूढो जानाति पुरुषोत्तमम्।
स सर्वविद्भजति मां सर्वभावेन भारत
।।15.19।।♦️yo mamevamasammudho janati purusottamam.
sa sarvavidbhajati man sarvabhavena bharata৷৷15.19৷৷
⚜He who, undeluded, knows Me thus as the highest Purusha, he, knowing all, worships Me with his whole being (heart), O Arjuna.(15.19)
⚜हे भारत इस प्रकार जो संमोहरहित पुरुष मुझ पुरुषोत्तम को जानता है वह सर्वज्ञ होकर सम्पूर्ण भाव से अर्थात् पूर्ण हृदय से मेरी भक्ति करता है।।15.19।।
#geeta
June 15, 2022
🚩जय सत्य सनातन🚩
🚩आज की हिंदी तिथि
🌥️ 🚩युगाब्द-५१२४
🌥️ 🚩विक्रम संवत-२०७९
⛅ 🚩तिथि - द्वितीया सुबह 09:44 तक तत्पश्चात तृतीया
⛅दिनांक 16 जून 2022
⛅दिन - गुरुवार
⛅शक संवत - 1944
⛅अयन - उत्तरायण
⛅ऋतु - ग्रीष्म
⛅मास - आषाढ़
⛅पक्ष - कृष्ण
⛅नक्षत्र - पूर्वाषाढा दोपहर 12:37 तक तत्पश्चात उत्तराषाढा
⛅योग - ब्रह्म रात्रि 09:09 तक तत्पश्चात इन्द्र
⛅राहु काल - दोपहर 02:22 से 04:04 तक
⛅सूर्योदय - 05:54
⛅सूर्यास्त - 07:27
⛅दिशा शूल - दक्षिण दिशा में
⛅ब्रह्म मुहूर्त - प्रातः 04:30 से 05:12 तक
🚩आज की हिंदी तिथि
🌥️ 🚩युगाब्द-५१२४
🌥️ 🚩विक्रम संवत-२०७९
⛅ 🚩तिथि - द्वितीया सुबह 09:44 तक तत्पश्चात तृतीया
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⛅दिशा शूल - दक्षिण दिशा में
⛅ब्रह्म मुहूर्त - प्रातः 04:30 से 05:12 तक
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प्रतिदिनं प्रातः ७:१५ वादने १५ निमेषात्मिकायै वार्तायै डी डी न्यूज् इति पश्यत।
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वार्ता: संस्कृत में समाचार | धर्मशाला में मुख्य सचिवों का सम्मेलन
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June 15, 2022
🔰चित्रं दृष्ट्वा पञ्चवाक्यानि रचयत।
✍🏼सर्वे टिप्पणीसञ्चिकायां स्वोत्तराणि लेखितुं शक्नुवन्ति अथवा पुस्तिकायां लिखित्वा तस्य चित्रं स्वीकृत्य अपि प्रेषयितुं शक्नुवन्ति।
🗣सहैव तानि वाक्यानि उक्त्वा ध्वनिमाध्यमेन अपि प्रेषयत।
Read in English
हिन्दी में पढें
#chitram
✍🏼सर्वे टिप्पणीसञ्चिकायां स्वोत्तराणि लेखितुं शक्नुवन्ति अथवा पुस्तिकायां लिखित्वा तस्य चित्रं स्वीकृत्य अपि प्रेषयितुं शक्नुवन्ति।
🗣सहैव तानि वाक्यानि उक्त्वा ध्वनिमाध्यमेन अपि प्रेषयत।
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#chitram
June 15, 2022
June 15, 2022
🍃न स्वल्पमप्यध्यवसायभीरोः
करोति विज्ञानविधिर्गुणं हि
अन्धस्य किं हस्ततलस्थितोsपि
प्रकाश्यत्यर्थमिह प्रदीपः।।
⚜उद्योग से भागनेवाले मनुष्य को विज्ञान का विधान कुछ भी लाभ नहीं पहुंचा सकता, जैसे अन्धे के हाथ में रखा हुआ दीपक भी उसकी अभिलाषित वस्तु दिखाने में समर्थ नहीं होता।
🔅यथा अन्धस्य हस्ते स्थितः दीपः तस्य वाञ्छितं वस्तु तस्मै प्रापयितुं न शक्नोति तथैव उद्योगम् अकुर्वतः जनस्य विज्ञानमपि कापि सहाय्यतां कर्तुं न शक्नोति, तस्मात् उद्योगशालिनः भवन्तु।
#Subhashitam
(हितोपदेश - १/१६८)
करोति विज्ञानविधिर्गुणं हि
अन्धस्य किं हस्ततलस्थितोsपि
प्रकाश्यत्यर्थमिह प्रदीपः।।
⚜उद्योग से भागनेवाले मनुष्य को विज्ञान का विधान कुछ भी लाभ नहीं पहुंचा सकता, जैसे अन्धे के हाथ में रखा हुआ दीपक भी उसकी अभिलाषित वस्तु दिखाने में समर्थ नहीं होता।
🔅यथा अन्धस्य हस्ते स्थितः दीपः तस्य वाञ्छितं वस्तु तस्मै प्रापयितुं न शक्नोति तथैव उद्योगम् अकुर्वतः जनस्य विज्ञानमपि कापि सहाय्यतां कर्तुं न शक्नोति, तस्मात् उद्योगशालिनः भवन्तु।
#Subhashitam
(हितोपदेश - १/१६८)
June 15, 2022
June 15, 2022
June 15, 2022
June 16, 2022
पिपीलिका _____ _______।
Anonymous Quiz
9%
काष्ठं उत्तिष्ठति
74%
काष्ठम् उत्थापयति
9%
काष्ठम् उत्थापययति
8%
काष्ठं उत्तिष्ठापयति
June 16, 2022
ओ३म्
संस्कृताभ्यासः
भूतकाल
अहं खादितवान् / खादितवती
= मैंने खा लिया / मैंने खाया
अहं नारिकेलं खादितवान् / खादितवती
= मैंने नारियल खाया।
अहं पर्पटं खादितवान् / खादितवती
= मैंने पापड़ खाया।
अहं पुनः न इच्छामि , एकवारम् अहं खादितवान् / खादितवती
= मैं फिर से नहीं चाहता / चाहती हूँ , मैंने खा लिया ।
शोभा प्रसादं खादितवती।
= शोभा ने प्रसाद खाया।
रुग्णः जनः किं खादितवान् ?
= बीमार व्यक्ति ने क्या खाया ?
रुग्णः किमपि न खादितवान्।
= बीमार ने कुछ नहीं खाया।
रुग्णा युवती किं खादितवती ?
= बीमार लड़की ने क्या खाया ?
रुग्णा युवती एकं सेवफलं खादितवती।
= बीमार लड़की ने एक सेव खाया।
सः वृन्ताकस्य शाकं खादितवान्
= उसने बैगन की सब्जी खाई।
सा कारवेल्लस्य शाकं खादितवती।
= उसने करेले की सब्जी खाई।
ओ३म्
संस्कृताभ्यासः
आज्ञार्थ
अहं खादानि वा ?
= मैं खाऊँ क्या?
अहं चॉकलेहं खादानि वा ?
= मैं चॉकलेट खाऊँ क्या ?
अहं दधि खादानि ?
= मैं दही खाऊँ ?
मा खादतु यतोहि अधुना शीतकालः अस्ति ।
= मत खाईये क्योंकि अभी शीतकाल है।
मिष्ठान्नं खादतु , अहम् उत्तीर्णा अभवम्।
= मिठाई खाईये , मैं पास हो गई।
अधिकं तैलीयं मा खादतु।।
= अधिक तैलीय मत खाईये।
अत्र उपविश्य खादतु।
= यहाँ बैठकर खाईये।
भोजनमन्त्रम् उक्त्वा एव खादतु।
= भोजनमंत्र बोलकर ही खाईये
पुनः पुनः मा खादतु।
= बार बार मत खाईये।
अवशिष्टं भोजनं मा खादतु।
= बासी भोजन मत खाईये।
अहम् एकाकी न खादिष्यामि भवान् / भवती अपि खादतु।
= मैं अकेला नहीं खाऊँगा आप भी खाईये।
ओ३म्
संस्कृताभ्यासः
वर्तमानकाल
अहं पिबामि
= पीता हूँ / पीती हूँ हूँ।
अधुना अहं जलं पिबामि।
= अभी मैं पानी पी रहा हूँ / रही हूँ।
अहं किं पिबामि ?
= मैं क्या पी रहा / रही हूँ ?
अहं फलस्य रसं पिबामि।
= मैं फल का जूस पी रहा हूँ / रही हूँ।
इदानीम् अहं किमपि न पिबामि ।
= अभी मैं कुछ नहीं पी रहा हूँ / रही हूँ।
सः/ सा किं पिबति ?
= वह क्या पी रहा / रही है ?
सः / सा दुग्धं पिबति।
= वह दूध पी रहा / रही है।
भवान् कस्य रसं पिबति ?
= आप किसका जूस पी रहे हैं ?
भवती कस्य रसं पिबति ?
= आप किसका जूस पी रही हैं ?
अहं आमलकस्य रसं पिबामि।
= मैं आँवले का जूस पी रहा / रही हूँ।
योगाचार्यः अलाबोः रसं पिबति।
= योगाचार्यजी लौकी का जूस पीते है।
वृन्दा रजतचषके दुग्धं पिबति।
= वृन्दा चाँदी के गिलास में दूध पीती है ।
स्मिता प्रातःकाले ऊष्णं जलं पिबति।
= स्मिता प्रातःकाल गरम पानी पीती है।
भोजनसमये सः जलं न पिबति।
= भोजन के समय वह पानी नहीं पीता है है।
भोजनान्ते सः तक्रं पिबति।
= भोजन के बाद वह छास पिता है
भरतः वारंवारं जलं पिबति।
= भरत बारबार पानी पीता है।
#vakyabhyas
संस्कृताभ्यासः
भूतकाल
अहं खादितवान् / खादितवती
= मैंने खा लिया / मैंने खाया
अहं नारिकेलं खादितवान् / खादितवती
= मैंने नारियल खाया।
अहं पर्पटं खादितवान् / खादितवती
= मैंने पापड़ खाया।
अहं पुनः न इच्छामि , एकवारम् अहं खादितवान् / खादितवती
= मैं फिर से नहीं चाहता / चाहती हूँ , मैंने खा लिया ।
शोभा प्रसादं खादितवती।
= शोभा ने प्रसाद खाया।
रुग्णः जनः किं खादितवान् ?
= बीमार व्यक्ति ने क्या खाया ?
रुग्णः किमपि न खादितवान्।
= बीमार ने कुछ नहीं खाया।
रुग्णा युवती किं खादितवती ?
= बीमार लड़की ने क्या खाया ?
रुग्णा युवती एकं सेवफलं खादितवती।
= बीमार लड़की ने एक सेव खाया।
सः वृन्ताकस्य शाकं खादितवान्
= उसने बैगन की सब्जी खाई।
सा कारवेल्लस्य शाकं खादितवती।
= उसने करेले की सब्जी खाई।
ओ३म्
संस्कृताभ्यासः
आज्ञार्थ
अहं खादानि वा ?
= मैं खाऊँ क्या?
अहं चॉकलेहं खादानि वा ?
= मैं चॉकलेट खाऊँ क्या ?
अहं दधि खादानि ?
= मैं दही खाऊँ ?
मा खादतु यतोहि अधुना शीतकालः अस्ति ।
= मत खाईये क्योंकि अभी शीतकाल है।
मिष्ठान्नं खादतु , अहम् उत्तीर्णा अभवम्।
= मिठाई खाईये , मैं पास हो गई।
अधिकं तैलीयं मा खादतु।।
= अधिक तैलीय मत खाईये।
अत्र उपविश्य खादतु।
= यहाँ बैठकर खाईये।
भोजनमन्त्रम् उक्त्वा एव खादतु।
= भोजनमंत्र बोलकर ही खाईये
पुनः पुनः मा खादतु।
= बार बार मत खाईये।
अवशिष्टं भोजनं मा खादतु।
= बासी भोजन मत खाईये।
अहम् एकाकी न खादिष्यामि भवान् / भवती अपि खादतु।
= मैं अकेला नहीं खाऊँगा आप भी खाईये।
ओ३म्
संस्कृताभ्यासः
वर्तमानकाल
अहं पिबामि
= पीता हूँ / पीती हूँ हूँ।
अधुना अहं जलं पिबामि।
= अभी मैं पानी पी रहा हूँ / रही हूँ।
अहं किं पिबामि ?
= मैं क्या पी रहा / रही हूँ ?
अहं फलस्य रसं पिबामि।
= मैं फल का जूस पी रहा हूँ / रही हूँ।
इदानीम् अहं किमपि न पिबामि ।
= अभी मैं कुछ नहीं पी रहा हूँ / रही हूँ।
सः/ सा किं पिबति ?
= वह क्या पी रहा / रही है ?
सः / सा दुग्धं पिबति।
= वह दूध पी रहा / रही है।
भवान् कस्य रसं पिबति ?
= आप किसका जूस पी रहे हैं ?
भवती कस्य रसं पिबति ?
= आप किसका जूस पी रही हैं ?
अहं आमलकस्य रसं पिबामि।
= मैं आँवले का जूस पी रहा / रही हूँ।
योगाचार्यः अलाबोः रसं पिबति।
= योगाचार्यजी लौकी का जूस पीते है।
वृन्दा रजतचषके दुग्धं पिबति।
= वृन्दा चाँदी के गिलास में दूध पीती है ।
स्मिता प्रातःकाले ऊष्णं जलं पिबति।
= स्मिता प्रातःकाल गरम पानी पीती है।
भोजनसमये सः जलं न पिबति।
= भोजन के समय वह पानी नहीं पीता है है।
भोजनान्ते सः तक्रं पिबति।
= भोजन के बाद वह छास पिता है
भरतः वारंवारं जलं पिबति।
= भरत बारबार पानी पीता है।
#vakyabhyas
June 16, 2022
न त्वहं कामये राज्यं
न स्वर्गं नापुनर्भवम्।
कामये दुःखतप्तानाम्
प्रणिनामार्तिनाशनम्।।
(भारतरत्न पूज्य महामना मदन मोहन मालवीय)
अर्थात् - मुझे राज्य की, स्वर्ग की और मोक्ष की कामना नहीं है, मैं दुःख से संतप्त प्राणियों के कष्ट-निवारण की कामना करता हूं।
न स्वर्गं नापुनर्भवम्।
कामये दुःखतप्तानाम्
प्रणिनामार्तिनाशनम्।।
(भारतरत्न पूज्य महामना मदन मोहन मालवीय)
अर्थात् - मुझे राज्य की, स्वर्ग की और मोक्ष की कामना नहीं है, मैं दुःख से संतप्त प्राणियों के कष्ट-निवारण की कामना करता हूं।
June 16, 2022
June 16, 2022
Samskrit
Bharati, Gujarat invites you all for a Sanskrit Wikipedia workshop
(online), which will be held on 19th June 2022 from 2PM to 3PM on
Telegram Channel संस्कृत संवादः (@samskrt_samvadah)
Link to Join👇🏼
https://t.me/samskrt_samvadah?voicechat
Organiser contact : samskritwikigujarat@gmail.com
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Organiser contact : samskritwikigujarat@gmail.com
June 16, 2022
June 16, 2022
June 16, 2022
June 16, 2022
@samskrt_samvadah संलापशाला - A Samskrit Voicechat room.
यदीच्छसि वशीकर्तुं, भाषणमेककर्मणा।
यायास्संलापशालां वै, भवति यत्र भाषणम्।।
⏳45 निमेषाः
🕚 IST 11:00 AM
🔰संस्कृतकथा,सुभाषितम्, हास्यकणिका इत्यादयः
🗓17th june 2022, शुक्रवासरः
🔴Voicechat would be recorded and shared on this channel.
📑यदि शक्येत चेत् संस्कृतेन (संस्कृतकथां, सुभाषितं, हास्यकणिकां ,स्वस्य कञ्चित् उत्तमम् अनुभवं ,प्रेरकप्रसङ्गं ,लौकिकन्यायं वा वदन्तु) । चर्चार्थं कृपया पूर्वसिद्धतां कृत्वा आगच्छन्तु।
वयं युष्माकं प्रतीक्षां कुर्मः। 😇
स्मारणतंत्रिकां स्थापयतु ⏰
👇🏼👇🏼👇🏼👇🏼👇🏼
https://t.me/samskrt_samvadah?voicechat
यदीच्छसि वशीकर्तुं, भाषणमेककर्मणा।
यायास्संलापशालां वै, भवति यत्र भाषणम्।।
⏳45 निमेषाः
🕚 IST 11:00 AM
🔰संस्कृतकथा,सुभाषितम्, हास्यकणिका इत्यादयः
🗓17th june 2022, शुक्रवासरः
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📑यदि शक्येत चेत् संस्कृतेन (संस्कृतकथां, सुभाषितं, हास्यकणिकां ,स्वस्य कञ्चित् उत्तमम् अनुभवं ,प्रेरकप्रसङ्गं ,लौकिकन्यायं वा वदन्तु) । चर्चार्थं कृपया पूर्वसिद्धतां कृत्वा आगच्छन्तु।
वयं युष्माकं प्रतीक्षां कुर्मः। 😇
स्मारणतंत्रिकां स्थापयतु ⏰
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June 16, 2022
June 16, 2022
June 16, 2022
🍃
♦️iti guhyataman sastramidamuktan mayanagha.
etadbuddhva buddhimansyatkrtakrtyasca bharata৷৷15.20৷৷
⚜Thus, this most secret science has been taught by Me, O sinless one; on knowing this, a man becomes wise, and all his duties are accomplished, O Arjuna.15.20
⚜।।15.20।। हे निष्पाप भारत ! इस प्रकार यह गुह्यतम शास्त्र मेरे द्वारा कहा गया, इसको जानकर मनुष्य बुद्धिमान और कृतकृत्य हो जाता है।।
#geeta
इति गुह्यतमं शास्त्रमिदमुक्तं मयाऽनघ।
एतद्बुद्ध्वा बुद्धिमान्स्यात्कृतकृत्यश्च भारत
।।15.20।।♦️iti guhyataman sastramidamuktan mayanagha.
etadbuddhva buddhimansyatkrtakrtyasca bharata৷৷15.20৷৷
⚜Thus, this most secret science has been taught by Me, O sinless one; on knowing this, a man becomes wise, and all his duties are accomplished, O Arjuna.15.20
⚜।।15.20।। हे निष्पाप भारत ! इस प्रकार यह गुह्यतम शास्त्र मेरे द्वारा कहा गया, इसको जानकर मनुष्य बुद्धिमान और कृतकृत्य हो जाता है।।
#geeta
June 16, 2022
🍃
♦️sri bhagavanuvaca
abhayan sattvasansuddhih jnanayogavyavasthitih.
danan damasca yajnasca svadhyayastapa arjavam৷৷16.1৷৷
⚜The Blessed Lord said --
Fearlessness, purity of heart, steadfastness in knowledge and Yoga, almsgiving, control of the senses, sacrifice, study of scriptures, austerity and straightforwardness.(16.1)
⚜श्री भगवान् ने कहा --
अभय अन्तकरण की शुद्धि ज्ञानयोग में दृढ़ स्थिति दान दम यज्ञ स्वाध्याय तप और आर्जव।।16.1।।
#geeta
श्री भगवानुवाच
अभयं सत्त्वसंशुद्धिः ज्ञानयोगव्यवस्थितिः।
दानं दमश्च यज्ञश्च स्वाध्यायस्तप आर्जवम्
।।16.1।।♦️sri bhagavanuvaca
abhayan sattvasansuddhih jnanayogavyavasthitih.
danan damasca yajnasca svadhyayastapa arjavam৷৷16.1৷৷
⚜The Blessed Lord said --
Fearlessness, purity of heart, steadfastness in knowledge and Yoga, almsgiving, control of the senses, sacrifice, study of scriptures, austerity and straightforwardness.(16.1)
⚜श्री भगवान् ने कहा --
अभय अन्तकरण की शुद्धि ज्ञानयोग में दृढ़ स्थिति दान दम यज्ञ स्वाध्याय तप और आर्जव।।16.1।।
#geeta
June 16, 2022
June 16, 2022
🚩जय सत्य सनातन🚩
🚩आज की हिंदी तिथि
🌥️ 🚩युगाब्द-५१२४
🌥️ 🚩विक्रम संवत-२०७९
⛅ 🚩तिथि - तृतीया सुबह 06:10 तक तत्पश्चात चतुर्थी रात्रि 02:59 तक
⛅दिनांक 17 जून 2022
⛅दिन - शुक्रवार
⛅शक संवत - 1944
⛅अयन - उत्तरायण
⛅ऋतु - ग्रीष्म
⛅मास - आषाढ़
⛅पक्ष - कृष्ण
⛅नक्षत्र - उत्तराषाढा दोपहर 09:56 तक तत्पश्चात श्रवण
⛅योग - इन्द्र शाम 05:18 तक तत्पश्चात वैधृति
⛅राहु काल - दोपहर 02:22 से 04:04 तक
⛅सूर्योदय - 05:54
⛅सूर्यास्त - 07:27
⛅दिशा शूल - दक्षिण दिशा में
⛅ब्रह्म मुहूर्त - प्रातः 04:31 से 05:12 तक
🚩आज की हिंदी तिथि
🌥️ 🚩युगाब्द-५१२४
🌥️ 🚩विक्रम संवत-२०७९
⛅ 🚩तिथि - तृतीया सुबह 06:10 तक तत्पश्चात चतुर्थी रात्रि 02:59 तक
⛅दिनांक 17 जून 2022
⛅दिन - शुक्रवार
⛅शक संवत - 1944
⛅अयन - उत्तरायण
⛅ऋतु - ग्रीष्म
⛅मास - आषाढ़
⛅पक्ष - कृष्ण
⛅नक्षत्र - उत्तराषाढा दोपहर 09:56 तक तत्पश्चात श्रवण
⛅योग - इन्द्र शाम 05:18 तक तत्पश्चात वैधृति
⛅राहु काल - दोपहर 02:22 से 04:04 तक
⛅सूर्योदय - 05:54
⛅सूर्यास्त - 07:27
⛅दिशा शूल - दक्षिण दिशा में
⛅ब्रह्म मुहूर्त - प्रातः 04:31 से 05:12 तक
June 16, 2022
June 16, 2022
https://youtu.be/p3aXcMjHDnQ
प्रतिदिनं प्रातः ७:१५ वादने १५ निमेषात्मिकायै वार्तायै डी डी न्यूज् इति पश्यत।
प्रतिदिनं प्रातः ७:१५ वादने १५ निमेषात्मिकायै वार्तायै डी डी न्यूज् इति पश्यत।
YouTube
वार्ता: संस्कृत में समाचार | मुख्यसचिवानां राष्ट्रिय सम्मेलनम् |
वार्ता: संस्कृत में समाचार | मुख्यसचिवानां राष्ट्रिय सम्मेलनम् |
DD News 24x7 | Breaking News and other Live updates | | News in Hindi | Latest News
DD News is India’s 24x7 news channel from the stable of the country’s Public Service Broadcaster, Prasar…
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June 16, 2022
@samskrt_samvadah संलापशाला - A Samskrit Voicechat room.
यदीच्छसि वशीकर्तुं, भाषणमेककर्मणा।
यायास्संलापशालां वै, भवति यत्र भाषणम्।।
⏳45 निमेषाः
🕚 IST 11:00 AM
🔰संस्कृतकथा,सुभाषितम्, हास्यकणिका इत्यादयः
🗓17th june 2022, शुक्रवासरः
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📑यदि शक्येत चेत् संस्कृतेन (संस्कृतकथां, सुभाषितं, हास्यकणिकां ,स्वस्य कञ्चित् उत्तमम् अनुभवं ,प्रेरकप्रसङ्गं ,लौकिकन्यायं वा वदन्तु) । चर्चार्थं कृपया पूर्वसिद्धतां कृत्वा आगच्छन्तु।
वयं युष्माकं प्रतीक्षां कुर्मः। 😇
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यदीच्छसि वशीकर्तुं, भाषणमेककर्मणा।
यायास्संलापशालां वै, भवति यत्र भाषणम्।।
⏳45 निमेषाः
🕚 IST 11:00 AM
🔰संस्कृतकथा,सुभाषितम्, हास्यकणिका इत्यादयः
🗓17th june 2022, शुक्रवासरः
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📑यदि शक्येत चेत् संस्कृतेन (संस्कृतकथां, सुभाषितं, हास्यकणिकां ,स्वस्य कञ्चित् उत्तमम् अनुभवं ,प्रेरकप्रसङ्गं ,लौकिकन्यायं वा वदन्तु) । चर्चार्थं कृपया पूर्वसिद्धतां कृत्वा आगच्छन्तु।
वयं युष्माकं प्रतीक्षां कुर्मः। 😇
स्मारणतंत्रिकां स्थापयतु ⏰
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June 16, 2022
June 16, 2022
June 16, 2022
June 16, 2022
🍃
⚜"मन-बुद्धि तथा इंद्रियों को आत्म-नियंत्रित करके स्वयं ही अपने आत्मा को जानने का प्रयत्न करें, क्योंकि आत्मा ही हमारा हितैषी और आत्मा ही हमारा शत्रु भी है ।"
🔅मनः इन्द्रियाणि तथा बुद्धिं स्ववशे कृत्वा कोऽहम् इत्यस्य अन्वेषणं करणीयम् , यतः आत्मा एव अस्माकं शत्रुः मित्रं च भवतः।
#Subhashitam
"आत्मनाऽऽत्मानमन्विच्छेन्मनोबुद्धीन्द्रियैर्यतैः।
आत्मा ह्वोवात्मनो बन्धुरात्मैव रिपुरात्मनः
॥"⚜"मन-बुद्धि तथा इंद्रियों को आत्म-नियंत्रित करके स्वयं ही अपने आत्मा को जानने का प्रयत्न करें, क्योंकि आत्मा ही हमारा हितैषी और आत्मा ही हमारा शत्रु भी है ।"
🔅मनः इन्द्रियाणि तथा बुद्धिं स्ववशे कृत्वा कोऽहम् इत्यस्य अन्वेषणं करणीयम् , यतः आत्मा एव अस्माकं शत्रुः मित्रं च भवतः।
#Subhashitam
June 16, 2022
हनुमतः _______ जनः ______ याति।
Anonymous Quiz
13%
वामतः यानात्
22%
दक्षिणतः यानात्
49%
दक्षिणतः यानेन
16%
पुरतः यानेन
June 17, 2022
June 17, 2022
ओ३म्
संस्कृताभ्यासः
भविष्यकाल
अहं पास्यामि।
= मैं पियूँगा / मैं पियूँगी।
अहं न पास्यामि।
= मैं नहीं पियूँगा / मैं नहीं पियूँगी।
अहं निम्बरसं पास्यामि।
= मैं नीम का रस पियूँगा / पियूँगी।
अहं रात्रिकाले दुग्धं पास्यामि।
= मैं रात को दूध पियूँगा / पियूँगी।
अहं चायं न पास्यामि
= मैं चाय नहीं पियूँगा / पियूँगी।
सः कदलीफलस्य रसं पास्यति
= वह केले का जूस पियेगा।
मशकः रात्रौ रक्तं पास्यति।
= मच्छर रात में खून पियेगा।
रणजीतः उष्णं जलं पास्यति।
= रणजीत गरम पानी पियेगा।
सोमलता भगिनी पायसं पास्यति।
= सोमलता खीर पीयेगी।
स्मृतिः शीतलं जलं पास्यति।
= स्मृति ठंडा पानी पीयेगी।
शिशुः मातुः दुग्धं पास्यति।
= शिशु माँ का दूध पियेगा।
ओ३म्
संस्कृताभ्यासः
भूतकाल
अहं पीतवान् / पीतवती
= मैंने पी लिया / मैंने पिया
अहं क्रोधं पीतवान् / पीतवती
= मैंने क्रोध पी लिया।
अहं तु प्रातःकाले एव पीतवान् / पीतवती
= मैंने तो सुबह ही पी लिया
सरिता दशमूलारिष्टं पीतवती।
= सरिता ने दशमूल काढ़ा पिया।
रूपेशः गोमूत्रं पीतवान् ।
= रूपेश ने गोमूत्र पिया।
गङ्गायां स्नानं कृत्वा सः गङ्गाजलं पीतवान्
= गङ्गा में स्नान करके उसने गंगाजल पिया।
उषा पानकं पीतवती।
= उषा ने शरबत पिया।
बालिका शनैःशनैः दुग्धं पीतवती।
= बालिका ने धीरे धीरे दूध पिया।
रात्रौ मशकः मम रक्तं पीतवान्।
= रात में मच्छर ने मेरा खून पिया।
ओ३म्
संस्कृताभ्यासः
आज्ञार्थ
अहं पिबानि ?
= मैं पियुँ ?
अहं चायं पिबानि वा ?
= मैं चाय पियुँ क्या ?
अहं कदा चायं पिबानि ?
= मैं कब चाय पियुँ ?
न ... मा पिबतु।
= नहीं मत पीजिये।
कृपया अशुद्धं जलं मा पिबतु।
= कृपया अशुद्ध जल न पियें।
बहु उष्णम् अस्ति , अधुना मा पिबतु।
= बहुत गरम है , अभी मत पीजिये।
आगच्छतु ... दाड़िमरसं पिबतु।
= आईये . . अनार का जूस पीजिये।
उत्थाय जलं मा पिबतु ... उपविश्य पिबतु।
= खड़े होकर पानी मत पीजिये बैठकर पीजिये।
ग्रीष्मकाले वारंवारं जलं पिबतु।
= ग्रीष्मकाल में बार बार पानी पीजिये।
वर्षासमये वर्षाजलं पिबतु।
= बरसात में वर्षा का पानी पीजिये।
बहु अम्लीयं रसं मा पिबतु।
= बहुत खट्टा जूस मत पीजिये।
#vakyabhyas
संस्कृताभ्यासः
भविष्यकाल
अहं पास्यामि।
= मैं पियूँगा / मैं पियूँगी।
अहं न पास्यामि।
= मैं नहीं पियूँगा / मैं नहीं पियूँगी।
अहं निम्बरसं पास्यामि।
= मैं नीम का रस पियूँगा / पियूँगी।
अहं रात्रिकाले दुग्धं पास्यामि।
= मैं रात को दूध पियूँगा / पियूँगी।
अहं चायं न पास्यामि
= मैं चाय नहीं पियूँगा / पियूँगी।
सः कदलीफलस्य रसं पास्यति
= वह केले का जूस पियेगा।
मशकः रात्रौ रक्तं पास्यति।
= मच्छर रात में खून पियेगा।
रणजीतः उष्णं जलं पास्यति।
= रणजीत गरम पानी पियेगा।
सोमलता भगिनी पायसं पास्यति।
= सोमलता खीर पीयेगी।
स्मृतिः शीतलं जलं पास्यति।
= स्मृति ठंडा पानी पीयेगी।
शिशुः मातुः दुग्धं पास्यति।
= शिशु माँ का दूध पियेगा।
ओ३म्
संस्कृताभ्यासः
भूतकाल
अहं पीतवान् / पीतवती
= मैंने पी लिया / मैंने पिया
अहं क्रोधं पीतवान् / पीतवती
= मैंने क्रोध पी लिया।
अहं तु प्रातःकाले एव पीतवान् / पीतवती
= मैंने तो सुबह ही पी लिया
सरिता दशमूलारिष्टं पीतवती।
= सरिता ने दशमूल काढ़ा पिया।
रूपेशः गोमूत्रं पीतवान् ।
= रूपेश ने गोमूत्र पिया।
गङ्गायां स्नानं कृत्वा सः गङ्गाजलं पीतवान्
= गङ्गा में स्नान करके उसने गंगाजल पिया।
उषा पानकं पीतवती।
= उषा ने शरबत पिया।
बालिका शनैःशनैः दुग्धं पीतवती।
= बालिका ने धीरे धीरे दूध पिया।
रात्रौ मशकः मम रक्तं पीतवान्।
= रात में मच्छर ने मेरा खून पिया।
ओ३म्
संस्कृताभ्यासः
आज्ञार्थ
अहं पिबानि ?
= मैं पियुँ ?
अहं चायं पिबानि वा ?
= मैं चाय पियुँ क्या ?
अहं कदा चायं पिबानि ?
= मैं कब चाय पियुँ ?
न ... मा पिबतु।
= नहीं मत पीजिये।
कृपया अशुद्धं जलं मा पिबतु।
= कृपया अशुद्ध जल न पियें।
बहु उष्णम् अस्ति , अधुना मा पिबतु।
= बहुत गरम है , अभी मत पीजिये।
आगच्छतु ... दाड़िमरसं पिबतु।
= आईये . . अनार का जूस पीजिये।
उत्थाय जलं मा पिबतु ... उपविश्य पिबतु।
= खड़े होकर पानी मत पीजिये बैठकर पीजिये।
ग्रीष्मकाले वारंवारं जलं पिबतु।
= ग्रीष्मकाल में बार बार पानी पीजिये।
वर्षासमये वर्षाजलं पिबतु।
= बरसात में वर्षा का पानी पीजिये।
बहु अम्लीयं रसं मा पिबतु।
= बहुत खट्टा जूस मत पीजिये।
#vakyabhyas
June 17, 2022
@samskrt_samvadah प्रारंभ करता है, संस्कृताश्रमः - संस्कृतशिक्षण की लघु कक्षाऐं
⏳20 मिनट
🕚 09:00 PM 🇮🇳
🔰पञ्चमीविभक्तिः
🗓17th जून् 2022, शुक्रवासरः
🔴 कक्षाओं की प्रति हमारे युट्युब प्लेलिस्ट पर डाली जायेगी
https://youtube.com/playlist?list=PL6OCpxoxDlOZwPLLcoB8TtdqgxmdSR-7c
कृपया अलार्म लगा लें और विलंब से न आयें।
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https://t.me/samskrt_samvadah?voicechat
⏳20 मिनट
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June 17, 2022
June 17, 2022
Teacher - What is a line ?
Student - A dot, that's going for a walk is a line.
Teacher - Then what are parallel lines ?
Student - A dot going for a walk with his girlfriend.
#hasya
Student - A dot, that's going for a walk is a line.
Teacher - Then what are parallel lines ?
Student - A dot going for a walk with his girlfriend.
#hasya
June 17, 2022
VID-20220617-WA0002.mp4
6.5 MB
वाराणस्यां
सम्प्रति कोरोनासुरक्षानिर्देशानां घोषणा अपि
भारतीयविमानपत्तनप्राधिकरणेन संस्कृते क्रियते। प्रथमे संस्कृते तदनन्तरं
हिन्द्याम् अन्ततः आङ्ग्ले। काशी संस्कृतभाषायाः मुख्यस्थानत्वात् एषः
प्रयासः विमानपत्तनेन क्रियते येन यात्रिकाः जानन्ति यत् ते
संस्कृतिसंस्कृतयोः च भूमिं प्राप्तवन्तः। #Celebrating_Sanskrit
June 17, 2022
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June 17, 2022
June 17, 2022
@samskrt_samvadah संलापशाला - A Samskrit Voicechat room.
यदीच्छसि वशीकर्तुं, भाषणमेककर्मणा।
यायास्संलापशालां वै, भवति यत्र भाषणम्।।
⏳45 निमेषाः
🕚 IST 11:00 AM
🔰वंशश्रेणि-अन्तरम् (Generation gap)
🗓18th June 2022, शनिवासरः
🔴Voicechat would be recorded and shared on this channel.
📑यदि शक्येत चेत् संस्कृतेन (वंशश्रेण्याः अन्तरं कथं पूरयितुं शक्नुमः , एतस्य अन्तरस्य कः प्रभावः भवति।) चर्चार्थं कृपया पूर्वसिद्धतां कृत्वा आगच्छन्तु।
वयं युष्माकं प्रतीक्षां कुर्मः। 😇
स्मारणतंत्रिकां स्थापयतु ⏰
👇🏼👇🏼👇🏼👇🏼👇🏼
https://t.me/samskrt_samvadah?voicechat
यदीच्छसि वशीकर्तुं, भाषणमेककर्मणा।
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🔰वंशश्रेणि-अन्तरम् (Generation gap)
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June 17, 2022
🍃
♦️ahinsa satyamakrodhastyagah santirapaisunam.
daya bhutesvaloluptvan mardavaṅ hriracapalam৷৷16.2৷৷
⚜Harmlessness, truth, absence of anger, renunciation, peacefulness, absence of crookedness, compassion towards beings, non-covetousness, gentleness, modesty, absence of fickleness.(16.2)
⚜अहिंसा सत्य क्रोध का अभाव त्याग शान्ति अपैशुनम् (किसी की निन्दा न करना) भूतमात्र के प्रति दया अलोलुपता मार्दव (कोमलता) लज्जा अचंचलता।।
#geeta
अहिंसा सत्यमक्रोधस्त्यागः शान्तिरपैशुनम्।
दया भूतेष्वलोलुप्त्वं मार्दवं ह्रीरचापलम्
।।16.2।।♦️ahinsa satyamakrodhastyagah santirapaisunam.
daya bhutesvaloluptvan mardavaṅ hriracapalam৷৷16.2৷৷
⚜Harmlessness, truth, absence of anger, renunciation, peacefulness, absence of crookedness, compassion towards beings, non-covetousness, gentleness, modesty, absence of fickleness.(16.2)
⚜अहिंसा सत्य क्रोध का अभाव त्याग शान्ति अपैशुनम् (किसी की निन्दा न करना) भूतमात्र के प्रति दया अलोलुपता मार्दव (कोमलता) लज्जा अचंचलता।।
#geeta
June 17, 2022
June 17, 2022
June 17, 2022
June 17, 2022
🍃
♦️tejah ksama dhrtih saucamadroho natimanita.
bhavanti sampadan daivimabhijatasya bharata৷৷16.3৷৷
⚜Vigour, forgiveness, fortitude, purity, absence of hatred, absence of pride these belong to the one born for a divine state, O Arjuna.(16.3)
⚜हे भारत तेज क्षमा धैर्य शौच (शुद्धि) अद्रोह और अतिमान (गर्व) का अभाव ये सब दैवी संपदा को प्राप्त पुरुष के लक्षण हैं।।16.3।।
#geeta
तेजः क्षमा धृतिः शौचमद्रोहो नातिमानिता।
भवन्ति सम्पदं दैवीमभिजातस्य भारत
।।16.3।।♦️tejah ksama dhrtih saucamadroho natimanita.
bhavanti sampadan daivimabhijatasya bharata৷৷16.3৷৷
⚜Vigour, forgiveness, fortitude, purity, absence of hatred, absence of pride these belong to the one born for a divine state, O Arjuna.(16.3)
⚜हे भारत तेज क्षमा धैर्य शौच (शुद्धि) अद्रोह और अतिमान (गर्व) का अभाव ये सब दैवी संपदा को प्राप्त पुरुष के लक्षण हैं।।16.3।।
#geeta
June 17, 2022
June 17, 2022
June 17, 2022
🚩जय सत्य सनातन🚩
🚩आज की हिंदी तिथि
🌥️ 🚩युगाब्द-५१२४
🌥️ 🚩विक्रम संवत-२०७९
⛅ 🚩तिथि - पंचमी रात्रि 12:19 तक तत्पश्चात षष्टी
⛅दिनांक 18 जून 2022
⛅दिन - शनिवार
⛅शक संवत - 1944
⛅अयन - उत्तरायण
⛅ऋतु - ग्रीष्म
⛅मास - आषाढ़
⛅पक्ष - कृष्ण
⛅नक्षत्र - श्रवण सुबह 07:39 तक तत्पश्चात धनिष्ठा
⛅योग - वैधृति दोपहर 01:50 तक तत्पश्चात विष्कम्भ
⛅राहु काल - सुबह 09:18 से 10:59 तक
⛅सूर्योदय - 05:54
⛅सूर्यास्त - 07:27
⛅दिशा शूल - पूर्व दिशा में
⛅ब्रह्म मुहूर्त - प्रातः 04:31 से 05:13 तक
🚩आज की हिंदी तिथि
🌥️ 🚩युगाब्द-५१२४
🌥️ 🚩विक्रम संवत-२०७९
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⛅अयन - उत्तरायण
⛅ऋतु - ग्रीष्म
⛅मास - आषाढ़
⛅पक्ष - कृष्ण
⛅नक्षत्र - श्रवण सुबह 07:39 तक तत्पश्चात धनिष्ठा
⛅योग - वैधृति दोपहर 01:50 तक तत्पश्चात विष्कम्भ
⛅राहु काल - सुबह 09:18 से 10:59 तक
⛅सूर्योदय - 05:54
⛅सूर्यास्त - 07:27
⛅दिशा शूल - पूर्व दिशा में
⛅ब्रह्म मुहूर्त - प्रातः 04:31 से 05:13 तक
June 17, 2022
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June 17, 2022
June 17, 2022
https://youtu.be/EHSSDP_RlXA
प्रतिदिनं प्रातः ७:१५ वादने १५ निमेषात्मिकायै वार्तायै डी डी न्यूज् इति पश्यत।
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YouTube
वार्ता: संस्कृत में समाचार | प्रधानमंत्रिणः मातुः शततमः जन्मदिवस: |
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DD News 24x7 | Breaking News and other Live updates | | News in Hindi | Latest News
DD News is India’s 24x7 news channel from the stable of the country’s Public Service Broadcaster…
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June 17, 2022
🔰चित्रं दृष्ट्वा पञ्चवाक्यानि रचयत।
✍🏼सर्वे टिप्पणीसञ्चिकायां स्वोत्तराणि लेखितुं शक्नुवन्ति अथवा पुस्तिकायां लिखित्वा तस्य चित्रं स्वीकृत्य अपि प्रेषयितुं शक्नुवन्ति।
🗣सहैव तानि वाक्यानि उक्त्वा ध्वनिमाध्यमेन अपि प्रेषयत।
Read in English
हिन्दी में पढें
#chitram
✍🏼सर्वे टिप्पणीसञ्चिकायां स्वोत्तराणि लेखितुं शक्नुवन्ति अथवा पुस्तिकायां लिखित्वा तस्य चित्रं स्वीकृत्य अपि प्रेषयितुं शक्नुवन्ति।
🗣सहैव तानि वाक्यानि उक्त्वा ध्वनिमाध्यमेन अपि प्रेषयत।
Read in English
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#chitram
June 17, 2022
June 17, 2022
🍃अनाहूतः प्रविशति अपृष्टो बहु भाषते।
अविश्वस्त विश्वसिति मूढचेता नराधमः।।
♦️osaskritaacharya anaahootah pravishati apRishto bahu bhaashate avishvaste vishvasiti mooDhachetaa naraadhamal
⚜जो बिना अनुमति के प्रवेश करे, न पूछे जाने पर भी बहुत बोले तथा अविश्वासु पात्र पर भी विश्वास करे - वह मनुष्य या तो मूर्ख है या नराधम।
⚜One who enters without permission, speaks a lot without being asked and believes in who should not be trusted - can either be a
fool or a wretched one.
🔅यः न आहूतः तथापि बहु प्रविशति, न पृष्टः तथापि बहु वदति, अविश्वस्ते जने विश्वासं करोति सः मूर्खः अथवा अधमः जनः भवति।
- विदुरनीति:
#Subhashitam
अविश्वस्त विश्वसिति मूढचेता नराधमः।।
♦️osaskritaacharya anaahootah pravishati apRishto bahu bhaashate avishvaste vishvasiti mooDhachetaa naraadhamal
⚜जो बिना अनुमति के प्रवेश करे, न पूछे जाने पर भी बहुत बोले तथा अविश्वासु पात्र पर भी विश्वास करे - वह मनुष्य या तो मूर्ख है या नराधम।
⚜One who enters without permission, speaks a lot without being asked and believes in who should not be trusted - can either be a
fool or a wretched one.
🔅यः न आहूतः तथापि बहु प्रविशति, न पृष्टः तथापि बहु वदति, अविश्वस्ते जने विश्वासं करोति सः मूर्खः अथवा अधमः जनः भवति।
- विदुरनीति:
#Subhashitam
June 17, 2022
June 17, 2022
June 17, 2022
"माता व्यञ्जनानि पचति"
कर्मणि प्रयोगे वाक्यं किं स्यात्।
कर्मणि प्रयोगे वाक्यं किं स्यात्।
Anonymous Quiz
61%
मात्रा व्यञ्जनानि पच्यन्ते।
15%
मात्रा व्यञ्जनानि पचन्ति।
8%
माता व्यञ्जनानि पचन्ति।
16%
माता व्यञ्जनानि पच्यते।
June 18, 2022
June 18, 2022
ओ३म्
संस्कृताभ्यासः
वर्तमानकाल
अहं श्रृणोमि
= सुनता हूँ / सुनती हूँ।
अधुना अहं गीतं श्रृणोमि।
= अभी मैं गाना सुन रहा हूँ / रही हूँ।
अहं किं श्रृणोमि ?
= मैं क्या सुन रहा / रही हूँ ?
अहं समाचारं श्रृणोमि।
= मैं समाचार सुन रहा हूँ / रही हूँ।
इदानीम् अहं वैदिकं प्रवचनं श्रृणोमि।
= अभी मैं वैदिक प्रवचन सुन रहा हूँ / रही हूँ।
सः/ सा किं श्रृणोति ?
= वह क्या सुन रहा / रही है ?
सः / सा शास्त्रीयं सङ्गीतं श्रृणोति।
= वह शास्त्रीय संगीत सुन रहा / रही है।
भवान् किमर्थं मम वार्तां न श्रृणोति ?
= आप मेरी बात क्यों नहीं सुनते हैं ?
भवती किमर्थं मम वार्तां न श्रृणोति ?
= आप मेरी बात क्यों नहीं सुनती हैं ?
भवान् मम वार्तां तु न श्रृणोति।
= आप मेरी बात तो सुनते नहीं हैं।
माता कथां श्रावयति , पुत्रः ध्यानपूर्वकं श्रृणोति।
= माँ कहानी सुना रही है , बेटा ध्यान से सुन रहा है।
सैनिकः आदेशं श्रृणोति त्वरितमेव धावति।
( सैनिकः आदेशं श्रुत्वा त्वरितमेव धावति।)
= सैनिक आदेश सुनता है तुरंत भागता है।
( सैनिक आदेश सुनकर तुरंत भागता है )
सायंकाले सः लोकगीतानि श्रृणोति।
= शाम को वह लोकगीत सुनता है।
ओ३म्
संस्कृताभ्यासः
भविष्यकाल
अहं श्रोष्यामि।
= मैं सुनूँगा / मैं सुनूँगी
अहं न श्रोष्यामि।
= मैं नहीं सुनूँगा / मैं नहीं सुनूँगी।
अहम् आँग्लगीतं न श्रोष्यामि
= मैं अंग्रेजी गाना नहीं सुनूँगा / सुनूँगी।
अहं यमनरागं श्रोष्यामि।
= मैं यमन राग सुनूँगा / सुनूँगी।
अहं संस्कृतगीतं श्रोष्यामि
= मैं संस्कृतगीत सुनूँगा/ सुनूँगी।
सः मनसः वार्तां श्रोष्यति।
= वह मन की बात सुनेगा।
गृहं गत्वा सः भार्यायाः वार्तां श्रोष्यति।
= घर जाकर वह पत्नी की बात सुनेगा।
पुत्रः श्लोकं कण्ठस्थं करोति , माता श्रोष्यति।
= पुत्र श्लोक याद कर रहा है , माँ सुनेगी।
नवीनः वैदिकं प्रवचनं श्रोष्यति।
= नवीन वैदिक प्रवचन सुनेगा।
नीता कर्णाटकी-सङ्गीतं श्रोष्यति।
= नीता कर्णाटकी संगीत सुनेगी।
अपशब्दं कोsपि न श्रोष्यति।
= अपशब्द कोई नहीं सुनेगा।
ओ३म्
संस्कृताभ्यासः
आज्ञार्थ
अहं श्रृण्वानि वा ?
= मैं सुनूँ क्या?
अहं आँग्लगीतं श्रृण्वानि वा ?
= मैं अंग्रेजी गाना सुनूँ क्या ?
अहं तस्यवार्तां श्रृण्वानि ?
= मैं उसकी बात सुनूँ ?
मा श्रृणोतु , सः मिथ्यां वदति।
= मत सुनिये , वह झूठ बोलता है।
श्रृणोतु ... अवश्यमेव श्रृणोतु।
= सुनिये ... अवश्य सुनिये।
अधिकम् उच्चस्वरेण मा श्रृणोतु।
= बहुत ऊँची आवाज़ में मत सुनिये।
अत्र उपविश्य श्रृणोतु।
= यहाँ बैठकर सुनिये।
श्रृणोतु ... भोजनमन्त्रं श्रृणोतु।
= सुनिये ... भोजनमंत्र सुनिये।
पुनः पुनः एकमेव गीतं मा श्रृणोतु।
= बार बार एक ही गीत मत सुनिये।
पुत्रः काव्यं श्रावयति ... कृपया श्रृणोतु।
= पुत्र कविता सुना रहा है... कृपया सुनिये।
श्रृणोतु ... सः / सा किं वदति।
= सुनिये ... वह क्या बोल रहा / रही है।
गुरोः वचनम् अवश्यमेव श्रृणोतु।
= गुरु की बात अवश्य सुनिये।
#vakyabhyas
संस्कृताभ्यासः
वर्तमानकाल
अहं श्रृणोमि
= सुनता हूँ / सुनती हूँ।
अधुना अहं गीतं श्रृणोमि।
= अभी मैं गाना सुन रहा हूँ / रही हूँ।
अहं किं श्रृणोमि ?
= मैं क्या सुन रहा / रही हूँ ?
अहं समाचारं श्रृणोमि।
= मैं समाचार सुन रहा हूँ / रही हूँ।
इदानीम् अहं वैदिकं प्रवचनं श्रृणोमि।
= अभी मैं वैदिक प्रवचन सुन रहा हूँ / रही हूँ।
सः/ सा किं श्रृणोति ?
= वह क्या सुन रहा / रही है ?
सः / सा शास्त्रीयं सङ्गीतं श्रृणोति।
= वह शास्त्रीय संगीत सुन रहा / रही है।
भवान् किमर्थं मम वार्तां न श्रृणोति ?
= आप मेरी बात क्यों नहीं सुनते हैं ?
भवती किमर्थं मम वार्तां न श्रृणोति ?
= आप मेरी बात क्यों नहीं सुनती हैं ?
भवान् मम वार्तां तु न श्रृणोति।
= आप मेरी बात तो सुनते नहीं हैं।
माता कथां श्रावयति , पुत्रः ध्यानपूर्वकं श्रृणोति।
= माँ कहानी सुना रही है , बेटा ध्यान से सुन रहा है।
सैनिकः आदेशं श्रृणोति त्वरितमेव धावति।
( सैनिकः आदेशं श्रुत्वा त्वरितमेव धावति।)
= सैनिक आदेश सुनता है तुरंत भागता है।
( सैनिक आदेश सुनकर तुरंत भागता है )
सायंकाले सः लोकगीतानि श्रृणोति।
= शाम को वह लोकगीत सुनता है।
ओ३म्
संस्कृताभ्यासः
भविष्यकाल
अहं श्रोष्यामि।
= मैं सुनूँगा / मैं सुनूँगी
अहं न श्रोष्यामि।
= मैं नहीं सुनूँगा / मैं नहीं सुनूँगी।
अहम् आँग्लगीतं न श्रोष्यामि
= मैं अंग्रेजी गाना नहीं सुनूँगा / सुनूँगी।
अहं यमनरागं श्रोष्यामि।
= मैं यमन राग सुनूँगा / सुनूँगी।
अहं संस्कृतगीतं श्रोष्यामि
= मैं संस्कृतगीत सुनूँगा/ सुनूँगी।
सः मनसः वार्तां श्रोष्यति।
= वह मन की बात सुनेगा।
गृहं गत्वा सः भार्यायाः वार्तां श्रोष्यति।
= घर जाकर वह पत्नी की बात सुनेगा।
पुत्रः श्लोकं कण्ठस्थं करोति , माता श्रोष्यति।
= पुत्र श्लोक याद कर रहा है , माँ सुनेगी।
नवीनः वैदिकं प्रवचनं श्रोष्यति।
= नवीन वैदिक प्रवचन सुनेगा।
नीता कर्णाटकी-सङ्गीतं श्रोष्यति।
= नीता कर्णाटकी संगीत सुनेगी।
अपशब्दं कोsपि न श्रोष्यति।
= अपशब्द कोई नहीं सुनेगा।
ओ३म्
संस्कृताभ्यासः
आज्ञार्थ
अहं श्रृण्वानि वा ?
= मैं सुनूँ क्या?
अहं आँग्लगीतं श्रृण्वानि वा ?
= मैं अंग्रेजी गाना सुनूँ क्या ?
अहं तस्यवार्तां श्रृण्वानि ?
= मैं उसकी बात सुनूँ ?
मा श्रृणोतु , सः मिथ्यां वदति।
= मत सुनिये , वह झूठ बोलता है।
श्रृणोतु ... अवश्यमेव श्रृणोतु।
= सुनिये ... अवश्य सुनिये।
अधिकम् उच्चस्वरेण मा श्रृणोतु।
= बहुत ऊँची आवाज़ में मत सुनिये।
अत्र उपविश्य श्रृणोतु।
= यहाँ बैठकर सुनिये।
श्रृणोतु ... भोजनमन्त्रं श्रृणोतु।
= सुनिये ... भोजनमंत्र सुनिये।
पुनः पुनः एकमेव गीतं मा श्रृणोतु।
= बार बार एक ही गीत मत सुनिये।
पुत्रः काव्यं श्रावयति ... कृपया श्रृणोतु।
= पुत्र कविता सुना रहा है... कृपया सुनिये।
श्रृणोतु ... सः / सा किं वदति।
= सुनिये ... वह क्या बोल रहा / रही है।
गुरोः वचनम् अवश्यमेव श्रृणोतु।
= गुरु की बात अवश्य सुनिये।
#vakyabhyas
June 18, 2022
@samskrt_samvadah प्रारंभ करता है, संस्कृताश्रमः - संस्कृतशिक्षण की लघु कक्षाऐं
⏳20 मिनट
🕚 09:00 PM 🇮🇳
🔰पञ्चमीविभक्तेः अभ्यासः
🗓18th जून् 2022, शनिवासरः
🔴 कक्षाओं की प्रति हमारे युट्युब प्लेलिस्ट पर डाली जायेगी
https://youtube.com/playlist?list=PL6OCpxoxDlOZwPLLcoB8TtdqgxmdSR-7c
कृपया अलार्म लगा लें और विलंब से न आयें।
👇🏼👇🏼👇🏼👇🏼👇🏼
https://t.me/samskrt_samvadah?voicechat
⏳20 मिनट
🕚 09:00 PM 🇮🇳
🔰पञ्चमीविभक्तेः अभ्यासः
🗓18th जून् 2022, शनिवासरः
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कृपया अलार्म लगा लें और विलंब से न आयें।
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June 18, 2022
June 18, 2022
@samskrt_samvadah संलापशाला - A Samskrit Voicechat room.
यदीच्छसि वशीकर्तुं, भाषणमेककर्मणा।
यायास्संलापशालां वै, भवति यत्र भाषणम्।।
⏳45 निमेषाः
🕚 IST 11:00 AM
🔰जन्तुपरिचयः
🗓19th June 2022, रविवासरः
🔴Voicechat would be recorded and shared on this channel.
📑यदि शक्येत चेत् संस्कृतेन (प्रियस्य जन्तोः परिचयः दातव्यः।) चर्चार्थं कृपया पूर्वसिद्धतां कृत्वा आगच्छन्तु।
वयं युष्माकं प्रतीक्षां कुर्मः। 😇
स्मारणतंत्रिकां स्थापयतु ⏰
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यदीच्छसि वशीकर्तुं, भाषणमेककर्मणा।
यायास्संलापशालां वै, भवति यत्र भाषणम्।।
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🗓19th June 2022, रविवासरः
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📑यदि शक्येत चेत् संस्कृतेन (प्रियस्य जन्तोः परिचयः दातव्यः।) चर्चार्थं कृपया पूर्वसिद्धतां कृत्वा आगच्छन्तु।
वयं युष्माकं प्रतीक्षां कुर्मः। 😇
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June 18, 2022
🍃
♦️dambho darpobhimanasca krodhah parusyameva ca.
ajnanaṅ cabhijatasya partha sampadamasurim৷৷16.4৷৷
⚜Hypocrisy, arrogance and self-conceit, anger and also harshness and ignorance, belong to one who is born for a demoniacal state, O Partha (Arjuna).(16.4)
⚜हे पार्थ, दम्भ दर्प अभिमान क्रोध कठोर वाणी (पारुष्य) और अज्ञान यह सब आसुरी सम्पदा है।।16.4।।
#geeta
दम्भो दर्पोऽभिमानश्च क्रोधः पारुष्यमेव च।
अज्ञानं चाभिजातस्य पार्थ सम्पदमासुरीम्
।।16.4।।♦️dambho darpobhimanasca krodhah parusyameva ca.
ajnanaṅ cabhijatasya partha sampadamasurim৷৷16.4৷৷
⚜Hypocrisy, arrogance and self-conceit, anger and also harshness and ignorance, belong to one who is born for a demoniacal state, O Partha (Arjuna).(16.4)
⚜हे पार्थ, दम्भ दर्प अभिमान क्रोध कठोर वाणी (पारुष्य) और अज्ञान यह सब आसुरी सम्पदा है।।16.4।।
#geeta
June 18, 2022
June 18, 2022
June 18, 2022
June 18, 2022
🍃
♦️daivi sampadvimoksaya nibandhayasuri mata.
ma sucah sampadan daivimabhijatosi pandava৷৷16.5৷৷
⚜The divine nature is deemed conducive to liberation, and the demoniacal to bondage. Grieve not, O Arjuna, thou art born with divine endowments.(16.5)
⚜हे पाण्डव दैवी सम्पदा मोक्ष के लिए और आसुरी सम्पदा बन्धन के लिए मानी गयी है तुम शोक मत करो क्योंकि तुम दैवी सम्पदा को प्राप्त हुए हो।।16.5।।
#geeta
दैवी सम्पद्विमोक्षाय निबन्धायासुरी मता।
मा शुचः सम्पदं दैवीमभिजातोऽसि पाण्डव
।।16.5।।♦️daivi sampadvimoksaya nibandhayasuri mata.
ma sucah sampadan daivimabhijatosi pandava৷৷16.5৷৷
⚜The divine nature is deemed conducive to liberation, and the demoniacal to bondage. Grieve not, O Arjuna, thou art born with divine endowments.(16.5)
⚜हे पाण्डव दैवी सम्पदा मोक्ष के लिए और आसुरी सम्पदा बन्धन के लिए मानी गयी है तुम शोक मत करो क्योंकि तुम दैवी सम्पदा को प्राप्त हुए हो।।16.5।।
#geeta
June 18, 2022
June 18, 2022
🚩जय सत्य सनातन🚩
🚩आज की हिंदी तिथि
🌥️ 🚩युगाब्द-५१२४
🌥️ 🚩विक्रम संवत-२०७९
⛅ 🚩तिथि - षष्टी रात्रि 10:18 तक तत्पश्चात सप्तमी
⛅दिनांक 19 जून 2022
⛅दिन - रविवार
⛅शक संवत - 1944
⛅अयन - उत्तरायण
⛅ऋतु - ग्रीष्म
⛅मास - आषाढ़
⛅पक्ष - कृष्ण
⛅नक्षत्र - धनिष्ठा सुबह 05:56 तक तत्पश्चात शतभिषा
⛅योग - विष्कम्भ रात्रि 10:52 तक तत्पश्चात प्रिती
⛅राहु काल - शाम 05:46 से 07:28 तक
⛅सूर्योदय - 05:55
⛅सूर्यास्त - 07:28
⛅दिशा शूल - पूर्व दिशा में
⛅ब्रह्म मुहूर्त - प्रातः 04:31 से 05:13 तक
🚩आज की हिंदी तिथि
🌥️ 🚩युगाब्द-५१२४
🌥️ 🚩विक्रम संवत-२०७९
⛅ 🚩तिथि - षष्टी रात्रि 10:18 तक तत्पश्चात सप्तमी
⛅दिनांक 19 जून 2022
⛅दिन - रविवार
⛅शक संवत - 1944
⛅अयन - उत्तरायण
⛅ऋतु - ग्रीष्म
⛅मास - आषाढ़
⛅पक्ष - कृष्ण
⛅नक्षत्र - धनिष्ठा सुबह 05:56 तक तत्पश्चात शतभिषा
⛅योग - विष्कम्भ रात्रि 10:52 तक तत्पश्चात प्रिती
⛅राहु काल - शाम 05:46 से 07:28 तक
⛅सूर्योदय - 05:55
⛅सूर्यास्त - 07:28
⛅दिशा शूल - पूर्व दिशा में
⛅ब्रह्म मुहूर्त - प्रातः 04:31 से 05:13 तक
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June 18, 2022
https://youtu.be/q31ioVcZUmk
प्रतिदिनं प्रातः ७:१५ वादने १५ निमेषात्मिकायै वार्तायै डी डी न्यूज् इति पश्यत।
प्रतिदिनं प्रातः ७:१५ वादने १५ निमेषात्मिकायै वार्तायै डी डी न्यूज् इति पश्यत।
YouTube
वार्ता: संस्कृत भाषा में समाचार
June 18, 2022
June 18, 2022
🔰चित्रं दृष्ट्वा पञ्चवाक्यानि रचयत।
✍🏼सर्वे टिप्पणीसञ्चिकायां स्वोत्तराणि लेखितुं शक्नुवन्ति अथवा पुस्तिकायां लिखित्वा तस्य चित्रं स्वीकृत्य अपि प्रेषयितुं शक्नुवन्ति।
🗣सहैव तानि वाक्यानि उक्त्वा ध्वनिमाध्यमेन अपि प्रेषयत।
Read in English
हिन्दी में पढें
#chitram
✍🏼सर्वे टिप्पणीसञ्चिकायां स्वोत्तराणि लेखितुं शक्नुवन्ति अथवा पुस्तिकायां लिखित्वा तस्य चित्रं स्वीकृत्य अपि प्रेषयितुं शक्नुवन्ति।
🗣सहैव तानि वाक्यानि उक्त्वा ध्वनिमाध्यमेन अपि प्रेषयत।
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#chitram
June 18, 2022
June 18, 2022
Free online Sanskrit Course by MHRD, India
BSKLA-135: Sanskrit Bhasha aur Sahitya
through Swayam.gov.in
BSKLA-135: Sanskrit Bhasha aur Sahitya
By Dr. Soniya | Indira Gandhi National Open University (IGNOU), New Delhi https://onlinecourses.swayam2.ac.in/nou22_lg35/preview
To Join Click here
Course Status : Upcoming
Duration : 12 weeks
Start Date : 01 Jul 2022
Course layout
सप्ताह शीर्षक
सप्ताह-1 वर्णोच्चारण की प्रक्रिया
सप्ताह-2 पद, लिङ्ग, वचन, पुरुष और काल
सप्ताह-3 शब्दरूप
सप्ताह-4 धातुरूप
सप्ताह-5 सरल वाक्य-रचना
सप्ताह-6 संस्कृति विषयक पाठ
सप्ताह-7 सामाजिक विज्ञान आधारित पाठ
सप्ताह-8 विज्ञान आधारित पाठ
सप्ताह-9 पद्यकाव्य
सप्ताह-10 गद्यकाव्य
सप्ताह-11 कथासाहित्य
सप्ताह-12 पत्र-लेखन
सप्ताह-13 समाचार लेखन
सप्ताह-14 अशुद्धि-शोधन
सप्ताह-15 संक्षेपण, पल्लवन और निबन्ध-लेखन
सप्ताह-16 पाठ्यक्रम – क्रियाकलाप
Books and references
रचनानुवादकौमुदी, कपिल द्विवेदी, विश्वविद्यालय प्रकाशन, वाराणसी,
पाणिनीय शिक्षा, दयानंद सरस्वती, वैदिक यन्त्रालय, अजमेर
कठोपनिषद्, आचार्य सुरेन्द्र शास्त्री, चौखम्बा
नीतिशतकम्, गोस्वामी प्रह्लाद गिरि, भारतीय विद्या प्रकाशन
चरक संहिता, मोतीलाल बनारसी दास, दिल्ली
संस्कृत साहित्य का इतिहास, डॉ. उमाशंकर शर्मा ‘ऋषि’, चौखम्बा भारती अकादमी, वाराणसी
शुकनासोपदेश, श्री प्रह्लाद कुमार, मेहरचन्द्र लक्ष्मण दास प्रकाशन, दिल्ली
हितोपदेशः व्या० श्री नारायण राम आचार्य ‘काव्यतीर्थ’, चौखम्बा संस्कृत प्रतिष्ठान, दिल्ली
संस्कृत पत्रकारिता का इतिहास, डॉ. राम गोपाल मिश्र, विवेक प्रकाशन, दिल्ली
ई-टूल्स:http://egyankosh.ac.in//handle/123456789/53119
ई-टूल्स: http://sanskrit.jnu.ac.in/tinanta/tinanta.jsp
ई-टूल्स: http://cl.sanskrit.du.ac.in
#SanskritEducation
BSKLA-135: Sanskrit Bhasha aur Sahitya
through Swayam.gov.in
BSKLA-135: Sanskrit Bhasha aur Sahitya
By Dr. Soniya | Indira Gandhi National Open University (IGNOU), New Delhi https://onlinecourses.swayam2.ac.in/nou22_lg35/preview
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Duration : 12 weeks
Start Date : 01 Jul 2022
Course layout
सप्ताह शीर्षक
सप्ताह-1 वर्णोच्चारण की प्रक्रिया
सप्ताह-2 पद, लिङ्ग, वचन, पुरुष और काल
सप्ताह-3 शब्दरूप
सप्ताह-4 धातुरूप
सप्ताह-5 सरल वाक्य-रचना
सप्ताह-6 संस्कृति विषयक पाठ
सप्ताह-7 सामाजिक विज्ञान आधारित पाठ
सप्ताह-8 विज्ञान आधारित पाठ
सप्ताह-9 पद्यकाव्य
सप्ताह-10 गद्यकाव्य
सप्ताह-11 कथासाहित्य
सप्ताह-12 पत्र-लेखन
सप्ताह-13 समाचार लेखन
सप्ताह-14 अशुद्धि-शोधन
सप्ताह-15 संक्षेपण, पल्लवन और निबन्ध-लेखन
सप्ताह-16 पाठ्यक्रम – क्रियाकलाप
Books and references
रचनानुवादकौमुदी, कपिल द्विवेदी, विश्वविद्यालय प्रकाशन, वाराणसी,
पाणिनीय शिक्षा, दयानंद सरस्वती, वैदिक यन्त्रालय, अजमेर
कठोपनिषद्, आचार्य सुरेन्द्र शास्त्री, चौखम्बा
नीतिशतकम्, गोस्वामी प्रह्लाद गिरि, भारतीय विद्या प्रकाशन
चरक संहिता, मोतीलाल बनारसी दास, दिल्ली
संस्कृत साहित्य का इतिहास, डॉ. उमाशंकर शर्मा ‘ऋषि’, चौखम्बा भारती अकादमी, वाराणसी
शुकनासोपदेश, श्री प्रह्लाद कुमार, मेहरचन्द्र लक्ष्मण दास प्रकाशन, दिल्ली
हितोपदेशः व्या० श्री नारायण राम आचार्य ‘काव्यतीर्थ’, चौखम्बा संस्कृत प्रतिष्ठान, दिल्ली
संस्कृत पत्रकारिता का इतिहास, डॉ. राम गोपाल मिश्र, विवेक प्रकाशन, दिल्ली
ई-टूल्स:http://egyankosh.ac.in//handle/123456789/53119
ई-टूल्स: http://sanskrit.jnu.ac.in/tinanta/tinanta.jsp
ई-टूल्स: http://cl.sanskrit.du.ac.in
#SanskritEducation
June 18, 2022
June 18, 2022
June 18, 2022
🍃
⚜ahim nRipancha shaardoolaM keeTancha baalakaM tathaa parashvaanancha moorkhancha sapta suptaanna bodhayet
⚜अहि (सर्प), नृप (राजा), शार्दूल (बाघ), कीट (कीडे), बालक, दूसरे का कुत्ता तथा मूर्ख - इन सातों को निद्रा से नहीं जगाना चाहिए।
⚜Snake, King, Tiger, Insect, Kid, other's dog and a fool - these seven shouldn't be woken up when asleep.
🔅सर्पं, राजानं, व्याघ्रं, कीटं, शिशुं, अन्यजनश्वानं, मूर्खं च एतान् सप्तसुप्तान् न कदापि जागर्यते।
चाणक्यनीतिः
#Subhashitam
अहिं नृपञ्च शार्दूलं कीटञ्च बालकं तथा । परश्वानञ्च मूर्खञ्च सप्त सुप्तान्न बोधयेत्
।।⚜ahim nRipancha shaardoolaM keeTancha baalakaM tathaa parashvaanancha moorkhancha sapta suptaanna bodhayet
⚜अहि (सर्प), नृप (राजा), शार्दूल (बाघ), कीट (कीडे), बालक, दूसरे का कुत्ता तथा मूर्ख - इन सातों को निद्रा से नहीं जगाना चाहिए।
⚜Snake, King, Tiger, Insect, Kid, other's dog and a fool - these seven shouldn't be woken up when asleep.
🔅सर्पं, राजानं, व्याघ्रं, कीटं, शिशुं, अन्यजनश्वानं, मूर्खं च एतान् सप्तसुप्तान् न कदापि जागर्यते।
चाणक्यनीतिः
#Subhashitam
June 18, 2022
June 19, 2022
हनुमान् वृक्षान् ______ राक्षसान् मारयति।
Anonymous Quiz
12%
उत्पाटय्य
33%
उत्पात्य
16%
उत्पत्य
40%
उत्पाट्य
June 19, 2022
June 19, 2022
June 19, 2022
ओ३म्
संस्कृताभ्यासः
भूतकाल
अहं श्रुतवान् / श्रुतवती
= मैंने सुन लिया / मैंने सुना
अहं तदनीमेव श्रुतवान् / श्रुतवती
= मैंने तब ही सुन लिया था।
अहं भवतः / भवत्याः ध्वनिसन्देशं श्रुतवान् / श्रुतवती।
= मैंने आपका ध्वनिसंदेश सुना।
पूजा पितुः वार्तां ध्यानपूर्वकं श्रुतवती
= पूजा ने पिता की बात ध्यान से सुनी।
आशीषः प्रातःकाले श्रीसूक्तं श्रुतवान् ।
= आशीष ने सुबह श्रीसूक्त सुना।
वने सः सिंहस्य गर्जनां श्रुतवान्।
= वन में उसने शेर की गर्जना सुनी।
सा वने कोकिलायाः मधुरं रवं श्रुतवती।
= उसने वन में कोयल की मधुर ध्वनि सुनी।
अद्य मम भार्या मम आदेशं श्रुतवती।
= आज मेरी पत्नी ने मेरा आदेश सुना।
सा वीणावादनं श्रुतवती अनन्तरं विद्यालयं गतवती।
= उसने वीणा वादन सुना बाद में वह विद्यालय गई।
ओ३म्
संस्कृताभ्यासः
वर्तमानकाल
अहं नयामि
= लाता हूँ / लाती हूँ।
अहं यज्ञार्थं समिधाः नयामि ।
= मैं यज्ञ के लिये समिधा ले जा रहा हूँ / रही हूँ।
अहं किं नयामि ?
= मैं क्या ले जा रहा / रही हूँ ?
अहं प्रक्षालनार्थं वस्त्राणि नयामि।
= मैं धोने के लिये वस्त्र ले जा रहा हूँ / रही हूँ।
इदानीम् अहं पुस्तकानि नयामि।
= अभी मैं पुस्तकें ले जा रहा हूँ / रही हूँ।
सः/ सा किं नयति ?
= वह क्या ले जा रहा / रही है ?
सः / सा बालकस्य कृते क्रीडनकानि नयति।
= वह बच्चे के लिये खिलौने ले जा रहा / रही है।
भवान् किमर्थं धनं न नयति ?
= आप धन क्यों नहीं ले जा रहे हैं ?
भवती किमर्थं उपहारं न नयति ?
= आप उपहार क्यों नहीं ले जा रही हैं ?
कृषकः उत्तमं बीजं नयति।
= किसान अच्छे बीज ले जा रहा है।
सैनिकः सीमाक्षेत्रे शस्त्राणि नयति।
= सैनिक सीमा पर शस्त्र ले जा रहा है।
छात्रः विद्यालये पुस्तकानि नयति।
= छात्र विद्यालय में पुस्तकें ले जा रहा है।
ओ३म्
संस्कृताभ्यासः
भविष्यकाल
अहं नेष्यामि।
= मैं ले जाऊँगा / मैं जाऊँगी
अहं न नेष्यामि।
= मैं नहीं ले जाऊँगा / मैं नहीं ले जाऊँगी।
अहम् अन्नं नेष्यामि
= मैं अन्न ले जाऊँगा/ जाऊँगी।
अहं द्वाभ्यां हस्ताभ्यां नेष्यामि।
= मैं दोनों हाथों से ले जाऊँगा / जाऊँगी।
अहं कारयानं नेष्यामि
= मैं कार ले जाऊँगा / जाऊँगी।
सः सर्वान् जनान् उद्यने नेष्यति।
= वह सब लोगों को बगीचे ले जाएगा।
सा शीघ्रमेव नेष्यति।
= वह जल्दी से ले जाएगी।
सः भगिन्याः गृहं गच्छति, सः मोदकानि नेष्यति।
= वह बहन के घर जा रहा है , वह लड्डू ले जाएगा।
यज्ञार्थं सः समिधाः नेष्यति।
= यज्ञ के लिये वह समिधाएँ ले जाएगा।
अद्य तस्य भार्यायाः जन्मदिनम् अस्ति , सः शाटिकां नेष्यति।
= आज उसकी पत्नी का जन्मदिन है , वह साड़ी ले जाएगा।
गुरोः कृते सः गुरुदक्षिणां नेष्यति।
= गुरु के लिये वह गुरुदक्षिणा ले जाएगा।
#vakyabhyas
संस्कृताभ्यासः
भूतकाल
अहं श्रुतवान् / श्रुतवती
= मैंने सुन लिया / मैंने सुना
अहं तदनीमेव श्रुतवान् / श्रुतवती
= मैंने तब ही सुन लिया था।
अहं भवतः / भवत्याः ध्वनिसन्देशं श्रुतवान् / श्रुतवती।
= मैंने आपका ध्वनिसंदेश सुना।
पूजा पितुः वार्तां ध्यानपूर्वकं श्रुतवती
= पूजा ने पिता की बात ध्यान से सुनी।
आशीषः प्रातःकाले श्रीसूक्तं श्रुतवान् ।
= आशीष ने सुबह श्रीसूक्त सुना।
वने सः सिंहस्य गर्जनां श्रुतवान्।
= वन में उसने शेर की गर्जना सुनी।
सा वने कोकिलायाः मधुरं रवं श्रुतवती।
= उसने वन में कोयल की मधुर ध्वनि सुनी।
अद्य मम भार्या मम आदेशं श्रुतवती।
= आज मेरी पत्नी ने मेरा आदेश सुना।
सा वीणावादनं श्रुतवती अनन्तरं विद्यालयं गतवती।
= उसने वीणा वादन सुना बाद में वह विद्यालय गई।
ओ३म्
संस्कृताभ्यासः
वर्तमानकाल
अहं नयामि
= लाता हूँ / लाती हूँ।
अहं यज्ञार्थं समिधाः नयामि ।
= मैं यज्ञ के लिये समिधा ले जा रहा हूँ / रही हूँ।
अहं किं नयामि ?
= मैं क्या ले जा रहा / रही हूँ ?
अहं प्रक्षालनार्थं वस्त्राणि नयामि।
= मैं धोने के लिये वस्त्र ले जा रहा हूँ / रही हूँ।
इदानीम् अहं पुस्तकानि नयामि।
= अभी मैं पुस्तकें ले जा रहा हूँ / रही हूँ।
सः/ सा किं नयति ?
= वह क्या ले जा रहा / रही है ?
सः / सा बालकस्य कृते क्रीडनकानि नयति।
= वह बच्चे के लिये खिलौने ले जा रहा / रही है।
भवान् किमर्थं धनं न नयति ?
= आप धन क्यों नहीं ले जा रहे हैं ?
भवती किमर्थं उपहारं न नयति ?
= आप उपहार क्यों नहीं ले जा रही हैं ?
कृषकः उत्तमं बीजं नयति।
= किसान अच्छे बीज ले जा रहा है।
सैनिकः सीमाक्षेत्रे शस्त्राणि नयति।
= सैनिक सीमा पर शस्त्र ले जा रहा है।
छात्रः विद्यालये पुस्तकानि नयति।
= छात्र विद्यालय में पुस्तकें ले जा रहा है।
ओ३म्
संस्कृताभ्यासः
भविष्यकाल
अहं नेष्यामि।
= मैं ले जाऊँगा / मैं जाऊँगी
अहं न नेष्यामि।
= मैं नहीं ले जाऊँगा / मैं नहीं ले जाऊँगी।
अहम् अन्नं नेष्यामि
= मैं अन्न ले जाऊँगा/ जाऊँगी।
अहं द्वाभ्यां हस्ताभ्यां नेष्यामि।
= मैं दोनों हाथों से ले जाऊँगा / जाऊँगी।
अहं कारयानं नेष्यामि
= मैं कार ले जाऊँगा / जाऊँगी।
सः सर्वान् जनान् उद्यने नेष्यति।
= वह सब लोगों को बगीचे ले जाएगा।
सा शीघ्रमेव नेष्यति।
= वह जल्दी से ले जाएगी।
सः भगिन्याः गृहं गच्छति, सः मोदकानि नेष्यति।
= वह बहन के घर जा रहा है , वह लड्डू ले जाएगा।
यज्ञार्थं सः समिधाः नेष्यति।
= यज्ञ के लिये वह समिधाएँ ले जाएगा।
अद्य तस्य भार्यायाः जन्मदिनम् अस्ति , सः शाटिकां नेष्यति।
= आज उसकी पत्नी का जन्मदिन है , वह साड़ी ले जाएगा।
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June 19, 2022
June 19, 2022
संस्कृत संवादः । Sanskrit Samvadah
Samskrit
Bharati, Gujarat invites you all for a Sanskrit Wikipedia workshop
(online), which will be held on 19th June 2022 from 2PM to 3PM on
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संस्कृत संवादः (Sanskrit Samvadah)
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June 19, 2022
June 19, 2022
Teacher:- What do you call a person who keeps on talking when people are no longer interested?
Student :- A teacher
#hasya
Student :- A teacher
#hasya
June 19, 2022
@samskrt_samvadah संलापशाला - A Samskrit Voicechat room.
यदीच्छसि वशीकर्तुं, भाषणमेककर्मणा।
यायास्संलापशालां वै, भवति यत्र भाषणम्।।
⏳45 निमेषाः
🕚 IST 11:00 AM
🔰विश्वयोगदिवसः
🗓20th June 2022, सोमवासरः
🔴Voicechat would be recorded and shared on this channel.
📑यदि शक्येत चेत् संस्कृतेन (योगस्य अस्माकं जीवने आवश्यकता महत्वं च) चर्चार्थं कृपया पूर्वसिद्धतां कृत्वा आगच्छन्तु।
वयं युष्माकं प्रतीक्षां कुर्मः। 😇
स्मारणतंत्रिकां स्थापयतु ⏰
👇🏼👇🏼👇🏼👇🏼👇🏼
https://t.me/samskrt_samvadah?voicechat
यदीच्छसि वशीकर्तुं, भाषणमेककर्मणा।
यायास्संलापशालां वै, भवति यत्र भाषणम्।।
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🔰विश्वयोगदिवसः
🗓20th June 2022, सोमवासरः
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📑यदि शक्येत चेत् संस्कृतेन (योगस्य अस्माकं जीवने आवश्यकता महत्वं च) चर्चार्थं कृपया पूर्वसिद्धतां कृत्वा आगच्छन्तु।
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June 19, 2022
🍃
♦️dvau bhutasargau lokesmin daiva asura eva ca.
daivo vistarasah prokta asuran partha me srrnu৷৷16.6৷৷
⚜There are two types of beings in this world, the divine and the demoniacal; the divine has been described at length; hear from Me, O Arjuna, of the demoniacal.(16.6)
⚜हे पार्थ इस लोक में दो प्रकार की भूतिसृष्टि है दैवी और आसुरी। उनमें देवों का स्वभाव (दैवी सम्पदा) विस्तारपूर्वक कहा गया है अब असुरों के स्वभाव को विस्तरश मुझसे सुनो।।16.6।।
#geeta
द्वौ भूतसर्गौ लोकेऽस्मिन् दैव आसुर एव च।
दैवो विस्तरशः प्रोक्त आसुरं पार्थ मे श्रृणु
।।16.6।।♦️dvau bhutasargau lokesmin daiva asura eva ca.
daivo vistarasah prokta asuran partha me srrnu৷৷16.6৷৷
⚜There are two types of beings in this world, the divine and the demoniacal; the divine has been described at length; hear from Me, O Arjuna, of the demoniacal.(16.6)
⚜हे पार्थ इस लोक में दो प्रकार की भूतिसृष्टि है दैवी और आसुरी। उनमें देवों का स्वभाव (दैवी सम्पदा) विस्तारपूर्वक कहा गया है अब असुरों के स्वभाव को विस्तरश मुझसे सुनो।।16.6।।
#geeta
June 19, 2022
June 19, 2022
https://youtu.be/NaHBqNhSoc4
विकिकृते (संस्कृतविकिपीडियायाः गणे) सम्मिलत
https://chat.whatsapp.com/EFOxcadmnL3G4PfwFUDRyJ
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YouTube
संस्कृत विकिपीडिया कार्यशाला । Sanskrit Wikipedia workshop । संस्कृत संवादः
Samskrit Bharati,
Gujarat organized Sanskrit Wikipedia workshop (online) on 19th June 2022
from 2PM to 3PM through Telegram Channel संस्कृत संवादः (
t.me/samskrt_samvadah )
केन्द्रीया शाखा 👇🏻
https://t.me/samskrt_samvadah
वाट्सैप् 👇🏻
https://chat.wha…
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June 19, 2022
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गुगल् क्रोडसोर्स् (Google Crowdsource)
वैश्विकस्तरे अन्तर्जालमाध्यमेन संस्कृतसंवर्धनाय उत्तमः प्रयासः प्रचलति । Google Translation, Text to Speech, Speech to Text, Google Lens सदृशेषु सर्वत्र संस्कृतमानेतुं शक्यते । अतः सर्वे संस्कृतज्ञाः अत्र योगदानं कुर्युः ।
संस्कृतस्य प्रचारप्रसारः भवेत् इति भाषणेन कार्यं न सिध्यति। आत्मानं तस्मिन् कर्मणि योजयेत् तदा एव कार्यं सिध्येत्।
Accept challenge for contribution, Sanskrit prompts in Crowdsource.
https://play.google.com/store/apps/details?id=com.google.android.apps.village.boond
वैश्विकस्तरे अन्तर्जालमाध्यमेन संस्कृतसंवर्धनाय उत्तमः प्रयासः प्रचलति । Google Translation, Text to Speech, Speech to Text, Google Lens सदृशेषु सर्वत्र संस्कृतमानेतुं शक्यते । अतः सर्वे संस्कृतज्ञाः अत्र योगदानं कुर्युः ।
संस्कृतस्य प्रचारप्रसारः भवेत् इति भाषणेन कार्यं न सिध्यति। आत्मानं तस्मिन् कर्मणि योजयेत् तदा एव कार्यं सिध्येत्।
Accept challenge for contribution, Sanskrit prompts in Crowdsource.
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June 19, 2022
June 19, 2022
🍃
♦️pravrttin ca nivrttin ca jana na vidurasurah.
na saucan napi cacaro na satyaṅ tesu vidyate৷৷16.7৷৷
⚜The demoniacal know not what to do and what to refrain from; neither purity, nor right conduct nor truth is found in them.(16.7)
⚜आसुरी स्वभाव के लोग न प्रवृत्ति को जानते हैं और न निवृत्ति को उनमें न शुद्धि होती है न सदाचार और न सत्य ही होता है।।16.7।।
#geeta
प्रवृत्तिं च निवृत्तिं च जना न विदुरासुराः।
न शौचं नापि चाचारो न सत्यं तेषु विद्यते
।।16.7।।♦️pravrttin ca nivrttin ca jana na vidurasurah.
na saucan napi cacaro na satyaṅ tesu vidyate৷৷16.7৷৷
⚜The demoniacal know not what to do and what to refrain from; neither purity, nor right conduct nor truth is found in them.(16.7)
⚜आसुरी स्वभाव के लोग न प्रवृत्ति को जानते हैं और न निवृत्ति को उनमें न शुद्धि होती है न सदाचार और न सत्य ही होता है।।16.7।।
#geeta
June 19, 2022
June 19, 2022
🚩जय सत्य सनातन🚩
🚩आज की हिंदी तिथि
🌥️ 🚩युगाब्द-५१२४
🌥️ 🚩विक्रम संवत-२०७९
⛅ 🚩तिथि - सप्तमी रात्रि 09:01 तक तत्पश्चात अष्टमी
⛅दिनांक 20 जून 2022
⛅दिन - सोमवार
⛅शक संवत - 1944
⛅अयन - उत्तरायण
⛅ऋतु - ग्रीष्म
⛅मास - आषाढ़
⛅पक्ष - कृष्ण
⛅नक्षत्र - पूर्व भाद्रपद 21 जून प्रातः 04:35 तक तत्पश्चात उत्तर भाद्रपद
⛅योग - प्रिती सुबह 08:38 तक तत्पश्चात आयुष्मान
⛅राहु काल - सुबह 07:36 से 09:28
⛅सूर्योदय - 05:55
⛅सूर्यास्त - 07:28
⛅दिशा शूल - पूर्व दिशा में
⛅ब्रह्म मुहूर्त - प्रातः 04:31 से 05:13 तक
🚩आज की हिंदी तिथि
🌥️ 🚩युगाब्द-५१२४
🌥️ 🚩विक्रम संवत-२०७९
⛅ 🚩तिथि - सप्तमी रात्रि 09:01 तक तत्पश्चात अष्टमी
⛅दिनांक 20 जून 2022
⛅दिन - सोमवार
⛅शक संवत - 1944
⛅अयन - उत्तरायण
⛅ऋतु - ग्रीष्म
⛅मास - आषाढ़
⛅पक्ष - कृष्ण
⛅नक्षत्र - पूर्व भाद्रपद 21 जून प्रातः 04:35 तक तत्पश्चात उत्तर भाद्रपद
⛅योग - प्रिती सुबह 08:38 तक तत्पश्चात आयुष्मान
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⛅सूर्योदय - 05:55
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⛅दिशा शूल - पूर्व दिशा में
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June 19, 2022
https://youtu.be/B1SXPcvlck0
प्रतिदिनं प्रातः ७:१५ वादने १५ निमेषात्मिकायै वार्तायै डी डी न्यूज् इति पश्यत।
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YouTube
Vaarta: News in Sanskrit | प्रधानमंत्री सोमवार को करेंगे कर्नाटक की यात्रा
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DD News 24x7 | Breaking News and other Live updates | | News in Hindi | Latest News
DD News is India’s 24x7 news channel from the stable of the country’s Public Service Broadcaster…
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June 19, 2022
June 19, 2022
🔰चित्रं दृष्ट्वा पञ्चवाक्यानि रचयत।
✍🏼सर्वे टिप्पणीसञ्चिकायां स्वोत्तराणि लेखितुं शक्नुवन्ति अथवा पुस्तिकायां लिखित्वा तस्य चित्रं स्वीकृत्य अपि प्रेषयितुं शक्नुवन्ति।
🗣सहैव तानि वाक्यानि उक्त्वा ध्वनिमाध्यमेन अपि प्रेषयत।
Read in English
हिन्दी में पढें
#chitram
✍🏼सर्वे टिप्पणीसञ्चिकायां स्वोत्तराणि लेखितुं शक्नुवन्ति अथवा पुस्तिकायां लिखित्वा तस्य चित्रं स्वीकृत्य अपि प्रेषयितुं शक्नुवन्ति।
🗣सहैव तानि वाक्यानि उक्त्वा ध्वनिमाध्यमेन अपि प्रेषयत।
Read in English
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#chitram
June 19, 2022
June 19, 2022
🍃
⚜This world is like a bitter tree, but there are two fruits of it which are like sweet ambrosia. The listeing of wise
aphorisms and the company of good people.
⚜इस संसार रूपी कटु वृक्ष के दो ही अमृत के समान फल हैं।
सुभाषित का रसास्वादन और सज्जनों की संगति।
🔅संसाररूपिणः वृक्षस्य केवले द्वे फले मधुरे स्तः।
एकम् अस्ति सुभाषितानां रसास्वादनं तथा द्वितीयम् अस्ति सज्जनानां सङ्गतिः।
#Subhashitam
संसारकटुवृक्षस्य द्वे फले ह्यमृतोपमे। सुभाषितरसास्वादः संगतिः सुजने जने
॥⚜This world is like a bitter tree, but there are two fruits of it which are like sweet ambrosia. The listeing of wise
aphorisms and the company of good people.
⚜इस संसार रूपी कटु वृक्ष के दो ही अमृत के समान फल हैं।
सुभाषित का रसास्वादन और सज्जनों की संगति।
🔅संसाररूपिणः वृक्षस्य केवले द्वे फले मधुरे स्तः।
एकम् अस्ति सुभाषितानां रसास्वादनं तथा द्वितीयम् अस्ति सज्जनानां सङ्गतिः।
#Subhashitam
June 19, 2022
June 19, 2022
June 19, 2022
June 20, 2022
ओ३म्
संस्कृताभ्यासः
भूतकाल
अहं दत्तवान् / दत्तवती
= मैंने दिया / मैंने दे दिया
अहं तस्याः गृहं गत्वा सन्देशं दत्तवान् / दत्तवती
= मैंने उसके घर जाकर संदेश दिया।
अहं श्रमिकाय पारिश्रमिकं दत्तवान् / दत्तवती।
= मैंने श्रमिक को मजदूरी दी।
नीता पुत्राय पुस्तकं दत्तवती।
= नीता ने पुत्र को पुस्तक दी।
महेशः गुरवे गुरुदक्षिणां दत्तवान् ।
= महेश ने गुरु को गुरुदक्षिणा दी।
अविनाशः मात्रे औषधं दत्तवान्।
= अविनाश ने माँ को औषधि दी।
सा सर्वाणि वस्तूनि दत्तवती।
= उसने सारी वस्तुएँ दे दीं।
विद्वान् व्याख्यानं दत्तवान्।
= विद्वान ने व्याख्यान दिया ।
मातुलानी भागिनेयाय वस्त्रं दत्तवती।
= मामी ने भान्जे को वस्त्र दिये।
कैलाशः भार्यायै स्वर्णमालां दत्तवान्।
= कैलाश ने पत्नी को सोने की माला दी।
ओ३म्
संस्कृताभ्यासः
आज्ञार्थ
अहं ददानि वा ?
= मैं दूँ क्या?
अहं किं ददानि ?
= मैं क्या दूँ ?
धनं ददातु ।
= धन दीजिये।
भवतः / भवत्याः पार्श्वे धनं नास्ति चेत् मा ददातु।
= आपके पास धन नहीं है तो मत दीजिये।
कृपया अत्र ध्यानं ददातु।
= कृपया यहाँ ध्यान दीजिये।
श्वः अवश्यमेव ददातु।
= कल अवश्य ही दीजियेगा।
अधुनैव ददातु।
= अभी ही दीजिये।
सर्वं ददातु।
= सबकुछ दे दीजिये।
दक्षिणेन हस्तेन ददातु।
= दाएँ हाथ से दीजिये।
यज्ञे आहुतिं ददातु।
= यज्ञ में आहुति दीजिये।
बालकाय संस्कारं ददातु।
= बालक को संस्कार दीजिये।
कृपया मह्यं भोजनं ददातु ।
= कृपया मुझे भोजन दीजिये।
ओ३म्
संस्कृताभ्यासः
वर्तमानकाल
अहं वदामि
= बोलता हूँ / बोलती हूँ।
अहं सत्यं वदामि।
= मैं सच बोलता हूँ / बोलती हूँ।
इदानीम् अहं संस्कृतभाषायां वदामि।
= अभी मैं संस्कृत भाषा में बोल रहा हूँ / बोल रही हूँ।
अहं किं वदामि ?
= मैं क्या बोल रहा हूँ / बोल रही हूँ ?
अहं फलानां नामानि वदामि।
= मैं फलों के नाम बोल रहा हूँ / बोल रही हूँ।
सः रात्रौ बहु अधिकं वदति।
= वह रात में बहुत बोलता है ।
सा आपणिकं वदति।
= वह दुकानदार से बोलती है।
चिकित्सकः रुग्णं वदति "औषधम् अवश्यमेव स्वीकरोतु" ।
= चिकित्सक रुग्ण से बोलता है "औषधि अवश्य लीजियेगा"।
ज्ञानदेवः स्पष्टं वदति।
= ज्ञानदेव स्पष्ट बोलता है।
सुकृतिः प्रश्नस्य उत्तरं वदति।
= सुकृति प्रश्न का उत्तर बोलती है।
हनुमान् "जय श्री राम" इति वदति।
= हनुमान "जय श्री राम" बोलते हैं।
#vakyabhyas
संस्कृताभ्यासः
भूतकाल
अहं दत्तवान् / दत्तवती
= मैंने दिया / मैंने दे दिया
अहं तस्याः गृहं गत्वा सन्देशं दत्तवान् / दत्तवती
= मैंने उसके घर जाकर संदेश दिया।
अहं श्रमिकाय पारिश्रमिकं दत्तवान् / दत्तवती।
= मैंने श्रमिक को मजदूरी दी।
नीता पुत्राय पुस्तकं दत्तवती।
= नीता ने पुत्र को पुस्तक दी।
महेशः गुरवे गुरुदक्षिणां दत्तवान् ।
= महेश ने गुरु को गुरुदक्षिणा दी।
अविनाशः मात्रे औषधं दत्तवान्।
= अविनाश ने माँ को औषधि दी।
सा सर्वाणि वस्तूनि दत्तवती।
= उसने सारी वस्तुएँ दे दीं।
विद्वान् व्याख्यानं दत्तवान्।
= विद्वान ने व्याख्यान दिया ।
मातुलानी भागिनेयाय वस्त्रं दत्तवती।
= मामी ने भान्जे को वस्त्र दिये।
कैलाशः भार्यायै स्वर्णमालां दत्तवान्।
= कैलाश ने पत्नी को सोने की माला दी।
ओ३म्
संस्कृताभ्यासः
आज्ञार्थ
अहं ददानि वा ?
= मैं दूँ क्या?
अहं किं ददानि ?
= मैं क्या दूँ ?
धनं ददातु ।
= धन दीजिये।
भवतः / भवत्याः पार्श्वे धनं नास्ति चेत् मा ददातु।
= आपके पास धन नहीं है तो मत दीजिये।
कृपया अत्र ध्यानं ददातु।
= कृपया यहाँ ध्यान दीजिये।
श्वः अवश्यमेव ददातु।
= कल अवश्य ही दीजियेगा।
अधुनैव ददातु।
= अभी ही दीजिये।
सर्वं ददातु।
= सबकुछ दे दीजिये।
दक्षिणेन हस्तेन ददातु।
= दाएँ हाथ से दीजिये।
यज्ञे आहुतिं ददातु।
= यज्ञ में आहुति दीजिये।
बालकाय संस्कारं ददातु।
= बालक को संस्कार दीजिये।
कृपया मह्यं भोजनं ददातु ।
= कृपया मुझे भोजन दीजिये।
ओ३म्
संस्कृताभ्यासः
वर्तमानकाल
अहं वदामि
= बोलता हूँ / बोलती हूँ।
अहं सत्यं वदामि।
= मैं सच बोलता हूँ / बोलती हूँ।
इदानीम् अहं संस्कृतभाषायां वदामि।
= अभी मैं संस्कृत भाषा में बोल रहा हूँ / बोल रही हूँ।
अहं किं वदामि ?
= मैं क्या बोल रहा हूँ / बोल रही हूँ ?
अहं फलानां नामानि वदामि।
= मैं फलों के नाम बोल रहा हूँ / बोल रही हूँ।
सः रात्रौ बहु अधिकं वदति।
= वह रात में बहुत बोलता है ।
सा आपणिकं वदति।
= वह दुकानदार से बोलती है।
चिकित्सकः रुग्णं वदति "औषधम् अवश्यमेव स्वीकरोतु" ।
= चिकित्सक रुग्ण से बोलता है "औषधि अवश्य लीजियेगा"।
ज्ञानदेवः स्पष्टं वदति।
= ज्ञानदेव स्पष्ट बोलता है।
सुकृतिः प्रश्नस्य उत्तरं वदति।
= सुकृति प्रश्न का उत्तर बोलती है।
हनुमान् "जय श्री राम" इति वदति।
= हनुमान "जय श्री राम" बोलते हैं।
#vakyabhyas
June 20, 2022
June 20, 2022
June 20, 2022
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🗓20th June 2022, सोमवासरः
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📑यदि शक्येत चेत् संस्कृतेन (प्रियस्य आसनस्य प्राणायामस्य वा विवरणं यच्छन्तु तथा कुतः पठितुं शक्नुमः इत्यपि उच्यताम्) चर्चार्थं कृपया पूर्वसिद्धतां कृत्वा आगच्छन्तु।
वयं युष्माकं प्रतीक्षां कुर्मः। 😇
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यदीच्छसि वशीकर्तुं, भाषणमेककर्मणा।
यायास्संलापशालां वै, भवति यत्र भाषणम्।।
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🔰भवतां प्रियम् आसनं प्राणायामः वा
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📑यदि शक्येत चेत् संस्कृतेन (प्रियस्य आसनस्य प्राणायामस्य वा विवरणं यच्छन्तु तथा कुतः पठितुं शक्नुमः इत्यपि उच्यताम्) चर्चार्थं कृपया पूर्वसिद्धतां कृत्वा आगच्छन्तु।
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June 20, 2022
🍃
♦️asatyamapratisthan te jagadahuranisvaram.
aparasparasambhutan kimanyatkamahaitukam৷৷16.8৷৷
⚜They say, "This universe is without truth, without (moral) basis, without a God, brought about by mutual union, with lust for its cause; what else?"(16.8)
⚜वे कहते हैं कि यह जगत् आश्रयरहित असत्य और ईश्वर रहित है यह (स्त्रीपुरुष के) परस्पर कामुक संबंध से ही उत्पन्न हुआ है और (इसका कारण) क्या हो सकता है।।16.8।।
#geeta
असत्यमप्रतिष्ठं ते जगदाहुरनीश्वरम्।
अपरस्परसम्भूतं किमन्यत्कामहैतुकम्
।।16.8।।♦️asatyamapratisthan te jagadahuranisvaram.
aparasparasambhutan kimanyatkamahaitukam৷৷16.8৷৷
⚜They say, "This universe is without truth, without (moral) basis, without a God, brought about by mutual union, with lust for its cause; what else?"(16.8)
⚜वे कहते हैं कि यह जगत् आश्रयरहित असत्य और ईश्वर रहित है यह (स्त्रीपुरुष के) परस्पर कामुक संबंध से ही उत्पन्न हुआ है और (इसका कारण) क्या हो सकता है।।16.8।।
#geeta
June 20, 2022
June 20, 2022
🍃
♦️etan drstimavastabhya nastatmanolpabuddhayah.
prabhavantyugrakarmanah ksayaya jagatohitah৷৷16.9৷৷
⚜Holding this view, these ruined souls of small intellect and fierce deeds, come forth as the enemies of the world for its destruction.(16.9)
⚜इस दृष्टि का अवलम्बन करके नष्टस्वभाव के अल्प बुद्धि वाले घोर कर्म करने वाले लोग जगत् के शत्रु (अहित चाहने वाले) के रूप में उसका नाश करने के लिए उत्पन्न होते हैं।।16.9।।
#geeta
एतां दृष्टिमवष्टभ्य नष्टात्मानोऽल्पबुद्धयः।
प्रभवन्त्युग्रकर्माणः क्षयाय जगतोऽहिताः
।।16.9।।♦️etan drstimavastabhya nastatmanolpabuddhayah.
prabhavantyugrakarmanah ksayaya jagatohitah৷৷16.9৷৷
⚜Holding this view, these ruined souls of small intellect and fierce deeds, come forth as the enemies of the world for its destruction.(16.9)
⚜इस दृष्टि का अवलम्बन करके नष्टस्वभाव के अल्प बुद्धि वाले घोर कर्म करने वाले लोग जगत् के शत्रु (अहित चाहने वाले) के रूप में उसका नाश करने के लिए उत्पन्न होते हैं।।16.9।।
#geeta
June 20, 2022
June 20, 2022
🚩जय सत्य सनातन🚩
🚩आज की हिंदी तिथि
🌥️ 🚩युगाब्द-५१२४
🌥️ 🚩विक्रम संवत-२०७९
⛅ 🚩तिथि - अष्टमी रात्रि 08:30 तक तत्पश्चात नवमी
⛅दिनांक 21 जून 2022
⛅दिन - मंगलवार
⛅शक संवत - 1944
⛅अयन - उत्तरायण
⛅ऋतु - वर्षा
⛅मास - आषाढ़
⛅पक्ष - कृष्ण
⛅नक्षत्र - उत्तर भाद्रपद प्रातः 05:03 तक तत्पश्चात रेवती
⛅योग - आयुष्मान सुबह 06:41 तक तत्पश्चात सौभाग्य
⛅राहु काल - शाम 04:05 से 05:46
⛅सूर्योदय - 05:55
⛅सूर्यास्त - 07:28
⛅दिशा शूल - उत्तर दिशा में
⛅ब्रह्म मुहूर्त - प्रातः 04:31 से 05:13 तक
🚩आज की हिंदी तिथि
🌥️ 🚩युगाब्द-५१२४
🌥️ 🚩विक्रम संवत-२०७९
⛅ 🚩तिथि - अष्टमी रात्रि 08:30 तक तत्पश्चात नवमी
⛅दिनांक 21 जून 2022
⛅दिन - मंगलवार
⛅शक संवत - 1944
⛅अयन - उत्तरायण
⛅ऋतु - वर्षा
⛅मास - आषाढ़
⛅पक्ष - कृष्ण
⛅नक्षत्र - उत्तर भाद्रपद प्रातः 05:03 तक तत्पश्चात रेवती
⛅योग - आयुष्मान सुबह 06:41 तक तत्पश्चात सौभाग्य
⛅राहु काल - शाम 04:05 से 05:46
⛅सूर्योदय - 05:55
⛅सूर्यास्त - 07:28
⛅दिशा शूल - उत्तर दिशा में
⛅ब्रह्म मुहूर्त - प्रातः 04:31 से 05:13 तक
June 20, 2022
@samskrt_samvadah संलापशाला - A Samskrit Voicechat room.
यदीच्छसि वशीकर्तुं, भाषणमेककर्मणा।
यायास्संलापशालां वै, भवति यत्र भाषणम्।।
⏳45 निमेषाः
🕚 IST 11:00 AM
🔰भवतां प्रियम् आसनं प्राणायामः वा
🗓20th June 2022, सोमवासरः
🔴Voicechat would be recorded and shared on this channel.
📑यदि शक्येत चेत् संस्कृतेन (प्रियस्य आसनस्य प्राणायामस्य वा विवरणं यच्छन्तु तथा कुतः पठितुं शक्नुमः इत्यपि उच्यताम्) चर्चार्थं कृपया पूर्वसिद्धतां कृत्वा आगच्छन्तु।
वयं युष्माकं प्रतीक्षां कुर्मः। 😇
स्मारणतंत्रिकां स्थापयतु ⏰
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June 20, 2022
June 20, 2022
🔰चित्रं दृष्ट्वा पञ्चवाक्यानि रचयत।
✍🏼सर्वे टिप्पणीसञ्चिकायां स्वोत्तराणि लेखितुं शक्नुवन्ति अथवा पुस्तिकायां लिखित्वा तस्य चित्रं स्वीकृत्य अपि प्रेषयितुं शक्नुवन्ति।
🗣सहैव तानि वाक्यानि उक्त्वा ध्वनिमाध्यमेन अपि प्रेषयत।
Read in English
हिन्दी में पढें
#chitram
✍🏼सर्वे टिप्पणीसञ्चिकायां स्वोत्तराणि लेखितुं शक्नुवन्ति अथवा पुस्तिकायां लिखित्वा तस्य चित्रं स्वीकृत्य अपि प्रेषयितुं शक्नुवन्ति।
🗣सहैव तानि वाक्यानि उक्त्वा ध्वनिमाध्यमेन अपि प्रेषयत।
Read in English
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#chitram
June 20, 2022
June 20, 2022
🍃
⚜कार्य की सफलता का मूल कारण उद्योग होता है, उद्योग के बिना कोई भी सिद्धि नहीं होती है,उद्योग से ही सभी समृद्धियों का उदय होता है,जहां उद्योग नहीं होता वहां पाप होता है।
🔅उद्योगः/परिश्रमः साफल्यस्य कारणं भवति तेनैव सर्वाः समृद्धयः लभन्ते, तं विना कापि सिद्धिः न भविता, यत्र उद्योगः नास्ति तत्र पापं प्रवर्तते।
#Subhashitam
वीर्यं परं कार्यकृतौ हि मूलं
वीर्यादृते काचन नास्ति सिद्धि:।
उदेति वीर्यादिह सर्वसम्पन्
निर्वीर्यता चेत् सकलश्च पाप्मा
।। ⚜कार्य की सफलता का मूल कारण उद्योग होता है, उद्योग के बिना कोई भी सिद्धि नहीं होती है,उद्योग से ही सभी समृद्धियों का उदय होता है,जहां उद्योग नहीं होता वहां पाप होता है।
🔅उद्योगः/परिश्रमः साफल्यस्य कारणं भवति तेनैव सर्वाः समृद्धयः लभन्ते, तं विना कापि सिद्धिः न भविता, यत्र उद्योगः नास्ति तत्र पापं प्रवर्तते।
#Subhashitam
June 20, 2022
June 20, 2022
June 21, 2022
June 21, 2022
ओ३म्
संस्कृताभ्यासः
आज्ञार्थ
अहं जानानि वा ?
= मैं जानूँ क्या?
अहं कृषिकर्म जानानि ?
= मैं कृषिकर्म जानूँ ?
अधुनैव जानातु , बहु आवश्यकम् अस्ति।
= अभी ही जानिये , बहुत आवश्यक है।
कृपया संस्कृतभाषां जानातु।
= कृपया संस्कृतभाषा जानिये।
पूर्वं श्लोकस्य अर्थं जानातु अनन्तरं श्लोकं वदतु।
= पहले श्लोक का अर्थ जानिये बाद में श्लोकं बोलिये।
तस्य स्वभावं जानातु भोः
= उसका स्वभाव जान लीजिये जी।
तस्य रोगं जानातु अनन्तरम् औषधं ददातु।
= उसका रोग जानिये बाद में उसे दवा दीजिये।
न जानाति तर्हि जानातु।
= नहीं जानते हैं तो जान लीजिये।
ओ३म्
संस्कृताभ्यासः
भविष्यकाल
अहं प्रक्षालयिष्यामि।
= मैं धोऊँगा / मैं धोऊँगी
अहं वस्त्राणि प्रक्षालयिष्यामि।
= मैं वस्त्र धोऊँगा / मैं वस्त्र धोऊँगी
अहं मम धौतवस्त्रं प्रक्षालयिष्यामि।
= मैं अपनी धोती धोऊँगा।
अहं मम शाटिकां प्रक्षालयिष्यामि।
= मैं अपनी साड़ी धोऊँगी।
सः प्रक्षालयिष्यति।
= वह धोएगा।
सा प्रक्षालयिष्यति
= वह धोएगी।
गुरुद्वारायां सा पात्राणि प्रक्षालयिष्यति।
= गुरुद्वारा में वह बर्तन धोएगी।
पूर्वं सः फलानि प्रक्षालयिष्यति अनन्तरं खादिष्यति।
= पहले वह फल धोएगा फिर खाएगा।
कः प्रक्षालयिष्यति ?
= कौन धोएगा ?
विनीतः प्रक्षालयिष्यति।
= विनीत धोएगा।
का प्रक्षालयिष्यति ?
= कौन धोएगी ?
सुरेखा प्रक्षालयिष्यति।
= सुरेखा धोएगी।
#vakyabhyas
संस्कृताभ्यासः
आज्ञार्थ
अहं जानानि वा ?
= मैं जानूँ क्या?
अहं कृषिकर्म जानानि ?
= मैं कृषिकर्म जानूँ ?
अधुनैव जानातु , बहु आवश्यकम् अस्ति।
= अभी ही जानिये , बहुत आवश्यक है।
कृपया संस्कृतभाषां जानातु।
= कृपया संस्कृतभाषा जानिये।
पूर्वं श्लोकस्य अर्थं जानातु अनन्तरं श्लोकं वदतु।
= पहले श्लोक का अर्थ जानिये बाद में श्लोकं बोलिये।
तस्य स्वभावं जानातु भोः
= उसका स्वभाव जान लीजिये जी।
तस्य रोगं जानातु अनन्तरम् औषधं ददातु।
= उसका रोग जानिये बाद में उसे दवा दीजिये।
न जानाति तर्हि जानातु।
= नहीं जानते हैं तो जान लीजिये।
ओ३म्
संस्कृताभ्यासः
भविष्यकाल
अहं प्रक्षालयिष्यामि।
= मैं धोऊँगा / मैं धोऊँगी
अहं वस्त्राणि प्रक्षालयिष्यामि।
= मैं वस्त्र धोऊँगा / मैं वस्त्र धोऊँगी
अहं मम धौतवस्त्रं प्रक्षालयिष्यामि।
= मैं अपनी धोती धोऊँगा।
अहं मम शाटिकां प्रक्षालयिष्यामि।
= मैं अपनी साड़ी धोऊँगी।
सः प्रक्षालयिष्यति।
= वह धोएगा।
सा प्रक्षालयिष्यति
= वह धोएगी।
गुरुद्वारायां सा पात्राणि प्रक्षालयिष्यति।
= गुरुद्वारा में वह बर्तन धोएगी।
पूर्वं सः फलानि प्रक्षालयिष्यति अनन्तरं खादिष्यति।
= पहले वह फल धोएगा फिर खाएगा।
कः प्रक्षालयिष्यति ?
= कौन धोएगा ?
विनीतः प्रक्षालयिष्यति।
= विनीत धोएगा।
का प्रक्षालयिष्यति ?
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सुरेखा प्रक्षालयिष्यति।
= सुरेखा धोएगी।
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June 21, 2022
@samskrt_samvadah प्रारंभ करता है, संस्कृताश्रमः - संस्कृतशिक्षण की लघु कक्षाऐं
⏳20 मिनट
🕚 09:00 PM 🇮🇳
🔰षष्ठीविभक्तिः
🗓21th जून् 2022, मङ्गलवासरः
🔴 कक्षाओं की प्रति हमारे युट्युब प्लेलिस्ट पर डाली जायेगी
https://youtube.com/playlist?list=PL6OCpxoxDlOZwPLLcoB8TtdqgxmdSR-7c
कृपया अलार्म लगा लें और विलंब से न आयें।
👇🏼👇🏼👇🏼👇🏼👇🏼
https://t.me/samskrt_samvadah?voicechat
⏳20 मिनट
🕚 09:00 PM 🇮🇳
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June 21, 2022
June 21, 2022
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🔰वाक्याभ्यासः
🗓22th June 2022, बुधवासरः
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📑यदि शक्येत चेत् संस्कृतेन (चित्रं दृष्ट्वा वाक्यानि वक्तव्यानि) चर्चार्थं कृपया पूर्वसिद्धतां कृत्वा आगच्छन्तु।
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🗓22th June 2022, बुधवासरः
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June 21, 2022
🍃
♦️kamamasritya duspuran dambhamanamadanvitah.
mohadgrhitvasadgrahanpravartantesucivratah৷৷16.10৷৷
⚜Filled with insatiable desires, full of hypocrisy, pride and arrogance, holding evil ideas through delusion, they work with impure resolves.(16.10)
⚜दम्भ मान और मद से युक्त कभी न पूर्ण होने वाली कामनाओं का आश्रय लिये मोहवश मिथ्या धारणाओं को ग्रहण करके ये अशुद्ध संकल्पों के लोग जगत् में कार्य करते हैं।।16.10।।
#geeta
काममाश्रित्य दुष्पूरं दम्भमानमदान्विताः।
मोहाद्गृहीत्वासद्ग्राहान्प्रवर्तन्तेऽशुचिव्रताः
।।16.10।।♦️kamamasritya duspuran dambhamanamadanvitah.
mohadgrhitvasadgrahanpravartantesucivratah৷৷16.10৷৷
⚜Filled with insatiable desires, full of hypocrisy, pride and arrogance, holding evil ideas through delusion, they work with impure resolves.(16.10)
⚜दम्भ मान और मद से युक्त कभी न पूर्ण होने वाली कामनाओं का आश्रय लिये मोहवश मिथ्या धारणाओं को ग्रहण करके ये अशुद्ध संकल्पों के लोग जगत् में कार्य करते हैं।।16.10।।
#geeta
June 21, 2022
June 21, 2022
June 21, 2022
June 21, 2022
🍃
♦️cintamaparimeyan ca pralayantamupasritah.
kamopabhogaparama etavaditi nisicatah৷৷16.11৷৷
⚜Giving themselves over to immeasurable cares ending only with death, regarding gratification of lust as their highest aim, and feeling sure that that is all.(16.11)
⚜मरणपर्यन्त रहने वाली अपरिमित चिन्ताओं से ग्रस्त और विषयोपभोग को ही परम लक्ष्य मानने वाले ये आसुरी लोग इस निश्चित मत के होते हैं कि इतना ही (सत्य आनन्द) है।।16.11।।
#geeta
चिन्तामपरिमेयां च प्रलयान्तामुपाश्रिताः।
कामोपभोगपरमा एतावदिति निश्िचताः
।।16.11।।♦️cintamaparimeyan ca pralayantamupasritah.
kamopabhogaparama etavaditi nisicatah৷৷16.11৷৷
⚜Giving themselves over to immeasurable cares ending only with death, regarding gratification of lust as their highest aim, and feeling sure that that is all.(16.11)
⚜मरणपर्यन्त रहने वाली अपरिमित चिन्ताओं से ग्रस्त और विषयोपभोग को ही परम लक्ष्य मानने वाले ये आसुरी लोग इस निश्चित मत के होते हैं कि इतना ही (सत्य आनन्द) है।।16.11।।
#geeta
June 21, 2022
June 21, 2022
🚩जय सत्य सनातन🚩
🚩आज की हिंदी तिथि
🌥️ 🚩युगाब्द-५१२४
🌥️ 🚩विक्रम संवत-२०७९
⛅ 🚩तिथि - नवमी रात्रि 08:45 तक तत्पश्चात दशमी
⛅दिनांक 22 जून 2022
⛅दिन - बुधवार
⛅शक संवत - 1944
⛅अयन - उत्तरायण
⛅ऋतु - वर्षा
⛅मास - आषाढ़
⛅पक्ष - कृष्ण
⛅नक्षत्र - रेवती पूर्ण रात्रि तक
⛅योग - शोभन 23 जून प्रातः 04:57 तक तत्पश्चात अतिगण्ड
⛅राहु काल - दोपहर 12:42 से 02:23
⛅सूर्योदय - 05:55
⛅सूर्यास्त - 07:28
⛅दिशा शूल - उत्तर दिशा में
⛅ब्रह्म मुहूर्त - प्रातः 04:32 से 05:13 तक
🚩आज की हिंदी तिथि
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June 21, 2022
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June 21, 2022
June 21, 2022
https://youtu.be/BqEGVH7fUuA
प्रतिदिनं प्रातः ७:१५ वादने १५ निमेषात्मिकायै वार्तायै डी डी न्यूज् इति पश्यत।
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YouTube
वार्ता: संस्कृत भाषा में समाचार
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DD News 24x7 | Breaking News and other Live updates | | News in Hindi | Latest News
DD News is India’s 24x7 news channel from the stable of the country’s Public Service Broadcaster, Prasar Bharati. It has the distinction…
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June 21, 2022
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#chitram
✍🏼सर्वे टिप्पणीसञ्चिकायां स्वोत्तराणि लेखितुं शक्नुवन्ति अथवा पुस्तिकायां लिखित्वा तस्य चित्रं स्वीकृत्य अपि प्रेषयितुं शक्नुवन्ति।
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#chitram
June 21, 2022
June 21, 2022
🍃
⚜कार्य में संलग्न करने से भृत्य,दुःख होने पर बन्धु-बान्धव,विपत्तिकाल में मित्र तथा ऐश्वर्य के नष्ट होने पर स्त्री के स्वभाव की परीक्षा करनी चाहिये।
🔅सेवकस्य कार्यदाने , दुःखागमने बन्धवानां, विपत्त्याः आगमने मित्राणां, तथा वैभवनष्टे भार्यायाः परीक्षा भवति।
#Subhashitam
- गरुडपुराणम्(आचारकाण्डम्)
जानीयात् प्रेषणे भृत्यान् बान्धवान् व्यसनागमे।
मित्रमापदि काले च भार्याञ्च विभवक्षये
।।⚜कार्य में संलग्न करने से भृत्य,दुःख होने पर बन्धु-बान्धव,विपत्तिकाल में मित्र तथा ऐश्वर्य के नष्ट होने पर स्त्री के स्वभाव की परीक्षा करनी चाहिये।
🔅सेवकस्य कार्यदाने , दुःखागमने बन्धवानां, विपत्त्याः आगमने मित्राणां, तथा वैभवनष्टे भार्यायाः परीक्षा भवति।
#Subhashitam
- गरुडपुराणम्(आचारकाण्डम्)
June 21, 2022
June 21, 2022
June 21, 2022
June 22, 2022
June 22, 2022
संस्कृताभ्यासः
भूतकाल
अहं प्रक्षालितवान् / प्रक्षालितवती
= मैंने धोया / मैंने धो लिया।
अहं सर्वाणि पात्राणि प्रक्षालितवान् / प्रक्षालितवती
= मैंने सारे बर्तन धो दिये
अहं प्रातः उत्थाय अङ्गणं प्रक्षालितवान् / प्रक्षालितवती।
= मैंने सुबह उठकर आँगन धोया।
लतिका अद्य अपि घटं न प्रक्षालितवती।
= लतिका ने आज भी घड़ा साफ नहीं किया।
नरेशः पितामह्याः सेवां करोति सः तस्याः हस्तौ पादौ च प्रक्षालितवान् ।
= नरेश दादीजी की सेवा करता है, उसने उनके हाथ और पैर धोए।
सा गङ्गाजलेन यज्ञकुण्डं प्रक्षालितवती।
= उसने गंगाजल से यज्ञकुंड धोया।
सा कोरोनाविषाणुतः बिभेति अतः सम्पूर्णं गृहं प्रक्षालितवती।
= वह कोरोना वायरस से डरती है अतः पूरा घर धो डाला।
साधुः केशान् प्रक्षालितवान्।
= साधु ने अपने बाल धोए।
संस्कृताभ्यासः
आज्ञार्थ
अहं प्रक्षालयानि वा ?
= मैं धोऊँ क्या ?
आम् अवश्यमेव प्रक्षालयतु।
= हाँ , अवश्य धोइये।
भवतः दक्षिणहस्तः मलिनः अस्ति , कृपया प्रक्षालयतु।
= आपका दाहिना हाथ मैला है कृपया धो लीजिये।
भक्षणात् पूर्वं कृपया फलानि प्रक्षालयतु।
= खाने से पहले कृपया फल धो लीजिये।
अधुना अपि मलिनम् अस्ति पुनः प्रक्षालयतु।
= अभी भी मैला है फिर से धोइये।
सा मातरं वदति "मातः ! अधिकं नत्वा पात्राणि मा प्रक्षालयतु।"
= वह माँ से बोलती है "माँ ! अधिक झुक कर के वस्त्र मत धोइये।"
एकं पात्रम् अहं प्रक्षालयामि एकं भवती प्रक्षालयतु।
= एक बर्तन मैं धोता हूँ एक आप धोइये।
मलिनेन जलेन किमपि मा प्रक्षालयतु।
= गंदे पानी से कुछ भी मत धोइये।
तात ! मम कन्दुकं मलिने जले पतितम् आसीत् कृपया कन्दुकं प्रक्षालयतु।
= पिताजी , मेरी गेंद गंदे पानी में गिर गई थी, कृपया धो दीजिये।
संस्कृताभ्यासः
वर्तमानकाल
अहं कर्तुं शक्नोमि
= मैं कर सकता हूँ / कर सकती हूँ।
अहं वस्त्राणि प्रक्षालयितुं शक्नोमि।
= मैं वस्त्र धो सकता / सकती हूँ।
अहं नृत्यं कर्तुं शक्नोमि।
= मैं नृत्य कर सकता हूँ / कर सकती हूँ।
भवान् / भवती किं कर्तुं शक्नोति ?
= आप क्या कर सकते हैं / कर सकती हैं ?
छात्रः गीतं गातुं शक्नोति।
= छात्र गीत गा सकता है ।
माता भोजनं पक्तुं शक्नोति।
= माँ खाना बना सकती है ।
सः संस्कृतभाषायां वक्तुं शक्नोति।
= वह संस्कृत में बोल सकता है।
श्रीधरः वेगेन चलितुं शक्नोति।
= श्रीधर तेज चल सकता है।
माता सीता श्रीरामस्य प्रतीक्षां कर्तुं शक्नोति।
= माता सीता श्रीराम की प्रतीक्षा कर सकती है।
सज्जनः दुराचारं न कर्तुं शक्नोति।
= सज्जन दुराचार नहीं कर सकता है।
मनीषः गणितं पाठयितुं शक्नोति।
= मनीष गणित पढ़ा सकता है।
#vakyabhyas
भूतकाल
अहं प्रक्षालितवान् / प्रक्षालितवती
= मैंने धोया / मैंने धो लिया।
अहं सर्वाणि पात्राणि प्रक्षालितवान् / प्रक्षालितवती
= मैंने सारे बर्तन धो दिये
अहं प्रातः उत्थाय अङ्गणं प्रक्षालितवान् / प्रक्षालितवती।
= मैंने सुबह उठकर आँगन धोया।
लतिका अद्य अपि घटं न प्रक्षालितवती।
= लतिका ने आज भी घड़ा साफ नहीं किया।
नरेशः पितामह्याः सेवां करोति सः तस्याः हस्तौ पादौ च प्रक्षालितवान् ।
= नरेश दादीजी की सेवा करता है, उसने उनके हाथ और पैर धोए।
सा गङ्गाजलेन यज्ञकुण्डं प्रक्षालितवती।
= उसने गंगाजल से यज्ञकुंड धोया।
सा कोरोनाविषाणुतः बिभेति अतः सम्पूर्णं गृहं प्रक्षालितवती।
= वह कोरोना वायरस से डरती है अतः पूरा घर धो डाला।
साधुः केशान् प्रक्षालितवान्।
= साधु ने अपने बाल धोए।
संस्कृताभ्यासः
आज्ञार्थ
अहं प्रक्षालयानि वा ?
= मैं धोऊँ क्या ?
आम् अवश्यमेव प्रक्षालयतु।
= हाँ , अवश्य धोइये।
भवतः दक्षिणहस्तः मलिनः अस्ति , कृपया प्रक्षालयतु।
= आपका दाहिना हाथ मैला है कृपया धो लीजिये।
भक्षणात् पूर्वं कृपया फलानि प्रक्षालयतु।
= खाने से पहले कृपया फल धो लीजिये।
अधुना अपि मलिनम् अस्ति पुनः प्रक्षालयतु।
= अभी भी मैला है फिर से धोइये।
सा मातरं वदति "मातः ! अधिकं नत्वा पात्राणि मा प्रक्षालयतु।"
= वह माँ से बोलती है "माँ ! अधिक झुक कर के वस्त्र मत धोइये।"
एकं पात्रम् अहं प्रक्षालयामि एकं भवती प्रक्षालयतु।
= एक बर्तन मैं धोता हूँ एक आप धोइये।
मलिनेन जलेन किमपि मा प्रक्षालयतु।
= गंदे पानी से कुछ भी मत धोइये।
तात ! मम कन्दुकं मलिने जले पतितम् आसीत् कृपया कन्दुकं प्रक्षालयतु।
= पिताजी , मेरी गेंद गंदे पानी में गिर गई थी, कृपया धो दीजिये।
संस्कृताभ्यासः
वर्तमानकाल
अहं कर्तुं शक्नोमि
= मैं कर सकता हूँ / कर सकती हूँ।
अहं वस्त्राणि प्रक्षालयितुं शक्नोमि।
= मैं वस्त्र धो सकता / सकती हूँ।
अहं नृत्यं कर्तुं शक्नोमि।
= मैं नृत्य कर सकता हूँ / कर सकती हूँ।
भवान् / भवती किं कर्तुं शक्नोति ?
= आप क्या कर सकते हैं / कर सकती हैं ?
छात्रः गीतं गातुं शक्नोति।
= छात्र गीत गा सकता है ।
माता भोजनं पक्तुं शक्नोति।
= माँ खाना बना सकती है ।
सः संस्कृतभाषायां वक्तुं शक्नोति।
= वह संस्कृत में बोल सकता है।
श्रीधरः वेगेन चलितुं शक्नोति।
= श्रीधर तेज चल सकता है।
माता सीता श्रीरामस्य प्रतीक्षां कर्तुं शक्नोति।
= माता सीता श्रीराम की प्रतीक्षा कर सकती है।
सज्जनः दुराचारं न कर्तुं शक्नोति।
= सज्जन दुराचार नहीं कर सकता है।
मनीषः गणितं पाठयितुं शक्नोति।
= मनीष गणित पढ़ा सकता है।
#vakyabhyas
June 22, 2022
Science class
Topic - Gravitational force.
Teacher :- Ramesh ! Are you sleeping in the class ?
Ramesh :- No sir, I am not sleeping. My head just tilts due to the gravitational force.
#hasya
Topic - Gravitational force.
Teacher :- Ramesh ! Are you sleeping in the class ?
Ramesh :- No sir, I am not sleeping. My head just tilts due to the gravitational force.
#hasya
June 22, 2022
@samskrt_samvadah संलापशाला - A Samskrit Voicechat room.
यदीच्छसि वशीकर्तुं, भाषणमेककर्मणा।
यायास्संलापशालां वै, भवति यत्र भाषणम्।।
⏳45 निमेषाः
🕚 IST 11:00 AM
🔰प्रियदूर्दर्शनकार्यक्रमः
🗓23th June 2022, गुरुवासरः
🔴Voicechat would be recorded and shared on this channel.
📑यदि शक्येत चेत् संस्कृतेन (प्रियस्य दूर्दर्शनकार्यक्रमस्य विवरणं दीयताम्) चर्चार्थं कृपया पूर्वसिद्धतां कृत्वा आगच्छन्तु।
वयं युष्माकं प्रतीक्षां कुर्मः। 😇
स्मारणतंत्रिकां स्थापयतु ⏰
👇🏼👇🏼👇🏼👇🏼👇🏼
https://t.me/samskrt_samvadah?voicechat
यदीच्छसि वशीकर्तुं, भाषणमेककर्मणा।
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🔰प्रियदूर्दर्शनकार्यक्रमः
🗓23th June 2022, गुरुवासरः
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June 22, 2022
🍃
♦️asapasasatairbaddhah kamakrodhaparayanah.
ihante kamabhogarthamanyayenarthasancayan৷৷16.12৷৷
⚜Bound by a hundred ties of hope, given over to lust and anger, they strive to obtain by unlawful means hoards to wealth for sensual enjoyments.(16.12)
⚜सैकड़ों आशापाशों से बन्धे हुये काम और क्रोध के वश में ये लोग विषयभोगों की पूर्ति के लिये अन्यायपूर्वक धन का संग्रह करने के लिये चेष्टा करते हैं।।16.12।।
#geeta
आशापाशशतैर्बद्धाः कामक्रोधपरायणाः।
ईहन्ते कामभोगार्थमन्यायेनार्थसञ्चयान्
।।16.12।।♦️asapasasatairbaddhah kamakrodhaparayanah.
ihante kamabhogarthamanyayenarthasancayan৷৷16.12৷৷
⚜Bound by a hundred ties of hope, given over to lust and anger, they strive to obtain by unlawful means hoards to wealth for sensual enjoyments.(16.12)
⚜सैकड़ों आशापाशों से बन्धे हुये काम और क्रोध के वश में ये लोग विषयभोगों की पूर्ति के लिये अन्यायपूर्वक धन का संग्रह करने के लिये चेष्टा करते हैं।।16.12।।
#geeta
June 22, 2022
June 22, 2022
🍃
♦️idamadya maya labdhamiman prapsye manoratham.
idamastidamapi me bhavisyati punardhanam৷৷16.13৷৷
⚜This has been gained by me today; this desire of mine I shall fuffil; this is mine and this wealth also shall be mine in future.(16.13)
⚜मैंने आज यह पाया है और इस मनोरथ को भी प्राप्त करूंगा? मेरे पास यह इतना धन है और इससे भी अधिक धन भविष्य में होगा।।16.13।।
#geeta
इदमद्य मया लब्धमिमं प्राप्स्ये मनोरथम्।
इदमस्तीदमपि मे भविष्यति पुनर्धनम्
।।16.13।।♦️idamadya maya labdhamiman prapsye manoratham.
idamastidamapi me bhavisyati punardhanam৷৷16.13৷৷
⚜This has been gained by me today; this desire of mine I shall fuffil; this is mine and this wealth also shall be mine in future.(16.13)
⚜मैंने आज यह पाया है और इस मनोरथ को भी प्राप्त करूंगा? मेरे पास यह इतना धन है और इससे भी अधिक धन भविष्य में होगा।।16.13।।
#geeta
June 22, 2022
June 22, 2022
🚩जय सत्य सनातन🚩
🚩आज की हिंदी तिथि
⛅🚩तिथि - दशमी रात्रि 09:41 तक तत्पश्चात एकादशी
⛅दिनांक 23 जून 2022
⛅दिन - गुरुवार
⛅शक संवत - 1944
⛅अयन - उत्तरायण
⛅ऋतु - वर्षा
⛅मास - आषाढ़
⛅पक्ष - कृष्ण
⛅नक्षत्र - रेवती सुबह 06:41 तक तत्पश्चात अश्विनी
⛅योग - अतिगण्ड 24 जून प्रातः 04:53 तक तत्पश्चात सुकर्मा
⛅राहु काल - दोपहर 02:22 से 04:05 तक
⛅सूर्योदय - 05:55
⛅सूर्यास्त - 07:28
⛅दिशा शूल - दक्षिण दिशा में
⛅ब्रह्म मुहूर्त - प्रातः 04:32 से 05:13 तक
🚩आज की हिंदी तिथि
⛅🚩तिथि - दशमी रात्रि 09:41 तक तत्पश्चात एकादशी
⛅दिनांक 23 जून 2022
⛅दिन - गुरुवार
⛅शक संवत - 1944
⛅अयन - उत्तरायण
⛅ऋतु - वर्षा
⛅मास - आषाढ़
⛅पक्ष - कृष्ण
⛅नक्षत्र - रेवती सुबह 06:41 तक तत्पश्चात अश्विनी
⛅योग - अतिगण्ड 24 जून प्रातः 04:53 तक तत्पश्चात सुकर्मा
⛅राहु काल - दोपहर 02:22 से 04:05 तक
⛅सूर्योदय - 05:55
⛅सूर्यास्त - 07:28
⛅दिशा शूल - दक्षिण दिशा में
⛅ब्रह्म मुहूर्त - प्रातः 04:32 से 05:13 तक
June 22, 2022
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🗓23th June 2022, गुरुवासरः
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June 22, 2022
https://youtu.be/KFq7cVdFuWI
प्रतिदिनं प्रातः ७:१५ वादने १५ निमेषात्मिकायै वार्तायै डी डी न्यूज् इति पश्यत।
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वार्ता: संस्कृत भाषा में समाचार
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DD News 24x7 | Breaking News and other Live updates | | News in Hindi | Latest News
DD News is India’s 24x7 news channel from the stable of the country’s Public Service Broadcaster, Prasar Bharati. It has the distinction…
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June 22, 2022
June 22, 2022
🔰चित्रं दृष्ट्वा पञ्चवाक्यानि रचयत।
✍🏼सर्वे टिप्पणीसञ्चिकायां स्वोत्तराणि लेखितुं शक्नुवन्ति अथवा पुस्तिकायां लिखित्वा तस्य चित्रं स्वीकृत्य अपि प्रेषयितुं शक्नुवन्ति।
🗣सहैव तानि वाक्यानि उक्त्वा ध्वनिमाध्यमेन अपि प्रेषयत।
Read in English
हिन्दी में पढें
#chitram
✍🏼सर्वे टिप्पणीसञ्चिकायां स्वोत्तराणि लेखितुं शक्नुवन्ति अथवा पुस्तिकायां लिखित्वा तस्य चित्रं स्वीकृत्य अपि प्रेषयितुं शक्नुवन्ति।
🗣सहैव तानि वाक्यानि उक्त्वा ध्वनिमाध्यमेन अपि प्रेषयत।
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#chitram
June 22, 2022
June 22, 2022
🍃
⚜इस संसार में सहस्र माता-पिता और सैकड़ों पुत्र-कलत्र युग-युग में हुए और चले गए,वे(माता-पितादि) किसके थे और आप किसके हैं? अर्थात् किसी के नहीं।
🔅इह पूर्वजन्मसु बहवः पतरः पुत्रादयः(बान्धवाः) अभवन् , परन्तु ते कस्य आसन् तथा भवान्/भवती कस्य वा अस्ति , इत्युक्ते कस्यापि नास्ति।
अर्थात् मोहत्यागः कर्तव्यः।
-हर्षचरितम्(महाकविबाणभट्टः)
#Subhashitam
मातापितृसहस्राणि पुत्रदारशतानि च।
युगे युगे व्यतीतानि कस्य ते कस्य वा भवान्
।।⚜इस संसार में सहस्र माता-पिता और सैकड़ों पुत्र-कलत्र युग-युग में हुए और चले गए,वे(माता-पितादि) किसके थे और आप किसके हैं? अर्थात् किसी के नहीं।
🔅इह पूर्वजन्मसु बहवः पतरः पुत्रादयः(बान्धवाः) अभवन् , परन्तु ते कस्य आसन् तथा भवान्/भवती कस्य वा अस्ति , इत्युक्ते कस्यापि नास्ति।
अर्थात् मोहत्यागः कर्तव्यः।
-हर्षचरितम्(महाकविबाणभट्टः)
#Subhashitam
June 22, 2022
June 22, 2022
June 22, 2022
"वेदितव्यः"
अत्र धातुं प्रत्ययं च वदन्तु।
अत्र धातुं प्रत्ययं च वदन्तु।
Anonymous Quiz
75%
विद् तव्यत्
13%
वेद् अनीयर्
4%
वद् तृच्
8%
विद् शानच्
June 23, 2022
संस्कृताभ्यासः
भविष्यकाल
अहं कर्तुं शक्ष्यामि।
= मैं कर सकूँगा / मैं कर सकूँगी
अहं गीतं गातुं शक्ष्यामि
= मैं गाना गा सकूँगा / मैं गाना गा सकूँगी
पादे पीड़ा भवति तथापि अहं चलितुं शक्ष्यामि
= पैर में पीड़ा हो रही है फिर भी चल सकूँगा / मैं चल सकूँगी
अधुना तु कार्यं करोमि जरावस्थायां अहं किमपि न कर्तुं शक्ष्यामि
= अभी तो मैं काम कर रहा हूँ बुढ़ापे में मैं कुछ नहीं कर सकूँगा / मैं नहीं कर सकूँगी।
तस्य दन्ते पीड़ा भवति अतः सः खादतुं न शक्ष्यति।
= उसके दाँत में पीड़ा हो रही है अतः वह कुछ भी खा सकेगा।
सः सुयोग्यः चिकित्सकः सः पीड़ां हर्तुं शक्ष्यति।
= वह सुयोग्य चिकित्सक है वह पीड़ा हर सकेगा।
अधुना तस्य पार्श्वे धनम् अस्ति सः दानं दातुं शक्ष्यति।
= अभी उसके पास धन है वह दान दे सकेगा।
सा वीराङ्गना अस्ति सा आतंकवादीं मारयितुं शक्ष्यति।
= वह वीरांगना है वह आतंकवादी को मार सकेगी।
शल्यक्रियायाः अनन्तरं सः द्रष्टुं शक्ष्यति।
= ऑपरेशन के बाद वह देख सकेगा।
अद्य सा नूतनं पादत्राणं क्रीतवती सा वेगेन धावितुं शक्ष्यति।
= आज उसने नए बूट खरीदे वह तेज दौड़ सकेगी।
संस्कृताभ्यासः
वर्तमानकाल
अहं ईश्वरं स्मरामि
= मैं ईश्वर को याद करता हूँ / करती हूँ।
अहं मातरं स्मरामि
= मैं माँ को याद करता हूँ / करती हूँ।
अहं मम बाल्यावस्थां स्मरामि
= मैं अपने बचपन को याद करता हूँ / करती हूँ।
भवान् / भवती किं स्मरति ?
= आप क्या याद करते हैं / करती हैं ?
सः / सा किं स्मरति ?
= वह क्या याद करता है / करती है ?
भूकम्पस्य धटनां कः कः स्मरति ?
= भूकंप की घटना को कौन कौन याद करता है ?
छात्रः गीतं स्मरति।
= छात्र गीत याद करता है ।
अनिरुद्धः मातुः मधुरं संवादं स्मरति।
= अनिरुद्ध माँ के मीठे संवाद को याद करता है ।
मातासीता श्रीरामं स्मरति।
= सीता माता श्रीराम को याद करती हैं।
सा निर्धनतायाः दिनानि स्मरति।
= वह निर्धनता के दिन याद करती है।
ललिता नीतिशतकस्य श्लोकं स्मरति।
= ललिता नीतिशतक का श्लोक याद करती है।
संस्कृताभ्यासः
भविष्यकाल
अहं स्मरिष्यामि।
= मैं याद करूँगा / मैं याद करूँगी
अहं भार्यायाः जन्मदिनं सर्वदा स्मरिष्यामि।
= मैं पत्नी का जन्मदिन हमेशा याद रखूँगा।
अहं भवतः दूरवाणीक्रमांकं सर्वदा स्मरिष्यामि
= मैं आपका फोन नंबर हमेशा याद रखूँगा / रखूँगी।
सः चौरं ताड़ितवान् , चौरः ताड़नं सर्वदा स्मरिष्यति।
= उसने चोर को मारा , चोर मार को हमेशा याद रखेगा।
वैद्यः बहु प्रेम्णा चिकित्सां कृतवान् , सः वैद्यस्य चिकित्सापद्धतिं स्मरिष्यति।
= वैद्य ने बहुत प्रेम से चिकित्सा की , वह वैद्य की चिकित्सापद्धति को याद करेगा।
सा फ्रांसदेशं गच्छति सा भारतं सर्वदा स्मरिष्यति।
= वह फ्रांस देश जा रही है वह हमेशा भारत को याद करेगी।
विनोदः अवदत् - "अहं त्वां स्मरिष्यामि।"
= विनोद बोला - "मैं तुम्हें याद रखूँगा।"
गुरुः यत् पाठितवान् तद् शिष्यः स्मरिष्यति।
= गुरु ने जो पढ़ाया वो शिष्य याद रखेगा।
कः स्मरिष्यति ?
= कौन याद करेगा ?
का स्मरिष्यति ?
= कौन याद करेगी ?
कदा स्मरिष्यति ?
= कब याद करेगा / करेगी ?
#vakyabhyas
भविष्यकाल
अहं कर्तुं शक्ष्यामि।
= मैं कर सकूँगा / मैं कर सकूँगी
अहं गीतं गातुं शक्ष्यामि
= मैं गाना गा सकूँगा / मैं गाना गा सकूँगी
पादे पीड़ा भवति तथापि अहं चलितुं शक्ष्यामि
= पैर में पीड़ा हो रही है फिर भी चल सकूँगा / मैं चल सकूँगी
अधुना तु कार्यं करोमि जरावस्थायां अहं किमपि न कर्तुं शक्ष्यामि
= अभी तो मैं काम कर रहा हूँ बुढ़ापे में मैं कुछ नहीं कर सकूँगा / मैं नहीं कर सकूँगी।
तस्य दन्ते पीड़ा भवति अतः सः खादतुं न शक्ष्यति।
= उसके दाँत में पीड़ा हो रही है अतः वह कुछ भी खा सकेगा।
सः सुयोग्यः चिकित्सकः सः पीड़ां हर्तुं शक्ष्यति।
= वह सुयोग्य चिकित्सक है वह पीड़ा हर सकेगा।
अधुना तस्य पार्श्वे धनम् अस्ति सः दानं दातुं शक्ष्यति।
= अभी उसके पास धन है वह दान दे सकेगा।
सा वीराङ्गना अस्ति सा आतंकवादीं मारयितुं शक्ष्यति।
= वह वीरांगना है वह आतंकवादी को मार सकेगी।
शल्यक्रियायाः अनन्तरं सः द्रष्टुं शक्ष्यति।
= ऑपरेशन के बाद वह देख सकेगा।
अद्य सा नूतनं पादत्राणं क्रीतवती सा वेगेन धावितुं शक्ष्यति।
= आज उसने नए बूट खरीदे वह तेज दौड़ सकेगी।
संस्कृताभ्यासः
वर्तमानकाल
अहं ईश्वरं स्मरामि
= मैं ईश्वर को याद करता हूँ / करती हूँ।
अहं मातरं स्मरामि
= मैं माँ को याद करता हूँ / करती हूँ।
अहं मम बाल्यावस्थां स्मरामि
= मैं अपने बचपन को याद करता हूँ / करती हूँ।
भवान् / भवती किं स्मरति ?
= आप क्या याद करते हैं / करती हैं ?
सः / सा किं स्मरति ?
= वह क्या याद करता है / करती है ?
भूकम्पस्य धटनां कः कः स्मरति ?
= भूकंप की घटना को कौन कौन याद करता है ?
छात्रः गीतं स्मरति।
= छात्र गीत याद करता है ।
अनिरुद्धः मातुः मधुरं संवादं स्मरति।
= अनिरुद्ध माँ के मीठे संवाद को याद करता है ।
मातासीता श्रीरामं स्मरति।
= सीता माता श्रीराम को याद करती हैं।
सा निर्धनतायाः दिनानि स्मरति।
= वह निर्धनता के दिन याद करती है।
ललिता नीतिशतकस्य श्लोकं स्मरति।
= ललिता नीतिशतक का श्लोक याद करती है।
संस्कृताभ्यासः
भविष्यकाल
अहं स्मरिष्यामि।
= मैं याद करूँगा / मैं याद करूँगी
अहं भार्यायाः जन्मदिनं सर्वदा स्मरिष्यामि।
= मैं पत्नी का जन्मदिन हमेशा याद रखूँगा।
अहं भवतः दूरवाणीक्रमांकं सर्वदा स्मरिष्यामि
= मैं आपका फोन नंबर हमेशा याद रखूँगा / रखूँगी।
सः चौरं ताड़ितवान् , चौरः ताड़नं सर्वदा स्मरिष्यति।
= उसने चोर को मारा , चोर मार को हमेशा याद रखेगा।
वैद्यः बहु प्रेम्णा चिकित्सां कृतवान् , सः वैद्यस्य चिकित्सापद्धतिं स्मरिष्यति।
= वैद्य ने बहुत प्रेम से चिकित्सा की , वह वैद्य की चिकित्सापद्धति को याद करेगा।
सा फ्रांसदेशं गच्छति सा भारतं सर्वदा स्मरिष्यति।
= वह फ्रांस देश जा रही है वह हमेशा भारत को याद करेगी।
विनोदः अवदत् - "अहं त्वां स्मरिष्यामि।"
= विनोद बोला - "मैं तुम्हें याद रखूँगा।"
गुरुः यत् पाठितवान् तद् शिष्यः स्मरिष्यति।
= गुरु ने जो पढ़ाया वो शिष्य याद रखेगा।
कः स्मरिष्यति ?
= कौन याद करेगा ?
का स्मरिष्यति ?
= कौन याद करेगी ?
कदा स्मरिष्यति ?
= कब याद करेगा / करेगी ?
#vakyabhyas
June 23, 2022
@samskrt_samvadah प्रारंभ करता है, संस्कृताश्रमः - संस्कृतशिक्षण की लघु कक्षाऐं
⏳20 मिनट
🕚 09:00 PM 🇮🇳
🔰षष्ठीविभक्तेः अभ्यासः
🗓23th जून् 2022, गुरुवासरः
🔴 कक्षाओं की प्रति हमारे युट्युब प्लेलिस्ट पर डाली जायेगी
https://youtube.com/playlist?list=PL6OCpxoxDlOZwPLLcoB8TtdqgxmdSR-7c
कृपया अलार्म लगा लें और विलंब से न आयें।
👇🏼👇🏼👇🏼👇🏼👇🏼
https://t.me/samskrt_samvadah?voicechat
⏳20 मिनट
🕚 09:00 PM 🇮🇳
🔰षष्ठीविभक्तेः अभ्यासः
🗓23th जून् 2022, गुरुवासरः
🔴 कक्षाओं की प्रति हमारे युट्युब प्लेलिस्ट पर डाली जायेगी
https://youtube.com/playlist?list=PL6OCpxoxDlOZwPLLcoB8TtdqgxmdSR-7c
कृपया अलार्म लगा लें और विलंब से न आयें।
👇🏼👇🏼👇🏼👇🏼👇🏼
https://t.me/samskrt_samvadah?voicechat
June 23, 2022
June 23, 2022
Teacher :- Whoever are fools in this class, please stand up.
Teacher :- Say, why do you consider yourself a fool?
Student :- Sir, I don't consider myself a fool. But I was sad to see you standing alone and I stood up too.
#hasya
Teacher :- Say, why do you consider yourself a fool?
Student :- Sir, I don't consider myself a fool. But I was sad to see you standing alone and I stood up too.
#hasya
June 23, 2022
@samskrt_samvadah संलापशाला - A Samskrit Voicechat room.
यदीच्छसि वशीकर्तुं, भाषणमेककर्मणा।
यायास्संलापशालां वै, भवति यत्र भाषणम्।।
⏳45 निमेषाः
🕚 IST 11:00 AM
🔰संस्कृतकथा,सुभाषितम्, हास्यकणिका इत्यादयः
🗓24th june 2022, शुक्रवासरः
🔴Voicechat would be recorded and shared on this channel.
📑यदि शक्येत चेत् संस्कृतेन (संस्कृतकथां, सुभाषितं, हास्यकणिकां ,स्वस्य कञ्चित् उत्तमम् अनुभवं ,प्रेरकप्रसङ्गं ,लौकिकन्यायं वा वदन्तु) । चर्चार्थं कृपया पूर्वसिद्धतां कृत्वा आगच्छन्तु।
वयं युष्माकं प्रतीक्षां कुर्मः। 😇
स्मारणतंत्रिकां स्थापयतु ⏰
👇🏼👇🏼👇🏼👇🏼👇🏼
https://t.me/samskrt_samvadah?voicechat
यदीच्छसि वशीकर्तुं, भाषणमेककर्मणा।
यायास्संलापशालां वै, भवति यत्र भाषणम्।।
⏳45 निमेषाः
🕚 IST 11:00 AM
🔰संस्कृतकथा,सुभाषितम्, हास्यकणिका इत्यादयः
🗓24th june 2022, शुक्रवासरः
🔴Voicechat would be recorded and shared on this channel.
📑यदि शक्येत चेत् संस्कृतेन (संस्कृतकथां, सुभाषितं, हास्यकणिकां ,स्वस्य कञ्चित् उत्तमम् अनुभवं ,प्रेरकप्रसङ्गं ,लौकिकन्यायं वा वदन्तु) । चर्चार्थं कृपया पूर्वसिद्धतां कृत्वा आगच्छन्तु।
वयं युष्माकं प्रतीक्षां कुर्मः। 😇
स्मारणतंत्रिकां स्थापयतु ⏰
👇🏼👇🏼👇🏼👇🏼👇🏼
https://t.me/samskrt_samvadah?voicechat
June 23, 2022
🍃
♦️asau maya hatah satrurhanisye caparanapi.
isvarohamahan bhogi siddhohan balavansukhi৷৷16.14৷৷
⚜That enemy has been slain by me; and others also I shall slay. I am the lord. I enjoy. I am perfect, powerful and happy.(16.14)
⚜यह शत्रु मेरे द्वारा मारा गया है और दूसरे शत्रुओं को भी मैं मारूंगा मैं ईश्वर हूँ और भोगी हूँ मैं सिद्ध पुरुष हूँ मैं बलवान और सुखी हूँ।।16.14।।
#geeta
असौ मया हतः शत्रुर्हनिष्ये चापरानपि।
ईश्वरोऽहमहं भोगी सिद्धोऽहं बलवान्सुखी
।।16.14।।♦️asau maya hatah satrurhanisye caparanapi.
isvarohamahan bhogi siddhohan balavansukhi৷৷16.14৷৷
⚜That enemy has been slain by me; and others also I shall slay. I am the lord. I enjoy. I am perfect, powerful and happy.(16.14)
⚜यह शत्रु मेरे द्वारा मारा गया है और दूसरे शत्रुओं को भी मैं मारूंगा मैं ईश्वर हूँ और भोगी हूँ मैं सिद्ध पुरुष हूँ मैं बलवान और सुखी हूँ।।16.14।।
#geeta
June 23, 2022
June 23, 2022
June 23, 2022
June 23, 2022
Need
a favour. Please share. The AI4Bharat initiative is looking for
Sanskrit - English translators to help an Artificial Intelligence
project that will help Bharat have more content in Sanskrit. Both
part-time and full-time roles are available. Can work remotely.
Excellent opportunity for people with good knowledge of Sanskrit and
English. Retired professors and teachers can also apply. Apply through
the link below. Spread the word so that it reaches the Sanskrit
community. https://forms.gle/RP2sso1teGLH4Sig6
June 23, 2022
संस्कृत संवादः । Sanskrit Samvadah pinned «Need
a favour. Please share. The AI4Bharat initiative is looking for
Sanskrit - English translators to help an Artificial Intelligence
project that will help Bharat have more content in Sanskrit. Both
part-time and full-time roles are available. Can work remotely.…»
June 23, 2022
🍃
♦️adhyobhijanavanasmi konyosti sadrso maya.
yaksye dasyami modisya ityajnanavimohitah৷৷16.15৷৷
⚜"I am rich and born in a noble family. Who else is equal to me? I shall perform sacrifices. I shall give (charity). I shall rejoice," thus deluded by ignorance.(16.15)
⚜मैं धनवान् और श्रेष्ठकुल में जन्मा हूँ। मेरे समान दूसरा कौन है मैं यज्ञ करूंगा मैं दान दूँगा मैं मौज करूँगा इस प्रकार के अज्ञान से वे मोहित होते हैं।।16.15।।
#geeta
आढ्योऽभिजनवानस्मि कोऽन्योऽस्ति सदृशो मया।
यक्ष्ये दास्यामि मोदिष्य इत्यज्ञानविमोहिताः
।।16.15।।♦️adhyobhijanavanasmi konyosti sadrso maya.
yaksye dasyami modisya ityajnanavimohitah৷৷16.15৷৷
⚜"I am rich and born in a noble family. Who else is equal to me? I shall perform sacrifices. I shall give (charity). I shall rejoice," thus deluded by ignorance.(16.15)
⚜मैं धनवान् और श्रेष्ठकुल में जन्मा हूँ। मेरे समान दूसरा कौन है मैं यज्ञ करूंगा मैं दान दूँगा मैं मौज करूँगा इस प्रकार के अज्ञान से वे मोहित होते हैं।।16.15।।
#geeta
June 23, 2022
June 23, 2022
🚩जय सत्य सनातन🚩
🚩आज की हिंदी तिथि
🌥️ 🚩युगाब्द-५१२४
🌥️ 🚩विक्रम संवत-२०७९
⛅ 🚩तिथि - एकादशी रात्रि 11:12 तक तत्पश्चात द्वादशी
⛅दिनांक 24 जून 2022
⛅दिन - शुक्रवार
⛅शक संवत - 1944
⛅अयन - दक्षिणायन
⛅ऋतु - वर्षा
⛅मास - आषाढ़
⛅पक्ष - कृष्ण
⛅नक्षत्र - अश्विनी सुबह 08:04 तक तत्पश्चात भरणी
⛅योग - सुकर्मा 25 जून प्रातः 05:14 तक तत्पश्चात धृति
⛅राहु काल - सुबह 11:00 से दोपहर 12:42 तक
⛅सूर्योदय - 05:56
⛅सूर्यास्त - 07:29
⛅दिशा शूल - पश्चिम दिशा में
⛅ब्रह्म मुहूर्त - प्रातः 04:32 से 05:14 तक
🚩आज की हिंदी तिथि
🌥️ 🚩युगाब्द-५१२४
🌥️ 🚩विक्रम संवत-२०७९
⛅ 🚩तिथि - एकादशी रात्रि 11:12 तक तत्पश्चात द्वादशी
⛅दिनांक 24 जून 2022
⛅दिन - शुक्रवार
⛅शक संवत - 1944
⛅अयन - दक्षिणायन
⛅ऋतु - वर्षा
⛅मास - आषाढ़
⛅पक्ष - कृष्ण
⛅नक्षत्र - अश्विनी सुबह 08:04 तक तत्पश्चात भरणी
⛅योग - सुकर्मा 25 जून प्रातः 05:14 तक तत्पश्चात धृति
⛅राहु काल - सुबह 11:00 से दोपहर 12:42 तक
⛅सूर्योदय - 05:56
⛅सूर्यास्त - 07:29
⛅दिशा शूल - पश्चिम दिशा में
⛅ब्रह्म मुहूर्त - प्रातः 04:32 से 05:14 तक
June 23, 2022
@samskrt_samvadah संलापशाला - A Samskrit Voicechat room.
यदीच्छसि वशीकर्तुं, भाषणमेककर्मणा।
यायास्संलापशालां वै, भवति यत्र भाषणम्।।
⏳45 निमेषाः
🕚 IST 11:00 AM
🔰संस्कृतकथा,सुभाषितम्, हास्यकणिका इत्यादयः
🗓24th june 2022, शुक्रवासरः
🔴Voicechat would be recorded and shared on this channel.
📑यदि शक्येत चेत् संस्कृतेन (संस्कृतकथां, सुभाषितं, हास्यकणिकां ,स्वस्य कञ्चित् उत्तमम् अनुभवं ,प्रेरकप्रसङ्गं ,लौकिकन्यायं वा वदन्तु) । चर्चार्थं कृपया पूर्वसिद्धतां कृत्वा आगच्छन्तु।
वयं युष्माकं प्रतीक्षां कुर्मः। 😇
स्मारणतंत्रिकां स्थापयतु ⏰
👇🏼👇🏼👇🏼👇🏼👇🏼
https://t.me/samskrt_samvadah?voicechat
यदीच्छसि वशीकर्तुं, भाषणमेककर्मणा।
यायास्संलापशालां वै, भवति यत्र भाषणम्।।
⏳45 निमेषाः
🕚 IST 11:00 AM
🔰संस्कृतकथा,सुभाषितम्, हास्यकणिका इत्यादयः
🗓24th june 2022, शुक्रवासरः
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📑यदि शक्येत चेत् संस्कृतेन (संस्कृतकथां, सुभाषितं, हास्यकणिकां ,स्वस्य कञ्चित् उत्तमम् अनुभवं ,प्रेरकप्रसङ्गं ,लौकिकन्यायं वा वदन्तु) । चर्चार्थं कृपया पूर्वसिद्धतां कृत्वा आगच्छन्तु।
वयं युष्माकं प्रतीक्षां कुर्मः। 😇
स्मारणतंत्रिकां स्थापयतु ⏰
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June 23, 2022
June 23, 2022
🔰चित्रं दृष्ट्वा पञ्चवाक्यानि रचयत।
✍🏼सर्वे टिप्पणीसञ्चिकायां स्वोत्तराणि लेखितुं शक्नुवन्ति अथवा पुस्तिकायां लिखित्वा तस्य चित्रं स्वीकृत्य अपि प्रेषयितुं शक्नुवन्ति।
🗣सहैव तानि वाक्यानि उक्त्वा ध्वनिमाध्यमेन अपि प्रेषयत।
Read in English
हिन्दी में पढें
#chitram
✍🏼सर्वे टिप्पणीसञ्चिकायां स्वोत्तराणि लेखितुं शक्नुवन्ति अथवा पुस्तिकायां लिखित्वा तस्य चित्रं स्वीकृत्य अपि प्रेषयितुं शक्नुवन्ति।
🗣सहैव तानि वाक्यानि उक्त्वा ध्वनिमाध्यमेन अपि प्रेषयत।
Read in English
हिन्दी में पढें
#chitram
June 23, 2022
June 23, 2022
June 23, 2022
🍃
⚜"उत्साह बड़ा बलवान होता है; उत्साह से बढ़कर कोई बल नहीं है । उत्साही पुरुष के लिए संसार में कुछ भी दुर्लभ नहीं है ।"
🔅उत्साहः बहुः बलवान् भवति। उत्साहात् श्रेष्ठतरं बलं नास्ति। उत्साहवान् पुरुषाय जगति किमपि दुष्करं दुर्लभं वा नास्ति।
#Subhashitam
उत्साहो बलवानार्य नास्त्युत्साहात्परं बलम्।
सोत्साहस्य हि लोकेषु न किञ्चदपि दुर्लभम्॥
⚜"उत्साह बड़ा बलवान होता है; उत्साह से बढ़कर कोई बल नहीं है । उत्साही पुरुष के लिए संसार में कुछ भी दुर्लभ नहीं है ।"
🔅उत्साहः बहुः बलवान् भवति। उत्साहात् श्रेष्ठतरं बलं नास्ति। उत्साहवान् पुरुषाय जगति किमपि दुष्करं दुर्लभं वा नास्ति।
#Subhashitam
June 23, 2022
June 24, 2022
संस्कृताभ्यासः
वर्तमानकाल
अहं स्थापयामि
= मैं रखता हूँ / रखती हूँ।
अहं धनं कोषे स्थापयामि
= मैं धन को जेब में रखता हूँ / रखती हूँ।
अहं भवतः / भवत्याः स्थालिकायां मोदकं स्थापयामि
= मैं आपकी थाली में लड्डू रखता हूँ / रखती हूँ।
भवान् / भवती किं स्थापयति ?
= आप क्या रख रहे हैं / रख रही हैं ?
सः / सा किं स्थापयति ?
= वह क्या रखता है / रखती है ?
सा तुलसीपादपस्य पार्श्वे दीपं स्थापयति।
= वह तुलसी के पौधे के पास दीप रखती है।
छात्रः विद्यास्यूते पुस्तकं स्थापयति।
= छात्र स्कूल बैग में पुस्तक रखता है।
अनन्तः यात्रार्थं पाथेयं स्थापयति ।
= अनंत यात्रा के लिये रास्ते का भोजन रखता है ।
माता शबरी श्रीरामस्य कृते फलं स्थापयति।
= माता शबरी श्रीराम के लिये फल रखती है।
लक्ष्मणः गुरोः कृते आसनं स्थापयति।
= लक्ष्मण गुरु के लिये आसन है।
कार्तिकः कपोतस्य कृते कणं स्थापयति।
= कार्तिक कबूतर के लिये दाना रखता है।
संस्कृतवाक्याभ्यासः
सर्वेषां संवादं श्रृणोमि।
= सबका संवाद सुनता हूँ।
सम्प्रति सर्वे कोरोनारोगात् बिभ्यति।
= आजकल सभी कोरोना रोग से डर रहे हैं।
कोरोनाविषाणुः सर्वत्र प्रसरति।
= कोरोना वायरस सब जगह फैल रहा है।
अखिलविश्वे जनाः कोरोनया भयाक्रान्ताः सन्ति।
= सारे विश्व में लोग कोरोना से भयाक्रान्त हैं।
जनाः परस्परं न मिलन्ति।
= लोग आपस में नहीं मिल रहे हैं।
अधुना जनाः हस्तधुननं न कुर्वन्ति।
= अब लोग हाथ नहीं मिलाते हैं।
समग्रे विश्वे जनाः "नमस्ते" कुर्वन्ति।
= सारे विश्व में लोग नमस्ते करः रहे हैं।
जनाः मुखे वस्त्रावरणं स्थापयन्ति।
= लोग मुख पर मास्क लगा रहे हैं।
समग्रे विश्वे जनाः यात्रां निरस्तां कुर्वन्ति।
= सारे विश्व में लोग यात्रा को रद्द कर रहे हैं।
विश्विद्यालयेषु पञ्चदश दिनानाम् अवकाशः उद्घोषितः।
= विश्वविद्यालयों में पन्द्रह दिन का
अवकाश घोषित कर दिया गया है।
ये शाकाहारं कुर्वन्ति ते कोरोनातः मा बिभ्यतु।
= जो शाकाहार करते हैं वे कोरोना से न डरें।
ये प्रतिदिनं यज्ञं कुर्वन्ति ते कोरोनातः मा बिभ्यतु।
= जो प्रतिदिन यज्ञ करते हैं वे कोरोना से न डरें।
सात्विकं जीवनं जीवन्तु।
= सात्विक जीवन जियें।
#vakyabhyas
वर्तमानकाल
अहं स्थापयामि
= मैं रखता हूँ / रखती हूँ।
अहं धनं कोषे स्थापयामि
= मैं धन को जेब में रखता हूँ / रखती हूँ।
अहं भवतः / भवत्याः स्थालिकायां मोदकं स्थापयामि
= मैं आपकी थाली में लड्डू रखता हूँ / रखती हूँ।
भवान् / भवती किं स्थापयति ?
= आप क्या रख रहे हैं / रख रही हैं ?
सः / सा किं स्थापयति ?
= वह क्या रखता है / रखती है ?
सा तुलसीपादपस्य पार्श्वे दीपं स्थापयति।
= वह तुलसी के पौधे के पास दीप रखती है।
छात्रः विद्यास्यूते पुस्तकं स्थापयति।
= छात्र स्कूल बैग में पुस्तक रखता है।
अनन्तः यात्रार्थं पाथेयं स्थापयति ।
= अनंत यात्रा के लिये रास्ते का भोजन रखता है ।
माता शबरी श्रीरामस्य कृते फलं स्थापयति।
= माता शबरी श्रीराम के लिये फल रखती है।
लक्ष्मणः गुरोः कृते आसनं स्थापयति।
= लक्ष्मण गुरु के लिये आसन है।
कार्तिकः कपोतस्य कृते कणं स्थापयति।
= कार्तिक कबूतर के लिये दाना रखता है।
संस्कृतवाक्याभ्यासः
सर्वेषां संवादं श्रृणोमि।
= सबका संवाद सुनता हूँ।
सम्प्रति सर्वे कोरोनारोगात् बिभ्यति।
= आजकल सभी कोरोना रोग से डर रहे हैं।
कोरोनाविषाणुः सर्वत्र प्रसरति।
= कोरोना वायरस सब जगह फैल रहा है।
अखिलविश्वे जनाः कोरोनया भयाक्रान्ताः सन्ति।
= सारे विश्व में लोग कोरोना से भयाक्रान्त हैं।
जनाः परस्परं न मिलन्ति।
= लोग आपस में नहीं मिल रहे हैं।
अधुना जनाः हस्तधुननं न कुर्वन्ति।
= अब लोग हाथ नहीं मिलाते हैं।
समग्रे विश्वे जनाः "नमस्ते" कुर्वन्ति।
= सारे विश्व में लोग नमस्ते करः रहे हैं।
जनाः मुखे वस्त्रावरणं स्थापयन्ति।
= लोग मुख पर मास्क लगा रहे हैं।
समग्रे विश्वे जनाः यात्रां निरस्तां कुर्वन्ति।
= सारे विश्व में लोग यात्रा को रद्द कर रहे हैं।
विश्विद्यालयेषु पञ्चदश दिनानाम् अवकाशः उद्घोषितः।
= विश्वविद्यालयों में पन्द्रह दिन का
अवकाश घोषित कर दिया गया है।
ये शाकाहारं कुर्वन्ति ते कोरोनातः मा बिभ्यतु।
= जो शाकाहार करते हैं वे कोरोना से न डरें।
ये प्रतिदिनं यज्ञं कुर्वन्ति ते कोरोनातः मा बिभ्यतु।
= जो प्रतिदिन यज्ञ करते हैं वे कोरोना से न डरें।
सात्विकं जीवनं जीवन्तु।
= सात्विक जीवन जियें।
#vakyabhyas
June 24, 2022
॥ऋणमोचकस्तोत्रम्॥
इति श्रीस्कन्दपुराणे भार्गवप्रोक्तं । ऋणमोचक-मङ्गलस्तोत्रं संपूर्णम् ।।
मङ्गलो भूमिपुत्रश्च
ऋणहर्ता धनप्रदः ।
स्थिरासनो महाकायः
सर्वकर्माविरोधकः ।।१।।
लोहितो लोहिताक्षश्च
सामगानां कृपाकरः ।
धरात्मजः कुजो भौमो
भूतिदो भूमिनन्दनः ।।२।।
अङ्गारको यमश्चैव
सर्वरोगापहारकः ।
वृष्टेः कर्ताऽपहर्ता च
सर्वकामफलप्रदः ।।३।।
एतानि कुजनामानि
नित्यं यः श्रद्धया पठेत् ।
ऋणं न जायते तस्य
धनं शीघ्रमवाप्नुयात् ।।४।।
धरणीगर्भसम्भूतं
विद्युत्कान्तिसमप्रभम् ।
कुमारं शक्तिहस्तं तं
मङ्गलं प्रणमाम्यहम् ।।५।।
स्तोत्रमङ्गारकस्यैतत्
पठनीयं सदा नृभिः ।
न तेषां भौमजा पीडा
स्वल्पापि भवति क्वचित्।।६।।
अङ्गारक महाभाग
भगवन् भक्तवत्सल ।
त्वां नमामि ममाशेष-
मृणमाशु विनाशय ।।७।।
ऋणरोगादिदारिद्रयं
ये चान्ये ह्यपमृत्यवः ।
भयक्लेशमनस्तापा
नश्यन्तु मम सर्वदा ।।८।।
अतिवक्र दुराराध्य
भोगमुक्तजितात्मनः ।
तुष्टो ददासि साम्राज्यं
रुष्टो हरसि तत्क्षणात् ।। ९।।
विरिञ्चिशक्रविष्णूनां
मनुष्याणां तु का कथा ।
तेन त्वं सर्वसत्त्वेन
ग्रहराजो महाबलः ।।१०।।
पुत्रान् देहि धनं देहि
त्वामस्मि शरणं गतः ।
ऋणदारिद्रयदुःखेन
शत्रूणां च भयात्ततः ।। ११।।
एभिर्दशभिः श्लोकैर्यः
स्तौति च धरासुतम् ।
महतीं श्रियमाप्नोति
ह्यपरो धनदो युवा ।। १२।।
इति श्रीस्कन्दपुराणे भार्गवप्रोक्तं । ऋणमोचक-मङ्गलस्तोत्रं संपूर्णम् ।।
June 24, 2022
@samskrt_samvadah प्रारंभ करता है, संस्कृताश्रमः - संस्कृतशिक्षण की लघु कक्षाऐं
⏳20 मिनट
🕚 09:00 PM 🇮🇳
🔰सप्तमीविभक्तिः
🗓24th जून् 2022, शुक्रवासरः
🔴 कक्षाओं की प्रति हमारे युट्युब प्लेलिस्ट पर डाली जायेगी
https://youtube.com/playlist?list=PL6OCpxoxDlOZwPLLcoB8TtdqgxmdSR-7c
कृपया अलार्म लगा लें और विलंब से न आयें।
👇🏼👇🏼👇🏼👇🏼👇🏼
https://t.me/samskrt_samvadah?voicechat
⏳20 मिनट
🕚 09:00 PM 🇮🇳
🔰सप्तमीविभक्तिः
🗓24th जून् 2022, शुक्रवासरः
🔴 कक्षाओं की प्रति हमारे युट्युब प्लेलिस्ट पर डाली जायेगी
https://youtube.com/playlist?list=PL6OCpxoxDlOZwPLLcoB8TtdqgxmdSR-7c
कृपया अलार्म लगा लें और विलंब से न आयें।
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June 24, 2022
June 24, 2022
🍃
♦️anekacittavibhranta mohajalasamavrtah.
prasaktah kamabhogesu patanti narakesucau৷৷16.16৷৷
⚜Bewildered by many a fancy, entangled in the snare of delusion, addicted to the gratification of lust, they fall into a foul hell.(16.16)
⚜अनेक प्रकार से भ्रमित चित्त वाले मोह जाल में फँसे तथा विषयभोगों में आसक्त ये लोग घोर अपवित्र नरक में गिरते हैं।।16.16।।
#geeta
अनेकचित्तविभ्रान्ता मोहजालसमावृताः।
प्रसक्ताः कामभोगेषु पतन्ति नरकेऽशुचौ
।।16.16।।♦️anekacittavibhranta mohajalasamavrtah.
prasaktah kamabhogesu patanti narakesucau৷৷16.16৷৷
⚜Bewildered by many a fancy, entangled in the snare of delusion, addicted to the gratification of lust, they fall into a foul hell.(16.16)
⚜अनेक प्रकार से भ्रमित चित्त वाले मोह जाल में फँसे तथा विषयभोगों में आसक्त ये लोग घोर अपवित्र नरक में गिरते हैं।।16.16।।
#geeta
June 24, 2022
June 24, 2022
June 24, 2022
June 24, 2022
🍃
♦️atmasambhavitah stabdha dhanamanamadanvitah.
yajante namayajnaiste dambhenavidhipurvakam৷৷16.17৷৷
⚜Self-conceited, stubborn, filled with the pride and intoxication of wealth, they perform sacrifices in name out of ostentation, contrary to scriptural ordinances.(16.17)
⚜अपने आप को ही श्रेष्ठ मानने वाले स्तब्ध (गर्वयुक्त) धन और मान के मद से युक्त लोग शास्त्रविधि से रहित केवल नाममात्र के यज्ञों द्वारा दम्भपूर्वक यजन करते हैं।।16.17।।
#geeta
आत्मसम्भाविताः स्तब्धा धनमानमदान्विताः।
यजन्ते नामयज्ञैस्ते दम्भेनाविधिपूर्वकम्
।।16.17।।♦️atmasambhavitah stabdha dhanamanamadanvitah.
yajante namayajnaiste dambhenavidhipurvakam৷৷16.17৷৷
⚜Self-conceited, stubborn, filled with the pride and intoxication of wealth, they perform sacrifices in name out of ostentation, contrary to scriptural ordinances.(16.17)
⚜अपने आप को ही श्रेष्ठ मानने वाले स्तब्ध (गर्वयुक्त) धन और मान के मद से युक्त लोग शास्त्रविधि से रहित केवल नाममात्र के यज्ञों द्वारा दम्भपूर्वक यजन करते हैं।।16.17।।
#geeta
June 24, 2022
June 24, 2022
🚩जय सत्य सनातन🚩
🚩आज की हिंदी तिथि
🌥️ 🚩युगाब्द-५१२४
🌥️ 🚩विक्रम संवत-२०७९
⛅ 🚩तिथि - द्वादशी रात्रि 01:09 तक तत्पश्चात त्रयोदशी
⛅दिनांक 25 जून 2022
⛅दिन - शनिवार
⛅शक संवत - 1944
⛅अयन - दक्षिणायन
⛅ऋतु - वर्षा
⛅मास - आषाढ़
⛅पक्ष - कृष्ण
⛅नक्षत्र - भरणी सुबह 10:24 तक तत्पश्चात कृतिका
⛅योग - धृति 26 जून प्रातः 05:55 तक तत्पश्चात शूल
⛅राहु काल - सुबह 11:00 से दोपहर 12:42 तक
⛅सूर्योदय - 05:56
⛅सूर्यास्त - 07:29
⛅दिशा शूल - पूर्व दिशा में
⛅ब्रह्म मुहूर्त - प्रातः 04:32 से 05:14 तक
🚩आज की हिंदी तिथि
🌥️ 🚩युगाब्द-५१२४
🌥️ 🚩विक्रम संवत-२०७९
⛅ 🚩तिथि - द्वादशी रात्रि 01:09 तक तत्पश्चात त्रयोदशी
⛅दिनांक 25 जून 2022
⛅दिन - शनिवार
⛅शक संवत - 1944
⛅अयन - दक्षिणायन
⛅ऋतु - वर्षा
⛅मास - आषाढ़
⛅पक्ष - कृष्ण
⛅नक्षत्र - भरणी सुबह 10:24 तक तत्पश्चात कृतिका
⛅योग - धृति 26 जून प्रातः 05:55 तक तत्पश्चात शूल
⛅राहु काल - सुबह 11:00 से दोपहर 12:42 तक
⛅सूर्योदय - 05:56
⛅सूर्यास्त - 07:29
⛅दिशा शूल - पूर्व दिशा में
⛅ब्रह्म मुहूर्त - प्रातः 04:32 से 05:14 तक
June 24, 2022
https://youtu.be/5Dv1taGXuQc
प्रतिदिनं प्रातः ७:१५ वादने १५ निमेषात्मिकायै वार्तायै डी डी न्यूज् इति पश्यत।
प्रतिदिनं प्रातः ७:१५ वादने १५ निमेषात्मिकायै वार्तायै डी डी न्यूज् इति पश्यत।
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वार्ता: संस्कृत भाषा में समाचार |
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DD News 24x7 | Breaking News and other Live updates | | News in Hindi | Latest News
DD News is India’s 24x7 news channel from the stable of the country’s Public Service Broadcaster, Prasar Bharati. It has the distinction…
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June 24, 2022
@samskrt_samvadah संलापशाला - A Samskrit Voicechat room.
यदीच्छसि वशीकर्तुं, भाषणमेककर्मणा।
यायास्संलापशालां वै, भवति यत्र भाषणम्।।
⏳45 निमेषाः
🕚 IST 11:00 AM
🔰संस्कृतपठनं कथम् आरब्धम्
🗓25th june 2022, शनिवासरः
🔴Voicechat would be recorded and shared on this channel.
📑यदि शक्येत चेत् संस्कृतेन (संस्कृतपठनं कदा आरब्धं कथं च आरब्धं तत्र कस्य वा प्रेरणा आसीत्) । चर्चार्थं कृपया पूर्वसिद्धतां कृत्वा आगच्छन्तु।
वयं युष्माकं प्रतीक्षां कुर्मः। 😇
स्मारणतंत्रिकां स्थापयतु ⏰
👇🏼👇🏼👇🏼👇🏼👇🏼
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यदीच्छसि वशीकर्तुं, भाषणमेककर्मणा।
यायास्संलापशालां वै, भवति यत्र भाषणम्।।
⏳45 निमेषाः
🕚 IST 11:00 AM
🔰संस्कृतपठनं कथम् आरब्धम्
🗓25th june 2022, शनिवासरः
🔴Voicechat would be recorded and shared on this channel.
📑यदि शक्येत चेत् संस्कृतेन (संस्कृतपठनं कदा आरब्धं कथं च आरब्धं तत्र कस्य वा प्रेरणा आसीत्) । चर्चार्थं कृपया पूर्वसिद्धतां कृत्वा आगच्छन्तु।
वयं युष्माकं प्रतीक्षां कुर्मः। 😇
स्मारणतंत्रिकां स्थापयतु ⏰
👇🏼👇🏼👇🏼👇🏼👇🏼
https://t.me/samskrt_samvadah?voicechat
June 24, 2022
June 24, 2022
🔰चित्रं दृष्ट्वा पञ्चवाक्यानि रचयत।
✍🏼सर्वे टिप्पणीसञ्चिकायां स्वोत्तराणि लेखितुं शक्नुवन्ति अथवा पुस्तिकायां लिखित्वा तस्य चित्रं स्वीकृत्य अपि प्रेषयितुं शक्नुवन्ति।
🗣सहैव तानि वाक्यानि उक्त्वा ध्वनिमाध्यमेन अपि प्रेषयत।
Read in English
हिन्दी में पढें
#chitram
✍🏼सर्वे टिप्पणीसञ्चिकायां स्वोत्तराणि लेखितुं शक्नुवन्ति अथवा पुस्तिकायां लिखित्वा तस्य चित्रं स्वीकृत्य अपि प्रेषयितुं शक्नुवन्ति।
🗣सहैव तानि वाक्यानि उक्त्वा ध्वनिमाध्यमेन अपि प्रेषयत।
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हिन्दी में पढें
#chitram
June 24, 2022
June 24, 2022
🍃"
⚜सुख-दुःख अन्य के दिए नहीं होते; कोई सुख-दुःख देता है यह मानना व्यर्थ है। ‘मुझसे होता है’ यह भी मिथ्याभिमान है। समस्त जीवन/सृष्टि स्वकर्म सूत्र में बंधे हैं।"
🔅संसारे दुःखस्य सुखस्य वा कोऽपि दाता न भवति अन्यः कश्चित् ददाति इति कुबुद्धिः स्यात्।
अहम् एव करोमि इति व्यर्थः अभिमानः अयं संसारः स्वकर्मसु एव ग्रथितः अस्ति अर्थात् सर्वे स्वकर्मानुसारेणैव दुःखं सुखं वा प्राप्नुयुः।
#Subhashitam
सुखस्य दुःखस्य न कोऽपि दाता परो ददातीति कुबुद्धिरेषा।
अहं करोमीति वृथाभिमानः स्वकर्मसूत्रे ग्रथितो हि लोकः
॥"⚜सुख-दुःख अन्य के दिए नहीं होते; कोई सुख-दुःख देता है यह मानना व्यर्थ है। ‘मुझसे होता है’ यह भी मिथ्याभिमान है। समस्त जीवन/सृष्टि स्वकर्म सूत्र में बंधे हैं।"
🔅संसारे दुःखस्य सुखस्य वा कोऽपि दाता न भवति अन्यः कश्चित् ददाति इति कुबुद्धिः स्यात्।
अहम् एव करोमि इति व्यर्थः अभिमानः अयं संसारः स्वकर्मसु एव ग्रथितः अस्ति अर्थात् सर्वे स्वकर्मानुसारेणैव दुःखं सुखं वा प्राप्नुयुः।
#Subhashitam
June 24, 2022
June 24, 2022
June 24, 2022
June 25, 2022
June 25, 2022
संस्कृतवाक्याभ्यासः
द्वे बालिके परस्परं मिलतः।
= दो बच्चियाँ एकदूसरे से मिलती हैं
ते बालिके "नमस्ते" वदतः।
= दोनों बच्चियाँ "नमस्ते" बोलती हैं।
ते हस्तौ न मेलयतः।
= दोनों हाथ नहीं मिलाती हैं।
ते बालिके तुलसीपात्राणि खादतः।
= दोनों बच्चियाँ तुलसी के पत्ते खाती हैं।
यत्र अपि ते गच्छतः तत्र गृहात् एव जलं नयतः।
= दोनों जहाँ भी जाती हैं वहाँ घर से ही पानी ले जाती हैं।
ते द्वे बालिके बहिः भोजनं न कुरुतः।
= वे दोनों बच्चियाँ बाहर भोजन नहीं करती हैं।
ते द्वे बालिके स्वयमेव भोजनं पचतः।
= वे दोनों बच्चियाँ स्वयं ही भोजन बनाती हैं।
ते द्वे बालिके छात्रावासे निवसतः।
= वे दोनों बच्चियाँ छात्रावास में रहती हैं।
प्रातःकाले ते द्वे बालिके योगासनं कुरुतः।
= प्रातःकाल वे दोनों बच्चियाँ योगासन करती हैं।
ते द्वे बालिके सर्वं कार्यं स्वयमेव कुरुतः।
= वे दोनों बच्चियाँ सब काम स्वयं ही करती हैं।
सरलानि वाक्यानि प्रतिदिनं वदन्तु।
सरल वाक्य प्रतिदिन बोलें
संस्कृतवाक्याभ्यासः
ह्यः प्रधानमन्त्रिणः राष्ट्रीयम् उद्बोधनं श्रुतम् ?
= कल प्रधानमंत्री का राष्ट्रीय उद्बोधन सुना ?
प्रधानमन्त्रिणा किम् उक्तम् ?
= प्रधानमन्त्री जी द्वारा क्या कहा गया ?
आगामिनि रविवासरे आराष्ट्रे जनैः गृहे एव निवासः करणीयः।
= आगामी रविवार को पूरे देश में लोगों को घर में ही निवास करना चाहिये।
सः आह्वानं कृतवान् "रविवासरे गृहात् बहिः मा गच्छन्तु।"
= उन्होंने आह्वान किया "रविवार को घर से बाहर मत जाईये।"
आराष्ट्रे कुत्र अपि सम्मर्दः न भवेत्।
= पूरे देश में कहीं भी भीड़ न हो।
समस्ताः मार्गाः निर्जनाः भवन्तु।
= सभी रास्ते निर्जन हो जाएँ।
रविवासरे प्रातः सप्तवादनतः सायं नववादन पर्यन्तं स्वयंभू: निषेधाज्ञा भवेत्।
= रविवार को प्रातः सात बजे से रात
नौ बजे तक स्वयंभू कर्फ्यू हो।
सर्वे गृहे करताड़नं कुर्वन्तु।
= सभी घर में ताली बजाएँ।
शङ्खनादं कुर्वन्तु।
= शंखनाद करें।
गृहे यज्ञं कुर्वन्तु।
= घर में यज्ञ करें।
कोरोना विषाणोः प्रभावः समाप्तः भविष्यति।
= कोरोना विषाणु का प्रभाव समाप्त हो जाएगा।
कोरोना विषाणु: समाप्तं भविष्यति।
= कोरोना वायरस समाप्त हो जाएगा।
अहं प्रधानमन्त्रिणः आह्वानस्य समर्थनं करोमि।
= मैं प्रधानमंत्री जी के आह्वाहन का समर्थन करता हूँ।
गृहे यज्ञं करिष्यामि।
= घर में यज्ञ करूँगा।
#vakyabhyas
द्वे बालिके परस्परं मिलतः।
= दो बच्चियाँ एकदूसरे से मिलती हैं
ते बालिके "नमस्ते" वदतः।
= दोनों बच्चियाँ "नमस्ते" बोलती हैं।
ते हस्तौ न मेलयतः।
= दोनों हाथ नहीं मिलाती हैं।
ते बालिके तुलसीपात्राणि खादतः।
= दोनों बच्चियाँ तुलसी के पत्ते खाती हैं।
यत्र अपि ते गच्छतः तत्र गृहात् एव जलं नयतः।
= दोनों जहाँ भी जाती हैं वहाँ घर से ही पानी ले जाती हैं।
ते द्वे बालिके बहिः भोजनं न कुरुतः।
= वे दोनों बच्चियाँ बाहर भोजन नहीं करती हैं।
ते द्वे बालिके स्वयमेव भोजनं पचतः।
= वे दोनों बच्चियाँ स्वयं ही भोजन बनाती हैं।
ते द्वे बालिके छात्रावासे निवसतः।
= वे दोनों बच्चियाँ छात्रावास में रहती हैं।
प्रातःकाले ते द्वे बालिके योगासनं कुरुतः।
= प्रातःकाल वे दोनों बच्चियाँ योगासन करती हैं।
ते द्वे बालिके सर्वं कार्यं स्वयमेव कुरुतः।
= वे दोनों बच्चियाँ सब काम स्वयं ही करती हैं।
सरलानि वाक्यानि प्रतिदिनं वदन्तु।
सरल वाक्य प्रतिदिन बोलें
संस्कृतवाक्याभ्यासः
ह्यः प्रधानमन्त्रिणः राष्ट्रीयम् उद्बोधनं श्रुतम् ?
= कल प्रधानमंत्री का राष्ट्रीय उद्बोधन सुना ?
प्रधानमन्त्रिणा किम् उक्तम् ?
= प्रधानमन्त्री जी द्वारा क्या कहा गया ?
आगामिनि रविवासरे आराष्ट्रे जनैः गृहे एव निवासः करणीयः।
= आगामी रविवार को पूरे देश में लोगों को घर में ही निवास करना चाहिये।
सः आह्वानं कृतवान् "रविवासरे गृहात् बहिः मा गच्छन्तु।"
= उन्होंने आह्वान किया "रविवार को घर से बाहर मत जाईये।"
आराष्ट्रे कुत्र अपि सम्मर्दः न भवेत्।
= पूरे देश में कहीं भी भीड़ न हो।
समस्ताः मार्गाः निर्जनाः भवन्तु।
= सभी रास्ते निर्जन हो जाएँ।
रविवासरे प्रातः सप्तवादनतः सायं नववादन पर्यन्तं स्वयंभू: निषेधाज्ञा भवेत्।
= रविवार को प्रातः सात बजे से रात
नौ बजे तक स्वयंभू कर्फ्यू हो।
सर्वे गृहे करताड़नं कुर्वन्तु।
= सभी घर में ताली बजाएँ।
शङ्खनादं कुर्वन्तु।
= शंखनाद करें।
गृहे यज्ञं कुर्वन्तु।
= घर में यज्ञ करें।
कोरोना विषाणोः प्रभावः समाप्तः भविष्यति।
= कोरोना विषाणु का प्रभाव समाप्त हो जाएगा।
कोरोना विषाणु: समाप्तं भविष्यति।
= कोरोना वायरस समाप्त हो जाएगा।
अहं प्रधानमन्त्रिणः आह्वानस्य समर्थनं करोमि।
= मैं प्रधानमंत्री जी के आह्वाहन का समर्थन करता हूँ।
गृहे यज्ञं करिष्यामि।
= घर में यज्ञ करूँगा।
#vakyabhyas
June 25, 2022
संलापशाला
संस्कृत संवादः (Sanskrit Samvadah)
ह्यस्तनी संलापशाला
#samlapshala
#samlapshala
June 25, 2022
@samskrt_samvadah प्रारंभ करता है, संस्कृताश्रमः - संस्कृतशिक्षण की लघु कक्षाऐं
⏳20 मिनट
🕚 09:00 PM 🇮🇳
🔰सप्तमीविभक्तेः अभ्यासः
🗓25th जून् 2022, शनिवासरः
🔴 कक्षाओं की प्रति हमारे युट्युब प्लेलिस्ट पर डाली जायेगी
https://youtube.com/playlist?list=PL6OCpxoxDlOZwPLLcoB8TtdqgxmdSR-7c
कृपया अलार्म लगा लें और विलंब से न आयें।
👇🏼👇🏼👇🏼👇🏼👇🏼
https://t.me/samskrt_samvadah?voicechat
⏳20 मिनट
🕚 09:00 PM 🇮🇳
🔰सप्तमीविभक्तेः अभ्यासः
🗓25th जून् 2022, शनिवासरः
🔴 कक्षाओं की प्रति हमारे युट्युब प्लेलिस्ट पर डाली जायेगी
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कृपया अलार्म लगा लें और विलंब से न आयें।
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June 25, 2022
June 25, 2022
@samskrt_samvadah संलापशाला - A Samskrit Voicechat room.
यदीच्छसि वशीकर्तुं, भाषणमेककर्मणा।
यायास्संलापशालां वै, भवति यत्र भाषणम्।।
⏳45 निमेषाः
🕚 IST 11:00 AM
🔰प्रियलेखकपरिचयः
🗓26th june 2022, रविवासरः
🔴Voicechat would be recorded and shared on this channel.
📑यदि शक्येत चेत् संस्कृतेन (कस्याः अपि भाषायाः कवेः परिचयः दातव्यः) । चर्चार्थं कृपया पूर्वसिद्धतां कृत्वा आगच्छन्तु।
वयं युष्माकं प्रतीक्षां कुर्मः। 😇
स्मारणतंत्रिकां स्थापयतु ⏰
👇🏼👇🏼👇🏼👇🏼👇🏼
https://t.me/samskrt_samvadah?voicechat
यदीच्छसि वशीकर्तुं, भाषणमेककर्मणा।
यायास्संलापशालां वै, भवति यत्र भाषणम्।।
⏳45 निमेषाः
🕚 IST 11:00 AM
🔰प्रियलेखकपरिचयः
🗓26th june 2022, रविवासरः
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📑यदि शक्येत चेत् संस्कृतेन (कस्याः अपि भाषायाः कवेः परिचयः दातव्यः) । चर्चार्थं कृपया पूर्वसिद्धतां कृत्वा आगच्छन्तु।
वयं युष्माकं प्रतीक्षां कुर्मः। 😇
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June 25, 2022
Forwarded from रामदूतः — The Sanskrit News Platform (डोकानियोपाख्यो मोहितः)
June 25, 2022
🍃
♦️ahankaran balan darpan kaman krodhan ca sansritah.
mamatmaparadehesu pradvisantobhyasuyakah৷৷16.18৷৷
⚜Given over to egoism, power, haughtiness, lust and anger, these malicious people hate Me in their own bodies and in those of others.(16.18)
⚜अहंकार बल दर्प काम और क्रोध के वशीभूत हुए परनिन्दा करने वाले ये लोग अपने और दूसरों के शरीर में स्थित मुझ (परमात्मा) से द्वेष करने वाले होते हैं।।16.18।।
#geeta
अहङ्कारं बलं दर्पं कामं क्रोधं च संश्रिताः।
मामात्मपरदेहेषु प्रद्विषन्तोऽभ्यसूयकाः
।।16.18।।♦️ahankaran balan darpan kaman krodhan ca sansritah.
mamatmaparadehesu pradvisantobhyasuyakah৷৷16.18৷৷
⚜Given over to egoism, power, haughtiness, lust and anger, these malicious people hate Me in their own bodies and in those of others.(16.18)
⚜अहंकार बल दर्प काम और क्रोध के वशीभूत हुए परनिन्दा करने वाले ये लोग अपने और दूसरों के शरीर में स्थित मुझ (परमात्मा) से द्वेष करने वाले होते हैं।।16.18।।
#geeta
June 25, 2022
June 25, 2022
June 25, 2022
June 25, 2022
🍃
♦️tanahan dvisatah kruransansaresu naradhaman.
ksipamyajasramasubhanasurisveva yonisu৷৷16.19৷৷
⚜Those cruel haters, worst among men in the world, I hurl those evil-doers into the wombs of demons only.(16.19)
⚜ऐसे उन द्वेष करने वाले क्रूरकर्मी और नराधमों को मैं संसार में बारम्बार (अजस्रम्) आसुरी योनियों में ही गिराता हूँ अर्थात् उत्पन्न करता हूँ।।16.19।।
#geeta
तानहं द्विषतः क्रूरान्संसारेषु नराधमान्।
क्षिपाम्यजस्रमशुभानासुरीष्वेव योनिषु
।।16.19।।♦️tanahan dvisatah kruransansaresu naradhaman.
ksipamyajasramasubhanasurisveva yonisu৷৷16.19৷৷
⚜Those cruel haters, worst among men in the world, I hurl those evil-doers into the wombs of demons only.(16.19)
⚜ऐसे उन द्वेष करने वाले क्रूरकर्मी और नराधमों को मैं संसार में बारम्बार (अजस्रम्) आसुरी योनियों में ही गिराता हूँ अर्थात् उत्पन्न करता हूँ।।16.19।।
#geeta
June 25, 2022
June 25, 2022
🚩जय सत्य सनातन🚩
🚩आज की हिंदी तिथि
🌥️ 🚩युगाब्द-५१२४
🌥️ 🚩विक्रम संवत-२०७९
⛅ 🚩तिथि - त्रयोदशी रात्रि 03:25 तक तत्पश्चात चतुर्दशी
⛅दिनांक 26 जून 2022
⛅दिन - रविवार
⛅शक संवत - 1944
⛅अयन - दक्षिणायन
⛅ऋतु - वर्षा
⛅मास - आषाढ़
⛅पक्ष - कृष्ण पक्ष
⛅नक्षत्र - कृतिका दोपहर 01:06 तक तत्पश्चात रोहिणी
⛅योग - शूल पूर्ण रात्रि तक
⛅राहु काल - शाम 05:47 से दोपहर 07:29 तक
⛅सूर्योदय - 05:56
⛅सूर्यास्त - 07:29
⛅दिशा शूल - पश्चिम दिशा में
⛅ब्रह्म मुहूर्त - प्रातः 04:32 से 05:14 तक
🚩आज की हिंदी तिथि
🌥️ 🚩युगाब्द-५१२४
🌥️ 🚩विक्रम संवत-२०७९
⛅ 🚩तिथि - त्रयोदशी रात्रि 03:25 तक तत्पश्चात चतुर्दशी
⛅दिनांक 26 जून 2022
⛅दिन - रविवार
⛅शक संवत - 1944
⛅अयन - दक्षिणायन
⛅ऋतु - वर्षा
⛅मास - आषाढ़
⛅पक्ष - कृष्ण पक्ष
⛅नक्षत्र - कृतिका दोपहर 01:06 तक तत्पश्चात रोहिणी
⛅योग - शूल पूर्ण रात्रि तक
⛅राहु काल - शाम 05:47 से दोपहर 07:29 तक
⛅सूर्योदय - 05:56
⛅सूर्यास्त - 07:29
⛅दिशा शूल - पश्चिम दिशा में
⛅ब्रह्म मुहूर्त - प्रातः 04:32 से 05:14 तक
June 25, 2022
Forwarded from रामदूतः — The Sanskrit News Platform (Bhavani Raman)
https://youtu.be/dpX3cHyshNw
प्रतिदिनं प्रातः ७:१५ वादने १५ निमेषात्मिकायै वार्तायै डी डी न्यूज् इति पश्यत।
प्रतिदिनं प्रातः ७:१५ वादने १५ निमेषात्मिकायै वार्तायै डी डी न्यूज् इति पश्यत।
YouTube
वार्ता: संस्कृत भाषा में समाचार
June 25, 2022
@samskrt_samvadah संलापशाला - A Samskrit Voicechat room.
यदीच्छसि वशीकर्तुं, भाषणमेककर्मणा।
यायास्संलापशालां वै, भवति यत्र भाषणम्।।
⏳45 निमेषाः
🕚 IST 11:00 AM
🔰प्रियलेखकपरिचयः
🗓26th june 2022, रविवासरः
🔴Voicechat would be recorded and shared on this channel.
📑यदि शक्येत चेत् संस्कृतेन (कस्याः अपि भाषायाः कवेः परिचयः दातव्यः) । चर्चार्थं कृपया पूर्वसिद्धतां कृत्वा आगच्छन्तु।
वयं युष्माकं प्रतीक्षां कुर्मः। 😇
स्मारणतंत्रिकां स्थापयतु ⏰
👇🏼👇🏼👇🏼👇🏼👇🏼
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यदीच्छसि वशीकर्तुं, भाषणमेककर्मणा।
यायास्संलापशालां वै, भवति यत्र भाषणम्।।
⏳45 निमेषाः
🕚 IST 11:00 AM
🔰प्रियलेखकपरिचयः
🗓26th june 2022, रविवासरः
🔴Voicechat would be recorded and shared on this channel.
📑यदि शक्येत चेत् संस्कृतेन (कस्याः अपि भाषायाः कवेः परिचयः दातव्यः) । चर्चार्थं कृपया पूर्वसिद्धतां कृत्वा आगच्छन्तु।
वयं युष्माकं प्रतीक्षां कुर्मः। 😇
स्मारणतंत्रिकां स्थापयतु ⏰
👇🏼👇🏼👇🏼👇🏼👇🏼
https://t.me/samskrt_samvadah?voicechat
June 25, 2022
June 25, 2022
🔰चित्रं दृष्ट्वा पञ्चवाक्यानि रचयत।
✍🏼सर्वे टिप्पणीसञ्चिकायां स्वोत्तराणि लेखितुं शक्नुवन्ति अथवा पुस्तिकायां लिखित्वा तस्य चित्रं स्वीकृत्य अपि प्रेषयितुं शक्नुवन्ति।
🗣सहैव तानि वाक्यानि उक्त्वा ध्वनिमाध्यमेन अपि प्रेषयत।
Read in English
हिन्दी में पढें
#chitram
✍🏼सर्वे टिप्पणीसञ्चिकायां स्वोत्तराणि लेखितुं शक्नुवन्ति अथवा पुस्तिकायां लिखित्वा तस्य चित्रं स्वीकृत्य अपि प्रेषयितुं शक्नुवन्ति।
🗣सहैव तानि वाक्यानि उक्त्वा ध्वनिमाध्यमेन अपि प्रेषयत।
Read in English
हिन्दी में पढें
#chitram
June 25, 2022
June 25, 2022
Forwarded from डोकानियोपाख्यो मोहितः
Telegram
संस्कृत संवादः (Sanskrit Samvadah)
Samskrit Speaking Skill Development Program
Level 3 Samskrit Reading and Writing Skills
(Specially designed to facilitate Samskrit Teachers)
Last Date of Joining | 06/07/22
Enroll Now : https://learnsamskrit.online/level-3
Need to share it !🙏
Level 3 Samskrit Reading and Writing Skills
(Specially designed to facilitate Samskrit Teachers)
Last Date of Joining | 06/07/22
Enroll Now : https://learnsamskrit.online/level-3
Need to share it !🙏
June 25, 2022
Samskrit Speaking Skill Development Program https://www.adhyapanam.in/level-3
Level 3 : Samskrit Reading and Writing Skills
Course details :
Specially designed for Samskrit Teachers (1 batch every three months).
Online classes in the evening for 3 months (Wednesday & Thursday).
Class time: 7:00- 8:00 PM
Self-study Period 49 lessons / 52 Videos / 14 hours of viewing time.
Clearing the doubts through WhatsApp chat.
Classes will be conducted in Samskrit.
Online examination through.
Asignment (Hand Written): 50 marks
Conversation mode : 50 marks
Learning Material:
Abhyasa-sarini / Practice Book (Grammar)
Videos
Online classes for 3 months (Wednesday & Thursday).
To Enroll click here
Course Fee:
Rs 3000/- (Rupees Three Thousand Only)
Note : Fees paid for one batch of classes cannot be transferred to other batches and not refundable.
Terms and Conditions
Participants need to adhere to the rules and regulations of the course.
90% attendance and submission of assignments is mandatory for course completion
#SanskritEducation
Level 3 : Samskrit Reading and Writing Skills
Course details :
Specially designed for Samskrit Teachers (1 batch every three months).
Online classes in the evening for 3 months (Wednesday & Thursday).
Class time: 7:00- 8:00 PM
Self-study Period 49 lessons / 52 Videos / 14 hours of viewing time.
Clearing the doubts through WhatsApp chat.
Classes will be conducted in Samskrit.
Online examination through.
Asignment (Hand Written): 50 marks
Conversation mode : 50 marks
Learning Material:
Abhyasa-sarini / Practice Book (Grammar)
Videos
Online classes for 3 months (Wednesday & Thursday).
To Enroll click here
Course Fee:
Rs 3000/- (Rupees Three Thousand Only)
Note : Fees paid for one batch of classes cannot be transferred to other batches and not refundable.
Terms and Conditions
Participants need to adhere to the rules and regulations of the course.
90% attendance and submission of assignments is mandatory for course completion
#SanskritEducation
www.adhyapanam.in/level-3
Samskrit Reading and Writing Skill | Samskrita Sambhashanam | Adhyapanam
This is a custom-built course for Samskrit Teachers to improve the Samskrit Reading and Writing Skill.
June 25, 2022
🍃
🔅 यथा अग्निना ज्वलितेन एकेन शुष्कवृक्षेण सम्पूर्णं वनं दह्यते तथैव एकेन कुपुत्रेण सम्पूर्णम् उत्तमकुलमपि नाश्यते।
⚜किसी वन मे एक सूखा वृक्ष भी आग पकड्ने और फैलने पर संपूर्ण वन को जला कर नष्ट कर देता है, उसी प्रकार जैसे कि एक दुष्ट पुत्र अपने संपूर्ण परिवार और कुल की प्रतिष्ठा को नष्ट कर देता है |
⚜Even If A Single Dried Up Tree In A Forest Catches Fire, It Destroys The Entire Forest By The Fire Spreading Out, Just Like A Bad And Unworthy Son Destroys By His Actions And Behaviour The Credibility And Fame Of A Family To Which He Belongs.
#Subhashitam
एकेन शुष्कवृक्षेण दह्यमानेन वह्निना |
दह्यते तद्वनं सर्वं दुष्पुत्रेण कुलं यथा
||🔅 यथा अग्निना ज्वलितेन एकेन शुष्कवृक्षेण सम्पूर्णं वनं दह्यते तथैव एकेन कुपुत्रेण सम्पूर्णम् उत्तमकुलमपि नाश्यते।
⚜किसी वन मे एक सूखा वृक्ष भी आग पकड्ने और फैलने पर संपूर्ण वन को जला कर नष्ट कर देता है, उसी प्रकार जैसे कि एक दुष्ट पुत्र अपने संपूर्ण परिवार और कुल की प्रतिष्ठा को नष्ट कर देता है |
⚜Even If A Single Dried Up Tree In A Forest Catches Fire, It Destroys The Entire Forest By The Fire Spreading Out, Just Like A Bad And Unworthy Son Destroys By His Actions And Behaviour The Credibility And Fame Of A Family To Which He Belongs.
#Subhashitam
June 25, 2022
June 25, 2022
June 25, 2022
June 26, 2022
शुनकस्य _______ ______ अस्ति।
Anonymous Quiz
14%
उपरि तुरङ्गः
33%
अधः गर्दभः
46%
अधः तुरङ्गः
7%
उपरि गर्दभः
June 26, 2022
संस्कृतवाक्याभ्यासः
कोरोना विषाणुः स्पर्शेन सर्वत्र प्रसरति।
= कोरोना वायरस स्पर्श से सब जगह फैलता है।
अतः कमपि मा स्पृशन्तु।
= अतः किसी को न छुएँ।
वारं वारं हस्तौ प्रक्षालयन्तु।
= बार बार हाथों को धोएँ।
हस्तौ प्रक्षालयितुं स्फाटिकी उत्तमा भवति।
= हाथ धोने के लिये फिटकरी उत्तम होती है।
स्फाटिक्या हस्तौ प्रक्षालयन्तु।
= फिटकरी से हाथ धोएँ।
गृहे यज्ञं कुर्वन्तु।
= घर में यज्ञ करें।
अभिवादनार्थं "नमस्ते" इति कुर्वन्तु , वदन्तु च।
= अभिवादन के लिये "नमस्ते" करिये और बोलिये।
सात्विकं शुद्धं च भोजनं खादन्तु।
= सात्विक और शुद्ध भोजन खाईये।
अहम् अधुना कमपि न स्पृशामि।
= मैं अब किसी को नहीं छूता हूँ।
अहं सर्वदा नमस्ते वदामि।
= मैं हमेशा नमस्ते बोलता हूँ।
वस्तुनः स्पर्शात् पूर्वमपि हस्तौ प्रक्षालयामि
= वस्तु को स्पर्श करने से पहले हाथ धोता हूँ।
वस्तुनः स्पर्शं करोमि अनन्तरं हस्तौ प्रक्षालयामि।
= वस्तु का स्पर्श करता हूँ बाद में हाथ धो लेता हूँ।
प्रतिदिनं प्राणायामं कुर्वन्तु।
= प्रतिदिन प्राणायाम करें।
ओंनादः अपि बहु लाभदायी भवति।
= ॐ नाद भी लाभदायी होता है।
संस्कृतवाक्याभ्यासः
लाली : अम्ब ! बहिः गन्तुम् इच्छामि
= माँ , मैं बाहर जाना चाहती हूँ।
माता - न पुत्री , अद्य बहिः न गन्तव्यम्।
= नहीं बेटी , आज बाहर नहीं जाना है।
लाली : किमर्थम् अम्ब ?
= क्यों माँ ?
माता - त्वं जानासि सर्वत्र कोरोना विषाणुः प्रसरितम् अस्ति।
लाली : कोरोना विषाणुः कुत्रापि न दृश्यते।
= कोरोना वायरस कहीं नहीं दिख रहा है।
माता - पुत्री , विषाणुः बहु सूक्ष्म भवति।
= बेटी वायरस बहुत सूक्ष्म होता है।
विषाणुं कोsपि द्रष्टुं न शक्नोति।
= विषाणु को कोई देख नहीं सकता है।
लाली : तर्हि किमर्थं सर्वे बिभ्यति
= तो फिर सभी क्यों डरते हैं ?
माता - स्पर्शेन कोरोना प्रसरति।
= स्पर्श से कोरोना फैलता है।
अतः अद्य कुत्रापि न गन्तव्यम्
= इसलिये आज कहीं भी नहीं जाना है।
लाली - अम्ब ! अहं भवतीम् अवश्यमेव स्प्रक्ष्यामि।
= माँ , मैं आपको तो अवश्य छुऊंगी।
भवती तु मम माता अस्ति।
= आप तो मेरी माँ हैं।
माता - आं पुत्री आगच्छ , हस्तौ प्रक्षालय।
= हाँ बेटी आओ , हाथ धो लो।
अनन्तरं मां स्पृश।
= बाद में मुझे छुओ।
#vakyabhyas
कोरोना विषाणुः स्पर्शेन सर्वत्र प्रसरति।
= कोरोना वायरस स्पर्श से सब जगह फैलता है।
अतः कमपि मा स्पृशन्तु।
= अतः किसी को न छुएँ।
वारं वारं हस्तौ प्रक्षालयन्तु।
= बार बार हाथों को धोएँ।
हस्तौ प्रक्षालयितुं स्फाटिकी उत्तमा भवति।
= हाथ धोने के लिये फिटकरी उत्तम होती है।
स्फाटिक्या हस्तौ प्रक्षालयन्तु।
= फिटकरी से हाथ धोएँ।
गृहे यज्ञं कुर्वन्तु।
= घर में यज्ञ करें।
अभिवादनार्थं "नमस्ते" इति कुर्वन्तु , वदन्तु च।
= अभिवादन के लिये "नमस्ते" करिये और बोलिये।
सात्विकं शुद्धं च भोजनं खादन्तु।
= सात्विक और शुद्ध भोजन खाईये।
अहम् अधुना कमपि न स्पृशामि।
= मैं अब किसी को नहीं छूता हूँ।
अहं सर्वदा नमस्ते वदामि।
= मैं हमेशा नमस्ते बोलता हूँ।
वस्तुनः स्पर्शात् पूर्वमपि हस्तौ प्रक्षालयामि
= वस्तु को स्पर्श करने से पहले हाथ धोता हूँ।
वस्तुनः स्पर्शं करोमि अनन्तरं हस्तौ प्रक्षालयामि।
= वस्तु का स्पर्श करता हूँ बाद में हाथ धो लेता हूँ।
प्रतिदिनं प्राणायामं कुर्वन्तु।
= प्रतिदिन प्राणायाम करें।
ओंनादः अपि बहु लाभदायी भवति।
= ॐ नाद भी लाभदायी होता है।
संस्कृतवाक्याभ्यासः
लाली : अम्ब ! बहिः गन्तुम् इच्छामि
= माँ , मैं बाहर जाना चाहती हूँ।
माता - न पुत्री , अद्य बहिः न गन्तव्यम्।
= नहीं बेटी , आज बाहर नहीं जाना है।
लाली : किमर्थम् अम्ब ?
= क्यों माँ ?
माता - त्वं जानासि सर्वत्र कोरोना विषाणुः प्रसरितम् अस्ति।
लाली : कोरोना विषाणुः कुत्रापि न दृश्यते।
= कोरोना वायरस कहीं नहीं दिख रहा है।
माता - पुत्री , विषाणुः बहु सूक्ष्म भवति।
= बेटी वायरस बहुत सूक्ष्म होता है।
विषाणुं कोsपि द्रष्टुं न शक्नोति।
= विषाणु को कोई देख नहीं सकता है।
लाली : तर्हि किमर्थं सर्वे बिभ्यति
= तो फिर सभी क्यों डरते हैं ?
माता - स्पर्शेन कोरोना प्रसरति।
= स्पर्श से कोरोना फैलता है।
अतः अद्य कुत्रापि न गन्तव्यम्
= इसलिये आज कहीं भी नहीं जाना है।
लाली - अम्ब ! अहं भवतीम् अवश्यमेव स्प्रक्ष्यामि।
= माँ , मैं आपको तो अवश्य छुऊंगी।
भवती तु मम माता अस्ति।
= आप तो मेरी माँ हैं।
माता - आं पुत्री आगच्छ , हस्तौ प्रक्षालय।
= हाँ बेटी आओ , हाथ धो लो।
अनन्तरं मां स्पृश।
= बाद में मुझे छुओ।
#vakyabhyas
June 26, 2022
*TV News Channel discussion*
Person 1 - India needs a change.
Person 2 - Only I am able to bring the changes.
Person 3 - I only brought the changes.
Viewer - It's better to change the channel.
#hasya
Person 1 - India needs a change.
Person 2 - Only I am able to bring the changes.
Person 3 - I only brought the changes.
Viewer - It's better to change the channel.
#hasya
June 26, 2022
@samskrt_samvadah संलापशाला - A Samskrit Voicechat room.
यदीच्छसि वशीकर्तुं, भाषणमेककर्मणा।
यायास्संलापशालां वै, भवति यत्र भाषणम्।।
⏳45 निमेषाः
🕚 IST 11:00 AM
🔰वार्ताः
🗓27th june 2022,सोमवासरः
🔴Voicechat would be recorded and shared on this channel.
📑यदि शक्येत चेत् संस्कृतेन (स्वस्थानीयां,प्रादेशीयां, अन्ताराष्ट्रीयाम् उत्तमां वार्तां वदन्तु) । चर्चार्थं कृपया पूर्वसिद्धतां कृत्वा आगच्छन्तु।
वयं युष्माकं प्रतीक्षां कुर्मः। 😇
स्मारणतंत्रिकां स्थापयतु ⏰
👇🏼👇🏼👇🏼👇🏼👇🏼
https://t.me/samskrt_samvadah?voicechat
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June 26, 2022
🍃
♦️asurin yonimapanna mudha janmani janmani.
mamaprapyaiva kaunteya tato yantyadhaman gatim৷৷16.20৷৷
⚜Entering into demoniacal wombs and deluded, birth after birth, not attaining Me, they thus fall, O Arjuna, into a condition still lower than that.(16.20)
⚜हे कौन्तेय वे मूढ़ पुरुष जन्मजन्मान्तर में आसुरी योनि को प्राप्त होते हैं और ( इस प्रकार) मुझे प्राप्त न होकर अधम गति को प्राप्त होते है।।16.20।।
#geeta
असुरीं योनिमापन्ना मूढा जन्मनि जन्मनि।
मामप्राप्यैव कौन्तेय ततो यान्त्यधमां गतिम्
।।16.20।।♦️asurin yonimapanna mudha janmani janmani.
mamaprapyaiva kaunteya tato yantyadhaman gatim৷৷16.20৷৷
⚜Entering into demoniacal wombs and deluded, birth after birth, not attaining Me, they thus fall, O Arjuna, into a condition still lower than that.(16.20)
⚜हे कौन्तेय वे मूढ़ पुरुष जन्मजन्मान्तर में आसुरी योनि को प्राप्त होते हैं और ( इस प्रकार) मुझे प्राप्त न होकर अधम गति को प्राप्त होते है।।16.20।।
#geeta
June 26, 2022
June 26, 2022
🍃
♦️trividhan narakasyedan dvaran nasanamatmanah.
kamah krodhastatha lobhastasmadetattrayan tyajet৷৷16.21৷৷
⚜Triple is the gate of this hell, destructive of the self lust, anger and greed; therefore one should abandon these three.(16.21)
⚜काम क्रोध और लोभ ये आत्मनाश के त्रिविध द्वार हैं इसलिए इन तीनों को त्याग देना चाहिए।।16.21।।
#geeta
त्रिविधं नरकस्येदं द्वारं नाशनमात्मनः।
कामः क्रोधस्तथा लोभस्तस्मादेतत्त्रयं त्यजेत्
।।16.21।।♦️trividhan narakasyedan dvaran nasanamatmanah.
kamah krodhastatha lobhastasmadetattrayan tyajet৷৷16.21৷৷
⚜Triple is the gate of this hell, destructive of the self lust, anger and greed; therefore one should abandon these three.(16.21)
⚜काम क्रोध और लोभ ये आत्मनाश के त्रिविध द्वार हैं इसलिए इन तीनों को त्याग देना चाहिए।।16.21।।
#geeta
June 26, 2022
June 26, 2022
🚩जय सत्य सनातन🚩
🚩आज की हिंदी तिथि
🌥️ 🚩युगाब्द-५१२४
🌥️ 🚩विक्रम संवत-२०७९
⛅ 🚩तिथि - चतुर्दशी 28 जून प्रातः 05:52 तक तत्पश्चात अमावस्या
⛅दिनांक 27 जून 2022
⛅दिन - सोमवार
⛅शक संवत - 1944
⛅अयन - दक्षिणायन
⛅ऋतु - वर्षा
⛅मास - आषाढ़
⛅पक्ष - कृष्ण
⛅नक्षत्र - रोहिणी अपरान्ह 04:02 तक तत्पश्चात मृगशिरा
⛅योग - शूल सुबह 06:48 तक तत्पश्चात गण्ड
⛅राहु काल - सुबह 07:38 से 09:20 तक
⛅सूर्योदय - 05:56
⛅सूर्यास्त - 07:29
⛅दिशा शूल - पूर्व दिशा में
⛅ब्रह्म मुहूर्त - प्रातः 04:33 से 05:15 तक
🚩आज की हिंदी तिथि
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⛅ऋतु - वर्षा
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⛅नक्षत्र - रोहिणी अपरान्ह 04:02 तक तत्पश्चात मृगशिरा
⛅योग - शूल सुबह 06:48 तक तत्पश्चात गण्ड
⛅राहु काल - सुबह 07:38 से 09:20 तक
⛅सूर्योदय - 05:56
⛅सूर्यास्त - 07:29
⛅दिशा शूल - पूर्व दिशा में
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June 26, 2022
https://youtu.be/kMC5EWBoVmo
प्रतिदिनं प्रातः ७:१५ वादने १५ निमेषात्मिकायै वार्तायै डी डी न्यूज् इति पश्यत।
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वार्ता: संस्कृत भाषा में समाचार
June 26, 2022
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June 26, 2022
June 26, 2022
🔰चित्रं दृष्ट्वा पञ्चवाक्यानि रचयत।
✍🏼सर्वे टिप्पणीसञ्चिकायां स्वोत्तराणि लेखितुं शक्नुवन्ति अथवा पुस्तिकायां लिखित्वा तस्य चित्रं स्वीकृत्य अपि प्रेषयितुं शक्नुवन्ति।
🗣सहैव तानि वाक्यानि उक्त्वा ध्वनिमाध्यमेन अपि प्रेषयत।
Read in English
हिन्दी में पढें
#chitram
✍🏼सर्वे टिप्पणीसञ्चिकायां स्वोत्तराणि लेखितुं शक्नुवन्ति अथवा पुस्तिकायां लिखित्वा तस्य चित्रं स्वीकृत्य अपि प्रेषयितुं शक्नुवन्ति।
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June 26, 2022
June 26, 2022
🍃
⚜वृद्ध अतीत में जीता है इसलिये निराश रहता है युवा भविष्य में जीता है इसलिये परेशान रहता है...! "बच्चा वर्तमान में जीता है इसलिये प्रसन्न रहता है इसलिये सदैव वर्तमान में जियें और प्रसन्न रहे...!!
🔅संसारे वृद्धा: लङ्लकारे (भूतकाले) जीवन्ति तदर्थं निराशिन: भवन्ति। युवान: लृट्लकारे (भविष्यकाले) जीवन्ति तदर्थं चिन्तिता: भवन्ति।परन्तु बाला: सदैव लट्लकारे(वर्तमानकाले) जीवन्ति तदर्थं सुखिन: भवन्ति। एतदर्थं वयमपि लट्लकारे जीवाम: ,प्रसन्ना: भवामः।।
#Subhashitam
लोके निराशिनो वूद्धा युवान: चिन्तितास्सदा ।
लङ्लुट्काले हि जीवन्ति प्रसन्ना बालका लटि
।।⚜वृद्ध अतीत में जीता है इसलिये निराश रहता है युवा भविष्य में जीता है इसलिये परेशान रहता है...! "बच्चा वर्तमान में जीता है इसलिये प्रसन्न रहता है इसलिये सदैव वर्तमान में जियें और प्रसन्न रहे...!!
🔅संसारे वृद्धा: लङ्लकारे (भूतकाले) जीवन्ति तदर्थं निराशिन: भवन्ति। युवान: लृट्लकारे (भविष्यकाले) जीवन्ति तदर्थं चिन्तिता: भवन्ति।परन्तु बाला: सदैव लट्लकारे(वर्तमानकाले) जीवन्ति तदर्थं सुखिन: भवन्ति। एतदर्थं वयमपि लट्लकारे जीवाम: ,प्रसन्ना: भवामः।।
#Subhashitam
June 26, 2022
June 26, 2022
June 26, 2022
June 27, 2022
June 27, 2022
संस्कृतवाक्याभ्यासः
सर्वे जनाः अस्पृश्याः अभवन्।
= सभी लोग अस्पृश्य हो गए हैं।
कमपि वयं स्पर्शं कर्तुं न शक्नुमः।
= हम किसी को भी छू नहीं सकते।
कोऽपि मां स्प्रष्टुं न शक्नोति।
= कोई मुझे नहीं छू सकता।
अहं दूरतः वार्तालापं करोमि।
= मैं दूर से बात करता हूँ।
सा अपि दूरतः वार्तालापं करोति।
= वह भी दूर से बात करती है।
सः अपि दूरतः वार्तालापं करोति।
= वह भी दूर से बात करता है।
आदानं प्रदानम् अपि न भवति।
= आदानप्रदान भी नहीं होता है।
पुलिसरक्षकाः मार्गे तिष्ठन्ति।
= पुलिस रक्षक रास्ते में खड़े हैं।
केचन युवकाः / काश्चन युवत्यः निषेधाज्ञायाः उल्लंघनं कुर्वन्ति।
= कुछ युवक युवतियाँ कर्फ़्यू का उल्लंघन कर रही हैं।
ते दण्डम् अपि प्राप्नुवन्ति।
= वे दंड भी पा रहे हैं।
निर्धनेभ्यः समाजसेवकाः भोजनं ददति।
= निर्धनों को समाजसेवक भोजन दे रहे हैं।
संस्कृतवाक्याभ्यासः
सः दानं ददाति।
= वह दान देता है।
कः दानं ददाति ?
= कौन दान देता है ?
कोविदः दानं ददाति।
= कोविद दान देता है।
कोविदः कस्मै दानं ददाति ?
= कोविद किसको दान देता है ?
कोविदः श्रमिकाय दानं ददाति।
= कोविद श्रमिक को दान देता है।
कोविदः किमर्थं श्रमिकाय दानं ददाति ?
= कोविद श्रमिक को क्यों दान देता है ?
श्रमिकस्य पार्श्वे धनं नास्ति।
= मजदूर के पास धन नहीं है।
श्रमिकस्य पार्श्वे धनं किमर्थं नास्ति ?
= श्रमिक के पास धन क्यों नहीं है ?
श्रमिकः अधुना धनं न अर्जयति।
= श्रमिक आजकल धन नहीं कमा रहा है।
सर्वे गृहे निबद्धाः सन्ति।
= सभी घर में बंद हैं।
सर्वत्र कार्याणि अपि अवरूद्धानि सन्ति।
= सब जगह काम भी रुके हुए हैं।
गृहे संस्कृतस्य अध्ययनम् अवरूद्धं नास्ति।
= घर में संस्कृत का अध्ययन रुका हुआ नहीं है।
नैव अवरोधनीयम्।
= रोकना नहीं चाहिये।
#vakyabhyas
सर्वे जनाः अस्पृश्याः अभवन्।
= सभी लोग अस्पृश्य हो गए हैं।
कमपि वयं स्पर्शं कर्तुं न शक्नुमः।
= हम किसी को भी छू नहीं सकते।
कोऽपि मां स्प्रष्टुं न शक्नोति।
= कोई मुझे नहीं छू सकता।
अहं दूरतः वार्तालापं करोमि।
= मैं दूर से बात करता हूँ।
सा अपि दूरतः वार्तालापं करोति।
= वह भी दूर से बात करती है।
सः अपि दूरतः वार्तालापं करोति।
= वह भी दूर से बात करता है।
आदानं प्रदानम् अपि न भवति।
= आदानप्रदान भी नहीं होता है।
पुलिसरक्षकाः मार्गे तिष्ठन्ति।
= पुलिस रक्षक रास्ते में खड़े हैं।
केचन युवकाः / काश्चन युवत्यः निषेधाज्ञायाः उल्लंघनं कुर्वन्ति।
= कुछ युवक युवतियाँ कर्फ़्यू का उल्लंघन कर रही हैं।
ते दण्डम् अपि प्राप्नुवन्ति।
= वे दंड भी पा रहे हैं।
निर्धनेभ्यः समाजसेवकाः भोजनं ददति।
= निर्धनों को समाजसेवक भोजन दे रहे हैं।
संस्कृतवाक्याभ्यासः
सः दानं ददाति।
= वह दान देता है।
कः दानं ददाति ?
= कौन दान देता है ?
कोविदः दानं ददाति।
= कोविद दान देता है।
कोविदः कस्मै दानं ददाति ?
= कोविद किसको दान देता है ?
कोविदः श्रमिकाय दानं ददाति।
= कोविद श्रमिक को दान देता है।
कोविदः किमर्थं श्रमिकाय दानं ददाति ?
= कोविद श्रमिक को क्यों दान देता है ?
श्रमिकस्य पार्श्वे धनं नास्ति।
= मजदूर के पास धन नहीं है।
श्रमिकस्य पार्श्वे धनं किमर्थं नास्ति ?
= श्रमिक के पास धन क्यों नहीं है ?
श्रमिकः अधुना धनं न अर्जयति।
= श्रमिक आजकल धन नहीं कमा रहा है।
सर्वे गृहे निबद्धाः सन्ति।
= सभी घर में बंद हैं।
सर्वत्र कार्याणि अपि अवरूद्धानि सन्ति।
= सब जगह काम भी रुके हुए हैं।
गृहे संस्कृतस्य अध्ययनम् अवरूद्धं नास्ति।
= घर में संस्कृत का अध्ययन रुका हुआ नहीं है।
नैव अवरोधनीयम्।
= रोकना नहीं चाहिये।
#vakyabhyas
June 27, 2022
अग्रिमसूचनापर्यन्तं संस्कृताश्रमः इति कक्षा न भविता।
June 27, 2022
"चौबे गये छब्बे बनने दुबे बनकर आये"
संस्कृत version -
षड्वेदी भवितुं गतस्य हि परं देशं चतुर्वेदिनस्
तत्रत्यैर्विहितद्विवेदिपदवीमापादितस्योपमाम्॥
[पुरञ्जनचरितनाटकम्]
😏😏😏😂😂😂
#hasya
संस्कृत version -
षड्वेदी भवितुं गतस्य हि परं देशं चतुर्वेदिनस्
तत्रत्यैर्विहितद्विवेदिपदवीमापादितस्योपमाम्॥
[पुरञ्जनचरितनाटकम्]
😏😏😏😂😂😂
#hasya
June 27, 2022
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🗓28th june 2022, मङ्गलवासरः
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🗓28th june 2022, मङ्गलवासरः
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📑यदि शक्येत चेत् संस्कृतेन (ये जनाः समाजाय राष्ट्राय बहु त्यागं कृतवन्तः तथा ये सर्वदा कार्यरताः भवन्ति तेषां जीवनविषये वदनीयम्) । चर्चार्थं कृपया पूर्वसिद्धतां कृत्वा आगच्छन्तु।
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June 27, 2022
🍃
♦️etairvimuktah kaunteya tamodvaraistribhirnarah.
acaratyatmanah sreyastato yati paran gatim৷৷16.22৷৷
⚜A man who is liberated from these three gates to darkness, O Arjuna, practises what is good for him and thus goes to the Supreme Goal.(16.22)
⚜हे कौन्तेय नरक के इन तीनों द्वारों से विमुक्त पुरुष अपने कल्याण के साधन का आचरण करता है और इस प्रकार परा गति को प्राप्त होता है।।16.22।।
#geeta
एतैर्विमुक्तः कौन्तेय तमोद्वारैस्त्रिभिर्नरः।
आचरत्यात्मनः श्रेयस्ततो याति परां गतिम्
।।16.22।।♦️etairvimuktah kaunteya tamodvaraistribhirnarah.
acaratyatmanah sreyastato yati paran gatim৷৷16.22৷৷
⚜A man who is liberated from these three gates to darkness, O Arjuna, practises what is good for him and thus goes to the Supreme Goal.(16.22)
⚜हे कौन्तेय नरक के इन तीनों द्वारों से विमुक्त पुरुष अपने कल्याण के साधन का आचरण करता है और इस प्रकार परा गति को प्राप्त होता है।।16.22।।
#geeta
June 27, 2022
June 27, 2022
🍃
♦️yah sastravidhimutsrjya vartate kamakaratah.
na sa siddhimavapnoti na sukhan na paran gatim৷৷16.23৷৷
⚜He who, having cast aside the ordinances of the scriptures, acts under the impulse of desire, attains not perfection, nor happiness nor the Supreme Goal.(16.23)
⚜जो पुरुष शास्त्रविधि को त्यागकर अपनी कामना से प्रेरित होकर ही कार्य करता है वह न पूर्णत्व की सिद्धि प्राप्त करता है न सुख और न परा गति।।16.23।।
#geeta
यः शास्त्रविधिमुत्सृज्य वर्तते कामकारतः।
न स सिद्धिमवाप्नोति न सुखं न परां गतिम्
।।16.23।।♦️yah sastravidhimutsrjya vartate kamakaratah.
na sa siddhimavapnoti na sukhan na paran gatim৷৷16.23৷৷
⚜He who, having cast aside the ordinances of the scriptures, acts under the impulse of desire, attains not perfection, nor happiness nor the Supreme Goal.(16.23)
⚜जो पुरुष शास्त्रविधि को त्यागकर अपनी कामना से प्रेरित होकर ही कार्य करता है वह न पूर्णत्व की सिद्धि प्राप्त करता है न सुख और न परा गति।।16.23।।
#geeta
June 27, 2022
June 27, 2022
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June 27, 2022
June 27, 2022
Forwarded from रामदूतः — The Sanskrit News Platform (Bhavani Raman)
https://youtu.be/cqNMLIu1lxk
प्रतिदिनं प्रातः ७:१५ वादने १५ निमेषात्मिकायै वार्तायै डी डी न्यूज् इति पश्यत।
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वार्ता: संस्कृत भाषा में समाचार
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DD News 24x7 | Breaking News and other Live updates | | News in Hindi | Latest News
DD News is India’s 24x7 news channel from the stable of the country’s Public Service Broadcaster, Prasar Bharati. It has the distinction…
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June 27, 2022
🚩जय सत्य सनातन🚩
🚩आज की हिंदी तिथि
🌥️ 🚩युगाब्द-५१२४
🌥️ 🚩विक्रम संवत-२०७९
⛅ 🚩तिथि - अमावस्या वृद्धि तिथि (अमावस्या 28 जून प्रातः 05:53 से 29 जून सुबह 08:21 तक )
⛅दिनांक 28 जून 2022
⛅दिन - मंगलवार
⛅शक संवत - 1944
⛅अयन - दक्षिणायन
⛅ऋतु - वर्षा
⛅मास - आषाढ़
⛅पक्ष - कृष्ण
⛅नक्षत्र - मृगशिरा शाम 07:05 तक तत्पश्चात आर्द्रा
⛅योग - गण्ड सुबह 07:48 तक तत्पश्चात वृद्धि
⛅राहु काल - शाम 04:06 से 05:48 तक
⛅सूर्योदय - 05:57
⛅सूर्यास्त - 07:29
⛅दिशा शूल - उत्तर दिशा में
🚩आज की हिंदी तिथि
🌥️ 🚩युगाब्द-५१२४
🌥️ 🚩विक्रम संवत-२०७९
⛅ 🚩तिथि - अमावस्या वृद्धि तिथि (अमावस्या 28 जून प्रातः 05:53 से 29 जून सुबह 08:21 तक )
⛅दिनांक 28 जून 2022
⛅दिन - मंगलवार
⛅शक संवत - 1944
⛅अयन - दक्षिणायन
⛅ऋतु - वर्षा
⛅मास - आषाढ़
⛅पक्ष - कृष्ण
⛅नक्षत्र - मृगशिरा शाम 07:05 तक तत्पश्चात आर्द्रा
⛅योग - गण्ड सुबह 07:48 तक तत्पश्चात वृद्धि
⛅राहु काल - शाम 04:06 से 05:48 तक
⛅सूर्योदय - 05:57
⛅सूर्यास्त - 07:29
⛅दिशा शूल - उत्तर दिशा में
June 27, 2022
🔰चित्रं दृष्ट्वा पञ्चवाक्यानि रचयत।
✍🏼सर्वे टिप्पणीसञ्चिकायां स्वोत्तराणि लेखितुं शक्नुवन्ति अथवा पुस्तिकायां लिखित्वा तस्य चित्रं स्वीकृत्य अपि प्रेषयितुं शक्नुवन्ति।
🗣सहैव तानि वाक्यानि उक्त्वा ध्वनिमाध्यमेन अपि प्रेषयत।
Read in English
हिन्दी में पढें
#chitram
✍🏼सर्वे टिप्पणीसञ्चिकायां स्वोत्तराणि लेखितुं शक्नुवन्ति अथवा पुस्तिकायां लिखित्वा तस्य चित्रं स्वीकृत्य अपि प्रेषयितुं शक्नुवन्ति।
🗣सहैव तानि वाक्यानि उक्त्वा ध्वनिमाध्यमेन अपि प्रेषयत।
Read in English
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#chitram
June 27, 2022
June 27, 2022
🍃
⚜इस सतत परिवर्तनशील संसार मे ऐसा कौन
है जो अन्ततः मृत नहीं होता है ?
वही व्यक्ति सच्चा जीवन जीता है जिस से उसका वंश उन्नति और प्रसिद्धि प्राप्त करता है |
🔅अस्मिन् नित्ये परिवर्तनशीले संसारे को वा तादृशः स्यात् यः न म्रियते परन्तु जीवनं तु तस्यैवास्ति यस्य जीवनेन तस्य वंशः उन्नतिं प्राप्नुयात्।
नीतिशतकम् भर्तृहरिः
#Subhashitam
परिवर्तिनि संसारे मृतः को वा न जायते।
स जातो येन जातेन याति वंशस्समुन्नतिम्
॥ ⚜इस सतत परिवर्तनशील संसार मे ऐसा कौन
है जो अन्ततः मृत नहीं होता है ?
वही व्यक्ति सच्चा जीवन जीता है जिस से उसका वंश उन्नति और प्रसिद्धि प्राप्त करता है |
🔅अस्मिन् नित्ये परिवर्तनशीले संसारे को वा तादृशः स्यात् यः न म्रियते परन्तु जीवनं तु तस्यैवास्ति यस्य जीवनेन तस्य वंशः उन्नतिं प्राप्नुयात्।
नीतिशतकम् भर्तृहरिः
#Subhashitam
June 27, 2022
June 27, 2022
June 27, 2022
"आह्वयति" एतस्य लृट्लकाररूपं किम्
Anonymous Quiz
60%
आह्वयिष्यति
18%
आहूस्यति
13%
आह्वस्यति
9%
आह्वास्यति
June 28, 2022
संस्कृतवाक्याभ्यासः
सम्प्रति अनेके जनाः गृहे यज्ञं कुर्वन्ति।
= आजकल अनेक लोग घर में यज्ञ कर रहे हैं।
यज्ञे गोघृतेन आहुतीः ददति।
= यज्ञ में गाय के घी से आहुति दे रहे हैं।
यज्ञसामग्रिणा अपि आहुतीः ददति।
= यज्ञ सामग्री से भी आहुति देते हैं।
अनेके जनाः अधिकाधिकं कर्पूरं प्रयोजयन्ति।
= अनेक लोग अधिक से अधिक कपूर का उपयोग कर रहे हैं।
गुरुकुलेषु त्रीणि वा चत्वारि होरा पर्यन्तं यज्ञः क्रियते।
= गुरुकुलों में तो तीन या चार घंटे तक यज्ञ किया जाता है।
आबूपर्वते एकं गुरुकुलम् अस्ति।
= आबू पर्वत पर एक गुरुकुल है।
तत्र प्रातः सायं च यज्ञः भवति।
= वहाँ प्रातः और सायं यज्ञ होता है।
हैदराबादे अपि गुरुकुलम् अस्ति।
= हैदराबाद में भी गुरुकुल है।
तत्रापि नित्यमेव यज्ञः भवति।
= वहाँ भी नित्य यज्ञ होता है।
वाराणस्यां कन्यागुरुकुलम् अस्ति।
= वाराणसी में कन्या गुरुकुल है।
तत्रापि नित्यमेव यज्ञः भवति।
= वहाँ भी नित्य यज्ञ होता है।
गुरुकुलस्य छात्राः गृहं न गतवन्तः।
= गुरुकुल के छात्र घर नहीं गए हैं।
ते/ताः गुरुकुले एव वसन्ति।
= वे गुरुकुल में ही रहते हैं।
संस्कृतवाक्याभ्यासः
सः / सा दिनानि गणयति।
= वह दिन गिनता / गिनती है।
एकं दिनम् अतीतम्।
= एक दिन बीत गया।
द्वे दिने अतीते।
= दो दिन बीत गए।
त्रीणि दिनानि अतीतानि।
= तीन दिन बीत गए।
तचत्वारि दिनानि अतीतानि।
= चार दिन बीत गए।
तपञ्च दिनानि अतीतानि।
= पाँच दिन बीत गए।
षड् दिनानि अतीतानि।
= छः दिन बीत गए।
सप्त दिनानि अतीतानि।
= सात दिन बीत गए।
अधुना चतुर्दश दिनानि अवशिष्टानि।
= अब चौदह दिन शेष रह गए।
तदनन्तरं गृहात् बहिः गमिष्यामि।
= उसके बाद घर से बाहर जाऊँगा/ जाऊँगी।
#vakyabhyas
सम्प्रति अनेके जनाः गृहे यज्ञं कुर्वन्ति।
= आजकल अनेक लोग घर में यज्ञ कर रहे हैं।
यज्ञे गोघृतेन आहुतीः ददति।
= यज्ञ में गाय के घी से आहुति दे रहे हैं।
यज्ञसामग्रिणा अपि आहुतीः ददति।
= यज्ञ सामग्री से भी आहुति देते हैं।
अनेके जनाः अधिकाधिकं कर्पूरं प्रयोजयन्ति।
= अनेक लोग अधिक से अधिक कपूर का उपयोग कर रहे हैं।
गुरुकुलेषु त्रीणि वा चत्वारि होरा पर्यन्तं यज्ञः क्रियते।
= गुरुकुलों में तो तीन या चार घंटे तक यज्ञ किया जाता है।
आबूपर्वते एकं गुरुकुलम् अस्ति।
= आबू पर्वत पर एक गुरुकुल है।
तत्र प्रातः सायं च यज्ञः भवति।
= वहाँ प्रातः और सायं यज्ञ होता है।
हैदराबादे अपि गुरुकुलम् अस्ति।
= हैदराबाद में भी गुरुकुल है।
तत्रापि नित्यमेव यज्ञः भवति।
= वहाँ भी नित्य यज्ञ होता है।
वाराणस्यां कन्यागुरुकुलम् अस्ति।
= वाराणसी में कन्या गुरुकुल है।
तत्रापि नित्यमेव यज्ञः भवति।
= वहाँ भी नित्य यज्ञ होता है।
गुरुकुलस्य छात्राः गृहं न गतवन्तः।
= गुरुकुल के छात्र घर नहीं गए हैं।
ते/ताः गुरुकुले एव वसन्ति।
= वे गुरुकुल में ही रहते हैं।
संस्कृतवाक्याभ्यासः
सः / सा दिनानि गणयति।
= वह दिन गिनता / गिनती है।
एकं दिनम् अतीतम्।
= एक दिन बीत गया।
द्वे दिने अतीते।
= दो दिन बीत गए।
त्रीणि दिनानि अतीतानि।
= तीन दिन बीत गए।
तचत्वारि दिनानि अतीतानि।
= चार दिन बीत गए।
तपञ्च दिनानि अतीतानि।
= पाँच दिन बीत गए।
षड् दिनानि अतीतानि।
= छः दिन बीत गए।
सप्त दिनानि अतीतानि।
= सात दिन बीत गए।
अधुना चतुर्दश दिनानि अवशिष्टानि।
= अब चौदह दिन शेष रह गए।
तदनन्तरं गृहात् बहिः गमिष्यामि।
= उसके बाद घर से बाहर जाऊँगा/ जाऊँगी।
#vakyabhyas
June 28, 2022
Husband - Being a wife of a policeman, do you steal money from his pocket?
Wife - Take this ₹-100/- and settle down the matter here itself.
#hasya
Wife - Take this ₹-100/- and settle down the matter here itself.
#hasya
June 28, 2022
🍃
♦️tasmacchastran pramanan te karyakaryavyavasthitau.
jnatva sastravidhanoktan karma kartumiharhasi৷৷16.24৷৷
⚜Therefore, let the scripture be thy authority in determining what ought to be done and what ought not to be done. Having known what is said in the ordinance of the scriptures, thou shouldst act here in this world.(16.24)
⚜इसलिए तुम्हारे लिए कर्तव्य और अकर्तव्य की व्यवस्था (निर्णय) में शास्त्र ही प्रमाण है शास्त्रोक्त विधान को जानकर तुम्हें अपने कर्म करने चाहिए।।16.24।।
#geeta
तस्माच्छास्त्रं प्रमाणं ते कार्याकार्यव्यवस्थितौ।
ज्ञात्वा शास्त्रविधानोक्तं कर्म कर्तुमिहार्हसि
।।16.24।।♦️tasmacchastran pramanan te karyakaryavyavasthitau.
jnatva sastravidhanoktan karma kartumiharhasi৷৷16.24৷৷
⚜Therefore, let the scripture be thy authority in determining what ought to be done and what ought not to be done. Having known what is said in the ordinance of the scriptures, thou shouldst act here in this world.(16.24)
⚜इसलिए तुम्हारे लिए कर्तव्य और अकर्तव्य की व्यवस्था (निर्णय) में शास्त्र ही प्रमाण है शास्त्रोक्त विधान को जानकर तुम्हें अपने कर्म करने चाहिए।।16.24।।
#geeta
June 28, 2022
June 28, 2022
🍃
♦️arjuna uvaca
ye sastravidhimutsrjya yajante sraddhayanvitah.
tesan nistha tu ka krsna sattvamaho rajastamah৷৷17.1৷৷
⚜Arjuna spoke --
Those who, setting aside the ordinances of the scriptures, perform sacrifice with faith, what is their condition, O Krishna? Is it Sattva, Rajas or Tamas?(17.1)
⚜अर्जुन ने कहा --
हे कृष्ण जो लोग शास्त्रविधि को त्यागकर (केवल) श्रद्धा युक्त यज्ञ (पूजा) करते हैं? उनकी स्थिति (निष्ठा) कौन सी है क्या वह सात्त्विक है अथवा राजसिक या तामसिक?17.1।।
#geeta
अर्जुन उवाच
ये शास्त्रविधिमुत्सृज्य यजन्ते श्रद्धयाऽन्विताः।
तेषां निष्ठा तु का कृष्ण सत्त्वमाहो रजस्तमः
।।17.1।।♦️arjuna uvaca
ye sastravidhimutsrjya yajante sraddhayanvitah.
tesan nistha tu ka krsna sattvamaho rajastamah৷৷17.1৷৷
⚜Arjuna spoke --
Those who, setting aside the ordinances of the scriptures, perform sacrifice with faith, what is their condition, O Krishna? Is it Sattva, Rajas or Tamas?(17.1)
⚜अर्जुन ने कहा --
हे कृष्ण जो लोग शास्त्रविधि को त्यागकर (केवल) श्रद्धा युक्त यज्ञ (पूजा) करते हैं? उनकी स्थिति (निष्ठा) कौन सी है क्या वह सात्त्विक है अथवा राजसिक या तामसिक?17.1।।
#geeta
June 28, 2022
June 28, 2022
🚩जय सत्य सनातन🚩
🚩आज की हिंदी तिथि
🌥 🚩यगाब्द-५१२४
🌥 🚩विक्रम संवत-२०७९
⛅️ 🚩तिथि - अमावस्या सुबह 08:21 तक तत्पश्चात प्रतिपदा
⛅️दिनांक 29 जून 2022
⛅️दिन - बुधवार
⛅️शक संवत - 1944
⛅️अयन - दक्षिणायन
⛅️ऋतु - वर्षा
⛅️मास - आषाढ़
⛅️पक्ष - कृष्ण
⛅️नक्षत्र - आर्द्रा रात्रि 10:09 तक तत्पश्चात पुनर्वसु
⛅️योग - वृद्धि सुबह 08:51 तक तत्पश्चात ध्रुव
⛅️राहु काल - दोपहर 12:43 से 02:25 तक
⛅️सर्योदय - 05:57
⛅️सर्यास्त - 07:29
⛅️दिशा शूल - उत्तर दिशा में
⛅️बरह्म मुहूर्त - प्रातः 04:33 से 05:15 तक
🚩आज की हिंदी तिथि
🌥 🚩यगाब्द-५१२४
🌥 🚩विक्रम संवत-२०७९
⛅️ 🚩तिथि - अमावस्या सुबह 08:21 तक तत्पश्चात प्रतिपदा
⛅️दिनांक 29 जून 2022
⛅️दिन - बुधवार
⛅️शक संवत - 1944
⛅️अयन - दक्षिणायन
⛅️ऋतु - वर्षा
⛅️मास - आषाढ़
⛅️पक्ष - कृष्ण
⛅️नक्षत्र - आर्द्रा रात्रि 10:09 तक तत्पश्चात पुनर्वसु
⛅️योग - वृद्धि सुबह 08:51 तक तत्पश्चात ध्रुव
⛅️राहु काल - दोपहर 12:43 से 02:25 तक
⛅️सर्योदय - 05:57
⛅️सर्यास्त - 07:29
⛅️दिशा शूल - उत्तर दिशा में
⛅️बरह्म मुहूर्त - प्रातः 04:33 से 05:15 तक
June 28, 2022
Forwarded from रामदूतः — The Sanskrit News Platform (Bhavani Raman)
प्रतिदिनं प्रातः ७:१५ वादने १५ निमेषात्मिकायै वार्तायै डी डी न्यूज् इति पश्यत।
https://youtu.be/97DU4QOxjm0
https://youtu.be/97DU4QOxjm0
June 28, 2022
🔰चित्रं दृष्ट्वा पञ्चवाक्यानि रचयत।
✍🏼सर्वे टिप्पणीसञ्चिकायां स्वोत्तराणि लेखितुं शक्नुवन्ति अथवा पुस्तिकायां लिखित्वा तस्य चित्रं स्वीकृत्य अपि प्रेषयितुं शक्नुवन्ति।
🗣सहैव तानि वाक्यानि उक्त्वा ध्वनिमाध्यमेन अपि प्रेषयत।
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हिन्दी में पढें
#chitram
✍🏼सर्वे टिप्पणीसञ्चिकायां स्वोत्तराणि लेखितुं शक्नुवन्ति अथवा पुस्तिकायां लिखित्वा तस्य चित्रं स्वीकृत्य अपि प्रेषयितुं शक्नुवन्ति।
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हिन्दी में पढें
#chitram
June 28, 2022
अद्य संलापशाला पिहिता😞
Samlapshala is closed for today.🔒
संलापशाला आज बंद रहेगी।🔒
Samlapshala is closed for today.🔒
संलापशाला आज बंद रहेगी।🔒
June 28, 2022
🍃
🔅दानकरणम् एव हस्तस्य भूषणम् । सत्यभाषणम् एव कण्ठस्य भूषणम् । शास्त्रश्रवणम् एव कर्णस्य भूषणम् । अतः अन्यैः आभरणैः किमपि प्रयोजनं नास्ति ।
#Subhashitam
हस्तस्य भूषणं दानं सत्यं कण्ठस्य भूषणम्।
श्रोत्रस्य भूषणं शास्त्रं भूषणैः किं प्रयोजनम्
।। 🔅दानकरणम् एव हस्तस्य भूषणम् । सत्यभाषणम् एव कण्ठस्य भूषणम् । शास्त्रश्रवणम् एव कर्णस्य भूषणम् । अतः अन्यैः आभरणैः किमपि प्रयोजनं नास्ति ।
#Subhashitam
June 28, 2022
June 29, 2022
June 29, 2022
संस्कृतवाक्याभ्यासः
अनेके जनाः व्यसनं कुर्वन्ति।
= अनेक लोग व्यसन करते हैं।
केचन जनाः धूम्रपानं कुर्वन्ति।
= कुछ लोग धूम्रपान करते हैं।
केचन जनाः मद्यपानं कुर्वन्ति।
= कुछ लोग मद्यपान करते हैं।
केचन जनाः तमाखू चर्वन्ति।
= कुछ लोग तमाखू चबाते हैं।
शरीरे यद् हानिं करोति तद् सर्वं चर्वन्ति , खादन्ति , पिबन्ति च।
= शरीर में जो हानि करे वह सब चबाते हैं , खाते हैं और पीते हैं।
सम्प्रति पूर्णनिबद्धनकाले जनाः किमपि न प्राप्नुवन्ति।
= आजकल पूर्णबन्दी के समय पर लोग कुछ भी नहीं पा रहे हैं।
अतएव ते व्यसनं न कुर्वन्ति इति अहं मन्ये।
= अतः वे लोग व्यसन नहीं कर रहे हैं ऐसा मैं मानता हूँ।
न कुर्वन्ति चेत् उत्तमम्।
= नहीं करते हैं अच्छा।
कदाचित् ते व्यसनमुक्ताः भवेयुः।
= शायद वे व्यसनमुक्त हो जाएँ।
तेन तेषामपि लाभः समाजस्य अपि लाभः भविष्यति।
= उससे उनको भी लाभ होगा और समाज को भी लाभ होगा।
गृहे अपि शान्तिः भविष्यति।
= घर में भी शान्ति रहेगी।
अद्य दुर्गाष्टमी अस्ति , सर्वेभ्यः मङ्गलकामनाः।
= आज दुर्गाष्टमी है , सबको मङ्गलकामनाएँ।
संस्कृतवाक्याभ्यासः
प्रतिवेशिणः गृहे बालकाः क्रीड़न्ति।
= पड़ोसी के घर में बच्चे खेल रहे हैं।
बालकाः कन्दूकेन क्रीड़न्ति।
= बच्चे गेंद से खेल रहे हैं।
बालकाः कन्दुकं उच्छालयन्ति।
= बच्चे गेंद उछाल रहे हैं।
यदाकदा कन्दुकं मम गृहम् आगच्छति।
= कभी कभी गेंद मेरे घर आ जाती है।
अहं तद् कन्दुकं मम गृहात् क्षिपामि।
= मैं उस गेंद को मेरे घर से फेंकता हूँ।
बालकाः कन्दुकं लभन्ते।
= बच्चे गेंद पाते हैं।
कन्दुकं लब्ध्वा बालकाः प्रसन्नाः भवन्ति।
= गेंद पाकर बच्चे खुश होते हैं।
बालकाः वदन्ति - "धन्यवादः पितृव्य! "
= बच्चे बोलते हैं - "धन्यवाद चाचाजी"
अहं उत्तरं ददामि - "भोः बालकाः ! क्रीड़न्तु नाम"
= मैं उत्तर देता हूँ - बच्चों भले खेलो"
कस्य अपि गृहस्य काचं मा भनक्तु।
= किसी के भी घर का शीशा मत तोड़ना।
बालकाः वदन्ति " नैव पितृव्य "
= बच्चे कहते हैं " नहीं चाचाजी"
#vakyabhyas
अनेके जनाः व्यसनं कुर्वन्ति।
= अनेक लोग व्यसन करते हैं।
केचन जनाः धूम्रपानं कुर्वन्ति।
= कुछ लोग धूम्रपान करते हैं।
केचन जनाः मद्यपानं कुर्वन्ति।
= कुछ लोग मद्यपान करते हैं।
केचन जनाः तमाखू चर्वन्ति।
= कुछ लोग तमाखू चबाते हैं।
शरीरे यद् हानिं करोति तद् सर्वं चर्वन्ति , खादन्ति , पिबन्ति च।
= शरीर में जो हानि करे वह सब चबाते हैं , खाते हैं और पीते हैं।
सम्प्रति पूर्णनिबद्धनकाले जनाः किमपि न प्राप्नुवन्ति।
= आजकल पूर्णबन्दी के समय पर लोग कुछ भी नहीं पा रहे हैं।
अतएव ते व्यसनं न कुर्वन्ति इति अहं मन्ये।
= अतः वे लोग व्यसन नहीं कर रहे हैं ऐसा मैं मानता हूँ।
न कुर्वन्ति चेत् उत्तमम्।
= नहीं करते हैं अच्छा।
कदाचित् ते व्यसनमुक्ताः भवेयुः।
= शायद वे व्यसनमुक्त हो जाएँ।
तेन तेषामपि लाभः समाजस्य अपि लाभः भविष्यति।
= उससे उनको भी लाभ होगा और समाज को भी लाभ होगा।
गृहे अपि शान्तिः भविष्यति।
= घर में भी शान्ति रहेगी।
अद्य दुर्गाष्टमी अस्ति , सर्वेभ्यः मङ्गलकामनाः।
= आज दुर्गाष्टमी है , सबको मङ्गलकामनाएँ।
संस्कृतवाक्याभ्यासः
प्रतिवेशिणः गृहे बालकाः क्रीड़न्ति।
= पड़ोसी के घर में बच्चे खेल रहे हैं।
बालकाः कन्दूकेन क्रीड़न्ति।
= बच्चे गेंद से खेल रहे हैं।
बालकाः कन्दुकं उच्छालयन्ति।
= बच्चे गेंद उछाल रहे हैं।
यदाकदा कन्दुकं मम गृहम् आगच्छति।
= कभी कभी गेंद मेरे घर आ जाती है।
अहं तद् कन्दुकं मम गृहात् क्षिपामि।
= मैं उस गेंद को मेरे घर से फेंकता हूँ।
बालकाः कन्दुकं लभन्ते।
= बच्चे गेंद पाते हैं।
कन्दुकं लब्ध्वा बालकाः प्रसन्नाः भवन्ति।
= गेंद पाकर बच्चे खुश होते हैं।
बालकाः वदन्ति - "धन्यवादः पितृव्य! "
= बच्चे बोलते हैं - "धन्यवाद चाचाजी"
अहं उत्तरं ददामि - "भोः बालकाः ! क्रीड़न्तु नाम"
= मैं उत्तर देता हूँ - बच्चों भले खेलो"
कस्य अपि गृहस्य काचं मा भनक्तु।
= किसी के भी घर का शीशा मत तोड़ना।
बालकाः वदन्ति " नैव पितृव्य "
= बच्चे कहते हैं " नहीं चाचाजी"
#vakyabhyas
June 29, 2022
@samskrt_samvadah संलापशाला - A Samskrit Voicechat room.
यदीच्छसि वशीकर्तुं, भाषणमेककर्मणा।
यायास्संलापशालां वै, भवति यत्र भाषणम्।।
⏳45 निमेषाः
🕚 IST 11:00 AM
🔰विद्यालयजीवनस्य अविस्मरणीया घटना
🗓30th June 2022, गुरुवासरः
🔴Voicechat would be recorded and shared on this channel.
📑यदि शक्येत चेत् संस्कृतेन (स्वविद्यालयजीवनस्य कामपि उत्तमाम् अविस्मरणीयां घटनां वदन्तु) चर्चार्थं कृपया पूर्वसिद्धतां कृत्वा आगच्छन्तु।
वयं युष्माकं प्रतीक्षां कुर्मः। 😇
स्मारणतंत्रिकां स्थापयतु ⏰
👇🏼👇🏼👇🏼👇🏼👇🏼
https://t.me/samskrt_samvadah?voicechat
यदीच्छसि वशीकर्तुं, भाषणमेककर्मणा।
यायास्संलापशालां वै, भवति यत्र भाषणम्।।
⏳45 निमेषाः
🕚 IST 11:00 AM
🔰विद्यालयजीवनस्य अविस्मरणीया घटना
🗓30th June 2022, गुरुवासरः
🔴Voicechat would be recorded and shared on this channel.
📑यदि शक्येत चेत् संस्कृतेन (स्वविद्यालयजीवनस्य कामपि उत्तमाम् अविस्मरणीयां घटनां वदन्तु) चर्चार्थं कृपया पूर्वसिद्धतां कृत्वा आगच्छन्तु।
वयं युष्माकं प्रतीक्षां कुर्मः। 😇
स्मारणतंत्रिकां स्थापयतु ⏰
👇🏼👇🏼👇🏼👇🏼👇🏼
https://t.me/samskrt_samvadah?voicechat
June 29, 2022
June 29, 2022
🍃
♦️trividha bhavati sraddha dehinansa svabhavaja.
sattviki rajasi caiva tamasi ceti tan srrnu৷৷17.2৷৷
⚜The Blessed Lord said --
Threefold is the faith of the embodied, which is inherent in their nature the Sattvic (pure), the Rajasic (passionate) and the Tamasic (dark). Do thou hear of it.(17.2)
⚜श्री भगवान् ने कहा --
देहधारियों (मनुष्यों) की वह स्वाभाविक (ज्ञानरहित) श्रद्धा तीन प्रकार की सात्त्विक राजसिक और तामसिक होती हैं. उसे तुम मुझसे सुनो।।17.2।।
#geeta
श्री भगवानुवाच
त्रिविधा भवति श्रद्धा देहिनां सा स्वभावजा।
सात्त्विकी राजसी चैव तामसी चेति तां श्रृणु
।।17.2।।♦️trividha bhavati sraddha dehinansa svabhavaja.
sattviki rajasi caiva tamasi ceti tan srrnu৷৷17.2৷৷
⚜The Blessed Lord said --
Threefold is the faith of the embodied, which is inherent in their nature the Sattvic (pure), the Rajasic (passionate) and the Tamasic (dark). Do thou hear of it.(17.2)
⚜श्री भगवान् ने कहा --
देहधारियों (मनुष्यों) की वह स्वाभाविक (ज्ञानरहित) श्रद्धा तीन प्रकार की सात्त्विक राजसिक और तामसिक होती हैं. उसे तुम मुझसे सुनो।।17.2।।
#geeta
June 29, 2022
June 29, 2022
🍃
♦️sattvanurupa sarvasya sraddha bhavati bharata.
sraddhamayoyan puruso yo yacchraddhah sa eva sah৷৷17.3৷৷
⚜The faith of each is in accordance with his nature, O Arjuna. The man consists of his faith; as a man's faith is, so is he.(17.3)
⚜भारत सभी मनुष्यों की श्रद्धा उनके सत्त्व (स्वभाव संस्कार) के अनुरूप होती है। यह पुरुष श्रद्धामय है इसलिए जो पुरुष जिस श्रद्धा वाला है वह स्वयं भी वही है अर्थात् जैसी जिसकी श्रद्धा वैसा ही उसका स्वरूप होता है।।17.3।।
#geeta
सत्त्वानुरूपा सर्वस्य श्रद्धा भवति भारत।
श्रद्धामयोऽयं पुरुषो यो यच्छ्रद्धः स एव सः
।।17.3।।♦️sattvanurupa sarvasya sraddha bhavati bharata.
sraddhamayoyan puruso yo yacchraddhah sa eva sah৷৷17.3৷৷
⚜The faith of each is in accordance with his nature, O Arjuna. The man consists of his faith; as a man's faith is, so is he.(17.3)
⚜भारत सभी मनुष्यों की श्रद्धा उनके सत्त्व (स्वभाव संस्कार) के अनुरूप होती है। यह पुरुष श्रद्धामय है इसलिए जो पुरुष जिस श्रद्धा वाला है वह स्वयं भी वही है अर्थात् जैसी जिसकी श्रद्धा वैसा ही उसका स्वरूप होता है।।17.3।।
#geeta
June 29, 2022
🚩जय सत्य सनातन🚩
🚩आज की हिंदी तिथि
🌥 🚩यगाब्द-५१२४
🌥 🚩विक्रम संवत-२०७९
⛅️ 🚩तिथि - प्रतिपदा सुबह 10:49 तक तत्पश्चात द्वितीया
⛅️दिनांक 30 जून 2022
⛅️दिन - गुरुवार
⛅️शक संवत - 1944
⛅️अयन - दक्षिणायन
⛅️ऋतु - वर्षा
⛅️मास - आषाढ़
⛅️पक्ष - शुक्ल
⛅️नक्षत्र - पुनर्वसु रात्रि 01:07 तक तत्पश्चात पुष्य
⛅️योग - ध्रुव सुबह 09:52 तक तत्पश्चात व्याघात
⛅️राहु काल - अपरान्ह 02:25 से 04:06 तक
⛅️सर्योदय - 05:57
⛅️सर्यास्त - 07:29
⛅️दिशा शूल - दक्षिण दिशा में
⛅️बरह्म मुहूर्त - प्रातः 04:34 से 05:15 तक
🚩आज की हिंदी तिथि
🌥 🚩यगाब्द-५१२४
🌥 🚩विक्रम संवत-२०७९
⛅️ 🚩तिथि - प्रतिपदा सुबह 10:49 तक तत्पश्चात द्वितीया
⛅️दिनांक 30 जून 2022
⛅️दिन - गुरुवार
⛅️शक संवत - 1944
⛅️अयन - दक्षिणायन
⛅️ऋतु - वर्षा
⛅️मास - आषाढ़
⛅️पक्ष - शुक्ल
⛅️नक्षत्र - पुनर्वसु रात्रि 01:07 तक तत्पश्चात पुष्य
⛅️योग - ध्रुव सुबह 09:52 तक तत्पश्चात व्याघात
⛅️राहु काल - अपरान्ह 02:25 से 04:06 तक
⛅️सर्योदय - 05:57
⛅️सर्यास्त - 07:29
⛅️दिशा शूल - दक्षिण दिशा में
⛅️बरह्म मुहूर्त - प्रातः 04:34 से 05:15 तक
June 29, 2022
@samskrt_samvadah संलापशाला - A Samskrit Voicechat room.
यदीच्छसि वशीकर्तुं, भाषणमेककर्मणा।
यायास्संलापशालां वै, भवति यत्र भाषणम्।।
⏳45 निमेषाः
🕚 IST 11:00 AM
🔰विद्यालयजीवनस्य अविस्मरणीया घटना
🗓30th June 2022, गुरुवासरः
🔴Voicechat would be recorded and shared on this channel.
📑यदि शक्येत चेत् संस्कृतेन (स्वविद्यालयजीवनस्य कामपि उत्तमाम् अविस्मरणीयां घटनां वदन्तु) चर्चार्थं कृपया पूर्वसिद्धतां कृत्वा आगच्छन्तु।
वयं युष्माकं प्रतीक्षां कुर्मः। 😇
स्मारणतंत्रिकां स्थापयतु ⏰
👇🏼👇🏼👇🏼👇🏼👇🏼
https://t.me/samskrt_samvadah?voicechat
यदीच्छसि वशीकर्तुं, भाषणमेककर्मणा।
यायास्संलापशालां वै, भवति यत्र भाषणम्।।
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🔰विद्यालयजीवनस्य अविस्मरणीया घटना
🗓30th June 2022, गुरुवासरः
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June 29, 2022
June 29, 2022
🔰चित्रं दृष्ट्वा पञ्चवाक्यानि रचयत।
✍🏼सर्वे टिप्पणीसञ्चिकायां स्वोत्तराणि लेखितुं शक्नुवन्ति अथवा पुस्तिकायां लिखित्वा तस्य चित्रं स्वीकृत्य अपि प्रेषयितुं शक्नुवन्ति।
🗣सहैव तानि वाक्यानि उक्त्वा ध्वनिमाध्यमेन अपि प्रेषयत।
Read in English
हिन्दी में पढें
#chitram
✍🏼सर्वे टिप्पणीसञ्चिकायां स्वोत्तराणि लेखितुं शक्नुवन्ति अथवा पुस्तिकायां लिखित्वा तस्य चित्रं स्वीकृत्य अपि प्रेषयितुं शक्नुवन्ति।
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#chitram
June 29, 2022
Forwarded from रामदूतः — The Sanskrit News Platform (Bhavani Raman)
https://m.youtube.com/watch?v=vtsxIKIZaM4
प्रतिदिनं प्रातः ७:१५ वादने १५ निमेषात्मिकायै वार्तायै डी डी न्यूज् इति पश्यत।
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YouTube
वार्ता : संस्कृत भाषा में समाचार
वार्ता : संस्कृत भाषा में समाचार
DD News 24x7 | Breaking News and other Live updates | News in Hindi | Latest News
DD News is India’s 24x7 news channel from the stable of the country’s Public Service Broadcaster, Prasar Bharati. It has the distinction…
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June 29, 2022
June 29, 2022
June 29, 2022
June 29, 2022
🍃
🔅भगवतः नाम पापानां शोधनं करोति । महानन्दं बोधयति ।चित्तवृत्तीनां रोचकं भवति । अतः तत् सेवनीयम् ।
#Subhashitam
पापानां शोधकं नित्यं परानन्दस्य बोधकम् ।
रोचकं चित्तवृत्तीनां भजध्वं नाम मङ्गलम्
।। 🔅भगवतः नाम पापानां शोधनं करोति । महानन्दं बोधयति ।चित्तवृत्तीनां रोचकं भवति । अतः तत् सेवनीयम् ।
#Subhashitam
June 29, 2022
June 30, 2022
June 30, 2022
संस्कृतवाक्याभ्यासः
अधुना कोऽपि संवादं न करोति।
= आजकल कोई संवाद नहीं करता है।
सर्वे गृहे एव पिहिताः सन्ति।
= सभी घरों में बंद हैं।
प्रातः सप्तवादनतः द्वादशवादन पर्यन्तं सर्वे बहिः दृश्यन्ते।
= सुबह सात बजे से बारह बजे तक सभी बाहर दिखते हैं।
शाकं क्रेतुं , अन्नं क्रेतुं जनाः गृहात् बहिः निर्गच्छन्ति।
= सब्जी खरीदने , अनाज खरीदने के लिये लोग घर से बाहर निकलते हैं।
अन्यथा मार्गाः जनशून्याः दृश्यन्ते।
= अन्यथा मार्ग सुनसान दिखते हैं।
जनाः गृहे एव भोजनं कुर्वन्ति।
= लोग घर में ही भोजन कर रहे हैं।
अतएव तेषां स्वास्थ्यं सम्यक् अस्ति।
= इसलिये उनका स्वास्थ्य अच्छा है।
जनाः अधिकं तिक्तं न खादन्ति।
= लोग अधिक तीखा नहीं खा रहे हैं।
सर्वे परिवारजनाः एकसाकं भोजनं कुर्वन्ति।
= सभी परिवार जन एक साथ भोजन करते हैं।
"पतिः गृहकार्यं करोति" एषा सूचना सर्वतः आगच्छति।
= पति काम करता है यह सूचना सब जगह से आ रही है।
अनेके जनाः संस्कृतस्य अभ्यासम् अपि कुर्वन्ति।
= अनेक लोग संस्कृत का अभ्यास भी करते हैं।
संस्कृतवाक्याभ्यासः
अधुना ऊष्णता वर्धते।
= अब गर्मी बढ़ रही है।
कृपया जलम् अधिकं पिबतु।
= कृपया पानी अधिक पीजिये। (एकवचनम्)
कृपया जलम् अधिकं पिबन्तु
= कृपया पानी अधिक पीजिये। (बहुवचनम् )
फलानि अधिकानि खादन्तु।
= फल अधिक खाईये।
आतपे मा भ्रमन्तु।
= गर्मी में मत घूमिये।
शीतलेन जलेन स्नानं कुर्वन्तु।
= ठंडे पानी से स्नान करिये।
खगानां कृते जलं स्थापयन्तु।
= पक्षियों के लिये पानी रखिये।
वृक्षेभ्यः जलं ददतु।
= वृक्षों को जल दीजिये।
प्रकोष्ठे व्यजनं चालयन्तु।
= कमरे में पंखा चलाएँ।
हस्तौ पादौ वारंवारं प्रक्षालयन्तु।
= हाथ पैर बारबार धोईये।
जलं व्यर्थमेव मा प्रवाहयन्तु।
= पानी व्यर्थ में मत बहाईये।
#vakyabhyas
अधुना कोऽपि संवादं न करोति।
= आजकल कोई संवाद नहीं करता है।
सर्वे गृहे एव पिहिताः सन्ति।
= सभी घरों में बंद हैं।
प्रातः सप्तवादनतः द्वादशवादन पर्यन्तं सर्वे बहिः दृश्यन्ते।
= सुबह सात बजे से बारह बजे तक सभी बाहर दिखते हैं।
शाकं क्रेतुं , अन्नं क्रेतुं जनाः गृहात् बहिः निर्गच्छन्ति।
= सब्जी खरीदने , अनाज खरीदने के लिये लोग घर से बाहर निकलते हैं।
अन्यथा मार्गाः जनशून्याः दृश्यन्ते।
= अन्यथा मार्ग सुनसान दिखते हैं।
जनाः गृहे एव भोजनं कुर्वन्ति।
= लोग घर में ही भोजन कर रहे हैं।
अतएव तेषां स्वास्थ्यं सम्यक् अस्ति।
= इसलिये उनका स्वास्थ्य अच्छा है।
जनाः अधिकं तिक्तं न खादन्ति।
= लोग अधिक तीखा नहीं खा रहे हैं।
सर्वे परिवारजनाः एकसाकं भोजनं कुर्वन्ति।
= सभी परिवार जन एक साथ भोजन करते हैं।
"पतिः गृहकार्यं करोति" एषा सूचना सर्वतः आगच्छति।
= पति काम करता है यह सूचना सब जगह से आ रही है।
अनेके जनाः संस्कृतस्य अभ्यासम् अपि कुर्वन्ति।
= अनेक लोग संस्कृत का अभ्यास भी करते हैं।
संस्कृतवाक्याभ्यासः
अधुना ऊष्णता वर्धते।
= अब गर्मी बढ़ रही है।
कृपया जलम् अधिकं पिबतु।
= कृपया पानी अधिक पीजिये। (एकवचनम्)
कृपया जलम् अधिकं पिबन्तु
= कृपया पानी अधिक पीजिये। (बहुवचनम् )
फलानि अधिकानि खादन्तु।
= फल अधिक खाईये।
आतपे मा भ्रमन्तु।
= गर्मी में मत घूमिये।
शीतलेन जलेन स्नानं कुर्वन्तु।
= ठंडे पानी से स्नान करिये।
खगानां कृते जलं स्थापयन्तु।
= पक्षियों के लिये पानी रखिये।
वृक्षेभ्यः जलं ददतु।
= वृक्षों को जल दीजिये।
प्रकोष्ठे व्यजनं चालयन्तु।
= कमरे में पंखा चलाएँ।
हस्तौ पादौ वारंवारं प्रक्षालयन्तु।
= हाथ पैर बारबार धोईये।
जलं व्यर्थमेव मा प्रवाहयन्तु।
= पानी व्यर्थ में मत बहाईये।
#vakyabhyas
June 30, 2022
आदौ पाण्डवधार्तराष्ट्रजननं लाक्षागृहे दाहनं
द्यूतं श्रीहरणं वने विहरणं मत्स्यालये वर्तनम् ।
लीलागोग्रहणं रणे विहरणं सन्धिक्रियाजृम्भणं
पश्चाद्भीष्मसुयोधनादिनिधनं ह्येतन्महाभारतम् ॥
॥ एकश्लोकि महाभारतं सम्पूर्णम् ॥
June 30, 2022
Different stages of Photographs.
1) In Facebook
2) In Driving License
3) In Govt. ID card
4) In Aadhar Card
#hasya
1) In Facebook
2) In Driving License
3) In Govt. ID card
4) In Aadhar Card
#hasya
June 30, 2022
Forwarded from रामदूतः — The Sanskrit News Platform (डोकानियोपाख्यो मोहितः)
विदाङ्कुर्वन्तु
अत्रभवन्तो भवन्तः यत् ४८-वर्षेभ्यः प्राक् १९७४-तमे वर्षे जूनमासे ३०-तमे
दिने प्रातः ९-वादने आकाशवाण्याः दिल्लीकेन्द्रतः स्वर-माधुर्यमेकं
प्रसृतम् आसीत् – ‘इयम् आकाशवाणी, सम्प्रति वार्ताः श्रूयन्ताम्’ ... अथ च,
अनया सनातनघोषणया साकमेव आधुनिकसंस्कृतपत्रकारिताया आरम्भो जातः
बलदेवानन्दसागरः
बलदेवानन्दसागरः
June 30, 2022
@samskrt_samvadah संलापशाला - A Samskrit Voicechat room.
यदीच्छसि वशीकर्तुं, भाषणमेककर्मणा।
यायास्संलापशालां वै, भवति यत्र भाषणम्।।
⏳45 निमेषाः
🕚 IST 11:00 AM
🔰कालिदासदिनम्
🗓01th July 2022, शुक्रवासरः
🔴Voicechat would be recorded and shared on this channel.
📑यदि शक्येत चेत् संस्कृतेन (कालिदासस्य जीवनघटनां तस्य कृतिपरिचयं प्रसिद्धश्लोकविवरणं वा वक्तुं शक्नुमः) चर्चार्थं कृपया पूर्वसिद्धतां कृत्वा आगच्छन्तु।
वयं युष्माकं प्रतीक्षां कुर्मः। 😇
स्मारणतंत्रिकां स्थापयतु ⏰
👇🏼👇🏼👇🏼👇🏼👇🏼
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यदीच्छसि वशीकर्तुं, भाषणमेककर्मणा।
यायास्संलापशालां वै, भवति यत्र भाषणम्।।
⏳45 निमेषाः
🕚 IST 11:00 AM
🔰कालिदासदिनम्
🗓01th July 2022, शुक्रवासरः
🔴Voicechat would be recorded and shared on this channel.
📑यदि शक्येत चेत् संस्कृतेन (कालिदासस्य जीवनघटनां तस्य कृतिपरिचयं प्रसिद्धश्लोकविवरणं वा वक्तुं शक्नुमः) चर्चार्थं कृपया पूर्वसिद्धतां कृत्वा आगच्छन्तु।
वयं युष्माकं प्रतीक्षां कुर्मः। 😇
स्मारणतंत्रिकां स्थापयतु ⏰
👇🏼👇🏼👇🏼👇🏼👇🏼
https://t.me/samskrt_samvadah?voicechat
June 30, 2022
June 30, 2022
🍃
♦️yajante sattvika devanyaksaraksansi rajasah.
pretanbhutagananscanye yajante tamasa janah৷৷17.4৷৷
⚜The Sattvic or the pure men worship the gods; the Rajasic or the passionate worship the Yakshas and the Rakshasas; the others (the Tamasic or the deluded people) worship the ghosts and the hosts of the nature-spirits.(17.4)
⚜सात्त्विक पुरुष देवताओं को पूजते हैं और राजस लोग यक्ष और राक्षसों को तथा अन्य तामसी जन प्रेत और भूतगणों को पूजते हैं।।17.4।।
#geeta
यजन्ते सात्त्विका देवान्यक्षरक्षांसि राजसाः।
प्रेतान्भूतगणांश्चान्ये यजन्ते तामसा जनाः
।।17.4।।♦️yajante sattvika devanyaksaraksansi rajasah.
pretanbhutagananscanye yajante tamasa janah৷৷17.4৷৷
⚜The Sattvic or the pure men worship the gods; the Rajasic or the passionate worship the Yakshas and the Rakshasas; the others (the Tamasic or the deluded people) worship the ghosts and the hosts of the nature-spirits.(17.4)
⚜सात्त्विक पुरुष देवताओं को पूजते हैं और राजस लोग यक्ष और राक्षसों को तथा अन्य तामसी जन प्रेत और भूतगणों को पूजते हैं।।17.4।।
#geeta
June 30, 2022
June 30, 2022
🍃
♦️asastravihitan ghoran tapyante ye tapo janah.
dambhahankarasanyuktah kamaragabalanvitah৷৷17.5৷৷
⚜Those men who practise terrific austerities not enjoined by the scriptures, given to hypocrisy and egoism, impelled by the force of lust and attachment.(17.5)
⚜जो लोग शास्त्रविधि से रहित घोर तप करते हैं तथा दम्भ अहंकार काम और राग से भी युक्त होते हैं।।17.5।।
#geeta
अशास्त्रविहितं घोरं तप्यन्ते ये तपो जनाः।
दम्भाहङ्कारसंयुक्ताः कामरागबलान्विताः
।।17.5।।♦️asastravihitan ghoran tapyante ye tapo janah.
dambhahankarasanyuktah kamaragabalanvitah৷৷17.5৷৷
⚜Those men who practise terrific austerities not enjoined by the scriptures, given to hypocrisy and egoism, impelled by the force of lust and attachment.(17.5)
⚜जो लोग शास्त्रविधि से रहित घोर तप करते हैं तथा दम्भ अहंकार काम और राग से भी युक्त होते हैं।।17.5।।
#geeta
June 30, 2022
🚩जय सत्य सनातन🚩
🚩आज की हिंदी तिथि
🌥 🚩यगाब्द-५१२४
🌥 🚩विक्रम संवत-२०७९
⛅️ 🚩तिथि - द्वितीया दोपहर 01:09 तक तत्पश्चात तृतीया
⛅️दिनांक - 01 जुलाई 2022
⛅️दिन - शुक्रवार
⛅️शक संवत - 1944
⛅️अयन - उत्तरायन
⛅️ऋतु - वर्षा
⛅️मास - आषाढ़
⛅️पक्ष - शुक्ल
⛅️नक्षत्र - पुष्य 2 जुलाई प्रातः 03:56 तक तत्पश्चात अश्लेषा
⛅️योग - व्याघात सुबह 10:47 तक तत्पश्चात हर्षण
⛅️राहु काल - सुबह 11:02 से दोपहर 12:43 तक
⛅️सर्योदय - 05:58
⛅️सर्यास्त - 07:29
⛅️दिशा शूल - पश्चिम दिशा में
⛅️बरह्म मुहूर्त - प्रातः 04:34 से 05:16 तक
🚩आज की हिंदी तिथि
🌥 🚩यगाब्द-५१२४
🌥 🚩विक्रम संवत-२०७९
⛅️ 🚩तिथि - द्वितीया दोपहर 01:09 तक तत्पश्चात तृतीया
⛅️दिनांक - 01 जुलाई 2022
⛅️दिन - शुक्रवार
⛅️शक संवत - 1944
⛅️अयन - उत्तरायन
⛅️ऋतु - वर्षा
⛅️मास - आषाढ़
⛅️पक्ष - शुक्ल
⛅️नक्षत्र - पुष्य 2 जुलाई प्रातः 03:56 तक तत्पश्चात अश्लेषा
⛅️योग - व्याघात सुबह 10:47 तक तत्पश्चात हर्षण
⛅️राहु काल - सुबह 11:02 से दोपहर 12:43 तक
⛅️सर्योदय - 05:58
⛅️सर्यास्त - 07:29
⛅️दिशा शूल - पश्चिम दिशा में
⛅️बरह्म मुहूर्त - प्रातः 04:34 से 05:16 तक
June 30, 2022
अद्य संलापशाला पिहिता😞
Samlapshala is closed for today.🔒
संलापशाला आज बंद रहेगी।
Samlapshala is closed for today.🔒
संलापशाला आज बंद रहेगी।
June 30, 2022
Forwarded from रामदूतः — The Sanskrit News Platform (Bhavani Raman)
प्रतिदिनं प्रातः ७:१५ वादने १५ निमेषात्मिकायै वार्तायै डी डी न्यूज् इति पश्यत।
https://youtu.be/RTPpC3uz1pg
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वार्ता : संस्कृत भाषा में समाचार
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June 30, 2022
🔰चित्रं दृष्ट्वा पञ्चवाक्यानि रचयत।
✍🏼सर्वे टिप्पणीसञ्चिकायां स्वोत्तराणि लेखितुं शक्नुवन्ति अथवा पुस्तिकायां लिखित्वा तस्य चित्रं स्वीकृत्य अपि प्रेषयितुं शक्नुवन्ति।
🗣सहैव तानि वाक्यानि उक्त्वा ध्वनिमाध्यमेन अपि प्रेषयत।
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✍🏼सर्वे टिप्पणीसञ्चिकायां स्वोत्तराणि लेखितुं शक्नुवन्ति अथवा पुस्तिकायां लिखित्वा तस्य चित्रं स्वीकृत्य अपि प्रेषयितुं शक्नुवन्ति।
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#chitram
June 30, 2022
https://chat.whatsapp.com/E6P99IwuI4tA8QCG6dxHat
मित्रो! सूचनार्थ—
पूर्णतः100%निःशुल्क।
आज 01—07—2022 शुक्रवार से 15 से 60 वर्ष के पाठकों के लिए जीरो लेवल से शुद्ध संस्कृत लेखन और संभाषण सीखने के लिए एक ऑनलाइन कक्षा आरम्भ हो रही है। इच्छुक महानुभाव इस समूह को जाॅइन कीजिए। कक्षा की वीडियो का लिंक प्रत्येक सोमवार, मंगलवार, बृहस्पतिवार और शुक्रवार सायंकाल 6:45 पर इस ह्वाट्सप समूह में भेजा जाएगी। लिंक पर क्लिक कर आप सभी पाठक अपने समय की अनुकूलतानुसार कभी भी पढ़ सकेंगे।
WhatsApp No 95821 04261
मित्रो! सूचनार्थ—
पूर्णतः100%निःशुल्क।
आज 01—07—2022 शुक्रवार से 15 से 60 वर्ष के पाठकों के लिए जीरो लेवल से शुद्ध संस्कृत लेखन और संभाषण सीखने के लिए एक ऑनलाइन कक्षा आरम्भ हो रही है। इच्छुक महानुभाव इस समूह को जाॅइन कीजिए। कक्षा की वीडियो का लिंक प्रत्येक सोमवार, मंगलवार, बृहस्पतिवार और शुक्रवार सायंकाल 6:45 पर इस ह्वाट्सप समूह में भेजा जाएगी। लिंक पर क्लिक कर आप सभी पाठक अपने समय की अनुकूलतानुसार कभी भी पढ़ सकेंगे।
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प्रारम्भिकसंस्कृतम्—1
WhatsApp Group Invite
June 30, 2022
🍃
🔅यः सर्वदा पठति, लिखति, पश्यति, पण्डितानां सेवनं च करोति तस्य
बुद्धिः सूर्यकिरणैः नलिनीपुष्पं यथा विकसति तथा विकसति ।।
#Subhashitam
यः पठति लिखति पश्यति परिपृच्छति पण्डितानुपाश्रयति ।
तस्य दिवाकरकिरणैर्नलिनीदलमिव विकास्यते बुद्धिः
।। 🔅यः सर्वदा पठति, लिखति, पश्यति, पण्डितानां सेवनं च करोति तस्य
बुद्धिः सूर्यकिरणैः नलिनीपुष्पं यथा विकसति तथा विकसति ।।
#Subhashitam
June 30, 2022
July 1, 2022
संस्कृतवाक्याभ्यासः
ईश्वरः सर्वत्र अस्ति।
= ईश्वर सर्वत्र है।
सर्वे मन्यन्ते खलु ?
= सभी मानते हैं न ?
परमेश्वरं कोsपि न दृष्टवान् तथापि सर्वेषाम् परमेश्वरे विश्वासः अस्ति एव।
= परमेश्वर को किसी ने नहीं देखा फिर भी सबको परमेश्वर पर विश्वास है।
केवलं नास्तिकाः जनाः न मन्यन्ते।
= केवल नास्तिक लोग नहीं मानते हैं।
नास्तिकाः जनाः परमेश्वरस्य अस्तित्वम् अपि न मन्यन्ते।
= नास्तिक लोग परमेश्वर का अस्तित्व भी नहीं मानते हैं।
ते वदन्ति "ईश्वरः न दृश्यते अतएव वयं न मन्यामहे।"
= वे बोलते हैं "ईश्वर नहीं दिखता है अतः हम नहीं मानते हैं।"
कोरोना विषाणुः अपि न दृश्यते।
= कोरोना विषाणु भी नहीं दिखता है।
तथापि नास्तिकाः जनाः कोरोनाविषाणोः अस्तित्वं मन्यन्ते।
= फिर भी नास्तिक लोग कोरोना विषाणु के अस्तित्व को मानते हैं।
ईश्वरः सर्वेषां रक्षां करोति।
= ईश्वर सबकी रक्षा करता है।
कोरोना तु सर्वान् हन्ति।
= कोरोना तो सबको मारता है।
संस्कृतवाक्याभ्यासः
मम गृहस्य पार्श्वे निम्बस्य वृक्षः अस्ति।
= मेरे घर के पास नीम का पेड़ है।
भवतः / भवत्याः गृहस्य पार्श्वे निम्बस्य वृक्षः अस्ति वा ?
= आपके घर के पास नीम का पेड़ है क्या ?
उत्तरं लिखन्तु।
= उत्तर लिखिये।
मम गृहे कोsपि रुग्णः नास्ति।
= मेरे घर कोई बीमार नहीं है।
भवतः / भवत्याः गृहे कोsपि रुग्णः अस्ति वा ?
= आपके घर कोई बीमार है क्या ?
नास्ति चेत् लिखन्तु "नास्ति"
= नहीं है तो लिखिये "नहीं है"
अस्ति चेत् लिखन्तु "अस्ति"
= है तो लिखिये " है"
मम गृहे एकः विद्यार्थी अस्ति।
= मेरे घर एक विद्यार्थी है।
भवतः / भवत्याः गृहे कोsपि विद्यार्थी अस्ति वा ?
= आपके घर कोई विद्यार्थी है क्या ?
अस्ति .... उत्तमम्।
= है .... बढ़िया ।
सः छात्रावासे तु नास्ति ?
= वह छात्रावास में तो नहीं है ?
न .. न ... सः गृहे अस्ति।
= नहीं ... वह घर में है।
#vakyabhyas
ईश्वरः सर्वत्र अस्ति।
= ईश्वर सर्वत्र है।
सर्वे मन्यन्ते खलु ?
= सभी मानते हैं न ?
परमेश्वरं कोsपि न दृष्टवान् तथापि सर्वेषाम् परमेश्वरे विश्वासः अस्ति एव।
= परमेश्वर को किसी ने नहीं देखा फिर भी सबको परमेश्वर पर विश्वास है।
केवलं नास्तिकाः जनाः न मन्यन्ते।
= केवल नास्तिक लोग नहीं मानते हैं।
नास्तिकाः जनाः परमेश्वरस्य अस्तित्वम् अपि न मन्यन्ते।
= नास्तिक लोग परमेश्वर का अस्तित्व भी नहीं मानते हैं।
ते वदन्ति "ईश्वरः न दृश्यते अतएव वयं न मन्यामहे।"
= वे बोलते हैं "ईश्वर नहीं दिखता है अतः हम नहीं मानते हैं।"
कोरोना विषाणुः अपि न दृश्यते।
= कोरोना विषाणु भी नहीं दिखता है।
तथापि नास्तिकाः जनाः कोरोनाविषाणोः अस्तित्वं मन्यन्ते।
= फिर भी नास्तिक लोग कोरोना विषाणु के अस्तित्व को मानते हैं।
ईश्वरः सर्वेषां रक्षां करोति।
= ईश्वर सबकी रक्षा करता है।
कोरोना तु सर्वान् हन्ति।
= कोरोना तो सबको मारता है।
संस्कृतवाक्याभ्यासः
मम गृहस्य पार्श्वे निम्बस्य वृक्षः अस्ति।
= मेरे घर के पास नीम का पेड़ है।
भवतः / भवत्याः गृहस्य पार्श्वे निम्बस्य वृक्षः अस्ति वा ?
= आपके घर के पास नीम का पेड़ है क्या ?
उत्तरं लिखन्तु।
= उत्तर लिखिये।
मम गृहे कोsपि रुग्णः नास्ति।
= मेरे घर कोई बीमार नहीं है।
भवतः / भवत्याः गृहे कोsपि रुग्णः अस्ति वा ?
= आपके घर कोई बीमार है क्या ?
नास्ति चेत् लिखन्तु "नास्ति"
= नहीं है तो लिखिये "नहीं है"
अस्ति चेत् लिखन्तु "अस्ति"
= है तो लिखिये " है"
मम गृहे एकः विद्यार्थी अस्ति।
= मेरे घर एक विद्यार्थी है।
भवतः / भवत्याः गृहे कोsपि विद्यार्थी अस्ति वा ?
= आपके घर कोई विद्यार्थी है क्या ?
अस्ति .... उत्तमम्।
= है .... बढ़िया ।
सः छात्रावासे तु नास्ति ?
= वह छात्रावास में तो नहीं है ?
न .. न ... सः गृहे अस्ति।
= नहीं ... वह घर में है।
#vakyabhyas
July 1, 2022
नमस्कार,
यदि आप संस्कृत सीखने के इच्छुक हैं तो कृपया इस वाट्सैप समूह से जुड़ें।
यहां शिक्षिका श्रीमती उषाराणी सङ्का नियमित रूप से प्रत्येक छात्र पर विशेष ध्यान देकर बिल्कुल निश्शुलक और निः स्वार्थ पढ़ाती हैं।
कृपया उनकी तपस्या को अपना अनमोल समय प्रदान कर आत्महित करें।
https://chat.whatsapp.com/KEo3WQ2NvrsH3Cw82fGW11
कक्षाओं की जानकारी ---
सुरवाणीविलासः
देववाणीविलासः
निलिम्पवाणीविलासः
पूर्व कक्षाओं की प्रति यहां उपलब्ध हैं।
https://youtube.com/c/SvarvaniPrakashaTheLightofSamskrtam
यदि आप संस्कृत सीखने के इच्छुक हैं तो कृपया इस वाट्सैप समूह से जुड़ें।
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कृपया उनकी तपस्या को अपना अनमोल समय प्रदान कर आत्महित करें।
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July 1, 2022
संस्कृत संवादः । Sanskrit Samvadah pinned «नमस्कार,
यदि आप संस्कृत सीखने के इच्छुक हैं तो कृपया इस वाट्सैप समूह से जुड़ें।
यहां शिक्षिका श्रीमती उषाराणी सङ्का नियमित रूप से प्रत्येक छात्र पर
विशेष ध्यान देकर बिल्कुल निश्शुलक और निः स्वार्थ पढ़ाती हैं। कृपया उनकी
तपस्या को अपना अनमोल समय प्रदान कर…»
July 1, 2022
Teacher - It will rain heavily on the last day of the world.There will be strong thunder and earthquakes too.
Student :- Sir....Will it be a holiday for the school ?
#hasya
Student :- Sir....Will it be a holiday for the school ?
#hasya
July 1, 2022
July 1, 2022
🍃
♦️karsayantah sarirasthan bhutagramamacetasah.
man caivantahsarirasthan tanviddhyasuraniscayan৷৷17.6৷৷
⚜Senseless, torturing all the elements in the body and Me also, Who dwell in the body, know thou these to be of demonical resolves.(17.6)
⚜और शरीरस्थ भूतसमुदाय को तथा मुझ अन्तर्यामी को भी कृश करने वाले अर्थात् कष्ट पहुँचाने वाले जो अविवेकी लोग हैं उन्हें तुम आसुरी निश्चय वाले जानो।।17.6।।
#geeta
कर्षयन्तः शरीरस्थं भूतग्राममचेतसः।
मां चैवान्तःशरीरस्थं तान्विद्ध्यासुरनिश्चयान्
।।17.6।।♦️karsayantah sarirasthan bhutagramamacetasah.
man caivantahsarirasthan tanviddhyasuraniscayan৷৷17.6৷৷
⚜Senseless, torturing all the elements in the body and Me also, Who dwell in the body, know thou these to be of demonical resolves.(17.6)
⚜और शरीरस्थ भूतसमुदाय को तथा मुझ अन्तर्यामी को भी कृश करने वाले अर्थात् कष्ट पहुँचाने वाले जो अविवेकी लोग हैं उन्हें तुम आसुरी निश्चय वाले जानो।।17.6।।
#geeta
July 1, 2022
July 1, 2022
🍃
♦️aharastvapi sarvasya trividho bhavati priyah.
yajnastapastatha danan tesan bhedamiman srrnu৷৷17.7৷৷
⚜The food also which is dear to each is threefold, as also sacrifice, austerity and almsgiving. Hear thou the distinction of these.(17.7)
⚜(अपनीअपनी प्रकृति के अनुसार) सब का प्रिय भोजन भी तीन प्रकार का होता है उसी प्रकार यज्ञ तप और दान भी तीन प्रकार के होते हैं उनके भेद को तुम मुझसे सुनो।।17.7।।
#geeta
आहारस्त्वपि सर्वस्य त्रिविधो भवति प्रियः।
यज्ञस्तपस्तथा दानं तेषां भेदमिमं श्रृणु
।।17.7।।♦️aharastvapi sarvasya trividho bhavati priyah.
yajnastapastatha danan tesan bhedamiman srrnu৷৷17.7৷৷
⚜The food also which is dear to each is threefold, as also sacrifice, austerity and almsgiving. Hear thou the distinction of these.(17.7)
⚜(अपनीअपनी प्रकृति के अनुसार) सब का प्रिय भोजन भी तीन प्रकार का होता है उसी प्रकार यज्ञ तप और दान भी तीन प्रकार के होते हैं उनके भेद को तुम मुझसे सुनो।।17.7।।
#geeta
July 1, 2022
🚩जय सत्य सनातन🚩
🚩आज की हिंदी तिथि
🌥️ 🚩युगाब्द-५१२४
🌥️ 🚩विक्रम संवत-२०७९
⛅ 🚩तिथि - तृतीया अपरान्ह 03:16 तक तत्पश्चात चतुर्थी
⛅दिनांक - 02 जुलाई 2022
⛅दिन - शनिवार
⛅शक संवत - 1944
⛅अयन - दक्षिणायन
⛅ऋतु - वर्षा
⛅मास - आषाढ़
⛅पक्ष - शुक्ल
⛅नक्षत्र - अश्लेषा पूर्ण रात्रि तक
⛅योग - हर्षण सुबह 11:33 तक तत्पश्चात वज्र
⛅राहु काल - सुबह 09:21 से 11:02 तक
⛅सूर्योदय - 05:58
⛅सूर्यास्त - 07:29
⛅दिशा शूल - पूर्व दिशा में
⛅ब्रह्म मुहूर्त - प्रातः 04:34 से 05:16 तक
🚩आज की हिंदी तिथि
🌥️ 🚩युगाब्द-५१२४
🌥️ 🚩विक्रम संवत-२०७९
⛅ 🚩तिथि - तृतीया अपरान्ह 03:16 तक तत्पश्चात चतुर्थी
⛅दिनांक - 02 जुलाई 2022
⛅दिन - शनिवार
⛅शक संवत - 1944
⛅अयन - दक्षिणायन
⛅ऋतु - वर्षा
⛅मास - आषाढ़
⛅पक्ष - शुक्ल
⛅नक्षत्र - अश्लेषा पूर्ण रात्रि तक
⛅योग - हर्षण सुबह 11:33 तक तत्पश्चात वज्र
⛅राहु काल - सुबह 09:21 से 11:02 तक
⛅सूर्योदय - 05:58
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⛅दिशा शूल - पूर्व दिशा में
⛅ब्रह्म मुहूर्त - प्रातः 04:34 से 05:16 तक
July 1, 2022
Forwarded from रामदूतः — The Sanskrit News Platform (Bhavani Raman)
प्रतिदिनं प्रातः ७:१५ वादने १५ निमेषात्मिकायै वार्तायै डी डी न्यूज् इति पश्यत।
https://youtu.be/XTwGc2CQKLQ
https://youtu.be/XTwGc2CQKLQ
YouTube
वार्ता : संस्कृत भाषा में समाचार
DD News 24x7 | Breaking News and other Live updates | News in Hindi | Latest News
DD News is India’s 24x7 news channel from the stable of the country’s Public Service Broadcaster, Prasar Bharati. It has the distinction of being India’s only terrestrial…
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July 1, 2022
🔰चित्रं दृष्ट्वा पञ्चवाक्यानि रचयत।
✍🏼सर्वे टिप्पणीसञ्चिकायां स्वोत्तराणि लेखितुं शक्नुवन्ति अथवा पुस्तिकायां लिखित्वा तस्य चित्रं स्वीकृत्य अपि प्रेषयितुं शक्नुवन्ति।
🗣सहैव तानि वाक्यानि उक्त्वा ध्वनिमाध्यमेन अपि प्रेषयत।
Read in English
हिन्दी में पढें
#chitram
✍🏼सर्वे टिप्पणीसञ्चिकायां स्वोत्तराणि लेखितुं शक्नुवन्ति अथवा पुस्तिकायां लिखित्वा तस्य चित्रं स्वीकृत्य अपि प्रेषयितुं शक्नुवन्ति।
🗣सहैव तानि वाक्यानि उक्त्वा ध्वनिमाध्यमेन अपि प्रेषयत।
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#chitram
July 1, 2022
July 1, 2022
@samskrt_samvadah संलापशाला - A Samskrit Voicechat room.
यदीच्छसि वशीकर्तुं, भाषणमेककर्मणा।
यायास्संलापशालां वै, भवति यत्र भाषणम्।।
⏳45 निमेषाः
🕚 IST 11:00 AM
🔰जल्पनम्
🗓02th July 2022, शनिवासरः
🔴Voicechat would be recorded and shared on this channel.
📑यदि शक्येत चेत् संस्कृतेन (कालिदासस्य जीवनघटनां तस्य कृतिपरिचयं प्रसिद्धश्लोकविवरणं वा वक्तुं शक्नुमः) चर्चार्थं कृपया पूर्वसिद्धतां कृत्वा आगच्छन्तु।
वयं युष्माकं प्रतीक्षां कुर्मः। 😇
स्मारणतंत्रिकां स्थापयतु ⏰
👇🏼👇🏼👇🏼👇🏼👇🏼
https://t.me/samskrt_samvadah?voicechat
यदीच्छसि वशीकर्तुं, भाषणमेककर्मणा।
यायास्संलापशालां वै, भवति यत्र भाषणम्।।
⏳45 निमेषाः
🕚 IST 11:00 AM
🔰जल्पनम्
🗓02th July 2022, शनिवासरः
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📑यदि शक्येत चेत् संस्कृतेन (कालिदासस्य जीवनघटनां तस्य कृतिपरिचयं प्रसिद्धश्लोकविवरणं वा वक्तुं शक्नुमः) चर्चार्थं कृपया पूर्वसिद्धतां कृत्वा आगच्छन्तु।
वयं युष्माकं प्रतीक्षां कुर्मः। 😇
स्मारणतंत्रिकां स्थापयतु ⏰
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July 1, 2022
🍃
🔅यः जनः परपत्नीं मातरम् इव पश्यति, अन्येषां धनं लोष्टमिव तुच्छं मन्यते, सर्वानपि जीवान् आत्मवत् पश्यति, सः एव पण्डितः ।
#Subhashitam
मातृवत् परदारेषु परद्रव्येषु लोष्टवत् ।
आत्मवत् सर्वभूतेषु यः पश्यति स पण्डितः
।। 🔅यः जनः परपत्नीं मातरम् इव पश्यति, अन्येषां धनं लोष्टमिव तुच्छं मन्यते, सर्वानपि जीवान् आत्मवत् पश्यति, सः एव पण्डितः ।
#Subhashitam
July 1, 2022
July 1, 2022
July 1, 2022
July 2, 2022
पर्यटकाः ____ व्याघ्रान् पश्यन्ति।
Anonymous Quiz
28%
त्रयः
6%
त्रिन्
28%
त्रीन्
21%
त्रीणि
17%
त्रयान्
July 2, 2022
संस्कृतवाक्याभ्यासः
ललितः - अद्य रविवासरः अस्ति।
= आज रविवार है।
ललिता - न अद्य रविवासरः नास्ति।
= आज रविवार नहीं है।
- अद्य शनिवासरः अस्ति।
= आज शनिवार है।
ललितः - तर्हि किमर्थं रविवासर-सदृशं भासते ?
= तो फिर क्यों रविवार जैसा लग रहा है ?
ललिता - भवान् गृहे एव वसति अतः वासरम् अपि न स्मरति।
= आप घर में ही रहते हैं अतः वार भी याद नहीं रखते हैं।
ललितः - ओह ... सत्यम् ... अहं प्रतिदिनं रविवासरमेव मन्ये।
= ओह ... सच्ची .... मैं हर दिन को रविवार ही मान रहा हूँ।
ललिता - प्रतिदिनं केवलं नूतनानि व्यंञ्जनानि एव स्मरति।
= प्रतिदिन केवल नए व्यंजन ही याद करते हैं।
ललितः - नैव ... अहं तु अधुना आपणस्य अल्पाहारं विस्मृतवान् अस्मि।
= नहीं ... मैं तो अब बाजार का नाश्ता भूल गया हूँ।
- त्वं बहु स्वादिष्ठं भोजनं पचसि।
= तुम बहुत स्वादिष्ट भोजन बनाती हो।
- अहम् अधुना बहिः न खादिष्यामि।
= मैं अब बाहर नहीं खाऊँगा।
संस्कृतवाक्याभ्यासः
मृत्तिकापात्रे जलं पूरितवान्।
= मिट्टी के बर्तन में पानी भरा।
अहं ततः दूरं गतवान्।
= मैं वहाँ से दूर चला गया।
परिवर्त्य अहं पृष्ठे दृष्टवान्।
= मुड़कर मैंने पीछे देखा।
मृत्तिकापात्रे तिस्रः चटकाः आगतवत्यः।
= मिट्टी के बर्तन पर तीन चिड़िया आईं थीं।
ताः चटकाः जलं पिबन्ति स्म।
= वो चिड़ियाएँ जल पी रही थीं।
प्रतिदिनं चटकाः आगच्छन्ति।
= प्रतिदिन चिड़िया आती हैं।
अहं चटकाः न पश्यामि।
= मैं चिड़ियों को नहीं देखता हूँ।
एका चटका उड्डयते।
= एक चिड़िया उड़ती है।
द्वितीया चटका जलं पिबति।
= दूसरी चिड़िया पानी पी रही है।
एका चटका वृक्षस्य शाखायाम् उपविशति।
= एक चिड़िया पेड़ की डाली पर बैठी है।
सर्वाः चटकाः मधुरं रवं कुर्वन्ति।
= सभी चिड़ियाँ मीठी ध्वनि कर रही हैं।
#vakyabhyas
ललितः - अद्य रविवासरः अस्ति।
= आज रविवार है।
ललिता - न अद्य रविवासरः नास्ति।
= आज रविवार नहीं है।
- अद्य शनिवासरः अस्ति।
= आज शनिवार है।
ललितः - तर्हि किमर्थं रविवासर-सदृशं भासते ?
= तो फिर क्यों रविवार जैसा लग रहा है ?
ललिता - भवान् गृहे एव वसति अतः वासरम् अपि न स्मरति।
= आप घर में ही रहते हैं अतः वार भी याद नहीं रखते हैं।
ललितः - ओह ... सत्यम् ... अहं प्रतिदिनं रविवासरमेव मन्ये।
= ओह ... सच्ची .... मैं हर दिन को रविवार ही मान रहा हूँ।
ललिता - प्रतिदिनं केवलं नूतनानि व्यंञ्जनानि एव स्मरति।
= प्रतिदिन केवल नए व्यंजन ही याद करते हैं।
ललितः - नैव ... अहं तु अधुना आपणस्य अल्पाहारं विस्मृतवान् अस्मि।
= नहीं ... मैं तो अब बाजार का नाश्ता भूल गया हूँ।
- त्वं बहु स्वादिष्ठं भोजनं पचसि।
= तुम बहुत स्वादिष्ट भोजन बनाती हो।
- अहम् अधुना बहिः न खादिष्यामि।
= मैं अब बाहर नहीं खाऊँगा।
संस्कृतवाक्याभ्यासः
मृत्तिकापात्रे जलं पूरितवान्।
= मिट्टी के बर्तन में पानी भरा।
अहं ततः दूरं गतवान्।
= मैं वहाँ से दूर चला गया।
परिवर्त्य अहं पृष्ठे दृष्टवान्।
= मुड़कर मैंने पीछे देखा।
मृत्तिकापात्रे तिस्रः चटकाः आगतवत्यः।
= मिट्टी के बर्तन पर तीन चिड़िया आईं थीं।
ताः चटकाः जलं पिबन्ति स्म।
= वो चिड़ियाएँ जल पी रही थीं।
प्रतिदिनं चटकाः आगच्छन्ति।
= प्रतिदिन चिड़िया आती हैं।
अहं चटकाः न पश्यामि।
= मैं चिड़ियों को नहीं देखता हूँ।
एका चटका उड्डयते।
= एक चिड़िया उड़ती है।
द्वितीया चटका जलं पिबति।
= दूसरी चिड़िया पानी पी रही है।
एका चटका वृक्षस्य शाखायाम् उपविशति।
= एक चिड़िया पेड़ की डाली पर बैठी है।
सर्वाः चटकाः मधुरं रवं कुर्वन्ति।
= सभी चिड़ियाँ मीठी ध्वनि कर रही हैं।
#vakyabhyas
July 2, 2022
Teacher - What is the difference between truth and belief ?
Student - 'You don't know how to teach' that is truth. But we do not know this, that is your belief.
#hasya
Student - 'You don't know how to teach' that is truth. But we do not know this, that is your belief.
#hasya
July 2, 2022
@samskrt_samvadah संलापशाला - A Samskrit Voicechat room.
यदीच्छसि वशीकर्तुं, भाषणमेककर्मणा।
यायास्संलापशालां वै, भवति यत्र भाषणम्।।
⏳45 निमेषाः
🕚 IST 11:00 AM
🔰 श्रीगणेशः
🗓 03th July 2022, रविवासरः
🔴Voicechat would be recorded and shared on this channel.
📑यदि शक्येत चेत् संस्कृतेन श्रीगणेशस्य जीवनस्य चर्चार्थं कृपया पूर्वसिद्धतां कृत्वा आगच्छन्तु।
वयं युष्माकं प्रतीक्षां कुर्मः। 😇
स्मारणतंत्रिकां स्थापयतु ⏰
👇🏼👇🏼👇🏼👇🏼👇🏼
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यदीच्छसि वशीकर्तुं, भाषणमेककर्मणा।
यायास्संलापशालां वै, भवति यत्र भाषणम्।।
⏳45 निमेषाः
🕚 IST 11:00 AM
🔰 श्रीगणेशः
🗓 03th July 2022, रविवासरः
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📑यदि शक्येत चेत् संस्कृतेन श्रीगणेशस्य जीवनस्य चर्चार्थं कृपया पूर्वसिद्धतां कृत्वा आगच्छन्तु।
वयं युष्माकं प्रतीक्षां कुर्मः। 😇
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July 2, 2022
July 2, 2022
July 2, 2022
July 2, 2022
🍃
♦️Ayuhsattvabalarogyasukhapritivivardhanah.
rasyah snigdhah sthira hrdya aharah sattvikapriyah৷৷17.8৷৷
⚜The foods which increase life, purity, strength, health, joy and cheerfulness (good appetite), which are savoury and oleaginous, substantial and agreeable, are dear to the Sattvic (pure) people.(17.8)
⚜आयु सत्त्व (शुद्धि) बल आरोग्य सुख और प्रीति को प्रवृद्ध करने वाले एवं रसयुक्त स्निग्ध ( घी आदि की चिकनाई से युक्त) स्थिर तथा मन को प्रसन्न करने वाले आहार अर्थात् भोज्य पदार्थ सात्त्विक पुरुषों को प्रिय होते हैं।।17.8।।
#geeta
आयुःसत्त्वबलारोग्यसुखप्रीतिविवर्धनाः।
रस्याः स्निग्धाः स्थिरा हृद्या आहाराः सात्त्विकप्रियाः
।।17.8।।♦️Ayuhsattvabalarogyasukhapritivivardhanah.
rasyah snigdhah sthira hrdya aharah sattvikapriyah৷৷17.8৷৷
⚜The foods which increase life, purity, strength, health, joy and cheerfulness (good appetite), which are savoury and oleaginous, substantial and agreeable, are dear to the Sattvic (pure) people.(17.8)
⚜आयु सत्त्व (शुद्धि) बल आरोग्य सुख और प्रीति को प्रवृद्ध करने वाले एवं रसयुक्त स्निग्ध ( घी आदि की चिकनाई से युक्त) स्थिर तथा मन को प्रसन्न करने वाले आहार अर्थात् भोज्य पदार्थ सात्त्विक पुरुषों को प्रिय होते हैं।।17.8।।
#geeta
July 2, 2022
July 2, 2022
🍃
♦️katvamlalavanatyusnatiksnaruksavidahinah.
Ahara rajasasyesta duhkhasokamayapradah৷৷17.9৷৷
⚜The foods that are bitter, sour, saline, excessively hot, pungent, dry and burning, are liked by the Rajasic and are productive of pain, grief and disease.(17.9)
⚜कड़वे खट्टे लवणयुक्त अति उष्ण तीक्ष्ण (तीखे मिर्च युक्त) रूखे. दाहकारक दुख शोक और रोग उत्पन्न कारक भोज्य पदार्थ राजस पुरुष को प्रिय होते हैं।।17.9।।
#geeta
कट्वम्ललवणात्युष्णतीक्ष्णरूक्षविदाहिनः।
आहारा राजसस्येष्टा दुःखशोकामयप्रदाः
।।17.9।।♦️katvamlalavanatyusnatiksnaruksavidahinah.
Ahara rajasasyesta duhkhasokamayapradah৷৷17.9৷৷
⚜The foods that are bitter, sour, saline, excessively hot, pungent, dry and burning, are liked by the Rajasic and are productive of pain, grief and disease.(17.9)
⚜कड़वे खट्टे लवणयुक्त अति उष्ण तीक्ष्ण (तीखे मिर्च युक्त) रूखे. दाहकारक दुख शोक और रोग उत्पन्न कारक भोज्य पदार्थ राजस पुरुष को प्रिय होते हैं।।17.9।।
#geeta
July 2, 2022
🚩जय सत्य सनातन 🚩
🚩आज की हिंदी तिथि
🌥 🚩यगाब्द - ५१२४
🌥 🚩विक्रम संवत - २०७९
⛅️ 🚩तिथि - चतुर्थी शाम 05:06 तक तत्पश्चात पंचमी
⛅️ दिनांक - 03 जुलाई 2022
⛅️ दिन - रविवार
⛅️ शक संवत - 1944
⛅️ अयन - दक्षिणायन
⛅️ ऋतु - वर्षा
⛅️ मास - आषाढ़
⛅️ पक्ष - शुक्ल
⛅️ नक्षत्र - अश्लेषा सुबह 06:30 तक तत्पश्चात मघा
⛅️ योग - वज्र दोपहर 12:07 तक तत्पश्चात सिद्धि
⛅️ राहु काल - शाम 05:48 से 07:29 तक
⛅️ सर्योदय - 05:58
⛅️ सर्यास्त - 07:29
⛅️ दिशा शूल - पश्चिम दिशा में
⛅️ बरह्म मुहूर्त - प्रातः 04:34 से 05:16 तक
🚩आज की हिंदी तिथि
🌥 🚩यगाब्द - ५१२४
🌥 🚩विक्रम संवत - २०७९
⛅️ 🚩तिथि - चतुर्थी शाम 05:06 तक तत्पश्चात पंचमी
⛅️ दिनांक - 03 जुलाई 2022
⛅️ दिन - रविवार
⛅️ शक संवत - 1944
⛅️ अयन - दक्षिणायन
⛅️ ऋतु - वर्षा
⛅️ मास - आषाढ़
⛅️ पक्ष - शुक्ल
⛅️ नक्षत्र - अश्लेषा सुबह 06:30 तक तत्पश्चात मघा
⛅️ योग - वज्र दोपहर 12:07 तक तत्पश्चात सिद्धि
⛅️ राहु काल - शाम 05:48 से 07:29 तक
⛅️ सर्योदय - 05:58
⛅️ सर्यास्त - 07:29
⛅️ दिशा शूल - पश्चिम दिशा में
⛅️ बरह्म मुहूर्त - प्रातः 04:34 से 05:16 तक
July 2, 2022
Forwarded from रामदूतः — The Sanskrit News Platform (Bhavani Raman)
प्रतिदिनं प्रातः ७:१५ वादने १५ निमेषात्मिकायै वार्तायै डी डी न्यूज् इति पश्यत।
https://youtu.be/kyXAr8VQq_s
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वार्ता: संस्कृत में समाचार | हैदराबाद में भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक का दूसरा दिन आज
July 2, 2022
@samskrt_samvadah संलापशाला - A Samskrit Voicechat room.
यदीच्छसि वशीकर्तुं, भाषणमेककर्मणा।
यायास्संलापशालां वै, भवति यत्र भाषणम्।।
⏳45 निमेषाः
🕚 IST 11:00 AM
🔰 श्रीगणेशः
🗓 03th July 2022, रविवासरः
🔴Voicechat would be recorded and shared on this channel.
📑यदि शक्येत चेत् संस्कृतेन श्रीगणेशस्य जीवनस्य चर्चार्थं कृपया पूर्वसिद्धतां कृत्वा आगच्छन्तु।
वयं युष्माकं प्रतीक्षां कुर्मः। 😇
स्मारणतंत्रिकां स्थापयतु ⏰
👇🏼👇🏼👇🏼👇🏼👇🏼
https://t.me/samskrt_samvadah?voicechat
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July 2, 2022
July 2, 2022
July 2, 2022
🔰चित्रं दृष्ट्वा पञ्चवाक्यानि रचयत।
✍🏼सर्वे टिप्पणीसञ्चिकायां स्वोत्तराणि लेखितुं शक्नुवन्ति अथवा पुस्तिकायां लिखित्वा तस्य चित्रं स्वीकृत्य अपि प्रेषयितुं शक्नुवन्ति।
🗣सहैव तानि वाक्यानि उक्त्वा ध्वनिमाध्यमेन अपि प्रेषयत।
Read in English
हिन्दी में पढें
#chitram
✍🏼सर्वे टिप्पणीसञ्चिकायां स्वोत्तराणि लेखितुं शक्नुवन्ति अथवा पुस्तिकायां लिखित्वा तस्य चित्रं स्वीकृत्य अपि प्रेषयितुं शक्नुवन्ति।
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#chitram
July 2, 2022
July 2, 2022
Indira Gandhi National Open University (IGNOU)
https://ignouadmission.samarth.edu.in/index.php/site/programme-detail?id=db6fd120fb254ef14deb4b234922d7c8693a5124c670000aa892998cd095dd5f1649
Certificate in (Communicative Sanskrit) Saral Sanskrit Bodh (CSSB)
Distance Learning /Correspondence Course
http://www.ignou.ac.in/ignou/aboutignou/school/soh/programmes/detail/726/2
Course Details Click here
Minimum Duration: 6 Months
Maximum Duration: 2 Years
Course Fee: Rs. 1500 +Rs.300
Minimum Age: No bar
Maximum Age: No bar
CourseCode Course Name
SSB-001 PrathamBodhah
SSB-002 Dwitiya Bodhah
SSB-004 Bhasha Prayogik Parikshan
SSB-003 Sambhashanam
To Enrol Click here
#SanskritEducation
https://ignouadmission.samarth.edu.in/index.php/site/programme-detail?id=db6fd120fb254ef14deb4b234922d7c8693a5124c670000aa892998cd095dd5f1649
Certificate in (Communicative Sanskrit) Saral Sanskrit Bodh (CSSB)
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SSB-001 PrathamBodhah
SSB-002 Dwitiya Bodhah
SSB-004 Bhasha Prayogik Parikshan
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#SanskritEducation
July 2, 2022
🍃
🔅शतजनेषु एकः शूरः भवेत् । सहस्रजनेषु एकः पण्डितः भवेत् । दशसहस्रजनेषु एकः उत्तमः
वक्ता भवेत् । किन्तु तावत्सु अपि जनेषु दानशीलः जनः एकः भवेत्, न भवेत् वा।
#Subhashitam
शतेषु जायते शूरः सहस्रेषु च पण्डितः ।
वक्ता दशसहस्रेषु दाता भवति वा न वा
।। 🔅शतजनेषु एकः शूरः भवेत् । सहस्रजनेषु एकः पण्डितः भवेत् । दशसहस्रजनेषु एकः उत्तमः
वक्ता भवेत् । किन्तु तावत्सु अपि जनेषु दानशीलः जनः एकः भवेत्, न भवेत् वा।
#Subhashitam
July 2, 2022
July 2, 2022
July 3, 2022
July 3, 2022
संस्कृतवाक्याभ्यासः
माता - वत्स ! मम करवस्त्रं पतितम् ।
= बेटा , मेरा रुमाल गिर गया।
पुत्रः - अम्ब ! उन्नयामि
= माँ ! उठाता हूँ।
पुत्रः मातुः करवस्त्रं सन्दंशकेन उन्नयति।
= पुत्र माँ के रुमाल को चिमटे से उठाता है।
अनन्तरं सः फेनकेन करवस्त्रं प्रक्षालयति।
= बाद में वह साबुन से रुमाल धोता है।
मात्रे सः नूतनं करवस्त्रं ददाति।
= माँ को वह नया रुमाल देता है।
माता - किमर्थं वत्स ? तदेव करवस्त्रं किमर्थं न दत्तवान् त्वम् ?
= क्यों बेटा ? वही वाला रुमाल तुमने क्यों नहीं दिया ?
पुत्रः - अम्ब ! यत्किमपि पतति तद् सर्वं प्रक्षालनीयं भवति।
= माँ ! जो कुछ भी गिर जाता है उसे धोना पड़ता है।
अन्यथा कोरोना भविष्यति।
= नहीं तो कोरोना हो जाएगा।
माता - तव मस्तिष्के कोरोना एव पूरितम् अस्ति।
= तुम्हारे मस्तिष्क में कोरोना ही भर गया है।
पुत्रः - आम् अम्ब ! अहं तु ईश्वरं प्रार्थये "अखिलं विश्वं कोरोनामुक्तं भवेत्।"
= हाँ माँ ! मैं तो ईश्वर से प्रार्थना करता हूँ " सारा विश्व कोरोना से मुक्त हो जाए।
सर्वे पुनः सुप्रवृत्तिं कुर्युः ।
= सभी फिर से अच्छी प्रवृत्ति करें।
संस्कृतवाक्याभ्यासः
पुलिसरक्षकः - कुत्र गच्छति भवान् ?
= आप कहाँ जा रहे हैं ?
केतनः - मम माता चिकित्सालये प्रविष्टा अस्ति।
= मेरी माँ अस्पताल में एडमिट हैं।
- अहं तां मेलितुं गच्छामि।
= मैं उनसे मिलने जा रहा हूँ।
पुलिसरक्षकः - कस्मिन् चिकित्सालये ?
= कौनसे अस्पताल में ?
केतनः - महिलानां चिकित्सालये।
= महिलाओं के अस्पताल में।
पुलिसरक्षकः - गच्छतु।
= जाईये।
केतनः - प्रातःकाले अहं गच्छामि।
= प्रातःकाल मैं जाता हूँ।
- मध्याह्ने मम भार्या गामिष्यति।
= दोपहर में मेरी पत्नी जाएगी।
पुलिसरक्षकः - अस्तु गच्छतु।
B= ठीक है , जाईये।
आम्रफलानि आगतानि।
= आम आ गए हैं।
अपक्वानि आम्राणि अपि आगतानि सन्ति।
= कच्चे आम भी आ गए हैं।
कोsपि बहिः न निर्गच्छति अतः सर्वे आम्राणि न खादन्ति।
= कोई बाहर नहीं निकलता है इसलिये सभी आम नहीं खाते हैं।
केचन एव जनाः आम्रं खादन्ति।
= कुछ ही लोग आम खाते हैं।
अपक्वानां आम्राणां सन्धानं महिलाः निर्मान्ति।
= कच्चे आम का अचार महिलाएँ बनाती हैं।
अधुना तु निर्मातुं शक्यते।
= अभी तो बना सकते हैं।
प्रातः यदा आपणम् उद्घाटितं भवति तदा अपक्वानि आम्राणि क्रीणन्तु।
= सुबह जब बाजार खुलती है तब कच्चे आम खरीदिये।
स्वयमेव गृहे सन्धानं निर्मान्तु।
= अपने आप अचार बनाइये।
गृहे यत्किमपि निर्मीयते तद् शुद्धं भवति।
= घर में जो भी बनाया जाता है वह शुद्ध होता है।
स्वादिष्ठम् अपि भवति।
= स्वादिष्ट भी होता है।
गृहावासस्य सदुपयोगं कुर्मः।
= घर में रहने का सदुपयोग करें।
#vakyabhyas
माता - वत्स ! मम करवस्त्रं पतितम् ।
= बेटा , मेरा रुमाल गिर गया।
पुत्रः - अम्ब ! उन्नयामि
= माँ ! उठाता हूँ।
पुत्रः मातुः करवस्त्रं सन्दंशकेन उन्नयति।
= पुत्र माँ के रुमाल को चिमटे से उठाता है।
अनन्तरं सः फेनकेन करवस्त्रं प्रक्षालयति।
= बाद में वह साबुन से रुमाल धोता है।
मात्रे सः नूतनं करवस्त्रं ददाति।
= माँ को वह नया रुमाल देता है।
माता - किमर्थं वत्स ? तदेव करवस्त्रं किमर्थं न दत्तवान् त्वम् ?
= क्यों बेटा ? वही वाला रुमाल तुमने क्यों नहीं दिया ?
पुत्रः - अम्ब ! यत्किमपि पतति तद् सर्वं प्रक्षालनीयं भवति।
= माँ ! जो कुछ भी गिर जाता है उसे धोना पड़ता है।
अन्यथा कोरोना भविष्यति।
= नहीं तो कोरोना हो जाएगा।
माता - तव मस्तिष्के कोरोना एव पूरितम् अस्ति।
= तुम्हारे मस्तिष्क में कोरोना ही भर गया है।
पुत्रः - आम् अम्ब ! अहं तु ईश्वरं प्रार्थये "अखिलं विश्वं कोरोनामुक्तं भवेत्।"
= हाँ माँ ! मैं तो ईश्वर से प्रार्थना करता हूँ " सारा विश्व कोरोना से मुक्त हो जाए।
सर्वे पुनः सुप्रवृत्तिं कुर्युः ।
= सभी फिर से अच्छी प्रवृत्ति करें।
संस्कृतवाक्याभ्यासः
पुलिसरक्षकः - कुत्र गच्छति भवान् ?
= आप कहाँ जा रहे हैं ?
केतनः - मम माता चिकित्सालये प्रविष्टा अस्ति।
= मेरी माँ अस्पताल में एडमिट हैं।
- अहं तां मेलितुं गच्छामि।
= मैं उनसे मिलने जा रहा हूँ।
पुलिसरक्षकः - कस्मिन् चिकित्सालये ?
= कौनसे अस्पताल में ?
केतनः - महिलानां चिकित्सालये।
= महिलाओं के अस्पताल में।
पुलिसरक्षकः - गच्छतु।
= जाईये।
केतनः - प्रातःकाले अहं गच्छामि।
= प्रातःकाल मैं जाता हूँ।
- मध्याह्ने मम भार्या गामिष्यति।
= दोपहर में मेरी पत्नी जाएगी।
पुलिसरक्षकः - अस्तु गच्छतु।
B= ठीक है , जाईये।
आम्रफलानि आगतानि।
= आम आ गए हैं।
अपक्वानि आम्राणि अपि आगतानि सन्ति।
= कच्चे आम भी आ गए हैं।
कोsपि बहिः न निर्गच्छति अतः सर्वे आम्राणि न खादन्ति।
= कोई बाहर नहीं निकलता है इसलिये सभी आम नहीं खाते हैं।
केचन एव जनाः आम्रं खादन्ति।
= कुछ ही लोग आम खाते हैं।
अपक्वानां आम्राणां सन्धानं महिलाः निर्मान्ति।
= कच्चे आम का अचार महिलाएँ बनाती हैं।
अधुना तु निर्मातुं शक्यते।
= अभी तो बना सकते हैं।
प्रातः यदा आपणम् उद्घाटितं भवति तदा अपक्वानि आम्राणि क्रीणन्तु।
= सुबह जब बाजार खुलती है तब कच्चे आम खरीदिये।
स्वयमेव गृहे सन्धानं निर्मान्तु।
= अपने आप अचार बनाइये।
गृहे यत्किमपि निर्मीयते तद् शुद्धं भवति।
= घर में जो भी बनाया जाता है वह शुद्ध होता है।
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= स्वादिष्ट भी होता है।
गृहावासस्य सदुपयोगं कुर्मः।
= घर में रहने का सदुपयोग करें।
#vakyabhyas
July 3, 2022
July 3, 2022
🍃
♦️yatayaman gatarasan puti paryusitan ca yat.
ucchistamapi camedhyan bhojanan tamasapriyam৷৷17.10৷৷
⚜That which is state, tasteless, putrid, rotten, refuse and impure, is the food liked by the Tamasic.(17.10)
⚜अर्धपक्व रसरहित दुर्गन्धयुक्त बासी उच्छिष्ट तथा अपवित्र (अमेध्य) अन्न तामस जनों को प्रिय होता है।।17.10।।
#geeta
यातयामं गतरसं पूति पर्युषितं च यत्।
उच्छिष्टमपि चामेध्यं भोजनं तामसप्रियम्
।।17.10।।♦️yatayaman gatarasan puti paryusitan ca yat.
ucchistamapi camedhyan bhojanan tamasapriyam৷৷17.10৷৷
⚜That which is state, tasteless, putrid, rotten, refuse and impure, is the food liked by the Tamasic.(17.10)
⚜अर्धपक्व रसरहित दुर्गन्धयुक्त बासी उच्छिष्ट तथा अपवित्र (अमेध्य) अन्न तामस जनों को प्रिय होता है।।17.10।।
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July 3, 2022
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🔰वार्ताः
🗓04th june 2022,सोमवासरः
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📑यदि शक्येत चेत् संस्कृतेन (स्वस्थानीयां,प्रादेशीयां, अन्ताराष्ट्रीयाम् उत्तमां वार्तां वदन्तु) । चर्चार्थं कृपया पूर्वसिद्धतां कृत्वा आगच्छन्तु।
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July 3, 2022
🍃
♦️aphalakanksibhiryajno vidhidrsto ya ijyate.
yastavyameveti manah samadhaya sa sattvikah৷৷17.11৷৷
⚜Yajna enjoined by the scriptures, performed with a firm belief that it is a duty, and without the desire for the fruit, is Saattvika Yajna. (17.11)
⚜जो शास्त्र विधि से नियत, यज्ञ करना ही कर्तव्य है- इस प्रकार मन को समाधान करके, फल न चाहने वाले पुरुषों द्वारा किया जाता है, वह सात्त्विक है॥17.11॥
#geeta
अफलाकाङ्क्षिभिर्यज्ञो विधिदृष्टो य इज्यते।
यष्टव्यमेवेति मनः समाधाय स सात्त्विकः
॥ 17.11॥♦️aphalakanksibhiryajno vidhidrsto ya ijyate.
yastavyameveti manah samadhaya sa sattvikah৷৷17.11৷৷
⚜Yajna enjoined by the scriptures, performed with a firm belief that it is a duty, and without the desire for the fruit, is Saattvika Yajna. (17.11)
⚜जो शास्त्र विधि से नियत, यज्ञ करना ही कर्तव्य है- इस प्रकार मन को समाधान करके, फल न चाहने वाले पुरुषों द्वारा किया जाता है, वह सात्त्विक है॥17.11॥
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July 3, 2022
July 3, 2022
🚩जय सत्य सनातन🚩
🚩आज की हिंदी तिथि
🌥️ 🚩युगाब्द-५१२४
🌥️ 🚩विक्रम संवत-२०७९
⛅ 🚩तिथि - पंचमी शाम 06:32 तक तत्पश्चात षष्ठी
⛅दिनांक - 04 जुलाई 2022
⛅दिन - सोमवार
⛅शक संवत - 1944
⛅अयन - दक्षिणायन
⛅ऋतु - वर्षा
⛅मास - आषाढ़
⛅पक्ष - शुक्ल
⛅नक्षत्र - मघा सुबह 08:44 तक तत्पश्चात पूर्वाफाल्गुनी
⛅योग - सिद्धि दोपहर 12:22 तक तत्पश्चात व्यतीपात
⛅राहु काल - सुबह 07:40 से 09:21 तक
⛅सूर्योदय - 05:59
⛅सूर्यास्त - 07:29
⛅दिशा शूल - पूर्व दिशा में
🚩आज की हिंदी तिथि
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July 3, 2022
Forwarded from रामदूतः — The Sanskrit News Platform (ॐ पीयूषः)
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वार्ता: संस्कृत में समाचार | डिजिटल इंडिया सप्ताह 2022 का उद्घाटन आज
July 3, 2022
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July 3, 2022
July 3, 2022
🔰चित्रं दृष्ट्वा पञ्चवाक्यानि रचयत।
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July 3, 2022
July 3, 2022
July 3, 2022
July 3, 2022
🍃
🔅सूर्यः उदयकाले अस्तमनकाले च रक्तवर्णः एव भवति । एवमेव सम्पत्काले,
आपत्काले च महापुरुषाः समानाः तिष्ठन्ति ।
#Subhashitam
उदये सविता रक्तः रक्तश्चास्तमने तथा ।
सम्पत्तौ च विपत्तौ च महताम् एकरूपता
।। 🔅सूर्यः उदयकाले अस्तमनकाले च रक्तवर्णः एव भवति । एवमेव सम्पत्काले,
आपत्काले च महापुरुषाः समानाः तिष्ठन्ति ।
#Subhashitam
July 3, 2022
July 4, 2022
प्रातः अन्नस्य आपणम् उद्घाटितम् भवति।
= सुबह अनाज की दुकान खुली रहती है।
अनेके जनाः अन्नापणं गच्छन्ति।
= अनेक लोग अनाज की दूकान जाते हैं।
आपणिकः वदति - सर्वे एकैकः आगच्छन्तु।
= दुकानदार बोलता है - "सभी एक एक करके आईये"
"सर्वेषां मुखे मुखावरणम् अवश्यमेव भवेत्।"
= सबके मुख में मास्क अवश्य ही होना चाहिये।
सर्वे एकहस्त-परिमितं दूरे तिष्ठन्तु।
= सभी एक मीटर दूर खड़े रहें।
कमपि मा स्पृशन्तु।
= किसी को मत छुएँ।
हस्तौ प्रक्षालयितुं रसायनकूपिः अपि अस्ति।
= हाथ धोने के लिये रसायन की बोतल भी है।
सर्वे जनाः रसायनेन हस्तौ प्रक्षालयन्ति।
= सभी लोग रसायन से हाथ धोते हैं।
यदा कोsपि वस्तूनि प्राप्नोति तदा सः शीघ्रम् आपणिकाय धनं ददाति।
= जब कोई भी वस्तू प्राप्त करता है तब वह दुकानदार को धन देता है।
ग्राहकः शीघ्रमेव गृहं गच्छति।
= ग्राहकजल्दी से घर जाता है।
सर्वे अनुशासनं पालयन्ति।
= सभी अनुशासन पालते हैं।
संस्कृतवाक्याभ्यासः
एकस्य सज्जनस्य श्मश्रु: केशाः च वर्धन्ते।
= एक सज्जन की दाढ़ी और बाल बढ़ रहे हैं।
नापितस्य आपणं पिहितम् अस्ति।
= नाई की दूकान बंद है।
सः केशकर्तनं न जानाति।
= वह बाल काटना नहीं जानता है।
तस्य पुत्रः वदति - "तात ! अत्र उपविशतु"
= उसका पुत्र बोलता है - "पिताजी ! यहाँ बैठिये"
- "अहं भवतः केशान् कर्तयामि।"
= मैं आपके बाल काटता हूँ।
पिता उपविशति , पुत्रः पितुः केशान् कर्तयति।
= पिता बैठ जाता है , पुत्र पिता के बाल काटता है।
सः शनैः शनैः पितुः केशान् कर्तयति।
= वह धीरे धीरे पिता के बाल काटता है।
अनन्तरं पितुः श्मश्रुम् अपि समीकरोति।
= बाद में पिता की दाढ़ी को भी सेट करता है।
सः पितुः मुखं जलेन प्रक्षालयति।
= वह पिता के मुख को पानी से धोता है।
अनन्तरं पितरं दर्पणं दर्शयति।
= बाद में पिता को दर्पण दिखाता है।
सः सज्जनः स्वं मुखं दृष्ट्वा प्रसन्नः भवति।
= वह सज्जन अपना मुख देखकर प्रसन्न होता है।
सः पुत्राय आशीर्वादं ददाति।
= वह पुत्र को आशीर्वाद देता है।
#vakyabhyas
= सुबह अनाज की दुकान खुली रहती है।
अनेके जनाः अन्नापणं गच्छन्ति।
= अनेक लोग अनाज की दूकान जाते हैं।
आपणिकः वदति - सर्वे एकैकः आगच्छन्तु।
= दुकानदार बोलता है - "सभी एक एक करके आईये"
"सर्वेषां मुखे मुखावरणम् अवश्यमेव भवेत्।"
= सबके मुख में मास्क अवश्य ही होना चाहिये।
सर्वे एकहस्त-परिमितं दूरे तिष्ठन्तु।
= सभी एक मीटर दूर खड़े रहें।
कमपि मा स्पृशन्तु।
= किसी को मत छुएँ।
हस्तौ प्रक्षालयितुं रसायनकूपिः अपि अस्ति।
= हाथ धोने के लिये रसायन की बोतल भी है।
सर्वे जनाः रसायनेन हस्तौ प्रक्षालयन्ति।
= सभी लोग रसायन से हाथ धोते हैं।
यदा कोsपि वस्तूनि प्राप्नोति तदा सः शीघ्रम् आपणिकाय धनं ददाति।
= जब कोई भी वस्तू प्राप्त करता है तब वह दुकानदार को धन देता है।
ग्राहकः शीघ्रमेव गृहं गच्छति।
= ग्राहकजल्दी से घर जाता है।
सर्वे अनुशासनं पालयन्ति।
= सभी अनुशासन पालते हैं।
संस्कृतवाक्याभ्यासः
एकस्य सज्जनस्य श्मश्रु: केशाः च वर्धन्ते।
= एक सज्जन की दाढ़ी और बाल बढ़ रहे हैं।
नापितस्य आपणं पिहितम् अस्ति।
= नाई की दूकान बंद है।
सः केशकर्तनं न जानाति।
= वह बाल काटना नहीं जानता है।
तस्य पुत्रः वदति - "तात ! अत्र उपविशतु"
= उसका पुत्र बोलता है - "पिताजी ! यहाँ बैठिये"
- "अहं भवतः केशान् कर्तयामि।"
= मैं आपके बाल काटता हूँ।
पिता उपविशति , पुत्रः पितुः केशान् कर्तयति।
= पिता बैठ जाता है , पुत्र पिता के बाल काटता है।
सः शनैः शनैः पितुः केशान् कर्तयति।
= वह धीरे धीरे पिता के बाल काटता है।
अनन्तरं पितुः श्मश्रुम् अपि समीकरोति।
= बाद में पिता की दाढ़ी को भी सेट करता है।
सः पितुः मुखं जलेन प्रक्षालयति।
= वह पिता के मुख को पानी से धोता है।
अनन्तरं पितरं दर्पणं दर्शयति।
= बाद में पिता को दर्पण दिखाता है।
सः सज्जनः स्वं मुखं दृष्ट्वा प्रसन्नः भवति।
= वह सज्जन अपना मुख देखकर प्रसन्न होता है।
सः पुत्राय आशीर्वादं ददाति।
= वह पुत्र को आशीर्वाद देता है।
#vakyabhyas
July 4, 2022
Wife - Please listen ! Why are you driving the bike so fast? I am so scared.
Husband - Are you scared too ? Don't worry. Just close your eyes like me.
#hasya
Husband - Are you scared too ? Don't worry. Just close your eyes like me.
#hasya
July 4, 2022
@samskrt_samvadah संलापशाला - A Samskrit Voicechat room.
यदीच्छसि वशीकर्तुं, भाषणमेककर्मणा।
यायास्संलापशालां वै, भवति यत्र भाषणम्।।
⏳45 निमेषाः
🕚 IST 11:00 AM
🔰कालिदासदिनम्
🗓05th July 2022, मङ्गलवासरः
🔴Voicechat would be recorded and shared on this channel.
📑यदि शक्येत चेत् संस्कृतेन (कालिदासस्य जीवनघटनां तस्य कृतिपरिचयं प्रसिद्धश्लोकविवरणं वा वक्तुं शक्नुमः) चर्चार्थं कृपया पूर्वसिद्धतां कृत्वा आगच्छन्तु।
वयं युष्माकं प्रतीक्षां कुर्मः। 😇
स्मारणतंत्रिकां स्थापयतु ⏰
👇🏼👇🏼👇🏼👇🏼👇🏼
https://t.me/samskrt_samvadah?voicechat
यदीच्छसि वशीकर्तुं, भाषणमेककर्मणा।
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July 4, 2022
🍃
♦️abhisandhaya tu phalan dambharthamapi caiva yat.
ijyate bharatasrestha tan yajnan viddhi rajasam৷৷17.12৷৷
⚜Yajna which is performed only for show, or aiming for fruit, know that to be Raajasika Yajna, O Arjuna. (17.12)
⚜परन्तु हे अर्जुन! केवल दम्भाचरण के लिए अथवा फल को भी दृष्टि में रखकर जो यज्ञ किया जाता है, उस यज्ञ को तू राजस जान॥17.12॥
#geeta
अभिसन्धाय तु फलं दम्भार्थमपि चैव यत्।
इज्यते भरतश्रेष्ठ तं यज्ञं विद्धि राजसम्
॥ 17.12॥♦️abhisandhaya tu phalan dambharthamapi caiva yat.
ijyate bharatasrestha tan yajnan viddhi rajasam৷৷17.12৷৷
⚜Yajna which is performed only for show, or aiming for fruit, know that to be Raajasika Yajna, O Arjuna. (17.12)
⚜परन्तु हे अर्जुन! केवल दम्भाचरण के लिए अथवा फल को भी दृष्टि में रखकर जो यज्ञ किया जाता है, उस यज्ञ को तू राजस जान॥17.12॥
#geeta
July 4, 2022
July 4, 2022
Forwarded from Bhavani Raman
*Free
Functional Sanskrit/Samskritam class (3rd batch) conducted by Tatwamasi
Group (as per Samskrita Bharati Pravesha syllabus)*
Next batch commences 1st August 2022... approximately 5 months learning 🖥️. Over 500+ students have benefited from this series in the past.
Starts from alphabets (you need to know to read and write Devanagari/Hindi lipi)...📝 Classes will be in English language. (Note : We do have videos in Malayalam too for those not very comfortable with English but all interaction in the group will be in English). No other language support is available.
No age Limit...We encourage more than 2 members from a family to join the group as it will help learning faster...
Classes will be via Youtube videos....💻
Contact classes via Microsoft Teams when needed....💬
Those interested join the link (you need to have Telegram app for this on your phone)...
Dont just join to rate the class 📈 or find the fees 💵 because ....
This is a *Free* class......😌🙌
Don't just join to find whether the teaching is good...
Because....
We assure you the teaching will be good... 👨🏫👩🏫
Learn what is taught and post answers in the Telegram group...📖✍️....that is all what you need to do. This is a self-help learning initiative and your commitment important.
We won't teach you Bhagavad Gita or Ramayana or Vedas....what we teach you is *Samskritam* to help you understand all this yourself slowly 😃
*Once you know Samskritam you can gradually discover all this yourself...*🤩 you also have the option to register and write Pravesha level exam of Samskrita Bharati during/after the course and get a certificate. We won't give you any certificate. Your confidence to learn further is the self certification.
If you are ready for the game please join...🥳🥳🥳
https://t.me/+ltO2Qv-zddYzZTk9 (please download Telegram app on phone first or the link will not work)
💐💐💐💐💐💐
Tailpiece...
*Learned people are saying that learning Samskritam builds immunity against new variants of COVID 19....*
Because if you sit at home and study the Virus won't come near you...
😜😜😜😜😜😜
Admin Team
Tatwamasi Family Group
JPK Nair - Dr. Prasad A S
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Starts from alphabets (you need to know to read and write Devanagari/Hindi lipi)...📝 Classes will be in English language. (Note : We do have videos in Malayalam too for those not very comfortable with English but all interaction in the group will be in English). No other language support is available.
No age Limit...We encourage more than 2 members from a family to join the group as it will help learning faster...
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Admin Team
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JPK Nair - Dr. Prasad A S
Telegram
Tatwamasi Samskrita Gurukulam तत्वमसि संस्कृत गुरुकुलम्
Functional Samskritam Learners' Club
July 4, 2022
🍃
♦️vidhihinamasrstannan mantrahinamadaksinam.
sraddhavirahitan yajnan tamasan paricaksate৷৷17.13৷৷
⚜Yajna that is performed without following the scripture, in which no food is distributed, which is devoid of mantra, faith, and gift, is said to be Taamasika Yajna. (17.13)
⚜शास्त्रविधि से हीन, अन्नदान से रहित, बिना मन्त्रों के, बिना दक्षिणा के और बिना श्रद्धा के किए जाने वाले यज्ञ को तामस यज्ञ कहते हैं॥17.13॥
#geeta
विधिहीनमसृष्टान्नं मन्त्रहीनमदक्षिणम्।
श्रद्धाविरहितं यज्ञं तामसं परिचक्षते
॥ 17.13॥♦️vidhihinamasrstannan mantrahinamadaksinam.
sraddhavirahitan yajnan tamasan paricaksate৷৷17.13৷৷
⚜Yajna that is performed without following the scripture, in which no food is distributed, which is devoid of mantra, faith, and gift, is said to be Taamasika Yajna. (17.13)
⚜शास्त्रविधि से हीन, अन्नदान से रहित, बिना मन्त्रों के, बिना दक्षिणा के और बिना श्रद्धा के किए जाने वाले यज्ञ को तामस यज्ञ कहते हैं॥17.13॥
#geeta
July 4, 2022
July 4, 2022
🚩जय सत्य सनातन 🚩
🚩आज की हिंदी तिथि
⛅ दिनांक - 05 जुलाई 2022
⛅ दिन - मंगलवार
⛅ विक्रम संवत - 2079
⛅ शक संवत - 1944
⛅ अयन - दक्षिणायन
⛅ ऋतु - वर्षा
⛅ मास - आषाढ़
⛅ पक्ष - शुक्ल
⛅ तिथि - षष्ठी शाम 07:28 तक तत्पश्चात सप्तमी
⛅ नक्षत्र - पूर्वाफाल्गुनी सुबह 10:30 तक तत्पश्चात उत्तराफाल्गुनी
⛅ योग - व्यतिपात दोपहर 12:16 तक तत्पश्चात वरीयान
⛅ राहु काल - शाम 04:07 से 05:48 तक
⛅ सूर्योदय - 05:59
⛅ सूर्यास्त - 07:29
⛅ दिशा शूल - उत्तर दिशा में
🚩आज की हिंदी तिथि
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⛅ योग - व्यतिपात दोपहर 12:16 तक तत्पश्चात वरीयान
⛅ राहु काल - शाम 04:07 से 05:48 तक
⛅ सूर्योदय - 05:59
⛅ सूर्यास्त - 07:29
⛅ दिशा शूल - उत्तर दिशा में
July 4, 2022
Forwarded from रामदूतः — The Sanskrit News Platform (Bhavani Raman)
प्रतिदिनं प्रातः ७:१५ वादने १५ निमेषात्मिकायै वार्तायै डी डी न्यूज् इति पश्यत।
https://youtu.be/RUaYeJTWmL0
https://youtu.be/RUaYeJTWmL0
YouTube
वार्ता: संस्कृत में समाचार | काली फ़िल्म पोस्टर पर विरोध प्रदर्शन
July 4, 2022
@samskrt_samvadah संलापशाला - A Samskrit Voicechat room.
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यायास्संलापशालां वै, भवति यत्र भाषणम्।।
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🗓05th July 2022, मङ्गलवासरः
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🗓05th July 2022, मङ्गलवासरः
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July 4, 2022
July 4, 2022
🔰चित्रं दृष्ट्वा पञ्चवाक्यानि रचयत।
✍🏼सर्वे टिप्पणीसञ्चिकायां स्वोत्तराणि लेखितुं शक्नुवन्ति अथवा पुस्तिकायां लिखित्वा तस्य चित्रं स्वीकृत्य अपि प्रेषयितुं शक्नुवन्ति।
🗣सहैव तानि वाक्यानि उक्त्वा ध्वनिमाध्यमेन अपि प्रेषयत।
Read in English
हिन्दी में पढें
#chitram
✍🏼सर्वे टिप्पणीसञ्चिकायां स्वोत्तराणि लेखितुं शक्नुवन्ति अथवा पुस्तिकायां लिखित्वा तस्य चित्रं स्वीकृत्य अपि प्रेषयितुं शक्नुवन्ति।
🗣सहैव तानि वाक्यानि उक्त्वा ध्वनिमाध्यमेन अपि प्रेषयत।
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#chitram
July 4, 2022
July 4, 2022
🍃
🔅विद्या नराय विनयगुणं ददाति, तेन सः नरः अर्हतां प्राप्नोति । ततः धनं प्राप्नोति, धनेन धर्मकार्याणि कृत्वा सः पुण्यं प्राप्नोति ।
#Subhashitam
विद्या ददाति विनयं विनयाद्याति पात्रताम्।
पात्रत्वाद्धनमाप्नोति धनाद्धर्मं ततः सुखम्
।। 🔅विद्या नराय विनयगुणं ददाति, तेन सः नरः अर्हतां प्राप्नोति । ततः धनं प्राप्नोति, धनेन धर्मकार्याणि कृत्वा सः पुण्यं प्राप्नोति ।
#Subhashitam
July 4, 2022
July 4, 2022
July 4, 2022
July 5, 2022
संस्कृतवाक्याभ्यासः
ललितः - ओह ... अहं बहु त्रस्तः अस्मि।
= ओह ... मैं बहुत परेशान हूँ।
ललिता - किमर्थम् ?
= किसलिये ?
ललितः - बहिः गन्तुं न शक्नोमि।
= बाहर नहीं जा सकता हूँ।
केन अपि सह मेलितुं न शक्नोमि।
= किसी के साथ मिल नहीं सकता।
ललिता - अहमपि त्रस्ता अस्मि।
= मैं भी परेशान हूँ।
ललितः - गृहे कोsपि न आगच्छति।
= घर में कोई नहीं आता है।
कस्य अपि स्वागतं न कर्तुं शक्नोमि।
= किसी का स्वागत नहीं कर पाती हूँ।
ललितः - तर्हि अहं द्वारे तिष्ठामि।
= तो मैं दरवाजे पर खड़ा हो जाता हूँ।
त्वं मम स्वागतं कुरु।
= तुम मेरा स्वागत करो।
ललिता - नैव , अहं बहिः गच्छामि।
= नहीं मैं बाहर जाती हूँ।
भवान् मम स्वागतं करोतु।
= आप मेरा स्वागत करिये।
ललितः - अस्तु , तथा कुर्वः।
= ठीक है , वैसा करते हैं।
कथञ्चिदपि समयः यापनीयः अस्ति।
= कैसे भी समय निकालना है।
संस्कृतवाक्याभ्यासः
अद्य एकः युवकः मम कार्यालयम् आगतवान्।
= आज एक लड़का मेरी ऑफिस में आया।
तस्य वामस्कन्धे एकः स्यूतः आसीत्।
= उसके बाएँ कंधे पर एक थैला था।
सः स्यूतात् कानिचन पत्राणि निष्कासयति।
= वह थैले से कुछ कागज निकालता है।
यदा सः पत्राणि मम उत्पीठिकायां स्थापितवान् ....
= जब उसने कागज मेरी टेबल पर रखे ....
तदा अहम् अपश्यम् ...
= तब मैंने देखा ....
तस्य दक्षिणहस्ते एका अपि अङ्गुली न आसीत्।
= उसके दाहिने हाथ में एक भी उँगली नहीं थी।
मम ध्यानं तस्य वामहस्ते अगच्छत्।
= मेरा ध्यान उसके बाएँ हाथ पर गया।
युवकस्य वामहस्ते अपि अङ्गुल्यः न आसन्।
= युवक के बाएँ हाथ में भी उंगलियाँ नहीं थीं।
तथापि सः प्रेम्णा कार्यं करोति स्म।
= फिर भी वह प्रेम से काम कर रहा था।
सः माम् अपृच्छत् ...
= उसने मुझसे पूछा ...
"जलं कुत्र अस्ति ?"
= "पानी कहाँ है ?"
अहम् उक्तवान् - "अहम् आनयामि।"
= मैंने कहा - "मैं लाता हूँ।"
सः अवदत् - "न अहं स्वयमेव स्वीकरिष्यामि"
= वह बोला - "नहीं मैं अपने आप ले लूँगा।"
सः दिव्याङ्गः युवकः स्वयमेव जलं पातुम् अगच्छत्।
= वह दिव्यांग युवक स्वयं ही पानी पीने गया।
धन्यः सः स्वावलम्बी युवकः।
#vakyabhyas
ललितः - ओह ... अहं बहु त्रस्तः अस्मि।
= ओह ... मैं बहुत परेशान हूँ।
ललिता - किमर्थम् ?
= किसलिये ?
ललितः - बहिः गन्तुं न शक्नोमि।
= बाहर नहीं जा सकता हूँ।
केन अपि सह मेलितुं न शक्नोमि।
= किसी के साथ मिल नहीं सकता।
ललिता - अहमपि त्रस्ता अस्मि।
= मैं भी परेशान हूँ।
ललितः - गृहे कोsपि न आगच्छति।
= घर में कोई नहीं आता है।
कस्य अपि स्वागतं न कर्तुं शक्नोमि।
= किसी का स्वागत नहीं कर पाती हूँ।
ललितः - तर्हि अहं द्वारे तिष्ठामि।
= तो मैं दरवाजे पर खड़ा हो जाता हूँ।
त्वं मम स्वागतं कुरु।
= तुम मेरा स्वागत करो।
ललिता - नैव , अहं बहिः गच्छामि।
= नहीं मैं बाहर जाती हूँ।
भवान् मम स्वागतं करोतु।
= आप मेरा स्वागत करिये।
ललितः - अस्तु , तथा कुर्वः।
= ठीक है , वैसा करते हैं।
कथञ्चिदपि समयः यापनीयः अस्ति।
= कैसे भी समय निकालना है।
संस्कृतवाक्याभ्यासः
अद्य एकः युवकः मम कार्यालयम् आगतवान्।
= आज एक लड़का मेरी ऑफिस में आया।
तस्य वामस्कन्धे एकः स्यूतः आसीत्।
= उसके बाएँ कंधे पर एक थैला था।
सः स्यूतात् कानिचन पत्राणि निष्कासयति।
= वह थैले से कुछ कागज निकालता है।
यदा सः पत्राणि मम उत्पीठिकायां स्थापितवान् ....
= जब उसने कागज मेरी टेबल पर रखे ....
तदा अहम् अपश्यम् ...
= तब मैंने देखा ....
तस्य दक्षिणहस्ते एका अपि अङ्गुली न आसीत्।
= उसके दाहिने हाथ में एक भी उँगली नहीं थी।
मम ध्यानं तस्य वामहस्ते अगच्छत्।
= मेरा ध्यान उसके बाएँ हाथ पर गया।
युवकस्य वामहस्ते अपि अङ्गुल्यः न आसन्।
= युवक के बाएँ हाथ में भी उंगलियाँ नहीं थीं।
तथापि सः प्रेम्णा कार्यं करोति स्म।
= फिर भी वह प्रेम से काम कर रहा था।
सः माम् अपृच्छत् ...
= उसने मुझसे पूछा ...
"जलं कुत्र अस्ति ?"
= "पानी कहाँ है ?"
अहम् उक्तवान् - "अहम् आनयामि।"
= मैंने कहा - "मैं लाता हूँ।"
सः अवदत् - "न अहं स्वयमेव स्वीकरिष्यामि"
= वह बोला - "नहीं मैं अपने आप ले लूँगा।"
सः दिव्याङ्गः युवकः स्वयमेव जलं पातुम् अगच्छत्।
= वह दिव्यांग युवक स्वयं ही पानी पीने गया।
धन्यः सः स्वावलम्बी युवकः।
#vakyabhyas
July 5, 2022
. ।। ॐ ।।
चिरन्तन-हासः ।
सुरेशः ईश्वरप्रतिमायाः पुरतः उपविश्य प्रार्थनां कुर्वन् अस्ति ,
“ हे ईश्वर ! मयि प्रसन्नः भवतु । प्रसन्नः भवतु !! साधुवर्यं कबीरं वैयाकरणं करोतु । साधुवर्यस्य कबीरस्य परिवर्तनं वैयाकरणे करोतु । "
तत् श्रुत्वा सम्भ्रमिता तस्य जननी तं तर्जयति , " किं रे ! ईश्वरस्य सम्मुखं किम् एतत् भ्रमिष्टः इव जल्पनं करोति भवान् ? साधुवर्य-कबीरस्य व्याकरणेन सह कः सम्बन्धः ? "
तदा सुरेशेन उत्तरं दत्तं , ” जननि ! Weaver इत्यस्य कृते सूत्रकारः इति संस्कृतशब्दं मत्वा मया अद्य परीक्षायां लिखितं यद् साधुवर्यः कबीरः सूत्रकारः आसीत् " इति ।
---------- संस्कृतानन्दः ।
#hasya
चिरन्तन-हासः ।
सुरेशः ईश्वरप्रतिमायाः पुरतः उपविश्य प्रार्थनां कुर्वन् अस्ति ,
“ हे ईश्वर ! मयि प्रसन्नः भवतु । प्रसन्नः भवतु !! साधुवर्यं कबीरं वैयाकरणं करोतु । साधुवर्यस्य कबीरस्य परिवर्तनं वैयाकरणे करोतु । "
तत् श्रुत्वा सम्भ्रमिता तस्य जननी तं तर्जयति , " किं रे ! ईश्वरस्य सम्मुखं किम् एतत् भ्रमिष्टः इव जल्पनं करोति भवान् ? साधुवर्य-कबीरस्य व्याकरणेन सह कः सम्बन्धः ? "
तदा सुरेशेन उत्तरं दत्तं , ” जननि ! Weaver इत्यस्य कृते सूत्रकारः इति संस्कृतशब्दं मत्वा मया अद्य परीक्षायां लिखितं यद् साधुवर्यः कबीरः सूत्रकारः आसीत् " इति ।
---------- संस्कृतानन्दः ।
#hasya
July 5, 2022
🍃
♦️devadvijaguruprajnapujanan saucamarjavam.
brahmacaryamahinsa ca sariran tapa ucyate৷৷17.14৷৷
⚜The worship of Devas, Braahmana, guru, and the wise; purity, honesty, celibacy, and nonviolence; these are said to be the austerity of deed. (17.14)
⚜देवता, ब्राह्मण, गुरु (यहाँ 'गुरु' शब्द से माता, पिता, आचार्य और वृद्ध एवं अपने से जो किसी प्रकार भी बड़े हों, उन सबको समझना चाहिए।) और ज्ञानीजनों का पूजन, पवित्रता, सरलता, ब्रह्मचर्य और अहिंसा- यह शरीर- सम्बन्धी तप कहा जाता है॥17.14॥
#geeta
देवद्विजगुरुप्राज्ञपूजनं शौचमार्जवम्।
ब्रह्मचर्यमहिंसा च शारीरं तप उच्यते
॥ 17.14॥♦️devadvijaguruprajnapujanan saucamarjavam.
brahmacaryamahinsa ca sariran tapa ucyate৷৷17.14৷৷
⚜The worship of Devas, Braahmana, guru, and the wise; purity, honesty, celibacy, and nonviolence; these are said to be the austerity of deed. (17.14)
⚜देवता, ब्राह्मण, गुरु (यहाँ 'गुरु' शब्द से माता, पिता, आचार्य और वृद्ध एवं अपने से जो किसी प्रकार भी बड़े हों, उन सबको समझना चाहिए।) और ज्ञानीजनों का पूजन, पवित्रता, सरलता, ब्रह्मचर्य और अहिंसा- यह शरीर- सम्बन्धी तप कहा जाता है॥17.14॥
#geeta
July 5, 2022
July 5, 2022
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यायास्संलापशालां वै, भवति यत्र भाषणम्।।
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🕚 IST 11:00 AM
🔰कथाकथनम्
🗓06th July 2022, बुधवासरः
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यदीच्छसि वशीकर्तुं, भाषणमेककर्मणा।
यायास्संलापशालां वै, भवति यत्र भाषणम्।।
⏳45 निमेषाः
🕚 IST 11:00 AM
🔰कथाकथनम्
🗓06th July 2022, बुधवासरः
🔴Voicechat would be recorded and shared on this channel.
📑यदि शक्येत चेत् संस्कृतेन (कामपि उत्तमां कथां वदन्तु) चर्चार्थं कृपया पूर्वसिद्धतां कृत्वा आगच्छन्तु।
वयं युष्माकं प्रतीक्षां कुर्मः। 😇
स्मारणतंत्रिकां स्थापयतु ⏰
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July 5, 2022
🍃
♦️anudvegakaran vakyan satyan priyahitan ca yat.
svadhyayabhyasanan caiva vanmayan tapa ucyate৷৷17.15৷৷
⚜Speech which causes no excitement, truthful, pleasant and beneficial, the practice of the study of the Vedas, are called austerity of speech.(17.15)
⚜जो वाक्य (भाषण) उद्वेग उत्पन्न करने वाला नहीं है जो प्रिय हितकारक और सत्य है तथा वेदों का स्वाध्याय अभ्यास वाङ्मय (वाणी का) तप कहलाता है।।17.15।।
#geeta
अनुद्वेगकरं वाक्यं सत्यं प्रियहितं च यत्।
स्वाध्यायाभ्यसनं चैव वाङ्मयं तप उच्यते
।।17.15।।♦️anudvegakaran vakyan satyan priyahitan ca yat.
svadhyayabhyasanan caiva vanmayan tapa ucyate৷৷17.15৷৷
⚜Speech which causes no excitement, truthful, pleasant and beneficial, the practice of the study of the Vedas, are called austerity of speech.(17.15)
⚜जो वाक्य (भाषण) उद्वेग उत्पन्न करने वाला नहीं है जो प्रिय हितकारक और सत्य है तथा वेदों का स्वाध्याय अभ्यास वाङ्मय (वाणी का) तप कहलाता है।।17.15।।
#geeta
July 5, 2022
July 5, 2022
🚩जय सत्य सनातन🚩
🚩आज की हिंदी तिथि
🌥️ 🚩युगाब्द-५१२४
🌥️ 🚩विक्रम संवत-२०७९
⛅ 🚩तिथि - सप्तमी शाम 07:48 तक तत्पश्चात अष्टमी
⛅दिनांक - 06 जुलाई 2022
⛅दिन - बुधवार
⛅शक संवत - 1944
⛅अयन - दक्षिणायन
⛅ऋतु - वर्षा
⛅मास - आषाढ़
⛅पक्ष - शुक्ल
⛅नक्षत्र - उत्तराफाल्गुनी सुबह 11:44 तक तत्पश्चात हस्त
⛅योग - वरीयान सुबह 11:43 तक तत्पश्चात परिघ
⛅राहु काल - दोपहर 12:44 से 02:26 तक
⛅सूर्योदय - 05:59
⛅सूर्यास्त - 07:29
⛅दिशा शूल - उत्तर दिशा में
🚩आज की हिंदी तिथि
🌥️ 🚩युगाब्द-५१२४
🌥️ 🚩विक्रम संवत-२०७९
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⛅दिनांक - 06 जुलाई 2022
⛅दिन - बुधवार
⛅शक संवत - 1944
⛅अयन - दक्षिणायन
⛅ऋतु - वर्षा
⛅मास - आषाढ़
⛅पक्ष - शुक्ल
⛅नक्षत्र - उत्तराफाल्गुनी सुबह 11:44 तक तत्पश्चात हस्त
⛅योग - वरीयान सुबह 11:43 तक तत्पश्चात परिघ
⛅राहु काल - दोपहर 12:44 से 02:26 तक
⛅सूर्योदय - 05:59
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July 5, 2022
https://youtu.be/hIE552KK6Y4
प्रतिदिनं प्रातः ७:१५ वादने १५ निमेषात्मिकायै वार्तायै डी डी न्यूज् इति पश्यत।
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YouTube
वार्ता: || Vaarta: News in Sanskrit language
July 5, 2022
@samskrt_samvadah संलापशाला - A Samskrit Voicechat room.
यदीच्छसि वशीकर्तुं, भाषणमेककर्मणा।
यायास्संलापशालां वै, भवति यत्र भाषणम्।।
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July 5, 2022
July 5, 2022
🔰चित्रं दृष्ट्वा पञ्चवाक्यानि रचयत।
✍🏼सर्वे टिप्पणीसञ्चिकायां स्वोत्तराणि लेखितुं शक्नुवन्ति अथवा पुस्तिकायां लिखित्वा तस्य चित्रं स्वीकृत्य अपि प्रेषयितुं शक्नुवन्ति।
🗣सहैव तानि वाक्यानि उक्त्वा ध्वनिमाध्यमेन अपि प्रेषयत।
Read in English
हिन्दी में पढें
#chitram
✍🏼सर्वे टिप्पणीसञ्चिकायां स्वोत्तराणि लेखितुं शक्नुवन्ति अथवा पुस्तिकायां लिखित्वा तस्य चित्रं स्वीकृत्य अपि प्रेषयितुं शक्नुवन्ति।
🗣सहैव तानि वाक्यानि उक्त्वा ध्वनिमाध्यमेन अपि प्रेषयत।
Read in English
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#chitram
July 5, 2022
July 5, 2022
July 5, 2022
July 5, 2022
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🕚 IST 11:00 AM
🔰 मम प्रियं पुस्तकम्
🗓07th July 2022, गुरुवासरः
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📑यदि शक्येत चेत् संस्कृतेन ( किमपि पुस्तकस्य विषये पुस्तके स्थितं व्यक्तेः विषये ) चर्चार्थं कृपया पूर्वसिद्धतां कृत्वा आगच्छन्तु।
वयं युष्माकं प्रतीक्षां कुर्मः। 😇
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🔰 मम प्रियं पुस्तकम्
🗓07th July 2022, गुरुवासरः
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स्मारणतंत्रिकां स्थापयतु ⏰
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July 6, 2022
July 6, 2022
July 6, 2022
संस्कृतवाक्याभ्यासः
भविष्यकाले किं भविष्यति इति सर्वे चिन्तयन्ति।
= भविष्य में क्या होगा यह सभी सोचते हैं।
भविष्यकाले अस्माकं शक्तिः क्षीणा तु न भविष्यति।
= भविष्यकाल में हमारी शक्ति क्षीण तो नहीं हो जाएगी।
भविष्यकाले अस्माकं ज्ञानम् अपि क्षीणं न भविष्यति।
= भविष्यकाल में हमारा ज्ञान भी क्षीण नहीं हो जाएगा।
भविष्यकाले अस्माकम् उत्साहः अपि न्यूनः न भविष्यति।
= भविष्यकाल में हमारा उत्साह भी कम नहीं होगा।
यथा वयम् अधुना कार्यं कुर्मः तथैव भविष्ये अपि करिष्यामः।
= जैसे हम आज काम कर रहे हैं वैसे ही भविष्य में भी करेंगे।
यः परिश्रमं करोति सः परिणामं प्राप्नोति।
= जो श्रम करता है वह परिणाम पाता है।
आम् , कदाचित् अधिकः श्रमः करणीयः भविष्यति।
= हाँ , शायद अधिक श्रम करना पड़ेगा।
श्रमं विना तु कस्य अपि जीवनं न चलति।
= श्रम के बिना तो किसी का भी जीवन नहीं चलता है।
अतएव निरुत्साहिनः मा भवन्तु।
= अतः निरुत्साही मत बनिये।
वर्तमानस्य निर्मातारः वयमेव तथैव भविष्यस्य अपि निर्मातारः वयमेव स्मः।
= वर्तमान के निर्माता हम ही हैं उसी प्रकार भविष्य के भी निर्माता हम ही हैं।
आगच्छन्तु सर्वेषां निराशां दूरं करवाम।
= आईये सबकी निराशा को दूर करते हैं।
संस्कृतवाक्याभ्यासः
चलचित्रं वयं सर्वे पश्यामः।
= फ़िल्म हम सभी देखते हैं।
केचन युवकाः , युवत्यः च सर्वाणि चलचित्राणि पश्यन्ति।
= कुछ युवक और युवतियाँ सभी फिल्में देखते हैं।
ते चलचित्रस्य कथानकं न जानन्ति।
= वे चलचित्र की कहानी को नहीं जानते हैं।
ते अभिनेतुः स्वभावं जीवनं च न जानन्ति।
= वे अभिनेता के स्वभाव और जीवन को भी नहीं जानते हैं।
तथापि युवकाः , युवत्यः च चलचित्रं द्रष्टुं गच्छन्ति।
= फिर भी युवक और युवतियाँ फ़िल्म देखने जाते हैं।
वस्तुतः चलचित्रेण कोsपि सन्देशः मिलति चेत् अवश्यमेव द्रष्टव्यम्।
= वस्तुतः फ़िल्म से कोई संदेश मिलता है तो अवश्य देखनी चाहिये।
चलचित्रम् अस्मान् कुमार्गं प्रति नयति चेत् नैव द्रष्टव्यम्।
= चलचित्र हमें कुमार्ग की ओर ले जाता है तो नहीं ही देखनी चाहिये।
अद्य एकः ऋषि: नामकः अभिनेता दिवंगतः जातः।
= आज एक ऋषि नाम वाला अभिनेता मर गया।
अहं तस्य एकमपि चलचित्रं न दृष्टवान्।
= मैंने उसकी एक भी फ़िल्म नहीं देखी।
इरफान नामकः अभिनेता अपि दिवंगतः जातः।
= इरफान नाम का भी अभिनेता भी मर गया।
तेन अभिनीतम् एकं चलचित्रम् अहं दृष्टवान्।
= उसके द्वारा अभिनीत एक फ़िल्म।मैंने देखी थी।
चलचित्रस्य नाम "कमलायाः मृत्युः" इति आसीत्।
= चलचित्र का नाम "कमला की मृत्यु" था।
दूरदर्शने एतस्य चलचित्रस्य प्रसारणम् अभवत्।
= दूरदर्शन पर इस फ़िल्म का प्रसारण हुआ था।
#vakyabhyas
भविष्यकाले किं भविष्यति इति सर्वे चिन्तयन्ति।
= भविष्य में क्या होगा यह सभी सोचते हैं।
भविष्यकाले अस्माकं शक्तिः क्षीणा तु न भविष्यति।
= भविष्यकाल में हमारी शक्ति क्षीण तो नहीं हो जाएगी।
भविष्यकाले अस्माकं ज्ञानम् अपि क्षीणं न भविष्यति।
= भविष्यकाल में हमारा ज्ञान भी क्षीण नहीं हो जाएगा।
भविष्यकाले अस्माकम् उत्साहः अपि न्यूनः न भविष्यति।
= भविष्यकाल में हमारा उत्साह भी कम नहीं होगा।
यथा वयम् अधुना कार्यं कुर्मः तथैव भविष्ये अपि करिष्यामः।
= जैसे हम आज काम कर रहे हैं वैसे ही भविष्य में भी करेंगे।
यः परिश्रमं करोति सः परिणामं प्राप्नोति।
= जो श्रम करता है वह परिणाम पाता है।
आम् , कदाचित् अधिकः श्रमः करणीयः भविष्यति।
= हाँ , शायद अधिक श्रम करना पड़ेगा।
श्रमं विना तु कस्य अपि जीवनं न चलति।
= श्रम के बिना तो किसी का भी जीवन नहीं चलता है।
अतएव निरुत्साहिनः मा भवन्तु।
= अतः निरुत्साही मत बनिये।
वर्तमानस्य निर्मातारः वयमेव तथैव भविष्यस्य अपि निर्मातारः वयमेव स्मः।
= वर्तमान के निर्माता हम ही हैं उसी प्रकार भविष्य के भी निर्माता हम ही हैं।
आगच्छन्तु सर्वेषां निराशां दूरं करवाम।
= आईये सबकी निराशा को दूर करते हैं।
संस्कृतवाक्याभ्यासः
चलचित्रं वयं सर्वे पश्यामः।
= फ़िल्म हम सभी देखते हैं।
केचन युवकाः , युवत्यः च सर्वाणि चलचित्राणि पश्यन्ति।
= कुछ युवक और युवतियाँ सभी फिल्में देखते हैं।
ते चलचित्रस्य कथानकं न जानन्ति।
= वे चलचित्र की कहानी को नहीं जानते हैं।
ते अभिनेतुः स्वभावं जीवनं च न जानन्ति।
= वे अभिनेता के स्वभाव और जीवन को भी नहीं जानते हैं।
तथापि युवकाः , युवत्यः च चलचित्रं द्रष्टुं गच्छन्ति।
= फिर भी युवक और युवतियाँ फ़िल्म देखने जाते हैं।
वस्तुतः चलचित्रेण कोsपि सन्देशः मिलति चेत् अवश्यमेव द्रष्टव्यम्।
= वस्तुतः फ़िल्म से कोई संदेश मिलता है तो अवश्य देखनी चाहिये।
चलचित्रम् अस्मान् कुमार्गं प्रति नयति चेत् नैव द्रष्टव्यम्।
= चलचित्र हमें कुमार्ग की ओर ले जाता है तो नहीं ही देखनी चाहिये।
अद्य एकः ऋषि: नामकः अभिनेता दिवंगतः जातः।
= आज एक ऋषि नाम वाला अभिनेता मर गया।
अहं तस्य एकमपि चलचित्रं न दृष्टवान्।
= मैंने उसकी एक भी फ़िल्म नहीं देखी।
इरफान नामकः अभिनेता अपि दिवंगतः जातः।
= इरफान नाम का भी अभिनेता भी मर गया।
तेन अभिनीतम् एकं चलचित्रम् अहं दृष्टवान्।
= उसके द्वारा अभिनीत एक फ़िल्म।मैंने देखी थी।
चलचित्रस्य नाम "कमलायाः मृत्युः" इति आसीत्।
= चलचित्र का नाम "कमला की मृत्यु" था।
दूरदर्शने एतस्य चलचित्रस्य प्रसारणम् अभवत्।
= दूरदर्शन पर इस फ़िल्म का प्रसारण हुआ था।
#vakyabhyas
July 6, 2022
July 6, 2022
. ।। ॐ ।।
चिरन्तन-हासः ।
कश्चन मनुष्यः रमेशस्य कार्यालयं प्रविशति , रमेश-विषये पृच्छां करोति ।
मनुष्यः - अहं रमेशं मेलितुम् इच्छामि ।
कार्यालयस्थः - भवान् उपविशतु कृपया । भवान् कः ?
मनुष्यः - (उपविश्य ) अहं रमेशस्य पितृव्यः ( uncle - father's brother ) ।
कार्यालयस्थः - एकमेव पितृव्यः ?
मनुष्यः - ( साश्चर्यं ) आम् । किन्तु किमर्थम् एषः प्रश्नः ?
कार्यालयस्थः - महोदय ! भवतः एव आकस्मिक-निधनकारणात् सः दूरभाषं कृत्वा अद्य अन्तिम-क्रियार्थम् अवकाशं स्वीकृतवान् ।
( भवतां सर्वेषां दिनम् आनन्दमयं भवेत् । )
----- संस्कृतानन्दः ।
#hasya
चिरन्तन-हासः ।
कश्चन मनुष्यः रमेशस्य कार्यालयं प्रविशति , रमेश-विषये पृच्छां करोति ।
मनुष्यः - अहं रमेशं मेलितुम् इच्छामि ।
कार्यालयस्थः - भवान् उपविशतु कृपया । भवान् कः ?
मनुष्यः - (उपविश्य ) अहं रमेशस्य पितृव्यः ( uncle - father's brother ) ।
कार्यालयस्थः - एकमेव पितृव्यः ?
मनुष्यः - ( साश्चर्यं ) आम् । किन्तु किमर्थम् एषः प्रश्नः ?
कार्यालयस्थः - महोदय ! भवतः एव आकस्मिक-निधनकारणात् सः दूरभाषं कृत्वा अद्य अन्तिम-क्रियार्थम् अवकाशं स्वीकृतवान् ।
( भवतां सर्वेषां दिनम् आनन्दमयं भवेत् । )
----- संस्कृतानन्दः ।
#hasya
July 6, 2022
🍃
♦️manahprasadah saumyatvan maunamatmavinigrahah.
bhavasansuddhirityetattapo manasamucyate৷৷17.16৷৷
⚜Serenity of mind, good-heartedness, self-control, purity of nature this is called mental austerity.(17.16)
⚜मन की प्रसन्नता सौम्यभाव मौन आत्मसंयम और अन्तकरण की शुद्धि यह सब मानस तप कहलाता है।।17.16।।
#geeta
मनःप्रसादः सौम्यत्वं मौनमात्मविनिग्रहः।
भावसंशुद्धिरित्येतत्तपो मानसमुच्यते
।।17.16।।♦️manahprasadah saumyatvan maunamatmavinigrahah.
bhavasansuddhirityetattapo manasamucyate৷৷17.16৷৷
⚜Serenity of mind, good-heartedness, self-control, purity of nature this is called mental austerity.(17.16)
⚜मन की प्रसन्नता सौम्यभाव मौन आत्मसंयम और अन्तकरण की शुद्धि यह सब मानस तप कहलाता है।।17.16।।
#geeta
July 6, 2022
July 6, 2022
🍃
♦️sraddhaya paraya taptan tapastatitravidhan naraih.
aphalakanksibhiryuktaih sattvikan paricaksate৷17.17৷৷
⚜This threefold austerity, practised by steadfast men, with the utmost faith, desiring no reward, they call Sattvic.(17.17)
⚜फल की आकांक्षा न रखने वाले युक्त पुरुषों के द्वारा परम श्रद्धा से किये गये उस पूर्वोक्त त्रिविध तप को सात्त्विक कहते हैं।।17.17।।
#geeta
श्रद्धया परया तप्तं तपस्तत्ित्रविधं नरैः।
अफलाकाङ्क्षिभिर्युक्तैः सात्त्विकं परिचक्षते
।।17.17।।♦️sraddhaya paraya taptan tapastatitravidhan naraih.
aphalakanksibhiryuktaih sattvikan paricaksate৷17.17৷৷
⚜This threefold austerity, practised by steadfast men, with the utmost faith, desiring no reward, they call Sattvic.(17.17)
⚜फल की आकांक्षा न रखने वाले युक्त पुरुषों के द्वारा परम श्रद्धा से किये गये उस पूर्वोक्त त्रिविध तप को सात्त्विक कहते हैं।।17.17।।
#geeta
July 6, 2022
July 6, 2022
@samskrt_samvadah is starting Narayaneeyam Classes.
विषय — नारायणीयं गायनं (How to recite Narayaneeyam)
शिक्षिका — ललिता विश्वनाथन्
Time — 9AM🕘 (Indian time)
Date —7th July 2022, Thursday
Please come with hard copy or soft copy of Narayaneeyam on time.
Set a reminder.
https://t.me/samskrt_samvadah?voicechat
विषय — नारायणीयं गायनं (How to recite Narayaneeyam)
शिक्षिका — ललिता विश्वनाथन्
Time — 9AM🕘 (Indian time)
Date —7th July 2022, Thursday
Please come with hard copy or soft copy of Narayaneeyam on time.
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July 6, 2022
July 6, 2022
Forwarded from संस्कृत संवादः । Sanskrit Samvadah (Sushama)
@samskrt_samvadah संलापशाला - A Samskrit Voicechat room.
यदीच्छसि वशीकर्तुं, भाषणमेककर्मणा।
यायास्संलापशालां वै, भवति यत्र भाषणम्।।
⏳45 निमेषाः
🕚 IST 11:00 AM
🔰 मम प्रियं पुस्तकम्
🗓07th July 2022, गुरुवासरः
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🔰 मम प्रियं पुस्तकम्
🗓07th July 2022, गुरुवासरः
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July 6, 2022
Forwarded from संस्कृत संवादः । Sanskrit Samvadah (Bhavani Raman)
Telegram
संस्कृत संवादः (Sanskrit Samvadah)
Narayaneeyam
July 6, 2022
Forwarded from रामदूतः — The Sanskrit News Platform (ॐ पीयूषः)
https://youtu.be/uegZZ2qjmeQ
प्रतिदिनं प्रातः ७:१५ वादने १५ निमेषात्मिकायै वार्तायै डी डी न्यूज् इति पश्यत।
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YouTube
वार्ता: || Vaarta: News in Sanskrit language | 07.07.2022
वार्ता: || Vaarta: News in Sanskrit language | 07.07.2022
DD News 24x7 | Breaking News and other Live updates | News in Hindi | Latest News
DD News is India’s 24x7 news channel from the stable of the country’s Public Service Broadcaster, Prasar Bharati.…
DD News 24x7 | Breaking News and other Live updates | News in Hindi | Latest News
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July 6, 2022
July 6, 2022
July 6, 2022
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July 6, 2022