सद्गुरुश्रीत्यागब्रह्मप्रपत्तिस्तुतिः
ॐ
। श्रीरामजयम् ।
श्रीः
ॐ सद्गुरुश्रीत्यागराजस्वामिने नमो नमः ।
ॐ त्यागराजाय विद्महे । भक्ताश्रयाय धीमहि ।
तन्नो गुरुः प्रचोदयात् ॥
अथ सद्गुरुश्रीत्यागब्रह्मप्रपत्तिस्तुतिः ।
सरससङ्गीतभास्कर परमसुज्ञानभास्वर
लडहरागस्वरार्णव सदयरामप्रियार्णव ।
शमनसप्तस्वरालय महितनामस्वरालय
शरणमाचार्यदैवत शरणमाचार्यदैवत ॥ १॥
सहजसद्दर्शनायुत सततसत्तारकारत
सवनसंरक्षदर्शन सततसच्चित्तदर्शित ।
गुरुवरत्यागराजग वरकृतिस्तोत्ररामग
शरणमाचार्यदैवत शरणमाचार्यदैवत ॥ २॥
प्रणवनादोपदेशन प्रणतभक्तार्थसाधन
प्रणतबाधाप्रशामन परमशान्तिप्रदायन ।
परमसद्भक्तिबोधन वरसुसङ्गीतबोधन
शरणमाचार्यदैवत शरणमाचार्यदैवत ॥ ३॥
सुगुणकाकर्लवंशज 1 सगुणकाकुत्स्थराजग 2
रुचिरपञ्चापगास्थल सुचिरसत्कीर्तनस्थिर ।
वरसुसत्त्वप्रबोधन वरगतत्त्वप्रबोधन
शरणमाचार्यदैवत शरणमाचार्यदैवत ॥ ४॥
मुनिसुवर्नारदांशग स्वररहस्योपदेशग
सुमुनिदत्तस्वरार्णव विदितदिव्यस्वरार्णव 3 ।
स्वरसुसूक्ष्मप्रकाशन वरसुगान्धर्वगायन
शरणमाचार्यदैवत शरणमाचार्यदैवत ॥ ५॥
विमलसच्चित्ततेजस विबुधसंतोषगारस
पवनजस्तोत्रपात्रग वनजनेत्रस्वभावग ।
अवनिजाजानिगायन नवनवामिष्टकीर्तन
शरणमाचार्यदैवत शरणमाचार्यदैवत ॥ ६॥
सुमुखतेजोजितार्कच 4 नयनदीप्तिस्फुरज्ज्वल
रसननामस्वराङ्कित गललयामञ्जुतुम्बर ।
करसुमानादझल्लक सुपदमञ्जीरझंझण
शरणमाचार्यदैवत शरणमाचार्यदैवत ॥ ७॥
भजनसङ्गीतहर्षण भजनसन्मार्गदर्शन
भजननामप्रकीर्तन भजनरामप्रलीनग ।
भजनसङ्कीर्तनारम भजनसानन्दनर्तन
शरणमाचार्यदैवत शरणमाचार्यदैवत ॥ ८॥
श्रुतिलयारामगायक भजनगारामतारक
सुकृतिगङ्गाप्रसारग प्रकृतिरामस्वरूपग ।
भजनसत्कीर्तनानट भजनतेजोमयानट
शरणमाचार्यदैवत शरणमाचार्यदैवत ॥ ९॥
उरगशय्योपचारग वरदराजस्वरागग
परमसद्भक्तिरूपक तुरगसम्पूरतारक ।
वरमृदुस्वादुगायन अतिमृदुस्वादुभाषण
शरणमाचार्यदैवत शरणमाचार्यदैवत ॥ १०॥
अमितमाधुर्यसुस्वर वदनवाणीनटस्वर
रमितरामायणावर रमणरामानुगावर ।
अनुदिनागीतरामक अनुदिनापूज्यदैवक
शरणमाचार्यदैवत शरणमाचार्यदैवत ॥ ११॥
जननरोगादिहारग जनितरामाभिरामग
जनकजामातृशौर्यग जनकजाकान्तकान्तिग ।
जनिकरामप्रतापग जयकरश्रीपनामग
शरणमाचार्यदैवत शरणमाचार्यदैवत ॥ १२॥
दशरथानन्दनन्दन दशमुखारिप्रगायन
दमशमादिस्वरूपक दमनसङ्गीतरूपक ।
दनुजसंहारहारग दुरितसंवाहमन्त्रग
शरणमाचार्यदैवत शरणमाचार्यदैवत ॥ १३॥
निगमसत्सारसारग निधितिरस्कारपण्डित 5
निगमसञ्चारनामग निखिलसद्धाररामग ।
स्वरलयस्वादुकीर्तन स्वरसुधामिष्टपायन
शरणमाचार्यदैवत शरणमाचार्यदैवत ॥ १४॥
उपनिषद्वेदगूढग जपितसंसारतारक
तपनवंशोद्भवारत जपनमन्त्रस्वरायुत ।
शतसहस्रायुताजप 6 जपितमन्त्रस्वरूपग 7
शरणमाचार्यदैवत शरणमाचार्यदैवत ॥ १५॥
वरकृतिक्षामपूजन वरनुतिक्षौमगायन
स्वरकुटीरस्थमावर वरगुणग्रामगारम ।
सुरभिसङ्गीतमोहन सुरभिपुष्पार्चनारम
शरणमाचार्यदैवत शरणमाचार्यदैवत ॥ १६॥
स्मरणसौख्याभिरामग स्वरसमुद्रप्लवारम
स्मृतसुसीतामनोहर स्वरितनामस्वराक्षर ।
शरदवर्णातिरागग शरधिपूर्णानुरागग
शरणमाचार्यदैवत शरणमाचार्यदैवत ॥ १७॥
स्वररसाचारुगारव वररवाहूतराघव
सततसम्मग्नगारस सततमाध्यातसारस ।
श्रुतिलयारामरामग द्युतिमयापूर्णपूर्णग
शरणमाचार्यदैवत शरणमाचार्यदैवत ॥ १८॥
नृपतिरामस्वमानस सफलनामस्वगारस
ग्रहबलानिग्रहालय सहजतेजोमयालय ।
सहजसद्ध्यानसालय सहरिजित्सुप्रभालय
शरणमाचार्यदैवत शरणमाचार्यदैवत ॥ १९॥
रविशशिस्मेरनेत्रग कविनमस्कारकीर्तन
इनकुलस्वामिसेवन सनकसन्नूतगायन ।
कनकतेजस्कगात्रग कनकचेलस्वगोत्रग
शरणमाचार्यदैवत शरणमाचार्यदैवत ॥ २०॥
कविरसागीतकृष्णक सुमनआराध्यकृष्णग
नडहनौकाचरित्रग 8 हरिसुपादप्रपत्तिग ।
मधुरवेणुस्वरस्वग प्रणुतगागोपिकारम
शरणमाचार्यदैवत शरणमाचार्यदैवत ॥ २१॥
कविमनस्स्फूर्तिबीजक कविरसस्यन्दगायक
छविलसत्सुस्वरार्थग रविकुलाब्धिस्फुरच्चग ।
दिविजसङ्गीतसालय दिविजगान्धर्वगायन
शरणमाचार्यदैवत शरणमाचार्यदैवत ॥ २२॥
स्फुटसुसङ्गीतहल्लक स्फुरदखण्डार्थदीपिक
अमितसुज्ञानहिम्यद अमितकृत्यौघगङ्गिक ।
तरणिवंशप्रभूतग धरणिजाभाग्यभावग
शरणमाचार्यदैवत शरणमाचार्यदैवत ॥ २३॥
वरमहास्थैर्यहैमद सुरगणापूज्यविष्णुग
सरलसंवाहगाऽमृत सुरसगावाहगङ्गिक ।
स्वररसावर्षगानत स्वरलयामिश्रिताक्षर
शरणमाचार्यदैवत शरणमाचार्यदैवत ॥ २४॥
सुमतिसम्पादगायक कुमतिविद्वद्विदूरग
सुयतिशान्त्योपयुक्तग विरतिसद्भक्तियुक्तग ।
सुहृदयाह्लादरामग वरसुहृत्सारसावर
शरणमाचार्यदैवत शरणमाचार्यदैवत ॥ २५॥
परमवैराग्यशीलग परमशान्तिस्वमूर्तिग
इहपरस्वार्थरामग गहनसंसारतारग ।
रघुवरश्रेष्ठगायक हरिहरस्मेरगीतिक
शरणमाचार्यदैवत शरणमाचार्यदैवत ॥ २६॥
मधुरसद्गानवारिज परुषशब्दातिरोगह
मधुरसामिष्टगायन स्वरलयश्रैष्ठ्यपाठन ।
मलिनचिद्वृत्तिनाशन पतितवैकल्यधावन
शरणमाचार्यदैवत शरणमाचार्यदैवत ॥ २७॥
कुभवपाशप्रणाशन सुभगनामप्रकाशन
सुभवजप्तस्वरामग सुभवसम्प्रीतनामग ।
प्रभवरामप्रभावग खभवगङ्गाप्रवाहग
शरणमाचार्यदैवत शरणमाचार्यदैवत ॥ २८॥
क्षमितभक्ताघसञ्चय चरणसंश्लिष्टपावन
शमितसच्चित्तसालय नमितभक्तान्तरालय ।
जपितमन्त्रोपदेशन जपितनामोपगापन
शरणमाचार्यदैवत शरणमाचार्यदैवत ॥ २९॥
मननसन्मानसारम नमनवाक्चित्तपूरण
भजनसाराधनारत नवननामोपगारत ।
चरणसङ्ग्राह्यनुग्रह करधृतप्रीतिनायक
शरणमाचार्यदैवत शरणमाचार्यदैवत ॥ ३०॥
विविधरागस्वराक्षर विविधसत्कीर्तनस्फुर
सहजसंस्फोटकीर्तन कृतिलयस्फूर्तिकीर्तित ।
स्फुरितसन्नूतिमण्डल स्फुटनुतिस्तोममण्डित
शरणमाचार्यदैवत शरणमाचार्यदैवत ॥ ३१॥
भजनसम्पूजनारत सुमनआराधनारत
भजकसद्गीतिभावक मधुरवाणीरसावह ।
प्रचुरवात्सल्यभृत्यप सुभगदृष्टिप्रसादक
शरणमाचार्यदैवत शरणमाचार्यदैवत ॥ ३२॥
जननसंसाररोगह मरणभीत्याद्यपोहन
चरणसंध्यातृसस्थिर शरणमागन्तुधारण ।
स्मरणसाध्यानपोषण भजकसात्मीकरावन
शरणमाचार्यदैवत शरणमाचार्यदैवत ॥ ३३॥
धृतिसुपद्यप्रसाधित धृतिसुपद्यप्रभासन
धृतिगृहीतप्रसादक धृतिगृहीतप्रणायक ।
धृतिमयागीतपूजित धृतिमयासङ्ग्यनुग्रह
शरणमाचार्यदैवत शरणमाचार्यदैवत ॥ ३४॥
सतततथ्योपचारित नियतनित्योपचारित
सुमनआराधितार्चित सलयसत्त्वोपगापित ।
सहजभक्तिस्तवार्चित सहजभक्त्योपवीणित
शरणमाचार्यदैवत शरणमाचार्यदैवत ॥ ३५॥
सततमात्मारमालय सततरामोपगालय
सततसद्गानसालय सततशिष्यास्मरालय ।
सततसन्नूतिगालय सततिमच्छ्वासमिश्रित
शरणमाचार्यदैवत शरणमाचार्यदैवत ॥ ३६॥
सततनादस्वरालय सततरामस्वरालय
सततसङ्गीतसार्चित सततयुक्तस्मरार्चित ।
सततपुष्पालयस्थित सततपुष्पामनःस्थित
शरणमाचार्यदैवत शरणमाचार्यदैवत ॥ ३७॥
शरणमारामरामग शरणमाश्वेतमानस
शरणमागाधभक्तिग शरणमागाधभक्तिद ।
शरणमज्ञानवारह शरणमन्तर्लयावह
शरणमाचार्यदैवत शरणमाचार्यदैवत ॥ ३८॥
गुरुवरश्रैष्ठ्यदायक रघुवरप्रेमभावक
मृदुतरस्वादुगापन चिरतरापूर्णभक्तिद ।
सततसज्ज्ञानपुष्टिद निरतसुज्ञानतुष्टिद
शरणमाचार्यदैवत शरणमाचार्यदैवत ॥ ३९॥
शुभदसङ्गीतदैवत प्रणुतसीतापमङ्गल
प्रणतसर्वार्थमङ्गल प्रणयिसन्नादमङ्गल ।
सकलसौभाग्यमङ्गल सततमानन्दमङ्गल
शरणमाचार्यदैवत शरणमाचार्यदैवत ॥ ४०॥
मङ्गलं त्यागराजाय मदाचार्याय मङ्गलम् ।
शरणागतरक्षाय मत्सर्वस्वाय मङ्गलम् ॥
त्यागराजगुरुस्वामिशिष्यापुष्पाकृतस्तुतिः ।
गुरुप्रेरणसङ्गीता गुर्वाशीर्वादमङ्गला ॥
ॐ
शुभमस्तु ।
इति सद्गुरुश्रीत्यागब्रह्मप्रपत्तिस्तुतिः
गुरुचरणपुष्पे गुरुशरणार्थिपुष्पया समर्पिता ।
ॐ
Footnotes
1 Verse 4 line 1 सुगुणकाकर्लवंशज = Sadguru
Sri Tyagabrahmam
2 Verse 4 line 1 काकुत्स्थराज = Sri Raama
3 Verse 5 line 4 The shloka 5 refers to the treatise on
music, ``स्वरार्णव'', given to the Saint by
the celestial Narada
4 Verse 7 line 1 चः = Moon
5 Verse 14 line 1 निधितिरस्कारपण्डित refers to an
episode in the saint's life, when he rejected the huge riches
offered by the king to sing in his court.
6 Verse 15 line 3 शतसहस्रायुताजप refers to his
japa of the of Sri Rama mantra 96 crore times.
7 Verse 15 line 3 जपितमन्त्रस्वरूपग refers to His
getting Sri Rama darsanam and His ecstatic singing of Sri
Rama's svarupa ( elani dayaradu; atana)
8 Verse 21 line 3 नडहनौकाचरित्रग refers to
the saint's opera ᳚naukacaritram᳚ in which he describes with
poetic beauty the sojourn of the gopis with the child Krishna
by boat in Yamuna
Encoded and proofread by N V Vathsan nvvathsan at gmail.com
Copyright Pushpa Srivatsan