देवकृतोपनिषत्सार रुद्रस्तवः

देवकृतोपनिषत्सार रुद्रस्तवः

यो वै रुद्रस्स भगवान्यश्च ब्रह्मा तस्मै वै नमो नमः । यो वै रुद्रस्स भगवान्यश्च विष्णुस्तस्मै वै नमो नमः ॥ १॥ यो वै रुद्रस्स भगवान्यश्च रुद्रस्तस्मै वै नमो नमः । यो वै रुद्रस्स भगवान्या चोमा तस्मै वै नमो नमः ॥ २॥ यो वै रुद्रस्स भगवान्यश्च विनायकस्तस्मै वै नमो नमः । यो वै रुद्रस्स भगवान्यश्च स्कन्दस्तस्मै वै नमो नमः ॥ ३॥ यो वै रुद्रस्स भगवान्यश्चेन्द्रस्तस्मै वै नमो नमः । यो वै रुद्रस्स भगवान्यश्चाग्निस्तस्मै वै नमो नमः ॥ ४॥ यो वै रुद्रस्स भगवान्यश्च वायुस्तस्मै वै नमो नमः । यो वै रुद्रस्स भगवान्यश्च सूर्यस्तस्मै वै नमो नमः ॥ ५॥ यो वै रुद्रस्स भगवान्यश्च वरुणस्तस्मै वै नमो नमः । यो वै रुद्रस्स भगवान्यश्च यमस्तस्मै वै नमो नमः ॥ ६॥ यो वै रुद्रस्स भगवान्यश्च निरृतिस्तस्मै वै नमो नमः । यो वै रुद्रस्स भगवान्यश्च ईशानस्तस्मै वै नमो नमः ॥ ७॥ यो वै रुद्रस्स भगवान्यश्च कुबेरस्तस्मै वै नमो नमः । यो वै रुद्रस्स भगवान्यश्च नक्षत्राणि तस्मै वै नमो नमः ॥ ८॥ यो वै रुद्रस्स भगवान्यश्चाष्टौ ग्रहास्तस्मै वै नमो नमः । यो वै रुद्रस्स भगवान्यश्च ऋषयस्तस्मै वै नमो नमः ॥ ९॥ यो वै रुद्रस्स भगवान्यश्चाष्टौ वसवस्तस्मै वै नमो नमः । यो वै रुद्रस्स भगवान्यश्च द्वादशादित्यास्तस्मै वै नमो नमः ॥ १०॥ यो वै रुद्रस्स भगवान्यश्च एकादशरुद्रास्तस्मै वै नमो नमः । यो वै रुद्रस्स भगवान्यश्च पृथीवी तस्मै वै नमो नमः ॥ ११॥ यो वै रुद्रस्स भगवान्यश्चापस्तस्मै वै नमो नमः । यो वै रुद्रस्स भगवान्यश्च तेजस्तस्मै वै नमो नमः ॥ १२॥ यो वै रुद्रस्स भगवान्यश्च वायुस्तस्मै वै नमो नमः । यो वै रुद्रस्स भगवान्यश्चाकाशस्तस्मै वै नमो नमः ॥ १३॥ यो वै रुद्रस्स भगवान्यश्च भूस्तस्मै वै नमो नमः । यो वै रुद्रस्स भगवान्यश्च भुवस्तस्मै वै नमो नमः ॥ १४॥ यो वै रुद्रस्स भगवान्यश्च सुवस्तस्मै वै नमो नमः । यो वै रुद्रस्स भगवान्यश्च महस्तस्मै वै नमो नमः ॥ १५॥ यो वै रुद्रस्स भगवान्यश्च जनस्तस्मै वै नमो नमः । यौ वै रुद्रस्स भगवान्यश्च तपस्तस्मै वै नमो नमः ॥ १६॥ यो वै रुद्रस्स भगवान्यश्च सत्यं तस्मै वै नमो नमः । यो वै रुद्रस्स भगवान्यश्च प्राणास्तस्मै वै नमो नमः ॥ १७॥ यो वै रुद्रस्स भगवान्यश्च मनस्तस्मै वै नमो नमः । यो वै रुद्रस्स भगवान्यश्च सर्वं तस्मै वै नमो नमः ॥ १८॥ यो वै रुद्रस्स भगवान्यश्च कालस्तस्मै वै नमो नमः । यो वै रुद्रस्स भगवान्यश्च मृत्युस्तस्मै वै नमो नमः ॥ १९॥ यो वै रुद्रस्स भगवान्यश्च भूतं तस्मै वै नमो नमः । यो वै रुद्रस्स भगवान्यश्च भविष्यत्तस्मै वै नमो नमः ॥ २०॥ यो वै रुद्रस्स भगवान्यश्च वर्तमानं तस्मै वै नमो नमः । ओमादावन्ते च भूर्भुवस्वस्त्रिरोङ्कृतिः ॥ २१॥ ॥ इति शिवरहस्यान्तर्गते माहेश्वराख्ये देवकृतोपनिषत्सार रुद्रस्तवः ॥ - ॥ श्रीशिवरहस्यम् । माहेश्वराख्यः प्रथमांशः । अध्यायः ५४ - देवकृतोपनिषत्स्तुतिः । १-२१॥ - .. shrIshivarahasyam . mAheshvarAkhyaH prathamAMshaH . adhyAyaH 54 - devakRRitopaniShatstutiH . 1-21.. Notes: Deva-s देवाः eulogize Rudra रुद्र as The One Who Exists in All Worlds, Places, Things, Elements, Directions, Events, Beings, Times, as propounded in The Upaniṣat उपनिषत् - the mystery that rests underneath the external system of things. Encoded and proofread by Ruma Dewan
% Text title            : Devakritopanishatsara Rudra Stava
% File name             : devakRRitopaniShatsArarudrastavaH.itx
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% engtitle              : devakRitopaniShatsAra rudrastavaH
% Category              : shiva, shivarahasya, stava, upanishhat, upaniShat
% Location              : doc_shiva
% Sublocation           : shiva
% Language              : Sanskrit
% Subject               : philosophy/hinduism/religion
% Transliterated by     : Ruma Dewan
% Proofread by          : Ruma Dewan
% Description/comments  : shrIshivarahasyam | mAheshvarAkhyaH prathamAMshaH | adhyAyaH 54 - devakRitopaniShatstutiH | 1-21||
% Indexextra            : (Scans 1)
% Latest update         : December 17, 2023
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% Site access           : https://sanskritdocuments.org

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