श्रीभूतनाथाष्टकम्
पञ्चाक्षरप्रिय विरिञ्चादिपूजित परञ्ज्योतिरूपभगवन्
पञ्चाद्रिवास शिखिपिञ्छावतंस जयवाञ्छानुकूलवरद ।
पञ्चास्यवाह मणिकाञ्ची गुणाञ्छित सुमञ्जीर मञ्जुलपद
पञ्चास्त्रकोटिरुचिरञ्जीकृताङ्ग सुरसञ्जीवनप्रद विभो ॥ १॥
लीलावतार मणिमालाकलाप शरशूलायुधोज्ज्वलकर
शैलाग्रवास मृगलीलामदालस कलाधीश चारुवदन ।
हालास्यनाथ पदलोलस्यपाण्ड्यनरपालस्य बालवरद
श्रीलास्यदेवतरुमूलाधिवास जगदालम्बपासयविभो ॥ २॥
नृत्ताभिमोद निजभक्तानुमोद विलसत्तार केशवदन
सत्तापसार्चित समस्तान्तरस्थित विशुद्धात्मबोधजनक ।
चित्ताभिरम्य जगदोद्धारशक्तिधर शार्दूलदुग्धहरण
मुग्धाङ्गराग मणियुक्तप्रभारमण नित्यं नमोऽस्तु भगवन् ॥ ३॥
वेतालभूतगणनाथा विनोदसुरगीताभिमानचरिता
पातालनाकवसुधाधार पाण्ड्यसुत चेतोविमोहनकर ।
वेदागमादिनुतपादादिकेश जगदाधार भूतशरण
वीतामयात्मसुखबोधा विभूतिधर नाथा नमोऽस्तुभगवन् ॥ ४॥
मन्दारकुन्दकुरुविन्दारविन्द सुमवृन्दादिहार सुषम
वृन्दारकेन्द्रमुनिवृन्दाभिवन्द्यपदः वन्दारुचिन्तितकर ।
कन्दर्प सुन्दरसुगन्धानुलेप भवसन्तापशान्तिदविभो
सन्तानदायक परन्धाम पाहिसुरबन्धो हरीशतनय ॥ ५॥
धाराधराभ मणिहारावलीवलय हीराङ्गदातिरुचिर
धीरावतंस घनसारादि भूतपरिवाराभिरम्यचरित ।
घोरारिमर्दन सदारामनर्तन विहार त्रिलोक शरण
ताराधिनाथमुख माराभिराम जय वीरासनस्थितविभो ॥ ६॥
ज्ञानाभिगम्य सुरगानाभिरम्य भवदीनावनैक निपुण
ज्ञानस्वरूप परमानन्दचिन्मय जगन्नाथ भूतशरण ।
नानामृगेन्द्रमृगयानन्द पाण्ड्यहृदयानन्दनन्दन विभो
सूनायुधाञ्चितसमानाङ्ग पाहिसुरसेनासमूहभरण ॥ ७॥
वेदान्तसार विबुधाद्धार वेत्रधर पादारविन्द शरणं
भूताधिनाथ पुरुहूतादि पूजित किरातावतार शरणम् ।
आधारभूत रिपुबाधाविमोचन सुराधारनाथ शरणं
नादान्तरङ्ग गुरुनाथानतार्त्तिहर गीताभिमोद शरणम् ॥ ८॥
इति श्रीभूतनाथाष्टकं सम्पूर्णम् ।
Proofread by Mohan Chettoor