दत्तनामसङ्कीर्तनम् गुजराती अर्थसहितम्

दत्तनामसङ्कीर्तनम् गुजराती अर्थसहितम्

मालाकमण्डलुधरः करपद्मयुग्मे मध्यस्थपाणियुगले डमरुत्रिशूले । यस्यस्त ऊर्ध्वकरयोः शुभशङ्खचक्रे वन्दे तमत्रिवरदं भुजषयुक्तम् ॥ ॐ श्रीदत्तः प्रसन्नोऽस्तु श्वासे श्वासे दत्तनाम स्मरात्मन् दत्तनामसङ्कीर्तनं श्रीदत्त दत्त भवसागरपोत दत्त (संसार सागरनी नौका) श्रीदत्त दत्त सुरकिन्नरगीत दत्त । (देवो अने किन्नरोथी स्तुति करायेल) श्रीदत्त दत्त जनसंस्तुत दत्त दत्त (लोको द्वारा प्रशंसा कराता) श्रीदत्त दत्त दितवाञ्छित दत्त दत्त ॥ १॥ (ईच्छाओनो नाश करनार) श्रीदत्त दत्त कलितारक दत्त दत्त (कलियुगमां तारनार) श्रीदत्त दत्त भयहारक दत्त दत्त । (भय हरनार) श्रीदत्त दत्त सुखकारक दत्त दत्त (सुख करनार) श्रीदत्त दत्त मुनिदारक दत्त दत्त ॥ २॥ (मुनिना बाळ) श्रीदत्त दत्त सुरनायक दत्त दत्त (देवोना नायक) श्रीदत्त दत्त श्रुतिगायक दत्त दत्त । (वेदना गायक) श्रीदत्त दत्त गतिदायक दत्त दत्त (गतिदायक) श्रीदत्त दत्त अकसायक दत्त दत्त ॥ ३॥ (दुःखने (वींधनारुं) बाण) श्रीदत्त दत्त जननातिग दत्त दत्त (जन्म मरणथी पर) श्रीदत्त दत्त श्रवणातिग दत्त दत्त । (श्रवणथी पर) श्रीदत्त दत्त कवनातिग दत्त दत्त (कवन काव्यथी पर) श्रीदत्त दत्त पवनातिग दत्त दत्त ॥ ४॥ (पवनथी पण आगळ जनार) श्रीदत्त दत्त निगमागमसार दत्त (निगम वेद अने आगम शास्त्रोना साररूप) श्रीदत्त दत्त भवसागरतार दत्त । (संसाररूपी सागरना तारक) श्रीदत्त दत्त हृतभूतलभार दत्त (दुनियानो भार हरनार) श्रीदत्त दत्त मुखनिर्जितमार दत्त ॥ ५॥ (मुखनी शोभाथी कामदेवने जीतनार) श्रीदत्त दत्त भयमोचितलेश दत्त । (ईन्द्रने भयथी मुक्त करनार) श्रीदत्त दत्त हतदैत्यकुलेश दत्त (दैत्योना कुळना राजाओने हणनार) श्रीदत्त दत्त धृतबालसुवेष दत्त (बाळकनो सुंदर वेष धारण करनार) श्रीदत्त दत्त वरपिङ्गटकेश दत्त ॥ ६॥ (सुंदर अने पीळचटा वाळवाळा) श्रीदत्त दत्त सुकृताऽर्चित दत्त दत्त (पुण्यशाळीओ वडे पूजाता) श्रीदत्त दत्त मलवर्जित दत्त दत्त । (मळ अने आवरण विनाना) श्रीदत्त दत्त सुगुणाऽर्जित दत्त दत्त (सद्गुणोथी मेळवाता) श्रीदत्त दत्त कलगर्जित दत्त दत्त ॥ ७॥ (मधुर अवाजवाळा) श्रीदत्त दत्त दवदग्धघनेश दत्त (संसाररूपी दावानळथी बळेलाने श्रेष्ठ वादळरूप) श्रीदत्त दत्त भुवनेश वनेश दत्त । (भुवनोना ईश अने वनना ईश) श्रीदत्त दत्त जटिमुण्डिगणेश दत्त (जटावाळा अने संन्यासीओना गणोना ईश) श्रीदत्त दत्त अवधूतजनेश दत्त ॥ ८॥ (अवधूत जनोना ईश) श्रीदत्त दत्त कमलायतनेत्र दत्त (कमळ समान विशाळ नेत्रवाळा) श्रीदत्त दत्त श्रुतिगेयचरित्र दत्त । (वेद द्वारा गावा योग्य चरित्रवाळा) श्रीदत्त दत्त सुरनाथसुमित्र दत्त (ईन्द्रना सन्मित्र) श्रीदत्त दत्त बहुवेषविचित्र दत्त ॥ ९॥ (जुदा जुदा वेषथी शोभता) श्रीदत्त दत्त करवीरसुभिक्ष दत्त (कोल्हापुरमां सभिक्षा मागनार) श्रीदत्त दत्त दमनादिसुशिक्ष दत्त । (दम दया, दान वगेरेनो सम्यक् बोध आपनार) श्रीदत्त दत्त हृदशुद्धिसुदीक्ष दत्त (अंतःकरणनी अशुद्धि दूर करनारी सम्यक् दीक्षा देनार) श्रीदत्त दत्त नयकोविद दक्ष दत्त ॥ १०॥ (नीतिनिपुण अने चतुर) श्रीदत्त दत्त वनवीथिविहार दत्त (जंगलनी केडीओ पर विहार करनार) श्रीदत्त दत्त धृतमौक्तिकहार दत्त । (मोतीनो हार धारण करनार) श्रीदत्त दत्त कलिकल्मषतार दत्त (कलिकाळना पापमांथी तारनार) श्रीदत्त दत्त मलिनोद्धृतनार दत्त ॥ ११॥ (मलिन माणसोना समूहनो उद्धार करनार) श्रीदत्त दत्त सुरपूजित दत्त दत्त (देवो वडे पूजायेला) श्रीदत्त दत्त पिककूजित दत्त दत्त । (कोयल जेवा मधुर कंठवाळा) श्रीदत्त दत्त अलिगुञ्जित दत्त दत्त (भ्रमर जेवा मधुर गुंजनवाळा) श्रीदत्त दत्त रजरञ्जित दत्त दत्त ॥ १२॥ (धूळथी रंगायेला खरडायेला) श्रीदत्त दत्त मुनिनन्दन दत्त दत्त (मुनि अत्रिना पुत्र) श्रीदत्त दत्त अघरन्धन दत्त दत्त । (पापोनो नाश करनार) श्रीदत्त दत्त धृतचन्दन दत्त दत्त (चंदन धारण करनार) श्रीदत्त दत्त सुरमण्डन दत्त दत्त ॥ १३॥ (देवोना आभूषणरूप) श्रीदत्त दत्त ददनप्रिय दत्त दत्त (दान आपवाना शोखीन) श्रीदत्त दत्त हतविक्रिय दत्त दत्त । (विक्रियाने हणनार) श्रीदत्त दत्त स्वयमक्रिय दत्त दत्त (जाते अक्रिय रहेनार) श्रीदत्त दत्त दितिजाऽप्रिय दत्त दत्त ॥ १४॥ (राक्षसोने अप्रिय) श्रीदत्त दत्त जनकामित दत्त दत्त (लोको द्वारा ईच्छाता) श्रीदत्त दत्त वचसाऽमित दत्त दत्त । (वाणी वडे मापी न शकाय तेवा) श्रीदत्त दत्त दनुजाऽजित दत्त दत्त (दैत्योथी अजेय) श्रीदत्त दत्त मलिनोज्झित दत्त दत्त ॥ १५॥ (मलिन माणसोथी त्यजायेल) श्रीदत्त दत्त करुणाकर दत्त दत्त (करुणाना भंडार) श्रीदत्त दत्त सुजटाधर दत्त दत्त । (सुशोभित जटाने धारण करनार) श्रीदत्त दत्त प्रियनिर्झर दत्त दत्त (झरणांओना प्रेमी) श्रीदत्त दत्त ककुबम्बर दत्त दत्त ॥ १६॥ (दिशानुं वस्त्र धारण करनार, दिगंबर) श्रीदत्त दत्त वरस्रग्धर दत्त दत्त (सुंदर माळा धारण करनार) श्रीदत्त दत्त गतमत्सर दत्त दत्त । (मत्सर विनाना) श्रीदत्त दत्त वृतकन्दर दत्त दत्त (गुफाने पसंद करनार) श्रीदत्त दत्त विदुषां वर दत्त दत्त ॥ १७॥ (विद्वानोमां श्रेष्ठ) श्रीदत्त दत्त नतितुष्ट गणेश दत्त (नमस्कारथी संतुष्ट अने श्रीगणेशरूप) श्रीदत्त दत्त कृतितुष्ट धनेश दत्त । (सत्कार्यथी संतुष्ट अने कुबेररूप) श्रीदत्त दत्त धृतिजुष्ट रणेश दत्त (धीरज वडे सेवायेला अने रणना ईश) श्रीदत्त दत्त भुविगुप्त वनेश दत्त ॥ १८॥ (पृथ्वी उपर गुप्त (रीते फरनार) अने वनना ईश) श्रीदत्त दत्त वरवर्णित दत्त दत्त (श्रेष्ठ द्वारा वर्णवायेला) श्रीदत्त दत्त कविकीर्तित दत्त दत्त । (कविओ वडे प्रशंसित) श्रीदत्त दत्त प्रियनर्तित दत्त दत्त (नर्तनना प्रेमी) श्रीदत्त दत्त भयवर्जित दत्त दत्त ॥ १९॥ (भय विनाना) श्रीदत्त दत्त व्रजभूषण दत्त दत्त (व्रजना भूषणरूप) श्रीदत्त दत्त दितदूषण दत्त दत्त । (दूषणने दूर करनार) श्रीदत्त दत्त कृतमूषण दत्त दत्त (चोरी करनार) श्रीदत्त दत्त अरिसूदन दत्त दत्त ॥ २०॥ (शत्रुओने मारनार) श्रीदत्त दत्त सुरपोषण दत्त दत्त (देवोने पोषनार) श्रीदत्त दत्त अघशोषण दत्त दत्त । (पापने शोषनार) श्रीदत्त दत्त वरघोषण दत्त दत्त (सुंदर घोषणा करनार) श्रीदत्त दत्त मुनितोषण दत्त दत्त ॥ २१॥ (मुनिओने संतोष आपनार) श्रीदत्त दत्त घनकान्तिसुरम्य दत्त (मेघ समान कांतिथी सुरम्य) श्रीदत्त दत्त वरदेशिकगम्य दत्त । (श्रेष्ठ आचार्य द्वारा समजाय तेवा) श्रीदत्त दत्त समकन्दरहर्म्य दत्त (गुफा अने महेलने समान माननार) श्रीदत्त दत्त सुलभापि अगम्य दत्त ॥ २२॥ (सुलभ छतां अगम्य=मेळवी न शकाय एवा) श्रीदत्त दत्त चलचित्तविदूर दत्त (चंचळ चित्तवाळाथी अति दूर) श्रीदत्त दत्त मृतचित्तजपूर दत्त । (जेनी काम-वासनाओनां पूर शमी गयां छे ते) श्रीदत्त दत्त रणकर्कशशूर दत्त (रणमां भयंकर अने शूरवीर) श्रीदत्त दत्त शमवन्नविदूर दत्त ॥ २३॥ (शमवाळाथी दूर नहि तेवा) श्रीदत्त दत्त गुरुदेव शरण्य दत्त (शरण लेवा योग्य गुरुदेव) श्रीदत्त दत्त गुरुदेव वरेण्य दत्त । (वरण करवा योग्य गुरुदेव) श्रीदत्त दत्त गुरुदेव वदान्य दत्त (उत्तम दानी गुरुदेव) श्रीदत्त दत्त गुरुदेव सुधन्य दत्त ॥ २४॥ (धन्यतम गुरुदेव) श्रीदत्त दत्त मुखकञ्जजिताब्ज दत्त (मुखरूपी कमळथी कमळने जीतनार) श्रीदत्त दत्त सुरवन्द्यपदाब्ज दत्त । (देवोने वंदन करवा योग्य चरणकमळवाळा) श्रीदत्त दत्त शरणागतभोज दत्त (शरणे आवेलाने भोजन आपनार) श्रीदत्त दत्त नतवाञ्छितदाऽज दत्त ॥ २५॥ (शरणे आवेलाने ईच्छित देनार अने अजन्मा) श्रीदत्त दत्त ऋणमोचन दत्त दत्त (ऋणमांथी छोडावनार) श्रीदत्त दत्त लघुभोजन दत्त दत्त । (ओछुं भोजन करनार) श्रीदत्त दत्त कलकूजन दत्त दत्त (मधुर कूजन करनार) श्रीदत्त दत्त हितपूजन दत्त दत्त ॥ २६॥ (हितकारक छे पूजन जेनुं एवा) श्रीदत्त दत्त मनसा स्मृत दत्त दत्त (मनथी स्मरण करायेला) श्रीदत्त दत्त वचसाऽर्चित दत्त दत्त । (वाणीथी पूजायेला) श्रीदत्त दत्त शिरसा नत दत्त दत्त (मस्तकथी वंदन करायेला) श्रीदत्त दत्त वपूषाऽऽदृत दत्त दत्त ॥ २७॥ (शरीरथी आदर अपायेला) श्रीदत्त दत्त जनिजारण दत्त दत्त (जन्मने जर्जरित करनार) श्रीदत्त दत्त मृतिमारण दत्त दत्त । (मरणने मारनार) श्रीदत्त दत्त भववारण दत्त दत्त (संसारने रोकनार) श्रीदत्त दत्त भयदारण दत्त दत्त ॥ २८॥ (भयने कापनार) श्रीदत्त दत्त सुरसिन्ध्वभिषिक्त दत्त (गंगाथी शिवमुखपर अभिषेक कराता) श्रीदत्त दत्त विदुषामतिसक्त दत्त । (विद्वानोमां अत्यंत आसक्त) श्रीदत्त दत्त परिवर्जिततिक्त दत्त (कडवाशने छोडी देनार) श्रीदत्त दत्त परिपालितभक्त दत्त ॥ २९॥ (भक्तनुं परिपालन करनार) श्रीदत्त दत्त मुनिवन्दितपाद दत्त (मुनिओथी वंदायेलां चरणवाळा) श्रीदत्त दत्त वरवंशनिनाद दत्त । (बंसीना श्रेष्ठ बजवैया) श्रीदत्त दत्त परिवारितवाद दत्त (वादथी दूर रहेनार) श्रीदत्त दत्त बहुमानितसाद दत्त ॥ ३०॥ (कृशताने बहुमान आपनार) श्रीदत्त दत्त शरणागतमित्र दत्त (शरणे आवेलाना मित्र) श्रीदत्त दत्त बहुशोभितचित्र दत्त । (जेनुं चित्र पण खूब शोभावाळुं छे ते) श्रीदत्त दत्त परिवर्जितपत्र दत्त (वाहननो त्याग करनार) श्रीदत्त दत्त अतिसुन्दरवक्त्र दत्त ॥ ३१॥ (अति सुंदर मुखवाळा) श्रीदत्त दत्त बहुशिक्षितमात्र दत्त (शब्दोमां अत्यंत पारंगत) श्रीदत्त दत्त अतिपेलवगात्र दत्त । (अत्यंत सुकुमार गात्रवाळा) श्रीदत्त दत्त धृतरम्यकपात्र दत्त (सुंदर कमंडळ धारण करनार) श्रीदत्त दत्त बहुमानितशास्त्र दत्त ॥ ३२॥ (शास्त्रोने बहुमान आपनार) श्रीदत्त दत्त वरमण्डन दत्त दत्त (श्रेष्ठ आभूषणवाळा) श्रीदत्त दत्त परखण्डन दत्त दत्त । (शत्रु (कामादि) ओनुं खंडन करनार) श्रीदत्त दत्त दितबन्धन दत्त दत्त (बंधनने तोडनार) श्रीदत्त दत्त बहुगञ्जन दत्त दत्त ॥ ३३॥ (घणाने जितनार) श्रीदत्त दत्त भवभञ्जन दत्त दत्त (भवनी भावट भांगनार) श्रीदत्त दत्त मनसोऽञ्जन दत्त दत्त । (मन रूपी आंखना अंजन) श्रीदत्त दत्त सुररञ्जन दत्त दत्त (देवोने आनंद आपनार) श्रीदत्त दत्त परमञ्जन दत्त दत्त ॥ ३४॥ (बीजाओने शुद्ध करनार) श्रीदत्त दत्त भगवन् परमेश दत्त (उत्तम ईश्वर एवा हे भगवन्) श्रीदत्त दत्त भगवन् हतमेष दत्त । (अहंकाररूपी घेटाने हणनार हे भगवन्) श्रीदत्त दत्त भगवन्नजलेश दत्त (देवोना स्वामी एवा हे भगवन्) श्रीदत्त दत्त भगवन् खजलेश दत्त ॥ ३५॥ (आकाश अने पाणीना स्वामी हे भगवन्) श्रीदत्त दत्त भगवन्नतिरम्य दत्त (अतिरम्य एवा हे भगवन्) श्रीदत्त दत्त भगवन्नतिधन्य दत्त । (अति धन्य एवा हे भगवन्) श्रीदत्त दत्त भगवन्नतिगण्य दत्त (अति गणनापात्र एवा हे भगवन्) श्रीदत्त दत्त भगवन्नतिजन्य दत्त ॥ ३६॥ (जन्य जगतथी पर एवा हे भगवन्) श्रीदत्त दत्त भगवन् प्रियदीन दत्त (प्रिय छे दीन जन जेने एवा हे भगवन् !) श्रीदत्त दत्त भगवन् प्रियहीन दत्त । (प्रिय छे हीन जन जेने एवा हे भगवन्) श्रीदत्त दत्त भगवन् धृतमीन दत्त (मत्स्य अवतार धारण करनार हे भगवन्) श्रीदत्त दत्त भगवन्नजलीन दत्त ॥ ३७॥ (अज (ब्रह्म) मां लीन रहेनार हे भगवन्) श्रीदत्त दत्त भगवंस्त्रिगुणेश दत्त (त्रण गुणोना स्वामी एवा हे भगवन्) श्रीदत्त दत्त भगवन् विगुणेश दत्त । (गुणोथी रहितना स्वामी एवा हे भगवन) श्रीदत्त दत्त भगवन्नृगणेश दत्त (जनसमूहना स्वामी एवा हे भगवन्) श्रीदत्त दत्त भगवन् खगणेश दत्त ॥ ३८॥ (चंद्र-तारादिक गणना ईश एवा हे भगवन्) श्रीदत्त दत्त भगवन् मुनिसिंह दत्त (मुनिओमां सिंह जेवा हे भगवन्) श्रीदत्त दत्त भगवन्नरसिंह दत्त । (नरसिंहावतार धरनार हे भगवन्) श्रीदत्त दत्त भगवन्नतिसिंह दत्त (सिंह करतां पण वधु पराक्रमी हे भगवन्) श्रीदत्त दत्त भगवन गतिसिंह दत्त ॥ ३९॥ (सिंह जेवी गतिवाळा हे भगवन्) श्रीदत्त दत्त भगवन् सुगुणाढ्य दत्त (सारा गुणोथी भरपूर हे भगवन्) श्रीदत्त दत्त भगवन् गतजाड्य दत्त । (जडतारहित हे भगवन्) श्रीदत्त दत्त भगवन् सुहताढ्य दत्त (धनमत्तोनी परवा न करनार हे भगवन्) श्रीदत्त दत्त भगवन वरदार्ढ्य दत्त ॥ ४०॥ (अत्यंत श्रेष्ठ दढतावाळा हे भगवन्) श्रीदत्त दत्त भगवन् सकलाप्त दत्त (बधाना आप्तजन एवा हे भगवन्) श्रीदत्त दत्त भगवन् विकलाप्त दत्त । (विकलना आसजन एवा हे भगवन्) श्रीदत्त दत्त भगवन् सगुणाप्त दत्त (सद्गुणवाळाना आमजन एवा हे भगवन्) श्रीदत्त दत्त भगवन्नगुणाप्त दत्त ॥ ४१॥ (गुणरहितना आमजन एवा हे भगवन्) श्रीदत्त दत्त भगवन्नवधूत दत्त (अवधूत स्वरूप एवा हे भगवन्) श्रीदत्त दत्त भगवन्नतिपूत दत्त । (अति पवित्र एवा हे भगवन्) श्रीदत्त दत्त भगवन्नतहूत दत्त (भक्तथी बोलावाता एवा हे भगवन्) श्रीदत्त दत्त भगवन्नतिभूत दत्त ॥ ४२॥ (नमस्कारथी प्रगट थता एवा हे भगवन्) श्रीदत्त दत्त अवधूत सुमित्र दत्त (अवधूत अने सन्मित्र) श्रीदत्त दत्त अवधूत कुमित्र दत्त । (अवधूत अने पृथ्वी(कु) ना मित्र) श्रीदत्त दत्त अवधूत लमित्र दत्त (अवधूत अने ईन्द्र(ल) ना मित्र) श्रीदत्त दत्त अवधूत सुचित्र दत्त ॥ ४३॥ (अवधूत अने सुंदर स्वरूपवाळा) श्रीदत्त दत्त गिरिकेतन दत्त दत्त (गिरनार पर वसनार) श्रीदत्त दत्त दमवेतन दत्त दत्त । (दमन एज जेनुं वेतन छे ते) श्रीदत्त दत्त असुचेतन दत्त दत्त (प्राणोना चैतन्यरूप) श्रीदत्त दत्त अनिकेतन दत्त दत्त ॥ ४४॥ (घर विनाना) श्रीदत्त दत्त गुणसागर दत्त दत्त (गुणोना सागर) श्रीदत्त दत्त नटनागर दत्त दत्त । (नटवर नागर) श्रीदत्त दत्त वचसां पर दत्त दत्त (वाणीथी पर) श्रीदत्त दत्त वियदम्बर दत्त दत्त ॥ ४५॥ (आकाशरूपी वस्त्र धारण करनार) श्रीदत्त दत्त नतवत्सल दत्त दत्त (भक्तवत्सल) श्रीदत्त दत्त गतकश्मल दत्त दत्त । (पापरहित) श्रीदत्त दत्त हतह्रच्छल दत्त दत्त (हृदयना छळने हणनार) श्रीदत्त दत्त शतकौशल दत्त दत्त ॥॥ ४६॥ (सेंकडो चतुराईवाळा) श्रीदत्त दत्त प्रियबल्लव दत्त दत्त (जेने गोप बाळको प्रिय छे ते) श्रीदत्त दत्त जितपल्लव दत्त दत्त । (पल्लव करतां पण कोमळ) श्रीदत्त दत्त मतसल्लव दत्त दत्त (थोडा सत्ने पण मान आपनार) श्रीदत्त दत्त प्रियकृल्लव दत्त दत्त ॥ ४७॥ (थोडां कार्य सत्कर्म करनार पण जेने प्रिय छे एवा) श्रीदत्त दत्त भगवन् शिशुक्रीड दत्त (बाळक जेवी क्रीडा करनार हे भगवन्) श्रीदत्त दत्त भगवन् विभुनीड दत्त । (विभु सर्वव्यापक जेनुं निवासस्थान नीड=माळो छे एवा हे भगवन्) श्रीदत्त दत्त भगवन् हतपीड दत्त (पीडा हरण करनार हे भगवन्) श्रीदत्त दत्त भगवन्नपनीड दत्त ॥ ४८॥ (जेने कोई घर नथी तेवा हे भगवन्) श्रीदत्त दत्त भगवन् विजनेश दत्त (एकांतना ईश एवा हे भगवन्) श्रीदत्त दत्त भगवन् सुजनेश दत्त । (सज्जनोना ईश एवा हे भगवन्) श्रीदत्त दत्त भगवन्नृवरेश दत्त (श्रेष्ठ मनुष्योना ईश एवा हे भगवन्) श्रीदत्त दत्त भगवन् शबरेश दत्त ॥ ४९॥ (शबरोना ईश एवा हे भगवन्) श्रीदत्त दत्त शशिसूर्यसुनेत्र दत्त (चंद्र अने सूर्यरूपी सुंदर नेत्रोवाळा) श्रीदत्त दत्त अनिलेशसुपत्र दत्त । (वायुना स्वामी अने सुंदर वाहनवाळा) श्रीदत्त दत्त शरदम्बुजवक्त्र दत्त (शरदऋतुना कमळ समान मुखवाळा) श्रीदत्त दत्त सहनाऽतिसुशस्त्र दत्त ॥ ५०॥ (सहनशीलता ए ज जेनुं उत्तम शस्त्र छे ते) श्रीदत्त दत्त भजतां वरदेष्ट दत्त (भजनारने ईष्ट वरदान आपनार) श्रीदत्त दत्त भजतां दितकष्ट दत्त । (भजनारनां कष्ट कापनार) श्रीदत्त दत्त वदतामतिस्पष्ट दत्त (अति स्पष्ट बोलनार) श्रीदत्त दत्त तपतामतिशिष्ट दत्त ॥ ५१॥ (तप करनाराओमां अत्यंत शिष्ट एटले पूज्य) श्रीदत्त दत्त हतदानव दत्त दत्त (दानवनो नाश करनार) श्रीदत्त दत्त वृततानव दत्त दत्त । (पातळापणुं पसंद करनार) श्रीदत्त दत्त अतिमानव दत्त दत्त (मानवोथी पर) श्रीदत्त दत्त बहुधा नव दत्त दत्त ॥ ५२॥ (अनेक रीते नवो नवो) श्रीदत्त दत्त वचसामतिक्लिष्ट दत्त (वाणीने अत्यंत दुःख आपनार=वर्णन न करी शकाय एवा) श्रीदत्त दत्त नमतां दितदिष्ट दत्त । (नमन करनारनां दुर्भाग्यने कापनार) श्रीदत्त दत्त स्मरतां कृतस्विष्ट दत्त (स्मरण करनारनुं सारी रीते ईष्ट करनार) श्रीदत्त दत्त सुरकिन्नरशिष्ट दत्त ॥ ५३॥ (देवो अने किन्नरोना सलाहकार) श्रीदत्त दत्त अवधूत रसेश दत्त (अवधूत स्वरूप अने रसना ईश) श्रीदत्त दत्त अवधूत कणेश दत्त । (अवधूत स्वरूप अने कणधान्यना ईश) श्रीदत्त दत्त अवधूत फलेश दत्त (अवधूत स्वरूप अने फळना ईश) श्रीदत्त दत्त अवधूत घनेश दत्त ॥ ५४॥ (अवधूत स्वरूप अने घन मेघना ईश) श्रीदत्त दत्त अवधूत जलेश दत्त (अवधूत स्वरूप अने जलना स्वामी) श्रीदत्त दत्त अवधूत स्थलेश दत्त । (अवधूत स्वरूप अने स्थळना स्वामी) श्रीदत्त दत्त अवधूत महेश दत्त (अवधूत स्वरूप अने महेश स्वरूप) श्रीदत्त दत्त अवधूत ग्रहेश दत्त ॥ ५५॥ (अवधूत स्वरूप अने ग्रहोना ईश स्वामी) श्रीदत्त दत्त अवधूत कलेश दत्त (अवधूत स्वरूप अने कलाना स्वामी) श्रीदत्त दत्त अवधूत खलेश दत्त । (अवधूत स्वरूप अने दुर्जनोना स्वामी) श्रीदत्त दत्त अवधूत बलेश दत्त (अवधूत स्वरूप अने बळवानोना स्वामी) श्रीदत्त दत्त अवधूत हलेश दत्त ॥ ५६॥ (अवधूत स्वरूप अने हळना स्वामी बळराम स्वरूप) श्रीदत्त दत्त अवधूत धरेश दत्त (अवधूत स्वरूप अने पृथ्वीना ईश) श्रीदत्त दत्त अवधूत नरेश दत्त । (अवधूत स्वरूप अने मनुष्योना ईश) श्रीदत्त दत्त अवधूत परेश दत्त (अवधूत स्वरूप अने परब्रह्म स्वरूप) श्रीदत्त दत्त अवधूत वरेश दत्त ॥ ५७॥ (अवधूत स्वरूप अने श्रेष्ठोना स्वामी) श्रीदत्त दत्त अवधूत कवीश दत्त (अवधूत स्वरूप अने कविओना ईश) श्रीदत्त दत्त अवधूत गवीश दत्त । (अवधूत स्वरूप अने ईन्द्रियोना स्वामी) श्रीदत्त दत्त अवधूत पवीश दत्त (अवधूत स्वरूप अने वज्रना ईश = ईन्द्र स्वरूप) श्रीदत्त दत्त अवधूत रवीश दत्त ॥ ५८॥ (अवधूत स्वरूप अने सूर्यना ईश स्वरूप) श्रीदत्त दत्त अवधूत क्षमेश दत्त (अवधूत स्वरूप अने पृथ्वीना स्वामी) श्रीदत्त दत्त अवधूत दमेश दत्त । (अवधूत स्वरूप अने दम (ईन्द्रिय दमन) ना ईश) श्रीदत्त दत्त अवधूत यमेश दत्त (अवधूत स्वरूप अने यमना ईश) श्रीदत्त दत्त अवधूत रमेश दत्त ॥ ५९॥ (अवधूत स्वरूप अने रमाना ईश) श्रीदत्त दत्त भगवन्नमरेश दत्त (देवोना ईश एवा हे भगवन्) श्रीदत्त दत्त भगवन्ननलेश दत्त । (अग्निना ईश एवा हे भगवन्) श्रीदत्त दत्त भगवन्नवरेश दत्त (अधमोना ईश एवा हे भगवन्) श्रीदत्त दत्त भगवन्ननिलेश दत्त ॥ ६०॥ (पवनना ईश एवा हे भगवन्) श्रीदत्त दत्त वसुधाधिप दत्त दत्त (पृथ्वीना अधिपति) श्रीदत्त दत्त सुरपादप दत्त दत्त । (कल्पवृक्ष स्वरूप) श्रीदत्त दत्त विबुधाधिप दत्त दत्त (विबुधो (देवो) ना अधिपति) श्रीदत्त दत्त अजपाजप दत्त दत्त ॥ ६१॥ (अजपाजप स्वरूप) श्रीदत्त दत्त भगवन्नतिधीर दत्त (अतिधीर एवा हे भगवन्) श्रीदत्त दत्त भगवन्नतिवीर दत्त । (अतिवीर एवा हे भगवन्) श्रीदत्त दत्त भगवन्नतिचीर दत्त (अत्यंत चींथरियां वस्त्रवाळा हे भगवन्) श्रीदत्त दत्त भगवन्नतिनीर दत्त ॥ ६२॥ (पवित्रतामां) पाणी करतां पण चढियाता हे भगवन) श्रीदत्त दत्त कुसुमाञ्जलितुष्ट दत्त (पुष्पोनी अंजलिथी तुष्ट थनार) श्रीदत्त दत्त सुदलाञ्जलितुष्ट दत्त । (सुकोमळ पांदडानी अंजलिथी तुष्ट थनार) श्रीदत्त दत्त सुफलाञ्जलितुष्ट दत्त (सुंदर फळोनी अंजलिथी तुष्ट थनार) श्रीदत्त दत्त उदकाञ्जलितुष्ट दत्त ॥ ६३॥ (पाणीनी अंजलिथी तुष्ट थनार) श्रीदत्त दत्त कमनीयस्वरूप दत्त (कमनीय सुंदर स्वरूपवाळा) श्रीदत्त दत्त रमणीयस्वरूप दत्त । (रमणीय स्वरूपवाळा) श्रीदत्त दत्त कवनीयस्वरूप दत्त (कवन करवा योग्य स्वरूपवाळा) श्रीदत्त दत्त नमनीयस्वरूप दत्त ॥ ६४॥ (नमन करवा योग्य स्वरूपवाळा) श्रीदत्त दत्त धृतकम्बल दत्त दत्त (कामळी धारण करनार) श्रीदत्त दत्त अतिसुन्दर दत्त दत्त । (अत्यंत सुंदर) श्रीदत्त दत्त प्रियतुम्बर दत्त दत्त (तुम्बर नुं गान जेने प्रिय छे ते) श्रीदत्त दत्त ज्ञधुरन्धर दत्त दत्त ॥ ६५॥ (ज्ञानीओमां धुरंधर श्रेष्ठ) श्रीदत्त दत्त बलदर्पितकाल दत्त (बळथी गर्विष्ठ थयेलाना काळ) श्रीदत्त दत्त हतकालविकाल दत्त । (काळ अने विकाळने मारनार) श्रीदत्त दत्त अतिभासुरभाल दत्त (अति तेजस्वी कपाळवाळा) श्रीदत्त दत्त परिखण्डितजाल दत्त ॥ ६६॥ (मायानी जाळने संपूर्ण खंडित करनार) श्रीदत्त दत्त दहराऽर्चित दत्त दत्त (दहर हृदयना आकाशमां पूजानार) श्रीदत्त दत्त विपुलाऽर्चित दत्त दत्त । (खूब ज पूजानार) श्रीदत्त दत्त विमलाऽर्चित दत्त दत्त (पुण्यशाळीओथी पूजायेल) श्रीदत्त दत्त समलाऽर्चित दत्त दत्त ॥ ६७॥ (पापीओथी पूजायेल) श्रीदत्त दत्त नवनीतमराल दत्त (माखण जेवा सुंवाळा) श्रीदत्त दत्त नगराजकराल दत्त । (पर्वत जेवा कठण) श्रीदत्त दत्त जरठापि च बाल दत्त (वृद्ध समान छतांय बाळक जेवा) श्रीदत्त दत्त लघुरूपविशाल दत्त ॥ ६८॥ (लघुरूप छतांय विशाळ) श्रीदत्त दत्त गुणपूजित दत्त दत्त (गुणो वडे पूजायेल) श्रीदत्त दत्त वरपूजित दत्त दत्त । (श्रेष्ठ वडे पूजायेल) श्रीदत्त दत्त बहुभोजक दत्त दत्त (अनेकने भोजन करावनार) श्रीदत्त दत्त भवयोजक दत्त दत्त ॥ ६९॥ (भवनी योजना करनार) श्रीदत्त दत्त प्रियमोदक दत्त दत्त (मोदक (लाडु) प्रिय) श्रीदत्त दत्त बहुशोधक दत्त दत्त । (अनेकने झीणवटथी शुद्ध करनार) श्रीदत्त दत्त ऋतबोधक दत्त दत्त (ऋत सत्यनो बोध करनार) श्रीदत्त दत्त भवरोधक दत्त दत्त ॥ ७०॥ (भवने रोकनार) श्रीदत्त दत्त प्रमदाऽऽवृत दत्त दत्त (तरुण स्त्री (प्रमदा)थी वींटळायेल) श्रीदत्त दत्त जरठाऽऽवृत दत्त दत्त । (वृद्ध स्त्रीओ(जरठ)थी वींटळायेल) श्रीदत्त दत्त विबुधाऽऽवृत दत्त दत्त (ज्ञानीओथी वींटळायेल) श्रीदत्त दत्त अबुधाऽऽवृत दत्त दत्त ॥ ७१॥ (अज्ञानीओथी वींटळायेल) श्रीदत्त दत्त दधितस्कर दत्त दत्त (दहीं माखण चोर) श्रीदत्त दत्त धृतमस्कर दत्त दत्त । (दंड धारण करनार) श्रीदत्त दत्त जितभास्कर दत्त दत्त (सूर्यने जीतनार) श्रीदत्त दत्त कृतभास्कर दत्त दत्त ॥ ७२॥ (सूर्यने उत्पन्न करनार) श्रीदत्त दत्त मधुराऽक्षर दत्त दत्त (मधुर वाणीवाळा) श्रीदत्त दत्त अगमाऽक्षर दत्त दत्त । (अगम अने अक्षर (ओं कार) स्वरूप) श्रीदत्त दत्त सुरसाक्षर दत्त दत्त (देवोमां साक्षर) श्रीदत्त दत्त अग अक्षर दत्त दत्त ॥ ७३॥ (अग अचल अक्षर स्वरूप) श्रीदत्त दत्त वचसा वद भद्रजिव्हे (हे भली जीभ ! श्रीदत्त दत्त एवुं वाणीथी बोल) श्रीदत्त दत्त मनसा स्मर चित्तबन्धो । (हे भाई चित्त ! मनथी श्रीदत्त दत्त स्मर) श्रीदत्तमेव वपूषाऽर्चय वन्द्य साधो (हे वंदनीय साधु ! शरीरथी श्रीदत्तनुं ज अर्चन कर) श्रीदत्तमेव शिरसा नम रङ्ग दीन ॥ ७४॥ (हे दीन रंग ! श्रीदत्तने ज मस्तकथी नमन कर) नामसङ्कीर्तनं पुण्यं भक्तिभावसमन्वितम् । (आ पुण्यकारक भक्तिभावथी भरपूर नामसंकीर्तन) भुक्तिदं मुक्तिदं लोके किं न पायात् सदा भयात् ॥ ७५॥ आ लोकमां भुक्ति अने मुक्ति आपनारुं छे । शुं ते सदा भयथी रक्षण नहि करे? (करशे ज।) दत्त दत्त स्मरन् मेऽयं देहः पततु निर्जने (दत्त दत्त स्मरंता रे निर्जने देह आ पडो चरन्तु पक्षिणः सर्वे मिष्टान्नं देहजं मम ॥ ७६॥ पामे तृप्ति पशुपक्षी मिष्टान्ने देहना यथा) काषायवाससमजं कमलाक्षमेकं (काषाय (भगवां) वस्त्रवाळा, अजन्मा, कमळ समान नेत्रवाळा, एकमात्र मालाकमण्डलुधरं रमणीयलीलम् । (अद्वितीय), माळा कमंडलुने धारण करनार, रमणीय लीलावाळा, गोश्वानक्रीडनपरं निगमान्तकेलिं गाय कूतरां साथे क्रीडा करनार, वेदांतमां केलि करनार देवत्रयात्मकमहं सततं नतोऽस्मि ॥ ७७॥ अने त्रण (ब्रह्मा, विष्णु अने महेश) देवमय एवा (दत्तात्रेय) ने हुं सतत नमन करुं छुं जन्मजन्मार्जितं पुण्यं पापं वापि तथैव च । (जन्म जन्मांतरमां मेळवेलुं पाप के पुण्य जे कंई होय ते दत्त पादार्पितं तेऽस्तु नास्ति मे किञ्चनाऽत्र ह ॥ ७८॥ हे दत्त ! तारा चरणकमळमां अर्पित हो ! मारुं अहीं खरेखर कशुं ज नथी।) कायेन मनसा वाऽपि यद्यत्कर्म शुभाशुभम् । (शरीरथी के मनथी जे जे शुभ-अशुभ कर्म करोम्यत्र करिष्यामि तदस्तु त्वत्समर्पितम् ॥ ७९॥ हुं अहीं करुं छुं के करीश ते सर्व तने ज समर्पित थाओ) दत्तनामैव नामैव नामैव मम जीवनम् । (दत्तनुं नाम (नाम संकीर्तन कर्या करवुं), नाम, अने नाम ज मारुं जीवन छे। कलौ नास्येव नात्येव नात्येव गतिरन्यथा ॥ ८०॥ कळियुगमां बीजी कोई गति नथी, नथी अने नथी ज) सदाचारो दुराचारो यो वै भक्त्या प्रसेवते । (सदाचारी के दुराचारी जे कोई भक्तिपूर्वक दत्तनामामृतं ह्येतत् स साधुर्नो चिराद्भवेत् ॥ ८१॥ आ दत्तनामरूपी अमृतनुं सेवन करे छे ते जलदीथी साधुचरित थाय छे नो पापं विद्यते लोके नाम्ना यन्नैव दह्यते । ((प्रभुना) नामथी न बळे एवुं कोई पाप आ लोकमां नथी। ``अपि चेत् सुदुराचारो'' वृथोक्तं किं नु शार्ङ्गिणा ॥ ८२॥ `पि चेत् सुदुराचारो' (सुदुराचारी होय तो पण) एवुं भगवान श्रीकृष्णे (गीतामां) शुं खोटुं कह्युं छे? ' (साचुं कह्युं छे।)) श्वासे श्वासे प्रकुर्वीत दत्तनामानुघोषणम् । (दत्तनामनुं संकीर्तन प्रत्येक श्वासे करवुं जोईए। तोषणं साधुवृन्दानां शोषणं भवपाथसाम् ॥ ८३॥ ए साधुओना समूहने संतोष आपनारुं अने भवरूपी सागरने शोषी नाखनारुं छे) कामं कल्पद्रुमो ह्येष साधुवृन्दाऽनुसेवितः । (खरेखर ए साधुओना समूहथी सेवायेल महायोगी दत्तात्रेयो महायोगी कलौ श्रीपादवल्लभः ॥ ८४॥ दत्तात्रेय (ना अवतार) एवा श्रीपादवल्लभ कळियुगमां कल्पवृक्ष छे।) चतुरशीतिरियं नतिगर्भा चतुरशीति-विनाशफलैका । (नमस्कार गर्भित एवी चोर्यासी श्लोकनी, चोर्यासी अहरहः प्रयतेन सुसेव्या भवजलाऽम्बुधिपारण-नौका ॥ ८५॥ (जन्ममरणना फेराओ) ना विनाशनुं एकमात्र फळ आपनारी, संसाररूप सागरने पार करवानी नौका जेवी आ स्तुतिने दररोज शुद्ध थईने सेववी जोईए (एटले के पाठ करवो जोईए।) इति श्रीदत्तपादारविन्दमिलिन्दब्रह्मचारिपाण्डुरङ्ग-(रङ्ग अवधूत)महाराजविरचितं दत्तनामसङ्कीर्तनं सम्पूर्णम् । ॥ इति शम् ॥ अवधूतचिन्तन श्रीगुरुदेव दत्त अवधूतचिन्तन श्रीगुरुदेव दत्त अवधूतचिन्तन श्रीगुरुदेव दत्त

संस्कृतम्

मालाकमण्डलुधरः करपद्मयुग्मे मध्यस्थपाणियुगले डमरुत्रिशूले । यस्यस्त ऊर्ध्वकरयोः शुभशङ्खचक्रे वन्दे तमत्रिवरदं भुजषयुक्तम् ॥ ॐ श्रीदत्तः प्रसन्नोऽस्तु श्वासे श्वासे दत्तनाम स्मरात्मन् दत्तनामसङ्कीर्तनं श्रीदत्त दत्त भवसागरपोत दत्त श्रीदत्त दत्त सुरकिन्नरगीत दत्त । श्रीदत्त दत्त जनसंस्तुत दत्त दत्त श्रीदत्त दत्त दितवाञ्छित दत्त दत्त ॥ १॥ श्रीदत्त दत्त कलितारक दत्त दत्त श्रीदत्त दत्त भयहारक दत्त दत्त । श्रीदत्त दत्त सुखकारक दत्त दत्त श्रीदत्त दत्त मुनिदारक दत्त दत्त ॥ २॥ श्रीदत्त दत्त सुरनायक दत्त दत्त श्रीदत्त दत्त श्रुतिगायक दत्त दत्त । श्रीदत्त दत्त गतिदायक दत्त दत्त श्रीदत्त दत्त अकसायक दत्त दत्त ॥ ३॥ श्रीदत्त दत्त जननातिग दत्त दत्त श्रीदत्त दत्त श्रवणातिग दत्त दत्त । श्रीदत्त दत्त कवनातिग दत्त दत्त श्रीदत्त दत्त पवनातिग दत्त दत्त ॥ ४॥ श्रीदत्त दत्त निगमागमसार दत्त श्रीदत्त दत्त भवसागरतार दत्त । श्रीदत्त दत्त हृतभूतलभार दत्त श्रीदत्त दत्त मुखनिर्जितमार दत्त ॥ ५॥ श्रीदत्त दत्त भयमोचितलेश दत्त । श्रीदत्त दत्त हतदैत्यकुलेश दत्त श्रीदत्त दत्त धृतबालसुवेष दत्त श्रीदत्त दत्त वरपिङ्गटकेश दत्त ॥ ६॥ श्रीदत्त दत्त सुकृताऽर्चित दत्त दत्त श्रीदत्त दत्त मलवर्जित दत्त दत्त । श्रीदत्त दत्त सुगुणाऽर्जित दत्त दत्त श्रीदत्त दत्त कलगर्जित दत्त दत्त ॥ ७॥ श्रीदत्त दत्त दवदग्धघनेश दत्त श्रीदत्त दत्त भुवनेश वनेश दत्त । श्रीदत्त दत्त जटिमुण्डिगणेश दत्त श्रीदत्त दत्त अवधूतजनेश दत्त ॥ ८॥ श्रीदत्त दत्त कमलायतनेत्र दत्त श्रीदत्त दत्त श्रुतिगेयचरित्र दत्त । श्रीदत्त दत्त सुरनाथसुमित्र दत्त श्रीदत्त दत्त बहुवेषविचित्र दत्त ॥ ९॥ श्रीदत्त दत्त करवीरसुभिक्ष दत्त श्रीदत्त दत्त दमनादिसुशिक्ष दत्त । श्रीदत्त दत्त हृदशुद्धिसुदीक्ष दत्त श्रीदत्त दत्त नयकोविद दक्ष दत्त ॥ १०॥ श्रीदत्त दत्त वनवीथिविहार दत्त श्रीदत्त दत्त धृतमौक्तिकहार दत्त । श्रीदत्त दत्त कलिकल्मषतार दत्त श्रीदत्त दत्त मलिनोद्धृतनार दत्त ॥ ११॥ श्रीदत्त दत्त सुरपूजित दत्त दत्त श्रीदत्त दत्त पिककूजित दत्त दत्त । श्रीदत्त दत्त अलिगुञ्जित दत्त दत्त श्रीदत्त दत्त रजरञ्जित दत्त दत्त ॥ १२॥ श्रीदत्त दत्त मुनिनन्दन दत्त दत्त श्रीदत्त दत्त अघरन्धन दत्त दत्त । श्रीदत्त दत्त धृतचन्दन दत्त दत्त श्रीदत्त दत्त सुरमण्डन दत्त दत्त ॥ १३॥ श्रीदत्त दत्त ददनप्रिय दत्त दत्त श्रीदत्त दत्त हतविक्रिय दत्त दत्त । श्रीदत्त दत्त स्वयमक्रिय दत्त दत्त श्रीदत्त दत्त दितिजाऽप्रिय दत्त दत्त ॥ १४॥ श्रीदत्त दत्त जनकामित दत्त दत्त श्रीदत्त दत्त वचसाऽमित दत्त दत्त । श्रीदत्त दत्त दनुजाऽजित दत्त दत्त श्रीदत्त दत्त मलिनोज्झित दत्त दत्त ॥ १५॥ श्रीदत्त दत्त करुणाकर दत्त दत्त श्रीदत्त दत्त सुजटाधर दत्त दत्त । श्रीदत्त दत्त प्रियनिर्झर दत्त दत्त श्रीदत्त दत्त ककुबम्बर दत्त दत्त ॥ १६॥ श्रीदत्त दत्त वरस्रग्धर दत्त दत्त श्रीदत्त दत्त गतमत्सर दत्त दत्त । श्रीदत्त दत्त वृतकन्दर दत्त दत्त श्रीदत्त दत्त विदुषां वर दत्त दत्त ॥ १७॥ श्रीदत्त दत्त नतितुष्ट गणेश दत्त श्रीदत्त दत्त कृतितुष्ट धनेश दत्त । श्रीदत्त दत्त धृतिजुष्ट रणेश दत्त श्रीदत्त दत्त भुविगुप्त वनेश दत्त ॥ १८॥ श्रीदत्त दत्त वरवर्णित दत्त दत्त श्रीदत्त दत्त कविकीर्तित दत्त दत्त । श्रीदत्त दत्त प्रियनर्तित दत्त दत्त श्रीदत्त दत्त भयवर्जित दत्त दत्त ॥ १९॥ श्रीदत्त दत्त व्रजभूषण दत्त दत्त श्रीदत्त दत्त दितदूषण दत्त दत्त । श्रीदत्त दत्त कृतमूषण दत्त दत्त श्रीदत्त दत्त अरिसूदन दत्त दत्त ॥ २०॥ श्रीदत्त दत्त सुरपोषण दत्त दत्त श्रीदत्त दत्त अघशोषण दत्त दत्त । श्रीदत्त दत्त वरघोषण दत्त दत्त श्रीदत्त दत्त मुनितोषण दत्त दत्त ॥ २१॥ श्रीदत्त दत्त घनकान्तिसुरम्य दत्त श्रीदत्त दत्त वरदेशिकगम्य दत्त । श्रीदत्त दत्त समकन्दरहर्म्य दत्त श्रीदत्त दत्त सुलभापि अगम्य दत्त ॥ २२॥ श्रीदत्त दत्त चलचित्तविदूर दत्त श्रीदत्त दत्त मृतचित्तजपूर दत्त । श्रीदत्त दत्त रणकर्कशशूर दत्त श्रीदत्त दत्त शमवन्नविदूर दत्त ॥ २३॥ श्रीदत्त दत्त गुरुदेव शरण्य दत्त श्रीदत्त दत्त गुरुदेव वरेण्य दत्त । श्रीदत्त दत्त गुरुदेव वदान्य दत्त श्रीदत्त दत्त गुरुदेव सुधन्य दत्त ॥ २४॥ श्रीदत्त दत्त मुखकञ्जजिताब्ज दत्त श्रीदत्त दत्त सुरवन्द्यपदाब्ज दत्त । श्रीदत्त दत्त शरणागतभोज दत्त श्रीदत्त दत्त नतवाञ्छितदाऽज दत्त ॥ २५॥ श्रीदत्त दत्त ऋणमोचन दत्त दत्त श्रीदत्त दत्त लघुभोजन दत्त दत्त । श्रीदत्त दत्त कलकूजन दत्त दत्त श्रीदत्त दत्त हितपूजन दत्त दत्त ॥ २६॥ श्रीदत्त दत्त मनसा स्मृत दत्त दत्त श्रीदत्त दत्त वचसाऽर्चित दत्त दत्त । श्रीदत्त दत्त शिरसा नत दत्त दत्त श्रीदत्त दत्त वपूषाऽऽदृत दत्त दत्त ॥ २७॥ श्रीदत्त दत्त जनिजारण दत्त दत्त श्रीदत्त दत्त मृतिमारण दत्त दत्त । श्रीदत्त दत्त भववारण दत्त दत्त श्रीदत्त दत्त भयदारण दत्त दत्त ॥ २८॥ श्रीदत्त दत्त सुरसिन्ध्वभिषिक्त दत्त श्रीदत्त दत्त विदुषामतिसक्त दत्त । श्रीदत्त दत्त परिवर्जिततिक्त दत्त श्रीदत्त दत्त परिपालितभक्त दत्त ॥ २९॥ श्रीदत्त दत्त मुनिवन्दितपाद दत्त श्रीदत्त दत्त वरवंशनिनाद दत्त । श्रीदत्त दत्त परिवारितवाद दत्त श्रीदत्त दत्त बहुमानितसाद दत्त ॥ ३०॥ श्रीदत्त दत्त शरणागतमित्र दत्त श्रीदत्त दत्त बहुशोभितचित्र दत्त । श्रीदत्त दत्त परिवर्जितपत्र दत्त श्रीदत्त दत्त अतिसुन्दरवक्त्र दत्त ॥ ३१॥ श्रीदत्त दत्त बहुशिक्षितमात्र दत्त श्रीदत्त दत्त अतिपेलवगात्र दत्त । श्रीदत्त दत्त धृतरम्यकपात्र दत्त श्रीदत्त दत्त बहुमानितशास्त्र दत्त ॥ ३२॥ श्रीदत्त दत्त वरमण्डन दत्त दत्त श्रीदत्त दत्त परखण्डन दत्त दत्त । श्रीदत्त दत्त दितबन्धन दत्त दत्त श्रीदत्त दत्त बहुगञ्जन दत्त दत्त ॥ ३३॥ श्रीदत्त दत्त भवभञ्जन दत्त दत्त श्रीदत्त दत्त मनसोऽञ्जन दत्त दत्त । श्रीदत्त दत्त सुररञ्जन दत्त दत्त श्रीदत्त दत्त परमञ्जन दत्त दत्त ॥ ३४॥ श्रीदत्त दत्त भगवन् परमेश दत्त श्रीदत्त दत्त भगवन् हतमेष दत्त । श्रीदत्त दत्त भगवन्नजलेश दत्त श्रीदत्त दत्त भगवन् खजलेश दत्त ॥ ३५॥ श्रीदत्त दत्त भगवन्नतिरम्य दत्त श्रीदत्त दत्त भगवन्नतिधन्य दत्त । श्रीदत्त दत्त भगवन्नतिगण्य दत्त श्रीदत्त दत्त भगवन्नतिजन्य दत्त ॥ ३६॥ श्रीदत्त दत्त भगवन् प्रियदीन दत्त श्रीदत्त दत्त भगवन् प्रियहीन दत्त । श्रीदत्त दत्त भगवन् धृतमीन दत्त श्रीदत्त दत्त भगवन्नजलीन दत्त ॥ ३७॥ श्रीदत्त दत्त भगवंस्त्रिगुणेश दत्त श्रीदत्त दत्त भगवन् विगुणेश दत्त । श्रीदत्त दत्त भगवन्नृगणेश दत्त श्रीदत्त दत्त भगवन् खगणेश दत्त ॥ ३८॥ श्रीदत्त दत्त भगवन् मुनिसिंह दत्त श्रीदत्त दत्त भगवन्नरसिंह दत्त । श्रीदत्त दत्त भगवन्नतिसिंह दत्त श्रीदत्त दत्त भगवन गतिसिंह दत्त ॥ ३९॥ श्रीदत्त दत्त भगवन् सुगुणाढ्य दत्त श्रीदत्त दत्त भगवन् गतजाड्य दत्त । श्रीदत्त दत्त भगवन् सुहताढ्य दत्त श्रीदत्त दत्त भगवन वरदार्ढ्य दत्त ॥ ४०॥ श्रीदत्त दत्त भगवन् सकलाप्त दत्त श्रीदत्त दत्त भगवन् विकलाप्त दत्त । श्रीदत्त दत्त भगवन् सगुणाप्त दत्त श्रीदत्त दत्त भगवन्नगुणाप्त दत्त ॥ ४१॥ श्रीदत्त दत्त भगवन्नवधूत दत्त श्रीदत्त दत्त भगवन्नतिपूत दत्त । श्रीदत्त दत्त भगवन्नतहूत दत्त श्रीदत्त दत्त भगवन्नतिभूत दत्त ॥ ४२॥ श्रीदत्त दत्त अवधूत सुमित्र दत्त श्रीदत्त दत्त अवधूत कुमित्र दत्त । श्रीदत्त दत्त अवधूत लमित्र दत्त श्रीदत्त दत्त अवधूत सुचित्र दत्त ॥ ४३॥ श्रीदत्त दत्त गिरिकेतन दत्त दत्त श्रीदत्त दत्त दमवेतन दत्त दत्त । श्रीदत्त दत्त असुचेतन दत्त दत्त श्रीदत्त दत्त अनिकेतन दत्त दत्त ॥ ४४॥ श्रीदत्त दत्त गुणसागर दत्त दत्त श्रीदत्त दत्त नटनागर दत्त दत्त । श्रीदत्त दत्त वचसां पर दत्त दत्त श्रीदत्त दत्त वियदम्बर दत्त दत्त ॥ ४५॥ श्रीदत्त दत्त नतवत्सल दत्त दत्त श्रीदत्त दत्त गतकश्मल दत्त दत्त । श्रीदत्त दत्त हतह्रच्छल दत्त दत्त श्रीदत्त दत्त शतकौशल दत्त दत्त ॥॥ ४६॥ श्रीदत्त दत्त प्रियबल्लव दत्त दत्त श्रीदत्त दत्त जितपल्लव दत्त दत्त । श्रीदत्त दत्त मतसल्लव दत्त दत्त श्रीदत्त दत्त प्रियकृल्लव दत्त दत्त ॥ ४७॥ श्रीदत्त दत्त भगवन् शिशुक्रीड दत्त श्रीदत्त दत्त भगवन् विभुनीड दत्त । श्रीदत्त दत्त भगवन् हतपीड दत्त श्रीदत्त दत्त भगवन्नपनीड दत्त ॥ ४८॥ श्रीदत्त दत्त भगवन् विजनेश दत्त श्रीदत्त दत्त भगवन् सुजनेश दत्त । श्रीदत्त दत्त भगवन्नृवरेश दत्त श्रीदत्त दत्त भगवन् शबरेश दत्त ॥ ४९॥ श्रीदत्त दत्त शशिसूर्यसुनेत्र दत्त श्रीदत्त दत्त अनिलेशसुपत्र दत्त । श्रीदत्त दत्त शरदम्बुजवक्त्र दत्त श्रीदत्त दत्त सहनाऽतिसुशस्त्र दत्त ॥ ५०॥ श्रीदत्त दत्त भजतां वरदेष्ट दत्त श्रीदत्त दत्त भजतां दितकष्ट दत्त । श्रीदत्त दत्त वदतामतिस्पष्ट दत्त श्रीदत्त दत्त तपतामतिशिष्ट दत्त ॥ ५१॥ श्रीदत्त दत्त हतदानव दत्त दत्त श्रीदत्त दत्त वृततानव दत्त दत्त । श्रीदत्त दत्त अतिमानव दत्त दत्त श्रीदत्त दत्त बहुधा नव दत्त दत्त ॥ ५२॥ श्रीदत्त दत्त वचसामतिक्लिष्ट दत्त श्रीदत्त दत्त नमतां दितदिष्ट दत्त । श्रीदत्त दत्त स्मरतां कृतस्विष्ट दत्त श्रीदत्त दत्त सुरकिन्नरशिष्ट दत्त ॥ ५३॥ श्रीदत्त दत्त अवधूत रसेश दत्त श्रीदत्त दत्त अवधूत कणेश दत्त । श्रीदत्त दत्त अवधूत फलेश दत्त श्रीदत्त दत्त अवधूत घनेश दत्त ॥ ५४॥ श्रीदत्त दत्त अवधूत जलेश दत्त श्रीदत्त दत्त अवधूत स्थलेश दत्त । श्रीदत्त दत्त अवधूत महेश दत्त श्रीदत्त दत्त अवधूत ग्रहेश दत्त ॥ ५५॥ श्रीदत्त दत्त अवधूत कलेश दत्त श्रीदत्त दत्त अवधूत खलेश दत्त । श्रीदत्त दत्त अवधूत बलेश दत्त श्रीदत्त दत्त अवधूत हलेश दत्त ॥ ५६॥ श्रीदत्त दत्त अवधूत धरेश दत्त श्रीदत्त दत्त अवधूत नरेश दत्त । श्रीदत्त दत्त अवधूत परेश दत्त श्रीदत्त दत्त अवधूत वरेश दत्त ॥ ५७॥ श्रीदत्त दत्त अवधूत कवीश दत्त श्रीदत्त दत्त अवधूत गवीश दत्त । श्रीदत्त दत्त अवधूत पवीश दत्त श्रीदत्त दत्त अवधूत रवीश दत्त ॥ ५८॥ श्रीदत्त दत्त अवधूत क्षमेश दत्त श्रीदत्त दत्त अवधूत दमेश दत्त । श्रीदत्त दत्त अवधूत यमेश दत्त श्रीदत्त दत्त अवधूत रमेश दत्त ॥ ५९॥ श्रीदत्त दत्त भगवन्नमरेश दत्त श्रीदत्त दत्त भगवन्ननलेश दत्त । श्रीदत्त दत्त भगवन्नवरेश दत्त श्रीदत्त दत्त भगवन्ननिलेश दत्त ॥ ६०॥ श्रीदत्त दत्त वसुधाधिप दत्त दत्त श्रीदत्त दत्त सुरपादप दत्त दत्त । श्रीदत्त दत्त विबुधाधिप दत्त दत्त श्रीदत्त दत्त अजपाजप दत्त दत्त ॥ ६१॥ श्रीदत्त दत्त भगवन्नतिधीर दत्त श्रीदत्त दत्त भगवन्नतिवीर दत्त । श्रीदत्त दत्त भगवन्नतिचीर दत्त श्रीदत्त दत्त भगवन्नतिनीर दत्त ॥ ६२॥ श्रीदत्त दत्त कुसुमाञ्जलितुष्ट दत्त श्रीदत्त दत्त सुदलाञ्जलितुष्ट दत्त । श्रीदत्त दत्त सुफलाञ्जलितुष्ट दत्त श्रीदत्त दत्त उदकाञ्जलितुष्ट दत्त ॥ ६३॥ श्रीदत्त दत्त कमनीयस्वरूप दत्त श्रीदत्त दत्त रमणीयस्वरूप दत्त । श्रीदत्त दत्त कवनीयस्वरूप दत्त श्रीदत्त दत्त नमनीयस्वरूप दत्त ॥ ६४॥ श्रीदत्त दत्त धृतकम्बल दत्त दत्त श्रीदत्त दत्त अतिसुन्दर दत्त दत्त । श्रीदत्त दत्त प्रियतुम्बर दत्त दत्त श्रीदत्त दत्त ज्ञधुरन्धर दत्त दत्त ॥ ६५॥ श्रीदत्त दत्त बलदर्पितकाल दत्त श्रीदत्त दत्त हतकालविकाल दत्त । श्रीदत्त दत्त अतिभासुरभाल दत्त श्रीदत्त दत्त परिखण्डितजाल दत्त ॥ ६६॥ श्रीदत्त दत्त दहराऽर्चित दत्त दत्त श्रीदत्त दत्त विपुलाऽर्चित दत्त दत्त । श्रीदत्त दत्त विमलाऽर्चित दत्त दत्त श्रीदत्त दत्त समलाऽर्चित दत्त दत्त ॥ ६७॥ श्रीदत्त दत्त नवनीतमराल दत्त श्रीदत्त दत्त नगराजकराल दत्त । श्रीदत्त दत्त जरठापि च बाल दत्त श्रीदत्त दत्त लघुरूपविशाल दत्त ॥ ६८॥ श्रीदत्त दत्त गुणपूजित दत्त दत्त श्रीदत्त दत्त वरपूजित दत्त दत्त । श्रीदत्त दत्त बहुभोजक दत्त दत्त श्रीदत्त दत्त भवयोजक दत्त दत्त ॥ ६९॥ श्रीदत्त दत्त प्रियमोदक दत्त दत्त श्रीदत्त दत्त बहुशोधक दत्त दत्त । श्रीदत्त दत्त ऋतबोधक दत्त दत्त श्रीदत्त दत्त भवरोधक दत्त दत्त ॥ ७०॥ श्रीदत्त दत्त प्रमदाऽऽवृत दत्त दत्त श्रीदत्त दत्त जरठाऽऽवृत दत्त दत्त । श्रीदत्त दत्त विबुधाऽऽवृत दत्त दत्त श्रीदत्त दत्त अबुधाऽऽवृत दत्त दत्त ॥ ७१॥ श्रीदत्त दत्त दधितस्कर दत्त दत्त श्रीदत्त दत्त धृतमस्कर दत्त दत्त । श्रीदत्त दत्त जितभास्कर दत्त दत्त श्रीदत्त दत्त कृतभास्कर दत्त दत्त ॥ ७२॥ श्रीदत्त दत्त मधुराऽक्षर दत्त दत्त श्रीदत्त दत्त अगमाऽक्षर दत्त दत्त । श्रीदत्त दत्त सुरसाक्षर दत्त दत्त श्रीदत्त दत्त अग अक्षर दत्त दत्त ॥ ७३॥ श्रीदत्त दत्त वचसा वद भद्रजिव्हे श्रीदत्त दत्त मनसा स्मर चित्तबन्धो । श्रीदत्तमेव वपूषाऽर्चय वन्द्य साधो श्रीदत्तमेव शिरसा नम रङ्ग दीन ॥ ७४॥ नामसङ्कीर्तनं पुण्यं भक्तिभावसमन्वितम् । भुक्तिदं मुक्तिदं लोके किं न पायात् सदा भयात् ॥ ७५॥ दत्त दत्त स्मरन् मेऽयं देहः पततु निर्जने चरन्तु पक्षिणः सर्वे मिष्टान्नं देहजं मम ॥ ७६॥ काषायवाससमजं कमलाक्षमेकं मालाकमण्डलुधरं रमणीयलीलम् । गोश्वानक्रीडनपरं निगमान्तकेलिं देवत्रयात्मकमहं सततं नतोऽस्मि ॥ ७७॥ जन्मजन्मार्जितं पुण्यं पापं वापि तथैव च । दत्त पादार्पितं तेऽस्तु नास्ति मे किञ्चनाऽत्र ह ॥ ७८॥ कायेन मनसा वाऽपि यद्यत्कर्म शुभाशुभम् । करोम्यत्र करिष्यामि तदस्तु त्वत्समर्पितम् ॥ ७९॥ दत्तनामैव नामैव नामैव मम जीवनम् । कलौ नास्येव नात्येव नात्येव गतिरन्यथा ॥ ८०॥ सदाचारो दुराचारो यो वै भक्त्या प्रसेवते । दत्तनामामृतं ह्येतत् स साधुर्नो चिराद्भवेत् ॥ ८१॥ नो पापं विद्यते लोके नाम्ना यन्नैव दह्यते । ``अपि चेत् सुदुराचारो'' वृथोक्तं किं नु शार्ङ्गिणा ॥ ८२॥ श्वासे श्वासे प्रकुर्वीत दत्तनामानुघोषणम् । तोषणं साधुवृन्दानां शोषणं भवपाथसाम् ॥ ८३॥ कामं कल्पद्रुमो ह्येष साधुवृन्दाऽनुसेवितः । दत्तात्रेयो महायोगी कलौ श्रीपादवल्लभः ॥ ८४॥ चतुरशीतिरियं नतिगर्भा चतुरशीति-विनाशफलैका । अहरहः प्रयतेन सुसेव्या भवजलाऽम्बुधिपारण-नौका ॥ ८५॥ इति श्रीदत्तपादारविन्दमिलिन्दब्रह्मचारिपाण्डुरङ्ग-(रङ्ग अवधूत)महाराजविरचितं दत्तनामसङ्कीर्तनं सम्पूर्णम् । ॥ इति शम् ॥ अवधूतचिन्तन श्रीगुरुदेव दत्त अवधूतचिन्तन श्रीगुरुदेव दत्त अवधूतचिन्तन श्रीगुरुदेव दत्त

गुजराती

मालाकमण्डलुधरः करपद्मयुग्मे मध्यस्थपाणियुगले डमरुत्रिशूले । यस्यस्त ऊर्ध्वकरयोः शुभशङ्खचक्रे वन्दे तमत्रिवरदं भुजषयुक्तम् ॥ ॐ श्रीदत्तः प्रसन्नोऽस्तु श्वासे श्वासे दत्तनाम स्मरात्मन् दत्तनामसङ्कीर्तनम् (संसार सागरनी नौका) (देवो अने किन्नरोथी स्तुति करायेल) (लोको द्वारा प्रशंसा कराता) (ईच्छाओनो नाश करनार) (कलियुगमां तारनार) (भय हरनार) (सुख करनार) (मुनिना बाळ) (देवोना नायक) (वेदना गायक) (गतिदायक) (दुःखने (वींधनारुं) बाण) (जन्म मरणथी पर) (श्रवणथी पर) (कवन काव्यथी पर) (पवनथी पण आगळ जनार) (निगम वेद अने आगम शास्त्रोना साररूप) (संसाररूपी सागरना तारक) (दुनियानो भार हरनार) (मुखनी शोभाथी कामदेवने जीतनार) (ईन्द्रने भयथी मुक्त करनार) (दैत्योना कुळना राजाओने हणनार) (बाळकनो सुंदर वेष धारण करनार) (सुंदर अने पीळचटा वाळवाळा) (पुण्यशाळीओ वडे पूजाता) (मळ अने आवरण विनाना) (सद्गुणोथी मेळवाता) (मधुर अवाजवाळा) (संसाररूपी दावानळथी बळेलाने श्रेष्ठ वादळरूप) (भुवनोना ईश अने वनना ईश) (जटावाळा अने संन्यासीओना गणोना ईश) (अवधूत जनोना ईश) (कमळ समान विशाळ नेत्रवाळा) (वेद द्वारा गावा योग्य चरित्रवाळा) (ईन्द्रना सन्मित्र) (जुदा जुदा वेषथी शोभता) (कोल्हापुरमां सभिक्षा मागनार) (दम दया, दान वगेरेनो सम्यक् बोध आपनार) (अंतःकरणनी अशुद्धि दूर करनारी सम्यक् दीक्षा देनार) (नीतिनिपुण अने चतुर) (जंगलनी केडीओ पर विहार करनार) (मोतीनो हार धारण करनार) (कलिकाळना पापमांथी तारनार) (मलिन माणसोना समूहनो उद्धार करनार) (देवो वडे पूजायेला) (कोयल जेवा मधुर कंठवाळा) (भ्रमर जेवा मधुर गुंजनवाळा) (धूळथी रंगायेला खरडायेला) (मुनि अत्रिना पुत्र) (पापोनो नाश करनार) (चंदन धारण करनार) (देवोना आभूषणरूप) (दान आपवाना शोखीन) (विक्रियाने हणनार) (जाते अक्रिय रहेनार) (राक्षसोने अप्रिय) (लोको द्वारा ईच्छाता) (वाणी वडे मापी न शकाय तेवा) (दैत्योथी अजेय) (मलिन माणसोथी त्यजायेल) (करुणाना भंडार) (सुशोभित जटाने धारण करनार) (झरणांओना प्रेमी) (दिशानुं वस्त्र धारण करनार, दिगंबर) (सुंदर माळा धारण करनार) (मत्सर विनाना) (गुफाने पसंद करनार) (विद्वानोमां श्रेष्ठ) (नमस्कारथी संतुष्ट अने श्रीगणेशरूप) (सत्कार्यथी संतुष्ट अने कुबेररूप) (धीरज वडे सेवायेला अने रणना ईश) (पृथ्वी उपर गुप्त (रीते फरनार) अने वनना ईश) (श्रेष्ठ द्वारा वर्णवायेला) (कविओ वडे प्रशंसित) (नर्तनना प्रेमी) (भय विनाना) (व्रजना भूषणरूप) (दूषणने दूर करनार) (चोरी करनार) (शत्रुओने मारनार) (देवोने पोषनार) (पापने शोषनार) (सुंदर घोषणा करनार) (मुनिओने संतोष आपनार) (मेघ समान कांतिथी सुरम्य) (श्रेष्ठ आचार्य द्वारा समजाय तेवा) (गुफा अने महेलने समान माननार) (सुलभ छतां अगम्य=मेळवी न शकाय एवा) (चंचळ चित्तवाळाथी अति दूर) (जेनी काम-वासनाओनां पूर शमी गयां छे ते) (रणमां भयंकर अने शूरवीर) (शमवाळाथी दूर नहि तेवा) (शरण लेवा योग्य गुरुदेव) (वरण करवा योग्य गुरुदेव) (उत्तम दानी गुरुदेव) (धन्यतम गुरुदेव) (मुखरूपी कमळथी कमळने जीतनार) (देवोने वंदन करवा योग्य चरणकमळवाळा) (शरणे आवेलाने भोजन आपनार) (शरणे आवेलाने ईच्छित देनार अने अजन्मा) (ऋणमांथी छोडावनार) (ओछुं भोजन करनार) (मधुर कूजन करनार) (हितकारक छे पूजन जेनुं एवा) (मनथी स्मरण करायेला) (वाणीथी पूजायेला) (मस्तकथी वंदन करायेला) (शरीरथी आदर अपायेला) (जन्मने जर्जरित करनार) (मरणने मारनार) (संसारने रोकनार) (भयने कापनार) (गंगाथी शिवमुखपर अभिषेक कराता) (विद्वानोमां अत्यंत आसक्त) (कडवाशने छोडी देनार) (भक्तनुं परिपालन करनार) (मुनिओथी वंदायेलां चरणवाळा) (बंसीना श्रेष्ठ बजवैया) (वादथी दूर रहेनार) (कृशताने बहुमान आपनार) (शरणे आवेलाना मित्र) (जेनुं चित्र पण खूब शोभावाळुं छे ते) (वाहननो त्याग करनार) (अति सुंदर मुखवाळा) (शब्दोमां अत्यंत पारंगत) (अत्यंत सुकुमार गात्रवाळा) (सुंदर कमंडळ धारण करनार) (शास्त्रोने बहुमान आपनार) (श्रेष्ठ आभूषणवाळा) (शत्रु (कामादि) ओनुं खंडन करनार) (बंधनने तोडनार) (घणाने जितनार) (भवनी भावट भांगनार) (मन रूपी आंखना अंजन) (देवोने आनंद आपनार) (बीजाओने शुद्ध करनार) (उत्तम ईश्वर एवा हे भगवन्) (अहंकाररूपी घेटाने हणनार हे भगवन्) (देवोना स्वामी एवा हे भगवन्) (आकाश अने पाणीना स्वामी हे भगवन्) (अतिरम्य एवा हे भगवन्) (अति धन्य एवा हे भगवन्) (अति गणनापात्र एवा हे भगवन्) (जन्य जगतथी पर एवा हे भगवन्) (प्रिय छे दीन जन जेने एवा हे भगवन् !) (प्रिय छे हीन जन जेने एवा हे भगवन्) (मत्स्य अवतार धारण करनार हे भगवन्) (अज (ब्रह्म) मां लीन रहेनार हे भगवन्) (त्रण गुणोना स्वामी एवा हे भगवन्) (गुणोथी रहितना स्वामी एवा हे भगवन) (जनसमूहना स्वामी एवा हे भगवन्) (चंद्र-तारादिक गणना ईश एवा हे भगवन्) (मुनिओमां सिंह जेवा हे भगवन्) (नरसिंहावतार धरनार हे भगवन्) (सिंह करतां पण वधु पराक्रमी हे भगवन्) (सिंह जेवी गतिवाळा हे भगवन्) (सारा गुणोथी भरपूर हे भगवन्) (जडतारहित हे भगवन्) (धनमत्तोनी परवा न करनार हे भगवन्) (अत्यंत श्रेष्ठ दढतावाळा हे भगवन्) (बधाना आप्तजन एवा हे भगवन्) (विकलना आसजन एवा हे भगवन्) (सद्गुणवाळाना आमजन एवा हे भगवन्) (गुणरहितना आमजन एवा हे भगवन्) (अवधूत स्वरूप एवा हे भगवन्) (अति पवित्र एवा हे भगवन्) (भक्तथी बोलावाता एवा हे भगवन्) (नमस्कारथी प्रगट थता एवा हे भगवन्) (अवधूत अने सन्मित्र) (अवधूत अने पृथ्वी(कु) ना मित्र) (अवधूत अने ईन्द्र(ल) ना मित्र) (अवधूत अने सुंदर स्वरूपवाळा) (गिरनार पर वसनार) (दमन एज जेनुं वेतन छे ते) (प्राणोना चैतन्यरूप) (घर विनाना) (गुणोना सागर) (नटवर नागर) (वाणीथी पर) (आकाशरूपी वस्त्र धारण करनार) (भक्तवत्सल) (पापरहित) (हृदयना छळने हणनार) (सेंकडो चतुराईवाळा) (जेने गोप बाळको प्रिय छे ते) (पल्लव करतां पण कोमळ) (थोडा सत्ने पण मान आपनार) (थोडां कार्य सत्कर्म करनार पण जेने प्रिय छे एवा) (बाळक जेवी क्रीडा करनार हे भगवन्) (विभु सर्वव्यापक जेनुं निवासस्थान नीड=माळो छे एवा हे भगवन्) (पीडा हरण करनार हे भगवन्) (जेने कोई घर नथी तेवा हे भगवन्) (एकांतना ईश एवा हे भगवन्) (सज्जनोना ईश एवा हे भगवन्) (श्रेष्ठ मनुष्योना ईश एवा हे भगवन्) (शबरोना ईश एवा हे भगवन्) (चंद्र अने सूर्यरूपी सुंदर नेत्रोवाळा) (वायुना स्वामी अने सुंदर वाहनवाळा) (शरदऋतुना कमळ समान मुखवाळा) (सहनशीलता ए ज जेनुं उत्तम शस्त्र छे ते) (भजनारने ईष्ट वरदान आपनार) (भजनारनां कष्ट कापनार) (अति स्पष्ट बोलनार) (तप करनाराओमां अत्यंत शिष्ट एटले पूज्य) (दानवनो नाश करनार) (पातळापणुं पसंद करनार) (मानवोथी पर) (अनेक रीते नवो नवो) (वाणीने अत्यंत दुःख आपनार=वर्णन न करी शकाय एवा) (नमन करनारनां दुर्भाग्यने कापनार) (स्मरण करनारनुं सारी रीते ईष्ट करनार) (देवो अने किन्नरोना सलाहकार) (अवधूत स्वरूप अने रसना ईश) (अवधूत स्वरूप अने कणधान्यना ईश) (अवधूत स्वरूप अने फळना ईश) (अवधूत स्वरूप अने घन मेघना ईश) (अवधूत स्वरूप अने जलना स्वामी) (अवधूत स्वरूप अने स्थळना स्वामी) (अवधूत स्वरूप अने महेश स्वरूप) (अवधूत स्वरूप अने ग्रहोना ईश स्वामी) (अवधूत स्वरूप अने कलाना स्वामी) (अवधूत स्वरूप अने दुर्जनोना स्वामी) (अवधूत स्वरूप अने बळवानोना स्वामी) (अवधूत स्वरूप अने हळना स्वामी बळराम स्वरूप) (अवधूत स्वरूप अने पृथ्वीना ईश) (अवधूत स्वरूप अने मनुष्योना ईश) (अवधूत स्वरूप अने परब्रह्म स्वरूप) (अवधूत स्वरूप अने श्रेष्ठोना स्वामी) (अवधूत स्वरूप अने कविओना ईश) (अवधूत स्वरूप अने ईन्द्रियोना स्वामी) (अवधूत स्वरूप अने वज्रना ईश = ईन्द्र स्वरूप) (अवधूत स्वरूप अने सूर्यना ईश स्वरूप) (अवधूत स्वरूप अने पृथ्वीना स्वामी) (अवधूत स्वरूप अने दम (ईन्द्रिय दमन) ना ईश) (अवधूत स्वरूप अने यमना ईश) (अवधूत स्वरूप अने रमाना ईश) (देवोना ईश एवा हे भगवन्) (अग्निना ईश एवा हे भगवन्) (अधमोना ईश एवा हे भगवन्) (पवनना ईश एवा हे भगवन्) (पृथ्वीना अधिपति) (कल्पवृक्ष स्वरूप) (विबुधो (देवो) ना अधिपति) (अजपाजप स्वरूप) (अतिधीर एवा हे भगवन्) (अतिवीर एवा हे भगवन्) (अत्यंत चींथरियां वस्त्रवाळा हे भगवन्) (पवित्रतामां) पाणी करतां पण चढियाता हे भगवन) (पुष्पोनी अंजलिथी तुष्ट थनार) (सुकोमळ पांदडानी अंजलिथी तुष्ट थनार) (सुंदर फळोनी अंजलिथी तुष्ट थनार) (पाणीनी अंजलिथी तुष्ट थनार) (कमनीय सुंदर स्वरूपवाळा) (रमणीय स्वरूपवाळा) (कवन करवा योग्य स्वरूपवाळा) (नमन करवा योग्य स्वरूपवाळा) (कामळी धारण करनार) (अत्यंत सुंदर) (तुम्बर नुं गान जेने प्रिय छे ते) (ज्ञानीओमां धुरंधर श्रेष्ठ) (बळथी गर्विष्ठ थयेलाना काळ) (काळ अने विकाळने मारनार) (अति तेजस्वी कपाळवाळा) (मायानी जाळने संपूर्ण खंडित करनार) (दहर हृदयना आकाशमां पूजानार) (खूब ज पूजानार) (पुण्यशाळीओथी पूजायेल) (पापीओथी पूजायेल) (माखण जेवा सुंवाळा) (पर्वत जेवा कठण) (वृद्ध समान छतांय बाळक जेवा) (लघुरूप छतांय विशाळ) (गुणो वडे पूजायेल) (श्रेष्ठ वडे पूजायेल) (अनेकने भोजन करावनार) (भवनी योजना करनार) (मोदक (लाडु) प्रिय) (अनेकने झीणवटथी शुद्ध करनार) (ऋत सत्यनो बोध करनार) (भवने रोकनार) (तरुण स्त्री (प्रमदा)थी वींटळायेल) (वृद्ध स्त्रीओ(जरठ)थी वींटळायेल) (ज्ञानीओथी वींटळायेल) (अज्ञानीओथी वींटळायेल) (दहीं माखण चोर) (दंड धारण करनार) (सूर्यने जीतनार) (सूर्यने उत्पन्न करनार) (मधुर वाणीवाळा) (अगम अने अक्षर (ओं कार) स्वरूप) (देवोमां साक्षर) (अग अचल अक्षर स्वरूप) (हे भली जीभ ! श्रीदत्त दत्त एवुं वाणीथी बोल) (हे भाई चित्त ! मनथी श्रीदत्त दत्त स्मर) (हे वंदनीय साधु ! शरीरथी श्रीदत्तनुं ज अर्चन कर) (हे दीन रंग ! श्रीदत्तने ज मस्तकथी नमन कर) (आ पुण्यकारक भक्तिभावथी भरपूर नामसंकीर्तन) आ लोकमां भुक्ति अने मुक्ति आपनारुं छे । शुं ते सदा भयथी रक्षण नहि करे? (करशे ज।) (दत्त दत्त स्मरंता रे निर्जने देह आ पडो पामे तृप्ति पशुपक्षी मिष्टान्ने देहना यथा) (काषाय (भगवां) वस्त्रवाळा, अजन्मा, कमळ समान नेत्रवाळा, एकमात्र (अद्वितीय), माळा कमंडलुने धारण करनार, रमणीय लीलावाळा, गाय कूतरां साथे क्रीडा करनार, वेदांतमां केलि करनार अने त्रण (ब्रह्मा, विष्णु अने महेश) देवमय एवा (दत्तात्रेय) ने हुं सतत नमन करुं छुं (जन्म जन्मांतरमां मेळवेलुं पाप के पुण्य जे कंई होय ते हे दत्त ! तारा चरणकमळमां अर्पित हो ! मारुं अहीं खरेखर कशुं ज नथी।) (शरीरथी के मनथी जे जे शुभ-अशुभ कर्म हुं अहीं करुं छुं के करीश ते सर्व तने ज समर्पित थाओ) (दत्तनुं नाम (नाम संकीर्तन कर्या करवुं), नाम, अने नाम ज मारुं जीवन छे। कळियुगमां बीजी कोई गति नथी, नथी अने नथी ज) (सदाचारी के दुराचारी जे कोई भक्तिपूर्वक आ दत्तनामरूपी अमृतनुं सेवन करे छे ते जलदीथी साधुचरित थाय छे ((प्रभुना) नामथी न बळे एवुं कोई पाप आ लोकमां नथी। `पि चेत् सुदुराचारो' (सुदुराचारी होय तो पण) एवुं भगवान श्रीकृष्णे (गीतामां) शुं खोटुं कह्युं छे? ' (साचुं कह्युं छे।)) (दत्तनामनुं संकीर्तन प्रत्येक श्वासे करवुं जोईए। ए साधुओना समूहने संतोष आपनारुं अने भवरूपी सागरने शोषी नाखनारुं छे) (खरेखर ए साधुओना समूहथी सेवायेल महायोगी दत्तात्रेय (ना अवतार) एवा श्रीपादवल्लभ कळियुगमां कल्पवृक्ष छे।) (नमस्कार गर्भित एवी चोर्यासी श्लोकनी, चोर्यासी (जन्ममरणना फेराओ) ना विनाशनुं एकमात्र फळ आपनारी, संसाररूप सागरने पार करवानी नौका जेवी आ स्तुतिने दररोज शुद्ध थईने सेववी जोईए (एटले के पाठ करवो जोईए।) Suggesting to use Gujarati text to translate in other languages. Proofread by Mandar Kulkarni
% Text title            : Datta Nama Sankirtanam with Gujarati meaning
% File name             : dattanAmasankIrtanam.itx
% itxtitle              : dattanAmasaNkIrtanam gujarAtI sarthasahitam (raNgAvadhUtasvAmIvirachita)
% engtitle              : dattanAmasankIrtanam
% Category              : deities_misc, dattAtreya, stotra, rangAvadhUta
% Location              : doc_deities_misc
% Sublocation           : deities_misc
% SubDeity              : dattAtreya
% Author                : Shri Ranga Avadhuta Swami
% Language              : Sanskrit, Gujarati
% Subject               : philosophy/hinduism/religion
% Proofread by          : Mandar Kulkarni
% Translated by         : Shri Ranga Avadhuta Swami
% Indexextra            : (Scan)
% Latest update         : June 8, 2024
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% Site access           : https://sanskritdocuments.org

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