श्रीस्वामिदयानन्दकृत-कृतयः

श्रीस्वामिदयानन्दकृत-कृतयः

॥ महागणपतिं मनसा स्मरामि ॥

रागम् - तिलङ् तालम् - आदि पल्ल्वी महागणपतिं मनसा स्मरामि महादेवमुदं शिरसा नमामि (महागणपतिम्) अनुपल्लवी मातङ्गाननं माहेश्वरम् तापत्रय-युत-भवरोग-भैषजम् (महागणपतिम्) चरणम् -१ शतकोटि-विघ्न-परिहार-चरणम् शान्त्यादि-सर्वकल्याण-गुणदम् हृदन्तरं निखिल-लोकगं शिवम् परं पदं प्रदं प्रततम् (महागणपतिम्) चरणम् -२ ब्रह्माण्डान्तर्गत-भूतस्थम् यजुरादिवेद-शिखरस्थम् नितान्तशुद्धान्तःकरणस्थम् प्रशस्तं तटस्थं समस्तं तम् (महागणपतिं)

॥ परिपालय मां करिवरद ॥

रागम् - मोहनम् । तालम् - खण्डचापु पल्लवी परिपालय मां करिवरद (परिपालय) अनुपल्लवी अगणित-कल्याण-गुणैकरूप अनन्ते शयान हृदये वसान (परिपालय) चरणम् भवाग्नि-तापेन परितप्त-मानसम् दोधूयमानं दुरदृष्ट-वातेन अविद्यादि-पञ्च-क्लेशादि-तप्तम् त्वदेक-शरण्ये शरणागतं माम् (परिपालय)

॥ भजे विघ्नराजं विनायकम् ॥

रागम् - हंसध्वनि तालम् - आदि पल्लवी भजे विघ्नराजं विनायकम् यजे भालचन्द्रं पदवाक्यप्रमेयम् (भजे विघ्नराजम्) अनुपल्लवी अथर्वशीर्षादि-प्रतिपादितं सङ्कटनाशनं गणपतिं सदा (भजे विघ्नराजम्) चरणम् वक्रतुण्डं महाकायं एकदन्तं गजाननम् विकटं कृष्णपिङ्गाक्षं धूम्रवर्णं लम्बोदरम् (भजे विघ्नराजम्)

॥ भो शम्भो शिव-शम्भो स्वयम्भो ॥

रागम् - रेवति तालम् - आदि पल्लवी भो शम्भो शिव-शम्भो स्वयम्भो गङ्गाधर शङ्कर करुणाकर मामव भवसागर-तारक (भो शम्भो) अनुपल्लवी निर्गुण-परब्रह्म-स्वरूप गमागमभूत-प्रपञ्च-रहित निजगुहा-निहित नितान्त-अनन्त आनन्द अतिशय अक्षयलिङ्ग (भो शम्भो) चरणम् दिमित दिमित दिमि तरिकिट तकतोम् तों तों तरिकिट तरिकिट तकतोम् । मतङ्ग-मुनिवर-वन्दित ईश सर्वदिगम्बर-वेष्टितवेष नित्य-निरञ्जन नृत्यनटेश ईश सभेश सर्वेश (भो शम्भो)

॥ सोमेश्वरं भजेम ॥

रागम् - तालम् - आदि पल्लवी सोमेश्वरं भजेम सपरिवार सोमेश्वरम् अनुपल्लवी वामे भागेश्वर्या युतं सततं साम-गानेन तोषितं सोमादि-यज्ञ-हविर्भुजं परम-पद-प्रदं तम् (सोमेश्वरम्) चरणम् अयि-उणादि-सूत्र-जनि-कर्तृ-रूपं षड्जादि-सप्त-स्वर-नाद-भूतं शम-दमादि-युक्तेन प्रतिपद्यमानं पूतं पवित्रं प्रणव-स्वरूपम् (सोमेश्वरम्) नित्य-निरीहं निगमान्तगं तं राज-कूट-क्षेत्र-भक्त-पालकं कालान्तकं (सोमेश्वरम्)

॥ वन्देऽहं शारदाम् ॥

रागम् - यमन्कल्याणी तालम् - मिश्रचापु पल्लवी वन्देऽहं शारदाम् विशारदां ज्ञानदां वरदाम् (वन्देऽहम्) अनुपल्लवी शुद्ध-सत्त्व-स्वरूपिणीम् स्वच्छ-हृदय-निवासिनीम् स्वप्रकाश-रूपिणीम् (वन्देऽहम्) चरणम् परापर-विद्या-भूषिताम् सुरवर-सुजन-सेविताम् शुभदां सुलभां सुस्वर-वाद्य-निरताम् (वन्देऽहम्)

॥ मीनाक्षी ॥

रागम् - भागेश्री तालम् - रूपकम् पल्लवी मधुर-मधुर-मीनाक्षि मधुरापुरि-निलये अम्ब अम्ब जगदम्ब (मधुर-मधुर) अनुपल्लवी मधुर-मधुर-वाग्विलासिनि मातङ्गीं मरकताङ्गीं मातर्मम हृदय-निवासिनि मां पाहि सन्ताप-हारिणि (मधुर-मधुर) चरणम् सुन्दरेश्वर-भागेश्वरि सुवरादि-जगदीश्वरि छाये पतितात्म-परितारिणि माये परमगुह्य-परब्रह्म-सहाये (मधुर-मधुर)

॥ षण्मुखः ॥

रागम् - सिन्धुभैरवी तालम् - मिश्रचापु पल्लवी षण्मुखं भज षण्मुखम् सर्वगं शिखि-वाहनम् उन्मोचन-प्रमोचनाय (षण्मुखं भज) अनुपल्लवी शरवणभव-विभवम् श्रितजन-सेवितचरणम् कामादि-षड्रिपु-निधनम् सामादि-वेदगम्यम् (षण्मुखं भज) चरणम् सर्वजन-मनोरञ्जकम् प्राज्ञं प्रणवार्थ-देशिकम् गुहं गुरुवरं शूरं शूलधरम् परतरं भवतारकम् (षण्मुखं भज)

॥ कल्याणसुब्रह्मण्यः ॥

रागम् - कल्याणी तालम् - आदि पल्लवी कल्याणसुब्रह्मण्य नमोऽस्तुते हे कल्याणसुब्रह्मण्य नमोऽस्तुते (हे कल्याणसुब्रह्मण्य) अनुपल्लवी वल्ल्या समेत-देवसेनापते सुरपते (हे कल्याणसुब्रह्मण्य) चरणम् पशुपाश-मोह-विनाशैक-हेतो आबाल-पण्डित-सुवन्दित-विभो पशुपुत्र-कलत्र-स्वर्गादीष्ट-कामतरो परब्रह्मपदप्रद-प्रभो (हे कल्याणसुब्रह्मण्य) मध्यम-कालः विश्वाकार-ओङ्कार-तत्त्वार्थमूर्ते गुरुकुलाचलकीर्ते भक्तजन-हृदयपूर्ते स्फूर्ते सुकीर्त्ते (हे कल्याणसुब्रह्मण्य)

॥ रामं भजे श्यामं मनसा ॥

रागम् - दुर्गा तालम् - आदि पल्लवी रामं भजे श्यामं मनसा रामं भजे श्यामं वचसा (रामं भजे) अनुपल्लवी सर्व-वेद-सार-भूतम् सर्व-भूत-हेतु-नाथम् (रामं भजे) चरणम् -१ विभीषणाञ्जनेय-पूजित-चरणम् वसिष्ठादि-मुनिगण-वेदित-हृदयम् वशीकृत-माया-कारित-वेषम् एतं पुरेशं सर्वेशम् (रामं भजे) चरणम् -२ नील-मेघ-श्यामलं नित्य-धर्म-चारिणम् दण्डिनं कोदण्डिनं दुराचार-खण्डनम् जन्म-मृत्यु-जरा-व्याधि-दुःख-दोष-भव-हरम् (रामं भजे)

॥ श्यामसुन्दरं भावये ॥

रागम् - नाट्टै तालम् - मिश्रचापु पल्लवी श्यामसुन्दरं भावये निगमान्तगम् (श्यामसुन्दरम्) अनुपल्लवी कमनीय-कामकोटि-कल्पद्रुमम् (श्यामसुन्दरम्) चरणम् भावाभावानिर्वचनीयमाया- कल्पित-कालदेशावच्छिन्न-शरीरं सततम् अनन्तकल्याणगुणसम्पन्नम् अनन्यभक्त्या परिसम्प्राप्तम् सच्चिद्धनरसमूर्तिम् पुण्यमनोरथपूर्तिं हृत्स्फूर्तिं तम् (श्यामसुन्दरम्)

॥ हे गोविन्द हे गोपाल ॥

रागम् - हिन्दोलम् तालम् - रूपकम् पल्लवी हे गोविन्द हे गोपाल उद्धर मां दीनम् अतिदीनं बलहीनम् (हे गोविन्द) अनुपल्लवी विहित-विहीनं विपर्यय-ज्ञानं सञ्चित-सर्व-कलुष-कलापम् (हे गोविन्द) चरणम् वेदं न जाने वेद्यं न जाने ध्यानं न जाने ध्येयं न जाने मन्त्रं न जाने तन्त्रं न जाने पद्यं न जाने गद्यं न जाने (हे गोविन्द)

॥ दक्षिणामूर्ते अमूर्ते ॥

रागम् - रञ्जनी तालम् - आदि पल्लवी दक्षिणामूर्ते अमूर्ते सनकादि-मुनिजन-हृन्मूर्ते (दक्षिणामूर्ते) अनुपल्लवी आगमसार-परिपूर्ण-आत्म- जिज्ञासु-मनोगत-मूर्ते (दक्षिणामूर्ते) चरणम् प्रसीद हृदीश अधीहि ब्रह्म त्यक्तसर्वं युक्तात्मानं त्वच्छरणागतं माम् (दक्षिणामूर्ते)

॥ त्यजरे भव-भय-तापम् ॥

रागम् - बेहाग् तालम् - आदि पल्लवी त्यजरे भव-भय-तापम् भजरे व्रज-जन-मनस्सुभाजम् गुरु-राजं विराजम् (त्यजरे) अनुपल्लवी अपि चेदसि पापकृत्तमः सर्वं वृजिनं सन्तरिष्यसि त्वम् (त्यजरे) चरणम् इदं शरीरं क्षेत्रं हि विद्धि क्षेत्रं यो वेत्ति सर्वेषु क्षेत्रेषु स हि परमात्मा अहमिति पश्य समाहितो भूत्वा (त्यजरे)

॥ भावये परमात्मान् ॥

रागम् - आरभी तालम् - आदि पल्लवी भावये परमात्मानं भवभयदूरं नितराम् (भावये) अनुपल्लवी श्रवण-मनन-मुख-प्राप्त-सतत्त्वम् आदि-मध्यान्त-रहितं परिपूर्णम् (भावये) चरणम् -१ कल्पित-सकल-भुवनाधारम् सद्गुरु-सुमुख-कमलोद्भूतं जप-तपः-कर्म-सुशितया बुद्धया बोधं प्रतिबोधं विदितं महान्तम् (भावये) चरणम् -२ असङ्गं अस्वप्नं अचिन्त्य-रूपम् मध्यम-कालः शान्तं शिवं निर्विकल्पं परेशम् समं सदा सर्व-भूतेषु गूढम् सुखं स्वतन्त्रं सुबोध-स्वरूपम् (भावये)

॥ शङ्कराचार्यं भजेम ॥

रागम् - मोहनम् तालम् - रूपकम् पल्लवी शङ्कराचार्यं भजेम आदि-शङ्कराचार्यं भजेम शिवशङ्कर-रूपं अरूपम् अद्वयानन्द-करं यतिवरं गुरुवरम् (शङ्कराचार्यम्) अनुपल्लवी तोटकादि-हृद्भावित-चरणम् विदिताखिल-शास्त्र-सुधा-जलधिम् अघटित-माया-भव-अपहारम् हारं श्रुतिसारं वारं वारम् (शङ्कराचार्यं) चरणम् कुशाग्र-बुद्धि-विशेष-विज्ञातम् ईश-केनादि-भाष्य-विख्यातं विज्ञात-परात्म-निजस्वरूपम् ज्ञेयं ध्येयं गेयं वयम् (शङ्कराचार्यम्)

॥ भारत देश हिताय ॥

रागम् - देश तालम् - चतुश्र एकम् पल्लवि भारत-देश-हिताय भरतादि-महामति-सेवित (भारत...) अनुपल्लवि आसेतु-हिमाचल-वनगिरिजन-संरक्षणाय कुरु सेवां त्वं कुरु सेवां त्वं कुरु सेवां त्वं कुरु सेवाम् (भारत...) चरणम् आयुरारोग्य-विवर्धनाय धर्म-संस्थापनाय क्षोभनिवारणाय सुभिक्ष-परिप्रापणाय दीनजन उद्धारणाय कुरु सेवां त्वं कुरु सेवां त्वं कुरु सेवां त्वं कुरु सेवाम् (भारत...) Encoded and proofread by Swamini Tattvapriyananda tattvapriya3108 at gmail.com
% Text title            : Kritis for various deities by Swami Dayanandasarasvati
% File name             : dayAnandakRRitayaH.itx
% itxtitle              : dayAnandasarasvatIkRRitayaH (svAmIdayAnandasarasvatIvirachitAH)
% engtitle              : Kritis of Swami Dayanandasarasvati
% Category              : deities_misc, kRitI, misc
% Location              : doc_deities_misc
% Sublocation           : deities_misc
% Author                : Swami Dayanandasarasvati
% Language              : Sanskrit
% Subject               : philosophy/hinduism/religion
% Transliterated by     : Swamini Tattvapriyananda tattvapriya3108 at gmail.com
% Proofread by          : Swamini Tattvapriyananda tattvapriya3108 at gmail.com
% Latest update         : November 17, 2018
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