गोरक्षपञ्चकम्
अन्त्यमङ्गलाचरणं गोरक्षपञ्चकं
(शाबर-पद्धति)
(जय) जय जय जय गोरक्षनाथ! आदेश नमो! देवाधिदेव!
(जय) आदिनाथ! पशुपते! स्वयम्भो! शम्भो हर हर महादेव!
सर्वभूतपरिवारव्यालविकरालहारगात्रे रचितं
जन्मदुःखनिर्मूलशूलधृतदण्डहस्तमशुभं शमितम् ।
सिद्धवृन्दगन्धर्वसङ्घमधुरमनुपमगीतं चरितं
रक्ष रक्ष गोरक्ष सर्वनिधिदक्ष भक्ष सकलं दुरितम् ॥ १॥
(जय) जय जय जय गोरक्षनाथ! आदेश नमो! देवाधिदेव!
(जय) आदिनाथ! पशुपते! स्वयम्भो! शम्भो हर हर महादेव!
ब्रह्मज्ञानविज्ञानसत्त्वयुतमुक्तपाशभवभयहारी
व्याघ्रचर्मपरिधानकलेवरमुण्डमालसन्दशधारी! ।
वेदशास्त्रदर्शनदिग्दर्शननिपुणमोहभ्रमसंहारी
रक्ष रक्ष गोरक्ष सर्वनिधिदक्ष भक्ष सकलं दुरितम् ॥ २॥
(जय) जय जय जय गोरक्षनाथ! आदेश नमो! देवाधिदेव!
(जय) आदिनाथ! पशुपते! स्वयम्भो! शम्भो हर हर महादेव!
बालरूपद्वादशसंवत्सरवयसि लिप्तगोमयपिण्डे
तव कविनारायण अवतारी मत्स्येन्द्रनाथदीक्षा मुण्डे! ।
सिद्धरसेश्वर पतितोऽहं तव शरणे चरणेऽमृतकुण्डे
रक्ष रक्ष गोरक्ष सर्वनिधिदक्ष भक्ष सकलं दुरितम् ॥ ३॥
(जय) जय जय जय गोरक्षनाथ! आदेश नमो! देवाधिदेव!
(जय) आदिनाथ! पशुपते! स्वयम्भो! शम्भो हर हर महादेव!
अङ्गभस्मनिःसङ्गरङ्गशुभशुभ्रदेहपरिमलवेषं
शम्भुनेत्रमालात्रिनेत्रधर्ता हर्ताशुभकृतदोषम् ।
अनलसूर्यप्रतिहतकान्तिः शान्तिर्मनसीत्यन्तकरोषं
रक्ष रक्ष गोरक्ष सर्वनिधिदक्ष भक्ष सकलं दुरितम् ॥ ४॥
(जय जय जय जय गोरक्षनाथ! आदेश नमो! देवाधिदेव!
(जय) आदिनाथ! पशुपते! स्वयम्भो! शम्भो हर हर महादेव! ।
तन्त्रशास्त्रशाबरमहास्त्रसर्वार्थसिद्धिदायकरचितं
वज्रगात्र योगेश वज्रबटुकेश शेषतमसो रहितम् ।
वज्रपाणिमस्तकचूडामणिवन्दितपादसदाविनतं
रक्ष रक्ष गोरक्ष सर्वनिधिदक्ष भक्ष सकलं दुरितम् ॥ ५॥
(जय) जय जय जय गोरक्षनाथ! आदेश नमो! देवाधिदेव!
(जय) आदिनाथ! पशुपते! स्वयम्भो! शम्भो हर हर महादेव!
इति निग्रहाचार्य श्रीभागवतानन्दगुरुविरचितं शतकचन्द्रिकान्तर्गतं
अन्त्यमङ्गलाचरणं गोरक्षपञ्चकं सम्पूर्णम् ।