श्रीहंसचतुश्श्लोकी

श्रीहंसचतुश्श्लोकी

श्रीकृष्णरूपं रुचिरं वरेण्यं विरञ्चिहेतोश्च धृतावतारम् । सनत्कुमारार्थकृतोपदेशं हंसावतारं हृदि भावयेऽहम् ॥ १॥ जगत्स्रष्टा ब्रह्मा के मानस पुत्र महर्षि श्रीसनकादिक जिनके द्वारा आत्म-परमात्मतत्त्व परक गम्भीर प्रश्न किये जाने पर प्रश्न के समाधान में निमग्न श्रीब्रह्मा के निमित्त एवं श्रीसनकादिकों के प्रश्न-जिज्ञासार्थ सर्वनियन्ता सर्वेश्वर भगवान् श्रीकृष्ण ने ही श्रीहँस भगवान् के स्वरूप में अवतार धारण कर महर्षियों के प्रश्न का समाधान किया, ऐसे उन श्रीहँस भगवान् की हम हृदय से भावना करते हैं ॥ १॥ दिव्यस्वरूपं शुभशुभ्ररूपं कारुण्य-लावण्य-रसैकधाम । भवाऽच्छबीजं भवसिन्धुसेतुं हंसावतारं हृदि भावयेऽहम् ॥ २॥ जिनका परम मङ्गलमय धवल दिव्य स्वरूप है, करुणा, मधुरता और रस अर्थात् आनन्द के धाम हैं इस चराचरात्मक सम्पूर्ण जगत् के श्रेष्ठ कारणरूप हैं, भवसागर से उद्धार के सेतुरूप एकमात्र परमाधार हैं ऐसे उन श्रीहँस भगवान् की अपने अन्तःकरण से अभिवन्दना करते हैं ॥ २॥ सर्वेश्वरं कृष्णसुरूपमाद्यं सनत्कुमारादिकसेव्यमानम् । वेदान्त-राद्धान्तमनोज्ञबीजं हंसावतारं हृदि भावयेऽहम् ॥ ३॥ समस्त वेदान्तादि सिद्धान्त के एकमात्र कारुण्य पावन परमाधार, इस अखिल ब्रह्माण्ड के आदिरूप कृष्णस्वरूप सर्वेश्वर श्रीहंस भगवान् को अपने अन्तर्मानस से भावना पूर्वक प्रणति अर्पित करते हैं ॥ ३॥ अतीवरम्ये भुवि पुष्करे च धृतावतारं जगतो हिताय । शास्त्रे प्रसिद्धं तमचिन्त्यरूपं हंसावतारं हृदि भावयेऽहम् ॥ ४॥ इस भूमण्डल पर श्रीब्रह्मदेव का दिव्य क्षेत्र परम पावनतम अतीव रमणीय युगादि-तीर्थगुरु श्रीपुष्कर में जिन्होन्ने लोक कल्याण के लिये हंसस्वरूप अवतार धारण किया जो यथार्थ में परम अनिर्वचनीय अचिन्त्यरूपात्मक है जिसका वर्णन श्रीमद्भागवत महापुराणादि शास्त्रों में सुप्रसिद्ध सुन्दर वर्णन है । ऐसे उन श्रीहंस भगवान् की अपने हृदय-मन्दिर में हम भक्तिपूर्ण भावना करते हैं ॥ ४॥ हंसभगवतो दिव्या चतुश्श्लोकी सुखप्रदा । राधासर्वेश्वराद्येन शरणान्तेन निर्मिता ॥ ५॥ श्रीहंस भगवान् की यह दिव्यस्वरूपा चतुश्श्लोकी जो परमानन्द प्रदान करने वाली है और जिसकी रचना उन्हीं की कृपा से हमें निमित्त बना कर यथामति बन पड़ई है । भावुकजन इसका अवश्य मनन करें ॥ ५॥ इति श्रीहँसचतुश्श्लोकी समप्ता । Proofread by Mohan Chettoor
% Text title            : Shri Hamsa Chatushshloki
% File name             : haMsachatushshlokI.itx
% itxtitle              : haMsachatushshlokI (shrIjI virachitam)
% engtitle              : haMsachatushshlokI
% Category              : deities_misc, gurudev, nimbArkAchArya, chatuHshlokI
% Location              : doc_deities_misc
% Sublocation           : deities_misc
% SubDeity              : gurudev
% Author                : shrIjI
% Language              : Sanskrit
% Subject               : philosophy/hinduism/religion
% Proofread by          : Mohan Chettoor
% Indexextra            : (Scans 1, 2)
% Latest update         : January 28, 2023
% Send corrections to   : (sanskrit at cheerful dot c om)
% Site access           : https://sanskritdocuments.org

This text is prepared by volunteers and is to be used for personal study and research. The file is not to be copied or reposted for promotion of any website or individuals or for commercial purpose without permission. Please help to maintain respect for volunteer spirit.

BACK TO TOP
sanskritdocuments.org