श्रीकामाक्षीस्तोत्रम्
मङ्गल चरणे मङ्गल वदने मङ्गलदायिनी कामाक्षी ।
गुरु गुह जननी कुरु कल्याणं कुञ्जरी जननी कामाक्षी ॥ १॥
कष्ट निवारिणी इष्ट विदायिनी दुष्ट विनाशिनी कामाक्षी ।
गुरु गुह जननी कुरु कल्याणं कुञ्जरी जननी कामाक्षी ॥ २॥
हिमगिरितनये मम हृदिनिलये सज्जनसदये कामाक्षी ।
गुरु गुह जननी कुरु कल्याणं कुञ्जरी जननी कामाक्षी ॥ ३॥
ग्रहनुत चरणे गृहसुतदायिनी नव नव भवते कामाक्षी ।
गुरु गुह जननी कुरु कल्याणं कुञ्जरी जननी कामाक्षी ॥ ४॥
शिवमुख विनुते भवसुखदायिनी नव नव भवते कामाक्षी ।
गुरु गुह जननी कुरु कल्याणं कुञ्जरी जननी कामाक्षी ॥ ५॥
भक्त सुमानस ताप विनाशिनी मङ्गलदायिनी कामाक्षी ।
गुरु गुह जननी कुरु कल्याणं कुञ्जरी जननी कामाक्षी ॥ ६॥
केनोपनिषद् वाक्य विनोदिनी देवी पराशक्ति कामाक्षी
गुरु गुह जननी कुरु कल्याणं कुञ्जरी जननी कामाक्षी ॥ ७॥
परशिव जाये वरमुनि भाव्ये अखिलाण्डेश्वरी कामाक्षी ।
गुरु गुह जननी कुरु कल्याणं कुञ्जरी जननी कामाक्षी ॥ ८॥
हरिद्रा मण्डलवासिनी नित्य मङ्गलदायिनी कामाक्षी ।
गुरु गुह जननी कुरु कल्याणं कुञ्जरी जननी कामाक्षी ॥ ९॥
इति श्री जगद्गुरु चन्द्रशेखरसरस्वतीविरचितं कामाक्षीस्तोत्रं सम्पूर्णम् ।
Encoded and proofread by Aruna Narayanan