कावेरीनदीवर्णनम्

कावेरीनदीवर्णनम्

(वरदाम्बिकापरिणयचम्पूग्रन्थे) ततो व्रजन्नेव धरेन्दुरग्रे कवेरकन्यां कलयाञ्चकार । भ्रूभङ्गसङ्काशतरङ्गरेखास्फुटघुगङ्गोपरिवासरोषाम् ॥ सान्द्रतर-तट-महीरुहान्तर निपतदरविन्द-बन्धु-मयूख- दण्ड-सन्दित-पर्यन्त-सन्तत-परिवर्तमान जलावर्त- चक्र-निर्वर्तित-बहिर्विस्तृत-बहुविध-कलश- सार्थ-समर्थनीय- शतपत्र-मुकुल-जाल-विचित्राम, विनिद्राम्भोज-राजि-व्याज-विवर-विराजित-गम्भीरता- निष्पन्द-नीरपुर-विनोदन-साधन- फलकान्तर-तरल- भसल-कुल-नीलमणि-जाल-प्रतिक्षण-निक्षेपणोत्क्षेपण- विधि-लक्षण-पवनवश-क्षुभितावन-मद्विटप- भुज-सलक्ष्मीकोभय- तट-क्षोणीरुहश्रेणिकाम्, सतत- सलिल-वसति-जनित-जडिम-हरण-करण-तरणि- किरण-परिचरण-पर-जल-मानव-माणवकारोहावरोह- सन्दित-पुरन्दर-मणि-सोपान-पडिक्त-बन्धुर- तट-द्वन्द्व-तरु-जालच्छायान्तर-दन्तुरितान्तिक- निरन्तरोन्मीलदूर्मि-सन्ततिम्, तरल-तरङ्गोत्कर-वारि- जात-समुद्धत-पराग-पालि-मेलित-तीर-तल-तरुण- तरुशाखाशय-कुसुम-मञ्जरी-तूर्ण-विकिर्ण पांसु- सन्तति-सन्दर्शित-वसन्त-गन्ध- चूर्ण-मुष्टि- विहाराम्, समीरण-सञ्चरणा-वशविनमदुन्नमदायतावनत- शाखा-पल्लवाञ्चल-समुत्क्षिप्यमाणसलिल पृषत- मेदुरित-विहग-कूजित-मुखरीकृत-तीर-मही- जात-जातानुकृत- समन्त्रोच्चारणप्रोक्षण-परतन्त्र- मुनीन्द्रवृन्दाम्, वृन्दारक-सरणि-सञ्चरण-कन्दलद- मन्दानन्द-मन्दाकिनी-महीतल-निपातनोदस्त-हस्त-प्रशस्त- समुल्लोल-कल्लोलाम्, उल्लसदधिकानुराग-निहारगिरि-कुमारिका- कान्त-पार्श्वद्वय-महेश्वर-वपुरुपमेयोभय-तीर- भूरुह-च्छाया-मेदुरित-सविध-विमलान्तराल-नीर-पूराम्, निकटतट-विटपि-निबिड-विटपान्तर-निपात-कठोरकिरण- किरण-कनकश‍ृङ्खला-सङ्गत-तरङ्ग दोला-लीलायित- लोल-जालपाद-बालिका-पालिकाम, ध्रुवचरण-परिक्रममाण- ग्रहतारागणानुकरण-सलिल-भ्रमवश-परिभ्रमच्चक्राङ्ग- सारस-कारण्डव-मण्डलाम्, निमज्जनियमवज्जन-निःश्रेयस- श्री-समुद्घाह-महोत्सव-समुचित-विचित्र-मङ्गल- कलश-जाल-लालनीय-विदलद्दलारविन्द-रसास्वाद- निमग्नोत्थित-परिभ्रमदिन्दिर-पक्षान्तर-निष्यन्दमान- मकरन्द-बिन्दु-चन्द्रकित-सौगन्धिक-मुकुल-पङ्क्ति- बन्धुरिताम्, समुत्तुङ्ग-भङ्ग-महोप-धान-सङ्गत- शंवर-प्रवाह-वरुण-पङ्कज-महापर्यङ्क-निहित- वर्तुलबृहदुपबर्हण-स्पृहणीय-मिहिर-बिम्ब-जनित- सौन्दर्याम्, सान्द्रतर-शकुनि-कुल-कुसुम-भर-तरल- कोमल-शैवाल-जाल-केशपाश-दर्शनीय-सवन्ती- कान्त-नितान्त-रति-श्रान्ति-संवेश-पारवश्य-वश- विशीर्ण-कुश-कौशेय-समुल्लत-सैकत-नितम्ब- हंस-संसदमल-दुकूल-विधान-सावधान-वीची-भुजा- विराजिताम्, अनुकूल-निपतदुदभिपतदखिल-जल-विहग-कुल- गरुदुदरभरित-सलिल-पृषत-निवसित-तट-युगल- निथत-किसलयित-विटपि-परिषदभिवृत-जलधर- सरणि-परिहसित-युगपदुदयदुडुगणकनकगिरिशिखर- परिगत-सुरनगर-तरङ्गिणीम्, प्रकट-विघटमान- पुटाकिनी-कुसुम-हाटक-भाजन-हरित-मधु-रस- रसनसमासीन-राजहंस-बिस-सहभोजन-सतत-प्रकाशन- पेशल-शैशवैः, अभ्याशविलदावन्ती-रभस-विवर्तमान- शतपत्र-मुकुल-विवर्तक-केलीप्रवर्तक-समीर-कुमारक- विस्तारित-पाश-नीकाश-रेखाशतैः आकाश-तल-विमलता- वादासह-सलिल-प्रसाद-रभस-सन्धान-कुतुक-विरचित- याता-यात-मेघ-पृथु-कोप-मान साधित- साधिमभि, अभिनव-पद्मिनी-परिषदतिचपल-वीची-भुजा-विराजित- राजीव- करतलोत्पतनापतन- दर्शनीयकेली- नील- मणि-घुटिकानुकारिचटुलाकारैः, रसातलोज्जिहान-वाजिनी-नाल- निभ-व्याल-निरालस्य-नलिन- फण-फलक-विलासमान- कालिम-मरीचिभङ्ग-शङ्कनीयैःपथोन्तरगत-प्राचेतस- निकेत-सौध-जलवर्त-वातायन-कन्दलढमन्द-गन्ध- धूम-बन्धुरैरिदिन्दिरसद है निरन्तर मुखरित-दिगन्तराम्, उदारान्त-राल-मेलित-कुमुद-कुवलय-कमल-कुडमल- शैवाल-जाल-शवलितावर्त-विचित्र-तरारार्तिक- पात्र-समुल्लसित-हल्लक-कोरक-दीप-कलिकाभिः विजय- नीराज- नामारचय्य निपतदाभिनव-तट-तरु-कुसुम- सरस-केसर-विसर- ग्रसन-रस-सर-भस- सारस-मुख-शकुनि-रसित-विलसितैः उपर्युपरि समुद्गच्छदूर्मिच्छटाभिरभिसंहिततमं``समागच्छ विजयस्व'' इति समयानुरूपानुलापपुरः सरम्, आत्म- सैन्यस्य हस्तसज्ञामिव रचयन्तीम्- पन्नगराजमूर्तिमिव प्रशस्तपावनवृत्तिम्, शमिजनचित्तवृत्तिमिव सर्वरसावधीशनिपुणामृतरुचिं शर्वाणीमिव सह्यगिरीशदृढतररसानुभवां रामकथामिव बहुलहारिलसितां शैलूषीमिव बहुशस्तरङ्गनटनशोभितां अध्यात्मविद्यामिव उपनिषदूरपदस्फुटालक्ष्य हंसगतिं प्राज्ञनृपसम्पदमिव प्रसाधितदक्षिणाशां नीरदमालिकामिव नियतोत्कूलश्यामलतान्वितां पावनतापहसितजह्रकुमारी पाथोरसावधूतसुधामाधुरीं पयोधिराज- प्रधानान्तः पुरीं पातकवातन्धयमयूरीं कावेरीमतारीत् । इति कावेरीनदीवर्णनं सम्पूर्णम् । Proofread by Prabha Maruvada
% Text title            : Kaveri Nadivarnanam
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% itxtitle              : kAverInadIvarNanam (varadAmbikApariNayachampUgranthe)
% engtitle              : kAverInadIvarNanam
% Category              : devii, nadI, devI
% Location              : doc_devii
% Sublocation           : devii
% SubDeity              : nadI
% Language              : Sanskrit
% Subject               : philosophy/hinduism/religion
% Proofread by          : Prabha Maruvada
% Description-comments  : Kaveri Stuti Series No. 532 Thanjavur Sarasvati Mahal Series
% Indexextra            : (Scan)
% Latest update         : July 7, 2024
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% Site access           : https://sanskritdocuments.org

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