महाविद्या ध्यानम् मन्त्रः
महाविद्या मन्त्रः -
हूँ श्रीं ह्रीं वज्रवैरोचनीये हुँ हुँ फट् स्वाहा ऐं ।
महाविद्या ध्यानम् -
चतुर्भुजां महादेवीं नागयज्ञोपवीतिनीम् ।
महाभीमां करालास्यां सिद्धविद्याधरैर्युताम् ॥
मुण्डमालावलीकीर्णां मुक्तकेशीं स्मिताननाम् ।
एवं ध्यायेन्महादेवीं सर्वकामार्थ सिद्धये ॥
देवी चतुर्भुजा, सर्प का यज्ञोपवीत धारण करने वाली है
ये महाभीमा है, करालवदना है, सिद्ध और विद्याधरों से
वेष्टित है, ये मुण्डमाला से अलंकृत है । इनके केश खुले
व लहरा रहे हैं और ये हास्यमुखी है । सर्वकामार्थ सिद्धि
के लिये देवी का इस प्रकार ध्यान करना चाहिये ।