श्रीश्यामास्तुतिः
श्री श्यामसुन्दर्यै नमः ।
ॐ नमामि कालिकादेवीम ज्ञानकालिकापहाम् ।
सर्वावभासिनीं ज्वालां ज्ञानदीप प्रज्वालिनीम् ॥ १॥
कालिके त्वं जगन्माता कालिके त्वं जगत्पिता ।
कालिके त्वं जगबन्धुःकालिकायै नमोऽस्तु ते ॥ २॥
कालमेघसमानाभा काली श्री श्याम सुन्दरी ।
त्रिकाल ज्ञानजननी कालिका प्रीयतां मम ॥ ३॥
सूर्यकोटि प्रतीकाशा चन्द्रकोटि समानना ।
अग्निकोटिसमा घोरा कालिका प्रीयतां मम ॥ ४॥
चन्द्रार्क वह्नि नयना तापत्रय विनाशिनी ।
मलत्रयापहर्त्री च कालिका प्रीयतां मम ॥ ५॥
चितिशक्तिः स्वतन्त्रा च पञ्चकृत्य विधायिनी ।
विश्वाकारा विश्वोत्तीर्णा कालिका प्रीयतां मम ॥ ६॥
देवपितृपथोर्मध्ये हंसावाहनचारिणी
विद्युद्रूपा सुसूक्ष्मा च कालिका प्रीयतां मम ॥ ७॥
चिद्रसाऽऽश्यानभिन्ना च घटपटादि रूपिणी
मृत्स्वर्णजलवदेका कालिका प्रीयतां मम ॥ ८॥
पुरत्रयाश्रया देवी त्रिपुरा त्रिपुरान्तका
त्रिवेदज जननी विद्या कालिका प्रीयतां मम ॥ ९॥
दाक्षायणी यज्ञहर्त्री सर्वदेव भयङ्करी
गोपिताऽऽकृतिरीशानी कालिका प्रीयतां मम ॥ १०॥
हिमाद्रितनया गौरी तपसा तोषितेश्वरी
त्रिजगज्जननी दुर्गा कालिका प्रीयतां मम ॥ ११॥
नारायणी महालक्ष्मीः सर्वकाम प्रदायिनी
त्रिसन्ध्या वैखरी धात्री कालिका प्रीयतां मम ॥ १२॥
अरिशङ्खकृपाणासि-शूलपाशाब्जपाणिका
रक्तपात्रकरा चैव कालिका प्रीयतां मम ॥ १३॥
चन्द्रार्धकृतचूडा च कपाल माल धारिणी
अट्टाट्टहासिनी भीमा कालिका प्रीयतां मम ॥ १४॥
प्रेतासनसमारूढा प्रेतभूमिविहारिणी
त्रिजगदग्रासिनी घोरा कालिका प्रीयतां मम ॥ १५॥
महाकालस्वरूपा च महाकाल क्षयङ्करी
महारौद्री च चण्डी च कालिका प्रीयतां मम ॥ १६॥
त्रिकोटिदेवजननी त्रिकोटि देव नाशिनी
त्रिकोटि देवतारूपा कालिका प्रीयतां मम ॥ १७॥
ज्वालामुखी स्वरूपाच महापातकनाशिनी
मोहान्धकारशमनी कालिका प्रीयतां मम ॥ १८॥
जयतु जयतु श्यामा कालमेघावभासा
जयतु जयतु देवैः स्तूयमान पदांब्जा ।
जयतु जयतु योगिहृत्कजान्तर्निर्विष्टा
जयतु जयतु माता कालिका कालहर्त्री ॥ १९॥
इति श्री श्यामायाः स्तुती राजानक-
विद्याधर विरचिता शिवदाऽस्तुतराम् ।
ॐ तत्सद् ॐ ॥
Encoded and proofread by Girdhari Lal Koul glkoul.18 at gmail.com