श्रीरामरघुनाथाष्टकम्
दशरथनन्दन दाशरथीघन पूर्णचन्द्र तनु कान्तिमयं
दिव्यसुनयन रण्जीतरञ्जन रमापती वीर सीतानाथम् ।
गहनकानने लक्ष्मीलक्ष्मीपति पितृसत्यधारी सत्यसुतं
पूर्णसत्यदेव राघव माधब रामरघुनाथ पदौभजे ॥ १॥
मण्डितधरणी खण्डिततनुनतमस्तकेभूषित क्लेशभारं
सम्भबतियुगेयुगे नानाकृतधृतरूप अरूपस्वरूप शस्त्रधरम् ।
पापासुरनिधन साधुपरित्राण दरिद्रदारुण त्राणमूर्त्तिं
दिव्य कान्ति तनु नेत्र शशी भानु रामरघुनाथ पदौभजे ॥ २॥
घनघनघनीभूत कौशल्यासम्भूत रामरमाकान्त जगन्नाथं
शान्तसुशीतल सुनीलानल नीलतरलरल तवमुखम् ।
चन्दनविमर्दन मदनमोहन नग्ननिमग्नधीर भक्तरमं
हस्तेशस्त्रधारी त्रिभुबनविहारी रामरघुनाथ पदौभजे ॥ ३॥
अहल्यातारक बलीसंहारक शत्रुविनाशक विश्वदेवं
प्रेमप्रदायक ब्रह्माण्डनायक तारणपतक सत्यप्रियम् ।
दशमुखमर्द्धन भक्तप्राणधन नित्यनिरञ्जन सर्वसारं
सर्वमनोरञ्जन सर्वमानभञ्जन रामरघुनाथ पदौभजे ॥ ४॥
विक्रान्तकुण्डीर स्थिरमनोहर दिव्यकलेवर मायाधरम् ।
नीरजवदन पङ्कजलोचन पुष्करचरण मोक्ष्यप्रदं
रामरामहेराम श्रीरामजयराम रामरमणचित्तेचित्तधरं
पतिपतिसीतापति भूपतिश्रीपति रामरघुनाथ पदौभजे ॥ ५॥
मन्दरमान्दर सानन्दसुन्दर तरुणधारूणपति सृष्टिधरं
सदाप्रजाबत्सल कोमलौत्पल विमलश्यामल कलेवरम् ।
जानकीवल्लभ तवकरपल्लव सौरभदुर्लभ तत्त्वसारं
मोक्ष्यप्रदायक आनन्ददायक रामरघुनाथ पदौभजे ॥ ६॥
मारूतिसेवित इन्दिरावन्दित विश्वसन्दनीत श्रीकन्दरं
चण्डवातगति छिदतिदुर्गति सृष्टिप्रलयस्थिति मुलात्मूलम् ।
हेप्रभुईश्वर श्रीधरभूधर सर्वाङ्गसुन्दर रङ्गनाथं
कृपालुसागर नित्यमनोहर रामरघुनाथ पदौभजे ॥ ७॥
तव अनुस्मरण तव परिचिन्तन प्रध्यानपठन नित्यसुखं
मुखेतबगापन तव लीलावर्णन तव नामेमार्जन शुद्धमयम् ।
क्लेशक्लेशमहाक्लेश भवसुरा देबेश रक्षाकुरुस्वामी गोरक्षकं
हे रघुनन्दन सर्वक्लेशखण्डन रामरघुनाथ पदौभजे ॥ ८॥
ममबनरोदन परितापार्दन अपसारतबसङ्ग रघुनाथं
तबपददर्शन सदाचित्तेचिन्तन ममप्राणप्राणधन चक्रधरम् ।
उत्कलसम्भव शुभागसुभग भणतितबमालीका गोनायकं
दीनकृष्णदास प्रतिश्वासप्रश्वास रामरघुनाथ पदौभजे ॥ ९॥
॥ इति श्रीकृष्णदासविरचितं श्रीरामरघुनाथाष्टकं सम्पूर्णम् ॥