ऋभुप्रोक्तं ब्रह्मत्वनिरूपणम्
अहं ब्रह्म परं ब्रह्म चिद्ब्रह्म ब्रह्ममात्रकम् ॥ ३९.२९॥
ज्ञानमेव परं ब्रह्म ज्ञानमेव परं पदम् ।
दिवि ब्रह्म दिशो ब्रह्म मनो ब्रह्म अहं स्वयम् ॥ ३९.३०॥
किञ्चिद्ब्रह्म ब्रह्म तत्त्वं तत्त्वं ब्रह्म तदेव हि ।
अजो ब्रह्म शुभं ब्रह्म आदिब्रह्म ब्रवीमि तम् ॥ ३९.३१॥
अहं ब्रह्म हविर्ब्रह्म कार्यब्रह्म त्वहं सदा ।
नादो ब्रह्म नदं ब्रह्म तत्त्वं ब्रह्म च नित्यशः ॥ ३९.३२॥
एतद्ब्रह्म शिखा ब्रह्म तद्ब्रह्म ब्रह्म शाश्वतम् ।
निजं ब्रह्म स्वतो ब्रह्म नित्यं ब्रह्म त्वमेव हि ॥ ३९.३३॥
सुखं ब्रह्म प्रियं ब्रह्म मित्रं ब्रह्म सदामृतम् ।
गुह्यं ब्रह्म गुरुर्ब्रह्म ऋतं ब्रह्म प्रकाशकम् ॥ ३९.३४॥
सत्यं ब्रह्म समं ब्रह्म सारं ब्रह्म निरञ्जनम् ।
एकं ब्रह्म हरिर्ब्रह्म शिवो ब्रह्म न संशयः ॥ ३९.३५॥
इदं ब्रह्म स्वयं ब्रह्म लोकं ब्रह्म सदा परः ।
आत्मब्रह्म परं ब्रह्म आत्मब्रह्म निरन्तरः ॥ ३९.३६॥
एकं ब्रह्म चिरं ब्रह्म सर्वं ब्रह्मात्मकं जगत् ।
ब्रह्मैव ब्रह्म सद्ब्रह्म तत्परं ब्रह्म एव हि ॥ ३९.३७॥
॥ इति शिवरहस्यान्तर्गते ऋभुप्रोक्तं ब्रह्मत्वनिरूपणं सम्पूर्णम् ॥
- ॥ श्रीशिवरहस्यम् । शङ्कराख्यः षष्ठांशः । अध्यायः ३९। २९-३७॥
- .. shrIshivarahasyam . shankarAkhyaH ShaShThAMshaH . adhyAyaH 39. 29-37..
Notes :
Shiva Rahasyam Amsa-06 consists of the 50 Adhyaya-s that comprise the Ribhu Gita.
Selected verses from Ribhu Gita have been compiled here based on similarity of content.
Proofread by Ruma Dewan