मेधावीकृतं मृत्युञ्जयमहादेवस्तवः

मेधावीकृतं मृत्युञ्जयमहादेवस्तवः

मेधाव्युवाच - जय विश्वोत्तम श्रीमन् जय भक्तजनप्रिय । जय शैवोत्तमाराध्य जय पञ्चमुखानघ ॥ २६३॥ जय निष्कल कामारे जय निर्मल निर्गुण । जय शान्त महादेव जय शङ्कर शाश्वत ॥ २६४॥ जय भस्मोद्धूलिताङ्ग जय रुद्राक्षभूषण । जय शम्भो सुराधीश जय सर्वामरार्चित ॥ २६५॥ जय भानुगुणाकार जय चन्द्रकलाधर । जयानेकगुणाकार जयानेकगुणाश्रय ॥ २६६॥ जय पुण्यैकनिलय जय लिङ्गार्चनप्रिय । जय भक्तैकमन्दार जय बिल्वदलप्रिय ॥ २६७॥ जय यज्ञफलाकार जय यज्ञफलप्रद । जय श्रीमङ्गलाकार जय श्रीमंङ्गलप्रद ॥ २६८॥ जयोग्र जय पापारे जय भूतेश्वर प्रभो । जय भीम भवावेद्य भयवैद्याऽभयप्रद ॥ २६९॥ जय श्रीकण्ठ सर्वज्ञ जय सर्पविभूषण । जय मण्डितसर्वाङ्ग जय भक्तार्तिभञ्जन ॥ २७०॥ जय भर्ग महेशान जय सर्वशिवप्रिय । जय ब्रह्मादिवन्द्याङ्घ्रे जय ब्रह्मादिपूजित ॥ २७१॥ जय श्रीविष्णुनेत्राब्जपूजिताङ्घ्रिसरोरुह । जय मृत्युञ्जयानन्त जय मृत्युहराव्यय ॥ २७२॥ जय गौरीपते ब्रह्मन् जय शङ्कर शाश्वत । जय विश्वैकवन्द्याङ्घ्रे जय शूलवरप्रिय ॥ २७३॥ जय मन्मथकालाग्ने जय कालहरानघ । जय पिङ्गजटाजूट जय भस्मविभूषण ॥ २७४॥ जय त्रिलोचनामेय जयाहिकृतकङ्कण । जय कल्याणनिलय जय कल्याणदायक ॥ २७५॥ जय शैवजनाधार जय शैवजनप्रिय । जयोज्ज्वलल्ललाटाक्ष जय श्रीवृषभध्वज ॥ २७६॥ जय चिद्धन चिद्रूप जय देवशिखामणे । जय कर्पूरगौराङ्ग जय शाश्वत सर्वग ॥ २७७॥ जय सर्वकराशास्य जय स्थितिकराश्रय । जयाप्रधृष्य निर्लिप्त निरञ्जन निरामय ॥ २७८॥ जयाऽखण्डमयाकार जय श्रीचन्द्रशेखर । जय वेदान्तवेद्येश जय मङ्गलविग्रह ॥ २७९॥ जयामितप्रभावाढ्य जयागण्यगुणालय । जय सर्वागमस्तव्य जय सर्वागमप्रिय ॥ २८०॥ जय रुद्र जयोमेश जयोत्कृष्ट जयेश्वर । जयासङ्ग जयाराध्य जय सर्वोत्तमोत्तम ॥ २८१॥ जयानाथैकशरण शरण्यपदपङ्कज । जय पञ्चाक्षराकार जय पञ्चाक्षरप्रिय ॥ २८२॥ जय गौरीप्रियानन्त जयपूर्णमणोरथ । जयोङ्कारमयाकल्प जय सर्वात्मक प्रभो ॥ २८३॥ जय कुन्देन्दुधवल जय ब्रह्मपितामह । जय षण्मुखनन्दीशगणनाथादिसेवित ॥ २८४॥ जय चिन्मय चिन्मूर्ते जयानन्दमयादिम । जय निर्मम निर्द्वन्द्व निरीह निरुपाधिक ॥ २८५॥ प्रसीद प्रसीद प्रभो चन्द्रमौले प्रसीद प्रसीद प्रभो मन्मथारे । प्रसीद प्रसीद प्रभो शूलपाणे प्रसीद प्रसीद प्रभो मृत्युमृत्यो ॥ २८६॥ प्रसीद प्रसीद प्रभोऽनाथबन्धो प्रसीद प्रसीद प्रभो पुण्यसिन्धो । प्रसीद प्रसीद प्रभो दिव्यबन्धो प्रसीद प्रसीद प्रभो विश्वहेतो ॥ २८७॥ ॥ इति शिवरहस्यान्तर्गते मेधावीकृतं मृत्युञ्जयमहादेवस्तवः सम्पूर्णम् ॥ ः सम्पूर्णः/ - ॥ श्रीशिवरहस्यम् उग्राख्यः सप्तमांशः । अध्यायः १६ । २६३-२८७॥ - .. shrIshivarahasyam ugrAkhyaH saptamAMshaH . adhyAyaH 16 . 263-287 .. Encoded and proofread by Ruma Dewan
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% Language              : Sanskrit
% Subject               : philosophy/hinduism/religion
% Transliterated by     : Ruma Dewan
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% Description/comments  : shrIshivarahasyam | ugrAkhyaH saptamAMshaH | adhyAyaH 16 | 263-287||
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% Latest update         : April 28, 2024
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