नन्दीकृता शिवस्तुतिः
जयान्धकान्तक मखपुरस्मरगजान्तक ।
जय षण्मुख विघ्नेश सुन्दरस्मित सन्मुख ॥ ११॥
जय प्रणवनादादिवेदान्तवचनातिग ।
जय विश्वाधिकाशास्य धनवाहाघभेदक ॥ १२॥
जय धीरतरामेय पन्नगा कल्पसच्छद ।
जय कल्पाणशैलोद्यरिवाण महाभुज ॥ १३॥
जय झङ्कारफूत्कारकृताहीश्वरसिञ्जित ।
जय विश्वजनाधार चन्द्रचूड चराचर ॥ १४॥
जय टङ्कमहाहस्तनृत्यद्रङ्गमहानट ।
जय नृत्यप्रभग्नोरुधराधोत्थितकामठ ॥ १५॥
जयाहीशमणीजालफणाविश्राणिताम्बर ।
जय मन्दरकैलासमौलिसञ्चारपावित ॥ १६॥
जय त्रिदशकार्योद्यन्नेत्रोज्वलितमन्मथ ।
जय कामद कालारे भक्तशैवजनाधिप ॥ १७॥
जय दीनदयापार गणवीर धनाधिप ।
जय मन्दारसन्तान पारिजात सुचन्दन ॥ १८॥
जप भूनभरापार दिग्गजाधिप देवप ।
जय पावितलोकादे फणीश फणमौलिक ॥ १९॥
जय विश्वजनोद्बोध बन्धहृद्बन्धकारक ।
जय भद्रद भस्माङ्ग जगद्भरणतत्पर ॥ २०॥
जय मायामयातीत मातृमानविवर्जित ।
जय यन्त्रपराजय्य यजमानहराव्यय ॥ २१॥
जय रात्रिचराक्षय्य महेश शिवशङ्कर ।
जय विश्वविधानादिविनाशन महानल ॥ २२॥
जय साममहानन्दस्तोभसम्भवहर्षित ।
जय शम्भो शिवामेय शमनान्तकर प्रभो ॥ २३॥
जय दोषविषाकारदग्धदेवाभयप्रद ।
जय सर्वसुराधीश सर्वज्ञ परमेश्वर ॥ २४॥
जय हेतिधरापार हरहन्तहनाहन ।
जय ब्रह्म महाक्षेत्रसम्मक्षाध्वरशिक्षक ॥ २५॥
मदनदमन शम्भो कालकाल प्रसीद
मधुमथनकटाक्षेद्भूतपादाब्ज शम्भो ।
वरघरगिरिकन्यानायकावाद्यमुग्ध
त्वयि सदय घनाब्धौ कामिता कामिताऽनः ॥ २६॥
द्विरदानन तात वीतशोक मुरजम्भान्तकमौलिवन्द्यपाद ।
पुरवर्गानलनेत्रपालिकीलानलतूलायितकाम कामिताङ्ग ॥ २७॥
मदमुदिनकरेणुयूथनाथोद्धृतचर्माम्बर साक्षिफल शम्मो ।
गलतरलगल प्रसीद विश्वाधिक कालान्तक पाहि मामनाथम् ॥ २८॥
॥ इति शिवरहस्यान्तर्गते शिवाख्ये नन्दीकृता शिवस्तुतिः सम्पूर्णा ॥
- ॥ श्रीशिवरहस्यम् । शिवाख्यः चतुर्थांशः । अध्यायः ५ । ११-२८॥
- .. shrIshivarahasyam . shivAkhyaH chaturthAMshaH . adhyAyaH 5 . 11-28..
Notes: Nandī नन्दी eulogises Śiva शिव when He appears, following Nandī's penance.
Proofread by Ruma Dewan