सन्ध्याकृतशिवस्तोत्रम् सार्थम्

सन्ध्याकृतशिवस्तोत्रम् सार्थम्

सन्ध्योवाच । निराकारं ज्ञानगम्यं परं यन्नैव स्थूलं नापि सूक्ष्ममेव न चोच्चम् । अन्तश्चिन्त्यं योगिभिस्तस्य रूपं तस्मै तुभ्यं लोककर्त्रे नमोऽस्तु ॥ १२॥ सर्वं शान्तं निर्मलं निर्विकारं ज्ञानागम्यं स्वप्रकाशेऽविकारम् । खाध्वप्रख्यं ध्वान्तमार्गात्परस्ताद्रूपं यस्य त्वां नमामि प्रसन्नम् ॥ १३॥ एकं शुद्धं दीप्यमानं तथाजं चिदानन्दं सहजं चाविकारि । नित्यानन्दं सत्यभूतिप्रसन्नं यस्य श्रीदं रुपमस्मै नमस्ते ॥ १४॥ विद्याकारोद्भावनीयं प्रभिन्नं सत्त्वच्छन्दं ध्येयमात्मस्वरूपम् । सारं पारं पावनानां पवित्रं तस्मै रूपं यस्य चैवं नमस्ते ॥ १५॥ यत्त्वाकारं शुद्धरूपं मनोज्ञं रत्नाकल्पं स्वच्छकर्पूरगौरम् । इष्टाभीती शूलमुण्डे दधानं हस्तैर्नमोयोगयुक्ताय तुभ्यम् ॥ १६॥ गगनं भूर्दिशश्चैव सलिलं ज्योतिरेव च । पुनः कालश्च रूपाणि यस्य तुभ्यं नमोऽस्तु ते ॥ १७॥ प्रधान पुरुषौ यस्य कायत्वेन विनिर्गतौ । तस्मादव्यक्तरूपाय शङ्कराय नमो नमः ॥ १८॥ यो ब्रह्मा कुरुते सृष्टिं यो विष्णुः कुरुते स्थितिम् । संहरिष्यति यो रुद्रस्तस्मै तुभ्यं नमो नमः ॥ १९॥ नमो नमः कारणकारणाय दिव्यामृत ज्ञानविभूतिदाय । समस्त लोकान्तर भूतिदाय प्रकाश रूपाय परात्पराय ॥ २०॥ यस्याऽपरं नो जगदुच्यते पदात् क्षितिर्दिशस्सूर्य इन्दुर्मनोजः । बहिर्मुखा नाभितश्चान्तरिक्षं तस्मै तुभ्यं शम्भवे मे नमोऽस्तु ॥ २१॥ त्वं परः परमात्मा च त्वं विद्या विविधा हरः । सद्ब्रह्म च परं ब्रह्म विचारणपरायणः ॥ २२॥ यस्य नादिर्न मध्यं च नान्तमस्ति जगद्यतः । कथं स्तोष्यामि तं देवं वाङ्मनोगोचरं हरम् ॥ २३॥ यस्य ब्रह्मादयो देवा मुनयश्च तपोधनाः । न विप्रण्वन्ति रूपाणि वर्णनीयः कथं स मे ॥ २४॥ स्त्रिया मया ते किं ज्ञेया निर्गुणस्य गुणाः प्रभो । नैव जानन्ति यद्रूपं सेन्द्रा अपि सुरासुराः ॥ २५॥ नमस्तुभ्यं महेशान नमस्तुभ्यं तपोमय । प्रसीद शम्भो देवेश भूयो भूयो नमोऽस्तु ते ॥ २६॥ ॥ ॐ शिवार्पणमस्तु ॥ हिन्दी भावार्थ -- हे प्रभो ! आप निराकार ज्ञान से परे हैं, न सूक्ष्म हैं, न स्थूल हैं और न उच्च ही । इसीलिए आपका सुन्दर स्वरूप योगियों के चिन्तन करने योग्य अर्थात् ध्यान में धारण करने योग्य है ऐसे लोक कर्त्ता आपको नमस्कार है । शान्त, निर्मल, निर्विकार, ज्ञान से जानने योग्य अपने प्रकाश में विकार रहित परब्रह्म मार्ग के ज्ञाता ध्वात मार्ग से परे रूप वाले प्रसन्न चित्त वाले आपको नमस्कार है । एक शुद्ध प्रकाशमान अज चिदानन्द सहज विकार रहित नित्यानन्द सत्यैश्वर्य से प्रसन्न रूप वाले आपके लिए मेरा नमस्कार है । मन्त्ररूप विद्या से प्राप्त अभिन्न सत्यस्वरूप ध्यान के योग्य आत्म स्वरूप सार पवित्रों से भी पवित्र रूप वाले प्रभु आपको प्रणाम है । जो आकार शुद्ध रूप है, मनोज्ञ रत्नवत् शरीर की कान्ति है, स्वच्छ कर्पूर के समान गौर वर्ण सेवक को अभय देने वाले, हाथों में शूल और मुण्ड को धारण करने वाले योगयुक्त आपको मेरा तमस्कार है । आकाश पृथ्वी, दिक् जल, ज्योति, समय, रूपवाले आपके लिये मेरा नमस्कार है । जिसके शरीर से ब्रह्मा और ऐसे रुद्रत्रय युक्त आपके लिए नमस्कार है । कारणों के कारण दिव्य ज्ञान ऐश्वर्य के दाता संसार को ऐश्वर्य देने वाले प्रकाश रूप परे से परे शंकर के लिए मेरा नमस्कार है । जिसके पैर से पृथ्वी, दिशायें, सूर्य चन्द्रमा, काम और नाभि से बहिर्मुख और आकाश उत्पन्न हुए ऐसे आपके लिए मेरा नमस्कार है । हे शंकर जी आप पर हैं, परमात्मा हैं, नाना प्रकार की विद्या आप ही हैं, सद्ब्रह्म और परब्रह्म आप ही हैं और विचार चतुर आप ही हैं । जिसका न आदि है और न अन्त ही और न मध्य ही है, वाणी और मन से परे देव शिवजी की स्तुति कैसे करूँ । जिसके रूप को ब्रह्मादिक देवता तप रूप धनवाले मुनि नहीं जान सकते उन्हें मैं कैसे कह सकती हूँ । जिस आपके रूप को इन्द्र आदि देवता और दैत्य नहीं जानते हैं उस निर्गुण आपके गुण को क्या मैं स्त्री होकर जान सकती हूँ अर्थात् कदापि नहीम् । हे महेशान ! आपके लिए नमस्कार है, हे देवेश प्रसन्न हू आपके लिए बारंबार नमस्कार है । इति श्रीशिवमहापुराणे रुद्रसंहितायां सती खण्डे षष्ठोऽध्यायान्तर्गतं सन्ध्याकृतशिवस्तोत्रं सम्पूर्णम् । shivapurANa (rudra saMhitAyA 2/ satI khaNDa 2/ a. 6/ shloka 12-26) Encoded and proofread by Malathi Ravi and Aruna Narayanan
% Text title            : shivastotraM by Sandhya
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% Category              : shiva
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% Language              : Sanskrit
% Subject               : philosophy/hinduism/religion
% Transliterated by     : Malathi Ravi and Aruna Narayanan
% Proofread by          : Malathi Ravi and Aruna Narayanan
% Description/comments  : shivapurANa (rudra saMhitA 2/ satI khaNDa 2/ adhyAya 6/ shloka 12\-26) with Hindi meanings
% Indexextra            : (Hindi)
% Latest update         : March 31, 2021
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% Site access           : https://sanskritdocuments.org

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