देवीकृता शिवस्तुतिः

देवीकृता शिवस्तुतिः

देवी - हर हर परिपाहि दीनबन्धो पुरहर देव दयानिधान धीर । मुरहरपरिपूजिताङ्घ्रिपद्म प्रकटसुधाकरशेखरोरुवीर ॥ ४२॥ करिवरखरचर्मवस्त्र शम्भो ह्युरगवरोत्तमहार मारमार । परिपाहि दयानिधान भर्ग त्रिनयन कालकलाविहीनदेह ॥ ४३॥ श्रुतिवरतुरगोत्तमाद्य शम्भो गरगलनील तमालपुष्पमौले । भवभयहर कारणातिगान्तकारे हरिगिरिशरकार्मुकाक्तपाणे ॥ ४४॥ परिपाहि विभो त्रिशूलपाणे नरहरिकृत्तिवसान बालपाल । विधिकन्धरहंसशोभिहस्त (विधिकन्धरहन्तृहस्त शम्भो) पद्मानलनयनाग्निविदग्धकामदेह ॥ ४५॥ इमं दवरसामजप्रकटस्तोत्रकुम्भादरं सनन्दनसनातनैः कलितवन्दनं शङ्करम् । अनिन्दितगुणोत्तमं सुमनिवृन्दवृन्दारकैः पिचण्डिलसुतुन्दिलैर्गणवरौघनृत्तादरम् ॥ ४६॥ - - स्कन्दः - इति संस्तुवते देवी देवीशं परमेश्वरम् । रुद्राणीगणसंवीता योगिनीगणसेविता ॥ ४७॥ महाकैलासमध्यस्था दिव्यदेवाङ्कसंश्रया । सापि देवं जगन्माता पूजयत्यनिशं शिवा ॥ ४८॥ देवदेवं महादेवं गोवृषोत्तमगामिनम् । वतंसितसुधाधामशेखरं श्रुतिसंस्तुतम् ॥ ४९॥ जटाकलापनिटिलानलनेत्रं महेश्वरम् । नीलकण्ठं विरूपाक्षं सोमसूर्यानलाक्षिकम् ॥ ५०॥ कुरङ्गरञ्जितकरं कालकालं कृपानिधिम् । भस्माभ्यक्तं त्रिपुण्ड्राङ्कं रुद्राक्षवरहारकम् ॥ ५१॥ महोरगफणारत्नमालाकीलितकन्धरम् । उद्यदिन्दुकरप्रख्यकर्पूराभकलेवरम् ॥ ५२॥ दिव्यसिह्मासनासीनं महाकैलाससौधगम् । गणस्कन्दमहानन्दिभृङ्गिचण्डीशसेवितं ॥ ५३॥ मुकुटोद्दामगङ्गोत्थरयशोभितमस्तकम् । अब्जमित्राग्निनयनं सोमखण्डोज्वलालकम् ॥ ५४॥ उत्फुल्लपुण्डरीकाच्छमालाललितकन्धरम् । देवं नन्दनमन्दारवरमालाविभूषितम् ॥ ५५॥ खपटं परितो दग्धत्रिपुरासुरगोपुरम् । अन्धकान्तकमाशास्यं स्वभक्तजनवत्सलम् ॥ ५६॥ नमिताशेषदेवादिमुकुटोज्वलपादुकम् । वामदेवं महासामस्तोमस्तुतमतीन्द्रियम् ॥ ५७॥ रथन्तररवप्रीतं राजद्राजनतोषितम् । महावैराजराजश्रीराजराजकलाधरम् ॥ ५८॥ सर्वोपनिषदां सारमेकीभूतमिवेश्वरम् । ध्यायन्ती सा महादेवी स्वमनःपद्मसद्मगम् ॥ ५९॥ तध्यानसारभाराभिः प्लाविताननपङ्कजा । नान्यत्साचिन्तयदेवी जगज्जन्मादिसंस्थितिम् ॥ ६०॥ इत्थं ध्यायन्ती चन्द्रशेखरपदं चोत्फुल्लहृत्पद्मगं देवी नन्दननन्दनेऽपि गिरिजा सापारवश्यान्तरा । नान्यत्किञ्चन विद्यते (नान्यत्किञ्चिदमन्यत) त्रिभुवने निस्सारमेतज्जगत्तुच्छीकृत्य महाच्छमानसपरा स्वात्मानमीशं हृदि ॥ ६१॥ ॥ इति शिवरहस्यान्तर्गते माहेश्वराख्ये देवीकृता शिवस्तुतिः ॥ - ॥ श्रीशिवरहस्यम् । माहेश्वराख्यः प्रथमांशः । अध्यायः २७ - कैलासवर्णने देवीपूजास्तुतिकथनम् । ४२-६१॥ - .. shrIshivarahasyam . mAheshvarAkhyaH prathamAMshaH . adhyAyaH 27 - kailAsavarNane devIpUjAstutikathanam . 42-61.. Notes: Skanda स्कन्द narrates the eulogy to Śiva शिव recited by Devī देवी at Her grand residence at Mount Kailāsa कैलास शैल, and goes on to describe Śiva’s Presence there - that itself is like a eulogy to Śiva शिव. Encoded and proofread by Ruma Dewan
% Text title            : Devikrita Shiva Stuti 2 
% File name             : shivastutiHdevIkRRitA2.itx
% itxtitle              : shivastutiH devIkRitA 2 (shivarahasyAntargatA hara hara paripAhi dInabandho)
% engtitle              : shivastutiH devIkRitA 2
% Category              : shiva, shivarahasya, stuti
% Location              : doc_shiva
% Sublocation           : shiva
% Language              : Sanskrit
% Subject               : philosophy/hinduism/religion
% Transliterated by     : Ruma Dewan
% Proofread by          : Ruma Dewan
% Description/comments  : shrIshivarahasyam | mAheshvarAkhyaH prathamAMshaH | adhyAyaH 27 - kailAsavarNane devIpUjAstutikathanam | 42-61||
% Indexextra            : (Scans 1, 2)
% Latest update         : December 17, 2023
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% Site access           : https://sanskritdocuments.org

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