श्रीवीरभद्रमालामहामन्त्रः
श्री अघोर वीरभद्र प्रलयकालहुङ्कार वीरभद्रमालामहामन्त्रः ।
मन्त्रः -
ॐ विं ॐ नमो भगवते श्री अघोरवीरभद्राय त्रिनेत्रमुकुटाय
चन्द्रकलाधराय जटाजूटमणिकुण्डलभूषणाय महाभयङ्करस्वरूपाय
महाप्रलयकालस्वरूपाय युगयुगान्तकालप्रचण्डध्वंसकाय
खट्वाङ्ग कपाल पाश त्रिशूल डमरुक करवालफलखड्ग
धनुर्हस्तायानन्तकर्णकुण्डलाय वासुकिकर्णाभरणाय तक्षकहाराय
कार्कोटकयज्ञोपवीताय शङ्खपालघटिकसूत्राय पद्मपादपुरिकटकाय
महापद्मवन्दितपादयुगलाय सर्वगुणडम्बरविनोदानाय
आचारप्रतिपालनायानाचारसंहारणाय अद्भुतशक्तिप्रदाय
मौक्तिकमुक्ताभरणाय दक्षमखविध्वंशनाय सोमसूर्याग्निलोचनाय ॐ
श्रीं अघोरप्रलयकालहुङ्कार अघोर वीरभद्र
ब्रह्मगृहं बन्धय बन्धय विष्णुगृहं बन्धय बन्धय
रुद्रगृहं बन्धय बन्धय केतुगृहं बन्धय बन्धय
इन्द्रदशगृहं बन्धय बन्धय अग्निदशगृहं बन्धय बन्धय
यमदशगृहं बन्धय बन्धय नैरृतिदशगृहं बन्धय बन्धय
वरुणदशगृहं बन्धय बन्धय वायुदशगृहं बन्धय बन्धय
कुबेरदशगृहं बन्धय बन्धय ईशानदशगृहं बन्धय बन्धय
आकाशदशगृहं बन्धय बन्धय अवान्तरदशगृहं बन्धय बन्धय
पातालदशगृहं बन्धय बन्धय यक्षगणं बन्धय बन्धय
राक्षसगणं बन्धय बन्धय गन्धर्वगणं बन्धय बन्धय
किन्नरगणं बन्धय बन्धय किंपुरुषगणं बन्धय बन्धय
भूतगणं बन्धय बन्धय प्रेतगणं बन्धय बन्धय
पिशाचगणं बन्धय बन्धय ब्रह्मराक्षसगणं बन्धय बन्धय
जटिग्रहं बन्धय बन्धय कुम्भिनीगृहं बन्धय बन्धय
शुभिनिगृहं बन्धय बन्धय बालगृहं बन्धय बन्धय
शाकिनीगृहं बन्धय बन्धय डाकिनीगृहं बन्धय बन्धय
हाकिनीगृहं बन्धय बन्धय मोहिनीगृहं बन्धय बन्धय
कामिनीगृहं बन्धय बन्धय वीरगृहं बन्धय बन्धय
शूरगृहं बन्धय बन्धय लण्डिगृहं बन्धय बन्धय
चण्डीगृहं बन्धय बन्धय स्मशानक्काटेरिगृहं बन्धय बन्धय
जलकाट्टेरिगृहं बन्धय रक्तक्काटेरिगृहं बन्धय
शूट्टेरिगृहं बन्धय बन्धय नाट्टेरिगृहं बन्धय
कन्नियेरि गृहं बन्धय काञ्चिलेरिगृहं बन्धय
नाविलेरिगृहं बन्धय मुट्टेरिगृहं बन्धय
मुनियेरिगृहं बन्धय चतुष्षष्टिमन्त्रस्थापितग्रहान् बन्धय
जटामुनिग्रहं बन्धय एवलमुनिग्रहं बन्धय
श्मशानवासुकिगृहं बन्धय नानावर्णगृहं बन्धय बन्धय
नानाजातिगृहं बन्धय बन्धय सर्वदुष्टग्रहान् बन्धय बन्धय
ॐ अघोरप्रलयकालहुङ्कारसंहारवीरभद्राय ब्रह्माण्डरोमकूपविलम्बिताय
लोकैकनाथाय त्रैलोक्यडम्बराय
ॐ विं अघोरप्रलयकालहुङ्कार संहारवीरभद्र आगच्छ आगच्छ
आकर्षय आकर्षय आवेशय आवेशय
अवतारय ललललल लिलिलिलिलि लुलुलुलुलु अघोरप्रलयकालवीरभद्र
शीघ्रं शीघ्रं आकर्षय आकर्षय आवेशय आवेशय स्तम्भय
स्तम्भय मोहय मोहय भ्रामय भ्रामय भीषय भीषय पेषय
आपूरय पारु फारु पोक ह्रां ह्रीं ह्रूं श्रीं अघोरप्रलयकालहुङ्कार
अघोरवीरभद्राय नमस्ते नमस्ते स्वाहा ।
इति श्रीवीरभद्रमालामहामन्त्रः सम्पूर्णः ।
Encoded and proofread by Mohan Chettoor