श्रीसुब्रह्मण्याक्षरमालिकास्तोत्रम्

श्रीसुब्रह्मण्याक्षरमालिकास्तोत्रम्

ॐ श्रीगणेशाय नमः शरवणभव गुह शरवणभव गुह शरवणभव गुह पाहि गुरो गुह ॥ अखिलजगज्जनिपालननिलयन कारण सत्सुखचिद्घन भो गुह (शर) ॥ १॥ आगमनिगदितमङ्गळगुणगण आदिपुरुषपुरुहूत सुपूजित (शर) ॥ २॥ इभवदनानुज शुभसमुदययुत विभवकरम्बित विभुपदजृम्भित (शर) ॥ ३॥ भीतिभयापह नीतिनयावह गीतिकलाखिलरीतिविशारद (शर) ॥ ४॥ उपपतिरिव कृतवल्लीसङ्गम - कुपित वनेचरपतिहृदयङ्गम (शर) ॥ ५॥ ऊर्जितशासनमार्जितभूषण स्फूर्जथुघोषण धूर्जटितोषण (शर) ॥ ६॥ ऋषिगणविगणितचरणकमलयुत ऋजुसरणिचरित महदवनमहित (शर) ॥ ७॥ ॠकाराक्षररूप पुरातन राकाचन्द्रनिकाश षडानन (शर) ॥ ८॥ लृकाररूपोपकारसुनिरत विकाररहितापकारसुविरत (शर) ॥ ९॥ ॡकाराकृति शोकापोहन केकारवयुत केकिविनोदन (शर) ॥ १०॥ एडकवाहन मूढविमोहन ऊढसमभुवन सोढसद्करण (शर) ॥ ११॥ ऐलबिलादिदिगीशबलावृत कैलासाचललीलालालस (शर) ॥ १२॥ ओजोरेजित तेजोराजित आजिविराजदरात्यपराजित (शर) ॥ १३॥ औपनिषदपरमात्मपदोदित औपाधिकविग्रहतामुपगत (शर) ॥ १४॥ अंहोनाशन रंहोगाहन ब्रह्मोद्बोधन सिंहोन्मेषण (शर) ॥ १५॥ अस्तविशस्तसमस्तमहासुर हस्तसततधृतशक्तिभृतामर (शर) ॥ १६॥ करुणाविग्रह कलितानुग्रह कटुमतिदुर्ग्रह पटुयतिसुग्रह (शर) ॥ १७॥ खण्डितचण्डमहासुरमण्डल- मण्डितनिबिडश्यामळकुन्तल (शर) ॥ १८॥ गङ्गासम्भव गिरिशतनूभव रङ्गपुरोभव तुङ्गकुचाधव (शर) ॥ १९॥ घनवाहनमुख सुरवरवन्दित घननादोदित शिखिनटनन्दित (शर) ॥ २०॥ ङवमानधनुमौर्वीरवरत पवमानधृतव्यजनकृतिमुदित (शर) ॥ २१॥ चरणायुध धर करणा वृतिहर तरुणा कृतिवर करुणासागर (शर) ॥ २२॥ छेदित तारक भेदित पातक खेदित घातक वाञ्छित दायक (शर) ॥ २३॥ जलजनिभनयन खलमनुज मथन बलिदनुजमदन कलिकलुषशमन (शर) ॥ २४॥ झषकेतनसम वृषकेतनरम मिषचेतनयम वृषकारिसुगम (शर) ॥ २५॥ ज्ञातागमचय धूताघनिचय वीतषडरिरय गीतगुणोदय (शर) ॥ २६॥ टङ्कारागत कङ्कात्ताहित झङ्काराढ्यालङ्कारावृत (शर) ॥ २७॥ ठाकृतिराजित हाटककुण्डल स्वाकृतिरेजित घोटकमण्डल (शर) ॥ २८॥ डिम्भाकृतियुत रम्भानटरत जम्भारिविनुत कुम्भोद्भवनुत (शर) ॥ २९॥ ढक्कारवकृत धिक्काराहित दिक्कालामित हिक्कादिरहित (शर) ॥ ३०॥ णकारतरुसुम निकाररतिदम णकारयुतमनुजपविहितागम (शर) ॥ ३१॥ तापत्रयहर कालत्रयचर लोकत्रयधर वर्गत्रयकर (शर) ॥ ३२॥ स्थिरपददायक सुरवरनायक निरसितसायक निरुपमगायक (शर) ॥ ३३॥ दान्तदयापर कान्तकळेबर भ्रान्तं मां तर शान्तहृदयवर (शर) ॥ ३४॥ धीरोदात्त गुणोत्तरजित्वर ॥ धीरोपासित वित्तमहत्तर (शर) ॥ ३५॥ नववीराहित सवयोविहसित भवरोगावृतमनुजजिहासित (शर) ॥ ३६॥ पुष्करमालावासितविग्रह पुण्यपरायण विहितपरिग्रह (शर) ॥ ३७॥ फाललसन्मृगमदतिलकोज्ज्वल कलिमलतूल सुवातूलातुल (शर) ॥ ३८॥ बन्दीकृतसुरवृन्दानन्दन वन्दारु मनुज मन्दारद्रुम (शर)॥ ३९॥ भवतागमितः कारागारं प्रणवाविदितश्चतुरास्योरम् (शर) ॥ ४०॥ महनीयमहावाक्योद्घोषित कमनीयमहामकुटोद्भूषित (शर) ॥ ४१॥ योगिहृदय सरसीरुहभास्वर योगाधीश्वर भोगविकस्वर (शर) ॥ ४२॥ रक्षोशिक्षणकृत्यविचक्षण रक्षणक्षकटाक्षनिरीक्षण (शर) ॥ ४३॥ लोलदुकूलाञ्चलपादाञ्चल बालकुतूहल लीलापेशल (शर) ॥ ४४॥ वलवैरिसुताचरितापहसित लवलीतिमता भवतो वनिता (शर) ॥ ४५॥ शूलायुधधर कालायुतहर मालायुतभर हेलायुतकर (शर) ॥ ४६॥ षट्कोणस्थित षट्तारकसुत षड्भावरहित षडूर्मिघातक (शर) ॥ ४७॥ सुब्रह्मण्योमिति निगमान्तो वदति भवन्तं प्रणवपदार्थम् (शर) ॥ ४८॥ हारावळियुतकाराहृतसुर धारारतहयनियुत नियुतरथ (शर) ॥ ४९॥ लळितकरकमल लुळितवरवलय दळितासुरचय मिळितामरचय (शर) ॥ ५०॥ क्षणभङ्गुरजगदुपपादनचण वेदविनिश्चित तत्त्वजनावन (शर) ॥ ५१॥ नीलकण्ठकृतवर्णमालिका प्रीतये भवतु पार्वतीभुवः ॥ इति नीलकण्ठकृता श्रीसुब्रह्मण्याक्षरमालिका समाप्ता ॥ Encoded by Sivakumar Thyagarajan Proofread by Sivakumar Thyagarajan, PSA Easwaran
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% Author                : Nilakantha
% Language              : Sanskrit
% Subject               : philosophy/hinduism/religion
% Transliterated by     : Sivakumar Thyagarajan Iyer
% Proofread by          : Sivakumar Thyagarajan Iyer, PSA Easwaran
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% Latest update         : April 4, 2020
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