दिव्यपत्यष्टकम्

दिव्यपत्यष्टकम्

(अष्टपदी) जलधर-सुन्दर मदन-मनोहर हृदय-तमोहर कृष्ण हरे । वृषकुल-भूषण दलितविदूषण दिव्य-विभूषण दिव्यगते । जयजय-जयकर दीनदयाकर जगति दिवाकर दिव्यपते ॥ १॥ निजजनरञ्जन भवभयभञ्जन भुवननिरञ्जन भक्तरते । मुनिजन-मण्डन विषय-विखण्डन खलजन-दण्डन दण्डविधे । जयजय-जयकर दीनदयाकर जगति दिवाकर दिव्यपते ॥ २॥ असुर-निकन्दन सुरवृष-नन्दन चर्चित-चन्दन मुक्तमुने । भवजलतारण दोष-निवारण मङ्गल-कारण मुक्तपते । जयजय-जयकर दीनदयाकर जगति दिवाकर दिव्यपते ॥ ३॥ सरसिज-लोचन जनिमृति-मोचन रविशशि-रोचन रागिरते । असुर-विमोहन सुरसुख-दोहन वारण-रोहण शीघ्रगते । जयजय-जयकर दीनदयाकर जगति दिवाकर दिव्यपते ॥ ४॥ निजहित-शासन शाप-विनाशन हय-गरुडासन सादिवृते । दुर्गपुरासन भक्त-निवासन भूजित-कुवासन भक्तरते । जयजय-जयकर दीनदयाकर जगति दिवाकर दिव्यपते ॥ ५॥ रचित-निजावन भक्ति-विभावन पङ्क्ति-सुपावन पुण्यपते । शं कुरु शङ्कर वैरिभयङ्कर धर्मधुरन्धर योगिगते । जयजय-जयकर दीनदयाकर जगति दिवाकर दिव्यपते ॥ ६॥ खण्डित-चण्डं पण्डित-मण्डं जित-पाखण्डं दण्ड-भटम् । कम्पिति-कालं वृषकुल-पालं वर-वनमालं पीतपटम् । जयजय-जयकर दीनदयाकर जगति दिवाकर दिव्यपते ॥ ७॥ श्रितसुखकन्दं बोधितमन्दं सहजानन्दं त्वाधिभजे । कुरु तव दासं चरणनिवासं त्यक्तकुवासं योगमुनिम् । जयजय-जयकर दीनदयाकर जगति दिवाकर दिव्यपते ॥ ८॥ इति श्रीयोगानन्दमुनिविरचितं दिव्यपत्यष्टकं सम्पूर्णम् ।
% Text title            : Divyapati Ashtakam
% File name             : divyapatyaShTakam.itx
% itxtitle              : divyapatyaShTakam (yogAnandamunivirachitam)
% engtitle              : divyapatyaShTakam
% Category              : vishhnu, svAminArAyaNa, krishna, aShTaka
% Location              : doc_vishhnu
% Sublocation           : vishhnu
% SubDeity              : krishna
% Author                : yogAnandamuni
% Language              : Sanskrit
% Subject               : philosophy/hinduism/religion
% Indexextra            : (Gujarati, Swaminarayan Sampradaya 1, 2, 3, 4)
% Acknowledge-Permission: Swaminarayan Sampradaya
% Latest update         : August 8, 2024
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