बच्चों को संस्कृतशिक्षा
अगर आप हैं चाहते बालकों को,
विनय-शील-सम्पन्न शिक्षित बनाना ।
तो बचपन से उनको सरल-रीति से है,
उचित नित्य संस्कृत पढ़ाना-लिखाना । १
ये बच्चे जो बचपन में संस्कृत पढेंगे,
चरणवन्दना गुरुजनों की करेंगे,
सदा शिष्ट वातावरण में रहेंगे,
तो निश्चित विनयशीलशाली बनेंगे । २
अगर देश में शिष्टता-सभ्यता का
वही चाहते पुण्यधारा वहाना-
तो वचपन से ही चाहिये बाल-बच्चों-
को संस्कृत व संस्कृति से परिचित कराना । ३
-- रचयिता - श्री. वासुदेव द्विवेदी शास्त्री
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