भारतीया वयम्
भारतीया वयम् भारतीया वयम् ।
भारतं मे प्रियं राजते भूतले
यस्य दिव्यं यशः कोविदैर्गीयते ।
मानवानां कृते यत् कृतं भारते
तन्न सत्यं क्वचिद् दृश्यते भूतले ॥ १॥ भारतीया वयम्
भेद दृष्टिर्न मे भारतं वर्तते
राष्ट्रभक्तिर्जनैः सर्वथा नन्द्यते ।
राष्ट्रसेवा नरैः सादरं चीयते
राष्ट्रभक्ताः मदीयाः समे भ्रातरः ॥ २॥ भारतीया वयम्
मातृभूमिर्मदीया परा भारती
मातृसेवाव्रता भारतीया वयम् ।
भावयामो वयं सुन्दरं भारतं
राष्ट्रभक्ति परा नः सदा वर्धताम् ॥ ३॥ भारतीया वयम्
भावार्थ-
हम सभी भारतीय हैं, हम सब भारतीय हैं ।
मेरा प्रिय भारत सम्पूर्ण संसार में सुशोभित है ।
जिसके दिव्य यश का गीत प्रकांड विद्वानों
के द्वारा गाया जाता (अलौकिक) है ।
भारत में जो मानवता का रूप दिखाई देता है वह सत्य संसार में कहीं
भी नहीं दिखाई देता है । मेरे भारत में भेदभाव की भावना नही है ।
राष्ट्रभक्ति सभी लोगों में दिखाई देती है ।
राष्ट्रसेवा की भावना सभी लोगों के भीतर
फलती-फूलती है (दिखाई देती है) ।
मेरे देश में रहने वालों लोग सभी राष्ट्रभक्त हैं तथा
आपस में भाई-भाई हैं ।
Vidyabharati Sanskrit Song