बिना अध्यात्म के विज्ञान लाभकारी नहीं
वैज्ञानिक उन्नति से तब तक दूर जगत का रोग न होगा,
संस्कृत के अध्यात्मशास्त्र का जब तक उसमें योग न होगा । ०
स्पुटनिक आप भले ही छोड़ चन्द्र-सूर्य तक जावें,
विश्वमंच पर प्रकृति नटी को चाहे नग्न नचावें,
गगन समीर भूमि जल पावक सब कुछ वश कर लेवें,
ईश्वर तक को आप निरर्थक भले सिद्ध कर देवें,
पर इसका सुख-शान्ति लब्धि में तब तक कुछ उपयोग न होगा,
जब तक आध्यात्मिक विकास का इससे शुभ संयोग न होगा । १
आज मचा जो हुआ चतुर्दिक भीषण हाहाकार,
क्षुद्र स्वार्थ के लिए हो रहा अगणित नर संहार,
देश-देश का जाति-जाति का रंग-रंग का भेद,
आज कर रहा मानवता का निर्मम मूलच्छेद,
राकेटों से इन दोषों की तब तक कुछ भी शान्ति न होगी,
एक बार जब तक भूतल पर फिर आध्यात्मिक क्रान्ति न होगी । २
उन्नति के उत्तुङ्ग शिखर पर आज बैठ विज्ञान,
धर्म और आध्यात्मिकता का भूल रहा सम्मान,
पर हिरोशिमा से पूछो इसको बीभत्स कहानी,
नहीं आज भी सूख सका जिसकी आँखों का पानी,
इस विनाश से बचने में तब तक समर्थ संसार न होगा,
धर्म और अध्यात्मयोग का जब तक पूर्ण प्रचार न होगा । ३
-- रचयिता - श्री. वासुदेव द्विवेदी शास्त्री
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