देववाणी से देश का कल्याण
देववाणी के उदय से देश का कल्याण होगा,
राष्ट्र का फिर से हमारे दिव्य नवनिर्माण होगा । ०
फिर हमारे देश में जब साम का मधुगान होगा,
और गीता का मधुर उपदेश अमृत-पान होगा,
नित्य प्रातः प्रणव का जप-योग सन्ध्याध्यान होगा,
धर्म-नीति-सुभाषितों का प्रचुर पाठ विधान होगा,
देश का तब दुर्विचारों से सुनिश्चित त्राण होगा,
राष्ट्र का फिर से हमारे दिव्य नवनिर्माण होगा । १
प्रानिवय्यं महर्षियों की प्रेरणावाणी पढेंगे-
जब हमारे युवक, निश्चित सौ कदम आगे बढ़ेंगे ।
जब यहाँ वेदान्त के अद्वैत का उद्घोष होगा,
देश सब सङ्कीर्णताओं से रहित निर्दोष होगा ।
देश-उन्नति के लिए यह तत्त्व ही बस प्राण होगा,
राष्ट्र का फिर से हमारे दिव्य नवनिर्माण होगा । २
-- रचयिता - श्री. वासुदेव द्विवेदी शास्त्री
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