देवि देहिनो बलम्
देवि देहिनो बलं
धैर्य वीर्य सम्बलम् ।
राष्ट्र मान वर्धनाय
पुण्य कर्म कौशलम् ॥ देवि देही ॥
चण्डमुण्डनाशिनि
ब्रह्मशान्तिवर्षिणि
तेजोसाते जातं नाशं
आसु दुःख यामिनिम् ।
भातु धर्मभास्करं
सत्य सौर्यभास्वरं
आर्य शक्ति पुष्टमस्तु
भारतं निर्गलम् ॥ देवि देही ॥
साधुवृन्दपालिके
विश्वधात्रिकालिके
दैत्यदर्पतापशाप
कालिके करालिके ।
रक्ष आर्यसंस्कृतिं
वर्धयार्य संहतिं
वेदमन्त्रपुष्टमस्तु
भारतं समुल्तुलम् ॥ देवि देही ॥