लहरी-भीत्या नौका वै
(``लहरों से डरकर नौका'' हिन्दी गीतस्य संस्कृतानुवादः)
लहरी-भीत्या नौका वै गच्छति नो पारम् ।
नायात्युद्यम-निरतानां कर्मसु विफलत्वम् ।
उद्यम-निरता न लभन्ते स्वपराजय-भारम् ॥ ०॥
कणिकां नीत्वा चलति यदा लघ्वी पिपीलिका,
रोहति भित्तौ स्खलति परं शतवारं सैका ।
मनसो विश्वासो धमनौ पूरयति साहसम्,
रोहे पतनं पतने रोहो जनयति नो खेदम् ।
अन्ते तस्याः श्रम-सर्वं याति नहि व्यर्थम् ।
नायात्युद्यम-निरतानां कर्मसु विफलत्वम् ।
उद्यम-निरता न लभन्ते स्वपराजय-भारम् ॥ १॥
अवगाही कुरुते नूनं निमज्जनं जलधौ,
प्रत्यायाति च रिक्त-करो मुहुरपि गत्वाऽसौ ।
सरलं न लभ्यते वै मुक्ता सलिले सुगभीरे,
द्विगुणं वर्धत उत्साहो ह्यत्रोद्वेगभरे ।
शून्यागच्छति न तदीया मुष्टिः प्रतिवारम् ।
नायात्युद्यम-निरतानां कर्मसु विफलत्वम् ।
उद्यम-निरता न लभन्ते स्वपराजय-भारम् ॥ २॥
असफलता त्वेकाह्वानं, तत् स्वीकुरु नूनम्,
पश्याभावः को जात:, सम्मार्जयाधिकम् ।
नाप्तं यावत् सफलत्वं, निद्रां त्यज सौख्यम् ।
सङ्घर्षाङ्गणमिह हित्वा न पलायेथास्त्वम् ।
लभ्यः किञ्चित् कृतं विना, जयकारो नैवम् ।
नायात्युद्यम-निरतानां कर्मसु विफलत्वम् ।
उद्यम-निरता न लभन्ते स्वपराजय-भारम् ॥ ३॥
मूल हिन्दी
लहरों से डरकर नौका पार नहीं होती ।
कोशिश करनेवालों की हार नहीं होती ।
कोशिश करनेवालों की हार नहीं होती ॥ ०॥
नन्हीं चींटी जब दाना लेकर चलती है,
चढ़ती दीवारों पर, सौ बार फिसलती है ।
मन का विश्वास रगों में साहस भरता है,
चढ़कर गिरना गिरकर चढ़ना न अखरता है ।
आखिर उसकी मेहनत बेकार नहीं होती ।
कोशिश करनेवालों की हार नहीं होती ।
कोशिश करनेवालों की हार नहीं होती ॥ १॥
डुबकियाँ सिन्धु में गोताखोर लगाता है,
जा जाकर खाली हाथ लौटकर आता है ।
मिलते नहीं सहज ही मोती गहरे पानी में,
बढ़ता दुगुना उत्साह इसी हैरानी में ।
मुट्ठी उसकी खाली हर बार नहीं होती ।
कोशिश करनेवालों की हार नहीं होती ।
कोशिश करनेवालों की हार नहीं होती ॥ २॥
असफलता एक चुनौती है स्वीकार करो,
क्या कमीं रह गयी देखो, और सुधार करो ।
जब तक न सफल हो नींद चैन को त्यागो तुम,
संघर्ष का मैदान छोड़ मत भागो तुम ।
कुछ किये बिना ही जय-जयकार नहीं होती ।
कोशिश करनेवालों की हार नहीं होती ।
कोशिश करनेवालों की हार नहीं होती ॥ ३॥
लहरों से डरकर नौका (हिन्दी गीत)
मूल-रचयिता - कवि सोहनलाल द्विवेदी
संस्कृत-गीतानुवादकः - डाॅ. हरेकृष्ण-मेहेरः
Laharon Se Darkar Nauka (Hindi song)
Original Lyrics by : Poet Sohanlal Dwivedi
Sanskrit Version Lyrics by : Dr. Harekrishna Meher
Copyright - Dr. Harekrishna Mehera